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EDITOR EDITOR EDITOR EDITOR - - - - PUBLISHER : SNEH THAKORE PUBLISHER : SNEH THAKORE PUBLISHER : SNEH THAKORE PUBLISHER : SNEH THAKORE (LIMKA BOOK RECORD HOLDER) (LIMKA BOOK RECORD HOLDER) (LIMKA BOOK RECORD HOLDER) (LIMKA BOOK RECORD HOLDER) VASUDHA VASUDHA VASUDHA VASUDHA A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI ON ON ON ON Year 13, Issue 51 Year 13, Issue 51 Year 13, Issue 51 Year 13, Issue 51 July July July July-Sept., 2016 Sept., 2016 Sept., 2016 Sept., 2016 kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka vsu2a vsu2a vsu2a vsu2a s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka$ $ $ $ DR hoLDr DR hoLDr DR hoLDr DR hoLDr v8R ÉË - A.k ÍÉ, jula{-istMbr ÊÈÉÎ

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VASUDHA

VASUDHA

VASUDHA

VASUDHA A C

ANADIAN P

UBLICATI

A C

ANADIAN P

UBLICATI

A C

ANADIAN P

UBLICATI

A C

ANADIAN P

UBLICATION

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Year 13 Issue 51Year 13 Issue 51Year 13 Issue 51Year 13 Issue 51

JulyJulyJulyJuly----Sept 2016Sept 2016Sept 2016Sept 2016

kEneDa se pkaixt saihiTyk pi5kakEneDa se pkaixt saihiTyk pi5kakEneDa se pkaixt saihiTyk pi5kakEneDa se pkaixt saihiTyk pi5ka

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एक और महाभारत

पदमशरी डॉ शयाम सिह शशश

मर िमय

अचछा ककया तमन

मझ एक और

महाभारत दकर

उतरती उमर म

और शििश ककया पन

अशभमनय बनन को

पर यह यदध

शभनन ह शिगत क यदधो ि

भशमका नही ह किल

शििम अशभमनय की

आि मझम

कषण पारथ भी ह

यशिशिर और भीम को

लि करना ह मझ

आिशनक शसतरो ि

अलग-अलग मोरचो क शलए

िीख शलया ह

मरी कलम न अब

शनमाथण

अशिबाण ि

पाशपशत असतर तक

पर कि कर

उनका उपयोग

कयोकक अभी तो

भीषम शपतामह की

भशमका शष ह

और म लटा ह अपन ही

बाणो की शयया पर

परतीकषा कर रहा ह

ककिी मकत पकष की

मशकत क शलए ककिी शशकत की

िो शिमकत कर िक मानि को

पिाथगरहो क

ओछ रचकरवयह ि

अनशगन पाटो म शपित

अतहीन उपकरम ि

13 51 2016 1

(भारत क राषटरपतत दवारा तिनदी सवी सममान स सममातनत)

सपादकीय २

मर सपनो का अखणड भारत डॉ वदपरताप वददक ४

कयो जनम थ कषण ओम परकाश गपता ५

तिनदी सातितय म सासकततक

सवदना और मलयबोध प कशरी नाथ तिपाठी ७

म तिनदी ह यतीदर नाथ चतवदी १०

चील भीषम सािनी १३

तीसा क तलए िमलता यादव १९

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन सशील कमार शमाा २०

आवाज़ व दत रि बालसवरप रािी २३

आसथा छोट राम रगर २४

किा गए वो ददन दीतपत गपता २६

मनसमतत वद और मतिला सवातरय नयटन तमशरा २८

जानकीवललभ शासतरी

सिज साधना की यािा डॉ िरीश कमार ३०

बासरी सजय वमाा ३३

िादसा डॉ िरीश कमार गोबबद ३४

जवालामखी सगम वमाा ३७

मर दश का तिनदी परचारक

टोराणटो कनाडा की सातितयकार सनि ठाकर ऊषा शाकय ३८

एक और मिाभारत पदमशरी डॉ शयाम बसि शतश १अ

सनि ठाकर का रचना-ससार ४४अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail Canada amp USA$3500 Other Countries$4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail snehthakorerogerscom

13 51 2016 2

इस अक का सपादकीय तवनमरतापवाक शरीराम क चरण-कमलो म नतमसतक सभी

शभाकातियो क परतत आदर एव सनि स पलातवत उनि धनयवाद दती हई सवय स शर कर रिी ह यि

सभी की मगलकामनाओ का परततफलन और मरा सौभागय ि दक भारत क राषटरपतत माननीय शरी परणब

मखजी क कर-कमलो दवारा मझ राषटरपतत भवन म पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण सममान

२०१३ - तिनदी सवी सममान १९ अपरल को परदान दकया गया राषटरपतत भवन क दरबार िॉल म यि

भवय समारोि समपनन हआ सभी क दवारा परतषत शभकामनाओ व बधाई क परतत कतजञता-जञातपत करती

ह साथ िी वसधा क तितषी व लखक डॉ नरनदर कोिली को तिनदी सवी सममान २०१४ व डॉ सषम

बदी को तिनदी सवी सममान २०१२ ित तथा सभी सममातनत तिनदी सतवयो को बधाई दती ह

अपनी जनमभतम की पावन-पनीत माटी की सगध को सवय म बसा उसक आशीषो स

पललतवत-पोतषत इस शरीर व आतमा दवारा दर बठ सवदश बन इस तवदश म भी अपनी भारत मा क

गौरव का झडा गवा स उठाय रखन क परतशिण क परतत आभार परगट करन का जो सौभागय मझ अपन

सातितय की भावावयति दवारा अतभवयि करन का गौरव मात-भाषा तिनदी न परदान दकया उस मा को

नमन करत हए क दरीय तिनदी ससथान व राषटरपतत माननीय शरी परणब मखजी जी की तिददल स आभारी

ह दक उनिोन इस सरािा जिा यि सममान वयतिगत सममान ि विी यि परवासी भारतीयो

सातितयकारो का भी सममान ि कनडा का सममान ि कयोदक सच पछा जाए तो भारत दश न राषटर क

सवोचच पद स यि सममान ददला अपन एक परवासी भारतीय को सममातनत दकया ि भारत न िम

परवातसयो को भलाया निी ि यि अनभतत सचमच अदभत ि अपन पयार भारत स तजसन पाल-पोस

कर इस लायक बनाया दक तवदश म भी गवा स तसर उठा भारतीय िोन का एिसास िो सक साथ िी

इस दश बन तवदश न मरी तिनदी क परतत भावनाओ का आदर कर मझ इस कातबल बनाया दक म अपन

दश का यि सममान परापत कर सक इस ित भारत और कनडा दोनो क परतत आभारी ह

जीवन म सख और दख का साथ अपररिाया ि परसकार लन भारत जान स कछ िी समय

पिल दखद समाचार तमला दक शरीमती कमला आडवाणी जी इस नशवर ससार स अकसमात हदयाघात

क कारण सब तपरयजनो को छोड़कर जा चकी ि भारत पहच उनक तनवास सथान म एक ददन तजस

कमर म आडवाणी जी क साथ कमला जी की दीवार पर टगी पबनटग क तनमााण का इततिास मर मख

पर िासय तछटका गया था उसी कमर म कमला जी की फ़ोटो पर पषप-पखतड़यो की शरदाजतल चढ़ात

हए मन तवषाद स भर नयन-कोरो को सजल कर गया पर दफर कछ िी िणोपरात आडवाणी जी दवारा

ददखाय गए एलबम म कद कमला जी की समततया जीवत िो मखर िो उठी लगा कमला जी भल िी

इस नशवर ससार स पारथथव रप स तवदा ल चकी ि पर तजन सबस उनका वासता रिा उन सबक हदय

म समततरप म व सदा बनी रिगी साथ िी तपरय आडवाणी जी तबरटया परततभा व पि जयत क जीवन

की िर ददशा को व अपन आततमक सबध स िण-परतत-िण परोतसातित कर अगरतसत करती रिगी

यि वसधा का सौभागय ि दक क दरीय तिनदी तनदशालय ददलली न उस सरािा व तवतरण ित

उसकी परततया करय की कनडा की धरती पर जनमी पतषपत-पललतवत िोती वसधा क जीवन म तिनदी

क परतत परचार-परसार-तवकास ित कत-सकलप भावना म एक नई उमग भर उतसािवधान ित िारददक

धनयवाद एव आभार

शरीमती ऊषा शाकय को वसधा की ओर स बधाई उनका आलख तजस इस अक म परकातशत

दकया गया ि तवशव तिनदी सतचवालय मॉरीशस दवारा आयोतजत अतरराषटरीय तिनदी तनबध

परततयोतगता म ततीय सथान पर परसकत हआ ि

13 51 2016 3

शरीमती सनीतत शमाा की दो सारगरथभत पसतक - आयनदर शमाा का तिनदी वयाकरण व नददास

का कावय-बचतन परकातशत हई ि व तो वस भी अपन परशासतनक काया दवारा तिनदी क उततरोततर

तवकास म सलगन ि पर अब उसस भी ऊपर उठकर अपन बच-खच सीतमत अवकाश का अततररि

समय दकर इन पसतको की रचना उनक तिनदी क परतत समपाण को एक नई धरती परदान करती ि ईशवर

कर उनकी रचनातमकता उनक पररशरम की इस धरती स ऊपर उठ सातितयाकाश म लतखका क रप म

भी उनकी अपनी एक नई पिचान बनाय

शरीमती वदना पाणड सौमया व शरतत क आतमीय मधर वचनो की गज अभी भी कानो म गज

रिी ि शरतत क इस छोटी-सी उमर म गीता क शलोको की भावपणा धारापरवाि अतभवयति व उनकी

अपनी कतवताओ की परसततत न मन मोि तलया शरतत इसी तरि भारतीय ससकतत की धवजा फिराती

रि यिी कामना ि

डॉ आरपी बसि परकाशी जी अतभनव व नीलोतपल क परतत ठाकर सािब व म आभारी ि

तजनिोन न कवल उनक साथ तबताय िणो को अतवसमरणीय बनाया वरन ढर सारी जञानवधाक पसतको

का उपिार भी मझ ददया

तजस आतमीयता स सवय िी डॉ मिा न मर उपनयास लोक-नायक राम की समीिा तलखन

की बात किी उसक तलए धनयवाद और आभार क मौतखक शबद कम पड़ रि ि आतमीय आभार

शरी उपनदर नाथ शरीमती निा नाथ पि अथवा व शरी सतयनदर कमार बसि क तलए यदद आभार

शबद का परयोग कर गी तो कदातचत उनि मानय निी िोगा अत उनि आशीष दती ह दक व सदा सतमागा

पर चलत हए उततरोततर उननतत क सोपान चढ़त रि

जएनय का आवास सदा समरणीय रिगा जिा विा क पराकततक सौदया न मन परफतललत

दकया कोयल की कक न कानो म सधा-रस घोला और मोर-नतय न नयनो की पलको क झपकन का

एिसास भी न िोन ददया विी अरावली इटरनशनल गसट िाउस क परतयक पदातधकारी न ठाकर सािब

व मझ इतना आदर-पयार ददया दक वि आजनम िम याद रिगा ऑदफस तसकयररटी क टीन कमरा व

भोजन वयवसथा वाल - इन सभी तपरयजनो क परतत - िम आभार स नतमसतक ि

जनमाषटमी का पावन पनीत मिोतसव आ रिा ि शरी कषण की वाणी िम सब क हदय म

अनगतजत िो िमारा पथ-परदशान कर - गीता सगीता कतावया दकमनय शासतरतवसतर या सवय

पदमनाभसय मखपदमातदवतनसता गीता भली परकार मनन करक हदय म धारण करन योगय ि जो

पदमनाभ भगवान क शरीमख स तनसत वाणी ि ईशवर कपा स मर पवा उपनयास ककयी चतना-तशखा की भातत िी २०१५ म परकातशत मर उपनयास

लोक-नायक राम का भी तदवतीय ससकरण परकातशत िो गया ि

सवतिता-ददवस पर वसधा का सभी सवतिता-सनातनयो को तजनक रि की एक-एक बद क िम

आभारी ि सादर ससनह शरदाजतल नमन - सनह ठाकर

13 51 2016 4

मर सपनो का अखड भारत

डॉ वदपरताप वददक

मधयपरदश म तनमाड़ क एक कसब सनावद क कछ परबद लोगो न आगरि दकया दक म उनक यिा

आऊ और lsquoमर सपनो का अखड भारतrsquo तवषय पर बोल कल रात विा भाषण हआ मधय-राति तक

सवाल-जवाब चलत रि मझ आशचया हआ दक तजस तवषय म ददलली क नताओ की न तो कोई समझ ि

और न रतच ि उसम सनावद-जस कसबो म गिरी ददलचसपी ि यि भारत की बौतदक जागरकता का

परमाण ि

मन उन जागरक शरोताओ को बताया दक मरा अखड भारत तसफा भारत पादकसतान और

बागलादश निी ि मर भारत का जनम १९४७ म निी हआ था वि िजारो वषो स चला आ रिा ि

मरा भारत वि छोटा-सा भारत निी ि तजस पर कभी राजा-मिाराजाओ कभी बादशािो और

सलतानो और कभी राषटरपततयो और परधानमतियो का राज रिता आया ि मरा भारत राजनीततक

निी सासकततक भारत ि राजनीततक राषटर डड क जोर स बनता ि और सासकततक राषटर परम क धाग स

जड़ता ि इततिास म जो भारत रिा ि वि ततबबत (तितवषटप) स मालदीव तक और बमाा (बरहमदश) स

ईरान (आयााना) तक फला हआ था इस फलाव म आज क लगभग १६-१७ दश आ जात ि ३० साल

पिल जब lsquoसाका rsquo बना था तो उस मन lsquoदिसrsquo नाम ददया था यान lsquoदतिण एतशयाई ििीय सियोग

सघrsquo अभी उसम तसफा ८ राषटर ि इस िम अभी और फलाना ि अब स १०० साल पिल तक इन सभी

ििो म आन-जान क तलए जस पासपोटा और वीज़ा की जररत निी िोती थी विी तसथतत अब भी

बिाल करनी ि यि भारत तभी अखड िोगा जबदक इसक सार खडो को जोड़-जोड़कर िम यरोपीय

सघ स भी बितर मिासघ खड़ा कर द वि भारत निी मिाभारत िोगा बिततर भारत िोगा अखड

भारत िोगा इस मिाभारत सघ क तनमााण म िमार तवतभनन पड़ौसी राषटरो की सपरभता आड़ निी

आएगी उनका परा सममान िोगा जब भारत दश म तवतभनन धमो तवतभनन जाततयो तवतभनन वश-

भषाओ तवतभनन भोजनो तवतभनन रीतत-ररवाजो वाल लोग परम स तमलकर रि सकत ि तो उस

मिासघ म कयो निी रि सकत यदद अगल पाच वषो म िम वसा मिासघ खड़ा कर सक तो यि िि

दतनया का सबस मालदार और ताकतवर िि की तरि जाना जाएगा कयोदक दतनया क सबस जयादा

नौजवान यिी ि और सपननता क असीम सतरोत भी यिी ि उनक दोिन क तलए बस दरदतषट चातिए

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

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िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

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इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

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सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

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भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

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चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

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अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

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फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

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सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

एक और महाभारत

पदमशरी डॉ शयाम सिह शशश

मर िमय

अचछा ककया तमन

मझ एक और

महाभारत दकर

उतरती उमर म

और शििश ककया पन

अशभमनय बनन को

पर यह यदध

शभनन ह शिगत क यदधो ि

भशमका नही ह किल

शििम अशभमनय की

आि मझम

कषण पारथ भी ह

यशिशिर और भीम को

लि करना ह मझ

आिशनक शसतरो ि

अलग-अलग मोरचो क शलए

िीख शलया ह

मरी कलम न अब

शनमाथण

अशिबाण ि

पाशपशत असतर तक

पर कि कर

उनका उपयोग

कयोकक अभी तो

भीषम शपतामह की

भशमका शष ह

और म लटा ह अपन ही

बाणो की शयया पर

परतीकषा कर रहा ह

ककिी मकत पकष की

मशकत क शलए ककिी शशकत की

िो शिमकत कर िक मानि को

पिाथगरहो क

ओछ रचकरवयह ि

अनशगन पाटो म शपित

अतहीन उपकरम ि

13 51 2016 1

(भारत क राषटरपतत दवारा तिनदी सवी सममान स सममातनत)

सपादकीय २

मर सपनो का अखणड भारत डॉ वदपरताप वददक ४

कयो जनम थ कषण ओम परकाश गपता ५

तिनदी सातितय म सासकततक

सवदना और मलयबोध प कशरी नाथ तिपाठी ७

म तिनदी ह यतीदर नाथ चतवदी १०

चील भीषम सािनी १३

तीसा क तलए िमलता यादव १९

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन सशील कमार शमाा २०

आवाज़ व दत रि बालसवरप रािी २३

आसथा छोट राम रगर २४

किा गए वो ददन दीतपत गपता २६

मनसमतत वद और मतिला सवातरय नयटन तमशरा २८

जानकीवललभ शासतरी

सिज साधना की यािा डॉ िरीश कमार ३०

बासरी सजय वमाा ३३

िादसा डॉ िरीश कमार गोबबद ३४

जवालामखी सगम वमाा ३७

मर दश का तिनदी परचारक

टोराणटो कनाडा की सातितयकार सनि ठाकर ऊषा शाकय ३८

एक और मिाभारत पदमशरी डॉ शयाम बसि शतश १अ

सनि ठाकर का रचना-ससार ४४अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail Canada amp USA$3500 Other Countries$4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail snehthakorerogerscom

13 51 2016 2

इस अक का सपादकीय तवनमरतापवाक शरीराम क चरण-कमलो म नतमसतक सभी

शभाकातियो क परतत आदर एव सनि स पलातवत उनि धनयवाद दती हई सवय स शर कर रिी ह यि

सभी की मगलकामनाओ का परततफलन और मरा सौभागय ि दक भारत क राषटरपतत माननीय शरी परणब

मखजी क कर-कमलो दवारा मझ राषटरपतत भवन म पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण सममान

२०१३ - तिनदी सवी सममान १९ अपरल को परदान दकया गया राषटरपतत भवन क दरबार िॉल म यि

भवय समारोि समपनन हआ सभी क दवारा परतषत शभकामनाओ व बधाई क परतत कतजञता-जञातपत करती

ह साथ िी वसधा क तितषी व लखक डॉ नरनदर कोिली को तिनदी सवी सममान २०१४ व डॉ सषम

बदी को तिनदी सवी सममान २०१२ ित तथा सभी सममातनत तिनदी सतवयो को बधाई दती ह

अपनी जनमभतम की पावन-पनीत माटी की सगध को सवय म बसा उसक आशीषो स

पललतवत-पोतषत इस शरीर व आतमा दवारा दर बठ सवदश बन इस तवदश म भी अपनी भारत मा क

गौरव का झडा गवा स उठाय रखन क परतशिण क परतत आभार परगट करन का जो सौभागय मझ अपन

सातितय की भावावयति दवारा अतभवयि करन का गौरव मात-भाषा तिनदी न परदान दकया उस मा को

नमन करत हए क दरीय तिनदी ससथान व राषटरपतत माननीय शरी परणब मखजी जी की तिददल स आभारी

ह दक उनिोन इस सरािा जिा यि सममान वयतिगत सममान ि विी यि परवासी भारतीयो

सातितयकारो का भी सममान ि कनडा का सममान ि कयोदक सच पछा जाए तो भारत दश न राषटर क

सवोचच पद स यि सममान ददला अपन एक परवासी भारतीय को सममातनत दकया ि भारत न िम

परवातसयो को भलाया निी ि यि अनभतत सचमच अदभत ि अपन पयार भारत स तजसन पाल-पोस

कर इस लायक बनाया दक तवदश म भी गवा स तसर उठा भारतीय िोन का एिसास िो सक साथ िी

इस दश बन तवदश न मरी तिनदी क परतत भावनाओ का आदर कर मझ इस कातबल बनाया दक म अपन

दश का यि सममान परापत कर सक इस ित भारत और कनडा दोनो क परतत आभारी ह

जीवन म सख और दख का साथ अपररिाया ि परसकार लन भारत जान स कछ िी समय

पिल दखद समाचार तमला दक शरीमती कमला आडवाणी जी इस नशवर ससार स अकसमात हदयाघात

क कारण सब तपरयजनो को छोड़कर जा चकी ि भारत पहच उनक तनवास सथान म एक ददन तजस

कमर म आडवाणी जी क साथ कमला जी की दीवार पर टगी पबनटग क तनमााण का इततिास मर मख

पर िासय तछटका गया था उसी कमर म कमला जी की फ़ोटो पर पषप-पखतड़यो की शरदाजतल चढ़ात

हए मन तवषाद स भर नयन-कोरो को सजल कर गया पर दफर कछ िी िणोपरात आडवाणी जी दवारा

ददखाय गए एलबम म कद कमला जी की समततया जीवत िो मखर िो उठी लगा कमला जी भल िी

इस नशवर ससार स पारथथव रप स तवदा ल चकी ि पर तजन सबस उनका वासता रिा उन सबक हदय

म समततरप म व सदा बनी रिगी साथ िी तपरय आडवाणी जी तबरटया परततभा व पि जयत क जीवन

की िर ददशा को व अपन आततमक सबध स िण-परतत-िण परोतसातित कर अगरतसत करती रिगी

यि वसधा का सौभागय ि दक क दरीय तिनदी तनदशालय ददलली न उस सरािा व तवतरण ित

उसकी परततया करय की कनडा की धरती पर जनमी पतषपत-पललतवत िोती वसधा क जीवन म तिनदी

क परतत परचार-परसार-तवकास ित कत-सकलप भावना म एक नई उमग भर उतसािवधान ित िारददक

धनयवाद एव आभार

शरीमती ऊषा शाकय को वसधा की ओर स बधाई उनका आलख तजस इस अक म परकातशत

दकया गया ि तवशव तिनदी सतचवालय मॉरीशस दवारा आयोतजत अतरराषटरीय तिनदी तनबध

परततयोतगता म ततीय सथान पर परसकत हआ ि

13 51 2016 3

शरीमती सनीतत शमाा की दो सारगरथभत पसतक - आयनदर शमाा का तिनदी वयाकरण व नददास

का कावय-बचतन परकातशत हई ि व तो वस भी अपन परशासतनक काया दवारा तिनदी क उततरोततर

तवकास म सलगन ि पर अब उसस भी ऊपर उठकर अपन बच-खच सीतमत अवकाश का अततररि

समय दकर इन पसतको की रचना उनक तिनदी क परतत समपाण को एक नई धरती परदान करती ि ईशवर

कर उनकी रचनातमकता उनक पररशरम की इस धरती स ऊपर उठ सातितयाकाश म लतखका क रप म

भी उनकी अपनी एक नई पिचान बनाय

शरीमती वदना पाणड सौमया व शरतत क आतमीय मधर वचनो की गज अभी भी कानो म गज

रिी ि शरतत क इस छोटी-सी उमर म गीता क शलोको की भावपणा धारापरवाि अतभवयति व उनकी

अपनी कतवताओ की परसततत न मन मोि तलया शरतत इसी तरि भारतीय ससकतत की धवजा फिराती

रि यिी कामना ि

डॉ आरपी बसि परकाशी जी अतभनव व नीलोतपल क परतत ठाकर सािब व म आभारी ि

तजनिोन न कवल उनक साथ तबताय िणो को अतवसमरणीय बनाया वरन ढर सारी जञानवधाक पसतको

का उपिार भी मझ ददया

तजस आतमीयता स सवय िी डॉ मिा न मर उपनयास लोक-नायक राम की समीिा तलखन

की बात किी उसक तलए धनयवाद और आभार क मौतखक शबद कम पड़ रि ि आतमीय आभार

शरी उपनदर नाथ शरीमती निा नाथ पि अथवा व शरी सतयनदर कमार बसि क तलए यदद आभार

शबद का परयोग कर गी तो कदातचत उनि मानय निी िोगा अत उनि आशीष दती ह दक व सदा सतमागा

पर चलत हए उततरोततर उननतत क सोपान चढ़त रि

जएनय का आवास सदा समरणीय रिगा जिा विा क पराकततक सौदया न मन परफतललत

दकया कोयल की कक न कानो म सधा-रस घोला और मोर-नतय न नयनो की पलको क झपकन का

एिसास भी न िोन ददया विी अरावली इटरनशनल गसट िाउस क परतयक पदातधकारी न ठाकर सािब

व मझ इतना आदर-पयार ददया दक वि आजनम िम याद रिगा ऑदफस तसकयररटी क टीन कमरा व

भोजन वयवसथा वाल - इन सभी तपरयजनो क परतत - िम आभार स नतमसतक ि

जनमाषटमी का पावन पनीत मिोतसव आ रिा ि शरी कषण की वाणी िम सब क हदय म

अनगतजत िो िमारा पथ-परदशान कर - गीता सगीता कतावया दकमनय शासतरतवसतर या सवय

पदमनाभसय मखपदमातदवतनसता गीता भली परकार मनन करक हदय म धारण करन योगय ि जो

पदमनाभ भगवान क शरीमख स तनसत वाणी ि ईशवर कपा स मर पवा उपनयास ककयी चतना-तशखा की भातत िी २०१५ म परकातशत मर उपनयास

लोक-नायक राम का भी तदवतीय ससकरण परकातशत िो गया ि

सवतिता-ददवस पर वसधा का सभी सवतिता-सनातनयो को तजनक रि की एक-एक बद क िम

आभारी ि सादर ससनह शरदाजतल नमन - सनह ठाकर

13 51 2016 4

मर सपनो का अखड भारत

डॉ वदपरताप वददक

मधयपरदश म तनमाड़ क एक कसब सनावद क कछ परबद लोगो न आगरि दकया दक म उनक यिा

आऊ और lsquoमर सपनो का अखड भारतrsquo तवषय पर बोल कल रात विा भाषण हआ मधय-राति तक

सवाल-जवाब चलत रि मझ आशचया हआ दक तजस तवषय म ददलली क नताओ की न तो कोई समझ ि

और न रतच ि उसम सनावद-जस कसबो म गिरी ददलचसपी ि यि भारत की बौतदक जागरकता का

परमाण ि

मन उन जागरक शरोताओ को बताया दक मरा अखड भारत तसफा भारत पादकसतान और

बागलादश निी ि मर भारत का जनम १९४७ म निी हआ था वि िजारो वषो स चला आ रिा ि

मरा भारत वि छोटा-सा भारत निी ि तजस पर कभी राजा-मिाराजाओ कभी बादशािो और

सलतानो और कभी राषटरपततयो और परधानमतियो का राज रिता आया ि मरा भारत राजनीततक

निी सासकततक भारत ि राजनीततक राषटर डड क जोर स बनता ि और सासकततक राषटर परम क धाग स

जड़ता ि इततिास म जो भारत रिा ि वि ततबबत (तितवषटप) स मालदीव तक और बमाा (बरहमदश) स

ईरान (आयााना) तक फला हआ था इस फलाव म आज क लगभग १६-१७ दश आ जात ि ३० साल

पिल जब lsquoसाका rsquo बना था तो उस मन lsquoदिसrsquo नाम ददया था यान lsquoदतिण एतशयाई ििीय सियोग

सघrsquo अभी उसम तसफा ८ राषटर ि इस िम अभी और फलाना ि अब स १०० साल पिल तक इन सभी

ििो म आन-जान क तलए जस पासपोटा और वीज़ा की जररत निी िोती थी विी तसथतत अब भी

बिाल करनी ि यि भारत तभी अखड िोगा जबदक इसक सार खडो को जोड़-जोड़कर िम यरोपीय

सघ स भी बितर मिासघ खड़ा कर द वि भारत निी मिाभारत िोगा बिततर भारत िोगा अखड

भारत िोगा इस मिाभारत सघ क तनमााण म िमार तवतभनन पड़ौसी राषटरो की सपरभता आड़ निी

आएगी उनका परा सममान िोगा जब भारत दश म तवतभनन धमो तवतभनन जाततयो तवतभनन वश-

भषाओ तवतभनन भोजनो तवतभनन रीतत-ररवाजो वाल लोग परम स तमलकर रि सकत ि तो उस

मिासघ म कयो निी रि सकत यदद अगल पाच वषो म िम वसा मिासघ खड़ा कर सक तो यि िि

दतनया का सबस मालदार और ताकतवर िि की तरि जाना जाएगा कयोदक दतनया क सबस जयादा

नौजवान यिी ि और सपननता क असीम सतरोत भी यिी ि उनक दोिन क तलए बस दरदतषट चातिए

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

13 51 2016 9

िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 1

(भारत क राषटरपतत दवारा तिनदी सवी सममान स सममातनत)

सपादकीय २

मर सपनो का अखणड भारत डॉ वदपरताप वददक ४

कयो जनम थ कषण ओम परकाश गपता ५

तिनदी सातितय म सासकततक

सवदना और मलयबोध प कशरी नाथ तिपाठी ७

म तिनदी ह यतीदर नाथ चतवदी १०

चील भीषम सािनी १३

तीसा क तलए िमलता यादव १९

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन सशील कमार शमाा २०

आवाज़ व दत रि बालसवरप रािी २३

आसथा छोट राम रगर २४

किा गए वो ददन दीतपत गपता २६

मनसमतत वद और मतिला सवातरय नयटन तमशरा २८

जानकीवललभ शासतरी

सिज साधना की यािा डॉ िरीश कमार ३०

बासरी सजय वमाा ३३

िादसा डॉ िरीश कमार गोबबद ३४

जवालामखी सगम वमाा ३७

मर दश का तिनदी परचारक

टोराणटो कनाडा की सातितयकार सनि ठाकर ऊषा शाकय ३८

एक और मिाभारत पदमशरी डॉ शयाम बसि शतश १अ

सनि ठाकर का रचना-ससार ४४अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail Canada amp USA$3500 Other Countries$4000

Website httpwwwVasudha1webscom

e-mail snehthakorerogerscom

13 51 2016 2

इस अक का सपादकीय तवनमरतापवाक शरीराम क चरण-कमलो म नतमसतक सभी

शभाकातियो क परतत आदर एव सनि स पलातवत उनि धनयवाद दती हई सवय स शर कर रिी ह यि

सभी की मगलकामनाओ का परततफलन और मरा सौभागय ि दक भारत क राषटरपतत माननीय शरी परणब

मखजी क कर-कमलो दवारा मझ राषटरपतत भवन म पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण सममान

२०१३ - तिनदी सवी सममान १९ अपरल को परदान दकया गया राषटरपतत भवन क दरबार िॉल म यि

भवय समारोि समपनन हआ सभी क दवारा परतषत शभकामनाओ व बधाई क परतत कतजञता-जञातपत करती

ह साथ िी वसधा क तितषी व लखक डॉ नरनदर कोिली को तिनदी सवी सममान २०१४ व डॉ सषम

बदी को तिनदी सवी सममान २०१२ ित तथा सभी सममातनत तिनदी सतवयो को बधाई दती ह

अपनी जनमभतम की पावन-पनीत माटी की सगध को सवय म बसा उसक आशीषो स

पललतवत-पोतषत इस शरीर व आतमा दवारा दर बठ सवदश बन इस तवदश म भी अपनी भारत मा क

गौरव का झडा गवा स उठाय रखन क परतशिण क परतत आभार परगट करन का जो सौभागय मझ अपन

सातितय की भावावयति दवारा अतभवयि करन का गौरव मात-भाषा तिनदी न परदान दकया उस मा को

नमन करत हए क दरीय तिनदी ससथान व राषटरपतत माननीय शरी परणब मखजी जी की तिददल स आभारी

ह दक उनिोन इस सरािा जिा यि सममान वयतिगत सममान ि विी यि परवासी भारतीयो

सातितयकारो का भी सममान ि कनडा का सममान ि कयोदक सच पछा जाए तो भारत दश न राषटर क

सवोचच पद स यि सममान ददला अपन एक परवासी भारतीय को सममातनत दकया ि भारत न िम

परवातसयो को भलाया निी ि यि अनभतत सचमच अदभत ि अपन पयार भारत स तजसन पाल-पोस

कर इस लायक बनाया दक तवदश म भी गवा स तसर उठा भारतीय िोन का एिसास िो सक साथ िी

इस दश बन तवदश न मरी तिनदी क परतत भावनाओ का आदर कर मझ इस कातबल बनाया दक म अपन

दश का यि सममान परापत कर सक इस ित भारत और कनडा दोनो क परतत आभारी ह

जीवन म सख और दख का साथ अपररिाया ि परसकार लन भारत जान स कछ िी समय

पिल दखद समाचार तमला दक शरीमती कमला आडवाणी जी इस नशवर ससार स अकसमात हदयाघात

क कारण सब तपरयजनो को छोड़कर जा चकी ि भारत पहच उनक तनवास सथान म एक ददन तजस

कमर म आडवाणी जी क साथ कमला जी की दीवार पर टगी पबनटग क तनमााण का इततिास मर मख

पर िासय तछटका गया था उसी कमर म कमला जी की फ़ोटो पर पषप-पखतड़यो की शरदाजतल चढ़ात

हए मन तवषाद स भर नयन-कोरो को सजल कर गया पर दफर कछ िी िणोपरात आडवाणी जी दवारा

ददखाय गए एलबम म कद कमला जी की समततया जीवत िो मखर िो उठी लगा कमला जी भल िी

इस नशवर ससार स पारथथव रप स तवदा ल चकी ि पर तजन सबस उनका वासता रिा उन सबक हदय

म समततरप म व सदा बनी रिगी साथ िी तपरय आडवाणी जी तबरटया परततभा व पि जयत क जीवन

की िर ददशा को व अपन आततमक सबध स िण-परतत-िण परोतसातित कर अगरतसत करती रिगी

यि वसधा का सौभागय ि दक क दरीय तिनदी तनदशालय ददलली न उस सरािा व तवतरण ित

उसकी परततया करय की कनडा की धरती पर जनमी पतषपत-पललतवत िोती वसधा क जीवन म तिनदी

क परतत परचार-परसार-तवकास ित कत-सकलप भावना म एक नई उमग भर उतसािवधान ित िारददक

धनयवाद एव आभार

शरीमती ऊषा शाकय को वसधा की ओर स बधाई उनका आलख तजस इस अक म परकातशत

दकया गया ि तवशव तिनदी सतचवालय मॉरीशस दवारा आयोतजत अतरराषटरीय तिनदी तनबध

परततयोतगता म ततीय सथान पर परसकत हआ ि

13 51 2016 3

शरीमती सनीतत शमाा की दो सारगरथभत पसतक - आयनदर शमाा का तिनदी वयाकरण व नददास

का कावय-बचतन परकातशत हई ि व तो वस भी अपन परशासतनक काया दवारा तिनदी क उततरोततर

तवकास म सलगन ि पर अब उसस भी ऊपर उठकर अपन बच-खच सीतमत अवकाश का अततररि

समय दकर इन पसतको की रचना उनक तिनदी क परतत समपाण को एक नई धरती परदान करती ि ईशवर

कर उनकी रचनातमकता उनक पररशरम की इस धरती स ऊपर उठ सातितयाकाश म लतखका क रप म

भी उनकी अपनी एक नई पिचान बनाय

शरीमती वदना पाणड सौमया व शरतत क आतमीय मधर वचनो की गज अभी भी कानो म गज

रिी ि शरतत क इस छोटी-सी उमर म गीता क शलोको की भावपणा धारापरवाि अतभवयति व उनकी

अपनी कतवताओ की परसततत न मन मोि तलया शरतत इसी तरि भारतीय ससकतत की धवजा फिराती

रि यिी कामना ि

डॉ आरपी बसि परकाशी जी अतभनव व नीलोतपल क परतत ठाकर सािब व म आभारी ि

तजनिोन न कवल उनक साथ तबताय िणो को अतवसमरणीय बनाया वरन ढर सारी जञानवधाक पसतको

का उपिार भी मझ ददया

तजस आतमीयता स सवय िी डॉ मिा न मर उपनयास लोक-नायक राम की समीिा तलखन

की बात किी उसक तलए धनयवाद और आभार क मौतखक शबद कम पड़ रि ि आतमीय आभार

शरी उपनदर नाथ शरीमती निा नाथ पि अथवा व शरी सतयनदर कमार बसि क तलए यदद आभार

शबद का परयोग कर गी तो कदातचत उनि मानय निी िोगा अत उनि आशीष दती ह दक व सदा सतमागा

पर चलत हए उततरोततर उननतत क सोपान चढ़त रि

जएनय का आवास सदा समरणीय रिगा जिा विा क पराकततक सौदया न मन परफतललत

दकया कोयल की कक न कानो म सधा-रस घोला और मोर-नतय न नयनो की पलको क झपकन का

एिसास भी न िोन ददया विी अरावली इटरनशनल गसट िाउस क परतयक पदातधकारी न ठाकर सािब

व मझ इतना आदर-पयार ददया दक वि आजनम िम याद रिगा ऑदफस तसकयररटी क टीन कमरा व

भोजन वयवसथा वाल - इन सभी तपरयजनो क परतत - िम आभार स नतमसतक ि

जनमाषटमी का पावन पनीत मिोतसव आ रिा ि शरी कषण की वाणी िम सब क हदय म

अनगतजत िो िमारा पथ-परदशान कर - गीता सगीता कतावया दकमनय शासतरतवसतर या सवय

पदमनाभसय मखपदमातदवतनसता गीता भली परकार मनन करक हदय म धारण करन योगय ि जो

पदमनाभ भगवान क शरीमख स तनसत वाणी ि ईशवर कपा स मर पवा उपनयास ककयी चतना-तशखा की भातत िी २०१५ म परकातशत मर उपनयास

लोक-नायक राम का भी तदवतीय ससकरण परकातशत िो गया ि

सवतिता-ददवस पर वसधा का सभी सवतिता-सनातनयो को तजनक रि की एक-एक बद क िम

आभारी ि सादर ससनह शरदाजतल नमन - सनह ठाकर

13 51 2016 4

मर सपनो का अखड भारत

डॉ वदपरताप वददक

मधयपरदश म तनमाड़ क एक कसब सनावद क कछ परबद लोगो न आगरि दकया दक म उनक यिा

आऊ और lsquoमर सपनो का अखड भारतrsquo तवषय पर बोल कल रात विा भाषण हआ मधय-राति तक

सवाल-जवाब चलत रि मझ आशचया हआ दक तजस तवषय म ददलली क नताओ की न तो कोई समझ ि

और न रतच ि उसम सनावद-जस कसबो म गिरी ददलचसपी ि यि भारत की बौतदक जागरकता का

परमाण ि

मन उन जागरक शरोताओ को बताया दक मरा अखड भारत तसफा भारत पादकसतान और

बागलादश निी ि मर भारत का जनम १९४७ म निी हआ था वि िजारो वषो स चला आ रिा ि

मरा भारत वि छोटा-सा भारत निी ि तजस पर कभी राजा-मिाराजाओ कभी बादशािो और

सलतानो और कभी राषटरपततयो और परधानमतियो का राज रिता आया ि मरा भारत राजनीततक

निी सासकततक भारत ि राजनीततक राषटर डड क जोर स बनता ि और सासकततक राषटर परम क धाग स

जड़ता ि इततिास म जो भारत रिा ि वि ततबबत (तितवषटप) स मालदीव तक और बमाा (बरहमदश) स

ईरान (आयााना) तक फला हआ था इस फलाव म आज क लगभग १६-१७ दश आ जात ि ३० साल

पिल जब lsquoसाका rsquo बना था तो उस मन lsquoदिसrsquo नाम ददया था यान lsquoदतिण एतशयाई ििीय सियोग

सघrsquo अभी उसम तसफा ८ राषटर ि इस िम अभी और फलाना ि अब स १०० साल पिल तक इन सभी

ििो म आन-जान क तलए जस पासपोटा और वीज़ा की जररत निी िोती थी विी तसथतत अब भी

बिाल करनी ि यि भारत तभी अखड िोगा जबदक इसक सार खडो को जोड़-जोड़कर िम यरोपीय

सघ स भी बितर मिासघ खड़ा कर द वि भारत निी मिाभारत िोगा बिततर भारत िोगा अखड

भारत िोगा इस मिाभारत सघ क तनमााण म िमार तवतभनन पड़ौसी राषटरो की सपरभता आड़ निी

आएगी उनका परा सममान िोगा जब भारत दश म तवतभनन धमो तवतभनन जाततयो तवतभनन वश-

भषाओ तवतभनन भोजनो तवतभनन रीतत-ररवाजो वाल लोग परम स तमलकर रि सकत ि तो उस

मिासघ म कयो निी रि सकत यदद अगल पाच वषो म िम वसा मिासघ खड़ा कर सक तो यि िि

दतनया का सबस मालदार और ताकतवर िि की तरि जाना जाएगा कयोदक दतनया क सबस जयादा

नौजवान यिी ि और सपननता क असीम सतरोत भी यिी ि उनक दोिन क तलए बस दरदतषट चातिए

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

13 51 2016 9

िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

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जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 2

इस अक का सपादकीय तवनमरतापवाक शरीराम क चरण-कमलो म नतमसतक सभी

शभाकातियो क परतत आदर एव सनि स पलातवत उनि धनयवाद दती हई सवय स शर कर रिी ह यि

सभी की मगलकामनाओ का परततफलन और मरा सौभागय ि दक भारत क राषटरपतत माननीय शरी परणब

मखजी क कर-कमलो दवारा मझ राषटरपतत भवन म पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण सममान

२०१३ - तिनदी सवी सममान १९ अपरल को परदान दकया गया राषटरपतत भवन क दरबार िॉल म यि

भवय समारोि समपनन हआ सभी क दवारा परतषत शभकामनाओ व बधाई क परतत कतजञता-जञातपत करती

ह साथ िी वसधा क तितषी व लखक डॉ नरनदर कोिली को तिनदी सवी सममान २०१४ व डॉ सषम

बदी को तिनदी सवी सममान २०१२ ित तथा सभी सममातनत तिनदी सतवयो को बधाई दती ह

अपनी जनमभतम की पावन-पनीत माटी की सगध को सवय म बसा उसक आशीषो स

पललतवत-पोतषत इस शरीर व आतमा दवारा दर बठ सवदश बन इस तवदश म भी अपनी भारत मा क

गौरव का झडा गवा स उठाय रखन क परतशिण क परतत आभार परगट करन का जो सौभागय मझ अपन

सातितय की भावावयति दवारा अतभवयि करन का गौरव मात-भाषा तिनदी न परदान दकया उस मा को

नमन करत हए क दरीय तिनदी ससथान व राषटरपतत माननीय शरी परणब मखजी जी की तिददल स आभारी

ह दक उनिोन इस सरािा जिा यि सममान वयतिगत सममान ि विी यि परवासी भारतीयो

सातितयकारो का भी सममान ि कनडा का सममान ि कयोदक सच पछा जाए तो भारत दश न राषटर क

सवोचच पद स यि सममान ददला अपन एक परवासी भारतीय को सममातनत दकया ि भारत न िम

परवातसयो को भलाया निी ि यि अनभतत सचमच अदभत ि अपन पयार भारत स तजसन पाल-पोस

कर इस लायक बनाया दक तवदश म भी गवा स तसर उठा भारतीय िोन का एिसास िो सक साथ िी

इस दश बन तवदश न मरी तिनदी क परतत भावनाओ का आदर कर मझ इस कातबल बनाया दक म अपन

दश का यि सममान परापत कर सक इस ित भारत और कनडा दोनो क परतत आभारी ह

जीवन म सख और दख का साथ अपररिाया ि परसकार लन भारत जान स कछ िी समय

पिल दखद समाचार तमला दक शरीमती कमला आडवाणी जी इस नशवर ससार स अकसमात हदयाघात

क कारण सब तपरयजनो को छोड़कर जा चकी ि भारत पहच उनक तनवास सथान म एक ददन तजस

कमर म आडवाणी जी क साथ कमला जी की दीवार पर टगी पबनटग क तनमााण का इततिास मर मख

पर िासय तछटका गया था उसी कमर म कमला जी की फ़ोटो पर पषप-पखतड़यो की शरदाजतल चढ़ात

हए मन तवषाद स भर नयन-कोरो को सजल कर गया पर दफर कछ िी िणोपरात आडवाणी जी दवारा

ददखाय गए एलबम म कद कमला जी की समततया जीवत िो मखर िो उठी लगा कमला जी भल िी

इस नशवर ससार स पारथथव रप स तवदा ल चकी ि पर तजन सबस उनका वासता रिा उन सबक हदय

म समततरप म व सदा बनी रिगी साथ िी तपरय आडवाणी जी तबरटया परततभा व पि जयत क जीवन

की िर ददशा को व अपन आततमक सबध स िण-परतत-िण परोतसातित कर अगरतसत करती रिगी

यि वसधा का सौभागय ि दक क दरीय तिनदी तनदशालय ददलली न उस सरािा व तवतरण ित

उसकी परततया करय की कनडा की धरती पर जनमी पतषपत-पललतवत िोती वसधा क जीवन म तिनदी

क परतत परचार-परसार-तवकास ित कत-सकलप भावना म एक नई उमग भर उतसािवधान ित िारददक

धनयवाद एव आभार

शरीमती ऊषा शाकय को वसधा की ओर स बधाई उनका आलख तजस इस अक म परकातशत

दकया गया ि तवशव तिनदी सतचवालय मॉरीशस दवारा आयोतजत अतरराषटरीय तिनदी तनबध

परततयोतगता म ततीय सथान पर परसकत हआ ि

13 51 2016 3

शरीमती सनीतत शमाा की दो सारगरथभत पसतक - आयनदर शमाा का तिनदी वयाकरण व नददास

का कावय-बचतन परकातशत हई ि व तो वस भी अपन परशासतनक काया दवारा तिनदी क उततरोततर

तवकास म सलगन ि पर अब उसस भी ऊपर उठकर अपन बच-खच सीतमत अवकाश का अततररि

समय दकर इन पसतको की रचना उनक तिनदी क परतत समपाण को एक नई धरती परदान करती ि ईशवर

कर उनकी रचनातमकता उनक पररशरम की इस धरती स ऊपर उठ सातितयाकाश म लतखका क रप म

भी उनकी अपनी एक नई पिचान बनाय

शरीमती वदना पाणड सौमया व शरतत क आतमीय मधर वचनो की गज अभी भी कानो म गज

रिी ि शरतत क इस छोटी-सी उमर म गीता क शलोको की भावपणा धारापरवाि अतभवयति व उनकी

अपनी कतवताओ की परसततत न मन मोि तलया शरतत इसी तरि भारतीय ससकतत की धवजा फिराती

रि यिी कामना ि

डॉ आरपी बसि परकाशी जी अतभनव व नीलोतपल क परतत ठाकर सािब व म आभारी ि

तजनिोन न कवल उनक साथ तबताय िणो को अतवसमरणीय बनाया वरन ढर सारी जञानवधाक पसतको

का उपिार भी मझ ददया

तजस आतमीयता स सवय िी डॉ मिा न मर उपनयास लोक-नायक राम की समीिा तलखन

की बात किी उसक तलए धनयवाद और आभार क मौतखक शबद कम पड़ रि ि आतमीय आभार

शरी उपनदर नाथ शरीमती निा नाथ पि अथवा व शरी सतयनदर कमार बसि क तलए यदद आभार

शबद का परयोग कर गी तो कदातचत उनि मानय निी िोगा अत उनि आशीष दती ह दक व सदा सतमागा

पर चलत हए उततरोततर उननतत क सोपान चढ़त रि

जएनय का आवास सदा समरणीय रिगा जिा विा क पराकततक सौदया न मन परफतललत

दकया कोयल की कक न कानो म सधा-रस घोला और मोर-नतय न नयनो की पलको क झपकन का

एिसास भी न िोन ददया विी अरावली इटरनशनल गसट िाउस क परतयक पदातधकारी न ठाकर सािब

व मझ इतना आदर-पयार ददया दक वि आजनम िम याद रिगा ऑदफस तसकयररटी क टीन कमरा व

भोजन वयवसथा वाल - इन सभी तपरयजनो क परतत - िम आभार स नतमसतक ि

जनमाषटमी का पावन पनीत मिोतसव आ रिा ि शरी कषण की वाणी िम सब क हदय म

अनगतजत िो िमारा पथ-परदशान कर - गीता सगीता कतावया दकमनय शासतरतवसतर या सवय

पदमनाभसय मखपदमातदवतनसता गीता भली परकार मनन करक हदय म धारण करन योगय ि जो

पदमनाभ भगवान क शरीमख स तनसत वाणी ि ईशवर कपा स मर पवा उपनयास ककयी चतना-तशखा की भातत िी २०१५ म परकातशत मर उपनयास

लोक-नायक राम का भी तदवतीय ससकरण परकातशत िो गया ि

सवतिता-ददवस पर वसधा का सभी सवतिता-सनातनयो को तजनक रि की एक-एक बद क िम

आभारी ि सादर ससनह शरदाजतल नमन - सनह ठाकर

13 51 2016 4

मर सपनो का अखड भारत

डॉ वदपरताप वददक

मधयपरदश म तनमाड़ क एक कसब सनावद क कछ परबद लोगो न आगरि दकया दक म उनक यिा

आऊ और lsquoमर सपनो का अखड भारतrsquo तवषय पर बोल कल रात विा भाषण हआ मधय-राति तक

सवाल-जवाब चलत रि मझ आशचया हआ दक तजस तवषय म ददलली क नताओ की न तो कोई समझ ि

और न रतच ि उसम सनावद-जस कसबो म गिरी ददलचसपी ि यि भारत की बौतदक जागरकता का

परमाण ि

मन उन जागरक शरोताओ को बताया दक मरा अखड भारत तसफा भारत पादकसतान और

बागलादश निी ि मर भारत का जनम १९४७ म निी हआ था वि िजारो वषो स चला आ रिा ि

मरा भारत वि छोटा-सा भारत निी ि तजस पर कभी राजा-मिाराजाओ कभी बादशािो और

सलतानो और कभी राषटरपततयो और परधानमतियो का राज रिता आया ि मरा भारत राजनीततक

निी सासकततक भारत ि राजनीततक राषटर डड क जोर स बनता ि और सासकततक राषटर परम क धाग स

जड़ता ि इततिास म जो भारत रिा ि वि ततबबत (तितवषटप) स मालदीव तक और बमाा (बरहमदश) स

ईरान (आयााना) तक फला हआ था इस फलाव म आज क लगभग १६-१७ दश आ जात ि ३० साल

पिल जब lsquoसाका rsquo बना था तो उस मन lsquoदिसrsquo नाम ददया था यान lsquoदतिण एतशयाई ििीय सियोग

सघrsquo अभी उसम तसफा ८ राषटर ि इस िम अभी और फलाना ि अब स १०० साल पिल तक इन सभी

ििो म आन-जान क तलए जस पासपोटा और वीज़ा की जररत निी िोती थी विी तसथतत अब भी

बिाल करनी ि यि भारत तभी अखड िोगा जबदक इसक सार खडो को जोड़-जोड़कर िम यरोपीय

सघ स भी बितर मिासघ खड़ा कर द वि भारत निी मिाभारत िोगा बिततर भारत िोगा अखड

भारत िोगा इस मिाभारत सघ क तनमााण म िमार तवतभनन पड़ौसी राषटरो की सपरभता आड़ निी

आएगी उनका परा सममान िोगा जब भारत दश म तवतभनन धमो तवतभनन जाततयो तवतभनन वश-

भषाओ तवतभनन भोजनो तवतभनन रीतत-ररवाजो वाल लोग परम स तमलकर रि सकत ि तो उस

मिासघ म कयो निी रि सकत यदद अगल पाच वषो म िम वसा मिासघ खड़ा कर सक तो यि िि

दतनया का सबस मालदार और ताकतवर िि की तरि जाना जाएगा कयोदक दतनया क सबस जयादा

नौजवान यिी ि और सपननता क असीम सतरोत भी यिी ि उनक दोिन क तलए बस दरदतषट चातिए

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

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िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

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इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

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सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

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भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

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चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

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अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

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फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

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और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 3

शरीमती सनीतत शमाा की दो सारगरथभत पसतक - आयनदर शमाा का तिनदी वयाकरण व नददास

का कावय-बचतन परकातशत हई ि व तो वस भी अपन परशासतनक काया दवारा तिनदी क उततरोततर

तवकास म सलगन ि पर अब उसस भी ऊपर उठकर अपन बच-खच सीतमत अवकाश का अततररि

समय दकर इन पसतको की रचना उनक तिनदी क परतत समपाण को एक नई धरती परदान करती ि ईशवर

कर उनकी रचनातमकता उनक पररशरम की इस धरती स ऊपर उठ सातितयाकाश म लतखका क रप म

भी उनकी अपनी एक नई पिचान बनाय

शरीमती वदना पाणड सौमया व शरतत क आतमीय मधर वचनो की गज अभी भी कानो म गज

रिी ि शरतत क इस छोटी-सी उमर म गीता क शलोको की भावपणा धारापरवाि अतभवयति व उनकी

अपनी कतवताओ की परसततत न मन मोि तलया शरतत इसी तरि भारतीय ससकतत की धवजा फिराती

रि यिी कामना ि

डॉ आरपी बसि परकाशी जी अतभनव व नीलोतपल क परतत ठाकर सािब व म आभारी ि

तजनिोन न कवल उनक साथ तबताय िणो को अतवसमरणीय बनाया वरन ढर सारी जञानवधाक पसतको

का उपिार भी मझ ददया

तजस आतमीयता स सवय िी डॉ मिा न मर उपनयास लोक-नायक राम की समीिा तलखन

की बात किी उसक तलए धनयवाद और आभार क मौतखक शबद कम पड़ रि ि आतमीय आभार

शरी उपनदर नाथ शरीमती निा नाथ पि अथवा व शरी सतयनदर कमार बसि क तलए यदद आभार

शबद का परयोग कर गी तो कदातचत उनि मानय निी िोगा अत उनि आशीष दती ह दक व सदा सतमागा

पर चलत हए उततरोततर उननतत क सोपान चढ़त रि

जएनय का आवास सदा समरणीय रिगा जिा विा क पराकततक सौदया न मन परफतललत

दकया कोयल की कक न कानो म सधा-रस घोला और मोर-नतय न नयनो की पलको क झपकन का

एिसास भी न िोन ददया विी अरावली इटरनशनल गसट िाउस क परतयक पदातधकारी न ठाकर सािब

व मझ इतना आदर-पयार ददया दक वि आजनम िम याद रिगा ऑदफस तसकयररटी क टीन कमरा व

भोजन वयवसथा वाल - इन सभी तपरयजनो क परतत - िम आभार स नतमसतक ि

जनमाषटमी का पावन पनीत मिोतसव आ रिा ि शरी कषण की वाणी िम सब क हदय म

अनगतजत िो िमारा पथ-परदशान कर - गीता सगीता कतावया दकमनय शासतरतवसतर या सवय

पदमनाभसय मखपदमातदवतनसता गीता भली परकार मनन करक हदय म धारण करन योगय ि जो

पदमनाभ भगवान क शरीमख स तनसत वाणी ि ईशवर कपा स मर पवा उपनयास ककयी चतना-तशखा की भातत िी २०१५ म परकातशत मर उपनयास

लोक-नायक राम का भी तदवतीय ससकरण परकातशत िो गया ि

सवतिता-ददवस पर वसधा का सभी सवतिता-सनातनयो को तजनक रि की एक-एक बद क िम

आभारी ि सादर ससनह शरदाजतल नमन - सनह ठाकर

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मर सपनो का अखड भारत

डॉ वदपरताप वददक

मधयपरदश म तनमाड़ क एक कसब सनावद क कछ परबद लोगो न आगरि दकया दक म उनक यिा

आऊ और lsquoमर सपनो का अखड भारतrsquo तवषय पर बोल कल रात विा भाषण हआ मधय-राति तक

सवाल-जवाब चलत रि मझ आशचया हआ दक तजस तवषय म ददलली क नताओ की न तो कोई समझ ि

और न रतच ि उसम सनावद-जस कसबो म गिरी ददलचसपी ि यि भारत की बौतदक जागरकता का

परमाण ि

मन उन जागरक शरोताओ को बताया दक मरा अखड भारत तसफा भारत पादकसतान और

बागलादश निी ि मर भारत का जनम १९४७ म निी हआ था वि िजारो वषो स चला आ रिा ि

मरा भारत वि छोटा-सा भारत निी ि तजस पर कभी राजा-मिाराजाओ कभी बादशािो और

सलतानो और कभी राषटरपततयो और परधानमतियो का राज रिता आया ि मरा भारत राजनीततक

निी सासकततक भारत ि राजनीततक राषटर डड क जोर स बनता ि और सासकततक राषटर परम क धाग स

जड़ता ि इततिास म जो भारत रिा ि वि ततबबत (तितवषटप) स मालदीव तक और बमाा (बरहमदश) स

ईरान (आयााना) तक फला हआ था इस फलाव म आज क लगभग १६-१७ दश आ जात ि ३० साल

पिल जब lsquoसाका rsquo बना था तो उस मन lsquoदिसrsquo नाम ददया था यान lsquoदतिण एतशयाई ििीय सियोग

सघrsquo अभी उसम तसफा ८ राषटर ि इस िम अभी और फलाना ि अब स १०० साल पिल तक इन सभी

ििो म आन-जान क तलए जस पासपोटा और वीज़ा की जररत निी िोती थी विी तसथतत अब भी

बिाल करनी ि यि भारत तभी अखड िोगा जबदक इसक सार खडो को जोड़-जोड़कर िम यरोपीय

सघ स भी बितर मिासघ खड़ा कर द वि भारत निी मिाभारत िोगा बिततर भारत िोगा अखड

भारत िोगा इस मिाभारत सघ क तनमााण म िमार तवतभनन पड़ौसी राषटरो की सपरभता आड़ निी

आएगी उनका परा सममान िोगा जब भारत दश म तवतभनन धमो तवतभनन जाततयो तवतभनन वश-

भषाओ तवतभनन भोजनो तवतभनन रीतत-ररवाजो वाल लोग परम स तमलकर रि सकत ि तो उस

मिासघ म कयो निी रि सकत यदद अगल पाच वषो म िम वसा मिासघ खड़ा कर सक तो यि िि

दतनया का सबस मालदार और ताकतवर िि की तरि जाना जाएगा कयोदक दतनया क सबस जयादा

नौजवान यिी ि और सपननता क असीम सतरोत भी यिी ि उनक दोिन क तलए बस दरदतषट चातिए

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

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िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

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इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

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सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

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भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

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चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

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अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

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फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

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सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 4

मर सपनो का अखड भारत

डॉ वदपरताप वददक

मधयपरदश म तनमाड़ क एक कसब सनावद क कछ परबद लोगो न आगरि दकया दक म उनक यिा

आऊ और lsquoमर सपनो का अखड भारतrsquo तवषय पर बोल कल रात विा भाषण हआ मधय-राति तक

सवाल-जवाब चलत रि मझ आशचया हआ दक तजस तवषय म ददलली क नताओ की न तो कोई समझ ि

और न रतच ि उसम सनावद-जस कसबो म गिरी ददलचसपी ि यि भारत की बौतदक जागरकता का

परमाण ि

मन उन जागरक शरोताओ को बताया दक मरा अखड भारत तसफा भारत पादकसतान और

बागलादश निी ि मर भारत का जनम १९४७ म निी हआ था वि िजारो वषो स चला आ रिा ि

मरा भारत वि छोटा-सा भारत निी ि तजस पर कभी राजा-मिाराजाओ कभी बादशािो और

सलतानो और कभी राषटरपततयो और परधानमतियो का राज रिता आया ि मरा भारत राजनीततक

निी सासकततक भारत ि राजनीततक राषटर डड क जोर स बनता ि और सासकततक राषटर परम क धाग स

जड़ता ि इततिास म जो भारत रिा ि वि ततबबत (तितवषटप) स मालदीव तक और बमाा (बरहमदश) स

ईरान (आयााना) तक फला हआ था इस फलाव म आज क लगभग १६-१७ दश आ जात ि ३० साल

पिल जब lsquoसाका rsquo बना था तो उस मन lsquoदिसrsquo नाम ददया था यान lsquoदतिण एतशयाई ििीय सियोग

सघrsquo अभी उसम तसफा ८ राषटर ि इस िम अभी और फलाना ि अब स १०० साल पिल तक इन सभी

ििो म आन-जान क तलए जस पासपोटा और वीज़ा की जररत निी िोती थी विी तसथतत अब भी

बिाल करनी ि यि भारत तभी अखड िोगा जबदक इसक सार खडो को जोड़-जोड़कर िम यरोपीय

सघ स भी बितर मिासघ खड़ा कर द वि भारत निी मिाभारत िोगा बिततर भारत िोगा अखड

भारत िोगा इस मिाभारत सघ क तनमााण म िमार तवतभनन पड़ौसी राषटरो की सपरभता आड़ निी

आएगी उनका परा सममान िोगा जब भारत दश म तवतभनन धमो तवतभनन जाततयो तवतभनन वश-

भषाओ तवतभनन भोजनो तवतभनन रीतत-ररवाजो वाल लोग परम स तमलकर रि सकत ि तो उस

मिासघ म कयो निी रि सकत यदद अगल पाच वषो म िम वसा मिासघ खड़ा कर सक तो यि िि

दतनया का सबस मालदार और ताकतवर िि की तरि जाना जाएगा कयोदक दतनया क सबस जयादा

नौजवान यिी ि और सपननता क असीम सतरोत भी यिी ि उनक दोिन क तलए बस दरदतषट चातिए

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

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िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

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इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

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सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

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भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

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चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

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अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

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फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 5

कयो जनम थ कषण

ओमपरकाश गपता

िर साल की तरि दफर जनमाषटमी आई ि l

परमतपता की मन म याद उभर आई ि ll

इस जनमाषटमी पर मन म परशन उभरता ि l

परमतपता परमातमा मानव कयो बनता ि ll

सना ि तवदवानो स परभ का वकणठ वास ि l

जिा न कोई दःख-सताप कवल सख का वास ि ll

उस वकणठ को छोड़ कयो आत परभ इस लोक l

जिा कोई न सख माि पीड़ा यातना शोक ll

आप किग यि कसा बचकाना सा परशन ि l

सवय शरी भगवान कषण न गीता म किा ि ll

यदा यदा ति धमासय गलातनः भवतत भारत l

अभयतथानम अधमासय तदातमानम सजातम अिम ll

अथाात कषण थ जनम पातपयो का नाश करन l

धमा की करन रिा और अधमा का नाश करन ll

बात म मान निी भगवन िमा मझको कर ll

सिी बात ि कछ और लीला न परभ मझ स कर ll

कस तशशपाल जस जतओ को मारन क तलए l

वकणठ स िलका इशारा पयाापत तनपटान क तलए ll

िा जनम लकर आपन इनका नाश कछ ऐस दकया l

था बाय-परोडकट जनम का सबक मन को भा तलया ll

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

13 51 2016 9

िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

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जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 6

जनम थ परभ आप िम मानवो को तशिा दन l

िम थ भल-भटक थ जनम आप िम राि दन ll

कस कर आदर बड़ो का माता तपता गरजनो का l

कतावय-पालन क तलए तयाग कस कर सखो का ll

कस कर परम तनमाल मन म न कोई सवाथा िो l

मनसा वाचा कमाणा िर सोच कवल धमााथा िो l

कस तनभाए तमिता सीख सदामा परम म l

छोड़ी परततजञा सवय की अजान सखा क परम म ll

कस कर रिा बतिन की जस की दरौपदी की परभो l

दषट-दतणडत कस कर तशिा आपन दी ि परभो ll

तयागा दयोधन का मवा सवीकारा साग तवदर का l

छोड िम साथ पातपयो का गपत सनदश आपका ll

दी और भी तशिा परभ निी शबद मर पास ि l

िाथ मरा थातमए परभ कवल मरी यि आस ि ll

इस जनमाषटमी पर परभ बोध मझको दीतजय l

अनकरण कछ कर सक बतद मझको दीतजय ll

जनम थ परभ आप कयो जञान सबको दीतजय l

कस जीवन तजय िम पथ परदरथशत कीतजय ll

ओम चरणो म पड़ा कपा-शरण दीज तवभ l

कषण-कपा सवाि िो जय जयकार मर परभ ll

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

13 51 2016 9

िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

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जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

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55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 7

तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

प कशरी नाथ तिपाठी

(पतशचम बगाल क राजयपाल माननीय प कशरी नाथ तिपाठी जी का तवदयाशरी नयास म ददया गया विवय तजस सनन का

सौभागय मझ परापत हआ था और उनक सातननधय म कछ किन का सौभागय भी मझ परापत हआ था उनकी अनमतत स परकातशत

- सपादक)

तवदयाशरी नयास व शरी बलदव पीजी मिातवदयालय वाराणसी दवारा आयोतजत इस तिददवसीय

लखक तशतवर व अतरााषटरीय सगोषठी म आकर मझ अतीव परसननता िो रिी ि म आप सब का आभारी ह

दक आपन मझ इसम सतममतलत िोन का अवसर ददया नयास क दवारा पवा म आयोतजत कायाकरमो म

आन की परबल इचछा रित हए भी अपनी वयसतताओ क कारण म पिल निी आ सका भारतीय मनीषा

क गौरव परष परम आदरणीय सवगीय तवदयातनवास तमशर जी का नाम तजस ससथान या कायाकरम स

जड़ा िो उसम आना सवय िी म एक बड़ी बात ि

आज इस अतरााषटरीय सगोषठी का तवषय तिनदी सातितय म सासकततक सवदना और मलयबोध

वतामान सातिततयक पररतसथततयो म बहत िी परासतगक तथा मितवपणा ि गोषठी का क दर तबनद ि

ससकतत और मलयबोध जो सवय िी सातितयकारो क बचतन को जागरत करता ि कयोदक वतामान म

इसकी उपिा िी निी िो रिी ि वरन इसक िरण का परयास भी िो रिा ि

दकसी भी समाज का शरवास-ति ि उसकी ससकतत तथा उसका जीवन मलय यिी तततव उस

सथातयतव परदान करत हए जीतवत रखत ि ससकतत का तनमााण िोता ि यगो-यगो स सवीकाया साथाक

मानयताओ स जीवन क मलय आदशा जीवन शली स जड़ रित ि तजनम सातततवक तवचारो का पराबलय

रिता ि इसका पररणाम िोता ि सामातजक शति और सदढ़ता समाज को तवतछनन करन वाली

शतिया सकारातमक और सवा तितकारी तवचार परवाि को अवरद करन का परयास करती ि यि परयास

परतयक काल म ददखायी पड़ता ि परत सवसथ सामातजक बचतन क कारण परभावी निी िो पाता दभाागय

स तवचारो की अतभवयति की सवतिता म परदषण क कारण आज तवतभनन परकार स िमारी ससकतत और

मलयबोध पर परिार िो रिा ि परगततवाद तथा आधतनकता क नाम पर अपन सवरथणम अतीत क

आधारो को नकारन की परवततत ददखाई पड़ रिी ि सामातजक आचरण तछछलपन का तशकार िो रिा

ि जीवन दशान को तवकत रप स परसतत करन की चषटा भी यदा-कदा ददखाई पड़ रिी ि इन सब

कारणो स िमारी राषटरीयता और सामातजक सरचना पर चोट पहच रिी ि और समाज और राषटर को

अशि करन वाली शतिया जड़ जमान का परयास कर रिी ि

आज आवशयकता ि सासकततक मलयो क िरण को रोक कर उनि सपषट व सवरथधत करन की

िमारी राषटरीयता बहमखी सकटो स जझ रिी ि उसस उबरन क तलए िम अपनी शतिशाली व समद

ससकतत और मलयो को सदढ़ करना िोगा अनक झझावातो को झलती हई िजारो वषो स जीतवत

मलयो पर आधाररत िमारी जीवनत ससकतत का एक आधार नततकता मानवता व मानवीय गणो पर

आधाररत बचतन व सातितय भी ि

यि अतयत दभाागयपणा ि दक िमारी सवा समावशी अमलय तनतधयो की अपतित चचाा आज निी

िो पा रिी ि अत तवदयाशरी नयास बधाई का पाि ि जो इसकी मिनीयता को समझकर इन थाततयो

को बार-बार चचाा क क दर म लान का परयास कर रिा ि इनक तपछल लगभग सभी आयोजन किी न

किी ससकतत की बचता और मलयो की पनसथाापना स अनपरातणत रि ि

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तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

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िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

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इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

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सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

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भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

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चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

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अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

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सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 8

तवदयाशरी नयास क तशतवरो - सगोतषठयो का मरदणड ि - ससकतत तजस िमशा िी सातितय क

साथ जोड़कर रखा जाता ि कभी दकसी सातितयकार क साथ कभी दकसी तवशष तवषय या परवततत क

साथ इस बार तो समच तिनदी सातितय म िी सासकततक सवदना व मलयबोध की परख समातित ि

इसस सातितय व ससकतत दोनो िी ऊजाावान िोकर भासवर िो उठत ि दोनो िी समाज की उपज ि

दोनो जीवन क बीच पदा िोत ि पलत-तवकसत ि जीवन क ससकारो स दोनो िी जड़ ि सातितय क

ससकार पदा करन िोत ि जबदक ससकारो का जीवन म सतरण िी ससकतत ि लदकन दफर दोनो िी

समाज को ददशा दत ि जब कोई समाज अपन इततिास अतीत व परमपरा स कटन लगता ि तब

समय दखता ि अपन सातितय व ससकतत की ओर और इततिास सािी ि दक इनिोन समय को कभी

तनराश निी दकया ि आज समाज अपन अतीत और अपनी परमपरा स बड़ जोरो स कट रिा ि नयी

पीढ़ी को दश का इततिास तो कया अपनी पिली पीढ़ी क सघषो-सवदनाओ का भी पता निी ि नट स

परी दतनया की ख़बर रखन वाला आज का यवा निी जानता दक उसक पड़ोसी उसक अपन भाई व

तपतादद पर कया बीत रिी ि इसीतलए वतामान समय दख रिा ि अपन सातितय व ससकतत की तरफ

ऐस म आशा ि दक इस तरि क आयोजनो स कोई ददशा बनगी-ददखगी सातितय व ससकतत

दोनो का काम और उददशय एक िी ि और साझ का ि मझ लगता ि गोषठी का तवषय तय करत समय

यिी बात आयी िोगी सतवजञ आयोजको क मन म पर सातितय का यि काम एक तशतित समाज तक

सीतमत रिता ि जबदक ससकतत का तवसतार जन-जन तक ि

समाज म जान या अनजान िी ससकतत सपि रिती ि जबदक सातितय जान-समझ रप स

अपना काम करता ि वस तो परी ससकतत िी सातितय ि पर ससकतत म सातितय िो या न िो

सातितय म ससकतत अतनवाया रप स समातित िोती ि ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर

सातितय की गतत म ससकतत भी अलग तरि स गततशील िोती ि सातितय उस तभनन-तभनन रपो व

आयामो म तवकतसत-तनदतशत करता ि इस सातितय की ससकतत या सातितय-तनरथमत ससकतत भी कि

सकत ि यि तो सामानय रप स सातितय करता िी ि पर सामरथयावान सातितयकार इसस आग भी

बढ़ता ि वि नयी ससकतत को जनम भी दता ि रामायण मिाभारत इसक परबल परमाण ि तलसीदास

क तलए तो किा िी गया ि दक समपणा उततर भारत उनका बनाया हआ ि बरज की ससकतत सरदास क

पिल वसी िी निी थी जसी सरदास क बाद हई इन सबक अनगामी हए ि समय और समाज

इस तरि समय समाज सातितय और ससकतत एक-दसर क ऊपर आतशरत िोत हए अतवतछनन

रप स जड़ ि इनक रसायन एक िी ि और इसी स इनकी पिचान अलग-अलग ि

वस तो ससकतत क तबना सातितय की गतत निी पर ससकतत की कोई चचाा सातितय क तबना

निी िो सकती िा ससकतत की सवति चचाा भी सातितय ि जो भल आज भमडलीकरण व आधतनकता

आदद क चककर म बद या कम िो गई िो पर पिल चचाा खब हई ि तजस िम वचाररक तनबध या

बचतनपरक सातितय कित ि उनम ससकतत क समानातर सभयता की भी चचाा खब हई ि तब सभयता

और ससकतत को बहत अलग निी समझा जाता था उसी चचाा न इस बात को सपषट दकया आज भी

सभयता समीिा म सभयता शबद वसतत ससकतत का िी अथा दता ि दकसी क दराचार पर सामानय

बोलचाल म यिी ि तमिारी सभयता जसा वाकय किा जाता ि तो इसम सभयता का मतलब ससकतत

13 51 2016 9

िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

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आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

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आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

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आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

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जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 9

िी िोता ि इस अलगात हए जो सि की तरि वाकय किा जाता ि उसक बार म म किना चाहगा -

कया - को जानना सभयता ि और कस म तनतित ि ससकतत कया खात-पिनत ि सभयता ि कस

खात-पिनत ि ससकतत ि पर दोनो िी सातितय क तवषय ि कयोदक सातितय क सरोकार कया और

कस क आग कयो क तवशलषण स जडत ि अतभजञान शाकतल म एक यग तवशष क एक वगा का एक

तवशष परकार का कतय उसकी सभयता या उसक सतर की पिचान िो सकती ि और उसी वगा का एक

अनय परकार का काया उनकी सामतवादी वततत-ससकतत िो सकती ि पर ऐसा कयो ि और ऐसा निी

िोना सिी ि या निी इस बात का बोध व तवमशा सातितय का सरोकार ि - कातलदास न शकतला स

ऐसी सभयता व ससकतत का बतिषकार कर इस तवमशा को सामन िी निी रखा बतलक इस दकरयानवयन

तक भी पहचाया तभी वि तवशव सतर पर उचच कोरट क सातितय क रप म गराहय हआ वरना ऐसा न

करक यदद शकतला भी तपता कणव की दी सीख सखय भाव सपिोजन पर चलती तो कयो याद दकया

जाता अतभजञान शाकतल

तमिो यिी मलयबोध ि तजनक बल चली आती सभयताओ-ससकततयो स टकरान क तवचार व

आधार तमलत ि लदकन मलय भी दश-काल सापकषय िोत ि कातलदासकालीन पररवश की सामनती

ससकतत म नारी क परतत ऐसी दतषट िी ततकालीन मलय थी परत सतता व अतधकार क बल बलग जातत

नसल आदद क आधार पर मनषय-मनषय क बीच की भद-वततत क समि शकतला को कातलदास इसतलए

खड़ा कर पाय कयोदक पराणतमतयव न साध सवाम जसी तटसथ सोच उनम थी पनजाागरण कालीन

इस दौर म सामातजक आदोलन क साथ सातितय न भी इस मलयवतता म तनणाायक भतमका तनभायी

आज भी िमार उततर भारत म दभाागय वश दिज जसी परथा कानन क बावजद य चल रिी ि जस दक

यि एक मलय िी बन चकी ि ऐस म मलयतनषठ सोच की आवशयकता ि मनषय की समानता को क दर म

रख कर सिी-गलत क आधार पर मलयाकन िी मलयबोध का मल ि

िर दौर का सातितय यि काया करता ि - कभी बड़ वग क साथ तो कभी कछ तवलतमबत गतत

स तवदरोिी वयतितव वाल तनराला यदद य कानयकबज कल कलागारखाकर पततल म कर छद की

कससकतत क चलत कनया को अनयि वयाित ि तो शालीन व परमपरा-पोषक वयतितव क धनी पतणडत

िजारीपरसाद तदववदी भी वद स मत डरो लोक स मत डरो जसा तज सवर बलद कर सकत ि

पतणडत-पि क मन म भी अछत तसतलया स हए अपन पि क परतत सचच पयार को परमचद उदघारटत करक

इसी मानतषक भाव क बल नय मानव-मलय को सथातपत कर सकत ि यि सब इन रचनाकारो क अपन

सतवचाररत मलयबोध स िी समभव हआ

आज क सातितय म भी मलयवतता का यि मलयवान सवर लपत निी हआ ि िा आज क बहत

सार तनरथाक लकषयिीन सवबनदक परवािो क बीच यदद यि सवर कछ मदम हआ िो या गोचर न िो

पा रिा िो तो भी बचता की बात निी ि आप तवचार कर दख दक जब आज क सार आधी-तफ़ान क

बीच दतनया म एक िी मलय ददख रिा ि तजस कीमत - यानी दाम - पराइस पसाकिा जाता ि तो

भी आज क सातितय का कोई एक अश भी आपको ऐसा निी तमलगा जो इस दाम वाल पस वाल मलय

का समथान करता िो और करगा तो उस शद सातितय स बतिषकत िोना िोगा सातितय और तबकाऊ

सातितय का भद भी इसी मलयबोध म िी तनतित ि

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

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सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

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भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

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चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

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सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

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आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

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मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 10

इस परकार यि तवषय अपनी परवततत म एक वतताकार परदकरया ि इसी को तवतभनन उप-तवषयो म

खोलना-तोलना िी इस सगोषठी का भी ममा व मि ि तजस पर दश क चह ओर स और दश क बािर

कनाडा इगलड व रस आदद स भी आय सधी तवदवान यथोतचत ढग स मथन बचतन करग मझ ऐसा

तवशवास ि

और इस परकार मलयिीनता की तरफ़ तजी स बढ़त आज क समाज का मागा परशसत करन तथा

लपत िोती सासकततक सवदना को जगान क मितर काया की चतना का इस सगोषठी क माधयम स यथषट

परसार िो सकगा इसम मझ कोई सदि निी

इनिी शबदो क साथ म अपनी वाणी को तवराम दता ह और इस सगोषठी का औपचाररक

उदघाटन करता ह

आप सभी को साधवाद शभकामनाए और िारददक धनयवाद जय भारत

म तिनदी ह

यतीनदर नाथ चतवदी

म तिनदी ह

आवाम की तजनदगी ह

भारत का कतरा-कतरा खन ह

यिी की धल यिी की माटी ह

िर माथ क पसीन की चमक ह

दतनया की परी आबादी क

छठव तिसस का वजद ह

िर भख की गवाि ह

िर ईमान की जमानत ह

तरककी की आधारतशला ह

भारत की नददयो का जल ह

सददयो स िरा-भरा वट-वि ह

जमीन पर उ करा गया शबद ह

इसानो की सरिदो क पार

आसमानो पर इदरधनष ह

तवदवानो क अलफाज और

अनपढ़ो की मीठी आवाज म तिनदी ह

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

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सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

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आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 11

सरिपाद चनदवरदायी

अमीरखसरो जयदव

रतवदास कबीर की वाणी ह

मीराबाई रिीम कशव

तलसी की रामायण ह

घनानद भषण रसखान

भीखा सनदर गलाल की बानी ह

मिावीर िररऔध मतथली

परसाद िजारी यशपाल अशक

नागर नागाजान रागय lsquoसमनrsquo

शरत परमचद की सयािी ह

आचाया चतरसन रामचनदर शकल

दवकी नदन खिी ददनकर बचचन

अमता परीतम तशवानी की म तिनदी ह

परखो की वसीयत ह

भारत की बतनयाद ह

पतवि गीता ह म

करआन-ए-पाक ह म

पतवि बाइतबल और

गरगरथ सातिब ह म

चाणकय का अथाशासतर ह म

आचाया शकर का मिाभाषय ह म

बद की जातक ह म

अकबर की दीन-ए-इलािी ह म

गरदव की गीताजतल

गाधी की अबिसा

भारत की एक खोज ह

भारत की आजादी ह

भारत का तनमााण म तिनदी ह

पसतकालयो म सरतित

पननो पर तलपटी ह म

तशिा की चिार-ददवारी म

तवभागो की दिलीजो पर

रठठकी सी भाषा की म तिनदी ह

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 12

भारत की जनभाषा म

भारत की ह राजभाषा

इटरनट क सवादो म

कपयटर पर दौड़ रिी

तवशवगाव की म तिनदी ह

जीवन की ऊिा-पोि म

िर ठल िर रिड़ म

फटपाथो सग गतलयो म

दकानो और मालो म

भाषाओ क मल म

दतनया क बाजारो म

सडको पर जझ रिी म तिनदी ह

आम आदमी स चलकर

अततम आदमी को लकर

अगड़ तपछड़ समाजो स

छट चक आवामो म

तबछड़ जजबातो की खाततर

भारत की सवा अरब

आवाजो म तमलकर

इनकलाब की म तिनदी ह

रपय-डालर क मिायद म

आतक-शातत क मिासमर म

परभता की छीना-झपटी म

अगरजी क मिग उतपादो म

मिनतकश ससती तिनदी ह म

सरकारो की आधी आवाज ह

सतवधान म परतीिारत म

शोषण-पोषण की पतली रखा पर

भखी-पयासी म तिनदी ह

ररशतो क मिाजाल म

भरी भीड़ म एकाकी

जनपथ स अब राजपथ

कदमो क पदतचनिो स आग

मोटरगाड़ी वाली म तिनदी ह

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

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आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

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और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 13

चील (भीषम सािनी जी की रचना उनक जनम-ददवस ८ अगसत १९१५ पर तवशष - सपादक)

भीषम सािनी

चील न दफर स झपटटा मारा ि ऊपर आकाश म मणडरा रिी थी जब सिसा अधावतत बनाती

हई तजी स नीच उतरी और एक िी झपटट म मास क लोथड़ को पजो म दबोच कर दफर स वसा िी

अदवावतत बनाती हई ऊपर चली गई वि कबरगाि क ऊ च मनार पर जा बठी ि और अपनी पीली चोच

मास क लोथड म बार-बार गाड़न लगी ि

कबरगाि क इदा-तगदा दर तक फल पाका म िलकी िलकी धध फली ि वायमणडल म अतनशचय-सा

डोल रिा ि परानी कबरगाि क खडिर जगि-जगि तबखर पड ि इस धधलक म उसका गोल गबद

और भी जयादा विदाकार नजर आता ि यि मकबरा दकसका ि म जानत हए भी बार-बार भल जाता

ह वातावरण म फली धध क बावजद इस गमबद का साया घास क पर मदान को ढक हए ि जिा म

बठा ह तजसस वायमणडल म सनापन और भी जयादा बढ गया ि और म और भी जयादा अकला

मिसस करन लगा ह

चील मनार पर स उड़ कर दफर स आकाश म मडरान लगी ि दफर स न जान दकस तशकार पर

तनकली ि अपनी चोच नीची दकए अपनी पनी आख धरती पर लगाए दफर स चककर काटन लगी ि

मझ लगन लगा ि जस उसक डन लमब िोत जा रि ि और उसका आकार दकसी भयावि जत क आकार

की भातत फलता जा रिा ि न जान वि अपना तनशाना बाधती हई कब उतर किा उतर उस दखत

हए म िसत-सा मिसस करन लगा ह

दकसी जानकार न एक बार मझस किा था दक िम आकाश म मडराती चीलो को तो दख सकत

ि पर इनिी की भातत वायमणडल म मडराती उन अदशय चीलो को निी दख सकत जो वस िी नीच

उतर कर झपटटा मारती ि और एक िी झपटट म इनसान को लह-लिान करक या तो विी फ क जाती ि

या उसक जीवन की ददशा मोड़ दती ि उसन यि भी किा था दक जिा चील की आख अपन लकषय को

दख कर वार करती ि विा व अदशय चील अधी िोती ि और अधाधध िमला करती ि उनि झपटटा

मारत िम दख निी पात और िम लगन लगता ि दक जो कछ भी हआ ि उसम िम सवय किी दोषी

रि िोग िम जो िर घटना को कारण की कसौटी पर परखत रि ि िम समझन लगत ि दक अपन

सवानाश म िम सवय किी तजममदार रि िोग उसकी बात सनत हए म और भी जयादा तवचतलत

मिसस करन लगा था

उसन किा था तजस ददन मरी पतनी का दिानत हआ म अपन तमिो क साथ बगल वाल कमर

म बठा बततया रिा था म समझ बठा था दक वि अदर सो रिी ि म एक बार उस बलान भी गया था

दक आओ बािर आकर िमार पास बठो मझ कया मालम था दक मझस पिल िी कोई अदशय जत

अनदर घस आया ि और उसन मरी पतनी को अपनी जकड़ म ल रखा ि िम सारा वि इन अदशय

जतओ म तघर रित ि

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

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आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 14

अर यि कया शोभा शोभा पाका म आई ि िा िा शोभा िी तो ि झातड़यो क बीचो-बीच

वि धीर-धीर एक ओर बढ़ती आ रिी ि वि कब यिा आई ि और दकस ओर स इसका मझ पता िी

निी चला मर अनदर जवार सा उठा म बहत ददन बाद उस दख रिा था

शोभा दबली िो गई ि ततनक झक कर चलन लगी ि पर उसकी चाल म अभी भी पिल-सी

कमनीयता ि विी धीमी चाल विी बाकापन तजसम उसक समच वयतितव की छतव झलकती ि

धीर-धीर चलती हई वि घास का मदान लाघ रिी ि आज भी बालो म लाल रग का फल ढक हए ि

शोभा अब भी तमिार िोठो पर विी तसनगध-सी मसकान खल रिी िोगी तजस दखत म थकता निी था

िोठो क कोनो म दबी-तसमटी मसकान ऐसी मसकान तो तभी िोठो पर खल सकती ि जब तमिार मन

म दकनिी अलौदकक भावनाओ क फल तखल रि िो

मन चािा भाग कर तमिार पास पहच जाऊ और पछ शोभा अब तम कसी िो

बीत ददन कयो कभी लौट कर निी आत परा कालखणड न भी आए एक ददन िी आ जाए

एक घड़ी िी जब म तमि अपन तनकट पा सक तमिार समच वयतितव की मिक स सराबोर िो सक

म उठ खड़ा हआ और उसकी ओर जान लगा म झातड़यो पड़ो क बीच तछप कर आग बढ़गा

तादक उसकी नजर मझ पर न पड मझ डर था दक यदद उसन मझ दख तलया तो वि जस-तस कदम

बढ़ाती लमब-लमब डग भरती पाका स बािर तनकल जाएगी

जीवन की यि तवडमबना िी ि दक जिा सतरी स बढ़ कर कोई जीव कोमल निी िोता विा सतरी

स बढ़कर कोई जीव तनषठर भी निी िोता म कभी-कभी िमार समबनधो को लकर िबध भी िो उठता

ह कई बार तमिारी ओर स मर आतम-सममान को धकका लग चका ि

िमार तववाि क कछ िी समय बाद तम मझ इस बात का अिसास करान लगी थी यि तववाि

तमिारी अपिाओ क अनरप निी हआ ि और तमिारी ओर स िमार आपसी समबनधो म एक परकार का

ठणडापन आन लगा था पर म उन ददनो तम पर तनछावर था मतवाला बना घमता था िमार बीच

दकसी बात को लकर मनमटाव िो जाता और तम रठ जाती तो म तमि मनान की भरसक चषठा दकया

करता तमि िसान की अपन दोनो कान पकड़ लता किो तो दणडवत लटकर जमीन पर नाक स

लकीर भी खीच द जीभ तनकाल कर बार-बार तसर तिलाऊ और तम पिल तो मि फलाए मरी ओर

दखती रिती दफर सिसा तखलतखला कर िसन लगती तबलकल बचचो की तरि जस तम िसा करती थी

और किती चलो माफ कर ददया

और म तमि बािो म भर लता था म तमिारी टनटनाती आवाज सनत निी थकता था मरी

आख तमिार चिर पर तमिारी तखली पशानी पर लगी रिती और म तमिार मन क भाव पढ़ता रिता

सतरी-परष समबनधो म कछ भी तो सपषट निी िोता कछ भी तो तका -सगत निी िोता भावनाओ क

ससार क अपन तनयम ि या शायद कोई भी तनयम निी

िमार बीच समबनधो की खाई चौड़ी िोती गई फलती गई तम अकसर किन लगी थी मझ

इस शादी म कया तमला और म जवाब म तनक कर किता मन कौन स ऐस अपराध दकए ि दक तम

सारा वि मि फलाए रिो और म सारा वि तमिारी ददलजोई करता रह अगर एक साथ रिना तमि

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

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मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

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भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

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सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 15

फल निी रिा था तो पिल िी मझ छोड़ जाती तम मझ कयो निी छोड़ कर चली गई तब न तो िर

आय ददन तमि उलािन दन पड़त और न िी मझ सनन पड़त अगर गिसथी म तम मर साथ तघसटती

रिी िो तो इसका दोषी म निी ह सवय तम िो तमिारी बरखी मझ सालती रिती ि दफर भी अपनी

जगि अपन को पीतड़त दतखयारी समझती रिती िो

मन हआ म उसक पीछ न जाऊ लौट आऊ और बच पर बठ कर अपन मन को शात कर

कसी मरी मनतसथतत बन गई ि अपन को कोसता ह तो भी वयाकल और जो तमि कोसता ह तो भी

वयाकल मरा सास फल रिा था दफर भी म तमिारी ओर दखता खड़ा रिा

सारा वि तमिारा मि ताकत रिना सारा वि लीपा-पोती करत रिना अपन को िर बात क

तलए दोषी ठिरात रिना मरी बहत बड़ी भल थी

पटरी पर स उतर जान क बाद िमारा गिसथ जीवन तघसटन लगा था पर जिा तशकव-

तशकायत खीझ बखचाव असतिषणता नकील ककड़-पतथरो की तरि िमारी भावनाओ को छीलन-

काटन लग थ विी कभी-कभी तववातित जीवन क आरतमभक ददनो जसी सिज-सदभावना भी िर-िरात

सागर क बीच दकसी तझलतमलात दवीप की भातत िमार जीवन म सख क कछ िण भी भर दती पर

कल तमलाकर िमार आपसी समबनधो म ठणडापन आ गया था तमिारी मसकान अपना जाद खो बठी

थी तमिारी खली पशानी कभी-कभी सकरी लगन लगी थी और तजस तरि बात सनत हए तम सामन

की ओर दखती रिती लगता तमिार पलल कछ भी निी पड़ रिा ि नाक-नकश विी थ अदाए भी विी

थी पर उनका जाद गायब िो गया था जब शोभा आख तमचतमचाती ि - म मन िी मन किता - त

बड़ी मखा लगती ि

मन दफर स नजर उठा कर दखा शोभा नजर निी आई कया वि दफर स पड़ो-झातड़यो क

बीच आखो स ओझल िो गई ि दर तक उस ओर दखत रिन पर भी जब वि नजर निी आई तो म

उठ खड़ा हआ मझ लगा जस वि विा पर निी ि मझ झटका-सा लगा कया म सपना तो निी दख

रिा था कया शोभा विा पर थी भी या मझ धोखा हआ ि म दर तक आख गाड उस ओर दखता रिा

तजस ओर वि मझ नजर आई थी

सिसा मझ दफर स उसकी झलक तमली ऐसा पिली बार निी िो रिा था पिल भी वि आखो

स ओझल िोती रिी थी मझ दफर स रोमाच-सा िो आया िर बार जब वि आखो स ओझल िो जाती

तो मर अनदर उठन वाली तरि-तरि की भावनाओ क बावजद पाका पर सनापन सा उतर आता पर

अबकी बार उस पर नजर पड़त िी मन तवचतलत-सा िो उठा शोभा पाका म स तनकल जाती तो

एक आवग मर अनदर दफर स उठा उस तमल पान क तलए ददल म ऐसी छटपटािट-सी उठी दक

सभी तशकव-तशकायत कचर की भातत उस आवग म बि स गए सभी मन-मटाव भल गए यि कस

हआ दक शोभा दफर स मझ तववातित जीवन क पिल ददनो वाली शोभा नजर आन लगी थी उसक

वयतितव का सारा आकषाण दफर स लौट आया था और मरा ददल दफर स भर-भर आया मन म बार-

बार यिी आवाज उठती म तमि खो निी सकता म तमि कभी खो निी सकता

यि कस हआ दक पिल वाली भावनाए मर अनदर पर वग स दफर स उठन लगी थी

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

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मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

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तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

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lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

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तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 16

मन दफर स शोभा की ओर कदम बढा ददए

िा एक बार मर मन म सवाल जरर उठा किी म दफर स अपन को धोखा तो निी द रिा ह

कया मालम वि दफर स मझ ठकरा द

पर निी मझ लग रिा था मानो तववािोपरात कलश और कलि का सारा कालखणड झठा था

माना वि कभी था िी निी म वषो बाद तमि उनिी आखो स दख रिा था तजन आखो स तमि पिली

बार दखा था म दफर स तमि बािो म भर पान क तलए आतर और अधीर िो उठा था

तम धीर-धीर झातड़यो क बीच आग बढ़ती जा रिी थी तम पिल की तलना म दबला गई थी

और मझ बड़ी तनरीि और अकली-सी लग रिी थी अबकी बार तम पर नज़र पड़त िी मर मन का

सारा िोभ बाल की भीत की भातत भरभरा कर तगर गया था तम इतनी दबली इतनी तनसिाय-सी

लग रिी थी दक म बचन िो उठा और अपन को तधककरान लगा तमिारी सनक-सी काया कभी एक

झाड़ी क पीछ तो कभी दसरी झाड़ी क पीछ तछप जाती आज भी तम बालो म लाल रग का फल

टाकना निी भली थी

तसतरया मन स झबध और बचन रित हए भी बन-सवर कर रिना निी भलती सतरी मन स

वयाकल भी िोगी तो भी साफ-सथर कपड पिन सवर-सभल बाल नख-तशख स दरसत िोकर बािर

तनकलगी जबदक परष भागय का एक िी थपड़ा खान पर फिड़ िो जाता ि बाल उलझ हए मि पर

बढ़ती दाढ़ी कपड मचड़ हए और आखो म वीरानी तलए तभखमगो की तरि घर स बािर तनकलगा

तजन ददनो िमार बीच मनमटाव िोता और तम अपन भागय को कोसती हई घर स बािर तनकल जाती

थी तब भी ढग क कपड पिनना और चसत-दरसत बन कर जाना निी भलती थी ऐस ददनो म भी तम

बािर आगन म लग गलाब क पौध म स छोटा सा लाल फल बालो म टाकना निी भलती थी जबदक म

ददन भर िाफता दकसी जानवर की तरि एक कमर स दसर कमर म चककर काटता रिता था

तमिारी शॉल तमिार दाय कध पर स तखसक गई थी और उसका तसरा जमीन पर तमिार

पीछ-तघसटन लगा था पर तमि इसका भास निी हआ कयोदक तम पिल की िी भातत धीर-धीर चलती

जा रिी थी कध ततनक आग को झक हए कध पर स शॉल तखसक जान स तमिारी सडौल गदान और

अतधक सपषट नजर आन लगी थी कया मालम तम दकन तवचारो म खोयी चली जा रिी िो कया मालम

िमार बार म िमार समबनध-तवचछद क बार म िी सोच रिी िो कौन जान दकसी अत पररणावश मझ

िी पाका म तमल जान की आशा लकर तम यिा चली आई िो कौन जान तमिार ददल म भी ऐसी िी

कसक ऐसी िी छटपटािट उठी िो जसी मर ददल म कया मालम भागय िम दोनो पर मिरबान िो

गया िो और निी तो म तमिारी आवाज तो सन पाऊ गा तमि आख भर दख तो पाऊ गा अगर म इतना

बचन ह तो तम भी तो तनपट अकली िो और न जान किा भटक रिी िो आतखरी बार समबनध-

तवचछद स पिल तम एकटक मरी ओर दखती रिी थी तब तमिारी आख मझ बड़ी-बड़ी सी लगी थी

पर म उनका भाव निी समझ पाया था तम कयो मरी ओर दख रिी थी और कया सोच रिी थी कयो

निी तमन मि स कछ भी किा मझ लगा था तमिारी सभी तशकायत तसमट कर तमिारी आखो क

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 17

भाव म आ गए थ तम मझ तनसपद मरथत जसी लगी थी और उस शाम मानो तमन मझ छोड़ जान का

फसला कर तलया था

म तनयमानसार शाम को घमन चला गया था ददल और ददमाग पर भल िी दकतना िी बोझ

िो म अपना तनयम निी तोड़ता लगभग डढ घणट क बाद जब म घर वापस लौटा तो डयोढी म कदम

रखत िी मझ अपना घर सना-सना लगा था और अनदर जान पर पता चलता दक तम जा चकी िो

तभी मझ तमिारी वि एकटक नजर याद आई थी मरी ओर दखती हई

तमि घर म न पाकर पिल तो मर आतम-सममान को धकका-सा लगा था दक तम जान स पिल न

जान कया सोचती रिी िो अपन मन की बात मि तक निी लाई पर शीघर िी उस वीरान घर म बठा

म मानो अपना तसर धनन लगा था घर भाय-भाय करन लगा था

अब तम धीर-धीर घास क मदान को छोड़ कर चौड़ी पगडणडी पर आ गई थी जो मकबर की

परदतिणा करती हई-सी पाका क परवश दवारा की ओर जान वाल रासत स जा तमलती ि शीघर िी तम

चलती हई पाका क फाटक तक जा पहचोगी और आखो स ओझल िो जाओगी

तम मकबर का कोना काट कर उस चौकोर मदान की ओर जान लगी िो जिा बहत स बच रख

रित ि और बड़ी उमर क थक िार लोग ससतान क तलए बठ जात ि

कछ दर जान क बाद तम दफर स रठठकी थी मोड़ आ गया था और मोड़ काटन स पिल तमन

मड़कर दखा था कया तम मरी ओर दख रिी िो कया तमि इस बात की आिट तमल गई ि दक म पाका

म पहचा हआ ह और धीर-धीर तमिार पीछ चला आ रिा ह कया सचमच इसी कारण रठठक कर खड़ी

िो गई िो इस अपिा स दक म भाग कर तम स जा तमलगा कया यि मरा भरम िी ि या तमिारा सतरी-

सलभ सकोच दक तम चाित हए भी मरी ओर कदम निी बढ़ाओगी

पर कछ िण तक रठठक रिन क बार तम दफर स पाका क फाटक की ओर बढ़न लगी थी

मन तमिारी ओर कदम बढ़ा ददए मझ लगा जस मर पास तगन-चन कछ िण िी रि गए ि

जब म तमस तमल सकता ह अब निी तमल पाया तो कभी निी तमल पाऊ गा और न जान कयो यि

सोच कर मरा गला रधन लगा था

पर म अभी भी कछ िी कदम आग की ओर बढ़ा पाया था दक जमीन पर दकसी भागत साय न

मरा रासता काट ददया लमबा-चौड़ा साया तरता हआ-सा मर रासत को काट कर तनकल गया था मन

नजर ऊपर उठाई और मरा ददल बठ गया चील िमार तसर क ऊपर मडराए जा रिी थी कया यि

चील िी ि पर उसक डन दकतन बड़ ि और पीली चोच लमबी आग को मड़ी हई और उसकी छोटी-

छोटी पनी आखो म भयावि-सी चमक ि

चील आकाश म िमार ऊपर चककर काटन लगी थी और उसका साया बार-बार मरा रासता काट

रिा था

िाय यि किी तमपर न झपट पड म बदिवास-सा तमिारी ओर दौड़न लगा मन चािा

तचलला कर तमि सावधान कर द पर डन फलाय चील को मडराता दख कर म इतना िसत िो उठा था

दक मि म स शबद तनकल निी पा रि थ मरा गला सख रिा था और पाव बोतझल िो रि थ म जलदी

तम तक पहचना चािता था मझ लगा जस म साय को लाघ िी निी पा रिा ह चील जरर नीच आन

लगी िोगी जो उसका साया इतना फलता जा रिा ि दक म उस लाघ िी निी सकता

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 18

मर मतसतषक म एक िी वाकय बार-बार घम रिा था दक तमि उस मडराती चील क बार म

सावधान कर द और तमस कह दक तजतनी जलदी पाका म स तनकल सकती िो तनकल जाओ

मरी सास धौकनी की तरि चलन लगी थी और मि स एक शबद भी निी फट पा रिा था

बािर जान वाल फाटक स थोड़ा िटकर दाय िाथ एक ऊ चा-सा मनारा ि तजस पर कभी

मकबर की रखवाली करनवाला पिरदार खड़ा रिता िोगा अब वि मनार भी टटी-फटी िालत म ि

तजस समय म साय को लाघ पान की भरसक चषटा कर रिा था उस समय मझ लगा था जस

तम चलती हई उस मनार क पीछ जा पहची िो िण भर क तलए म आशवसत-सा िो गया तमि अपन

तसर क ऊपर मडरात खतर का आभास िो गया िोगा न भी हआ िो तो भी तमन बािर तनकलन का

जो रासता अपनाया था वि अतधक सरतित था

म थक गया था मरी सास बरी तरि स फली हई थी लाचार म उसी मनार क तनकट एक

पतथर पर िाफता हआ बठ गया कछ भी मर बस निी रि गया था पर म सोच रिा था दक जयो िी

तम मनार क पीछ स तनकल कर सामन आओगी म तचलला कर तमि पाका म स तनकल भागन का

आगरि कर गा चील अब भी तसर पर मडराय जा रिी थी

तभी मझ लगा तम मनार क पीछ स बािर आई िो िवा क झोक स तमिारी साड़ी का पलल

और िवा म अठखली सी करती हई तम सीधा फाटक की ओर बढ़न लगी िो

शोभा म तचललाया

पर तम बहत आग बढ़ चकी थी लगभग फाटक क पास पहच चकी थी तमिारी साड़ी का

पलल अभी भी िवा म फरफरा रिा थ बालो म लाल फल बड़ा तखला-तखला लग रिा था

म उठ खड़ा हआ और जस तस कदम बढ़ाता हआ तमिारी ओर जान लगा म तमस किना

चािता था अचछा हआ जो तम चील क पजो स बच कर तनकल गई िो शोभा

फाटक क पास तम रकी थी और मझ लगा था जस मरी ओर दख कर मसकराई िो और दफर

पीठ मोड़ ली थी और आखो स ओझल िो गई थी

म भागता हआ फाटक क पास पहचा था फाटक क पास मदान म िलकी-िलकी धल उड़ रिी

थी और पाका म आन वाल लोगो क तलए चौड़ा खला रासता भाय-भाय कर रिा था

तम पाका म स सिी सलामत तनकल गई िो यि सोच कर म आशवसत-सा मिसस करन लगा

था मन नजर उठा कर ऊपर की ओर दखा चील विा पर निी थी चील जा चकी थी आसमान साफ

था और िलकी-िलकी धध क बावजद उसकी नीतलमा जस लौट आई थी

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 19

तीसा क तलए

िमलता यादव

खला आकाश िो दकरण तबखरता

या

घना बादल िो बद तछटकाता

तमि दोनो स परशानी िोगी

समय स पिल पिी घरोद बनाए

या

समय क बाद िो ऋत का आगमन

तम दोनो की तशकायत करोगी

परम क मधर आलाप िो

या

तवरि की हदय तवदारक तान

तम पर दोनो असर न करगी

करण उदासीनता स भरी तम

दसरो म गम िोकर

बड़बड़ाती रिोगी

कया कभी कोतशश भी

कर पाओगी

अपना लपत पललवन

टटोलन की

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 20

सभाष क रासत स आज़ादी क मायन

सशील कमार शमाा

२३ जनवरी १८९७ को ओतडशा क कटक म जानकीनाथ बोस एव परभावती क घर जनम

सभाष चदर बोस का जीवन अतयत सघषा पणा शौयापणा और पररणादायी ि तववकानद की तशिाओ का

सभाष पर बहत गिरा परभाव पड़ा अपन तवतशषट वयतितव एव उपलतबधयो की वजि स सभाष चनदर

बोस भारत क इततिास म एक मितवपणा सथान रखत ि सभाष चनदर बोस का जनम उस समय हआ

जब भारत म अबिसा और असियोग आनदोलन अपनी परारतमभक अवसथा म थ बचपन स िी िमार ददमाग म यि धारणा बठा दी गयी ि दक lsquoगाधीजी की अबिसातमक

नीततयो सrsquo िम आजादी तमली ि इस धारणा को पोछकर दसरी धारणा ददमाग म बठाना दक lsquoनताजी

और आजाद तिनद फौज की सनय गतततवतधयो क कारणrsquo िम आजादी तमली - जरा मतशकल काम ि कागरस क अतधवशन म नताजी न किा था - ldquoम दश स अगरजो को तनकालना चािता ह म

अबिसा म तवशवास रखता ह दकनत इस रासत पर चलकर सवतिता काफी दर स तमलन की आशा ि

उनिोन करातनतकाररयो को सशि बनन को किा व चाित थ दक अगरज भयभीत िोकर भाग खड़ िो व

दश सवा क काम पर लग गए न ददन दखा ना रात उनकी सफलता दख दशबनध न किा था - म एक

बात समझ गया ह दक तम दश क तलए रतन तसद िोग नताजी न अपन रतडयो समबोधन म आज़ाद तिनद फ़ौज़ की वधता को जातिर करत हए किा

था म जानता ह दक तबररटश सरकार भारत की सवाधीनता की माग कभी सवीकार निी करगी म इस

बात का कायल िो चका ह दक यदद िम आज़ादी चातिय तो िम खन क दररया स गजरन को तयार

रिना चातिय अगर मझ उममीद िोती दक आज़ादी पान का एक और सनिरा मौका अपनी तजनदगी म

िम तमलगा तो म शायद घर छोड़ता िी निी मन जो कछ दकया ि अपन दश क तलय दकया ि तवशव

म भारत की परततषठा बढ़ान और भारत की सवाधीनता क लकषय क तनकट पहचन क तलय दकया ि

भारत की सवाधीनता की आतखरी लड़ाई शर िो चकी ि आज़ाद तिनद फौज़ क सतनक भारत की भतम

पर सफलतापवाक लड़ रि ि ि राषटरतपता भारत की सवाधीनता क इस पावन यद म िम आपका

आशीवााद और शभ कामनाय चाित ि २१ अकटबर १९४३ को नताजी न आज़ाद तिनद की असथाई सरकार की घोषणा की ५ जलाई

१९४३ को बसगापर म टाउन िॉल क सामन एक बड़ मदान म सभाष चनदर बोस न सतनक वदी म

आज़ाद तिनद फौज क अतधकाररयो एव सतनको स भवय परड म सलामी ली अपन ऐततिातसक भाषण

म उनिोन किा - ldquoआज मरी बज़दगी म सबस अतधक अतभमान करन का ददन ि कयोदक आज ईशवर की

कपा स मझ ससार क सामन यि घोषणा करन का अवसर तमला ि दक तिनदसतान को आज़ाद करान

वाली सना बन चकी ि आज़ाद तिनद फौज वि सना ि जो तिनदसतान को अगरजो क जलमो स मि

करवाएगीrdquo भाषण क अनत म जब उनिोन आज़ाद तिनद फौज क सनातनयो को lsquoचलो ददललीrsquo का नारा

ददया तो सारा िॉल lsquoइकलाब तज़नदाबादrsquo lsquoभारत माता की जयrsquo और lsquoआज़ाद तिनदrsquo क तवजय घोष स

गज उठा लगभग २५ माि तक तफ़ानी दौर करक सभाए करक भारतीय नागररको एव सतनको म

उनिोन अभतपवा आतमतवशवास एकता तनषठा एव तयाग जस उचचतम आदशो की भावना का सचार

दकया सवयसवक बनन क तलए कतार लग गई लोग सवचछा स उनि धन दन लग िबीबरारिमान

नामक एक मतसलम वयापारी न उनि एक करोड़ की सपततत एव रतन दान म ददए उस इस तयाग क तलए

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

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आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

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आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

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आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 21

lsquoसवक तिनदrsquo की उपातध दी गई जोशील भाषण म उनिोन अपील की - lsquoईशवर क नाम पर पवाजो क

नाम पर तजनिोन भारतीयो को एक सि म बाधकर एक राषटर बनाया उन सवगावासी वीरो क नाम पर

तजनिोन शौया एव आतमबतलदान की परमपरा बनाई िम भारतवातसयो को दश की सवतिता क तलए

यद करन और भारतीय झणड क नीच आन का आहवान करत िrsquo आज़ाद तिनद की सथापना क तरत

बाद सभाष चनदर बोस न बसगापर म झासी रानी की रजीमनट का गठन दकया कपटन डॉलकषमी

सवामीनाथन को इसका सचालक बनाया गया इस सगठन म मतिलाए तनयतमत परड और राइफ़ल

चलाती थी कछ सतवकाए नसा तथा अनय काया सभालती थी २८ अकटबर १९४३ को जापान क

परधानमिी जनरल तोजो न पवी एतशया क यद म अगरजो स जीता गया अडमान-तनकोबार दवीप

नताजी की इस असथायी सरकार क अधीन कर ददया आज़ाद बिद सरकार न इस दवीप का नाम शिीद

एव सवराज दवीप रखा अडमान-तनकोबार क बाद भारत क पवी दवार बमाा स अगरजो को खदड़कर विा

पर आज़ाद तिनद सरकार का ततरगा फिरान की मितवाकािा उनम ज़ोर पकड़ रिी थी अत अपना

कायाालय जनवरी १९४४ म रगन म सथातपत कर ददया बमाा क सभी भारतवातसयो म अपार उतसाि

का सचार हआ नताजी क मागादशान म आज़ाद तिनद फौज की सनाए मलाया थाइलड बमाा क

सीमावती ििो को पार करती हई भारत की सीमा तक पहच गई कनाल रतड़ी क नततव म ४ फरवरी

१९४४ को अराकान यद क मोच पर अगरजो स घमासान यद करक विा स अगरजी सतनको को

खदड़कर १८ माचा १९४४ को तवजय का झडा फिराया तथा भारत भतम पर अपन तवजय का शखनाद

फ का मतणपर क मोराग पर ततरगा फिरान क बाद ८ अपरल १९४४ को कोतिमा का दकला फ़ति कर

तलया तथा इफाल पर चारो ओर स घरा डाल ददया परनत इसक पशचात मानसन क भयकर मौसम क

तिसाब स तयारी न िोन क कारण आज़ाद बिद फौज जो भारत की भतम पर १५० मील अनदर तक

पहच चकी थी आग न बढ़ सकी उनिोन घोषणा की दक अब भारत क पास सनिरा मौका ि उस

अपनी मति क तलय अतभयान तज कर दना चतिय ८ तसतमबर १९३९ को यद क परतत पाटी का रख

तय करन क तलय सभाष को तवशष आमतनित क रप म कागरस काया सतमतत म बलाया गया उनिोन

अपनी राय क साथ यि सकलप भी दोिराया दक अगर कागरस यि काम निी कर सकती ि तो फॉरवडा

बलॉक अपन दम पर तबररटश राज क तखलाफ़ यद शर कर दगा जलाई १९४० म िालवट सतमभ जो

भारत की गलामी का परतीक था क इदा-तगदा सभाष की यथ तबरगड क सवयसवक भारी मािा म एकि

हए और दखत-दखत वि सतमभ तमटटी म तमला ददया सवयसवक उसकी नीव तक की एक-एक ईट तक

उखाड़ ल गय यि तो एक परतीकातमक शरआत थी इसक माधयम स सभाष न यि सनदश ददया दक

जस उनिोन यि सतमभ धल म तमला ददया ि उसी तरि व तबररटश सामराजय की भी ईट-स-ईट बजा

दग आज़ाद तिनद फौज को छोड़कर तवशव-इततिास म ऐसा कोई भी दषटात निी तमलता जिा तीस-

पतीस िजार यदबतनदयो न सगरठत िोकर अपन दश की आजादी क तलए ऐसा परबल सघषा छड़ा िो आज़ाद तिनद फौज क माधयम स भारत को अगरजो क चगल स आज़ाद करन का नताजी का

परयास परतयि रप म सफल निी िो सका दकनत उसका दरगामी पररणाम हआ सन १९४६ म रॉयल

एयर फोसा क तवदरोि इसक तरत बाद क नौसना तवदरोि इसका उदािरण ि नौसना तवदरोि क बाद िी

तबरटन को तवशवास िो गया दक अब भारतीय सना क बल पर भारत म शासन निी दकया जा सकता

और भारत को सवतनि करन क अलावा उनक पास कोई दसरा तवकलप निी बचा मिातमा गाधी और सवय क सबधो पर सभाषचनदर बोस न तलखा ि मिातमा गाधी और मर

बीच हई समझौता वातााओ स यि जातिर िो गया दक एक तरफ गाधी धड़ा मर नततव को कतई

सवीकार निी करगा और दसरी तरफ म कठपतली अधयि बनन क तलए तयार निी था नतीजतन मर

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 22

तलए अधयि पद स इसतीफा दन क अलावा कोई तवकलप िी निी बचा मन २९ अपरल १९३९ को

इसतीफा द ददया और कागरस पाटी क भीतर एक पररवतानकारी व परगततशील समि क गठन क तलए

मन तरत कदम आग बढ़ाए तादक समचा वाम धड़ा एक बनर क तल एकजट िो सकrdquo २६ जनवरी

१९३१ को कोलकाता म राषटर धवज फिराकर सभाष एक तवशाल मोच का नततव कर रि थ तभी

पतलस न उन पर लाठी चलायी और उनि घायल कर जल भज ददया जब सभाष जल म थ तब

गाधीजी न अगरज सरकार स समझौता दकया और सब कददयो को ररिा करवा ददया लदकन अगरज

सरकार न सरदार भगत बसि जस करातनतकाररयो को ररिा करन स साफ इनकार कर ददया भगत बसि

की फासी माफ करान क तलय गाधीजी न सरकार स बात तो की परनत नरमी क साथ सभाष चाित थ

दक इस तवषय पर गाधीजी अगरज सरकार क साथ दकया गया समझौता तोड़ द लदकन गाधीजी अपनी

ओर स ददया गया वचन तोड़न को राजी निी थ अगरज सरकार अपन सथान पर अड़ी रिी और भगत

बसि व उनक सातथयो को फासी द दी गयी भगत बसि को न बचा पान पर सभाष गाधीजी और

कागरस क तरीको स बहत नाराज िो गय नवमबर १९४५ म ददलली क लालदकल म आज़ाद तिनद फौज पर चलाय गय मकदम न नताजी

क यश म वणानातीत वतद की और व लोकतपरयता क तशखर पर जा पहच अगरजो क दवारा दकए गय

तवतधवत दषपरचार तथा ततकालीन परमख राजनीततक दलो दवारा सभाष क तवरोध क बावजद सार दश

को झकझोर दनवाल उस मकदम क बाद माताए अपन बटो को lsquoसभाषrsquo का नाम दन म गवा का अनभव

करन लगी घरndashघर म राणा परताप और छिपतत तशवाजी मिाराज क जोड़ पर नताजी का तचि भी

ददखाई दन लगा जिा सवतनिता स पवा तवदशी शासक नताजी की सामरथया स घबरात रि तो सवतनिता क

उपरानत दशी सतताधीश जनमानस पर उनक वयतितव और कतातव क अतमट परभाव स घबरात रि

सवातरयवीर सावरकर न सवतनिता क उपरानत दश क कराततकाररयो क एक सममलन का आयोजन

दकया था और उसम अधयि क आसन पर नताजी क तलतचि को आसीन दकया था यि एक करातनतवीर

दवारा दसर करातनत वीर को दी गयी अभतपवा सलामी थी नताजी न यवा वगा को आज़ादी की लड़ाई स जोड़न म बहत बड़ी भतमका तनभाई बसगापर क

रतडयो परसारण दवारा नताजी क आहवान तम मझ खन दो म तमि आजादी दगा का िी पररणाम रिा

तजसन यवाओ को पररणा दी बोस का मानना था दक यवा शति तसफा गाधीवादी तवचारधारा पर चलकर सवतिता निी पा

सकती इसक तलए पराणो का बतलदान जररी ि यिी वजि थी दक उनिोन १९४३ म आज़ाद बिद

फौज को एक सशि सवति सना क रप म गरठत दकया और यवाओ को इसस परतयि रप स जोड़ा

तदवतीय तवशवयद क दौरान जापान की सिायता स बनी इस फौज म उनिोन मतिलाओ क तलए झासी

की रानी रतजमट बनाकर मतिलाओ को आजादी क आदोलन म शातमल दकया

नताजी सभाष चदर बोस की छतव िमशा स एक तवजनरी और तमशनरी नता क रप म रिी

तजनिोन न तसफा पणातः सवति और लोकतातिक भारत का सवपन दखा बतलक उस बतौर तमशन परा

दकया उनक नततव की िमता क बार म यि किना गलत निी िोगा दक यदद वि आज़ादी क समय

मौजद िोत तो दश का तवभाजन न िोता और भारत एक सघ राषटर क रप म काया करता

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

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मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 23

आवाज़ व दत रि

बालसवरप रािी

यो तो बहत ससार न रौदा मझ तोड़ा मझ

दफर भी किी कछ लोग ि जो चाित थोड़ा मझ

चाि उनि मन कभी दखा न िो जाना न िो

जलस-सभा की भीड़ म ततकाल पिचाना न िो

लदकन मझ लगता रिा िर रात क सनसान म

कछ लोग ि जाग हए मर तितो क धयान म

मझस न उनको काम कछ उनस न मझको काम कछ

उनस न जान कौनस समबनध न जोड़ा मझ

चाि बहत ज़यादा न िो तनरपाय तो तबलकल निी

साधन न उनक पास िो असिाय तो तबलकल निी

उनक तलए भी बज़दगी खोई हई पिचान ि

जीना बहत दशवार ि मरना बड़ा आसान ि

शायद उनि भी टटन की यातना का जञान ि

व ददा स थराा उठ जब-जब पड़ा कोड़ा मझ

व चाित ि म कभी घटन किी टक निी

चादी मढ़ी मीनार को नज़र उठा दख निी

म कर सक गा यि न जान कयो उनि तवशवास ि

जो पास मर भी निी वि आग उनक पास ि

उस छोर स भी दर स आवाज़ व दत रि

तजस छोर क नज़दीक िर पथ-तचहन न छोड़ा मझ

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

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जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 24

आसथा

छोटराम रगर

बयाल (राति का भोजन) करक वि आगन म तबछी चारपाई पर जाकर लट गई उस चारपाई

पर उस ऐसा सकन मिसस िो रिा था जस बहत लमबी उड़ान क बाद पछी सधया क समय ढलत सरज

की लातलमा को दखकर खल गगन म घन आकाश को चीरत हए अपन गनतवय सथान पर पहचकर

मिसस करत ि वि चारपाई पर अपनी ददनभर की थकान तमटान क तलए वयाकल थी अचानक

उसकी आख इस घन अनधरी रात म आकाश की तरफ दखन लगी उस कछ तार रटम-रटमात स नज़र

आए वि इन तारो को टकटकी लगाकर दख रिी थी और सोच रिी थी दक इन तारो म एक तारा मरा

भी तो ि जो मझ दख रिा ि यि सोचत-सोचत उसकी आखो म आस झलक पड़ य आस उसक जीवन

क दःखो की दासता थ

पास िी दसरी चारपाई पर बठी गररमा उसक चिर पर आसओ को दखकर किन लगी - lsquoकयो

रो रिी िो मौसीrsquo गररमा की उमर तकरीबन पनदरि वषा की िोगी वि अपनी मौसी क पास िी रिती

थी कयोदक मौसी क कोई लड़की निी थी लड़की हई तो थी लदकन वि बचपन म िी ईशवर को तपरय

िो गई थी

गररमा मौसी की यि िालत दख कर बहत उदास िो गई थी उसन मौसी को उदास मन स

किा दखो मौसी ऐस मन िी मन दःखी िोन स कोई फायदा निी जब तक आप मझ कोई बात निी

बताएगी तब तक मझ नीद निी आएगी

मौसी न किा कछ निी बटी ऐस िी परानी याद आ गई ि त आराम कर सबि जलदी उठकर

पढ़ लना मर बार म मत सोच म तो जनम स िी दतखयारी ह

गररमा को कछ भी समझ म निी आ रिा था वि तो बस मौसी की सिायता करना चािती

थी

आसथा क इन आसओ की एक लमबी किानी थी तजस वि दकसी को भी निी बताना चािती

थी वि सोचती थी दक दकसी को बतान स कया फायदा अपना दःख अपन को िी भोगना पड़ता ि

लदकन अब जब गररमा न ज़ोर दकर पछ िी तलया तो वि अपन आसओ को पोछकर किन

लगी- lsquoबटी मरी उमर करीब बीस साल की िोगी तभी तरा मौसा इस दतनया स चल बसा था

गररमा मौसी की िर बात को बड़ी तशददत क साथ सन रिी थी कयोदक वि उसक आसओ का

राज जानना चािती थी तभी अचानक मोबाईल फोन की ररग बजन लगी जो गररमा क पास तसरिान

तदकय पर रखा हआ था गररमा न फोन उठाया िलो कौन

उधर स फोन की आवाज आयी िा गररमा कसी िो बस ठीक ह वि तवतपन का फोन था

तवतपन गररमा की मौसी का छोटा लड़का ददलली म इतजतनयररग की पढ़ाई कर रिा था उसन मा स

बात करक किा - lsquoमममी कोई बचता निी करनी आराम स रिना

मा न पछा कब आएगा बटा

तवतपनन न किा बस मममी छटटी तमलत िी और फोन रख ददया

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 25

आसथा अपनी चादर को गरदन तक ओढ़कर गररमा स आग किन लगी बटी तब यि तवतपन

छः मिीन का िी था म बसिारा िो गयी थी मर जीवन का सब कछ लट गया था पतत क गजरन क

बाद मर जीवन की डोर थम-सी गई थी मर पास रिन क तलए एक कचचा घर था पट भरन क तलए

आजीतवका का कोई भी साधन निी था उस समय मरा कोई सिारा था तो यि खला आकाश और यि

धरती माता जस-जस ददन गजरत गए म पतत की याद को भलकर बचचो क भतवषय क बार म सोचन

लगी वि खद पढ़ी-तलखी निी थी लदकन बचचो को पढ़ा-तलखाकर उनका भतवषय सधारन की उसकी

दढ़-आसथा थी उसन बचचो को पढ़ान क तलए तथा पररवार क भरण-पोषण क तलए गलीचा बनन का

काम सीख तलया उसको यि काम अचछा लगा कयोदक यि काम अपन घर पर िी करन क तलए था

इसक तलए किी बािर जान की आवशयकता निी थी यि काम उसन अपन दोनो बचचो को भी सीखा

ददया था

उस समय आसथा का जीवन बहत िी कषटमय था घर म तबजली का अभाव था गलीचा

बनत-बनत जब रात िो जाती थी तो तचमनी की उस रटमरटमाती रोशनी क उजाल म वि गलीच क

धागो म सत तपरोती रिती थी यि तचमनी एक काच की छोटी बोतल म तमटटी का तल डालकर उसक

ढककन म एक बती लगाकर बनायी गयी थी आस-पड़ोस की औरत उस किा करती थी - lsquoसारी दतनया

सोव और गोमा रोटी पोव लदकन आसथा को इन सब स कोई फका निी पड़ता था वि अपन काम म

धयान रखती थी तथा भगवान पर भरोसा कर ईमानदारी स मिनत करती थी दतनयादारी स उस कोई

कोई मतलब निी था

पररवतान परकतत का तनयम ि आसथा का बड़ा बटा नीतश सनातक की परीिा पास कर एक

सरकारी तवभाग म तनयि िो गया था अब आसथा क जीवन म सब कछ बदल गया था उसक जीवन

म एक खशी की लिर आ गयी थी लदकन आस-पड़ोस वालो क नाक म दम िो गया था कयोदक आसथा

न बड़ी मिनत करक अपन बटो को इस मकाम तक पहचाया था

उसक पररवार म सब कछ ठीक स चल रिा था उसन बड़ बट नीतश की शादी भी कर दी थी

लदकन उसकी बह रोतिणी नए जमान की पढ़ी-तलखी लड़की थी आसथा चािती थी दक यि भी अचछी

तयारी करक सरकारी नौकरी पर लग जाएगी तो अचछा िी िोगा लदकन रोतिणी का किा पढ़न म

मन लग सच मानो तो रोतिणी आसथा क साथ रिना िी निी चािती थी वि िर बात म आसथा स

तबना कारण लड़ाई-झगड़ करती रिती वि सोचती थी दक यदद म इस घर म सास-मा क साथ रिी तो

पतत की नौकरी क सार पस इनिी पर खचा िो जाएग नीतश रोतिणी को खब समझाता लदकन वि

समझ निी पाई और अपनी मजी स एक ददन नीतश को तयार कर आसथा को रोती-तबलखती छोड़कर

अपना सारा सामान एक टरक म भरकर घर स तनकल गई

इस घटना स आसथा का ददल टट चका था आस-पड़ोस म भी सननटा छा गया था गाव की

औरत आसथा को सबर बधाती ि दक तर एक बटा और ि त तिममत रख आसथा लदकन आसथा सोचती

िी रिती ि दक यदद तवतपन भी नीतश की तरि तनकल गया तो मरा सिारा कौन िोगा सोचत-

सोचत दर आकाश म उन तारो की ओर दखत हए आसथा की पलक झपकन लगी

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

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जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

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का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 26

किा गए वो ददन

दीतपत गपता

अपन साथ जीन क तलए

नदी दकनार दरख़त की छाव म

बठ जाती ह जब म

लौट आत ि एक-एक करक

गज़र हए मासम ददन

साझ रिन-सिन की मीठी खशनमा याद

पयार की तझड़दकया फटकार

तकरार इनकार इकरार

गलबतियो वाला पररवार

ततततलयो की छतवया

ननिी तचतड़या का पिल िौल-िौल पास आना

दफर फरा स उड़ जाना

तगलिरी का ननिा सा मि उठाकर

इधर-उधर दखना और

सरपट भाग जाना

मा स मरा िठ करना

दफर उसकी डाट खाकर

उस की गोद म तसर रख कर सो जाना

इतवार सा तयौिार अब निी

िर इतवार खास चीज बनती थी

नानी पयार स दलारती तखलाती थी

मामी-मौसी जब लती िर बात म बलया

भइया मि तचढ़ाता करता छपम-तछपपया

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 27

सदा दोपिर कटती थी छत प धप सकत

लट क किानी पढत - बीच म ऊ घत

और कभी मगफली - भन चन टगत

दर गगन क सफद बादलो म

िस सारस बगल खोजत

फोन निी िोत थपर

ददल स ददल क तार तमल िोत थ

दर बठ सब एक दसर क

मन की पकार सन लत थ

और अगल िी ददन मामा अपना बग थाम

बतार का तार तमला तो दौड़ा चला आया

अब तो फोन प सख-दःख किन पर भी

लोगो को सनाई निी पडता

लोगो क कान तो ठीक ि - ददल बिर िो गए ि

आख भी ठीक ि - पर मन अध िो गए ि

घर म बहत कछ न िोन पर भी

दकसी कमी का एिसास निी था

कोई सरज बन गमाािट दता

तो कोई चाद बन ठडक बरसाता था

कोई नदी बन जल दता

तो कोई फलदार पड़ बन जाता था

तर-मर जसा कछ भी तो निी था

अब न जान किा स अलगाव सा आ गया

मनमटाव िर घर म छा गया

रतजशो और मसलो क ढर म दब गई ि बजदगी

सख-चन िर शखस का जान किा तबला गया

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 28

मनसमतत वद और मतिला सवातरय

नयटन तमशरा

वतामान समय म बतदजीतवयो का सबस मितवपणा मददा ि तो सतरी तवमशा िो भी कयो ना

चाि तवषय कोई-सा भी िो उसम मतिलाओ का मददा जोड़ िी ददया जाता ि तशिा स लकर वयवसाय

और राजनीतत स लकर मीतडया एव सना तक मतिलाओ को आग लान और उनक परतततनतधतव को

बढान की बात गमभीरता स की जा रिी ि य बात िमारी सामातजक मानतसकता क दो तरथयो की ओर

इतगत करती ि ndash एक सकारातमक और दसरा रचनातमक इसतलए इनका सवागत करना चातिए

परनत इन बातो क करन क साथ-साथ एक िीनता का भाव भी भरा जाता ि दक आददकाल म भारत

म मतिलाओ की तसथतत दयनीय थी और पराचीन भारतीय शासतर तवशषकर मनसमतत मतिलाओ क

अतधकारो और उनक सवतिता क बड़ तवरोधी रि ि किा और माना जाता ि दक पराचीन भारत म

मतिलाओ को तशिा तक का अतधकार निी था तपतसततातमक समाज िोन क कारण परत सजगता

और गमभीरता स भारतीय शासतरो का अधययन करन पर तसथतत इसक ठीक तवपरीत नज़र आती ि

यदद म वदो की बात छोड़ भी द तो भी मनसमतत जस मतिला तवरोधी मान जान वाल गरनथो म

मतिलाओ क तलए ऐस तवधान दकय गए ि जो आज भी मतिलाओ को परापत निी ि उस पान क तलए

मतिलाओ को नयायालयो क शरण म जाना पड़ता ि

सभी भारतीय तवदवानो का मानना ि दक मन समतत वदो क अनकल ि इसस मन म परिपो को

पिचानन और मन क शद तवधानो का पता लगाना सरल िो जाता ि उदिारण क तलए तवधवा-

तववाि क समबध म मन म समथान और तवरोध दोनो तमलत ि तो दखना चातिए की वद इस समबनध

म कया कित ि तवधवा-तववाि क तवषय म ऋगवद १०१८८ और अथवावद १८३२ म किा गया

ि - ि तवधवा नारी जो चला गया (गम सो रिा ि) इस मत पतत को छोड़ कर उठ जीतवतो क लोक

क पतत को परापत कर उसी क साथ शष जीवन तबता तववाि म जो तरा िाथ पकड़ा था उस पतत का

तरा धारण-पोषण करन वाल इस नवीन पतत का और त अपनी इस जनम दी हई सतान का धयान करक

सख स सयि िो इसस सपषट िो जाता ि की मन का तवधवा-तववाि क बार म तवधान सिी ि और

इसका तवरोध करन वाल शलोक दकसी न बाद म तमलाया ि

इसपरकार क और भी कई परसग ि तसतरयो का तववाि योगय वर क साथ िी करना वरना

अतववातित िी रखना सतरी क इचछा स तववाि दकया जाना तनयोग की वयवसथा आदद सभी क समबध

म मन क साफ तनदश तमलत ि परत विी इसक तवरोधी शलोक भी पाए जात ि चदक य वयवसथा

वदसममत भी ि इसतलए तवरोधी शलोको को परतिपत माना जाना चातिए परतिपत शलोको को िटा कर

पढ़न स मन क सभी तवधान काफी उदार और समयोतचत तसद िोत ि मनसमतत म परतिपतो की बात

तो कललक भटट परभतत मन क परान भाषयकार भी सवीकार करत ि और उन शलोको का परतिपत िोना

परोफसर सरदर कमार सतित अनक तवदवानो न भली भातत तसद दकया ि इन परिपो को छोड़ कर िी

यिा मन क तवधानो की चचाा की जायगी

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 29

मन न सवाि मतिलाओ को काफी सममान ददया ि और मतिलाओ क परसनन रिन म िी पररवार

और कल की सख-समतद बताई ि उनका एक परतसद वाकय ि ndash जिा तसतरयो का सतकार और सममान

िोता ि विा शरषठ लोगो व दवतावो का वास िोता ि इसक आग व कित ि दक तजस समाज म तसतरया

शोक व बचतागरसत िोती ि वि समाज शीघर िी नषट िो जाता ि और जिा तसतरया तनबशचत और सखी

रिती ि वि समाज सदव तवकास करता रिता ि कया यिी कारण ि दक आज िमार समाज का पतन

िो रिा ि उतथान निी

मन न आठ परकार क तववािो की चचाा की ि य परकार सतरी अतधकारो की रिा करत हए बनाए

गए ि इन आठ परकार क तववािो को उनिोन दो भागो म बाटा ि ndash उतम और तनकषट बरहमा दव आषा

और परजापतय उततम तववाि ि तजसम स बरहम तववाि सपषट रप स परम तववाि ि चार तनकषट तववाि म

स गधवा तववाि तो आज क ldquoतलव इनrdquo ररलशन क समान ि मन न इस भी तववाि की सजञा दी ि यानी

दक तलव इन म रिन पर सतरी को तववातिता की भातत सार अतधकार तमलग

जब िम नवा अधयाय का अधययन करत ि तो परारभ म िी मन यि बतात ि दक तसतरया िी

पररवार कल व समाज क सख का आधार ि और इसतलए उनक अतधकारो की रिा करना सवाातधक

मितवपणा ि इसी अधयाय म सतरी क सवय स वर चनन यानी दक परम तववाि को काननी वधता भी दत

ि मन न तवधवा-तववाि को भी इसी अधयाय म मानयता दी ि व कित ि दक यदद मतिला क तववाि

(वागदान) िो जान क बाद उसक पतत की मतय िो जाय तो उसका दसरा तववाि कर ददया जाना

चातिए इसी अधयाय म मतिलाओ क तलए तनयोग करन क अतधकार भी चचाा की ि तनयोग यानी दक

मतिला को यि अतधकार िोता ि दक पतत क आभाव म वि दकसी अनय परष स सतान उतपनन कर

सकती थी तनयोग का यि तवधान बताता ि दक पराचीन भारतीय समाज म तसतरयो को दकस िद तक

सवाधीनता दी गई थी आज एक ओर जिा परषो को यि छट दी जाती ि दक सतान न िोन पर दसरा

तववाि कर ल मन न मतिलाओ को यि छट दी ि दक यदद पतत स सतान न िो रिी िो तो वि दसर स

सतान उतपनन कर ल इस तवधान म आज की सरोगट मा को भी दखा जा सकता ि सतान उतपनन िोन

क बाद उसस समबध समापत करन िोत थ इसस साफ ि दक तनयोग करन वाली मतिलाओ की भी परी

परततषठा िोती थी

इस परकार िम पात ि दक मनसमतत म मतिलाओ क अतधकारो को परा-परा सथान ददया गया

ि िालादक मन म इन सकारातमक तवधानो क साथ िी इनक तवरोधी तवधान तमला ददए गए ि परत

इन तवधानो क आलोक म यदद िम मनसमतत को पढग तो इन परिपो को समझ पाएग किा जा सकता

ि दक यदद मन क वासततवक तवचारो को परिपो स और पवाागरिो स मि िो कर समझन का परयास

दकया जाय तो समाज म न कवल मतिलाओ को उनका उतचत सथान तमल सकगा बतलक िम यि भी

गवापवाक कि पाएग दक पराचीन भारत का समाज एक अतत उदार और तवकतसत समाज था

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

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lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 30

जानकीवललभ शासतरी सिज साधना की यािा

डॉ िरीश कमार

सातिततयक परवतततयो की एक अलग धारा का सवरप जानकीवललभ शासतरी की रचनाशीलता म

ददखाई दता ि ससकतत भाषा और परपरा क नरततया का तनवााि उनकी तवशषता ि परमपरा को

तजतनी गिराई स उनिोन तलया और आधतनकता को तजतनी खली दतषट परदान की वि उनकी तवतशषट

पिचान क तलए पयाापत ि भारतीय जञान धारा और ससकतत को शासतरी जी स कावयातमक अतभवयति

तमली ि सचची बात यि ि दक व जीवन दरवय क कतव ि जीवन म डबकर जीवन मलय को उबारन वाल

कतव इनक कावय वयतितव को लकर अनक तरि क तववाद िोत रि ि छायावाद परगततवाद और

परयोगवाद को आलोक पथ म रखकर उनक कतततव को कसन ढीला करन और उसक ततनक-ततनक को

समटकर उसक अण-परमाणओ तक को छान डालन की घोषणा िोती रिी ि इन बिसो म शासतरी जी

क कती वयतितव को लकर तिनदी सातितय म पयाापत मतभदो का रप ददखाई दता ि दरअसल उनकी

मनोरचना और सजन क भावसफररत सवरप को लकर भी असमजस रिा ि अपन समकालीन

रचनातमक चलन क अभयास स बािर िोन क कारण भी उनक परतत काफी कछ सशय बरकरार रिा

ककत नतलन तवलोचन शमाा परभाकर माचव ननददलार वाजपयी िजारी परसाद तदववदी आदद अनक

तवदवानो न समय-समय पर अपन-अपन ढग स अलग-अलग उनि सवीकार दकया ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी क सबध म मानना ि दक lsquolsquoजीवन-पथ पर तनभीक िो अपरततित

गतत िो बढ़त चलन का तनदश चाि तजन गरओ स तमला िो पर राि पर दीप तो उनिोन खद जलाया

िrsquorsquo१ एक साधक क तलए दीप जलाना अपन यािा पथ पर खद को जलाना िोता ि तनशचय िी

उनिोन दकसी क घर जाकर न तो आग उधार मागी ि और न दसर क दीपक स अपन घर का दीप

जलाया ि आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय तनमााण वसतत उनका आतमतनमााण ि उनिी क

शबदो म-lsquolsquoआतम-तनमााण कावय-तनमााण स कम करठन निी ि परतयत म तो अपन अबाध अनभव स यि

कि सकता ह दक कावय-तनमााण सबस सरल िrsquorsquo२

वसतत आचाया जानकीवलल शासतरी कलपना और अनभतत क कतव थ एक उनमि आतररकता

उनक भीतर जीवन मध का सचय करती रिी ि गीत-गाथा पर तवचार करत हए आचाया

जानकीवललभ शासतरी तलखत ि- lsquolsquoबड़ी मतशकल स आती ि सिजता सच तो यि ि दक जीवन म

ऋजता न िो तो कला म सिजता सभव िी निी सिजता सवधमा म अटट तनषठा स आती ि इस यो

समझा जा सकता ि दक कलाकार का हदय तजतना कोमल िोगा अनभततयो को गरिण करन वाली

िमता उतनी िी परखर िोगीrsquorsquo३

इस ऋजता क तलए जीवन म बनधनो स तवदरोि या घणा क सथान पर मिी करनी पड़ती ि

तवपरीत लगन वाली परवतततयो को अनशासन क दायर म लाना िोता ि और इस परकार बनधन िी मति

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

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बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

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ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 31

का साधन बन जाता ि बनधन उनक तलए बरा ि जो इस बोझ मानत ि उनक तलए निी जो इस तमि

मानकर पालत ि कतव किता ि-

lsquolsquoबधन मन अभयास पास स

जयो घन गजान ततडत िास स

इस बधन क गिन गमन स

मति ममा तनमाल छन आताrsquorsquo४

ककत ऋजता का अथा उस मालम ि ऋजता क वयतिक सरोतो स भी वि सावधान ि इसतलए

वि अपनी सजन साधना को जीवनानभवो क तनकट एक छिी सदशय बना लता ि तो वि सिजता की

िी सवीकतत दता ि कयोदक बड़ी वदनाओ की बाढ़ तनिारन वाल वयति की दतषट और चाि जो िो

सकषम निी िोती सथल आखो स बाढ़ का परसार दखा जा सकता ि मगर लघ अतसततव वाल परातणयो

फल-पततो और परकतत क लघ उपादानो की वयथा को तो कोई सकषम िी अनभव कर सकता ि इसतलए

सथल दतषट समपनन कला सरल भल िो सिज निी िोती

तजन लघ ततव क सिार कतव न अपनी कावय साधना की ि विी उसकी सिजता और ऋजता

का परतीक बना ि जो तथाकतथत बड़पपन को छोड़कर िणो और कणो को मिततवपणा दतषट स दखता ि

विी बड़ा ि विी सिज साधक ि सिजता कतव की खयाततलबध सगीततका lsquoतमसाrsquo म और अतधक

सपषट और परभावोतपादक रप म परापत िोती ि lsquolsquoम तो सिजता को िी सवाातधक परभावोतपादक मानन

वाला ह सिजता जो तसकड़न और फलाव पसती और चककरदार घारटयो स निी कतराती तवयावान म

अपनी िी परततधवतनयो स निी चौकती-चीखती बस जलन तपए ददय की िसमख लौ की तरि मधर-

मधर जलती रिती िrsquorsquo५

कतव मानता ि दक साधना क सिार कतव उस सीमा पर पहच जाता ि जिा सरल और वकर

रखाओ तथा वतत और आयताकार ििो को उरिन म दकसी परकार की असतवधा निी िोती दसर शबदो

म सिज-साधना तशव साधना ि गरल सतजत िोती ि जो पजय भी िोती ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न lsquoिसबलाकाrsquo म सिजता को अपन कावयदशा क रप म सवीकार

दकया ि-lsquolsquoमन आशा-तनराशा धवस तनमााण एव जीवन-मरण को कावय म यथारप परततफतलत िो जान

ददया ि म जिा जब तजस रप म सिजता स अतभवयि िो सका ह उस िी अपनी सफल कावय-कला

समझता ह भल िी वि दकसी तवशष मानदणड क अनसार तनपट तनससार और तनषफल िोrsquorsquo६

अपनी सजन साधना म वसतजगत को छानकर भावजगत समद करन वाल इस कतव की

परततभा नवोनमषी ि सदरतम रचन का उनका आगरि सपषट ददखाई दता ि किी गिर व सचत ढग स

ततसम क कतव ि भाव और भाषा की मनोिाररता चनना भी उनका कतव सवभाव ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी का कावय समदर की तरि गभीर ि इसतलए वि अपनी गभीरता

स पाठको को बाधता ि उततालता स उदवतलत करता ि और नव परयोगो की चचल लिररयो स

गदगदाता ि इस परी परदकरया म उनकी परततभा-तरग तट पर मतणया फ कती ि lsquoरप-अरपrsquo

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 32

lsquoमघगीतrsquo lsquoतशपराrsquo lsquoपाषाणीrsquo lsquoतमसाrsquo lsquoराधाrsquo आदद कततया शासतरी जी क परततभा सागर स तनकली

मतण ि यि जगमगािट आलोड़न भरी साधना की ि शासतरी जी की परी कावय यािा साधना की यािा

ि सिज साधना की यािा

व गभीर अधययता और खली दतषट वाल सवदनशील मनषय थ भारतीय दशान कावयशासतर

और वद उपतनषद आदद क अधययन-मनन स जिा उनक जञान भडार म मोततयो का ढर लगा ि वि

अगरजी उदा एव बगला क कालजयी कतवयो की रचनाओ क अनशीलन स उनकी कावय परततभा शोतधत

िोकर धारदार और परखर बनी ि शासतरी जी न लगभग दो िजार गीत दो सौ गज़ल तीन दजान स

ऊपर गीतत नाटय और पाच सौ स अतधक सफट कतवताए तलखी ि

आचाया जानकीवललभ शासतरी न गदय एव पदय दोनो तवधाओ म समान रप स तलखा ि lsquoसमतत

क वातायनrsquo lsquoिसबलाकाrsquo lsquoकमािि-मरििrsquo lsquoअषटपदीrsquo lsquoएक असातिततयक की डायरीrsquo lsquoकातलदासrsquo

जस उतकषट मिाकावयातमक गदय सातितय को दखन क बाद यि तनणाय दना करठन ि दक आचाया

जानकीवललभ शासतरी समगर रप म कतव ि या गदयकार

आचाया जानकीवललभ शासतरी को एक लबा सजनातमक जीवन तमला अपनी जीवन तवतध की

दतषट स भी व एक तवलिण शतखसयत थ मनषय िी निी पश-पिी लता-पषप सब उनक सिचर हए

एक तवसतत घरौदा था उनका और सससकतत की एक बड़ी आतमीय लय उनक वजद स फटती थी

अनवरत रचनाधरथमता का सरोत भी उनका यि जीवन िी था तजसम आतखरी ददनो म उनका एकात

सघन िोता गया था उनक पास आधतनक बिदी सातितय क परोधाओ स सािचया की अपार समततया

थी तनराला जी स उनका बड़ा िी अनठा सािचया था ७ अपरल २०११ को उनकी मतय हई तवसमतत

क िमार इस दौर न उनको लगभग भला रखा था ककत तजस जातीयता की पराणधारा का िम सधान

करना चाित ि उसका एक मजबत सतभ जानकीवललभ शासतरी थ उनक पाठ म नय ढग स परवश करन

की आवशयकता ि

सदभा सची

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीतत कावय प २२

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ७६

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

सतयनदर परसाद बसि आचाया जानकीवललभ शासतरी का गीततकावय प २४

आचाया जानकीवललभ शासतरी तमसा की भतमका स उदधत

आचाया जानकीवललभ शासतरी िसबलाका प ८१

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

13 51 2016 36

वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

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और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 33

बासरी

सजय वमाा

बासरी वादन स

तखल जात थ कमल

विो स आस बिन लगत

सवर म सवर तमलाकर

नाचन लगत थ मोर

गाय खड़ कर लती थी कान

पिी िो जात थ मगध

ऐसी िोती थी बासरी तान

नददया कलकल सवरो को

बासरी क सवरो म तमलान को थी उतसक

साथ म बिाकर ल जाती थी

उपिार कमल क पषपो क

तादक उनक चरणो म

रख सक कछ पजा क फल

ऐसा लगन लगता दक

बासरी और नदी तमलकर करती थी कभी पजा

जब बजती थी बासरी

घन शयाम पर बरसान लगत

जल अमत की फिार

अब समझ म आया

जादई आकषाण का राज

जो दक आज भी जीतवत ि

बासरी की मधर तान म

माना िमन भी

बासरी बजाना पयाावरण की पजा करन क समान ि

जो दक िर जीवो म

पराण फ कन की िमता रखती

और लगती सनाई दती ि

िमारी कणा तपरय बासरी

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िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

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वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

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मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 34

िादसा

डॉ िरीश कमार गोबबद

बद कमर म अपनो क बीच वि सारी रात तवचतलत मनोतसथतत म करवट लता रिा साथ सो

रिी पतनी की उपतसथतत भी उस दकसी परकार स सिज निी कर पा रिी थी दकसी परकार की उततजना

भी उसन आज मिसस निी की लगभग आधी रात बीत जान क बाद कब उसकी आख लगी उस पता

िी निी चला दफर यकायक वो नीद स िड़बड़ा कर उठा जस कोई सपना दखा िो कमर क अनधकार

म कवल बािर जल रिी टयब लाइट का परकाश तछटक कर आ रिा रिा था किी दर सड़क पर दकसी

वािन क िाना न इस रात की नीरवता को तोडा उस तबलकल अचछा निी लगा इस सननाट का टटना

इसस वि दफर एक बार तवचतलत िो गया जीवन की सावधातनयो की तनससारता और िण म मतय का

बोध उस जीवन क परतत उचाट कर रिा था शायद तसदाथा इसी मनोतसथतत म बद बनन की राि

पकड़ बठ

वि चािता था दक इस रात क अनधकार म िर आवाज मौन िो जाय आधी रात को गजरन

वाली टरन की धड़धड़ाती आवाज़ और इजन की सीटी उस ऐसा आभास करवा रिी थी जस वो टरन उसी

की तरफ बढ़ी चली आ रिी िो वो लपक कर तबसतर स उठा और कमर की तखड़की स जाकर सट गया

जस छप रिा िो उसन बािर की ओर दखा छत पर बन इस कमर स उस बािर टयब लाइट की

रौशनी म एक कतता ऊ घता हआ नजर आया तभी कालोनी का चौकीदार लाठी पटकता हआ गजरा

और उसन एक लमबी सीटी बजाई उसका मन दकया दक चौकीदार को एक गनदी सी गाली द पर वो

अपनी मरिया भीच कर और दात रगड़ कर चप रिा उस लगा दक य आदमी सावधान कर रिा ि या

डरा रिा ि दकतनी अतनतशचतता पदा कर दी ि इस आदमी न कम स कम इस बात का धयान तो रख

दक शातत का मलय कया ि

वि बार-बार आज की उस घटना का वीभतस और हदय तवदारक दशय याद कर क परशान था

इस घटना न उसकी मनोतसथतत म भचाल ला ददया था शायद पश स वि सातितय का अधयापक था

और मानवीय सवदनाए अभी भी इस भमडलीय वातावरण म उसक भीतर जीतवत थी पजाब क

काल ददनो क दौरान जब उसकी उमर मिज सात-आठ साल रिी िोगी तब एक बार उसक शिर म हए

गोली काड म उसन पिली बार मास और चबी की उस गध को मिसस दकया था जो लमब समय तक

उसकी समतत स तमट निी पायी जब भी अकल बठ उस उस घटना की जरा-सी याद आती उसक

ददमाग और फफड़ उस बदब स भर जात आज दफर लगभग वसी िी तसथतत उसक सामन पनः परकट िो

गयी थी वि बार-बार आज घटी उस वीभतस घटना स परशान था इसन उसकी मनोतसथतत को

वरागय और असरतितता की भावना स भर ददया था

दफतर स छटटी िोत िी जब वि मखय परवश दवार स बािर तनकला तो सड़क पर सब कछ जस

रोज की तरि सामानय था वि उस पररतचत सड़क पर मि भावना क साथ घर की ओर लौट रिा था

बािर सड़क क एक कोन म तवजञापन का बड़ा बोडा बदला हआ था जीवन बीमा तनगम का तवजञापन

दती सनदर सी दपततत की तखलतखलाती हयी तसवीर बड़ी ताजा लग रिी थी तवजञापन बोडा क नीच

पनवाड़ी की दकान और बगल म सोडा बचन वाला रोज की तरि अपन काम म वयसत थ

कयो भाई कसा चल रिा ि उसन पनवाड़ी की दकान पर जाकर तसगरट खरीदत हए पछा

बस बाब जी आप लोगो की मिर बानी ि रात-ददन यिा पल का काम चल रिा ि पिल मरी

दकान भी यिा स उठन वाली थी लदकन ठकदार को पटा तलया अपन िी गाव का ि चाय-पानी तपला

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 35

ददया करता ह उसन पास क रलव फाटक क ऊपर बन रि फलाईओवर की ओर इशारा करत हए

किा

फलाईओवऱ बनन क कारण आस पास की दकतनी िी दकानो क भतवषय पर परशन खड़ा िो गया था

सड़क क एक दकनार पड़ लोि क सररयो क ढर उस भयभीत निी करत थ

अचानक उसक फ़ोन की घटी बजी मोबाइल का नबर दख तबना िी उसन काल ररसीव दकया वि

जानता था की यि उसकी पतनी का फ़ोन था आज उसक बट का जनमददन ि और उस जात समय रसत

की बकरी स िी कक लकर जाना ि

िलो िा सषमा ठीक ि मझ याद ि अर भाई चॉकलट वाला कक िी लाऊ गा तबना अड का

कक भी कोई कक िोता ि अचछा चलो ठीक ि म आ रिा ह रसत म ह उसन जलदी-जलदी बात

तनपटाई

रोज की तरि शाम पाच बज वाली टरन अपन तनधााररत समय पर तनमााणाधीन पल क नीच स

गजरती हई लमबी सीटी बजा रिी थी टरन गजरन क कारण रलव फाटक बद था गातड़यो की लमबी

कतार क बीच वि भी शातमल िो गया आधी सड़क नए बन रि फलाईओवर क कारण रकी हई थी

भीमकाय मशीन और बलडोजर तज शोर क साथ काम कर रि थ सड़क पर अवरोध लगाकर आधी

सड़क को घरा हआ था

टरन गजरत िी फाटक खला और सब गातड़या आग और जलदी तनकलन की िोड़ म िाना पर

िाना बजान लग गयी फाटक क पास एक तरफ सीमट का बीम बनान क तलए बोररग मशीन लगी हई

थी तजसक साथ एक लमबा भीमकाय पाइप धरती की गिरायी को भीषण आवाज क साथ नाप रिा

था उस क पास स गजरत हए ऐसा लगता जस धरती काप रिी िो बाकी गातड़यो क पीछ-पीछ वि

भी उसक पास स तनकल कर फाटक क पार आ गया अचानक बड़ी जोर स धड़ाम की आवाज आई

जस बम फटा िो उसन अपना मोटर-साइदकल रोक तलया लोग बाग इधर-उधर भागन लग उसन

पीछ मड़ क दखा तो फाटक क पास िी जिा बोररग मशीन गडढा खोद रिी थी अपन सथान स टढ़ी िो

गयी थी उसक ऊपर लगा भीमकाय लोि का पाइप तनच तगर पड़ा था तजस कारण कोई घटना घटी

थी उसन मोटर-साइदकल को एक तरफ लगाया और उस जगि की तरफ और लोगो की तरि भागा

कया हआ भाई कोई घायल तो निी हआ ि

पता निी पर कछ हआ जरर ि भगवान भला कर सब ठीक ठाक िो

इस तरि की बात करत हए लोग घटनासथल की ओर बढ़ रि थ

उसन भी भीड़ क बीच स आग तनकल कर जो दशय दखा तो उसका हदय काप उठा दो लोग

जो मोटर साइदकल पर िी सवार थ लोि की पाई की चपट म आ गए थ आग वाल का कवल धड़

ददख रिा था और उसका सर कछ दरी पर शात आख खोल आसमान की ओर दखता हआ पड़ा था

पीछ बठा आदमी आग वाल क धड़ क ऊपर औधा बसध पड़ा था यि दशय दखकर उस उबकाई-सी

लगी वि एकदम उस दशय स आख िटा पीछ की ओर िो गया

एमबलस की पी-पी उसक कानो म बज रिी थी बाकी सब आवाज जस सनना बद िो गयी थी

रि-रि कर उसक सामन वो दो मत शरीर और कटा हआ सर आ रि थ खन का बना हआ तालाब और

फली चबी की गध न जस बरसो पिल की घटना जो किी उसक अतमान म छपी पड़ी थी ताजा कर दी

थी एक आदमी उसस टकराया तो वो कछ वतामान की तसथतत म आया उसन अपनी मोटर-साइदकल

की चाबी जब स तनकाली और मोटर-साइदकलअर वो मोटर-साइदकल स तो कछ आग तनकल आया

था वि कछ कदम वातपस लौटा और अपनी मोटर-साइदकल पर बठ कर दकक मारन लगा

13 51 2016 36

वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

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थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

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आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

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परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

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भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

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इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

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और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

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55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

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वातपस घर लौटत हए उसकी नजर सड़क क दोनो ओर लग खमबो और ऊ च पड़ो को दखती

रिी वो वषो स अपन सथान पर िी रटक हए थ और वो वषो स उस सड़क पर चलन का अभयसत था

बड़ी पररतचत-सी सड़क थी य उसक तलए पर आज वो अजनतबयो की तरि वयविार कर रिा था जस

कोई नवागनतक दकसी अपररतचत शिर म कोई पता ढढ रिा िो उस परतीत िो रिा था मानो सब

खमब और पड़ सड़क की ओर तगर रि िो वि भयभीत था दक यि सब उसक ऊपर तगर पड़ग और उस

अभी रोजाना की तरि घर जाना ि अपनी पतनी और अपन पयार बट की फरमाइश सननी ि कया वो

इन सब क तलए सिी सलामत आज घर पहच पायगा कया िादस म मरन वालो क पररजन भी उनकी

परतीिा इसी परकार निी कर रि िोग कया उनि इस परकार की अनिोनी का कोई आभास िोगा शायद

ऐसा कोई आभास तो मरन वाल को भी निी िोता िोगा लोग कित ि दक आतमा अमर िोती ि शरीर

झठ िोता ि पर कया वाकई घर लौटता तो शरीर िी ि इसक तबना आतमा का कया सभी समबनध

तो शरीर क साथ िी लतित ि य सारी बात उसक ददमाग म घर लौटत हए कौध रिी थी

वो कब घर पहच गया उस पता िी निी चला बटा और पतनी न खाली िाथ लौटत दख उस

पछा कक किा ि जी भल आय कया मन फोन पर इसी तलए याद करवाया था दफर भी आप

पता निी किा खोय रित ि आज गडड का जनम ददन ि वि तो याद ि आस-पड़ोस क बचच घट भर म

आन वाल ि अब आप जलदी स इनतजाम कीतजय मझ बहत स काम करन ि

पतनी की बात वो जस सनता हआ भी निी सन रिा था बस एक-टक पतनी और बट को दखता

हआ सोफ पर बठ गया बटा उसकी गोद म बठ गया था उसन उस बतिाशा चमा और गोद म उठा

तलया वि जस कछ सिज-सा हआ और घर स बािर तनकलता हआ बोला अचछा बस अभी सारा

सामन लकर लौटता ह

सड़क पर चलत हए अभी भी कछ चीज उस क तलए सामानय निी थी ऐसी असामानय तसथतत

म िी वि दकान पर पहचा कक तलया तो पस दना भल गया पस ददए तो जयादा द ददए

अर आज बट क जनमददन की ख़शी बहत जयादा ि बाब जी य लो आपन पस जयादा द ददए

ि बकाया ल जाइए दकानदार बोला

वि अनमना-सा मसकराया और वातपस घर लौट आया सारा परोगराम तनपट चका ि बटा खा-

पीकर सो गया ि पतनी भी शायद थक कर सो गयी थी और वो तनपट अकला कमर की तखड़की क साथ

रात की नीरवता म उसकी शातत म डब जाना चािता था

अगल ददन वि सबि उठा लदकन जस नीद बाकी थी पतनी उसक तसरिान चाय रख कर कब स

रसोई क काम म लग चकी थी

ओिो आज दफतर जान का तवचार निी ि कया दखो दकतना टाइम िो गया ि चाय तो

तबलकल पानी िो गयी ि अजी उठ जाओ अब पतनी न उस बझझोड़ा

वि उठ कर बठा तो वाकई समय बहत िो चका था उसन शीघरता स ठडी चाय पी और

बाथरम की तरफ बढ़ गया

समाचार पि मज पर पड़ा था उसन सरसरी तनगाि बरकफासट करत हए उस पर डाली

अपना शिर वाल पज पर कई िादसो की खबर थी रलव फाटक क ओवर तबरज वाली घटना भी मखय

पषठ पर थी उस थोड़ा गौर स उसन पढ़ा दफर बाकी पनन शीघरता स पलट ददया गडड की सकल वन का

िाना बजा तो वि अपन बट को बाय बाय पकारता हआ िाथ तिलान लगा उस भी दफतर क तलए

तनकलना था पतनी न लच बॉकस टबल पर उसक सामन रख ददया

रलव फाटक क पास बन ओवर तबरज वाल रासता कछ और जयादा रोक तलया गया छोट

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

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55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 37

वािनो क तनकलन की जगि छोड़ दी गई ि वि भी विी स गजर रिा ि सररय क ढर और जाल एक

भयानक शातत म पड़ ि आज उस दफतर म पहचकर कई अिम फाइल तनपटानी ि वो कल वाल

िादस क बार म कोई बात निी करना चािता उस रोजाना की तरि विी स गजरना ि

जवालामखी

सगम वमाा

िा वो जवालामखी ि

धधकता हआ

खलखलाता हआ

बलबलाता हआ

उगलता ि लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

बिता हआ

यिी सदरता ि

उसकी सिजता ि

परकतत का तनयम ि

दकतना कछ ि

धरती क गभा म

खनन खतनज और पदाथा

जो मानवता का ि सार

पर hellip

नपसक मानवता

भल गई ि परमाथा

दफर

कस बदााशत करगी

धरती अपना ततरसकार

दफर धधका

फटा उगला

और तनकला लावा

तबलकल तरल

एकदम सरल

शाततचतत-सा

िा वो जवालामखी ि

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 38

मर दश का बिदी परचारक

टोराटो कनाडा की सातितयकार सनह ठाकर

(तवशव बिदी सतचवालय की ओर स तवशव बिदी ददवस २०१६ क उपलकषय म आयोतजत अतरराषटरीय बिदी तनबध परततयोतगता म

ततीय सथान स परसकत - सपादक)

ऊषा शाकय

मर दश का तिनदी परचारक मर दश कनाडा क टोरानटो शिर की शरीमती सनि ठाकर एक

ऐसा वयतितव ि जो वषो स तिनदी क परचार व परसार म कमाठता स कमारत ि सनि ठाकर न कई रपो

म भारतीय भाषा तिनदी तथा भारतीय ससकतत की सवा की ि व कर रिी ि उनिोन सातितय की अनक

तवधाओ म पसतक तलखी ि उनक दवारा रतचत तिनदी सातितय तिनदी भाषा क उननयन क साथ-साथ

भारत की अनमोल भारतीय ससकतत का भी परचार-परसार कर रिा ि उनकी पसतक उपतनषद दशान

न ईश उपतनषद क मिो की वयाखया दवारा जीवन को आदशा रप स जीन की कला का वणान दकया ि जो

दश काल की सीमा क पर ि मानव-जातत क तलए लाभदायक ि इसी परकार रामायण व राम-कथा पर

आधाररत उनक शोध-गरथ एव उपनयास तिनदी की गररमा क साथ-साथ मानवता क तलए तितकारी ि

तिनदी परचारक क रप म िाल िी म भोपाल भारत म समपनन हए १०व तवशव तिनदी सममलन

म तजसका उदघाटन भारत क परधान मिी माननीय शरी नरदर मोदी न दकया था गिमिी माननीय शरी

राजनाथ बसि न सनि ठाकर को तवशव तिनदी सममान स सममातनत दकया ि

तिनदी क परचार ित सनि ठाकर क परयासो को सममातनत करन क तलए क दरीय तिनदी ससथान

आगरा दवारा वषा २०१३ क पदमभषण डॉ मोटरर सतयनारायण परसकारrsquo तिनदी सवी सममान की

घोषणा की गई ि उनि यि परसकार राषटरपतत भवन म माननीय राषटरपतत क कर-कमलो दवारा परदान

दकया जाएगा

सनि ठाकर को उनक काम की सरािना सवरप अनक परसकार तमल ि तजनम स कछ का म

तवशष रप स उललख करना चाहगी जस इटरनशनल वीमन एकसलनस अवाडा 2014 यनाइटड

नशनस स समबद ससथाओ दवारा सातितय भारती सममान ददलली द सड इतडयनस दवारा तिनदी तवशव

की 25 शरषठ परवासी मतिला लतखकाए मानद फ़लोतशप यएनओ स सबद ररसचा फाउडशन

इटरनशनल ददलली दवारा अिरम परवासी सातिततयक पिकाररता सममान यएन सबद ररसचा

फाउडशन इटरनशनल दवारा इटरनशनल वीमन सममान आदद-आदद

तिनदी क परचार क तलए सनि ठाकर सन २००४ स वसधा तिनदी सातिततयक िमातसक

पतिका का सपादन व परकाशन कर रिी ि

वसधा तवतभनन तवषयो पर आधाररत लख किानी कतवता गज़ल ससमरण आदद सातितय

की अनक तवधाओ स पररपणा तिनदी सातिततयक िमातसक पतिका ि वि भारतीय परवासी भारतीय

एव सभी दशो क तिनदी परतमयो क मधय एक सत का काया कर रिी ि वसधा का उददशय सभी तिनदी-

परतमयो को एक जट कर तिनदी को उसक सवोचच सथान पर पहचाना ि उस यएन की आतधकाररक

भाषा बनाना ि यएनओ क मखय सभागार म आठव तवशव तिनदी सममलन म समपनन हए समारोि

म तजसम भारत सरकार दवारा आमतित सनि ठाकर कनाड़ा स तवतशषट अतततथ क रप म सतममतलत हई

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 39

थी और उस समय िम सब तिनदी परतमयो न तिनदी क परतत तजन सपनो को सजोया था उनि परा करन

क तलए वसधा परयासरत ि

साथ िी वसधा का उददशय ि दक उसक माधयम स भारतीय सातितयकार एव आपरवासी

भारतीय व अनय तिनदी परमी सातितयकार तथा सभी तिनदी क शभबचतक पाठक गण एक-दसर स

पररतचत िो तिनदी सातितय और भारतीय ससकतत ससार क कोन-कोन म फल-फल वसधा तिनदी क

उतथान क तलय - लखक पाठक व तिनदी-परतमयो को जोड़न का परयास कर रिी ि

जब तक तिनदी परमी अपनी भाषा का सममान निी करग उसक मान-मयाादा की रिा निी

करग दसर भी उस उसका उतचत सथान निी दग सनि ठाकर तिनदी क परतत िमम सवातभमान जगान

का काम कर रिी ि उनकी मानयता ि दक यदद ससकतत को जीतवत रखना ि तो सातितय को जीतवत

रखना िोगा और यदद सातितय को जीतवत रखना ि तो भाषा को जीतवत रखना िोगा सातितय जीवन

स छनकर आता ि जीवन स परापत िोता ि और जीवन सातितय स गौरवातनवत िोता ि हदयगरािी भाव

सातितय को अमरतव परदान करत ि यि भाषा क दवारा िी सभव ि भाषा क दवारा िी तवचारो को मता

रप ददया जा सकता ि उनकी वसधा तिनदी सातिततयक पतिका इन तवचारो को पाठको तक पहचान

का एक साधन ि

सनि ठाकर का मानना ि दक घर की मज़ पर पड़ी पतिका की दकसी भी रचना पर जब पररवार

क सदसयो म दकसी भी परकार की परततदकरया िोती ि तो उसकी भाषा की गज पर घर म गज जाती ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी अपनी तिनदी पसतको व अपनी तिनदी पतिका वसधा दवारा

तिनदी को गजाना उनका धयय ि कयोदक मातभाषा उननतत ि सब उननतत को मल

वसधा पतिका क तलए भारत क राषटरपतत क तवशष कायाातधकारी डॉ आरपी बसि न तलखा

ि कनडा की भतम स शरषठ एव तवचारोततजक रचनाओ का गचछ परसतत करन क तलए बधाई

जिा उनकी लखनी क तलए अवध रतन अवाडा २०१५ स सनि ठाकर को सममातनत दकया गया

ि विी परवासी भारतीय सातितयकार और पिकार क रप म भी तलमका बक ऑफ ररकॉडा म सनि

ठाकर का नाम दज़ा दकया गया ि

उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा का राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित िोना एक िी

वषा म उसका तदवतीय ससकरण परकातशत िोना तथा उस सातितय अकादमी मपर का अतखल भारतीय

वीरबसि दव परसकार तमलना विद-रप स तिनदी का परचार ि

सनि ठाकर की तिनदी सातिततयक पतिका वसधा तथा उनक उपनयास ककयी चतना-तशखा

एव लोक-नायक राम क तलए उततर परदश भारत क राजयपाल माननीय शरीराम नाईक क पि की कछ

पतियो का उललख करना चाहगी उनिोन अपन पि म शरीमती सनि ठाकर को तलखा ि -

तजस मनोयोग स आप तवगत ११ वषो स तिनदी पतिका वसधा क माधयम स सातितय सवा

कर रिी ि वि अतभनदनीय ि ककयी क चाररतिक गणो मानतसकता अतदवद को अतभात करत हए

उसक सकारातमक पिल की तममासा आपन तजस तनरपिता स की ि वि मन को छ जाता ि

वालमीदक रामायण रामचररतमानस क अलावा भी शरी राम क लोकमगलकारी चररि का वणान अनको

परबद जानकारो दवारा दकया गया ि दफर भी उपनयास क रप म आपकी इस परसततत को परा पढ़ तबना

छोड़न की इचछा निी िोती उपनयास का शबद सयोजन और भाव आलिाददत करत ि

तवदश म रिकर भी तजस मनोयोग स आप तिनदी सातितय की साधना कर रिी ि वि

अतभनदनीय ि

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 40

आपका

िसतािर

(राम नाईक)

मझ पणा तवशवास ि दक उनका आगामी नया उपनयास जनकनददनी सीता भारतीय आदशा की

उपयाि कड़ी म तिनदी की गररमा म चार चाद लगाएगा

सनि ठाकर क उपनयास ककयी चतना-तशखा क तलए भारत की सपरतसद लतखका शरीमती

तचिा मदगल न तलखा ि तमिारा उपनयास ककई अभी अभी पढ़ कर ख़तम दकया ि म दग ह तमन

ककई जस जनमानस म अतत उपतित दकनत अतत सवदनशील और बतदमती सतरीपाि को तजस नयाय

पणा ढग स रचा ि उसकी तारदककता रखादकत करन योगय ि तमि बहत बधाई तमिारी कतवताय

मन को छती ि लदकन तमिारा गदय बहत गिरा ि

सनि ठाकर की पसतक परब-पतशचम परवासी भारतीयो की समसयाओ तथा समाधान पर तलखी

गई ि किन का तातपया यि ि दक उनका तिनदी का तिततज बहत वयापक ि

सनि ठाकर न तिनदी क परचार-परसार क तलए सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

की ि सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा क ततवावधान म उनिोन तिनदी को बढ़ावा दन क तलए

यिा क कतवयो क चार सकलन कावय-वतषट बौछार कावय िीरक व कावय-धारा का सपादन-

परकाशन भी दकया ि

तिनदी सटर की सरतिका सनि ठाकर तवखयात लखक कतव तवशवकोशकार पदमशरी डॉ शयाम

बसि शतश दवारा तयार दकए जान वाल तवशव तिनदी सातितय का इततिास की सियोगी सपादक एव

सयोजक ि

१९९४ म कनडा की फडरल गवनामट क मलटीकलचररज़म एणड िररटज़ तडपाटामट न सनि

ठाकर क नाटक सगरि अनमोल िासय िण को ५००० डॉलर क अतधकतम अनदान स सममातनत

दकया था

सनि ठाकर की सातिततयक कततयो पर तवदयाथी एमदफल व पीएचडी का शोध काया कर रि

ि तवशवतवदयालय क एमए पाठयकरम क तलए भी उनका सातितय चना गया ि

सातितय की अनक तवधाओ म तलखी गई तवतवध तवषयो पर आधाररत उनकी परकातशत

पसतको की सची तिनदी क परतत उनकी लगन को दशााती ि -

अनमोल िासय िण (नाटक सगरि)

जीवन क रग (कावय सगरि)

दद-जबा (उदा कतवताओ का सगरि)

आज का परष (किानी सगरि)

जीवन तनतध (कावय सगरि)

आतम गजन (दाशातनक और भति की कतवताओ का सगरि)

िास-पररिास (िासय कतवताओ का सगरि)

जज़बातो का तसलतसला (कावय सगरि)

The Galaxy Within (A collection of English poems)

अनभततया (कावय सगरि)

कावय-वतषट (सकलन सपादन एव सिभातगता)

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 41

परब-पतशचम (आपरवासी समबतधत आलख सगरि)

बौछार (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावय िीरक (सकलन सपादन एव सिभातगता)

सजीवनी (सवासरथय समबनधी तनबध सगरि)

उपतनषद दशान (ईशोपतनषद दाशातनक और आधयाततमक)

कावय-धारा (सकलन सपादन एव सिभातगता)

कावयाञजतल (कावय सगरि)

अनोखा साथी (किानी सगरि)

ककयी चतना-तशखा (उपनयास राषटरपतत भवन पसतकालय म सगरतित)

आज का समाज (लख-सगरि)

तचनतन क धागो म ककयी - सदभा शरीमदवालमीकीय रामायण शोध-गरथ

ककयी चतना-तशखा (उपनयास सातितय अकादमी मपर दवारा अतखल भारतीय वीरबसि दव

परसकार सममान तदवतीय ससकरण)

ककयी तचनतन क नव आयाम - सदभा तलसीकत शरीरामचाररतमानस (शोध-गरथ)

लोक-नायक राम (उपनयास)

ककयी तचनतन क नव पररदशय - सनदभा अधयातमरामायण (शोध-गरथ)

कनडा और अमररका क सावाजतनक और तवशवतवदयालय क पसतकालयो एव कनडा क राषटरीय

पसतकालय आदद म पसतको क चयन क अततररि टोराणटो तडतसटरकट सकल बोडा दवारा भी इनम

स कछ पसतक इटरनशनल लगएजज़ फॉर कटीनयइग एजकशन क पाठयकरम क तलए चनी गई ि

नव परभात - टोराणटो तवशवतवदयालय क दतिण एतशयाई अधययन तवभाग क तलए बनाई गई

सीडी ित सनि ठाकर न तिनदी गीतो की रचना की ि

जिा सनि ठाकर तशिा व अनय सामातजक ससथाओ स जड़ी हई ि उनक साथ िी साथ व

तिनदी की ससथाओ को तिनदी क परचार म सियोग दती आ रिी ि व तिनदी क परबल समथाक डॉ लकषमी

मलल बसघवी ददगदशान गरथ सतमतत क सपादकीय बोडा म भी थी व लबध परतततषठत तिनदी पतिकाओ

जस शोध सचार बलरटन अिर वाताा की परामशादाता भी ि साथ िी परवासी टड आदद अनक

ससथाओ को सियोग परदान कर रिी ि विी उनिोन सदभावना तिनदी सातिततयक ससथा की सथापना

कर तिनदी क परचार-परसार म सरािनीय काम दकया ि

सनि ठाकर न तिनदी की सपरतसद पतिका ददलली परस की सररता क तलए सागर पार भारत सतभ

तलखा ि

वषो स सनि ठाकर की तिनदी की अनक तवखयात सातिततयक और वयवसातयक तनमादकत पि-

पतिकाओ म रचनाए परकातशत िो रिी ि अतरााषटरीय सतर पर तनबध किानी कतवता ररपोरताज

आदद सररता गि शोभा सषमा मिा समन सौरभ कादतबनी भाषा सत समरलोक ऋचा

पिचान गजार राषटर वीणा दीप जयोतत आधतनक एव तिनदी कथा सातितय म नारी का बदलता

सवरप नौतरणी परतततनतध आपरवासी बिदी किातनया गगनाञचल लखनी बाल सखा राषटर

भाषा परवाई तवचार दतषट नया सरज यदरत आदमी तवशव तिनदी पतिका २०११ एव २०१४

अिरम समाररका २०१२ अतरााषटरीय पररसवाद परभात ख़बर गभानाल द गौरससटाइमस तवराट

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 42

भारत दशातर समय राजभाषा मजषा दसी गलसा तिनदी भाषा सन सटार आधतनक सातितय

जञानोदय सािातकार आदद म परकातशत

अमररका म तवशव तववक तवशवा सौरभ शडोज़ एणड लाइट पोटरटस ऑफ लाइफ़ दद

एबबग टाइड बसट पोएमस ऑफ दद नाइटीज़ दद नशनल लाइबररी ऑफ पोएटरी दद पोएटस कॉनार

दद सणस ऑफ टाइम आदद म परकातशत

राषटरीय व सथानीय रप स रचनाए तिनद धमाा ररवय कावय ककजलक अतरााषटरीय बिदी

समाररका परवासी कावय सगम सवा भारती नमसत कनडा मधावनी िलो कनडा कावय-वतषट

बौछार कावय-िीरक कावय-धारा मोमटस आदद म परकातशत

सनि ठाकर सातिततयक और सासकततक सगोतषठयो का आयोजन कर सभी का तिनदी क परतत

उतसाि बढ़ाती रिती ि यिा तक दक अतरााषटरीय तिनदी सममलन क तलय यॉका तवशवतवदयालय क बटान

सभागार म अतभनीत नाटक कतववर की ददाशा का न कवल उनिोन लखन परसतततकरण मचन एव

तनदशन दकया वरन उसम अतभनय भी दकया

सनि ठाकर सातितयकार एव कलाकार क साथ-साथ तचिकार भी ि व भाषा की आतमा म

परवश कर उस कला-कतत क तचि-रप म भी परसतत करती ि उनकी राणा न ददया तवष का पयाला

उनका तो कषण कनिया रखवाला उति वाली मीरा की परटग यदा यदा ति धमासय वाली परटग गणश

पबनटग भारतीय वध वाली परटग जिा भारतीय ससकतत उजागर करती ि विी उन परटग क शीषाक

तिनदी का परचम ऊपर उठात ि

सनि ठाकर की मानयता ि दक िम दश म रि चाि तवदश म इतनी अमलय रतन-जरटत भारतीय

ससकतत जो िम तवरासत म तमली ि उसका परचार-परसार न करना आतम-िनन िोगा और यि परचार

तिनदी क परचार दवारा िी सभव ि भावनाए अपनी भाषा म िी सवोततम वयि िोती ि अत वतामान व

भावी पीढ़ी क तलए चाि वि भारतीय िो या परवासी भारतीय भारतीय ससकतत की मशाल जलाय

रखन क तलए व तिनदी परचार क तलए परततबद ि

सनि ठाकर अनको तिनदी सममलनो म सममानपवाक आमतित की जाती ि नययॉका म समपनन

हए आठव तवशव तिनदी सममलन म उनि कनाडा स तवतशषट अतततथ क रप म भारत सरकार दवारा

आमतित दकया गया था और तब स िी व तिनदी को यएन की आतधकाररक भाषा बनान क िर सभव

परयतन म सलगन ि

म अत म यिा अपन दश कनाडा क टोरानटो शिर की तिनदी परचारक शरीमती सनि ठाकर की

एक कतवता उदधत करना चािती ह जो उनिोन कलम शीषाक स कलम की अतदवतीय िमता पर तलखी

ि कयोदक कलम क माधयम स िी व तिनदी भाषा को जन-मानस तक पहचा उसक परचार म जटी हई ि -

एक अदद छोटी-सी

मिज़ चार-छ इच की

न रप की न रग की

पर ि बड़ काम की

कया िी कमाल की

तबन मोल की

अमोल

यि कलम

करती ि परातन सरतित

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

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LONDON ndash W1T 5NW

England

13 51 2016 43

इततिास क पननो पर

तलखती ि भतवषय

मानव क मानस पर

मितविीन-सी ददखन वाली

नाचीज़ कछ भी न लगन वाली

सब कछ सवोचच

यि कलम

इसकी सई की नोक-सी मखाकतत

कर दती ि बड़-बड़ो का मख बद

कोर कागज़ को रगन वाली

शवत पर शयाम की लतड़या तपरोन वाली

ि बड़ी िी परभावशाली

चबबाती ि चन भारी-भरकमो स

तबन वज़न की

वज़नवाली

यि कलम

ि इसकी शति अपरमपार

बना दती ि राजा स रक

और रक स मिान

बन जाती ि दकसी क तलए पतवार

और छोड़ दती ि दकसी को बीच मझधार

शतििीन-सी लगन वाली

सशि

यि कलम

कभी चढ़ाती ि आसमान की ऊ चाइयो पर

तविगतमत गगन पिी-सी

पर कब तगरा द धरा पर

डोर कटी पतग-सी

छन गिराइया पाताल की

जानती ि कवल यिी

सामानयता की परततमरथत

पर िर दाव-पचो स भरी

यि कलम

ि यि ऐसा ितथयार

निी इसका सानी कोई

कभी बन जाती ि तलवार

करती ि ऐसा वार

िो जाता ि दशमन ित-तवित

पर ददखती निी एक भी रि-बद टपकती

कभी दागती ि सीन पर गोली-सी

13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

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13 51 2016 44

और कभी बन जाती ि अण बम

तिला दती ि मानव मन

दिला दती ि धरती गगन

तचछ-सी ददखन वाली

मिान

यि कलम

गलाब का उपवन ि

तो काटो का सघन वन ि

सातितय कला की खान ि

तो तवजञान की जान ि

अककचन का धन ि

बतदजीतवयो की समपततत ि

गधिीन-सी मिसस िोन वाली

सगधो स अतभभत सवातसत

पजीतविीन दनय-सी ददखन वाली

कबर की सकल पजी ि

यि कलम

कभी रलाती ि तो कभी िसाती ि

रोष क थपड़ मार झझावात लाती ि

करणा स कातर िो ममता क अक म छपाती ि

जीवन म षटरस का मज़ा चखाती ि

सवादिीन बसवाद लगन वाली

सवादो स पररपणा

यि कलम

ि तजतनी िी तनमाम

उतनी िी तनमाल

न दकसी की सगी

और न दकसी स दशमनी

करती निी ि लगा-तलपटी

अपनी िी बात

किती ि तनरपि

और तब बन जाती ि वदनीय

यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

आराधय पजयनीय यि कलम

सनह ठाकर का रचना ससार

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