ध्यान - sirimangalo international · मेरे गुरु आचाय ... क...

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यान साधना आचाय युधमो जी 1

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धयान साधना विधिध आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी

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मर गर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो को समरपितजो मर लिलए एक जीत जागत अनसमारक ह विक

गौतम बदध की इस धरती र चल थ

भिकष शरी यततधममो

अनादक

हमारा यह सौागय ह विक हम आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी न अन दवारा लिलखी सतिसतका ldquoHOW TO MEDITATErdquo का विहनदी म अनाद करन का यह सनहरा असर परदान विकया ह हम आचाय13 भिकष शरी यततधममो को अना आार परकट करत हए उनका धनयाद करना चाहत ह और यह आशा करत ह विक उनका धयान साधना विधिध का परचार कर समाज सा करन का उददशय रा हो

यह सतिसतका आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी क अनत करणा री विचार धारा का रिरचय कराती ह उनक सनह र उदार धिचतत स इस विधिध को बतान का माधयम बहत ही सरल सवयसतिसथत और मगलकारी परतीत होता ह हम इस साधना विधिध का अभयास कर उजजल समाज का विनमा13ण करना चाविहए

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इस सतिसतका का अनाद करत समय हमारा यह परयास रहा ह विक विहनदी ाषी लोगो तक आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी क ही शबद परसतत कर यविद इस काय13 म हमस कोई ी तरविट रह गई हो तो कषमा चाहत ह

हम विशवास ह विक सी ाठक इस सतिसतका का सागत करग और इस साधना विधिध को करक अना मगल साध लग अनादक अजनाकमारी ए विनहारिरका

HOW TO MEDITATE

इस आतकादी यग म चारो ओर हाहाकार मचा हआ ह ौधितकाद क ज न मान जाधित को जकड़ लिलया ह इसघटन और यीत ातारण म मान मन lsquoसख-शासतिनतrsquo क लिलय छट टा गया ह ऐस य क अनधकार को दर करन का परयास भिकष शरी यततधममो न अनी सतक ldquoHOW TO MEDITATErdquo (कस धयान लगाऐ) री लौ जलाकर कर लिलयाह

अगरजी म लिलखी गई इस सतक का विहनदी अनाद अनजनाकमारी विनहारिरका न विकया ह विभिनन ाषाओ म अनाद की जह ह विक lsquolsquoसख और शासतिनतrsquorsquo परापत करन का विनम13ल माग13 जन मानस तक हच तथा अधिधकाधिधक जन इससखद माग13 र अगरसर हो

म आारी ह भिकष शरी यततधममो की सिजनहोन कोसो दर होत हए ी मझ र विशवास विकया और मझ समादक क योगय समझा

भिकष शरी यततधममो न अन धिचनतन-मनन स विकशोरासथा म ही सनमाग13 परापत विकया ह कश काय भिकष क ललाट और आनन र तसी का तज विदयमान ह सरल और विनम13ल ा स आ शासतिनत आननद री षो की महक स विशव परागण को सगनधमय बना दना चाहत ह भिकष क समसत शधिचनतको की हारपिदक शकामनाए ह विक ह अन थ र विनरनतर अगरसर हो और ऐस सतकम13 म सफलता उनक चरण खार धनयाद

डा ककक शमा13

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विषय षठ

रिरचय 06 1 अधयाय एक धयान कया ह 07-142 अधयाय दो बठ कर धयान कस लगाए 15-193 अधयाय तीन चल कर धयान कस लगाए 20-234 अधयाय चार मल सिसदधात 24-295 अधयाय ाच जागरकता 13क साषटाग परणाम 30-336 अधयाय छठा दविनक जीन म धयान साधना 34-39 रिरभिशषट धिचतराली 40-44

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रिरचय

यह सतिसतका मर दवारा youtube र परसतत विकए गए छः धारााविहक HOW TO MEDITATE(httpwwwyoutubecom yuttadhammo) ीधिडयो का लिललिखत र ह सततः इस ीधिडयो का विनमा13ण ldquoLos Angeles Federal Detention Centrerdquo म परयोग क उददशय स विकया गया था लविकन हा धयान विधिध का परचार ीधिडयो दवारा करना अस हो गया ह तब स मरा अना यह मखय उददशय इस धयान साधना विधिध को उन नय साधकोतक हचना ह जो धयान विधिध सीखना चाहत ह जहा ीधिडयो तसीर दविषट स जञान परापत करन म लादायक ह ही यहसतिसतका धयान की अतयनत आधविनक विधिध को विसतार स परसतत करती ह जो आको विसतार स ीधिडयो र नही विमलगी

परतयक अधयाय को ठीक उसी परकार करम स परसतत विकया गया ह सिजस करम म विकसी नय साधक को साधना विधिध को सीखना चाविहए या विफर आ यह ी कह सकत ह सिजस करम म म नय साधक को साधना सीखत हए दखना चाहता ह शायद इस बात स आशचय13 हो सकता ह विक अधयाय दो तीन और ाच सिजस करम स इस सतिसतका म परसतत विकए गए ह ह करम स विबलकल उलटा ह सिजस करम स साधारणतः धयान विधिध का अभयास विकया जाता ह इसका मखय कारण यह ह विक नया साधक बठकर धयान विधिध का अभयास सरलता स कर सकता ह जस ही साधक धयान क मखय उददशय को समझ लता ह और उसका अभयास दविनक जीन म करन लगता ह तब यह आशा की जाती ह विक साधक धयान का अभयास विनरतर विकसी ी काय13 को करत हए चलत हए लट हए बठ हए ोजन करत हए इतयाविद सद करता रह

मरा उददशय धयान साधना विधिध का परचार करना ह सिजसस जयादा स जयादा लोग धयान विधिध सीख कर ला परापत कर सक सिजस समाज म हम जीन वयतीत कर रह ह यविद हम हा शाधित और सख अन करना चाहत ह तो यह अतयत आशयक ह विक हम नमरता और सनह स समाज म आचरण कर और ऐस आचरण को जीन म लान का अभयास कर धयान साधना विधिध हम इसी आचरण का अभयास करना सिसखाती ह

म उन सब लोगो का धनयाद करता ह सिजनहोन मर इस उददशय को रा करन म अना सहयोग विदया मर माता विता मर तकाल क आचाय13 मर त13मान आचाय13 शरी अजान तोग सिसरिरमगलो और उन सब साधको का म धनयाद करता ह सिजनहोन मर दवारा सिसखाई गई साधना विधिध का अनसरण विकया

सबका मगल हो सबका कलयाण हो

यततधममो

अधयाय-एकधयान कया ह

इस सतिसतका का मखय उददशय धयान साधना विधिध को उन सब लोगो तक हचना ह सिजनह धयान साधना विधिध का बहत कम अथा विबलकल ी जञान नही ह यह सतिसतका उन लोगो क लिलऐ ी लादायक ह सिजनहोन बहत सी धयान परणालिलया सीखी ह और नई धयान साधना विधिध परणाली ी सीखना चाहत ह हल अधयाय म म lsquolsquoधयानrsquorsquo जो विक अगरजी lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo ह उसका विसतार स ण13न करगा धयान कस करना चाविहए उसका ी विसतार स ण13न करगा

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सबस हल यह समझा ल विक हमार समाज म बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह और धयान की रिराषा ी भिनन-भिनन ह कछ लोगो क लिलए धयान कछ समय क लिलए शाधित परापत करना ह सिजसस ह ासतविक त13मान सतिसथधित स छटकारा ा सक कछ लोग धयान को अदभत अन समझत ह तो कछ धयान को रहसयमयी या जादई समझत ह

इस सतिसतका म मधिडटशन याविन lsquolsquoधयानrsquorsquo को उसक शबद क अथ13 क र म रिराविषत करगा मधिडटशन अगरजी शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स लिलया गया ह यह मधिडसिसन (दा) शबद हम मधिडटशन (धयान) को गहराई स समझन म सहायक होगा मधिडसिसन (दा) का सबध हमार शरीर क रोग को समापत कर हम ससथ करन स ह उसी परकार मधिडटशन (धयान) का सबध ी हमार मन म विकारो को समापत कर उस ससथ करन स ह

इसक अधितरिरकत हम यह ी समझ लना चाविहए विक सिजस परकार मधिडसिसन (दा) डर ग (नशा करन का दाथ13) स भिनन ह डर ग (नशा करन का दाथ13) मधिडसिसन स इस कारण स भिनन ह कयोविक डर ग हम कछ समय क लिलए ही सख और शाधित अन कराती ह नश का असर उतरत ही हम ासतविक दःख का अन होन लगता ह और डर ग हमार सासथय को ी ठीक नही करता ह बसतिलक हमारा सासथय हल स ी अधिधक विबगड़ जाता ह उसक विरीत मधिडसिसन हमार सासथय को रोग रविहत कर उस लब समय तक सख परदान करता ह

इसी परकार मधिडटशन (धयान) का उददशय ी हमार मन क विकारो (चिचता डर तना करोध ासना ईषरया लो राग और दवष इतयाविद) को जड़ स उखाड़ फ कना ह और उस सथाई और ासतविक सख ए शाधित का अन कराना ह न विक असथाई र स मन को शात करना ह जब ी आ इस सतिसतका क अनसार धयान साधना का अभयास आर कर कया आ यह समझ ल विक सिजस परकार दा लत ही हमारा रोग दर नही होता और हम दद13 स छटकारा नही विमलता ह ठीक उसी परकार धयान साधना का अभयास आरम करत ही हमार मन क रोग दर नही होत ह सिजस परकार उचार क समय हम कछ कविठनाइयो का सामना करना ड़ता ह रत जस-जस उचार होता जाता ह हम रोग स छटकारा विमलन लगता ह और शरीर ससथ और सख अन करन लगता ह ठीक उसी परकार जब हम धयान साधना का अभयास करत ह तो हम धयान म बठत ही सख की अनधित की आशा नही करनी चाविहए हम यह समझना चाविहए विक शारीरिरक रोग जो कछ समय स ही हमार शरीर म ह ो ी समय लकर ही दर होत ह जबविक हमार मन क विचार तो कई अनक जनमो स हमार ीतर घर कर बठ ह यह आसानी स नही विनकलत बहत सघष13 स बहत परयतनो स मन क विकार बाहर विनकलत ह और यह ती स ह जब हम धयान साधना विधिध को बहत अचछी तरह समझ कर उसका विनरतर अभयास करत ह

जस-जस हम विनरतर धयान करत हए मन को एकागर रखत हए गहर विकारो की ओर बढ़त ह और उनको यथात परतयकष अन करत ह तब तो हम विबलकल ी सख और शाधित अन नही होती ह कयोविक हम विकार का परतयकष और सााविक र अन कर उसका परतयकष सामना करत ह इसलिलए यह अनधित बहत कषटदायक हो सकती ह उदाहरण क लिलए जब हम करोध का परतयकष सामना करत ह या विफर ीड़ा का परतयकष र स सामना करत ह तब हम सख की अनधित नही होती बसतिलक बहत तना अन होता ह यह सतिसथधित कषटदायक इस कारण स ी ह कयोविक अब तक कजीन काल म हमन इनह कल बढ़ान का काय13 ही विकया ह और अब हम उसक विरीत काय13 कर रह ह मन को उसकी विरीत विदशा म काय13 करान का अभयास कविठन और कषटदायक होता ह लविकन समझदार साधक समझ लता ह विक यह सतिसथधित उसक लिलए बहत लादायक ह कयोविक ह अन मन क गहर जनम-जनमानतर तक -भरमण करान ाल विकार बाहर विनकाल फ कता ह और ासतविक शाधित अन कर अना कलयाण करता ह

इसी कारण स म इस बात र अधिधक परकाश डाल रहा ह विक धयान साधना का उददशय हम असथाई र स सख और शाधित का अन कराना नही ह बसतिलक मन को विकार रविहत कर उस ासतविक और सथाई शासतिनत का अन कराना ह धयान साधना का अभयास हमार अदर सथाई रिरत13न लाता ह हम जीन की कविठनाइयो का सामना बहत समझदारीस करन लगत ह और हम म समाज को समझन की नई सोच दा होती ह हमारा मन करणा और मतरी स र जाता ह जब हम जीन क परतयक अन (सत सतिसथधित र क परधित हमारी परधितविकरया) को राग दवष (अचछा और बरा) म और मरा क तराज म तोलत ह तब हम जीन म दःख चिचता तना जस मन क विकारो को जनम दत ह रत जब हम परतयक अन को उसक सााविक र म दखन लगत ह तब हम उस सतसतिसथधित या र का मलयाकन करन की जगहउस सही त13मान सर याविन जो घट रहा ह कल उस ही जाना जा रहा ह हम अनी तरफ स कछ परधितविकरया नही करत ह कल तब हम मन क विकारो को बढ़ाा नही दत ह मन क विकार शात होन लगत ह और हम ी शाधित अनकरन लगत ह

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

wwwsirimangaloorg

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मर गर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो को समरपितजो मर लिलए एक जीत जागत अनसमारक ह विक

गौतम बदध की इस धरती र चल थ

भिकष शरी यततधममो

अनादक

हमारा यह सौागय ह विक हम आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी न अन दवारा लिलखी सतिसतका ldquoHOW TO MEDITATErdquo का विहनदी म अनाद करन का यह सनहरा असर परदान विकया ह हम आचाय13 भिकष शरी यततधममो को अना आार परकट करत हए उनका धनयाद करना चाहत ह और यह आशा करत ह विक उनका धयान साधना विधिध का परचार कर समाज सा करन का उददशय रा हो

यह सतिसतका आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी क अनत करणा री विचार धारा का रिरचय कराती ह उनक सनह र उदार धिचतत स इस विधिध को बतान का माधयम बहत ही सरल सवयसतिसथत और मगलकारी परतीत होता ह हम इस साधना विधिध का अभयास कर उजजल समाज का विनमा13ण करना चाविहए

2

इस सतिसतका का अनाद करत समय हमारा यह परयास रहा ह विक विहनदी ाषी लोगो तक आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी क ही शबद परसतत कर यविद इस काय13 म हमस कोई ी तरविट रह गई हो तो कषमा चाहत ह

हम विशवास ह विक सी ाठक इस सतिसतका का सागत करग और इस साधना विधिध को करक अना मगल साध लग अनादक अजनाकमारी ए विनहारिरका

HOW TO MEDITATE

इस आतकादी यग म चारो ओर हाहाकार मचा हआ ह ौधितकाद क ज न मान जाधित को जकड़ लिलया ह इसघटन और यीत ातारण म मान मन lsquoसख-शासतिनतrsquo क लिलय छट टा गया ह ऐस य क अनधकार को दर करन का परयास भिकष शरी यततधममो न अनी सतक ldquoHOW TO MEDITATErdquo (कस धयान लगाऐ) री लौ जलाकर कर लिलयाह

अगरजी म लिलखी गई इस सतक का विहनदी अनाद अनजनाकमारी विनहारिरका न विकया ह विभिनन ाषाओ म अनाद की जह ह विक lsquolsquoसख और शासतिनतrsquorsquo परापत करन का विनम13ल माग13 जन मानस तक हच तथा अधिधकाधिधक जन इससखद माग13 र अगरसर हो

म आारी ह भिकष शरी यततधममो की सिजनहोन कोसो दर होत हए ी मझ र विशवास विकया और मझ समादक क योगय समझा

भिकष शरी यततधममो न अन धिचनतन-मनन स विकशोरासथा म ही सनमाग13 परापत विकया ह कश काय भिकष क ललाट और आनन र तसी का तज विदयमान ह सरल और विनम13ल ा स आ शासतिनत आननद री षो की महक स विशव परागण को सगनधमय बना दना चाहत ह भिकष क समसत शधिचनतको की हारपिदक शकामनाए ह विक ह अन थ र विनरनतर अगरसर हो और ऐस सतकम13 म सफलता उनक चरण खार धनयाद

डा ककक शमा13

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विषय षठ

रिरचय 06 1 अधयाय एक धयान कया ह 07-142 अधयाय दो बठ कर धयान कस लगाए 15-193 अधयाय तीन चल कर धयान कस लगाए 20-234 अधयाय चार मल सिसदधात 24-295 अधयाय ाच जागरकता 13क साषटाग परणाम 30-336 अधयाय छठा दविनक जीन म धयान साधना 34-39 रिरभिशषट धिचतराली 40-44

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रिरचय

यह सतिसतका मर दवारा youtube र परसतत विकए गए छः धारााविहक HOW TO MEDITATE(httpwwwyoutubecom yuttadhammo) ीधिडयो का लिललिखत र ह सततः इस ीधिडयो का विनमा13ण ldquoLos Angeles Federal Detention Centrerdquo म परयोग क उददशय स विकया गया था लविकन हा धयान विधिध का परचार ीधिडयो दवारा करना अस हो गया ह तब स मरा अना यह मखय उददशय इस धयान साधना विधिध को उन नय साधकोतक हचना ह जो धयान विधिध सीखना चाहत ह जहा ीधिडयो तसीर दविषट स जञान परापत करन म लादायक ह ही यहसतिसतका धयान की अतयनत आधविनक विधिध को विसतार स परसतत करती ह जो आको विसतार स ीधिडयो र नही विमलगी

परतयक अधयाय को ठीक उसी परकार करम स परसतत विकया गया ह सिजस करम म विकसी नय साधक को साधना विधिध को सीखना चाविहए या विफर आ यह ी कह सकत ह सिजस करम म म नय साधक को साधना सीखत हए दखना चाहता ह शायद इस बात स आशचय13 हो सकता ह विक अधयाय दो तीन और ाच सिजस करम स इस सतिसतका म परसतत विकए गए ह ह करम स विबलकल उलटा ह सिजस करम स साधारणतः धयान विधिध का अभयास विकया जाता ह इसका मखय कारण यह ह विक नया साधक बठकर धयान विधिध का अभयास सरलता स कर सकता ह जस ही साधक धयान क मखय उददशय को समझ लता ह और उसका अभयास दविनक जीन म करन लगता ह तब यह आशा की जाती ह विक साधक धयान का अभयास विनरतर विकसी ी काय13 को करत हए चलत हए लट हए बठ हए ोजन करत हए इतयाविद सद करता रह

मरा उददशय धयान साधना विधिध का परचार करना ह सिजसस जयादा स जयादा लोग धयान विधिध सीख कर ला परापत कर सक सिजस समाज म हम जीन वयतीत कर रह ह यविद हम हा शाधित और सख अन करना चाहत ह तो यह अतयत आशयक ह विक हम नमरता और सनह स समाज म आचरण कर और ऐस आचरण को जीन म लान का अभयास कर धयान साधना विधिध हम इसी आचरण का अभयास करना सिसखाती ह

म उन सब लोगो का धनयाद करता ह सिजनहोन मर इस उददशय को रा करन म अना सहयोग विदया मर माता विता मर तकाल क आचाय13 मर त13मान आचाय13 शरी अजान तोग सिसरिरमगलो और उन सब साधको का म धनयाद करता ह सिजनहोन मर दवारा सिसखाई गई साधना विधिध का अनसरण विकया

सबका मगल हो सबका कलयाण हो

यततधममो

अधयाय-एकधयान कया ह

इस सतिसतका का मखय उददशय धयान साधना विधिध को उन सब लोगो तक हचना ह सिजनह धयान साधना विधिध का बहत कम अथा विबलकल ी जञान नही ह यह सतिसतका उन लोगो क लिलऐ ी लादायक ह सिजनहोन बहत सी धयान परणालिलया सीखी ह और नई धयान साधना विधिध परणाली ी सीखना चाहत ह हल अधयाय म म lsquolsquoधयानrsquorsquo जो विक अगरजी lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo ह उसका विसतार स ण13न करगा धयान कस करना चाविहए उसका ी विसतार स ण13न करगा

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सबस हल यह समझा ल विक हमार समाज म बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह और धयान की रिराषा ी भिनन-भिनन ह कछ लोगो क लिलए धयान कछ समय क लिलए शाधित परापत करना ह सिजसस ह ासतविक त13मान सतिसथधित स छटकारा ा सक कछ लोग धयान को अदभत अन समझत ह तो कछ धयान को रहसयमयी या जादई समझत ह

इस सतिसतका म मधिडटशन याविन lsquolsquoधयानrsquorsquo को उसक शबद क अथ13 क र म रिराविषत करगा मधिडटशन अगरजी शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स लिलया गया ह यह मधिडसिसन (दा) शबद हम मधिडटशन (धयान) को गहराई स समझन म सहायक होगा मधिडसिसन (दा) का सबध हमार शरीर क रोग को समापत कर हम ससथ करन स ह उसी परकार मधिडटशन (धयान) का सबध ी हमार मन म विकारो को समापत कर उस ससथ करन स ह

इसक अधितरिरकत हम यह ी समझ लना चाविहए विक सिजस परकार मधिडसिसन (दा) डर ग (नशा करन का दाथ13) स भिनन ह डर ग (नशा करन का दाथ13) मधिडसिसन स इस कारण स भिनन ह कयोविक डर ग हम कछ समय क लिलए ही सख और शाधित अन कराती ह नश का असर उतरत ही हम ासतविक दःख का अन होन लगता ह और डर ग हमार सासथय को ी ठीक नही करता ह बसतिलक हमारा सासथय हल स ी अधिधक विबगड़ जाता ह उसक विरीत मधिडसिसन हमार सासथय को रोग रविहत कर उस लब समय तक सख परदान करता ह

इसी परकार मधिडटशन (धयान) का उददशय ी हमार मन क विकारो (चिचता डर तना करोध ासना ईषरया लो राग और दवष इतयाविद) को जड़ स उखाड़ फ कना ह और उस सथाई और ासतविक सख ए शाधित का अन कराना ह न विक असथाई र स मन को शात करना ह जब ी आ इस सतिसतका क अनसार धयान साधना का अभयास आर कर कया आ यह समझ ल विक सिजस परकार दा लत ही हमारा रोग दर नही होता और हम दद13 स छटकारा नही विमलता ह ठीक उसी परकार धयान साधना का अभयास आरम करत ही हमार मन क रोग दर नही होत ह सिजस परकार उचार क समय हम कछ कविठनाइयो का सामना करना ड़ता ह रत जस-जस उचार होता जाता ह हम रोग स छटकारा विमलन लगता ह और शरीर ससथ और सख अन करन लगता ह ठीक उसी परकार जब हम धयान साधना का अभयास करत ह तो हम धयान म बठत ही सख की अनधित की आशा नही करनी चाविहए हम यह समझना चाविहए विक शारीरिरक रोग जो कछ समय स ही हमार शरीर म ह ो ी समय लकर ही दर होत ह जबविक हमार मन क विचार तो कई अनक जनमो स हमार ीतर घर कर बठ ह यह आसानी स नही विनकलत बहत सघष13 स बहत परयतनो स मन क विकार बाहर विनकलत ह और यह ती स ह जब हम धयान साधना विधिध को बहत अचछी तरह समझ कर उसका विनरतर अभयास करत ह

जस-जस हम विनरतर धयान करत हए मन को एकागर रखत हए गहर विकारो की ओर बढ़त ह और उनको यथात परतयकष अन करत ह तब तो हम विबलकल ी सख और शाधित अन नही होती ह कयोविक हम विकार का परतयकष और सााविक र अन कर उसका परतयकष सामना करत ह इसलिलए यह अनधित बहत कषटदायक हो सकती ह उदाहरण क लिलए जब हम करोध का परतयकष सामना करत ह या विफर ीड़ा का परतयकष र स सामना करत ह तब हम सख की अनधित नही होती बसतिलक बहत तना अन होता ह यह सतिसथधित कषटदायक इस कारण स ी ह कयोविक अब तक कजीन काल म हमन इनह कल बढ़ान का काय13 ही विकया ह और अब हम उसक विरीत काय13 कर रह ह मन को उसकी विरीत विदशा म काय13 करान का अभयास कविठन और कषटदायक होता ह लविकन समझदार साधक समझ लता ह विक यह सतिसथधित उसक लिलए बहत लादायक ह कयोविक ह अन मन क गहर जनम-जनमानतर तक -भरमण करान ाल विकार बाहर विनकाल फ कता ह और ासतविक शाधित अन कर अना कलयाण करता ह

इसी कारण स म इस बात र अधिधक परकाश डाल रहा ह विक धयान साधना का उददशय हम असथाई र स सख और शाधित का अन कराना नही ह बसतिलक मन को विकार रविहत कर उस ासतविक और सथाई शासतिनत का अन कराना ह धयान साधना का अभयास हमार अदर सथाई रिरत13न लाता ह हम जीन की कविठनाइयो का सामना बहत समझदारीस करन लगत ह और हम म समाज को समझन की नई सोच दा होती ह हमारा मन करणा और मतरी स र जाता ह जब हम जीन क परतयक अन (सत सतिसथधित र क परधित हमारी परधितविकरया) को राग दवष (अचछा और बरा) म और मरा क तराज म तोलत ह तब हम जीन म दःख चिचता तना जस मन क विकारो को जनम दत ह रत जब हम परतयक अन को उसक सााविक र म दखन लगत ह तब हम उस सतसतिसथधित या र का मलयाकन करन की जगहउस सही त13मान सर याविन जो घट रहा ह कल उस ही जाना जा रहा ह हम अनी तरफ स कछ परधितविकरया नही करत ह कल तब हम मन क विकारो को बढ़ाा नही दत ह मन क विकार शात होन लगत ह और हम ी शाधित अनकरन लगत ह

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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इस सतिसतका का अनाद करत समय हमारा यह परयास रहा ह विक विहनदी ाषी लोगो तक आचाय13 भिकष शरी यततधममो जी क ही शबद परसतत कर यविद इस काय13 म हमस कोई ी तरविट रह गई हो तो कषमा चाहत ह

हम विशवास ह विक सी ाठक इस सतिसतका का सागत करग और इस साधना विधिध को करक अना मगल साध लग अनादक अजनाकमारी ए विनहारिरका

HOW TO MEDITATE

इस आतकादी यग म चारो ओर हाहाकार मचा हआ ह ौधितकाद क ज न मान जाधित को जकड़ लिलया ह इसघटन और यीत ातारण म मान मन lsquoसख-शासतिनतrsquo क लिलय छट टा गया ह ऐस य क अनधकार को दर करन का परयास भिकष शरी यततधममो न अनी सतक ldquoHOW TO MEDITATErdquo (कस धयान लगाऐ) री लौ जलाकर कर लिलयाह

अगरजी म लिलखी गई इस सतक का विहनदी अनाद अनजनाकमारी विनहारिरका न विकया ह विभिनन ाषाओ म अनाद की जह ह विक lsquolsquoसख और शासतिनतrsquorsquo परापत करन का विनम13ल माग13 जन मानस तक हच तथा अधिधकाधिधक जन इससखद माग13 र अगरसर हो

म आारी ह भिकष शरी यततधममो की सिजनहोन कोसो दर होत हए ी मझ र विशवास विकया और मझ समादक क योगय समझा

भिकष शरी यततधममो न अन धिचनतन-मनन स विकशोरासथा म ही सनमाग13 परापत विकया ह कश काय भिकष क ललाट और आनन र तसी का तज विदयमान ह सरल और विनम13ल ा स आ शासतिनत आननद री षो की महक स विशव परागण को सगनधमय बना दना चाहत ह भिकष क समसत शधिचनतको की हारपिदक शकामनाए ह विक ह अन थ र विनरनतर अगरसर हो और ऐस सतकम13 म सफलता उनक चरण खार धनयाद

डा ककक शमा13

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विषय षठ

रिरचय 06 1 अधयाय एक धयान कया ह 07-142 अधयाय दो बठ कर धयान कस लगाए 15-193 अधयाय तीन चल कर धयान कस लगाए 20-234 अधयाय चार मल सिसदधात 24-295 अधयाय ाच जागरकता 13क साषटाग परणाम 30-336 अधयाय छठा दविनक जीन म धयान साधना 34-39 रिरभिशषट धिचतराली 40-44

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रिरचय

यह सतिसतका मर दवारा youtube र परसतत विकए गए छः धारााविहक HOW TO MEDITATE(httpwwwyoutubecom yuttadhammo) ीधिडयो का लिललिखत र ह सततः इस ीधिडयो का विनमा13ण ldquoLos Angeles Federal Detention Centrerdquo म परयोग क उददशय स विकया गया था लविकन हा धयान विधिध का परचार ीधिडयो दवारा करना अस हो गया ह तब स मरा अना यह मखय उददशय इस धयान साधना विधिध को उन नय साधकोतक हचना ह जो धयान विधिध सीखना चाहत ह जहा ीधिडयो तसीर दविषट स जञान परापत करन म लादायक ह ही यहसतिसतका धयान की अतयनत आधविनक विधिध को विसतार स परसतत करती ह जो आको विसतार स ीधिडयो र नही विमलगी

परतयक अधयाय को ठीक उसी परकार करम स परसतत विकया गया ह सिजस करम म विकसी नय साधक को साधना विधिध को सीखना चाविहए या विफर आ यह ी कह सकत ह सिजस करम म म नय साधक को साधना सीखत हए दखना चाहता ह शायद इस बात स आशचय13 हो सकता ह विक अधयाय दो तीन और ाच सिजस करम स इस सतिसतका म परसतत विकए गए ह ह करम स विबलकल उलटा ह सिजस करम स साधारणतः धयान विधिध का अभयास विकया जाता ह इसका मखय कारण यह ह विक नया साधक बठकर धयान विधिध का अभयास सरलता स कर सकता ह जस ही साधक धयान क मखय उददशय को समझ लता ह और उसका अभयास दविनक जीन म करन लगता ह तब यह आशा की जाती ह विक साधक धयान का अभयास विनरतर विकसी ी काय13 को करत हए चलत हए लट हए बठ हए ोजन करत हए इतयाविद सद करता रह

मरा उददशय धयान साधना विधिध का परचार करना ह सिजसस जयादा स जयादा लोग धयान विधिध सीख कर ला परापत कर सक सिजस समाज म हम जीन वयतीत कर रह ह यविद हम हा शाधित और सख अन करना चाहत ह तो यह अतयत आशयक ह विक हम नमरता और सनह स समाज म आचरण कर और ऐस आचरण को जीन म लान का अभयास कर धयान साधना विधिध हम इसी आचरण का अभयास करना सिसखाती ह

म उन सब लोगो का धनयाद करता ह सिजनहोन मर इस उददशय को रा करन म अना सहयोग विदया मर माता विता मर तकाल क आचाय13 मर त13मान आचाय13 शरी अजान तोग सिसरिरमगलो और उन सब साधको का म धनयाद करता ह सिजनहोन मर दवारा सिसखाई गई साधना विधिध का अनसरण विकया

सबका मगल हो सबका कलयाण हो

यततधममो

अधयाय-एकधयान कया ह

इस सतिसतका का मखय उददशय धयान साधना विधिध को उन सब लोगो तक हचना ह सिजनह धयान साधना विधिध का बहत कम अथा विबलकल ी जञान नही ह यह सतिसतका उन लोगो क लिलऐ ी लादायक ह सिजनहोन बहत सी धयान परणालिलया सीखी ह और नई धयान साधना विधिध परणाली ी सीखना चाहत ह हल अधयाय म म lsquolsquoधयानrsquorsquo जो विक अगरजी lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo ह उसका विसतार स ण13न करगा धयान कस करना चाविहए उसका ी विसतार स ण13न करगा

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सबस हल यह समझा ल विक हमार समाज म बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह और धयान की रिराषा ी भिनन-भिनन ह कछ लोगो क लिलए धयान कछ समय क लिलए शाधित परापत करना ह सिजसस ह ासतविक त13मान सतिसथधित स छटकारा ा सक कछ लोग धयान को अदभत अन समझत ह तो कछ धयान को रहसयमयी या जादई समझत ह

इस सतिसतका म मधिडटशन याविन lsquolsquoधयानrsquorsquo को उसक शबद क अथ13 क र म रिराविषत करगा मधिडटशन अगरजी शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स लिलया गया ह यह मधिडसिसन (दा) शबद हम मधिडटशन (धयान) को गहराई स समझन म सहायक होगा मधिडसिसन (दा) का सबध हमार शरीर क रोग को समापत कर हम ससथ करन स ह उसी परकार मधिडटशन (धयान) का सबध ी हमार मन म विकारो को समापत कर उस ससथ करन स ह

इसक अधितरिरकत हम यह ी समझ लना चाविहए विक सिजस परकार मधिडसिसन (दा) डर ग (नशा करन का दाथ13) स भिनन ह डर ग (नशा करन का दाथ13) मधिडसिसन स इस कारण स भिनन ह कयोविक डर ग हम कछ समय क लिलए ही सख और शाधित अन कराती ह नश का असर उतरत ही हम ासतविक दःख का अन होन लगता ह और डर ग हमार सासथय को ी ठीक नही करता ह बसतिलक हमारा सासथय हल स ी अधिधक विबगड़ जाता ह उसक विरीत मधिडसिसन हमार सासथय को रोग रविहत कर उस लब समय तक सख परदान करता ह

इसी परकार मधिडटशन (धयान) का उददशय ी हमार मन क विकारो (चिचता डर तना करोध ासना ईषरया लो राग और दवष इतयाविद) को जड़ स उखाड़ फ कना ह और उस सथाई और ासतविक सख ए शाधित का अन कराना ह न विक असथाई र स मन को शात करना ह जब ी आ इस सतिसतका क अनसार धयान साधना का अभयास आर कर कया आ यह समझ ल विक सिजस परकार दा लत ही हमारा रोग दर नही होता और हम दद13 स छटकारा नही विमलता ह ठीक उसी परकार धयान साधना का अभयास आरम करत ही हमार मन क रोग दर नही होत ह सिजस परकार उचार क समय हम कछ कविठनाइयो का सामना करना ड़ता ह रत जस-जस उचार होता जाता ह हम रोग स छटकारा विमलन लगता ह और शरीर ससथ और सख अन करन लगता ह ठीक उसी परकार जब हम धयान साधना का अभयास करत ह तो हम धयान म बठत ही सख की अनधित की आशा नही करनी चाविहए हम यह समझना चाविहए विक शारीरिरक रोग जो कछ समय स ही हमार शरीर म ह ो ी समय लकर ही दर होत ह जबविक हमार मन क विचार तो कई अनक जनमो स हमार ीतर घर कर बठ ह यह आसानी स नही विनकलत बहत सघष13 स बहत परयतनो स मन क विकार बाहर विनकलत ह और यह ती स ह जब हम धयान साधना विधिध को बहत अचछी तरह समझ कर उसका विनरतर अभयास करत ह

जस-जस हम विनरतर धयान करत हए मन को एकागर रखत हए गहर विकारो की ओर बढ़त ह और उनको यथात परतयकष अन करत ह तब तो हम विबलकल ी सख और शाधित अन नही होती ह कयोविक हम विकार का परतयकष और सााविक र अन कर उसका परतयकष सामना करत ह इसलिलए यह अनधित बहत कषटदायक हो सकती ह उदाहरण क लिलए जब हम करोध का परतयकष सामना करत ह या विफर ीड़ा का परतयकष र स सामना करत ह तब हम सख की अनधित नही होती बसतिलक बहत तना अन होता ह यह सतिसथधित कषटदायक इस कारण स ी ह कयोविक अब तक कजीन काल म हमन इनह कल बढ़ान का काय13 ही विकया ह और अब हम उसक विरीत काय13 कर रह ह मन को उसकी विरीत विदशा म काय13 करान का अभयास कविठन और कषटदायक होता ह लविकन समझदार साधक समझ लता ह विक यह सतिसथधित उसक लिलए बहत लादायक ह कयोविक ह अन मन क गहर जनम-जनमानतर तक -भरमण करान ाल विकार बाहर विनकाल फ कता ह और ासतविक शाधित अन कर अना कलयाण करता ह

इसी कारण स म इस बात र अधिधक परकाश डाल रहा ह विक धयान साधना का उददशय हम असथाई र स सख और शाधित का अन कराना नही ह बसतिलक मन को विकार रविहत कर उस ासतविक और सथाई शासतिनत का अन कराना ह धयान साधना का अभयास हमार अदर सथाई रिरत13न लाता ह हम जीन की कविठनाइयो का सामना बहत समझदारीस करन लगत ह और हम म समाज को समझन की नई सोच दा होती ह हमारा मन करणा और मतरी स र जाता ह जब हम जीन क परतयक अन (सत सतिसथधित र क परधित हमारी परधितविकरया) को राग दवष (अचछा और बरा) म और मरा क तराज म तोलत ह तब हम जीन म दःख चिचता तना जस मन क विकारो को जनम दत ह रत जब हम परतयक अन को उसक सााविक र म दखन लगत ह तब हम उस सतसतिसथधित या र का मलयाकन करन की जगहउस सही त13मान सर याविन जो घट रहा ह कल उस ही जाना जा रहा ह हम अनी तरफ स कछ परधितविकरया नही करत ह कल तब हम मन क विकारो को बढ़ाा नही दत ह मन क विकार शात होन लगत ह और हम ी शाधित अनकरन लगत ह

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

wwwsirimangaloorg

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विषय षठ

रिरचय 06 1 अधयाय एक धयान कया ह 07-142 अधयाय दो बठ कर धयान कस लगाए 15-193 अधयाय तीन चल कर धयान कस लगाए 20-234 अधयाय चार मल सिसदधात 24-295 अधयाय ाच जागरकता 13क साषटाग परणाम 30-336 अधयाय छठा दविनक जीन म धयान साधना 34-39 रिरभिशषट धिचतराली 40-44

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रिरचय

यह सतिसतका मर दवारा youtube र परसतत विकए गए छः धारााविहक HOW TO MEDITATE(httpwwwyoutubecom yuttadhammo) ीधिडयो का लिललिखत र ह सततः इस ीधिडयो का विनमा13ण ldquoLos Angeles Federal Detention Centrerdquo म परयोग क उददशय स विकया गया था लविकन हा धयान विधिध का परचार ीधिडयो दवारा करना अस हो गया ह तब स मरा अना यह मखय उददशय इस धयान साधना विधिध को उन नय साधकोतक हचना ह जो धयान विधिध सीखना चाहत ह जहा ीधिडयो तसीर दविषट स जञान परापत करन म लादायक ह ही यहसतिसतका धयान की अतयनत आधविनक विधिध को विसतार स परसतत करती ह जो आको विसतार स ीधिडयो र नही विमलगी

परतयक अधयाय को ठीक उसी परकार करम स परसतत विकया गया ह सिजस करम म विकसी नय साधक को साधना विधिध को सीखना चाविहए या विफर आ यह ी कह सकत ह सिजस करम म म नय साधक को साधना सीखत हए दखना चाहता ह शायद इस बात स आशचय13 हो सकता ह विक अधयाय दो तीन और ाच सिजस करम स इस सतिसतका म परसतत विकए गए ह ह करम स विबलकल उलटा ह सिजस करम स साधारणतः धयान विधिध का अभयास विकया जाता ह इसका मखय कारण यह ह विक नया साधक बठकर धयान विधिध का अभयास सरलता स कर सकता ह जस ही साधक धयान क मखय उददशय को समझ लता ह और उसका अभयास दविनक जीन म करन लगता ह तब यह आशा की जाती ह विक साधक धयान का अभयास विनरतर विकसी ी काय13 को करत हए चलत हए लट हए बठ हए ोजन करत हए इतयाविद सद करता रह

मरा उददशय धयान साधना विधिध का परचार करना ह सिजसस जयादा स जयादा लोग धयान विधिध सीख कर ला परापत कर सक सिजस समाज म हम जीन वयतीत कर रह ह यविद हम हा शाधित और सख अन करना चाहत ह तो यह अतयत आशयक ह विक हम नमरता और सनह स समाज म आचरण कर और ऐस आचरण को जीन म लान का अभयास कर धयान साधना विधिध हम इसी आचरण का अभयास करना सिसखाती ह

म उन सब लोगो का धनयाद करता ह सिजनहोन मर इस उददशय को रा करन म अना सहयोग विदया मर माता विता मर तकाल क आचाय13 मर त13मान आचाय13 शरी अजान तोग सिसरिरमगलो और उन सब साधको का म धनयाद करता ह सिजनहोन मर दवारा सिसखाई गई साधना विधिध का अनसरण विकया

सबका मगल हो सबका कलयाण हो

यततधममो

अधयाय-एकधयान कया ह

इस सतिसतका का मखय उददशय धयान साधना विधिध को उन सब लोगो तक हचना ह सिजनह धयान साधना विधिध का बहत कम अथा विबलकल ी जञान नही ह यह सतिसतका उन लोगो क लिलऐ ी लादायक ह सिजनहोन बहत सी धयान परणालिलया सीखी ह और नई धयान साधना विधिध परणाली ी सीखना चाहत ह हल अधयाय म म lsquolsquoधयानrsquorsquo जो विक अगरजी lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo ह उसका विसतार स ण13न करगा धयान कस करना चाविहए उसका ी विसतार स ण13न करगा

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सबस हल यह समझा ल विक हमार समाज म बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह और धयान की रिराषा ी भिनन-भिनन ह कछ लोगो क लिलए धयान कछ समय क लिलए शाधित परापत करना ह सिजसस ह ासतविक त13मान सतिसथधित स छटकारा ा सक कछ लोग धयान को अदभत अन समझत ह तो कछ धयान को रहसयमयी या जादई समझत ह

इस सतिसतका म मधिडटशन याविन lsquolsquoधयानrsquorsquo को उसक शबद क अथ13 क र म रिराविषत करगा मधिडटशन अगरजी शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स लिलया गया ह यह मधिडसिसन (दा) शबद हम मधिडटशन (धयान) को गहराई स समझन म सहायक होगा मधिडसिसन (दा) का सबध हमार शरीर क रोग को समापत कर हम ससथ करन स ह उसी परकार मधिडटशन (धयान) का सबध ी हमार मन म विकारो को समापत कर उस ससथ करन स ह

इसक अधितरिरकत हम यह ी समझ लना चाविहए विक सिजस परकार मधिडसिसन (दा) डर ग (नशा करन का दाथ13) स भिनन ह डर ग (नशा करन का दाथ13) मधिडसिसन स इस कारण स भिनन ह कयोविक डर ग हम कछ समय क लिलए ही सख और शाधित अन कराती ह नश का असर उतरत ही हम ासतविक दःख का अन होन लगता ह और डर ग हमार सासथय को ी ठीक नही करता ह बसतिलक हमारा सासथय हल स ी अधिधक विबगड़ जाता ह उसक विरीत मधिडसिसन हमार सासथय को रोग रविहत कर उस लब समय तक सख परदान करता ह

इसी परकार मधिडटशन (धयान) का उददशय ी हमार मन क विकारो (चिचता डर तना करोध ासना ईषरया लो राग और दवष इतयाविद) को जड़ स उखाड़ फ कना ह और उस सथाई और ासतविक सख ए शाधित का अन कराना ह न विक असथाई र स मन को शात करना ह जब ी आ इस सतिसतका क अनसार धयान साधना का अभयास आर कर कया आ यह समझ ल विक सिजस परकार दा लत ही हमारा रोग दर नही होता और हम दद13 स छटकारा नही विमलता ह ठीक उसी परकार धयान साधना का अभयास आरम करत ही हमार मन क रोग दर नही होत ह सिजस परकार उचार क समय हम कछ कविठनाइयो का सामना करना ड़ता ह रत जस-जस उचार होता जाता ह हम रोग स छटकारा विमलन लगता ह और शरीर ससथ और सख अन करन लगता ह ठीक उसी परकार जब हम धयान साधना का अभयास करत ह तो हम धयान म बठत ही सख की अनधित की आशा नही करनी चाविहए हम यह समझना चाविहए विक शारीरिरक रोग जो कछ समय स ही हमार शरीर म ह ो ी समय लकर ही दर होत ह जबविक हमार मन क विचार तो कई अनक जनमो स हमार ीतर घर कर बठ ह यह आसानी स नही विनकलत बहत सघष13 स बहत परयतनो स मन क विकार बाहर विनकलत ह और यह ती स ह जब हम धयान साधना विधिध को बहत अचछी तरह समझ कर उसका विनरतर अभयास करत ह

जस-जस हम विनरतर धयान करत हए मन को एकागर रखत हए गहर विकारो की ओर बढ़त ह और उनको यथात परतयकष अन करत ह तब तो हम विबलकल ी सख और शाधित अन नही होती ह कयोविक हम विकार का परतयकष और सााविक र अन कर उसका परतयकष सामना करत ह इसलिलए यह अनधित बहत कषटदायक हो सकती ह उदाहरण क लिलए जब हम करोध का परतयकष सामना करत ह या विफर ीड़ा का परतयकष र स सामना करत ह तब हम सख की अनधित नही होती बसतिलक बहत तना अन होता ह यह सतिसथधित कषटदायक इस कारण स ी ह कयोविक अब तक कजीन काल म हमन इनह कल बढ़ान का काय13 ही विकया ह और अब हम उसक विरीत काय13 कर रह ह मन को उसकी विरीत विदशा म काय13 करान का अभयास कविठन और कषटदायक होता ह लविकन समझदार साधक समझ लता ह विक यह सतिसथधित उसक लिलए बहत लादायक ह कयोविक ह अन मन क गहर जनम-जनमानतर तक -भरमण करान ाल विकार बाहर विनकाल फ कता ह और ासतविक शाधित अन कर अना कलयाण करता ह

इसी कारण स म इस बात र अधिधक परकाश डाल रहा ह विक धयान साधना का उददशय हम असथाई र स सख और शाधित का अन कराना नही ह बसतिलक मन को विकार रविहत कर उस ासतविक और सथाई शासतिनत का अन कराना ह धयान साधना का अभयास हमार अदर सथाई रिरत13न लाता ह हम जीन की कविठनाइयो का सामना बहत समझदारीस करन लगत ह और हम म समाज को समझन की नई सोच दा होती ह हमारा मन करणा और मतरी स र जाता ह जब हम जीन क परतयक अन (सत सतिसथधित र क परधित हमारी परधितविकरया) को राग दवष (अचछा और बरा) म और मरा क तराज म तोलत ह तब हम जीन म दःख चिचता तना जस मन क विकारो को जनम दत ह रत जब हम परतयक अन को उसक सााविक र म दखन लगत ह तब हम उस सतसतिसथधित या र का मलयाकन करन की जगहउस सही त13मान सर याविन जो घट रहा ह कल उस ही जाना जा रहा ह हम अनी तरफ स कछ परधितविकरया नही करत ह कल तब हम मन क विकारो को बढ़ाा नही दत ह मन क विकार शात होन लगत ह और हम ी शाधित अनकरन लगत ह

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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रिरचय

यह सतिसतका मर दवारा youtube र परसतत विकए गए छः धारााविहक HOW TO MEDITATE(httpwwwyoutubecom yuttadhammo) ीधिडयो का लिललिखत र ह सततः इस ीधिडयो का विनमा13ण ldquoLos Angeles Federal Detention Centrerdquo म परयोग क उददशय स विकया गया था लविकन हा धयान विधिध का परचार ीधिडयो दवारा करना अस हो गया ह तब स मरा अना यह मखय उददशय इस धयान साधना विधिध को उन नय साधकोतक हचना ह जो धयान विधिध सीखना चाहत ह जहा ीधिडयो तसीर दविषट स जञान परापत करन म लादायक ह ही यहसतिसतका धयान की अतयनत आधविनक विधिध को विसतार स परसतत करती ह जो आको विसतार स ीधिडयो र नही विमलगी

परतयक अधयाय को ठीक उसी परकार करम स परसतत विकया गया ह सिजस करम म विकसी नय साधक को साधना विधिध को सीखना चाविहए या विफर आ यह ी कह सकत ह सिजस करम म म नय साधक को साधना सीखत हए दखना चाहता ह शायद इस बात स आशचय13 हो सकता ह विक अधयाय दो तीन और ाच सिजस करम स इस सतिसतका म परसतत विकए गए ह ह करम स विबलकल उलटा ह सिजस करम स साधारणतः धयान विधिध का अभयास विकया जाता ह इसका मखय कारण यह ह विक नया साधक बठकर धयान विधिध का अभयास सरलता स कर सकता ह जस ही साधक धयान क मखय उददशय को समझ लता ह और उसका अभयास दविनक जीन म करन लगता ह तब यह आशा की जाती ह विक साधक धयान का अभयास विनरतर विकसी ी काय13 को करत हए चलत हए लट हए बठ हए ोजन करत हए इतयाविद सद करता रह

मरा उददशय धयान साधना विधिध का परचार करना ह सिजसस जयादा स जयादा लोग धयान विधिध सीख कर ला परापत कर सक सिजस समाज म हम जीन वयतीत कर रह ह यविद हम हा शाधित और सख अन करना चाहत ह तो यह अतयत आशयक ह विक हम नमरता और सनह स समाज म आचरण कर और ऐस आचरण को जीन म लान का अभयास कर धयान साधना विधिध हम इसी आचरण का अभयास करना सिसखाती ह

म उन सब लोगो का धनयाद करता ह सिजनहोन मर इस उददशय को रा करन म अना सहयोग विदया मर माता विता मर तकाल क आचाय13 मर त13मान आचाय13 शरी अजान तोग सिसरिरमगलो और उन सब साधको का म धनयाद करता ह सिजनहोन मर दवारा सिसखाई गई साधना विधिध का अनसरण विकया

सबका मगल हो सबका कलयाण हो

यततधममो

अधयाय-एकधयान कया ह

इस सतिसतका का मखय उददशय धयान साधना विधिध को उन सब लोगो तक हचना ह सिजनह धयान साधना विधिध का बहत कम अथा विबलकल ी जञान नही ह यह सतिसतका उन लोगो क लिलऐ ी लादायक ह सिजनहोन बहत सी धयान परणालिलया सीखी ह और नई धयान साधना विधिध परणाली ी सीखना चाहत ह हल अधयाय म म lsquolsquoधयानrsquorsquo जो विक अगरजी lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo ह उसका विसतार स ण13न करगा धयान कस करना चाविहए उसका ी विसतार स ण13न करगा

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सबस हल यह समझा ल विक हमार समाज म बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह और धयान की रिराषा ी भिनन-भिनन ह कछ लोगो क लिलए धयान कछ समय क लिलए शाधित परापत करना ह सिजसस ह ासतविक त13मान सतिसथधित स छटकारा ा सक कछ लोग धयान को अदभत अन समझत ह तो कछ धयान को रहसयमयी या जादई समझत ह

इस सतिसतका म मधिडटशन याविन lsquolsquoधयानrsquorsquo को उसक शबद क अथ13 क र म रिराविषत करगा मधिडटशन अगरजी शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स लिलया गया ह यह मधिडसिसन (दा) शबद हम मधिडटशन (धयान) को गहराई स समझन म सहायक होगा मधिडसिसन (दा) का सबध हमार शरीर क रोग को समापत कर हम ससथ करन स ह उसी परकार मधिडटशन (धयान) का सबध ी हमार मन म विकारो को समापत कर उस ससथ करन स ह

इसक अधितरिरकत हम यह ी समझ लना चाविहए विक सिजस परकार मधिडसिसन (दा) डर ग (नशा करन का दाथ13) स भिनन ह डर ग (नशा करन का दाथ13) मधिडसिसन स इस कारण स भिनन ह कयोविक डर ग हम कछ समय क लिलए ही सख और शाधित अन कराती ह नश का असर उतरत ही हम ासतविक दःख का अन होन लगता ह और डर ग हमार सासथय को ी ठीक नही करता ह बसतिलक हमारा सासथय हल स ी अधिधक विबगड़ जाता ह उसक विरीत मधिडसिसन हमार सासथय को रोग रविहत कर उस लब समय तक सख परदान करता ह

इसी परकार मधिडटशन (धयान) का उददशय ी हमार मन क विकारो (चिचता डर तना करोध ासना ईषरया लो राग और दवष इतयाविद) को जड़ स उखाड़ फ कना ह और उस सथाई और ासतविक सख ए शाधित का अन कराना ह न विक असथाई र स मन को शात करना ह जब ी आ इस सतिसतका क अनसार धयान साधना का अभयास आर कर कया आ यह समझ ल विक सिजस परकार दा लत ही हमारा रोग दर नही होता और हम दद13 स छटकारा नही विमलता ह ठीक उसी परकार धयान साधना का अभयास आरम करत ही हमार मन क रोग दर नही होत ह सिजस परकार उचार क समय हम कछ कविठनाइयो का सामना करना ड़ता ह रत जस-जस उचार होता जाता ह हम रोग स छटकारा विमलन लगता ह और शरीर ससथ और सख अन करन लगता ह ठीक उसी परकार जब हम धयान साधना का अभयास करत ह तो हम धयान म बठत ही सख की अनधित की आशा नही करनी चाविहए हम यह समझना चाविहए विक शारीरिरक रोग जो कछ समय स ही हमार शरीर म ह ो ी समय लकर ही दर होत ह जबविक हमार मन क विचार तो कई अनक जनमो स हमार ीतर घर कर बठ ह यह आसानी स नही विनकलत बहत सघष13 स बहत परयतनो स मन क विकार बाहर विनकलत ह और यह ती स ह जब हम धयान साधना विधिध को बहत अचछी तरह समझ कर उसका विनरतर अभयास करत ह

जस-जस हम विनरतर धयान करत हए मन को एकागर रखत हए गहर विकारो की ओर बढ़त ह और उनको यथात परतयकष अन करत ह तब तो हम विबलकल ी सख और शाधित अन नही होती ह कयोविक हम विकार का परतयकष और सााविक र अन कर उसका परतयकष सामना करत ह इसलिलए यह अनधित बहत कषटदायक हो सकती ह उदाहरण क लिलए जब हम करोध का परतयकष सामना करत ह या विफर ीड़ा का परतयकष र स सामना करत ह तब हम सख की अनधित नही होती बसतिलक बहत तना अन होता ह यह सतिसथधित कषटदायक इस कारण स ी ह कयोविक अब तक कजीन काल म हमन इनह कल बढ़ान का काय13 ही विकया ह और अब हम उसक विरीत काय13 कर रह ह मन को उसकी विरीत विदशा म काय13 करान का अभयास कविठन और कषटदायक होता ह लविकन समझदार साधक समझ लता ह विक यह सतिसथधित उसक लिलए बहत लादायक ह कयोविक ह अन मन क गहर जनम-जनमानतर तक -भरमण करान ाल विकार बाहर विनकाल फ कता ह और ासतविक शाधित अन कर अना कलयाण करता ह

इसी कारण स म इस बात र अधिधक परकाश डाल रहा ह विक धयान साधना का उददशय हम असथाई र स सख और शाधित का अन कराना नही ह बसतिलक मन को विकार रविहत कर उस ासतविक और सथाई शासतिनत का अन कराना ह धयान साधना का अभयास हमार अदर सथाई रिरत13न लाता ह हम जीन की कविठनाइयो का सामना बहत समझदारीस करन लगत ह और हम म समाज को समझन की नई सोच दा होती ह हमारा मन करणा और मतरी स र जाता ह जब हम जीन क परतयक अन (सत सतिसथधित र क परधित हमारी परधितविकरया) को राग दवष (अचछा और बरा) म और मरा क तराज म तोलत ह तब हम जीन म दःख चिचता तना जस मन क विकारो को जनम दत ह रत जब हम परतयक अन को उसक सााविक र म दखन लगत ह तब हम उस सतसतिसथधित या र का मलयाकन करन की जगहउस सही त13मान सर याविन जो घट रहा ह कल उस ही जाना जा रहा ह हम अनी तरफ स कछ परधितविकरया नही करत ह कल तब हम मन क विकारो को बढ़ाा नही दत ह मन क विकार शात होन लगत ह और हम ी शाधित अनकरन लगत ह

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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सबस हल यह समझा ल विक हमार समाज म बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह और धयान की रिराषा ी भिनन-भिनन ह कछ लोगो क लिलए धयान कछ समय क लिलए शाधित परापत करना ह सिजसस ह ासतविक त13मान सतिसथधित स छटकारा ा सक कछ लोग धयान को अदभत अन समझत ह तो कछ धयान को रहसयमयी या जादई समझत ह

इस सतिसतका म मधिडटशन याविन lsquolsquoधयानrsquorsquo को उसक शबद क अथ13 क र म रिराविषत करगा मधिडटशन अगरजी शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स लिलया गया ह यह मधिडसिसन (दा) शबद हम मधिडटशन (धयान) को गहराई स समझन म सहायक होगा मधिडसिसन (दा) का सबध हमार शरीर क रोग को समापत कर हम ससथ करन स ह उसी परकार मधिडटशन (धयान) का सबध ी हमार मन म विकारो को समापत कर उस ससथ करन स ह

इसक अधितरिरकत हम यह ी समझ लना चाविहए विक सिजस परकार मधिडसिसन (दा) डर ग (नशा करन का दाथ13) स भिनन ह डर ग (नशा करन का दाथ13) मधिडसिसन स इस कारण स भिनन ह कयोविक डर ग हम कछ समय क लिलए ही सख और शाधित अन कराती ह नश का असर उतरत ही हम ासतविक दःख का अन होन लगता ह और डर ग हमार सासथय को ी ठीक नही करता ह बसतिलक हमारा सासथय हल स ी अधिधक विबगड़ जाता ह उसक विरीत मधिडसिसन हमार सासथय को रोग रविहत कर उस लब समय तक सख परदान करता ह

इसी परकार मधिडटशन (धयान) का उददशय ी हमार मन क विकारो (चिचता डर तना करोध ासना ईषरया लो राग और दवष इतयाविद) को जड़ स उखाड़ फ कना ह और उस सथाई और ासतविक सख ए शाधित का अन कराना ह न विक असथाई र स मन को शात करना ह जब ी आ इस सतिसतका क अनसार धयान साधना का अभयास आर कर कया आ यह समझ ल विक सिजस परकार दा लत ही हमारा रोग दर नही होता और हम दद13 स छटकारा नही विमलता ह ठीक उसी परकार धयान साधना का अभयास आरम करत ही हमार मन क रोग दर नही होत ह सिजस परकार उचार क समय हम कछ कविठनाइयो का सामना करना ड़ता ह रत जस-जस उचार होता जाता ह हम रोग स छटकारा विमलन लगता ह और शरीर ससथ और सख अन करन लगता ह ठीक उसी परकार जब हम धयान साधना का अभयास करत ह तो हम धयान म बठत ही सख की अनधित की आशा नही करनी चाविहए हम यह समझना चाविहए विक शारीरिरक रोग जो कछ समय स ही हमार शरीर म ह ो ी समय लकर ही दर होत ह जबविक हमार मन क विचार तो कई अनक जनमो स हमार ीतर घर कर बठ ह यह आसानी स नही विनकलत बहत सघष13 स बहत परयतनो स मन क विकार बाहर विनकलत ह और यह ती स ह जब हम धयान साधना विधिध को बहत अचछी तरह समझ कर उसका विनरतर अभयास करत ह

जस-जस हम विनरतर धयान करत हए मन को एकागर रखत हए गहर विकारो की ओर बढ़त ह और उनको यथात परतयकष अन करत ह तब तो हम विबलकल ी सख और शाधित अन नही होती ह कयोविक हम विकार का परतयकष और सााविक र अन कर उसका परतयकष सामना करत ह इसलिलए यह अनधित बहत कषटदायक हो सकती ह उदाहरण क लिलए जब हम करोध का परतयकष सामना करत ह या विफर ीड़ा का परतयकष र स सामना करत ह तब हम सख की अनधित नही होती बसतिलक बहत तना अन होता ह यह सतिसथधित कषटदायक इस कारण स ी ह कयोविक अब तक कजीन काल म हमन इनह कल बढ़ान का काय13 ही विकया ह और अब हम उसक विरीत काय13 कर रह ह मन को उसकी विरीत विदशा म काय13 करान का अभयास कविठन और कषटदायक होता ह लविकन समझदार साधक समझ लता ह विक यह सतिसथधित उसक लिलए बहत लादायक ह कयोविक ह अन मन क गहर जनम-जनमानतर तक -भरमण करान ाल विकार बाहर विनकाल फ कता ह और ासतविक शाधित अन कर अना कलयाण करता ह

इसी कारण स म इस बात र अधिधक परकाश डाल रहा ह विक धयान साधना का उददशय हम असथाई र स सख और शाधित का अन कराना नही ह बसतिलक मन को विकार रविहत कर उस ासतविक और सथाई शासतिनत का अन कराना ह धयान साधना का अभयास हमार अदर सथाई रिरत13न लाता ह हम जीन की कविठनाइयो का सामना बहत समझदारीस करन लगत ह और हम म समाज को समझन की नई सोच दा होती ह हमारा मन करणा और मतरी स र जाता ह जब हम जीन क परतयक अन (सत सतिसथधित र क परधित हमारी परधितविकरया) को राग दवष (अचछा और बरा) म और मरा क तराज म तोलत ह तब हम जीन म दःख चिचता तना जस मन क विकारो को जनम दत ह रत जब हम परतयक अन को उसक सााविक र म दखन लगत ह तब हम उस सतसतिसथधित या र का मलयाकन करन की जगहउस सही त13मान सर याविन जो घट रहा ह कल उस ही जाना जा रहा ह हम अनी तरफ स कछ परधितविकरया नही करत ह कल तब हम मन क विकारो को बढ़ाा नही दत ह मन क विकार शात होन लगत ह और हम ी शाधित अनकरन लगत ह

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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lsquolsquoमतर उचचारणrsquorsquo मन को एकागर करन की पराचीन विधिध ह मतर का सबध विकसी एक शबद या विकसी एक विकत स ह सिजसका मन-ही-मन बार-बार उचचारण विकया जाता ह मलतः मतर का परयोग macr परदशो म अदशय विदवय शविकत को खश करन या उस ान हत विकया जाता ह रत हम मतर का परयोग कल ासतविकता स जड रहन क लिलए करग इसलिलए इस धयान साधना विधिध म मतर का सबध ासतविक सााविक सतिसथधित सत र स ह हमार दवारा परयोग विकए जान ाल मतर का उददशय मन को एकागर कर उस त13मान म रखन स ह मन को सचत रखन स ह हम मतर का परयोग सत सतिसथधित र याविफर सकल-विकल क परतयकष सााविक सर को जानन क लिलए करत ह सााविक र स हमारा मन जीन म होन ाल परतयक अन को अचछा बरा म मरा क र म दखता ह और हम उसी क अनसार आचरण ी करत ह जोविक बधन बाधन का काय13 करता ह हम दःख दन का काय13 करता ह इसी कारण स हम मतर का परयोग कर ासतविकता सजड़न का अभयास करग उसका ासतविक सततर सा जानन का अभयास करग ऐसा करन स हम मन को विकसी रिरसतिसथधित म मलयाकन करन स रोकत ह उदाहरण क लिलए जब हम विकसी र सत या सतिसथधित को म मरा अचछा और बरा समझत ह तब हम उसका ासतविक सा नही जान ात ह और इसी अधकार म ससार चकर स बध रहत ह दःख ोगत रहत ह

मतर का परयोग इस परकार करना ह जब ी हमारा शरीर सतिसथर अथा गधितमान होता ह हम कल जागरक रहकर उस जानग और उसस सबधिधत एक शबद मन म दोहराएग उदाहरण क लिलए जब चल रह ह तो जागरकता स यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मन म कहग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह सन रहा ह दख रहा ह सोच रहा ह इतयाविद इसक अधितरिरकत यह ी जान रह ह विक कसा अन हो रहा ह जस विक अचछा लग रहा ह बरा लग रहा ह करोध आ रहा ह थकान ह इतयाविद सी परकार की अनधितयो को ी जागरकता स जानत हए मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoअचछाrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoबराrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इतयाविदहम कल उसी शबद का चना करग जो उस समय हो रही घटना को सषट र स दशा13ता ह या उसस सबधिधत ह इस परकार अभयास करन स हम अधिधक समय तक मन को त13मान म रखत हए उस मलयाकन करन स रोकत ह यहा साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक हम ऐसा करक अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उसका ासतविक सर जान रह ह और हर समय राग दवष म मरा करन ाल मन को शात करन का काय13 कर रह ह (यविद आ अगरजी बोलना जानत ह तब आ अगरजी ाषा क शबद ी परयोग कर सकत ह जस eating watching listeningthinking feeling pain angry happy इतयाविद)

साधक को यह ी सषट र स समझ लना चाविहए विक विकसी ी शबद का कोई ी महत नही ह विकसी ी परकार का शबद कल इस र म महत रखता ह विक ह त13मान म हो रही घटना को परतयकष र स दशा13ता ह मतर का परयोग मह दवारा बोल-बोल कर नही करना ह बसतिलक मौन रहत हए मन म दोहराना ह

ासतविकता और त13मान स जड़ रहन की इस कला को और ी सषट और साधारण करन क उददशय स ररागत र सही इस चारो ागो म बाटा गया ह1 यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह और ह धयान साधनाविधिध को सवयसतिसथत करत ह विकसी ी परकार का अन इन चार ागो म स विकसी एक ाग स सबधिधत होगा परतयक ाग हमार दवारा परयोग विकए जा रह शबद को तरत हचानन म सहायक ह यह रमरा रही ह विक परतयक साधक साधना का अभयास आर करन स हल इनह अचछी तरह समझ कर याद कर ल

1 कायानसरा (र काया शरीर) - र सकध (शरीर) और उसक गधितमान अग2 दानसरा (अनधित) - काया (शरीर) र होन ाली सदनाय3 धिचततनसरा (मन धिचतत) - धिचतत और धिचतत विacuteलिततया अथा मन म चलन ाली विacuteलिततया4 धममानसरा (चसतितसक जञान) - धममा म मन काया और छः इसतिनmicroयो स सबधिधत बहत स ाग आत ह धममा क अभयास स हम जान ात ह विक विकस परकार हम इन छः इविmicroयो दवारा चल रह परच म जकड़ हए ह और अधकार म अनाजीन वयतीत कर रह ह धममा ही हम सतय का परतयकष दश13न कराता ह और हम परजञा म सथावित करता ह अथा13त परतयकष जञान (अनधित ाल सतय) म सथावित करता ह2

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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यह चार ाग हमारी धयान साधना विधिध का मलत आधार ह मानस क इनही चार ागो का परयोग कर त13मान म मन को सचत रखन का अभयास विकया जाता ह

1 हला ाग-कायानसरा (र काया शरीर)शरीर क सी अग और उनक दवारा होन ाली अनधित ही कायानसरा ह जस विक बाज का विहलना चलना ढ़ना ोजन करना दखना इतयाविद इस ाग का अभयास हम विनरत करन का परयतन करत ह हम कोई ी काय13 कर रह हो हम मन को जागरक रखत हए कल उस काय13 क ासतविक सर को जानत ह उदाहरण क लिलए जब हम चल रह ह तो यह ी जान रह ह विक चल रहा ह और मौन रहत हए मन म ही दोहराएग lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo इसी परकार बठा ह ोजन कर रहा ह लटा ह ढ़ रहा ह इतयाविद

हमारा मखय उददशय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना ह हमार दवारा हो रह परतयक काय13 को मन दवारा जाना जा रहा ह साधारणतः तो हम काय13 कछ और कर रह होत ह और मन कही और टक रहा होता ह रनत जब हम इस परकार विनरतर मन को त13मान म रखन का अभयास करत ह तब मन का सा अन आ बदलन लगता ह और ह त13मान मपरतयक काय13 को जागरक रहकर करन लगता ह

2 दसरा ाग-दानसना (अनधित सदना)इस ाग का अभयास हम परतयक अनधित और उसक ासतविक सा को जानन क लिलए करत ह जस विक धयान साधना करत समय जब हम अन अदर करोध का अन करत ह तब हम और अधिधक करोधिधत होन की बजाय करोध को उसक ासतविक परतयकष त13मान सर म दखग इसक लिलए हम मतर का परयोग करग और मौन रहत हए मन ही मन कहगlsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquolsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार त13मान समय म अन हो रही अनय अनधितयो का ी अभयास विकया जाता ह जस विक ठडा लगना गम13 लगना सीना आना खजली होना गदगदी होना आनद आना ोजन क रस की अनधितइतयाविदीड़ा का होना और हमार शरीर और मन दवारा उसका अन करना धयान साधक कल ीड़ा ह ऐसा जान कर मन-ही-मन बार-बार यह मतर दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquolsquolsquoीड़ाीड़ाrsquorsquo ऐसा करक हम मन दवारा होन ाली परधितविकरया को रोकत ह साधारणतः तो हल जब ी ीड़ा का अन होता था तब मन दवष और तना स र उठता था और यह तना एकऔर दःख दन ाल विकार lsquolsquoकरोधrsquorsquo को जनम दता था हम बहत दःख अन करन लगत थ र अब जब कोई परधितविकरया नही करता कल ीड़ा को ीड़ा क र म दखता ह ीड़ा को अचछ और बर ा स नही दखता मन यह जानन लगता ह विक ासत म ीड़ा और सदना दोनो अलग-अलग ह ीड़ा ती तक ीड़ा ह जब तक मन उसक परधितोग का ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर दता ह उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह ीड़ा ीड़ा ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह3 तब हम ीड़ा क lsquoीड़ा हो रही हrsquo ा को समापत कर उसक ासतविक सर को दखन लगत ह मन को यह ी सषट हो जाता ह विक शरीर र हो रही कोई सदना र मरा कोई आधिधतय नही ह कयोविक मर चाहन र यह कम अधिधक या समापत नही होती ह और जब हम दखत ह विक ीड़ा ी समय रहत समापत हो ही जाती ह सद नही रहती मन उसक अविनतय सा को जानन समझन लगता ह म मर का ा ी समापत होन लगता ह मन ोगता ा समापत कर शात रहन लगता ह

इसी परकार जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकषासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo सिजस परकार हमन समझा विक ीड़ा कल शरीर र होन ाली सदना ह उसी परकार ासत म सख और सदना दोनो अलग-अलग ह सख ी ती तक सख ह जब तक मन उसक परधित ोगता ा रख उस ोगता ह रनत जस ही परधितविकरया करना बद कर उस उसक यथात र म दखन लगता ह तब जानता ह सख सख ना होकर कल शरीर र होन ाली सदना क अलाा और कछ नही ह और यह सखद अनधित ी अत म दःख म ही रिररतितत हो जाएगी इसलिलए हम मन को शात रख कर कोई परधितविकरया न करत हए कल उसका यथात दश13न करग

यहा हम एक और बात बहत सषट र स समझ लनी चाविहए विक इस परकार का अभयास करक हम अनी ानाओ का दमन नही कर रह ह बसतिलक उनक अविनतय सा को जानत हए उनक ासतविक सा को जान रह ह अथा13त सतय

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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को जान रह ह कयोविक यह आनद ी ीड़ा की ही ाधित सद रहन ाला नही ह समय रहत यह ी समापत हो जाता ह और इसकी समाविपत का अन ी ीड़ाजनक ही ह इसलिलए हम मन को परतयक सतिसथधित म शात रखना ह और lsquoोगता ाrsquo समापत करना ह कयोविक lsquoोगता ाrsquo मन म राग दा कर चाविहए-चाविहए करता हआ हम इस ससार म बाधन का काय13 करता ह और हम इस अविनतय ससार म विनतय की ाधित दःख ोगत रहत हइसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह हम मतर का परयोग कर मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo इस परकार हम शाधित की अनधित स ी lsquoोगता ाrsquo समापत कर उसक ासतविक अविनतय सर को दखत ह इस परकार धयान साधना का अभयास करत हए हम ात ह विक सिजतना-सिजतना lsquoोगता ाrsquo समापत होता ह उतनी ही ासतविक शासतिनत हम अन करन लगत ह

3 तीसरा ाग- धिचततनसरा (मन धिचत)साधक को मन म चल रह सकल-विकल अथा विचारो को ी उनक ासतविक यथात सा म दखना ह और मनम कोई ी विचार आय तब मन दवारा कोई ी परधितविकरया ना करत हए उस उसक परतयकष र म दखना ह और मन ही मन यह मतर उचचारण करना ह lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo हम अन विचारो स ी ोगता ा समापत करना ह कयोविक यविद विचार तकाल स जड़ा ह तब उसक कल दो ही ासतविक सर होग या तो विचार दःखद होगा या विफर सखद होगा दःखद विचार मन म दवष ीड़ा बचनी तना अशाधित करोध और दःख उतनन करग और हम विफर इन विकारो को ोगत हए ससार चकर स बध रहग और यविद विचार सखद होगा तब ी मन राग दा करगा और lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहयrsquorsquo करता हआ इस ससार स बधा रहगा कयोविक यह ससार रिरत13नशील ह इसका सा रिररतितत होत रहना ह इसलिलए जो हम चाविहए ह ी बदलता रहता ह और हम की ी सख अन नही कर ात ह कयोविक सिजस सत सतिसथधित और र को हम ोगता ा स ोग रह थ अब नही ह और हम उनह चाहत ह और सा होना स नही होता और हो ी जाए तो अत म समापत हो कर या रिररतितत हो कर हमार दःख का ही कारण बनन ालाह इसलिलए सखद विचार ी दःख म ही रिररतितत हो जात ह इसलिलए हम परतयक विचार को ी कल उसक ासविक सा स दखना ह इसी परकार यविद विचार विषय स जड़ा ह तब ी ह बधन बाधन का ही काय13 करता ह कयोविक विचारो म ी ऐसा हो जाए तब अचछा हो राग दा कर बचन रहता ह और या विफर ऐसा ना हो जाए सोच कर य दा करदःख का अन करता ह इसीलिलए हम विचारो क ासतविक सर को जानत ह दवष अथा राग क ा स मकत हो उनक सततर र को दखत ह और बधन स मकत होत हए शाधित का अन करत ह

4 धममानसरा (धिचसतितसक जञान)यह ाग धयान साधना विधिध का महतण13 ाग ह धममा म काया धिचत और छः इसतिनmicroयो स जड़ बहत स ाग आत ह इनम स कछ ाग मानस क हल तीन ागो म आत ह लविकन यह आशयक ह विक हम इनह इनक अलग-अलग सतनतरर म जान धममा क हल ाग म ाच बाधक ाच विकार आत ह जो हमार दःखो का मखय कारण ह यही हमार जञानपराविपत म बाधक ी ह और यही ाच विकार हम ससार चकर स बाध ी रखत ह यह विकार ह राग दवष आलसय वयाकलता और अविशवास हमार विहत म ह विक हम इनह अचछी तरह समझ ल और जान ल विक विकस परकार यह हम भरविमतरख कर हम अधकार की ओर ल जात ह इन ाच विकारो स मविकत ाना ही हमारी साधना का मखय लकषय ह

रागः हमारी छः इसतिनmicroयो नाक कान जी काया आख और मन स जब कोई गध शबद रस सश13 या विचार आकर टकराता ह तब शरीर परधितविकरया कर सदना उतनन करता ह और हम इस मन क विकार राग क कारण इन सदनाओ कोसखद जानकर ोगन लगत ह और चविक राग ऐसा रोग ह जो हम की सतषट नही होन दता ह और हम सद lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo-lsquolsquoऔर चाविहएrsquorsquo करत तना चिचता और दःख स रा जीन वयतीत करत ह इसलिलए हम इस राग स छटकारा ान का सद ही अभयास करत रहना चाविहए राग हम इस रिरत13नशील ा क परधित आसकत रखता ह और जब ी सत सतिसथधित या र म रिररतितन आता ह हम दःख ोगत ह इसी कारण स यह हमारी साधना का मखय लकषय ह विक हम इस विकार को समापत कर मन को शात कर इसलिलए हम विकसी ी अनधित को अचछा जानकर ोगग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo

दवषः इसी परकार हम जब इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ को दःखद जान कर उनक परधित ोगता ा रख कर दःख ोगन लगत ह तब हम इन सदनाओ क परधित दवष उतनन करत ह दवष ही दःख ह कयोविक दवष हमार अनदर य चिचता तना करोध जस विकारो को जनम दता ह और यविद हम दवष स छटकारा ा ल तब य सी विकार ी समापत हो

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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जात ह इसलिलए हम जब ी अन अदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत ही मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoचिचताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo

आलस हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह यह हम साधना करन नही दता ह कयोविक हम इस विनकालन का काय13 कररह ह इसलिलए मन बाधक को जब ी हम अन अदर ायग हम इसक अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम सााविक र स विफर स अन अदर ऊजा13 अरजिजत कर रह ह और आलस समापत हो रहा ह

वयाकलताः इसी परकार जब ी हम धयान साधना करन लगत ह हमारा मन बचन होन लगता ह कयोविक अब तक क जीनकाल म मन काया और इन छः इसतिनmicroयो दवारा उतनन सदनाओ क परधित आसकत रहा ह परधितविकरया करता रहा ह लविकन अब हम उसक सा को बदल रह ह उस परधितविकरया करन स रोक रह ह इसलिलए हम बहत बचनी होन लगती हवयाकल होन लगत ह अनी इस असथा को ी यथात दखत हए उसक परधित दवष ना करत हए इस बचनी की असथा को ी समापत करन का अभयास करग हम उसका परतयकष र जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हम विफर स मन को एकागर कर त13मान म घट रही घटना को यथात दखन लगत ह और मन शात हो गया वयाकलता नही रही

अविशवास हमारी साधना का बहत बड़ा बाधक ह साधना करत समय बार-बार मन म शका क विचार उतनन होग और हम साधना का अभयास करन नही दग इसलिलए इन शका क विचारो को ी हम यथात दखत हए कोई परधितविकरया नही करग और मन-ही-मन दोहराएग lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo lsquolsquoशक़rsquorsquo इस परकार अभयास दवारा हम ाएग विक हमारा मन विफर स एकागर हो गया ह और शका क बादल ी हट गए ह यविद शका साधना क परधित ह तब साधना आचाय13 स सक13 कर अनी शका का समाधान करग

इन ाच विकारो को अचछी तरह समझ कर उनक परधित जागरकता रखना ही हमारी धयान साधन का मखय लकषय ह और इनक परधित विकस परकार जागरकता बनाकर हम इनह कस समापत करना ह यही हम अगल सी अधयायो म सीखग इसी कारण स इस साधना विधिध का सदधाधितक कष समझना अतयनत आशयक ह त13मान समय म मन को एकागर करना और विकसी ी अनधित क परधित परधितविकरया न करत हए उसक अविनतय ासतविक स को यथात समझना ही हमारी साधनाका हला कदम ह

विटपणी1 मानस क इन चार ागो को (बोध) ldquoवितरवितकrdquo क lsquolsquoमहासधितठानसतrsquorsquo म lsquolsquoचार समधित परसथानrsquorsquo कहा गया ह और महासधितठानसत म इनका विसतार स ण13न विकया गया ह कयोविक सतिसतका का उददशय साधना विधिध का रिरचय नय साधको स कराना ह इसलिलय इस सतिसतका म इनका ण13न कल रिरचय क र म विकया गया ह

2 आधविनक काल म lsquolsquoधममाrsquorsquo स सबधिधत बहत सी धयान परणालिलया परचलिलत ह इसलिलए म यह सषट करना चाहता ह विक इस सतिसतका म धममा स हमारा अभिपराय कल lsquolsquoभिशकषाrsquorsquo स ह लविकन हम शबदो क जजाल म ना उलझत हए धयानसाधना क सदधाधितक कष और वयाहारिरक कष की ओर धयान दना चाविहए इसी कारण स मन चौथ ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo क ण13न को ाच विकारो तक ही सीविमत रखा ह

3 lsquolsquoदनाrsquorsquo शबद को पराचीन काल म सदना कहा जाता था आज क समय म दना को दःख कहा जाता ह रत हमारा अभिपराय दना स कल शरीर और मन र होन ाली सदना स ह दःख स नही सदनाओ की अनधित मन और शरीर दोनो दवारा की जाती ह

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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अधयाय-दोबठ कर धयान साधना का अभयास

अधयाय दो म म ण13न करगा विक विकस परकार धयान साधना क सिसदधातो का औचारिरक तौर स बठ कर वयाहारिरक रस अभयास विकया जाता ह बठ कर धयान लगाना सरल ह आ इस धयान विधिध का जमीन र ालथी मारकर कसmacr रया विफर विकसी और आरामदह आसन र बठ कर अभयास कर सकत ह जो लोग विकसी कारणश विबलकल ी बठ नही सकत ह इस विधिध का लट कर ी अभयास कर सकत ह

औचारिरक तौर स बठ कर धयान करन स हम यह ला होगा विक हमारा धयान हमार आस-ास क ातारण और सतओ र नही ड़गा और हम धयान विधिध का अभयास कर काया क अगो र मन को एकागर कर सक ग जब हम सतिसथरबठत ह हमारा शरीर शात होता ह और हम शवास क आागमन को अन कर ट र उार अन करत ह और शवासबाहर जाता ह तो हम ट का घटना अन करत ह ररागत तौर स इस तरह शवास को अन करन को lsquolsquoआना-ानाrsquorsquo क नाम स जाना जाता ह यविद आ शवास को अन करन म कविठनाई अन कर रह हो तब आ अन ट रहाथ रख कर अन करन का परयास कर यह तब तक कर जब तक आ शवास अन करन लगयविद आ हाथ रख कर ी शवास का अन नही कर ा रह हो तब आ लट कर परयास कर सकत ह आ ीठ क बल सीध लट जाए और अन करन का परयास कर जब तक विक आ को शवास का अन नही होता ह आम तौर र बठ कर ट र शवास दवारा हो रह उार और उसक घटा की अनधित हम तना और चिचता क कारण नही कर ा रह होत ह यविद आ शाधित और विनरतरता स धयान करत ह तो आ दखग विक आका मन शानत हो रहा ह और आ बठ कर ीउसी परकार शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित कर ा रह ह सिजस परकार आ लटकर कर रह होत ह

सबस अधिधक समरण रखन की और महतण13 बात यह ह विक हम इस परकार धयान साधना का अभयास कर कोई शवास कीकसरत या वयायाम नही कर रह ह बसतिलक सााविक शवास क आागमन को कल साकषी ा स दख रह ह याद रह हमविकसी ी शवास को तीacute अथा धीर (विनयतरण) करन का परयास नही करग आरम म शवास धीमा या तकलीफ़दह परतीत हो सकता ह रत जस ही मन शात हो कर शवास को विनयवितरत करना बद कर दता ह आ बहत ही आसानी स शवास क

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित करन लगत ह सिजस शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना सरल लगन लगता ह

मन को एकागर करन क लिलए साधना विधिध का आरम आना-ाना (शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा कीअनधित) स विकया जाता ह लविकन जस-जस हमारा मन शात होता ह ह सरलता स शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखन लगता ह हम आना-ाना का अभयास करना बद कर शरीर र हो रही अनय अनधितयो को साकषी ा स दखग और जब की ी हमारा मन विचलिलत अथा वयाकल हो हम नः आना-ान का अभयास कर मन को शात करन का परयास करग

औचारिरक तौर र बठ कर धयान करन की विधिध विनमनलिललिखत हः-1 यविद सरल और स हो तो जमीन र ालथी मारकर बठ जाय एक लात दसरी लात क सामन हो कोई ी लात एक दसर क ऊर नही होनी चाविहए लविकन यविद यह आसन आक लिलए कविठन ह तब आ विकसी ी अनय सविधाजनक आसन म बठ सकत ह2 एक हाथ को दसर हाथ र रखग और दोनो हथलिलयो को गोद म रखग3 स हो तो ीठ सीधी रख रत यह अविनाय13 नही ह आशयक कल शवास क सााविक आागमन को साकषी ा स दखना ह इसलिलए आ विकस परकार स बठ हए ह इसका इतना महत नही ह सिजतना विक आका शवास क सााविक आागमन को कल साकषी ा स दखना ह4 आख बद कर ल कयोविक हमारा सारा धयान हमार ट म होगा हम आख खली रखन की आशयकता नही ह खली आख कल हमारा धयान ही इधर-उधर आस-ास क ातारण म टकाएगी इसलिलए आशयक ह विक आ आख बनद ही रख5 अब हम अना मन ट म लकर जाएग और जागरकता क साथ यह जानत हए विक शवास ीतर जा रहा ह हम ट म हो रह उार की अनधित साकषी ा स करत हए मन म धीम स कहग lsquolsquoआनाrsquorsquo (शवास का ीतर जाना) और जब शवास बाहर जा रहा हो lsquolsquoानाrsquorsquo (शवास का बाहर जाना) आ इस मन को एकागर और शानत करन की धयान विधिध तब तक करत रह जब तक आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित नही होती ह और जब आ को शरीर क विकसी और अग म सदना की अनधित होन लग तब आ मन को उस अनधित र क विmicroत कर उस कल साकषी ा (सााविक ा) स दखग

नः हम यह समरण कर ल विक हम शवास दवारा हो रह ट र उार और उसक घटा की अनधित को जानत हए मन म lsquolsquoआनाrsquorsquo और lsquolsquoानाrsquorsquo यह आशयक दोहराना ह यह विबलकल इसी परकार होना चाविहए जस विक आ अन ट स बात कर रह ह आ इस विधिध का अभयास ाच स दस विमनट तक कर लविकन यविद आ चाह तो य अधिध बढ़ा ी सकत ह

हमारा अगला कदम मानस क चार ागो को वयहारिरक र स धयान साधना म ससतिममलिलत करना ह काया सदना मनऔर धममा जहा तक मानस क हल (काया) ाग का सबध ह नए साधक क लिलए शवास दवारा हो रह ट र उार औरउसक घटा की अनधित करन का अथा13त lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास या13पत होगा लविकन कछ समय बाद आको lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo क अभयास क साथ-साथ य ी जानन का अभयास करना चाविहए विक विकस परकार बठा ह और मन म सषट र स यह विचार सााविक र स उजागर होना चाविहए lsquolsquoबठा हrsquo- या lsquolsquoलटा हrsquorsquo लटा हrsquorsquo

दसर ाग (सदना) का अभयास हम शरीर म हो रही सदनाओ की अनधित साकषी ा स करत हए करना ह साधना का अभयास करत समय यविद शरीर र विकसी ी परकार की सदना की अनधित होती ह तो हम अना धयान lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo स हटा कर सदना र लाएग यविद सदना ीड़ा की ह तब हम ीड़ा को ही अनी साधना का आधार बना कर ीड़ा की अनधित को साकषी ा स दखग

मानस क चारो ागो म स कोई ी अग हमारी साधना का आधार बन सकता ह कयोविक चारो अग हम ासतविकता स रिरधिचत करात ह अथा13त सतय का दश13न करात ह इसीलिलए यह आशयक नही ह विक आ सद ही lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास कर lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo करत समय जब आको ीड़ा की अनधित होन लग आ lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo की जगहीड़ा की अनधित र अना मन कसतिनmicroत कर उसक ासतविक सा को जानन का परयतन साकषी ा स करग हम

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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ीड़ा की अनधित को दवष क ा स नही दखग उसका मलयाकन नही करग बसतिलक साकषी ा स दखग जसा विक मलयाकन हल ी समझाया गया ह साधक ीड़ा क परधित कोई ी परधितविकरया (दवष-करोधिधत होना तना उतनन करना चिचता करना) न करत हए मन को शात रखत हए कल ीड़ा की अनधित को उसक त13मान सर को दखत हए मन म दोहराएग lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquoजब तक विक ीड़ा अन आ सााविक र स नही चली जाती ह

जब हम सख और आनद अन करत ह तब हम उसक अविनतय सा को समझत हए कल उसक परतयकष ासतविक सा को जानग न विक उसकी अनधित को अचछा जानकर उसको ोगन लगग और मन ही मन दोहराएग lsquolsquoपरसननrsquorsquo lsquolsquoपरसननrsquorsquo इसी परकार जब हम शासतिनत अन करत ह मन ही मन दोहराएग lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo lsquolsquoशातrsquorsquo जब तक विक यह सखद अनधित समापत नही होती ह इस परकार हम शाधित की अनधित स ी ोगता ा समापत कर उसक ासतविकअविनतय सर को दखत ह सखद और शाधित की अनधित हमार ोगता ा को समापत करन का आधार बनगी कयोविकोगता ा हमार ोगन ाल सा को बढ़ाा दत हए हम सद असतषट रखता ह और हम हर सखद अनधित को अचछा जानकर ोगन लगत ह और जब ह अनधित समापत होती ह हम अतयत दःख ोगन लगत हजस ही शरीर र होन ाली सदना या कोई अनय अनधित समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

साधना करत हए मानस क तीसर ाग lsquolsquoमनrsquorsquo म यविद कोई विचार उतनन हो तब हम lsquolsquoविचार कर रहा हrsquorsquo इस परकार उस उसक परतयकष ासतविक सा म जानकर मन म दोहराएग lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo धयान रह इस बात का कोई महत नही ह विक विचार तकाल स जड़ा ह या विचार विषय स जड़ा ह या विफर दःखद ह या सखद ह इस परकार क विचार मन म लाकर हम मन को टकाना नही ह हम कल विचार ह कल उसका परतयकष ासतविक सा साकषी ा स दखना ह और जब विचार समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

मानस का चथा ाग lsquolsquoधममाrsquorsquo सखद अनधित को अचछा जानकर ागग नही बसतिलक उसक ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoचाविहएrsquorsquo lsquolsquoचाविहएrsquorsquo या lsquolsquoसखदrsquorsquo lsquolsquoसखदrsquorsquo और हम जब ी अन अनदर य करोध चिचता तना दखग हम इन विकारो क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoयrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoधिचनताrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo lsquolsquoकरोधrsquorsquo इसी परकार आलसय विनmicroा क अविनतय ासतविक सा को यथात समझत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoआलसrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoथकानrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo lsquolsquoविनmicroाrsquorsquo इसी परकार हम अन अदर क बचनी क ी परतयकष र को जानत हए मन ही मन दोहराएग lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoमन टक गयाrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo lsquolsquoबचनीrsquorsquo या lsquolsquoवयाकलrsquorsquo lsquolsquoवयाकलrsquorsquo इतयाविद

जस ही विकार शात हो समापत हो जाए हम विफर स lsquolsquoआना- ानाrsquorsquo का अभयास करन लगग

औचारिरकता स धयान साधना का अभयास करन क बहत अधिधक ला ह2 सबस हला तो यह होगा विक इस परकार मनको एकागर रख कर जागरकता स अभयास करन क रिरणामसर मन शात और परसनन रहन लगगा मन को बहत हलका अन होगा परधितविकरया नही करन क रिरणामसर मन य तना चिचता इतयाविद अनय विकारो स मकत अन होगाबहत स साधक यविद विनरतर रिरशरम करत हए साधना विधिध का करम स अभयास करग तब ह जलदी ही अतयनत शासतिनत और सख अन करन लगग लविकन हम इस बात का ी धयान रखना ह विक सख और शाधित की अनधित करना हमारी साधना का अधितम लकषय नही ह यह तो कल साधना क अभयास क फलसर ह इसलिलए सख और शासतिनत ी हमार लिलए अनय अनधितयो की ही ाधित ह हम इस परसननता और शाधित की असथा को ी ोगता ा स नही बसतिलक दषटा ा अथा साकषी ा स दखग इस परकार विनरतरता स अभयास करत हए हम जलद ही यह समझन लगग विक सतय म साकषी ा ही हम ासत म शाधित और सख दता ह न विक ोगता ा

दसरा ला यह होगा विक धयान साधना का अभयास हम म हमार समाज को और आस-ास क ातारण को समझन की सकारातमक सोच दा करगा जो विक विबना साधना क अभयास क स नही ह हम यह बहत अचछी तरह स समझनलगग विक हमार अदर मन क विकार ही ासत म हमार दःखो का कारण ह बाहर की सतए रिरसतिसथधितया र इतयाविद तो कल माधयम मातर ह

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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हम यह समझन लगग विक हम कल सख और शाधित की पराविपत की आशा करन क बाजद अत म कल दःख कयो ोगतह कस राग और दवष कषभिणक र म रिररतितत होत रहत ह और हम अधकार म विकस परकार इनह ोगन लगत ह और अन ही दःखो को बढ़ान लगत ह इसलिलए सखद और दःखद अनधितयो क परधित राग और दवष का ा रखना वयथ13 ह

हम यह ी समझन लगग विक विकस परकार मन और छः इसतिनmicroयो का परच हमार ीतर चलता ह विकस परकार इस परच कोजान विबना ससार क सी पराणी एक दसर क वयहार को दख ाषा क परयोग को दख उनका मलयाकन करत रहत ह और उनह घणा और परम क तराज म तोलन लगत ह हम धयान विधिध क अभयास स य जानन लगत ह विक ससार क सीपराणी सय ही अन दःखो और सखो क मालिलक ह इसलिलए हम सााविक र स कषमा ा अन करन लगत ह और ससार क सी पराभिणयो को उनक ासतविक सा क साथ सीकार करन लगत ह

तीसरा ला यह होगा विक हम समाज म हो रह परतयक काय13 क परधित सय दवारा हो रह परतयक काय13 और परधितविकरया क परधित जागरक रहत ह हल तो हम अन ही कायfrac34 क परधित जागरक नही होत थ हम विबना सोच समझ कछ ी करत और बोलत थ र अब धयान साधना क अभयास स हम जागरकता क साथ अना जीन वयतीत करन लगत ह हम अन परधितविदन क कायfrac34 को बड़ी ही सझ-बझ क साथ साधानी13क और जागरकता क साथ करन लगत ह इसका रिरणाम यह होगा विक हम जीन म आन ाली कविठनाइयो का सामना ी बहत ही सहजता स और समझदारी स करग और मन का सतलन ी बनाय रखग और जब समझदार साधक कड़ रिरशरम स साधना विधिध का विनरतर करम स अभयास करता ह तब ह जीन म आन ाली अधित विषम रिरसतिसथधितयो यकर रोग या विफर मतय का ी बड़ ही धय13 ससामना करन म सकषम हो जाता ह

चथा ला यह होगा विक हम साधना क ासतविक लकषय की ओर बढ़न लगत ह जो विक मन क सी विकारो का अत करता ह मन क विकार दवष-वयाकलता चिचता डर तना करोध ासना ईषरया राग-दवष राग-लो अभिमान आलसय और अविशवास ही हमार दःखो का कारण ह और हम दखन लगग विक कस हमारा ही मन इन विकारो क कारण हमारा और हमार सक13 म आन ाल सी पराभिणयो का जीन दःखो और तना स र रहा ह इस सतय को जब मन अन दवारा जान लता ह तब ह परधितविकरया करना बद कर इन विकारो क ासतविक सा (अविनतय) को जानत हए इनका अत करन लगाता ह

औचारिरक साधना और उसक अभयास दवारा होन ाल ला का यह मलत विरण ह अब म चाहगा विक परतयक ाठक दसर अधयाय को ढ़न स हल या विफर अन अनय कायfrac34 म वयसत होन स हल कम स कम एक बार इस साधना विधिधका अभयास अशय कर सिजसस उनह समरण रह विक हल अधयाय म कया सीखा ह स हो तो अी अभयास कर आ ाच स दस विमनट तक अभयास कर और यविद चाह तो अधिध बढ़ा ी सकत ह अत म यही कहना चाहगा विक सिजस परकार वयजन सधिच या ोजन सधिच को कल दख लन मातर स हमारी ख नही बझती ह ोजन को खाकर ख दर होतीह उसी परकार कल साधना विधिध का अधयाय ढ़ लन स आक विकार दर अथा दःख दर नही होग आको विनरनतरसाधना विधिध का अभयास करम स करक ही ला परापत होगा

विटपणी1 औचारिरक तौर स बठकर धयान साधना की दो मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल इन तसीरो को दख ल

2 औचारिरक साधना म होन ाल चार ला (बोध) ldquoदीघ विनकायrdquo (DN 33) क lsquolsquoसगधितसततrsquorsquo स लिलए गए ह

3 साकषी ा अथा दषटा ा स हमारा अभिपराय कल विकसी सत सतिसथधित र या विचार को उसक सततर सर मदखन मातर स ह अथा मन दवारा विकसी ी परकार की परधितविकरया नही करन स ह

अधयाय-तीनचल कर धयान कस लगाए

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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इस अधयाय म चलन की साधना की तकनीक को विसतार स समझग जस विक हमन बठ कर धयान साधना म सीखा हमारी साधना का मखय लकषय मन को त13मान म कसतिनmicroत करना और जो कछ ी अन आ घविटत हो रहा ह उस अन क ासतविक सर को साकषी ा स दखना ह यही अभयास हम चलत हए ी करग

स तो चलकर धयान बठ कर धयान लगान समान ही ह रत जो लोग विकसी कारणश चल कर धयान नही लगा सकत ह ह इस सोच म ड़ सकत ह विक चल कर धयान लगान का कया उददशय और ला ह यह सतय ह विक चल कर धयान लगान क अन बहत स विभिशषट ला ह जो विक ररागत र स बठ कर धयान लगान स परापत नही विकय जा सकत ह रनत आ आशवसत रह कयोविक यविद आ बठ कर ी विनरतर विधिधत धयान का अभयास करग आ को बहत ला परापत होगा चल कर धयान लगान क लाो की गणना इस परकार ह1

हला लाः चल कर धयान लगान स हमारा सासथय अचछा रहता ह सद बठ रहन स हमारी काय13 शविकत कम होती ह और हमारा शरीर कमजोर ड़न लगता ह चल कर धयान लगान स हमारा शरीर हषट-षट ससथ रहता ह और यह हमारपरधितविदन वयायाम करन की आशयकता को ी रा करता ह

दसरा लाः चल कर धयान लगान स हमारी सहनशीलता और धय13 शविकत बढ़ती ह कयोविक आ चलत समय काय13शील होत ह इसलिलए हम उतनी सहनशीलता और धय13 शविकत की आशयकता नही होती ह सिजतनी विक बठ कर धयान लगात समय होनी चाविहए चलकर धयान लगान स हमार परधितविदन होन ाल कायfrac34 म और औचारिरक र स बठ कर धयान लगान म सतलन आता ह

तीसरा लाः चल कर धयान लगान स बहत स शारीरिरक रोग ी दर होत ह जहा बठ रहन स ससती अन होन लगती ह ही चल कर धयान लगान र हमार रकत सचालन और शरीर म हो रही जविक गधितविधिधयो म सतलन आता ह धीम करमबदध और विनमरता स चल कर धयान लगान स हम चिचता और तना स मकत रहत ह यह मलत तौर स तो शरीर को ससथ रखता ही ह रत इस परकार धयान लगान स हदय रोग गविठया रोग जस कषटदायक रोग ी दर होन लगत ह

चथा लाः चल कर धयान लगान स हमारी शविकत बढ़ती ह जहा बठ रहन स हम ोजन को चान म कविठनाई होती ह और मोटाा बढ़ता ह ही चल कर धयान लगान स हम ोजन को चान का काय13 और धयान साथ-साथ लगा सकत ह

ाचा लाः चल कर धयान लगान स मन की एकागरता म सतलन आता ह यविद हम कल बठ कर धयान लगात ह तब या तो मन की एकागरता कमजोर होगी मन जलदी ही टक जाता ह और या तो मन एकदम एकागर रहगा रिरणामसर हम जलदी ही बचनी और ससती अन करन लगत ह चलत समय हम गधितशील होत ह ससती और बचनी कम महससहोती ह सिजसस मन और शरीर दोनो ही सााविक र स जलदी ही शात हो एकागर होन लगत ह यविद चल कर धयान बठ कर धयान लगान स हल लगाया जाए तब मन की एकागरता सतलिलत रहती ह और धयान लगाना सरल हो जाता ह

चल कर धयान लगान की परविकरया इस परकार ह1 सारी धयान परविकरया क दौरान दोनो र एक साथ रहन चाविहए र लगग एक दसर को छ रह हो उनक बीच म बहत अधिधक अतराल (दरी) नही होना चाविहए2 दोनो हाथ कड़ ल दाविहन हाथ स बाया हाथ कड़ आ अनी सविधा13क हाथो को ट क आग स या ीठ क ीछ स कड़ सकत ह3 दोनो आखो को खला रख और थ र विटकात हए छः कदम की दरी तक अना धयान कसतिनmicroत कर4 सीधा चल विबलकल जस हम लाइन या कतार म चलत ह और अब दस या microह कदम (तीन या ाच मीटर) की दरी तक चल5 हल दाविहना र उठा कर विबलकल बराबर जमीन र एक कदम की दरी र रख सारा र एक साथ विम को छना चाविहए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रख6 आकी चाल साधारण और सााविक होनी चाविहए शरआत स लकर अत तक चाल म कोई अड़चन नही होनी चाविहए विबलकल रकना नही ह और अनी चाल बदलनी नही ह

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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7 एक क बाद एक कदम बढ़ात हए दाविहन र की एड़ी विबलकल बाए र की उगलिलयो क आग लाइन म रखत हए इसी परकार बाय र की एड़ी को दाविहन र की अगलिलयो क आग लाइन म रखत हए कतार म चलत हए एक-एक कदम की दरी र र रखग8 सिजस परकार हम lsquolsquoआना-जानाrsquorsquo का धयान करत समय ीतर आत-जात शवास क परधित जागरकता रखत हए मन म यह मतर दोहरात ह lsquolsquoआनाrsquorsquo lsquolsquoजानाrsquorsquo विबलकल उसी परकार हम हर कदम क साथ अनी जागरकता रखत हए जब दाया कदम बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और बाया र बढ़ात ह मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo9 हम हर कषण क परधित जागरकता बनाए रखनी ह और हर कदम की जानकारी बनाए रखनी ह जागरकता विबलकल कदम क साथ होनी चाविहए ना विक कदम रखन क बाद

यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन स हल दोहरात ह तब हमन सिजस कषण को जाना ह अी त13मान नही ह विषय म ह और यविद हम lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo मन म दाया र रखन क बाद दोहरात ह तब हमन तकाल क कषण को जाना और ह ी हमारा त13मान नही ह इसलिलए इस हम धयान साधना नही मान सकत ह हम यह सद याद रखना हविक हमारी साधना का आधार हमारा त13मान हपरतयक कषण की जागरकता रखत हए जब हम अना दाया र उठात ह हम यह जानत हए विक दाया र उठा रहा ह और मन म यह ी दोहरात ह lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo हम जब र उठा रह हो तब हम मन म कहग lsquolsquoदायाrsquorsquo और जब र विम को छन लग तब lsquolsquoकदमrsquorsquo यही परविकरया बाया कदम रखत हए करनी ह इस परकार हम परतयक कदम क साथ-साथ अनी जागरकता बनाए रखनी हदस स microह कदम की दरी तय करन क बाद आ इस परकार रक गः हल विछल कदम को अगल कदम क साथ रखत हए यह ी जान रह ह विक कदम उठा ह और मन म धीम स कहग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और जब खड़ हो जाए तब मन म धीम स कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo इस परकार परतयक कषण क सतय को अनी अनधित र उतारना ह

दसरी विदशा म इस परकार घमना ह-1कहग जब घमन लग तब शबद lsquolsquoघमrsquorsquo का आर मन म इस परकार करना ह lsquolsquoघrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoऊrsquoमrsquorsquo और जब र विमर रखन लग तब यह ी जान रह ह विक र रख रहा ह और मन म ी दोहरा रह ह lsquolsquoरहा हrsquorsquo2 हल दाया र उठाएग यह जागरकता रखत हए विक र उठा ह हम मन म धीम स कहग lsquolsquoघमrsquorsquo और र को 90 धिडगरी तक घमा कर विम र रखत हए मन म कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo यहा हम शबद lsquolsquoघमrsquorsquo को थोड़ा बड़ा कर इस परकार सोचग और उस ी 90 धिडगरी तक घमा कर विबलकल दाय र क साथ विम र रख कर और मन म हर कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoघम रहा हrsquorsquo3 अब ऊर बताई गई परविकरया को एक बार विफर दोहराना ह और दोनो रो को एक बार विफर उसी परकार 90 धिडगरी क कोण स घमा कर सीध दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाना ह जब हम दसरी विदशा म मख करक खड़ हो जाएग हम उस कषण की जागरकता रखत हए कहग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo4 अब हम विबलकल उसी परकार चलना शर करग सिजस परकार हमन धयान साधना का परार विकया था हल दाया कदमबढ़ाएग और मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo और जब बाया र बढ़ाएग मन म धीम स दोहराएग lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

जब धयान करत समय हमार मन म कोई विचार या कछ और अन (ीड़ा य सख दःख) हो या विफर शरीर र कोई अनधित होन लग हम इनकी ओर धयान नही दग हम मन म चलन ाल विचार या शरीर र होन ाली विकसी ी अनधित को नजरदाज करना ह ताविक हम अना मन अन कदमो की ओर कसतिनmicroत रख सक रत यविद परयतन करन र ी हमारा धयान ग हो रहा हो तब हम चलना बद कर दग और इस परकार रक ग जागरकता क साथ विछल र को अगल र की ओर लात हए मन म दोहराएग lsquolsquoरक रहा हrsquorsquo और इस परकार यह ी जान रह ह विक रक रहा ह और र को विबलकल अगल र क साथ लाकर विम र धीम स रखग और जब खड़ जो जाए तब मन म दोहराएग lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo lsquolsquoखड़ा हrsquorsquo अब हम उस विचार या विफर अनधित की ओर मन को ल जात हए उस साकषी ा स दखना आर कर उसस सबध रखन ाला एक शबद मन म दोहराएग जस lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo lsquolsquoविचारrsquorsquo या विफर यविद ीड़ा अनधित हतो lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo lsquolsquoीड़ाrsquorsquo इतयाविद जब मन शात होन लग और विचार या अनधित समापत हो जाए हम विफर स चलना आर कर दग और धयान साधना करत हए मन को हर कदम क साथ जागरक रखत हए मन म विफर स दोहराना आर कर दग lsquolsquoदाया कदमrsquorsquo lsquolsquoबाया कदमrsquorsquo

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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इस परकार हम दस स microह कदम की दरी तय करत हए रक कर घम जाएग और दसरी विदशा म ी विफर स दस स microह कदम की दरी तय करक ही करम विफर स दोहराएग और अनी धयान साधना करत रहग

सामानयतः हम चलन और बठ कर धयान करन की अधिध म सतलन रखना चाविहए हम उतना ही समय बठ कर धयान करना चाविहए सिजतना समय हम चलन म परयोग कर रह ह और यविद हम चल कर धयान हल लगात ह और उसक बाद बठ कर धयान साधना करत ह तब हम दखग विक हमारा मन हल स ही शात और एकागर ह और हमार लिलए बठ कर धयानलगाना सरल हो जाएगा इस परकार परयतन कर विक साधना का आर दस विमनट स कर और हल दस विमनट चल कर धयान लगाए और विफर बाद म दस विमनट बठ कर धयान लगाए

अब विफर स म सी ाठको स यह विनदन करता ह विक ह विफर स यहा रक कर इस धयान साधना विधिध को वयाहारिरकर स कर और जो कछ ी आन इस अधयाय म ढ़ा ह उस दोहराए म विफर स दोहराता ह विक कल यह सतिसतका ढ़कर ही आक दःख दर नही होग आको परधितविदन धयान साधना का अभयास करना होगा और जब आ ऐसा करन लगगआ सय इस साधना क ला अन करन लगग म आकी धयान साधना क परधित रधिच क लिलए आका धनयाद करता ह और आको मगल मतरी दत हए आकी मगल कामना करता ह आ सब दःखो और ीड़ाओ स मकत हो आका मन विकार रविहत हो शानत हो जाए आको शाधित और सख परापत हो

विटपणी1 इस साधना दवारा होन ाल ाच ला ldquoअगतरा विनकायrdquo क lsquolsquoचकमसताrsquorsquo (5139) स लिलए गए ह

2 चल कर धयान साधना की मmicroाओ को इस सतिसतका क अत म तसीरो दवारा दशा13या गया ह आ साधना का अभयास करन स हल कया इन तसीरो को दख ल

अधयाय-चौथामल सिसदधात

इस अधयाय म म ऐस चार मल सिसदधात बताऊगा जो धयान क अभयास क लिलए जररी ह1 धयान का अभयास आग ीछ टहलन या सतिसथर होकर एक जगह बठन स कही बढ़कर ह धयान म अभयास स विकसी को विकतना फायदा हचता ह यह इस बात र विन13र करता ह विक धयान क समय एक ल स दसर ल उसक मन की कया सतिसथधित ह न विक इस बात र विक ह विकतनी दर धयान करता ह

सबस हला मखय सिसदधात यह ह विक धयान हमशा त13मान की घड़ी म विकया जाता ह धयान म हमशा त13मान घड़ी क छोट छोट लो र कसतिनmicroत करना होता ह मन को त काल या विषय काल क लो म रहन नही दना चाविहए साधक अथा साधिधका को चाविहए विक ह ऐस विचारो स दर रह विक lsquolsquoमन विकतनी दर अभयास कर लिलयाrsquorsquo या lsquolsquoअी मर

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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अभयास म और विकतन विमनट बाकी हrsquorsquo त13मान क हर ल म जो ी हरकत हो रही हो उसी को दखना चाविहए एक ल क लिलए ी मन को त13मान स हटकर त अथा विषय काल म टकन न द

सिजस ल हमारा नाता त13मान की घड़ी स टट जाता ह उस ल हमारा नाता ासतविकता स ी टट जाता ह

हर अन एक ल क लिलए ही होता ह इसलिलए यह जररी ह विक हम हर अन को उसक अन ल म ही इस तरह महसस कर विक हम उसका उरना रहना और विफर उसका समापत होना जान सक इस तरह हर अन क उार को उसक जीन को और उसक अनत को जब हम ल ल महसस करग ती हम ासतविकता को दख ाएग

दसरा मल सिसदधात यह ह विक धयान का अभयास विनरतर होना चाविहए विकसी ी परभिशकषण की तरह धयान का परभिशकषण ी मजबत होना चाविहए उसकी आदत होनी चाविहए सिजसस की साधको को आसविकत और कषात की बरी आदतो स छटकारा विमल सक

यविद कोई रक रक कर धयान का अभयास करगा और बीच बीच म लाराह हो जाएगा तो धयान स जो ी सषटता परापत हई होगी ह नः कमजोर हो जायगी अगर ऐसा होगा तो साधक अन अभयास स हए फायदो को ठीक स समझ नही ायगा और उस लगगा विक जस धयान करन स कोई फायदा नही ह यही कारण ह विक अकसर नए साधको को जब तक अन दविनक जीन म धयान को ढाल लन का अभयास नही हो जाता तब तक उनह विनराशा ी महसस होती ह जब नए साधको को धयान को अन जीन म री तरह ढालन की आदत हो जाती ह तब उनकी एकागरता बढ़ती ह और उनह धयान स विमल फायदो का आास होन लगता ह

साधको को कोभिशश करनी चाविहए विक अभयास विनरतर चलता ही रह एक ल स दसर ल विबना रक जब ह बठकर अभयास कर रह हो तब ी उनह एक ल स दसर ल क बीच हर अन का उरना उसका रहना और उसका शष होना महसस करना चाविहए (lsquolsquoउसका उारrsquorsquo lsquolsquoउसका जीनrsquorsquo lsquolsquoउसकी मतयrsquorsquo को एक मतर की तरह परयोग करना चाविहए)

चलत हए धयान करत समय साधक को सिजतना ी हो सक इस बात का खयाल रखना चाविहए विक जस जस रो म हरकत हो स-स उसी र र अना धयान कसतिनmicroत कर विबना रक बठक विक मmicroा म धयान करत समय साधक को ट क बढ़न और घटन र रा धयान कसतिनmicroत करना चाविहए एक एक ल म विनरतर विबना विकसी रकाट क

इसक अलाा जब कोई धयान की अनी मmicroा बदल रहा हो जस टहलन की मmicroा स बठक की मmicroा म आ रहा हो तो इस रिरत13न क ी हर छोट छोट लो र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए जस-झकना छना बठनाइतयाविद जब बठक की मmicroा म आ जाए तब तरत ही धयान को नः ट क सासो क साथ होन ाल उार उतार र कसतिनmicroत करना चाविहए जब बठक मmicroा की समय सीमा समापत हो जाए तो स ही ल ल दविनक जीन क कायfrac34 र धयान कसतिनmicroत करना चाविहए इस तरह अनी अनी कषमता क अनसार धयान को विनरतर बनाक रखन की कोभिशश करनी चाविहए

धयान बरसात क ानी की तरह ह जब कोई हर ल और ल ल ासतविकता क परधित जागरक रहता ह तो ह बरसात क ानी की एक बद क जसा होता ह हालाविक ल ही यह बात महततण13 न लगती हो रनत जब कोई विनरतर अनी चतना को त13मान क छोट छोट हर एक ल र बनाय रखता ह इस तरह की उस हर एक ल का उसी ल म जञान हो तो विफर यही छोट छोट ल इकटठ होकर अतर-बोध और गहरी एकागरता को बढ़ाा दत ह यह ठीक उसी तरह होता ह जस बरसात की छोटी छोटी बद इकटठी होकर एक जलाशय को र दती ह और बाढ़ ी ल आती ह

तीसरा मल सिसदधात यह बताता ह विक सजग जागरकता कस बनायी जाए मामली जागरकता स कछ खास फायदा नही होता कयोविक यह तो धयान स साधना न करन ालो और यहा तक विक जानरो म ी मौजद होती ह इसक अलाा मामली जागरकता हम इतना आास नही विदला सकती विक सिजसस हम ासतविकता का गहरा बोध हो और हमारी बरी आदत और परलिततया ी छट सक इस बरहमाणड क स13शरषठ सतय को हम जान सक इसक लिलए मन क तीन गण होन चाविहए जो इस परकार हः-2

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

22

अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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1 कोभिशश lsquolsquoउारrsquorsquo lsquolsquoजीनrsquorsquo lsquolsquoअनतrsquorsquo यह मतर उयोग म लान स ही ासतविकता का जञान नही हो सकता साधक को चाविहए विक ह अनी चतना को उस ल क उर हए विषय र कसतिनmicroत कर चाह ह मन म उरा हआ कोई ी विषय कयो न हो विफर उस विषय क जीन उसक अनत तक चतना को उसी र बना कर रख उदाहरण क तौर रजब कोई अन ट क उार और उतार र धयान कसतिनmicroत कर तो मन म बताय गए मतर का उचचारण करन क बजाय चतना को ट र ही कसतिनmicroत कर और जस-जस उसम हरकत हो स-स चतना को उस हरकत क साथ ही रख

2 जञान जब चतना को उर हए विषय र कसतिनmicroत कर तो उस विषय की शरआत स लकर उसक अत तक उस महसस कर जस अगर विषय lsquolsquoदद13rsquorsquo हो तो साधक को विबना डर विबना रक दढ़ता 13क दद13 र ही चतना को कसतिनmicroत करना चाविहए अगर विषय मन म उरा हआ कोई विचार हो तो साधक को उस विचार र चतना कसतिनmicroत करनी चाविहए मगर उसम खोना नही चाविहए

3 सीकधित साधक को चाविहए विक विषय का बोध रख चतना एक ल म सिजस विषय र हो उस विषय को उसक सर म ही अन कर और ऐसा करत समय यह जररी ह विक अनी विनजी विचारधारा को तल न द और मन म उरहए सी विषयो को बराबर ही समझ कषात न कर जस ही मन म कोई विचारविषय उर आता ह तो उसक विषय ममन एक विनणा13यक की विमका अदा करन लगता ह जस विक-मरा म अचछा बरा सही गलत इतयाविदयहा र lsquolsquoसीकधितrsquorsquo का अथ13 यही ह विक विषय र इस तरह की यातरा मन को न करन द जो ी विषय हो उस उसक सााविकर म सीकधित द

रान समय स धयान क ाच मखय गण समझ गए ह इन ाच गणो म अचछी तरह स तालमल बठाना यह साधना का चथा मल सिसदधात ह मन क यह ाच गण इस परकार ह-1 आतमाविशवास 2 परयास3 जागरकता 4 एकागरता5 जञान

स तो साधारण तौर र यह ाच गण मन क लिलए लादायक हो सकत ह लविकन अगर इनम ठीक तरह सतलन न हो तो यह साधक को नकसान ी हचा सकत ह उदाहरण क तौर र अगर विकसी वयविकत म बहत सा आतमविशवास हो मगरसही जञान की कमी हो तो यह बात अनको अधविशवासो को जनम द सकती ह ऐसा वयविकत विकसी ी बात को विशवास क साथ कक तौर र मान लगा विबना उस विषय क सही अन की अहविमयत को समझ हए समाना ह विक यह वयविकत अन इस विशवास की ासतविकता की जाच ड़ताल विकय विबना उसका अन विकय विबना ही उस मन म बसा लगा और इस तरह यह विशवास एक अधविशवास का र ल लगा

इसान को चाविहए विक ह अन विशवास अथा लमब समय स मन म बसी हई धारणाओ को ासतविकता की कसौटी र तोल कर दखन का परयास कर धयान करन स साधक को जो नया जञान विमलगा ह उस जञान को अन मन म बसी हईरानी धारणाओ स न तोल बसतिलक यह समझन की कोभिशश कर विक मन म जो हल स धारणाए बसी हई ह ह शायद गलत हो सकती ह धयान स परापत हआ जञानअन झठा नही होता और मान लीसिजय विक अगर विकसी वयविकत क मन म बसी हई धारणाए हल स ही ासतविकता स विनकलती ी हो तब ी कोई ी विशवास ती ण13 हो सकता ह जब हअन अन स अरजिजत विकया गया हो न विक जीन क विकसी अनय माधयम स

इसी तरह यविद विकसी वयविकत म जञान और विशवास का सही तालमल न हो तो मसतिमकन ह विक ह वयविकत साधना क माग13 रचलन स ही कतरायगा यह मान कर विक इस माग13 र चलन स कोई विशष फायदा नही ह ल ही उस कोई बहत बड़ा जञानी-मविन ही कयो न समझाए इस माग13 र चलन क फायदो क बार म रनत बजाय इसक विक ह सोच lsquolsquoइस माग13 र कया ह इस र चलकर म ी खोजrsquorsquo विबना विकसी खोज क ही मातर अनी बधिदध र रोसा करक ह यह मान लगा विक इस माग13 र कछ नही ह ऐसा वयविकत शका और बहस म ड़ जाएगा न विक सतय की खोज म

इस तरह की परलितत स धयान क माग13 र आग बढ़ना और ी कविठन हो जाएगा कयोविक साधक म दढ़ विशवास की कमी होगी ऐस म मन का एकागर होना बहत कविठन होगा इसलिलए अगर ऐसा होता ह तो उस वयविकत को यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक सतय की खोज क रासत म यह जो दढ़ विशवास की कमी ह यही उसकी बाधा बनी हई ह विकसी

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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ी नतीज र हचन स हल उस चाविहए विक ह धयान की साधना क साथ रा नयाय कर और री लगन स साधना कर

अनय वयविकत म हो सकता ह विक परयास और एकागरता का सतलन सही न हो ऐस म हो सकता ह विक ह परयास तो सही करता हो विकनत एकागरता की कमी क चलत ह जयादा दर धयान साधना कर ही न सक कछ लोगो को सच म जीन और उसकी उलझनो क बार म सोच-विचार करन म ही आननद का अन होता ह ऐस म ह यह नही समझ ात विक इस तरह की हरकत स तना बढ़ता ह और मन टकता ह ऐस वयविकत विकसी ी अधिध क लिलए धयान की मmicroा म बठन म बहत मसतिशकल ात ह कयोविक उनक मन म हलचल मची रहती ह ऐस म साधक को री ईमानदारी स यह समझन की कोभिशश करनी चाविहए विक उसक मन की यह हलचल धयान क कारण नही ह बसतिलक अनी ही बनायी हई सालो रानी आदतो स ह

ऐस वयविकतयो को चाविहए विक ह सय को अनी षfrac34 रानी आदत स छटकारा विदलान का रा परयास कर और ऐसा करतसमय ढर सार धय13 स काम ल ऐसा नही विक हम विचारो की जररत न हो कछ विचार तो जीन की परविकरया म अविनाय13 ह ही विकनत जीन जीत समय हम यह साधानी रखनी चाविहए विक हम विकन विचारो को विकतना महतत दत ह हम यह महतत आशयकता क अनसार ही दना चाविहए न विक इन विचारो क साथ बह जाना चाविहए

आलिखर म ऐसा ी मसतिमकन ह विक विकसी वयविकत की बहत अचछी एकागरता हो विकनत परयास (कोभिशश) म कमी हो इस तरह का गलत सतलन होन स ह वयविकत साधना क समय आलस का भिशकार हो सकता ह और उस नीद ी महसस हो सकती ह ऐस म मन बार बार आलसय को विनmicroा को ढाल बनाकर सही साधना नही होन दगा और साधक सतय को ततत स महसस नही कर ाएग इसलिलए जो वयविकत धयान साधना क समय विनmicroा महसस करत हो उनह चाविहए विक यविद थकान हो तो ह खड़ होकर अथा चलकर धयान का अभयास कर ताविक अन शरीर और अन मन को जयादा चतनय रख सक

इस तरह हम यह ात ह विक मन क ाच गण का असली अथ13 ह विक जो ासत म सतय ह उस ततत को जान उसी कअन सर म इसी यथाथ13 सतय का अन उसका अतजरञान ही मन का ाचा गण ह

यह एक सतलिलत मन का द13ण ह इसीलिलए एक तरह स यह बाकी क चार गणो को सतलन म लान क लिलए उयोगी ह और उनक सतलिलत होन का परमाण ी ह जो वयविकत अन जीन म lsquolsquoसचत रहनrsquorsquo की इस कला को सीख ल और इस इस तरह ढाल ल विक जीन ही एक साधना बन जाए ह वयविकत धयान की साधना म ी उतनी ही सफलता का अन करगा हर साधक को चाविहए विक ह अनी साधना को आग बढ़ान क लिलए दो बातो का लगातार खयाल रकख-एक तो मन क इन चार गणो म सतलन बनाना और सतय को ततत स जानना

सच यही ह विक lsquolsquoसचत रहनाrsquorsquo ही मन क इन चार गणो को सतलिलत बनान म सहायक होता ह जब साधक क मन म कोई चाह जाग या विफर कोई घणा उर तो उस जागरक रहत हए सय को अनी त13मान मनःसतिसथधित स अगत कराना चाविहए ऐस-lsquolsquoचाहत चाहतrsquorsquo अथा lsquolsquoघणा घणाrsquorsquo जसा विक हल ी बताया गया ह साधक चाह तो यही विकरयाह विकसी और ाषा म ी कर सकता ह सय को सचत रखन की इस विकरया म साधको को ऐसा ी अतजरञान होगा विकविकस तरह उनका अना मन कषात करता ह उसका झका विकसी एक तरफ जयादा होता ह मन म शका उर तो lsquolsquoशका शकाrsquorsquo स जागरक रह जब मन टक रहा हो तो जागरक रह-lsquolsquoटक रहा हटक रहा हrsquorsquo यविद नीद आ रही हो तो जागरक रह-lsquolsquoनीद नीदrsquorsquo-और साधक अकसर यह ाएग विक सचत (जागरक) रहन की इस विकरया को करनकी सतिसथधित म अन आ ही सधार आ जाएगा विबना विकसी विशष परयतन क ऐसा इसलिलए होता ह कयोविक जसा की ऊरी बताया गया ह विक सचत रहन की इस विकरया स मन अन आ ही सतलन बनान लगता ह ऐसा ही उनका सा ह

एक बार जब साधक इस विकरया म विनणता हासिसल कर दता ह तो ह मन म उर हए हर विषय को कल उसक lsquolsquoउरनrsquorsquo और उसक lsquolsquoअनतrsquorsquo को महसस करन क लिलए सकषम हो जाता ह और ऐसा करत समय उसक मन म कोई विशलषण ी नही होता इसक रिरणाम सर मन स मोह क सार बधन और सार दःख-दद13 दर होत चल जायग सिजस तरह एक मजबत मन ाला वयविकत लोह क सरिरय को ी झकान म सकषम बन जाता ह ठीक उसी तरह जब विकसी साधक

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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का मन मजबत हो जाता ह तो ह अन मन को झकान म उस साच म ढाल कर उस रिरक बनान म बहत सकषम हो जाता ह जब मन रिरक और सतलिलत हो जाता ह तो विकसी ी वयविकत को आतमा क अार सखमय सा का अनहोन लगता ह और सार दःख-दद13 उस स दर साधक को अनी साधना विनरतर विबना रक करनी ह

नः धयान साधना क चार मल सिसदधात इस परकार ह-1 साधक को अनी साधना म lsquolsquoत13मानrsquorsquo क परधित जागरक रहना ह2 साधक को विनरनतर परयास करना चाविहय3 साधक को अनी साधना म सषट विचार परयास जञान और सीकधित का अभयास करना ह4 साधक को मन क चार गणो म सतलन सथावित करना ह

यह अधयाय धयान क अभयास क नज़रिरय स बहत ही उयोगी ह कयोविक धयान साधना क ला इस बात र विन13र करत ह विक साधना विकतनी बहतर तरीक स की जाती ह न विक इस बात र विक विकतनी दर की जाती ह

म सचच विदल स यह कामना करता ह विक आ सी साधक ए साधिधकाए इस ाठ को अनी साधना म ढाल कर इसक दवारा अन जीन म और ी जयादा सख शाधित और दःखो स मविकत का अन करगएक बार विफर म आ सबका आार परकट करता ह विक आ सब धयान की विधिध को उतसाह स सीख रह ह

विटपणी1 धयान क यह चार मल सिसदधात मझ मर आचाय13 शरी टोग सिसरिरमगलो दवारा विमल ह

2 यह तीन गण ldquoमसिझमम विनकायrdquo (MN 10) क ldquoसधितठाना सतताrdquo स लिलय गय ह

अधयाय-ाचजागरकता 13क साषटाग परणाम

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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इस अधयाय म म धयान साधना की तीसरी तकनीक समझाऊगा ताविक साधक चलकर और बठकर धयान करन म जयादा सकषम हो सक अगरजी म इस तकनीक को mindful prostration कहत ह हिहदी म इस lsquolsquoजागरकता 13क साषटाग परणामrsquorsquo कहा जा सकता ह यह विधिध कसतिलक ह और साधक इस अनी इचछा अनसार अभयास करन अथा न करनका चना कर सकत ह

साषटाग परणाम एक ऐसी परथा ह जो दविनया क कई धमfrac34 म ालन की जाती ह बदध को मानन ालो क बीच यह अभयास मलतः विकसी को आदर दन क लिलए विकया जाता ह जस की माता-विता गरजन या धारपिमक गरओ क परधित शरदधा वयकत करन क लिलए कछ अनय धमfrac34 क लोग इस विधिध को विकसी जनीय विषय और जा की तरह ी इसका अभयास करत ह जस विक-रमातमा ददत अथा दसरी दविनया कइसी दविनया अनय जनीय जन

रनत यहा र साषटाग परणाम धयान साधना क परधित ही सममान परकट करन का एक साधन ह यह एक तरीका ह सिजसस विक साधना क परधित अनी लगन विनमरता और सराहना को बढ़ाा विदया जा सक इसलिलए साधक को यह बात समरण रहविक धयान साधना सिसफ13 एक शौविकया खल या विफर मनोरजन नही ह बसतिलक एक बहत ही महततण13 परभिशकषण ह जो अन आ म सममान का अधिधकारी ह

इसस ी जयादा यह एक बार ऐसा अभयास ह जो धयान साधना का परारभिक परभिशकषण द सकता ह कयोविक इसस शरीर क कई अगो को बार-बार हरकत म लाना होता ह सिजसस शरीर की हर हरकत र एकागर होन का मौका विमलता ह

गौरतलब ह विक जो ाठक ारतीय रमराओ को समझत ह जानत ह हो सकता ह विक ह मविदर म जाकर या विफर नमाज़ अदा करत समय साषटाग परणाम का ालन करत हो अगर आ ऐस साधक ह जो इस विकरया को हल ी कर चक ह तो इस बात र खास गौर कीसिजए विक आकी विधिध और इस विधिध म सबस बड़ा फक13 यह ह विक यहा हर छोट-छोट ल म lsquolsquoजागरकताrsquorsquo का बहत जयादा महतत ह धयान साधना क आग बढ़न क लिलए जागरकता को ल-ल ालन करन का परयास करना बहत ही जररी हजागरकता 13क साषटाग परणाम करन का तरीका इस परकार ह-1 सबस हल अन घटनो क बल बविठय या तो रो की अगलिलयो का सहारा लकर अथा तलो क सहार सतिसतका क अत म दी हई धिचतर शरणी को दख सकत ह इस आसन को समझन क लिलए धिचतर करमाक (क) 1 और (ख) दख

2 अनी ीठ को सीधा रखत हए अनी हथलिलयो का अगराग नीच की तरफ करक उनह अनी जाघो र रलिखय धिचतर करमाक (1) दख

अब सण13 चतना को त13मान म सथावित करत हए अनी दायी हथली को नबब धिडगरी क कोण म घमाए इस तरह की ह ज़मीन क साथ सीध म आ जाए चतना को त13मान म सथावित करन क लिलए हम हल बतायी गयी विधिध का नः उयोग करग जब हथली जगह स उठ (घमन क लिलए) तो मन को इसी विकरया म कसतिनmicroत करत हए सचत रहग विक lsquolsquoघम रही हrsquorsquo जब हथली आधी घम जाए तो सचत रहग lsquolsquoघम रही हrsquorsquo विफर जब हथली री तरह घम जाए तो विफर ल ल की जागरकता रखत हए मन को त13मान क परधित सचत करग lsquolsquoघमीrsquorsquo (2) जसा विक आ समझ रह होग विक हथली घमान की यह विकरया तीन चकरो म री होती ह

इन चकरो क दौरान जागरकता कही खो न जाए और हथली की हर हरकत क साथ बनी रह इसीलिलए हम इन शबदो का परयोग करत ह

अब अना दाया हाथ अन सीन की तरफ धीर-धीर ऊर उठाइय और आक हाथ का अगठा आक सीन को छ सकबस उस स ज़रा हल रक जाईय-इस विकरया क दौरान विफर जागरकता क साथ अन आ को सचत करिरय-lsquolsquoउठ रहा ह-उठ रहा हrsquorsquo (3) विफर अन अगठ का सीरा अन सीन स लगाईय और अन सश13 को महसस करत हए जागरक रविहय-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (4) अब यही परविकरया अन बाए हाथ स दोहराइए एक बार विफर इस तरह-lsquolsquoघमा घमाrsquorsquo (5)-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (6)- lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (7) और आलिखर म अनी दोनो हथलिलयो को सीन स सश13 करात हए एक साथ जोड़ लीसिजय

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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अब दोनो जड़ हए हाथो को उसी सतिसथधित म ऊर अन माथ की ओर ल जाइए हाथो को ऊर उठात समय विफर जागरक रहग-lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहा हrsquorsquo (8)-जब अगठो क नाखन माथ को सश13 करन लग तब उस सश13 को नः महसस करत हए सय को जागरक रखग-lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (9) इसक बाद धीर धीर हाथो को नः नीच छाती क ास लजात हए जागरक रह-lsquolsquoनीच नीचrsquorsquo (10) सिसफ13 जब हाथ सीन को छन लग तो सचत रह-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (11) अब हम परणाम करना आर करग अनी ीठ को 45 धिडगरी क कोण म झकाएग और जागरक रहग-lsquolsquoझका झका झकाrsquorsquo (12) विफर अन दाय हाथ को घटनो क आग ाली जमीन र धीर धीर नीच रखग जागरक रहग- ldquoनीच नीच नीचrsquorsquo (13) जब हथली जमीन की सीध म खड़ हो तो उसक एक छोर र जहा ह ज़मीन को छ रही ह हा हथली ज़मीन को छ रही हो तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 सश13rdquo (14) जब हाथ री तरह स ज़मीन र रकख (ऐसकी ण13 हथली ज़मीन को छ रही हो) तो सय को जागरक करग-lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (15) ठीक यही विकरया बाए हाथ स ी दोहराएग-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (16) lsquolsquoसश13 सश13rsquorsquo (17) lsquolsquoसश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (18)दोनो हाथो स जब विकरया री होगी तब दोनो हथलिलया एक दसर क बगल म होगी दोनो क अदाज़न बीच चार इच की दरीहोनी चाविहए और दोनो अगठ एक दसर स सश13 करत होन चाविहय अब अना सिसर अन अगठो की ओर नीच झकात हएजागरक रहग-lsquolsquoझक रहा ह-झक रहा हrsquorsquo (19) जब आक माथ का सश13 आक हाथो क अगठो र हो तो जागरक रहग lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (20) अब अनी ीठ और सिसर को दबारा सीधा करग जागरक रहग lsquolsquoउठ रहा ह उठ रहाहrsquorsquo (21) यह हला साषटाग परणाम ह

जब आक हाथ सीध हो तब ऊर सिजस तरह स जागरक रहकर साषटाग परणाम करन की विधिध समझाई गयी ह इस रीपरविकरया को विबलकल उसी तरह एक बार विफर दोहराए फक13 बस इतना होगा विक इस बार आ हाथो को ज़मीन र रखकर ही शर करग जाघो र नही सय को जागरक कर दाविहन हाथ को घमात समय lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo (22) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (23) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (24) अब बाय हाथ क साथ ी यही परविकरया दबारा करग lsquolsquoघमा घमा घमा(25) विफर lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo (26) विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (27) इस बार जब आ अना बाया हाथ उठाय तो आको अनी ीठ ी सीधी करनी ह 45 धिडगरी क कोण स लौट कर विफर एक सीध म ीठ सीधी करन की विकरया को लकर अलग स जागरक होन की आशयकता नही ह कल बाया हाथ सीन क ास लात समय अनी ीठ सीधी कर ल अब अन दोनो हाथो को दोबारा माथ क ास लकर जाए जागरक रहत हए lsquolsquoउठा-उठाrsquorsquo (28) lsquolsquoसश13-सश13rsquorsquo (29) विफर माथ स हाथ उतार कर विफर नीच सीन क ास लाय lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (30) ततशचात उनका सश13 lsquolsquoसश13सश13 सश13rsquorsquo (31) अब अनी ीठ को एक बार विफर झकाएग जागरकता क साथ-lsquolsquoझकी झकी झकीrdquo1 अत म एक बार विफर अन हाथो को एक-एक करक नीच ल जायग-हल दाविहना हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफर lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo अब बाया हाथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo एक बार विफरlsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo दोबारा हाथो क अगठो को माथ स छआए और जागरक रहकर विकरया दोहराए-lsquolsquoझकीझकी झकीrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब ीठ को सीधी करक विफर एक बार-lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo यह दसरा साषटाग परणाम ह इसक बाद यही परविकरया तीसरी बार विफर करनी ह इसक लिलए धिचतराली करमाक 22 स शर करक विफर वयाखयादखी जा सकती ह

जब तीसरी बार जागरकता 13क साषटाग परणाम रा हो जाय तब हल की तरह दाविहन हाथ स शर करत हए विफर ऊर आ जाए lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब बाया हाथ lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo अब दोना हाथो को दोबारा माथ क ास ल आय हाथ ऊर उठात समय जागरक रह lsquolsquoघमा घमा घमाrsquorsquo lsquolsquoउठा उठा उठाrsquorsquo माथ र अगलिलयो का सश13 महसस करत हए lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo हाथो को सीन क ास ल जात समय एक बार विफर-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo और विफर सीन र उनका सश13 lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo इसक साथ तीन बार जागरकता 13क साषटाग परणाम हो जाता ह तो चथा परणाम करन क बजाय हाथो को एक बार विफर उसी सतिसथधित म लाना ह जहा स शर विकया था जाघो क ऊर-दाविहन हाथ स शर करत हए हाथ क नीच जान क परधित जागरक रह-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (32) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (33) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढकाrsquorsquo (34) अब बाया हाथ जागरकता क साथ-lsquolsquoनीच नीच नीचrsquorsquo (35) lsquolsquoसश13 सश13 सश13rsquorsquo (36) lsquolsquoसश13 सश13 सश13 ढका ढका rsquorsquo (37)

जब साधक जागरकता 13क साषटाग परणाम की री विकरया समापत कर ल तब उस चलत हए धयान विफर बठ कर धयान लगाना चाविहए यह ज़ररी ह विक धयान क एक तरीक स दसर तरीक म परश करत समय साधक री तरह जागरक रह ऐसा करत समय अन शरीर की सतिसथधित म जस जस हरकत हो उस हर एक ल म हर हरकत क परधित सचत रहना

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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Sirimangalo Internationalसिसरिरमगलो इटरनशनल

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चाविहए न विक जलदबाज़ी म अनी सतिसथधित बदलनी चाविहए बठ कर धयान करन क बाद खड़ होन स हल जागरक होना चाविहए-lsquolsquoबठक-बठकrsquorsquo (38) और जब धीर धीर खड़ हो जाए तो सचत रह-lsquolsquoखड़ाखड़ी ह-खड़ाखड़ी हrsquorsquo (39) एक बार जब आ खड़ हो जाए तो धयान को विनरनतर बनाय रखन क लिलए विबना रक तरत ही चलना शर कर द जागरकता13क साषटाग परणाम का अभयास चलकर धयान लगान म ठीक उसी तरह सहायक होगा सिजस तरह चलकर धयान लगाना बठक म धयान लगान क लिलए सहायक होता ह

जब धयान साधना बहत अधिधक तीacuteता स की जाती ह तब साधको को विनमन तरह स अभयास करन को सिसखाया जाता ह साधना की एक कड़ी समापत होन र उनह थोड़ा आराम करन को कहा जाता ह और आराम की अधिध समापत होन र विफर स शर स री विकरया का अभयास करन को कहा जाता ह ऐस कड़ी दर कड़ी ह अभयास करत ह एक सीविमत अधिध क लिलए यह अधिध अकसर एक बार म 24 घटो की होती ह जब यह 24 घट र हो जात ह तो साधक अन गरस विमलता ह और अन अन बताता ह साथ ही अगल ाठ म कया करना होगा इसका आदश ी परापत करता ह धयानसाधना का अगला ाठ अकसर हल स जयादा जविटल होता ह

यह सतिसतका धयान साधना क पराथविमक अभयास क नज़रिरय स नौसिसलिखयो क लिलए लिलखी गयी ह इसलिलए धयान की जविटल तकनीको क बार म यहा नही बताया गया ह यविद कोई साधक आग और ी परभिशकषण ाना चाहता ह तो ह हल इन ऊर बतायी तकनीको र कशलता हासिसल कर और उसक बाद यविद चाह तो अन लिलए विकसी योगय गर को ढढ़ कर उनस आग का जञान परापत कर यविद विकसी कारण स कोई वयविकत धयान साधना म औचारिरक परभिशकषण परापत करन की सतिसथधित म न हो तो ऐसा वयविकत विदन म एक या दो बार इस विधिध का अभयास कर और सपताह म या महीन म कछ विदन चनकर अन गर स साधना क बार म विचार विमश13 कर इसस ह धीर धीर करक अनी साधना को आग बढ़ा सकगा

इसी क साथ धयान साधना क औचारिरक ाठ समापत होत ह अगला अधयाय धयान साधना को अन दविनक जीन म विकस तरह ढालना चाविहए र आधारिरत ह एक बार विफर म धयान साधना म आकी रधिच क लिलए आका आार परकट करता ह और आक लिलए सख शासतिनत और सी परकार क दःखो स मविकत की कामना करता ह

विटपणी1धिचतरो सविहत वयाखया म धिचतर करमाक 12 स लकर 31 तक जस हल समझाया गया ह विबलकल उसी तरह री परविकरयादसरी और विफर तीसरी बार दोहरायी जानी ह

अधयाय-छठादविनक जीन म धयान साधना

इस विबनद र पराथविमक धयान साधना क औचारिरक ाठ र हो चक ह अब तक क अधयायो म जो भिशकषण क सोान विदए गए ह ह एक नए साधक को इस लायक बना दत ह विक ह सतय को ततत स और यथाथ13 म ही अन कर ान क माग13 र अनी शरआत कर सक

इस अधयाय म यह समझान का परयास करगा विक धयान साधना को अन रोज क दविनक जीन म कस ढाला जाए सिजसस विक जब साधकसाधिधकाए औचारिरक तरीक स धयान करन की सतिसथधित म न हो तब ी ह विनरतर इस अन जीन म शाविमल कर सक ऐसा करन स बविनयादी सतर र ी वयविकत जागरक रहकर साधना कर सकगा

सबस हल यह ज़ररी ह विक कछ ऐसी गधितविधिधयो स साधान रहा जाए जो मानसिसक सषटता म हाविनकारक हो सकती ह इन गधितविधिधयो का जञान इसलिलए ज़ररी ह विक इनस धयान साधना क ला विनरनतर परापत विकय जा सकत ह

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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जसा विक मन हल ाठ म ी बताया था अगरजी शबद-lsquolsquoमधिडटशनrsquorsquo अगरजी क ही शबद lsquolsquoमधिडसिसनrsquorsquo स विमलता जलताह जब कोई विकसी दा का सन कर रहा हो तो उस कई अनय दाथfrac34गधितविधिधयो स रहज करना होता ह ऐसा न करन र कई बार गीर दषरिरणाम सामन आ सकत ह जस विक दा अनय गधितविधिध अथा अदाथ13 स अगर विमल जाए जो ममविकन ह विक ह दा क फायदो को नकार द या विफर हो सकता ह विक ही दा कही जहर का र ल ल औरशरीर को उलटा नकसान हचान लग ठीक इसी तरह स कछ ऐसी ी गधितविधिधया ह जो विक मन को भरविमत कर दती ह और सिजनस धयान साधना स होन ाल ला म खलल दा हो सकती ह ऐसी गधितविधिधयो स ममविकन ह विक धिदध होन कबजाय इसका विरीत ही रिरणाम हो

धयान साधना इसलिलए ी की जाती ह विक मन म सषटता और समझदारी आए मन को घणा नश की लत और भरम स मविकत विमल सक दह और मन क कछ ऐसी गधितविधिधया और कम13 होत ह जो मन क नकारातमक गणो स जड़ हए होत ह ऐस कमfrac34 स धयान साधना ए सय को नकसान हच सकता ह धयान साधना स साधक जो ला परापत करना चाहता हयह कम13 ठीक उसका उलटा ही नतीजा दत ह यह कम13 मन को सचछ बनान क बजाय उलटा दविषत करत ह

जो साधक ऐसी हरकतोकमfrac34 को बढ़ाा दत हो ह अकसर धयान साधना को सफल बनान म बहत कविठनाइयो का सामना करत ह ऐस कम13 कल धयान साधना क लिलए ही नही बसतिलक वयविकतगत तौर र ी बहत हाविनकारक होत ह यह सविनधिशचत करन क लिलए विक मन साफ़ ह और सतय का अन करन क लिलए सकषम ह साधक को चाविहए विक ह अन कमfrac34 म सतलन बनाए और विशष तौर र कछ कमfrac34गधितविधिधयो स दर रहसबस हल ऐस ाच विभिशषट कम13 ह सिजनस हर वयविकत को दर रहना चाविहए कयोविक यह अन मल सा स ही नकसान हचात ह1

1 विकसी ी जीवित पराणी की हतया स बचसय सख का अन परापत करन क लिलए यह अविनाय13 ह विक वयविकत lsquolsquoसखrsquorsquo को सिसदधात बनाकर उसक लिलए री तरह ससमरपित हो ऐसा करन क लिलए हम सी तरह क पराभिणयो क जीन का सममान करना चाविहए और उनह ी जीन दना चाविहए विफर चाह ह पराणी मचछर-मकखी ही कयो न हो

2 चोरी न करमन की शासतिनत परापत करन क लिलए हम यह चाविहय विक हम दसरो को ी मन की शासतिनत का असर परदान कर चोरी विकसी ी वयविकत क सरकषा क ातारण क लिखलाफ ह इसक अलाा अगर हम नशो स मविकत ाना चाहत ह तो हम दसरो क अधिधकारो का सममान करत हए अनी इचछाओ र काब रखना चाविहए

3 वयभिचार और दसर परकार क दराचार स रहज करजब कोई लोग हल स ही विकसी क परधित रिरशत जोड़ कर उन रिरशतो स चनबदध हो तो ऐस वयविकतयो क लिलए नए रिरशत कायम करना आधयासतितमक और ानातमक तौर र बहत हाविनकारक हो सकता ह सय क लिलए ी और साथी क लिलए ी इस तरह कामलितत स दःख और तना इसान को घर लत ह

4 झठ बोलन स बचजो वयविकत सतय की खोज की कामना रखता हो उस चाविहए विक ह झठ स बच जानबझकर दसरो को झठ की तरफ धकलन स दसरो को ही नही सय को ी नकसान होता ह और यह कम13 धयान क उददशयो का रसर विरोधी ह

5 विकसी ी नशील दाथ13 क सन स बचना चाविहएसचछ विनम13ल मनःसतिसथधित नशीली मनःसतिसथधित क विरीत ह इसलिलए यह बहत ही सीधी सी बात ह विक विकसी ी ऐस दाथ13 का सन जो मन को साफ़ और विनम13ल सतिसथधित स दर रकख धयान साधना क विबलकल विरीत ह

यविद कोई साधक अनी धयान साधना परापत करन की कामना करता ह तो ऊर बताय गए ाच विनयमो का ालन अविनाय13 होता ह कयोविक यह कम13 सााविक तौरर हाविनकारक होत ह और मन को हमशा ही नकसान हचात ह

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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आग ऐस ी कछ कम13 ह सिजन र साधक को अना विनयतरण रखना चाविहए ऐसा न होन र यह धयान साधना क रासत का रोड़ा बन सकत ह कछ ऐस कम13 जो सा स स तो बर नही ह विकनत अगर इन र स विनयतरण खो जाए या इनकीअधित हो जाए तो धयान साधना स होन ाल फायदो को कम कर सकत ह 2

ऐसा एक कम13 ह खाना यविद कोई ी अनी धयान साधना म सफलता ान की चाहत रखता ह तो उस खास साधानी बरतनी चाविहए विक खाना बहत कम न हो और बहत जयादा ी न हो अगर मन लगातार खान क बार म ही सोचता रह तो न सिसफ13 शरीर क लिलए बसतिलक मन क लिलय ी यह बहत ही हाविनकारक कम13 ह कयोविक इसस आलसय और ससती को बढ़ाा विमलता ह और यह मन को भरविमत ी करता ह वयविकत को जीन क लिलए खाना चाविहए न विक खान क लिलए जीना जब साधक कड़ी धयान साधना करत ह तो कल विदन म एक बार र ट ोजन करत ह और ऐसा करन स उनक शरीर को कोई नकसान नही हचता बसतिलक उनह खान क नश स आज़ादी विमलती ह और उनक मन को भरम स

एक और कम13 जो धयान साधना म विघन डालता ह ह ह- मनोरजन- जस विफ़लम दखना गान सनना इतयाविद यह कम13 स तो सा स हाविनकारक नही होत विकनत जब इन र स विनयतरण खो जाए और इनकी अधित हो जाए तो यह नश का र ी ल सकत ह कोई नशा या लत स ही नकसान हचाता ह जस विक शराब कयोविक जब नशा होता ह तोविदमाग म एक तरह क रसायविनक बदला आत ह सिजनस मन की विनम13लता नही रहती मनोरजन स या अनय विकसी लत ससख तो विमलता ह मगर ऐसा सख बस कछ ही लो का होता ह कछ दर क बाद इसका अत हो जाता ह और इसान को विफर स उसी सत की चाह होन लगती ह इस तरह मन म हमशा एक कोलाहल मचा रहता ह और इसान अकसर लतो सर जीन म अना ीछा नही छड़ा ाता ह इसलिलए ऐस साधक जो अनी साधना को गमीरता स लत हो उनह इस र विचार करना चाविहए विक सिजस काम स उनह बस कछ ही लो का सख विमलता हो ऐस कमfrac34 म अन सीविमत जीन का शष समय बबा13द न करत हए उस ऐस कम13 म लगाए सिजसस अननत सख विमल सक यविद कोई ासत म सख चाहता ह तो उस अन समय की कीमत को समझत हए उस विनयवितरत रखना चाविहए इटरनट विफलम या अनय विकसी ीमनोरजन को विनयतरण म रखना चाविहए

सोनाविनmicroा- ह तीसरा कम13 ह सिजस र विनयतरण रखना चाविहए नीद एक ऐसी लत ह सिजस अकसर नजरअदाज कर विदया जाता ह जयादातर लोग यह जान नही ात विक जीन की कविठनाइयो स बचन क लिलए ो विनmicroा का विकस तरह परयोग करत ह ऐस म विनmicroा स मोह हो जाता ह बहत स ऐस ी लोग ह सिजनह लगता ह विक उनह नीद या13पत मातरा म नही विमल ा रही ह सिजसस उनम तना बढ़ जाता ह और ो अविनmicroा क रोग स गरसिसत हो जात ह

धयान साधना करन स नीद की ज़ररत स ी कम हो जाती ह साधक को की अविनmicroा का रोग नही होता कयोविक ह लट-लट ी धयान का अभयास कर सकता ह और तना मकत रहता ह जो लोग अविनmicroा स गरसत हो उनह लट-लट अन सासो क साथ होन ाल ट क उतार चढ़ा को महसस करना चाविहए अगर ज़ररत ड़ तो री रात ी ऐसा करन स बहत ममविकन ह विक उनह जलदी ही नीद आ जायगी मगर यविद न ी आयी तब ी उनह रात र नीद जसा ही आराम विमल जाएगा

आलिखर यह बात अधित उललखनीय ह विक अनी साधना को गीरता स लन ाल साधक अन यौन जीन र ी विनयतरणरकख इस विनयतरण म ज़ररी ह विक न सिसफ13 अनधितक समबनधो स बचा जाए बसतिलक विकसी ी तरह क शारीरिरक यौन समबनध स बचा जाए कयोविक समोगमथन अनी सााविक परकधित स ही नश क समान ह और यह विनःसदह मन की सफाई और सख-शासतिनत क रासत म बाधा बनगा

जब साधक इन सी विनयमो का ालन ईमानदारी स कर तब अन दविनक जीन म साधना को शाविमल करन को तयारहो जात ह रोज क जीन म विकसी ी आम अन म धयान लगाया जा सकता ह और यह करन क दो तरीक ह यह दोनो ही तकनीक एक साथ अभयास म लानी चाविहय

हला तरीका ह चतना को अन शरीर र कसतिनmicroत करना शरीर हर ल हमार हर अन का विहससा ह औचारिरक धयान साधना म ी हम शरीर को माधयम बनात ह कयोविक यह हर समय हमार ास ह आमतौर र यह शरीर चार म स एक मmicroा म होता ह-लटना बठना चलना खड़ा होना हम अगर अनी त13मान शारीरिरक मmicroा को ही अनी चतना का क micro बना ल तो मन म सषटता और शधिदध आएगी उदाहरण क तौर र चलत समय साधक चतना को कसतिनmicroत कर और

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सजग रह-lsquolsquoचल रहा हrsquorsquo अथा अन रो की हरकत क साथ जागरक रह-lsquolsquoदाया-बाया-दाया-बायाrsquorsquo यह करन सकोई ी इसान विकसी ी समय अन मन म सषटता लान क लिलए उस परभिशधिकषत कर सकता ह

आग यही विधिध इसान अन दविनक जीन म विकसी ी समय परयोग म ला सकता ह उदाहरण ह-अगड़ाई लत समय हहर ल जागरक रह और महसस कर-lsquolsquoहाथ उठrsquorsquo-lsquolsquoशरीर तनाrsquorsquo-lsquolsquoहाथ नीचrsquorsquo अगर इस विधिध को अन जीन काविहससा बनाया जाए तो कोई ी काम धयान साधना बन सकता ह आ जहा ी हो साधना कर सकत ह मजन करत समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoमजन मजनrsquorsquo खाना चबात समय जागरक रहकर महसस कर-lsquolsquoचबाना चबानाrsquorsquo lsquolsquoविनगलना विनगलनाrsquorsquo

खाना काना सफाई करना नहाना वयायाम करना कड़ बदलना बत13न धोना यहा तक विक शौच क समय ी ल-ल जागरक रहकर साधना की जा सकती ह यह हला तरीका ह सिजसस विक लोग अन जीन म सषटता ला सकत ह और उनह लानी ी चाविहए

दसरा तरीका ह अनी ाच जञानसतिनmicroयो र अनी चतना को कसतिनmicroत करना ाच जञानसतिनmicroया इस परकार ह सनना (कान) दखना (आख) सश13 महसस करना (तचा) सघना (नाक) साद लना (जी) आमतौर र रोज क जीन म जो अन हम यह ाच जञानसतिनmicroया दती ह उनस lsquolsquoमोहrsquorsquo अथा lsquolsquoदवषrsquorsquo उतनन होत ह यही कारण ह विक हमारी ाचइसतिनmicroया अगर जागरकता क दायर क बाहर हो जाए तो हम म lsquolsquoनशालतrsquorsquo और घणा उतनन हो जाती ह घणा और नशा उतनन होन स हमार दःख आरम होत ह

मन म सषटता उतनन कर सकन क लिलए-साधक को चाविहए विक ह ल-ल अनी चतना अनी इसतिनmicroयो र कसतिनmicroत कर इसस हल विक मन अनी ड़ी हई आदतो क अनसार उस ल का विशलषण कर डाल और उस कोई सजञा अथा विशषण द

इसका तातय13 यह ह विक हम कोई ी विशलषण विकय विबना विकसी ी अन को तोल विबना सिसफ13 अकल अन को जागरक रहकर महसस करना चाविहए दखत समय हम दशय का विशलषण विकय विबना सिसफ13 जागरक रहना चाविहए विक-lsquolsquoदखाrsquorsquo कानो म आाज़ आय तो जागरकता रखनी चाविहए-lsquolsquoसना-सनाrsquorsquo कोई गध आय तो कल यह जञात रख-lsquolsquoसघा सघाrsquorsquo

lsquolsquoमरा-उसका अचछा-बरा म-ह जब साधक अन अन का गmacrकरण विकय विबना बस अन गरहण करग तो उनम सय ही सषटता की धिदध होन लगगी और साधक जीन को एक तरह स अन करन लगगा विबना विकसी मोह कविबना विकसी दःख क

इस परकार यह दविनक जीन म साधना का पराथविमक माग13 ह जहा कोई ी वयविकत औचारिरक र स साधना न करता हआ ी साधना कर सकता ह इसी विधिध स साधक विकसी ी विषय का परयोग कर सकत ह जसा विक मन हल अधयायम बताया था-दःख विचार और ाना र ी तथा इस विधिध दवारा साधक साधना का विनरतर अभयास कर सय यथात13 क बार म हर सयम सीख सकत ह

इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

इस सतिसतका और धयान साधना म आकी रधिच क लिलए म एक आखरी बार आ सब ाठको का आार परकट करना चाहता ह म आ सबक लिलए और उन सबक लिलए जो आक सक13 म आत ह ऐसी कामना करता ह विक आको सख शासतिनत और सी दःखो स हमशा क लिलए मविकत विमल

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अगर आको इस सतिसतका क ननो र कछ ी सषट न हो रहा हो या कोई कमी महसस हो रही हो या आ धयान साधना म जयादा विसतत विनदETHश चाहत ह तो आ मझ स सक13 कर सकत ह मर बलाग र मर बलाग का ता ह httpyuttadhammosirimangaloorg

विटपणी1यह ाच कम13 गौतम बदध दवारा बताय गए lsquolsquoचशीलrsquorsquo क समर ह

2यह ऐस विनयम ह जो आमतौर र बौदध धयान साधक कड़ी साधना क समय या छटटी क विदन चन क र म विनात ह यह तीन विनयम हल बताय गए ाच विनयमो स जड़ जात ह और साधकसाधिधकाए ण13तः बरहमचय13 का ालन करत ह

आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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रिरभिशषटधिचतराली

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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इसी क साथ पराथविमक धयान साधना का मरा यह ाठ समापत होता ह यह बात याद रखन योगय ह विक कोई ी सतक चाह ह विकतनी ी विसतत कयो न हो लगन क साथ की गयी साधना और अभयास की जगह नही ल सकती यविद इस सतक म जो विनयम बताय गए ह इन र कोई साधक री लगन और सचचाई क साथ अमल कर तो यह बात विनधिशचत ह विक उस ी ही अनको अनक सख परापत होग जो आज तक साधको को परापत हो चक ह-सख शासतिनत और सही मायनो म आजादी

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आग ह धिचतरो सविहत वयाखया (धिचतराली)

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१२ स ३१ तक नः दो बार कर उस क बाद ३२ स शर कर

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