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1 चेतना/ अैल 2018 - जून 2018 ‘Chetna’ since 1999 APRIL 2018 JUNE 2018 - Volume 19, No. 75 हदी मसीही सामाजजक पिका और कसी दूसरे के वारा उधार नही ,यक, वग के नीचे मनुय के वल एक ही नाम हदया या है - भु यीशु मसीह, जसके वारा हम उधार पा सकते .- ेररत के कामः 4:1

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  • 1 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    ‘Chetna’ since 1999

    APRIL 2018 – JUNE 2018 - Volume 19, No. 75

    हहिंदी मसीही सामाजजक पत्रिका

    ‘और ककसी दसूरे के द्वारा उद्धार नहीिं,क्योंकक, स्वर्ग के नीच ेमनुष्यों में केवल एक ही नाम हदया र्या

    है- प्रभु यीशु मसीह, जजसके द्वारा हम उद्धार पा सकत ेहैं

    .- प्रेररतों के कामः 4:1

  • 2 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    Publisher

    Yeshu Ke Paas, Inc.

    Hindi Masih Patra Prakashan

    2379 Cochise Dr. Acworth,

    GA 30102, U.S.A.

    F: (770)693-8679

    E:[email protected]

    www.Yeshukepaas.org

    Editor & Publisher

    SHAROVAN M.A. (Hindi & Sociology),

    B.S. (Biology & Chemistry),

    CLT (NCA), CLS (C) NCA,

    MT(AMT), U.S.A.

    VERY IMPORTANT MESSAGE This is a general notice to everyone and the readers of 'Chetna' Hindi/English Christian Magazine that

    all the themes of the stories, novels, songs and cartoons of 'Chetna' Hindi/English Christian magazine are strictly

    fictional. If any story or theme resembles any person, living or deceased, or any events in any person's life, it is all

    coincidental. The publisher, editor, assistant editor, artist, printer, and authors will not be held responsible if this

    occurs. 'Chetna' is an English/Hindi Christian Magazine which is distributed to the believers and seekers of Jesus Christ. There is no subscription necessary for those who are not able to pay the membership fee $20.00 for a year.

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    चेतना हहन्दी मसीही पि प्रकाशन के ककसी भी क्षेि में ककसी भी धमग की आलोचनाएँ प्रकाशशत नहीिं की जाती हैं। इसके अततररक्त शराब, तम्बाकू, धूम्रपान, जुआघर, भ्रामक भववष्यवाणियों तथा नाचघरों के ववज्ञापन भी प्रकाशशत नहीिं ककये जाते हैं। सभी तरह के वाद-वववाद के न्यायालय का क्षेि अमरीका के राज्य जाजजगया का शहर एकवथग ही होर्ा। रचनाओिं के स्वीकृतत/अस्वीकृतत के तनिगय में सिंपादक का तनिगय ही सवगमान्य होर्ा। तौभी लेखकों की रचनाओिं से सिंपादक की सहमतत अतनवायग नहीिं है।

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  • 3 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    हे, हमारे स्वर्ीय, दयालु, महहमामय, पे्रमी, जीववत वपता परमेश्वर हम आपका धन्यवाद करत ेहैं कक आपने हम सब ही को इस सिंसार में सुरक्षक्षत रखा। इसके शलये हम केवल आपको धन्यवाद ही दे सकत ेहैं, क्योंकक सभी कुछ तो आपका ही हदया हुआ है। यहािं तक कक हमारी एक-एक सािंस भी आपकी दी हुई अमानत है। सो प्रभ ु हम प्रत्येक वस्तु के शलये आपका हृदय से धन्यवाद करत ेहैं। हम प्राथगना करत ेहैं उन लोर्ों के शलये जो ककसी भी कारि से अपने जीवन में बीमार और परेशान हैं, ऐसे लोर् जो सदा चिंर्ाई की लालसा में अपने त्रबस्तरों पर पड़ े हुये हैं, और जजनकी आिंखें उस रहनुमाई और शशफ़ा की आस में आसमान की ओर तनरन्तर ताकती रहती हैं, जब कक आप इस सिंसार में आये थे तो आपने सबको चिंर्ा ककया था। आपने हर ककसी पर तरस खाया था। चाहे उस समय कोई भी भूखा, प्यासा, बीमार, तिंर्हाल या किर परेशान था, आपने सबको राहत दी थी। सब ही को शशफ़ा दी थी। ऐसे ही लोर्ों के शलये हम आज भी दआु मािंर्त ेहैं। प्रभ ुसब पर तरस खाना। सब ही को चिंर्ाई देना। हम उन लोर्ों के शलये भी प्राथगना करत े हैं, जो ककसी भी कारि से घरों से बेघर हो र्ये हैं। जो भूखे और प्यासे हैं और जजनके पास तन ढािंकने को वस्ि नहीिं हैं, प्रभु प्यारे आप प्रत्येक की आवश्यकता को पूरा करना। हम उनके शलये भी प्राथगना करत े हैं जजनके वप्रयजन इस मायावी सिंसार से उठा शलये र्ये हैं, प्रभु उनके व्याकुल हृदयों को शाजन्त देना। प्रभ ुजहािं पर लड़ाईंया हो रही हैं, उन लोर्ों के हृदयों में पे्रम

  • 4 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    को प्रर्ट करना ताकक सभी परस्पर एक दसूरे से असीम अपनत्व रख सकें । प्रभु हम इस चतेना पत्रिका के शलये भी प्राथगना करत ेहैं। इस पत्रिका पर अपनी आशीष देना ताकक इसका पढ़ने वाला हरेक मनुष्य आपके बशलदान के महत्व को समझ सके और जान सके कक इस सिंसार में केवल प्रभु यीशु मसीह के नाम से ही उद्धार शमल सकता है। हम प्राथगना करत ेहैं, समस्त सिंसार की शाजन्त, समवृद्ध, ववकास और भाई-चारे जैसे सिंबन्धों के शलये, ताकक हर कोई पे्रम से रहकर जीना सीख सके। उस पे्रम से, जजसके शलये आपन े सलीबी मौत का दखु उठाया था। आपके महहमामय नाम से हम इस प्राथगना को समाप्त करत ेहैं। आमीन।

    ________________________________________________________

    काका शशकोहाबादी के दोहे-

    जीवन उधार का बहता दररया, दररया ठहरा जाए, सूद की लहरें पिंजे मारें, कर्ग से दबता जाए.

    डाकू देखन चम्बल र्या, शमला न डाकू कोए, तब एक बालक बोला, सारे डाकू लोक सभा में होए.

    मदद करे जो ररश्तेदारों की वह र्धा होए, जूते खाए अलर् स ेऔर बदनाम सो वह होए.

    आिंधी-पानी देख के िकीर तू क्यों चचल्लाए? तेरा कुछ न त्रबर्ड़ ेचाहे दतुनया पलट क्यों न जाए.

    सलीब र्ले में लटका के जो राशन-पानी को रोए, ऐसो पास्टर केवल लखनऊ डायोसीर् में ही होए.

    चटकारे स ेपुलाव खाएिं, टाँरे् नोचें मुर्ों की, र्ई कलीशसया भाड़ में, जय त्रबशप महाराज की.

    दोहे तो दोहे हैं, जो समझ ेवह समझ जाए, जो न समझ ेवह महामूखग-ज्ञानी कहलाये.

  • 5 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    कहानी ववधा उससे कहना कक, ९ कैनवास २८ कत्रिस्थान की दीवारों के पीछे ३४ शालीमार ४३ आम ४६ र्ोली ४९

    लेख कुबागनी की भेड़ें २३ चेलों की म्रत्य ु२७ कफ़लेमोन ५९

    कववताएँ दोहे ४ कैसा है चलन ८ ककनारा, शशकायत, कोई भी १५ ररवार्-ए-कमग १७ वजह भी दे हदया करत े२० पन्नों में बिंद रह कर ४२

    स्तिंभ आइये हम प्राथगना करें ३ चेतन्यधारा ६ मार्गदशगन १६ तब और अब २५ बाइबल की जानकाररया ँ२१ बाइबल, इसमें क्या है १८

  • 6 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    इस बार के 'चतेन्यधारा' में हम आपको एक ऐसी कहानी के र्ररए आपको परमेश्वर, उसकी महहमा और ववश्वास के बारे में बताना चाहत ेहैं कक जजसको पढ़कर हो सकता है कक आपके ववश्वास में एक और मजबूती आ जाए. एक बार एक मसीही पररवार था जो बे-हद ही र्रीब था. उस पररवार में माता-वपता के साथ उनकी दो लडककयाँ भी थीिं. सबसे बड़ी लडकी माि आठ साल की रही होर्ी और दसूरी उससे तीन साल छोटी. पररवार र्रीब था जजसमें मािं एक घर में ककचचन आहद का काम ककया करती थी और वपता एक प्लाजस्टक कम्पनी में मशीन पर काम करता था. अचानक से क्या हुआ कक मािं सख्त बीमार पड़ र्ई और वह तीन महीनों तक काम पर न जा सकी. इसके साथ ही वपता की कम्पनी भी बिंद हो र्ई और वह भी बे-रोर्र्ार हो र्या. ककसी तरह से घर में रखे हुए पैसों से कुछ हदनों तक काम चलाया र्या, मर्र जब वे भी समाप्त हो र्ये तो घर में खाने के शलए भी परेशानी तो हुई ही साथ ही मािं की दवाएिं भी आनी बिंद हो र्ईं. बड़ी लड़की प्रततहदन अपने परमेश्वर से दआु ककया करती और यही माँर्ा करती थी कक उसके घर के हालात कैसे भी ठीक हो जाएँ और मुसीबतों का पहाड़ उन पर से हट जाए. वह हर हदन परमेश्वर से दआु ककया करती और अपनी दआु को एक कार्ज पर शलख भी शलया करती थी.

    हदन ऐसे ही कट रहे थे. मािं बीमार थी, वपता को भी अभी तक कोई दसूरी नौकरी नहीिं शमली थी. बड़ी लड़की का िीस के अभाव में स्कूल भी जाना बिंद हो र्या था. घर पर मुसीबतों की लर्ातार ऐसी बाररश हो रही थी जो जरा भी थमने का नाम ही नहीिं ले रही थी. घर में कभी चूल्हा जलता और कभी सब पानी पीकर ही सो जात.े किर

  • 7 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    एक हदन जब घर में कुछ भी खाने और पकाने को नहीिं था तो बड़ी लड़की पास की दकूान में र्ई और दकुानदार से थोड़ी-बहुत चीजें खाने की उधार माँर्ी और ये वादा भी ककया कक जैसे ही उसके वपता को नौकरी शमलेर्ी वह उसका एक-एक पैसा वापस कर देर्ी. लेककन दकुानदार जो एक महहला थी को उस पर र्रा भी तरस नहीिं आया और उसने उसे कुछ भी देने से मना कर हदया. बेचारी लड़की बहुत तनराश हो र्ई. अपनी पररजस्थतत को देख कर उसकी आँखों में आिंसू आ र्ये. घर में खाने को नहीिं था. उसकी छोटी बहन भूख से त्रबलख रही थी. माँ बीमार थी. वपता लाचार था. वह तनराश होकर दकूान से जाने लर्ी. तभी एक बुजुर्ग आदमी जो वहािं पर ये सब देख और सुन रहा था, उसने लड़की को वहीिं रोका और दकुानदार से बोला कक, 'इस लडकी को जो भी चाहहए उसे दो, मैं उसका मूल्य अदा करिं र्ा.' तब दकुानदार ने उस लडकी से पछूा कक,' तुम्हारे पास अर्र ग्रोसरी की शलस्ट है तो वह उसे तराजू के दसुरे पलड़ ेपर रख दे. लड़की ने जो अपने हाथ में एक कार्र् पकड़ ेहुए थी उसे उसने तराजू के पलड़ ेपर पलट कर रख हदया. तब दकुानदार ने दसूरे पलड़ े पर खाने का सामान िल, िेड दधू आहद रखना आरम्भ ककया. मर्र दकुानदार आश्चयगचककत रह र्ई जबकक उस लडकी के द्वारा रखा हुआ कार्ज का भार दसूरे पलड़ ेसे भी भारी बना रहा. यहाँ तक कक दकुानदार ने एक घर की समस्त आवश्यक खाने की वस्तुएिं तराजू में भर दी थीिं मर्र दसूरी तरि का पलड़ा जजसमें कार्ज रखा हुआ था वह अभी भी भारी था. तब दकुानदार ने उस कार्ज को उठाया और ग्रोसरी में शलखी हुई वस्तुएिं पढ़ने लर्ी. लेककन वह यह देख कर और भी आश्चयगचककत रह र्ई कक उस कार्ज में ग्रोसरी के नाम पर एक भी वस्तु का नाम नहीिं शलखा हुआ था, बजल्क उसमें उस लडकी के द्वारा वह प्राथगना शलखी हुई थी जजसे वह हर हदन करके कार्ज पर शलखा करती थी. तब दकुानदार ने अपनी तराजू को जािंचा तो पाया कक उस

  • 8 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    तराजू का काँटा टूटा हुआ था जजसके कारि वह तराजू ऊपर ही नहीिं उठ पा रही थी. तब दकुानदार ने यह समझत ेहुए कक उसकी तराज ूको परमेश्वर ने ही तोड़ डाला है, क्योंकक उसने उस लडकी की मदद करने से मना कर हदया था, उस लडकी को सारा सामान मुफ्त एक माह के खाने की सारी वस्तुओिं के साथ दे हदया. बाद में इस एक माह के अिंदर उस लडकी के वपता की नौकरी भी लर् र्ई और उसकी मािं भी बीमारी से ठीक हो र्ई. इस कहानी को पढ़ कर अब आप क्या कहेंरे्? एक चमत्कार? अनहोना? परमेश्वर के द्वारा ककसी की सहायता करने का एक तरीका? या किर उस नादाँ लडकी की दआुओिं का प्रततिल?

    अब आप चाहे कुछ भी सोचें और ववचार करें, पर मैं तो यही कहूिंर्ा कक हम मनुष्य लोर् परमेश्वर के भेदों और उसकी सहायता करने के तरीकों को नहीिं समझ सकत ेहैं क्यों हम आणखरकार हैं तो एक मनुष्य ही. परमेश्वर हमारी औकात जानता है. वह जानता है कक हम सब एक शमट्टी ही हैं. यही कारि है कक वह हम पर सदा ही दया और कृपा करता है. वह सदैव ही हमारी दआुओिं को सुनता है, पर ये और बात है कक वह हमारी दआुओिं का कब, कैसे और ककस समय पर उत्तर देता है.

    ___________________________________________ कैसा है चलन?

    सिंभाल न सका जो समुिंदर आँखों का मेरा, वह सार्र स ेमोती लान ेकी बात करता है,

    जो हटक न सका प्यार के बविंडर में एक पल को, वह आँचधयों में हदए जलान ेकी बात करता है,

    कैसा है चलन तेरी ररवायत का, जो कर नहीिं सकता, उसे करने की

    बात करता है? - शरोवन

  • 9 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    उससे कहना कक,

    कहानी/ शरोवन. र्ुदर्ुदी, एहसास,

    अनछुए बदन को सहसा ही पुलककत कर देने वाले स्पिंदनों की झिंकारें; हदल ही हदल में सोचत ेहुए ररमणझम अपने कोमल बदन को सुकोडत े हुए और हाथों से र्ालों पर छाई लाशलमा को छुपात े हुए इस प्रकार से लजा र्ई कक जैसे सावन ने अचानक ही चुपके से आकर उसको छू शलया हो?

    वपछले चौदह वषों से ररमणझम सावन के साथ-साथ एक ही कक्षा, एक ही स्कूल से एक ही कालेज में पढ़ती आ रही थी. इतने वषों के अिंतराल में उसके मन और मजस्तष्क में कभी भी इस प्रकार के ववचार और भावनाएिं नहीिं आ सकी थीिं. उसने तो हमेंशा से ही सावन को अपना एक दोस्त, एक सहपाठी, बचपन से साथ रहनेवाला वह भला जन ही समझा था कक जजसे वह बहुत अच्छी तरह से जानती आई है और वक्त पड़ने पर जजस पर वह आँखें बिंद करके ववश्वास भी कर सकती है. लेककन कब वह बड़ी हो र्ई? लोर् कब से उसे सयाना कहने लरे् हैं? महल्ले और जान-पहचान वालों की उन बातों पर भी वह सहज ही ववश्वास नहीिं करती थी. मर्र जब एक हदन बातों-बातों में सावन ने उसे अचानक से छू शलया तो किर उसे एहसास हुआ कक सचमुच उसके मुहिं के साथ उसका बदन भी बात करन ेलर्ा है. जब उसके एहसास हदल की नार्ुक और शबनमी धड़कनों से वास्ता जोड़कर उसके कानों में

  • 10 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    आहहस्ता-आहहस्ता प्यार के र्ीत र्ुनर्ुनाने लरे्. कुछ तो तब्दीशलयाँ उसके जीवन में उम्र के बढ़ने के साथ-साथ आईं हैं, जजनके कारि उसकी मािं, उसे आये वक्त उस पर नर्र रखने लर्ी है. उसके वपता की आँखों में उसके प्रतत चचिंता और सतकग ता दोनों ही के चचन्ह स्पष्ट नर्र आने लरे् हैं.

    ररमणझम, उपरोक्त समस्त बातों, घर के हालातों को बहुत हदनों से देखती थी. देखती थी और सोचती थी. यही कक, क्या एक अकेली वही लड़की इस दतुनया में रह र्ई है जो बड़ी हो रही है, युवा हो रही है, जवान हो चुकी है? क्या इस सिंसार में और दसूरी लड़ककयािं नहीिं हैं? क्या वे सब अपने समय पर बड़ी नहीिं होतीिं? उनके वववाह नहीिं होत ेहैं क्या? समय-असमय, अक्सर ही उसके माता-वपता उसके ही भववष्य को लेकर बात ककया करत ेहैं. उन की इन बातों में उसके प्रतत चचिंता, सोच-ववचार और उसकी चुपचाप तनर्रानी के भाव दरू से ही झलक जात ेहैं. ‘लड़की कालेज समाप्त कर ले, किर ररश्त ेकी बात चलाएिंरे्, एक बड़ा बोझ तो है, पर क्या करें, उठाना तो पड़रे्ा ही. सब ऊपरवाला करेर्ा, साहस तो करना ही है, आशा भी रखनी है.’ इस तरह की बातें ररमणझम अक्सर ही सुन शलया करती थी. सुनती थी लेककन कभी भी इन्हें महत्वपूिग नहीिं माना था. यहद ध्यान हदया भी तो केवल सावन को, उसके व्यजक्तत्व को, उसके साथ पढ़त ेहुए, उसके करीब आने के कदमों की दरूरयों को कम करने के ववषय में, कब वह उसकी हो जाए, कब वह उसे अपने घर ले जाए, उसकी दलु्हन बनकर वह कैसी हसीन और सुन्दर हदखेर्ी, बारात लेकर जब वह आयेर्ा तो ककतने सारे लोर् उसके दरवार्े पर होंरे्? आहद ऐसी तमाम बातों के सपनों के सार्र में वह डूबती और उतराती थी. सावन ने भी उसे भरपूर ववश्वास हदया, वास्ता हदया, उसे अपनी बनाने के शलए हर तरह के सिंघषग से जूझने के वादे ककये, पर जब हकीकत सामने आई तो सावन तो पीछे नहीिं हटा, वह स्विंय ही बड़ी आसानी से अपने हचथयार डालने वाली नहीिं थी. मर्र बात तो वहीिं आकर थम र्ई थी कक आरे् कौन बढ़े? त्रबल्ली के र्ले में घिंटी कौन बािंधे? मािं ने उसका ररश्ता अपने जान-पहचान में ककसी लड़के से तय करन ेके शलए सोच रखा था. उसके वपता को

  • 11 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    तो शायद इस बारे में कुछ भी बोलने की मनाही उसकी मािं ने पहली ही कर दी थी. उसके पापा तो इस बारे में अभी तक कुछ भी नहीिं बोले थे, मर्र जब भी बोलत ेथे तो सदा मािं को ही उनकी बात माननी भी पड़ती थी.

    किर कालेज बिंद हुए. छुहट्टयािं हुई. घर के अिंदर वववाह जैसा माहौल बनने के आसार हदखने से लरे् और सावन से शमलना भी ररमणझम का करीब-करीब बिंद सा हो र्या. लेककन एक हदन सावन ररमणझम को अचानक से बार्ार में शमल र्या. दोनों में बातें हुई. शशकवे-शशकायतों के मध्य ररमणझम ने अपने घर के सारे हालातों के बारे में स्पष्ट कर हदया. सावन सुनकर जहािं चौंका वहीिं वह चचजन्तत भी हो र्या. तब सावन ने उसे समझाया, अपने माता-वपता को उसके घर भेजन ेऔर उसका ररश्ता मािंर्ने के शलए, वास्ता हदया. साथ ही उससे रोर् ही उसके घर पर जब उसके मम्मी और पापा नहीिं होंरे् और दोनों ही अपनी नौकररयों पर होंरे् तो वह उस मध्य उससे शमलने भी आया करेर्ा. लेककन ऐसा हो नहीिं सका. सावन की हहम्मत ही नहीिं हो सकी कक वह अपने माता-वपता से इस बारे में बात भी करता. अर्र उसमें कुछ साहस हुआ भी था तो वह केवल ररमणझम के मािं-बाप की अनुपजस्थतत में उससे शमलने उसके घर पर आने भर का ही. बाद में धीरे-धीरे हदन बीत,े महीने हुए और ररमणझम के अपने घर में उसकी सर्ाई की बातें आये हदन होने लर्ीिं. होने लर्ीिं तो उसे चचिंता हुई, मन ही मन खूब कुलबुलाई, छटपटाई, मजबूरी में अपने हाथ मलने लर्ी, हदन-रात वह परेशान रहने लर्ी. सोच शलया कक इस बार सावन आयेर्ा तो वह उससे खुलकर बात करेर्ी. कहेर्ी कक यहद वह उसको अपनी बनाना चाहता है तो अब देर न करे. अपने मािं-बाप से स्पष्ट कहे और उन्हें मेरे घर भेजे. और अर्र वह ऐसा नहीिं कर सकता है तो किर यहाँ आना छोड़.े भूल जाए मुझ ेऔर सारी जर्न्दर्ी हाथ मल-मलकर पछताता रहे और मुझ ेभी रोने दे.

    तब हमेशा की तरह जब सावन आया तो ररमणझम ने उसे आड़ ेहाथ ले डाला. उसको सारी पररजस्थततयों से आर्ाह ककया. बोली,

    ‘ऐसा अब और ज़्यादा हदन नहीिं चलेर्ा. तुम्हें ही कुछ करना होर्ा.

  • 12 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    अपने मम्मी और पापा से खुलकर कहना होर्ा. मैं तो लड़की हँू. मुझसे नहीिं हो सकेर्ा ये सब. अर्र तुम ऐसा नहीिं कर सकत ेहो तो किर मुझ ेभूल जाओ. मेरे तो प्यार की बशल चढ़ेर्ी ही साथ ही तुम भी जर्न्दर्ी भर पछतात ेरहना. अब से मेरे घर पर यू ँछुप-छुप कर आना भी बिंद करो. ककसी ने हम दोनों को अर्र इस तरह से छुप कर शमलत े देख शलया तो किर और मुसीबत हो जायेर्ी.’

    सावन ने चुपचाप सुना. शसर हहलाकर अपनी हािं में उसकी बात का समथगन ककया और किर चला र्या. मर्र किर भी बाद में ऐसा कुछ भी नहीिं हुआ. सावन ने न तो अपने मािं-बाप से बात की और ना ररमणझम के घर आना ही छोड़ा. कोई जब बात नहीिं बनी और सावन ने आना भी नहीिं छोड़ा तो ररमणझम और भी परेशान हो र्ई. सावन का अपने मा-ँबाप से बात न करन ेका कारि ऐसा कोई ववशेष मुजश्कल वाला भी नहीिं था. जजस पररवेश और अपने घर के माहौल में उसकी पररवररश हुई थी उसमें इस तरह की बात और िैसले करन ेका तरीका उसे शसखाया ही नहीिं र्या था. वह करता भी क्या? और जब अपनी मजबूरी और परेशानी सावन ने ररमणझम को बताई तो वह उस हदन कुछ अचधक न बोलकर केवल इतना ही बोली,

    ‘तो ठीक है. तुम अब मेरे घर आना बिंद करो. अर्र आओरे् भी तो मैं आरे् से दरवार्ा हरचर्र् नहीिं खोलूँर्ी. सोच लेना कक मैं जजतना अचधक तुमको प्यार करती हँू उतना ही सख्त भी हो सकती हँू.’

    सुनकर सावन चुपचाप चला र्या. लेककन अपनी आदत से मजबूर उसने दसूरे हदन किर से उसने तनजश्चत समय पर ररमणझम के घर का द्वार खटखटा हदया. मर्र ररमणझम ने भी दरवार्ा नहीिं खोला. सावन ने बार-बार कहा. शमन्नतें कीिं, अपने प्यार का वास्ता हदया, कसमें खाईं, लेककन ररमणझम ने द्वार नहीिं खोला. नहीिं खोला तो सावन उस हदन जैसे बे-हद तनराश होकर वापस लौट र्या. उसके जाने के बाद ररमणझम वहीिं द्वार से शसर लर्ाकर खूब रोई, अफ़सोस ककया, सावन से हदल लर्ाकर पछताई भी. वह जानती थी कक ऐसा कब तक और क्योंकर चल सकता था? कुछ तो दोनों

  • 13 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    में से ककसी न ककसी को करना ही था. सो जो वह कर सकती थी उसने ककया था.

    अर्ले हदन, सावन बेशमग बना किर से आ र्या. उसने द्वार की घिंटी बजाई. तो अिंदर उसके इिंतर्ार में णखन्न सी बैठी ररमणझम समझ र्ई. वह अपने स्थान से उठी भी नहीिं. मर्र सावन ने घिंटी बजाना बिंद नहीिं ककया. बार-बार बजती हुई घिंटी की आवाजें सुनकर ररमणझम मन ही मन झुिंझलात ेहुए अपने स्थान से उठी. जाकर उसने दरवार्ा खोला और सावन को सामने खड़ा देखकर णखशसयात ेहुए बर्ैर कुछ भी कहे-सुने तुरिंत ही दरवार्ा बिंद कर हदया. किर आकर अपने कमरे में चली आई. ररमणझम ने सोचा था कक उसके ऐसा करन ेसे कुछ तो बात बनेर्ी और कोई न कोई हल तनकल ही आयेर्ा. मर्र उसका सोचा हुआ कुछ भी नहीिं हुआ. सावन आता और ररमणझम णखन्न मन से दरवार्ा खोल देती और सावन को देखत ेही तुरिंत दरवार्ा बिंद भी कर देती. लेककन अपनी आदत से मजबूर सावन ने ररमणझम के घर आना बिंद नहीिं ककया. वह तनजश्चत समय पर आता, द्वार की घिंटी बजाता, कुछ देर तक इिंतर्ार करता, किर वापस चला जाता. मर्र ररमणझम द्वार पर आकर चुपचाप खड़ी तो हो जाती, पर उसे खोलती हरचर्र् भी नहीिं.

    किर एक हदन, सावन किर से आया. अपने समय पर. उसने द्वार की घिंटी बजाई. ररमणझम ने सुना तो वह णखन्न सी होती हुई दरवार्े पर आई, सोचा के वह आज सावन को खूब ही खरी-खोटी सुना दे. इस प्रकार कक वह आइन्दा आना तो क्या इस तरि का रुख भी करना छोड़ देर्ा. मर्र नहीिं, सावन का भोला और तनष्कपट मुखड़ा उसकी आँखों के सामने जैसे ही आया तुरिंत ही उसकी आँखों में आिंसू भर आये. वह मन ही मन द्रववत हो र्ई. लर्ा कक वह िौरन ही द्वार खोल दे और सावन से चचपक जाए. किर भी वह ऐसा नहीिं कर सकी, और दरवार्े के पीछे ही खड़ी-खड़ी चर्ड़-चर्ड़ाने सी लर्ी. रोत ेऔर शससकत ेहुए कहने लर्ी,

    ‘क्यों आते हो यहाँ बार-बार? मत आया करो. ऐसे आने से लाभ भी क्या, जब तुम में मुझको अपने घर ले जाने का साहस ही नहीिं है. अपनी

  • 14 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    मम्मी से तुम बात नहीिं कर सकत ेहो? अपने पापा के सामने भी तुम खड़े नहीिं हो सकत े हो, तो किर मुझे कैसे और ककस प्रकार मािंर् सकत ेहो? मैं अकेली ही सही, ककसी दसूरे की भी अर्र हो र्ई तौभी तुम्हें क्या िकग पड़रे्ा? बार-बार आत ेहो यहाँ, क्या शमल जाएर्ा तुमको? शसवाय इसके कक मैं ही बदनाम हो जाऊिं र्ी, मेरे मम्मी और पापा? वह तो मारे शमग के बाहर महल्ले में भी नहीिं तनकल सकें रे्. प्लीर्, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हँू, पैर पड़ती हँू, ववनती करती हँू, मेरे घर आना छोड़ दो...’

    ‘...ररमणझम . . .ररमणझम? क्या हो र्या है तुमको? ककससे रो-रोकर बात कर रही हो? दरवार्ा तो खोलो जल्दी से.' बाहर कािी देर से खड़ ेहुए उसके वपता की आवार् ररमणझम को अचानक ही सुनाई दी तो लर्ा कक जैसे उसके पैरों से जमीन ही णखसक र्ई है. भय के मारे वह शीघ्र ही पसीने-पसीने हो र्ई. घबराहट में उसने द्वार खोला तो सामने अपने वपता को यू ँखड़ े देख उसे लर्ा कक वह जल्दी ही चक्कर खाकर चर्र पड़ेर्ी. तभी उसके वपता ने उसे अपने सीने से लर्ा शलया. बड़ी देर तक वे उसे अपने कलेजे का हहस्सा बनाये अपने अिंक से लर्ाए हुए उसके शसर पर स्नेह से हाथ रख ेरहे. तब थोड़ी देर बाद लर्ा कक कुछ सामान्य सा हो र्या है, वे ररमणझम से बोले,

    ‘जो लड़का तुमको पसिंद है, ‘उससे कहना कक’, अपने ककसी बुर्ुर्ग या किर अपने मािं-बाप के साथ मुझसे शमले. अर्र वह ऐसा नहीिं कर सकता है तो किर उसके मािं-बाप का नाम व पता और िोन निंबर मुझ ेदो. मैं खुद ही उनसे तुम्हारे ररश्त ेके शलए हाथ मािंर्ने जाऊिं र्ा. अर्र उन सबको कोई भी तकलीि नहीिं है तो मुझे भी कोई ऐतरार् नहीिं होर्ा तुम दोनों का वववाह करन ेके शलए.’

    अपने वपता के मुख से इतनी प्यारी-प्यारी बात को सुनकर ररमणझम को लर्ा कक अचानक ही जैसे तपत ेहुए ग्रीष्म के खेतों में सावन की िुहारें इस प्रकार बरस पड़ी हैं कक वह उनकी बाररश में सारी जर्न्दर्ी इसी तरह से भीर्ती रहे.

  • 15 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    ककनारा- कहाँ स ेचले थे? कहाँ आ र्ये हैं? ऐ जर्न्दर्ी बता हठकाना कहा ँहै? तूिानों स ेतघरी ये जीवन नैय्या भटकती लहरों से पूछे, ककनारा कहाँ है? - महुआ शरोवन

    शशकायत- वीरातनया ँददग देकर ककसी का

    ख्याल नहीिं रखतीिं, तन्हाइिंयाँ कभी जानकार भी

    रहम नहीिं करतीिं, किर भी शुक्र है खुदा का कक,

    हमारी परछाइिंया साथ रहकर भी कभी हमसे शशकायत नहीिं करतीिं.

    - जसविंती

    कोई भी- ककतनी हसरतों स ेमहल बनाया

    था जर्न्दर्ी का, हर तरह से सजाया था घर

    बस उसी का, वह यह घर ढेर करके चले र्ये तो,

    समझ में आया कक, कोई भी नहीिं होता है,

    यहाँ ककसी का. - शरोवन

  • 16 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    मार्गदशगन सिंकशलत/आशा शरोवन

    सभोपदेशक / अध्याय 3

    1 हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीच ेहोता है, एक समय है। 2 जन्म का समय, और मरन का भी समय; बोने का समय; और बोए हुए को उखाड़ने का भी समय है;3 घात करने का समय, और चिंर्ा करन ेका भी समय; ढा देने का समय, और बनाने का भी समय है; 4 रोने का समय, और हिंसने का भी समय; छाती पीटने का समय, और नाचने का भी समय है; 5 पत्थर िें कन ेका समय, और पत्थर बटोरने का भी समय; र्ल लर्ाने का समय, और र्ल लर्ाने से रकने का भी समय है; 6 ढूिंढ़ने का समय, और खो देने का भी समय; बचा रखने का समय, और िें क देने का भी समय है; 7 िाड़ने का समय, और सीने का भी समय; चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है; 8 पे्रम का समय, और बैर करन ेका भी समय; लड़ाई का समय, और मेल का भी समय है। 9 काम करने वाले को अचधक पररश्रम से क्या लाभ होता है? 10 मैं ने उस द:ुखभरे काम को देखा है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के शलये ठहराया है कक वे उस में लरे् रहें। 11 उसने सब कुछ ऐसा बनाया कक अपने अपने समय पर वे सुन्दर होत ेहै; किर उसने मनुष्यों के मन में अनाहद-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न ककया है, तौभी काल का ज्ञान उत्पन्न ककया है, वह आहद से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीिं सकता। 12 मैं ने जान शलया है कक मनुष्यों के शलये आनन्द करने और जीवन

  • 17 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    भर भलाई करने के शसवाय, और कुछ भी अच्छा नहीिं; 13 और यह भी परमेश्वर का दान है कक मनुष्य खाए-पीए और अपने सब पररश्रम में सुखी रहे। 14 मैं जानता हूिं कक जो कुछ परमेश्वर करता है वह सदा जस्थर रहेर्ा; न तो उस में कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है; परमेश्वर ऐसा इसशलये करता है कक लोर् उसका भय मानें। 15 जो कुछ हुआ वह इस से पहहले भी हो चुका; जो होने वाला है, वह हो भी चुका है; और परमेश्वर बीती हुई बात को किर पूछता है। 16 किर मैं ने सिंसार में क्या देखा कक न्याय के स्थान में दषु्टता होती है, और धमग के स्थान में भी दषु्टता होती है। 17 मैं ने मन में कहा, परमेश्वर धमी और दषु्ट दोनों का न्याय करेर्ा, क्योंकक उसके यहािं एक एक ववषय और एक एक काम का समय है। 18 मैं ने मन में कहा कक यह इसशलये होता है कक परमेश्वर मनुष्यों को जािंच ेऔर कक वे देख सकें कक वे पशु-समान हैं। 19 क्योंकक जैसी मनुष्यों की वैसी ही पशुओिं की भी दशा होती है; दोनों की वही दशा होती है, जैसे एक मरता वैसे ही दसूरा भी मरता है। सभों की स्वािंस एक सी है, और मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीिं; सब कुछ व्यथग ही है। 20 सब एक स्थान मे जात ेहैं; सब शमट्टी से बन ेहैं, और सब शमट्टी में किर शमल जात ेहैं। 21 क्या मनुष्य का प्राि ऊपर की ओर चढ़ता है और पशुओिं का प्राि नीच ेकी ओर जा कर शमट्टी में शमल जाता है? कौन जानता है? 22 सो मैं ने यह देखा कक इस से अचधक कुछ अच्छा नहीिं कक मनुष्य अपने कामों में आनजन्दत रहे, क्योंकक उसका भाग्य यही है; कौन उसके पीछे होने वाली बातों को देखने के शलये उसको लौटा लाएर्ा?

    _________________________________________________ ररवार्-ए-कमग - इस जर्न्दर्ी का यही सबसे बड़ा बया ँहो र्या,

    झठूा ही था, पर िैसला तेरे नाम हो र्या, हम ढूढ़ते रहे मकाम सारी उम्र रास्तों पर, नजदीक आये तो वह भी तेरे नाम हो र्या. शायद यही जमाने का ररवार्-ए-कमग है, जो मेरा था वह ककसी और का हो र्या,

    यूँ कोई पाकर शमल र्या, तो कोई शमल कर ही खो र्या.

  • 18 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    बाइबल - इस में क्या है?

    १ इततहास व २ इततहास

    यहद र्ौर ककया जाए तो इततहास की दोनों पुस्तकों में शमुएल और राजाओिं में घहटत घटनाओिं का दोबारा जैसा विगन ककया र्या है. अिंतर केवल इतना ही है कक इततहास की पुस्तकों में ये वववरि एक दसूरे शभन्न दृजष्टकोि को सामने रख कर ककया र्या है. प्रथम तो यह कक इस्राएल के दो ववशभन्न राज्यों, क्रमश: इस्राएल और यहूदा में बिंट जाने के उपरान्त जो ववपजत्तयाँ आईं थीिं, उसके बाबजूद भी परमेश्वर केवल अपनी प्रततज्ञा को पूरा करत े नर्र आया है. ये प्रततज्ञा उसने राजा दाऊद और उसके बेटे सुलेमान से की थीिं. शायद इसका कारि ये भी हो सकता है कक, अन्य परमेश्वर से ववमुख हुए राजाओिं के अततररक्त परमेश्वर ने यहोशापात, हहजककय्याह और योशशय्यापात जैसे उन राजाओिं के उन कायों को भी ध्यान से देखा था जजनमें बहुत कुछ भली बातें भीिं पाईं र्ईं हैं. इसमें कोई भी सिंदेह नहीिं है कक उपरोक्त कायों राजा परमेश्वर के प्रतत ववश्वासयोग्य रहे थे. दरूी शभन्नता वह भी हो सकती है कक जजसमें सुलेमान के द्वारा बनाये र्ये परमेश्वर के मजन्दर में याजकों और लेववयों के द्वारा आराधना की ववचधयािं और व्यवस्था आहद को भी दशागना बहुत आवश्यक था. हािंलाकक, राजा दाऊद की इस मजन्दर को बनवाने की योजना थी किर भी राजा सुलेमान ही इस मिंहदर का तनमागिकायग को पूरा करता है.

    विंशावली- १:१-९:४४ २ राजा शाऊल का तनधन- १०:१-१४ राजा दाऊद का राज्य- ११:१- २९:३० आपजत्तयािं- ११:१-२२:१

  • 19 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    मिंहदर- २२:२-२९:३०

    २ इततहास दसूरे इततहास की पुस्तक का आरम्भ उस जर्ह से होता है जहािं पर

    यह प्रथम भार् में समाप्त होता है. राजा सुलेमान का शासन और उसके तनधन के बाद इस पुस्तक का आरम्भ होता है. बाद में उसके उत्तराचधकारी के तौर पर उसके पुि रहूत्रबयाम के ववरुद्ध यारोबाम के द्वारा उत्तरी र्ोिों का ववद्रोह होता है. इसके बाद ५८६ ई. पू. में येरशलेम का पतन, हदखाया जाता है.

    1. राजा सुलेमान- १:१- ९:३१, १:१-९:३१ 2. मजन्दर- २:१-७:१० 3. सुलेमान के अिंततम वषग- ७:११-९:३१ 4. उत्तरी र्ोि व उनका ववद्रोह- १०:१-१९ 5. यहूदा और राजा- ११:१-३६:१२ 6. येरशलेम का ववनाश- ३६:१३-२३

    नया तनयम/ कुररजन्थयों के नाम पौलुस की पहली पिी कुररजन्थयों की कलीशसया की स्थापना पौलुस के द्वारा की र्ई थी.

    लेककन इसकी स्थापना के बाद ही इसके अिंदर तमाम तरह की मसीही जीवन और उसके ववश्वास से सम्बजन्धत आपजत्तयािं और समस्याएिं आनी आरम्भ हो र्ईं थीिं. क्योंकक पौलुस हर बार और बार-बार कलीशसयाओिं में व्याप्त समस्याओिं के शलए भ्रमि के शलए नहीिं जा सकता था इस कारि उसने ये पहली पिी कुररजन्थस की कलीशसया के नाम शलखी थी. जजस समय पौलुस ने अपनी ये पिी इस कलीशसया के नाम शलखी थी उस समय ये नर्र यूनान देश का एक अिंतरराष्रीय नर्र था और जो रोमी साम्रराज्य के अखाया प्रािंत की राजधानी भी था. ये नर्र अपने व्यापार, अपनी सम्पन्नता, अपने वैभव, सिंस्कृतत और ववशभन्न धमों की व्यापकता के शलए सुवप्रशसद्ध था, परन्तु अपने तमाम अनैततक कायगकलापों के शलए भी बदनाम था.

    यहाँ पौलुस इस कुररजन्थस की कलीशसया के शलए ववशेष तौर पर

  • 20 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    उसके ववभाजन, अनैततक कायों, जैसे योन और वववाह, कलीशसया के ठीक से प्रबिंध न होने के शलए, पववि आत्मा और बहुत से वववेकरहहत प्रश्नों आहद के कारि चचजन्तत रहता था. मर्र पौलुस अपनी आत्मा के द्वारा उपरोक्त सब ही समस्याओिं के हल के बारे और उसके समाधान के बारे में शलखता है. इन्हीिं समाधानों में वह ये भी दशागता है कक परमेश्वर के प्रतत पे्रम ही सारी समस्याओिं का समाधान है और यही इस पिी की ववशेषता भी है.

    १. भूशमका- १:-९ २. कलीशसया में ववभाजन- १:१०-४:२१ ३. पाररवाररक जीवन की सहजता- ५:१-७:४० ४. मूततगपूजा- ८:१-११:१ ५. मसीही आराधना- ११:२-१४:४० ६. पुनरुथान- १५:१-५८ ७. दान और आवश्यकता- १६:१-४ ८. उपसिंहार- १६:५-२४

    ________________________________________________

    बजह भी दे हदया करते. . . मेरी आखँें ही थीिं जो हमेशा स ेसच बोलीिं,

    अर्र तनकलते मुहिं स ेबोल तो शायद झठू कह देते. वह मेरी कलम ही तो थी, जजसन ेशलखा हमेशा सच,

    अर्र होता कम्प्यूटर/मोबाइल तो शायद शब्द बदल जात.े एक जो तुम हीिं तो थीिं जो हमकदम न बन सकीिं,

    र्र होते हौसले बलुिंद तो पर् तुम्हारे यूँ बदल न जाते. दआुओिं न ेमेरी मािंरे् थे शसतारे तमु्हारे आँर्न में,

    बात थी तनयतत की, वरना, बीच में वे क्यों लटक जात.े तसजल्लयाँ तो देत ेहैं सब, जर्न्दर्ी जीने का नाम है,

    भला होता उनका जो बजह भी दे हदया करते. -शरोवन

  • 21 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    दो गवाहियाां

    प्रकाशशतवाक्य अध्याय ११ के अनुसार जिाां पर िम इस तरि से पढ़त ेिैं:

    'और मुझ ेलग्र्ी के समान एक सरकिं डा हदया र्या, और ककसी ने कहा; उठ, परमेश्वर के मजन्दर और वेदी, और उस में भजन करने वालों को नाप ले। 2 और मजन्दर के बाहर का आिंर्न छोड़ दे; उसे मत नाप, क्योंकक वह अन्यजाततयों को हदया र्या है, और वे पववि नर्र को बयालीस महीने तक रौंदेंर्ी। 3 और मैं अपने दो र्वाहों को यह अचधकार दूिंर्ा, कक टाट ओढे हुए एक हजार दो सौ साठ हदन तक भववष्यवािी करें। 4 ये वे ही जैतून के दो पेड़ और दो दीवट हैं जो पथृ्वी के प्रभु के साम्हने खड़ ेरहत ेहैं। 5 और यहद कोई उन को हातन पहुिंचाना चाहता है, तो उन के मुिंह से आर् तनकल कर उन के बैररयों को भस्म करती है, और यहद कोई उन को हातन पहुिंचाना चाहेर्ा, तो अवश्य इसी रीतत से मार डाला जाएर्ा। 6 इन्हें अचधकार है, कक आकाश को बन्द करें, कक उन की भववष्यद्ववािी के हदनों में मेंह न बरसे, और उन्हें सब

  • 22 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    पानी पर अचधकार है, कक उसे लोहू बनाएिं, और जब जब चाहें तब तब पथृ्वी पर हर प्रकार की ववपजत्त लाएिं।7 और जब वे अपनी र्वाही दे चुकें रे्, तो वह पशु जो अथाह कुण्ड में से तनकलेर्ा, उन से लड़ कर उन्हें जीतेर्ा और उन्हें मार डालेर्ा। 8 और उन की लोथें उस बड़ ेनर्र के चौक में पड़ी रहेंर्ी, जो आजत्मक रीतत से सदोम और शमसर कहलाता है, जहािं उन का प्रभु भी कू्रस पर चढ़ाया र्या था। 9 और सब लोर्ों, और कुलों, और भाषाओिं, और जाततयों में से लोर् उन की लोथें साढ़े तीन हदन तक देखत ेरहेंरे्, और उन की लोथें कि में रखने न देंरे्।10 और पथृ्वी के रहने वाले, उन के मरन ेसे आनजन्दत और मर्न होंरे्, और एक दसूरे के पास भेंट भेजेंरे्, क्योंकक इन दोनों भववष्यद्वक्ताओिं ने पथृ्वी के रहने वालों को सताया था 11 और साढ़े तीन हदन के बाद परमेश्वर की ओर से जीवन की आत्मा उन में पैठ र्ई; और व ेअपने पािंवों के बल खड़ ेहो र्ए, और उनके देखने वालों पर बड़ा भय छा र्या। 12 और उन्हें स्वर्ग से एक बड़ा शब्द सुनाईं हदया, कक यहािं ऊपर आओ; यह सुन वे बादल पर सवार होकर अपने बैररयों के देखत े देखत ेस्वर्ग पर चढ़ र्ए। '

    बाइबल के अनुसार उपरोक्त दोनों र्वाह, अिंत के हदनों में मसीह के आने से पहले आश्चयगजनक रप से प्रर्ट होंरे् और येरशलेम में साढ़े तीन वषग तक (एक हजार दो सौ साठ हदन) भववष्यवािी करत ेरहेंरे् और उन्हें अचधकार होर्ा कक वे पथृ्वी पर जो चाहें वे ववपजत्तयाँ लायें. बाद में शैतान उन्हें आकर मार डालेर्ा और उनके शव नर्र के चौक में पड़ ेरहेंरे्. किर वे अचानक से जीववत हो उठें रे् और स्वर्ग पर चढ़ा शलए जायेंरे्. इसके अततररक्त और बहुत भी इन दो र्वाहों के बारे में शलखा र्या है, पर सवाल जो अक्सर लोर् करत ेहैं कक आणखरकार ये दोनों र्वाह हैं कौन? प्रकाशशत वाक्य की पुस्तक इन दोनों र्वाहों के बारे में कोई भी सिंकेत नहीिं देती है कक ये दोनों कौन हैं?

    मत्ती की इिंजील और उसके अध्याय १७:३ के अनुसार जब

  • 23 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    यीशु मसीह का रपान्तर एक पहाड़ पर होता है तो उस समय उनके चलेों को मूसा और एशलय्याह दोनों एक साथ बातें करत ेहदखाई देत ेहैं, इस आधार पर बहुत से बाइबल के ज्ञाताओिं का ववश्वास है कक उपरोक्त दोनों र्वाह मूसा और एशलय्याह हो सकत ेहैं? लेककन मूसा की बाकायदा म्रत्यु हुई थी और एशलय्याह आसमान पर उठा शलया र्या था. इसके साथ ही एशलय्याह की पुजष्ट मलाकी की ककताब और उसके अध्य्याह ४:५ से हो जाती है कक परमेश्वर अिंत के हदनों में उसे इस धरती पर भेजेर्ा. जहािं तक दोबारा ककसी को इस धरती पर दोबारा भेजने का सवाल है तो बाइबल के अनुसार परमेश्वर उसी को इस धरती पर दोबारा भेजता है जो आसमान पर उठा शलया र्या है और इस तरह से मूसा का नाम इस जर्ह से हट जाता है. बाइबल में केवल तीन ऐसे लोर् हैं जजन्हें आसमान पर उठा शलया र्या है. एक तो यीशु मसीह, दसूरा एशलय्याह और तीसरा हनोक. तो किर हमारे ववचार से दसूरा व्यजक्त हनोक हो सकता है. वह भी इस कारि कक एशलय्याह एक यहूदी है और हनोक एक अन्य जातत का. एक नबी यहूहदयों का और दसूरा अन्य जाततयों के शलये जो हनोक हो सकता है. बाकी सच क्या है, ये परमेश्वर ही बेहतर जानता है.

    __________________________________________

    २५६, ५०० कुबागनी की भेड़ें

    यहूदी इततहासकार जोसेिस फ्लेववयस अपने एक लेख जजसे जुइस वासग ६.९.३ (६६-७० सी.ई.) कहत ेहैं में शलखता है कक सुलेमान के मजन्दर में िसह के पब्बग के हदनों में लर्भर् २५६,५०० भेड़ें िसह के पब्बग के हदनों में

  • 24 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    कुबागनी के शलए हलाल की जाती थीिं. कहने का आशय है कक यह काम करने के शलए कुबागनी करने वालों को २४ घिंटे लर्ातार काम करना पड़ता था. यहद उपरोक्त आिंकड़ों को देखें और र्णित लर्ायें

    तो इस प्रकार से ८७ भेड़ें एक शमनट में हलाल की जाती थीिं और इस काम को करने के शलए भी समय तनधागररत रहता था. साथ में

    आश्चयग की बात है कक यहद ध्यान से इस सारे नजारे को देखा जाए तो तनदोष नर भेड़ या बकरे की कुबागनी करने का काम केवल एक ही याजक ककया करता था. यह एक सोचने की बात है कक केवल एक मजन्दर का याजक इस काम को दोपहर के बाद सूरज के डूबने से

    पहले इतने सारे तनदोष मेमनों की कुबागतनयािं ककस तरह से कर शलया करता था? क्या ऐसा नहीिं लर्ता है कक इस काम में मजन्दर के अन्य याजक भी यह काम ककया करत ेथे? यह तो सही है कक यहूदी रीतत के अनुसार महायाजक का काम केवल भेड़ के र्ले को काटना तथा कुबागन ककये हुए पशु का रक्त लेकर वेदी पर तछड़क देना भर होता था, मर्र किर भी उपरोक्त ढाई लाख से अचधक पशुओिं के र्ले को काटना भी केवल एक मनुष्य के शलए यह कोई छोटा काम नहीिं था. तनर्गमन १२ के अनुसार कुबागन ककये हुए पशु को आर् में भनू कर, रात में ही अपने घर पर खाना, लेककन मजन्दर में नहीिं खाना तथा

    सुबह के शलए कुछ भी न छोड़ना, यहद कुछ बच भी रहे तो उसे आर् में जलाना है, मर्र सुबह को खाने की मनाही है.

    यहद हहसाब लर्ाया जाए तो इस प्रकार से केवल एक याजक नहीिं बजल्क १४४ याजक कम से कम छह पशुओिं को एक शमनट में मारत ेहोंरे्. कहने का आशय है कक एक पशु के शलए दस सेककिं ड का समय लर्ता होर्ा. इस तरह से कम से कम पािंच घिंटे लर्त े होंरे् २५६, ५०० भेड़ों ओर बकरों का बध करने के शलए. यह धाशमगक रीतत हदन के एक बज े शुर होती होर्ी और सारा काम हदन के छह बजे तक समाप्त होता होर्ा.

  • 25 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    इस स्तिंभ के अन्तगर्त ्हम बाइबल की उन जर्हों का ववस्ततृ विगन करेंर्ें जजनका सीधा सिंबन्ध यीशु मसीह के शमशनरी कायों से रहा है। मखु्य रप स ेहम बताना चाहेंरे् कक बाइबल में यीश ुमसीह के समय पर जो स्थान थ,े और जहािं पर उन्होंन ेकोई भी अपना कायग आहद ककया था, वे वतगमान में भौर्ोशलक जस्थतत के हहसाब स ेकहािं पर हैं और उनके नाम या तो वही हैं अथवा बदल हदये र्ये हैं?

    बारहवािं शशष्य कौन? १ कुररिंचथयो १५: ५-८

    '5 और कैिा को तब बारहों को हदखाई हदया। 6 किर पािंच सौ से अचधक भाइयों को एक साथ हदखाई हदया, जजन में से बहुतरेे अब तक वतगमान हैं पर ककतने सो र्ए। 7 किर याकूब को हदखाई हदया तब सब पे्रररतों को हदखाई हदया।8 और सब के बाद मुझ को भी हदखाई हदया, जो मानो अधूरे हदनों का जन्मा हूिं।'

    नया तनयम की पुस्तक १ कुररजन्थयों के अध्याय १५:५ में पे्रररत पौलुस यीशु मसीह के पुनरुत्थान के र्वाहों के बारे में कहता है कक यीशु मसीह कैिा को तब बारह शशष्यों को और किर ५०० से अचधक भाईयों को हदखाई हदए थे. हािंलािंकक, यीशु मसीह के पुन: जीववत होने की पहली चश्मदीद र्वाह उनकी शशष्या मररयम मर्दलीनी थी. लेककन यहूदी व्यवस्था में एक औरत की र्वाही कोई भी मायने नहीिं रखती है, शायद इसी कारि पौलुस ने अपने लेखों में आरम्भ से ही औरतों को हमेशा ही नर्रिंदार् ककया है.

  • 26 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    जैसा कक सब जानत ेहैं कक, यीशु मसीह के सलीबीकरि से ठीक पहले ही बारहवें शशष्य यहूदा ने खुद को िािंसी लर्ा ली थी. इस तरह से अब केवल ग्यारह शशष्य रह र्ये थे. बारहवािं चलेा जो चुना र्या था वह मजत्तयाह था जजसे यीशु मसीह के पुनरुत्थान और स्वर्ागरोहि के बाद ही चुना र्या था. इसशलए यीशु मसीह के जजन चलेों ने उन्हें पुनरुत्थान के बाद देखा था वे केवल ग्यारह चलेे ही थे. यहद हम इम्माऊस जाने वाले यीशु मसीह के दो अन्य अनुयातयओिं का विगन करें तो वे ही मरकुस २४:१४,३४ में शमौन जजसे पतरस और कैिा भी कहा र्या है के द्वारा यीशु मसीह को पुन: जीववत देखने का जजक्र होता है. लेककन पौलुस के अनुसार शमौन या पतरस और किर बारह, किर अन्य ५०० सौ से अचधक देखने की बात कही जा रही है. सवाल है कक यहद पतरस/कैिा/शमौन को भी हटा हदया जाए तो बारहवािं चलेा कौन हो सकता है? यहूदा की म्रत्यु हो चुकी है, मजत्तयाह अभी तक चुना नहीिं र्या है तो किर ये बारहवािं कौन है जजसका जजक्र पौलुस कर रहा है?

    यहद यह कहा जाए कक पौलुस ने शलखने में कोई र्लती की है, ऐसा भी नहीिं है. आश्चयग करने और सशोपिंज में पड़ जानेवाली भी बात नहीिं है. मरकुस १६:१४ के अनुसार यीशु को पुनरुत्थान के बाद किर से जीववत देखने वाले चलेे ग्यारह ही थे, बारह नहीिं. सचमुच हुआ यह है कक, यीशु मसीह के चलेों का जब भी कोई जजक्र होता था, तब उन्हें हरेक का नाम न लेकर 'बारह' कहकर ही सम्बोचधत ककया जाता था. यही र्लती पौलसु भी कर बैठा है. वह जानता था कक यीशु मसीह के चलेे अब बारह न होकर ग्यारह ही हैं, लेककन किर भी आदतन वह उन्हें बारह ही कह बैठा है., जैसा कक यूहन्ना २०:२४ में शलखा है कक,' परन्तु बारहों में से एक. . .'

    बाइबल में उपरोक्त जैसी छोटी साहहत्य के हहसाब से जो िुहटयाँ अक्सर शमल जाया करती हैं उनका कारि यही कहा जा सकता है कक वतगमान के हहसाब से प्राचीन लेखों का कोई सम्पादन कायग वैसा नहीिं होता था जैसा कक आज एक सम्पादक रचनाओिं का करता है.

  • 27 चतेना/ अप्रैल 2018 - जून 2018

    यीशु मसीह के चेलों की मतृ्यु कैसे और कहाँ हुई?

    उपरोक्त ववषय पर यहद हम बात करें तो बाइबल केवल कुछेक ही यीश ुमसीह के शशष्यों की मतृ्य ुके बारे में बताती है , पर बाकी के चलेों की मतृ्यु कैसे और कहा ँपर हुई, इस बारे में जो भी जानकाररया ँहमें शमलती हैं उसके आधार पर ये सूचना पाठकों तक पहुिंचाई जा रही है; १. अजन्द्रयास- अिंगे्रजी के अक्षर एक्स तरीके की सलीब पर मारा र्या था. २. बतुगलम ै- जीववत पर ही उसकी त्वचा उतारी र्ई थी. ३. जबदी का पुि याकूब - येरशलेम में र्ला काटकर. ४. हलिई का पुि याकूब- आरे स ेचीरा र्या था. ५. यूहन्ना- पेतमस टाप ूपर प्रकृतत म्रत्य ुहुई थी. ६. यहूदा इस्कररओतत - र्ले में ििं दा डालकर आत्महत्या की थी. ७. यहूदा या तदै्द - तीरों से मारा र्या था. ८. महसूल लेनेवाला मत्ती- इततयोवपया देश में मारा र्या था. ९. पतरस - उल्टी सलीब पर रोम में लटकाया र्या. १०. किशलप्पुस- र्ले में ििं दा डालकर लटकाया र्या. ११. शमौन कनानी- एक प्रकार की शहीदी (माहटगयसग) मतृ्य.ु १२. थोमा- भारत में भाले स ेमारा र्या.

    इस नक्शे में जो नीले रिंर् के तनशान हैं वे आमतौर पर चेलों के मरने के स्�