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भा. कृ. अनु. प.- भारतीय कृषि जैव ौोषिकᳱ संथान, रांची ( झारखंड ) 834010 मशरम : पᳯरचय भारत म मशरम का खा पदाथथ के ऱप म योि बत ाचीन काल से ही चषलत है l झारखंड के आᳰदम जनजाषत, जंिलो म रहने वाले लोि बत ही चाव के साथ इसे अपने रोजमराथ के जीवन म योि करते रहे है, लेᳰकन आज के पᳯरवेश म मशरम लिभि सभी कᳱ थाली तक पंच चुका है I इसकᳱ षवशेिता है ᳰक मशरम म ोटीन, षवटाषमस, षमनरस,फोषलक एषसड चुर माा म पाए जाते है l यह रहीनता से पीषित रोिी के षलए जररी आयरन का एक अछा ोत है l झारखंड जैसे राय म जंहा कᳱ लिभि 60 % आबादी कृषि कायथ म संल है और अषिकतर ᳰकसान जो खरीफ के बाद बेरोजिार रहते है या आय कᳱ ाषि के षलए अय षवकप तलाशते है, उनके षलए मशऱम उपादन बत ही अछा षवकप है l ᳰकसान कᳱ आय और उनके जीवनतर को ऊँ चा करने के उेय से भारतीय कृषि अनुसंिान पᳯरिद् के महवाकांी पᳯरयोजना “फामथर फटथ ” के अंतिथत भा. कृ. अनु. प.- भारतीय कृषि जैव ौोषिकᳱ संथान, रांची ारा वैाषनक तरीके से मशऱम उपादन का षशण कायथम चलाया िया, षजसम रांची के नामकुम खंड के िांव तेतरी,कुᳯटयातु, ᳲपंडरकोम, मटी, कोचबंि, खरसीदाि से 23 मषहला ᳰकसान को मशरम उपादन का षशण ᳰदया िया l भारत म मशरम कᳱ खेती के बारे म जानकारी: मशऱम या है ? मशऱम एक कार का कवक है, षजसमे हᳯरत लवक नह होने के कारण ये अपना भोजन बनाने म असमथथ होते है l यह षलषन, सेलुलोज तथा हेषमसेलुलोज़ यु काबथषनक पदाथो से अपना भोजन ाि करते है l ऐसे तो इनकᳱ 914 ᳰकम पाई जाती ह, लेᳰकन इसम से अषिकांश षविा होती है या खाने योय नह होती है l भारत म मुयतः चार कार के मशऱम, षजसका उपादन बिे पैमाने पर ᳰकया जाता है, वे षनषलषखत ह -: फामथर फटथ पᳯरयोजना मशम उादन ारा महिलाओं की आय म वृि

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    भा. कृ. अन.ु प.- भारतीय कृषि जवै प्रौद्योषिकी ससं्थान, राचंी ( झारखडं ) – 834010

    मशरुम : पररचय

    भारत में मशरुम का खाद्य पदाथथ के रूप में प्रयोि बहुत प्राचीन काल से ही प्रचषलत ह ै l झारखंड के आददम जनजाषत,

    जंिलो में रहने वाले लोि बहुत ही चाव के साथ इसे अपने रोजमराथ के जीवन में प्रयोि करते रह ेहै, लेदकन आज के पररवेश

    में मशरुम लिभि सभी की थाली तक पहुचं चकुा ह ै I इसकी षवशेिता ह ै दक मशरुम में प्रोटीन, षवटाषमन्स,

    षमनरल्स,फोषलक एषसड प्रचरु मात्रा में पाए जाते ह ैl यह रक्तहीनता स ेपीषित रोिी के षलए जरुरी आयरन का एक अच्छा

    स्रोत ह ैl झारखंड जसैे राज्य में जंहा की लिभि 60 % आबादी कृषि कायथ में संलग्न ह ैऔर अषिकतर दकसान जो खरीफ के

    बाद बेरोजिार रहते ह ैया आय की प्राषि के षलए अन्य षवकल्प तलाशत ेह,ै उनके षलए मशरूम उत्पादन बहुत ही अच्छा

    षवकल्प ह ैl

    दकसानों की आय और उनके जीवनस्तर को ऊँचा करने के उद्दशे्य से भारतीय कृषि अनुसंिान पररिद ् के महत्वाकांक्षी

    पररयोजना “फामथर फस्टथ” के अंतिथत भा. कृ. अनु. प.- भारतीय कृषि जैव प्रौद्योषिकी संस्थान, रांची द्वारा वैज्ञाषनक तरीके से मशरूम उत्पादन का प्रषशक्षण कायथक्रम चलाया िया, षजसमें रांची के नामकुम प्रखंड के िांवों तेतरी,कुरटयात,ु पपंडरकोम,

    मल्टी, कोचबंि, खरसीदाि से 23 मषहला दकसानों को मशरुम उत्पादन का प्रषशक्षण ददया िया l

    भारत में मशरुम की खतेी के बारे में जानकारी:

    मशरूम क्या ह ै?

    मशरूम एक प्रकार का कवक ह,ै षजसमे हररत लवक नहीं होन े के कारण ये अपना भोजन बनाने में असमथथ होते ह ै l यह

    षलषग्नन, सेलुलोज तथा हषेमसेलुलोज़ युक्त काबथषनक पदाथो से अपना भोजन प्राि करते ह ैl ऐसे तो इनकी 914 दकस्में पाई

    जाती हैं, लेदकन इसमें से अषिकांश षविाक्त होती ह ैया खाने योग्य नहीं होती ह ैl भारत में मुख्यतः चार प्रकार के मशरूम,

    षजसका उत्पादन बि ेपैमाने पर दकया जाता ह,ै वे षनम्नषलषखत हैं -:

    फामथर फस्टथ पररयोजना

    मशरुम उत्पादन द्वारा महिलाओ ंकी आय में वृद्धि

  • मशरूम के प्रकार :

    1. ओएस्टर मशरूम या ढींिरी मशरूम

    2. पुवाल मशरूम

    3. दषुिया मशरूम

    4. बटन मशरूम

    उत्पादन की दषृि से ओएस्टर मशरूम, अन्य मशरूम की अपेक्षा षवश्व में तीसरा और भारत में दसूरा स्थान रखता ह ैl

    झारखंड के भौिोषलक पररवेश, जलवायु और आर्थथक पररदशृ्य के मद्दनेजर, ओएस्टर मशरूम का उत्पादन बहुत ही

    लाभदायक साषबत हो रहा ह ैऔर बि ेपैमाने पर झारखंड की मषहलाओं द्वारा मशरुम का उत्पादन दकया जा रहा है l यह

    ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजिार पुरुिों एवं मषहलाओं के षलए वरदान साषबत हो सकता ह ै l साथ ही साथ दकसानों को दिुुनी

    आय प्राि करने में मशरुम महत्वपूणथ भूषमका अदा कर सकता ह ैl

    ओएस्टर मशरुम पुवाल मशरुम

    दुधिया मशरुम बटन मशरुम

    दुधिया मशरुम

  • ओएस्टर मशरुम के बीज का उत्पादन / मान्यताप्राप्त

    संस्थान से बीज प्राप्त करना l

    भूसा तैयार करना - गेहूँ, ज्वार, मक्का.बाजरा,गने्न की

    खोई, मडुआ l

    रोगाणुमुक्त बनाने के हलए फोममहलन और बाहवस्टीन का

    प्रयोग l

    बैग तैयार करना : 4-5 परत दर परत भूसे को बीज के ति के

    साथ दबा दबा कर भरना l

    बैग बंद करने से पिले उसमे 25 से 30 छेद करना एवं खुले हुए छोर को रस्सी की सिायता से बंद कर देना l

    नमी बनाये रखने के हलए से्प्रयर की सिायता से पानी

    का बीच - बीच में हछडकाव करते रिना l

    15 स े30 ददनों में मशरुम तयैार हो जाता ह ै, इसके बाद

    इसकी तिुाई करना l

    हकसान फे्रश मशरुम को बैग में पैक कर बाजारो ंमें बेच सकते

    िै या इसके प्रसंस्करण द्वारा दुगुना लाभ प्राप्त कर सकते िै l

    ओएस्टर मशरूम उत्पादन के प्रमुख चरण

  • I. ओएस्टर का बीज :

    ओएस्टर का बीज बहुत ही कम कीमत पर दकसी प्रमाषणत बीज उत्पादक संस्थान में उपलब्ि रहता ह,ै

    षजसे दकसान आसानी से प्राि कर सकते ह ैl भारतीय कृषि अनुसंिान पररसर के पूवी अनुसंिान पररसर, अनुसंिान

    कें द्र,पलांडू रांची स,े दकसान इसे 24 रूपए / पैकेट की दर से प्राि कर सकत ेह ैl

    II. ओएस्टर मशरूम उिान ेकी षवषि :

    इसकी खेती के षलए उपयुक्त समय जुलाई से मध्य अपै्रल होता ह ैl

    कमरे का उपयुक्त तापमान 20-28 °C तथा सापेक्ष आद्रता 80 – 85 % होना चाषहए l

    दकसान, इसे सेलुलोजयुक्त पदाथथ जैसे िान, िेह,ं मक्का, बाजरा, मडुवा इत्यादद में से दकसी एक का चयन भसूा

    बनाने के षलए कर सकते ह ैl

    भूसे को रात भर स्वच्छ पानी में षभिो द,े अिली सुबह अषतररक्त पानी षनकालकर उबाल ले और उसके बाद ठंडा

    होने द ेl

    भूसे को बाषवषस्टन या फोमथषलन की सहायता स ेभी उपचाररत कर सकते है l ये मुख्यतः रोिाणुमुक्त करने की

    प्रदक्रया ह,ै षजसके षलए 7.5 -10 ग्रा. बाषवषस्टन या 50 – 125 षमली. फोमथषलन को 100 लीटर पानी में डालकर

    भूसे को 24 घंटे डूबा कर रखते ह ैl

    लिभि 45 सेमी.लम्बा x 30 सेमी. चौिाई के आकार का पॉषलथीन बैि ले और इसके एक छोर को बांि ले l

    इसके उपरांत एक परत भूस ेको उसमे दबा कर डाले, दफर बीज डाल ेl यही प्रदक्रया 4 से 5 बार दहुराए l ध्यान

    रखने योग्य बात यह ह ैदक हरेक परत के बीच बीज डाले जाये l

    पॉषलथीन का जो भाि खुला हुआ ह ैउसे बंद करने से पहले दकसी नोकवाली चीज़ से 25 से 35 छेद करे l उसके

    बाद खुले हुए भाि को रस्सी की सहायता से बंद कर द ेl

    अब इस पॉषलथीन बैि को लकिी या स्टील के रैक में रख सकते ह,ै इसके षलए बांस की बषल्लयों का भी प्रयोि

    दकया जा सकता है l अिर जिह की कमी ह ैतो बैि को रस्सी की सहायता से जमीन से 6 मीटर ऊपर लटकाया

    जा सकता ह ैl

    नमी बनाये रखने के षलए ददन में दो-तीन बार स्पे्रयर की सहायता से पानी का षछडकाव करना चाषहए l

    मधिला धिसान मशरुम उत्पादन िा प्रधशक्षण प्राप्त िरते

  • III. षबपणन एव ंप्रससं्करण:

    मशरुम 15 – 24 ददनों के अन्दर तैयार हो जाता ह ैl यह अषिकतर फे्रश ही पसंद दकया जाता ह ैl तैयार होने के

    बाद से बहुत ही साविानीपूवथक तोिना चाषहए, तादक इसकी िुणवता में कोई कमी नहीं आय ेl तोि ेिए मशरूमो

    को पोषलप्रोपेषलन के थैलों में सीलबंद कर दनेा चाषहए l दकसान चाह ेतो इन थैलों को काटूथन या ित्ते के षडब्बों में

    रखकर पास के बाजारों, होटलों आदद में बेच कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं l

    मशरूम के प्रसंस्करण द्वारा इससे दिुुना लाभ प्राि दकया जा सकता है l इन्हें सुखाकर 3-4 महीनों तक रखा जा

    सकता ह ैl इसके अचार, सूप, चटनी, पाउडर आदद बनाकर और सुषविानसुार उन्हें बाज़ार में बेचकर कम समय में

    अपनी आय में वृषि की जा सकती ह ैl

    ओएस्टर मशरूम उत्पादन में प्रमखु साविाषनया:ं

    मशरूम के बीज साविानीपूवथक तैयार दकये जाने चाषहए तादक वे पूरी तरह रोिाणुमुक्त हो l साफ-सफाई का षवशेि

    ध्यान रखा जाना चाषहए l

    मशरूम के बीज दकसी प्रमाषणत संस्थान से ही खरीदना चाषहए l

    बीज के थैलों में दकसी भी अनावश्यक फफंूद ददखाई दनेे पर उन्हें नि कर दनेा चाषहए l अनावश्यक फफंूद काले, हरे,

    पीले आदद रंिों से पहचान दकये जा सकते ह ैl

    थैलों को दकसी छायादार स्थान या बरामद ेजैसे स्थानों में रख सकत ेह ैl

    दकसी प्रकार के रोि के लक्षण ददखाई दनेे पर संक्रषमत बैि को कमरे से बाहर षनकाल दनेा चाषहए और षवशेिज्ञों स े

    सलाह लनेी चाषहए l

    ओएस्टर मशरूम उत्पादन के लाभ :

    षनयषमत कृषि के अषतररक्त यह अषिकतर आय प्राि करने का उत्तम स्रोत ह ैl

    यह बहुत ही कम समय में अषिक मुनाफे वाली फसल ह ैl यह लिभि 35 -40 ददन में तैयार हो जाता ह ैl

    ओएस्टर मशरूम उत्पादन बहुत ही कम लाित पर शुरू दकया जा सकता ह ै,इसमें श्रम लाित भी न के बराबर होती

    ह ैl

    मषहलायें इसे आसानी स ेआत्मषनभथर बन सकती ह ैऔर अपने जीवनस्तर को सुिार सकती ह ैl

    मशरूम उत्पादन से जुि े हरेक स्तर पर व्यवसाय दकया जा सकता ह ै , उदाहरण के षलए इसके बीज तैयार कर

    बाज़ार में बेचना या इसका प्रसंस्करण कर इसके उत्पादों को षनयाथत करना l

    प्राय: दखेा जाता ह ैदक मशरुम उत्पादकों को बाज़ार खोजने की जरुरत नहीं होती, व्यवसायी खुद दकसान के घर

    आकर उत्पाद खरीदते ह ैl

    आज जब लोि बेरोजिारी की समस्या से ग्रषसत ह,ै षवशेिकर युवाओं, मषहलाओं और ऐसे लोि षजन्हें रोजिार की

    जरुरत ह,ै वे मशरूम उत्पादन द्वारा स्वरोजिार प्राि कर सकते ह ैl

    इसके षलए दकसी षवशेि षडग्री या प्रषशक्षण की आवश्यकता नहीं होती ह ैl

    ओएस्टर मशरुम का लाित अनुपात 3.1 : 1 होता ह ैl

    मशरुम का उत्पादन घरों, छपपरों आदद में भी आसानी से दकया जा सकता ह ैl

    मशरुम की खेती कई स्तरों पर भी दकया जा सकता ह ैl

  • इसप्रकार हम दखे सकते ह ैदक मशरूम उत्पादन दकस प्रकार से िांवों में लोिो की आमदनी बढ़ाने का जररया हो सकता ह ै

    तथा लोि मशरुम उत्पादन कर अपने जीवनस्तर को ऊँचा उठा सकत ेह ैl

    हम दखे सकते ह ैदक मशरुम उत्पादन कर लोि अपनी आय आसानी स ेबढ़ा सकते हैं l तथा यह रोजिार का बहेतर जररया

    हो सकता ह ैl यह एिधदवसीय मशरुम उत्पादन प्रषशक्षण कायथक्रम, डॉ टी. आर. शमाथ, षनदशेक, भा.कृ. अनु. प.- भारतीय

    कृषि जैव प्रौद्योषिकी संस्थान एवं डॉ.ए. के. पसहं, अध्यक्ष, भा.कृ. अनु. प.- पूवी अनुसंिान पररसर, अनुसंिान कें द्र पलांडू

    रांची के षनदशेन में सम्पन्न हुआ l मशरुम उत्पादन प्रषशक्षण कायथक्रम में षवशेि रूप से डॉ सौमेन नस्कर, आशा पूरान, डॉ

    संजय कुमार िुता, ऋषिकेश कुमार (भा.कृ. अनु. प.- भा. िृ. जै. प्रो. सं. रांची ), डॉ सुदशन मौयाथ, डॉ बी.के. झा तथा डॉ

    षप्रयारंजन कुमार (भा.कृ. अनु. प.- पू. अनु.प. अनुसंिान कें द्र, पलांडू रांची) तथा डॉ षनमथल कुमार, डॉ नवलेश कुमार षसन्हा

    (भा.कृ. अनु. प.- भारतीय प्राकृषतक राल एवं िोंद संस्थान, नामकुम रांची) का योिदान रहा l

    फाममर फस्टम पररयोजना िे तित मशरूम उत्पादन िा प्रधशक्षण

    मशरुम उत्पादन िेतु बैग भरते प्रधशधक्षत मधिला धिसान

  • मशरुम उत्पादन कायथशाला में प्रषशक्षण प्राि करन ेवाल ेमषहला दकसानों के नाम:

    क्र.सखं्या दकसानों के नाम िावँ का नाम

    1 सोनमषण देवी कुरटयात ु

    2 सुनीता देवी कुरटयात ु

    3 रेशमा कुमारी कुरटयात ु

    4 सोनी कुमारी कुरटयात ु

    5 िीता षबरवा िढ़खटंिा

    6 रेषजना पमंज पपंडरकोम

    7 शांषत कच्छप पपंडरकोम

    8 सलोमी कच्छप पपंडरकोम

    9 एस्तेर पलडंा पपंडरकोम

    10 सुशीला कच्छप पपंडरकोम

    11 मनीिा खलखो तेतरी

    12 फुलमनी खलखो तेतरी

    13 कैथरीना कच्छप तेतरी

    14 रोशनी लकिा तेतरी

    15 मषनला लकिा तेतरी

    16 सुशाना एक्का खरसीदाि

    17 अलबीना एक्का खरसीदाि

    18 अंजषल लकिा तेतरी

    19 लालो लकिा मल्टी

    20 सुमन पलडंा मल्टी

    21 रानी कुजूर मल्टी

    22 अंजषल हसं लालखटंिा

    23 रामी लकिा मल्टी

    सयंकु्त आयोजक :

    भा.कृ. अन.ु प.- भारतीय कृषि जवै प्रौद्योषिकी ससं्थान , राचंी ( झारखडं) l

    भा.कृ. अन.ु प.-पूवी अनसुिंान पररसर, अनसुिंान कें द्र राचंी, पलाडूं ( झारखडं) l

    राष्ट्रीय बािवानी षमशन, झारखडं l

    लेखक :

    आशा पूरान

    डॉ एस. मौयाम

    डॉ सौमेन नस्कर

    डॉ संजय कुमार गुप्ता