shirdi shri sai baba ji - real story 035

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Page 1: Shirdi Shri Sai Baba Ji - Real Story 035
Page 2: Shirdi Shri Sai Baba Ji - Real Story 035

95 वर्षी�य वृद्ध मौलीबुवा विवठोवा के परमभक्त थे| वे पंढरी के बारकरी में थे| मौलीबुवा पूरे वर्षी�भर में 8 महीने वे पंढरपुर रहते थे और 4 महीने यानी आर्षीाढ़ से कार्तित%क मास तक गंगा के विकनारे रहा करते थे| मौलीबुवा का यह विनयम था विक वे प्रत्येक वर्षी� सवारी लेकर पंढरपुर जाया करते थे और वहां से वापस लौटते समय साईं बाबा के दर्श�न करने के लिलए लिर्शरडी भी अवश्य जाया करते थे| सवारी के नाम पर उनके पास एक गधा था जिजस पर वे अपना सामान रखा करते थे और एक लिर्शष्य भी उनकी सेवा करने के लिलये सदैव उनके साथ रहा करता था|

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Page 3: Shirdi Shri Sai Baba Ji - Real Story 035

साईं बाबा के प्रवित मौलीबुवा के मन में गहन श्रद्धा और विवश्वास था| एक बार लिर्शरडी में जब बाबा के दर्श�न करने आये तो बाबा को एकटक देखते हुए अचानक ही कहन ेलगे, ये तो पंढरीनाथ हैं, ये विवठ्ठल के अवतार हैं| वही विवठ्ठल जो अनाथों के नाथ, दीनदयालु और दिदनों के स्वामी हैं|

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मौलीबुवा ने पंढरी यात्रा के बाद कई बार साईं बाबा में पंढरीनाथ के दर्श�न विकये थे| इसके अलावा मौलीबुवा के अवितरिरक्त भी अन्य भक्तों ने साईं बाबा में अपने-अपने ईष्टदेव के दर्श�न विकये थे| इससे यही लिसद्ध होता है विक साईं बाबा दत्ताते्रय के अवतार हैं|