mantra jap mahima evam anushthan vidhi - syvss

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www.ashram.org, Sant Shri Asaram Ji Bapu, Spirituality, Hinduism, Vedic, Divine, Sanskriti, LIVE Satsang, Spiritual Books

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Page 1: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

मजाप महमा एव अनान विध

भगवनाम-महमा

भगवनाम अनत माधय ऐय और सख क खान ह सभी शा म नाम क महमा का वणन

कया गया ह इस नानावध आिध-यािध स त किलकाल म हरनाम-जप ससार सागर स

पार होन का एक उम साधन ह भगवान वदयास जी तो कहत ह-हरनाम हरनाम हरनामव कवलम

कलौ नायव नायव नायव गितरयथा(बहनारदय पराणः 38127)

पपराण म आया हःय वदत नरा िनय हररयरयमतयोचारणमाण वमात न सशयः

lsquoजो मनय परमामा क इस दो अरवाल नाम lsquoहरrsquo का िनय उचारण करत ह उसक उचारणमा स व म हो जात ह इसम शका नह हrsquo

गड़ पराण म उपद ह कःयदछिस पर ान ानाच परम पदम तदा यन महता क ीहरकतनम

lsquoयद परम ान अथात आमान क इछा ह और उस आमान स परम पद पान क इछा ह तो खब यपवक ी हर क नाम का कतन करो rsquo

एक बार नारद जी न भगवान ा जी स कहाःऐसा कोई उपाय बतलाइए जसस म वकराल किलकाल क काल जाल म न

फसइसक उर म ाजी न कहाः आदपषय नारायणय नामोचारणमाण िनधत

किलभवितlsquoआद पष भगवान नारायण क नामोचार करन मा स ह मनय किल स तर

जाता हrsquo(किलसवरणोपिनषद)

ीमदभागवत क अितम ोक म भगवान वदयास कहत ह-नामसकतन यय सवपापणाशनम

णामो दःखशमनत नमािम हर पदम lsquoजसका नाम-सकतन सभी पाप का वनाशक ह और णाम दःख का शमन

करन वाला ह उस ीहर-पद को म नमकार करता ह rsquoकिलकाल म नाम क महमा का बयान करत हए भगवान वदयास जी

ीमदभागवत म कहत ह-कत य यायतो वण ताया यजतो मखः

ापर परचयाया कलौ तरकतनात lsquoसतयग म भगवान वण क यान स ता म य स और ापर म भगवान क

पजा-अचना स जो फल िमलता था वह सब किलयग म भगवान क नाम कतन मा स ह ा हो जाता ह rsquo

(ीमदभागवतः 13352)lsquoीरामचरतमानसrsquo म गोवामी तलसी दास जी महाराज इसी बात को इस प

म कहत ह-कतजग ता ापर पजा मख अ जोग

जो गित होइ सो किल हर नाम त पावह लोग lsquoसतयग ता और ापर म जो गित पजा य और योग स ा होती ह वह

गित किलयग म लोग कवल भगवान क नाम स पा जात ह rsquo(ीरामचरत उरकाडः 102ख)

आग गोवामी जी कहत ह-किलजग कवल हर गन गाहा गावत नर पावह भव थाहा

किलजग जोग न जय न याना एक आधार राम गन गाना

सब भरोस तज जो भज रामह म समत गाव गन ामह सोइ भव तर कछ ससय नाह नाम ताप गय किल माह

lsquoकिलयग म तो कवल ी हर क गण गाथाओ का गान करन स ह मनय भवसागर क थाह पा जात ह

किलयग म न तो योग और य ह और न ान ह ह ी राम जी का गणगान ह एकमा आधार ह अतएव सार भरोस यागकर जो ीरामजी को भजता ह और

मसहत उनक गणसमह को गाता ह वह भवसागर स तर जाता ह इसम कछ भी सदह नह नाम का ताप किलयग म य ह rsquo

(ी रामचरत उरकाडः 1024 स 7)चह जग चह ित नाम भाऊ किल बसष नह आन उपाऊ

lsquoय तो चार यग म और चार ह वद म नाम का भाव ह कत किलयग म वशष प स ह इसम तो नाम को छोड़कर दसरा कोई उपाय ह नह ह rsquo

(ीरामचरत बालकाडः 218)गोवामी ी तलसीदास जी महाराज क वचार म अछ अथवा बर भाव स ोध

अथवा आलय स कसी भी कार स भगवनाम का जप करन स य को दस दशाओ म कयाण-ह-कयाण ा होता ह

भाय कभाय अनख आलसह नाम जपत मगल दिस दसह

(ीरामचरत बालकाडः 271)यह कपववप भगवनाम मरण करन स ह ससार क सब जजाल को न

कर दन वाला ह यह भगवनाम किलकाल म मनोवािछत फल को दन वाला परलोक का परम हतषी एव इस ससार म य का माता-पता क समान सब कार स पालन एव रण करन वाला ह

नाम कामत काल करालासिमरत समन सकल जग जालाराम नाम किल अिभमत दाताहत परलोक लोक पत माता

(ीरामचरत बालकाडः 265-6)इस भगवनाम-जपयोग क आयामक एव लौकक प का सदर समवय

करत हए गोवामी जी कहत ह क ाजी क बनाय हए इस पचामक यजगत स भली भाित छट हए वरायवान म योगी पष इस नाम को ह जीभ स जपत हए तवानप दन म जागत ह और नाम तथा प स रहत अनपम अिनवचनीय अनामय सख का अनभव करत ह जो परमामा क गढ़ रहय को जानना चाहत ह व जा ारा भगवनाम का जप करक उस जान लत ह लौकक िसय क आकाी साधक लययोग ारा भगवनाम जपकर अणमाद िसया ा कर िस हो जाया करत ह इसी कार जब सकट स घबराय हए आत भ नामजप करत ह तो उनक बड़ -बड़ सकट िमट जात ह और व सखी हो जात ह

नाम जीह जप जागह जोगीबरती बरिच पच बयोगीसखह अनभवह अनपाअकथ अनामय नाम न पाजाना चहह गढ़ गित जऊनाम जीह जप जानह तऊसाधक नाम जपह लय लाएहोह िस अिनमादक पाएजपह नाम जन आरत भारिमटह कसकट होह सखार

( ी रामचरत बालकाडः 211 स 5)नाम को िनगण () एव सगण (राम) स भी बड़ा बतात हए तलसी दास जी न

तो यहा तक कह दया कःअगन सगन दइ सपाअकथ अगाध अनाद अनपामोर मत बड़ नाम दह त

कए जह जग िनज बस िनज बत क दो वप ह- िनगण और सगण य दोन ह अकथनीय अथाह अनाद

और अनपम ह मर मित म नाम इन दोन स बड़ा ह जसन अपन बल स दोन को वश म कर रखा ह

(ीरामचरत बालकाडः 221-2)अत म नाम को राम स भी अिधक बतात हए तलसीदास जी कहत ह -

सबर गीघ ससवकिन सगित दह रघनाथनाम उधार अिमत खल बद गन गाथ

lsquoी रघनाथ जी न तो शबर जटाय िग आद उम सवक को ह म द परत नाम न अनिगनत द का भी उार कया नाम क गण क कथा वद म भी िस हrsquo

(ीरामचरत बालकाडः 24)अपत अजािमल गज गिनकाऊभए मकत हरनाम भाऊकह कह लिग नाम बड़ाई

राम न सकह नाम गन गाई

lsquoनीच अजािमल गज और गणका भी ीहर क नाम क भाव स म हो गय म नाम क बड़ाई कहा तक कह राम भी नाम क गण को नह गा सकतrsquo

(ीरामचरत बालकाडः257-8)कह महापष न कहा हः

आलोsय सवशााण वचाय च पनः पनःएकमव सिनपन हरनामव कवलम

सवशा का मथन करन क बाद बार-बार वचार करन क बाद ऋष-मिनय को जो एक सय लगा वह ह भगवनाम

तकारामजी महाराज कहत ह-lsquoनामजप स बढ़कर कोई भी साधना नह ह तम और जो चाहो स करो पर नाम

लत रहो इसम भल न हो यह सबस पकार-पकारकर मरा कहना ह अय कसी साधन क कोई जरत नह ह बस िना क साथ नाम जपत रहोrsquo

इस भगवनाम-जप क महमा अनत ह इस जप क साद स िशवजी अवनाशी ह एव अमगल वशवाल होन पर भी मगल क रािश ह परम योगी शकदवजी सनकाद िसगण मिनजन एव समत योगीजन इस दय नाम-जप क साद स ह नद का भोग करत ह भवतिशरोमण ीनारद जी भ ाद व अबरष परम भागवत ी हनमानजी अजािमल गणका िग जटाय कवट भीलनी शबर- सभी न इस भगवनाम-जप क ारा भगवाि क ह

मयकालीन भ एव सत कव सर तलसी कबीर दाद नानक रदास पीपा सदरदास आद सत तथा मीराबाई सहजोबाई जसी योिगिनय न इसी जपयोग क साधना करक सपण ससार को आमकयाण का सदश दया ह

नाम क महमा अगाध ह इसक अलौकक सामय का पणतया वणन कर पाना सभव नह ह सत-महापष इसक महमा वानभव स गात ह और वह हम लोग क िलए आधार हो जाता ह

नाम क महमा क वषय म सत ी ानर महाराज कहत ह-नाम सकतन क ऐसी महमा ह क उसस सब पाप न हो जात ह फर पाप

क िलए ायत करन का वधान बतलान वाल का यवसाय ह न हो जाता ह यक नाम-सकतन लशमा भी पाप नह रहन दता यम-दमाद इसक सामन फक पड़ जात ह तीथ अपन थान छोड़ जात ह यमलोक का राता ह बद हो जाता ह यम कहत ह- हम कसको यातना द दम कहत ह- हम कसका भण कर यहा तो दमन क िलए भी पाप-ताप नह रह गया भगवनाम का सकतन इस कार ससार क दःख को न कर दता ह एव सारा व आनद स ओत-ोत हो जाता ह

(ानरगीताः अ9197-200)

नामोचारण का फलीमदभागवत म आता ह

साकय पारहाय वा तो हलनमव वा |वकठनामहणमशषधहर वटः ||

पिततः खिलतो भनः सदत आहतः |हररयवशनाह पमानाहित यातनाम ||

lsquoभगवान का नाम चाह जस िलया जाय- कसी बात का सक त करन क िलए हसी करन क िलए अथवा ितरकार पवक ह य न हो वह सपण पाप का नाश करनवाला होता ह | पतन होन पर िगरन पर कछ टट जान पर डस जान पर बा या आतर ताप होन पर और घायल होन पर जो पष ववशता स भी lsquoहरrsquo य नाम का उचारण करता ह वह यम-यातना क योय नह |

(ीमदभागवत 621415)

म जाप का भाव सम कत गहरा होता ह |

जब लमणजी न म जप कर सीताजी क कटर क चार तरफ भिम पर एक रखा खीच द तो लकािधपित रावण तक उस लमणरखा को न लाघ सका | हालाक रावण मायावी वाओ का जानकार था कत यह वह रख को लाघन क इछा करता यह उसक सार शरर म जलन होन लगती थी |

मजप स परान सकार हटत जात ह जापक म सौयता आती जाती ह और उसका आमक बल बढ़ता जाता ह |

मजप स िच पावन होन लगता ह | र क कण पव होन लगत ह | दःख िचता भय शोक रोग आद िनवत होन लगत ह | सख-सम और सफलता क ाि म मदद िमलन लगती ह |

जस विन-तरग दर-दर जाती ह ऐस ह नाह-जप क तरग हमार अतमन म गहर उतर जाती ह तथा पछल कई जम क पाप िमटा दती ह | इसस हमार अदर श-सामय कट होन लगता ह और ब का वकास होन लगता ह | अिधक म जप

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 2: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

णामो दःखशमनत नमािम हर पदम lsquoजसका नाम-सकतन सभी पाप का वनाशक ह और णाम दःख का शमन

करन वाला ह उस ीहर-पद को म नमकार करता ह rsquoकिलकाल म नाम क महमा का बयान करत हए भगवान वदयास जी

ीमदभागवत म कहत ह-कत य यायतो वण ताया यजतो मखः

ापर परचयाया कलौ तरकतनात lsquoसतयग म भगवान वण क यान स ता म य स और ापर म भगवान क

पजा-अचना स जो फल िमलता था वह सब किलयग म भगवान क नाम कतन मा स ह ा हो जाता ह rsquo

(ीमदभागवतः 13352)lsquoीरामचरतमानसrsquo म गोवामी तलसी दास जी महाराज इसी बात को इस प

म कहत ह-कतजग ता ापर पजा मख अ जोग

जो गित होइ सो किल हर नाम त पावह लोग lsquoसतयग ता और ापर म जो गित पजा य और योग स ा होती ह वह

गित किलयग म लोग कवल भगवान क नाम स पा जात ह rsquo(ीरामचरत उरकाडः 102ख)

आग गोवामी जी कहत ह-किलजग कवल हर गन गाहा गावत नर पावह भव थाहा

किलजग जोग न जय न याना एक आधार राम गन गाना

सब भरोस तज जो भज रामह म समत गाव गन ामह सोइ भव तर कछ ससय नाह नाम ताप गय किल माह

lsquoकिलयग म तो कवल ी हर क गण गाथाओ का गान करन स ह मनय भवसागर क थाह पा जात ह

किलयग म न तो योग और य ह और न ान ह ह ी राम जी का गणगान ह एकमा आधार ह अतएव सार भरोस यागकर जो ीरामजी को भजता ह और

मसहत उनक गणसमह को गाता ह वह भवसागर स तर जाता ह इसम कछ भी सदह नह नाम का ताप किलयग म य ह rsquo

(ी रामचरत उरकाडः 1024 स 7)चह जग चह ित नाम भाऊ किल बसष नह आन उपाऊ

lsquoय तो चार यग म और चार ह वद म नाम का भाव ह कत किलयग म वशष प स ह इसम तो नाम को छोड़कर दसरा कोई उपाय ह नह ह rsquo

(ीरामचरत बालकाडः 218)गोवामी ी तलसीदास जी महाराज क वचार म अछ अथवा बर भाव स ोध

अथवा आलय स कसी भी कार स भगवनाम का जप करन स य को दस दशाओ म कयाण-ह-कयाण ा होता ह

भाय कभाय अनख आलसह नाम जपत मगल दिस दसह

(ीरामचरत बालकाडः 271)यह कपववप भगवनाम मरण करन स ह ससार क सब जजाल को न

कर दन वाला ह यह भगवनाम किलकाल म मनोवािछत फल को दन वाला परलोक का परम हतषी एव इस ससार म य का माता-पता क समान सब कार स पालन एव रण करन वाला ह

नाम कामत काल करालासिमरत समन सकल जग जालाराम नाम किल अिभमत दाताहत परलोक लोक पत माता

(ीरामचरत बालकाडः 265-6)इस भगवनाम-जपयोग क आयामक एव लौकक प का सदर समवय

करत हए गोवामी जी कहत ह क ाजी क बनाय हए इस पचामक यजगत स भली भाित छट हए वरायवान म योगी पष इस नाम को ह जीभ स जपत हए तवानप दन म जागत ह और नाम तथा प स रहत अनपम अिनवचनीय अनामय सख का अनभव करत ह जो परमामा क गढ़ रहय को जानना चाहत ह व जा ारा भगवनाम का जप करक उस जान लत ह लौकक िसय क आकाी साधक लययोग ारा भगवनाम जपकर अणमाद िसया ा कर िस हो जाया करत ह इसी कार जब सकट स घबराय हए आत भ नामजप करत ह तो उनक बड़ -बड़ सकट िमट जात ह और व सखी हो जात ह

नाम जीह जप जागह जोगीबरती बरिच पच बयोगीसखह अनभवह अनपाअकथ अनामय नाम न पाजाना चहह गढ़ गित जऊनाम जीह जप जानह तऊसाधक नाम जपह लय लाएहोह िस अिनमादक पाएजपह नाम जन आरत भारिमटह कसकट होह सखार

( ी रामचरत बालकाडः 211 स 5)नाम को िनगण () एव सगण (राम) स भी बड़ा बतात हए तलसी दास जी न

तो यहा तक कह दया कःअगन सगन दइ सपाअकथ अगाध अनाद अनपामोर मत बड़ नाम दह त

कए जह जग िनज बस िनज बत क दो वप ह- िनगण और सगण य दोन ह अकथनीय अथाह अनाद

और अनपम ह मर मित म नाम इन दोन स बड़ा ह जसन अपन बल स दोन को वश म कर रखा ह

(ीरामचरत बालकाडः 221-2)अत म नाम को राम स भी अिधक बतात हए तलसीदास जी कहत ह -

सबर गीघ ससवकिन सगित दह रघनाथनाम उधार अिमत खल बद गन गाथ

lsquoी रघनाथ जी न तो शबर जटाय िग आद उम सवक को ह म द परत नाम न अनिगनत द का भी उार कया नाम क गण क कथा वद म भी िस हrsquo

(ीरामचरत बालकाडः 24)अपत अजािमल गज गिनकाऊभए मकत हरनाम भाऊकह कह लिग नाम बड़ाई

राम न सकह नाम गन गाई

lsquoनीच अजािमल गज और गणका भी ीहर क नाम क भाव स म हो गय म नाम क बड़ाई कहा तक कह राम भी नाम क गण को नह गा सकतrsquo

(ीरामचरत बालकाडः257-8)कह महापष न कहा हः

आलोsय सवशााण वचाय च पनः पनःएकमव सिनपन हरनामव कवलम

सवशा का मथन करन क बाद बार-बार वचार करन क बाद ऋष-मिनय को जो एक सय लगा वह ह भगवनाम

तकारामजी महाराज कहत ह-lsquoनामजप स बढ़कर कोई भी साधना नह ह तम और जो चाहो स करो पर नाम

लत रहो इसम भल न हो यह सबस पकार-पकारकर मरा कहना ह अय कसी साधन क कोई जरत नह ह बस िना क साथ नाम जपत रहोrsquo

इस भगवनाम-जप क महमा अनत ह इस जप क साद स िशवजी अवनाशी ह एव अमगल वशवाल होन पर भी मगल क रािश ह परम योगी शकदवजी सनकाद िसगण मिनजन एव समत योगीजन इस दय नाम-जप क साद स ह नद का भोग करत ह भवतिशरोमण ीनारद जी भ ाद व अबरष परम भागवत ी हनमानजी अजािमल गणका िग जटाय कवट भीलनी शबर- सभी न इस भगवनाम-जप क ारा भगवाि क ह

मयकालीन भ एव सत कव सर तलसी कबीर दाद नानक रदास पीपा सदरदास आद सत तथा मीराबाई सहजोबाई जसी योिगिनय न इसी जपयोग क साधना करक सपण ससार को आमकयाण का सदश दया ह

नाम क महमा अगाध ह इसक अलौकक सामय का पणतया वणन कर पाना सभव नह ह सत-महापष इसक महमा वानभव स गात ह और वह हम लोग क िलए आधार हो जाता ह

नाम क महमा क वषय म सत ी ानर महाराज कहत ह-नाम सकतन क ऐसी महमा ह क उसस सब पाप न हो जात ह फर पाप

क िलए ायत करन का वधान बतलान वाल का यवसाय ह न हो जाता ह यक नाम-सकतन लशमा भी पाप नह रहन दता यम-दमाद इसक सामन फक पड़ जात ह तीथ अपन थान छोड़ जात ह यमलोक का राता ह बद हो जाता ह यम कहत ह- हम कसको यातना द दम कहत ह- हम कसका भण कर यहा तो दमन क िलए भी पाप-ताप नह रह गया भगवनाम का सकतन इस कार ससार क दःख को न कर दता ह एव सारा व आनद स ओत-ोत हो जाता ह

(ानरगीताः अ9197-200)

नामोचारण का फलीमदभागवत म आता ह

साकय पारहाय वा तो हलनमव वा |वकठनामहणमशषधहर वटः ||

पिततः खिलतो भनः सदत आहतः |हररयवशनाह पमानाहित यातनाम ||

lsquoभगवान का नाम चाह जस िलया जाय- कसी बात का सक त करन क िलए हसी करन क िलए अथवा ितरकार पवक ह य न हो वह सपण पाप का नाश करनवाला होता ह | पतन होन पर िगरन पर कछ टट जान पर डस जान पर बा या आतर ताप होन पर और घायल होन पर जो पष ववशता स भी lsquoहरrsquo य नाम का उचारण करता ह वह यम-यातना क योय नह |

(ीमदभागवत 621415)

म जाप का भाव सम कत गहरा होता ह |

जब लमणजी न म जप कर सीताजी क कटर क चार तरफ भिम पर एक रखा खीच द तो लकािधपित रावण तक उस लमणरखा को न लाघ सका | हालाक रावण मायावी वाओ का जानकार था कत यह वह रख को लाघन क इछा करता यह उसक सार शरर म जलन होन लगती थी |

मजप स परान सकार हटत जात ह जापक म सौयता आती जाती ह और उसका आमक बल बढ़ता जाता ह |

मजप स िच पावन होन लगता ह | र क कण पव होन लगत ह | दःख िचता भय शोक रोग आद िनवत होन लगत ह | सख-सम और सफलता क ाि म मदद िमलन लगती ह |

जस विन-तरग दर-दर जाती ह ऐस ह नाह-जप क तरग हमार अतमन म गहर उतर जाती ह तथा पछल कई जम क पाप िमटा दती ह | इसस हमार अदर श-सामय कट होन लगता ह और ब का वकास होन लगता ह | अिधक म जप

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 3: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

मसहत उनक गणसमह को गाता ह वह भवसागर स तर जाता ह इसम कछ भी सदह नह नाम का ताप किलयग म य ह rsquo

(ी रामचरत उरकाडः 1024 स 7)चह जग चह ित नाम भाऊ किल बसष नह आन उपाऊ

lsquoय तो चार यग म और चार ह वद म नाम का भाव ह कत किलयग म वशष प स ह इसम तो नाम को छोड़कर दसरा कोई उपाय ह नह ह rsquo

(ीरामचरत बालकाडः 218)गोवामी ी तलसीदास जी महाराज क वचार म अछ अथवा बर भाव स ोध

अथवा आलय स कसी भी कार स भगवनाम का जप करन स य को दस दशाओ म कयाण-ह-कयाण ा होता ह

भाय कभाय अनख आलसह नाम जपत मगल दिस दसह

(ीरामचरत बालकाडः 271)यह कपववप भगवनाम मरण करन स ह ससार क सब जजाल को न

कर दन वाला ह यह भगवनाम किलकाल म मनोवािछत फल को दन वाला परलोक का परम हतषी एव इस ससार म य का माता-पता क समान सब कार स पालन एव रण करन वाला ह

नाम कामत काल करालासिमरत समन सकल जग जालाराम नाम किल अिभमत दाताहत परलोक लोक पत माता

(ीरामचरत बालकाडः 265-6)इस भगवनाम-जपयोग क आयामक एव लौकक प का सदर समवय

करत हए गोवामी जी कहत ह क ाजी क बनाय हए इस पचामक यजगत स भली भाित छट हए वरायवान म योगी पष इस नाम को ह जीभ स जपत हए तवानप दन म जागत ह और नाम तथा प स रहत अनपम अिनवचनीय अनामय सख का अनभव करत ह जो परमामा क गढ़ रहय को जानना चाहत ह व जा ारा भगवनाम का जप करक उस जान लत ह लौकक िसय क आकाी साधक लययोग ारा भगवनाम जपकर अणमाद िसया ा कर िस हो जाया करत ह इसी कार जब सकट स घबराय हए आत भ नामजप करत ह तो उनक बड़ -बड़ सकट िमट जात ह और व सखी हो जात ह

नाम जीह जप जागह जोगीबरती बरिच पच बयोगीसखह अनभवह अनपाअकथ अनामय नाम न पाजाना चहह गढ़ गित जऊनाम जीह जप जानह तऊसाधक नाम जपह लय लाएहोह िस अिनमादक पाएजपह नाम जन आरत भारिमटह कसकट होह सखार

( ी रामचरत बालकाडः 211 स 5)नाम को िनगण () एव सगण (राम) स भी बड़ा बतात हए तलसी दास जी न

तो यहा तक कह दया कःअगन सगन दइ सपाअकथ अगाध अनाद अनपामोर मत बड़ नाम दह त

कए जह जग िनज बस िनज बत क दो वप ह- िनगण और सगण य दोन ह अकथनीय अथाह अनाद

और अनपम ह मर मित म नाम इन दोन स बड़ा ह जसन अपन बल स दोन को वश म कर रखा ह

(ीरामचरत बालकाडः 221-2)अत म नाम को राम स भी अिधक बतात हए तलसीदास जी कहत ह -

सबर गीघ ससवकिन सगित दह रघनाथनाम उधार अिमत खल बद गन गाथ

lsquoी रघनाथ जी न तो शबर जटाय िग आद उम सवक को ह म द परत नाम न अनिगनत द का भी उार कया नाम क गण क कथा वद म भी िस हrsquo

(ीरामचरत बालकाडः 24)अपत अजािमल गज गिनकाऊभए मकत हरनाम भाऊकह कह लिग नाम बड़ाई

राम न सकह नाम गन गाई

lsquoनीच अजािमल गज और गणका भी ीहर क नाम क भाव स म हो गय म नाम क बड़ाई कहा तक कह राम भी नाम क गण को नह गा सकतrsquo

(ीरामचरत बालकाडः257-8)कह महापष न कहा हः

आलोsय सवशााण वचाय च पनः पनःएकमव सिनपन हरनामव कवलम

सवशा का मथन करन क बाद बार-बार वचार करन क बाद ऋष-मिनय को जो एक सय लगा वह ह भगवनाम

तकारामजी महाराज कहत ह-lsquoनामजप स बढ़कर कोई भी साधना नह ह तम और जो चाहो स करो पर नाम

लत रहो इसम भल न हो यह सबस पकार-पकारकर मरा कहना ह अय कसी साधन क कोई जरत नह ह बस िना क साथ नाम जपत रहोrsquo

इस भगवनाम-जप क महमा अनत ह इस जप क साद स िशवजी अवनाशी ह एव अमगल वशवाल होन पर भी मगल क रािश ह परम योगी शकदवजी सनकाद िसगण मिनजन एव समत योगीजन इस दय नाम-जप क साद स ह नद का भोग करत ह भवतिशरोमण ीनारद जी भ ाद व अबरष परम भागवत ी हनमानजी अजािमल गणका िग जटाय कवट भीलनी शबर- सभी न इस भगवनाम-जप क ारा भगवाि क ह

मयकालीन भ एव सत कव सर तलसी कबीर दाद नानक रदास पीपा सदरदास आद सत तथा मीराबाई सहजोबाई जसी योिगिनय न इसी जपयोग क साधना करक सपण ससार को आमकयाण का सदश दया ह

नाम क महमा अगाध ह इसक अलौकक सामय का पणतया वणन कर पाना सभव नह ह सत-महापष इसक महमा वानभव स गात ह और वह हम लोग क िलए आधार हो जाता ह

नाम क महमा क वषय म सत ी ानर महाराज कहत ह-नाम सकतन क ऐसी महमा ह क उसस सब पाप न हो जात ह फर पाप

क िलए ायत करन का वधान बतलान वाल का यवसाय ह न हो जाता ह यक नाम-सकतन लशमा भी पाप नह रहन दता यम-दमाद इसक सामन फक पड़ जात ह तीथ अपन थान छोड़ जात ह यमलोक का राता ह बद हो जाता ह यम कहत ह- हम कसको यातना द दम कहत ह- हम कसका भण कर यहा तो दमन क िलए भी पाप-ताप नह रह गया भगवनाम का सकतन इस कार ससार क दःख को न कर दता ह एव सारा व आनद स ओत-ोत हो जाता ह

(ानरगीताः अ9197-200)

नामोचारण का फलीमदभागवत म आता ह

साकय पारहाय वा तो हलनमव वा |वकठनामहणमशषधहर वटः ||

पिततः खिलतो भनः सदत आहतः |हररयवशनाह पमानाहित यातनाम ||

lsquoभगवान का नाम चाह जस िलया जाय- कसी बात का सक त करन क िलए हसी करन क िलए अथवा ितरकार पवक ह य न हो वह सपण पाप का नाश करनवाला होता ह | पतन होन पर िगरन पर कछ टट जान पर डस जान पर बा या आतर ताप होन पर और घायल होन पर जो पष ववशता स भी lsquoहरrsquo य नाम का उचारण करता ह वह यम-यातना क योय नह |

(ीमदभागवत 621415)

म जाप का भाव सम कत गहरा होता ह |

जब लमणजी न म जप कर सीताजी क कटर क चार तरफ भिम पर एक रखा खीच द तो लकािधपित रावण तक उस लमणरखा को न लाघ सका | हालाक रावण मायावी वाओ का जानकार था कत यह वह रख को लाघन क इछा करता यह उसक सार शरर म जलन होन लगती थी |

मजप स परान सकार हटत जात ह जापक म सौयता आती जाती ह और उसका आमक बल बढ़ता जाता ह |

मजप स िच पावन होन लगता ह | र क कण पव होन लगत ह | दःख िचता भय शोक रोग आद िनवत होन लगत ह | सख-सम और सफलता क ाि म मदद िमलन लगती ह |

जस विन-तरग दर-दर जाती ह ऐस ह नाह-जप क तरग हमार अतमन म गहर उतर जाती ह तथा पछल कई जम क पाप िमटा दती ह | इसस हमार अदर श-सामय कट होन लगता ह और ब का वकास होन लगता ह | अिधक म जप

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 4: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

नाम जीह जप जागह जोगीबरती बरिच पच बयोगीसखह अनभवह अनपाअकथ अनामय नाम न पाजाना चहह गढ़ गित जऊनाम जीह जप जानह तऊसाधक नाम जपह लय लाएहोह िस अिनमादक पाएजपह नाम जन आरत भारिमटह कसकट होह सखार

( ी रामचरत बालकाडः 211 स 5)नाम को िनगण () एव सगण (राम) स भी बड़ा बतात हए तलसी दास जी न

तो यहा तक कह दया कःअगन सगन दइ सपाअकथ अगाध अनाद अनपामोर मत बड़ नाम दह त

कए जह जग िनज बस िनज बत क दो वप ह- िनगण और सगण य दोन ह अकथनीय अथाह अनाद

और अनपम ह मर मित म नाम इन दोन स बड़ा ह जसन अपन बल स दोन को वश म कर रखा ह

(ीरामचरत बालकाडः 221-2)अत म नाम को राम स भी अिधक बतात हए तलसीदास जी कहत ह -

सबर गीघ ससवकिन सगित दह रघनाथनाम उधार अिमत खल बद गन गाथ

lsquoी रघनाथ जी न तो शबर जटाय िग आद उम सवक को ह म द परत नाम न अनिगनत द का भी उार कया नाम क गण क कथा वद म भी िस हrsquo

(ीरामचरत बालकाडः 24)अपत अजािमल गज गिनकाऊभए मकत हरनाम भाऊकह कह लिग नाम बड़ाई

राम न सकह नाम गन गाई

lsquoनीच अजािमल गज और गणका भी ीहर क नाम क भाव स म हो गय म नाम क बड़ाई कहा तक कह राम भी नाम क गण को नह गा सकतrsquo

(ीरामचरत बालकाडः257-8)कह महापष न कहा हः

आलोsय सवशााण वचाय च पनः पनःएकमव सिनपन हरनामव कवलम

सवशा का मथन करन क बाद बार-बार वचार करन क बाद ऋष-मिनय को जो एक सय लगा वह ह भगवनाम

तकारामजी महाराज कहत ह-lsquoनामजप स बढ़कर कोई भी साधना नह ह तम और जो चाहो स करो पर नाम

लत रहो इसम भल न हो यह सबस पकार-पकारकर मरा कहना ह अय कसी साधन क कोई जरत नह ह बस िना क साथ नाम जपत रहोrsquo

इस भगवनाम-जप क महमा अनत ह इस जप क साद स िशवजी अवनाशी ह एव अमगल वशवाल होन पर भी मगल क रािश ह परम योगी शकदवजी सनकाद िसगण मिनजन एव समत योगीजन इस दय नाम-जप क साद स ह नद का भोग करत ह भवतिशरोमण ीनारद जी भ ाद व अबरष परम भागवत ी हनमानजी अजािमल गणका िग जटाय कवट भीलनी शबर- सभी न इस भगवनाम-जप क ारा भगवाि क ह

मयकालीन भ एव सत कव सर तलसी कबीर दाद नानक रदास पीपा सदरदास आद सत तथा मीराबाई सहजोबाई जसी योिगिनय न इसी जपयोग क साधना करक सपण ससार को आमकयाण का सदश दया ह

नाम क महमा अगाध ह इसक अलौकक सामय का पणतया वणन कर पाना सभव नह ह सत-महापष इसक महमा वानभव स गात ह और वह हम लोग क िलए आधार हो जाता ह

नाम क महमा क वषय म सत ी ानर महाराज कहत ह-नाम सकतन क ऐसी महमा ह क उसस सब पाप न हो जात ह फर पाप

क िलए ायत करन का वधान बतलान वाल का यवसाय ह न हो जाता ह यक नाम-सकतन लशमा भी पाप नह रहन दता यम-दमाद इसक सामन फक पड़ जात ह तीथ अपन थान छोड़ जात ह यमलोक का राता ह बद हो जाता ह यम कहत ह- हम कसको यातना द दम कहत ह- हम कसका भण कर यहा तो दमन क िलए भी पाप-ताप नह रह गया भगवनाम का सकतन इस कार ससार क दःख को न कर दता ह एव सारा व आनद स ओत-ोत हो जाता ह

(ानरगीताः अ9197-200)

नामोचारण का फलीमदभागवत म आता ह

साकय पारहाय वा तो हलनमव वा |वकठनामहणमशषधहर वटः ||

पिततः खिलतो भनः सदत आहतः |हररयवशनाह पमानाहित यातनाम ||

lsquoभगवान का नाम चाह जस िलया जाय- कसी बात का सक त करन क िलए हसी करन क िलए अथवा ितरकार पवक ह य न हो वह सपण पाप का नाश करनवाला होता ह | पतन होन पर िगरन पर कछ टट जान पर डस जान पर बा या आतर ताप होन पर और घायल होन पर जो पष ववशता स भी lsquoहरrsquo य नाम का उचारण करता ह वह यम-यातना क योय नह |

(ीमदभागवत 621415)

म जाप का भाव सम कत गहरा होता ह |

जब लमणजी न म जप कर सीताजी क कटर क चार तरफ भिम पर एक रखा खीच द तो लकािधपित रावण तक उस लमणरखा को न लाघ सका | हालाक रावण मायावी वाओ का जानकार था कत यह वह रख को लाघन क इछा करता यह उसक सार शरर म जलन होन लगती थी |

मजप स परान सकार हटत जात ह जापक म सौयता आती जाती ह और उसका आमक बल बढ़ता जाता ह |

मजप स िच पावन होन लगता ह | र क कण पव होन लगत ह | दःख िचता भय शोक रोग आद िनवत होन लगत ह | सख-सम और सफलता क ाि म मदद िमलन लगती ह |

जस विन-तरग दर-दर जाती ह ऐस ह नाह-जप क तरग हमार अतमन म गहर उतर जाती ह तथा पछल कई जम क पाप िमटा दती ह | इसस हमार अदर श-सामय कट होन लगता ह और ब का वकास होन लगता ह | अिधक म जप

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 5: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

lsquoनीच अजािमल गज और गणका भी ीहर क नाम क भाव स म हो गय म नाम क बड़ाई कहा तक कह राम भी नाम क गण को नह गा सकतrsquo

(ीरामचरत बालकाडः257-8)कह महापष न कहा हः

आलोsय सवशााण वचाय च पनः पनःएकमव सिनपन हरनामव कवलम

सवशा का मथन करन क बाद बार-बार वचार करन क बाद ऋष-मिनय को जो एक सय लगा वह ह भगवनाम

तकारामजी महाराज कहत ह-lsquoनामजप स बढ़कर कोई भी साधना नह ह तम और जो चाहो स करो पर नाम

लत रहो इसम भल न हो यह सबस पकार-पकारकर मरा कहना ह अय कसी साधन क कोई जरत नह ह बस िना क साथ नाम जपत रहोrsquo

इस भगवनाम-जप क महमा अनत ह इस जप क साद स िशवजी अवनाशी ह एव अमगल वशवाल होन पर भी मगल क रािश ह परम योगी शकदवजी सनकाद िसगण मिनजन एव समत योगीजन इस दय नाम-जप क साद स ह नद का भोग करत ह भवतिशरोमण ीनारद जी भ ाद व अबरष परम भागवत ी हनमानजी अजािमल गणका िग जटाय कवट भीलनी शबर- सभी न इस भगवनाम-जप क ारा भगवाि क ह

मयकालीन भ एव सत कव सर तलसी कबीर दाद नानक रदास पीपा सदरदास आद सत तथा मीराबाई सहजोबाई जसी योिगिनय न इसी जपयोग क साधना करक सपण ससार को आमकयाण का सदश दया ह

नाम क महमा अगाध ह इसक अलौकक सामय का पणतया वणन कर पाना सभव नह ह सत-महापष इसक महमा वानभव स गात ह और वह हम लोग क िलए आधार हो जाता ह

नाम क महमा क वषय म सत ी ानर महाराज कहत ह-नाम सकतन क ऐसी महमा ह क उसस सब पाप न हो जात ह फर पाप

क िलए ायत करन का वधान बतलान वाल का यवसाय ह न हो जाता ह यक नाम-सकतन लशमा भी पाप नह रहन दता यम-दमाद इसक सामन फक पड़ जात ह तीथ अपन थान छोड़ जात ह यमलोक का राता ह बद हो जाता ह यम कहत ह- हम कसको यातना द दम कहत ह- हम कसका भण कर यहा तो दमन क िलए भी पाप-ताप नह रह गया भगवनाम का सकतन इस कार ससार क दःख को न कर दता ह एव सारा व आनद स ओत-ोत हो जाता ह

(ानरगीताः अ9197-200)

नामोचारण का फलीमदभागवत म आता ह

साकय पारहाय वा तो हलनमव वा |वकठनामहणमशषधहर वटः ||

पिततः खिलतो भनः सदत आहतः |हररयवशनाह पमानाहित यातनाम ||

lsquoभगवान का नाम चाह जस िलया जाय- कसी बात का सक त करन क िलए हसी करन क िलए अथवा ितरकार पवक ह य न हो वह सपण पाप का नाश करनवाला होता ह | पतन होन पर िगरन पर कछ टट जान पर डस जान पर बा या आतर ताप होन पर और घायल होन पर जो पष ववशता स भी lsquoहरrsquo य नाम का उचारण करता ह वह यम-यातना क योय नह |

(ीमदभागवत 621415)

म जाप का भाव सम कत गहरा होता ह |

जब लमणजी न म जप कर सीताजी क कटर क चार तरफ भिम पर एक रखा खीच द तो लकािधपित रावण तक उस लमणरखा को न लाघ सका | हालाक रावण मायावी वाओ का जानकार था कत यह वह रख को लाघन क इछा करता यह उसक सार शरर म जलन होन लगती थी |

मजप स परान सकार हटत जात ह जापक म सौयता आती जाती ह और उसका आमक बल बढ़ता जाता ह |

मजप स िच पावन होन लगता ह | र क कण पव होन लगत ह | दःख िचता भय शोक रोग आद िनवत होन लगत ह | सख-सम और सफलता क ाि म मदद िमलन लगती ह |

जस विन-तरग दर-दर जाती ह ऐस ह नाह-जप क तरग हमार अतमन म गहर उतर जाती ह तथा पछल कई जम क पाप िमटा दती ह | इसस हमार अदर श-सामय कट होन लगता ह और ब का वकास होन लगता ह | अिधक म जप

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 6: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

(ानरगीताः अ9197-200)

नामोचारण का फलीमदभागवत म आता ह

साकय पारहाय वा तो हलनमव वा |वकठनामहणमशषधहर वटः ||

पिततः खिलतो भनः सदत आहतः |हररयवशनाह पमानाहित यातनाम ||

lsquoभगवान का नाम चाह जस िलया जाय- कसी बात का सक त करन क िलए हसी करन क िलए अथवा ितरकार पवक ह य न हो वह सपण पाप का नाश करनवाला होता ह | पतन होन पर िगरन पर कछ टट जान पर डस जान पर बा या आतर ताप होन पर और घायल होन पर जो पष ववशता स भी lsquoहरrsquo य नाम का उचारण करता ह वह यम-यातना क योय नह |

(ीमदभागवत 621415)

म जाप का भाव सम कत गहरा होता ह |

जब लमणजी न म जप कर सीताजी क कटर क चार तरफ भिम पर एक रखा खीच द तो लकािधपित रावण तक उस लमणरखा को न लाघ सका | हालाक रावण मायावी वाओ का जानकार था कत यह वह रख को लाघन क इछा करता यह उसक सार शरर म जलन होन लगती थी |

मजप स परान सकार हटत जात ह जापक म सौयता आती जाती ह और उसका आमक बल बढ़ता जाता ह |

मजप स िच पावन होन लगता ह | र क कण पव होन लगत ह | दःख िचता भय शोक रोग आद िनवत होन लगत ह | सख-सम और सफलता क ाि म मदद िमलन लगती ह |

जस विन-तरग दर-दर जाती ह ऐस ह नाह-जप क तरग हमार अतमन म गहर उतर जाती ह तथा पछल कई जम क पाप िमटा दती ह | इसस हमार अदर श-सामय कट होन लगता ह और ब का वकास होन लगता ह | अिधक म जप

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 7: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

स दरदशन दरवण आद िसया आन लगती ह कत साधक को चाहए क इन िसय क चकर म न पड़ वरन अितम लय परमाम -ाि म ह िनरतर सलन रह |

मन महाराज कहत थ कldquoजप मा स ह ाण िस को पा लता ह और बड़-म-बड़ िस ह दय क

श |rdquo

भगवान ब कहा करत थ ldquoमजप असीम मानवता क साथ तहार दय को एकाकार कर दता ह |rdquo

मजप स शाित तो िमलती ह ह वह भ व म का भी दाता ह |

मजप करन स मनय क अनक पाप-ताप भम होन लगत ह | उसका दय श होन लगता ह तथा ऐस करत-करत एक दन उसक दय म दतर का ाकटय भी हो जाता ह |

मजापक को यगत जीवन म सफलता तथा सामाजक जीवन म समान िमलता ह | मजप मानव क भीतर क सोयी हई चतना को जगाकर उसक महानता को कट कर दता ह | यहा तक क जप स जीवामा -परमामपद म पहचन क मता भी वकिसत कर लता ह |

जपात िसः जपात िसः जपात िसन सशयः |

म दखन म बहत छोटा होता ह लकन उसका भाव बहत बड़ा होता ह | हमार पवज ॠष-मिनय न म क बल स ह तमाम ॠया-िसया व इतनी बड़ िचरथायी याित ा क ह |

lsquoगीतासrsquo गोरखपर क ी जयदयाल गोयदकाजी िलखत ह

ldquoवातव म नाम क महमा वह पष जान सकता ह जसका मन िनरतर ी भगवनाम क िचतन म सलन रहता ह नाम क य और मधर मित स जसको ण-ण म रोमाच और अपात होत ह जो जल क वयोग म मछली क याकलता क समान णभर क नाम-वयोग स भी वकल हो उठता ह जो महापष िनमषमा क

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 8: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

िलए भी भगवान क नाम को छोड़ नह सकता और जो िनकामभाव स िनरतर मपवक जप करत-करत उसम तलीन हो चका ह |

साधना-पथ म वन को न करन और मन म होन वाली सासारक फरणाओ का नाश करन क िलए आमवप क िचतनसहत मपवक भगवनाम-जप करन क समान दसरा कोई साधन नह ह |rdquo

नाम और नामी क अिभनता ह | नाम-जप करन स जापक म नामी क वभाव का यारोपण होन लगता ह | इसस उसक दगण दोष दराचार िमटकर उसम दवी सप क गण का थापन होता ह व नामी क िलए उकट म-लालसा का वकस होता ह |

सदग और म दाअपनी इछानसार कोई म जपना बरा नह ह अछा ह ह लकन जब म सदग ारा दया जाता ह तो उसक वशषता बढ़ जाती ह | जहन म िस कया हआ हो ऐस महापष क ारा िमला हआ म साधक को भी िसावथा म पहचान म सम होता ह | सदग स िमला हआ म lsquoसबीज मrsquo कहलाता ह यक उसम परमर का अनभव करान वाली श िनहत होती ह |

सदग स ा म को ा-वासपवक जपन स कम समय म ह काम बा जाता ह |

शा म यह कथा आती ह क एक बार भ व क सबध म साधओ क गोी हई | उहन कहा

ldquoदखो भगवान क यहा भी पहचान स काम होता ह | हम लोग कई वष स साध बनकर नाक रगड़ रह ह फर भी भगवान दशन नह द रह | जबक व ह नारदजी का िशय नारदजी ह ा क प और ा जी उपन हए ह वणजी क नािभ स | इस कार व हआ वणजी क पौ का िशय | व न नारदजी स म पाकर उसका जप कया तो भगवान व क आग कट हो गय |rdquo

इस कार क चचा चल ह रह थी क इतन म एक कवट वहा और बोला ldquoह साधजन लगता ह आप लोग कछ परशान स ह | चिलए म आपको जरा नौका वहार करवा द |rdquo

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 9: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

सभी साध नौका म बठ गय | कवट उनको बीच सरोवर म ल गया जहा कछ टल थ | उन टल पर अथया दख रह थी | तब कतहल वश साधओ न पछा

ldquoकवट तम हम कहा ल आय य कसक अथय क ढ़र ह rdquo

तब कवट बोला ldquoय अथय क ढ़र भ व क ह | उहन कई जम तक भगवान को पान क िलय यह तपया क थी | आखर बार दवष नारद िमल गय तो उनक तपया छः महन म फल गई और उह भ क दशन हो गय |

सब साधओ को अपनी शका का समाधान िमल गया |

इस कार सदग स ा म का वासपवक जप शी फलदायी होता ह |

दसर बात गद म कभी पीछा नह छोड़ता | इसक भी कई ात ह |

तीसर बात सदग िशय क योयता क अनसार म दत ह | जो साधक जस क म होता ह उसीक अनप म दन स कडिलनी श जद जात होती ह |

ग दो कार क मान जात ह 1 सादाियक ग और2 लोक ग

सादाय क सत सबको को एक कार का म दत ह ताक उनका सदाय मजबत हो | जबक लोकसत साधक क योयता क अनसार उस म दत ह | जस दवष नारद | नारदजी न राकर डाक को lsquoमरा-मराrsquo म दया जबक व को lsquoॐ नमो भगवत वासदवायrsquo म दया |

म भी तीन कार क होत ह 1 साबर2 ताक और3 वदक

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 10: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

साबर तथा ताक म स छोट-मोट िसया ा होती ह लकन वा क िलए तो वदक म ह लाभदायी ह | वदक म का जप इहलोक और परलोक दोन म लाभदायी होता ह |

कस साधक क िलय कौन सा म योय ह यह बत सव सवशमान ी सदगदव क िछपी नह रहती | इसीस दा क सबध म पणतः उह पर िनभर रहना चाहए | व जस दन जस अवथा म िशय पर कपा कर दत ह चाह जो म दत ह विधपवक या बना विध क सब य-का-य शा सत ह | वह शभ महत ह जब ीगदव क कपा हो | वह शभ म ह जो व द द | उसम कसी कार क सदह या वचार क िलए थान नह ह | व अनािधकार को अिधकार बना सकत ह | एक-दो क तो बात ह या सार ससार का उार कर सकत ह

lsquoीगगीताrsquo म आता ह

गमो मख यय तय िसयत नायथा |दया सव कमाण िसयत ग पक ||

lsquoजसक मख म गम ह उसक सब कम िस होत ह दसर क नह | दा क कारण िशय क सव काय िस हो जात ह |

मदाग मदा क ार िशय क सष श को जगात ह | दा का अथ ह lsquoदrsquo

अथात जो दया जाय जो ईरय साद दन क योयता रखत ह तथा lsquoाrsquo अथात जो पचाया जाय या जो पचान क योयता रखता ह | पचानवाल साधक क योयता तथा दनवाल ग का अनह इन दोन का जब मल होता ह तब दा सपन होती ह |

ग म दा दत ह तो साथ-साथ अपनी चतय श भी िशय को दत ह | कसान अपन खत म बीज बो दता ह तो अनजान आदमी यह नह कह सकता क बीज बोया हआ ह या नह | परत जब धीर-धीर खत क िसचाई होती ह उसक सरा क जाती ह तब बीज म स अकर फट िनकलत ह और तब सबको पता चलता ह क खत म बवाई हई ह | ऐस ह म दा क समय हम जो िमलता ह वह पता नह चलता क या िमला परत जब हम साधन-भजन स उस सीचत ह तब म दा का जो साद ह बीजप म जो आशीवाद िमला ह वह पनपता ह |

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 11: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

ी गदव क कपा और िशय क ा इन दो पव धाराओ का सगम ह दा ह |ग का आमदान और िशय का आमसमपण एक क कपा व दसर क ा क मल स ह दा सपन होती ह | दान और प यह दा ह | ान श व िस का दान और अान पाप और दरता का य इसी का नाम दा ह |

सभी साधक क िलय यह दा अिनवाय ह |चाह जम क दर लग परत जब तक ऐसी दा नह होगी तब तक िस का माग का ह रहगा |

यद समत साधक का अिधकार एक होता यद साधनाए बहत नह होती और िसय क बहत -स-तर न होत तो यह भी सभव था क बना दा क ह परमाथ ाि हो जाती | परत ऐसा नह ह | इस मनय शरर म कोई पश-योनी स आया ह औरकोई दव-योनी स कोई पव जम म साधना-सपन होकर आया ह और कोई सीधनरककड स कसी का मन स ह और कसी का जात | ऐसी थित म सबक िलय एक म एक दवता और एक कार क यान-णाली हो ह नह सकती |

यह सय ह क िस साधक म और दवताओ क प म एक ह भगवान कट ह | फर भी कस दय म कस दवता और म क प म उनक फित सहज ह- यह जानकर उनको उसी प म फरत करना यह दा क विध ह |

दा एक स ग क ओर आमदान ानसचार अथवा शपात ह तो दसर स िशय म सष ान और शय का उदबोधन ह | दा स दयथ स श क जागरण म बड़ सहायता िमलती ह और यह कारण ह क कभी-कभी तो जनक िच म बड़ भ ह याकलता और सरल वास ह व भी भगवकपा का उतना अनभव नह कर पात जतना क िशय को दा स होता ह |

दा बहत बार नह होती यक एक बार राता पकड़ लन पर आग क थान वय ह आत रहत ह | पहली भिमका वय ह दसर भिमका क प म पयविसत होती ह |

साधना का अनान मशः दय को श करता ह और उसीक अनसार िसय का और ान का उदय होता जाता ह | ान क पणता साधना क पणता ह |

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 12: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

िशय क अिधकार-भद स ह म और दवता का भद होता ह जस कशल व रोग का िनणय होन क बाद ह औषध का योग करत ह | रोगिनणय क बना औषध का योग िनरथक ह | वस ह साधक क िलए म और दवता क िनणय म भी होता ह | यद रोग का िनणय ठक हो औषध और उसका यवहार िनयिमत प स हो रोगी कपय न कर तो औषध का फल य दखा जाता ह | इसी कार साधक क िलए उसक पवजम क साधनाए उसक सकार उसक वमान वासनाए जानकर उसक अनकल म तथा दवता का िनणय कया जाय और साधक उन िनयम का पालन कर तो वह बहत थोड़परम स और बहत शी ह िसलाभ कर सकता ह |

म दा क कारदा तीन कार क होती ह

1 माक 2 शाभवी और 3 पश

जब म बोलकर िशय को सनाया जाता ह तो वह होती ह माक दा |

िनगाह स द जानवाली दा शाभवी दा कहलाती ह |

जब िशय क कसी भी क को पश करक उसक कडिलनी श जगायी जाती ह तो उस पश दा कहत ह |

शकदवजी महाराज न पाचव दन परत पर अपनी स कपा बरसायी और परत को ऐसा दय अनभव हआ क व अपनी भख -यास तक भल गय | ग कवचन स उह बड़ ति िमली | शकदवजी महाराज समझ गय क सपा न कपा पचायी ह | सातव दन शकदवजी महारज न परत को पश दा भी द द और परत को पण शाित क अनभित हो गयी |

कलाणवत म तीन कार क दाओ का इस कार वणन ह

पशदा

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 13: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

यथा पी वपाया िशशसवधयछनः |

पशदोपदशत ताशः किथतः य ||

पशदा उसी कार क ह जस कार पणी अपन पख स पश स अपन बच का लालन-पालन-वन करती ह |

जब तक बचा अड स बाहर नह िनकलता तब तक पणी अड पर बठती ह और अड स बाहर िनकलन क बाद जब तक बचा छोटा होता ह तब तक उस वह अपन पख स ढ़ाक रहती ह |

दावपयािन यथा कम वीणनव पोयत |दायोपदशत ताशः किथतः य ||

lsquoदा उसी कार क ह जस कार कछवी मा स अपन बच का पोषण करती ह |rsquo

यानदायथा मसी वतनयान यानमाण पोषयत |वधदापदशत मनसः याथावधाः ||

lsquoयानदा मन स होती ह और उसी कार होती ह जस कार मछली अपन बच को यानमा स पोसती ह |rsquo

पणी कछवी और मछली क समान ह ीसदग अपन पश स स तथा सकप स िशय म अपनी श का सचार करक उसक अवा का नाश करत ह और महावाय क उपदश स उस कताथ कर दत ह | पश और सकप क अितर एक lsquoशददाrsquo भी होती ह | इस कार चतवध दा ह और उसका ा आग िलख अनसार ह

व थल सम समतर समतममप मतः |पशनभाषणदशनसकपनजवततधा तम ||

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 14: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

lsquoपश भाषण दशन सकप ndash यह चार कार क दा म स थल सम समतर और समतम ह |rsquo

इस कार दा पाय हए िशय म कोई ऐस होत ह जो दसर को वह दा दकर कताथ कर सकत ह और कोई कवल वय कताथ होत ह परत दसर को शपात करक कताथ नह सकत |

साय त शपात गववयाप सामयम |

चार कार क दा म गसायासाय कसा होता ह यह आग बतलात ह

पशथल ान वध गसायासायवभदन |दपतरयोरव सपशानधवययसोः ||

कसी जलत हए दपक स कसी दसर दपक क घता या तला बी को पश करत ह वह बी जल उठती ह फर यह दसर जलती हई बी चाह कसी भी अय नध बी को अपन पश स विलत कर सकती ह | यह श उस ा हो गयी | यह श इस कार विलत सभी दप को ा ह | इसीको परपरा कहत ह | दसरा उदाहरण पारस ह | पारस क पश स लोहा सोना बन जाता ह परत इस सोन म यह सामय नह होता क वह दसर कसी लोहखड को अपन पश स सोना बना सक | सायदान करन क श उसम नह होती अथात परपरा आग नह बनी रहती |

शदःत वध सम शदवणन कोकलाबदयोः |

तसतमयरयोरव तय यथासयम ||

कौओ क बीच म पला हआ कोयल का बचा कोयल का शद सनत ह यह जान जाता ह क म कोयल ह | फर अपन शद स यह बोध उपन करन क श भी उसम आ जाती ह | मघ का शद सनकर मोर आनद स नाच उठता ह पर यह आनद दसर को दन का सामय मोर क शद म नह आता |

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 15: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

इथ समतरमप वध कया िनरणायाः |

पयातथव सवतिनरणाकोकिमथनय ||

कछवी क िनपमा स उसक बच िनहाल हो जात ह और फर यह शपात उन बच को भी ा होती ह | इसी कार सदग क कणामय पात स िशय म ान का उदय हो जाता ह और फर उसी कार क कणामय पात स अय अिधकारय म भी ान उदय करान क श उस िशय म भी आ जाती ह | परत चकवा-चकवी को सयदशन स जो आनद ा होता ह वह आनद व अपन दशन क ारा दसर चकवा -चकवी क जोड़ को नह ा करा सकत |

सकपःसमतमप वध मयाः सकपतत तहतः |तिनगरादजिनमाकसकपत भव तत ||

मछली क सकप स उसक बच िनहाल होत ह और इसी कार सकपमा स अपन बच को िनहाल करन सामय फर उन बच को भी ा हो जाता ह | परत आक अपन सकप स जन वतओ का िनमाण करता ह उन वतओ म वह सकपश उपन नह होती |

इन सब बात का िनकष यह ह क सदग अपनी सार श एक ण म अपन िशय को द सकत ह |

यह बात परम भगवदभ सत तकारामजी अपन अभग म इस कार कहत ह

ldquoसदग बना राता नह िमलता इसिलए सब काम छोड़कर पहल उनक चरण पकड़ लो | व तरत शरणागत को अपन जसा बना लत ह | इसम उह जरा भी दर नह लगती |rdquo

गकपा स जब श ब हो उठती ह तब साधक को आसन ाणायाम म आद करन क आवयकता नह होती | ब कडिलनी ऊपर रध क ओर जान क िलए छटपटान लगती ह | उसक इस छटपटान म जो कछ याए अपन-आप होती ह व ह आसन म बध और ाणयाम ह | श का माग खल जान क बाद सब याए

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 16: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

अपन-आप होती ह और उनस िच को अिधकािधक थरता ा होती ह | ऐस साधक दख गय ह जहन कभी वन म भी आसन-ाणयामाद का कोई वय नह जाना थ न थ म दखा था न कसीस कोई या ह सीखी थी पर जब उनम शपात हआ तब व इन सब याओ को अतःफित स ऐस करन लग जस अनक वष का अयास हो | योगशा म वणत विध क अनसार इन सब याओ का उनक ारा अपन-आप होना दखकर बड़ा ह आय होता ह | जस साधक क ारा जस या का होना आवयक ह वह या उसक ारा होती ह अय नह | जन याओ क करन म अय साधक को बहत काल कठोर अयास करना पड़ता ह उन आसनाद याओ को शपात स य साधक अनायास कर सकत ह | यथावयक प स ाणयाम भी होन लगता ह और दस-पह दन क अविध क अदर दो-दो िमनट का कभक अनायास होन लगता ह | इस कार होनवाली यौिगक याओ स साधक को कोई क नह होता कसी अिन क भय का कोई कारण नह रहता यक ब श वय ह य सब याए साधक स उसक कित स अनप करा िलया करती ह | अयथा हठयोग स साधन म जरा सी भी ट होन पर बहत बड़ हािन होन का भय रहता ह | जसा क lsquoहठयोगदपकाrsquo न lsquoआया-यासयोगन सवरोगसमदभवःrsquo यह कह कर चता दया ह परत शपात स ब होन वाली श क ारा साधक को जो याए होती ह उनस शरर रोग रहत होता ह बड़-बड़ असाय रोग भी भम हो जात ह | इसस गहथ साधक बहत लाभ उठा सकत ह | अय साधन क अयास म तो भवय म कभी िमलनवाल सख क आशा स पहल क-ह-क उठान पड़त ह परत इस साधन म आरभ स ह सख क अनभित होन लगती ह | श का जागना जहा एक बार हआ क वह श वय ह साधक को परमपद क ाि करान तक अपना काम करती रहती ह | इस बीच साधक क जतन भी जम बीत जाय एक बार जागी हई कडिलनी कित फर कभी स नह होती ह |

शसचार दा ा करन क पात साधक अपन पषाथ स कोई भी यौिगक या नह कर सकता न इसम उसका मन ह लग सकता ह | श वय अदर स जो फित दान करती ह उसी क अनसार साधक को सब याए होती रहती ह | यद उसक अनसार वह न कर अथवा उसका वरोध कर तो उसका िच वथ नह रह सकता ठक वस ह जस नीद आन पर भी जागनवाला मनय अवथ होता ह | साधक को श क आधीन होकर रहना होता ह | श ह उस जहा जब ल जाय उस जाना होता ह और उसीम सतोष करना होता ह | एक जीवन म इस कार कहा-स-कहा तक उसक गित होगी इसका पहल स कोई िनय या अनमान नह कया जा सकता

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 17: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

| श ह उसका भार वहन करती ह और श कसी कार उसक हािन न कर उसका कयाण ह करती रहती ह |

योगायास क इछा करनवाल क िलए इस काल म शपात जसा सगम साधन अय कोई नह ह | इसिलए ऐस शसपन ग जब सौभाय स कसीको ा ह तब उस चाहए क ऐस ग का कपासाद ा कर | इस कार अपन कय का पलन करत हए ईरसाद का ला भ ा करक कतकय होन क िलए साधक को सदा यशील रहना चाहए |

ग म वासगयागा भवमयमयागारता |गमपरयागी ररव नरक जत ||

lsquoग का याग करन स मय होती ह म को छोड़न स रता आती ह और ग व म क याग करन स रौरव नरक िमलता ह |rsquo

एक बार सदग करक फर उह छोड़ा नह जा सकता | जो हमार जीवन क यवथा करना जानत ह ऐस आमवा ोितय िन सदग होत ह | ऐस महापष अगर हम िमल जाय तो फर कहना ह या जस उम पितता ी अपन पित क िसवाय दसर कसीको पष नह मानती | मयम पितता ी बड को पता क समान छोट को अपन बच क समान और बराबर वाल को अपन भाई क समान मानती ह कत पित तो उस धरती पर एक ह दखता ह | ऐस ह सतिशय को धरती पर सदग तो एक ह दखत ह | फर भल सदग क अलावा अय कोई िन सत िमल जाय घाटवाल बाबा जस उनका आदर जर करग कत उनक िलए सदग तो एक ह होत ह |

पावतीजी स कहा गया ldquoतम य भभतधार मशानवासी िशवजी क िलए इतना तप कर रह हो भगवान नारायण क वभव को दखो उनक सनता को दखो | ऐस वर को पाकर तहारा जीवन धय हो उठगा |rdquo

तब पावतीजी न कहा ldquoआप मझ पहल िमल गय होत तो शायद मन आपक बात पर वचार कया होता | अब तो म ऐसा सोच भी नह सकती | मन तो मन स िशवजी को ह पित क प म वर िलया ह |

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 18: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

ldquoिशवजी तो आयग ह नह कछ सनग भी नह तम तपया करत-करत मर जाओगी | फर भी कछ नह होगा |

पावतीजी बोली ldquoइस जम म नह तो अगल जम म | करोड़ जम लकर भी म पाऊगी तो िशवजी को ह पाऊगी |rdquo

कोट जनम लिग रगर हमार |बरऊ सभ न तो रहौउ कमार ||

साधक को भी एक बार सदग स म िमल गया तो फर अटल होकर लग रहना चाहए |

म म वासएक बार सदग स म िमल गया फर उसम शका नह करनी चाहए | म

चाह जो हो कत यद उस पण वास क साथ जपा जाय तो अवय फलदायी होता ह |

कसी नद क तट पर एक मदर म एक महान गजी रहत थ | सार दश म उनक सकड़-हजार िशय थ | एक बार अपना अत समय िनकट जानकर गजी न अपन सब िशय को दखन क िलए बलाया | गजी क वशष कपापा िशयगण जो सदा उनक समीप ह रहत थ िचितत होकर रात और दन उनक पास ह रहन लग | उहन सोचा lsquoन मालम कब और कसक सामन गजी अपना रहय कट कर द जसक कारण व इतन पज जात ह |rsquo अतः यह अवसर न जान दन क िलए रात-दन िशयगण उह घर रहन लग |

वस तो गजी न अपन िशय को अनक म बतलाय थ कत िशय न उनस कोई िस ा नह क थी | अतः उहन सोचा क िस ा करन क उपाय को गजी िछपाय ह ह जसक कारण गजी का इतना मान ह | गजी क दशन क िलए िशयगण बड़ दर-दर स आय और बड़ आशा स रहय क उदघाटन का इतजार करन लग |

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 19: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

एक बड़ा न िशय था जो नद क दसर तट पर रहता था | वह भी गजी का अत समय जानकर दशन क िलए जान लगा | कत उस समय नद म बाढ़ आयी हई थी और जल क धारा इतनी तज थी क नाव भी नह चल सकती थी |

िशय न सोचा lsquoजो भी हो उस चलना ह होगा यक कह ऐसा न हो क दशन पाय बना ह गजी का दहात हो जायhelliprsquo

वह जानता था क गजी न उस जो म दय ह वह बड़ा शशाली ह और उसम सब कछ करन क श ह | ऐसा वास करक ापवक म जपता हआ वह नद क जल पर पदल ह चलकर आया |

गजी क अय सब िशय उसक यह चमकार श दखकर चकत हो गय | उह उस िशय को पहचानत ह याद आया क बहत दनो पव यह िशय कवल एक दन रहकर चला गया था | सब िशय को हआ क अवय गजी न उसी िशय को म का रहय बतलाया ह | अब तो सब िशय गजी पर बहत बगड़ और बोल

ldquoआपन हम सबको धोखा य दया हम सबन वष आपक सवा क और बराबर आपक आाओ का पालन कया | कत म का रहय आपन एक ऐस अात िशय को बता दया जो कवल एक दन सो भी बहत दन पहल आपक पास रहा |rdquo

गजी न मकराकर सब िशय को शात कया और नवागत न िशय को पास बलाकर आा क वह उपदश जो उस बहत दन पहल दया था उपथत िशय को सनाय |

गजी क आा स िशय न lsquoकड-कडrsquo शद का उचारण कया तो पर िशयमडली चकत हो उटई |

फर गजी न कहा ldquoदखो इन शद म इस ावान िशय को वास था क गजी न सार शय का भद बतला दया ह | इस वास एकाता और भ स इसन म का जप कया तो उसका फल भी इस िमल गया कत तम लोग का िच सदा सदध ह रहा और सदा यह सोचत रह क गजी अभी-भी कछ िछपाय हए ह | यप मन तम लोग को बड़ चमकारपण म का उपदश दया था | कत िछप रहय क सदहय वचार न तम लोग क मन को एका न होन दया मन को चचल

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 20: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

कय रहा | तम लोग सदा म क अपणता क बात सोचा करत थ | अनजानी भल स जो तम सबन अपणता पर यान जमाया तो फलवप तम सभी अपण ह रह गय |rdquo

कसीन ठक ह कहा ह

म तीथ ज दव भषज गरौ |याशीभावना यय िसभवित ताशीः ||

ldquoम म तीथ म ाण म दव म योितष म औषिध म और ग म जसक जसी भावना होती ह उसको वसी ह िस होती ह |

दस नामापराधसदग स ा म को वासपवक तो जप ह साथ ह यह भी यान रख क

जप दस अपराध स रहत हो | कसी महामा न कहा ह

राम राम अब कोई कह दशरत कह न कोय |एक बार दशरत कह कोट यफल होय ||

lsquoराम-रामrsquo तो सब कहत ह कत दशरत अथात दस नामापराध स रहत नामजप नह करत | यद एक बार दस नामापराध स रहत होकर नाम ल तो कोट य का फल िमलता ह |rdquo

भनाम क महमा अपरपार ह अगाध ह अमाप ह असीम ह | तलसीदासजी महाराज तो यहा तक कहत ह क किलयग म न योग ह न य और न ह ान वरन एकमा आधार कवल भनाम का गणगान ह ह |

किलजग जोग न जय न याना |एक आधार राम गन गाना ||

नह किल करम न भगित बबक |राम नाम अवलबन एक ||

यद आप भीतर और बाहर दोन ओर उजाला चाहत ह तो मखपी ार क जीभपी दहली पर रामनामपी मणदपक को रखो |

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 21: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

राम नाम मिनदप ध जीह दहर ार |तलसी भीतर बाहरह ज चाहिस उजआर ||

अतः जो भी य रामनाम का भनाम का परा लाभ लना चाह उस दस दोष स अवय बचना चाहए | य दस दोष lsquoनामापराधrsquo कहलात ह | व दस नामापराध कौन- स ह lsquoवचारसागरrsquo म आता ह

सनदाऽसितनामवभवकथा ीशशयोभदिधःअा ितशादिशकागरा नायथावादमः |नामातीित िनषववहतयागो ह धमातरः

साय नान जप िशवय च हरनामापराधा दशा ||1 सपष क िनदा2 असाध पष क आग नाम क महमा का कथन3 वण का िशव स भद4 िशव का वण स भद 5 ितवाय म अा6 शावाय म अा 7 गवाय म अा8 नाम क वषय म अथवाद ( महमा क तित) का म9 lsquoअनक पाप को न करनवाला नाम मर पास हrsquo ndash ऐस वास स

िनष कम का आचरण और इसी वास स वहत कम का याग तथा10 अय धम (अथात नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना ndash

य दस िशव और वण क जप म नामापराध ह

पहला अपराध ह सपष क िनदायह थम नामापराध ह | सपष म तो राम-तव अपन पणव म कट हो चका होता ह | यद सपष क िनदा क जाय तो फर नामजप स या लाभ ा कया जा सकता ह तलसीदासजी नानकजी कबीरजी जस सत पष न तो सत-िनदा को बड़ा भार पाप बताया ह | lsquoीरामचरतमानसrsquo म सत तलसीदासजी कहत ह

हर हर िनदा सनइ जो काना |होई पाप गोघात समाना ||

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 22: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

lsquoजो अपन कान स भगवान वण और िशव क िनदा सनता ह उस गोवध क समान पाप लगता ह |rsquo

हर गर िनदक दादर होई |जम सह पाव तन सोई ||

lsquoशकरजी और ग क िनदा करनवाला अगल जम म मढक होता ह और हजार जम तक मढक का शरर पाता ह |rsquo

होह उलक सत िनदा रत |मोह िनसा य यान भान गत ||

lsquoसत क िनदा म लग हए लोग उल होत ह जह मोहपी रा य होती ह और ानपी सय जनक िलए बीत गया (अत हो गया) होता ह |rsquo

सत कबीरजी कहत ह कबीरा व नर अध ह

जो हर को कहत और ग को कहत और |हर ठ ग ठौर ह ग ठ नह ठौर ||

lsquoसखमिनrsquo म ी नानकजी क वचन ह सत का िनदक महा अतताई |

सत का िनदक खिन टकन न पाई ||सत का िनदक महा हितआरा |सत का िनदक परमसर मारा ||

lsquoसत क िनदा करनवाला बड़ा पापी होता ह | सत का िनदक एक ण भी नह टकता | सत का िनदक बड़ा घातक होता ह | सत क िनदक को ईर क मार होती ह |rsquo

सत का दोखी सदा सहकाईऐ |सत का दोखी न मर न जीवाईऐ ||सत का दोखी क पज न आसा |सत का दोखी उठ चल िनरासा ||

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 23: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

lsquoसत का दमन सदा क सहता रहता ह | सत का दम न कभी न जीता ह न मरता ह | सत क दमन क आशा पण नह होती | सत का दमन िनराश होकर मरता ह |rsquo

दसरा अपराध ह असाध पष क आग नाम क महमा का कथनजनका दय साधन-सपन नह ह जनका दय पव नह ह जो न तो वय

साधन-भजन करत ह और न ह दसर को करन दत ह ऐस अयोय लोग क आग नाम-महमा का कथन करना अपराध ह |

तीसरा और चौथा अपराध ह वण का िशव स भद व िशव का वण क साथ भद मानना

lsquoमरा इ बड़ा तरा इ छोटाhelliprsquo lsquoिशव बड़ ह वण छोट हhelliprsquo अथवा तो lsquoवण बड़ ह िशव छोट हhelliprsquo ऐसा मानना अपराध ह |

पाचवा छठा और सातवा अपराध ह ित शा और ग क वचन म अा

नाम का जप तो करना कत ित-पराण-शा क वपरत lsquoरामrsquo शद को समझना और ग क वाय म अा करना अपराध ह | रमत योगीनः यमन स रामः | जसम योगी लोग रमण करत ह वह ह राम | ित व शा जस lsquoरामrsquo क महमा का वणन करत-करत नह अघात उस lsquoरामrsquo को न जानकर अपन मनःकपत याल क अनसार lsquoराम-रामrsquo करना यह एक बड़ा दोष ह | ऐस दोष स िसत य रामनाम का परा लाभ नह ल पात |

आठवा अपराध ह नाम क वषय म अथवाद (महमा क तित) का मअपन ढ़ग स भगवान क नाम का अथ करना और शद को पकड़ रखना भी एक

अपराध ह |

चार बच आपस म झगड़ रह थ | इतन म वहा स एक सजन गजर | उहन पछा ldquoय लड़ रह हो rdquo

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 24: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

तब एक बालक न कहा ldquoहमको एक पया िमला ह | एक कहता ह lsquoतरबजrsquo खाना ह दसरा कहता ह lsquoवाटरिमलनrsquo खाना ह तीसरा बोलता ह lsquoकिलगरrsquo खाना ह तथा चौथा कहता ह lsquoछाईrsquo खाना ह |rdquo

यह सनकर उन सजन को हआ क ह तो एक ह चीज लकन अलग -अलग अथवाद क कारण चार आपस म लड़ रह ह | अतः उहन एक तरबज लकर उसक चार टकड कय और चार क दत हए कहा

ldquoयह रहा तहारा तरबज वाटरिमलन किलगर व छाई |rdquoचार बालक खश हो गय |

इसी कार जो लोग कवल शद को ह पकड़ रखत ह उसक लयाथ को नह समझत व लोग lsquoनामrsquo का परा फायदा नह ल पात |

नौवा अपराध ह lsquoअनक पाप को न करन वाला नाम मर पास हrsquo- ऐस वास क कारण िनष कम का आचरण तथा वहत कम का याग

ऐसा करन वाल को भी नाम जप का फल नह िमलता ह |

दसवा अपराध ह अय धम (अथात अय नाम) क साथ भगवान क नाम क तयता जानना

कई लोग अय धम क साथ अय नाम क साथ भगवान क नाम क तयता समझत ह अय ग क साथ अपन ग क तयता समझत ह जो उिचत नह ह | यह भी एक अपराध ह |

जो लोग इन दस नामापराध म स कसी भी अपराध स त ह व नामजप का परा लाभ नह उठा सकत | कत जो इन अपराध स बचकर ा-भ तथा वासपवक नामजप करत ह व अखड फल क भागीदार होत ह |

मजाप विध

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 25: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

कसी म अथवा ईर-नाम को बार-बार भाव तथा भपवक दहरान को जप कहत ह | जप िच क समत बराईय का िनवारण कर जीव को ईर का सााकार कराता ह |

जपयोग अचतन मन को जात करन क वािनक रित ह | वदक म मनोबल ढ़ आथा को परपव और ब को िनमल करन का दय काय करत ह |

ीरामकण परमहस कहत हldquoएकात म भगवनाम जप करना- यह सार दोष को िनकालन तथा गण का

आवाहन करन का पव काय ह |rdquo

वामी िशवानद कहत हldquoइस ससारसागर को पार करन क िलए ईर का नाम सरत नौका क समान

ह | अहभाव को न करन क िलए ईर का नाम अचक अ ह |rdquo

शा म तो यहा तक कहा गया ह क जा सोम ह और दय रव ह | जस चमा और सय स थल जगत म ऊजा उपन होती ह वस ह जा ारा भगवनाम क उचारण और दय क भाव क समिलत होन पर सम जगत म भी श उपन होती ह |

जापक क कार

जापक चार कार क होत ह1 किन2 मयम3 उम4 सवम

कछ ऐस जापक होत ह जो कछ पान क िलए सकाम भाव स जप करत ह | व किन कहलात ह |

दसर ऐस जापक होत ह जो गम लकर कवल िनयम क पित क िलए 10 माला करक रख दत ह | व मयम कहलात ह |

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 26: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

तीसर ऐस जापक होत ह जो िनयम तो परा करत ह ह कभी दो-चार माला यादा भी कर लत ह कभी चलत-चलत भी जप कर लत ह | य उम जापक ह |

कछ ऐस जापक होत ह क जनक सानयमा स दशन-मा स सामनवाल का जप श हो जाता ह | ऐस जापक सवम होत ह |

ऐस महापष लाख यय क बीच रह फर लाख य चाह कस भी ह कत जब व कतन करात ह तथा लोग पर अपनी कपा डालत ह तो व सभी उनक कपा स झम उठत ह |

जप क कारवदक म जप करन क चार पितया ह

1 वखर2 मयमा3 पयती4 परा

श-श म उच वर स जो जप कया जाता ह उस वखर मजप कहत ह |

दसर ह मयमा | इसम हठ भी नह हलत व दसरा कोई य म को सन भी नह सकता |

जस जप म जा भी नह हलती दयपवक जप होता ह और जप क अथ म हमारा िच तलीन होता जाता ह उस पयती मजाप कहत ह |

चौथी ह परा | म क अथ म हमार व थर होन क तयार हो मजप करत-करत आनद आन लग तथा ब परमामा म थर होन लग उस परा मजप कहत ह |

वखर जप ह तो अछा लकन वखर स भी दस गना यादा भाव मयमा म होता ह | मयमा स दस गना भाव पयती म तथा पयती स भी दस गना यादा

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 27: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

भाव परा म होता ह | इस कार परा म थत होकर जप कर तो वखर का हजार गना भाव हो जायगा |

lsquoयावयसहताrsquo म आता ह

उचजप उपाश सहगण उयत |मानस तथोपाशोः सहगण उयत |मानस तथा यान सहगण उयत ||

परा म एक बार जप कर तो वखर क दस माला क बराबर हो जायगा | दस बार जप करन स सौ माला क बराबर हो जायगा |

bull जस पानी क बद को बाप बनान स उसम 1300 गनी ताकत आ जाती ह वस ह म को जतनी गहराई स जपा जाता ह उसका भाव उतना ह यादा होता ह | गहराई स जप करन स मन क चचलता कम होती ह व एकाता बढ़ती ह | एकाता सभी सफलताओ क जननी ह |

bull मजाप िनकाम भाव स ीितपवक कया जाना चाहए | भगवान क होकर भगवान का जप करो | ऐसा नह क जप तो कर भगवान का और कामना कर ससार क | नह hellip िनकाम भाव स मपवक विधसहत जप करन वाला साधक बहत शी अछा लाभ उठा सकता ह |

bull ईर क नाम का बार-बार जप करो | िच को फरसत क समय म भ का नाम रटन क आदत डाल | िच को सदव कछ-न-कछ चाहए | िच खाली रहगा तो सकप-वकप करक उपव पदा करगा | इसिलए परा दन व रा को बार-बार हरमरण कर | िच या तो हर-मरण करगा या फर वषय का िचतन करगा | इसिलए जप का ऐसा अयास डाल ल क मन परवश होकर नीद म या जात म बकार पड़ क तरत जप करन लग | इसस मन का इधर-उधर भागना कम होगा | मन को परमामा क िसवाय फर अय वषय म चन नह िमलगा |

bull lsquoमन बार-बार अवाछनीय वचार क ओर झकता ह और शभ वचार क िलए शभ िनयम पालन क िलए दगल करता ह |rsquo साधक को ऐसी अनभित य होती ह इसका कारण ह पवजम क सकार और मन म भर हई वासना तथा ससार लोग का सग | इन सब दोष को िमटान क िलए नाम-जप ईश-भजन क

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 28: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

िसवाय अय कोई सरल उपाय नह ह | जप मन को अनक वचार म स एक वचार म लान क और एक वचार म स फर िनवचार म ल जानवाली साय या ह |

साधक का दय जप स य-य श होता जायगा य-य पतक क धम स भी अिधक िनमल धम का बोध उसक दय म बठा ईर उसस कहगा | जप स ह यान म भी थरता आती ह |

जप िच क थरता का बल साधन ह | जब जप म एकाता िस होित ह तो वह ब को थर करक समागगािमनी बनाती ह |

bull भगवकपा व गकपा का आवाहन करक म जपना चाहए जसस छोट-मोट वन दर रह औ ा का ाकय हो | कभी-कभी हमारा जप बढ़ता ह तो आसर शया हम रत करक नीच कम करवाकर हमार शया ीण करती ह | कभी किलयग भी हम इस माग स पष स दर करन क िलए रत करता ह इसीिलए कबीरजी कहत ह

ldquoसत क दशन दन म कई बार करो | कई बर नह तो दो बार दो बार नह तो साह म एक बार साह म भी नह तो पाख-पाख म (15-15 दन म) और पाख-पाख म भी न कर सको तो मास-मास म तो जर करो |rdquo

भगवशन सत-दशन वन को हटान म मदद करता ह |

bull साधक को मन वचन और कम स िनदनीय आचरण स बचन का सदव य करना चाहए |

bull चाह कतनी भी वपरत परथितया य न आ जाय लकन आप अपन मन को उन न होन द | समय बीत जायगा परथितया बदल जायगी सधर जायगी hellip तब जप-यान कगा यह सोचकर अपना साधन-भजन न छोड़ | वपरत परथित आन पर यद साधन-भजन म ढ़ल द तो परथितया आप पर हावी हो जायगी | लकन यद आप मजबत रह साधन-भजन पर अटल रह तो परथितय क िसर पर पर रखकर आग बढ़न का सामय आ जायगा |

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 29: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

bull ससार वन ह या ईर क लीलामा ह यह वचार करत रहना चाहए | ऐस वचार स भी परथितय का भाव कम हो जाता ह |

bull साधक को अपन ग स कभी-भी कछ भी िछपाना नह चाहए | चाह कतना बड़ा पाप या अपराध य न हो गया हो कत ग पछ उसक पहल ह बता दना चाहए | इसस दय श होगा व साधना म सहायता िमलगी |

bull साधक को ग क आा म अपना परम कयाण मानना चाहए |

िशय चार कार क होत ह एक व होत ह जो ग क भाव को समझकर उसी कार स सवा काय और िचतन करन लगत ह | दसर व होत ह जो ग क सकत क अनसार काय करत ह | तीसर व होत ह जो आा िमलन पर काम करत ह और चौथ व होत ह जनको ग कछ काय बतात ह तो lsquoहा जीhellip हा जीhelliprsquo करत रहत ह कत काम कछ नह करत | सवा का दखावामा ह करत ह |

ग क सवा साध जान गसवा का मढ पछान |

पहल ह उम दसर ह मयम तीसर ह किन और चौथ ह किनतर | साधक को सदव उम सवक बनन क िलए यशील रहना चाहए | अयथा बमान और ाल होन पर भी साधक धोखा खा जात ह | उनक जतनी याा होनी चाहए उतनी नह हो पाती |

bull साधक को चाहए क एक बार सदग चन लन क बाद उनका याग न कर | ग बनान स पव भल दस बार वचार कर ल कसी टोन-टोटकवाल ग क चकर म न फस बक lsquoीगगीताrsquo म बताय गय लण क अनसार सदग को खोज ल | कत एक बार सदग स दा ल ली तो फर इधर-उधर न भटक | जस पितता ी यद अपन पित को छोड़कर दसर पित क खोज कर तो वह पितता नह यिभचारणी ह | उसी कार वह िशय िशय नह जो एक बार सदग बन लन क बाद उनका याग कर द | सदग न बनाकर भवाटवी म भटकना अछा ह कत सदग बनाकर उनका याग कदाप न कर |

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 30: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

bull सदग स मदा ा करक साधक क ितदन कम-स-कम 10 माला जपन का िनयम रखना चाहए | इसस उसका आयामक पतन नह होगा |जसक गित बना माला क भी 24-50 माला करन क ह उसक िलए मरा कोई आह नह ह क माला लकर जप कर लकन नय साधक को माला लकर आसन बठकर 10 माला करनी चाहए | फर चलत-फरत जतना भी जप हो जाय वह अछा ह |

कई लोग या करत ह कभी उनक घर म यद शाद-ववाह या अय कोई बड़ा काय होता ह तो व अपन िनयम म कटौित करत ह | फर 10 मालाए या तो जद-जद करत ह या कछ माला छोड़ दत ह | कोई भी दसरा काय आ जान पर िनयम को ह िनशाना बनात ह | नह पहल अपना िनयम कर फर उसक बाद ह दसर काय कर |

कोई कहता ह lsquoभाई या कर समय ह नह िमलता helliprsquo अर भया समय नह िमलता फर भी भोजन तो कर लत हो समय नह िमलता फर भी पानी तो पी लत हो | ऐस ह समय न िमल फर भी िनयम कर लो तो बहत अछा ह |

यद कभी ऐसा दभाय हो क एक साथ बठकर 10 मालाए पर न हो सकती ह तो एक-दो मालाए कर ल और बाक क मालाए दोपहर क सिध म अथवा उसम भी न कर सक तो फर रा को सोन स पव तो अवय ह कर लनी चाहए | कत इतनी छट मनमखता क िलए नह अपत कवल आपदकाल क िलए ह ह |

वस तो नान करक जप-यान करना चाहए लकन यद बखार ह नान करन स वाय यादा बगड़ जायगा और नान नह करग तो िनयम कस कर वहा आपदधम क शरण लकर िनयम कर लना चाहए | हाथ-पर धोकर कपड़ बदलकर िननाकत म पढ़कर अपन ऊपर जल िछड़क ल | फर जप कर |

ॐ अपवः पवो वा सवावथा गतोऽप वा |यः मरत पडरका स बायतरः शिचः ||

lsquoपव हो या अपव कसी भी अवथा म गया हआ हो कत पडरका भगवान वण का मरण करत ह आतर-बा श हो जाती ह |rsquo

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 31: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

ऐसा करक िनयम कर लना चाहए |

bull lsquoराम-रामhellip हर ॐ hellip ॐ नमः िशवाय helliprsquo आद म हमन कई बार सन ह कत वह म गदा क दन जब सदग ारा िमलता ह तो भाव कछ िनराला ह हो जाता ह | अतः अपन गम को सदव ग रखना चाहए |

आपक गम आपक पी या पित प-पी तक को पता नह चलना चाहए | यद पित-पी दोन साथ म गम लत ह तो अलग बात ह वरना अपना गम ग रख | गम जतना ग होता ह उतना ह उसका भाव होता ह | जसक मनन स मन तर जाय उस म कहत ह |

bull साधक को चाहए क वह जप-यान आद दखाव क िलए न कर अथात lsquoम नाम जपता ह तो लोग मर को भ मान hellip अछा मानhellip मझ दखhelliprsquo यह भाव बकल नह होना चाहए | यद यह भाव रहा तो जप का परा लाभ नह िमल पायगा |

bull यद कभी अचानक जप करन क इछा हो तो समझ लना क भगवान न सदग न जप करन क रणा द ह | अतः अहोभाव स भरकर जप कर |

bull सयहण चहण तथा यौहार पर जप करन स कई गना लाभ होता ह | अतः उन दोन म अिधक जप करना चाहए |

bull साधक को चाहए क वह जप का फल तछ ससार चीज म न न करhellip हर-मोती बचकर ककर-पथर न खरद | ससार चीज तो ारध स पषाथ स भी िमल जायगी यक जापक थोड़ा वशष जप करता ह तो उसक काय वाभावक होन लगत ह | lsquoजो लोग पहल घणा करत थ अब व ह म करन लागत हhellip जो बॉस (सठ या साहब) पहल डाटता रहता था वह अब सलाह लन लगता हhelliprsquo ऐसा सब होन लग फर भी साधक वय ऐसा न चाह | कभी वन-बाधाए आय तब भी जप ारा उह हटान क चा न कर बक जप क अथ म तलीन होता जाय |

bull जप करत समय मन इधर-उधर जान लग तब हाथ-मह धोकर दो-तीन आचमन लकर तथा ाणायाम करक मन को पनः एका कया जा सकता ह | फर भी

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 32: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

मन भागन लग तो माला को रखकर खड़ हो जाओ नाचो कदो गाओ कतन करो | इसस मन वश म होन लगगा |

bull जप चाह जो करो जप-त-जप ह ह कत जप करन म इतनी शत जर ह क जप करत-करत खो जाओ | वहा आप न रहना | lsquoम पयामा हhellip मन इतना जप कयाhelliprsquo ऐसी परछनता नह अपत lsquoम ह ह नह hellipजो कछ भी ह वह परमामा ह हhelliprsquo इस कार भावना करत-करत परमामा म वलीन होत जाओ |

मरा मझम कछ नह जो कछ ह सो तोर |तरा तझको सपत या लागत ह मोर ||

शरर परमामा का मन परमामा का अतःकरण भी परमामा तो फर समय कसका समय भी तो उसीका ह | lsquoउसीका समय उस द रह हhelliprsquo ऐसा सोचकर जप करना चाहए |

bull जब तक सदग नह िमल तब तक अपन इदव को ह ग मानकर उनक नाम का जप आरभ कर दो hellip शभय शीम |

जप क िलए आवयक वधानउपरो बात को यान म रखन क अितर ितदन क साधना क िलए कछ

बात नीच द जा रह ह 1 समय2 थान3 दशा4 आसन5 माला6 नामोचारण7 ाणायाम8 जप9 यान

1 समय

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 33: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

सबस उम समय ातः काल महत और तीन समय (सबह सयदय क समय दोपहर 12 बज क आसपास व साय सयात क समय) का सयाकाल ह | ितदन िनत समय पर जप करन स बहत लाभ होता ह |

2 थानितदन एक ह थान पर बठना बहत लाभदायक ह | अतः अपना

साधना-क अलग रखो | यद थानाभाव क कारण अलग क न रख सक तो घर का एक कोना ह साधना क िलए रखना चाहए | उस थान पर ससार का कोई भी काय या वातालाप न करो | उस क या कोन को धप-अगरबी स सगिधत रखो | इ अथवा गदव क छव पर सगिधत पप चढ़ाओ और दपक करो | एक ह छव पर यान कत करो | जब आप ऐस करोग तो उसस जो शशाली पदन उठग व उस वातावरण म ओतोत हो जायग |

3 दशाजप पर दशा का भी भाव पड़ता ह | जप करत समय आपक मख उर अथवा पव क ओर हो तो इसस जपयोग म आशातीत सहायता िमलती ह |

4 आसनआसन क िलए मगचम कशासन अथवा कबल क आसन का योग करना चाहए | इसस शरर क वत-श सरत रहती ह |

साधक वय पासन सखासन अथवा वतकासन पर बठकर जप कर | वह आसन अपन िलए चनो जसम काफ दर तक करहत होकर बठ सको | थर सखासनम | शरर को कसी भी सरल अवथा म सखपवक थर रखन को आसन कहत ह |

एक ह आसन म थर बठ रहन क समयाविध को अयासपवक बढ़ात जाओ | इस बात का यान रखो क आपका िसर ीवा तथा कमर एक सीध म रह | झककर नह बठो | एक ह आसन म दर तक थर होकर बठन स बहत लाभ होता ह |

5 माला

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 34: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

मजाप म माला अयत महवपण ह | इसिलए समझदार साधक माला को ाण जसी य समझत ह और ग धन क भाित उसक सरा करत ह |

माला को कवल िगनन क एक तरकब समझकर अश अवथा म भी अपन पास रखना बाय हाथ स माला घमाना लोग को दखात फरना पर तक लटकाय रखना जहा-तहा रख दना जस कसी चीज स बना लना तथा जस ाकार स गथ लना सवथा वजत ह |

जपमाला ायः तीन कार क होती ह करमाला वणमाला और मणमाला |

a करमालाअगिलय पर िगनकर जो जप कया जाता ह वह करमाला जाप ह | यह दो कार स होता ह एक तो अगिलय स ह िगनना और दसरा अगिलय क पव पर िगनना | शातः दसरा कार ह वीकत ह |

इसका िनयम यह ह क िच म दशाय गय मानसार अनािमका क मय भाग स नीच क ओर चलो | फर किनका क मल स अभाग तक और फर अनािमका और मयमा क अभाग पर होकर तजनी क मल तक जाय | इस म स अनािमका क दो किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा का एक और तजनी क तीन पवhellip कल दस सया होती ह | मयमा क दो पव सम क प म छट जात ह |

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 35: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

साधारणतः करमाला का यह म ह परत अनानभद स इसम अतर भी पड़ता ह | जस श क अनान म अनािमका क दो पव किनका क तीन पनः अनािमका का एक मयमा क तीन पव और तजनी का एक मल पव- इस कार दस सया पर होती ह |

ीवा म इसस िभन िनयम ह | मयमा का मल एक अनािमका का मल एक किनका क तीन अनािमका और मयमा क अभाग एक-एक और तजनी क तीन ndash इस कार दस सया पर होती ह |

करमाला स जप करत समय अगिलया अलग-अलग नह होनी चाहए | थोड़-सी हथली मड़ रहनी चाहए | सम का उलघन और पव क सध (गाठ) का पश िनष ह | यह िनत ह क जो इतनी सावधानी रखकर जप रखकर जप करगा उसका मन अिधकाशतः अय नह जायगा |

हाथ को दय क सामन लाकर अगिलय को कछ टढ़ करक व स उस ढककर दाहन हाथ स ह जप करना चाहए |

जप अिधक सया म करना हो तो इन दशक को मरण नह रखा जा सकता |इसिलए उनको मरण करक क िलए एक कार क गोली बनानी चाहए | लाा रचदन िसदर और गौ क सख कड को चण करक सबक िमण स गोली तयार करनी चाहए | अत अगली अन पप चदन अथवा िमट स उन दशक का मरण रखना िनष ह | माला क िगनती भी इनक ारा नह करनी चाहए |

b वणमालावणमाला का अथ ह अर क ारा जप क सया िगनना | यह ायः अतजप

म काम आती ह परत बहजप म भी इसका िनषध नह ह |

वणमाला क ारा जप करन का वधान यह ह क पहल वणमाला का एक अर बद लगाकर उचारण करो और फर म का - अवग क सोलह कवग स पवग तक पचीस और यवग स हकार तक आठ और पनः एक लकार- इस म स पचास तक क िगनती करत जाओ | फर लकार स लौटकर अकार तक आ जाओ सौ क सया पर हो जायगी | lsquorsquo को सम मानत ह | उसका उलघन नह होना चाहए |

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 36: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

सकत म lsquorsquo और lsquorsquo वत अर नह सयार मान जात ह | इसिलए उनक गणना नह होती | वग भी सात नह आठ मान जात ह | आठवा सकार स ारभ होता ह | इनक ारा lsquoअrsquo क च ट त प य शrsquo यह गणना करक आठ बार और जपना चाहए- ऐसा करन स जप क सखया 108 हो जाती ह |

य अर तो माला क मण ह | इनका स ह कडिलनी श | वह मलाधार स आाचपयत सप स वमान ह | उसीम य सब वर-वण मणप स गथ हए ह | इहक ारा आरोह और अवरोह म स अथात नीच स ऊपर और ऊपर स नीच जप करना चाहए | इस कार जो जप होता ह वह सः िसद होता ह |

c मणमालामणमाला अथात मनक परोकर बनायी गयी माला ारा जप करना मणमाला

जाप कहा जाता ह |

जह अिधक सया म जप करना हो उह तो मणमामा रखना अिनवाय ह | यह माला अनक वतओ क होती ह जस क ा तलसी शख पबीज मोती फटक मण र सवण चाद चदन कशमल आद | इनम वणव क िलए तलिस और मात शा शव आद क िलए ा सवम माना गया ह | ाण कयाओ क ारा िनिमत सत स बनायी गयी माला अित उम मानी जाती ह |

माला बनान म इतना यान अवय रखना चाहए क एक चीज क बनायी हई माला म दसर चीज न आय | माला क दान छोट-बड़ व खडत न ह |

सब कार क जप म 108 दान क माला काम आती ह | शातकम म त

वशीकरण म र अिभचार योग म काली और मो तथा ऐय क िलए रशमी सत क माला वशष उपय ह |

माला घमात व तजनी (अगठ क पासवाली ऊगली) स माला क मनक को कभी पश नह करना चाहए | माला ारा जप करत समय अगठ तथा मयमा ऊगली ारा माला क मनक को घमाना चाहए | माला घमात समय सम का उलघन नह करना चाहए | माला घमात-घमात जब सम आय तब माला को उलटकर दसर ओर घमाना ारभ करना चाहए |

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 37: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

यद मादवश माला हाथ िगर जाय तो म को दो सौ बार जपना चाहए ऐसा अनपराण म आता ह

ामादापितत स जय त शतयम |

अनपराण ३२८५

यद माला टट जाय तो पनः गथकर उसी माला स जप करो | यद दाना टट जाय या खो जाय तो दसर ऐसी ह माला का दाना िनकाल कर अपनी माला म डाल लो |

कत जप सदव करो अपनी ह माला स यक हम जस माला पर जप करत ह वह माला अयत भावशाली होती ह |

माला को सदव वछ कपड़ स ढ़ाककर घमाना चाहए | गौमखी म माला रखकर घमाना सवम व सवधाजनक ह |

यान रह क माला शरर क अश मान जान अग का पश न कर | नािभ क नीच का परा शरर अश माना जाता ह | अतः माला घमात व माला नािभ स नीच नह लटकनी चहए तथा उस भिम का पश भी नह होना चहए |

गम िमलन क बाद एक बार माला का पजन अवशय करो | कभी गलती सअशावथा म या य ारा अनजान म रजवलावथा म माला का पश हो गया हो तब भी माला का फर स पजन कर लो |

माला पजन क विध पीपल क नौ प लाकर एक को बीच म और आठ को अगल-बगल म इस ढ़ग स रखो क वह अदल कमल सा मालम हो | बीचवाल प पर माला रखो और जल स उस धो डालो | फर पचगय ( दध दह घी गोबर व गोम) स नान कराक पनः श जा स माला को धो लो | फर चदन पप आद स माला का पजन करो |

तदनतर उसम अपन इदवता क ाण-िता करो और माला स ाथना करो क

माल माल महामाल सवतववपणी |

चतवगविय यततमाम िसदा भव ||

ॐ व माल सवदवाना सविसदा मता |

तन सयन म िस दह मातनमोऽत त |

व मल सवदवाना ीितदा शभदा भव |

िशव कव म भ यशो वीय च सवदा ||

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 38: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

इस कारा माला का पजन करन स उसम परमाम-चतना का अिभभाव हो जाता ह | फर माला गौमखी म रखकर जप कर सकत ह |

6 नामोचारण जप-साधना क बठन स पव थोड़ दर तक ॐ (णव) का उचारण करन स एकाता म मदद िमलती ह | हरनाम का उचारण तीन कार स कया जा सकता ह

क व हर ॐ हर ॐ हर ॐ इस कार का व उचारण पाप का नाश करता ह |

ख दघ हर ओऽऽऽऽम इस कार थोड़ यादा दर तक दघ उचारण स ऐय क ाि म सफलता िमलती ह |

ग लत lsquoहर हर ओऽऽऽम इस कार यादा लब समय क लत उचारण स परमामा म वाित पायी जा सकती ह |

यद साधक थोड़ दर तक यह योग कर तो मन शात होन म बड़ मदद िमलगी | फर जप म भी उसका मन सहजता स लगन लगगा |

7 ाणायाम जप करन स पव साधक यद ाणायाम कर तो एकाता म व होती ह कत ाणायाम करन म सावधानी रखनी चाहए |

कई साधक ारभ म उसाह-उसाह म ढ़र सार ाणायाम करन लगत ह |

फलवप उह गम का एहसास होन लगता ह | कई बार दबल शररवाल को यादा ाणायाम करन खक भी चढ़ जाती ह | अतः अपन सामय क अनसार ह ाणायाम करो |

ाणायाम का समय 3 िमनट तक बढ़ाया जा सकता ह | कत बना अयास क यद कोई ारभ म ह तीन िमनट क कोिशश कर तो अथ का अनथ भी हो सकता ह | अतः ारभ म कम समय और कम सखया म ह णायम करो |

यद बधय ाणायाम करन क पात जप कर तो लाभ यादा होता ह | बधय ाणायाम क विध योगासन पतक म बतायी गयी ह |

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 39: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

8 जप जप करत समय म का उचारण प तथा श होना चाहए |

गौमखी म माला रखकर ह जप करो |

जप इस कार करो क पास बठन वाल क बात तो दर अपन कान को भी म क शद सनायी न द | बशक य म आहित दत समय मोचार यप स कया जाता ह वह अलग बात ह | कत इसक अलावा इस कार जोर-जोर स मोचार करन स मन क एकाता और ब क थरता िस नह हो पाती | इसिलए मौन होकर ह जप करना चहए |

जब तम दखो क तहारा मन चचल हो रहा ह तो थोड़ दर क िलए खब जद-जद जप करो | साधारणतयः सबस अछा तरका यह ह क न तो बहत जद और न बहत धीर ह जप करना चाहए |

जप करत-करत जप क अथ म तलीन होत जाना चाहए | अपनी िनधारत सया म जप परा करक ह उठो | चाह कतना ह जर काम य न हो कत िनयम अवशय परा करो |

जप करत-करत सतक रहो | यह अयत आवयक गण ह | जब आप जप आरभ करत हो तब आप एकदम ताज और सावधान रहत हो पर कछ समय पात आपका िच चचल होकर इधर-उधर भागन लगता ह | िना आपको धरदबोचन लगती ह | अतः जप करत समय इस बात स सतक रहो |

जप करत समय तो आप जप करो ह कत जब काय करो तब भी हाथ को काय म लगाओ तथा मन को जप म अथात मानिसक जप करत रहो |

जहा कह भी जाओ जप करत रहो लकन वह जप िनकाम भाव स हहोना चाहए |

महला सािधकाओ क िलए सचना महलाए मािसक धम क समय कवल मानिसक जप कर सकती ह | इन दन म उह ॐ (णव) क बना ह म जप करना चाहए |

कसीका म ॐ राम ह तो मािसक धम क पाच दन तक या पण श न होन तक कवल राम-राम जप सकती ह | य का मािसक धम जब तक जार

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 40: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

हो तब तक व दा भी नह ल सकती | अगर अानवश पाचव-छठव दन भी मािसक धम जार रहन पर दा ल ली गयी ह या इसी कार अनजान म सतदशन या मदर म भगवशन हो गया हो तो उसक ायत क िलए ऋष पचमी (गपचमी) का त कर लना चाहए |

यद कसीक घर म सतक लगा हआ हो तब जननाशौच (सतान-जम क समय लगनवाला अशौच-सतक) क समय सितका ी (माता) 40 दन तक व पता 10 दन तक माला लकर जप नह कर सकता |

इसी कार मरणाशौच (मय क समय पर लगनवाल अशौच सतक) म 13 दन तक माला लकर जप नह कया जा सकता कत मानिसक जप तो यक अवथा म कया जा सकता ह |

जप क िनयत सया पर होन क बाद अिधक जप होता ह तो बहत अछ बात ह | जतना अिधक जप उतना अिधक फल | अिधकय अिधक फलम | यह सदव याद रखो |

नीरसता थकावट आद दर करन क िलए जप म एकाता लान क िलए जप-विध म थोड़ा परवतन कर िलया जाय तो कोई हािन नह | कभी ऊच वर म कभी मद वर म और कभी मानिसक जप भी हो सकता ह |

जप क समाि पर तरत आसन न छोड़ो न ह लोग स िमलो-जलो अथवा न ह बातचीत करो | कसी सासारक या-कलाप म यत नह होना ह बक कम-स-कम दस िमनट तक उसी आसन पर शाितपवक बठ रहो | िभ का िचतन करो | भ क मपयोिध म डबक लगाओ | तपात सादर णाम करन क बाद ह आसन याग करो |

भनाम का मरण तो ास-ितास क साथ चलना चाहए | नाम-जप का ढ़ अयास करो |

9 यान ितदन साधक को जप क पात या जप क साथ यान अवय करना चाहए | जप करत-करत जप क अथ म मन को लीन करत जाओ अथवा म क दवता या गदव का यान करो | इस अयास स आपक साधना सढ़ बनगी और आप शी ह परमर का सााकार कर सकोग |

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 41: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

यद जप करत-करत यान लगन लग तो फर जप क िचता न करो यक जप का फल ह ह यान और मन क शाित | अगर मन शात होता जाता ह तो फर उसी शाित डबत जाओ | जब मन पनः बहमख होन लग तो जप श कर दो |

जो भी जापक-साधक सदग स द म का िनयत समय थान आसन व सया म एकाता तथा ीितपवक उपरो बात को यान म रखकर जप करता ह तो उसका जप उस आयामकता क िशखर क सर करवा दता | उसक आयामक गित म फर कोई सदह नह रहता |

मानानlsquoीरामचरतमानसrsquo म आता ह क मजप भ का पाचवा सोपान ह |

मजाप मम ढ़ वासा |पचम भ यह बद ाकासा ||

म एक ऐसा साधन ह जो मानव क सोयी हई चतना को सष शय को जगाकर उस महान बना दता ह |

जस कार टलीफोन क डायल म 10 नबर होत ह | यद हमार पास कोड व फोन नबर सह ह तो डायल क इह 10 नबर को ठक स घमाकर हम दिनया क कसी कोन म थत इछत य स तरत बात कर सकत ह | वस ह ग-द म को ग क िनदशानसार जप करक अनान करक हम वशवर स भी बात कर सकत ह |

म जपन क विध म क अर म का अथ म-अनान क विध जानकर तदनसार जप करन स साधक क योयताए वकिसत होती ह | वह महर स मलाकात करन क योयता भी वकिसत कर लता ह | कत यद वह म का अथ नह जानता या अनान क विध नह जानता या फर लापरवाह करता ह म क गथन का उस पता नह ह तो फर lsquoराग नबरrsquo क तरह उसक जप क भाव स उपन आयामक शया बखर जायगी तथा वय उसको ह हािन पहचा सकती ह | जस ाचीन काल म lsquoइ को मारनवाला प पदा होrsquo इस सकप क िस क िलए दय ारा य कया

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 42: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

गया | लकन मोचारण करत समय सकत म व और दघ क गलती स lsquoइ स मारनवाला प पदा होrsquo ndash ऐसा बोल दया गया तो वासर पदा हआ जो इ को नह मार पाया वरन इ क हाथ मारा गया | अतः म और अनान क विध जानना आवयक ह |

1 अनान कौन कर गद म का अनान वय करना सवम ह | कह-कह अपनी धमपी स भी अनान करान क आा ह कत ऐस सग म पी पवती होनी चाहए |य को अनान क उतन ह दन आयोजत करन चाहए जतन दन उनक हाथ वछ ह | मािसक धम क समय म अनान खडत हो जाता ह |

2 थान जहा बठकर जप करन स िच क लािन िमट और सनता बढ़ अथवा जप म मन लग सक ऐस पव तथा भयरहत थान म बठकर ह अनान करना चाहए |

3 दशा सामायतया पव या उर दशा क ओर मख करक जप करना चाहए | फर भी अलग-अलग हतओ क िलए अलग-अलग दशाओ क ओर मख करक जप करन का वधान ह |lsquoीगगीताrsquo म आता हldquoउर दशा क ओर मख करक जप करन स शाित पव दशा क ओर वशीकरण दण दशा क ओर मारण िस होता ह तथा पम दशा क ओर मख करक जप करन स धन क ाि होती ह | अन कोण क तरफ मख करक जप करन स आकषण वायय कोण क तरफ श नाश नॠय कोण क तरफ दशन और ईशान कोण क तरफ मख करक जप करन स ान क ाि होती ह | आसन बना या दसर क आसन पर बठकर कया गया जप फलता नह ह | िसर पर कपड़ा रख कर भी जप नह करना चाहए |

साधना-थान म दशा का िनणय जस दशा म सयदय होता ह वह ह पव दशा | पव क सामन वाली दशा पम दशा ह | पवािभमख खड़ होन पर बाय हाथ पर उर दशा और दाहन हाथ पर दण दशा पड़ती ह | पव और दण दशा क बीच अनकोण दण और पम दशा क बीच नॠय कोण पम और उर दशा क बीच वायय कोण तथा पव और उर दशा क बीच ईशान कोण होता ह |

4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

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4 आसन वत क कचालक (आवाहक) आसन पर व जस योगासन पर सखपवक काफ दर तक थर बठा जा सक ऐस सखासन िसासन या पासन पर बठकर जप करो | दवार पर टक लकर जप न करो |

5 माला माला क वषय म lsquoमजाप विधrsquo नामक अयाय म वतार स बताया जा चका ह | अनान हत मणमाला ह सव मानी जाती ह |

6 जप क सया अपन इम या गम म जतन अर ह उतन लाख मजप करन स उस म का अनान परा होता ह | मजप हो जान क बाद उसका दशाश सया म हवन हवन का दशाश तपण तपण का दशाश माजन और माजन का दशाश भोज कराना होता ह | यद हवन तपणाद करन का सामय या अनकलता न हो तो हवन तपणाद क बदल उतनी सया म अिधक जप करन स भी काम चलता ह | उदाहणाथ यद एक अर का म हो तो 100000 + 10000 + 1000 + 100 + 10 = 111110 मजप करन ससब विधया पर मानी जाती ह |

अनान क ारभ म ह जप क सया का िनधारण कर लना चाहए फर ितदन िनयत थान पर बठकर िनत समय म िनत सया म जप करना चाहए

अपन म क अर क सया क आधार पर िननाकत तािलका क अनसार अपन जप क सया िनधारत करक रोज िनत सया म ह माला करो कभी कम कभी यादा ऐसा नह

सवधा क िलए यहा एक अर क म स लकर सात अर क म क िनयत दन म कतनी मालाए क जानी चाहए उसक तािलका यहा द जा रह हः

अनान हत ितदन क माला क सयाकतन दन म अनान परा करना ह

म क अर 7 दन म 9 दन म 11 दन म 15 दन म 21 दन म 40 दन मएक अर का म 150 माला 115 माला 95 माला 70 माला 50 माला 30 मालादो अर का म 300 माला 230 माला 190 माला 140 माला 100 माला 60 मालातीन अर का म 450 माला 384 माला 285 माला 210 माला 150 माला 90 मालाचार अर का म 600 माला 460 माला 380 माला 280 माला 200 माला 120 मालापाच अर का म 750 माला 575 माला 475 माला 350 माला 250 माला 150 मालाछः अर का म 900 माला 690 माला 570 माला 420 माला 300 माला 180 मालासात अर का म 1050 माला 805 माला 665 माला 490 माला 350 माला 210 माला

जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

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जप करन क सया चावल मग आद क दान स अथवा ककड़-पथर स नह बक माला स िगननी चाहए चावल आद स सया िगनन पर जप का फल इ ल लत ह7 म सया का िनधारणः कई लोग lsquoॐrsquo को lsquoओमrsquo क प म दो अर मान लत ह और नमः को नमह क प म तीन अर मान लत ह वातव म ऐसा नह ह lsquoॐrsquo एक अर का ह और lsquoनमःrsquo दो अर का ह इसी कार कई लोग lsquoॐ हरrsquo या lsquoॐ रामrsquo को कवल दो अर मानत ह जबक lsquoॐ ह रrsquo इस कार तीन अर होत ह ऐसा ह lsquoॐ रामrsquo सदभ म भी समझना चाहए इस कार सया-िनधारण म सावधानी रखनी चाहए

8 जप कस कर जप म म का प उचारण करो जप म न बहत जदबाजी करनी चाहए और न बहत वलब गाकर ज पना जप क समय िसर हलाना िलखा हआ म पढ़कर जप करना म का अथ न जानना और बीच म म भल जाना य सब मिस क ितबधक ह जप क समय यह िचतन रहना चाहए क इदवता म और गदव एक ह ह

9 समयः जप क िलए सवम समय ातःकाल महत ह कत अनान क समय म जप क अिधक सया होन क वजह स एक साथ ह सब जप पर हो सक यह सभव नह हो पाता अतः अपना जप का समय 3-4 बठक म िनत कर दो सयदय दोपहर क 12 बज क आसपास एव सयात क समय जप करो तो लाभ यादा होगा

10 आहारः अनान क दन म आहार बकल सादा सावक हका पौक एव ताजा होना चाहए हो सक तो एक ह समय भोजन करो एव रा को फल आद ल लो इसका अथ भखमर करना नह वरन शरर को हका रखना ह बासी गर कज करन वाला तला हआ याज लहसन अड-मासाद तामिसक भोजन कदाप हण न करो भोजन बनन क तीन घट क अदर ह हण कर लो अयाय स अजत याज आद वभाव स अश अश थान पर बना हआ एव अश हाथ स (मािसक धमवाली ी क हाथ स) बना हआ भोजन हण करना सवथा वय ह

11 वहारः अनान क दन म पणतया चय का पालन जर ह अनान स पव आम स कािशत lsquoयौवन सराrsquo पतक का गहरा अययन लाभकार होगा चय-रा क िलए एक म भी हःॐ नमो भगवत महाबल परामाय मनोिभलाषत मनः तभ क क वाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

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रोज दध म िनहार कर 21 बार इस म का जप करो और दध पी लो इसस चय क रा होती ह यह िनयम तो वभाव म आमसात कर लन जसा ह

12 मौन एव एकातः अनान अकल ह एकात म करना चाहए एव यथासभव मौन का पालन करना चाहए अनान करन वाला यद ववाहत ह गहथ ह तो भी अकल ह अनान कर

13 शयनः अनान क दन म भिम शयन करो अथवा पलग स कोमल ग हटाकर चटाई कतान (टाट) या कबल बछाकर जप-यान करत-करत शयन करो

14 िना ता एव मनोराज स बचोः शरर म थकान रा-जागरण गर पदाथ का सवन ठस-ठसकर भरपट भोजन-इन कारण स भी जप क समय नीद आती ह थल िना को जीतन क िलए आसन करन चाहए

कभी-कभी जप करत-करत झपक लग जाती ह ऐस म माला तो यवत चलती रहती ह लकन कतनी मालाए घमी इसका कोई याल नह रहता यह सम िना अथात ता ह इसको जीतन क िलए ाणायाम करन चाहए

कभी-कभी ऐसा भी होता ह क हाथ म माला घमती ह जा म रटती ह कत मन कछ अय बात सोचन लगता ह यह ह मनोराज इसको जीतन क िलए lsquoॐrsquo का दघ वर स जप करना चाहए

15 वछता और पवताः नान क पात मल बासी व नह पहनन चाहए शौच क समय पहन गय व को नान क पात कदाप नह पहनना चाहए व व उसी समय नान क साथ धो लना चाहए फर भल बना साबन क ह पानी म साफ कर लो

लघशका करत व साथ म पानी होना जर ह लघशका क बाद इय पर ठडा पानी डालकर धो लो हाथ-पर धोकर कल भी कर लो लघशका करक तरत पानी न पयो पानी पीकर तरत लघशका न करो

दात भी वछ और त रहन चाहए सबह एव भोजन क पात भी दात अछ तरह स साफ कर लना चाहए कछ भी खाओ-पयो उसक बाद कला करक मखश अवय करनी चाहए

जप करन क िलए हाथ-पर धोकर आसन पर बठकर श क भावना क साथ जल क तीन आचमन ल लो जप क अत म भी तीन आचमन करो

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 46: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

जप करत समय छक जहाई खासी आ जाय या अपानवाय छट तो यह अश ह उस समय क माला िनयत सया म नह िगननी चाहए आचमन करक श होन क बाद वह माला फर स करनी चाहए आचमन क बदल lsquoॐrsquo सपट क साथ गम सात बार दहरा दया जाय तो भी श हो जाएगी जस म ह lsquoनमः िशवायrsquo तो सात बार lsquoॐ नमः िशवाय ॐrsquo दहरा दन स पड़ा हआ वन िनव हो जाएगा

जप क समय यद मलम क हाजत हो जाय तो उस दबाना नह चाहए ऐसी थित म जप करना छोड़कर कदरती हाजत िनपटा लनी चाहए शौच गय हो तो नानाद स श होकर वछ व पहन कर फर जप करो यद लघशका करन गय हो तो कवल हाथ-पर-मह धोकर कला करक श-पव हो जाओ फर स जप का ारभ करक बाक रह हई जप -सया पण करो

16 िच क वप का िनवारण करोः अनान क दन म शरर-वाद को श रखन क साथ-साथ िच को भी सन शात और िनमल रखना आवयक ह रात म यद मल-वा थक-बलगम अथवा कोई मरा हआ ाणी आद गद चीज क दशन हो जाय तो तरत सय च अथवा अन का दशन कर लो सत-महामा का दशन-मरण कर लो भगवनाम का उचारण कर लो ताक िच क ोभ का िनवारण हो जाय

17 न क थितः आख फाड़-फाड़ कर दखन स आख क गोलक क श ीण होती ह आख बद करक जप करन स मनोराज क सभावना होती ह अतः मजप एव यान क समय अधमीिलत न होन चाहए इसस ऊपर क श नीच क श स एव नीच क श ऊपर क श स िमल जायगी इस कार वत का वतल पण हो जायगा और श ीण नह होगी

18 म म ढ़ वासः मजप म ढ़ वास होना चाहए वासो फलदायकः lsquoयह म बढ़या ह क वह म बढ़या ह इस म स लाभ होगा क नह होगाrsquo ऐसा सदह करक यद मजप कया जायगा तो सौ ितशत परणाम नह आयगा

19 एकाताः जप क समय एकाता का होना अयत आवयक ह एकाता क कई उपाय ह भगवान इदव अथवा सदगदव क फोटो क ओर एकटक दखो च अथवा व तार क ओर एकटक दखो वतक या lsquoॐrsquo पर थर करो य सब ाटक कहलात ह एकाता म ाटक का योग बड़ मदद करता ह

20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

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20 नीच कम का यागः अनान क दन म समत नीच कम का याग कर दना चाहए िनदा हसा झठ-कपट ोध करन वाला मानव जप का परा लाभ नह उठा सकता इय को उजत करनवाल नाटक िसनमा नय-गान आद य का अवलोकन एव अील साहय का पठन नह करना चाहए आलय नह करना चाहए दन म नह सोना चाहए

21 यद जप क समय काम-ोधाद सताय तोः काम सताय तो भगवान निसह का िचतन करो मोह क समय कौरव को याद करो लोभ क समय दान पय करो सोचो क कौरव का कतना लबा-चौड़ा परवार था कत आखर या अह सताए तो अपन स धन सा एव प म बड़ ह उनका िचतन करो इस कार इन वकार का िनवारण करक अपना ववक जात रखकर जो अपनी साधना करता ह उसका इम जद फलता ह

विधपवक कया गया गम का अनान साधक क तन को वथ मन को सन एव ब को सम करन म तथा जीवन को जीवनदाता क सौरभ स महकान म सहायक होता ह जतना अिधक जप उतना अिधक फल अिधकय अिधक फलम

वािथय क िलए सारवय म क अनान क विध

यद वाथ अपन जीवन को तजवी-ओजवी दय एव हर म सफल बनाना चाह तो सदग स ा सारवय म का अनान अवय कर1 सारवय म का अनान सात दन का होता ह2 इसम ितदन 170 माला करन का वधान ह3 सात दन तक कवल त व ह पहनन चाहए4 सात दन तक भोजन भी बना नमक का करना चाहए दध चावल क खीर

बनाकर खाना चाहए5 त पप स सरवती दवी क पजा करन क बाद जप करो दवी को भोग भी

खीर का ह लगाओ6 मा सरवती स श ब क िलए ाथना करो7 फटक क मोितय क माला स जप करना यादा लाभदायी ह8 बाक क थान शयन पवता आद क िनयम मानान जस ह ह

lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

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lsquoपरनrsquoः जप करत समय भगवान क कस वप का वचार करना चाहएउरः अपनी िच क अनसार सगण अथवा िनगण वप म मन को एका कया जा सकता ह सगण का वचार करोग फर भी अितम ाि तो िनगण क ह होगी जप म साधन और साय एक ह ह जबक अय साधना म दोन अलग ह योग म अाग योग का अयास साधना ह और िनवप समािध साय ह वदात म आमवचार साधन क और तरयावथा साय ह कत जप-साधना म जप क ारा ह अजपा थित को िस करना ह अथात सतक पवक कय गय जप क ारा सहज जप को पाना ह म क अथ म तदाकार होना ह सची साधना ह

ः या दो या तीन म का जप कया जा सकता हउरः नह एक समय म एक ह म और वह भी सदग द म का ह जप करना ह यद आप ी कण भगवान क भ ह तो ीरामजी िशवजी दगामाता गायी इयाद म भी ीकण क ह दशन करो सब एक ह ईर क प ह ी कण क उपासना ह ीराम क या दवी क उपासना ह सभी को अपन इदव क िलए इसी कार समझना चाहए िशव क उपासना करत ह तो सबम िशव क ह वप दख

ः या गहथ श णव का जप कर सकता हउरः सामायतया गहथ क िलए कवल णव यािन lsquoॐrsquo का जप करना उिचत नह ह कत यद वह साधन-चतय स सपन ह मन वप स म ह और उसम ानयोग साधना क िलए बल ममव ह तो वह lsquoॐrsquo का जप कर सकता ह

ः lsquoॐ नमः िशवायrsquo पचार म ह या षडार इसका अनान करना हो तो कतन लाख जप करउरः कवल lsquoनमः िशवायrsquo पचार म ह एव lsquoॐ नमः िशवायrsquo षडार म ह अतः इसका अनान तदनसार कर

ः जप करत-करत मन एकदम शात हो जाता ह एव जप छट जाता ह तो या करउरः जप का फल ह ह शाित और यान यद जप करत-करत जप छट जाय एव मन शात हो जाय तो जप क िचता न करो यान म स उठन क पात पनः अपनी िनयत सया पर कर लो

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

Page 49: Mantra Jap Mahima Evam Anushthan Vidhi - SYVSS

ः जब जप करत ह तो काम-ोधाद वकार अिधक सतात-स तीत होत ह और जप करना छोड़ दत ह या यह उिचत हउरः कई बार साधक को ऐसा अनभव होता ह क पहल इतना काम-ोध नह सताता था जतना मदा क बाद सतान लगा ह इसका कारण हमार पवजम क सकार हो सकत ह जस घर क सफाई करन पर कचरा िनकलता ह ऐस ह मजाप करन स कसकार िनकलत ह अतः घबराओ नह न ह मजप करना छोड़ दो वरन ऐस समय म दो-तीन घट पानी पीकर थोड़ा कद लो णव का दघ उचारण करो एव भ स ाथना करो तरत इन वकार पर वजय पान म सहायता िमलगी जप तो कसी भी अवथा म याय नह ह

ः अिधक जप स खक चढ़ जाय तो या करउरः जप स खक नह चढ़ती वरन साधक क आसावधानी स खक चढ़ती ह नया साधक होता ह दबल शरर होता ह एव उसाह -उसाह म अिधक ाणायाम करता ह फर भखामर करता ह तो खक चढ़न क सभावना होती ह अतः उपरो कारण का िनराकरण कर लो फर भी यद कसी को खक चढ़ ह जाय तो ातःकाल सात काज शहद क साथ लना चाहए अथवा भोजन क पात बना शहद क सात काज खान चाहए (सात स यादा काज दनभर म खाना शरर क िलए हतावह नह ह) इसक अलावा िसर क ताल पर एव ललाट क दोन छोर पर गाय क घी क मािलश करो इसस लाभ होता ह खक चढ़न म पागलपन म पक पठ का रस या उसक सजी हतावह ह कच पठ नह लना चाहए आहार म घी दध बादाम का उपयोग करना चाहए ऐसा करन स ठक होता ह खक या दमाग क िशकायत म वत का झटका दलाना बड़ा हािनकारक ह

वन म म दा िमली हो तो या कर या पनः य प म म दा लना अिनवाय ह उर हा

पहल कसी म का जप करत थ वह म यद मदा क समय िमल तो या कर उर आदर स उसका जप करना चाहए | उसक महानता बढ़ जाती ह |

मदा क समय कान म अगली य डलवात ह उर दाय कान स गम सनन स म का भाव वशष रहता ह ऐसा कहा गया ह |

यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |

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यद गम न िलया हो फर भी अनान कया जा सकता ह या उर हा कया जाता ह |