madhushala

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मध शाला बाव के अॊग य की आज फना रामा हारा, िमतभ, अऩने ही हाथ से आज ऩराऊॉगा मारा, ऩहरे बोग रगा र तेया फपय िसाद जग ऩाएगा, सफसे ऩहरे तेया वागत कयती भेयी भध शारा।।१। मास त झे तो, वव तऩाकय ऩ ण ननकार गा हारा, एक ऩाॉव से साकी फनकय नाच गा रेकय मारा, जीवन की भध ता तो तेये ऊऩय कफ का वाय च का, आज ननछावय कय द गा भ त झ ऩय जग की भध शारा।।२। िमतभ, भेयी हारा है , भ तेया मासा मारा, अऩने को भ झभ बयकय त फनता है ऩीनेवारा, भ त झको छक छरका कयता, भत भ झे ऩी त होता, एक द सये की हभ दोन आज ऩयऩय भध शारा।।३।

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Madhushala (Hindi: मधुशाला) (The Tavern/The House of Wine), is a book of 135 "quatrains": verses of four lines ("Ruba'i) by Hindi poet and writer Harivansh Rai Bachchan (1907-2003). The highly metaphorical work is still celebrated for its deeply Sufi incantations and philosophical undertones [1] and is an important work in the Chhayavaad (Hindi: छायावाद) (Impressionism) literary movement of early 20th century Hindi literature.

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Page 1: Madhushala

मधशाला

भद बावो क अॊगयो की आज फना रामा हारा, परिमतभ, अऩन ही हाथो स आज परऩराऊॉ गा पमारा, ऩहर बोग रगा रॉ तया फपय िसाद जग ऩाएगा, सफस ऩहर तया सवागत कयती भयी भधशारा।।१। पमास तझ तो, परवशव तऩाकय ऩणण ननकारॉगा हारा, एक ऩाॉव स साकी फनकय नाचॉगा रकय पमारा, जीवन की भधता तो तय ऊऩय कफ का वाय चका, आज ननछावय कय दॉगा भ तझ ऩय जग की भधशारा।।२। परिमतभ, त भयी हारा ह, भ तया पमासा पमारा, अऩन को भझभ बयकय त फनता ह ऩीनवारा, भ तझको छक छरका कयता, भसत भझ ऩी त होता, एक दसय की हभ दोनो आज ऩयसऩय भधशारा।।३।

Page 2: Madhushala

बावकता अॊगय रता स खीॊच कलऩना की हारा, कपरव साकी फनकय आमा ह बयकय कपरवता का पमारा, कबी न कण-बय खारी होगा राख परऩएॉ, दो राख परऩएॉ! ऩाठकगण ह ऩीनवार, ऩसतक भयी भधशारा।।४। भधय बावनाओॊ की सभधय ननतम फनाता हॉ हारा, बयता हॉ इस भध स अऩन अॊतय का पमासा पमारा, उठा कलऩना क हाथो स सवमॊ उस ऩी जाता हॉ, अऩन ही भ हॉ भ साकी, ऩीनवारा, भधशारा।।५। भददयारम जान को घय स चरता ह ऩीनवरा, 'फकस ऩथ स जाऊॉ ?' असभॊजस भ ह वह बोराबारा, अरग-अरग ऩथ फतरात सफ ऩय भ मह फतराता हॉ - 'याह ऩकड त एक चरा चर, ऩा जाएगा भधशारा।'। ६। चरन ही चरन भ फकतना जीवन, हाम, बफता डारा! 'दय अबी ह', ऩय, कहता ह हय ऩथ फतरानवारा, दहमभत ह न फढॉ आग को साहस ह न फपरॉ ऩीछ, फकॊ कतणवमपरवभढ भझ कय दय खडी ह भधशारा।।७। भख स त अपरवयत कहता जा भध, भददया, भादक हारा, हाथो भ अनबव कयता जा एक रलरत कललऩत पमारा, धमान फकए जा भन भ सभधय सखकय, सॊदय साकी का, औय फढा चर, ऩथथक, न तझको दय रगगी भधशारा।।८। भददया ऩीन की अलबराषा ही फन जाए जफ हारा, अधयो की आतयता भ ही जफ आबालसत हो पमारा, फन धमान ही कयत-कयत जफ साकी साकाय, सख, यह न हारा, पमारा, साकी, तझ लभरगी भधशारा।।९।

Page 3: Madhushala

सन, करकल , छरछल भधघट स थगयती पमारो भ हारा, सन, रनझन रनझन चर परवतयण कयती भध साकीफारा, फस आ ऩहॊच, दय नहीॊ कछ, चाय कदभ अफ चरना ह, चहक यह, सन, ऩीनवार, भहक यही, र, भधशारा।।१०। जरतयॊग फजता, जफ चॊफन कयता पमार को पमारा, वीणा झॊकत होती, चरती जफ रनझन साकीफारा, डाॉट डऩट भधपरवकरता की धवननत ऩखावज कयती ह, भधयव स भध की भादकता औय फढाती भधशारा।।११। भहदी यॊलजत भदर हथरी ऩय भाणणक भध का पमारा, अॊगयी अवगॊठन डार सवणण वणण साकीफारा, ऩाग फजनी, जाभा नीरा डाट डट ऩीनवार, इनदरधनष स होड रगाती आज यॊगीरी भधशारा।।१२। हाथो भ आन स ऩहर नाज ददखाएगा पमारा, अधयो ऩय आन स ऩहर अदा ददखाएगी हारा, फहतय इनकाय कयगा साकी आन स ऩहर, ऩथथक, न घफया जाना, ऩहर भान कयगी भधशारा।।१३। रार सया की धाय रऩट सी कह न इस दना जवारा, पननर भददया ह, भत इसको कह दना उय का छारा, ददण नशा ह इस भददया का परवगत सभनतमाॉ साकी ह, ऩीडा भ आनॊद लजस हो, आए भयी भधशारा।।१४। जगती की शीतर हारा सी ऩथथक, नहीॊ भयी हारा, जगती क ठॊड पमार सा ऩथथक, नहीॊ भया पमारा, जवार सया जरत पमार भ दगध हदम की कपरवता ह, जरन स बमबीत न जो हो, आए भयी भधशारा।।१५।

Page 4: Madhushala

फहती हारा दखी, दखो रऩट उठाती अफ हारा, दखो पमारा अफ छत ही होठ जरा दनवारा, 'होठ नहीॊ, सफ दह दह, ऩय ऩीन को दो फॊद लभर' ऐस भध क दीवानो को आज फराती भधशारा।।१६। धभणगरनदथ सफ जरा चकी ह, लजसक अॊतय की जवारा, भॊददय, भसलजद, थगरयज, सफ को तोड चका जो भतवारा, ऩॊडडत, भोलभन, ऩाददयमो क पॊ दो को जो काट चका, कय सकती ह आज उसी का सवागत भयी भधशारा।।१७। रारानमत अधयो स लजसन, हाम, नहीॊ चभी हारा, हषण-परवकॊ परऩत कय स लजसन, हा, न छआ भध का पमारा, हाथ ऩकड रलजजत साकी को ऩास नहीॊ लजसन खीॊचा, वमथण सखा डारी जीवन की उसन भधभम भधशारा।।१८। फन ऩजायी िभी साकी, गॊगाजर ऩावन हारा, यह पयता अपरवयत गनत स भध क पमारो की भारा' 'औय लरम जा, औय ऩीम जा', इसी भॊतर का जाऩ कय' भ लशव की िनतभा फन फठॊ , भॊददय हो मह भधशारा।।१९। फजी न भॊददय भ घडडमारी, चढी न िनतभा ऩय भारा, फठा अऩन बवन भअलजजन दकय भलसजद भ तारा, रट खजान नयपरऩतमो क थगयीॊ गढो की दीवाय, यह भफायक ऩीनवार, खरी यह मह भधशारा।।२०। फड फड परऩयवाय लभट मो, एक न हो योनवारा, हो जाएॉ सनसान भहर व, जहाॉ थथयकतीॊ सयफारा, याजम उरट जाएॉ, बऩो की बागम सरकषभी सो जाए, जभ यहग ऩीनवार, जगा कयगी भधशारा।।२१।

Page 5: Madhushala

सफ लभट जाएॉ, फना यहगा सनददय साकी, मभ कारा, सख सफ यस, फन यहग, फकनदत, हराहर औ' हारा, धभधाभ औ' चहर ऩहर क सथान सबी सनसान फन, झगा कयगा अपरवयत भयघट, जगा कयगी भधशारा।।२२। बया सदा कहरामगा जग भ फाॉका, भदचॊचर पमारा, छर छफीरा, यलसमा साकी, अरफरा ऩीनवारा, ऩट कहाॉ स, भध औ' जग की जोडी ठीक नहीॊ, जग जजणय िनतदन, िनतण, ऩय ननतम नवरी भधशारा।।२३। बफना परऩम जो भधशारा को फया कह, वह भतवारा, ऩी रन ऩय तो उसक भह ऩय ऩड जाएगा तारा, दास रोदहमो दोनो भ ह जीत सया की, पमार की, परवशवपरवजनमनी फनकय जग भ आई भयी भधशारा।।२४। हया बया यहता भददयारम, जग ऩय ऩड जाए ऩारा, वहाॉ भहयणभ का तभ छाए, महाॉ होलरका की जवारा, सवगण रोक स सीधी उतयी वसधा ऩय, दख कमा जान, ऩढ भलसणमा दननमा सायी, ईद भनाती भधशारा।।२५। एक फयस भ, एक फाय ही जगती होरी की जवारा, एक फाय ही रगती फाजी, जरती दीऩो की भारा, दननमावारो, फकनदत, फकसी ददन आ भददयारम भ दखो, ददन को होरी, यात ददवारी, योज भनाती भधशारा।।२६। नहीॊ जानता कौन, भनज आमा फनकय ऩीनवारा, कौन अपरऩरयचत उस साकी स, लजसन दध परऩरा ऩारा, जीवन ऩाकय भानव ऩीकय भसत यह, इस कायण ही, जग भ आकय सफस ऩहर ऩाई उसन भधशारा।।२७।

Page 6: Madhushala

फनी यह अॊगय रताएॉ लजनस लभरती ह हारा, फनी यह वह लभटटी लजसस फनता ह भध का पमारा, फनी यह वह भददय परऩऩासा तपत न जो होना जान, फन यह म ऩीन वार, फनी यह मह भधशारा।।२८। सकशर सभझो भझको, सकशर यहती मदद साकीफारा, भॊगर औय अभॊगर सभझ भसती भ कमा भतवारा, लभतरो, भयी भ न ऩछो आकय, ऩय भधशारा की, कहा कयो 'जम याभ' न लभरकय, कहा कयो 'जम भधशारा'।।२९। समण फन भध का परवकरता, लसॊध फन घट, जर, हारा, फादर फन-फन आए साकी, बलभ फन भध का पमारा, झडी रगाकय फयस भददया रयभणझभ, रयभणझभ, रयभणझभ कय, फलर, परवटऩ, तण फन भ ऩीऊॉ , वषाण ऋत हो भधशारा।।३०। तायक भणणमो स सलजजत नब फन जाए भध का पमारा, सीधा कयक बय दी जाए उसभ सागयजर हारा, भऻलतऌा सभीयण साकी फनकय अधयो ऩय छरका जाए, पर हो जो सागय तट स परवशव फन मह भधशारा।।३१। अधयो ऩय हो कोई बी यस लजहवा ऩय रगती हारा, बाजन हो कोई हाथो भ रगता यकखा ह पमारा, हय सयत साकी की सयत भ ऩरयवनतणत हो जाती, आॉखो क आग हो कछ बी, आॉखो भ ह भधशारा।।३२। ऩौध आज फन ह साकी र र परो का पमारा, बयी हई ह लजसक अॊदय परऩयभर-भध-सरयबत हारा, भाॉग भाॉगकय भरभयो क दर यस की भददया ऩीत ह,

Page 7: Madhushala

झभ झऩक भद-झॊपरऩत होत, उऩवन कमा ह भधशारा!।३३। िनत यसार तर साकी सा ह, िनत भॊजरयका ह पमारा, छरक यही ह लजसक फाहय भादक सौयब की हारा, छक लजसको भतवारी कोमर कक यही डारी डारी हय भधऋत भ अभयाई भ जग उठती ह भधशारा।।३४। भॊद झकोयो क पमारो भ भधऋत सौयब की हारा बय बयकय ह अननर परऩराता फनकय भध-भद-भतवारा, हय हय नव ऩलरव, तरगण, नतन डार, वलररयमाॉ, छक छक, झक झक झभ यही ह, भधफन भ ह भधशारा।।३५। साकी फन आती ह िात जफ अरणा ऊषा फारा, तायक-भणण-भॊडडत चादय द भोर धया रती हारा, अगणणत कय-फकयणो स लजसको ऩी, खग ऩागर हो गात, िनत िबात भ ऩणण िकनत भ भणखयत होती भधशारा।।३६। उतय नशा जफ उसका जाता, आती ह सॊधमा फारा, फडी ऩयानी, फडी नशीरी ननतम ढरा जाती हारा, जीवन क सॊताऩ शोक सफ इसको ऩीकय लभट जात सया-सपत होत भद-रोबी जागत यहती भधशारा।।३७। अॊधकाय ह भधपरवकरता, सनददय साकी शलशफारा फकयण फकयण भ जो छरकाती जाभ जमहाई का हारा, ऩीकय लजसको चतनता खो रन रगत ह झऩकी तायकदर स ऩीनवार, यात नहीॊ ह, भधशारा।।३८। फकसी ओय भ आॉख परॉ , ददखराई दती हारा फकसी ओय भ आॉख परॉ , ददखराई दता पमारा, फकसी ओय भ दखॊ, भझको ददखराई दता साकी

Page 8: Madhushala

फकसी ओय दखॊ, ददखराई ऩडती भझको भधशारा।।३९। साकी फन भयरी आई साथ लरए कय भ पमारा, लजनभ वह छरकाती राई अधय-सधा-यस की हारा, मोथगयाज कय सॊगत उसकी नटवय नागय कहराए, दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती भधशारा।।४०। वादक फन भध का परवकरता रामा सय-सभधय-हारा, याथगननमाॉ फन साकी आई बयकय तायो का पमारा, परवकरता क सॊकतो ऩय दौड रमो, आराऩो भ, ऩान कयाती शरोतागण को, झॊकत वीणा भधशारा।।४१। थचतरकाय फन साकी आता रकय तरी का पमारा, लजसभ बयकय ऩान कयाता वह फह यस-यॊगी हारा, भन क थचतर लजस ऩी-ऩीकय यॊग-बफयॊग हो जात, थचतरऩटी ऩय नाच यही ह एक भनोहय भधशारा।।४२। घन शमाभर अॊगय रता स णखॊच णखॊच मह आती हारा, अरण-कभर-कोभर कलरमो की पमारी, परो का पमारा, रोर दहरोय साकी फन फन भाणणक भध स बय जातीॊ, हॊस भऻलतऌा होत ऩी ऩीकय भानसयोवय भधशारा।।४३। दहभ शरणी अॊगय रता-सी परी, दहभ जर ह हारा, चॊचर नददमाॉ साकी फनकय, बयकय रहयो का पमारा, कोभर कय-कयो भ अऩन छरकाती ननलशददन चरतीॊ, ऩीकय खत खड रहयात, बायत ऩावन भधशारा।।४४। धीय सतो क हदम यकत की आज फना यलकतभ हारा, वीय सतो क वय शीशो का हाथो भ रकय पमारा, अनत उदाय दानी साकी ह आज फनी बायतभाता, सवतॊतरता ह तपरषत कालरका फलरवदी ह भधशारा।।४५।

Page 9: Madhushala

दतकाया भलसजद न भझको कहकय ह ऩीनवारा, ठकयामा ठाकयदवाय न दख हथरी ऩय पमारा, कहाॉ दठकाना लभरता जग भ बरा अबाग काफपय को? शयणसथर फनकय न भझ मदद अऩना रती भधशारा।।४६। ऩथथक फना भ घभ यहा हॉ, सबी जगह लभरती हारा, सबी जगह लभर जाता साकी, सबी जगह लभरता पमारा, भझ ठहयन का, ह लभतरो, कषट नहीॊ कछ बी होता, लभर न भॊददय, लभर न भलसजद, लभर जाती ह भधशारा।।४७। सज न भलसजद औय नभाजी कहता ह अलरातारा, सजधजकय, ऩय, साकी आता, फन ठनकय, ऩीनवारा, शख, कहाॉ तरना हो सकती भलसजद की भददयारम स थचय परवधवा ह भलसजद तयी, सदा सहाथगन भधशारा।।४८। फजी नफीयी औय नभाजी बर गमा अलरातारा, गाज थगयी, ऩय धमान सया भ भगन यहा ऩीनवारा, शख, फया भत भानो इसको, साफ कहॉ तो भलसजद को अबी मगो तक लसखराएगी धमान रगाना भधशारा!।४९। भसरभान औ' दहनदद ह दो, एक, भगय, उनका पमारा, एक, भगय, उनका भददयारम, एक, भगय, उनकी हारा, दोनो यहत एक न जफ तक भलसजद भलनददय भ जात, फय फढात भलसजद भलनददय भर कयाती भधशारा!।५०। कोई बी हो शख नभाजी मा ऩॊडडत जऩता भारा, फय बाव चाह लजतना हो भददया स यखनवारा, एक फाय फस भधशारा क आग स होकय ननकर, दखॉ कस थाभ न रती दाभन उसका भधशारा!।५१।

Page 10: Madhushala

औय यसो भ सवाद तबी तक, दय जबी तक ह हारा, इतया र सफ ऩातर न जफ तक, आग आता ह पमारा, कय र ऩजा शख, ऩजायी तफ तक भलसजद भलनददय भ घॉघट का ऩट खोर न जफ तक झाॉक यही ह भधशारा।।५२। आज कय ऩयहज जगत, ऩय, कर ऩीनी होगी हारा, आज कय इनदकाय जगत ऩय कर ऩीना होगा पमारा, होन दो ऩदा भद का भहभद जगत भ कोई, फपय जहाॉ अबी ह भनल दय भलसजद वहाॉ फनगी भधशारा।।५३। मऻ अलगन सी धधक यही ह भध की बटठी की जवारा, ऋपरष सा धमान रगा फठा ह हय भददया ऩीन वारा, भनन कनदमाओॊ सी भधघट र फपयतीॊ साकीफाराएॉ, फकसी तऩोवन स कमा कभ ह भयी ऩावन भधशारा।।५४। सोभ सया ऩयख ऩीत थ, हभ कहत उसको हारा, रोणकरश लजसको कहत थ, आज वही भधघट आरा, वददवदहत मह यसभ न छोडो वदो क ठकदायो, मग मग स ह ऩजती आई नई नहीॊ ह भधशारा।।५५। वही वारणी जो थी सागय भथकय ननकरी अफ हारा, यॊबा की सॊतान जगत भ कहराती 'साकीफारा', दव अदव लजस र आए, सॊत भहॊत लभटा दग! फकसभ फकतना दभ खभ, इसको खफ सभझती भधशारा।।५६। कबी न सन ऩडता, 'इसन, हा, छ दी भयी हारा', कबी न कोई कहता, 'उसन जठा कय डारा पमारा', सबी जानत क रोग महाॉ ऩय साथ फठकय ऩीत ह, सौ सधायको का कयती ह काभ अकर भधशारा।।५७।

Page 11: Madhushala

शरभ, सॊकट, सॊताऩ, सबी तभ बरा कयत ऩी हारा, सफक फडा तभ सीख चक मदद सीखा यहना भतवारा, वमथण फन जात हो दहयजन, तभ तो भधजन ही अचछ, ठकयात दहय भॊल दयवार, ऩरक बफछाती भधशारा।।५८। एक तयह स सफका सवागत कयती ह साकीफारा, अऻ परवऻ भ ह कमा अॊतय हो जान ऩय भतवारा, यॊक याव भ बद हआ ह कबी नहीॊ भददयारम भ, साममवाद की िथभ िचायक ह मह भयी भधशारा।।५९। फाय फाय भन आग फढ आज नहीॊ भाॉगी हारा, सभझ न रना इसस भझको साधायण ऩीन वारा, हो तो रन दो ऐ साकी दय िथभ सॊकोचो को, भय ही सवय स फपय सायी गॉज उठगी भधशारा।।६०। कर? कर ऩय परवशवास फकमा कफ कयता ह ऩीनवारा हो सकत कर कय जड लजनस फपय फपय आज उठा पमारा, आज हाथ भ था, वह खोमा, कर का कौन बयोसा ह, कर की हो न भझ भधशारा कार कदटर की भधशारा।।६१। आज लभरा अवसय, तफ फपय कमो भ न छकॉ जी-बय हारा आज लभरा भौका, तफ फपय कमो ढार न रॉ जी-बय पमारा, छडछाड अऩन साकी स आज न कमो जी-बय कय रॉ, एक फाय ही तो लभरनी ह जीवन की मह भधशारा।।६२। आज सजीव फना रो, िमसी, अऩन अधयो का पमारा, बय रो, बय रो, बय रो इसभ, मौवन भधयस की हारा, औय रगा भय होठो स बर हटाना तभ जाओ, अथक फन भ ऩीनवारा, खर िणम की भधशारा।।६३।

Page 12: Madhushala

सभखी तमहाया, सनददय भख ही, भझको कनदचन का पमारा छरक यही ह लजसभॊ भाणणक रऩ भधय भादक हारा, भ ही साकी फनता, भ ही ऩीन वारा फनता हॉ जहाॉ कहीॊ लभर फठ हभ तम वहीॊ गमी हो भधशारा।।६४। दो ददन ही भध भझ परऩराकय ऊफ उठी साकीफारा, बयकय अफ णखसका दती ह वह भय आग पमारा, नाज, अदा, अॊदाजो स अफ, हाम परऩराना दय हआ, अफ तो कय दती ह कवर फजण -अदाई भधशारा।।६५। छोट-स जीवन भ फकतना पमाय करॉ , ऩी रॉ हारा, आन क ही साथ जगत भ कहरामा 'जानवारा', सवागत क ही साथ परवदा की होती दखी तमायी, फॊद रगी होन खरत ही भयी जीवन-भधशारा।।६६। कमा ऩीना, ननदणवनदद न जफ तक ढारा पमारो ऩय पमारा, कमा जीना, ननयॊल चत न जफ तक साथ यह साकीफारा, खोन का बम, हाम, रगा ह ऩान क सख क ऩीछ, लभरन का आनॊद न दती लभरकय क बी भधशारा।।६७। भझ परऩरान को राए हो इतनी थोडी-सी हारा! भझ ददखान को राए हो एक मही नछछरा पमारा! इतनी ऩी जीन स अचछा सागय की र पमास भरॉ , लसॊधॉ -तषा दी फकसन यचकय बफॊद-फयाफय भधशारा।।६८। कमा कहता ह, यह न गई अफ तय बाजन भ हारा, कमा कहता ह, अफ न चरगी भादक पमारो की भारा, थोडी ऩीकय पमास फढी तो शष नहीॊ कछ ऩीन को, पमास फझान को फरवाकय पमास फढाती भधशारा।।६९।

Page 13: Madhushala

लरखी बागम भ लजतनी फस उतनी ही ऩाएगा हारा, लरखा बागम भ जसा फस वसा ही ऩाएगा पमारा, राख ऩटक त हाथ ऩाॉव, ऩय इसस कफ कछ होन का, लरखी बागम भ जो तय फस वही लभरगी भधशारा।।७०। कय र, कय र कॊ जसी त भझको दन भ हारा, द र, द र त भझको फस मह टटा पटा पमारा, भ तो सबर इसी ऩय कयता, त ऩीछ ऩछताएगी, जफ न यहॉगा भ, तफ भयी माद कयगी भधशारा।।७१। धमान भान का, अऩभानो का छोड ददमा जफ ऩी हारा, गौयव बरा, आमा कय भ जफ स लभटटी का पमारा, साकी की अॊदाज बयी णझडकी भ कमा अऩभान धया, दननमा बय की ठोकय खाकय ऩाई भन भधशारा।।७२। ीण, र, णबॊगय, दफणर भानव लभटटी का पमारा, बयी हई ह लजसक अॊदय कट-भध जीवन की हारा, भतम फनी ह ननदणम साकी अऩन शत-शत कय परा, कार िफर ह ऩीनवारा, सॊसनत ह मह भधशारा।।७३। पमार सा गढ हभ फकसी न बय दी जीवन की हारा, नशा न बामा, ढारा हभन र रकय भध का पमारा, जफ जीवन का ददण उबयता उस दफात पमार स, जगती क ऩहर साकी स जझ यही ह भधशारा।।७४। अऩन अॊगयो स तन भ हभन बय री ह हारा, कमा कहत हो, शख, नयक भ हभ तऩाएगी जवारा, तफ तो भददया खफ णखॊचगी औय परऩएगा बी कोई, हभ नभक की जवारा भ बी दीख ऩडगी भधशारा।।७५। मभ आएगा रन जफ, तफ खफ चरॉगा ऩी हारा,

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ऩीडा, सॊकट, कषट नयक क कमा सभझगा भतवारा, करय, कठोय, कदटर, कपरवचायी, अनदमामी मभयाजो क डॊडो की जफ भाय ऩडगी, आड कयगी भधशारा।।७६। मदद इन अधयो स दो फात िभ बयी कयती हारा, मदद इन खारी हाथो का जी ऩर बय फहराता पमारा, हानन फता, जग, तयी कमा ह, वमथण भझ फदनाभ न कय, भय टट ददर का ह फस एक णखरौना भधशारा।।७७। माद न आए दखभम जीवन इसस ऩी रता हारा, जग थचॊताओॊ स यहन को भकत, उठा रता पमारा, शौक, साध क औय सवाद क हत परऩमा जग कयता ह, ऩय भ वह योगी हॉ लजसकी एक दवा ह भधशारा।।७८। थगयती जाती ह ददन िनतदन िणमनी िाणो की हारा बगन हआ जाता ददन िनतदन सबग भया तन पमारा, रठ यहा ह भझस रऩसी, ददन ददन मौवन का साकी सख यही ह ददन ददन सनददयी, भयी जीवन भधशारा।।७९। मभ आमगा साकी फनकय साथ लरए कारी हारा, ऩी न होश भ फपय आएगा सया-परवसध मह भतवारा, मह अॊल तभ फहोशी, अॊनतभ साकी, अॊनतभ पमारा ह, ऩथथक, पमाय स ऩीना इसको फपय न लभरगी भधशारा।८०। ढरक यही ह तन क घट स, सॊथगनी जफ जीवन हारा ऩतर गयर का र जफ अॊनतभ साकी ह आनवारा, हाथ सऩशण बर पमार का, सवाद सया जीवहा बर कानो भ तभ कहती यहना, भध का पमारा भधशारा।।८१। भय अधयो ऩय हो अॊल तभ वसत न तरसीदर पमारा भयी जीवहा ऩय हो अॊनतभ वसत न गॊगाजर हारा,

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भय शव क ऩीछ चरन वारो माद इस यखना याभ नाभ ह सतम न कहना, कहना सचची भधशारा।।८२। भय शव ऩय वह योम, हो लजसक आॊस भ हारा आह बय वो, जो हो सरयबत भददया ऩी कय भतवारा, द भझको वो कानदधा लजनक ऩग भद डगभग होत हो औय जरॊ उस ठौय जहाॊ ऩय कबी यही हो भधशारा।।८३। औय थचता ऩय जाम उॊ ढरा ऩतर न नित का, ऩय पमारा कॊ ठ फॊध अॊगय रता भ भधम न जर हो, ऩय हारा, िाण परिम मदद शराध कयो तभ भया तो ऐस कयना ऩीन वाराॊ को फरवा कर खरवा दना भधशारा।।८४। नाभ अगय कोई ऩछ तो, कहना फस ऩीनवारा काभ ढारना, औय ढारना सफको भददया का पमारा, जानत परिम, ऩछ मदद कोई कह दना दीवानो की धभण फताना पमारो की र भारा जऩना भधशारा।।८५। ऻात हआ मभ आन को ह र अऩनी कारी हारा, ऩॊल डत अऩनी ऩोथी बरा, साध बर गमा भारा, औय ऩजायी बरा ऩजा, ऻान सबी ऻानी बरा, फकनदत न बरा भयकय क बी ऩीनवारा भधशारा।।८६। मभ र चरता ह भझको तो, चरन द रकय हारा, चरन द साकी को भय साथ लरए कय भ पमारा, सवगण, नयक मा जहाॉ कहीॊ बी तया जी हो रकय चर, ठौय सबी ह एक तयह क साथ यह मदद भधशारा।।८७। ऩाऩ अगय ऩीना, सभदोषी तो तीनो - साकी फारा, ननतम परऩरानवारा पमारा, ऩी जानवारी हारा, साथ इनदह बी र चर भय नदमाम मही फतराता ह,

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कद जहाॉ भ हॉ, की जाए कद वहीॊ ऩय भधशारा।।८८। शाॊत सकी हो अफ तक, साकी, ऩीकय फकस उय की जवारा, 'औय, औय' की यटन रगाता जाता हय ऩीनवारा, फकतनी इचछाएॉ हय जानवारा छोड महाॉ जाता! फकतन अयभानो की फनकय कबर खडी ह भधशारा।।८९। जो हारा भ चाह यहा था, वह न लभरी भझको हारा, जो पमारा भ भाॉग यहा था, वह न लभरा भझको पमारा, लजस साकी क ऩीछ भ था दीवाना, न लभरा साकी, लजसक ऩीछ था भ ऩागर, हा न लभरी वह भधशारा!।९०। दख यहा हॉ अऩन आग कफ स भाणणक-सी हारा, दख यहा हॉ अऩन आग कफ स कॊ चन का पमारा, 'फस अफ ऩामा!'- कह-कह कफ स दौड यहा इसक ऩीछ, फकॊ त यही ह दय कषनतज-सी भझस भयी भधशारा।।९१। कबी ननयाशा का तभ नघयता, नछऩ जाता भध का पमारा, नछऩ जाती भददया की आबा, नछऩ जाती साकीफारा, कबी उजारा आशा कयक पमारा फपय चभका जाती, आॉणखभचौरी खर यही ह भझस भयी भधशारा।।९२। 'आ आग' कहकय कय ऩीछ कय रती साकीफारा, होठ रगान को कहकय हय फाय हटा रती पमारा, नहीॊ भझ भारभ कहाॉ तक मह भझको र जाएगी, फढा फढाकय भझको आग, ऩीछ हटती भधशारा।।९३। हाथो भ आन-आन भ, हाम, फपसर जाता पमारा, अधयो ऩय आन-आन भ हाम, ढरक जाती हारा, दननमावारो, आकय भयी फकसभत की खफी दखो, यह-यह जाती ह फस भझको लभरत-ल भरत भधशारा।।९४।

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िापम नही ह तो, हो जाती रपत नहीॊ फपय कमो हारा, िापम नही ह तो, हो जाता रपत नहीॊ फपय कमो पमारा, दय न इतनी दहमभत हारॉ , ऩास न इतनी ऩा जाऊॉ , वमथण भझ दौडाती भर भ भगजर फनकय भधशारा।।९५। लभर न, ऩय, ररचा ररचा कमो आकर कयती ह हारा, लभर न, ऩय, तयसा तयसाकय कमो तडऩाता ह पमारा, हाम, ननमनत की परवषभ रखनी भसतक ऩय मह खोद गई 'दय यहगी भध की धाया, ऩास यहगी भधशारा!'।९६। भददयारम भ कफ स फठा, ऩी न सका अफ तक हारा, मतन सदहत बयता हॉ, कोई फकॊ त उरट दता पमारा, भानव-फर क आग ननफणर बागम, सना परवदमारम भ, 'बागम िफर, भानव ननफणर' का ऩाठ ऩढाती भधशारा।।९७। फकसभत भ था खारी खपऩय, खोज यहा था भ पमारा, ढॉढ यहा था भ भगनमनी, फकसभत भ थी भगछारा, फकसन अऩना बागम सभझन भ भझसा धोखा खामा, फकसभत भ था अवघट भयघट, ढॉढ यहा था भधशारा।।९८। उस पमार स पमाय भझ जो दय हथरी स पमारा, उस हारा स चाव भझ जो दय अधय स ह हारा, पमाय नहीॊ ऩा जान भ ह, ऩान क अयभानो भ! ऩा जाता तफ, हाम, न इतनी पमायी रगती भधशारा।।९९। साकी क ऩास ह नतनक सी शरी, सख, सॊपरऩत की हारा, सफ जग ह ऩीन को आतय र र फकसभत का पमारा, यर ठर कछ आग फढत, फहतय दफकय भयत, जीवन का सॊघषण नहीॊ ह, बीड बयी ह भधशारा।।१००।

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साकी, जफ ह ऩास तमहाय इतनी थोडी सी हारा, कमो ऩीन की अलबरषा स, कयत सफको भतवारा, हभ परऩस परऩसकय भयत ह, तभ नछऩ नछऩकय भसकात हो, हाम, हभायी ऩीडा स ह करीडा कयती भधशारा।।१०१। साकी, भय खऩकय मदद कोई आग कय ऩामा पमारा, ऩी ऩामा कवर दो फॊदो स न अथधक तयी हारा, जीवन बय का, हाम, परऩयशरभ रट लरमा दो फॊदो न, बोर भानव को ठगन क हत फनी ह भधशारा।।१०२। लजसन भझको पमासा यकखा फनी यह वह बी हारा, लजसन जीवन बय दौडामा फना यह वह बी पमारा, भतवारो की लजहवा स ह कबी ननकरत शाऩ नहीॊ, दखी फनाम लजसन भझको सखी यह वह भधशारा!।१०३। नहीॊ चाहता, आग फढकय छीनॉ औयो की हारा, नहीॊ चाहता, धकक दकय, छीनॉ औयो का पमारा, साकी, भयी ओय न दखो भझको नतनक भरार नहीॊ, इतना ही कमा कभ आॉखो स दख यहा हॉ भधशारा।।१०४। भद, भददया, भध, हारा सन-सन कय ही जफ हॉ भतवारा, कमा गनत होगी अधयो क जफ नीच आएगा पमारा, साकी, भय ऩास न आना भ ऩागर हो जाऊॉ गा, पमासा ही भ भसत, भफायक हो तभको ही भधशारा।।१०५। कमा भझको आवशमकता ह साकी स भाॉगॉ हारा, कमा भझको आवशमकता ह साकी स चाहॉ पमारा, ऩीकय भददया भसत हआ तो पमाय फकमा कमा भददया स! भ तो ऩागर हो उठता हॉ सन रता मदद भधशारा।।१०६। दन को जो भझ कहा था द न सकी भझको हारा,

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दन को जो भझ कहा था द न सका भझको पमारा, सभझ भनज की दफणरता भ कहा नहीॊ कछ बी कयता, फकनदत सवमॊ ही दख भझ अफ शयभा जाती भधशारा।।१०७। एक सभम सॊतषट फहत था ऩा भ थोडी-सी हारा, बोरा-सा था भया साकी, छोटा-सा भया पमारा, छोट-स इस जग की भय सवगण फराएॉ रता था, परवसतत जग भ, हाम, गई खो भयी ननदही भधशारा!।१०८। फहतय भददयारम दख, फहतयी दखी हारा, बाॉल त बाॉल त का आमा भय हाथो भ भध का पमारा, एक एक स फढकय, सनददय साकी न सतकाय फकमा, जॉची न आॉखो भ, ऩय, कोई ऩहरी जसी भधशारा।।१०९। एक सभम छरका कयती थी भय अधयो ऩय हारा, एक सभम झभा कयता था भय हाथो ऩय पमारा, एक सभम ऩीनवार, साकी आलरॊगन कयत थ, आज फनी हॉ ननजणन भयघट, एक सभम थी भधशारा।।११०। जरा हदम की बटटी खीॊची भन आॉस की हारा, छरछर छरका कयता इसस ऩर ऩर ऩरको का पमारा, आॉख आज फनी ह साकी, गार गराफी ऩी होत, कहो न परवयही भझको, भ हॉ चरती फपयती भधशारा!।१११। फकतनी जलदी यॊग फदरती ह अऩना चॊचर हारा, फकतनी जलदी नघसन रगता हाथो भ आकय पमारा, फकतनी जलदी साकी का आकषणण घटन रगता ह, िात नहीॊ थी वसी, जसी यात रगी थी भधशारा।।११२। फॉद फॉद क हत कबी तझको तयसाएगी हारा, कबी हाथ स नछन जाएगा तया मह भादक पमारा,

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ऩीनवार, साकी की भीठी फातो भ भत आना, भय बी गण मो ही गाती एक ददवस थी भधशारा।।११३। छोडा भन ऩथ भतो को तफ कहरामा भतवारा, चरी सया भया ऩग धोन तोडा जफ भन पमारा, अफ भानी भधशारा भय ऩीछ ऩीछ फपयती ह, कमा कायण? अफ छोड ददमा ह भन जाना भधशारा।।११४। मह न सभझना, परऩमा हराहर भन, जफ न लभरी हारा, तफ भन खपऩय अऩनामा र सकता था जफ पमारा, जर हदम को औय जराना सझा, भन भयघट को अऩनामा जफ इन चयणो भ रोट यही थी भधशारा।।११५। फकतनी आई औय गई ऩी इस भददयारम भ हारा, टट चकी अफ तक फकतन ही भादक पमारो की भारा, फकतन साकी अऩना अऩना काभ खतभ कय दय गए, फकतन ऩीनवार आए, फकनदत वही ह भधशारा।।११६। फकतन होठो को यकखगी माद बरा भादक हारा, फकतन हाथो को यकखगा माद बरा ऩागर पमारा, फकतनी शकरो को यकखगा माद बरा बोरा साकी, फकतन ऩीनवारो भ ह एक अकरी भधशारा।।११७। दय दय घभ यहा था जफ भ थचलराता - हारा! हारा! भझ न लभरता था भददयारम, भझ न लभरता था पमारा, लभरन हआ, ऩय नहीॊ लभरनसख लरखा हआ था फकसभत भ, भ अफ जभकय फठ गमा हॉ , घभ यही ह भधशारा।।११८। भ भददयारम क अॊदय हॉ, भय हाथो भ पमारा, पमार भ भददयारम बफॊल फत कयनवारी ह हारा,

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इस उधड-फन भ ही भया साया जीवन फीत गमा - भ भधशारा क अॊदय मा भय अॊदय भधशारा!।११९। फकस नहीॊ ऩीन स नाता, फकस नहीॊ बाता पमारा, इस जगती क भददयारम भ तयह-तयह की ह हारा, अऩनी-अऩनी इचछा क अनसाय सबी ऩी भदभात, एक सबी का भादक साकी, एक सबी की भधशारा।।१२०। वह हारा, कय शाॊत सक जो भय अॊतय की जवारा, लजसभ भ बफॊल फत-िनतफॊल फत िनतऩर, वह भया पमारा, भधशारा वह नहीॊ जहाॉ ऩय भददया फची जाती ह, बट जहाॉ भसती की लभरती भयी तो वह भधशारा।।१२१। भतवाराऩन हारा स र भन तज दी ह हारा, ऩागरऩन रकय पमार स, भन तमाग ददमा पमारा, साकी स लभर, साकी भ लभर अऩनाऩन भ बर गमा, लभर भधशारा की भधता भ बर गमा भ भधशारा।।१२२। भददयारम क दवाय ठोकता फकसभत का छॊछा पमारा, गहयी, ठॊडी साॊस बय बय कहता था हय भतवारा, फकतनी थोडी सी मौवन की हारा, हा, भ ऩी ऩामा! फॊद हो गई फकतनी जलदी भयी जीवन भधशारा।।१२३। कहाॉ गमा वह सवथगणक साकी, कहाॉ गमी सरयबत हारा, कहॉ ा गमा सवपरऩनर भददयारम, कहाॉ गमा सवणणणभ पमारा! ऩीनवारो न भददया का भलम, हाम, कफ ऩहचाना? पट चका जफ भध का पमारा, टट चकी जफ भधशारा।।१२४। अऩन मग भ सफको अनऩभ ऻात हई अऩनी हारा, अऩन मग भ सफको अदबत ऻात हआ अऩना पमारा,

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फपय बी वदधो स जफ ऩछा एक मही उऻलतऌाय ऩामा - अफ न यह व ऩीनवार, अफ न यही वह भधशारा!।१२५। 'भम' को कयक शदध ददमा अफ नाभ गमा उसको, 'हारा' 'भीना' को 'भधऩातर' ददमा 'सागय' को नाभ गमा 'पमारा', कमो न भौरवी चौक , बफचक नतरक-बतरऩॊडी ऩॊल डत जी 'भम-भदहपर' अफ अऩना री ह भन कयक 'भधशारा'।।१२६। फकतन भभण जता जाती ह फाय-फाय आकय हारा, फकतन बद फता जाता ह फाय-फाय आकय पमारा, फकतन अथो को सॊकतो स फतरा जाता साकी, फपय बी ऩीनवारो को ह एक ऩहरी भधशारा।।१२७। लजतनी ददर की गहयाई हो उतना गहया ह पमारा, लजतनी भन की भादकता हो उतनी भादक ह हारा, लजतनी उय की बावकता हो उतना सनददय साकी ह, लजतना ही जो रयसक, उस ह उतनी यसभम भधशारा।।१२८। लजन अधयो को छए, फना द भसत उनदह भयी हारा, लजस कय को छ द, कय द परवकषपत उस भया पमारा, आॉख चाय हो लजसकी भय साकी स दीवाना हो, ऩागर फनकय नाच वह जो आए भयी भधशारा।।१२९। हय लजहवा ऩय दखी जाएगी भयी भादक हारा हय कय भ दखा जाएगा भय साकी का पमारा हय घय भ चचाण अफ होगी भय भधपरवकरता की हय आॊगन भ गभक उठगी भयी सरयबत भधशारा।।१३०। भयी हारा भ सफन ऩाई अऩनी-अऩनी हारा, भय पमार भ सफन ऩामा अऩना-अऩना पमारा,

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भय साकी भ सफन अऩना पमाया साकी दखा, लजसकी जसी रल च थी उसन वसी दखी भधशारा।।१३१। मह भददयारम क आॉस ह, नहीॊ-नहीॊ भादक हारा, मह भददयारम की आॉख ह, नहीॊ-नहीॊ भध का पमारा, फकसी सभम की सखदसभनत ह साकी फनकय नाच यही, नहीॊ-नहीॊ फकव का हदमाॊगण, मह परवयहाकर भधशारा।।१३२। कचर हसयत फकतनी अऩनी, हाम, फना ऩामा हारा, फकतन अयभानो को कयक खाक फना ऩामा पमारा! ऩी ऩीनवार चर दग, हाम, न कोई जानगा, फकतन भन क भहर ढह तफ खडी हई मह भधशारा!।१३३। परवशव तमहाय परवषभम जीवन भ रा ऩाएगी हारा मदद थोडी-सी बी मह भयी भदभाती साकीफारा, शनदम तमहायी घडडमाॉ कछ बी मदद मह गॊलजत कय ऩाई, जनदभ सपर सभझगी जग भ अऩना भयी भधशारा।।१३४। फड-फड नाजो स भन ऩारी ह साकीफारा, फकरत कलऩना का ही इसन सदा उठामा ह पमारा, भान-दरायो स ही यखना इस भयी सकभायी को, परवशव, तमहाय हाथो भ अफ सौऩ यहा हॉ भधशारा।।१३५। परऩरयशषट स सवमॊ नहीॊ ऩीता, औयो को, फकनदत परऩरा दता हारा, सवमॊ नहीॊ छता, औयो को, ऩय ऩकडा दता पमारा, ऩय उऩदश कशर फहतयो स भन मह सीखा ह, सवमॊ नहीॊ जाता, औयो को ऩहॊचा दता भधशारा।

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भ कामसथ करोदबव भय ऩयखो न इतना ढारा, भय तन क रोह भ ह ऩचहऻलतऌाय िनतशत हारा, ऩशतनी अथधकाय भझ ह भददयारम क आॉगन ऩय, भय दादो ऩयदादो क हाथ बफकी थी भधशारा। फहतो क लसय चाय ददनो तक चढकय उतय गई हारा, फहतो क हाथो भ दो ददन छरक झरक यीता पमारा, ऩय फढती तासीय सया की साथ सभम क, इसस ही औय ऩयानी होकय भयी औय नशीरी भधशारा। परऩतर ऩ भ ऩतर उठाना अधमण न कय भ, ऩय पमारा फठ कहीॊ ऩय जाना, गॊगा सागय भ बयकय हारा फकसी जगह की लभटटी बीग, तलपत भझ लभर जाएगी तऩणण अऩणण कयना भझको, ऩढ ऩढ कय क भधशारा।

- बचचन