islam ahmadiyya - सिर्रुलस़िलाफ़त · 2020. 1. 12. ·...

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  • सिर्रुलस़िलाफ़त

    लेखकहज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी

    िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्ि

    I

  • न्ि पुसतक : मसर्रुलम़िल्फ़तName of book : Siruul-Khilafat

    लेखक : हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी िसीह िौऊद अलैमहससल्िWriter : Hazrat Mirza Ghulam Ahmad Qadiani

    Masih Mau'ud Alaihissalam

    अनवु्दक : ड् अनस्र अहिद पी.एच.डी, पीजीडीटी, आनसज़ा इन अरमिकTranslator : Dr Ansar Ahmad, Ph.D, PGDT Hons in Arabic ट्इमपंग, सैमटंग : न्मदय् परवेज़्Typing Setting : Nadiya Pervezaसंसकरण तथ् वरज़ा : प्रथि संसकरण (महनदी) अकटटूिर 2018 ई०Edition. Year : 1st Edition (Hindi) October 2018संखय्, Quantity : 1000प्रक्शक : नज़्रत नश्र-व-इश्अत, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at,

    Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)

    िुद्रक : फ़ज़ले उिर मप्रंमटंग प्रेस, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर, (पंज्ि)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press,

    Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • प्रकाशक की ओर िे हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद स्महि क़्मदय्नी िसीह िौऊद व िहदी

    ि्'हूद अलैमहससल्ि द््र् मलमखत पुसतक क् यह महनदी अनुव्द श्री डॉ० अनस्र अहिद ने मकय् है और ततपश््त िुकररुि शे़ि िुज्महद अहिद श्सत्ी (सदर ररवययू किेटी), िुकररुि फ़रहत अहिद आच्यज़ा (इंच्जज़ा महनदी डेसक), िुकररुि अली हसन एि. ए. िुकररुि नसीर्ल हक़ आच्यज़ा, िुकररुि इबनुल िेहदी एम् ए और िुकररुि िुमहयुद्ीन फ़रीद एम् ए ने इसकी प्रयूफ़ रीमडंग और ररवययू आमद मकय् है। अल््ह तआल् इन सि को उत्ति प्रमतफल प्रद्न करे।

    इस पुसतक को हज़रत ़िलीफ़तुल िसीह ़ि्मिस अययदहुल््हु तआल् मिनमरिमहल अज़ीज़ (जि्अत अहिमदय् के वतज़ाि्न ़िलीफ़्) की अनुिमत से महनदी प्रथि संसकरण के रूप िें प्रक्मशत मकय् ज् रह् है। मवनीत ह्मफ़ज़ ि़िदयूि शरीफ़ न्मज़र नश्र व इश्अत क़्मदय्न

    III

  • सिस्मिल्ासिररुिमिासिररुिीमिनहिदुहू व नुसल्ी अल् रसयूमलमहलकरीि

    व अल् अबबदमहल िसीमहल िौऊद

    प्राककथिनज़्रत इश्अत रबव्ह को जि्अत के लोगों की सेव् िें सबययमदन् हज़रत

    िसीह िौऊद अलैमहससल्त वससल्ि की िहुचमचज़ात पुसतक “मसर्रुलम़िल्फ़त” उदयूज़ा अनुव्द के स्थ प्रसतुत करने क् सौभ्गय प्र्प्त हो रह् है।

    َعِزیْز ْ َوَما تَْو ِفْیُقَنا ِاّلَ ِباہلِل ال

    हज़रत अक़दस की पुसतक “मसर्लम़िल्फ़त” की अरिी ियूल इि्रत क् अनुव्द आदरणीय िौल्न् िुहमिद सईद स्महि अनस्री िुरबिी मसलमसल् ने मकय् थ्। अरमिक िोडरु रबव्ह ने इस अनुव्द पर पुनः मवच्र मकय् मजस के ि्द अहि्व-ए-जि्अत के ल्भ तथ् महत के मलए प्रसतुत मकय् ज् रह् है।

    हकि-व-अदल हज़रत िसीह िौऊद-व-िहदी ि्हूद अलैमहससल्ि ने अपनी पुसतक “मसर्लम़िल्फ़त” जो मक सरस एवं सुिोध अरिी भ्र् िें है 1894 ई. िें मलखी और रूह्नी ़िज़्यन मजलद 8 िें समिमलत है। अहले सुन्नत और अहले तशीअ (मशय्) के िधय मवव्द क् क्रण म़िल्फ़त-ए-र्मशद् के ि्रे िें हुज़ूर अलैमहससल्ि ने इस पुसतक िें स्रगमभज़ात िहस की है। आपने ठोस तककों द््र् मसद्ध मकय् है मक च्रों ख़ुलफ़्-ए-र्मशदीन सच पर थे तथ्मप हज़रत अियू िक्ररमज़॰ सिसत आदरणीय सह्ि् से ऊंची श्न रखते थे और आप इसल्ि के मलए आदिे स्नी थे और व्सतमवक अथकों िें आप आयत इसतखल्फ के प्त् थे तथ् शेर आदरणीय सह्ि्रमज़॰ की खयूमियों क् भी आप ने वणज़ान मकय् है। हज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्ि ने अपनी इस पुसतक िें िहदी के प्रकटन की आसथ् क् वणज़ान करके अपने िहदी होने के द्वे पर मवसत्रपयूवज़ाक िहस की

    IV

  • है। अतः म़िल्फ़त के िसअले पर यह एक िहुियूलय पुसतक है। इस पुसतक क् एक भ्ग अरिी भ्र् िें है। अरिी भ्ग की ियूल

    इि्रत और उसके स्िने उदयूज़ा अनुव्द दजज़ा है तथ् प्ठकों की सुमवध् के मलए “मसर्रुलम़िल्फ़त” क् उदयूज़ा भ्ग भी प्रक्शन िें समिमलत है।

    अरिी भ्ग के अनुव्द के मसलमसले िें अरमिक िोडरु ने िडी िेहनत से क्ि मकय् है। अल््ह तआल् उनको उत्ति प्रमतफल दे। िोडरु के सदसयों के न्ि मनमनमलमखत हैः-

    िुकररुि मिज़्ज़ा िुहमिद दीन न्ज़ स्महि िुकररुि िौल्न् िुिब्शर अहिद क्हलों स्महि िुकररुि ह्मफ़ज़ िुज़फ़फ़र अहिद स्महि िुकररुि िुनीर अहिद स्महि मिबसिल स्महि िुकररुि रफ़ीक अहिद न्मसर स्महि िुकररुि नवीद अहिद सईद स्महि िुकररुि अबदुररुज़ज़्क फ़र्ज़ स्महि िुकररुि र्न् नययर अहिद स्महि िुकररुि फ़हीि अहिद ़ि्मलद स्महि िुकररुि िुहमिद ययूसुफ़ श्महद स्महि सेक्रेटरी अरमिक िोडरु इस अनुव्द की कमपोमज़ंग और सैमटंग िुकररुि िुदबससर अहिद स्महि

    श्महद िुरबिी मसलमसल् ने की है जिमक प्रयूफ़ रीमडंग क् क्ि िुकररुि िुहमिद ययूसुफ़ स्महि श्महद िुरबिी मसलमसल् ने मकय् है और िुकररुि मिज़्ज़ा िुहमिद दीन स्महि न्ज़ सदर अरमिक िोडरु ने फ़्यनल प्रयूफ़ चैक मकय्। अल््ह तआल् पुसतक की तैय्री िें सहयोग करने व्ले सि सहयोमगयों को अच्् प्रमतफ़ल प्रद्न करे। आिीन

    ़ि्मलद िसऊद न्मज़र इश्अत सदर अंजुिन अहिमदय् रबव्ह

    V

  • 1 सिर्रुलस़िलाफ़त

    بطّیبات عتبتک نحُضر والفکر، والعقل اإلیمان َُمعطی یا

    والتقدیس التمجید بتحیات حضرتک ونُداین والشکر، الحمد الطرب یف إلیک ونسعی الطلب، بقصوی وجہک ونطلب واذلکر، یف نٔاخذ وال بک ونؤمن االٔین، نشکو وال إلیک نحفد والکرب۔ ٔاحزانا ومستبطننی االٔسباب، من منقطعنی وجئناک ؤاین۔ کیف الصواب وطرق الَمعنی الماء عن والغافلنی السراب، عیل للقاعدین

    बिस्मिल्लाबिर्रिमिलाबिर्रिीमि

    बिर््रलब़िललाफ़त(ख़िलाफ़त का रहस्य)

    हे ईमान, बुखधि और सोच-खिचार प्रदान करने िाले! हम प्रशंसा एिं कृतज्ञता के पखित्र िाक्यों के साथ तेरी चौखट पर उपससथत होते हैं और तेरे ्यशोगान, पखित्रता तथा तेरे समरण के उपहार लेकर तेरे दरबार के खनकट आते हैं और बहुत ही इच्ापूि्वक तेरी प्रसन्नता के अखिलाषी हैं। प्रसन्नता और बेचैनी में तेरी ओर दौड़ते हैं और लपकते हुए आते हैं और खकसी थकान की खशका्यत नहीं करते। हम तुझ पर ईमान लाते हैं और खकसी बहस में नहीं पड़ते तथा उन लोगों के खलए जो मृग-तृषणा (सराब) पर जमे बैठे हैं और जारी पानी और सनमागगों से लापरिाह हैं।

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 2

    ویرفضـــون الریـــق، یبلعـــون اذلیـــن ، والمســـتکربین الـــکٔاس واإلبریـــق، ویُعـــادون الصادقـــنی۔ یرتکـــون الحقائـــق َجہـــام، ٔاو کُمْخِلفـــۃ إال ظنونـــم کانـــت ومـــا الٔوہـــام، ــرون ــلنی، وال ینظـ ــارف إال متکاسـ المعـ ــل ــون ٔاہـ وال یجیئـــایج المفـ ــاء ــم کالبـ ــم ٔاوہامـ ــنی۔ وہجَمْتـ ــق إاّل العبـ الحـالـــوایج، فســـقطوا العقـــل کالظلـــف اللیـــل ادلایج، فصـــار یف عـــیل ٔانفســـم ُمکّبـــنی۔ والتحصـــم تعّصُبـــم إیل اإلنـــکار، وا ـــأ ـــرار۔ وامت ـــر کالف ـــوا ادلب ـــنی، وولّ ـــیل الواعظ ـــفوا ع ؤاسحشـــنۃ وحقـــًدا، ونقضـــوا عہـــًدا وعقـــًدا، وطفقـــوا یســـّبون بإثـــاوۃ، ّکِـــَب ُر ۃُ غبـــاوۃ، الناصحـــنی۔ ومـــا کان فیـــم إال مـــاّد

    और उन अहंकारर्यों के खलए जो (माररफ़त) के प्याले और सुराही को ठुकरा कर थूक खनगल रहे हैं और सत्यखनष्ों से दुशमनी करते हैं हम समसत सामान को अलग करते हुए और उनके शोक अपने पेटों में पालते हुए तेरे दरबार में उपससथत होते हैं। िे भ्रमों की िासतखिकताएं ्ोड़ देते हैं। उनके भ्रम केिल उस बादल के समान हैं खजसमें पानी नहीं होता। िे लोग माररफ़त के पास आलसी लोगों की िांखत आते हैं और सच को केिल खखलंडरों जैसी दृसटि से देखते हैं। उनके भ्रमों ने उन पर ऐसा प्रहार खक्या है जैसे खकसी घोर अंधेरी रात में कोई अचानक खिपखति आ जाए, खजसके पररणामसिरूप (उनकी) बुखधि ऐसी हो ग्यी है जैसे खकसी जानिर का घा्यल खघसा हुआ पैर। इसी कारण िे अपने मुंह के बल खगरे हुए हैं। उनके दे्ष से उनहें इनकार पर खििश खक्या और उनहोंने नसीहत करने िालों पर शोक और क्ोध को अखिव्यक्त खक्या, पला्यन का माग्व अपनाने िालों के समान पीठ फेरी, िे द्ेष और िैर से िर गए और उनहोंने प्रखतज्ञा एिं िादे तोड़ खदए और अपने शुिखचनतकों को गाखल्यां देने लगे, उनमें मंद बुखधि के तति के अखतररक्त खजसमें चुगली करने की खमलािट है और कु् िी नहीं।

  • 3 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ــَفا تُْربَـــم ریـــُح شـــقاوۃ، فـــٔاداروا ریح الفتـــن مـــن عـــداوۃ، وسـفبعـــدوا عـــن حـــق وحـــاوۃ، وجلَـــوا عـــن ٔاوطـــان الصـــدق تائہـــنی۔ کثـــرت الفتـــن مـــن حـــؤول طبائعـــم، وُخـــدع النـــاؔس ـــْر ـــم، وطّہِ ـــْح حال ـــد ؤاصِل ـــۃ محم ـــم ٔاُّم ـــم۔ رّبِ فارح ـــن اختداع مـــک ـــک وحبیب ـــیل نبّی ـــاِرک ع ـــّلم وب ـــّل وس ـــم، وص بَلبال

    ْـــم ؤاَِزل بال

    الطیبـــنی وآہل المرســـلنی، وخـــر النبیـــنی، خاتـــم محمـــد الطاہریـــن، ؤاصحابـــہ عمائـــد المـــّۃ وادلیـــن، وعـــیل جمیـــع

    عبـــادک الصالحـــنی۔ آمـــنی۔ــاٌم ــام ٔایـ ــذہ االٔیـ ــن، ٔان ہـ ــا االٔخ الفطـ ــم ٔایہـ ــد فاعلـ ــا بعـ ٔامـ ـــہ ـــرم فی ـــۃ، وتضط ـــۃ المنتن ـــودّلُ ادلود یف الجیف ـــن کت ـــہ الفت ـــودل فی تت

    तो उनहोंने दुशमनी के कारण उपद्रिों की चककी चलाई और दुिा्वग्य की आंधी ने उनकी धूल उड़ा दी, खजसके कारण िे सच और (उसकी) खमठास से दूर हो गए और परेशानी की अिसथा में सच्ाई के देशों से खनिा्वखसत खकए गए। उनके सििािों के बदल जाने से उपद्रिों की िरमार हो गई और उनकी धोखेबाजी के कारण लोग धोखा खा गए। हे प्रखतपालक! उममते मुहममखद्या पर रहम कर और उनकी हालत ठीक कर दे, उनके खदल पखित्र कर दे, उनकी बेचैनी को दूर कर दे और अपने नबी तथा अपने हबीब खातमुन्नखबय्यीन और ़िैरुल मुस्वलीन मुहममद सल्लल्लाहु अलैखह िसल्लम पर दरूद और सलाम िेज तथा उन पर बरकतें उतार और उन की पखित्र एिं शुधि सनतान और अपने सहाबारखज॰ पर जो खमल्लत और मज़हब (धम्व) के सतंि है और इसी प्रकार अपने समसत नेक बनदों पर दरूद, सलाम और बरकतें उतार। आमीन।

    ततपश्ात हे बुखधिमान िाई! जान ले खक ्यह िह ्युग है खजसमें खफ़तने (उपद्रि) बदबूदार मुदा्वर में कीड़ों के जनम लेने की िांखत पैदा हो रहे हैं, और इस (्युग) में इच्ाएं सूखी लकखड़्यों में आग के िड़कने की तरह िड़क रही हैं। मैं इस ्युग के चक्िातों तथा इस सम्य की अत्यनत तीव्र हिाओं के कारण

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 4

    ـــام ـــۃ۔ ؤاری اإلس ـــب الیابس ـــن الُخُش ـــران م ـــرام الن ـــواء کاضط االٔہیف خطـــرات مـــن إعصـــار ہـــذا الزمـــان، وصراصـــر ہـــذا االٔوان۔ قـــد انقلـــب الزمـــن واشـــتدت الفتـــن، وازوّرت ُمْقلتـــا الکاذبـــنی مغضبـــنی عـــیل الصادقـــنی، واحمـــّرت وجنتـــا الطالحـــنی عـــیل ـــل ـــإن ٔاہ ـــہ، ف ـــق ؤاہ ـــداوۃ الح ـــم إال لع ـــا کان تعبُّس ـــنی۔ وم الصالحـــیل ـــرب ع ـــہ، وال یص ـــن َوْح ـــق ِم ـــی الخل ـــؤوَن ویُن ـــح الخ ـــق یفض الحـــیل ـــول ع ـــورہ، ویص ـــن ف ـــہ م ـــرد علی ـــل ی ـــوِرہ، ب ـــم وج ـــات الظال کلمـــک ـــنی۔ وکٰذل ـــرِت المدلّس ـــِک س ـــٍب، وہت ـــیِف َمعی ـــب لتکش کل مریکنـــُت ممـــن ٔاســـلَمْتم محّبـــُۃ الحـــق إیل طعـــن المعادیـــن، وانجـــّرَ

    ٔامرہـــم مـــن حمایـــۃ الصـــدق إیل تکفـــر المکفریـــن۔بکـــوین وبّشـــرین ٔامـــرین إذا الّلٰ ٔان ٰذلـــک وتفصیـــل مـــۃ،

    ُاالٔ لہـــذہ الموعـــود والمســـیَح المائـــۃ، ہـــذہ مجـــّددَ

    इसलाम को खतरों में (खघरा हुआ) देखता हं। सम्य बदल ग्या; खफ़तनों न ेजोर पकड़ खल्या ईमानदारों पर प्रकोप के जोश स े झठूों की आखंें टेढी हो गईं और नके लोगों पर अिागे लोगों के गाल लाल हो गए, उस क्ोध स ेउनके माथ े पर बल पड़ना केिल सच और सच् ेलोगों से शत्रतुा के कारण है। इसखलए खक सच्ा आदमी बईेमान के दोषों पर स े पदा्व हटाता है और लोगों को उसके उस दलदल स ेबचाता है और िह अत्याचारी की बातों तथा उसके अत्याचार एिं अन्या्य को सहन नहीं करता बस्क उस ेतुरनत उतिर दतेा है और प्रत्यके सनदहे में डालन ेिाले पर उसके दोष प्रकट करन ेऔर पाखखंड्यों का पदा्व चाक (फ़ाड़ना) करने के खलए आक्मण करता है। इसी प्रकार मैं िी उन में स े हं खजनहें सच के प्रमे न ेशत्रओुं की ित्सना के सपुदु्व कर खद्या, खजन का मामला सच्ाई की सहा्यता के कारण काखफ़र कहन ेिालों की कुफ़्रबाजी तक जा पहंुचा है।

    खििरण इस का ्यह है खक जब अल्लाह ने मुझे मामूर खक्या और इस सदी के मुजसदिद तथा इस उममत के खलए मसीह मौऊद होने की मुझे ख़ुश़िबरी दी

  • 5 सिर्रुलस़िलाफ़त

    غضبـــا فغضبـــوا الواقعـــۃ، ہـــذہ عـــن المســـلمنی ؤاخـــربُت ــّذاب ــوا کـ ــۃ، وقالـ ــن العجـ ــا مـ ــاء وا ظًنـ ــۃ، وسـ ــدیدا کالجَہـ شـ

    ومـــن المفرتیـــن۔ وکلمـــا جئُتـــم بثمـــار مـــن طیبـــات الَکِلـــم، ٔاعرضـــوا إعـــراض البَِشـــم، حـــی غلظـــوا یل یف الـــکام، ولســـعوین ــرارا، ــغ مـ ــق التبلیـ ــت حـ ــم وبّلغـ ــت لـ ــام۔ ونصحـ ــۃ المـ بُحَمــــی ـــحُب نصاح ـــزل س ـــم ت ـــراًرا، فل ـــم إس ـــررت ل ـــم ؤاس ـــُت ل ؤاعلن ، م للئـــا تبـــدو کالَجہـــام، ونخـــُب مواعظـــی تزیـــد شـــقوۃ ااعتـــداًئ وجفـــاًئ، وطبـــع الّلٰ عـــیٰل قلوبـــم فاشـــتدوا ا و د ا ز حـــی ین ـــو ب کّذ ـــوین و ـــن۔ ولعن ـــم مصّری ـــیل ٔاقوال ـــوا ع ـــاء ًۃ وداء ً، وکان دنین وافـــرتوا مـــن عنـــد ٔانفســـم ٔاشـــیاء ، ففعـــل الّلٰ مـــا و کّفـــر وـــل ـــردین کل رج ـــنی۔ وط ـــوا کاذب ـــم کان ـــنی ٔان ـــاء ، ؤاَری المکّذب ش

    और मैंने मुसलमानों को इसकी सूचना दी तो िे मूखगों के समान अत्यनत प्रकोपी हुए और ज्दबाजी के कारण कुधारणा की तथा कहने लगे खक ्यह महा झूठा है। और झठू गढने िालों में स ेहै और जब िी मैं उनके पास पखित्र बातों के फल लकेर आ्या तो उनहोंने इस प्रकार मुहं फेर खल्या खजस प्रकार अपाचकता (बदहजमी) का रोगी (िोजन स)े मुहं मोड़ लतेा है। ्यहा ं तक खक उनहोंन ेमझु स ेकडे़ शबदों में बात की (गाखल्या ंदीं) तथा ितस्वना के डंक से मझु ेघा्यल खक्या। मैंन ेउनकी िलाई की और मैंन े उनहें प्रत्यक्ष तौर पर तबलीग़ (धम्व का सनदेश पहंुचा्या) के पशचात् गपु्त तौर िी तबलीग़ की और कई बार तबलीग़ का कति्वव्य परूा खक्या परनत ुमरेी िलाई के बादल जल रखहत मघे के समान रहे और मरेी उतिम नसीहतें उन ित्सना करन े िालों को कठोरता में बढाती रहीं, ्यहा ं तक खक ि े अत्याचार एि ंअन्या्य में बहुत बढ गए और अल्लाह न ेउनके खदलों पर महुर लगा दी खफर ि ेकमीनगी और रोग में बढत ेगए तथा अपनी बातों पर अडे़ रहे और उनहोंने मझु पर लानत की, मझेु झठुला्या, काखफ़र ठहरा्या और बहुत सी बातें अपनी ओर से बना लीं। खफर अल्लाह ने िही कु् खक्या जो उसन ेचाहा! उसन ेझठुलान ेिालों

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 6

    َوْحـــداین، إال اذلی دعـــاین وہـــداین، فحفظـــی بلمحـــاِت ناظـــِرہ،المحفوظـــنی۔ مـــن وجعلـــی خاطـــرہ، بعنایـــات وربّـــاین وبینمـــا ٔانـــا ٔافـــّر مـــن ســـہام ٔاہـــل الُســـّنۃ، ؤاســـمع منـــم المکاتیـــب بعـــض وصلـــی إذ واللعنـــۃ، الطعـــن ٔانـــواع الفرقـــۃ تلـــک وعلمـــاء الشـــیعۃ ٔاعـــزۃ بعـــض مـــن وســـٔالوین عـــن ٔامـــر الخـــا فـــۃ، ؤامـــارات خاتـــم االٔئّمـــۃ، وکانـــوا مـــن طلبـــاء الحـــق واالہتـــداء بـــلؔ بعضـــم یظنـــون یب ظـــن االٔحّبـــاء ، ویتخذونـــی مـــن النصحـــاء ، ویذکرونـــی بخلـــوص ـــّرٍۃ ـــی وِح ـــوٍق ٔاَبْٰہ ـــب بش ـــوا المکاتی ـــی، فکتب ـــب ٔازک ـــی وقل ٔاصف بکتـــاب ٔاشـــٰفی، یشـــفینا ویروینـــا

    َْ َہـــل ُعظٰمـــی، وقالـــوا یَحّ

    ویہـــب لنـــا برہانـــا ٔاقـــوی۔ ثـــم ٔارســـلوا إیّل خطوطـــا تـــرتٰی،

    को खदखा खद्या खक ि ेझठेू हैं। हर व्यसक्त न ेमझु े खधककारा और मेरा पी्ा खक्या उस ख़ुदा तआला के अखतररक्त खजसन ेमझेु पकुारा और मरेा माग्व दश्वन खक्या खफर अपनी द्या-दृसटि स े मरेी रक्षा की। और अपनी व्यसक्तगत मेहरबाखन्यों से मुझे प्रखशक्षण खद्या और मुझे सुरखक्षत लोगों में से बना खद्या तथा ठीक उस सम्य जब मैं अहले सुन्नत के तीरों से बचने का प्र्यास कर रहा था और उनकी ओर से खिन्न-खिन्न प्रकार की ितस्वनाएं सुन रहा था खक कु् सममाननी्य खश्या लोग तथा इस खफ़कके के उलमा की ओर से मुझे कु् पत्र प्राप्त हुए, (खजन में) उनहोंने मुझ से ख़िलाफ़त के बारे में और ़िातमुलअइममा के लक्षणों के बारे में पू्ा था और िे सच्ाई और माग्वदश्वन के अखिलाषी थे। बस्क उनमें से कई लोग मेरे बारे में खमत्रों के समान सुधारणा रखते थे तथा मुझे अपना शिखचनतक समझते थे और अत्यनत शुधि खनषकपटता और पखित्र खदल के साथ मेरी चचा्व करते। तब उनहोंने अत्यखधक रुखच और बड़े प्रेम से मुझे पत्र खलखे और कहा खक शीघ्र कोई ऐसी आिश्यकतानुसार और रोग मुक्त करने िाली पुसतक खलखें जो हमें सिसथ करे तथा हमें तरोताजा करे और हमें सुदढ प्रमाण उपलबध करे। खफर उनहोंने मुझे

  • 7 सिर्रुलस़िलाफ़त

    حـــی وجـــدُت فیہـــا ریـــح کبـــٍد َحـــّرٰی، فتذکـــرُت قّصـــی االٔویل،ـــٰی، ـــّواین ریب االٔغ ـــی ق ـــرٰی، ح ـــر ٔاخ ـــا ؤاؤّخ م ِرج ـــّدِ ـــُت ٔاق وانثنیؤالٰقـــی یف روعـــی مـــا ٔالٰقـــی، فنہضـــُت لشـــہادۃ الحـــق االٔجـــیٰل، وال

    ٔاخـــاف إال الّلٰ االٔعـــیٰل، والّلٰ کاف لعبـــادہ المتوکلـــنی۔واعلـــم ٔان ٔاہـــل الُســـنۃ عـــادَوین یف َشـــْرخ شـــٔاین، والشـــیعۃ کّلمـــوین یف إقبـــال زمـــاین، وإین ســـمعُت مـــن االٔولـــنی کلمـــات کبـــرۃ، وسٔاســـمع مـــن اآلخریـــن ٔاکـــرب منہـــا، وســـٔاصرب إن شـــاء الّلٰ حـــی یٔاتیـــی نصـــر ریّب، ہـــو معـــی حیثمـــا کنـــُت؛ یـــراین ویرحمـــی وہـــو ٔارحـــم الراحمـــنی۔ ورٔایـــت ٔاکثـــر ٔاحـــزاب الشـــیعۃ ال یخافـــون عنـــد تطـــاُول االٔلســـنۃ وال یّتقـــون دیّـــان اآلخـــرۃ،

    खनरनतर इतने पत्र िेजे खक मैंने उन में (सच के खलए) हाखद्वक तड़प की गंध पाई। खजस पर मुझे अपने बारे में (अहले सुन्नत का) खप्ला आचरण ्याद आ ग्या। खजसके पररणामसिरूप मैं एक क़दम आगे बढाता तो दूसरा कदम पी्े हटाता। ्यहां तक खक मेरे खनःसपृह प्रखतपालक ने मुझे शसक्त प्रदान की और जो चाहा मेरे खदल में डाला, खजस पर मैं एक सपटि सच की गिाही देने के खलए उठ खड़ा हुआ और मैं अपने महान एिं सि्वश्ेष् ख़ुदा के अखतररक्त खकसी से नहीं डरता और अल्लाह अपने िरोसा करने िाले बनदों के खलए प्या्वप्त है।

    तू जान ले खक अहले सुन्नत ने मेरे पद के प्रारंि में मुझ से शत्रुता की और खश्या लोगों ने मेरे ्यश के सम्य में मुझे खचरके लगाए। खनससनदेह मैंने पहलों से बड़ी बातें सुनीं और जो बातें मैं इन दूसरों से सुनूंगा िे उन से िी बढ कर होंगी और इनशाअल्लाह मैं सब्र करूूंगा उस सम्य तक खक मेरे रबब की सहा्यता मेरे पास आ जाए। मैं जहां िी हं िह मेरे साथ है। िह मुझे देखता और मुझ पर रहम (द्या) करता है और िह सब रहम करने िालों से अखधक रहम करने िाला है। मैंने खश्यों के अखधकांश खगरोहों को देखा है खक िे गाखल्यां देते सम्य नहीं डरते और न ही आखखरत के प्रखतफल एिं दणड के माखलक से डरते हैं और न तो

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 8

    ــۃ، ــوب الطریقـ ــون لبـ ــۃ، وال یذوقـ ــوب الحقیقـ ــون نشـ وال یجمعــــُت ـــداء ، فرٔای ـــرق االہت ـــرون ط ـــاء ، وال یتخ ـــرون کالصلح وال یفکـــا واجًبـــا ودَیًنـــا الزًمـــا، ال یســـقط تفہیمـــم عـــیل نفســـی حّقًــح ــّل الّلٰ یصلـ ــاۃل، لعـ ــاۃل الُعجـ ــذہ الرسـ ــُت ہـ ــدون االٔداء ۔ فکتبـ بــــم ـــہ، ؤاخربہ ـــوا فی ـــا اختلف ـــم م ـــنّی ل ـــاۃل، والٔب ـــدل الح ـــٔانم ویُب شعـــن ســـّر الخافـــۃ، وإن کان تٔالیفـــی ہـــذا کـــودل اإلصافـــۃ، ومـــا ــال ــا االٔعمـ ــات، وإنّمـ ــنی والغافـ ــیل الغافلـ ــا عـ ــا إال ترّحًمـ ٔالّفُتہـبالنیـــات۔ ؤاتیقـــن ٔان ہـــذہ الرســـاۃل تُحِفـــظ کثـــرا مـــن ذوی ـــاء ـــن علم ـــمع م ـــرارۃ، وسٔاس ـــن الم ـــو م ـــق ال تخل ـــإن الح ـــرارۃ، ف الحالشـــیعۃ ٔانـــواع اللعنـــۃ، کمـــا ســـمعُت مـــن ٔاہـــل الُســـنۃ۔ فیـــا رّب

    िे सच्ाई की दौलत एकत्र करते हैं और न ही आतमशुखधि के मग़ज से पररखचत हैं। और न िे सदाचारी लोगों की तरह सोचते हैं और न िे खहदा्यत के मागगों को अपनाते हैं। इसखलए मैंने उन को समझाना अपने ऊपर अखनिा्य्व अखधकार और आिश्यक क़ज्व समझा जो अदा खकए खबना खगरा हुआ नहीं होता। इसखलए मैंने बहुत शीघ्रता के साथ ्यह पुसतक खलखी खक शा्यद अल्लाह उनकी हालत सुधार दे और उनकी ससथखत बदल दे और ताखक मैं उनके खलए उन मामलों को खजनमें उनहोंने मतिेद खक्या सपटि करूूं और उनहें ख़िलाफ़त के रहस्य (राज) से अिगत करूूं। ्यदिखप मेरी इस पुसतक की हैखस्यत बुढापे की सनतान के समान है और मैंने इसे केिल लापरिाह पुरुषों तथा ससत्र्यों पर रहम करते हुए खलखा है। िासति में समसत कमगों का दारोमदार नी्यतों पर है और मुझे खिश्ास है खक ्यह पुसतक बहुत से गम्व सििाि रखने िाले लोगों को क्ोध खदलाएगी क्योंखक सच कड़िाहट से ़िाली नहीं होता और मुझे खश्या उलेमा से िी उसी प्रकार कई प्रकार की ितस्वना सुननी पड़ेगी खजस प्रकार मैंने अहले सुन्नत लोगों से सुनी। अतः हे मेरे रबब! केिल तुझ पर ही िरोसा है और केिल तेरे पास हम अपनी फ़रर्याद (दुहाई) लेकर आए हैं। तेरे अससतति के अखतररक्त कोई

  • 9 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ال تـــوّکَُل إاّل علیـــک، وال نشـــکو إاّل إلیـــک، وال ملجـــٔا إاّل ذاتـــک،ــاح ــرک إلصـ ــلتی بٔامـ ــَت ٔارسـ ــإن کنـ ــک، فـ ــۃ إاّل آیاتـ وال بضاعـــنی۔ وإن ــد الصادقـ ــا تُؤیّـ ــْدین کمـ ـ ــرک، ؤایِّ ــی بنصـ ـ

    ْــرک، فٔادِرک ُزمـ

    کنـــَت تحّبـــی وتختـــارین فـــا تُخـــِزین کالملعونـــنی المخذولـــنی۔ وإن ـــی ع

    ْـــادَرٔا ـــنی؟ ف ـــر الحافظ ـــت خ ـــدک ؤان ـــظ بع ـــن الحاف ـــی فم ترکت

    ـــن۔ ـــوم کافری ـــیل ق ـــرین ع ـــداء ، َوانْص ـــمت یب االٔع ـــّراء ، وال تُش الضوبابَـــنی، تمہیـــد عـــیل مشـــتمۃ فہـــی الّرســـاۃل ٔاّمـــا واســـٔال مّتقـــنی۔ ولقـــوم العینـــنی ذلوی ہدایـــات وفیہـــا التٔاثـــر بعطـــر ویضّمخہـــا کـــۃ،

    َبَر فیہـــا یضـــع ٔان الّلٰ

    رحمـــۃ، وال علـــم لنـــا إال مـــا عّلَمنـــا وہـــو خـــر المعّلمـــنی۔★

    अन्य शरण नहीं। और न ही तेरे खनशोनों के अखतररक्त कोई और पूंजी है। अतः ्यखद तू ने अपने आदेश से अपने बनदों के सुधार के खलए मुझे िेजा है तो खफर अपनी सहा्यता के साथ मेरे पास आ और उसी प्रकार मेरा समथ्वन कर खजस प्रकार तू सत्यखनष्ों का समथ्वन करता है। ्यखद तुझे मुझ से प्रेम है और तू ने ही मुझे चुना है तो मुझे बे-्यार-मददगार लानखत्यों के समान बदनाम न करना। ्यखद तू ने मुझे ्ोड़ खद्या तो तेरे अखतररक्त अन्य कौन रक्षक होगा और तू अखत उतिम रक्षक है। तू समसत कटिों को मुझ से दूर कर दे और शतु्रओं को मेरी हंसी उड़ाने का अिसर न दे तथा काखफ़रों के खिरुधि मेरी सहा्यता कर।

    ्यह पुसतक िूखमका और दो अध्या्यों पर आधाररत है और इसमें प्रखतिाशाली तथा स्यंमी (मुतिक़ी) क़ौम के खलए खनददेश हैं। अल्लाह से मेरी दुआ है खक िह इसमें बरकत रख दे और रहमत (द्या) करते हुए इस प्रिाि रूपी इत्र (सुगंध) से सुगंखधत कर दे। हमें उतना ही ज्ञान है जो उसने खसखा्या और िही सबसे उतिम खशक्षक है।

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 10

    ْمِہْیـــد اَلّتَ، ٔاین امـــرٌؤ ُعّلمـــُت مـــن ٔایہـــا االٔعـــزۃ اعلمـــوا، رحمکـــم الّلٰحضـــرۃ الّلٰ القدیـــر، ویّســـرین ریب لـــکل دقیقـــۃ، ونجـــاین مـــن ـــی ـــت نفس ـــن بی ا یب م

    َـــر ـــاین ؤاس ـــاین وصاف ـــر، وعاف ـــاص المس اعتی

    إیل بیتـــہ العظیـــم الکبـــر۔ فلمـــا وصلـــُت الِقبـــۃ الحقیقیـــۃ بعـــد قطـــع الـــرباری والبحـــار۔ وتشـــرفت بطـــواف بیتـــہ المختـــار، وخّصصـــی لطـــُف ریب بتجدیـــد المـــدارک وإدراک االٔســـرار، وکان ریب ِخـــْدین وَودُودی، واســـتودعُتہ کّلَ وجـــودی، ؤاخـــذُت مـــن دلنـــہ کّلَ علـــم مـــن ادلقائـــق واالٔســـرار، وُصّبغـــُت منـــہ یف جمیـــع ـــنی ـــزاع کان ب ـــہ إیل کل ن ـــان التوج ـــُت عن ـــکار، صرف ـــار واالٔف االٔنظ

    (भबूमिकला)हे आदरणी्य सज्जनो! अल्लाह तुम पर द्या (रहम) करे। जान लो खक मैं

    एक ऐसा व्यसक्त हं खक मुझे शसक्तमान और बलिान ख़ुदा की चौखट से ज्ञान खसखा्या ग्या और मेरे रबब ने हर बारीक रहस्य मेरे खलए आसान कर खद्या तथा हर सफर की कखठनाइ्यों से मुझे बचा्या और आराम प्रदान खक्या, मेरे साथ शुि प्रेम खक्या और मुझे मेरे नफ़स के घर से अपने महान एिं खिशाल घर की ओर ले ग्या। खफर जब मैं रेखगसतानों और समुद्रों को पार करने के पश्ात् िासतखिक खकबलः तक पहुंचा और उसके चुने हुए घर को तिाफ़ (पररक्मा) का मुझे गौरि प्राप्त हुआ और मेरे रबब की मेहरबानी ने मेरी ्योग्यताओं को चमक प्रदान करने के निीनीकरण के साथ तथा रहस्यों तक पहुंचने के खलए मुझे खिखशटि कर खल्या और मेरा रबब, मेरा खमत्र और मेरा प्रेमी बन ग्या, और मैंने अपना पूण्व अससतति उसके सुपुद्व कर खद्या और मैंने उसकी चौखट से बारीखक्यों एिं रहस्यों का प्रत्येक ज्ञान प्राप्त कर खल्या और समसत दृसटिकोणों तथा खिचारधाराओं में मैं उसकी ओर से रंगीन खक्या ग्या तो मैंने क़ौम-ि-खमल्लत के खफ़कगों के मध्य हर

  • 11 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ق القـــوم والمـــۃ، وفتّشـــُت یف کل ٔامـــر مـــن الســـبب والعـــۃ، َ

    ِفـــرإال والتدقیـــق، البحـــث مواطـــن مـــن موطنـــا ترکـــُت ومـــا ـــا ـــاس م ـــُت ٔان الن ـــق۔ وعرف ـــہ التحقی ـــیل وج ـــہ ع ـــتخرجُت ٔاص واسٔاخطـــٔاوا یف فصـــل القضایـــا، ومـــا وقعـــوا یف الخطایـــا، إال لمیلـــم إیل طـــرف مـــع اذلہـــول عـــن طـــرف آخـــر، فإنـــم کـــرّبوا جہـــۃ واحـــدۃ بغـــر علـــم وحســـبوا مـــا خالفہـــا ٔاصغـــر ؤاحقـــر۔ وکان مـــن عـــادات النفـــس ٔانہـــا إذا کانـــت مغمـــورۃ یف ُحـــّب یشء ــۃ ــمع نصاحـ ــہ، وال تسـ ــیاء یخالفـ ــی ٔاشـ ــات، فتنٰسـ ــن المطلوبـ مـذوی المواســـاۃ، بـــل ربّمـــا یعادیـــم ویحســـبم کاالٔعـــداء ، وال یحاضـــر مجالســـم وال یصغـــی إیل کلماتـــم لشـــدۃ الغطـــاء ۔ ـــہ ـــرب ع ـــواب، ؤاک ـــرق ؤاب ـــباب وط ـــل ؤاس ـــد عل ـــذہ المفاس ولہ

    मतिेद िाली बात की ओर अपने ध्यान की लगाम मोड़ दी और हर मामले के कारण जब उस की ्ान-बीन की और बहस एिं सोच-खिचार का कोई सथान नहीं ्ोड़ा। परनतु जांच-पड़ताल की दृसटि से इस बात की िासतखिकता को मैंने प्रकट कर खद्या और मुझे ्यह ज्ञात हो ग्या खक लोगों ने अपने मुकदिमों के फैसले में जो ग़लखत्यां कीं और खजन ग़लखत्यों को शुरू खक्या उसका केिल और केिल ्यह कारण था खक िे लापरिाही के कारण एक ओर से हट कर दूसरी ओर झुक गए और जाने खबना केिल एक पहलू को बड़ा (अहम) बना खल्या और उसके खिपरीत पहलू को ्ोटा और तुच् समझा। ्यह नफ़स की आदत है खक जब िह खकसी िांख्त िसतु के प्रेम में डूबा हुआ हो तो िह उन चीजों को जो उसकी खिरोधी हों िूल जा्या करता है और हमदददी करने िालों की नसीहत को नहीं सुनता बस्क किी उनसे शत्रुता करने लगता है तथा उनहें शत्रुओं के समान समझता है। न िह उनकी मस्लस में उपससथत होता और न ही खदल पर मोटे पददे के कारण िह उनकी बातों को ध्यानपूि्वक सुनता है तथा उन ़िराखब्यों के कई कारण, तरीक़े और माग्व हैं। उनका सबसे बड़ा कारण हृद्य की कठोरता,

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 12

    ــات إیل ــۃ االلتفـ ــوب، وقـ ــیل اذلنـ ــل عـ ــوب، والتمایـ ــاوۃ القلـ قســــاد، ـــل العن ـــن ٔاہ ـــنی م ـــنی والکاذب ـــۃ الخادع ـــاِد، وصحب ـــبات الَمع محاس

    ــون ــادات، وتکـ ــرات یف العـ ــل العثـ ــم فتدُخـ ــخوا یف جہلـ وإذا رسـللنفـــوس کالمـــرادات، فنعـــوذ بـــالّلٰ مـــن عثـــرات تنتقـــل إیل عـــادات وتُلحـــق بالہالکـــنی۔ وربمـــا کانـــت ہـــذہ العـــادات مســـتتبعۃ لتعصبـــات راســـخۃ مـــن مجـــادالت۔ والمجـــادالت النفســـانیۃ ســـّمٌ قاِتـــل لطالـــب الحـــق والرشـــاد، وقلمـــا ینجـــو الواقـــع یف ہـــذہ الوہـــاد۔ ــرتۃ، ــّۃِ مستــ ــات المضـ ــدۃ والموجبـ ــل المفسـ ــون العلـ ــد تکـ وقـومـــن العیـــون مخفیـــۃ، حـــی ال یراہـــا صاحبہـــا ویحســـب نفســـہ ــاجرات، ــعی إیل المشـ ــذ یسـ ــنی۔ وحینئـ ــنی المنصفـ ــن المصیبـ مـویشـــتد یف الخصوصـــات✴، وربمـــا یحســـب خیـــاال طفیفـــا ورٔایـــا

    पापों की ओर झुकाि, आख़िरत के खदन की ओर कम ध्यान देना और शत्रुओं में से ्ल करने िालों तथा झूठों के साथ मेल-जोल है। और जब िे अपनी मूख्वता में दृढ हो जाते हैं तो बहुत सी ग़लखत्यां उनकी आदतों में प्रिेश कर जाती हैं और िे प्राणों के खलए खदल की कामनाओं के समान हो जाती हैं। तो हमें ऐसी ग़लखत्यों से जो आदतें बन जाएं और तबाह होने िालों से खमला दें अल्लाह की शरण मांगते हैं, किी ्ये आदतें मुबाहसों के कारण दृढ हो चुके द्ेषों (पक्षपातों) को जनम देती हैं और सिाथ्व खसखधि, मुबाहसे, सच्ाई और खहदा्यत के अखिलाषी के खलए घातक खिष हैं और इस गड्े में खगरने िाला व्यसक्त कम ही बचता है। किी फ़साद पैदा करने िाले और पथ-भ्रटि (गुमराह) करने िाले कारण गुप्त और आंखों से ्ुपे होते हैं खक िह व्यसक्त िी खजसमें ्ये बातें मौजूद हों उनहे देख नहीं पाता और सि्यं को उन लोगों में से समझता है जो सही रा्य िाले और न्या्य करने िाले हैं तो उस सम्य िह मतिेदों की ओर लपकता और ऐसे झगड़ों में कठोरता का व्यिहार करता है और किी िह तुच् खिचार तथा कमजोर रा्य को ऐसे अटल प्रमाण के समान समझने लगता

  • 13 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ضعیفـــا کٔانـــہ حجـــۃ قویـــۃ ال دحـــوض لہـــا، فیمیـــس کالفرحـــنی۔ وســـبب کل ٰذلـــک قـــّۃُ التدبـــر وعـــدم التبّصـــر، والخلـــّوُ عـــن العلـــوم ــیل ــکاُس عـ ــۃ، واالنتـ ــوم الباطـ ــوِر الرسـ ــاُش ُصـ ــۃ، وانتقـ الصادقــــروح ـــات ال ـــن مذوق ـــان م ـــوح والحرم ـــال الجن ـــس بکم ـــہوات النف شـــا ـــقوط علیہ ـــادُ إیل االٔرض والس ـــوح واإلخ ـــن الطم ـــر ع ـــُز النظ وعج

    کَعِمـــنی۔ــوا ــا، فافرتقـ ــاس ٔاحزابـ ــت النـ ــی جعلـ ــل الـ ــی العلـ ــذہ ہـ وہـؤاکثرہـــم تخـــّروا تبابًـــا، وکّذبـــوا الحـــق ِکّذابًـــا، بـــل لعنـــوا ٔاہـــہ کالمعتدیـــن، وصالـــوا کخریـــِج مـــاِرق عـــیل المحســـننی، القلـــب وتغیـــظ االٔنـــوف، بتشـــامخ الحـــق ٔاہـــل إیل ونظـــروا المـــؤوف، وحســـبوا ٔانفســـم مـــن العلمـــاء واالٔدبـــاء ، وســـحبوا

    है खक खजसका खणडन नहीं खक्या जा सकता। तो िह खुखश्यां मनाने िालों की तरह झूमने लगता है।और ्यह सब कु् सोच-खिचार की कमी, खििेकहीनता, सच्ी खिद्ाओं से िंखचत रहना तथा ग़लत रसमों के खचत्र (मससतषक पर) अंखकत होने तथा कामिासना संबंधी इच्ाओं पर पूण्वरूप से झुक जाने में रूहानी रुखच से िंखचत रहने, उच्ाश्य पर नजर रखने से थकािट, जमीन (िौखतक िसतुओं) की ओर झुकाि और उस पर अंधों की तरह खगर पड़ने के कारण है।

    ्यही िे कारण हैं खजनहोंने लोगों को खगरोह के खगरोह कर खद्या है और िे खफ़क़गों में बंट गए हैं और उनमें से अखधकांश (लोगों) ने तबाही को ग्रहण कर खल्या और सच को बुरी तरह से झुठला्या बस्क उनहोंने अत्याचार करने िालों की तरह सच्ों पर लानत डाली। धम्व से खनकल जाने िाले उदिणड की तरह उपकारर्यों पर आक्मण खक्या तथा उनहोंने सच्ों की ओर अहंकारपूण्व ढंग नाक-िौं चढा कर और ग़ुससे में िरे खिकृत खदल के साथ देखा और उनहोंने सि्यं को उलेमा तथा साखहत्यकारों में से समझा तथा उनहोंने अहंकार का दामन घसीटा। हालांखक िे िाषण देने में खनपुण नहीं थे। उनमें से कु् ऐसे हैं खजनहें

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 14

    اذلیـــن ومنـــم المفلقـــنی۔ مـــن کانـــوا ومـــا ، الخیـــاء ذیـــل نالـــم مـــن الّلٰ حـــّظٌ مـــن المعرفـــۃ، ورزق مـــن الحـــق والحکمـــۃ،

    ــنی۔ ـــق محدقـ ـــرٔاوا الحقائ ــم، ف ـــم ؤازال ظنونـ ــح الّلٰ عیون وفَتـومنـــم قـــوم ٔاخطـــٔاوا یف کل قـــدم، ومـــا فّرقـــوا بـــنی وجـــود وعـــدم، ومـــا کانـــوا ُمســـتبصرین۔ ٔاصـــّروا عـــیل مرکـــوزات ـــا ـــوا قوًم ـــّیَئاتم وکان ـــاس س ـــم، ولب ـــوات خطّیات ـــم، وخط خطراتـــٔاس، ـــوا الء٭ الب ـــا نزع ـــد م ـــراس بع ـــن الِم ـــوا ع ـــدین۔ وإذا نزع مفســـر ـــذاء بالتحق ـــدۃ إیل اإلی ـــۃ واح ـــوا می ـــاس، مال ـــن الِجح ـــوا م ویئسوکلمـــا والتوہـــنی۔ واالفـــرتاء البہتـــان وبنحـــت واالزدراء، ــام، وکادوا ــاق واإلیـ ــوا إیل اإلرہـ ــکام مالـ ــم بالـ ــُت لـ خضعـــا زاغـــوا یقتلونـــی لـــو لـــم یعصمـــی ریب الحفیـــظ المعـــنی۔ فلمـ

    अल्लाह की ओर से माररफ़त और सच और दूरदखश्वता में से खहससा खमला। और अल्लाह ने उनकी आंखें खोलीं और उनके सनदेह और शंकाएं दूर कीं तो उनहोंने िासतखिकताओं को समसत पहलुओं से पररधी में लेते हुए देखा और उनमें से कु् ऐसे िी थे खजनहोंने हर क़दम पर ग़लती की और अससतति के होने और अससतति के न होने में अनतर न खक्या और िे प्रखतिाशाली न थे। िे बातें खजन पर उनके खिचार केसनद्रत हैं और अपने ग़लत का्यगों और बुराइ्यों के खलबास पर अटल रहे और िे उपद्रिी क़ौम हैं। ्युधि की शसक्त ्ीन ली जाने के पश्ात् जब िे मुकाबले से अलग हो गए और प्रखतरक्षा करने से खनराश हो गए तो उनहोंने तुरनत खतरसकार पूण्व कटि देना, इ्जाम लगाना, झूठ गढना तथा अपमान की ओर ध्यान कर खल्या। मैंने जब िी उनसे खिनम्रतापूि्वक बात की िे अत्याचार, अन्या्य तथा कटि पहुंचाने पर तुल गए और ्यखद मेरे रबब ने जो मेरा रक्षक तथा सहा्यक है मुझे बचा्या न होता तो खनकट था खक िे मुझे क़तल कर देते। खफर जब िे टेढे हो गए तो अल्लाह ने उनके खदलों को िी टेढा कर खद्या और उनहें गुनाहों में बढा खद्या तथा उनहें अंधेरों में िटकते हुए ्ोड़ खद्या।

  • 15 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ٔازاغ الّلٰ قلوبـــم وزاد ذنوبـــم، وترکـــم یف ظلمـــات متخبطـــنی۔فنہضـــُت بٔامـــر الّلٰ الکریـــم، وإذن الّلٰ الرحیـــم، الٔزیـــل االٔوہـــام ؤاداوی الســـقام، فاستشـــاطوا مـــن جہلـــم غضًبـــا، ؤاوغلـــوا ا، وفتحـــوا فتـــاوی التکفـــر ودفاتـــر یف ٔاثـــری زرایـــًۃ وســـّبًــان ــوین بلسـ ــر، ودلغـ ــواع التزویـ ــیّل بٔانـ ــوا عـ ــر، وصالـ ادلقاریـنضنـــاض، وداســـوین کرضـــراض۔ وطالمـــا نصحـــُت فمـــا ســـمعوا، ـــٔاوا ـــّروا، وإذا ٔاخط ـــوا فف ـــوا، وإذا ناضل ـــا توجہ ـــوُت فم ـــا دع وربمــیل ــرتء وا عـ ــنی۔ واجـ ــوا خائفـ ــا کانـ ــّروا، ومـ ــا ٔاقـ ــّروا ومـ فٔاصـخیانـــات فمـــا ترکوہـــا ومـــا ٔالغوہـــا، حـــی إذا الحقائـــق اختفـــت، بـــْت،

    َوقضیـــۃ ادلیـــن اســـتعجمت، وشـــموس المعـــارف ٔافَلـــْت وغر

    ومعـــارف المـــۃ اغرتبـــت وتغّربـــت، وادلواہـــی اقرتبـــت ودنـــت

    खफर मैं कृपाल ुऔर द्यालु ख़ुदा के आदशे एि ंआज्ञा स ेभ्रमों के खनिारण और बीमारर्यों के उपचार के खलए उठ खड़ा हुआ, खजस पर ि ेअपनी मखू्वता के कारण बहुत क्ोखधत हुए तथा दोष खनकालन ेऔर गाखल्यों के साथ मरेे पी्े पड़ गए और कुफ़्र के फ़ति े और झठू बोलने के दफ़तर खोल खदए और नाना प्रकार स े झठू बोलकर मझु पर प्रहार खक्या और जहरील ेसापं की जीि की िाखंत मझु ेडसा और कूंकड़ों को रोंदन े की तरह मुझ े रोंदा। किी मैंने नसीहत की परनत ु उनहोंन े नहीं सनुी और मैंन ेकई बार उनहें बलुा्या परनत ु उनहोंन े कु् ध्यान न खद्या और जब उनहोंन ेमकुाबला खक्या तो िाग गए। जब ग़लती की तो इक़रार की बजाए हठधमदी की और इक़रार न खक्या तथा ि े डरने िाल े न हुए। उनहोंन े बेईमानी पर खदलरेी खदखाई और न तो उनहें ्ोड़ा और न ही उनहें खनरथ्वक ठहरा्या। ्यहा ंतक खक जब िासतखिकताए ं्ुप गईं, धम्व का मामला सखंदगध हो ग्या, मआररफ़ (अध्यातम ज्ञानों) के स्ूय्व ओझल हो गए और असत हो गए, धम्व के मआररफ़ दशे स े खनकल गए और ग़ा्यब (लपु्त) हो गए, सकंट बहुत खनकट आ गए और उनहोंन ेखिज्य पा ली। धम्व एिं ईमानदारी का घर खाली हो ग्या तथा शासनत एिं सरुक्षा घबराकर िाग गए।

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 16

    ـــا، ـــان ٔاجف ـــن واإلیم ـــا، واالٔم ـــۃ خ ـــن وادلیان ـــُت ادلی ـــت، وبی وغلبـــُت ـــب، فٔالّف ـــد انتق ـــۃ ق ـــہ المحّج ـــب، ووج ـــد وق ـــق ق ـــت ٔان الغاس ورٔایـــنی، ـــرار والرباہ ـــف االٔس ـــن لطائ ـــا م ـــن، ؤاترعُتہ ـــد ادلی ـــا لتٔایی ُکتًبــم ــن الکِلـ ــبوہا مـ ــل حسـ ــات، بـ ــن العظـ ــیء مـ ــوا بشـ فماؔانتفعـالُمحِفظـــات، ومـــا کانـــوا منتہـــنی۔ ثـــم إذا رٔاوا ٔان الحجـــۃ وردت، ـــبہات، ـــر الش ـــن جم ـــرۃٌ م ـــی جم ـــا بق ـــردت، وم ـــۃ ب ـــار المضرم والنفرکنـــوا إیل ٔانـــواع التحقـــرات، وقالـــوا ِمـــن ٔاشـــراط المجـــّدد ـــاء ـــخنی والفض ـــاء الراس ـــن العلم ـــون م ـــام، ٔان یک ـــی إیل اإلس ادلاعالکـــرام، وہـــذا الرجـــل ال یعلـــم حرفـــا مـــن العربیـــۃ، وال شـــیًئا ـــم ـــوا یف قول ـــنی، وکان ـــن الجاہل ـــراہ م ـــا ن ـــۃ، وإن ـــوم االٔدبی ـــن العل مہـــذا مـــن الصادقـــنی۔ فدعـــوُت ریب ٔان یُعّلمـــی إن شـــاء ، فاســـتجاب

    और मैंने देखा खक अंधकार ्ा ग्या है तथा माग्व अंधकारम्य हो ग्या है। तब मैंने धम्व के समथ्वन में कई पुसतकें खलखीं और उन को रहस्यों एिं प्रमाणों के बारीक िेदों से िर खद्या परनतु खफर िी उनहोंने उन नसीहतों से कु् लाि न उठा्या बस्क उनहें िड़काने िाली बातें समझा और िे न रुके। खफर जब उनहोंने देखा खक प्रमाण सथाखपत हो ग्या है और िड़कती हुई आग ठणडी पड़ गई है तथा सनदेहों एिं शंकाओं के अंगारों में से कोई एक अंगारा िी शेष नहीं रहा तो खफर िे खिन्न-खिन्न प्रकार की खतरसकारपूण्व बातों की ओर झुके और ्यह कहा खक इसलाम की ओर दाित देने िाले मुजसदिद की खनशाखन्यों में से एक ्यह है खक िह प्रकाणड खिद्ानों और प्रखतसष्त उलेमा में से होगा। और ्यह तो ऐसा व्यसक्त है खक अरबी का एक अक्षर नहीं जानता और न ही इसे साखहत्य संबंधी खिद्ाओं से कु् पररच्य है और हम इसे मूख्व समझते हैं और िे अपने इस कथन में सच्े िी थे। खफर मैंने अपने रबब से दुआ की खक ्यखद उसकी इच्ा हो तो िह मुझे (अरबी) खसखा दे। अतः उसने मेरी दुआ सिीकार की और मैं उसके फ़ज़ल से िाषाखिद, सुिक्ता और (कलाम का) खिशेषज्ञ बन ग्या।खफर

  • 17 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ــان، ــح البیـ ــان، وملیـ ــارف اللسـ ــہ عـ ــُت بفضـ ــاء ، فٔاصبحـ یل ادلعـثـــم ٔالّفـــُت کتابَـــنی یف العربیـــۃ مٔامـــوًرا مـــن الحضـــرۃ االٔحدیـــۃ، وقلـــُت یـــا معشـــر االٔعـــداء ، إن کنتـــم مـــن العلمـــاء واالٔدبـــاء ، تـــوا بمثلہـــا یـــا ذوی ادلعـــاوی والریـــاء إن کنتـــم صادقـــنی۔

    ْفٔا

    ـــاق إال ـــا ٔاف ـــن، وم ـــر الیدی ـــد صف ـــوا کاذلی اّدان عن ـــّروا واختف ففبعـــد إنفـــاق العـــنی، فمـــا قـــدر عـــیل االٔداء بعـــد التطـــوق بادّلَیـــن، ـــدہ إاّل ـــا کان عن ـــنی، فم ـــی اللَُج ـــّدَ یف تقاض ـــتحّقہ وج ـــہ مس والَزم

    مواعیـــد الَمـــنی؛ کذلـــک یخـــزی الّلٰ قوًمـــا متکربیـــن۔وہتـــک واذلۃّل، الخـــزی ہـــذا مـــع ٔانـــم والعجـــب االٔســـتار والنکبـــۃ، مـــا رجعـــوا إیل التوبـــۃ واالنکســـار، ومـــا اختـــاروا طریـــق االٔبـــرار واالٔخیـــار، ومـــا صلـــح القلـــب

    मैंने ख़ुदा-ए-िाखहद (एकमात्र ख़ुदा) के आदेश से दो पुसतकें अरबी में खलखीं और मैंने कहा- हे दुशमनों के खगरोह! हे बड़े-बड़े दािे करने िालो और खदखािा करने िालो ्यखद तुम उलेमा और साखहत्यकारों में से हो। और (अपने दािे में) सच्े हो तो इन पुसतकों के सदृश लाओ। इस पर िे िाग गए और उस क़ज्वदार व्यसक्त की तरह ्ुप गए जो कूंगाल हो और (अपना) चांदी-सोना (धन-दौलत) ़िच्व करने के बाद ही उसे होश आ्या हो और क़ज्व का तौक़ (लोहे की गोल हंसली) पहन लेने के बाद उसकी अदा्यगी पर समथ्व न हो और उसका क़ज्व देने िाला पी्े पड़ कर उस से अपना माल मांग रहा हो तथा उस क़ज्वदार के पास झूठे िादों के अखतररक्त और कु् न हो। इस प्रकार अल्लाह अंहकारी क़ौम को लसज्जत करता है।

    आश््य्व की बात है खक इतनी बदनामी, अनादर, दोष प्रकट करने और खनध्वनता के बािजूद िी उनहोंने तौबा और खिन्य की ओर रुजू (लौटना) नहीं खक्या और न ही नेक और सदाचारी लोगों का आचरण ग्रहण खक्या और न खबगड़े हुए खदल ठीक हुए, न पंसक्त्यों में खबखराि पैदा हुआ और न ही िे शखम्वनदा

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 18

    ـــنی، ـــق نادم ـــعوا إیل الح ـــا س ـــوف، وم ـــت الصف ـــا تقوض ـــؤوف وم المبـــل لـــَووا عـــی الِعـــذار، ؤابـــدوا التعبـــس واالزورار، وکانـــوا إیل ــا ــر، ومـ ــم کاالٔسـ ــل بخلـ ــم یف ساسـ ــن۔ ورٔایتـ ــر مبادریـ الشــــرُت ـــی تذک ـــر، ح ـــن التٔاث ـــا م ـــُت یائس ـــا إال رجع ـــم نصح ـــُت ل نصحـــُت ـــوع إذ رٔای ـــای بادلم ـــت عین ـــر، واغرورق ـــردۃ والخنازی ـــۃ الق قصــنی۔ ــن الیائسـ ــُت مـ ــک لسـ ــع ذلـ ــر، وإین مـ ــار کالضریـ ذوی االٔبصـوقّیـــض القـــدر لہتـــک ٔاســـتارہم وجـــزاء فّجارہـــم ٔانـــم عـــادَوا الصادقـــنی وآذَوا المنصوریـــن، وحســـبوا الجـــّد عبًثـــا والحـــق ْـــذ ـــاٍم ُم ـــم یف دلٍد وخص ـــنی۔وإین ٔاراہ ـــن المعرض ـــوا م ـــًا، فکان باطـ

    ٔاعـــواٍم، ومـــا ٔاری فیـــم ٔاثـــر التائبـــنی۔ فـــٔاردُت ٔان ٔاترکـــم ؤاُعـــرض عـــن الخطـــاب، ؤاطـــوی ذکرہـــم کطـــّی الســـجّل للکتـــاب،

    हो कर सच की ओर दौड़ कर आए। बस्क िे मुझ से खिमुख हो गए और अिद्रता और उपेक्षा अखिव्यक्त की और िे बुराई में बड़ी तीव्रता से बढ रहे थे मैंने उनहें उनकी कूंजूसी की जंजीरों में क़ैदी की तरह जकड़ा हुआ पा्या और उनहें मैंने जो िी नसीहत की उसके प्रिािी होने से खनराश ही होकर लौटा ्यहां तक खक मुझे बनदरों और सुअरों का खक़ससा ्याद आ्या और जब मैंने देखने िालों (आंख िालों) को अंधों की तरह पा्या तो मेरी आंखें आंसुओं से िर गईं। इसके बािजूद िी मैं खनराश नहीं। तकदीर (प्रारबध) ने उनके दोषों को प्रकट करने तथा उनके दुषकमगों का उनहें दणड देने का खनण्व्य कर खल्या है। उन लोगों ने सच्ों से शत्रुता की और समखथ्वत लोगों को कटि पहुंचाए। गंिीरता को व्यथ्व और सच को झूठ जाना और िे मुंह फेरने िाले ही थे। कई िषगों से मैं उनहें झगड़ों और खििादों में पड़े देख रहा हं और मैंने उन में तौबा करने िालों का कोई लक्षण नहीं पा्या। इसखलए मैंने इरादा कर खल्या खक मैं उनहें ्ोड़ दूं और (उनको) समबोखधत करने से बचूं और उनकी चचा्व की पंसक्त इस प्रकार लपेट दूं खजस प्रकार िही के खातों को समेटा जाता है।

  • 19 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ؤاتوجـــہ إیل الصالحـــنی۔ ولـــو ٔان یل مـــا یوّجہـــم إیل الحـــق ہـــذا یف تدبـــرا ٔاری مـــا ولکـــی لفعلُتـــہ، والصـــواب وکلمـــا متدہدہـــنی، فرجعـــوا دعوتـــم وکلمـــا البـــاب، االٔیـــام ہـــذہ یف ٔاری ٔاین بیـــد مقہقہـــنی۔ فقہقـــروا قدتـــم واؔنتــــثرت إیل رجعـــوا الکـــرام مـــن العلمـــاء بعـــض ٔان وا وتـــربء الظـــام، مـــن قلیـــل وزال الزہـــام، عقـــود اللیـــۃ یف اإلدالج ؤادہشـــم ، االٔعـــداء ٔاقـــوال ُخبـــث مـــن لٰہـــذا بَـــْخ بَـــْخ فقلـــت کالســـعداء وین وجـــاء ، اللیـــاء االہتـــداء ، وہداہـــم ربّـــم إیٰل عـــنی الصـــواب مـــن مامـــح الســـراب، فوافَـــوین مخلصـــنی، وشـــربوا مـــن کٔاس الیقـــنی، رشـــدہم الّلٰ یکمـــل ٔان ؤارجـــو معـــنی، مـــاء مـــن وُســـقوا

    और नेक लोगों की ओर ध्यान दूं। ्यखद मुझे कोई ऐसी चीज उपलबध हो तो जो उनहें सच और सही की ओर ध्यान खदलाने िाली होती तो मैं अिश्य कर गुजरता। परनतु इस बारे में मुझे कोई ्यतन खदखाई नहीं खद्या। मैंने जब िी उनहें सच की तरफ़ बुला्या तो िे लुढकते हुए िापस लौट गए और जब िी मैंने उनहें आगे की ओर खींचा िे कहकहे लगाते हुए खप्ले क़दमों पर चलने लगे। ्यदिखप मैं उन खदनों में देखता हं खक प्रखतसष्त लोगों में से कु् उलेमा ने मेरी ओर रुजू खक्या और उनकी शत्रुता की गांठे खुल गईं और खकसी सीमा तक अंधकार दूर हो गए तथा उनहोंने शतु्रओं की गनदी बातों से अप्रसन्नता व्यक्त की और घोर अंधकारम्य रात में सफर करने ने उनहें ि्यिीत कर खद्या और िे िाग्यशाली लोगों की तरह मेरे पास आए और उस खहदा्यत पा जाने पर मैंने उनहें शाबाशी दी और उनके रबब ने मृग तृषणा की चमक स ेसच्ाई के झरने की ओर उन का माग्व-दश्वन खक्या। तो िे खनषकपटतापूि्वक मेरे पास आए और उनहोंने खिश्ास के प्याले से खप्या तथा िे शुधि पानी से तृप्त खकए गए। मैं आशा करता हं खक अल्लाह उनको पूण्व खहदा्यत देगा।

  • सिर्रुलस़िलाफ़त 20

    ـــاب، ٔان ـــذا الکت ـــارۃ ہ ـــو لنّظ ـــک ٔادع ـــنی۔ کذل ـــن العارف ـــم م ویجعلـــٔاۃ ہ یف نش ـــّدَ ـــغ ٔاُش ـــن بل ـــواب، وَم ـــرق الص ـــّرُ ط ـــم لتخ ل

    ـــم الّلٰ یوفقــّویت ــد سـ ــۃ، وقـ ــات ربّانیـ ــویت بتفضـ ــیقبل دعـ ــۃ، فسـ روحانیــــدری ـــا وی ـــم مجالبہ ـــایت، والّلٰ یعل ـــی إیل عظ ـــن یصغ ـــکل م ـــایت ل کلمـــاکلتہا، ـــۃ ش ـــرتک قریح ـــا، وال ت ـــس فطرتہ ـــی نف ـــا، وال تتخط طالبہ

    ـــن۔ ـــن المہتدی ـــن کان م ـــدی إال م وال یہت، ٔان قوًمـــا مـــن اذلیـــن قالـــوا نحـــن اعلمـــوا، رحمکـــم الّلٰٔاتبـــاع ٔاہـــل البیـــت ومـــن الشـــیعۃ قـــد تکلمـــوا یف جماعـــٍۃ مـــن ٔاکابـــر الصحابـــۃ وخلفـــاء رســـول الّلٰ صـــیل الّلٰ علیـــہ وســـلم ؤائمـــۃ المـــّۃ، وغلَـــوا یف قولـــم وعقیدتـــم، ورموہـــم بالکفـــر والزندقـــۃ، ونســـبوہم إیل الخیانـــۃ والغضـــب والظلـــم والغـــّی،

    और उनहें आररफ़ों (अध्यातम ज्ञाखन्यों) में से बनाएगा। इसी प्रकार मैं इस पुसतक के पाठकों के खलए दुआ करता हं खक अल्लाह उनहे सही माग्व ग्रहण करने की सामर्य्व प्रदान करे और जो कोई िी रूहानी उतपखति में ्युिािसथा को पहुंचेगा तो िह ख़ुदा की अनुकूंपाओं (फ़ज़लों) के पररणामसिरूप मेरे बुलाने को सिीकार करेगा। मैंने हर उस व्यसक्त के खलए जो मेरी नसीहतों पर कान धरता है (सुनता है) अपने इन िाक्यों को क्म खद्या है और अल्लाह खूब जानता है कौन सा उन का अखिलाषी है। कोई व्यसक्त अपने सििाि को फलांग नहीं सकता और न कोई तखब्यत अपने आचरण को ्ोड़ सकती है और खहदा्यत पाने िाले ही खहदा्यत पाएंगे।

    अल्लाह तमु पर रहम (द्या) करे। जान लो खक इन लोगों में स े खजनहोंन े्यह कहा खक हम अहल े बतै के अन्ुया्यी हैं और खश्या हैं। एक िग्व ऐसा है खजनहोंने महान सहाबारखज॰ की एक जमाअत और रसलूलु्लाह सल्लल्लाहु अलखैह ि सल्लम के ़िलीफ़ों तथा खमल्लत के इमामों के बारे में ित्सना की है और अपन ेकथन तथा अपनी आसथा में अखतश्योसक्त की है और उन पर काखफ़र और नाससतक होन ेके झठेू आरोप

  • 21 सिर्रुलस़िलाफ़त

    ــّی، ہم إیل الطـُ

    ــاَئ َمنَشـــر ــا فـ ــا انتہـــوا إیل ہـــذا الزمـــان ومـ ومـوہ ــّرَ ــّبِم، وتخـ َ سـ

    ــر ــتحلَوا ِذک