आसामक मैथल नाटक ( अंकया नाट ) अंकया नाट क वप :- मथलांचल सँ दूर भारतक पूवर देशमे जाह नाटकक वकास भेल ओह नाटकक नामकरण ववान लोकन अंकया नाट कएल । डॉ० वरंच क ु मार बआ अंकया नाटक संदभ मे लखैत छथ - " जे ययप आसाम मय शंकरदेव तथा अयाय वैणव वारा रचत नाटक अंकया नाट नामे अभहत अछ तथाप एकरा संक ृ तक ' अंक ' चारक नाटक सँ कोनो संबंध नह अछ । ायः अंकया ' आंगक ' शदक ट प अछ जे आंगक अभनय सँ संबंधत अछ । एह नाटक क अंक वभाजन सँ कोनो मतलब नह अछ । " अंकया नाट एकांक नाट थक जाहमे प ृ थक - प ृ थक य योजनाक सेहो अवकाश नह छलैक , अथात अंकया नाट क संपूण एके बेर होइत छल । वैणव धमक चाराथ लखत आंगक अभनय सँ परपूण एकांक नाटक थक , आसामक अंकया नाट । 16 म शताद मे वैणव धमक चाराथ अंकया नाट क रचना कएल गेल एह कारक नाटकक कथावतु मुयतः वणुक अवतार क ृ ण , राम व शवक जीवन पर आधारत अछ । भागवत ओ हरवंश सँ एह कथा सभ क मुय पसँ लेल जाइत छल । अंकया नाट क आद रचयता भेलाह शंकरदेव जे वैणव धमक सभसँ मुख संतक पमे यात छथ । अंकया नाट क रचना सँ पूव हनक नाटकय दशन भेल चन यााक नाम सँ । चन याा सँ तापय भेल चत पट सँ युत रंगमंच पर याा रतक अभनय जे 15 म शताद मे होइत छल । चन याा पचात अंकया नाट क पमे यथोचत संगीत , न ृ य ओ कथोपकथन सँ युत भए वकसत भेल । अंकया नाट सँ पूव आसाम मे काय ओ शाक जन सामाय मे सवर पाठक परपाट छल । एह कारक कायक शंकरदेव वयं सेहो आसामी भाषा मे रचना कएने छलाह । कतु पचात नाटक क वैणव धमक चारक अपेाक ृ त अधक भावपूण साधन बुझ अपनाओल । अंकया नाट क रचना सँ पूव शंकरदेव बारह वष धर देशक वभन भाग मे याा कएने छलाह , जाह ममे ओ मथला सेहो आएल छलाह एवं एह ठाम अभनत होइत नाटक देख पूण भावत भेल छलाह । ओह समय मे चलत अय नाटक यथा - रामलला , रासलला , याा , कथक , य गान , भागवत आदसँ तव हण कए वतं अंकया नाट क थापना कएलन । आसाम मय सेहो कतेको कारक अभनय न ृ य णाल चलत छलैक यथा देवधानी नाच एवं ओजा पाल । एह मय ओजापाल बड़ सध छलैक । ओजा , ओझा वा झाक असमी उचारण थक । मथलाक ामण मंडल ओह ठाम जाह कारक नाचक अभनय करैत छलाह , सएह भेल ओजापाल । आसाम मे मैथल भाषाक चार ओ सार तथा मैथल मे नाटक रचनाक पाछाँ वयापतक गीत सँ आसामक कव पूण भावत भेलाह तथा ह ु नक गीतक भाषा सेहो वैणव भजनक लेल उपयुत बुझल गेल । त शीे चा दससँ ववान सभ ह ु नका पाछाँ दौड़लाह । नेपाल तथा तबती ववान लोकन सेहो छलाह , कामपक ववान सेहो नह पछु एलाह । अनेको साहियक ओ ऐतहासक माण सँ ई बात पुट होइत अछ जे कामप सँ ववान लोकन मथला अएलाह तथा मैथल भाषा सखलन ।