मयकालन मैथल नाटक : एक परचय मैथल साहयक इतहासकार लोकन कालवभाजन करैत काल मैथल साहयक इतहास क तीन काल खडमे वभािजत कयलन अछ - आदकाल , मयकाल ओ आधुनक काल । मयकाल क नाटकक कालक संा देलन अछ । मयकाल मे मथला मय संक ृ तक चार - सार अयधक छल त संक ृ तमे साहियक वधाक रचना होइत छल । मुदा कछु ववान लोकन संक ृ त नाटक मय कछु मैथल गीतक सिनवेश कए भाषा नाटकक रचना कयलन । मैथल साहयमे सवथम कवशेखर योतरवर ठाक ु र भाषा गीतक सिनवेश ' धूत समागम ' नाटकमे कयलन । एकर पचात महाकव वयापत ' गोर वजय ' मे मैथल गीतक सिनवेश कयलन । मुदा संक ृ तक भाव एकाएक लुत नह भेल । के वल लोकक मनोरंजनक लेल ाक ृ त एवं मैथलक योग भेल त , ' धूत समागम ' ओ ' गोर वजय ' क संक ृ त- ाक ृ त - मैथल ैभाषक नाटक कहल जाइत अछ । शनैः शनैः संक ृ त - ाक ृ तक योग घटैत जेल ओ शुध मैथल मे नाटकक रचना होमए लागल । मथला मय संगीत , न ृ य ओ अभनयक परपरा ाचीन कालहसँ अविछन प वाहत अछ । कणाट वंशक राजलोकनक संगीतयता अनेक मैथल ववान क संगीत वषयक ंथ लखबाक ेरणा देलकन । मथला मय अभनयक परपरा छल । ई एह सँ माणत होइत अछ जे आसामक शंकरदेव तीथयााक ममे मथला अयलाह तथा एहठामक अभनय परपरा सँ भावत भेलाह । ओ वदेश यागत भेला पर एकर अनुकरण मे नाटकक रचना कयलन । नेपाल मय पाटन मे कातक नाचक परपरा मे वक ृ त मैथल अभनय परपरा िटगोचर होइत अछ । एतावता ई नववाद पसँ कहल जा सकै त अछ जे मथला मे संगीत , न ृ य ओ अभनयक कला बह ु त ाचीन कालहसँ छल । डॉ० जयकांत मक कथन छन जे - " एतवा त सय थक जे संक ृ त नाटकक परपरा पर मैथल नाटकक ादुभाव भेलैक त ओकर आदकाल मे वाभावक जे संक ृ त नाटकक पूण भाव ओह पर छलैक , भाषा नाटकक ादुभाव तहना भेलैक जेना भाषा साहयक ादुभाव भेलैक । " मैथल नाटकक उपमे लोकनाचक सहयोग सेहो पयात माा मे अछ । वतुतः संक ृ त नाय परपरा ओ लोकनाय परपरा मैथल नाय साहयक वप नधारत करबामे महवपूण भूमकाक नवाह कयलक । एह अभनव नाय परपरा मे मैथल भाषाक मुखता म - म सँ होइत गेल त एकर नाम मैथल नाय परपरा सैह भेल । मयकालन मैथल नाटकक वकासक कारण तीन भागमे वभत कयल अछ - 1. मथलाक मैथल नाटक ( कतनयाँ नाट ) 2. नेपालक मैथल नाटक और 3. आसामक मैथल नाटक अथवा अंकया नाट । एह नबंध मे मथलाक मैथल नाटक पर वचार कयल गेल अछ । मथलाक मैथल नाटक : मैथल साहयक एह मययुगमे संक ृ त ववान लोकन वारा वरचत एक कोटक मैथल नाटक अछ जकरा कतनयाँ नाटक कहल जाइछ । भगवान क ृ ण , शव आदक भित सँ उेरत ह ु नक चर सँ सबध पौराणक कथावतुक आधार पर वरचत मैथल गीताद धान , संक ृ त ाक ृ त मत नाटक मैथलक कतनयाँ नाटक कहबैत अछ । एह कोटक नाटकक रचना संक ृ त नाय साहयक अनुकरण सँ भेल । ई संक ृ तेक नाटक सँ वकसत ओ पूण भावत अछ । मंच नदेशन संक ृ त मे अछ । एह ठाम हम ओह समय मे लखल गेल नाटकक संत परचय तुत करैत छ , ततपचात मैथलक ववान आलोचक वारा एकरा नाच मानल जाय क नाटक ताह पर वचार करब । कतनयाँ नाटकक वकास मे धूत समागम हसन आओर गोरवजय नाटक पहल कड़ी मानल जाइत अछ , कतु कतनयाँ नाटकक ीगणेश सहम शताद मे लखल नाटक सभसँ मानल जाइत अछ ।