(b 0 e! *¡ g . d

3
मयकालन मैथल नाटक : एक परचय मैथल साहयक इतहासकार लोकन कालवभाजन करैत काल मैथल साहयक इतहास तीन काल खडमे वभािजत कयलन अछ - आदकाल , मयकाल आधुनक काल मयकाल नाटकक कालक संा देलन अछ मयकाल मे मथला मय संक तक चार - सार अयधक छल संक तमे साहियक वधाक रचना होइत छल मुदा कछु ववान लोकन संक नाटक मय कछु मैथल गीतक सिनवेश कए भाषा नाटकक रचना कयलन मैथल साहयमे सवथम कवशेखर योतरवर ठाक भाषा गीतक सिनवेश ' धूत समागम ' नाटकमे कयलन एकर पचात महाकव वयापत ' गोर वजय ' मे मैथल गीतक सिनवेश कयलन मुदा संक तक भाव एकाएक लुत नह भेल के वल लोकक मनोरंजनक लेल ाक एवं मैथलक योग भेल , ' धूत समागम ' ' गोर वजय ' संक - ाक - मैथल ैभाषक नाटक कहल जाइत अछ शनैः शनैः संक - ाक तक योग घटैत जेल शुध मैथल मे नाटकक रचना होमए लागल मथला मय संगीत , अभनयक परपरा ाचीन कालहसँ अविछन वाहत अछ कणाट वंशक राजलोकनक संगीतयता अनेक मैथल ववान संगीत वषयक ंथ लखबाक ेरणा देलकन मथला मय अभनयक परपरा छल एह सँ माणत होइत अछ जे आसामक शंकरदेव तीथयााक ममे मथला अयलाह तथा एहठामक अभनय परपरा सँ भावत भेलाह वदेश यागत भेला पर एकर अनुकरण मे नाटकक रचना कयलन नेपाल मय पाटन मे कातक नाचक परपरा मे वक मैथल अभनय परपरा िटगोचर होइत अछ एतावता नववाद पसँ कहल जा सकै त अछ जे मथला मे संगीत , अभनयक कला बह ाचीन कालहसँ छल डॉ० जयकांत मक कथन छन जे - " एतवा सय थक जे संक नाटकक परपरा पर मैथल नाटकक ादुभाव भेलैक ओकर आदकाल मे वाभावक जे संक नाटकक पूण भाव ओह पर छलैक , भाषा नाटकक ादुभाव तहना भेलैक जेना भाषा साहयक ादुभाव भेलैक " मैथल नाटकक उपमे लोकनाचक सहयोग सेहो पयात माा मे अछ वतुतः संक नाय परपरा लोकनाय परपरा मैथल नाय साहयक वप नधारत करबामे महवपूण भूमकाक नवाह कयलक एह अभनव नाय परपरा मे मैथल भाषाक मुखता - सँ होइत गेल एकर नाम मैथल नाय परपरा सैह भेल मयकालन मैथल नाटकक वकासक कारण तीन भागमे वभत कयल अछ - 1. मथलाक मैथल नाटक ( कतनयाँ नाट ) 2. नेपालक मैथल नाटक और 3. आसामक मैथल नाटक अथवा अंकया नाट एह नबंध मे मथलाक मैथल नाटक पर वचार कयल गेल अछ मथलाक मैथल नाटक : मैथल साहयक एह मययुगमे संक ववान लोकन वारा वरचत एक कोटक मैथल नाटक अछ जकरा कतनयाँ नाटक कहल जाइछ भगवान , शव आदक भित सँ उेरत नक चर सँ सबध पौराणक कथावतुक आधार पर वरचत मैथल गीताद धान , संक ाक मत नाटक मैथलक कतनयाँ नाटक कहबैत अछ एह कोटक नाटकक रचना संक नाय साहयक अनुकरण सँ भेल संक तेक नाटक सँ वकसत पूण भावत अछ मंच नदेशन संक मे अछ एह ठाम हम ओह समय मे लखल गेल नाटकक संत परचय तुत करैत , ततपचात मैथलक ववान आलोचक वारा एकरा नाच मानल जाय नाटक ताह पर वचार करब कतनयाँ नाटकक वकास मे धूत समागम हसन आओर गोरवजय नाटक पहल कड़ी मानल जाइत अछ , कतु कतनयाँ नाटकक ीगणेश सहम शताद मे लखल नाटक सभसँ मानल जाइत अछ

Upload: others

Post on 14-Apr-2022

1 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

,
:
- , - ' ' ' ' , ' ' ' ' - - - , , - " , " - - 1. ( ) 2. 3. : , , , ,
1. : 2. : ' ' , 31 3. : 4. : , 5. : ' ' 21 , 6. : , 7. : , , , 8. : - 9. : 10. : - 11. : -