सदस्य संदर्भसेवा लार्डभस लोक...

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सदय संदभ सेवा लाडभस लोक सा सिवालय नई दली विधायी विपण संसद सदय के उपयोगाथ काशनाथ नह सं. 34/एलएन/रेफ./अगत/2020 महामारी (संशोधन) अयादेश, 2020

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  • सदस्य संदर्भ सेवा

    लार्डभस

    लोक सर्ा सर्िवालय

    नई र्दल्ली

    विधायी विप्पण

    ससंद सदस्यों के उपयोगार्थ प्रकाशनार्थ नहीं

    स.ं 34/एलएन/रेफ./अगस्त/2020

    महामारी (सशंोधन) अध्यादेश, 2020

  • अध्यादेश के उदे्दश्य

    सरकार ने महामारी अर्धर्नयम, 1897 में संशोधन करने की दृर्ि से 22 अप्रैल 2020 को एक

    अध्यादेश जारी र्कया तार्क महामाररयों के दौरान होने वाली र्हंसा से स्वास््य सेवा कर्मभयों तथा

    गहृ/कायाभलय पररसरों सर्हत संपर्ि की र्ी रक्षा की जा सके।

    पृष्ठभूवि

    यहााँ यह उल्लेखनीय है र्क बंबई में फैले ब्यूबॉर्नक प्लेग, जो धीर-ेधीर ेदेश के अन्य र्ागों में र्ी

    फैलता जा रहा था, के दृर्िगत घातक महामाररयों के फैलने पर बेहतर ढंग से काबू पाने के र्लए

    महामारी अर्धर्नयम, 1897 को लागू र्कया गया था। सरकार को यह महसूस हुआ र्क इस बीमारी के

    व्यापक स्तर पर फैलने से पहले इस पर काबू करने के र्लए आवश्यक कदम उठाने की महती

    आवश्यकता है। नगर र्नकायों, छावर्नयों और अन्य स्थानीय सरकारों को ऐसी र्स्थर्तयों से र्नपटने

    के र्लए र्वशेष शर्ियां प्राप्त थीं लेर्कन सरकार ने अनरु्व र्कया र्क वे "अपयाभप्त" हैं । कई देश र्ारत

    की र्स्थर्त को देखकर र्िंर्तत थे और रूस ने यह अनमुान लगाया र्क इस महामारी से पूरा

    उपमहाद्वीप संक्रर्मत हो सकता है । इस पृष्ठरू्र्म में ही इस अर्धर्नयम को लागू र्कया गया था।

    महामारी र्वधयेक को काउंर्सल मेम्बर, जॉन वडुबनभन द्वारा 28 जनवरी, 1897 को सर्ा पटल पर

    रखा गया था । इस र्वधेयक को प्रवर सर्मर्त के पास रे्जा गया था र्जसके अध्यक्ष जेम्स वेस्टलैंड

    थे । सर्मर्त ने 4 फरवरी, 1897 को अपना प्रर्तवेदन प्रस्ततु र्कया और संर्क्षप्त ििाभ के पश्चात उसी

    र्दन र्वधेयक को पाररत कर र्दया गया था।

    4 फरवरी, 1897 को इंर्डयन लेर्जस्लेर्टव काउंर्सल में ििाभ में र्ाग लेते हुए जॉन वडुबनभ ने

    कहा था र्क गंर्ीर और संकटपूर्भ पररर्स्थर्तयों में जनता को कायभपार्लका के र्ववेक पर र्वश्वास रखना

    िार्हए। काउंर्सल मेम्बर, बाबू जॉय गोर्वंद लॉ ंने कहा था र्क जब संकट इतना बडा है, तो मेर ेर्विार

  • से इससे र्नपटने की र्दशा में र्कए जा रहे सर्ी उपायों की जनता द्वारा सराहना की जाएगी । काउंर्सल

    मेम्बर, राव सार्हब बी र्सुकुते ने कहा र्क संकट की इस घडी में सबसे अच्छा उपाय यह होगा इस

    बीमारी से बिाव के र्लए र्कसी र्ी व्यर्ि को आवश्यक कदम उठाने का अर्धकार र्दया जाए । ििाभ में

    र्ाग लेते हुए दररं्गा के महाराजा ने कहा था र्क इस बीमारी से बिाव के उपायों के कारगर होने के

    र्लए यह आवश्यक है र्क इसमें र्शर्क्षत वगभ का ही नहीं बर्ल्क आम जनता का र्ी समथभन प्राप्त हो।

    र्ारत के लोग कानून का पालन करने वाले और इतने समझदार लोग हैं र्क वे इस संबंध में सरकार के

    र्लए कोई कर्ठनाई उत्पन्न नहीं करेंगे।

    िहािारी (सशंोधन) अध्यादेश, 2020 की आिश्यकता

    वतभमान कोर्वड महामारी के दौरान, स् वास् ् य सेवा कर्मभयों पर हमलों की कई घटनाए ंसामने

    आई हैं। दरु्ाभ ग्यवश लोगों की जान बिाने के र्लए र्दन-रात र्नरंतर अपनी सेवाए ं प्रदान करने वाले

    र्िर्कत्सा समदुाय के लोगों की र्स्थर्त संकटपूर्भ हो गई। उन् हें वायरस का वाहक माना गया। इसके

    कारर् उन पर दोषारोपर् करने और उनका बर्हष् कार करने के मामले तथा कर्ी-कर्ी तो उनके

    र्वरुद्ध अकारर् र्हंसा और उत् पीडन के मामले र्ी सामने आए। ऐसी र्स्थर्त में र्िर्कत्सा समदुाय को

    बेहतर ढंग से अपने कतभव्यों का र्नवभहन करने में कर्ठनाई होती है और उनका मनोबल र्ी टूट जाता है।

    मूल अर्धर्नयम की धारा 3 के अंतगभत जमुाभ ने का प्रावधान था लेर्कन यह र्ी ऐसी घटनाओ ंको रोकने

    में प्रर्ावी नहीं है।

    यह अर्धर्नयम 120 वषभ से र्ी अर्धक पुराना है, र्जसे तत्कालीन र्िर्टश संसद द्वारा

    अर्वर्ार्जत र्ारत के एक र्ाग अथाभत बंबई प्रेर्सडेंसी में उत्पन्न हुई र्स्थर्त पर काबू पाने के र्लए लागू

    र्कया गया था। इस अर्धर्नयम का प्रमखु उदे्दश्य रोग को फैलने से रोकना है। इसके पश्चात समय के

    साथ-साथ देश के कई राज्यों और संघ राज्य के्षत्रों ने आवश्यकता के अनसुार महामारी अर्धर्नयम के

  • प्रावधानों के तहत अर्धसूिनाए ंजारी की हैं। यद्यर्प मूल अर्धर्नयम में र्ीड को जमा होने से रोकने

    और लोगों को एक-दूसर े से पृथक रखने की आवश्यकता को संज्ञान में र्लया गया था र्फर र्ी इस

    संबंध में और कदम उठाए जाने की आवश्यकता थी। इन सर्ी समस्याओ ंके समाधान के र्लए ही इस

    अध्यादेश को लाया गया था ।

    अध्यादेश की िुख्य विशेषताए ँ

    पररभाषाए ँ: मूल अर्धर्नयम की धारा 1 के बाद एक नई धारा 1क अंतःस्थार्पत की गई है

    र्जसमें स्पि रूप से र्वर्हत र्कया गया है र्क (क) ‘’र्हंसा के कृत्य’’ में स्वास््य सेवा कर्मभयों के

    र्नवास अथवा कायभदशाओ ंको प्रर्ार्वत करने वाला और उन्हें उनके कतभव्यों के र्नवभहन से

    रोकने वाला उत्पीडन ; स्वास््य सेवा कर्मभयों को हार्न , िोट पहंुिाना , घायल करना ,

    धमकी देना अथवा उनके जीवन को खतर ेमें डालना ; अपने कतभव्यों के र्नवभहन में उनके

    समक्ष बाधा या अवरोध उत्पन्न करना ; ऐसे स्वास््य सेवाकर्मभयों की अर्र्रक्षा में अथवा

    उनसे संबर्न्धत र्कसी संपर्ि अथवा दस्तावेज़ को हार्न अथवा नकुसान पहंुिाना शार्मल है;

    (ख) ‘’स्वास््य सेवा कमी’’ ऐसा व्यर्ि है जो महामारी से र्नपटने संबंधी कतभव्यों का र्नवभहन

    करते समय माहामारी रोग से ग्रस्त होने का जोर्खम उठा रहा है । इनमें शार्मल हैं (i)पर्ब्लक

    और नैदार्नक स्वास््य देखरखे प्रदाता जैसे र्िर्कत्सक और नसभ ,(ii) कोई व्यर्ि र्जसे

    अर्धर्नयम के अंतगभत इस रोग को फैलने से रोकने के उपाय करने की शर्ि प्रदि की गई है ,

    और (iii) इस कायभ के र्लए राज्य सरकार द्वारा र्नर्दभि व्यर्ि ; और (ग) ‘’संपर्ि” में कोई र्ी

    नैदार्नक स् थापन, मोबाइल र्िर्कत्सीय इकाई अथवा कोई र्ी अन्य संपर्ि र्जसमें महामारी

    के संबंध में र्कसी स्वास््य सेवा कमी का प्रत् यक्षर्हत हो ।

    कें द्र सरकार की शवियाँ : मूल अर्धर्नयम की धारा 2 क को संशोर्धत करके यह स्पि र्कया

    गया है र्क कें द्र सरकार के पास , (i)र्कसी र्ी बंदरगाह से जाने वाले अथवा वहां आने वाले र्कसी

    र्ीजहाज अथवा जलयान के र्नरीक्षर् , और (ii) महामारी के प्रकोप के दौरान बन्दरगाह से यात्रा

    करने का आशय रखने वाले र्कसी र्ी व्यर्ि के र्नरोध के र्लए र्वर्नयम र्वर्हत करने की शर्ि

    होगी। अध्यादेश में र्कसी रू्र्म बंदरगाह, बंदरगाह अथवा एरोड्रोम से जाने वाले अथवा वहां आने

    वाली र्कसी र्ी बस, टे्रन, मालवाहक वाहन, जहाज, पोत अथवा हवाई जहाज के र्नरीक्षर् को

    र्वर्नयर्मत करने के र्लए कें द्र सरकार की शर्ियों का र्वस् तार र्कया गया है । इसके अलावा, कें द्र

  • सरकार इन साधनों से यात्रा करने का आशय रखने वाले र्कसी र्ी व्यर्ि को र्नरुद्ध कर सकती

    है ।

    स्िास््य कविथयों और सपंवि को क्षवत स ेबचाने के विए सरुक्षोपाय : एक नई धारा (धारा

    2 ख) अंतःस्थार्पत की गई है र्जसमें यह कहा गया है र्क महामारी के दौरान कोई र्ी व् यर्ि र्कसी

    स् वास् ् यकमी के र्वरूद्ध र्कसी र्हंसक कृत् य में र्लप् त नहीं होगा अथवा र्कसी संपर्ि को कोई नकुसान

    या क्षर्त नहीं पहंुिाएगा। साथ ही, मूल अर्धर्नयम की धारा 3 में संशोधन कर यह प्रावधान र्कया गया

    है र्कर्कसी महामारी के दौरान कोई र्ी व् यर्ि (एक) र्कसी स् वास् ् य सेवाकमी के र्वरूद्ध कोई र्हंसक

    कृत् य नहीं कर सकता या ऐसा करने के र्लए र्कसी को उकसा नहीं सकता, अथवा (दो) र्कसी

    संपर्ि को कोई नकुसान या क्षर्त नहीं पहंुिा सकता या ऐसा करने के र्लए र्कसी को उकसा नहीं

    सकता। इस प्रावधान का उल् लंघन करने पर कारावास ( 3 महीने से पााँि वषभ तक) और जमुाभना

    (पिास हजार रूपए से दो लाख रूपए तक) हो सकता है।उत्पीर्डत व्यर्ि इन अपराधों के मामल े को

    न्यायालय की अनमुर्त से इन अपराधों का शमन कर सकता है। यर्द र्कसी स्वास््य सेवा कमी के

    र्वरुद्ध र्कए गए र्हंसक कृत्य से उसे गंर्ीर क्षर्त पहुाँिती है तो अपराधी को छह महीने से सात वषभ तक

    के कारावास और एक लाख रुपए से पााँि लाख रुपए तक के जमुाभ ने से दंर्डत र्कया जा सकता है ।

    यह अपराध संजे्ञय और गैर-जमानती हैं।

    सजं्ञान , जांच और िुकदिा : इसमें नई धाराए ं3क, 3ख, 3ग, 3घ और 3ड अन् तर्वभष् ट की गई हैं र्जनमें यह कहा गया है र्क धारा (2) अथवा धारा(3) की उप-धारा 3 के अंतगभत अपराध

    संजे्ञय और गैर-जमानती होगा।इसके अर्तररि, अध्यादेश के अंतगभत दजभ र्कए गए मामलों की

    जांि कम से कम इंस्पेक्टर के पद के पुर्लस अर्धकारी द्वारा की जाएगी । जांि प्राथर्मकी दजभ

    कराने के 30 र्दनों के अंदर पूरी कर ली जानी िार्हए । और, जांि अथवा मकुदमे का र्नपटान

    एक वषभ के र्ीतर हो जाना िार्हए । यर्द यह कायभ इस समयावर्ध में पूरा नहीं र्कया जाता है तो

    न्यायाधीश र्वलंब के कारर् को ररकॉडभ करके समयावर्ध को और बढ़ा सकता है । तथार्प, एक

    बार में छह माह से अर्धक का समय नहीं र्दया जाना िार्हए।

    कवतपय अपराधों के िाििे िें प्रकल्पना – धारा 3ग में र्दया गया है र्क र्कसी स् वास् ् य सेवाकमी को गंर्ीर क्षर्त पहंुिाने हेत ु र्कसी व् यर्ि पर मकुदमा िलाते समय, न् यायालय यह

    मान कर िलेगा र्क उक् त व् यर्ि अपराध का दोषी है, जब तक र्क वह र्नरपराध र्सद्ध न हो

    जाए ।

    मआुवजा –धारा 3ड(1) में यह कहा गया है र्क अध् यादेश के अंतगभत अपराधों के र्लए दोषी व् यर्ियों को उन स् वास् ् य सेवाकर्मभयों को मआुवजे का र्गुतान र्ी करना होगा, र्जन् हें उन् होंने

    क्षर्त पहंुिाई है।इस मआुवज़े की रार्श को न्यायालय र्नधाभ ररत करगेा । संपर्ि को नकुसान

    अथवा क्षर्त पहंुिाने के मामले में उत्पीर्डत व्यर्ि को न्यायालय द्वारा यथा र्नधाभ ररत उस

  • संपर्ि के उर्ित बाज़ार मूल्य की दोगनुी कीमत देय होगी र्जसका नकुसान हुआ या र्जसे

    क्षर्त पहंुिाई गई है । यर्द दोषी व्यर्ि मआुवज़े का र्गुतान नहीं करता है तो इस रार्श की

    वसूली राजस्व वसूली अर्धर्नयम, 1890 के अंतगभत रू्र्म राजस्व के बकाए के रूप में की

    जाएगी ।

    ििू अवधवनयि के सार् तुिना

    क्र.सं. महामारी रोग अर्धर्नयम, 1897 महामारी रोग(संशोधन) अध् यादेश, 2020

    1. व्यावि: अर्धर्नयम खतरनाक

    महामारी के प्रसार को बेहतर

    तरीके से रोकने हेतु प्रावधान

    करता ह ै

    िहािारी रोग (सशंोधन) अध् यादेश, 2020 अध् यादेश में

    महामाररयों का मकुाबला कर रहे स् वास् ् य सेवाकर्मभयों हेतु सुरक्षा

    को र्ी जोडा गया है और ऐसी बीमाररयों के प्रसार को रोकने के

    र्लए कें द्र सरकार की शर्ियों का र्ी र्वस् तार र्कया गया है ।

    2. अवधवनयि की धारा 1 (संर्क्षप् त

    नाम और र्वस् तार) इस धारा में

    अर्धर्नयम का नाम और र्वस् तार

    र्दया गया है।

    धारा 1 का संशोधन:नई धारा 1(क) का अंतःस्थापन: ''र्हसंा का

    कृत् य'' के अंतगभत र्कसी स् वास् ् य सेवाकमी के र्वरूद्ध र्कया गया

    र्नम् नर्लर्खत कोई र्ी कृत् य शार्मल है: (एक) जीर्वका या कायभ

    दशा को प्रर्ार्वत करने वाला उत् पीडन, (दो) नुकसान, क्षर्त, हार्न

    या जीवन का जोर्खम, (तीन) उसके कतभव् य के र्नवभहन में बाधा

    डालना और (िार) स् वास् ् य सेवाकर्मभयों की संपर्ि अथवा

    दस् तावेजों को हार्न या नुकसान। संपर्ि की पररर्ाषा में

    र्नम् नर्लर्खत शार्मल है: (एक) नैदार्नक प्रर्तष् ठान, (दो)

    क् वारटंाइन सुर्वधा, (तीन) सिल र्िर्कत् सा यूर्नट. और (िार)

    अन् य कोई संपर्ि, र्जसमें महामारी के संबधं में र्कसी स् वास् ् य

    सेवाकार्मभक का प्रत् यक्ष र्हत हो।

    3. धारा 2 क-कें द्र सरकार की

    शविया ं

    मूल अर्धर्नयम की धारा 2क में

    यह प्रावधान है र्क जब कें द्र

    सरकार को यह समाधान हो जाए

    र्क र्ारत अथवा इसके र्कसी

    के्षत्र में र्कसी खतरनाक महामारी

    का प्रकोप फैला हो अथवा फैलने

    का जोर्खम हो और यह र्क उस

    समय लागू कानून के सामान् य

    प्रावधान ऐसी बीमारी के प्रकोप

    अथवा उसके प्रसार को रोकने के

    मूल अर्धर्नयम की धारा 2 क को यह र्वर्हत करने के र्लए

    संशोर्धत र्कया गया ह ै र्क कें द्र सरकार र्कसी प्रकोप के दौरान

    (एक) र्कसी पत् तन से जाने वाले अथवा आने वाले र्कसी र्ी

    जहाज अथवा पोत का र्नरीक्षर् और (दो) पत् तन से यात्रा करने का

    आशय रखने वाले र्कसी व् यर्ि के र्नरोध को र्वर्नयर्मत कर

    सकती है। अध् यादेश र्कसी रू्र्म पत् तन, पत् तन अथवा ऐरोड्रोम से

    जाने वाली अथवा वहा ं आने वाली र्कसी बस, टे्रन, मालवाहक

    वाहन, जहाज, पोत अथवा हवाई जहाज के र्नरीक्षर् को र्वर्नयर्मत

    करने के र्लए कें द्र सरकार की शर्ियों का र्वस् तार करता है। साथ

    ही, कें द्र सरकार इन साधनों से यात्रा करने का आशय रखने वाले

    र्कसी र्ी व् यर्ि को र्नरूद्ध करने संबधंी र्वर्नयमन कर सकती है।

    नई धारा 2 ख का अंतःस्थापन कोई र्ी व् यर्ि महामारी के दौरान

  • र्लए अपयाभप् त ह,ै तो कें द्र सरकार

    र्कसी पत् तन से जाने वाले अथवा

    वहा ं आने र्कसी जहाज अथवा

    पोत के र्नरीक्षर् के र्लए और

    उसमें यात्रा करने का आशय

    रखने वाले अथवा उससे आने

    वाले र्कसी व् यर्ि को र्नरूद्ध

    करने हेतु यथा आवश् यक उपाय

    कर सकती है और र्वर्नयम

    र्वर्हत कर सकती है।

    र्कसी स् वास् ् य सेवाकमी के र्वरूद्ध र्हसंक कृत् य में र्लप् त नहीं

    होगा अथवा र्कसी संपर्ि को कोई नुकसान या क्षर्त नहीं पहुिंाएगा

    4. धारा-3 शावस्त

    इस अर्धर्नयम के अंतगभत बनाए

    गए र्कसी र्वर्नयम अथवा आदेश

    की अवहेलना करने वाला कोई

    र्ी व् यर्ि र्ारतीय दडं संर्हता की

    धारा 188 के अंतगभत दण् डनीय

    अपराध काररत करने वाला

    समझा जाएगा।

    ििू अवधवनयि की धारा 3 को यह प्रािधान करने के विए

    सशंोवधत र्कया गया है र्क कोई र्ी व् यर्ि महामारी के

    दौरान(एक) र्कसी स् वास् ् य सेवाकमी के र्वरूद्ध कोई र्हसंक कृत् य

    नहीं कर सकता या ऐसा करने के र्लए र्कसी को उकसा नहीं

    सकता, अथवा (दो) र्कसी र्ी संपर्ि को नकुसान या क्षर्त नहीं

    पहुिंा सकता अथवा ऐसा करने के र्लए र्कसी को उकसा नहीं

    सकता। इस प्रावधान का उल् लंघन करने पर 3 महीने से 5 वषभ तक

    का करावास, और 50,000/- रुपए से दो लाख रुपए तक का

    जुमाभना हो सकता है। न्यायालय की अनुमर्त से पीर्डत व्यर्ि

    अपराध का शमन कर सकता ह ै। यर्द र्कसी स् वास् ् य सेवाकमी के

    र्वरुद्ध र्हसंा के र्कसी कृत् य से गरं्ीर क्षर्त पहुिंती ह,ै तो अपराध

    करने वाले व् यर्ि को छह माह से सात वषभ तक के कारावास और

    एक लाख रुपए से पािं लाख रुपए तक के जुमाभने से दरं्डत र्कया

    जाएगा ।

    अपराधों के संज्ञान, जािं और र्विारर् हेतु नई धाराए ं3 क, 3 ख,

    3 ग, 3 घ और 3ड अंत:स् थार्पत की गई ह ै।

  • पे्रस किरेज

    आईएमए के पूवभ अध्यक्ष, और सर्िव स्वास््य कार्मभकों की सरुक्षा के र्लए अध्यादेश का स्वागत करते

    हैं

    https://www.aninews.in/news/national/general-news/former-ima-president-

    secretary-welcome-ordinance-to-protect-health-workers20200424014224/

    अमरीकी राजनर्यक ने र्ारत द्वारा कोर्वड -19 के मोिे पर तैनात स्वास््य कार्मभकों की सरुक्षा के

    र्लए र्कए गए प्रयासों की सराहना की है। “देखकर खुशी हुई र्क #इंर्डया #कोर्वड-19 का अर्ग्रम पंर्ि

    पर सामना करने वाल ेस्वास््य देखर्ाल कार्मभकों की सरुक्षा के र्लए अर्तररि कदम उठा रहा है। ये

    योद्धा अपने समदुायों की रक्षा के र्लए अथक प्रयास कर रहे हैं । एजीडब्ल्य,ू "द ब्यूरो ऑफ साउथ एडं

    सेंट्रल एर्शयन अफेयसभ(एससीए) ने वेल्स को उदृ्धत करते हुए ट्वीट र्कया।

    "https://www.hindustantimes.com/india-news/us-diplomat-lauds-india-s-efforts-in-

    protecting-health-staff-on-covid-19-frontline/story-

    BhR0DRjnfHRkMeH6rXxo6M.htmlस्वास््य कार्मभकों पर हमला बदाभश्त नहीं, जमुाभने के साथ 7

    साल की सजा का प्रावधान; कें द्र का बडा ऐलान I 123 साल पुराने महामारी बीमारी कानून में

    स्वास््य कर्मभयों के साथ र्हंसक वारदातों के र्लए सजा का कोई स्पि प्रावधान नहीं था। कानून की

    धारा तीन में र्सफभ 'जमुाभना' शब्द का र्जक्र है। उसमें र्ी यह कहा गया है र्क यर्द कोई व्यर्ि इस

    कानून के तहत जारी र्दशार्नदेशों का पालन नहीं करता है तो इसे अपराध माना जाएगा। लेर्कन इस

    अपराध के र्लए सीधे सजा का प्रावधान करने के बजाय उसके र्लए र्ारतीय दंड संर्हता की धारा

    188 के तहत सजा देने की बात कही गई है।

    https://www.jagran.com/politics/national-ib-minister-prakash-javdekar-announces-

    punishment-for-attacker-on-health-woker-20212691.html

    स्वास््यकर्मभयों की सरुक्षा के अध्यादेश की पीएम ने की तारीफ, बोल-े यह हमारी प्रर्तबद्धता I कें द्रीय

    कैर्बनेट की बैठक में आज 123 साल पुराने कानून में बदलाव कर स्वास््यकर्मभयों की सरुक्षा के र्लए

    अध्यादेश लाने का फैसला र्कया गया। इस अध्यादेश के तहत डॉक्टरों और अन्य हेल्थकर्मभयों पर

    हमला करने वालों को अर्धकतम 7 साल तक की सजा हो सकती है।

    https://www.aninews.in/news/national/general-news/former-ima-president-secretary-welcome-ordinance-to-protect-health-workers20200424014224/#_blankhttps://www.aninews.in/news/national/general-news/former-ima-president-secretary-welcome-ordinance-to-protect-health-workers20200424014224/#_blankhttps://www.hindustantimes.com/india-news/us-diplomat-lauds-india-s-efforts-in-protecting-health-staff-on-covid-19-frontline/story-BhR0DRjnfHRkMeH6rXxo6M.html#_blankhttps://www.hindustantimes.com/india-news/us-diplomat-lauds-india-s-efforts-in-protecting-health-staff-on-covid-19-frontline/story-BhR0DRjnfHRkMeH6rXxo6M.html#_blankhttps://www.hindustantimes.com/india-news/us-diplomat-lauds-india-s-efforts-in-protecting-health-staff-on-covid-19-frontline/story-BhR0DRjnfHRkMeH6rXxo6M.html#_blankhttps://www.jagran.com/politics/national-ib-minister-prakash-javdekar-announces-punishment-for-attacker-on-health-woker-20212691.html#_blankhttps://www.jagran.com/politics/national-ib-minister-prakash-javdekar-announces-punishment-for-attacker-on-health-woker-20212691.html#_blank

  • https://navbharattimes.indiatimes.com/india/pm-narendra-modi-says-our-

    commitment-to-protect-healthcare-worker-who-battling-against-

    coronavirus/articleshow/75296527.cms

    कई राज्यों में र्वर्धक सरुक्षा उपाय पहले से ही र्ारतीय दंड संर्हता, 1860 (IPC) और मेर्डकेयर

    सर्वभस पसभन्स एडं मेर्डकेयर सर्वभस इंस्टीट्यूशंस (र्प्रवेंशन ऑफ वॉयलेंस एडं डैमेज टू प्रॉपटी)

    अर्धर्नयमों के प्रावधानों के माध्यम से मौजूद हैं, र्जनमें समरूप सरुक्षा अर्धकार र्दए गए हैं। यद्यर्प इन

    कानूनों के कायाभन्वयन में कमी थी। इसके बावजूद इस अध्यादेश के समथभकों द्वारा इसकी सराहना

    करते समय अर्तशय सख्त और असंवैधार्नक प्रावधानों की र्ी अनदेखी की गई

    है।https://www.barandbench.com/columns/the-ordinance-to-protect-healthcare-

    workers-has-draconian-provisions

    संर्वधान र्वशेषज्ञ इस बात पर बल देते हैं र्क कानून में मात्र इसर्लए संशोधन करने की आवश्यकता

    नहीं है र्क यह स्वतंत्रता-पूवभ काल से मौजूद रहा है।https://www.livemint.com/news/india/a-

    123-yr-old-act-to-combat-coronavirus-in-india-experts-say-nothing-wrong-

    11584182501707.html

    https://navbharattimes.indiatimes.com/india/pm-narendra-modi-says-our-commitment-to-protect-healthcare-worker-who-battling-against-coronavirus/articleshow/75296527.cms#_blankhttps://navbharattimes.indiatimes.com/india/pm-narendra-modi-says-our-commitment-to-protect-healthcare-worker-who-battling-against-coronavirus/articleshow/75296527.cms#_blankhttps://navbharattimes.indiatimes.com/india/pm-narendra-modi-says-our-commitment-to-protect-healthcare-worker-who-battling-against-coronavirus/articleshow/75296527.cms#_blankhttps://www.barandbench.com/columns/the-ordinance-to-protect-healthcare-workers-has-draconian-provisionshttps://www.barandbench.com/columns/the-ordinance-to-protect-healthcare-workers-has-draconian-provisionshttps://www.livemint.com/news/india/a-123-yr-old-act-to-combat-coronavirus-in-india-experts-say-nothing-wrong-11584182501707.htmlhttps://www.livemint.com/news/india/a-123-yr-old-act-to-combat-coronavirus-in-india-experts-say-nothing-wrong-11584182501707.htmlhttps://www.livemint.com/news/india/a-123-yr-old-act-to-combat-coronavirus-in-india-experts-say-nothing-wrong-11584182501707.html

  • स्रोतः

    1. PIB Press Release dated 22 April, 2020.

    2. http://legislative.gov.in/sites/default/files/legislative_references/ORDINANCES%202020%20%2808.07.2020%29.pdf

    3. (https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1617327#:~:text=In%20this%20context%2C%20the%20Union,premises%20against%20violence%20during%20epidemics.)

    4. The Epidemic Diseases (Amendment) Ordinance, 2020 (http://egazette.nic.in/WriteReadData/2020/219108.pdf)

    5. The Epidemic Diseases Act, 1897 (http://legislative.gov.in/sites/default/files/A1897-03.pdf)

    श्री प्रदोष पांडा, र्नदेशक (23035391) और श्रीमती कल्पना शमाभ, अपर सर्िव (23034845),

    लोक सर्ा सर्िवालय के पयभवेक्षर् में श्री बैकंुठनाथ मोहपात्रा, संयिु र्नदेशक द्वारा तैयार र्कया गया ।

    http://legislative.gov.in/sites/default/files/legislative_references/ORDINANCES%202020%20%2808.07.2020%29.pdfhttp://legislative.gov.in/sites/default/files/legislative_references/ORDINANCES%202020%20%2808.07.2020%29.pdfhttps://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1617327#:~:text=In%20this%20context%2C%20the%20Union,premises%20against%20violence%20during%20epidemics.https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1617327#:~:text=In%20this%20context%2C%20the%20Union,premises%20against%20violence%20during%20epidemics.https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1617327#:~:text=In%20this%20context%2C%20the%20Union,premises%20against%20violence%20during%20epidemics.http://egazette.nic.in/WriteReadData/2020/219108.pdfhttp://legislative.gov.in/sites/default/files/A1897-03.pdf