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Page 1: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

Premchand (4) Created on 19-Feb-04 31300 PM Page 1 of 40

मचद

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एक ऑच क कसर 3

माता का दय 9

पर ा 18

ततर 22

नरा य 30

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एक आच क कसर

र नगर म महाशय यशोदान द का बखान हो रहा था नगर ह म नह सम त ा त म उनक क त क जाती थी

समाचार प म ट प णया हो रह थी म ो स शसापण प का ताता लगा हआ था समाज -सवा इसको कहत ह उ नत वचार क लोग ऐसा ह करत ह महाशय जी न श त समदाय का मख उ जवल कर दया अब कौन यह कहन का साहस कर सकता ह क हमार नता कवल बात क धनी ह काम क धनी नह ह महाशय जी चाहत तो अपन प क लए उ ह कम स कम बीज हतार पय दहज म मलत उस पर खशामद घात म मगर लाला साहब न स वात क सामन धन क र ती बराबर परवा न क और अपन प का ववाह बना एक पाई दहज लए वी कार कया वाह वाह ह मत हो तो ऐसी हो स वात म हो तो ऐसा हो आदश-पालन हो तो ऐसा हो वाह र स च वीर अपनी माता क स च सपत तन वह कर दखाया जो कभी कसी न कया था हम बड गव स तर सामन म तक नवात ह महाशय यशोदान द क दो प थ बडा लडका पढ लख कर फािजल हो चका था उसी का ववाह तय हो रहा था और हम दख चक ह बना कछ दहज लय

आज का तलक था शाहजहापर वामीदयाल तलक ल कर आन वाल थ शहर क गणमा य स जन को नम ण द दय गय थ व लोग जमा हो गय थ मह फल सजी7 हई थी एक वीण सता रया अपना कौशल दखाकर लोगो को म ध कर रहा था दावत को सामान भी तयार था म गण यशोदान द को बधाईया द रह थ

एक महाशय बोलmdashतमन तो कमाल कर दया

दसर mdashकमाल यह क हए क झ ड गाड दय अब तक िजस दखा

मच पर या यान झाडत ह दखा जब काम करन का अवसर आता था तो लोग दम लगा लत थ

तीसरmdashकस-कस बहान गढ जात हmdashसाहब हम तो दहज स स त नफरत ह यह मर स वात क व व ह पर या क या ब च क

सा

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4

अ मीजान नह मानती कोई अपन बाप पर फकता ह कोई और कसी खराट पर

चौथmdashअजी कतन तो ऐस बहया ह जो साफ-साफ कह दत ह क हमन लडक को श ा ndash द ा म िजतना खच कया ह वह हम मलना चा हए मानो उ होन यह पय उ होन कसी बक म जमा कय थ पाचवmdashखब समझ रहा ह आप लोग मझ पर छ ट उडा रह ह

इसम लडक वाल का ह सारा दोष ह या लडक वाल का भी कछ ह

पहलmdashलडक वाल का या दोष ह सवा इसक क वह लडक का बाप ह

दसर mdashसारा दोष ई वर का िजसन लड कया पदा क य

पाचवmdashम चयह नह कहता न सारा दोष लडक वाल का ह न सारा दोष लडक वाल का दोन क दोषी ह अगर लडक वाला कछ न द तो उस यह शकायत करन का कोई अ धकार नह ह क डाल य नह लाय सदर जोड य नह लाय बाज-गाज पर धमधाम क साथ य नह आय बताइए

चौथmdashहा आपका यह न गौर करन लायक ह मर समझ म तो ऐसी दशा म लडक क पता स यह शकायत न होनी चा हए

पाचव---तो य क हए क दहज क था क साथ ह डाल गहन और जोडो क था भी या य ह कवल दहज को मटान का य न करना यथ ह

यशोदान द----यह भी Lame excuse1 ह मन दहज नह लया ह ल कन या डाल-गहन न ल जाऊगा

पहल---महाशय आपक बात नराल ह आप अपनी गनती हम द नया वाल क साथ य करत ह आपका थान तो दवताओ क साथ ह

दसरा ----20 हजार क रकम छोड द या बात ह ______________________ १------थोथी दल ल

यशोदान द---मरा तो यह न चय ह क हम सदव principles 1 पर

ि थर रहना चा हए principal 2 क सामन money3 क कोई value4 नह ह

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दहज क क था पर मन खद कोई या यान नह दया शायद कोई नोट तक नह लखा हा conference5 म इस ताव को second6 कर चका ह म उस तोडना भी चाह तो आ मा न तोडन दगी म स य कहता ह यह पय ल तो मझ इतनी मान सक वदना होगी क शायद म इस आघात स

बच ह न सक

पाचव---- अब क conference आपको सभाप त न बनाय तो उसका घोर अ याय ह

यशोदान दmdashमन अपनी duty 7 कर द उसका recognition8 हो या न हो मझ इसक परवाह नह

इतन म खबर हई क महाशय वामीदयाल आ पहच लोग उनका अ भवादन करन को तयार हए उ ह मसनद पर ला बठाया और तलक का स कार आर भ हो गया वामीदयाल न एक ढाक क प तल पर ना रयल सपार चावल पान आ द व तए वर क सामन रखी ा ण न म पढ हवन हआ और वर क माथ पर तलक लगा दया गया तर त घर क ि यो न मगलाचरण गाना श कया यहा पह फल म महाशय यशोदान द न एक चौक पर खड होकर दहज क क था पर या यान दना श कया या यान पहल स लखकर तयार कर लया गया था उ होन दहज क ऐ तहा सक या या क थी

पवकाल म दहज का नाम भी न थ महाशय कोई जानता ह न था क दहज या ठहरोनी कस च डया का नाम ह स य मा नए कोई जानता ह न था क ठहरौनी ह या चीज पश या प ी आसमान म या जमीन म खान म या पीन म बादशाह जमान म इस था क ब नयाद पडी हमार यवक सनाओ म सि म लत होन लग यह वीर लोग थ सनाओ म जाना गव समझत थ माताए अपन दलार को अपन हाथ स श स सजा कर रण भजती थी इस भॉ त यवक क स या कम होन लगी और लडक का मोल-तोल श हआ आज यह नौवत आ गयी ह क मर इस त छ ndashमहात छ सवा पर प म ट प णया हो रह ह मान मन कोई असाधारण काम कया ह म कहता ह अगर आप ससार म जी वत रहना चाहत हो तो इस था क तर त अ त क िजए --------------------------------------- १---- स वात २---- स वात 3-----धन 4-----म य

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5--- सभा 6---अनमोदन ७ कत य ८----कदर

एक महाशय न शका क ---- या इसका अत कय बना हम सब मर जायग

यशोदान द-अगर ऐसा होता ह तो या पछना था लोगो को दड मल जाता और वा तव म ऐसा होना चा हए यह ई वर का अ याचार ह क ऐस लोभी धन पर गरन वाल बदा -फरोश अपनी सतान का व य करन वाल नराधम जी वत ह और समाज उनका तर कार नह करता मगर वह सब बद-फरोश ह------इ या द

या यान बहतद ल बा ओर हा य भरा हआ था लोग न खब वाह -वाह क अपना व त य समा त करन क बाद उ होन अपन छोट लडक परमान द को िजसक अव था ७ वष क थी मच पर खडा कया उस उ होन एक छोटा-सा या यान लखकर द रखा था दखाना चाहत थ क इस कल क छोट बा लक भी कतन कशा बि व ह सभा समाज म बालक स या यान दलान क था ह ह कसी को कतहल न हआबालक बडा स दर होनहार हसमख था म कराता हआ मच पर आया और एक जब स कागज नकाल कर बड गव क साथ उ च वर म पढन लगा------

य बधवर नम कार

आपक प स व दत होता ह क आपको मझ पर व वास नह ह म ई वर को सा ी करक धन आपक सवा म इतनी ग त र त स पहचगा क कसी को लशमा भी स दह न होगा हा कवल एक िज ासा करन क ध टता करता ह इस यापार को ग त रखन स आपको जो स मान और त ठा ndash लाभ होगा और मर नकटवत म मर जो नदा क जाएगी

उसक उपल य म मर साथ या रआयत होगी मरा वनीत अनरोध ह क २५ म स ५ नकालकर मर साथ याय कया जाय

महाशय योदान द घर म महमान क लए भोजन परसन का आदश करन गय थ नकल तो यह बा य उनक कान म पडाmdash२५ म स ५ मर साथ याय कया क िजए lsquo चहरा फक हो गया झपट कर लडक क पास गय कागज उसक हाथ स छ न लया और बौल--- नालायक यह या पढ रहा ह यह तो कसी मवि कल का खत ह जो उसन अपन मकद म क बार

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म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

2

या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 2: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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एक ऑच क कसर 3

माता का दय 9

पर ा 18

ततर 22

नरा य 30

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एक आच क कसर

र नगर म महाशय यशोदान द का बखान हो रहा था नगर ह म नह सम त ा त म उनक क त क जाती थी

समाचार प म ट प णया हो रह थी म ो स शसापण प का ताता लगा हआ था समाज -सवा इसको कहत ह उ नत वचार क लोग ऐसा ह करत ह महाशय जी न श त समदाय का मख उ जवल कर दया अब कौन यह कहन का साहस कर सकता ह क हमार नता कवल बात क धनी ह काम क धनी नह ह महाशय जी चाहत तो अपन प क लए उ ह कम स कम बीज हतार पय दहज म मलत उस पर खशामद घात म मगर लाला साहब न स वात क सामन धन क र ती बराबर परवा न क और अपन प का ववाह बना एक पाई दहज लए वी कार कया वाह वाह ह मत हो तो ऐसी हो स वात म हो तो ऐसा हो आदश-पालन हो तो ऐसा हो वाह र स च वीर अपनी माता क स च सपत तन वह कर दखाया जो कभी कसी न कया था हम बड गव स तर सामन म तक नवात ह महाशय यशोदान द क दो प थ बडा लडका पढ लख कर फािजल हो चका था उसी का ववाह तय हो रहा था और हम दख चक ह बना कछ दहज लय

आज का तलक था शाहजहापर वामीदयाल तलक ल कर आन वाल थ शहर क गणमा य स जन को नम ण द दय गय थ व लोग जमा हो गय थ मह फल सजी7 हई थी एक वीण सता रया अपना कौशल दखाकर लोगो को म ध कर रहा था दावत को सामान भी तयार था म गण यशोदान द को बधाईया द रह थ

एक महाशय बोलmdashतमन तो कमाल कर दया

दसर mdashकमाल यह क हए क झ ड गाड दय अब तक िजस दखा

मच पर या यान झाडत ह दखा जब काम करन का अवसर आता था तो लोग दम लगा लत थ

तीसरmdashकस-कस बहान गढ जात हmdashसाहब हम तो दहज स स त नफरत ह यह मर स वात क व व ह पर या क या ब च क

सा

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अ मीजान नह मानती कोई अपन बाप पर फकता ह कोई और कसी खराट पर

चौथmdashअजी कतन तो ऐस बहया ह जो साफ-साफ कह दत ह क हमन लडक को श ा ndash द ा म िजतना खच कया ह वह हम मलना चा हए मानो उ होन यह पय उ होन कसी बक म जमा कय थ पाचवmdashखब समझ रहा ह आप लोग मझ पर छ ट उडा रह ह

इसम लडक वाल का ह सारा दोष ह या लडक वाल का भी कछ ह

पहलmdashलडक वाल का या दोष ह सवा इसक क वह लडक का बाप ह

दसर mdashसारा दोष ई वर का िजसन लड कया पदा क य

पाचवmdashम चयह नह कहता न सारा दोष लडक वाल का ह न सारा दोष लडक वाल का दोन क दोषी ह अगर लडक वाला कछ न द तो उस यह शकायत करन का कोई अ धकार नह ह क डाल य नह लाय सदर जोड य नह लाय बाज-गाज पर धमधाम क साथ य नह आय बताइए

चौथmdashहा आपका यह न गौर करन लायक ह मर समझ म तो ऐसी दशा म लडक क पता स यह शकायत न होनी चा हए

पाचव---तो य क हए क दहज क था क साथ ह डाल गहन और जोडो क था भी या य ह कवल दहज को मटान का य न करना यथ ह

यशोदान द----यह भी Lame excuse1 ह मन दहज नह लया ह ल कन या डाल-गहन न ल जाऊगा

पहल---महाशय आपक बात नराल ह आप अपनी गनती हम द नया वाल क साथ य करत ह आपका थान तो दवताओ क साथ ह

दसरा ----20 हजार क रकम छोड द या बात ह ______________________ १------थोथी दल ल

यशोदान द---मरा तो यह न चय ह क हम सदव principles 1 पर

ि थर रहना चा हए principal 2 क सामन money3 क कोई value4 नह ह

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दहज क क था पर मन खद कोई या यान नह दया शायद कोई नोट तक नह लखा हा conference5 म इस ताव को second6 कर चका ह म उस तोडना भी चाह तो आ मा न तोडन दगी म स य कहता ह यह पय ल तो मझ इतनी मान सक वदना होगी क शायद म इस आघात स

बच ह न सक

पाचव---- अब क conference आपको सभाप त न बनाय तो उसका घोर अ याय ह

यशोदान दmdashमन अपनी duty 7 कर द उसका recognition8 हो या न हो मझ इसक परवाह नह

इतन म खबर हई क महाशय वामीदयाल आ पहच लोग उनका अ भवादन करन को तयार हए उ ह मसनद पर ला बठाया और तलक का स कार आर भ हो गया वामीदयाल न एक ढाक क प तल पर ना रयल सपार चावल पान आ द व तए वर क सामन रखी ा ण न म पढ हवन हआ और वर क माथ पर तलक लगा दया गया तर त घर क ि यो न मगलाचरण गाना श कया यहा पह फल म महाशय यशोदान द न एक चौक पर खड होकर दहज क क था पर या यान दना श कया या यान पहल स लखकर तयार कर लया गया था उ होन दहज क ऐ तहा सक या या क थी

पवकाल म दहज का नाम भी न थ महाशय कोई जानता ह न था क दहज या ठहरोनी कस च डया का नाम ह स य मा नए कोई जानता ह न था क ठहरौनी ह या चीज पश या प ी आसमान म या जमीन म खान म या पीन म बादशाह जमान म इस था क ब नयाद पडी हमार यवक सनाओ म सि म लत होन लग यह वीर लोग थ सनाओ म जाना गव समझत थ माताए अपन दलार को अपन हाथ स श स सजा कर रण भजती थी इस भॉ त यवक क स या कम होन लगी और लडक का मोल-तोल श हआ आज यह नौवत आ गयी ह क मर इस त छ ndashमहात छ सवा पर प म ट प णया हो रह ह मान मन कोई असाधारण काम कया ह म कहता ह अगर आप ससार म जी वत रहना चाहत हो तो इस था क तर त अ त क िजए --------------------------------------- १---- स वात २---- स वात 3-----धन 4-----म य

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6

5--- सभा 6---अनमोदन ७ कत य ८----कदर

एक महाशय न शका क ---- या इसका अत कय बना हम सब मर जायग

यशोदान द-अगर ऐसा होता ह तो या पछना था लोगो को दड मल जाता और वा तव म ऐसा होना चा हए यह ई वर का अ याचार ह क ऐस लोभी धन पर गरन वाल बदा -फरोश अपनी सतान का व य करन वाल नराधम जी वत ह और समाज उनका तर कार नह करता मगर वह सब बद-फरोश ह------इ या द

या यान बहतद ल बा ओर हा य भरा हआ था लोग न खब वाह -वाह क अपना व त य समा त करन क बाद उ होन अपन छोट लडक परमान द को िजसक अव था ७ वष क थी मच पर खडा कया उस उ होन एक छोटा-सा या यान लखकर द रखा था दखाना चाहत थ क इस कल क छोट बा लक भी कतन कशा बि व ह सभा समाज म बालक स या यान दलान क था ह ह कसी को कतहल न हआबालक बडा स दर होनहार हसमख था म कराता हआ मच पर आया और एक जब स कागज नकाल कर बड गव क साथ उ च वर म पढन लगा------

य बधवर नम कार

आपक प स व दत होता ह क आपको मझ पर व वास नह ह म ई वर को सा ी करक धन आपक सवा म इतनी ग त र त स पहचगा क कसी को लशमा भी स दह न होगा हा कवल एक िज ासा करन क ध टता करता ह इस यापार को ग त रखन स आपको जो स मान और त ठा ndash लाभ होगा और मर नकटवत म मर जो नदा क जाएगी

उसक उपल य म मर साथ या रआयत होगी मरा वनीत अनरोध ह क २५ म स ५ नकालकर मर साथ याय कया जाय

महाशय योदान द घर म महमान क लए भोजन परसन का आदश करन गय थ नकल तो यह बा य उनक कान म पडाmdash२५ म स ५ मर साथ याय कया क िजए lsquo चहरा फक हो गया झपट कर लडक क पास गय कागज उसक हाथ स छ न लया और बौल--- नालायक यह या पढ रहा ह यह तो कसी मवि कल का खत ह जो उसन अपन मकद म क बार

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7

म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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9

माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

2

या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 3: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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एक आच क कसर

र नगर म महाशय यशोदान द का बखान हो रहा था नगर ह म नह सम त ा त म उनक क त क जाती थी

समाचार प म ट प णया हो रह थी म ो स शसापण प का ताता लगा हआ था समाज -सवा इसको कहत ह उ नत वचार क लोग ऐसा ह करत ह महाशय जी न श त समदाय का मख उ जवल कर दया अब कौन यह कहन का साहस कर सकता ह क हमार नता कवल बात क धनी ह काम क धनी नह ह महाशय जी चाहत तो अपन प क लए उ ह कम स कम बीज हतार पय दहज म मलत उस पर खशामद घात म मगर लाला साहब न स वात क सामन धन क र ती बराबर परवा न क और अपन प का ववाह बना एक पाई दहज लए वी कार कया वाह वाह ह मत हो तो ऐसी हो स वात म हो तो ऐसा हो आदश-पालन हो तो ऐसा हो वाह र स च वीर अपनी माता क स च सपत तन वह कर दखाया जो कभी कसी न कया था हम बड गव स तर सामन म तक नवात ह महाशय यशोदान द क दो प थ बडा लडका पढ लख कर फािजल हो चका था उसी का ववाह तय हो रहा था और हम दख चक ह बना कछ दहज लय

आज का तलक था शाहजहापर वामीदयाल तलक ल कर आन वाल थ शहर क गणमा य स जन को नम ण द दय गय थ व लोग जमा हो गय थ मह फल सजी7 हई थी एक वीण सता रया अपना कौशल दखाकर लोगो को म ध कर रहा था दावत को सामान भी तयार था म गण यशोदान द को बधाईया द रह थ

एक महाशय बोलmdashतमन तो कमाल कर दया

दसर mdashकमाल यह क हए क झ ड गाड दय अब तक िजस दखा

मच पर या यान झाडत ह दखा जब काम करन का अवसर आता था तो लोग दम लगा लत थ

तीसरmdashकस-कस बहान गढ जात हmdashसाहब हम तो दहज स स त नफरत ह यह मर स वात क व व ह पर या क या ब च क

सा

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अ मीजान नह मानती कोई अपन बाप पर फकता ह कोई और कसी खराट पर

चौथmdashअजी कतन तो ऐस बहया ह जो साफ-साफ कह दत ह क हमन लडक को श ा ndash द ा म िजतना खच कया ह वह हम मलना चा हए मानो उ होन यह पय उ होन कसी बक म जमा कय थ पाचवmdashखब समझ रहा ह आप लोग मझ पर छ ट उडा रह ह

इसम लडक वाल का ह सारा दोष ह या लडक वाल का भी कछ ह

पहलmdashलडक वाल का या दोष ह सवा इसक क वह लडक का बाप ह

दसर mdashसारा दोष ई वर का िजसन लड कया पदा क य

पाचवmdashम चयह नह कहता न सारा दोष लडक वाल का ह न सारा दोष लडक वाल का दोन क दोषी ह अगर लडक वाला कछ न द तो उस यह शकायत करन का कोई अ धकार नह ह क डाल य नह लाय सदर जोड य नह लाय बाज-गाज पर धमधाम क साथ य नह आय बताइए

चौथmdashहा आपका यह न गौर करन लायक ह मर समझ म तो ऐसी दशा म लडक क पता स यह शकायत न होनी चा हए

पाचव---तो य क हए क दहज क था क साथ ह डाल गहन और जोडो क था भी या य ह कवल दहज को मटान का य न करना यथ ह

यशोदान द----यह भी Lame excuse1 ह मन दहज नह लया ह ल कन या डाल-गहन न ल जाऊगा

पहल---महाशय आपक बात नराल ह आप अपनी गनती हम द नया वाल क साथ य करत ह आपका थान तो दवताओ क साथ ह

दसरा ----20 हजार क रकम छोड द या बात ह ______________________ १------थोथी दल ल

यशोदान द---मरा तो यह न चय ह क हम सदव principles 1 पर

ि थर रहना चा हए principal 2 क सामन money3 क कोई value4 नह ह

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दहज क क था पर मन खद कोई या यान नह दया शायद कोई नोट तक नह लखा हा conference5 म इस ताव को second6 कर चका ह म उस तोडना भी चाह तो आ मा न तोडन दगी म स य कहता ह यह पय ल तो मझ इतनी मान सक वदना होगी क शायद म इस आघात स

बच ह न सक

पाचव---- अब क conference आपको सभाप त न बनाय तो उसका घोर अ याय ह

यशोदान दmdashमन अपनी duty 7 कर द उसका recognition8 हो या न हो मझ इसक परवाह नह

इतन म खबर हई क महाशय वामीदयाल आ पहच लोग उनका अ भवादन करन को तयार हए उ ह मसनद पर ला बठाया और तलक का स कार आर भ हो गया वामीदयाल न एक ढाक क प तल पर ना रयल सपार चावल पान आ द व तए वर क सामन रखी ा ण न म पढ हवन हआ और वर क माथ पर तलक लगा दया गया तर त घर क ि यो न मगलाचरण गाना श कया यहा पह फल म महाशय यशोदान द न एक चौक पर खड होकर दहज क क था पर या यान दना श कया या यान पहल स लखकर तयार कर लया गया था उ होन दहज क ऐ तहा सक या या क थी

पवकाल म दहज का नाम भी न थ महाशय कोई जानता ह न था क दहज या ठहरोनी कस च डया का नाम ह स य मा नए कोई जानता ह न था क ठहरौनी ह या चीज पश या प ी आसमान म या जमीन म खान म या पीन म बादशाह जमान म इस था क ब नयाद पडी हमार यवक सनाओ म सि म लत होन लग यह वीर लोग थ सनाओ म जाना गव समझत थ माताए अपन दलार को अपन हाथ स श स सजा कर रण भजती थी इस भॉ त यवक क स या कम होन लगी और लडक का मोल-तोल श हआ आज यह नौवत आ गयी ह क मर इस त छ ndashमहात छ सवा पर प म ट प णया हो रह ह मान मन कोई असाधारण काम कया ह म कहता ह अगर आप ससार म जी वत रहना चाहत हो तो इस था क तर त अ त क िजए --------------------------------------- १---- स वात २---- स वात 3-----धन 4-----म य

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5--- सभा 6---अनमोदन ७ कत य ८----कदर

एक महाशय न शका क ---- या इसका अत कय बना हम सब मर जायग

यशोदान द-अगर ऐसा होता ह तो या पछना था लोगो को दड मल जाता और वा तव म ऐसा होना चा हए यह ई वर का अ याचार ह क ऐस लोभी धन पर गरन वाल बदा -फरोश अपनी सतान का व य करन वाल नराधम जी वत ह और समाज उनका तर कार नह करता मगर वह सब बद-फरोश ह------इ या द

या यान बहतद ल बा ओर हा य भरा हआ था लोग न खब वाह -वाह क अपना व त य समा त करन क बाद उ होन अपन छोट लडक परमान द को िजसक अव था ७ वष क थी मच पर खडा कया उस उ होन एक छोटा-सा या यान लखकर द रखा था दखाना चाहत थ क इस कल क छोट बा लक भी कतन कशा बि व ह सभा समाज म बालक स या यान दलान क था ह ह कसी को कतहल न हआबालक बडा स दर होनहार हसमख था म कराता हआ मच पर आया और एक जब स कागज नकाल कर बड गव क साथ उ च वर म पढन लगा------

य बधवर नम कार

आपक प स व दत होता ह क आपको मझ पर व वास नह ह म ई वर को सा ी करक धन आपक सवा म इतनी ग त र त स पहचगा क कसी को लशमा भी स दह न होगा हा कवल एक िज ासा करन क ध टता करता ह इस यापार को ग त रखन स आपको जो स मान और त ठा ndash लाभ होगा और मर नकटवत म मर जो नदा क जाएगी

उसक उपल य म मर साथ या रआयत होगी मरा वनीत अनरोध ह क २५ म स ५ नकालकर मर साथ याय कया जाय

महाशय योदान द घर म महमान क लए भोजन परसन का आदश करन गय थ नकल तो यह बा य उनक कान म पडाmdash२५ म स ५ मर साथ याय कया क िजए lsquo चहरा फक हो गया झपट कर लडक क पास गय कागज उसक हाथ स छ न लया और बौल--- नालायक यह या पढ रहा ह यह तो कसी मवि कल का खत ह जो उसन अपन मकद म क बार

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म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 4: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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अ मीजान नह मानती कोई अपन बाप पर फकता ह कोई और कसी खराट पर

चौथmdashअजी कतन तो ऐस बहया ह जो साफ-साफ कह दत ह क हमन लडक को श ा ndash द ा म िजतना खच कया ह वह हम मलना चा हए मानो उ होन यह पय उ होन कसी बक म जमा कय थ पाचवmdashखब समझ रहा ह आप लोग मझ पर छ ट उडा रह ह

इसम लडक वाल का ह सारा दोष ह या लडक वाल का भी कछ ह

पहलmdashलडक वाल का या दोष ह सवा इसक क वह लडक का बाप ह

दसर mdashसारा दोष ई वर का िजसन लड कया पदा क य

पाचवmdashम चयह नह कहता न सारा दोष लडक वाल का ह न सारा दोष लडक वाल का दोन क दोषी ह अगर लडक वाला कछ न द तो उस यह शकायत करन का कोई अ धकार नह ह क डाल य नह लाय सदर जोड य नह लाय बाज-गाज पर धमधाम क साथ य नह आय बताइए

चौथmdashहा आपका यह न गौर करन लायक ह मर समझ म तो ऐसी दशा म लडक क पता स यह शकायत न होनी चा हए

पाचव---तो य क हए क दहज क था क साथ ह डाल गहन और जोडो क था भी या य ह कवल दहज को मटान का य न करना यथ ह

यशोदान द----यह भी Lame excuse1 ह मन दहज नह लया ह ल कन या डाल-गहन न ल जाऊगा

पहल---महाशय आपक बात नराल ह आप अपनी गनती हम द नया वाल क साथ य करत ह आपका थान तो दवताओ क साथ ह

दसरा ----20 हजार क रकम छोड द या बात ह ______________________ १------थोथी दल ल

यशोदान द---मरा तो यह न चय ह क हम सदव principles 1 पर

ि थर रहना चा हए principal 2 क सामन money3 क कोई value4 नह ह

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दहज क क था पर मन खद कोई या यान नह दया शायद कोई नोट तक नह लखा हा conference5 म इस ताव को second6 कर चका ह म उस तोडना भी चाह तो आ मा न तोडन दगी म स य कहता ह यह पय ल तो मझ इतनी मान सक वदना होगी क शायद म इस आघात स

बच ह न सक

पाचव---- अब क conference आपको सभाप त न बनाय तो उसका घोर अ याय ह

यशोदान दmdashमन अपनी duty 7 कर द उसका recognition8 हो या न हो मझ इसक परवाह नह

इतन म खबर हई क महाशय वामीदयाल आ पहच लोग उनका अ भवादन करन को तयार हए उ ह मसनद पर ला बठाया और तलक का स कार आर भ हो गया वामीदयाल न एक ढाक क प तल पर ना रयल सपार चावल पान आ द व तए वर क सामन रखी ा ण न म पढ हवन हआ और वर क माथ पर तलक लगा दया गया तर त घर क ि यो न मगलाचरण गाना श कया यहा पह फल म महाशय यशोदान द न एक चौक पर खड होकर दहज क क था पर या यान दना श कया या यान पहल स लखकर तयार कर लया गया था उ होन दहज क ऐ तहा सक या या क थी

पवकाल म दहज का नाम भी न थ महाशय कोई जानता ह न था क दहज या ठहरोनी कस च डया का नाम ह स य मा नए कोई जानता ह न था क ठहरौनी ह या चीज पश या प ी आसमान म या जमीन म खान म या पीन म बादशाह जमान म इस था क ब नयाद पडी हमार यवक सनाओ म सि म लत होन लग यह वीर लोग थ सनाओ म जाना गव समझत थ माताए अपन दलार को अपन हाथ स श स सजा कर रण भजती थी इस भॉ त यवक क स या कम होन लगी और लडक का मोल-तोल श हआ आज यह नौवत आ गयी ह क मर इस त छ ndashमहात छ सवा पर प म ट प णया हो रह ह मान मन कोई असाधारण काम कया ह म कहता ह अगर आप ससार म जी वत रहना चाहत हो तो इस था क तर त अ त क िजए --------------------------------------- १---- स वात २---- स वात 3-----धन 4-----म य

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5--- सभा 6---अनमोदन ७ कत य ८----कदर

एक महाशय न शका क ---- या इसका अत कय बना हम सब मर जायग

यशोदान द-अगर ऐसा होता ह तो या पछना था लोगो को दड मल जाता और वा तव म ऐसा होना चा हए यह ई वर का अ याचार ह क ऐस लोभी धन पर गरन वाल बदा -फरोश अपनी सतान का व य करन वाल नराधम जी वत ह और समाज उनका तर कार नह करता मगर वह सब बद-फरोश ह------इ या द

या यान बहतद ल बा ओर हा य भरा हआ था लोग न खब वाह -वाह क अपना व त य समा त करन क बाद उ होन अपन छोट लडक परमान द को िजसक अव था ७ वष क थी मच पर खडा कया उस उ होन एक छोटा-सा या यान लखकर द रखा था दखाना चाहत थ क इस कल क छोट बा लक भी कतन कशा बि व ह सभा समाज म बालक स या यान दलान क था ह ह कसी को कतहल न हआबालक बडा स दर होनहार हसमख था म कराता हआ मच पर आया और एक जब स कागज नकाल कर बड गव क साथ उ च वर म पढन लगा------

य बधवर नम कार

आपक प स व दत होता ह क आपको मझ पर व वास नह ह म ई वर को सा ी करक धन आपक सवा म इतनी ग त र त स पहचगा क कसी को लशमा भी स दह न होगा हा कवल एक िज ासा करन क ध टता करता ह इस यापार को ग त रखन स आपको जो स मान और त ठा ndash लाभ होगा और मर नकटवत म मर जो नदा क जाएगी

उसक उपल य म मर साथ या रआयत होगी मरा वनीत अनरोध ह क २५ म स ५ नकालकर मर साथ याय कया जाय

महाशय योदान द घर म महमान क लए भोजन परसन का आदश करन गय थ नकल तो यह बा य उनक कान म पडाmdash२५ म स ५ मर साथ याय कया क िजए lsquo चहरा फक हो गया झपट कर लडक क पास गय कागज उसक हाथ स छ न लया और बौल--- नालायक यह या पढ रहा ह यह तो कसी मवि कल का खत ह जो उसन अपन मकद म क बार

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म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 5: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

5

दहज क क था पर मन खद कोई या यान नह दया शायद कोई नोट तक नह लखा हा conference5 म इस ताव को second6 कर चका ह म उस तोडना भी चाह तो आ मा न तोडन दगी म स य कहता ह यह पय ल तो मझ इतनी मान सक वदना होगी क शायद म इस आघात स

बच ह न सक

पाचव---- अब क conference आपको सभाप त न बनाय तो उसका घोर अ याय ह

यशोदान दmdashमन अपनी duty 7 कर द उसका recognition8 हो या न हो मझ इसक परवाह नह

इतन म खबर हई क महाशय वामीदयाल आ पहच लोग उनका अ भवादन करन को तयार हए उ ह मसनद पर ला बठाया और तलक का स कार आर भ हो गया वामीदयाल न एक ढाक क प तल पर ना रयल सपार चावल पान आ द व तए वर क सामन रखी ा ण न म पढ हवन हआ और वर क माथ पर तलक लगा दया गया तर त घर क ि यो न मगलाचरण गाना श कया यहा पह फल म महाशय यशोदान द न एक चौक पर खड होकर दहज क क था पर या यान दना श कया या यान पहल स लखकर तयार कर लया गया था उ होन दहज क ऐ तहा सक या या क थी

पवकाल म दहज का नाम भी न थ महाशय कोई जानता ह न था क दहज या ठहरोनी कस च डया का नाम ह स य मा नए कोई जानता ह न था क ठहरौनी ह या चीज पश या प ी आसमान म या जमीन म खान म या पीन म बादशाह जमान म इस था क ब नयाद पडी हमार यवक सनाओ म सि म लत होन लग यह वीर लोग थ सनाओ म जाना गव समझत थ माताए अपन दलार को अपन हाथ स श स सजा कर रण भजती थी इस भॉ त यवक क स या कम होन लगी और लडक का मोल-तोल श हआ आज यह नौवत आ गयी ह क मर इस त छ ndashमहात छ सवा पर प म ट प णया हो रह ह मान मन कोई असाधारण काम कया ह म कहता ह अगर आप ससार म जी वत रहना चाहत हो तो इस था क तर त अ त क िजए --------------------------------------- १---- स वात २---- स वात 3-----धन 4-----म य

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5--- सभा 6---अनमोदन ७ कत य ८----कदर

एक महाशय न शका क ---- या इसका अत कय बना हम सब मर जायग

यशोदान द-अगर ऐसा होता ह तो या पछना था लोगो को दड मल जाता और वा तव म ऐसा होना चा हए यह ई वर का अ याचार ह क ऐस लोभी धन पर गरन वाल बदा -फरोश अपनी सतान का व य करन वाल नराधम जी वत ह और समाज उनका तर कार नह करता मगर वह सब बद-फरोश ह------इ या द

या यान बहतद ल बा ओर हा य भरा हआ था लोग न खब वाह -वाह क अपना व त य समा त करन क बाद उ होन अपन छोट लडक परमान द को िजसक अव था ७ वष क थी मच पर खडा कया उस उ होन एक छोटा-सा या यान लखकर द रखा था दखाना चाहत थ क इस कल क छोट बा लक भी कतन कशा बि व ह सभा समाज म बालक स या यान दलान क था ह ह कसी को कतहल न हआबालक बडा स दर होनहार हसमख था म कराता हआ मच पर आया और एक जब स कागज नकाल कर बड गव क साथ उ च वर म पढन लगा------

य बधवर नम कार

आपक प स व दत होता ह क आपको मझ पर व वास नह ह म ई वर को सा ी करक धन आपक सवा म इतनी ग त र त स पहचगा क कसी को लशमा भी स दह न होगा हा कवल एक िज ासा करन क ध टता करता ह इस यापार को ग त रखन स आपको जो स मान और त ठा ndash लाभ होगा और मर नकटवत म मर जो नदा क जाएगी

उसक उपल य म मर साथ या रआयत होगी मरा वनीत अनरोध ह क २५ म स ५ नकालकर मर साथ याय कया जाय

महाशय योदान द घर म महमान क लए भोजन परसन का आदश करन गय थ नकल तो यह बा य उनक कान म पडाmdash२५ म स ५ मर साथ याय कया क िजए lsquo चहरा फक हो गया झपट कर लडक क पास गय कागज उसक हाथ स छ न लया और बौल--- नालायक यह या पढ रहा ह यह तो कसी मवि कल का खत ह जो उसन अपन मकद म क बार

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म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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8

एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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31

जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 6: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

6

5--- सभा 6---अनमोदन ७ कत य ८----कदर

एक महाशय न शका क ---- या इसका अत कय बना हम सब मर जायग

यशोदान द-अगर ऐसा होता ह तो या पछना था लोगो को दड मल जाता और वा तव म ऐसा होना चा हए यह ई वर का अ याचार ह क ऐस लोभी धन पर गरन वाल बदा -फरोश अपनी सतान का व य करन वाल नराधम जी वत ह और समाज उनका तर कार नह करता मगर वह सब बद-फरोश ह------इ या द

या यान बहतद ल बा ओर हा य भरा हआ था लोग न खब वाह -वाह क अपना व त य समा त करन क बाद उ होन अपन छोट लडक परमान द को िजसक अव था ७ वष क थी मच पर खडा कया उस उ होन एक छोटा-सा या यान लखकर द रखा था दखाना चाहत थ क इस कल क छोट बा लक भी कतन कशा बि व ह सभा समाज म बालक स या यान दलान क था ह ह कसी को कतहल न हआबालक बडा स दर होनहार हसमख था म कराता हआ मच पर आया और एक जब स कागज नकाल कर बड गव क साथ उ च वर म पढन लगा------

य बधवर नम कार

आपक प स व दत होता ह क आपको मझ पर व वास नह ह म ई वर को सा ी करक धन आपक सवा म इतनी ग त र त स पहचगा क कसी को लशमा भी स दह न होगा हा कवल एक िज ासा करन क ध टता करता ह इस यापार को ग त रखन स आपको जो स मान और त ठा ndash लाभ होगा और मर नकटवत म मर जो नदा क जाएगी

उसक उपल य म मर साथ या रआयत होगी मरा वनीत अनरोध ह क २५ म स ५ नकालकर मर साथ याय कया जाय

महाशय योदान द घर म महमान क लए भोजन परसन का आदश करन गय थ नकल तो यह बा य उनक कान म पडाmdash२५ म स ५ मर साथ याय कया क िजए lsquo चहरा फक हो गया झपट कर लडक क पास गय कागज उसक हाथ स छ न लया और बौल--- नालायक यह या पढ रहा ह यह तो कसी मवि कल का खत ह जो उसन अपन मकद म क बार

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7

म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 7: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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म लखा था यह त कहा स उठा लाया शतान जा वह कागज ला जो तझ लखकर दया गया था

एक महाशय-----पढन द िजए इस तहर र म जो ल फ ह वह कसी दसर तकर र म न होगा

दसर ---जाद वह जो सर चढ क बोल

तीसरmdashअब जलसा बरखा त क िजए म तो चला चौथmdashयहा भी चलत हए

यशोदान दmdashब ठए-ब ठए प तल लगाय जा रह ह पहलmdashबटा परमान द जरा यहा तो आना तमन यह कागज कहा

पाया

परमान द---बाब जी ह तो लखकर अपन मज क अ दर रख दया था मझस कहा था क इस पढना अब नाहक मझस खफा रह ह

यशोदान द---- वह यह कागज था क सअर मन तो मज क ऊपर ह रख दया था तन ाअर म स य यह कागज नकाला

परमान द---मझ मज पर नह मला

यशोदा नद---तो मझस य नह कहा ाअर य खोला दखो आज ऐसी खबर लता ह क तम भी याद करोग

पहल यह आकाशवाणी ह दसर ----इस को ल डर कहत ह क अपना उ ल सीधा करो और

नकनाम भी बनो तीसर----शरम आनी चा हए यह याग स मलता ह धोखधडी स

नह चौथ--- मल तो गया था पर एक आच क कसर रह गयी पाचव---ई वर पाख डय को य ह द ड दता ह

यह कहत हए लोग उ ठ खड हए यशोदान द समझ गय क भडा फट गया अब रग न जमगा बार-बार परमान द को क पत न स दखत थ और डडा तौलकर रह जात थ इस शतान न आज जीती-िजताई बाजी खो द मह म का लख लग गयी सर नीचा हो गया गोल मार दन का काम कया ह

उधर रा त म म -वग य ट प णया करत जा रह थ-------

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

2

या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 8: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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एक ई वर न मह म कसी का लमा लगायी क हयादार होगा तो अब सरत न दखाएगा

दसरा --ऐस-ऐस धनी मानी व वान लोग ऐस प तत हो सकत ह मझ यह आ चय ह लना ह तो खल खजान लो कौन त हारा हाथ पकडता ह यह या क माल चपक -चपक उडाओ और यश भी कमाओ

तीसरा--म कार का मह काला

चौथाmdashयशोदान द पर दया आ रह ह बचार न इतनी धतता क उस पर भी कलई खल ह गयी बस एक आच क कसर रह गई

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 9: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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माता का दय

धवी क आख म सारा ससार अधरा हो रहा था काई अपना मददगार दखाई न दता था कह आशा क झलक न

थी उस नधन घर म वह अकल पडी रोती थी और कोई आस प छन वाला न था उसक प त को मर हए २२ वष हो गए थ घर म कोई स पि त न थी उसन न- जान कन तकल फ स अपन ब च को पाल-पोस कर बडा कया था वह जवान बटा आज उसक गोद स छ न लया गया था और छ नन वाल कौन थ अगर म य न छ ना होता तो वह स कर लती मौत स कसी को वष नह होता मगर वा थय क हाथ यह अ याचार अस हो रहा था इस घोर सताप क दशा म उसका जी रह-रह कर इतना वफल हो जाता क इसी समय चल और उस अ याचार स इसका बदला ल िजसन उस पर न ठर आघात कया ह मा या मर जाऊ दोन ह म सतोष हो जाएगा

कतना सदर कतना होनहार बालक था यह उसक प त क नशानी उसक जीवन का आधार उसक अ भर क कमाई थी वह लडका इस व त जल म पडा न जान या- या तकल फ झल रहा होगा और उसका अपराध या था कछ नह सारा मह ला उस पर जान दता था वधालय क अ यापक उस पर जान दत थ अपन-बगान सभी तो उस यार करत थ कभी उसक कोई शकायत सनन म नह आयीऐस बालक क माता होन पर उस बधाई दती थी कसा स जन कसा उदार कसा परमाथ खद भखो सो रह मगर या मजाल क वार पर आन वाल अ त थ को खा जबाब द ऐसा बालक या इस यो य था क जल म जाता उसका अपराध यह था वह कभी-कभी सनन वाल को अपन दखी भाइय का दखडा सनाया करता था अ या चार स पी डत ा णय क मदद क लए हमशा तयार रहता था या यह उसका अपराध था

दसरो क सवा करना भी अपराध ह कसी अ त थ को आ य दना भी अपराध ह

इस यवक का नाम आ मानद था दभा यवश उसम व सभी स गण थ जो जल का वार खोल दत ह वह नभ क था प टवाद था साहसी था वदश- मी था न वाथ था कत यपरायण था जलल जान क लए

मा

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 10: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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इ ह गणो क ज रत ह वाधीन ा णय क लए व गण वग का वार खोल दत ह पराधीनो क लए नरक क आ मानद क सवा-काय न उसक व ततताओ न औ र उसक राजनी तक लखो न उस सरकार कमचा रय क नजर म चढा दया था सारा प लस - वभाग नीच स ऊपर तक उसस सतक रहता था सबक नगाह उस पर लगी रहती थी आ खर िजल म एक भयकर डाक न उ ह इि छत अवसर दान कर दया

आ मानद क घर क तलाशी हई कछ प और लख मल िज ह प लस न डाक का बीजक स व कया लगभग २० यवक क एक टोल फास ल गयी आ मानद इसका म खया ठहराया गया शहादत हई इस बकार और गरानी क जमान म आ मा स ती और कौन व त हो सकती ह बचन को और कसी क पास रह ह या गया ह नाम मा का लोभन दकर अ छ -स-अ छ शहादत मल सकती ह और प लस क हाथ तो नक ट -स- नक ट गवा हया भी दववाणी का मह व ा त कर लती ह शहादत मल गयी मह न-भर तक मकदमा या चला एक वाग चलता रहा और सार अ भय त को सजाए द द गयी आ मानद को सबस कठोर दड मला ८ वष का क ठन कारावास माधवी रोज कचहर जाती एक कोन म बठ सार कायवाई दखा करती

मानवी च र कतना दबल कतना नीच ह इसका उस अब तक अनमान भी न हआ था जब आ मानद को सजा सना द गयी और वह माता को णाम करक सपा हय क साथ चला तो माधवी म छत होकर गर पडी दो-चार स जन न उस एक ताग पर बठाकर घर तक पहचाया जब स वह होश म आयी ह उसक दय म शल-सा उठ रहा ह कसी तरह धय नह होता उस घोर आ म-वदना क दशा म अब जीवन का एक ल य दखाई दता ह और वह इस अ याचार का बदला ह

अब तक प उसक जीवन का आधार था अब श ओ स बदला लना ह उसक जीवन का आधार होगा जीवन म उसक लए कोई आशा न थी इस अ याचार का बदला लकर वह अपना ज म सफल समझगी इस अभाग नर- पशाच बगची न िजस तरह उस र त क आस रलाय ह उसी भा त यह भी उस लायगी नार - दय कोमल ह ल कन कवल अनकल दशा म िजस दशा म प ष दसर को दबाता ह ी शील और वनय क दवी हो जाती ह ल कन िजसक हाथ म अपना सवनाश हो गया हो उसक त ी क

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

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या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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18

पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 11: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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प ष स कम णा ओर ोध नह होता अतर इतना ह ह क प ष शा स काम लता ह ी कौशल स

रा भीगती जाती थी और माधवी उठन का नाम न लती थी उसका दख तकार क आवश म वल न होता जाता था यहा तक क इसक सवा उस और कसी बात क याद ह न रह उसन सोचा कस यह काम होगा कभी घर स नह नकल वध य क २२ साल इसी घर कट गय ल कन अब नकलगी जबरद ती नकलगी भखा रन बनगी टहलनी बनगी झठ बोलगी सब ककम क गी स कम क लए ससार म थान नह ई वर न नराश होकर कदा चत इसक ओर स मह फर लया ह जभी तो य हा ऐस-ऐस अ याचार होत ह और पा पय को दड नह मलता अब इ ह हाथ स उस दड दगी

2

या का समय था लखनऊ क एक सज हए बगल म म क मह फल जमी हई थी गाना -बजाना हो रहा था एक तरफ

आतशबािजया रखी हई थी दसर कमर म मज पर खना चना जा रहा था चार तरफ प लस क कमचार नजर आत थ वह प लस क सप रटडट म टर बगीची का बगला ह कई दन हए उ होन एक माक का मकदमा जीता थाअफसरो न खश होकर उनक तर क क द थी और उसी क खशी म यह उ सव मनाया जा रहा था यहा आय दन ऐस उ स व होत रहत थ म त क गवय मल जात थ म त क अतशबाजी फल और मव और मठाईया आध दाम पर बाजार स आ जाती थी और चट दावतो हो जाती थी दसर क जह सौ लगत वहा इनका दस स काम चल जाता था दौड़-धप करन को सपा हय क फौज थी ह और यह माक का मकदमा या था वह िजसम नरपराध यवक को बनावट शहादत स जल म ठस दया गया था

गाना समा त होन पर लोग भोजन करन बठ बगार क मजदर और प लदार जो बाजार स दावत और सजावट क सामान लाय थ रोत या दल म गा लया दत चल गय थ पर एक ब ढ़या अभी तक वार पर बठ हई थी और अ य मजदर क तरह वह भनभना कर काम न करती थी ह म पात ह खश - दल मजदर क तरह ह म बजा लाती थी यह मधवी थी जो

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12

इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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13

माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 12: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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इस समय मजरनी का वष धारण करक अपना घतक सक प परा करन आयी थी

महमान चल गय मह फल उठ गयी दावत का समान समट दया गया चार ओर स नाटा छा गया ल कन माधवी अभी तक वह बठ थी

सहसा म टर बागची न पछा mdashब ढ त यहा य बठ ह तझ कछ खान को मल गया

माधवीmdashहा हजर मल गया बागचीmdashतो जाती य नह

माधवीmdashकहा जाऊ सरकार मरा कोई घर- वार थोड़ ह ह हकम हो तो यह पडी रह पाव -भर आट क परव ती हो जाय हजर

बगची ndashनौकर करगी2

माधवीmdash यो न क गी सरकार यह तो चाहती ह

बागचीmdashलड़का खला सकती ह

माधवीmdashहा हजर वह मर मन का काम ह बगचीmdashअ छ बात ह त आज ह स रह जा घर म दख जो काम

बताय वहा कर 3

क मह ना गजर गया माधवी इतना तन -मन स काम करती ह क सारा घर उसस खश ह बह जी का मीजाज बहम ह

चड़ चड़ा ह वह दन-भर खाट पर पड़ी रहती ह और बात-बात पर नौकर पर झ लाया करती ह ल कन माधवी उनक घड़ कय को भी सहष सह लती ह अब तक मि कल स कोई दाई एक स ताह स अ धक ठहर थी माधवी का कलजा ह क जल -कट सनकर भी मख पर मल नह आन दती

म टर बागची क कई लड़क हो चक थ पर यह सबस छोटा ब चा बच रहा था ब च पदा तो ट-प ट होत क त ज म लत ह उ ह एक ndash

न एक रोग लग जाता था और कोई दो-चार मह न कोई साल भर जी कर चल दता था मा-बाप दोन इस शश पर ाण दत थ उस जरा जकाम भी हो तो दोनो वकल हो जात ी-प ष दोनो श त थ पर ब च क र ा क लए टोना-टोटका दआता -बीच ज तर-मतर एक स भी उ ह इनकार न था

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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20

दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 13: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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माधवी स यह बालक इतना हल गया क एक ण क लए भी उसक गोद स न उतरता वह कह एक ण क लए चल जाती तो रो-रो कर द नया सर पर उठा लता वह सलाती तो सोता वह दध पलाती तो पता वह खलाती तो खलता उसी को वह अपनी माता समझता माधवी क सवा उसक लए ससार म कोई अपना न था बाप को तो वह दन-भर म कवल दो-नार बार दखता और समझता यह कोई परदशी आदमी ह मा आल य और कमजार क मार गोद म लकर टहल न सकती थी उस वह अपनी र ा का भार सभालन क यो य न समझता था और नौकर-चाकर उस गोद म ल लत तो इतनी वदद स क उसक कोमल अगो म पीड़ा होन लगती थी कोई उस ऊपर उछाल दता था यहा तक क अबोध शश का कलजा मह को आ जाता था उन सब स वह डरता था कवल माधवी थी जो उसक वभाव को समझती थी वह जानती थी क कब या करन स बालक स न होगा इस लए बालक को भी उसस म था

माधवी न समझाया था यहा कचन बरसता होगा ल कन उस दखकर कतना व मय हआ क बडी म ि कल स मह न का खच परा पडता ह नौकर स एक-एक पस का हसाब लया जाता था और बहधा आव यक व तए भी टाल द जाती थी एक दन माधवी न कहा mdashब च क लए कोई तज गाड़ी य नह मगवा दती गोद म उसक बाढ़ मार जाती ह

मसज बागजी न क ठत होकर कहा mdashकहा स मगवा द कम स कम ५०-६० पय म आयगी इतन पय कहा ह

माधवीmdashमल कन आप भी ऐसा कहती ह

मसज बगचीmdashझठ नह कहती बाब जी क प हल ी स पाच लड़ कया और ह सब इस समय इलाहाबाद क एक कल म पढ रह ह बड़ी क उ १५-१६ वष स कम न होगी आधा वतन तो उधार ह चला जाता ह फर उनक शाद क भी तो फ ह पाचो क ववाह म कम-स-कम २५ हजार लगग इतन पय कहा स आयग म चता क मार मर जाती ह मझ कोई दसर बीमार नह ह कवल चता का रोग ह

माधवीmdashघस भी तो मलती ह

मसज बागचीmdashबढ़ ऐसी कमाई म बरकत नह होती यह य सच पछो तो इसी घस न हमार यह दगती कर रखी ह या जान और को कस हजम होती ह यहा तो जब ऐस पय आत ह तो कोई-न-कोई नकसान भी

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 14: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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अव य हो जाता ह एक आता ह तो दो लकर जाता ह बार-बार मना करती ह हराम क कौड़ी घर म न लाया करो ल कन मर कौन सनता ह

बात यह थी क माधवी को बालक स नह होता जाता था उसक अमगल क क पना भी वह न कर सकती थी वह अब उसी क नीद सोती और उसी क नीद जागती थी अपन सवनाश क बात याद करक एक ण क लए बागची पर ोध तो हो आता था और घाव फर हरा हो जाता था पर मन पर कि सत भाव का आ धप य न था घाव भर रहा था कवल ठस लगन स दद हो जाता था उसम वय ट स या जलन न थी इस प रवार पर अब उस दया आती थी सोचती बचार यह छ न-झपट न कर तो कस गजर हो लड़ कय का ववाह कहा स करग ी को जब दखो बीमार ह रहती ह उन पर बाब जी को एक बोतल शराब भी रोज चा हए यह लोग वय अभाग ह िजसक घर म ५-५ वार क याए ह बालक हो-हो कर मर जात ह घरनी दा बीमार रहती हो वामी शराब का तल हो उस पर तो य ह ई वर का कोप ह इनस तो म अभा गन ह अ छ

बल बलक क लए बरसात बर बला ह कभी खासी ह कभी वर कभी द त जब हवा म ह शीत भर हो तो कोई कहा तक

बचाय माधवी एक दन आपन घर चल गयी थी ब चा रोन लगा तो मा न एक नौकर को दया इस बाहर बहला ला नौकर न बाहर ल जाकर हर -हर घास पर बठा दया पानी बरस कर नकल गया था भ म गील हो रह थी कह -कह पानी भी जमा हो गया था बालक को पानी म छपक लगान स यादा यारा और कौन खल हो सकता ह खब म स उमग -उमग कर पानी म लोटन लगा नौकर बठा और आद मय क साथ गप-शप करता घटो गजर गय ब च न खब सद खायी घर आया तो उसक नाक बह रह थी रात को माधवी न आकर दखा तो ब चा खास रहा था आधी रात क कर ब उसक गल स खरखर क आवाज नकलन लगी माधवी का कलजा सन स हो गया वा मनी को जगाकर बोल mdashदखो तो ब च को या हो गया ह या सद -वद तो नह लग गयी हा सद ह मालम होती

ह वा मनी हकबका कर उठ बठ और बालक क खरखराहट सनी तो

पाव तलजमीन नकल गयी यह भयकर आवाज उसन कई बार सनी थी और

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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18

पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 15: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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उस खब पहचानती थी य होकर बोल mdashजरा आग जलाओ थोड़ा-सा तग आ गयी आज कहार जरा दर क लए बाहर ल गया था उसी न सद म छोड़ दया होगा

सार रात द नो बालक को सकती रह कसी तरह सवरा हआ म टर बागची को खबर मल तो सीध डा टर क यहा दौड़ ख रयत इतनी थी क ज द एह तयात क गयी तीन दन म अ छा हो गया ल कन इतना दबल हो गया था क उस दखकर डर लगता था सच पछ तो माधवी क तप या न बालक को बचाया माता- पता सो जाता कत माधवी क आख म नीद न थी खना-पीना तक भल गयी दवताओ क मनौ तया करती थी ब च क बलाए लती थी ब कल पागल हो गयी थी यह वह माधवी ह जो अपन सवनाश का बदला लन आयी थी अपकार क जगह उपकार कर रह थी वष पलान आयी थी सधा पला रह थी मन य म दवता कतना बल ह

ातकाल का समय था म टर बागची शश क झल क पास बठ हए थ ी क सर म पीड़ा हो रह थी वह चारपाई पर लट हई थी और माधवी समीप बठ ब च क लए दध गरम कर रह थी सहसा बागची न कहाmdashबढ़ हम जब तक िजयग त हारा यश गयग तमन ब च को िजला लया

ीmdashयह दवी बनकर हमारा क ट नवारण करन क लए आ गयी यह न होती तो न जान या होता बढ़ तमस मर एक वनती ह य तो मरना जीना ार ध क हाथ ह ल कन अपना-अपना पौरा भी बड़ी चीज ह म अभा गनी ह अबक त हार ह प य - ताप स ब चा सभल गया मझ डर लग रहा ह क ई वर इस हमार हाथ स छ न न ल सच कहती ह बढ़ मझ इसका गोद म लत डर लगता ह इस तम आज स अपना ब चा समझो त हारा होकर शायद बच जाय हम अभाग ह हमारा होकर इस पर न य कोई-न-कोई सकट आता रहगा आज स तम इसक माता हो जाआ तम इस अपन घर ल जाओ जहा चाह ल जाओ त हार ग द म दर मझ फर कोई चता न रहगी वा तव म त ह इसक माता हो म तो रा सी ह

माधवीmdashबह जी भगवान सब कशल करग य जी इतना छोटा करती हो

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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18

पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 16: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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म टर बागचीmdashनह -नह बढ़ माता इसम कोई हरज नह ह म मि त क स तो इन बातो को ढकोसला ह समझता ह ल कन दय स इ ह दर नह कर सकता मझ वय मर माता जीन एक धा बन क हाथ बच दया था मर तीन भाई मर चक थ म जो बच गया तो मा -बाप न समझा बचन स ह इसक जान बच गयी तम इस शश को पालो -पासो इस अपना प समझो खच हम बराबर दत रहग इसक कोई चता मत करना कभी ndashकभी जब हमारा जी चाहगा आकर दख लया करग हम व वास ह क तम इसक र ा हम ल ग स कह अ छ तरह कर सकती हो म ककम ह िजस पश म ह उसम ककम कय बगर काम नह चल सकता झठ शहादत बनानी ह पड़ती ह नरपराध को फसाना ह पड़ता ह आ मा इतनी दबल हो गयी ह क लोभन म पड़ ह जाता ह जानता ह ह क बराई का फल बरा ह होता ह पर प रि थ त स मजबर ह अगर न क तो आज नालायक बनाकर नकाल दया जाऊ अ ज हजार भल कर कोई नह पछता हनद तानी एक भल भी कर बठ तो सार अफसर उसक सर हो जात ह हद ता नयत को दोष मटान क लए कतनी ह ऐसी बात करनी पड़ती ह िजनका अ ज क दल म कभी याल ह नह पदा हो सकता तो बोलो वीकार करती हो

माधवी ग ग होकर बोल mdashबाब जी आपक इ छा ह तो मझस भी जो कछ बन पडगा आपक सवा कर दगी भगवान बालक को अमर कर मर तो उनस यह वनती ह

माधवी को ऐसा मालम हो रहा था क वग क वार सामन ख ल ह और वग क द वया अचल फला-फला कर आशीवाद द रह ह मानो उसक अत तल म काश क लहर-सी उठ रह ह नहमय सवा म क कतनी शा त थी

बालक अभी तक चादर ओढ़ सो रहा था माधवी न दध गरम हो जान पर उस झल पर स उठाया तो च ला पड़ी बालक क दह ठडी हो गयी थी और मह पर वह पीलापन आ गया था िजस दखकर कलजा हल जाता ह कठ स आह नकल आती ह और आख स आस बहन लगत ह िजसन इस एक बारा दखा ह फर कभी नह भल सकता माधवी न शश को ग द स चपटा लया हाला क नीच उतार दोना चा हए था

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 17: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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कहराम मच गया मा ब च को गल स लगाय रोती थी पर उस जमीन पर न सलाती थी या बात हो रह रह थी और या हो गया मौत को धोखा दोन म आ नद आता ह वह उस व त कभी नह आती जब लोग उसक राह दखत होत ह रोगी जब सभल जाता ह जब वह प य लन लगता ह उठन-बठन लगता ह घर-भर ख शया मनान लगता ह सबक व वास हो जाता ह क सकट टल गया उस व त घात म बठ हई मौत सर पर आ जाती ह यह उसक नठर ल ला ह

आशाओ क बाग लगान म हम कतन कशल ह यहा हम र त क बीज बोकर सधा क फल खात ह अ ि न स पौध को सीचकर शीतल छाह म बठत ह हा मद ब

दन भर मातम होता रहा बाप रोता था मा तड़पती थी और माधवी बार -बार स दोनो को समझाती थीय द अपन ाण दकर वह बालक को िजला सकती तो इस समया अपना ध य भाग समझती वह अ हत का सक प करक यहा आयी थी और आज जब उसक मनोकामना पर हो गयी और उस खशी स फला न समाना चा हए था उस उसस कह घोर पीड़ा हो रह थी जो अपन प क जल या ा म हई थी लान आयी थी और खद राती जा रह थी माता का दय दया का आगार ह उस जलाओ तो उसम दया क ह सगध न कलती ह पीसो तो दया का ह रस नकलता ह वह दवी ह वपि त क र ल लाए भी उस व छ नमल ोत को म लन नह कर सकती

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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20

दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 18: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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पर ा

दरशाह क सना म द ल क क लआम कर रखा ह ग लय म खन क न दया बह रह ह चारो तरफ हाहाकार

मचा हआ ह बाजा र बद ह द ल क लोग घर क वार बद कय जान क खर मना रह ह कसी क जान सलामत नह ह कह घर म आग लगी हई ह कह बाजार लट रहा ह कोई कसी क फ रयाद नह सनता रईस क बगम महलो स नकाल जा रह ह और उनक बहरती क जाती ह ईरानी सपा हय क र त पपासा कसी तरह नह बझती मानव दया क रता कठोरता और पशा चकता अपना वकरालतम प धारण कय हए ह इसी समया ना दर शाह न बादशाह महल म वश कया

द ल उन दन भोग- वलास क क बनी हई थी सजावट और तक लफ क सामान स रईस क भवन भर रहत थ ि य को बनाव-सगार क सवा कोई काम न था प ष को सख -भोग क सवा और कोई च ता न थी राजीन त का थान शरो-शायर न ल लया था सम त तो स धन खच- खच कर द ल आता था और पानी क भा त बहाया

जाता था व याओ क चाद थी कह तीतर क जोड़ होत थ कह बटरो और बलबल क प लया ठनती थी सारा नगर वलास ndash न ा म म न था ना दरशाह शाह महल म पहचा तो वहा का सामान दखकर उसक आख खल गयी उसका ज म द र -घर म हआ था उसका समसत जीवन रणभ म म ह कटा था भोग वलास का उस चसका न लगा था कहा रण- क क ट और कहा यह सख -सा ा य िजधर आख उठती थी उधर स हटन का नाम न लती थी

स या हो गयी थी ना दरशाह अपन सरदार क साथ महल क सर करता और अपनी पसद क सचीज को बटोरता हआ द वान -खास म आकर कारचोबी मसनद पर बठ गया सरदार को वहा स चल जान का ह म द दया अपन सबह थयार रख दय और महल क दरागा को बलाकर ह म दयाmdashम शाह बगम का नाच दखना चाहता ह तम इसी व त उनको सदर व ाभषण स सजाकर मर सामन लाओ खबरदार जरा भी दर न हो म कोई उ या इनकार नह सन सकता

ना

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 19: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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रोगा न यह ना दरशाह ह म सना तो होश उड़ गय वह म हलए िजन पर सय क ट भी नह पड़ी कस इस मज लस

म आयगी नाचन का तो कहना ह या शाह बगम का इतना अपमान कभी न हआ था हा नर पशाच द ल को खन स रग कर भी तरा च त शात नह हआ मगर ना दरशाह क स मख एक श द भी जबान स नकालना अि न क मख म कदना था सर झकाकर आदाग लाया और आकर र नवास म सब वगम को नाद रशाह ह म सना दया उसक साथ ह यह इ ला भी द द क जरा भी ता मल न हो ना दरशाह कोई उ या हला न सनगा शाह खानदोन पर इतनी बड़ी वपि त कभी नह पड़ी पर अस समय वजयी बादशाह क आ ा को शरोधाय करन क सवा ाण-र ा का अ य कोई उपाय नह था

बगम न यह आ ा सनी तो हतब -सी हो गयी सारर नवास म मातम-सा छा गया वह चहल-पहल गायब हो गयी सकडो दय स इस सहायता-याचक लोचन स दखा कसी न खदा और रसल का स मरन कया पर ऐसी एक म हला भी न थी िजसक नगाह कटार या तलवार क तरफ गयी हो य यपी इनम कतनी ह बगम क नस म राजपता नय का र त वा हत हो रहा था पर इ य ल सा न जौहर क परानी आग ठडी कर द थी सख -भोग क लालसा आ म स मान का सवनाश कर दती ह आपस म सलाह करक मयादा क र ा का कोई उपाया सोचन क महलत न थी एक-एक पल भा य का नणय कर रहा था हताश का नणय कर रहा था हताश होकर सभी ललपाओ न पापी क स मख जान का न चय कया आख स आस जार थ अ - स चत न म सरमा लगाया जा रहा था और शोक- य थत दया पर सगध का लप कया जा रहा था कोई कश गथती थी कोई मागो म मो तय परोती थी एक भी ऐस प क इराद क ी न थी जो इ वर पर अथवा अपनी टक पर इस आ ा का उ लघन करन का साहस कर सक

एक घटा भी न गजरन पाया था क बगमात पर -क-पर आभषण स जगमगाती अपन मख क का त स बल और गलाब क क लय को लजाती सगध क लपट उड़ाती छमछम करती हई द वान -खास म आकर दना दरशाह क सामन खड़ी हो गयी

दा

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 20: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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दर शाह न एक बार कन खय स प रय क इस दल को दखा और तब मसनद क टक लगाकर लट गया अपनी

तलवार और कटार सामन रख द एक ण म उसक आख झपकन लगी उसन एक अगड़ाई ल और करवट बदल ल जरा दर म उसक खराट क अवाज सनायी दन लगी ऐसा जान पड़ा क गहर न ा म म न हो गया ह आध घट तक वह सोता रहा और बगम य क य सर नचा कय द वार क च क भा त खड़ी रह उनम दो-एक म हलाए जो ढ ठ थी घघट क ओट स ना दरशाह को दख भी रह थी और आपस म दबी जबान म कानाफसी कर रह थी mdashकसा भयकर व प ह कतनी रणो मत आख ह कतना भार शर र ह आदमी काह को ह दव ह

सहसा ना दरशाह क आख खल गई प रय का दल पववत खड़ा था उस जागत दखकर बगम न सर नीच कर लय और अग समट कर भड़ो क भा त एक दसर स मल गयी सबक दल धड़क रह थ क अब यह जा लम नाचन-गान को कहगा तब कस होगा खदा इस जा लम स समझ मगर नाचा तो न जायगा चाह जान ह य न जाय इसस यादा िज लत अब न सह जायगी सहसा ना दरशाह कठोर श द म बोलाmdashऐ खदा क ब दयो मन त हारा इ तहान लन क लए बलाया था और अफसोस क साथ कहना पड़ता ह क त हार नसबत मरा जो गमान था वह हफ-ब-हफ सच नकला जब कसी कौम क औरत म गरत नह रहती तो वह कौम मरदा हो जाती ह

दखना चाहता था क तम लोग म अभी कछ गरत बाक ह या नह इस लए मन त ह यहा बलाया था म तमहार बहरमल नह करना चाहता था म इतना ऐश का बदा नह ह वरना आज भड़ो क ग ल चाहता होता न इतना हवसपर त ह वरना आज फारस म सरोद और सतार क तान सनाता होता िजसका मजा म हद तानी गान स कह यादा उठा सकता ह मझ सफ त हारा इ तहान लना था मझ यह

दखकर सचा मलाल हो रहा ह क तमम गरत का जौहर बाक न रहा या यह मम कन न था क तम मर ह म को पर तल कचल दती जब

तम यहा आ गयी तो मन त ह एक और मौका दया मन नीद का बहाना

ना

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 21: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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कया या यह मम कन न था क तमम स कोई खदा क बद इस कटार को उठाकर मर िजगर म चभा दती म कलामपाक क कसम खाकर कहता ह क तमम स कसी को कटार पर हाथ रखत दखकर मझ बहद खशी होती म उन नाजक हाथ क सामन गरदन झका दता पर अफसोस ह क आज तमर खानदान क एक बट भी यहा ऐसी नह नकल जो अपनी हरमत बगाड़न पर हाथ उठाती अब यह स लतनत िजदा नह रह सकती इसक हसती क दन गन हए ह इसका नशान बहत ज द द नया स मट जाएगा तम लोग जाओ और हो सक तो अब भी स तनत को बचाओ वरना इसी तरह हवस क गलामी करत हए द नया स खसत हो जाओगी

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 22: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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ततर

खर वह हआ िजसक आशका थी िजसक चता म घर क सभी लोग और वषशत सता पड़ी हई थी तीनो प ो क

प चात क या का ज म हआ माता सौर म सख गयी पता बाहर आगन म सख गय और क व माता सौर वार पर सख गयी अनथ महाअनथ भगवान ह कशल कर तो हो यह प ी नह रा सी ह इस अभा गनी को इसी घर म जाना था आना था तो कछ दन पहल य न आयी भगवान सातव श क घर भी ततर का ज म न द

पता का नाम था प ड़त दामोदरद त श त आदमी थ श ा-वभाग ह म नौकर भी थ मगर इस स कार को कस मटा दत जो पर परा स दय म जमा हआ था क तीसर बट क पीठ पर होन वाल क या अभा गनी होती ह या पता को लती ह या पता को या अपन क उनक व ा माता लगी नवजात क या को पानी पी -पी कर कोसन कलमह ह कलमह न जान या करन आयी ह यहा कसी बाझ क घर जाती तो उसक दन फर जात दामोदरद त दल म तो घबराय हए थ पर माता को समझान लगmdash

अ मा ततर-बतर कछ नह भगवान क इ छा होती ह वह होता ह ई वर चाहग तो सब कशल ह होगा गानवा लय को बला लो नह लोग कहग तीन बट हए तो कस फल फरती थी एक बट हो गयी तो घर म कहराम मच गया माताmdashअर बटा तम या जानो इन बात को मर सर तो बीत चक ह ाण नह म समाया हआ ह ततर ह क ज म स त हार दादा का दहात हआ तभी स ततर का नाम सनत ह मरा कलजा काप उठता ह

दामोदरmdashइस क ट क नवारण का भी कोई उपाय होगा

माताmdashउपाय बतान को तो बहत ह प डत जी स पछो तो कोई -न-कोई उपाय बता दग पर इसस कछ हो ता नह मन कौन-स अन ठान नह कय पर प डत जी क तो म या गरम ह यहा जो सर पर पड़ना था वह पड़ ह गया अब टक क प डत रह गय ह जजमान मर या िजय उनक बला स उनक द णा मलनी चा हए (धीर स) लकड़ी दबल -पतल

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 23: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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भी नह ह तीन लकड़ स ट-प ट ह बड़ी -बड़ी आख ह पतल-पतल लाल-लाल ओठ ह जस गलाब क प ती गोरा - च ा रग ह ल बी-सी नाक कलमह नहलात समय रोयी भी नह टकरटकर ताकती रह यह सब ल छन कछ अ छ थोड़ ह ह

दामोदरद त क तीन लड़क सावल थ कछ व शष पवान भी न थ लड़क क प का बखान सनकर उनका च त कछ स न हआ बोल mdash

अ मा जी तम भगवान का नाम लकर गानवा लय को बला भज गाना-बजाना होन दो भा य म जो कछ ह वह तो होगा ह माता-जी तो हलसता नह क या

दामोदरmdashगाना न होन स क ट का नवारण तो होगा नह क हो जाएगा अगर इतन स त जान छट तो न कराओ गान

माताmdashबलाय लती ह बटा जो कछ होना था वह तो हो गया इतन म दाई न सौर म स पकार कर कहा mdashबहजी कहती ह गानावाना करान का काम नह ह माताmdashभला उनस कहो चप बठ रह बाहर नकलकर मनमानी करगी बारह ह दन ह बहत दन नह ह बहत इतराती फरती थी mdashयह न क गी वह न क गी दवी या ह मरद क बात सनकर वह रट लगान लगी थी तो अब चपक स बठती यो नह म तो ततर को अशभ नह मानती और सब बात म मम क बराबर करती ह तो इस बात म भी कर

यह कहकर माता जी न नाइन को भजा क जाकर गानवा लय को बला ला पड़ोस म भी कहती जाना सवरा होत ह बड़ा लड़का सो कर उठा और आख मलता हआ जाकर दाद स पछन लगा mdashबड़ी अ मा कल अ मा को या हआ

माताmdashलड़क तो हई ह बालक खशी स उछलकर बोला mdashओ-हो-हो पज नया पहन-पहन कर छन -छन चलगी जरा मझ दखा दो दाद जी

माताmdashअर या सौर म जायगा पागल हो गया ह या

लड़क क उ सकता न मानी सौर क वार पर जाकर खड़ा हो गया और बोलाmdashअ मा जरा ब ची को मझ दखा दो

दाई न कहाmdashब ची अभी सोती ह बालकmdashजरा दखा दो गोद म लकर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 24: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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दाई न क या उस दखा द तो वहा स दौड़ता हआ अपन छोट भाइय क पास पहचा और उ ह जगा -जगा कर खशखबर सनायी

एक बोलाmdashन ह -सी होगी बड़ाmdash बलकल न ह सी जसी बड़ी ग ड़या ऐसी गोर ह क या कसी साहब क लड़क होगी यह लड़क म लगा

सबस छोटा बोलाmdashअमको बी दका दो तीन मलकर लड़क को दखन आय और वहा स बगल बजात उछलत-कदत बाहर आय

बड़ाmdashदखा कसी ह

मझलाmdashकस आख बद कय पड़ी थी

छोटाmdashहम हम तो दना बड़ाmdashखब वार पर बारात आयगी हाथी घोड़ बाज आतशबाजी मझला और छोटा ऐस म न हो रह थ मानो वह मनोहर य आखो क सामन ह उनक सरल न मनो लास स चमक रह थ मझला बोलाmdashफलवा रया भी ह गी

छोटाmdashअम बी पल लग

ी भी हई बरह भी हई गाना-बजाना खाना- पलाना-दना-दलाना सब-कछ हआ पर र म पर करन क लए दल स

नह खशी स नह लड़क दन - दन दबल और अ व थ होती जाती थी मा उस दोन व त अफ म खला दती और बा लका दन और रात को नश म बहोश पड़ी रहती जरा भी नशा उतरता तो भख स वकल होकर रोन लगती मा कछ ऊपर दध पलाकर अफ म खला दती आ चय क बात तो यह थी क अब क उसक छाती म दध नह उतरा य भी उस दध द स उतरता था पर लड़क क बर उस नाना कार क दधव क औष धया खलायी जाती बार-बार शश को छाती स लगाया जाता यहा तक क दध उतर ह आता था पर अब क यह आयोजनाए न क गयी फल -सी ब ची क हलाती जाती थी मा तो कभी उसक ओर ताकती भी न थी हा नाइन कभी चट कया बजाकर चमकारती तो शश क मख पर ऐसी दयनीय ऐसी क ण बदना अ कत दखायी दती क वह आख प छती हई चल जाती थी बह स कछ कहन -सनन का साहस न पड़ता बड़ा लड़का स बार -बार

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 25: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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कहताmdashअ मा ब ची को दो तो बाहर स खला लाऊ पर मा उस झड़क दती थी तीन-चार मह न हो गय दामोदरद त रात को पानी पीन उठ तो दखा क बा लका जाग रह ह सामन ताख पर मीठ तल का द पक जल रहा था लड़क टकटक बाध उसी द पक क ओर दखती थी और अपना अगठा चसन म म न थी चभ -चभ क आवाज आ रह थी उसका मख मरझाया हआ था पर वह न रोती थी न हाथ-पर फकती थी बस अगठा पीन म ऐसी म न थी मान उसम सधा -रस भरा हआ ह वह माता क तन क ओर मह भी नह फरती थी मानो उसका उन पर कोई अ धकार ह नह उसक लए वहा कोई आशा नह बाब साहब को उस पर दया आयी इस बचार का मर घर ज म लन म या दोष ह मझ पर या इसक माता पर कछ भी पड़ उसम इसका या अपराध ह हम कतनी नदयता कर रह ह क कछ कि पत अ न ट क कारण इसका इतना तर कार कर रह ह मान क कछ अमगल हो भी जाय तो या उसक भय स इसक ाण ल लय जायग अगर अपराधी ह तो मरा ार ध ह इस न ह-स ब च क त हमार कठोरता या ई वर को अ छ लगती होगी उ होन उस गोद म उठा लया और उसका मख चमन लग लड़क को कदा चत पहल बार स च नह का ान हआ वह हाथ -पर उछाल कर lsquoग-गrsquo करन लगी और द पक क ओर

हाथ फलान लगी उस जीवन- यो त-सी मल गयी ातकाल दामोदरद त न लड़क को गोद म उठा लया और बाहर लाय ी न बार-बार कहाmdashउस पड़ी रहन दो ऐसी कौन-सी बड़ी स दर ह अभा गन रात- दन तो ाण खाती रहती ह मर भी नह जाती क जान छट जाय कत दामोदरद त न न माना उस बाहर लाय और अपन ब च क साथ बठकर खलान लग उनक मकान क सामन थोड़ी-सी जमीन पड़ी हई थी पड़ोस क कसी आदमी क एकबकर उसम आकर चरा करती थी इस समय भी वह चर रह थी बाब साहब न बड़ लड़क स कहा mdash स जरा उस बकर को पकड़ो तो इस दध पलाय शायद भखी ह बचार दखो त हार न ह -सी बहन ह न इस रोज हवा म खलाया करो स को द लगी हाथ आयी उसका छोटा भाई भी दौड़ा दोनो न घर कर बकर को पकड़ा और उसका कान पकड़ हए सामन लाय पता न शश का मह बकर थन म लगा दया लड़क चबलान लगी और एक ण म

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 26: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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दध क धार उसक मह म जान लगी मानो टम टमात द पक म तल पड़ जाय लड़क का मह खल उठा आज शायद पहल बार उसक धा त त हई थी वह पता क गोद म हमक -हमक कर खलन लगी लड़क न भी उस खब नचाया -कदाया

उस दन स स को मन रजन का एक नया वषय मल गया बालक को ब च स बहत म होता ह अगर कसी घ सनल म च ड़या का ब चा दख पाय तो बार-बार वहा जायग दखग क माता ब च को कस दाना चगाती ह ब चा कस च च खोलता ह कस दाना लत समय पर को फड़फड़ाकर कर च-च करता ह आपस म बड़ ग भीर भाव स उसक चरचा करग उपन अ य सा थय को ल जाकर उस दखायग स ताक म लगा दता कभी दन म दो-दो तीन-तीन बा पलाता बकर को भसी चोकर खलाकार ऐसा परचा लया क वह वय चोकर क लोभ स चल आती और दध दकर चल जाती इस भा त कोई एक मह ना गजर गया लड़क ट-प ट हो गयी मख प प क समान वक स त हो गया आख जग उठ शशकाल क सरल आभा मन को हरन लगी

माता उसको दख-दख कर च कत होती थी कसी स कछ कह तो न सकती पर दल म आशका होती थी क अब वह मरन क नह हमी लोग क सर जायगी कदा चत ई वर इसक र ा कर रह ह जभी तो दन- दन नखरती आती ह नह अब तक ई वर क घर पहच गयी होती

गर दाद माता स कह जयादा च तत थी उस म होन लगा क वह ब च को खब दध पला रह ह साप को पाल रह ह

शश क ओर आख उठाकर भी न दखती यहा तक क एक दन कह बठ mdashलड़क का बड़ा छोह करती हो हा भाई मा हो क नह तम न छोह करोगी तो करगा कौन

lsquoअ मा जी ई वर जानत ह जो म इस दध पलाती होऊ rsquo

lsquoअर तो म मना थोड़ ह करती ह मझ या गरज पड़ी ह क म त म अपन ऊपर पाप ल कछ मर सर तो जायगी नह rsquo

lsquoअब आपको व वास ह न आय तो या करrsquo

lsquoमझ पागल समझती हो वह हवा पी-पी कर ऐसी हो रह हrsquo

lsquoभगवान जान अ मा मझ तो अचरज होता ह rsquo

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 27: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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बह न बहत नद षता जतायी कत व ा सास को व वास न आया उसन समझा वह मर शका को नमल समझती ह मान मझ इस ब ची स कोई बर ह उसक मन म यह भाव अक रत होन लगा क इस कछ हो जोय तब यह समझ क म झठ नह कहती थी वह िजन ा णय को अपन ाण स भी अ धक समझती थी उ ह लोग क अमगल कामना करन

लगी कवल इस लए क मर शकाए स य हा जाय वह यह तो नह चाहती थी क कोई मर जाय पर इतना अव य चाहती थी क कसी क बहान स म चता द क दखा तमन मरा कहा न माना यह उसी का फल ह उधर सास क ओर स यो- य यह वष-भाव कट होता था बह का क या क त नह बढ़ता था ई वर स मनाती रहती थी क कसी भा त एक साल

कशल स कट जाता तो इनस पछती कछ लड़क का भोला -भाला चहरा कछ अपन प त का म -वा स य दखकर भी उस ो साहन मलता था व च दशा हो रह थी न दल खोलकर यार ह कर सकती थी न स पण र त स नदय होत ह बनता था न हसत बनता था न रोत

इस भा त दो मह न और गजर गय और कोई अ न ट न हआ तब तो व ा सासव क पट म चह दौड़न लग बह को दो -चार दन वर भी नह जाता क मर शका क मयादा रह जाय प भी कसी दन परगाड़ी पर स नह गर पड़ता न बह क मक ह स कसी क वगवास क सनावनी आती ह एक दन दामोदरद त न खल तौर पर कह भी दया क अ मा यह सब ढकोसला ह ततर लड़ कया या द नया म होती ह नह तो सब क सब मा-बाप मर ह जात ह अत म उसन अपनी शकाओ को यथाथ स करन क एक तरक ब सोच नकाल एक दन दामोदरद त कल स आय तो दखा क अ मा जी खाट पर अचत पड़ी हई ह ी अगीठ म आग रख उनक छाती सक रह ह और कोठर क वार और खड़ कया बद ह घबरा कर कहाmdashअ मा जी या दशा ह

ीmdashदोपहर ह स कलज म एक शल उठ रहा ह बचार बहत तड़फ रह ह दामोदरmdashम जाकर डॉ टर साहब को बला लाऊ न दर करन स शायद रोग बढ़ जाय अ मा जी अ मा जी कसी त बयत ह

माता न आख खोल और कराहत हए बोल mdashबटा तम आ गय

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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31

जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 28: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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अब न बचगी हाय भगवान अब न बचगी जस कोई कलज म बरछ चभा रहा हो ऐसी पीड़ा कभी न हई थी इतनी उ बीत गयी ऐसी पीड़ा कभी न हई

ीmdashवह कलमह छोकर न जान कस मनहस घड़ी म पदा हई

सासmdashबटा सब भगवान करत ह यह बचार या जान दखो म मर जाऊ तो उस क ट मत दना अ छा हआ मर सर आयी कसी कक सर तो जाती ह मर ह सर सह हाय भगवान अब न बचगी

दामोदरmdashजाकर डॉ टर बला लाऊ अ भी लौटा आता ह

माता जी को कवल अपनी बात क मयादा नभानी थी पय न ख करान थ बोल mdashनह बटा डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर क पास जाकर या करोग अर वह कोई ई वर ह डॉ टर अमत पला दगा दस-बीस वह भी ल जायगा डॉ टर-व य स कछ न होगा बटा तम कपड़ उतारो मर पास बठकर भागवत पढ़ो अब न बचगी अब न बचगी हाय राम

दामोदरmdashततर बर चीज ह म समझता था क ढकोसला ह

ीmdashइसी स म उस कभी नह लगाती थी माताmdashबटा ब च को आराम स रखना भगवान तम लोग को सखी रख अ छा हआ मर ह सर गयी तम लोग क सामन मरा परलोक हो जायगा कह कसी दसर क सर जाती तो या होता राम भगवान न मर वनती सन ल हाय हाय

दामोदरद त को न चय हो गया क अब अ मा न बचगी बड़ा दख हआ उनक मन क बात होती तो वह मा क बदल ततर को न वीकार करत िजस जननी न ज म दया नाना कार क क ट झलकर उनका पालन-पोषण कया अकाल वध य को ा त होकर भी उनक श ा का बध कया उसक सामन एक दधमह ब ची का कया म य था िजसक

हाथ का एक गलास पानी भी वह न जानत थ शोकातर हो कपड़ उतार और मा क सरहान बठकर भागवत क कथा सनान लग

रात को बह भोजन बनान चल तो सास स बोल mdashअ मा जी त हार लए थोड़ा सा साबदाना छोड़ द

माता न य य करक कहाmdashबट अ य बना न मारो भला साबदाना मझस खया जायगा जाओ थोड़ी प रया छान लो पड़ -पड़ जो कछ इ छा

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होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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31

जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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33

भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 29: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

29

होगी खा लगी कचौ रया भी बना लना मरती ह तो भोजन को तरस -तरस य म थोड़ी मलाई भी मगवा लना चौक क हो फर थोड़ खान आऊगी

बट थोड़-स कल मगवा लना कलज क दद म कल खान स आराम होता ह भोजन क समय पीड़ा शात हो गयी ल कन आध घट बाद फर जोर स होन लगी आधी रात क समय कह जाकर उनक आख लगी एक स ताह तक उनक यह दशा रह दन-भर पड़ी कराहा करती बस भोजन क समय जरा वदना कम हो जाती दामोदरद त सरहान बठ पखा झलत और मा वयोग क आगत शोक स रोत घर क महर न मह ल -भर म एक खबर फला द पड़ो सन दखन आयी तो सारा इलजाम बा लका क सर गया एक न कहाmdashयह तो कहो बड़ी कशल हई क ब ढ़या क सर गयी नह तो ततर मा-बाप दो म स एक को लकर तभी शात होती ह दव न कर क कसी क घर ततर का ज म हो

दसर बोल mdashमर तो ततर का नाम सनत ह रोय खड़ हो जात ह भगवान बाझ रख पर ततर का ज म न द

एक स ताह क बाद व ा का क ट नवारण हआ मरन म कोई कसर न थी वह तो कह प खाओ का प य - ताप था ा मण को गोदान दया गया दगा -पाठ हआ तब कह जाक सकट कटा

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नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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40

तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 30: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

30

नरा य

ज आदमी अपनी ी स इस लए नाराज रहत ह क उसक लड़ कया ह य होती ह लड़क य नह होत जानत ह क

इनम ी को दोष नह ह या ह तो उतना ह िजतना मरा फर भी जब द खए ी स ठ रहत ह उस अभा गनी कहत ह और सदव उसका दल दखाया करत ह न पमा उ ह अभा गनी ि य म थी और घमडीलाल पाठ उ ह अ याचार प ष म न पमा क तीन ब टया लगातार हई थी

और वह सार घर क नगाह स गर गयी थी सास-ससर क अ स नता क तो उस वशष चता न थी वह परान जमान क लोग थ जब लड़ कया गरदन का बोझ और पवज म का पाप समझी जाती थी हा उस दख अपन प तदव क अ स नता का था जो पढ़- लख आदमी होकर भी उस जल -कट सनात रहत थ यार करना तो दर रहा न पमा स सीध मह बात न करत कई-कई दन तक घर ह म न आत और आत तो कछ इस तरह खच-तन हए रहत क न पमा थर -थर कापती रहती थी कह गरज न उठ घर म धन का अभाव न था पर न पमा को कभी यह साहस न होता था क कसी सामा य व त क इ छा भी कट कर सक वह समझती थी म यथाथ म अभा गनी ह नह तो भगवान मर कोख म लड़ कया ह रचत प त क एक मद म कान क लए एक मीठ बात क लए उसका दय तड़प कर रह जाता था यहा तक क वह अपनी लड़ कय को यार करत हए सकचाती थी क लोग कहग पीतल क नथ पर इतना गमान करती ह जब पाठ जी क घर म आन का समय होता तो कसी -न- कसी बहान स वह लड़ कय को उनक आख स दर कर दती थी सबस बड़ी वपि त यह थी क पाठ जी न धमक द थी क अब क क या हई तो घर छोड़कर नकल जाऊगा इस नरक म ण-भर न ठह गा न पमा को यह चता और भी खाय जाती थी

वह मगल का त रखती थी र ववार नजला एकादसी और न जान कतन त करती थी नान-पजा तो न य का नयम था पर कसी अन ठान स मनोकामना न पर होती थी न य अवहलना तर कार उप ा अपमान सहत-सहत उसका च त ससार स वर त होता जाता था

बा

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31

जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

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ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 31: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

31

जहा कान एक मीठ बात क लए आख एक म- ि ट क लए दय एक आ लगन क लए तरस कर रह जाय घर म अपनी कोई बात न पछ वहा जीवन स य न अ च हो जाय

एक दन घोर नराशा क दशा म उसन अपनी बड़ी भावज को एक प लखा एक-एक अ र स अस य वदना टपक रह थी भावज न उ तर दयाmdashत हार भया ज द त ह वदा करान जायग यहा आजकल एक स च महा मा आय हए ह िजनका आश वाद कभी न फल नह जाता यहा कई सतानह न ि या उनक आश वाद स प वती हो गयी पण आशा ह क त ह भी उनका आश वाद क याणकार होगा

न पमा न यह प प त को दखाया पाठ जी उदासीन भाव स बोलmdashसि ट -रचना महा माओ क हाथ का काम नह ई वर का काम ह न पमाmdashहा ल कन महा माओ म भी तो कछ स होती ह

घमडीलालmdashहा होती ह पर ऐस महा माओ क दशन दलभ ह

न पमाmdashम तो इस महा मा क दशन क गी घमडीलालmdashचल जाना न पमाmdashजब बा झन क लड़क हए तो म या उनस भी गयी -गजर ह

घमडीलालmdashकह तो दया भाई चल जाना यह करक भी दख लो मझ तो ऐसा मालम होता ह प का मख दखना हमार भा य म ह नह ह

2

ई दन बाद न पमा अपन भाई क साथ मक गयी तीन प या भी साथ थी भाभी न उ ह म स गल लगाकर कहा

त हार घर क आदमी बड़ नदयी ह ऐसी गलाब ndashफल क -सी लड़ कया पाकर भी तकद र को रोत ह य त ह भार ह तो मझ द दो जब ननद और भावज भोजन करक लट तो न पमा न पछा mdashवह महा मा कहा रहत ह

भावजmdashऐसी ज द या ह बता दगी

न पमाmdashह नगीच ह न

भावजmdashबहत नगीच जब कहोगी उ ह बला दगी

न पमाmdashतो या तम लोग पर बहत स न ह

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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39

घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 32: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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भावजmdashदोन व त यह भोजन करत ह यह रहत ह

न पमाmdashजब घर ह म व य तो म रय य आज मझ उनक दशन करा दना भावजmdashभट या दोगी

न पमाmdashम कस लायक ह

भावजmdashअपनी सबस छोट लड़क द दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashचलो गाल दती हो भावजmdashअ छा यह न सह एक बार उ ह मा लगन करन दना न पमाmdashभाभी मझस ऐसी हसी करोगी तो म चल आऊगी

भावजmdashवह महा मा बड़ र सया ह न पमाmdashतो च ह म जाय कोई द ट होगा

भावजmdashउनका आश वाद तो इसी शत पर मलगा वह और कोई भट वीकार ह नह करत

न पमाmdashतम तो य बात कर रह हो मानो उनक त न ध हो

भावजmdashहा वह यह सब वषय मर ह वारा तय कया करत ह म भट लती ह म ह आश वाद दती ह म ह उनक हताथ भोजन कर लती ह

न पमाmdashतो यह कहो क तमन मझ बलान क लए यह ह ला नकाला ह भावजmdashनह उनक साथ ह त ह कछ ऐस गर दगी िजसस तम अपन घर आराम स रहा इसक बाद दोन स खय म कानाफसी होन लगी जब भावज चप हई तो न पमा बोल mdashऔर जो कह फर या ह हई तो

भावजmdashतो या कछ दन तो शा त और सख स जीवन कटगा यह दन तो कोई लौटा न लगा प हआ तो कहना ह या प ी हई तो फर कोई नयी यि त नकाल जायगी त हार घर क जस अ ल क द मन क साथ ऐसी ह चाल चलन स गजारा ह

न पमाmdashमझ तो सकोच मालम होता ह

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

3

न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 33: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

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भावजmdash पाठ जी को दो-चार दन म प लख दना क महा मा जी क दशन हए और उ ह न मझ वरदान दया ह ई वर न चाहा तो उसी दन स त हार मान - त ठा होन लगी घमडी दौड़ हए आयग और त हार ऊपर ाण नछावर करग कम-स-कम साल भर तो चन क वशी बजाना इसक

बाद दखी जायगी न पमाmdashप त स कपट क तो पाप न लगगा

भावजmdashऐस वा थय स कपट करना प य ह

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न चार मह न क बाद न पमा अपन घर आयी घमडीलाल उस वदा करान गय थ सलहज न महा मा जी का रग और

भी चोखा कर दया बोल mdashऐसा तो कसी को दखा नह क इस महा मा जी न वरदान दया हो और वह परा न हो गया हो हा िजसका भा य फट जाय उस कोई या कर सकता ह घमडीलाल य तो वरदान और आश वाद क उप ा ह करत रह इन बात पर व वास करना आजकल सकोचजनक मालम होता ह पर उनक दल पर असर ज र हआ

न पमा क खा तरदा रया होनी श ह जब वह गभवती हई तो सबक दल म नयी-नयी आशाए हलोर लन लगी सास जो उठत गाल और बठत य य स बात करती थी अब उस पान क तरह फरतीmdashबट तम रहन दो म ह रसोई बना लगी त हारा सर दखन लगगा कभी न पमा कलस का पानी या चारपाई उठान लगती तो सास दौड़तीmdashबहरहन दो म आती ह तम कोई भार चीज मत उठा या करा लड़ कय क बात और होती ह उन पर कसी बात का असर नह होता लड़क तो गभ ह म मान करन लगत ह अब न पमा क लए दध का उठौना कया गया िजसस बालक प ट और गोरा हो घमडी व ाभषण पर उता हो गय हर मह न एक -न-एक नयी चीज लात न पमा का जीवन इतना सखमय कभी न था उस समय भी नह जब नवल वध थी

मह न गजरन लग न पमा को अनभत ल ण स व दत होन लगा क यह क या ह ह पर वह इस भद को ग त रखती थी सोचती सावन क धप ह इसका या भरोसा िजतनी चीज धप म सखानी हो सखा लो फर तो घटा छायगी ह बात-बात पर बगड़ती वह कभी इतनी मानशीला

ती

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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न थी पर घर म कोई च तक न करता क कह बह का दल न दख नह बालक को क ट होगा कभी-कभी न पमा कवल घरवाल को जलान क लए अन ठान करती उस उ ह जलान म मजा आता था वह सोचती तम वा थय को िजतना जलाऊ उतना अ छा तम मरा आदर इस लए करत हो

न क म ब च जनगी जो त हार कल का नाम चलायगा म कछ नह ह बालक ह सब-कछ ह मरा अपना कोई मह व नह जो कछ ह वह बालक क नात यह मर प त ह पहल इ ह मझस कतना म था तब इतन ससार-लोलप न हए थ अब इनका म कवल वाथ का वाग ह म भी पश ह िजस दध क लए चारा -पानी दया जाता ह खर यह सह इस व त तो तम मर काब म आय हो िजतन गहन बन सक बनवा ल इ ह तो छ न न लोग इस तरह दस मह न पर हो गय न पमा क दोन ननद ससराल स बलायी गयी ब च क लए पहल ह सोन क गहन बनवा लय गय दध क लए एक स दर दधार गाय मोल ल ल गयी घमडीलाल उस हवा खलान को एक छोट -सी सजगाड़ी लाय िजस दन न पमा को सव-वदना होन लगी वार पर प डत जी महत दखन क लए बलाय गय एक मीर शकार बदक छोड़न को बलाया गया गायन मगल-गान क लए बटोर ल गयी घर स तल- तल कर खबर मगायी जाती थी या हआ लडी डॉ टर भी बलायी गयी बाज वाल ह म क इतजार म बठ थ पामर भी अपनी सारगी लय lsquoज चा मान कर नदलाल स rsquo क तान सनान को तयार बठा था सार तया रया सार आशाए सारा उ साह समारोह एक ह श द पर अवलि ब था य - य दर होती थी लोग म उ सकता बढ़ती जाती थी घमडीलाल अपन मनोभाव को छपान क लए एक समाचार ndashप दख रह थ मानो उ ह लड़का या लड़क दोन ह बराबर ह मगर उनक बढ़ पता जी इतन सावधान न थ उनक पीछ खल जाती थी हस-हस कर सबस बात कर रह थ और पस क एक थल को बार-बार उछालत थ मीर शकार न कहाmdashमा लक स अबक पगड़ी दप ा लगा

पताजी न खलकर कहाmdashअब कतनी पग ड़या लगा इतनी बभाव क दगा क सर क बाल गज हो जायग

पामर बोलाmdashसरकार अब क कछ जी वका ल

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पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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39

घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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40

तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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Page 35: $ेमचंद - WordPress.comदसरेू—कमाल ! यह क Ñहए iक झÖडे गाड Ñदये। अब तक िजसे देखा मंच पर

35

पताजी खलकर बोलmdashअब कतनी खायगा खला- खला कर पट फाड़ दगा

सहसा महर घर म स नकल कछ घबरायी -सी थी वह अभी कछ बोलन भी न पायी थी क मीर शकार न ब दक फर कर ह तो द ब दक छटनी थी क रोशन चौक क तान भी छड़ गयी पामर भी कमर कसकर नाचन को खड़ा हो गया महर mdashअर तम सब क सब भग खा गय हो गया

मीर शकारmdash या हआ

महर mdashहआ या लड़क ह तो फर हई ह

पता जीmdashलड़क हई ह

यह कहत-कहत वह कमर थामकर बठ गय मानो व गर पड़ा घमडीलाल कमर स नकल आय और बोलmdashजाकर लडी डा टर स तो पछ अ छ तरह दख न ल दखा सना चल खड़ी हई

महर mdashबाबजी मन तो आख दखा ह घमडीलालmdashक या ह ह

पताmdashहमार तकद र ह ऐसी ह बटा जाओ र सब क सब तम सभी क भा य म कछ पाना न लखा था तो कहा स पात भाग जाओ सकड़ पय पर पानी फर गया सार तयार म ी म मल गयी

घमडीलालmdashइस महा मा स पछना चा हए म आज डाक स जरा बचा क खबर लता ह

पताmdashधत ह धत घमडीलालmdashम उनक सार धतता नकाल दगा मार डड क खोपड़ी न तोड़ द तो क हएगा चाडाल कह का उसक कारण मर सकड़ पय पर पानी फर गया यह सजगाड़ी यह गाय यह पलना यह सोन क गहन कसक सर पटक ऐस ह उसन कतन ह को ठगा होगा एक दफा बचा ह मर मत हो जाती तो ठ क हो जात

पता जीmdashबटा उसका दोष नह अपन भा य का दोष ह घमडीलालmdashउसन य कहा ऐसा नह होगा औरत स इस पाखड क लए कतन ह पय ऐठ ह ग वह सब उ ह उगलना पड़गा नह तो प लस म रपट कर दगा कानन म पाखड का भी तो दड ह म पहल ह च का था

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36

क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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37

4

भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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क हो न हो पाखडी ह ल कन मर सलहज न धोखा दया नह तो म ऐस पािजय क पज म कब आन वाला था एक ह सअर ह

पताजीmdashबटा स करो ई वर को जो कछ मजर था वह हआ लड़का-लड़क दोन ह ई वर क दन ह जहा तीन ह वहा एक और सह

पता और प म तो यह बात होती रह पामर मीर शकार आ द न अपन-अपन डड सभाल और अपनी राह चल घर म मातम-सा छा गया लडी डॉ टर भी वदा कर द गयी सौर म ज चा और दाई क सवा कोई न रहा व ा माता तो इतनी हताश हई क उसी व त अटवास-खटवास लकर पड़ रह जब ब च क बरह हो गयी तो घमडीलाल ी क पास गय और सरोष भाव स बोलmdash फर लड़क हो गयी न पमाmdash या क मरा या बस

घमडीलालmdashउस पापी धत न बड़ा चकमा दया

न पमाmdashअब या कह मर भा य ह म न होगा नह तो वहा कतनी ह औरत बाबाजी को रात- दन घर रहती थी वह कसी स कछ लत तो कहती क धत ह कसम ल लो जो मन एक कौड़ी भी उ ह द हो घमडीलालmdashउसन लया या न लया यहा तो दवाला नकल गया मालम हो गया तकद र म प नह लखा ह कल का नाम डबना ह ह तो या आज डबा या दस साल बाद डबा अब कह चला जाऊगा गह थी म

कौन-सा सख रखा ह

वह बहत दर तक खड़ -खड़ अपन भा य को रोत रह पर न पमा न सर तक न उठाया न पमा क सर फर वह वपि त आ पड़ी फर वह तान वह अपमान वह अनादर वह छ छालदार कसी को चता न रहती क खाती-पीती ह या नह अ छ ह या बीमार दखी ह या सखी घमडीलाल य य प कह न गय पर न पमा को यह धमक ाय न य ह मलती रहती थी कई मह न य ह गजर गय तो न पमा न फर भावज को लखा क तमन और भी मझ वपि त म डाल दया इसस तो पहल ह भल थी अब तो काई बात भी नह पछता क मरती ह या जीती ह अगर यह दशा रह तो वामी जी चाह स यास ल या न ल ल कन म ससार को अव य याग

दगी

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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भी य प पाकर प रि थ त समझ गयी अबक उसन न पमा को बलाया नह जानती थी क लोग वदा ह न

करग प त को लकर वय आ पहची उसका नाम सकशी था बड़ी मलनसार चतर वनोदशील ी थी आत ह आत न पमा क गोद म क या दखी तो बोल mdashअर यह या

सासmdashभा य ह और या

सकशी mdashभा य कसा इसन महा मा जी क बात भला द ह गी ऐसा तो हो ह नह सकता क वह मह स जो कछ कह द वह न हो य जी तमन मगल का त रखा

न पमाmdashबराबर एक त भी न छोड़ा सकशी mdashपाच ा मण को मगल क दन भोजन कराती रह

न पमाmdashयह तो उ ह न नह कहा था सकशी mdashत हारा सर मझ खब याद ह मर सामन उ ह न बहत जोर दकर कहा था तमन सोचा होगा ा मण को भोजन करान स या होता ह यह न समझा क कोई अन ठान सफल नह होता जब तक व धवत उसका पालन न कया जाय सासmdashइसन कभी इसक चचा ह नह क नह पाच या दस ा मण को िजमा दती त हार धम स कछ कमी नह ह

सकशी mdashकछ नह भल हो गयी और या रानी बट का मह य दखना नसीब नह होता बड़-बड़ जप-तप करन पड़त ह तम मगल क त ह स घबरा गयी

सासmdashअभा गनी ह और या

घमडीलालmdashऐसी कौन-सी बड़ी बात थी जो याद न रह वह हम लोग को जलाना चाहती ह सासmdashवह तो कह क महा मा क बात कस न फल हई यहा सात बरस त lsquoतलसी माई rsquo को दया चढ़ाया जब जा क ब च का ज म हआ

घमडीलालmdashइ ह न समझा था दाल-भात का कौर ह सकशी mdashखर अब जो हआ सो हआ कल मगल ह फर त रखो और अब क सात ा मण को िजमाओ दख कस महा मा जी क बात नह पर होती

भा

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38

घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

सकशी mdashआप नि चत रह म याद करा दगी या भोजन करना होगा कस रहना होगा कस नान करना होगा यह सब लखा दगी और अ मा जी आज स अठारह मास बाद आपस कोई भार इनाम लगी

सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

5

पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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39

घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

6

सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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घमडीलाल- यथ ह इनक कय कछ न होगा

सकशी mdashबाबजी आप व वान समझदार होकर इतना दल छोटा करत ह अभी आपकक उ या ह कतन प ल िजएगा नाक दम न हो जाय तो क हएगा सासmdashबट दध-पत स भी कसी का मन भरा ह

सकशी mdashई वर न चाहा तो आप लोग का मन भर जायगा मरा तो भर गया घमडीलालmdashसनती हो महारानी अबक कोई गोलमोल मत करना अपनी भाभी स सब योरा अ छ तरह पछ लना

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सकशी एक स ताह यहा रह और न पमा को खब सखा -पढ़ा कर चल गयी

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पमा का एकबाल फर चमका घमडीलाल अबक इतन आ वा सत स रानी हई सास फर उस पान क भा त फरन

लगी लोग उसका मह जोहन लग

दन गजरन लग न पमा कभी कहती अ मा जी आज मन व न दखा क व ी न आकर मझ पकारा और एक ना रयल दक र बोल lsquoयह त ह दय जाती ह कभी कहतीrsquoअ मा जी अबक न जान य मर दल म बड़ी-बड़ी उमग पदा हो रह ह जी चाहता ह खब गाना सन नद म खब नान क हरदम नशा-सा छाया रहता ह सास सनकर म कराती और

कहतीmdashबह य शभ ल ण ह

न पमा चपक -चपक माजर मगाकर खाती और अपन असल न स ताकत हए घमडीलाल स पछती -मर आख लाल ह या

घमडीलाल खश होकर कहत mdashमालम होता ह नशा चढ़ा हआ ह य शभ ल ण ह

न पमा को सगध स कभी इतना म न था फल क गजर पर अब वह जान दती थी

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घमडीलाल अब न य सोत समय उस महाभारत क वीर कथाए पढ़कर सनात कभी ग गो वद सह क त का वणन करत अ भम य क कथा स न पमा को बड़ा म था पता अपन आन वाल प को वीर -स कार स प रप रत कर दना चाहता था

एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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एक दन न पमा न प त स कहाmdashनाम या रखोग

घमडीलालmdashयह तो तमन खब सोचा मझ तो इसका यान ह न रहा ऐसा नाम होना चा हए िजसस शौय और तज टपक सोचो कोई नाम दोन ाणी नाम क या या करन लग जोरावरलाल स लकर ह र च तक सभी नाम गनाय गय पर उस असामा य बालक क लए कोई नाम न मला अत म प त न कहा तगबहादर कसा नाम ह

न पमाmdashबस-बस यह नाम मझ पस द ह

घमडी लालmdashनाम ह तो सब कछ ह दमड़ी छकौड़ी घरह कतवा िजसक नाम दख उस भी lsquoयथा नाम तथा गण rsquo ह पाया हमार ब च का नाम होगा तगबहादर

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सव-काल आ पहचा न पमा को मालम था क या होन वाल ह ल कन बाहर मगलाचरण का परा सामान था अबक कसी

को लशमा भी सदह न था नाच गान का बध भी कया गया था एक शा मयाना खड़ा कया गया था और म गण उसम बठ खश -गि पया कर रह थ हलवाई कड़ाई स प रया और मठाइया नकाल रहा था कई बोर अनाज क रख हए थ क शभ समाचार पात ह भ क को बाट जाय एक ण का भी वल ब न हो इस लए बोर क मह खोल दय गय थ

ल कन न पमा का दल त ण बठा जाता था अब या होगा तीन साल कसी तरह कौशल स कट गय और मज म कट गय ल कन अब वपि त सर पर मडरा रह ह हाय नरपराध होन पर भी यह दड अगर भगवान क इ छा ह क मर गभ स कोई प न ज म ल तो मरा या दोष ल कन कौन सनता ह म ह अभा गनी ह म ह या य ह म ह कलमह ह इसी लए न क परवश ह या होगा अभी एक ण म यह सारा आनदा सव शोक म डब जायगा मझ पर बौछार पड़न लगगी भीतर स बाहर तक मझी को कोसग सास-ससर का भय नह ल कन वामी जी शायद फर मरा मह न दख शायद नराश होकर घर-बार याग द चार

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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तरफ अमगल ह अमगल ह म अपन घर क अपनी सतान क ददशा दखन क लए य जी वत ह कौशल बहत हो चका अब उसस कोई आशा नह मर दल म कस-कस अरमान थ अपनी यार बि चय का लालन-पालन करती उ ह याहती उनक ब च को दखकर सखी होती पर आह यह सब अरमान झाक म मल जात ह भगवान त ह अब इनक पता हो त ह इनक र क हो म तो अब जाती ह

लडी डॉ टर न कहाmdashवल फर लड़क ह भीतर-बाहर कहराम मच गया प स पड़ गयी घमडीलाल न कहाmdashजह नम म जाय ऐसी िजदगी मौत भी नह आ जाती उनक पता भी बोलmdashअभा गनी ह व अभा गनी भ क न कहाmdashरोओ अपनी तकद र को हम कोई दसरा वार दखत ह अभी यह शोकादगार शात न होन पाया था क डॉ टर न कहा मा का हाल अ छा नह ह वह अब नह बच सकती उसका दल बद हो गया ह

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