श्रीशिवलीलामृत

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Page 1: श्रीशिवलीलामृत

श्री�शि�वली�ली�मृत – अध्या�या पहि�ली�(Content Source: khapre.org )

अध्या�या पहि�ली�श्री�गणे���या नमृ: ॥ श्री� सरस्वत्या� नमृ: ॥ श्री�ग�रुभ्या� नमृ: ॥ श्री�स��बसदा�शि�व�या नमृ: ॥

ॐ नमृ�जी� शि�व� अपरिरमिमृत� ॥ आदिदा अन�दिदा मृ�या�त�त� ॥ प'णे(ब्रह्मा�न�दा��श्वत� ॥ ��र�बत�त� जीगद्गु-र� ॥ ॥१

ज्या�हितमृ(यास्वरुप� प�र�णेप�रुषा� ॥ अन�दिदाशिसध्दा� आन�दावनहिवली�स� ॥ मृ�या�चक्रच�ळका� अहिवन��� ॥ अन�तव�षा� जीगत्पत� ॥ ॥२

जीया जीया हिवरूप�क्षा� प�चवदान� ॥ कामृ�(ध्याक्षा� ��ध्दा8च�तन्या� ॥ हिवश्व�भर� कामृ(मृ�चकाग�न� ॥ मृन�जीदा�न� मृनमृ��न जी� ॥ ॥३

भक्तवल्लीभ त'� हि�मृनगजी�मृ�त ॥ भ�लीली�चन न�लीग्री�व उमृ�न�थ ॥ मृस्तकाA स्वर्धु�(न� हिवर�जिजीत ॥ जी�हितस�मृन��रवत जी� ॥ ॥४

पक्षिक्षारथहिFया हिGप�र��तका ॥ याक्षापहितमिमृG Fत�प�का( ॥ दाक्षामृखहिवध्व�सका मृग��का ॥ हिनष्काली�का तव मृस्तकाA ॥ ॥५

हिव��ळ भ�ळ काप'(रगKर ॥ का�का�लीभक्षाका हिनजीभक्तरक्षाणे� ॥ हिवश्व�स�क्षा� भस्मृली�पन ॥ भयामृ�चन भव��रका जी� ॥ ॥६

जी� सग(स्थिNत्या�तका�रणे ॥ हिG�'लीप�णे� ��र्दु(लीचमृ(वसन ॥ स्का� दात�त स���स्यावदान ॥ मृ�या�हिवहिपनदा�न जी� ॥ ॥७

जी� सस्थिQदा�न�दा हिनमृ(ळ॥ शि�व ���त ज्ञा�नघन अचळ ॥ जी� भ�न�का�दिUत�जी अढळ ॥ सव(का�ळ व्या�पका जी� ॥ ॥८

सकालीकाशिलीमृलीदा�न काल्मृषामृ�चन ॥ अन�तब्रह्मा��डन�याका जीगरक्षाणे ॥ पद्मजीत�तमृनर�जीन ॥ जीननमृरणेन��का जी� ॥ ॥९

कामृली�द्भव कामृली�वर ॥ दा��तमृ�ख दा��तकार ॥ दा��तन�G स�र भ'स�र ॥ अ��र�G ध्या�त� जीया� ॥ ॥१०

भव भव��तका भव�न�वर ॥ स्मृ��नव�स� हिगर�� अग�चर ॥ जी� स्वर्धु�(न�त�रहिव��र ॥ हिवश्व�श्वर का���र�जी जी� ॥ ॥११

व्या�मृ�रणे व्या�लीभ'षाणे ॥ जी� गजीदामृन अ�र्धुकामृदा(न ॥ ॐका�रमृ��बली�श्वर आन�दाघन ॥ मृदागव(भ�जीन अजी अजिजीत जी� ॥ ॥१२

अमिमृतगभ( हिनगमृ�गमृन�त ॥ जी� दिदाग�बर अवयावरहि�त ॥ उज्जमियान� मृ��का�ळ का�ली�त�त ॥ स्मृरणे� का त��तभया न��� ॥ ॥१३

र्दुरिरतका�ननव�श्व�नर ॥ जी� हिनजीजीनशिचत्तचका�र च�द्र ॥ व�णे�पवरमृ�त्प�प�र ॥ घ�ष्णे�श्वर सन�तन जी� ॥ ॥१४

जी� उमृ�हृदायाप�जीकाbर ॥ जी� हिनजीजीनहृदाया�ब्जीभ्रमृर ॥ त� स�मृन�थ �शि���खर ॥ सKर�ष्ट्रदा��हिव��र� जी� ॥ ॥१५

का� रवली�चन कारुणे�समृ�द्र ॥ रुद्र�क्षाभ'षाणे रुद्र�वत�र ॥ भ�मृ भया�नका भ�मृ���कार ॥ तप� प�र न��f ज्या�च्या� ॥ ॥१६

न�गदामृन न�गभ'षाणे ॥ न�गhद्रका�� डली न�गचमृ(परिरर्धु�न ॥ ज्या�हितर्लिंलीjग न�गन�थ न�गरक्षाणे ॥ न�ग�ननजीनका जी� ॥ ॥१७

वGरिर�G�जीनकावरदा�याका ॥ ब�णेवल्लीभ प�चब�णे��तका ॥ भवर�गव�द्य हिGप�र��रका ॥ व�जीन�थ अत्याद्भ-त जी� ॥ ॥१८

हिGनयान हिGग�णे�त�त ॥ हिGत�प�मृन हिGहिवर्धुभ�दारहि�त ॥ त्र्या�बकार�जी हिGदा�षा�नली���त ॥ कारूणे�कार बली��का जी� ॥ ॥१९

का�मृसिंसjर्धु�रहिवदा�रकाका� ठीoरव ॥ जीगदा�न�दाका� दा का प�णे(व ॥ हि�मृनगव�स� ��मृवत�र्धुव ॥ हि�मृका� दा�र अक्षिभनव जी� ॥ ॥२०

प�चमृ�का� U मृ�या�मृली�रणे ॥ हिनशि�दिदान ग�त� आम्न�या ग�णे ॥ न��f जीया� आदिदा मृध्या अवस�न ॥ मृस्थिल्लीका�जी�(न श्री���लीव�स ॥ ॥२१

जी� �क्र�रिरजीनका��तकाहिFयाकार ॥ भ'जी�स�त�प�रणे जी�ड�हिन कार ॥ जी�थ� हितष्ठत अ��र�G ॥ र�मृ�श्वर जीगद्गु-रु ॥ ॥२२

ऐशिसया� शि�व� सवsत्तमृ� ॥ अजी अजिजीत ब्रह्मा�न�दार्धु�मृ� ॥ त�झा� वणे�(वया� मृहि�मृ� ॥ हिनगमृ�गमृ�� अतर्क्यया( ॥ ॥२३

Page 2: श्रीशिवलीलामृत

ब्रह्मा�न�दा म्�णे� श्री�र्धुर ॥ तव ग�णे�णे(व अग�र्धु थ�र ॥ त�थh ब�ध्दिध्दा शिचत्त तका( प��णे�र ॥ न प�वत� प�र तत्वत�� ॥ ॥२४

कानका�दिद्रसहि�त मृ�दिदान�चh वजीन ॥ कार�वया� त�जीव� आणे'� का�ठी'न ॥ व्या�मृ स��ठीव� स�प'णे( ॥ ऐसh स��ठीवणे का�ठी'न आणे'� ॥ ॥२५

मृ�दिदान�वसन�चh जीळ आक्षिणे शिसकात� ॥ का�णेत्या� मृ�पw मृ�जी'� आत�� ॥ Fका���वया� आदिदात्या� ॥ दाxप सरत� का� वf ��या ॥ ॥२६

र्धुरिरG�चh कारूहिन पG ॥ का� र्धुर काज्जली जीलीमिर्धु मृषा�प�G ॥ स�रद्रुमृ ली�खणे� हिवशिचG ॥ कारूहिन शिली��त का� जीकान्या� ॥ ॥२७

त��� त�थh र�हि�ली� तUN ॥ तर� आत�� का� वf कारू� ग्री�थ ॥ जीर� त'� मृनf र्धुरिरस� याथ�थ( ॥ तर� का�या एका न ��या ॥ ॥२८

हि{त�या�च� हिका��र इं�र्दु ॥ त्या�स� जी�णे(दा�� व��त� दाxनब�र्धु� ॥ त�स� त�झा� ग�णे कारुणे�सिंसjर्धु� ॥ वणे}तसh अल्पमृत� ॥ ॥२९

सत्यावत�हृदायारत्नमृर�ळ ॥ भ�दाxत ग�ली� तव ग�णेहिनर�ळ ॥ अ�त नकाळ�शिच समृ'ळ ॥ त��� तUN र�हि�ली� ॥ ॥३०

त�थh मृ� मृ�दामृहित किंकाjकार ॥ का� वf क्रमृ'� �काh मृ��मृ��बर ॥ पर आत्मृस�थ(का कार�वया� स�च�र ॥ तव ग�णे�णे(वf मृ�न झा�ली� ॥ ॥३१

ऐस� �ब्दा ऐकात�� स�च�र ॥ त�षाली� दा�क्षा�याणे�वर ॥ म्�णे� शि�वशिलीली�मृत ग्री�थ परिरकार ॥ आर�भ� रस भर�न मृ� ॥ ॥३२

जी�स� घरूहिन शि��'च� ��त ॥ अक्षारh शिली�व� प�हिडत ॥ त�स� तव मृ�खh मृमृ ग�णे समृस्त ॥ स�रस अत्या�त ब�लीव�न मृ� ॥ ३३॥

श्री�तf व्��वh स�वर्धुशिचत्त ॥ स्का� दा8प�र�णेf ब�शिलीली� श्री���कात�त ॥ अग�र्धु शि�वली�ली�मृत ग्री�थ ॥ ब्रह्मा�त्तरख�ड जीh ॥ ॥३४

न�मिमृषा�रण्याf �Kनका�दिदाका स�मृत� ॥ स'त�Fहित Fश्न कारिरत� ॥ त'� शिचदा�का��fच� र�हि�णे�पहित ॥ कारf तप्ति�त श्रीवणेचका�र�� ॥ ॥३५

त�व�� बहुत प�र�णेh स�रस ॥ श्री�हिवष्णे�ली�ली� वर्णिणेjल्या� हिव��षा ॥ अग�र्धु मृहि�मृ� आसप�स ॥ दा��वत�र वर्णिणेjली� ॥ ॥३६

भ�रत र�मृ�याणे भ�गवत ॥ ऐकात�� श्रीवणे झा�ली� त�त ॥ पर� शि�वली�ली�मृत अद्भ-त ॥ श्रीवणे{�रh F��न कारू� ॥ ॥३७

या�वर� व�दाव्या�सशि�ष्या स'त ॥ म्�णे� ऐका� आत�� दा�ऊहिन शिचत्त ॥ शि�वचरिरG परमृ�द्भ-त ॥ श्रीवणेh प�तकापव(त जीळत� ॥ ॥३८

आया�र�र�ग्या ऐश्वया( अप�र ॥ स�तहित स�पक्षित्त ज्ञा�नहिवच�र ॥ श्रीवणेमृ�Gh दा�णे�र ॥ श्री���कार हिनजी��ग� ॥ ॥३९

सकाळ त�थ(व्रत��च� फळ ॥ मृ��मृख��च� श्री�या का� वळ ॥ दा�णे�र शि�वचरिरG हिनमृ(ळ ॥ श्रीवणेh काशिलीमृली न�सत� ॥ ॥४०

सकाली याज्ञा�मृ�जी� जीपयाज्ञा थ�र ॥ म्�णे�ली जीप�व� का�णेत� मृ�G ॥ तर� मृ�Gर�जी शि�वषाडक्षार ॥ ब�जीसहि�त जीप�व� ॥ ॥४१

र्दुजी� मृ�G शि�वप�च�क्षार ॥ दा��fच� फळ एकाशिच स�च�र ॥ उतरत� स�स�र�णे(वप�र ॥ ब्रह्मा�दिदास�रऋषा� ��शिच जीपत� ॥ ॥४२

दा�रिरद्र र्दु:ख भया ��का ॥ का�मृ क्र�र्धु {�{ प�तका ॥ इंत�र्क्यया��स�� स���रका ॥ शि�वत�रका मृ�G जी� ॥ ॥४३

त�ष्टी�प�ष्टी�र्धुहितका�रणे ॥ मृ�हिनहिनजी(र��स� ��शिच काल्या�णे ॥ कात�( मृ�Gर�जी स�प�णे( ॥ अग�र्धु मृहि�मृ� न वणे(व� ॥ ॥४४

नवग्री���त व�सरमृक्षिणे थ�र ॥ त�स� मृ�G�त शि�वप�च�क्षार ॥ कामृली�द्भव कामृली�वर ॥ अ��र�G ��शिच जीपत� ॥ ॥४५

��स्G��मृ�जी� व�दा��त ॥ त�थ�(मृ�जी� Fया�ग अद्भ-त ॥ मृ��स्मृ��न क्षा�G��त ॥ मृ�Gर�जी त�स� �� ॥ ॥४६

��स्G��मृ�जी� प���पत ॥ दा�व��मृ�जी� का� ली�सन�थ ॥ कानका�दा� जी�स� पव(त��त ॥ मृ�G प�च�क्षार� त�वf �� ॥ ॥४७

का� वळ परमृतत्व शिचन्मृ�G ॥ परब्रह्मा �hशिच त�रका मृ�G ॥ त�थ(व्रत��च� स�भ�र ॥ ओव�ळ'हिन U�का�व� ॥ ॥४८

�� मृ�G आत्मृ F��त�च� ख�णे� ॥ का� वल्यामृ�ग}च� Fका��तरणे� ॥ अहिवद्य�का�ननदा��का ब्रह्मा�ग्न� ॥ सनका�दिदाका ज्ञा�हिन ��शिच जीपत� ॥ ॥४९

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स्G� �'द्र आदिदाकारून� ॥ ��शिच जीप मृ�ख्या चहूं� वणे} ॥ ग�N ब्रह्माच�र� आदिदाकारून� ॥ दिदावसरजीनf जीप�व� ॥ ॥५०

जी�ग्री�तf स्वप्नी� या�त�� जी�त�� ॥ उभh असत�� हिनद्र� कारिरत�� ॥ का�या�( जी�त�� ब�लीत�� भ��डत� ॥ सव(दा��� जीप�व� ॥ ॥५१

शि�वमृ�Gध्वहिनप�च�नन ॥ काणे} आकार्णिणेjत�� दा�षा�व�रणे ॥ उभ�शिच स��डत� F�णे ॥ न ली�गत�� क्षाणे भस्मृ ��त� ॥ ॥५२

न्या�स मृ�तका�हिवमिर्धु आसन ॥ न ली�ग� जीप�व� F�त�कारून ॥ शि�व शि�व उQ�रिरत�� प'णे( ॥ ��कार या�ऊहिन प�ढh उभ� ॥ ॥५३

अख�ड जीपत� जी� �� मृ�G ॥ त्या��स� हिनजी��ग� रक्षा� हिGन�G ॥ आप�ल्या� अ�ग�च� स�उली� कार� प�चचक्र ॥ अ��र�G रक्षा� तया�� ॥ ॥५४

मृ�G जीपका��ली�ग�न� ॥ शि�व म्�णे� मृ� त�मृच� ऋणे� ॥ पर� त� मृ�G ग�रुमृ�खhकारून� ॥ घ�इं�जी� आर्धुf हिवर्धु�न� ॥ ॥५५

ग�रु कार�व� मृ�ख्यावणे( ॥ भशिक्तव�र�ग्यादिदाव्याज्ञा�न ॥ सव(ज्ञा उदा�र दाया�ळ' प'णे( ॥ या� शिचन्��कारून मृ�हिडत जी� ॥ ॥५६

मिमृतभ�षाणे� ���त दा��त ॥ अ�ग� अमृ�हिनत्व अदा�क्षिभत्व ॥ अकिं�jसका अहितहिवरिरक्त ॥ त�शिच ग�रु कार�व� ॥ ॥५७

वणे�(न�� ब्र�ह्माणे� ग�रु: ॥ �f व�दावचनh हिनर्धु�(रु ॥ �� त्या�प�स�हिन मृ�G�Q�रु ॥ कारूहिन घ्या�व� F�त�नh ॥ ॥५८

जीर� आपणे�स� ठी�उका� मृ�G ॥ तर� ग�रुमृ�खh घ्या�व� हिनर्धु�(र ॥ उग�शिच जीप� त� अहिवच�र ॥ तर� हिनष्फळ जी�क्षिणेजी� ॥ ॥५९

का�मृक्र�र्धुमृदाया�क्त ॥ जी� का�� F�णे� ग�रुहिवरहि�त ॥ त्या�न� ज्ञा�न काशिथलीh बहुत ॥ पर� त्या��च� मृ�ख न प��वh ॥ ॥६०

व�दा��स्G� ��र्धु'न ॥ जीर� झा�लीh अपर�क्षाज्ञा�न ॥ कार� स�त���f चच�( प'णे( ॥ तर� ग�रुहिवणे तर�न� ॥ ॥६१

एका म्�णेत� स्वप्नी� आम्���त� ॥ मृ�G स��हिगतली� भगव�तh ॥ आदारh स��ग� ली�का��त� ॥ पर� त� ग�रूहिवणे तर�न� ॥ ॥६२

Fत्याक्षा या�ऊहिनया�� दा�व स��हिगतली� जीर� ग�ह्यभ�व ॥ तर� त� न तर�शिच स्वयामृ�व ॥ ग�रूस� �रणे न रिरघत�� ॥ ॥६३

मृKजी�ब�र्धुन�हिवणे ग�याG�मृ�G ॥ जीप� त� भ्रष्टी अपहिवG ॥ वर�हिवणे व��(ड� समृग्री ॥ का�या व्याथ( मिमृळ�न� ॥ ॥६४

त� व�चका झा�ली� बहुवस ॥ पर� त्या�च� न च�कात� गभ(व�स ॥ म्�णे�हिन स��Fदा�याया�क्त ग�रूस ॥ �रणे जी�वh हिनर्धु�(र� ॥ ॥६५

जीर� ग�रु का� ली� भलीत� एका ॥ पर� प'व(स�Fदा�या नस� ठी�ऊका ॥ जी�स� गभ��र्धु�स� सम्यामृ ॥ वणे(व्याक्त स्वरूप न काळ�शिच ॥ ॥६६

अस� त्या� मृ�G�च� प�रश्चरणे ॥ उत्तमृ क्षा�G� कार�वh प'णे( ॥ का��� का� रुक्षा�G न�मिमृषा�रण्या ॥ ग�काणे(क्षा�G आदिदाकारुहिन ॥ ॥६७

शि�वहिवष्णे�क्षा�G स�गमृ ॥ पहिवG Nळ� जीप�व� सF�मृ ॥ तर� या�शिचहिवषायाf प�र�तन उत्तमृ ॥ काथ� स��ग�न त� ऐका� ॥ ॥६८

श्रीवणे� पठीणेf हिनजीध्या�स ॥ आदारh र्धुर�व� दिदावसhदिदावस ॥ आन�मृ�दान दा�त� काथ�स ॥ सव( प�प�स क्षाया ��या ॥ ॥६९

श्रीवणे मृनन हिनजीध्या�स ॥ र्धुरिरत�� स�क्षा�त्का�र ��या सरस ॥ ब्रह्माघ्न मृ�ग(घ्न त�मृस ॥ प�वन सव( ��त� ॥ ॥७०

तर� मृथ�र�न�मृ नगर ॥ या�दाव��� परमृपहिवG ॥ दा����(न�मृh र�जीhद्र ॥ अहित उदा�र स�लीक्षाणे� ॥ ॥७१

सव( र�जी� दा�त� कारभ�र ॥ कार जी�ड�हिन नमिमृत� व�र�व�र ॥ त्या��च्या� मृ�ग�Uरत्न�हिकारणेh स�च�र ॥ Fपदाh ज्या�चf उजीळलीf ॥ ॥७२

मृ�ग�Uघषा(णेhकारून� ॥ हिकारणेh पडलीf दिदासत� चरणेf ॥ जी�णेh सत्त�वसन पसरून� ॥ प�ली�क्षिणेली� का�� क्षिभन� �� ॥ ॥७३

उभ�रिरली� या��ध्वजी ॥ जी�वf �रत्का�ळ�च� हि{जीर�जी ॥ सकाली Fजी� आक्षिणे हि{जी ॥ सिंचjहितत� काल्या�णे जीया�चh ॥ ॥७४

जी�स� ��ध्दाहि{त�या�च� हि�मृ��� ॥ त�वf ऐश्वया( चढ� हिव��षा ॥ जी� र्दुब�(ध्दिध्दा दा�स�स ॥ स्प�( न कार� का�लीGयाf ॥ ॥७५

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सब्र्दुध्दिध्दार्धुमृ(पत्न�सf रत ॥ स्वरूप��f त�क्षिळजी� रमृ�न�थ ॥ दा�न�स्Gh समृस्त ॥ या�चका��च� दा�रिरद्र8या हिनवदिUलीh ॥ ॥७६

भभ�जी��वर� जी�मृदाग्न्या ॥ समृर��गणे� जी�वf Fळया�ग्न ॥ ठी�णे न चळ� रणेfहूंन ॥ का� ठी�रघ�याh भ'रु� जी�स� ॥ ॥७७

चत�दा(� हिवद्य� चKसष्टी� काळ� ॥ आकाळx जी�वf कारतळ�च� आ�वळ� ॥ जी�णेh दा�नमृ�घh हिनवदिUली� ॥ दा�रिरद्यर्धु�र�ळ� या�चका��च� ॥ ॥७८

ब�लीणेh अहित मृर्धु�र ॥ मृ�घ गजीh जी�वf ग�भ�र ॥ Fजी�जीन��च� शिचत्तमृया'र ॥ नत्या कारिरत� स्व�न�दा� ॥ ॥७९

ज्या�च� स�मृ�सिंसjर्धु� दा�ख�हिन अद्भ-त ॥ जीलीसिंसjर्धु� ��या भयाभ�त ॥ हिनश्चळ अ�ब�रfच� ध्रु�व सत्या ॥ वचन त�वf न चळ�शिच ॥ ॥८०

त्या�च� का��त� रूपवत� सत� ॥ का���र�जीका� मृ�र� न�मृ काली�वत� ॥ जिजीचh स्वरूप वणे} सरस्वत� ॥ हिवश्ववदानhकारूहिनया�� ॥ ॥८१

जी� ली�वण्यास�गरfच� ली�र� ॥ ख�जीन�क्षा� किंबjब�र्धुर� ॥ मृर्दुभ�हिषाणे� हिपकास्वर� ॥ ��सगमृन� �रिरमृध्या� ॥ ॥८२

�शि�वदान� भ�जी�गव�णे� ॥ अली�का�र�� ��भ� जिजीच� तन� आणे� ॥ दा�न झाळकात� जी�वf हि�र�ख�णे� ॥ ब�लीत�� सदान� Fका�� पडh ॥ ॥८३

सकालीकाली�हिनप�णे ॥ या�ली�ग� काली�वत� न�मृ प'णे( ॥ जीh सKदाया(व�र�गरfच� रत्न ॥ जी� हिनर्धु�न च�त�या(भ'मृ�चh ॥ ॥८४

आ�ग�च� स�व�स न मृ�या� सदान��त ॥ जिजीचh मृ�ख�ब्जी दा�खत�� नपन�थ ॥ न�Gमिमृसिंलीjदा रु�जी� घ�ली�त ॥ र्धुणे� प��त�� न प�र�शिच ॥ ॥८५

न'तन आक्षिणेली� पणे'(न ॥ मृनशिसजीh आकार्षिषाjली� र�या�चh मृन ॥ ब�ली�व'� प�ठीहिवलीh F�त�कारून ॥ पर� त� न या�शिच F�र्थिथjत�� ॥ ॥८६

स्वरूपश्री��ग�रजी�ळh पसरून ॥ आकार्षिषाjली� न�पमृ�नसमृ�न ॥ या�ली�गf दा���(र�जी� उठी�न ॥ आपणेशिच ग�ली� हितजीप��f ॥ ॥८७

म्�णे� श्री��ग�रवल्ली� ��भ��ग� ॥ मृमृ तन�वक्षा�स� आसिंलीjगf ॥ उत्तमृ प�Gफळ Fसवस� जीगf ॥ अत्या�न�दा� सव��दा�खत�� ॥ ॥८८

त�व त� श्री��ग�रसर�वरमृर�ळ� ॥ब�ली� स���स्यावदान� व�ल्��ळx ॥ म्�णे� म्या�� उप�शिसली� �शि�मृKळx ॥ सव(का�ळ व्रतN असh ॥ ॥८९

जी� स्री� र�हिगष्टी अत्या�त ॥ गर्णिभjणे� किंकाjव� ऋत�स्न�त ॥ अभ�क्त अथव� व्रतN ॥ वध्दा अ�क्त न भ�ग�व� ॥ ॥९०

स्G�प�रूषाh �षा(या�क्त� ॥ अस�वf तरुणे रूपव�त ॥ अष्टीभ�गhकारूहिन या�क्त ॥ सिंचjत�ग्रीस्त नस�वf ॥ ॥९१

पव(का�ळ व्रतदिदान हिनरस'न ॥ उत्तमृका�ळx षाड्रस अन्न भक्षा'न ॥ मृग लीलीन� भ�ग�व� F�त�कारून ॥ र�जीलीक्षाणे सत्या �� ॥ ॥९२

र�व का�मृमृदाh मृत्त Fच�ड ॥ रहितभरh पसर�हिन दा�दा�ड ॥ असिंलीjगन दा�त�� बळh Fच�ड ॥ �र�र त्या�च� प�ळली� ॥ ॥९३

ली���ग(ली� त�त अत्या�त ॥ त�स� काली�वत�च� तन' प�ळत ॥ नप व�गळ� ��ऊहिन प�सत ॥ का� स� वत्त��त स��ग �� ॥ ॥९४

श्री�गरसदान�हिवली�शिसन� ॥ मृमृ हृदाया�न�दावर्धिर्धुjन� ॥ सकाळ स��या U�का� न� ॥ मृ�ळ�हूंन� ग�ष्टी� स��ग ॥ ॥९५

म्�णे� �� र�जीचक्रमृ�का� U�वत�स ॥ क्र�र्धुh भर� न�दा� मृ�नस ॥ मृ�झा� ग�रु स्व�मृ� र्दुव�(स ॥ अनस�या�त्मृजी मृ��र�जी ॥ ॥९६

त्या� ग�रुन� परमृ पहिवG ॥ मृजी दाxर्धुली� शि�वप�च�क्षार� मृ�G ॥ त� जीपत�� अ��र�G ॥ परमृप�वन प�न�त मृ� ॥ ॥९७

मृमृ��ग ��तळ अत्या�त ॥ तव काली�वर प�पस�या�क्त ॥ अगम्या�गमृन का� लीh हिवच�ररहि�त ॥ अभक्ष्या हितत�काh भक्षिक्षालीh ॥ ॥९८

मृजी श्री�ग�रुदायाhकारून ॥ र�जीhद्र� आ�h हिGका�ळज्ञा�न ॥ त�जी जीप तप शि�व�च(न ॥ घडलीh न��f सव(थ� ॥ ॥९९

घडलीh न��f ग�रुस�वन ॥ प�ढh र�ज्या��तf नरका दा�रूणे ॥ ऐकात�� र�व अन�त�पhकारून ॥ सद्गुदिदात जी��ली� ॥ ॥१००

म्�णे� काली�वत� ग�णेग�भ�र� ॥ त� शि�वमृ�G मृजी दा�ई आदारh ॥ ज्या�च�हिन जीपh सव(G� ॥ मृ�त्प�पh भस्मृ ��त� ॥ ॥१

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त� म्�णे� �� भभ�जीhद्र ॥ मृजी स��ग�वया� न��f अमिर्धुका�र ॥ मृ� वल्लीभ� त'� F�णे�श्वर ॥ ग�रु हिनर्धु�(र त'� मृ�झा� ॥ ॥२

तर� या�दावका� ळ� ग�रु वशिसष्ठ ॥ गग(मृ�हिन मृ��जी�जी श्री�ष्ठ ॥ जी� ज्ञा�हिनया��मृ�जी� दिदाव्यामृ�का� U ॥ हिवद्य� वरिरष्ठ तया�च� ॥ ॥३

जी�स� वरिरष्ठ व�मृदा�व ज्ञा�न� ॥ त�स�च मृ��र�जी गग(मृ�न� ॥ त्या�स� नपश्री�ष्ठ� �रणे जी�ऊन� ॥ शि�वदाxक्षा� घ�इं�जी� ॥ ॥४

मृग काली�वत�सहि�त भ'प�ळ ॥ गग�(श्रीमृf प�तली� तत्का�ळ ॥ स�ष्टी��ग नमृ'हिन कारकामृळ ॥ जी�ड'हिन उभ� ठी�काली� ॥ ॥५

अष्टीभ�वh दा�U'हिन हृदायाf ॥ म्�णे� शि�वदाxक्षा� मृजी दा�ई ॥ म्�णे'हिन प�ढत� ली�ग� प�याf ॥ मिमृत� न��� भ�व�थ�( ॥ ॥६

या�वर� त� गग(मृ�न� ॥ का त��तभहिगन�त�र� या�ऊन� ॥ प�ण्यावक्षा�तळx ब�स�न� ॥ स्न�न कारव� यामृ�न�चh ॥ ॥७

उभयात��न� कारूहिन स्न�न ॥ याथ�स��ग का� लीh शि�वप'जीन ॥ या�वर� दिदाव्या रत्नh आणे'न ॥ अक्षिभषा�का का� ली� ग�रूस� ॥ ॥८

दिदाव्या�भरणेh दिदाव्या वस्Gh ॥ ग�रु प�जिजीली� नप� आदारh ॥ ग�रुदाक्षिक्षाणे�स� भ��ड�र� ॥ दा����(र�याh समृर्षिपjली� ॥ ॥९

तन�मृनर्धुनhस� उदा�र ॥ गग(चरणेf ली�ग� नपवर ॥ अस�हिन ग�रूस� व�शिचत� जी� प�मृर ॥ त� दा�रुणे हिनरया भ�हिगत� ॥ ॥११०

श्री�ग�रुच� घरf आपदा� ॥ आपणे भ�ग� सव( स�पदा� ॥ का� चh ज्ञा�न त्या� मृहितमृ�दा� ॥ ग�रुब्रह्मा�न�दा� न भजी� जी� ॥ ॥११

एका म्�णेत� तन�मृनर्धुन ॥ न�शि�व�त ग�रुस� का�या अप'(न ॥ परमृ च��ड�ळ त्या�चh �ठीज्ञा�न ॥ कादा� वदान न प���वh ॥ ॥१२

मिर्धुका8 हिवद्य� मिर्धुका8 ज्ञा�न ॥ मिर्धुका8 व�र�ग्यास�र्धुन ॥ चत�वwदा ��स्Gh आली� पढ'न ॥ मिर्धुका8 पठीणे तया�चh ॥ ॥१३

जी�स� खरपष्ठईवर� च�दान ॥ षाड्रसf दाव} व्याथ( हिफरून ॥ जी�वf मृ�पh त�र्दुली मृ�जी'न ॥ इंकाड'न हितकाड� हितकाड� U�हिकात� ॥ ॥१४

घ�णे� इंक्षा�रस ग�ळx ॥ इंतर स�हिवत� रसनव्��ळx ॥ काA प�G��त �का( र� स��ठीहिवली� ॥ पर� ग�ड� न काळ� तया� ॥ ॥१५

अस� त� अभ�हिवका खळ ॥ त�स� नव्�� त� दा����(नप�ळ ॥ षा�ड��पच�रh हिनमृ(ळ ॥ प'जीन का� लीh ग�रूचh ॥ ॥१६

उभ� ठी�काली� कार जी�ड'न ॥ मृग त� गगw हृदाया� र्धुरून ॥ मृस्तकाA �स्त ठी�व'न ॥ शि�वषाडक्षार मृ�G स��ग� ॥ ॥१७

हृदाया�आका��भ�वनf ॥ उगवली� हिनजीब�र्धुतरणे� ॥ अज्ञा�नतमृ त�च क्षाणे� ॥ हिनरस'हिन नवली जी��लीh ॥ ॥१८

अद्भ-त मृ�G�चh मृहि�मृ�न ॥ र�या�शिचया� �र�र�मृर्धु'न ॥ का�ट्यवमिर्धु का�का हिनघ�न ॥ पळत� झा�ली� त�र्धुव�� ॥ ॥१९

हिकात� एका��च� पक्षा जीळ�ली� ॥ चरफहिडतशिच ब���र आली� ॥ अवघ�शिच भस्मृ ��ऊहिन ग�ली� ॥ स�ख्या� न��f तया��त� ॥ ॥१२०

जी�स� किंकाjशिचत8 पडत�� का ��न ॥ दाग्र्धु ��या का� Uकावन ॥ त�स� का�का ग�ली� जीळ�न ॥ दा�ख�हिन र�व नवली कार� ॥ ॥२१

ग�रूस� नमृ'हिन प�स� नप ॥ का�का का¡ च� हिनघ�ली� अमृ'प ॥ मृ�झाh झा�लीh दिदाव्या रूप ॥ हिनजी(र�हूंहिन आगळ� ॥ ॥२२

ग�रु म्�णे� ऐका स�क्षा�पh ॥ अन�त जीन्मृfच� मृ��प�प� ॥ ब���र हिनघ�लीf का�का�रूपh ॥ शि�वमृ�GFत�प� भस्मृ झा�ली� ॥ ॥२३

हिनष्प�प झा�ली� नपवर ॥ ग�रुस्तवन कार� व�र�व�र ॥ र्धुन्या प�च�क्षार� मृ�G ॥ त'� र्धुन्या ग�रु प�च�क्षार� ॥ ॥२४

प�चभ�त��च� झा�डणे� कारून ॥ स�वर्धु का� लीh मृजीली�ग'न ॥ च�र� दा�� हिनरस'न ॥ का� ली� प�वन ग�रुर�या� ॥ ॥२५

प�चव�स तत्व��च� मृ�ळ ॥ त्या��त स��पडली� बहुत का�ळ ॥ क्र�र्धु मृहि�षा�स�र सबळ ॥ का�मृव�त�ळ र्धु�सर्धु�स� ॥ ॥२६

आ�� मृन�� तष्णे� काल्पन� ॥ भ्र��हित भ�ली� इंच्छा� व�सन� ॥ या� जीध्दिखणे� याक्षिक्षाणे� न�न� ॥ हिवU�ब�त मृजी ��त्या� ॥ ॥२७

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ऐस� �� अवघ� मृ�या�मृ�ळ ॥ त�व�� हिनरसली� त�त्का�ळ ॥ र्धुन्या प�च�क्षार� मृ�G हिनमृ(ळ ॥ ग�रु दाया�ळ र्धुन्या त'� ॥ ॥२८

स�स्Gजीन्मृपया�त ॥ मृजी ज्ञा�न झा�लीh समृस्त ॥ प�पh जीळ�ली� अस�ख्या�त ॥ का�कारूप� दा�ध्दिखलीf म्या�� ॥ ॥२९

स�वणे(स्त�या अभक्ष्याभक्षाका ॥ स�र�प�न ग�रूतल्पका ॥ परदा�र�गमृन ग�रुकिंनjदाका ॥ ऐसf न�न� मृ�त्प�पh ॥ ॥१३०

ग��त्या� ब्रह्मा�त्या� र्धुमृ(ली�पका ॥ स्G��त्या� ग�रु�त्या� ब्रह्माछळका ॥ परकिंनjदा� प��किं�jसका ॥ वक्षित्त��रका अगम्यास्G�गमृन ॥ ॥३१

मिमृGद्र��� ग�रुद्र��� ॥ हिवश्वदा��� व�दाद्र��� ॥ F�स�दाभ�दा सिंलीjगभ�दा प��f ॥ प�शिक्तभ�दा �रिर�रभ�दा ॥ ॥३२

ज्ञा�नच�र प�स्तकाच�र पक्षिक्षाघ�तका ॥ प�ख��डमृहित मिमृथ्या�व�दाका ॥ भ�दाब�ध्दिध्दा भ्रष्टीमृ�ग(N�पका ॥ स्G�ली�पUर्दुर�च�र� ॥ ॥३३

का तघ्न परद्रव्या�प��रका ॥ कामृ(भ्रष्टी त�थ(मृहि�मृ�उच्छा�दाका ॥ बकाध्या�न� ग�रुछळका ॥ मृ�त�तका हिपत�त्या� ॥ ॥३४

र्दुब(लीघ�त�का कामृ(मृ�ग(घ्न ॥ दाxन�त्या�र� प��त� प��'न्या ॥ तणेदा��का प�हिडत� सज्जन ॥ ग�Gवर्धु भहिगन�वर्धु ॥ ॥३५

कान्या� हिवक्रया ग�हिवक्रया ॥ �याहिवक्रया रसहिवक्रया ॥ ग्री�मृदा��का आत्मृ�त्या� प��h ॥ भ्र'णे�त्या मृ��प�पh ॥ ॥३६

�f मृ��प�पh स��हिगतलीf क्षा�द्रप�पh न��f गक्षिणेलीf ॥ इंत�काA का�कारूपh हिनघ�लीf ॥ भस्मृ झा�लीf Fत्याक्षा ॥ ॥३७

का���� ग��ठीo प�ण्या ��तh परमृ ॥ म्�णे�हिन नरदा�� प�वली� उत्तमृ ॥ ग�रुFत�पh तरली� हिन:स�मृ ॥ का�या मृहि�मृ� ब�ली' आत�� ॥ ॥३८

ग�रुस्तवन कारूहिन अप�र ॥ ग्री�मृ�स� आली� दा����( नपवर ॥ सवh काली�वत� परमृचत�र ॥ का� ली� उध्दा�र र�या�च� ॥ ॥३९

जीपत�� शि�वमृ�G हिनमृ(ळ ॥ र�ज्या वर्धु(मृ�न झा�लीh सकाळ ॥ अवषा(णेदा�षा र्दुष्का�ळ ॥ दा����त'हिन पळ�ली� ॥ ॥१४०

व�र्धुव्या आक्षिणे र�ग मृत्या ॥ न��fच का�ठीh दा����त ॥ असिंलीjहिगत�� काली�वत�स� नपन�थ ॥ ���ऐस� ��तली व�U� ॥ ॥४१

शि�व भजीनf ली�हिवली� सकाळ जीन ॥ घर�घरf ��त शि�वकाbत(न ॥ रुद्र�क्षिभषा�का शि�वप'जीन ॥ ब्र�ह्माणेभ�जीन याथ�हिवमिर्धु ॥ ॥४२

दा����(र�या�चh आख्या�न ॥ जी� शिलीहि�त� ऐकात� कारिरत� पठीणे ॥ F�त�कारूहिन ग्री�थरक्षाणे ॥ अन�मृ�दान दा�त� जी� ॥ ॥४३

स�फळ त्या��च� स�स�र ॥ त्या��स� हिनजी��ग� रक्षा� श्री���कार ॥ र्धुन्या र्धुन्या त�शिच नर ॥ शि�वमृहि�मृ� वर्णिणेjत� जी� ॥ ॥४४

प�ढh काथ� स�रस स�र ॥ अमृअत�हूंहिन रशिसका फ�र ॥ ऐका�त प�हिडत चत�र ॥ ग�रुभक्त F�मृळ ज्ञा�न� जी� ॥ ॥४५

प'णे( ब्रह्मा�न�दा �'ळप�णे� ॥ श्री�र्धुरमृ�ख हिनमिमृत्त कारून� ॥ त�शिच ब�लीव�त हिवच�र�न� ॥ प��वh मृनf हिनर्धु�(रh ॥ ॥४६

श्री�र्धुरवरदा प��ड�र�ग ॥ त�णेh शि�र� र्धुरिरलीh शि�वसिंलीjग ॥ प'णे(ब्रह्मा�न�दा अभ�ग ॥ नव्�� हिवर�ग का�लीGया� ॥ ॥४७

शि�वली�ली�मृत ग्री�थ Fच�ड ॥ स्का� दाप�र�णे ब्रह्मा�त्तरख�ड ॥ परिरस�त सज्जन अख�ड ॥ Fथमृ�ध्या�या ग�ड �� ॥ ॥१४८

इंहितश्री� Fथमृ�ध्या�या: समृ��त: ॥

॥ श्री�स��बसदा�शि�व�प(णेमृस्त� ॥