vardhaman mahaveer open university

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Page 1: Vardhaman Mahaveer Open University

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पा य म अ भक प स म त अ य ो जीएसएल दवड़ा

कलप त वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा (राज थान)

सयोजकसद य

ो एसएन दब टगोर ोफसरइ तहास एव भारतीय स क त वभाग राज थान व व व यालय जयपर

ो एसपी ग ता इ तहास वभाग अल गढ़ मि लम व व व यालयअल गढ़

डा बीक शमा वभागा य इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

ो जपी म ा इ तहास वभाग काशी ह द व व व यालय वाराणसी

ो र व कमार शमा इ तहास वभाग क व व व यालय क

डा( ीम त) कमलश शमा(भार वाज) अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

ी दनश च श ला इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर

ो वीक व श ठ इ तहास वभाग मह ष दयान द व व व यालयअजमर

डा याक़ब अल खान अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

स पादन एव पाठ लखन स पादक डा( ीम त) कमलश शमा अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

पाठ लखन डा एसएस नगम नदशक कावर शोध स थान उ जन (म )

ो वश ानद पाठक प डी (दव रया) उ तर दश

डा राम सहाय मीणा इ तहास वभाग राज थान व व व यालय जयपर

डा जीवन खरकवाल परात व वभाग राज थान व यापीठ उदयपर(राज)

डा महश व म सह काशी व यापीठ वाराणसी(उ )

डा इना ी चतवद राजनी तशा वभाग राज थान व व व यालय जयपर

पीएल गौतम कोटा

ो ल लन जी गोपाल लखनऊ(उ )

डा एक स हा हलखड व व व यालय हलखड बरल (उ )

डा ल लत पा डय राज थान व यापीठ उदयपर(राज)

डा सोहन क ण परो हत इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर

डा( ीम त) कमलश शमा अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

डा अशोक वद व म व व व यालय उ जन (म )

डा राजीव कमार स हा इ तहास वभाग भागलपर व व व यालय भागलपर

डा नीलकमल शमा इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर

अकाद मक एव शास नक यव था ो(डॉ) नरश दाधीच

कलप त वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा(राज)

ो(डॉ)एमक घड़ो लया नदशक(अकाद मक) सकाय वभाग

योग गोयल भार पा यसाम ी उ पादन एव वतरण वभाग वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा

पा य म उ पादन

योग गोयल भार

पा य साम ी उ पादन एव वतरण वभाग वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा

पनः उ पादन जलाई 2010 इस साम ी क कसी भी अश को व म ख व कोटा क ल खत अनम त क बना कसी भी प म म मयो ाफ (च म ण) वारा या अ य पनः तत करन क अनम त नह ह व म ख व कोटा क लय कलस चव व म ख व कोटा (राज) वारा म त एव का शत

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एमएएचआई-05 वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा

ाचीन भारत म रा य एव राजनी त

ख ड- 1 प ठ स या इकाई - 1 ाचीन भारतीय रा य एव शासन प त क अ ययन ोत एव साम ी 6mdash20 इकाई - 2 व दक काल म राजनी तक वचार एव स थाए 21mdash42 इकाई - 3 महाका य स ात राजनी तक वचार एव शास नक स थाए 43mdash71 इकाई - 4 ाचीन भारत म रा य क उ पि त और व प 72mdash86 इकाई ndash 5 रा य क कार और काय 87mdash100 ख ड- 2

इकाई ndash 6 ाचीन भारत म जनपद व प व सगठन 101mdash112 इकाई ndash 7 ाचीन भारतीय गणत और उसका स वधान 113mdash125 इकाई ndash 8 इसापव छठ सद म रा य और सा ा य का उदय 126mdash137 इकाई ndash 9 राज व(राजत ) ndash उसक क त एव कत य 138mdash149 इकाई ndash 10 राज व का व प एव उस पर नय ण(मयादाए) 150mdash158 ख ड- 3

इकाई ndash 11 कौ ट य अथशा म राजनी तक वचार 159mdash170 इकाई ndash 12 ाचीन भारतीय म ी प रषद 171mdash187 इकाई ndash 13 ाचीन भारत म राजप ष त 188mdash219 इकाई ndash 14 ाचीन भारत म अ तर रा य स ब ध 220mdash234 इकाई ndash 15 रा य एव उसक ससाधन 235mdash250 ख ड- 4

इकाई ndash 16 ाचीन भारत म व ध व प एव स हताकरण 251mdash260 इकाई ndash 17 धमशा म राजनी तक वचार 261mdash271 इकाई ndash 18 ाचीन भारत म या यक शासन 272mdash285 इकाई ndash 19 ाचीन भारत म अपराध और दड 286mdash300 इकाई ndash 20 ाचीन भारत म स नक सगठन 301mdash326 इकाई ndash 21 थानीय वशासन 327mdash350

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इकाई mdash 1 ाचीन भारतीय रा य एव शासन प त क अ ययन ोत एव साम ी (Sources of Ancient Indian State and

Polity) इकाई क परखा 10 उ य 11 तावना 12 सा हि यक ोत

121 ा मण सा ह य 122 बौ एव जन सा ह य 123 वदशी व तात

13 पराताि वक ोत 131 अ भलख 132 स क

14 अ यासाथ न 15 ास गक पठनीय थ

10 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न बात क जानकार ा त कर सकग mdash

ाचीन भारतीय रा यmdash यव था को जानन क साधन कौन स ह ा मण जन व बौ सा ह य स इ तहास क जानकार कस मलती ह अ भलख व स क स ाचीन शासन प त कस तरह प रल त होती ह

11 तावना कई पा चा य इ तहासकार क मा यता ह क ाचीन भारतीय क इ तहास लखन म

च नह थी ल कन यह पणत गलत ह व तत उनक इ तहास वषयक अवधारणा आज क सदभ म सवथा भ न थी भारतीय क लखन म आ यान धमशा अथशा वश व तार आ द अनक वषय का समावश होता था उनका ि टकोण आ याि मक अ धक रहता था इस लए भौ तक घटनाओ क लखmdashजोख का मह व अलग स नह पहचाना गया ह इस हम सा ह य म एक साम हक ि टकोण का नाम द सकत ह इ तहास जानन क लए हमार पास व व का सबस वशाल सा ह य ह जो हमार सा क तक धरोहर भी ह उसी म स ऐ तहा सक साम ी अलग करनी पड़गी परवत काल म हमार बह त सी सा हि यक साम ी आ मणका रय वारा न ट कर द गयी थी

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ाचीन भारत म अलग स भी इ तहास लखन क यास कए गय थ 7वी शता द म भारत का प र मण करन वाल चीनी या ी वनसाग न उ लख कया ह क अ छ बर घटनाओ का व तात लखन क लए एक अलग अ धकार होता था क हण न भी लखा ह क वह गणवान क व शसा का पा ह जो राग वष स ऊपर उठकर एकमा स य न पण म ह अपनी भाषा का योग करता ह यहा लखक का सकत एक अ छ इ तहासकार क ओर ह न कषत हम कह सकत ह क ाचीन भारतीय म इ तहास क त अ भ च एव चतना दोन व यमान थी इ तहास को व एक यापक प र य म दखत थ ाचीन भारतीय रा य यव था क बार म जानकार ा त करन क चर ोत हमार पास उपल ध ह

12 सा हि यक सोत ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाओ क जानकार दन वाल सोत mdashसाम ी

को म य प स दो वग म वभ त कया जा सकता ह mdash (अ) सा हि यक एव (ब) पराताि वक सोत

121 ा मण सा ह य

इसक अ तगत थमत दशी सा ह य का ववचन अप त ह िजसको हम दो भाग म वभािजत कर अ ययन कर सकत ह mdash धा मक सा ह य और धम तर सा ह य धा मक सा ह य क अ तगत ा मण सा ह य का थान मह वपण ह ा मणmdashधम थ म वद को त और अ य बाद क धमmdash थ को म त कहा गया ह धमस म त आ द थ को धमशा भी कहा जाता ह इसी धमशा ीय पर परा म इ तहास (रामायण एव महाभारत) तथा पराण क रचना ह ई ह

ा मण सा ह य म सबस ाचीन वद आ द थ ह mdash िजसम चार वद क स हताय ा मणmdash थ आर यक एव उप नषद को सि म लत करत ह ए व दक सा ह य नाम दया

गया ह रा य शा क थ नह होन पर भी व दक वागमय म इधरmdash उधर क तपय ऐस छटmdashपट उ लख मलत ह िजनस त काल न रा य शा और यव था का थोड़ा प रचय मल जाता ह ऋ वद (रचना काल लगभग 1500 ई प स 1000 ई प) म रा य शा वषयक उ लख बह त कम ह क त उ तरवत व दक सा ह य (रचनाकाल लगभग 1000 ई प स 500 ई प) क स ब ध म ऐसा नह कहा जा सकता ऋ वद म म यत ाथनाय ह क त उ तरव दक रचनाओ म ाथनाओ क साथ कमका ड का भी समावश ह अतएव ई प लगभग 1000 स लकर 500 तक क काल क रा य यव था का च तयार करन क लए यह ज र ह क उ त कमका ड क छानबीन ववकपण अथवा सावधानी स कर उपयोगी साम ी सक लत क जाय

अथववद का वशष मह व ह इसम कमका ड का ाब य नह ह तथा इसम वशीकरण जादmdashटोना आ द क अलावा बीमार एव वपि तय स बचाव राजपद पन ा त करन क लए और अ या य इसी कार क मनोकामनाओ को परा करन क लए इतन म दय गय ह क उनस त काल न रा य यव था पर वशषत राजा क स ब ध म पया त

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काश पड़ता ह ा मणmdash थ म रा या भषक तथा रा यारोहण या उसक बाद कय जान वाल य का वणन थानmdash थान पर मलता ह वहा इनक साथmdashसाथ राजा क उ पि त क स ब ध म भी कछ या याय और प रक पनाय तत क गयी ह जो म यत ऐतरय ा मण और शतपथ ा मण म पायी जाती ह उप नषद को त वmdash च तन वषयक थ

माना गया ह क त राजा क उ पि त एव ऐसी ह अ य सम याओ पर उनम कोई वचार उपल ध नह होत तथा प उनम राजा क आव यकता और मह व क कारण पर कछ काश डाला गया ह इस कार स त कहा जा सकता ह क व दक सा ह य म रा य और शासन यव था क जानकार दन वाल सग कम ह ह इनम य mdashत राजा क क त य रा य कमचा रय रा एव रा य रा य क व भ न कार (वरा य वरा य भौ य आ द) सभा एव स म त तथा त काल न राजनी त आ द क स ब ध म प रचय ा त होता ह

च क व दक सा ह य म ाथनाओ एव कमका ड का बाह य ह उनम स राज यव था स ब धी त य को अलग करना क ठन ह क त धमस अथात लगभग 500mdash200 ई प क दौरान ग य म र चत ाचीनतम व ध थ क साथ यह क ठनाई नह ह मख धमस आप त ब बौधायन गौतम एव व स ठ नाम स ह बौधायन धमस (1101) स पता चलता ह क राजा जा स छठा भाग कर क प म लता था और जा क र ा करना उसका क त य था धमस म राजा और चतवण क क त य का ाचीनतम ववचन ह और कराधान तथा स पि त प रवार और यि त क र ा स ब धी सबस परानी यव था का नदशन ह व तत राज यव था स सबि धत ा मणवाद मत का यवि थत तपादन सव थम इ ह म हआ ह इनम जो च उपि थत कया गया ह वह वा त वक कम बि क आदश ि थ त का योतक अ धक ह गौतम एव आप त ब धमस म य तथा य क न तकता क वषय म भी चचा मलती ह परािजत श क त वजता राजा क यवहार क वषय म गौतम (11921) का कहना ह क वह उसक स पि त का अ धकार ह

धमस को धमशा भी कहा जाता ह और धमशा क स ा म तय और इन ाचीन व ध थ पर सभी कार क ट काओ को भी द जाती ह इन थ को धमशा

कह जान क कारण यह वाभा वक ह क इनम धम का वशष मह व दया गया हो ाचीन भारतीय सा ह य म धम श द का अथ यापक ह समाज म यव था क थापना करन क लए धम क धम क अवतारणा करन क लए द ड क और इसी कार द ड क उ चत योग करन क लए राजा क आव यकता बतलायी गई ह इसी कारण व भ न म तकार न राजधम क ववचना क अ तगत म तय म राजशा स स बि धत अनक बात क चचा क ह और प चा काल न लखक न भी म तय म उप नषद (समा हत) पर पराओ को वीकार कया ह धमशा क प म ात म तय का एक अ य मख उ य यह बताना ह क कस कार चार प षाथ (धम अथ काम व मो ) क ाि त क जा सकती ह इसका मागदशन करात ह ए म तय न सामािजक राजन तक और व धmdashसबधी वषय का वणन कया ह और ास गक प स रा य और शासनmdash यव था स स बि धत बात क भी चचा क ह अतएव इस कार म तय म हम द ड क आव यकता आदश राजा तथा उसक दा य व व

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अ धकार म ी स चव अमा य पाषद एव स य नामक परामशदाताओ क थान और क त य रा य एव सामािजक यव था रा य क व भ न अग अत रा य स ब ध आ द क अ छ जानकार मल सकती ह सबस बढ़कर तो इन म तय स हम यवहार अथात यायत क जानकार ठ क स मलती ह तथा पता चलता ह क यह त कस कार क व धय अथात कानन स काम लता था

म तया अनक ह मख म तय क प म ात आर भक म तय म मन एव या व य क तथा परवत म तय म नारद बह प त का यायन आ द क म तया उ लखनीय ह मन और या व य क म तय म ायि चत एव आचार क भी यव था ह इन यव थाओ को आध नक ि ट स व ध (Law) नह कहा जा सकता क त नारद बह प त और का यायन क म तया ाय पण प स व ध थ ह

म तय क अश महाका य और पराण म भी मलत ह सामािजक तथा राजनी तक वचार और स थाओ क अ ययनाथ महाका य mdash रामायण और वशषतया महाभारत म पया त जानकार मलती ह ल कन महाभारत स ा त साम ी का उपयोग कसी एक काल क लए करना क ठन ह जहा इसक आ याना मक अश स दसवी शता द ई प क झॉक मलती ह वह इसक उपदशा मक तथा वणना मक अश का स ब ध काफ परवत काल स यानी ईसा क चौथी सद स मालम होता ह मलत इस महाका य म 8800 लोक थ और यह रचना जय कहलाती थी फर व बढ़कर 24 हजार ह ए और रचना का नाम भारत पड़ा बाद म बढ़कर व एक लाख हो गय ओर यह थ महाभारत कहलाया ग त काल न अ भलख म एक लाख का उ लख ह य य प समी त स करण म अभी ाय 82 हजार लोक मलत ह जसा क महाभारत (आ द पव) म कहा गया ह यह एक धमशा अथशा और कामशा ह धम अथ काम और मो क वषय म जो कछ इसम ह वह अ य भी ह जो कछ इसम नह ह वह कह भी नह ह व तत इसम रा य और शासन स स बि धत वचार क व तत चचा उपल ध होती ह सभा शा त और अनशासन mdash य तीन पव राजनी तक वचार और यवहार क इ तहास क लए अ धक उपयोगी ह न सदह शा तपव का राजधम करण हमार योजन क लए सवा धक मह वपण ह इसम स मता क साथ रा यशा क

अनक वषय का मक वणन मलता ह यहा मन म त स मलतmdashजलत अनक लोक ह वशषकर राजा क दवी उ पि त ा मण क दाव (अ धकार) और दड क मह व क स ब ध म यह करण म यत उपदशा मक ह और ऐसा तीत होता ह क यह शा तपव म ई वी सर क थम और चौथी शताि दय क बीच कसी समय सि न व ट कया गया अतएव उ तरव दक काल या वदो तर काल क राजनी तक स थाओ क अ ययन क लए शा तपव क साम ी का उपयोग करना mdash जसा क अभी तक सामा यतया कय गया ह mdash गलत होगा जहा तक इसम व णत रा य का स ताग स ात राजा क अ धकार क त य म प रष का गठन य नयम कर क ोत और स ा त आ द का स ब ध ह य सभी ई वी सन क ार भक शताि दय क प रि थ तय क योतक ह राज व क उ पि त स ब धी प रक पना

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शा तपव क राजधम करण का सवा धक उवर ओर मौ खक अश ह इस प रक पना स ा मणवाद ( ाहय) ि ट स राजपद क औ च य को ब पवक स करन का थम यास कया गया ह इसक अ त र त रा य क व प रा य क व भ न कार (यथाmdashअराजक रा य कल रा य गण और सघरा य) उनक वशषताय कायवाह क णाल वादश राजम डल षाडग य नी त क चार उपाय (साम दाम द ड व भद) ग तचर दत णाल द डनी त का व प और मह व याय यव था स नक यव था आ द क बार म भी महाभारत स मह वपण सचना मलती ह महाभारत स ा त सचना क स ब ध म कछ सावधानी अप त ह जस mdash महाभारत म कभीmdashकभी एक ह वषय पर वरोधी बात मलती ह इसका सभव कारण यह ह क इसक रचना कसी एक ह यि त क वारा नह क गयी ह यह एक मश वक सत प रव धत और सशो धत महाका य ह िजस अपना वतमान व प हण करन म कई शताि दय सभवत 400 ई प स 400 ई तक (लगभग 1 हजार

वष) का समय लगा होगा दसरा महाका य रामायण न तो उतना वशाल ह और न हमार अ ययन क लए

उतना उपयोगी ह ई वी सन क ार भक काल म लख कछ जन और बौ थ म इसक लोक क स या 13 हजार बतायी गयी ह ग तकाल तक यह स या 34 हजार हो गयी जो आज भी कायम ह इसक व य वषय म स जो बात हमारा यान बलात आक ट करती ह वह ह अराजक (राजा र हत) रा य का वणन इसम कवल नपत ा मकrsquo शासन णाल का ह वणन ह इसम आनव शक नपत य ठ प क ह उ तरा धकार होन राजा क क त य रा य क अ धका रय और राजनी तक स थाओ य आ द क बार म भी य और अ य ववरण उपल ध होत ह

पच ल ण पराण भी महाका य क को ट क ह ह इनम भी काफ उपदशा मक करण ह िजनम राजा क अ धकार और क त य तथा अ य स ब वषय क चचा ह मख पराण 18 ह उनम स अनक जस क व ण वाय म य आ द पराण ग तकाल

तक पर हो चक थ य ग तकाल न राजनी तक स थाओ क वचा रक प ठभ म तत करत ह

धमस म तया महाका य पराण आ द पणत ा मणवाद एव धमशा ीय पर परा म लख गय थ ह इनका व प स ाि तक अ धक तीत होता ह कौ ट य क अथशा म इनस कछ भ न पर परा तत क गयी जो अथशा ीय पर परा कहलाती ह कौ ट य का यह थ अ धक यावहा रक और धा मक वचार स कम भा वत ह यह अपन ढग का अथात अथशा ीय पर परा का ाचीनतम और आधारभत थ ह यह सबस पहला ऐसा थ ह िजसम राजनी त क वत प स चचा करत ह ए रा य क सभी पहलओ को स पण च तत कया गया ह रा यशा स स बि धत थ क लए अथशा नाम ढ होन क स ब ध म कौ ट य (151) का यह कहना ह क अथ श द स जस मन य क यवसाय या धध द द शत होत ह वस ह िजस भ म पर रहकर व यवसाय चलात ह वह

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भ म भी सबो धत हो सकती ह इस लए म को ा त करन व उसका पालन करन का जो शा ह उस भी अथशा कहना उ चत ह ह च क कौ ट य का यह नी तशा वषयक सबस मह वपण थ अथशा क नाम स स था अतएव अथशा श द राजनी त शा क अथ म ढ हो गया (अ लकर)

ाचीन भारत स सबि धत कदा चत कसी भी न पर इतना ती ववाद नह हआ िजतना क कौ ट य क अथशा क रचना काल और ामा णकता को लकर हआ ह अथशा क अत म इस नद का अत करन वाल कौ ट य क क त बताया गया ह इस आधार पर शामा शा ी गणप त शा ी ि मथ ल ट जायसवाल आ द व वान इस मौयकाल न (चौथी सद ई प क ) क त मानत ह इसक वपर त व टर न ज जॉल क थ भ डारकर आ द इस ई वी सवत क ारि भक शताि दय स स बि धत मानत ह अ तकर आ द क अनसार इसका अ धकाश मौयकाल का ह ह और बाद म इसम कछ सशोधन ह ए जो भी हो क त कसी भी दशा म अथशा क साम ी का उपयोग अकल मौयकाल क सदभ म ह नह कया जा सकता ह इसका जो पाठ (Text) हम अभी (वतमान म) उपल ध ह इसको दखत ह ए ऐसा नह लगता क यह एक समय और थान पर लखा गया सम प पाठ ह प तक का अ धकतर अश ईसा पव थम शता द तक च लत स शल का अनसरण करक ग य म लखा गया ह क त इसका प य ( लोक) भाग बाद म सि न व ट कया गया लगता ह य य प इसक शल पर वचार करना तो भाषा वद का काम ह ल कन शल क आधार पर पाठ (Text) क व भ न तर को एकmdashदसर स अलग करना हमार लए उपयोगी एव लाभ द होगा जहा तक इसक भाषा का न ह अशोक काल न ाकत और कौ ट यकाल न स कत का भद तो प ट ह ह कौ ट य न िजन राजनी तक सगठन का उ लख कया ह व अशोकmdashकाल न अ भलख म न द ट णाल स भ न ह कौ ट य क करण पर जोर दता ह तो अशोक वक करण पर महामा रजक ाद शक तव दक आ द अशोकmdashकाल न व श ट अ धका रय का उ लख अथ शा म नह ह अशोक क अ भलख म महामा सवा धक मह वपण अ धकार तीत होत ह अथशा म मा उनक पद महामा ीयम का एक बार उ लख हआ ह ल कन उनक अ धकार एव क त य का कह कोई उ लख नह ह हा अशोक क काल क य त नाम एक छोट अ धकार क जानकार कौ ट य को थी ल कन इसस कोई खास बात सा बत नह होती इसी कार अशोक क आहार नामक शास नक इकाई क चचा कौ ट य न नह क ह दसर ओर अथशा क कछ राजि वक तथा शास नक श दावल ईसा क पहल और दसर शताि दय क शासन अ भलख म मलती ह भोग णय वि ट और प रहार (तथा वरदय) द ण और पि चम भारत क अ भलख म आय ह और अथशा म भी ह इनम स प रहार श द mdash िजसका मतलब ह अनद त भ म म कर क माफ mdashबड़ा मह वपण ह शक और सातवाहन अ भलख म इसका बारmdashबार योग हआ ह इसी कार अमा य शक और सातवाहनकाल न परालख म सवा धक मह वपण अ धकार क प म सामन आता ह और कौ ट य क अथशा म भी वस

12

ह थान पर आसीन ह अ त पराल खक सा य स ऐसा सकत मलता ह क कौ ट य अथशा का कछ अश ई वी सन क थम दो शताि दय म सक लत हआ और इस थ म उि ल खत अनक राज व ोत (Sources of Revenue) ई वी सन क दसर सद क व ति थ त को त बि बत करत ह mdash डॉ आर एस शमा क त आ थक वि तय पर िजन राजक य नय ण का उ लख मग थनीज न कया ह उनस कौ ट य वारा सझाय गय नय ण क आ शक समानता को दखन स अथशा क दसर अ धकरण पर िजसम अ य क क त य का ववचन ह क चत वा त वक मौय भाव प रल त होता ह यह बात तीसर और चौथ अ धकरण पर भी लाग हो सकती ह िजनम द वानी कानन और दड वधान पर वचार कया गया ह िजन करण म अत रा य स ब ध और य का ववचन ह व काफ वक सत ह और यह तय कर पाना बड़ा क ठन ह क उ ह कहा रखा जाय इसम सदह नह क स नक श वर क पयाय कधावार श द को अथशा क पहल अ धकरण म वह मख थान ा त ह जो सातवाहनmdashअ भलख म दखन को मलता ह

च क अथशा क सभी व य वषय कसी एक काल स स बि धत तीत नह होत इस लए उनका स त प तत करना इ तहासकार क लए अ धक उपयोगी नह होगा 15 अ धकरण और 180 करण म वभ त इस थ म कर बmdashकर ब सभी वषय आ गय ह mdash जस अथशा समाजशा राजनी त आ द क त इसक अ धकाश भाग म शास नक सम याओ का ववचन हआ ह इसम रा य क सात अग राजा क श ण क त य और दोष अमा य और म य क नयि त एव उनक क त य द वानी और फौजदार कानन क शासन तथा शि प सघ व नगम का ववचन ह गणत एक पर अ याय म व णत ह

इसक अ त र त इस थ म अत रा य स ब ध क स ा त का न पण और स य सगठन का वणन कया गया ह इसम यह बतलाया गया ह क कस कार य जीता जा सकता ह और जीत ह ए म लोक यता पायी जा सकती ह क त इसक व य वषय क सबस बड़ी वशषता यह ह क राजस ता को अ य त उ च थान दान कया गया ह और राजा को अनक सामािजक तथा आ थक दा य व स प गय ह

व य वषय क आधार पर कौ ट य क अथशा को आध नक अथ म अथात वश प म राजनी त व ान क पा यप तक नह माना जा सकता यह ठ कmdashठ क (पण पण) लट क रपि लक या अर त क पॉ ल ट स जसा भी नह ह इसक यावहा रक व प को दख तो यह पा ल ट स स अ धक मलताmdashजलता लगता ह िजस कार दोन

यनानी क तया वश प स राजनी त व ान क थ नह ह उसी कार कौ ट य अथशा भी मा राजनी तशा क प तक नह ह ल कन इसम कोई सदह नह क इस थ का अ छाmdashखासा भाग राजनी त स सब धत ह और इसस भी अ धक मह वपण बात यह ह क कौ ट य न राजनी त को धम और न तकता क भाव स म त करन का सजग यास कया ह सच तो यह ह क राजनी तक उ य क प त क लए उसन धम एव न तकता को तलाज ल दन का भी वधान कया ह

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इस कार अथशा कवल सपि तशा नह वरन दडनी त का शा अथात राजनी त व ान का मह वपण थ ह कौ ट य अपन थ म पाच कल (स दाय ) और तरह अलगmdashअलग लखक क उ रण दता ह िजनस पता चलता ह क राजनी तशा उसक काल म पण पण स था पत हो चका था इनम स कछ लखक का उ लख शा तपव म भी ह यह खद का वषय ह क कौ ट य क पववत लखक क थ का अभी तक पता नह चला ह और कौ ट य न िजन कछक अश को उनक च तन क प म तत कया ह व इतन थोड़ ह क उनस कौ ट य स पहल क राजनी तक मा यताओ का कोई प ट च नह उभर पाता तथा प कौ ट य वारा का उ लख भारतीय राजन तक वचार क ाचीनता को मा णत करता ह न चय ह कौ ट य का अथशा ाचीन भारतीय राजनी त क अ ययन

क लए वशष प स मह वपण ह कौ ट य कोर राजनी त ह नह वरन राजनी त क एक स दाय क स थापक थ

इसी स उनका और उनक थ का परवत काल म भी स मान होता रहा व तत राजनी त क वा मय म अथशा का वह थान ह जो याकरण शा म पा ण न क अ टाधायी का क त कौ ट य क त काल बाद उसका अनगमन करन वाल कौनmdashस दडनी तव ता ह ए इसका तो पता नह चलता तथा प पवम यकाल म ऐस कछक वचारक अव य ह ए उदाहरण क लए काम दक य नी तसार को ल िजय जो सभवत ग तकाल म 500 ई क आसपास लखा गया क तपय व वान क अनसार यह 800 ई क आसपास सक लत हआ काम दक नी तसार कौ ट य क थ का छ दोब स पीकरण मा ह य य प रचनाmdashकाल क प रि थ तय म भ नता क कारण इस नी तसार तथा अथशा म कछ भ नताए भी ह कामदक कौ ट य का ऋण प ट श द म वीकार करता ह उसन उसक साम ी को इतनी अ छ तरह आ मसात कया ह क उधार ल गयी साम ी मल स अ धक स यवि थत प म सामन आयी ह कौ ट य क वचार क पनरावि त स मा इतना सकत मलता ह क उसक वचारधारा क त ठा और भाव परवत काल म कायम रहा क त कामदक क काल क नई बात को जानन क लए भ नताओ का यान रखना होगा जो उसक थ म उपल ध होती ह इनम स कछ सना और अत रा य स ब ध क बार म ह इसी कार काम दक गणत ा मक शासन णाल क वषय म भी सवथा मौन ह

दसर नी तसार स जो क श का ह कई आध नक लखक न काफ साम ी ल ह इस थ क वशषता यह ह क इसम शासनmdash यव था का जसा सगोपाग ववरण ह वसा अथशा क बाद क कसी थ म नह ह श नी तसार क त थ अ य धक ववाद त ह व भ न व वान न इसक रचना का समय आठवी शती ई स लकर 19वी शती ई क बीच म रखा ह क त इस थ का सकलन 19वी शता द क आरभ म हआ इसक स ब ध म बह त स व वसनीय तक दय गय ह और इस लए ाचीन भारत क राजनी तक वचार और स थाओ क जानकार क न म त इस साम ी का योग करन क लोभन स बचना चा हय

सोमदव सर क रचना नी तवा यामत का भी ाचीन भारतीय राजनी त क अ ययननाथ उपयोग कया जाता रहा ह इस थ क रचना का समय 11 वी शती क

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पवाध म रखा गया ह य य प यह वषय भी ववादम त नह ह कौ ट य क अथशा स कई बात म समानता रखन पर भी नी त वा यामत म कछ मौ लकता भी ह सोमदव न उस समय उपल ध सभी सा हि यक क तय (यथाmdashकौ ट य मन भी म बह प त काम दक आ द) का उपयोग यथा थान कया ह अतएव नी तवा यामत ाचीन भारतीय धमशा अथशा एव नी तशा क गभीर एव ववकपण अ ययन का फल ह सोमदव न छोटmdashछोट वा य अथवा स क प म अपन थ म व भ न व याओ रा य क उ पि त राजा का दव व राजा क नयि त उ तरा धकार का न राजा क क त य म य क आव यकता उनक यो यता यायालय स नक शासन अ तरा य स ब ध दत एव चरmdash यव था आ द रा यmdashयव था स स बि धत वषय क चचा क ह

च क धमशा mdashसा ह य धम का और अथशा अथ का यान रखकर लखा गया इस लए इन दोन वचारधाराओ क अतर क ओर ि टपात करना वाभा वक ह धमशा का झान सामा यत ा मण क अ धकार को बढ़ाmdashचढ़ाकर बतान क ओर ह और इनम उन वधान पर जोर दया गया ह िजनस सामािजक और राजनी तक यव थाओ का नयमन होता ह दसर ओर अथशा राजा क अ धकार को स ति ठत करता ह और उन वधान पर जोर दता ह िजनका उ य राजनी तक और आ थक ढाच का नयमन ह थम कार क सा ह य का प स ाि तक और दसर कार का यावहा रक तीत होता ह ल कन दोन क अतर को इसस आग ल जाना सभव नह ह य क दोन वण वभािजत समाज क बार म एक सामा य ि ट और आदश तत करत ह तथा राजा को इसक मयादा का र क मानत ह

122 बौ एव जन सा ह य

जहा तक रा य यव था और राजनी तक वचार पर काश डालन वालो बात का स ब ध ह ार भक पा ल धम थ ( पटक) कछ दसरा ह अथात भ न च तत करत ह य य प उनका अ तम प ीलका म ईसा पव पहल सद म नि चत हआ फर भी उनम राजत और गणत क वषय म जो बात या जानकार उपल ध होती ह उनका स ब ध सभवत ब काल न मगध और कोसल क व ति थ त स ह यह बात कदा चत व भ न रा य और उनक आपसी स ब ध क बार म भी सह हो सकती ह ल कन जहा तक रा य क शासन यव था क बार म कय गय सकत का स ब ध ह उन पर हठात (यकायक) व वास नह करना ह वनय पटक क महाव ग और च लव ग अश म बौ धमस था क गठन स ब धी ढर सार ऑकड़ तत कय गय ह यह कहा गया ह क िजन नयम mdash व नयम वारा बौ भ ओ का समि टगत आचरण शा सत होता था व ब काल न गणरा य स लय

गय ह यह अनमान पया त यि तय त होन क बावजद हम यह तो जानना ( न चय करना) होगा क मल नयम म कहा तक प रवतन कय गय और उ ह धा मक सगठन क आव यकताओ क अन प कस सीमा तक ढाला गया

य द यनानी ववरण और पा ण न का सहारा न लया जाए तो मौयपव गणत ीय स थाओ क अ ययन क लए और कोई समसाम यक सा य नह मल ह जातक क आधार पर व वान न ल छ व स वधान का व प तत कया ह पर अपन वतमान प म व

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ईसापव दसर सद स पहल क नह ह जातक धानत लोक कथाय ह इनम राजा क क त य यायmdash शासन वण और जा तय तथा आ थक कायकलाप का उ लख हआ ह इनक आ याना मक अश को और भी पहल क ि थ त क जानकार का आधार बनाया जा सकता ह क त ई वी सर क पाचवी शती म ीलका म सक लत इनक ट काओ का उपभोग शा यmdashस वधान क परखा तयार करन क लए कदा प नह कया जा सकता जस धमशा mdashसा ह य और उसक ट काओ म अ तर ह उसी कार ार भक पा ल प तक म

तत कय गय ढाच और परवत ट काओ वारा उसक ऊपर रच गय ढाच क बीच अ तर ह द घ नकाय म िजसम ब क उपदश का स ह ह राज व या रा य और समाज

यव था क उ पि त क स ब ध म मब चतन का सबस पहला उदाहरण सामन आता ह (यह चतन अ ब य त म व णत सि ट कथा क एक ह स क प म तत कया गया ह) द ध नकाय को ईसापव तीसर सद म रखा जा सकता ह िजसस कट होता ह क रा य क उ पि त वषयक मब स ा त तब तपा दत ह ए जब रा य स था पत स था बन चका था महाव त जस परवत बौ थ जो ईसापव थम शता द क ह और सध कड़ी स कत (हाई ड स कत) म लख गय ह राज व क उ पि त वषयक मल कथा को ह साजmdashसवार कर और प रव त प म रखत ह जब क मल कथास य का य रह जाता ह

राजनी त क स ा त न पण करन वाल क तपय ाचीनतम जन थ म भाषा व ा नक और सा हि यक ि ट स उ तरा ययनस सबस पराना थ ह जन आगम क प य म अ योि तय उपमाओ तथा कथोपकथन क प म िजन वषय का वणन हआ ह उनम स कछ क चचा म स कछक त प जातक और शा तपव म भी मलत ह इस कार क सा ह य म हम शासन प त स ब धी ास गक उ लख को य mdashत ढढ सकत ह

आठवी एव नौवी स दय म सगह त जन पराण म सि टकथा का वणन ह िजसम रा य और जा तय क उ पि त क स ब ध म भी अटकल लगायी गयी ह इन क तय म वशष प स राजा पव समाज का च क चत व तार स दया गया ह जन आचारगस त म व भ न कार क रा य का उ लख उपल ध होता ह तथा प जन धम क ाकत थ म उपल ध

साम ी ार भक रा य यव थाmdash वषयक आध नक पा य प तक म कोई थान नह पा सक ह अभी तक िजस एकमा जन थ का उपयोग इस योजन स हआ ह वह ह नी तवा यामत िजस ई वी सन क दसवी या यारहवी सद म जन थकार सोमदव स र न लखा क त जसा क हम पव म व तार स चचा कर चक ह यह थ उन पववत ा मणmdash थ का बह त अ धक ऋणी ह िज ह इसम उ त कया गया ह तो भी यह

नी तसार क खला म आता ह और पव म यकाल क रा य यव था पर काश डालन वाल थ क प म इसका उपयोग लाभदायक ह कहा जा सकता ह क रा य क उ पि त राजा

क क त य (NonmdashMnadiat) अनपत ा मक रा य उनक शासन यव था उनक कायवाह क तर क यायmdash शासन और व भ न कार क कमचा रय क वषय म जन और वशषकर बौ सा ह य स मह वपण सचना मलती ह

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दशी सा हि यक ोत क सव ण म लगभग पाचवी सद ई प क पा ण न याकरण और लगभग दसर सद ई प क पातजल महाभा य को शा मल कया जा सकता ह पा ण न क याकरण म बह तmdashस ऐस उदाहरण का योग कया गया ह िजनम समसाम यक गणरा य क उ लख ह और पतज ल का मह व इस प म ह क वह कारा तर स मौय तर काल क शास नक र त पर काश डालता ह ग तकाल क स ब ध म वराह म हर क बह स हता का

भी ऐसा उपयोग कया जा सकता ह क त य क तया हमार ान क परक मा ह हो सकती ह

दशी सा ह य mdash ोत स ा त साम ी अनक क ठनाइया उपि थत करती ह पहल क ठनाई यह ह क इनम स कसी का वशषत जन थ का आलोचना मक ढग स स पादन नह हआ ह अत पक mdash पक क कारण हमार म म पड़ जान क गजाइश सदा बनी रहती ह दसर क ठनाई यह ह क य थ अ धकाशत उपदशा मक ह िजसक कारण शासन प त क सह ि थ त का पता लगाना क ठन होता ह य य प इनम राजनी तक वचार एव स ा त अव य त बि बत ह ए ह तीसर यह ह क अथशा जस थ क भी दश काल आ द क बार म हम नि चत नह ह तथा प कल मलाकर ाचीन दशी सा ह य ोत स हम ाचीन राजनी तक स थाओ क स ाि तक प क जानकार तो मलती ह ह

123 वदशी व तात

साम ी क सा हि यक ोत का सव ण तब तक पण नह होगा जब तक वदशी (चीनी एव यनानी) ववरण का हवाला नह दया जाय इनम शासन प त स सब धत क तपय मह वपण त य व यमान ह महान सक दर का उ लख भारत क समसाम यक ोत म नह मलता पर उसक काल क यनानी इ तहासकार न उसक भारतीय अ भयान (ईप

327mdash 325) क व तत यौर रख छोड़ ह इनम स कछ म उन रा य क आ त रक गठन का वणन ह िजनक साथ पजाब और स ध म मकाबला हआ च क यनान म नगर रा य का चलन था इस लए यनानी लखक कछ रा य को नगर रा य क प त पर ग ठत बतात ह फर भी इसम सदह नह क ईसापव चौथी शता द म अनक गणरा य पि चमो तर भारत म फलmdashफल थ मौयशासन णाल का अ ययन करन क लए मग थनीज का ववरण अ य त मह वपण ह यह पाट लप म च ग त मौय क दरबार म राजदत क प म रहा था य य प अभी तक उसक मल इ डका ा त नह हो सक ह और परवत लखक न उसक जो छटपट उ रण दय ह उ ह ए रयन जस यनानी लखक न हर सग म व वसनीय नह माना ह फर भी एकमा उसी का ववरण ऐसा ह िजसका काल नि चत ह च क अथशा का काल नधारण सदह स पर नह ह इस लए मग थनीज स दय गय उ रण ह मौय सा ा य क स थापक क शासन क वषय म हमार जानकार क अ धक नि चत और य ोत ह इन उ रण म राजा क दनचया पाषद क म य काय और साथ ह सचाई आ द कायकलाप पर नय ण रखन वाल मिज ट क मख दा य व का भी वणन ह इनम पाटल प का

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नगर शासन और सा ा य क स य सगठन का ववरण तथा साथ ह राजत क पतन और लोकत ी रा य क उ थान स स बि धत अनभ तया अ भ ल खत ह

ग त एव ग तो तर काल क जानकार क लए चीनी या य क ववरण उपयोगी ह य य प फा हयान एव वनसाग दोन भारत क बौ धम क ि थ त का पता लगाना चाहत थ फर भी शासन स ब धी कई बात का उ लख उ ह न कया ह फा हयान न वतीय च ग त क शासन काल म 399 स 414 ई क बीच भारत क या ा क और अपन ववरण म उसन म यदश अथात आध नक उ तर दश और पि चमी बहार क शासनmdash णाल क चचा क ह उसन राजा क प रचर और अगर क को वतन दन क र त भी बतलायी ह क त इस चीनी या ी न ग त राजा या ग त सा ा य क बार म उस कार य प स कछ नह कहा ह िजस कार वनसाग न हषवधन क बार म कहा ह वनसाग न ई वी सन 629 और 641 क बीच म भारत का मण कया था उसका ववरण अ धक व तत और स नि चत ह उसन अपन सर क क शासन प त क शसा क ह और उसक स य शि त व अ धकत का ववरण बढ़ाmdashचढ़ाकर तत कया ह क त फर भी वनसाग ह वह एकमा मह वपण ोत ह िजसक मा यम स हषवधन क राज व यव था एव स य प त क जानकार ा त होती ह

इन वदशी ववरण क स ब ध म यह धात य ह क यनानी और चीनी भाषाओ स अन भ रहन क कारण अ धकाश व वान को अ जी अनवाद पर नभर रहना पड़ता ह जो अब स सौ वष परान हो चक ह एव उनम व वधता भी पायी जाती ह अतएव उनका पनर ण नतात आव यक ह

13 पराताि वक सोत पराताि वक प रवश तथा स क और अ भलख क अ ययन स हम राजनी तक

स थाओ क स ा तक प क अप ा यवहा रक पहल का अ धक पता चलता ह य ोत ऊपर बताई गई सा हि यक ोत स ब धी क ठनाइय स भी अप ाकत म त ह कसी दश और काल क परात व को उसक राजनी तक ढाच क साथ बह त परो प स ह जोड़ा जा सकता ह खती क औजार का पता परात व स लगता ह समाजशाि य का अनमान ह क िजस समाज म ठ क स खती न चल पड़ी हो वहा क सरकार पाच लाख स अ धक लोग पर शासन नह कर सकती ह य द परात व क सहार हम थायी प स बस ामीण समदाय या शहर का पता चल जाता ह तो इस ान क सहायता स हम सा ह य ोत म वशाल और कशल सा ा यीय सगठन क क गई क पना को मया दत करक उ ह त य क अ धक नकट ला सकत ह इसक अ त र त य द कसी काल म बड़ पमान पर नगर क अि त व का सा य मलता ह तो वह इस बात का भी सकत होगा क उस काल म नगर शासन क आव यकता रह होगी

131 अ भलख ाचीन भारतीय अ भलख म अ धकाशतया दो ल पया mdash ा मी एव खरो ठ mdash य त

क गयी ह इन ल पय का प भ न काल म बदलता रहा ह अ भलख म य त ल प

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क व प स उनक त थ जानी जा सकती ह िज ह पढ़ा जा सका ह ऐस सबस पहल भारतीय अ भलख स ाट अशोक क ह सा ा य क एक छोर स दसर छोर तक शलाख ड और त भ पर खद य लख सामािजक धा मक तथा शास नक आचरण को व नय मत करन क न म त जार कए गए राजक य समादश या उ घोषणाए ह य सामा यत ाकत भाषा और ा मी ल प म खद ह पर कछ अ भलख खरो ठ ल प और ीक भाषा म भी पाय जात ह अशोक क अ भलख स प ट ह क वह एक व तत सा ा य का शासक था त काल न प रि थ तय म एक थान स इतन बड़ सा ा य का ठ क स शासन चला पान क क ठनाईय को समझकर शासक य स वधा क लए इस कई भाग म वभ त कया गया था अशोक क इन राजा ाओ को धमलख कहा गया ह ल कन इनम ऐस वषय का उ लख नह ह िज ह वश प स धा मक कहा जा सक इसक वपर त इनक वषय ह राजा और प रसा (प रषद) क आपसी स ब ध ातीय शासनmdash यव था याय शासन राजक (लाजक) और महामा जस उ च पद थ रा या धका रय क अ धकार एव क त य ग तचर वभाग स यmdash यव था अशोक क रा य स ब धी वचार तथा राजा क पतवत आदश राजा का यह क त य समझा जाता था क वह जा का क याण ह अपना उ य समझ और अपनी जा को अपनी सतान क तरह समझकर उसक भलाई कर अशोक क श द म सब मन य मर सतान ह उसक तरहव अ भलख स यह प ट ह क वदशी मामल क दखmdashभाल स स बि धत एक अलग वभाग था दत का आनाmdashजाना च लत था धम महामा क नयि त सव थम अशोक न ह अपन रा यकाल क चौदहव वष म क थी य य प कौ ट य अथशा म अशोककाल न अ धकाश अ धका रय का उ लख नह ह क त मग थनीज एव कौ ट य क क तय स मोट तौर पर िजस यापक राजक य नय ण का सकत मलता ह अशोक वारा अपन राज वकाल क ारभ म जार कय गय आदश स सामा यत उसक पि ट होती ह

मौय तर और ग तकाल न अ भलख मौट तौर पर गर सरकार और सरकार इन दो को टय म आत ह गर सरकार अ भलख म यत अनदान लख ह जो छोट होन पर भी सामा यत दाताओ क सरकार ह सयत का वणन करत ह ा मी एव खरो ठ दोन ह ल पय म लख य अ भलख अपन काल क शासन त पर पया त काश डालत ह

सरकार अ भलख म कछ तो शि तया ह क त सामा यत शासन प या भ म अनदान प ह शि तय म राजाओ क बह मखी उपलि धय का उनक वजय उनक वारा दय गय धा मक अनदान आ द का गणगान ह इस को ट म खारवल का हा थग फा अ भलख सम ग त क याग शि त आ द आत ह पहल म खारवल क राज वकाल क वषवार घटनाय द गयी ह और उसक श ा रा यारोहण स नक अ भयान तथा नगर य और ामीण लोग (पौर जानपद ) पर कय गय उसक अन ह क चचा ह याग शि त म

सम ग त क वशावल क बाद उन प रि थ तय का उ लख ह िजनम च ग त I न सम ग त को अपना उ तरा धकार बनाया था इसस हम व भ न को टय क उन राजाओ और गण क साथ सम ग त क स ब ध क जानकार ा त होती ह िज ह उसन जीत लया

19

था और िजनक साथ प रि थ तय एव उनक भौगो लक ि थ त क अनसार था अब अधीन थ साम त और करद जसा व भ न कार का यवहार कया जाता था

क त सवा धक मह वपण को ट क सरकार अ भलख व भ म अनदान प ह िज ह जार करन का म सबस पहल सातवाहन न आरभ कया वस य अनदान अ धकाशत धा मक योजन स दय गय ह फर भी इनम राजि वक एव शास नक इकाइय क उ लख ह राज व क ोत का वणन ह और िजन अ धका रय को भ मदान क सचना द गयी ह उनक नाम ह अशोक क राजक य उ घोषणाय मा एकmdashदो अ धका रय को सबो धत ह िजनम कमार या आयप नामक ातीय शासक तथा महामा नामक उ चा धकार आत ह सातवाहन क राजक य शासन प सदा अमा य को ह सबो धत ह ग तकाल स शासन प म उि ल खत अ धका रय क स या म उ तरो तर व होती गयी और पव म यकाल म पाल राजाओ क शासन प म इनक स या तीन दजन तक पह च गयी इन अ भलख म य त राजि वक और शास नक श द का अथ लगाना आसान नह ह फर भी ई वी सर क थम सद स यह श द हम कराधान और शासन प त क जानकार सलभ करान वाल एकमा व वसनीय ोत का काम करत ह य द ग तकाल न अ भलख का वाचन समकाल न म तय क साथ मलाकर कया जाय तो इस काल क रा य यव था का अ छाmdashखासा च हमार सामन आ जायगा

132 स क

अ भलख क ह समान स क का भी सा य क प म अपना व श ट थान ह ाचीनतम भारतीय म ा म िज ह आहत म ा कहत ह और जो ईसापव छठ सद क बताई

जाती ह रा य यव था क अ ययन म अ धक सहायक नह ह ल कन मौय तर काल स स क हमार योजन क लए उपयोगी बन जात ह कषाण काल न स क पर उ क ण उपा धय स राजपद पर और वशषतया उसक दवी पहलओ पर कछ काश पड़ता ह अनक कषाण स क पर शव क आक त स धम और राजनी त का आपसी स ब ध प ट होता ह कछक समकाल न स क पर राजाओ क नह बि क कबील या जनजा तय क नाम ह जस क मालव और मौधय िजसस यह सकत मलता ह क य गणरा य थ

14 अ यासाथ न 1 ाचीन भारतीय शासन यव था को जानन क मख सा हि यक ोत का वणन

क िजए (500 श द) 2 ाचीन भारतीय रा य यव था को अ भलख क मा यम स कस कार जाना जा

सकता ह (250 श द) 3 न न ल खत पर ट प णया ल खए (100 श द)

(अ) म तया (ब) महाका य (स) अथशा

20

15 ास गक पठनीय थ 1 ए एस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन एन शयट इि डया

वाराणसी 1958 2 आर एस शमा एसप टस आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इ ट यशन इन एन शय ट इि डया दहल 1968

3 य एन घोषाल ए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज कलक ता 1923

4 पी वी काण धमशा का इ तहास भाग वतीय 5 गौतम एव कमलश शमा ाचीन भारत जन काशन म दर चौड़ा रा ता

जयपर 1998 6 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पाइ टयर

चौड़ा रा ता जयपर 1999

21

इकाई mdash2 व दक काल म राजनी तक वचार एव स थाए

इकाई क परखा 20 उ य 21 तावना

211 व दक काल क अवधारणा 212 व दक सा ह य नमाता या वदशी थ

22 व दक राजनी त क ोत 23 रा य क उ पि त स ब धी वचार

231 शासनmdash वधान क कार 232 रा य क उ य 233 राजा क धम नग डत होन क क पना 234 सव च स ता का अि त व

24 राज व पर वचार mdash (राजपद का ज म) 241 सजाmdash ा मण स ब ध 242 राजा क दव व क क पना

25 राजा का नवाचन 251 राजा क अ य क य 252 रा य य त और पन नवाचन 253 राजा क क त य

26 राजा पर नय ण 261 स म त 262 सभा 263 वदथ

27 राजपद गौरव का तीकmdashअ भषक 271 रा या भषक स स बि धत राजसय य 272 र न ह व 273 दव त त 274 अ भषकmdashजलmdashस ह 275 अ भषचन 276 अ धकारmdash हण घोषणा 277 राजपद दान 278 अ भषकतर क य

22

279 अधीनता वीक त 2710 शासन सचक ड़ा 2711 राजपद त ठा

28 मि म डल का ारि भक व प 29 व दक गण का ववचन 210 स य यव था 211 कर यव था 212 याय या 213 ाम का शासन 214 साराश 215 अ यासाथ न 216 सदभ थ सची

20 उद य इस इकाई म हमारा उ य व दक काल क राजनी तक वचार एव स थाओ स अवगत

करवाना ह हम यहा वद उप नषद और ा मण थ स ात रा य राजा और उस स स बि धत अ य स थाओ का ववचन करग इस इकाई क अ ययन क प चात आपको न न वषय क जानकार ा त हो जायगी mdash

1 व दक काल क अवधारणा एव व दक सा ह य क नमाता कौन थ 2 रा य क उ पि त का आधार उसक उ य एव कार 3 राजपद का ज म 4 राजा क दव व क क पना एव उसका ा मण स स ब ध 5 राजा क नवाचन क पर परा पर वचार 6 रा य क स थाएmdashसभा स म त और वदथ 7 रा या भषक एव राजसय य 8 मि म डल का मल व प 9 राजा क अ य काय

21 तावना भारत क मानव स यता का वकास ाग तहा सक काल म ार भ हआ उ तर पाषाण

काल जब समाि त क ओर था तब मन य न बबरता स उठकर स यता क यग (लगभग 3000 ई प) म वश कया व व क आ दम स यताए न दय क घा टय म वक सत ह ई उसी कार भारत म मानव स यता क थम ठोस अवशष स धव स यता म पाय जात ह

मोहनजोदड और हड़ पा इस स यता क मख क थ यह स यता पव म का ठयावाड़ स ार भ होकर पि चम म मकरान तक फल ह ई थी

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स धव स यता क थम वशषता जो ाय अ यताओ को आक ट करती ह वह ह उसक नगर सरचना और भवन नमाण कला िज ह दखन पर हम क पना कर सकत ह क स धव समाज म कसी न कसी कार का शासन अव य व यमान था य क नि चत योजनानसार नमाण काय शासक या शासन बना अस भव ह प ट ह क स धव न कोई राजनी तक यव था अव य अपना रखी थी िजसक स ब ध म ल खत साम ी का अभाव ह 1750 ई पव क लगभग स धव स क त का पतन आर भ हो गया इस स क त क पतन क कारण क स ब ध म व वान एकमत नह ह कछ व वान का वचार ह क हड़ पा स क त को आय न न ट कया क त इस सबध म प ट पराताि वक माण का अभाव ह राजबल पा डय न वचार य त कया ह क स धघाट म ा तकार जलवाय प रवतन एव स ध नद क पथ प रवतन म यह स यता न ट हो गई इसक प चात व दक काल ार भ हआ

211 व दक काल क अवधारणा

वह काल िजसम आय न वद ा मण और उप नषद थ क रचना क उस व दक काल कहा जाता ह थलत व दक काल को ए एल बशम न 1500 ई प (1500mdash 1000 ई प ऋ व दक काल) स 700 ई प (1000 ई प स 700 ई प तक उ तर व दक काल) तक माना ह मोट प म स धव स यता क अवसान स बौ काल ार भ होन क म य का अ तराल व दक काल माना जा सकता ह कछ व वान व दक सा ह य को 1500 ई प स 600 ई प क म य रखत ह

212 व दक सा ह य नमाता या वदशी थ

व दक सा ह य क नमाता आय थ उनक मल नवास थान क स ब ध म व वान म मतभद ह कछ व वान यह मानत ह क आय ईसा स लगभग 2000 वष पव भारत आय तथा उ ह न यहा नवास करन वाल अनाय जा तय को हराया जब क बाल गगाधर तलक का वचार था क आय उ तर व स भारत आय कछ व वान उ ह स तस धव तो कछ ईरान तथा यरोप का नवासी मानत ह राजबल पा डय न आय को म य दश (उ तर दश) का नवासी माना ह गाइ स आय का आ द दश भारत नह मानत उनका मत ह क आय ड यब घाट स चलकर ए शया माइनर क पठार को पार कर ईरान पह च और वहा स भारत आय प का न आय का मल नवास कि डन वया माना ह म समलर का वचार था क आय क पवज म य ए शया म नवास करत थ उनक एक शाखा भारत म आकर बस गई गाडन चाइ ड लखत ह क आय का आ द दश क डीन वया या द णी स होन क अ धक स भावना ह क त अभी तक नि चत प स यह नह कहा जा सकता क आय का आ द दश कौन सा था

22 व दक राजनी त क ोत आय क म य थ ऋ वद यजवद सामवद और अथववद ह भारतीय पर परानसार

वद स पण भारतीय जीवन धम दशन राजनी त कला व ान और सा ह य क मल ोत ह

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वद क प चात ा मण थ आत ह इनम ऐतरय शतपथ गोपथ ता य पच वश आ द ऐ तहा सक ि ट स उपयोगी ह आर यक थ स दाश नक िज ासा पण होती ह व दक सा ह य का अि तम तर उप नषद ह इनम राजनी तक एव दाश नक त व का न पण ह ईश कन कठ ति तर य छा दो य और वहदार यक आ द म य उप नषद ह जो सि ट क उ पि त सि ट का क ता आ द वषय पर काश डालत ह

23 रा य क उ पि त स ब धी वचार व दक सा ह य म रा य क उ पि त क स ब ध म व तत जानकार मलती ह

रा य उ पि त क स ात को अ ययन क स वधा क ि ट स तीन णय म बाटा जा सकता ह जो इस कार ह ndash

(i) रा य क द वक उ पि त का स ा त (ii) वकासवाद स ा त (iii) स वदा स ा त

(i) थम स ा त क अनसार ाचीनकाल म अ धकाश स थाओ क उ पि त द वक मानी जाती थी रा य क उ पि त का आधार भी ाय इसी कार था इसका सकत शतपथ ा मण (515 14) म मलता ह इसम रा य क वामी राजा को जाप त कहा गया ह और च व तन श द म च का स ब ध व ण च स जोड़ा गया ह ऐतरय ा मण (826) म रा या भषक क समय अि न गाय ी वि त और वह प त आ द दवताओ स ाथना क गई ह क व राजा क शर र म वश कर इस कार रा य क वामी राजा को परमा मा का अश माना जाता था इसी लय कालातर म यह वचार लोक य हो गया क परमा मा जनता पर शासन करन हत नर प धारण करता ह इस कार व दक सा ह य म रा य एव राजा को व दक शि तय स उ प न माना गया ह

(ii) वतीय स ा त क अनसार रा य का एक स था क प म मक आर क मखज क अनसार कई कल मलाकर गौ का नमाण होता था गौ स बड़ा जन जन स वश और स पण वशो स रा का नमाण होना था जब क अ तकर का वचार ह क कई गाव का समह वश कहलाता और उसका म खया वशप त कई वश स मलकर जन का नमाण होता था और उसका मख जनप त या राजा कहलाता था जनप त अपन प रवार क सद य क तरह स पण जन पर नय ण एव अनशासन रखता था काला तर म जन रा य क व तार क साथ राजा क अ धकार म व होती गई इस कार व दक काल म शासन स थाए स ढ़ बनान म सय त कटब प त क वकास या न मह काण भ मका नबाह रा य उ पि त क वकासवाद स ा त का सकत अथववद म मलना ह अथववद म मलता ह अथववद म रा य क उ पि त क अलावा मातभ म क त ा स ब धी म भी मलत ह

(iii) रा य उ पि त क ततीय स वदा स ा त का अ ययन भी अ त आव यक ह इस स ा त क अनसार असर क व य क सफल सचालन क लय दवताओ न राजा

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का नवाचन करना आव यक समझा (ऐतरय ा मण 11432) जो ववरण ा त होता ह इसक अनसार जाप त क अ य ता म दवताओ न एक दसर स कहा क इ उन सबस अ धक पण स ढ़ याशील और यक काय करन म ठ ह इस लए उ ह न उस राजा चना और उसका रा या भषक कया प ट ह क जब आय जन क प म नवास करन लग तो उनक स पि त क र ा का न उपि थत हआ होगा तब उ ह न अपन म स यो य यि त को राजा बनान का न चय कया प ट ह क राजा बनान म एक कार क सहम त अ त न हत थी आर एस शमा लखत ह क यह वचार सामािजक समझौत क स ा त का ारि भक व प था

231 शासन वधान क कार

ऋ वद स सक तत ह क व दक काल म रा य का व प राजत ीय था क त ऐतरय ा मण म आठ कार क रा य का उ लख मलता ह तथा उसम उनक शासक क पद वय और िजन दश म व रा य करत थ उनका भी ववरण दया गया ह ऐतरय ा मण स ान ववरण इस कार हmdash

रा य का कार शासक क पदवी शासन 1 सा ा य स ाट पव 2 भो य भोज द ण 3 वरा य वराट पि चम 4 वरा य (गणरा य 9) वराट उ तर (म क ) 5 रा य राट क पाचाल 6 पारम य mdash क पाचाल स उ तर क

ओर 7 महारा य mdash 8 आ धप य mdash ाचीन भारतीय शासन प त पर वचार करन वाल लखक क धारणा रह ह क

व दक काल म राजत या नपत यव था ह थी कभीmdashकभी व लोग रा य सघ का भी उ लख कर दत ह य य प ार भ म जन रा य क ह अ धकता रह यद प अण और तवश आ द उन दन व श ट जन थ राजस य म राजा कसी दश या रा य का नह बि क भारत या क mdashपाचाल का राजा घो षत कया जाता था उ तर व दक काल म ाद शक रा य क भावना बलवती हो गई िजसका उ लख अथववद म मलता ह व दक काल म राजा महाराजा वराज आ द उपा धया राजाओ को पद और गौरव क अनसार द जाती थी कछ राजा वराज तथा भोज कहलान थ अ तकर क अनसार इनका अथ बतलाना क ठन ह रा या भषक म कभीmdashकभी कहा गया ह क शासक को एक साथ रा य वरा य भो य वरा य महारा य पद ा त ह ग (ऐतरय ा मण 815mdashसा ा य भौ य वरा य वरा य पारम य रा य महारा यमा धप यमय समतापयायी यात) इसस सदह उ प न होता ह क य उपा धया व भ न रा य क स चया ह या नह ऐतरय ा मण दश क व भ न भाग म

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भ नmdash भ न शासन णा लय का उ लख करता ह िजनका ववरण ऊपर न द ट ह अ तकर न करद रा य को भोज और वराज तथा उनक अ धप त को स ाट वीकार कया ह स ाट और वराट म या अ तर था यह कहना क ठन ह स ाट का रा य साधारण रा य स अव य बड़ा रहा होगा वरा य को गणत का सचक माना जाता ह उ तरmdashव दक काल म वरा य का अव य वकास हो चका था ऐतरय ा मण स भारत म वश जात रा य का उ लख भी मलता ह हमालय क नकट उ तर क और उ तर म आ द जन म वराट (राजा स हत) शासन तब च लत था परवत काल म भारत म नगर रा य का वकास हआ क त ाचीन भारत म अ धकाशत नपत या एकत शासन यव था ह लोक य थी

232 रा य क उ य

व दक काल क ार भ म यद तवश भरत आ द जन रा य का उ लख मलता ह उ तर व दक काल तक य जनmdashरा य दश क व भ न भmdashभाग पर थायी प स बस चक थ उनक राजा जन क ह नह रा क वामी कहलान लग व दक सा ह य स ाद शक रा य क अग का प ट उ लख नह मलता फर भी स भव ह क इन रा य म स ताग का स ा त कसी न कसी प म अव य व यमान रहा होगा य क उनक बना रा य का सचालन अस भव होता ह

रा य क उ य क स ब ध म व दक सा ह य म ववरण मलता ह उन दन शाि त स यव था सर ा और याय आ द रा य क मल उ य मान जात थ छा दो य उप नषद म कहा गया ह क राजा को व ण क समान धत त नयम और यव था का सर क साधओ का तपालक तथा द ट को द ड दन वाला होना चा हए धम का सवधन सदाचार को ो साहन और ान का सर ण यक रा य को भल mdashभा त करना चा हए इस कार जा का सवागीण क याण ह रा य का उ य था

233 रा य क धम नग ड़त होन क क पना

अ तकर न अपन थ ( ाचीन भारतीय शासन प त) म इस स भावना पर भी वचार कया ह क या ाचीन भारतीय राजा धम स नयि त थ धम नग डत रा य म राजा धम ग क आ ानसार काय करता ह ऐतरय ा मण (7524) म कहा गया ह क य द राजा यो य ा मण परो हत क सहायता नह लता तो दवता उसक हवन को वीकार नह करत रा या भषक क समय राजा तीन बार ा मण को नम कार करता ह और इस कार उसका वशवत होना वीकार करता ह ऐसा करन स ह उसक सम होती ह ऋ वद (45079) म कहा गया ह राजा अपन परो हत का यथो चत स मान करता था िजसस वह श ओ पर वजय तथा जा क राज न ठा ा त करता था इस कार ार भ म ा मण न राजा पर अपना भाव जमान का यास कया पर त इसम व असफल रह जब क ति तर य ा मण (39 14) म एक थल पर कहा गया ह क राजा जो चाहत ह ा मण को वह करना पड़ता ह ऐतरय ा मण (729) म कहा गया ह क राजा जब चाह ा मण को नकाल सकता ह वहदार यक उप नषद (1410) म कहा गया ह क समाज म सबस ऊचा पद

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य अथात राजा का होता ह इस लए ा मण उसक नीच बठता ह इस कार सा ह य म जो उदाहरण मलत ह उनस प ट ह क व दक काल म राजा धम नग डत नह था क त इतना अव य ह क राजा धम और नी त का र क अव य माना जाता था इसी क आधार पर वह रा य म शाि त और स यव था था पत करता था शतपथ ा मण (5336) म ठ क ह कहा गया ह क दवलोक क राजा व ण क भा त दवलोक का राजा धमप त (अथात जा को धम क माग पर चलान का यास करन वाला) था

234 सव च स ता का अि त व

व दक काल म रा य क सव च स ता का अि त व कहा पर कि त था यह ववाद का वषय ह व दक काल म शासन स ता राजा और स म त म न हत थी इस लए शासना धकार क व सव च अ ध ठान मान जात थ गणत म सव च स ता क य स म त म न हत होती थी गणत क समाि त क प चात राजा ह सव च स ता क अ ध ठान बन शतपथ ा मण (114) म कहा गया ह क धम राजा स पर ह वह उसका अनादर नह कर सकता अथात वह उसक अधीन ह इसस सक तत ह क धम को भी हम शासन स ता का अ ध ठान मान सकत ह क त शतपथ ा मण (547) म ह यह कह दया गया ह क य द राजा धम क अनसार आचरण न कर तो भी उस द ड नह दया जा सकता इस कार रा य क स ता धम म नह अ पत राजा म ह ति ठत होती थी

24 राज व पर वचार ाचीन भारत म शासक को राजा कहा जाता था उसका क त य ठ शासन था पत

कर जा का रजन करना था व दक काल म राजा क उ पि त कस कार और कस ह ई इस स ब ध म व वान न कई कार क वचार य त कय ह

ा मण थ म कहा गया ह क दवासर स ाम म दवताओ क कोई राजा न था इस लए व वजयी नह हो रह थ तब व इस न कष पर पह च क असर क सफलता का कारण उनम नत व करन वाल राजा का होना ह इस लए उ ह न राजा नवाचन करन का न चय कया इस ववचन क आधार पर जायसवाल न मत य त कया ह क राजपद का ार भ नवाचन स हआ राजा का यह नवाचन एक स म त करती थी इस स ब ध म

बनी साद का वचार था क राजा क उ पि त स नक आव यकता स ह ई और उसक वधता सहम त स ह ई

राजा क स ब ध म यह स ा त भी तत कया जाता ह क जो यि त इस पद पर चना जाता उस कछ क त य का पालन करना पड़ता था यह ववरण राजाmdash जा क म य ह ए कसी समझौत क ओर सकत करता ह राजा को अ भषक क समय शपथ दलवाई जाती थी क वह धम या कानन क अनसार शासन करगा

राजपदmdash क उ पि त क स ब ध म य एन घोषल जस व वान का मत ह क राजत का आधार मत याय का स ा त ह अथात जब अ यव था उ प न हो जाती ह तो शि तशाल मछल कमजोर का भ ण कर लती ह ऐसी अव था म यव था थापना हत राजा क आव यकता होती ह व दक काल म भी यह स ा त मा य था शतपथ ा मण

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(11164) म कहा गया ह क समाज म जब कभी सखा पड़ता ह तो अ धक बलवान कमजोर को पकड़ लता ह तब सश त शासक (राजा) क आव यकता होती ह राजा क उ पि त का एक अ य स ा त उसक द वक उ पि त का ह ऋ वद क एक ऋचा म सद य न वय क लए अथदव श द का योग कया ह इसी कार अथववद म राजा को इ क स य दखलाया गया ह शतपथ ा मण म राजा क तलना इ स और ा मण क वह प त स क गई ह इसी थ म राजा को जाप त क समान बतलान वाला ववरण भी मलता ह शतपथ ा मण म अ य कहा गया ह क राज य नशाना य लगात ह इस लए राज य ह जाप त क क तमान त न ध ह ति तर य ा मण क अनसार अपन द वक आ वभाव क कारण इ न दवताओ पर शासन कया इस कार वाजपय क समय राजा को जाप त क स श बतलान वाला ववरण शतपथ ा मण म उपल ध ह इसी ा मण थ क अनसार कछ नि चत व ध स अ वमघ स प न करवान वाल राजा को

दवलोक ा त होता ह इस कार व दक सा ह य म राजा क तलना कसी दवता स करक अथवा उस दव स श दखलाकर उसक दव व को वीकार कया गया ह

241 राजाmdash ा मण स ब ध

राज व क गण पर वचार करत ह ए यएन घोषल न मत य त कया ह क ऋ वद क अि तम म डल म ा मण एव य वण क उ पि त वराट प ष स दशायी गयी ह ा मण वराट प ष क मख स उ प न होन क कारण व समाज म मह वपण ह ए ा मण

का काय आचाय व और य का ा कम शतपथ ा मण म एक थल पर कहा गया ह क राजा ा मण स नबल ह अथात ा मण उसस ठ ह ा मण थ म दोन शि तय को एक दसर क सहायता करन क सलाह द गई ह शतपथ ा मण म राजस क अवसर पर आचाय घोषणा करना ह क य त हार राजा ह और हम ा मण का राजा सोम ह शतपथ क अनसार य द राजा को ा मण मल जाता ह तो इसस दोन को सफलता क ाि त होती ह आचाय क बना (जो म दव का व प ह) राजा को सफलता नह मलती इस कार ा मण थ म राजा एव ा मण mdash स ब ध पर व तार स चचा क गई ह य थ राजा क याशीलता का धान ोत ा मण को ह मानत ह व दक थ म आचाय

म भी द वक शि त का नवास बतलाया गया ह व दक सा ह य म राजा तथा परो हत का घ न ठ स ब ध ि टगोचर होता ह ऐतरय ा मण म परो हत को राजा का र क या रा गोप कहा गया ह परो हत क स न रहन पर राजा को वग तथा राजक य वभव शौय एव जा क ाि त होती ह और य द वह सत ट नह रहता तो इन सब सख स राजा व चत हो

जाता ह इस कार व दक काल म राजा और ा मण म घ न ठ स ब ध था

242 राजा क दव व क क पना

िजस कार रा य एव राजा क उ पि त का आधार द वक त व माना गया उसी कार व दक सा ह य म राजा क दव व क क पना क भी उदाहरण मलत ह ऋ वद म राजा प क स को अधदव कहा गया ह अथववद म भी राजा पर त भ य म दवता कह गय ह अ तकर का मन ह क इन उदाहरण स राजा का दव व स नह होना उनका वचार ह क

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राजा म दव व क क पना तो उसक वारा उपकत दरबा रय क मि त क क उपज मा था व कहत ह क जब सभी या स म त राजा को पद यत कर सकती थी तो फर राजा क दव व क क पना का सवमा य होना अश य था ऐतरय ा मण स ात य ह क राजा क वजय होन पर उस इ क उपा ध स वभ षत कया जान लगा था रा या भषक क समय परो हत कहता क उसका अ भषक भगवान स वता क आदश स हआ ह ऐसा माना जाता था क अ भषक क समय राजा क शर र म अि न स वता और वह प त दवता वश करत ह शतपथ ा मण स सक तत ह क जा राम क आ ा का पालन इस लय करती थी क वह जाप त

का य तीक था शतपथ ा मण (124 43) स सक तत ह क समाज म यह व वास था क अ वमघ एव वाजपय यह वारा राजा को दवता का पद म य क बाद मलता ह उ तर व दक काल म जब ा मण भी वय को भदव घो षत कर रह थ तब राजा म दव व क भावना क वकास क लय यह उ चत समय था राजा म दव व क भावना का वकास म त

थ एव पराण म चरता स मलता ह

25 राजा का नवाचन राजनी तशा क व वानो का वचार ह क व दक काल क ार भ म राजा नि चत

शत क आधार पर नवा चत होता था आग चलकर जब राजपद वशानगत हो गया तो भी अ भषक क समय कय जानवाल क य पहल क तरह जार रह

ऋ वद (342) म एक थल पर वश वारा राजा क वरण क कामना क गई ह अथववद (101248) म वश ( वारा राजा का वरण करन का उ लख मलता ह अ तकर का वचार ह क राजा क नवाचन म साधारण जनता भाग नह लती थी शतपथ ा मण (9345) म उ लख आया ह क राजागण िजस मान वह राजा होता ह दसरा नह रा या भषक क एक म म उ लख मलता ह क अ भ ष त राजा अपन णी क यि तय म ति ठत ह अत सभावना यह रहती ह क राजा क चनाव म जनता क नतागण कलप त

या व वप त ह भाग लत थ साधारण जनता उनक नणय पर अपनी सहम त दान करती थी अ तकर कहत ह क उपय त ववरण का अथ यह नह ह क राजा का व दक काल म नवाचन होता था उनका वचार ह क व दक राजा उ चवग य कलप तय और वशप तय क समथन पर नभर था इस लए ऋ वद म अ धकाश राजपद आनवा शक ि टगोचर होत ह त सओ म चार पीढ़ स प ह पता क राजग ी पर बठत आ रह थ शतपथ ा मण (12931mdash13) स ात होता ह क सजय का राजा टऋत पौसायन क कथा (एतरय ा मण 812) स दस पीढ़ स ा त रा य का उ लख अ भषक क समय नए राजा को राजा

का प कहा गया ह हा कछ ा मण थ क आधार पर राजा को आजीवन दो पीढ़ क लए अथवा तीन पीढ़ क लय चनन क यव था क क पना कछ शा कार अव य करत ह ऐतरय ा मण (87) म इस पर परा का उदाहरण व यमान ह क त इस उदाहरण स तो वशानगत मजमदार का मत ह क ा मण काल क बाद तक भी ह द रा य म राजपद वशानगत नह हो पाया था यह वचार व दक सा ह य एव ा मण थ स मल नह खाता हा जात वरा य या वरा य म वशानगत राजा क नयि त हत कोई पर परा नह थी

30

ा मण काल या उ तर व दक काल समा त होन स पव ह राजपद लगभग वशानगत हो गया था

251 राजा क अ य क य

राज सहासन पर आसीन होन क बाद उपि थत यि तय तथा राजकताओ तथा स ल ण व प बाह पर धारण करन क एक म ण हण करता जो पलाश क लकड़ी क बनी ह ई होती थी अथववद म इस क य का व तत ववरण मलता ह

जायसवाल का मत ह क राजा अपन पद पर आजीवन नवा चत होता था इस नवाचन म राजकता या र नी तथा ार भ म साधारण जनता भी सि म लत होती थी राजा सहासन पर शर चीत या तदए का चमड़ा बछाया जाता था यह उसका वीरता सचक च ह था सहासन शर आसीन होन क प चात नय राजा का जल सचन कया जाता था

252 रा य य त और पन नवाचन

कई बार क त य का पालन न करन पर राजा को उसक पद स हटा दया जाता था उस दश स नवा सत भी कर दत थ अ छा आचरण रखन क कारण उस राजा को पन राज सहासन पर आसीन कर दया जाता था अथववद म इस कार क उदाहरण मलत ह िजसम राजा वारा अपन नवाचक स समझौता कया गया श ल यजवद (19 स 31) म सौ ाम ण य का वधान मलता ह जो पद यत राजा को पन पद ाि त पर करना पड़ता था क ण यजवद तथा ति तर य ा मण म भी इस पर परा का उ लख मलता ह इसस प ट ह क उस समय राज य त क यव था थी

253 राजा क क त य

नवा चत राजा या नय राजा स आशा क जाती थी क वह अपनी जा क लय धनmdashवभव ा त करन का यास करगा अथववद (344) म इसका उ लख मलता ह अथववद म क दश क राजा पर त क रा य क वभव का उ लख ट य ह जहा प नी अपन प त स पछती ह क म त हार लय या लाऊ दह म ा या सरा अथात क दश म ी अपन यास प त को पानी जसा साधारण पदाथ दन का वचार ह नह करती थी राजा क उ पि त द वक भी मानी जाती थी इस लए उसका क त य धम को ि थर रखना भी था कछ व वान न तो राजा क दवी उ पि त क स ा त को प रव तत करत ह ए राजा को जा का सवक बताया ह जायसवाल क अनसार जो राजा धोखबाज और वाथ होता ह उसका नाश हो जाता ह अथववद म राजा क लय कहा गया ह क वह तज वी हो ता क जा उसका ताप दखकर स मान करन लग राजा जा का सर ण करता ह और श क घातक आ मण स उसक र ा करता ह

26 राजा पर नय ण ाय यह वचार कट कया जाता ह क ाचीन काल भारत म राजा सदव नरकश

होता था क त यह वचार स य नह ह व दक काल का ह उदाहरण ल तो ात होता ह

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क सभी स म त और वदथ जसी स थाए सदव राजत को नय मत रखती थी इन स थाओ म स म त तथा रि नन प रषद राजत का मख आधार थी

व दक काल म सभा और स म त का मह वपण थान था अथववद क एक स त म उ ह जाप त क जड़वा द हताए कहा गया ह स भवत य ई वर न मत स थाए थी जो राजनी तक जीवन क ादभाव क साथ अि त व म आई व दक काल म व वान क यह आका ा रहती थी क स म त उनक यो यता वीकार कर ववाह क समय नववध स भी यह कामना क गई क वह स म त को अपन भाषण स नयि त कर

261 स म त

स म त व दक काल क पवज क सबस बड़ी स था थी स म त का अथ ह क सबका एक जगह मलना स म त जन वश या रा य क रा य यव था पका सभा थी अथववद क म स ात होता ह क लोग कामना करत थ क स म त म मरा वप ी ववाद म मझ जीत न सक जो लोग मर व होकर ववाद कर त उनक ववाद को दबा द उ ह शि तह न कर द जायसवाल का मत ह क स म त राजनी तक काय क अलावा कछ अ य काय भी करती थी छा दो य तथा वहदार यक उप नषद स ान होता ह क कई बार यवक श ा समा त करन क बाद स म त म उपि थत होता था तब उसस वहा शा स ब धी न कय जात थ िजसक सतोषजनक उ तर दन पर ह उस श त होन का गौरव ा त होता था इस कार स म त रा य व यापीठ का भी काय करती थी स म त वक सत व दक समाज क स था थी वाद ववाद क उ नत अव था दसर क स म त पर वजय ाि त क आका ा उ नत स यता क ल ण ह

अथववद स ात होता ह क स म त म सि म लत होन क लए लोग को आमि त कया जाना था ऋ वद म राजा को स म त म सि म लत होन क लय जान का नदश दया गया ह स म त सभा क तलना म एक बड़ी स था थी और यह माना जाता था क वह स पण वश या जा का त न ध व करती ह स यकत व यालकार क अनसार स भवत रा क अ तगत सब ाम क ामीण उसम सि म लत होत थ साथ ह वश क क तपय मख यि त सत रथकार व अ य श पी आ द भी उसम उपि थत रहत थ स म त का शासन और सना पर अ धक भाव था राजा क अ धकार स उसका सामज य कस होता

था यह ात नह ह स म त क सगठन क बार म भी जानकार का अभाव ह समाज क ति ठत यि त व परो हत इसक सद य होत थ स म त क काय काफ प ट ह सदभ

स ात होता ह क राजा स म त वारा नवा चत और पन नवा चत होता था झमर क अनसार यह नवाचन राजत ी था वहा स म त क इक वश वारा ह राजा का नवाचन होता था घोषाल क अनसार स म त य द राजा का नवाचन करती रह हो तो इसम असभव जसा कछ भी नह ह राजा स म त क काय म मागदशन भी करता था इस कार स म त रा य यव था का आव यक अग थी सोमरस क लय जस घड़ा वस ह राजा क लए स म त थी जायसवाल का मत ह क स म त क प त (अ य ) को ईशान कहत थ राजा का यास रहता था क सभा और स म त मलकर काय कर यह आव यक समझा जाना क

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दोन क सद य का मन एक हो उनक वाणी एक ह उसका वचार वमश एक समान हो और व एक ह म (नी त) का वचार वमश कर ऋ वद (101912mdash4) क अि तम स त म स म त क सद य स यह आका ा क गई क त हारा मन एक समान हो त हार स म त एक समान हो त हारा मन और च त एक समान हो त हार नणय समान प स ह त हार दय एकमत हो त हार मन एक समान ह िजसस तम सशापवक एकमत वाल होकर रह सको स म त म व ता दसर सद य को अपन अनकल बनान का यास करत थ अथववद म ाथना क गई ह क यहा (स म त म) जो लोग उपि थत ह म उनक तज और ान को हण करता ह ह इ मझ इस स पण ससद का नता बनाओ जो त हारा मन कसी अ य ओर गया हआ ह या त हारा मन जो कसी बात को पकड़ कर बठ गया ह म त हार मन को वहा स हटाता ह त हारा मन मर अनकल हो जाए राजा क स ता ि थर रह इसक लए स म त का उसक अनकल होना आव यक था व छाचार राजा होन पर स म त कभी भी उसक इ छानसार काय नह कर सकती थी अथववद स ात होता ह क ा मण का धन अपहरण करन वाल राजा का स म त कभी साथ नह दती थी स म त म कभीmdashकभी वादmdash ववाद ती हो जान तथा गरमागरम बहस भी हो जाया करती थी इस कार ऋ व दक काल म स म त एक अ य त मह वपण राजनी तक स था थी जो ा मण काल तक पह चत ल त ाय हो गई उप नषद म अव य स म त का पन उ लख मलता ह इस समय कभीmdashकभी राजा वय स म त क अ य ता करता था स भवत रा य का आकार बढ़ जान स स म त जसी स था का काय करना अस भव हो गया य क वतमान त न ध व णाल का उन दन वकास नह हआ था

262 सभा

व दक काल क राजनी तक स थाओ म सभा का भी मह वपण थान था आध नक व वान का मत ह क व दक सभा म परो हत ध नक तथा उ च वग क लोग सि म लत होत थ एक अ य वचार क अनसार सभा ाम और स म त स पण राज क स था होती थी झमर का वचार भी लगभग यह था हल ाड का मन था क सभा और स म त एक ह स था थी सभा उस स थान का नाम था जहा लोग एक त होत थ और स म त एक त समह को कहा जाता था अ तकर न अथववद क आधार पर लखा ह क सभा और स म त अलगmdashअलग स थाए थी ऋ वद म उ लख मलता ह क सभा म ाय गाय क चचा क जानी थी ा मण थ स सक तत ह क सभा गाव क सामािजक गो ठ थी क त आव यकता पड़न पर वह छोट मोट ाम यव था क मामल भी नपटा लती थी प ष मघ य ववरण (ऋ वद 1 291) स सक तत ह क सभा और सभासद का यायदान काय स घ न ठ सबध था क त कछ रा य म सभा राजा स स बि धत स था होती थी इस कार यह एक सामािजक स था न होकर राजनी तक स था थी अथववद म यम क सभासद को राजसी पद दन का उ लख ह अ तकर लखत ह क म यलोक क सभासद का पद भी वग लोक क सभासद क समान राजसी था और व भी राजा को कर और श क स होन वाल

आय म स कछ अश ा त करन क अ धकार था ऋ वद क एक उदाहरण म सभासद क

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वभव और रथ म सवार होकर जान का ववरण मलता ह इसस प ट ह क सभासद कोई उ च अ धकार था क त अ धकाश उ रण यह दशात ह क सभा ाय ा य स था थी जो सामािजक एव राजनी तक मामल पर वचार करती थी जायसवाल न अपन थ ह द रा यत ( थम ख ड) म सभा को सावज नक स था कहकर पकारा ह

सभा म भी स म त क भा त कई बार अ य ववाद उ प न हो जात थ सभा को न र टा कहकर पकारा जाता था अथात (सायण क अनसार) वह स था िजसक नणय को बदला न जा सक सभा म सब लोग वत तापवक अपन वचार तत करत थ पर त जो न चय कर लया जाता उसका कोई सद य उ लघन नह कर सकता था सभा क सगठन एव उसक स म त स स ब ध पर भी साम ी का अभाव ह वस सभा का ता पय वह समह होता ह िजसम सब लोग एक साथ मलकर काशमान हो इसस प ट ह क सभासद आदर क पा होत थ सभा का धान अ धकार सभाप त कहलाता था इसम ाम क व यि त भी सि म लत होत थ श ल यजवद म उ लख मलता ह क सभा म कय ह ए अपराध क लय लोग प चा ताप करत थ सभा स लौटकर ( या यक काय कर) सफलतापवक आन वाल क म को स न और आनि दत कहा गया ह और वय लौटकर आन वाल को कलक या अपराध स र हत बतलाया गया ह जायसवाल का मत ह क स म त क आरि भक काल क भा त सभा का ार भ काल ऋ व दक काल क अि तम चरण म समझना चा हए परवत काल म सभा क अ धकार राजा म कि त हो जान स स म त क तरह उसका अि त व समा त हो गया पर त सभा क याय स ब धी काय क त व आग भी बन रह िजनका यवहार म योग राजा क यायसभा म ि टगोचर होता था घोषाल का मन ह क सभा स म त क

तरह जन स था थी आर एस शमा का मत ह क सभा ार भ म जनजातीय और सावज नक स था थी और बाद म अ भजातीय बन गई जब क स म त न उ तर व दक काल म अपना जन प कायम कर लया

263 वदथ

व दक काल क एक अ य ाचीन स था वदथ थी िजस सभा और स म त स भी ाचीन माना जाता ह जायसवाल क अनसार यह सवसाधारण क सबस पहल मल स था थी

िजसस सभा स म त और सना क उ पि त ह ई वदथ का स ब ध नाग रक स नक और धा मक तीन कार क काय क साथ दखलाई दता ह वदथ स भवत व वान क सभा थी क त शासन यव था क स ब ध म इस स था क नाम का योग न होन स व वान इसका ववचन नह करत ह वस अथववद म वदथ नाम बाईस बार आया ह वदथ का उ लख ऋ वद म अ धक और अथववद म अप ाकत कम बार आया ह वाजसनयी स हता तथा ति तर य आर यक म भी वदथ क चचा मलती ह प ट ह क वदथ अव दक काल म लोक य थी जब क सभाmdashस म त उ तर व दक काल म ओ डनबग वदथ का अथ वतरण नबटाना और अ यादश (मल धात वधा) लगाया ह जब क लमफ ड वदथ का ता पय वत व ान और सभा स लत ह राथ क मा यता ह क वदथ धमतर धा मक तथा स नक य तीन कार क काय करन वाल स था थी जायसवाल का वचार था क

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वदथ वह मल स था थी िजसस सभा स म त अदभत ह ई सभाmdashस म त म ि य क भाग लन क उदाहरण नह क बराबर मलत ह जब क वदथ म ि या ाय भाग लती ह रहती थी ऋ वद स सक तत ह क घोषा वदथ म सि म लत ह ई थी ि या वदथ म चपचाप न बठकर उसक वाद ववाद म भी भाग लती थी ववाह समारोह म ऐसी कामना क गई क वध कवल गहणी क प म न रह अ पत नय ण रखकर वदथ म बोल लमफ ड का वचार था क ि या जन सभा या सभा म सि म लत नह होती थी आर एस शमा इस मत स सहमत नह ह व यह भी मानत ह क वदथ व प जनजातीय था वदथ म बड़ बढ़ को मह व दया जाता था वदथ जनजातीय मामल क व नयमन क लय व ध और नयम बनाती थी वदथ खा य पदाथ क वतरण क भी उ चत यव था करती थी यह भी स भव ह क यह य म लट गई साम ी का वतरण करती हो ऋ वद म वदथ का जो उ लख मलता ह उसस उसका साम रक व प भी ि टगोचर होता ह व भ न दवताओ क आ वान म वदथ को वीर स भरा हआ दखलाया गया ह इ का वदथ का नायक या य का नता कहा जाता था वदथ म उपि थत लोग इ म व ण व वदवा और अ य दव क उपासना करत थ अथववद स ात होता ह क यह स था बाद म धा मक नकाय का प हण कर चक थी वदथ गान थल भी था जहा दवताओ को ह व उनक गणगान क प

म अ पत कया जाता था इस कार व दक काल म वदथ क व वध प म ि टगोचर होती ह वदथ म समाf भी उपि थत होत थ क त इसका प कसी भी स म त म अ भजातीय नह रहा होगा स म त क तलना म यह छोट स था अव य थी

27 राजपद गौरव का तीक अ भषक राजा नवा चत हो या वशानगत पद ा त करन क बाद उस कछ य करन पड़त ह

उ तर व दक काल म ( वशष प स ा मण काल म) राजा क रा या भषक क स ब ध म कछ धा मक क य एव पर पराओ का वकास हआ जायसवाल न इन क य पर व तार स काश डाला ह उनका वचार था क कोई राजा इन क य क बना राज व ा त नह कर

सकता था राजा को अ भ ष त करन क लय तीन कार क य का उ लख मलता ह उनम स थम राजसय य था िजसस स मन कर यि त राजपद का अ धकार बनता था वतीय वाजपय यह था िजस करक राजा राज ष या राज धमा धकार का पद धारण करता

ततीय य सवमध था िजस स प न कर यि त स पण व व पर शासन करन का अ धकार बन जाता था इनम वाजपय य राजनी तक नह था बाद म यह य भी राजक य अ भषक उ सव स जड़ गया सवमध य कवल स ाट ह करत थ इस कार रा या भषक राजसय य स स प न होता था शतपथ ा मण (51112) म कहा गया ह क रा एव राजसय राजा व राजसयन वा भव त अथात राजा क लय ह राजसय ह य क राजसय य करन स ह वह राजा होता ह

271 रा या भषक स स बि धत राजसय य

राजसय क तीन अग होत थ थम अग म य और होम सि म लत थ िजनक स प न होन पर राजा अ भषचनीय होता था अ भषचन म राजा को प व करन हत उस पर

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जल छड़का जाता था य य प अ भषचन क प चात भी कछ अ य धा मक य एव क य कय जात थ क त उनम अ भषचन ह सवा धक मह वपण था

िजस यि त का अ भषचन होता था उस पहल वह और फर राजा कहकर इ गत कया जाता अथात वह यि त अ भषचन क बाद ह राजपद का अ धकार होता इसस पव वह एक सामा य नाग रक क समान ह था

272 र न ह व

ार भ म नवा चत होन वाल या नय राजा को सनानी परो हत राजmdashम हषी वय राजा अपन यहा सत ामीण य स हत भागदह पालागल अ वाथ गो वकत क यहा जाकर र न ह वया दनी पड़ती थी र नी यारह होत थ क त र न ह व 12 थान पर द ती पड़ती थी इसका ववरण शतपथ ा मण (531) ति तर य ा मण (173) तथा ति तर य स हता (18 9) म मलता ह र नी उ च रा य कमचार या अ धकार थ राजा उ ह ह व दान कर मान उनका समथन ा त करता था र नी ाय व भ न वग क त न ध मान

जात थ य क जब रा य का व तार हो गया तो स पण जनता को आमि त करना अब सभव नह था इस लय अब तीक व प उनक त न धय स काम चलान हत इस परपरा का वकास हआ इस पर परा म मह वपण बात यह थी क राज सहासन हण करन वाल यि त को ह न जा त क यि त का भी पजन करना पड़ता था य क वह भी समाज का आव यक अग था रि नय क पजन क समय उनम स यक वह भी समाज का आव यक अग था रि नय क पजन क समय उनम स यक को कहा जाता हम त हार लय ह इस कार अ भ ष त होत ह और त ह अपना न ठ अनगामी बनात ह र नी राजा क राजपद हण करन क पव व यमान थ व स भवत स म त क सद य थ और उनका वत

अि त व था तथा उनका पद आध नक मि य क समान था

273 दव त त

राजा रा यारोहण स पव रा क व भ न अग तथा वय प वी स अनम त ा त करता था राजा को प वी स अनम त ा त हो जाती थी शतपथ ा मण (5234) म राजा कहता ह क म प वी को स न करता ह ता क उसक आ ा पाकर म अ भ ष त हो सक राजा रि नय को ह व दान करन क बाद सोम तथा को च दता था अ भषचन स पव राजा अि न सोम बह प त इ म और व ण क त त करता तथा कछ दवताओ को ब ल अ पत करता ता क व दवता राजा को अपन गण स य त कर द व ण राजा को धम का र क बनाता था ऐसी मा यता थी

274 अ भषचन जन स ह

राजपद पान वाल राजा का अ भषचन करन हत दश भर क जलाशय न दय सम तथा तालाब का जल स ह कया जाता यक थान स जल लत स म उस जल ोत स ाथना क जाती क वह अम त नाम क राजा को राज व दान कर उन दन यह माना

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जाता था क दवता लोग यि त को शासन करन क यो यता दन क शि त रखत ह उस राज व तो उसक रा क जलाशय ह द सकत ह

275 अ भषचन

राजा पर दोहरा अ भषचन होता था ार भ म व भ न वग या वण क त न ध उस पर व भ न न दय एव जलाशय का एक कया हआ जल छड़कत थ फर परो हत राजा क राज सहासन पर आ ढ़ होन स पव अ भषचन करत थ म ाव ण क वद क सामन सह क खाल बछाई जाती थी िजस पर राजा आ ढ़ होता था फर एक एक कर चार आदमी अ भषचन करत थ थम यि त ा मण वतीय नवा चत राजा क कल या गो का कोई यि त ततीय राज य या य और चतथ व य होता था जायसवाल का मत ह क परवत काल म श भी इस समारोह म भाग लन लगा था परवत सा ह य म इसक प चात राजा वारा रशमी व तथा मकट धारण करन क पर परा मलती ह शतपथ ा मण म इस वधान का उ लख नह मलता

276 अ धकार हण घोषणा

इस कार अ भषचन क बाद राजा सह क खाल पर ह खडा रहता परो हत उस एक धनष और बाण दान करता था तब राजपरो हत म ो चारण करता रहता था िजसका आशय था क त आग क ओर स राजा क र ा कर त प चात फर म ो चारण जार रहता िजसक वारा अि न इ म अ द त और व ण को राजा क र ा हत सचना द जाती यह राजा क राजपद पर अ धकार करन क घोषणा थी ऐतरय ा मण क अनसार राजा रा या भषक क इस शभ अवसर पर शपथ हण करता था जो इस कार थी (इ य क इस महान रा या भषक क वारा य त हण कर बह श भा० स उ चारण कर ) रा म मरा ज म हआ ह और रा म ह म य द म त ह पी डत क तो म अपन सम त शभ कम अपन वण जीवन और अपन वश स व चत होऊ ऐतरय ा मण क अनसार यह त सभी कार क शासन वधान म हण कया जाता था

इस घोषणा क उपरा त राजा का ठ क सहासन पर बठता था िजस पर शर क खाल बछ होती थी इस अवसर पर म ो चारण कय जात थ उनम सभी वण क त न धय स कहा जाता था क व नय राजा क बह म य कोष क भा त र ा कर इस

अवसर पर उ चा रत म को थोड़ प रवतन क साथ महाभारत म भी दया गया ह नव नय त राजा सहासन पर आ ढ़ होन स पव सोन क एक प तर पर पर रखता

था िजसम 100 या 9 छ होत थ उस प तर क छद स परो हत राजा पर जल का अ भषक करता था वाजसनयी स हता (श ल यजवद 9540 एव 1०517mdash18) म इस स ब ध म जो म दय गय ह उनका अथ ह सोम क वभव स म तझ अ भ स चत करता ह अि न क तज स सय स ताप स इ क बल स म तझ अ भ स चत करता ह त

प तय का र क ह

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ह दवताओ अमक प ष तथा अमक क प और अमक वश या जा क वामी को तम ा धम क लय मह ता क लय वशाल रा य शासक क लय और इ क बल क लय अनपम बनाओ ह जा वग क लोग यह यि त त हारा राजा ह यह हम ा मण का सोम ह सोम वन प तय का दवता ह एव जीवनदाता ह इस लए वह ा मण का दवता माना जाता था कह mdashकह इस समय उ चा रत म क यह या या भी क जाती ह क वह नवा चत राजा ा मण का नह था उनका राजा तो सोम था क त यह या या उ चत नह ह कछ ा मण न इस या या को वीकार करक कहना ार भ कर दया क राजा को उनस कर लन का अ धकार नह ह जब क ऐतरय ा मण (79) म प ट कहा गया ह क ा मण राजा क अधीन ह वाजसनयी ा मण उप नषद (जो शतपथ शाखा को ह) म ा मण

को राजा क अधीन बतलाया ह और कहा गया ह क या राजा स ऊपर कोई नह ह इस लए राजसय म ा मण को य स नीच बठना पड़ता था जायसवाल का मत ह क जब तक राजा का अ भषक नह होता तब तक ा मण को सोम क अधीन माना जाता था जब राजा का अ भषक हो जाता तो नया राजा उनका भी राजा हो जाता ऐतरय ा मण राजा क स ब ध म कहता ह क वह ा मण और धम का र क होता ह इस कार शतपथ ा मण का ववरण यहा कछ भा त उ लघन करता हआ ि टगोचर होता ह

277 राजपद दान

राजा क पद अ ध हण क घोषणा प चात वह तीन सी ढ़या चढ़ता तब परो हत पन म ो चारण करता िजनका अथ इस कार था mdash तझ यह रा दया जाता ह त सचालक और नयामक ह त व ( ढ़) और धारण करन वाला (इस रा य का उ तरदा य व का) ह तझ (यह रा य दया जाता ह) क ष क लय म क लय स प नता क लय पोषण या वधन क लय (शतपथ ा मण 52125) जब थम वा य पण हो जाता तब राजा को बठा दया जाना था या याकार का मानना ह क इस मन क आधार पर मन य को राज व ा त होता था राजा को िजस उ य क लय रा य दान कया जाता था वह था सब कार क सख स प नता इस कार उपय त क य स राजा का अ भषक स प न होता था

278 अ भषकतर क य

अब राजा सहासन स नीच उतरता और जगल सअर क चमड़ क जत पहन कर चार घोड़ क रथ पर चढ़कर कछ दर तक जाता (शतपथ ा मण 54423 54319) अ भषक स प न होन क बाद राजा क सवार नकालन क जो पर परा वक सत ह ई उसका मल इस ाचीन क य म छपा था इसक बाद राजा पन लौटकर सहासन क पास आता और फर उस

पर वराजमान होता तब परो हत कहता mdash त इस सखद और कोमल सहासन पर बठ त प चात एक वल ण क य होता एक डड स बह त कोमलतापवक राजा क पीठ को पश कया जाता (शतपथ ा मण 5447)

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279 अधीनता वीक त

राजा क अ भषक क उपरा त एक अ य क य था लोग वारा राजा क अधीनता हण करना राजा सहासन पर बठ जाता तब उसक नीच चार ओर उस घर कर सब र नी ा मण परो हत सरदार और ामीण तथा अ य लोग बठत सबस पहल ा मण अधीनता वीकार करत व यह काय दो प म करत थ थम ा मण वण क प म और वतीय रि नय क सभी क सद य एव परो हत क प म राजा वय व भ न लोग क

अधीनता वीकत करन स पव प वी क अधीनता वीकत करता था वह कहता (शतपथ ा मण 54320) ह प वी माता न तो तम मझ क ट पह चाओ और न म त ह क ट

पह चाऊ इसक उपरा त राजा ा मण को स बो धत करक कहता ह ा मण पर त ा मण उस बीच म ह रोक कर कहता mdash त ा मण ह त स चा बलशाल व ण ह त ा मण ह और सम त वश क बल स ब ल ठ ह राजा ा मण एव परो हत को इस कार पाच बार स बो धत करता त प चात ा मण या परो हत राजा को एक तलवार दता यह तलवार राजा अपन अ धकार क च न व प रा य क सम त अ धका रय और ाम णय को दता फर उन लोग स सहयोग करन क लए कहता क इसक वारा मर और स शासन करो िजसका दसरा अथ था मर सवा करो

2710 शासन सचक ड़ा

अब अि तम व ध क प म राजा रि नय क साथ पासा फककर खल खलता था इस ड़ा म दाव पर एक गाय लगाई जाती थी िजस समाज को कोई साधारण सद य लाता था इस खल स अ भ ाय यह था क वह यि त जो खलन वाल को साथ उ प न हआ ह और रा या जा का अग ह इस कार सामा य यि त स गाय लना राजा क म ी क णा और म क भाव को दशाता था

2711 राज पद त ठा

व दक काल म राजा का पद गौरवपण एव ति ठत था ऋ व दक काल म शासक कवल राजा क उपा ध धारण करता था उसका राजमहल भी अ धक भ य नह था वह अनक आभषण एव चमक ल पोशाक पहनता था राजा को उपहार या ब ल दन क पर परा थी य य प यह उपहार ऐि छक था य क दौरान राजा को जो धन लट म मलता उसका कछ भाग स नक को भी बाट दया जाता था उ तर व दक काल म राजा क त ठा म और अ धक व ह ई अब राजा का अ भषक ठाटmdashबाट स होन लगा इस काल म उसक राजधानी सजी ह ई और आकषक होती थी उनका पशधन वशाल था उनक नजी जमीन भी व तत थी अथववद क अनसार राजा अत य यो ा था जा म उसका थान सव ठ था उसक स पि त वपल थी लोग राजा क ोध स डरत थ रा य स अ धकार शासन सचालन म उसक सहायता करत थ राजा अब

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महाराज स ाट और अ धराट जसी उपा धया धारण करन लग थ कहन का ता पय यह ह क उ तर व दक काल म राजपद क साथ दखावा अ धक बढ़ गया

28 मि म डल क ारि भक व प ऋ वद क एक ऋचा म बाधा पह चान वाल असर प रषद को अपन व स न ट करन

हत इ स ाथना क गई ह इसी थ स ात य ह क वस दवता क प रषदवान नषद क प का वध करना चाहत थ ऋ वद म गोओ (गाय ) स स प न प रषद का नाम आया ह क त ऋ वद तथा अथववद म राजा क मि म डल का प ट उ लख नह मलता यजवद क स हताओ और ा मण थ म रा य क कछ मख अ धका रय क चचा अव य आती ह इन रा या धका रय को र नी कहा जाता था जो स भवत राज प रषदmdashक सद य (पच वश ा मण 19 14) थ रि नय क जो सची मलती ह उसम राजप रवार क सद य वभाग

क अ य तथा दरबार गण क नाम सि म लत ह यवराज का रि नय म नाम नह मलता क त पटरानी का नाम अव य मलता ह रि नय म परो हत अ य त मह वपण था वह य वारा राजा क य म र ा करता था अ य रि नय म हम सनानी सत ामीण सगह ता और भागधक का नाम मलता ह सनानी सनाप त सत रथ सना का नायक ामीण गाव क म खय म धान और भागधक कर स ह का काय करन वाल अ धकार थ

रि नय क सची म ता अ ावाथ गो वकता और पालागल आ द दरबार णी क लोग थ ता राजा का प रवा वक था घोषाल उस भोजन बाटन वाला मानत ह यहा ता स य

का ता पय रहा होगा अ ावाथ यत वभाग का अ य था पालागल का ता पय रथकार या दत स लया जाता ह गो वकत जगलात वभाग का अ य था रि नय क सची म राज य नाम भी मलता ह ति तर य स हता म नवा चत होन वाल राजा को राज य (189) कहा गया ह इस कार व दक काल म र नी प रषद स पटरानी यवराज (नाम नह मलता) राज य आ द राज प रवार स तथा परो हत सनानी अ ावाप सत भागधक गो वकता आ द जनता म स सद य थ व दकयग म रि नय का थान आध नक मि य क समान था ऐ तहा सक काल म र नी श द का मल अथ बदल गया और म ी तथा अमा य जस श द का चलन म प रषद क मल आधार क त व ढढ जा सकत ह

29 व दक गण का ववचन ाचीन भारतीय गणरा य को मह व दान करन का य डा काशी साद जायसवाल

को ह उनका वचार ह क ऋ वद और अथववद क ऋचाओ स सक तत ह क भारत म गणत ा मक शासन का उदय राजत क काफ बाद और पव व दक काल क प चात हआ इस मन स असहमत ो आर एस शमा का वचार ह क गण का उ लख ऋ वद म 46 बार और अथववद म 9 बार आया ह अ धकाशत इनका नवाचन सभा या सना क अथ म उ लख मलता ह व दक थ म म त का उ लख बार बार गण क प म हआ ह च क सभी म त इ क प थ इस लए यहा गण श द को एक जनजातीय इकाई क अथ म य त

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माना जाएगा गण क सद य समान पवज क सतान हो यह आव यक नह था यह लोग का क म समह था

म त क ववरण स गण का जनजातीय व प प ट ह उनका वणन क उ चास प या नौmdashनौ क समह म वभ त तरसठ प क प म हआ ह व दक गण म ि य क भ मका प ट नह ह जनजातीय गण सभी क प म भी काय करत थ फथ न ऋ वद क अनक थल पर इस दवताओ या मन य क सभी कहा ह व दक सा ह य म गण क अ तगत वचार वमश का उ लख नह मलता ऋ वद तथा अथववद क स हताओ म म त क बलशाल और ओज वी गण क चचा बारmdashबार सना क अथ म आई ह गण क प म याण करत ह ए वीर का भी वणन हआ ह गण तगामी अ व और श स

सि जत होत थ ऐसा तीत होता ह क गण अपनी इ छानसार काय करन वाला सश सगठन था िजसका यक सद य श धारण करता था आर एस शमा क अनसार व दक गण सम त जन समदाय का सश सगठन था गण को नता राजा या गणप त कहलाता था इ म त और बह प त को बारmdashबार गणप त कहा गया ह ऋ वद म एक थल पर गण क नता को राजन क उपा ध दान क गई ह गणप त का चनाव गण वारा होता था या नह यह प ट नह ह यनानी जन जा तय म च लत थाओ का अ ययन करन स ऐसा तीत होता ह क गणप त का चनाव होता था अथववद क ऋचा स सक तत ह क गण क लोग म य स ा त स पि त को बाट दया जाता था ऋ व दक गण का आधार पशपालन था इस लए गण कसी नि चत भmdashभाग स जड़ न रहकर मण करत रहत थ शतपथ ा मण तथा ति तर य ा मण म म त को कषक कहा गया ह इस कार अब गण क सद य खती करन लग थ गण म म यपान तथा गायन भी होता था इ को दवसभा म सोमपान क लए आहत कया गया और वह प त गण क लए गीत तत करता था ऐस सदभ व दक सा ह य म मलत ह व दक गण म वगभद नह था ऐतरय ा मण म शासन प तय का वग करण करत ह ए वरा य तथा वरा य का उ लख कया गया ह िजनका ता पय गणत ीय सगठन स ह

उ तर क और उ तर म हत वरा य शासन णाल का उ लख मलता ह य गण रा य परवत काल म राजत क आधी म बह गय इस कार कहा जा सकता ह क व दक गण आध नक गणरा य स भ न थ क त परवत काल न गणरा य को रणा गण न ह दान क

210 स य यव था व दक काल क ार भ म आयmdashअनाय का सघष चल रहा था आयजन म ब ल ठ

लोग स नक का काय करत थ सनानी सना का म य नता था राजा वय य थल पर जाकर सना का नत व करता था सना म य का वच व था ामीण गाम का म य अ धकार होन क साथmdashसाथ स नक काय भी करता था शि तशाल राजा दि वजय पर नकलत थ आर क मकज का मत ह क ऋ व दक काल म य आ मर ा वजय तथा पड़ौसी रा य का धन लटन क लए लड़ जात थ सना म पदल रथी एव म टाmdashम ट य

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करन वालो का उ लख उ तर व दक सा ह य म मलता ह स नक साज सामान का उ लख दाशरा य म मलता ह स नक धनष mdashबाण कवच हाथ क द तान टोप झलम यान सि त (भाला) ब लम अश न (गोल फकन का य ) आ द श का योग करत थ रथ म दो तीन चार घोड़ जोत जात थ य म अ य साज सामान म वज द भ और य घोष का उ लख भी मकज न कया ह

211 कर यव था व दक सा ह य म हम भागधक का उ लख मलता ह उसक तलना कौ ट य

अथशा क समाहता स क जाती ह िजसका काय कर इक ा करना था ऋ वद क 10व म डल म राजा को कर ा त करन वाला एक मा अ धकार बनाया गया ह राजा को कर या ब ल जा क र ा करन क बदल मलना था अथववद म कहा गया ह राजा वष खा सकता ह अथात जा पर भार कर लगा सकता ह ति तर य स हता क अनसार भ म पर जा का अ धकार था भ मकर रा य क आय का मख साधन था उ तरव दक काल म लगभग छ अ धका रय का उ लख मलता ह जो कर स ह करत थ

212 याय या व दक सा ह य म अदालत तथा यायालय का उ लख नह मलता राजा धान

यायाधीन होता और द वानी एव फौजदार मामल का नणय करता इसका उ लख व दक थ म नह ह य य प समाज म होन वाल अपराध क जानकार अव य मलती ह

व दका तर काल म राजा धान यायाधीश होता था इस लए अनमान ह क व दक काल म भी राजा इस पद को सशो भत करता होगा उ तर व दक सा ह य म म यमसी श द मलता ह िजसका ता पय म य त स ह प षमध म समाचार का स ब ध धम या व ध नयम स ह स भवत ि नन तथा अ भ ि नन का ता पय वाद mdash तवाद स हो श क यजवद म कहा गया ह क सभा म लोग कय ह ए अपराध क लय प चाताप करत थ इसस प ट ह क व दककाल म सभा याय दान करन का काय करती थी

213 ाम का शासन व दक सा ह य म ाम का उ लख मलता ह व दक म म ाम क सम क

लए बारmdashबार ाथना क गई ह व दक ाम छोटmdashछोट होत थ इस लए समाज म उनका वशष मह व था व दक काल म ाम म अ धकार को ामीण कहत थ ाम न व दक काल म वाय तता का उपभोग कया बाद म सा ा य थापना क कारण गाव क वाय तता बा घन ह ई

214 साराश भारत म शासन त क उपल ध होन क माण स धव स यता स ह ई मलन लगत

ह व दक सा हल स हम रा य क उ पि त एव राजपद क आव यकता क स ब ध म व तत जानकार मलती ह व दक काल म आय न थायी प स बसना ारभ कर दया िजसस जन वश और रा य का ज म हआ आय न ार भ म अपनी स पि त एव पशधन क सर ा हत यो य यि त को राजा चना बाद म उस कर हण करन का अ धकार

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दान कया क त रा य क स प नता हत काय करना उसका मख क त य था धीरmdashधीर राजा का सहयोग करन हत सभा स म त और वदथ जसी स थाओ न ज म लया राजा को शासन काय म रि नय स भी सहयोग मल जाया करत था धीर धीर राजपद वशानगत होन लगा उ तर व दक काल तक तो भारत म कई कार क रा य था पत ह गय जस अ धरा य वरा य सा ा य और गण रा य आ द हमान थ स साक तक ह क ार भ म रा या भषक साधारण व ध स कया जाता था जो उ तर व दक काल म वराट तर पर स प न होन लगा राजा क पद क गौरव को द शत करन हत कई कार क हथकड अपनाए जान लग सपण व दक काल म राजा अपन क त य का पालन करन क अलावा पण ा मण एव परो हत क भाव म था य य प दोन का उ य रा य एव जा का क याण

था

215 अ यास न 1 व दक काल म रा य क उ पि त एव उसक या कलाप पर काश डा लय 2 व दक काल क राजनी तक स थाओmdashसभा स म त और वदथ का ववचन क िजए 3 व दक काल म रा या भषक व ध का ववचन क िजए 4 व दक काल म राजा और उसक स ब ध म शत धा मकmdashराजनी तक वचार का वणन

क िजए 216 सदभ थ 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 आर शाम शा ी इवो यशन ऑफ इि डयन पो लट 3 घोषाल य एन अ ह ऑफ पो ल टकल आइ डयाज 4 जयसवाल काशी साद ह द रा य त ख ड 1 mdash 2 5 ठाकर आ या वद म भारतीय स क त 6 पर बी एन ह ऑव इि डयन ए म न शन ख डmdash 1 7 पा डय राजबल ाचीन भारत 8 गौतम एव डा कमलश शमा ाचीन भारत 9 बनी साद योर ऑव गवनम ट इन ए य ट इि डया 10 मजमदार रच ाचीन भारत म सग ठत जीवन 11 मजमदार रच एव द व दक एज पसा कर एडी 12 सघी रामच ह दओ क राजन तक स ा त (य एन

घोषाल क थ mdash अ ह द पो ल टकल योर ज का ह द अनवाद)

13 शमा आर एस ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए 14 शरण परमा मा ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए 15 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य

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इकाई mdash 3 महाका य स ात राजनी तक वचार एव शास नक स थाए इकाई क परखा 30 उ य 31 तावना 32 महाका य क स ब ध म पि चमी इ तहासकार क अवधारणा 33 महाका य क राजनी तक आदश 34 महाका य म राजनी तक वचार एव स थाए

341 राजधम एव द डनी त 342 राजा क आव यकता 343 राजा क दवी उ पि त का स ा त 344 रा य उ प त हत सामािजक अनब ध का स ा त 345 राजा क चनाव का सकत

35 रा य का आवय वक व प 36 सा ा य क अवधारणा 37 राजा क कत य 38 उ तरा धकार क नयम एव रा या भषक का उ लख 39 राजा क गणmdashदोष 310 धम और राजनी त का स ब ध 311 ा मणmdash य सम वय 312 म ीप रष 313 जन ससद 314 रा य म व ध का सव प र थान 315 रा य म द ड क मह ता 316 (i) यायाव था एव (ii) याय क ोत 3171 ीय शासन 3172 मख अ धकार 3180 आ थक यव था 3181 कोष क उपयो गता डा सोहनक ण परो हत सह आचाय इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर 3183 व वध कर 319 स नक यव था

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3191 ग तचर 3192 राजदत 3193 प लस 320 ष ग य नी त एव उसका यावहा रक प 321 गण एव सघ रा य 322 पर और जन पद 323 साराश

सदभ थसची

30 उ य इस इकाई का उ य आपको महाका य स ात राजनी तक वचार एव शास नक

स थाओ स अवगत करवाना ह इस इकाई म हम भारत क ाचीन राजत एव उसक वशषताओ का अ ययन करग इस इकाई का अ ययन कर लन क प चात आपको न न बात का ान ा त हो जायगा mdash

1 महाका य स ात राजा एव रा य उ पि त क स ा त 2 राजा क अ धकार एव कत य 3 रा य क मख अग mdash याय एव स नक यव था 4 ीय शासन 5 ष ग य नी त 6 ाचीन गणरा य पर जनपद

31 तावना महाका य भारतीय स कत सा ह य क ाण ह इनक अ तगत वा मी क र चत

रामायण और वद यास वारा सिजत महाभारत का नाम गनाया जाता ह वतमान वा मी क रामायण म 24000 लोक मलत ह इसम 645 सग और 7

का ड ह िजनक नाम ह यथा mdash बालका ड अयो याका ड अर यका ड कि क धाका ड स दरका ड लकाका ड और उ तरका ड व वान का वचार ह क ार भ म रामायण म कवल पाच का ड ह थ उसम बालका ड और उ तराका ड बाद म जोड़ गय

रामायण म मल कथानक रामmdashरावण का य ह िजस आरकमकज न आयmdashअनाय स क तय का सघष माना ह इस य का अ त ल ब स ाम क बाद आय क अनाय पर वजय क प म होता ह िजस जीतना रा mdashराज रावण क उ नत स य यव था क कारण क ठन था रावण न तो आ याि मक शि तया भी ा त कर रखी थी रामmdashरावण य म वानर राजाओ तथा उनक सनाओ न राम क सहायता क थी रामायण आय स क त क द ण म सार क सचना दती ह कत उसक लोक यता कोसल रा य क तथाक थत इ तहास क लए नह बि क उसक पण च र वान यि तय क च ण हत ह रामायण स ाचीन भारतीय रा य यव था सामािजक एव आ थक याओ क अलावा आदश राजा पता

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प ाता माता प त म और सवक क स ब ध म जानकार मलती ह जो आज भी भारतवा सय क दय म अपना थान बनाए ह ए ह सा ह य क ि ट स अ ययन कर तो रामायण धानतया महाका य और गौण प स इ तहास थ ह जब क महाभारत धानतया इ तहास और गौण प स महाका य ह

म डोनल न रामायण का रचनाकाल 500 ई पव और योकोबी 800 स 500 ई पव क म य मानत ह क थ न यह स कया ह क मल रामायण 400 ई पव म तयार हो गई थी महाभारत क रचना बाद क वष म ह ई य क उसक कई आ यान रामायण पर आधा रत ह रामायण क अ त सा य क आधार पर उसका रचनाकाल 500 ई पव स सरलता स रखा जा सकता ह

रामायण क भा त महाभारत का वषय भी कौरवmdashपा डव सघष ह जो आयmdashअनाय क बीच न होकर कौरव mdashपा डव स हत स पण भारत क आयजन क म य हआ महाभारत क न ी ोपद थी िजस लकर महाय लड़ा गया क क मदान म लड़ा गया य इतना भयानक था क इसस भा वत स पण भारत क राजा कौरव या पा डव म स कसी एक का प लकर लड़ थ महाभारत य म पा डव क प म म यदश क पाचाल काशी मगध म य च द तथा मथरा क शासक और कौरव क तरफ स उ तर पव म ा यो तष चीन करात उ तरmdashपि चम म क बोज यवन शक म ककय स धmdashसोवीर पि चम म भोज द ण म द णा पथ क राजा द ण पव म आ और म य दश म म ह मती और अवि त क राजाओ न भाग लया रामायण क भा त महाभारत भी कसी एक समय क रचना नह ह सीवी व य न इसका रचनाकाल 3100 ई प स 2000 ई प क म य माना ह आर क मकज न इस 200 ई पव क रचना वीकार कया ह महाभारत का अि तम प स स पादन ग तकाल म हआ 442 ई क एक ग तकाल न अ भलख म एक लाख लोक वाल महाभारत का उ लख मलता ह जायसवाल क मतानसार महाभारत क रचनाकाल क अि तम सीमा 500 ई को मानी जा सकती ह

महाभारत को शतसाहसी कहकर पकारा गया ह म डोनल का मत ह क महाभारत म मलत 20000 लोक थ इसका शतmdashसाह ी व प आज ठ क तरह स उपल ध नह ह महाभारत क अनसार उसक लोक स या 96244 ह महाभारत का भ डारकर रसच इ ट यट पना का स करण ामा णक माना जाता ह

महाभारत म 18 पव ह िजनक नाम इस कार ह mdash आ द पव सभा पव वन पव वराट पव उ योग पव भी म पव ोण पव कण पव श य पव सौि तक पव ी पव शाि त पव अनशासन पव अ वमघ पव अ टमवासी पव मौसल पव महा था नक पव और सवगारोहण पव महाभारत म इतन वषय मलत ह क इसका म य वषय कौरवmdashपा डव क कथा तो गौण हो गई तीत होती ह तथा प यह थ भारतीय जीवन क लौ कक एव धा मक ान का व वकोष ह इस अपन यग क धा मक न तक दाश नक सामािजक और राजन तक च तन का अनपम स ह माना जाता ह

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32 महाका य क स ब ध म पि चमी इ तहासकार क धारणा पा चा य व वान क मा यता रह ह क ाचीन भारत क लोग राजनी त एव रा mdash

धम स अप र चत थ पर त महाभारत क शाि त पव क राजधम वषय वतरण स सक तत होता ह क ाचीन भारतीय राजनी तशा स पणतया प र चत थ रामायण एव महाभारत क अ ययन स ात होता ह क भारत म कई राजनी तक पर पराए बह त पहल स ह लोक य हो चक थी िज ह महाका य म कवल ल पब कया गया

32 महाका य क राजनी तक आदश महाका य क राजनी तक वचार एव स थाओ क अ ययन स पव शासक क

राजनी तक आदश का अ ययन करना आव यक ह वव य आदश का उ लख महाका य म सगवश कया गया ह जो इस कार ह mdash

1 राजा शभ काय कर जा को रणा दान कर ता क सम त जनता को जीवनmdashया ा भल कार चल सक

2 राजा सदव अराजकता दर करन हत द ड का योग कर 3 राजा धम क र ा कर उस अपन नणय धमशा को आधार मानकर करन चा हए 4 राजा स य न ठ ानवान माशील ब मान जाmdashव सल िजति य एव मधरभाषी हो 5 राजा सदव सा ा यmdash व तार हत यलशील रह 6 जनmdashक याण एव द र नारायण सवा राजा का म य कत य ह 7 शासक राजनी त का ाता हो उस जनmdashमत क ओर वशष यान दना चा हए 8 वदशी आ मण एव आ त रक अशाि त स रा य क र ा करना 9 आदश रा य क थापना

34 महाका य म राजनी तक वचार एव स थाए 341 राजधम एव द डनी त

महाभारत क शाि त पव म राजधम क या या क गई ह इस पव म राजशा क णता बह प त भार वाज गौर शरा वशाला मन ाचतस आ द का उ लख कया ह

इसस प ट ह क महाभारत क रचना होन तक राजधम का शा पणतया यवि थत हो चका था भी म पतामह न य धि ठर को राजनी त का उपदश दत ह ए कहा था क य द द डनी त न ट हो जाए तो तीन वद रसातल म चल जायग तीन वद क न ट होन स समाज म च लत सार धम न ट हो जायग महाभारत म कहा गया ह क इस जगत का नय ण द ड

क ह अधीन ह इस लए यह थ द डनी त शा क नाम स जगत म स ह (शाि त पव अ याय 59 लोक 78) परातन राजधम (िजस ा धम भी कहा गया ह) क ल त होन पर समाज म च लत सार धम न ट हो जात ह शाि त पव म भी म न कहा ह क सब कत य म राजधम ठ ह वह स पण ससार का ाण कता ह उसस न कवल धम और काम क त मो क भी ाि त होती ह जस घोड़ क लए लगाम और हाथी क लए अकश नय ण का काम करत ह उसी कार राजा क लए राजधम ह य द राजा इस धम क

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पालन म भल करता ह तो ससार क था य व म अ तर आ जाता ह िजस कार सय क उदय स अ धकार का नाश हो जाता ह उसी कार वग ाि त म जो अड़चन ह व राजधम का पालन करन स दर हो जाती ह राजधम का पालन करन पर अ य धम िजनम ा धम भी सि म लत ह का समावश हो जाता ह इस कार राजधम सब धम का शरोम ण ह राजधम म सब कार का उपभोग सब धा मक क य सभी व याए एव अ य सभी कत य सि म लत ह मज क बात यह ह क भी म न अपन उपदश म राजनी त क साथ सदव धम को जोड़कर रखा ह स प म रा यशा और द डनी त को वद यास न चार प षाथ क ाि त का साधन माना ह

342 राजा क आव यकता

महाभारत क अनसार िजस दश म राजा नह होता वहा स गण का वास नह होता और उस डाक घर लत ह भी म पतामह कहत ह क राजा र हत दश म अि न वारा दवताओ को अि न हो नह पह चता और कसी क सम नह होती बलवान यि त कमजोर को लटत ह और वत यि त दास बनाय जात ह तथा बलपवक ि य का अपहरण होता ह महाभारत (शाि त पव 57mdash49) म श ाचाय का राजनी त पर जो ववचन ह उसम कहा गया ह क मन य पहल राजा को ा त कर फर ी एव स पि त को य क इस सबध म सहज ह यह न सामन आता ह क य द र ा करन क लए राजा न होगा तो

ी और स पि त क र ा कौन करगा शाि त पव क ह 68व ख ड म यह बतलाया गया ह क राजा वायमानस न कस कार बह प त आचाय स अ य त रोचक न कया क ा णय क व एव उनका हस कसक वारा होता ह इसक उ तर म राजा क अभाव म जो सकट आत ह और उसक व यमानता म जो सख ा त होत ह दोन का उ लख ओज वी भाषा म कया गया ह महाभारत क अनसार कवल राजा क डर स लोग एक दसर का भ ण नह करत जस सय एव च मा क लोप हो जान पर घोर अ धकार छा जाता ह उसक उथल जल म मछ लया और सर त थान म प ी आपस म लड़कर मर जाय उसी कार बना राजा क लोग न ट हो जायग इसक वपर त जब राजा वारा रा य क र ा होती ह तब लोग घर क वार बना ब द कय भी अ दर स सो सकत ह आभषण स ससि जत ि या प ष क

सहायता बना नसकोच होकर माग पर ववरण कर सकती ह एक दसर को हा न पह चाय बना लोग धम का आचरण करत ह क ष का व तार होता ह इस कार सख सम समाज क स थाए नी त एव धम क नयम व ान कलाए mdash य सभी राजा क पद पर नभर ह इस लए समाज को यवि थत प स सचा लत करन हत राजा अ य त आव यक ह

343 राजा क दवी उ पि त का स ा त

महाभारत क अनसार राजा का पद द य ह शाि त पव क अनसार (29mdash65) राजा सनातन दव ह जो नर प धारण कर प वी पर वचरता ह इस लए राजा को मन य प दख कर उसका अनादर नह करना चा हए भी म क अनसार राजा म पाच दवता नवास करत ह और वह पचmdashदवमय ह य पाच दव अि न आ द य म य कबर और यम (शाि त

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पव 468) ह यह पच दव राजा समयmdashसमय पर इन पाच दव का पथकmdashपथक प धारण करता ह पा पय का नाश करन क लए वह अि नदव का प धारण कर लता ह चर वारा अपन अधीन जा क द नक आचरण का ान ा त करन हत राजा आ द य प धर

लता ह जब राजा होकर सकड़ अश च मन य साम त अमा य आ द को द ड दता ह तो वह अ तक दव हो जाता ह इसी कार जब राजा अधा मक को ती ण द ड दता ह और धा मक पर अन ह करता ह तो वह यम प धारण करता ह जब वह उपका रय पर धन क वषा करता ह और अपका रय क धन का अपहरण करता ह कसी क ल मी छ न लता ह और कसी को ल मी दता ह उस समय राजा कबर दव हो जाता ह भी म न अपन उपदश म कहा क जो राजा धमmdashपरायण ह वह मन य का दव एव अ धप त होता ह िजन राजाओ म चा र क वकास नह होता व सभी दव नह मान जा सकत उ ह न राजा पथ को दवी राजा माना य क उसम वय व ण न वश कया अथात राजा पथ क च र का वकास व ण च र स हआ इस लए वह अ य राजाओ क लए स मान का पा था महाभारत म भी म क राजा क दव व स ब धी वचार भारतीय राजशा क ि ट स अ य त मह वपण ह वद यास राजा क दव व का तभी तक समथन करत ह जब तक उसका च र द य ह उसक आ ा तभी मा य होगी जब तक व व धmdashस मत या धमानसार हो इस कार राजा वय राजधम क सीमा म आब ह वह उस सीमा क अ त मण का अ धकार नह ह

वा मीक रामायण म भी इसी कार क वचार ि टगोचर होत ह इसम राजा क स ब ध म कहा गया ह क वह जा वग क समि ट आ मा का त न ध ह व व क अ तयामी नय ता का य व ह प ह राम न बाल स कहा था क राजा लोभ दलभ धम जीवन और लौ कक अ यदक क ाता होत ह अत उसक न दा हसा तथा उनक त आ प नह करना चा हए व वा तव म दवता ह जो मन य प म प वी पर वचरत ह मन य पाप करक य द राजा वारा दय गय द ड को भोग लत ह तो व श प या मा होकर वग लोक म जात ह रावण क अनसार तज वी राजा अि न सोम इ यम और वसग इन

पाच दवताओ का व प धारण कए रहत ह उनम पाच क गण ताप परा म सौ य वभाव द ड और स नता व यमान रहत ह अत सभी अव थाओ म राजा का स मान

एव पजन करना चा हए (34012mdash4)

344 रा य उ पि त हत सामािजक अनब ध का स ा त

महाका य म रा य उ पि त क सामािजक अनब ध (Social Contract Theory) स ा त का ववरण मलता ह महाभारत क शाि त पव स ात होता ह क यह अनब ध राजा और जनता क त न धय क म य हआ महाभारत म इस अनब ध का दो थल पर उ लख मलता ह थम ववरण क अनसार ार भ म सतयग था सम त जा धम वारा एक दसर क र ा करती थी उस समय न कोई राज था न राजा न द ड और द ड दन वाला वद यास क अनसार सतयग का मानव कछ समय बाद मोह त हो गया और अपना क त य भलकर धमह न बन गया मन य पर लोभ और काम का भाव बढ़ जान पर वद का वा याय समा त हो गया और य ा द कम का नाश हो गया िजसस दवता भयभीत हो

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गय और मा क शरण म पह च मा न अपनी ब स एक लाख लोक क द डनी त धान धम थ क रचना क और यह आदश दया क व इनक अनसार आचरण कर अब

दवता सोचन लग क इन नयम को मन य समाज पर लाग करवान हत एक द डधार होना आव यक ह यह सोचकर व व ण क पास गय और कहा क व ऐस प ष का उ लख कर जो राजा पद पान यो य हो तब व ण न उ ह ऐस प ष को ल त कया िजस उ ह न अपना राजा बना लया महाभारत क अनसार जा न पथ को राज पद दन स पव उसस समझौता कया इस अनब ध क अनसार भावी राजा न त ा क क वह जा क र ा करगा और द डनी त म व णत नयम का पालन करगा वय कभी इन नयम का उ लघन कर व छाधार न होगा दसर ओर जा क त न धय न भी त ा क क व इस राजा क शासन म रहकर उसक तन मन और धन स सदव सवा करग

शा त पव म समाज अनब ध वाद का एक दसरा उदाहरण भी मलता ह िजसक अनसार उस ाकत यग म सख शा त एव धम पालन क ि थ त नह थी इस यग म मन य का कोई वामी नह था सबल मन य नबल को न ट कर रह थ इस यग म म य याय च लत था जस जल म बड़ी मछल छोट मछल को खा जाती ह अत इस क ठनाई स म त होन क लए सभी लोग न एक होकर सदाचार क नयम बनाय िजनस कछ समय तो काम चलता रहा क त काला तर म पन अ यव था उ प न हो गई इस लए सब लोग मा जी क पास गय और कहा क राजा बना हम सब लोग क ट पा रह ह आप हम कोई ऐसा राजा द िजए जो शासन चलान म समथ हो मा न ाथना वीकार कर मन को राजा बनन क आ ा दान क मन न शासन काय करन हत जा स समझौता कया इस समझौत क अनसार जा राजा को कोष व हत धन पश 50 तशत वण एव अनाज क उपज का 10वा भाग कर प म दगी इस पर मन न कहा क वह भी कबर क तरह अपनी जा क र ा करगा समझौत स कहा गया क जा जो धम करगी उसका चौथा भाग राजा को मलता रहगा इस कार इस अनब ध म जा न राजा को अ धकार और शि तया सशत स पी शाि त पव म प ट कहा गया ह वद यास राजा क नरकशता का समथन नह करत जनता राजा क आदश का पालन तभी तक करगी जब तक वह धमानसार आचरण करगा जा का रजन एव र ा करना राजा का मख कत य ह िजसका पालन न करन वाला राजा उसी कार या य ह िजस कार सम क या ा म टट ह ई नौका उपदश न दन वाला आचाय और कट वचन बोलन वाल ी

वा मी क रामायण स अ प ट प स सामािजक अनब ध क स ा त का समथन अयो या का ड एव उ तरका ड म मलता ह जहा जा क र ा करना राजा का मख क त य गनाया गया ह

345 राजा क चनाव का सकत

रामायण तथा महाभारत स राजा क वरण या चनाव क प ट सकत मलत ह रामायण क एक सग का उ लख रमशच मजमदार न कया ह उनका मन ह क अयो या का ड म हम दखत ह क जब राजा दशरथ राम को यवराज क प म आ भ ष त करना चाहत

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थ तब उ ह न अपन रा य क नगर और ाम क मख यि तय को एक सभा म आमि त कया इस सभा म ा मण तथा सना क त न धय का समावश था इसम अनक अधीन राजा भी सि म लत थ सभा क व धवत ार भ होन पर राजा न अपनाmdash ताव रखा राजा न राम क अ भषक का मामला सभा पर छोड़ दया और हतकर उपाय सझान का अ धकार उस दान कया उसन सभा को कहा क वह इस न पर राजा क इ छा क अन प नह अ पत

रा य हत को यान म रखकर नणय कर इस पर सभा न वचार वमश कर राजा क ताव को मानन का न चय कया इस पर राजा न कहा क सभा राम को यवराज वीकार

करन का कारण प ट कर तब सभा क सद य न राम क गण का वणन कया िजसक कारण व सभा क वचार म इस पद क लए पणत यो य थ अ त म व राजा न उनक न चय पर सतोष कया और सभा क अ भवादन क उ तर म उसन भी अ भवादन कर उनका नणय वीकार कया यह ववरण इस बात का उदाहरण ह क जा भावी राजा क वरण म वधा नक शि त का उपयोग कर सकती थी रामायण म एक अ य थान पर कहा गया क राजा सागर क म य होन पर जा न धा मक अशमान को राजा चना रामायण क तरह महाभारत स भी ात होता ह क जब तीप न अपन दवा प क अ भषक क तयार क तो नगर और ाम क जा ा मण और व न उस ऐसा करन स रोका िजसस तीप दखी हआ जा का आरोप था क दवा प म सभी गण ह क त चम रोग क कारण वह राज पद क आयो य ह इसी कार जब यया त अपन क न ठ प प को सहासन पर अ भ ष त करना चाहता था तब य ठ प को अपन अ धकार स व चत कय जान पर जा न आपि त क इस पर यया त न अपन न चय क कारण बतलाए तब जा न ग को राजा बनन दया इन उदाहरण स प ट ह क रामायण तथा महाभारत काल म राजा का चनाव करन क था पण ल त नह ह ई थी

35 रा य का आवय वक व प शा त पव म रा य क उ पि त एव उसक व प पर भी वचार कया गया ह

स भवत भी म रा य क अवय वक व प म आ था रखत थ भी म क अनसार रा य का व प स ताग अथवा स ता मक ह उनक अनसार स ता मक रा य क सात अग आ मा

(राजा) अमा य कोष द ड म जनपद और पर मान गय ह भी म न रा य क अवयव का सकत मा दया ह इस लए यह नि चत प स कहना क ठन ह क रा य क आवय वक स ात क स ब ध म भी म या अवधारणा रखत थ क त यहा इतना अव य कहा जा सकता ह क महाभारत क राजनी त रा य क आवय वक व प म आ था अव य रखत थ

वा मी क रामायण (अयो या का ड) म रा य क स ताग स ा त को वीकार कर उसका व भ न थल पर उ लख कर पा एव राजा का उनस सावधान रहन को कहा गया ह रामायण क कि क धा का ड म हनमान न स ीव को समझाया क िजस राजा क कोष द ड (सना) म और अपना शर र य सब सम प स वश म रहत ह वह वशाल रा य का पालन और उपभोग करता ह व वा म न दशरथ स जब कशल मगल पछा तो मश राजा क नगर कोष रा य ब धmdashबा धव तथा म वग आ द क स ब ध म जानकार ा त क

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इसस प ट होता ह क वा मी क भी रा य क स ताग स ा त स भल कार प र चत थ य य प महाभारत क तरह रामायण म भी रा य क स ताग या आवय वक स ा त क व तत या या नह क गई ह

36 सा ा य क अवधारणा महाभारत स पव ह भारत म सा ा य इकाई का उ लख ा मण थ म मलता ह

महाभारत क समय सा ा य ऐस रा य का समह होता था जो कसी बड़ राजा क अधीन हो सभा पव स ात होता ह क य धि ठर न राजसय य करन क लए ीक ण स सलाह ल य क स ाट बनन हत राजसय यह आव यक था राजसय य करन हत राजा वजय करना ार भ करता तो कई राजा उस स ाट प म बना लड़ ह मा यता द दत थ सीवी व य

न आशका य त क ह क महाभारत काल म सा ा य क अवधारणा भारतवा सय न ईरा नय स हण क क त यह वचार वीकाय नह ह महाभारत म उ लख आता ह क य राजाओ न मलकर यह न चय कया था क जो राजा सबको जीत लगा उसी को अ य राजा सावभोम या स ाट मानग सभापव क अनसार राजाओ न आ मmdashर ा हत सा ा य नमाण क था ार भ क उस समय राजा जरासध सबस बलवान था प वी क सभी राजा चाह व ऐल राजा ह या ऐ वाक उसको कर दत थ व वय को उसक अधीन मानत थ जरासध न सब य राजाओ को पदा ा त कया था च द राजा शशपाल उसका सना य था सब

य न उस अपना सावभौम वीकार कर लया था इस उदाहरण स प ट ह क उन दन सा ा य म कई वत रा य सि म लत होत थ रामायण क अनसार रावण न भी सावभौम स ता था पत करन क लए त काल न राजाओ को चनौती द थी

37 राजा क कत य रामायण एव महाभारत म राजा क कत य पर काश डाला गया ह महाभारत क

अनसार रा य एक महान भार ह उस स भालन हत कशल वाहक आव यक ह इस वाहक (शासक) म शार रक मान सक आि मक और बौ क गण होन आव यक ह य क राजा का च र जा क लए आदश होता ह भी म न शाि त पव म राजा क कत य को लोकरजन कहकर पकारा ह व कहत ह क राजा को अपन हतकार काय का याग कर लोकरजन क काय म नरत रहना चा हए राजा का थम कत य आ मmdash वजय करना ह

महाभारत म दशाया गया ह क वणा म यव था ऋ षय न था पत क थी इस यव था का आचरण करन क लए रत करना राजा का परम कत य ह भी म न जा म धमसकरता तथा वणसकरता को रोकना राजा का परमधम माना ह

शाि त पव म यह भी कहा गया ह क रा य क ा णमा क र ा करना राजा का म य क त य ह रामायण क बालका ड म भी हम इसी कार क वचार ि टगोचर होत ह जा को उसक र ा करक ह स न कया जा सकता ह भी म न अपन उपदश म ठ क ह

कहा ह क जा क र ा करन म असमथ राजा उसी कार यथ होता ह िजस कार काठ का हाथी चमड़ का मग ऊसर वषा न करन वाला बादल और वद वह न ा मण

महाभारत म राजा क न प एव यावहा रक होन पर जोर दया गया ह शा त पव म कहा गया ह क राजा अ भयोग को सनन एव उन पर नणय दन क लए महान अनभवी

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और व वान प ष नय त कर और इस कार उस यवहार थापन काय करना चा हए अपन प mdashपौ को भी य द व दोषी पाय तो उ ह भी द ड द राजधम क अनसार जा पालन करन वाल राजा क सम माता पता ाता भाया और परो हत कोई अद य नह होता

शा त पव म राजा क कत य क चचा करत ह ए कहा गया ह क वह शासन काय चलान हत यो य कमचार नय त कर अथात शरभ क पद पर शरभ सह क पद पर सह बाघ क पद पर बाघ और त दआ क पद पर त दआ क नयि त करना आव यक ह इस कार जो िजस काय क यो य हो उसको उसी काय क स पादन हत नयि त करना उ चत

होगा जो ब ह न राजा इस नयम को तोड़ता ह वह जारजन काय म समथ नह हो सकता राजा का यह क त य ह क कमचा रय क काय का नर ण कर अ यथा व माद

हो जायग भी म न ठ क ह कहा ह क िजन कमचा रय को अ धकार पण काय पर नय त कया गया ह उनक काय क राजा य एव परो प स जाच कर

राजा क क त य ह क वह ऐसी आ थक यव था कर ता क कसी भी यि त क ग त अथmdashअभाव स अव न हो यक नाग रक क आ थक ि थ त ऐसी होनी ज र ह क वह कम स कम अपनी द नक आव यकताओ क प त कर सक भी म न शाि त पव म कहा ह (5754 59) क राजा को अपन रा य म इस कार यव था करना चा हए क िजसस अ ा त अथ का लाभ ा त अथ क व और ा त अथ क व का ववरण स यक कार स पा म कया जा सक महाभारत म उन रा य क आलोचना क गई ह जहा लोग

को भ ाmdashवि त धारण करन को मजबर होना पड़ता ह महाभारत म कहा गया ह क सावज नक उ सव क यव था करना जीण ाचीन

भवन व मारक क मर मत दवमि दर नमाण जलाशय कपmdashजीण ार एव नवmdash नमाण करवाना राजा का कत य ह

शाि त पव म राजा स अप ा क गई ह क वह मादक य का व य और व यावि त क नरोध का यास कर राजा स यह भी कहा गया ह क वह म य मास व या आ द यवसाय पर भल भा त नय ण रखन क यव था कर उनका मत ह क य यवसाय भ प ष म लश उ प न करत ह

वा मी क न बालका ड और आयो या का ड म राजा क क त य पर वचार कया ह रामायण म जार ण पालन वणधम नयम पालन और द ट को द ड दना राजा का क त य बताया गया ह वा मी क क अनसार जो राजा इन क त य का पालन नह करता वह भतल पर तनक क समान उप णीय हो जाता ह बालका ड म सग आता ह क व वा म न इ वाक कल वामी दशरथ स पछा क राजन आपक रा य क सीमा क नकट रहन वाल श नतम तक तो ह आपन उन पर वजय ा त क ह या नह आपक य याग आ द दवकम और अ त थ स कार आ द मन य कम तो अ छ तरह स प न होत ह न अयो याका ड म कहा गया ह क राजा का क त य ह क वह परवा सय को दख स म त कर बालका ड म भी व वा म ल मण को वण र ा का उपदश दत ह उ ह न कहा क गौ ा मण क र ा

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हत ताड़का को मारना आव यक ह अयो याका ड म भरत को राम कहत ह क तम समय पर जागना ग त म णा अ धक लोग क साथ न करना और अथ स क उपाय करना िजन श ओ को रा य स नकाल दया ह उ ह दबल समझ कर उनक उप ा न करना सना खजाना कला और रा य क वषय म सावधान रहना राजा क कत य ह

38 उ तरा धकार क नयम एव रा या भषक का उ लख उ तरा धकार का ववरण रामायण म अ धक व तत एव प ट प स दया गया ह

महाका य स ात होता ह क समाज म राजा का पद कलmdash मानगत था बालका ड स सय वश म आनव शक राजपद का उ लख मलता ह आनव शकता क साथmdashसाथ रा य का अ धकार ाय य ठ प ह होता था अयो याका ड म मथरा ककयी स कहती ह क जब राम अयो या क राजा हो जायग तो उनक बाद उ ह का प जो होगा उसी को रा य मलगा भरत तो रा य पर परा स अलग हो जायग राजा दशरथ क म य स र त ह ए राजपद पर आ ढ़ होन हत जब भरत स ा मण और म ी लोग अनरोध करत ह तो व उनस कहत ह क हमार कल म सदा य ठ प ह रा य का अ धकार होता आया ह और यह उ चत ह ह महाभारत म भी लगभग यह पर परा च लत थी रामायणकाल न समाज म अयो य और द ट होन पर य ठ प अपन अ धकार स व चत कर दया जाता था बालका ड स ात होता ह क समर न दगण क कारण अपन प असमज को रा या धकार स व चत कर दया था राजा यया त न अपन य ठ प यद को रा य न दकर अपन आ ाकार क न ठ प प को रा य दया था रामायण म कहा गया ह क य द य ठ प यो य हो तथा उस उ तरा धकार स व चत कया जा रहा हो तो वह राजा को कद कर सकता ह या अ य नया रा य बसा सकता ह या जा क सहयोग स राजपद ा त कर सकता ह ाय राजा अपन जीवनकाल म ह य ठ प का रा या भषक करवाना चाहता था कभीmdashकभी य द राजा बना यवराज का अ भषक कए मर जाता तो नय राजा क पद सभालन तक शासन काय ा मण या परो हत चलात थ

कसी भी यि त क राजा बनन पर उसका अ भषक कया जाना आव यक था महाभारत म एक थल पर य धि ठर क न का उ तर दत ह ए भी म न कहा mdash जा का यह म य क त य ह क वह राजा का अ भषक कर आग यह भी कहा गया ह क इस ससार म राजा न होन स जस जल म बड़ी मछल छोट मछ लय को खा जाती ह उस कार शि तशाल यि त कमजोर का भ ण कर लत ह भारत म राजा क पद पर आसीन यि त का अ भषक स कार करन क पर परा का व दक काल म ह शभारभ हो चका था िजसस नय शासक को भस ता का ह ता तरण वधा नक प स हो जाता था

रामायण म राम स ीव और वभीषण (उ तरका ड) तथा राम ल मण भरत और श न क राजप क अ भषक का वणन आया ह इसम राम और स ीव क रा या भषक का वणन व तार स कया गया ह महाभारत म भी लगभग यह पर परा जार रह

महाभारत क अनसार बड़ा प ह राजपद का अ धकार होता था प ह न राजा क भाई को राजपद स पा जाता था रा यारोहण समारोह भ यतापवक स प न होता था य धा मक क य था िजस परो हत व दक व ध स स प न करवाता था शा त पव क अनसार

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राजा रा यारोहण क समय वदशा क आदशmdashपालन क शपथ लता था व भ न थानीय नकाय सामािजक नयम धा मक दबाव ानवान लोग राजा को व छाचार बनन स रोकत थ गलत काय करन वाल राजा को जा पद यत कर सकती थी अथवा उसक ह या कर सकती थी वद यास वारा तपा दत मयादाओ क कारण एन सी ब योपा याय न महाभारत स ात राजत को सी मत राजत माना ह

वा मी क न राजा क रा या भषक का बड़ा स दर वणन कया ह रामायण क अनसार रा या भषक का काय राजपरो हत क नदशन म कया जाता था इसक लए चार सम का जल प व न दय सरोवर तीथ का जल सवणर न दवपजन साम ी औष धय प पmdashमालाओ घी मध नय व राजक य रथ चतर गणी सना हाथी दो चवर वणाभ षत वत छ साड क सीग च दन अ त दह बह म य जत सोन क 100 कलश सोन क सीग मढ़ा साड वा यmdashचम सोन का पीड़ा आ द व तओ को अि नशाला म एक कर लया जाता अ भषक क एक दन पहल राजकमार व उसक प नी को उपवास त द ा द जाती व

मचयपवक रहकर नारायण क पजा हवन करत अ भषक क दन ात ा मण को भोजन कराकर द णा द जाती नगर म पताकाए फहरायी जाती अ भषक क समय सभासद यापार नाग रक मक सघ धान साम त राजा म ी स नक व सरकार अ धकार राज ासाद पह च कर थान हण कर लत पहल वजगण वि तmdashवाचन पवक राजकमार को आशीवाद दत त प चात व य करत फर उ ह भ ासन पर बठाकर अ भषक कया जाता रा य क मख लोग अ भषचन करत थ फर राजा नय व पहन कर सहासन पर प नी स हत बठता और परो हत उसक सर पर मकट रखकर छ रखत और चवर ढलाया जाता उपि थत लोग को पर कार दया जाता फर राजा प पmdashरथ पर बठकर नगर म जलस क साथ मण करता था रथ म सोन क साजmdashस जा वाल चार वत अ व जड़ होत थ राजक य

सवार क राजमहल पह चन क साथ ह यह समारोह पण हो जाता था

39 राजा क गणmdashदोष वा मी क न लखा ह क राजा वद का ाता और उपयोगी व तए स ह करन वाला

हो जनता उसस म करती हो वह य mdashपरायण धमmdashपरायण एव िजति य हो धन तथा अ य व तओ क सचय क ि ट स वह कबर क समान हो महाभारत म कहा गया ह क राजा 18 कार क दगण स दर रह जो राजा अपन पर वजय नह कर सकता वह अपन श पर सफलता कस ा त कर सकता ह भी म कहत ह क राजा लाभ और ोध का याग कर वह मख राजा जो ोध एव मोह क वशीभत होकर काय करता ह उस न तो धम ह मलता ह और न धन ह वा मी क रामायण क अनसार राजा को 14 कार क दोष स बचना चा हए जो इस कार ह mdash नाि तकता अस य परायण ोध माद ानी प ष का सग न करना आल य योजन न समझन वाला एव मख स सलाह लन वाला नि चत कए नय काय न करन वाला म णा ग त न रखन वाला माग लक काय न करन वाला और सभी श ओ पर एक साथ चढ़ाई करन वाला राजा को इन अवगण को यागन क सलाह द गई

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ह रामायण क तरह महाभारत म राजा क 36 गण का उ लख मलता ह वद यास लखत ह क िजस राजा म ोध का अभाव होता ह जो द यसन स दर रहता ह िजसका द ड कठोर नह होता जो इि य पर वजय पा लता ह वह हमालय क समान ा णय का व वासपा बन जाता ह

महाभारत म वद यास न लखा ह क राजा ब मान यागी श ओ क दबलता जानन म त पर दखन म स दर सभी वण म याय तथा अ याय समझन वाला महामन वी कोमल वभाव स य त उ यमी कमठ आ म शसा स दर रहन वाला िजसक ार भ कए ह ए सभी

काय स दर प स समा त होत दखलाई दत ह वह सम त राजाओ म ठ ह राजा क गण क चचा करन क बाद महाभारत म उसक अवगण क प ट चचा मलती ह शाि त पव म कहा गया ह दप अधम ोध अप र चत ि य व व याओ स मथन करन वाल राजा का शी पतन हो जाता ह

310 धम और राजनी त का स ब ध महाभारत तथा रामायण म राजनी तक जीवन पर धम का भाव प ट प स

ि टगोचर होता ह महाभारत क अनसार राजा का अि त व धमाचरण करन क लए ह न क कामवासना क ति त क लए ा णय का जीवन धम पर अवलि बत रहता ह और धम राजा पर जो राजा उ चत र त स धम का पालन करता ह वा तव म वह प वीप त ह ऋ षय न इहलोक तथा परलोक दोनो पर वचार कर उस महान यि त क सि ट क ह िजस राजा कहत ह ता क वह धमाचरण का र क हो महाभारत क अनसार राजा धम का आचरण करता ह तो उसका पद ाय दवत य हो जाता ह क त य द वह इसक वपर त आचरण करता ह तो नरकगामी होता ह िजस यि त वारा धम का चार होता ह उस राजन कहत ह और िजसक वारा नाश होता ह उस वशाल कहत ह

311 ा मणmdash य सम वय महाभारत म भी म पतामह य धि ठर स कहत ह क ा मण एव य का आदर

करन स सख ा त होता ह और उसका नरादर करन स न चय ह नाश होता ह शाि त पव म मा क मख स ा मण भजाओ स य उर स व य और पर स श क उ पि त का उ लख मलता ह वाय दवता कहत ह क प वी पर ज म लन वाल ा णय म ा मण सव ठ ह य को इस लए उ प न कया ता क व द ड धारण कर सक इस कार महाभारत म दो शि तय क स ा त क क पना क गई ह महाभारत म क यप ऋ ष कहत ह क िजस रा य म ा मण एव य लड़त ह उसका नाश हो जाता ह ा मण क शि त का ोत य म ह और य क शि त का ोत बा मण ह राजा को चा हए क वह ा मण को अ स न न कर य क ो धत होन पर व सरलता स राजा उसक सना एव

वाहन को न ट कर सकत ह शाि त पव म कहा गया ह क ा मण सब जा तय का म खया ह जस प त क अभाव म ी दवर क आ य को हण करती ह उसी कार ा मण क प चात प वी राजा को अपना बनाती ह महाभारत क अनसार जब कसी भी कार

यगण ा मण स उ ड यवहार कर तो ा मण को उ ह नयि त करना चा हए

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य क ा मण स ह य उ त ह ए ह शा न तो यहा तक यव था कर द क य द राजा द च र ह तो ा मण उसको द ड द सकता ह इस कार महाभारत म ा मण एव

य को मह वपण मानत ह ए ा मण को राजनी तक ि ट स ठ माना गया ह रामायण म ववरण मलता ह क राम त दन नान क बाद व ो क पजा करत थ अ य आदश राजा को ा मण का उपासक होना आव यक बताया गया ह राजा क अ भषक क अवसर पर ा मण क उपि थ त अ नवाय थी राजा वि तवाचन करन वाल ा मण हत आसन एव

द णा क यव था करता था

312 म ीmdashप रष रा य क काय को सचा प स चलान हत मि प रष आव यक ह महाका य काल

म रा य का मल म य वारा द गई स णा को माना जाता था राजा क लए आव यक था क वह यो य यि तय क नयि त म ी क पद पर कर शाि त पव म राजा को सलाह द गई ह क वह अनक वषय क ाता अनभवी तथा सदाचरण म रत प ष स म णा कर भी म न स ताग स ा त क अ तगत अमा य (म ी) को रा य का आव यक अग माना ह

महाभारत म म ी रखन क सलाह राजा को द गई ह ाचीन भारतीय राजशा व वान म स कसी न भी इतनी बडी म प रष रखन क सलाह नह द ह रामायण क आधार पर फथ न लखा ह क दशरथ क तीन अमा य स य mdash यव था दो अमा य अथ एव व त तथा दो अमा य कानन और याय वभाग स भालत थ आठव अमा य क अधीन रथ आ द वाहन का वभाग था रामायण क अनसार महाराजा दशरथ क आठ अमा य (173) धि ट जयत वजय स ाथ अथसाधक अशोक म पाल और समत थ यह अमा य प रष मह ष व स ठ क नत व म काय करती थी जो राजपरो हत और वा त वक धानम ी थ

म प रष क नमाण क स ब ध म महाभारत म कहा गया ह क उसम चार वण क सयो य यि त होन चा हए भी म न व य वण क सद य म प रष म अ धक सि म लत करन पर जोर दया उ ह न शाि त पव (85710) म इसक 47 सद य म स 4 ा मण 18 य 21 व य 3 श और 1 सत सद य बनान क बात भी कह शा त पव

क अनसार प रष क सद य क यो यता उनक वगानकल होनी चा हए जस ा मण सद य वद का ाता प व आचरण एव उ च श ा ा त हो इसी कार य सद य क लए आव यक था क वह श धारण करन क मता एव बल स प नता रखता हो तथा व य सद य क लए धन स प नता क आव यक शत थी श सद य क लए आव यक था क क त य परायण वन और प व ता क गण स य त ह

म प रष (इस रा य भी कहा गया ह) क अ धक स या क कारण म णा ग त रखना क ठन था इस लए भी म न 8 सद य क अ तरग प रष स म त का बनान और इसक उपरात अ तरग सभा क 3 सद य क परम अ तरग स म त का नमाण करन क सलाह द शा त पव म अतरग और परम अ तरग स म त क सद य क अ धकार क त य पर काश नह डाला ह म प रषद क सद य अमा य और 8 सद य वाल स म त क सद य को म ी

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कहकर पकारा जाता था भी म न य धि ठर स कहा क राजा को परम अ तरग स म त क म य स हर समय परामश करत रहना चा हए महाभारत म यह यव था रा य क काय को ग त रखन क ि ट स क गई रामायण म भी क ठन सम याओ क हल हत राजा वारा म ी प रष स परामश करन का उ लख मलता ह रामायण म म प रष क दो कार क सद य क चचा क ह थम सद य ग जन थ जो एक परामशदा ी स म त क प म काय करत थ य सभी ा मण वण क होत थ और म गण भी कहलात थ वतीय अमा य या स चव जो आध नक म म डल क सद य क तरह थ च कट सग स यह प ट ह जहा राम न भरत स पछा mdash तम अपन अमा य और म य स परामश तो करत हो यहा म य स राम का अ भ ाय परामशदाताओ या ग जन स ह ह वानर और रा स म भी म प रष क य दोन वभाग प ट ह हनमान को स ीव का स चव और उन परामशदाताओ को िज ह न बाल को मत समझ कर स ीव क रा या भषक का आ ह कया था म ी कहा गया ह

महाभारत म परम अ तरग स म त क सद य को ह राजा का वा त वक म ी कहा गया ह िजनक सलाह बना वह रा य क कसी भी योजना को काय प नह द सकता था अ तरग स म त का धान राजा होता था राजा म य स सय त या वम त दोन कार सलाह ल सकता था रा य क गोपनीय वषय इस स म त म तत कय जात थ यक वषय पर वशद ववचन आव यक था म य क साम हक एव यि तगत नणय तथा राजा का वय का नणय राजग क सम तत करना आव यक था राजग का नणय लकर राजा अि तम नणय म mdashप रषद क वीक त हत तत करता था इस कार म प रष ठ म णा दन और राजा क व छाचा रता पर नय ण रखन का काय करती थी

म य क यो यता क स ब ध म रामायण म कहा ह क व अपन अगाध धमशा ीय ान अनभव नी त इ तहास और पर पराओ क व तत प रचय क कारण राजा क बड़

सहायक स होत थ राजा क म य क बाद नय राजा क नयि त म उनक भ मका मह वपण होती थी दशरथ क म प रष क सद य क स ब ध म कहा गया ह क व सब व वान वनयशील सकोची चतर िजति य ीस प न महा मा श mdash व या ाता परा मी यश वी हसकर बात करन वाल ोध न करन वाल थ उनम यवहार कशलता भर पड़ी थी व धम पारगत भी थ राम न भरत स कहा था क म ी नी तशा ाता म णा ग त रखन वाल मधावी शरmdashवीर होन चा हए एक भी नी त अमा य हो तो वह राजा या राजकमार को बड़ी स पि त ा त करा सकता ह

म य क यो यता क स ब ध म शा त पव म कहा गया ह क व कल न कल म उ प न हो अमा य वश म ज म लया हो रा य का नवासी हो लोक य तथा भ च र वाला हो उ ह न म य क यो यता क जाच हत पर ा णाल क भी यव था क भी म न य धि ठर स कहा क म प रषद क सद य सmdashपर त होन चा हए उ ह न कहा क म प रष क सद य क पर ा उपधा णाल स लनी चा हए इस कार अयो य यि त म प रष का सद य नह बनाया जा सकता था

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जो यि त रा य का नवासी न होता शासन काय स वर त होता अनभवह न होता अ म सवन अि थर सक प वाला क टल वभाव पापाचार का प मख अप व जड़ आ म शसक ोधी लोभी होता वह म ी पद क लए अयो य था

म य क काय क चचा रामायण म क गई ह समच रा और नगर म शाि त बनाय रखना अमा य का क त य था म यावाद द ट पर ीmdashल पट मन य क व जानकार रखत थ व लोग म कानन का भय बनाय रखत तथा उ ह स य नी त धम और सदाचार क नयम का उ लघन करन स रोकत व अपनmdashअपन वभाग क काय का सचालन तो करत ह थ द नक काय का वहन वभागीय अ धकार करत थ जो तीथ कहलात थ म ी राजा का अ वमध करन क समय यवराज को कायवश बाहर भजत समय यवराज क लए यो य वध का चनाव करत समय सभा क सम कसी ताव को रखन स पव य घोषणा स पव तथा क ठन सम याओ क हल करन म सहयोग करत थ इस कार रा य का सचालन म य पर नभर था

313 जन ससद महाभारत क शाि त पव स रा य क सभा या जन ससद क जानकार मलती ह

भी म पतामह स य धि ठर न करता ह क जन ससद म जब व वान मढ और ग भ यि त मद और ती ण भाषण वारा अपना ोध कट कर रह ह तो या करना चा हए इसक उ तर म भी म न कहा जन ससद म जो कोई आ ोश वारा दोषारोपण करता ह तो राजा उसक सकत वय ा त कर लता ह कवल उसक क य ह उसक पास बच रहत ह ऐस यि तय क ग हत बात क उसी ढग स उप ा क जाए जस रोग पी ड़त यि तय क वचन क जाती ह ऐस यि तय क त जनता म व वष उ प न हो जाता ह और उसका भाषण न फल हो जाता ह महाभारत स सक तत ह क जनससद म मद और ती ण दोन कार क भाषण होत थ भी म न राजा को सलाह द क व इनक उप ा कर और जगल म

कौए क बकवास क समान इसक त वि त रख इसस प ट ह क महाभारत यग म ससद का वशष मह व नह रह गया था

रामायण स ात होता ह क दशरथ क समय रा य सभा प रषद जन ससद स म त कवल सभा कहलाती थी इसक सद य सभासद या आयगण कहलात थ इसम अमा यगण ( य) म गण (ऋ ष) सनाप त राजागण (साम त) नगर ाम क त न ध होत थ राजधानी क त न ध पौर और शष रा क त न ध जानपद कहलात थ सभा का यह पौरmdashजानपद अग सबस शि तशाल था यह दश क बह मत का त न ध व करता था पौर जानपद म राजधानी का त न ध नगम णय क त न ध और गणmdashव लभ तथा दहात क ाम घोष मह तर ( कसान व वाल क त न ध) समा व ठ होत थ व य तथा यापा रय

को भी त न ध व ा त था य त न ध सरकार वारा नय त अथवा जनता वारा नवा चत होत थ यह प ट नह ह फर भी इनक नाम स सक तत ह क य लोग व न मत स चन जात थ

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राजा या यवराज क नवाचन य घोषणा राजा क राज याग या पद हण जस वषय पर सभा क वीक त आव यक थी जब राजा दशरथ न व ाव था क कारण राम को रा य भार स पना चाहा तब उ ह न अपनी सभा का वशष अ धवशन बलाया था इसी कार उनक म य क बाद नया राजा चनन क लए अयो या म सभा जट थी भरत क हाथ दशरथ क अ यि ट समा त होन पर राजपरो हत व श ठ न सभा का वशष अ धवशन बलाया था

सभासद को उपि थत होन क सचना सदश वाहक दत थ राजा क अनपि थ त म परो हत या म ी सभा का अ धवशन बला सकत थ अयो या का ससद भवन राज साद का ह अग था यह भवन तीन ओर स खला था लका म सभा भवन राज साद स दर था सभा का अ य राजा या राजपरो हत होता था उसक सद य क मती व स सि जत होकर आत थ सभा म श टाचार का पालन होता था सभी सद य क बठन का थान नि चत था सभा म भाषण अनम त मलन पर ह दया जा सकता था सभा क कत य पर राम न ठ क ह कहा क वह सभा नह जहा व न हो व व व नह जो धमय त बात न करत ह वह धम धम नह जो स य न हो और वह स य स य नह जो न छल और वत रत न हो अधस य बात कहना न दनीय ह जो सभासद का कत य ह क वह लोभ भय अथवा प पात कय बना न वाथ भाव स सभा क कायवाह म सहयोग द सभा म राजा का कवल ताव रखन का अ धकार था अि तम नणय तो सभा वय ह लती थी अपना

ताव वीकत हो जान पर राजा सभा क त आभार य त करता था रामायण स रावण क राजसभा और उसक कायवा हय क व तत सचना मलती ह रावण क सभा भवन का वभव तो दखत ह बनता था सभा का आव यकता पड़न पर वशष अ धवशन भी बलाया जा सकता था

314 रा य म व ध का सव प र थान राजा द ड का तीक होता था वह द ड धारण करता ह और अपन अधीन जा म

उसका स यक योग करता ह पर त राजा द ड योग करन म व छ द ह उस राजधम क सीमा क अ तगत काय करना पड़ता ह य द वह इस सीमा का उ लघन करता ह तो वय द ड का भागी हो जाता ह राजा द ड का योग कर अपन अधीन जा को उसक

अनसार आचरण करन को बा य करता ह पर त उस व ध नमाण का अ धकार नह ह इस लए शाि त पव म भी म न रा य म सव प र थान राजा को न दकर व ध को दान कया

315 द ड क मह ता महाभारत म शाि त पव म द ड क मह ता पर काश डाला गया ह जो मह वपण ह

शाि त पव म तो राजा का नाम ह द डधर रख दया गया ह यह द ट का दमन और साधारण प ष पर शासन करता ह द ड अ नयि य को नयि त करता ह महाभारत क अनसार द ड सम त लोक पर शासन करता ह यह सम त जाओ एव ा णय का सर ण करता ह जब कानन और यव था क सर क सो जात ह तब द ड जागता ह ब मान यि त द ड को ह धम समझत ह शाि त पव क अनसार द ड न बह त कठोर हो और न

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बह त सरल वह कय ह ए अपराध क अनकल हो शासक क यो यता द ड पर ह नभर ह महाभारत म राजा को द ड का सदपयोग करन क सलाह द गई ह शाि त पव म कहा गया ह क राजा का धान दा य व ह क वह द ड का ठ क तरह स योग कर और अपरा धय पर नय ण कर दश को बा य एव आ त रक सकट स बचाय शाि त पव म द ड को ह रा य का कारण कहा गया ह एक अ य थान पर कहा गया ह क द डनी त का परा योग करन पर सतयग चौथाई अश का प र याग करन पर ता आध का याग करन पर वापर और कवल चौथाई अश का योग करन पर क लयग आ जाता ह रामायण काल म भी राजा वारा द ड यव था का सम चत योग करना अथवा मख कत य और पारलौ कक सम का साधन मानता था

316 (i) याय यव था महाका य काल म याय यव था सरल थी उन दन न पशवर वक ल थ और न

अदालती खच का झझट मकदम का फसला राजा वय करता था वाद तवाद उसक पास बरोकटोक जा सकत थ याय न प होता था अपराधी को कठोर सजा द जाती थी द ड जाचmdashपड़ताल क बाद ह दया जाता था राजा का कत य था क ट यायाधीश क कारण अपराधी बच न जाय धनी और गर ब म ववाद होन पर यह यान रखा जाता था क अमा य ऐस मामल म धन क लालच म मकदम पर ठ क ढग स वचार कर

यायाधीश क पद पर कानन व राजनी त क ाता ह नय त कय जात थ प पात करन वाला यायाधीश पापी समझा जाता था उ तरका ड स ात होता ह क यायालय क बठक सभा भवन म ात काल होती थी जा क सभी वग क लोग यायालय म राजा क सामन उपि थत होकर अपनी शकायत तत कर सकत थ िजस आसन पर बठकर राजा मकदम का नणय करता वह धमासन कहलाता था सव च यायालय का अ य वय राजा होता था अ य यायाधीश भी होत थ यथा mdash परो हत व स ठ धम पारग यवहार ा मण म गण पर परा व लोकाचार ाता मख यापार (नगम) और राजा क भाई य द राजा कसी यि त को यायालय क वार पर रोकता तो उस पाप लगता था राजा नग व राजा न म न ऐसा ह कया और व पाप क भागी बन रामरा य म यायालय इसी लय स थ क वहा लोग को तर त एव न प याय मलता था यायालय म यक यि त को त काल उपि थत होन क वीक त मल जाती थी वक ल टा प व फ स क ज रत नह थी ाय यायालय म राज ोह म झठ गवाह कमार का बला कार पराई ी अपहरण

ट स पि त द पयोग चोर डकती मह या य म पीठ दखाना स नक को वतन न दना बालक व राजा क ह या आग लगाना ग ी गमन और जलाशय म वष मलाना जस मामल म द ड दया जाता था अपराधी को यातना स लकर म यद ड तक दया जाता था फासी ाय ात काल म द जाती थी पर त कठोर याय शासन क कारण अपराध बह त कम होत थ महाभारत काल म लगभग इसी कार क याय यव था जार रह महाभारत म भी कहा गया ह क पा पय पर नय ण न रखन वाला राजा पाप का भागी होता ह शराबखाना खोलन व याओ क नय क दलाल जआर तथा ऐस ह बरा पशा

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करन वाल लोग रा को हा न पह चात ह अत इन सबको द ड दकर दबाए रखना चा हए (शाि तपव 8835mdash70) (ii) याय क ोत

महाका य स सकत मलता ह क मन य को उ चत याय दलवाना राजा का कत य था इसक लए यह आशा क जाती थी क यायालय म वह न प रहगा ाचीन पर परानसार राजा सभासद क सहयोग स याय करता था इस काय म धम और शा क ाता ा मण का सहयोग लया जाता था महाभारत स व ध क ोत क जानकार मलती

ह शाि त पव म भी म न कहा ह क रा य म धमशा क अनसार याय यव था क थापना होनी चा हए ता क सभी क साथ समान यवहार हो सक भी म न व ध क चार ोत

बतलाय ह िजनक नाम इस कार ह दवस मत ( मा वारा न मत एक लाख लोक वाला थ महाभारत) ऋ षmdashस मत (ऋ ष म नय वारा न मत नयम या ा मण वारा द गई

यव था) लोक स मत (जनता वारा न मत नयम) और स था स मत (व नयम जो व भ न स थाओ या समदाय न बनाय ह जस दशधम जा तधम कलधम आ द)

3171 ीय शासन

महाका य स रा य क ाद शक यव था क जानकार मलती ह रामायण स शत होता ह क इस काल म आय न स तmdash स ध क भ म पर अ धकार कया और उसक बाद व म यदश द ण और पव क सदर भख ड म फल वहा बि तया बसाकर उ ह न अपना भ व था पत कया महाराजा दशरथ का सा ा य वशाल था उसक सफल सचालन हत उ ह न

कोई न कोई यव था अव य अपनाई होगी रामायण म रा और पर श द मलत ह फर मश दश बीस सौ और एक हजार ाम क शासक को द शक बीस ाम क शासक को वशा धक सौ ाम क शासक को शतपाल और हजार ाम क शासक को सह प त क स ा द जाती थी शाि त पव क अनसार जनपद या रा क अ तगत जो नगर ह उनक लय एकmdashएक सवाथ च तक शासक क नयि त क जाती थी य सब पदा धकार राजा क सभा म सभासद क प म सि म लत होत थ

ा मक का काय गाव क काय को स प न करना था वह गाव क क मय को दर करता था वह ाम स ब धी सचनाए द शक क पास भजता था सभापव म आया ह क

यक गाव म 5 mdash5 अ धकार रहत थ य अ धकार थायी अथवा वश पर परा स होत थ सीवी व य न इस ववरण क आधार पर ट काकार को उ त करत ह ए कहा ह क गाव क पाच अ धकार न न होत थ mdash शा ता समाहता (वसल करन वाला) सि नधाना लखक (पटवार ) और सा ी यह कहना क ठन ह क सा ी क या आव यकता थी य पाच अ धकार शर स जन और एक मन स काम करन वाल होत थ द शक वशा धक को वशा धक शतपाल को शतपाल सह पाल को और सह पाल स पण सचनाए राजा को षत करता था नगर पर या राजधानी क पदा धकार अपनmdashअपन का शासन वय करत थ

शाि त पव म जनपद क शासन उसक अ धकार और उनक कत य क स ब ध म कछ सचनाए द गई ह जो मन म त क ववरण स मलती ह भी म का मत ह क जनपद

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म नगर क अलावा गाव भी सि म लत होत थ नगर क स या तो कम ह थी नगर क शासन हत सवाथ च तक नामक अ धकार नय त कय जात थ इनक कत य का जो ववरण भी म न दया ह मानो वह मन म त स य का य लया गया ह

3172 मख अ धकार

रामायण म रा य क मख अ धका रय को तीथ कहकर पकारा ह च कट पर रामmdashभरत म जो सवाद (210036) हआ वहा पर इन अ धका रय क नाम का उ लख नह ह पर त रामायण क ट काकार क अनसार उनक स या 18 थी और उनक नाम न न थ mdash म ी परो हत यवराज सनाप त वा रका ( वारपाल) आतरव शक (राज साद ब धक) कारागारा धकत (जल अ धकार ) अथसचयकत काय नयोजक (म य स चव) ववाक ( यायाधीश) सनानायक नगरा य कमाि तक (कारखान व खान का अ धकार ) स य (सभाmdashस चव) धमा य (म य यायाधीश) द डपालक (मिज ट या प लस क म नर) दगपाल ( कल का ब धक) और रा ातर पाल (सीमा त दश का रा य पाल) महाभारत म भी इ ह 14 अ धका रय क क पना ट काकार न क ह अ य थान पर 14 अ धका रय क चचा सीवी व य न अपन थ महाभारत मीमासा (प309) म क ह िजनक नाम ह mdash दशा धकार रथा धप त दगा धकार गजा धप त अ वा धप त शर स नक (पदा त) अ त परा धम त अ ना धप त श ा धप त सनानायक आयmdash यया धप त धना धप त ग तदत और म य कायकता इनम स अ धकाश अ धकार सना स स बि धत तीत होत ह

3180 आ थक यव था

महाका य स दश क आ थक यव था एव स थाओ क जानकार मलती ह जो इस कार ह

3181 कोष क उपयो गता

भी म न महाभारत म कोष को रा य का अ त आव यक अग माना ह कोष क स ब ध म भी म एव मन म त क वचार लगभग समान ह शाि त पव म कहा गया ह क राजा को सच ट होकर कोष क र ा करनी चा हए न चयपवक कोष राजाओ का म य एव उसक व का कारण ह राजा का मल कोष और सना ह सना का मल कोष ह सना सम त धम का मल ह और धम जा का मल ह

3182 कर सचय क स ा त

राजा को कोष का अथ सचय क स ब ध म वत नह होना चा हए य द अथ सचय म राजा को वत कर दया जायगा तो जा को लश ा त होन क स भावना बनी रहती ह इस लए राजकोष म धन सचय हत कई स ा त बनाकर भी म न उनका उ लख शाि तपव म कया

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थम mdash जा प रप ट स ा त ह इसक अनसार राजा पहल जा को धन स प न कर ता क वह वय उस कर दन क लए उ सक रह इस स ब ध म गाय माता और माल क उदाहरण उ तम ह गाय स दध पान क अ भलाषी दहन स पव उसक सवा कर उस त त करता ह तब वह वय ह दध को आतर हो जाती ह राजा कोयला बनान वाल जसा यवहार न कर जो कोयला ा त करन क उ य म पड़ को ह न ट कर दता ह

वतीय mdash यथा म त स ा त ह िजसक अनसार राजा जा पर इस व ध स कर लगाय क उस लशमा भी क ट न हो इस स ब ध म बा घन मर और ज क का उदाहरण दया जाता ह भ रा जब प प म स शहद हण करता ह तो उस मालम भी नह पड़ता ततीय mdash लाभ पर कर का स ा त ह िजसक अनसार राजा मल पजी पर कर न लगाकर कवल लाभ पर लगाय चतथ mdash जार ण स ा त ह इसक अनसार जा र ा हत कर लगाना आव यक ह राजा उपज क छठ भाग को कर क प म ा त कर पचम mdash वतन स ा त ह भी म न राजा को वतन भोगी सवक माना इस लए जा क सवा हत वह कर लगा सकता ह वह उसका वतन होता ह ष ठ अ धक कर नषध स ा त कहलाता ह भी म न राजा को जा क साम य स अ धक कर लगान स रोका ह व कहत ह क गाय का अ धक दोहन करन स जो दशा बछड़ क होती ह अ धक कर वसल करन पर वह दशा जा क हो जाती ह स तम mdash शन शन कर व का स ा त ह िजसक अनसार राजा वारा लगाय गय कर क व ार भ म कम हो कर व शन शन एव अ प मा ा म

करनी चा हए एकाएक कर बढ़ान पर जनता व ोह कर सकती ह अ टम mdash आपात कर स ा त ह िजसक अनसार राजा जनता पर आपातकाल म या बाहर आ मण हो जान पर वशष कर लगा सकता ह भी म न य धि ठर स कहा था क य द श क रा य पर आ मण करन स त हारा बह त सा धन यय हो चका ह तो तम जा को समझा बझाकर कर लगाकर धन ा त कर सकत हो व वध कर

महाभारत क शाि त पव म ह भी म न राजा वारा जा स वसल कय जान वाल कर का उ लख कया ह इन कर म ब ल पशकर हर यकर श क द ड आकर कर लवण कर और तरणकर म य ह ब ल कर का ता पय क ष एव कषक जनता क र ा हत लया जान वाला कर ह िजस उपज का 8वा भाग लन का वधान था पश स जो लाभ होता ह उसका 50वा भाग पशकर प म लया जाता था श क का ता पय यापा रय स बाजार हाट माग क यव था तथा स वधाओ क लए जान वाल कर स था भी म न यव था क क श क सचय हत थान नधा रत हो हर यकर सोन क उ पि त एव व य पर लया जाता था अपराध को रोकन हत अपरा धय स लया जान वाला धन द ड कर क णी म आता था ख नज पदाथ खान स ा त होत ह खान क मा लक स लया जान वाला कर आकर कर कहलाता था यह कर भी राजकोष व का म य साधन था लवण कर का मन न उ लख नह कया ह भी म लवण उ पादन पर लया जान वाला कर भी आव यक समझता था आवागमन क स वधा हत नद नाल या अ य जल थान स लया जान वाला

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कर तरण कर कहलाता था शाि त पव क अनसार कर सभी लोग को दना पड़ता था ा मण को जो व दक परो हत या य हो राजकर स म त थ ऐसा तीत होता ह क

रामायण काल म भी राजकर क स ब ध म धम वारा नि चत जो स ा त थ उनका ाय उ लघन नह होता था

रामायण स भी ाचीन भारतीय करारोपण यव था क जानकार मलती ह अम रक व वान ई ड य हाि कस का वचार ह क उन दन राजागण अ य धक कर क बोझ स जा को लादकर अपना खजाना भरन म सल न थ क त रामायण म अन चत कर का सदव वरोध हआ राम न अपनी स पि त धमानसार एक क थी राजा स रामायण म यह आका ा क गई क वह कर वसल म उदार और नरम नी त का पालन कर उ ता का आ य लकर जा को नाराज करना य कर नह था जो राजा जा क आय का छठा भाग लकर उसका प वत पालन नह करता वह पाप का भागी होता ह उ तरका ड म प ट कहा गया ह क जो राजा जा क र ा नह करता वह उसक आय क छठ भाग का उपभो ता नह बन सकता ब ल ष भाग अथात आय का छठा भाग राजा को जा का सर ण करन का पा र मक क प म दया जाता था

319 स नक यव था महाका य स ाचीन भारतीय स य यव था का व तत ववरण मलता ह ाय

राजा लोग सना का सचालन अमा य क सहायता स करत थ रामायण क अनसार य क घोषणा या सि ध का अि तम अ धकार राजा को ह ा त था लका का स य वभाग एक म ी क अधीन था सना म चार भाग होत थ mdash पदल घड़सवार रथी और गजारोह इस लय सना को चतरग बल कहा जाता था स नक क भी चार णया थी जस mdash म बल ( म राजा क सना) आट व बल (जगल जा तया) भ य बल ( नय मत) और वष बल (श को छोड़कर आय स नक) पदल स नक क दो भाग थ िजनक नाम ह तलवार भाल स य करन वाल स नक और धनषmdashबाण वाल स नक स नक क हाथीmdashघोड़ क दखभाल करन क लए अ वब ध और कजर ह बन ह ए थ लकाmdashय म तो एक रा स साड पर बठकर र भ म म गया आवागमन का माग त ब व पल बनान वाल खनक और प रसारक का दल सना स आग जाया करता था खा य साम ी एव अ य सामान क यव था एक अ य स म त करती थी सना क पीछ यापार स नक क ि या तथा दास वग रहत थ सना य या सनाप त राजा क आदश स काय करत थ उनक अधीन कई बला य होत थ राजा और सनाप त य mdashप रष क राय क अनसार काय करत थ स य अ धकार का चयन उनक यो यता क आधार पर होता था सना का म य अग कलप होता था जो मख पद पर नय त होत थ

अयो या म स नक का अपना अलग वग था व भट या योध कहलात थ यह नाम उन स नक क लए य त होता िजनका यवसाय कवल य करना था स नक को नि चत वतन दया जाता था य क समाि त पर स नक को उपहार व लट क सामान का ह सा भी दया जाता था स नक नय मत य ा यास करत थ स नक म सरापान का चलन था

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व स दर व भड़क ल व पहनत थ य क बाद दोन प क स नक सौ ात मलन कर वर भलान का यास करत थ सना म कठोर अनशासन का यान रखा जाता था य म पीठ दखलान वाला स नक मार डाला जाता था स नक श टाचार का पालन करत उ ह आदश था क कच करत समय कोई स पि त या खत बबाद न कर शरणागत को अभय दान कया जाता था श क कमजोर स लाभ उठाना या छ वष धारण करना य व ध का अग था अकारण कसी पर आ मण नह कया जाता था ाय वषाकाल म य नह कया जाता था अ भयान शर ऋत म कए जात थ

य हत स नक को एक करन हत भर बजायी जाती थी य मदान म श वर लगाय जात थ सनाप त श प क य तयार का परा पता लगा लता था सना का अ भाग मधन और दाया बाया पा व और म य भाग क या उरस कहलात थ रामायण क अनसार य ारभ होन स पव राम न एक बार अि तम प स रावण क पास अगद को भजकर कहलाया क वह आ मसमपण करक सीता को लौटाय अथवा य मदान म उतर आय सना यह रचना करती थी िजनक नाम ह mdash यन सची व शकट मकर द ड और प ा राम को ग ड़ यह य था

य क दौरान म ल य लोक य था य म बाहmdashय मि ट य और गदा य भी होता था रात क समय य ब द रहता था लका म इ िजत और रावण न रात म भी य कया था य म धनषmdashबाण तलवार कटार व (लोह द ड) परश म गर च शल गदा बरछा शल आ द श काम म लाए जात थ प र ध लोह क काट स जड़ा द ड था शत नी य एक बार म सौ लोग का वार करता था प थर फकन क य स य लड़ा जाता ाश प श पाश तोमर मसल आ द भी मख श थ स नक य क समय कवच का योग भी करत थ

य क स ब ध म महाभारत म कहा गया ह क जहा तक सभव हो राजा बना य कए ह अपन उ य क प त कर राजा विजत कए गए क नाग रक क र ा का वचन द और फर उनस ट स ा त कर महाभारत म कहा गया ह क राजा का य राजा स ह हो य द य क म य बा मण शाि त अवल बन का आदश द तो उस दोन दल को मानना चा हए महाभारत शरणागत यि त का वध न करन का उपदश दती ह य म व बालक ी का वध न कया जाए मख म तण रखकर कोई यह कह क म आपका हआ तो उसका वध नह करना चा हए शाि त पव म य स अस ब वषयmdash वशष सवक रण स भाग ह ए यि त का वध न करन का उपदश दया गया ह भी म कहत ह क इनका वध करन वाल नरकगामी होत ह उसक पतर ण ह या क पाप क भागी होत ह महाभारत काल म चतरग यव था म व वास कया जाता था महाभारत म स ताग रा य का धान अग द ड माना गया ह द ड क दो व प होत ह mdash काश द ड और अ काश द ड काश द ड सना अथवा बल ह िजसक आठ अग मान जात ह सना क य आठ अग रथारोह गजारोह अ वारोह नौकारोह पदल वि ट भारवाहक वर और उपदशक अ काश द ड स भी म का ता पय उन उपाय स था िजनस श का अ त ग त र त स कया जा सक उ ह न अ काश द ड क अ तगत जगम अजगम चण योग व और भोजन म वष मलाकर

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श का ाणा त करना माना शाि त पव म सना क य ा यास अ धका रय कमचा रय और श का व तत वणन मलता ह सना म 101001000 स नक पर एक अ धकार होता था चार अग क अलगmdashअलग सनाप त होत थ

महाभारत म भी स नक को वतन नकद एव अनाज प म दन का वणन ह सनाप त क लए आव यक था क वह यह य और आयध जानन वाला हो स नक ाय कवच धारण करत थ यो ा धनषmdashबाण का योग म पढ़न क बाद करत थ य म अनक घोड़ वाल रथ का योग भी कया जाता था रथ क वजा पर उसक महारथीका च न होता था य म ज मी होन वाल यि त को औष ध दन का वधान था य म सफलता ा त करन हत सनाप त यह रचना ( स यह च यह) करत थ महाभारत काल म भी प थर बरसान वाल य का योग कया जाता था महाभारत म बताया गया ह क य क अठारहव दन श य क नत व म कौरव क पास तीन करोड़ पदल तीन लाख सवार तथा पा डव क पास दो करोड़ पदल और दस हजार सवार बाक थ ी पव क अनसार महाभारत य म 66 करोड़ एक लाख तीस हजार यि त मार गय यह स या महाभारत म कम आई 18 अ ौ हणी सना स अ धक ह स प म कहा जा सकता ह क महाका य काल म सना का सगठन उ च को ट का था उस समय काम म लए जान वाल श समय क आव यकतानसार थ

3191 ग तचर

महाका य म ग तचर यव था का भी उ लख ह ग तचर य द पकड़ लया जाता तो वध का पा होता था कई बार ग तचर पकड़ जान पर वय को दत घो षत कर दत थ रामायण म हनमान न पकड़ जान पर वय को राम का दत घो षत कया था रावण क ग तचर शक और सारण न भी अपन को दत बताकर वानर क ब धन स मि त पायी थी रामायण म ग तचर हत चर चारक चारण श द का योग मलता ह अयो या का ग तचर वभाग बड़ा स य था राजधानी क चार वार पर श क ग त व धय का व यान रखत थ ग तचर दो कार क होत थ नाग रक ग तचर और स नक ग तचर राम को सीता वषयक लोकापवाद क सचना नाग रक ग तचर न ह द थी ग तचर को सदव राजभ त वीर और नभ क रहना पड़ता था रामायण म राम न वभीषण क अमा य स रावण क जाससी करवायी थी वद यास क अनसार िजन लोग क अ छ तरह पर ा ल गई हो जो ब मान होन पर भी दखन म गग अध और बहर जान पड़त ह और भख यास सहन को साम य रखत ह उ ह ग तचर प स नगर जनपद यायाम शालाओ बाजार उ सव भ समदाय घमन क थान सभाओ चौराह धमशालाओ म नय त कया जाना चा हए व वासपा ग तचर को प वी पर चार ओर घमात रहना चा हए ग तचर को इस यि त स नय त कर क व आपस म एक दसर को प हचान न सक शाि त पव क अनसार राजा को ग तचर स श सना क स या का पता लगाना चा हए उनस श सना म फट डलवानी चा हए

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3192 राजदत

ाचीनकाल म राजा का दत दसर रा य क शासक क पास सदश लकर जाया करता था भी म न दत को अव य माना ह शाि त पव क अनसार दत का वध करन वाला ि य स हत नरकगामी होता ह उसक पतर णmdashह या पाप क भागी होत ह वा मी क क अनसार दत अपन वामी का खला त न ध होता ह रामायण क स दर का ड म कहा गया ह क दतशा वद बोलन म चतर स दय ब मान ईमानदार तभाmdashस प न और उ चकल म ज मा हो उ तरका ड म कहा गया ह क दत अपनी बात कहत समय उ तिजत न ह ोध करन पर वह अपन वामी क उ य क जड़ को ह समा त कर दगा य द दत

अयो यतापपण एव बचकाना यवहार कर तो वह शरारतपण हो जाता ह

3193 प लस

रामायण म राजमाग पर प लस नय त करन का उ लख मलता ह सपाह द डायधधार होत थ रावणmdashवध क बाद वभीषण सीता को पालक म लकर जब आए तब वानर क भीड़ को प लस क सपा हय न हटाया था राम जब अयो या लौट तब भी माग म भीड़भाड़ न होन क लए प लस कमचार नय त कए गए थ रामायण म कदखान का भी वणन ह िजसम अपरा धय को रखा जाता और यातना भी द जाती थी शर र को भाल स छदना तलवार स काट डालना गला घ ट कर मार डालना जला डालना आग पर सकना जसी सजा अपरा धय को द जाती थी

320 षडग य नी त एव उसका यावहा रक प वा मी क रामायण म राजा को यवहा रक बनान हत षडग य नी त क त आ था

कट क गई ह इस नी त म स ध व ह आसन समा य धान और वधीभाव आत ह सि ध क बार म तारा न बाल को यह सझाव दया था क वह स ीव को यवराज घो षत कर उसस समझौता कर ल य क वह राम स म ी कर शि तशाल बन गया ह यान एव व ह का ता पय स नक अ भयान स ह जब कोई राजा श स यादा शि तशाल हो तो इस नी त को अपनाय आसन नी त वह ह जब राजा अनकल ि थ त क ती ा म मौन बठा रहता ह समा य क अ तगत राजा अपन श क व कसी शि तशाल राजा स सहायता क माग करता ह वधीभाव क अ तगत एक तरफ शाि त यास कया जाता ह तो दसर तरफ आ मण कर स नक कायवाह कर द जाती ह महाभारत क शाि त पव म वद यास न कहा ह क राजा क स प नता ष ग य नी त क उ चत सचालन पर नभर करती ह व कहत ह क जो राजा छ गण तीन वग और तीन परम वग इन सबको अ छ तरह जानता ह वह इस प वी का सह उपयोग कर सकता ह उ ह न भी ष ग य क अ तगत रामायण वाल त व ह बतलाय ह वद यास न स धय क अ तगत उ तम म यम अधम या समा य का उ लख कया ह

महाभारत म राजा को राजनय क चार उपाय साम दाम द ड और भद अपनान क श ा द ह कमजोर रा य को सलाह द गई क व शि तशाल रा य को हाथ जोड़कर

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स न रख श बल यादा होन पर झकना ह उ चत ह राजा सदव सतक एव सजग रह ब मान रा य को श क कमजोर का पता लगाकर उस उखाड़ना चा हए व वास दत भजकर श म फट डलवानी चा हए जब साम दाम भदनी त असफल हो जाय तो द डनी त का योग करना चा हए शाि त म तट थ रहना भी राजनय का साधन बतलाया गया ह भी म कहत ह क जो अपन स अ धक शरवीर ह उस हाथ जोड़कर वश म कर डरपोक को भय दखाकर फोड़ ल लोभी को धन दकर काब म कर ल तथा जो बराबर का हो उसक साथ य छड़ द श को उखाड़ फकन म ज दबाजी न कर राजा को न सदव दयाल और न सदव न ठर होना चा हए सफलता चाहन वाल राजा को धम और अधम दोन ह माग का अनसरण करना पड़ता ह राजा दसर का व वासपा बन पर त वय दसर का िजसम उसक प भी ह व वास न कर य द कोई यि त स ताग रा य व काय करता ह तो उसका वध कर दना चा हए चाह वह यि त आचाय या म ह य न हो रा य पर आ मण हो जान पर राजा ा मण एव साधओ को छोड़कर बाक सबका धन अपहरण कर सकता ह भी म न रा य हत म राजा को धमनी त स वच लत होन तक क सलाह द डाल भी म न राजा वारा बलपवक धन स ह क ायि चत व प उस (राजा को) अ वमध यह करन क सलाह द ह

321 गण एव सघ रा य रामायण म गणरा य का उ लख नह हआ ह जब क महाभारत म गणरा य क

स ब ध म मह वपण जानकार मलती ह भी म को गण एव सघ रा य का पण ान ा त था गण क ि ट म कोई यि त जा त कल क ि ट स छोटा बड़ा नह होता था भी म न गण म चर या ग तचर नय त करन क बात कह ह िजसस स होता ह क गण राजनी तक स थाए अथात रा य प म ह थ महाभारत काल म योधय मालव श व औद बर अ धकवि ण गत मा यमकय अ ब ठ वातधान यादव ककर भोज आ द गणरा य मख थ यादव ककर भोज अ धक और वि ण गण न मलकर एक सघ बना लया था इस सघ क म खया क ण थ उ ह न राजनी तक वत ता और पथक स ता कायम रखत ह ए अपन को एक सघ म सग ठत कया क ण को भी सघ म व वध जा तय क कट आलोचना को सहन करना पड़ता था व इनका उ तर मीठ वचन स तथा सबका यथाmdashयो य स कार करक दत थ महाभारत क अनसार क ण न कस वध कया और उसक पता उ सन को यादव सघ का धान नवा चत कराया वणmdash वजय पव एव सभापव म भ रो हतक आ य मालव आ द गण का उ लख मलता ह शाि त पव म गण क उ थान क लए माग बताय गय ह जो इस कार हmdash

1 गणशा ानकल धम एव यवहार स चल 2 गण क सद य प पात एव लोभ स पर रह 3 कल क नता अपन प व भाइय को नय ण म रख 4 गण म खय का स मान कया जाय 5 गोपनीय वषय स पण गण म उपि थत न कर

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6 श गण म धन या लालच दकर फट न डाल इस लए उस फट स बचाय 7 गण क आ य तर भय स र ा क जाए 8 गण क जी वत रहन हत सघ बनाय रखन पर जोर दया ह 9 प षाथ कत यपरायण ब मान बलवान यि त का स मान करना गण क पतन क कारण भी महाभारत म बताय गय ह जो इस कार हmdash 1 ोध लोभ मोह स म य नताओ म फट पड़ती ह 2 श धन स सघ म फट डाल सकता ह 3 पतन स बचन हत सघात प म रहना आव यक ह 4 शा मया दत धम का याग न कर 5 गण म य का स मान न करन पर 6 ग त भद कट हो जान पर

महाभारत म कहा गया ह क आ य तर भय ह गण क जड़ को काटन वाला होता ह श लोग भद और धन क दान वारा ह गण को जीतत ह अत सघात ह एक ऐसा उपाय िजनस गण क र ा हो सकती ह शाि त पव क अनसार गण क सघ म भस ता सघ क सभा होती थी इस सभा म सघ क सद य रा य क त न ध बठकर वचारmdash वमश करत थ सद य वादmdash ववाद क बाद बह मत स नणय करत थ सभा य राजा और उपा य उपराजा कहलाता था सघ क सभा म दलब द भी होती थी यक दल चाहता था क उनक पस द का यि त राजा या अ य बन अ धक वि ण ककर भोज और यादव रा य क जनता अपन क याण हत सघ अ य क ण पर आ त थी नारद क अनसार क ण ह ऐस यि त थ जो इस सघषय त सघ का भार वहन करन म समथ थ इस ववरण स सक तत ह क महाभारत काल म राजत और गणत दोन कार क शासन प तया च लत थी

322 पर और जनपद भी म न शासन क ि ट स रा य को पर और जनपद दो भाग म वभािजत कया पर स भी म का ता पय उस नगर या दग स था जो रा य क राजधानी हो रा य

को पथक कर दन क बाद रा य का जो अवशष रहता वह जनपद कहलाता था भी म क अनसार पर म दग होना आव यक ह पर त दग ह पर ह ऐसा व नह

मानत दग पर का अश होता ह पर का शासन क य अ धकार वग क अधीन था शाि त पव क अनसार पर को सर त रखन क लए उसक चार और कार एव प रखा (ख दक) होना ज र था दग छ कार क होत हmdash वज दग मह दग ग र दग मन य दग मि तका दग और वन दग दश काल क अनसार इनम स कसी एक दग का राजधानी क नमाण म उपयोग कया जाय भी म न कस जा त को कहा बसाया जाय तथा उसक उ थान क लए कौन स साधन जटान चा हए इसका भी उ लख कया ह पर म नवा सय हत भरणmdashपोषण साम ी का होना आव यक ह ता क आव यकता पड़न पर व वावल बी होकर उसक र ा कर सक

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जनपद अनक बि तय स मलकर बनता था सबस छोट इकाई ाम फर दस ाम बीस ाम सौ ाम और हजार ाम का होता था िजस पर राजा क मि म डल का सद य शासन काय करता था इसक अ धका रय का उ लख मन म त म दखा जा सकता ह य क शाि त पव म वसा ह ववरण ह जनपद क अलावा नगर का भी उ लख महाभारत

म मलता ह िजसम सवा च तक शासन करत थ थानीय शासन म णय क भी मह वपण भ मका होती थी

323 साराश महाका य भारतीय स कत सा ह य क अनमोल र न ह इनस ाचीन भारतीय

राजनी तक वचार एव शास नक स थान क सबध म जानकार मलती ह महाका य स भारत म द डनी त क उ कष रा य क थापना राजा क ि थ त उसक अ धकार कत य गणmdashदोष उ तरा धकार क नयम का ान ा त होता ह महाका य म म प रष ससद द डmdash यव था याय व ध आ थक ग त व धय षडग य गण सघ पर और जनपद पर व तार स काश डाला गया ह भारतीय राजनी त क स ा त क वकास का अ ययन करन हत महाका य ामा णक स क प म उपयोगी ह महाका य धमनी त क ि ट स मह वपण

थ ह इनस हम राजनी त क इ तहास पर धम क भाव को ल त करन म सम चत सहायता मलती ह सदभ थ mdash अ तकर अस ाचीन भारतीय शासन प त अ यर रामा वामी सीपी द क चरल ह रटज ऑफ इि डया ख डmdashII घोषाल यएन अ ह ऑफ इ डयन पो ल टकल आइ डयाज़ अ

ह ऑफ ह द पो ल टकल योर जायसवाल काशी साद ह द रा यत त ख डmdashImdashII द त मकमार रामायण म रा य यव था पा डय यामलाल भारतीय राजशा णता बनी साद यौर ऑफ गवनमट इन ए य ट इि डया भ जगद शच रामायणकाल न समाज एव स क त राय बीपी पो ल टकल आइ डयाज ए ड इ ट यश स इन द

महाभारत यास नानराम शाि तकमार रामायणकाल न समाज व यालकार समधा महाभारत म शाि तपव का आलोचना मक अ ययन व यालकार स यकत ाचीन भारत क शासन स थाए और राजनी तक

वचार व य सीबी महाभारत मीमासा शमा रामशरण ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए

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इकाईmdash4 ाचीन भारत म रा य क उ पि त और व प

सरचना 40 उ य 41 तावना 42 अ ययन क ोत 43 छठ शता द ईसा पव क राजन तक यव था 44 ाचीन भारत म रा य क उ प त 45 ाचीन भारत म रा य क उ पि त सब धत च लत वचारधाराए 46 ाचीन भारत म रा य का व प 47 साराश 48 अ यासाथ न 49 पठनीय ास गक थ

40 उ य इस इकाई क अ ययन क प चात आप न न ल खत जानकार ा त कर सकग mdash

(अ) ाचीन भारत म च लत राजन तक वचार और उसक दाश नकता (Philosophy) का ान

(ब) ाचीन भारत म रा य क उ प त और उसक क त ( व प) स सब धत ोत क जानकार

(स) ईसा क छठ शता द पव म व यमान नई राजन तक यव था क जानकार (द) ाचीन भारत म िजन उ य क कारण रा य का उदय हआ उसका ान (ध) ाचीन भारत म व यमान रा य क क त (Nature) ( व प)

41 तावना लटो और अर त क समय म यरोपीय वचारधारा का यान अ य सम याओ क ओर

आक षत हआ जस रा य क उ प त उसक क त एव उसक क त य द घ काल तक राजनी त शा दशन शा का एक अग माना जाता रहा ाचीन भारत क नवासी भी इन सम याओ क ऊपर वचार करत थ परत कभी कभी और वह भी गभीरतापवक नह इस वषय पर उनम वाद ववाद भी बह त कम होता था उनक थ म उ ह न राजनी त को दाश नक अव था म वीकार नह कया िजसक कारण राजनी त व ान एक पथक स था क प म नह रह जसा क पि चमी दश म थी ाचीन भारतीय न रा य क यव था और

उसक काय म वशष च ल उ ह न राजनी त व ान को गभीरता स लया और दडनी त (दड या) और राजनी त (राजाओ का यवहार) को एक ायो गक व ान क प म वीकार

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कया इसी कारण स उनक सा ह य स हम रा य नामक स था क वषय म काफ जानकार मलती ह

42 अ ययन क ोत 1 उ तर व दक काल न सा ह य म कह कह बौ काल स पव क राजन तक अव था तथा वचारधारा का दशन मलता ह ा मण थ म वार त राजाओ वारा कए गए अनक य स हम उस समय क राजाओ क मह ता का ान ा त होता ह ाचीन धमस स भी उस समय क रा य क वधा नकता पर काश पड़ता ह य य प इन थ स उस समय क च लत राजन तक वचारधाराओ का तो ान होता ह परत उनम रा य क उ पि त और उसक क त क वषय म व तारपवक वणन का अभाव ह इसस ऐसा तीत होता ह क उस समय

राजत स था का पणा प स वकास नह हआ था बौ यगीन काल म स यवि थत रा य क उदय स बौ सा ह य म रा य क उ प त क वषय म वशद जानकार मलती ह इसक अ त र त महाका य वशष कर महाभारत म इसका वशद ववरण ह इस लए रा य क उ पि त क वषय क सपण जानकार क लए हम इन सम त साधन क अ त र त पराण और जन थ का भी अ ययन करना पड़ता ह मौय क शासनकाल म रा य क क त भ तथा काय म यापक प रवतन ह ए िजनका ान कौ ट य क अथशा तथा अशोक क शलालख स भल भा त होता ह और व इस वषय क लए य अम य साधन ह

43 ईसा क छठ शता द पव क राजन तक यव था ईसा क छठ शता द ईसा पव उ तर भारत म एक नई राजन तक यव था न ज म

लया उस समय जनपद और महाजनपद नामक रा य म राजाओ न यवि थत प स कर लना ारभ कया और स यवि थत सना का रखना भी ारभ कया य राजा व दक राजाओ क भा त नह थ य क व दक राजा वश पर परागत बधन म जकड़ ह ए थ उ तर व दक काल म इस अव था म प रवतन हआ जब अ य उ पादन यव था म लोह क उ पादन स एक नई शि त मल इस समय लोह क औजार चावल क उ पादन और धम वारा पशधन क सर ा को मा यता दान होन क कारण व दक राजाओ म शि त और शसा ा त करन का उ साह उ प न हआ इस उ य क ाि त हत ाचीन वश पर परागत बधन को तोड़ना आव यक हो गया तथा समाज म उ प न नवीन ध नक वग तथा अ य ऐस यि त जो अ धक धनोपाजन कर रा य को कर द सक और इस कर क धन स एक ऐसी सना बनाई जा सक िजसम अपन वामी क त सपण वामी भि त हो इनको मह ता दान करना भी आव यक हो गया इस समय उन कबील क यि तय को ह सना म सि म लत कया गया जो राजा क त वामी भ त ह य क जो कबील सदर दश म य म जान को तयार नह थ व राजा को स य यव था हत कर दन का वरोध कर सकत थ ऐसी प रि थ तय म राजाओ न राजसय और अ वमघ य करना ारभ कया िजसस न कवल उनक स एव गौरव म ह व ह ई वरन उनको ाचीन वशपरपरागत बधन को तोड़न म भी सहायता ा त ह ई और उ ह जनता स कर लन का वधा नक अ धकार भी ा त हो गया

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इस नई वचारधारा का बौ सा ह य म सपण ववरण ह िजसम राजा को कर वसल करन क नए अ धकार क ाि त ह ई

44 ाचीन भारत म रा य क उ पि त ईसा पव क छठ शता द म उ प न इस नई वचारधारा स रा य नमाण क

ाथ मक अव था का ान होता ह इस वचारधारा को ईसा पव क पाचवी तथा चौथी शता द म काफ मह व मला जब क एक नई राजन तक वचारधारा जस च वत म और च वत आदश न ज म लया इस वचारधारा स उस समय रा य वारा नए सामािजक और आ थक त व पर वय का भ व था पत करना उनका एक यय था परत इस यय क प त कवल स ाट अशोक न ह क अ य राजा इस उ य क प त म वफल रह इस नई राजन तक वचारधारा क वा त वक व प का ान हम मौय क शासनकाल स होता ह इसका वशद वणन कौ ट य न कया ह उसन रा य क सात व भ न अग अथात स ताग का वणन कया ह इस स ात को उसक प चात क वचारक न भी एक आदश माना ह

45 ाचीन भारत म रा य क उ पि त सब धत च लत वचारधाराए ाचीन भारतीय सा ह य म रा य क उ पि त क वषय म वणन ह रा य क

उ पि त क स बध म न कवल बा मण थो वरन बौ और जन थ म भी इसका वणन ह य वणन भ न भ न थान म व णत ह पर त इनक काल और वषय क स बध म कोई नि चत त य काश म नह आता ह यह हष का वषय ह क कई व वान न इस स बध म क ट दायक शोध करक रा य क उ प त क स बध म नि चत मत तपा दत कए ह पर त इन व वान वारा तत वचारधारा क अ ययन स पव यह उ चत होगा क थम हम न न ल खत वचारधाराओ पर ि टपात कर mdash (अ) ाचीन भारत म रा य क उ प त स स ब धत वचारधाराए वा तव म राजत या राज व क उ पि त क वषय म ह (घ) य वचारधाराए वा तव म पि चमी वचाराधारा स भा वत ह वा तव म ाचीन भारत म रा य क उ प त क वषय म दो स ात मख स च लत थ थम समझौत का स ात (Contract Theory) और वतीय द वक उ पि त स ात

(Devine Origin theory) समझौत का स ात

सव थम समझौत क स ात का वणन हम ा मण थ स ा त होता ह एतरय ा माण (1143) म इस कार का वणन ह mdash

जब दवी और असर (रा स ) म य हआ उस समय असर न दवताओ को परािजत कया उस समय दवताओ न कहा क हमार ऊपर कोई राजा न होन क कारण ह असर न हम परािजत कया ह इस लए हम राजा का चनाव करना चा हए इस ताव पर सभी दवी न अपनी सहम त कट क और उ ह न सोम यान इ को अपना राजा नय त कया और इसक प चात समय उनक प म हो गया

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एतरय ा मण म एक अ य थल पर ऐसा उ लख ह क इ को चनाव वारा राजा बनाया गया (VIImdash12) ऐसा वणन ह क सम त दवताओ न उनक मख दवता जाप त स कहा क व इ को राजा बनाना चाहत ह य क वह एक अ यत बलशल वीर एव सवगण सपन ह और वह यक काय को सफलतापवक कर सकता ह इस वणन क प चात एतरय ा मण (159) म पन इस घटना का वणन ह ल कन इस समय यह दसर प म ह इसम

कहा गया ह पी ड़त दवताओ न अपना राजा नह चना उ ह न अपन मख दवता जाप त स ाथना क क उनक प इ को उनका राजा बनन हत भज द

शतपथ ा मण म राजा क चनाव का अ प ट प स वणन ह उसम व णत ह क हम पराजय का म ह दखना पड़ा और कई असर भी हमार बीच म आ गए ह इस लए हम अपन श ओ स परािजत हो जावग इस लए हम आपस म वचार व नमय कर हमार म स ह कसी को अपना राजा बनाना चा हए उ ह न इ को अपना राजा बनाया

उपरो त व णत सदभ स ात होता ह क ारभ म राजा बनान क आव यकता य क सनाप त क प म ह ई जब क असर पर नर तर वजय ा त होती गई तो इसक प चात राजा क आव यकता एक बलशाल यि त क प म हो गई इसक प चात राजा को द वक उ प त का माना गया ऐसा वणन ति तर य ा मण म आया ह जसा क हम पछल वणन म (43 4 4) म कह चक ह क राजत या राज व ा मण थ क अनसार एक ग तशील स था रह इन लख म राजा क आव यकता को दशाया गया ह जसा क दवताओ न श ओ पर वजय ा त करन हत इस आव यक समझा

ऐसा माना जाता ह क ा मण थ म राजा क चनाव प त स नय त होन क कारण जा को उसक आ ा का पालन करना चा हए राजा का यह कत य ह क वह अपनी जा क र ा कर इस कार ा मण थ न बाद म राजा चनाव सव स म त स होन वाल वचारधारा का तपादन कया जो एक सामािजक समझौता था यहा पर यह कहना उपय त होगा क य वणन पणतया अ प ट और ामक ह और यह रा य क उ पि त क सामािजक चयन या स ात (Social Contract Theory) का पण प रचय नह दत ह

सव थम सामािजक समझौता प त का प ट वणन बौ थ द घ नकाय स ा त होता ह िजसम रा य क उ पि त क स ात का वशद ववरण हम स क तपा दत स ात क याद दलाता ह रा य क इसी क त का वणन हम हो स स भी ा त होता ह

द घ नकाय (III 931) म व णत ह क ससार क ार भक समथ म मन य सादा जीवन यतीत करता था और आ म नभर था शन शन मानव समाज क आ म नभरता समा त होती चल गई और उस सय च द तारागण रा दवस मह न ऋतओ और वाय का ान हआ इसी समय रग और लग उस मालम हआ स प म कह सकत ह क मन य का क त स नाता टट कर सासा रक जीवन स जड़ गया अब र ा भोजन और पानी

आव यकता महसस ह ई इस लए मन य न आपस म कई समझौत कए और कट ब और सपि त स थाओ न ज म लया पर त इस यव था म अनक नई सम याए उ प न हो गई अब चोर और अ य कार क असामािजक काय ारभ हो गए इस लए मन य न एक उनम स ह एक जन य आकषक यि त व वाल यो य प ष का सवस म त स चयन कया और

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उसस कहा क ह परोपकार तम उन यि तय को जो अपरा धक वि त क ह उनको दड दो उनक न दा करो और उनको दश नकाला दो हम त ह इस काय क लए हमार वारा उ प न चावल म स एक भाग तमको दग उसन इस पर अपनी सहम त दशायी और उसी क अनसार काय कया च क उसका चनाव सवस म त (महाजन स मत) स हआ था इस लए उस महासाम त क नाम स पकारा गया य क वह सम त भ म का वामी (खता नामप त) था इस लए उस ख तीय कहा गया और उसन नयम का पालन करक सम त मानव को सख दान कया इस लए उस राजन कहा गया उपरो त व णत त य म न न ल खत बात का वणन ह

(i) उस समय क मानव समाज का वणन (ii) उस समय क सामािजक यव था (iii) राजा और मानव समाज क म य ह ए समझौत

इसक अ त र त उपरो त वणन स ात होता ह क बौ यग म कसी सामािजक और आ थक यव था थी उस समय पव भारत म चावल क खती बह तायत स होती थी उस समय चावल का अना धकत स ह और चावल क चोर स समाज पतन क ओर अ सर हो रहा था इस लए उस समय चन ह ए राजा को इन अपरा धक व त वाल यि तय को द डत करन क लए समझौता कया गया इस राजन तक गठबधन स बौ काल म समाज म िजस यव था न ज म लया उसका अनमान ा मण थ स लगाया जा सकता ह

ईसा क थम शता द म र चत महा मा ब क जीवन पर लख गए थ महाव त स समझौत क स ात स रा य क उ प त क आग क यव था का हम प रचय मलता ह इस समय नवा चत राजा न कवल अपरा धय को दड ह दता था वरन इस काल म उसन एक नय क त य को भी अपना लया था और वह था यो य यि तय को ो सा हत करना इसस पहल क वचारधारा म यो य यि तय को पर कत करन का वणन नह मलता ह सभवत इस वचारधारा का ज म स ाट अशोक क शासनकाल म हआ य क उसन उसक शास नक अ धका रय को इस कार क आदश सा रत कए थ (REIV)

महाभारत न भी सामािजक समझौता स ात (Theory of social Contract) का अनमोदन कया ह इसका वणन सव थम हम शाि तपव क 59 व अ याय और वतीय वणन 67 व अ याय स ा त होता ह 59 व अ याय म ऐसा वणन ह क व ण न अपन मि त क स एक प शासन चलान हत उ प न कया पर त उसन और उसक वशज न इस काय म उदासीनता दखाई िजसक फल व प वणा का अ याचार शासन ारभ हआ इस ट होकर ऋ षय न वणा का वध कर डाला और उसक दाई जघा स पथ को पदा कया जो व ण क आठवी पीढ़ म था उस समय ऋ षय और पथ व य म एक समझौता हआ ऋ षय न उसस कहा क वह शपथ हण कर क वह दड नी त क स ात क व प शासन करगा वह ा मण को द डत नह करगा और वह ससार को जा त सि म ण स म त रखगा पथ न यह

आ वासन दया क वह जो यायो चत होगा वह काय करगा और सदव आदरणीय ा मण वग का स मान करगा य य प यह समझौता थम राजा स नह हआ था पर त उस वणन स हम यह ात होता ह क वा त वक राज त पथ क समय स ह ारभ हआ और उसी क नाम

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पर बाद म इस ससार का नाम प वी रखा गया इस समझौत का एक मह वपण पहल यह ह क यह समझौता राजा और जनता क बीच नह वरन राजा और ा मण क बीच म हआ िजसस ात होता ह क उ तर मौयकाल और ग त यग म ा मण का मह व काफ बढ़ गया था श ग क व और सात वाहन क शासन काल म यह वि त ारभ ह ई

शाि तपव क 67व अ याय म भी रा य क उ पि त क समझौत वाल स ात क क पना क गई ह यहा पर सामािजक और राजन तक दोन वचारधाराओ का वणन ह इसम व णत ह क ाचीन समय म जब मन य का कोई राजा नह था तब उ ह वनाश का सामना करना पड़ा सव मत य याय का चलन था आपस म लोग एक दसर का वनाश पानी म रहन वाल मछ लय क भा त करत थ फर उ ह न एक त होकर कछ समझौत (समय) कए िजसस समाज क सम त वग म व वास उ प न हो यह ि थ त अ पकाल न रह जब यह प रि थ त च ताजनक अव था म पह ची तब सम त मन य न मा क स मख जाकर यह ाथना क क ह भगवन बना राजा क हमारा वनाश हो रहा ह इस लए आप कसी को राजा बनाओ हम सब उसक आ ा का पालन करग पर त उस हमार र ा करना होगी मा न इस काय क लए मन स कहा पर त उसन इस वीकार नह कया उसन कहा क म सम त अपराध स भय खाता ह एक रा य पर शासन करना एक अ त क ठन काय ह वशषतया उस समाज म जहा पर मन य सदव अस य बोलत ह और उनका यवहार भी कपटता या धतता स भरा हआ हो इसक प चात मन य न अपन काय पर प चाताप कट कया और राजा को अपन पशओ का पचासवा भाग वण का पचासवा भाग और अनाज

का दसवा भाग रा य कोष क व (कोष व नम) हत दन का आ वासन दया उ ह न इस बात का भी आ वासन दया क जो श चलान म नपण ह ग व मन क आशाओ का उसी भा त पालन करग िजस कार क दवतागण इ क आ ाओ का पालन करत ह इसक उपल य म उ ह न राजा स उनक सर ा का अ धकार मागा और व वास दलाया क उनक स यकाय वारा अिजत पराण का एक चौथाई भाग व राजा को सम पत करग

शाि तपव एक मानसार राजन तक थ नह ह पर त राजन तक वचार और वचारधाराओ का एक स ह ह इस लए इसम कोई आ चय नह क एक ह सम या क दो व भ न वचारधाराए तत कर द ग जब क 59व अ याय क वणन म राजा क शि त पर ा मण वग क हत क र ा हत अकश रखन का वणन ह पर त 67व अ याय म राजा क शि त क मह व को दशाया गया ह इसक अ त र त इस अ याय म जनता का क त य न कवल राजा को कर दना (पश वण और अ न क प म) बताया गया ह परत इसक साथ साथ धा मक ि ट स इसक कई लाभ भी बताए गए ह 67व अ याय म समझौत वाल स ात क एक म य धारा म बहदर स नक को रा य सवा करत भी दखाया गया ह इसस ग त काल न अध साम त णाल का ान होता ह इन कारण स शाि त पव म व णत वणन को ाचीन भारत म रा य क उ पि त क स ात क एक सतोषजनक एव सपण वचारधारा नह माना जा सकता ह सभवत यह कवल एक ह भारतीय वचारधारा ह जो कछ अतर क अ त र त हो स क पि चमी वचारधारा स सा यता रखती ह

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शाि तपव क अ याय 59 और (67 म एक म य समान त य यह ह क य दोन अ याय बौ वचारधारा क भ न प स राजा क चनाव प त का वणन करत ह दसर ओर व राजा क द वक उ पि त का वणन करत ह जस क राजा क उ पि त व ण और मा वारा ह ई अ ध नयम और महाभारत म राजा क समझौत वाल स ात वारा उ प त का

वणन ह परत कौ ट य क अथ शा म अ ध नकाय क भा त सजाक उ पि त चनाव प त स बताई गई ह परत इसक साथ साथ राजा को कर दन का ावधान शाि तपव क तरह व णत ह इसम व णत ह क समाज म अराजकता होन क कारण मन य न मन वव व को अपना राजा चना ओर उस अपन उ प न कए ह ए अ न का छठा भाग तथा यापा रक व तओ क उ पादन का दसवा भाग तथा वण का एक नधा रत भाग कर म दना वीकार कया इन कर क दन क उपल य म राजा न जनता क लए समाज हतषी क प काय करन का व वास दला और इस काय हत असामािजक त व को दड दन और उन स कर लन का आ वासन दया यहा तक क जगल म रहन वाल आ दवा सय को भी जगल क उ पादन का छठा भाग रा य को दना नि चत कया गया कौ ट य क वचारधारा का म य उ य राज क शि त बढ़ाना और जा को रा य क आ ा पालन कराना ह इस वचारधारा म कह भी राजा थायी शि त पर अकश रखन का ावधान नह ह जब क जनता पर जो क त य राजा क त बताए गए ह व भार व प ह य सब मौयकाल न रा य और उस समय क आ थक अव था को यान म रखकर बताए गए ह

स प म हम कह सकत ह क ाचीन भारत म रा य क उ प त कसी सामािजक स था क पव नह ह ई ह परत एक वशष ऐ तहा सक काल म मानव समाज क कछ आव यकताओ क प त फल व प ह ई ह बौ थ वणन तथा पथ और मन कथाओ स हम ऐसा तीत होता ह क य घटनाए उस काल स सबि धत ह जब मन य एक सामािजक ाणी क भा त तो जीवन यतीत करता था परत उस समय उनका कोई उ च राजन तक अ धकार नह था व भ न थ म व भ न कार क वणन का म य कारण यह ह क इन थ क सपादन काल भ न भ न ह िजस समय द घ नकाय का सपादन हआ उस समय नई राजन तक अव थाओ क सभावनाए थी और इसी लए इसम व णत समझौता प त वाल स ात स व वान न यह न कष नकाला क उस समय क राजन तक ि थ त म समझौत वाल स ात का अि त व अव य था (यएन घोघाल mdash हद पा ल टकल योर ज कलक ता1923 प० 121) पर त जसा क हम पहल वचार कर चक ह क इस स ात का थम वणन हम ा मण थ स ा त होता ह और इसक वा त वक ि थ त हम महाभारत स ा त होती ह

इस लए अब यह आव यक हो गया ह क रा य क उ पि त क वणन का अ ययन हम उस काल और उसस सब धत ऐ तहा सक त य को यान म रखत ह ए करना चा हए

इस कार ाचीन समय क राजन तक वचारक वारा तपा दत रा य क उ पि त स स ब धत समझौत वाल प त का राजनी त क म एक वशष योगदान ह यहा तक क ीक क राजन तक वचारक जस लट और अर त न राजन तक व ान को एक अलग वषय

माना ह उ ह न भी राजा और जा क स बध को समझौत वाल ि ट स नह दखा

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साराश म ाचीन भारत म च लत रा य क उ प त क स बध म च लत समझौत वाल प त क न न ल खत वशषताए ह mdash

(अ) रा य क उ पि त क पहल समाज म वण यग था य क वह समय शा त और सम स भरपर था

(ब) वण यग क अवन त क फल व प य ारभ ह ए अथात समाज म प रवतन आए (मत य याय) यह प रवतन कस कार आए इसका वणन ाचीन थ म नह ह

(स) बदलती ह ई सामािजक प रि थ त म एक राजा क आव यकता तीत ह ई जो समाज म शाि त था पत कर सक इसी कार क प रि थ त का वणन हो स और ि पनोजा न भी कया ह उ ह न भी एक शि तशाल अ धकार वारा समाज म या त अपरा धक वि तय पर अकश रखन का सझाव दया ह

(द) राजन तक सपक और कछ थान पर सामािजक सपक स उस समय क रा य क क त म प रवतन आए और यह व वास कया जान लगा क मन य म बराइया या त ह

और उनको कवल दड दकर ह दर कया जा सकता ह (घ) समझौत वाल स ात म कवल जा क ह कछ क त य नह ह पर त रा य क भी य

क त य ह क दड वारा वह समाज म शाि त और सम का वातावरण उ प न कर ाचीन समझौत वाल णाल स स ब धत कछ अकश

य य प रा य क उ पि त सामािजक समझौत वाल णाल स होना ाचीन भारतीय राजन तक वचारक क एक मह वपण उपलि ध ह पर त इस पर कछ अकश क न होन क कारण इसम कछ टया ि टगोचर होती ह

(अ) इस णाल म सामािजक अवन त क कसी वशष कारण का उ लख नह ह (ब) इसम यह व णत नह ह क सव थम कबील क सद य म कस कार समझौता हआ

जो रा य क क त स सब धत ह (स) इस णाल म वा त वक प म कसी समझौत का वणन नह ह जस महाभारत म

व णत ह क मन न जब राज का पद हण कया उस समय वह कसी शत या नयम स बा य नह था इसी कार अथशा म व णत ह क सामािजक समझौता णाल स राजा बनान पर उस पर कोई अकश नह रखा गया द वक उ पि त वाला स ात

ार भक व दक काल म राजत (राज व) क उ प त क द वक वाल स ात का ारभ हआ ऋ वद (VII 6412) म एक स व दक राजा साद य स सब धत तो म उसन उसक द वक शि त क वषय म यह उ चारण कया क मरा रा य दो कार का ह उसम सम त य वश तथा अ य मानव समाज सि म लत ह दवताओ का मझ सहयोग ा त ह और (व ण मर काय म सहायक ह म उन सब पर शासन करता ह इस स ात का व तार ा मण थ क काल म हआ वशषकर उस समय जब राजसय और अ वमघ य का चलन ारभ हआ िजनक क त यापक प स राजन तक थी शतपथ ा मण म जो राजा

राजसय य करता ह उसक राजन तक स ता क वषय म इस कार वणन ह राजा क

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अदर जाप त क गण व यमान ह जाप त जो सम त ा णय का वामी ह इस लए वह वय कवल एक होकर भी अनक पर शासन करता ह यह स य ह क व दक दवताओ को

राजाओ क गण स वभ षत बताया गया ह परत फर भी वद म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का यदा कदा कह कह दशन ह वद क मख तो म कह भी ऐसा वणन नह ह क राजा क उ पि त दवताओ वारा क गई

महा मा ब क ाथना णाल म राजा क द वक उ प त वाल स ात क मह ता का अ त हो गया य क महा मा ब और उनक अनया यय न इस स ात क भ सना क पर त जब आ द मौयकाल म व दक धम क पन उ न त ह ई तब राजाओ वारा यह करना ारभ हआ इन दोन काल क म य हम कौ ट य क अथशा म राजा क तलना दवताओ

स क गई इसम व णत ह क राजा म इ और यम दोन क शि तया व यमान ह इ का काय प रतो षक दना और यम का काय दड दना ह इस कार राजा इन दोन शि तय का य प ह जो कोई भी यि त राजा क आ ा का उ लघन करगा उस पर ई वर य कोप होगा (अथशा 113) यहा पर ई वर य दड क उ लख का मह व ह य क ह द वचारधारा क कम क स ात क अनसार दड स नह बचा जा सकता ह

महाका य और मन म त म द वक उ पि त क स ात को और बल दान कया ह रामायण म ऐसा उ लख ह क राजा एक स य ह अपन स काय क कारण वह यम कबर इ और व ण दवताओ स भी बढ़कर ह (रामायण 11 6) 34mdash 36) इस कार रामायण न एक नए स ात का तपादन कया क राजा दवताओ स भी बढ़कर हो सकता ह य य प महाभारत म हम राजा क द वक उ पि त वाल स ात का वशद ववरण पात ह शाि त पव क अ याय 58mdash59 म राजा य धि ठर भी म स दो न पछत ह पहला न राजा क उ पि त क वषय म था और दसरा न क त क नयमानसार एक ह यि त क महानता और वा म व उसक सहयो गय क ऊपर जो काय कशलता ब शाल शार रक बल और स दरता म उसी स सब धत तथा भी म न उ तर दया क ाचीन समय म न राजा था और न राजत उस काल म मन य क ऊपर शासन धम क अनसार करता था इसक प चात समाज अवन तक ओर अ सरलता उस समय वद का लोप हो गया और धम ट हो गया इस दशा स भयभीत होकर दवता मा क शरण म गए और मा न दड नी त पर एक वहद थ क रचना क इसक प चात दवता व ण क पास गए भगवान व ण का काय ससार क र ा करना होता ह दवताओ न भगवान व ण स मानव समाज म एक राजा बनान क ाथना क व ण न अपन तज स एक प उ प न कया जो मन य ( वराजस) का राजा बन सक इस कार इस वणन स हम ात होता ह क थम राजा क द वक उ पि त ह ई तथा उस क साथmdashसाथ दडनी त क भी द वक उ पि त ह ई शाि त पव क अ याय 36mdash40 म व णत ह क वह प त न राजा क द वक उ पि त वाल स ात क वशद या या क ह जब क इस वषय म वसमन न उनस पछा था उ ह न कहा था क राजा होना समाज म शाि त था पत करन क लए बह त आव यक ह उ ह न न कया क ऐसा कौन यि त होगा जो राजा क आ ा का पालन नह करगा िजसक सर ण म मानव क वय क सर ा ह और िजस क न होन स मानव समाज भी न ट हो जाएगा इस लए उ ह न कहा क कसी भी यि त को राजा क एक मन य होन क कारण

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उसक आ ाओ क अवहलना नह करनी चा हए य क राजा मानव समाज म एक द वक शि तवाला यि त होता ह

मन न भी राजा क द वक उ पि त वाल स ात को सहष वीकार कया ह उनका कथन ह क जब मानव समाज म राज नह था और समाज म चार तरफ अराजकता फल गई तब भगवान न ससार क सर ा हत राजा को पदा कया भगवान न राजा म इ अ नल यम अक अि न व ण च ओर कबर क द नक गण का समावश कया उ ह न आग कहा क य क राजा क उ पि त दवताओ क व भ न गण स क गई ह इस लए एव हम सम त मानव समाज स ठ ह और सय क भा त राजा आख और दय को काश मान करता ह वह ऐसा काशमय ह क मानव समाज उसक ओर ि ट उठाकर भी नह दख सकता ह एक अ य थान पर मन का कथन ह क राजा क रचना दवताओ वारा क गई ह िजसका म य ह थयार दड ह और दड भी ई वर का प ह (मन म त 5mdash6) राजा क द वक उ पि त वाल स ात क सी मतता

कई व वान न राजा क द वक उ पि त वाल स ात पर कछ वचा रक अकश था पत कए ह इस कार यह वीकार कया गया क ह द वचारधारा क अनसार राजा ई वर नह था वरन एक मानव दवता था सभवत यह अतर इस कारण स रखा गया क ह द वचारक न राजा को सपण द वक शि तवाला होना वीकार नह कया वा तव म हद वचारक न कभी यह वीकार नह कया क राजा न उसक शि त दवताओ स ा त क पर त इस भद पर कोई वशष यान नह दना चा हए क व राजा क द वक उ पि त वाल स ात स अलग हो रह ह य क रामायण म व णत ह क राजा दवताओ स बढकर ह इसक प चात श न इस वचार धारा को और अ धक बल दया और कहा क दवता राजा क सवक ह उस राजा क जो धम क उ नतती म अपना योगदान दता ह (श नी तसार 1 24) ाचीन भारत म राजा क द वक उ प त वाल स ात म फर कई क ठनाइया उपि थत हो गई

जब क हम स ा त क तलना पि चमी वचारक जस पाउ आइरनोयस सट ए सआ टर स ट अग टाइन और ज स थम स करत ह भारत म द वक उ पि त वाल स ा त को कभी अ त क सीमा तक वीकार नह कया गया जसा क पि चम म कया गया भारत म इस स ा त को व श ट प रि थ तय म धा मक वचारधारा क सदभ म वीकार कया गया ह इस लए इसक पि चमी वचारधारा स तलना करना उ चत नह य क ह द वचार धारा म अनक दवताओ क उपि थ त स इस स ात क मह ता बढ़ जस क राजा क रचना व भ न दवताओ क व भ न गण वारा क गई िजस का तपादन मन न कया

46 ाचीन भारत म रा य क क त या वभाव ाचीन भारत म रा य क क त का अ ययन ऐ तहा सक प रप य म भल भा त

कया जा सकता ह कछ व वान न व दक रा को रा य माना ह रा क वा तव म कोई नणायक राजन तक प रभाषा नह थी य द हम इसक तलना वतमान क रा य स कर तो उसक लए हम एक वधा नक प र ध पर यान क त करना पड़गा जो उस ाचीन काल म नह थी वा तव म वद म कई रा क एक राजा का वणन ह (ऋ वद VII3411) A

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यहा पर रा को एक रा य नह मान सकत य क व दक राजनी त म रा अनक राजता क रा य का एक सगठन था य द हम रा को एक रा य मान तो इसक लए हम अथववद (VImdash8)III42) क सदभ का अ ययन करना पड़गा िजसम कहा गया ह क तम रा स पथक नह ह ग तम रा क उ च स था म थान हण करो इसस यह ता पय नकलता ह क व दक यगीन समाज रा य और राजत का अतर समझता था इसी वचारधारा का द दशन हम यरोपीय वचारधारा म होता ह िजसका तपादन बो डन न कया ह इसी वचारधारा को सो और हगल न शा ीय ढग स तत कया ह

वा तव म व दक रा कई कट ब कबील और वश स मलकर बना था इसस ात होता ह क उपरो त व णत वग समाज क व भ न व भ न अग थ इस लए व दक

रा य क क त पव व दक काल म जा त सगठन (Tribal) स सब धत थी एक ल ब समय तक इस रा य क कोई भौगो लक सीमाए नह थी कवल आ द वद काल म रा य क भौगो लक सीमाए नधा रत ह ई और हम ऐस कई वणन ा त होत ह क व भ न कबील न दश क व भ न दश म नवास करना श कया इस लए द ल क सीमावत दश और उ तर दश क ऊपर दश म क और पाचाल जनपद क थापना हई िजनक नाम उस समय क स य वश क नाम पर ह य

एक रा य क राजन तक स ता का एक भौगो लक सीमा म होना और इसक शास नक यव था का अ धकार कसी दसर को दन का वणन ा त होता ह रा य क शास नक यव था हत जा स धन लया जाता था जो यि त यह धन हमशा दत रहत थ

व सामािजक त व को एक स म बाधन का काय करत थ यह काय व न कवल अपन काय वारा वरन रा य क धन क सहायता स भी करत थ (एल ाड फारमशन आफ वी टट य जस 1968) ाचीन भारतीय सा ह य स हम ात होता ह क रा य को

शि तशाल बनान हत िजन थाओ और य का वचा रक ावधान कया (गया ह पर त उनस हम रा य क प रभाषा का वा त वक ान न तो हम ा मण थ स और न ह नयम क थ या न धम स स होता ह यह इस कारण स हआ क उस समय तक रा य क

वा त वक वशष गण क ान क पि ट नह हो सक थी इसका वा त वक ान उस समय हआ जब मगध और कौशल जस ससग ठत रा य का उदय हआ इन रा य न अपनी अ त र त आय स म य गगा घाट क काया पलट क इसी कारण स सव थम कौ ट य क अथ शा म रा य क प रभाषा काश म आई कौ ट य न रा य को सात त व स बना हआ बताया ह िजसको उसन स ताग नाम दया ह जहा तक रा य क वा त वक और उ चत क त क ान का स बध ह तो को ट य क स ताग म वामी (राजा) अमा य (अ धकार गण) जनपद (जनता और भौगो लक सीमा) दग ( कल) कोष (धन) दड (दड दन क शि त) और भ न (सहायक) का समावश होता ह यह ऐसी वचारधारा ह जस इसका तपादन दवदत न कया ह कौ ट य क प रभाषा म वामी यान राजा को असी मत

शि तया दान क ह िजसस हम उस समय क मौय शासन का ान होता ह क उस समय राजा एक अ यत शि तशाल अ धकार था

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पव मौयकाल म राजन तक अ यव था क कारण राजत म दड क मह ता बढ़ गई मन और शाि त पव दोन न रा य शि त योग क मह ता को वीकार कया ह मन दड को ह वा त वक राजा नता और शास नक अ धकार मानत ह उनका कथन ह क दड वारा ह जनता पर शासन कया जा सकता ह दड स ह जनता को सर ा दान क जा

सकती ह और धम क र ा भी इसी स होती ह (मन VIImdash1) शाि त पव म भी मन वारा तपा दत दड क वचारधारा का द दशन होता ह उसम व णत ह क यक य क

लए दड क शि त आव यक ह य क इसक बना न तो वह वय और न उसक जा सखी जीवन यतीत कर सकती ह (शाि तपव 1414) इसक अ त र त हम इस त य स भल भा त प र चत ह क कस कार ज ब वीप ौनका वीप शक वीप भ ा व तथा अ य थान पर नय ण कवल दड वारा ह सभव हो सका था (शाि तपव 1421mdash25) ार भक ग तकाल म या व य वारा र चत कानन क थ म रा य क सात त व क

गणना क प चात दड का मख थान ह इसम व णत ह क रा य क सात त व क ाि त क प चात राजा क दड का उपयोग द ट को दड दन हत करना चा हए य क ाचीन काल म धम क उ पि त म वारा दड क प म ह ई

पव मौय और पव ग तकाल म बा य आ मण और आत रक व ोह क फल व प अराजक त व को अशाि त फलान का अवसर मला इन प रि थ तय म रा य क क त म प रवतन हआ िजसका कौ ट य न भल भा त वणन नह कया ह कवल एक थान पर कौ ट य न इस प रि थ त का अनभव कया और उसन लखा क एक गभीर अराजकता स बाक बच ह ए त व न ट हो जात ह (अथशा VIII) उसका फर यह वचार ह क रा य का सचा प म सचालन राजा क कायकशलता पर नभर होता ह चाह रा य म कछ त व अशाि त पदा कर रह ह परत मन न प ट प स रा य क सम त त व क आपस म सम वय क बात कह ह वा तव म मन और शाि त पव दोन म रा य म सि म लत त व को रा य क व भ न अग क समान माना ह (मन IX294) शाि त पव 6963) कमडक म रा य क क त पर वशष काश डाला ह उसम व णत ह क य द एक अग दोषपण ह तो यह सम त रा य क सचालन क लए खतर क समान ह इस लए उस दोषपण अग को शी ह ठ क करना चा हए (मन IV2) रा य क क त का प ट वणन हम श क थ स होता ह उसम रा य क व भ न अग क शर र क अग स स दर तलना क गई ह (श 162)

इस कार ाचीन भारत म रा य क क त य ह नह वरन उस समय म होन वाल ऐ तहा सक घटनाओ क भी प रचायक ह हमार इस सम त अ ययन म यह बताया गया ह क रा य क उ पि त समाज क भलाई क लए ह ई और रा य स ह समाज म शाि त और सम का वातावरण पदा होता ह चाह ार भक वद काल न कबीला रा य हो या पव व दक काल और बौ यगीन भौगो लक सीमा वाला रा य हो या मौयकाल न अ त ससग ठत क य रा य हो इन सभी का उ य कवल जा हत था वा तव म य य प मौय राजा न वय एक अप र मत शि त हण क पर त उसन भी रा य को एक जा क हत वाल स था क प म

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रखा जब रा य म राजन तक अि थरता का वातावरण बा य आ मण क कारण स हआ तब राजा न दड का बल उपयोग कया परत इस समय म भी रा य क सगठन को सात त व को मखता दत ह ए एक स म बाधन का य न कया गया िजसका तपादन बाद म कौ ट य न भी कया

स प म यह कहा जा सकता ह क ाचीन भारत म रा य क क त रा य क वा त वक घटनाच स भा वत ह ई और उसम वचा रक आदश का थान नह रहा ाचीन भारत म कबीला रा य िजसका म य क त य अपनी जा क सर ा क लए य करना था स बाद म बौ यग म भौगो लक प र ध वाल रा य क प म प र णत हो गया इसक प चात मौय यग म इसक शि त म यापक व तार हआ इस समय रा य का सात अग क स म ण स होना माना गया यह स ताग आग चलकर एक आदश माना गया और पव मौयकाल म च लत राजन तक अि थरता क यग म भी स ताग स ात का मह व कम नह हआ

यक यग म रा य को धम का र क माना गया ह रा य आव यकनसार दड का उपयोग पव मौयकाल म जसी राजन तक अि थरता ऐस समय म कर सकता ह यहा पर यह बता दना उ चत होगा क धम क र ा एव उ न त हत िजसम वणा म का भी समावश होता ह उस समय रा य न दड दन क कई नयम बनाए िजसस न न वग क लोग का काफ अ हत हआ और िजसस सामािजक अ याय क सभावनाए बढ़ ग

स प म ाचीन भारत म रा य क क त क वषय म न न ल खत त व का समावश होता ह

(अ) सव थम ऋगवद काल म रा य क क त एक कबीला रा य क प म थी इस रा य म कवल कछ कट ब का वश पर परागत होन क नात स बध था उस समय रा य का म य क त य दवताओ क प म असर स य करक उन पर वजय पाना था

(ब) पव व दक काल क अ तम समय म रा य क क त भौगो लक हो गई और रा य क सीमाए नधा रत हो गई इस काल म भी ा मण थ म व णत जसी राजत स था का उदय नह हआ

47 साराश उपरो त व णत रा य क उ प त और उसक क त का स प म इस कार वणन कया जा सकता ह mdash (1) ाचीन भारतीय क कोई राजन तक वचारधारा नह थी उ ह न आव यकतानसार

राजत को ज म दया (2) हमार इस वषय क अ ययन क ोत बखर ह ई अव था म ह उस समय क

राजत क अ ययन हत ा मण थो क अ त र त बौ तथा अ य था का बड़ी सावधानीपवक का अ ययन करना पड़ता ह

(3) ाचीन भारत म रा य क उ पि त का वा त वक ान हम ऐ तहा सक ि टकोण को यान म रख कर करना पड़गा इस लए यह जानना बहत ह आव यक ह क बौ

यग क राजन तक अव था म राजा का या थान था

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(4) ाचीन भारत म रा य क उ पि त क स बध म च लत वचारधाराए वा तव म राजत या राज व क उ पि त क वचारधाराए ह इस कार रा य क उ पि त क दो मख स ात ह सामािजक समझौत वाला स ात और द वक उ पि त वाला स ात

(5) म य गगा घाट म कौशल और मगध रा य क उदय क प चात ह रा य का वा त वक प काश म आया िजसका थम वणन मौय यग म कौ ट य न कया उसन रा य को सात अग (स ताग ) स न मत बताया ह

(6) बौ और ा मण थ म वणन क भ नता इस कारण स ह क इनका सपादन व भ न व भ न काल म हआ य सदभ कसी न कसी प म उस यग क अव था का ान दत ह

(7) ार भक काल स ह रा य को सामािजक हत काय क लए माना जाता था इसका मख क त य शाि त था पत करना और समाज म सम उ प न करना था

(8) ऐ तहा सक वातावरण का भाव उस समय क राजनी त पर पड़ा यह राजन तक वचारधारा स स ब धत नह था

(9) इस कार ाचीन भारत म कबील रा य का प रवतन भौगो लक सीमा वाल रा य म हआ इसक प चात मौय यग म रा य क शि तय म यापक व तार हआ इस समय भी रा य धम का सर क माना जाता था और जन हत काय उसका मख क त य था रा य क वा त वक क त का दशन हम अशोक क रा यकाल स होता ह

(10) रा य का अराजकता क समय दड का योग करना उ चत था िजस कार दड का उपयोग धम क सर ा हत पव मौय काल म कया गया

(11) रा य क धम क सर ा िजसम वणा म भी सि म लत था क लए दड क यव था क तथा इस दड यव था स न न जा त वग को हा न ह ई इस यव था स इन वग को सामािजक याय ा त करन म क ठनाइय क सभावना बढ़ गई

(12) िजस समय राजन तक अराजकता का वातावरण उ प न हआ उस समय रा य क व प म प रवतन हआ इस कार रा य एक कायशील स था मानी जाती थी

िजसम स त अग क बह त मह ता थी यह वचारधारा मौय क वचारधारा स भ न थी िजसम राजा को रा य क अ य सम त त व स उ च माना गया ह

48 अ यासाथ न न स1 ाचीन भारतीय रा य क उ पि त स सब धत ोत को बताइए (150 श द म) न स2 ाचीन भारत म रा य क उ पि त वषयक स ात कौन कौन स ह

49 पठनीय ास गक थ 1 एएस अ तकरmdash टट ए ड गवनम ट इन एन शय ट इि डया वाराणसी 1958 2 बनी सादmdashद टट इन एन शय ट इि डया इलाहाबाद 1928 3 चा स डकमअरmdash कग शप ए ड क य नट इन अल इि डया कल फो नया 1962

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4 एचएन स हाmdash सावर नट इन एन शय ट इि डया ल दन 1936 5 क पी जायसवालmdash ह द पा लट कलक ता 1924 6 आरएस शमाmdashएसप स आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड इ सट यशन इन एन शय ट

इि डया द ल 1968 7 रोमीला थापरmdash ाम लाइनज ट टट mdash आ सफोड यनीव सट स 1984 8 आरक चौधर mdash को ट याज़ पा ल टकल आइ डयाज़ ए ड इ सट यशन वाराणसी 1971 9 कमलश भार वाज मख म तय म राजनी तक व व धक वचार (मन या व कय

नारद का यायन बह प त) पीएचडी थी सस 10 यएन घोषालmdashए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज़ कलक ता 1923 11 वीपी वमाmdash टडीज इन ह द पा ल टकल थाट ए ड इ स मटा फ़िज़कल

फाउ डश सवाराणसी 1954

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इकाई 5 रा य क कार एव काय (Form and function of State)

इकाई क परखा उ य राजत क कार ndash

राजत गणत वरा य वरा य

यो य परय ठ वप रा य समथ रा य प ता नका राि का वरा य

सा ा य रा य क काय

1 जार ण 2 लोकक याण 3 अथ यव था पर नय ण 4 सामािजक यव था का नवाह व नयमन 5 याय क यव था 6 शास नक णाल का नवाह 7 पररा स ब ध का नवाह

सदभ थ अ यासाथ न

उ य mdash तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत बात क जानकार ा त कर सकोगmdash

1 ाचीन भारत म रा य क कार 2 राजत व गणत रा य का व प 3 रा य क व भ न काय 4 रा य वारा पररा स ब ध का नवाह (1) रा य क कार ाचीन भारतीय च तन क त न ध थ म न न ल खत कार क रा य का वणन मलता

ह राजत ाचीन भारत म म यत राजत ीय यव था थी पर त अ य कार क रा य भी पाय जात थ व दक काल म राजत ह मख शासन यव था थी और राजा का पद सबस

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अ धक स मा नत और सव च था रा य ह स य और धम का वतक था राजा ह कल नो चत कलाचार का वतक था कौ ट य क अथशा म भी राजा और रा य क बीच कोई अ तर नह कया ह य द रा य म कसी भी कार का दोष या अभाव होता था तो उसक लए राजा को दोषी समझा जाता था श नी त क अनसार आचरण का रक राजा ह ाचीन भारत म राजा ह स पण शासन क चालक शि त था पर त गणत क वकास क

साथ शासन का दसरा प भी सामन आया मोट प म राजा तीन कार क थ (1) व वत व स ताधार शासक िजनक अधीन छोट शासक न थ (2) दसर कार क शि तशाल

स ाट अ धप त महाराजा सावभौम व च वत राजा थ जो कसी न कसी कार क सा ा य क सव च शासक होत थ तीसर समह म व अधीन शासक रख जा सकत थ िज ह साम त म ड लक अथवा करद शासक कहा जाता था गणत ाचीन भारत म राजत क साथ साथ गणत भी थ ाचीन भारत म कवल एक यि त क हाथ म दवी स ता क थान पर बह लवाद राजनी तक अनशासन का मक प स वकास हआ का उ लख मलता ह ारि भक वद म तो कवल राजत का उ लख था क त उ तरmdashव दक काल म व भ न थान म भता (राज व) भग ह ई और जात ा मक शासन था पत हआ इन जाता क यव थाओ म एक नवा चत राजा होता था जो एक कार स

रा य का धान था व दक सा ह य म गण का नता साधारणतया गणप त कहलाता था कठ म रा य का अ य एक नवा चत राजा होता था शा य म भी एक नवा चत राजा होता था पतल (Patala) क स वधान म शासक एक राजा होता था िजस ीक लखक न मौरस (Moeres) कहा ह कछ रा य म शासन स ता राजकल म न हत थी पा णनी क अनसार गण क शासन स ता एक वग क सभी सद य म नह वरन शाह प रवार mdash राजकल क म खया म न हत थी ल छ व सघ म भी रा य का एक नवा चत अ य होता था जो सघ सभा क बठक म सभाप त रहता था और राजा क उपा ध धारण करता था महाभारत म भी गण का उ लख पाया जाता ह कौ ट य क अथशा म भी गण क अि त व को माना गया ह य य प जब तक अथशा क रचना ह ई तब तक गणरा य अतीत का अग बन चक थ ाचीन भारतीय सा ह य म अ य कार क रा य का उ लख भी मलता ह जस वरा य वरा य भौ य परम ठ जान रा य व रा य प ता नका राि का वरा य आ द

वरा य ारि भक राज वह न शासन को वरा य कहा गया ह क त यह अराजकता स भ न ि थ त ह यह उस ाथ मक अव था क योतक ह जब राजा नह था और राजा नय त करन क यव था समाज म नह आई थी इस अव था को सतयग क प म इ गत कया गया ह तथा य त कया गया ह क इसम सभी वmdashशा सत थ अत कसी कार क शासक क आव यकता न थी सब मलकर अपनी यव था करत थ शासन का कोई अ य नह होता था ऐतरय ा मण म व भ न कार क शासन क वग करण करन का यास कया ह व उस वग करण म वरा य का िज मलता ह वरा य अथवा वरा य ऋ वद क एक म म इस कार क रा य का उ लख मलता ह वरा य प त क लए बह त कशल यि तय क अप ा होती ह वरा य प त नी च व

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अमा य म च लत थी जायसवाल क अनसार स ध नद क महान क आसपास नी च ओर उसक ऊपर अमा य बसत थ इसी स ब ध म वाजपयी का कथन ह क पि चम म सौरा ह जो स भवत पहल सरा या वराट कहलाता होगा जो अ श होकर सराट या सरत बन गया होगा वराट का अथ वय काशवान व वय शासन करन वाला ह यह वहा क राजा क प वी थी और रा य वरा य कहलाता था भौ य mdash जाजन को भोजन आ द उपभोग क यव था जहा रा य वारा क जाती ह उस रा य को भौ य कहत ह वतमान काल म ऐस रा य को लोक क याणकार रा य कहत ह इस स ब ध म वाजपयी का मत ह क वदभ या बरार क राजा महाभारत क समय म कि तभोज कहलात थ इसस यह स होता ह क भोज द ण दश क राजाओ क उपा ध थी और उनका रा य भौ य कहलाता था परम ठ mdash अथववद म परम ठ श द का कई थान पर उ लख हआ ह परम ठ श द का अथ ह mdash परम अथवा ठ थान म रहन वाला जा पालन क ठ काय म नय त शासक ऐसा शासक जाजन वारा नय त होता ह और य द वह उ चत र त स शासन काय न कर तो उस शासक क थान स हटाया भी जा सकता ह ऐस रा य को पारम य रा य कहा गया ह व रा य mdash वह रा य जहा वशष ानी मन य रा य शासन का सचालन करत थ ऐस रा य का शासन ा मण अथवा धम ग ओ क हाथ म रहता था समथ रा य mdash वह रा य कहलाता था जहा शासन धनप त अथवा पजीप तय क हाथ म होता था जान रा य mdash ऐसा रा य जो जा क स म त स जा क भलाई क लए जा क त न धय वारा चलाया जाता ह जान रा य कहलाता ह

प ता नका mdash प ता नका ऐसा आनव शक नत व ह जो पवज स चला आया हो राि का mdash राि का स ता पय ऐस नत व स था जो आनव शक नह था अशोक क शलालख स प ट ह क राि का अराजक समदाय था ऐसा तीत होता ह क प ता नका व राि का भोजा शासन का ह वकत प था जहा शासक आनव शक आधार पर होन लग थ ववरा य mdash ववरा य स ता पय ह दो शासक का शासन पाटा क भा त भारत म भी दो

राजाओ वारा शा सत रा य थ सक दर क समय म पाटल रा य (आध नक स ध म) म पथक वश क दो राजाओ का सय त शासन था अथशा म भी ऐस रा य का उ लख ह ऐस रा य का स पात शायद इस कार हआ होगा जब दो भाईय अथवा उ तरा धका रय न रा य क वभाजन क बजाय स पण रा य पर शासन करना ह पस द कया हो पर त िजस कार एक यान म दो तलवार नह रह सकती उसी कार एक ह रा य म दो राजा भी मलकर ल ब समय तक नह रह सकत अथशा म ऐस रा य का समथन नह कया ह जन साधओ को ऐस रा य म रहन या जान का नषध कया ह ऐसी रा य शासन प त कसी अवि त म थी जहा ब द और अन व द रा य करत थ

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सा ा य mdash एक शि तशाल राजा अथवा रा य क अधीन कई रा य स मलकर सा ा य बनता ह और सा ा य क शासक को स ाट कहा जाता था ाचीन भारत म साम यवान राजा अपना सा ा य था पत करन क लए अ वमघ य करता था एक घोड़ा जाता था और उसक साथ सना चलती थी इसका अ भ ाय यह था क जहा व जात थ उसक शासक स ाट को कर दना वीकार कर ल और उसक करदाता साम त बन जाव अ यथा उ ह य करना पड़ता था वजयी राजा अपन को स ाट अथवा सावभौम कहता था और उसक अधीन राजा मा ड लक या करद बन जात थ शतपथ ा मण म कहा गया ह क अ वमघ य करक सब राजाओ का पराभव करन स सा ा य का नमाण होता ह डॉ जायसवाल न सा ा य प त को सावभौम और आ धप य स पराना बताया गया ह इसका कारण यह ह क सा ा य ऐस रा य का एक समह होता था जो कसी रा य को सव प र मानत थ आध नक श दावल म इस सघीय सा ा यशाह प त कह सकत ह सघा मक प क कारण यह एक राजा वाल प त स भ न था ऐतरय ा मण क अनसार पव क शासक सा ा य क लए अ भषक करात थ और मगध व यात सा ा य का क बना रा य सघ और सि म लत रा य mdash ाचीन भारत म रा य सघ तथा सि म लत रा य भी थ उ तर व दक काल म क mdashपाचाल न मलकर एक शासक क अधीन अपना सि म लत रा य कायम कया पा णनी क समय म क और मालव रा य अलगmdashअलग थ पर त महाभारत म बह धा इनका एक साथ ह उ लख मलता ह सक दर क आ मण का सामना करन क लए इ ह न दोन रा य का एक सघ बनाया था जो एक शता द तक कायम रहा सातवी शता द का वधन सा ा य भी एक कार का अ mdashसघ था इन अ mdashसघा मक सा ा य क अ त र त व भ न जन वारा भी अ सघ का नमाण कया गया राजाओ क अ mdashसघ का और भी नि चत माण आठवी शता द म रा कट राजा गो व द ततीय क इ तहास म मलता ह ाचीन भारत क रा य सघ आजकल क सघ रा य स सवथा भ न थ डा बनी साद क अनसार उ ह अ mdashसघ अथवा सि म लत रा य कहना अ धक उ चत होगा ाचीन भारतीय च तन क त न ध ोत मान जान वाल व भ न थ म उपय त कार क

रा य का उ लख मलता ह

रा य क काय ाचीन भारतीय च तन म रा य का काय अ तmdash यापक था रा य क काय म

कवल सर ा शा त यव था बनाय रखना ह नह वरन व भ न क याणकार ग त व धय को भी सि म लत कया गया था मानव क परम क याण को चार प षाथ क प म प रभा षत कया गया था यह भी य त कया गया क धम अथ व काम क वग क उपलि ध स ह मो स भव हो सकता था रा य का यह उ तरदा य व था क वह द ड क उ चत यव था कर और धम का पालन न करन वाल लोग को ऐसा करन क लए बा य कर

महाका य म इस धारणा म व वास य त कया गया क रा य मन य क सव च यय क ाि त का साधन ह उनक ि ट म यि त वय म यय था और उसका

आि मक वकास सामािजक जीवन का सव च यय था जा क चार प षाथ धम अथ

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काम तथा मो थापना करन को रा य क मह वपण दा य व म सि म लत कया ह चार प षाथ क स क राजक य कत य क प र ध इतनी यापक ह क यह जा क भौ तक न तक एव आ याि मक क याण क सम त आयाम को समा हत कर लती ह ाचीन भारतीय च तन म म यत रा य का क त य अ ा त (धन व भ म) क ाि त ा त का सर ण सर त का सव न व सव धत का स पा म वतरण वीकार कया गया ह

भी म न रा य क काय म ग तचर रखना राजदत नय त करना सवक को समय पर वतन व दान दना यि त पवक कर लना अ याय स जा का धन अपहरण न करना स जन प ष का स मान जा क हत का च तन ाचीन भवन क मर मत तथा जीण मि दर का उ ार द ड का धमmdashस मत योग करना कोष क व नगर क र ा का ब धन आ द का उ लख कया ह

ाचीन भारतीय च तन म रा य क अह त पवाद क त व प लस रा य क धारणा लोक य नह थी रा य क लोक क याणकार धारणा म व वास कया जाता था िजसम जनता क न तक भौ तक लौ कक व पारलौ कक क याण को रा य का योजन वीकार कया गया ह ाचीन भारतीय वचारक न रा य क उ य क त जो ि टकोण अपनाया वह सवथा यावहा रक व वतमान म च लत रा य क काय सबधी धारणाओ ( यि तवाद व समाजवाद) क सीमाओ स म त था रा य अपन अ नवाय काय श ओ स जा क र ा करना दश म शा त यव था कायम रखना आ द काय का नवहन तो करता ह था साथ ह जा क जी वकोपाजन क साधन व अ य लोकक याणकार ग त व धय को स प न करना

अपना परम दा य व समझता था व दक वा मय म रा य क काय का प ट वणन नह मलता क त य त बखर

ह ए वचार क अ ययन स ात होता ह क धम पालन शा त यव था सर ा और याय यव था क सचालन को रा य का आधारभत उ य समझा जाता था राजा को व ण जसा कानन और यव था का र क अथवा धत त होना चा हए उस धम एव न तकता को ो साहन तथा सर ण दान करना चा हए रा य को वहा क नवा सय क न तक

आ याि मक तथा भौ तक क याण क लए य न करना चा हय जा का सवागीण वकास रा य का म य यय माना जाता था ाचीन भारतीय सा ह य म धम अथ और काम को ो साहन दना रा य का मख दा य व माना गया ह

म त शा म रा य क दा य व म जाmdashर ण जाmdashरजन एव धम क अनसार सामािजक यव था क नवाह को मह वपण माना ह जाmdashरजन क प र ध म मन न रा य वारा स प न क जान वाल व भ न क याणकार ग त व धय को सि म लत कया ह

नी त शाख क त न ध थ अथशा म रा य क काय को अ य त व तत माना गया ह तथा जा क भौ तक सर ा व उसक लौ कक व पारलौ कक क याण क लए व भ न ग त व धया स प न करन को रा य क आव यक काय म वीकार कया गया ह इस कार कौ ट य वारा तपा दत रा य क काय क आयाम सामािजक न तक व आ थक सभी कार क ह

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श वारा तपा दत रा य भी लोक क याणकार रा य ह श नी त म रा य क काय को अ य त यापक माना गया ह थ म रा य क काय म भौ तक सर ा स लकर उसक जीवन क सामािजक आ थक व न तक प क यवि थत सचालन और जा क सवागीण उ न त क लए स य यास को सि म लत कया गया ह

व दक काल तथा बाद क काल म धम अथवा वणा म धम का यक वण तथा धम स पालन करवाना रा य का मख कत य था राजा इस बात का यास करत थ क वय धम का पालन कर तथा अपनी जा स भी धम का पालन कराव जो धम का पालन नह करत थ उ ह द ड दया जाता था य क रा य क कानन का धान आधार ह धम था

महाका य क वचारक इस बार म एकमत ह क रा य मन य क सव च यय क ाि त का साधन ह रा य का थम कत य धम वशष प स साधारण और वणा म धम

को ि थर रखना था रा य क इस काय को आ याि मक भावना स रत वचारक मन या व य न ह नह अ पत कौ ट य जस अ य लखक न राजनी त को लौ कक व यथाथवाद ि टकोण स भी समझन का यास कया कौ ट य न राजा का धान कत य जा का योगmdash म (क याण) करना माना ह या व य म त म भी इसी वचार को

अ भ य त कया गया ह कौ ट य क रा य का अ तmdash यापक था और रा य आ थक क याण क अनक काय करता था इसी आधार पर कछ लखक न कहा ह क कौ ट य वारा व णत रा य समाजवाद रा य था

ाचीन भारतीय च तन म य द रा य क काय को प रग णत कया जाय तो उनका न न ल खत शीषक क अ तगत ववचन कया जा सकता ह

1 जा र ण 2 लोक क याण 3 अथ यव था पर नय ण 4 सामािजक यव था का नवाह व नयमन 5 याय क यव था 6 शास नक णाल का नवाह 7 परmdashरा स ब ध का नवाह

जाmdashर ण

जनता क र ा करना रा य का ाचीन काल म भी आज क भा त सबस मख कत य था इसम रा य म शा त व यव था बनाय रखन क साथmdashसाथ दश क सर ा भी सि म लत थी मन म त म व तत जाmdashर ण को ह रा य क उ पि त का मल आधार वीकार कया गया ह थ म कहा गया ह क यि तय क जीवन म म य याय क

ि थ त क तकार हत मा वारा रा य क रचना क गई जाmdashर ण को इस दा य व को मन म त म इतना मह वपण माना गया ह क जा क र ण को राजा क अि त व क र ा हत भी अ नवाय मान लया गया ह

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आ त रक ि ट स अपरा धय एव समाज कटक स जा क र ा क साथ ह बा यmdashआ मण स जा क र ा को मह वपण दा य व माना गया ह कौ ट य न भी सभी कार क आ त रक व बा य सकट स जा क र ा को रा य का दा य व माना ह

कौ ट य न जाmdashर ण क दा य व को मह वपण मानत ह ए ह शासन को यह परामश दया ह क वह यथाmdashसभव य स बचन का य न कर तथा आव यक होन पर दसर रा य स य तभी कर जब क जा क यनतम हा न होन क आशका हो

श नी तसार म भी राजा स अप ा क ह क वह वय धम क अधीन रहकर द ड क शि त क सम चत योग वारा द ट का न ह कर और स जन को सर ण दान कर

लोकmdashक याण

रा य क काय म जारजन और जा पालन को सभी ाचीन वचारक न आव यक माना ह जन क याण क काय म म यत क ष क उ न त उ योग को ो साहन श ा कलाओ को ो साहन यापार तथा वा ण य आ द का व नयमन आ द का वणन मलता ह

मन न जा क लए चार प षाथ (धम अथ काम व मो ) क थापना करन को रा य क मह वपण दा य व म सि म लत कया ह चार प षाथ क स क राजक य कत य क प र ध इतना यापक ह क वह जा क भौ तक न तक एव आ याि मक क याण क सम त आयाम को समा हत कर लती ह मन न शासक को परामश दया ह क वह समयmdashसमय पर जा क सख दख क जानकार ा त करता रह तथा व भ न कार क आव यकताओ क प त क समयब यव था करता रह

मन व कौ ट य न ा मण को राजक य अनदान कया जाना रा य का आव यक कत य माना ह ता क ा मण वग अपन जीवन नवाह क च ता स म त होकर अपनी सम त बौ क व आ याि मक शि तय का उपयोग स पण समाज क लौ कक और पारलौ कक क याण क लए च तनmdashमनन म कर सक ान क आदानmdash दान म बौ क काय म लग ह ए ा मण क जीवनmdash नवाह क यव था क लए रा य को उ तरदायी बनान का मन का आ ह यनानी वचारक अर त क इस वचार स समानता रखता ह क बौ क काय करन वाल यि तय को जीवन नवाह क काय स अवकाश दान कया जाना चा हए इस सबध म मन और अर त क ि टकोण म अ तर यह ह क जहा अर त बौ क वग को जीवन क नवाह क दर च ताओ स म त करन क लए दास था का समथन करता ह मन ब जीवी वग क जीवन नवाह क लए प टत रा य को उ तरदायी मानत ह मन न शासक को चतावनी द ह क य द रा य म वदmdashपाठ ा मण भख स दख पाता ह तो रा य शी ह न ट हो जाता ह

कौ ट य न व म हलाओ बालक और अनाथ क हरmdashस भव सहायता करन को रा य का दा य व माना ह रा य क लोक क याणकार ग त व धय क व तत सची म कौ ट य जन साधारण क लए मनोरजन आ द क यव था वन को साफ कर क ष क लए उपयोगी भ म क व तार रा य म सम चत सचाई क यव था अकाल बाढ़ व महामार क

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ि थ तय म जनता क सहायता क लए आव यक उपाय करन जनता क न तक उ थान क लए म यmdash नषध लाग करना जनता क आवागमन को स वधाजनक बनान क लए सड़क जल माग आ द का नमाण करवाना तथा न दय पर पल बनवाना आ द को रा य क दा य व म सि म लत कया ह

कौ ट य वारा तत रा य क ग त व धय क व तत सची स यह प ट ह क वह मन क भा त रा य को जा क क याण क त कवल स ाि तक प स ह नदश नह दता अ पत शासक स यह अप ा करता ह क वह व भ न वभाग का गठन कर जा क क याण क ग त व धय को नय मत प स सचा लत कर कौ ट य न अर त क भा त ह वतरणा मक याय को रा य का दा य व बनाकर रा य क लोकmdashक याणकार क त को भल mdashभा त प ट कया ह

श वारा तपा दत रा य भी लोकक याणकार रा य ह थ म रा य क काय म जा क भौ तक सर ा स लकर उसक जीवन क सामािजक आ थक व न तक प क यवि थत सचालन और जा क सवागीण उ न त क लए स य यास को सि म लत कया गया ह श न रा य क क त य क आठ मख का उ लख कया ह

द ट का न ह जा क सर ा दान जा का प रपालन आ द स प न करना यायपवक कोष का अजन कर वसल करना श ओ का मानmdashमदन करना तथा नर तर भ म

का अजन करना श नी त म शासक को अनक कार क क याणकार काय को स प न करन का नदश दया गया ह श न शासक स अप ा क ह क वह म दर तथा उ यान बनान क लए जा को बना कर लए ह ए भ म का आवटन कर

श न शासक स राजधानी म कआ बावड़ी सरोवर उ यान म दर और धमशाला आ द क नमाण क यव था करन क अप ा क ह रा य क काय म जारजन और जापालन को सभी वचारक न आव यक बताया ह जनmdashक याण क काय म इ ह म य

समझा जा सकता ह mdash क ष क उ न त उ योग को ो साहन श ा कलाओ को ो साहन यापार तथा वा ण य आ द का व नयमन

अथmdash यव था पर नय ण

मन न यि त क जीवन म अथ को मह वपण थान दान कया ह तथा जा क भौ तक और आ थक उ न त को स नि चत करना रा य का कत य माना ह मन न राजा स यह अप ा क ह क जा स यायपवक कर हण कर तथा स पि त व सम क अ य साधन क र ा क त जा को आ व त कर मन न रा य क स ढ़ आ थक यव था क हत म शासक को जा स उसक साम य क अनसार कर लन तथा जा पर कर का अनाव यक भार न डालन का परामश दया ह मन न यापा रय क हत क र ा क त कय जा सकन वाल आ थक अपराध (यथा मलावट अ धक म य लना कम तोलना आ द) स जा क र ा कर

कौ ट य न रा य स यह अप ा क ह क वह अथ यव था को इस कार नय त और सचा लत कर क समाज म साधन का अ य धक क यकरण न हो और जनता क सभी

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वग क आ थक हत सर त रह कौ ट य न राजा स ऐसी करmdash यव था को अपनान क अप ा क ह िजसस क यापा रय म उ पादन क रणा भी बनी रह तथा व अन चत लाभ भी ा त न कर सक इसी कार कौ ट य न राजा को यह परामश दया ह क वह सम चत उपाय क वारा यह नर तर दखता रह क यापा रय और यावसा यक वारा जा का कसी भी कार स शोषण न कया जा सक

कौ ट य न क ष क उ न त और कषक क दशा म सधार को रा य का दा य व माना ह कौ ट य क अनसार रा य को सचाई क सम चत यव था करनी चा हय तथा कषक क आव यकता क अनसार उ ह पश बीज धन आ द क सहायता दान करन क लए य न करना चा हय ाचीन भारतीय राजmdashशाि य न रा य क त यि तवाद ि टकोण नह अपनाया उ ह न आ थक म अह त पवाद स ा त का कभी भी समथन नह कया सावज नक प स रा य को अनक कार क काय करन चा हय यह वचार मन कौ ट य आ द आचाय क मह वपण थ म मलता ह श न भी अथ यव था का नयमन करन को रा य का आव यक दा य व बताया ह सभी ाचीन थ म राजा को रा य क सर ण हत उपज का एक नधा रत भाग कर क प म लन का अ धकार था क त कर आय क अन प व याय स मत होना चा हय मन न मन म त म व भी म न महाभारत म कर कस ा त कया जाय इसका भी उ लख कया ह जस जोक बछड़ा एव मर अपनmdashअपन खा य मश र त द ध एव मध को थोड़ाmdashथोड़ा हण करता ह उसी कार राजा को कर धीरmdashधीर हण करना चा हय तथा जा पर कर का अ य धक भार नह डालना चा हय कर वसल करन वाल तथा कोषा य आ द अनक अ धका रय क नाम ाचीन राजनी तक सा ह य म मलत ह

सामािजक यव था का नवाह व नयमन

ाचीन भारतीय राजनी तक च तन म सामािजक यव था का नवाह व नयमन भी रा य का दा य व माना गया ह रा य स यह अप ा क गई ह क वह समाज म यक वण क सद य वारा उसक नधा रत कत य क पालन को स नि चत कर

मन म त म धम को स पण सामािजक यव था का आधार माना गया ह थ म यि तय वारा वधम पालन को आव यक माना गया ह य क इसी क मा यम स समाज म धम क स थापना व वण यव था का नवाह हो सकगा मन न रा य का यह मख दा य व माना ह क वह द ड क बा यकार शि त क मा यम स समाज म सम त यि तय को वधम पालन हत बा य कर िजसस समाज क वण सकरता स र ा क जा सक इस कार सम त वण एव आ म क र ा को भी रा य क आव यक दा य व क प म वीकार कया गया ह

कौ ट य सामािजक सगठन क स ा त तथा समाज क व भ न वग क म य स ब ध क सचालन म रा य क भ मका को व नयमनकार मानत ह कौ ट य न रा य पर यह स नि चत करन का दा य व डाला ह क सामािजक यव था का नवाह वद और शा म वीकत वण व आ म यव था क अन प हो क त कौ ट य न रा य को सामािजक यव था क सबध म नयम का तपादन करन अथवा व भ न वग क कत य क अपनी

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इ छा स या या करन क शि त दान नह क ह कौ ट य न राजा स यह स नि चत करन क अप ा क ह क व भ न वण क सद य और व भ न आ म म ि थत यि त अपन कत य और मयादाओ का पालन करत रह सामािजक जीवन क व भ न प तथा व भ न वण क आपसी सबध तथा ववाह आ द को कौ ट य न रा य क व ध वारा व नय मत और सचा लत कया जाना आव यक माना ह यह कारण ह क कौ ट य न अथशा म ववाह धम ी और प ष क पार प रक कत य आ द पर व तार स काश डाला ह

श न रा य क सामािजक दा य व का मन क भा त व तत ववचन तो नह कया ह तथा प उ ह न यह प ट कया ह क सामािजक यव था का नयमन और सामािजक जीवन म धम और न तक म य क त ठा करना श क अनसार रा य का दा य व ह

याय क यव था

मन म त म याय को रा य क सवा धक मह वपण कत य क प म च त कया गया ह रा य क उ पि त क सग म मन न सकत दया ह क नी त एव धम पर आधा रत याय को म य याय क तलना म ति ठत करना रा य का परम कत य ह

मन क अनसार रा य अपनी दाि डक शि त क योग वारा सम त यि तय को उनक कत यmdashपालन म सल न रखता ह एव उनक वारा आचरण क मयादाओ क उ लघन को रोकता ह मन क अनसार यह रा य क द ड क भय का ह प रणाम ह क सम त यि त अपनmdashअपन अ धकार का उपयोग करन म समथ होत ह और अपनmdashअपन कत य स वच लत नह होत मन क मा यता ह क य द रा य क वारा द ड का योग उ चत र त स एव वचारपवक कया जाता ह तो सम त नाग रक स न होत ह पर त इसक वपर त य द इसका यवहार अन चत र त स तथा लोभ या माद क आधार पर कया जाता ह तो इसक प रणाम वनाशकार होत ह मन यह वीकार करत ह क मन य म उ छखलता क वि त वाभा वक ह अत द ड का भय ह यि तय को याय और कत य क पथ पर ढ़

रख सकता ह मन क अनसार रा य इस दा य व क सम चत पालन क वारा सम त यि तय म

सर ा क भावना का सचार करता ह य क य द रा य अपन इस दा य व को नह नभाए तो शि तशाल लोग कमजोर लोग को आ ा त कर लग और समाज म उ चतmdashअन चत का भद समा त हो जाएगा तथा इस कार सव अ याय या त हो जायगा मन क अनसार रा य आचरण क धमmdashस मत मापद ड क अनपालन को स नि चत करक समाज म याय को ति ठत करता ह

कौ ट य न याय को रा य का अ नवाय दा य व माना ह कौ ट य क अनसार रा य क उ पि त क म य याय क थान पर औ च य और न तकता क आधार पर याय क थापना क लए ह ई ह कौ ट य न अर त क भा त याय क दो प वीकार कय ह mdash

(1) वतरणा मक याय (2) सधारा मक याय

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वतरणा मक याय mdash कौ ट य क मत म रा य का सकारा मक दा य व ह इस दा य व क प त क वारा रा य सह स नि चत करता ह क जा का कोई भी वग अभाव त नह हो तथा समाज म साधन का वतरण याय और औ च य क स ा त क अनसार हो

सधारा मक याय क अ तगत कौ ट य न रा य पर यह दा य व डाला ह क वह कानन क उ लघन वारा जा क अ धकार का अ त मण करन वाल यि तय को सम चत द ड दकर तथा जा क व भ न वग क म य कसी अ धकार क न पर मतभद या ववाद हो जान पर उसका सम चत नपटारा करक जा क अ धकार को सर ा दान कर

कौ ट य न रा य स यायपा लका को सग ठत व प दान करन क अप ा क ह तथा यह य त कया ह क या यक काय का स पादन था पत व ध और या क अनसार कया जाना उ चत ह कौ ट य क अनसार रा य याय को स नि चत करन क अपन दा य व क प त नह करता तो समाज म असर ा और आशका का बोलबाला हो जाता ह

कौ ट य न शासक को या यक शि त का अ य त सतकतापवक योग करन का परामश दया ह तथा चतावनी द ह क या यक शि त का द पयोग करन क ग भीर प रणाम हो सकत ह

मन और कौ ट य क भा त श क जा को याय दान करन को रा य का आव यक कत य मानत ह

श क अनसार रा य अपनी द डmdashशि त क योग क मा यम स जा क समाजmdashकटक स र ा करता ह तथा जा क अ धकार क सर ा करता ह कौ ट य क भा त श भी वतरणा मक याय को रा य का मख दा य व मानत ह और यह प ट करत ह क यायशील शासक जा को धम अथ व काम क वग स स प न करता ह

श न रा य स यायपा लका को सग ठत करन तथा या यक यव था को ऐसा व प दान करन क अप ा क ह क यायmdashकाय बना कसी प पात व रागmdash वष क

स प न ह

शास नक णाल का नवाह

ाचीन भारतीय च तन रा य क दा य व क प त क लए एक स म और सग ठत शास नक यव था को अ नवाय मानता ह मन न राजा को परामश दया ह क वह शासन यव था व कमचा रय तथा अ धका रय पर सम चत नय ण रख तथा यह स नि चत कर क रा य क कमचार जा क त दा य व का न ठापवक पालन करत रह व शि तय क द पयोग वारा जा को पी ड़त न कर

कौ ट य क मा यता ह क रा य अपन यापक दा य व क प त तभी कर सकता ह जब क वह एक सम शास नक णाल क थापना कर कौ ट य न रा य स ववकmdashस मत और यावहा रक आधार पर व भ न वभाग का सगठन करन तथा उ चत स या म सयो य अ धका रय व कमचा रय क नयि त करन क अप ा क ह

कौ ट य का मत ह क सम चत नय ण क बना कमचार व अ धकार अपनी शि तय का द पयोग कर सकत ह और जा को पी ड़त कर सकत ह इस लए कौ ट य न

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रा य को राजक य कमचा रय पर भल भा त नय ण रखन तथा यह स नि चत करन क लए उ तरदायी माना ह क अ धका रय व कमचा रय वारा जा का शोषण नह कया जा सक

रा य क दा य व को परा करन क लए श न एक स ढ़ शास नक यव था क आव यकता पर बल दया ह श न रा य स शासन को यावहा रक और ववकmdashस मत आधार पर सग ठत करन क अप ा क ह तथा यह प ट कया ह क शासन को नर तर सजग रह कर यह दखत रहना चा हय क व भ न शास नक अ धकार व कमचार अपन दा य व को भल mdashभा त परा करत रह तथा कसी भी कार जा को पी ड़त न कर श न राजा स अप ा क ह क वह शास नक कमचा रय क हत का भी भल mdashभा त सर ण कर स भवत श थम भारतीय वचारक ह िज ह न शासन क आ त रक प कमचा रय क वतन वतनमान पदो न त भ व य न ध प शन अवकाश आ द क सबध म रा य स स नि चत और कमचा रय क त लाभ द नी त बनान क अप ा क ह

परmdashरा स ब ध का नवाह

ाचीन भारत म अनक छोट रा य थ िजनक बीच अ तरा य स ब ध था पत थ बाद क काल म बड़ रा य और सा ा य भी अि त व म आय अ तरा य स ब ध का भी वकास हआ क त अ तरा य स ब ध को सचा लत करन वाल आधारभत स ा त वह व यमान ह ाचीन भारत म दत यव था य स ध आ द क सबध म अनक नयम वक सत थ साम दाम द ड भद षाड़गण नी त म डल स ा त आ द का वकास इस बात का माण था क ाचीन भारत म रा य क म य पर पर स ब ध का नवाह रा य का दा य व था यक रा य शि त सतलन बनाय रखना चाहता था ाचीन भारतीय च तन म य क लए न तक मापद ड नधा रत कय गय थ जब सभी राजन यक साधन mdash साम दाम भद तथा द ड असफल हो जाय तभी य का सहारा लना चा हय ाचीन भारत म कवल यायपण य क ह अनम त थी शा तपव क अनसार राजा म अ यायपण तर क स य क जीतन क लालसा नह होनी चा हय

मन न परmdashरा स ब ध क ववकपण सचालन को रा य क आव यक काय म सि म लत या ह मन क मा यता ह क अ तरा य स ब ध क सतकता पण सचालन वारा शासक जा को बाहर आ मण स सर त रख पाता ह मन क अनसार परmdashरा

स ब ध म शासक यि त और ववक क योग वारा यह स नि चत कर सकता ह क रा य को अनाव यक य म न उलझना पड़ मन न अ तरा य स ब ध क सचालन क लए एक स ाि तक परखा तत क ह तथा शासक को इस सबध म म डल स ा त षड़गण नी त तथा उपाय का ववकmdashस मत पालन करन क लए न द ट कया ह

कौ ट य न परmdashरा स ब ध क कशल सचालन को रा य क मख दा य व म माना ह कौ ट य क अनसार य द अ तरा य स ब ध क सचालन म शासक कशलता और दरद शता का प रचय नह दगा तो रा य क सर ा क सम ग भीर सकट उपि थत होगा कौ ट य न शासक को परामश दया ह क वह अ तरा य स ब ध म य या शा त का नणय सदव इस बात को यान म रखत ह ए कर क जा का क याण और उसक सर ा क सव प र

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ह इसी कारण कौ ट य न राजा को परामश दया ह क वह अनाव यक य स बचन का य न कर य क य म जा को हा न क आशका होती ह

श न यह वीकार कया ह क रा य को आव यक प स अ य रा य स स ब ध बनान पड़त ह तथा उनका नवाह करना होता ह श न रा य स अप ा क ह क वह परmdashरा स ब ध को इस कार सचा लत कर क रा य हत क सवा धक प त हो तथा जा क क याण व सर ा क अ धका धक सर त कया जा सक श न राजा को परामश दया ह क वह अ तरा य स ब ध का कशलतापवक सचालन करक रा य को अनाव यक य और टकराव स बचाय अ तरा य स ब ध क ववकपण नधारण और सचालन क लए श न कौ ट य और मन क भा त ह शासक स कछ स ात और नयम क अधीन रहकर नणय करन क अप ा क ह इन नयम म श न रा य क वग करण क स ाि तक आधार षडगण नी त और उपाय को सि म लत कया ह

अ तकर का मत ह क ाचीन भारत म रा य समाज का क और उसक क याण का म य साधन माना जाता था और इस लए ह उस यापक कायmdash ा त था ाचीन भारतीय च तन म रा य को यापक अ धकार इस लए नह दय थ क व यि तगत वत ता का मह व नह समझत थ वरन इस लए क व जानत थ क रा य ह व वध हत का सम वय तथा पर पर वरोधी वाथ का सामज य करक समाज का सबस अ छा स मान कर सकता ह

स दभ थ 1 डॉ मधकर याम चतवद ाचीन भारत म रा य यव था 2 रामशरण शमा ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाय 3 बीए सालटोर एि शय ट इि डयन पा ल टकल थॉट ए ड इ ट यश स 4 बनी साद योर ऑफ गवनमट इन एि शय ट इि डया 5 एन सी ब थयोपा याय डवलपमट ऑफ ह द पॉ लट ए ड पॉ ल टकल योर ज 6 यएन घोषाल ए ह ऑफ इि डयन पॉ ल टकल आइ डयाज 7 परमा मा शरण ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाय 8 एएस अ तकर ाचीन भारतीय शासन प त 9 ाचीन भारत गौतम एव डा कमलश शमा 10 मख म तय म राजनी तक व काननी वचार डा० कमलश भार वाज पीएचडी थीसीस

राज थान व व व यालय जयपर

अ यासाथmdash न 1 ाचीन भारतीय च तन म रा य क काय पर काश डालत ह ए उसक व प को प ट

क िजय (150 श द) 2 या आप इस मत स सहमत ह क ाचीन भारतीय रा य एक लोकmdashक याणकार रा य

था (200 श द)

100

3 ाचीन भारतीय च तन म उ ल खत रा य क कार पर काश डा लय (500 श द)

101

इकाई mdash 6 ाचीन भारत म जनपद व प और सगठन

इकाई क परखा 60 उ य 61 तावना 62 जनपद अवधारणा 63 जनपद ऐ तहा सक वकास 64 सगठन और यव था 65 साराश 66 अ यासाथ न 67 ास गक पठनीय थ

60 उ य ाचीन भारत क राजनी तक स थाओ म जनपद का अ य धक मह व ह ाचीन

भारत म रा य का ाथ मक प जनपद क मा यम स ह ात होता ह इस इकाई म हमारा उ य क ऐ तहा सक वकास और उसक कारण क ववचना करत ह ए उनक व प और सगठन क बार म स त क त मह वपण जानकार उपल ध कराना ह ता क ाचीन भारत क राजन तक चतन और स थाओ क ढाच म जनपद क ि थ त और उसक मह व को उभारा जा सक

61 तावना ाचीन भारतीय थ म रा य क स त क तय अथात सात अग का स यक

ववचन कया गया ह इन थ म यह क पना क गयी थी क रा य सात अग स य त एक ज वक इकाई ह िजसक ठ कmdashठ क सचालन क लए इन अग म पार प रक सम वय एव सहकार क भावना अ नवाय ह इन अग क आप क मह व क वषय म य य प पर पर वरोधी व त य व पन थ म ा त होत ह तथा प इस बात म सदह क कोई गजाइश नह ह क उनक बीच सतलन और सम वयन का स ा त सवमा य रहा ह य सात अग मश वामी आम य जनपद दग कोष द ड एव म बताय गय ह क तपय ोत म इनम स

कछ अग क लए अलग स ाय य त क गयी ह mdash उदाहरणाथ व णधमस तथा मन म त म जनपद क लए रा दग क लए पर तथा म क लए स दय स ा का योग कया गया ह तो गौतम धमस तथा या व य म त म जनपद क लए जन श द का योग कया गया ह रा य क इन सात अग म वामी एव अमा य क बाद जनपद अथवा जन अथवा रा का उ लख अस द ध प स उसक मह व क ओर सकत करता ह प ट ह क रा य क अवधारणा एव व प क कोई भी क पना जनपद क अभाव म नह क जा सकती क त इसक साथ ह साथ यहा पर यह भी प ट करना आव यक ह क रा य क यह अवधारणा राजनी तक चतन क एक नि चत तर तक क वकास का प रणाम ह जब क भारतीय रा य

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अपन स प ट आकार को ा त कर चक थ और भ म को अथ मानत ह ए उसक लाभ और पालन क उपाय का स यक ववचन करन क उ य स अथशा राजनी तक चतन का पड़ाव बन चका था अत यह वाभा वक ह था य द इस चतनmdashसारणी म जनपद को पया त मह व दया गया क त रा य क पmdash नमाण म जनपद क समा वि ट को पण प स समझन क लए हम ाचीन भारत क राजनी तक और सा क तक इ तहास क ार भmdash ब दओ को अपन ि टपथ म लाना होगा जहा स रा य क अवधारणा क ाचीनतम स त काल न ऐ तहा सक

प रि थ तय म धीरmdashधीर अपन आकारmdashव क लए य नशील होत जा रह थ रा य वारा अ ध हत भ म क लए य त जनपद श द अपनी वकास या ा म अनक उतारmdashचढ़ाव स गजरत ह ए परवत काल म कस कार राजनी तक एव शास नक इकाई क प म वय म ह रा य बनकर उभरा इसका ववचन ाचीन भारतीय राजनी तक पर पराओ एव ऐ तहा सक प रि थ तय क स दभ म जनपद क अवधारणा को समझ बना नह कया जा सकता और अधो ल खत पि तया इसी क त उ दद ट ह

62 जनपद अवधारणा एव व प जन और पद दो श द क सयोग स अदभत जनपद श द का अथ श दक हम क

अनसार कसी जन (अथवा जनसमह) क आ य भ म ह (जन य लोक य पद आ य थान य ) प ट ह क जनपद क अवधारणा म भmdashत व का ाधा य रहा ह और सभवत इसी कारण ाचीन भारतीय राजनी तशा क कई थ म जनपद और रा पर पर प रवतनीय श द क प म य त कय गय ह अमरकोश म तो जनपद रा दश और वषय का पयायवाची श द क प म उ लख मलता ह क त गहराई स दखन पर जनपद क एक पथक और व श ट अवधारणा हमार सामन आती ह िजसम जनपद का अथ जनजातीय ब ती क प म सक तत होता ह अथशा म प रभा षत जनपद श द स यह सकत मलता ह क इसम भmdashभाग और जनस या दोन का समावश ह क षयो य उवरा भ म प र मी कषक वग न न वण क लोग क अ धकता तथा राजा क त लोग क न ठा आ द ठ जनपद क आधार ह सोमदवस र कत नी तवा यामत क अनतमत जनपदmdashसग श म जनपद क प रभाषा अ य भmdashवाची श द क साथ दत ह ए उसका पाथ य भी न द ट कया गया ह इसक अनसार जहा पश धा य हर य आ द स पि तया सशो भत होती ह वह रा ह वामी को द ड और कोश क व म सहायता करन वाला दश होता ह व वध व तओ को दान कर वामी क घर (राजधानी) म हाथी और घोड़ जो ा त कराता ह वह वषय ह

सम त काय क दोहन स जो वामी क दय को भ षत करता ह वह मडल ह वणा म स य त थान अथवा धन का उ पि त थान जनपद ह (जन य वणा मल ण य यो प तवा पद थान म त जनपद) जनपद क इस प रभाषा म थम थान पर वणा म का उ लख यह इ गत करता ह क यह कवल भmdashवाची श द न होकर स यवि थत मानव समह का नवासmdash थल था िजसम धन क उ पि त वत ह होगी य क हम जानत ह क यव था स सम आती ह और सम क लाभmdashर ण क लए (राजनी तक) यव था अ नवाय होती ह

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यह कारण ह क ाचीन भारतीय सा ह य म राजनी तक ि ट स सग ठत उदाहरण बौ mdashजन सा ह य म उि ल खत सोलह महाजनपद ह जो उ तरव दक काल न जनपद क व तारmdash या क अगल कड़ी थ पा णनी न इसी अथ म जनपद श द का योग अपनी अ टा यायी म कया ह का शका म जनपद को ाम का समह बताया गया ह य य प उदाहरण तत करत समय जनmdashसमह क नवासmdashभ म का ह सकत दया गया ह यथा जहा पाचाल का नवास ह वह पाचाल जनपद ह इसी कार क म य अग वग मगध आ द जनपद इन नाम क जन क नवास क कारण ह इन नाम स स बो धत कए गए ह

जनपदmdashस पदा क अ तगत उ तम जनपद क गण का उ लख करत ह ए कौ ट य का कथन ह क जनपद क म य म अथवा कनार पर दग होना चा हए और वदशवा सय तथा वदश स आय ह ए लोग क खानmdashपान क लए वहा अनाज आ द का भरपर भडार होना चा हए जनपद क ि थ त ऐसी होनी चा हए क कोई वपि त आन पर पवत वन या दग म आ य लया जा सक जहा थोड़ ह प र म स अ न आ द उ प न होन क कारण जी वका सलभ हो जहा अपन राजा को श ओ क वष स बचान वाल यो य प ष रहत ह जहा साम त का दमन करन क साधन उपल ध ह जहा दलदल पाषाण ऊसर वषय थान चोर आ द कटक राजा क वरो धय का समदाय या आ द हसक ज त एव व य दश न हो जहा नद तालाब आ द क कारण भरपर सौ दय हो तथा जहा गाय भस आ द पशओ क चरन क यव था हो जो मानव जा त क लए हतकर हो जहा चोर डाकओ को अपना काम करन क स वधा न हो जहा गाय भस क अ धकता हो जहा अ नो पादन क लए कवल वषा का सहारा न रहकर नद बाध आ द का ब ध हो जहा जलmdashपथ और थलmdashपथ दोन क स वधा हो जहा बह त कार क म यवान और व वध यापा रक सामान मलत ह जहा क कषक कमठ ह जहा क वामी मख न ह और जहा न नवग क लोग अ धक स या म रहत ह (अथशा 61)

आचाय सोमदव स र न जनपद क गण का व तत ववचन कया ह उनक अनसार वह जनपद उ तम ह जो पर पर र ा करन वाला हो अथात जहा राजा दश क और दश राजा क र ा करता हो जो वण रजत ता लौह आ द धातओ एव ग धक नमक आ द ख नज

य क खान स तथा जो य एव हा थय स य त हो िजस क ाम क जनस या न बह त अ धक हो और न बह त कम जहा पर बह त स उ तम पदाथ व वध कार क अ न वण और यापा रय क यmdash व य यो य व तए ा त होती ह जो मघजल क अप ा स

र हत ह तथा मन य एव पशओ को सख दन वाला हो इन ववरण स प ट ह क ाचीन भारतीय राजनी तक ोत म जनपद क अवधारणा एक आ म नभर राजनी तक इकाई क प म क गयी थी िजसम एक नि चत भmdashभाग क अ तगत राजनी तकmdash शास नक सगठन वणानसार वभािजत जनस या क ष यापार उ योग आ द पर आधा रत स यवि थत अथmdashयव था तथा सा क तक म य क अन प जीवनmdashदशन और तर का समावश माना गया था जनपद क थापना तथा उसक र ा यव था पर गहन च तन अथशा महाभारत मन म त तथा श क नी तसार तथा सोमदवस र क नी तवा यामत म ा त होती ह क त

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उनक चचा करन स पव जनपद क ऐ तहा सक वकास पर एक ि ट डालना अ धक मह वपण होगा

63 जनपद ऐ तहा सक वकास जसा क पव म सकत कया जा चका ह जनपद का वकास पवव दक काल न

जनरा य तथा वरवत काल क रा य क पmdash नमाण क या क अ तगत आन वाला एक पड़ाव था िजसन भारतीय इ तहास क आर भ काल स ह व भ न सामािजकmdashराजन तक आ थक और ऐ तहा सक प रि थ तय क पार प रक अ त याऔ क प रणाम व प आकार हण कया था जनपद श द का सव थम उ लख ऐतरय ा मण (814) तथा शतपथ ा मण (134217) म ा त होन क कारण जनपदmdashकाल क ऊपर सीमा रखा इन ा मण थ क काल तक नधा रत क जाती ह िजस व टर न ज मोट तौर पर प हवी शती ईप वीकार करत ह तो काण दसवी शता द ईप स कछ पहल मानत ह वासदवशरण अ वाल क अनसार जनपद का ार भ अनमानत दसवी शती ईप म हआ होगा जनपद काल क अि तम सीमाmdashरखा लगभग पाचवी शता द ईप मानी जाती ह िजसक बाद मगध सा ा य क उदय तथा ईरानी व यनानी आ मण क प रणाम व प जनपद का अि त व लोप हो गया इस कार मोट तौर पर प हवी शता द ईप स लकर पाचवी शती ईप का काल जनपद काल कहा जाता ह और इस कालाव ध म जनपद क मक वकास क व भ न चरण का ान हम त काल न सा ह य स होता ह ाचीन भारत म रा य क उ पि त क वषय म वचार करत ह ए अ तकर न ऋ व दक सा य क आधार पर पवव दक काल क समाज को कट ब ज मन वश और जन क आधार पर सग ठत बताया ह पता क सव चता वीकार करन वाल पतस ता मक यव था वाल पव व दक समाज म एक ह पवज क वशज

का ाम ज मन कहा जाता था इस कार क कई ाम का समह वश होता था िजसका म खया वशmdashप त कहलाता था कई वश को मलाकर जन बनता था िजसक मख को जनप त या राजा कहा जाता था जन इस कार ऋ वदकाल न आय क समाज का सबस मह वपण सगठन था िजस कछ व वान न मोट तौर पर कबील क प म दखन का यास कया ह ऋ वद म भरत प स क व स जय अन ड़य आ द अनक जन क नामो लख ा त होत ह क षmdashकम स अप र चत य जन सचरणशील थ और उनक अथ यव था का म य आधार पशपालन था पशधन क व क लए यक जन अ य जन क साथ य करता रहता था और य म वजय क प चात ा त होन वाल लट क साम ी स अपन को सम करता था य म वजय अ य त आव यक थी य क न कवल उनम ाणर ा होती थी बि क वह जन क लए सम का भी एक ोत था वजय स नि चत

करन क लए स य शि त क अ त र त दव कपा क भी आव यकता होती थी िजस परो हत क सहायता क बना नह ा त कया जा सकता था इस कार धीरmdashधीर व दक समाज म दवmdashक य क लए जो आग चलकर य mdashक य और धमmdashक य बन गय म वग का अ यदय हआ जो काला तर म वण यव था क ढाच म ा मण वण बनकर उभरा इसी कार स यmdashकम म य त सल न रहन वाल लोग का वग परवत काल म य बन

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गया और शष स पण समाज वश म स व य और श वण का वभाजन पवव दक काल क अि तम दन म वण यव था क पणत अि त व म आ जान का प रणाम था िजसका थम प ट सकत प ष स त म दखन को मलता ह स पि तmdash ाि त वारा सम mdashव का

भौ तकवाद ि टकोण त काल न जीवनmdashदशन का मह वपण ब द था और च क य स पि त ाि त का एकमा ोत था इस लए इस जीवनmdashदशन क सभी आयाम य क क यता म वक सत ह ए इ इस काल का सवा धक मह वपण दवता था िजसक य यता और वजय क ववरण न ऋ वद म पया त थान ा त कर रखा ह इसक अ त र त व ण अि न म यम अि वन आ द अ य मह वपण दवता थ जो य ाराधन स स न होकर आराधक जन क वजय स नि चत कर सकत थ जन क पार प रक सि मलन क या भी इस काल म ार भ हो गयी थी जो कभी य म वजय क प रणाम व प होती थी तो कभी कसी सामा य श का सामना करन क लए प चातकाल न पचाल जन इस कार क सि मलन का सव थम उदाहरण था िजसम पाच जन mdashक व कि न स जव सोमक और तवश का सि मलन हआ था

ऋ वद काल क सवा धक मह वपण घटना थी mdash दाशरा य िजसम भारत क राजा सदास न प णी अथवा रावी नद क तट पर दस राजाओ क सघ को परािजत कया था और गहराई स दखन पर इस घटना क प ठभ म म ऋ व दककाल न जनरा य क जनपद रा य म वक सत होन क स छप ह ए दखाई दत ह य क उपल ध त य क काश म इस य का मख कारण जसा क कछ व वान का मानना ह प णी नद क धारा को मोड़ना था ता क

सचाई क लए जल ा त हो सक इसी कार इ वारा व क वध क जलधारा को म त करन क अथ म क गयी या या भी इस अनमान को बल दती ह क सभवत ऋ वद काल क अि तम दन स काफ पहल ह आय लोग का क ष स प रचय हो गया था और व सचरणशील जीवन छोड़कर ि थर जीवन यतीत करन क आका ी होन लग थ य क ि थर जीवन का ार भ जमीन स जड़ाव स श होता ह और जमीन स जड़ाव क ष कम स आय का पया त प रचय और क ष कम क यापकर यलन क सकत स इस अनमान क पि ट हो जाती ह क बदलती ह ई प रि थ तय म भ म क मह व स आयजन सप र चत हो गय थ और अब भ म उनक लए सम का एक मख ोत बन गयी अ धक स अ धक भ म ा त कर अ धक स अ धक सम होन क कामना भौ तक सख को म य मानन वाल वचारधारा म व वास रखन वाल लोग क लए एक वाभा वक बात थी और यह जनपद क वकास का ार भ ब द था भmdashचतना क वकास क प रणाम व प जन कल म वभािजत ह ए यक

कल का एक मख होता था उ तरव दक ोत और महाका य म कलधम का उ लख इस ओर प ट सकत करता ह इन कल म य और सर ा क कारण स यो ा समह का अ यदय हआ िजसन जनपद क थापना म मह वपण भ मका नभाई पा णनी क अ टा यायी म जनपद न श द का योग जनपद क य शासक क लए कया गया जो कल क स य समह का त न ध व करत थ िजसक यास स जनपद क थापना ह ई कसी भी जन क अ धकार म िजतनी भ म आयी उसी स उस जनपद क थापना ह ई इस

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कार सचरणशील जनरा य भौगो लक जनपदmdashरा य म प रव तत हो गय और जन क नाम स जनपद का नामकरण हआ एक स अ धक जन क सि मलन क ि थ त जनपद का नामकरण भावी जन क आधार पर कया गया य य प आग चलकर एक ि थ त यह भी आयी क कसी रा य क क थल क नाम क जनपद का अ भधान च लत हआ अत जहा उ तरव दक काल म पचाल क म य श व आ द जनपद क नाम मलत ह वह काशी कोसल मगध च द आ द जनपद क नाम भी परवत ोत म ा त होत ह

जनरा य स जनपद रा य क इस वकास क साथ ह उनक राजनी तक शास नक आ थक धा मक प म भी वाभा वक प स प रवतन हआ य क जनरा य स जनपद रा य का सरचना मक प पणत भ न होन क कारण उनका सचालन उसी यव था स नह हो सकता था िजनस जनरा य का सचालन होता था इन सगठना मक प रवतन क चचा आग क जायगी यहा पर मा धा मक प रवतन क और ह सकत करना पया त होगा िजनक मह वपण भ मका जनपद क वकास म रह पहल ह यह सकत कया जा चका ह क य म वजय पवकाल न आय क लए जीवन क सवा धक मह वपण उपलि ध थी य क इसस जीवनmdashर ण क साथ ह साथ उ ह लट क सपि त भी ा त होती थी और इस कार य उनक लए सम का ोत था यह सम म यत पशधन क प म थी वजय क लए स यmdashशि त क अ त र त दवकपा भी आव यक थी िजसक लए य का स पादन होता था य य प य क अ य उ य भी थ पव व दक काल म य प त अ य त सरल थी क त धीरmdashधीर य क प त म पया त ज टलताओ का समावश हो गया अब अ य त खच ल और द घकाल न स mdashय का ार भ हआ िजसक लए परो हत का एक व श ट वग उभरा िजसन स पण समाज को अपन भाव स आ छा दत कर दया अ धक स अ धक भ म ा त कर अपन रा य को अ धक स अ धक सम बनान क लए राजाओ को रत करन क

उ य स राजसय और अ वमघ जस य का चलन ार भ हआ और च वत तथा एकछ एकराट स ाट आ द राजनी तक आदश को ा त करन क मह वाका ा शासक वग म जा त क गयी िजसका प रणाम था जनपद का भौगो लक व तार और यह अकारण नह ह क उ तरव दक काल न व भ न जनपद क शासक वारा कए गए य और वजय क प रणाम व प ब काल तक आतmdashआत गगाघाट म कम स कम सोलह महाजनपद का वकास हम दखायी दता ह िजनक सची बौ थ अग तर नकाय म ा त होती ह य य प जन सा ह य प चीस महाजनपद का उ लख करता ह पराण क भवनकोश ववरण म लगभग 175 जनपद क सची ा त होती ह पा ण न का बोज स लकर अ मक और सौबीर स सरमास (असम म सम घाट ) तक फल ह ए जनपद का पण ववरण दान करत ह जनपद क महाजनपद म और फर महाजनपद क सा ा य प म वक सत होन क मह वका ा न ाचीन भारतीय इ तहास का जो प नमाण कया ह उसक पया त जानकार

ऐ तहा सक ोत स ा त होती ह और अ ततोग वा इस यास म मगध को सफलता मल िजसन अ य जनपद mdash महाजनपद को पराभत कर थम भारतीय सा ा य का प हण कया

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64 सगठन स बि धत ोत म जनपद क व प और सगठन क वषय म जो जानकार मलती

ह उसक आधार पर जनपद क सागठ नक अवयव क गणना न नवत क जा सकती हmdash (अ) पर अथवा राजधानी

पर अथवा राजधानी को जनपद का सवा धक मह वपण भाग बताया गया ह व तत यह जनपद का दय थल था जो चार और स सर ाmdash ब ध स य त मजबत सर ा भि तय वारा घरा होता था सर ा भि त क चार ओर चौड़ी और गहर जलय त खाई होती थी िजसम सप और घ ड़याल आ द होत थ कभीmdashकभी एक स अ धक सर ा भि तया पर क चार ओर होती थी एकप ण जातक वशाल क चार ओर तीन सर ा भ य क जानकार दता ह जो एक दसर स एक ल ग (लगभग 3 कमी) क दर पर थी

राजधानी म राजा रा या धका रय साम त तथा जनसामा य क लए आवास न मत होत थ राजधानी का एक म य वार तथा आव यकतानसार एका धक छोटmdashछोट वार होत थ िजन पर उ चत सर ा ब ध होता था बाजार तथा सड़क स नयोिजत प स बनाई जाती थी (ब) नि चत सीमाmdash

पर अथवा राजधानी क चार ओर ाम म वभािजत वशाल भmdash जनपद क नि चत सीमा का नधारण करता था रामायण म गगा क तट तक कोशल जनपद क सीमा बतायी गयी ह जनपद क स नि चत सीमाओ का उ लख पा णनी न भी कया ह का शका क अनसार एक जनपद क सीमाओ का नधारण अ य जनपद करत ह िजसका ता पय यह ह क यक जनपद रा य अ य जनपद रा य स घरा हआ था और इस कार यक जनपद का वाभा वक सीमाकन हो जाता ह (स) राजनी तक स थाय

जनपद क राजनी तक शि त य क हाथ म न हत होन क कारण जनसमह प टत दो वग म वभािजत था mdash राजनी तक अ धकार य त शास नक वग तथा जावग थम वग क लोग क लए पा णनी न जनपद न श द का योग कया ह िजसक या या

जनपद वा मन या क प म का शका वारा तत क गयी ह बौ सा ह य ल छ वय क ऐस 7707 राजाओ का उ लख करता ह जनरा य स सागठ नक एव सरचना मक आधार पर भ न होन क कारण जनरा यकाल न सभा और स म त जसी राजनी तक स थाय अ ास गक हो गयी थी और जहा स म त पौर तथा जानपद नामक दो सगठन वारा थाना त रत कर द गयी वह सभा का सरचना मक प रवतन हो गया अब सभा क तपय नि चत अहताओ वाल सद य का सगठन बन गयी िजसका काय था mdash राजत ीय जनपद म राजा को सलाह दना और उसक नरकशता पर सवधा नक अकश लगाना गणत ा मक जनपद म शास नक एव अ या धक सम याओ क समाधान ढढना तथा या यक काय का स पादन राजत ा मक जनपद म राजा और सभा क स ब ध राजा क यि त व

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एव शास नक वग पर उसक पकड़ पर एव वय पौरmdashजनपद क अपनी शि त पर आधा रत थ लोक य और शि तशाल राजा क स मख सभा अि त वह न सी हो जाती थी

पौर पर अथवा राजधानी क लोग का सगठन थी जो नगर य ब धन स स ब थी राजा क अनम त स मत यि तय क स पि त क दखmdashरख सावज नक तथा प व मारक का सर ण तथा राजधानी म शाि तmdashसम स स बि धत काय का सपादन पौर का उ तरदा य व था पर क अ त र त जनपद क अ य भाग क लोग का सगठन जानपद कहलाता था म यत यह ाम क त न धय का सगठन था जो राजा और जा क बीच क कड़ी का काम करता था य क ाम का शासन साम ी क वारा ह कया जाता था

रामायण महाभारत तथा अ य ोत म पौरmdashजनपद का योग साथmdashसाथ कया गया और उनक काय क गणना न नवत क गयी ह िजसस शासनmdash शासन म उनक मह व का सकत मलता ह mdash

यवराज क नयि त तथा भावी राजा का चयन रा या भषक क काय म भागीदार करना धान अमा य क नयि त म सहम त दना आ थक अन ठान तथा करmdash नधारण म सहम त दना राजा क साथ नर तर स पक रखना

(ज) जनस या जनपद क जनस या का राजनी तक तथा जनसाधारण वग का प ट वभाजन

स बि धत ोत म दखन को मलता ह जनस या म वणmdash वभाजन को लकर व वान म मतभद ह कौ ट य का कथन ह क राजा जनपद क अनसार राजधानी म अ धकाश जनस या आय क होनी चा हए एक अ य थान पर मन का कथन ह क िजस रा य म श तथा नाि तक क जनस या ा मण स अ धक होगी वह रा द भ एव अ य या धय स त होकर न ट हो जायगा व ण धम स रा म व य और श क अ धक जनस या का समथन करता ह (य) वात यmdashचतना

जनपद राजनी तक तथा सा क तक ि ट स पणतया वत एव आ म नभर इकाई था अपना एक अलग दवता व श ट बोलmdashचाल अपनी अलग तरह क शासनmdashस ता पथक र तmdashरवाज एव आ मmdashगौरव का भाव यक जनपद क व श टता थी जनपद क अपनी स भता एव वत ता थी िजस बनाय रखन क लए वह सतत य नशील रहता था महाभारत तथा अ टा यायी म व भ न जनपद क व श टताओ क उ लख ा त होत ह या क न र त म क बोज जनपद क लोग क भाषागत व श य का ववरण दया ह जनपद क जा का अपन रा य और राजा क साथ गहरा लगाव होता था और राजा क सखmdashदख क साथ व पर त मयता स जड़ रहत थ जनपद धम का अ य त मह व था और जनपद का यक यि त अपन नणय उसी क अनकलता म लता था अपन क कला और श प आ द का ान यि त को जनपद म व श ट स मान का पा बना दता था जनपद क वात यmdashचतना

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व तत एक साम हक वात यmdashचतना थी िजस बनाय रखन क ाणपण स च टा क जाती थी और िजसक कारण कसी जनपद क कला दशन सा ह य राजनी त एव अ य म त ठाmdashव सभव थी क त दसर ओर इसका एक नकारा मक प रणाम कभीmdashकभी जनपद क

अलगmdashथलग पड़ जान क प म भी दखायी दता था (र) भाषा और धम क एकमा

जनरा य भाषा और धमmdash यवहार क आधार पर एक दसर स अपना पाथ य था पत करत थ क त जनपद रा य क थापना स भ वशाल य वग अपनी भाषा और धमmdashयवहार क कारण जनसाधारण स पथक दखाई दता था क त धीरmdashधीर दोन वग क भाषा और धमmdash याओ म सम वय क या ार भ ह ई और अ तत यक जनपद न भाषा और धम क वीकत एक कत प म अपनी व श टता था पत कर ल भाषा और धम क एकता इस कार जनपद नमाण का कारण नह प रणाम बनकर हमार सामन आता ह

इन सागठ नक अवयव स सप ट जनपदmdashरा य का सचालन जनरा यकाल न यव था स नह हो सकता था अत जनपद रा य न अपनी राजनी तक शास नक आ थक एव अ य यव थाओ का वकास कया

जनपद रा य क राजनी तक शास नक यव था म सवा धक मह वपण त य था राजपद का वशानगत होना िजसक सकत ऐतरय ा मण और शतपथ ा मण म ा त होत ह िजसम राजस ता को एक दो या तीन तथा दस पी ढ़य तक सर त कय जान क स बताय गय ह जनपद क भ म पर राजा का अ धकार शतपथ ा मण क एक उ लख स स चत होता ह िजसक अनसार कल क अनम त स राजा भ म दान करन का दावा करत ह इस भ म का वामी होन क साथmdashसाथ राजा इस भ म पर बसन वाल चार वण क लोग का भी वामी हो जाता था क त त काल न सामािजक यव था म ा मण का वच व था पत हो

चक होन क कारण राजा ा मण का तो र क (बा मणौ ता) था क त शष जनता का भ क ( वशाम ता) कहा गया रा या भषक क समय दवताओ स राजा को अपनीmdashअपनी शि तय स य त करन क ाथना राजा क परवत काल न दवी प का पवmdashस समझी जा सकती ह राजपद क वशानगत होन क साथ ह साथ स ता क क करण क वि त भी जनपद काल म दखी जा सकती ह िजसक प रणाम व प सभाmdashस म त जसी पवकाल न स थाओ का अि त व तो समा त हो गया और पौरmdashजनपद जसी स थाय उभर क त उनक भ मका कवल परामशदा ी स थाओ तक ह रह गयी राजकाय म राजा क सहायता क लए प चा काल न म mdashप रषद क पवmdash प रि नन का उ लख उ तरव दक सा ह य म मलता ह िजनम परो हत ामीण सनानी भागदघ रथकार आ द क नामो लख स यह सकत मलता ह क जनपद रा य

म कम स कम राज व तथा शासन का कोई न कोई स नि चत त वक सत होन लगा था सनानी का उ लख एक थायी सना क ओर सकत करता ह तो भागदध ब ल आ द का उ लख एक राज व त आ द एक नय मत और थायी सना क बल पर ह जनपद का व तार और र ण सभव था इस लए सनानी का रि नन म अ य धक मह व था ामीण का पवकाल न मह व जनपद रा य म बना रहा य क जनपद क सरचना म ाम का

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मह वपण थान था जसा क पव म सकत कया जा चका ह जनपद क व तथा र ा क उपाय क चचा करत समय महाभारत जनपद क अतगत ाम क मह व पर काश डालता ह इसक अनसार जनपद क अ तगत एक दस बीस सौ तथा हजार ाम का अलगmdashअलग अ धप त होना चा हए ाम का अ धप त ामवा सय क वषय का और ाम म होन वाल अपराध का पण ववरण दस ाम क अ धप त क पास भज इस कार दस ाम का अ धप त बीस ाम क अ धप त क पास बीस ाम का अ धप त सौ ाम क अ धप त क पास सौ ाम का अ धप त हजार ाम क अ धप त को और हजार ाम का अ धप त वय राजा क स मख उपि थत होकर सभी ववरण तत कर इसी कार ाम क आय अ धप त अपन पास रखकर उसक नयत अश का वतन क प म उपभोग कर उसी म स वह दस ाम क अ धप त को भी नयत वतन द दस ाम का अ धप त बीस ाम क अ धप त को नयत वतन दान कर सौ ाम का अ धप त एक ाम क आय को नजी उपयोग म ला सकता ह हजार ाम का अ धप त एक शाखा नगर (क ब) क आय अ त अथवा सवण का उपयोग कर सकता ह इन अ धप तय क अ धकार म य स ब धी अथवा ाम क ब ध स ब धी सभी काय क दखभाल कसी आल यर हत धम म ी क वारा क जानी चा हए अथवा यक नगर म ऐसा एक अ धकार हो जो सभी काय का चतन और नर ण कर सक िजस कार कोई भयकर ह आकाश म न क ऊपर ि थत होकर प र मण करता ह उसी कार वह अ धकार उ चतम थान पर ति ठत होकर उन सभी सभासद आ द क नकट प र मण कर और ग तचर आ द क वारा उनक काय क पर ा करता रह जनपद र ण क वषय म मन क अनसार राजा दोmdashदो तीनmdashतीन पाचmdashपाच ाम क समह का एकmdashएक र क नय त कर अथवा एकmdashएक दसmdashदस सौmdashसौ या हजारmdashहजार ाम का र क नय त कर इन दो तीन या पाच ाम क र क क नयि त वतमान थान का सौ ाम क धान र क क नयि त तहसील या िजला और हजार ाम क र क क नयि त क म नर क तरह समझा जा सकता ह र णmdash यव था क तरह ह जनपद क राज व यव था का प समझा जा सकता ह िजसम सबस छोट इकाई ाम का व भ न उ चतर इकाइय स होत ह ए अ तत क य स ता तक सीधा स ब ध बना होता था

राजत ा मक शासन प त क अ त र त क तपय जनपद गणत ा मक प त स सचा लत थ ऐस जनपद म वि ज और म ल वशष प स उ लखनीय ह य य प कछ अ य गणmdashजनपद क नाम भी ऐ तहा सक ोत म मलत ह गणmdashजनपद म शासन का व प वक कत था िजसम गणप त सव च अ धकार होत ह ए भी यक वषय म गणmdash

समह वारा स थागार म वचारmdash वमश क वारा लए गए नणय को लाग कर सकता था गणmdashजनपद क इस वक कत शास नक यव था म भी छोट स छोट इकाई का बड़ी स बड़ी इकाई स सीधा स ब ध होता था क त धीरmdashधीर बह त सार राजाओ न गणmdashजनपद म इस क या ार भ क जो धीरmdashधीर ती होती गयी और थमत मौय सा ा य और त प चात ग त सा ा य क उ कष न इन गणmdashजनपद को अपन व तार क या म अपन भीतर समट लया

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65 साराश उपय त ववरण स प ट ह क ाचीन भारतीय राजनी तकmdashऐ तहा सक वकास क

या म सचरणशील जनरा य म भ म का मह व जानन क साथ ह जनपदmdashरा य क वकास क या ह ई और जनपदmdashरा य का मल व प उनक भौगो लक ि थ त क साथ जड़ा रा य क इस पmdashप रवतन क साथ राजनी तकmdash शास नक प रवतन अव य भावी थ इन प रवतन म राजपद का वशानगत होना राजा क शि त और अ धकार म व सभाmdashस म त जसी नय णकार स थाओ का लोप और उनक थान पर पौरmdashजनपद जसी परामशदा ी स थाओ का उदय रि नन क एक वग का अ यदय थायी सना का नमाण थायी कोष क आव यकता और उसक लए राज वmdash यव था का ार भ आ द मह वपण थ जनपद क बढ़ती ह ई राजनी तक मह वाका ाओ न यक जनपद को अपनी सीमा व और र ण क लए व भ न उपाय अपनान क लए ववश कया िजनका पया त ववरण त काल न ोत म मलता ह इन ोत म जनपद क क त ल ण सगठन आ द पर पया त कार मलता ह जनपद म कछ गणत ा मक शासन प त स सचा लत थ अत उनक शास नकmdashराजनी तक यव था राजत ीय जनपद स व पत भ न थी जनपद रा य का अगला व तार महाजनपद म हआ और महाजनपद न सा ा य क वकास क लए अपनmdashअपन यास कए िजनम अ तत मगध सफल हआ और उसन थम भारतीय सा ा य का गौरव ा त कया सा ा य इस कार जनपदmdashरा य का अवसान नह बि क उसका वकास था

और इस लए सा ा य क पतन क बाद फर जनपद का अि त व आ जाता ह

66 अ यासाथ न (अ) ाचीन भारत म जनपदmdashरा य क क त का ववचन क िजए (ब) उन ऐ तहा सक प रि थ तय का ववचन क िजए िजनक कारण ाचीन भारत म

जनपद का अ यदय हआ (स) जनपद जनरा य और सा ा य क बीच क कड़ी थ प ट किजए (द) जनपद क सागठ नक व प पर एक नब ध ल खए (य) जनपदmdashरा य क र ाmdash यव था अथवा राज व यव था पर काश डा लए

67 ास गक पठनीय थ ऐतरय ा मण छा दो य ा मण महाभारत रामायण मन म त अथशा नी तवा यामत

जायसवाल क पी ह द पा लट

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अ टकर ए एस टट ए ड गवनमट इन एि सए ट इि डया शमा आर एस आ प स ऑव पो लट कल आइ डयाज ए ड

इ ट टयशस इन एि सयट इि डया शमा एम एल नी तवा यामत म राजनी त म एस जनपद टट इन एि शय ट इि डया राव वजय बहादर उ तरव दक काल न सामाज और स क त बस जोगीराज इि डया ऑव द एज ऑव द ा मणाज कमायर चा स कि शप ए ड क य नट इन अल इि डया

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इकाई mdash7 ाचीन भारतीय गणत और उनका स वधान

इकाई क परखा 70 उ य 71 तावना 72 गण और सघ 73 ाचीन भारतीय गणरा य 74 स वधान एव शासन 75 गणरा य हास एव पतन 76 साराश 77 अ यासाथ न 78 ास गक पठनीय थ

70 उ य ाचीन भारतीय राजनी तक थो म नपत अथवा राजत क अ त र त गणत क भी

चरत उ लख ा त होत ह िजस ि टगत करत ह ए यह न कष नकलना अ य त वाभा वक ह क भल ह भारतीय लोकत का वतमान माडल पा चा य आधार पर न मत हआ हो गणरा य क प म लोकत क जड़ भारतीय राजनी त क म ी म समाई ह ई ह और भारतीय लोकत का एक अपना शानदार इ तहास रहा ह इस इकाई म हमारा उ य ाचीन भारत क लोकत ा मक शासनmdashप त पर काश डालना ह जो गणmdashरा य अथवा सघmdashरा य म यव त थी गण श द का अथ गणत म उसक मह व का रखाकन मख गणरा य का स त प रचय उनक शास नक यव था उनका स वधान और अ तत उनक हास एव पतन क कारण का स त ववचन इस इकाई म कया जायगा िजसस अतीतकाल न भारत क एक लोक य एव स च लत शासनmdashप त क उसक अपनी सम ता म उभारा जा सक और उसक वषय म पया त जानकार ा त क जा सक

71 तावना ा य नरकशता (Original Deposition) क पा चा य स ा तmdash तपादक क

ि ट स ाचीन भारतीय शासनmdashप त का प यि तmdash वात य नाग रकmdashअ धकार चतना तथा वाय तmdashशासन आ द स सवथा र हत एकत ीय यव था का पोषक था जो म यत आनवा शक

था और िजसम जनसामा य क राजा ाmdashपालन क अ त र त कोई भ मका नह थी नाग रक अ धकार वयि तक वात य तथा शासनmdash शासन म जनसामा य क भावी भ मका स य त लोकत ा मक शासन प त इन व वान क ि ट म पा चा य जगतmdashम यत ाचीन यनान क व व को दन ह क त जायसवाल शा ी मकज द तार और अ टकर आ द न इस धारण को सवथा नमल कर दया ह अब यह न ववादत वीकार कया जाता ह क य य प

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ाचीन भारतीय इ तहास अ धकाशत एकत ीय यव था का इ तहास रहा ह तथा प उसम न कवल राजाओ क नरकशता पर नय ण करन और शासन शासन म जनसामा य क भ मका का नधारण करन क लए थानीय वmdashशासन क क तपय त व को समा व ट करन क पया त यव था क गयी थी अ पत ाचीन भारतीय सा ह य म यत बौ जन सा ह य अ टा यायी और महाका य क अ ययन क आधार पर अब यह भी स कया जा चका ह क ाचीन भारत म सघरा य क प म व व म थम लोकता क शासनmdashप त का अगीकरण कया गया था एकत ीय शासन यव था ाचीन भारत क एकमा शासनmdash यव था नह थी इसका प ट पता अवदान शतक स चलता ह िजसक अनसार द ण भारत क यापारmdashया ा पर गय ह ए उ तर भारत क यापा रय स उनक यहा क शासनmdashप त क बार म पछ जान पर उ ह न उ तर दया क कि च शा गणाधीना कि च राजाधीना अथात कह mdashकह गणरा य ह तो कह mdashकह राजत ह इसी कार जन थ आचाराग स म उि ल खत गणराया ण तथा दोर जा ण जस श द एकत ीय शासन यव था क अपवाद का प ट सकत दत ह ाचीन भारत म एकत ीय रा य क साथ ह साथ ऐस अनक रा य थ जो अनक राजाओ वारा शा सत होत थ इन रा य को गणरा य कहा जाता था य क अपन नि चत वधा नक अथ म गण का अथ समह होता ह और गणरा य एक ऐस रा य का बोध कराता ह जहा अ धकार एक यि त क हाथ म न होकर अनक यि तय क हाथ म हो इसी कार यौधय मालव आजनायन आ द गण क म ाय हम उनक गणता क व प क सचना दती ह गण श द क अथmdash व भ न ओर उसक समानाथक सघ श द क या या एव उनक ऐ तहा सक उ लख क साथ ह ाचीन भारतीय गणरा य क अवधारणा और व प का स त प रचय अगल पि तय म दया जा रहा ह

72 गण और सघ गण श द का अथ स या समह वीकत होन क कारण गणरा य श द का अथ

वाभा वक प स स याmdashशा सत अथवा समहmdashशा सत रा य होता ह और जसा क अ टकर न लखा ह mdash राजनी त क माणभत थ क अनसार जात रा य वह ह िजसम सव च शासना धकार राजत क भा त एक यि त क हाथ म न होकर एक समह गण या प रषद क हाथ म हो िजसक सद य क स या चाह कम हो या अ धक बौ थ महाव ग म उि ल खत गण तथा ldquoगणपरक श द क या या वारा क पी जायसवाल न यह प ट कया ह क गण का आशय अस बल अथवा पा लयामट स समीकत होन क कारण गणरा य का अथ अस बल अथवा पा लयामट वारा शा सत रा य हआ अथmdash व तार क अगल चरण म गण पा लयामट को यो तत करन लगा और च क गणरा य पा लयामट वारा शा सत होत थ अत आग चलकर गण स गणरा य का ह योतन होन लगा

ऋ वद तथा अथववद क म महाभारत क उ लख तथा मग थनीज वारा तत ववरण क आधार पर जायसवाल क मा यता थी क भारत म गणता क यव था का उदय राजत क काफ बाद तथा पवव दक काल क प चात हआ था कत जसा क शमा का मत

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ह जायसवाल क यह मा यता कवल व दक काल क बाद क वगmdash वभािजत गणत तक ह वीकत क जा सकती ह व दक काल न जनजातीय गणरा य क मामल म इस सामा यीकत

नह कया जा सकता व दक थ म गण श द का उ लख क य सभा (अस बल ) अथवा स नक टक ड़य क अथ म कया गया ह अत गण श द क या या न एक ववाद को भी ज म दया जहा क पी जायसवाल न इसका अथ क य सभा (या अस बल ) म ह दखान का यास कया वह मालवगण क सदभ म ल ट न इसका अथ जनजा त (Tribe) बताया िजसका आधार

मो नयर व लय स वारा अपन श दकोश म गण का अ जी पयाय tribe बताया जाना था क त ल ट क इस मा यता का स कत सा ह य तथा सर पीटसबग एव अ य श दकोष क आधार पर थामस न खडन कर दया और गण क जायसवाल क अथ को ह मा यता द शमा क अनसार गण श द क य दोन ह या याय स दभ को कालmdash म म हण करन पर उ चत तीत होती ह व दक थ म मरत का अनक बार गण क प म

उ लख हआ ह और च क व सभी क सतान कह गयी ह अत उनक गण का अथ इस कार जनजातीय इकाई क प म समझा जा सकता ह काला तर म गण का अथ

अ च लत हो गया और गणरा य लोकता क अथवा जाता क रा य क लए य त होन लगा िजसम शासना धकार जसा क पहल कहा जा चका ह एक यि त क हाथ म कि त न होकर एक समह या प रषद क हाथ म कि त हो भल ह उसक सद य क स या कछ भी हो गण क अ त र त ाचीन भारतीय सा ह य म सघ श द का भी उ लख मलता ह िजस पा णनी न गण का समानाथक बताया ह काला तर म सघ श द का धा मक क अथवा मठ क लए भल ह योग कया जान लगा हो कम स कम कौ ट य क काल तक सघ गण का पयाय ह माना जाता रहा जसा क अथशा म सघ रा य क ववरण स प टत ात होता ह ाचीनतम बौ थ यथा मि झम नकाय बौ काल न गणरा य का ववरण दत ह ए सघ और गण का साथmdashसाथ उ लख करता ह इस कार सघ और गण दोन ह गणता क शासनmdashप त स अ भ न समानाथक श द क प म य त कए गए ह गण स य द शास नक यव था का पmdash योतन कराता था तो सघ रा य का योतक था भारतीय ोत

क अ त र त समसाम यक यनानी लखक क ववरण स हम सक दर क आ मण क समय क क तपय जाता क रा य क वषय म जानकार मलती ह और य य प कछ व वान (उदाहरणाथ बनी साद) इन ववरण क ामा णकता पर न च ह लगात ह तथा प उपल ध सा य क आलोक म ाचीन भारत म गणरा य का अि त व नकारा नह जा सकता म डल का मत क यनानी लखक वारा व णत जात ा मक रा य वा तव म ामmdashस थाय थी अथवा फक का कथन क ीक लखक वारा व णत जात या वयशा सत रा य छोट mdashछोट रयासत या इ कmdashद क नगर थ जो मगध जस बड़ रा य क अड़ोसmdashपड़ोस म रहत ह ए कसी कार अपनी वाय तता बनाए रख सक थ सम चत नह तीत होता पा ल सा ह य गणरा य क एक ल बी सची तत करता ह और इतर ोत स भी ाचीन भारत क

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गणरा य पर पया त जानकार मलती ह िजसक आलोक म इन गणरा य क ि थ त स वधान शासनmdash शासन आ द का सम चत ान हम मलता ह

73 ाचीन भारतीय गणरा य गणता क यव था का उ य य द एकता क नरक ता और व छाचा रता का

नय ण करना माना जाय तो यह बात बह त दर क कौड़ी नह लगती क ऋ वद क अ तम स त म क गयी ाथना क स मती क म ण एकमखी हो सद य क मन भी पर परानकल हो ओर नणय भी सवस मत ह (ऋ वद 101913) का सकत गणत क स मती क ओर हो सकता ह जसा क अ टकर न सभावना य त क ह य य प व यह भी कहत ह क साधारणत स मती का स ब ध राजा स रहता था और कवल इस एक स त स ऋ वद काल म गणत का अि त व स नह होता क त राजत स गणत क वकास का एक सकत अ टकर न ऋ वद म एक थान पर राजाओ क स मती म एक होन लग (ऋ वद 10176) स ब धी ववरण तथा शतपथ ा मण क एक उ लख क राजा वह हो सकता ह िजस अ य राजा लोग वीकार कर (श ा 9325) ढढा ह िजसम अ य राजाओ का अथ सभवत वशप त समझा जा सकता ह इस कार राजशि त वश क म खया क हाथ म थी य द इन म खयाओ क वारा वीकत अ य या अ धप त का पद आनव शक हो जाता था तो रा य राजत या नपत म प रव तत हो जाता था और इस प स इस व दक काल म राजा का नवाचन जस स ा त म या या यत कया भी गया ह क त य द वशप त या सरदार वारा वीकत अ धप त क अ धकार क कालमयादा सी मत होती थी और उसका पद आनव शक नह

होन पाता था तो आग चलकर यह रा य परवत काल क य गणरा य क प म वक सत हो सकता था ऋगवद काल क उ तरा और उ तरव दक काल क थमाध म रा यmdash नमाण क या पर यान दया जाय तो गणरा य क वक सत होन क एक सभावना पवकाल न जनरा य क सि मलन म भी दखी जा सकती ह हम यह ात ह क कह mdashकह यह सि मलन य म वजयी जन वारा पराभत जन को अपन जन म बलपवक सि म लत कर लए जान स सभव ह ई तो कभी यह सि मलन पार प रक म ी क आधार पर शाि तपण तर क स स प न ह ई ऐस शाि तपण सि मलन म सि म लत जन क शासनmdash यव था को सय त प स सचा लत करन क अनक राजाओ क यव था न गणरा य क वकास का माग श त कया होगा ा मण थ म ा य क राजा को स ाटrdquo सा वन क राजा को भोजrdquo नीच तथा आपा छ क राजा को वराटrdquo कहा जाना तथा उ तर mdash म और उ तर क म वरा य यव था और वहा क लोग को वराटrdquo कहा जाना रा य क अनक कार का सकत करता ह और य य प क पी जायसवाल ldquo वराट और भोज को भी जात मानत ह तथा प इन उपा धय क वषय म नि चत प स कछ भी कह पाना क ठन ह फर भी यह न ववाद ह क उ तर भ और उ तर क क वरा य गणत थ य क वराटrdquo का स बोधन उनक राजाओ का न होकर नाग रक का ह और अ भषक जसा क अ टकर का यो ह राजा का नह जनता का होता था यह त य भी यात य ह क उ तरmdashक ओ और उ तरmdashम क दश म चतथ शती ई तक गणत यव था ह च लत थी

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ाचीन भारत क गणत रा य क जो सची हम व भ न ोत स ा त होती ह उसक आधार पर हम उ ह स वधा क लए दो वग म बाट सकत ह mdash उ तर पि चम क गणरा य तथा उ तरmdashपव क गणरा य उ तर पि चम क गणरा य क वषय म म यत यनानी लखक क ववरण स महाभारत तथा पा णनी पतज ल का याययन आ द वयाकरण क थ स जानकार मलती ह तो उ तरmdashपव क गणरा य क जानकार म यत बौ थ स मलती ह अथशा स भी गणरा य अथवा सघरा य क वषय म मह वपण सचनाय हम ा त होती ह इन सभी ोत क आधार पर ाचीन भारत म ऐ तहा सक काल क व वध

गणरा य क स त परखा तत क जायगी 500 ई प स 400 ई प तक पजाब और स ध क घाट म बह त स गणत रा य

का अि त व था इनम स वक दाम ण पा व और का बोज क नाम हम याकरण थ म मलत ह क त उनक वषय म हम अ य कोई भी जानकार नह ह पा णनी क काल म गतmdashष ट छ गणरा य का सघ था िजसम का शका क अनसार कोडोपरथ दड क कौ ठ क

जालमा न ा मणग त और जान क सि म लत थ इनक अपनी म ा भी थी िजस पर कत जनपद य अ कत था जलधर दोआव म ि थत इसी गणसघ का नामातरण परवत काल म क ण द हआ क ण द क म ाय बह त अ धक स या म मल ह क ण द रा य वतीय शती ई तक अि त व म रहा और यौधय क साथ मलकर इसन कषाण क वनाश म अपनी भ मका नभायी

आध नक आगराmdashजयपर म 200 ई प स 400 ई तक आजनायन गणत था िजसक म ाओ पर आजनायनाम जय उ क ण कया गया ह म ाओ का काल 100 ई प ह क त सभवत यह गणरा य काफ ाचीन था य क आजनायन लोग अपनी उ पि त अनन स मानत थ अपन को य धि ठर का वशज मानन वाल यौधय स इनका घ न ठ स ब ध था

यौधय का गणरा य काफ बड़ म था यौधयाना जय स अ कत म ाओ क ाि त पव म सहारनपर स पि चम म भावलपर तक और उ तर प चम म ल धयाना स लकर

द णmdashपव म द ल तक इस गणरा य क व तत होन का अनमान कया जा सकता ह यह

गणत का रा यmdashसघ था इनम स एक क राजधानी पजाब म रोहतक थी दसर क शासन म उ तर पाचाल का बह धा यक दश था तो तीसर क शासन म सभवत राजपताना का उ तर भाग था यौधय लोग अ य त शि तशाल थ पा ण न न इ ह आयधजीवी कहा ह तो

दामन क जनागढ़ लख म वीरश दाया त इनका वशषण य त कया गया ह य लोग का तकय को अपना कलदवता मानकर उनक वाहन मयर क नाम पर म तमयरक वशषण धारण करत थ कषाण और शक स इनका य हआ िजसम य परािजत ह ए क त बाद म कषाण क वनाश म इ ह न मह वपण भ मका नभाई 350 ई तक यह गणत अि त व म बना रहा पर इसक बाद का इ तहास ात नह होता

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म य पजाब म म का गणरा य था जो सभवत सक दर क व त लखक वारा व णत कठ स अ भ न थ इनक राजधानी यालकोट थी इ ह न सक दर क सना का ती तरोध कया इनका गणरा य चौथी सद ई तक वधमान था

सक दर का तरोध करन वाल गणरा य म मालव और क सवा धक मह वपण थ मालव का गणरा य चनाब और राबी क बीच तथा उसस कछ द ण क म ि थत था और क उनक द णी पड़ोसी थ सक दर क साथ जमकर य करन क बाद अ तत य परािजत ह ए ओर उसस इ ह स ध करनी पड़ी त प चात दोन न मलकर रा यसघ बनाया जो बाद म कई शताि दय तक कायम रहा महाभारत तथा याकरण थ म मालव और क का साथmdashसाथ नामो लख मलता ह आग चलकर क का मालव म पण सि मलन

हो गया 100 ई प क आसपास मालव लोग अजमरmdash च तौडmdashट क दश म जाकर बस गय और फर आग बढ़त ह ए 400 ई म म य भारत म बस इस थान को मालवा कहा जाता ह 150 ई क आसपास य शक स परािजत ह ए क त शी ह वत हो गय मालव क ताब क म ाय पया त स या म मल ह िजस पर मालवाना जय अ कत मलता ह

यनानी लखक वारा उि ल खत मालव क पड़ोसी अ सकनोई (अ वक) और सवोई का ठ कmdashठ क थान ात नह ह श व लोग 100 ई प तक राजपतान म च तौड़ क पास मा य मका म जाकर बस गय थ जहा स उनक गणत का प ट नदश करन वाल बह त सी म ाय ा त ह ई ह

क क पड़ोस म ि थत अ ब ठ गणरा य को क टयस प टत जात कहता ह सक दर क साथ य को उ यत अ ब ठ न बाद म सि ध कर ल इनक बाद क इ तहास क वषय म अ धक ात नह ह

महाभारत म यौधय मालव श व औह बर अ धकmdashवि व गत अ ब ठ वातधान यादव ककर आ द गणरा य क नाम मलत ह गणरा य क सगठन थान और पतन क वषय म बह त मह वपण जानकार महाभारत स ा त होती ह पा णनी न क मालव अ ब ठ हि तनायन क व म आ ीत वसा त श व अप आ वासन एव आ वकायन आ द गणरा य का उ लख कया ह िजनम स कछ गणरा य जस क मालव अ ब ठ श व तथा म आ द क वषय म क तपय अ य ोत स भी जानकार मलती ह क त कछ अ य गणरा य क पहचान क ठन ह छठ शता द ई प म गगाघाट म ि थत गणरा य क वषय म बौ थो स मह वपण जानकार मलती ह महाप र न बानस त त म क तपय गणरा य का न नवत ववरण मलता हmdash 1 म ला को सनारका (कशीनारा क म ल) 2 म ला पाव यका (पावा क म ल) 3 स या क पलव थवा (क पलव त क शा य) 4 को लया रामगामका (राम ाम क को लय) 5 मो रया प फ लव नया ( प प लवन क मो रय)

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6 बलय अलक पका (अलक प क बल ) इनक अ त र त अ य बौ थ म कसप त क कालाम तथा स समार ग र क भ ग का

उ लख कया गया ह वि ज का उ लख अग तर नकाय म सोलह महाजनपद क साथ मलता ह वि ज सघ म आठ गणत सि म लत थ िज ह अ ठक लक क नाम स जाना जाता था इनम वि ज ल छ व और वदह मह वपण थ क ड ाम क ातक भी इस सघ म सि म लत थ अ य चार म सभवत उ भोग इ वाक और कौरव थ िजनका उ लख जन सा ह य म ातक क साथ कया गया ह और उ ह एक ह स थागार का सद य बताया गया ह इन गणरा य क भौगो लक ि थ त का स त ववरण अ यो ल खत पि तय म दन क बाद गणरा य क शास नक एव सवधा नक यव था का प रचय ा त कया जायगा

कशीनारा क पहचान दव रया िजल म ि थत वतमान क सया स क जाती ह रामायण म म ल को ल ण प च कत म ल का वशज बताया गया ह पावा का समीकरण दव रया म वतमान पडरौना स था पत कया गया ह ल छ वय को जीतन क बाद मगध शासक अजातश न म ल को भी जीत लया था क पलव त क शा य का गणरा य नपाल क तराई म ि थत था इसक राजधानी क पलव त थी िजसक पहचान नपाल म ि थत तलौराकोट स क जाती ह कछ व वान इस ब ती िजल म ि थत पपरहवा स समीकत करत ह गौतम ब का ज म इसी गणरा य म हआ था क पलव त क शासक का वनाश कोशल नरश वडडम न कया था शा य गणरा य क पव म राम ाम क को लय का गणरा य था जो द ण म सरय नद तक व तत था राम ाम क पहचान गोरखपर िजल म ि थत रामगढ़ ताल स क जाती ह मो रय लोग शा य क ह एक शाखा थ जो वडडम क अ याचार स बचन क लए भागकर हमालय क तलहट म एक मोरबह ल म प प लवन नामक नगर क थापना कर बस गय मोरबह ल का होन क कारण

व मो रय (बाद म मौय) कह गय च ग त मौय इसी गणरा य स स बि धत था प प लवन क पहचान गोरखपर िजल म कस ह क पास ि थ त राजधानी नामक ाम स क गयी ह ब लय का गणरा य आध नक बहार क शाहाबाद (आरा) और मज फ़रपर िजल म ि थत था सभवत वठ वीप या ब तया उनक राजधानी थी कसप त क कालाम का गणरा य कोशल क पि चम म सभवत स तानपर िजल क कडवार स लकर पा लया नामक थान तक फला था य लोग कोशल क अधीनता वीकार करत थ ससमार ग र का

समीकरण मजापर िजल म ि थ त चनार स कया गया भ ग गणरा य क अ धकार म व य क यमना और सोन न दय क बीच का दश था य लोग व स क अधीन थ वि ज सघ जसा क बताया जा चका ह आठ गणरा य का सघ था िजसम वशाल क ल छ व म थला क वदह तथा क ड ाम क ातक सवा धक मह वपण थ वशाल उ तर बहार क मज फरपर िजल म ि थत आध नक बसाढ़ ह ल छ वय क ाचीन भारतीय इ तहास म मह वपण भ मका थी म थला क पहचान नपाल क सीमा म ि थत जनकपर स क गयी ह क ड ाम वशाल क पास ह ि थत था अ य रा य क वषय म हम नि चत जानकार नह ा त होती

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74 स वधान एव शासन यव था गणरा य क स वधान तथा शासनmdash यव था क वषय म हम पया त जानकार नह

ह फर भी इतना अनमान लगाया जा सकता ह क ल छ व आ द बड़ गणरा य क शासनmdashयव था मो रय को लय आ द छोट रा य स भ न रह होगी गगा घाट क गणरा य दो कार क थ एक तो व जहा एक ह जा त शासन करती थी जस mdash शा य को लय कशीनारा

और पावा क म ल तथा दसर कार क गणरा य व थ जहा अनक जा तय का सय त शासन था इनम कोई प तनी राजा नह था जो स पण रा य पर शासन करता इन सघ का मख यि त राजा गणप त गण य ठ गणराज अथवा सघम य कहा जाता था सामा य शासन क दखभाल क साथmdashसाथ गणरा य म आत रक शाि त एव सामज य बनाय रखना

उसका मख क त य था गणmdash मख क सहायता क लए म न प रषद थी अ य मख अ धका रय म उपराजा (उपा य ) सनाप त भा डागा रक (कोषा य ) आ द क नाम मलत ह क त गणरा य क वा त वक शि त एक क य स म त म न हत होती थी इस स म त क सद य क स या काफ बड़ी होती थी स म त क सद य भी राजा कह जात थ

शा य सघ क सभा म 500 सद य थ िजस महाव त म शा य प रषद कहा गया ह सभा क बठक त भय त स थागार म होती थी इस सभा का मख राजा होता था ब क पता श ोधन सभवत इसी कार क राजा थ ब न शा य क नए स थागार का उ घाटन सखmdashस त (मि झम नकाय) और अव ततmdashस त (सय त नकाय) क या यान स कया था महाव त स ात होता ह क शा यmdashप रषद न रो हणी नद क जल क बटवार को लकर शा यmdashगण और को लयmdashगण क बीच होन वाल वादmdash ववाद को स थागार क बठक म नणय लकर सलझाया इसी कार वडडभ क आ मण क समय भी शा य प रषद म आपस म वचारmdash वमश क बाद नणय लए जान क बात स शा य क जाता क णाल का सकत मलता ह सय त नकाय म को लय क आर क प ष (प लस) का उ लख मलता ह िजनका काम सभवत चोर mdashडाकओ स लोग क र ा करना था क त इनक वारा कय जान वाल उ पीड़न अ याचार और उ डता क भी जानकार स बि धत सा य स मलती ह म लसघ क शासन णाल का ववरण बौ सा ह य म ा त होता ह द घ नकाय क सगी त स त म पावा क म ल वारा बनबाय गय नय सभाभवन उभटक का ब वारा उ घाटन कय जान का ववरण मलता ह म ल क स थागार म होन वाल नय मत बठक क जानकार भी हम बौ थ स मलती ह म ल लोग स नक वि त क थ और इसी लए म ल कह जात थ उनक शासनकता प रसा कह जात थ जो प लस क भा त थ कौ ट य न म ल को राजश दोपजी वन कहा ह

गगाघाट क गणरा य म वि ज सघ सवा धक मह वपण था जो आठ गणरा य का सघ था इसक राजधानी वशाल (अथवा वशाला) थी महाव ग क अनसार उस समय वशाल ऋ फ त बह जन स आक ण अ नपान स प न थी उसम 7707 साद 7707 कटागार 7707 आराम तथा 7707 प क रया थी सम तपासा दका क अनसार जनस या

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म व क कारण इसक चहारद वार बढ़ानी पड़ी थी महाव ग म इसक जनस या 168000 बतायी गयी ह ब घोष न अ कथा म वि जसघ क 7707 राजाओ का उ लख कया ह िजनका चनाव वशाल क वशाल जनस या करती थी इसक साथ ह 7707 उपराजाओ तथा 7707 सनाप तय का भी उ लख कया गया ह च लक लग जातक तथा एकप ण जातक क अनसार इन राजाओ उपराजाओ और सनाप तय क साथ 7707 भा डागा रक भी होत थ पा ण न क अनसार राज य कह जान वाल व सभी य सघ रा य क गणसभा क सद य होत थ जो शासन क लए अ भ ष त होत थ राजाओ क 7707 स या क वषय म अ टकर का मानना ह क य राजा वा तव म सघ क यजातीय जमीदार थ जो जमीदार का काय अपन भा डागा रक स करवात रह ह ग उनक प को उपराजा कहा जाता होगा और समयmdashसमय पर स नक सहायता दन क कारण उनक पास एकmdashएक सनाप त रहता होगा ल लत व तार म ल छवी राजाओ क चचा करत ह ए कहा गया ह क व सभी वय को राजाrdquo कहत थ व व भ न रग क व धारण कर सभा भवन तथा उ सव म जात थ उनक आभषण घोड़ रथ उ णीष छ जत चाबक तथा छड़ी आ द एक रग क होत थ राजाओ का व धवत अ भषक होता था िजसक लए वशाल म एक प करणी थी गणरा य म सफल शासन क लए म म डल होता था िजसम रा य क आकार और कार क अनसार म य क स या नि चत होती थी म ल रा य क म मडल म कवल चार सद य थ ल छ व रा य म नौ म ी थ ल छ व वदह रा य सघ क म mdashप रषद म 18 सद य थ यौधय मालव क आ द रा य क म मडल म कतन म ी होत थ हम ात नह ह पतज ल क महाभा य म पचक दशक वशक आ द श द स सघ का उ लख करन को अ टकर म य क स या का सकत मानत ह अ टकर क अनसार पचक का अथ पाच म य वाल दशक का अथ दस म य वाल और वशक का अथ बीस म य वाल गणरा य था महाव ग म चार पाच दस व बीस सद य क व ग क कारण सघ क वभाजन क बात क गयी ह अ टकर का वचार ह क य व ग का अथ म मडल रहा होगा िजसक सद य क स या चार पाच दस या बीस रहती थी इस कार यह अनमान लगाया जा सकता ह क गणत म म य क स या ाय चार स बीस तक रहती थी गणा य म मडल का धान और स म त का अ य हआ करता था

ल छ वय क सभा क नय मत बठक स थागार म होती थी अ कथा क अनसार बठक ार भ होन क सचना दन क लए घट बजायी जाती थी ल छ व राजाओ क सव च स था सभा थी िजसम वदशी धा मक क ष यापा रक आ द मामल पर वचारmdash वमश होता था महाव त स ात होता ह क ल छ वय क स था म नणय म जनता का व श ट सहयोग रहता था शासन क यव था क लए गणस था कायका रणी क नयि त करती थी जो व तत वदशी तथा आत रक मामल क दखरख करन वाल महास म त होती थी सभवत यह महास म त ह जन थ म उि ल खत नवल छइ थी आठ सद य जा तय क त न ध वाल अ टकल स था यायस म त थी वि जय क याय णाल क वषय म

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ब घोष क अ कथा स जानकार मलती ह अपराधी क अपराध क जाच और याय का नणय व भ न अ धकार और स थाय करती थी वि जसघ म आठ यायालय थ िजनक पदा धका रय क नाम इस कार मल ह 1 व न चय महामा त ( व न चय महामा ) 2 दोहा रक ( यवहा रक) 3 स धार 4 अ कलक (अ टकलक) 5 भा डागा रक 6 सनाप त 7 उपराजा 8 राजा कोई भी यि त तभी दि डत हो सकता था जब वह एकmdashएक करक आठ यायालय वारा दोषी ठहरा दया गया हो यक यायालय अपराधी को म त करन क लए वत था राजा का यायालय अ तम था अ य यायालय नद ष होन पर अपराधी को छोड़ तो सकत थ क त दोषी होन पर द ड नह द सकत थ द ड दन का अ धकार कवल राजा को था राजा पवणीपो थक ( पछल मामल क मसल) क आधार पर नणय दता था याय क या अ य त आदश थी तथा सभी प पर वचार कर ह याय नणय कया जाता था

अग तर नकाय म ल छ वय क क तपय पदा धका रय का नामो लख कया गया ह य ह mdash राि क प तगा णक सनाप त ामmdash ाम णक (गाव का म खया) तथा पगmdashाम णक (औ यो गक स थाओ का मख) इनम पगmdash ाम णक मश ामmdash शासन एव

नगरmdash शासन स स बि धत थ वि जसघ क सफलता और शि त उसक सद य क उ च न तक गण पर आधा रत

थी महाप र न लानस त त म ब न ल छ वय क सात अप रहा नय घ मो (अप रहाय धम ) का उ लख कया िजसका पालन करत रहन तक वि ज सघ अजय रहता य नयम न नवत ह

i) नयम समय पर सद य क पण उपि थ त क साथ सघmdashसभा क अ धवशन करना (अ भ ह सि नपाता सि नपातबहला भ व य त)

ii) एकमत या सम भाव स सघ म उपि थत होना एक मत या सम भाव स अ धवशन समा त करना और एकमत या सम भाव स सघ क कत य करना (सम गा सि नप त स त सम गा ब ह स त सम गा सघ करणीया न क र स त)

iii) अ वीकत को वीकार न करना वीकत का सम छद नह करना और सघ क वारा वीकत पवmdash नणय क अनसार काय करना (आ प चत न प जप स त प जत न

समि छ द स त यथा प ज तस स खापदस समादाय वि त स त) iv) व जसघ क सघ पतर व जन सघप रणायक अथवा नता का स कार करना उनक त

गौरव तथा स मान का भाव रखना उनक पजा करना और उनक वचन सनकर उनका पालन करना (य सघ पतर सघप रणायका त स क र स त ग क र स त मान स त पज स त तस च सोत ल मि ज स त)

v) वि जसघ क भीतर और बाहर क च य क पजा करत रहना और पवकाल स नयत ब ल एव धा मक क य को जार रखना (वि ज च तया न अ मतरा न एव वा हरा न च

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ता न स क र स त ग क र स त मान स त पज स त तस चा दभ प ल कत क ब धि मक ब ल नो प रहा स त नी प रहाष स त)

vi) वि जसघ क धा मक अरह तो का स मान करना (व जीन अरहतस धि मका र खावरण गि त सस व हता भ व स त)

vii) वि जसघ क मह लक अथात व का स कार करना उनक त गौरव का भाव रखना उनका स मान करना और पजा करना कलि य और कलकमा रय का अपहरण न करना और उनक साथ बलपवक यवहार न करना (य व व जीन वि जमहलका व स क र स त ग क र स त मान स त पज स त या ता क लि थयो कलकमा रयो ता न आ क य पसहय वासि त) दभा य स कसी भी गणरा य क सघीय काय व ध का प ट ववरण हम नह ा त

होता क त महाव ग तथा च लव ग म ा त बौ सघ क कायप त क ववरण क आधार पर गणरा य को समझन का यास क तपय व वान न कया ह य य प इस पणत न ा त नह माना जा सकता य क बौ सघ धा मक सघ थ जब क गणरा य राजनी तक स थाय थी

बौ सघ क अ धवश स थागार अथवा उ यान (आराम) म होत थ जहा आसन जापक (आसन ापक) भ ओ क त ठानसार बठन क यव था करता था अ धवशन क लए भ ओ क नि चत स या (कोरम) आव यक थी सघ का अ य वनयघरrsquo कहा जाता था सधपरक स या म भ णी स खमाना सामणर दसर धम क त न ध या दसर जनपद क यि त िजनक व सघ न कोई कायवाह क हो सि म लत

नह कय जात थ कोरम क अभाव म सघ व ग ( य ) कहलाता था और ऐस सघ क नणय अमा य होत थ यो य सद य क पर बठक को समखा कहा जाता था गणप त करन वाला सद य गणपरक कहा जाता था कोई भी वषय ताव ( ाि त) क बना अ धवशन म नह लाया जा सकता था ाि त का नय मत अन सावन (अन वण या आवि त) होता था मतभद क ि थ त म ाि त तीन बार पढ़ जाती थी ाि त क तत करत समय सद य का मौन रहना उनक सहम त मानी जाती थी सघ वारा वीकत ताव सघकम कह जात थ ाि त पर मतभद क ि थ त म एकमत होन क यि तया खोजी जाती थी एक यि त को तनव थारक कहा जाता था िजसम सभी सद य एक थान पर एक हो जात थ और यक दल क नता स अपन ववाद सलझान को कहा जाता था इस पर भी नणय न हो पान पर उ बा हका या (उ ा हका) सभा को वषय सौप दया जाता था िजसक सद य कसी अ य शा त थान पर आकर वचारmdash वमश कर नणय होन तक वषय का उ वहन करत थ नण त वषय को सघ क स मख पन उठान क लए द ड क यव था थी उ ा हका सभा क नणय द पान म असफल हो जान पर मतदान कया जाता था य भ याि सकन अथात बह मत का नणय वीकार कर लया जाता था न प और दोष मोह तथा भय स र हत सद य को सघ क वशष ताव वारा मतदान अ धकार या शलाका ाहक नय त कया जाता था मत क लए छ द श द का योग होता था

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मतदान क लए लकड़ी क व भ न रग क शलाकाय होती थी िज ह सद य म वत रत कर उ ह अपन मत क अनसार उ चत शलाका चनन को कहा जाता था शलाकाय एक त करन वाला अ धकार शलाका ाहापक कहा जाता था शलाकाय एक करन का काम अनक कार स कया जाता था जस ग त प स (गड़यक) काम म कहकर ( वकणज पक) खल प म ( वव तक) सबक सामन ( व व त) बह मत कवल अ तम अव था म ह लया जाता था बह त छोट सी बात क लए बह मत क व ध नह लाग क जाती थी

75 गणरा य हास एव पतन गणरा य का अि त व िजन अप रहा नय ध म पर आधा रत था उनका अ त मण

अथवा उ लघन ह उनक वनाश और पतन का मल कारण माना जा सकता ह महाभारत क अनसार गण क वनाश का कारण पार प रक फट होती ह ोध लोभ और मोह क कारण गण क म य एव नताओ म इतनी इतनी अ धक फट पड़ जाती ह क व पर पर वातालाप ब द कर दत ह ऐसी दशा पराभव क सचक ह ऐसी ि थ त म श गण उनम आत रक कलह उ प न करन एव धन दकर उ ह न ट करन क च टा करत ह अत गण को हर कार स अपनी एकता बनाय रखन का यास करना चा हए क पी जायसवाल न गण का

कारण राजत ा मक रा य क व तारवाद नी त को माना ह क त गणरा य क पतन क लए कछ हद तक उनक सरचना क भी भ मका मानी जा सकती ह आम सहम त स नणय करना गणरा य क शि त का ोत था क त यह उनक दबलता का भी आधार था य क आमmdashसहम त स नणय लन क या कभीmdashकभी बह त ल बी हो जाती थी और आपि तmdashनवारण क लए समय बह त कम बच पाता था गण क सद य म वाथ लोभ ई या और वष क भावनाय पनप जान पर गण क एकता को खतरा बना रहता था और ऐसी ि थ त म

श ओ स पराजय अव य भावी था उ च पद क धीरmdashधीर आनव शक होत जान स अयो य यि तय क उ च पद पर नयि त हो जाती थी िजसस नणय दोषपण हो जात थ और उसका प रणाम गणरा य क वनाश क प म आता था इसी कार क क तपय अ य कारण स गणरा य क वकास क अवसर धीरmdashधीर कम होत गए और राजत क बढ़ती ह ई व तारवाद नी त क कारण उनक लए अपना अि त व बनाय रखना क ठन होन लगा और फर या तो उ ह न वय राजत ा मक प अपना लया अथवा राजत म सि म लत होत चल गय और अ तत ाचीन भारत म गणरा य का पण समापन हो गया

76 साराश गणरा य स स बि धत उपय त ववरण स प ट ह क ाचीन भारतीय शासन

प त म नपत या राजत क एकमा शासनmdash यव था नह थी गणत ा मक यव था क स अ य त ाचीन काल स भारतीय शासनmdashप त म दख जा सकत ह व दक काल म भल ह इसक सकत अ प ट ह क त धीरmdashधीर गणरा य क यव था न अपना प ट आकार लना श कर दया और ब काल तक आतmdashआत गणरा य क एक यापक खला हम दखन को मलती ह िजसक वषय म व तत ववरण बौ थ महाभारत अ टा यायी यनानी लखक

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क सा य और सबस अ धक इन गणरा य क नामा कत म ाओ स मलता ह इन गणरा य म कछ तो एक ह जा त क लोग वारा शा सत थ क त कछ गणरा य कई गण क सघ क प म अपना शासन सचा लत करत थ अपनी क य स म त क मा यम स सवस म त

अथवा बह त स लए नय नणय पर अमल करन क इन गणरा य क अपनीmdashअपनी यव था पका थी िजसक अतगत म प रषद स लकर एक स म शास नक त होता था बौ सघ क काय व ध क मा यम स इन गणरा य क काय व ध को समझन का योग कया गया ह िजसक आधार पर इन गणरा य का प और काय व ध बह त कछ आज क जाता क यव था क अन प दखाई पड़ता ह गणप त ाि त सघकम उ बा हका

य म या सकन शलाका प ष शलाका ाहापक ग यक वकमज पक वव तक आ द तकनीक श द आज क गणता क यव था म लोकसभा अथवा रा यसभा म व भ न ताव पर वचार वमश क लए अपनायी जान वाल या क व भ न चरण का तीकन करत ह ए स तीत होत ह काला तर म राजत क सा ा यवाद नी त और कछ अपन व पगत दोष क कारण उ चपद क आनव शक हो जान क कारण और राजत ा मक प क त आकषण क कारण धीरmdashधीर एक ऐ तहा सक या म गणरा य का पतन हो गया

77 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म ऐ तहा सक काल क गणरा य का स त वणन क िजए 2 ाचीन भारतीय गणरा य क क त और प त का ववचन क िजए 3 ाचीन भारतीय गणरा य क शास नक एव सवधा नक यव था पर काश डा लए 4 ाचीन भारत म गणरा य क पतन क मख कारण क समी ा क िजए

78 ास गक पठनीय थ अ टा यायी अग तर नकाय द ध नकाय महाभारत महाभा य अ वाल वी एस पा ण न काल न भारत अ टकर ए एस टट ए ड गवनमट इन एि शय ट इि डया काण पीवी ह ऑव धमशा ( ह अन) भागmdash 3 घोषाल य एन ए ह ऑव ह द पो ल टकल योर ज बनी साद योर ऑव गवनमट इन एि शय ट इि डया जायसवाल क पी ह द पॉ लट छ तार वी आर आर मौयन पॉ लट

-ग ता पॉ लट म एस द जनपद टट इन एि शय ट इि डया म एस एन एि शय ट इि डयन रपि ल स ला एन एन आ प स ऑव एि शय ट इि डयन पॉ लट

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इकाई 8 ईसा पव छठ सद म रा य और सा ा य का उदय

इकाई क परखा 81 उ य 82 तावना 83 रा य क उदय क प ठभ म 84 ई० प० छठ सद म जनपद रा य का उदय 85 जनपद क नाम तथा भौगो लक वतरण

851 अग 852 मगध 853 काशी 854 कौशल 855 वि ज 856 म ल 857 चद 858 व स 859 क 8510 पाचाल 8511 म य 8512 सरसन 8513 अ मक 8514 अव ती 8515 गधार 8516 क बोज

86 रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात 861 रा य क उ पि त का अनबध स ात 862 रा यो प त का दवी स ात 863 रा यो प त का य मलक तथा बल स ात

87 ाचीन भारत म सा ा य का उदय 88 मगध सा ा य क वकास क प ठभ म 89 अ यासाथ न 810 स दभ थ क सची डा राजीव कमार स हा भागलपर व व व यालय भागलपर

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1 उ य (Objectives) तत इकाई म हमारा उ य ईसा पव छठ सद म रा य का उदय उनका वकास

तथा राजनी तक भ व क लए आपस म उनका सघष िजसन अतत सा ा य को ज म दया का व तत अ ययन करना ह इस इकाई क अ ययन क उपरात हम न न ल खत बात क जानकार ा त हो सकगी

(क) ाचीन भारत म रा य का उदय और उनका वकास (ख) छठ सद ई० प० म उ दत व भ न जनपद क नाम उनका राजनी तक व प तथा (ग) भौगो लक वतरण (घ) ाचीन भारत म रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात (ङ) ाचीन भारत म सा ा य का उदय (च) (ड) मगध सा ा य क वकास क प ठभ म

2 तावना ई० प० छठ सद को ाचीन भारत क इ तहास म एक मह वपण सद माना जाता ह

इसक पव क सद राजनी तक अ त वरोध का यग रह थी िजसम जनजातीय स क त या सगठन टट कर जनपद य रा य क लए अपना थान र त करता जा रहा था छठ सद ई० प० म अनक कारण िजनका आग व तत ववचन कया जायगा स य जनपद य रा य स ढ ह ए तथा राजनी तक भ व क लय उनम आपसी सघष भी ह ए और अतत सा ा य का उदय हआ

3 रा य क उदय क प ठभ म छठ सद ई० प० म रा य का उदय व दक काल (1500 ई० प० mdash 600 ई० प०)

वशष कर उ तर व दक काल (1000 ई० प० mdash 600 ई० प०) म रा यmdash यव था म ह ए मह वपण प रवतन का प रणाम था इन प रवतन को हम न ना कत चरण म वभ त कर सकत ह

(क) ऋ व दक काल न (1500 ई० प० mdash 1000 ई० प०) जनजातीय स नक जात क अव था िजसम सभा स म त एव वरद जसी स थाए कायरत थी य स थाए म यत य काय म य त रहती थी

(ख) उ तरव दक काल (1000 ई० प० mdash 600 ई० प०) म लोह क योग क कारण ह ए सामािजक और आ थक प रवतन तथा उसस उभर राजनी तक अ त वरोध क अव था िजसम जनजातीय रा यmdash यव था का वघटन हआ और जनपद रा य क उदय क प रि थ तया बनी

(ग) ई० प० छठ सद म गगा घाट तथा हमालय क तराई म जनपद का उदय और वकास

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4 ई० प० छठ सद म जनपद रा य का उदय ई० प० आठवी स छठ सद क बीच उ तर भारत क कई उ ख न थल जस

हि तनापर आलमगीरपर अतरजीखड़ा आ द स हम लोह क योग क जानकार मलती ह लोह क इस योग क कई सामािजक और आ थक प रणाम नकल जस

(क) अ mdashश म इसक योग क वजह स एक श धार एव शि तशाल नय ीय वग का उदय जो अप ाकत कमजोर लोग या वग पर अपना वा म व था पत कर उ ह य तथा क ष दोन काम म लगा सकता था

(ख) खती म ा तकार प रवतन जगल साफ करना सरल हआ तथा लोह क फाल स गहर जताई क कारण अ धक उपज ह ई एव कम म स अ धक उ पादन अ धशष ा त हआ

य प रवतन बड़ी बि तय क ादभाव तथा उनक अि त व म अ यत सहायक स हआ पि चमी उ तर दश स ा त च त धसर मदभाड (Painted Grey Waremdash PGW) तथा पव उ तर दश एव बहार म कि त क त अ य भाग म यहा तक क सदर उ तर पि चमी त शला तक पाय जान वाल उ तर काल पॉ लश मदभाड (Northern Black Polished Waremdash NBPW) वाल थल ऐस ह बि तय क उदाहरण ह वाभा वक तौर पर कसान भौ तक लाभ क लए अब अपनी जमीन स यादा जड़ा तथा अपन पड़ोस क म भी जमीन हड़प कर फलन लगा इस कार कसी थान वशष पर थायी प स बस जान स कसी जन अथवा जन क समह को एक भौगो लक अ भ ता मल गई तथा ीयता क भावना का वकास हआ य साधारणतया सब धत जन क नाम स पकार जान लग तथा इस पर अ धकार ा त करन हत च लत जनmdashजातीय सगठन एक नई स था राजत स सघष म आए परत छठ सद ई० प० स पव उ तर दश और पि चमी बहार म लोह क यापक योग होन स राजा क शि त म अभतपव व ह ई तथा जनmdashजातीय सगठन टटन लग

िजसका माण हम कौशा बी राजघाट हलादपर सोनपर और वशाल क उ ख न स मलता ह राजा अब अपन स नक तथा शास नक योजन क लए अ धक अनाज बटोर सकता था तथा उसक पास लोह क नय अ mdashश भी थ वह बड़mdashबड़ शहर जो ऊपर म व णत कई कारण तथा यापार म ग त आहत स क क चलन आ द स छठ सद म उ दत ह ए थ को अपन कायmdashकलाप का क बनान लगा य शहर ह छठ ई० प० म रा य या जनपद क प म वक सत ह ए लोग क जो बल न ठा अपन जन या कबील क त थी वह अब

अपन जनपद या वस ब भmdashभाग क त हो गई पा णनी (छठ सद ई० प०) न एक थान पर साफ लखा ह क जनता अपन जनपद क त िज मवार ह

85 जनपद क नाम तथा भौगो लक वतरण वद तथा ा मणmdashस हताओ एव उप नषद म जन तथा जनपद क वकास क या

तथा ार भक अव थाओ म जनपद य जीवन क प ट झाक मलत ह बौ mdashसा ह य म भी जनपद काल क ि थ तय का स प ट च ण ह अग तर नकाय म सोलह महाजनपद का

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उ लख इस कार ह mdash अग मगध काशी कोशल वि ज म ल च द व स क पचाल म य सरसन अ सक अव ती गधार क बोज इसक अलावा जन सा ह य भगवती स और पराण म भी महाजनपद का उ लख मलता ह पर त उनका ववरण अग तर नकाय क ववरण स कह mdashकह भ न ह

अग

यह रा य मगध क पव म ि थत था इस रा य का व तार आध नक भागलपर िजल म था इसक राजधानी च पा यापा रक ि टकोण स एक स नगर थी अग काफ शि तशाल जनपद था और इसका मगध क साथ बराबर सघष होता रहता था इस सघष म अतत मगध वजयी हआ जब मगध क यवराज बि बसार न छठ शता द ई० प० म म य म अग क अ तम राजा मद त को मार डाला और अग को मगध सा ा य म मला लया

मगध

छठ शता द ई ० प ० म मगध का रा य काफ शि तशाल था इसक अ तगत आध नक पटना और गया िजल का समावश था व पन भौगो लक कारण स इस रा य उ तरो तर वकास होता चला गया और इसन शी ह अ य रा य पर अ धकार कर सा ा य क थापना क राजगह अथवा ग र ज इसक राजधानी थी बि बसार एव अजातश यहा क शि तशाल शासक थ

काशी

छठ शता द ई० प० क ार भ म काशी सवा धक शि तशाल महाजनपद था उसक राजधानी बनारस का वणन त काल न सा ह य म एक मह वपण नगर क प म मलता ह बनारस व ण और अ स न दय क सगम पर ि थत था काशी का कोशल रा य क साथ भता क लए बराबर सघष चलता रहता था इसस इसक शि त कमजोर हो गई और अत म

यह कोशल रा य म शा मल कर लया गया

कोशल

यह रा य उ तर दश क म य स अवध म फला हआ था इसक राजधानी ारभ म अयो या थी पर त बाद म ाव ती जो यापा रक ि टकोण स एक मख नगर था

इसक राजधानी बनी सनिजत कोशल का एक बह च चत शासक था िजस मगध क शासक अजातश सघष करना पड़ा था कोशल को भी मगध सा ा यवाद का शकार होना पड़ा

वि ज

यह गगा क उ तर म ि थत था इसक परब म कोशी और महानदा क तटवत जगल फल थ और पि चम म सदानीरा (गडक) थी वि जmdashरा य आठ जन (भ कल) का महासघ था इनम वदह ल छ व ा तथा वि ज बड़ भावशाल थ ल छ वय क राजधानी

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वशाल वदह क म थला और ा क क क ड ाम थी वि ज सघ को भी मगध सा ा यवाद का शकार होना पड़ा

म ल

म ल गणरा य दो भाग म वभ त था और दोन क अपनीmdashअपनी राजधा नया थी म ल क पहल राजधानी कशीनारा थी िजस आज हम गोरखपर िजल का क सया कहत ह और दसर राजधानी पावा (सभवत पटना िजल क पावापर का सम प) थी महाभारत म म ल क दोन रा य का उ लख मलता ह

च द

च दय का राजत मोट तौर पर ब दलखड क पव भाग और इसक नकटवत म फला हआ था जातक और महाभारत म इस रा य का वणन मलता ह इसक राजधानी सो थब त या शि तम त थी

व स

व स क राजधानी इलाहाबाद स 40 मील क पर कोशाबी (वतमान कोशाम) म थी जो यमना क तट पर बसी ह ई थी महाभारत क अनसार कसी च द राजा न ह कोशा बीनगर क थापना क थी पराण क अनसार राजा नच न अपनी राजधानी को कोशा बी थाना त रत

कर दया था कोशा बी उस समय क मख व णक पथ पर पड़ता था और उसका यापा रक मह व काफ था

क क अ तगत वतमान द ल तथा मरठ क समीपवत आत ह इसक राजधानी इ थ ( द ल क परान कल क पास) थी एक जातक क अनसार इस रा य म तीन सौ सघ थ ारभ म यहा राजत था फर काला तर म यहा गणत क थापना ह ई जन एव बौ सा ह य म इ छवाक सतसोम कौरव तथा धनजय आ द क राजाओ का उ लख मलता ह

पचाल

यह रा य आध नक हलखड तथा म य दोआब म फला हआ था महाभारत तथा बौ थ म इस रा य क दो भाग उ तर तथा द णी पचाल का उ लख मलता ह उ तर पाचाल क राजधानी अ ह छ (बरल उ० ०) तथा द णी पचाल क राजधानी कि पल थी चलानी मद त पचालदश का एक महान शासक था

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म य

म य आध नक अलवर भरतपर और जयपर रा य क भ म पर ि थत था इसक राजधानी वराट नगर (बराटmdashजयपर) थी महाभारत क अनसार शहाज नामक शासक न च द तथा म य दोन ह रा य पर शासन कया

सरसन

क क द णी और च द क पि चमो तर यमना क दा हन सरसन का रा य था िजसक राजधानी मथरा थी महाभारत क अनसार यहा यद अथवा यादव वश का रा य था बौ थ म सरसन क शासक अव तीप का उ लख मलता ह जो ब का समकाल न था यहा पहल गणत और बाद म राजत हआ

अ मक

अ मक या अ मक रा य गोदावर क तट पर ि थत था इसक राजधानी पाटल (पोतन) थी सभवत ारभ म यह रा य काशी क अधीन था परत अवती क साथ इसका नरतर सघष था आर बाद म यह उसक अतगत हो गया

अव ती

अव ती का रा य मालवा दश म फला हआ था पचाल क भा त यह भी दो भाग उ तर तथा द णी अव ती म वभ त था उ तर अव ती क राजधानी उ ज यनी थी तथा द णी अव ती क म ह मती अव ती क राजा योत क सबध म अनक दतकथाए च लत ह

गधार

गधार अफगा न तान क पव भाग म ि थत था इसका सार पि चमी पजाब और क मीर तक था इसक राजधानी त शला थी बौ mdashपर परा क अनसार गधार क सजा प कस त न मगध म बि बसार क साथ उपहार का आदानmdash दान कया था और ब क दशन क लए पदल या ा क थी

क बोज

यह गधार का पड़ोसी रा य था इसक अ तगत क मीर क पि चम ि थत बद शा दश आता था इसक राजधानी हाटक या राजपर थी कालातर म यहा पर गणत ा मक

शासनmdash णाल था पत ह ई इन सोलह महाजनपद क अ त र त भी कई छोटmdashछोट रा य थ जो त काल न

राजनी तक दशा म वक करण क व त को प ट करत ह गधार क तथा म य क बीच ककय भ क गत चौधय भ त तथा उनक पि चम और द णmdashपि चम म सध श व अ ब ठ सौबीर आ द व भ न राजत एव गणत थ

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6 रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात ाचीन भारत म रा य क उ पि त का अलग अि त व ह य mdash य रा य का

वकास होता गया य mdash य व भ न सा य म उसक ववचना होती ह ई अत इस सबध म व भ न ोत म व भ नताए प रि थ तय होती ह क त उनक तलना मक अ ययन स क त क ार भक अव था और उन प रि थ तय पर काश पड़ता ह िजनक कारण रा य क

ह ई इनस ात होता ह क समाजmdashसि ट स काफ दन बाद तक सतयग सख और शा त का वणयग रहा क त समाज म स पि त प रवार वगmdash वभद तथा लग पर आधा रत और

कायाधत मक प रवतन क वजह स वणयग क अव था नरतर प तत होती गयी और म य याय क ि थ त आ गई िजस कार बड़ी मछ लया छोट मछ लय को न ट करती ह उसी तरह सबल मन य क भय स नबल मन य ा हmdash ा ह करन लग ऐसी प रि थ त म रा य क उ पि त ह ई

क रा य क उ पि त का अनबधmdash स ात

इस स ात का धधलाmdashसा आभास सव थम ऐतरय ा मण और त तर य ा मण म मलता ह इनम असर पर वजय ा त करन क लए दवताओ क बीच राजा क चनाव का िज ह ऐतरय ा मण क अनसार जाप त क नत व म दवताओ न आपस म इ को कायmdashस पादन क लए नवा चत कया जो सव पण पण और सवा धक शि तशाल था उसक अ भषक क समय व भ न कार क स कार कय गय प ट ह क नवाचक और नवा चत क बीच एक सहम त होती ह

क त रा य क उ पि त क अनबधmdash स ात का थम प ट और व तत तपादन बौ थ द घ नकाय म मलता ह इसक अनसार परातन सखmdashशा त और प व ता क य स नईmdashनई सम याए उ प न ह ई तथा अनक कार क असामािजक आचरण सामन आन लग अत लोग न एक होकर सवा धक सम थत आकषक और यो य यि त को धान क प म चना उसन तीन उपा धय महा स मत ख तीय और राजा क धारण क लोग क आ ह पर उस यि त न करार कया क वह वह पर ोध करगा जहा ोध करना चा हए उसी क भ सना करगा िजसक भ सना होनी चा हए उसी को दश नकाला दगा िजस दश नकाला मलना चा हए बदल म लोग न उस अपन स पि त का एक अश दना वीकार कया

अथशा क थम वभाग क 13व अ याय म दो जासस क बीच जो वादmdash ववाद ह उनम एक जासस कहता ह क लोग न वय मन को राजा बनाया था और कर दन का इकरार कया था कौ ट य इस मत क धारक ह क ldquoम य याय क ि थ त स अ भभत जा न मन को धा य का छठा भाग तथा प य और सवण का दसवा भाग उसक भागधय क प म उस दान करन क यव था क

महाव त म भी द घ नकाय क भा त पतनाव था क बाद सवा धक सशोभन और शि तशाल यि त को राजा नवा चत होत दखत ह िजस महास मत कहा गया ह उस

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म ना भ ष तrdquo नाम दया गया ह िजसका अथ बताया गया ह क वह अपन लोग क स यक र त स र ा और प रपालन करता ह

महाभारत का शा तपव का राजधमmdash करण ईसा क पहल शता द स पहल का माना नह जा सकता ह य क महाभारत क 67व अ याय म रा यो प त क अनबधmdash स ात का ववचन ह और अ याय 65 ( लोक 13) म पहलव (पा थयन ) का उ लख ह शा तपव म इस स दभ म दो स ा त प रक पनाए ह िजनम रा य क उ पि त क अनबधवाद क त व समा व ट ह पहल प रक पना 59व अ याय म तत क गई ह जो दड और दडनी त क मह व क द घ ववचन स श होता ह बताया गया ह क शासन का उ तरदा य व सभालन क लए व ण न एक मानसप क रचना क उसन अपन अनक श य क साथ स यास ल लया िजसक फल व प अतत वन का अ याचार शासन श हआ ऋ षय न उस मारकर उसक दाई जाघ स पथ को उ प न कया जो व ण क आठवी पीढ़ म पड़ता था एक अनबध कर ऋ षय न व शत नधा रत कर द िजनका पालन करक ह पथव य सहासनासीन रह सकता था उसन ऋ षय क नत व म वचन दया क वह वषभ प महाभा य ा मण क राजा करगा और वह करगा जो उ चत और रा यशा स स मत हो

शा तपव क 67व अ याय म दसर प रक पना ह िजस प टत अनबधवाद माना जा सकता ह कहा गया ह क ाचीन काल म अराजकता क दौरान लोग न आपस म करार कया इसक अनसार उ ह न उन लोग का ब ह कार करन का नणय कया जो वाचाल र परधनह ता और पर ीगामी थ यह एक सामािजक करार था रा योदया क अगल अव था का सकत राजनी तक अनबध क थापना स मलता ह लोग क वारा अनबध क पालन स द न आए अत उ ह न मा क पास जाकर एक ऐसा अ धप त मागा िजसक पजा व साथ मलकर करग और जो र ा करगा मा क आ ा दकर मन को इस सभालन को कहा पर उ ह न इकार कर दया लोग न मन को यह कहकर तयार कया क व उसक कोषवधन क लय अपना 150 पश 150 सोना और 110 अ न दग उ ह न यह भी त ा क क जो लोग श ा योग म वीण ह ग व उसी तरह उनका अनशरण करग िजस तरह दवतागण इ का करत ह

ख रा यो पि त का दवीmdash स ात

त तर यmdash ा मण म इ वारा जाप त स राजस ता ा त करन तथा शतपथ ा मण म राजा को भतल म जाप त क त न ध क प म वीकार करन का उ लख मलता ह रामायण म भी इसी कार क वणन मलत ह महाभारत क शा तपव (58) म दव और नरदव को एक त य तथा राजा को मन य क प म दवता कहा गया ह इसम य धि ठर को राजधम का उपदश दन क म म भी म व ण वारा राजा पथ क उ प न का िज करत ह राजा काय क स पादन क समय अि न आ द य यम म य और कबर आ द का प धारण करता ह अथशा (1 9) म भी रा यो पि त क दवी स ा त क प ट सकत मलत ह मन म त क अनसार ससार क र ा क लए ई वर न राजा का नमाण कया मन न उस नर क प म महती दवता कहा ह म यपराण तथा वह प त म त म

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भी इस स ात क प ट नदश मलत ह व ण तथा नारद का भी ऐसा ह मत ह क त पथव य क रा या भषक क समय लय गय शपथ स ात ह क दवी होन क बावजद राजा या रा य पर कछ अकश थ समरागण स धार (8) म इसका स व तत ववचन ह जन सा ह य म ऋषभनाथ का मत ह क ई वरकत धमशा क नयम म राजा क स ता नय त रहती थी

ग रा यो पि त का य मलक तथा बल स ात

ऐ तरय ा मण म असर वारा दव क पराजय का उ लख ह िजस वजह स सभी क वारा राजा क नमाण तथा वीकार कय गय महाभारत क 67व अ याय म भी मन वारा

राजपद सभालन क बाद दि वजय क लय थान करन का िज ह व भ न सा य स ात ह क ाचीन भारत म जनmdashजातीय जीवन म सघष क दौरान अराजकता क ि थ त स

बचन क लय रा य का नमाण हआ कछ व वान का अ भमत ह क ऋ वद म व णत जन तथा वश स काला तर म

रा य का वकास हआ वायपराण तथा प च रत म जीवनmdashयापन क म य ोत क प म क पव और महाव त म वनलता तथा भ म पयटक क नाम आय ह महाका य तथा पराण म कहा गया ह क पहल व छद यौनाचार क ि थ त व यमान थी और ी पर प ष क आ धप य पर आधा रत प रवार जसी स था न थी द घ नकाय क अहान हय स त म ऐसा ह नदश मलता ह वसयपरण क अनसार कतयग म कोई वण नह था और महाव त म भी लोग क सामािजक णय क वभाजन का उ लख नह ह कौ ट य न भी अथशा म ार भक चरण म रा यmdashस था क अभाव का िज कया ह

क त वायपराण माक डयपराण तथा महाव त स ात ह क जीवन का यह सहजmdashस दर वाह क षmdashकौशल क अ वषण क साथ भग हआ नजी स पि त और घरmdashप रवार का अि त व सामन आय इसक लय कानन क अ भ वीकत और समथन अप त था बौ mdashसा ह य म भी नजी सपि त और प रवार क भ मका का उ लख रा यो पि त क सदभ म कया गया ह पराण म रा य क उदय म वण या सामािजक वग क भ मका का मह व व णत ह वायपराण म िज ह क वण क क त य नयत कर दय गय क त लोग न परा नह कया िजस वजह स समाज म उ छखलता श ह ई और मा न य क लय दड का नमाण कया और य कम नयत कया महाभारत क शा तपव पराण तथा बौ अन तय क अनसार सामािजक सघष तथा त प ाओ को रोकन और न हत वाथ क र ा क लय रा य क ज रत ह ई पथ भी वधम वणधम और आ मधम क र ा का त लत ह

इस कार ाचीन भारत म रा य क उ पि त क सबध म सभी स ा त को य या अ य प म वीकारा जा सकता ह

135

7 ाचीन भारत म सा ा य का उदय स यवि थत जीवन और क ष क था य व क फल व प ाद शक राजत को

अ य धक बल मला इसी यग म कराधानmdash यव था क चलन स राजा क आय नि चत ह ई और वह अनक अ धका रय को नय त कर सकता था उ तर व दक थ म भगदध नामक एक राजा क वारा पदावार म स बड़ ह स क वसल कय जान का उ लख मलता ह शतपथ ा मण म कहा गया ह क राजा जनता का भ क ह य क वह जनता स करmdashवसल कर अपन अि त व क र ा करता ह इन बात क कारण राजा का पद ि थर हआ उसक चनाव क था समा त ह ई और राजपद क लय उ तरा धकार क था अि त व म आई

राजपद क गौरवmdashग रमा और था य व को आग बढ़ान क लय रा या भषक का अन ठान ारभ हआ िजसम उस व भ न दवताओ क गण स वभ षत दखाया गया ह इस दशा म राजा को नवजात ा मण वग स पणत वचा रक सहयोग ा त हआ उ तर व दक सा ह य म ऐस अनक य जो राजपद स य त थ क सपादन क नदश मलत ह वाजपय यह शि त ा त करन क लय कया जानवाला एक सोम य था यह साल म सतरह दन तक चलता था और ऐसी मा यता थी क उसस एक अधड़ उ का राजा शि त ा त करन क साथmdashसाथ सामा य राजा स स ाट का गौरव ा त कर सकता था अथात कसी क भी अधीन न रह कर वय कई राजाओ पर शासन कर सकता था राजसय यह दसरा ज टल यह था जो स ाट का पद ा त करन क लए कया जाता था इसका अन ठान रा या भषक क समय कया जाता था

इस य का सचालन करन वाल परो हता य को द णा क प म 240000 गाय तक द जाती थी सबस मख य अ वमघ य था इसम राजा क साथ उसक चार रा या धका उसक चार रा नया और 400 सवक तथा अनक दशक भाग लत थ एक वशष प स अ भ ष त घोड़ को एक साल तक घमन छोड़ दया जाता था 400 यो ा माग म उस

घोड़ क र ा करत थ ता क कोई राजा उस पकड़ ल तो उस राजा स य कया जाय साल ख म होन क साथ उस घोड़ को राजधानी म लाया जाता था और 600 साड़ क साथmdashसाथ उसक भी ब ल द जाती थी राजा क रा नया शव क द णा करती थी पटरानी सहवास क म ा म उसक बगल म सो जाती थी 21 बाझ गाय क ब ल और परो हत को दानmdashद णा क प म चर स पि त दन क बाद य का समापन होता था समझा जाता था क इस य स वजय और स भता क ाि त होती थी इनक अलावा उ तर व दक काल म सामा य व धmdash वधान क साथ छोटmdashमोट घरल य क भी था च लत थी बड़ पमान पर य ान ठान क चलन क कारण ऋ व दक सभाmdashस म त और दवताओ का मह व घट गया और राजा क शि त म अभतपव व ह ई तथा सा ा यmdash नमाण क प ठभ म तयार ह ई

8 मगधmdashसा ा य क वकास क प ठभ म सा ा यवाद क वकास क प ठभ म म ऊपर व णत व भ न जनपद क अ ययन स

ात होता ह क समकाल न राजनी त म उनक भ मका अलगmdashअलग ह काशी रा य िजसन

136

पहल एक मह वपण थान हण कर लया था कौशल और मगध स परािजत हो गया कौशल और मगध दोन ह गगा और उसक मदानी इलाक पर अपना अ धकार था पत करन क लए आपसी त व दता म सल न रहत थ य क साम रक आ थक और यापा रक ि टकोण स गगा और उसक आसmdashपास क उवर भ म बह त मह वपण थी अत प ट ह क छठ शता द ई० प० म कवल चार रा य mdash काशी कोशल मगध और वि ज महासघ क तती बोल रह थी लगभग 100 वष तक य अपन राजनी तक भ व क लए लड़त रह मगध अतत वजयी हआ और उ तर भारत म वह शि त का क बना

मगध सा ा य क सफलता क कारण क तहक कात को समकाल न प रि थ तय म कया जा सकता ह

(क) व भ न शासक न अपनी मह वाका ाओ स सत या असत हर उपाय स मगध का व तार कया और इस था य व दान कया

(ख) लोह क सम भडार मगध क आर भक राजधानी राजगीर स बह त दर नह थ अतएव अपन वरोधी शासक क बजाय मगध क शासक भावशाल ह थयार तयार करान म यादा सफल ह ए

(ग) मगध क दोन राजधा नया mdash राजगीर और पाट लप mdash साम रक ि ट स परम मह वपण थान पर थी राजगीर पाच पहा ड़य क एक खला स घरा था जो वह दभ य था पाट लप गगा गडक और सोन न दय क सगम पर था अत इस नगर पर क जा करना आसान काम नह था

(घ) मगध रा य म य गगा मदान क उपजाऊ मदान म पड़ता था ाचीन भारत क बौ mdash थ म आया ह क इस दश म अनक कार क चावल होत थ फलत यहा क कसान काफ अनाज पदा कर लत थ और शासक कर क प म इस फािजल उपज को एक कर लत थ

(ङ) मगध क शासक न नगर क उ थान और धातmdashधन ( स क) क चलन स भी लाभ उठाया पव तर भारत म वा ण यmdash यापार क व क कारण शासक अब वा ण य व तओ पर च गी लगा सकत थ और इस कार अपनी सना क खच क लए धन एक कर सकत थ

(च) स नक सगठन क मामल म मगध को एक खास स वधा ा त थी भारतीय रा य क घोड़ तथा रथ क उपयोग स वह भल भा त प र चत था क त मगध ह पहला रा य था िजसन अपन पड़ो सय क व हा थय का बड़ पमान पर इ तमाल कया

(छ) मगध म बस क र ा मण करात और मगधवा सय को न न णी क समझत थ क त व दक लोग क आगमन स यहा जा तय का सखद म ण हआ इस आय करण क ताजा भाव क वजह स पवकाल स ह व दक भाव म आए रा य क अप ा मगध म व तार क लए उ साह अ धक था

137

उपय त त व क सय त प रवश म मगध दसर रा य को हरान म और बि बसार क नत व म थम मगधmdashसा ा यवाद का उ थान करन म सफल भत हआ

अ यासाथ mdash न (क) ई० प० छठ सद म जनपद रा य क उदय को प ट कर (250 श द म) (ख) ई० प० छठ सद म उ दत व भ न जनपद क राजनी तक व प और भौग लक

वतरण को प ट कर (250 श द म) (ग) ाचीन भारत म रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात क ववचना कर

(250 श द म) (घ) ई० प० छठ सद म सा ा य क उदय क प ठभ म को प ट कर (150 श द म) (ङ) मगध सा ा य क सफलता क या कारण थ (150 श द म)

सदभ थ सची 1 Altekar A S State and Government in Ancient India

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1953 (Also in Hindi) 5 Jha D N amp Prachin Bharat Delhi University 6 Shrimali KMEd Publication 1986

138

इकाई mdash 9 राज व (राजत ) mdash उसक क त एव क त य

इकाई क सरचना 90 उ य 91 तावना 92 अ ययन क ोत 93 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क उ पि त स स बि धत व भ न वचार धाराए

931 नवाचन प त 932 द वक उ पि त

94 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क क त 941 राज व (राजत ) क क तmdashऐ तहा सक प रप य म 942 राजा एक सर क (Trustee) क प म 943 राज व (राजत ) पर अकश

95 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क क त य 96 साराश 97 पठनीय ास गक थ

90 उ य इस इकाई क अ ययन क प चात आप न न ल खत जानकार ा त कर सकगmdash

(अ) ाचीन भारत म राजा श द क मह ता (ब) राज व क ाचीनता (स) अ ययन ोत क जानकार (द) राज व क उ पि त सबधी व भ न वचारधाराए (ध) ाचीन भारत म राज व क क त (न) ाचीन भारत म राज व क क त य

91 तावना आय क मह वपण राजन तक स था राज व (राजत ) थी ऐ तहा सक ि ट स

व दक यग म इसक उ पि त कट ब कबील वश और ाम क सि म ण स रा या रा य क प म ह ई ऐसी मा यता ह क इसक उ पि त शन शन शि त सचयन तथा द वक वचारधारा क फल व प व दक यग क राजा क प म ह ई राजा श द का शाि दक अथ नकालना एक क ठन काय ह इस श द का सव थम सदभ न त (11mdash1) स ा त होता ह िजसम व णत ह क राज नामक जड़ स राजा श द क उ पि त ह ई ह िजसका अथ होता ह का शत होना या चमकना इसक प चात महाभारत क शाि तपव म राजा श द क उ पि त र ज नामक जड़ स बताई गई ह िजसका अथ होता ह आनि दत करना या सख

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पह चाना राजा श द क उ पि त का स बध यरोप म पाई जान वाल जड़ रग स भी बताया जाता ह जो ल टन र स क जड़ ह इसका शाि दक अथ होता ह वह यि त जो नत व कर और नदश द और वय उ चत पथ का अनसरण कर राजा श द क वा त वक अथ क या या कवल ऐ तहा सक प र य वारा ह जानी जा सकती ह राजा क ाचीनता क ान का भल भा त प रचय ऋ वद म ल खत व वध सदभ स ा त होता ह क पी जायसवाल क श द म महाभारत क सदभ तथा ईसा क चौथी शता द म मग थनीज वारा व णत भारत म च लत कथाओ स यह ात होता ह क राजत क प चात जा त सरकार क थापना ह ई ( ह द पा लट प 20) राजा श द क मह ता का ान इस त य स प ट

होता ह क जाता क सरकार क नवा चत मख न उ तर व दक काल तथा बौ यग म भी राजा श द का उपयोग कया ह कौ ट य न भी राजा क ऊपर आई ह ई वपि तय का वणन करत ह ए वरा य अथात राजत क नबलता पर काश डाला ह (अथशा VIIImdash 2)

राज व क उ पि त क त और क त य का भल भा त व लषण करन क प चात अब हम उन त य का अ ययन करग िजनक वारा व दक यग क म खया आग चलकर राजा म प र णत हो गए इसक अ त र त हम उन ऐ तहा सक त य का भी अ ययन करग िज ह न एक ल ब समय क प चात राजा को शि त एक त करन म सहयोग दान कया और उनको द वक शि त का तीक माना

92 अ ययन क ोत हमार अ ययन क ोत म व दक बौ जन तथा उ च को ट क सा हि यक थ

सि म लत ह तथा तर लख व स क स भी यह ान ा त होता ह राजत क उ पि त क वषय म एतरय और ति तर य ा मण बौ थ द घ नकाय और महाभारत वशष प स उपयोगी ह इसी कार कौ ट य क अथशा और मन म त म भी राजा क क त एव क त य का भल भा त वणन ह अशोक क शलालख स राजा क उदारता का स दर द दशन होता ह

93 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क उ पि त सब धत च लत व भ न वचारधाराए ाचीन भारत म राज व क उ पि त क स बध म दो मख वचारधाराए च लत हmdash

थमmdashराजा क नयि त चयन या वारा तथा वतीय राजा क उ पि त द वक शि त वारा होना

931 राज व क उ पि त चयन या वारा होन का स ात mdash

राजा का चनाव वारा नवा चत होन का थम टात हम ा मण थ स ा त होना ह ऐ तरय ा मण (1mdash 14) म व णत ह क जब दवताओ और रा स म य हो रहा था उस समय रा स क इस य म वजय ह ई उस समय दवताओ न यह महसस कया क उनक कोई राजा न होन क कारण स उ ह परा य का म ह दखना पड़ा ह इस लए उ ह न यह सझाव दया क सोमrdquo को उनका राजा बना दना चा हए जब सवस म त स यह ताव

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पास हो गया तब राजा क नयि त ह ई एतरय ा मण (VIIImdash 12) म एक अ य थान पर ऐसा वणन ह क राजा क चयन या क स ात का इ क सहासनारोहण समारोह म भल भा त द दशन होता ह ऐसा कहा जाता ह क दवताओ न जाप त क नत व म सवस म त स यह वीकार कया क उनम इ एक अ यत वीर शि तशाल और सवगणस प न यि त ह जो यक काय कशलतापवक कर सकता ह इस लए उ ह न यह नणय लया क उस राज व क पद पर सशो भत कया जाए और इसी लए उसक महा भषक ( सहासनारोहण) समारोह म उसको व भ न कार क राज व क अ धकार दान कय गए

य क आव यकतानसार राजा क चयन या म उसका शार रक प स शि तशाल होना मख गण था इस स ात का उ तर व दक काल म कस कार योग कया गया इसका उ तर दना क ठन ह उ तर व दक काल म राजा क चनाव या च लत थी दसर ओर रा या भषक समारोह राजा क राजन तक शि त का तीक था इस वचारधारा म समझौत क भावना होन का अनमान करना क ठन ह उसस हम कवल उस समय क च लत राज व णाल का ान ा त होता ह राजा क रा या भषक होन क समय यह

आव यक था क वह य म वजयी हो इस वचारधारा स यह तीत होता ह क राजा को जो काय करन को स प गए ह वह उनको पण कर इस वचारधारा का भाव इस समय क प चात भी राजनी त पर वशष प स पड़ा

बौ सा ह य म राज व क चयन या का सपण ववरण मलता ह माधाता जातक म व णत ह क ससार म थम राजा का चनाव सवस म त स कया गया था इसक अ त र त द घ नकाय म भी राज व क उ पि त का चनाव वारा होन का वशद ववरण ह इसम व णत ह क ार भक प रवतनशील यग म मन य क आव यकताए बह त सी मत थी उस समय उस भोजन व नजी सपि त कट ब सरकार तथा नयम क आव यकता नह थी इसक प चात शन शन मन य का भ म स सबध बढ़ता चला गया और उस भोजन तथा सर ा क आव यकता महसस ह ई जस ह मन य आ दम अव था स बाहर नकला तब वण यव था का स पात हआ और उनम एक दसर स समझौता करन क वि त न ज म लया इस समय नजी स पि त स थाओ तथा कट ब क यव था ारभ ह ई इसक ारभ होत ह चोर डकती य भचार तथा अनक अपराध होना ारभ ह ए इन सम याओ क नराकरण क लए मन य न इक होकर वचार व नमय कया और अपन समाज म स स दर तभाशाल तथा यो य यि त का चयन कया और उसस कहा क ह सौभा यशाल यि त तम अब उन अपरा धय को द डत करो और य द आव यक हो तो उनको दश नकाला भी दो इस काय क लए हम त ह हमार वारा उ प न चावल का एक भाग दग ldquo (द घ नकाय III) उस यि त न इस बात पर अपनी सहम त कट क य क उसका चयन सवस म त स हआ था (महाजन स मत) इसी लए उस महास मत अथात सवस म त स चना हआ यि त कहा जाता था यह यि त भ म का भी वामी था इस लए उस खतानाम प त कहा गया उस ख ीय यान उ च यि त कहा गया और च क यह यि त नधा रत नयम का पालन कर सम त समाज को सख पह चाता था इस लए उस राजा कहा गया

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द घ नकाय म राजन तक समझौत क अनसार राजा क चनाव म वशष यो यता वाल यि त को चनन क लए कहा गया ह पर त यह चनाव सवस म त स होना चा हए इस त य स यह ान होता ह क उस समय सामािजक अव था एक उ च तर तक पह च चक थी उस समय मन य आ दम अव था यग को पार कर चका था अब इस प रव तत अव था म मन य और ि य व भ न जा तय और धनी एव नधन वग म झगड़ होना ारभ हो गए थ इस अव था म सामािजक प रवतन आव यक थ

कौ ट य न राजा क चनाव प त क वषय म कहा ह क जब समाज म अराजकता या त हो गई तब उ ह न मन वव वत को अपना राजा चना और उस अपना पदा कए ह ए अनाज म स छठा (16) भाग तथा यापा रक व तओ क पदावार म स दसवा (110) भाग दना नि चत कया इसक फल व प राजा न जनता क र ा तथा सर ा का दा य व वीकार कया इसक अ त र त य द राजा यायपवक दड दन तथा नधा रत कर वसल करन म असमथ स हआ तो वह इसक लए जनता क सम उ तरदायी होगा (अथशा 1 1३)

कौ ट य न मन वव वत को थम राजा बतान क प चात बा माण क द वक उ पि त वाल स ात का वणन कया ह कौ ट य न राजा क वतन का भी वणन कया ह तथा सर ा यव था का भी वणन ह वा तव म जनता को सर ा दान करन क उपरा त ह राजा को शि त मल सकती ह कौ ट य क तपा दत इस वचारधारा स राजा क क त य क वषय म अनक न कष नकाल जा सकत ह

महाभारत क शा तपव म राज व क उ पि त क वषय म दो अलग स ात का वणन ह इनम स थम स ात का सबध पथ (59वा अ याय) तथा वतीय का सबध मन (67वा अ याय) स ह सपण ववरण क लए द खए इकाई स या 4) य दोन स ात राजा क

य चनाव का तपादन नह करत ह जसा क बौ थ म व णत नह ह य दोन स ात दसर ओर राजा क चनाव म दवताओ का भाग लना वीकार करत ह य य प शाि तपव एक राजन तक थ नह ह पर त इसम

कई राजन तक वचारधाराओ का वणन ह िजसम अनक मा यताओ का सरलतापवक वणन ह 59व अ याय म व णत मा यता क अनसार परो हत वग क हत क र ा हत राजा पर कछ बधन रख गए ह इसी कार 67व अ याय म राजा क शि त क मह ता का वणन ह

इस कार हमन राज व क चनाव सबधी चार व भ न वचारधाराओ का वणन कया ह 1 दवताओ म असर क ऊपर वजय ा त करन हत राज व क उ पि त 2 बौ थ म व णत चनाव या 3 कौ ट य का चनाव वारा मन को राजा बनाया जाना 4 महाभारत म व णत पथ और मन को राजा बनान क था

इन सम त स ात म क पना का गहरा समावश ह पर त इसस इन क पनाओ क ऐ तहा सकता को नकारा नह जा सकता ह इन सम त स ात स हम राज व स था क

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नरतर अि त व का ान होता ह राज व कसी भी अ य सामािजक स था स पव उ प न नह ह ई ह पर त इसक उ पि त एक ऐ तहा सक काल म ह ई ह जब समाज न अपनी आव यकताओ क प त हत इस ज म दया (वी पी वमा ल खत टडीज इन ह द पा ल टकल थाट ए ड इ स मटाफ िजकल फाउ डश स वष 1974 प 220) इन सम त स ात स हम एक अ य मह वपण त य का ान ा त होता ह क राजा क शि त एक सर क क प म थी

932 राज व क द वक उ पि त का स ात

ार भक व दक काल स ह हम राज व क उ पि त क द वक स ात क जानकार ा त होती ह ऋ वद (VII 64 1mdash2) म एक स व दक राजा साद य क एक म म

वह अपनी द वक उ पि त का वणन इस कार करता ह mdash मरा सा ा य वप ी ह िजसम सम त य जा त और सम त मन य हमार ह दवतागण व ण क काय वारा मझ सहयोग दत ह म सम त मानव समाज पर शासन करता ह म इ ह म ह व ण ह और म ह इन दोन क समान शि तशाल ह इस म म साद य वय को न कवल इ और व ण ह कहता ह पर त वह ई वर क सम त ऐ वय का भी वय को भागीदार बताता ह अथववद (XXmdash 127 7mdash10 IV 22 6 7) म भी राजा क द वक उ पि त क कई सदभ व यमान ह इसक एक म स हम ात होता ह क राजा इ वग और सम त भखड का वामी ह और अ य सम त व तओ का भी वह वामी हउसम द वक शि त व यमान ह और इसी लए वह सभी का वामी ह (अथववद IV 86) यहा पर राजा म कवल द वक शि त व यमान होन क अ त र त उस दवताओ क राजा इ का भी वामी कहा गया ह

ा मण थ म राजा क द वक उ पि त वाल स ात को और यापक प स व णत कया गया ह वशष तौर पर राजसय और अ वमध य म इसका यापक वणन ह ा मण थ म कई अवसर पर ऐसा कहा गया ह क जो यि त य करता ह वह दव हो

जाता ह शतपथ ा मण म व णत ह क अ वमध य करन वाल को दवताओ क वग म थान मलता ह (XIII443) इसी कार जो राजा राजसय य करता ह वह जाप त हो

जाता ह (V I 5 14) ति तर य ा मण म इस वचारधारा का यापक व लषण कया गया ह इसम कहा गया ह क वाजपय य करन वाला जाप त का प हो जाता ह (1mdash3 2) इन य म राजा क द वक उ पि त वाल स ात क पि ट क गई ह व भ न य म होन वाल याओmdash वशषकर रा या भषक ( सहासनारोहण) तथा अ भसच नयम ( नयि त) क अवसर पर होन वाल याओ स हम राजा क न तकता और वधा नकता का तान होता ह

स प म व दक सा ह य म य य प राजा क उ पि त भगवान वारा होन का प ट वणन नह ह पर त वा तव म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का यदाmdashकदा वणन ह

बौ थ म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का क भी उ लख नह ह बौ धम म य म होन वाल पश ब ल का घोर वरोध कया ह और उ ह न इस य या को

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समा त करन क य न कए इस लए बौ काल म राजा क द वक उ पि त वाल स ात क मह ता समा त हो गई मोय क उ कष क प चात इस स ात को कौ ट य न अपन अथशा म पनज वत कया िजसम राजा को दवताओ क समान बताया गया ह इसम कहा गया ह क राजा क अ दर इ और यम क शि तया न हत ह इ का काय पर कार दान करना तथा यम का दड दना होता ह (अथशा 113) महाका य और मन म त न पन इस स ात को और यापक ि ट द ह रामायण म व णत ह क राजा स य ह वह अपन स काय क कारण दवताओ यम कबर इ और व ण स भी बढ़कर ह (रामायण 11 67 34mdash36) रामायण म इस कार एक नए त य को उजागर कया ह क राजा दवताओ स भी बढ़कर हो सकता ह महाभारत क शाि तपव म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का यापक प स वणन ह 59व अ याय म व णत ह क थम राजा वरजस क उ पि त भगवान व ण क शि त स ह ई इसी कार 36mdash40 अ याय म बह प त न वसमन को राजा क द वक उ पि त वाल स ात क यापक या या क ह

मन न भी राजा क द वक उ पि त वाल स ात को वीकार कया ह उसका कथन ह क ई वर न ससार क सर ा हत राजा को ज म दया िजसम उसन इ अ नल यम अक अि न व ण च और कबर क गण का समावश कया (मन म त VIImdash3mdash4) उसका आग कथन ह क ई वर न राजा को उ प न कया राजा का म य श दड ह जो ई वर का प ह (मन म त VIImdash5mdash6)

अनक व वान न राजा क द वक उ पि त वाल स ात क मा यता म सतकता क आव यकता पर बल दया ह ऐसा वीकार कया गया क ह द वचारधारा क अनसार राजा ई वर नह ह वरन वह कवल एक मानव दवता ह वा तव म कहा जाए तो ह द वचारक न राजा को ई वर स शि त ा त करन वाला नह बताया ह उनका म य उ य तो राजा भी द वक शि त को कवल स ा तक प स वीकार करना था

94 ाचीन भारत म राज व क क त 941 राज व क क तmdashऐ तहा सक प रप य म

ाचीन भारत म राज व क क त स हम उसक ऐ तहा सक त य का ान होता ह ार भक व दक यग म राजा क क त एक कबील क म खया क प म थी जो कई कटब क

म खयाओ स उ चतर थी राजा न अपनी शि त सावज नक स थाओ स ा त क िजनक नाम थ सभा और स म त हम इन सावज नक स थाओ का कछ ह ान ा त होता ह पर त यह स य ह क उनक वारा राजा का चयन होता था और राजा स नक तथा या यक दोन काय करता था अ य ोत स वशषकर यरोप क ोत स हम इस न कष पर पह चत ह क राजा का थम क त य य कर वजय ा त करना था इस काय क लए वह वीर और साहसी स नक को भत करता था इस काय हत राजा अपन कबील क उन वयोव जन क सलाह लया करता था जो उनक समय म अ तशि तशाल और दरदश होत थ इस कार ार भक व दक यग म राज व कवल कबीला प त पर ह नह वरन चनाव प त पर भी

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आधा रत था और उसक नधा रत कत य भी थ उसम द वक शि त का भी समावश होता था

समय प रवतन क साथ उ तर व दक काल म जब क खा या न क भरपर पदावार होन लगी तब व दक यग क राजाओ म शि त और दशन क भावना न ज म लया इस उ य क ाि त हत ाचीन वश पर परा को तोड़ कर समाज म उन यि तय को वशष ो साहन दना आव यक था जो अपार धन अिजत कर राजा को कर द सक िजसक वारा

राजा एक वशाल सना इक ी कर सक जो कबील क बधन स म त हो ऐसी प रि थ त म राजा न राजसय और अ वमध य करना ारभ कया इन य स न कवल राजा क वभव म ह व ह ई वरन ाचीन वश परपरागत बधन को तोड़न म भी सहायता ा त ह ई और राजा को कर वसल करन का न तक और सवधा नक अ धकार ा त हआ

इस कार अब राज व क क त म न कवल द वक शि त को ह वीकार कया गया वरन पव व दक तथा ा मण यग म राजा को कर दन वाल नए यि तय क सर ा का भी सवधा नक अ धकार ा त हआ इस कार इस समय राज व कबील था को छोडकर अब रा य अथात ाद शक अव था क ओर अ सर हो रहा था व भ न कबील क दश क व भ न थान म था पत होन क कारण ह छठ शता द ईसा पव म म य गगा घाट म कौशल और मगध सा ा य का उदय हआ इस कार राज व क क त म यापक प रवतन हआ अब यह कवल सवधा नक ह नह रहा वरन ाद शक हो गया

महा मा ब क समय म राज व क द वक उ पि त वाल स ात क मह ता समा त हो गई द घनायक म राजा क चनाव प त का वणन ह िजसम कहा गया ह क राजा सरकार का मख ह और थम सामािजक सवक ह और उसक सम त शि त उसक जा म न हत ह इस समय राज व क चय नत और समझौत वाल या काश म आई राज व क मह ता जस क एतरय ा मण म शि त और साहस पर नभर थी अब स दरता लोक यता काय मता और यो यता पर नभर हो गई बौ क वचारधारा म राज व क क त म यह प रवतन एक समझौत क प म हआ अब जा क अनरोध पर राजा न

अपरा धय को द डत करन क अ त र त एक नया काय करना भी ारभ कया mdash वह था यो य यि तय को ो साहन दना

इसक प चात द वक उ पि त वचारधारा को य य प काफ मह व दया गया पर त वा तव म इस कार का शासन नह था मौय क शासनकाल म च वत स ाट क वचारधारा न ज म लया और इसस राजा क शि त म यापक व तार हआ इस वचारधारा का कौ ट य न भल भा त तपादन कया ह उसन इस वचारधारा क मा यता को वीकार कया ह वा तव म कौ ट य का म य यय राजा और दवताओ म तलना करना था िजसस राजा रा य म अ य क तलना म सव च थान ा त कर सक स ाट अशोक न इसका आदश उपि थत कया ह उसन उसक अ द वक शि त क अ त र त दवनाम पय अथात दवताओ का य क उपा ध हण क और राज व क पतक वचारधारा का तपादन कया

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महाभारत न भी इसी वचारधारा को मा यता द ह इसम राजा क चनाव म दवताओ क भागीदार का वणन ह इसम राज व क समझौत वाल वचारधारा म कछ प रवतन ि टगोचर होता ह जस परो हत वग क हत क लए राजा क शि त को सी मत करना

मौय क अ तम स ाट क शासनकाल म बा य आ मण एव आत रक व ोह क कारण राज व क क त पर इसका भाव पड़ा इस समय राजा को व ो हय को दड दन हत अ धक शि त क योग क आव यकता तीत ह ई महाभारत और शाि तपव म दड या क मह ता को दशाया गया ह मन का कथन ह क कवल दड स ह जनता पर शासन कया जा सकता ह ldquo (मन म त VIImdash7mdash10) इस कार दड क मह ता को दशात ह ए राजा को शि त का तीक माना ह

राजन तक अराजकता क फल व प राज व (राजत ) म उ तरा धकार णाल का ारभ हआ इस समय राजाओ न उपा धया धारण करना ारभ कया जस महाराजा यान महान राजा और राजा धराज अथात राजाओ का राजा राजत क वश पर परागत उ तरा धकार णाल ग त वशीय राजाओ क शासनकाल म प ट प स ि टगोचर होती ह ग त स ाट

न महाराजा धराज अथात राजाओ का महान राजा और परम भ ारक अथात राजाओ क महान राजा स भी महान नामक उपा धया हण क

स प म हम कह सकत ह क ाचीन भारत म राज व (राजत ) णाल का ज म ऐ तहा सक प रि थ तय क अन प हआ ारभ म कबील का धान इसक प चात रा य का वामी और इसक प चात राजा एक सवधा नक तथा द वक शि त स उ प न माना गया

दसर श द म य द राज व का ारभ चनाव वारा एक समझौत क प म हआ और उसक क त य भी नधा रत थ फर भी उस द वक शि त वाला माना गया यह द वक शि त क मा यता अ धकतर वचार म थी वा त वकता म नह ाचीन भारत म द वक शि त का स ात का उपयोग कवल राजा और दवताओ क तलना करन हत था वा तव म राज व का थान एक सर क क प म था और उस पर अनक अकश भी थ यहा पर यह प ट कर

दना आव यक ह क मौयकाल क अ तम वष क अराजकतापण समय म राजा क दड दन क शि त का दशन हआ इसी काल म वदशी राजाओ न भी द वक उपा धया हण क mdash जस दवप और दव त

942 राजा एक सर क (Trustee) क प म

राज व (राजत ) क नवाचन प त वाल या स यह ात होता ह क इस वचारधारा म राजा को एक सर क क प म माना गया ह ा मण थ म सहसना रोहण समारोह म स ा तक तथा यवहा रक दोन प म राजा को एक सर क क प म माना गया ह म यानी उप नषद (11) म राजा वह थ का अपन प को रा य दकर वान थ आ म हण कर यान स यास लकर जगल म एक साध क भा त रहन का उ लख ह महाभारत म

भी इसका प ट करण ह उसम व णत ह क य धि ठर क हाथ म उसका रा य एक ट क प म ह (आ मवा सक IX) ह द वचारधारा म राजा का सर क क प म होना एक मख स ात माना गया ह इस वचारधारा का वतमान वचारधारा स तलना करत समय

146

इसक सह आकलन म सतकता आव यक ह य क वतमान सरकार एक जन हतषी स था ह िजसक उ पि त सामािजक और आ थक समीकरण क ऊपर आधा रत ह जब क ह द वचारधारा म राजा क शि त एक सर क (Trustee) क प म द वक शि त क ऊपर आधा रत ह

943 राज व पर अकश

य य प ाचीन वचारधारा म राजा क शि त पर कोई सवधा नक भ व नह था पर त वा तव म उस पर कई अकश व यमान थ राजा का क त य एक कानन क सर क क प म नह वरन एक सर ा दान करन वाल अ धकार क प म था इस लए जो राजा सर ा दान नह कर सकता था उसका प यत होना पड़ता था जस क जब नाव म छद हो जाता ह तो उस सम म छोड़ दया जाता ह (शाि तपव LVIImdash44)

ऐ तहा सक ि ट स व दक काल म उस समय क जन त न ध सभाए राजा पर अकश रखती थी इन क नाम सभा और स म त थ इसक प चात जब राजा एक सर ा दान करन वाल क प म तथा धमर क क प म था उस समय ा मण थ तथा धमस म राजा क शि त पर अकश रखत थ महाभारत और मन न राजा क शि त पर अकश रखन का प ट वणन कया ह महाभारत न उस राजा का जो धम और जा क र ा करन म असमथ हो वध करन का आदश दया ह (शाि तपव XCII 7mdash9) इसक अ त र त ऐस राजा पर भगवान क ोध का कोप होना भी व णत ह भी म भी मन क इस वचारधारा स सहमत ह क य द कोई राजा जा क र ा करन म असमथ हो तो वह अपनी जा क एक चौथाई पाप का भागी होता ह (शाि तपव LXXXVImdash10 अनशासनपव LXI) टात प म य द हम राजा वण क कहानी पढ़ तो हम यह ात होता ह क उसक द काय क कारण ऋ षय न उसका वध कर दया था (शाि तपव 59 mdash49mdash9) इस कहानी म अनक बार राजा को धा मक नयम क अवहलना हत चतावनी द गई ह कई राजवश जस न द मौय और श ग वश िज ह न ा मण तथा धम नयम क अवहलना क व जा व ोह क कारण अवन त क माग को पह च ह और उनक शासन का अत हो गया ऐसी प रि थ त स बचन हत राजनी त क थ म बताया गया ह क राजा को अपन म ी प रषद क राय माननी चा हए (अथशा III 131 मन VII ndash53 श 281)

95 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क क त य ाचीन भारत म राजा क क त य का व भ न प रि थ तय म प रवतन होता रहा

ारभ म राजा का क त य य म वजय ा त करना था िजसस उसक कबील क हत क र ा हो सक पर त जब रा य का ज म हआ तब राजा को न कवल बा य आ मण स अपन रा य क र ा ह करनी पड़ती थी वरन इसक साथmdashसाथ आत रक अपरा धय स अपनी जा क जीवन और सपि त क भी सर ा करनी पड़ती थी इस काय हत राजा जा स कर

लता था यहा पर यह प ट करना आव यक ह क ाचीन समय म रा य म राजा को इन उ य क प त हत ह रखा जाता था

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कौशल और मगध रा य क उदय स राजा म सवधा नक शास नक तथा या यक अ धकार का समावश हो गया अब ऐसा माना जान लगा क राजा का क त य कवल रा य क सर ा करना ह नह वरन सामािजक और आ थक वातावरण को समकल बनाए रखना भी थी इसक लए वह वणा म का पालन यायपवक कर लना तथा धन का उ चत वतरण करता था वह जा त तथा धम क र ा करता था और जो इस बधन को तोड़त थ उनको द डत करता था वह कौट बक यव था क र ा या भचा रय को द डत करक अनाथ तथा वधवाओ क सर ा उनक सर क बनकर तथा नधन क धनी वग स र ा करता था इ या द वह ा मण तथा अ य व वान को उदार दान दकर धम क र ा करता था इन सर ा उपाय क अ त र त राजा क अ य भी कई क त य थ जस सचाई साधन क उ न त अकाल पी ड़त क सहायता और जनता क आ थक सम याओ का नराकरण आ द

मौय क शासनकाल तक राजा क सवधा नक शास नक तथा या यक अ धकार प ट प स ि टगोचर हो गए थ मौय राजाओ का काय काफ व तत था और वह रा य क

सम त वग mdash शास नक अ धकार धनी यापार गण तथा व वान ा मण पर अपना भ व रखता था वह इस काय क लए अनक ग तचर रखता था यापक अ धकार क अ त र त राजा उदार वि त का होता था कौ ट य का कथन ह क राजा को सदव काय करत रहना चा हए और जा क सम क लए य नशील रहना चा हए (अथशा 119) एक अ य थान पर उसन राजा क दनचया का वणन कया ह इसम कहा गया ह क राजा को कवल

साढ़ चार घट ह सोना चा हए तीन घट भोजन तथा मन रजन म लगान चा हए इसक अ त र त दन का शष समय राजकाय म यतीत करना चा हए वा तव म इस कार क दनचया का पालन करना असभव सा तीत होता ह पर त इस दनचया स हम आदश राजा क क त य का ान होता ह मग थनीज का कथन ह क राजा च ग त मौय जब उसक शर र क मा लश हो रह होती थी तब भी जा क शकायत सनता था उसक पौ स ाट अशोक न तो आदश सा रत कर रखा था क मह वपण रा य काय कसी भी समय कया जा सकता ह यहा तक क जब वह अतपर म हो तब भी (REVI) इस कार अशोक क समय म राजा का काय जा हत काय करना था वा तव म अशोक न जो आदश तत कया उसक ऊपर ाचीन स यता का सर गव स ऊचा होता ह

अशोक क आदश का उसक प चात क राजाओ क मागदशक बन अशोक क समय क अनक तर लख तथा ता प लख म अशोक क उदारता का वणन ह वह कवल अपरा धय को द डत ह नह करता था वरन यो य यि तय को पा रतोषक भी दान करता था उसन कला सा ह य और श ा को भी ो साहन दया

राजा ा मण तथा अ य धमावल बय को उदार दान भी दता था वह एक सर क क प म भी काय करता था

स प म यह कहा जा सकता ह क ाचीन भारत म राज व (राजत ) प रि थ तय क अनकल बदलता रहा और यह उस समय क ऐ तहा सक अव थाओ का योतक ह इस कार ार भक व दक यग क एक कबील क मख स आग चलकर एक रा य क सर ा अ धकार क प म तथा आ थक तथा सामािजक अ धकार क सर ा करन वाल क प म प रव तत हो

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गया मौय यग म राजा क अ धकार म अपार व ह ई अब राजा को सवधा नक शास नक और या यक सम त अ धकार ा त हो गए अब राजा का क त य जा क

भलाई करना था इसी आदश का आग चलकर अ य राजाओ न पालन कया िजसक कारण उ ह न श ा कला और धम क म उदारतापवक धन दान कया राजा न एक सर क (Trustee) क प म भी काय कया

96 साराश राज व (राजत ) क क त और क त य क इस अ ययन का हम स प प म इस

कार वणन कर सकत ह mdash 1 आय क मख राजन तक स था राज व (राजत ) थी 2 राज व (राजत ) क उ पि त व दक यग क धान राजा स ह ई राजा श द क उ पि त

रज नामक जड़ स ह ई ह िजसका अथ होता ह काशवान या इसक उ पि त रज स ह ई ह िजसका अथ होता ह सख दान करना ऐसी भी मा यता ह क इसका सबध ल टन भाषा क र स स ह

3 ार भक भारतीय सा ह य म राज व (राजत ) क ाचीनता का उ लख ह 4 हमार इस अ ययन क अनक ोत ह िजनम न कवल ा मण थ का ह नह वरन

बौ थ का भी समावश ह 5 राज व (राजत ) क उ पि त क वषय म दो भ नmdash भ न वचारधाराए ाचीन भारत म

च लत थी जो नवाचन प त तथा द वक उ पि त स ात क नाम स स थी 6 राज व (राजत ) क क त स हम उस समय क ऐ तहा सक प रि थ त का ान होता

ह समयानसार इसम प रवतन होता रहा और यह कबील स रा य और फर सवधा नक प म प रव तत हो गई बाद म इसम दव व क भावना क साथmdashसाथ नवाचन और

समझौत का भी समावश हो गया 7 राजा क क त य म भी प रवतन होता रहा एक धान सनाप त जो कशलतापवक य

सचालन करक वजयी हो सक स बाद म यह रा य क एक मख सर ा अ धकार क प म प रव तत हो गया राजा न कर क यायपवक वसल और धन का सम चत वतरण भी कया इसक प चात राजा म सवधा नक शास नक तथा या यक अ धकार क समावश क अ त र त वह समाज क सामािजक तथा आ थक यव था का भी सर क हो गया इस कार राज व (राजत ) न जा क हत म लाभकार काय कए

97 पठनीय मा णक थ

1 एएस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन एन शय ट इि डया वाराणसी 1958

2 एएल बाशम द व डर दट वाज इि डया पा 1958 प

149

80mdash139 3 चा स कमीयर कग शप ए ड क य नट इन अल इि डया

कल फो नया 1962 4 कपी जायसवाल ह द पा लट mdash बगलौर (सशो धत स करण)

1978 5 आरएस शमा एसप स आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इ सट यशन इन एन शय ट इि डया दहल 1968

6 आरकचौधर कौ ट याज पा ल टकल आइ डयाज ए ड इ सट यशन वाराणसी 1971

7 यएन घोषाल ए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज कलक ता 1923

8 जपी वमा टडीज इन ह द पा ल टकल थाट ए ड इ स मटाफ िजकल फाउ डश स वाराणसी 1954

9 भार वाज कमलश मख म तय म राजनी तक व व धक वचार (मन या व य नारद का यायन बह प त) पी एच डी शोध बध राज थान व व व यालय जयपर

10 भार वाज कमलश ाचीन भारतीय समाज एव रा य पोई टयर 1999 चौड़ा रा ता जयपर

150

इकाई mdash 10 राज व का व प एव उस पर नय ण (मयादाऐ)

इकाई क परखा 100 उ य 101 तावना 102 राज व का व प एव दव व का वकास 103 राज व पर नय ण

1031 स ा तक नय ण 10311 धम क सव प रता 10312 राजा का जा पालक व एव पतक स ात 10313 राजधम क त ठा या दड का स ात 10314 राज व का स वदा मक व प

1032 स थागत नय ण 10321 नवाचन 10322 सभा व स म त 10323 परो हत 10324 म ीमडल 10325 स ता का वक करण 10326 जनमत का भय

104 अ यासाथ न 105 सदभ थ

100 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप जान पायग क mdash

ाचीन भारत म राज व का या व प था राजा पर स ा तक नय ण कौन स थ राजा पर स थागत नय ण कौन स थ व भ न कार क नय ण राजा क नरकशता को कस सी मत करत थ

101 तावना ाचीन भारतीय रा य यव था क अ ययन स व दत होता ह क उस समय म शासन

णाल क ि ट स मोट तौर पर रा य दो कार क थ mdash नपत ा मक और अनपत ा मक इनम स ाचीन भारत म अ धकाश समय और थान म नपत (राजत ) क ह धानता रह

व रा य जहा क शासन यव था राजत ा मक या एकत ा मक अथात एक यि तmdashराजा (नप)mdash क अधीन हो नपत ा मक रा य थ दसर श द म जसा क नपत श द स ह

151

प ट ह ऐस रा य क शासन यव था नप (नरमन य) अथात जा क पालक राजा क अधीन थी वहा राजा सव च पदा धकार एव क य मह व वाला होता था रा यो पि त स स बि धत ववरण यह अ भ य त करत ह क राजा क आव यकता का अनभव अराजकता का अत करन क ि ट स कया गया और व तत राजा क उ पि त ह रा य क उ पि त ह य क ाचीन भारत म राजत (नपत ) ह शासन का सामा य नयम था अतएव अ धकतर ाचीन राजशा कार न अपन थ म राजत को धानता द ह रा य क स ताग ( वामी

अमा य जनपद दग कोष द ड और म ) उ लख म राजा को उसक मह व क कारण थम थान दया गया ह और सर स तलनीय बताकर रा य यव था म उसक शीष थान क ओर

सकत कया गया ह कौ ट य न तो राजा को ह रा य कहा ह (राजा रा य म त क त स प)

102 राज व का व प एव दव व का वकास व दक काल म नपत क अि त व को मा णत करन क अनक माण ह और बाद क

काल म भी सवा धक चलन राजत का ह था य य प काला तर म नपत क व प म यि क चत प रवतन हो गया था उदाहरणाथ ऋ वद म शि तशाल यि त को राजा क प म चन जान का उ लख ह उ तर व दकसा ह य म चनाव क साथ आनव शकता का ारभ ि टगत होता ह जब क बाद क सा य म कछक अपवाद को छोड़कर राजा क पद क

आनव शकता या वशानगत होन म कोई भी सदह नह रह जाता बौ काल न मख राजत ा मक रा य mdash अवि त कौशल व स और मगध म राजा का पद आनव शकता क आधार पर ा त होता था परवत यगीन उ तर भारत म शासन करन वाल व भ न वश जसmdash नद मौय श ग कषाण ग त आ द और इसी कार द ण भारत क सातवाहन वाकाटक बादामी क चाल य प लव रा कट चोल इ या द राजवश म वशानगत राजत ह च लत था आनव शकता व उ तरा धकार क स ब ध म यह मरणीय ह क सामा यत ज ठतम प यवराज होता था और पता क बाद राजपद को ा त करता था य य प कभीmdashकभी ज ठता क अप ा यो यता को अ धक मह व दया गया

व दक सा य स प ट ह क ार भक काल म राजा का कसी न कसी प म नवाचन होता रहा था उसक अ धकार सी मत थ और वह जनmdashनताओ क नय ण म रहता था क त व दको तर यग म राजपद क वशानगत होन और बढ़त भ व क कारण राजा क अ धकार म व ह ई तथा शन शन राजा दवी भी माना गया परो हत न राजा म दव व क क पना क तथा उसको दवपद स स मा नत कया उस दवताओ क अश स उ प न माना जान लगा ऐसा तीत होता ह क धा मक व ध और वचार क उ तरोतर बढ़न वाल भाव स ा मण काल म ऐसा वातावरण बनन लगा था क िजसम राजा क दव व क भावना पनप सकती थी य म वजय इ दव क कपा का फल कहा जाता था और इ क उपा धया भी वजयी राजा को धीरmdashधीर द जान लगी रा या भषक स ऐसा माना जाता था क राजा क शर र म अि न स वता बह प त आ द दवता वश करत ह शतपथ ा मण क अनसार

152

बह स यक जा एक राजा क आ ापालन य करती ह इसका कारण कछ लोग क मन म यह था क राजा दवा धदव जाप त का य तीक था

परवत ा मण थ यथाmdashमहाभारत पराण म तय आ द न राजा म दवताओ क अश का दव व का समथन कया ह महाभारत क अनसार राजा नरदव ह वह दव और नरदव क समान ह समय क अनसार राजा क पाच प होत ह mdash अि न सय म य कबर और यम मन म त म कहा गया ह क राजा नर प म महान दवता ह मा न आठ दशाओ क द पाल इ यम वाय सय अि न व ण आ द दवता नवास करत ह नारद म त म भी राजा म ई वर य अश कहा गया ह तथा प यह मरणीय ह क य य प म तय और पराण म राजा क दव व क क पना वीकार क गयी ह पर त उस ई वर का

सा ात अवतार बह त थोड़ ह म तकार न माना ह अ धकाश म तय और पराण म कवल राजा और दवताओ क काय क समता का उ लख और वणन कया गया ह व यह नह कहत क राजा वय दवता ह वहा बताया गया ह क राजा अपन तज स द ट को भ म कर दता ह अत वह अि न क समान ह वह अपन चर वारा सब कछ दख लता ह अत वह कबर क त य ह

इस कार ह द थकार न राजपद (Kingship) को दवी बताया ह न क कसी राजा वशष को था पत यव था को बनाय रखना तथा वणा म धम का जा स पालन कराना राजा का मख दा य व था य द राज पद को दवी माना जाय तो उस पद को सशो भत करन वाला राजा यह क त य जा स अ धक अ छ तरह स करा सकता था ऐसी शा कार क धारणा थी इस लए क राजपद को दवी मानन स राजा क त ठा बढ़ती थी एव उसक आ ाओ का पालन अ धक अ छ तरह स हो सकता था क त दसर ओर यह भी स य ह क राजा क दव व क कारण उसक अ धकार एव शि त म और भी अ धक व ह ई वह अ य धक अ धकारmdashस प न व छाचार और नरकश भी बन सकता था

103 राज व पर नय ण अथवा राजा क नरकशता पर रोक क यव था

जसा क उपय त ववरण स प ट ह ाचीन भारत म राजत ा मक यव था ह मह वपण एव सावभौ मक स था क प म चा रत थी िजसम राजा मह वपण पद पर आसीन होन क कारण व दक काल म मन य म ठ माना गया य य प ाचीन भारतीय शा कार दवत य व आदश राजा उस ह मानत थ जो वय को जाmdashपालन एव जनmdashक याण क लए सम पत करद क त मन य वभावत दबल ह और सामा य तर या औसत दज क राजा स इस उ च आदश क स पण अनपालन क आशा हमशा नह क जा सकती थी दसर श द म राजा शि त स प नता तथा दव व क आड़ म दराचार न हो सक और वह पद क मद स अपन क त य तथा उ तरदा य व क त यान दना छोड़ न द अत राजा क शि त को नय त करन एव उस नरकश न होन दन क लए क तपय स ा तक एव स थागत नय ण क यव था थी य य प य आध नक सवधा नक नय य क साथ तलनीय नह थ

153

1031 स ा तक नय ण (Conceptional Limitations)

इसक अ तगत न ना कत उ लखनीय ह mdash

10311 धम क सव प रता

धम वह शा वत एव व व यापी न तक यव था ह जो सम त जगत को धारण करती ह व दक काल म च लत ऋतrdquo क अवधारणा धम का पवाभास दती ह इसी स आग चलकर धम का वकास हआ व दक काल स ह राजा धम का र क पोषक और समथक समझा जाता रहा ह वहदार यक उप नषद म कहा गया ह क राज व पणत धमा धि ठत ह जातक थ ाचीन त मल थ म णमरवलाई आ द म भी इस आशय क वचार मलत ह महाभारत क शा तपव म प टत नद शत ह क रा य का ज म ह धम ( यव था) क थापनाथ हआ ह तथा रा य क उदय स पव भी धम क भता या त थी अत उसका राजा

स भी अ धक मह व ह अ त उसी क बताय माग का अनसरण करना चा हय जो राजा धम का पालन नह कर वह राजा कहलान का अ धकार नह ह और उसक अधा मक आचरण स सामािजक राजनी तक और ाक तक जीवन पर भी तकल भाव पड़ता ह तथा राजा क साथmdashसाथ रा य भी न ट हो जाता ह यह भी उ लखनीय ह क ाचीन भारत म कौ ट य को छोडकर ाय सभी नी तशा कार न राजा को काननmdash नमाण का अ धकार नह दया ह तथा कौ ट य भी धम क सव प रता को वीकारता ह और राजा को जा वारा वधम का अ त मण न होन दन क लए कहता ह व तत ाचीन भारतीय राजत म धम को रा य का स चा भ माना गया ह न क राजा को राजा कायपालक था िजसका काय धम शा ानसार राजmdashकाय चलाना था

10312 राजा का जाmdashपालक व एव पतक स ात

जा क र ा और जाmdashपालन ाचीन भारत म राजा क दो म य क त य मान गय थ राजा जा क भौ तक साधन क व क साथmdashसाथ उसक न तक और आ याि मक वकास क लए सभी कार क उ चत य न करता था इस कारण ाचीन भारतीय ोत म राजा को पतात य बताया गया ह और राजा स जा क त पता स य यवहार अप त था महाभारत म उि ल खत ह क वह राजा सव ठ होता ह िजसक रा य म मन य ऐस नभय होकर चलतmdash फरत ह जस बट अपन पता क घर म महाभारत म ह एक अ य थान पर राजा क आचरण क तलना ग भणी ी स क गयी ह mdash िजस कार ग भणी ी अपनी चmdashअ च को छोडकर कवल गभ थ शश क लए खानmdashपान करती ह एव उसक पालनmdash

पोषण व और वकास क लए सदव सच ट रहती ह उसी कार राजा को जा क लए आचरण करना चा हय

जा क क याण म ह राजा का क याण न हत ह mdash इस मह वपण स ात का तपादन करत ह ए कौ ट य कहता ह mdash जा क सख म राजा का सख ह और जा क दख

म राजा का दख ह राजा को अपन हत क बात नह सोचनी चा हए जा क हत म ह

154

उसका हत ह कौ ट य न अ य थान पर राज व क पतक स ा त क या या करत ह ए लखा ह क िजस कार पता अपनी सत त पर अन ह दखाता ह वस ह राजा को भी अपनी जा पर अन ह करना चा हए इसी कार राज व क पतक स ात क चलन स ब धी

पया त माण हम रामायण महाभारत अशोक क अ भलख तथा अ या य राजनी तmdash वषयक थ स भी मलत ह

10313 राजधम क त ठा या दड का स ात

हमार ाचीन राजशाि य न राजा क शि त पर अकश लगान क लए व भ न कार क क त य दा य व एव आचारmdash नयम नद शत कर राजधम क त ठा क थी िजनका पालन राजा क लए आव यक माना जाता था कौ ट य क अनसार राजा द ड का तीक ह और अपनी जा क हत साधन क लए द ड धारण करता ह वह शा mdashस मत मयादा क अनसार ह द डmdashशि त का योग कर सकता ह द डmdashशि त का व छाचा रता क साथ योग राजा क वनाश का कारण बन सकता ह अत इस वषय म शा mdash न द ट नयम का

पालन करना चा हए अथशा म राजत क तीन भद बतलाय ह mdash (i) अ ध (ii) च लतशा और (iii) शा मया दत इनम स तीसर को ठ माना गया ह जो नरकश या व छाचार न होकर सदा शा मयादा क अनसार शासन चलाता ह कौ ट य क मत म

शा क नदश तथा राज धम क अवहलना करन वाला राजा अपन व छाचार तथा अ यायपण शासन स शी ह अपन रा य का नाश कर डालता ह

10314 राज व का स वदा मक व प

ाचीन भारत म राजपद को यास अथवा थाती समझन क धारणा भी थी िजसक अनसार रा य एव राजकोष राजा क नजी स पि त नह थ बि क जनता क धरोहर थ राजा का पद सावज नक पद था और राजा क मह ता उसक पद क कारण थी अतएव वह जा का पालक एव सवक दोन समझा गया था बौधायन का कथन ह क राजा वा तव म जा का सवक ह और जा क उपज का छठा भाग जो कर क प म दया जाता ह वह उसका वतन होता ह उषना क अनसार जा राजा को कर क प म भरपर वतन दती ह अत उस भी जा क पर तरह स सवा और सर ा करनी चा हए मन क अनसार भी ऐस राजा को करmdashहण का कोई अ धकार नह ह जो जा क र ा नह करता ह नारद भी कर को राजा वारा जा क र ा का पा र मक कहत ह अ त म डॉ क पी जायसवाल का न कष ह क

राजा कवल न तक ि ट स जा का वामी था अ यथा स वदा मक व प क ि ट स तो वह जा का सवक होता था

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1032 स थागत नय ण

10321 नवाचन

आर भक व दक काल म राजा का नवाचन होता था बाद क काल म राजा क नवाचन क था तो नह रह क त यवराज अथवा उ तरा धकार क नयि त क समय जा क अनम त या अनमोदन का यान रखा जाता था अयो य और ऐस राजप को उ तरा धकार स व चत कर दया जाता था िज ह जा नह चाहती थी अथवा िज ह जा का यापक समथन ा त न होता था इसक अलावा व दक काल स ह रा या भषक समारोह क समय राजा को जाmdashक याण एव धमानसार शासन चलान क शपथ लनी होती थी शपथ व त ा लन क यह था द घकाल तक जार रह इस कार राजा क नवाचन यवराज

अथवा उ तरा धकार क नयि त म जा वारा अनमोदन रा या भषक क समय राजा वारा ल जान वाल शपथ अथवा त ा आ द ऐस उपाय थ जो राजा को नय त करत

10322 सभा व स म त

व दक काल म स म त व सभा जसी लोक य स थाय थी जो राजा क शि त पर रोक लगाती थी कछ व दक उ रण स पता चलता ह क स म त क तकल होन पर राजा का अपन पद पर बन रहना क ठन हो जाता था इस स ब ध म डॉ आर क मकज का मत ह क व दक काल न राजा क एक मmdashशि त को नय त करन वाल दो सावज नक स थाय थी mdash सभा और स म त िजनक वारा जनता क हत स स ब ध रखन वाल मह वपण बात म यहा तक क राजा क नवाचन म भी जनता क इ छा कट होती थी क त बाद म स म त ल त ाय हो गयी और सभा का व प बदलकर राजmdashदरबार (Court of the King) हो गया तथा उनक थान पर दसर कसी लोक य स था क थापना न हो सक य य प डॉ जायसवाल पौरmdashजानपदमrsquo को इनक थानाप न होन का दावा करत ह जो व वान को वीकाय नह ह डॉ अ तकर वारा सबल माण क मा यम स उनक उ त थापना का कया गया ख डन अब ाय सभी को मा य हो चला ह डॉ अ तकर क मतानसार पौरmdashजानपदम स ता पय नगर एव ाम क नवा सय स ह न क कसी त न ध स था अथवा ससद स

10323 परो हत

व दक काल स ह परो हत का पद अ त मह वपण माना गया ह वह राजा का सभी मामल म परामशदाता होता था उसका व दक काल क रि नन म भी मख थान था धमस म भी वणन ह क राजा क क याण क लए परो हत का होना आव यक था शा तपव म कहा गया ह क राजा का वकास और र ण परो हत पर नभर करत ह परो हत शासन म राजा का मागदशक शि त था और शासन का एक आव यक अग भी वह जा क हत का र क था और राजा को पथmdash वच लत होन स रोकता था

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10324 म mdashमडल

ाचीन रा य क स ताग क अवधारणा म अमा य का होना म mdashमडल क अ नवायता का सचक ह ाचीन भारतीय आचाय न म mdashमडल को रा य यव था का अ य त मह वपण अग माना ह महाभारत म कहा गया ह क राजा अपन म य पर उतना ह नभर ह िजतना क ाणीमा पज य (भोजन) पर ा मण वद पर और ि या अपन प तय पर इसी म अ य यह भी बताया गया ह क स शासन क लए राजा व म य म सम पता आव यक ह अथशा का कथन ह क िजस कार एक प हय (च ) स रथ नह चल सकता उसी कार बना म य क सहायता क अकल राजा स रा य नह चल सकता राजत क सदभ म म प रषद क उपयो गता का तपादन करत ह ए कौ ट य न कहा ह mdash अमा यगण समय वभाग पी चाबक स माद त राजा को सावधान करत ह अमा यगण वपि त स राजा क र ा करत ह नी तmdash नधारण क स ब ध म कौ ट य का नदश ह क कोई भी आव यक एव मह वपण काय उपि थत होन पर राजा म य तथा म प रषद क सद य क बठक बलाव और उनस परामश कर यक काय का आरभ उस वषय म म mdash नणय क उपरा त होना चा हय मन न तो ऐस राजा को मख बताया ह जो शासन अपन आप करता ह इस स ब ध म उसका मानना ह क सकर (सरल व सीधा)

काय भी एक आदमी क लए अकल होन क वजह स द कर हो जाता ह तो रा य जसा महान काय बना म य क सहायता क चलाना कस सभव ह प ट ह क ाचीन भारत म म mdashमडल रा यmdash यव था का अ व छ य अग समझा जाता था और उस समय अ धकतर रा य म यह स था अि त वमान भी थी िजसका रा य कायभार पर ाय अ छा असर पड़ता था और राजा नय त हो सकता था

10325 स ता का वक करण

ाचीन भारतीय वचारक न जनता क हत क र ाथ शासन काय म अ धका धक वक करण करन क भी यव था क थी ाम नगर और ाद शक पचायत और सभाओ तथा णी एव नगम को शासन क यापक अ धकार और व वध काय स पकर इस यव था का तपादन कया था इन स थाओ म जनता क सहभा गता होती थी और इनक मा यम स ह रा य जा क स पक म आता था राजा चाह कतन ह कर लगा द पर ाय वसल कवल उ ह क हो सकती थी िजस ामmdashसभा वसल करन को तयार होती थी इन थानीय स थाओ को याय क भी पया त अ धकार थानीय स थाओ को अपनी सीमा म उगाह (वसल) जान वाल भ मकर तथा अ य कर क पया त अश पर भी अ धकार रहता था इनका उपयोग जनता क इ छानसार सावज नक हत क काय म कया जाता था अत जसा क डॉ अ तकर न माना ह क राजा क शि त पर सबस बड़ी रोक ाचीन भारत म च लत यापक वक करण क यव था थी

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10326 जनमत का भय

ाचीन भारतीय रा य यव था म जनमत का भी मह वपण थान था इसक वारा राजा को व छाचा रता सी मत रहती थी य द राजा को उ चत श ा न मल अथवा सम चत स कार और स श ा भी उसक द क त को नय त न कर सक य द वह धम थ वारा न द ट क त य क अवहलना कर या ग जन और म य क स परामश का भी अनादर कर तथा आ याि मक अनशाि तया भी उस नय त करन म असफल रह तो ऐसी ि थ त म जनमत का भय ह उसक व छाचार को सी मत कर सकता था जसा क चचा क जा चक ह ाचीन काल म राजा क नवाचन अथवा नयि त म जनmdashसहम त या स म त वाछनीय थी व दक सा ह य म जा वारा अथवा राजकत (रि नन) कहलान वाल अ धका रय वारा राजा को राजपद पर ति ठत कय जान पद यत करन अथवा नवा सत राजा को पन बलाय जान क पया त सकत मलत ह रामायण म भी उि ल खत ह क यवराज राम क रा या भषक क पि ट राजक तार (राजा बनान वाल) लोग न क महाभारत क यया तmdashसवाद स आभा सत होता ह क ा मण और म गण न मल कर राजा वारा कय जान वाल अ भषक को रोक दया था और यह प ट करण मागा क य ठा धकार क स ा त का उ लघन बवजह य कया जा रहा ह इन क तपय उदाहरण स त काल न यव था म जनमत क शि त का आभास मलता ह राजा को अ धक शि त एव अ धकार दय जान क मख समथक कौ ट य न भी जा क ोध को राजा क लए बह त बड़ा सकट माना ह उनक अनसार िजस राजा को जा का अनराग ा त नह ह वह नदनीय होता ह और उस परािजत करना सगम होता ह

पौरmdashजानपदम अथात जनसाधारण क अलावा वचारशील एव ब मान यि तय तथा यागी तप वी एव वर त (जो समाज स अलग वन म रहत थ) जन का भी राजा को नय त अथवा मया दत रखन म बड़ा भाव पड़ता था य क राजा उ ह पया त स मान दत थ और उनक राजmdashकाज स ब धी स परामश को मह वपण मानत थ अतएव राजा को जनमत क स म त या वचार का पराmdashपरा यान रखना पड़ता था

104 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म राजा क दवीय व प क चचा क िजए (100 श द) 2 राज व पर स ा तक नय ण कौनmdashकौन स ह (200 श द) 3 ाचीन काल म कौनmdashकौन सी स थाऐ राजा क नरकशता पर रोक लगाती थी

(200 श द)

105 सदभ थ 1 एएस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन एन शय ट इि डया

वाराणसी 1958 2 आरएस शमा एसप स आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इ ट यशन इन एन शय ट इि डया दहल 1968

158

3 यएन घोषाल ए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज कलक ता 1923

4 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोइ टयर चौड़ा रा ता जयपर

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इकाई mdash 11 कौ ट य अथशा म राजनी तक वचार

इकाई क परखा 110 उ य 111 तावना 112 शासन क कार 113 स ताग रा य का स ात

1131 वामी 1132 अमा य 1133 जनपद 1134 दग 1135 कोश 1136 दड 1137 म

114 रा य उ पि त सबधी स ात 1141 राजा क श ा 1142 राजा क क त य

115 लोक क याणकार रा य का स ात 116 वणा म यव था का स थापक 117 वदशी नी त सबधी स ात (मडल षाडग य नी त) 118 धम और राजनी त का सबध 119 अ यासाथ न 1110 सदभ थ

110 उ य तत इकाई म हमारा उ य आपको कौ ट य क राजनी तक वचार स अवगत कराना

ह इस इकाई का अ ययन कर लन पर आपको न न ल खत बात का ान हो जाएगा mdash स ताग रा य क अवधारणा रा य उ पि त सबधी स ात राजा क व भ न क त य कौ ट य क वदशी नी त सबधी स ात (मडल षाडग य आ द)

कौ ट य क राजनी तक वचार क चचा करन स पव यह जानना अ य त आव यक ह क यह कौन था इसन राजनी तक वचार का तपादन कस यग म और कन प रि थ तय म कया कौ ट य न अथशा नामक थ म अपन वचार को समा व ट कया ह िजस सामा यत कौ ट य अथशा क नाम स जाना जाता ह इस थ क खोज सव थम आर

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याम शा ी न 1909 म क थी ठ क उसी समय स यह थ अपन रचना काल को लकर इ तहास वद एव भाषा वद क म य ववाद का वषय रहा ह पर परागत प स कौ ट य व णग त व चाण य को एक ह यि त माना जाता ह िजसन नद सा ा य का समलो छदन कर च ग त मौय को मगध का स ाट बनाया था और कौ ट य न च ग त मौय क शासन सचालन क लए उ त थ क रचना क थी इस ि ट स इसका रचना काल चौथी शता द ई प नि चत कया जा सकता ह इस वचार को अनक व वान यथा mdash जएस ल ट एच जकोबी जजमअर एव एफ ड य थोमस आ द न वीकार कया ह वय कौ ट य अथशा क थम अ धकरण म यह उ लख मलता ह mdash

कौ ट य न सीखन व समझन म सगम स ा त एव अनभ म म स म और स प ट अ त व तार स र हत अथात स म थ क रचना क ह

जसा क इस थ क नाम स ह प ट होता ह क यह अथशा पर लखा गया थ ह उ त थ क अ तम 15व अ धकरण म यह उ लख मलता ह क अथ मन य क

जीवन का आधार ह अथात दसर श द म इस प वी को मन य वारा आवा सत कया गया ह अथशा वह व ान ह िजसक मा यम स प वी को विजत कया जाता ह तथा प वी क सर ा क जाती ह इस थ क ार भक अ धकरण म ह यह उ लख मलता ह िजसम लखक न कहा ह क मल प स वह इस थ का नाम द डनो त ह रखना चाहता था पर त बाद म उसन इसका नामकरण अथशा करन का न चय कया ाचीन भारतीय सा ह य क अनशीलन स भी यह प ट होता ह क उस काल म द डनी त व अथशा समानाथक य त कए जात थ अमरकोष म भी द डनी त को अथशा क प म ह य त कया गया ह व ान अ तकर न भी यह मत य त कया ह क ाचीन वा गमय म अथशा को द डनी त क पयाय क प म ह य त कए जान क उ रण मलत ह इसका धान कारण सभवत यह था क ाचीन भारतीय मनीषी अथ का अथ सामा य भौ तक स पदा क तरह न लकर अथ को वग mdash धम अथ व काम म स मानव जीवन का एक मख ल य मानत थ इसी कारण कौ ट य न भी प वी पर मानव क याण क लए अथ को मह व दया तथा यह मत तपा दत कया क कवल रा य वारा ह प वी का सर ण व व तार कया जा सकता

ह तथा रा य ऐसा करक सामा य जन क याण क काय कर सकता ह इस कार स कौ ट य न अपन थ म अथ क दो मख उ य को तपा दत कया ह mdash थम क अ तगत वह यह तपा दत करन क च टा करता ह क राजा अपन रा य को कस कार सर त रख इसस

कौ ट य का ता पय पालन करन अथात रा य शासन स ह वतीय क अ तगत वह तपा दत करता ह क राजा कस अपन रा य का व तार कर इसक लए कौ ट य न लाभ

श द य त कया ह अत अथशा रा य वषयक आ त रक एव बा य दोन स ब धी वषय का वहार ह दसर श द म अथशा राजनी त एव शासन वषयक व ान ह

व वान अ तकर क वचार म अथशा शासन क मलभत स ा त और उसका दशन या राजनी तक वचार क स ाि तक प पर वादmdash ववाद हत लखा थ न होकर कसी

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शासक अथवा शासक क दन त दन क शासन सचालन एव क ठनाईय क नराकरण हत लखी गयी नयमावल ह

कौ ट य अथशा को स पण प स सामा यत तीन भाग म वभ त कया जा सकता ह mdash

(1) त mdash ार भक पाच अ याय अथवा अ धकरण इसक अ तगत रा य क आ त रक शासन सबधी ववरण

(2) अवाप mdash 6 स 13 तक क अ याय अथवा अ धकरण इसक अ तगत पड़ौसी रा य स सबध का ववरण तथा

(3) दो अ तम 14 व 15 अ याय अथवा अ धकरण इसक अ तगत व भ न वषय सबधी ववरण दया गया ह यह सभी ववरण कौ ट य न विजगीष स ाट को क य थान म रखकर लख ह

विजगीष स ता पय ऐस स ाट स ह जो समीपवत रा य का दमन कर एकछ स ाट बनन क इ छा रखता ह

उ त थ म स ाि तक ि ट स सवा धक मह वपण अ धकरण छठा ह िजसम कौ ट य वारा आदश रा य क सात त व अथवा क तय का ववरण दया गया ह य य प इस तरह क ववरण कौ ट य अथशा म सयोगवश ह ा त होत ह और उसी क आधार पर कौ ट य क राजनी तक वचार का आकलन कया जाना समीचीन होगा व वान क थ क अनसार भारतीय ाचीन सा ह य म स ाि तक राजनी त वषयक जस कसी भी थ का उदाहरण ा त नह होता ह ल कन ाचीन वा गमय म शासन क यावहा रक प म और अ तरा यीय सबध पर यापक अ ययन कया गया था अत कौ ट य अथशा म रा य क उ पि त क त व उसक काय जस स ाि तक प पर च तन य प स नह ा त होता ह

1012 शासन क कार

यहा पर यह उि ल खत कया जाना समीचीन होगा क त काल न प रि थ तय म और कौ ट य क घो षत उ य क सीमा म यह सभव भी नह था क वह राजत क अ त र त शासन क अ य कसी कार का ववरण तत कर य य प राजत क सदभ म ह कौ ट य न शासन क व भ न कार का ववरण यसन शीषक अथात राजा अथवा शासक को भा वत करन वाल वपि तयाmdashशीषक क अ तगत कया ह इसक अ तगत कौ ट य न दो कार क रा य (1) वरा य mdash इसस ता पय दो शासक क शासन स ह (2) वरा य mdash इसस ता पय ऐस वदशी शासक स ह िजसन व धस मत राजा को स ता यत कर रा य पर अ धकार कर लया हो व वान जायसवाल न वरा य शासन को राजार हत शासन प त स करन क च टा क ह य य प उनका यह वचार अ य व वान वारा वीकत नह कया गया ह इन दो शासन क कार क अ त र त कौ ट य न यारहव अ धकरण म सघ त शीषक क अ तगत सघ रा य का ववरण तत कया ह सघ रा य का ववरण तत करत ह ए कौ ट य क मलभावना यह ह थी क विजगीष स ाट कस कार स सघ शा सत को विजत कर

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अपनी स भता क अधीन कर सकता ह अथशा म व णत ववरण क आधार पर सघ रा य को म य प स दो भाग म वभािजत कया जा सकता हmdash

(1) वाताश ोपजीवन mdash यह ऐस सघ शा सत रा य थ जो शा तकाल म क ष पशपालन अथवा यापार म सल न रहत थ पर त आव यकता होन पर सगमता स श हण करन म नह हचकत थ

(2) राजश दोपजीवन mdash ऐस सघ शा सत थ जो शासन हत शासक क स म त सग ठत करत थ तथा यह सद य सामा यत राजा नाम स जान जात थ इनका मख सभवत एक ह यि त होता था तथा इसक चनाव अथवा इस पद पर पह चन

क या या थी इस वषय पर कौ ट य अथशा स कोई ववरण ा त नह होता ह इस कार स यह सघ रा य आध नक कार क कल नत ीय रा य थ

113 स ताग रा य का स ात राजनी तक च तन क ि ट स कौ ट य वारा तपा दत यह मत अ य त मह वपण

ह रा य क क तय क वषय म कौ ट य क अ त र त महाभारत म भी व तार स चचा क गयी ह और इस ि ट स कौ ट य ह नह अ पत सपण ाचीन स कत वा गमय अ यत मह वपण ह रा य क शासन का व प कसा भी हो पर त रा य क गठन व उसक अि त व क लए अधो ल खत सात त व का होना अप रहाय एव आव यक ह कौ ट य ह ऐसा थम भारतीय च तक ह जो रा य को सात अग स य त स था क प स न पत करता ह और कौ ट य का यह चतन परवत यग म स प म माल लया गया कौ ट य न अथशा (VI1) म अधो ल खत सात अगो mdash वामी अमा य जनपद दग कोश दड और म का उ लख कया ह कौ ट य का यह स ताग रा य का स ा त व णधम तर पराण और महाभारत क शा तपव क अलावा लगभग सभी राजनी तक वचार का अनशीलन करन वाल थ म समान प स वीकार कया गया ह व णधम तरपराण म जो पाचवी ईसवी

शता द क रचना ह साम और दान का उ लख कया गया ह इसी कार शा तपव म अ टा गक रा य का ववरण मलता ह पर त सपण शा तपव म आठव अग का उ लख कह भी नह मलता ह

कौ ट य वारा तपा दत स ताग स ात क अ तगत व भ न अग का ववरण अधो ल खत कार स हmdash

1131 वामी

वामी स ता पय धान या अ धप त स ह सामा य प स राजत अथवा गणत दोन क धान या अ धप त को राजा क स ा स सबो धत कया जाता था च क

इस श द का योग सव थम कौ ट य वारा ह कया गया ह अत वामी क प रभाषा क लए अथशा पर ह नभर होना उ चत होगा कौ ट य क वचार म रा य धान क आ धप य पर अ य धक जोर दया गया ह य क कौ ट य वारा व णत यव था म रा य धान को उ चतम ि थ त दान क गयी ह तथा उसक अनसार वामी को आ भजा य ा

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उ साह तथा वयि तक गण स सप न होना चा हए तथा उसका आ भजा य वश का होना ह यह तपा दत कर दता ह क कौ ट य क यव था म वामी पद पर सामा य कलो प न यि त क पह चन क कोई सभावना नह थी

1132 अमा य

कौ ट य वारा तपा दत वतीय अग अथवा क त अमा य ह इसस एक थायी सवा सवग स ता पय ह तथा इसक अ तगत धान परो हत म ी समाहता कोषपाल द वानी और फौजदार मामल क अ धकार अत पर का ब ध करन वाल अ धकार दत व भ न वभाग क अधी क आ द आत ह िजनक नयि त वतन व काय क वषय म कौ ट य न वश ववरण दया ह अमा य क साथ ह अथशा म म ी श द का योग भी कया गया ह और य द अमा य और म ी को पयाय वीकार कर लया जाए तो यह म उ प न होता ह क अमा य सभवत म ी क प म नय त कए जात थ ल कन अथशा क गहन अ ययन स यह प ट हो जाता ह क म ी अमा य स उ चतर ि थ त क अ धकार होत थ तथा म ी उन अ धका रय को नय त कया जाता था जो चार कार क पर ाओ धम पधा भयोपधा कामोपधा और अथ पधा म सफल रहत थ तथा अमा य आ शक प स सफल अ धका रय को नय त कया जाता था इसक अ त र त अमा य और म ी क म य एक यापक अतर यह था क म ी 3mdash4 ह नय त कए जात थ जब क अमा य क नयि त राजा अपनी मता व आव यकतानसार कर सकता था जो 36 तक हो सकती थी

1133 जनपद

कौ ट य वारा तपा दत रा य का तीसरा अग जनपद ह िजसक या या करत ह ए वह कहता ह क राजा को अपन वदश म अ धक जनस या वाल भmdashभाग स या परदश स लाकर लोग को जनपद म बसाना चा हए तथा राजा को क ष हत श वण क लोग को बसाना चा हए राजा का यह भी क त य ह क वह गाव म कम स कम 100 तथा अ धकतम 500 प रवार को ह आवा सत कर कौ ट य न 100 गाव क इकाई को स हण 200 गाव क इकाई को खाव टक 400 गाव क इकाई को ोणमख तथा 800 गाव क इकाई को थानीय क स ा द ह उ त ववरण स यह प ट होता ह क कौ ट य क अनसार जनस या और भ म जनपद क आव यक अग थ

1134 दग

रा य स ताग स ात क चौथ अग दग क या या करत ह ए कौ ट य न दग नवश और दग वधान शीषक क अ तगत राजधानी क योजना और व यास तथा कल क नमाण का वणन करत ह ए व भ न कार क दग mdash दवकत दग अ त वीपीय दग पवत दग म थल दग अथवा वन दग का ववरण दया ह इस ववरण स प ट होता ह क उ त दग रा य क र ाथ और आव यकतानसार न मत कए जात the

164

1135 कोश

पाचव अग क प म कौ ट य न कोश को थान दया ह तथा वह कहता ह क स नधात (कोषा य ) को कोष का नमाण करना चा हए तथा उस नक और वध उपाय स स चत कए गए कोष स सम करना चा हए तथा य क कोष स ह राजा वपि तय क समय रा य को सर त रख सकता ह तथा जापालन क क त य का उ चत नवाह भी कर सकता ह

1136 दड

अथशा म दड का ववरण रा य क छठ अग क प म कया गया ह कौ ट य क अनसार इस अग म प तनी भाड़ पर रख गए वन और नगम क स नक आत ह जो पदल रथारोह हि तस नक और अ वारोह चार भाग म बट रहत ह इस ववरण क अ तगत अथशा र चयता का मतmdash ह क य सना क लए सवा धक उपय त होत ह कत व य व श को स या बल क आधार पर ह सना म नय त कया जाना चा हए वह यह भी कहता ह क सना वशानगत और न ठावान होनी चा हए तथा यक स नक को इतनी वि त द जानी चा हए िजसस वह अपना व प रवार का भरण पोषण सतोषजनक प स कर सक

1137 म

कौ ट य वारा तपा दत अ तम अग म ह उसक अनसार म बनावट नह वशानगत होना चा हए िजसस वभद क शका ह न हो और जो वपि त म सहायताथ त पर रह

उ त सात अग क मह व पर काश डालत ह ए कौ ट य कहता ह क रा य उसक अव था म ठ क कार स काय कर सकता ह तथा अि त व म रह सकता ह जब उसक सभी अग पार प रक प स एकब होकर एक दसर क साथ सहयोग करत ह कौ ट य का रा य स ताग का स ा त ठ क उसी कार स जस स वदा स ात बौ वचारधारा क दन मानी जाती ह ा मणवाद वचारधारा क दन ह और कौ ट य इस कार स स ताग स ात का तपादन कर सम त ाचीन व व क राजनी तक च तन क म सभी वचारक जस लटो

व अर त को पीछ छोड़ जाता ह लटो क रपि लक क अ ययन स पता चलता ह क लटो न इस ओर कदा चत

यास कया ह लटो वारा तपा दत दाश नक फलोसोफ़र) क यो ा कार गर तथा ख तहर क तलना मश वामी दड तथा अ तम दो क कछ सीमा तक जनपद स क जा सकती ह इसी कार अर त क वचार म गहप त और नाग रक रा य क अग ह वह रा य क भौ तक अग क या या करत ह ए नगर का आकार और जनस या का ह उ लख करता ह इस कार स उ त दोन यनानी वचारक कौ ट य क समान रा य क प रभाषा करन म अपण स तीत होत ह

आध नक राजनी तक चतन म रा य क चार घटक mdash भस ता सरकार और जनस या ह इनक तलना कौ ट य क स ताग रा य स ात स क जा सकती ह

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य य प भस ता क अतगत वामी का योग करना सवथा उ चत तीत नह होता ह

ल कन यहा यह धात य ह क ाचीन काल म राजनी तक च तक न वामी अथवा राजा को धम वधान क अनसार ह शासन करन को कहा ह इस ि ट स वामी को भस ता क अ तगत वीकार कया जा सकता ह इसी कार स कोश व द ड भी भस ता क ह अग मान जा सकत ह य क बल योग और कराधान क अ धकार सहज ह स ता म समा हत वीकार कए जात ह आध नक काल म सरकार क सचालन हत िजस कार स एक

नौकरशाह वग होता ह उसी कार स कौ ट य न अमा य वग को रा य का एक अग वीकारा ह आध नक और जनस या को जनपद क अ तगत वीकार कया जा सकता ह इसक अ त र त म को आध नक अथ म इस तरह समझा जा सकता ह क िजस कार वतमान यग म कोई रा य जब तक अ य रा य क मा यता नह ा त कर लता ह वह व धत रा य क प म त ठा पत नह हो पाता ह आध नक रा य क इस स ा त क तलना कौ ट य क म स क जा सकती ह तथा प ाचीन काल म म का उ य अ य रा य क मा यता ा त करना नह होकर उनक म ता सपा दत करना था (शमा आर एस ाचीन भारतीय

राजनी तक वचार एव स थाए प 35mdash39) आरएस शमा न कौ ट य वारा तपा दत रा य सबधी अवधारणा क तलना एग स

क प रभाषा स क ह व अपना मत कट करत ह ए कहत ह क कौ ट य और एग स दोन ह रा य क वगमलक व प पर जोर दत ह उनक अनसार मा सवाद अवधारणा व कौ ट य क वचार प तय म इस बात पर जोर दया गया ह क स ात म यवहार को त ब बत होना चा हए (शमा आरएस ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए प 40)

अत यह कहा जा सकता ह क कौ ट य वारा तपा दत रा य स ताग स ात व व क त काल न सभी दाश नक स उ नत था पर त वह अपन यग क सीमाओ क अन प एव अनसार ह था और उस आ चयजनक प स आध नक कहना यि तय त भी नह होगा

114 रा य उ पि त सबधी स ा त कौ ट य न अथशा म रा य उ पि त वषय अवधारणाओ का प ट उ लख कह

नह कया ह जहा कह भी यह उ लख मलता ह वह परो प स कया गया ह कौ ट य न उ त थ क रचना एकत क अ तगत राजा को शासन स वधा म सचालन हत क थी अत इस थ म राजत क उ पि त क स ब ध म यदाकदा ह ऐस ववरण उपल ध होत ह िजनस उ त वषयक अवधारणाओ का पता लगाया जा सकता ह कौ ट य लखत ह जब सामा य जन म य याय (अथात वह ि थ त जब बड़ी मछल छोट मछल को खान लगती ह) स उ पी ड़त हो गई तो उ ह न मन को राजा बनाया और उ ह न यह तय कया क मन उनको

166

सर ा दान करग और व मन को इसक बदल म अपन धा य का 16 भाग तथा अपनी स पि त व स पदा का 110 भाग दान करग इस उ रण स अ य प स राजत क थापना हत कसी कार का समझौता कए जान का आभास मलता ह इस समझौत स यह

भी प रल त होता ह क राजत क थापना स पव पण अराजकता क ि थ त थी तथा सामा य जन न इस अराजकता क ि थ त को समा त करन क लए यह समझौता कया क व एक यि त क शासन क अ तगत रहग तथा इस हत व उस कर दान करग और वह उनको योग म दान करगा ल कन कौ ट य क दस ववरण क तलना हो स और सो क सामािजक समझौत क स ा त स नह क जा सकती ह

1141 राजा क श ा क आव यक त व

कौ ट य क अनसार राजा क ज म स ह श त होन क सभावना बह त कम होती ह इस लए राजा क श ण अथात वनय क अप रहायता पर बल दत ह ए कौ ट य कहत ह क राजा क लए आनवी क (दशन) यी (वद) आ थक व याओ का व ान और द डनी त (राजनी त व ान) क श ा अ य त आव यक ह कौ ट य न अथशा म अपन स पववत सभी वचारक mdash मन बह प त उशनस आ द क वचार का ख डन करत ह ए लखा ह क राजा क लए उ त सभी व याओ का ान अ नवाय ह वह कहत ह आ वी क क सरचना सा य योग एव लोकायत स होती ह तक स मत आधार पर यह खोजन क मता क व दक ान म या अ छा ह अथवा बरा ह अथ वधाओ क व ान म भौ तक लाभ व हा न का तथा राजनी त म अ छ व बर नी त का ान आ वी क वारा ह होता ह अ वी क ह सौभा य एव सख स पदा क ि थ त म तथा दख क ण म मि त क को नय त व सत लत रखती ह तथा इसक वारा ह वचार सभाषण एव कम म नपणता भी आती ह अत आ वी क ह सभी वधाओ क लए द पक क समान ह

अत म ई बकर क श द म यह कहा जा सकता ह क mdash No political philosophy can be detached from its environment in

historyrdquo

1142 राजा क क त य

कौ ट य क अनसार राजा का मख क त य जा का र ण अथवा पालन करना ह कौ ट य इस उ य को अ य धक मह व दता था इसी ि ट स उसन स पण चतथ अ धकरण म lsquoकटकशोधन शीषक क अ तगत यह म त य य त कया ह क राजा को अपनी जा क असामािजक त व जस चालाक यापा रय शि पय स चोर स डाकओ स तथा र त पशाच स एव ाक तक वपदाओ जस अि न अकाल व बाढ़ स र ा दान करनी चा हए

115 लोक क याणकार रा य का स ात कौ ट य सामा य र ण अथवा पालन स आग जाकर राजा को नदश दता ह क वह

जा क योग म क लए काय कर योग म स ता पय ह क lsquoयोग अथात राजा जा को

167

कसी उ य या व त को सफलतापवक न पा दत करन और म अथात उसका शा तपवक रजन करन म सहायक हो वा तव म कौ ट य का योग म का आदश आध नक लोक क याणकार रा य क समान ह ह इसी लए अथशा म कौ ट य कहता ह क जा क सख म ह राजा का सख ह और जो जा का हत अथवा लाभ ह उसी म ह राजा का लाभ ह

116 वणा म यव था का स थापक कौ ट य न राजा क क त य क अ तगत राजा को यह भी नदश दया ह क राजा

का यह भी कत य ह क वह यह दख क उसक जाजन अपनmdashअपन वण अथवा आ म क अन प यी धम अथात यी अथात वद व हत धम का पालन कर रह ह अथवा नह कौ ट य न विजगीष को यह भी नदश दया ह क विजगीष को चा हए क प वी को विजत कर रा य अथवा समाज म वणा म धम को स यवि थत कर य क वणा म यव था क न ट होन स समाज और उसक प रणाम व प रा य भी समा त हो जाएगा इस कार स राजा का यह कत य ह क वह यी वारा तपा दत यव था को सर त रख ल कन इसस यह नह समझना चा हए क उस समय व दक धम रा य धम था और उस समय न ह ऐसा कोई धा मक सगठन था जो रा य क काय म ह त प कर अपन धा मक हत को सर त कर रहा था सभवत कौ ट य वारा वणा म धम क थापना क पीछ मा एक उ य यह था क वणा म यव था त काल न सामािजक यव था थी और उ त यव था क अभाव म सामािजक औ च य और समाज क ग तशीलता को सर त बनाए रखना एक असा य काय था इसी लए कौ ट य न राजा को यह भी नदश दया क राजा सभी धम क वन ट होन पर वग यव था को था पत कर धम वतक बन ऐसा करना त काल न यग धम था और कौ ट य न उसका पालन करना अव यभावी बना दया

117 वदशी नी त सबधी स ात (मडल षा ग य नी त) कौ ट य न वद शक नी त सबधी स ा त क या या षा ग य शीषक क अ तगत क

ह और उ त नी त क तलना यावहा रक कटनी तक स ा त क अ तगत य द कसी भी अ य नी त स क जाए तो षा ग य स ा त ह सव प र व ठ होगा

षा ग य को समझन स पव कौ ट य वारा तपा दत lsquoम डल स ा त को समझना आव यक ह कौ ट य क अनसार म डल क अ तगत 12 राजा या रा य होत ह जो अधो ल खत हmdash िजसक विजगीष अ र व मा यम स अ धक शि त हो

उदासीन 12 1 विजगीष ( वजता)

वह राजा िजसक सीमाए विजगीष व अ र स लगती ह

मा यम 11 2 आ र mdash श ( विजगीष का पड़ौसी)

आकर द का म आकर दसार 10 3 म mdash विजगीष का म (िजसक सीमा अ र स लगती हो)

पाि ण ाह का म पाि ण ाहसार 9 4 अ र म mdash श का म

168

जो आकर द क पीछ हो ( विजगीष का श ) प ठ भाग पर रहन वाल विजगीष का म

आकर द 8 5 म ा म mdash विजगीष क म का म

6 अ र म ा म mdash श क म का म

7 पाि ण ाहmdash विजगीष क प ठ भाग पर नवा सत श

राजम डल स ा त mdash म डल स ा त क या या करत ह ए अ य व वान का मत ह क म य प स चार विजगीष अ र म व म यम रा य ह होत ह और इनम स यक का म म का म होता ह इस कार स एक बार बारह रा य का म डल न मत होता ह ल कन व वान ड य बन न म डल स ा त म तपा दत ववरण क आधार पर कल 48 रा य का होना नि चत कया ह जो सभवत ठ क तीत नह होता ह

राजम डल स ा त म तपा दत ववरण स यह तीत होता ह क यह स पण 12 रा य का म डल एक ऐसा समह ह जो म य प स दो कम या अ धक वरोध गट म वभािजत होता ह िजसम स एक गट का नत व करन वाला स पण समह पर अपना आ धप य था पत करन को त पर रहता ह

इसक प चात षा ग य स ा त का तपादन करत ह ए कौ ट य कहता ह इसक अ तगत छ गण या नी तया mdash (1) स धmdash दो रा य क म य नि चत शत पर क जाती ह तथा यह शा तकाल म कया जान वाला यवहार ह (2) व ह श ता क ि थ त म श स कया जान वाला यवहार (3) आसनmdash शात अवि थत रहन क नी त अथात राजा यह नि चत कर क वह कसी भी कार का स नक अ भयान ारभ नह करगा (4) यानmdash राजा वारा स नक अ भयान ारभ करन सबधी नी त (5) स यmdash जब राजा दसर राजा स शरण मागन क नी त का अनसरण कर (6) वधीभावmdash एक समय म एक साथ राजा एक राजा क साथ स ध और दसर स व ह क नी त का अनसरण कर

उपायmdash षा ग य नी त क प चात कौ ट य न चार उपाय mdash साम दाम भद और दड का ववचन कया ह इनक वषय म कौ ट य कहता ह थम दो सम और दड का योग राजा को कमजोर राजाओ को अधीन करन क लए तथा अ तम दो भद और दड का योग शि तशाल राजाओ को जीतन क लए कया जाना चा हए

कौ ट य न उ त राजम डल स ा त षा ग य स ा त और उपाय का योग राजा क लए अपन रा य को सर त रखन तथा उसका व तार करन क ि ट स कया ह जो सभवत त काल न सा ा यवाद समय क एक अप रहाय आव यकता थी इसम कौ ट य वारा रा य को सर त रखन एव उसका व तार करन सबधी दोन ह प पर व तत वचारmdash वमश कर राजा को समयानकल नी त क अनसरण करन का नदश दया गया ह वा तव म उस समय मगध िजन प रि थ तय म एक वशाल सा ा य बना था उसक लए उ त सावधानी का पालन करना अपनी सर ा क लए अ नवाय सा था

169

118 धम और राजनी त का सबध य य प कौ ट य अथशा म धम और राजनी त क वषय म कोई वत करण

ा त नह होता ह फर भी उ त थ म धम और राजनी त क सबध म जो य mdashत अनकानक माण मलत ह व अ यत मह वपण ह

कौ ट य न व दक ान को और धम को ाथ मकता दान करत ह ए लखा ह क सामवद ऋ वद और यजवद यह तीन वद ह तथा अथववद व इ तहास वद भी वद ह इस व दक वा मय म व णत नयम लाभदायक ह तथा इनम चार वण एव आ म क क त य का वधान नि चत कया गया ह तो इनम व णत वधान का जो पालन करता ह उस वग क एव अन त सौभा य क ाि त होती ह अत राजा का कत य ह क वह अपनी जा क क याण हत वद व हत वधान क पालना करवाए कौ ट य न एक अ य थान पर राजा को धम वतक क स ा द ह यहा धम वतक स ता पय राजा वारा अपन मनोनकल समाज यव था क था पत करन स न होकर यह ह क वणा म यव था क वन ट हो जान पर राजा वणा म यव था को पन था पत कर

इसी कार स जहा कौ ट य न आत रक नी त नधारण म धम को सव प र थान दया ह उसी कार वह वदश नी त क अ तगत भी धम को उ च थान दान करत ह ए लखता ह क राजा को विजत कए गए दश म भी वहा क धा मक र त रवाज योहार व व वास क अन प ह आचरण करना चा हए

ल कन कौ ट य अथशा म एक अ य रोचक उदाहरण भी मलता ह िजसका यहा उ लख करना समीचीन तीत होता ह कौ ट य न अ धकरण पाच म ऐस अनक नदश राजा को दए ह िजनस यह ात होता ह क वह जा क धा मक अध व वास का लाभ उठान स भी सकोच नह करता था इसक अ तगत कौ ट य न अनक उपाय का ववरण दया ह िजनक वारा राजा अपन कोष क अ भव कर सकता ह इस कार स अथशा क अ ययन स

अधो ल खत न कष पर पह चा जा सकता ह क उस समय धम और राजनी त क म य सबध म तीन म य वि तया काय कर रह थी (शमा आर एस पव त प 201)

(1) कौ ट य व णत रा य ार भक व ध थ म तपा दत ा मण वचारधारा का र क ह

(2) ल कन भारतीय जनमानस क जो एक सामा य वशषता ह उसक वपर त कौ ट य का रा य परो हत स ता का अनयायी नह ह इसका कारण यह ह क कौ ट य क लए रा य स ता ह सव प र ह और वह इसको कमजोर करन वाल कसी भी धम क उप ा ह नह करता अ पत उसका दमन भी करता ह

(3) कौ ट य रा य क हत साधना क न म तmdash वशष कर वदश नी त क सदभ मmdash जनसाधारण क अ ान और अध व वास स लाभ उठान को उ चत मानत ह ए तीत होत ह िजस कार स अर त न अपन समय क अनसार नगर रा य और दासता को वीकार

कया था ठ क उसी तरह स कौ ट य न त काल न समाज यव था को वीकारत ह ए शासन

170

त क सचालन हत उ त थ लखा ल कन कछ ि टय स कौ ट य आ वी क (तक स मत ान) को वद वाता व द डनी त क ठ स कर योग म अथात लोक क याणकार रा य

क मह ता को था पत कर तथा रा य स ताग स ा त का तपादन कर लट व अर त को काफ पीछ छोड़ दया गया था कौ ट य वारा तपा दत वचार क आधार पर यह कहा जा सकता ह क वह अपन समय का एक ा तकार यग टा था तथा उसन भारतीय राजनी तक वचार को एक व ान स मत आधार दान कया था

119 अ यासाथ न 1 कौ ट य वारा तपा दत राजनी तक वचार का आलोचना मक व लषण क िजए 2 अ वी ीत वचार क यापकता और उनक व लषण क गहनता ाचीन भारतीय राजनी त

शा को ाचीन यनानी राजनी त शा क समक बना दती ह और कौ ट य को ाचीन व व क महानतम वचारक म स एक अर त क णी म रख दती ह ब गदmdashल वन ववचना क िजए

3 कौ ट य वारा तपा दत रा य स ताग स ात पर आलोचना मक लख ल खए 4 ट पणी ल खएmdash

(अ) म डल स ा त (ब) योग म (स) धम और राजनी त (द) रा य उ पि त स ा त क कौ ट य क अवधारणा

1110 सदभ थ 1 आरपी कॉगल कौ ट य अथ शा (भागmdash 3) मोतीलाल

बनारसीदास द ल 1988 2 लॉ एनएन डवलपम ट ऑफ ह द पॉ लट ए ड पा ल टकल

थीअर ज सी ओ बक एज सी कलक ता 1938 3 शमा रामशरण ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए

मक मलन कपनी द ल 1977 4 अ तकर एएस टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया

मोतीलाल बनारसीदास बनारस 1988 5 ब योपा याय एनसी डवलपम ट ऑफ ह द पा ल ट स ए ड पॉ ल टकल

थीअर ज कलक ता 1927

171

इकाई mdash 12 ाचीन भारतीय मि प रषद

इकाई क परखा 120 उ य 121 तावना 122 मि प रषद एव स ताग रा य स ा त 123 मि प रषद क आव यकता 124 मि य क यो यता 125 मि प रषद mdash वण यव था स ब ध 126 मि य क पर ा 127 मि प रषद सद य स या एव उसका सगठन 128 मि प रषद क काय 129 मि प रषद क वभाग 1210 अ तरग प रषद 1211 मि य का वतन एव स वधाए

12111 म णा णाल 1212 म णा क गोपनीयता 1213 मि प रषद क काय णाल 1214 मि प रषद क मख अ धकार 1215 मि प रषद म अनशासन क सम या 1216 उपम ी या छोट म ी

12161 मि य क थाना तरण 1217 `ऐ तहा सक यग म मि प रषद 1218 साराश 1219 सदभ थ सची

120 उ य इस इकाई का उ य आपको ाचीन भारतीय रा य क मि प रषद स प र चत करवाना ह हम इस इकाई म अ ययन करग क रा य म मि प रषद का वकास कस कार हआ इस इकाई क अ ययन क प चात आपको न न बात का ान ा त हो जायगा क mdash 1 व दक काल म मि प रषद का ारि भक व प या था 2 मि प रषद रा य क लय य आव यक था 3 मि य क यो यता या होनी चा हय 4 मि य क नयि त कस होती थी और उनक काय या थ 5 राजा मि य स सलाह कस लता था

172

6 मि प रषद क वशषा धकार या थ और वह उनका योग कस कार करती थी

121 तावना व दक काल म आय जन था पत होन का ववरण मलता ह उस समय प रवार

समाज क सबस छोट इकाई था आय ाय सय त प रवार म रहत थ पत धान प रवार का सबस व प ष उसका म खया होता था प रवार का वक सत व प कल था उनक वश जनपद रा और रा य का ज म हआ इस कार यह वह काल था जब जन जनपद म जनपद रा य या रा म एव महाजनपद म प रव तत होन क लय सघषशील थ व दक आय अब सा ा य नमाण क भी क पना करन लग थ

व दक काल क ार भ म समान म थम क नयम क आधार पर कल और वश क धान न अपन म स कसी को नता या राजा बनाया होगा इस समय तक आय यायावर

जीवन यागकर कसी नि चत भmdashभाग पर नवास करन लग थ उनम स यता का तजी स वकास हो जान क कारण व अब सग ठत जीवन क ओर अ सर हो रह थ सग ठत जीवनयापन क साथ ह उ ह राजनी तक अनशासन क भी आव यकता अनभव ह ई राजपद क उ पि त का अ ययन इसी सदभ म करना समीचीन होगा

122 मि प रषद एव रा य का स ताग स ा त व दक काल म रि नन प रषद राजा का शास नक काय म सहयोग करती रह क त

परवत काल म उसका थान एक और भावशाल स था न ल लया िजस शा कार न मि प रषद अमा य प रषद स चव प रषद या प रषा कहकर पकारा ह इसी कार ाचीन राजनी तक वचारक mdash मन बह प त भी म और कौ ट य आ द न अपन थ म रा य क सात अग वामी या राजा अमा य या म ी पर व दग अथवा राजधानी कोश द ड बल और म या उ लख कया ह श नी तसार क अनसार रा यावय या रा याग म म ी को तो न ह म कान कोश मख बल मन हाथ और पर रा ह जो क रा य का मल आधार ह इस कार रा य क स ताग स ा तानसार म ी रा य का अ त आव यक अग ह

म ी व लोग थ िजनस राजा म णा करता या सलाह लता मि य क स थागत व प को म ी प रषद कहकर पकार गया ह

123 म ी प रषद क आव यकता ाय आध नक काल म यह वचार तत कया जाता ह क ाचीन भारत म राजा

नदयी एव नरकश होत थ क त यह मत ाि त पण ह य क उस अपन भाइय मि य और जनमत को आदर दकर समाज म च लत आचार वचार क नयम का पालन करना पड़ता था वह सभाmdashस म त जनपद कल जा त णी और यग स बनाय ह ए नयम क अवहलना नह कर सकता था इसक अलावा राजा अ भषक क समय भी मन कम और वचन स जा पालन करन और व छाचार न होन क त ा स बधा हआ था उस त दन क काय म भी म णा करनी आव यकता थी अथववद म कहा गया ह क रा क ि थरता

173

हत यह आव यक ह क शासन ानी जन क परामश या म णा स चल इस कार म ी प रषद राजा को नय ण म रखन का यास करन वाल लोग क स था थी

शा म म ी प रषद को रा य क लय आव यक बतलाया गया ह महाभारत म भी म न रा य का मल राजा क मि य वारा द गई स णा को माना ह भी म क अनसार सम त स गण स स प न कोई एक प ष हो ऐसा स भव नह इस लए राजा को अनक वषय क ात अनभवी एव सदाचरण म रत अनक प ष स शासन काय म म णा लन का वधान कर म ी प रषद क आव यकता पर बल दया ह म ी प रषद क उपयो गता क स ब ध म कौ ट य न लखा ह क यक काय का ार भ त वषयक म नणय क उपरा त होना चा हय (वाता 2अ15अ1) रा य म व वध वषयक काय होत ह और उसी कार म णा क भी व वध वषय होत ह पर त वा त वक म mdash नणय एक यि त वारा चाह वह म नणय म कतना ह कशल य न हो स भव नह इस लए म नणय म व वध वषय क ाता अनक प ष स परामश लन क आव यकता होती ह राजा क समीप कछ ऐस यो य यि त होन चा हय जो शासन स ब धी सम याओ क वा त वक मन नणय म पण सहयोग कर सक और आव यकतानसार उस समयmdashसमय पर स परामश स लाभाि वत करत रह इस हत रा य म म ी प रषद क आव यकता य त क गई ह मन म त क अनसार राजा क सम शासन काय क वशालता एव उसक ग ता तथा बह पता क कारण उसका स पादन एक दो यि तय वारा होना स भव नह ह इस काय क लय स परामश एव सहायता क ाि त क लए व भ न वषय क वशष अनक यि तय क आव यकता होती ह (मन557) अत राजा क लय यह अ नवाय हो जाता ह क वह ऐस यि तय को थायी प स समीप रख िजसस आव यकता पड़न पर उनस तर त परामश एव उ चत सहायता ा त हो सक इसी लय म ी प रषद का नमाण अ नवाय ह अ य थान पर मन कहत ह क राजा को अपन साथ म ी अव य रखन चा हय और रा य क

साधारण तथा असाधारण काय पर उ ह क साथ बठकर वचार करना चा हय सम त रा य क काम का तो या एक साधारण काम भी उस अकल नह करना चा हय महाभारत म कहा गया ह क (53738) राजा अपन मि य पर उतना ह नभर ह िजतना ा णमा पज य पर ा मण वद पर और ि या अपन प तय पर कौ ट य (131 अ याय 3) कहत ह क िजस कार एक च स रथ नह चल सकता उसी कार बना मि य क सहायता क अकल राजा रा य नह चला सकता म ी प रषद क आव यकता क चचा करत ह ए श न लखा ह (श नी त लोक 1 अ2 लोक 4 अ2) क काय छोट स छोटा य न हो पर त अकल मन य क वारा उसका स पादन नह हो सकता फर असहाय मन य वशाल रा य क सचालन म य कर सफल हो सकता ह राजा वारा म का अकल नणय करन का नषध करत ह ए श कहत ह क ऐसा करन स वह व छाचार हो जाता ह राजा क व छाचार हो जान स उस पर वपि त आती ह ऐसा राजा सकट का वय कारण होता ह इस लए रा य सचालन म सहायता सहयोग वा त वक म णा क ाि त एव राजा क व छाचार क रोकmdashथाम क लय म ी प रषद परम आव यक ह

174

124 मि य क यो यता राजा वारा नय त मि य क यो यता या हो इस स ब ध म शा कार एकमत

नह ह कछ शा यो यता को मह व दत ह तो कछ राजभि त को भार वाज का मत ह क मि य क नयि त राजा क म म स क जाए जब क अ य व वान यथा वशाला पशन और वात या ध का वचार था क वा मभ त शा ाता राजशा म श त और परख ह ए प रवार क लोग ह म ी पद पर नय त कय जान यो य होत ह

कौ ट य क अनसार आदश म ी दश का ह नवासी हो ऊच कल का ति ठत कलाकशल दरदश ा मधावी नभ क वा मी चतर ती ग त उ साह मन वी धीर श च र मद अटल वा मभ त बल परा म और वा य स म त अि थर च तता और द धस ता स म त और वष तथा श ता उ पादक दगण स र हत हो य य प इतन गण एक यि त म मलना क ठन ह फर राजा क लए आव यक था क वह मि य क चनाव क समय उपय त गण का यान अव य रख ग तकाल म तो यो य और शा मि य क ाि त क यास कय जात थ ाय मि य क नयि त म ा मण राजप रवार क लोग और यो य यो ाओ को धानता द जाती थी वा मी क रामायण म मि य क यो यता क वषय म कहा गया ह क व व वान वनयशील सकोची चतर िजति य ीस प न महा मा श व या क ाता परा मी यश वी रा य काय म सावधान राजा क आ ा क अनसार काय करन वाल तज वी मावान हसकर बात करन वाल थ व सभी यवहार कशल थ उनक सौहाद क अनक अवसर पर पर ा हो चक थी व मौका पड़न पर अपन श ओ को भी उ चत द ड दन म नह हच कचात थ सबम शौय और उ साह था अपराध न होन पर श क भी हसा नह करत थ महाभारत म वद यास कहत ह क म ी कल न धन क लोभ स न फोड़ा जा सकन वाला स बि धत ान म कशल भ व य का भ लभा त ब ध करन वाला समय क ान म नपण तथा बीती ह ई बात क लय शोक न करन वाला हो शाि तपव (11516mdash17) म म य क गण क पर सची द गई ह बह प त कहत ह क राजा मि य म मढ़ दराचार अन तक हसाल वचारह न मख तथा यवा यि तय को नय त न कर सोमदव सर न मि य क नयि त हत उनम 9 गण को आव यक बतलाया ह जो इस कार ह mdash वज वदशवासी सदाचार कल न यसन स र हत वामी स ोह न करन वाला नी त य व या वशारद और न कपट हो म ारा स क अनसार ब म ता और वीरता क बना कवल राजभि त बकार ह इसी कार राजभि त क बना ब म ता और वीरता बकार ह दसर श द म राजा को सहायता दन वाल मि य म ब म ता वीरता और राजभि त तीन ह गण आव यक ह

महाभारत क शाि त पव म ऐस यि तय क सची द गई ह िज ह म णा क अयो य समझा गया ह अथात जो म ी पद पान यो य नह होत उनम ऐस यि त सि म लत ह जो स यवाद न ह चाह उनम सभी गण ह जो रा य क श ओ स स पक रखत ह िज ह वय अपनी ग त म च न हो जो शा क ाता न ह जो अप व और

175

अम ीपण ह जो वदशी ह चाह उनम अ य सभी यो यताए व यमान ह िजनक पता को रा य स न कासन का द ड दया गया हो चाह उस बाद म रा य म फर वश क आ ा मल गई हो और िजनक स पि त साधारण अपराध क लय ज त कर ल गई हो

म ी प रषद क सद य क गण क शा कार न व तत चचा क ह क त उनक नधा रत यो यता का शासक न कई बार उ लघन कया क मीर क राजा उ मताव त न गान वाल को तो च वधन न अपनी मका क र तदार डोम को अपना म ी बना दया मौयकाल म राजा बह प त म श गवश म दवभ त रा कल गो व द चतथ न मि य क यो यता क लय नधा रत मापद ड का पालन नह कया कई बार म ी प को म ी बना दया गया

मि य क चनाव म ा मण क धानता का उ लख म त थ म मलता ह कई बार राजप रवार क लोग भी म ी प रषद म सि म लत कर लय जात थ क मीर क राजा हष न एक पव म ी क दो प को और चौहान बीसलदव न अपन प स ल णपाल को म ी प रषद म सि म लत कया च दल वश म एक ह वश क लोग को 5 पी ढ़य तक म ी पद पर नय त कया गया ग तकाल म गयी म ी शाब और प वीषण क वश म म ी पद कई पी ढ़य तक चलता रहा

125 म ी प रषद mdash वण यव था स ब ध व दक काल स ह परो हत राजा स स बि धत रहा था उस रि नन प रषद म भी

मह वपण थान ा त था मन न म ी क कल न वश को उसक आव यक यो यता म गनाया ह महाभारत म भी म न म ी प रषद क 37 सद य म स 4 ा मण 8 य 21 व य 3 श और सत वण क 1 यि त को नय त करन का सझाव दया जो यि त म ी नय त कया जाता वह अपन वण क यो यता रखता था जस ा मण सद य क लय वद का ान ग भता आचरण क प व ता एव उ च श ा आ द आव यक यो यता थी उसी कार य सद य क लय शा धारण करन क मता एव बल स प नता तथा व य क लय धन स प नता और श सद य हत क त य परायणता आव यक थी आव यक यो यता पाई जान पर ह राजा कसी यि त को म ी या अमा य पद पर नय त करता था दशरथ क म ी प रषद क ग जन म ी म ष एव वद पराग थ महाभारत स सक तत ह म ी प रषद म व य मि य क स या सवा धक होती थी जब क ा मण एव श सद य स या म बराबर थ

126 मि य क पर ा कौ ट य क अनसार राजा को यह चा हय क कसी भी यि त म अमा यो चत गण

दश काल और काय का वचार कर अमा य नय त कर उस सहसा म ी कदा प नय त न कर मि य क लय इस यो यता क अलावा सभी कार क उपधा पर ाओ म सफल होना भी आव यक था अमा य क पर ा राजा धानम ी ओर परो हत क सहायता स ग त उपाय स लता था य पर ाए चार कार क थी mdash (1) धम पधा (2) अथ पधा (3)

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कामोपधा (4) भयोपधा जब कोई यि त इन पर ाओ म सफलता ा त कर लता तो उस पहल अमा य और फर म ी नय त कया जाता था

127 म ी प रषद क सद य स या एव उसका सगठन ाचीन भारत म म ी प रषद क सद य स या को लकर शा कार म मत भद रहा

ह यह स या लगातार घटती बढ़ती रह कौ ट य न बह प त क थ का उदाहरण दया ह बह प त क अनसार म ी प रषद क सद य स या 16 होनी चा हय मानव अथशा म उनक स या 12 और उपानस न 20 नधा रत क थी महाभारत म 37 मि य क प रषद (शाि त पव 7mdash11 तक85) का उ लख मलता ह इसी थ म राजा को 8 म ी रखन क सलाह द गई ह रामायण म म ी प रषद क दो कार क सद य का उ लख मलता ह उनम स 8 ग जन थ जो म ी कहलात थ उनक नाम ह mdash सय जाबा ल क यप गौतम माक डय व श ठ और वामदव म ी प रषद क अ य सद य को वा मी क न अमा य कह कर पकारा ह िजनक नाम इस कार थ mdash धि ट जय त वजय स ाथ अथसाधक अशोक म पाल और समन रामायण म अमा य एव म ी का भद प ट कया गया ह च कट पर राम न भरत स पछा था क तम अमा य और मि य स परामश तो करत हो यहा मि य स राम का ता पय परामशदाता ग जन स थ महाभारत म मि प रषद म ा मण 4

य 8 व य 21 श 6 और सत 1 नय त करन का उ लख मलता ह क त कौ ट य न रा य क आव यकतानसार म ी प रषद क सद य नय त करन पर जोर दया अशोक क अ भलख स ात होता ह क उसक प रषद म कछ थान गौर और अमा य क लय सर त थ मन न म ी प रषद क सद य स या 7mdash8(754) तो श न 8 नि चत क शवाजी क म ी प रषद म 8 म ी अ ट धान कहलात थ श नी त म इन 8 मि य क पद नाम दय गय ह कछ अचाय क अनसार म ी प रषद क दो सद य और थ िजनक नाम ह mdash परो हत और दत (या राजनी तक वभाग का म ी) जायसवाल क अनसार त न ध स भवत और जनपद का त न ध होता था और परो हत धा मक मामल का धान

यवराज क गनती म ी प रषद म नह क गई ह पर त वह नि चत प स एक म ी था वह साधारणत राजवश का ह राजकमार होता था अ य मि य क तरह वह राजा का सहायक होता था द यावदान क अनसार अशोक क समय उसका पौ स त यवराज था अ तकर का मत ह क ाचीनकाल म 7mdash8 मि य क मि म डल क अलावा आजकल क वी कौि सल क भा त एक बड़ी परामशदा ी स था भी होती थी िजसक सद य अमा य कहलात थ य य प अ तकर क इस मत क आलोचना क जाती ह य क अमा य प रषद क सद य स या वी कौि सल क स या स बह त कम होती थी फर भी अमा य का पद म ी क समान न था महाभारत म उि ल खत 37 अमा य क प रषद इसी कार क स था थी अथशा स भी ात होता ह क अमा य वभाग क अ य जस उ च पद थ अ धकार होन पर भी मि य क पद स नीच थ इस लए स या म भी यादा थ उनका वतन भी मि य स कम था पर त ग भीर वषय उपि थत होन पर सलाह क लय उ ह भी मि य क साथ बला लया जाता था अि बका साद वाजपयी क अनसार म ी

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प रषद म रा य स ब धी सभी वषय पर वचार होता था पर त अ तरग प रषद म कछ म ी ह भाग लत थ अमा य म ी प रषद का सद य होता था पर त वह अ तरग सभा म नह जा सकता था यह कौ ट य यव था स स होता ह म ी प रषद म म ी राजकाय पर वचार करत ह ग और मि म डल म राजा मि य स म णा करता होगा

128 म ी प रषद क काय म ी प रषद का काय वशाल था उनका काय नी त नधा रत करना उस

सफलतापवक लाग करना और उसक लय उ प न क ठनाइय को दर करना था म ी प रषद राजकमार क श ा द ा का ब ध करती रा या भषक म भाग लती वदश नी त का नधारण करती और करद साम त को ि थ त पर वचार करती थी म ी प रषद रा य क आयmdash यय क ि थ त पर नजर रखती और समय समय पर उसका नर ण भी करती रहती थी म ी प रषद राजा क व छाचा रता पर नय ण रखती थी अशोक न धा मक ि ट स व छाचार क नी त अपनाई तो उसका मि पद न डट कर वरोध कया श नी त क अनसार वय राजा क हाथ म कोईmdash शि त नह थी मग थनीज क अनसार प रषद का बड़ा आदर था वह व भ न वभाग क अ धका रय का चनाव करती थी भार वाज क अनसार रा क काय क लय म णा उस म णा क फल क ाि त आयmdash यय स ब धी काय सना उसका सचालन श ओ स र ा द यसन स जनता क र ा कमार क र ा तथा पद पर उनका अ भषक सब कछ म ी प रषद क हाथ म था वय कौ ट य न लखा ह क प रषद क वचारणीय वषय हmdash 1 काय ार भ करन क उपाय 2 मन य और साम ी क यव था करना 3 समय और थान का वतरण करना 4 आपि त स बचाव करना 5 यक काय क स ब ध म सभी पहलओ पर वचार कर तक स हत साम हक नणय

करना श नी त सार क अनसार शासन म यथाथ शि त राजा क हाथ म न हत न होकर

म ी प रषद क हाथ म थी इस कार ह द रा य राजत ी न होकर म ी त ी था

129 म ी प रषद क वभाग म ी प रषद म शास नक काय को सचा प स चलान हत वभाग का भी बटवारा

कर लया जाता था ाचीन भारतीय आचाय न मि य क वभाग क वभाजन पर वचार ह नह कया श ह एक ऐस वचारक ह िज ह न मि य क वभाग का वभाजन कया उनक अनसार म ी पा रषद म 10 वभाग होत थ िजनका ब ध हर एक वभागीय म ी करता था उनका म इस कार था mdash परो हत त न ध धान स चव म ी ा ववाक पि डत सम अमा य और दत अथशा म इस कार का प ट वभाजन नह मलता

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परो हत व दक काल स ह रि नन प रषद का सद य एव राजग था वह य म भी राजा क अ न ट स सहायता करता वह राजा क हाथी घोड़ो को अ भमि त करता था वह श व शा का ाता होता था रामायण क अनसार राजकमार एव राजा क अनपि थ त म व श ठ न कछ समय तक शासन सचालन कया य द ा मण पर अ भयोग लगाया जाता तो वह उस पर राजा क ओर स वचार करता था धम और राजनी त दोन का वह ाता होता था व दक काल क उपरा त परो हत क भाव म कमी आई ग तकाल क बाद क अ भलख म उस मि य स अलग कर दया गया श वारा उस म ी प रषद म सि म लत करना ाचीन पर परा का योतक ह 200 ई क बाद परो हत म ी प रषद का सद य तो नह रहा क त राजा पर उसका भाव आग भी बना रहा

श न अपनी सची म दसरा थान त न ध को दया ह इसका काम राजा क अनपि थ त म उसक पास स शासन सचालन करना था वय क होन पर यह पद यवराज को मलता था जातक का उपराजा श क त न ध क समान था अ तकर क अनसार त न ध क गणना म ी प रषद म नह होती थी अ भलख म उसका नाम नह मलता

मन त न ध को नह अ पत धान म ी को राजा का थान हण करन क सलाह दत ह इस कार श क धान का ता पय धान म ी स रहा था श क अनसार वह

सवदश पर शासन पर आख रखन वाला होता था छठ शता द म कद ब वश क अ भलख का सव य अन ठाता गजरात क रा कट राजा दि तवमन का महामा य क णभ 11वी शता द म यादव काल का महा धान बभीयक च दल राजा क णवमन का म ी व सराज परमार अ भलख का महामा य आ द सभी धान गयी ह थ अथशा म उस म ी और पाल धम थ म अ महामा और द यावदान म अशोक क धान म ी राधाग त को अमा य कहा गया ह शलाहार वश क राजा अन त दव (1085 ई) का धान म ी धान कोषा य भी था यह रा य म राजा क बाद सबस उ च पद थ यि त था

धान क बाद य म ी आता ह रामायण क अनसार य म ी या सनाप त म ी प रषद का सद य होता था य क मदान म वह सना का सचालन भी करता था श उस स चव कहत ह मौय उस सनाप त और ग त स ाट महाबला धकत यादव राजा महा च ड द डनायक और क मीर म क पन नाम स स बो धत कया जाता था उसक गणना मि य म क जाती थी उसका य व या म पारगत होना अ नवाय था वह यथो चत सना रखता और सना क अ य अग क यव था करता ता क श उस रा य स क पायमान होत रह

य म ी क प चात वदश म ी का थान था श उस म ी कहता ह अ भलख म उस महासि धmdash व ाहक नाम स पकारा गया ह पररा म ी का काय बड़ा क ठन था मौय ग त रा कट एव गजर तहार रा य म पररा गयी क अधीन कई स चव काय करत थ पररा म ी साम दाम द ड और भद नी त को यावहा रक प स अपनात थ ता प तयार करना और भदान क यव था पररा म ी ह करता था मता रा न ाचीन शा कार का उदाहरण दत ह ए लखा ह सि ध व हकार ह दानप का लखक हो

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ा ववाक धान यायाधीश था स पण याय यव था क दखभाल क िज मवार उस पर थी वह लोक पर परा का ाता होना आव यक था वह दोन प क माण दखकर ह नणय करता था उसम सा य क परख करन क मता होनी आव यक थी अि तम नणय दन का अ धकार उसी को ा त था थम अमोघवष क सजन दानप का लखक भी कोई ा ववाक था

पि डत धम एव सदाचार वभाग का अ ध ठाता था वह रा य क धा मक नी त का नधारक था वह धमशा एव लोकाचार स पणतया प र चत होता था कोनस धा मक नयम अनपयोगी हो गय ह इसका नणय वह करता था वह राजधम का स थापक माना जाता था वह रा य को सलाह दता था क धम और स क त क अनकल च लत यव था म या प रवतन कय जाए अशोक क धम महामा य सातवाहन क मण महामा य ग त

स ाट क वनय ि थ त थापक रा कट क धमाकश च दय क धम धान आ द को इसी णी म रखा जा सकता ह स भवत मि दर मठ पाठशाला और व यालय को दान दन का

काय भी इस अ धकार क अ धकार म आता था कोषा य (समन) का पद भी अ य त मह वपण था शलाहार वशीय राजा अन तदव

क कवल तीन म ी थ फर भी उनम स एक कोषा य था गाहड़वाल अ भलख म कोषा य का नाम मलता ह महाभारत काम दकmdashनी तसार तथा नी तवाकयामत आ द

थ म कोष को रा य का आधार माना गया ह इस लए इसक र ा हत कोषा य पद पर यो य यि त क नयि त आव यक होती थी श न अि तम म ी का नाम अमा य दया ह यह मालम ी रहा होगा रा य क नगर गाव जगल स ा त आय का यौरा रखना इसका क त य था रा य क क ष यो य भ म परती भ म और खान क आय का पण यौरा रखना भी इसी गयी क काया तगत था ाचीन भारतीय राजनी त का यह दभा य ह क राजा स स ब रह स था म ी प रषद क सद य क व तत जानकार उपल ध नह ह कछ व वान न दत को कटनी त म ी माना ह इस कार श क वारा उ त मि य क सची को इस कार तत कया जा सकता ह mdash

1 परो हत mdash धम म ी 2 त न ध mdash यवराज 3 धान mdash धान म ी 4 स चव mdash य म ी 5 म ी mdash वदश म ी एव गह म ी 6 ा ववाक mdash याय म ी 7 पि डत mdash व ध म ी 8 समन mdash व त वभाग का म ी 9 अमा य mdash भ म व क ष म ी या मालम ी 10 दत कटनी त म ी

1210 अ तरगmdashप रषद ाचीन भारतीय रा य म कई बार म ी प रषद क स या अ धक होती थी इस लय

मह वपण वषय पर वचार करन क लय राजा म ी प रषद क व र ठ सद य क एक अ तरग प रषद बना लत थ भी म क अनसार परम अ तरग स म त क सद य ह राजा क वा त वक म ी होत थ इन सद य का स पक हर समय राजा स रह सकता था भी म

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का वचार था क इन सद य स परामश लय बना राजा को शासन स ब धी कोई भी नणय नह लना चा हय राजा इन मि य स सय त एव वम त दोन कार क म णा ल सकता था रा य क अ य त गोपनीय वषय इस स म त क स मख तत कय जात थ सोचmdashवचार करन क बाद मि य क यि तगत एव साम हक नणय तथा राजा क वय क वचार राजग अि तम नणय क लय म ी प रषद क लय म ी प रषद क स मख वचाराथ

तत करता था इस कार म ी प रषद क यह छोट स म त राजा को ठ म णा दकर उसका मागदशन करती थी रामायण काल म ग जन (परामशmdashदाता म ी) आव यकतानसार परामश क लय बलाय जात थ कौ ट य अथशा म अ तरग प रषद को म प रषद कहा गया ह कौ ट य न इस प रषद क स ब ध म पव आचाय क मत का उ लख कया ह भार वाज का वचार था क राजा को अकल ग त म णा करनी चा हय य क मि य क भी अपन परामशदाता होत ह वशाला क अनसार एक ह यि त वारा सोचा वचारा हआ काय स दायक नह हो सकता अत उस ब मान एव अनभवी यि तय क साथ वचार करना चा हय पाराशर का वचार था क राजा को कसी काय स स ब म ी स ह सलाह लनी चा हय आचाय कौ ट य न उपय त मत को अ वीकार करत ह ए कहा ह क मि प रषद म 3mdash4 मि य का होना आव यक ह य क एक म ी स परामश करक राजा कसी क ठन सम या का समाधान नह कर पायगा दो मि य स म णा करन पर व आपस म मलकर राजा को वश म कर सकत ह अथवा आपस म कलह कर म को धल म मला सकत ह चार स अ धक मि य स म णा करन पर नणय करना क ठन हो जाता ह साथ ह मन भी ग त नह रहता इस लय राजा 3mdash4 मि य स म णा तो कर सकता ह क त अि तम नणय एक या दो स मलकर या अकल ह ल सकता ह राजतर गणी क अनसार मि य स अ तरग म णा करन क था क मीर म भी च लत थी ऐसा तीत होता ह क म प रषद म धान म ी परो हत सनाप त और यवराज तो सद य अव य रह ह ग राजकाय स पादन म राजा क बाद इ ह का नाम आया ह कमचा रय म इ ह का वतन सवा धक था व अ य मि य तथा अमा य क उपधा पर ा म भी राजा का सहयोग करत थ इस कार अ तरग प रषद का म प रषद म ी प रषद का आ त रक गट था

1211 मि य का वतन एव स वधाए कौ ट य क अनसार राजा क सभी मि य का वतन सभी वत नक अ धका रय स

अ धक होना चा हय म ी को 48000 पण दय जाए यह वतन म ी को वा षक मलना चा हय एन एन ला और रगा वामी इस मा सक मानत ह जब क शाम शा ी न इस वा षक बताया ह सालटोर महोदय शाम शा ी क मत को तकपण मानत ह

कौ ट य का वचार था क म ी का वतन इतना हो िजसस वह अपन प रवार का अ छ तरह स भरणmdashपोषण कर सक वतन यन होन पर म ी ट तर क अपना सकता ह जायसवाल क अनसार आप त ब क मा यता थी क राजा का वतन अमा य और धा मक उपदश दन वाल ग ओ स अ धक न हो जब क कौ ट य का वचार था क समान यो यता रखन वाल अ धका रय को जो वतन मलता ह उनक अप ा राजा का वतन तगना होना चा हय धान म ी और सनाप त को राजा क समान यो यता वाला माना जा सकता ह

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आप त ब क ग का ता पय परो हत स रहा होगा व राजा सनाप त परो हत और धान म ी को समान वतन दन क समथक थ कौ ट य म ी का वतन 48000 पण मानत ह ह इस लए अ भ ष त महारानी एव राजमाता का वतन भी इतना ह रहा होगा जायसवाल वतीय णी क मि य का वतन 24000 पण और ततीय णी क मि य का 12000 पण

वा षक वीकार करत ह मि य को वतन क अलावा आवास क स वधा भी ा त थी कौ ट य क अनसार

आचाय परो हत आ द क भवन क समीप और अ तपर क पव तर भाग म मि य का नवास थान होना चा हय उनक भवन का नमाण राजकोष स करवान क भी यव था क जाती थी मि य को राजधानी स बाहर जान पर भ ता और प यवहार का सम त यय राजकोष स मलता था

12111 म णा णाल

साधारणतया म ी प रषद क बठक राजा क अ य ता म होती थी राजा मि य स यि तगत तथा साम हक तर पर म णा करता था कौ ट य न मि य क काय का उ लख करत ह ए लखा ह क व राजा क वप और परप पर वचार कर न कय ह ए काय का अन ठान कर और अनि ठत काय क प त क तयार कर जो नकट हो उनक साथ बठकर राजा काय को दख और जो दर हो उनस प यवहार कर परामश कर वह मि य एव म ी प रषद को आव यक काय बताय कौ ट य का म त य था क राजा पहल मि य स अलगmdashअलग और फर म ी प रषद म सबक साथ बठकर नी तय पर वचार कर वशाला का मत था क राजा को व भ न वषय पर यापक आधार पर परामश करना चा हय रामायण म राम न भरत को मि य स परामश करत रहन क सलाह द थी कौ ट य का मत था क राजा अ धक समय म णा न कर म णा क बाद गयी अमा य क हावmdashभाव पर नय ण रख अपमान कय ह ए यि त क साथ राजा कभी म णा न कर श का मत ह क राजा क अनपि थ त म ाय म ी स ची और कड़वी बात कहन म हचकत थ इस लए उनका मत ह क म ी अपनाmdashअपना मत लखकर राजा क पास भज द रामायण क अनसार स यक वचार क बाद म ी प रषद एक मत होकर जो शा स मत राय दती ह उस उ तम मन समझा जाता था और उसका बड़ा मह व था बह मत का नणय म यम मन कहा गया ह जब कोई न चय न हो सक तो उस अधम मन (बरा) कहा गया ह ाय राजा और मि य म सौहाद रहता था राजा उन पर पण व वास करत थ क मीर क राजा जय सह तो अपन एक म ी क बीमार हो जान पर अि तम समय तक उसक पास बठ रह

1212 म णा क गोपनीयता महाभारत म म ी प रषद क नणय क गोपनीयता पर जोर दया गया ह रामायण

म भी कहा गया ह क म ी राजक य म णा ग त रखन म समथ और स म वषय का वचार करन म कशल थ वद यास क अनसार म णा राजमहल म कसी ग त थान पर क जाए य द राजा दौर पर गय ह ए ह तो ग रmdash थ (पहाड़ को चोट पर) क खल मदान म

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कश और कास घास नकाल गय थान पर जगल म या नाव म करनी चा हय कौ ट य का वचार था क म णा ऐस थान पर क जाय जो नजन हो जो च ड़या को भी दखाई न पड़ और जो ऐसा हो क कोई आवाज बाहर न आ सक ाचीन शा कार का वचार था क म णा थल क पास बौन मख ि या अपग यि त तथा पश भी न रह कौ ट य तो तोता मना और क त को भी दर रखन का परामश दता ह य क इनक वारा म णा खल सकती ह म ी प रषद क नणय माद (लापरवाह ) मद (नशा) स त लाप (नीद म बात करना) और मि य क कामा द स खल सकत ह काम दक नी तसार म कहा गया ह क त भ एव झरोख स ह न दभ य दग महल या नजन वन म म णा करनी चा हय श

न लखा ह क गह क भीतर नजन वन म दन अथवा रात म मि य क साथ भावी काय म पर वचार करना चा हय

1213 म ी प रषद क काय णाल कौ ट य अथशा क अनसार रा य क साधारणmdash शासन स ब धी काय मि य

वारा स प न कर लय जात थ असाधारण काय हत पर म ी प रषद क बठक होती थी जो म ी इस बठक म उपि थत नह हो पात थ व अपन वचार लखकर भज दत थ अशोक क शलालख म मौ खक आदश का उ लख मलता ह िजसका ता पय यह भी ह क आदश ल खत भी होत थ श नी त सार स ात होता ह कोई मामला व भ न कायालय म

या स प न होन क बाद कस तरह राजा क पास पह चा और फर म ी म डल म वचाराथ आया

कसी भी मामल म सदव ल खत कायवाह होनी आव यक थी वचाराथ तत कसी भी मामल पर पहल गहम ी म य यायाधीश व धम ी दत (कटनी त म ी) क सहम त ा त करनी आव यक थी यह ट पणी इस कार होती mdash वा व ल य अथात यह ताव हमार तकल नह ह भ मकर और क ष म ी उस पर ट पणी लखता mdashसाध ल खतम अथात ट पणी बह त ठ क ह व तम ी लखताmdashस यग वचा रत अथात अ छ कार वचार हआ तब प रषद का धान लखता स य अथात उ चत ह उसक बाद त न ध लखता mdash अगीक त यम यो य अथात वीक त क यो य ह यवराज लखता mdash

अगीक त यम अथात वीक त होनी चा हय फर वह मामला धमम ी क पास जाता तो वह भी लखता क म इसस सहमत ह यक म ी अपनी ट पणी लखन क बाद मोहर लगाता था अ त म राजा उस मामल क प पर लखता mdash वीकत ह तब राजा क भी मोहर लगाई जाती जायसवाल क अनसार जब मामला नीच वीकत होत ह ए आता तो राजा क ह मत उस अ वीकत करन क नह थी प रषद वारा वीकत सक प पर राजा अ म था राजा क आदश स सक प रा य का सक प हो गया और सवधा नक कानन क ि ट म वह आलख राजा हो गया श नी त क अनसार राजा क ह ता र हो जान और मोहर लग जान पर आलख ह राजा हो गया वय राजा भी राजा नह रहा (2281mdash85)

श नी त म यह भी कहा गया ह उपय त व ध स जार कया गया राजा का ल खत आदश ह वय राजा नह वा तव म शासक था राजा क लख बना भ य (कमचार ) काय न

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कर ओर राजा भी ल खत आदश बना अ प अथवा अ धक क आ ा न द म प ष का धम ह इस लय लख ह परम नणयकता ह जो राजा बना लख काय क आ ा द और जो भ य बना लख आदश क काय कर व दोन ह चोर ह राजा क म ा स चि हत जो लख ह वह राजा ह म ा स हत राजा का जो लख ह वह उ तम स भी उ तम ह और जो म ी आ द का लख ह वह म यम ह परवा सय का लख अधम ह

अशोक क अ भलख स भी म ी प रषद क काय णाल क जानकार मलती ह उसक तीसर लख म कहा गया ह क म ी प रषद क न चय को लखब करक थानीय कमचा रय वारा जा को समझाया जाय छठ लख म कहा गया ह क स ाट क मौ खक आदश और आव यक वषय पर शी ता स कय गय वभागा य क नणय पर म ी प रषद पन वचार कर सकती थी म ी प रषद स ाट क आदश पर कवल वीक त क मोहर न लगाकर ाय उनम सशोधन भी कर दती थी कई बार राजा को अपन वचार बदलन क सलाह भी द जाती थी अशोक का आदश था क जब ऐसी प रि थ त उ प न हो जाए या जब प रषद म मतभद उ प न हो तो इसक सचना उस तर त द जाए य य प अि तम नणय का अ धकार स ाट क हाथ म था क त फर भी म ी प रषद क अ धकार यापक थ कई बार राजा म ी प रषद क कहन पर अपन नणय पर पन वचार करन क लय तयार हो जात थ कौ ट य का वचार था क कसी भी वषय पर म ी प रषद क परामश क बाद नणय को तर त काय प म प रव तत कर दना चा हय स भवत प रषदा य क दखरख म मि प रषद क कायवाह लखी जाती थी

1214 म ी प रषद क मख अ धकार म ी प रषद राजा क सहायक और उसक व छाचार वि त पर नय ण रखन म

मह वपण भ मका अदा करती थी मन क अनसार म ी प रषद राजा क शासन स ब धी काय क पयव ण एव उस आव यकतानसार स परामश तथा सहायता दन का अ धकार सर त रखती थी ता क शासक व छाचार न होन पाय और साथ ह रा य का शासन ब ध सचा प स चल सक कौ ट य न अथशा म मि प रषद क नणय बह मत स स प न करवान

पर जोर दया ह कई बार इस बठक म अमा य एव तीथ को भी आमि त कया जाता था रामायण क अनसार अ वमघ क समय यवराज क कायवश बाहर भजन क समय यवराज क यो य वध का चनाव करत समय सभा म कसी ताव को रखन स पव य क घोषणा स पव तथा अ य क ठन सम याओ का हल करन क लय राजा म ी प रषद स सलाह लता था रामायण स ात होता ह क म ी प रषद क बठक म ग जन तथा अमा य भी भाग लत थ राजा जब राजधानी स बाहर जाता तो म ी प रषद ह शास नक काय स प न करती थी मि य का थान मह वपण था उनक सहम त बना राजा दान नह द सकता था यादव वश क दानmdashप स ऐसा सकत मलता ह अशोक क अ भलख स ात होता ह क म ी प रषद स ाट क नणय पर पन वचार कर सकती थी और उसम सशोधन भी कर दती थी जनागढ़ अ भलख स ात होता ह क म ी प रषद न सदशन झील क मर मत क लय धन दन स मना कर दया तब दामा को अपन नजी कोष स धन यय करना पड़ा अशोक क मि य न सफलता पवक उसक अ धाध ध दान वि त का वरोध कया और उस अवसर पर

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स ाट को कवल आधा आवला मा सघ को दकर स त ट हो जाना पड़ा चीनी या ी यवान वाग क अनसार ाव ती क राजा व मा द य त दन 5 लाख म ाए दान दना चाहत थ

पर त मि य न यह कहकर इसका वरोध कया क इसस शी ह खजाना खाल हो जायगा और नय कर लगान पड़ग राजा क दान क तो सव शसा होगी पर त उ ह (मि य ) जा स दवचन सनन पड़ग पातज त जातक क अनसार मि य न पातज ल को इस लए राजा बनन स रोक दया य क वह ब ह न था क हण क अनसार राजा अजयपीड़ मि य क नणय स ह राज यत कया गया मि य न ह शर को राज सहासन पर बठाया राजा कलश अपन प हष को यवराज बनाना चाहता था पर त मि य न उस ऐसा नह करन दया राजा क न सतान मर जान पर ाय म ी ह उ तरा धकार का नणय करत थ हष को क नौज रा य मि य न ह स पा था य य प रा य म व भ न मामल म अि तम नणय राजा ह करत थ फर भी उ तरा धकार जस वषय और दान दन जस न का नणय करना मानो म ी प रषद का वशषा धकार था ऐसा तीत होता ह क म ी प रषद क उपि थ त क कारण आ थक मामल म उसक वीक त लना अ नवाय सा हो गया था य द ऐसा न होता तो अशोक जस शि तशाल स ाट को अपना बौ सघ को दान य रोकना पड़ता

1215 म ी प रषद म अनशासन क सम या राजशा क स ा त स ात य ह क राजा शासन का सव च अ धकार था

पर त य द कोई म ी राजा क काय को अन चत घो षत कर उसका वरोध करता तो यह सम या उ प न होती थी क उस पर नय ण कस कर यह उस यग क म ी भी ऐस थ िज ह पद ल सा नह थी य द राजा सह सलाह दन पर कसी म ी को पद यत कर दता तो वह (म ी) इसक परवाह भी नह करता था हमारा वचार ह क ऐस कछ अवसर अव य उपि थत होत ह ग जब राजा इ छा होत ह ए भी अपनी बात नह मनवा पाता होगा अशोक क दान वाल उदाहरण स यह प ट ह इस कार राजा क लय मि य को अनशासन म रखन क भी एक मह वपण सम या रह होगी अशोक क अ भलख स ात होता ह क कई बार राजा मौ खक आ ाए द दता था क त बाद म प रषद उसका अनमोदन नह करती तब राजा को बड़ी क ठनाई का सामना करना पड़ता था जायसवाल न इस ि थ त को राजा क अ मता कहकर पकारा ह

1216 उप म ी या छोट मची जायसवाल क अनसार ाचीन काल म ह द म ी प रषद क यक म ी क अधीन

दो छोट या उपम ी भी होत थ इन तीन म जो धान होता था उस महामा कहत थ ग तकाल म इन पदा धका रय क नाम क साथ महा और कमार आ द श द मलत ह जस द डनायक महा द डनायक और द डनायक कमारामा य महाद डनायक क अधीन दो छोट मि य म स एक द डनायक और दसरा कमारामा य द डनायक कहलाता होगा महाकमारामा य का ता पय बड़ उपम ी स लया जा सकता ह

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12161 मि य क थाना तरण

ाचीन भारत म मि य को एक वभाग स दसर वभाग म थाना त रत करन क भी पर परा थी श नी त सार क अनसार त तीसर पाचव सातव और दसव वष मि य क वभाग बदल जात थ य क कहा गया ह क एक ह यि त क हाथ म अ धक दन तक अ धकार नह रहना चा हय यो य म ी को कसी दसर बड़ वभाग म थाना त रत कर उसक जगह नय यि त को नय त करना चा हय अशोक क अ भलख म इस या क लय अनसधान और रामायण म थान श द का योग कया गया ह

1217 ऐ तहा सक यग म म ी प रषद भारत म म ी प रषद का ारि भक व प व दक सभा स म त और फर रि नन

प रषद क प म ि टगोचर होता ह ऐ तहा सक काल म हम म ी प रषद क दशन होत ह छठ शती ई प मगध क राजा अजातश न अपन दो म ी व सकार और सनीथ को ल छ वय क एकता भग करन हत भजा था इसी कार उसक समकाल न कोसल नरश सनिजत क बार म कहा जाता ह क वह अपन म ी मगधर और ीव क सलाह स ह

मह वपण काय करता था जातक थ म मि य का व भ न थल पर उ लख हआ ह सा हि यक थ ( वशष प स अथशा ) और अशोककाल न अ भलख स मौय और श ग काल म म ी प रषद व यमान होन का उ लख मलता ह जनागढ़ अ भलख स ात होता ह क पि चमी भारत क शक राजा भी एक प रषद क सहायता स शासन करत थ िजसम कम स चव और ग त स चव सद य होत थ

ग त स ाट क अ भलख म मि य का लगातार उ लख मलता ह मौख र सा ा य म म ी प रषद बड़ी भावशाल थी जब मौख र राजा हवमा क अचानक म य हो गई तो मि य न हषवधन को क नौज रा य का सहासन दान कया परमारवशीय राजा यशोवमा क एक अ भलख म उसक महा धान ( धानम ी) प षो तम का उ लख मलता ह गजरात क चाल य अ भलख म महामा य का उ लख आया ह गाहड़वाल राजा भी महामा य क नयि त करत थ नाडौल क चाहमान राजाओ क दान शासन म महामा य का उ लख रा य कमचा रय स पहल कया गया ह महौबा क च दल क अ भलख म मि य क वश का उ लख मलता ह क हण क राजतर गणी स ात होता ह क मि य का क मीर क शासन म वशष भाव था द णी भारत क रा कट चाल य और शलाहार वश क

राजाओ क अ भलख म भी कर बmdashकर ब इसी कार का ववरण मलता ह यादव वश म मि य क सहम त स दान दय जान क पर परा थी द ण क अ भलख स सक तत ह क उनक यहा मि य क ि थ त साम त स श थी व महासाम त और महाम डल वर जसी उपा धय स वभ षत कय जात थ

क य शासन म म ी प रषद क सफलता को दखत ह ए ा त म भी कछ यवराज या ा त शासक म ी प रषद का नमाण करन लग मौय काल म त शला म एक ा तीय अ धकार क म ी प रषद थी प य म श ग क यवराज और मालवा क ा ता धकार अि न म श ग क भी म ी प रषद का उ लख मलता ह ग तकाल म यवराज क मि य

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को यवराजपद य कमारामा य कहा जाता था यादव नरश रामच (1190mdash 1210 ई) क द ण दश क शासक ट कम दवरस भी म ी प रषद क सहायता स शासन का सचालन करत थ य क यवराज और ा तीय शासक अपन दश म राजा क समक होत थ इस लय शासन क ससचालन हत म ी प रषद आव यक थी ा त म कई बार यवराज का ा तीय शासक क अनपि थ त म भी म ी प रषद क बठक होती थी और उसक नणय वीक त क बाद यवराज क पास भज दय जात थ

म ी प रषद 11वी शता द तक नर तर थी मौयश ग और ग तकाल म तो यह एक स था क तरह काय करती रह द णी भारत म चोल राजाओ क मौ खक आदश पर भी म ी प रषद वचार करती थी पर त इसक सहम त क प चात ह ल खत आदश जार कय जात थ ऐ तहा सक काल म म ी प रषद क सद य ाय एक वभाग को ह स भालत थ पर त कई बार यो य मि य को एक स अ धक वभाग का काय भी सौप दया जाता था क मीर म जयपीड क रा य म स जी याय और य दोन वभाग का म ी था इसस प ट ह क म य क यो यता द शत करन पर उ ह पदो नत भी कर दया जाता था

ाचीन भारत म मि य क लय स नक यो यता आव यक नह थी क त यवहार म म ी ाय उ च को ट क स नक होत उ ह रा य म ो साहन मलता था जस सम ग त का सि ध व ा हक ह रषण महाबला धकत या महासनाप त भी था गगवशी राजा मार सह क म ी चा डराय न गोनर पर वजय क थी यादव नरश क ण का धानम ी नागरस व वान होन क साथmdashसाथ उ चको ट का यो ा भी था

1218 साराश ार भ म ाचीन भारत म राजा रा य का सव च अ धकार था ार भ म उस

शासक य काय म सहायता करन हत सहयो गय क आव यकता अनभव ह ई होगी तब व दक काल म उसन सभा स म त और रि नन प रषद स सहयोग ा त कया भारतीय म ी प रषद का ज म इ ह स थाओ स हआ उ तर व दक काल क अि तम चरण तक म ी प रषद न राजा क थायी परामशदा ी स था क प म काय करना ार भ कर दया था धीरmdashधीर मि य क यो यता नयि त पर ा कायप त म णा णाल काय वभाजन अ धकार क त य इ या द वषय पर वचार होता रहा और उनक स ब ध म नयम बनत रह िजनका रामायण महाभारत कौ ट य अथशा और काम दक नी तसार म व तत ववरण मलता ह म ी लोग ाय राजा क सहानभ त या अपन गण क कारण नय त होत थ फर भी अपनी क त य न ठ क कारण परवत यग म म ी प रषद राजा क शि त को नयि त करन वाल और रा य क वकास म सहयोग दन वाल मख स था क प म उभर कर सामन आयी सोमदव स र क अनसार िजस कार जी वत रहन क लय मन य क दय होना आव यक ह उसी कार राजा क लय म ी अ नवाय ह श न राजा क व छाचार क रोकथाम हत म ी प रषद को परम आव यक बताया कौ ट य का मत था क

रा य दो प हय वाल गाडी क समान ह इस गाड़ी क प हय राजा और उसक म ी ह अ य थल पर कौ ट य लखत ह क म ी प रषद क सद य राजा क आख क समान होत ह

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इस कार म ी प रषद ाचीन भारतीय रा य क वह मह वपण स था थी िजसक सहार राजत पी महराब जन क याण का साधन बन पाया

1219 सदभ थ सची अ तकर अस ाचीन भारतीय शासन प त घोषाल यएन ए ह ऑव इि डयन पो ल टकल आइ डयाज जयसवाल का ह द रा य त ख डmdash 2 द तार वी आर आर मौयन पो लट मजमदान र च ाचीन भारत म सग ठत जीवन म भवन वर कौटल य राजनी त ब तोपा याय पन सी डवलपम ट आव ह द पो लट ए ड पो ल टकल योर ज यास शाि तकमार नानराम रामायणकाल न समाज व यालकार स यकत ाचीन भारतीय शासन यव था ओर राजशा शरण परमा मा ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए शामशा ी कौ ट य अथशा सालटोर बी ए ए य ट इि डयन पो ल टकल थॉट ए ड इि सट यशस

भार वाज कमलश मख म तय (मन या व व य नारद बह प त राज व वधानम का यायन) म राजनी तक व काननी वचार पी एच डी थी सस जयपर

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इकाई mdash 13 ाचीन भारत म राज प षmdashत

इकाई क परखा 130 उ य 131 तावना 132 नौकरशाह का ारि भक व प 133 व दककाल म जन रा य और उनका शासन त 134 महाका य म नौकरशाह का वक सत प 135 क य शासन का स चवालय 136 जनपदmdashयगीन राजप षmdashत 137 ब काल न गणरा य का राजप षmdashत 138 मगध सा ा य एव राजप ष त का ती वकास

1381 मौय शासन त 139 श गmdashसातवाहन काल म राजप ष त का अ ययन

1391 ह दmdashयनानी राजा एव उनका शासन 1392 शकmdashप लव शासन प त 1393 कषाणmdashराज शासन 1394 सातवाहन राज प ष त क वशषताए

1310 ग त वश क नप तय का राजप षmdashत 1311 मौख रmdashवधन यग म राजप ष त 1312 राजपतकाल न राजप ष त 13121 चोल शासन 1313 साराश 1314 अ यासाथ न 1315 सदभ थसची

130 उ य इस इकाई म हमारा उ य ाचीन भारत म राजक य शासन क सचालन हत

राजप षmdashतब क यव था पर वचार करना ह इस स ब ध म अ भलख ता प और सा हि यक थ स मह वपण जानकार मलती ह इस इकाई क अ ययन क प चात आपको न न वषय क जानकार ा त हो जायगी mdash व दक सा ह य एव महाका य म राजप षmdash त का व प क य शासन का स चवालय ब काल न भारत म राजप षmdash त (राजधीन एव गणाधीन रा य क स दभ म)

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मगध सा ा य म राजप षmdash त एव कौ ट य अथशा क यव था श ग सातवाहन और वदशी जा तय का शासन त ग त स ाट का राजप षmdash त मौख रmdashवधन तथा राजपत राजाओ का राजप षmdash त ( वशष प स चोल शासन प त

का अ ययन)

131 तावना िजस कार मि त क क आदश का पालन करन हत मानव शर र क व भ न अग क

आव यकता होती ह उसी कार ाचीन भारत म राजा वारा जो आदश जार कय जात थ उ ह वा त वक प स लाग करवान हत एक वशष वग होता था इस वग को हम आध नक प रभाषा क अ तगत नौकरशाह या राजप षmdash त कहकर पकार सकत ह

ऐसा माना जाता ह क नौकरशाह या राजप षmdash त क य पि त च भाषा क यरो तथा ीक भाषा क सी श द स ह ई ह िजसका शाि दक अथ ह mdash अ धका रय का शासन कछ लोग न नौकरशाह का ता पय ड क सरकार स भी माना ह स प म नौकरशाह श द का योग उस शासन णाल क लय कया जाता ह िजसका नय ण पणत अ धका रय क हाथ म होता ह इस कार क शासन क वशषता यह होती ह उसम शास नक क न य कम (Routine) को ह धानता द जाती ह और नयम का

कठोरतापवक पालन कया जाता ह व तत आध नक नौकरशाह या राजप षmdashत क प रभाषा को ाचीन भारतीय

शास नक णाल पर लाग नह कया जा सकता आजकल स वल स वस स जड़ ह ए अ धकार कवल नाग रक शासन का ह सचालन करत ह जब क ाचीन भारत म एक अ धकार जो आज य म सना स ब धी काय कर रहा ह उस कल कसी ा त म नाग रक शासन का काय करन हत नय त कया जा सकता था इस लए ाचीन भारतीय नौकरशाह का अ ययन करन हत हम शासन क सभी अग पर वचार करना होगा तभी प ट त वीर सामन आ पायगी

च ग त मौय क रा यकाल म नवास करन वाल यनानी राजदत मग थनीज न अपन ववरण म समाज क जो सात वग गनाय थ उनम स छठा और सातवा वग हमार अ ययन क ि ट स मह वपण ह मग थनीज न भारतीय समाज क छठ वग क अ तगत नर क क चचा क ह जो रा य म घ टत होन वाल घटनाओ स राजा को अवगत करवाता था यनानी राजदत न सातव वग म काउि सलस और ए ससस या म और स चव अथवा अमा य क गणना क ह अ तकर न उपय त कमचा रय को राजा क स चवालय स स बि धत पदा धकार माना ह डायोडोरस क अनसार कमचा रय का यह वग स या म अ धक नह था पर त अपन ब बल और याय यता क लए यात था ाय ा तीय शासक उ च अ धका रय कोष और क ष वभाग क नायक को इसी वग म स चना जाता था इस कार राजप षmdashत उन लोग का समह था जो ाचीन भारत म राजा वारा म मडल क सहयोग स जो नणय कय जात थ या आदश दय जात थ उनक या या कर उ ह यावहा रक प स

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लाग करवान का काय करता था इस लए इस वग का क एव ा त म राजा क ओर स शासन पर य नय ण रहता था इस वग क कमचा रय को अपन काय क उपल य म

वतन मलता था या भ म ा त होती थी

132 नौकरशाह का ारि भक व प ाक आय काल म भारतीय स यता का वकास स ध नद क घाट म हआ इस

स यता का व तार वशष प स मोहनजोदड़ो हड़ पा च हदड़ो (प पा क तान) आलमगीरपर (मरठ उ ) लोथल रगपर (गजरातmdashका ठयावाड़) और काल बगा (राज थान) तक था स धव स यता एक नगर य स यता थी स धव क नगर क स दर यव था ब द ना लय अ नmdashभडार गह और वशाल नानागार को दखन स तीत होता ह क ईसा क ार भक शताि दय स पव ह भारत म ऐसी कोई सग ठत शास नक यव था अव य थी िजसक मा यम स नाग रक क जानmdashमाल क र ा स भव हो सक थी मोहनजोदड़ो स ा त प ष का सर कसी कल न यि त का तीत होता ह अत कहा जा सकता ह क समाज म ऐसा कोई स ा त वग व यमान था जो शास नक काय क दखभाल करता था डॉ बजनाथ पर क अनसार माण क अभाव म स धव स यता म शासन काय स प न करन वाल वग क स ब ध म कछ भी कहना क ठन ह

133 व दककाल म जन रा य और उनका शासन त ाक ब यग को सा क तक ि ट स व दक काल कहा जाता ह वद क स या चार

ह mdash ऋ वद यजवद सामवद और अथववद इनक रच यता आय ऋ ष थ ा व प भारतीय इ ह न य और अपौ षय मानत रह ह व दक काल क ारि भक घटनाओ क जानकार ऋ वद स और उ तर व दक ववरण हत अथववद तथा ा मण थ स जानकार मलती ह

ऋ वद क अनसार आय का म य ड़ा थल स त स ध दश था व दक काल म आय अनक जन और कबील म वभ त थ जन का शासन य और राज य क हाथ म था राजा जन का र क कहलाता था उसक सहायता क लए सभा स म त और वदप नाम क स थाए होती थी वद म कछ अनायजनो क भी चचा आई ह ऋ वद स ात होता ह क उस समय तक भारत म राज पद वक सत हो चका था ऋ व दक काल म जन या रा य का व तार अ धक नह था व कई बार एक थान को छोडकर दसर थल क लए पलायन भी कर जात थ राजा को जनmdashधन क र ा हत सहयो गय क आव यकता पड़ती थी क त आ ाओ का पालन करवान हत राजप ष क बह त कम आव यकता पड़ती थी राजा वारा जो आदश दय जात थ व गाव म सदशवाहक वारा घो षत कय जात थ इस लए इस काल म कोई क य कायालय जसी स था न थी जो व धवत राजा ा का सारण करती हो

ऋ व दक काल म राजा जनप त या वशप तय क मडल का मख होता था उसम सनाप त क गण होना आव यक था स भवत या यक काय भी सभाmdashस म त ह करती थी य काल म राजा को लट स जो धन ा त होता था उसका कछ भाग स नक को दान कया

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जाता था ऋ वद म सनानी ामीण और परो हत नामक तीन अ धका रय का उ लख मलता ह सनाप त य म राजा क मागदशन म काय करता था और पदाचार सपा हय क सहायता स सघष करता था ामीण गाव का म खया था क त आव यकता पड़न पर वह य म भाग ल लया करता था परो हत यह आ द स प न कर दवताओ को स न करता था ल कन राज शासन पर उसका मह वपण भाव था राजा पर सभा और स म त नय ण अव य रखती

थी कछ व वान न सभासद को अमा य स श माना ह स म त भी समाज क ति ठत लोग क स था थी िजसका शासन पर पण भाव रहता था

उ तर व दक काल म आय भारत म थायी प स बस चक थ परवत स हताओ ा मण और उप नषद स ात होता ह उ तर व दक काल म आय का पवा भमख सार हआ

सदानीरा (ग डक नद ) का उ लख कोसल और वदह क म य क सीमा क प म हआ ह थल नाम म प रच ा (पाचाल म ि थत एकच ा) आस द वन (हि तनापर) काि पल न मष

वन (आध नक नीमसारmdashन मषार य) आ द का उ लख मलता ह अथववद म मगध और अग का उ लख अवहलना क साथ हआ ह इस कार उ तर व दक काल म आय स क त का सार पि चम स पव क ओर हआ था इस कार उ तर व दक काल म जन और कबील

ल त हो गय और उनक थान पर नवीन रा य काश म आय नय दश क वजय रा य क व तार तथा राजाओ क सफल नत व क कारण राजा क स ता और उसक अ धकार म व ह ई राजा अब राजा धराज एकराट सावभौम और च वत जसी उपा धया धारण करन लग

उ तर व दक काल म नय राजा का अ भषक आव यक हो गया था सभा और स म त को अभी भी द वक स थाए माना जाता था इस यग म रा य क अ धकार वग क स या म अचानक व ह ई िजसस सभाmdashस म त का मह व कम होन लगा अब रा य क या कलाप का सचालन रि नय क स म त करन लगी िजसम राजा क र तदार दरबार और कछ उ चा धकार सद य होत थ रि नय क स म त म राजम हषी (पटरानी) परो हत का नाम मलता ह पर त यवराज का नह रि नय म सनानी सत ामीण सगह ता और भागधक व भ न वभाग क अ य थ सनानी सनाप त था सनाप त राजा क आदश स य करता था उसक अधीन सकड़ पदल सपाह होत थ सत रथ सना का नायक ामीण गाव क म खय का धान रहा होगा ामीण का स य अ धकार क प म उ लख मलता ह उस आदश दकर राजा शासन सचालन करता था भागधक कर वसल करन वाला और सगह ता कोषा य था रि नय क सची म ता अ ावाप और पालागल को अ तकर न दरबार णी का अ धकार माना ह ता राजा का प रपोशवक अ ावाप धत ड़ा म राजा का सहयोगी या जआ वभाग का अ य तथा पालागल राज म था कछ लोग न पालागल को वदषक माना शतपथ बा मण म रि नय क सची म गो वकतन का उ लख कया ह जो स भवत राजा क गौmdashधन स स बि धत वभाग का अ धकार था इसी कार रथाकार भी रथ बनान वाल वभाग स स बि धत पदा धकार था य म रथ का थान मह वपण होन क कारण यह पद मह वपण बन गया था शतपथ ा मण क अनसार उपय त रि नय का सहयोग मागन

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हत ह राजा अ भषक क अवसर पर उनक घर जाकर उ ह र न छ व दान करता था रथप त भी एक अ धकार था िजस अ तकर न ा तप त या म य यायाधीश वीकार कया ह इस कार उ तर व दक काल म रि न राजा क परामशदाता एव धान सहयोगी अ धकार थ उ ह

हम आध नक प रभाषा क अनसार नौकरशाह का म य घटक मान सकत ह सर कमार जायसवाल ( ह द राजशा ) का वचार ह क उ तर व दक काल म रि नय क अलावा अगर क धमा य व दा य दौवा रक (राजमहल का मख हर ) प रचारक अ वा य आ द पदा धकार होत थ कछ छोट पदा धकार भी थ जो सहायक क प म काय करत थ प लस अ धकार उ तथा सौ ाम का अ धकार सीमा त शासक कहलाता था यायपा लका का सव च अ धकार राजा वय था थानीय झगड़ पचायत नपटाती थी

इस यग म गणत काश म आ गय थ िजनका उ लख वरा य का प म मलता ह ऋ व दक काल क तलना म उ तर व दक काल क शास नक यव था म अनक मह वपण प रवतन आ चक थ वशाल रा य क थापना राजा क शि त राजक य पदा धका रय क स या और अ धका रय म व आ द इस यग क मह वपण वशषताए थी

134 महाका य म नौकरशाह का वक सत प भारतीय महाका य रामायण क रचना का य मह ष वा मी क को और महाभारत क

रचना का य मह ष वद यास को ह इन दोन थ का भारतीय राजशा क म व श ट थान ह इनम सगह त साम ी ाचीन भारतीय राज यव था पर यथ ट काश डालती ह

रामायण स सक तत ह क अब राजा पद लगभग वशानगत हो गया था यवराज पद का अ धकार य ठ प ह होता था रामायण म आदश राजा क गण पर काश डाला गया ह राजा का धा मक सना सचालन म कशल म णा ग त रखन वाला नरोग और नी त नपण होना आव यक था राजा शास नक काय मि य परो हत अमा य सभासद क सहयोग स करता था वह अमा य तथा दसर लोग क वचार क जानकार ग तचर क सहायता स ा त करता रहता था

रामायण क अनसार शासन त क तीन म य अग थ mdash सभा म प रषद और शासना धकार (तीथ) सभा क सद य म अमा य जन म जन और सनाप त आ द सरकार सद य होत थ शष सभी सद य गर सरकार थ सभासद को सभा म सि म लत होन क सचना दत या सदशवाहक वारा भजी जाती थी दशरथ क तरह रावण क रा य म भी परामशदा ी सभा या प रष थी िजसम स य अ धका रय और म य क अलावा बधmdashबा धव (राजकतार) का बाह य था

राजा दश का शासन चलान क लय ग जन म य और अमा य (स चव ) का सहयोग लता था म य और अमा य का अ तर राम क एक कथन स प ट हो जाता ह च कट पर उ ह न भरत स पछा थाmdash तम अपन अमा य तथा मि य स परामश तो करत हो अमा य म प रष क बठक म भी सि म लत कए जान थ रामायण म कई बार अमा य श द स वभागा य का भी बोध होता ह फथ क अनसार महाराजा दशरथ क

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तीन अमा य स य यव था दो अमा य अथ एव व त तथा दो अमा य कानन और याय वभाग सभालत थ आठवा अमा य रथ आ द वाहन क वभाग स स बि धत था जब क शाि त कमार नानराम यास क अनसार रामायण म वभाग का ऐसा बटवारा कह उि ल खत ह नह ह फथ क अनसार दशरथ क अमा य क नाम उनक यि तगत नाम नह ह अ पत उनक कायसचक ह धि ट जयत और वजय इन तीन नाम का अथ साहस इ का वजयी प तथा य म सफलता ह इस लए इन तीन को स य वभाग का स चव माना जा सकता ह स ाथ का शाि दक अथ सफल यि त ह अथ या धन स ह म सफल यि त भी उसका अथ हो सकता ह अथ साधक स ता पय अथ अथवा यवहार म नपण यि त ह इस कार स ाथ और अथ साधक व त स चव मान जा सकत ह छठ अमा य का नाम अशोक अथात शोक र हत ह इस लए स भवत वह याय वभाग का अमा य कहा होगा म पाल को धम वभाग का सचालक माना जा सकता ह सम क अधीन व वध वभाग थ सम दशरथ और राम दोन क सारथी और नजी स चव थ राम क समय यावहा रक धम और शा ीय धम क वभाग दो अमा य मश यवहार और धमपाल नी त क अधीन थ राजा और म य वारा जो नणय कय जात थ उ ह अमा य नधा रत योजना क अनसार परा करत थ अमा य या ाओ जलस अ भयान म राजा क साथ रहत थ अमा य राजधानी नह छोड़ सकत थ य क उ ह द नक शासन ब ध क दखभाल करनी पड़ती थी

रामायण म तीथ (शासना धका रय ) क अि त व का सकत च कट पर रामmdashभरत सवाद म मलता ह (210036) पर त वहा अ धका रय क नाम का उ लख नह ह क त ट काकार क अनसार य अ धकार 18 होत थ िजनक नाम इस कार ह mdash म ी परो हत यवराज सनाप त दौवा रक ( वारपाल) आतरव शक (राज साद ब धक) कारागारा धकत (जल अ धकार ) अथसचयकत काय नयोजक (म य स चव) ववाक ( यायाधीश) सनानायक नगरा य कमाि तक (खान और कारखान का अ धकार ) स य (सभा स चव) धमा य (म य यायाधीश) दडपाल (मिज ट या प लस क म नर) दगपाल ( कल का ब धक) और रा ातरपाल (सीमा त दश का रा यपाल)

ाय राजा राजधम क अनसार याय शासन करता था मामल क जाच यो य यायाधीश करत थ उ तरका ड म यायाधीश को धमपालक कहा गया ह राजा को याय

स ब धी काय म धमपारग यवहार म ी ऋ ष और अमा य उ चत सलाह दत थ राजमाग क यव था प लस कमचार करत थ िज ह दडायध धरा कहा गया ह

ऐसा अनमान ह क लाठ धार स नक माग पर प लस का काय करत थ ग तचर को चर चार ण ध चारक अथवा चारण कहा जाता था अयो या म

नय मत ग तचर वभाग था ग तचर दो कार क थ नाग रक ग तचर और स नक ग तचर श सना का बलाबल जानन क लय राजा और सनाप त उ ह पर नभर रहत थ

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सना वभाग म स नक क कई णया थी थायी स नक को म य बल कहा जाता था जो सवत नक होत थ हाथी घोड़ क दखभाल अ वबध और कजर ह करत थ सना य या सनानी राजा स आ ा लकर ह काय करता था उसक अधीन कई बला य और अप त होत थ अयो या म स नक भट या योध कहलात थ राजा सदव स नक क च ता करत रहत थ इस लए राम न भरत स पछा था क या स नक को नयत समय पर वतन भ त दय जात ह

राजा ाय य टालन क लय दत का योग करत थ दत राजभ त और चतर होत थ दत अव य माना जाता था सना क टक ड़य क अ य नायक कहलात थ सभी स नक धान सनाप त क सर ण म काय करत थ इस कार रामायण स ाचीन भारतीय नौकरशाह यव था क अ प ट सी झलक ा त होती ह

रामायण क ह तरह महाभारत भारतीय राजशा का मह वपण थ ह इसम रा य क उ पि त तथा व भ न कार क राजस ता मक और गणाधीन रा य का उ लख मलता ह उन दन अ धकाश रा य राजस ता मक क त क थ व सा ा य बनान क यास म लग रहत थ राजा का दव व प इस समय तक वक सत हो चका था शाि त पव स ाचीन भारत राजनी त क स ब ध म वशष जानकार मलती ह

महाभारत क अनसार शासन त को सचा लत करन हत म ी उसक धान साधन थ िजनक स या 8 होनी चा हय एक अ य थान पर म प रषद म 4 ा मण 8 य 21 व य 3 श तथा 1 सत होना आव यक कहा गया ह यह भी कहा गया ह क राजा क पास म य स चव सनाप त परो हत ग त दत दगा य यो तषी और व य आ द अ धकार अव य रह महाभारत म राजा क सभा क भी सदभ मलत ह जहा वह म णा करता था महाभारत म राजा क 18 अ धका रय क चचा क ह पर त उनक नाम नह गनाय ह जब क महाभारत क ट काकार न उनक नाम इस कार गनाय ह mdash म ी या म य धान परो हत यवराज सनाप त या चमप त वारपाल या तहार अ तवशक या अ तपर का अ धकार कोषा य यया धकार द टा राजधानी का अ धकार काम नयत करन वाला अ धकार धमा य सभा य अथवा याया धकार द डा य दगा य सीमा य और अर या य य सब अ धकार तीथ कहलात थ सी वी व य न महाभारत क मीमासा करत ह ए लखा ह क कसी अ य थान म चौदह अ धकार बतलाय गय ह िजनक नाम ह mdash दशा धकार दगा धकार रथा धप त गजा धप त अ वा धप त शर स नक (पदा त म य) अ त परा धप त अ ना धप त श ा धप त सनानायक आयmdash यया धप त धना धप त ग त दत और म य कायकता इसस सक तत होता ह क वतमान राज यव था म िजतन अ धकार होत ह ाय उनम स सभी अ धकार और उनक कायालय ाचीनकाल म थ य सभी अ धकार राजा का शास नक काय म सहयोग करत थ

महाभारत क वनपव क वारपाल क मह व क स ब ध म जानकार मलती ह क

राजा क सर ा करन वाल र क कहलात थ महाभारत म राजा क अ धका रय को उ चत

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स कार और वतन दन क यव था क गई ह महाभारत स ात होता ह क उन दन ग तचर का वशष मह व था अ तःपर म राि नय क सवा हत ि या रखी जाती थी

महाभारत स ात होता ह क गाव म म क काय हत एक म खया रहता था िजस ामा धप त या ा मक कहत थ इसी कार 10 गाव 20 गाव 100 गाव 1000 गाव

पर म खया नय त थ सबस छोटा ाम अ धकार अपन स बड़ म खया अ धकार को सचना दता रहता था गाव क अ धप त का वतन यह था क वह पास क जगल क पदावार स अपना नवाह कर 1000 गाव क अ धकार को एक छोटा सा नगर दया जाता था स पण रा का कामकाज कसी वत अ धकार क नर ण म होता था शाि तपव क अनसार नगर का ब ध सवाथ च तक नामक अ धकार क हाथ म था बड़mdashबड़ नगर म वत अ धप त होत थ उस समय क रा म 1500 स 2000 तक गाव रहत थ इस कार एक म या धकार क नीच दो सह ा धकार रहत थ और उसक नीच वश या धकार रहत थ दसर श द म 10 गाव का शासक द शक 20 गाव का वशा धप 100 गाव का शतपाल और 1000 का सह प त कहलाता था सभा पव म यक गाव क 5 अ धका रय क चचा आई ह िजनक नाम ट काकार न य बतलाय ह mdash शा ता (सरपच) समाहता (कर वसल करन वाला) सि नधाता लखक (पटवार या म शी) और सा ी सा ी कौन था यह प ट नह ह

राजा जा स कर हण करता था उस ब ल कहा जाता था मालगजार वसल करन वाला पदा धकार ाम भोजक कहा जाता था

महाभारत क अनसार रा य म याय का काय वय राजा ह कया करता था वह या यक काय अमा य क उपि थ त म करता था याय का आधार म तशा क नयम

थ यायालय म एक लखक रहता था जो स पण कायवाह ल पब कर लता था ऐसा तीत होता ह क महाभारत काल म याय करन वाल अमा य नय त हो चक थ

इस कार महाका य म िजन रा य अ धका रय एव कमचा रय का उ लख मलता ह उनम स कछ का पद तो व दक काल स चला आ रहा था जस परो हत या सनानी कछ अ धकार बह आयामी थ जो एक स अ धक कार क काय करत थ

महाभारत स ात होता ह क उन दन सना वभाग का वशष मह व था चतर गणी सना म पदल अ वारोह गजारोह तथा रथ होत थ व भ न दल का नत व सनाप त या क न ठ सनानी करत थ पदल स नक श स ससि जत होत थ सना म जलmdashसना यातायात तथा ग तचर होत थ दश काल और प रि थ त क अनसार राजा नी त म प रवतन करता रहता था जारजन धम अथ काम क ाि त और चतथ प षाथ का माग श त करना ह रा य का मख उ य समझा जाता था

135 क य शासन का स चवालय िजस कार जात म क य शासन का मख क धान म ी होता ह उसी

कार ाचीन काल म राजाmdashस ता का म य क होता था व दक काल म राजा शासन का काय अपन राजक य नवास स ह सचा लत करता था उ तर व दक काल म जब वशाल रा य था पत होन लग तो शास नक ग त व धय पर नय ण रखन हत स चवालय जस

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कायालय क आव यकता अनभव क गई होगी अ तकर का वचार ह क ाचीन काल म क य शासन कायालय अव य व यमान रहा होगा पर त उसक प ट माण उपल ध नह ह कौ ट य अथशा क आधार पर यह वचार तत कया जाता ह क व भ न वभाग म लखक का पद होता था िजसका तर म ी स कछ नीचा होता था और वह सवत नक होता था क य शासन कायालय क कमचार क कायपटता और क य शासन क आदश को ठ क कार लखब करन क मता पर शासन क उ तमता नभर थी इस कायालय क कमचार उ च श ा ा त और वा मभ त होत थ व पहल क और वतमान आदश क जाच करत रहत थ लख तयार हो जान पर व उस वभाग क अ य म ी और राजा क पास वीक त क लय भजत थ ह ता र क बाद राजक य महर लगाकर आदश स बि धत यि तय क पास भज दया जाता था यनानी लखक न िजस सातवी जा त का उ लख कया ह व स चवालय क ह कमचार रह ह ग इस वग क लोग सरकार पद पर रहकर सावज नक शासन म भाग लत थ सभी म ी और वभागा य क य स चवालय म य अमा य वभागा य और स चव क म य सामज य रखन वाला कायालय था क हण क राजतर गणी म क य शासनालय क कमचा रय वारा राजा ाओ को लखब कय जान का उ लख मलता ह चौहानmdashचौल य शासन म स चवालय ीकरण कहलाता था चौल रा य क अ भलख स इस स ब ध म अ धक जानकार मलती ह राजा जब कसी वषय पर आ ा दता तो स बि धत अ धकार उस समय उपि थत रहत और एक लखक मल लख क अनसार लखता और अ य दो यि त उस मल लख स मलाकर सह कर लत थ भ मदान स ब धी लख स चवालय म सर त रख जात ता क आव यकता पड़न पर उनम प रवतन कया जा सक भ मदान क लखाmdashपढ़ तो क य शासनालय म शी क जाती थी गहड़वाल तथा चाल य लख म सरकार लख क धान को अ पट लक या महा पट लक कहा गया ह अपन दौर क समय राजा मौ खक आ ा दत तो स बि धत स चव उस ल पब कर स चवालय म (राजधानी) भज दत थ

क य सरकार और शासनालय का म य काय ा त और नगर म नर क भजना होता था ता क थानीय शासन पर सरकार का नय ण बना रह श न राजा तथा उ च अ धका रय को वा षक दौरा करन क सलाह द ह क य सरकार ा त क ि थ त स अवगत रहती थी इसक लय ा तीय अ धका रय स ववरण मगाकर उन पर वचार कया जाता था क य सरकार क पास ग तचर का दल होता था वह भी रा य म घ टत होन वाल घटनाओ स क को अवगत करवाता रहता था एक ह घटना क स ब ध म जब क ह दो ग तचर क ववरण स उसक पि ट हो जाती तो फर सरकार आव यक कायवाह करती थी कनाटक क क च र रा य म नर ण करन हत पाच अ धकार नय त थ िज ह करणम कहा जाता था

थानीय कमचा रय क पास क य सरकार क आदश भजन हत शासन कायालय वारा वशष सवाददाता भज जात थ यह काय िज मवार का था इस लए पदा धका रय को

ह स पा जाता था वाकाटक अ भलख म सरकार सदश ल जान वाल को कल प कहा गया ह य ऊच घरान क लोग होत थ इस ववरण स सक तत ह क ाचीन काल म क य

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सरकार थानीय और ा तीय सरकार पर कस कार नय ण रखती थी और उसम क य शासनालय या स चवालय क या भ मका होती थी

136 जनपदmdashयगीन राज प षmdashत छठ शता द ई प स हम भारतीय रा य क मब इ तहास क जानकार मलती

ह इस काल म घ टत होन वाल घटनाओ का ववरण बौ जन और ा मण (उनक वारा र चत) थ म मलता ह अब रा य का भभाग नि चत हो चका था दो कार क रा य ब काल न भारत म ि टगोचर होत ह mdash थम राजाधीन और वतीय गणाधीन अब रा य जनपद कहलात थ सावभौम स ता का अभाव था दश म छोटmdashछोट रा य होन स वक करण क व त बल थी धीरmdashधीर सा ा यवाद व त का वकास हआ और शि तशाल रा य नबल रा य क अि त व को समा त करन हत य न करन लग उन दन सोलह महाजन पद व यमान थ जो बड़ रा य क णी म आत थ इस कार जब एक जनपद म कई छोट जन पद समा जात तो वह महाजन पद कहलाता था बौ थ अग तर नकाय क अनसार उन दन जो महाजन पद व यमान थ उनक नाम इस कार ह mdash अग मगध काशी कोसल वि ज म ल च द व स क पाचाल म ल शरसन अ मक अवि त गाधार और क बोज इन रा य म ती त वि ता थी इस कारण काला तर म कवल चार महाजनपद मगध कोसल अवि त और व स ह शष रह गणरा य म शास नक काय सघ वारा होता था

राजाधीन रा य म राजा शास नक ि ट स सव च पदा धकार था उसका पद वशानगत था और उसका य ठ प ह रा य का उ तरा धकार होता था राजा म प रष क सहायता स शास नक दा य व का पालन करता था म प रष म परो हत को सव च थान ा त था वह सकटकाल म राजा को कटनी तक परामश दता था जातक

सा ह य म परो हत क अलावा भी कछ म य क नाम मलत ह र जक नामक म ी का नाम मालगजार तथा कर वसल करन वाल वभाग क धान क प म मलता ह उसक अलावा सनाप त भा डागा रक व न चयामा य क नाम भी उ लखनीय कह जा सकत ह सनाप त का म य काय स य सचालन था क त वह एक अ य म ी क प म भी काय करता था भा डागा रक कोषा य था और राज व स ब धी मामल क भी दखभाल करता था व न चयामा य याय म ी होत थ बौ थ म ोणमापक हर यक सारथी दौवा रक आ द अ य कमचा रय का भी उ लख मलता ह य लोग रा य क व भ न वभाग का सचालन करत थ नाग रक जीवन क सर ा तथा अपराध पर नय ण सि तक (कोतवाल) क नयि त क जाती थी सना म पदा त अ वारोह रथ और हाथी स स बि धत चार वभाग होत थ

याय वभाग का म य ोत राजा था उसका नणय अि तम होता था रा य म अनक तर पर यायाधीश होत थ व न चय महामा क अदालत स लकर राजन क अदालत तक कई यायालय होत थ गाव म याय काय ाम स थाए करती थी उन दन द ड कठोर होत थ

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राजक य आय का मह वपण साधन कर होता था ब ल और श क क अलावा इस यग म भाग वय और ष भाग का उ लख मलता ह

ब काल न महाजनपद म मगध कोसल अवि त क शास नक यव था क जानकार बौ थ स मलती ह मगध स ाट बि बसार को छोटmdashबड़ कई अ धकार शास नक सहयोग करत थ इनम उपराजा माड लक सनाप त सनानायक महामा (सनाप त क नीच अ य पदा धकार ) यावहा रक महामा ( यायाधीश) और ाम भोजक (य गाव म राजकर वसल करन म सहयोग करत थ) उसक धान पदा धकार महाम त (महामा ) कहलात थ च लव ग क अनसार गलत सलाह दन वाल महाम त को पद यत कर दया जाता था व सकार अजातश का म ी और सनीथ सनाप त थ स बाथक महाम त सब कार का काय करत थ सनानायक महाम त स नक पदा धकार था बोहा रक याय वभाग स स बि धत पदा धकार रहा होगा बि बसार क समय हम राजव य क पद पर जीवक और वा तकार क पद पर महागो व द क काय करन का उ लख मलता ह बि बसार न राजप ष त को स म एव मजबत आधार दान कया था उसी क आधार पर अजातश अपन वशाल सा ा य क र ा करन म सफल हआ वनय पटक स कारावास क जानकार मलती ह इस लए इस वभाग म भी कोई पदा धकार काय कर रहा होगा

ा त म शासन क दखभाल हत राजा अपन प या स ब धी को गवनर क पद पर नय त करत थ बि बसार न अजातश को च पा नगर का वायसराय नय त कया था इसी कार सनिजत न अपन भाई को का शराज एव उदयन न अपन प बो धराजकमार को भ ग दश म वायसराय नय त कया था राजा प रवार क सवा करन वाल प रचारक कहलात थ िजसका उ लख उ तरा ययन स म मलता ह ा त गाव म बट ह ए थ बि बसार वारा एक बार 80000 गाव क सभा बलान का भी ववरण मलता ह

137 ब काल न गणरा य का राजप षmdashत भारत म गणरा य क उ पि त उ तर व दक काल म हो चक थी जायसवाल न

लखा ह क ह द गणरा य उ तर व दक काल म सामदा यक वशासन क आदत का एक दसरा उदाहरण ह गणरा य का उ लख महाभारत क सभापव एव शाि त पव म मलता ह बौ सा ह य म वशषकर जातक म गण का अथ एक ऐसी स था या स म त था िजसक सद य मलकर एक हो जात थ और इसका दसरा अथ गणरा य था सक दर क भारत पर आ मण स पहल और बाद म भारत म कई गणत व यमान थ

पा ण न न गणाधीन जन पद का उ लख कया ह गण का नता गणप त या राजा कहलाता था शा य क रा य म राजा नवा चत होता था ल छ वगण का अ य राजा क उपा ध धारण करता था सभा म वह बठक क अ य ता करता था गणरा य म हर कल स एक यि त गण या सघ म त न ध क प म लया जाता था य त न ध राजा कहलात थ बौ थ म ल छ वय क 7707 कल और 7707 राजाओ का उ लख मलता ह इस कार गण क शासन णाल एकाधीन शासन णाल स भ न थी ब काल म वशाल का वि ज रा य ति ठत जन पद था यह गगा क उ तर म और नपाल क तराई तक व तत था वि जसघ म 8 गणत सि म लत थ इनम वि ज ल छ व और वदह

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थ चौथा गणरा य ातक था शष चार कल क स ब ध म पा ल थ मौन ह राय चौधर क अनसार व स भवत उ भोग कौरव और ऐ वाक थ ब काल न भारत म कई गण जा तया थी जसmdash पावा कशीनारा क म ल क पलव त क शा य राम ाम क को लय प पल वन क मो रया इ या द य जा तया गणत शासन णाल को अपनाय ह ए थी

ब घोष क अ कथा क अनसार वि जसघ का शासन चलान हत 7707 राजा थ जो वशाल क वग णत 84000 अथात 168000 जनस या म स चन जात थ उनक साथ उतन ह उपराजा और सनाप त थ व वशाल म थायी प स नवास करत थ च ल क लग जातक तथा एकप ण जातक क अनसार उन राजाओ उपराजाओ तथा सनाप तय क साथ इतन ह भा डागा रक थ अ तकर का वचार ह क 7707 राजा वा तव म वि जसघ क य जमीदार रह ह ग जो वय वशाल म रहत थ और भा डागा रक स अपनी जमीदार का काय करवात थ उनक प उपराजा कहलात ह ग उ ह आव यकता पड़न पर रा य को स नक सहायता भी दनी पड़ती थी इस लए उनम यक क पास एक सनाप त भी होता होगा वि जसघ क सभा म य सभी सद य थ और वहा तक वतक करत रहत थ यह सघ एथ स क लए ल थ नज वारा न मत स वधान का मरण दलाता ह

ल छ व सभा का अ धवशन िजस भवन म होता था उस सथागार कहत थ यह सभा वदशी यापा रक धा मक और क ष स ब धी मामल पर वचार करती थी महाव त म एक दत का उ लख मलता ह जो सदश पह चान का काय करता था वशाल क गण स था कायका रणी भी करती थी यह स म त वद शक और आ त रक मामल क दखभाल करती थी चतक इसका अ य था

इसक अलावा अ ट कल नाम क भी एक स था होती थी जो वि जसघ क आठ जा तय का त न ध व करती थी यह उनक याय महा स म त थी अ कथा क अनसार वि जसघ का यक अ भय त पहल व न च महाम त ( व न चय महामा ) क पास लाया जाता वह उस मामल क त य एक करता दोषी पाया जान पर अ भय त को वोहा रक ( यावहा रक) क पास भजा जाता था उसक वारा भी दोषी पाया जान पर अ भय तस तधर (स धार) क पास जाता था वहा भी दोषी पाया जान पर स पण मामला अ क लक क पास जाता था य द अ भय त द डनीय स होता तो उसका मामला सनाप त उपराजा और राजा सनत थ अि तम नणय राजा वारा कया जाता था इस कार राजा सव च यायाधीश भी था

अगतर नकाय म एक थल पर ब न ल छ व यवक को स बो धत करत ह ए कछ पद गनाय ह िज ह व ा त कर सकत थ व ह mdash राि क प त णक सनाप त ाम गाम णक (गाव का म खया) तथा पग गाम णक (औ यो गक स थाओ का म खया) इनम अि तम दो का स ब ध ाम व नगर शासन स था

गणरा य अपनmdashअपन शास नक मामल स थागार क अ धवशन म करत थ जहा

नणय लोकताि क णाल क आधार पर कय जात थ नणय का आधार सवस म त था

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इस कार छोट गणरा य म शास नक त क सचालन हत कम अ धका रय क आव यकता थी और बड़ गणरा य म अ धक छोट गण म कायपा लका या मि य क सद य स या अ प रहती थी सक दरकाल न गणरा य म मि य क स या 4 स 18 तक ि टगोचर होती ह िजनक नयि त क य स म त या स थागार ह करती थी गणरा य क

पर परा महा मा ब क बाद भी जार रह िजनका उ लख ीक लखक न व तार स कया ह उनम कठ सौभ त मालव यौधय क अ ब ठ आ द गणजा तय क गण मख थ ीक लखक न इन गणरा य क पदल घड़सवार और रथ सना का उ लख कया ह उ ह कई बार सनाप त पद हत भी चनाव होता था

इस कार छठ शता द ई प तक भारत म रा य और सा ा य का भौ तक कलवर बढ़न लगा भ म का व तार और राजनी तक त वि दता म व हो जान स राज शासन त को चलान हत अ धक पदा धका रय क आव यकता पड़न लगी वशष प स यायपा लका स नक शासन और लगान एक करन वाल वभाग का काय अ य धक तजी स

बढ़न लगा िजसस राजा क ग तशीलता म अचानक व हो गई

138 मगध सा ा य एव राजप ष त का ती वकास भारतीय इ तहास म चौथी शता द ई प का वशष मह व ह इस शता द म

भारतीय इ तहास को तीन महान नरश न दशा दान क एक महाप न द िजसन उ तर भारत क लघ व दक राजवश का अ त करक तथा मगध क सा ा य को उ तर भारत क अ धकाश म एव द ण क कछ भाग तक व तत करक दश क राजनी तक मान च को सरल कया दसरा सक दर िजसन महाप क कछ ह समय बाद उ तरापथ क लघ रा य का अ त करक राजनी तक सरल करण क इस या को उस दश म स प न कया तथा तीसरा च ग त मौय िजसन चाण य क सहायता स महाप न द और सक दर क काम को परा कया और भारतीय उप महा वीप म थम बार एक अ खल भारतीय सा ा य क थापना क

पौरा णक सा य क अनसार महाप न सव ा तक एकछ और एकरा जसी उपा धया धारण क अपन सा ा य क सर ा एव व तार हत उसन राजकोष भरा और वशाल सना एक क उसक राजधानी पाट लप थी न द क शासन यव था पर ला सकल लखक न कछ काश डाला ह ए रयन क अनसार सक दर क आ मण क समय यास क पव म ि थत दश म जो अ य त उवर था िजसक नवासी यो य कषक थ आ त रक शासन क स दर यव था थी िजसम जनता पर एक कल न वग शासन करता था जो अपनी स ता का उपयोग बह त ह यायपवक एव उदारता क साथ करत थ

अपनी साम रक तथा शासक य आव यकताओ क प त हत न द राजाओ को अतल धन क आव यकता पड़ी होगी महावस क अनसार अि तम न द राजा (धनन द) न अ य व तओ क अ त र त पश चम ग द पड़ तथा पाषाण पर भी कर लगाया न द क शासन म दान वभाग क जानकार मलती ह िजसका अ य सव ठ ा मण होता था न द राजा मि य क सहायता स शासन सचालन करत थ हम उनक क पक शकटाल थलभ रा स आ द म य क नाम मलत थ

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िजस समय न द स ाट धनन द मगध म शासन कर रहा था तब सक दर न भारत पर आ मण कया उसन पौरस को बड़ी क ठनाई स हराया था जब सक दर क स नक न न द सा ा य क वशाल सना क बार म सना तो व हताश हो गय फगलस न कहा था क ग डरडाई और पारसाई (न द सा ा य) क वामी क पास 20 000 अ वारोह 2 लाख पदा त 2000 रथ तथा 3000 हाथी ( लटाक क अनसार 80000 अ वारोह 200000 पदा त 8000 रथ तथा 6000 हाथी) ह तो सक दर क स नक भयभीत हो गय इस लए सक दर न वा पस वदश लौटन का न चय कया 325 ई प सक दर न वदश क लय थान कर लया और 323 ईप ब बलोन म उसक म य हो गई

1381 मौय शासन त

सक दर क वदश लौट जान क प चात च ग त मौय न भारतीय राजनी त क रगमच पर वश कया वह 321 ईप वह मगध का स ाट बना उसन मगध म न द वश का उ मलन करक पजाब म यनानी स ता क समाि त क त प चात स यकस स सि ध करक पि चमी एव द णी भारत को अ धकत कर लया च ग त मौय का सा ा य अ खल भारतीय था इस लए उस अ धक रा य कमचा रय एव अ धका रय क आव यकता थी उसन कौ ट य क शासन को भारतीय भभाग पर लाग कया ता क शासन सगमता पवक सचा लत हो सक च ग त मौय क प चात ब दसार अशोक और उसक उ तरा धका रय न मगध पर शासन कया

मौय राज शासन त क स ब ध म कौ ट य अथशा मग थनीज़ क इि डका और अशोक क शलालख स मह वपण जानकार मलती ह क य शासन

कौ ट य अथशा क अनसार रा य क स ताग म राजा सव प र होता ह मौय काल म राजा दश का धान शासक सनाप त धान यायाधीश और द डा धकार होता था मौय शासक राजा और दवाना य उपा ध धारण करत थ कौ ट य न धम क र ा को राजा का मख कत य माना ह वह सा ा य क सव च पदा धका रय को भी वय नय त करता था

कौ ट य क अनसार राजा को पहल परो हत और मि य तदपरा त अ य मख अ धका रय क नयि त करनी चा हय मौय नरश रा य हत नी त नधा रत करत पदा धका रय को नदश दत और राजा ाए जार करत थ उनक ग तचर पर रा य क ग त व धय क सचना भजत रहत थ िजनक चचा ला सकल लखक न भी क ह कौ ट य न राजा को मि य स सलाह लन क सलाह द ह बो क अनसार जब राजा आखट क लय नकलता था तो उसक चार ओर ि य का घरा रहता था इसस प ट ह क उन दन ि या भी एक कार क सरकार कमचार होती थी

राजा का उ तरा धकार उसका यवराज प ह होता था इस लए उस अ टादश तीथ म सि म लत कया गया था

मौय स ाट क सहायता क लय म ी होत थ म य क सभा म ीmdashप रष कहलाती थी अशोक क शलालख म इस प रसा या प रष कहा गया ह कौ ट य न सलाह

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द ह क राजा सामा य वभाग म अमा य नय त कर इसक बाद म य और परो हत क सहायता स उनक पर ा ल जो अमा य धम पर ा म खर उतर उ ह धम थ (द वानी कचहर ) तथा क टक शोधन (फौजदार कचहर ) क काय म नय त कर अथ पर ा म उ तीण अमा य को समाहता (ट स कल टर) तथा सि नधाता (कोषा य ) जस पद पर और कामोपधा पर ा म उ तीण अमा य को अ तःपर म नय त कर मि प रष म एक लघ प रष होती थी िजसक सद य राजा क व वासपा होत थ राजा क लय आव यक था क वह 3mdash4 मि य स म णा कर मौय स ाट इन म य म स ह कसी को अ ामा य या धान म ी नय त करत ह ग अथशा म इस पद क चचा नह ह पर त एक अ य थल पर उ चतम अ धका रय का वतन नधा रत करत समय ऋि वक आचाय परो हत

सनाप त यवराज राजमाता और पटरानी क साथ म ी को 48000 पण दन क यव था करता ह मकज क अनसार इस थल पर म ी का ता पय धान म ी स लया जाना चा हय

कौ ट य अथशा क अनसार क म शासन सचालन हत अनक अ धकार नय त कय जान चा हय जसा क पव म अ ययन कर चक ह मग थनीज न भारतीय समाज क सातव वग क प म काउि सलर व ए ससर का उ लख कया ह यह वग सवा धक लघ पर त ब म ता क लय स था इ ह म स राजा क परामशदाता राजक य कोषागार क पदा धकार पच यायाधीश सना क सनाप त और द डा धकार चन जात थ बो क अनसार इनम स रा य क सभी पदा धकार चन जात थ व रा य क धान पद यायालय तथा सावज नक पद पर नय त कय जात थ ए रयन लखता ह इस वग स रा यपाल उप रा यपाल कोषा य सनाप त नौmdashसना य तथा क ष नर क आय त चन जात थ मग थनीज नर क क चचा करता ह य नर क़ शायद ग तचर होत ह ग

शासन क व भ न अ धकरण क स ा तीथ थी िजनक स या अ टादश बतलाई गई ह िजनक नाम ह mdash म ी परो हत सनाप त यवराज दौवा रक आ तव शक शा ता समाहता सि नधाता द टा नायक पौरmdash यावहा रक कामाि तक म प रषदा य द डपाल दगपाल अ त पाल और अट वक

इनम म ी परो हत और यवराज क बाद समाहता और सि नधाता वशष मह वपण थ उनका स ब ध रा य क अथ यव था स था सनाप त य वभाग का सव च अ धकार था द टा क टकशोधन यायालय का धान होता था याय करन क अलावा वह समाहता क सहयोग स राजप ष क काय पर नय ण रखता था नायक स य ा धकरण का धान अ धकार था वह य म आग रहता था कामाि तक रा य क तरफ स चलाय जान वाल कमा त (कारखान ) क अ धकरण का धान था यावहा रक धम थीय यायालय क धान को कहत थ मि प रष का अ य भी अ टादश तीथ म गना जाता था द डपाल

सना क आव यकताओ को परा करता था अ तपाल सीमा त और अ तवत दग क यव था करता था नागरक नामक पदा धकार बड़ नगर क शासन हत उ तरदायी अ धकार था शा ता क अ धकरण क काय राजक य आ ाओ या राजशासन को ल पब करना था उसक अधीन अ पटला य नामक अ धकार होता था जो व भ न प तक (रिज टर ) क

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स भाल करता था दौवा रक राज साद क धान अ धकार को कहत थ अ तव शक राजा क अगर क सना का धान होता था उसक स नक अ तपर क व भ न क म नय त थ आट वक नामक पदा धकार अट व सना (व य जा तय क सना) या अट व दश क दखभाल करता था इन अ टादश तीथ क पथकmdashपथक अ धकरण थ ा तीय शासन

मौयकाल म स पण सा ा य क राजधानी पाट लप थी अ धकाश सा ा य राजाओ क सीध नय ण म था सा ा य क कई गौण राजधा नया भी थी जसmdash त शला उ ज यनी सवण ग र और तोसा ल इनस छोट राजधा नय क इलाक या कहलात थ यह ात नह ह व यालकार क अनसार मौय क ा त म यदश ाची द णापथ पि चमदश

और उ तरापथ क नाम स स थ ा त क राजधा नय म राजा क त न ध क प म कमार या आयप शासन करत थ उनक सहायता हत क य मि प रष क तरह प रषद होती थी िजसक सद य को अशोक क शलालख म महामा कहा गया ह जनागढ़ लख ( दामा) म च ग त मौय क एक गवनर व य प यग त को रा य कहा गया ह मकज क अनसार कौ ट य न गवनर को रा पाल या ई वर कहकर पकारा ह अशोक क अ भलख म ा तीय राजधा नय का उ लख मलता ह अथशा म नह इ सला समापा तथा कौशा बी नगर क दखभाल राजक महामा करत और ा तीय राजधा नय क गवनर

कौ ट य न जनपद का उ लख कया ह स भवत य ाचीन जनपद क त न ध थ िज ह मगध नरश न जीतकर सा ा य म मला लया था अथशा म इनक शासक को समाहता कहा गया ह उनक ऊपर महामा य और उनक ऊपर द टा तथा कमार होत थ जनपद को था नक नामक इकाइय म बाटा गया था सबस छोट शासक य इकाई ाम थी दस ाम क समह को स हण बीस स हण क समह को खाव टक दो खाव टक क इकाई को ोणमख और ोणमख क इकाई को थानीय कहा जाता था ाम का शासक ा मक स हण का गोप और थानीय का था नक कहलाता था नगर का शासन नागरक चलात थ अशोक क शलालख म नगर यावहा रक महामा का ववरण मलता ह जो शासन और याय का काय करता था वह कसी को कारावास या शार रक यातना द सकता था वस नगर क शासन को 5mdash5 सद य क 6 स म तया सचा लत करती थी िजनका उ लख मग थनीज न कया ह नगर शासन क लय िज मदार अ धकार एि टनोमोई कहलात थ शासक य वभाग एव अ धकार

कौ ट य अथशा तथा मग थनीज क ववरण स ात होता ह क मौयकाल म उ च पद पर नय त कमचा रय का वग अि त व म आ गया था कौ ट य न इ ह अमा य कहा ह इनक तलना आध नक आईएएस और आईपीएस पदा धका रय स क जा सकती ह कौ ट य न इस णी क अ तगत दसर अ धकरण म अ पटल (एकाउ स या लखा वभाग) आकार (खान) सवण को ठागार (भ डार) प य (वा ण य) क य (वन स पदा) आयधागार पौतव (तलामान) श क (सीमाकर) सना (पशवधशाला) ग णका (व याए) नौ (नौ प रचालन) गो (पश) अ व (घोड़) हि त (हाथी) रथ पदा त (पदल सना) म ा (पासपोट) ववीत

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(चारागाह) लोह (धात) ल ण (टकसाल) कोष (खजाना) सत (जआ) दवता (धा मक स थाए) आ द वभाग क अ य का उ लख कया ह कल मलाकर वह 30 कार क अ य क चचा करता ह इन पदा धका रय क अधीन 100 स 1000 पण तक वतन पान वाल कमचार काय करत थ इन पदा धका रय म स कछ का राज व शासन कछ का नगर शासन कछ का राजधानी एव राज ासाद क शासन स कछ का क ष शासन स तथा कछ

का स नक शासन स था कौ ट य न इन अ धका रय क काय णाल स ब धी कई नयम बनाय थ

कौ ट य अथशा क अनसार यक वभागा य क सहायता क लय स यायक (गणक हसाबmdash कताब रखन वाला) लखक ( लक) पदशक (म ाओ का पारखी) नी व ाहक (कोषा य ) तथा उ तरा य ( धान अ धकार ) रहत थ उ तरा य उन लोग को नय त कया जाता था जो हाथी घोड़ और रथ क सवार करन म कशल होत थ उसक अधीन बह त स कशल कमचार भी काय करत थ जो स यायक आ द व तय का पता लगान म ग तचर करत थ पदा धका रय को लगातार कसी एक वभाग म नह रखा जाता था कौ ट य न कमचा रय क वतन क अलावा स दशवाहक क भ त प शन और पदो न त क भी नयम बनाय थ अ धका रय और कमचा रय क नयि त या तथा वतन

ाचीन भारत म अमा य को मह वपण थान ा त था साधारणतया अमा य श द का योग मि य क लय कया गया ह क त कौ ट य न अमा य और मि य म भद कया ह वह कहता ह अमा यो चत गण दश काल और काय का वचार करक ह अमा य क नयि त क जाए क त उ ह म ी कदा प न बनाया जाव इस कार ार भ म अमा य राजा क म और सहयोगी थ पर त धीरmdashधीर उ ह न कमचार का प धारण कर लया अशोक न अपन उ च अ धका रय को महामा कहकर पकारा कौ ट य का अमा य स अ भ ाय कमचा रय क एक ऐसी णी स था िजसम स म ी परो हत समाहता सि नधाता अ तपर क अ धका रय दत और अ य वभागा य क नयि त क जाती थी

अमा य क नयि त पर ा क प चात क जाती थी अमा य क आचरण क पर ा राजा ग त र त स करता था य पर ाए धम पधा अध पधा कामोपधा और भयोपधा कहलाती थी मौयकाल म अमा य ह नह मि प रषद क सद य भी सवत नक थ उ ह रा य वारा अनक स वधाए दान क जाती थी

कौ ट य क अनसार अ टादशतीथ और उनक अधीन थ कमचा रय क लए यह आव यक था क व अमा यो चत गण क साथmdashसाथ उपधा पर ा (आचरण क पर ा) म सफल ह कौ ट य क अनसार कमचार सग ठत होकर रा य काय रोक सकत ह जा क धन का भ ण कर सकत ह उसन इसक चाल स ढग बताय ह िजनक मा यम स व रा य क धन का द पयोग कर सकत ह इस लए उन पर ग तचर क मा यम स यान रखना चा हय श धार दल स होन वाल हा न क तलना म द ट कमचा रय स होन वाल हा न अ धक घातक होती ह कमचा रय का जनता क साथ स mdash यवहार करना आव यक माना जाता था

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अथशा म रा य कमचा रय क वतन क स ब ध म कहा गया ह क वह कल राज व क एक चौथाई स अ धक न हो उसन कमचा रय को स वधाए दान करन पर जोर दया क त इसक लए आव यक था क धम और अथ क माग का उ लघन न हो धान म ी परो हत सनाप त और यवराज को 4800 पण वतन ा त होता था दौवा रक अ तव शक शा ता समाहता और सि नधाता को 24000 पण मलत थ नायक यावहा रक कमाि तक मि प रषद क सद य रा पाल और अ नपाल को 12000 पण वतन दान कया जाता था इसी कार द टा को 8000 पण पदल अ व रथ तथा गजा य

और आट वक को 4000 पण तथा अ य सभी अ य को 1000 पण वतन दया जाता था स भवत मि प रषद अ य का वतन 12000 पण ह था वतन ा त करन वाल म रा पाल का नाम भी आता ह जो कौ ट य क ारि भक सची म नह ह सभव ह इसस कौ ट य का ता पय दगपाल या ा तीय शासक स हो द डपाल भी इ ह कमचा रय क णी म आता था अत यह मान लना अन चत न होगा क दगपाल और द डपाल का वतन 12000 पण ह था

वभागा य और राजकमचा रय को वतन क अलावा आवास क स वधा दान क जाती थी वभागा य का आवास राजभवन क पास होता था कमचार क म य हो जान पर उसका वतन उसक प तथा प नी को दया जाता था म य या ध और बालक क ज म पर कमचा रय को राजा क ओर स सहायता द जाती थी

मौयकाल म राजक य आ ाए कमार क माफत अमा य क पास भजी जाती थी इसी कार य द कमार अपन अधीन थ अमा य या महामा य को कोई आ ा भजता तो व उ ह

अपन नाम स न भजकर महामा यmdashस हत कमार क नाम भजता था याया धकार

राजा सव च यायाधीश था उसक नीच दो कार क यायालय होत थ mdash िजनक नाम ह धम थीय तथा क टक शोधन धम थीय द वानी यायालय थ और सभी नगर म व यमान थ इनम चार कानन जानन वाल व वान और तीन अमा य याय करत थ क टक शोधन यायालय म तीन द टा और तीन अमा य याय करत थ नगर म नगर यवहारक तथा गाव म ाम म खया झगड़ नपटा लत थ यायाधीश धम थ या यावहा रक कहलात थ स य सगठन

सना क य सरकार अथात राजा क नय ण म थी अथशा म राजा क चतर गणी सना का उ लख मलता ह जब क मग थनीज सना को तीन अग म वभािजत करता ह च ग त मौय क सना म 6 लाख पदल 30 हजार अ व 9 हजार हाथी और 8 हजार रथ होन का उ लख मग थनीज न कया ह सना क काय का सचालन 5mdash5 सद य वाल छ स म तया करती थी सभी स नक रा य शासन त क अटट अग थ सना मश रथा य प य य अ वा य और ह य य क अधीनता म काय करती थी नावा य

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जलमाग का नर ण कर नाव क यव था करता था कौ ट य न हि त म य अ वम य रथम य और र थक आ द पदा धका रय का उ लख कया ह

च ग त मौय क म य क प चात ब दसार और अशोक न शासन कया उ ह न शासन म मह वपण सधार कय अपन छठ शलालख म अशोक कहता हmdash मन यह न चय कया ह क हर थान पर चाह म भोजन कर रहा ह अ तपर म ह घड़साल म ह या आन दवा टका म तवदक जा क काय क सचना मझ द सकत ह वह चाहता था क थानीय अ धकार जा क साथ कसी कार का अ याचार न कर अशोक क शलालख म

अनक वग क राजप ष का उ लख ह य ाद शक र जक य त तवदक और प ष पद नाम वाल ह इनम य त सबस छोट और ाद शक सबस बड़ अ धकार थ ाद शक प टत दश क शासक क स ा थी र जक का काय खत क पमाइश करना होता था

उसक अ धकार म लाख लोग नवास करत थ उ ह अ भयोग लगान तथा द ड दन का अ धकार था कल मलाकर उसका काय नगर यावहा रक जसा ह था य त नामक अ धकार का स ब ध कर वभाग स था प ष कोई पदनाम न होकर राजप ष क लय य त सामा य श द था अशोक न तवदक नाम क िजन राजप ष का उ लख शलालख

म कया ह उनका काय राजा को शासन और जनता स ब धी सब बात क सचना दना था इस कार व गढ ग तचर थ एरगडी लख म करणक य म च रय तथा ह थयारोह श द मलत ह ह थयारोह हाथी क सवार करन वाल करणक और य म च रय मश लखक और रथारोह थ धम वजय नी त क सफलता हत अशोक न धममहामा श ाया य महामा अ तमहामा और जभ मक नामक राजपदा धकार नय त कय थ

इस कार ाचीन भारत म सा ा य क थापना क प चात मौय स ाट न पहल बार सश त राजप ष तब क थापना कर परवत शासक को रणा दान क य य प इस काय का अ धकतम य स राजनी त व णग त कौ ट य (चाण य) को दया जा सकता ह

139 शगmdashसातवाहन काल म राजप ष त का अ ययन अशोक क म यपरा त मौय सा ा य म वक करण क व त उ प न हो गई ह

यनानी भारत पर आ मण करन क तयार कर रह थ िजसस दश क सीमाए असर त हो गई इस लए रा mdash म स रत होकर सनानी प य म श ग न मौय स ाट ह थ का अ त कर मगध सा ा य पर (लगभग 185 ई प) अपना अ धकार कर लया प य म श ग क प रवार न 112 वष तक शासन कया था कह पर यह स या 113 या 120 वष भी मलती ह

प य म क रा य हण कर लन स मगध पर मौय का शासन समा त हो गया और पहल बार ा मण शासन था पत हआ

श ग काल म भी राजा शासन का सव च पदा धकार था वह मि म डल क सलाह

स शासन सचालन करता था यक म ी अपन वभाग का उ चतम अ धकार था श गकाल क शासन रचना क जानकार मन म त स मलती ह

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मन म त क अनसार य थल म राजा वय सना का सचालन करता था म य दश पर यवन आ मण क समय प य म श ग न वय सना का उ च अ धकार अपन हाथ म लकर श को भगाया था सभवत उसक म म डल म परो हत खान स स बि धत म ी सनाप त आ द क अलावा अ य म ी भी थ िजनक उपा धया ात नह ह माल वकाि न म म अमा य म ी और स चव श द अव य मलत ह इन श द का अथ एक ह ह पर त य व भ न पद क योतक ह मन म त क अनसार याय यव था का धान यि त राजा होना चा हय याय दान हत राजा को शा क ाता ा मण क अलावा तीन और ा मण नय त करन क सलाह मन न द ह मन हम रा य क नय मत यायालय क भी सचना दता ह

श ग क पास वशाल एव अनशा सत सना थी िजसका धान सनाप त वय राजा होता था सना म पदा त रथ घड़सवार और हाथी सना स स बि धत चार वभाग होत थ ग तचर वभाग बाहर और आ त रक सचनाए राजा क पास भजता रहता था उस समय पाच कार क ग तचर होत थ यथा कप टक उदि थ त ग थ व दजक और तपस

श ग सा ा य अनक दश म वभ त था प य म क दसर राजधानी व दशा म अि न म शासन कर रहा था ाद शक शासक क नयि त वय राजा करता था दश क शासक अपन पड़ोसी राजाओ स य और सि ध करन क लय वत थ

सा ा य क सबस छोट इकाई ाम थी यक गाव का एक अ धकार होता था यक 10 20 100 और 1000 गाव क भी अ धकार होत (मन 7115) थ इन

पदा धका रय क पद नाम ात नह ह इन पदा धका रय को राजा ा स अपन भरणmdashपोषण हत ाम स खा य पदाथ एव ईधन लन क वत ता थी मन क अनसार 10 ाम क अ धकार को 1 कल 20 ाम क अ धकार को 5 कल 100 ाम क अ धकार को 1 ाम और 1000 ाम क अ धकार को 1 नगर स साम ी ा त करनी चा हए कल का ता पय दो हल क खती स था इन सभी अ धका रय पर नय ण राजा क एक ब मान म ी क वारा होता था यक नगर एक अ धकार क अधीन होता था जो ाम क अ धका रय पर ि ट रखता था इस काय क लए वह ग तचर नय त करता था श गकाल म साम त था

का वकास हआ मथरा अयो या अ ह छ कौशा बी म थानीय शासक शासन करन लग थ पर त उनक नयि त राजा करता था

अत कहा जा सकता ह क श ग राजाओ का राजप ष त मौया क ह तरह वक सत था न सदह उ ह न मौय सा ा य क उ च मानद ड को अपनाया होगा जो पव म सफल स हो चक थ

मगध म श ग क प चात क व वश न शासन कया क त उसक प चात दश म सा ाि यक स ता का अभाव उ प न हो गया य क भारत क बह त बड़ भभाग पर शक कषाण और यवन का आ धप य था पत हो गया था अ धकाश गण जा तया पजाब एव राज थान म बसी ह ई थी यहा हम वदशी जा तय एव द ण भारतीय शि त सातवाहन क शासन त क चचा करना उ चत समझत ह

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1391 ह दmdashयनानी राजा एव उनका शासन

मौय क पतन क प चात उ तर पि चमी भारत म शासन करन वाल ह द यनानी राजाओ न शासन कया उ ह न बसी लयस तथा महान राजा (MEGAS) जसी उपा धया धारण क और भारत म सय त शासन प त का चलन कया यनानी इस पद पर यवराज को नय त करत थ क त व कई बार कसी भभाग पर लघ राजा भी नय त कर दत थ यना नय न ा त को पया कहकर पकारा इन ा त को अनक छोट भाग या ऐपा कय म बाटा जाता था और यक ऐपाक कई हाइपा कय म बट होती थी ऐपाक को क म न रय क बराबर माना जा सकता ह पी का शासक प कहलाता था सभवत म रडीज ा त स भी छोट इकाई था यनानी शास नक काय म भारतीय अ धका रय क सहायता लत थ मना डर क समय वजय म और बाजौर दश म शनकोट स ा त मजषा पर वयक म एव वजय म नाम मलत ह इसम वयक म को महाराज कहा गया ह प ट ह क राजा कछ यि तय क परामश स शासन करता था

1392 शकmdashप लव शासन प त

भारतीय यवन का अनसरण कर शकmdashप लव न उ ह क शासन प त को अपनाया उनक राजाओ न सहानसाह और साम त न शाह उपा धया धारण क उ ह न भी सय त शासन या दो यि तय वारा शासन करन क प रपाट को जार रखा उनक म ाओ क प ठ भाग पर यवराज का नाम भी उ क ण कया जाता था यना नय क तरह शकmdashप लव नरश ा त म शासक स नक कला म न णात यि तय को नय त करत थ गो दो फन ज क म ाओ पर एक स नक शासक अ व वमा का नाम मलता ह ा त क उप वभाग क शासक मर दख (Meridarch) कहलात थ वस ा तीय शासक हत च लत नाम

प था प स बड़ी उपा ध महा प थी जो ाय यवराज को दान क जाती थी कई बार प वत शासक भी होत थ और उनक नाम म ाओ पर अ कत करवाय जात थ शकmdash प भी शास नक काय म भारतीय का सहयोग लत थ महा प शोडास का कोषा य एक ा मण था इसी कार अ भसार थ क नगर म हम शव सन नामक भारतीय प का उ लख पात ह स प म कहा जा सकता ह क शकmdashप लव रा य काल म रा य क अ धका रय हत शास नक क अलावा स नक यो यता भी आव यक थी राजा अ भयान क समय वशाल सना साथ लकर जात थ

थम शती ई वी क उ तरा म ल खत प र लस क भौगो लक ववरण स पि चमी भारत म शासन करन वाल शक क च टन और कादमक राजवश क जानकार मलती ह नहपान क शासन क बार म उसक दामाद उषवदॉन क ना सक गहा लख स ववरण मलता ह ववरण क अनसार रा य म एक लखा वभाग होता था िजसक सभा भवन म दान दन क घोषणा क जाती थी इसस प ट ह क उन दन नगम सभा या नगरपा लका का शासन म वशष मह व था शासक महा प या राजन उपा ध धारण करत थ कादमक वश का स थापक च टन वय ारभ म प और फर महा प पद पर रहा महा प दामा क स ब ध म जनागढ़ लख स ात होता ह क वह यो य म य क सलाह स शासन करता था

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िज ह म तmdashस चव और कम स चव कहा जाता था कम स चव काय प दन वाल और म त स चव सलाह दन वाल म ी थ दामा न आदश द रखा था क जनता स यायो चत कर ह लया जाय शक म सह शासन णाल जार रह दामा च टन क साथ सहशासक क प म काय कर चका था इस कार शक क शासन पर भी भारतीय यवन का भाव बना रहा

1393 कषाणराज शासन त

प लव क प चात कषाण का वदशी सा ा य उ तर mdashपि चमी भारत म था पत हआ यह सा ा य ह दmdashयनानी शक और प लव सा ा य क अप ा अ धक व तत था यह भारत स दर म य ए शया म काफ दर फला हआ था इस राजवश म कजल कड फ सज (10mdash15 ई) वम कड फ सज (64mdash78 ई) क न क (78 mdash101 ई) वा स क और ह व क जस यो ा शासक ह ए ग त सा ा य क थापना होन तक भारत पर कषाण का भाव बना रहा

कषाण शासक ार भ म यवग और बाद म महाराज और राजा धराज जसी उपा धया धारण करन लग थ म ालख तथा व भ न थ म उनक शाओ नानोशाओ (षाहानषा ह) सवलोव वर दवप और मह वर आ द उपा धया मलती ह

कषाण क राजप ष त क स ब ध म अ धक जानकार ा त नह ह थम क न क क शासन काल क तीसर वष (81 ई) क सारनाथ बौ तमा लख म

वन पर और खरप लान नामक दो प क नाम मलत ह जो क न क क सा ा य क पव ा त अथात बनारस क आसmdashपास क म शासन करत थ इसस कषाण सा ा य क ा त म वभािजत होन क जानकार मलती ह आरएस शमा लखत ह क कषाण न

सभवत एक ह ा त म दो शासक रखन क था को चलाया था ता क दोन प एक दसर पर नय ण रख सक वन पर क लए प और खरप लन क लय एक अ य अ भलख म महा प उपा ध मलती ह इसस प ट ह इन दोन म स एक अ धप त और दसरा अधीन शासक था सा ा य पाच या सात ा त म बटा हआ था कई बार वजता सनाप त ह कसी ा त का प नय त कर दया जाता था प का पद राज प रवार क लोग को दान कया जाता था प मारक का नमाण करवात और दान भी दत थ सभवत प गाव स राजकर भी वसल करता था वह ाम धान और राजा क म य मह वपण कड़ी था क त वह अपन म वत स ता का उपभोग करता था

कषाण राज शासन त म द डनायक का उ लख अ भलख म मलता ह यह कोई स नक अ धकार था सना का चतर गणी व प इस काल म भी बना रहा होगा उसम घड़सवार अ धक होत थ कषाण स नक क स या ात नह ह

प अपनी स ता का उपयोग द डनायक या महा द डनायक जस अधmdashस नक अ धका रय क मा यम स करत थ कषाण शासन म द डनायक तथा महा द डनायक मह वपण अ धकार थ व अनदान अधी क का काय भी करत थ कषाण अ भलख म द डनायक व लन महाद डनायक ह ि मयक च य क का नाम मलता ह य अ धकार कभीmdashकभी विजत म अस नक काय भी स भालत थ क त नय विजत दश म उनक

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स नक कत य मह वपण थ द डनायक क साम त स तलना करना उ चत नह ह हा व वान इस पद क साथ स नक द डा धका रक तथा या यक क त य का दा य व जोड़त ह जो अन चत नह लगता परवत काल म द डा धकार का काय कवल याय करना ह रह गया इस कार कषाण काल म अ धकार सभी तरह क काम कर लत थ उनम व र ठ और क न ठ अ धका रय क दो णी होती थी अ धका रय को नकद वतन दया जाता था य क कमचा रय क स या बह त अ धक नह थी

सभवत कषाण सा ा य रा य वषय तथा भि त म वभ त था क त इस स ब ध म नि चत प स कहना क ठन ह वषय का उ लख तीसर सद क एक महायान

थ म मलता ह भीटा स ा त चार महर पर नगम का उ लख आया ह सा ा य क सबस छोट इकाई गाव था मथरा स ा त जन तमा लख म गाव क शासक ा मक का उ लख मलता ह यह ा मक मौय काल न ाम भोजक या

ा मक क तरह क क त य नभाता था वह गाव म राज व वसल करता था ा मक क नयि त वय राजा करता था ा मक गाव क सर ा यव था का भी िज मवार

था सर ा काय ाम या ग म म नय त स नक द ता करता था ा मक को वतन क प म भ म का कोई टकड़ा द दया जाता था प पाल गाव म साम हक परती जमीन का धान अ धकार था इस काल म भ म क थायी दान अ यmdashनी व भी दय जात थ इस कार कषाण शासन म राजप ष तब नि चत यव था पर आधा रत था उनक णीब

साम तीय था को तो ग त स ाट न भी अपनाया था

1394 सातवाहन राजप ष त क वशषताए

मौय तर यग म जो राजनी तक शि तया भारत म बल ह उनम सातवाहन वारा था पत सा ा य कई कारण स अ धक मह वपण ह इसका कारण यह ह क यह सा ा य

द ण म पहला ऐसा सा ा य था िजसन मौय सा ा य क पर परा को सर त रखा और कर ब 460 वष क सद घ काल तक व यमान रहा यह सा ा य क णा गोदावर क नचल घा टय और महारा म प ल वत हआ समक इस राजवश का थम और गौतमीmdashप सातक ण तापी नरश था

सातवाहन शासक न राजा राजराज और वामी आ द उपा धया धारण क रा नया दवी कहकर पकार जाती थी सातवाहन शासक न महामा क थान पर अमा य क सहायता स शासन का सचालन कया अमा य सरकार अ धकार क सामा य पद का सचक था अमा य क उ च णी राजामा य कहलाती थी व राजा क साथ रहकर उसक सवा करत एव उस सलाह दत थ अमा य को शासन वषयक आ थक तथा िजल का ब ध स पा जाता था सातवाहन अ भलख स सनागोप (सनाप त) अ ववारक (अ व सनाप त) और महा सनाप त जस स नक नाम मलत ह यह पद कल न यि तय को दया जाता था इस समय िजल को आहार कहा जाता था िजनक यव था अमा य करत थ यक आहार म कम स कम एक नगम (क य नगर) और कई गाव होत थ भा डागा रक भ डार का अधी क होता था कोषा य क स ा हर णक थी रा य क स चव का काम लखन था वह राजा क ओर स

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जार होन वाल द तावज क मस वद तयार करता था इनक रिज नब धकार क यहा पर होती थी सातवाहन रा य म भी प लस व त याय सना रसद क ष और उ योग वभाग रह ह ग पर त उनका व तत ववरण नह मलता ह गाव म पर परागत शासन म खया वारा कया जाता था पर त सरकार अ धकार तो ा मक ह रहा होगा सातवाहन सा ा य

म उ च स ता और अ धकार रखन वाल साम त भी होत थ िज ह महारठ और महाभोज कहा जाता था य पद कल नता क सचक थ

सातवाहन क प चात द ण भारत म इ वाक वश क राजाओ न शासन कया उ ह न सातवाहन क महासनाप त और महाद डनायक जस पद बनाय रख और महातलवर नामक एक नया पद सिजत कया िजसका ता पय धान यायाधीश होता था स पण रा य रा कहलान वाल िजल म बटा हआ था वहत फलायन वश क राजा जयवमा न अमा य क थान पर यापत श द का योग कया

1310 ग त वश क नप तय का राजप षmdashत कषाण सा ा य क पतन क प चात सा ाि यक स ता वल त हो जान क

प रणाम व प दश म कई नवीन राजनी तक शि तय का उदय हआ मालवा और गजरात म प शासन कर रह थ उ तर भारत म कषाण क छोटmdashछोट रा य था पत हो गय थ

उ तर भारत क ह अ य भाग म मालव यौधय आजनायन श व क ण द कलत और औद बर जस गणरा य मख थ मथरा काि तपर और व दशा म प ावती क नाग क रा य था पत हो चक थ द ण म वाकाटक शि तशाल रो रह थ इन प रि थ तय म

सा ाि यक ग तवश का रा य पव उ तरmdash दश क पव भाग म था पत हआ ीग त इस राजवश का स थापक था थम च ग त सम ग त व मा द य च ग त कमारग त और क दग त जस तापी स ाट ग तवश म ह ए

ग तकाल म स ाट याय सना तथा द वानीmdash वभाग का अ य था सनाप त क प म वह अ भयान क समय सना का नत व करता था स ाट दव अ च यप ष महाराजा धराज परम वर और च वत उपा धया धारण करता था

स ाट क सहायता क लय म मडल होता था इसक सद य अमा य स चव या म ी कहलात थ ग तmdashअ भलख क अनसार ह रषण सि ध व हक म ी था इसक अ त र त वह कमारामा य तथा महाद डनायक भी था इसी कार शखर वामी च ग त वतीय का म ी तथा कमारामा य था िजसका ववरण करमद डा लख म आया ह

प थवीषण का नाम करमद डा लख म कमारग त क म ी और कमारामा य क प म मलता ह उदय ग र लख क अनसार स चव का पद पर परागत था ह रषण वभ त का प था जो पहल महाद डनायक तथा अमा य रह चका था स भवत सनानायक (महाद डनायक) ह स ाट का पररा म ी (सि धmdash व हक) होता था म ी पद पर यो य यि त ह नय त होता था च ग त का सि धmdash व हक अमा य वीरसन क व याकरण याय और राजनी त का पि डत था

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स ाट और म ी कछ मख कमचा रय क सहायता स शासन करत थ अ तकर न इस स ब ध म सवा य तीहार या महा तीहार और कमारामा य का नाम गनाया ह सवा य एक मख अ धकार और सभी क य वभाग का पयव ण करता था तीहार स ाट स मलन वाल लोग को आ ाप दता था और कमारामा य राजप रवार का सद य होता था वह या तो स ाट का त न ध (वाइसराय) अथवा यवराज हआ करता था उदय नारायण राय इस मत स सहमत नह ह उनका वचार ह क कमारामा य तो ग त अ भलख म उ च पद थ कमचा रय क श दावल तीत होता ह सनानायक ह रषण तथा प थवीषण कमारामा य थ अ तकर न ग तकाल म आध नक आईएएस क भा त पदा धका रय क वग क क पना क ह ऐस कमचार उ च पद पर नय त कय जात थ

ग तकाल म सना वभाग रा य का सबस मह वपण वभाग था उसका धान वय स ाट होता था य द स ाट व हो जाता तो यवराज सना क अ य ता करता उसक नीच धान सनाप त हआ करता जो महाmdashद डनायक कहलाता था धान सनाप त क नीच कई

उपसनाप त होत थ गजसना धान महापीलप त होता था उसक नीच भी कई अ धकार काय करत थ िज ह पीलप त कहा जाता था अ वसना का अ य महा वप त कहा जाता उसक नीच कई अ वप त काय करत थ व भ न अ य क नीच स नक काय करत थ

प लस वभाग का धान कमचार द डपा शक कहलाता था उसका उ लख बसाढ क म ा म मलता ह अ तकर न उस प लस सप र ट डट क समक माना ह प लसmdash वभाग क कमचार चाटmdashभाट कह जात थ अ भ ानशाक तलम म उ ह र न कहा गया ह

सा ा य ा त म बटा हआ था ा त भ क या दश कहलात जस तीरभि त प वधनभि त आ द भि त क रा यपाल को उप रक या उप रक महाराजा कहा जाता भि त आध नक क म नर क समक होती थी रा यपाल क नयि त वय स ाट करता था रा यपाल ाय राजकमार अथवा सयो य राजकमचार होत थ गो व दग त (तीरभि त) घटो कचग त (पव मालवा) और पणद त (सौरा ) ग तकाल म स रा यपाल ह ए थ

िजला वषय कहा जाता था िजल का धान अ धकार वषयप त कहलाता था और उसक नयि त उप रक महाराज करता था वषयप त शासक य सचालन म नगर ठ साथवाह थम क लक और थम काय थ (लखक) क सहायता स करता था िजला म यालय त ठान कहलाता था

नगर का शासन रा य क ओर स नय त पदा धका रय थानीय सभा स म तय और समदाय वारा कया जाता था पदा धका रय म नगर मख उ लखनीय ह मौयकाल म उस नागरक कहकर पकारा जाता रहा था च पा लत ग तकाल का स अ धकार था

गाव का शासक ा मक होता था वह ाम मह तर ( ति ठत) क सहायता स भ म का लखा तयार करवाता और नमाण काय क भी दखभाल करता था

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सरकार जनता स उ कर भत याय तथा नशील व तओ पर कर लती थी नगर म आन वाल सामान पर च गी लन का काय श का य क अधीन था उसक सहयोगी कमचार घमmdashघम कर श क वसल का काय करत थ

नगर म याय का काय सरकार यायालय करत थ म छक टक म अ धकरण म डप ( यायालय) और अ धकर णक ( यायाधीश) का उ लख मलता ह अ धकर णक को म णा दान करन वाल म राजकमार दत ग तचर तथा मह रर मख यि त थ

ग तकाल न राजप ष त व वध म अ य त वक सत था का लदास न अ भ ानशाक तलम म ग त स ाट क स ब ध म ठ क ह कहा था mdash व तापी राजा इतन अ छ ढग स रा य चलात थ क पवत पर सम क पार पाताल लोक म नाग क दश म सब दशाओ म और पत भ व य एव वतमान mdash तीन काल म सब कह तो उ ह का यश फला हआ था

1311 मौख रmdashवधनयग म राजप ष त (606 mdash 647 इ) ग त सा ा य क पतन क प चात परवत ग त मौख र और म क राजवश क स ता

था पत ह ई य तीन राजवश ग त स ाट क साम त थ और लगभग 550ई म इ ह न अपन वत रा य था पत कर लय थ इन तीन रा य म उ तर भारत म अपनी स ता थापना क लए कई बार य ह ए इस सघष म मौख र राजवश सफल हआ बाद म मौख र

नरश हवमा का ववाह थान वर क महाराजा धराज भाकरवधन क प ी स रा य ी हआ क त हवमा क म य क प चात उसक प ह न होन क कारण मौख र रा य वधन रा य का अग बन गया वधन वश का सबस स नरश हषवधन था ता प हषच रत तथा चीनी या ी यवान वाग क या ाmdash ववरण स स ाट हष क राजप ष त क परखा खीची जा सकती ह

हषवधन च वत परमभ ारक महाराजा धराज और परम वर उपा धया धारण करता था स ाट कायपा लका यायपा लका और सना का धान अ धकार था यवान वाग क अनसार हष म य क सहायता स शासन करता था पोनी क नत व म म य न हष स क नौज का रा यभार सभालन क ाथना क थी सनाप त सहनाद और क दग त क सलाह को हष ाय मान लया करता था हषच रत स सि धmdash व हक अवि त क भी जानकार मलती ह

मौख रवधन रा य तथा राज दरबार क दखरख कई क य कमचार करत थ पा रया जस तहार क म खया वनयासर नामक साधारण तकार ( वारपाल) कचक अथवा व ी mdashचामर धारण करन वाल सवक मीमासक परो हत चामर ा हणी ता बलकरक वा हनी और राजा क अगर क क गनती क जा सकती ह मखलक कलक और सवादक जस धावक (तजी स सदश ल जान वाल) का उ लख बाण र चत हषच रत म मलता ह हषच रत म लखहारक का भी नाम मलता ह बाण न हष क साम त क भी चचा क ह बास खड़ा और मधबन ता प म महासाम त क दग त और साम त महाराज ई वरग त का नाम मलता ह

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हषकाल न नौकरशाह स स बि धत मख अ धका रय एव उनक वभाग का ववरण इस कार ह mdash 1 महास ध व हक mdash यह य और सि ध क काय म राजा को सहयोग करता था

सभवत वह मि प रषद का भी सद य था राजक य आलख और घोषणाओ का लखन उसका मख काय था अवि त इस पद पर काय कर रहा था

2 महाबला धकत mdash यह पदा त सना का सव च सनाप त था सहनाद इस पद पर ति ठत था

3 वहद ववार mdash यह अ व सना का नायक होता था क तल इस पद पर नय त था 4 कटक mdash यह गज सना का सनाप त था क दग त इस पद पर कायशील था थायी सना म 5000 हाथी 2000 घड़सवार 50000 पदा त थ बाद म उनक स या

60000 हा थय तथा 1 लाख पदा तय तक पह च गई 5 मीमासक mdash यह याय वभाग का यायाधीश था 6 महा तहार mdash यह (कचक ) राज साद का र क था 7 दतक महा मातार महा साम त mdash यह दान गह ता को भ म ह तात रत करन वाला

राजा का व वासपा सदशवाहक (दतक) था ल ट क अनसार वह राजा क आ ा अ धका रय तक पह चान वाला व र ठ कमचार था

8 महा मातार mdash भ म क नाप करन वाला अ धकार था जो दतक महा मातार क अधीन काय करता था

9 महा पटला धकरणा धकत mdash सरकार द तावज का सबस बड़ा अ धकार था भान और ई वरग त न इस पद पर काय कया था उ ह महासाम त और महाराज क उपा धया द गई महापटला धकार राज व और भ मrsquo का यौरा रखन वाला अ धकार था उसक अधीन कई लखक काय करत थ

10 दौ साध नक mdash इस अ धकार का ववरण ा त नह ह सभवत यह क ठन काय म हष को सहयोग करन वाला राजप ष था

11 कमारामा य mdash स भवत यह वह अ धकार था िजस दान सबधी भ म क सचना द जाती थी असभव नह ह क यह ा त म शासन करन वाला साम तत य क त व तत अ धकार स प न कोई अ धकार रहा हो या यह म ी का पद था इसक सबध म कछ भी कहना क ठन ह

12 चाट भाट सवक mdash य स नक अधस नक व प वाल शाि त थापन म य त राजप ष थ सवक अ धका रय क सवा करन वाल मामल नौकर थ याम च ट रा म पहरा दन वाल ि या थी बाण न उनका उ लख कया ह इन सभी अ धका रय को भरण पोषण हत रा य क ओर स भ म दान क जाती थी ाय नकद वतन कम ह दया जाता था क क अ य पदा धकार परो हत रण भा डागारा धकत पाट प त ( नर क) भोगप त (कर लन वाला) द वर (लखक) और तवतन (चारण) थ

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सा ा य भि त या रा या दश म बटा हआ था उप रक महाराजा उनका शासन

सचालन करत थ हष क समय ldquoराज थानीयrdquo पद नाम मलता ह जो शायद उप रक महाराज का ह दसरा नाम ह अ भलख म भौ गक नामक पदा धकार का नाम मलता ह िजस ल ट न भि त का धान माना ह ा तप त का कायालय अ धकरण होता था भि तया वषय म बट ह ई थी िजसक शासक वषयप त और उसका धान कायालय वषया धकरण कहलात थ ा त म द डपा शक चोरो र णक दाि डक (य सभी प लस कमचार ) नगर ि ठ थमक लक थम काय थ काय थ और साथवाह मलकर शासन काय म सहयोग करत थ

पाठक यक वषय म कई पाठक होत थ जो तहसील क समान थ

ाम रा य क सबस छोट इकाई ाम था ाम शासन का म खया ( ा मक) और धान

मह तर कहलात थ ामा पट लक नामक कमचार ा मक क सहायता करत थ ामा पट लक गाव क भ म का पण यौरा रखता था शासन क ऊपर इकाइय म

अ पट लक क धान अ धकार होत थ जो महा पटला धकत कहलात थ चीनी या ी यवान वाग क ववरण स सक तत ह क राजक य आय शासन सचालन तथा सरकार नौकर को

वतन दन और धा मक काय पर यय क जाती थी इसस प ट ह क हषवधन क समय सरकार कमचा रय को काय क बदल नकद वतन और कभीmdashकभी भ म दान क जाती थी

1312 राजपतकाल न राजप षmdashत (700 mdash 1200ई) हषवधन क म य क प चात उ तर भारत म राजनी तक एकता समा त हो गई और

उसक वशाल सा ा य क थान पर अनक छोटmdashछोट राजपत रा य था पत हो गय य रा य तहार परमार चौल य चदल और गाहडवाल राजवश न था पत कए थ द णी भारत म रा कट चोल और चाल य राजवश अ य त शि तशाल हो गय थ बगाल म पाल राजा अपन सा ा य का व तार करन क लए तयार थ

राजपत नरश न शास नक म लगभग ाचीन प रपाट का ह पालन कया इस काल तक राजनी तक पद ाय वशानगत हो चक थ अब राजा परो हत धानम ी क पद ाय वशानगत हो गय थ अ धका रय को वतन क बदल भख ड दय जात थ फर भी

राजा कायपा लका यायपा लका तथा कानन नमाण यव था का म य ोत था राजा महाराजा धराज परम वर महासाम ता धप त ठ कर महामा ड लक जसी उपा धया धारण करत थ एक 84 गाव का साम त भी अपना दरबार रखता और वदश म ी भी राजा अपना उ तरा धकार िजस यवराज कहत थ वय क जीवनकाल म ह मनोनीत कर दता था श नी तसार स ात होता ह क राजा शासन चलान हत परो हत धान स चव म ी ा ववाक पि डत सम त अमा य और दत क सहायता लता था

शासनालय (स ट रयट) क काय प त यथापव चलती थी राजप ष त क अ तगत कई कमचार सि म लत थ यथाmdashमहास ध व हक (पररा म ी) महाधमा य ( याय वभाग

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का अ य ) शौि कक (च गी वभाग का अ य ) तहार वारपाल अ तप रक काय थ लखक द डपा शक (प लस वभाग का अ धकार ) नय तक भी सभवत कसी वभाग का अ य था तहार लख म राज कमचा रय को राजप ष कहा गया ह प लस का सपाह तलार और सरकार वक ल साध नक कहलाता था तलार सलहय और बला धप नामक अ धकार कर वसल का काय करत थ हर य समदा यक नया अ धकार इस काल म दखलाई पड़ता ह

राजा क पास वशाल सना होती थी स नक टक डय को ग म कहत थ टकड़ी का नायक गण थ कहलाता था स पण सना का धान सनाप त होता था उसक अधीन अ वप त (अ वसना य ) ह य य (हा थय क सना का धान) और प का धप त (पदल सना का धान) होत थ भा डागा रक सना हत रसद क यव था करता था चदल रा य म दगपाल या कोटपाल नामक अ धकार का उ लख मलता ह जो कल का र क या नर क होता था कसी कसी रा य म नौ सना या जहाजी बड़ा भी रहता था इस काल म राजा कई बार य क दौरान या अ यास क समय श वर म रहता था वय राजा अ धका रय साम त और स नक अ धका रय क पि नया भी श वर म उनक साथ रहती थी सभवत ऊट पर लड़न वाल स नक क टकड़ी अलग स होती थी

ाय उ च राजकमचा रय और अ धका रय को नकद वतन क बदल भ म द द जाती थी िज ह भौ गक या भोगपीतक कहा जाता था रा य पर साम त का वशष भाव था साम त कसान स सीधा भ मकर वसल करत थ िजसका कछ भाग राजा क पास भजा जाता था साम त को महासाम त महाम डल वर राणक और ठाकर कहा जाता था

सा ा य भि तय म बटा हआ था उसक नीच म डल वषय और पाठक थ एक पाठक म 12 गाव होत थ भि त का शासक भोगप त उप रक राज थानीय या कमारामा य कहलात थ गाव का शासक ा मक था जो मह तर क सहायता स सावज नक काय करवाता था

13121 चोल शासन राजपत काल म द ण भारत म चाल य और चौल वश का शासन बना रहा इनम

चोल वश का शासन अ धक स ह चोल वश का उ लख महाभारत तथा अशोक क अ भलख म भी मलता ह इस

राजवश स राज चोल राजराजा थम वीर राज और व मmdashचोल जस महान राजा ह ए चोल वश क शासक अपनी साम रक उपलि धय क अलावा शास नक यव था क

लय स ह चोल शासन म राजा स ता का म य क था वह यक वभाग क वय दखभाल करता था राजा धा मक काय क बार म राजग स सलाह लता था अ तकर का मत ह क चोल शासन म एक क य स चवालय होता था उ च अ धकार उसस जड़ ह ए होत थ राजा क आ ाओ को स चव लखकर उस थानीय तथा क य अ धका रय क पास भजत थ नो म दर ओलवी का काय म म डल क नणय लखना था करनन नामक अ धकार दोर पर जाकर शासन काय पर नगरानी रखत थ शासनालय का एक अ य वभाग

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अधीन अ धकार जो पछताछ करत थ उसका जवाब दता था य य प चोल क म प रषद का प ट उदाहरण नह मलता ल कन इस तरह क कोई स था व यमान अव य थी अ भलख

स हम क सरकार क कायालय का उ लख मलता ह जो िजल म राजा का त न ध व करत थ उनक नाम ह mdash महामा शद व हम नाडवग ना क क डका टय आ द उड़न क म उ च अ धका रय का समह था अ धका रय और कमचा रय का बह त बड़ा वग राजा क शास नक काय म सहायता करता था

अ धका रय क भत क समय उनक वश पर वशष यान दया जाता था काय कशलता क आधार पर उनक पदो न त क जाती थी अ धका रय को ाय पा र मक क बदल म भ म दान क जाती थी क मगल और प णम कल क पद अ धकार और सवक क समान थ ता प म ा मण स चव न का नाम मलता ह आणि त नामक अ धकार भी सरकार आदश थानीय अ धका रय क पास भजन वाला म य कमचार था वह जा व राजा क बीच कड़ी का काम करता था राजा वारा दय ह ए दान का यौरा लखा जाता था इस सदभ म क म तथा नाड व क नामक अ धका रय क नाम मलत ह ओल राजा क नकट रहन वाला अ धकार था पर वव र तणकmdashकल प ोल क ल मगव पर वव र तणकmdashकल तकmdash कका ण ओलनायगम व रपो तगम मकवि त म दर ओल आ द अ धका रय क नाम अ भलख म मलत ह जो व भ न काय हत नय त थ अ धका रय को मा रयन अरयन और पररयन नामक उपा धया स नक एव अस नक काय क लय दान क जाती थी

चोल सा ा य 9 म डल म वभािजत था यक म डल म 2mdash3 िजल होत थ म डल क म नर क बराबर थ म डल वलनाडओ म और वलनाड नाडओ म वभािजत थ नाड ाम को कहत थ मला ाम म 50 गाव तक सि म लत होत थ थल नामक वभाग म 11 स 64 तक गाव होन का उ लख मलता ह

अ भलख म हम म डला धप त का उ लख मलता ह जो कभी राजकमार थ तो कभी उ च अ धकार यक म डल म राजा का त न ध रहता था म डला धप सना भी रखत थ व बाद म वशानगत होत थ साम त पर नय ण रखन हत उनक राजधानी म एक सरकार त न ध रखा जाता था चोल शासन म अ भजात वग का भाव ि टगोचर होता ह आ दगा रगल भोज क वशज थ व म ी स न न पद वीकार नह करत थ

चोल शासन म स नक सगठन यवि थत था राजा जल और थल सना का धान होता था अ भलख म सना क रिजम ट तथा उसक वारा कए गए काय का ववरण मलता ह सना म पदल घड़सवार और हा थय क कई डवीजन होत थ सना ग म तथा छाव नय म रहती थी सना म कई ा मण सनाप तय क नाम मलत ह

चोल शासक अपनी याय णाल क लय स थ मणनी तकड चोल तो राज महल क वार पर एक याय का घटा रखता था राजा का यायालय धमासन कहलाता था जहा व भ न मामल सन जात थ यक करम (गाव) और उ तर म र (नगर) म नाग रक क सभाए होती थी जौ शास नक क अलावा या यक काय भी करती थी इस कार गाव म क य सरकार का बह त कम ह त प था

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रा य म कर एक करन वाला राज व वभाग होता था मगव तथा प ोल इस वभाग क छोट और व र पोतगम तथा व र यल ड बड़ अ धकार थ राज व वभाग क अ धका रय क अ धकार मिज ट क समान थ

1313 साराश राजप ष त या नौकरशाह शासन को चलान वाला व श ट वग ह इस वग का

वकास ाचीन भारत म ह हो चका था व दक काल स लकर राजपत काल तक नौकरशाह वग क उपि थ त क माण वद बौ जन थ और अ भलख म मलत ह इस वग क अ तगत म ी स चव यायाधीश लखक अ धकार सनानी रा यपाल और ामणी तक भी सि म लत थ िजनका काय राजा क आदश का राजधानी नगर ा त और गाव म पालन करवाना था यह वग कभी भ म स ब धी तो कभी सना स ब धी काय का भी सचालन करता था एक अ धकार जो कसी ा त म शाि त थापना हत नय त ह उस बाद म य भ म म भी भजा जा सकता था इस लए आध नक नौकरशाह क तरह ाचीन भारतीय अ धकार वग कसी नि चत काय स बधा हआ नह था राजmdashप ष का काय रा य क आव यकता क आधार पर नधा रत होता था राजप ष त का व ा नक वग करण कौ ट य न अपन अथशा म कया और इसका वहत तर पर योग चोल शासन म ि टगोचर होता ह क त कछ प रवतन क साथ ग त स ाट mdash हषवधन और राजपत शासक न अपन शास नक म कौ ट य वारा नयत अ धकार वग को ह कछ नाम प रवतन क साथ

जार रखा य क सभी काल म राजप ष त का काय रा य एव उसक जनता का क याण करना था जो क राजक य आदश को कठोरतापवक लाग करन पर ह स भव हो सकता था इस कार ाचीन भारत म राजप ष तब सरकार आदश का यावहा रक प स लाग करन वाला रा य का अ त मह वपण अग बन गया था

1314 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म राजप ष त क वकास का सव ण क िजए 2 मौयकाल न राजप ष त का व तत ववरण द िजए 3 700mdash1200ई तक राजप ष त क व प का ववरण द िजए

1315 सदभ थसची 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 गोयल ीराम ाचीन भारत का इ तहास ख डmdash थम 3 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य 4 चटज गौर शकर हषवधन 5 जायसवाल सर कमार ह द राजशा 6 परमा माशरण ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए 7 पाठक वश ान द उ तर भारत का राजनी तक इ तहास 8 पर बजनाथ ह ऑफ इि डयन एड म न शन ख ड mdash

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थम 9 भ डारकर डी आर अशोक 10 मजमदार र च द ला सकल एकाउ स ऑफ इि डया 11 मकज आर क च ग त मौय और उसका काल 12 याजदानी जी (स) दकन का ाचीन इ तहास 13 यास शा तकमार नानराम रामायणकाल न समाज 14 वदालकार ह रद त ाचीन भारत का राजनी तक एव सा क तक

इ तहास 15 व यालकार स यकत ाचीन भारत क शासन स थाए और राजनी तक

वचार 16 व य च ताम ण वनायक महाभारत मीमासा 17 शमा दशरथ राज थान द एजज

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इकाई mdash 14 ाचीन भारत म अ तर रा य स ब ध

इकाई क परखा 140 उ य 141 तावना 142 ार भक वकास 143 म डल स ात और उसका वकास 144 ऐ तहा सक प र य 145 य नी त 146 अ यासाथ न 147 सदभ थ

140 उ य तत इकाई म हमारा उ य आपको ाचीन भारत म अ तर रा य स ब ध क बार

म बताना ह इस इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत क जानकार पा सकग mdash ाचीन भारत म अ तरा यीय स ब ध का वकास कस हआ मडल स ा त व उसका ऐ तहा सक प र य य नी त का व प व उसक स ा त

141 तावना ाचीन भारत म अ तरmdashरा य स ब ध क स ा त और यवहार क एक ल बी

पर परा धीरmdashधीर ह वक सत ह ई दश क इ तहास क अ य त ारि भक यग म इस वषय का न तो कोई स ा त ह प ट प स वक सत हआ था और न इन स ब ध क व वध यौर क ह त यगीन पर mdashपर जानकार ा त होती ह पवव दक यग म रा य नामक स था ह अपन अ य त छोट और अ वक सत प म थी और इस बात क आशा करना यथ ह होगा क उस समय इन स ब ध का कोई वकास हआ था क त य mdash य समय बीतता गया और भारतीय समाज उ तर व दक यग म व ट हआ य mdash य रा य का व प भी प ट हआ और उसका ीय आयात भी बढ़न लगा रा य अब रा कहा जान लगा और उसक व भ न कार होन लग ऐतरय ा मण नामक उ तर व दक थ इस बात क सचना दता ह क दश क व भ न दशाओ म वरा य एकरा य वरा य वरा य अराजक अ धरा य और सम तपयायी जस व भ न स ाओ और व प वाल रा य क शासन था पत थ इसी यग म सा ा य (सम तपयायी) क क पना न भी म त प धारण कया िजसक मल म रा य क ीय और शि तमलक व तार का व प अ त न हत था

142 ार भक वकास

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भारतीय इ तहास क ग तच म सा ा यवाद पर पराओ और वा त वकताओ का ार भ ईसा पव क छठ शता द स हआ जब कौसल जस कछ रा य न अपन पड़ौसी गणत

को आ मसात करन क वि त दखायी आग उसी वि त क पनरावि त करत ह ए मगध क उद यमान सा ा य न अपन पा ववत नपत और गणत दोन को ह अपनी स नक शि त स अ भभत करक अपन भौगो लक आय त क भीतर समा हत कर लना ार भ कर दया मगध क इस सा ा यवाद वि त क उदय और व तार क पव ीय व तार का यह व प बड़ा ह नग य तीत होता ह अ य त ार भ म रा य क प कबील जस थ जब एक कबीला दसर कबील स स नक मठभड़ म सल न रहत ह ए अपनmdashअपन वच व को था पत करन म सल न था व दक सा ह य इ ह जन क स ा दना ह और पाच जन (पचजना) क म य प स गनती करता ह इनम स यक जन अथवा कबीला कभीmdashकभी अपनी सर ा क लए एक दसर स स नक शि त क आजमाइश भी कया करता था उपय त पचजन आय कल क थ क त उस समय अनक अनायजन भी व यमान थ आय और अनाय कबील क य आपसी सघष तो होत हो रहत थ आय कबील अथवा जन भी आपसी लड़ाइय म अनाय कबील का योग कया करत थ और उनको साथ लकर श ओ स भड़त रहत थ

जसा पीछ कहा जा चका ह भारतवष म सव थम ई प सातवीmdashछठ शताि दय स व भ न रा य क आपसी स ब ध का व प कछmdash कछ प ट होन लगता ह क त य सभी रा य उस समय अभी उ तर भारत मा म व यमान थ और द ण भारतवष का राजनी तक व प उस समय तक बह त वक सत अथवा प ट नह हआ था उ तर भारतवष म यह यग 16 महाजनपद का यग था िजनम अवि त और अ मक जस महाजनपद द णmdashपि चम और द णायथ म द ण भारतवष क सीमाओ को छत थ इन सोलह महाजनपद म भी कवल चार या पाच ह म य थ जो काशी कोसल व स अवि त और मगध क नाम स व यात थ इस यग क एक अ य राजनी तक वशषता यह थी क इन नपत क साथ ह साथ पव तर भारतवष म ऐस अनक गणत भी थ जो इन नपत स श ता और सघष मोल लत ह ए भी अपनी वत ता को बनाय रखन क जी तोड़ को शश म लग ह ए थ वह रा य त का यह उ य था क जब भी सभव हो इन गणत म या तो पार प रक फट डालकर या उनक व सीधी स नक कायवाह करक उनक भौगो लक और ाशास नक वाय तता को समा त कर अपनmdashअपन रा य को लघ सा ा य क व प दान कर इस कार इस यग क अ तररा यीय वि तय और स ब ध क दो व प थ एक तो अ तरmdashनपत ीय व प और दसरा नपत और जात (गण या सघ ) क बीच का व प उदाहरण व प जहा एक ओर काशी और कोसल क महाजनपद न कई स दय तक अपनीmdashअपनी भता और वच व क लए बड़mdashबड़ और द घका लक य लड़ वह व स और अवि त भी पार प रक स नक तयो गताओ म काफ काल तक उलझ रह पा ल बौ सा ह य वशषत जातक म इन

य क फटकल चचाए अनक थान पर ा त होती ह अ तरा यीय स ब ध का इस कार का एक अ छा उदाहरण काशी और कोसल महाजनपद क इ तहास स ा त होता ह इन दोन क बीच य क दौर स भवत डढ़mdashद स दय तक चल ारि भक दौर म कदा चत काशी ह

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कोसल क मकाबल बीस पड़ता रहा क त कोसल क राजा महाकोसल क रा यकाल म काशी उसक वारा विजत कया जा चका था और वह कोसल सा ा य का एक ा त बना लया गया था उधर कोसल और मगध क भी सघष ार भ हो चक थ और कोसल क शासक महाकोसल तथा मगधराज बि बसार क बीच एक स नक सघष क प रणाम व प स ध म कोसलराज न काशी का एक गाव अपनी ब हन महाकोसला को बि बसार स याहत ह ए दहज क प म मगधराज को स प दया था आग अजातश न जब अपन पता बि बसार को मारकर मगध क राजग ी ह थया ल तो महाकोसल क प सनिजत न उस गाव को वापस ल लन हत मगध पर चढ़ाई कर द क त उस य म दो बार म ह क खानी पड़ी और अ त म तीसर बार जब उस वजय ी हाथ भी लगी तब भी उस अपनी प ी वािजरा का ववाह अजातश स करक पन उस गाव को दहज क प म अजातश को स पना पड़ा बौ सा ह य क इस ऐ तहा सक पर परा स ाचीन भारतीय वा त वक अ तरा यीय स ब ध क वकास म म सा ा यवाद क वकास का एक नि चत म दखायी पड़ता ह वह म यह था क थमत छोटmdashछोट नपत आपस म लड़त ह ए या तो एक दसर पर स नक अ भयान वारा अपना भ व था पत करना चाहत थ औरअथवा अवसर आन पर कछ श पर अपना शास नक भ व भी था पत कर लत थ वतीयत इन छोटmdashछोट रा य म जो कछ

अप ाकत अ धक बड़ अथवा शि तशाल भी थ व भी मगध जस और भी अ धक शि तशाल और व तत रा य वारा अ भभत कय जान लग धीरmdashधीर मगध रा य क एक छोट सी राजनी तक इकाई बढ़कर एक सा ा य क प म वक सत होती गयी मौय का यग आतmdashआत मगध रा य एक अ खल भारतीय सा ा य क प म प रव तत हो गया मगध सा ा य क ग ि ट एक ओर काशी और कोसल क ओर पि चमी दशा म व तत होन क ओर लगी ह ई थी वह दसर ओर उ तर और उ तरmdashपव म वदह क ल छ व गणत तथा पावा और क सनारा क म ल गणत को भी या तो स नक अ भयान वारा अथवा उनम कटनी तक मतभद को उ प न करत ह ए उ ह आपस म ह लड़ाकर कमजोर करत ह ए वह अपनी स नक और ीय व तार क ओर तजी स अ सर हो रहा था मगध क इस व तारवाद वि त स अपन को बचान क लए ल छ व गणत न म ल गणत स मलकर एक स नक सयोगत या सघ था पत कया था जन सा ह य म नव ल छबई और नवम लई अथात ल छ वओ क नौ गणत और म ल क नौ गणत क स नक सघ का उ लख ा त होता ह बौ सा ह य यह प ट प स बताता ह क ल छ वओ म जब तक आपसी एकता बनी रह तब तक मगध क बढ़ती ह ई स नक शि त स भी उनक कोई हा न नह ह ई पर त य ह उनक यह एकता समा त हो गयी और व आपस म ह लड़न लग य ह मगध को उ ह आ मसात करन म सफलता ा त हो गयी और उनक राजनी तक वत ता जाती रह बौ

थ द घ नकाय क महाप र न बानस त क अनसार अजातश का सनीध नामक म ी ब क पास उस राजा क दत क प म उपि थत होकर पछता ह क ल छ व गणत पर मगध क वजय कस सभव हो सकगी भगवान ब न मगधराज क उस म ी क न का सीधा उ तर न दकर अपन स श य आन द स ल छ वओ क बार म नौ न पछ िजन सबक उ ह अपन श य स सकारा मक उ तर ा त ह ए व सभी न गणत म एकता क व ध उपाय

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स स ब थ पन उ ह न अ य प स सनीध क न का उ तर दत ह ए कहा mdash ह आन द जब तक ल छ व इन थाओ का पालन करत रहग उनक व ह जानो हा न नह अजातश क उस ब मान म ी न जब उन बात को उसस नव दत कया तो उसन तर त यह समझ लया क ल छ वय का नाश स नक बल स नह अ पत उनक बीच आपसी भद और फट क नी त अपनान स ह सभव होगा फलत उसन अपन सनीध और वषकार नामक दो म य स एक नकल झगड़ा (कतककलह) कया और उसका खब चार करत ह ए उ ह ल छ वगण क नौ सद य रा य तथा उसक सभी सद य म फट डालन क बीजारोपण हत भज दया ल छ व इस जाल म फस गय और आपस म ह लड़न लग फल व प मगध को उनक वत ता समा त करक उनक को अपन सा ा य म आ मसात कर लन म कोई क ठनाई नह ह ई

ईसा पव क छठ mdashपाचवी शताि दय म उ तर भारत म घटन वाल इन राजनी तक घटनाओ का यह समाहार दन का उ य इस लख म मा इतना ह क यह दखा जाय क इन वा त वकताओ क पीछ अ तररा यीय स ब ध क कौनmdashकौन स आयाम अथवा स ा त धीरmdashधीर वक सत और भारतीय राजनी तक च तन म ब मल हो रह थ वा त वकता क आधार पर सव थम स ा त तो यह तपा दत हआ क जब भी कोई राजा या शासक अपनी स नक और राजनी तक शि त इतनी बढ़ ह ई और सम दख क वह आसानी स पा वव त या दरवत रा य को आ मसात कर सक या उनक राजाओ स अपनी अ धस ता ववशत वीकत करा सक तो उस नसकोच उन पर आ मण कर दना चा हए इस स ा त को मन म त जसा धमशा ीय थ भी वीक त दता ह आग लखी जान वाल सभी म तया कौ ट यीय अथशा अथवा महाभारत जस सभी स ब थ भी इस मा यता स सहम त कट करत ह क त कछ आध नक इ तहासव ता अथवा राजनी तशा व ता इस तक स इस मा यता क आलोचना करत ह क यह एक ऐस नग आ ामकवाद को ज म दता ह िजस पण समथन नह दया जा सकता क त यह तक एकदम थोथा और वा त वकता स पर ह भला कब कस दश म कस समाज म व भ न दश क कस काल क इ तहास म ऐसा नह हआ ह वा व वक प म यह मा यता या स ा त उस धरातल राजनी त मा का प रचायक ह िजस अ जी अथवा रोमक भाषाओ म र यलपॉ ल टक कहा जाता ह इसक आलोचना वाल उपय त तक का सपोषण करन वाल पि चमी व ान यरोप म य ए शया अथवा पव ए शया क उस स पण वहमान इ तहास को भल जात ह िजसम व भ न दश क शासक न अपनmdashअपन दश क भीतर ह नह अ पत बाहर दश पर भी अकारण और वय आ मत न होत ह ए भी अपनी शि त क मद स मदा धहोकर अपन सा ा य व तार हत बारबार आ मण कया पछा जा सकता ह क भला सक दर न फारस और भारत पर य आ मण कया महमद गजनवी और मह मद गौर बारmdashबार भारतवष पर य टटत रह अलाउ ीन खलजी न द ण भारतीय ह द रा य को य र दा और उनक राजाओ क साथ अमान षक यवहार य कया मगल स ाट न द ण भारत क मसलमानी रयासत पर य अपन आ ामक ज म

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ढाय अ ज न 1802 ई म मराठ क व य य कया अथवा नपो लयन न योरोप क अ धकाश रा य को बार mdashबार स य व त कया

पीछ मगध और वि जसघ क आपसी श ताओ और अ तत वि जसघ क मगध वारा नाश का जो उ लख हआ ह उसम उपय त स ा त क अ त र त ाचीन भारतीय अ तररा यीय स ब ध का जो दसरा स ा त वक सत हआ वह यह था क जब भी विजगीष रा य सीधी स नक कायवाह स पड़ोसी (छोट) रा य को हड़प सकन म अपन को असमथ पाता हो तो उस भदनी त का सहारा लत ह ए उसम फट क बीज बोकर उस आ मसात करन का य न करना चा हए इसी म म चार नी तय क एक सम चय का वकास ाचीन भारतीय

राजनी तशा म हआ जो चतन त क नाम स जाना जाता ह इस चतन त क चार तभ ह mdash (1) साम (नी त और यक कार क पटता का योग) (2) दान अथात घस अथवा भट उपहार आ द दना (3) द ड अथात स नक शि त का योग और (4) भद अथात श अथवा पड़ोसी दश म यथा थान और यथावसर फट क बीज बोकर अपना मतलब स करना इन सभी साधन क वाहक होत थ वशष राजदत साधारण दत अथवा ग तचर

धरातल राजनी त क एक अ य शा वत मा यता यह रह ह क व भ न रा य क अपसी स ब ध म न तो कसी क त कोई थायी म ता होती ह और न कोई थायी श ता आज का म कल श और आज का श पन कभी म हो सकता ह यह ि थ तभद अथवा भावभद व भ न रा य mdashराजाओ क बढ़त ह ए या घटत ह ए राजन तक और स नक शि तसतलन पर पर तरह नभर करता ह च क ाचीन भारत म ाय रा य नपत ा मक हआ करत थ और उनक शि तम ता अथवा शि तह नता ाय उनक अलगmdashअलग समय क नायक अथवा ग ीधारक राजाओ क वभाव च र और यो यताओ पर नभर करती थी व भ न रा य क बीच पर पर म ता और श ता क दोलक भी बड़ी ज द mdashज द इधरmdashउधर घमत रहत थ सव ह और सदा ह अ तररा यीय स बध क मल म था व भ न रा य वारा पार प रक शि तmdashसतलन (बल स ऑफ पावर) बनाय रखना इस शा वत आव यकता क इदmdash गद ह आपसी स ब ध क तोलक भी नीच ऊपर होत रहत थ

143 म डल स ात और उसका वकास ाचीन भारतीय राजनी तक वचार क ग त म अ तररा यीय स ब ध को नय मत

करन वाला जो सवम य स ा त वक सत हआ उस म डल स ा त क स ा द गयी ह मन म त महाभारत अथशा और श नी त जस थ इस स ा त का तपादन करत ह और व भ न रा य क आपसी स ब ध को इसी स नय मत होना वीकार करत ह यह तो ात करन का कोई नि चत साधन ा त नह ह क इस स ा त क स थापक आचाय कौन

थ क त यह नि चत सा जान पड़ता ह क इसक वशद ववचना और सभवत काय प म प रण त कौ ट यकत अथशा क ह दन ह वहा इस स ा त का व धवत उ घाटन करत ह ए सभवत यह इ गत कया गया ह क इसक स थापक या णता आचाय उशनस ऋ ष अथात श ाचाय थ पर त यह अनमान मा हो सकता ह नि चत इतना ह तीत होता ह क कौ ट य ह व सव थम राजनी तक वचारक थ िज ह न इसका यौरवार और पण वकास

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कया त नसार सवम य राजक य उ य यह होता ह क दश म एक सावभौम च वत रा य क थापना क जाय मौय सा ा य ह इस कार का पहला च वत सा ा य था व वान क ाय यह मा यता ह क अथशा म ववत राजनी त क वचा रक प ठभ म और शास नक यव था उस सा ा य को ह मन म बठाकर तपा दत क गयी थी त नसार

क म चत दक वजय क इ छा स रत वह शासक होता ह जो विजगीष कहलाता ह और उसका उ य होता ह आसत हमालय पि चम पयो ध स लकर पवप यो य तक सह योजन भारतीय भ म पर अपन लए एक च वत क थापना यह माना गया ह क इस विजगीष अथवा अ य सभी रा य mdashराजाओ क अ य रा य mdashराजाओ स स ब ध या तो श ता क ह ग या म ता क ह ग या म यमभाव (न श और न म ) क ह ग अथवा एकदम उदासीनता (अ य त दर थ होन क कारण) क ह ग इन चार कार क व त म क क चार और क अ य सभी रा य क भी अ य छोटmdashबड़ रा य स इसी कार क स ब ध ह ग मलत इसी अवधारणा को क म रखकर वादशराजम डल क स ा त क सार प रक पना ह ई इस वादशराजमडल म बारह रा य होत ह जो एक च म न नवत ि थत मान जात ह (1) विजगीष (2) अ र (3) म (4) अ र म (5) म म (6) अ र म म (7) पाि ण ाह (पीछ का म ) (8) आ द (पीछ का श ) (9) पाि ण ाहसार (पीछ क श का म ) (10) आ दसार (पीछ क म का म ) (11) म यम (12) उदासीन मा यता यह ह क कसी भी पड़ोसी रा य क ि थ त हमशा श क होगी और उसी कार उसका पड़ोसी रा य उसका श होगा अत यह वाभा वक होगा क श का श अपना म होगा और इसी कार यह च अथवा म डल आग बढ़ता जायगा इस स ा त म तो सवदा ह बल रहा ह क पड़ोसी रा य क स ब ध या तो सीमायी ववाद क कारण या एक दसर क व तारवाद वि त क कारण आपस म एक दसर क त शका और ववाद क प म रहग इनम स यक रा य क पास तीन त व ऐस होत थ जो िजस मा ा या अश म िजसक पास अ धक

ह ग वह दसर क मकाबल उतना ह अ धक शि तशाल या सफल होगा य तीन त व ह म (म णा क स पि त) भ (स य शि त) और उ साह अथात अपन पर आ म व वास इन सभी रा य क बीच िजन बात स आपसी स ब ध का नधारण होता ह व छह व भ न कार स नय मत होती ह इ ह ह षा ग य कहत ह इन छह गण क ोत ह स य क तया और बारह राजाओ क म डलछह गण (ि थ तय ) म स ध व ह आसन यान स य और वधीभाव क गनती क गयी ह यहा स ध स ता पय ह उस दशा का जब दो प म

स धगत ि थ त हो व ह का ता पय य स ह आसन स ता पय यह ह क श का कोई थान ह थयाकर बठ गया हो यान आ मण क लय तयार रहना ह स य का मतलब म ता

ह और वधीभाव स ता पय दोन प का अलगmdashअलग रहना ह पीछ चतन त शि त क तीन त व और षा ग य क जो उ लख कय गय ह उनस

यह प ट न कष नकलता ह क य य प य और आ मण वदशी नी त क आव यक त व थ और उनका यथाव यक और यथावसर उपयोग कदा प विजत नह था तथा प इस बात क य न हमशा ह कय जात थ क आपसी स ब ध म भरसक शाि त क नी त क ह योग

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कय जाय कटनी त क इसी स ा त को कौ ट य भी य कर मानता ह ऋ वद म वादशरा य क स ब ध म राजा सदास को म डल का नत व करत ह ए बताया गया ह और

यह असभव नह ह क वादशराजम डल क स ा त क पीछ का बीज उस समय भी वतमान रहा हो क त इस स ा त क यापकता क बावजद भी कौ ट य जसा अ य त यथाथवाद राजनी तक वचारक विजगीष को यह सलाह दता ह क वह नी त अथात कटनी त क योग वारा ह अपन रा य व तार अथवा शि त व तार जस उ य क प त का य न कर

कटनी त या ह इसका एक बह त ब ढ़या समाहार महाभारत क आ दपव क कछ लोक स ा त होता ह धतरा का क णक नामक ा मण म ी उसस कहता ह क राजा को सवदा कायरत रहना चा हए तथा उस कछए क तरह अपनी कमजो रय को छपात ह ए श क कमजो रय पर हावी होन का य न करना चा हए एक बार जो अ भयान श कर दया जाय उस उसक पणता तक पह चाना चा हए कमजोर श क भी उप ा नह करनी चा हए य क एक भी चनगार सार वन को खाक कर सकती ह अपन उ य क प त क लए

अ धपन और बहरपन क नकल भी करनी चा हए य द श शरणागत भी हो जाय तो उसका व वास नह करना चा हए ग तचर क मा यम स श का व वास इस हत ा त करन का य न करना चा हए क उस भ ड़ए वारा अपन शकार क तरह समा त कर दया जाय श

क नाश क लए साम दाम भद और अ त म द ड का योग करना चा हए क णक क मत म श नाश क लए धोखा वष भलावा और घस जस उपाय भी काम म लाय जान चा हए म mdashत का उपयोग भी उ चत ह य द श क कसी काय स ोध भी जाग तब भी ऊपर स शा त रहत ह ए य ह अवसर ा त हो उस पर नमम होकर टट पड़ना चा हए उस गराकर सहानभ त क श द और दख क आस भी गरान चा हए य द श फर भी अपन परान रा त पर ह रह तो उसक स लो छद स वरत नह होना चा हए वह मख होता ह जो श स कोई स ध करक उस पर व वास करन लगता ह mdash य क अवसर आत ह श पन वरोध म उठ खड़ा हो सकता ह य द श स य लड़ना आव यक हो जाय तो भ व य भत ओर वतमान क सार प रि थ तय पर पर तरह वचार करना चा हए

कौ ट य न भी ऐसी अनक बात कटनी त क या णाल क स ब ध म अथशा म द ह क त उन दोन (क णक और कौ ट य) का एक दसर स वचार म कोई आदानmdash दान का स ब ध था यह कह सकना बड़ा क ठन ह य य प कौ ट य क तलना बह त स योरोपीय व ान न मि यावल स क ह क त ऐसा नह कहा जा सकता क मि यावल क अ य त ह ष य वाद कटनी तक स ा त क कौ ट य भी पोषक थ कौ ट य क स ा त म न तकता का पर तरह अभाव ह ऐसा नह कहा जा सकता वा तव म कौ ट य का राजनी तक दशन काफ ऊच कार का था और उसक वचा रक तलना महाभारत म एक थल पर आन वाल नारद ऋ ष क वचन स क जा सकती ह दोन क एकसमान वचारधारा का क य त व यह था क वजय कोई अपन म ह बड़ा ल य नह ह वजय का सतलन बढ़ ह ए उ तरदा य व स होता ह उन वजय क र ा वय म ह एक बह त बड़ा दा य व हrdquo

कौ ट य बड़ी ब मानीपवक कहता ह क य द कोई रा य अपन स अ धक शि तशाल हो अथवा बराबर का हो तो उसस म ता क स ध कर लना ह य कर ह क त य द वह

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कमजोर अथवा ह नशि त ह तो उस पर आ मण क नी त अपनायी जा सकती ह ऐसी स धय को राजनी त क भाषा म समसि ध वषमस ध अथवा ह नस ध कहा जाता था य द कोई कमजोर रा य म ता का हाथ बढ़ाव तो उस थामकर उसक सहायता करनी चा हए दसर प स स ध का ताव आन पर उस प क सह म त य और उ य को समझ कर ह उस वीकत अथवा अ वीकत करना चा हए कसी भी स ध का यह उ य होता ह क उसक

प रणाम व प सोना भ म अथवा एक थायी म क ाि त हो य द अपन ह रा य क लोग वद शय स मल जाय तो उ ह स ती स दबाना चा हए तथा साम और दाम को योग करना चा हए य द बाहर त व अपन रा य क सीमावत त व को उकसाव तो द ड और भद का योग करना चा हए क त य द कोई भीतर खतरा अपन आप उ प न हो गया हो तो सबस पहल उस ह दबाना चा हए

कटनी तक आचरण क इन उपाय का एकमा ता पय अथवा उ य यह था क जहा तक सभव हो य स बचा जाय वा तव म य ज नत वजय बह त अ छ नह ह और य वय म एक बह त बर बात ह इसका प ट उ लख मन म त काम दकनी त और महाभारत म हआ ह मन का कथन ह क साम दाम भद और समर (य ) क अलगmdashअलग उपाय वारा अथवा उन सभी का एक साथ उपयोग करक वजय का य न करना चा हए क त य मा का अकल कभी भी उपयोग नह करना चा हए काम दकनी त का कथन ह क कभीmdashकभी य स दोन ह प का नाश हो जाता ह महाभारत तो य ज य वजय ो जघ य कहत ह ए ब मान राजा को य नपवक उस यागन का उपदश दता ह कौरव और पा डव क बीच महाभारत य क पहल होन वाल ल बी और द घका लक समझौता वाताए इस बात क योतक ह क ाचीन भारत म य घोषणाए बह त शी ता स अथवा बना पर तरह सोचmdash वचार अथवा अ य सभी उपाय क असफल होन क पव नह क जाती थी

उपय त त य और ववचन इस बात को प ट करत ह क भरसक य टाल जात थ और अ य त आव यक होन पर ह उनक सहार लय जात थ तथा प य ाय होत ह रहत थ िजनक बह वध कारण थ उन कारण को स पत न नवत गनाया जा सकता ह mdash (1) च वि त व ा त करन क अ भलाषा (2) आ मर ा क ववशता (3) अ धका धक भ म और भट ाि त क कामना (4) शि त सतलन क पन थापना क आव यकता (5) बाहर श ओ क स नक दाव क तकार क आव यकता और (6) अ याचार स पी ड़त जनता का उ ार य द स म ि ट स दखा जाय तो यह तीत होगा क य क य कारण ाय सभी यग म और सभी दश म समान प स लाग रह ह

144 ऐ तहा सक प र य य क प रहार क आव यकता पर ाचीन भारतीय वचारक क ि ट दखत ह ए

ाचीन भारतीय इ तहास पर एक ि ट डालना इस हत आव यक ह क यह दखा जाय क य आदश वा तव म कहा तक अपनाय जात थ व भ न स धय और व ह क आपसी अनपात को दखन का य न यह साथक होगा जसा हम पीछ उ लख कर चक ह ाचीन भारतीय रा य क आदश म य प स य थ क व अपनी शि त भस ता mdash व तार और भावmdash

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व तार इतना बढ़ा सक क अ धरा य सा ा य च वि त व और सावभौमता ा त कर पर दश म सरमौर राजनी तक स ता बन जाय ऐस सा ा य क कछ तीक य भी नि चत थ िज ह अ वमध और राजसय जस नाम स अ भ हत कया गया यापक वजय को दि वजय क स ा द गयी इन सभी या क वधान क एक नि चत मा यता यह थी क उ ह रा य अथवा राजाओ क व बल योग या स य योग कया जाता था जो व छया अ वमध का घोड़ा छोड़न वाल दि वजयी राजा क अ धस ता वीकार करन को तयार नह थ शष रा य जो वसा कर लत थ बना कसी ह त प क अपन म वत छोड़ दय जात थ और अ धक स अ धक उनका क त य इतना मा होता था क व अ धरा दि वजयी या राजसयक ता को कछ भट और उपहार दकर उसक अधीनता वीकार ल विजत रा य भी ाय उस अ धस ता को वीकार लत थ और उ ह भी कोई बह त बड़ी क मत नह चकानी पड़ती

थी यह व दक य mdashप रपाट और दि वजय क तीका मकता भारतीय इ तहास क म ययग तक चलती रह तहार राजवश क समय (9वी शती) भारत वष क या ा करन वाल सलमान सौदागर नामक अरब या ी को यहा यह दखकर बड़ा आ चय हआ था क वजयी रा य कभी भी विजत रा य क भौ तक दश को अपन शा सत म सि म लत नह करत थ अ पत अ धक स अ धक एक राजा को हराकर या मारकर ाय उसी क वश क दसर यि त को राजा बना दत थ और उसस कर भट अथवा उपहार वसलत ह ए उस पर अपनी अ धस ता मा लादत ह ए अपन मल म लौट जात थ वह कहता ह क विजत रा य क जाए इस था क अ त र त कोई दसरा वक प वीकारन को तयार नह थी

वा तव म ाचीन भारतवष म इसक वशाल भौगो लक आय त क कारण बह स यक रा य का होना ह वाभा वक था और मौय अथवा ग त जस वशाल सा ा य क व प कभीmdashकभी ह नखर पाय हषवधन गजर तीहार रा कट चाल य और चोल जस सा ा य तो उपय त दोन सा ा य क तलना म बह त अ धक छोट थ मौय सा ा य जस एक वशाल और ाय स पण भारतीय वाल सा ा य क भीतर भी जगह जगह अनक छोटmdashछोट वत प स अपनmdashअपन म वाय तशासी थ और व सभवत मौय सा ा य क कवल अ धस तामा मानकर बच जात थ िजन अनक गणत पर आग चलकर सम ग त क वजय क चचा उसक याग तभ अ भलख म मलती ह व कदा चत सभी क सभी मौय क समय भी व यमान थ उ ह कल कलसघ अथवा गण और सघ क स ाए दत ह ए अथशा यह कहता ह क उनक सनाए बड़ी ह य कशल थी सा य क ाय पर अभाव म हम यह बता सकन क ि थ त म नह ह क मौय सा ा य क समय स पण भारतीय क भीतर क रा य स उस सा ा य क अ तररा य स ब ध या थ क त सौभा य स यनानी इ तहासकार और अशोक क अ भलख स ऐसी चर सचनाए ा त होती ह क वदश क ाय सभी यनानी रा य स उनक जीव त स ब ध था पत थ च ग त मौय क पर जब सक दर क सनाप त स यकस न आ मण करन क भल क तो उस लनी क दनी पड़ी यह नह क वह बर तरह हारा अ पत उस ए रया अराको शया ज ो शया और परोप नसडइ नामक अपन चार ा त को भारतीय स ाट क हाथ एक स ध क शत म

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सम पत करना पड़ा अपनी म ता को प का करन क लए उस अपनी प ी का ववाह भी च ग त क साथ करना पड़ा और उसका मग थनीज नामक एक राजदत पाट लप क दरबार म नवास करन लगा भारत का कोई राजदत च ग त वारा सी रयाई दरबार म भजा गया था या नह इसक सचना यनानी इ तहासकार नह दत भारतवष क वदशी स ब ध क यह श आत थी और य वजय mdash व तार ववाहम ी एव दौ य स ब ध थापन जसी अ तररा यीय या वद शक स ब ध क सभी मलभत वशषताए यहा एक साथ दखायी दती ह मौय और यनानी रा य क दौ य स ब ध आग भी बरकरार रह डायो न सयस नामक सी रयाई (यनानी) राजदत ब दसार और अशोक क दरबार म रहता था और उसी क मा यम स ब दसार न अरब क अजीर परानी शराब और एक सफ (सॉ फ ट) दाश नक भजन क माग सी रयाई शासक स क थी अशोक क अ भलख म एक स अ धक थान पर यह उ लख ह क उसन सी रया साइरस मकद नया और म क शासक क राजदरबार म अपन धम चारक दत को भजा था म क शासक टॉ लमी फलाड फस का एक दत अशोक क दरबार म भी रहता था इस काल का भारत और यनान क वद शक स ब ध का वणयग कहा जा सकता ह

मौय तर यग भारतीय इ तहास म व खलन का काल था जब सारा भारतवष छोटmdashछोट रा य म वभ त हो गया उ तर पि चमी भारत क कछ पर तो भारतीयmdashयना नय का भी अ धकार हो गया प य म श ग क वजय और उसका अ वमधय कवल तीका मक था त प चात द णmdashपि चम और द णापथ पर शक और सातवाहन का रा य हो गया जो आपस म ाय लड़त रह शक शासक दामन और नहपान क ववा हक स ब ध आ शासक पलमायी और शातक ण स होत ह ए भी उनक आपसी य जार रह कषाण शासक कड फसस और थम क न क न सव थम रज तरजस (राजा धराज) महारजस (महाराज) जसी सा ा यसचक उपा धय का चलन कया क न क का सा ा य अ य त वशाल था और उसका व प अ तररा य कहा जा सकता ह उसन व भ न ात म अपनी ओर स शासन करन हत गवनर क नयि त क थी क त उसक बाद भारतवष पन एक बार व भ न राजनी तक ख ड म वभ त हो गया तथा शकम ड कषाण नाग भार शव वाकाटक प लव पा य आ द अनक राजवश उ तर स द ण तक दश क राजनी तक अ ाश और दशा तर को काटन लग एक कार स इस राजनी तक अ धकार क का लमा तभी धल सक जब थम च ग त सम ग त और वतीय व मा द य जस ग त महाराजाओ न अपनी स य और राजनी तक शि त का काश भारतवष क सभी दशाओ म अपनी वजय वारा बखरा पन एक बार ऐसा राजनी तक आदश उपि थत हआ िजसम वजय दि वजय अ वमध एकछ व और सवराजो छ तापन जस श द राजनी तक और सा हि यक श दावल म सि म लत होकर स कत का य और अ भलख म य त होन लग क त अब भी आदश दि वजय अथवा धम वजय का ह था असर वजय तो अ य त छोट क ह क गयी सम ग त क याग शि त इन व भ न राजनी तक आदश तथा अ तररा यीय स ब ध क ऐसी सची दती

ह जो त स ब धी स ा त और योग क कजी कह जा सकती ह उसन आयाव त क नौ

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राजाओ क क वजय करक उ ह स पण प म अपन सा ा य म बलपवक मला ( सभो रण) लया यह असर वजय थी िजसम विजत रा य पणत समा त कर दय गय बह त दन स वत प म चल आ रह गणत और सीमाव त रा य को अपन को स ाट क दरबार म णामपवक उपि थत होन अपनी क याओ का ग त राजाओ तथा राजकमार स ववाह करन अपन म शासन चलान क लए स ाट स ग ड़ स अ कत राजा ा (ग मदक) ा त करन तथा उपहार क साथ स ाट क स मख उपि थत होन क लए ववश होना पड़ा द णापथ और द ण क बारह रा य को सम ग त क सनाओ न जीतत ह ए भी उनक राजाओ को अपनी आ धस ता मकता क वीक त मा क क मत उनस लकर वापस लौटा दया यह उसक धम वजय थी िजसम विजत राजा क रा य ी मा का हरण कया गया उसक भ म को नह छ ना गया ( ह त तम त य स धम वजयी नप) बड़ा प ट ह क दि वजयी सा ा य और विजत रा य क बीच आपसी स ब ध क व वध कार और व वध आयाम ग तयग म प टत दखायी दत ह धीरmdashधीर एक राजनी तक वशषता यह वक सत ह ई दखायी दती ह क बड़mdashबड़ सा ा य क शासक भी राजनी तक और कटनी तक आव यकताओ क वशीभत होकर छोटmdashछोट रा य स ववा हक स ब ध वारा म ता था पत करन हत आग बढ़न लग थम च ग त का ल छ व राजकमार कमारदवी स ववाह वतीय च ग त का नाग राजकमार कवरनागा स ववाह तथा एक अ य कद बराजकमार स

ववाह और उसक प ी भावतीग ता का वाकाटक शासक वरसन स ववाह तथा इन सभी रा य क पण वत ता क ग त क ओर स गारट इस त य क सचक ह क रा य चाह िजतन भी छोट ह उनक वत ता का कटनी तक और राजनी तक मह व था और ऐस रा य पर कभी भी य थोप नह जात थ य ह आग चलकर मा ड लक रा य ह ए जो राजा धराज़ एकरा और परमभ टारक जसी उपा धय स वभ षत स ाट क राजदरबार म व भ न प म उपि थत होत थ

यह या आग भी पर तरह चाल रह स लो तरापथनाथ हष न वलभी क राजा वभ पर वजय ा त करक भी उसन अपनी प ी का ववाह कर दया इसी तरह अवती

और लाट क छोटmdashछोट शासक भी उसक म थ उस ऐसा करना इस कारण आव यक हआ क द णापथ म उसका च ड श वतीय पलक शन उसक व बढ़न क लए पर तरह स न था और हष को उसन एक य म करार मात द थी क त कवल उ तरापथनाथ का एकरा अथवा राजा धराज या परमभ ारक रहत ह ए भी वदश म हष क अ छ या त थी और चीन क राजाओ क यहा स कम स कम तीन दतम डल उसक राजदरबार म आय थ उसक शि त स अ भभत होकर ह असम क शासक भा करवमा न उसक स मख अपनी म ता का हाथ बढ़ाया था और क मीर क शासक दलभवधन उसस सभवत एक ह नस ध म आब हआ था अज ताmdashइलौरा क गहाओ क भि त च म एक ऐसा दलभ च ह जो फारस क राजा खस क यहा स आन वाल एक दतम डल को वतीय पलक शन क राजदरबार म अपन को उपि थत करता हआ दखाता ह इस दतम डल का नता अ दलर जाक था आग चलकर क य स ता एक नाममा क चीज रह गयी और क नौज क इदmdash गद समटती सी

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गयी क त क नौजनगर पीछ क यग म पाट लप क तरह अब भस ता राजनी तक वच व और सभी कार क गौरव का तीक बन गया और पालmdash तीहारmdashरा कट शासक न उस ह क म रखकर लगभग डढ़mdashदो शताि दय तक आपस म कईmdashकई भयकर य लड़ अि तम सफलता गजरmdash तहार को ह मल और अपनी पदवी ( तहार) क अन प उ ह पि चम म अरब क बढ़ती ह ई शि त स हमशा सघषरत रहना पड़ा द ण म रा कटmdashचाल य चोलmdashप लव और पा य क खीचतान चलती रह और कटनी तक स ब ध क जो वतान ऊपर खीच गय ह उन सबका यावहा रक आ छादन इन सभी रा य पर बना रहा

145 य नी त पीछ हम दख चक ह क य अ य त आव यक होन पर ह लड़ जात थ ऐसा

करना तभी अनश सत था जब साम दाम भद और द ड क सभी नी तया असफल स हो जाती ह अथवा यक कार क स धवाताए टट जाती ह य अथवा व ह का उ य अथवा ल य सवदा अ धक भ म धन अथवा लट क धन क ाि त हो रह हो ऐसा भी नह ह ाय व ल य थ वदश और वा भमान क र ा अथवा द ट श का नदलन क त एक

बार य छड़ जान पर उसस परागमख होना अधम और अनी त थी ाचीन भारत म य ाय य का ह काय माना गया और उसम मर जाना वग का सीधा वारा समझा जाता

था कहा तो यहा तक गया ह क य थल पर मरन स कह भी अ य मरना य क लए अ धक य कर नह ह घर क भीतर बठmdashबठ मर जानातो उसक लए न य था महाभारत क य क पव अपन सग mdash स बि धय स य न करन क बात करन वाल अजन को क ण न उसक लए रत करत ह ए कहा था क य द य म मर जात हो तो सीध वग को जाओग और य द जीतत हो तो प वी का भोग करोग

य म वय हत हो जाना या कसी दसर को मार दना पापकम नह माना जाता था नी त यह थी क कमजोर क साथ य करना उ चत नह ह बराबर क शि त वाल को ह आपस म य करना उ चत ह धोख स कसी पर चढ़ाई कर दना अन चत था अत वीर य क अपन श और कवच धारण करक वसी ह ि थ त म आन और य करन क चनौती अपन श को दता था यम म त उस स नक क न दा करती ह जो य भ म स भाग जाता था त मल सा ह य क अनक का य ऐस अनक पद स भर पड़ ह जहा वीर माताए और वीर बह ए य म मरन वाल अपन प और प तओ क म य का सदश सनन पर गौरवपण स नताए य त करती ह ऐस उदाहरण भारतीय सा ह य म कतन ह इनक गनती

असभव ह न कष यह ह क य म म य उ य वीरता का दशन था य क दौरान छप ह ए अ वषय त अ और अि नवमक अ क योग

अन तक मान जात थ ऐस अ mdashश स श ओ को मारना पापकम था पन कसी रथ पर बठ ह ए यो ा का पदल सपाह को मारना घड़सवार का कसी घड़सवार क अ त र त अ य को मारना अथवा हि त स नक का हि तmdashस नक क अ त र त लोग स भड़ना भी य नी त क वपर त समझा जाता था इसी कार कसी हजड़ को शरणागत को सोय ह ए यि त को

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नशा यि त को कसी आग तक को दसर क साथ लड़ रह यि त को भ नश यो ा को भयकर प स आहत श को अपन ाण क लए भयभीत यि त को तथा य क मदान स भाग रह यि त को य mdashभ म म मारना जघ य पाप समझा जाता था बौधायन धमस का कथन ह क य को न न ल खत नौ यि तय स कभी भी लड़ना नह चा हए पागल लापरवाह य क लए तयार न रहन वाल ी बालmdashब च व ा मण भी और नश म धत यि तगौतम तथा दवल क अनसार इन नव क अ त र त गाय और िजसन म ह म तण धारण कर लया हो (अथात आ मसमपण करन वाल) भी अय य और अब य ह इसस प ट ह क िजन लोग का सीधmdashसीध य स कोई स ब ध नह होता था उ ह कसी कार क हा न नह पह चायी जाती थी mdash अथात नद ष यि त कदा प नह मार जात थ

समाज का स य और सस कत वग तो कसी भी म य पर नह छआ जाता था धमय क नयम म यह भी सि म लत था क खड़ी फसल को अथवा अ य कार क सभी खतीबार को कोई भी त नह पह चायी जाती थी न कषत य य द छड़ जाय तो कसी भी म य पर उस लड़ा जाता था क त उसक लए कोई भी (ग हत) उपाय धारण कया जा सकता था ऐसा कदा प नह था

हार ह ए श क साथ कोई अपमानजनक न दा और ग हत यवहार करना अन चत था मन म त का कथन ह क य म जीती ह ई स पि तmdashचत वध सना राजछ धन अ न भ डार पश और ि याmdash वजता क स पि त हो जाती ह जो उ ह अपन वफादार वीर और य क म बाट दता ह पर त यह बटवारा सना म व भ न ओहद क धारक क अन प ह होना चा हए यह नह वजयी राजा को वजयोपरा त दवपजा और ा मण पजा क साथ सभी क र ा का आ वासन भी दना चा हए धमय का नयम यह था क हार ह ए रा य क राज ी और स पि त का तो हरण कया जाय क त उसक प वी अथात रा य का नह ाय उसी क वश क दसर यि त को उसक थान पर अपनी आ धस ता वीकत कराकर बठा दना चा हए क त स कत सा ह य क य नी त स ब धी इन अनशसाओ क वपर त त मल सा ह य क अनक उ हरण हार ह ए श क त इस कार क उदारता बरतन क हमायत नह करत वहा ल त ह क ाय हारा हआ शासक मार डाला जाता था उसक राजधानी म आग लगा द जाती थी और उसक सार स पि त वसा करन स पव लट ल जाती थी वजयी स नक विजत नगर क सड़क और ग लय को खोदकर बरबाद कर दत थ स प म वहा एक जगल का य उपि थत कर दया जाता था क त त मल सा ह य क य उ लख अपवाद क प म ह वीकार कय जान चा हए

न यह उठता ह क य नी त स ब धी य उपदश अनशसाए अथवा कथन यावहा रक प म कतन वा त वक होत थ साधारणतया उनक वा त वकता म कोई शका नह क जा सकती पीछ हम अरबी या ी सलमान सौदागार क वह उि त दख चक ह जहा वह इस बात पर आ चय कट करता ह क भारतवष म वजयी राजा विजत क रा य को हड़पकर अपन रा य का अग नह बनाता था अ पत उसी क कसी स ब धी को अपनी अ धस ता वीकत कराकर उसक राजग ी पर आसीन कर दता था इसक अ त र त

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मगा थनीज नामक यनानी इ तहासकार (राजदत) एक ऐसा अ य अभारतीय पयव क ह जोmdash ऊपर व णत भारतीय य नी त क वा त वक यावहा रकता का य उदाहरण दता ह वह कहता ह mdash जहा अ य दश म यह साधारण प रपाट ह क य म सार भ म न ट कर द जाती ह उस एकदम बकार और फसलह न बना दया जाता ह वह भारत म कषक को एक वशष वग क प म माना जाता ह और य काल म भी उनक भ म और फसल प व और कसी भी कार क हा न न करन लायक समझी जाती ह जब एक ओर भयकर स भयकर य लड़ जात ह उस समय भी कषक अपन खत को नि चतभाव स जोतत ह और बोत ह और उ ह कसी कार क हा न न पह चाना या भय न दना ह स नक अपना परम क त य मानत ह यह नह भारतीय सनाए य म श दश क क षmdashभ म को भी कोई हा न नह पह चाती और न तो वहा आग लगाती ह और न उसक पड़ को ह काट कर न ट करती ह

ाचीन भारतीय य नी त क आदश व प क साधारण पा यता क स यता क सदभ म उपय त दो वदशी लखक क माण काफ ह यह स य ाय न ववाद हो सकता ह क क त जब भी दो भारतीय राजप अथवा य प क बीच य ह ए साधारणतया इस य नी त क पालन क ि थ त बनी रह क त जब भारतीय रा य और राजाओ को पवम यकाल न अरब तक और अफगान आ ा ताओ (मसलमान ) का सामना करना पड़ा तो इस य नी त क पालन स उ ह बड़ीmdashबड़ी हा नया ह ई और उनक पराजय म यह त व भी एक म य कारण बना वद शय म साधारण नरसहार ीmdashअपहरण र नवास क बइ जती मि दर mdashमठ और कसान क लट हार ह ए राजा क त अ य त अमान षक अ याचार भागन वाल श का भी पीछा करना और हार ह ए श का सब कछ हड़प लना अ य त साधारण और मा य आचरण थ कई बार उ ह न ह द सनाओ स अपनी आसन हार को बचान हत अपन सामन गाय को खड़ा कर दया और ह द सनाए उ ह दखकर आ मण स वरत हो गयी स ध क अरब न जहा सभी मि दर को न ट कर दया वह उ ह न मल थानपर (म तान) क सय मि दर को तीहार क आ मण क व अपन बचाव हत ढाल क प म य त कया मह मदगोर

को छह बार हराकर तराइन क पहल लड़ाई म भाग जान क कारण छोड़ दन वाल और उसका पीछा कर उस पर तरह न ट न कर दन वाल प वीराज चौहान को ह द य नी त क इस पालन क क मत चकानी पड़ी और वह वय जब हारा तो उसक साथ मसलमान न अ य त नमम यवहार कर उस मार डाला अलाउ ीन खलजी न दव ग र क यादवराजा रामदव को हराकर उसका धन तो लट ह लया उसन उसक जी वत खाल उतरवाकर उसम भसा भरकर अपन अहकार क प त क क त ऐसा ह न य यवहार एक ह द राजा न भी अपन श क साथ कया था क याणी क चाल य शासक वतीय तलप न मालवा क परमार शासक म ज को हराकर कद कर लया उसक भाग जान क य न को जानकर उसन उस अपन नगर म सीकच क भीतर ब दर क तरह डालकर घमाया और अ त म उसका बधकर उसक सर को रोजmdashरोज म म भगोकर बारmdashबार अपमा नत करता रहा इसक वपर त अशोक न क लग य क वभी षका दखकर भ व य म कभीmdashभी य न करन क जो त ा कर ल और मर घोष क थान पर िजस धमघोष का नाद कया वह सार व व क इ तहास म ब मसाल ह

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ऐसा लगता ह क जब दो प म एक प अ धक शि तशाल होता था तो वह परािजत प क त उदारता बरतन म कोई कमी नह करता था क त बराबर क ि थ त म कसी भी क मत पर वजय ा त कर ल जाय यह भाव जागत रहता था और य नी त क उ लघन होत थ कौ ट य का त स ब धी मत एक सामा य स य तीत होता ह वह कहता ह य द कोई रा य अपन श क ऊपर अ य त शि तशाल तीत होता हो तब तो उस वीर य क नी त (धमय ) अपनानी चा हए महाभारत क एक थान पर भी म का भी मत इसी कार का द शत कया गया ह वय महाभारत य म आदश य नी त क उ लघन क अनक उदाहरण ा त होत ह

146 अ यासाथ न 1 म डल स ात या ह इसका वकास कस हआ (500 श द) 2 ाचीन भारत म य नी त पर एक नबध ल खए (500 श द)

147 सदभ थ 1 ह रालाल चटज इ टर टट रलश स इन ऐ शय ट इ डया 2 अस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया 3 वीआरआर द तार ह द ऐड म न टव इ ट यश स 4 भा कर आन द सलटोर ड लोम टक रलश स इन ऐ शय ट इ डया mdash

2 भाग म 5 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोई टयर

चौड़ा रा ता जयपर 1999

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इकाई 15 रा य एव उसक ससाधन

सरचना 150 उ य 151 तावना 152 अ ययन क ोत 153 ाचीन भारत म रा य नमाण

1531 प ठभ म 1532 जनपद य रा य का वकास 1533 रा यmdashउ पि त सबधी स ात

154 ाचीन भारत म रा य सबधी मह वपण ात य बात 1541 ाचीन भारत म रा य क अवधारणा 1542 स ताग रा य का स ात 1543 रा य म सावभौम स ता का न

155 ाचीन भारत म रा य क क त य और उ य 156 ाचीन भारत म रा य क ससाधन

1561 रा य क आय क ोत 1562 ाचीन भारत म करारोपण का स ात

150 उ य तत इकाई म हमारा उ य ाचीन भारत म रा य को प रभा षत करना तथा इसक

सचा सचालन हत आव यक ससाधन को स नि चत करना ह इस इकाई क अ ययन क उपरात हम न न ल खत बात क जानकार ा त हो सकगी mdash

(क) ाचीन भारत म रा य क अ ययन क ोत (ख) ाचीन भारत म रा य नमाण क मह वपण चरण (ग) ाचीन भारत म रा य सबधी मह वपण ात य बात mdash

(1) ाचीन भारत म राना क अवधारणा (2) स ताग रा य का स ात (3) रा य म सावभौम स ता का न

(घ) ाचीन भारत म रा य क क त य और उ य (ङ) रा य क ससाधन

151 तावना ई प छठ सद को ाचीन भारत क इ तहास म एक मह वपण सद माना जाता ह

इसक पव क सद राजनी तक अ त वरोध का यग रह थी िजसम जनजातीय स क त या

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सगठन टट कर जनपद य रा य क लए अपना थान र त करता जा रहा था छठ सद ई प म अनक कारण िजनका आग (153) व तत ववचना कया जायगा स ार भक व दक जन या कबील न जनपद क अव था ा त कर ल काला तर म य जनपद स ढ़ ह ए और नाना प रि थ तय क प रणाम व प राजत अथवा गणत रा य क प म वक सत ह ए

जनपद रा य का वकास मल प स आ थक दशा म ह ए मह वपण प रवतन स जड़ा था ई प 600 म क ष क अ त र त यापार वा ण य एव उ योगmdashधध जस धन ा त करन क अनक साधन थ िजसस रा य स था क सचा सचालन हत ससाधन उपल ध हो पाया

152 अ ययन क ोत ाचीन भारत म रा य सब धत वषय क अ ययन क ोत व वध ह सा हि यक

ोत म ा मण सा ह य हमार लए वशष मह व क ह इसक अतगत व दक सा ह य क अलावा हम रामायण महाभारत धमस और पराण को ल सकत ह ार भक पा ल धम थ वशषकर द य नकाय और महाव त म भी रा य सब धत कछ वचार दखन को मलत ह धा मक पर परा स अलग थ म कौ ट य का अथशा सवा धक मह वपण ह अथशा म समाज क आ थक वि तय पर राजक य नय ण का व तत उ लख ह यहा पर यह प ट करना उ चत होगा क सा हि यक ोत क योग म अनक क ठनाइया ह इसस ा त साम ी क काल और व प पर व वान म काफ मतभद ह फर भी कल मलाकर इनक रा य सब धत स ा तक प क हम काफ जानकार मल जाती ह

पछल दोmdashतीन दशक म ाचीन भारतीय रा य यव था क अ ययन म पराताि वक ोत का मह व बढ़ा ह य ोत सा ह यक ोत क क ठनाइय स अप ाकत म त ह

इन ोत क अतगत स क मदभाड स क तय और अ भलख का वशष मह व ह आहत स क जो ईसा पव छठ शता द को बताई जाती ह जनपद य रा य यव था

क अ ययन म उपयोगी ह इसी कार रा य नमाण या क भौ तक आधार को समझन म मतभाड स क तय न हमार काफ मदद क ह पजाब ह रयाणा राज थान एव पि चमी उ तर दश स ा त होन वाल च त धसर मदभाड (Northern Black Polished Waremdash NBPW) क पराताि वक स क तय न जनपद रा य क वकास क म को समझन म मह वपण भ मका नभाई ह

हाल क वष म अ भलख वशषकर भ म अनदान प क योग न रा य क राज व शासन क अ ययन म वशष मदद क ह भ म mdashअनदान प क जार करन का म सबस

पहल सातवाहन न आरभ कया और यह सल सला काफ यापक पमान पर ग त काल और इसस भी आग 13वीmdash 14वी शता द तक चलता रहा वस य अनदान अ धकाश प स धा मक योजन स दय गय ह फर भी इनम रा य क ससाधन वशषकर राज व क ोत का वणन ह

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153 ाचीन भारत म रा य नमाण mdash 1331 प ठभ म

ाचीन भारत म रा य नमाण क प ठभ म व दक गण क राजनी तक सगठन म दखी जा सकती ह वा त वकता म व दक गण क राजनी तक सगठन का वणन एक ज टल काय ह इसका कारण कवल यह नह ह क व वान क पास दन को अ धक भाव नह ह बि क यह भी ह क ऋ व दक काल क गण और उ तरव दककाल न गण म अपनmdashअपन राजनी तक सगठन क व प म और अपन वारा समच तौर पर ा त ऐ तहा सक वकास क तर म काफ अतर था फर भी ऋ वद क सरसर तौर पर अ ययन करन स ऋ व दक राजनी तक सगठन सभा स म त एव वदप जसी स थाओ क काय णाल स प ट हो जाता ह व वान म इस पर कोई सहम त नह ह क इन स थाओ का व प या था य क इनक बार म ोत साम ी अ सर अ य धक अ त वरोधी ह सभवत वपद सबस परानी स था था िजसम

गण ठ वारा सव प र प म राजनी तक मामल पर वचार होता था सभा का व प म यत पतत ा मक और अ भजातीय था िजसम ि या भी सि म लत हआ करती थी सभा क तलना म स म त अ धक यापक व प क सभा तीत होती ह 1 इन स थाओ का काय वा तव म या था कहना क ठन ह हम यह अनमान लगा सकत ह क इन स थान म स पण कबील क राजनी तक सामािजक आ थक एव धा मक मामल पर चचा होती थी ऋगव दक समाज म आत रक एव अ तजातीय य आ मण एव जनसहार क अनक उदाहरण हम मलत ह और ऐसी प रि थ त म सभा और स म त जसी स थाओ क भ मका अव य मह वपण रह होगी

उ तर व दक काल (ईसा पव 1000mdash 500) म ह ए आ थक प रवतन वशषकर लौह तकनीक का आ वभाव तथा क ष क म ह ए मह वपण वकास न ऋगव दक जनजातीय स क त म वघटन क या को ारभ कया ऐसा अनमान कया गया ह क लौह तकनीक का योग आरभ म य ा क लए और फर धीरmdashधीर क ष एव अ य आ थक ग त व धय म होन लगा धीरmdashधीर सपि त तथा सामािजक ि थ त पर आधा रत असमानता क जड़ जमान क साथmdashसाथ गण समह त रत हो गय और गण शासन क नकाय रा यस ता क नकाय म प रणत हो गय जनजातीय सगठन म दरार का एक माण तो इस बात स मलता ह क ऋगवदकाल न अनक छोट कबील एकmdashदसर म वल न होकर बड़ गत जनपद को ज म द रह थ उदाहरणाथ प एव भरत मलकर क तथा तवश एव व मलकर पचाल कहलाए जनपद क वकास क इस या क पि ट च त धसर (PGW) एव उ तर काल पॉ लश मदभाडीय (NBP) पराताि वक स क तया जो जीवन म था य व दशाती ह स भी होती ह उ खनन थल स ा त लोह क अ स यह सकत मलता ह क इन जनपद क स य शि त बल थी अभी तक ा त लौह अ क सवा धक स या अतरज खड़ा (क mdashपचाल दश) स ा त ह ई ह

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प ट ह क छठ शता द ई प तक आतmdashआत छोटmdashछोट जनपद आ थक सम (अ धशष उ पादन) और स य शि त (लौहmdashअ ) का लाभ उठाकर रा य का प धारण करत जा रह थ ऐसी ि थ त म पतक राजत और रा क अवधारणा क प ट उ लख भी हम ा त होन लगत ह अथववद (VI882) म कहा गया ह ldquoरा राजा क हाथ म हो तथा

राजा व त वह प तदव इ एव अि न उस ढ़ बनाए ति तर य स हता (1131) तथा शतपथ ा मण (IX411) म मश कहा गया ह क कमकाड को पण पण स प न कर राजा रा ा त करता ह तथा राजा रा भत अथात सा ा य का पोषक ह

1532 जनपद य रा य का वकास

ब क काल तक आतmdashआत िजन जनपद का उ लख मलता ह उनक वकास म तीन प दखाई दत हmdash

(1) कछ जन या कबील न अकल ह जनपद क अव था ा त कर ल जस म य च द कोसल आ द

(2) कछ जन म पहल सयोग हआ और उसक प चात उसका जनपद क प म वकास हआ जस पाचाल िजसम पाच जन का सयोग था

(3) अनक जन अ धक शि तशाल जन क वारा विजत होन क बाद उ ह म मला लए गय जस अग का मगध जनपद म तथा काशी का कोसल जनपद म इन जनपद क वकास क अ ययन स यह प ट हो जाता ह क छोटmdashछोट कबील रा य बनत जा रह थ और सा ा य का ल य कछ दर नह था

1533 रा य उ पि त सबधी स ात

रा य नमाण क या का ववरण समकाल न सा हि यक ोत म हआ ह यह सह ह क य ववरण एक दसर स भ न ह फर भी इसस उन प रि थ तय का अव य अनमान हो जाता ह िजनक कारण रा य क उ पि त ह ई इस सदभ म हम न न ल खत ोत का नाम ल सकत ह िजनक ववरण हमार लए मह वपण ह ऐतरय ा मण (114

VIII12) महाभारत (शा तपव अ याय 59 एव 67) द घ नकाय (III89mdash93) अथशा (113) मन म त (VII3mdash4) आ द इन ववरण क आधार पर ह द रा यशा क आध नक व वान न रा य उ पि त सब धत दवी एव अनबध स वात को तपा दत कया ह (इन स वात क व तत अ ययन क लए दख इकाई स या 9 अ याय VIa)

154 ाचीन भारत म रा य सबधी मह वपण ात य बात 1541 ाचीन भारत म रा य क अवधारणा

ाचीन भारतीय वचारक न रा य को एक मह वपण स था क प म वीकार कया और रा यशा को एक यावहा रक व या क प म मा यता दान क यह सह ह क पा चा य वचारक लटो और अर त क तरह ाचीन भारतीय वचारक क राजनी तक सोच म दशन का अभाव ह फर भी उ ह न रा य क सगठना मक एव याशील व प को समझा और

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उस यवहार म लान का हर सभव यास कया ारभ म रा य सबधी उनक अवधारणा एक ऐसी स था क प म थी जो उस म बसन वाल सभी वग और समदाय क सर ा दान करन म स म थी यह सह ह उ चवग य लोग क प रवार एव स पि तय क र ा रा य क लए अ धक मह वपण थ परत आग चलकर इस ि थ त म प रवतन हआ और रा य को श त स यव था क थापना और सर ा दान करन क अलावा जनता का सवागीण न तक सा क तक और भौ तक वकास भी माना जान लगा व तत ब क काल तक आतmdashआत कोसल और काल जस महाजनपद म रा य क वो सार अग (स ताग) प रल त होन लगत ह जो आध नक रा य क त व (Elements) समझ जात ह मौय काल तक आतmdashआत तो रा य का व प और काय इतना यापक हो जाता ह क उसम कसी एक वग या समदाय क त वशष यव था ढढना यथ होगा ाचीन म तकार वारा राजा को बार बार वणा म क तपालक कहन स यह भा त अव य होती ह क रा य का उ य सामािजक वषमताओ को यथावत कायम रखना था परत स चाई इसस पर ह य क ाचीन भारतीय वधा नक थ म रा य क नवा सय म वशषा धकार और सामा य नाग रक क अ धकार म कोई भदभाव नह कया गया ह रा य क प रवतनशील व प को दखत ह ए ाचीन भारतीय वचारक न रा य को एक जी वत स था माना और उसक सावयव प (Organic Nature) क क पना क इसक अ तगत रा य क अग क तलना शार र क अग स क गई ह कौ ट य (VI1) और मन (VIII 284mdashmdash8) दोन का मत ह क रा य एक सजीव एका मक शासन स था ह मनमानी चाल चलन वाला अपना ह भला दखन वाल व भ न कण का ढ लाmdashढ ला जोड़ नह ह यह सह ह क कौ ट य म यह स ात बह त प ट प स नह दखाई पड़ता व भ न अग क अ भ न मानmdashजान का एकमा सकत उसक इस वचार स मलता ह क एक अग को भा वत करन वाला कोई गभीर सकट शष अग को भी हा न पह चा सकता ह इस सदभ म

वह व भ न अग क पार प रक मह व क भी चचा करता ह (AS IV31mdash34) मन िजसक रचना म सभवत अग श द का सव थम योग हआ ह (IV 294) रा य क सावयव व प पर प ट वचार कट करता ह (IX 297) उसक अनसार रा य क अग म स कसी एक को अ य अग क अप ा प ट श द म मह वपण बताना असभव ह इसक वपर त उसका वचार ह क अलगmdashअलग समय पर अलगmdashअलग अग अ य अग क अप ा अ धक मह वपण हो जात ह महाभारत का शा तपव मन क कथन क पि ट करता ह कामदक का भी यह मत ह इस वषय पर उसक वचार अप ाकत अ धक स प ट ह उसक अनसार य द एक अग म दोष आया तो पर रा य का सामा य काय यापार खतर म पड़ जायगा और इस लए त त अग को सधार दना चा हए (IV2) रा य क शर र स ात का सबस प ट तपादन श म पाया जाता ह जो रा य क व भ न अग क तलना मानव शर र क अग स

करता ह (1mdash62) क त यह रचना बह त परव त काल क ह इस लए हम लोग क अ ययन काल क सदभ म इसका उपयोग उ चत नह होगा रा य क शर र स ात का अप ाकत प ट तपादन कौ ट य क समकाल न यनानी वचारक लटो और अर त न भी कया ह

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1542 स ताग रा य का स ात

व दक सा ह य और न ार भक व ध थ अथात धमस म ह रा य क कोई प रभाषा मलती ह ार भक धमस म रा य क कछ अग जस राजा अमा य वषय आ द का उ लख अव य मलता ह परत ब क यग म कोसल और मगध जस ससग ठत रा य क उ थान क बाद ह सबस पहल कौ ट य क अथशा म रा य को सात अग स य त स था बतलाया गया ईसा क सोलहवी शता द म सर वती वलास नामक थ क रचनाकार न गौतम धमस को उ त करत ह ए इस स ात क तपादन का य गौतम को दया ह परत इस थ क ववरण पण प स व वसनीय नह ह और सभवत इ ह कारण स कौ ट य वारा तपा दत स ताग रा य क प रभाषा ह बाद क थ क लए स प बनी कौ ट य

न िजन सात अग का उ लख कया ह व ह वामी अमा य जनपद दग कोश दड और म (VI1) रा य यव था स बधी अ धकाश थ जस मन (IXmdash294) शा त पव (6962mdash63) या व य म त (1mdash353) व णधम तर पराण (IIImdash33) और श नी तसार (1mdash61) म इन सात अग का उ लख मलता ह य य प कछक म कछ अग क पयाय का योग हआ ह व णधम तर पराण म वामी और अमा य क बदल मश साम (शा त थापना) और दान नामक दो नय अग का उ लख मलता ह शा तपव क एक स करण म अ टा गक रा य श द का योग मलता ह ल कन आठव अग का उ लख कह नह ह अथशा म भी जहा पर सभी अग का ववचन कया गया ह वहा दो अग अमा य और दग क प रभाषा नह द गयी ह इन दो का ववचन पथक प स कया गया ह क त कल मलाकर इसम स ताग का ववचन सागोपाग और मब ह जो अ य दलभ ह वामी mdash

वामी का अथ ह धान या अ धप त इसका उ लख सभी ोत थ जस अथशा (IVmdash1) मन (IXmdash294) व ण (IIImdash33) शाि तपव (6962mdash63) या व य (Imdash353) आ द म इस प म हआ ह ो रामशरण शमा का वचार ह mdash सभवत रा यत और गणत क धान को राजा क स ा द गई ह य क कौ ट य रा य पर आनवाल वपि तय पर वचार करत समय इन दोन का उ लख करता ह (अशाVIII2) जहा तक अ भलख का

न ह वामी श द का योग सव थम शक अ भलख म हआ ह यान दन क बात ह क स ताग स ात क तपादन क प रवश म रा य क धान क लए कसी भी थ म राजा श द का योग नह हआ उसक बजाय वामी श द का योग कया गया ह िजसका अथ ह अ धप त च क इस श द का योग सव थम कौ ट य न कया ह इस लए इसका सह अथ अथशा क सदभ म समझा जा सकता ह अथशा म वामी को कछ नि चत गण स सपन होना चा हए (अशा VI1) इसस यह अनमान लगाया जा सकता ह क सामा य कल म उ प न यि त को वामी पद ा त करना क ठन था य क कौ ट य क अनसार वामी को अ भजा य वग का होना चा हए

अमा य mdash

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अमा य का उ लख सभी थ म इसी प म हआ ह य द अमा य को म ी श द क पयाय क प म योग कर तो इसस यह म पदा होता ह क अमा य म ी क प म काम करन क लए रख जात थ परत व भ न थ म आय ववरण स अमा य और म ी म भद तीत होता ह म य क स या कम होती थी जब क अमा य क स या नि चत प स

अ धक थी शा तपव जस परवत रचनाओ म भी अमा य को म ी स अलग बताया ह इसम म य क स या 8 ह और अमा य क स या 37 (शाप85 7mdash11) कौ ट य भी इस अतर को यान म रखता ह वह म य क स या तीन या चार बताता ह जब क अमा य क सबध म उसका कहना ह इसक स या नयि त करन वाल क मता क अनसार होनी चा हए (अशाI 9mdash1016) ऐसा तीत होता ह क अथशा म अमा य एक थायी सवा समवग था िजसम धान परो हत म ी समाहता आ द सि म लत थ

कौ ट य अमा य क लए अप त यो यता का भी वणन करता ह उसका कहना ह दश काल और काय क आव यकता को दखकर ह कसी को भी अमा य नय त कया जा सकता ह (अशा I9mdash1016) यह बात म ी क साथ नह क जा सकती ह

च क यह अथशा म ह अ य थ म अमा य क यो यता और काया धकार पर व तत चचा नह मलती अत इसक लए हम मल प स बौ थ पर आधा रत होना पड़ता ह बौ थ म अम च श द का योग ह जो अमा य का पयाय ह जातक स पता चलता ह क अमा य सकड़ क स या म नय त कए जात थ और ामीण व य काय क पयव क यायाधीश ससा रक और अ टा गक वषय क मागदशन सव ण क प म काय करत थ कौ ट य क वचार भी जातक स मलतmdashजलत ह (जातक II 218 III 105 4228) कौ ट य न अमा य को खतीmdashबाड़ी क नगरानी दग नमाण क दखरख जनपद क याण वपि तय का नवारण अपराधी को द ड दन जस काय स प ह (अशा VIII1) अमा य क यि तगत गण क सबध म कौ ट य आनव शकता और अ भजात गण को यादा उपय त मानता ह काम दक म भी अमा य और म ी म भद मलता ह म य को वह प ट प स रा य को सलाह दन वाला बताता ह (कामदक नी तसार VI25mdash2734) जो

भी हो अमा य श द का योग स पण शास नक समवग क सदभ म ह कया जाता था हाला क कभीmdashकभी कछ भद भी दखन को मलता ह जस आय तर काल म अमा य को स चव भी कहा गया ह दामन क अ भलख म म ी स चव और काय स चव जस श द का योग हआ ह जनपद mdash

स ताग रा य का तीसरा अग जनपद ह इसका शाि दक अथ जनजातीय ब ती ह आय तर थ मन (IXmdash294) और व ण (IIImdash33) म इसका उ लख रा क प म हआ ह तथा ार भक ग तकाल न व ध थ या व य (Imdash353) म मा जन क प म इसका योग हआ ह रा श द नि चत प स भभाग का बोधक ह जन श द म न सदह जनस या का बोध होता ह सभवत अथशा म व णत जनपद श द म भभाग और जनस या दोन का समावश ह उसम कहा गया ह क भmdashभाग म अ छ जलवाय पशओ क लए चारागाह और

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कम महनत स उपज दनवाल भ म होनी चा हए तथा इसम पा र मक क ष ब मान मा लक और न न वग क बह लता होनी चा हए जा को कर का बोझ सहन करन वाला वामीभ त एव न ठावान होना चा हए (अशा VII) काम दक कौ ट य क कथन को और भी व तार दता ह और यह उ लख करता ह क भmdashभाग म श कार गर यापा रय तथा प र मी तथा उ यमी कषक का नवास होना चा हए (कानीसा IVmdash54) ग तकाल न पराण जस म ल पराण और व ण धम तर पराण म इसी कार क उ लख मलत ह इसक अनसार राजा को ऐस दश म रहना चा हए िजसम यादातर व य और श थोड़ स ा मण और अ धक स या म भाड़ क मक हो यहा पर यह प ट कर दना उ चत होगा क कौ ट य क अथशा और कोई अ य थ भmdashभाग का आकार और जनस या को नधा रत नह करत हाला क एक अ य थान पर अथशा (111) कहता ह क ाम म एक सौ स पाच सौ तक प रवार होना चा हए और एक था नक जो जनपद क सबस बड़ी इकाई ह उसम 800 ाम होना चा हए दग mdash

कौ ट य वारा उि ल खत चौथा अग दग ह िजस मन (IX 294) न पर कह कर तीसरा थान दया ह दग स कल का बोध होता ह ल कन पर क याय क प म दग को कलाबद राजधानी का बोधक मानना चा हए कौ ट य क अथशा म दग वधान (113) और दग नवश (114) म आय वणन स भी राजधानी का ह बोध होता ह दग वधान म कल क नमाण का वणन कया गया ह तथा दग नवश म राजधानी क योजना और व यास का ववरण ह महाभारत क शा तपव म जनपद और पर का भद कया हआ मालम होता ह जनपद स दहात और पर स राजधानी का बोध होता ह (शाप69 63) दग पर अपना वचार कट करत ह ए कौ ट य कहता ह क राजधानी क य थान पर बनाई जानी चा हए तथा

इसक योजना बनान म व भ न वग क लोग कार गर और दवताओ क लए अलगmdashअलग छोड़ जान चा हए यहा पर यह यान दन यो य बात ह क कौ ट य इस सबध म अनक कार क शि पय तथा बास चमड़ ऊन आ द क काम करन वाल कार गर का उ लख करता

ह कौ ट य न चार कार क दग का उ लख कया ह mdash (1) औदक दग जल स सर त अथात िजनक चारो और पानी हो (2) पावत दग (पहाड़ी स सर त) (3) धा वन दग (म थल अथवा अ य बजर भ म पर बनाया गया दग) (4) वनदग (जगल स आ छा दत या सर त दग) राजगह को ग रदग स सर त माना जाता था आग चलकर पाट लप मगध क राजधानी ह ई िजसका मह व जलदग क कारण बढ़ गया था प ट ह क पाट लप तीन तरफ स न दय स धरा हआ था इसी कार त काल न थ म वनदग क भी जानकार मलती ह कोष mdash

कोष या खजाना कौ ट य क थ या अ य ोत म भी पाचव अग क प म व णत ह कौ ट य क अनसार (VI1) राजा को नक और वध उपाय स स चत कोष रखना चा हए या उस इ ह उपाय स सव करना चा हए उसक वचार स सोन चाद और र न आ द स भरmdashपर कोष का ऐसा सव होना चा हए क अकाल आ द वपि तय क समय खच का भार

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वह वहन कर सक इसी करण म कौ ट य आग कहता ह क कोष क अभाव म सना रखना और उसक न ठा का भी पा बन सभव नह इस वणन को हम रा य क दो अग कोष और सना क पार प रक सबध को प ट वीक त मान सकत ह कौ ट य क अथशा म हम इसम भी यापक कथन दखन को मलता ह जब यह कौ ट य सम त परवत को व त पर ह आ त मानता ह (अशा VIII1) कोष का मह व ाचीन रा यmdash यव था म अ य धक था इसका अनमान हम त काल न थ म आय करारोपण स ात और आयmdash यय पर व तत ववरण म भी दख सकत ह द ड mdash

द ड अथात म यत सना क प म सलभ बल क योग क शि त का उ लख अथशा म छठ अग क प म हआ ह कभीmdashकभी द ड और कोष को समक माना गया ह (अशा VIII1) कौ ट य क अनसार हम अग म प तनी भाड़ पर रख गए वन और नगम क स नक आत ह स नक को वह चार भाग म बाटता ह mdash पदा त रथारोह हि त स नक और अ वारोह शा तपव म अथशा स कछ अलग ववरण मलता ह इसम सना म हाथी घोड़ रथ पदल नाव बगार और भाड़ क स नक होत थ इस लए इस अ टाग बल कहा गया ह (शाप12143) कौ ट य न अनक थान पर द ड क वशषता का उ लख कया ह

य को सना क लए सबस उपय त माना ह ा मणवाद और बौ थ भी इस न पर एक मत ह सकटकाल न परि थ तय म मन न ा मण और व य को श धारण करन क अनम त द ह ल कन श को नह (मन VIII 348) कत कौ ट य व य और श का स या बल को यान म रखत ह ए उ ह भी सना म भत करन क सफा रश करना ह (अशा IXmdash2) सना क गण का वणन करत ह ए कौ ट य उस य क समय सभी आव यक उपादान स ससि जत रहन क सलाह दता ह सना को वह अपराजय धयशाल कायकशल हारmdashजीत क त तट थ और राजा क इ छानसार काय करन क सलाह दता ह म mdash

कौ ट य वारा उि ल खत सातवा और अ तम अग म ह जो अ य थ म स द क प म व णत कया गया ह कौ ट य क अनसार म बनावट नह वशानगत होना चा हए

िजसस आपस म भद क गजाईश नह हो और जो अवसर आन पर सहायता करन को तयार हो (अशा VI1) इसक वपर त श को लोभी अ यायी व छाचार और द ट यि त क प म व णत करता ह कौ ट य वारा व णत स ात म म क भ मका प ट ह इसक

अनसार च वत राजा को विज गष कहा गया ह म क सहायता स अपन सा ा य क सीमा का व तार करन क सा यता द हो (अशा VI1) शा तपव म चार कार क म का वणन ह mdash (1) सामा य यय वाल शरण एव सर ा चाहन वाल वभाव म ह जो स ढ़ हो और चौथा क म म जो बलपवक या कसी प रि थ तवश बनाय जात ह काम दक (474) न भी चार कार क म का ववरण दया ह mdash (1) औरस (ज मजात) (2) कत सबध वारा ( ववाह सबध स उ प न) (3) वशान मात (4) र त ( वपि त म िजसन सर ा द ह)

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राजनी तक स ात क सदभ म कौ ट य न रा य क जसी प रभाषा तत क ह उसस अ धक पण प रभाषा दना ाचीन काल म सभव नह था लटो न अपन रपि लक (Republic) म इस दशा म थोड़ा यास कया ह उसन दाश नक क तलना वामी स यो ा क द ड स तथा कार गर और ख तहर क कछ हद तक जनपद स तलना क ह अर त न भी रा य पर चचा करत ह ए गहप त और नाग रक को रा य क घटक क प म व णत कया ह अपन आदश रा य क भौ तक अग को प ट करन क उ य स अर त न नगर का आकार और जनस या क सीमा भी बताई ह ल कन लटो और अर त वारा द गई रा य क प रभाषा को कसी भी प म कौ ट य वारा व णत स ताग रा य क तरह स पण नह माना जा सकता आध नक काल म रा य क जो चार त व भस ता सरकार और जनस या मान गय ह व रा य क स ताग स ातmdash क मश चार अग वामी अमा य और जनपद क अ तगत आ जात ह भस ता का वामी म सरकार का अमा य म तथा और जनस या का जनपद म समावश हो जाता ह कछ वचारक न यह मत कट कया ह क च क जनस या रा य का इतना य अग था अत स ताग म इसका अलग स उ लख करन क कोई आव यकता नह थी जो भी हो जहा तक रा य का यावहा रक और वा त वक व प का न ह स ताग काफ हद तक एक पण प रभाषा माना जा सकता ह

1543 रा य म सावभौम स ता का न

ाचीन भारत म सावभौम स ता का थान कहा था इस न को लकर व वान म काफ मतभद ह आध नक ि टकोण स इस न का अ ययन उपि थत करना भी एक क ठन काय ह व तत आजकल िजस हम सव च शासनस ता (Sovereignty) कहत ह उसक ठ क क पना ाचीनकाल म करना उ चत नह होगा व दक यग म अ तम शासना धकार राजा व स म त म रहत थ इस लए शासना धकार क व अि तम अ ध ठान मान जा सकत ह गणत म अि तम अ धकार क य स म त म कि त थ इस लए उसका शासन का सव च अ घ ठान कहना उ चत होगा जब स म तय व गणत का अ त हआ तब राजा सवस ताधार बन गया

मौयकाल म जब रा य का व प अ य धक यापक हो जाता ह तब अथशा म स त क तय को सावभौम स ता क त व क प म वीकार कया गया वा तव म अथशा (VImdash1) और आग चलकर मन (IXmdash294) व ण (111mdash33) शाि तपव (69 62mdash63) तथा या व य (1mdash 353) म इस वषय म वा म श द का योग दखन को मलता ह शाि तपव म भी म और य घि ठर क बीच जो सवाद ह उसम ाचीन भारतीय सम भता mdash क उ पि त का ान होता ह इसक अनसार (शाप 58 67) अराजकता क ि थ त स छटकारा पान क लए स भता क थापना क गयी रा य म सम भता क न पर वचार करन क म म धम और दड को यान म रखना आव यक ह स ात क ि ट स यह माना गया था क धम राजा स पर ह वह उसका अनादर नह कर सकता (शतपथ ा मण 1 414) इस वचार स राजा धम क अधीन ह तथा धम को एक ि ट स शासन स ता का सव च अ ध ठान मान सकत ह ाचीन भारतीय वचारक न धम को ठकरान वाल राजा को कस

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कार दि डत या नय त कया जाय पर कोई प ट उ लख नह कया ह अत धम को शासनmdashस ता का अि तम अ ध ठान समझना उ चत नह होगा वा तव म हम यह उ लख मलता ह क य द राजा धम क अनसार बताव न करगा तब भी उस द ड नह मलना चा हए च क वह द ड स पर ह (शतपथ ा मण 5 47) जहा तक राजा को द ड दन का न ह इसका उ लख अव य मलता ह (मन VIIImdash336) मगर यह द ड कौन दगा इस सबध म कोई सकत नह मलता ह मन का ट काकार कहता ह क राजा वय ह अपन को दि डत कर व जम क रकम ा मण को द या पानी म फक द च क वहा द डक ता व ण रहता ह (6 33652) य म इस कार क यवहार को कायाि वत करना क ठन था फर भी हम राजा क ज म क खलाफ बगावत करन तथा उस मार डालन क सचना कह mdashकह मलती ह (अनशासन पव 61 32mdash33)

155 ाचीन भारत म रा य क क त य और उ य वद म य पण रा य क उ य या ल य पर वचार नह कया गया ह पर फट

उ लख स पता चलता ह क शा त स यव था सर ा और याय ह रा य क मल उ य समझ जात थ शतपथ ा मण (V 3 3 6) क अनसार दवलोक क राजा व ण क भा त दवलोक का राजा धमप त था वह धम और नी त का र क था और जा को धम प पर चलान म य नशील था व दक काल और मौय यग क बीच म रा य क काय म अभतपव व तार हआ त नसार रा य क क त य और उ य म भी प रवतन हआ रा य का ल य अब सर ा और शा त यव था क अलावा धम अथ और काम का सव न था

रा य का उ य धम सवधन होन स उसक व प क बार म कछ गलतफह मया उ प न हो गई ह म तकार वारा राजा को बार बार वणा म का तपालक कहा जान का अथ सामािजक वग भद को वधा नक मा यता दना माना गया ह परत इस भा त को ऐ तहा सक सदभ म समझना आव यक होगा जो भी हो धमmdashसवधन का अथ समाज म सदाचार और सनी त क ो साहन स जनता म स ची धा मक भावना और सदाचारण क वि त का सचार करना ह इस ल य को सा य करन क लए रा य वारा धम और मत को सहायता दना और जन हतकार काय करना आव यक माना जाता ह इस ल य का सवा धक उपय त उदाहरण अशोक क काल म दखा जा सकता ह अथmdashसवधन का म य उ य वा ता अथात पशपालन क ष वा ण यmdash यापार और उ योग को सम करना था कामmdashसवधन क अ तगत रा य का यास नाग रक क द नक जीवन को स नि चत करना तथा सा क तक ग त व धय को ो सा हत करना था यहा पर यह प ट कर दना उ चत होगा क ऊपर व णत सभी काय मौय और ग त रा य जस ससग ठत तथा पया त ससाधन स स प न रा य क वारा ह सभव था

156 ाचीन भारत म रा य क ससाधन रा य स था क सचा सचालन क लए ससाधन का होना आव यक ह व भ न

कार क ससाधन को सम और एक करन का यास न कवल रा य क वकास क या

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स जड़ा ह वरन रा य क वकास क दशा को भी नधा रत करता ह ाचीन भारतीय वचारक न भी व भ न कार क ससाधन क मह व को अ छ तरह समझा और उस सम करन का यास कया यह कारण ह क अथववद म भ म को मन य क माता कहा गया ह (12 1 12) और राजा को क ष म व हत वशष यास करत ह ए दखलाया गया ह (3 12 4) ससाधन क अ भव हतmdash वा ता िजसम क ष पशपालन और वा ण य सि म लत ह को क याणकार माना गया य क इन ससाधन क सहायता स कोष तथा सना वारा राजा अपनी ह जा को नह बि क अ य क जा को भी वश म करता ह (अथशा 14) महाभारत म भी यह उि ल खत ह क वा ता स ससार का पोषण होता था इस लए वह लोक का मल था (वनपव 67 35) मन न भी वा ता क मह व को वीकार ह तथा यावहा रक ान क लए उस अ नवाय माना ह (मन VII 43) कोशकार अमर सह न वा ता को

जी वका का पयायवाची माना ह (291) रामायण म तो इस लोक म सख ाि त का साधन वीकार कया गया ह (अयो याकाड 10047)

च क रा य न अपना वा त वक व प ब क यग म वशषत म य गगा घाट क मदान म ा त कया अत यह आव यक हो जाता ह क हम उन भौ तक प रि थ तय का पर ण कर िजनम इस म ससाधन को सम और एक (कर) करन क यास कए गय रा य क ीय प का वकास ससाधन को वक सत करन का ार भक और मह वपण त व माना जा सकता ह का वा त वक मह व तब उभरकर सामन आता ह जब लोग इसम नय मत प स भोजन उ पादन क सभावनाओ को पहचान लत ह और उसम थायी बि तया बसात ह पजाब तथा ऊपर गगा क मदान म वहत तर पर बि तय क थापना उ तर व दक काल तक आतmdashआत प ट हो जाती ह क त म य गगा क म बड़ रा य उस भौ तक स क त क कारण कायम ह ए िजसका स बध उ तर काला पा लशदार मदभाड (NBPW) वाल चरण (700BC mdash 400BC) स था अब तक उ तर भारत म य भारत तथा द कन म लगभग 570 थल पर इस कार क बरतन मल ह क त उनम स अ धकाश पव उ तर दश एव बहार म ि थत ह य थल प ट करत ह क ईसा पव छठ शती क लगभग वहत तर पर दमट म ीवाल भ म म ऐसी बि तया ारभ हो चक थी जो क ष पशपालन और छोटmdashमोट श प पर आधा रत थी यह मह व का वषय ह क लगभग 500 ई प धान क रोपाई का जो काम म य गगा क उपजाऊ भ म म ारभ हआ उसम नयी लौह तकनीक न अभतपव ग त दान क कषक अब अपन प रवार तथा आ त का भरणmdashपोषण करन क बाद अनाज क प म कर दान सकता था तथा रा य सचालन हत आव यक ससाधन जटा सकता था हाला क करारोपण नय मत ढग स कब और कस ारभ हआ इस पता लगाना क ठन ह

व दक काल म राजा या सरदार को मलनवाला वि छक भट उपहार ब क यग तक आतmdashआत अ नवाय कर म बदल गया यह बात पा ल और स कत सा ह य म य त कर स बधी श द स प ट ह आरभ म ब ल (ऋ वद I 7091 110) इस कार क भट थी िजस लोग व छा स धम तथा अपनी सर ा क बदल राजा अथवा सरदार को दत थ

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ब ल का धा मक व प व दको तर काल म भी बना रहा पर पहल जो कल या कबील क म खया को व छा स दया जाता था वह ब क काल म राजा को दया जाना अ नवाय बन गया भाग श द दशाता ह क राजा अपन अश का अ धकार था अथववद म गाव और घोडो क भाग का उ लख ह (4 222) अथववद म शतक का भी उ लख ह (3 29) जातक म भी ब ल श द का योग बह धा हआ ह (111 378) क त गौतम (8 11) कर श द का तथा पा ण न अ धक नि चत श द कार का योग करता ह ऐसा तीत होता ह क ारभ म द जानवाल भट न ह आग चलकर कर का प धारण कर लया बाद म भाग एव कर दोन श द का योग च लत हआ कालातर म भाग को रा याश का म य प माना जान लगा तथा राजा को ष भा गन कहा जान लगा प रणाम व प कौ ट य क अथशा म ब ल का कर क प म वह थान नह ह जो जातक म मलता ह अब वह भ म स सब अनक कर म स एक का थान लता ह (अशा 11 15)

1561 आय क ोत

ाचीन भारत म रा य न अपना वा त वक व प ब क यग म वशषकर गगा घाट क मदान म ा त कया मौयmdashपव काल म कर (आय) क आरभ तथा रा य क वकास क बीच नकट का स बध अव य दखाई पड़ता ह क त मौयmdashपव यग म कर क स था कम थी तथा उनका व प भी सरल था ऐसी ि थ त म मौय काल म आन क बाद ह कौ ट य क अथशा क दसर अ धकरण क छठ अ याय म हम पहल बार रा य क आय क ोत पर एक व तत चचा ा त होती ह इस अ याय म उसन रा य क आय क साधन को सात भाग म बाटा ह mdash दग रा ख न सत वन ज और व णक पथ

दग क अ तगत पर या नगर स होन वाल आय सि म लत थी जस श क (च गी) पौतव (नापmdashतौल को मा णत करत समय लया गया कर) द ड (अपरा धय स लया गया जमाना) नागरक (नगर अ य वारा वसल कर) ल णा य (म ा य ) स ा त आय सरा कर (शराब क ठक स होनवाल आय) िज स पर ा त आय जस तलकर घतकर नमककर व याओ क श प स था दव म दर आ द स ा त आय सि म लत कए गए ह रा क अ तगत जनपद स होन वाल आय सि म लत थी इसम सीता (राजक य भ म स होन वाल आय भाग) कसान स लया जान वाला उपज का एक भाग) ब ल (दवम दरो) और तीथ थान स होनवाल आय) कर ( वशष कर) वा णक ( यापा रय स लया जानवाला ब कर)

नद पाल तर (न दय क पल पर लया जानवाला कर) नाव (नौका वारा नद पार करन पर लया जानवाला कर) प तन (क ब स वसल होन वाला कर) ववीतम (चारागाह स ा त होन वाला कर) व तनी (सड़को क योग क लए दय कर) र ज (स भवत र जक नामक अ धका रय वारा सगह त कर) तथा चोरर ज (चोर क पकड़न पर गाव स लया जान वाला कर) आ द सि म लत थ

ख न क अ तगत राजक य खान स होन वाल आय होती थी सत शाक स जी फल मलवाप (ऐसी फसल िजनम जड़ बोयी जाए) आ द स ा त आय थी हि तवन पशवन

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मगवन (जहा स पशचम मलता था) तथा यवन (इमारती और ईधन क लकड़ी क वन) स होन वाल आय को वन कहत थ गाय भस बकर भड़ गध ऊट घोड़ आ द ज कहलात थ और इनस होनवाल आय का भी यह नाम था

उपय त सभी कार क कर को कौ ट य न रा य का आय शर र कहा ह (अशा 11 6) ग तकाल क लखक म कामदक रा य क आय क आठ ोत का वणन करता ह क ष व णकmdashपथ दग सत कजर ब धन खान इमारती लकड़ी तथा श य थान का

उप नवशन (कामदक V 78mdash79) दग और हा थय का इस सची म प रगणन सभवत इस लए हआ ह य क इनक कारण यापा रय म व वास पदा होता था िजसस व अ धका धक यापार कर रा य को सम बनात थ

1562 ाचीन भारत म करारोपण का स ात

हम इस बात का कोई अनमान नह ह क व दक काल म चल आनवल ब ल क दर पर परा या थी इतना नि चत ह क जसmdashजस शासक वग क आव यकताए बढ़ती गई तथा कषक क उ पादन मता वक सत ह ई वसmdashवस कर द दर म आव यकतानसार प रवतन ह ए ारि भक धमस जस बौधायन (1 10 18) आप त ब (1 10 26mdash29) गौतम (10 27) आ द म आय का छठा भाग कर क प म लए जान का उ लख ह गौतम भmdashराज व क तीन दर अथात अ न का 16 भाग 18 भाग तथा 110 भाग द ह (गौधस 10mdash24) इसक ट काकार हरद त न लखा ह क य तीन दर खत क म ी क क म पर नभर थी कौ ट य न लखा ह क राजा को उपज का छठा भाग कर क प म लना चा हए (अशा I 13 2 19) गौतम क भा त वह भी भ म को तीन णी थल ऊची भ म नीची भ म (कदार) और अ य भ म म वग कत कर अलगmdashअलग कर नधा रत करन का सझाव दता ह (अशा V 2) वस खत जो वषा क पानी पर नभर न हो स कौ ट य फसल का 13 या 14 भाग लन क सलाह दता ह इस स बध म मग थनीज का कथन ह क राजा म क उपज का चौथा भाग क ष स ा त करता था ( बो 15140) महाभारत म राजा को अ न का 110 भाग कर क प म लन क अनम त द ह (शाि त पव 6723) मन म त म भ म क उपज क अनसार 16 18 एव 112 भाग कर क प म उि ल खत ह (VII 128 130) नारद और व ण क अनसार राजा उपज का 16 भाग ा त करन का अ धकार ह (नारद 1848 व ण 322) पर त बह प त राजा को परती भ म स 110 वषा क जल स सीची जान वाल भ म स 18 भाग और जो फसल बस त त म काट जाती ह उनस 16 भाग कर क प म लन क सलाह दता ह प ट ह क भ म कर जो राजक य आय का सव मख साधन था म प रि थ त क अन प 110 भाग स 13 भाग तक कर लन क ाचीन भारत म यव था थी

ाचीन भारत म साधारणतया राजा को धम क अन प उ चत कर लगान क सलाह द गयी ह ार भक धमस म प ट उ लख ह क राजा जा स कवल वध कर वसल कर सकता ह तथा वह यय क लए वध कर क अ त र त स पि त नह ल सकता ह (व श ठ

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धमस 19 14) जातक म भी धम क अन प कर लगान क बात क गयी ह (जातक II 240 iv 224 V 98) कौ ट य न भी यह वचार कट कया ह क राजा को जा स उतना ह कर लना चा हए िजतना क सरलता स द सक (अशा V 2) महाभारत (शाि तपव 87 17) और मन म त (VII 128mdash29) म भी राजा को उतना ह कर लन का वधान कया गया ह िजसस क उ पादक को उ पादन क लए पया त धन बचा रह कामदक का यह मानना ह क राजा को कर वसल करत समय वाल क नी त अपनानी चा हए जो पहल गाय क सवा करता ह और फर दध नकालता ह (का नी तसार VI 84) का लदास क अनसार भी कर जनता क हत क लए लगाए जात ह और राजा का क त य ह क कर क प म वसल धन का योग इस कार कर िजस कार सय प वी स पानी सोख कर उस फर कई गना करक बरसा दता ह (रघवश 1 18)

यवहार म इन स ात का योग कह तक सभव था कहना क ठन ह च क रा यmdash स था का वकास व भ न कर क बढ़त ह ए सभरण स जड़ा हआ था अत अ त र त और वशष प रि थ तय म अन चत कर क होन का भी उ लख हम ा त ह जातक म अनक दमनकार कर क उदाहरण मलत ह इनस सकत मलता ह क राजा अपन कोषागार भरन क लए जा को पी ड़त कर कर को बढ़ा भी सकता था (जातक ii 240 IV 224 V 98) अथशा राजक य आय पर वचार करत समय कौ ट य ब ल भाग और कर क अलावा कई अ त र त कर का भी उ लख करता ह (II6) कौ ट य क यह प ट मा यता ह क धा मक औपचा रकताए धनाजन म बाधा नह होनी चा हए धन इक ा करन क लए जा क अध व वास और धा मक भावनाओ का लाभ उठान हत अथशा क कोषा भभरण करण म कई यि तया बताई गयी ह (अशा V 2) उदाहरण क लए वह कहता ह क राजा कसीmdashकसी रात को कसी दवता या च य क त ठापना कर या कसी अपशकन क सचना द और तब या तो दवता क पजा करन या अ न ट नवारण क लए समाज और या ा क आयोजन क नाम पर स ह त धन हड़प ल यह सह ह क इन यि तय को अथशा म आपातकाल न कर णय क अ तगत रखा गया ह फर भी इनका उपयोग रा य क लए ससाधन क आव यकता को प ट कर दता ह

मौय तर काल म शक राजा दामन क जनागढ़ शलालख म भाग ब ल और श क को नय मत कर कहा गया ह और कर णय और वि ट को आपातकाल न कर कहा गया ह वि ट एक कार बलपवक लया गया म था जो कर क बदल लया जाता था अथशा क ट काकरण भ ा वामी क अनसार ऐसी बगार कर क बदल ल जाती थी और इस कार ल गई बगार का हसाब रा य क एक अ धकार रखत थ कर णय और वि ट क साथmdashसाथ ग त काल म हम कछ अ य मह वपण कर का उ लख मलता ह जस उप रकर (एक कार का अ त र त कर) हर य ( य प म अदा कया गया कर) उ ग (प लस या जलकर) आ द

करारोपण क अ ययन क म म यह प ट करना उ चत होगा क आरभ म ब ल नकद पस क प म एक त नह क जाती थी ार भक पा ल थ म नकद क प

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रा याश चकाए जान क बात नह ह य य प म य गागय म अनक थान पर ईसा पव लगभग पाच सौ वष पव क चाद क आहत स क मलत ह म ा यव था इतनी वक सत नह थी क िज स क थान पर नकद कर लया जा सक एक जातक कथा म ब ल तथा काषापण का एक थान पर अलगmdashअलग कर क प म उ लख हआ ह काषापण का अथ चाद या ताब का स का होता ह िजसस प ट ह क ब ल नगद प म नह वसल क जाती थी इस सदभ म हम हर य कर का भी उ लख कर सकत ह जो य क प म अदा कया जाता था

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इकाई स 16 ाचीन भारत म व ध व प एव स हताकरण

इकाई क प रखा 160 उ य 161 तावना 162 व ध का व प 163 व ध क ोत एव स हता करण

1631 त 1632 म त (धमशा ) 1623 स काल 1634 म त यगीन व ध यव था 1635 सदाचार 1636 राजशासन

164 अ यासाथ न 165 ास गक पठनीय थ

160 उ य mdash तत इकाई क बाद आप न न ल खत स प र चत हो सकग

ाचीन काल म व ध का या व प था ाचीन भारत म व ध क मख ोत कौनmdashकौन स थ म त काल म व ध का स हताकरण कस हआ व ध को कतन भाग म वग कत दया गया

ाचीन भारत म व ध व प एव स हताकरण

161 तावना mdash य य प आध नक व धशाि य म कानन क अ भ ाय व व प क स ब ध म

वचारmdashव भ य पाया जाता ह क त सामा यत व ध (लॉ) स ता पय नयम (आदश ) क एक ऐस नकाय स लया जाता ह िजनका स ब ध मन य क बा य आचरण स होता ह और जो एक नि चत तथा स भ मानवी अथात राजनी तक स ता वारा व तत एव व नयोिजत होत ह आध नक व ध क इस अथ म ाचीन भारतीय व ध को सम त हण करना क ठन ह ाचीन भारतीय व ध क वकास का पयव ण करन स प ट होता ह क हमार च तनmdash

पर परा म व ध वषयक अवधारणा एव व प कछ भ न प म य त ह ए ह यह व ध जो क धम का अ वभा य अग रह हmdash वय सव प र थी य क उसक धान ोत धमशा थ िजनका णयन अ त मानवी अथवा ठ मानव शि तय वारा कया गया माना जाता रहा ह इस कार क व ध क वतन म रा या ा का कोई उ लखनीय योग नह था व तत

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पा चा य व धशा ी ऑि टन क यह उि त क व ध सव च ा धकार अथवा रा य स भ क आदश ह ाचीन भारतीय व ध क म कोई वशष मह व नह रखती

162 व ध का व प mdash ाचीन भारत म धमशा ीय व ध का उ य जा क आचरण को अनशा सत करन क

साथmdashसाथ राजा क मागmdashदशन क लए नयम का वधान करना भी था साथ ह धमशा म तपा दत व ध नयम स राजा एव जा दोन आब थ िजस कार धमशा म उि ल खत व धmdash वधान का अनपालन जा क लए बा यकार होता था उसी कार राजा भी उनका पालन करन क लए बा य समझा जाता था च क ाचीन भारतीय सा ह य म धम श द का अथ पया त यापक प म मलता ह और समाज म यव थाmdash थापन क लए धम क मह वपण भ मका बतलायी गयी ह अतएव व ध को धम का एक मह वपण एव अ वभा य अग कहा गया और धम को प टत राजा क आदश क अ तगत उ प न नह माना जा सकता धमशा ीय व ध क अ त र त ाचीन भारत म व ध का एक बड़ा भाग मा य र तmdash रवाज अथवा चरका लक थाओ आ द पर भी आधा रत था िज ह आध नक न चया मक अथवा वा त वक कानन (पॉिज टव लॉ) स सब धत अवधारणा क अनसार सभवत व ध नह माना जाता अतएव ाचीन भारतीय व ध क क त आध नक व ध वषयक अवधारणा स भ न होन एव उसको ठ क स नह समझ पान क अभाव म क तपय पा चा य व धशाि य न यह आरोप लगाया ह क वा तव म ाचीन भारत म व ध का अि त व ह नह था उनक ऐसी धारणा का धान कारण यह तीत होता ह क व आध नक अथ म य त व ध (लॉ) क अि त व को ाचीन भारत म भी खोज रह थ दरअसल हमार

धमशा ीय थ म य त व ध श द और आध नक प रभा षक अथ म य त व ध श द म मलभत अ तर यह ि टगत होता ह क थम म व ध (धमशा ीय आदश या वधान) क पालन का उ य इहलौ कक स यव था कई थापना क साथ प य अथात पारलौ कक क याण क ाि त भी मह वपण ह जब क दसर म व ध (लॉ) क पालन का एकमा उ य इहलौ कक स यव था क थापना ह ह य क पा चा य व ध व तत रा क स भ क आ ा थी जब क ह द व ध व व क स भ क दसर श द म पि चमी वचारक क ि ट म कानन मानवीय हrdquo तथा ldquoसव च ा धकार अथवा रा य स भ क आदश ह जब क ाचीन भारतीय व ध यव था म राजशासन (रा या ा) का मह व अ धक नह था एक अ य कारण यह भी बतलाया गया ह क आध नक याय वद वारा वा त वक कानन अथवा न चया मक कानन एव न तक कानन क बीच कया गया वभाजन ाचीन भारतीय व धशा म प टतया उपल ध नह होता और ाय धमशा म धम नी त और व ध आ द वषय क चचा एक साथ पायी जाती ह

तथा प ाचीन भारतीय व ध क व प क स यक या या यह प ट करती ह क पा चा य याय वद वारा क गयी उपय त आलोचना अन चत ह तथा ाचीन भारतीय व ध आध नक व ध स बह त अ धक भ न नह ह ाचीन व ध क उ व क पीछ राजनी तक स ता नह होन क बावजद धम शा ीय व ध रा य क मागmdashदशनाथ अथवा रा य वारा

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वीकाय होती थी और राजा ऐसी व ध को लाग करन एव उस व ध क वरोध म आचरण करन वाल यि तय को द डत करन का काय करन म स म था ऐस भी सकत ह क आव यक होन पर राजाओ वारा भी रा या ा चा रत क जाती थी जो क कानन क ि थ त रखती थी तब ध कवल यह था क व धम क व न हो स कत यव थाकार न उस ाचीन व धmdash यव था का एक मह वपण उपादान वीकार कया ह यह भी एक मह वपण त य ह क नाग रक क बा य जीवन का य त नयमन करन क उ य स न मत ाचीन व ध धम का एक मह वपण अश थी क त उसका पयाय नह मानी गयी थी य य प इस व ध क मख ोत धमशा म धम नी त और व ध स सब धत नयम क चचा एक साथ मलती ह क त िजस वा त वक अथ म व ध क यहा चचा क जा रह ह अथात यवहार व ध (पॉिज टव लॉ) उसका उ लख शा म धानत यवहार ( यायत ) क अ तगत हआ ह िजसका याmdash वल य आ द क म तय म आचार एव ldquo ायि चत आ द स प टतया पथक प म वणन कया गया ह और उसका स ब ध सीध रा य शि त स द शत

ह दसर श द म यवहार व ध का नवहन या पालन कराना रा य का कत य होता था अत यवहार घ न ठ पण ldquoराजधम स सब धत था यवहारmdash व ध क अ तगत ह राजा एव रा य म अवि थत व भ न यायालय यायदान अथवा व भ न वषय स सब धत ववाद क नणय का काय करत थ इसी कार इन काय क स पादन म राजा एव यायदान क यव था करन वाल व वध या यक स थाए लोग क कल जा त णी जनपद आ द क धम अथात उनक पर परागत थाओ एव मा य र त रवाज को भी पया त मह व दत थ पर परागत आचार यवहार आ द शा वारा सम थत एव रा य वारा मा यता ा त होत थ अतएव उ ह कानन क ि थ त ा त थी उ लखनीय ह क आध नक व ध म भी पर परागत थाए तथा था पत रवाज अथवा मा य यवहार (यसज) रा य वारा व धपरक वीक त ा त

कर लन पर कानन का प धारण कर लत ह व तत गटल क श द म व सभी नयम कानन ह िज ह क रा य तपा दत करता ह अथवा िज ह क वह वीकत एव कायाि वत करता ह इस कार ाचीन भारतीय व ध कानन क आध नक या या क पया त नकट पह च जाती ह

163 व ध क ोत एव स हताकरण अब हम उन ोत क समी ा करग िजनस ाचीन भारत म व ध का स हताकरण

हआ ाचीन काल म व ध क अवधारणा भ न होन क कारण िजन ोत स क नयम

ादभत ह ए व आज क व धक ोत स भ न थ च क उस समय व ध यापक अथ म धम था और धम स ता पय कसी स दाय वशष का योतक नह होकर यवि थत सामािजक जीवन का एक ढग या आचरणmdashस हता था अतएव ाचीन भारत म धम क ोत ह व ध क भी ोत वीकत कय गय थ हमार ाचीन ोत म व ध अथवा धम क मख ोत त म त (धम शा ) और सदाचार बतलाय गय ह तथा इन पर परागत एव ढ ोत क

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अ त र त यदाmdashकदा राजशासन (राजा ा) व व वत प रषद क नणय को भी व ध क ोत म सि म लत कया गया ह

1631 त mdash

व ध अथवा धम क ोत म त अथात वद का थान सव थम ह य ाचीन व ध क मल और सव प र ोत बतलाय गय ह तथा अपौ षय कह जान क कारण वत माण (Self Valid) ह अथात ामा णकता क ि ट स सवा धक मह वपण थान त

अथवा वद का ह वद क वरोध म आन वाल अ य कसी माण को नह वीकार कया जा सकता था

य य प धमशा कार वारा वद को ाचीन व ध (धम) क धान ोत क प म वीकार कया गया ह क त वद म व ध स ब धी साम ी क उपल धता अ पमा ह ह

व तत वद म प ट प स धम वषयक व धयॉ नह ा त ह ती क त उनम ास गक नदश अव य पाय जात ह और काला तर क धमशा स ब धी करण क ओर सकत भी मलता ह वद म अनक ऐस थल ह जहा ववाह ववाहmdash कार प mdash कार mdash र थ लाभ स पि तmdashबटवारा ा ीधन जस व धmdash नयम क स ब ध म सकत उपल ध होत ह इसी कार ऋ वद म औरस प क मह ता क चचा आयी ह और धमस म व णत ज प का

उ लख भी व दक सा ह य म मलता ह अतएव प ट ह क काला तर म धमस एव म तय म जो व धया बतलायी गयी उनका मल व दक सा ह य म अ ण प म पाया

जाता ह क त यह भी स य ह क वद व धmdashस हता क थ नह ह वहा तो व ध स ब धी बात सग वश य mdashत आती गयी ह

1632 म त (धमशा ) mdash

ाचीन भारतीय व ध क ोत म त क बाद म तय का थान आता ह इ ह भी व ध एव शासन का मख ोत वीकार कया गया ह

पी वी काण न मन और या व य क उ रण स म तय को वद क साथ ाचीन व ध क धान ोत क प म वीकार कया ह

म त धमशा कहलाती ह और य श द दो प म य त होत रह ह अपन सक ण या सामा य अथ म म त एव धमशा का अथ एक ह ह जसा क मन का मानना ह अपन यापक अथ म धमशा वद वागमय स इतर ग थ यथाmdashपा णनी क याकरण ौत ग य एव धमस अथशा महाभारत तथा इ तहासmdashपराण क धमशा ीय करण तथा

मन या व य आ द क म तय एव अ या य ग थ स स बि धत ह जसा क आध नक धमmdashशा ी काण न माना ह व तत आजकल म त अथवा धमशा (Law Books) ाय एक पा रभा षक श द बन गया ह िजसम धमस म तया एव त स ब धी ट काओ आ द का समावश होता ह ऐसी ि थ त म मन आ द ाचीन धमशाि य वारा नद शत व ध (धम)

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क ोत म त को वतमान सदभ म धमशा क प म व ता रत एव पा त रत मान कर अ ययन कया जाना चा हए

1633 स काल mdash

धमशा सा ह य म त थ म क ि ट स धमस म तय स पहल लख गय य य प क तपय व वान व दक सा ह य स स ब होन एव व दक पर परा क अ तगत रच जान क कारण स सा ह य को व दक सा ह य का ह एक भाग मानकर चलत ह क त धमस को धमशा भी कहा जाता ह और धमशा क स ा म तय और व ध थ पर सभी कार क ट काओ व नब ध ग थ को भी द जाती ह अतएव हम जसा क ऊपर प ट कया गया ह धमस को धमशा अथवा म त सा ह य क अ तगत ह मानकर अ ययन करग धमस ाचीनतम व ध ग थ ह य लगभग 600mdash300 ई प क दौरान रच गय म य धमस कार गौतम बौधायन आप त ब व श ठ आ द ह धमस स शल म र चत ह स प त वद क अ यापन क लए आ व कत क गयी थी और इसका योजन पाठ को मरण रखन म सरलता क लए था जब अन ठान तथा न य क जीवन वषयक बात तक

को स म रखा गया तो व ध क नयम का स म तत कया जाना वाभा वक ह था इस कार स शल म तत कय गय व ध क नयम धमस कहलाय

च क धमस का स ब ध आय जा त क सद य क आचारmdash नयम स था अत आचार व धmdash नयम एव याmdashस कार क व धवत चचा करना उनका म य यय बना तथा प ऐसा तीत होता ह क इस समय कोई व ध स हता व यमान न थी धम अथात व ध क तीन ोत बतलाय गय हmdash वद वद ाताओ क म त और आचारराजा क याय करन क अ धकार को lsquo यवहार कहा गया ह और इसका धा मक क य क नयम स कोई स ब ध म था गौतम धमस क बारहव अ याय म यवहार का ववचन मलता ह इसम दसर पर आ मण उसक मानहा न और सामािजक नयम का उ लघन आ द mdash वषय का ववचन ह धमस म ववाह ववाहmdash कार प कार व या थय क क त य ऋण वामी और श य क स ब ध आ द क स ब ध म नयम उपल ध होत ह इनम दायभाग क स ब ध म भी थम बार प ट नयम बनाय गय ह

फौजदार ववाद क अ तगत इ ह ग थ म वशष प स अ य यि त पर आ मण चोर और य भचार का उ लख मलता ह दड क स ा त का इस काल म पण प स तपादन हो गया था दड राजा वारा अपराधी को दड दन क अ धकार का तीक

समझा जाता था िजस वह अपन ा मण व धव ताओ क सहायता स नधा रत करता था धमस क अ ययन स यह भी प ट होता ह क कई वषय म सब धम स कार

एकमत नह ह उनम आपस म कई बात पर मत व भ य पाया जाता ह जस गौतम बौधायन और व स ठ नयोग को वीक त दान करत ह ल कन आप त ब न उस अन चत माना ह आप त ब क अनसार पतक स पि त का उ तरा धकार य ठ प होता ह जब क बौधायन का वचार इसस भ न ह आप त ब न कसी रथवान को उपनयन स कार करन क छट नह द ह ल कन बौधायन न ऐसी अनम त द ह गौतम न ा मण को कसी अ य

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यि त वारा ऋण दर याज लन क अनम त द ह क त आपmdash त ब न इसक भ सना क ह ऐसा तीत होता ह क यह मतmdashभद पण ि थ त व ध यव था क आर भक वकास क योतक ह तथा प धमस को ाचीन व ध क आर भक ोत क प म वीकार कया जा

सकता ह य क उनम व ध क ाचीनतम व प क झलक मलती ह स काल म नि चत प स द वानी और फौजदार कानन का ारभ ि टगत होता ह तथा समाज और राजनी त स

स बि धत अनक वषय म ा मणवाद यव था का व धवत तवादन भी सवmdash थम धम स ह म हआ ह

1634 म त यगीन व ध यव था mdash

मन य क यि तगत पा रवा रक तथा सामािजक आचरण काय कलाप वचार तथा नयम आ द का तपादन करन वाल धम ग थ म म तया धान ह इनम व ध का ववचन स यवि थत प स कया गया ह धमस ग य म लख गय थ काला तर म व प यब म तय क प म वक सत ह ए इनक भाषा लौ कक ह तथा वषय व त क ि ट स म तया स स अ धक यवि थत व सग ठत ह इनम व ध क नयम अ धक कमmdashब ता तथा व तार क साथ दय गय ह

या व य म त म 20 मख म तकार का उ लख हआ ह इनम मन का थान सव प र ह बह प त कहत ह क म तकार म मन का थान पहला ह य क उ ह न अपनी म त म वद क सम भाव को अ भ य त कया ह और जो म त उनक वरोध म आती ह वह ामा णक अथवा श त नह ह मन म त को व व क ाचीन व ध स हताओ म गना जाता ह इसका रचनाकाल सामा यत 200 ई प स 200 ई क बीच माना गया ह मन क अनसार धम अथवा यवहार क चार ोत वद म त श ट प ष क आचार और आ मति ट ( यि त क सहज वि त) ह मन थम यव थाकार एव व ध थ िज ह न पहल बार व ध का ववचन 18 शीषक म कया ह य हmdash(1) ऋणादान (2) न प (अमानत या धरोहर) (3) अ वा म व म (4) स भय सम थान (साझदार एव त स ब धी ववाद) (5) द त यानपाकम (दान क स पि त वापस ल लना) (6) वतनादान (वतन या मजदर न दना) (7) स वद यि त म (स वदा क अवमानना) (8) यmdash व य ववाद (9) वामी सवक ववाद (10) सीमा ववाद (11) द ड पा य (मारपीट) (12) वा पा य

( म यादोष या मानहा न) (13) तय (चोर ) (14) साहस (डकती व लट) (15) ीस हण ( य भचार) (16) प तmdashप नी धम (17) दाय भाग (पतक स पि त का उ तरा धकार व वभाजन और (18) यतसमा वय जआखोर व दाव लगाना इस कार मन न ववाद को 18 वग म समट कर यवहार प त को नई दशा द ह इसस ववाद का वग करण करत ह ए यवहार व ध या न तक व ध ( स वल लॉ) तथा अपराध (फौजदार ) व ध को भी प टत वभािजत कया जा सका मन क बाद क म तकार तथा अथशा म कौ ट य न भी ववाद (अपराध) का वग करण इसी आधार पर कया ह य य प उनम अनक थल पर भ नता दखायी दती ह तो भी परखा मानद ड एव यवहार णाल मन क अन प ह ह

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क तपय यवहार शीषक म प रवतन एव कछ भ नता तथा अपराध क य ठता व ग ता म प रवतन शीलता ह भी तो उसक लए दश काल और प रि थ तया ह उ तरदायी मानी जा सकती ह मन न दड यव था क अ तगत चतावनी दना कठोर भ सना अथ दड शार रक दड दश नवासन और ाण दड का वधान कया ह उसन वणभद क आधार पर अपराध को कम या अ धक दड दन का भी वधान कया ह

यायाव य म त को अ य त मह वपण व ध थ माना जाता ह यह लगभग 100 ई स 300 ई क म य रची गयी मन म त क बाद ाचीन भारतीय व ध का यवि थत प स ववरण तत करन वाल म त या व य म त ह इसम मन क साम ी को स त और मब प म तत कया गया ह तथा प कई सग म यह मन म त स अ धक ग तशील तीत होती ह मन स भ न यह म त आचारा याय यवहारा याय और ायि च ता याय नामक तीन भाग म यवि थत ह िजनम स वतीय भाग ( यवहारा याय) पणतया ाचीन भारतीय व ध क ावधान स स ब ध रखत ह ववाद का वग करण अपराध व द ड व ध याय व ध सा य व ध आ द का समायोजन इसम व यमान ह या व य न मन वारा न द ठ ववाद क 18 कार म अ यप याश षा (सवक वारा सवा काय क अवहलना) एव क णक नाम स दो अ त र त ववाद का उ लख कया ह

या व य न यवहार को प रभा षत करत ह ए लखा ह क य द कोई यि त कानन और था क व कसी यि त को हा न पह चाए और वह राजा स उसक व शकायत कर तो

वह यवहार का वषय हो जाता ह दाय भाग व ध क स ब ध म भी या व य क कई यव थाय नवीन एव यि त सगत मानी गयी जस उसन मन क य ठ प को वशषा धकार क थान पर सभी प म सम वभाग को उ चत माना इसी कार वह थम यव थाकार था िजसन प ी को पता क स पि त का दाया धकार घो षत कया व तत या व य मौ लक वचारक एव व धव ता थ उनक म त और उस पर व ान वर वारा र चत मता रा ट का दोन मलकर ाचीन स वल (द वानी) व ध क आधारmdashभत साम ी तत करती ह

व ध क ि ट स व ण म त भी उ लखनीय ह उतरा धकार सम या क ववचन म यह थ काननी च तन क वक सत अव था का प रचय दता ह ह द व ध क दाय भाग शाखा म व ण म त का ाचीन भारतीय व ध का अ य त ह मह वपण ोत माना गया ह य mdash क जीमतवाहन न अपन दायभाग म इस म त को आधार मानकर क तपय थल पर मता रा स मतभद उपि थत करन का यास कया ह ो काण न इसका रचना काल भी 100 mdash 300 ई क म य नधा रत कया ह पराशर म त को भी ाचीन भारतीय व ध क लए उपयोगी माना गया ह व ान वर म त चि का अपराक आ द न पराशर म त को उ घत ह डॉ य सी सरकार न इस म त को या व य म त क बाद माना ह

परवत म तय म नारद बह प त एव का यायन आ द क म तया मह वपण ह इ ह पणतया वधा नक म तया कहा गया ह मन और या व य क म तय म ायि चत और आचार क यव था अ धक ह इन यव थाओ को आध नक ि ट स व ध नह कहा जा सकता य सी सरकार न सामा यतया नारद बह प त और का यायन का समय 400 ई

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स 700 ई क म य का माना ह इसस प ट ह क डॉ सरकार नारद म त को 400 ई स पव क रचना मानन क प म नह ह जब क ो काण न इस 100 mdash 400 ई क बीच र चत माना ह डॉ जॉल क अनसार नारद म त क रचना 400 ई और 500 ई क म य क ह धमशा ी काण क मत म बह प त म त 400 mdash 600 ई क लगभग रची गयी नारद म त अपन स पण प म उपल ध ह न चय ह उनक यह रचना व ध क म मह वपण थान रखती ह इसम वशषत यवहार स ब धी बात का ह ववचन कया गया ह याय स ब धी व ध ( यवहार मातका) और याय स ब धी सभा (प रष ) पर व तत वणन ह तथा मन का अनसरण करत ह ए व ध क 18 करण ( ववाद ) का भी उ लख हआ ह नारद न ऋण स ब धी कानन का व तार स उ लख कया ह नारद क नयम पहल क धमशा कार क अप ा अ धक स यवि थत ह

य य प यवहार आ द पर बह प त म त क मल त अभी तक अनपल ध ह तथा प व भ न करण स स बि धत इसक उ रण मता रा दायभाग म त च का आ द व वध थ म ा त होत ह िज ह सक लत एव स पा दत करन का मह वपण काय क वी रगा वामी आयगर न कया ह बह प त क यह रचना व ध क इ तहास म एक नय यग क प रचालक ह इसम उ ह न मन क अन प 18 ख ड या शीषक क अ तगत व ध का स व तार ववचन कया ह िजनम स धन स ब धी ( स वल) ववाद को 14 शीषक म तथा हसा मक यवहार (अपराध व ध) को चार पद म वभािजत कया ह इसका अथ ह क बह प त न द वानी कानन को फौजदार कानन स पहल बार अलग कया धमशा काण क अनसार भी यह म त एक अनोखी म त ह इसम यवहार स ब धी स ा त एव प रभाषाय बड़ ह स दर ढग स लखी ह ई ह बह प त न यवहार क सभी व धय क व धवत यव था क ह और इस कार व आध नक याय णाल क बह त समीप आ जात ह अ त बह प त म त ह द व ध का स यवि थत व वक सत व प तत करन क कारण ाचीन भारतीय व ध क म अ य त ह मह वपण ह

बह प त म त क बाद का यायन म त का काल आता ह यह म त भी अभी तक मल प म अ ा य ह कवल इसक उ रण ह परवत म तय ट काओ एव नब धmdash

थ म ा त होत ह िज ह का यायन म त सारो ार नाम स सक लत व स पा दत करन का पनीत काय आध नक धमशा ी महामहोपा याय काण न कया ह का यायन एक ऐस म तकार ह िजनक उ रण को ाय अनक या याकार न न ववाद प स उ त कया ह

का यायन म त क यवहार ख ड स ब धी उ रण को दखन स ऐसा कट होता ह क वह वश प स स वल व ध का थ ह यायmdash या का ववचन भी इसम हआ ह का यायन न ीधन पर जो कछ लखा ह वह उनक यवहारmdashस ब धी कशलता का प रचय दता ह और वभाग (बटवारा) क वषय म तो का यायन क वचन अस द ध प स सभी को मा य ह नसदह ाचीन भारतीय व ध क ोत क प म का यायन म त का अपना व श ट थान ह

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इन उपय त मख म तय क अ त र त और भी म तया ह जो ाचीन व ध क वषय स स बि धत होन क कारण ाचीन भारतीय व ध क वकास म उपयोगी कह जा सकती ह क त इन म तय म ाचीन भारतीय व ध क म कोई व श ट एव मह वपण साम ी नह ा त होती अत इ ह ाचीन भारतीय व ध क ोत क प म वह थान नह दया जा सकता जो पव त म तय को ा त ह य वस म तय क कल स या 72 कह गयी ह और माना गया ह क इनका रचना काय लगभग 1000 ई तक होता रहा

इस कार प ट ह क म तया ाचीन भारतीय व ध क आधार ह व न कवल अप ाकत एक वक सत समाज क आव यकताओ क अन प व ध दान करती ह वरन आध नक ह द व धशा क मल त य क भी परखा तयार करती ह आध नक व ध शा ी डा एफ गना न म त को ाचीन व ध क धान ोत क प म वीकार कया ह अतएव कहा जा सकता ह क ाचीन भारतीय व ध क स हताकरण क ि ट स म त काल व णम यग था

1635 सदाचार ( श ट जन क आचरण एव पर पराय)

सदाचार को भी ाचीन काल म व ध क एक ोत क प म मा यता द गयी थी हार त न सदाचार क प रभाषा इस कार क हmdash सत का अथ ह साध (अ छा) और साध लोग व ह जो ीणmdashदोष (अन तक कम र हत ह ऐस लोग क आचरण सदाचार कह जात ह जहा पर वद या म त स ाचीन भारतीय व ध क कसी वषय पर ान नह हो पाता वहा वद म पारगत साध प ष क आधार स नदशन ा त कया जाना चा हए व श ठ धमस क अनसार भी त और म त क अ ाि त क ि थ त म श टजन क आचार को ाचीन भारतीय व ध म माण माना गया ह आध नक व वान डॉ गगानाथ झा और पीवी काण न सदाचार को ह दश जा त और कल क च र अथात मा य नयम एव पर पराय तथा श ट क आचरण माना ह य द व तmdash म त क व न हो मन म त क अनसार भी पर परा स चल आ रह व वध कार क आचार को सदाचार क स ा द गयी ह और पर परागत थाओ क अनकरण को य कर बतलाया ह मन म त क अनसार ह धम राजा को चा हए क वह कल जा तय जनपद णय आ द क धम अथात पर पराओ या र तय या नयम क जानकार सावधानी स कर और उ ह उ चत स मान व थान दान कर परवत म तकार का यायन क अनसार भी राजा को उन सभी थाओ (सदाचार) को जो वद और म तय क व न ह लखवाकर अपनी महर लगा दनी चा हए डॉ यसी सरकार क अनसार भी ाचीन भारतीय व ध का आधार यहा क लोग क पर पराय एव थाय रह ह िजनको मा यता दय जान स व ध और यवहार का पया त वकास हआ और उनको अ धक प ट तथा व तत कया जा सका

1636 राजशासन

ाचीन भारतीय व ध क म राजशासन क मह व को यथो चत थान नह दया गया ह जब क शासक वारा जार कय गय आदश व शासन भी ाचीन काल म व ध क

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मह वपण ोत थ हमार धम थ वशषतया ार भक धमशा म राजशासन (रा या ा) व ध क ोत क प म व णत नह ह सभवत इस लए क राजशि त पया त सग ठत एव वक सत होकर भल भा त था पत नह हो पायी थी ल कन य mdash य एकरा अथात एक छ सा ा य क अवधारणा क अन प राजशि त का वकास हआ तो रा या ा भी व ध का एक मह वपण ोत मानी जान लगा कौ ट य न पहल बार राजशासन को व ध का मह वपण

ोत बताया अथशा म बह त स ऐस व धmdash नयम दय गय ह जो प ट प स शासन ह स ाट अशोक स भी अपन शलालख वारा अनक राजक य आ ाय चा रत कया जाना ात होता ह आग चलकर परवत म तकार यथा नारद बह प त का यायन आ द न भी

को ट य क मा यता को वीकारत ह ए व ध क म राजशासन क मह ता को था पत कया ह सारत कहा जा सकता ह क ाचीन भारत म व ध का वकास कसी एक ोत स नह हआ उसम अनक ोत का योगदान रहा िजनम त को ाचीनता एव ठ मान जान क पर परा क कारण सव प र थान दया गया य य प वद व ध ग थ नह ह ाचीन व ध क वकास एव स हताकरण क ि ट स धमस एव म तया (धमशा साम य) सवा धक मह वपण तीत होती ह व ध नमाण म राजशासन का अप त योगदान नह रहा ाचीन यव थाकार न ल ब समय तक उस कानन का ोत नह माना कौ ट य ह थम यव थाकार था िजसन यवहार एव राजा ा को भी कानन को ोत क प म मा यता द व ध क ोत क प म राजशासन क महती भ मका नह होन क कारण ह ाचीन भारत म रा य वारा कोई व ध स हता काश म नह लायी जा सक यह काय हमार यहा व ध व ता एव धमशा यव थाकार वारा कया गया

164 अ यासाथ न 1 ाचीन भारतीय व ध क व प का वणन क िजए (150 श द) 2 व ध क मख ोत कौनmdashकौन स ह (250 श द) 3 म तकाल म व ध का पण वकास हआ व उस स हता ब कया गया ववचना

क िजए (500 श द)

165 ास गक पठनीय थ mdash 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 घोषाल य एन ए ह आव पो ल टकल आइ डयाज 3 मजमदार र च ाचीन भारत म सग ठत जीवन 4 शमा आर एस ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए 5 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोइ टयर जयपर

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इकाई स 17 धमशा म राजनी तक वचार

इकाई क परखा 170 उ य 171 तावना 172 धमशा एव उनका व य वषय 173 धमशा ीय राजनी तक चतन

1731 राजपद क उ पि त 1732 राजा क गण दा य व आ द 1733 रा य क सात अग 1734 म प रषद 1735 अ य कमचार गण 1736 रा (जन एव जनपद) 1737 दग 1738 स य यव था 1739 यायदान 17310 आयmdash यय क साधन 17311 पररा नी त

174 उपसहार 175 अ यासाथ न 176 ास गक पठनीय थ

170 उ य तत इकाई क बाद आप न न ल खत स प र चत हो सकगmdash

धमशा या ह व उनका व य वषय या ह धमशा क राजनी तक वचार या ह धमशा का यायदान कस कार का था

धमशा म राजनी तक वचार 171 तावना

धमशा व ग थ ह जो वद क आधार पर धम क या या करत ह और ामा णकता म वद (व त) क प चात थान पात ह सामा यत इन ग थ को म त नाम स जाना जाता ह क त यवहारत अथवा अपन यापक अथ म यह धमस म त उनक ट काओ तथा इनको आधार बनाकर लख गय नब ध ग थ का प रचायक ह धमशा ीय थ उन

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ऋ षmdashम नय या धम यव थाकार वारा स चत मान जात ह जो वद क मम थ भारतीय पर परा म वद ( त) को शा वत अथवा अपौ षय माना गया ह अत व वत माण ह और म त आ द क माणता वदमलक होन स ह ह इस लए इ ह वद क बाद

धमmdash माण माना गया ह

172 धमशा एव उनका व य वषय mdash धमmdashशा का तपा य वषय धम ह धम स व म तय म वण आ म

प रि थ त काल एव यग क अनसार मन य धम क व तत या या क गई ह व तत हमार ाचीन स कत सा ह य म धम श द का योग करण व सगानसार कई अथ म हआ ह वहा धम श द ध धात स बना ह िजसका अथ ह धारण करना आल बन दना व दक सा ह य म धम श द कह धा मक या स कार क प म य त हआ ह तो कह नि चत यव था का आचारणmdash नयम क अथ म धम क धारणा म समयानसा प रवतन होता रहा ह धमशा म मात धम धम क ववचना मलती ह मात धम म उन वषय का समावश था जो वणा म स स बि धत ह और िजनका म तय म वशष प स वणन हआ ह व आचार यवहार एव ायि चत शीषका तगत वषयmdash ववचन करती ह मन म त क ट काकार मधा त थ क अनसार म तय म धम क पाच व प बताय हmdash 1 वण धम 2 आ म धम 3 वणा म धम 4 न मि तक धम (यथा ायि चत) 5 गण धम (आर िजक राजा क सर ण स ब धी कत य) अ य व ( मता रा म) धम क 6 भद इस कार बतलाय गय हmdashवण धम आ म धम वणा म धम गण धम (यथा राजा को जा क र ा करनी चा हए) न मि तक धम (यथाmdash न ष काय करन पर ायि चत करना) साधारण धम (जो सबक लए समान प स लाग ह जस अ हसा एव अ य सदाचरण क बात) इस कार धम शा म िजस धम का ववचन मलता ह वह कोई सक ण धारणा न होकर एक यापक वचार ह जो मन य क सम त जीवन को पश करता ह आध नक धमशा डॉ काण क अनसार धमशा म धम श द मानव क वशषा धकार क त य ब धन का योतक आय जा त क सद य क आचारmdash व ध का प रचायक एव वणा म धम का घोतक हो गया वहा धम कसी स दाय वशष या मत का योतक नह वरन वह सम त जीवन क आचरणmdashस हता ह इसको आध नक काल क धम तथा कसी वदशी भाषा यथा अ जी क र लजन क साथ समीकत कया जाना सह नह ह य क आध नक धम या र लजन कसी मानव क मा यताओ और पजा आराधना क ढग का नाम ह इनस धम का उपय त यापक अथ प ट नह होता धमशा क व यmdash वषय का स त उ लख इस कार कया जा सकता

हmdash वण उनक क त य उ तरदा य व एव वशषा धकार चार आ म क ववचना सभी स कार (गभाधान स अ यि ट तक शौचmdashअशौच भ याभ य दान ा राज धम करारोपण वा म व यवहार यवहार क 18 करण (पद) दायभाग प कार ीधम नयोग ायि चत आ द

1 त त वद वझयो धमशा य त व म त (मन 21)

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धमशा सा ह य पया त व तत ह िजसम म यत धम स म तय उन पर लख गय भा य और धमशा ीय नब धmdash ग थ का समावश होता ह म य धमmdashस कार गौतम बौधायन आप त ब व श ठ आ द ह धमस स शल म र चत ह और सामा यत इनका रचना काल 600 ई प स 200 ई प क बीच माना जाता ह म तय म मख हmdash मन म त या व य म त व ण म त अ म त ह रत म त यास म त पाराशर म त नारद म त बह प त म त का यायन म त शख म त ल खत म त द म त

आ द इनम भी सवा धक मा णक एव ाचीन मन म त ह िजसका रचना काल 200 ई प स 200 ई क बीच माना गया ह या व वय म त इसक बाद क ह य कल म तय क स या बह त अ धक ह और माना गया ह क इनका रचना काय लगभग 1000 ई तक होता रहा भा यकार एव नब धकार म उ लखनीय हmdash मन म त क ट काकार म घा त थ एव क लक भ या व य म त क ट काकार व व प अपराक एव व ान वर नारद म त क ट काकार असहाय गौतम आप त ब आ द क भा यकार हरद त पाराशर म त क ट काकार मा वाचाय तथा दाय भाग नामक नब ध थ क लखक जीमतवाहन म त चि का क लखक दवण भ आ द य सभी पव म यकाल म ह ए मान जात ह

जसा क प ट कया जा चका ह हमार ाचीन धम ग थ म धम श द व भ न सग व करणानसार अनक अथ म य त हआ ह उसका व प यापक था िजसम जा त

दश काल एव प रि थ तय क अनसार प रवतन दखायी पड़ता ह धमशा म त पा दत धम म यत दो मख को टय म वभािजत कया जा सकता ह (अ) सामा य अथवा साधारण धम एव (ब) वशष धम सामा य धम सभी वग एव आ म क लोग क लए समान प स न द ट ह िजसक अ तगत सदाचार एव न तकता क मख गण यथाmdashस य अ हसा बड क सवा व स मान अ त थ सवा मा दान एव शौच आ द का समावश कया गया ह वशष धम क अ तगत व भ न वण आ म दश काल प रि थ तय आ द क लए व श ट आचार तथा न तक दा य व नधा रत कय गय ह अतएव इसम वण धम गणधम न मि तक धम यग धम आ म धम आपद धम आ द को गनाया जा सकता ह हमारा ववव वषय राजधम (राजा क लए नधा रत धम) इस कारण धमशा म च चत हआ ह

173 धमशा ीय राजनी तक च तन mdash धमशा ीय सा ह य म धमस क अ तगत राजनी तक वचार इधरmdashउधर छटmdashपट

प म बखर ह ए उपल ध होत ह जब क म तय म इनका उ लख अ धक व तार स द डनी त या राजधम करण अथवा यवहारmdash ववचन क अ तगत मलता ह वहा धम क धारणा क लए समाज मख होन क नात राजा अ य त मह वपण यि त माना गया ह मन न राजा को धम का तपालक और रक कहा ह वह जा को धम म ि थर रखकर जा का क याण करता ह मरणीय ह क यहा धमपद सक चत अथ म य त नह हआ ह यह एक यापक अथ म ह इसम ससार का यथाथ स य राज नयम का पालन न तकता क र ा लोक याण क भावना आ द सभी त व का समावश ह धम क पालनहार क ि ट स

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राजा का मह व अ यत साधारण ह और इस ि ट स ह धमशा क थो म राजधम का ववरण आता ह 1

1731 राजपद क उ पि त mdash

धमशा ीय थो वशषत म तय म स था एव राजा क दवी उ पि त क स ा त को मा यता द गयी ह जब राजा अथवा शासन क अभाव म मानव एकmdashदसर क कारण स त होन लग तब भय व त जन समाज क र ा क लए ई वर न राजा क सि ट क 2 राजा को सहा य दन क लए द ड क उ पि त ह ई द ड ई वर का प ह यह सब ा णय का र ण करन वाला और मतज स य त रहता ह 3 या व य क मतानसार मा न द ड क प म धम का ह नमाण कया ह 4 गौतम न द ड श द क य पि त दम

धात स क ह द डी दमना द याह तनादा तान दमयत उसक मत स द ड अदा त जो उ त होत ह ऐस लोग का दमन करन वाला होता ह अराजकता क ि थ त म दश यापी आमल चल अ यव था का वणन करत ह ए मन न लखा ह क य द राजा अथवा त णीत द ड न हो तो सभी मयादाय छ नmdash भ न हो जाए वण यव था द षत हो जाय और फल व प समाज उ छखल हो जाए य क मानवmdash क त जो समाजmdash क त क एक इकाई ह वभावत न नगा मनी ह 5 अराजकताmdashअथवा मा य याय क ि थ त स उ प न नकट सामािजक अ यव था क नवारणाथ द ड एव द ड घर आव यक ह य क द ड जा पर शासन करता ह वह जाजन क र ा करता ह सबक सोन पर द ड ह जागता रहता ह

अत व वान लोग द ड को ह धम कहत ह 6 पर त द ड क यव था स यक होनी चा हए दोषी यि त को दश काल शि त और व या का वचार करक द ड दना चा हए

1732 राजा क गण दा य व आ द mdash धम स एव म तकार न राजा क गण क त य और दनचया का वशष वणन

कया ह धमस म राजा को आकषक चहर पर म कान एव नभयी होना आव यक माना ह म तय म राजा को दवी गण स य त होना अप त था धम शा mdash व हत चातव य यव था क अनसार रा क र ा का दा य व य को सोपा गया था अत एव राजा को मख य होना आव यक था मन न राजा क लए वनीत होना ज र मानत ह ए कहा ह क वनीता मा राजा का कसी समय नाश नह होता 1 वनय क श ा क साथ राजा क लए

1 तलनीय याझव य म तmdashआचार अ याय 13 राजधम करणम 2 ट यmdashमन म त 73 3 मन म त 3 717 4 या य म त 2354 5 मन म त 721 mdash 24 6 वह 718

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उपयोगीमाना गया था राजा क लए इि यजयी होना भी आव यक बतलाया गया था ता क वह काम ोध मद लोभ आ द दगण एव उनस उ प न यसन स र हत हो सक या व य क अनसार राजा को उ साह कत वनयी सवाभावी स यवाद म तवान धा मक अ यसनी आ म व या एव राज व या म नपण तथा लाभ क उपाय का ाता आ द होना चा हए 2 म तय क अनसार यसनी मढम त ल ध वषयास त और अस कत राजा द ड का उ चत उपयोग जानन म असमथ होता ह इस कार क राजा न य द द ड का उपयोग कया तो वह रा य स हत वनाश को ा त होता ह

धमशा म राजा को तजोद त यि त होना बतलाया गया ह य क इ यम सय अि न व ण वाय च मा और कबरmdashइन सभी दव क तज क मा ाओ स राजा क उ पि त ह ई इन तज प ज दवताओ क अश स न मत होन क कारण राजा को तजो टया सवभता भ भावी माना गया ह 3 राजा को उ त आठ दवताओ क अश स व न मत मानन क पीछ सभवत यह भावना काम करती रह ह क राजा म इन दवताओ क आठ धान गण क अन प गण होन चा हए राजा म उपय त ठ एव दवी गण स य त होन क पीछ शायद एक अ य कारण यह भी ि टगत होता ह क लोग राजा को ठ समझत ह ए उसक आ ापालन को सव प र मान दसर श द म राजा क दवी उ प त अथवा अलौ कक गण स य त होन क स ा त क तपादन क वारा म तकार न इस बात पर बल दया ह क राजा का चाह वह बालक ह य न हो अवमानना या तर कार नह कया जाना चा हय

मन म त म राजा क य त दनचया का व तार स वणन उपल ध होता ह या वल य भी राजा क दनचया का उ लख करत ह क त उ ह न ाय मन का अनसरण कया ह धमशा म कहा गया ह क राजा को अपनी ओर जा क र ा म सतत जाग क रहना चा हए उसको दग म वशष प स पवतीय दग म नवास करना चा हए शभ ल ण वाल सजातीय क या स ववाह करना चा हए वणा म यव था का पालन तथा र ण करना

य राजा का सव ठ धम एव जा क धम अथ और काम प वग क अ भव उसका मख आदश बतलाया गया ह धमशा म राजा क लए व हत अ ट वध कम भी न द ट

ह उशनस क मतानसार आदान वसग ष नषध अथवचन यवहार ण द ड और श य राजा क अ ट वध कम होत ह मन वारा न द ट अ ट वध कम क या या क लक भ न इस कार क हmdash कर हण करना पर कार और दान दना म य एव रा य कमचा रय को आ ा दना अन चत काय का नषध करना स द ध वषय म नणय दना यवहारmdash नणय उ चत द ड क यव था करना तथा ायि चत करना

1 वह 739 2 याव य म त आचार अ याय 30 mdash 9 ndash 11 3 तलनीय मन म त 7mdash4mdash5 एव ट य 596 भी

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1733 रा य क सात अग mdash

राजस था क आधारभत त व यथा शासक शा सत शासनmdashसाधन और शासन सहायक mdashको म तकार न रा य क सात अग क प म न पत कया ह इन सात अग का उ लख मन म त म इस कार हmdash वामी अमा य पर रा कोश दड एव सह ( म ) राजगण इन सात अग का उ लख मन म त क अलावा या व य म त व ण म त आ द म भी मलता ह इन अग म राजा क लए य त वामी श द रा य क सदभ म उसक वा म व क त य पर बल दता ह िजसस सक तत ह क रा य पर राजा का पण व व होता था और रा य को म यत राजा स अ भ न समझा जाता था

1734 म प रषद

रा य का दसरा अग अमा य बतलाया गया ह जो म ी प रष का सचक ह अमा य अथवा म य क प रष ाचीन काल म एक भावशाल राजनी तक स था थी िजसका राजा क नी तय व काय पर तथा रा य क शासन पर पया त नय ण होता था धमशा क अनसार च क राजा अकला शासन क भार को नह सभाल सकता अत वह सहायक क नयि त करता ह मन न इनको स चव कहा ह और या व य न म ी मन न इनक गण क चचा करत ह ए कहा ह क व कल मागत होन चा हए मख अमा य का पद अ य म य क तलना म ऊचा और अ धक मह व का था य क वह राजा क बह त नकट रहन वाला खता था अमा य म अमा स ता पय समीप होन वाल स ह

राजा क स ब ध म कहा गया ह क वह सभी मह वपण वषय पर म य स म णा कर म य क लए व भ न वभाग क अ य ता क आदश म तकार न दय ह जसmdashय आ त रक सर ा व शा त कर हण दान खान सावज नक नमाण पररा स ब ध आ द रा और कोष को राजा सीध अपन अधीन रख

1735 अ य कमचार गण mdash

शासनmdashसचालन हत मन क व भ न अ धका रय व कमचा रय क नयि त का परामश दया ह य कमचार ईमानदार उपधा वश च र वान ब मान यवहार म नपण और अपन काय म कशल होन चा हए सरकार कमचा रय को य त और वभागा य का महामा कहा गया ह ग तचर क नयि त करना भी राजा का आव यक काय बतलाया गया ह िजसस उनक उपयो गता का अनमान कया जा सकता ह य ा ण ध या ग तचर पाच कार कmdashकाप टक उदाि थत गहप त तापस एव वद हक बताय गय ह इन ग तचर क

सहायता स ह राजा दश क कोनmdashकोन म ि ट रखन म समथ होता ह अत वह द घ च ष कहा जाता ह इस पा जवगक ण धजन क सहायता स राजा तप ीय राजा क और अपन अमा य आ द म जन क नह ोध वषा द भावनाओ को जानन म समथ होता ह

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1736 रा (जन एव जनपद) mdash

रा य क तीसर अग रा को म तय म दश क प म व णत कया ह रा अथवा दश स मन का अ भ ाय प टत जन और जनपद दोन स था उसक मतानसार रा को जा गल (समतल और उपजाऊ) स य स प न और आयजन स या त मा ल य र हत र य वनत साम त जन (अधीन थ मा ड लक गण) स य त और जी वका क सचा साधन स समि वत होना चा हए कौ ट य वारा न द ट जनपदmdashसप अथवा जनपद क आव यक गण इसस तलनीय ह ाम शासन ब ध क वषय म व ण म त म भी अ छा ववरण उपल ध होता ह आप त ब धमस म कहा गया ह क ाम एव नगर मख को कल न स य न ठ एव व छ (श ) होना चा हए

शासन यव था क ि ट स रा (रा य) क अनक म वभाजन क भी यव था दखायी पड़ती ह रा क पर और ाम य दो म य वभाग थ पर क नवासी पौर और ाम क नवासी जानपद कह गय मन म त म एक ाम दस ाम बीस ाम सौ ाम

एक हजार ाम इस कार स सगठन क यव था उपल ध होती ह इनक अ य मश ा मक दश ा मक वशती शती और सह ा धप कह गय ह पर या नगर क अ धकार को

सवाथ च तक कहा गया ह

1737 दग mdash

चतथ रा याग को मन न पर अथवा दग कहा ह सभवत नगर (पर) क थापना दग क प म होती थी वशषत रा क राजधानी वाला नगर दग अथवा कल क प म न मत होता था एव सर ा क सम त साधन स स प न भी य य प पर रा का ह भाग था तथा प रा य क राजनी तक एव सा क तक जीवन म अपन व श ट थान (यथा राजधानी आ द) क कारण इस पथक सम लख ा त हआ ह मन न दग नमाण क सग म 6 कार क दगmdashध व दग (रतीला दश म ि थत) मह दग जल दग वा दग (व स घरा हआ) नदग ग रदग आ द का उ लख कया ह उसन उनम स ग रदग को सव ठ बतलाया ह दग क सि नवश एव उस साम ीmdashस प न करन क स ब ध म मन न लखा ह क उस आयध स भरपर धनmdash धा य वाहन य यवस जल आ द स स प न तथा ा मण स और शि पय स आवा सत होना चा हए राजा का अपना भवन ( साद) दग क बीच mdashबीच सर त थान पर होना चा हए ऐसा मानना था क दग का आ य लन स एक धनधार 100

आ मणका रय स और 10 धनधार 1000 आ मणका रय क साथ सफलता स य कर सकत ह एव उनको रोक सकत ह

1738 स य यव था mdash

रा याग म उि ल खत दड का स ब ध धमशा क अ य स सना एव याय दोन स हो सकता ह म तय म स यबल क स ब ध म कम तथा याय यव था क वषय

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म अ धक चचा उपल ध होती ह द ड अथवा बल अथात सना क स ब ध म मन का नदश ह क राजा को अपनी सना सदा तयार रखनी चा हए और उस अपना शि तmdash दशन करत रहना चा हए राजा को विजगीष ( वजयका इ छक) बन रहन का नदश म तय म दया गया ह और यह भी कहा गया ह क राज य पर य व का घोतक ह अत राजा को व वध आयध क योग म कशल एव सना क सचालन म नपण होना आव यक था धमशा म सना को चार अग mdashरथ अ व गज और पदा त म बाटा गया ह मन म त म ष वध बल का उ लख भी मलता ह क त इसक वषय म व तार स नह बताया गया ह

1739 यायदान

म तय म याय करना राजा का परम धम बतलाया गया ह द ड का यायपण योग कर राजा क त को ा त करता ह द ड क अभाव म मयादाय छ नmdash भ न हो जाती

ह और जा म असतोष उ प न होता ह या व य म त म द ड पाच कार क बतलाय गय ह यथाmdash ध द ड वा द ड धनद ड नवासन और ाण द ड अपराध क अनसार सोच समझकर द ड दना चा हए धमशा म याय क यव था को यवहार कहा गया ह मन न मख ववाद का ववचन 18 शीषक क अ तगत कया ह तथा (1) ऋणदान (2) न प (धरोहर को न लोटाना) (3) अ वा म व म ( कसी अ य क व त को बच लना) (4) सभय सम थान (साम हक प स मल कर मारपीट करना) (5) द त य अनपकम (दान म द गयी व त को वा पस लना) (6) वतन य अदानम (वतन न दना या नधा रत वतन स कम दना) (7) य व यानशय खर द बच क झगड़ (8) स व यि त म (समझौता या त ा का पालन न करना) (9) वा मपाल ववाद (पश वा मय एव पशपालक क झगड़) (10) सीमा ववाद (11) वा या य (गाल mdashगलौच करना) (12) द डपा य (मारपीट करना) (13) तय (चोर ) (14) साहस (डाका डालना) (15) ी स हण (पर ी का अपहरण या य भचार) (16)

ीपधम ( ीmdashप ष या प तmdashप नी स बि धत ववाद) (17) वभाग (पतक स प त का बटवारा) (18) यतसमा य (जए स ब धी झगड़)

म तय म कहा गया ह क याय करन क लए राजा वशष याया धकार नय त करता ह जो धम एव व ध क अनसार याय करत ह अ भयोग क स क लए सा य तीन कार क बताय गय हmdash मौ खक ल खत एव दवी भि त एक मह वपण माना गया ह य द कोई यि त 10 वष तक कसी व त का भोग करता ह तो म य म कसी क आपि त न होन पर वह उसका वामी माना जाता ह या व य म त म चार कार क यायालय का वणन मलता हmdash (1) याय सभा या धमसभा इसम राजा या उसक वारा नय त यायाधीश ववाद का नणय करत ह (2) पग (3) णी (4) कल य तीन कार क यायालय एक कार क याय पचायत थी जो अपनmdashअपन म चरका लक थाओ व

लोक पर पराओ क अनसार याय करती थी मन म त म भी कल धम णीधाम गणधम जा त धम दशधम आ द को यवहार क नणय म मा यता द ह तथा राजा को इनका र क माना ह

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याय क यव था म म तकार न ा मण क त प पात कया ह ा मण को वशष अ धकार ा त ह व बड़ अपराध करन पर भी द ड स बाहर मान गय ह जब क श को छोट अपराध करन पर भी कठोर द ड का भागी माना गया ह तथा प मन क अप ा या व य न श क त उदार ि टकोण अपनाया ह धमशा म व ध एव याय यव था क स ब ध म व तत ववचन मलता ह व तत व हमार ाचीन व ध थ ह

17310 आयmdash यय क साधन mdash

धमशा म च चत रा य क स ताग म स कोश का स ब ध रा य क राज व यव था स था रा य क काय धन क बना पर नह होत अत धमशा न भी कर क वारा राजक य आय क स ा त का तपादन कया था गौतम धमस क अनसार जा क

उपज का छठा भाग राजा उनक सर ा क बदल म ा त करता ह पशपालक याज पर धन उधार दन वाल आ द क लए यह दर पाचवा भाग वा षक तथा यापा रक व तओ स दसवा भाग कर क प म लए जान का उ लख धम स म मलता ह म तय म भी राजा वारा लय जान करो क व भ न दर का उ लख मलता ह क ष क उपज स यापा रक व तओ स व य व तओ स ख नज व तओ क उ पादन स लए जान वाल कर क दर अलगmdashअलग नधा रत क गयी ह इसक अलावा राजक य आय क अ य साधन भी थmdash ब ल श क अथद ड आ द वशष अवसर पर राजकोष क लए ा त कया जान वाला और भट म ा त धन ब ल था यापा रय स ा त लाभाश श क था तथा अपरा धय स ा त अथ द ड भी राजकोष म जमा होत थ धमस एव म तय क अनसार ा मण व याथ असमथ यि त आ द कर म त होत थ धमशा म करारोपण स ब धी नयम भी उपल ध होत ह उदाहरणाथ मन का कथन ह क राजा को जा स थोड़ाmdash थोड़ा करक वा षक कर लना चा हए अ धक कर लन स जा का नाश होता ह और न लन स राजा का वनाश होता ह

17311 पररा नी त mdash

रा य का अि तम अग म (स त) पररा नी त का प रचायक ह वदश नी त क अ तगत म रा य का व श ट मह व वीकारत ह ए मन न लखा ह क धन और धरती क व स राजा उतना सम नह होता िजतना वह ि थरम त और व वासपा म राजा को चाह वह दबल ह य न हो पाकर सम होता ह ाचीन काल म अपन पड़ौसी राजाओ स राजन यक स ब ध थापना क ि ट स मन न भी अथशा पर परा क अन प राजा क लए राजम डल अथवा वादशम डल क म णा का ान आव यक माना ह धमशा क अनसार रा य क वदशनी त का म य आधार षा ग य तथा नी त क चार उपाय का उ चत योग भी थ षा ग य य नी त क 6 गण या वषय का समह था िजसका ान एव

अवसरानकल उ चत योग राजा क लए मह वपण था य 6 गण इस कार थmdash (1) स ध (2) व ह (य ) (3) यान (चढाई) (4) आसन ( न च ट ि थ त) स य

( कसी म रा य म आ म लना) एव (6) वधीभाव (एक ह समय म एक रा य क साथ स ध एव दसर क साथ व ह क नी त) इन 6 गण स नकटत स बि धत कटनी तक माग

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को राजनी त क चार उपाय साम दान भद और द ड क प म तत कया गया ह बा मय और आ त रक श ओ क लए इनका अवसरानकल उपयोग आव यक माना गया था

वदश स स ब ध था पत करन म म य मा यम दत स था थी अत दत क नयि त करना राजा का मह वपण काम बताया गया ह दत सवशा म वशारद राज न ठ द दशmdashकाल का यथो चत जानकार नभय और सदश कहन म चतर होना चा हए वह द ड़ताकार च ट इ गत अथात बोलन क समय वर म होन वाल प रवतन (जो मन क भावनाओ को स चत करत ह) आकार अथात मख पर स नता ववणता आ द जो प रवतन होत ह और च टा अथात कोप आ द नदशक हाथmdashपर क याय आ द का दत को जानकार होना चा हए मन क अनसार इस ान स वह तप ीय राजा क मन क भाव जानन म समथ होता ह स ध या व ह दत पर आ त रहता ह

धमशा म य वषयक पया त ववरण मलता ह य राजा का धम माना गया ह य क ि थ त आपातकाल ह इस समय वह वशष कर ल सकता ह य क घोषणा जलmdashवाय और समय को दखकर करनी चा हए स य सचालन क लए व वध यह द ड यह शकट यह मकर यह सची यह प यह आ द का नदश मन न कया ह श को नबल बनान क लए कषण और उ पीड़न को धमशा न उ चत बताया ह विजत श का धन लटन परािजत राजा क त सदाशय होन एव य म नशसता स बचन आ द क बार म भी इन थ म उ लख उपल ध होत ह

174 उपसहार mdash अत म कहा जा सकता ह क धमशा म व णत राजनी तक वचार ाचीन भारतीय

रा य यव था क व प को समझन म अप त साम ी तत करत ह य य प उनम द गयी जानकार आदशा मक या उपदशा मक अ धक तीत होती ह दसरा धमशा ीय सा ह य म अथशा पर परा क थ क तलना म राजनी त का व तत एव सागोपाग ववचन नह कया गया ह सभवतः इस लए क यह उनका मख तपा य वषय नह ह धमशा म वशषत मन म त व या व य म त म ह राजधम स ब धी व तत एव यवि थत ववरण उपल ध होता ह अतएव मन वारा कय गय ववचन को बह त अ धक मह व दया गया ह व तत मन क ववचन को धमशा क ि ट स त न धmdash व प ववचन कहा जाय तो भी अन चत नह होगा राजनी तक वचार क ि ट स या व य म त अथशा ीय पर परा क अ धक नकट ह तीसरा धमशा थ म ाचीन राजनी त क सदभ म ा ममण को बह त ह मह व दया गया ह चतथ ाचीन भारतीय धम क क पना म जीवन क सब अग का अ तभाव था धम क क पना अ य च पद पर वराजमान होन स राजा भी धम क तलना म गौण था य य प त काल न धम क तपादक धमशा ीय थ राजा क दवी उ पि त क पोषक थ क त इसक पीछ उनका यय राजा क त आ ाका रता क भावना उ प न करना था न क उस नरकश बनाना राजा को धम क आधीन रखकर धमशा न उसक व छा चा रता पर रोक लगायी थी

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175 अ यासाथ न mdash 1 धमशा या ह उनका व य वषय या ह (150 श द) 2 धमशा स ाचीन याय यव था पर कस कार काश पड़ता ह (150 श द) 3 धमशा ीय राजनी तक चतन पर एक लख ल खए (500 श द)

176 ास गक पा नीय थmdash 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 घोषाल य एन ए ह आव पो ल टकल आइ डयाज 3 मजमदार र च ाचीन भारत म सग ठत जीवन 4 शमा आर एस ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए 5 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोइ टयर जयपर

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इकाई mdash 18 ाचीन भारत म या यक शासन

इकाई क सरचना 180 उ य 181 तावना 182 या यक शासन का वकास 183 यायालय व यायाधीश 184 सगठन व व प 185 धम थीय व क टक शोधन 186 स य 187 सा य और सा ी 188 अ यासाथ न 189 ास गक पठनीय थ

180 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत न क उ तर द सकग mdash

ाचीन भारत म या यक प त का वकास कस हआ ाचीन भारतीय यायालय का व प कसा था धम थीय व क टकशोधन यायालय या थ सा य का या व प था सा ी क लए कौनmdashसा यि त चना जाता था

181 तावना ाचीन भारतीय रा य क उ पि त क बाद य mdash य उसका वकास और व तार होता

गया य mdash य शासन क आव यकताए भी बढ़ती गयी और उसक क आयत भी बढ़त गय अ य त ार भक (पव व दक) यग म रा य न तो बह त बड़ थ और न उनक नौकरशाह ह बह त व तत थी जन अथवा कबील म रहन वाल लोग आपसी झगड़ का नपटारा अपन छोट स प रवार अथवा ा जन (कल) म ह कर लया करत थ और या यक शासन क

याए अभी वक सत नह ह ई थी दो कबील या जन या गण क यि तय क बीच य द कोई आपरा धक मामला हआ तो वह बदल अथवा तशोध क मा यम स नपटाया जाता था िजस वरदय क स ा द गयी आख क बदल आख और दात क बदल दात वाल ि थ त का चलन था क त उ तर व दक यग क आतmdashजात रा य बड़mdashबड़ भौगो लक व प धारण

करन लग और उनक शास नक आव यकताए अब बह त ह बढ़ गयी व ध या यक या और या यक शासन भी इन याmdashकलाप म सि म लत थ रा य का प रा का हो

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गया िजसक व तार म एक व तत नौकरशाह क भी आव यकता ह ई धमस क यग क ार भ क साथ अपराध वयि तक न रहकर सामािजक दोष (अपराध) क प म हण कय

जान लग िजनका प रहार अथवा अफवारण सार समाज क ि ट म आव यक हो गया यह माना जान लगा क कोई भी दोषी या अपराधी यि त कवल उसक त ह दोषी नह ह जो उसक अपराध का शकार होता ह अ पत सार समाज क त दोषी ह और समाज क लए आव यक ह क वह उस द ड द रा य इसी समाज क त न ध क प म सामन आया और उसक सार या यक कत य समाज वारा ह रत थ

182 या यक शासन का वकास ाचीन भारतीय रा य क उ पि त क स ब ध म िजतन भी उ लख ह उनम

अ धकाशत इस बात क ओर इ गत करत ह क अ य त ार भ म न तो रा य था न राजा न तो द ड था और न दाि डका उस समय ऋत अथवा धम मा था और सभी लोग एक समान यायभाव स उस धम वारा ह एक दसर क र ा करत थ क त काला तर म मन य क ऋज और साि वक वि तया ख म हो गयी उसक च र का पतन होता गया और जब जब शि तशाल हआ तो नबल को सतान लगा और मा य याय (जस बड़ी मछल पानी म छोट मछल को खा जाती ह) क भाव स वह द ट क त होकर कमजोर को सतान लगा ऐसी ह ि थ त म मन क राजा क प म उ पि त ह ई और सताय जान वाल या पी ड़त लोग न उनस अपनी र ा क बदल अपनी उपज का 16 भाग भट अथवा कर क प म दन क त ा क मन (कह mdashकह पथ का भी नाम आता ह) न सार प थवी क प र मा क और द ट का दमन कर शाि त क थापना क यह स रा य और रा य क तीक द ड क उ पि त ह ई और धीरmdashधीर राजा सार या यक या का तीक हो गया मश उसक काय म याय का वतरण एक मख काय हो गया

क त यह वकास बाद का ह था यह अनमान बह त सह नह तीत होता क व दक यग म कसी कार क याय शासन का वतन था त काल न वरदय अथात ह या आ द क बदल ह यार या उसक प रजन स यि तगत बदला लना अथवा हत यि त क प रजन वारा उसक बदल धन क ाि त वारा अपराधी को छोड़ दन क था धमस म यापक प स उि ल खत ह य थ व दक यग और सा ह य क अि तम कड़ी ह इस ि थ त क म त मन म त जस बह त बाद म लख जान वाल धमशा ीय थ म भी ा त होती ह व दक यग म जो भी याय शासन था वह त काल न स था सभा क मा यम स ह होता था सभा क स ब ध म अनक उ रण ऐस आत ह िजनस यह प ट होता ह क उसम मकदम का न तारण होता था क त यह सभा न तो राजसभा ह थी और न राजा उसका अ य ह होता था वह एक सामािजक गो ठ थी िजसम कल अथवा वश क नता (कलया और वशप त) कौटि बक और जातीय झगड़ का न तारण करत थ इस सभा क सभासद जन त न ध ह थ साथ ह वहा एक श द और आता ह mdash म यम स जो वचवई या म य थता करन वाल यि त क लए य त हआ ह सभा क अ य को सभाप त कहा जाता था इस सभा म जो अपना वाद या मकदमा ल जाता था उस ि नन और िजस उसका

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तवाद करना होता था उस त ि नन कहा जाता था य दोन ह श द बाद म वाद और तवाद क लए य त कय जान लग

धमस कौ टल य अथशा और पहल mdashदसर शता द ईप म न मत होन वाल मन म त क बाद लखी जान वाल अनकानक म तय म हम ाचीन भारतीय याय णाल और या यक शासन का एक अ य त ह वक सत व प दखायी दता ह राजा इस याय शासन का धान होता था और उस न य त अपनी राजसभा म बठकर उपि थत कय गय

वाद का न तारण करना पड़ता था य द वह इस क त य म माद करता था तो उस नरक म जान का भय द शत था अथशा का अनदश ह क राजा कम स कम दो घट त दन मकदम क फसल म ज र लगाव स ा त यह था क राजा याय का ोत ह नह सबस बड़ा यायाधीश भी ह जो सभी मकदम को दखन का अ धकार ह क त वा तव म राजा क पास याय वतरण क अलावा शासन क अनकानक और भी काम होत थ और उसक लए यह ब कल ह असभव था क वह यक या यक मामल का नणय वय ह कर अत वह अपनी ओर स अनक यायाधीश क व वध कार क यायालय म नयि त करता था जो उसक ओर स मकदम को दखत थ यह अव य था क य द वाद अथक तवाद म कोई भी प नीच क अदालत क नणय स असत ट हो तो ऊपर क अदालत म मश अपील करत ह ए अ त म वय राजा क अदालत म जा सकता था साथ ह यह भी था क आव यक होन पर अथवा मामल क बह त ह मह वपण होन पर राजा सीध भी क ह mdash क ह मकदम को दखता था नारद म त म कहा गया ह क मकदम ाम ( ामसभा) म दख जा चक होत थ आव यक होन पर उनक अपील नगर क अदालत म और पन वहा दख ह ए मकदम क अपील राजा क अदालत म क जा सकती थी राजा उनका न तारण चाह ठ क प म कर अथवा खराब प म उसक बाद उनक सनवाई का कोई अ य वार नह था

इस कार प ट ह क य य प राजा सव च यायाधीश क प म काम करता था उसक अधीन भी अनक सामदा यक सामािजक और थानीय अदालत हआ करती थी राजा अथवा कोई भी अधीन थ यायाधीश वाद का न तारण मनमानी ढग स नह कर सकता था ाचीन भारत म व ध का वह ोत और नमाता नह था अ पत वय भी उसक अधीन था व ध का मल त म त श ट क आचार सामदा यक थानीय और जातीय नयम आ द म न हत था न क कसी व ध नमात सभा या यि त म अत वहदार यक उप नषद का कथन ह क ldquo व ध राजा क भी राजा हrdquo और उसक ऊपर कोई नह इसी कार मन म त का कथन ह क जहा एक ाकत जनrdquo अथात साधारण यि त को कसी अपराध क लए एक काषापण का द ड दया जाता ह वह उसी अपराध क लए राजा को 1000 काषापण का जमाना लगना चा हए प ट ह राजा व ध क अधीन था उसक पर नह और वह यायालय म बठकर समाज वारा मा य व धय वारा ह नणय कर सकता था

183 यायालय व यायाधीश य य प राजा सव च यायाधीश और उसक राजसभा सव च यायालय होता था तथा

वह कसी भी मकदम को सीध भी दख सकता था यह असभव था क उसक पास रा य क

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अ या य काय क होत ह ए याय वतरण हत परा अवसर मल अथवा वह सभी मकदम का न तारण वय कर सक अत उस अपन अधीन अनक यायाधीश और अदालत क नयि त करनी पड़ती थी धीरmdashधीर इन अदालत म भी द वानी और फौजदार क दो भद हो गय और उनक लए अलगmdashअलग यायाधीश क नयि त क जान लगी य य प यह नह कहा जा सकता क व दक यग म य भद बह त प ट हो पाय थ क त कौ ट य न अपन अथशा म तो उनका भद बह त ह प ट कया ह और उनक यायाधीश क अलगmdashअलग नामकरण और उन यायालय म सन जान वाल मकदम क अलगmdashअलग स चया द ह तथा प व दक यग म भी उवर पि त और आ द स स ब भ म और खती क मकदम द वानी क णी म समा हत कय जान लग थ दाय क अधीन गहस पि त क वभाजन और उ तरा धकार स ब धी वाद आत थ और पशओ क ह ता तरण वाल मकदम दान और य क सीमा म थ ऋण वग म सद पर पया उधार द ना और त स ब धी करार का न तारण होता था पीछ हम दख चक ह क व दक सा ह य क ि नन (वाद ) त ि नन ( तवाद ) और म यम स ( बचवई या म य थ) जस श द याय या क बीज प को प टत रखा कत करत ह अथशा द वानी (धम थीय) मकदम क यायाधीश को धम थ और क टकशोधन (फौजदार ) क यायाधीश को द टा क स ा दता ह च क बाद म मकदम को यवहार कहा जान लगा यायाधीश क स ा यवहा रन अथक धमा धकार हो गयी कह mdashकह यायाधीश को पि डत

भी कहा गया ह राजा क ओर स काम करन वाल थम अदालत (सभा) का म य यायाधीश पा ववा य कहलाता था

मन म त म क थत ह क जो ववाद म उपि थत वषय को स य (जर ) क साथ पर तरह वचारता ह वह ा ववाक कहलाता ह राजनी तर नाकर नामक थ म ा ववाक क प रभाषा दत ह ए उसक वशषताओ का वणन कया गया ह तदनसार वह प ववाक इस कारण कहा जाता ह क ववाद (मकदम ) म वह न पछता ह पन त न पछता ह और जो भी कहता ह वह य या मधर वाणी क साथ कहता ह या व य और का यायन र चत म तय का नदश ह क य द राजा अ य काय क कारण वय वाद का न तारण न कर

सक तो स य (या सभासद = जर ) क साथ धम ( व ध = कानन) जानन वाल ा मण को अपनी जगह पर याय वतरण हत नय त कर धीरmdashधीर यायालय क यायाधीश ाय ा मण लोग ह होन लग इसका कारण कदा चत यह था क उस पद क लए धमशा वारा जो यो यताए नधा रत क गयी व अ धकाशत ा मण लोग म ह मलती थी

या व य म त उनक लए तय (वद ) क अ ययन म न णातता धम (काननव ता) स यवाद तथा शा पारग होना आ द यो यताए नि चत करती ह श ककत (म छक टक नाटक म यायाधीश क गण का एक बड़ा अ छा समाहार ा त होता ह) तदनसार उस व वान ब मान ब ढ़या व ता भावावश स ह न और नष होत ह ए याय का वतरण पर तरह वचार और जाच पड़ताल करन क बाद ह करना चा हए उस कमजोर का र क द ट क लए आतक लालच स र हत ववक भाव स प रपण तथा स य न ठ होना चा हए साथ ह

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उस ऐसा कोई भी काय नह करना चा हए िजसस उस राजा का कोपभाजन बनना पड़ यायाधीश क एक स ा धमा य भी थी और िजस आसान पर वह बठता था उस धमासन

कहत थ ाचीन भारतीय यायालय म आजकल क भा त ह जर क था व यमान थी

च क यायालय राजसभा या सभा श द स अ भ हत होता था उसम बठन वाल जर को स य कहा जाता था मन म त म ा ववाक को स य क साथ य नपवक याय वतरण करन वाला कहा गया ह श नी त म यह क थत ह क यक ा ववाक ( धान यायाधीश) क साथ कम स कम 3 5 या 7 स य अव य होन चा हए मन म त कहती ह क िजस दश ( याय ) म वद जानन वाल तीन व (स य) रहत ह और राजा वारा अ धकत एक ा मण ( यायाधीश) रहता हो उसक ह सभा को वा त वक सभा कहा जाता ह धमशा म ायसव ह इन स य क यो यताओ क ववरण ा त होत ह जो ाय यायाधीश क

यो यताओ क समान ह व णत ह उनस यह न कष नकलता ह क यायाधीश क तरह स यगण भी ाय ा मण वण क लोग ह होत थ

184 सगठन व व प यायालय क सगठन क अ छ ववरण ा त होत ह वहा वाद और तवाद क

कथनोपकथन को पर तरह लख लन क लए लखक क नयि त होती थी एक थान पर कहा गया ह क य द लखक कह ह ई बात न लख न कह ह ई बात लख कटवचन को भी लख सि तय को लख अपन मन स कह ह ई बात क अथ पि त कर ल और पहल स ह कछ लख लना नि चत कर लए हो तो उस साहसद ड दया जाना चा हए बड़ा प ट ह क उसक काय क प ट नधारण कय गय थ िज ह न करन पर वह भी अपरा धय क भा त ह दि डत होता था एक दसर कायवाह को सा यसाधक कहा जाता था िजसका सभवत यह कत य था क स ब मामल को उनक अि तम न कष तक पह चाव यह कदा चत यायालय का अदल था जो ाय सवदा ह श वण का होता था कह mdashकह इस ह करक भी

कहा गया ह यायालय स स ब ब धनागार और ब धनागारा य हआ करन थ जो आज क जल और जलर क तरह थ और ाय इ ह क जस उनक काय भी थ

बौ सा ह य म स धर और व न चयमहाम च ( व न चयमहामा य) क उ लख मलत ह जो यायाधीश क बोधक ह नपत क राजा क सभा क तरह सभवत गणत म उनक क य सभाए (स थागार) ह सव च अदालत हआ करती थी उनक अधीन भी वोहा रक अथवा यावहा रक होत थ तथा प ऐसा तीत होता ह क ाचीन भारत म याय या क काया वयन हत नीच स ऊपर तक सीढ़ mdashदरmdashसीढ़ यायालय का वकास सा ा य क उदय क साथ ह हआ अथशा स यह ात होता ह क मौय सा ा य म सबस थम ( नचल ) अदालत गाव क होती थी िजस ामसघ कहा जाता था इसम ामसाम त और ाम बठत थ और गाव क मकदम का नणय करत थ उ ह यह अ धकार ा त था क चोर करन वाल अ भय त को गाव स नवा सत कर द इनक मदद क लए स य अथवा जर हआ करत थ दस गाव को मलाकर स हण क अदालत बनती थी जो ाम यायालय क अपील सनती

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थी 400 गाव वाल अदालत को ोणमख 800 गाव क ऊपर थानीय तथा उन सबक ऊपर क अदालत क य (जनपद) होती थी िजन सब म मश नीच क अपील सनी जाती थी कौ ट य का कथन ह क इन सभी अदालत म तीनmdashतीन धम थ और तीनmdashतीन अमा य क नयि त मकदम को नपटान क लए क जानी चा हए ववादय त भ म या खत स स ब मकदम का न तारण म य थ क सहायता स कया जाता था य द यायाधीश म मतव भ न हो तो अ नतम नणय बह मत स कय जात थ

अदालत क इस भौगो लक बटवार क अ त र त उनका वगगत अथवा समहगत एक अ य बटवारा भी था िजसम थान वशष वग वशष काय वशष अथवा नयम वशष को यान म रखा गया था कल (मलत एक जा त वण अथवा वग) क सबस नचल अदालत

होती थी िजसम कल क र त और पर पराओ क अनसार कल क सद य स स ब झगड़ (वाद अथवा न) नपटाय जात थ इसी तरह व भ न यवसाय म लग ह ए आ थक सगठन क भी अपनmdashअपन आ थकmdash यावसा यकmdash यापा रक अथवा पशवार आचार और नयम हआ करत थ िजनका उनक सद य वारा पालन आव यक था अत उनक सद य स स ब मकदम का नधारण उनक भीतर ह होता था ऐस यायालय णय गण नगम और पग क हआ करत थ रा य क ओर स इनम च लत व धय अथवा नयम को पर मा यता ा त थी और य द इनस स ब मकदम क अपील राजक य अथवा क य अदालत म भी जाती थी तो भी उनका न तारण उनम च लत व धय क आधार पर ह होता था मन म त या व य म त और नारद म त आ द सभी म त थ राजा को यह नदश दत ह क वह इन सभी स थाओ क नयम को यान म रखत ह ए ह अपन नयम का नधारण कर और वाद का नणय द वह प त और हार त जस म तकार स नक जागल लोग अथवा बाहर जाकर यापार करन वाल लोग क लए भी अलगmdashअलग यायालय क यव था दत ह

अथशा म धम थ और क टकशोधन नामक अदालत म तीनmdashतीन यायाधीश धम थ और अमा य ( द टा) क नयि तय क वधान ह जो नीच क अदालत म भी च लत थ यायालय म धमा य पि डत यावह रक या ा ववाक कतन ह यह म तय स एक प म ात नह होता मन म त क अनसार उनक स या तीन और वह प त क अनसार 3 5 या 7 होनी चा हए क त धमसभा म कतन स य अथवा जर लोग ह इसक उ लख ा त होत ह व स ठस हता क अनसार व दस होन चा हए िजनम चार वद म न णात चार यि त एक वदाग का जानकार एक मीमासा का जानकार और एक म तय का जानकार होना चा हए य सभी ा मण य और व य वण क अगआ लोग होन चा हए स य क प म श क नयि त नह क जाती थी

इस कार हम दखत ह क ाचीन भारत म यायपा लका का एक फला हआ वतान था जो ाम स ार भ करक क और उसक राजधानी तक फला हआ था अथशा कार और धमशा कार दोन ह इनको व धक मा यता दत ह मा यता यह थी क कल गाव या णी क लोग क बार म िजतना वहा क लोग को और उनक धान अथवा अ य को मालम

था उतना दर थ ा तीय या क य लोग को मालम होना असभव था अत वहा स

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स ब सभी मकदम का नपटारा वहा पर जानकार पवक थानीय प रि थ तय थाओ और पर पराओ क प र य म अ धक आसानी और सह प म अ धक सभव था उनक बजाय ऊपर क अदालत म कसी भी अ भय त क लए अपना दोष छपान हत सफद झठ बोलकर नकल जाना अ धक सभव था इन था नक और सामािजक या सामदा यक यायालय क व धक मा यता क पीछ ामीण पचायती और थानीय शासन क त ाचीन भारत म एक सबल और ब मल भावना थी िजसका त काल न शासन म एक मह वपण थान था फल व प इन अदालत म द वानी क ाय सभी कार क मकदम लाय जा सकत थ क त व छोट mdashमोट चोर या मारपीट क मकदम को छोड़कर फौजदार क बड़ मकदम का न तारण नह कर सकत थ

185 धम थीय व क टकशोधन ाचीन भारतीय या यक शासन क चचा करत समय यह दखना आव यक होगा क

द वानी और फौजदार क अदालत म मकदम का बटवारा कस होता था इस वषय क एक प ट सची अथशा म ा त होती ह धम थीय अदालत म न न ल खत कार क मकदम

दख जात थ 1 यवहार थापन mdash सभी कार क समझौत 2 सम यानयाकम mdash सवा स ब धी समझौत 3 वा या धकार mdash काम करान वाल मा लक क अ धकार 4 भतका धकार mdash काम म लग ह ए भतक अथात नौकर क अ धकार 5 दासक प mdash दास स स ब मामल 6 ऋणदान mdash ऋण का लनmdashदन 7 औप न धक mdash जमाधनmdashस पि त क मकदम 8 व त तानशय mdash बची ह ई चीज को न दन स ब धी बात 9 द त यानयाकम mdash दानmdashभट आ द क बात 10 साहस mdash चोर डाक तथा ह या स ब धी अपराध 11 द डपा य mdash मारपीट और हसा 12 वा यपा य mdash गाल mdashगलौज अपमान न दा आ द 13 यतसमाह य mdash जआ 14 अ वा म व य mdash बना मा लक होत ह ए भी कोई स पि त बचना 15 व वा भस ब ध mdash स पि त का अ धकार 16 सीमा ववादया यादा थापन mdash सीमा स ब धी झगड़ 17 वा तक mdash घर वार सहन स ब धी मकदम 18 ववीत पथ हसा mdash चरागाह खत सड़क माग आ द का अवरोध और अवध

क जा 19 ववाहधमmdash ीधन क प mdash ववाह और ीधन स स ब मकदम

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20 सभयसम थान mdash सामदा यक सघ क मामल 21 दाय वभागmdashदाय म mdash उ तरा धकार और दायाद क न 22 ववादपद नब ध mdash या यक कायवाह क मामल

इसी कार क टकशोधन अदालत क अ तगत भी आन वाल वाद क सची वहा तत क गयी ह वा तव म क टकशोधन कवल यायालय ह नह अ पत प लस या आर ी वभाग का धान कायालय भी था तथा उसक धान अथवा ( द टा) क क त य दो कार क थ वह यायाधीश क साथ ह साथ प लस वभाग का धान भी था सभवत इसी कारण

क टकशोधन क अधीन आन वाल वाद क व प भी दो तरह क ह िज ह हम उस सची को द चकन क बाद दखग वह न नवत हmdash 1 का कवदहर ण mdash शि पओ और यापा रय क र ा 2 गढ़ाजी वना र ा mdash अवा छत त व को दबाना 3 मानव काशनम mdash ग तचर वारा अपरा धय क खोज 4 शका पकमा भ ह mdash असल या स दहा पद अपरा धय क धरपकड़ 5 आशमतकपर ा mdash शव का अ पर ण 6 सवा धकरणर ण mdash रा य क व भ न वभाग म अनशासन था पत करना 7 एकागबध न य mdash अग छद को दि डत करना 8 श रच क प mdash यातनास हत या यातनार हत म यद ड 9 क या कम mdash नाबा लक लड़ कय क साथ बला कार 10 वा यकमानयोग mdash पछताछ और तदनसार काय 11 अ तचार द ड mdash फटकल अपराध

उपय त कार क काय का य द मह न ववचन कया जाय तो यह लगगा क थम छ तो कवल आर ीदल क या कलाप म आत ह उनका स ब ध अपराध का पता

लगान अपरा धय को पकड़न नाग रक क द ट स र ा करन और उस स ब ध म दो षय को दोष स वरत करन क कायवा हय स था वा तव म व प लस मिज ट क कायसीमा क भीतर ह थ अि तम पाच को दखत ह ए यह कहा जा सकता ह क फौजदार याय प लस काय क साथ एक ह म सना हआ था इन सभी को य द एक साथ वचार कर दखा जाय तो यह न कष नकलता ह क क टकशोधन यायालय क काय म यत तीन वग म बट ह ए थ थमत तो रा य का उ य था क यापा रय और व भ न पश म लग ह ए लोग का कोई

भी कसी कार शोषण न कर सक इस हत रा य क ओर स वशद नयमmdash नदश बन थ िजनका कसी भी वारा कोई उ लघन द डनीय अपराध था सवसाधारण लोग क द ट स र ा करना दसर वग म रखा जा सकता ह तीसर िज मदार यह थी क राजक य नौकरशाह कसी को भी कसी कार सतान न पाय

क टकशोधन क इस व प म अ त न हत भाव क य द स म पर ा क जाय तो यह तीत होगा क रा य साधारण मन य क च र गत और वभावगत सभी कमजो रय को पर कार समझत ह ए यह आव यक मानता था क शाि त अमन और चन बनाय रखन हत

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एक शि तशाल और यापक आर ीबल क आव यकता अप रहाय थी सभी कार क दो षय को दि डत करन हत प ट और यापक नयम क वधान थ िजनका कड़ाई स पालन कराया जाता था रा य क त व ोह क भावना रखन वाल का पता लगान हत ऐस ग तचार और उकसान वाल लोग नय त रहत थ जो बाजार म चौपाल पर सड़क पर या मल म राजा क व अपनी उ तजक बात वारा उपय त लोग पर नजर गड़ा लत थ और उ ह पकड़वान तथा दि डत करान क यव था करत थ अपराधी वि त क लोग क खोजबीन और धरपकड़ क लए घस क भी सहार लय जात थ कौ ट य वय अथशा म बर और द ट लोग क शार रक ल ण का उ लख करता ह िजनक सहार स व पकड़ जा सकत थ अपरा धय क अपराध क खोजबीन म प लस को तलाशी लन का परा अ धकार था य उपाय साधारण अपरा धय क स ब ध म तो अपनाय ह जात थ रा य क ट और स दहा पद अ धका रय और नौकर पर भी ग तचर वारा ि ट रखी जाती थी और स दह होन पर उ ह भी लालच और घस वारा रग हाथ (सल न) पकड़कर द ड दय जात थ उस समय शव क अ यपर ण क जो था च लत थी उसस यह प ट सकत मलता ह क ह या स ब धी अपराध क बड़ी बार क स खोजबीन क जाती थी यह स क त क वकास क एक अ य त ह उ च शखर क ओर नदश करता ह

य य प म तय म द वानी और फौजदार वाल वाद क बह त प ट बटवार नह दखायी दत वाद क जो स चयॉ उनम ा त होती ह उनका व तार बह त अ धक ह मन म त म उ ह 18 भाग म बाटा गया ह िज ह अ टादशपाद क स ा द गयी ह या व कय म त उ ह और भी व तत करक लगभग 25 भाग म बाटती ह ाय दोन क ह श दाव लया एक ह यहा उ ह हम स त स म इ गत कर दना मा पया त समझत ह वाद साधारणतया ऋण याज जमारा श धरोहर रहन स पि त क खर द और उसक बची उसम खर दन वाल का स पि त का अ धकार होना अथवा न होना दान भट तय मजदर को दना या न दना वामी और सवक क आपसी स ब ध पशमा लक और पशपाल (चरवाह ) क आपसी स ब ध समझौत क उ लघन णय स स ब मकदम यापारmdashवा ण य और पश स स ब मकदम गावmdashघर और खत तथा बगीच क सीमाओ स स ब बात चोर डकती और ह या गाल mdashगलौज अपमान न दा आ द क मकदम का यक हसा

ीप ष क पर पर अ धकार और क त य स ब धी मकदम ि य mdashप ष क य भचार उ तरा धकार तथा वसीयत और दायाद तथा यत और व यावि त आ द स स ब मामल गनाय गय ह

पीछ यह दखा जा चका ह क कस कार राजा को य द वय याय वतरण का पराmdashपरा अवसर नह मलता था तो वह अपनी ओर स यो य यायाधीश क नयि त करता था इनक मख यो यताओ क ओर भी नदश कया जा चका ह क त उस स ब ध क थोड़ी और चचा करना आव यक ह धान यायाधीश ा ववाक पि डत अथवा धमा य कहलाता था ा ववाक क जो प रभाषाए द गयी ह उनस उसक च र गत वभावगत और यो यतागत व प का सहज ह अनमान लगता ह मन म त क अनसार उपि थत ववाद को

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पवापर प म स य क साथ वह य नपवक (सरसर तौर स नह ) वचारता ह और उस कारण ह वह ा ववाक कहलाता ह यहा इस बात पर जोर दया गया ह क यायधीश पर ब और मन लगाकर अपन यायालय म नय त स य क साथ परा परामश करक वाद का न तारण कर राजनी तर नाकर क प रभाषा ह क ा ववाक क स ा इस कारण ह ई क वह वाद mdash तवाद स पहल न पछता ह पन त न पछता ह और इन सबक पहल य श द म बोलता ह उस त म त मीमासा आ द व ध क सभी ोत का मम होना चा हए तथा उसक लए लालच घस चापलसी या सबक पह च क ऊपर होना भी आव यक था उस हर दशा म पर तरह नष रहना था और मकदम क दौरान कसी भी प स साधारण बातचीत स भी उस दर रहना होता था ाचीन भारतीय याय व ध का यह तकाजा था क वाद का न तारण भर सभा या यायालय म ह हो तथा जब तक कोई बह त ह तजी का कारण न हो मकदम मश ह नपटाए जाए यायाधीश क इन आचारmdashस हताओ का य द कसी भी कार कोई यायधीश उ लघन करता तो वह वय भी द ड का भागी होता था इन आचारmdashस हताओ म य बात सि म लत थी क वह कसी भी प को उ पी ड़त न कर सभी क बात यानपवक और यायपवक सन था पत व धक मा यताओ का अ रत पालन कर यथाव यक अपन ववक का योग कर तथा कसी भी लालच बहकाव फसलाव और धमक म न आव यायाधीश म यह बह त बड़ा दोष माना जाता था क वह मकदम क उभय प या गवाह स जो पछना चा हए व न पछ जो नह पछा जाना चा हए वह पछ और कछ पछकर उस बीच म ह अन त रत रहन पर भी या पर बात को जानन का य न न करत ह ए बीच म ह छोड़ द य द वह कसी भी कार कसी प को तग करता तो उस वय भी उसको सजा भोगनी होती थी य द वह एक बार दोषी स हो जान पर दबारा भी कोई दोष करता तो दोष क वह पनरावि त इस बात क लए काफ थी क उस उसक पद स सवदा क लए हटा दया जाय अथशा का अनदश ह क य द कसी यायाधीश क त धन या अ य लालच क वशीभत होकर मकदम क न तारण क शकायत हो तो ग तचर वारा उस पर नजर रखी जाय और रग हाथ उस पकड़कर उसक पदमि त कर द जाय नकाल जान क पव उस घसखोर हत द ड भी दया जाता था

186 स य पीछ हम इस बात का उ लख कर चक ह क यायालय म जर क था थी िज ह

स य कहा गया ह यह भी दखा जा चका ह क उनक स याए तीन पाच या सात हआ करती थी इन असम स याओ का कारण यह था क य द आव यक हआ तो मत वभाजन वारा बह मत क आधार पर मकदम का न तारण कया जाय म तय म क थत ह क

स य क नयि त ा मणवण लोग स ह क जाय इसक पीछ कदा चत यह कारण था क धमशा क व धक प क जानकार सवा धक उ ह को होती थी और वाद क या यक न चय म वह ान अ य त आव यक था क त इस बात क सहज ह क पना क जा सकती ह क यायालय म य द वाद या तवाद म एक या दोन ह प ा मण क अ त र त हआ तो उसम च लत नयम या पर पराओ क जानकार भी इन स य क लए

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आव यक होती होगी अत अ ा मण स य भी नय त कय जात रह ह ग वा तव म या व य म त इस बात का प ट नदश करती ह क िजस जा त या वण स स ब मकदम ह उसी जा त या वण क स य भी होन चा हए य क उनक ह कल य जातीय या वण य नयम स उनक मकदम का न तारण होना था यायाधीश क ह तरह इन स य क लए भी न प ता त म त मीमासा आ द क ान और घस आ द क फसलाव म न आन वाल च र क आव यकता थी राजा या म य यायाधीश ( ा ववाक) इन स य क सहम त स ह अपन नणय दता था और ाय उनस बधा होता था उस अपन ववक का योग करन क कवल उस समय वत ता थी जब स य क म त म बह त मतभद हो और व वय कसी एक नणय पर पह चन म असमथ ह उनका यह क त य था क व पर तरह नष होकर य द आव यक हो तो राजा क म त क वपर त भी अपनी म त द य द व जानबझकर कसी मामल म चप रह और बोल नह तो इस चालाक क लए भी व दि डत कय जा सकत थ बड़ा प ट ह क ाचीन भारतीय यायपा लका क सगठन म स य क एक ऐसी स था थी जो राजक य नरकशता या मनमानीपन को उस म पर तरह रोकती और नय मत करती थी

187 सा य और सा ी ाचीन भारतीय यायालय म मकदम क सनवाई क समय सा य और सा य का

बड़ा मह व था म तया म यत चार या पाच कार क सा य का उ लख करती ह व ह mdash (1) माण mdash कसी भी बात घटना या न क स ब ध म कोई ऐसा अका य माण जो ववाद क स म सव प र माना जाय (2) ल खत mdash कोई लखा हआ द तावज या आल य िजसस सार बात अपन आप प ट और मा णत हो जाती ह (3) मि त mdash वाद त व त स पि त या भ म का कसी क भोग अथवा अ धकार म होना (4) सा ी mdash घटनाओ को वय दखन और जानन वाला कोई यि त (5) इन सबक अभाव म द यद ड वारा स या स य क पर ा क जाती थी इन सब म यहा कवल चौथ अथात सा ी का ह वशष उ लख कया जायगा य क इसक स ब ध म अथशा अथवा म तय क उ लख बह त ह यापक ह गवाह को कसा होना चा हए उ ह या करना और या नह करना चा हए कौन लोग गवाह हो सकत ह और कौन लोग नह हो सकत और य द व जानबझकर झठ बोल तो उ ह कौन स द ड दय जान चा हए इन सभी बात क वशद जानकार या व य म त स ा त होती ह रा य क ओर स यह यव था थी क च मद द गवाह क गवाह क बाद राजक य ग तचर वारा भी वा त वकताओ क जानकार छप ह ए प म ा त क जाती थी और उन दोन को मलाकर दखा जाता था उसक बाद ह अ भय त को द ड दया जाता था य द कसी दन गवाह क गवाह नि चत हो और वह उपि थत न हो सक तो कवल उस कारण स वाद नर त नह कया जा सकता था साधारणतया तीन सा य का होना अ नवाय था और कवल एक सा ी मा क होन पर वाद का नणय नह कया जा सकता था कभीmdashकभी यायालय वय भी ऐस लोग को समन भजकर बलाती थी जो अ यथा अदालत म उपि थत नह होत थ यक सा ी को अपनी गवाह दन क पव शपथ लनी

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पड़ती थी और य द कोई सा ी शपथ क बावजद भी झठ गवाह दता था तो उस दि डत कया जाता था कौ ट य न इस द ड क प म मन (मानवधमशा ) श (उशना) और वह प त क मत का उ रण अथशा म दया ह

समाज म ऐस अनक लोग थ जो यायालय म सा ी क प म उपि थत नह हो सकत थ उनका प रगणन न नवत ह mdash

वाद या तवाद का साला साथी कद सजाया ता यि त ऋणदाता या कजखोर श अधीन थ यि त वय राजा ो य ा मण गाव का सवक क टरोगी जा तव ह कत यि त चा डाल वय दि डत यि त ह न यि त ी राजक य नौकर साधmdashस यासी डाक ध त और धोखबाज हाथ दखन वाल लोग सठ लोग तथा व य आ द इस सची स प ट ह क सह mdashसह सा य ा त करन क मामल म ऐस लोग का व वास नह कया जा

सकता था य क उन सबम कोई न कोई ऐसा त व था जो यायालय को वीकाय नह हो सकता था इनक वपर त सा ी होन लायक व यि त मान जात थ जो ववा दत प क अपनी जा त क ह और उनक नजद क रहत ह इस अनशसा क पीछ मा यता यह थी क ऐस लोग मामल क सह mdashसह और ठ कmdashठ क जानकार रखत ह ग और उनक बात व वासयो य हो सकती थी क त सा य क नय यताओ अथवा यो यताओ क स ब ध क यह सची एक साधारण दशाmdash नदश मा करती ह तथा इसक मा यता अथवा अमा यता अप रहाय नह थी वा तव म वाद का व प कसा ह और उसक प mdash वप या ह इस बात पर सा य का चनाव बह त ह अ धक नभर करता था

सा ी कौन ह सकता था और कौन नह इस स ब ध म ऊपर क प रगणन कवल उनक सामा य अहताओ मा का प रचय दत ह उनक वशष अहताए य थी क व शपथ लत समय अपनी ईमानदार क शपथ ल व स यवाद होन क लए स ह व सभी वण क आ तप ष अथात वशष गण वाल यि त ह स प न ह सभा यत ामश ह वाद स स ब थान क गह ह प पौ य त ह मख यि त ह तथा य व य या श ह मन म त क अनसार कसी साझmdashसमझौत करार या सहभा गता स स ब मामल म वाद mdashतवाद क जा त क लोग का ह सा य अ धक उ तम माना जाता था कौ ट य का कथन

ह क सा ी श च अथात प व यि त होना चा हए अ छ आचरण वाला होना चा हए वाद स स ब या नवासभ म का होना चा हए तथा उसक सा ी प म खड़ होन क सचना अदालत को पहल स ह द जानी चा हए उस समय एक था यह भी थी क गवाह को आनmdashजान ठहरन का खच ाय मकदम म हारन वाल प को वहन करना पड़ता था

सा य क तरह वक ल क भी अदालत म उपि थ त का ान ा त होता ह श नी त क अनसार य वक ल कवल द वानी क मकदम मा म उपि थत हो सकत थ फौजदार क मामल म नह फौजदार क बाद कवल स य क सामन सन और नपटाए जात थ तथा प ऐसा तीत होता ह क ाचीन भारतीय यायालय म वक ल त व का उतना चलन नह था िजतना सा य का यायाधीश का अथवा स य का इन वक ल क फ स

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मकदम स स ब धन स पि त तथा उसक ग ता अथवा लघता क आधार पर उभय प क बीच तय क जाती थी

यायालय म वाद कस उपि थत कय जाय इसक भी वधान ात होत ह कौ ट य तथा सभी म तया यह नदश दती ह क वाद को तवाद क व घटना या अपराध का समय उसक व प उसक थान आ द स हत अपना और अपर प का परा पता आ द दना आव यक होगा फौजदार क मामल म तवाद य द चाह तो अपनी जबावदह दा खल कर सकता था क त यह स वधा द वानी क मकदम म उपल ध नह थी मकदम क सनवाई अदालत म कस म स हो इसम एक पता नह थी जब तक कोई वशष कारण न हो उनका न तारण उनक पजीयन (दा खल) क म स ह कया जाता था क त मन म त का यह भी नदश ह क उनक न तारण वण म (पहल ा मण पन य आ द क म स) कय जान चा हए इसक अ त र त धम और अधम अथ और अनथ को भी यान म रखत ह ए उनक न तारण म का न चय कया जाता था एक ह घटना या वाद क स ब ध म दो अलगmdashअलग मकदम नह कय जा सकत थ हा य द एक मकदमा न ता रत हो चका हो तो दसर को सना जा सकता था अथवा उसक अपील क भी सनवाई क जा सकती थी

अदालत म सनवाई क समय वाद या तवाद क कछ आचरण अपराध प म मान जात थ िज ह स ब थ म परो तदोष कहा गया ह य थ mdash

न का सीधा उ तर न दना अपन व त य म एक पता का अभाव अवा छत लोग स राय लना न का लगातार उ तर न दना अपन ह सा य और सा य का ख डन अदालत क अनम त क बना चपक स सा ी स सलाहmdashमश वरा करना र ाप क तक का उ तर उसी दन दन का य न करना िजस दन व उपि थत कय गय हो नधा रत समय क भीतर अपन प (वाद) को मा णत न कर पाना अस ब बात करना और यथ क उि तया इन सभी परो त दोष क लए उ तरदायी यि त को दि डत कया जाता था य द स ब वाद अथस ब धी हआ तो यह द ड स ब ध धन क पाच गना या दस गना तक हो सकता था ऐस अनक दोष क प रगणन तथा उनम द ड क यव थाए म तय म व तारपवक द गयी ह इन परो तदोषो और उनक द ड क यव थाओ क आधार पर यह न कष आसानी स नकाला जा सकता ह क उनक कारण अदालत म यथ क बात मकदम क सनवाई म दर यथ क वादmdash ववाद अस य और म या भाषण तथा धोखmdash धड़ी क य न स प घबरात ह ग और उसी अनपात म याय ाि त सलभ सहज और व रत रह

होगी

188 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म यायmdash णाल क वकास पर काश डा लए (150 श द) 2 ाचीन भारत म यायालय क व प व यायाधीश क वशषता बताइए (200 श द) 3 धम थीय व क टकशोधन यायालय क बार म आप या जानत ह (250 श द)

285

189 ास गक पठनीय थ 1 रामच द तार

ह द ऐड म न टव इ ट यश स म ास

व व व यालय 2 अन त सदा शव अ तकर

मोतीलाल बनारसीदास टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया

वाराणसी 3 अन त सदा शव अ तकर ाचीन भारतीय शासन प त ह द सा ह य

स मलन याग 4 मोतीलाल बनारसीदास सम आ प स ऑफ ऐ शय ट ह द पा लट

वाराणसी 5 मथनाथ बनज (व दोपा याय) ह द पि लक लाइफ कलक ता व वmdash

व यालय 6 एच एन स हा मोतीलाल

बनारसीदास डवलपम ट ऑफ ह द पा लट वाराणसी

7 काशी साद जायसवाल ह द पॉ लट 8 अन रामच वमा ह द राजत नागर चा रणी सभा

वाराणसी 9 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य जयपर

1999 10 भार वाज कमलश मख म तय (मनmdashया व य नारद

बह प त का यायन) म राजनी तक व व धक वचार शोध बध राज थान व व व यालय जयपर

286

इकाई mdash 19 ाचीन भारत म अपराध और द ड

इकाई क सरचना 190 उ य 191 तावना 192 व ध का वकास 193 ववाद क कार 194 यायालय 195 द ड 196 अ यासाथ न 197 ास गक पठनीय थ

190 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत न क उ तर द सकग mdash

ाचीन भारत म व ध का वकास कस हआ ाचीन भारत म अपराध या ववाद क कतन कार थ ाचीन भारतीय यायालय व द ड का या व प था

191 तावना अपराध और द ड स ब धी ाचीन भारतीय अवधारणाओ का वकास एकाएक नह

अ पत मश कई शताि दय क वचा रक और यावहा रक ग त क प र य म हआ व दक समाज म व ध याय अथवा यायपा लका का व प अपन मल प मा म ह व यमान था व ध क लए उस समय कत अथवा धम श द का योग होता था आग चलकर धम श द को म तय और अ य कार क धमशा न भी अपना लया अपराध और द ड क पीछ व ध अथवा कानन क ि थ त सवदा ह अ त न हत होती ह आजकल कानन श द स रा य वारा बनाय गय कानन अथवा व ध नमात स थाओ वारा न मत उन स हताब नयम का बोध होता ह जो आव यकतानसार समयmdashसमय पर वि तत कय जात ह क त ाचीन भारत म व ध का नमाण राजा अथवा रा य अथवा कसी व ध नमात सभा वारा नह होता था त काल न व ध समाज और उसक अनक स थाओ म च लत और

मा य उन अनकानक मा यताओ को कहा जाता था जो काल मानसार उनम वक सत होती थी और िजनका कसी भी यि त वारा कोई उ लघन अपराध माना जाता था राजा और रा य का क त य इतना मा था क वह इन उ लघन को रोक और सामािजक स थाओ वारा उनक त नि चत द ड स स ब अपरा धय को दि डत कर वह धम व तक अथात व ध णता या कानन नमाता नह था अ पत धम स थापक अथात व ध क समाज म थापना

( चलन) मा का उ तरदायी था

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ाचीन भारत म सार धम ( व धय ) का ोत अथवा मल वद ह वीकार कया जाता

था क त य mdash य समाज उसक और अ या य व भ नताए बढ़ती गयी व ध क और ोत भी बढ़त गय म तशा कार न त म त सदाचार यवहार याय श टाचार व भ न प क बीच होन वाल समय (समझौत ) दशधम कालधम जा तधम णीधम कलधम वणधम आ मधम गणधम न म तधम और साधारणधम और यहा तक क आपदधम को भी व ध क ोत म थान दया और व सभी क सभी अपनीmdashअपनी जगह मख वीकार कय गय कौ ट य जस अथशा कार न राजशासन अथात राजक य आ ाओ

अथवा नयम को भी उनम जोड़ा और उसक मतानसार य द व ध क व भ न ोत स ा त नदश म कह आपसी ववाद हो तो वहा राजशासन क ह मखता होती ह और अदालत म मकदम का नणय उसी क अनसार होना चा हए क त म तय म राजशासन क इस मह व को अ वीकार करत ह ए त न व ध को ह अि तम नणायक माना गया ह उदाहरण व प या व य म त का कथन ह क जहा यवहार और याय म अ तर हो वहा याय क मखता होगी और जब अथशा (राजक य शासना द) और धमशा ( म त

स तत व ध) म अ तर हो वहा धमशा ीय नयम का ह व तन मा य ह वा तव म व ध का व प कसी वधा नक ा प म नह अ पत सामािजक स थाओ

क मा यताओ म आब होता ह सामािजक सगठन यथाmdash ववाह उ तरा धकार स पि त समाज का नमाण करन वाल व भ न घटक क नजी और पार प रक काय और कत य आ दmdash व ध क वकास को नय त और नय मत करत ह उनम उ प न होन वाल प रवतन क साथ व धक मा यताओ एव आपरा धक और द डा मक नयम म अ तर होता ह ह कालधम दशधम जा तधम जानपदधम आ द व भ न कार क धम को भारतीय धमशा कार न जो मा यता द उसक पीछ व भ न सामािजक भद प रवतन और कालगत वकास को ह कारक वीकार कया जाना चा हए इस कार क प रवतन म आ थक कारण का भी मह वपण थान होता ह अत व ध क वकास म आ थक और सामािजक प रवतन क प ठभ म मख प स सामन आती ह म तय म ऋणादान अथात ऋण स ब धी मकदम को ह थम थान दया गया ह य ऋण कवल अथ मा स स ब न होकर सामािजक व प वाल (दवऋण ऋ षऋण और पतऋण आ द) भी थ तथा प कसी स लए ह ए धन उस पर दय जान वाल याज समय स उसक अदायगी वसा न होन पर द ड ऋण न चकान पर लगन वाल पाप व भ न वण स वसल कय जान वाल याज क अ तर आ द जसी बात क स ब ध म भारतीय व ध क वकास और प रवतन का अ ययन अपन म भी बड़ा ह मह वपण ह कौ ट य का समय आतmdashआत ाचीन भारतीय आ थक यव था बह त ह अ धक वक सत हो चक थी रा य अब एक सा ा य क प म प रव तत हो चका था और लोह क अनकानक प म यव त हो जान स खती का बह वध वकास हो चका था जनस या क व और नजन एव जगल थान पर नयी बि तय क बसान क आव यकताए महसस क जान लगी थी फलत अथशा म बाजारmdash नय ण म यmdash नय ण तौल बाटmdash

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माप आ द एव भ म और कर स ब धी अनक पचीद और रा यानशा सत यव थाओ ( व धय ) क दशन ा त होन लगत ह सब मलकर रा य का व प जनक याणी हो गया और कोई भी व ध अथवा रा यशासन रा य क इस जनक याणी व प क वपर त नह हो सकता था

192 व ध का वकास ाचीन भारतीय व ध क इस प रव तत और वक सत होत ह ए व प तथा उसक

अ या य ोत क उपय त भ मका क अन तर अब हम उस समय क अपराध स ब धी अवधारणाओ का वचार करना चा हए च क मानव जीवन पण नह ह मन य अपराधो मख हो ह जाता ह अ य त ार भक यग म दोषगण को पाप और प य मानकर पाप क लए ायि चत क वधान कय गय क त पाप क नवारण म ायि च त क भ मका पापकता वारा वत कय गय श काय मा तक सी मत थी और उसम रा य और समाज क

भ मका बह त अ धक नह थी क त आग चलकर व पन सामािजक त व और स थाओ क वकास क साथ पाप और ायि च त क थान पर अपराध और द ड क अवधारणाए प ट होन लगी ववक और ब वाद का ाधा य बढ़न क साथ परलोक क थान पर इहलोक और समाज क स ता बढ़न लगी फलत लोक शि त और रा यशि त क आय त का भी व तार हो गया और लौ कक सगठन मख होन लग

ऋत और धम पाप और प य क जो अ य त ार भक भाव थ उसम मन य वत ह दसर क त कोई दोष करन स वरत रहता था अन चत और उ चत क फल का स ब ध ई वर और सदाचार स जोड़ा गया धीरmdashधीर सदाचार क अवहलना ह अपराध माना गया और उसका उ लघन यि त समदाय या समाज क त अपराध वीकत हआ भारतीय इ तहास क प र य म अपराध स ब धी इन अवधारणाओ का वकास हम व दक यग स ह दखायी दन लगता ह तथा प यह कहना समीचीन नह होगा क उस यग म यवहार व ध ( स वल लॉ) न तक व ध (मॉरल लॉ) और व धक अपराध (ल गल ग ट) क क अलगmdashअलग प ट वभाजन हो चक थ क त स का यग आतmdashआत इन अवधारणाओ का वकास कछ प ट सा दखायी दन लगता ह अपराध को ोह क स ा द गयी और धमस म चोर क

अपरा धय को राजा क सामन उपि थत कय जान क सदभ ा त होत ह म तय स हत अ या य धमशा क यग का ारभ होतmdashहोत लौ कक वषय स स ब अनक कार क मानवmdashक त य और उन क त य क य तरक क यौरवार उ लख ा त होन लगत ह िजनस यह प ट ह क अब लौ कक व ध (सकलर लॉ) एक अ य त वक सत प म व यमान हो चक थी अब यवहार व ध ( स वल लॉ) और द डापराध व ध ( मनल लॉ) क अलगmdashअलग ाय नि चत कय जा चक थ मन म त वह थम धमशा ीय रचना ह िजसम यह भद प ट प स दखायी दता ह मन न 18 अलगmdashअलग शीषक म व भ न कार क अपराध को बाटा और उनक लए प ट द ड क यव थाए द आग क म तय न भी ाय उ ह क आधार पर अपनी अपराध स चया बनायी क त या व य म त म इनक

स याए और भी अ धक बढ़ जाती ह जो कालगत वकास म अप रहाय था बह प त म त (ग तयग) क अनसार कछ अपराध अनादयवाद क सची म आत ह िजनम राजक य यायालय

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म वचार नह कया जा सकता था ऐस ववाद या अपराध व थ िजनका व प कौटि बक अथवा वयि तक था अथवा व थ जो ग mdash श य प तmdashप नी पताmdashप अथवा वामीmdashसवक क आपसी यवहार स स ब ध रखत थ उनक नणय या तो कल क अदालत म होत थ अथवा पर परा मा य वधान वारा ऐस आपसी मामल वत ह सलझाय जात थ

म तय म अपराध क वभाव और ाय पण प स ि थर हो गय स दखायी दत ह उनक वग करण पर वण यव था क प ट भाव का दशन होता ह और उस कारण दि डत असमानताए प ट प स प रल त होती ह अपराध क एक स ा थी पातक और व भ न कार क पातक क प रगणन म तय क मख वषय बन गय व ण म त म अ तपातक महापातक अनपातक तथा उपपातक जस अलगmdashअलग कार क पातक क गनती क गयी ह व पातक यौन स ब धी प रवार स ब धी धमस ब धी अथवा व हत आचरण स ब धी य तरक अथवा दोष क लए वग कत कय गय और साथ ह उनक लए द ड क भी यव थाए द गयी

अपराध क वग करण म कह mdashकह वयि तक और कह mdashकह सामािजक भाव अथवा प ठभ म क दशन होत ह वद का व मरण ग क साथ धोखा माताmdash पताmdashप और अि नहो का याग कर दना न ष पय और खा यmdashपदाथ को हण करना अन चत सवा और पशा करना य व य श और गाय क ह या करना न ष व तओ को बचना जठ भाई क अ ववा हत रहत ह ए छोट भाई का ववाह करना आ द ऐस अपराध मान गय जो वयि तक म आत थ और उनक द ड अथवा ायि च त भी यि तगत आधार पर ह तय कय गय क त वणा म धम वारा मा य क त याक त य स स ब अपराध क पीछ सामािजक भाव प टत दखायी दत ह अनक कार क अपराध ऐस थ िजनम जा तब ह कार द ड प म व हत था क त धीरmdashधीर जब सामािजक उदारताए बढ़ती गयी तो जा तब ह कत यि त भी कछ कार क ायि च त को कर चकन क बाद पन जा त म सि म लत कर लया जाता था ईरानी यनानी शक यवन और ह ण आ द वदशी जा तय क भारत पर आ मण क फल व प अनक सामािजक प रवतन ह ए और सामािजक ग तशीलताए भी आयी वणा मधम क हमायती म तया जहा एक ओर उन स पक स समाज क र ा क लए चि तत दखायी दती ह वह उन स पक क भाव को वीकार कर नयी प रि थ तय क साथ मल बठान का य न करती ह ई भी दखायी दती ह उदाहरण क लए सामािजक यव था म वणसकट क स ा त का वग करण और वदशी जा तय क भारतीय ससग स उ प न नयी जा तय क उदय को धीरmdashधीर प टत वीक त द द गयी

अपराध व ध (लॉ ऑफ ाइम) का धीरmdashधीर बाद म ह वकास हआ मल व दक पर परा म वरदय अथात तप त वीकत थी य द कसी यि त क ह या कर द गयी तो उसक स बि धय को कछ धन द दन स उसक भरपाई हो जाती थी यह ि थ त धमस क समय तक बनी रह उनम व भ न वण क यि तय क ह या क लए अलगmdashअलग मा ाओ म गाय क म य प म (उनक स या पर आधा रत) तप त क यव थाए ा त होती ह mdashयथा य क ह या म 1000 गाय व य क ह या म 100 गाय और श क

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ह या म 10 गाय क दन क वधान ह इस कार क तप त म रा य स था क कोई य भ मका तो नह होती थी क त वह इन पव नधा रत नयम क पालन करान म कारक प म अव य व यमान रहता था क त ह याओ चोर और ीस हणा द जस अपराध को छपाना पी ड़त प अथवा अ य वारा उनक सचना रा य को न दना आ द भी अपराध मान जात थ और रा य इनक छानबीन करक स ब यि तय को द ड दता था बड़ा प ट ह क वरदय क साथ ह साथ द डस हता का वकास भी अव नह था कछ उप नषद और महाभारत म ऐस रा य को ह उ तम कहा गया ह जहा चोर न होती हो जहा कोई कायर और म यप न रहता हो और जहा कोई वर ( य भचार ) और व रणी ( य भचा रणी ी) नवास न करती हो

धमस का काल आतmdashआत (ईसा पव छठ mdashपाचवी शती स चौथीmdashतीसर शती क बीच) व भ न कार क सामािजक और यि तगत अपराध क प ट स चया तयार होन लगी थी इन स चय क नमाण पर राजा वद और वण क भाव प ट प स दखायी दत ह आग चलकर म तयग म अपराध क वशष या याए क जान लगी और दोष क हसाब स उनक वग करण कय गय उन दोष अथवा अपराध क व प और द यता म दश काल और प रि थ तय क भद क कारण स म अ तर कय जान लग रचनाकाल क ि ट स सव थम म त (मन म त ) म जन और बौ धम जसी अव दक धमपर पराओ क त वणा म और जा त क प र य म एक त या सी दखायी दती ह क त य mdash य वणा म और य वरोधी इन वि तय म श थलता आती गयी य mdash य मन क अनया यओ क कठोर वणधम ि ट म भी कमी आती गयी कौ टल य अथशा और या व य म त म इन वद वरोधी धम क त त या मक व प का अप ाकत बह त ह कम दशन होता ह

उपय त थ म अपराध को अलगmdashअलग शीषक अथवा वग म बाटा जान लगा अथशा वह पहला थ ह िजसम उ ह द वानी और फौजदार जस आध नक वध म वभािजत कया गया ह द वानी अपराध धम थीय नामक यायालय म दख जात थ और फौजदार क अपराध क टकशोधन नामक यायालय म दख जात थ इन दोन अदालत क धान यायाधीश को मश धम थ (अथवा यावहा रक) तथा द टा कहा गया ह द टा

और उसक अदालत कवल उपि थत वाद क मा स स ब न होकर प लस वभाग क काय क स पादन स भी स ब थी उन काय दो षय या अपरा धय का पता लगाना तथा उ ह अदालत म ल जाना सि म लत था

193 ववाद क कार मन म त म ववाद क 18 पाद क एक सची मलती ह क त वह मल mdashजल ह

ह आग या व य म त क यवहारा याय म अनक कार क मकदम का मश प चीस करण म एक व तत ववरण उपि थत ह जहा अपराध क वग करण उनक अनकानक भद

उन भद क हसाब स उनक द डभद आ द स वचा रत और भी अ धक व तत प म ा त होत ह उन सबको अलगmdashअलग व भ न भद क साथ द पाना यहा सभव नह ह अत उपय त सभी ोत क आधार पर ाचीन भारत क अपराध वषयक द वानी एव फौजदार क

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मामल क वग करण को एक समाहार क प म न नवत उपि थत कया जा रहा ह थमत धम थीय अदालत म आन वाल मकदम क सची उपि थत ह mdash 1 यवहार थापन सभी कार क स वद अथवा समझौत 2 सम यानयाकम सवा स ब धी करार (समय) 3 वा या धकार काम करान वाल मा लक क अ धकार 4 भतका धकार भतक (सवक ) क अ धकार और क त य 5 दासक प दास स स ब मकदम 6 ऋणादान कज क अदायगी क मकदम 7 औप न धक जमारा श या स पि त स ब धी मकदम 8 व त तानशय खर दmdashफरो त क मकदम 9 द त यानपाकम उपहार और दान आ द क मकदम 10 साहस चोर mdashडकती और ह या वाल मकदम 11 द डपा य कसी पर कय गय हमल स स ब मकदम 12 वा यपा य कसी क श द वारा बदनामी अपमान या गाल mdash

गलौज मकदम 13 धतसमा य जआ क खल स स ब मकदम 14 अ वा म व य िजस स पि त पर अ धकार न हो उस भी बच दन

स स ब मकदम 15 सीमा ववाद घर गाव खत भ म आ द क सीमाओ वाल वाद 16 वा तक घरmdashसहन आ द क वाद 17 व वा मस ब ध वा म व स स ब मकदम 18 ववीत पथ हसा फसल चरागाह सड़क आ द को नकसानmdashस ब धी

मकदम 19 ववाहधमmdash ीधन क प ववाह दहज ीधन आ द स स ब मकदम 20 सभयसम थान सहकार याmdashकलाप स स ब मकदम 21 दाय वभागmdashदाय म उ तरा धकार स ब धी मकदम 22 ववादपद नब ध व भ न कार क मकदम क कायवाह और

नयम क नधारण आ द क बात ाचीन भारतीय व धय mdash अपराध अदालत यायाधीश स य सा य सा य

मकदम क सनवाई द ड द ड कार द ड भद द ड क उ य द ड स वमि तओ आ द क स ब ध म सबस अ धक व तत यापक और वशष ववरण हम या व य म त म ह ा त होत ह उसका यवहारा याय नामक एक ख ड अपन लगभग प चीस करण म इन वषय का उ लख करता ह उन करण क शीषक अ धकाशत ऊपर दय गय शीषक जस ह ह क त उसक ववचन इतन यापक यौरवार व भ न प क िज मदा रय को बतात

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ह ए अपराध और द ड क ऐसी पणता स य त ह जो अ य कह भी कसी म त म नह ा त होत आग चलकर 11 वीmdash 12वी शता द म व ान वर न उस म त पर मता रा

नामक एक ट का लखी जो काला तर म ह द व ध क या या हत उस म त जसी ह मा य और ामा णक हो गयी त नसार यक यवहार अथात वाद या मकदम क चार पाद कह गय ह + पहला पाद ( म) वह ह िजसम वाद अपन वाद को यायालय म उपि थत करता ह वतीय पाद म तवाद उसका उ तर दता ह ततीय पाद म वाद अपनी ओर स उस उ तर का य तर दता ह अि तम (चतथ) पाद म सा य स अथात यायालय वारा नणय लया जाता ह एक जीतता ह और दसरा हारता ह वाद म तभ अथात जमानतदार और सा ी (गवाह) क प ट और यौरवार या याए हो गयी ह और उनक यो यताओ एव नय यताओ क ववरण ह क थत ह क साहस ( वष और श आ द स ह या) चोर कठोर भाषण दध दन वाल गौ क त महापातक ाण और धन क नाश तथा ीहरण या पर ी सग आ द क मकदम म तवाद को तर त उ तर दना आव यक ह क त अ य कार क मकदम म उस य तर क लए समय दया जा सकता ह तदन तर व भ न कार क अपराध का प रगणन ह जो द य बताय गय ह सभी कार क अपराध क

अलगmdashअलग द ड बताय गय ह सवा धक मह वपण एक उि त यह ह क य द वाद का न तारण करत समय व ध क म तसलभ व भ न ोत म आपसी ववाद और व भ नता हो तो यवहार ( व ध) क मकाबल याय ( ववकपरक ि ट) बलवान अथात नणयकार होता ह और भी क थत ह क य द धमशा और अथशा क नदश म अ तर हो तो धमशा ीय वचन ह माण वीकार कय जायग मकदम क न तारण म प ट माण ल खत द तावज वाद स स ब व त या स पि त का भोग और सा य क गवाह मश नणयकार होत ह य द इनम स कोई भी सा य उपल ध न हो तो द यद ड क सहार लय जा सकत ह मकदम को दखन क लय पग (सामदा यक स थाओ) णय और कल क अदालत क मा यता रा य अथवा राजा वारा वीकत थी और उ ह मक वर यताए द जाती थी अ य कहा गया ह क वाद सबस पहल गाव ( ामीण पचायत ) म सन जात थ आव यकता होन पर उनक सनवाई पर (अथात नगर य mdash कई सौ या हजार ाम क ऊपर) क अदालत म होता था वहा भी य द कसी प को याय न मल पान का स दह रह गया हो तो अ तत मकदम राजा क सव च अदालत म जात थ राजा चाह उ चत नणय द अथवा अन चत नणय द उसक ऊपर कोई सनवाई नह थी इन सार बात क वचार को या व य म त म साधारण यवहारमातका करण ( याय स स बि धत साधारण बात) क स ा द गयी ह

या व य म त वाद क व भ न पाद (वग करण ) म ऋणादान को थम थान दत ह ए ऋण पर याज क व भ न दर को माहवार और वा षक तौर पर नि चत करती ह जो मश वण मानसार घटती जाती थी समाज क व भ न काय mdash यवसायmdash यापार वदशी यापार सहकार उ यम आ द म जीवन क ाय सभी म धन क जो आव यकता होती थी उनक कज और सद पर उगाह स ब धी सामािजक आव यकता का उसम पर कार

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आकलन कया गया और उसक सद समत या कछ छट स हत ऋण ा तकता अथवा उसक प नी अथवा प mdashपौ वारा चकाय जान क ववशता द शत ह इसक अभाव म ऋणदाता अदालत क शरण लता था और ऋण लन वाला द ड का भागी होता था इसी कार आ ध (रहन) और उप न ध (धरोहर) स ब धी वषय स उ प न प रि थ तय (वाद ) क व तत ववचन ह िजनम बचौ लय या जमानतदार ( तभ) क उ तरदा य व क चचाए भी आती ह फौजदार (क टकशोधन) क काय क चचा व तत प म या व य म त म ा त होती ह क त उसका समाहार भी यहा द पाना असभव ह दाय वभाग करण वहा का एक वशष व य वषय ह िजसम या व य उ तरा धकार स ब धी अनक नय नयम का वतन करत दखायी दत ह उनक मा यता द वानी अदालत क लए अप रहाय थी गाव घर सहन खत आ द क सीमाओ स स ब तथा पशओ क वामी स पशपालन (चरवाह ) क स ब ध उनक पार प रक शत तथा उनका पालन न होन पर त ज य अपराध और द ड क ववचन भी वहा क वशषताए ह क टकशोधन नामक अदालत क अ धकार म न न वषय स स ब वाद आत थ ndash 1 का कवदहर ण mdash शि पओ और यापा रय क र ा स ब धी बात 2 गढ़ाजी वना र ा mdash अन तक काय म लग ह ए लोग का दमन 3 मानव काशनम mdash ग तचर वारा अपरा धय का पता लगाना 4 शका पकमा भ ह mdash वा त वक और स दहा पद अपरा धय क धरपकड़ 5 आशमतकपर ा mdash शव का अ य पर ण 6 सवा धकरणर ण mdash रा य क व भ न काय वभाग म अनशासन थापन 7 एकागवध न य mdash मन याग वशश को काटन वाल को द ड 8 श च द डक प mdash यातनास हत या यातनार हत म यद ड 9 क या कम mdash नाबा लक लड़ कय क साथ बला कार 10 वा यकमानयोग mdash श द वारा अथवा शार रक यातना वारा पछताछ 11 अ तचारद ड mdash फटकल अपराध का न तारण

क टकशोधन अदालत क अ तगत आन वाल वाद को य द समाहार अथवा समह प म उपि थत कया जाय तो उ ह न न ल खत णय म बाटा जा सकता ह थम छ कार क काय बह त कद आर ीबल अथवा प लस काय क णी म आत ह और व द टा क अधीन काम करन वाल प लसजन क अपराध स ब धी खोजबीन धरपकड़ और अदालत क स मख अपरा धय क उपि थ त स स ब थ अपराध कम हो और नाग रक सखपवक रह वा तव म यह उनका उ य था उपय त वभाजन क अि तम पाच काय ह वा तव म क टकशोधन यायालय क या यक याओ या याmdashकलाप म आत थ क त मलत व भी प लस

काय क भीतर ह समा हत थ इस कार इस अदालत क काय mdashसीमा बड़ी व तत तीत होती ह स पत उसक काय इन ल य क ओर उ ट थ क यापार और अ य यवहारगत लोग क समह साधारण जनता का शोषण न कर सक द ट स साधारण लोग क

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र ा हो सक और राजक य नौकर क यादती स भी सामा य लोग क र ा क जाय इन काय क उ चत स पादन हत रा य को एक मजबत नौकरशाह रखना एव एक अ य त ह ससग ठत ग तचर वभाग क आव यकता थी शव क अ यपर ण स ब धी चलन स भी यह स होता ह क उन दन स क त क एक उ नत शखर पर भारतीय समाज आ ढ़ हो चका था

194 यायालय क टकशोधन यायालय म तीन कार क द ड दय जात थ व थ अथद ड कायद ड

और ब धनद ड राजक य स पि त चरान वाल क सजाए (अथद ड) अ य त ह कठोर होती थी इन जमान क रकम का व प और उनक मा ा चोर क गयी व त या स पि त क मा ा क अनपात म घटतीmdashबढ़ती रहती थी अदालती या अ य अपलख म धोखाधड़ी और जालसाजी क लय द ड बड़ कठोर थ उनक द ड व प शार रक अग का व छद अथशा क रचना क बह त पव स ह ाचीन भारत म अनशा सत था क त कौ ट य क ि ट इस स ब ध म बह त ह उदार दखायी दती ह तथा प वह कहता ह क रा य ोह र नवास म अन धकत प म घसन जगल जा तय और श ओ को राजा क व भड़कान तथा दग रा और सना म अस तोष फलान वाल को अि न स जला दना चा हए अपन श ि च क प नामक करण म वह वधद ड अथात फासी क सजा का उ लख करता ह क त इस द ड क पीछ भी दो कार क भद कय जात थ य द दोषी क दोष म नदयता अथवा रता भी सि म लत रह तो उस वधद ड दत समय यातनाए द जाती थी क त ऐसा न होन पर फासी यातनार हत होती थी य द कसी मारपीट अथवा सघष म एक प का कोई यि त घटना क 15 दन क बाद मरता था तो उस दशा म उस म य क कारक अपराधी को वधद ड न दकर कवल अथद ड मा स म त कर दया जाता था कसी यि त क शर र पर चोट वारा घाव कर दन अथवा कसी गभपात का कारण बन जान वाल अपराधी को भी कवल अथद ड मा दना होता था कसी अ य को वष दन वाल प ष को डबाकर मारा जाता था और ी अपरा धय को यातना स हत म यद ड दया जाता था नाजायज यौन स ब ध या बला कार क दोष भी क टकशोधन म ह नपटाय जात थ इस स ब ध क कछ दोष ववाह स ब ध स भी उ त होत थ ाचीन भारत म जहा तक अपरा धय को यातना दन का न ह भारतीय और योरोपीय व वान म इस वषय पर बह त ह अ धक मतभद ह ऐसा लगता ह क यातनाए कवल उन अपरा धय को द जाती थी िजनक दोष अ यत मा णत हो चक होत थ यातना अ भय त स जबरद ती अपराध कबल करान का कोई घ णत उपाय नह थी

व भ न कार क द ड म एक कार था द य द ड का िजसक अनकानक तर क धमशा म बौ थ म तथा यवान वा ग क या ाव ता त म हम ा त होत ह क त म तय क अनसार कसी मामल म जब कोई प ट माण ल खत (आल य) मि त (व त

या स पि त क भोगा धकार) एव घटना का च मद द गवाह नह होता था तभी द य द ड क सहार इस बात का पता लगाया जाता था क अ भय त सचमच दोषी ह या नह द यद ड क व भ न कार पर शर र क अथवा उसक अग वशष क प थर आग अथाह जल गम

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तल जलत ह ए तव आ द वारा दबाय जान डबाय जान अथवा डाल जान जसी ऐसी यातनाए थी जो वा त वक प म बबरता क सीमा तक पह च जाती थी क त सभी ाचीन समाज म सव ह ाय ऐसी मा यताए व यमान थी क य द अ भय त वा तव म दोषी नह होगा तो ई वर उसक साथ रहगा और वह इन यातनाओ स भी बना कसी घाव हा न या म य स ब कल ह अछता नकल जायगा कौ ट य न इस उपाय को बह त उ चत नह माना और ऐसा तीत होता ह क य अ य त आ दम समाज क या यक थाए थी जो मश समा त हो

गयी अथशा क अनशसा ह क रा य क ग तचर वय राजा या यायाधीश को ग तवश म अथवा अ य ग त कार वारा वा त वकता का पता लगाना चा हए और यातनाओ का योग नह करना चा हए यह न कष नकाला जा सकता ह क द यद डद ड क व भ न कार म एक कार क यातनामय द ड ह थ न क अ भय त क दोषी अथवा नद ष होन

को जानन वाल उपाय कायद ड अथात शार रक द ड क अनक कार थ यथाmdashकोड़ लगाना र सी स लटका

दना बत लगाना अग लय क जोड़ को जलाना दागना अथवा पानी म डबाना आ द इ ह यावहा रककम क स ा द जाती थी रा य ोह अथवा ष य जस अपराध म तो य यातनाए बारmdashबार न य त ह द जाती थी इनका उ य कवल यह तीत होता ह क व अपराधो मख लोग को अपराध याओ स वरत करन म कठोर उदाहरण का काम कर और दखन वाल लोग इतन भयभीत हो जाए क उनम स कोई जघ य अपराध कर ह नह

क त य द ड एकाि तक अथवा स ब दोष म सभी अ भय त क लए अप रहाय नह थ उदाहरण क लए नाबा लग लोग और ि य को व हत कायद ड क अप ा उनक आध द डमा स छोड़ दया जाता था जो ी गभवती हो अथवा स य सता हो उस तो कायद ड अथवा शार रक यातनाए द ह नह जाती थी छोटmdashछोट अपराध (म दापराध) भी का यक यातनाओ वाल द ड स ब कल ह म त थ ठ क इसी कार जो अ भय त व बालक ण म त नशाय त भख यास या थक होन क अव था म कोई अपराध कर दत थ अथवा वसा कर चकन पर उस न सकोच वीकार कर लत थ उ ह का यक द ड स वम त कर दया जाता था साधारणतया ा मणवण अपराधी घोर अपराध क बावजद भी म यद ड स बर रख जात थ और उसक बदल उनको दश नकाल का द ड दया जाता था

यायालय म नणय सरसर तौर स नह अ पत पर जाच पड़ताल क बाद ह कय जात थ यायाधीश अथवा राजा वारा वय भी अ भयोग म माण क पर छानबीन तो क ह जाती थी ग त प स वष बदलकर अथवा ग तचर वारा भी अस लयत का पता लगाया जाता था दोष हर कार स पर तरह मा णत हो जान पर ह द ड दय जात थ द ड क स ब ध म कछ प ट प स नि चत कय ह ए स ा त थ जसा पीछ हम दख चक ह उनम एक यह था क जब तक अपराध पर तरह मा णत न हो चका हो द ड नह दया जाता था वतीयत यह यव था थी क अपराध क तलना (मा ा) (अपराधान पम) म ह द ड दय जाय ध नक क लए ायः धनद ड क यव थाए थी और श ट कार क दो षय को शाि दक ताड़ना अथवा ध द ड मा ( ध कारन) क थाए थी दो षय क

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दोषान प और उनक सामािजक ि थ त क आधार पर ह द ड दन क अनशसाए म तय म ा त होती ह क थत ह क राजा को छोट कार क दो षय अथवा बड़ कार क दो षय म

अ तर करत ह ए पहल तो वाणी स ताड़ना (वा द ड) करनी चा हए पनः ध कारना ( ध द ड) चा हए तदन तर धनद ड अथात जमान करन चा हए तथा अ त म बह त वशषापराध क ि थ त म फॉसी क सजा सनानी चा हए य द ड तथा कभीmdashकभी बत मारन या दागन आ द क द ड कवल इस लए दय जात थ क व अपराधी म शम और प चाताप का भाव उ दत कर और वह वय ह अपन दोष क लए अपन को लि जत महसस कर

ाचीन भारत क या यक या म एक कमी यह बतायी जाती ह क उस समय अ भय त क वण म क वचार स ह द ड दय जात थ और इस कार व ध और याय क ि ट म सभी यि त बराबर नह थ उदाहरण क लए ह या क मामल म भी ा मण फासी

पर न लटकाय जाकर कवल दश नकाल क द डमा स दि डत कय जात थ इसक अ त र त अ य मकदम म भी एक ह कार क अपराध क लए ा मण को िजतना द ड दया जाता था उसस दगना य को चौगना व य को और आठ गना द ड श को दया जाता था म तय क अ या य लखक न तो इस यव था को तपा दत कया हो कौ ट य जसा श भौ तकवाद क अथशा म ा मण को वधद ड स वमि त दता ह यवानmdashवा middotग क उि तय स यह प ट ह क यह कवल कोरा स ा त मा नह था अ पत यवहार म भी हष जस व य राजा वारा भी मा य कया गया था उदाहरण हत कनौज क स धमसभा क पा डाल म आग लगाकर जब ा मण न यवान वा middotग को मार डालना

चाहा (उसी क या ाव त क अनसार) और हष का भी वध कर दन क योजना बना डाल तो भी उनका (500 ा मण का) दश नकाला ह हआ उ ह फासी नह द गयी अ य वदशी या ी भी ा मण को वधद ड न दय जान वाल इस स ा त क पि ट करत ह क त यह नयम एकाि तक था ऐसा तीत नह होता डाmdash अन त सदा शव अ तकर न ऐस उदाहरण और धमशा ीय वा य का सा य दया ह जहा यह क थत ह क कई कार क जघ य अपराध म ा मण को भी शार रक द ड अथवा फासी द जाती थी

195 द ड या ाचीन भारत म द ड स ा त द ड क व प द डभद दाि डक क उ तरदा य व तथा

दाि डक वमि तय आ द क अवधारणाओ का वकास मश ह हआ जसा क हम पीछ दख चक ह अ य त ार भक अव था म सामािजक याय क स ा त का न तो वकास हआ था और न दोष अथवा अपराध कसी यि त वशष क त न होकर समाज क त वीकार ह कया जाता था अ य त ारभ म कसी क त कोई अन चत यवहार (गाल ह या हसा आ द) कवल वयि तक वीकार कया जाता था और क ट पाय ह ए अथवा उसक प रजन वारा क ट दन वाल क त कछ तशोधा मक अथवा बदल का काय दोष का अि तम प रहार वीकार कर लया जाता था इस ह व दक थ म वरदय कहा गया ह भारतीय सा ह य

क यह भी मा यता ह क मलत यि त साि वक था और ऋत अथवा धम (सामािजक याय) क भावना क साथ सारा समाज चलता था धम ह उस समय द ड था उस समय

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न तो राजा था और न रा य न द ड था और न दाि डक सभी लोग धम वारा पर पर एक दसर क र ा करत थrdquo क त काला तर म तमस और र स क वकास क साथ मा य याय क ि थ त उ प न हो गयी और जस तालाब म बड़ी मछल छोट मछल को खा जाती ह वस ह सबल लोग नबल को खान अथात सतान लग अत इस ि थ त क अ त क लए राजा रा य और द ड क उ पि त ह ई यह माना गया क द ड ह वह राजशि त ह िजसस भयभीत होकर लोग अ याचार अपराध और दोष स वरत रहत ह यह द ड का ह भय था क लोग एक दसर क त धमाचरण करन को ववश ह ए जब सार द नया सोती थी तो यह द ड जगा रहता था और इसक कारण ह द ड को धम कहा गयाrdquo द ड म दम (दमन) क शि त का ायोजन हआ और राजा इस दम (दमन) शि त का तीक हो गया क त इसका यह मतलब नह क राजा द ड क योग म व छाचार अथवा नरकश हो गया अ पत उसक ऊपर भी व ध का नय ण था पत कया गया तथा प द ड का उ य समाज म यथाि थ त बनाय रखना मा था इसम प रवतन अथवा वकास का कोई थान नह था समाज जसा था उसक जो भी मा यताए और स ाए थी व वास और पर पराए थी द ड उ ह वसा ह बनाय रखन मा का उ तरदायी था वह प रवतन का कारक न होकर सामािजक ि थ त क यथा व का स थापक मा था वह वग (धम अथ और काम) का र क और पोषक था मन म त का समय आतmdashआत द ड और व ध क एका मकता था पत हो गयी उसका कथन ह क प व यि त दलभ ह घणा वष ई या आ द वि तय स मन य म वाथ और सघष क उ पि त ह ई और मा म याय क कारण धम क मयादा न ट होन लगी ऐसी ह ि थ त म धमस थापना और ा णमा क क याण क लय मा न मतजोमय द ड क उ पि त क राजा उसी द ड का तीक था क त वह भी धम ( था पत नयम ) और द ड क ऊपर नह था य द वह द ड का योग धमपवक नह करता ह तो वह भी वय द ड का भागी होता ह क थत ह क महातज वी दधर द ड स राजधम यत राजा सकट ब न ट हो जाता ह इस कार मन क अनसार द ड क शि त यि त समाज और राजा सभी स ऊपर ह अत यव था यह थी क राजा वारा दय जान वाल द ड अपराध क अन प (यथापराधद ड) ह और उनम म यम माग का ह अवल बन कया जाय द ड न तो बह त मद ह और बह त ती ण या कठोर ह ह कौ ट य न प पातपण वाथ क वशीभत होकर शि तसचय क लोभ स अथवा कसी भी कार क लालच स रत होकर दय जान वाल द ड को द णीतद ड कहा ह

ाचीन भारतीय द ड स ा त क एक अ य वशषता यह भी थी क उसम अपराध अपराधी प रि थ त वण जा त समाज आय यि त व दश काल आ द क प रि थ तय को वीकार कया जाता था उस आधार पर द ड दन वाल राजा या यायाधीश को अपन ववक क योग हत बह त बड़ा अवसर ा त हो जाता था इस आधार पर वह अनक दो षय को उनक अपराध स वम त भी कर सकता था अथवा अनश सत द ड क मा ा को घटा सकता था इस कार क दाि डक वमि तया सधारा मक द ड स ा त का अग बन गयी उदाहरण क लए 80 वष स अ धक क व ी रोगी तथ 16 वष स कम आय वाल बालक

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क लए व हत द ड को आधा कर दन का वधान और योग था 21 वष स कम अव था का ग कल म रहन वाला बालक राजा क स मख या अदालत म द ड दन हत नह ल जाया जा सकता था उस ग वारा नि चत ायि च त मा स अपन अपराध क द ड स मि त मल जाती थी ह या चोर डाका वा पा य आ द अपराध म वण मानसार द ड मश आध होत जात थ तथा प ऐसा नह कहा जा सकता जसा क कछ म तय क वचन ह क ा मण म यद ड स सवदा ह म त थ गभपात करान वाल और ा मणी को श वारा

मारन जस अनक अपराध ऐस थ िजनम ा मण अपराधी को भी वधद ड दया जाता था यह यव था या व कय म त पर लखी ह ई व व प क ट का स प टत ात होती ह

द ड क उ य क अनसार उनक कई कार हआ करत थ ारभ म द ड का व प तीकारा मक (बदला) था जो बह त कछ यि तगत तशोध का तीक था क त समाज क वकासो मख अव थाओ क साथ जब अपराध कवल एक यि त क त कया गया दोष न माना जाकर समाज क त दोष माना जान लगा तो धीरmdashधीर द ड क इस तीकारा मक व प का हास होता गया मश उसक नरोधक व प का वकास होन लगा और द ड का

उ य यह हो गया क उनक मा यम स समाज म अपराध क स या को बढ़न स रोका जाय इस प ठभ म म द ड का व प नरोधक हो जाता ह और दमन भी सधारमलक हो जात ह उ चत द ड सधारा मक ह होता ह िजसम उ पी ड़त और उ पीड़क दोन क ह अ धकार पर उ चत मा ा म यान दया जाता ह अपराधी को सामािजक क याण क ि ट स और उसम यि तगत सधार लान क उ य स द ड या धीरmdashधीर सरल मद और सधारा मक हो जाती ह द ड का उ य कवल इतना मा होता ह क उसस अपराधी क मन म वत प चाताप और ल जा क भावना उठ और वह पन अपराध माग पर व त न हो

अपरा धय म सधार लान हत ब धनागार अथवा जल म उन पर जल अ धका रय वारा वशष यान दए जात थ इस ब धनागार क उ लख मन म त अथशा और

श नी त जस सभी थ म ा त होत ह प ष और ि य क लए अलगmdashअलग जल क यव थाए तो नह थी क त एक ह जल म व अलगmdashअलग अव य रख जात थ वहा अनशासन इतना कठोर था क य द कोई प ष अपराधी कसी ी अपरा धनी का शीलभग करता था तो उस म य क सजा द द जाती थी अथशा म जहा जल म ब द अपरा धय क यवहार और काय स ब धी नयम दय गय ह वह जल क अ धका रय (ब धनागारा य ) क भी उ तरदा य व और काय क ववरण ह य द जल स कोई भाग जान क को शश करता था तो उस म य क सजा होती थी और उस काय म य द जल का अ धकार उसक मदद करता था तो उसक सार स पि त रा य छ न लता था और वह अपनी नौकर स बाहर कर दया जाता था बि दय क लए सम चत भोजन और पानी क ब ध कय जात थ और इनक आप त म य द कह य तरक यवधान या लापरवाह होती थी तो ब धनागारा य दि डत होता था यक ब द एक ह थान पर रोज रखा जाता था और ब धनागारा य क अनम त क बना उसम कोई प रवतन नह हो सकता था

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जल म अपराधी को कसी भी कार तग करन वाल या क ट दन वाल यि त को सम चत द ड दया जाता था अपरा धय क कछ नि चत क त य काय और यवहार नि चत थ व बीमार और वकलाग स कोई भी काम नह लया जाता था क तजो अपराधी व थ और जवान थ उनस अनक कार क काम लय जात थ ी अपराधी नओ स सत कातन का काम लया जाता था स प म व आलस और म खीमार म अपना समय नह बता सकत थ साधारणत य अपराधी अपनी सजा का भोग कर चकन पर तो छोड़ ह जात थ कभीmdashकभी उसक पव भी छोड़ दय जान थ क दय को छोड़ जान क ऐस अवसर थ राजा का रा या भषक राजा वारा कसी नय दश क वजय यौवरा या भषक राजा का ज म दन अथवा आकाश म कसी शभ ह क दशन का दन इनक अ त र त जो बह त ह बढ़ रहत थ बीमार पड़ जात थ बालक थ अनाथ हो जात थ अथवा जल म बह त ह अ छा यवहार करत थ व सभी अपना द डकाल परा करन क पव ह छोड़ दय जात थ अशोक न अपन अ भलख म कई बार क दय क छोड़ जान का उ लख कया ह आय त और राजको को उसन जल का सवदा नर ण करन और अपन ववकानसार क दय को समय स पव ह छोड़ दन क आ ाए द रखी थी

ाचीन भारतीय द ड या क एक वशषता यह भी थी क राजा अथवा उसक ओर स नय त यायाधीश को मनमानी ढग स या सरसर तौर पर द ड दन का कोई अ धकार नह था म तय का तो यहा तक कहना ह क य द राजा वय कोई गलती कर तो साधारण अपराधी क तलना म उस एक हजार गना अ धक जमाना दना होगा यवहार प म यह कतना च लत था इसक कोई प ट जानकार तो नह ह क त इसस इतना तो प ट ह ह क राजा भी व ध स पर नह था वह कानन का वय नमाता नह था उस धमशा अथशा लौ कक नयम जातीय नयम एव सामदा यक (कल णी सघ पग आ द) नयम क आधार पर ह वाद का नणय करना पड़ता था और उनम च लत द ड वधानो क मता बक ह अपरा धय को द ड दना होता था कौ ट य न अथशा म यायाधीश क यवहार और आचरण स ब धी अनक न तक सीमाओ का उ लख कया ह त नसार उ ह सभी क त समानता और बराबर क यवहार वाला वनयम स प न और आदरय त तथा धोखाधड़ी स ब कल ह श य होना चा हए जो यायाधीश वय वा यपा य (गाल अपमानजनक श द न दा अपमानजनक याओ) आ द का दोषी पाया जाता था उस वसा ह दोष करन वाल अ य अपरा धओ क मकाबल दगना द ड दया जाता था जो अ भय त को डाट अपमा नत कर अथवा वाद mdash तवाद [ और गवाह को अदालत स नकाल द उसक लए साहसद ड क यव था थी यह द ड उसक लए उस समय भी था जब वह जो पछना चा हए उस न पछ जो नह पछना चा हए वह पछ कछ पछकर उस पन अन त रत होत ह ए भी छोड़ द वाद mdash तवाद mdashसा ी को अपनी ओर स कछ सखावmdashबताव अथवा उ ह पछल बात का मरण कराव स प म वादका रओ आ द को कसी भी कार तग करन पर यायाधीश दि डत होता था अथशा क अनसार य द कोई यायाधीश उपय त दोष का दबारा दोषी

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पाया जाता था तो उस अपन पद स हटा दया जाता था घस लन का स दह होन पर भी उ ह ग तचर क मा यम स पकड़न क को शश क जाती थी और व नकाल दय जात थ

यायाधीश क लए इन यव थाओ क कारण यायmdash वतरण म कह भी कोई गलती या अ तचार नह होता होगा इसक क पना सहज ह क जा सकती ह ऊपर क ववचन स यह भी प ट ह क ाचीन भारतीय यायपा लका कायपा लका (राजा और राजशासन) स बलकल ह वत थी और उस पर धम अथवा व ध क अ त र त अ य कोई भी दबाव नह था राजा वय व ध क अधीन था व ध क पर नह अदालत म शि तशाल और कमजोर दशवासी या वदशी वादकता और तवाद सबको एक समान सर ण और यवहार ा त था याय क मामल म दास और उनक वा मय क बीच भी कोई अ तर नह कया जाता था

तथा प ाचीन भारतीय याय व ध का एक दोष यह दखायी दता ह क व ध क स मख सबक पर बराबर नह थी और वण म क आधार पर कभीmdashकभी एक ह दोष क लए ा मण को कम द ड मलता था और अ य वण को अ धक तथा श को तो सवा धक द ड दया जाता था

196 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म व ध क वकास क ववचना क िजए (150 श द) 2 ाचीन भारत म ववाद क कतन कार थ (200 श द) 3 ाचीन भारत म द ड क व प पर ट पणी ल खए (200 श द)

197 सदभ और पठनीय थ 1 डी ह रहरनाथ पाठ ाचीन भारत म अपराध और द ड 2 रामच द तार

म ास व व व यालय ह द एड़ म न टव इ ट यश स

3 अन त सदा शव अ तकर वाराणसी

टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया

4 अन त सदा शव अ तकर इलाहाबाद

ाचीन भारतीय शासन प त

5 वरदराजाचार लखनऊ व व व यालय

ह द य रस ड स

6 या व य म त और ट का

मल भाषा मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

7 डा कमलश भार वाज ाचीन भारत म रा य एव व ध पाइटर जयपर 1999

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इकाई mdash 20 ाचीन भारत म स नक सगठन ( ार भ स 1200 ई∙)

इकाई क परखा 200 उ य 201 तावना 202 ाग तहा सक एव व दक काल म स नक सगठन 203 महाका य स ात स नक सगठन 2031 रामायण 2032 महाभारत 204 महाजनपद का यग 205 मौय स नक सगठन 2051 मग थनीज व णत स य यव था 2052 अथशा व णत स य यव था 206 श गकाल न स य सगठन 207 सातवाहन स नक सगठन 208 शकmdashकषाण स य सगठन 209 ग तmdashस ाट का स नक सगठन 2010 वधन का स नक सगठन 2011 चोलmdashस नक सगठन 2012 चाल यmdashस नक सगठन 2013 राजपतकाल न स य यव था 2014 साराश 2015 अ यासाथ न 2016 सदभ थसची

200 उ य इस इकाई म हम ाचीन भारत क स य सगठन का अ ययन करग इस इकाई क

अ ययन क प चात आपको न न त य क जानकार ा त हो जायगी mdash भारतवासी अपनी सर ा क त कब जाग क ह ए ाचीन काल म सना क अग कौनmdashकौन स थ या उ सना का अग थ व भ न काल म कौनmdashकौन स श काम म लाय जात थ यह रचना एव ग तचर क सबध म स त जानकार

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201 तावना ाचीन काल म भारतीय समाज कलmdashकबील म बटा हआ था व दक काल क

अि तम चरण तक रा य का पण प स वकास हो चका था ऐतरय और ति तर य ा मण तक आतmdashआत रा क क पना भी हो चक थी दश म भोज वरा य और सा ा य आ द व भ न कार क रा य थ

ाचीन भारत म रा य क सावयव स ा त क क पना क गई ह य क लोग रा य को एक सजीव सह त मानत थ रा य एक सजीव एका मक स था क प म वीकत था और स त क तय स य त था स ताग रा य क क पना ाचीन भारतीय च तक क अनसार एक जी वत शर र क क पना ह िजसक सात अग होत ह इसी लए भी म न रा य को स ता मक शीषक स पकारा ह इस कार रा य एक ऐसा अवयवी ह िजसक सात अवयवmdashअग होत ह सभी रा य शा ी रा य क सात अग क नाम इस कार गनात ह mdash वामी अमा य जनपद दग कोश द ड और म इनम सभी अग एक दसर स अ धक

मह वपण ह रा य क र ा हत दग और द ड (सना) अ त आव यक होत थ द ड या बल याmdash सना पर दश क र ा का भार रहता ह सना को श स सि जत होना अ नवाय था राजा क लय आव यक था क वह उसका उ चत सगठन कर उसक श ण एव साजmdashसामान क यव था कर

अब हम व भ न काल म भारतीय स नक सगठन एव उसक य प त पर वचार करत ह

202 ाग तहा सक एव व दक काल म स नक सगठन (3000 ईपवmdash6000 ईmiddotपव)

(अ) ाग तहा सक काल मन य क पश धरातल स उठन क प चात उस स य होन म सह वष लग इस

यास का ल खत इ तहास उपल ध नह ह स य होन क इस द घ काल को आ दम पाषाण कालmdashपव पाषाण काल उ तर पाषाण काल और धात काल जस शीषक म बाटा जाता ह आ दम पाषाण काल म उसक सर ा उपकरण व एव उनक डा लय थी वह प थर क बड़ ख ड बचाव क लए काम म लता था कर ब 6 लाख वष पव क पव पाषाण और फर पाषाण काल म उस भोजन एव सर ा क च ता ह ई इस लए उसन बड़ प थर तोड़कर कछ पन ह थयार बनाय जो वाटज प थर क ह होत थ क त अब उनम व वधता कशलता और सौ दय ि टगोचर होन लगा धात यग म मानव न शकार हत श का योग श कया इस काल क ह थयार कड़ ती ा और थायी होत थ

मानव स यता क ठोस माण स धघाट क स यता म पाय जात ह इस काल को ता mdashपाषाण कहकर पकारा जाता ह इस स यता क ारभ म अवशष मोहनजोदड़ो ( स ध क लरकाना िजल म) हड़ पा (पजाब क मो टmdashगोमर िजल म) च ह दड़ो और नाल ( बलो च तान) स ा त ह ए थ इ ह ढढ नकालन का य राखालदास बनज और दयाराम

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साहनी को ह बाद म गजरात राज थान पव पजाब स भी स धव स यता क व तार क जानकार मल ह

हड़ पा तथा मोहनजोदड़ो म उ खनन क दौरान गढ़ मल ह जो उनक सर ा यव था का ह अग रह होगी यहा मोट द वार सर ा हत ह बनाई जाती थी हड़ पा म सर ा द वार आधार पर 1219 मीटर चौड़ी और 1065 ऊची थी इसका नमाण म ी स होता था फर उस पर प क ट लगा द जाती थी ारि भक अव था म ट क द वार क पीठ सीधी बनाई जाती थी क त बाद म असर ा क आशका स उस तयक बना दया गया सर ा ाचीर क अ दर 6 मीटर स 76 मीटर ऊचा चबतरा बनाया जाता था गढ़ (दग) क द वार

पर कछ दर पर बज बन थ जो द वार स अ धक ऊच थ ह लर न गढ़ क थाप य पर वशष काश डाला ह इस कार स धव क स नक सगठन क तो नह अ पत उनक सर ा यव था का कछ सकत उ खनन स अव य मलता ह माशल न इस काल म परश प रघ कटार धनष बाण गदा ढकवास व वसकार यम का उ लख आयध क प म कया ह चम वम एग ल ाण क बनावट श प म व णत ह तलवार का उ लख नह मलता (ब) व दक काल

व दक काल म रा य पी स था का वकास हो चका था व दक सा ह य क आधार पर आय क स नक याकलाप पर भी वचार कया जा सकता ह जनप त राजा कहलाता था और बाद म उसका पद वशानगत हो गया था ऋ व दक काल म स य यव था क छटmdashपट सदभ ह मलत ह जस य काल म राजा को लट स जो धन ा त होता था उसम स कछ स नक को भी दया जाता था ऋ वद म सनानी का उ लख मलता ह वह राजा क आ ानसार य म काय करता और सना का लड़ाई म मागदशन करता था य क लए श ाय बाण नषग तलवार और भाल होन का उ लख अस अ तकर न कया ह राजा और उसक स नक सरदार चलखत (वग या कवच) पहनत थ और घोड़ पर सवार होकर य करत थ सामा य सपाह पदचार होत थ

ऋ वद म य व या स ब धी कई म मलत ह शासक अपन व वासपा यि तय वारा श क शि त क जानकार ा त कर लता था श स र ा हत दग बनाय जात थ द य राजा पवतीय म दग बनवात थ वप ी य म ि य को आग कर दत थ ि या भी य म भाग लती थी माया य का भी चलन था य पव स नक को महो सव आयोिजत कर उ ह अि तम दम तक लड़न क श ा द जाती थी दव सना क सदभ म वमान अ व रथ क सना का उ लख मलता ह य म जीतन पर वजयो सव मनाया जाता था ऋ व दक काल म दाशरा अथात दश राजाओ न सघ बनाकर भारत क राजा सदास स य कया इस य म आय राजाओ क अलावा अनाय शासक न भी भाग लया यह य ऋ व दक आय क स नक वकास का उदाहरण ह व वा म दाशरा सगठन क नता थ और तप म सदास क नता व श ठ थ

ऋ वद म कहा गया ह क दग लोह (आयसी) प थर क ल बmdashचौड़ और गऊओ स भर ह ए होत थ इ को पर दर कहा गया ह अनक म म सनाप त श बर क पर और दग क वस का उ लख मलता ह इस काल म च क सक जो य म सहायक होत थ व

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वय भी शरवीर और य स नक होत थ यो ा क अ यि ट या स मानपवक होती थी ऋ व दक काल म पदल रथ घोड़ और हाथी क चतर गनी सना होन का उ लख रामद न पा डय न कया ह कहा जाता ह क ऋ व दक काल म गध भी रथ म जोत जात थ (ऋ वद mdash 1349) स भवत सना म सवहन आयात क लय रथ नाव घोड़ हाथी और ऊट काम म लाय जात थ एक सदभ म ववरण आया ह क मन साठ हजार और अयत (दश हजार) अ व बीस सौ ऊट दस सौ घो ड़य और दस सह गाय को ा त कया ह (ऋ वद mdash 98637)

उ तर व दक काल म वशाल रा य का नमाण ार भ हो गया था इस काल म य क लए सना को बज तथा बाण उपल ध करवान का उ लख अथववद म आया ह सना क यक अवयव सग ठत थ अथववद म कहा गया ह mdash ह इ हमार लय स ाम म श को तथा उसक पतना (सना) को मार य म द या का योग जार था स नक शर ाण शरोव टन व ा कवच शर र वसन स प र चत थ आयध म परश क हाड़ी बछा बलम म गर और धनषmdashबाण व य त होत थ इस काल म व या ाि त हत वषय क सची म व या या स नक व या को भी सि म लत कया जाता था इस काल म रि न क प म सनानी का उ लख मलता ह इस कार उ तर व दक काल म चतर गणी स नक यव था जार थी

रि नय क सची म सनानी क अलावा सत का नाम भी मलता ह अ तकर क अनसार वह रथ सना का नायक था और स मान क लय राजा क सारथी का पद हण करता था रि नmdashप रष म रथकार भी मह वपण सद य था आर एस शमा न रथकार और सत को एक ह यि त माना ह सना म रथ और अ व पर अ धक यान दया जाता था य य प य य म पदा त स नक ह अ धक मार जात थ क त सना का सव च सनाप त राजा ह होता था स य क सफल एव यश वी सचालन क कारण ह इ दवताओ का राजा बना इसका उ लख ऐतरय ा मण म मलता ह वस इस काल म ामीण क हाथ म भी कछ स नक अ धकार थ अथववद म वीर क तलना गण स क गई ह जो य म सहायता क लय बलाय जात थ गण तगामी अ व और अ mdashश स सि जत तीत होत ह उ तर व दक काल म भी धनषmdashबाण मख आयध थ राजा क अ भषक

स कार म भी उस धनषmdashबाण दन क बाद उसका प रचय दया जाता था उपय त ववरण क आधार पर कहा जा सकता ह क उ तर व दक काल तक आय न अपनी स नक यव था को एक नि चत व प दान कर दया था ता क व उ तर भारत म अपना रा य आसानी स व तत कर सक

203 महाका य स ात स नक सगठन 2031 रामायण

वा मी क रामायण भारतीय रा य शा का म य थ ह उसस ाचीन भारतीय स नक सगठन स य सचालन य णाल और स नक श टाचार क जानकार मलती ह

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कौसल रा य म स य वभाग का नदशन वय राजा अपन अमा य क सहायता स करता था य घोषणा या सि ध का अ धकार राजा को ह था लकाप त रावण क य प रषद म स य वभाग क मनी क बार म कहा गया ह क उस श क बल क पण जानकार होनी चा हए उन दन नगर दग प म बनाकर उनम श का भ डारण कया जाता था इन दग म तहखान भी बन होत थ सर ा हत नादय पावत व य और क म कार क दग बनाय जात थ

सना म चार भाग होत थ mdash पदल (पदा त) घड़सवार रथी और गजारोह इस लए उस चतरग बल कहा जाता था स नक क भी चार णया थी mdash म बल आट व बल भ य बल (वत नक) और वष बल (श को छोडकर आय ह ए) पदल सना दो भाग म वभ त थी mdash तलवार भाल स लड़न वाल और धनषmdashबाण स लड़न वाल स नक स नक क हाथी घोड़ क दखभाल हत अ वब ध और कजर ह नय त कय जात थ लका य म रा स क साड पर बठकर य करन का ववरण मलता ह प रसारक सना क आग जाकर आवागमन का माग बतात तब लगात और पल बनात थ खा य साम ी तथा अ य आव यक सामान ल जान वाला दल अलग होता था सना क पीछ यापार स नक क ि या तथा दास वग रहता था

सना य को सनाप त या सनानी कहा जाता था उसक अधीन कई बला य mdash अप त होत थ राजा और सनाप त य प रषद क सलाह स काय करत थ स यmdashअ धका रय का चयन उनक यो यता क आधार पर कया जाता था सना का सबस व वसनीय अग वह था िजसम कलmdashप होत थ दशरथ तथा रावण क सना म कई कल प उ च स य पद पर नय त थ

अयो या म स नक का अपना अलग वग था व य कहलात थ जब क लका और कि क धा म यक प ष स नक था

स नक को साम दाम द ड तथा भदनी त का ान रखना पड़ता था लका क स नक ाय ववा हत होत थ ता क सना म ि थरता बनी रह सक स नक को समयmdashसमय पर

वतन एव पर कार दय जात थ राम न भरत स पछा था mdash क स नक को दन क लए नयत कया हआ सम चत वतन और भ ता तम समय पर द दत हो दन म वल ब तो नह करत य समाि त पर स नक को उपहार दय जात थ लका य क बाद राम न वानर को र न दन का आदश वभीषण को दया

स नक भड़क ल व प हनत सरापान करत और अपन साथ पालत पश भी रखत थ अयो या क स नक वलासी थ उनक सवा करन क लए दा सया नय त थी य समा त होन पर दोन प क स नक वर भाव भलाकर मलत थ

सना म अनशासन कठोर था समय पर उपि थत न होन पर स नक को कठोर द ड दया जाता था पीठ दखान वाल स नक को मार डाला जाता था राम वय कठोर अनशासन वाल थ सभी वानर उनक अनशासन स डरत थ

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य म अपन वामी क लए ाण यौछावर करना प य का काय माना जाता था ि य य म भाग न लन वाल शरणागत को मारना पाप था नश म चर ि य स घर श पर आ मण नह कया जाता था ाय श क कमजोर का लाभ उठाकर उस पर आ मण कया जाता था श वारा नि चत माग न मानन पर ह सना आ मण करती थी य अि तम उपाय था इस लए सभी उपाय वफल होन पर ह आ मण कया जाता य टालन हत राजदत यास करत थ ग तचर सना का आव यक अग थ वषा काल म साम रक तयार थ गत रहती थी क त य काल म सना एक कर उसस तयार करवायी जाती थी सना याण करत समय माग म श वर लगाती थी

सना का अ भाग मधन कहलाता था जब क दायmdashबाय भाग पा व और म य भाग क या उरस कहलात थ याण म यान रखा जाता था क शासक राजा सर त रह

सना क पड़ाव क समय छावनी क नगरानी क यव था क जाती थी सना यह रचना पर आ मण करती थी यन सची वज शकट मकर द ड प आ द म य यह थ राम को ग ड़ यह अ धक पस द था ाय बाह मि ट व व और गदा य कय जात थ य म कलाबाजी पर ह हारmdashजीत नि चत होती थी य म तलवार (अ स ख ग ऋि ट कार क ) धनष बाण म गर पर वध परश च बछा शल क अलावा शत नी श का योग कया जाता था स नक कवच धारण करन व वध कार क बाण का योग कर अ भ ष त बाण क सहायता स य करत थ राम को अपनी इसी स नक यव था क आधार पर रा सराज रावण को परािजत करन म सफलता ा त ह ई

2032 महाभारत

महाभारत म भी म न स ताग रा य का एक अग द ड माना ह व द ड क दो व प मानत ह mdash काशद ड और अ काश द ड काश द ड सना अथवा बल ह िजसक

भी म न आठ अग मान ह सना क आठ अग इस कार ह mdash रथारोह गजारोह अ वारोह नौकारोह पदल और वि ट भारवाहक) चर और उपदशक अ काश द ड क अ तगत भी म का ता पय उन उपाय एव साधन क योग स ह िजनक वारा ग त व ध स श का अ त कया जाता ह अ काश द ड क अनक भद ह जस mdash जगम और अजगम चण योग व और भोजन म वष मलाकर श का ाणा त करना महाभारत म सना क सगठन उसक श ण य कौशल सना क अ धका रय और कमचार गण पर कछ काश डाला ह इस

काल म गज का मह व कछ कम हो रहा था उन दन ध व दग यह दग ग र दग मन य दग म तका दग और वन दग

बनाकर रा य र ा का ब ध कया जाता था िजसम सना क मह वपण भ मका होती थी रा य र ा अ नवाय ह क त भी म य को उ चत नह मानत थ व उस ववशता का साधन मानत थ व तो कहत ह क राजा को बना य कय ह ए ह वजय ा त करनी चा हय य द लोकर ा काय म बाधा उपि थत हो तो य ार भ करना चा हय राजा को व ध अनसार न द ट थान एव समय पर य श करना चा हय रा य ल सा वर शोधन

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न म त य कर ाणी वध करना गलत ह य म तण हण कर शरण आन वाल ी बालक व घायल सवक पर हार नह करना चा हय

जो यि त स नक बनना चाहता था उस वष तक य श ा लनी पड़ती थी स नक को वतन कछ नकद तथा कछ अनाज क प म दया जाता था नारद न स नक को समय पर वतन दन क बात य धि ठर को कह थी

सना म यक अग म 10 मन य पर 100 पर और 1000 पर एक अ धकार नय त होता था महाभारत य म 18 अ ौ हणी सना न भाग लया था

महाभारत स ात होता ह क प तक ग मप त गणप त वा हनीप त पतनाप त अनी कनीप त और अ ौ हणी प त mdash य आठ सना धकत क पद थ (आ दपव) एक हजार यो ाओ का अ धकार आध नक कनल क समान था सना क सभी अग क अलगmdashअलग अ य पर सनाप त होता था वह यह तथा आयध का ाता होता था य क दौरान ग ड़ यह च यह अधच यह और ौच यह का योग कया जाता था सना म नौका जासस और वि ट (मालवाहक) भी मख अग थ सना क साथ बाण तथा आयध को गा ड़या पर कर ल जाया जाता था द शक अ गामी द त क सद य होत थ पदल सना क ह थयार ढाल और तलवार थ कछ अ य ह थयार क नाम भी महाभारत म मलत ह mdash ास (भाला) परश (क हाड़ी) भ द पाल तोमर ऋि ट और श ल आ द ख ग एक छोट तलवार थी गदा का उपयोग व व य म कया जाता था हि तय म भी गदा काम म आती थी घड़सवार तलवार एव भाल रखत थ घड़सवार कई बार नीच उतरकर बाह य भी ार भ कर दत थ पदा त कवच धारण करत थ रथी और हाथी क यो ा कवच प हनत थ

य हत अ व फारस तथा अफगा न तान स और हाथी व याचल स मगाय जात थ हाथी को स ड तक ब तर पहनाया जाता था स नक धनषmdashबाण का उपयोग करत थ कई बार बाण म का योग करक चलाय जात थ जो अि न वषा तथा व यत उ प न करत थ रथ क वजा पर कछ वशष च न बन होत थ रथ 2 4 8 प हय वाल होत थ अजन क रथ पर वानर का च अ कत था रथ का थान प रवतन बाण क वग को रोकन क लए कया जाता था धम य क नयम दोन प पर लाग होत थ कट य भी महाय का आव यक अग था महाभारत म वमान वारा आ मण क भी क पना मलती ह उन दन अ ौ हणी सना म कतन स नक होत इस स ब ध म सी बी व य लखत ह mdash एक गज एक रथ तीन घोड़ पाच पदल स एक पि त होती ह 3 पि तय का एक सना मख 3 मख का 1 ग म 3 ग म का 1 गण 3 गण क एक वा हनी 3 वा हनी क एक पतना 3 पतना क 1 चम 3 चम क 1 अनी कनी और 10 अनी कनी स 1 अ ौ हणी सना बनती थी इसका हसाब करन पर अ ौ हणी म 21870 रथ उतन ह हाथी 65610 घोड़ और 109350 पदल होत थ क त यह ववरण उ चत तीत नह होता

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204 महाजनपद का यग (600 ई पव स 325 ई पव) छठ शती ई पव स जब भारत म ब और महावीर जस महाप ष का आ वभाव हआ

भारतीय इ तहास का ऐ तहा सक यग ार भ होता ह इस शता द म जनपद महाजनपद म प रव तत हो चक थ िजनका उ लख पा ण न क अ टा यायी भगवतीस पद और अगतर नकाय म मलता ह अगतर नकाय क अनसार भगवान ब क समय जो महाजनपद व यमान थ उनक नाम इस कार ह mdash अग मगध कासी कोसल वि ज म ल च तय (च द) व स क पाचाल म य सरसन अ मक अवि त ग धार और कबोज इनम स चार कोसल व स अवि त और मगध शि तशाल महाजनपद थ उन दन वि ज म ल और शा य मख गण या सघ थ पा ण न न इ ह वाता श ोपजीवी तथा राजश दोपजीवी कहकर पकारा ह

अवि त ब काल का सवा धक मह वपण जनपद था यहा का राजा च ड योत था च ड तथा महासन उसक उपा ध थी वह एक महान सना का अ धप त था मि झम नकाय क अनसार बि बसार (मगध) प अजातश न उसक डर स अपनी राजधानी राजगह क ाचीर को सर त करवाया था उसन ग धार नरश प कसा त पर आ मण कया क त असफल रहा अवि त क तरह कोसल नरश सनिजत भी महान यो ा था िजस अजातश (मगध नरश) स दो बार य करना पड़ा सनिजत क समय रा य म एक मख पद महासनाप त का होता था ब थल म ल इस पद पर नय त था बाद म द घकारायण को इस पद पर नय त कया ब क सम जान हत सनिजत न अपन राज च न छ ख ग मकट आ द द घकारायण को स प थ द घकारायण उ ह तथा सना को लकर ाव ती चला गया और व डभ को राजा घो षत कर दया व स जनपद क शासक उदयन क स ब ध म ात होता ह क उसक पास हा थय क सना थी उसक श च ड योत वारा लकड़ी क

अ व म 60 स नक छपाकर रखन का उ लख मलता ह हष क यद शका म उदयन क क लग वजय का ववरण आया ह इसी कार वि जसघ और अजातश क सघष का भी उ लख मलता ह

ब बसार वय यो य सनाप त था उसन सना क सहायता स ह अग जनपद पर वजय ा त क थी उस समय सना धकार सनानायक कहलाता था

अजातश का वि जय स ल ब समय तक सघष हआ उसन सर ा क ि ट स गगा क कनार दग नमाण करवाया और पाट लप को अपनी राजधानी बनाया ध मपद अ कथा क अनसार परािजत अजातश को वजयी कोसल नरश सनिजत न वत करक सना रा य और विजरा नामक प ी ववाह म द अजातश न वशाल पर आ मण सयणक नामक हाथी क लय कया राजा य म वजय हत छल का सहारा भी लत थ जब अजातश को वि ज सघ पर वजय नह मल तो उसन छल बल का योग करत ह ए अपन मनी व सकार को भजकर उनम फट डलवा द उधर पाट लप दग का नमाण होत ह ल छ वय पर आ मण कर परािजत कर दया बौ थ महाप र न बानस त म इस यह रचना का ववरण मलता ह जन थ क अनसार इस य म अजातश न महा शलाकटक (िजसस बड़mdashबड़ प थर श

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पर फक जा सकत थ) और रथमसल ( वचा लत यम य त रथ) यम (जो श ओ पर मसल क वषा करता था) का उपयोग कया गया

अजातश क प चात मगध स ाट महाप क सना का ववरण मलता ह व णपराण क ट काकार उसक नाम का अथ अस य सना का वामी या अप र मत धनरा श का वामी माना ह क टयस क अनसार उसक सना म 20000 घड़सवार 200000 पदल 2000 चार घोड़ वाल रथ और 3000 हाथी थ अि तम न द स ाट धनन द न भी स नक स ता को बनाय रखा उसक स नक शि त क चचा सक दर तक पह ची थी च ग त मौय को न द को परािजत करन हत कड़ा सघष करना पड़ा था इस कार जनपद यग म चतर गणी स नक यव था कड़ा पालन कया जा रहा था पा ण न न सना क अग क सनाग क प म या या क ह

सना म रथ का योग इस काल म जार था पदल अ व और गज सना का अपना वशष मह व था अ व स नक तलवार तथा ढाल स लड़त थ स नक तथा अ व कवच धारण करत थ जो लोह न मत होता था पा ण न क ववरण स सक तत ह क ऊट सामानmdashलान ल जान क काम आत थ ाय पदा त स नक य होत थ पदा त स नक िजस श स लड़त थ उसी क नाम स जान जात थ अ सक शतानीक धान क आ द पदा तय क नाम थ पा ण न न अ तथा श का व तत ववचन कया ह जो श पर फक जात थ व अ और जो हाथ म लकर लड़ जात थ श कहलात थ उन दन तलवार क हाड़ी धनष भाला और बछ मख श थ

जनपद यग म राजत रा य क अलावा कई गणरा य भी थ य गणरा य हम ब काल न भारत सक दर क आ मण क समय और फर सम ग त क समय ि टगोचर होत ह य गणरा य कभी जा तय और कभी सघ क प म मलत ह व वान न गणरा य क इ तहास को दो ख ड म बाटा ह थम mdash मौयकाल स पव लगभग 325 ईmiddot पव तक वतीय mdash मौय तर काल न लगभग 175 ई पव स 325 ई तक बीक सरकार उ ह तीन

ख ड म बाटत ह पहला mdash600 ई पव स 450 ईmiddot पव दसरा ndash 350 ई पव स 300 ई पव और तीसरा mdash 150 ईmiddot पव स 350 ईmiddot तक पहल कालख ड म यारह गण या सघ रा य थ यथा क पलव त क शा य म थला क वदह वशाल क ल छवी दसर काल ख ड म प तल मालवmdash क अ ब टई आगल सोई और नसाइ थ तीसर कालख ड म मालव यौधय क न द और वि ण सघ थ जो गणरा य आयधजीवी थ उनका यवसाय श चलाना था राजश दोपजीवीन सघ म शासक राजा क उपा ध धारण करत थ श ोपजीवी सघ शा कला को भारत म जी वत रख ह ए थ मालव और क समदाय स य कौशल क लय व यात थ सक दर को भारत क कई गण जा तय स सघष करना पड़ा था िजनम कठ जा त उ लखनीय ह सक दर का सामना मालव और क जा तय क सघ न भी कया िजसक पास 90000 पदल 10000 अ वारोह और 900 रथ थ अ ब ट समदाय क पास 60000 पदल 6000 अ वारोह और 500 रथ होन का उ लख यनानी लखक न कया ह ब क समय क पलव त का शा य गण और वि ज सघ उ लखनीय थ वशाल वि ज सघ क राजधानी थी इसम

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ल छ व वदह ा क आ द जा तया सद य थी य गण रा य सभागार क सहायता स शासन चलात थ गणरा य म राजन क नीच उपराजन सनाप त और भा डा रक होत थ गण य या सि ध स ब धी काय एक मन स नि चत होकर ह करत थ उनका राजधानी क र ा हत खाइया बनवान दग और बज बनवान का उ लख मलता ह ग तचर श क ग त व धय क सचना एक त करत रहत थ ाय पता अपनी क या का ववाह उस यि त स नह करत थ जो श प और य व या म नपण न ह सक दर न क क तर त ब (SharpmdashWitted) क शसा क ह गणरा य क अ धक जा स नक थी व लोग अ त समय तक वीरतापवक लड़त रहत थ दभा य स गणरा य क स नक सगठन क स ब ध म व तत जानकार का अभाव ह

205 मौय स नक सगठन (321 ईपव स 181mdash180 ईपव) न द वश क पतन क प चात भारत म मौय वश का अ धकार था पत (321 ई पव)

हआ च ग त मौय को पाट लप पर (मगध) अ धकार करन हत न दवशीय स ाट धनन द स य करना पड़ा था िजसम उसक सना न अपना य कौशल द शत कया िजसका उ लख म ल दप हो म मलता ह ि लनी क अनसार च ग त क सना म रथ क अ त र त 6 लाख पदा त 30000 अ वारोह और 9 हजार हाथी थ य य प ि लनी न च ग त मौय क रथ क स ब ध म कछ नह लखा ह क त डायोडोरस और क टयस क अनसार उनक स या 2000 लटाक क अनसार 5000 थी कौ ट य अथशा स अनक कार क रथ का उ लख मलता ह त मल का य स मौय क सा ा मक रथ क जानकार मलती ह

सना म स ाट ह धान सनाप त होता था उसक सना थायी थी और स नक को नकद वतन दया जाता था कौ ट य न अथशा म कोष और द ड या बल को वशष मह व दया ह कोष स ह सना या बल खड़ा कया जा सकता ह इस लए कोष और बल को व व त यि त क अधीन रखना चा हए ि लनी तथा ए रयन न रथ क अलावा पोत एव नौ सना का भी उ लख नह कया ह जो मौय सना क दो भावशाल अग थ

2051 मग थनीज व णत स य यव था

मग थनीज क अनसार मौय सना क 6 अग थ िजनका ब ध 30 सद य क एक महास म त करती थी जो द 5mdash5 सद य क 6 उपस म तय म वभािजत थी सना का काय पथकmdashपथक स म तय वारा सचा लत होता था थम स म त नौmdashसना का ब ध करती थी वतीय स म त सना क आव यक साम ी रसद पशओ क लय चारा का ब ध करती थी इसम रणभर और वा य बजान वाल तथा घोड़ क सईस एव श पी आ द सि म लत होत थ तीसर स म त पदल सना क लय थी चौथी स म त अ वसना क लय थी पाचवी स म त रथ सना क लय थी छठ स म त हि त सना का ब ध करती थी

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2052 अथशा व णत स य यव था

कौ ट य अथशा स मग थनीज क ववरण क पि ट होती ह कौ ट य क अनसार सना क यक वभाग का पथक अ य होता था जस mdash प या य (पदल सना य ) अ वा य (अ वसना य ) रथा य (रथ सना का अ य ) ह या य (हि त सना य ) और नवा य (नौ सना धाना य ) सना को सामान पह चान वाला वभाग वि ट कम वभाग कहलाता था इस वभाग म श पी मजदर भ य आ द श वर माग सत कप का ब ध करत न दय का नर ण करत स नक य आयध अ mdashश और खा य साम ी

सना को पह चात थ कौ ट य क अनसार आध नक रड ास क तरह मौय सना म भी एक वभाग च क सा स वधा दान करता था च क सक सना क साथ आव यक दवाइय स हत उपि थत रहत थ इसम ी प रचा रकाए प ष को लड़न क लए उ सा हत करती रहती थी पदल सना क वग

कौ ट य क अनसार पदल सना क 6 वग थ िजनक नाम ह mdash मौल (राजा क नजी पतक सना) मतक ( कराय क स नक) णी (य व श स आजी वका चलान वाल स नक) म बल ( म रा य क सना) अ म बल (श रा य म भत क गई सना) अटवी बल (अटवी दश म रहन वाल जगल जा त क लोग क सना) कौ ट य इनम राजा क पास रहन वाल मौल सना को सव ठ बतलाता ह य क वह राजा क व म व और उसक य म अपना य समझती थी उनmdashम य चर स या म होत थ सना और वण

सना म ा मण य व य और श वग क लोग भत कय जात थ कौ ट य य को ह ठ स नक मानता ह वह ा मण सना को अ छ नह मानता श उन पर

वजय करक काब पा सकता ह सना क अ धकार

दस रथ और दस हाथी क अ धकार प दक कहलात थ आर क मकज का मत ह क एक प दक क नीच 10 हाथी 10 रथ 50 अ वारोह और 200 पदा त रहत थ इस गणना म यक 10 प दक अथात 100 हाथी 2000 पदा त 500 अ वारोह और 100 रथ पर एक स नक अ धकार नय त होता था िजस सनाप त कहत थ दस सनाप तय क ऊपर एक नायक नय त होता था महासनाप त का पद परो हत यवराज क समक होता था उस 48000 पण वतन मलता था नायक को 12000 पण हाथी घोड़ और रथ क अ य को 8000 पण मा सक वतन मलता था म य क बाद सना क व भ न अग क अ य को 4000 पण रथ हि त और अ व श क को 2000 मा सक वतन दया जाता था महासनाप त

सनाप त वह हो सकता था जो सब कार क आयध का योग और चतरग बल (हाथी घोड़ा रथ और पदल) को ठ क ढग स सचा लत करन म स म हो उस यह ात रखना ज र था क अ भयान क लय कौनmdashसा समय उपय त होगा दग पर कस सफलता

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ा त क जाए श दल क एकता कस भग हो सकती ह वह पताका क नाम पर सना क यह का नाम रखता और सना क य ा यास क यव था करता था नायक

वह महासनाप त क बाद दसरा अ धकार था उसक नीच 10 सनाप त होत थ वह अपनी सना का म खया था अ भयान क समय माग म सना क लय उपय त क धावार बनान क काय क दखभाल करता था नायक क बाद पदल घोड़ हाथी और रथ सना क म य और उसक बाद चतरग सनाओ क अ य होत थ आर क मकज का वचार ह क सना क म य और अ य शायद रण क अ धकार न होकर कवल कायवाहक अ धकार थ क त कौ ट य अथशा म घोड़ रथ हाथी और पदल सना क अ य का जो ववरण दया ह उसस सक तत ह क उ ह सना क श ण का परा ान था इस लए उ ह कायवाहक अ धकार नह माना जा सकता रथ हाथी और घोड़

मग थनीज क अनसार य म जात समय रथ को बल खीचत और घोड़ र सी पकड़कर ल जाय जात थ रथ क साथ पा व म दो यो ा बठत थ य म हाथी पर चार सवार बठत थ तीन धनधर स नक और एक महावत धनधर म दो पा व स और एक प ठ भाग स तीर चलाता था हाथी घोड़ क लय राजक य शालाए और श क लय आयधागार बन ह ए थ यक स नक को अ mdashश श ागार को और हाथीmdashघोड़ राजक य शालाओ को लौटान पड़त थ कौ ट य का मत ह क य म राजा क वजय म यत हा थय पर नभर ह फर भी घोड़ सना क आव यक अग थ हा थय को उप थान सवतन सयान वधावध हि तय स ाम और नारायण (दग तोड़न) क श ा द जाती थी ह या य हा थय हत सब कार क यव था करता था हाथी क लग दशारण अपरा त सौरा पचनद तथा क स दश स मगाय जात थ हाथी क तरह घोड़ को भी नय मत श ा द जाती थी घोड़ को व ताकार चलन धीर चलन लाघन चौकड़ी भरन 1 सकत समझन क श ा द जाती थी उसका पण ववरण भी रखा जाता था घोड़ का बोज स ध पजाब अरब बाह लक सौवीर स मगाय जात थ इसी कार पदा त स नक को भी नय मत अ यास करवाया जाता था अ तmdashश

यनानी लखक तथा कौ ट य अथशा स मौय सना क अ mdashश क जानकार मलती ह यनानी लखक क अनसार धनषmdashबाण कडप शल सौ नया और ास म य श थ भारतीय धनधर क नशान को ढाल स रोकना क ठन था अथशा म सना क श का उ लख मलता ह उनक नाम ह mdash सवतोभ जा (प थर फकन वाला) बह मख (चार ओर मख वाला) सघा ट (आग लगान वाला ड डा) यानक (च पर रखा द ड फकन का य ) पज यक (पानी का य ) दवद ड (क ल का द ड) पाञचा लक (ती ण फलक) मसल यि ट (लकड़ी क शल) हि तवारक (हाथी हटान वाला) गदा शत नी (क ल वाला थल त भ) शि त (लोह का आयध) शल (तज मखद ड) कपण (बाण) तोमर (शर क आक त वाला चारmdashपाच हाथ ल बा ह थयार) इस हथगोला भी कह सकत ह चार कार क धनष सना काम

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म लाती थी िजनक नाम ह mdash कामक कोद ड ण और धनष धनष क डोर मवा सन बास क बनती थी बाण का शर लोहा तथा बास का बनाया जाता था

स नक तलवार परश कठार कदाल आ नया और लौह कवच का योग करत थ हाथी अकश स नय ण म रख जात थ सि नधाता आयध रखन क लय आयधागार बनवाता था आयध बनवान का काय आयधागारा य करता था वह श क रखmdashरखाव क भी यव था करता था दग का ान

मौयकाल म शासक को दग थाप य का पण ान था व कलब द करत और स ढ़ दग का नमाण करवात थ दग क आसmdashपास जलmdash ला वत सरग खाइय और चल दग वारा वशष प स बनाय जात थ य क समय दग क माग काट स ढक दय जात थ श परािजत करन क उपाय

खल य स पव ( काश य ) श को पड़ौसी राजाओ स मलकर दबान का यास कया जाता (मन य और कट य ) कई बार श को बहका कर उसक स पि त न ट कर द जाती ग तचर जा को उकसान का काय करत थ व श राजा क रा य म आ मण क अफवाह भी फला दत कई बार राजा श क रा य क दग म रा म या क धावार म ग तचर भजकर उस वष श अि न तथा घात स न ट कर दता था सघभद डालन हत ग तचर नतक व या गा यका वधवा को काम म लया जाता था सब य न असफल हो जान पर स मख य या काश य छड़ा जाता था सना का अ भयान

श रा य क स पण सचना एक करक ह उसक व याण कया जाता अ भयान म सबस आग नायक म य म रा नया राजा पा व म अ व राजा क अगर क अ त म हि त सना तथा साम ी ल जान वाल दल होत थ अ भयान क बाद सना जहा पड़ाव डालती उस क धावार कहत थ श वर म शराब और जआ नषध था राजा काश य स पव सना को य करन क लए उकसाता था श राजा का वध करन पर स नक को ो साहन रा श भी द जाती थी य हत कई कार स यह रचना क जाती थी वजय क

बाद राजा श क लट गई स पि त को सना तथा म राजाओ म बाट दता और वय यनाश हण करता वजता राजा श दश क जा को कर म त कर दता मि दर म पजा

करता और वहा क व वान का आदर करता था

206 श गकालन स य सगठन (181mdash75 ईmiddot पव) मौय क पतन क प चात श ग का मगध पर अ धकार था पत हआ उनक

रा यकाल म ाय मौयकाल न स नक यव था जार रह मन म त स श ग क राजनी तक आदश क जानकार मलती ह श ग स ाट प य म अि न म और वस म उ च को ट क सनानी थ अपन स नक बल क आधार पर ह उ ह न यवन को परािजत कर व दक धम को पनज वन दान कया था

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श गकाल न भारत म स य वभाग क य शासन का मह वपण अग था यवन क अनवरत आ मण न श ग को एक ससग ठत और अनशा सत वशाल सना रखन क लय बा य कर दया था स ाट सना का सव च अ धकार होता था तथा प सनाप त सना पर पण नय ण रखता और उस य ा यास करवाता था य घो षत करन का अ धकार स ाट को ह था सनाप त को नह सनाप त को स ाट क आ ा का पालन करना पड़ता था

य सदव य त प स करना अ छा समझा जाता था राजा को स मा नत यो ा क क त य का पालन कर नपसक न श तट थ भ ना तmdash व त लोग पर घात करन स बचन क सलाह मन न द ह वह वष शला ग त अ आ नय श क य म योग क सलाह नह दता सि चदान द पाठ (शोधाथ ) क अनसार श गकाल न सना चतर गणी थी क त मन म त इस मत स असहमत ह

मन न द ड क बा य प को सना अथवा बल माना ह उसन सना क 5 अग बतलाय ह जो इस कार ह mdash रथसना अ वसना नौmdashसना हि तसना और पदलसना सना का छठा अग भारवाहका द होत थ इस कार श गकाल म सना क 6 अग होत थ मन का मत ह क समरभ म म रथ और अ वसना को य करना चा हय पानी क थान म हि त औन नौ सना को व mdashलताओ स घर थान म धनष स और क टका द र हत भ म म ख ग चमा द आयध स (पदल सना) वारा य करना चा हए मन का वचार था क भारत म जलवाय एव भ म क उपज यान म रखकर य घोषणा का नणय करना चा हय राजा को अपनी वजय स नि चत करक ह य ार भ करना चा हय सना क गमन क स ब ध म यह यव था थी क अपन मल (पर और रा ) क स यक र ा क यव था कर और य या ा क सम त साम ी का सम चत ब ध कर ग तचर को माग म नय त कर तीन कार क माग (सम वषम जल य) और षडगी बल क साथ शा व ध स धीरmdashधीर श क पर क ओर गमन करना चा हय मन न राजा को सना टो लय म वभ त कर द ड यह सकट यह वराह यह मकर यह सची यह ग ड़ यह म स कसी एक यह का चयन कर य करन क सलाह दत ह उन दन श को कमजोर करन क लए उसक रा को घर कर उस उ पीड़न करन का यास कया जाता था श को रा क समय वशष ा सत कया जाता था लट का म य माल वजता राजा तथा सामा य माल स नक को ा त होता था

207 सातवाहन स नक सगठन (30 ईmiddotmdashपव mdash 190 ई) क व वश का शासन सशमा क प चात मगध पर समा त हआ इसक प चात लगभग

28 ई पव म समक (आ ) का शासन ार भ हआ ना सक क एक लख क अनसार आ (सातवाहन) का महारा पर अ धकार था उसका रा य पव और पि चम सम क म य पर फला हआ था सातवाहन वश म गौतमी प सवा धक स शासक हआ सातवाहन क शासन यव था क स ब ध म आर एस शमा का मत ह क िजस शासन प त का उ ह न वकास कया उसक क त वदशी थी जब तक उनक स नक यव था का न ह राजा तो उसका सवसवा था ह महा सनाप त भी एक मख अ धकार था िजस हम शासन प लखन का काय करत ह ए पात ह स भवत अ य कमचा रय क तरह स नक को नकद

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वतन दया जाता था स नक को कसी थान पर ठहरान पर उनका खचा कसान स वसल कया जा सकता था मज क बात यह ह क सातवाहन अ धका रय क पि नया भी महासनाप ल और महातलवार जसी उपा धया धारण करती थी महासनाप त और महातलवार व द शायद स नक याण म यो यता दखलान वाल साम त धारण करत थ ततीय शती ई वी क एक अ भलख स सक तत होता ह क गौि मक कमारद त सातवाह णकार क शासक महासनाप त क दनाग का अधीन थ था सातवाहनकाल न अ भलख क आधार पर च भान पा डय न मत य त कया ह क उनक शासन प त म स भवत सना गोप (सना य ) तथा अ वावारक का भी मह वपण पद रहा हो गौि मक ग म धान होता था और ई वी सर क ारि भक शताि दय क अनसार ग म म नौ पि तया अथात कल मलाकर नौ रथ 27 घोड़ और 45 पदल स नक होत थ प ट ह क इस काल तक रथ का उपयोग समा त हो गया था मन क अनसार दो तीन पाच या सौ ाम क बीच एक ग म रखा जाना चा हए डल स और सना क मलmdashजल प वाला यह द ता प ट ह ा य क नकट रहता होगा वहा वह राजशि त का म य तीक था ामीण म ग म नय त करन क माण उस म मलत ह जहा ततीय शती ई वी म सातवाहन का शासन था

महासनाप त स नक क साथ कछ अस नक काय म भी हाथ बटात थ सकथकर का मत ह क सातवाहन काल म स नक अ धकार भ साम त होत थ इनक अधीन थ इ ह जागीर क प म मल ह ए थ आर एस शमा का वचार ह क यह अनमान सह हो या गलत ल कन य शासक क प म स नक अ धका रय क नयि त क था अशोक क जनपद शासन स ब कल भ न ह ामीण म सना क उपि थ त स ऐसा लगता ह क व स नक अ धकार जा स मनमाना यवहार करत ह ग स नक चाट कहकर पकार जात थ क त स नक दान दय गय गाव तथा खत म वश पान स व चत थ

सातवाहन अ भलख म स नक श वर क पयाय कटक और क धावार जस श द मलत ह स भवत यक आहार (जनपद) का अपना कटक होता थ गोवधन आहार म बनाकटक इसका उदाहरण ह धनका कटक भी कसी आहार स जड़ा कटक था वजय क धावार स शासन प जार करन क पर परा का वकास सातवाहन काल म ार भ हो

गया था

208 शकmdashकषाण स य सगठन (5 ईmiddot पव स 390 ईmiddot) मौय सा ा य क पतन क प चात भारतीय राजनी त म यवन का ादभाव हआ

यवन क शि त कमजोर होन पर उसका लाभ शक न उठाया और लगभग 71 ईmiddot पव उ ह न भारत म वश कया उनक भारत म वश करन का ववरण कालकाचाय कथानक म व तार स मलता ह शक न भारत म अवि त सरा पजाब स ध लाट मथरा और महारा पर अ धकार था पत कया

शक न धान प स यनानी शासन प त को अपनाया था उ ह न भी सय त शासन प त को जार रखा शक क ा तीय शासक य कला म न णात होत थ उनक स नक प त क स ब ध म वशष जानकार नह मलती गाग स हता क अनसार उनका स नक शासन ार भ स ह व वस करन वाला था शक यो ाओ क या त द ण म

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ीपवत तथा आ दश तक पह ची थी गाग स हता म कहा गया ह शक लोग एक चौथाई जनता को तलवार क घाट उतार दग इसस लगता ह क व उ चको ट क लड़ाक स नक थ

शक क तरह कषाण न थम शती ईmiddot पव म भारत म वश कया क न क इस वश का स शासक हआ कषाण क स नक यव था क जानकार म तय एव अ भलख स ा त होती ह कषाण शासन साम त था पर आधा रत था अ भलख स उनक स नक शासन क प ट जानकार नह मलती स ाट सना का सव च पदा धकार होता था

कषाण न भारतीय चतर गणी स नक यव था म या प रवतन कय यह ात नह ह क त उनक रा य म स नक त व का वशष मह व था सना म कशल घड़ सवार रह ह ग व रकाब का उपयोग करत थ इ ह सी थयन न ार भ कया व लोह या धात क न होकर र सी क बन होत थ मथरा स ा त क न क क म त स प ट ह क स नक घड़सवार क लए पतलन और बट प हनना अ नवाय था व अ छ धनधर भी होत थ कषाण शासन म द डनायक या महाद डनायक नामक पदा धकार का उ लख मलता ह जो अधस नक अ धकार होत थ क न क क समय लल द डनायक था जो पmdashव य स अनदान अधी क क प म काय करता था यह स नक अ धकार शासक प रवार का सद य था मथरा क एक लख म भी महाद डनायक का उ लख मलता ह मथरा स ा त ततीय लख म महाद डनायक ह ि मयक च य क का नाम मलता ह जो अस नक काय भी करता था विजत दश म उसक स नक क त य मह वपण होत थ आर एस शमा इस मत स सहमत नह ह उनका वचार ह क द डनायक साम त सरदार होता था इस कार द डनायक स नक अ धकार ह था जो कसी दश म अ धकार करत समय स नक तथा बाद म शास नक एव या यक काय करता था स भवतः उ ह नकद वतन दया जाता था स ाट क न क क पास एक वशाल सना होन का उदाहरण मलता ह िजसको उसन सनाप त सी क नत व म चीन पर आ मण करन क लय भजा था

209 ग त स ाट का स नक सगठन (240 ई mdash 550 ई) सम ग त क दि वजय तथा च ग त वतीय और क दग त वारा कय गय

अनक य क बावजद ग त क स नक यव था क बार म हमार जानकार व प ह उ क ण लख म ग त स ाट क दग और क धावार अ श ागार और चतर गणी सना क कछ सदभ मलत ह इसी सना क सहायता स उ ह न वशाल सा ा य क थापना क थी सना वभाग क म य अ धकार को सि धmdash व हक कहत थ िजस सि ध और व ह (य ) करन का अ धकार था सम ग त क ह रषण नामक अमा य को हम इस उपा ध स वभ षत पात ह ल कन सवनाथ क छोट स साम ती रा य म भी ऐस एक अ धकार का उ लख महा स धmdash व हक क प म हआ ह आर एस शमा का मत ह क इन अ धका रय म कोई तर का अ तर नह था ग तकाल म हम उस ा मण क नाम शासन प जार करत ह ए

भी पात ह अ तकर क अनसार वदश वभाग को दाताओ क वशावल का वशद ान था इस लए शासन प का ा प तयार करन का काय स ध व हक को सौपा गया ल कन इस अ धकार का म य काय साम त स नबटना था िजनक नाम शायद शासन प भी जार कय

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गय ह ग इसी लए धा मक गह ताओ क नाम शासन प जार करन का काम भी उसी क सपद कर दया गया हो

सना का कायालय बला धकरण कहलाता था वस स ाट सना का सव च अ धकार था उसक प चात साि धन व हक और उसक अधीन महासनाप त अथवा महाद ड नायक ( धान सनाप त) बला धकत (स नक क नयि त करन वाला अ धकार रण भा डागा रक) स नक साम ी का अ धकार (महा वप त भटा वप त) पदल और घड़सवार का अ य आ द अ धकार होत थ वशाल (बसाढ़ मज फरपर बहार) म ा त म ा अ भलख स इन स नक अ धका रय का उ लख मलता ह

अ भलख तथा म ाओ म ग तचर को म यत यो ा और सनाप त च त कया गया ह उ ह शकार और य य थ अ तकर का मत ह क ग तकाल म महासनाप त सा ा य क व भ न भाग म रहकर स य सचालन म राजा क सहायता करत थ व महाद डनायक को उसक अधीन मानत ह जो स भवत आध नक लि टन ट जनरल क बराबर रहा होगा सना म पादचार दल भी होत थ छठ शती क बगाल अ भलख म हि तदल क अ य को पीलप त तथा महापीलप त कहा गया अ भलख म च क सापथक का उ लख नह मलता मगर वह स य म अव य व यमान रहता होगा ग तकाल न सना का सगठन थलत मौयकाल न सना वभाग क समान ह था ग त स ाट को उ क ट और अ वतीय रथी कहा गया ह ल कन उनक म ाओ पर ाय घड़सवार क ह आक तया मलती ह िजसस सना म अ व का मह व कट होता ह स नक को ाय नकद वतन दया जाता था

महा तीहार तथा गौि मक नामक स नक अ धका रय क नाम ा ग त अ भलख म भी मलता ह

आरएस शमा क अनसार अमा य कमारामा य आ द अ स नक अ धकार थ उनक पदो न त कर उ ह स नक पद पर नय त कया जाता था पाट लप नवासी एक मनी वतीय च ग त क पि चमी भारत क स नक अ भयान म साथ गया था इस कार कछ

स नक अ धकार भी अस नक काय करत ह ग हम वशाल तथा इसी कार क मह वपण नगर म थायी प स सना रख जान क

बार म जानकार मलती ह वशाल क महर म ीरणभा डागारा धकरण श द मलता ह इसस सक तत ह क वहा पर कोई स नक भ डार रहा होगा जो वहा रह रह स नक क लय आव यक था हम य अ धकरण क भी जानकार मलती ह िजसका स ब ध यवराज स रहा था इसक लय यवराज भ ारकपाद यmdashबला धकरण य वा याश मलता ह वशाल म राज ासाद र क का धान भी रहता था ा गक को फौजी चौ कय का धान माना जाता था

जहा तक गौि मक नामक अ धकार का न ह वह कोई छोटा स नक अ धकार था उसक अधीन सना क कोई लघ टकड़ी रहती थी वह कसान तथा असामािजक त व वारा कसी कार का उप व करन पर स भवत अस नक अ धकार क सहायता करता था ग तकाल न अ भलख म तीन खा गय (ख गधा रय ) का उ लख मलता ह िजसम कछ का

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स ब ध एक एक गाव स था एसआर शमा का मत ह क जो गाव इनक अ धकार म थ व उ ह कसी स नक सवा क त दान व प मल ह ग स भवत सना क अ धका रय को वतन क बदल गाव दन क भी पर परा चल पड़ी हो य य प इसका ठोस परालखीय सा य उपल ध नह ह

2010 वधन का स नक सगठन (525 ई mdash 650 ई) वधन का शासन स नक सगठन पर आधा रत था हष क पता भाकर वधन अपव

यो ा रह थ हष क लय द ण क अ भलख म सकलो तरापथ वर उपा ध का आधार भी उसक स नक उपलि धया रह ह गी प ट ह क हषवधन क पास एक वशाल सना थी अपनी स नक शि त क बल पर ह उसन घोषणा क क या तो व (राजा) कर दन क लय अपन हाथ को त पर कर या श हण करन क लय या तो व दशा हण कर या व अपन म तक झकाय या धनष या व अपन कान को मर आशाओ स अलकत कर या शर ाण स

यवान वाग क अनसार हष क शाि तकाल न सना म 60 हजार हाथी तथा एक लाख घड़सवार थ चीनी या ी न पदा त स नक क स या का उ लख नह कया ह न चय ह पदल स नक क स या अ य धक वशाल रह होगी यवान चाग वारा ल खत हा थय क स या क आ शक पि ट बाण क ववरण स होती ह क एम पि नकर का मत ह क हष क सना म 5 हजार हाथी 20000 घड़सवार तथा 50000 पदल स नक थ व इस सना क तलना मौय तथा वजयनगर क सना स करत ह ए उसक छोट सना वारा एक वशाल सा ा य क नमाण का य उस दत ह क त हष क पास इतनी छोट सना थी और वह वशाल सा ा य का भी वामी था यह वचार तकसगत तीत नह होता यह स भव ह क पि णकर न हष क सना क जो स या वीकार क ह वह उसक वजय स पव क हो सकती ह वस यवान चाग न जो सना का ववरण दवा ह उसम हष क साम त क सना और जोड़ द जाय तो उस दशा म उसक सायाि यक सना का कलवर बह त बढ़ जाता ह

सना म स ाट सव च अ धकार होता था सना का सगठन एव अनशासन का उ तरदा य व उसी पर होता था क त वा त वक प स स नक काय क दखभाल अ धकार वग करता था अ धकार वग क नयि त वय स ाट ह करता था शासक य म सना का सव च अ धकार महासि धmdash व हा धकत होता था और महाबला धकत सम त सना का स य सचालन क समय उ तरदायी होता था महासि धmdash व हा धकत क य मनी क प म काय करता था और य तथा सि ध करन का अ धकार उसी क हाथ म था अवि त हष का महासि ध व हा धकत था महाबला धकत क सहायता करन क लय सनाप त बला धकत वहद कार भटा वप त कटक पाट प त आ द मख अ धकार होत थ बाण न सहनाद को सनाप त कहकर पकारा ह बाण न उस सम त मयादाओ का पालन करन वाला कहा ह वह य म अ सर रहन वाला य क मम को समझन वाला था बाण न क दग त को गजसाधना धकत कहा ह इस कार वह गजसना का अ धकार था इसी कार सनाप त को सना क वशष अग का अ धकार न मानकर सम त सनाओ क अ धकार

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महाबला धकत क पद का प रचायक मानना चा हय स भवत वह पदा त सना क कायालय का धान था पा ट प त स भवत श वर क यव था करन वाला पदा धकार होता था भटा वप त अ वारो हय का धान था बहद वार भी अ वसना का अ धकार था क तल बहद वार क पद पर नय त था स भवत बहद वार उपा ध थी जो कशल घड़सवार को द जाती थी क तल रा यवधन क अ वसना का धान था बाण क ववरण क अनसार कटक गज सगा का धान अ धकार था वह नषाद नामक अ धका रय स व र ठ होता था यदन दन कपर का मत ह क कटक हा थय क प रचया करन वाल नषा दय क काय क दखभाल क लय नय त प रचायक अ धकार थ उ ह हा थय का अ धकार मानना व उ चत नह समझत गजसना

हष क सना गजसना पर आधा रत थी भारत म सक दर क आ मण क बाद गजसना का मह व कम हो गया हष क समय इस पर परा म पन प रवतन आया वासदवशरण अ वाल का मत ह क हष क साधन ा या सना वषयक आ था हा थय म अ धक थी इसका कारण यह था क इस समय तक भारत म साम तवाद का वकास हो चका था साम त एव मा ड लक क गढ़ क अ व स जीतना या न ट करना क ठन था इस लए हष न हा थय को मह व दान कया इसक अलावा अ वारो हय क पि त को हाथी ह तोड़ सकत थ और व बाण क तीख हार सहन क भी मता रखत थ सना म हाथी होन पर भी अ व का मह व अभी भी था हष प रि थ त क अनसार हाथी या घोड़ उपयोग म लता था गजसना शाि तकाल म सा ा य क अलगmdashअलग थान पर रखी जाती थी हाथी व यचल क वन स भट स कर प म शबर बि तय क अ य स एव बलपवक ा त कय जात थ हा थय को य क श ा द जाती थी हा थय क लय च क सक पीलवान महावत घ सयार (कपट ) नय त कय जात थ बाण इनका व तत ववचन करता ह बाण न लखा ह क िजस हाथी क नख चकन मख भार सर कोमल ीवा मल छोटा हो सीखी ह ई बात पर ढ़ रह और रोय कड़ ह वह ठ होता ह हष क सना म 60000 हाथी थ अ वारोह सना

बाण न क धावार क उ लख क दौरान अ वारोह सना का उ लख कया ह हष क सना क अ व वजी र तान (पनाय) पजाब म य ए शया म व नद क पामीर दश (का बोज) उ तर गढ़वाल स द तथा ईरान स मगाय जात थ बाण न शोण याम वत पजर ह रत त तर क माष वग म बाट कर फर शभ ल ण य त अ व का वणन कया ह बाण क अनसार िजस अ व का मख ल बा और पतला कान छोट गदन ऊपर उठ ह ई क ध क जोड़ मास स फल ह ए टाग पतल और सीधी प चौड़ और मासल ह वह शभ होता ह हष क अ वारोह सना शि तशाल थी बाण न अ व क साज तथा उनक प रचारक का उ लख ब लभपाल साद व त प त प रव क घा सक च ड च डाल नाम स कया ह वासदव शरण अ वाल क अनसार हष क सना क एक वशष तीर टकड़ी ख सर

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य क थी जो वीर लड़ाक थ स भवत अ वारोह सना म पारसीक वीर भी भत कय जात थ अ वारोह अग र क को साध स बोधन स पकारा जाता था पदा त सना

यवान याग क अनसार हष क पदा त सना म 50000 पदा त स नक थ बाण क अनसार इस सना म यवा प ष ह थ उ ह सदव यायाम करना पड़ता था व मगर तथा तलवार धारण करत थ उस समय स नक एक समान पोषाक प हनन लग थ उनक सर पर उ तर य क छोट पगड़ी तथा कमर पर दोहरा व बाधकर उसम छर खोस दत थ स नक कपाण म तक क लगाकर अ भवादन करत थ अ भाग क पदा त स नक क टकड़ी को चाट भट कहा जाता था कह mdashकह पर उ ह चार भट भी कहा गया ह व हाथ म चमड़ क बनी ह ई ढाल रखत थ कभीmdashकभी सना गाव स गजरत समय लोग को तग भी करती थी क त व उक ट को ट क यो ा होत थ सना क श

धनषmdashबाण तरकस तलवार ढाल भाला ह तपशाकि ट (पाश) बागरा शर ा ण कवच सना क मख अ mdashश थ सना क अ य उपयोगी कमचार

यवहा रणी (झाड दन वाला) याम चट (रात म पहरा दन वाल दा सया) गह च तक चटक (सवक) भा डागा रणी (भोजन क यव था करन वाल) वाजवाह ( वज लकर चलन वाल द तया mdashच द ) आ द भी सना क आव यक एव उपयोगी कमचार थ उ सना का उ लख

कावल तथा थॉमस और रमाशकर पाठ क अनसार हष क सना म उ सना क टकड़ी भी रह होगी स भवत उनका उपयोग गध तथा बल क तरह ह होता रहा होगा

यवान चाग न हष क सना म रथ होन क चचा जीवनी म क ह पर त बाण इसका उ लख नह करता ऐसा तीत होता ह क इस समय तक सना म रथ का मह व कम हो गया था

डा डी दवह त न बासखड़ा तथा मधबन ता प क आधार पर हष क सना म नाव होन का उ लख कया

उपय त ववरण क अनसार वधन काल म सना शि तशाल एव अनशा सत होती थी य स पव यह रचना का दशन भी कया जाता था सना का याण स ाट क नर ण क बाद ार भ होता था सना म अ त पर क ि या भी साथ रहती थी फर भी यह मानन म कोई आपि त नह ह क वधन काल म ससग ठत सना रखन क पर परा जार थी

2011 चोल स नक सगठन (850 mdash 1300 ई) दकन क इ तहास म चोल वश का वशष मह व ह चोल शासन म राजा थल एव

जल सना का धान होता था अ भलख स सना क व भ न रिजम ट क नाम मलत ह यक रिजमट का जीवन साम हक होता था रिजमट या स नक दान दन एव मि दर नमाण

करवान क लए वत थ राजराज और उसक बाद क अ भलख स 70 रिजम ट क नाम

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मलत ह िजनम रिजम ट क थापना का समय दया गया ह सना क कई अग थ mdash 1 हा थय का दल 2 घड़सवार 3 पदल सना

पदल सना कई डवीजन म बट ह ई थी एक रिजम ट का नाम क कोलार था इनक अलावा धनधर क पथक रिजम ट होती थी द ण बाह और वाम बाह भी अ य स नक रिजमट थ स भवत यह वशष अवसर पर बलाया जान वाल द त थ वल कारर राजा क व वसनीय स नक होत थ तनवल िजल क अ बास सम म स ा त एक अ भलख स हम म कmdashमहासन (तीन बाह ओ क महासना) का इ तहास मलता ह

सना सार रा य म ग म तथा छाव नय (कडगम) म रहती थी कलो त ग थम न द ण अ भयान म को ा म अपनी एक सना रख द थी हम अ भलख स धनधर नगर सना क क तान और वशष का स नक जस नाम मलत ह सना म सनाप त बहत स ा मण थ स होन पर उ ह मा धराज उपा ध दान क जाती थी वलम म ज म

बालक ाय सना म भत होत थ कडगम क ववरण स प ट ह क सना को समयmdashसमय पर य ा यास कराया जाता था सना क अनशासन का परा यान रखा जाता चोल सरकार का सना वभाग इस काय क यव था करता था सना मि दर क स पि त क भी र ा करती थी वह मि दर क अ धका रय पर जमाना भी लगा दती थी रिजम ट मि दर क अ य न ध का भी ब ध करती थी कलोल ग थम क समय यह यव था जार थी ाचीन

थ म हम चोल रा य म आनव शक स नक का भी उ लख मलता ह क कोलर नय मत स नक थ नाटट पड णी या जनपद क सना होती थी

1178 ई म एक चीनी या ी न चोल दश क हि त सना mdash का ववरण इस कार लखा ह mdash इस दश का एक पि चमी दश क साथ य चल रहा ह सरकार क पास 60 हजार य क हाथी ह इनम स हर एक हाथी सात या आठ फट ऊचा ह य क समय य हाथी अपनी पीठ पर मकान को ढो ल जात ह इन मकान म स नक होत ह जो ल बी दर तक बाण स वार कर सकत ह य नजद क स भाल स लड़त ह वजय ा त होन पर हा थय को स मान सचक नाम दय जात ह कछ राजा तो उन पर कसीददार मकान सजात ह

चोल शासक राज क अस य जहाज न सम पार कर ी वजय और उसक अधीन रा य को जीता था इसस प ट ह क उनस पव चाल य बह त पहल स नौ सना रखन लग थ चोल न सम शि त क उ नयन म ाचीन पर परा का पालन कया इसी क सहायता स व लका तथा मालद व म अपन रा य था पत कर सक थ चोल न चोलो क सम बड़ को कडलर शाल म न ट कर दया था उ ह न द णी भारत म सम पर अपनी नौ शि त थापना कर ल थी उनक जहाज क बनावट क माण उपल ध नह ह चोल क

ससग ठत नौ सना म कई कार क नौकाए और जहाज रह ह ग मालद व म बनन वाल मजबत जहाज क लोभ स ह चोल न उस पर वजय क थी व त त सलकर जहाज बनात थ क ल स जोड़कर नह नीलकठ शा ी लखत ह क स भवत चोल क पास जहाज नमाण स स बि धत कोई थ रहा होगा

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2012 चाल यmdashस नक सगठन (535 ई mdash 753 ई) चाल य शासन प त धमशा म व हत एकत प त थी चाल य राजा स या य

ीव लभ क उपा ध धारण करत थ पलक शन वतीय न परम वर उपा ध धारण क व मा द य थम क रा य म महाराजा धराज तथा भ ारक उपा ध लोक य थी पलक शन वतीय क पास वशाल सना थी िजसक सहायता स उसन हष क सना को नमदा क पर

अपना सा ा य व तार करन स रोक दया था उनक सना न अनक य म या त अिजत क थी बाद म भी रा कट न इस बात पर गव कट कया क दि त दग न (चाल य क ) कणाटक सना को हराया िजसन अनक य जीत थ

यवान चाग क जीवनी म ह ईmdashल न लखा ह क इस दश म पदल और घड़सवार सना सावधानी स सजात ह य क नयम को पर तरह समझत ह उनका पालन करत ह जब भी कसी सनाप त को अ भयान पर भजत ह तो चाह उसक पराजय हो जाए और उसक सना न ट हो जाए क त उस कसी कार का शार रक द ड नह दत पराजय क हालत म सफ उसक कपड़ उतार कर उस जनान कपड़ पहना दत ह इस लए इस कार क अ याचार स बचन क लए अ सर सनाप त वय आ मह या कर लत थ

रवती वीप और पर क ऊपर चाल य क आ मण स अनमान लगाया जाता ह क उनक पास अपनी छोट mdashमोट नौ सना भी रह होगी सना क सगठन क बार म यादा ववरण नह मलता ह रा कट क स नक यव था (769 ई mdash 1000 ई)

चाल य क प चात रा कट आत ह उनक रा य णाल को नाग रक शासन णाल कहा जाता ह इसक शीष पर राजा होता था शासन म कई बार कछ लोग स नक गण क कारण मनी चन जात थ व मनी क साथmdashसाथ स नक अ धकार भी होत थ कछ क पास जागीर भी होती थी रा ( शासन क इकाई) का धान शासक रा प त अपन अधीन पया त स नक रखता था ता क जागीरदार क व ोह को रोक सक रा कट स नक तन शि तशाल एव कशल था उनक पास वशाल सना रहती थी िजसका एक बह त बड़ा भाग राजधानी म रहता था क त एक सना द ण क भी थी जो बनवासी क उपराजा क अधीन रहती थी उ तर क सना राजा क प क अधीन रहती थी सना रा य क बाहर आ मण स र ा करती थी दसर रा य पर आ मण क य सरकार क नणय क बाद कया जाता था रा कट क पदल सना बड़ी स थी उनक घड़सवार सना भी बड़ी कशल थी कछ ग म स नक जा तय क होत थ इसक स हरावल सना जसी थी कछ स नक ग म ा तीय शासक क भी होत थ जो मह वपण अ भयान क समय बला लय जात थ स नक

जा तय का श ण उनक गाव म ह होता था फर व सना म भत हो जात थ दसर स नक श ा द ा मतक स नक क होती थी िजनक नता उ ह कराय पर लात थ इसक रकम व क सरकार स लत थ ि ठय क मदद स सना हत रसद क यव था होती थी सना म सभी जा तय क लोग होत थ ा मण और जन स नक भी सना म थ रा कट क सना म स सनाप त बकय ी वजय और नार सह आ द जन थ

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2013 राजपत काल न स यmdash यव था (700 mdash 12 00 ई) हषवधन क म य क प चात भारतीय इ तहास का राजपत काल ार भ होता ह

राजपत काल म भी राजा सना का सव च अ धप त होता था वह स नक अ धका रय क सहयोग स य करता और उसम वजय ा त करता था तहार अ भलख स कछ मह वपण उपा धय क जानकार मलती ह िजनका स ब ध स य यव थाओ स था जो इस कार ह mdash महाद डनायक द डनायक बला धकत महाय प त पीलप त अ वप त पाइ यmdash धप त को पाल और मयादा धम आ द म य ह इनम महाद डनायक को िजसक नाम और पद क महाद डा धप त वा हनीप त द डा धप त सनानायक सना धप त स यप त द डनायक और द डप त नाम भी मलत ह तलकमजर म वा हनी प त महाद डा धप त भी द डा धप त क नाम बताय गय ह द डनायक सनाप त को ह उपा ध थी जो शासन क शाि तकाल म भी सहायता करता था भोज क सागरतल लख म वा हनीप त का उ लख आया ह ऐसा तीत होता ह क सना म एक स अ धक वा हनीप त होत थ दशरथ शमा उनक तलना स तनत काल क इ तदार स करत ह जो सना का नर ण करन क साथmdashसाथ रयासत क यव था म भी सहयोग करत थ बजनाथ पर क अनसार द डनायक स नक अ धकार होत ह ए भी उसस भ न और त ठा वाला अ धकार माना ह ल ट न उस सना का मख माना ह पर क अनसार कई बार द डनायक पद साम त क मख का भी होता जो वशानगत प स चलता रहता था तहार शासक मह पाल थम क तापगढ़ लख म माधव को एक बार महासाम त और फर उस ह तन पाल महासाम त महाद डनायक भी कहा गया ह

बला धकत कत को सना म उ चको ट का अ धकार माना गया ह हषच रत म बला धप त को म यम णी का अ धकार माना गया ह चोरो वर णक क ऊपर और सनाप त क म य का अ धकार बला धकत ह रहा होगा उप म त भव पचकथा म उस मह य क सम माना गया ह चौहान अ भलख म बला धकत कह स नक अ धकार तो कह म ड पका अ धकार क प म मलता ह लखा प त म एक ह थल पर चार बला धपो का उ लख मलता ह

भा डारगार का मख महाय प त कहलाता था पीलप त हि तसना का मख होता था और अ वप त घड़सना का य दोन सनाए मह वपण थी इसक प चात पदा त सना का थान था तहारकाल म पदल सना धान पाइ का धप त कहलाता थ रथ सना क

उपादयता इस काल म समा त हो चक थी फर भी रथ क दखभाल करन हत य दनप त का नाम मलता ह समराइ चकहा म रथ सना का धान भी महाय प त को ह माना गया ह सना म नाव और उनक यव था हत शायद नौका य का भी पद हो पाल स तहार क सघष को दखत ह ए इसक आव यकता तीत होती ह हम कनौज क नौ साधनय त क धावार का उ लख मलता ह इस लए स भव ह क सना नगर म भी व यमान रहती हो

दग क यव था को पाल ह करता था हम इस काल म अ ल और चि डयन नामक को पाल का नाम मलता ह राजा जब राजधानी स बाहर जाता कोट पाल को राजधानी क सर ा स पकर जाता था तहार राम भ क वा लयर लख म मयादाधय नाम क अ धकार

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का उ लख मलता ह दशरथ शमा न उस मौयकाल न सना क अ तपाल नामक अ धकार क सम माना ह जो सा ा य क सीमा का र ा काय स भालत थ

पदल सना का अ धप त पाइ का धप त था सना क वशभषा का उ लख कथाकोष (िजन वर) तथा सोमदव क यशि तलक च प म मलता ह स नक अधोव क प म धोती पहनत थ कमर म भस क सीग क बन ह थ वाल कटार बाधत थ उनका शर र बाल स ढका रहता था मान यह उनका कवच हो सर क बाल स दाढ़ तथा म छ स परा म ह ढका रहता था उनक क ध स पीछ क ओर ऊचmdashऊच दो तरकश टग रहत थ स नक धन व या म कशल होत थ इस काल म म डोर जालौर वा लयर क दग अपन स ढ़ थाप य क लए स थ

सना जब याण करती थी तब स नक चमक ल व पहनत थ उनक साथ यापार होत जो रसद क यव था करत थ सना िजधर स गजरती खत न ट हो जात थ घोड़ हत सना को म त म चारा दना आव यक था माध क व न शशपालवध म सना क क धावार ( श वर) क चचा करत ह ए लखा ह क उसम राजा का अपना श वर क म होता था उस पर राजक य वज लहराता था श वर म सनानायक तथा साम त का मन बहलान हत नत कया व याए ि या और वलास क हर साम ी उपल ध होती थी

उ तर भारत क अ धकाश राजा स नक आप त हत अपन साम त पर नभर थ तहार नागभ वतीय क समय उसक रा कट तथा पाल स ह ए सघष म म डोर क तहार तथा चा स क ग हल साम त न न कवल य म वय भाग लकर अ पत अपनी सना वारा भी उसक सहायता क थी समराइ चकहा म इसी कार क उदाहरण मलत ह

चौहान क समय तक पह चतmdashपह चत साम त सना म बह त अ धक व हो गई िजसक लाभ कम और नकसान अ धक थ सना म मौल नामक स नक व होत थ िज ह राजकमार साम त न भजा था और जो व वसनीय थ कछ भाड़ क स नक भी होत थ िज ह नकद वतन दया जाता था कथाकोष क अनसार राजा पर श का आ मण होन पर याण क समय उसक साथ साम त क सना आकर मल जाती थी इस लय य ार भ करन वाल राजा को श क यि तगत और साम तीय सना को यान म रखकर यह रचना करनी पड़ती थी जस कथाकोष म आया ह क च डसर क सना म 20000 पदल 5000 अ वारोह तथा 50 हाथी थ इसम साम तीय सना मलान पर वह दगनी हो जाती थी उ तर भारत वशष प स राज थान एव गजरात म अ भलख स अवलग या ओलगा श द मलता ह िजसका तालय राजा क परम व व त स नक क लय काम म लाया जाता था तहार क तरह चौहान शासक भी साम त क सना पर नभर थ

लखा प त स ात होता ह क चौहान क समय साम त या जागीरदार को ठाकर चणक या भो ता कहत थ उ ह अपन क य शासक को अ नवाय प स पदल सपाह और अ व दन पड़त थ असफल रहन पर उ ह वा षक प स राजा वारा नि चत कया गया आ थक द ड चकाना पड़ता था कई बार द ड प म साम त क रयासत वा पस ल ल जाती थी फ र ता क अनसार प वीराज ततीय चाहमान क सना म 1०० स अ धक राजा सि म लत थ वह लखता ह क उसक सना म 3000000 घड़सवार और 3000 हाथी थ व हराज

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चतथ क सना म 1000 हाथी 1 लाख घड़सवार और 10 लाख पदल स नक होन का ववरण मलता ह चौहान सना म हि त सना को कछ वशष मह व दया जाता था क त अ वसना पर यान सबस यादा रखा जाता था उ सना का अपना अलग मह व था इसका उपयोग साम रक कम क त रसद पह चान क लए कया जाता था प वीराज चाहमान क समय हासी तबर ह द समाना नागौर म डोर सवाना जालौर अजमर द ल और नाडौल क स दग थ प वीराज ततीय क तराइन क वतीय य म पराजय क बाद य दग तक क हाथ म चल गय य म य चा लत श ओ कmdash योग का उ लख का हडद ब ध म मलता ह य म स नक श ओ पर गम तल छोड़त या धनधर उनक श वर

अि नबाण स जला दत थ इस काल म राजपत म जौहर था का भी वकास हो गया था राजपत स नक वय को सम पत न कर जौहर त म भाग लना गौरवपण मानत थ

2014 साराश सना का रा य क र ा हत वशष मह व ह भारतीय मानव अपनी सर ा क त

ाग तहा सक म ह जाग क हो गया था व दक काल तक पह चतmdashपह चत रा य और बल (सना) का वकास हो गया व दक काल म य य तथा अ य (म स) प स लड़ जात थ सना म हाथी घोड़ रथ नाव और रथ आव यक अग थ सनानी का पद भी वक सत हो गया था जनपदकाल तक तो कई कार क श का योग ार भ हो गया चतर गणी स नक यव था ाय लोक य थी श को परािजत करन हत यह रचना काम म ल जाती थी मौय काल तक पह चत ह हम सना क व धवत सगठन एव अग क जानकार पात ह रथ का योग अब कछ कम हो रहा था अब य क नयम भी बनाय जा रह थ ग तकाल तक पह चन पर हम साम त सनाप तय का ववरण मलता ह स नक कई कार क कवच धारण करन लग थ वव च काल म हा थय का वशष मह व था चोल राजाओ न ना वक दल क वशष प स यव था क थी राजपत काल म राजा यि तगत सना तो रखता ह था वह अब साम त पर पणतया आ त हो गया था प वीराज ततीय क पराजय का स भवत यह मह वपण कारण रहा था

2015 अ यासाथ न 1 महाका य काल न स य सगठन का या व प था (500 श द) 2 मौयकाल न स य यव था पर काश डा लए (500 श द) 3 वधन क स य सगठन पर एक टपणी ल खए (250 श द)

2016 सदभ थ 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 जायसवाल काशी साद ह द पो लट 3 थप याल करण कमार एव श ल

सकटा साद स द स यता

4 पा डय रामद न ाचीन भारत म सा ा मकता

326

5 पर बी एन ह ऑफ ऐड म न शनख डmdash 1 6 भ जगद शच रामायणकाल न समाज एव स क त 7 याजदानी जी दकन का ाचीन इ तहास 8 यास शाि तकमार नानराम रामायणकाल न समाज 9 व वाच प त आचाय य त ाचीन भारत म तर ा यव था 10 व य सी बी महाभारत मीमासा 11 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य

327

इकाई ndash 21 थानीय वशासन

इकाई क परखा 210 उ य 211 तावना 212 थानीय वशासन का अथ एव उ य 213 व दक काल म वशासन सभा एव स म त 214 रामायण और महाभारत काल 215 बौ यगीन वशासन का व प 216 `मौय शासन म वशासन

2161 नगर शासन 2162 ाम शासन 2163 यवसा यय क णया

217 मौय तर यग क वशासन स थाए 2171 ग तकाल म थानीय वशासन 2172 ग तकाल क प चात थानीय वशासन 2173 द ण भारत म थानीय वशासन

218 साराश 219 अ यासाथ न 2110 स दभmdash थ क सची

210 उ य इस इकाई क अ तगत हम आपको ाचीन भारत म था पत शासन यव था और

राजशा म थानीय वशासन (Local Self Government) क वषय म जानकार इस इकाई म आप अ ययन करग mdash थानीय वशासन का अथ एव उ श व दक काल म राजा क सहायता क लए सभा और स म त नामक स थाए एव उनक

काय व ध रामायण और महाभारत क अनशीलन स थानीय वशासन क वषय म क तपय नदश

ा त होता ह बौ यग क मख गणरा य एव उनक शासनmdash यव था शि पय तथा यापा रय क

सगठन मौयकाल म नगरmdashशासन यव था जनपद और ाम शासन यव था

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मौय तर यग क गणरा य एव उनक शासन यव था पोरmdashजानपद ग तmdashसा ा य म थानीय वशासन आ द

211 तावना थानीय वशासन क मह व को ाचीनकाल स ह वीकार कया जाता रहा ह और

लगभग यक शि तशाल सा ा य न अपन शासन म सदव यह आव यकता तीत क ह क थानीय वशासन क इकाइया था पत क जाए य द हम राजनी तक तथा शास नक इ तहास पर ि ट डाल तो ात होगा क शि त को एक थान पर कि त करन क उपरा त भी थानीय वशासन कसी न कसी प म अव य सग ठत कया जाता था य mdash य दश म लोकताि क वचार का वकास होता गया यह वचार भी जड़ जमाता गया क थानीय वशासन को थानीय यि तय वारा ह सचा लत कया जाना चा हए इस कार शन शन

थानीय वशासन का वचार वक सत होता गया और आज तो लगभग सभी लोकताि क दश क शासनmdash ब ध म थानीय वषय और थानीय सम याओ क हल क लए थानीय वशासन का मह वपण थान ह

ाचीन भारत म थानीय वशासन स थाए अ य धक उ मत तथा मह वपण थी ाम तथा शहर क लए दो कार क स थाए थी नगर म व छता रोशनी सड़क तथा

गहmdash नमाण क समय व वध स वधाओ का यान वहा पर था पत थानीय सभा रखती थी ाम भी शासन क धर मान जात थ व दकयग म जब नगर का थान नग य था तो ामmdash शासन का मह व अ धक था यक ाम एक छोट स जात क समान था ाम

म ामmdashपचायत ामवा सय वारा सग ठत होती थी तथा शासक य और या यक काय का स पादन करती थी मनmdashस हता म राजा और ाम क बीच य स ब ध क चचा मलती ह और कौ ट य क अथशा स ात होता ह क रा य ामीण जीवन म बह त कम ह त प करता था

मौयmdash शासन म थानीय वशासन अ य धक वक सत अव था म था मग थनीज न पाट लप नगरmdash ब ध क लए िजस शासनmdash यव था का ववरण दया ह वह वा तव म पाट लप नगरपा लका का ववरण ह कौ ट य क अथशा म भी त काल न नगरmdash शासन और ा य समाज क सगठन तथा काय का व तार क साथ वणन कया गया ह कौ ट य क अनसार त काल न थानीय स थाए वा य सफाई आ द पर वशष यान दती थी नाग रक अथवा नगरा य नगर क शासक क प म था िजसक अधीन अ य पदा धकार होत थ ाम शासन क सबस छोट इकाई थी िजसका शासक ा मक कहलाता था पाच अथवा दस ाम का शासक गोप कहलाता था और उसक ऊपर था नक नामक पदा धकार होता था

ग तmdash शासन स ाट म कि त था ग त स ाट न अपन यि तगत शि त साहस और ताप स एक वशाल सा ा य क थापना क थी िजसका शासन व वय एकराटf क प म करत थ स ाट को शासनmdashकाय म सहायता दन क लए अनक मनी या स चव होत

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थ िजनक कोई स या नह थी थानीय वशासन क अ तगत वषय (िजल) क शासक वषयप त को अपन काय म परामश दन क लए एक सभा होती थी िजसक सभासद वषयmdashमह तर (िजल क बड लोग) होत थ वषय क अ तगत अनक ाम होत थ ाम क शासन म पचायत का बड़ा हाथ था इस इकाई क अ तगत हम आपको ाचीन भारत म थानीय वशासन एव उसस स बि धत स पण प का आलोचना मक व तत प रचय दग

212 थानीय वशासन का अथ एव उ य थानीय वशासन स अ भ ाय उस शासनmdash ब ध स ह िजसम थानीय मामल का

ब ध थानीय यि त वय अपन त न धय वारा कर थानीय वशासन उन थानीय स थाओ वारा सचा लत होता ह जो जनता वारा चनी जाती ह और जो रा य अथवा रा य सरकार क नय ण म रहत ह ए थानीय शासन म अ धकार तथा दा य व ा त होत ह थानीय वशासन अपन सी मत म द त अ धकार का उपयोग करता ह क त अपन

म स भ नह होता इन स थाओ क सद य थानीय जनता वारा चन जात ह इस कार थानीय वशासन एक ऐसी शासक य इकाई ह िजसम नगर या ाम जस एक क

जनता वारा चन ह ए त न ध सि म लत होत ह और जो अपन अ धकारmdash क सीमाओ क भीतर द त अ धकार का योग लोकmdashक याण क लए करत ह ाचीन भारत म रा य क व तार क साथmdashसाथ इनक काय का भी व तार होता गया िजसस क य तर पर शासन क काय को स पन करन म क ठनाई होन लगी इसी स शासन म थानीय वशासन क मह व को वीकार कया गया थानीय वशासन क अ तगत थान वशष क सम याओ का सम चत प स समाधान करन का यास कया गया तो दसर तरफ इन सम याओ क मा यम स सावज नक मह व क अनक काय को भी स प न कया गया

213 व दक काल म वशासन सभा एव स म त व दक यग क रा का राजा अकला शासन नह करता था अ पत उसक सहायता क

लए सभा और स म त नामक दो स थाओ क स ता थी स म त स पण वश क स था थी िजसम स पण वश (या उसक वय क नाग रक) एक होत थ यह भी स भव ह क अनक रा क स म तय म सब वय क नाग रक सि म लत न होकर उनका एक व श ट वग िजस व दक सा ह य म राजान राजकत कहा गया ह ह उसम सि म लत होता हो

डॉ जायसवाल का कथन ह क उस काल म रा य जीवन और ग त व धय को लोक य सभाओ व स थाओ वारा अ भ य त कया जाता था स म त स पण जा क रा य सभा थी जो राजा का चनाव करती थी और रा य क सभी मह वपण मामल पर वचार करती थी स म त वक सत समाज क स था थी दसर स था सभा थी िजस न र टा भी कहत थ स भवतया यह चय नत यि तय क (स म त क सला क अ तगत काम करन वाल ) एक थायी स म त थी स म त और सभा को जाप त क दो प या कहा गया ह सभा का एक काय याय दान करना था

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ाय सभी लखक न वीकार कया ह क तत राजा का वरण पद य त पनवरण आ द स म त करती थी रा यmdashस ब धी सभी मह वपण न पर वचार करना उन पर नणय करना और रा य क नी त को ि थर करना स म त क ह काय थ स म त राजनी त क अ त र त सामािजक और अ य सामदा यक वषय का भी ववचन करती थी स म त म वादmdash ववाद बड़ी शाि त क साथ होता था और सद य वत तापवक अपना मत कट करत थ व ता अपनी वा पटता स सद य को अपनी ओर मलान क पर च टा करत थ स म त का एक प त (ईशान) होता थाmdashऔर राजा भी स म त म जाता था स म त म ामणी सत (सारथी) रथकार और कमकार अव य रहत थ राजा क स म त म यmdashपा होन और स म त म उसक उपि थत होन क कत य का भी उ लख मलता ह ऋ वद क एक मन म वणन आता ह क राजा अपन अ भभावी तज स स म त म जाता ह और वहा अ य सद य क च त और वत को अपन अनकल करता ह अ य कहा गया ह क राजा और स म त म रा क अ भव क लए समानता का होना आव यक ह इस मन म ाथना क गई ह क राजा और स म त दोन क मन मन च त य न और दय समान ह

यजवद (128०) क एक मन स नदश मलता ह क स म त म राजान एक होत थ य राजान वह ह िज ह वद म अ य राजान राजकत कहा गया ह अथात व राजा या राज य जो राजा को बनात ह अथववद (7163) क एक मन स ात होता ह क सभा और स म त नामक स थाए जाप त क द हताए ह उ ह राजा न नह बनाया अ पत व ई वर य वधान का प रणाम ह व राजा क र ा करती ह और उस सम चत परामश दन का काय करती ह उसम पतर (व ) एक होत ह जो वहा सम चत प स भाषण दन का काय करत ह ाचीन जनपद म व वध कल क जो नता शासनmdashकाय म हाथ बटाया करत थ उ ह को कलव कहा जाता था इसी कार ाम क नताओ को ामव क स ा द गई ह

सभा और स म त नामक स थाओ का उ लख व दक सा ह य म अ य भी आया ह अथववद (19द56) क एक मन म कहा गया ह क सभा मर र ा कर उसक जो स य सभास ह व मर र ा कर अ य (अथववद1द92) सभा स म त और सना का एक ह मन म उ लख कया गया ह एक अ य मन (अथववद 71 2) म ाथना क गई ह क सभा क सभास सवाचस ह उनक वाणी एक ह व पर पर वरोधी बात न करक सनाचस होकर काय कर

अथववद (8101) क एक स त म सभा और स म त नामक स थाओ क व प पर बह त अ छा काश पड़ता ह इसम कहा गया ह क पहल वराट या अराजक दशा थी िजसस सब लोग भयभीत व आश कत हो गए इस दशा म उ काि त होकर सबस पहल गाहप य दशा आई लोग प रवार क प म सग ठत ह ए मानवmdashसमाज का सबस पहला सगठन प रवार ह था िजसम प त प नी व स तान एक सग ठत व मया दत जीवन यतीत करत थ गाहप य व पा रवा रक सगठन म उ का नत होकर आहवनीय दशा आई आहवनीय श द का ता पय एक ऐस सगठन स ह िजसम बलाया जाय आ वान कया जाए स भवत यह ाम

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क सगठन को स चत करता ह िजसम व वध कल क कलम य को आ वान वारा एक त कया जाता था आहवनीय स था क बाद द णाि न स था का वकास हआ द ण का अथ चतर ह तथा अि न का अ णी इस स था म ाम क चतर अ णी एक होत थ यह ाम क अप ा बड़ सगठन को स चत करता ह जो स भवत जनपद या रा का ऐसा सगठन

था िजसम ाम क यो य नता ( ामणी) एक होत थ इसक बाद सभा और स म त नामक स थाओ का वकास हआ जो रा या जनपद क स थाए थी रा का भी एक बड़ा सगठन था िजस आम ण कहत थ आम ण श द ह इस बात को स चत करता ह क इसम सि म लत होन क लए बड़ी स या म लोग को नमि त कया जाता था

यह स भवत ाचीनतम स दभ ह िजसम रा यसभा क उ प त और वकास को दखाया गया ह आध नक व वान भी मानवmdashसमाज और रा य क ादभाव तथा वकास का यह कम मानत ह िजसम सव थम प रवार सग ठत ह ए फर ाम जन और जनपद का सगठन हआ

ऋगवद म अनक थान पर स म त का उ लख ह एक मन (ऋ 9926) म राजा क स म त म शा मल होन क लए जान का नदश कया गया ह

डॉ मकज क मतानसार ऋ वद क कई थल पर सभा का उ लख ह क त उनस उसक व प तथा काय पर नि चत काश नह पड़ता उसका अथ ससद भी ह और सामािजक सि मलन तथा सावज नक वषय पर वचार करन क लए सभाmdash थान भी ऋ वद क एक मन (6286) म कहा गया ह क तम अपन घर को भ बनाओ त हार वाणी भ हो और तम चरकाल तक सभा म रहो एक अ य मन (849) म आया ह वह सभा म जात ह एक अ य मन (1 2423) म सभय व का उ लख ह िजसस ात होता ह क सभा क सद य को सभय कहा जाता था जहा मन य एक ह ऐस समह को सभा नह कहत थ वह एक ससग ठत स था थी िजसक सद य सभय कहलात थ पर कभीmdashकभी सभा म आमोदmdash मोद भी होता था और लोग वहा जाकर जआ आ द भी खलत थ ऋ वद क एक मन (10346) म कहा गया ह क जआ खलन वाल सभा म जात ह और यह समझत ह ए क हम वजयी ह ग वहा उनक पास बखर रहत थ इस कार प ट ह क ऋ वद क समय सभा नामक स था भल भा त वक सत हो चक थी

सभा और स म त म या भद था वह व दक सा ह य स प ट नह होता ल कन व दक म का अनशीलन करक व वान इस न कष पर पह च ह क स म त सभा क तलना म एक बड़ी स था थी जो स पण वश या जा का त न ध व करती थी स भवत रा क अ तगत सब ाम क ामणी उसम सि म लत होत थ और साथ ह वश क क तपय मख यि त सत रथकार व अ य श पी आ द भी उसम उपि थत होत थ राजा भी

स म त म उपि थत होता था स म त क प त (अ य ) को ईशान कहत थ सभा स म त क अप ा छोट स था थी और इसम क तपय व श ट यि त ह सि म लत होत थ रा क धान यायालय का काय भी सभा वारा कया जाता था

332

यह आव यक था क सभा और स म त क सद य पर पर सहयोग स काम कर उनक मन एक ह उनक वाणी एक हो उनका वचारmdash वमश एक समान हो और व एक ह मन (नी त) का नधारण कर ऋ वद क अि तम स त क य मन (101912mdash4) स भवत सभा और स म त क सद य क लए ह थ

सभा नामक स था म यायmdashस ब धी काय वशष प स होत थ इस स ब ध म भी क तपय व दक मन उ लखनीय ह अथववद म (6122) सभा को न र ट कहा गया ह सायणाचाय न इसक या या करत ह ए कहा ह क जहा बह त स एक होकर एक बात कह उसका उ लघन दसर को नह करना चा हए य क यह अन तल य होती ह इसी कारण इस न र ट कहत ह सभा क न र ट वशषण स प ट ह क इसक नणय का अ त मण कr सकना कदा प स भव नह था ऋ वद म सभा एक वशषण कि वषmdashसत दया गया ह िजसका अथ ह पाप या अपराध का प रमाजन करन वाल सभा म याय करत समय उसक सभासद वारा कदा चत अ याय या पाप हो जान क स भावना भी बनी रहती थी इसी लए यजवद म (2017) मन वारा सभा म कए गए पाप स मि त क ाथना भी क गई ह

इस कार व दक यग म सभा और स म त नामक स थाओ क सला थी िजनका श य क शासन म मह वपण भाग होता था स म त समवण वश क स था थी जो राजा का वरण करती थी िजसम राजक य वषय पर जनता क स म त कट क जाती थी सभा म जहा याय काय होता था वहा साथ ह उसम पतर या कलम य राजा को मह वपण वषय पर

परामश दन का काय भी कया करत थ सभा और स म त क अ त र त दो स थाए और थी तीसर स था का नाम अ वदथ

था इसका म य काय य और य ा दmdash वषयक श धा मक क य करना था चौथी स था सना थी िजसका म य काय दश (रा ) क र ा करना था ऐसा तीत होता ह क सना एक कार क नाग रक सना होती थी अथात रा क सभी स नक सवा यो य यि त उसक सद य होत थ डा रामशरण शमा का कथन ह क वाजसनयी स हता ा मण और ति तर य आर यक म अनक थान पर वदध का उ लख ह जब क सभा और स म त का उ लख बह त कम मलता ह इसस प ट ह क ऋ वद काल म वदथ अ धक मह वपण थी और सभा और स म त न स हताओ क काल म मह वपण थान पाया उनक अनसार भारत क आय क ाचीनतम जनmdashसभा वदथ ह थी इसक रचना क एक अ य वशषता यह ह क इसस बह धा ि य का स ब ध रहता था इसक काय म ि य क आवाज प ष क बराबर थी अथववद स ात होता ह क बाद क काल म इसका मख काय ध मक क य का स पादन था ाम शासन

व दक काल म शासन क सबस छोट इकाई ाम था ाम क शासन का म य अ धकार ामणी था आप त ब धमस स प ट होता ह क उस समय तक थानीय शासन क नय मत प त का वकास हो चका था इसम ाम तथा नगर क अ धका रय का उ लख ह नगरmdashअ धकार का अ धकारmdash एक योजन (8 मील क लगभग) अ यास तक

333

फला होता था और गाव क अ धकार का एक कोस (लगभग 2 मील) अपनmdashअपन म य अ धकार यव था और सर ा क लए िज मदार रहत थ अ धकार तीन ह वण म स नय त कए जात थ द क सरकार क अनसार स वधान म जनmdashत व उतना ह पराना ह िजतना क वद ह शताि दय तक व दक भारत म अनक वराज अथवा वशा सत दश रह अत अनक कार क सभाऐ स म तया और ससद आ द रहती थी ामणी क हाथ म फौजदार तथा द वानी दोन ह कार क अ धकार थ ामणी वारा दए गए आदश वारा ह ामmdash शासन चलता था उस काल म ल खत आदश क उ पि त नह हो पायी थी अत इस काय क लए दत का योग कया जाता था

214 रामायण और महाभारत काल रामायण काल म शासन का व प राजत ा मक था शासन का बह त अ धक

व तत तो नह रहा होगा क त शासन अ य धक वक सत और यवि थत था इ वाक वश का शासन कोशल जनपद म था िजसक राजधानी अयो या थी उसका एक नगरmdashरा य या जनपद का ह था शासन का अ य वय राजा था और उस ाय सभी कार क अ धकार ा त थ क त राजा नरकश नह होता था रामायण स ात होता ह क राजा का परामश तथा राजकाय क सचालन म सहायता दन क लए मनी परो हत तथा सभासद थ उस समय राजत सी मत तथा सवधा नक था एक ओर तो वह धमशा स सी मत था और दसर तरफ मि म डल व सभा क शि तय स

वा मी क न रामायण म प रष स म त और ससद तीन श द का योग कया ह प रष का अयो याका ड व य का ड म और स म त तथा ससद का य का ड म प रष क सद य ति ठत और व वान होत थ िज ह राजधानी तथा अ य नगर क नवा सय म स चना जाता था उनम नगर क णय अथात यापा रक समह (Guilds) और पौरmdashजानपद (परवा सय और जानपदmdashरा क अ य सद य ) क त न ध सि म लत होत थ सभा को अ धक मह वपण अवसर पर ह म णा हत आमि त कया जाता था यथाmdashयवराज का वरण य और शाि त का नणय राजा क उतरा धकार का नवाचन जब क कोई यवराज न हो सद य वत तापवक बोलत थ और नभ क होकर अपना मत दत थ राजा सभा का धान था उसक अनपि थ त म परो हत धान बनता था रामायण क अनसार कलशीलव

म यmdashम य (अमा य ) क अ त र त राजकताओ म पौरmdashजानपद (परवासी और जनपदवासी) और कतय ( जाजन) क त न ध णी म य एव नगमपथव लभ ( यवसायी और लोक य लोग ) क अ त र त ा मण य व य और श वण क त न ध लोग सभा क सद य होत थ यह सभा राजाओ का नवाचन करती थी तथा राजक य सम याओ को सलझान म अपनी स म त दती थी य य प रा या भषक क अवसर पर पौरmdashजानपद और नगम सभी उपि थत होत थ क त राजकताओ (राजक तार ) म वजातीय ा मण का म यतया उ लख हआ ह यवराज क नयि त क स ब ध म राजा दशरथ न उ तम गण स य त मि य स परामश करक राम का यवराज पद पर आ ढ़ करान क अवसर पर प रषद

334

(सभा) का अ धवशन बलाया जब राजा दशरथ प रष भवन म अपन आसन पर बठ गए तो लोकस मत राजाओ न प रष क भवन म वश कया और अपनmdashअपन आसन को हण कया (अयो याका ड 146mdash47) वा मीक य रामायण म प रष क सद य को लोकस मता राजान कहा गया ह प रष क सद य जहा वय राजा या नप कहलात थ वहा साथ ह लोकस मत ( वश वारा अ भमत) भी होत थ पारष क य सद य कौनmdashकौन थ इस स ब ध म भी रामायण (अयो याका ड 219mdash20) म प ट वणन मलता ह वहा लखा ह धम और अथ को भल भा त समझन वाल राजा क अ भ ाय को भल भा त जानकर ा मण बलम य (सना क सना नय ) और पौरmdashजनपद न वचार करना ार भ कया और

भल भा त वचारmdash वमश करक व राजा दशरथ स इस कार कहा इस स दभ स प ट ह क िजस प रष क स मख दशरथ न राम को यवराज बनान का ताव कया था उसक सद य थ mdash ा मण मख सनाप त और पौर तथा जानपद यह उ लखनीय ह क यवराज व राजा बनन क लए लोक स मत राजाओ वारा वरण तथा वीकत कया जाना रामायण काल म भी आव यक था दशरथ क ताव स प रष क सभी सद य न सहम त कट क और घोष वारा उसका अनमोदन कया (अयो याका ड सगmdash2) प रष क सद य न राजा दशरथ क ताव पर अपनी सहम त कट क ह पा थव आप अब व हो गए ह अब आप पाथव राम को यवराज पद पर अ भ ष त क िजए हम चाहत ह क महाबल महाबाह रघवीर को राज छ वारा सर को ढाप ह ए व महान गज पर सवार होकर नकलत ह ए दख (अयो याका ड 221mdash22) प रष क इस वचन को सनकर राजा न न कया ह राजाओ (राजान) आपन जो मर बात सनकर राम को प त ( वामी) बनान क इ छा कट क ह उसक स बऋ म मझ सशय ह क जब म धमपवक प वी का शासन कर रहा ह तो आप कस लए राम को यवराज पद पर दखना चाहत ह (अयो याका ड 224mdash25) इस पर पौरmdashजानपद स हत प रष क महा माओ ( मख यि तय ) न राम क गण का व तार स वणन कया और बताया क रा और पर (राजधानी) क सब जन राम क बल आरो य और आय क कामना करत ह राजधानी म नवास करन वाल आ य तर पौर और बाहर रहन वाल जानपद जन सबक यह इ छा ह (अयो याका ड 25mdash51) प रष क सद य न अपन हाथ क अज ल फलाकर अपन मत को कट कया और उ ह दखकर राजा दशरथ न कहा जो आप मर य ठ प को यवराज बनाना चाहत ह इसस म अ य त स न ह (अयो याका ड 32) इसक बाद दशरथ न एक शभ दन राम को यवराज क प म अ भ ष त करन क लए ताव रखा िजसका प रष क सद य न जयघोष क साथ अनमोदन कया

वा मी क रामायण क इस ववरण स कौशल रा य क शासन क स ब ध म न न ल खत बात स चत होती ह mdash

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(i) य य प कोशल म ए वाक वश का वश मानगत शासन व यमान था पर कसी यि त क यवराज व राजा क पद पर नय त होन स पव प रष म एक ह ए लोकस मत राजाओ स इसक लए अनम त व वीक त लनी आव यक थी

(ii) कोशल मmdash एक प रषद क स ता थी िजसम पौर जनपद सनानी और ा मण एक होत थ य रा य क मख यि त थ और जनता का त न ध व भी करत थ इसी कारण इ ह लोक स मत भी कहा जाता था प रष क इन सद य क नयि त चनाव वारा होती थी यह कह सकना क ठन ह स भवत जनपद क अ तगत व वध ाम क ामणी और पर सभा क सद य (िज ह मश जानपद और पौर कहा जाता था) मख ा मण और सनानायक क साथ मलकर रा य क प रष का नमाण करत थ ककयी क ष य स जब राम वनवास क लए चल गए और प mdashशोक म राजा

दशरथ क म य हो गयी तो कौशल जनपद क स मख यह न उपि थत हआ क अब राजा पद पर कस नय त कया जाए रामायण (अयो याका ड 432) म लखा ह क रात बीत जान पर जब सय का उदय हआ तो सभी राजकतार सभा भवन म एक ह ए िजसम राजपरो हत व श ठ भी थ उ ह स बो धत कर राजकताओ न कहा महाराज दशरथ अब वग म ह और राम जगल म नवास करन चल गए ह ल मण भी राम क साथ वन म चल

गए ह भरत और श न अपन नाना क घर ह हम आज ह इस इ याक रा य म कसी को राजा क पद पर नय त कर दना चा हए य क अराजक रा का वनाश नि चत ह राजा स वह न (अराजक) रा म न तो प पता क वश म रहता ह और न पल प त क ऐस रा म धन भी नह रह पाता और न प तmdashपल स ब ध ि थर रह सकता ह ऐस अराजक जनपद म न सभाए होती ह न धनवान क पास धन रहता ह और न क ष गोmdashर ा व वा ण य स भव ह अराजक जनपद म कोई कसी का नह रह पाता िजस कार मछल mdashमछल को खा जाती ह वस ह मन य मन य को खान लगत ह राजा क बना हमारा रा जगल क समान हो रहा ह अत आप ऐसी यव था क िजए िजसस क इ याक वश का कोई कमार या कोई अ य यि त राजा क पद पर अ भ ष त हो जाए रामायण क इस वणन म अराजक दशा का वणन ह वहा साथ ह ात होता ह क रामायण क यग म सभा म एक ह ए राजकतार को ह यह अ धकार था क व राजवश क या कसी अ य यि त को राजा क पद पर नय त कर सक राजपरो हत व श ठ क अनसार भरत को ककय दश स वा पस बलान क लए दत भजन का न चय कोशल क सभा वारा कया गया था सभा क ि थ त क स ब ध म रामायण क य नदश मह वपण ह िजनस ात होता ह क व दक और उ तर व दकयगीन पर पराए रामायण काल म भी व यमान थी rdquo

रामायण स ात होता ह क शासन अनक वभाग म वभािजत था िजनक अ य तीथ कहलात थ िजनक स या 18 थी अ धका रय म यायाधीश का थान ऊचा था अ य अ धका रय म थानीय शासन क अ धकार अव य रह ह ग क त उनक नाम का उ लख नह मलता

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महाभारत यग म क पाचाल मगध च द आ द बह त स रा य म राजत ा मक शासन व यमान थ िजनक शासनmdashप त क स ब ध म महाभारत म अनक मह वपण नदश मलत ह महाभारत क शाि तपव म द डनी त (राजशा ) राजधम (राजाओ क कत य) शासन प त म ी और कर यव था सभापव म सभा क रचना आपातकाल न नी त और आ दपव म राजनी तक स ा त का ववचन मलता ह

व दककाल म राजाओ को परामश दन तथा राजmdashस ब धी अ य बात पर वचारmdash करन क लए सभा और स म त नामक दो स थाए थी महाका यकाल म व ाय ल त हो गयी थी सभा राजदरबार म प रव तत हो गयी थी फर भी यह कहना सवथा स य नह होगा क जा क शासनmdashकाय म कोई आवाज न थी आ त रक शासन का भार म यत 11020100 ओर 1000 गाव क वा मय पर था व अव य ह साधारण यि त होत थ और राजा वारा नय त होन पर भी जा का ह त न ध व करत ह ग नवीन राजा क नयि त अथवा चनाव पर जा क भी कसी अथ म वीक त ल जाती थी राजा अपनी सहायता और परामश क लए क तपय अमा य क नयि त करता था शाि तपव (857mdash10) क अनसार चार ा मण नयत कए जाए जो च क सा म नपण ह नातक ह व वान और सदाचार ह 18 ऐस य नयत कए जाए जो शि तmdashस प न और श धारण करन वाल ह 21 ऐस व य नयत कए जाए जो व त स स प न हो तीन ऐस श नयत कए जाए जो वनीत ओर स कम करन वाल ह साथ ह पौरा णक अन त क ाता एक ऐस सत को भी लया जाए िजसक आय 50 वष स ऊपर हो चक हो और साथ ह जो न दा न करन वाला व वान र समदश और मतmdash म त का ाता हो यह पर भी म न एक ऐसी सभा का वणन कया ह िजसक सद य क स या 47 थी इसम जनता क चार वण को त न ध व ा त था िजसम श तक को थान ा त था जनता म व य कम (क ष पशपालन एव वा ण य) सबस अ धक होता था अत उसक त न धय क स या अ धक थी स भवत यह एक ऐसी स था थी जो सभी मह वपण राजक य वषय पर वचारmdash वमश करती थी इसम जो नणय कए जात थ उ ह रा क स मख पश कया जाता था और इस योजन स उ ह रा य क पास भज दया जाता था यहा रा और रा य का या

अ भ ाय ह यह प ट नह ह महाभारत यग म पौरmdashजानपद क स ता का नदश मलता ह

सभा या जन ससद क स ब ध म शाि तपव (1141) स मह वपण नदश मलता ह य धि ठर न करता ह क ससद म जब व वान र छ और ग प यि त मद और ती ा भाषण वारा अपना आ ोश कट कर रह ह तो या करना चा हए इस न क उ तर म भी म न कहा जनmdashससद म जो कोई आ ोश वारा दोषारोपण करता ह राजा उसक सकत वय ा त कर लता ह कवल उसक द कत ह उसक पास बच रहत ह ऐस यि तय क

ग हत बात क उसी ढग स उप ा क जाए जस रोगपी डत यि तय क वचन क क जाती ह ऐस यि त क त जनता म व वष उ प न हो जाता ह और उसका भाषण नकल हो

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जाता ह उसक पापmdashकम सव व दत हो जात ह और वह लि जत होकर मत क समान होकर रह जाता ह व प ब वाल जो कछ कह उस सहन करना चा हए ऐस यि तय क शसा और न दा स कसी का या बनताmdash बगड़ता ह जस जगल म कौआ बकार बकवास

करता ह ऐस ह ससद म अ पब क यि त क भाषण को समझना चा हए िजस मन य क लए कछ भी अवा य नह ह और कछ भी अकाय नह ह उसक कथन क परवाह करन क या आव यकता ह जो मन य सामन तो गण का बखान करता ह पर पीठ पीछ न दा करता

ह वह कल क समान ह महाभारत क इस स दभ स जहा राजत रा य म जनससद क स ता स चत होती

ह वहा यह भी ात होता ह क इस ससद म मद और ती ण दोन कार क भाषण हआ करत थ ससद क सद य न दा कट आलोचना और ोधपण भाषण भी दत थ भी म न इनक स ब ध म राजा को परामश दया ह क वह इनक उप ा कर इसस ात होता ह क महाभारतmdashयग म राजत रा य म जन ससद का वशष मह व नह रहा था स म त या ससद अब भी व यमान थी पर राजा लोग उसक भाषण को कोई मह व दना नह चाहत थ स म त क समान सभा क भी इस यग क रा य म स ा थी सभास कस होन चा हए इस स ब ध म शाि तपव (832) म उ लख ह क जो लोग ल जाशील िजति य स प और सरलता स य त तथा यmdashअ य वचन को पर तरह स कहन म समथ ह वस ह प ष को सभास बनाना चा हए व दक यग क सभा क समान इस काल म भी सभा का म य काय याय करना था

उपय त ववरण स प ट ह क महाभारत काल म सभा कोई मनना मक नकाय नह था जस क व दक काल म सभा और स म त थ यहा पर सभा श द राजदरबार और सभाmdashभवन क अथ म य त हआ ह इस वषय म डॉ बनी साद का मत स य ह महाका य म ाचीन लोक य सभा पणतया ल त हो गयी सभा क थान पर दरबार का वकास हो गया िजसम राजा क स ब धी स मान ा त कल न यि त साम त पजार अ धकार और राजधानी क म य यि त सि म लत रहत थ

जहा तक ामmdashशासन का स ब ध ह शाि तपव (872mdash8) म लखा ह यक ाम का एक अ धप त नयत कया जाए फर मश दस बीस सौ और एक हजार ाम क शासक नयत कए जाए ाम क शासक को ा मक कहत थ दस ाम क शासक को वशा धप बीस ाम क शासक को वशा धप सौ ाम क शासक को शतपाल और हजार ाम क शासक को सहसप त क स ा थी जनपद या रा क अ तगत जो नगर ह उनक लए एक mdashएक सवाथ च तक शासक क नयि त क जाती थी य सभी राज पदा धकार राजा क सभा म सभासद क प म सि म लत होत थ ा मक का काय ामmdashस ब धी सभी काय को स प न करना और ाम क दोष का नवारण करना माना जाता था ा मक का काय ामmdash वषयक सभी मामल क सचना द शक क पास भजता था और द शक

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शा धक को वशा धक शतपाल को शतपाल सह प त को और सह प त रा क राजा क पास सचनाए भजत थ rdquo

महाभारत स ात होता ह क महाभारत यग म कवल राजत रा य क ह स ता नह थी अ पत ऐस भी रा य थ िजनका शासन गणत था महाभारत म िजन गणरा य का उ लख ह उनम यौधय मालव श व औद बर अ धकmdashवि ण गत मा यमकय अ ब ठ वातधान यादव ककर भोज आ द मख ह स भवत महाभारत क समय यादव ककर भोज अ धक और वि ण गण न मलकर एक सघ (League]) बनाया हआ था िजसक अ यतम मसघम यम_ क ण थ महाभारत क अनशीलन स इस सघ क स ब ध म बह तmdashसी मह वपण बात वात होती ह इन गणरा य न अपनी राजनी तक वत ता और पथक सला को कायम रखत ह ए अपन को एक सघ म सग ठत कया हआ था

महाभारत क कण वजय पव म भ रो हतक आ य और मालव जनपद का ldquoगण क प म उ लख ह इनक ि थ त इ थ क पि चम म थी सभापव म औद बर श व गत यौधय अ ब ठ क मालव ओर वशा त आ द जनपद का उ लख ह िजनक लए

मौलय सजातय णम त और श धा रण आ द व लषण दए गए ह इनम क तपय कल का शासन था और य अपनी जा त का अ भयान वशष प स अनभव करत थ इनक शासनmdashस थाओ का प रचय बाद क सा ह य म मलता ह

महाभारत स स चत होता ह क गण क आसन म क तपय कल का मह व होता था जो उ योग ब प व धन म समान न होत ह ए भी जा त क ि ट स अपन को एक समान समझत थ और शासन म भी उनक ि थ त एक समान थी इस कार व दककाल न शासन म जहा आ थक धा मक और ीय स थाओ का त न ध व होता था पर त महाभारत काल म ऐसा तीत नह होता इन स थाओ का त न ध व न रहन क कारण जनत शासन म वशान मक त न ध व हो जाना स भव हो गया इस लए शासन म स थाओ क त न ध व का लोप जनत ीय शासन क लए घातक स हआ

215 बौ यगीन वशासन का व प महाभारत क समय भारत म बह तmdashस जनपद क स ता थी शासन प त क ि ट

स य जनपद दो कार क थ mdash राजत और गणत मगध क समान अ य अनक जनपद पड़ोस क अ य जनपद को जीतकर अपनी शि त क व तार म त पर थ इसी लए इनक ि थ त जनपद क थान पर महाजन पद क हो गयी थी बौ mdashसा ह य म थानmdash थान पर सोलह महाजनmdashपद का उ लख आता ह िजनम भ नmdash भ न राजत mdashरा य म राजा क ि थ त भ नmdash भ न कार क थी बौ काल म राजत रा य म राजा ाय वश मानगत होत थ ल कन सहासन पर बठन क पव उ ह यह स करना आव यक होता था क व राजकाय का सचालन करन क लए उपय त यो यता रखत ह सामा यतया राजत रा य म राजा का बड़ा प क ग ी पर बठता था पर त उसक अयो य होन पर अमा य उस पद यत कर कसी अ य यि त को राजग ी पर बठा सकत थ राजत करा य म अमा य का शासन

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म अ य धक मह वपण थान होता था अमा य क लए सभी व याओ व श प म न णात होना आव यक माना जाता था

बौ काल क जनपद पर और जनपद mdash इन दो वभाग म वभ त थ पर राजधानी को कहत थ और राजधानी क अ त र त शष स पण रा य को जनपद कहा जाता था जनपद म व यमान व वध ाम का शासन कस कार का होता था इस स ब ध म कोई मह वपण नदश जातकmdashसा ह य म उपल ध नह होता ाम क शासक को ामभोजक कहत थ ामभोजक बह त मह वपण पद समझा जाता था इसी लए इसक साथ अमा य वशषण भी आता ह ामभोजक ामmdashस ब धी सभी वषय का सचालन करता था उस यायmdashस ब धी अ धकार भी ा त थ शराबखोर को नयि त करना शराब क दकान को लाइस स दना द भ पड़न पर गर ब जनता क सहायता करना ामभोजक का ह काय था एक थान पर यह भी वणन आता ह क ामभोजक न पश हसा तथा शराब का सवथा नषध कर दया था ामभोजक क ि थ त राजा क अधीन होती थी उसक शासन क व राजा क पास अपील

क जा सकती थी और राजा उस पद णत कर कसी अ य यि त को उसक थान पर नय त कर सकता था जातक सा ह य म कथा आती ह क काशी रा य क दो ाम भोजको न अपनmdashअपन ाम म पशmdash हसा तथा शराब पीन का सवथा नषध कर दया था इस पर उस ाम क नवा सय न राजा स ाथना क क हमार ाम म यह था दर स चल आ रह ह

और इस इस कार न ष नह करना चा हए राजा न ामवा सय क ाथना को वीकत कर लया और ाम भोजको क व आ ाए र कर द इस कार प ट ह क ामभोजक क शासन पर राजा का पण नय ण था

बौ काल न गणत रा य म कोई वश मानगत राजा नह होता था जनता वय ह अपना शासन करती थी बौ सा ह य म हम िजन गणत का उ लख मलता ह व न न ल खत ह mdash क पलव त क शा य राम ाम क को लय म थला क वदह कशीनगर क म ल पावा क म ल प प लवन क मो रय अ लकय क ब ल ससमार ग र क भगा कसपल क कालाम और वशाल क ल छवी इन गणरा य क शासनmdash यव था क स ब ध म अनक मह वपण नदश हम बौ mdashसा ह य म उपल ध होत ह

ाचीन भारत क गणरा य भारत क व भ न दश म थ और उनक वकास का काल भी काफ द घ रहा अत यह वाभा वक ह क व भ न गणरा य क स वधान भ नmdash भ न ह य क यक का स वधान उनक आव यकताओ और प रि थ तय क अनकल था कछ का स वधान अ धक जात ा मक था जस अ ब ट म नवा चत व का वतीय आगार था उनक सनाप त भी नवा चत होत थ और यक यि त को शासन म भाग लन का अ धकार था पर त अ धकाश गणरा य क शासनmdashप त ध नकवग य (Oligarchical) थी ल छवीmdashसघ कई वाय तता ा त जन का सघ था कछ रा य म अ य राजा या म य थ और कछ म अ य का समह होता था जसा क को और मालव म िज ह न सक दर स सि धmdashवाता क लए 1०० या 15० त न ध भज थ कठ म रा य का अ य एक नवा चत राजा होता था शा य म भी एक नवा चत राजा होता था जो रा य का धान था

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ल छ व सघ म भी रा य का एक नवा चत अ य (म य) होता था जो सघmdashसभा क बठक म सभाप त रहता था और राजा क उपा ध धारण करता था डॉ जायसवाल क अनसार जहा तक कायपा लका शि त का स ब ध ह कछ स वधान म इस व क आगार (House of elders) को दया हआ था जब क दसर स वधान म यह साधारण गण क हाथ म थी ीक लखक क अनसार प तल तथा अ ब ठ म व mdashप रष क हाथ म सव च स ता थी और व अपन व क परामश को सनत थ

अ तकर का मत ह क रा य क आकार और पर परा क अनसार मि य क स या म अ तर रहता था म ल रा य म चार ल छ व रा य म नौ और ल छ वmdash वदह रा यmdashसघ क म नmdashप रष म अ ारह सद य थ यौधय मालव और क आ द रा य म कतन मनी थ यह मालम नह सक दर स सि धmdashवाता क लए क न 150 त न ध भज थ जो उनक मि म डल क सद य थ ल छ व और यौधय आ द कछ गणरा य म तो म न प रष क सद य को राजा क उपा ध द जाती थी

जातक म ल छ वय क सघmdashसभा म 7707 बताए गए ह मखज का कथन ह भीतर शासन क लए सघ क सभा म 7707 राजन थ जो सघ क सद य होन क कारण तकmdash वतक म रत रहत थ ल छ व गण क बह स यक राजाओ का उ लख करत ह ए ल लत व तर म कहा गया ह क ल छ व पर पर एकmdashदसर को छोटाmdashबड़ा नह मानत थ और सब म राजा ह म राजा ह ऐसा समझत थ ल छ व सघ क सभा एक मनना मक नकाय थी िजनम राजmdashस ब धी सभी मामल पर वादmdash ववाद एव वचार करक नणय कया जाता था सभा एक सावज नक भवन स धागार म एक त होती थी शा य और म ल क सभा क भी बड़ सभाmdashभवन थ जायसवाल का मत ह क कछ गणरा य म व क प रष थी अ तकर न उनक इस मत क आलोचना करत ह ए कहा ह क य वयोव तथा अनभवी लोग थ सभी गणरा य म व धmdash नमाण रा य क नी त और रा य क मह वपण मामल पर वचार तथा न चय करन क लए एक सभा अव य रह होगी कछ गणरा य म गणत ा मक प त इतनी वक सत थी क उनम व भ न दल का भी अि त व था

अ धकतर रा य म कलmdash यायालय थ कलmdash यायालय क नणय क अपील गणmdashयायालय म होती थी कछ गणरा य म औ यो गक सगठनmdash णी भी थ इन णय

अथवा तो को कछ या यक शि तया ा त थी िजनक नणय क व कल तथा गण यायालयो म अपील हो सकती थी बौ ध स ात होता ह क कसी भी मकदम क सनवाई एक क बाद दसर तीसर अ भकरण वारा क जाती थी इनम थम व न चय महामा होत थ उनक ऊपर वोहा रक और स धार थ और उनक ऊपर सनाप त व उपराज होत थ आठ सद य का एक यायालय और था जो अ टmdashकलक कहलाता था इनम स कोई भी यायालय अ भय त को नद ष मानकर म त कर सकता था पर त सभी यायालय कसी

अ भय त को अपराधी मानत थ तो उस मामल पर कायपा लका (मि म डल) म ह वचार कया जा सकता था

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ल छ वmdashसघ म वद शक काय क दखभाल क लए नौ सद य क सभा थी बौ काल न गणरा य म अ धकार वग अ धक सग ठत हो गया था कछ गणरा य म राजा क नीच उपराजा सनाप त व भा डा रक थ जातक स ात होता ह क ल छ वmdashसघ म 7707 राजा थ जो सघ क राजधानी वशाल म रहत थ उनक बट ल छ वmdashकमार अथवा लच वmdashराजप कहलात थ िजनका अ भषक होता था वशाल म एक वशष तालाब था िजसका योग उनक अ भषक क लए होता था एन एन लॉ क मतानसार वि जय का गणरा य आठ कल (जन ) का सघटन (Confederation) था िजनम सबस अ धक मह वपण ल छ व और वदह थ िजनक राजधा नया मश वशाल और म थला थी सभी वि जय क शासनmdashप त गणत ा मक थी सघ म सि म लत छोट रा य का शासन ल छ व राजा वय करत थ िजनक यक क अपन उपmdashराजा सनाप त व अ य अ धकार होत थ इस कार ल छ व स वधान ध नकत ी(Oligarchical) था अथात ऐसी शासनmdashप त थी िजसम

राजनी तक स ता एक वशषा धकार ा त वग अथवा समदाय म न हत थी पर त कछ व वान क मतानसार ल छ व स वधान जातना मक था िजसम राजनी तक शि त उपभोग सभी वग व जा तय क यि त करत थ

एन एन लॉ का कथन ह क बड़ गणरा य क राजधा नय म स धागार क अ त र त अ य मह वपण थान क ब तथा गाव म भी सावज नक भवन होत थ जहा पर थानीय जन शास नक काय करत थ स धागार आरामघर जलाशय आ द का नमाण माग क मर मत उ यान बनवाना और सावज नक उपभोग क अ य काय को कराना आ द म ामवासी सहयोग दत थ इस कार गाव तथा क ब क मामल क सचालन म साधारण जन अपनी ब लगात थ िज ह राजनी तक श ण ा त था यौधय और क गणरा य म नगर क अपनी वाय तताmdashप रषदय होती थी गणरा य क अ तगत ाम म भी पचायत अव य रह ह गी

डॉ वी पी वमा क मतानसार राजनी तक काय वशषकर कल न व ध नक तनी गणरा य म भाग लन का अ धकार ज म पर आधा रत था पर त डॉ क पी जायसवाल का कथन ह क कठ और सौभत क गणरा य म मन य वा तव म एक राजनी तक ाणी था और वह रा य क लए रहता था कल न गणरा य म मता धकार का आधार प रवार था ह द गणरा य म ज म (जा त) तथा प रवार क समता पर ह सवधा नक मता आधा रत थी कलmdashप रा य क सभी नवा चत पद क यो य थ कल न तन तथा जात म राजनी तक अ धकार का आधार कल था शा य क प रष म यवक और व सभी भाग लत थ वि णmdashसघ म पता प और छोट भाई को मता धकार ा त था रा य क त नाग रक न ठा रखत थ

ाय सभी लखक का मत ह क ाचीन भारतीय गणरा य क काय णाल का कोई य ववरण ा त नह ह डॉ जायसवाल और डॉ मकज न उनक काय णाल का आधार

बौ सघ क काय णाल को माना ह डॉ अलकर न भी उनक इस मत का समथन कया ह इन बौ सघ क अ धवशन स धागार या उ यान म होत थ आसन पचापक स क वशष

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अ धकार जो दस वष का अनभवी भ होता था य ठानपव म स आसन लगाता था अ धवशन क लए उपि थ त क कम स कम स या का भी वचार था व भ न थ म भ नmdash भ न काय क लए सघ क नयत उपि थ त क स या अलगmdashअलग बतायी गयी ह सघ का अ य वनयधर कहलाता था परकmdashस या म उसक गनती नह होती थी सघप त क स या क अभाव म भ mdashसघ का नणय अ नय मत माना जाता था

अ धवशन अथवा कायmdashसचालन क लए सघ उपय त नयम बनाता था बठक म ताव क बना कोई भी वषय तत नह कया जा सकता था ताव ( ाि त) को

औपचा रक प स उपि थत ( थापन) करना आव यक था उसक बाद उसक नय मत प स अन सावन (आवि त) होती थी िजसस क सभी सन ल इस कार सघ क सामन वादmdash ववाद कवल उसी ताव तक सी मत रहता था िजस ताव पर कोई मतभद न हो वह एक बार पढ़ा जाता था मतभद होन पर उसका तीन बार पढ़ना आव यक था ाि त ( ताव) पर कसी सद य का मौन रहना उसक सहम त माना जाता था जो सद य प म होत थ उ ह मौन रहन को कहा जाता था और जो कोई व होता था वह अपना मत य त करता था सघ क वारा वीकत ताव सघmdashकम कहलात थ सघ क वारा वीकत ताव को कमवाचा कहा जाता था

सघ क सद य सदव मौन ह नह रहत थ बि क उस पर वादmdash ववाद भी होता था यह यास कया जाता था क सभी सद य का एकमत ा त कया जाए इसक लए यि तया खोजी जाती थी इसम एक यि त को तनव थारक (अथात तण स ढकना) कहत थ इस उपाय को झगड़ कलह और वादmdash ववाद वाल थान पर काम म लाया जाता था सद य कसी नि चत थान पर एक त होकर अपन दल क नता स कहत थ क व वाद क वषय को सामन रखकर नपटा ल इन बठक म जो भी नणय होता था उस स पण सघ मान लता था य द कभी कोई कसी न को आपस म तय न कर पात तो ऐसी दशा म व दसर सघ को उस न क नणय क ाथना करत थ समझौत क लए तीसरा उपाय था एक उपmdashस म त नय त करना उस उ बा हक सभा कहत थ जो शा त तथा एका त म सम या पर वचार करती थी इस स म त क नयि त म त न ध व का स ा त छपा हआ था जब एक मत होन क सभी यि तया तथा माग ब द हो जात थ या उबा हक सभा कसी न चय पर पह चन म असमथ रहती थी तो समण सघ मामल पर वचार करता था और बह मत वारा उस पर नणय करता था जो सद य प पात दोष मोह और भय र हत होता था सघ क वशष ताव वारा शलाकाmdash ाहक (मतदान अ धकार ) नय त कया जाता था उनक मतदान स ह क कई व धया थी mdash (i) छप ढग स (ii) कान क पास चपक स कहकर (iii) खल प म (iv) सबक सामन बह मत कवल अि तम अव था म ह लया जाता था ऐसा कहा गया ह क इस व ध को वह लाग नह करना चा हए जहा बात त छ हो न द ट प त स वचार न कया गया हो ववाद त वषय सद य को प ट न हो इस प ट ह क

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मतदानmdashअ धकार को बड़ अ धकार ा त थ िजनस वह मतदान क प रणाम को थ गत अथवा उसका न ह भी कर सकता था

216 मौय शासन म थानीय वशासन 2161 नगर शासन

मौय काल म नगर क थानीय वशासन क या ि थ त थी इसका सबस अ छा प रचय मग थनीज क या ाmdash ववरण स मलता ह मग थनीज न पाट लप नगरmdash शासन का व तार स वणन कया ह उसक अनसार पाट लप क नगर सभा छ उप स म तय म वभ त थी और यक उप स म त क पॉचmdashपाच सद य होत थ इन उप स म तय क काय न न ल खत थ mdash पहल उप स म त का काय औ यो गक तथा श पmdash स ब धी काय का नर ण करना था मजदर क दर नि चत करना तथा इस बात पर वशष यान दना क श पी लोग श तथा प का माल ह काम म लात ह और मजदर क काय का समय तय करना उस पर स म त का काय था च ग त मौय क समय म श पी लोग का समाज म बड़ा आदर था यक श पी रा mdash क सवा म नय त माना जाता था यह कारण ह क य द कोई मन य कसी श पी क ऐस अग को वकल कर द िजसस क उसक ह तकौशल म यनता आ जाए तो उसक लए म यद ड क यव था थी दसर उप स म त का काय वद शय का स कार करना था जो वदशी पाट लप म आय उन पर उप स म त नगाह रखती थी साथ ह वद शय क नवास सर ा और समयmdashसमय पर औषधोपचार का काय भी इस उप स म त क सपद था य द कसी वदशी क पाट लप म म य हो जाय तो उसक दश क रवाज क अनसार उस दफनान का ब ध भी इसी क ओर स कया जाता था मत वदशी क जायदाद व स पि त का ब ध भी यह उप स म त करती थी तीसर उपस म त का काय मदमशमार करना था म य और ज म क सची रखना इसी उप स म त का काय था कर लगान क लए यह सची बड़ी उपयोगी होती थी चौथी उप स म त यmdash व य क नयम का नधारण करती थी भार और माप क प रणाम को नि चत करना यापार लोग उनका श ता क साथ और सह mdashसह उपयोग करत ह इसका नर ण करना इस उप स म त का काय था यापार लोग जब कसी वशष व त को बचन क अनम त ा त करना चाहत थ तो इस उप स म त क पास आवदनmdashप भजत थ ऐसी अनम त दत समय यह उप स म त अ त र त कर भी वसल करती थी पाचवी उप स म त यापा रय पर इस बात क लए कठोर नय ण रखती थी क व लोग नई और परानी व तओ को मलाकर तो नह बचत नई तथा परानी व तओ को मलाकर बचना नयम व था इसको भग करन पर सजा द जाती थी छठ उप स म त का काय यmdash व य पर ट स वसल करना होता था उस समय यह नयम था क जो कोई व त िजस क मत पर बची जाए उसका दसवा भाग कर प म नगर सभा को दया जाए इस कर को न दन पर कड़ द ड क यव था थी

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इस कार मग थनीज न छ उपस म तय क पथकmdashपथक काय का उ लख करक लखा ह क य काय ह जो उपस म तया पथक प स करती ह पर पथक प म जहा उप स म तय को अपनmdashअपन वशष काय का यान रखना होता ह जहा व साम हक प स जन साधारण हत क काय पर भी यान दती ह यथाmdash सावज नक इमारत को सर त रखना उनक मर मत करना क मत को नय मत करना बाजार ब दरगाह तथा मि दर पर यान दना rdquo

मग थनीज क इस ववरण स प ट ह क च ग त मौय क शासन म पाट लप का शासन तीस नाग रक क एक सभा क हाथ म था स भवत यह ाचीन पौर सभा थी इस कार क पौरmdashसभाए त शला उ जनी` आ द नगर म भी व यमान थी जब उ तरापथ क व ोह को शा त करन क लए कणाल त शला गया था तो वहा क पौर न उनका वागत कया था अशोक क शलालख स भी ात होता ह क उस समय बड़ नगर म पौर सभाए व यमान थी इस कार नगर क नवासी अपन नगर क वशासन म पया त अ धकार रखत थ

मग थनीज का यह ववरण उस वाय त शासन को स चत करता ह जो उनम पर परागत प स व यमान था वशाल मौय सा ा य क लए यह आव यक था क स ाट क ओर स नगरmdash शासन को स यवि थत कया जाए कौ ट य अथशा क अनसार नगर क शासक को नागरक कहत थ शासन स वधा क ि ट स नगर भी अनक उप वभाग म वभ त या िजनक शासक मश था नक और गोप कहलात थ जो अपनmdashअपन क सशासन क लए उ तरदायी थ स भवत मग थनीज वारा व णत नगरmdashसभा नागरक क कमचा रय स वत होकर अपन काय को स पा दत करती थी

व भ न जनपद क अपनी सभाए होती थी िज ह पौरmdashजानपद कहत थ जनपद क राजधानी या पर क सभा को पौर और शष दश क सभा को जानपद कहा जाता था

यक जनपद क अपन धम यवहार और च र भी होत थ सभी जनपद क साथ एकmdashसा यवहार नह कया जाता था जनपद पर शासन करन क लए स ाट क ओर स समाह ता नामक राजप ष क नयि त क जाती थी ल कन वह जनपद क आ त रक शासन म ह त प नह करता था वशासन क ि ट स सभी जनपद क ि थ त एक समान नह थी

2162 ाम शासन

जनपद म बह तmdashस ाम सि म लत होत थ और यक ाम शासन क ि ट स अपनी पथक व वत स ता रखता था कौ ट य अथशा स हम इन ामmdashस थाओ क स ब ध म बह तmdashसी बात ात होती ह शासन क सबस छोट इकाई ाम थी दस ाम क समह को स हण कहत थ बीस स हण (या 200 ाम ) स एक खाव टक बनता था दो खाव टक (या 400 ाम ) स एक ोणमख और दो ोणमख (800 ाम ) स एक थानीय बनता था थानीय म लगभग 800 ाम थ पर कछ थानीय आकार म छोट थ या कछ

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दश म आबाद धनी न होन क कारण थानीय म गाव क स या कम रहती थी ऐस थानीय को ोणमख या खाव टक कहा जाता था

यक ाम का शासक पथकmdashपथक होता था िजस ा मक कहत थ ा मक ाम क अ य नवा सय क साथ मलकर अपरा धय को द ड दता था और कसी यि त को ाम स ब ह कत भी कर सकता था ाम क अपनी सावज नक न ध भी होती थी जो जमान ा मक वारा वसल कए जात थ व इसी न ध म जमा होत थ ाम क तरफ स

सावज नक हत क अनक काय क यव था क जाती थी लोग क मनोरजन क लए व वध ाओ (तमाश ) क यव था क जाती थी िजसम सब ामवा सय को ह सा बटाना होता था

जो लोग अपन सावज नक क त य क उप ा करत थ उन पर जमाना कया जाता था इसस स चत होता ह क ामmdash शासन का अपना एक पथक सगठन भी उस यग म व यमान था यह ामmdashस था याय का काय भी करती थी ाम सभाओ म बनाए गए नयम सा ा य क यायालय म मा य होत थ अ पटला य क काय म एक यह भी था क वह ाम सघ क धम यवहार च र स थान आ द को नब धप तक थ (रिज टड) कर

कौ ट य अथशा स ान होता ह क मौय सा ा य क ाम म वाय त स थाओ क स ता थी इस स था को ामसघ कहत थ इस ामसघ क सद य को ामव कहा जाता था स भवत ाम म नवास करन वाल सभी कल या प रवार क म खयाओ (व ) वारा ामसघ का नमाण होता था य ामव जहा अपरा धय को द ड दत थ उनस जमान वसल करत थ ामmdash वषयक सावज नक हत क काय का स पादन करत थ और लोग क मनोरजन क यव था करत थ वहा ाम क शोभा को कायम रखना और नाबा लग क स पि त का ब ध करन का भी काय करत थ ाम म ि थत मि दर तथा अ य दव थान क स पि त का ब ध भी इ ह क हाथ म था य अपन म सड़क और पल आ द बनवान का काय भी करत थ

इस ामसघ या ामस था का म खया जहा ा मक कहलाता था वहा क य सरकार क ओर स भी ामmdash शासन क लए एक कमचार नय त कया जाता था िजस गोप कहत थ क य सरकार क ओर स गोप क म य काय थ mdash ाम क सीमाओ का नधारण करना जनगणना करना और भ म का वभाग करना क य सरकार वारा नय त गोप क स ता रहत ह ए भी ा मक और ामसघ का ामmdash शासन म बह त मह व था इस कार ाम क लोग अपन सख व हत क अपन सघ म वय यव था करत थ इस ि थ त

म सा ा य क अ धप त क नरकशता या एकस ता का उन पर वशष असर नह होता था

2163 यवसा यय क णया

मौयकाल क यवसायी और श पी णय (Guilds) म सग ठत थ कौ ट य न इस श द का योग आ थक सघ या सगठन क लए कया ह वशष प स यापा रय द तकार आ द क सघ क लए य णया अपन नयम वय बनाती थी और अपन सघ म सि म लत शि पय क जीवन और काय पर परा नय ण रखती थी इनक नयम यवहार और च र

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आ द को भी राजा वारा वीकत कया जाता था अथशा म णीmdash नकाय और साथmdashसमवाय क स ब ध म जो क तपय नदश व यमान ह उनक अनशीलन स इस बात म कोई स दह नह रह जाता क मौययग म य ससग ठत स थाए थी

217 मौय तर यग क वशासन स थाए मौयवश क पतन और शकmdashयवन आ द वद शय क आ मण क समय भारत म जो

अनक वत रा य था पत ह ए उनम गणरा य का थान म य ह य गणरा य ह mdash मालव यौधय म क न द आजनायन श व ल छ व औद बर वि ण राज य महाराज आ य आ द

मौयवश क बाद भी थानीय वशासन का व प ाय वह रहा जो मौय क समय म था श गmdashसा ा य म बह त स ाचीन जनपद थ िजनका शासन ाचीन पर परा क अनसार होता था ामसघ और जनपदसघ इस यग म भी व यमान थ अनक जनपद क अपन पथक राजा थ िजनक ि थ त श ग स ाट क अधीन थ राजाओ क थी ाम और जनपद का पर परागत च र व कानन इस यग म भी पण सर त था शक प दामा क गरनार शलालख स ात होता ह क जनपद क पौरmdashजानपद सभाए इस यग म भी व यमान थी

2171 ग तकाल म थानीय वशासन

ग तकाल न अ भलख स ात होता ह क ग त स ाट न पहल बार यवि थत प स थानीय वशासन क थापना क िजसका उ य करmdashसचय करना शाि त और यव था बनाए रखना तथा जन हत काय को स पा दत करना था याग शि त म सभा श द का योग हआ ह जो स भवत लोकसभा थी िजनम जनता क त न ध उपि थत होत थ ग त

शासन यव था म ाम स ार भ कर यक कदम पर लोकmdash त न धय क प रष दखन म आती ह िजसस ात होता ह क सव च तर पर भी लोकmdash त न धय क सभा रह होगी यह सभा शासन क उ तरा धकार क मनोनयन पर अपनी वीक त दान करती थी यह अनमान च ग त थम वारा सभा क बीच अपन उ तरा धकार क घोषणा स होता ह

भि त अथवा म डल क अ तगत एक छोट शास नक इकाई वषय थी वषय का उ लख हम सम ग त क समय स मलता ह उनक नाल दा ता शासन म मल वषय तथा गया तायशासन म गया वषय का उ लख ह कमारग त थम क म दसौर अ भलख स लाट वषय तथा क दग त क इ दौर ता लख म अ तवद वषय का उ लख ह कमारग त थम क दामोदरपर शासन म को टवष का उ लख ह तोरमाण क एरण वराह अ भलख स ात होता ह क ए र कण एक वषय था इस कार वषय क अ तगत अनक ाम थ वषय का शासक वषयप त कहलाता था जो वषयmdashप रष क सहयोग स शासन

करता था िजसम नगर ि ठ साथवाह थम क लक और थम काय थ होत थ नगर ि ठ यापा रय का मख एव नगरसभा का अ य साथवाह यापा रक णय का धान थम क लक कार गर का त न ध और थम काय थ धान लखक था इस कार वषयmdashप रष

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म सभी वग का त न ध व था वषयmdashप रष को शासन म अनक व तत अ धकार मल ह ए थ

ाम शासन क सबस छोट इकाई थी ाम का उ लख अनक ग त अ भलख म हआ ह सम ग त क नाल दा ता शासन म भदप करक ाम तथा गया ता शासन म रव तक ाम का क दग त क कहाव त भ लख म ककभ ाम का उ लख ह ाम का म य ध धा क ष था क त उनम जलाहा क भकार बढ़ई तल सनार आ द कार गर भी रहत थ यक ाम का अव थानकल होता था ामmdashशासन क शासक को ा मक ामयक अथवा ामा य कहत थ वह थानीय प रष क सहायता स काय करता था

िजसको म य दश म पचम डल और पव भाग वशषत बहार म ाम जनपद अथवा प रष कहत थ उनक अपनी महर होती थी िजनको व माणीकरण क लए अ कत करत थ उसक सद य मह तर कहलात थ जो ाय बा मणतर वण क होत थ ऐसा त काल न भmdashशासन स ात होता ह उनम ा मण और मह तर का उ लख अलग हआ ह

ामmdashप रष शासन स ब धी सभी काय करती थी यथाmdash ाम क सर ा गाव क झगड़ नपटाना लोक हत काय को करना सरकार राज व को कोष म जमा कराना आ द उसका अ धकार अपनी ाम सीमा क अ तगत सभी घर ग लय हाट कओ तालाब ऊसर और ख तहर भ म जगल मि दर मशान आ द पर था बना मह तर क अनम त स कोई भी भ म चाह धमmdashकाय क लए ह य न हो नह बची जा सकती थी ामmdashप रष को ाम स ा त राज व को ाम हत म यय करन का अ धकार था ामmdashप रष क मह तर नवा चत अथवा मनोनीत होत थ यह नि चत प स नह कहा जा mdashसकता मह तर श द स ात होता ह क ाम क अ तगत रहन वाल व भ न वग क वयोव लोग िजनको आय

अनभव च र आ द क कारण मखता ा त होती थी व ह ामmdashप रष क सद य होत थ अ भलख स ात होता ह क ा मक और ामmdashप रष क अधीन शासनmdash यव था क

न म त अनक कमचार थ उनम स कछ न न ल खत थ mdash अ टकला धकरण mdash यह एक मह वपण पद था और ाम क भ म क यmdash व य और ब ध म मह वपण हाथ था अ पट लक mdash यह भ म स ब धी अ धकार प और ाम स स बि धत राजक य आलख को सर त रखता था वल कौशन mdash यह भकर अ धकार था और उसका म य काय आयmdashसचय करना तथा ाम को उपल ध स वधाओ क दखभाल करना था

ग तो तर अ भलख म कछ अ य ामmdashअ धका रय क उ लख मलता ह इनम तलवाटक ( ामmdashर क) सीमकमकार ( ाम क सीमा का अकन करन वाला) मात (मापक) यायmdashक णक (खत क सीमा स ब धी ववाद नपटान वाला अ धकार ) क णक (आलख

अ धकार ) और ह क (हाटmdashअ धकार अथवा हाट स कर वसलन वाला अ धकार ) मख थ वषय और ाम क समान पर म भी शासनmdashस म त होती थी जो नाग रक स वधाओ

पर यान दती थी व ववमन क गगधार अ भलख स इस बात क जानकार मलती ह क सरकार अ धकार तथा जा दोन ह यथासा य जन हत का काय कया करत थ गरनार क

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शासक न व त सदशन झील क मर मत करायी थी यह स म त स भवत लोक उ यान तथा मि दर क दखmdashरख और पानी क यव था भी करती थी

नगरmdash शासन म नाग रक लोग सरकार क साथ सहयोग करत थ महर तथा अ भलख स ात होता ह क ग तकाल क कार गर और यवसा यय क अपन नगम थ वशाल स ा त 274 महर म ि ठ mdash साथवाहmdashक लक नगम का उ लख ह कछ महर स ात होता ह क क लक और ि ठय क अपन वत नगम भी थ दशपर म रशम क

तनवाय क णी और इ पर म एक त लक णी थी ऐसा तीत होता ह क यक यवसाय क मख पतक आधार पर अथवा नवाचन वारा उसक सद य होत थ स भवत य नगम साह कार यापा रय और कार गर क त न ध होन क कारण उनक नाग रक हत क दखmdashभाल करत थ नगम वय अपन नयम नधा रत करत थ जो समयrdquo कहा जाता था और शासक उनम च लत पर पराओ को वीकार करन को बा य था

2172 ग तकाल क प चात थानीय वशासन

ग तकाल क प चात थानीय वशासन म ाम स थाओ न मह वपण काय कया इस यग म बह तmdashस ऐस शलालख और ता प मल ह िजनस ाम स थाओ क वषय म उपयोगी बात ात होती ह

यक ाम क एक सभा या महासभा होती थी जो अपन म शासन का काय सभालती थी थान और काल क भद स ाम सभाओ क सगठन भी भ नmdash भ न कार क थ कछ ाम क ामmdashसभाओ म वहा क सभी वय क प ष सद य प स सि म लत होत थ कछ ाम ऐस भी थ िजनम सब वय क प ष को ाम सभा क सद यता का अ धकार नह था द णी भारत क एक उ क ण लख क अनसार एक ाम क वय क प ष क स या 400 थी पर उसक सभा क सद य कवल 300 प ष थ एक अ य ामसभा क सद य क स या 512 लखी गई ह एक अ य लख म एक ऐस ाम का उ लख ह िजसक सभा क सद य स या 1000 थी ामसभा का अ धवशन या तो मि दर म होता था या कसी व क छाया म क तपय ाम ऐस भी थ िजनम सभा क लए पथक भवन भी व यमान थ

ामmdash शासन का सब अ धकार ामसभा क हाथ म था िजसक अ धवशन क अ य ता अ ामणी नामक अ धकार करता था शासनकाय म स वधा क लए अनक स म तय का भी नमाण कया जाता था िज ह अनक कार क काय सप थ य स म तया न न ल खत थी mdash (i) वष भर क लए नय त स म त या वष भर तक शासनmdashकाय का नय ण व नर ण करन वाल स म त (ii) दान क यव था करन वाल स म त (iii) जलाशय क यव था करन वाल स म त (iv) उ यान का ब धन करन वाल स म त (v) याय क यव था करन वाल स म त (vi) सवण व कोश क यव था पका स म त (vii) ाम क व वध वभाग का नर ण करन वाल स म त (viii) खत और मदान क यव था

व नर ण करन वाल स म त (ix) मि दर का ब ध करन वाल स म त (x) साध और

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वर त लोग क यव था करन वाल स म त इन दस स म तय क काय इनक नाम स प ट ह

इन व वध स म तय क नयि त कस कार होती थी इस वषय पर द णी भारत स ा त लख स मह वपण जानकार मलती ह इस लख म एक ाम क स ब ध म लखा ह क ाम तीस भाग म वभ त था यक भाग क वय क प ष एक होकर स म तय क सद य बनन यो य यि तय क सची तयार करत थ स म त क सद यता क लए यनतम आय 35 वष और अ धकतम आय 70 वष आव यक थी जो यि त श त ईमानदार और कछ भी स पि त रखत ह व ह स म तय क सद यता क अ धकार होत थ ऐसा यि त िजसन स म त क सद य क प म खच कए गए धन का हसाब न दया हो अपराधी हो वह स म त क सद यता का अ धकार नह समझा जाता था सची तयार होन पर लॉटर डालकर एक प ष का नाम नकाला जाता था इस कार ाम क तीस भाग स तीस नाम नकलत थ िज ह व वध स म तय का सद य नय त कया जाता था यो यता और अनभव क आधार पर उ ह काय सौपा जाता था ाम क सभी यो य वय क प ष को स म तय क सद यता का अवसर मल सक इसक लए यह नयम था क कवल उ ह यि तय को सची म शा मल कया जाए जो पछल तीन वष स कसी भी स म त क सद य न रह ह

ामmdashस थाओ का व प छोटmdashछोट रा य क समान था इसी लए व उन सभी काय को करत थ जो रा य करत थ व वध कार क झगड़ व अ भयोग का फसला करना म डी व बाजार का ब ध करना कर वसल करना ाम क लाभ क लए नए कर लगाना ामवा सय स ाम हत क लए काय लना जलाशय उ यान खत चरागाह व मदान क

दखmdashरख करना तथा माग को ठ क रखना आ द काय ाम स थाओ क सपद थ यि तय क धन को तथा दानmdashप य क रकम भी ाम स थाओ क पास जमा क जाती थी द भ आ द ाक तक वपि तय क समय ाम सभाओ का उ तरदा य व बढ़ जाता था क लोग भख न मर श ा आ द क लए धन खच करना श ओ तथा डाकओ स ाम क र ा करना भी ाम सभा क काय थ जो ामवासी उ ठ काय क लए अपन ाण क आह त दत थ

उनक प रवार को ामसभा क तरफ स भ म द जाती थी िजस पर कोई लगान भी नह लया जाता था य द कोई मन य ाम क व आचरण करता तो उस ाम ोह का द ड दया जाता था ामसभा क अ धका रय का क त य था क व राजक य कर को वसल कर उसका हसाब रख और एक धन को राजकोष म पह चा द

2173 द ण भारत म थानीय वशासन

चोल म डल स बह तmdashस ऐस शलालख और ता प उपल ध ह ए ह िजनस इस यग क शासनmdash यव था पर काश पड़ता ह उ क ण लख क आधार पर चोलmdashरा य म शासन क इकाई ाम होत थ जो छोटmdashछोट रा य क समान थ और जो अपना शासन वय करत थ क तपय ाम मलकर एक समह का नमाण करत थ िज ह करमrdquo कहा जाता था करम का समह नाड और नाडओ क समह को को म या वलनाड कहत थ कोट म को

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िजला नाड को तहसील और करम को परगना कहा जा सकता ह क तपय को म या वलनाड मलकर म डलम का नमाण करत थ चोलmdashम डलम इसी कार का एक म डल था चोलmdashसा ा य म चोलmdashम डलम क अ त र त अ य दो कार क दश भी थ mdash विजत और साम तवग य वजय कए ह ए दश क ि थ त साम त राजाओ क समान थी पा डय करल आ द क य साम तmdashरा य भी चोल म डलम क समान कोट म नाड आ द म वभ त थ और इनका शासनmdash ब ध चोलम डलम क समान था चोल राजाओ न समीपवत अनक दश को जीतकर अपन सा ा य का व तार कया था य दश चोल क विजत थ और इ ह भी पथक म डल म वभ त कर दया गया था उनक शासन म भी थानीय सभाओ और ाम स थाओ क सका थी

ामmdashशासन क लए िजस कार ामmdashसभाए थी वस ह सभाओ क स ता करम नाड आ द म भी थी नाड क सभा को ना र कहत थ द णी भारतीय उ क ण लख म नाड क सभाओ का उ लख ह एक लख क अनसार एक नाड क ना रसभा न दो मन य क नयि त इस योजन स क क व नाड म व याथ आन वाल पान क प त पर दलाल वसल कर और इस कार क आमदनी स नाड क मि दर क लए काम म आन वाल पान दान कया कर इस काय का उ तरदा य व नाड क पाच सौ नद ष प ष पर रखा गया य पाच सौ प ष स भवत नाड क अ तगत व वध करम और ाम क त न ध थ और इनक सभा को अपन क शासन म अनक कार क उ तरदा य व और अ धकार ा त थ कछ उ क ण लख स ात होता ह क नाड और अ य वभाग क सभाओ को यायmdashस ब धी अ धकार भी ा त थ और य सभाए अपन म सावज नक हत क काय को स पा दत करती थी यथाmdash बाध नमाण सड़क नमाण आ द नाड क सभा को अपन क अ तगत

यक गाव स ऐस काय क लए कर वसल करन का भी अ धकार था ाम नाड आ द क थानीय सभाओ क कारण सवसाधारण जनता अपनी यव था

वय करती थी इन सभाओ क स ता क कारण जनता क वत ता बह त अश तक बनी ह ई थी

218 साराश इस कार ाचीन भारतीय शासन म थानीय वशासन कसी न कसी प म अव य

सग ठत था व दक काल म सभा और स म त दो स थाओ क स ता थी स म त स पण वश क स था थी जो रा य क सभी मह वपण न पर वचार तथा उन पर नणय करती थी इसी कार व दक सा ह य म सभा का भी उ लख मलता ह स म त सभा क तलना म एक बड़ी स था थी जो स पण वश या जा का त न ध व करती थी व दक काल म सभा और स म त का शासन म मह वपण थान था इन दो स थाओ क अ त र त वदध और सना नामक दो अ य स थाओ का उ लख व दक सा ह य म मलता ह

रामायण म प रष स म त और ससद तीन श द का उ लख मलता ह िजनका शासन म मह वपण थान था महाभारत यग म आ त रक शासन का भार ामmdash वा मय

पर था शाि तपव म भीम न एक ऐसी सभा का उ लख कया ह िजसम चार वण क

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त न ध सि म लत थ ाम क शासक को ा मक कहत थ जो ाम स स बि धत सभी काय को स प न करता था बौ काल म ाम क शासक को ामभोजक कहत थ जो एक मह वपण पद था वह ाम स स बि धत सभी वषय का सचालन करता था जातकmdashसा ह य स बौ यगीन गणरा य म भी थानीय वशासन का उ लख मलता ह

मौयकाल थानीय वशासन का प रचय मग थनीज क ववरण स ा त होता ह मग थनीज न पाट लप नगरmdash शासन क अ तगत उसन छ स म तय एव उनक काय का व तार स ववचन कया ह ाम क शासक को ा मक कहत थ मौयकाल म यवसायी और णीसघ भी व यमान थ िजनक नयम यवहार तथा च र को राजा वीकार करता था

यागmdash शि त म सभा का उ लख ह िजसम जनता क त न ध सि म लत होत थ ाम शासन क सबस छोट इकाई थी ामmdashप रष ाम क शासन स ब धी सभी काय को

करती थी ग तकाल क प चात भी थानीय वशासन म ाम स थाओ न मह वपण भाग लया इसका अ य ामणी कहलाता था

द ण भारत म चोलmdashम डल स ा त शलालख एव ता प क आधार पर थानीय वशासन पर काश पड़ता ह इनम ाम करम नाड एव को म का उ लख ह जो मलकर

म डलम का नमाण करत थ ाम शासन क लए ामmdashसभाए थी िजनका ब ध साधारण जनता वय करती थी

219 अ यासाथ न 1 थानीय वशासन का अथ एव उ य प ट क िजए 2 व दक काल म सभा एव स म त क व प का ववचना क िजए 3 महाका यmdashकाल म थानीय वशासन का वणन क िजए 4 बौ काल mdash म थानीय वशासन क समी ा क िजए 5 मौयकाल न थानीय वशासन का म याकन क िजए 6 ग तकाल एव उसक प चात थानीय वशासन का व लषण क िजए

2110 सदभ थ क सची 1 का श साद जायसवाल ह द राजत भाग 1 एव 2 2 आरएसशमा आ प स ऑफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इि ट यस स इन एि शए ट इि डया 3 एएसअलकर ाचीन भारतीय शासन प त 4 रमशच मजमदार ाचीन भारत म सघ टत जीवन 5 स यकत व यालकार ाचीन भारतीय शासन यव था और राजशा 6 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज और रा य

Page 2: Vardhaman Mahaveer Open University

2

3

4

पा य म अ भक प स म त अ य ो जीएसएल दवड़ा

कलप त वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा (राज थान)

सयोजकसद य

ो एसएन दब टगोर ोफसरइ तहास एव भारतीय स क त वभाग राज थान व व व यालय जयपर

ो एसपी ग ता इ तहास वभाग अल गढ़ मि लम व व व यालयअल गढ़

डा बीक शमा वभागा य इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

ो जपी म ा इ तहास वभाग काशी ह द व व व यालय वाराणसी

ो र व कमार शमा इ तहास वभाग क व व व यालय क

डा( ीम त) कमलश शमा(भार वाज) अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

ी दनश च श ला इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर

ो वीक व श ठ इ तहास वभाग मह ष दयान द व व व यालयअजमर

डा याक़ब अल खान अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

स पादन एव पाठ लखन स पादक डा( ीम त) कमलश शमा अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

पाठ लखन डा एसएस नगम नदशक कावर शोध स थान उ जन (म )

ो वश ानद पाठक प डी (दव रया) उ तर दश

डा राम सहाय मीणा इ तहास वभाग राज थान व व व यालय जयपर

डा जीवन खरकवाल परात व वभाग राज थान व यापीठ उदयपर(राज)

डा महश व म सह काशी व यापीठ वाराणसी(उ )

डा इना ी चतवद राजनी तशा वभाग राज थान व व व यालय जयपर

पीएल गौतम कोटा

ो ल लन जी गोपाल लखनऊ(उ )

डा एक स हा हलखड व व व यालय हलखड बरल (उ )

डा ल लत पा डय राज थान व यापीठ उदयपर(राज)

डा सोहन क ण परो हत इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर

डा( ीम त) कमलश शमा अ स टट ोफसर इ तहास वभाग कोटा खला व व व यालय कोटा

डा अशोक वद व म व व व यालय उ जन (म )

डा राजीव कमार स हा इ तहास वभाग भागलपर व व व यालय भागलपर

डा नीलकमल शमा इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर

अकाद मक एव शास नक यव था ो(डॉ) नरश दाधीच

कलप त वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा(राज)

ो(डॉ)एमक घड़ो लया नदशक(अकाद मक) सकाय वभाग

योग गोयल भार पा यसाम ी उ पादन एव वतरण वभाग वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा

पा य म उ पादन

योग गोयल भार

पा य साम ी उ पादन एव वतरण वभाग वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा

पनः उ पादन जलाई 2010 इस साम ी क कसी भी अश को व म ख व कोटा क ल खत अनम त क बना कसी भी प म म मयो ाफ (च म ण) वारा या अ य पनः तत करन क अनम त नह ह व म ख व कोटा क लय कलस चव व म ख व कोटा (राज) वारा म त एव का शत

5

एमएएचआई-05 वधमान महावीर खला व व व यालय कोटा

ाचीन भारत म रा य एव राजनी त

ख ड- 1 प ठ स या इकाई - 1 ाचीन भारतीय रा य एव शासन प त क अ ययन ोत एव साम ी 6mdash20 इकाई - 2 व दक काल म राजनी तक वचार एव स थाए 21mdash42 इकाई - 3 महाका य स ात राजनी तक वचार एव शास नक स थाए 43mdash71 इकाई - 4 ाचीन भारत म रा य क उ पि त और व प 72mdash86 इकाई ndash 5 रा य क कार और काय 87mdash100 ख ड- 2

इकाई ndash 6 ाचीन भारत म जनपद व प व सगठन 101mdash112 इकाई ndash 7 ाचीन भारतीय गणत और उसका स वधान 113mdash125 इकाई ndash 8 इसापव छठ सद म रा य और सा ा य का उदय 126mdash137 इकाई ndash 9 राज व(राजत ) ndash उसक क त एव कत य 138mdash149 इकाई ndash 10 राज व का व प एव उस पर नय ण(मयादाए) 150mdash158 ख ड- 3

इकाई ndash 11 कौ ट य अथशा म राजनी तक वचार 159mdash170 इकाई ndash 12 ाचीन भारतीय म ी प रषद 171mdash187 इकाई ndash 13 ाचीन भारत म राजप ष त 188mdash219 इकाई ndash 14 ाचीन भारत म अ तर रा य स ब ध 220mdash234 इकाई ndash 15 रा य एव उसक ससाधन 235mdash250 ख ड- 4

इकाई ndash 16 ाचीन भारत म व ध व प एव स हताकरण 251mdash260 इकाई ndash 17 धमशा म राजनी तक वचार 261mdash271 इकाई ndash 18 ाचीन भारत म या यक शासन 272mdash285 इकाई ndash 19 ाचीन भारत म अपराध और दड 286mdash300 इकाई ndash 20 ाचीन भारत म स नक सगठन 301mdash326 इकाई ndash 21 थानीय वशासन 327mdash350

6

इकाई mdash 1 ाचीन भारतीय रा य एव शासन प त क अ ययन ोत एव साम ी (Sources of Ancient Indian State and

Polity) इकाई क परखा 10 उ य 11 तावना 12 सा हि यक ोत

121 ा मण सा ह य 122 बौ एव जन सा ह य 123 वदशी व तात

13 पराताि वक ोत 131 अ भलख 132 स क

14 अ यासाथ न 15 ास गक पठनीय थ

10 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न बात क जानकार ा त कर सकग mdash

ाचीन भारतीय रा यmdash यव था को जानन क साधन कौन स ह ा मण जन व बौ सा ह य स इ तहास क जानकार कस मलती ह अ भलख व स क स ाचीन शासन प त कस तरह प रल त होती ह

11 तावना कई पा चा य इ तहासकार क मा यता ह क ाचीन भारतीय क इ तहास लखन म

च नह थी ल कन यह पणत गलत ह व तत उनक इ तहास वषयक अवधारणा आज क सदभ म सवथा भ न थी भारतीय क लखन म आ यान धमशा अथशा वश व तार आ द अनक वषय का समावश होता था उनका ि टकोण आ याि मक अ धक रहता था इस लए भौ तक घटनाओ क लखmdashजोख का मह व अलग स नह पहचाना गया ह इस हम सा ह य म एक साम हक ि टकोण का नाम द सकत ह इ तहास जानन क लए हमार पास व व का सबस वशाल सा ह य ह जो हमार सा क तक धरोहर भी ह उसी म स ऐ तहा सक साम ी अलग करनी पड़गी परवत काल म हमार बह त सी सा हि यक साम ी आ मणका रय वारा न ट कर द गयी थी

7

ाचीन भारत म अलग स भी इ तहास लखन क यास कए गय थ 7वी शता द म भारत का प र मण करन वाल चीनी या ी वनसाग न उ लख कया ह क अ छ बर घटनाओ का व तात लखन क लए एक अलग अ धकार होता था क हण न भी लखा ह क वह गणवान क व शसा का पा ह जो राग वष स ऊपर उठकर एकमा स य न पण म ह अपनी भाषा का योग करता ह यहा लखक का सकत एक अ छ इ तहासकार क ओर ह न कषत हम कह सकत ह क ाचीन भारतीय म इ तहास क त अ भ च एव चतना दोन व यमान थी इ तहास को व एक यापक प र य म दखत थ ाचीन भारतीय रा य यव था क बार म जानकार ा त करन क चर ोत हमार पास उपल ध ह

12 सा हि यक सोत ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाओ क जानकार दन वाल सोत mdashसाम ी

को म य प स दो वग म वभ त कया जा सकता ह mdash (अ) सा हि यक एव (ब) पराताि वक सोत

121 ा मण सा ह य

इसक अ तगत थमत दशी सा ह य का ववचन अप त ह िजसको हम दो भाग म वभािजत कर अ ययन कर सकत ह mdash धा मक सा ह य और धम तर सा ह य धा मक सा ह य क अ तगत ा मण सा ह य का थान मह वपण ह ा मणmdashधम थ म वद को त और अ य बाद क धमmdash थ को म त कहा गया ह धमस म त आ द थ को धमशा भी कहा जाता ह इसी धमशा ीय पर परा म इ तहास (रामायण एव महाभारत) तथा पराण क रचना ह ई ह

ा मण सा ह य म सबस ाचीन वद आ द थ ह mdash िजसम चार वद क स हताय ा मणmdash थ आर यक एव उप नषद को सि म लत करत ह ए व दक सा ह य नाम दया

गया ह रा य शा क थ नह होन पर भी व दक वागमय म इधरmdash उधर क तपय ऐस छटmdashपट उ लख मलत ह िजनस त काल न रा य शा और यव था का थोड़ा प रचय मल जाता ह ऋ वद (रचना काल लगभग 1500 ई प स 1000 ई प) म रा य शा वषयक उ लख बह त कम ह क त उ तरवत व दक सा ह य (रचनाकाल लगभग 1000 ई प स 500 ई प) क स ब ध म ऐसा नह कहा जा सकता ऋ वद म म यत ाथनाय ह क त उ तरव दक रचनाओ म ाथनाओ क साथ कमका ड का भी समावश ह अतएव ई प लगभग 1000 स लकर 500 तक क काल क रा य यव था का च तयार करन क लए यह ज र ह क उ त कमका ड क छानबीन ववकपण अथवा सावधानी स कर उपयोगी साम ी सक लत क जाय

अथववद का वशष मह व ह इसम कमका ड का ाब य नह ह तथा इसम वशीकरण जादmdashटोना आ द क अलावा बीमार एव वपि तय स बचाव राजपद पन ा त करन क लए और अ या य इसी कार क मनोकामनाओ को परा करन क लए इतन म दय गय ह क उनस त काल न रा य यव था पर वशषत राजा क स ब ध म पया त

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काश पड़ता ह ा मणmdash थ म रा या भषक तथा रा यारोहण या उसक बाद कय जान वाल य का वणन थानmdash थान पर मलता ह वहा इनक साथmdashसाथ राजा क उ पि त क स ब ध म भी कछ या याय और प रक पनाय तत क गयी ह जो म यत ऐतरय ा मण और शतपथ ा मण म पायी जाती ह उप नषद को त वmdash च तन वषयक थ

माना गया ह क त राजा क उ पि त एव ऐसी ह अ य सम याओ पर उनम कोई वचार उपल ध नह होत तथा प उनम राजा क आव यकता और मह व क कारण पर कछ काश डाला गया ह इस कार स त कहा जा सकता ह क व दक सा ह य म रा य और शासन यव था क जानकार दन वाल सग कम ह ह इनम य mdashत राजा क क त य रा य कमचा रय रा एव रा य रा य क व भ न कार (वरा य वरा य भौ य आ द) सभा एव स म त तथा त काल न राजनी त आ द क स ब ध म प रचय ा त होता ह

च क व दक सा ह य म ाथनाओ एव कमका ड का बाह य ह उनम स राज यव था स ब धी त य को अलग करना क ठन ह क त धमस अथात लगभग 500mdash200 ई प क दौरान ग य म र चत ाचीनतम व ध थ क साथ यह क ठनाई नह ह मख धमस आप त ब बौधायन गौतम एव व स ठ नाम स ह बौधायन धमस (1101) स पता चलता ह क राजा जा स छठा भाग कर क प म लता था और जा क र ा करना उसका क त य था धमस म राजा और चतवण क क त य का ाचीनतम ववचन ह और कराधान तथा स पि त प रवार और यि त क र ा स ब धी सबस परानी यव था का नदशन ह व तत राज यव था स सबि धत ा मणवाद मत का यवि थत तपादन सव थम इ ह म हआ ह इनम जो च उपि थत कया गया ह वह वा त वक कम बि क आदश ि थ त का योतक अ धक ह गौतम एव आप त ब धमस म य तथा य क न तकता क वषय म भी चचा मलती ह परािजत श क त वजता राजा क यवहार क वषय म गौतम (11921) का कहना ह क वह उसक स पि त का अ धकार ह

धमस को धमशा भी कहा जाता ह और धमशा क स ा म तय और इन ाचीन व ध थ पर सभी कार क ट काओ को भी द जाती ह इन थ को धमशा

कह जान क कारण यह वाभा वक ह क इनम धम का वशष मह व दया गया हो ाचीन भारतीय सा ह य म धम श द का अथ यापक ह समाज म यव था क थापना करन क लए धम क धम क अवतारणा करन क लए द ड क और इसी कार द ड क उ चत योग करन क लए राजा क आव यकता बतलायी गई ह इसी कारण व भ न म तकार न राजधम क ववचना क अ तगत म तय म राजशा स स बि धत अनक बात क चचा क ह और प चा काल न लखक न भी म तय म उप नषद (समा हत) पर पराओ को वीकार कया ह धमशा क प म ात म तय का एक अ य मख उ य यह बताना ह क कस कार चार प षाथ (धम अथ काम व मो ) क ाि त क जा सकती ह इसका मागदशन करात ह ए म तय न सामािजक राजन तक और व धmdashसबधी वषय का वणन कया ह और ास गक प स रा य और शासनmdash यव था स स बि धत बात क भी चचा क ह अतएव इस कार म तय म हम द ड क आव यकता आदश राजा तथा उसक दा य व व

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अ धकार म ी स चव अमा य पाषद एव स य नामक परामशदाताओ क थान और क त य रा य एव सामािजक यव था रा य क व भ न अग अत रा य स ब ध आ द क अ छ जानकार मल सकती ह सबस बढ़कर तो इन म तय स हम यवहार अथात यायत क जानकार ठ क स मलती ह तथा पता चलता ह क यह त कस कार क व धय अथात कानन स काम लता था

म तया अनक ह मख म तय क प म ात आर भक म तय म मन एव या व य क तथा परवत म तय म नारद बह प त का यायन आ द क म तया उ लखनीय ह मन और या व य क म तय म ायि चत एव आचार क भी यव था ह इन यव थाओ को आध नक ि ट स व ध (Law) नह कहा जा सकता क त नारद बह प त और का यायन क म तया ाय पण प स व ध थ ह

म तय क अश महाका य और पराण म भी मलत ह सामािजक तथा राजनी तक वचार और स थाओ क अ ययनाथ महाका य mdash रामायण और वशषतया महाभारत म पया त जानकार मलती ह ल कन महाभारत स ा त साम ी का उपयोग कसी एक काल क लए करना क ठन ह जहा इसक आ याना मक अश स दसवी शता द ई प क झॉक मलती ह वह इसक उपदशा मक तथा वणना मक अश का स ब ध काफ परवत काल स यानी ईसा क चौथी सद स मालम होता ह मलत इस महाका य म 8800 लोक थ और यह रचना जय कहलाती थी फर व बढ़कर 24 हजार ह ए और रचना का नाम भारत पड़ा बाद म बढ़कर व एक लाख हो गय ओर यह थ महाभारत कहलाया ग त काल न अ भलख म एक लाख का उ लख ह य य प समी त स करण म अभी ाय 82 हजार लोक मलत ह जसा क महाभारत (आ द पव) म कहा गया ह यह एक धमशा अथशा और कामशा ह धम अथ काम और मो क वषय म जो कछ इसम ह वह अ य भी ह जो कछ इसम नह ह वह कह भी नह ह व तत इसम रा य और शासन स स बि धत वचार क व तत चचा उपल ध होती ह सभा शा त और अनशासन mdash य तीन पव राजनी तक वचार और यवहार क इ तहास क लए अ धक उपयोगी ह न सदह शा तपव का राजधम करण हमार योजन क लए सवा धक मह वपण ह इसम स मता क साथ रा यशा क

अनक वषय का मक वणन मलता ह यहा मन म त स मलतmdashजलत अनक लोक ह वशषकर राजा क दवी उ पि त ा मण क दाव (अ धकार) और दड क मह व क स ब ध म यह करण म यत उपदशा मक ह और ऐसा तीत होता ह क यह शा तपव म ई वी सर क थम और चौथी शताि दय क बीच कसी समय सि न व ट कया गया अतएव उ तरव दक काल या वदो तर काल क राजनी तक स थाओ क अ ययन क लए शा तपव क साम ी का उपयोग करना mdash जसा क अभी तक सामा यतया कय गया ह mdash गलत होगा जहा तक इसम व णत रा य का स ताग स ात राजा क अ धकार क त य म प रष का गठन य नयम कर क ोत और स ा त आ द का स ब ध ह य सभी ई वी सन क ार भक शताि दय क प रि थ तय क योतक ह राज व क उ पि त स ब धी प रक पना

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शा तपव क राजधम करण का सवा धक उवर ओर मौ खक अश ह इस प रक पना स ा मणवाद ( ाहय) ि ट स राजपद क औ च य को ब पवक स करन का थम यास कया गया ह इसक अ त र त रा य क व प रा य क व भ न कार (यथाmdashअराजक रा य कल रा य गण और सघरा य) उनक वशषताय कायवाह क णाल वादश राजम डल षाडग य नी त क चार उपाय (साम दाम द ड व भद) ग तचर दत णाल द डनी त का व प और मह व याय यव था स नक यव था आ द क बार म भी महाभारत स मह वपण सचना मलती ह महाभारत स ा त सचना क स ब ध म कछ सावधानी अप त ह जस mdash महाभारत म कभीmdashकभी एक ह वषय पर वरोधी बात मलती ह इसका सभव कारण यह ह क इसक रचना कसी एक ह यि त क वारा नह क गयी ह यह एक मश वक सत प रव धत और सशो धत महाका य ह िजस अपना वतमान व प हण करन म कई शताि दय सभवत 400 ई प स 400 ई तक (लगभग 1 हजार

वष) का समय लगा होगा दसरा महाका य रामायण न तो उतना वशाल ह और न हमार अ ययन क लए

उतना उपयोगी ह ई वी सन क ार भक काल म लख कछ जन और बौ थ म इसक लोक क स या 13 हजार बतायी गयी ह ग तकाल तक यह स या 34 हजार हो गयी जो आज भी कायम ह इसक व य वषय म स जो बात हमारा यान बलात आक ट करती ह वह ह अराजक (राजा र हत) रा य का वणन इसम कवल नपत ा मकrsquo शासन णाल का ह वणन ह इसम आनव शक नपत य ठ प क ह उ तरा धकार होन राजा क क त य रा य क अ धका रय और राजनी तक स थाओ य आ द क बार म भी य और अ य ववरण उपल ध होत ह

पच ल ण पराण भी महाका य क को ट क ह ह इनम भी काफ उपदशा मक करण ह िजनम राजा क अ धकार और क त य तथा अ य स ब वषय क चचा ह मख पराण 18 ह उनम स अनक जस क व ण वाय म य आ द पराण ग तकाल

तक पर हो चक थ य ग तकाल न राजनी तक स थाओ क वचा रक प ठभ म तत करत ह

धमस म तया महाका य पराण आ द पणत ा मणवाद एव धमशा ीय पर परा म लख गय थ ह इनका व प स ाि तक अ धक तीत होता ह कौ ट य क अथशा म इनस कछ भ न पर परा तत क गयी जो अथशा ीय पर परा कहलाती ह कौ ट य का यह थ अ धक यावहा रक और धा मक वचार स कम भा वत ह यह अपन ढग का अथात अथशा ीय पर परा का ाचीनतम और आधारभत थ ह यह सबस पहला ऐसा थ ह िजसम राजनी त क वत प स चचा करत ह ए रा य क सभी पहलओ को स पण च तत कया गया ह रा यशा स स बि धत थ क लए अथशा नाम ढ होन क स ब ध म कौ ट य (151) का यह कहना ह क अथ श द स जस मन य क यवसाय या धध द द शत होत ह वस ह िजस भ म पर रहकर व यवसाय चलात ह वह

11

भ म भी सबो धत हो सकती ह इस लए म को ा त करन व उसका पालन करन का जो शा ह उस भी अथशा कहना उ चत ह ह च क कौ ट य का यह नी तशा वषयक सबस मह वपण थ अथशा क नाम स स था अतएव अथशा श द राजनी त शा क अथ म ढ हो गया (अ लकर)

ाचीन भारत स सबि धत कदा चत कसी भी न पर इतना ती ववाद नह हआ िजतना क कौ ट य क अथशा क रचना काल और ामा णकता को लकर हआ ह अथशा क अत म इस नद का अत करन वाल कौ ट य क क त बताया गया ह इस आधार पर शामा शा ी गणप त शा ी ि मथ ल ट जायसवाल आ द व वान इस मौयकाल न (चौथी सद ई प क ) क त मानत ह इसक वपर त व टर न ज जॉल क थ भ डारकर आ द इस ई वी सवत क ारि भक शताि दय स स बि धत मानत ह अ तकर आ द क अनसार इसका अ धकाश मौयकाल का ह ह और बाद म इसम कछ सशोधन ह ए जो भी हो क त कसी भी दशा म अथशा क साम ी का उपयोग अकल मौयकाल क सदभ म ह नह कया जा सकता ह इसका जो पाठ (Text) हम अभी (वतमान म) उपल ध ह इसको दखत ह ए ऐसा नह लगता क यह एक समय और थान पर लखा गया सम प पाठ ह प तक का अ धकतर अश ईसा पव थम शता द तक च लत स शल का अनसरण करक ग य म लखा गया ह क त इसका प य ( लोक) भाग बाद म सि न व ट कया गया लगता ह य य प इसक शल पर वचार करना तो भाषा वद का काम ह ल कन शल क आधार पर पाठ (Text) क व भ न तर को एकmdashदसर स अलग करना हमार लए उपयोगी एव लाभ द होगा जहा तक इसक भाषा का न ह अशोक काल न ाकत और कौ ट यकाल न स कत का भद तो प ट ह ह कौ ट य न िजन राजनी तक सगठन का उ लख कया ह व अशोकmdashकाल न अ भलख म न द ट णाल स भ न ह कौ ट य क करण पर जोर दता ह तो अशोक वक करण पर महामा रजक ाद शक तव दक आ द अशोकmdashकाल न व श ट अ धका रय का उ लख अथ शा म नह ह अशोक क अ भलख म महामा सवा धक मह वपण अ धकार तीत होत ह अथशा म मा उनक पद महामा ीयम का एक बार उ लख हआ ह ल कन उनक अ धकार एव क त य का कह कोई उ लख नह ह हा अशोक क काल क य त नाम एक छोट अ धकार क जानकार कौ ट य को थी ल कन इसस कोई खास बात सा बत नह होती इसी कार अशोक क आहार नामक शास नक इकाई क चचा कौ ट य न नह क ह दसर ओर अथशा क कछ राजि वक तथा शास नक श दावल ईसा क पहल और दसर शताि दय क शासन अ भलख म मलती ह भोग णय वि ट और प रहार (तथा वरदय) द ण और पि चम भारत क अ भलख म आय ह और अथशा म भी ह इनम स प रहार श द mdash िजसका मतलब ह अनद त भ म म कर क माफ mdashबड़ा मह वपण ह शक और सातवाहन अ भलख म इसका बारmdashबार योग हआ ह इसी कार अमा य शक और सातवाहनकाल न परालख म सवा धक मह वपण अ धकार क प म सामन आता ह और कौ ट य क अथशा म भी वस

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ह थान पर आसीन ह अ त पराल खक सा य स ऐसा सकत मलता ह क कौ ट य अथशा का कछ अश ई वी सन क थम दो शताि दय म सक लत हआ और इस थ म उि ल खत अनक राज व ोत (Sources of Revenue) ई वी सन क दसर सद क व ति थ त को त बि बत करत ह mdash डॉ आर एस शमा क त आ थक वि तय पर िजन राजक य नय ण का उ लख मग थनीज न कया ह उनस कौ ट य वारा सझाय गय नय ण क आ शक समानता को दखन स अथशा क दसर अ धकरण पर िजसम अ य क क त य का ववचन ह क चत वा त वक मौय भाव प रल त होता ह यह बात तीसर और चौथ अ धकरण पर भी लाग हो सकती ह िजनम द वानी कानन और दड वधान पर वचार कया गया ह िजन करण म अत रा य स ब ध और य का ववचन ह व काफ वक सत ह और यह तय कर पाना बड़ा क ठन ह क उ ह कहा रखा जाय इसम सदह नह क स नक श वर क पयाय कधावार श द को अथशा क पहल अ धकरण म वह मख थान ा त ह जो सातवाहनmdashअ भलख म दखन को मलता ह

च क अथशा क सभी व य वषय कसी एक काल स स बि धत तीत नह होत इस लए उनका स त प तत करना इ तहासकार क लए अ धक उपयोगी नह होगा 15 अ धकरण और 180 करण म वभ त इस थ म कर बmdashकर ब सभी वषय आ गय ह mdash जस अथशा समाजशा राजनी त आ द क त इसक अ धकाश भाग म शास नक सम याओ का ववचन हआ ह इसम रा य क सात अग राजा क श ण क त य और दोष अमा य और म य क नयि त एव उनक क त य द वानी और फौजदार कानन क शासन तथा शि प सघ व नगम का ववचन ह गणत एक पर अ याय म व णत ह

इसक अ त र त इस थ म अत रा य स ब ध क स ा त का न पण और स य सगठन का वणन कया गया ह इसम यह बतलाया गया ह क कस कार य जीता जा सकता ह और जीत ह ए म लोक यता पायी जा सकती ह क त इसक व य वषय क सबस बड़ी वशषता यह ह क राजस ता को अ य त उ च थान दान कया गया ह और राजा को अनक सामािजक तथा आ थक दा य व स प गय ह

व य वषय क आधार पर कौ ट य क अथशा को आध नक अथ म अथात वश प म राजनी त व ान क पा यप तक नह माना जा सकता यह ठ कmdashठ क (पण पण) लट क रपि लक या अर त क पॉ ल ट स जसा भी नह ह इसक यावहा रक व प को दख तो यह पा ल ट स स अ धक मलताmdashजलता लगता ह िजस कार दोन

यनानी क तया वश प स राजनी त व ान क थ नह ह उसी कार कौ ट य अथशा भी मा राजनी तशा क प तक नह ह ल कन इसम कोई सदह नह क इस थ का अ छाmdashखासा भाग राजनी त स सब धत ह और इसस भी अ धक मह वपण बात यह ह क कौ ट य न राजनी त को धम और न तकता क भाव स म त करन का सजग यास कया ह सच तो यह ह क राजनी तक उ य क प त क लए उसन धम एव न तकता को तलाज ल दन का भी वधान कया ह

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इस कार अथशा कवल सपि तशा नह वरन दडनी त का शा अथात राजनी त व ान का मह वपण थ ह कौ ट य अपन थ म पाच कल (स दाय ) और तरह अलगmdashअलग लखक क उ रण दता ह िजनस पता चलता ह क राजनी तशा उसक काल म पण पण स था पत हो चका था इनम स कछ लखक का उ लख शा तपव म भी ह यह खद का वषय ह क कौ ट य क पववत लखक क थ का अभी तक पता नह चला ह और कौ ट य न िजन कछक अश को उनक च तन क प म तत कया ह व इतन थोड़ ह क उनस कौ ट य स पहल क राजनी तक मा यताओ का कोई प ट च नह उभर पाता तथा प कौ ट य वारा का उ लख भारतीय राजन तक वचार क ाचीनता को मा णत करता ह न चय ह कौ ट य का अथशा ाचीन भारतीय राजनी त क अ ययन

क लए वशष प स मह वपण ह कौ ट य कोर राजनी त ह नह वरन राजनी त क एक स दाय क स थापक थ

इसी स उनका और उनक थ का परवत काल म भी स मान होता रहा व तत राजनी त क वा मय म अथशा का वह थान ह जो याकरण शा म पा ण न क अ टाधायी का क त कौ ट य क त काल बाद उसका अनगमन करन वाल कौनmdashस दडनी तव ता ह ए इसका तो पता नह चलता तथा प पवम यकाल म ऐस कछक वचारक अव य ह ए उदाहरण क लए काम दक य नी तसार को ल िजय जो सभवत ग तकाल म 500 ई क आसपास लखा गया क तपय व वान क अनसार यह 800 ई क आसपास सक लत हआ काम दक नी तसार कौ ट य क थ का छ दोब स पीकरण मा ह य य प रचनाmdashकाल क प रि थ तय म भ नता क कारण इस नी तसार तथा अथशा म कछ भ नताए भी ह कामदक कौ ट य का ऋण प ट श द म वीकार करता ह उसन उसक साम ी को इतनी अ छ तरह आ मसात कया ह क उधार ल गयी साम ी मल स अ धक स यवि थत प म सामन आयी ह कौ ट य क वचार क पनरावि त स मा इतना सकत मलता ह क उसक वचारधारा क त ठा और भाव परवत काल म कायम रहा क त कामदक क काल क नई बात को जानन क लए भ नताओ का यान रखना होगा जो उसक थ म उपल ध होती ह इनम स कछ सना और अत रा य स ब ध क बार म ह इसी कार काम दक गणत ा मक शासन णाल क वषय म भी सवथा मौन ह

दसर नी तसार स जो क श का ह कई आध नक लखक न काफ साम ी ल ह इस थ क वशषता यह ह क इसम शासनmdash यव था का जसा सगोपाग ववरण ह वसा अथशा क बाद क कसी थ म नह ह श नी तसार क त थ अ य धक ववाद त ह व भ न व वान न इसक रचना का समय आठवी शती ई स लकर 19वी शती ई क बीच म रखा ह क त इस थ का सकलन 19वी शता द क आरभ म हआ इसक स ब ध म बह त स व वसनीय तक दय गय ह और इस लए ाचीन भारत क राजनी तक वचार और स थाओ क जानकार क न म त इस साम ी का योग करन क लोभन स बचना चा हय

सोमदव सर क रचना नी तवा यामत का भी ाचीन भारतीय राजनी त क अ ययननाथ उपयोग कया जाता रहा ह इस थ क रचना का समय 11 वी शती क

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पवाध म रखा गया ह य य प यह वषय भी ववादम त नह ह कौ ट य क अथशा स कई बात म समानता रखन पर भी नी त वा यामत म कछ मौ लकता भी ह सोमदव न उस समय उपल ध सभी सा हि यक क तय (यथाmdashकौ ट य मन भी म बह प त काम दक आ द) का उपयोग यथा थान कया ह अतएव नी तवा यामत ाचीन भारतीय धमशा अथशा एव नी तशा क गभीर एव ववकपण अ ययन का फल ह सोमदव न छोटmdashछोट वा य अथवा स क प म अपन थ म व भ न व याओ रा य क उ पि त राजा का दव व राजा क नयि त उ तरा धकार का न राजा क क त य म य क आव यकता उनक यो यता यायालय स नक शासन अ तरा य स ब ध दत एव चरmdash यव था आ द रा यmdashयव था स स बि धत वषय क चचा क ह

च क धमशा mdashसा ह य धम का और अथशा अथ का यान रखकर लखा गया इस लए इन दोन वचारधाराओ क अतर क ओर ि टपात करना वाभा वक ह धमशा का झान सामा यत ा मण क अ धकार को बढ़ाmdashचढ़ाकर बतान क ओर ह और इनम उन वधान पर जोर दया गया ह िजनस सामािजक और राजनी तक यव थाओ का नयमन होता ह दसर ओर अथशा राजा क अ धकार को स ति ठत करता ह और उन वधान पर जोर दता ह िजनका उ य राजनी तक और आ थक ढाच का नयमन ह थम कार क सा ह य का प स ाि तक और दसर कार का यावहा रक तीत होता ह ल कन दोन क अतर को इसस आग ल जाना सभव नह ह य क दोन वण वभािजत समाज क बार म एक सामा य ि ट और आदश तत करत ह तथा राजा को इसक मयादा का र क मानत ह

122 बौ एव जन सा ह य

जहा तक रा य यव था और राजनी तक वचार पर काश डालन वालो बात का स ब ध ह ार भक पा ल धम थ ( पटक) कछ दसरा ह अथात भ न च तत करत ह य य प उनका अ तम प ीलका म ईसा पव पहल सद म नि चत हआ फर भी उनम राजत और गणत क वषय म जो बात या जानकार उपल ध होती ह उनका स ब ध सभवत ब काल न मगध और कोसल क व ति थ त स ह यह बात कदा चत व भ न रा य और उनक आपसी स ब ध क बार म भी सह हो सकती ह ल कन जहा तक रा य क शासन यव था क बार म कय गय सकत का स ब ध ह उन पर हठात (यकायक) व वास नह करना ह वनय पटक क महाव ग और च लव ग अश म बौ धमस था क गठन स ब धी ढर सार ऑकड़ तत कय गय ह यह कहा गया ह क िजन नयम mdash व नयम वारा बौ भ ओ का समि टगत आचरण शा सत होता था व ब काल न गणरा य स लय

गय ह यह अनमान पया त यि तय त होन क बावजद हम यह तो जानना ( न चय करना) होगा क मल नयम म कहा तक प रवतन कय गय और उ ह धा मक सगठन क आव यकताओ क अन प कस सीमा तक ढाला गया

य द यनानी ववरण और पा ण न का सहारा न लया जाए तो मौयपव गणत ीय स थाओ क अ ययन क लए और कोई समसाम यक सा य नह मल ह जातक क आधार पर व वान न ल छ व स वधान का व प तत कया ह पर अपन वतमान प म व

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ईसापव दसर सद स पहल क नह ह जातक धानत लोक कथाय ह इनम राजा क क त य यायmdash शासन वण और जा तय तथा आ थक कायकलाप का उ लख हआ ह इनक आ याना मक अश को और भी पहल क ि थ त क जानकार का आधार बनाया जा सकता ह क त ई वी सर क पाचवी शती म ीलका म सक लत इनक ट काओ का उपभोग शा यmdashस वधान क परखा तयार करन क लए कदा प नह कया जा सकता जस धमशा mdashसा ह य और उसक ट काओ म अ तर ह उसी कार ार भक पा ल प तक म

तत कय गय ढाच और परवत ट काओ वारा उसक ऊपर रच गय ढाच क बीच अ तर ह द घ नकाय म िजसम ब क उपदश का स ह ह राज व या रा य और समाज

यव था क उ पि त क स ब ध म मब चतन का सबस पहला उदाहरण सामन आता ह (यह चतन अ ब य त म व णत सि ट कथा क एक ह स क प म तत कया गया ह) द ध नकाय को ईसापव तीसर सद म रखा जा सकता ह िजसस कट होता ह क रा य क उ पि त वषयक मब स ा त तब तपा दत ह ए जब रा य स था पत स था बन चका था महाव त जस परवत बौ थ जो ईसापव थम शता द क ह और सध कड़ी स कत (हाई ड स कत) म लख गय ह राज व क उ पि त वषयक मल कथा को ह साजmdashसवार कर और प रव त प म रखत ह जब क मल कथास य का य रह जाता ह

राजनी त क स ा त न पण करन वाल क तपय ाचीनतम जन थ म भाषा व ा नक और सा हि यक ि ट स उ तरा ययनस सबस पराना थ ह जन आगम क प य म अ योि तय उपमाओ तथा कथोपकथन क प म िजन वषय का वणन हआ ह उनम स कछ क चचा म स कछक त प जातक और शा तपव म भी मलत ह इस कार क सा ह य म हम शासन प त स ब धी ास गक उ लख को य mdashत ढढ सकत ह

आठवी एव नौवी स दय म सगह त जन पराण म सि टकथा का वणन ह िजसम रा य और जा तय क उ पि त क स ब ध म भी अटकल लगायी गयी ह इन क तय म वशष प स राजा पव समाज का च क चत व तार स दया गया ह जन आचारगस त म व भ न कार क रा य का उ लख उपल ध होता ह तथा प जन धम क ाकत थ म उपल ध

साम ी ार भक रा य यव थाmdash वषयक आध नक पा य प तक म कोई थान नह पा सक ह अभी तक िजस एकमा जन थ का उपयोग इस योजन स हआ ह वह ह नी तवा यामत िजस ई वी सन क दसवी या यारहवी सद म जन थकार सोमदव स र न लखा क त जसा क हम पव म व तार स चचा कर चक ह यह थ उन पववत ा मणmdash थ का बह त अ धक ऋणी ह िज ह इसम उ त कया गया ह तो भी यह

नी तसार क खला म आता ह और पव म यकाल क रा य यव था पर काश डालन वाल थ क प म इसका उपयोग लाभदायक ह कहा जा सकता ह क रा य क उ पि त राजा

क क त य (NonmdashMnadiat) अनपत ा मक रा य उनक शासन यव था उनक कायवाह क तर क यायmdash शासन और व भ न कार क कमचा रय क वषय म जन और वशषकर बौ सा ह य स मह वपण सचना मलती ह

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दशी सा हि यक ोत क सव ण म लगभग पाचवी सद ई प क पा ण न याकरण और लगभग दसर सद ई प क पातजल महाभा य को शा मल कया जा सकता ह पा ण न क याकरण म बह तmdashस ऐस उदाहरण का योग कया गया ह िजनम समसाम यक गणरा य क उ लख ह और पतज ल का मह व इस प म ह क वह कारा तर स मौय तर काल क शास नक र त पर काश डालता ह ग तकाल क स ब ध म वराह म हर क बह स हता का

भी ऐसा उपयोग कया जा सकता ह क त य क तया हमार ान क परक मा ह हो सकती ह

दशी सा ह य mdash ोत स ा त साम ी अनक क ठनाइया उपि थत करती ह पहल क ठनाई यह ह क इनम स कसी का वशषत जन थ का आलोचना मक ढग स स पादन नह हआ ह अत पक mdash पक क कारण हमार म म पड़ जान क गजाइश सदा बनी रहती ह दसर क ठनाई यह ह क य थ अ धकाशत उपदशा मक ह िजसक कारण शासन प त क सह ि थ त का पता लगाना क ठन होता ह य य प इनम राजनी तक वचार एव स ा त अव य त बि बत ह ए ह तीसर यह ह क अथशा जस थ क भी दश काल आ द क बार म हम नि चत नह ह तथा प कल मलाकर ाचीन दशी सा ह य ोत स हम ाचीन राजनी तक स थाओ क स ाि तक प क जानकार तो मलती ह ह

123 वदशी व तात

साम ी क सा हि यक ोत का सव ण तब तक पण नह होगा जब तक वदशी (चीनी एव यनानी) ववरण का हवाला नह दया जाय इनम शासन प त स सब धत क तपय मह वपण त य व यमान ह महान सक दर का उ लख भारत क समसाम यक ोत म नह मलता पर उसक काल क यनानी इ तहासकार न उसक भारतीय अ भयान (ईप

327mdash 325) क व तत यौर रख छोड़ ह इनम स कछ म उन रा य क आ त रक गठन का वणन ह िजनक साथ पजाब और स ध म मकाबला हआ च क यनान म नगर रा य का चलन था इस लए यनानी लखक कछ रा य को नगर रा य क प त पर ग ठत बतात ह फर भी इसम सदह नह क ईसापव चौथी शता द म अनक गणरा य पि चमो तर भारत म फलmdashफल थ मौयशासन णाल का अ ययन करन क लए मग थनीज का ववरण अ य त मह वपण ह यह पाट लप म च ग त मौय क दरबार म राजदत क प म रहा था य य प अभी तक उसक मल इ डका ा त नह हो सक ह और परवत लखक न उसक जो छटपट उ रण दय ह उ ह ए रयन जस यनानी लखक न हर सग म व वसनीय नह माना ह फर भी एकमा उसी का ववरण ऐसा ह िजसका काल नि चत ह च क अथशा का काल नधारण सदह स पर नह ह इस लए मग थनीज स दय गय उ रण ह मौय सा ा य क स थापक क शासन क वषय म हमार जानकार क अ धक नि चत और य ोत ह इन उ रण म राजा क दनचया पाषद क म य काय और साथ ह सचाई आ द कायकलाप पर नय ण रखन वाल मिज ट क मख दा य व का भी वणन ह इनम पाटल प का

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नगर शासन और सा ा य क स य सगठन का ववरण तथा साथ ह राजत क पतन और लोकत ी रा य क उ थान स स बि धत अनभ तया अ भ ल खत ह

ग त एव ग तो तर काल क जानकार क लए चीनी या य क ववरण उपयोगी ह य य प फा हयान एव वनसाग दोन भारत क बौ धम क ि थ त का पता लगाना चाहत थ फर भी शासन स ब धी कई बात का उ लख उ ह न कया ह फा हयान न वतीय च ग त क शासन काल म 399 स 414 ई क बीच भारत क या ा क और अपन ववरण म उसन म यदश अथात आध नक उ तर दश और पि चमी बहार क शासनmdash णाल क चचा क ह उसन राजा क प रचर और अगर क को वतन दन क र त भी बतलायी ह क त इस चीनी या ी न ग त राजा या ग त सा ा य क बार म उस कार य प स कछ नह कहा ह िजस कार वनसाग न हषवधन क बार म कहा ह वनसाग न ई वी सन 629 और 641 क बीच म भारत का मण कया था उसका ववरण अ धक व तत और स नि चत ह उसन अपन सर क क शासन प त क शसा क ह और उसक स य शि त व अ धकत का ववरण बढ़ाmdashचढ़ाकर तत कया ह क त फर भी वनसाग ह वह एकमा मह वपण ोत ह िजसक मा यम स हषवधन क राज व यव था एव स य प त क जानकार ा त होती ह

इन वदशी ववरण क स ब ध म यह धात य ह क यनानी और चीनी भाषाओ स अन भ रहन क कारण अ धकाश व वान को अ जी अनवाद पर नभर रहना पड़ता ह जो अब स सौ वष परान हो चक ह एव उनम व वधता भी पायी जाती ह अतएव उनका पनर ण नतात आव यक ह

13 पराताि वक सोत पराताि वक प रवश तथा स क और अ भलख क अ ययन स हम राजनी तक

स थाओ क स ा तक प क अप ा यवहा रक पहल का अ धक पता चलता ह य ोत ऊपर बताई गई सा हि यक ोत स ब धी क ठनाइय स भी अप ाकत म त ह कसी दश और काल क परात व को उसक राजनी तक ढाच क साथ बह त परो प स ह जोड़ा जा सकता ह खती क औजार का पता परात व स लगता ह समाजशाि य का अनमान ह क िजस समाज म ठ क स खती न चल पड़ी हो वहा क सरकार पाच लाख स अ धक लोग पर शासन नह कर सकती ह य द परात व क सहार हम थायी प स बस ामीण समदाय या शहर का पता चल जाता ह तो इस ान क सहायता स हम सा ह य ोत म वशाल और कशल सा ा यीय सगठन क क गई क पना को मया दत करक उ ह त य क अ धक नकट ला सकत ह इसक अ त र त य द कसी काल म बड़ पमान पर नगर क अि त व का सा य मलता ह तो वह इस बात का भी सकत होगा क उस काल म नगर शासन क आव यकता रह होगी

131 अ भलख ाचीन भारतीय अ भलख म अ धकाशतया दो ल पया mdash ा मी एव खरो ठ mdash य त

क गयी ह इन ल पय का प भ न काल म बदलता रहा ह अ भलख म य त ल प

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क व प स उनक त थ जानी जा सकती ह िज ह पढ़ा जा सका ह ऐस सबस पहल भारतीय अ भलख स ाट अशोक क ह सा ा य क एक छोर स दसर छोर तक शलाख ड और त भ पर खद य लख सामािजक धा मक तथा शास नक आचरण को व नय मत करन क न म त जार कए गए राजक य समादश या उ घोषणाए ह य सामा यत ाकत भाषा और ा मी ल प म खद ह पर कछ अ भलख खरो ठ ल प और ीक भाषा म भी पाय जात ह अशोक क अ भलख स प ट ह क वह एक व तत सा ा य का शासक था त काल न प रि थ तय म एक थान स इतन बड़ सा ा य का ठ क स शासन चला पान क क ठनाईय को समझकर शासक य स वधा क लए इस कई भाग म वभ त कया गया था अशोक क इन राजा ाओ को धमलख कहा गया ह ल कन इनम ऐस वषय का उ लख नह ह िज ह वश प स धा मक कहा जा सक इसक वपर त इनक वषय ह राजा और प रसा (प रषद) क आपसी स ब ध ातीय शासनmdash यव था याय शासन राजक (लाजक) और महामा जस उ च पद थ रा या धका रय क अ धकार एव क त य ग तचर वभाग स यmdash यव था अशोक क रा य स ब धी वचार तथा राजा क पतवत आदश राजा का यह क त य समझा जाता था क वह जा का क याण ह अपना उ य समझ और अपनी जा को अपनी सतान क तरह समझकर उसक भलाई कर अशोक क श द म सब मन य मर सतान ह उसक तरहव अ भलख स यह प ट ह क वदशी मामल क दखmdashभाल स स बि धत एक अलग वभाग था दत का आनाmdashजाना च लत था धम महामा क नयि त सव थम अशोक न ह अपन रा यकाल क चौदहव वष म क थी य य प कौ ट य अथशा म अशोककाल न अ धकाश अ धका रय का उ लख नह ह क त मग थनीज एव कौ ट य क क तय स मोट तौर पर िजस यापक राजक य नय ण का सकत मलता ह अशोक वारा अपन राज वकाल क ारभ म जार कय गय आदश स सामा यत उसक पि ट होती ह

मौय तर और ग तकाल न अ भलख मौट तौर पर गर सरकार और सरकार इन दो को टय म आत ह गर सरकार अ भलख म यत अनदान लख ह जो छोट होन पर भी सामा यत दाताओ क सरकार ह सयत का वणन करत ह ा मी एव खरो ठ दोन ह ल पय म लख य अ भलख अपन काल क शासन त पर पया त काश डालत ह

सरकार अ भलख म कछ तो शि तया ह क त सामा यत शासन प या भ म अनदान प ह शि तय म राजाओ क बह मखी उपलि धय का उनक वजय उनक वारा दय गय धा मक अनदान आ द का गणगान ह इस को ट म खारवल का हा थग फा अ भलख सम ग त क याग शि त आ द आत ह पहल म खारवल क राज वकाल क वषवार घटनाय द गयी ह और उसक श ा रा यारोहण स नक अ भयान तथा नगर य और ामीण लोग (पौर जानपद ) पर कय गय उसक अन ह क चचा ह याग शि त म

सम ग त क वशावल क बाद उन प रि थ तय का उ लख ह िजनम च ग त I न सम ग त को अपना उ तरा धकार बनाया था इसस हम व भ न को टय क उन राजाओ और गण क साथ सम ग त क स ब ध क जानकार ा त होती ह िज ह उसन जीत लया

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था और िजनक साथ प रि थ तय एव उनक भौगो लक ि थ त क अनसार था अब अधीन थ साम त और करद जसा व भ न कार का यवहार कया जाता था

क त सवा धक मह वपण को ट क सरकार अ भलख व भ म अनदान प ह िज ह जार करन का म सबस पहल सातवाहन न आरभ कया वस य अनदान अ धकाशत धा मक योजन स दय गय ह फर भी इनम राजि वक एव शास नक इकाइय क उ लख ह राज व क ोत का वणन ह और िजन अ धका रय को भ मदान क सचना द गयी ह उनक नाम ह अशोक क राजक य उ घोषणाय मा एकmdashदो अ धका रय को सबो धत ह िजनम कमार या आयप नामक ातीय शासक तथा महामा नामक उ चा धकार आत ह सातवाहन क राजक य शासन प सदा अमा य को ह सबो धत ह ग तकाल स शासन प म उि ल खत अ धका रय क स या म उ तरो तर व होती गयी और पव म यकाल म पाल राजाओ क शासन प म इनक स या तीन दजन तक पह च गयी इन अ भलख म य त राजि वक और शास नक श द का अथ लगाना आसान नह ह फर भी ई वी सर क थम सद स यह श द हम कराधान और शासन प त क जानकार सलभ करान वाल एकमा व वसनीय ोत का काम करत ह य द ग तकाल न अ भलख का वाचन समकाल न म तय क साथ मलाकर कया जाय तो इस काल क रा य यव था का अ छाmdashखासा च हमार सामन आ जायगा

132 स क

अ भलख क ह समान स क का भी सा य क प म अपना व श ट थान ह ाचीनतम भारतीय म ा म िज ह आहत म ा कहत ह और जो ईसापव छठ सद क बताई

जाती ह रा य यव था क अ ययन म अ धक सहायक नह ह ल कन मौय तर काल स स क हमार योजन क लए उपयोगी बन जात ह कषाण काल न स क पर उ क ण उपा धय स राजपद पर और वशषतया उसक दवी पहलओ पर कछ काश पड़ता ह अनक कषाण स क पर शव क आक त स धम और राजनी त का आपसी स ब ध प ट होता ह कछक समकाल न स क पर राजाओ क नह बि क कबील या जनजा तय क नाम ह जस क मालव और मौधय िजसस यह सकत मलता ह क य गणरा य थ

14 अ यासाथ न 1 ाचीन भारतीय शासन यव था को जानन क मख सा हि यक ोत का वणन

क िजए (500 श द) 2 ाचीन भारतीय रा य यव था को अ भलख क मा यम स कस कार जाना जा

सकता ह (250 श द) 3 न न ल खत पर ट प णया ल खए (100 श द)

(अ) म तया (ब) महाका य (स) अथशा

20

15 ास गक पठनीय थ 1 ए एस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन एन शयट इि डया

वाराणसी 1958 2 आर एस शमा एसप टस आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इ ट यशन इन एन शय ट इि डया दहल 1968

3 य एन घोषाल ए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज कलक ता 1923

4 पी वी काण धमशा का इ तहास भाग वतीय 5 गौतम एव कमलश शमा ाचीन भारत जन काशन म दर चौड़ा रा ता

जयपर 1998 6 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पाइ टयर

चौड़ा रा ता जयपर 1999

21

इकाई mdash2 व दक काल म राजनी तक वचार एव स थाए

इकाई क परखा 20 उ य 21 तावना

211 व दक काल क अवधारणा 212 व दक सा ह य नमाता या वदशी थ

22 व दक राजनी त क ोत 23 रा य क उ पि त स ब धी वचार

231 शासनmdash वधान क कार 232 रा य क उ य 233 राजा क धम नग डत होन क क पना 234 सव च स ता का अि त व

24 राज व पर वचार mdash (राजपद का ज म) 241 सजाmdash ा मण स ब ध 242 राजा क दव व क क पना

25 राजा का नवाचन 251 राजा क अ य क य 252 रा य य त और पन नवाचन 253 राजा क क त य

26 राजा पर नय ण 261 स म त 262 सभा 263 वदथ

27 राजपद गौरव का तीकmdashअ भषक 271 रा या भषक स स बि धत राजसय य 272 र न ह व 273 दव त त 274 अ भषकmdashजलmdashस ह 275 अ भषचन 276 अ धकारmdash हण घोषणा 277 राजपद दान 278 अ भषकतर क य

22

279 अधीनता वीक त 2710 शासन सचक ड़ा 2711 राजपद त ठा

28 मि म डल का ारि भक व प 29 व दक गण का ववचन 210 स य यव था 211 कर यव था 212 याय या 213 ाम का शासन 214 साराश 215 अ यासाथ न 216 सदभ थ सची

20 उद य इस इकाई म हमारा उ य व दक काल क राजनी तक वचार एव स थाओ स अवगत

करवाना ह हम यहा वद उप नषद और ा मण थ स ात रा य राजा और उस स स बि धत अ य स थाओ का ववचन करग इस इकाई क अ ययन क प चात आपको न न वषय क जानकार ा त हो जायगी mdash

1 व दक काल क अवधारणा एव व दक सा ह य क नमाता कौन थ 2 रा य क उ पि त का आधार उसक उ य एव कार 3 राजपद का ज म 4 राजा क दव व क क पना एव उसका ा मण स स ब ध 5 राजा क नवाचन क पर परा पर वचार 6 रा य क स थाएmdashसभा स म त और वदथ 7 रा या भषक एव राजसय य 8 मि म डल का मल व प 9 राजा क अ य काय

21 तावना भारत क मानव स यता का वकास ाग तहा सक काल म ार भ हआ उ तर पाषाण

काल जब समाि त क ओर था तब मन य न बबरता स उठकर स यता क यग (लगभग 3000 ई प) म वश कया व व क आ दम स यताए न दय क घा टय म वक सत ह ई उसी कार भारत म मानव स यता क थम ठोस अवशष स धव स यता म पाय जात ह

मोहनजोदड और हड़ पा इस स यता क मख क थ यह स यता पव म का ठयावाड़ स ार भ होकर पि चम म मकरान तक फल ह ई थी

23

स धव स यता क थम वशषता जो ाय अ यताओ को आक ट करती ह वह ह उसक नगर सरचना और भवन नमाण कला िज ह दखन पर हम क पना कर सकत ह क स धव समाज म कसी न कसी कार का शासन अव य व यमान था य क नि चत योजनानसार नमाण काय शासक या शासन बना अस भव ह प ट ह क स धव न कोई राजनी तक यव था अव य अपना रखी थी िजसक स ब ध म ल खत साम ी का अभाव ह 1750 ई पव क लगभग स धव स क त का पतन आर भ हो गया इस स क त क पतन क कारण क स ब ध म व वान एकमत नह ह कछ व वान का वचार ह क हड़ पा स क त को आय न न ट कया क त इस सबध म प ट पराताि वक माण का अभाव ह राजबल पा डय न वचार य त कया ह क स धघाट म ा तकार जलवाय प रवतन एव स ध नद क पथ प रवतन म यह स यता न ट हो गई इसक प चात व दक काल ार भ हआ

211 व दक काल क अवधारणा

वह काल िजसम आय न वद ा मण और उप नषद थ क रचना क उस व दक काल कहा जाता ह थलत व दक काल को ए एल बशम न 1500 ई प (1500mdash 1000 ई प ऋ व दक काल) स 700 ई प (1000 ई प स 700 ई प तक उ तर व दक काल) तक माना ह मोट प म स धव स यता क अवसान स बौ काल ार भ होन क म य का अ तराल व दक काल माना जा सकता ह कछ व वान व दक सा ह य को 1500 ई प स 600 ई प क म य रखत ह

212 व दक सा ह य नमाता या वदशी थ

व दक सा ह य क नमाता आय थ उनक मल नवास थान क स ब ध म व वान म मतभद ह कछ व वान यह मानत ह क आय ईसा स लगभग 2000 वष पव भारत आय तथा उ ह न यहा नवास करन वाल अनाय जा तय को हराया जब क बाल गगाधर तलक का वचार था क आय उ तर व स भारत आय कछ व वान उ ह स तस धव तो कछ ईरान तथा यरोप का नवासी मानत ह राजबल पा डय न आय को म य दश (उ तर दश) का नवासी माना ह गाइ स आय का आ द दश भारत नह मानत उनका मत ह क आय ड यब घाट स चलकर ए शया माइनर क पठार को पार कर ईरान पह च और वहा स भारत आय प का न आय का मल नवास कि डन वया माना ह म समलर का वचार था क आय क पवज म य ए शया म नवास करत थ उनक एक शाखा भारत म आकर बस गई गाडन चाइ ड लखत ह क आय का आ द दश क डीन वया या द णी स होन क अ धक स भावना ह क त अभी तक नि चत प स यह नह कहा जा सकता क आय का आ द दश कौन सा था

22 व दक राजनी त क ोत आय क म य थ ऋ वद यजवद सामवद और अथववद ह भारतीय पर परानसार

वद स पण भारतीय जीवन धम दशन राजनी त कला व ान और सा ह य क मल ोत ह

24

वद क प चात ा मण थ आत ह इनम ऐतरय शतपथ गोपथ ता य पच वश आ द ऐ तहा सक ि ट स उपयोगी ह आर यक थ स दाश नक िज ासा पण होती ह व दक सा ह य का अि तम तर उप नषद ह इनम राजनी तक एव दाश नक त व का न पण ह ईश कन कठ ति तर य छा दो य और वहदार यक आ द म य उप नषद ह जो सि ट क उ पि त सि ट का क ता आ द वषय पर काश डालत ह

23 रा य क उ पि त स ब धी वचार व दक सा ह य म रा य क उ पि त क स ब ध म व तत जानकार मलती ह

रा य उ पि त क स ात को अ ययन क स वधा क ि ट स तीन णय म बाटा जा सकता ह जो इस कार ह ndash

(i) रा य क द वक उ पि त का स ा त (ii) वकासवाद स ा त (iii) स वदा स ा त

(i) थम स ा त क अनसार ाचीनकाल म अ धकाश स थाओ क उ पि त द वक मानी जाती थी रा य क उ पि त का आधार भी ाय इसी कार था इसका सकत शतपथ ा मण (515 14) म मलता ह इसम रा य क वामी राजा को जाप त कहा गया ह और च व तन श द म च का स ब ध व ण च स जोड़ा गया ह ऐतरय ा मण (826) म रा या भषक क समय अि न गाय ी वि त और वह प त आ द दवताओ स ाथना क गई ह क व राजा क शर र म वश कर इस कार रा य क वामी राजा को परमा मा का अश माना जाता था इसी लय कालातर म यह वचार लोक य हो गया क परमा मा जनता पर शासन करन हत नर प धारण करता ह इस कार व दक सा ह य म रा य एव राजा को व दक शि तय स उ प न माना गया ह

(ii) वतीय स ा त क अनसार रा य का एक स था क प म मक आर क मखज क अनसार कई कल मलाकर गौ का नमाण होता था गौ स बड़ा जन जन स वश और स पण वशो स रा का नमाण होना था जब क अ तकर का वचार ह क कई गाव का समह वश कहलाता और उसका म खया वशप त कई वश स मलकर जन का नमाण होता था और उसका मख जनप त या राजा कहलाता था जनप त अपन प रवार क सद य क तरह स पण जन पर नय ण एव अनशासन रखता था काला तर म जन रा य क व तार क साथ राजा क अ धकार म व होती गई इस कार व दक काल म शासन स थाए स ढ़ बनान म सय त कटब प त क वकास या न मह काण भ मका नबाह रा य उ पि त क वकासवाद स ा त का सकत अथववद म मलना ह अथववद म मलता ह अथववद म रा य क उ पि त क अलावा मातभ म क त ा स ब धी म भी मलत ह

(iii) रा य उ पि त क ततीय स वदा स ा त का अ ययन भी अ त आव यक ह इस स ा त क अनसार असर क व य क सफल सचालन क लय दवताओ न राजा

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का नवाचन करना आव यक समझा (ऐतरय ा मण 11432) जो ववरण ा त होता ह इसक अनसार जाप त क अ य ता म दवताओ न एक दसर स कहा क इ उन सबस अ धक पण स ढ़ याशील और यक काय करन म ठ ह इस लए उ ह न उस राजा चना और उसका रा या भषक कया प ट ह क जब आय जन क प म नवास करन लग तो उनक स पि त क र ा का न उपि थत हआ होगा तब उ ह न अपन म स यो य यि त को राजा बनान का न चय कया प ट ह क राजा बनान म एक कार क सहम त अ त न हत थी आर एस शमा लखत ह क यह वचार सामािजक समझौत क स ा त का ारि भक व प था

231 शासन वधान क कार

ऋ वद स सक तत ह क व दक काल म रा य का व प राजत ीय था क त ऐतरय ा मण म आठ कार क रा य का उ लख मलता ह तथा उसम उनक शासक क पद वय और िजन दश म व रा य करत थ उनका भी ववरण दया गया ह ऐतरय ा मण स ान ववरण इस कार हmdash

रा य का कार शासक क पदवी शासन 1 सा ा य स ाट पव 2 भो य भोज द ण 3 वरा य वराट पि चम 4 वरा य (गणरा य 9) वराट उ तर (म क ) 5 रा य राट क पाचाल 6 पारम य mdash क पाचाल स उ तर क

ओर 7 महारा य mdash 8 आ धप य mdash ाचीन भारतीय शासन प त पर वचार करन वाल लखक क धारणा रह ह क

व दक काल म राजत या नपत यव था ह थी कभीmdashकभी व लोग रा य सघ का भी उ लख कर दत ह य य प ार भ म जन रा य क ह अ धकता रह यद प अण और तवश आ द उन दन व श ट जन थ राजस य म राजा कसी दश या रा य का नह बि क भारत या क mdashपाचाल का राजा घो षत कया जाता था उ तर व दक काल म ाद शक रा य क भावना बलवती हो गई िजसका उ लख अथववद म मलता ह व दक काल म राजा महाराजा वराज आ द उपा धया राजाओ को पद और गौरव क अनसार द जाती थी कछ राजा वराज तथा भोज कहलान थ अ तकर क अनसार इनका अथ बतलाना क ठन ह रा या भषक म कभीmdashकभी कहा गया ह क शासक को एक साथ रा य वरा य भो य वरा य महारा य पद ा त ह ग (ऐतरय ा मण 815mdashसा ा य भौ य वरा य वरा य पारम य रा य महारा यमा धप यमय समतापयायी यात) इसस सदह उ प न होता ह क य उपा धया व भ न रा य क स चया ह या नह ऐतरय ा मण दश क व भ न भाग म

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भ नmdash भ न शासन णा लय का उ लख करता ह िजनका ववरण ऊपर न द ट ह अ तकर न करद रा य को भोज और वराज तथा उनक अ धप त को स ाट वीकार कया ह स ाट और वराट म या अ तर था यह कहना क ठन ह स ाट का रा य साधारण रा य स अव य बड़ा रहा होगा वरा य को गणत का सचक माना जाता ह उ तरmdashव दक काल म वरा य का अव य वकास हो चका था ऐतरय ा मण स भारत म वश जात रा य का उ लख भी मलता ह हमालय क नकट उ तर क और उ तर म आ द जन म वराट (राजा स हत) शासन तब च लत था परवत काल म भारत म नगर रा य का वकास हआ क त ाचीन भारत म अ धकाशत नपत या एकत शासन यव था ह लोक य थी

232 रा य क उ य

व दक काल क ार भ म यद तवश भरत आ द जन रा य का उ लख मलता ह उ तर व दक काल तक य जनmdashरा य दश क व भ न भmdashभाग पर थायी प स बस चक थ उनक राजा जन क ह नह रा क वामी कहलान लग व दक सा ह य स ाद शक रा य क अग का प ट उ लख नह मलता फर भी स भव ह क इन रा य म स ताग का स ा त कसी न कसी प म अव य व यमान रहा होगा य क उनक बना रा य का सचालन अस भव होता ह

रा य क उ य क स ब ध म व दक सा ह य म ववरण मलता ह उन दन शाि त स यव था सर ा और याय आ द रा य क मल उ य मान जात थ छा दो य उप नषद म कहा गया ह क राजा को व ण क समान धत त नयम और यव था का सर क साधओ का तपालक तथा द ट को द ड दन वाला होना चा हए धम का सवधन सदाचार को ो साहन और ान का सर ण यक रा य को भल mdashभा त करना चा हए इस कार जा का सवागीण क याण ह रा य का उ य था

233 रा य क धम नग ड़त होन क क पना

अ तकर न अपन थ ( ाचीन भारतीय शासन प त) म इस स भावना पर भी वचार कया ह क या ाचीन भारतीय राजा धम स नयि त थ धम नग डत रा य म राजा धम ग क आ ानसार काय करता ह ऐतरय ा मण (7524) म कहा गया ह क य द राजा यो य ा मण परो हत क सहायता नह लता तो दवता उसक हवन को वीकार नह करत रा या भषक क समय राजा तीन बार ा मण को नम कार करता ह और इस कार उसका वशवत होना वीकार करता ह ऐसा करन स ह उसक सम होती ह ऋ वद (45079) म कहा गया ह राजा अपन परो हत का यथो चत स मान करता था िजसस वह श ओ पर वजय तथा जा क राज न ठा ा त करता था इस कार ार भ म ा मण न राजा पर अपना भाव जमान का यास कया पर त इसम व असफल रह जब क ति तर य ा मण (39 14) म एक थल पर कहा गया ह क राजा जो चाहत ह ा मण को वह करना पड़ता ह ऐतरय ा मण (729) म कहा गया ह क राजा जब चाह ा मण को नकाल सकता ह वहदार यक उप नषद (1410) म कहा गया ह क समाज म सबस ऊचा पद

27

य अथात राजा का होता ह इस लए ा मण उसक नीच बठता ह इस कार सा ह य म जो उदाहरण मलत ह उनस प ट ह क व दक काल म राजा धम नग डत नह था क त इतना अव य ह क राजा धम और नी त का र क अव य माना जाता था इसी क आधार पर वह रा य म शाि त और स यव था था पत करता था शतपथ ा मण (5336) म ठ क ह कहा गया ह क दवलोक क राजा व ण क भा त दवलोक का राजा धमप त (अथात जा को धम क माग पर चलान का यास करन वाला) था

234 सव च स ता का अि त व

व दक काल म रा य क सव च स ता का अि त व कहा पर कि त था यह ववाद का वषय ह व दक काल म शासन स ता राजा और स म त म न हत थी इस लए शासना धकार क व सव च अ ध ठान मान जात थ गणत म सव च स ता क य स म त म न हत होती थी गणत क समाि त क प चात राजा ह सव च स ता क अ ध ठान बन शतपथ ा मण (114) म कहा गया ह क धम राजा स पर ह वह उसका अनादर नह कर सकता अथात वह उसक अधीन ह इसस सक तत ह क धम को भी हम शासन स ता का अ ध ठान मान सकत ह क त शतपथ ा मण (547) म ह यह कह दया गया ह क य द राजा धम क अनसार आचरण न कर तो भी उस द ड नह दया जा सकता इस कार रा य क स ता धम म नह अ पत राजा म ह ति ठत होती थी

24 राज व पर वचार ाचीन भारत म शासक को राजा कहा जाता था उसका क त य ठ शासन था पत

कर जा का रजन करना था व दक काल म राजा क उ पि त कस कार और कस ह ई इस स ब ध म व वान न कई कार क वचार य त कय ह

ा मण थ म कहा गया ह क दवासर स ाम म दवताओ क कोई राजा न था इस लए व वजयी नह हो रह थ तब व इस न कष पर पह च क असर क सफलता का कारण उनम नत व करन वाल राजा का होना ह इस लए उ ह न राजा नवाचन करन का न चय कया इस ववचन क आधार पर जायसवाल न मत य त कया ह क राजपद का ार भ नवाचन स हआ राजा का यह नवाचन एक स म त करती थी इस स ब ध म

बनी साद का वचार था क राजा क उ पि त स नक आव यकता स ह ई और उसक वधता सहम त स ह ई

राजा क स ब ध म यह स ा त भी तत कया जाता ह क जो यि त इस पद पर चना जाता उस कछ क त य का पालन करना पड़ता था यह ववरण राजाmdash जा क म य ह ए कसी समझौत क ओर सकत करता ह राजा को अ भषक क समय शपथ दलवाई जाती थी क वह धम या कानन क अनसार शासन करगा

राजपदmdash क उ पि त क स ब ध म य एन घोषल जस व वान का मत ह क राजत का आधार मत याय का स ा त ह अथात जब अ यव था उ प न हो जाती ह तो शि तशाल मछल कमजोर का भ ण कर लती ह ऐसी अव था म यव था थापना हत राजा क आव यकता होती ह व दक काल म भी यह स ा त मा य था शतपथ ा मण

28

(11164) म कहा गया ह क समाज म जब कभी सखा पड़ता ह तो अ धक बलवान कमजोर को पकड़ लता ह तब सश त शासक (राजा) क आव यकता होती ह राजा क उ पि त का एक अ य स ा त उसक द वक उ पि त का ह ऋ वद क एक ऋचा म सद य न वय क लए अथदव श द का योग कया ह इसी कार अथववद म राजा को इ क स य दखलाया गया ह शतपथ ा मण म राजा क तलना इ स और ा मण क वह प त स क गई ह इसी थ म राजा को जाप त क समान बतलान वाला ववरण भी मलता ह शतपथ ा मण म अ य कहा गया ह क राज य नशाना य लगात ह इस लए राज य ह जाप त क क तमान त न ध ह ति तर य ा मण क अनसार अपन द वक आ वभाव क कारण इ न दवताओ पर शासन कया इस कार वाजपय क समय राजा को जाप त क स श बतलान वाला ववरण शतपथ ा मण म उपल ध ह इसी ा मण थ क अनसार कछ नि चत व ध स अ वमघ स प न करवान वाल राजा को

दवलोक ा त होता ह इस कार व दक सा ह य म राजा क तलना कसी दवता स करक अथवा उस दव स श दखलाकर उसक दव व को वीकार कया गया ह

241 राजाmdash ा मण स ब ध

राज व क गण पर वचार करत ह ए यएन घोषल न मत य त कया ह क ऋ वद क अि तम म डल म ा मण एव य वण क उ पि त वराट प ष स दशायी गयी ह ा मण वराट प ष क मख स उ प न होन क कारण व समाज म मह वपण ह ए ा मण

का काय आचाय व और य का ा कम शतपथ ा मण म एक थल पर कहा गया ह क राजा ा मण स नबल ह अथात ा मण उसस ठ ह ा मण थ म दोन शि तय को एक दसर क सहायता करन क सलाह द गई ह शतपथ ा मण म राजस क अवसर पर आचाय घोषणा करना ह क य त हार राजा ह और हम ा मण का राजा सोम ह शतपथ क अनसार य द राजा को ा मण मल जाता ह तो इसस दोन को सफलता क ाि त होती ह आचाय क बना (जो म दव का व प ह) राजा को सफलता नह मलती इस कार ा मण थ म राजा एव ा मण mdash स ब ध पर व तार स चचा क गई ह य थ राजा क याशीलता का धान ोत ा मण को ह मानत ह व दक थ म आचाय

म भी द वक शि त का नवास बतलाया गया ह व दक सा ह य म राजा तथा परो हत का घ न ठ स ब ध ि टगोचर होता ह ऐतरय ा मण म परो हत को राजा का र क या रा गोप कहा गया ह परो हत क स न रहन पर राजा को वग तथा राजक य वभव शौय एव जा क ाि त होती ह और य द वह सत ट नह रहता तो इन सब सख स राजा व चत हो

जाता ह इस कार व दक काल म राजा और ा मण म घ न ठ स ब ध था

242 राजा क दव व क क पना

िजस कार रा य एव राजा क उ पि त का आधार द वक त व माना गया उसी कार व दक सा ह य म राजा क दव व क क पना क भी उदाहरण मलत ह ऋ वद म राजा प क स को अधदव कहा गया ह अथववद म भी राजा पर त भ य म दवता कह गय ह अ तकर का मन ह क इन उदाहरण स राजा का दव व स नह होना उनका वचार ह क

29

राजा म दव व क क पना तो उसक वारा उपकत दरबा रय क मि त क क उपज मा था व कहत ह क जब सभी या स म त राजा को पद यत कर सकती थी तो फर राजा क दव व क क पना का सवमा य होना अश य था ऐतरय ा मण स ात य ह क राजा क वजय होन पर उस इ क उपा ध स वभ षत कया जान लगा था रा या भषक क समय परो हत कहता क उसका अ भषक भगवान स वता क आदश स हआ ह ऐसा माना जाता था क अ भषक क समय राजा क शर र म अि न स वता और वह प त दवता वश करत ह शतपथ ा मण स सक तत ह क जा राम क आ ा का पालन इस लय करती थी क वह जाप त

का य तीक था शतपथ ा मण (124 43) स सक तत ह क समाज म यह व वास था क अ वमघ एव वाजपय यह वारा राजा को दवता का पद म य क बाद मलता ह उ तर व दक काल म जब ा मण भी वय को भदव घो षत कर रह थ तब राजा म दव व क भावना क वकास क लय यह उ चत समय था राजा म दव व क भावना का वकास म त

थ एव पराण म चरता स मलता ह

25 राजा का नवाचन राजनी तशा क व वानो का वचार ह क व दक काल क ार भ म राजा नि चत

शत क आधार पर नवा चत होता था आग चलकर जब राजपद वशानगत हो गया तो भी अ भषक क समय कय जानवाल क य पहल क तरह जार रह

ऋ वद (342) म एक थल पर वश वारा राजा क वरण क कामना क गई ह अथववद (101248) म वश ( वारा राजा का वरण करन का उ लख मलता ह अ तकर का वचार ह क राजा क नवाचन म साधारण जनता भाग नह लती थी शतपथ ा मण (9345) म उ लख आया ह क राजागण िजस मान वह राजा होता ह दसरा नह रा या भषक क एक म म उ लख मलता ह क अ भ ष त राजा अपन णी क यि तय म ति ठत ह अत सभावना यह रहती ह क राजा क चनाव म जनता क नतागण कलप त

या व वप त ह भाग लत थ साधारण जनता उनक नणय पर अपनी सहम त दान करती थी अ तकर कहत ह क उपय त ववरण का अथ यह नह ह क राजा का व दक काल म नवाचन होता था उनका वचार ह क व दक राजा उ चवग य कलप तय और वशप तय क समथन पर नभर था इस लए ऋ वद म अ धकाश राजपद आनवा शक ि टगोचर होत ह त सओ म चार पीढ़ स प ह पता क राजग ी पर बठत आ रह थ शतपथ ा मण (12931mdash13) स ात होता ह क सजय का राजा टऋत पौसायन क कथा (एतरय ा मण 812) स दस पीढ़ स ा त रा य का उ लख अ भषक क समय नए राजा को राजा

का प कहा गया ह हा कछ ा मण थ क आधार पर राजा को आजीवन दो पीढ़ क लए अथवा तीन पीढ़ क लय चनन क यव था क क पना कछ शा कार अव य करत ह ऐतरय ा मण (87) म इस पर परा का उदाहरण व यमान ह क त इस उदाहरण स तो वशानगत मजमदार का मत ह क ा मण काल क बाद तक भी ह द रा य म राजपद वशानगत नह हो पाया था यह वचार व दक सा ह य एव ा मण थ स मल नह खाता हा जात वरा य या वरा य म वशानगत राजा क नयि त हत कोई पर परा नह थी

30

ा मण काल या उ तर व दक काल समा त होन स पव ह राजपद लगभग वशानगत हो गया था

251 राजा क अ य क य

राज सहासन पर आसीन होन क बाद उपि थत यि तय तथा राजकताओ तथा स ल ण व प बाह पर धारण करन क एक म ण हण करता जो पलाश क लकड़ी क बनी ह ई होती थी अथववद म इस क य का व तत ववरण मलता ह

जायसवाल का मत ह क राजा अपन पद पर आजीवन नवा चत होता था इस नवाचन म राजकता या र नी तथा ार भ म साधारण जनता भी सि म लत होती थी राजा सहासन पर शर चीत या तदए का चमड़ा बछाया जाता था यह उसका वीरता सचक च ह था सहासन शर आसीन होन क प चात नय राजा का जल सचन कया जाता था

252 रा य य त और पन नवाचन

कई बार क त य का पालन न करन पर राजा को उसक पद स हटा दया जाता था उस दश स नवा सत भी कर दत थ अ छा आचरण रखन क कारण उस राजा को पन राज सहासन पर आसीन कर दया जाता था अथववद म इस कार क उदाहरण मलत ह िजसम राजा वारा अपन नवाचक स समझौता कया गया श ल यजवद (19 स 31) म सौ ाम ण य का वधान मलता ह जो पद यत राजा को पन पद ाि त पर करना पड़ता था क ण यजवद तथा ति तर य ा मण म भी इस पर परा का उ लख मलता ह इसस प ट ह क उस समय राज य त क यव था थी

253 राजा क क त य

नवा चत राजा या नय राजा स आशा क जाती थी क वह अपनी जा क लय धनmdashवभव ा त करन का यास करगा अथववद (344) म इसका उ लख मलता ह अथववद म क दश क राजा पर त क रा य क वभव का उ लख ट य ह जहा प नी अपन प त स पछती ह क म त हार लय या लाऊ दह म ा या सरा अथात क दश म ी अपन यास प त को पानी जसा साधारण पदाथ दन का वचार ह नह करती थी राजा क उ पि त द वक भी मानी जाती थी इस लए उसका क त य धम को ि थर रखना भी था कछ व वान न तो राजा क दवी उ पि त क स ा त को प रव तत करत ह ए राजा को जा का सवक बताया ह जायसवाल क अनसार जो राजा धोखबाज और वाथ होता ह उसका नाश हो जाता ह अथववद म राजा क लय कहा गया ह क वह तज वी हो ता क जा उसका ताप दखकर स मान करन लग राजा जा का सर ण करता ह और श क घातक आ मण स उसक र ा करता ह

26 राजा पर नय ण ाय यह वचार कट कया जाता ह क ाचीन काल भारत म राजा सदव नरकश

होता था क त यह वचार स य नह ह व दक काल का ह उदाहरण ल तो ात होता ह

31

क सभी स म त और वदथ जसी स थाए सदव राजत को नय मत रखती थी इन स थाओ म स म त तथा रि नन प रषद राजत का मख आधार थी

व दक काल म सभा और स म त का मह वपण थान था अथववद क एक स त म उ ह जाप त क जड़वा द हताए कहा गया ह स भवत य ई वर न मत स थाए थी जो राजनी तक जीवन क ादभाव क साथ अि त व म आई व दक काल म व वान क यह आका ा रहती थी क स म त उनक यो यता वीकार कर ववाह क समय नववध स भी यह कामना क गई क वह स म त को अपन भाषण स नयि त कर

261 स म त

स म त व दक काल क पवज क सबस बड़ी स था थी स म त का अथ ह क सबका एक जगह मलना स म त जन वश या रा य क रा य यव था पका सभा थी अथववद क म स ात होता ह क लोग कामना करत थ क स म त म मरा वप ी ववाद म मझ जीत न सक जो लोग मर व होकर ववाद कर त उनक ववाद को दबा द उ ह शि तह न कर द जायसवाल का मत ह क स म त राजनी तक काय क अलावा कछ अ य काय भी करती थी छा दो य तथा वहदार यक उप नषद स ान होता ह क कई बार यवक श ा समा त करन क बाद स म त म उपि थत होता था तब उसस वहा शा स ब धी न कय जात थ िजसक सतोषजनक उ तर दन पर ह उस श त होन का गौरव ा त होता था इस कार स म त रा य व यापीठ का भी काय करती थी स म त वक सत व दक समाज क स था थी वाद ववाद क उ नत अव था दसर क स म त पर वजय ाि त क आका ा उ नत स यता क ल ण ह

अथववद स ात होता ह क स म त म सि म लत होन क लए लोग को आमि त कया जाना था ऋ वद म राजा को स म त म सि म लत होन क लय जान का नदश दया गया ह स म त सभा क तलना म एक बड़ी स था थी और यह माना जाता था क वह स पण वश या जा का त न ध व करती ह स यकत व यालकार क अनसार स भवत रा क अ तगत सब ाम क ामीण उसम सि म लत होत थ साथ ह वश क क तपय मख यि त सत रथकार व अ य श पी आ द भी उसम उपि थत रहत थ स म त का शासन और सना पर अ धक भाव था राजा क अ धकार स उसका सामज य कस होता

था यह ात नह ह स म त क सगठन क बार म भी जानकार का अभाव ह समाज क ति ठत यि त व परो हत इसक सद य होत थ स म त क काय काफ प ट ह सदभ

स ात होता ह क राजा स म त वारा नवा चत और पन नवा चत होता था झमर क अनसार यह नवाचन राजत ी था वहा स म त क इक वश वारा ह राजा का नवाचन होता था घोषाल क अनसार स म त य द राजा का नवाचन करती रह हो तो इसम असभव जसा कछ भी नह ह राजा स म त क काय म मागदशन भी करता था इस कार स म त रा य यव था का आव यक अग थी सोमरस क लय जस घड़ा वस ह राजा क लए स म त थी जायसवाल का मत ह क स म त क प त (अ य ) को ईशान कहत थ राजा का यास रहता था क सभा और स म त मलकर काय कर यह आव यक समझा जाना क

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दोन क सद य का मन एक हो उनक वाणी एक ह उसका वचार वमश एक समान हो और व एक ह म (नी त) का वचार वमश कर ऋ वद (101912mdash4) क अि तम स त म स म त क सद य स यह आका ा क गई क त हारा मन एक समान हो त हार स म त एक समान हो त हारा मन और च त एक समान हो त हार नणय समान प स ह त हार दय एकमत हो त हार मन एक समान ह िजसस तम सशापवक एकमत वाल होकर रह सको स म त म व ता दसर सद य को अपन अनकल बनान का यास करत थ अथववद म ाथना क गई ह क यहा (स म त म) जो लोग उपि थत ह म उनक तज और ान को हण करता ह ह इ मझ इस स पण ससद का नता बनाओ जो त हारा मन कसी अ य ओर गया हआ ह या त हारा मन जो कसी बात को पकड़ कर बठ गया ह म त हार मन को वहा स हटाता ह त हारा मन मर अनकल हो जाए राजा क स ता ि थर रह इसक लए स म त का उसक अनकल होना आव यक था व छाचार राजा होन पर स म त कभी भी उसक इ छानसार काय नह कर सकती थी अथववद स ात होता ह क ा मण का धन अपहरण करन वाल राजा का स म त कभी साथ नह दती थी स म त म कभीmdashकभी वादmdash ववाद ती हो जान तथा गरमागरम बहस भी हो जाया करती थी इस कार ऋ व दक काल म स म त एक अ य त मह वपण राजनी तक स था थी जो ा मण काल तक पह चत ल त ाय हो गई उप नषद म अव य स म त का पन उ लख मलता ह इस समय कभीmdashकभी राजा वय स म त क अ य ता करता था स भवत रा य का आकार बढ़ जान स स म त जसी स था का काय करना अस भव हो गया य क वतमान त न ध व णाल का उन दन वकास नह हआ था

262 सभा

व दक काल क राजनी तक स थाओ म सभा का भी मह वपण थान था आध नक व वान का मत ह क व दक सभा म परो हत ध नक तथा उ च वग क लोग सि म लत होत थ एक अ य वचार क अनसार सभा ाम और स म त स पण राज क स था होती थी झमर का वचार भी लगभग यह था हल ाड का मन था क सभा और स म त एक ह स था थी सभा उस स थान का नाम था जहा लोग एक त होत थ और स म त एक त समह को कहा जाता था अ तकर न अथववद क आधार पर लखा ह क सभा और स म त अलगmdashअलग स थाए थी ऋ वद म उ लख मलता ह क सभा म ाय गाय क चचा क जानी थी ा मण थ स सक तत ह क सभा गाव क सामािजक गो ठ थी क त आव यकता पड़न पर वह छोट मोट ाम यव था क मामल भी नपटा लती थी प ष मघ य ववरण (ऋ वद 1 291) स सक तत ह क सभा और सभासद का यायदान काय स घ न ठ सबध था क त कछ रा य म सभा राजा स स बि धत स था होती थी इस कार यह एक सामािजक स था न होकर राजनी तक स था थी अथववद म यम क सभासद को राजसी पद दन का उ लख ह अ तकर लखत ह क म यलोक क सभासद का पद भी वग लोक क सभासद क समान राजसी था और व भी राजा को कर और श क स होन वाल

आय म स कछ अश ा त करन क अ धकार था ऋ वद क एक उदाहरण म सभासद क

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वभव और रथ म सवार होकर जान का ववरण मलता ह इसस प ट ह क सभासद कोई उ च अ धकार था क त अ धकाश उ रण यह दशात ह क सभा ाय ा य स था थी जो सामािजक एव राजनी तक मामल पर वचार करती थी जायसवाल न अपन थ ह द रा यत ( थम ख ड) म सभा को सावज नक स था कहकर पकारा ह

सभा म भी स म त क भा त कई बार अ य ववाद उ प न हो जात थ सभा को न र टा कहकर पकारा जाता था अथात (सायण क अनसार) वह स था िजसक नणय को बदला न जा सक सभा म सब लोग वत तापवक अपन वचार तत करत थ पर त जो न चय कर लया जाता उसका कोई सद य उ लघन नह कर सकता था सभा क सगठन एव उसक स म त स स ब ध पर भी साम ी का अभाव ह वस सभा का ता पय वह समह होता ह िजसम सब लोग एक साथ मलकर काशमान हो इसस प ट ह क सभासद आदर क पा होत थ सभा का धान अ धकार सभाप त कहलाता था इसम ाम क व यि त भी सि म लत होत थ श ल यजवद म उ लख मलता ह क सभा म कय ह ए अपराध क लय लोग प चा ताप करत थ सभा स लौटकर ( या यक काय कर) सफलतापवक आन वाल क म को स न और आनि दत कहा गया ह और वय लौटकर आन वाल को कलक या अपराध स र हत बतलाया गया ह जायसवाल का मत ह क स म त क आरि भक काल क भा त सभा का ार भ काल ऋ व दक काल क अि तम चरण म समझना चा हए परवत काल म सभा क अ धकार राजा म कि त हो जान स स म त क तरह उसका अि त व समा त हो गया पर त सभा क याय स ब धी काय क त व आग भी बन रह िजनका यवहार म योग राजा क यायसभा म ि टगोचर होता था घोषाल का मन ह क सभा स म त क

तरह जन स था थी आर एस शमा का मत ह क सभा ार भ म जनजातीय और सावज नक स था थी और बाद म अ भजातीय बन गई जब क स म त न उ तर व दक काल म अपना जन प कायम कर लया

263 वदथ

व दक काल क एक अ य ाचीन स था वदथ थी िजस सभा और स म त स भी ाचीन माना जाता ह जायसवाल क अनसार यह सवसाधारण क सबस पहल मल स था थी

िजसस सभा स म त और सना क उ पि त ह ई वदथ का स ब ध नाग रक स नक और धा मक तीन कार क काय क साथ दखलाई दता ह वदथ स भवत व वान क सभा थी क त शासन यव था क स ब ध म इस स था क नाम का योग न होन स व वान इसका ववचन नह करत ह वस अथववद म वदथ नाम बाईस बार आया ह वदथ का उ लख ऋ वद म अ धक और अथववद म अप ाकत कम बार आया ह वाजसनयी स हता तथा ति तर य आर यक म भी वदथ क चचा मलती ह प ट ह क वदथ अव दक काल म लोक य थी जब क सभाmdashस म त उ तर व दक काल म ओ डनबग वदथ का अथ वतरण नबटाना और अ यादश (मल धात वधा) लगाया ह जब क लमफ ड वदथ का ता पय वत व ान और सभा स लत ह राथ क मा यता ह क वदथ धमतर धा मक तथा स नक य तीन कार क काय करन वाल स था थी जायसवाल का वचार था क

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वदथ वह मल स था थी िजसस सभा स म त अदभत ह ई सभाmdashस म त म ि य क भाग लन क उदाहरण नह क बराबर मलत ह जब क वदथ म ि या ाय भाग लती ह रहती थी ऋ वद स सक तत ह क घोषा वदथ म सि म लत ह ई थी ि या वदथ म चपचाप न बठकर उसक वाद ववाद म भी भाग लती थी ववाह समारोह म ऐसी कामना क गई क वध कवल गहणी क प म न रह अ पत नय ण रखकर वदथ म बोल लमफ ड का वचार था क ि या जन सभा या सभा म सि म लत नह होती थी आर एस शमा इस मत स सहमत नह ह व यह भी मानत ह क वदथ व प जनजातीय था वदथ म बड़ बढ़ को मह व दया जाता था वदथ जनजातीय मामल क व नयमन क लय व ध और नयम बनाती थी वदथ खा य पदाथ क वतरण क भी उ चत यव था करती थी यह भी स भव ह क यह य म लट गई साम ी का वतरण करती हो ऋ वद म वदथ का जो उ लख मलता ह उसस उसका साम रक व प भी ि टगोचर होता ह व भ न दवताओ क आ वान म वदथ को वीर स भरा हआ दखलाया गया ह इ का वदथ का नायक या य का नता कहा जाता था वदथ म उपि थत लोग इ म व ण व वदवा और अ य दव क उपासना करत थ अथववद स ात होता ह क यह स था बाद म धा मक नकाय का प हण कर चक थी वदथ गान थल भी था जहा दवताओ को ह व उनक गणगान क प

म अ पत कया जाता था इस कार व दक काल म वदथ क व वध प म ि टगोचर होती ह वदथ म समाf भी उपि थत होत थ क त इसका प कसी भी स म त म अ भजातीय नह रहा होगा स म त क तलना म यह छोट स था अव य थी

27 राजपद गौरव का तीक अ भषक राजा नवा चत हो या वशानगत पद ा त करन क बाद उस कछ य करन पड़त ह

उ तर व दक काल म ( वशष प स ा मण काल म) राजा क रा या भषक क स ब ध म कछ धा मक क य एव पर पराओ का वकास हआ जायसवाल न इन क य पर व तार स काश डाला ह उनका वचार था क कोई राजा इन क य क बना राज व ा त नह कर

सकता था राजा को अ भ ष त करन क लय तीन कार क य का उ लख मलता ह उनम स थम राजसय य था िजसस स मन कर यि त राजपद का अ धकार बनता था वतीय वाजपय यह था िजस करक राजा राज ष या राज धमा धकार का पद धारण करता

ततीय य सवमध था िजस स प न कर यि त स पण व व पर शासन करन का अ धकार बन जाता था इनम वाजपय य राजनी तक नह था बाद म यह य भी राजक य अ भषक उ सव स जड़ गया सवमध य कवल स ाट ह करत थ इस कार रा या भषक राजसय य स स प न होता था शतपथ ा मण (51112) म कहा गया ह क रा एव राजसय राजा व राजसयन वा भव त अथात राजा क लय ह राजसय ह य क राजसय य करन स ह वह राजा होता ह

271 रा या भषक स स बि धत राजसय य

राजसय क तीन अग होत थ थम अग म य और होम सि म लत थ िजनक स प न होन पर राजा अ भषचनीय होता था अ भषचन म राजा को प व करन हत उस पर

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जल छड़का जाता था य य प अ भषचन क प चात भी कछ अ य धा मक य एव क य कय जात थ क त उनम अ भषचन ह सवा धक मह वपण था

िजस यि त का अ भषचन होता था उस पहल वह और फर राजा कहकर इ गत कया जाता अथात वह यि त अ भषचन क बाद ह राजपद का अ धकार होता इसस पव वह एक सामा य नाग रक क समान ह था

272 र न ह व

ार भ म नवा चत होन वाल या नय राजा को सनानी परो हत राजmdashम हषी वय राजा अपन यहा सत ामीण य स हत भागदह पालागल अ वाथ गो वकत क यहा जाकर र न ह वया दनी पड़ती थी र नी यारह होत थ क त र न ह व 12 थान पर द ती पड़ती थी इसका ववरण शतपथ ा मण (531) ति तर य ा मण (173) तथा ति तर य स हता (18 9) म मलता ह र नी उ च रा य कमचार या अ धकार थ राजा उ ह ह व दान कर मान उनका समथन ा त करता था र नी ाय व भ न वग क त न ध मान

जात थ य क जब रा य का व तार हो गया तो स पण जनता को आमि त करना अब सभव नह था इस लय अब तीक व प उनक त न धय स काम चलान हत इस परपरा का वकास हआ इस पर परा म मह वपण बात यह थी क राज सहासन हण करन वाल यि त को ह न जा त क यि त का भी पजन करना पड़ता था य क वह भी समाज का आव यक अग था रि नय क पजन क समय उनम स यक वह भी समाज का आव यक अग था रि नय क पजन क समय उनम स यक को कहा जाता हम त हार लय ह इस कार अ भ ष त होत ह और त ह अपना न ठ अनगामी बनात ह र नी राजा क राजपद हण करन क पव व यमान थ व स भवत स म त क सद य थ और उनका वत

अि त व था तथा उनका पद आध नक मि य क समान था

273 दव त त

राजा रा यारोहण स पव रा क व भ न अग तथा वय प वी स अनम त ा त करता था राजा को प वी स अनम त ा त हो जाती थी शतपथ ा मण (5234) म राजा कहता ह क म प वी को स न करता ह ता क उसक आ ा पाकर म अ भ ष त हो सक राजा रि नय को ह व दान करन क बाद सोम तथा को च दता था अ भषचन स पव राजा अि न सोम बह प त इ म और व ण क त त करता तथा कछ दवताओ को ब ल अ पत करता ता क व दवता राजा को अपन गण स य त कर द व ण राजा को धम का र क बनाता था ऐसी मा यता थी

274 अ भषचन जन स ह

राजपद पान वाल राजा का अ भषचन करन हत दश भर क जलाशय न दय सम तथा तालाब का जल स ह कया जाता यक थान स जल लत स म उस जल ोत स ाथना क जाती क वह अम त नाम क राजा को राज व दान कर उन दन यह माना

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जाता था क दवता लोग यि त को शासन करन क यो यता दन क शि त रखत ह उस राज व तो उसक रा क जलाशय ह द सकत ह

275 अ भषचन

राजा पर दोहरा अ भषचन होता था ार भ म व भ न वग या वण क त न ध उस पर व भ न न दय एव जलाशय का एक कया हआ जल छड़कत थ फर परो हत राजा क राज सहासन पर आ ढ़ होन स पव अ भषचन करत थ म ाव ण क वद क सामन सह क खाल बछाई जाती थी िजस पर राजा आ ढ़ होता था फर एक एक कर चार आदमी अ भषचन करत थ थम यि त ा मण वतीय नवा चत राजा क कल या गो का कोई यि त ततीय राज य या य और चतथ व य होता था जायसवाल का मत ह क परवत काल म श भी इस समारोह म भाग लन लगा था परवत सा ह य म इसक प चात राजा वारा रशमी व तथा मकट धारण करन क पर परा मलती ह शतपथ ा मण म इस वधान का उ लख नह मलता

276 अ धकार हण घोषणा

इस कार अ भषचन क बाद राजा सह क खाल पर ह खडा रहता परो हत उस एक धनष और बाण दान करता था तब राजपरो हत म ो चारण करता रहता था िजसका आशय था क त आग क ओर स राजा क र ा कर त प चात फर म ो चारण जार रहता िजसक वारा अि न इ म अ द त और व ण को राजा क र ा हत सचना द जाती यह राजा क राजपद पर अ धकार करन क घोषणा थी ऐतरय ा मण क अनसार राजा रा या भषक क इस शभ अवसर पर शपथ हण करता था जो इस कार थी (इ य क इस महान रा या भषक क वारा य त हण कर बह श भा० स उ चारण कर ) रा म मरा ज म हआ ह और रा म ह म य द म त ह पी डत क तो म अपन सम त शभ कम अपन वण जीवन और अपन वश स व चत होऊ ऐतरय ा मण क अनसार यह त सभी कार क शासन वधान म हण कया जाता था

इस घोषणा क उपरा त राजा का ठ क सहासन पर बठता था िजस पर शर क खाल बछ होती थी इस अवसर पर म ो चारण कय जात थ उनम सभी वण क त न धय स कहा जाता था क व नय राजा क बह म य कोष क भा त र ा कर इस

अवसर पर उ चा रत म को थोड़ प रवतन क साथ महाभारत म भी दया गया ह नव नय त राजा सहासन पर आ ढ़ होन स पव सोन क एक प तर पर पर रखता

था िजसम 100 या 9 छ होत थ उस प तर क छद स परो हत राजा पर जल का अ भषक करता था वाजसनयी स हता (श ल यजवद 9540 एव 1०517mdash18) म इस स ब ध म जो म दय गय ह उनका अथ ह सोम क वभव स म तझ अ भ स चत करता ह अि न क तज स सय स ताप स इ क बल स म तझ अ भ स चत करता ह त

प तय का र क ह

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ह दवताओ अमक प ष तथा अमक क प और अमक वश या जा क वामी को तम ा धम क लय मह ता क लय वशाल रा य शासक क लय और इ क बल क लय अनपम बनाओ ह जा वग क लोग यह यि त त हारा राजा ह यह हम ा मण का सोम ह सोम वन प तय का दवता ह एव जीवनदाता ह इस लए वह ा मण का दवता माना जाता था कह mdashकह इस समय उ चा रत म क यह या या भी क जाती ह क वह नवा चत राजा ा मण का नह था उनका राजा तो सोम था क त यह या या उ चत नह ह कछ ा मण न इस या या को वीकार करक कहना ार भ कर दया क राजा को उनस कर लन का अ धकार नह ह जब क ऐतरय ा मण (79) म प ट कहा गया ह क ा मण राजा क अधीन ह वाजसनयी ा मण उप नषद (जो शतपथ शाखा को ह) म ा मण

को राजा क अधीन बतलाया ह और कहा गया ह क या राजा स ऊपर कोई नह ह इस लए राजसय म ा मण को य स नीच बठना पड़ता था जायसवाल का मत ह क जब तक राजा का अ भषक नह होता तब तक ा मण को सोम क अधीन माना जाता था जब राजा का अ भषक हो जाता तो नया राजा उनका भी राजा हो जाता ऐतरय ा मण राजा क स ब ध म कहता ह क वह ा मण और धम का र क होता ह इस कार शतपथ ा मण का ववरण यहा कछ भा त उ लघन करता हआ ि टगोचर होता ह

277 राजपद दान

राजा क पद अ ध हण क घोषणा प चात वह तीन सी ढ़या चढ़ता तब परो हत पन म ो चारण करता िजनका अथ इस कार था mdash तझ यह रा दया जाता ह त सचालक और नयामक ह त व ( ढ़) और धारण करन वाला (इस रा य का उ तरदा य व का) ह तझ (यह रा य दया जाता ह) क ष क लय म क लय स प नता क लय पोषण या वधन क लय (शतपथ ा मण 52125) जब थम वा य पण हो जाता तब राजा को बठा दया जाना था या याकार का मानना ह क इस मन क आधार पर मन य को राज व ा त होता था राजा को िजस उ य क लय रा य दान कया जाता था वह था सब कार क सख स प नता इस कार उपय त क य स राजा का अ भषक स प न होता था

278 अ भषकतर क य

अब राजा सहासन स नीच उतरता और जगल सअर क चमड़ क जत पहन कर चार घोड़ क रथ पर चढ़कर कछ दर तक जाता (शतपथ ा मण 54423 54319) अ भषक स प न होन क बाद राजा क सवार नकालन क जो पर परा वक सत ह ई उसका मल इस ाचीन क य म छपा था इसक बाद राजा पन लौटकर सहासन क पास आता और फर उस

पर वराजमान होता तब परो हत कहता mdash त इस सखद और कोमल सहासन पर बठ त प चात एक वल ण क य होता एक डड स बह त कोमलतापवक राजा क पीठ को पश कया जाता (शतपथ ा मण 5447)

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279 अधीनता वीक त

राजा क अ भषक क उपरा त एक अ य क य था लोग वारा राजा क अधीनता हण करना राजा सहासन पर बठ जाता तब उसक नीच चार ओर उस घर कर सब र नी ा मण परो हत सरदार और ामीण तथा अ य लोग बठत सबस पहल ा मण अधीनता वीकार करत व यह काय दो प म करत थ थम ा मण वण क प म और वतीय रि नय क सभी क सद य एव परो हत क प म राजा वय व भ न लोग क

अधीनता वीकत करन स पव प वी क अधीनता वीकत करता था वह कहता (शतपथ ा मण 54320) ह प वी माता न तो तम मझ क ट पह चाओ और न म त ह क ट

पह चाऊ इसक उपरा त राजा ा मण को स बो धत करक कहता ह ा मण पर त ा मण उस बीच म ह रोक कर कहता mdash त ा मण ह त स चा बलशाल व ण ह त ा मण ह और सम त वश क बल स ब ल ठ ह राजा ा मण एव परो हत को इस कार पाच बार स बो धत करता त प चात ा मण या परो हत राजा को एक तलवार दता यह तलवार राजा अपन अ धकार क च न व प रा य क सम त अ धका रय और ाम णय को दता फर उन लोग स सहयोग करन क लए कहता क इसक वारा मर और स शासन करो िजसका दसरा अथ था मर सवा करो

2710 शासन सचक ड़ा

अब अि तम व ध क प म राजा रि नय क साथ पासा फककर खल खलता था इस ड़ा म दाव पर एक गाय लगाई जाती थी िजस समाज को कोई साधारण सद य लाता था इस खल स अ भ ाय यह था क वह यि त जो खलन वाल को साथ उ प न हआ ह और रा या जा का अग ह इस कार सामा य यि त स गाय लना राजा क म ी क णा और म क भाव को दशाता था

2711 राज पद त ठा

व दक काल म राजा का पद गौरवपण एव ति ठत था ऋ व दक काल म शासक कवल राजा क उपा ध धारण करता था उसका राजमहल भी अ धक भ य नह था वह अनक आभषण एव चमक ल पोशाक पहनता था राजा को उपहार या ब ल दन क पर परा थी य य प यह उपहार ऐि छक था य क दौरान राजा को जो धन लट म मलता उसका कछ भाग स नक को भी बाट दया जाता था उ तर व दक काल म राजा क त ठा म और अ धक व ह ई अब राजा का अ भषक ठाटmdashबाट स होन लगा इस काल म उसक राजधानी सजी ह ई और आकषक होती थी उनका पशधन वशाल था उनक नजी जमीन भी व तत थी अथववद क अनसार राजा अत य यो ा था जा म उसका थान सव ठ था उसक स पि त वपल थी लोग राजा क ोध स डरत थ रा य स अ धकार शासन सचालन म उसक सहायता करत थ राजा अब

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महाराज स ाट और अ धराट जसी उपा धया धारण करन लग थ कहन का ता पय यह ह क उ तर व दक काल म राजपद क साथ दखावा अ धक बढ़ गया

28 मि म डल क ारि भक व प ऋ वद क एक ऋचा म बाधा पह चान वाल असर प रषद को अपन व स न ट करन

हत इ स ाथना क गई ह इसी थ स ात य ह क वस दवता क प रषदवान नषद क प का वध करना चाहत थ ऋ वद म गोओ (गाय ) स स प न प रषद का नाम आया ह क त ऋ वद तथा अथववद म राजा क मि म डल का प ट उ लख नह मलता यजवद क स हताओ और ा मण थ म रा य क कछ मख अ धका रय क चचा अव य आती ह इन रा या धका रय को र नी कहा जाता था जो स भवत राज प रषदmdashक सद य (पच वश ा मण 19 14) थ रि नय क जो सची मलती ह उसम राजप रवार क सद य वभाग

क अ य तथा दरबार गण क नाम सि म लत ह यवराज का रि नय म नाम नह मलता क त पटरानी का नाम अव य मलता ह रि नय म परो हत अ य त मह वपण था वह य वारा राजा क य म र ा करता था अ य रि नय म हम सनानी सत ामीण सगह ता और भागधक का नाम मलता ह सनानी सनाप त सत रथ सना का नायक ामीण गाव क म खय म धान और भागधक कर स ह का काय करन वाल अ धकार थ

रि नय क सची म ता अ ावाथ गो वकता और पालागल आ द दरबार णी क लोग थ ता राजा का प रवा वक था घोषाल उस भोजन बाटन वाला मानत ह यहा ता स य

का ता पय रहा होगा अ ावाथ यत वभाग का अ य था पालागल का ता पय रथकार या दत स लया जाता ह गो वकत जगलात वभाग का अ य था रि नय क सची म राज य नाम भी मलता ह ति तर य स हता म नवा चत होन वाल राजा को राज य (189) कहा गया ह इस कार व दक काल म र नी प रषद स पटरानी यवराज (नाम नह मलता) राज य आ द राज प रवार स तथा परो हत सनानी अ ावाप सत भागधक गो वकता आ द जनता म स सद य थ व दकयग म रि नय का थान आध नक मि य क समान था ऐ तहा सक काल म र नी श द का मल अथ बदल गया और म ी तथा अमा य जस श द का चलन म प रषद क मल आधार क त व ढढ जा सकत ह

29 व दक गण का ववचन ाचीन भारतीय गणरा य को मह व दान करन का य डा काशी साद जायसवाल

को ह उनका वचार ह क ऋ वद और अथववद क ऋचाओ स सक तत ह क भारत म गणत ा मक शासन का उदय राजत क काफ बाद और पव व दक काल क प चात हआ इस मन स असहमत ो आर एस शमा का वचार ह क गण का उ लख ऋ वद म 46 बार और अथववद म 9 बार आया ह अ धकाशत इनका नवाचन सभा या सना क अथ म उ लख मलता ह व दक थ म म त का उ लख बार बार गण क प म हआ ह च क सभी म त इ क प थ इस लए यहा गण श द को एक जनजातीय इकाई क अथ म य त

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माना जाएगा गण क सद य समान पवज क सतान हो यह आव यक नह था यह लोग का क म समह था

म त क ववरण स गण का जनजातीय व प प ट ह उनका वणन क उ चास प या नौmdashनौ क समह म वभ त तरसठ प क प म हआ ह व दक गण म ि य क भ मका प ट नह ह जनजातीय गण सभी क प म भी काय करत थ फथ न ऋ वद क अनक थल पर इस दवताओ या मन य क सभी कहा ह व दक सा ह य म गण क अ तगत वचार वमश का उ लख नह मलता ऋ वद तथा अथववद क स हताओ म म त क बलशाल और ओज वी गण क चचा बारmdashबार सना क अथ म आई ह गण क प म याण करत ह ए वीर का भी वणन हआ ह गण तगामी अ व और श स

सि जत होत थ ऐसा तीत होता ह क गण अपनी इ छानसार काय करन वाला सश सगठन था िजसका यक सद य श धारण करता था आर एस शमा क अनसार व दक गण सम त जन समदाय का सश सगठन था गण को नता राजा या गणप त कहलाता था इ म त और बह प त को बारmdashबार गणप त कहा गया ह ऋ वद म एक थल पर गण क नता को राजन क उपा ध दान क गई ह गणप त का चनाव गण वारा होता था या नह यह प ट नह ह यनानी जन जा तय म च लत थाओ का अ ययन करन स ऐसा तीत होता ह क गणप त का चनाव होता था अथववद क ऋचा स सक तत ह क गण क लोग म य स ा त स पि त को बाट दया जाता था ऋ व दक गण का आधार पशपालन था इस लए गण कसी नि चत भmdashभाग स जड़ न रहकर मण करत रहत थ शतपथ ा मण तथा ति तर य ा मण म म त को कषक कहा गया ह इस कार अब गण क सद य खती करन लग थ गण म म यपान तथा गायन भी होता था इ को दवसभा म सोमपान क लए आहत कया गया और वह प त गण क लए गीत तत करता था ऐस सदभ व दक सा ह य म मलत ह व दक गण म वगभद नह था ऐतरय ा मण म शासन प तय का वग करण करत ह ए वरा य तथा वरा य का उ लख कया गया ह िजनका ता पय गणत ीय सगठन स ह

उ तर क और उ तर म हत वरा य शासन णाल का उ लख मलता ह य गण रा य परवत काल म राजत क आधी म बह गय इस कार कहा जा सकता ह क व दक गण आध नक गणरा य स भ न थ क त परवत काल न गणरा य को रणा गण न ह दान क

210 स य यव था व दक काल क ार भ म आयmdashअनाय का सघष चल रहा था आयजन म ब ल ठ

लोग स नक का काय करत थ सनानी सना का म य नता था राजा वय य थल पर जाकर सना का नत व करता था सना म य का वच व था ामीण गाम का म य अ धकार होन क साथmdashसाथ स नक काय भी करता था शि तशाल राजा दि वजय पर नकलत थ आर क मकज का मत ह क ऋ व दक काल म य आ मर ा वजय तथा पड़ौसी रा य का धन लटन क लए लड़ जात थ सना म पदल रथी एव म टाmdashम ट य

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करन वालो का उ लख उ तर व दक सा ह य म मलता ह स नक साज सामान का उ लख दाशरा य म मलता ह स नक धनष mdashबाण कवच हाथ क द तान टोप झलम यान सि त (भाला) ब लम अश न (गोल फकन का य ) आ द श का योग करत थ रथ म दो तीन चार घोड़ जोत जात थ य म अ य साज सामान म वज द भ और य घोष का उ लख भी मकज न कया ह

211 कर यव था व दक सा ह य म हम भागधक का उ लख मलता ह उसक तलना कौ ट य

अथशा क समाहता स क जाती ह िजसका काय कर इक ा करना था ऋ वद क 10व म डल म राजा को कर ा त करन वाला एक मा अ धकार बनाया गया ह राजा को कर या ब ल जा क र ा करन क बदल मलना था अथववद म कहा गया ह राजा वष खा सकता ह अथात जा पर भार कर लगा सकता ह ति तर य स हता क अनसार भ म पर जा का अ धकार था भ मकर रा य क आय का मख साधन था उ तरव दक काल म लगभग छ अ धका रय का उ लख मलता ह जो कर स ह करत थ

212 याय या व दक सा ह य म अदालत तथा यायालय का उ लख नह मलता राजा धान

यायाधीन होता और द वानी एव फौजदार मामल का नणय करता इसका उ लख व दक थ म नह ह य य प समाज म होन वाल अपराध क जानकार अव य मलती ह

व दका तर काल म राजा धान यायाधीश होता था इस लए अनमान ह क व दक काल म भी राजा इस पद को सशो भत करता होगा उ तर व दक सा ह य म म यमसी श द मलता ह िजसका ता पय म य त स ह प षमध म समाचार का स ब ध धम या व ध नयम स ह स भवत ि नन तथा अ भ ि नन का ता पय वाद mdash तवाद स हो श क यजवद म कहा गया ह क सभा म लोग कय ह ए अपराध क लय प चाताप करत थ इसस प ट ह क व दककाल म सभा याय दान करन का काय करती थी

213 ाम का शासन व दक सा ह य म ाम का उ लख मलता ह व दक म म ाम क सम क

लए बारmdashबार ाथना क गई ह व दक ाम छोटmdashछोट होत थ इस लए समाज म उनका वशष मह व था व दक काल म ाम म अ धकार को ामीण कहत थ ाम न व दक काल म वाय तता का उपभोग कया बाद म सा ा य थापना क कारण गाव क वाय तता बा घन ह ई

214 साराश भारत म शासन त क उपल ध होन क माण स धव स यता स ह ई मलन लगत

ह व दक सा हल स हम रा य क उ पि त एव राजपद क आव यकता क स ब ध म व तत जानकार मलती ह व दक काल म आय न थायी प स बसना ारभ कर दया िजसस जन वश और रा य का ज म हआ आय न ार भ म अपनी स पि त एव पशधन क सर ा हत यो य यि त को राजा चना बाद म उस कर हण करन का अ धकार

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दान कया क त रा य क स प नता हत काय करना उसका मख क त य था धीरmdashधीर राजा का सहयोग करन हत सभा स म त और वदथ जसी स थाओ न ज म लया राजा को शासन काय म रि नय स भी सहयोग मल जाया करत था धीर धीर राजपद वशानगत होन लगा उ तर व दक काल तक तो भारत म कई कार क रा य था पत ह गय जस अ धरा य वरा य सा ा य और गण रा य आ द हमान थ स साक तक ह क ार भ म रा या भषक साधारण व ध स कया जाता था जो उ तर व दक काल म वराट तर पर स प न होन लगा राजा क पद क गौरव को द शत करन हत कई कार क हथकड अपनाए जान लग सपण व दक काल म राजा अपन क त य का पालन करन क अलावा पण ा मण एव परो हत क भाव म था य य प दोन का उ य रा य एव जा का क याण

था

215 अ यास न 1 व दक काल म रा य क उ पि त एव उसक या कलाप पर काश डा लय 2 व दक काल क राजनी तक स थाओmdashसभा स म त और वदथ का ववचन क िजए 3 व दक काल म रा या भषक व ध का ववचन क िजए 4 व दक काल म राजा और उसक स ब ध म शत धा मकmdashराजनी तक वचार का वणन

क िजए 216 सदभ थ 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 आर शाम शा ी इवो यशन ऑफ इि डयन पो लट 3 घोषाल य एन अ ह ऑफ पो ल टकल आइ डयाज 4 जयसवाल काशी साद ह द रा य त ख ड 1 mdash 2 5 ठाकर आ या वद म भारतीय स क त 6 पर बी एन ह ऑव इि डयन ए म न शन ख डmdash 1 7 पा डय राजबल ाचीन भारत 8 गौतम एव डा कमलश शमा ाचीन भारत 9 बनी साद योर ऑव गवनम ट इन ए य ट इि डया 10 मजमदार रच ाचीन भारत म सग ठत जीवन 11 मजमदार रच एव द व दक एज पसा कर एडी 12 सघी रामच ह दओ क राजन तक स ा त (य एन

घोषाल क थ mdash अ ह द पो ल टकल योर ज का ह द अनवाद)

13 शमा आर एस ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए 14 शरण परमा मा ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए 15 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य

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इकाई mdash 3 महाका य स ात राजनी तक वचार एव शास नक स थाए इकाई क परखा 30 उ य 31 तावना 32 महाका य क स ब ध म पि चमी इ तहासकार क अवधारणा 33 महाका य क राजनी तक आदश 34 महाका य म राजनी तक वचार एव स थाए

341 राजधम एव द डनी त 342 राजा क आव यकता 343 राजा क दवी उ पि त का स ा त 344 रा य उ प त हत सामािजक अनब ध का स ा त 345 राजा क चनाव का सकत

35 रा य का आवय वक व प 36 सा ा य क अवधारणा 37 राजा क कत य 38 उ तरा धकार क नयम एव रा या भषक का उ लख 39 राजा क गणmdashदोष 310 धम और राजनी त का स ब ध 311 ा मणmdash य सम वय 312 म ीप रष 313 जन ससद 314 रा य म व ध का सव प र थान 315 रा य म द ड क मह ता 316 (i) यायाव था एव (ii) याय क ोत 3171 ीय शासन 3172 मख अ धकार 3180 आ थक यव था 3181 कोष क उपयो गता डा सोहनक ण परो हत सह आचाय इ तहास वभाग जयनारायण यास व व व यालय जोधपर 3183 व वध कर 319 स नक यव था

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3191 ग तचर 3192 राजदत 3193 प लस 320 ष ग य नी त एव उसका यावहा रक प 321 गण एव सघ रा य 322 पर और जन पद 323 साराश

सदभ थसची

30 उ य इस इकाई का उ य आपको महाका य स ात राजनी तक वचार एव शास नक

स थाओ स अवगत करवाना ह इस इकाई म हम भारत क ाचीन राजत एव उसक वशषताओ का अ ययन करग इस इकाई का अ ययन कर लन क प चात आपको न न बात का ान ा त हो जायगा mdash

1 महाका य स ात राजा एव रा य उ पि त क स ा त 2 राजा क अ धकार एव कत य 3 रा य क मख अग mdash याय एव स नक यव था 4 ीय शासन 5 ष ग य नी त 6 ाचीन गणरा य पर जनपद

31 तावना महाका य भारतीय स कत सा ह य क ाण ह इनक अ तगत वा मी क र चत

रामायण और वद यास वारा सिजत महाभारत का नाम गनाया जाता ह वतमान वा मी क रामायण म 24000 लोक मलत ह इसम 645 सग और 7

का ड ह िजनक नाम ह यथा mdash बालका ड अयो याका ड अर यका ड कि क धाका ड स दरका ड लकाका ड और उ तरका ड व वान का वचार ह क ार भ म रामायण म कवल पाच का ड ह थ उसम बालका ड और उ तराका ड बाद म जोड़ गय

रामायण म मल कथानक रामmdashरावण का य ह िजस आरकमकज न आयmdashअनाय स क तय का सघष माना ह इस य का अ त ल ब स ाम क बाद आय क अनाय पर वजय क प म होता ह िजस जीतना रा mdashराज रावण क उ नत स य यव था क कारण क ठन था रावण न तो आ याि मक शि तया भी ा त कर रखी थी रामmdashरावण य म वानर राजाओ तथा उनक सनाओ न राम क सहायता क थी रामायण आय स क त क द ण म सार क सचना दती ह कत उसक लोक यता कोसल रा य क तथाक थत इ तहास क लए नह बि क उसक पण च र वान यि तय क च ण हत ह रामायण स ाचीन भारतीय रा य यव था सामािजक एव आ थक याओ क अलावा आदश राजा पता

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प ाता माता प त म और सवक क स ब ध म जानकार मलती ह जो आज भी भारतवा सय क दय म अपना थान बनाए ह ए ह सा ह य क ि ट स अ ययन कर तो रामायण धानतया महाका य और गौण प स इ तहास थ ह जब क महाभारत धानतया इ तहास और गौण प स महाका य ह

म डोनल न रामायण का रचनाकाल 500 ई पव और योकोबी 800 स 500 ई पव क म य मानत ह क थ न यह स कया ह क मल रामायण 400 ई पव म तयार हो गई थी महाभारत क रचना बाद क वष म ह ई य क उसक कई आ यान रामायण पर आधा रत ह रामायण क अ त सा य क आधार पर उसका रचनाकाल 500 ई पव स सरलता स रखा जा सकता ह

रामायण क भा त महाभारत का वषय भी कौरवmdashपा डव सघष ह जो आयmdashअनाय क बीच न होकर कौरव mdashपा डव स हत स पण भारत क आयजन क म य हआ महाभारत क न ी ोपद थी िजस लकर महाय लड़ा गया क क मदान म लड़ा गया य इतना भयानक था क इसस भा वत स पण भारत क राजा कौरव या पा डव म स कसी एक का प लकर लड़ थ महाभारत य म पा डव क प म म यदश क पाचाल काशी मगध म य च द तथा मथरा क शासक और कौरव क तरफ स उ तर पव म ा यो तष चीन करात उ तरmdashपि चम म क बोज यवन शक म ककय स धmdashसोवीर पि चम म भोज द ण म द णा पथ क राजा द ण पव म आ और म य दश म म ह मती और अवि त क राजाओ न भाग लया रामायण क भा त महाभारत भी कसी एक समय क रचना नह ह सीवी व य न इसका रचनाकाल 3100 ई प स 2000 ई प क म य माना ह आर क मकज न इस 200 ई पव क रचना वीकार कया ह महाभारत का अि तम प स स पादन ग तकाल म हआ 442 ई क एक ग तकाल न अ भलख म एक लाख लोक वाल महाभारत का उ लख मलता ह जायसवाल क मतानसार महाभारत क रचनाकाल क अि तम सीमा 500 ई को मानी जा सकती ह

महाभारत को शतसाहसी कहकर पकारा गया ह म डोनल का मत ह क महाभारत म मलत 20000 लोक थ इसका शतmdashसाह ी व प आज ठ क तरह स उपल ध नह ह महाभारत क अनसार उसक लोक स या 96244 ह महाभारत का भ डारकर रसच इ ट यट पना का स करण ामा णक माना जाता ह

महाभारत म 18 पव ह िजनक नाम इस कार ह mdash आ द पव सभा पव वन पव वराट पव उ योग पव भी म पव ोण पव कण पव श य पव सौि तक पव ी पव शाि त पव अनशासन पव अ वमघ पव अ टमवासी पव मौसल पव महा था नक पव और सवगारोहण पव महाभारत म इतन वषय मलत ह क इसका म य वषय कौरवmdashपा डव क कथा तो गौण हो गई तीत होती ह तथा प यह थ भारतीय जीवन क लौ कक एव धा मक ान का व वकोष ह इस अपन यग क धा मक न तक दाश नक सामािजक और राजन तक च तन का अनपम स ह माना जाता ह

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32 महाका य क स ब ध म पि चमी इ तहासकार क धारणा पा चा य व वान क मा यता रह ह क ाचीन भारत क लोग राजनी त एव रा mdash

धम स अप र चत थ पर त महाभारत क शाि त पव क राजधम वषय वतरण स सक तत होता ह क ाचीन भारतीय राजनी तशा स पणतया प र चत थ रामायण एव महाभारत क अ ययन स ात होता ह क भारत म कई राजनी तक पर पराए बह त पहल स ह लोक य हो चक थी िज ह महाका य म कवल ल पब कया गया

32 महाका य क राजनी तक आदश महाका य क राजनी तक वचार एव स थाओ क अ ययन स पव शासक क

राजनी तक आदश का अ ययन करना आव यक ह वव य आदश का उ लख महाका य म सगवश कया गया ह जो इस कार ह mdash

1 राजा शभ काय कर जा को रणा दान कर ता क सम त जनता को जीवनmdashया ा भल कार चल सक

2 राजा सदव अराजकता दर करन हत द ड का योग कर 3 राजा धम क र ा कर उस अपन नणय धमशा को आधार मानकर करन चा हए 4 राजा स य न ठ ानवान माशील ब मान जाmdashव सल िजति य एव मधरभाषी हो 5 राजा सदव सा ा यmdash व तार हत यलशील रह 6 जनmdashक याण एव द र नारायण सवा राजा का म य कत य ह 7 शासक राजनी त का ाता हो उस जनmdashमत क ओर वशष यान दना चा हए 8 वदशी आ मण एव आ त रक अशाि त स रा य क र ा करना 9 आदश रा य क थापना

34 महाका य म राजनी तक वचार एव स थाए 341 राजधम एव द डनी त

महाभारत क शाि त पव म राजधम क या या क गई ह इस पव म राजशा क णता बह प त भार वाज गौर शरा वशाला मन ाचतस आ द का उ लख कया ह

इसस प ट ह क महाभारत क रचना होन तक राजधम का शा पणतया यवि थत हो चका था भी म पतामह न य धि ठर को राजनी त का उपदश दत ह ए कहा था क य द द डनी त न ट हो जाए तो तीन वद रसातल म चल जायग तीन वद क न ट होन स समाज म च लत सार धम न ट हो जायग महाभारत म कहा गया ह क इस जगत का नय ण द ड

क ह अधीन ह इस लए यह थ द डनी त शा क नाम स जगत म स ह (शाि त पव अ याय 59 लोक 78) परातन राजधम (िजस ा धम भी कहा गया ह) क ल त होन पर समाज म च लत सार धम न ट हो जात ह शाि त पव म भी म न कहा ह क सब कत य म राजधम ठ ह वह स पण ससार का ाण कता ह उसस न कवल धम और काम क त मो क भी ाि त होती ह जस घोड़ क लए लगाम और हाथी क लए अकश नय ण का काम करत ह उसी कार राजा क लए राजधम ह य द राजा इस धम क

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पालन म भल करता ह तो ससार क था य व म अ तर आ जाता ह िजस कार सय क उदय स अ धकार का नाश हो जाता ह उसी कार वग ाि त म जो अड़चन ह व राजधम का पालन करन स दर हो जाती ह राजधम का पालन करन पर अ य धम िजनम ा धम भी सि म लत ह का समावश हो जाता ह इस कार राजधम सब धम का शरोम ण ह राजधम म सब कार का उपभोग सब धा मक क य सभी व याए एव अ य सभी कत य सि म लत ह मज क बात यह ह क भी म न अपन उपदश म राजनी त क साथ सदव धम को जोड़कर रखा ह स प म रा यशा और द डनी त को वद यास न चार प षाथ क ाि त का साधन माना ह

342 राजा क आव यकता

महाभारत क अनसार िजस दश म राजा नह होता वहा स गण का वास नह होता और उस डाक घर लत ह भी म पतामह कहत ह क राजा र हत दश म अि न वारा दवताओ को अि न हो नह पह चता और कसी क सम नह होती बलवान यि त कमजोर को लटत ह और वत यि त दास बनाय जात ह तथा बलपवक ि य का अपहरण होता ह महाभारत (शाि त पव 57mdash49) म श ाचाय का राजनी त पर जो ववचन ह उसम कहा गया ह क मन य पहल राजा को ा त कर फर ी एव स पि त को य क इस सबध म सहज ह यह न सामन आता ह क य द र ा करन क लए राजा न होगा तो

ी और स पि त क र ा कौन करगा शाि त पव क ह 68व ख ड म यह बतलाया गया ह क राजा वायमानस न कस कार बह प त आचाय स अ य त रोचक न कया क ा णय क व एव उनका हस कसक वारा होता ह इसक उ तर म राजा क अभाव म जो सकट आत ह और उसक व यमानता म जो सख ा त होत ह दोन का उ लख ओज वी भाषा म कया गया ह महाभारत क अनसार कवल राजा क डर स लोग एक दसर का भ ण नह करत जस सय एव च मा क लोप हो जान पर घोर अ धकार छा जाता ह उसक उथल जल म मछ लया और सर त थान म प ी आपस म लड़कर मर जाय उसी कार बना राजा क लोग न ट हो जायग इसक वपर त जब राजा वारा रा य क र ा होती ह तब लोग घर क वार बना ब द कय भी अ दर स सो सकत ह आभषण स ससि जत ि या प ष क

सहायता बना नसकोच होकर माग पर ववरण कर सकती ह एक दसर को हा न पह चाय बना लोग धम का आचरण करत ह क ष का व तार होता ह इस कार सख सम समाज क स थाए नी त एव धम क नयम व ान कलाए mdash य सभी राजा क पद पर नभर ह इस लए समाज को यवि थत प स सचा लत करन हत राजा अ य त आव यक ह

343 राजा क दवी उ पि त का स ा त

महाभारत क अनसार राजा का पद द य ह शाि त पव क अनसार (29mdash65) राजा सनातन दव ह जो नर प धारण कर प वी पर वचरता ह इस लए राजा को मन य प दख कर उसका अनादर नह करना चा हए भी म क अनसार राजा म पाच दवता नवास करत ह और वह पचmdashदवमय ह य पाच दव अि न आ द य म य कबर और यम (शाि त

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पव 468) ह यह पच दव राजा समयmdashसमय पर इन पाच दव का पथकmdashपथक प धारण करता ह पा पय का नाश करन क लए वह अि नदव का प धारण कर लता ह चर वारा अपन अधीन जा क द नक आचरण का ान ा त करन हत राजा आ द य प धर

लता ह जब राजा होकर सकड़ अश च मन य साम त अमा य आ द को द ड दता ह तो वह अ तक दव हो जाता ह इसी कार जब राजा अधा मक को ती ण द ड दता ह और धा मक पर अन ह करता ह तो वह यम प धारण करता ह जब वह उपका रय पर धन क वषा करता ह और अपका रय क धन का अपहरण करता ह कसी क ल मी छ न लता ह और कसी को ल मी दता ह उस समय राजा कबर दव हो जाता ह भी म न अपन उपदश म कहा क जो राजा धमmdashपरायण ह वह मन य का दव एव अ धप त होता ह िजन राजाओ म चा र क वकास नह होता व सभी दव नह मान जा सकत उ ह न राजा पथ को दवी राजा माना य क उसम वय व ण न वश कया अथात राजा पथ क च र का वकास व ण च र स हआ इस लए वह अ य राजाओ क लए स मान का पा था महाभारत म भी म क राजा क दव व स ब धी वचार भारतीय राजशा क ि ट स अ य त मह वपण ह वद यास राजा क दव व का तभी तक समथन करत ह जब तक उसका च र द य ह उसक आ ा तभी मा य होगी जब तक व व धmdashस मत या धमानसार हो इस कार राजा वय राजधम क सीमा म आब ह वह उस सीमा क अ त मण का अ धकार नह ह

वा मीक रामायण म भी इसी कार क वचार ि टगोचर होत ह इसम राजा क स ब ध म कहा गया ह क वह जा वग क समि ट आ मा का त न ध ह व व क अ तयामी नय ता का य व ह प ह राम न बाल स कहा था क राजा लोभ दलभ धम जीवन और लौ कक अ यदक क ाता होत ह अत उसक न दा हसा तथा उनक त आ प नह करना चा हए व वा तव म दवता ह जो मन य प म प वी पर वचरत ह मन य पाप करक य द राजा वारा दय गय द ड को भोग लत ह तो व श प या मा होकर वग लोक म जात ह रावण क अनसार तज वी राजा अि न सोम इ यम और वसग इन

पाच दवताओ का व प धारण कए रहत ह उनम पाच क गण ताप परा म सौ य वभाव द ड और स नता व यमान रहत ह अत सभी अव थाओ म राजा का स मान

एव पजन करना चा हए (34012mdash4)

344 रा य उ पि त हत सामािजक अनब ध का स ा त

महाका य म रा य उ पि त क सामािजक अनब ध (Social Contract Theory) स ा त का ववरण मलता ह महाभारत क शाि त पव स ात होता ह क यह अनब ध राजा और जनता क त न धय क म य हआ महाभारत म इस अनब ध का दो थल पर उ लख मलता ह थम ववरण क अनसार ार भ म सतयग था सम त जा धम वारा एक दसर क र ा करती थी उस समय न कोई राज था न राजा न द ड और द ड दन वाला वद यास क अनसार सतयग का मानव कछ समय बाद मोह त हो गया और अपना क त य भलकर धमह न बन गया मन य पर लोभ और काम का भाव बढ़ जान पर वद का वा याय समा त हो गया और य ा द कम का नाश हो गया िजसस दवता भयभीत हो

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गय और मा क शरण म पह च मा न अपनी ब स एक लाख लोक क द डनी त धान धम थ क रचना क और यह आदश दया क व इनक अनसार आचरण कर अब

दवता सोचन लग क इन नयम को मन य समाज पर लाग करवान हत एक द डधार होना आव यक ह यह सोचकर व व ण क पास गय और कहा क व ऐस प ष का उ लख कर जो राजा पद पान यो य हो तब व ण न उ ह ऐस प ष को ल त कया िजस उ ह न अपना राजा बना लया महाभारत क अनसार जा न पथ को राज पद दन स पव उसस समझौता कया इस अनब ध क अनसार भावी राजा न त ा क क वह जा क र ा करगा और द डनी त म व णत नयम का पालन करगा वय कभी इन नयम का उ लघन कर व छाधार न होगा दसर ओर जा क त न धय न भी त ा क क व इस राजा क शासन म रहकर उसक तन मन और धन स सदव सवा करग

शा त पव म समाज अनब ध वाद का एक दसरा उदाहरण भी मलता ह िजसक अनसार उस ाकत यग म सख शा त एव धम पालन क ि थ त नह थी इस यग म मन य का कोई वामी नह था सबल मन य नबल को न ट कर रह थ इस यग म म य याय च लत था जस जल म बड़ी मछल छोट मछल को खा जाती ह अत इस क ठनाई स म त होन क लए सभी लोग न एक होकर सदाचार क नयम बनाय िजनस कछ समय तो काम चलता रहा क त काला तर म पन अ यव था उ प न हो गई इस लए सब लोग मा जी क पास गय और कहा क राजा बना हम सब लोग क ट पा रह ह आप हम कोई ऐसा राजा द िजए जो शासन चलान म समथ हो मा न ाथना वीकार कर मन को राजा बनन क आ ा दान क मन न शासन काय करन हत जा स समझौता कया इस समझौत क अनसार जा राजा को कोष व हत धन पश 50 तशत वण एव अनाज क उपज का 10वा भाग कर प म दगी इस पर मन न कहा क वह भी कबर क तरह अपनी जा क र ा करगा समझौत स कहा गया क जा जो धम करगी उसका चौथा भाग राजा को मलता रहगा इस कार इस अनब ध म जा न राजा को अ धकार और शि तया सशत स पी शाि त पव म प ट कहा गया ह वद यास राजा क नरकशता का समथन नह करत जनता राजा क आदश का पालन तभी तक करगी जब तक वह धमानसार आचरण करगा जा का रजन एव र ा करना राजा का मख कत य ह िजसका पालन न करन वाला राजा उसी कार या य ह िजस कार सम क या ा म टट ह ई नौका उपदश न दन वाला आचाय और कट वचन बोलन वाल ी

वा मी क रामायण स अ प ट प स सामािजक अनब ध क स ा त का समथन अयो या का ड एव उ तरका ड म मलता ह जहा जा क र ा करना राजा का मख क त य गनाया गया ह

345 राजा क चनाव का सकत

रामायण तथा महाभारत स राजा क वरण या चनाव क प ट सकत मलत ह रामायण क एक सग का उ लख रमशच मजमदार न कया ह उनका मन ह क अयो या का ड म हम दखत ह क जब राजा दशरथ राम को यवराज क प म आ भ ष त करना चाहत

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थ तब उ ह न अपन रा य क नगर और ाम क मख यि तय को एक सभा म आमि त कया इस सभा म ा मण तथा सना क त न धय का समावश था इसम अनक अधीन राजा भी सि म लत थ सभा क व धवत ार भ होन पर राजा न अपनाmdash ताव रखा राजा न राम क अ भषक का मामला सभा पर छोड़ दया और हतकर उपाय सझान का अ धकार उस दान कया उसन सभा को कहा क वह इस न पर राजा क इ छा क अन प नह अ पत

रा य हत को यान म रखकर नणय कर इस पर सभा न वचार वमश कर राजा क ताव को मानन का न चय कया इस पर राजा न कहा क सभा राम को यवराज वीकार

करन का कारण प ट कर तब सभा क सद य न राम क गण का वणन कया िजसक कारण व सभा क वचार म इस पद क लए पणत यो य थ अ त म व राजा न उनक न चय पर सतोष कया और सभा क अ भवादन क उ तर म उसन भी अ भवादन कर उनका नणय वीकार कया यह ववरण इस बात का उदाहरण ह क जा भावी राजा क वरण म वधा नक शि त का उपयोग कर सकती थी रामायण म एक अ य थान पर कहा गया क राजा सागर क म य होन पर जा न धा मक अशमान को राजा चना रामायण क तरह महाभारत स भी ात होता ह क जब तीप न अपन दवा प क अ भषक क तयार क तो नगर और ाम क जा ा मण और व न उस ऐसा करन स रोका िजसस तीप दखी हआ जा का आरोप था क दवा प म सभी गण ह क त चम रोग क कारण वह राज पद क आयो य ह इसी कार जब यया त अपन क न ठ प प को सहासन पर अ भ ष त करना चाहता था तब य ठ प को अपन अ धकार स व चत कय जान पर जा न आपि त क इस पर यया त न अपन न चय क कारण बतलाए तब जा न ग को राजा बनन दया इन उदाहरण स प ट ह क रामायण तथा महाभारत काल म राजा का चनाव करन क था पण ल त नह ह ई थी

35 रा य का आवय वक व प शा त पव म रा य क उ पि त एव उसक व प पर भी वचार कया गया ह

स भवत भी म रा य क अवय वक व प म आ था रखत थ भी म क अनसार रा य का व प स ताग अथवा स ता मक ह उनक अनसार स ता मक रा य क सात अग आ मा

(राजा) अमा य कोष द ड म जनपद और पर मान गय ह भी म न रा य क अवयव का सकत मा दया ह इस लए यह नि चत प स कहना क ठन ह क रा य क आवय वक स ात क स ब ध म भी म या अवधारणा रखत थ क त यहा इतना अव य कहा जा सकता ह क महाभारत क राजनी त रा य क आवय वक व प म आ था अव य रखत थ

वा मी क रामायण (अयो या का ड) म रा य क स ताग स ा त को वीकार कर उसका व भ न थल पर उ लख कर पा एव राजा का उनस सावधान रहन को कहा गया ह रामायण क कि क धा का ड म हनमान न स ीव को समझाया क िजस राजा क कोष द ड (सना) म और अपना शर र य सब सम प स वश म रहत ह वह वशाल रा य का पालन और उपभोग करता ह व वा म न दशरथ स जब कशल मगल पछा तो मश राजा क नगर कोष रा य ब धmdashबा धव तथा म वग आ द क स ब ध म जानकार ा त क

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इसस प ट होता ह क वा मी क भी रा य क स ताग स ा त स भल कार प र चत थ य य प महाभारत क तरह रामायण म भी रा य क स ताग या आवय वक स ा त क व तत या या नह क गई ह

36 सा ा य क अवधारणा महाभारत स पव ह भारत म सा ा य इकाई का उ लख ा मण थ म मलता ह

महाभारत क समय सा ा य ऐस रा य का समह होता था जो कसी बड़ राजा क अधीन हो सभा पव स ात होता ह क य धि ठर न राजसय य करन क लए ीक ण स सलाह ल य क स ाट बनन हत राजसय यह आव यक था राजसय य करन हत राजा वजय करना ार भ करता तो कई राजा उस स ाट प म बना लड़ ह मा यता द दत थ सीवी व य

न आशका य त क ह क महाभारत काल म सा ा य क अवधारणा भारतवा सय न ईरा नय स हण क क त यह वचार वीकाय नह ह महाभारत म उ लख आता ह क य राजाओ न मलकर यह न चय कया था क जो राजा सबको जीत लगा उसी को अ य राजा सावभोम या स ाट मानग सभापव क अनसार राजाओ न आ मmdashर ा हत सा ा य नमाण क था ार भ क उस समय राजा जरासध सबस बलवान था प वी क सभी राजा चाह व ऐल राजा ह या ऐ वाक उसको कर दत थ व वय को उसक अधीन मानत थ जरासध न सब य राजाओ को पदा ा त कया था च द राजा शशपाल उसका सना य था सब

य न उस अपना सावभौम वीकार कर लया था इस उदाहरण स प ट ह क उन दन सा ा य म कई वत रा य सि म लत होत थ रामायण क अनसार रावण न भी सावभौम स ता था पत करन क लए त काल न राजाओ को चनौती द थी

37 राजा क कत य रामायण एव महाभारत म राजा क कत य पर काश डाला गया ह महाभारत क

अनसार रा य एक महान भार ह उस स भालन हत कशल वाहक आव यक ह इस वाहक (शासक) म शार रक मान सक आि मक और बौ क गण होन आव यक ह य क राजा का च र जा क लए आदश होता ह भी म न शाि त पव म राजा क कत य को लोकरजन कहकर पकारा ह व कहत ह क राजा को अपन हतकार काय का याग कर लोकरजन क काय म नरत रहना चा हए राजा का थम कत य आ मmdash वजय करना ह

महाभारत म दशाया गया ह क वणा म यव था ऋ षय न था पत क थी इस यव था का आचरण करन क लए रत करना राजा का परम कत य ह भी म न जा म धमसकरता तथा वणसकरता को रोकना राजा का परमधम माना ह

शाि त पव म यह भी कहा गया ह क रा य क ा णमा क र ा करना राजा का म य क त य ह रामायण क बालका ड म भी हम इसी कार क वचार ि टगोचर होत ह जा को उसक र ा करक ह स न कया जा सकता ह भी म न अपन उपदश म ठ क ह

कहा ह क जा क र ा करन म असमथ राजा उसी कार यथ होता ह िजस कार काठ का हाथी चमड़ का मग ऊसर वषा न करन वाला बादल और वद वह न ा मण

महाभारत म राजा क न प एव यावहा रक होन पर जोर दया गया ह शा त पव म कहा गया ह क राजा अ भयोग को सनन एव उन पर नणय दन क लए महान अनभवी

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और व वान प ष नय त कर और इस कार उस यवहार थापन काय करना चा हए अपन प mdashपौ को भी य द व दोषी पाय तो उ ह भी द ड द राजधम क अनसार जा पालन करन वाल राजा क सम माता पता ाता भाया और परो हत कोई अद य नह होता

शा त पव म राजा क कत य क चचा करत ह ए कहा गया ह क वह शासन काय चलान हत यो य कमचार नय त कर अथात शरभ क पद पर शरभ सह क पद पर सह बाघ क पद पर बाघ और त दआ क पद पर त दआ क नयि त करना आव यक ह इस कार जो िजस काय क यो य हो उसको उसी काय क स पादन हत नयि त करना उ चत

होगा जो ब ह न राजा इस नयम को तोड़ता ह वह जारजन काय म समथ नह हो सकता राजा का यह क त य ह क कमचा रय क काय का नर ण कर अ यथा व माद

हो जायग भी म न ठ क ह कहा ह क िजन कमचा रय को अ धकार पण काय पर नय त कया गया ह उनक काय क राजा य एव परो प स जाच कर

राजा क क त य ह क वह ऐसी आ थक यव था कर ता क कसी भी यि त क ग त अथmdashअभाव स अव न हो यक नाग रक क आ थक ि थ त ऐसी होनी ज र ह क वह कम स कम अपनी द नक आव यकताओ क प त कर सक भी म न शाि त पव म कहा ह (5754 59) क राजा को अपन रा य म इस कार यव था करना चा हए क िजसस अ ा त अथ का लाभ ा त अथ क व और ा त अथ क व का ववरण स यक कार स पा म कया जा सक महाभारत म उन रा य क आलोचना क गई ह जहा लोग

को भ ाmdashवि त धारण करन को मजबर होना पड़ता ह महाभारत म कहा गया ह क सावज नक उ सव क यव था करना जीण ाचीन

भवन व मारक क मर मत दवमि दर नमाण जलाशय कपmdashजीण ार एव नवmdash नमाण करवाना राजा का कत य ह

शाि त पव म राजा स अप ा क गई ह क वह मादक य का व य और व यावि त क नरोध का यास कर राजा स यह भी कहा गया ह क वह म य मास व या आ द यवसाय पर भल भा त नय ण रखन क यव था कर उनका मत ह क य यवसाय भ प ष म लश उ प न करत ह

वा मी क न बालका ड और आयो या का ड म राजा क क त य पर वचार कया ह रामायण म जार ण पालन वणधम नयम पालन और द ट को द ड दना राजा का क त य बताया गया ह वा मी क क अनसार जो राजा इन क त य का पालन नह करता वह भतल पर तनक क समान उप णीय हो जाता ह बालका ड म सग आता ह क व वा म न इ वाक कल वामी दशरथ स पछा क राजन आपक रा य क सीमा क नकट रहन वाल श नतम तक तो ह आपन उन पर वजय ा त क ह या नह आपक य याग आ द दवकम और अ त थ स कार आ द मन य कम तो अ छ तरह स प न होत ह न अयो याका ड म कहा गया ह क राजा का क त य ह क वह परवा सय को दख स म त कर बालका ड म भी व वा म ल मण को वण र ा का उपदश दत ह उ ह न कहा क गौ ा मण क र ा

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हत ताड़का को मारना आव यक ह अयो याका ड म भरत को राम कहत ह क तम समय पर जागना ग त म णा अ धक लोग क साथ न करना और अथ स क उपाय करना िजन श ओ को रा य स नकाल दया ह उ ह दबल समझ कर उनक उप ा न करना सना खजाना कला और रा य क वषय म सावधान रहना राजा क कत य ह

38 उ तरा धकार क नयम एव रा या भषक का उ लख उ तरा धकार का ववरण रामायण म अ धक व तत एव प ट प स दया गया ह

महाका य स ात होता ह क समाज म राजा का पद कलmdash मानगत था बालका ड स सय वश म आनव शक राजपद का उ लख मलता ह आनव शकता क साथmdashसाथ रा य का अ धकार ाय य ठ प ह होता था अयो याका ड म मथरा ककयी स कहती ह क जब राम अयो या क राजा हो जायग तो उनक बाद उ ह का प जो होगा उसी को रा य मलगा भरत तो रा य पर परा स अलग हो जायग राजा दशरथ क म य स र त ह ए राजपद पर आ ढ़ होन हत जब भरत स ा मण और म ी लोग अनरोध करत ह तो व उनस कहत ह क हमार कल म सदा य ठ प ह रा य का अ धकार होता आया ह और यह उ चत ह ह महाभारत म भी लगभग यह पर परा च लत थी रामायणकाल न समाज म अयो य और द ट होन पर य ठ प अपन अ धकार स व चत कर दया जाता था बालका ड स ात होता ह क समर न दगण क कारण अपन प असमज को रा या धकार स व चत कर दया था राजा यया त न अपन य ठ प यद को रा य न दकर अपन आ ाकार क न ठ प प को रा य दया था रामायण म कहा गया ह क य द य ठ प यो य हो तथा उस उ तरा धकार स व चत कया जा रहा हो तो वह राजा को कद कर सकता ह या अ य नया रा य बसा सकता ह या जा क सहयोग स राजपद ा त कर सकता ह ाय राजा अपन जीवनकाल म ह य ठ प का रा या भषक करवाना चाहता था कभीmdashकभी य द राजा बना यवराज का अ भषक कए मर जाता तो नय राजा क पद सभालन तक शासन काय ा मण या परो हत चलात थ

कसी भी यि त क राजा बनन पर उसका अ भषक कया जाना आव यक था महाभारत म एक थल पर य धि ठर क न का उ तर दत ह ए भी म न कहा mdash जा का यह म य क त य ह क वह राजा का अ भषक कर आग यह भी कहा गया ह क इस ससार म राजा न होन स जस जल म बड़ी मछल छोट मछ लय को खा जाती ह उस कार शि तशाल यि त कमजोर का भ ण कर लत ह भारत म राजा क पद पर आसीन यि त का अ भषक स कार करन क पर परा का व दक काल म ह शभारभ हो चका था िजसस नय शासक को भस ता का ह ता तरण वधा नक प स हो जाता था

रामायण म राम स ीव और वभीषण (उ तरका ड) तथा राम ल मण भरत और श न क राजप क अ भषक का वणन आया ह इसम राम और स ीव क रा या भषक का वणन व तार स कया गया ह महाभारत म भी लगभग यह पर परा जार रह

महाभारत क अनसार बड़ा प ह राजपद का अ धकार होता था प ह न राजा क भाई को राजपद स पा जाता था रा यारोहण समारोह भ यतापवक स प न होता था य धा मक क य था िजस परो हत व दक व ध स स प न करवाता था शा त पव क अनसार

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राजा रा यारोहण क समय वदशा क आदशmdashपालन क शपथ लता था व भ न थानीय नकाय सामािजक नयम धा मक दबाव ानवान लोग राजा को व छाचार बनन स रोकत थ गलत काय करन वाल राजा को जा पद यत कर सकती थी अथवा उसक ह या कर सकती थी वद यास वारा तपा दत मयादाओ क कारण एन सी ब योपा याय न महाभारत स ात राजत को सी मत राजत माना ह

वा मी क न राजा क रा या भषक का बड़ा स दर वणन कया ह रामायण क अनसार रा या भषक का काय राजपरो हत क नदशन म कया जाता था इसक लए चार सम का जल प व न दय सरोवर तीथ का जल सवणर न दवपजन साम ी औष धय प पmdashमालाओ घी मध नय व राजक य रथ चतर गणी सना हाथी दो चवर वणाभ षत वत छ साड क सीग च दन अ त दह बह म य जत सोन क 100 कलश सोन क सीग मढ़ा साड वा यmdashचम सोन का पीड़ा आ द व तओ को अि नशाला म एक कर लया जाता अ भषक क एक दन पहल राजकमार व उसक प नी को उपवास त द ा द जाती व

मचयपवक रहकर नारायण क पजा हवन करत अ भषक क दन ात ा मण को भोजन कराकर द णा द जाती नगर म पताकाए फहरायी जाती अ भषक क समय सभासद यापार नाग रक मक सघ धान साम त राजा म ी स नक व सरकार अ धकार राज ासाद पह च कर थान हण कर लत पहल वजगण वि तmdashवाचन पवक राजकमार को आशीवाद दत त प चात व य करत फर उ ह भ ासन पर बठाकर अ भषक कया जाता रा य क मख लोग अ भषचन करत थ फर राजा नय व पहन कर सहासन पर प नी स हत बठता और परो हत उसक सर पर मकट रखकर छ रखत और चवर ढलाया जाता उपि थत लोग को पर कार दया जाता फर राजा प पmdashरथ पर बठकर नगर म जलस क साथ मण करता था रथ म सोन क साजmdashस जा वाल चार वत अ व जड़ होत थ राजक य

सवार क राजमहल पह चन क साथ ह यह समारोह पण हो जाता था

39 राजा क गणmdashदोष वा मी क न लखा ह क राजा वद का ाता और उपयोगी व तए स ह करन वाला

हो जनता उसस म करती हो वह य mdashपरायण धमmdashपरायण एव िजति य हो धन तथा अ य व तओ क सचय क ि ट स वह कबर क समान हो महाभारत म कहा गया ह क राजा 18 कार क दगण स दर रह जो राजा अपन पर वजय नह कर सकता वह अपन श पर सफलता कस ा त कर सकता ह भी म कहत ह क राजा लाभ और ोध का याग कर वह मख राजा जो ोध एव मोह क वशीभत होकर काय करता ह उस न तो धम ह मलता ह और न धन ह वा मी क रामायण क अनसार राजा को 14 कार क दोष स बचना चा हए जो इस कार ह mdash नाि तकता अस य परायण ोध माद ानी प ष का सग न करना आल य योजन न समझन वाला एव मख स सलाह लन वाला नि चत कए नय काय न करन वाला म णा ग त न रखन वाला माग लक काय न करन वाला और सभी श ओ पर एक साथ चढ़ाई करन वाला राजा को इन अवगण को यागन क सलाह द गई

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ह रामायण क तरह महाभारत म राजा क 36 गण का उ लख मलता ह वद यास लखत ह क िजस राजा म ोध का अभाव होता ह जो द यसन स दर रहता ह िजसका द ड कठोर नह होता जो इि य पर वजय पा लता ह वह हमालय क समान ा णय का व वासपा बन जाता ह

महाभारत म वद यास न लखा ह क राजा ब मान यागी श ओ क दबलता जानन म त पर दखन म स दर सभी वण म याय तथा अ याय समझन वाला महामन वी कोमल वभाव स य त उ यमी कमठ आ म शसा स दर रहन वाला िजसक ार भ कए ह ए सभी

काय स दर प स समा त होत दखलाई दत ह वह सम त राजाओ म ठ ह राजा क गण क चचा करन क बाद महाभारत म उसक अवगण क प ट चचा मलती ह शाि त पव म कहा गया ह दप अधम ोध अप र चत ि य व व याओ स मथन करन वाल राजा का शी पतन हो जाता ह

310 धम और राजनी त का स ब ध महाभारत तथा रामायण म राजनी तक जीवन पर धम का भाव प ट प स

ि टगोचर होता ह महाभारत क अनसार राजा का अि त व धमाचरण करन क लए ह न क कामवासना क ति त क लए ा णय का जीवन धम पर अवलि बत रहता ह और धम राजा पर जो राजा उ चत र त स धम का पालन करता ह वा तव म वह प वीप त ह ऋ षय न इहलोक तथा परलोक दोनो पर वचार कर उस महान यि त क सि ट क ह िजस राजा कहत ह ता क वह धमाचरण का र क हो महाभारत क अनसार राजा धम का आचरण करता ह तो उसका पद ाय दवत य हो जाता ह क त य द वह इसक वपर त आचरण करता ह तो नरकगामी होता ह िजस यि त वारा धम का चार होता ह उस राजन कहत ह और िजसक वारा नाश होता ह उस वशाल कहत ह

311 ा मणmdash य सम वय महाभारत म भी म पतामह य धि ठर स कहत ह क ा मण एव य का आदर

करन स सख ा त होता ह और उसका नरादर करन स न चय ह नाश होता ह शाि त पव म मा क मख स ा मण भजाओ स य उर स व य और पर स श क उ पि त का उ लख मलता ह वाय दवता कहत ह क प वी पर ज म लन वाल ा णय म ा मण सव ठ ह य को इस लए उ प न कया ता क व द ड धारण कर सक इस कार महाभारत म दो शि तय क स ा त क क पना क गई ह महाभारत म क यप ऋ ष कहत ह क िजस रा य म ा मण एव य लड़त ह उसका नाश हो जाता ह ा मण क शि त का ोत य म ह और य क शि त का ोत बा मण ह राजा को चा हए क वह ा मण को अ स न न कर य क ो धत होन पर व सरलता स राजा उसक सना एव

वाहन को न ट कर सकत ह शाि त पव म कहा गया ह क ा मण सब जा तय का म खया ह जस प त क अभाव म ी दवर क आ य को हण करती ह उसी कार ा मण क प चात प वी राजा को अपना बनाती ह महाभारत क अनसार जब कसी भी कार

यगण ा मण स उ ड यवहार कर तो ा मण को उ ह नयि त करना चा हए

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य क ा मण स ह य उ त ह ए ह शा न तो यहा तक यव था कर द क य द राजा द च र ह तो ा मण उसको द ड द सकता ह इस कार महाभारत म ा मण एव

य को मह वपण मानत ह ए ा मण को राजनी तक ि ट स ठ माना गया ह रामायण म ववरण मलता ह क राम त दन नान क बाद व ो क पजा करत थ अ य आदश राजा को ा मण का उपासक होना आव यक बताया गया ह राजा क अ भषक क अवसर पर ा मण क उपि थ त अ नवाय थी राजा वि तवाचन करन वाल ा मण हत आसन एव

द णा क यव था करता था

312 म ीmdashप रष रा य क काय को सचा प स चलान हत मि प रष आव यक ह महाका य काल

म रा य का मल म य वारा द गई स णा को माना जाता था राजा क लए आव यक था क वह यो य यि तय क नयि त म ी क पद पर कर शाि त पव म राजा को सलाह द गई ह क वह अनक वषय क ाता अनभवी तथा सदाचरण म रत प ष स म णा कर भी म न स ताग स ा त क अ तगत अमा य (म ी) को रा य का आव यक अग माना ह

महाभारत म म ी रखन क सलाह राजा को द गई ह ाचीन भारतीय राजशा व वान म स कसी न भी इतनी बडी म प रष रखन क सलाह नह द ह रामायण क आधार पर फथ न लखा ह क दशरथ क तीन अमा य स य mdash यव था दो अमा य अथ एव व त तथा दो अमा य कानन और याय वभाग स भालत थ आठव अमा य क अधीन रथ आ द वाहन का वभाग था रामायण क अनसार महाराजा दशरथ क आठ अमा य (173) धि ट जयत वजय स ाथ अथसाधक अशोक म पाल और समत थ यह अमा य प रष मह ष व स ठ क नत व म काय करती थी जो राजपरो हत और वा त वक धानम ी थ

म प रष क नमाण क स ब ध म महाभारत म कहा गया ह क उसम चार वण क सयो य यि त होन चा हए भी म न व य वण क सद य म प रष म अ धक सि म लत करन पर जोर दया उ ह न शाि त पव (85710) म इसक 47 सद य म स 4 ा मण 18 य 21 व य 3 श और 1 सत सद य बनान क बात भी कह शा त पव

क अनसार प रष क सद य क यो यता उनक वगानकल होनी चा हए जस ा मण सद य वद का ाता प व आचरण एव उ च श ा ा त हो इसी कार य सद य क लए आव यक था क वह श धारण करन क मता एव बल स प नता रखता हो तथा व य सद य क लए धन स प नता क आव यक शत थी श सद य क लए आव यक था क क त य परायण वन और प व ता क गण स य त ह

म प रष (इस रा य भी कहा गया ह) क अ धक स या क कारण म णा ग त रखना क ठन था इस लए भी म न 8 सद य क अ तरग प रष स म त का बनान और इसक उपरात अ तरग सभा क 3 सद य क परम अ तरग स म त का नमाण करन क सलाह द शा त पव म अतरग और परम अ तरग स म त क सद य क अ धकार क त य पर काश नह डाला ह म प रषद क सद य अमा य और 8 सद य वाल स म त क सद य को म ी

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कहकर पकारा जाता था भी म न य धि ठर स कहा क राजा को परम अ तरग स म त क म य स हर समय परामश करत रहना चा हए महाभारत म यह यव था रा य क काय को ग त रखन क ि ट स क गई रामायण म भी क ठन सम याओ क हल हत राजा वारा म ी प रष स परामश करन का उ लख मलता ह रामायण म म प रष क दो कार क सद य क चचा क ह थम सद य ग जन थ जो एक परामशदा ी स म त क प म काय करत थ य सभी ा मण वण क होत थ और म गण भी कहलात थ वतीय अमा य या स चव जो आध नक म म डल क सद य क तरह थ च कट सग स यह प ट ह जहा राम न भरत स पछा mdash तम अपन अमा य और म य स परामश तो करत हो यहा म य स राम का अ भ ाय परामशदाताओ या ग जन स ह ह वानर और रा स म भी म प रष क य दोन वभाग प ट ह हनमान को स ीव का स चव और उन परामशदाताओ को िज ह न बाल को मत समझ कर स ीव क रा या भषक का आ ह कया था म ी कहा गया ह

महाभारत म परम अ तरग स म त क सद य को ह राजा का वा त वक म ी कहा गया ह िजनक सलाह बना वह रा य क कसी भी योजना को काय प नह द सकता था अ तरग स म त का धान राजा होता था राजा म य स सय त या वम त दोन कार सलाह ल सकता था रा य क गोपनीय वषय इस स म त म तत कय जात थ यक वषय पर वशद ववचन आव यक था म य क साम हक एव यि तगत नणय तथा राजा का वय का नणय राजग क सम तत करना आव यक था राजग का नणय लकर राजा अि तम नणय म mdashप रषद क वीक त हत तत करता था इस कार म प रष ठ म णा दन और राजा क व छाचा रता पर नय ण रखन का काय करती थी

म य क यो यता क स ब ध म रामायण म कहा ह क व अपन अगाध धमशा ीय ान अनभव नी त इ तहास और पर पराओ क व तत प रचय क कारण राजा क बड़

सहायक स होत थ राजा क म य क बाद नय राजा क नयि त म उनक भ मका मह वपण होती थी दशरथ क म प रष क सद य क स ब ध म कहा गया ह क व सब व वान वनयशील सकोची चतर िजति य ीस प न महा मा श mdash व या ाता परा मी यश वी हसकर बात करन वाल ोध न करन वाल थ उनम यवहार कशलता भर पड़ी थी व धम पारगत भी थ राम न भरत स कहा था क म ी नी तशा ाता म णा ग त रखन वाल मधावी शरmdashवीर होन चा हए एक भी नी त अमा य हो तो वह राजा या राजकमार को बड़ी स पि त ा त करा सकता ह

म य क यो यता क स ब ध म शा त पव म कहा गया ह क व कल न कल म उ प न हो अमा य वश म ज म लया हो रा य का नवासी हो लोक य तथा भ च र वाला हो उ ह न म य क यो यता क जाच हत पर ा णाल क भी यव था क भी म न य धि ठर स कहा क म प रषद क सद य सmdashपर त होन चा हए उ ह न कहा क म प रष क सद य क पर ा उपधा णाल स लनी चा हए इस कार अयो य यि त म प रष का सद य नह बनाया जा सकता था

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जो यि त रा य का नवासी न होता शासन काय स वर त होता अनभवह न होता अ म सवन अि थर सक प वाला क टल वभाव पापाचार का प मख अप व जड़ आ म शसक ोधी लोभी होता वह म ी पद क लए अयो य था

म य क काय क चचा रामायण म क गई ह समच रा और नगर म शाि त बनाय रखना अमा य का क त य था म यावाद द ट पर ीmdashल पट मन य क व जानकार रखत थ व लोग म कानन का भय बनाय रखत तथा उ ह स य नी त धम और सदाचार क नयम का उ लघन करन स रोकत व अपनmdashअपन वभाग क काय का सचालन तो करत ह थ द नक काय का वहन वभागीय अ धकार करत थ जो तीथ कहलात थ म ी राजा का अ वमध करन क समय यवराज को कायवश बाहर भजत समय यवराज क लए यो य वध का चनाव करत समय सभा क सम कसी ताव को रखन स पव य घोषणा स पव तथा क ठन सम याओ क हल करन म सहयोग करत थ इस कार रा य का सचालन म य पर नभर था

313 जन ससद महाभारत क शाि त पव स रा य क सभा या जन ससद क जानकार मलती ह

भी म पतामह स य धि ठर न करता ह क जन ससद म जब व वान मढ और ग भ यि त मद और ती ण भाषण वारा अपना ोध कट कर रह ह तो या करना चा हए इसक उ तर म भी म न कहा जन ससद म जो कोई आ ोश वारा दोषारोपण करता ह तो राजा उसक सकत वय ा त कर लता ह कवल उसक क य ह उसक पास बच रहत ह ऐस यि तय क ग हत बात क उसी ढग स उप ा क जाए जस रोग पी ड़त यि तय क वचन क जाती ह ऐस यि तय क त जनता म व वष उ प न हो जाता ह और उसका भाषण न फल हो जाता ह महाभारत स सक तत ह क जनससद म मद और ती ण दोन कार क भाषण होत थ भी म न राजा को सलाह द क व इनक उप ा कर और जगल म

कौए क बकवास क समान इसक त वि त रख इसस प ट ह क महाभारत यग म ससद का वशष मह व नह रह गया था

रामायण स ात होता ह क दशरथ क समय रा य सभा प रषद जन ससद स म त कवल सभा कहलाती थी इसक सद य सभासद या आयगण कहलात थ इसम अमा यगण ( य) म गण (ऋ ष) सनाप त राजागण (साम त) नगर ाम क त न ध होत थ राजधानी क त न ध पौर और शष रा क त न ध जानपद कहलात थ सभा का यह पौरmdashजानपद अग सबस शि तशाल था यह दश क बह मत का त न ध व करता था पौर जानपद म राजधानी का त न ध नगम णय क त न ध और गणmdashव लभ तथा दहात क ाम घोष मह तर ( कसान व वाल क त न ध) समा व ठ होत थ व य तथा यापा रय

को भी त न ध व ा त था य त न ध सरकार वारा नय त अथवा जनता वारा नवा चत होत थ यह प ट नह ह फर भी इनक नाम स सक तत ह क य लोग व न मत स चन जात थ

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राजा या यवराज क नवाचन य घोषणा राजा क राज याग या पद हण जस वषय पर सभा क वीक त आव यक थी जब राजा दशरथ न व ाव था क कारण राम को रा य भार स पना चाहा तब उ ह न अपनी सभा का वशष अ धवशन बलाया था इसी कार उनक म य क बाद नया राजा चनन क लए अयो या म सभा जट थी भरत क हाथ दशरथ क अ यि ट समा त होन पर राजपरो हत व श ठ न सभा का वशष अ धवशन बलाया था

सभासद को उपि थत होन क सचना सदश वाहक दत थ राजा क अनपि थ त म परो हत या म ी सभा का अ धवशन बला सकत थ अयो या का ससद भवन राज साद का ह अग था यह भवन तीन ओर स खला था लका म सभा भवन राज साद स दर था सभा का अ य राजा या राजपरो हत होता था उसक सद य क मती व स सि जत होकर आत थ सभा म श टाचार का पालन होता था सभी सद य क बठन का थान नि चत था सभा म भाषण अनम त मलन पर ह दया जा सकता था सभा क कत य पर राम न ठ क ह कहा क वह सभा नह जहा व न हो व व व नह जो धमय त बात न करत ह वह धम धम नह जो स य न हो और वह स य स य नह जो न छल और वत रत न हो अधस य बात कहना न दनीय ह जो सभासद का कत य ह क वह लोभ भय अथवा प पात कय बना न वाथ भाव स सभा क कायवाह म सहयोग द सभा म राजा का कवल ताव रखन का अ धकार था अि तम नणय तो सभा वय ह लती थी अपना

ताव वीकत हो जान पर राजा सभा क त आभार य त करता था रामायण स रावण क राजसभा और उसक कायवा हय क व तत सचना मलती ह रावण क सभा भवन का वभव तो दखत ह बनता था सभा का आव यकता पड़न पर वशष अ धवशन भी बलाया जा सकता था

314 रा य म व ध का सव प र थान राजा द ड का तीक होता था वह द ड धारण करता ह और अपन अधीन जा म

उसका स यक योग करता ह पर त राजा द ड योग करन म व छ द ह उस राजधम क सीमा क अ तगत काय करना पड़ता ह य द वह इस सीमा का उ लघन करता ह तो वय द ड का भागी हो जाता ह राजा द ड का योग कर अपन अधीन जा को उसक

अनसार आचरण करन को बा य करता ह पर त उस व ध नमाण का अ धकार नह ह इस लए शाि त पव म भी म न रा य म सव प र थान राजा को न दकर व ध को दान कया

315 द ड क मह ता महाभारत म शाि त पव म द ड क मह ता पर काश डाला गया ह जो मह वपण ह

शाि त पव म तो राजा का नाम ह द डधर रख दया गया ह यह द ट का दमन और साधारण प ष पर शासन करता ह द ड अ नयि य को नयि त करता ह महाभारत क अनसार द ड सम त लोक पर शासन करता ह यह सम त जाओ एव ा णय का सर ण करता ह जब कानन और यव था क सर क सो जात ह तब द ड जागता ह ब मान यि त द ड को ह धम समझत ह शाि त पव क अनसार द ड न बह त कठोर हो और न

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बह त सरल वह कय ह ए अपराध क अनकल हो शासक क यो यता द ड पर ह नभर ह महाभारत म राजा को द ड का सदपयोग करन क सलाह द गई ह शाि त पव म कहा गया ह क राजा का धान दा य व ह क वह द ड का ठ क तरह स योग कर और अपरा धय पर नय ण कर दश को बा य एव आ त रक सकट स बचाय शाि त पव म द ड को ह रा य का कारण कहा गया ह एक अ य थान पर कहा गया ह क द डनी त का परा योग करन पर सतयग चौथाई अश का प र याग करन पर ता आध का याग करन पर वापर और कवल चौथाई अश का योग करन पर क लयग आ जाता ह रामायण काल म भी राजा वारा द ड यव था का सम चत योग करना अथवा मख कत य और पारलौ कक सम का साधन मानता था

316 (i) याय यव था महाका य काल म याय यव था सरल थी उन दन न पशवर वक ल थ और न

अदालती खच का झझट मकदम का फसला राजा वय करता था वाद तवाद उसक पास बरोकटोक जा सकत थ याय न प होता था अपराधी को कठोर सजा द जाती थी द ड जाचmdashपड़ताल क बाद ह दया जाता था राजा का कत य था क ट यायाधीश क कारण अपराधी बच न जाय धनी और गर ब म ववाद होन पर यह यान रखा जाता था क अमा य ऐस मामल म धन क लालच म मकदम पर ठ क ढग स वचार कर

यायाधीश क पद पर कानन व राजनी त क ाता ह नय त कय जात थ प पात करन वाला यायाधीश पापी समझा जाता था उ तरका ड स ात होता ह क यायालय क बठक सभा भवन म ात काल होती थी जा क सभी वग क लोग यायालय म राजा क सामन उपि थत होकर अपनी शकायत तत कर सकत थ िजस आसन पर बठकर राजा मकदम का नणय करता वह धमासन कहलाता था सव च यायालय का अ य वय राजा होता था अ य यायाधीश भी होत थ यथा mdash परो हत व स ठ धम पारग यवहार ा मण म गण पर परा व लोकाचार ाता मख यापार (नगम) और राजा क भाई य द राजा कसी यि त को यायालय क वार पर रोकता तो उस पाप लगता था राजा नग व राजा न म न ऐसा ह कया और व पाप क भागी बन रामरा य म यायालय इसी लय स थ क वहा लोग को तर त एव न प याय मलता था यायालय म यक यि त को त काल उपि थत होन क वीक त मल जाती थी वक ल टा प व फ स क ज रत नह थी ाय यायालय म राज ोह म झठ गवाह कमार का बला कार पराई ी अपहरण

ट स पि त द पयोग चोर डकती मह या य म पीठ दखाना स नक को वतन न दना बालक व राजा क ह या आग लगाना ग ी गमन और जलाशय म वष मलाना जस मामल म द ड दया जाता था अपराधी को यातना स लकर म यद ड तक दया जाता था फासी ाय ात काल म द जाती थी पर त कठोर याय शासन क कारण अपराध बह त कम होत थ महाभारत काल म लगभग इसी कार क याय यव था जार रह महाभारत म भी कहा गया ह क पा पय पर नय ण न रखन वाला राजा पाप का भागी होता ह शराबखाना खोलन व याओ क नय क दलाल जआर तथा ऐस ह बरा पशा

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करन वाल लोग रा को हा न पह चात ह अत इन सबको द ड दकर दबाए रखना चा हए (शाि तपव 8835mdash70) (ii) याय क ोत

महाका य स सकत मलता ह क मन य को उ चत याय दलवाना राजा का कत य था इसक लए यह आशा क जाती थी क यायालय म वह न प रहगा ाचीन पर परानसार राजा सभासद क सहयोग स याय करता था इस काय म धम और शा क ाता ा मण का सहयोग लया जाता था महाभारत स व ध क ोत क जानकार मलती

ह शाि त पव म भी म न कहा ह क रा य म धमशा क अनसार याय यव था क थापना होनी चा हए ता क सभी क साथ समान यवहार हो सक भी म न व ध क चार ोत

बतलाय ह िजनक नाम इस कार ह दवस मत ( मा वारा न मत एक लाख लोक वाला थ महाभारत) ऋ षmdashस मत (ऋ ष म नय वारा न मत नयम या ा मण वारा द गई

यव था) लोक स मत (जनता वारा न मत नयम) और स था स मत (व नयम जो व भ न स थाओ या समदाय न बनाय ह जस दशधम जा तधम कलधम आ द)

3171 ीय शासन

महाका य स रा य क ाद शक यव था क जानकार मलती ह रामायण स शत होता ह क इस काल म आय न स तmdash स ध क भ म पर अ धकार कया और उसक बाद व म यदश द ण और पव क सदर भख ड म फल वहा बि तया बसाकर उ ह न अपना भ व था पत कया महाराजा दशरथ का सा ा य वशाल था उसक सफल सचालन हत उ ह न

कोई न कोई यव था अव य अपनाई होगी रामायण म रा और पर श द मलत ह फर मश दश बीस सौ और एक हजार ाम क शासक को द शक बीस ाम क शासक को वशा धक सौ ाम क शासक को शतपाल और हजार ाम क शासक को सह प त क स ा द जाती थी शाि त पव क अनसार जनपद या रा क अ तगत जो नगर ह उनक लय एकmdashएक सवाथ च तक शासक क नयि त क जाती थी य सब पदा धकार राजा क सभा म सभासद क प म सि म लत होत थ

ा मक का काय गाव क काय को स प न करना था वह गाव क क मय को दर करता था वह ाम स ब धी सचनाए द शक क पास भजता था सभापव म आया ह क

यक गाव म 5 mdash5 अ धकार रहत थ य अ धकार थायी अथवा वश पर परा स होत थ सीवी व य न इस ववरण क आधार पर ट काकार को उ त करत ह ए कहा ह क गाव क पाच अ धकार न न होत थ mdash शा ता समाहता (वसल करन वाला) सि नधाना लखक (पटवार ) और सा ी यह कहना क ठन ह क सा ी क या आव यकता थी य पाच अ धकार शर स जन और एक मन स काम करन वाल होत थ द शक वशा धक को वशा धक शतपाल को शतपाल सह पाल को और सह पाल स पण सचनाए राजा को षत करता था नगर पर या राजधानी क पदा धकार अपनmdashअपन का शासन वय करत थ

शाि त पव म जनपद क शासन उसक अ धकार और उनक कत य क स ब ध म कछ सचनाए द गई ह जो मन म त क ववरण स मलती ह भी म का मत ह क जनपद

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म नगर क अलावा गाव भी सि म लत होत थ नगर क स या तो कम ह थी नगर क शासन हत सवाथ च तक नामक अ धकार नय त कय जात थ इनक कत य का जो ववरण भी म न दया ह मानो वह मन म त स य का य लया गया ह

3172 मख अ धकार

रामायण म रा य क मख अ धका रय को तीथ कहकर पकारा ह च कट पर रामmdashभरत म जो सवाद (210036) हआ वहा पर इन अ धका रय क नाम का उ लख नह ह पर त रामायण क ट काकार क अनसार उनक स या 18 थी और उनक नाम न न थ mdash म ी परो हत यवराज सनाप त वा रका ( वारपाल) आतरव शक (राज साद ब धक) कारागारा धकत (जल अ धकार ) अथसचयकत काय नयोजक (म य स चव) ववाक ( यायाधीश) सनानायक नगरा य कमाि तक (कारखान व खान का अ धकार ) स य (सभाmdashस चव) धमा य (म य यायाधीश) द डपालक (मिज ट या प लस क म नर) दगपाल ( कल का ब धक) और रा ातर पाल (सीमा त दश का रा य पाल) महाभारत म भी इ ह 14 अ धका रय क क पना ट काकार न क ह अ य थान पर 14 अ धका रय क चचा सीवी व य न अपन थ महाभारत मीमासा (प309) म क ह िजनक नाम ह mdash दशा धकार रथा धप त दगा धकार गजा धप त अ वा धप त शर स नक (पदा त) अ त परा धम त अ ना धप त श ा धप त सनानायक आयmdash यया धप त धना धप त ग तदत और म य कायकता इनम स अ धकाश अ धकार सना स स बि धत तीत होत ह

3180 आ थक यव था

महाका य स दश क आ थक यव था एव स थाओ क जानकार मलती ह जो इस कार ह

3181 कोष क उपयो गता

भी म न महाभारत म कोष को रा य का अ त आव यक अग माना ह कोष क स ब ध म भी म एव मन म त क वचार लगभग समान ह शाि त पव म कहा गया ह क राजा को सच ट होकर कोष क र ा करनी चा हए न चयपवक कोष राजाओ का म य एव उसक व का कारण ह राजा का मल कोष और सना ह सना का मल कोष ह सना सम त धम का मल ह और धम जा का मल ह

3182 कर सचय क स ा त

राजा को कोष का अथ सचय क स ब ध म वत नह होना चा हए य द अथ सचय म राजा को वत कर दया जायगा तो जा को लश ा त होन क स भावना बनी रहती ह इस लए राजकोष म धन सचय हत कई स ा त बनाकर भी म न उनका उ लख शाि तपव म कया

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थम mdash जा प रप ट स ा त ह इसक अनसार राजा पहल जा को धन स प न कर ता क वह वय उस कर दन क लए उ सक रह इस स ब ध म गाय माता और माल क उदाहरण उ तम ह गाय स दध पान क अ भलाषी दहन स पव उसक सवा कर उस त त करता ह तब वह वय ह दध को आतर हो जाती ह राजा कोयला बनान वाल जसा यवहार न कर जो कोयला ा त करन क उ य म पड़ को ह न ट कर दता ह

वतीय mdash यथा म त स ा त ह िजसक अनसार राजा जा पर इस व ध स कर लगाय क उस लशमा भी क ट न हो इस स ब ध म बा घन मर और ज क का उदाहरण दया जाता ह भ रा जब प प म स शहद हण करता ह तो उस मालम भी नह पड़ता ततीय mdash लाभ पर कर का स ा त ह िजसक अनसार राजा मल पजी पर कर न लगाकर कवल लाभ पर लगाय चतथ mdash जार ण स ा त ह इसक अनसार जा र ा हत कर लगाना आव यक ह राजा उपज क छठ भाग को कर क प म ा त कर पचम mdash वतन स ा त ह भी म न राजा को वतन भोगी सवक माना इस लए जा क सवा हत वह कर लगा सकता ह वह उसका वतन होता ह ष ठ अ धक कर नषध स ा त कहलाता ह भी म न राजा को जा क साम य स अ धक कर लगान स रोका ह व कहत ह क गाय का अ धक दोहन करन स जो दशा बछड़ क होती ह अ धक कर वसल करन पर वह दशा जा क हो जाती ह स तम mdash शन शन कर व का स ा त ह िजसक अनसार राजा वारा लगाय गय कर क व ार भ म कम हो कर व शन शन एव अ प मा ा म

करनी चा हए एकाएक कर बढ़ान पर जनता व ोह कर सकती ह अ टम mdash आपात कर स ा त ह िजसक अनसार राजा जनता पर आपातकाल म या बाहर आ मण हो जान पर वशष कर लगा सकता ह भी म न य धि ठर स कहा था क य द श क रा य पर आ मण करन स त हारा बह त सा धन यय हो चका ह तो तम जा को समझा बझाकर कर लगाकर धन ा त कर सकत हो व वध कर

महाभारत क शाि त पव म ह भी म न राजा वारा जा स वसल कय जान वाल कर का उ लख कया ह इन कर म ब ल पशकर हर यकर श क द ड आकर कर लवण कर और तरणकर म य ह ब ल कर का ता पय क ष एव कषक जनता क र ा हत लया जान वाला कर ह िजस उपज का 8वा भाग लन का वधान था पश स जो लाभ होता ह उसका 50वा भाग पशकर प म लया जाता था श क का ता पय यापा रय स बाजार हाट माग क यव था तथा स वधाओ क लए जान वाल कर स था भी म न यव था क क श क सचय हत थान नधा रत हो हर यकर सोन क उ पि त एव व य पर लया जाता था अपराध को रोकन हत अपरा धय स लया जान वाला धन द ड कर क णी म आता था ख नज पदाथ खान स ा त होत ह खान क मा लक स लया जान वाला कर आकर कर कहलाता था यह कर भी राजकोष व का म य साधन था लवण कर का मन न उ लख नह कया ह भी म लवण उ पादन पर लया जान वाला कर भी आव यक समझता था आवागमन क स वधा हत नद नाल या अ य जल थान स लया जान वाला

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कर तरण कर कहलाता था शाि त पव क अनसार कर सभी लोग को दना पड़ता था ा मण को जो व दक परो हत या य हो राजकर स म त थ ऐसा तीत होता ह क

रामायण काल म भी राजकर क स ब ध म धम वारा नि चत जो स ा त थ उनका ाय उ लघन नह होता था

रामायण स भी ाचीन भारतीय करारोपण यव था क जानकार मलती ह अम रक व वान ई ड य हाि कस का वचार ह क उन दन राजागण अ य धक कर क बोझ स जा को लादकर अपना खजाना भरन म सल न थ क त रामायण म अन चत कर का सदव वरोध हआ राम न अपनी स पि त धमानसार एक क थी राजा स रामायण म यह आका ा क गई क वह कर वसल म उदार और नरम नी त का पालन कर उ ता का आ य लकर जा को नाराज करना य कर नह था जो राजा जा क आय का छठा भाग लकर उसका प वत पालन नह करता वह पाप का भागी होता ह उ तरका ड म प ट कहा गया ह क जो राजा जा क र ा नह करता वह उसक आय क छठ भाग का उपभो ता नह बन सकता ब ल ष भाग अथात आय का छठा भाग राजा को जा का सर ण करन का पा र मक क प म दया जाता था

319 स नक यव था महाका य स ाचीन भारतीय स य यव था का व तत ववरण मलता ह ाय

राजा लोग सना का सचालन अमा य क सहायता स करत थ रामायण क अनसार य क घोषणा या सि ध का अि तम अ धकार राजा को ह ा त था लका का स य वभाग एक म ी क अधीन था सना म चार भाग होत थ mdash पदल घड़सवार रथी और गजारोह इस लय सना को चतरग बल कहा जाता था स नक क भी चार णया थी जस mdash म बल ( म राजा क सना) आट व बल (जगल जा तया) भ य बल ( नय मत) और वष बल (श को छोड़कर आय स नक) पदल स नक क दो भाग थ िजनक नाम ह तलवार भाल स य करन वाल स नक और धनषmdashबाण वाल स नक स नक क हाथीmdashघोड़ क दखभाल करन क लए अ वब ध और कजर ह बन ह ए थ लकाmdashय म तो एक रा स साड पर बठकर र भ म म गया आवागमन का माग त ब व पल बनान वाल खनक और प रसारक का दल सना स आग जाया करता था खा य साम ी एव अ य सामान क यव था एक अ य स म त करती थी सना क पीछ यापार स नक क ि या तथा दास वग रहत थ सना य या सनाप त राजा क आदश स काय करत थ उनक अधीन कई बला य होत थ राजा और सनाप त य mdashप रष क राय क अनसार काय करत थ स य अ धकार का चयन उनक यो यता क आधार पर होता था सना का म य अग कलप होता था जो मख पद पर नय त होत थ

अयो या म स नक का अपना अलग वग था व भट या योध कहलात थ यह नाम उन स नक क लए य त होता िजनका यवसाय कवल य करना था स नक को नि चत वतन दया जाता था य क समाि त पर स नक को उपहार व लट क सामान का ह सा भी दया जाता था स नक नय मत य ा यास करत थ स नक म सरापान का चलन था

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व स दर व भड़क ल व पहनत थ य क बाद दोन प क स नक सौ ात मलन कर वर भलान का यास करत थ सना म कठोर अनशासन का यान रखा जाता था य म पीठ दखलान वाला स नक मार डाला जाता था स नक श टाचार का पालन करत उ ह आदश था क कच करत समय कोई स पि त या खत बबाद न कर शरणागत को अभय दान कया जाता था श क कमजोर स लाभ उठाना या छ वष धारण करना य व ध का अग था अकारण कसी पर आ मण नह कया जाता था ाय वषाकाल म य नह कया जाता था अ भयान शर ऋत म कए जात थ

य हत स नक को एक करन हत भर बजायी जाती थी य मदान म श वर लगाय जात थ सनाप त श प क य तयार का परा पता लगा लता था सना का अ भाग मधन और दाया बाया पा व और म य भाग क या उरस कहलात थ रामायण क अनसार य ारभ होन स पव राम न एक बार अि तम प स रावण क पास अगद को भजकर कहलाया क वह आ मसमपण करक सीता को लौटाय अथवा य मदान म उतर आय सना यह रचना करती थी िजनक नाम ह mdash यन सची व शकट मकर द ड और प ा राम को ग ड़ यह य था

य क दौरान म ल य लोक य था य म बाहmdashय मि ट य और गदा य भी होता था रात क समय य ब द रहता था लका म इ िजत और रावण न रात म भी य कया था य म धनषmdashबाण तलवार कटार व (लोह द ड) परश म गर च शल गदा बरछा शल आ द श काम म लाए जात थ प र ध लोह क काट स जड़ा द ड था शत नी य एक बार म सौ लोग का वार करता था प थर फकन क य स य लड़ा जाता ाश प श पाश तोमर मसल आ द भी मख श थ स नक य क समय कवच का योग भी करत थ

य क स ब ध म महाभारत म कहा गया ह क जहा तक सभव हो राजा बना य कए ह अपन उ य क प त कर राजा विजत कए गए क नाग रक क र ा का वचन द और फर उनस ट स ा त कर महाभारत म कहा गया ह क राजा का य राजा स ह हो य द य क म य बा मण शाि त अवल बन का आदश द तो उस दोन दल को मानना चा हए महाभारत शरणागत यि त का वध न करन का उपदश दती ह य म व बालक ी का वध न कया जाए मख म तण रखकर कोई यह कह क म आपका हआ तो उसका वध नह करना चा हए शाि त पव म य स अस ब वषयmdash वशष सवक रण स भाग ह ए यि त का वध न करन का उपदश दया गया ह भी म कहत ह क इनका वध करन वाल नरकगामी होत ह उसक पतर ण ह या क पाप क भागी होत ह महाभारत काल म चतरग यव था म व वास कया जाता था महाभारत म स ताग रा य का धान अग द ड माना गया ह द ड क दो व प होत ह mdash काश द ड और अ काश द ड काश द ड सना अथवा बल ह िजसक आठ अग मान जात ह सना क य आठ अग रथारोह गजारोह अ वारोह नौकारोह पदल वि ट भारवाहक वर और उपदशक अ काश द ड स भी म का ता पय उन उपाय स था िजनस श का अ त ग त र त स कया जा सक उ ह न अ काश द ड क अ तगत जगम अजगम चण योग व और भोजन म वष मलाकर

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श का ाणा त करना माना शाि त पव म सना क य ा यास अ धका रय कमचा रय और श का व तत वणन मलता ह सना म 101001000 स नक पर एक अ धकार होता था चार अग क अलगmdashअलग सनाप त होत थ

महाभारत म भी स नक को वतन नकद एव अनाज प म दन का वणन ह सनाप त क लए आव यक था क वह यह य और आयध जानन वाला हो स नक ाय कवच धारण करत थ यो ा धनषmdashबाण का योग म पढ़न क बाद करत थ य म अनक घोड़ वाल रथ का योग भी कया जाता था रथ क वजा पर उसक महारथीका च न होता था य म ज मी होन वाल यि त को औष ध दन का वधान था य म सफलता ा त करन हत सनाप त यह रचना ( स यह च यह) करत थ महाभारत काल म भी प थर बरसान वाल य का योग कया जाता था महाभारत म बताया गया ह क य क अठारहव दन श य क नत व म कौरव क पास तीन करोड़ पदल तीन लाख सवार तथा पा डव क पास दो करोड़ पदल और दस हजार सवार बाक थ ी पव क अनसार महाभारत य म 66 करोड़ एक लाख तीस हजार यि त मार गय यह स या महाभारत म कम आई 18 अ ौ हणी सना स अ धक ह स प म कहा जा सकता ह क महाका य काल म सना का सगठन उ च को ट का था उस समय काम म लए जान वाल श समय क आव यकतानसार थ

3191 ग तचर

महाका य म ग तचर यव था का भी उ लख ह ग तचर य द पकड़ लया जाता तो वध का पा होता था कई बार ग तचर पकड़ जान पर वय को दत घो षत कर दत थ रामायण म हनमान न पकड़ जान पर वय को राम का दत घो षत कया था रावण क ग तचर शक और सारण न भी अपन को दत बताकर वानर क ब धन स मि त पायी थी रामायण म ग तचर हत चर चारक चारण श द का योग मलता ह अयो या का ग तचर वभाग बड़ा स य था राजधानी क चार वार पर श क ग त व धय का व यान रखत थ ग तचर दो कार क होत थ नाग रक ग तचर और स नक ग तचर राम को सीता वषयक लोकापवाद क सचना नाग रक ग तचर न ह द थी ग तचर को सदव राजभ त वीर और नभ क रहना पड़ता था रामायण म राम न वभीषण क अमा य स रावण क जाससी करवायी थी वद यास क अनसार िजन लोग क अ छ तरह पर ा ल गई हो जो ब मान होन पर भी दखन म गग अध और बहर जान पड़त ह और भख यास सहन को साम य रखत ह उ ह ग तचर प स नगर जनपद यायाम शालाओ बाजार उ सव भ समदाय घमन क थान सभाओ चौराह धमशालाओ म नय त कया जाना चा हए व वासपा ग तचर को प वी पर चार ओर घमात रहना चा हए ग तचर को इस यि त स नय त कर क व आपस म एक दसर को प हचान न सक शाि त पव क अनसार राजा को ग तचर स श सना क स या का पता लगाना चा हए उनस श सना म फट डलवानी चा हए

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3192 राजदत

ाचीनकाल म राजा का दत दसर रा य क शासक क पास सदश लकर जाया करता था भी म न दत को अव य माना ह शाि त पव क अनसार दत का वध करन वाला ि य स हत नरकगामी होता ह उसक पतर णmdashह या पाप क भागी होत ह वा मी क क अनसार दत अपन वामी का खला त न ध होता ह रामायण क स दर का ड म कहा गया ह क दतशा वद बोलन म चतर स दय ब मान ईमानदार तभाmdashस प न और उ चकल म ज मा हो उ तरका ड म कहा गया ह क दत अपनी बात कहत समय उ तिजत न ह ोध करन पर वह अपन वामी क उ य क जड़ को ह समा त कर दगा य द दत

अयो यतापपण एव बचकाना यवहार कर तो वह शरारतपण हो जाता ह

3193 प लस

रामायण म राजमाग पर प लस नय त करन का उ लख मलता ह सपाह द डायधधार होत थ रावणmdashवध क बाद वभीषण सीता को पालक म लकर जब आए तब वानर क भीड़ को प लस क सपा हय न हटाया था राम जब अयो या लौट तब भी माग म भीड़भाड़ न होन क लए प लस कमचार नय त कए गए थ रामायण म कदखान का भी वणन ह िजसम अपरा धय को रखा जाता और यातना भी द जाती थी शर र को भाल स छदना तलवार स काट डालना गला घ ट कर मार डालना जला डालना आग पर सकना जसी सजा अपरा धय को द जाती थी

320 षडग य नी त एव उसका यावहा रक प वा मी क रामायण म राजा को यवहा रक बनान हत षडग य नी त क त आ था

कट क गई ह इस नी त म स ध व ह आसन समा य धान और वधीभाव आत ह सि ध क बार म तारा न बाल को यह सझाव दया था क वह स ीव को यवराज घो षत कर उसस समझौता कर ल य क वह राम स म ी कर शि तशाल बन गया ह यान एव व ह का ता पय स नक अ भयान स ह जब कोई राजा श स यादा शि तशाल हो तो इस नी त को अपनाय आसन नी त वह ह जब राजा अनकल ि थ त क ती ा म मौन बठा रहता ह समा य क अ तगत राजा अपन श क व कसी शि तशाल राजा स सहायता क माग करता ह वधीभाव क अ तगत एक तरफ शाि त यास कया जाता ह तो दसर तरफ आ मण कर स नक कायवाह कर द जाती ह महाभारत क शाि त पव म वद यास न कहा ह क राजा क स प नता ष ग य नी त क उ चत सचालन पर नभर करती ह व कहत ह क जो राजा छ गण तीन वग और तीन परम वग इन सबको अ छ तरह जानता ह वह इस प वी का सह उपयोग कर सकता ह उ ह न भी ष ग य क अ तगत रामायण वाल त व ह बतलाय ह वद यास न स धय क अ तगत उ तम म यम अधम या समा य का उ लख कया ह

महाभारत म राजा को राजनय क चार उपाय साम दाम द ड और भद अपनान क श ा द ह कमजोर रा य को सलाह द गई क व शि तशाल रा य को हाथ जोड़कर

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स न रख श बल यादा होन पर झकना ह उ चत ह राजा सदव सतक एव सजग रह ब मान रा य को श क कमजोर का पता लगाकर उस उखाड़ना चा हए व वास दत भजकर श म फट डलवानी चा हए जब साम दाम भदनी त असफल हो जाय तो द डनी त का योग करना चा हए शाि त म तट थ रहना भी राजनय का साधन बतलाया गया ह भी म कहत ह क जो अपन स अ धक शरवीर ह उस हाथ जोड़कर वश म कर डरपोक को भय दखाकर फोड़ ल लोभी को धन दकर काब म कर ल तथा जो बराबर का हो उसक साथ य छड़ द श को उखाड़ फकन म ज दबाजी न कर राजा को न सदव दयाल और न सदव न ठर होना चा हए सफलता चाहन वाल राजा को धम और अधम दोन ह माग का अनसरण करना पड़ता ह राजा दसर का व वासपा बन पर त वय दसर का िजसम उसक प भी ह व वास न कर य द कोई यि त स ताग रा य व काय करता ह तो उसका वध कर दना चा हए चाह वह यि त आचाय या म ह य न हो रा य पर आ मण हो जान पर राजा ा मण एव साधओ को छोड़कर बाक सबका धन अपहरण कर सकता ह भी म न रा य हत म राजा को धमनी त स वच लत होन तक क सलाह द डाल भी म न राजा वारा बलपवक धन स ह क ायि चत व प उस (राजा को) अ वमध यह करन क सलाह द ह

321 गण एव सघ रा य रामायण म गणरा य का उ लख नह हआ ह जब क महाभारत म गणरा य क

स ब ध म मह वपण जानकार मलती ह भी म को गण एव सघ रा य का पण ान ा त था गण क ि ट म कोई यि त जा त कल क ि ट स छोटा बड़ा नह होता था भी म न गण म चर या ग तचर नय त करन क बात कह ह िजसस स होता ह क गण राजनी तक स थाए अथात रा य प म ह थ महाभारत काल म योधय मालव श व औद बर अ धकवि ण गत मा यमकय अ ब ठ वातधान यादव ककर भोज आ द गणरा य मख थ यादव ककर भोज अ धक और वि ण गण न मलकर एक सघ बना लया था इस सघ क म खया क ण थ उ ह न राजनी तक वत ता और पथक स ता कायम रखत ह ए अपन को एक सघ म सग ठत कया क ण को भी सघ म व वध जा तय क कट आलोचना को सहन करना पड़ता था व इनका उ तर मीठ वचन स तथा सबका यथाmdashयो य स कार करक दत थ महाभारत क अनसार क ण न कस वध कया और उसक पता उ सन को यादव सघ का धान नवा चत कराया वणmdash वजय पव एव सभापव म भ रो हतक आ य मालव आ द गण का उ लख मलता ह शाि त पव म गण क उ थान क लए माग बताय गय ह जो इस कार हmdash

1 गणशा ानकल धम एव यवहार स चल 2 गण क सद य प पात एव लोभ स पर रह 3 कल क नता अपन प व भाइय को नय ण म रख 4 गण म खय का स मान कया जाय 5 गोपनीय वषय स पण गण म उपि थत न कर

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6 श गण म धन या लालच दकर फट न डाल इस लए उस फट स बचाय 7 गण क आ य तर भय स र ा क जाए 8 गण क जी वत रहन हत सघ बनाय रखन पर जोर दया ह 9 प षाथ कत यपरायण ब मान बलवान यि त का स मान करना गण क पतन क कारण भी महाभारत म बताय गय ह जो इस कार हmdash 1 ोध लोभ मोह स म य नताओ म फट पड़ती ह 2 श धन स सघ म फट डाल सकता ह 3 पतन स बचन हत सघात प म रहना आव यक ह 4 शा मया दत धम का याग न कर 5 गण म य का स मान न करन पर 6 ग त भद कट हो जान पर

महाभारत म कहा गया ह क आ य तर भय ह गण क जड़ को काटन वाला होता ह श लोग भद और धन क दान वारा ह गण को जीतत ह अत सघात ह एक ऐसा उपाय िजनस गण क र ा हो सकती ह शाि त पव क अनसार गण क सघ म भस ता सघ क सभा होती थी इस सभा म सघ क सद य रा य क त न ध बठकर वचारmdash वमश करत थ सद य वादmdash ववाद क बाद बह मत स नणय करत थ सभा य राजा और उपा य उपराजा कहलाता था सघ क सभा म दलब द भी होती थी यक दल चाहता था क उनक पस द का यि त राजा या अ य बन अ धक वि ण ककर भोज और यादव रा य क जनता अपन क याण हत सघ अ य क ण पर आ त थी नारद क अनसार क ण ह ऐस यि त थ जो इस सघषय त सघ का भार वहन करन म समथ थ इस ववरण स सक तत ह क महाभारत काल म राजत और गणत दोन कार क शासन प तया च लत थी

322 पर और जनपद भी म न शासन क ि ट स रा य को पर और जनपद दो भाग म वभािजत कया पर स भी म का ता पय उस नगर या दग स था जो रा य क राजधानी हो रा य

को पथक कर दन क बाद रा य का जो अवशष रहता वह जनपद कहलाता था भी म क अनसार पर म दग होना आव यक ह पर त दग ह पर ह ऐसा व नह

मानत दग पर का अश होता ह पर का शासन क य अ धकार वग क अधीन था शाि त पव क अनसार पर को सर त रखन क लए उसक चार और कार एव प रखा (ख दक) होना ज र था दग छ कार क होत हmdash वज दग मह दग ग र दग मन य दग मि तका दग और वन दग दश काल क अनसार इनम स कसी एक दग का राजधानी क नमाण म उपयोग कया जाय भी म न कस जा त को कहा बसाया जाय तथा उसक उ थान क लए कौन स साधन जटान चा हए इसका भी उ लख कया ह पर म नवा सय हत भरणmdashपोषण साम ी का होना आव यक ह ता क आव यकता पड़न पर व वावल बी होकर उसक र ा कर सक

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जनपद अनक बि तय स मलकर बनता था सबस छोट इकाई ाम फर दस ाम बीस ाम सौ ाम और हजार ाम का होता था िजस पर राजा क मि म डल का सद य शासन काय करता था इसक अ धका रय का उ लख मन म त म दखा जा सकता ह य क शाि त पव म वसा ह ववरण ह जनपद क अलावा नगर का भी उ लख महाभारत

म मलता ह िजसम सवा च तक शासन करत थ थानीय शासन म णय क भी मह वपण भ मका होती थी

323 साराश महाका य भारतीय स कत सा ह य क अनमोल र न ह इनस ाचीन भारतीय

राजनी तक वचार एव शास नक स थान क सबध म जानकार मलती ह महाका य स भारत म द डनी त क उ कष रा य क थापना राजा क ि थ त उसक अ धकार कत य गणmdashदोष उ तरा धकार क नयम का ान ा त होता ह महाका य म म प रष ससद द डmdash यव था याय व ध आ थक ग त व धय षडग य गण सघ पर और जनपद पर व तार स काश डाला गया ह भारतीय राजनी त क स ा त क वकास का अ ययन करन हत महाका य ामा णक स क प म उपयोगी ह महाका य धमनी त क ि ट स मह वपण

थ ह इनस हम राजनी त क इ तहास पर धम क भाव को ल त करन म सम चत सहायता मलती ह सदभ थ mdash अ तकर अस ाचीन भारतीय शासन प त अ यर रामा वामी सीपी द क चरल ह रटज ऑफ इि डया ख डmdashII घोषाल यएन अ ह ऑफ इ डयन पो ल टकल आइ डयाज़ अ

ह ऑफ ह द पो ल टकल योर जायसवाल काशी साद ह द रा यत त ख डmdashImdashII द त मकमार रामायण म रा य यव था पा डय यामलाल भारतीय राजशा णता बनी साद यौर ऑफ गवनमट इन ए य ट इि डया भ जगद शच रामायणकाल न समाज एव स क त राय बीपी पो ल टकल आइ डयाज ए ड इ ट यश स इन द

महाभारत यास नानराम शाि तकमार रामायणकाल न समाज व यालकार समधा महाभारत म शाि तपव का आलोचना मक अ ययन व यालकार स यकत ाचीन भारत क शासन स थाए और राजनी तक

वचार व य सीबी महाभारत मीमासा शमा रामशरण ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए

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इकाईmdash4 ाचीन भारत म रा य क उ पि त और व प

सरचना 40 उ य 41 तावना 42 अ ययन क ोत 43 छठ शता द ईसा पव क राजन तक यव था 44 ाचीन भारत म रा य क उ प त 45 ाचीन भारत म रा य क उ पि त सब धत च लत वचारधाराए 46 ाचीन भारत म रा य का व प 47 साराश 48 अ यासाथ न 49 पठनीय ास गक थ

40 उ य इस इकाई क अ ययन क प चात आप न न ल खत जानकार ा त कर सकग mdash

(अ) ाचीन भारत म च लत राजन तक वचार और उसक दाश नकता (Philosophy) का ान

(ब) ाचीन भारत म रा य क उ प त और उसक क त ( व प) स सब धत ोत क जानकार

(स) ईसा क छठ शता द पव म व यमान नई राजन तक यव था क जानकार (द) ाचीन भारत म िजन उ य क कारण रा य का उदय हआ उसका ान (ध) ाचीन भारत म व यमान रा य क क त (Nature) ( व प)

41 तावना लटो और अर त क समय म यरोपीय वचारधारा का यान अ य सम याओ क ओर

आक षत हआ जस रा य क उ प त उसक क त एव उसक क त य द घ काल तक राजनी त शा दशन शा का एक अग माना जाता रहा ाचीन भारत क नवासी भी इन सम याओ क ऊपर वचार करत थ परत कभी कभी और वह भी गभीरतापवक नह इस वषय पर उनम वाद ववाद भी बह त कम होता था उनक थ म उ ह न राजनी त को दाश नक अव था म वीकार नह कया िजसक कारण राजनी त व ान एक पथक स था क प म नह रह जसा क पि चमी दश म थी ाचीन भारतीय न रा य क यव था और

उसक काय म वशष च ल उ ह न राजनी त व ान को गभीरता स लया और दडनी त (दड या) और राजनी त (राजाओ का यवहार) को एक ायो गक व ान क प म वीकार

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कया इसी कारण स उनक सा ह य स हम रा य नामक स था क वषय म काफ जानकार मलती ह

42 अ ययन क ोत 1 उ तर व दक काल न सा ह य म कह कह बौ काल स पव क राजन तक अव था तथा वचारधारा का दशन मलता ह ा मण थ म वार त राजाओ वारा कए गए अनक य स हम उस समय क राजाओ क मह ता का ान ा त होता ह ाचीन धमस स भी उस समय क रा य क वधा नकता पर काश पड़ता ह य य प इन थ स उस समय क च लत राजन तक वचारधाराओ का तो ान होता ह परत उनम रा य क उ पि त और उसक क त क वषय म व तारपवक वणन का अभाव ह इसस ऐसा तीत होता ह क उस समय

राजत स था का पणा प स वकास नह हआ था बौ यगीन काल म स यवि थत रा य क उदय स बौ सा ह य म रा य क उ प त क वषय म वशद जानकार मलती ह इसक अ त र त महाका य वशष कर महाभारत म इसका वशद ववरण ह इस लए रा य क उ पि त क वषय क सपण जानकार क लए हम इन सम त साधन क अ त र त पराण और जन थ का भी अ ययन करना पड़ता ह मौय क शासनकाल म रा य क क त भ तथा काय म यापक प रवतन ह ए िजनका ान कौ ट य क अथशा तथा अशोक क शलालख स भल भा त होता ह और व इस वषय क लए य अम य साधन ह

43 ईसा क छठ शता द पव क राजन तक यव था ईसा क छठ शता द ईसा पव उ तर भारत म एक नई राजन तक यव था न ज म

लया उस समय जनपद और महाजनपद नामक रा य म राजाओ न यवि थत प स कर लना ारभ कया और स यवि थत सना का रखना भी ारभ कया य राजा व दक राजाओ क भा त नह थ य क व दक राजा वश पर परागत बधन म जकड़ ह ए थ उ तर व दक काल म इस अव था म प रवतन हआ जब अ य उ पादन यव था म लोह क उ पादन स एक नई शि त मल इस समय लोह क औजार चावल क उ पादन और धम वारा पशधन क सर ा को मा यता दान होन क कारण व दक राजाओ म शि त और शसा ा त करन का उ साह उ प न हआ इस उ य क ाि त हत ाचीन वश पर परागत बधन को तोड़ना आव यक हो गया तथा समाज म उ प न नवीन ध नक वग तथा अ य ऐस यि त जो अ धक धनोपाजन कर रा य को कर द सक और इस कर क धन स एक ऐसी सना बनाई जा सक िजसम अपन वामी क त सपण वामी भि त हो इनको मह ता दान करना भी आव यक हो गया इस समय उन कबील क यि तय को ह सना म सि म लत कया गया जो राजा क त वामी भ त ह य क जो कबील सदर दश म य म जान को तयार नह थ व राजा को स य यव था हत कर दन का वरोध कर सकत थ ऐसी प रि थ तय म राजाओ न राजसय और अ वमघ य करना ारभ कया िजसस न कवल उनक स एव गौरव म ह व ह ई वरन उनको ाचीन वशपरपरागत बधन को तोड़न म भी सहायता ा त ह ई और उ ह जनता स कर लन का वधा नक अ धकार भी ा त हो गया

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इस नई वचारधारा का बौ सा ह य म सपण ववरण ह िजसम राजा को कर वसल करन क नए अ धकार क ाि त ह ई

44 ाचीन भारत म रा य क उ पि त ईसा पव क छठ शता द म उ प न इस नई वचारधारा स रा य नमाण क

ाथ मक अव था का ान होता ह इस वचारधारा को ईसा पव क पाचवी तथा चौथी शता द म काफ मह व मला जब क एक नई राजन तक वचारधारा जस च वत म और च वत आदश न ज म लया इस वचारधारा स उस समय रा य वारा नए सामािजक और आ थक त व पर वय का भ व था पत करना उनका एक यय था परत इस यय क प त कवल स ाट अशोक न ह क अ य राजा इस उ य क प त म वफल रह इस नई राजन तक वचारधारा क वा त वक व प का ान हम मौय क शासनकाल स होता ह इसका वशद वणन कौ ट य न कया ह उसन रा य क सात व भ न अग अथात स ताग का वणन कया ह इस स ात को उसक प चात क वचारक न भी एक आदश माना ह

45 ाचीन भारत म रा य क उ पि त सब धत च लत वचारधाराए ाचीन भारतीय सा ह य म रा य क उ पि त क वषय म वणन ह रा य क

उ पि त क स बध म न कवल बा मण थो वरन बौ और जन थ म भी इसका वणन ह य वणन भ न भ न थान म व णत ह पर त इनक काल और वषय क स बध म कोई नि चत त य काश म नह आता ह यह हष का वषय ह क कई व वान न इस स बध म क ट दायक शोध करक रा य क उ प त क स बध म नि चत मत तपा दत कए ह पर त इन व वान वारा तत वचारधारा क अ ययन स पव यह उ चत होगा क थम हम न न ल खत वचारधाराओ पर ि टपात कर mdash (अ) ाचीन भारत म रा य क उ प त स स ब धत वचारधाराए वा तव म राजत या राज व क उ पि त क वषय म ह (घ) य वचारधाराए वा तव म पि चमी वचाराधारा स भा वत ह वा तव म ाचीन भारत म रा य क उ प त क वषय म दो स ात मख स च लत थ थम समझौत का स ात (Contract Theory) और वतीय द वक उ पि त स ात

(Devine Origin theory) समझौत का स ात

सव थम समझौत क स ात का वणन हम ा मण थ स ा त होता ह एतरय ा माण (1143) म इस कार का वणन ह mdash

जब दवी और असर (रा स ) म य हआ उस समय असर न दवताओ को परािजत कया उस समय दवताओ न कहा क हमार ऊपर कोई राजा न होन क कारण ह असर न हम परािजत कया ह इस लए हम राजा का चनाव करना चा हए इस ताव पर सभी दवी न अपनी सहम त कट क और उ ह न सोम यान इ को अपना राजा नय त कया और इसक प चात समय उनक प म हो गया

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एतरय ा मण म एक अ य थल पर ऐसा उ लख ह क इ को चनाव वारा राजा बनाया गया (VIImdash12) ऐसा वणन ह क सम त दवताओ न उनक मख दवता जाप त स कहा क व इ को राजा बनाना चाहत ह य क वह एक अ यत बलशल वीर एव सवगण सपन ह और वह यक काय को सफलतापवक कर सकता ह इस वणन क प चात एतरय ा मण (159) म पन इस घटना का वणन ह ल कन इस समय यह दसर प म ह इसम

कहा गया ह पी ड़त दवताओ न अपना राजा नह चना उ ह न अपन मख दवता जाप त स ाथना क क उनक प इ को उनका राजा बनन हत भज द

शतपथ ा मण म राजा क चनाव का अ प ट प स वणन ह उसम व णत ह क हम पराजय का म ह दखना पड़ा और कई असर भी हमार बीच म आ गए ह इस लए हम अपन श ओ स परािजत हो जावग इस लए हम आपस म वचार व नमय कर हमार म स ह कसी को अपना राजा बनाना चा हए उ ह न इ को अपना राजा बनाया

उपरो त व णत सदभ स ात होता ह क ारभ म राजा बनान क आव यकता य क सनाप त क प म ह ई जब क असर पर नर तर वजय ा त होती गई तो इसक प चात राजा क आव यकता एक बलशाल यि त क प म हो गई इसक प चात राजा को द वक उ प त का माना गया ऐसा वणन ति तर य ा मण म आया ह जसा क हम पछल वणन म (43 4 4) म कह चक ह क राजत या राज व ा मण थ क अनसार एक ग तशील स था रह इन लख म राजा क आव यकता को दशाया गया ह जसा क दवताओ न श ओ पर वजय ा त करन हत इस आव यक समझा

ऐसा माना जाता ह क ा मण थ म राजा क चनाव प त स नय त होन क कारण जा को उसक आ ा का पालन करना चा हए राजा का यह कत य ह क वह अपनी जा क र ा कर इस कार ा मण थ न बाद म राजा चनाव सव स म त स होन वाल वचारधारा का तपादन कया जो एक सामािजक समझौता था यहा पर यह कहना उपय त होगा क य वणन पणतया अ प ट और ामक ह और यह रा य क उ पि त क सामािजक चयन या स ात (Social Contract Theory) का पण प रचय नह दत ह

सव थम सामािजक समझौता प त का प ट वणन बौ थ द घ नकाय स ा त होता ह िजसम रा य क उ पि त क स ात का वशद ववरण हम स क तपा दत स ात क याद दलाता ह रा य क इसी क त का वणन हम हो स स भी ा त होता ह

द घ नकाय (III 931) म व णत ह क ससार क ार भक समथ म मन य सादा जीवन यतीत करता था और आ म नभर था शन शन मानव समाज क आ म नभरता समा त होती चल गई और उस सय च द तारागण रा दवस मह न ऋतओ और वाय का ान हआ इसी समय रग और लग उस मालम हआ स प म कह सकत ह क मन य का क त स नाता टट कर सासा रक जीवन स जड़ गया अब र ा भोजन और पानी

आव यकता महसस ह ई इस लए मन य न आपस म कई समझौत कए और कट ब और सपि त स थाओ न ज म लया पर त इस यव था म अनक नई सम याए उ प न हो गई अब चोर और अ य कार क असामािजक काय ारभ हो गए इस लए मन य न एक उनम स ह एक जन य आकषक यि त व वाल यो य प ष का सवस म त स चयन कया और

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उसस कहा क ह परोपकार तम उन यि तय को जो अपरा धक वि त क ह उनको दड दो उनक न दा करो और उनको दश नकाला दो हम त ह इस काय क लए हमार वारा उ प न चावल म स एक भाग तमको दग उसन इस पर अपनी सहम त दशायी और उसी क अनसार काय कया च क उसका चनाव सवस म त (महाजन स मत) स हआ था इस लए उस महासाम त क नाम स पकारा गया य क वह सम त भ म का वामी (खता नामप त) था इस लए उस ख तीय कहा गया और उसन नयम का पालन करक सम त मानव को सख दान कया इस लए उस राजन कहा गया उपरो त व णत त य म न न ल खत बात का वणन ह

(i) उस समय क मानव समाज का वणन (ii) उस समय क सामािजक यव था (iii) राजा और मानव समाज क म य ह ए समझौत

इसक अ त र त उपरो त वणन स ात होता ह क बौ यग म कसी सामािजक और आ थक यव था थी उस समय पव भारत म चावल क खती बह तायत स होती थी उस समय चावल का अना धकत स ह और चावल क चोर स समाज पतन क ओर अ सर हो रहा था इस लए उस समय चन ह ए राजा को इन अपरा धक व त वाल यि तय को द डत करन क लए समझौता कया गया इस राजन तक गठबधन स बौ काल म समाज म िजस यव था न ज म लया उसका अनमान ा मण थ स लगाया जा सकता ह

ईसा क थम शता द म र चत महा मा ब क जीवन पर लख गए थ महाव त स समझौत क स ात स रा य क उ प त क आग क यव था का हम प रचय मलता ह इस समय नवा चत राजा न कवल अपरा धय को दड ह दता था वरन इस काल म उसन एक नय क त य को भी अपना लया था और वह था यो य यि तय को ो सा हत करना इसस पहल क वचारधारा म यो य यि तय को पर कत करन का वणन नह मलता ह सभवत इस वचारधारा का ज म स ाट अशोक क शासनकाल म हआ य क उसन उसक शास नक अ धका रय को इस कार क आदश सा रत कए थ (REIV)

महाभारत न भी सामािजक समझौता स ात (Theory of social Contract) का अनमोदन कया ह इसका वणन सव थम हम शाि तपव क 59 व अ याय और वतीय वणन 67 व अ याय स ा त होता ह 59 व अ याय म ऐसा वणन ह क व ण न अपन मि त क स एक प शासन चलान हत उ प न कया पर त उसन और उसक वशज न इस काय म उदासीनता दखाई िजसक फल व प वणा का अ याचार शासन ारभ हआ इस ट होकर ऋ षय न वणा का वध कर डाला और उसक दाई जघा स पथ को पदा कया जो व ण क आठवी पीढ़ म था उस समय ऋ षय और पथ व य म एक समझौता हआ ऋ षय न उसस कहा क वह शपथ हण कर क वह दड नी त क स ात क व प शासन करगा वह ा मण को द डत नह करगा और वह ससार को जा त सि म ण स म त रखगा पथ न यह

आ वासन दया क वह जो यायो चत होगा वह काय करगा और सदव आदरणीय ा मण वग का स मान करगा य य प यह समझौता थम राजा स नह हआ था पर त उस वणन स हम यह ात होता ह क वा त वक राज त पथ क समय स ह ारभ हआ और उसी क नाम

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पर बाद म इस ससार का नाम प वी रखा गया इस समझौत का एक मह वपण पहल यह ह क यह समझौता राजा और जनता क बीच नह वरन राजा और ा मण क बीच म हआ िजसस ात होता ह क उ तर मौयकाल और ग त यग म ा मण का मह व काफ बढ़ गया था श ग क व और सात वाहन क शासन काल म यह वि त ारभ ह ई

शाि तपव क 67व अ याय म भी रा य क उ पि त क समझौत वाल स ात क क पना क गई ह यहा पर सामािजक और राजन तक दोन वचारधाराओ का वणन ह इसम व णत ह क ाचीन समय म जब मन य का कोई राजा नह था तब उ ह वनाश का सामना करना पड़ा सव मत य याय का चलन था आपस म लोग एक दसर का वनाश पानी म रहन वाल मछ लय क भा त करत थ फर उ ह न एक त होकर कछ समझौत (समय) कए िजसस समाज क सम त वग म व वास उ प न हो यह ि थ त अ पकाल न रह जब यह प रि थ त च ताजनक अव था म पह ची तब सम त मन य न मा क स मख जाकर यह ाथना क क ह भगवन बना राजा क हमारा वनाश हो रहा ह इस लए आप कसी को राजा बनाओ हम सब उसक आ ा का पालन करग पर त उस हमार र ा करना होगी मा न इस काय क लए मन स कहा पर त उसन इस वीकार नह कया उसन कहा क म सम त अपराध स भय खाता ह एक रा य पर शासन करना एक अ त क ठन काय ह वशषतया उस समाज म जहा पर मन य सदव अस य बोलत ह और उनका यवहार भी कपटता या धतता स भरा हआ हो इसक प चात मन य न अपन काय पर प चाताप कट कया और राजा को अपन पशओ का पचासवा भाग वण का पचासवा भाग और अनाज

का दसवा भाग रा य कोष क व (कोष व नम) हत दन का आ वासन दया उ ह न इस बात का भी आ वासन दया क जो श चलान म नपण ह ग व मन क आशाओ का उसी भा त पालन करग िजस कार क दवतागण इ क आ ाओ का पालन करत ह इसक उपल य म उ ह न राजा स उनक सर ा का अ धकार मागा और व वास दलाया क उनक स यकाय वारा अिजत पराण का एक चौथाई भाग व राजा को सम पत करग

शाि तपव एक मानसार राजन तक थ नह ह पर त राजन तक वचार और वचारधाराओ का एक स ह ह इस लए इसम कोई आ चय नह क एक ह सम या क दो व भ न वचारधाराए तत कर द ग जब क 59व अ याय क वणन म राजा क शि त पर ा मण वग क हत क र ा हत अकश रखन का वणन ह पर त 67व अ याय म राजा क शि त क मह व को दशाया गया ह इसक अ त र त इस अ याय म जनता का क त य न कवल राजा को कर दना (पश वण और अ न क प म) बताया गया ह परत इसक साथ साथ धा मक ि ट स इसक कई लाभ भी बताए गए ह 67व अ याय म समझौत वाल स ात क एक म य धारा म बहदर स नक को रा य सवा करत भी दखाया गया ह इसस ग त काल न अध साम त णाल का ान होता ह इन कारण स शाि त पव म व णत वणन को ाचीन भारत म रा य क उ पि त क स ात क एक सतोषजनक एव सपण वचारधारा नह माना जा सकता ह सभवत यह कवल एक ह भारतीय वचारधारा ह जो कछ अतर क अ त र त हो स क पि चमी वचारधारा स सा यता रखती ह

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शाि तपव क अ याय 59 और (67 म एक म य समान त य यह ह क य दोन अ याय बौ वचारधारा क भ न प स राजा क चनाव प त का वणन करत ह दसर ओर व राजा क द वक उ पि त का वणन करत ह जस क राजा क उ पि त व ण और मा वारा ह ई अ ध नयम और महाभारत म राजा क समझौत वाल स ात वारा उ प त का

वणन ह परत कौ ट य क अथ शा म अ ध नकाय क भा त सजाक उ पि त चनाव प त स बताई गई ह परत इसक साथ साथ राजा को कर दन का ावधान शाि तपव क तरह व णत ह इसम व णत ह क समाज म अराजकता होन क कारण मन य न मन वव व को अपना राजा चना ओर उस अपन उ प न कए ह ए अ न का छठा भाग तथा यापा रक व तओ क उ पादन का दसवा भाग तथा वण का एक नधा रत भाग कर म दना वीकार कया इन कर क दन क उपल य म राजा न जनता क लए समाज हतषी क प काय करन का व वास दला और इस काय हत असामािजक त व को दड दन और उन स कर लन का आ वासन दया यहा तक क जगल म रहन वाल आ दवा सय को भी जगल क उ पादन का छठा भाग रा य को दना नि चत कया गया कौ ट य क वचारधारा का म य उ य राज क शि त बढ़ाना और जा को रा य क आ ा पालन कराना ह इस वचारधारा म कह भी राजा थायी शि त पर अकश रखन का ावधान नह ह जब क जनता पर जो क त य राजा क त बताए गए ह व भार व प ह य सब मौयकाल न रा य और उस समय क आ थक अव था को यान म रखकर बताए गए ह

स प म हम कह सकत ह क ाचीन भारत म रा य क उ प त कसी सामािजक स था क पव नह ह ई ह परत एक वशष ऐ तहा सक काल म मानव समाज क कछ आव यकताओ क प त फल व प ह ई ह बौ थ वणन तथा पथ और मन कथाओ स हम ऐसा तीत होता ह क य घटनाए उस काल स सबि धत ह जब मन य एक सामािजक ाणी क भा त तो जीवन यतीत करता था परत उस समय उनका कोई उ च राजन तक अ धकार नह था व भ न थ म व भ न कार क वणन का म य कारण यह ह क इन थ क सपादन काल भ न भ न ह िजस समय द घ नकाय का सपादन हआ उस समय नई राजन तक अव थाओ क सभावनाए थी और इसी लए इसम व णत समझौता प त वाल स ात स व वान न यह न कष नकाला क उस समय क राजन तक ि थ त म समझौत वाल स ात का अि त व अव य था (यएन घोघाल mdash हद पा ल टकल योर ज कलक ता1923 प० 121) पर त जसा क हम पहल वचार कर चक ह क इस स ात का थम वणन हम ा मण थ स ा त होता ह और इसक वा त वक ि थ त हम महाभारत स ा त होती ह

इस लए अब यह आव यक हो गया ह क रा य क उ पि त क वणन का अ ययन हम उस काल और उसस सब धत ऐ तहा सक त य को यान म रखत ह ए करना चा हए

इस कार ाचीन समय क राजन तक वचारक वारा तपा दत रा य क उ पि त स स ब धत समझौत वाल प त का राजनी त क म एक वशष योगदान ह यहा तक क ीक क राजन तक वचारक जस लट और अर त न राजन तक व ान को एक अलग वषय

माना ह उ ह न भी राजा और जा क स बध को समझौत वाल ि ट स नह दखा

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साराश म ाचीन भारत म च लत रा य क उ प त क स बध म च लत समझौत वाल प त क न न ल खत वशषताए ह mdash

(अ) रा य क उ पि त क पहल समाज म वण यग था य क वह समय शा त और सम स भरपर था

(ब) वण यग क अवन त क फल व प य ारभ ह ए अथात समाज म प रवतन आए (मत य याय) यह प रवतन कस कार आए इसका वणन ाचीन थ म नह ह

(स) बदलती ह ई सामािजक प रि थ त म एक राजा क आव यकता तीत ह ई जो समाज म शाि त था पत कर सक इसी कार क प रि थ त का वणन हो स और ि पनोजा न भी कया ह उ ह न भी एक शि तशाल अ धकार वारा समाज म या त अपरा धक वि तय पर अकश रखन का सझाव दया ह

(द) राजन तक सपक और कछ थान पर सामािजक सपक स उस समय क रा य क क त म प रवतन आए और यह व वास कया जान लगा क मन य म बराइया या त ह

और उनको कवल दड दकर ह दर कया जा सकता ह (घ) समझौत वाल स ात म कवल जा क ह कछ क त य नह ह पर त रा य क भी य

क त य ह क दड वारा वह समाज म शाि त और सम का वातावरण उ प न कर ाचीन समझौत वाल णाल स स ब धत कछ अकश

य य प रा य क उ पि त सामािजक समझौत वाल णाल स होना ाचीन भारतीय राजन तक वचारक क एक मह वपण उपलि ध ह पर त इस पर कछ अकश क न होन क कारण इसम कछ टया ि टगोचर होती ह

(अ) इस णाल म सामािजक अवन त क कसी वशष कारण का उ लख नह ह (ब) इसम यह व णत नह ह क सव थम कबील क सद य म कस कार समझौता हआ

जो रा य क क त स सब धत ह (स) इस णाल म वा त वक प म कसी समझौत का वणन नह ह जस महाभारत म

व णत ह क मन न जब राज का पद हण कया उस समय वह कसी शत या नयम स बा य नह था इसी कार अथशा म व णत ह क सामािजक समझौता णाल स राजा बनान पर उस पर कोई अकश नह रखा गया द वक उ पि त वाला स ात

ार भक व दक काल म राजत (राज व) क उ प त क द वक वाल स ात का ारभ हआ ऋ वद (VII 6412) म एक स व दक राजा साद य स सब धत तो म उसन उसक द वक शि त क वषय म यह उ चारण कया क मरा रा य दो कार का ह उसम सम त य वश तथा अ य मानव समाज सि म लत ह दवताओ का मझ सहयोग ा त ह और (व ण मर काय म सहायक ह म उन सब पर शासन करता ह इस स ात का व तार ा मण थ क काल म हआ वशषकर उस समय जब राजसय और अ वमघ य का चलन ारभ हआ िजनक क त यापक प स राजन तक थी शतपथ ा मण म जो राजा

राजसय य करता ह उसक राजन तक स ता क वषय म इस कार वणन ह राजा क

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अदर जाप त क गण व यमान ह जाप त जो सम त ा णय का वामी ह इस लए वह वय कवल एक होकर भी अनक पर शासन करता ह यह स य ह क व दक दवताओ को

राजाओ क गण स वभ षत बताया गया ह परत फर भी वद म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का यदा कदा कह कह दशन ह वद क मख तो म कह भी ऐसा वणन नह ह क राजा क उ पि त दवताओ वारा क गई

महा मा ब क ाथना णाल म राजा क द वक उ प त वाल स ात क मह ता का अ त हो गया य क महा मा ब और उनक अनया यय न इस स ात क भ सना क पर त जब आ द मौयकाल म व दक धम क पन उ न त ह ई तब राजाओ वारा यह करना ारभ हआ इन दोन काल क म य हम कौ ट य क अथशा म राजा क तलना दवताओ

स क गई इसम व णत ह क राजा म इ और यम दोन क शि तया व यमान ह इ का काय प रतो षक दना और यम का काय दड दना ह इस कार राजा इन दोन शि तय का य प ह जो कोई भी यि त राजा क आ ा का उ लघन करगा उस पर ई वर य कोप होगा (अथशा 113) यहा पर ई वर य दड क उ लख का मह व ह य क ह द वचारधारा क कम क स ात क अनसार दड स नह बचा जा सकता ह

महाका य और मन म त म द वक उ पि त क स ात को और बल दान कया ह रामायण म ऐसा उ लख ह क राजा एक स य ह अपन स काय क कारण वह यम कबर इ और व ण दवताओ स भी बढ़कर ह (रामायण 11 6) 34mdash 36) इस कार रामायण न एक नए स ात का तपादन कया क राजा दवताओ स भी बढ़कर हो सकता ह य य प महाभारत म हम राजा क द वक उ पि त वाल स ात का वशद ववरण पात ह शाि त पव क अ याय 58mdash59 म राजा य धि ठर भी म स दो न पछत ह पहला न राजा क उ पि त क वषय म था और दसरा न क त क नयमानसार एक ह यि त क महानता और वा म व उसक सहयो गय क ऊपर जो काय कशलता ब शाल शार रक बल और स दरता म उसी स सब धत तथा भी म न उ तर दया क ाचीन समय म न राजा था और न राजत उस काल म मन य क ऊपर शासन धम क अनसार करता था इसक प चात समाज अवन तक ओर अ सरलता उस समय वद का लोप हो गया और धम ट हो गया इस दशा स भयभीत होकर दवता मा क शरण म गए और मा न दड नी त पर एक वहद थ क रचना क इसक प चात दवता व ण क पास गए भगवान व ण का काय ससार क र ा करना होता ह दवताओ न भगवान व ण स मानव समाज म एक राजा बनान क ाथना क व ण न अपन तज स एक प उ प न कया जो मन य ( वराजस) का राजा बन सक इस कार इस वणन स हम ात होता ह क थम राजा क द वक उ पि त ह ई तथा उस क साथmdashसाथ दडनी त क भी द वक उ पि त ह ई शाि त पव क अ याय 36mdash40 म व णत ह क वह प त न राजा क द वक उ पि त वाल स ात क वशद या या क ह जब क इस वषय म वसमन न उनस पछा था उ ह न कहा था क राजा होना समाज म शाि त था पत करन क लए बह त आव यक ह उ ह न न कया क ऐसा कौन यि त होगा जो राजा क आ ा का पालन नह करगा िजसक सर ण म मानव क वय क सर ा ह और िजस क न होन स मानव समाज भी न ट हो जाएगा इस लए उ ह न कहा क कसी भी यि त को राजा क एक मन य होन क कारण

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उसक आ ाओ क अवहलना नह करनी चा हए य क राजा मानव समाज म एक द वक शि तवाला यि त होता ह

मन न भी राजा क द वक उ पि त वाल स ात को सहष वीकार कया ह उनका कथन ह क जब मानव समाज म राज नह था और समाज म चार तरफ अराजकता फल गई तब भगवान न ससार क सर ा हत राजा को पदा कया भगवान न राजा म इ अ नल यम अक अि न व ण च ओर कबर क द नक गण का समावश कया उ ह न आग कहा क य क राजा क उ पि त दवताओ क व भ न गण स क गई ह इस लए एव हम सम त मानव समाज स ठ ह और सय क भा त राजा आख और दय को काश मान करता ह वह ऐसा काशमय ह क मानव समाज उसक ओर ि ट उठाकर भी नह दख सकता ह एक अ य थान पर मन का कथन ह क राजा क रचना दवताओ वारा क गई ह िजसका म य ह थयार दड ह और दड भी ई वर का प ह (मन म त 5mdash6) राजा क द वक उ पि त वाल स ात क सी मतता

कई व वान न राजा क द वक उ पि त वाल स ात पर कछ वचा रक अकश था पत कए ह इस कार यह वीकार कया गया क ह द वचारधारा क अनसार राजा ई वर नह था वरन एक मानव दवता था सभवत यह अतर इस कारण स रखा गया क ह द वचारक न राजा को सपण द वक शि तवाला होना वीकार नह कया वा तव म हद वचारक न कभी यह वीकार नह कया क राजा न उसक शि त दवताओ स ा त क पर त इस भद पर कोई वशष यान नह दना चा हए क व राजा क द वक उ पि त वाल स ात स अलग हो रह ह य क रामायण म व णत ह क राजा दवताओ स बढकर ह इसक प चात श न इस वचार धारा को और अ धक बल दया और कहा क दवता राजा क सवक ह उस राजा क जो धम क उ नतती म अपना योगदान दता ह (श नी तसार 1 24) ाचीन भारत म राजा क द वक उ प त वाल स ात म फर कई क ठनाइया उपि थत हो गई

जब क हम स ा त क तलना पि चमी वचारक जस पाउ आइरनोयस सट ए सआ टर स ट अग टाइन और ज स थम स करत ह भारत म द वक उ पि त वाल स ा त को कभी अ त क सीमा तक वीकार नह कया गया जसा क पि चम म कया गया भारत म इस स ा त को व श ट प रि थ तय म धा मक वचारधारा क सदभ म वीकार कया गया ह इस लए इसक पि चमी वचारधारा स तलना करना उ चत नह य क ह द वचार धारा म अनक दवताओ क उपि थ त स इस स ात क मह ता बढ़ जस क राजा क रचना व भ न दवताओ क व भ न गण वारा क गई िजस का तपादन मन न कया

46 ाचीन भारत म रा य क क त या वभाव ाचीन भारत म रा य क क त का अ ययन ऐ तहा सक प रप य म भल भा त

कया जा सकता ह कछ व वान न व दक रा को रा य माना ह रा क वा तव म कोई नणायक राजन तक प रभाषा नह थी य द हम इसक तलना वतमान क रा य स कर तो उसक लए हम एक वधा नक प र ध पर यान क त करना पड़गा जो उस ाचीन काल म नह थी वा तव म वद म कई रा क एक राजा का वणन ह (ऋ वद VII3411) A

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यहा पर रा को एक रा य नह मान सकत य क व दक राजनी त म रा अनक राजता क रा य का एक सगठन था य द हम रा को एक रा य मान तो इसक लए हम अथववद (VImdash8)III42) क सदभ का अ ययन करना पड़गा िजसम कहा गया ह क तम रा स पथक नह ह ग तम रा क उ च स था म थान हण करो इसस यह ता पय नकलता ह क व दक यगीन समाज रा य और राजत का अतर समझता था इसी वचारधारा का द दशन हम यरोपीय वचारधारा म होता ह िजसका तपादन बो डन न कया ह इसी वचारधारा को सो और हगल न शा ीय ढग स तत कया ह

वा तव म व दक रा कई कट ब कबील और वश स मलकर बना था इसस ात होता ह क उपरो त व णत वग समाज क व भ न व भ न अग थ इस लए व दक

रा य क क त पव व दक काल म जा त सगठन (Tribal) स सब धत थी एक ल ब समय तक इस रा य क कोई भौगो लक सीमाए नह थी कवल आ द वद काल म रा य क भौगो लक सीमाए नधा रत ह ई और हम ऐस कई वणन ा त होत ह क व भ न कबील न दश क व भ न दश म नवास करना श कया इस लए द ल क सीमावत दश और उ तर दश क ऊपर दश म क और पाचाल जनपद क थापना हई िजनक नाम उस समय क स य वश क नाम पर ह य

एक रा य क राजन तक स ता का एक भौगो लक सीमा म होना और इसक शास नक यव था का अ धकार कसी दसर को दन का वणन ा त होता ह रा य क शास नक यव था हत जा स धन लया जाता था जो यि त यह धन हमशा दत रहत थ

व सामािजक त व को एक स म बाधन का काय करत थ यह काय व न कवल अपन काय वारा वरन रा य क धन क सहायता स भी करत थ (एल ाड फारमशन आफ वी टट य जस 1968) ाचीन भारतीय सा ह य स हम ात होता ह क रा य को

शि तशाल बनान हत िजन थाओ और य का वचा रक ावधान कया (गया ह पर त उनस हम रा य क प रभाषा का वा त वक ान न तो हम ा मण थ स और न ह नयम क थ या न धम स स होता ह यह इस कारण स हआ क उस समय तक रा य क

वा त वक वशष गण क ान क पि ट नह हो सक थी इसका वा त वक ान उस समय हआ जब मगध और कौशल जस ससग ठत रा य का उदय हआ इन रा य न अपनी अ त र त आय स म य गगा घाट क काया पलट क इसी कारण स सव थम कौ ट य क अथ शा म रा य क प रभाषा काश म आई कौ ट य न रा य को सात त व स बना हआ बताया ह िजसको उसन स ताग नाम दया ह जहा तक रा य क वा त वक और उ चत क त क ान का स बध ह तो को ट य क स ताग म वामी (राजा) अमा य (अ धकार गण) जनपद (जनता और भौगो लक सीमा) दग ( कल) कोष (धन) दड (दड दन क शि त) और भ न (सहायक) का समावश होता ह यह ऐसी वचारधारा ह जस इसका तपादन दवदत न कया ह कौ ट य क प रभाषा म वामी यान राजा को असी मत

शि तया दान क ह िजसस हम उस समय क मौय शासन का ान होता ह क उस समय राजा एक अ यत शि तशाल अ धकार था

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पव मौयकाल म राजन तक अ यव था क कारण राजत म दड क मह ता बढ़ गई मन और शाि त पव दोन न रा य शि त योग क मह ता को वीकार कया ह मन दड को ह वा त वक राजा नता और शास नक अ धकार मानत ह उनका कथन ह क दड वारा ह जनता पर शासन कया जा सकता ह दड स ह जनता को सर ा दान क जा

सकती ह और धम क र ा भी इसी स होती ह (मन VIImdash1) शाि त पव म भी मन वारा तपा दत दड क वचारधारा का द दशन होता ह उसम व णत ह क यक य क

लए दड क शि त आव यक ह य क इसक बना न तो वह वय और न उसक जा सखी जीवन यतीत कर सकती ह (शाि तपव 1414) इसक अ त र त हम इस त य स भल भा त प र चत ह क कस कार ज ब वीप ौनका वीप शक वीप भ ा व तथा अ य थान पर नय ण कवल दड वारा ह सभव हो सका था (शाि तपव 1421mdash25) ार भक ग तकाल म या व य वारा र चत कानन क थ म रा य क सात त व क

गणना क प चात दड का मख थान ह इसम व णत ह क रा य क सात त व क ाि त क प चात राजा क दड का उपयोग द ट को दड दन हत करना चा हए य क ाचीन काल म धम क उ पि त म वारा दड क प म ह ई

पव मौय और पव ग तकाल म बा य आ मण और आत रक व ोह क फल व प अराजक त व को अशाि त फलान का अवसर मला इन प रि थ तय म रा य क क त म प रवतन हआ िजसका कौ ट य न भल भा त वणन नह कया ह कवल एक थान पर कौ ट य न इस प रि थ त का अनभव कया और उसन लखा क एक गभीर अराजकता स बाक बच ह ए त व न ट हो जात ह (अथशा VIII) उसका फर यह वचार ह क रा य का सचा प म सचालन राजा क कायकशलता पर नभर होता ह चाह रा य म कछ त व अशाि त पदा कर रह ह परत मन न प ट प स रा य क सम त त व क आपस म सम वय क बात कह ह वा तव म मन और शाि त पव दोन म रा य म सि म लत त व को रा य क व भ न अग क समान माना ह (मन IX294) शाि त पव 6963) कमडक म रा य क क त पर वशष काश डाला ह उसम व णत ह क य द एक अग दोषपण ह तो यह सम त रा य क सचालन क लए खतर क समान ह इस लए उस दोषपण अग को शी ह ठ क करना चा हए (मन IV2) रा य क क त का प ट वणन हम श क थ स होता ह उसम रा य क व भ न अग क शर र क अग स स दर तलना क गई ह (श 162)

इस कार ाचीन भारत म रा य क क त य ह नह वरन उस समय म होन वाल ऐ तहा सक घटनाओ क भी प रचायक ह हमार इस सम त अ ययन म यह बताया गया ह क रा य क उ पि त समाज क भलाई क लए ह ई और रा य स ह समाज म शाि त और सम का वातावरण पदा होता ह चाह ार भक वद काल न कबीला रा य हो या पव व दक काल और बौ यगीन भौगो लक सीमा वाला रा य हो या मौयकाल न अ त ससग ठत क य रा य हो इन सभी का उ य कवल जा हत था वा तव म य य प मौय राजा न वय एक अप र मत शि त हण क पर त उसन भी रा य को एक जा क हत वाल स था क प म

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रखा जब रा य म राजन तक अि थरता का वातावरण बा य आ मण क कारण स हआ तब राजा न दड का बल उपयोग कया परत इस समय म भी रा य क सगठन को सात त व को मखता दत ह ए एक स म बाधन का य न कया गया िजसका तपादन बाद म कौ ट य न भी कया

स प म यह कहा जा सकता ह क ाचीन भारत म रा य क क त रा य क वा त वक घटनाच स भा वत ह ई और उसम वचा रक आदश का थान नह रहा ाचीन भारत म कबीला रा य िजसका म य क त य अपनी जा क सर ा क लए य करना था स बाद म बौ यग म भौगो लक प र ध वाल रा य क प म प र णत हो गया इसक प चात मौय यग म इसक शि त म यापक व तार हआ इस समय रा य का सात अग क स म ण स होना माना गया यह स ताग आग चलकर एक आदश माना गया और पव मौयकाल म च लत राजन तक अि थरता क यग म भी स ताग स ात का मह व कम नह हआ

यक यग म रा य को धम का र क माना गया ह रा य आव यकनसार दड का उपयोग पव मौयकाल म जसी राजन तक अि थरता ऐस समय म कर सकता ह यहा पर यह बता दना उ चत होगा क धम क र ा एव उ न त हत िजसम वणा म का भी समावश होता ह उस समय रा य न दड दन क कई नयम बनाए िजसस न न वग क लोग का काफ अ हत हआ और िजसस सामािजक अ याय क सभावनाए बढ़ ग

स प म ाचीन भारत म रा य क क त क वषय म न न ल खत त व का समावश होता ह

(अ) सव थम ऋगवद काल म रा य क क त एक कबीला रा य क प म थी इस रा य म कवल कछ कट ब का वश पर परागत होन क नात स बध था उस समय रा य का म य क त य दवताओ क प म असर स य करक उन पर वजय पाना था

(ब) पव व दक काल क अ तम समय म रा य क क त भौगो लक हो गई और रा य क सीमाए नधा रत हो गई इस काल म भी ा मण थ म व णत जसी राजत स था का उदय नह हआ

47 साराश उपरो त व णत रा य क उ प त और उसक क त का स प म इस कार वणन कया जा सकता ह mdash (1) ाचीन भारतीय क कोई राजन तक वचारधारा नह थी उ ह न आव यकतानसार

राजत को ज म दया (2) हमार इस वषय क अ ययन क ोत बखर ह ई अव था म ह उस समय क

राजत क अ ययन हत ा मण थो क अ त र त बौ तथा अ य था का बड़ी सावधानीपवक का अ ययन करना पड़ता ह

(3) ाचीन भारत म रा य क उ पि त का वा त वक ान हम ऐ तहा सक ि टकोण को यान म रख कर करना पड़गा इस लए यह जानना बहत ह आव यक ह क बौ

यग क राजन तक अव था म राजा का या थान था

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(4) ाचीन भारत म रा य क उ पि त क स बध म च लत वचारधाराए वा तव म राजत या राज व क उ पि त क वचारधाराए ह इस कार रा य क उ पि त क दो मख स ात ह सामािजक समझौत वाला स ात और द वक उ पि त वाला स ात

(5) म य गगा घाट म कौशल और मगध रा य क उदय क प चात ह रा य का वा त वक प काश म आया िजसका थम वणन मौय यग म कौ ट य न कया उसन रा य को सात अग (स ताग ) स न मत बताया ह

(6) बौ और ा मण थ म वणन क भ नता इस कारण स ह क इनका सपादन व भ न व भ न काल म हआ य सदभ कसी न कसी प म उस यग क अव था का ान दत ह

(7) ार भक काल स ह रा य को सामािजक हत काय क लए माना जाता था इसका मख क त य शाि त था पत करना और समाज म सम उ प न करना था

(8) ऐ तहा सक वातावरण का भाव उस समय क राजनी त पर पड़ा यह राजन तक वचारधारा स स ब धत नह था

(9) इस कार ाचीन भारत म कबील रा य का प रवतन भौगो लक सीमा वाल रा य म हआ इसक प चात मौय यग म रा य क शि तय म यापक व तार हआ इस समय भी रा य धम का सर क माना जाता था और जन हत काय उसका मख क त य था रा य क वा त वक क त का दशन हम अशोक क रा यकाल स होता ह

(10) रा य का अराजकता क समय दड का योग करना उ चत था िजस कार दड का उपयोग धम क सर ा हत पव मौय काल म कया गया

(11) रा य क धम क सर ा िजसम वणा म भी सि म लत था क लए दड क यव था क तथा इस दड यव था स न न जा त वग को हा न ह ई इस यव था स इन वग को सामािजक याय ा त करन म क ठनाइय क सभावना बढ़ गई

(12) िजस समय राजन तक अराजकता का वातावरण उ प न हआ उस समय रा य क व प म प रवतन हआ इस कार रा य एक कायशील स था मानी जाती थी

िजसम स त अग क बह त मह ता थी यह वचारधारा मौय क वचारधारा स भ न थी िजसम राजा को रा य क अ य सम त त व स उ च माना गया ह

48 अ यासाथ न न स1 ाचीन भारतीय रा य क उ पि त स सब धत ोत को बताइए (150 श द म) न स2 ाचीन भारत म रा य क उ पि त वषयक स ात कौन कौन स ह

49 पठनीय ास गक थ 1 एएस अ तकरmdash टट ए ड गवनम ट इन एन शय ट इि डया वाराणसी 1958 2 बनी सादmdashद टट इन एन शय ट इि डया इलाहाबाद 1928 3 चा स डकमअरmdash कग शप ए ड क य नट इन अल इि डया कल फो नया 1962

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4 एचएन स हाmdash सावर नट इन एन शय ट इि डया ल दन 1936 5 क पी जायसवालmdash ह द पा लट कलक ता 1924 6 आरएस शमाmdashएसप स आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड इ सट यशन इन एन शय ट

इि डया द ल 1968 7 रोमीला थापरmdash ाम लाइनज ट टट mdash आ सफोड यनीव सट स 1984 8 आरक चौधर mdash को ट याज़ पा ल टकल आइ डयाज़ ए ड इ सट यशन वाराणसी 1971 9 कमलश भार वाज मख म तय म राजनी तक व व धक वचार (मन या व कय

नारद का यायन बह प त) पीएचडी थी सस 10 यएन घोषालmdashए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज़ कलक ता 1923 11 वीपी वमाmdash टडीज इन ह द पा ल टकल थाट ए ड इ स मटा फ़िज़कल

फाउ डश सवाराणसी 1954

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इकाई 5 रा य क कार एव काय (Form and function of State)

इकाई क परखा उ य राजत क कार ndash

राजत गणत वरा य वरा य

यो य परय ठ वप रा य समथ रा य प ता नका राि का वरा य

सा ा य रा य क काय

1 जार ण 2 लोकक याण 3 अथ यव था पर नय ण 4 सामािजक यव था का नवाह व नयमन 5 याय क यव था 6 शास नक णाल का नवाह 7 पररा स ब ध का नवाह

सदभ थ अ यासाथ न

उ य mdash तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत बात क जानकार ा त कर सकोगmdash

1 ाचीन भारत म रा य क कार 2 राजत व गणत रा य का व प 3 रा य क व भ न काय 4 रा य वारा पररा स ब ध का नवाह (1) रा य क कार ाचीन भारतीय च तन क त न ध थ म न न ल खत कार क रा य का वणन मलता

ह राजत ाचीन भारत म म यत राजत ीय यव था थी पर त अ य कार क रा य भी पाय जात थ व दक काल म राजत ह मख शासन यव था थी और राजा का पद सबस

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अ धक स मा नत और सव च था रा य ह स य और धम का वतक था राजा ह कल नो चत कलाचार का वतक था कौ ट य क अथशा म भी राजा और रा य क बीच कोई अ तर नह कया ह य द रा य म कसी भी कार का दोष या अभाव होता था तो उसक लए राजा को दोषी समझा जाता था श नी त क अनसार आचरण का रक राजा ह ाचीन भारत म राजा ह स पण शासन क चालक शि त था पर त गणत क वकास क

साथ शासन का दसरा प भी सामन आया मोट प म राजा तीन कार क थ (1) व वत व स ताधार शासक िजनक अधीन छोट शासक न थ (2) दसर कार क शि तशाल

स ाट अ धप त महाराजा सावभौम व च वत राजा थ जो कसी न कसी कार क सा ा य क सव च शासक होत थ तीसर समह म व अधीन शासक रख जा सकत थ िज ह साम त म ड लक अथवा करद शासक कहा जाता था गणत ाचीन भारत म राजत क साथ साथ गणत भी थ ाचीन भारत म कवल एक यि त क हाथ म दवी स ता क थान पर बह लवाद राजनी तक अनशासन का मक प स वकास हआ का उ लख मलता ह ारि भक वद म तो कवल राजत का उ लख था क त उ तरmdashव दक काल म व भ न थान म भता (राज व) भग ह ई और जात ा मक शासन था पत हआ इन जाता क यव थाओ म एक नवा चत राजा होता था जो एक कार स

रा य का धान था व दक सा ह य म गण का नता साधारणतया गणप त कहलाता था कठ म रा य का अ य एक नवा चत राजा होता था शा य म भी एक नवा चत राजा होता था पतल (Patala) क स वधान म शासक एक राजा होता था िजस ीक लखक न मौरस (Moeres) कहा ह कछ रा य म शासन स ता राजकल म न हत थी पा णनी क अनसार गण क शासन स ता एक वग क सभी सद य म नह वरन शाह प रवार mdash राजकल क म खया म न हत थी ल छ व सघ म भी रा य का एक नवा चत अ य होता था जो सघ सभा क बठक म सभाप त रहता था और राजा क उपा ध धारण करता था महाभारत म भी गण का उ लख पाया जाता ह कौ ट य क अथशा म भी गण क अि त व को माना गया ह य य प जब तक अथशा क रचना ह ई तब तक गणरा य अतीत का अग बन चक थ ाचीन भारतीय सा ह य म अ य कार क रा य का उ लख भी मलता ह जस वरा य वरा य भौ य परम ठ जान रा य व रा य प ता नका राि का वरा य आ द

वरा य ारि भक राज वह न शासन को वरा य कहा गया ह क त यह अराजकता स भ न ि थ त ह यह उस ाथ मक अव था क योतक ह जब राजा नह था और राजा नय त करन क यव था समाज म नह आई थी इस अव था को सतयग क प म इ गत कया गया ह तथा य त कया गया ह क इसम सभी वmdashशा सत थ अत कसी कार क शासक क आव यकता न थी सब मलकर अपनी यव था करत थ शासन का कोई अ य नह होता था ऐतरय ा मण म व भ न कार क शासन क वग करण करन का यास कया ह व उस वग करण म वरा य का िज मलता ह वरा य अथवा वरा य ऋ वद क एक म म इस कार क रा य का उ लख मलता ह वरा य प त क लए बह त कशल यि तय क अप ा होती ह वरा य प त नी च व

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अमा य म च लत थी जायसवाल क अनसार स ध नद क महान क आसपास नी च ओर उसक ऊपर अमा य बसत थ इसी स ब ध म वाजपयी का कथन ह क पि चम म सौरा ह जो स भवत पहल सरा या वराट कहलाता होगा जो अ श होकर सराट या सरत बन गया होगा वराट का अथ वय काशवान व वय शासन करन वाला ह यह वहा क राजा क प वी थी और रा य वरा य कहलाता था भौ य mdash जाजन को भोजन आ द उपभोग क यव था जहा रा य वारा क जाती ह उस रा य को भौ य कहत ह वतमान काल म ऐस रा य को लोक क याणकार रा य कहत ह इस स ब ध म वाजपयी का मत ह क वदभ या बरार क राजा महाभारत क समय म कि तभोज कहलात थ इसस यह स होता ह क भोज द ण दश क राजाओ क उपा ध थी और उनका रा य भौ य कहलाता था परम ठ mdash अथववद म परम ठ श द का कई थान पर उ लख हआ ह परम ठ श द का अथ ह mdash परम अथवा ठ थान म रहन वाला जा पालन क ठ काय म नय त शासक ऐसा शासक जाजन वारा नय त होता ह और य द वह उ चत र त स शासन काय न कर तो उस शासक क थान स हटाया भी जा सकता ह ऐस रा य को पारम य रा य कहा गया ह व रा य mdash वह रा य जहा वशष ानी मन य रा य शासन का सचालन करत थ ऐस रा य का शासन ा मण अथवा धम ग ओ क हाथ म रहता था समथ रा य mdash वह रा य कहलाता था जहा शासन धनप त अथवा पजीप तय क हाथ म होता था जान रा य mdash ऐसा रा य जो जा क स म त स जा क भलाई क लए जा क त न धय वारा चलाया जाता ह जान रा य कहलाता ह

प ता नका mdash प ता नका ऐसा आनव शक नत व ह जो पवज स चला आया हो राि का mdash राि का स ता पय ऐस नत व स था जो आनव शक नह था अशोक क शलालख स प ट ह क राि का अराजक समदाय था ऐसा तीत होता ह क प ता नका व राि का भोजा शासन का ह वकत प था जहा शासक आनव शक आधार पर होन लग थ ववरा य mdash ववरा य स ता पय ह दो शासक का शासन पाटा क भा त भारत म भी दो

राजाओ वारा शा सत रा य थ सक दर क समय म पाटल रा य (आध नक स ध म) म पथक वश क दो राजाओ का सय त शासन था अथशा म भी ऐस रा य का उ लख ह ऐस रा य का स पात शायद इस कार हआ होगा जब दो भाईय अथवा उ तरा धका रय न रा य क वभाजन क बजाय स पण रा य पर शासन करना ह पस द कया हो पर त िजस कार एक यान म दो तलवार नह रह सकती उसी कार एक ह रा य म दो राजा भी मलकर ल ब समय तक नह रह सकत अथशा म ऐस रा य का समथन नह कया ह जन साधओ को ऐस रा य म रहन या जान का नषध कया ह ऐसी रा य शासन प त कसी अवि त म थी जहा ब द और अन व द रा य करत थ

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सा ा य mdash एक शि तशाल राजा अथवा रा य क अधीन कई रा य स मलकर सा ा य बनता ह और सा ा य क शासक को स ाट कहा जाता था ाचीन भारत म साम यवान राजा अपना सा ा य था पत करन क लए अ वमघ य करता था एक घोड़ा जाता था और उसक साथ सना चलती थी इसका अ भ ाय यह था क जहा व जात थ उसक शासक स ाट को कर दना वीकार कर ल और उसक करदाता साम त बन जाव अ यथा उ ह य करना पड़ता था वजयी राजा अपन को स ाट अथवा सावभौम कहता था और उसक अधीन राजा मा ड लक या करद बन जात थ शतपथ ा मण म कहा गया ह क अ वमघ य करक सब राजाओ का पराभव करन स सा ा य का नमाण होता ह डॉ जायसवाल न सा ा य प त को सावभौम और आ धप य स पराना बताया गया ह इसका कारण यह ह क सा ा य ऐस रा य का एक समह होता था जो कसी रा य को सव प र मानत थ आध नक श दावल म इस सघीय सा ा यशाह प त कह सकत ह सघा मक प क कारण यह एक राजा वाल प त स भ न था ऐतरय ा मण क अनसार पव क शासक सा ा य क लए अ भषक करात थ और मगध व यात सा ा य का क बना रा य सघ और सि म लत रा य mdash ाचीन भारत म रा य सघ तथा सि म लत रा य भी थ उ तर व दक काल म क mdashपाचाल न मलकर एक शासक क अधीन अपना सि म लत रा य कायम कया पा णनी क समय म क और मालव रा य अलगmdashअलग थ पर त महाभारत म बह धा इनका एक साथ ह उ लख मलता ह सक दर क आ मण का सामना करन क लए इ ह न दोन रा य का एक सघ बनाया था जो एक शता द तक कायम रहा सातवी शता द का वधन सा ा य भी एक कार का अ mdashसघ था इन अ mdashसघा मक सा ा य क अ त र त व भ न जन वारा भी अ सघ का नमाण कया गया राजाओ क अ mdashसघ का और भी नि चत माण आठवी शता द म रा कट राजा गो व द ततीय क इ तहास म मलता ह ाचीन भारत क रा य सघ आजकल क सघ रा य स सवथा भ न थ डा बनी साद क अनसार उ ह अ mdashसघ अथवा सि म लत रा य कहना अ धक उ चत होगा ाचीन भारतीय च तन क त न ध ोत मान जान वाल व भ न थ म उपय त कार क

रा य का उ लख मलता ह

रा य क काय ाचीन भारतीय च तन म रा य का काय अ तmdash यापक था रा य क काय म

कवल सर ा शा त यव था बनाय रखना ह नह वरन व भ न क याणकार ग त व धय को भी सि म लत कया गया था मानव क परम क याण को चार प षाथ क प म प रभा षत कया गया था यह भी य त कया गया क धम अथ व काम क वग क उपलि ध स ह मो स भव हो सकता था रा य का यह उ तरदा य व था क वह द ड क उ चत यव था कर और धम का पालन न करन वाल लोग को ऐसा करन क लए बा य कर

महाका य म इस धारणा म व वास य त कया गया क रा य मन य क सव च यय क ाि त का साधन ह उनक ि ट म यि त वय म यय था और उसका

आि मक वकास सामािजक जीवन का सव च यय था जा क चार प षाथ धम अथ

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काम तथा मो थापना करन को रा य क मह वपण दा य व म सि म लत कया ह चार प षाथ क स क राजक य कत य क प र ध इतनी यापक ह क यह जा क भौ तक न तक एव आ याि मक क याण क सम त आयाम को समा हत कर लती ह ाचीन भारतीय च तन म म यत रा य का क त य अ ा त (धन व भ म) क ाि त ा त का सर ण सर त का सव न व सव धत का स पा म वतरण वीकार कया गया ह

भी म न रा य क काय म ग तचर रखना राजदत नय त करना सवक को समय पर वतन व दान दना यि त पवक कर लना अ याय स जा का धन अपहरण न करना स जन प ष का स मान जा क हत का च तन ाचीन भवन क मर मत तथा जीण मि दर का उ ार द ड का धमmdashस मत योग करना कोष क व नगर क र ा का ब धन आ द का उ लख कया ह

ाचीन भारतीय च तन म रा य क अह त पवाद क त व प लस रा य क धारणा लोक य नह थी रा य क लोक क याणकार धारणा म व वास कया जाता था िजसम जनता क न तक भौ तक लौ कक व पारलौ कक क याण को रा य का योजन वीकार कया गया ह ाचीन भारतीय वचारक न रा य क उ य क त जो ि टकोण अपनाया वह सवथा यावहा रक व वतमान म च लत रा य क काय सबधी धारणाओ ( यि तवाद व समाजवाद) क सीमाओ स म त था रा य अपन अ नवाय काय श ओ स जा क र ा करना दश म शा त यव था कायम रखना आ द काय का नवहन तो करता ह था साथ ह जा क जी वकोपाजन क साधन व अ य लोकक याणकार ग त व धय को स प न करना

अपना परम दा य व समझता था व दक वा मय म रा य क काय का प ट वणन नह मलता क त य त बखर

ह ए वचार क अ ययन स ात होता ह क धम पालन शा त यव था सर ा और याय यव था क सचालन को रा य का आधारभत उ य समझा जाता था राजा को व ण जसा कानन और यव था का र क अथवा धत त होना चा हए उस धम एव न तकता को ो साहन तथा सर ण दान करना चा हए रा य को वहा क नवा सय क न तक

आ याि मक तथा भौ तक क याण क लए य न करना चा हय जा का सवागीण वकास रा य का म य यय माना जाता था ाचीन भारतीय सा ह य म धम अथ और काम को ो साहन दना रा य का मख दा य व माना गया ह

म त शा म रा य क दा य व म जाmdashर ण जाmdashरजन एव धम क अनसार सामािजक यव था क नवाह को मह वपण माना ह जाmdashरजन क प र ध म मन न रा य वारा स प न क जान वाल व भ न क याणकार ग त व धय को सि म लत कया ह

नी त शाख क त न ध थ अथशा म रा य क काय को अ य त व तत माना गया ह तथा जा क भौ तक सर ा व उसक लौ कक व पारलौ कक क याण क लए व भ न ग त व धया स प न करन को रा य क आव यक काय म वीकार कया गया ह इस कार कौ ट य वारा तपा दत रा य क काय क आयाम सामािजक न तक व आ थक सभी कार क ह

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श वारा तपा दत रा य भी लोक क याणकार रा य ह श नी त म रा य क काय को अ य त यापक माना गया ह थ म रा य क काय म भौ तक सर ा स लकर उसक जीवन क सामािजक आ थक व न तक प क यवि थत सचालन और जा क सवागीण उ न त क लए स य यास को सि म लत कया गया ह

व दक काल तथा बाद क काल म धम अथवा वणा म धम का यक वण तथा धम स पालन करवाना रा य का मख कत य था राजा इस बात का यास करत थ क वय धम का पालन कर तथा अपनी जा स भी धम का पालन कराव जो धम का पालन नह करत थ उ ह द ड दया जाता था य क रा य क कानन का धान आधार ह धम था

महाका य क वचारक इस बार म एकमत ह क रा य मन य क सव च यय क ाि त का साधन ह रा य का थम कत य धम वशष प स साधारण और वणा म धम

को ि थर रखना था रा य क इस काय को आ याि मक भावना स रत वचारक मन या व य न ह नह अ पत कौ ट य जस अ य लखक न राजनी त को लौ कक व यथाथवाद ि टकोण स भी समझन का यास कया कौ ट य न राजा का धान कत य जा का योगmdash म (क याण) करना माना ह या व य म त म भी इसी वचार को

अ भ य त कया गया ह कौ ट य क रा य का अ तmdash यापक था और रा य आ थक क याण क अनक काय करता था इसी आधार पर कछ लखक न कहा ह क कौ ट य वारा व णत रा य समाजवाद रा य था

ाचीन भारतीय च तन म य द रा य क काय को प रग णत कया जाय तो उनका न न ल खत शीषक क अ तगत ववचन कया जा सकता ह

1 जा र ण 2 लोक क याण 3 अथ यव था पर नय ण 4 सामािजक यव था का नवाह व नयमन 5 याय क यव था 6 शास नक णाल का नवाह 7 परmdashरा स ब ध का नवाह

जाmdashर ण

जनता क र ा करना रा य का ाचीन काल म भी आज क भा त सबस मख कत य था इसम रा य म शा त व यव था बनाय रखन क साथmdashसाथ दश क सर ा भी सि म लत थी मन म त म व तत जाmdashर ण को ह रा य क उ पि त का मल आधार वीकार कया गया ह थ म कहा गया ह क यि तय क जीवन म म य याय क

ि थ त क तकार हत मा वारा रा य क रचना क गई जाmdashर ण को इस दा य व को मन म त म इतना मह वपण माना गया ह क जा क र ण को राजा क अि त व क र ा हत भी अ नवाय मान लया गया ह

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आ त रक ि ट स अपरा धय एव समाज कटक स जा क र ा क साथ ह बा यmdashआ मण स जा क र ा को मह वपण दा य व माना गया ह कौ ट य न भी सभी कार क आ त रक व बा य सकट स जा क र ा को रा य का दा य व माना ह

कौ ट य न जाmdashर ण क दा य व को मह वपण मानत ह ए ह शासन को यह परामश दया ह क वह यथाmdashसभव य स बचन का य न कर तथा आव यक होन पर दसर रा य स य तभी कर जब क जा क यनतम हा न होन क आशका हो

श नी तसार म भी राजा स अप ा क ह क वह वय धम क अधीन रहकर द ड क शि त क सम चत योग वारा द ट का न ह कर और स जन को सर ण दान कर

लोकmdashक याण

रा य क काय म जारजन और जा पालन को सभी ाचीन वचारक न आव यक माना ह जन क याण क काय म म यत क ष क उ न त उ योग को ो साहन श ा कलाओ को ो साहन यापार तथा वा ण य आ द का व नयमन आ द का वणन मलता ह

मन न जा क लए चार प षाथ (धम अथ काम व मो ) क थापना करन को रा य क मह वपण दा य व म सि म लत कया ह चार प षाथ क स क राजक य कत य क प र ध इतना यापक ह क वह जा क भौ तक न तक एव आ याि मक क याण क सम त आयाम को समा हत कर लती ह मन न शासक को परामश दया ह क वह समयmdashसमय पर जा क सख दख क जानकार ा त करता रह तथा व भ न कार क आव यकताओ क प त क समयब यव था करता रह

मन व कौ ट य न ा मण को राजक य अनदान कया जाना रा य का आव यक कत य माना ह ता क ा मण वग अपन जीवन नवाह क च ता स म त होकर अपनी सम त बौ क व आ याि मक शि तय का उपयोग स पण समाज क लौ कक और पारलौ कक क याण क लए च तनmdashमनन म कर सक ान क आदानmdash दान म बौ क काय म लग ह ए ा मण क जीवनmdash नवाह क यव था क लए रा य को उ तरदायी बनान का मन का आ ह यनानी वचारक अर त क इस वचार स समानता रखता ह क बौ क काय करन वाल यि तय को जीवन नवाह क काय स अवकाश दान कया जाना चा हए इस सबध म मन और अर त क ि टकोण म अ तर यह ह क जहा अर त बौ क वग को जीवन क नवाह क दर च ताओ स म त करन क लए दास था का समथन करता ह मन ब जीवी वग क जीवन नवाह क लए प टत रा य को उ तरदायी मानत ह मन न शासक को चतावनी द ह क य द रा य म वदmdashपाठ ा मण भख स दख पाता ह तो रा य शी ह न ट हो जाता ह

कौ ट य न व म हलाओ बालक और अनाथ क हरmdashस भव सहायता करन को रा य का दा य व माना ह रा य क लोक क याणकार ग त व धय क व तत सची म कौ ट य जन साधारण क लए मनोरजन आ द क यव था वन को साफ कर क ष क लए उपयोगी भ म क व तार रा य म सम चत सचाई क यव था अकाल बाढ़ व महामार क

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ि थ तय म जनता क सहायता क लए आव यक उपाय करन जनता क न तक उ थान क लए म यmdash नषध लाग करना जनता क आवागमन को स वधाजनक बनान क लए सड़क जल माग आ द का नमाण करवाना तथा न दय पर पल बनवाना आ द को रा य क दा य व म सि म लत कया ह

कौ ट य वारा तत रा य क ग त व धय क व तत सची स यह प ट ह क वह मन क भा त रा य को जा क क याण क त कवल स ाि तक प स ह नदश नह दता अ पत शासक स यह अप ा करता ह क वह व भ न वभाग का गठन कर जा क क याण क ग त व धय को नय मत प स सचा लत कर कौ ट य न अर त क भा त ह वतरणा मक याय को रा य का दा य व बनाकर रा य क लोकmdashक याणकार क त को भल mdashभा त प ट कया ह

श वारा तपा दत रा य भी लोकक याणकार रा य ह थ म रा य क काय म जा क भौ तक सर ा स लकर उसक जीवन क सामािजक आ थक व न तक प क यवि थत सचालन और जा क सवागीण उ न त क लए स य यास को सि म लत कया गया ह श न रा य क क त य क आठ मख का उ लख कया ह

द ट का न ह जा क सर ा दान जा का प रपालन आ द स प न करना यायपवक कोष का अजन कर वसल करना श ओ का मानmdashमदन करना तथा नर तर भ म

का अजन करना श नी त म शासक को अनक कार क क याणकार काय को स प न करन का नदश दया गया ह श न शासक स अप ा क ह क वह म दर तथा उ यान बनान क लए जा को बना कर लए ह ए भ म का आवटन कर

श न शासक स राजधानी म कआ बावड़ी सरोवर उ यान म दर और धमशाला आ द क नमाण क यव था करन क अप ा क ह रा य क काय म जारजन और जापालन को सभी वचारक न आव यक बताया ह जनmdashक याण क काय म इ ह म य

समझा जा सकता ह mdash क ष क उ न त उ योग को ो साहन श ा कलाओ को ो साहन यापार तथा वा ण य आ द का व नयमन

अथmdash यव था पर नय ण

मन न यि त क जीवन म अथ को मह वपण थान दान कया ह तथा जा क भौ तक और आ थक उ न त को स नि चत करना रा य का कत य माना ह मन न राजा स यह अप ा क ह क जा स यायपवक कर हण कर तथा स पि त व सम क अ य साधन क र ा क त जा को आ व त कर मन न रा य क स ढ़ आ थक यव था क हत म शासक को जा स उसक साम य क अनसार कर लन तथा जा पर कर का अनाव यक भार न डालन का परामश दया ह मन न यापा रय क हत क र ा क त कय जा सकन वाल आ थक अपराध (यथा मलावट अ धक म य लना कम तोलना आ द) स जा क र ा कर

कौ ट य न रा य स यह अप ा क ह क वह अथ यव था को इस कार नय त और सचा लत कर क समाज म साधन का अ य धक क यकरण न हो और जनता क सभी

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वग क आ थक हत सर त रह कौ ट य न राजा स ऐसी करmdash यव था को अपनान क अप ा क ह िजसस क यापा रय म उ पादन क रणा भी बनी रह तथा व अन चत लाभ भी ा त न कर सक इसी कार कौ ट य न राजा को यह परामश दया ह क वह सम चत उपाय क वारा यह नर तर दखता रह क यापा रय और यावसा यक वारा जा का कसी भी कार स शोषण न कया जा सक

कौ ट य न क ष क उ न त और कषक क दशा म सधार को रा य का दा य व माना ह कौ ट य क अनसार रा य को सचाई क सम चत यव था करनी चा हय तथा कषक क आव यकता क अनसार उ ह पश बीज धन आ द क सहायता दान करन क लए य न करना चा हय ाचीन भारतीय राजmdashशाि य न रा य क त यि तवाद ि टकोण नह अपनाया उ ह न आ थक म अह त पवाद स ा त का कभी भी समथन नह कया सावज नक प स रा य को अनक कार क काय करन चा हय यह वचार मन कौ ट य आ द आचाय क मह वपण थ म मलता ह श न भी अथ यव था का नयमन करन को रा य का आव यक दा य व बताया ह सभी ाचीन थ म राजा को रा य क सर ण हत उपज का एक नधा रत भाग कर क प म लन का अ धकार था क त कर आय क अन प व याय स मत होना चा हय मन न मन म त म व भी म न महाभारत म कर कस ा त कया जाय इसका भी उ लख कया ह जस जोक बछड़ा एव मर अपनmdashअपन खा य मश र त द ध एव मध को थोड़ाmdashथोड़ा हण करता ह उसी कार राजा को कर धीरmdashधीर हण करना चा हय तथा जा पर कर का अ य धक भार नह डालना चा हय कर वसल करन वाल तथा कोषा य आ द अनक अ धका रय क नाम ाचीन राजनी तक सा ह य म मलत ह

सामािजक यव था का नवाह व नयमन

ाचीन भारतीय राजनी तक च तन म सामािजक यव था का नवाह व नयमन भी रा य का दा य व माना गया ह रा य स यह अप ा क गई ह क वह समाज म यक वण क सद य वारा उसक नधा रत कत य क पालन को स नि चत कर

मन म त म धम को स पण सामािजक यव था का आधार माना गया ह थ म यि तय वारा वधम पालन को आव यक माना गया ह य क इसी क मा यम स समाज म धम क स थापना व वण यव था का नवाह हो सकगा मन न रा य का यह मख दा य व माना ह क वह द ड क बा यकार शि त क मा यम स समाज म सम त यि तय को वधम पालन हत बा य कर िजसस समाज क वण सकरता स र ा क जा सक इस कार सम त वण एव आ म क र ा को भी रा य क आव यक दा य व क प म वीकार कया गया ह

कौ ट य सामािजक सगठन क स ा त तथा समाज क व भ न वग क म य स ब ध क सचालन म रा य क भ मका को व नयमनकार मानत ह कौ ट य न रा य पर यह स नि चत करन का दा य व डाला ह क सामािजक यव था का नवाह वद और शा म वीकत वण व आ म यव था क अन प हो क त कौ ट य न रा य को सामािजक यव था क सबध म नयम का तपादन करन अथवा व भ न वग क कत य क अपनी

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इ छा स या या करन क शि त दान नह क ह कौ ट य न राजा स यह स नि चत करन क अप ा क ह क व भ न वण क सद य और व भ न आ म म ि थत यि त अपन कत य और मयादाओ का पालन करत रह सामािजक जीवन क व भ न प तथा व भ न वण क आपसी सबध तथा ववाह आ द को कौ ट य न रा य क व ध वारा व नय मत और सचा लत कया जाना आव यक माना ह यह कारण ह क कौ ट य न अथशा म ववाह धम ी और प ष क पार प रक कत य आ द पर व तार स काश डाला ह

श न रा य क सामािजक दा य व का मन क भा त व तत ववचन तो नह कया ह तथा प उ ह न यह प ट कया ह क सामािजक यव था का नयमन और सामािजक जीवन म धम और न तक म य क त ठा करना श क अनसार रा य का दा य व ह

याय क यव था

मन म त म याय को रा य क सवा धक मह वपण कत य क प म च त कया गया ह रा य क उ पि त क सग म मन न सकत दया ह क नी त एव धम पर आधा रत याय को म य याय क तलना म ति ठत करना रा य का परम कत य ह

मन क अनसार रा य अपनी दाि डक शि त क योग वारा सम त यि तय को उनक कत यmdashपालन म सल न रखता ह एव उनक वारा आचरण क मयादाओ क उ लघन को रोकता ह मन क अनसार यह रा य क द ड क भय का ह प रणाम ह क सम त यि त अपनmdashअपन अ धकार का उपयोग करन म समथ होत ह और अपनmdashअपन कत य स वच लत नह होत मन क मा यता ह क य द रा य क वारा द ड का योग उ चत र त स एव वचारपवक कया जाता ह तो सम त नाग रक स न होत ह पर त इसक वपर त य द इसका यवहार अन चत र त स तथा लोभ या माद क आधार पर कया जाता ह तो इसक प रणाम वनाशकार होत ह मन यह वीकार करत ह क मन य म उ छखलता क वि त वाभा वक ह अत द ड का भय ह यि तय को याय और कत य क पथ पर ढ़

रख सकता ह मन क अनसार रा य इस दा य व क सम चत पालन क वारा सम त यि तय म

सर ा क भावना का सचार करता ह य क य द रा य अपन इस दा य व को नह नभाए तो शि तशाल लोग कमजोर लोग को आ ा त कर लग और समाज म उ चतmdashअन चत का भद समा त हो जाएगा तथा इस कार सव अ याय या त हो जायगा मन क अनसार रा य आचरण क धमmdashस मत मापद ड क अनपालन को स नि चत करक समाज म याय को ति ठत करता ह

कौ ट य न याय को रा य का अ नवाय दा य व माना ह कौ ट य क अनसार रा य क उ पि त क म य याय क थान पर औ च य और न तकता क आधार पर याय क थापना क लए ह ई ह कौ ट य न अर त क भा त याय क दो प वीकार कय ह mdash

(1) वतरणा मक याय (2) सधारा मक याय

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वतरणा मक याय mdash कौ ट य क मत म रा य का सकारा मक दा य व ह इस दा य व क प त क वारा रा य सह स नि चत करता ह क जा का कोई भी वग अभाव त नह हो तथा समाज म साधन का वतरण याय और औ च य क स ा त क अनसार हो

सधारा मक याय क अ तगत कौ ट य न रा य पर यह दा य व डाला ह क वह कानन क उ लघन वारा जा क अ धकार का अ त मण करन वाल यि तय को सम चत द ड दकर तथा जा क व भ न वग क म य कसी अ धकार क न पर मतभद या ववाद हो जान पर उसका सम चत नपटारा करक जा क अ धकार को सर ा दान कर

कौ ट य न रा य स यायपा लका को सग ठत व प दान करन क अप ा क ह तथा यह य त कया ह क या यक काय का स पादन था पत व ध और या क अनसार कया जाना उ चत ह कौ ट य क अनसार रा य याय को स नि चत करन क अपन दा य व क प त नह करता तो समाज म असर ा और आशका का बोलबाला हो जाता ह

कौ ट य न शासक को या यक शि त का अ य त सतकतापवक योग करन का परामश दया ह तथा चतावनी द ह क या यक शि त का द पयोग करन क ग भीर प रणाम हो सकत ह

मन और कौ ट य क भा त श क जा को याय दान करन को रा य का आव यक कत य मानत ह

श क अनसार रा य अपनी द डmdashशि त क योग क मा यम स जा क समाजmdashकटक स र ा करता ह तथा जा क अ धकार क सर ा करता ह कौ ट य क भा त श भी वतरणा मक याय को रा य का मख दा य व मानत ह और यह प ट करत ह क यायशील शासक जा को धम अथ व काम क वग स स प न करता ह

श न रा य स यायपा लका को सग ठत करन तथा या यक यव था को ऐसा व प दान करन क अप ा क ह क यायmdashकाय बना कसी प पात व रागmdash वष क

स प न ह

शास नक णाल का नवाह

ाचीन भारतीय च तन रा य क दा य व क प त क लए एक स म और सग ठत शास नक यव था को अ नवाय मानता ह मन न राजा को परामश दया ह क वह शासन यव था व कमचा रय तथा अ धका रय पर सम चत नय ण रख तथा यह स नि चत कर क रा य क कमचार जा क त दा य व का न ठापवक पालन करत रह व शि तय क द पयोग वारा जा को पी ड़त न कर

कौ ट य क मा यता ह क रा य अपन यापक दा य व क प त तभी कर सकता ह जब क वह एक सम शास नक णाल क थापना कर कौ ट य न रा य स ववकmdashस मत और यावहा रक आधार पर व भ न वभाग का सगठन करन तथा उ चत स या म सयो य अ धका रय व कमचा रय क नयि त करन क अप ा क ह

कौ ट य का मत ह क सम चत नय ण क बना कमचार व अ धकार अपनी शि तय का द पयोग कर सकत ह और जा को पी ड़त कर सकत ह इस लए कौ ट य न

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रा य को राजक य कमचा रय पर भल भा त नय ण रखन तथा यह स नि चत करन क लए उ तरदायी माना ह क अ धका रय व कमचा रय वारा जा का शोषण नह कया जा सक

रा य क दा य व को परा करन क लए श न एक स ढ़ शास नक यव था क आव यकता पर बल दया ह श न रा य स शासन को यावहा रक और ववकmdashस मत आधार पर सग ठत करन क अप ा क ह तथा यह प ट कया ह क शासन को नर तर सजग रह कर यह दखत रहना चा हय क व भ न शास नक अ धकार व कमचार अपन दा य व को भल mdashभा त परा करत रह तथा कसी भी कार जा को पी ड़त न कर श न राजा स अप ा क ह क वह शास नक कमचा रय क हत का भी भल mdashभा त सर ण कर स भवत श थम भारतीय वचारक ह िज ह न शासन क आ त रक प कमचा रय क वतन वतनमान पदो न त भ व य न ध प शन अवकाश आ द क सबध म रा य स स नि चत और कमचा रय क त लाभ द नी त बनान क अप ा क ह

परmdashरा स ब ध का नवाह

ाचीन भारत म अनक छोट रा य थ िजनक बीच अ तरा य स ब ध था पत थ बाद क काल म बड़ रा य और सा ा य भी अि त व म आय अ तरा य स ब ध का भी वकास हआ क त अ तरा य स ब ध को सचा लत करन वाल आधारभत स ा त वह व यमान ह ाचीन भारत म दत यव था य स ध आ द क सबध म अनक नयम वक सत थ साम दाम द ड भद षाड़गण नी त म डल स ा त आ द का वकास इस बात का माण था क ाचीन भारत म रा य क म य पर पर स ब ध का नवाह रा य का दा य व था यक रा य शि त सतलन बनाय रखना चाहता था ाचीन भारतीय च तन म य क लए न तक मापद ड नधा रत कय गय थ जब सभी राजन यक साधन mdash साम दाम भद तथा द ड असफल हो जाय तभी य का सहारा लना चा हय ाचीन भारत म कवल यायपण य क ह अनम त थी शा तपव क अनसार राजा म अ यायपण तर क स य क जीतन क लालसा नह होनी चा हय

मन न परmdashरा स ब ध क ववकपण सचालन को रा य क आव यक काय म सि म लत या ह मन क मा यता ह क अ तरा य स ब ध क सतकता पण सचालन वारा शासक जा को बाहर आ मण स सर त रख पाता ह मन क अनसार परmdashरा

स ब ध म शासक यि त और ववक क योग वारा यह स नि चत कर सकता ह क रा य को अनाव यक य म न उलझना पड़ मन न अ तरा य स ब ध क सचालन क लए एक स ाि तक परखा तत क ह तथा शासक को इस सबध म म डल स ा त षड़गण नी त तथा उपाय का ववकmdashस मत पालन करन क लए न द ट कया ह

कौ ट य न परmdashरा स ब ध क कशल सचालन को रा य क मख दा य व म माना ह कौ ट य क अनसार य द अ तरा य स ब ध क सचालन म शासक कशलता और दरद शता का प रचय नह दगा तो रा य क सर ा क सम ग भीर सकट उपि थत होगा कौ ट य न शासक को परामश दया ह क वह अ तरा य स ब ध म य या शा त का नणय सदव इस बात को यान म रखत ह ए कर क जा का क याण और उसक सर ा क सव प र

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ह इसी कारण कौ ट य न राजा को परामश दया ह क वह अनाव यक य स बचन का य न कर य क य म जा को हा न क आशका होती ह

श न यह वीकार कया ह क रा य को आव यक प स अ य रा य स स ब ध बनान पड़त ह तथा उनका नवाह करना होता ह श न रा य स अप ा क ह क वह परmdashरा स ब ध को इस कार सचा लत कर क रा य हत क सवा धक प त हो तथा जा क क याण व सर ा क अ धका धक सर त कया जा सक श न राजा को परामश दया ह क वह अ तरा य स ब ध का कशलतापवक सचालन करक रा य को अनाव यक य और टकराव स बचाय अ तरा य स ब ध क ववकपण नधारण और सचालन क लए श न कौ ट य और मन क भा त ह शासक स कछ स ात और नयम क अधीन रहकर नणय करन क अप ा क ह इन नयम म श न रा य क वग करण क स ाि तक आधार षडगण नी त और उपाय को सि म लत कया ह

अ तकर का मत ह क ाचीन भारत म रा य समाज का क और उसक क याण का म य साधन माना जाता था और इस लए ह उस यापक कायmdash ा त था ाचीन भारतीय च तन म रा य को यापक अ धकार इस लए नह दय थ क व यि तगत वत ता का मह व नह समझत थ वरन इस लए क व जानत थ क रा य ह व वध हत का सम वय तथा पर पर वरोधी वाथ का सामज य करक समाज का सबस अ छा स मान कर सकता ह

स दभ थ 1 डॉ मधकर याम चतवद ाचीन भारत म रा य यव था 2 रामशरण शमा ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाय 3 बीए सालटोर एि शय ट इि डयन पा ल टकल थॉट ए ड इ ट यश स 4 बनी साद योर ऑफ गवनमट इन एि शय ट इि डया 5 एन सी ब थयोपा याय डवलपमट ऑफ ह द पॉ लट ए ड पॉ ल टकल योर ज 6 यएन घोषाल ए ह ऑफ इि डयन पॉ ल टकल आइ डयाज 7 परमा मा शरण ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाय 8 एएस अ तकर ाचीन भारतीय शासन प त 9 ाचीन भारत गौतम एव डा कमलश शमा 10 मख म तय म राजनी तक व काननी वचार डा० कमलश भार वाज पीएचडी थीसीस

राज थान व व व यालय जयपर

अ यासाथmdash न 1 ाचीन भारतीय च तन म रा य क काय पर काश डालत ह ए उसक व प को प ट

क िजय (150 श द) 2 या आप इस मत स सहमत ह क ाचीन भारतीय रा य एक लोकmdashक याणकार रा य

था (200 श द)

100

3 ाचीन भारतीय च तन म उ ल खत रा य क कार पर काश डा लय (500 श द)

101

इकाई mdash 6 ाचीन भारत म जनपद व प और सगठन

इकाई क परखा 60 उ य 61 तावना 62 जनपद अवधारणा 63 जनपद ऐ तहा सक वकास 64 सगठन और यव था 65 साराश 66 अ यासाथ न 67 ास गक पठनीय थ

60 उ य ाचीन भारत क राजनी तक स थाओ म जनपद का अ य धक मह व ह ाचीन

भारत म रा य का ाथ मक प जनपद क मा यम स ह ात होता ह इस इकाई म हमारा उ य क ऐ तहा सक वकास और उसक कारण क ववचना करत ह ए उनक व प और सगठन क बार म स त क त मह वपण जानकार उपल ध कराना ह ता क ाचीन भारत क राजन तक चतन और स थाओ क ढाच म जनपद क ि थ त और उसक मह व को उभारा जा सक

61 तावना ाचीन भारतीय थ म रा य क स त क तय अथात सात अग का स यक

ववचन कया गया ह इन थ म यह क पना क गयी थी क रा य सात अग स य त एक ज वक इकाई ह िजसक ठ कmdashठ क सचालन क लए इन अग म पार प रक सम वय एव सहकार क भावना अ नवाय ह इन अग क आप क मह व क वषय म य य प पर पर वरोधी व त य व पन थ म ा त होत ह तथा प इस बात म सदह क कोई गजाइश नह ह क उनक बीच सतलन और सम वयन का स ा त सवमा य रहा ह य सात अग मश वामी आम य जनपद दग कोष द ड एव म बताय गय ह क तपय ोत म इनम स

कछ अग क लए अलग स ाय य त क गयी ह mdash उदाहरणाथ व णधमस तथा मन म त म जनपद क लए रा दग क लए पर तथा म क लए स दय स ा का योग कया गया ह तो गौतम धमस तथा या व य म त म जनपद क लए जन श द का योग कया गया ह रा य क इन सात अग म वामी एव अमा य क बाद जनपद अथवा जन अथवा रा का उ लख अस द ध प स उसक मह व क ओर सकत करता ह प ट ह क रा य क अवधारणा एव व प क कोई भी क पना जनपद क अभाव म नह क जा सकती क त इसक साथ ह साथ यहा पर यह भी प ट करना आव यक ह क रा य क यह अवधारणा राजनी तक चतन क एक नि चत तर तक क वकास का प रणाम ह जब क भारतीय रा य

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अपन स प ट आकार को ा त कर चक थ और भ म को अथ मानत ह ए उसक लाभ और पालन क उपाय का स यक ववचन करन क उ य स अथशा राजनी तक चतन का पड़ाव बन चका था अत यह वाभा वक ह था य द इस चतनmdashसारणी म जनपद को पया त मह व दया गया क त रा य क पmdash नमाण म जनपद क समा वि ट को पण प स समझन क लए हम ाचीन भारत क राजनी तक और सा क तक इ तहास क ार भmdash ब दओ को अपन ि टपथ म लाना होगा जहा स रा य क अवधारणा क ाचीनतम स त काल न ऐ तहा सक

प रि थ तय म धीरmdashधीर अपन आकारmdashव क लए य नशील होत जा रह थ रा य वारा अ ध हत भ म क लए य त जनपद श द अपनी वकास या ा म अनक उतारmdashचढ़ाव स गजरत ह ए परवत काल म कस कार राजनी तक एव शास नक इकाई क प म वय म ह रा य बनकर उभरा इसका ववचन ाचीन भारतीय राजनी तक पर पराओ एव ऐ तहा सक प रि थ तय क स दभ म जनपद क अवधारणा को समझ बना नह कया जा सकता और अधो ल खत पि तया इसी क त उ दद ट ह

62 जनपद अवधारणा एव व प जन और पद दो श द क सयोग स अदभत जनपद श द का अथ श दक हम क

अनसार कसी जन (अथवा जनसमह) क आ य भ म ह (जन य लोक य पद आ य थान य ) प ट ह क जनपद क अवधारणा म भmdashत व का ाधा य रहा ह और सभवत इसी कारण ाचीन भारतीय राजनी तशा क कई थ म जनपद और रा पर पर प रवतनीय श द क प म य त कय गय ह अमरकोश म तो जनपद रा दश और वषय का पयायवाची श द क प म उ लख मलता ह क त गहराई स दखन पर जनपद क एक पथक और व श ट अवधारणा हमार सामन आती ह िजसम जनपद का अथ जनजातीय ब ती क प म सक तत होता ह अथशा म प रभा षत जनपद श द स यह सकत मलता ह क इसम भmdashभाग और जनस या दोन का समावश ह क षयो य उवरा भ म प र मी कषक वग न न वण क लोग क अ धकता तथा राजा क त लोग क न ठा आ द ठ जनपद क आधार ह सोमदवस र कत नी तवा यामत क अनतमत जनपदmdashसग श म जनपद क प रभाषा अ य भmdashवाची श द क साथ दत ह ए उसका पाथ य भी न द ट कया गया ह इसक अनसार जहा पश धा य हर य आ द स पि तया सशो भत होती ह वह रा ह वामी को द ड और कोश क व म सहायता करन वाला दश होता ह व वध व तओ को दान कर वामी क घर (राजधानी) म हाथी और घोड़ जो ा त कराता ह वह वषय ह

सम त काय क दोहन स जो वामी क दय को भ षत करता ह वह मडल ह वणा म स य त थान अथवा धन का उ पि त थान जनपद ह (जन य वणा मल ण य यो प तवा पद थान म त जनपद) जनपद क इस प रभाषा म थम थान पर वणा म का उ लख यह इ गत करता ह क यह कवल भmdashवाची श द न होकर स यवि थत मानव समह का नवासmdash थल था िजसम धन क उ पि त वत ह होगी य क हम जानत ह क यव था स सम आती ह और सम क लाभmdashर ण क लए (राजनी तक) यव था अ नवाय होती ह

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यह कारण ह क ाचीन भारतीय सा ह य म राजनी तक ि ट स सग ठत उदाहरण बौ mdashजन सा ह य म उि ल खत सोलह महाजनपद ह जो उ तरव दक काल न जनपद क व तारmdash या क अगल कड़ी थ पा णनी न इसी अथ म जनपद श द का योग अपनी अ टा यायी म कया ह का शका म जनपद को ाम का समह बताया गया ह य य प उदाहरण तत करत समय जनmdashसमह क नवासmdashभ म का ह सकत दया गया ह यथा जहा पाचाल का नवास ह वह पाचाल जनपद ह इसी कार क म य अग वग मगध आ द जनपद इन नाम क जन क नवास क कारण ह इन नाम स स बो धत कए गए ह

जनपदmdashस पदा क अ तगत उ तम जनपद क गण का उ लख करत ह ए कौ ट य का कथन ह क जनपद क म य म अथवा कनार पर दग होना चा हए और वदशवा सय तथा वदश स आय ह ए लोग क खानmdashपान क लए वहा अनाज आ द का भरपर भडार होना चा हए जनपद क ि थ त ऐसी होनी चा हए क कोई वपि त आन पर पवत वन या दग म आ य लया जा सक जहा थोड़ ह प र म स अ न आ द उ प न होन क कारण जी वका सलभ हो जहा अपन राजा को श ओ क वष स बचान वाल यो य प ष रहत ह जहा साम त का दमन करन क साधन उपल ध ह जहा दलदल पाषाण ऊसर वषय थान चोर आ द कटक राजा क वरो धय का समदाय या आ द हसक ज त एव व य दश न हो जहा नद तालाब आ द क कारण भरपर सौ दय हो तथा जहा गाय भस आ द पशओ क चरन क यव था हो जो मानव जा त क लए हतकर हो जहा चोर डाकओ को अपना काम करन क स वधा न हो जहा गाय भस क अ धकता हो जहा अ नो पादन क लए कवल वषा का सहारा न रहकर नद बाध आ द का ब ध हो जहा जलmdashपथ और थलmdashपथ दोन क स वधा हो जहा बह त कार क म यवान और व वध यापा रक सामान मलत ह जहा क कषक कमठ ह जहा क वामी मख न ह और जहा न नवग क लोग अ धक स या म रहत ह (अथशा 61)

आचाय सोमदव स र न जनपद क गण का व तत ववचन कया ह उनक अनसार वह जनपद उ तम ह जो पर पर र ा करन वाला हो अथात जहा राजा दश क और दश राजा क र ा करता हो जो वण रजत ता लौह आ द धातओ एव ग धक नमक आ द ख नज

य क खान स तथा जो य एव हा थय स य त हो िजस क ाम क जनस या न बह त अ धक हो और न बह त कम जहा पर बह त स उ तम पदाथ व वध कार क अ न वण और यापा रय क यmdash व य यो य व तए ा त होती ह जो मघजल क अप ा स

र हत ह तथा मन य एव पशओ को सख दन वाला हो इन ववरण स प ट ह क ाचीन भारतीय राजनी तक ोत म जनपद क अवधारणा एक आ म नभर राजनी तक इकाई क प म क गयी थी िजसम एक नि चत भmdashभाग क अ तगत राजनी तकmdash शास नक सगठन वणानसार वभािजत जनस या क ष यापार उ योग आ द पर आधा रत स यवि थत अथmdashयव था तथा सा क तक म य क अन प जीवनmdashदशन और तर का समावश माना गया था जनपद क थापना तथा उसक र ा यव था पर गहन च तन अथशा महाभारत मन म त तथा श क नी तसार तथा सोमदवस र क नी तवा यामत म ा त होती ह क त

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उनक चचा करन स पव जनपद क ऐ तहा सक वकास पर एक ि ट डालना अ धक मह वपण होगा

63 जनपद ऐ तहा सक वकास जसा क पव म सकत कया जा चका ह जनपद का वकास पवव दक काल न

जनरा य तथा वरवत काल क रा य क पmdash नमाण क या क अ तगत आन वाला एक पड़ाव था िजसन भारतीय इ तहास क आर भ काल स ह व भ न सामािजकmdashराजन तक आ थक और ऐ तहा सक प रि थ तय क पार प रक अ त याऔ क प रणाम व प आकार हण कया था जनपद श द का सव थम उ लख ऐतरय ा मण (814) तथा शतपथ ा मण (134217) म ा त होन क कारण जनपदmdashकाल क ऊपर सीमा रखा इन ा मण थ क काल तक नधा रत क जाती ह िजस व टर न ज मोट तौर पर प हवी शती ईप वीकार करत ह तो काण दसवी शता द ईप स कछ पहल मानत ह वासदवशरण अ वाल क अनसार जनपद का ार भ अनमानत दसवी शती ईप म हआ होगा जनपद काल क अि तम सीमाmdashरखा लगभग पाचवी शता द ईप मानी जाती ह िजसक बाद मगध सा ा य क उदय तथा ईरानी व यनानी आ मण क प रणाम व प जनपद का अि त व लोप हो गया इस कार मोट तौर पर प हवी शता द ईप स लकर पाचवी शती ईप का काल जनपद काल कहा जाता ह और इस कालाव ध म जनपद क मक वकास क व भ न चरण का ान हम त काल न सा ह य स होता ह ाचीन भारत म रा य क उ पि त क वषय म वचार करत ह ए अ तकर न ऋ व दक सा य क आधार पर पवव दक काल क समाज को कट ब ज मन वश और जन क आधार पर सग ठत बताया ह पता क सव चता वीकार करन वाल पतस ता मक यव था वाल पव व दक समाज म एक ह पवज क वशज

का ाम ज मन कहा जाता था इस कार क कई ाम का समह वश होता था िजसका म खया वशmdashप त कहलाता था कई वश को मलाकर जन बनता था िजसक मख को जनप त या राजा कहा जाता था जन इस कार ऋ वदकाल न आय क समाज का सबस मह वपण सगठन था िजस कछ व वान न मोट तौर पर कबील क प म दखन का यास कया ह ऋ वद म भरत प स क व स जय अन ड़य आ द अनक जन क नामो लख ा त होत ह क षmdashकम स अप र चत य जन सचरणशील थ और उनक अथ यव था का म य आधार पशपालन था पशधन क व क लए यक जन अ य जन क साथ य करता रहता था और य म वजय क प चात ा त होन वाल लट क साम ी स अपन को सम करता था य म वजय अ य त आव यक थी य क न कवल उनम ाणर ा होती थी बि क वह जन क लए सम का भी एक ोत था वजय स नि चत

करन क लए स य शि त क अ त र त दव कपा क भी आव यकता होती थी िजस परो हत क सहायता क बना नह ा त कया जा सकता था इस कार धीरmdashधीर व दक समाज म दवmdashक य क लए जो आग चलकर य mdashक य और धमmdashक य बन गय म वग का अ यदय हआ जो काला तर म वण यव था क ढाच म ा मण वण बनकर उभरा इसी कार स यmdashकम म य त सल न रहन वाल लोग का वग परवत काल म य बन

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गया और शष स पण समाज वश म स व य और श वण का वभाजन पवव दक काल क अि तम दन म वण यव था क पणत अि त व म आ जान का प रणाम था िजसका थम प ट सकत प ष स त म दखन को मलता ह स पि तmdash ाि त वारा सम mdashव का

भौ तकवाद ि टकोण त काल न जीवनmdashदशन का मह वपण ब द था और च क य स पि त ाि त का एकमा ोत था इस लए इस जीवनmdashदशन क सभी आयाम य क क यता म वक सत ह ए इ इस काल का सवा धक मह वपण दवता था िजसक य यता और वजय क ववरण न ऋ वद म पया त थान ा त कर रखा ह इसक अ त र त व ण अि न म यम अि वन आ द अ य मह वपण दवता थ जो य ाराधन स स न होकर आराधक जन क वजय स नि चत कर सकत थ जन क पार प रक सि मलन क या भी इस काल म ार भ हो गयी थी जो कभी य म वजय क प रणाम व प होती थी तो कभी कसी सामा य श का सामना करन क लए प चातकाल न पचाल जन इस कार क सि मलन का सव थम उदाहरण था िजसम पाच जन mdashक व कि न स जव सोमक और तवश का सि मलन हआ था

ऋ वद काल क सवा धक मह वपण घटना थी mdash दाशरा य िजसम भारत क राजा सदास न प णी अथवा रावी नद क तट पर दस राजाओ क सघ को परािजत कया था और गहराई स दखन पर इस घटना क प ठभ म म ऋ व दककाल न जनरा य क जनपद रा य म वक सत होन क स छप ह ए दखाई दत ह य क उपल ध त य क काश म इस य का मख कारण जसा क कछ व वान का मानना ह प णी नद क धारा को मोड़ना था ता क

सचाई क लए जल ा त हो सक इसी कार इ वारा व क वध क जलधारा को म त करन क अथ म क गयी या या भी इस अनमान को बल दती ह क सभवत ऋ वद काल क अि तम दन स काफ पहल ह आय लोग का क ष स प रचय हो गया था और व सचरणशील जीवन छोड़कर ि थर जीवन यतीत करन क आका ी होन लग थ य क ि थर जीवन का ार भ जमीन स जड़ाव स श होता ह और जमीन स जड़ाव क ष कम स आय का पया त प रचय और क ष कम क यापकर यलन क सकत स इस अनमान क पि ट हो जाती ह क बदलती ह ई प रि थ तय म भ म क मह व स आयजन सप र चत हो गय थ और अब भ म उनक लए सम का एक मख ोत बन गयी अ धक स अ धक भ म ा त कर अ धक स अ धक सम होन क कामना भौ तक सख को म य मानन वाल वचारधारा म व वास रखन वाल लोग क लए एक वाभा वक बात थी और यह जनपद क वकास का ार भ ब द था भmdashचतना क वकास क प रणाम व प जन कल म वभािजत ह ए यक

कल का एक मख होता था उ तरव दक ोत और महाका य म कलधम का उ लख इस ओर प ट सकत करता ह इन कल म य और सर ा क कारण स यो ा समह का अ यदय हआ िजसन जनपद क थापना म मह वपण भ मका नभाई पा णनी क अ टा यायी म जनपद न श द का योग जनपद क य शासक क लए कया गया जो कल क स य समह का त न ध व करत थ िजसक यास स जनपद क थापना ह ई कसी भी जन क अ धकार म िजतनी भ म आयी उसी स उस जनपद क थापना ह ई इस

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कार सचरणशील जनरा य भौगो लक जनपदmdashरा य म प रव तत हो गय और जन क नाम स जनपद का नामकरण हआ एक स अ धक जन क सि मलन क ि थ त जनपद का नामकरण भावी जन क आधार पर कया गया य य प आग चलकर एक ि थ त यह भी आयी क कसी रा य क क थल क नाम क जनपद का अ भधान च लत हआ अत जहा उ तरव दक काल म पचाल क म य श व आ द जनपद क नाम मलत ह वह काशी कोसल मगध च द आ द जनपद क नाम भी परवत ोत म ा त होत ह

जनरा य स जनपद रा य क इस वकास क साथ ह उनक राजनी तक शास नक आ थक धा मक प म भी वाभा वक प स प रवतन हआ य क जनरा य स जनपद रा य का सरचना मक प पणत भ न होन क कारण उनका सचालन उसी यव था स नह हो सकता था िजनस जनरा य का सचालन होता था इन सगठना मक प रवतन क चचा आग क जायगी यहा पर मा धा मक प रवतन क और ह सकत करना पया त होगा िजनक मह वपण भ मका जनपद क वकास म रह पहल ह यह सकत कया जा चका ह क य म वजय पवकाल न आय क लए जीवन क सवा धक मह वपण उपलि ध थी य क इसस जीवनmdashर ण क साथ ह साथ उ ह लट क सपि त भी ा त होती थी और इस कार य उनक लए सम का ोत था यह सम म यत पशधन क प म थी वजय क लए स यmdashशि त क अ त र त दवकपा भी आव यक थी िजसक लए य का स पादन होता था य य प य क अ य उ य भी थ पव व दक काल म य प त अ य त सरल थी क त धीरmdashधीर य क प त म पया त ज टलताओ का समावश हो गया अब अ य त खच ल और द घकाल न स mdashय का ार भ हआ िजसक लए परो हत का एक व श ट वग उभरा िजसन स पण समाज को अपन भाव स आ छा दत कर दया अ धक स अ धक भ म ा त कर अपन रा य को अ धक स अ धक सम बनान क लए राजाओ को रत करन क

उ य स राजसय और अ वमघ जस य का चलन ार भ हआ और च वत तथा एकछ एकराट स ाट आ द राजनी तक आदश को ा त करन क मह वाका ा शासक वग म जा त क गयी िजसका प रणाम था जनपद का भौगो लक व तार और यह अकारण नह ह क उ तरव दक काल न व भ न जनपद क शासक वारा कए गए य और वजय क प रणाम व प ब काल तक आतmdashआत गगाघाट म कम स कम सोलह महाजनपद का वकास हम दखायी दता ह िजनक सची बौ थ अग तर नकाय म ा त होती ह य य प जन सा ह य प चीस महाजनपद का उ लख करता ह पराण क भवनकोश ववरण म लगभग 175 जनपद क सची ा त होती ह पा ण न का बोज स लकर अ मक और सौबीर स सरमास (असम म सम घाट ) तक फल ह ए जनपद का पण ववरण दान करत ह जनपद क महाजनपद म और फर महाजनपद क सा ा य प म वक सत होन क मह वका ा न ाचीन भारतीय इ तहास का जो प नमाण कया ह उसक पया त जानकार

ऐ तहा सक ोत स ा त होती ह और अ ततोग वा इस यास म मगध को सफलता मल िजसन अ य जनपद mdash महाजनपद को पराभत कर थम भारतीय सा ा य का प हण कया

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64 सगठन स बि धत ोत म जनपद क व प और सगठन क वषय म जो जानकार मलती

ह उसक आधार पर जनपद क सागठ नक अवयव क गणना न नवत क जा सकती हmdash (अ) पर अथवा राजधानी

पर अथवा राजधानी को जनपद का सवा धक मह वपण भाग बताया गया ह व तत यह जनपद का दय थल था जो चार और स सर ाmdash ब ध स य त मजबत सर ा भि तय वारा घरा होता था सर ा भि त क चार ओर चौड़ी और गहर जलय त खाई होती थी िजसम सप और घ ड़याल आ द होत थ कभीmdashकभी एक स अ धक सर ा भि तया पर क चार ओर होती थी एकप ण जातक वशाल क चार ओर तीन सर ा भ य क जानकार दता ह जो एक दसर स एक ल ग (लगभग 3 कमी) क दर पर थी

राजधानी म राजा रा या धका रय साम त तथा जनसामा य क लए आवास न मत होत थ राजधानी का एक म य वार तथा आव यकतानसार एका धक छोटmdashछोट वार होत थ िजन पर उ चत सर ा ब ध होता था बाजार तथा सड़क स नयोिजत प स बनाई जाती थी (ब) नि चत सीमाmdash

पर अथवा राजधानी क चार ओर ाम म वभािजत वशाल भmdash जनपद क नि चत सीमा का नधारण करता था रामायण म गगा क तट तक कोशल जनपद क सीमा बतायी गयी ह जनपद क स नि चत सीमाओ का उ लख पा णनी न भी कया ह का शका क अनसार एक जनपद क सीमाओ का नधारण अ य जनपद करत ह िजसका ता पय यह ह क यक जनपद रा य अ य जनपद रा य स घरा हआ था और इस कार यक जनपद का वाभा वक सीमाकन हो जाता ह (स) राजनी तक स थाय

जनपद क राजनी तक शि त य क हाथ म न हत होन क कारण जनसमह प टत दो वग म वभािजत था mdash राजनी तक अ धकार य त शास नक वग तथा जावग थम वग क लोग क लए पा णनी न जनपद न श द का योग कया ह िजसक या या

जनपद वा मन या क प म का शका वारा तत क गयी ह बौ सा ह य ल छ वय क ऐस 7707 राजाओ का उ लख करता ह जनरा य स सागठ नक एव सरचना मक आधार पर भ न होन क कारण जनरा यकाल न सभा और स म त जसी राजनी तक स थाय अ ास गक हो गयी थी और जहा स म त पौर तथा जानपद नामक दो सगठन वारा थाना त रत कर द गयी वह सभा का सरचना मक प रवतन हो गया अब सभा क तपय नि चत अहताओ वाल सद य का सगठन बन गयी िजसका काय था mdash राजत ीय जनपद म राजा को सलाह दना और उसक नरकशता पर सवधा नक अकश लगाना गणत ा मक जनपद म शास नक एव अ या धक सम याओ क समाधान ढढना तथा या यक काय का स पादन राजत ा मक जनपद म राजा और सभा क स ब ध राजा क यि त व

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एव शास नक वग पर उसक पकड़ पर एव वय पौरmdashजनपद क अपनी शि त पर आधा रत थ लोक य और शि तशाल राजा क स मख सभा अि त वह न सी हो जाती थी

पौर पर अथवा राजधानी क लोग का सगठन थी जो नगर य ब धन स स ब थी राजा क अनम त स मत यि तय क स पि त क दखmdashरख सावज नक तथा प व मारक का सर ण तथा राजधानी म शाि तmdashसम स स बि धत काय का सपादन पौर का उ तरदा य व था पर क अ त र त जनपद क अ य भाग क लोग का सगठन जानपद कहलाता था म यत यह ाम क त न धय का सगठन था जो राजा और जा क बीच क कड़ी का काम करता था य क ाम का शासन साम ी क वारा ह कया जाता था

रामायण महाभारत तथा अ य ोत म पौरmdashजनपद का योग साथmdashसाथ कया गया और उनक काय क गणना न नवत क गयी ह िजसस शासनmdash शासन म उनक मह व का सकत मलता ह mdash

यवराज क नयि त तथा भावी राजा का चयन रा या भषक क काय म भागीदार करना धान अमा य क नयि त म सहम त दना आ थक अन ठान तथा करmdash नधारण म सहम त दना राजा क साथ नर तर स पक रखना

(ज) जनस या जनपद क जनस या का राजनी तक तथा जनसाधारण वग का प ट वभाजन

स बि धत ोत म दखन को मलता ह जनस या म वणmdash वभाजन को लकर व वान म मतभद ह कौ ट य का कथन ह क राजा जनपद क अनसार राजधानी म अ धकाश जनस या आय क होनी चा हए एक अ य थान पर मन का कथन ह क िजस रा य म श तथा नाि तक क जनस या ा मण स अ धक होगी वह रा द भ एव अ य या धय स त होकर न ट हो जायगा व ण धम स रा म व य और श क अ धक जनस या का समथन करता ह (य) वात यmdashचतना

जनपद राजनी तक तथा सा क तक ि ट स पणतया वत एव आ म नभर इकाई था अपना एक अलग दवता व श ट बोलmdashचाल अपनी अलग तरह क शासनmdashस ता पथक र तmdashरवाज एव आ मmdashगौरव का भाव यक जनपद क व श टता थी जनपद क अपनी स भता एव वत ता थी िजस बनाय रखन क लए वह सतत य नशील रहता था महाभारत तथा अ टा यायी म व भ न जनपद क व श टताओ क उ लख ा त होत ह या क न र त म क बोज जनपद क लोग क भाषागत व श य का ववरण दया ह जनपद क जा का अपन रा य और राजा क साथ गहरा लगाव होता था और राजा क सखmdashदख क साथ व पर त मयता स जड़ रहत थ जनपद धम का अ य त मह व था और जनपद का यक यि त अपन नणय उसी क अनकलता म लता था अपन क कला और श प आ द का ान यि त को जनपद म व श ट स मान का पा बना दता था जनपद क वात यmdashचतना

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व तत एक साम हक वात यmdashचतना थी िजस बनाय रखन क ाणपण स च टा क जाती थी और िजसक कारण कसी जनपद क कला दशन सा ह य राजनी त एव अ य म त ठाmdashव सभव थी क त दसर ओर इसका एक नकारा मक प रणाम कभीmdashकभी जनपद क

अलगmdashथलग पड़ जान क प म भी दखायी दता था (र) भाषा और धम क एकमा

जनरा य भाषा और धमmdash यवहार क आधार पर एक दसर स अपना पाथ य था पत करत थ क त जनपद रा य क थापना स भ वशाल य वग अपनी भाषा और धमmdashयवहार क कारण जनसाधारण स पथक दखाई दता था क त धीरmdashधीर दोन वग क भाषा और धमmdash याओ म सम वय क या ार भ ह ई और अ तत यक जनपद न भाषा और धम क वीकत एक कत प म अपनी व श टता था पत कर ल भाषा और धम क एकता इस कार जनपद नमाण का कारण नह प रणाम बनकर हमार सामन आता ह

इन सागठ नक अवयव स सप ट जनपदmdashरा य का सचालन जनरा यकाल न यव था स नह हो सकता था अत जनपद रा य न अपनी राजनी तक शास नक आ थक एव अ य यव थाओ का वकास कया

जनपद रा य क राजनी तक शास नक यव था म सवा धक मह वपण त य था राजपद का वशानगत होना िजसक सकत ऐतरय ा मण और शतपथ ा मण म ा त होत ह िजसम राजस ता को एक दो या तीन तथा दस पी ढ़य तक सर त कय जान क स बताय गय ह जनपद क भ म पर राजा का अ धकार शतपथ ा मण क एक उ लख स स चत होता ह िजसक अनसार कल क अनम त स राजा भ म दान करन का दावा करत ह इस भ म का वामी होन क साथmdashसाथ राजा इस भ म पर बसन वाल चार वण क लोग का भी वामी हो जाता था क त त काल न सामािजक यव था म ा मण का वच व था पत हो

चक होन क कारण राजा ा मण का तो र क (बा मणौ ता) था क त शष जनता का भ क ( वशाम ता) कहा गया रा या भषक क समय दवताओ स राजा को अपनीmdashअपनी शि तय स य त करन क ाथना राजा क परवत काल न दवी प का पवmdashस समझी जा सकती ह राजपद क वशानगत होन क साथ ह साथ स ता क क करण क वि त भी जनपद काल म दखी जा सकती ह िजसक प रणाम व प सभाmdashस म त जसी पवकाल न स थाओ का अि त व तो समा त हो गया और पौरmdashजनपद जसी स थाय उभर क त उनक भ मका कवल परामशदा ी स थाओ तक ह रह गयी राजकाय म राजा क सहायता क लए प चा काल न म mdashप रषद क पवmdash प रि नन का उ लख उ तरव दक सा ह य म मलता ह िजनम परो हत ामीण सनानी भागदघ रथकार आ द क नामो लख स यह सकत मलता ह क जनपद रा य

म कम स कम राज व तथा शासन का कोई न कोई स नि चत त वक सत होन लगा था सनानी का उ लख एक थायी सना क ओर सकत करता ह तो भागदध ब ल आ द का उ लख एक राज व त आ द एक नय मत और थायी सना क बल पर ह जनपद का व तार और र ण सभव था इस लए सनानी का रि नन म अ य धक मह व था ामीण का पवकाल न मह व जनपद रा य म बना रहा य क जनपद क सरचना म ाम का

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मह वपण थान था जसा क पव म सकत कया जा चका ह जनपद क व तथा र ा क उपाय क चचा करत समय महाभारत जनपद क अतगत ाम क मह व पर काश डालता ह इसक अनसार जनपद क अ तगत एक दस बीस सौ तथा हजार ाम का अलगmdashअलग अ धप त होना चा हए ाम का अ धप त ामवा सय क वषय का और ाम म होन वाल अपराध का पण ववरण दस ाम क अ धप त क पास भज इस कार दस ाम का अ धप त बीस ाम क अ धप त क पास बीस ाम का अ धप त सौ ाम क अ धप त क पास सौ ाम का अ धप त हजार ाम क अ धप त को और हजार ाम का अ धप त वय राजा क स मख उपि थत होकर सभी ववरण तत कर इसी कार ाम क आय अ धप त अपन पास रखकर उसक नयत अश का वतन क प म उपभोग कर उसी म स वह दस ाम क अ धप त को भी नयत वतन द दस ाम का अ धप त बीस ाम क अ धप त को नयत वतन दान कर सौ ाम का अ धप त एक ाम क आय को नजी उपयोग म ला सकता ह हजार ाम का अ धप त एक शाखा नगर (क ब) क आय अ त अथवा सवण का उपयोग कर सकता ह इन अ धप तय क अ धकार म य स ब धी अथवा ाम क ब ध स ब धी सभी काय क दखभाल कसी आल यर हत धम म ी क वारा क जानी चा हए अथवा यक नगर म ऐसा एक अ धकार हो जो सभी काय का चतन और नर ण कर सक िजस कार कोई भयकर ह आकाश म न क ऊपर ि थत होकर प र मण करता ह उसी कार वह अ धकार उ चतम थान पर ति ठत होकर उन सभी सभासद आ द क नकट प र मण कर और ग तचर आ द क वारा उनक काय क पर ा करता रह जनपद र ण क वषय म मन क अनसार राजा दोmdashदो तीनmdashतीन पाचmdashपाच ाम क समह का एकmdashएक र क नय त कर अथवा एकmdashएक दसmdashदस सौmdashसौ या हजारmdashहजार ाम का र क नय त कर इन दो तीन या पाच ाम क र क क नयि त वतमान थान का सौ ाम क धान र क क नयि त तहसील या िजला और हजार ाम क र क क नयि त क म नर क तरह समझा जा सकता ह र णmdash यव था क तरह ह जनपद क राज व यव था का प समझा जा सकता ह िजसम सबस छोट इकाई ाम का व भ न उ चतर इकाइय स होत ह ए अ तत क य स ता तक सीधा स ब ध बना होता था

राजत ा मक शासन प त क अ त र त क तपय जनपद गणत ा मक प त स सचा लत थ ऐस जनपद म वि ज और म ल वशष प स उ लखनीय ह य य प कछ अ य गणmdashजनपद क नाम भी ऐ तहा सक ोत म मलत ह गणmdashजनपद म शासन का व प वक कत था िजसम गणप त सव च अ धकार होत ह ए भी यक वषय म गणmdash

समह वारा स थागार म वचारmdash वमश क वारा लए गए नणय को लाग कर सकता था गणmdashजनपद क इस वक कत शास नक यव था म भी छोट स छोट इकाई का बड़ी स बड़ी इकाई स सीधा स ब ध होता था क त धीरmdashधीर बह त सार राजाओ न गणmdashजनपद म इस क या ार भ क जो धीरmdashधीर ती होती गयी और थमत मौय सा ा य और त प चात ग त सा ा य क उ कष न इन गणmdashजनपद को अपन व तार क या म अपन भीतर समट लया

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65 साराश उपय त ववरण स प ट ह क ाचीन भारतीय राजनी तकmdashऐ तहा सक वकास क

या म सचरणशील जनरा य म भ म का मह व जानन क साथ ह जनपदmdashरा य क वकास क या ह ई और जनपदmdashरा य का मल व प उनक भौगो लक ि थ त क साथ जड़ा रा य क इस पmdashप रवतन क साथ राजनी तकmdash शास नक प रवतन अव य भावी थ इन प रवतन म राजपद का वशानगत होना राजा क शि त और अ धकार म व सभाmdashस म त जसी नय णकार स थाओ का लोप और उनक थान पर पौरmdashजनपद जसी परामशदा ी स थाओ का उदय रि नन क एक वग का अ यदय थायी सना का नमाण थायी कोष क आव यकता और उसक लए राज वmdash यव था का ार भ आ द मह वपण थ जनपद क बढ़ती ह ई राजनी तक मह वाका ाओ न यक जनपद को अपनी सीमा व और र ण क लए व भ न उपाय अपनान क लए ववश कया िजनका पया त ववरण त काल न ोत म मलता ह इन ोत म जनपद क क त ल ण सगठन आ द पर पया त कार मलता ह जनपद म कछ गणत ा मक शासन प त स सचा लत थ अत उनक शास नकmdashराजनी तक यव था राजत ीय जनपद स व पत भ न थी जनपद रा य का अगला व तार महाजनपद म हआ और महाजनपद न सा ा य क वकास क लए अपनmdashअपन यास कए िजनम अ तत मगध सफल हआ और उसन थम भारतीय सा ा य का गौरव ा त कया सा ा य इस कार जनपदmdashरा य का अवसान नह बि क उसका वकास था

और इस लए सा ा य क पतन क बाद फर जनपद का अि त व आ जाता ह

66 अ यासाथ न (अ) ाचीन भारत म जनपदmdashरा य क क त का ववचन क िजए (ब) उन ऐ तहा सक प रि थ तय का ववचन क िजए िजनक कारण ाचीन भारत म

जनपद का अ यदय हआ (स) जनपद जनरा य और सा ा य क बीच क कड़ी थ प ट किजए (द) जनपद क सागठ नक व प पर एक नब ध ल खए (य) जनपदmdashरा य क र ाmdash यव था अथवा राज व यव था पर काश डा लए

67 ास गक पठनीय थ ऐतरय ा मण छा दो य ा मण महाभारत रामायण मन म त अथशा नी तवा यामत

जायसवाल क पी ह द पा लट

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अ टकर ए एस टट ए ड गवनमट इन एि सए ट इि डया शमा आर एस आ प स ऑव पो लट कल आइ डयाज ए ड

इ ट टयशस इन एि सयट इि डया शमा एम एल नी तवा यामत म राजनी त म एस जनपद टट इन एि शय ट इि डया राव वजय बहादर उ तरव दक काल न सामाज और स क त बस जोगीराज इि डया ऑव द एज ऑव द ा मणाज कमायर चा स कि शप ए ड क य नट इन अल इि डया

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इकाई mdash7 ाचीन भारतीय गणत और उनका स वधान

इकाई क परखा 70 उ य 71 तावना 72 गण और सघ 73 ाचीन भारतीय गणरा य 74 स वधान एव शासन 75 गणरा य हास एव पतन 76 साराश 77 अ यासाथ न 78 ास गक पठनीय थ

70 उ य ाचीन भारतीय राजनी तक थो म नपत अथवा राजत क अ त र त गणत क भी

चरत उ लख ा त होत ह िजस ि टगत करत ह ए यह न कष नकलना अ य त वाभा वक ह क भल ह भारतीय लोकत का वतमान माडल पा चा य आधार पर न मत हआ हो गणरा य क प म लोकत क जड़ भारतीय राजनी त क म ी म समाई ह ई ह और भारतीय लोकत का एक अपना शानदार इ तहास रहा ह इस इकाई म हमारा उ य ाचीन भारत क लोकत ा मक शासनmdashप त पर काश डालना ह जो गणmdashरा य अथवा सघmdashरा य म यव त थी गण श द का अथ गणत म उसक मह व का रखाकन मख गणरा य का स त प रचय उनक शास नक यव था उनका स वधान और अ तत उनक हास एव पतन क कारण का स त ववचन इस इकाई म कया जायगा िजसस अतीतकाल न भारत क एक लोक य एव स च लत शासनmdashप त क उसक अपनी सम ता म उभारा जा सक और उसक वषय म पया त जानकार ा त क जा सक

71 तावना ा य नरकशता (Original Deposition) क पा चा य स ा तmdash तपादक क

ि ट स ाचीन भारतीय शासनmdashप त का प यि तmdash वात य नाग रकmdashअ धकार चतना तथा वाय तmdashशासन आ द स सवथा र हत एकत ीय यव था का पोषक था जो म यत आनवा शक

था और िजसम जनसामा य क राजा ाmdashपालन क अ त र त कोई भ मका नह थी नाग रक अ धकार वयि तक वात य तथा शासनmdash शासन म जनसामा य क भावी भ मका स य त लोकत ा मक शासन प त इन व वान क ि ट म पा चा य जगतmdashम यत ाचीन यनान क व व को दन ह क त जायसवाल शा ी मकज द तार और अ टकर आ द न इस धारण को सवथा नमल कर दया ह अब यह न ववादत वीकार कया जाता ह क य य प

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ाचीन भारतीय इ तहास अ धकाशत एकत ीय यव था का इ तहास रहा ह तथा प उसम न कवल राजाओ क नरकशता पर नय ण करन और शासन शासन म जनसामा य क भ मका का नधारण करन क लए थानीय वmdashशासन क क तपय त व को समा व ट करन क पया त यव था क गयी थी अ पत ाचीन भारतीय सा ह य म यत बौ जन सा ह य अ टा यायी और महाका य क अ ययन क आधार पर अब यह भी स कया जा चका ह क ाचीन भारत म सघरा य क प म व व म थम लोकता क शासनmdashप त का अगीकरण कया गया था एकत ीय शासन यव था ाचीन भारत क एकमा शासनmdash यव था नह थी इसका प ट पता अवदान शतक स चलता ह िजसक अनसार द ण भारत क यापारmdashया ा पर गय ह ए उ तर भारत क यापा रय स उनक यहा क शासनmdashप त क बार म पछ जान पर उ ह न उ तर दया क कि च शा गणाधीना कि च राजाधीना अथात कह mdashकह गणरा य ह तो कह mdashकह राजत ह इसी कार जन थ आचाराग स म उि ल खत गणराया ण तथा दोर जा ण जस श द एकत ीय शासन यव था क अपवाद का प ट सकत दत ह ाचीन भारत म एकत ीय रा य क साथ ह साथ ऐस अनक रा य थ जो अनक राजाओ वारा शा सत होत थ इन रा य को गणरा य कहा जाता था य क अपन नि चत वधा नक अथ म गण का अथ समह होता ह और गणरा य एक ऐस रा य का बोध कराता ह जहा अ धकार एक यि त क हाथ म न होकर अनक यि तय क हाथ म हो इसी कार यौधय मालव आजनायन आ द गण क म ाय हम उनक गणता क व प क सचना दती ह गण श द क अथmdash व भ न ओर उसक समानाथक सघ श द क या या एव उनक ऐ तहा सक उ लख क साथ ह ाचीन भारतीय गणरा य क अवधारणा और व प का स त प रचय अगल पि तय म दया जा रहा ह

72 गण और सघ गण श द का अथ स या समह वीकत होन क कारण गणरा य श द का अथ

वाभा वक प स स याmdashशा सत अथवा समहmdashशा सत रा य होता ह और जसा क अ टकर न लखा ह mdash राजनी त क माणभत थ क अनसार जात रा य वह ह िजसम सव च शासना धकार राजत क भा त एक यि त क हाथ म न होकर एक समह गण या प रषद क हाथ म हो िजसक सद य क स या चाह कम हो या अ धक बौ थ महाव ग म उि ल खत गण तथा ldquoगणपरक श द क या या वारा क पी जायसवाल न यह प ट कया ह क गण का आशय अस बल अथवा पा लयामट स समीकत होन क कारण गणरा य का अथ अस बल अथवा पा लयामट वारा शा सत रा य हआ अथmdash व तार क अगल चरण म गण पा लयामट को यो तत करन लगा और च क गणरा य पा लयामट वारा शा सत होत थ अत आग चलकर गण स गणरा य का ह योतन होन लगा

ऋ वद तथा अथववद क म महाभारत क उ लख तथा मग थनीज वारा तत ववरण क आधार पर जायसवाल क मा यता थी क भारत म गणता क यव था का उदय राजत क काफ बाद तथा पवव दक काल क प चात हआ था कत जसा क शमा का मत

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ह जायसवाल क यह मा यता कवल व दक काल क बाद क वगmdash वभािजत गणत तक ह वीकत क जा सकती ह व दक काल न जनजातीय गणरा य क मामल म इस सामा यीकत

नह कया जा सकता व दक थ म गण श द का उ लख क य सभा (अस बल ) अथवा स नक टक ड़य क अथ म कया गया ह अत गण श द क या या न एक ववाद को भी ज म दया जहा क पी जायसवाल न इसका अथ क य सभा (या अस बल ) म ह दखान का यास कया वह मालवगण क सदभ म ल ट न इसका अथ जनजा त (Tribe) बताया िजसका आधार

मो नयर व लय स वारा अपन श दकोश म गण का अ जी पयाय tribe बताया जाना था क त ल ट क इस मा यता का स कत सा ह य तथा सर पीटसबग एव अ य श दकोष क आधार पर थामस न खडन कर दया और गण क जायसवाल क अथ को ह मा यता द शमा क अनसार गण श द क य दोन ह या याय स दभ को कालmdash म म हण करन पर उ चत तीत होती ह व दक थ म मरत का अनक बार गण क प म

उ लख हआ ह और च क व सभी क सतान कह गयी ह अत उनक गण का अथ इस कार जनजातीय इकाई क प म समझा जा सकता ह काला तर म गण का अथ

अ च लत हो गया और गणरा य लोकता क अथवा जाता क रा य क लए य त होन लगा िजसम शासना धकार जसा क पहल कहा जा चका ह एक यि त क हाथ म कि त न होकर एक समह या प रषद क हाथ म कि त हो भल ह उसक सद य क स या कछ भी हो गण क अ त र त ाचीन भारतीय सा ह य म सघ श द का भी उ लख मलता ह िजस पा णनी न गण का समानाथक बताया ह काला तर म सघ श द का धा मक क अथवा मठ क लए भल ह योग कया जान लगा हो कम स कम कौ ट य क काल तक सघ गण का पयाय ह माना जाता रहा जसा क अथशा म सघ रा य क ववरण स प टत ात होता ह ाचीनतम बौ थ यथा मि झम नकाय बौ काल न गणरा य का ववरण दत ह ए सघ और गण का साथmdashसाथ उ लख करता ह इस कार सघ और गण दोन ह गणता क शासनmdashप त स अ भ न समानाथक श द क प म य त कए गए ह गण स य द शास नक यव था का पmdash योतन कराता था तो सघ रा य का योतक था भारतीय ोत

क अ त र त समसाम यक यनानी लखक क ववरण स हम सक दर क आ मण क समय क क तपय जाता क रा य क वषय म जानकार मलती ह और य य प कछ व वान (उदाहरणाथ बनी साद) इन ववरण क ामा णकता पर न च ह लगात ह तथा प उपल ध सा य क आलोक म ाचीन भारत म गणरा य का अि त व नकारा नह जा सकता म डल का मत क यनानी लखक वारा व णत जात ा मक रा य वा तव म ामmdashस थाय थी अथवा फक का कथन क ीक लखक वारा व णत जात या वयशा सत रा य छोट mdashछोट रयासत या इ कmdashद क नगर थ जो मगध जस बड़ रा य क अड़ोसmdashपड़ोस म रहत ह ए कसी कार अपनी वाय तता बनाए रख सक थ सम चत नह तीत होता पा ल सा ह य गणरा य क एक ल बी सची तत करता ह और इतर ोत स भी ाचीन भारत क

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गणरा य पर पया त जानकार मलती ह िजसक आलोक म इन गणरा य क ि थ त स वधान शासनmdash शासन आ द का सम चत ान हम मलता ह

73 ाचीन भारतीय गणरा य गणता क यव था का उ य य द एकता क नरक ता और व छाचा रता का

नय ण करना माना जाय तो यह बात बह त दर क कौड़ी नह लगती क ऋ वद क अ तम स त म क गयी ाथना क स मती क म ण एकमखी हो सद य क मन भी पर परानकल हो ओर नणय भी सवस मत ह (ऋ वद 101913) का सकत गणत क स मती क ओर हो सकता ह जसा क अ टकर न सभावना य त क ह य य प व यह भी कहत ह क साधारणत स मती का स ब ध राजा स रहता था और कवल इस एक स त स ऋ वद काल म गणत का अि त व स नह होता क त राजत स गणत क वकास का एक सकत अ टकर न ऋ वद म एक थान पर राजाओ क स मती म एक होन लग (ऋ वद 10176) स ब धी ववरण तथा शतपथ ा मण क एक उ लख क राजा वह हो सकता ह िजस अ य राजा लोग वीकार कर (श ा 9325) ढढा ह िजसम अ य राजाओ का अथ सभवत वशप त समझा जा सकता ह इस कार राजशि त वश क म खया क हाथ म थी य द इन म खयाओ क वारा वीकत अ य या अ धप त का पद आनव शक हो जाता था तो रा य राजत या नपत म प रव तत हो जाता था और इस प स इस व दक काल म राजा का नवाचन जस स ा त म या या यत कया भी गया ह क त य द वशप त या सरदार वारा वीकत अ धप त क अ धकार क कालमयादा सी मत होती थी और उसका पद आनव शक नह

होन पाता था तो आग चलकर यह रा य परवत काल क य गणरा य क प म वक सत हो सकता था ऋगवद काल क उ तरा और उ तरव दक काल क थमाध म रा यmdash नमाण क या पर यान दया जाय तो गणरा य क वक सत होन क एक सभावना पवकाल न जनरा य क सि मलन म भी दखी जा सकती ह हम यह ात ह क कह mdashकह यह सि मलन य म वजयी जन वारा पराभत जन को अपन जन म बलपवक सि म लत कर लए जान स सभव ह ई तो कभी यह सि मलन पार प रक म ी क आधार पर शाि तपण तर क स स प न ह ई ऐस शाि तपण सि मलन म सि म लत जन क शासनmdash यव था को सय त प स सचा लत करन क अनक राजाओ क यव था न गणरा य क वकास का माग श त कया होगा ा मण थ म ा य क राजा को स ाटrdquo सा वन क राजा को भोजrdquo नीच तथा आपा छ क राजा को वराटrdquo कहा जाना तथा उ तर mdash म और उ तर क म वरा य यव था और वहा क लोग को वराटrdquo कहा जाना रा य क अनक कार का सकत करता ह और य य प क पी जायसवाल ldquo वराट और भोज को भी जात मानत ह तथा प इन उपा धय क वषय म नि चत प स कछ भी कह पाना क ठन ह फर भी यह न ववाद ह क उ तर भ और उ तर क क वरा य गणत थ य क वराटrdquo का स बोधन उनक राजाओ का न होकर नाग रक का ह और अ भषक जसा क अ टकर का यो ह राजा का नह जनता का होता था यह त य भी यात य ह क उ तरmdashक ओ और उ तरmdashम क दश म चतथ शती ई तक गणत यव था ह च लत थी

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ाचीन भारत क गणत रा य क जो सची हम व भ न ोत स ा त होती ह उसक आधार पर हम उ ह स वधा क लए दो वग म बाट सकत ह mdash उ तर पि चम क गणरा य तथा उ तरmdashपव क गणरा य उ तर पि चम क गणरा य क वषय म म यत यनानी लखक क ववरण स महाभारत तथा पा णनी पतज ल का याययन आ द वयाकरण क थ स जानकार मलती ह तो उ तरmdashपव क गणरा य क जानकार म यत बौ थ स मलती ह अथशा स भी गणरा य अथवा सघरा य क वषय म मह वपण सचनाय हम ा त होती ह इन सभी ोत क आधार पर ाचीन भारत म ऐ तहा सक काल क व वध

गणरा य क स त परखा तत क जायगी 500 ई प स 400 ई प तक पजाब और स ध क घाट म बह त स गणत रा य

का अि त व था इनम स वक दाम ण पा व और का बोज क नाम हम याकरण थ म मलत ह क त उनक वषय म हम अ य कोई भी जानकार नह ह पा णनी क काल म गतmdashष ट छ गणरा य का सघ था िजसम का शका क अनसार कोडोपरथ दड क कौ ठ क

जालमा न ा मणग त और जान क सि म लत थ इनक अपनी म ा भी थी िजस पर कत जनपद य अ कत था जलधर दोआव म ि थत इसी गणसघ का नामातरण परवत काल म क ण द हआ क ण द क म ाय बह त अ धक स या म मल ह क ण द रा य वतीय शती ई तक अि त व म रहा और यौधय क साथ मलकर इसन कषाण क वनाश म अपनी भ मका नभायी

आध नक आगराmdashजयपर म 200 ई प स 400 ई तक आजनायन गणत था िजसक म ाओ पर आजनायनाम जय उ क ण कया गया ह म ाओ का काल 100 ई प ह क त सभवत यह गणरा य काफ ाचीन था य क आजनायन लोग अपनी उ पि त अनन स मानत थ अपन को य धि ठर का वशज मानन वाल यौधय स इनका घ न ठ स ब ध था

यौधय का गणरा य काफ बड़ म था यौधयाना जय स अ कत म ाओ क ाि त पव म सहारनपर स पि चम म भावलपर तक और उ तर प चम म ल धयाना स लकर

द णmdashपव म द ल तक इस गणरा य क व तत होन का अनमान कया जा सकता ह यह

गणत का रा यmdashसघ था इनम स एक क राजधानी पजाब म रोहतक थी दसर क शासन म उ तर पाचाल का बह धा यक दश था तो तीसर क शासन म सभवत राजपताना का उ तर भाग था यौधय लोग अ य त शि तशाल थ पा ण न न इ ह आयधजीवी कहा ह तो

दामन क जनागढ़ लख म वीरश दाया त इनका वशषण य त कया गया ह य लोग का तकय को अपना कलदवता मानकर उनक वाहन मयर क नाम पर म तमयरक वशषण धारण करत थ कषाण और शक स इनका य हआ िजसम य परािजत ह ए क त बाद म कषाण क वनाश म इ ह न मह वपण भ मका नभाई 350 ई तक यह गणत अि त व म बना रहा पर इसक बाद का इ तहास ात नह होता

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म य पजाब म म का गणरा य था जो सभवत सक दर क व त लखक वारा व णत कठ स अ भ न थ इनक राजधानी यालकोट थी इ ह न सक दर क सना का ती तरोध कया इनका गणरा य चौथी सद ई तक वधमान था

सक दर का तरोध करन वाल गणरा य म मालव और क सवा धक मह वपण थ मालव का गणरा य चनाब और राबी क बीच तथा उसस कछ द ण क म ि थत था और क उनक द णी पड़ोसी थ सक दर क साथ जमकर य करन क बाद अ तत य परािजत ह ए ओर उसस इ ह स ध करनी पड़ी त प चात दोन न मलकर रा यसघ बनाया जो बाद म कई शताि दय तक कायम रहा महाभारत तथा याकरण थ म मालव और क का साथmdashसाथ नामो लख मलता ह आग चलकर क का मालव म पण सि मलन

हो गया 100 ई प क आसपास मालव लोग अजमरmdash च तौडmdashट क दश म जाकर बस गय और फर आग बढ़त ह ए 400 ई म म य भारत म बस इस थान को मालवा कहा जाता ह 150 ई क आसपास य शक स परािजत ह ए क त शी ह वत हो गय मालव क ताब क म ाय पया त स या म मल ह िजस पर मालवाना जय अ कत मलता ह

यनानी लखक वारा उि ल खत मालव क पड़ोसी अ सकनोई (अ वक) और सवोई का ठ कmdashठ क थान ात नह ह श व लोग 100 ई प तक राजपतान म च तौड़ क पास मा य मका म जाकर बस गय थ जहा स उनक गणत का प ट नदश करन वाल बह त सी म ाय ा त ह ई ह

क क पड़ोस म ि थत अ ब ठ गणरा य को क टयस प टत जात कहता ह सक दर क साथ य को उ यत अ ब ठ न बाद म सि ध कर ल इनक बाद क इ तहास क वषय म अ धक ात नह ह

महाभारत म यौधय मालव श व औह बर अ धकmdashवि व गत अ ब ठ वातधान यादव ककर आ द गणरा य क नाम मलत ह गणरा य क सगठन थान और पतन क वषय म बह त मह वपण जानकार महाभारत स ा त होती ह पा णनी न क मालव अ ब ठ हि तनायन क व म आ ीत वसा त श व अप आ वासन एव आ वकायन आ द गणरा य का उ लख कया ह िजनम स कछ गणरा य जस क मालव अ ब ठ श व तथा म आ द क वषय म क तपय अ य ोत स भी जानकार मलती ह क त कछ अ य गणरा य क पहचान क ठन ह छठ शता द ई प म गगाघाट म ि थत गणरा य क वषय म बौ थो स मह वपण जानकार मलती ह महाप र न बानस त त म क तपय गणरा य का न नवत ववरण मलता हmdash 1 म ला को सनारका (कशीनारा क म ल) 2 म ला पाव यका (पावा क म ल) 3 स या क पलव थवा (क पलव त क शा य) 4 को लया रामगामका (राम ाम क को लय) 5 मो रया प फ लव नया ( प प लवन क मो रय)

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6 बलय अलक पका (अलक प क बल ) इनक अ त र त अ य बौ थ म कसप त क कालाम तथा स समार ग र क भ ग का

उ लख कया गया ह वि ज का उ लख अग तर नकाय म सोलह महाजनपद क साथ मलता ह वि ज सघ म आठ गणत सि म लत थ िज ह अ ठक लक क नाम स जाना जाता था इनम वि ज ल छ व और वदह मह वपण थ क ड ाम क ातक भी इस सघ म सि म लत थ अ य चार म सभवत उ भोग इ वाक और कौरव थ िजनका उ लख जन सा ह य म ातक क साथ कया गया ह और उ ह एक ह स थागार का सद य बताया गया ह इन गणरा य क भौगो लक ि थ त का स त ववरण अ यो ल खत पि तय म दन क बाद गणरा य क शास नक एव सवधा नक यव था का प रचय ा त कया जायगा

कशीनारा क पहचान दव रया िजल म ि थत वतमान क सया स क जाती ह रामायण म म ल को ल ण प च कत म ल का वशज बताया गया ह पावा का समीकरण दव रया म वतमान पडरौना स था पत कया गया ह ल छ वय को जीतन क बाद मगध शासक अजातश न म ल को भी जीत लया था क पलव त क शा य का गणरा य नपाल क तराई म ि थत था इसक राजधानी क पलव त थी िजसक पहचान नपाल म ि थत तलौराकोट स क जाती ह कछ व वान इस ब ती िजल म ि थत पपरहवा स समीकत करत ह गौतम ब का ज म इसी गणरा य म हआ था क पलव त क शासक का वनाश कोशल नरश वडडम न कया था शा य गणरा य क पव म राम ाम क को लय का गणरा य था जो द ण म सरय नद तक व तत था राम ाम क पहचान गोरखपर िजल म ि थत रामगढ़ ताल स क जाती ह मो रय लोग शा य क ह एक शाखा थ जो वडडम क अ याचार स बचन क लए भागकर हमालय क तलहट म एक मोरबह ल म प प लवन नामक नगर क थापना कर बस गय मोरबह ल का होन क कारण

व मो रय (बाद म मौय) कह गय च ग त मौय इसी गणरा य स स बि धत था प प लवन क पहचान गोरखपर िजल म कस ह क पास ि थ त राजधानी नामक ाम स क गयी ह ब लय का गणरा य आध नक बहार क शाहाबाद (आरा) और मज फ़रपर िजल म ि थत था सभवत वठ वीप या ब तया उनक राजधानी थी कसप त क कालाम का गणरा य कोशल क पि चम म सभवत स तानपर िजल क कडवार स लकर पा लया नामक थान तक फला था य लोग कोशल क अधीनता वीकार करत थ ससमार ग र का

समीकरण मजापर िजल म ि थ त चनार स कया गया भ ग गणरा य क अ धकार म व य क यमना और सोन न दय क बीच का दश था य लोग व स क अधीन थ वि ज सघ जसा क बताया जा चका ह आठ गणरा य का सघ था िजसम वशाल क ल छ व म थला क वदह तथा क ड ाम क ातक सवा धक मह वपण थ वशाल उ तर बहार क मज फरपर िजल म ि थत आध नक बसाढ़ ह ल छ वय क ाचीन भारतीय इ तहास म मह वपण भ मका थी म थला क पहचान नपाल क सीमा म ि थत जनकपर स क गयी ह क ड ाम वशाल क पास ह ि थत था अ य रा य क वषय म हम नि चत जानकार नह ा त होती

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74 स वधान एव शासन यव था गणरा य क स वधान तथा शासनmdash यव था क वषय म हम पया त जानकार नह

ह फर भी इतना अनमान लगाया जा सकता ह क ल छ व आ द बड़ गणरा य क शासनmdashयव था मो रय को लय आ द छोट रा य स भ न रह होगी गगा घाट क गणरा य दो कार क थ एक तो व जहा एक ह जा त शासन करती थी जस mdash शा य को लय कशीनारा

और पावा क म ल तथा दसर कार क गणरा य व थ जहा अनक जा तय का सय त शासन था इनम कोई प तनी राजा नह था जो स पण रा य पर शासन करता इन सघ का मख यि त राजा गणप त गण य ठ गणराज अथवा सघम य कहा जाता था सामा य शासन क दखभाल क साथmdashसाथ गणरा य म आत रक शाि त एव सामज य बनाय रखना

उसका मख क त य था गणmdash मख क सहायता क लए म न प रषद थी अ य मख अ धका रय म उपराजा (उपा य ) सनाप त भा डागा रक (कोषा य ) आ द क नाम मलत ह क त गणरा य क वा त वक शि त एक क य स म त म न हत होती थी इस स म त क सद य क स या काफ बड़ी होती थी स म त क सद य भी राजा कह जात थ

शा य सघ क सभा म 500 सद य थ िजस महाव त म शा य प रषद कहा गया ह सभा क बठक त भय त स थागार म होती थी इस सभा का मख राजा होता था ब क पता श ोधन सभवत इसी कार क राजा थ ब न शा य क नए स थागार का उ घाटन सखmdashस त (मि झम नकाय) और अव ततmdashस त (सय त नकाय) क या यान स कया था महाव त स ात होता ह क शा यmdashप रषद न रो हणी नद क जल क बटवार को लकर शा यmdashगण और को लयmdashगण क बीच होन वाल वादmdash ववाद को स थागार क बठक म नणय लकर सलझाया इसी कार वडडभ क आ मण क समय भी शा य प रषद म आपस म वचारmdash वमश क बाद नणय लए जान क बात स शा य क जाता क णाल का सकत मलता ह सय त नकाय म को लय क आर क प ष (प लस) का उ लख मलता ह िजनका काम सभवत चोर mdashडाकओ स लोग क र ा करना था क त इनक वारा कय जान वाल उ पीड़न अ याचार और उ डता क भी जानकार स बि धत सा य स मलती ह म लसघ क शासन णाल का ववरण बौ सा ह य म ा त होता ह द घ नकाय क सगी त स त म पावा क म ल वारा बनबाय गय नय सभाभवन उभटक का ब वारा उ घाटन कय जान का ववरण मलता ह म ल क स थागार म होन वाल नय मत बठक क जानकार भी हम बौ थ स मलती ह म ल लोग स नक वि त क थ और इसी लए म ल कह जात थ उनक शासनकता प रसा कह जात थ जो प लस क भा त थ कौ ट य न म ल को राजश दोपजी वन कहा ह

गगाघाट क गणरा य म वि ज सघ सवा धक मह वपण था जो आठ गणरा य का सघ था इसक राजधानी वशाल (अथवा वशाला) थी महाव ग क अनसार उस समय वशाल ऋ फ त बह जन स आक ण अ नपान स प न थी उसम 7707 साद 7707 कटागार 7707 आराम तथा 7707 प क रया थी सम तपासा दका क अनसार जनस या

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म व क कारण इसक चहारद वार बढ़ानी पड़ी थी महाव ग म इसक जनस या 168000 बतायी गयी ह ब घोष न अ कथा म वि जसघ क 7707 राजाओ का उ लख कया ह िजनका चनाव वशाल क वशाल जनस या करती थी इसक साथ ह 7707 उपराजाओ तथा 7707 सनाप तय का भी उ लख कया गया ह च लक लग जातक तथा एकप ण जातक क अनसार इन राजाओ उपराजाओ और सनाप तय क साथ 7707 भा डागा रक भी होत थ पा ण न क अनसार राज य कह जान वाल व सभी य सघ रा य क गणसभा क सद य होत थ जो शासन क लए अ भ ष त होत थ राजाओ क 7707 स या क वषय म अ टकर का मानना ह क य राजा वा तव म सघ क यजातीय जमीदार थ जो जमीदार का काय अपन भा डागा रक स करवात रह ह ग उनक प को उपराजा कहा जाता होगा और समयmdashसमय पर स नक सहायता दन क कारण उनक पास एकmdashएक सनाप त रहता होगा ल लत व तार म ल छवी राजाओ क चचा करत ह ए कहा गया ह क व सभी वय को राजाrdquo कहत थ व व भ न रग क व धारण कर सभा भवन तथा उ सव म जात थ उनक आभषण घोड़ रथ उ णीष छ जत चाबक तथा छड़ी आ द एक रग क होत थ राजाओ का व धवत अ भषक होता था िजसक लए वशाल म एक प करणी थी गणरा य म सफल शासन क लए म म डल होता था िजसम रा य क आकार और कार क अनसार म य क स या नि चत होती थी म ल रा य क म मडल म कवल चार सद य थ ल छ व रा य म नौ म ी थ ल छ व वदह रा य सघ क म mdashप रषद म 18 सद य थ यौधय मालव क आ द रा य क म मडल म कतन म ी होत थ हम ात नह ह पतज ल क महाभा य म पचक दशक वशक आ द श द स सघ का उ लख करन को अ टकर म य क स या का सकत मानत ह अ टकर क अनसार पचक का अथ पाच म य वाल दशक का अथ दस म य वाल और वशक का अथ बीस म य वाल गणरा य था महाव ग म चार पाच दस व बीस सद य क व ग क कारण सघ क वभाजन क बात क गयी ह अ टकर का वचार ह क य व ग का अथ म मडल रहा होगा िजसक सद य क स या चार पाच दस या बीस रहती थी इस कार यह अनमान लगाया जा सकता ह क गणत म म य क स या ाय चार स बीस तक रहती थी गणा य म मडल का धान और स म त का अ य हआ करता था

ल छ वय क सभा क नय मत बठक स थागार म होती थी अ कथा क अनसार बठक ार भ होन क सचना दन क लए घट बजायी जाती थी ल छ व राजाओ क सव च स था सभा थी िजसम वदशी धा मक क ष यापा रक आ द मामल पर वचारmdash वमश होता था महाव त स ात होता ह क ल छ वय क स था म नणय म जनता का व श ट सहयोग रहता था शासन क यव था क लए गणस था कायका रणी क नयि त करती थी जो व तत वदशी तथा आत रक मामल क दखरख करन वाल महास म त होती थी सभवत यह महास म त ह जन थ म उि ल खत नवल छइ थी आठ सद य जा तय क त न ध वाल अ टकल स था यायस म त थी वि जय क याय णाल क वषय म

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ब घोष क अ कथा स जानकार मलती ह अपराधी क अपराध क जाच और याय का नणय व भ न अ धकार और स थाय करती थी वि जसघ म आठ यायालय थ िजनक पदा धका रय क नाम इस कार मल ह 1 व न चय महामा त ( व न चय महामा ) 2 दोहा रक ( यवहा रक) 3 स धार 4 अ कलक (अ टकलक) 5 भा डागा रक 6 सनाप त 7 उपराजा 8 राजा कोई भी यि त तभी दि डत हो सकता था जब वह एकmdashएक करक आठ यायालय वारा दोषी ठहरा दया गया हो यक यायालय अपराधी को म त करन क लए वत था राजा का यायालय अ तम था अ य यायालय नद ष होन पर अपराधी को छोड़ तो सकत थ क त दोषी होन पर द ड नह द सकत थ द ड दन का अ धकार कवल राजा को था राजा पवणीपो थक ( पछल मामल क मसल) क आधार पर नणय दता था याय क या अ य त आदश थी तथा सभी प पर वचार कर ह याय नणय कया जाता था

अग तर नकाय म ल छ वय क क तपय पदा धका रय का नामो लख कया गया ह य ह mdash राि क प तगा णक सनाप त ामmdash ाम णक (गाव का म खया) तथा पगmdashाम णक (औ यो गक स थाओ का मख) इनम पगmdash ाम णक मश ामmdash शासन एव

नगरmdash शासन स स बि धत थ वि जसघ क सफलता और शि त उसक सद य क उ च न तक गण पर आधा रत

थी महाप र न लानस त त म ब न ल छ वय क सात अप रहा नय घ मो (अप रहाय धम ) का उ लख कया िजसका पालन करत रहन तक वि ज सघ अजय रहता य नयम न नवत ह

i) नयम समय पर सद य क पण उपि थ त क साथ सघmdashसभा क अ धवशन करना (अ भ ह सि नपाता सि नपातबहला भ व य त)

ii) एकमत या सम भाव स सघ म उपि थत होना एक मत या सम भाव स अ धवशन समा त करना और एकमत या सम भाव स सघ क कत य करना (सम गा सि नप त स त सम गा ब ह स त सम गा सघ करणीया न क र स त)

iii) अ वीकत को वीकार न करना वीकत का सम छद नह करना और सघ क वारा वीकत पवmdash नणय क अनसार काय करना (आ प चत न प जप स त प जत न

समि छ द स त यथा प ज तस स खापदस समादाय वि त स त) iv) व जसघ क सघ पतर व जन सघप रणायक अथवा नता का स कार करना उनक त

गौरव तथा स मान का भाव रखना उनक पजा करना और उनक वचन सनकर उनका पालन करना (य सघ पतर सघप रणायका त स क र स त ग क र स त मान स त पज स त तस च सोत ल मि ज स त)

v) वि जसघ क भीतर और बाहर क च य क पजा करत रहना और पवकाल स नयत ब ल एव धा मक क य को जार रखना (वि ज च तया न अ मतरा न एव वा हरा न च

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ता न स क र स त ग क र स त मान स त पज स त तस चा दभ प ल कत क ब धि मक ब ल नो प रहा स त नी प रहाष स त)

vi) वि जसघ क धा मक अरह तो का स मान करना (व जीन अरहतस धि मका र खावरण गि त सस व हता भ व स त)

vii) वि जसघ क मह लक अथात व का स कार करना उनक त गौरव का भाव रखना उनका स मान करना और पजा करना कलि य और कलकमा रय का अपहरण न करना और उनक साथ बलपवक यवहार न करना (य व व जीन वि जमहलका व स क र स त ग क र स त मान स त पज स त या ता क लि थयो कलकमा रयो ता न आ क य पसहय वासि त) दभा य स कसी भी गणरा य क सघीय काय व ध का प ट ववरण हम नह ा त

होता क त महाव ग तथा च लव ग म ा त बौ सघ क कायप त क ववरण क आधार पर गणरा य को समझन का यास क तपय व वान न कया ह य य प इस पणत न ा त नह माना जा सकता य क बौ सघ धा मक सघ थ जब क गणरा य राजनी तक स थाय थी

बौ सघ क अ धवश स थागार अथवा उ यान (आराम) म होत थ जहा आसन जापक (आसन ापक) भ ओ क त ठानसार बठन क यव था करता था अ धवशन क लए भ ओ क नि चत स या (कोरम) आव यक थी सघ का अ य वनयघरrsquo कहा जाता था सधपरक स या म भ णी स खमाना सामणर दसर धम क त न ध या दसर जनपद क यि त िजनक व सघ न कोई कायवाह क हो सि म लत

नह कय जात थ कोरम क अभाव म सघ व ग ( य ) कहलाता था और ऐस सघ क नणय अमा य होत थ यो य सद य क पर बठक को समखा कहा जाता था गणप त करन वाला सद य गणपरक कहा जाता था कोई भी वषय ताव ( ाि त) क बना अ धवशन म नह लाया जा सकता था ाि त का नय मत अन सावन (अन वण या आवि त) होता था मतभद क ि थ त म ाि त तीन बार पढ़ जाती थी ाि त क तत करत समय सद य का मौन रहना उनक सहम त मानी जाती थी सघ वारा वीकत ताव सघकम कह जात थ ाि त पर मतभद क ि थ त म एकमत होन क यि तया खोजी जाती थी एक यि त को तनव थारक कहा जाता था िजसम सभी सद य एक थान पर एक हो जात थ और यक दल क नता स अपन ववाद सलझान को कहा जाता था इस पर भी नणय न हो पान पर उ बा हका या (उ ा हका) सभा को वषय सौप दया जाता था िजसक सद य कसी अ य शा त थान पर आकर वचारmdash वमश कर नणय होन तक वषय का उ वहन करत थ नण त वषय को सघ क स मख पन उठान क लए द ड क यव था थी उ ा हका सभा क नणय द पान म असफल हो जान पर मतदान कया जाता था य भ याि सकन अथात बह मत का नणय वीकार कर लया जाता था न प और दोष मोह तथा भय स र हत सद य को सघ क वशष ताव वारा मतदान अ धकार या शलाका ाहक नय त कया जाता था मत क लए छ द श द का योग होता था

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मतदान क लए लकड़ी क व भ न रग क शलाकाय होती थी िज ह सद य म वत रत कर उ ह अपन मत क अनसार उ चत शलाका चनन को कहा जाता था शलाकाय एक त करन वाला अ धकार शलाका ाहापक कहा जाता था शलाकाय एक करन का काम अनक कार स कया जाता था जस ग त प स (गड़यक) काम म कहकर ( वकणज पक) खल प म ( वव तक) सबक सामन ( व व त) बह मत कवल अ तम अव था म ह लया जाता था बह त छोट सी बात क लए बह मत क व ध नह लाग क जाती थी

75 गणरा य हास एव पतन गणरा य का अि त व िजन अप रहा नय ध म पर आधा रत था उनका अ त मण

अथवा उ लघन ह उनक वनाश और पतन का मल कारण माना जा सकता ह महाभारत क अनसार गण क वनाश का कारण पार प रक फट होती ह ोध लोभ और मोह क कारण गण क म य एव नताओ म इतनी इतनी अ धक फट पड़ जाती ह क व पर पर वातालाप ब द कर दत ह ऐसी दशा पराभव क सचक ह ऐसी ि थ त म श गण उनम आत रक कलह उ प न करन एव धन दकर उ ह न ट करन क च टा करत ह अत गण को हर कार स अपनी एकता बनाय रखन का यास करना चा हए क पी जायसवाल न गण का

कारण राजत ा मक रा य क व तारवाद नी त को माना ह क त गणरा य क पतन क लए कछ हद तक उनक सरचना क भी भ मका मानी जा सकती ह आम सहम त स नणय करना गणरा य क शि त का ोत था क त यह उनक दबलता का भी आधार था य क आमmdashसहम त स नणय लन क या कभीmdashकभी बह त ल बी हो जाती थी और आपि तmdashनवारण क लए समय बह त कम बच पाता था गण क सद य म वाथ लोभ ई या और वष क भावनाय पनप जान पर गण क एकता को खतरा बना रहता था और ऐसी ि थ त म

श ओ स पराजय अव य भावी था उ च पद क धीरmdashधीर आनव शक होत जान स अयो य यि तय क उ च पद पर नयि त हो जाती थी िजसस नणय दोषपण हो जात थ और उसका प रणाम गणरा य क वनाश क प म आता था इसी कार क क तपय अ य कारण स गणरा य क वकास क अवसर धीरmdashधीर कम होत गए और राजत क बढ़ती ह ई व तारवाद नी त क कारण उनक लए अपना अि त व बनाय रखना क ठन होन लगा और फर या तो उ ह न वय राजत ा मक प अपना लया अथवा राजत म सि म लत होत चल गय और अ तत ाचीन भारत म गणरा य का पण समापन हो गया

76 साराश गणरा य स स बि धत उपय त ववरण स प ट ह क ाचीन भारतीय शासन

प त म नपत या राजत क एकमा शासनmdash यव था नह थी गणत ा मक यव था क स अ य त ाचीन काल स भारतीय शासनmdashप त म दख जा सकत ह व दक काल म भल ह इसक सकत अ प ट ह क त धीरmdashधीर गणरा य क यव था न अपना प ट आकार लना श कर दया और ब काल तक आतmdashआत गणरा य क एक यापक खला हम दखन को मलती ह िजसक वषय म व तत ववरण बौ थ महाभारत अ टा यायी यनानी लखक

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क सा य और सबस अ धक इन गणरा य क नामा कत म ाओ स मलता ह इन गणरा य म कछ तो एक ह जा त क लोग वारा शा सत थ क त कछ गणरा य कई गण क सघ क प म अपना शासन सचा लत करत थ अपनी क य स म त क मा यम स सवस म त

अथवा बह त स लए नय नणय पर अमल करन क इन गणरा य क अपनीmdashअपनी यव था पका थी िजसक अतगत म प रषद स लकर एक स म शास नक त होता था बौ सघ क काय व ध क मा यम स इन गणरा य क काय व ध को समझन का योग कया गया ह िजसक आधार पर इन गणरा य का प और काय व ध बह त कछ आज क जाता क यव था क अन प दखाई पड़ता ह गणप त ाि त सघकम उ बा हका

य म या सकन शलाका प ष शलाका ाहापक ग यक वकमज पक वव तक आ द तकनीक श द आज क गणता क यव था म लोकसभा अथवा रा यसभा म व भ न ताव पर वचार वमश क लए अपनायी जान वाल या क व भ न चरण का तीकन करत ह ए स तीत होत ह काला तर म राजत क सा ा यवाद नी त और कछ अपन व पगत दोष क कारण उ चपद क आनव शक हो जान क कारण और राजत ा मक प क त आकषण क कारण धीरmdashधीर एक ऐ तहा सक या म गणरा य का पतन हो गया

77 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म ऐ तहा सक काल क गणरा य का स त वणन क िजए 2 ाचीन भारतीय गणरा य क क त और प त का ववचन क िजए 3 ाचीन भारतीय गणरा य क शास नक एव सवधा नक यव था पर काश डा लए 4 ाचीन भारत म गणरा य क पतन क मख कारण क समी ा क िजए

78 ास गक पठनीय थ अ टा यायी अग तर नकाय द ध नकाय महाभारत महाभा य अ वाल वी एस पा ण न काल न भारत अ टकर ए एस टट ए ड गवनमट इन एि शय ट इि डया काण पीवी ह ऑव धमशा ( ह अन) भागmdash 3 घोषाल य एन ए ह ऑव ह द पो ल टकल योर ज बनी साद योर ऑव गवनमट इन एि शय ट इि डया जायसवाल क पी ह द पॉ लट छ तार वी आर आर मौयन पॉ लट

-ग ता पॉ लट म एस द जनपद टट इन एि शय ट इि डया म एस एन एि शय ट इि डयन रपि ल स ला एन एन आ प स ऑव एि शय ट इि डयन पॉ लट

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इकाई 8 ईसा पव छठ सद म रा य और सा ा य का उदय

इकाई क परखा 81 उ य 82 तावना 83 रा य क उदय क प ठभ म 84 ई० प० छठ सद म जनपद रा य का उदय 85 जनपद क नाम तथा भौगो लक वतरण

851 अग 852 मगध 853 काशी 854 कौशल 855 वि ज 856 म ल 857 चद 858 व स 859 क 8510 पाचाल 8511 म य 8512 सरसन 8513 अ मक 8514 अव ती 8515 गधार 8516 क बोज

86 रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात 861 रा य क उ पि त का अनबध स ात 862 रा यो प त का दवी स ात 863 रा यो प त का य मलक तथा बल स ात

87 ाचीन भारत म सा ा य का उदय 88 मगध सा ा य क वकास क प ठभ म 89 अ यासाथ न 810 स दभ थ क सची डा राजीव कमार स हा भागलपर व व व यालय भागलपर

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1 उ य (Objectives) तत इकाई म हमारा उ य ईसा पव छठ सद म रा य का उदय उनका वकास

तथा राजनी तक भ व क लए आपस म उनका सघष िजसन अतत सा ा य को ज म दया का व तत अ ययन करना ह इस इकाई क अ ययन क उपरात हम न न ल खत बात क जानकार ा त हो सकगी

(क) ाचीन भारत म रा य का उदय और उनका वकास (ख) छठ सद ई० प० म उ दत व भ न जनपद क नाम उनका राजनी तक व प तथा (ग) भौगो लक वतरण (घ) ाचीन भारत म रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात (ङ) ाचीन भारत म सा ा य का उदय (च) (ड) मगध सा ा य क वकास क प ठभ म

2 तावना ई० प० छठ सद को ाचीन भारत क इ तहास म एक मह वपण सद माना जाता ह

इसक पव क सद राजनी तक अ त वरोध का यग रह थी िजसम जनजातीय स क त या सगठन टट कर जनपद य रा य क लए अपना थान र त करता जा रहा था छठ सद ई० प० म अनक कारण िजनका आग व तत ववचन कया जायगा स य जनपद य रा य स ढ ह ए तथा राजनी तक भ व क लय उनम आपसी सघष भी ह ए और अतत सा ा य का उदय हआ

3 रा य क उदय क प ठभ म छठ सद ई० प० म रा य का उदय व दक काल (1500 ई० प० mdash 600 ई० प०)

वशष कर उ तर व दक काल (1000 ई० प० mdash 600 ई० प०) म रा यmdash यव था म ह ए मह वपण प रवतन का प रणाम था इन प रवतन को हम न ना कत चरण म वभ त कर सकत ह

(क) ऋ व दक काल न (1500 ई० प० mdash 1000 ई० प०) जनजातीय स नक जात क अव था िजसम सभा स म त एव वरद जसी स थाए कायरत थी य स थाए म यत य काय म य त रहती थी

(ख) उ तरव दक काल (1000 ई० प० mdash 600 ई० प०) म लोह क योग क कारण ह ए सामािजक और आ थक प रवतन तथा उसस उभर राजनी तक अ त वरोध क अव था िजसम जनजातीय रा यmdash यव था का वघटन हआ और जनपद रा य क उदय क प रि थ तया बनी

(ग) ई० प० छठ सद म गगा घाट तथा हमालय क तराई म जनपद का उदय और वकास

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4 ई० प० छठ सद म जनपद रा य का उदय ई० प० आठवी स छठ सद क बीच उ तर भारत क कई उ ख न थल जस

हि तनापर आलमगीरपर अतरजीखड़ा आ द स हम लोह क योग क जानकार मलती ह लोह क इस योग क कई सामािजक और आ थक प रणाम नकल जस

(क) अ mdashश म इसक योग क वजह स एक श धार एव शि तशाल नय ीय वग का उदय जो अप ाकत कमजोर लोग या वग पर अपना वा म व था पत कर उ ह य तथा क ष दोन काम म लगा सकता था

(ख) खती म ा तकार प रवतन जगल साफ करना सरल हआ तथा लोह क फाल स गहर जताई क कारण अ धक उपज ह ई एव कम म स अ धक उ पादन अ धशष ा त हआ

य प रवतन बड़ी बि तय क ादभाव तथा उनक अि त व म अ यत सहायक स हआ पि चमी उ तर दश स ा त च त धसर मदभाड (Painted Grey Waremdash PGW) तथा पव उ तर दश एव बहार म कि त क त अ य भाग म यहा तक क सदर उ तर पि चमी त शला तक पाय जान वाल उ तर काल पॉ लश मदभाड (Northern Black Polished Waremdash NBPW) वाल थल ऐस ह बि तय क उदाहरण ह वाभा वक तौर पर कसान भौ तक लाभ क लए अब अपनी जमीन स यादा जड़ा तथा अपन पड़ोस क म भी जमीन हड़प कर फलन लगा इस कार कसी थान वशष पर थायी प स बस जान स कसी जन अथवा जन क समह को एक भौगो लक अ भ ता मल गई तथा ीयता क भावना का वकास हआ य साधारणतया सब धत जन क नाम स पकार जान लग तथा इस पर अ धकार ा त करन हत च लत जनmdashजातीय सगठन एक नई स था राजत स सघष म आए परत छठ सद ई० प० स पव उ तर दश और पि चमी बहार म लोह क यापक योग होन स राजा क शि त म अभतपव व ह ई तथा जनmdashजातीय सगठन टटन लग

िजसका माण हम कौशा बी राजघाट हलादपर सोनपर और वशाल क उ ख न स मलता ह राजा अब अपन स नक तथा शास नक योजन क लए अ धक अनाज बटोर सकता था तथा उसक पास लोह क नय अ mdashश भी थ वह बड़mdashबड़ शहर जो ऊपर म व णत कई कारण तथा यापार म ग त आहत स क क चलन आ द स छठ सद म उ दत ह ए थ को अपन कायmdashकलाप का क बनान लगा य शहर ह छठ ई० प० म रा य या जनपद क प म वक सत ह ए लोग क जो बल न ठा अपन जन या कबील क त थी वह अब

अपन जनपद या वस ब भmdashभाग क त हो गई पा णनी (छठ सद ई० प०) न एक थान पर साफ लखा ह क जनता अपन जनपद क त िज मवार ह

85 जनपद क नाम तथा भौगो लक वतरण वद तथा ा मणmdashस हताओ एव उप नषद म जन तथा जनपद क वकास क या

तथा ार भक अव थाओ म जनपद य जीवन क प ट झाक मलत ह बौ mdashसा ह य म भी जनपद काल क ि थ तय का स प ट च ण ह अग तर नकाय म सोलह महाजनपद का

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उ लख इस कार ह mdash अग मगध काशी कोशल वि ज म ल च द व स क पचाल म य सरसन अ सक अव ती गधार क बोज इसक अलावा जन सा ह य भगवती स और पराण म भी महाजनपद का उ लख मलता ह पर त उनका ववरण अग तर नकाय क ववरण स कह mdashकह भ न ह

अग

यह रा य मगध क पव म ि थत था इस रा य का व तार आध नक भागलपर िजल म था इसक राजधानी च पा यापा रक ि टकोण स एक स नगर थी अग काफ शि तशाल जनपद था और इसका मगध क साथ बराबर सघष होता रहता था इस सघष म अतत मगध वजयी हआ जब मगध क यवराज बि बसार न छठ शता द ई० प० म म य म अग क अ तम राजा मद त को मार डाला और अग को मगध सा ा य म मला लया

मगध

छठ शता द ई ० प ० म मगध का रा य काफ शि तशाल था इसक अ तगत आध नक पटना और गया िजल का समावश था व पन भौगो लक कारण स इस रा य उ तरो तर वकास होता चला गया और इसन शी ह अ य रा य पर अ धकार कर सा ा य क थापना क राजगह अथवा ग र ज इसक राजधानी थी बि बसार एव अजातश यहा क शि तशाल शासक थ

काशी

छठ शता द ई० प० क ार भ म काशी सवा धक शि तशाल महाजनपद था उसक राजधानी बनारस का वणन त काल न सा ह य म एक मह वपण नगर क प म मलता ह बनारस व ण और अ स न दय क सगम पर ि थत था काशी का कोशल रा य क साथ भता क लए बराबर सघष चलता रहता था इसस इसक शि त कमजोर हो गई और अत म

यह कोशल रा य म शा मल कर लया गया

कोशल

यह रा य उ तर दश क म य स अवध म फला हआ था इसक राजधानी ारभ म अयो या थी पर त बाद म ाव ती जो यापा रक ि टकोण स एक मख नगर था

इसक राजधानी बनी सनिजत कोशल का एक बह च चत शासक था िजस मगध क शासक अजातश सघष करना पड़ा था कोशल को भी मगध सा ा यवाद का शकार होना पड़ा

वि ज

यह गगा क उ तर म ि थत था इसक परब म कोशी और महानदा क तटवत जगल फल थ और पि चम म सदानीरा (गडक) थी वि जmdashरा य आठ जन (भ कल) का महासघ था इनम वदह ल छ व ा तथा वि ज बड़ भावशाल थ ल छ वय क राजधानी

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वशाल वदह क म थला और ा क क क ड ाम थी वि ज सघ को भी मगध सा ा यवाद का शकार होना पड़ा

म ल

म ल गणरा य दो भाग म वभ त था और दोन क अपनीmdashअपनी राजधा नया थी म ल क पहल राजधानी कशीनारा थी िजस आज हम गोरखपर िजल का क सया कहत ह और दसर राजधानी पावा (सभवत पटना िजल क पावापर का सम प) थी महाभारत म म ल क दोन रा य का उ लख मलता ह

च द

च दय का राजत मोट तौर पर ब दलखड क पव भाग और इसक नकटवत म फला हआ था जातक और महाभारत म इस रा य का वणन मलता ह इसक राजधानी सो थब त या शि तम त थी

व स

व स क राजधानी इलाहाबाद स 40 मील क पर कोशाबी (वतमान कोशाम) म थी जो यमना क तट पर बसी ह ई थी महाभारत क अनसार कसी च द राजा न ह कोशा बीनगर क थापना क थी पराण क अनसार राजा नच न अपनी राजधानी को कोशा बी थाना त रत

कर दया था कोशा बी उस समय क मख व णक पथ पर पड़ता था और उसका यापा रक मह व काफ था

क क अ तगत वतमान द ल तथा मरठ क समीपवत आत ह इसक राजधानी इ थ ( द ल क परान कल क पास) थी एक जातक क अनसार इस रा य म तीन सौ सघ थ ारभ म यहा राजत था फर काला तर म यहा गणत क थापना ह ई जन एव बौ सा ह य म इ छवाक सतसोम कौरव तथा धनजय आ द क राजाओ का उ लख मलता ह

पचाल

यह रा य आध नक हलखड तथा म य दोआब म फला हआ था महाभारत तथा बौ थ म इस रा य क दो भाग उ तर तथा द णी पचाल का उ लख मलता ह उ तर पाचाल क राजधानी अ ह छ (बरल उ० ०) तथा द णी पचाल क राजधानी कि पल थी चलानी मद त पचालदश का एक महान शासक था

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म य

म य आध नक अलवर भरतपर और जयपर रा य क भ म पर ि थत था इसक राजधानी वराट नगर (बराटmdashजयपर) थी महाभारत क अनसार शहाज नामक शासक न च द तथा म य दोन ह रा य पर शासन कया

सरसन

क क द णी और च द क पि चमो तर यमना क दा हन सरसन का रा य था िजसक राजधानी मथरा थी महाभारत क अनसार यहा यद अथवा यादव वश का रा य था बौ थ म सरसन क शासक अव तीप का उ लख मलता ह जो ब का समकाल न था यहा पहल गणत और बाद म राजत हआ

अ मक

अ मक या अ मक रा य गोदावर क तट पर ि थत था इसक राजधानी पाटल (पोतन) थी सभवत ारभ म यह रा य काशी क अधीन था परत अवती क साथ इसका नरतर सघष था आर बाद म यह उसक अतगत हो गया

अव ती

अव ती का रा य मालवा दश म फला हआ था पचाल क भा त यह भी दो भाग उ तर तथा द णी अव ती म वभ त था उ तर अव ती क राजधानी उ ज यनी थी तथा द णी अव ती क म ह मती अव ती क राजा योत क सबध म अनक दतकथाए च लत ह

गधार

गधार अफगा न तान क पव भाग म ि थत था इसका सार पि चमी पजाब और क मीर तक था इसक राजधानी त शला थी बौ mdashपर परा क अनसार गधार क सजा प कस त न मगध म बि बसार क साथ उपहार का आदानmdash दान कया था और ब क दशन क लए पदल या ा क थी

क बोज

यह गधार का पड़ोसी रा य था इसक अ तगत क मीर क पि चम ि थत बद शा दश आता था इसक राजधानी हाटक या राजपर थी कालातर म यहा पर गणत ा मक

शासनmdash णाल था पत ह ई इन सोलह महाजनपद क अ त र त भी कई छोटmdashछोट रा य थ जो त काल न

राजनी तक दशा म वक करण क व त को प ट करत ह गधार क तथा म य क बीच ककय भ क गत चौधय भ त तथा उनक पि चम और द णmdashपि चम म सध श व अ ब ठ सौबीर आ द व भ न राजत एव गणत थ

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6 रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात ाचीन भारत म रा य क उ पि त का अलग अि त व ह य mdash य रा य का

वकास होता गया य mdash य व भ न सा य म उसक ववचना होती ह ई अत इस सबध म व भ न ोत म व भ नताए प रि थ तय होती ह क त उनक तलना मक अ ययन स क त क ार भक अव था और उन प रि थ तय पर काश पड़ता ह िजनक कारण रा य क

ह ई इनस ात होता ह क समाजmdashसि ट स काफ दन बाद तक सतयग सख और शा त का वणयग रहा क त समाज म स पि त प रवार वगmdash वभद तथा लग पर आधा रत और

कायाधत मक प रवतन क वजह स वणयग क अव था नरतर प तत होती गयी और म य याय क ि थ त आ गई िजस कार बड़ी मछ लया छोट मछ लय को न ट करती ह उसी तरह सबल मन य क भय स नबल मन य ा हmdash ा ह करन लग ऐसी प रि थ त म रा य क उ पि त ह ई

क रा य क उ पि त का अनबधmdash स ात

इस स ात का धधलाmdashसा आभास सव थम ऐतरय ा मण और त तर य ा मण म मलता ह इनम असर पर वजय ा त करन क लए दवताओ क बीच राजा क चनाव का िज ह ऐतरय ा मण क अनसार जाप त क नत व म दवताओ न आपस म इ को कायmdashस पादन क लए नवा चत कया जो सव पण पण और सवा धक शि तशाल था उसक अ भषक क समय व भ न कार क स कार कय गय प ट ह क नवाचक और नवा चत क बीच एक सहम त होती ह

क त रा य क उ पि त क अनबधmdash स ात का थम प ट और व तत तपादन बौ थ द घ नकाय म मलता ह इसक अनसार परातन सखmdashशा त और प व ता क य स नईmdashनई सम याए उ प न ह ई तथा अनक कार क असामािजक आचरण सामन आन लग अत लोग न एक होकर सवा धक सम थत आकषक और यो य यि त को धान क प म चना उसन तीन उपा धय महा स मत ख तीय और राजा क धारण क लोग क आ ह पर उस यि त न करार कया क वह वह पर ोध करगा जहा ोध करना चा हए उसी क भ सना करगा िजसक भ सना होनी चा हए उसी को दश नकाला दगा िजस दश नकाला मलना चा हए बदल म लोग न उस अपन स पि त का एक अश दना वीकार कया

अथशा क थम वभाग क 13व अ याय म दो जासस क बीच जो वादmdash ववाद ह उनम एक जासस कहता ह क लोग न वय मन को राजा बनाया था और कर दन का इकरार कया था कौ ट य इस मत क धारक ह क ldquoम य याय क ि थ त स अ भभत जा न मन को धा य का छठा भाग तथा प य और सवण का दसवा भाग उसक भागधय क प म उस दान करन क यव था क

महाव त म भी द घ नकाय क भा त पतनाव था क बाद सवा धक सशोभन और शि तशाल यि त को राजा नवा चत होत दखत ह िजस महास मत कहा गया ह उस

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म ना भ ष तrdquo नाम दया गया ह िजसका अथ बताया गया ह क वह अपन लोग क स यक र त स र ा और प रपालन करता ह

महाभारत का शा तपव का राजधमmdash करण ईसा क पहल शता द स पहल का माना नह जा सकता ह य क महाभारत क 67व अ याय म रा यो प त क अनबधmdash स ात का ववचन ह और अ याय 65 ( लोक 13) म पहलव (पा थयन ) का उ लख ह शा तपव म इस स दभ म दो स ा त प रक पनाए ह िजनम रा य क उ पि त क अनबधवाद क त व समा व ट ह पहल प रक पना 59व अ याय म तत क गई ह जो दड और दडनी त क मह व क द घ ववचन स श होता ह बताया गया ह क शासन का उ तरदा य व सभालन क लए व ण न एक मानसप क रचना क उसन अपन अनक श य क साथ स यास ल लया िजसक फल व प अतत वन का अ याचार शासन श हआ ऋ षय न उस मारकर उसक दाई जाघ स पथ को उ प न कया जो व ण क आठवी पीढ़ म पड़ता था एक अनबध कर ऋ षय न व शत नधा रत कर द िजनका पालन करक ह पथव य सहासनासीन रह सकता था उसन ऋ षय क नत व म वचन दया क वह वषभ प महाभा य ा मण क राजा करगा और वह करगा जो उ चत और रा यशा स स मत हो

शा तपव क 67व अ याय म दसर प रक पना ह िजस प टत अनबधवाद माना जा सकता ह कहा गया ह क ाचीन काल म अराजकता क दौरान लोग न आपस म करार कया इसक अनसार उ ह न उन लोग का ब ह कार करन का नणय कया जो वाचाल र परधनह ता और पर ीगामी थ यह एक सामािजक करार था रा योदया क अगल अव था का सकत राजनी तक अनबध क थापना स मलता ह लोग क वारा अनबध क पालन स द न आए अत उ ह न मा क पास जाकर एक ऐसा अ धप त मागा िजसक पजा व साथ मलकर करग और जो र ा करगा मा क आ ा दकर मन को इस सभालन को कहा पर उ ह न इकार कर दया लोग न मन को यह कहकर तयार कया क व उसक कोषवधन क लय अपना 150 पश 150 सोना और 110 अ न दग उ ह न यह भी त ा क क जो लोग श ा योग म वीण ह ग व उसी तरह उनका अनशरण करग िजस तरह दवतागण इ का करत ह

ख रा यो पि त का दवीmdash स ात

त तर यmdash ा मण म इ वारा जाप त स राजस ता ा त करन तथा शतपथ ा मण म राजा को भतल म जाप त क त न ध क प म वीकार करन का उ लख मलता ह रामायण म भी इसी कार क वणन मलत ह महाभारत क शा तपव (58) म दव और नरदव को एक त य तथा राजा को मन य क प म दवता कहा गया ह इसम य धि ठर को राजधम का उपदश दन क म म भी म व ण वारा राजा पथ क उ प न का िज करत ह राजा काय क स पादन क समय अि न आ द य यम म य और कबर आ द का प धारण करता ह अथशा (1 9) म भी रा यो पि त क दवी स ा त क प ट सकत मलत ह मन म त क अनसार ससार क र ा क लए ई वर न राजा का नमाण कया मन न उस नर क प म महती दवता कहा ह म यपराण तथा वह प त म त म

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भी इस स ात क प ट नदश मलत ह व ण तथा नारद का भी ऐसा ह मत ह क त पथव य क रा या भषक क समय लय गय शपथ स ात ह क दवी होन क बावजद राजा या रा य पर कछ अकश थ समरागण स धार (8) म इसका स व तत ववचन ह जन सा ह य म ऋषभनाथ का मत ह क ई वरकत धमशा क नयम म राजा क स ता नय त रहती थी

ग रा यो पि त का य मलक तथा बल स ात

ऐ तरय ा मण म असर वारा दव क पराजय का उ लख ह िजस वजह स सभी क वारा राजा क नमाण तथा वीकार कय गय महाभारत क 67व अ याय म भी मन वारा

राजपद सभालन क बाद दि वजय क लय थान करन का िज ह व भ न सा य स ात ह क ाचीन भारत म जनmdashजातीय जीवन म सघष क दौरान अराजकता क ि थ त स

बचन क लय रा य का नमाण हआ कछ व वान का अ भमत ह क ऋ वद म व णत जन तथा वश स काला तर म

रा य का वकास हआ वायपराण तथा प च रत म जीवनmdashयापन क म य ोत क प म क पव और महाव त म वनलता तथा भ म पयटक क नाम आय ह महाका य तथा पराण म कहा गया ह क पहल व छद यौनाचार क ि थ त व यमान थी और ी पर प ष क आ धप य पर आधा रत प रवार जसी स था न थी द घ नकाय क अहान हय स त म ऐसा ह नदश मलता ह वसयपरण क अनसार कतयग म कोई वण नह था और महाव त म भी लोग क सामािजक णय क वभाजन का उ लख नह ह कौ ट य न भी अथशा म ार भक चरण म रा यmdashस था क अभाव का िज कया ह

क त वायपराण माक डयपराण तथा महाव त स ात ह क जीवन का यह सहजmdashस दर वाह क षmdashकौशल क अ वषण क साथ भग हआ नजी स पि त और घरmdashप रवार का अि त व सामन आय इसक लय कानन क अ भ वीकत और समथन अप त था बौ mdashसा ह य म भी नजी सपि त और प रवार क भ मका का उ लख रा यो पि त क सदभ म कया गया ह पराण म रा य क उदय म वण या सामािजक वग क भ मका का मह व व णत ह वायपराण म िज ह क वण क क त य नयत कर दय गय क त लोग न परा नह कया िजस वजह स समाज म उ छखलता श ह ई और मा न य क लय दड का नमाण कया और य कम नयत कया महाभारत क शा तपव पराण तथा बौ अन तय क अनसार सामािजक सघष तथा त प ाओ को रोकन और न हत वाथ क र ा क लय रा य क ज रत ह ई पथ भी वधम वणधम और आ मधम क र ा का त लत ह

इस कार ाचीन भारत म रा य क उ पि त क सबध म सभी स ा त को य या अ य प म वीकारा जा सकता ह

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7 ाचीन भारत म सा ा य का उदय स यवि थत जीवन और क ष क था य व क फल व प ाद शक राजत को

अ य धक बल मला इसी यग म कराधानmdash यव था क चलन स राजा क आय नि चत ह ई और वह अनक अ धका रय को नय त कर सकता था उ तर व दक थ म भगदध नामक एक राजा क वारा पदावार म स बड़ ह स क वसल कय जान का उ लख मलता ह शतपथ ा मण म कहा गया ह क राजा जनता का भ क ह य क वह जनता स करmdashवसल कर अपन अि त व क र ा करता ह इन बात क कारण राजा का पद ि थर हआ उसक चनाव क था समा त ह ई और राजपद क लय उ तरा धकार क था अि त व म आई

राजपद क गौरवmdashग रमा और था य व को आग बढ़ान क लय रा या भषक का अन ठान ारभ हआ िजसम उस व भ न दवताओ क गण स वभ षत दखाया गया ह इस दशा म राजा को नवजात ा मण वग स पणत वचा रक सहयोग ा त हआ उ तर व दक सा ह य म ऐस अनक य जो राजपद स य त थ क सपादन क नदश मलत ह वाजपय यह शि त ा त करन क लय कया जानवाला एक सोम य था यह साल म सतरह दन तक चलता था और ऐसी मा यता थी क उसस एक अधड़ उ का राजा शि त ा त करन क साथmdashसाथ सामा य राजा स स ाट का गौरव ा त कर सकता था अथात कसी क भी अधीन न रह कर वय कई राजाओ पर शासन कर सकता था राजसय यह दसरा ज टल यह था जो स ाट का पद ा त करन क लए कया जाता था इसका अन ठान रा या भषक क समय कया जाता था

इस य का सचालन करन वाल परो हता य को द णा क प म 240000 गाय तक द जाती थी सबस मख य अ वमघ य था इसम राजा क साथ उसक चार रा या धका उसक चार रा नया और 400 सवक तथा अनक दशक भाग लत थ एक वशष प स अ भ ष त घोड़ को एक साल तक घमन छोड़ दया जाता था 400 यो ा माग म उस

घोड़ क र ा करत थ ता क कोई राजा उस पकड़ ल तो उस राजा स य कया जाय साल ख म होन क साथ उस घोड़ को राजधानी म लाया जाता था और 600 साड़ क साथmdashसाथ उसक भी ब ल द जाती थी राजा क रा नया शव क द णा करती थी पटरानी सहवास क म ा म उसक बगल म सो जाती थी 21 बाझ गाय क ब ल और परो हत को दानmdashद णा क प म चर स पि त दन क बाद य का समापन होता था समझा जाता था क इस य स वजय और स भता क ाि त होती थी इनक अलावा उ तर व दक काल म सामा य व धmdash वधान क साथ छोटmdashमोट घरल य क भी था च लत थी बड़ पमान पर य ान ठान क चलन क कारण ऋ व दक सभाmdashस म त और दवताओ का मह व घट गया और राजा क शि त म अभतपव व ह ई तथा सा ा यmdash नमाण क प ठभ म तयार ह ई

8 मगधmdashसा ा य क वकास क प ठभ म सा ा यवाद क वकास क प ठभ म म ऊपर व णत व भ न जनपद क अ ययन स

ात होता ह क समकाल न राजनी त म उनक भ मका अलगmdashअलग ह काशी रा य िजसन

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पहल एक मह वपण थान हण कर लया था कौशल और मगध स परािजत हो गया कौशल और मगध दोन ह गगा और उसक मदानी इलाक पर अपना अ धकार था पत करन क लए आपसी त व दता म सल न रहत थ य क साम रक आ थक और यापा रक ि टकोण स गगा और उसक आसmdashपास क उवर भ म बह त मह वपण थी अत प ट ह क छठ शता द ई० प० म कवल चार रा य mdash काशी कोशल मगध और वि ज महासघ क तती बोल रह थी लगभग 100 वष तक य अपन राजनी तक भ व क लए लड़त रह मगध अतत वजयी हआ और उ तर भारत म वह शि त का क बना

मगध सा ा य क सफलता क कारण क तहक कात को समकाल न प रि थ तय म कया जा सकता ह

(क) व भ न शासक न अपनी मह वाका ाओ स सत या असत हर उपाय स मगध का व तार कया और इस था य व दान कया

(ख) लोह क सम भडार मगध क आर भक राजधानी राजगीर स बह त दर नह थ अतएव अपन वरोधी शासक क बजाय मगध क शासक भावशाल ह थयार तयार करान म यादा सफल ह ए

(ग) मगध क दोन राजधा नया mdash राजगीर और पाट लप mdash साम रक ि ट स परम मह वपण थान पर थी राजगीर पाच पहा ड़य क एक खला स घरा था जो वह दभ य था पाट लप गगा गडक और सोन न दय क सगम पर था अत इस नगर पर क जा करना आसान काम नह था

(घ) मगध रा य म य गगा मदान क उपजाऊ मदान म पड़ता था ाचीन भारत क बौ mdash थ म आया ह क इस दश म अनक कार क चावल होत थ फलत यहा क कसान काफ अनाज पदा कर लत थ और शासक कर क प म इस फािजल उपज को एक कर लत थ

(ङ) मगध क शासक न नगर क उ थान और धातmdashधन ( स क) क चलन स भी लाभ उठाया पव तर भारत म वा ण यmdash यापार क व क कारण शासक अब वा ण य व तओ पर च गी लगा सकत थ और इस कार अपनी सना क खच क लए धन एक कर सकत थ

(च) स नक सगठन क मामल म मगध को एक खास स वधा ा त थी भारतीय रा य क घोड़ तथा रथ क उपयोग स वह भल भा त प र चत था क त मगध ह पहला रा य था िजसन अपन पड़ो सय क व हा थय का बड़ पमान पर इ तमाल कया

(छ) मगध म बस क र ा मण करात और मगधवा सय को न न णी क समझत थ क त व दक लोग क आगमन स यहा जा तय का सखद म ण हआ इस आय करण क ताजा भाव क वजह स पवकाल स ह व दक भाव म आए रा य क अप ा मगध म व तार क लए उ साह अ धक था

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उपय त त व क सय त प रवश म मगध दसर रा य को हरान म और बि बसार क नत व म थम मगधmdashसा ा यवाद का उ थान करन म सफल भत हआ

अ यासाथ mdash न (क) ई० प० छठ सद म जनपद रा य क उदय को प ट कर (250 श द म) (ख) ई० प० छठ सद म उ दत व भ न जनपद क राजनी तक व प और भौग लक

वतरण को प ट कर (250 श द म) (ग) ाचीन भारत म रा य क उ पि त सबधी व भ न स ात क ववचना कर

(250 श द म) (घ) ई० प० छठ सद म सा ा य क उदय क प ठभ म को प ट कर (150 श द म) (ङ) मगध सा ा य क सफलता क या कारण थ (150 श द म)

सदभ थ सची 1 Altekar A S State and Government in Ancient India

Varanasi 1949 (Also in Hindi) 2 Sharma R S Aspects of Political Ideas and Institutions in

Ancient India Varanasi 1968 (Also in Hindi) Ancient India NCERT Publication Delhi

(Also in Hindi) 3 Thapar Romila From Lineage to State Delhi 1984 4 Raychoudhari HC Political History of Ancient India Calcutta

1953 (Also in Hindi) 5 Jha D N amp Prachin Bharat Delhi University 6 Shrimali KMEd Publication 1986

138

इकाई mdash 9 राज व (राजत ) mdash उसक क त एव क त य

इकाई क सरचना 90 उ य 91 तावना 92 अ ययन क ोत 93 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क उ पि त स स बि धत व भ न वचार धाराए

931 नवाचन प त 932 द वक उ पि त

94 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क क त 941 राज व (राजत ) क क तmdashऐ तहा सक प रप य म 942 राजा एक सर क (Trustee) क प म 943 राज व (राजत ) पर अकश

95 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क क त य 96 साराश 97 पठनीय ास गक थ

90 उ य इस इकाई क अ ययन क प चात आप न न ल खत जानकार ा त कर सकगmdash

(अ) ाचीन भारत म राजा श द क मह ता (ब) राज व क ाचीनता (स) अ ययन ोत क जानकार (द) राज व क उ पि त सबधी व भ न वचारधाराए (ध) ाचीन भारत म राज व क क त (न) ाचीन भारत म राज व क क त य

91 तावना आय क मह वपण राजन तक स था राज व (राजत ) थी ऐ तहा सक ि ट स

व दक यग म इसक उ पि त कट ब कबील वश और ाम क सि म ण स रा या रा य क प म ह ई ऐसी मा यता ह क इसक उ पि त शन शन शि त सचयन तथा द वक वचारधारा क फल व प व दक यग क राजा क प म ह ई राजा श द का शाि दक अथ नकालना एक क ठन काय ह इस श द का सव थम सदभ न त (11mdash1) स ा त होता ह िजसम व णत ह क राज नामक जड़ स राजा श द क उ पि त ह ई ह िजसका अथ होता ह का शत होना या चमकना इसक प चात महाभारत क शाि तपव म राजा श द क उ पि त र ज नामक जड़ स बताई गई ह िजसका अथ होता ह आनि दत करना या सख

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पह चाना राजा श द क उ पि त का स बध यरोप म पाई जान वाल जड़ रग स भी बताया जाता ह जो ल टन र स क जड़ ह इसका शाि दक अथ होता ह वह यि त जो नत व कर और नदश द और वय उ चत पथ का अनसरण कर राजा श द क वा त वक अथ क या या कवल ऐ तहा सक प र य वारा ह जानी जा सकती ह राजा क ाचीनता क ान का भल भा त प रचय ऋ वद म ल खत व वध सदभ स ा त होता ह क पी जायसवाल क श द म महाभारत क सदभ तथा ईसा क चौथी शता द म मग थनीज वारा व णत भारत म च लत कथाओ स यह ात होता ह क राजत क प चात जा त सरकार क थापना ह ई ( ह द पा लट प 20) राजा श द क मह ता का ान इस त य स प ट

होता ह क जाता क सरकार क नवा चत मख न उ तर व दक काल तथा बौ यग म भी राजा श द का उपयोग कया ह कौ ट य न भी राजा क ऊपर आई ह ई वपि तय का वणन करत ह ए वरा य अथात राजत क नबलता पर काश डाला ह (अथशा VIIImdash 2)

राज व क उ पि त क त और क त य का भल भा त व लषण करन क प चात अब हम उन त य का अ ययन करग िजनक वारा व दक यग क म खया आग चलकर राजा म प र णत हो गए इसक अ त र त हम उन ऐ तहा सक त य का भी अ ययन करग िज ह न एक ल ब समय क प चात राजा को शि त एक त करन म सहयोग दान कया और उनको द वक शि त का तीक माना

92 अ ययन क ोत हमार अ ययन क ोत म व दक बौ जन तथा उ च को ट क सा हि यक थ

सि म लत ह तथा तर लख व स क स भी यह ान ा त होता ह राजत क उ पि त क वषय म एतरय और ति तर य ा मण बौ थ द घ नकाय और महाभारत वशष प स उपयोगी ह इसी कार कौ ट य क अथशा और मन म त म भी राजा क क त एव क त य का भल भा त वणन ह अशोक क शलालख स राजा क उदारता का स दर द दशन होता ह

93 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क उ पि त सब धत च लत व भ न वचारधाराए ाचीन भारत म राज व क उ पि त क स बध म दो मख वचारधाराए च लत हmdash

थमmdashराजा क नयि त चयन या वारा तथा वतीय राजा क उ पि त द वक शि त वारा होना

931 राज व क उ पि त चयन या वारा होन का स ात mdash

राजा का चनाव वारा नवा चत होन का थम टात हम ा मण थ स ा त होना ह ऐ तरय ा मण (1mdash 14) म व णत ह क जब दवताओ और रा स म य हो रहा था उस समय रा स क इस य म वजय ह ई उस समय दवताओ न यह महसस कया क उनक कोई राजा न होन क कारण स उ ह परा य का म ह दखना पड़ा ह इस लए उ ह न यह सझाव दया क सोमrdquo को उनका राजा बना दना चा हए जब सवस म त स यह ताव

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पास हो गया तब राजा क नयि त ह ई एतरय ा मण (VIIImdash 12) म एक अ य थान पर ऐसा वणन ह क राजा क चयन या क स ात का इ क सहासनारोहण समारोह म भल भा त द दशन होता ह ऐसा कहा जाता ह क दवताओ न जाप त क नत व म सवस म त स यह वीकार कया क उनम इ एक अ यत वीर शि तशाल और सवगणस प न यि त ह जो यक काय कशलतापवक कर सकता ह इस लए उ ह न यह नणय लया क उस राज व क पद पर सशो भत कया जाए और इसी लए उसक महा भषक ( सहासनारोहण) समारोह म उसको व भ न कार क राज व क अ धकार दान कय गए

य क आव यकतानसार राजा क चयन या म उसका शार रक प स शि तशाल होना मख गण था इस स ात का उ तर व दक काल म कस कार योग कया गया इसका उ तर दना क ठन ह उ तर व दक काल म राजा क चनाव या च लत थी दसर ओर रा या भषक समारोह राजा क राजन तक शि त का तीक था इस वचारधारा म समझौत क भावना होन का अनमान करना क ठन ह उसस हम कवल उस समय क च लत राज व णाल का ान ा त होता ह राजा क रा या भषक होन क समय यह

आव यक था क वह य म वजयी हो इस वचारधारा स यह तीत होता ह क राजा को जो काय करन को स प गए ह वह उनको पण कर इस वचारधारा का भाव इस समय क प चात भी राजनी त पर वशष प स पड़ा

बौ सा ह य म राज व क चयन या का सपण ववरण मलता ह माधाता जातक म व णत ह क ससार म थम राजा का चनाव सवस म त स कया गया था इसक अ त र त द घ नकाय म भी राज व क उ पि त का चनाव वारा होन का वशद ववरण ह इसम व णत ह क ार भक प रवतनशील यग म मन य क आव यकताए बह त सी मत थी उस समय उस भोजन व नजी सपि त कट ब सरकार तथा नयम क आव यकता नह थी इसक प चात शन शन मन य का भ म स सबध बढ़ता चला गया और उस भोजन तथा सर ा क आव यकता महसस ह ई जस ह मन य आ दम अव था स बाहर नकला तब वण यव था का स पात हआ और उनम एक दसर स समझौता करन क वि त न ज म लया इस समय नजी स पि त स थाओ तथा कट ब क यव था ारभ ह ई इसक ारभ होत ह चोर डकती य भचार तथा अनक अपराध होना ारभ ह ए इन सम याओ क नराकरण क लए मन य न इक होकर वचार व नमय कया और अपन समाज म स स दर तभाशाल तथा यो य यि त का चयन कया और उसस कहा क ह सौभा यशाल यि त तम अब उन अपरा धय को द डत करो और य द आव यक हो तो उनको दश नकाला भी दो इस काय क लए हम त ह हमार वारा उ प न चावल का एक भाग दग ldquo (द घ नकाय III) उस यि त न इस बात पर अपनी सहम त कट क य क उसका चयन सवस म त स हआ था (महाजन स मत) इसी लए उस महास मत अथात सवस म त स चना हआ यि त कहा जाता था यह यि त भ म का भी वामी था इस लए उस खतानाम प त कहा गया उस ख ीय यान उ च यि त कहा गया और च क यह यि त नधा रत नयम का पालन कर सम त समाज को सख पह चाता था इस लए उस राजा कहा गया

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द घ नकाय म राजन तक समझौत क अनसार राजा क चनाव म वशष यो यता वाल यि त को चनन क लए कहा गया ह पर त यह चनाव सवस म त स होना चा हए इस त य स यह ान होता ह क उस समय सामािजक अव था एक उ च तर तक पह च चक थी उस समय मन य आ दम अव था यग को पार कर चका था अब इस प रव तत अव था म मन य और ि य व भ न जा तय और धनी एव नधन वग म झगड़ होना ारभ हो गए थ इस अव था म सामािजक प रवतन आव यक थ

कौ ट य न राजा क चनाव प त क वषय म कहा ह क जब समाज म अराजकता या त हो गई तब उ ह न मन वव वत को अपना राजा चना और उस अपना पदा कए ह ए अनाज म स छठा (16) भाग तथा यापा रक व तओ क पदावार म स दसवा (110) भाग दना नि चत कया इसक फल व प राजा न जनता क र ा तथा सर ा का दा य व वीकार कया इसक अ त र त य द राजा यायपवक दड दन तथा नधा रत कर वसल करन म असमथ स हआ तो वह इसक लए जनता क सम उ तरदायी होगा (अथशा 1 1३)

कौ ट य न मन वव वत को थम राजा बतान क प चात बा माण क द वक उ पि त वाल स ात का वणन कया ह कौ ट य न राजा क वतन का भी वणन कया ह तथा सर ा यव था का भी वणन ह वा तव म जनता को सर ा दान करन क उपरा त ह राजा को शि त मल सकती ह कौ ट य क तपा दत इस वचारधारा स राजा क क त य क वषय म अनक न कष नकाल जा सकत ह

महाभारत क शा तपव म राज व क उ पि त क वषय म दो अलग स ात का वणन ह इनम स थम स ात का सबध पथ (59वा अ याय) तथा वतीय का सबध मन (67वा अ याय) स ह सपण ववरण क लए द खए इकाई स या 4) य दोन स ात राजा क

य चनाव का तपादन नह करत ह जसा क बौ थ म व णत नह ह य दोन स ात दसर ओर राजा क चनाव म दवताओ का भाग लना वीकार करत ह य य प शाि तपव एक राजन तक थ नह ह पर त इसम

कई राजन तक वचारधाराओ का वणन ह िजसम अनक मा यताओ का सरलतापवक वणन ह 59व अ याय म व णत मा यता क अनसार परो हत वग क हत क र ा हत राजा पर कछ बधन रख गए ह इसी कार 67व अ याय म राजा क शि त क मह ता का वणन ह

इस कार हमन राज व क चनाव सबधी चार व भ न वचारधाराओ का वणन कया ह 1 दवताओ म असर क ऊपर वजय ा त करन हत राज व क उ पि त 2 बौ थ म व णत चनाव या 3 कौ ट य का चनाव वारा मन को राजा बनाया जाना 4 महाभारत म व णत पथ और मन को राजा बनान क था

इन सम त स ात म क पना का गहरा समावश ह पर त इसस इन क पनाओ क ऐ तहा सकता को नकारा नह जा सकता ह इन सम त स ात स हम राज व स था क

142

नरतर अि त व का ान होता ह राज व कसी भी अ य सामािजक स था स पव उ प न नह ह ई ह पर त इसक उ पि त एक ऐ तहा सक काल म ह ई ह जब समाज न अपनी आव यकताओ क प त हत इस ज म दया (वी पी वमा ल खत टडीज इन ह द पा ल टकल थाट ए ड इ स मटाफ िजकल फाउ डश स वष 1974 प 220) इन सम त स ात स हम एक अ य मह वपण त य का ान ा त होता ह क राजा क शि त एक सर क क प म थी

932 राज व क द वक उ पि त का स ात

ार भक व दक काल स ह हम राज व क उ पि त क द वक स ात क जानकार ा त होती ह ऋ वद (VII 64 1mdash2) म एक स व दक राजा साद य क एक म म

वह अपनी द वक उ पि त का वणन इस कार करता ह mdash मरा सा ा य वप ी ह िजसम सम त य जा त और सम त मन य हमार ह दवतागण व ण क काय वारा मझ सहयोग दत ह म सम त मानव समाज पर शासन करता ह म इ ह म ह व ण ह और म ह इन दोन क समान शि तशाल ह इस म म साद य वय को न कवल इ और व ण ह कहता ह पर त वह ई वर क सम त ऐ वय का भी वय को भागीदार बताता ह अथववद (XXmdash 127 7mdash10 IV 22 6 7) म भी राजा क द वक उ पि त क कई सदभ व यमान ह इसक एक म स हम ात होता ह क राजा इ वग और सम त भखड का वामी ह और अ य सम त व तओ का भी वह वामी हउसम द वक शि त व यमान ह और इसी लए वह सभी का वामी ह (अथववद IV 86) यहा पर राजा म कवल द वक शि त व यमान होन क अ त र त उस दवताओ क राजा इ का भी वामी कहा गया ह

ा मण थ म राजा क द वक उ पि त वाल स ात को और यापक प स व णत कया गया ह वशष तौर पर राजसय और अ वमध य म इसका यापक वणन ह ा मण थ म कई अवसर पर ऐसा कहा गया ह क जो यि त य करता ह वह दव हो

जाता ह शतपथ ा मण म व णत ह क अ वमध य करन वाल को दवताओ क वग म थान मलता ह (XIII443) इसी कार जो राजा राजसय य करता ह वह जाप त हो

जाता ह (V I 5 14) ति तर य ा मण म इस वचारधारा का यापक व लषण कया गया ह इसम कहा गया ह क वाजपय य करन वाला जाप त का प हो जाता ह (1mdash3 2) इन य म राजा क द वक उ पि त वाल स ात क पि ट क गई ह व भ न य म होन वाल याओmdash वशषकर रा या भषक ( सहासनारोहण) तथा अ भसच नयम ( नयि त) क अवसर पर होन वाल याओ स हम राजा क न तकता और वधा नकता का तान होता ह

स प म व दक सा ह य म य य प राजा क उ पि त भगवान वारा होन का प ट वणन नह ह पर त वा तव म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का यदाmdashकदा वणन ह

बौ थ म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का क भी उ लख नह ह बौ धम म य म होन वाल पश ब ल का घोर वरोध कया ह और उ ह न इस य या को

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समा त करन क य न कए इस लए बौ काल म राजा क द वक उ पि त वाल स ात क मह ता समा त हो गई मोय क उ कष क प चात इस स ात को कौ ट य न अपन अथशा म पनज वत कया िजसम राजा को दवताओ क समान बताया गया ह इसम कहा गया ह क राजा क अ दर इ और यम क शि तया न हत ह इ का काय पर कार दान करना तथा यम का दड दना होता ह (अथशा 113) महाका य और मन म त न पन इस स ात को और यापक ि ट द ह रामायण म व णत ह क राजा स य ह वह अपन स काय क कारण दवताओ यम कबर इ और व ण स भी बढ़कर ह (रामायण 11 67 34mdash36) रामायण म इस कार एक नए त य को उजागर कया ह क राजा दवताओ स भी बढ़कर हो सकता ह महाभारत क शाि तपव म राजा क द वक उ पि त वाल स ात का यापक प स वणन ह 59व अ याय म व णत ह क थम राजा वरजस क उ पि त भगवान व ण क शि त स ह ई इसी कार 36mdash40 अ याय म बह प त न वसमन को राजा क द वक उ पि त वाल स ात क यापक या या क ह

मन न भी राजा क द वक उ पि त वाल स ात को वीकार कया ह उसका कथन ह क ई वर न ससार क सर ा हत राजा को ज म दया िजसम उसन इ अ नल यम अक अि न व ण च और कबर क गण का समावश कया (मन म त VIImdash3mdash4) उसका आग कथन ह क ई वर न राजा को उ प न कया राजा का म य श दड ह जो ई वर का प ह (मन म त VIImdash5mdash6)

अनक व वान न राजा क द वक उ पि त वाल स ात क मा यता म सतकता क आव यकता पर बल दया ह ऐसा वीकार कया गया क ह द वचारधारा क अनसार राजा ई वर नह ह वरन वह कवल एक मानव दवता ह वा तव म कहा जाए तो ह द वचारक न राजा को ई वर स शि त ा त करन वाला नह बताया ह उनका म य उ य तो राजा भी द वक शि त को कवल स ा तक प स वीकार करना था

94 ाचीन भारत म राज व क क त 941 राज व क क तmdashऐ तहा सक प रप य म

ाचीन भारत म राज व क क त स हम उसक ऐ तहा सक त य का ान होता ह ार भक व दक यग म राजा क क त एक कबील क म खया क प म थी जो कई कटब क

म खयाओ स उ चतर थी राजा न अपनी शि त सावज नक स थाओ स ा त क िजनक नाम थ सभा और स म त हम इन सावज नक स थाओ का कछ ह ान ा त होता ह पर त यह स य ह क उनक वारा राजा का चयन होता था और राजा स नक तथा या यक दोन काय करता था अ य ोत स वशषकर यरोप क ोत स हम इस न कष पर पह चत ह क राजा का थम क त य य कर वजय ा त करना था इस काय क लए वह वीर और साहसी स नक को भत करता था इस काय हत राजा अपन कबील क उन वयोव जन क सलाह लया करता था जो उनक समय म अ तशि तशाल और दरदश होत थ इस कार ार भक व दक यग म राज व कवल कबीला प त पर ह नह वरन चनाव प त पर भी

144

आधा रत था और उसक नधा रत कत य भी थ उसम द वक शि त का भी समावश होता था

समय प रवतन क साथ उ तर व दक काल म जब क खा या न क भरपर पदावार होन लगी तब व दक यग क राजाओ म शि त और दशन क भावना न ज म लया इस उ य क ाि त हत ाचीन वश पर परा को तोड़ कर समाज म उन यि तय को वशष ो साहन दना आव यक था जो अपार धन अिजत कर राजा को कर द सक िजसक वारा

राजा एक वशाल सना इक ी कर सक जो कबील क बधन स म त हो ऐसी प रि थ त म राजा न राजसय और अ वमध य करना ारभ कया इन य स न कवल राजा क वभव म ह व ह ई वरन ाचीन वश परपरागत बधन को तोड़न म भी सहायता ा त ह ई और राजा को कर वसल करन का न तक और सवधा नक अ धकार ा त हआ

इस कार अब राज व क क त म न कवल द वक शि त को ह वीकार कया गया वरन पव व दक तथा ा मण यग म राजा को कर दन वाल नए यि तय क सर ा का भी सवधा नक अ धकार ा त हआ इस कार इस समय राज व कबील था को छोडकर अब रा य अथात ाद शक अव था क ओर अ सर हो रहा था व भ न कबील क दश क व भ न थान म था पत होन क कारण ह छठ शता द ईसा पव म म य गगा घाट म कौशल और मगध सा ा य का उदय हआ इस कार राज व क क त म यापक प रवतन हआ अब यह कवल सवधा नक ह नह रहा वरन ाद शक हो गया

महा मा ब क समय म राज व क द वक उ पि त वाल स ात क मह ता समा त हो गई द घनायक म राजा क चनाव प त का वणन ह िजसम कहा गया ह क राजा सरकार का मख ह और थम सामािजक सवक ह और उसक सम त शि त उसक जा म न हत ह इस समय राज व क चय नत और समझौत वाल या काश म आई राज व क मह ता जस क एतरय ा मण म शि त और साहस पर नभर थी अब स दरता लोक यता काय मता और यो यता पर नभर हो गई बौ क वचारधारा म राज व क क त म यह प रवतन एक समझौत क प म हआ अब जा क अनरोध पर राजा न

अपरा धय को द डत करन क अ त र त एक नया काय करना भी ारभ कया mdash वह था यो य यि तय को ो साहन दना

इसक प चात द वक उ पि त वचारधारा को य य प काफ मह व दया गया पर त वा तव म इस कार का शासन नह था मौय क शासनकाल म च वत स ाट क वचारधारा न ज म लया और इसस राजा क शि त म यापक व तार हआ इस वचारधारा का कौ ट य न भल भा त तपादन कया ह उसन इस वचारधारा क मा यता को वीकार कया ह वा तव म कौ ट य का म य यय राजा और दवताओ म तलना करना था िजसस राजा रा य म अ य क तलना म सव च थान ा त कर सक स ाट अशोक न इसका आदश उपि थत कया ह उसन उसक अ द वक शि त क अ त र त दवनाम पय अथात दवताओ का य क उपा ध हण क और राज व क पतक वचारधारा का तपादन कया

145

महाभारत न भी इसी वचारधारा को मा यता द ह इसम राजा क चनाव म दवताओ क भागीदार का वणन ह इसम राज व क समझौत वाल वचारधारा म कछ प रवतन ि टगोचर होता ह जस परो हत वग क हत क लए राजा क शि त को सी मत करना

मौय क अ तम स ाट क शासनकाल म बा य आ मण एव आत रक व ोह क कारण राज व क क त पर इसका भाव पड़ा इस समय राजा को व ो हय को दड दन हत अ धक शि त क योग क आव यकता तीत ह ई महाभारत और शाि तपव म दड या क मह ता को दशाया गया ह मन का कथन ह क कवल दड स ह जनता पर शासन कया जा सकता ह ldquo (मन म त VIImdash7mdash10) इस कार दड क मह ता को दशात ह ए राजा को शि त का तीक माना ह

राजन तक अराजकता क फल व प राज व (राजत ) म उ तरा धकार णाल का ारभ हआ इस समय राजाओ न उपा धया धारण करना ारभ कया जस महाराजा यान महान राजा और राजा धराज अथात राजाओ का राजा राजत क वश पर परागत उ तरा धकार णाल ग त वशीय राजाओ क शासनकाल म प ट प स ि टगोचर होती ह ग त स ाट

न महाराजा धराज अथात राजाओ का महान राजा और परम भ ारक अथात राजाओ क महान राजा स भी महान नामक उपा धया हण क

स प म हम कह सकत ह क ाचीन भारत म राज व (राजत ) णाल का ज म ऐ तहा सक प रि थ तय क अन प हआ ारभ म कबील का धान इसक प चात रा य का वामी और इसक प चात राजा एक सवधा नक तथा द वक शि त स उ प न माना गया

दसर श द म य द राज व का ारभ चनाव वारा एक समझौत क प म हआ और उसक क त य भी नधा रत थ फर भी उस द वक शि त वाला माना गया यह द वक शि त क मा यता अ धकतर वचार म थी वा त वकता म नह ाचीन भारत म द वक शि त का स ात का उपयोग कवल राजा और दवताओ क तलना करन हत था वा तव म राज व का थान एक सर क क प म था और उस पर अनक अकश भी थ यहा पर यह प ट कर

दना आव यक ह क मौयकाल क अ तम वष क अराजकतापण समय म राजा क दड दन क शि त का दशन हआ इसी काल म वदशी राजाओ न भी द वक उपा धया हण क mdash जस दवप और दव त

942 राजा एक सर क (Trustee) क प म

राज व (राजत ) क नवाचन प त वाल या स यह ात होता ह क इस वचारधारा म राजा को एक सर क क प म माना गया ह ा मण थ म सहसना रोहण समारोह म स ा तक तथा यवहा रक दोन प म राजा को एक सर क क प म माना गया ह म यानी उप नषद (11) म राजा वह थ का अपन प को रा य दकर वान थ आ म हण कर यान स यास लकर जगल म एक साध क भा त रहन का उ लख ह महाभारत म

भी इसका प ट करण ह उसम व णत ह क य धि ठर क हाथ म उसका रा य एक ट क प म ह (आ मवा सक IX) ह द वचारधारा म राजा का सर क क प म होना एक मख स ात माना गया ह इस वचारधारा का वतमान वचारधारा स तलना करत समय

146

इसक सह आकलन म सतकता आव यक ह य क वतमान सरकार एक जन हतषी स था ह िजसक उ पि त सामािजक और आ थक समीकरण क ऊपर आधा रत ह जब क ह द वचारधारा म राजा क शि त एक सर क (Trustee) क प म द वक शि त क ऊपर आधा रत ह

943 राज व पर अकश

य य प ाचीन वचारधारा म राजा क शि त पर कोई सवधा नक भ व नह था पर त वा तव म उस पर कई अकश व यमान थ राजा का क त य एक कानन क सर क क प म नह वरन एक सर ा दान करन वाल अ धकार क प म था इस लए जो राजा सर ा दान नह कर सकता था उसका प यत होना पड़ता था जस क जब नाव म छद हो जाता ह तो उस सम म छोड़ दया जाता ह (शाि तपव LVIImdash44)

ऐ तहा सक ि ट स व दक काल म उस समय क जन त न ध सभाए राजा पर अकश रखती थी इन क नाम सभा और स म त थ इसक प चात जब राजा एक सर ा दान करन वाल क प म तथा धमर क क प म था उस समय ा मण थ तथा धमस म राजा क शि त पर अकश रखत थ महाभारत और मन न राजा क शि त पर अकश रखन का प ट वणन कया ह महाभारत न उस राजा का जो धम और जा क र ा करन म असमथ हो वध करन का आदश दया ह (शाि तपव XCII 7mdash9) इसक अ त र त ऐस राजा पर भगवान क ोध का कोप होना भी व णत ह भी म भी मन क इस वचारधारा स सहमत ह क य द कोई राजा जा क र ा करन म असमथ हो तो वह अपनी जा क एक चौथाई पाप का भागी होता ह (शाि तपव LXXXVImdash10 अनशासनपव LXI) टात प म य द हम राजा वण क कहानी पढ़ तो हम यह ात होता ह क उसक द काय क कारण ऋ षय न उसका वध कर दया था (शाि तपव 59 mdash49mdash9) इस कहानी म अनक बार राजा को धा मक नयम क अवहलना हत चतावनी द गई ह कई राजवश जस न द मौय और श ग वश िज ह न ा मण तथा धम नयम क अवहलना क व जा व ोह क कारण अवन त क माग को पह च ह और उनक शासन का अत हो गया ऐसी प रि थ त स बचन हत राजनी त क थ म बताया गया ह क राजा को अपन म ी प रषद क राय माननी चा हए (अथशा III 131 मन VII ndash53 श 281)

95 ाचीन भारत म राज व (राजत ) क क त य ाचीन भारत म राजा क क त य का व भ न प रि थ तय म प रवतन होता रहा

ारभ म राजा का क त य य म वजय ा त करना था िजसस उसक कबील क हत क र ा हो सक पर त जब रा य का ज म हआ तब राजा को न कवल बा य आ मण स अपन रा य क र ा ह करनी पड़ती थी वरन इसक साथmdashसाथ आत रक अपरा धय स अपनी जा क जीवन और सपि त क भी सर ा करनी पड़ती थी इस काय हत राजा जा स कर

लता था यहा पर यह प ट करना आव यक ह क ाचीन समय म रा य म राजा को इन उ य क प त हत ह रखा जाता था

147

कौशल और मगध रा य क उदय स राजा म सवधा नक शास नक तथा या यक अ धकार का समावश हो गया अब ऐसा माना जान लगा क राजा का क त य कवल रा य क सर ा करना ह नह वरन सामािजक और आ थक वातावरण को समकल बनाए रखना भी थी इसक लए वह वणा म का पालन यायपवक कर लना तथा धन का उ चत वतरण करता था वह जा त तथा धम क र ा करता था और जो इस बधन को तोड़त थ उनको द डत करता था वह कौट बक यव था क र ा या भचा रय को द डत करक अनाथ तथा वधवाओ क सर ा उनक सर क बनकर तथा नधन क धनी वग स र ा करता था इ या द वह ा मण तथा अ य व वान को उदार दान दकर धम क र ा करता था इन सर ा उपाय क अ त र त राजा क अ य भी कई क त य थ जस सचाई साधन क उ न त अकाल पी ड़त क सहायता और जनता क आ थक सम याओ का नराकरण आ द

मौय क शासनकाल तक राजा क सवधा नक शास नक तथा या यक अ धकार प ट प स ि टगोचर हो गए थ मौय राजाओ का काय काफ व तत था और वह रा य क

सम त वग mdash शास नक अ धकार धनी यापार गण तथा व वान ा मण पर अपना भ व रखता था वह इस काय क लए अनक ग तचर रखता था यापक अ धकार क अ त र त राजा उदार वि त का होता था कौ ट य का कथन ह क राजा को सदव काय करत रहना चा हए और जा क सम क लए य नशील रहना चा हए (अथशा 119) एक अ य थान पर उसन राजा क दनचया का वणन कया ह इसम कहा गया ह क राजा को कवल

साढ़ चार घट ह सोना चा हए तीन घट भोजन तथा मन रजन म लगान चा हए इसक अ त र त दन का शष समय राजकाय म यतीत करना चा हए वा तव म इस कार क दनचया का पालन करना असभव सा तीत होता ह पर त इस दनचया स हम आदश राजा क क त य का ान होता ह मग थनीज का कथन ह क राजा च ग त मौय जब उसक शर र क मा लश हो रह होती थी तब भी जा क शकायत सनता था उसक पौ स ाट अशोक न तो आदश सा रत कर रखा था क मह वपण रा य काय कसी भी समय कया जा सकता ह यहा तक क जब वह अतपर म हो तब भी (REVI) इस कार अशोक क समय म राजा का काय जा हत काय करना था वा तव म अशोक न जो आदश तत कया उसक ऊपर ाचीन स यता का सर गव स ऊचा होता ह

अशोक क आदश का उसक प चात क राजाओ क मागदशक बन अशोक क समय क अनक तर लख तथा ता प लख म अशोक क उदारता का वणन ह वह कवल अपरा धय को द डत ह नह करता था वरन यो य यि तय को पा रतोषक भी दान करता था उसन कला सा ह य और श ा को भी ो साहन दया

राजा ा मण तथा अ य धमावल बय को उदार दान भी दता था वह एक सर क क प म भी काय करता था

स प म यह कहा जा सकता ह क ाचीन भारत म राज व (राजत ) प रि थ तय क अनकल बदलता रहा और यह उस समय क ऐ तहा सक अव थाओ का योतक ह इस कार ार भक व दक यग क एक कबील क मख स आग चलकर एक रा य क सर ा अ धकार क प म तथा आ थक तथा सामािजक अ धकार क सर ा करन वाल क प म प रव तत हो

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गया मौय यग म राजा क अ धकार म अपार व ह ई अब राजा को सवधा नक शास नक और या यक सम त अ धकार ा त हो गए अब राजा का क त य जा क

भलाई करना था इसी आदश का आग चलकर अ य राजाओ न पालन कया िजसक कारण उ ह न श ा कला और धम क म उदारतापवक धन दान कया राजा न एक सर क (Trustee) क प म भी काय कया

96 साराश राज व (राजत ) क क त और क त य क इस अ ययन का हम स प प म इस

कार वणन कर सकत ह mdash 1 आय क मख राजन तक स था राज व (राजत ) थी 2 राज व (राजत ) क उ पि त व दक यग क धान राजा स ह ई राजा श द क उ पि त

रज नामक जड़ स ह ई ह िजसका अथ होता ह काशवान या इसक उ पि त रज स ह ई ह िजसका अथ होता ह सख दान करना ऐसी भी मा यता ह क इसका सबध ल टन भाषा क र स स ह

3 ार भक भारतीय सा ह य म राज व (राजत ) क ाचीनता का उ लख ह 4 हमार इस अ ययन क अनक ोत ह िजनम न कवल ा मण थ का ह नह वरन

बौ थ का भी समावश ह 5 राज व (राजत ) क उ पि त क वषय म दो भ नmdash भ न वचारधाराए ाचीन भारत म

च लत थी जो नवाचन प त तथा द वक उ पि त स ात क नाम स स थी 6 राज व (राजत ) क क त स हम उस समय क ऐ तहा सक प रि थ त का ान होता

ह समयानसार इसम प रवतन होता रहा और यह कबील स रा य और फर सवधा नक प म प रव तत हो गई बाद म इसम दव व क भावना क साथmdashसाथ नवाचन और

समझौत का भी समावश हो गया 7 राजा क क त य म भी प रवतन होता रहा एक धान सनाप त जो कशलतापवक य

सचालन करक वजयी हो सक स बाद म यह रा य क एक मख सर ा अ धकार क प म प रव तत हो गया राजा न कर क यायपवक वसल और धन का सम चत वतरण भी कया इसक प चात राजा म सवधा नक शास नक तथा या यक अ धकार क समावश क अ त र त वह समाज क सामािजक तथा आ थक यव था का भी सर क हो गया इस कार राज व (राजत ) न जा क हत म लाभकार काय कए

97 पठनीय मा णक थ

1 एएस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन एन शय ट इि डया वाराणसी 1958

2 एएल बाशम द व डर दट वाज इि डया पा 1958 प

149

80mdash139 3 चा स कमीयर कग शप ए ड क य नट इन अल इि डया

कल फो नया 1962 4 कपी जायसवाल ह द पा लट mdash बगलौर (सशो धत स करण)

1978 5 आरएस शमा एसप स आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इ सट यशन इन एन शय ट इि डया दहल 1968

6 आरकचौधर कौ ट याज पा ल टकल आइ डयाज ए ड इ सट यशन वाराणसी 1971

7 यएन घोषाल ए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज कलक ता 1923

8 जपी वमा टडीज इन ह द पा ल टकल थाट ए ड इ स मटाफ िजकल फाउ डश स वाराणसी 1954

9 भार वाज कमलश मख म तय म राजनी तक व व धक वचार (मन या व य नारद का यायन बह प त) पी एच डी शोध बध राज थान व व व यालय जयपर

10 भार वाज कमलश ाचीन भारतीय समाज एव रा य पोई टयर 1999 चौड़ा रा ता जयपर

150

इकाई mdash 10 राज व का व प एव उस पर नय ण (मयादाऐ)

इकाई क परखा 100 उ य 101 तावना 102 राज व का व प एव दव व का वकास 103 राज व पर नय ण

1031 स ा तक नय ण 10311 धम क सव प रता 10312 राजा का जा पालक व एव पतक स ात 10313 राजधम क त ठा या दड का स ात 10314 राज व का स वदा मक व प

1032 स थागत नय ण 10321 नवाचन 10322 सभा व स म त 10323 परो हत 10324 म ीमडल 10325 स ता का वक करण 10326 जनमत का भय

104 अ यासाथ न 105 सदभ थ

100 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप जान पायग क mdash

ाचीन भारत म राज व का या व प था राजा पर स ा तक नय ण कौन स थ राजा पर स थागत नय ण कौन स थ व भ न कार क नय ण राजा क नरकशता को कस सी मत करत थ

101 तावना ाचीन भारतीय रा य यव था क अ ययन स व दत होता ह क उस समय म शासन

णाल क ि ट स मोट तौर पर रा य दो कार क थ mdash नपत ा मक और अनपत ा मक इनम स ाचीन भारत म अ धकाश समय और थान म नपत (राजत ) क ह धानता रह

व रा य जहा क शासन यव था राजत ा मक या एकत ा मक अथात एक यि तmdashराजा (नप)mdash क अधीन हो नपत ा मक रा य थ दसर श द म जसा क नपत श द स ह

151

प ट ह ऐस रा य क शासन यव था नप (नरमन य) अथात जा क पालक राजा क अधीन थी वहा राजा सव च पदा धकार एव क य मह व वाला होता था रा यो पि त स स बि धत ववरण यह अ भ य त करत ह क राजा क आव यकता का अनभव अराजकता का अत करन क ि ट स कया गया और व तत राजा क उ पि त ह रा य क उ पि त ह य क ाचीन भारत म राजत (नपत ) ह शासन का सामा य नयम था अतएव अ धकतर ाचीन राजशा कार न अपन थ म राजत को धानता द ह रा य क स ताग ( वामी

अमा य जनपद दग कोष द ड और म ) उ लख म राजा को उसक मह व क कारण थम थान दया गया ह और सर स तलनीय बताकर रा य यव था म उसक शीष थान क ओर

सकत कया गया ह कौ ट य न तो राजा को ह रा य कहा ह (राजा रा य म त क त स प)

102 राज व का व प एव दव व का वकास व दक काल म नपत क अि त व को मा णत करन क अनक माण ह और बाद क

काल म भी सवा धक चलन राजत का ह था य य प काला तर म नपत क व प म यि क चत प रवतन हो गया था उदाहरणाथ ऋ वद म शि तशाल यि त को राजा क प म चन जान का उ लख ह उ तर व दकसा ह य म चनाव क साथ आनव शकता का ारभ ि टगत होता ह जब क बाद क सा य म कछक अपवाद को छोड़कर राजा क पद क

आनव शकता या वशानगत होन म कोई भी सदह नह रह जाता बौ काल न मख राजत ा मक रा य mdash अवि त कौशल व स और मगध म राजा का पद आनव शकता क आधार पर ा त होता था परवत यगीन उ तर भारत म शासन करन वाल व भ न वश जसmdash नद मौय श ग कषाण ग त आ द और इसी कार द ण भारत क सातवाहन वाकाटक बादामी क चाल य प लव रा कट चोल इ या द राजवश म वशानगत राजत ह च लत था आनव शकता व उ तरा धकार क स ब ध म यह मरणीय ह क सामा यत ज ठतम प यवराज होता था और पता क बाद राजपद को ा त करता था य य प कभीmdashकभी ज ठता क अप ा यो यता को अ धक मह व दया गया

व दक सा य स प ट ह क ार भक काल म राजा का कसी न कसी प म नवाचन होता रहा था उसक अ धकार सी मत थ और वह जनmdashनताओ क नय ण म रहता था क त व दको तर यग म राजपद क वशानगत होन और बढ़त भ व क कारण राजा क अ धकार म व ह ई तथा शन शन राजा दवी भी माना गया परो हत न राजा म दव व क क पना क तथा उसको दवपद स स मा नत कया उस दवताओ क अश स उ प न माना जान लगा ऐसा तीत होता ह क धा मक व ध और वचार क उ तरोतर बढ़न वाल भाव स ा मण काल म ऐसा वातावरण बनन लगा था क िजसम राजा क दव व क भावना पनप सकती थी य म वजय इ दव क कपा का फल कहा जाता था और इ क उपा धया भी वजयी राजा को धीरmdashधीर द जान लगी रा या भषक स ऐसा माना जाता था क राजा क शर र म अि न स वता बह प त आ द दवता वश करत ह शतपथ ा मण क अनसार

152

बह स यक जा एक राजा क आ ापालन य करती ह इसका कारण कछ लोग क मन म यह था क राजा दवा धदव जाप त का य तीक था

परवत ा मण थ यथाmdashमहाभारत पराण म तय आ द न राजा म दवताओ क अश का दव व का समथन कया ह महाभारत क अनसार राजा नरदव ह वह दव और नरदव क समान ह समय क अनसार राजा क पाच प होत ह mdash अि न सय म य कबर और यम मन म त म कहा गया ह क राजा नर प म महान दवता ह मा न आठ दशाओ क द पाल इ यम वाय सय अि न व ण आ द दवता नवास करत ह नारद म त म भी राजा म ई वर य अश कहा गया ह तथा प यह मरणीय ह क य य प म तय और पराण म राजा क दव व क क पना वीकार क गयी ह पर त उस ई वर का

सा ात अवतार बह त थोड़ ह म तकार न माना ह अ धकाश म तय और पराण म कवल राजा और दवताओ क काय क समता का उ लख और वणन कया गया ह व यह नह कहत क राजा वय दवता ह वहा बताया गया ह क राजा अपन तज स द ट को भ म कर दता ह अत वह अि न क समान ह वह अपन चर वारा सब कछ दख लता ह अत वह कबर क त य ह

इस कार ह द थकार न राजपद (Kingship) को दवी बताया ह न क कसी राजा वशष को था पत यव था को बनाय रखना तथा वणा म धम का जा स पालन कराना राजा का मख दा य व था य द राज पद को दवी माना जाय तो उस पद को सशो भत करन वाला राजा यह क त य जा स अ धक अ छ तरह स करा सकता था ऐसी शा कार क धारणा थी इस लए क राजपद को दवी मानन स राजा क त ठा बढ़ती थी एव उसक आ ाओ का पालन अ धक अ छ तरह स हो सकता था क त दसर ओर यह भी स य ह क राजा क दव व क कारण उसक अ धकार एव शि त म और भी अ धक व ह ई वह अ य धक अ धकारmdashस प न व छाचार और नरकश भी बन सकता था

103 राज व पर नय ण अथवा राजा क नरकशता पर रोक क यव था

जसा क उपय त ववरण स प ट ह ाचीन भारत म राजत ा मक यव था ह मह वपण एव सावभौ मक स था क प म चा रत थी िजसम राजा मह वपण पद पर आसीन होन क कारण व दक काल म मन य म ठ माना गया य य प ाचीन भारतीय शा कार दवत य व आदश राजा उस ह मानत थ जो वय को जाmdashपालन एव जनmdashक याण क लए सम पत करद क त मन य वभावत दबल ह और सामा य तर या औसत दज क राजा स इस उ च आदश क स पण अनपालन क आशा हमशा नह क जा सकती थी दसर श द म राजा शि त स प नता तथा दव व क आड़ म दराचार न हो सक और वह पद क मद स अपन क त य तथा उ तरदा य व क त यान दना छोड़ न द अत राजा क शि त को नय त करन एव उस नरकश न होन दन क लए क तपय स ा तक एव स थागत नय ण क यव था थी य य प य आध नक सवधा नक नय य क साथ तलनीय नह थ

153

1031 स ा तक नय ण (Conceptional Limitations)

इसक अ तगत न ना कत उ लखनीय ह mdash

10311 धम क सव प रता

धम वह शा वत एव व व यापी न तक यव था ह जो सम त जगत को धारण करती ह व दक काल म च लत ऋतrdquo क अवधारणा धम का पवाभास दती ह इसी स आग चलकर धम का वकास हआ व दक काल स ह राजा धम का र क पोषक और समथक समझा जाता रहा ह वहदार यक उप नषद म कहा गया ह क राज व पणत धमा धि ठत ह जातक थ ाचीन त मल थ म णमरवलाई आ द म भी इस आशय क वचार मलत ह महाभारत क शा तपव म प टत नद शत ह क रा य का ज म ह धम ( यव था) क थापनाथ हआ ह तथा रा य क उदय स पव भी धम क भता या त थी अत उसका राजा

स भी अ धक मह व ह अ त उसी क बताय माग का अनसरण करना चा हय जो राजा धम का पालन नह कर वह राजा कहलान का अ धकार नह ह और उसक अधा मक आचरण स सामािजक राजनी तक और ाक तक जीवन पर भी तकल भाव पड़ता ह तथा राजा क साथmdashसाथ रा य भी न ट हो जाता ह यह भी उ लखनीय ह क ाचीन भारत म कौ ट य को छोडकर ाय सभी नी तशा कार न राजा को काननmdash नमाण का अ धकार नह दया ह तथा कौ ट य भी धम क सव प रता को वीकारता ह और राजा को जा वारा वधम का अ त मण न होन दन क लए कहता ह व तत ाचीन भारतीय राजत म धम को रा य का स चा भ माना गया ह न क राजा को राजा कायपालक था िजसका काय धम शा ानसार राजmdashकाय चलाना था

10312 राजा का जाmdashपालक व एव पतक स ात

जा क र ा और जाmdashपालन ाचीन भारत म राजा क दो म य क त य मान गय थ राजा जा क भौ तक साधन क व क साथmdashसाथ उसक न तक और आ याि मक वकास क लए सभी कार क उ चत य न करता था इस कारण ाचीन भारतीय ोत म राजा को पतात य बताया गया ह और राजा स जा क त पता स य यवहार अप त था महाभारत म उि ल खत ह क वह राजा सव ठ होता ह िजसक रा य म मन य ऐस नभय होकर चलतmdash फरत ह जस बट अपन पता क घर म महाभारत म ह एक अ य थान पर राजा क आचरण क तलना ग भणी ी स क गयी ह mdash िजस कार ग भणी ी अपनी चmdashअ च को छोडकर कवल गभ थ शश क लए खानmdashपान करती ह एव उसक पालनmdash

पोषण व और वकास क लए सदव सच ट रहती ह उसी कार राजा को जा क लए आचरण करना चा हय

जा क क याण म ह राजा का क याण न हत ह mdash इस मह वपण स ात का तपादन करत ह ए कौ ट य कहता ह mdash जा क सख म राजा का सख ह और जा क दख

म राजा का दख ह राजा को अपन हत क बात नह सोचनी चा हए जा क हत म ह

154

उसका हत ह कौ ट य न अ य थान पर राज व क पतक स ा त क या या करत ह ए लखा ह क िजस कार पता अपनी सत त पर अन ह दखाता ह वस ह राजा को भी अपनी जा पर अन ह करना चा हए इसी कार राज व क पतक स ात क चलन स ब धी

पया त माण हम रामायण महाभारत अशोक क अ भलख तथा अ या य राजनी तmdash वषयक थ स भी मलत ह

10313 राजधम क त ठा या दड का स ात

हमार ाचीन राजशाि य न राजा क शि त पर अकश लगान क लए व भ न कार क क त य दा य व एव आचारmdash नयम नद शत कर राजधम क त ठा क थी िजनका पालन राजा क लए आव यक माना जाता था कौ ट य क अनसार राजा द ड का तीक ह और अपनी जा क हत साधन क लए द ड धारण करता ह वह शा mdashस मत मयादा क अनसार ह द डmdashशि त का योग कर सकता ह द डmdashशि त का व छाचा रता क साथ योग राजा क वनाश का कारण बन सकता ह अत इस वषय म शा mdash न द ट नयम का

पालन करना चा हए अथशा म राजत क तीन भद बतलाय ह mdash (i) अ ध (ii) च लतशा और (iii) शा मया दत इनम स तीसर को ठ माना गया ह जो नरकश या व छाचार न होकर सदा शा मयादा क अनसार शासन चलाता ह कौ ट य क मत म

शा क नदश तथा राज धम क अवहलना करन वाला राजा अपन व छाचार तथा अ यायपण शासन स शी ह अपन रा य का नाश कर डालता ह

10314 राज व का स वदा मक व प

ाचीन भारत म राजपद को यास अथवा थाती समझन क धारणा भी थी िजसक अनसार रा य एव राजकोष राजा क नजी स पि त नह थ बि क जनता क धरोहर थ राजा का पद सावज नक पद था और राजा क मह ता उसक पद क कारण थी अतएव वह जा का पालक एव सवक दोन समझा गया था बौधायन का कथन ह क राजा वा तव म जा का सवक ह और जा क उपज का छठा भाग जो कर क प म दया जाता ह वह उसका वतन होता ह उषना क अनसार जा राजा को कर क प म भरपर वतन दती ह अत उस भी जा क पर तरह स सवा और सर ा करनी चा हए मन क अनसार भी ऐस राजा को करmdashहण का कोई अ धकार नह ह जो जा क र ा नह करता ह नारद भी कर को राजा वारा जा क र ा का पा र मक कहत ह अ त म डॉ क पी जायसवाल का न कष ह क

राजा कवल न तक ि ट स जा का वामी था अ यथा स वदा मक व प क ि ट स तो वह जा का सवक होता था

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1032 स थागत नय ण

10321 नवाचन

आर भक व दक काल म राजा का नवाचन होता था बाद क काल म राजा क नवाचन क था तो नह रह क त यवराज अथवा उ तरा धकार क नयि त क समय जा क अनम त या अनमोदन का यान रखा जाता था अयो य और ऐस राजप को उ तरा धकार स व चत कर दया जाता था िज ह जा नह चाहती थी अथवा िज ह जा का यापक समथन ा त न होता था इसक अलावा व दक काल स ह रा या भषक समारोह क समय राजा को जाmdashक याण एव धमानसार शासन चलान क शपथ लनी होती थी शपथ व त ा लन क यह था द घकाल तक जार रह इस कार राजा क नवाचन यवराज

अथवा उ तरा धकार क नयि त म जा वारा अनमोदन रा या भषक क समय राजा वारा ल जान वाल शपथ अथवा त ा आ द ऐस उपाय थ जो राजा को नय त करत

10322 सभा व स म त

व दक काल म स म त व सभा जसी लोक य स थाय थी जो राजा क शि त पर रोक लगाती थी कछ व दक उ रण स पता चलता ह क स म त क तकल होन पर राजा का अपन पद पर बन रहना क ठन हो जाता था इस स ब ध म डॉ आर क मकज का मत ह क व दक काल न राजा क एक मmdashशि त को नय त करन वाल दो सावज नक स थाय थी mdash सभा और स म त िजनक वारा जनता क हत स स ब ध रखन वाल मह वपण बात म यहा तक क राजा क नवाचन म भी जनता क इ छा कट होती थी क त बाद म स म त ल त ाय हो गयी और सभा का व प बदलकर राजmdashदरबार (Court of the King) हो गया तथा उनक थान पर दसर कसी लोक य स था क थापना न हो सक य य प डॉ जायसवाल पौरmdashजानपदमrsquo को इनक थानाप न होन का दावा करत ह जो व वान को वीकाय नह ह डॉ अ तकर वारा सबल माण क मा यम स उनक उ त थापना का कया गया ख डन अब ाय सभी को मा य हो चला ह डॉ अ तकर क मतानसार पौरmdashजानपदम स ता पय नगर एव ाम क नवा सय स ह न क कसी त न ध स था अथवा ससद स

10323 परो हत

व दक काल स ह परो हत का पद अ त मह वपण माना गया ह वह राजा का सभी मामल म परामशदाता होता था उसका व दक काल क रि नन म भी मख थान था धमस म भी वणन ह क राजा क क याण क लए परो हत का होना आव यक था शा तपव म कहा गया ह क राजा का वकास और र ण परो हत पर नभर करत ह परो हत शासन म राजा का मागदशक शि त था और शासन का एक आव यक अग भी वह जा क हत का र क था और राजा को पथmdash वच लत होन स रोकता था

156

10324 म mdashमडल

ाचीन रा य क स ताग क अवधारणा म अमा य का होना म mdashमडल क अ नवायता का सचक ह ाचीन भारतीय आचाय न म mdashमडल को रा य यव था का अ य त मह वपण अग माना ह महाभारत म कहा गया ह क राजा अपन म य पर उतना ह नभर ह िजतना क ाणीमा पज य (भोजन) पर ा मण वद पर और ि या अपन प तय पर इसी म अ य यह भी बताया गया ह क स शासन क लए राजा व म य म सम पता आव यक ह अथशा का कथन ह क िजस कार एक प हय (च ) स रथ नह चल सकता उसी कार बना म य क सहायता क अकल राजा स रा य नह चल सकता राजत क सदभ म म प रषद क उपयो गता का तपादन करत ह ए कौ ट य न कहा ह mdash अमा यगण समय वभाग पी चाबक स माद त राजा को सावधान करत ह अमा यगण वपि त स राजा क र ा करत ह नी तmdash नधारण क स ब ध म कौ ट य का नदश ह क कोई भी आव यक एव मह वपण काय उपि थत होन पर राजा म य तथा म प रषद क सद य क बठक बलाव और उनस परामश कर यक काय का आरभ उस वषय म म mdash नणय क उपरा त होना चा हय मन न तो ऐस राजा को मख बताया ह जो शासन अपन आप करता ह इस स ब ध म उसका मानना ह क सकर (सरल व सीधा)

काय भी एक आदमी क लए अकल होन क वजह स द कर हो जाता ह तो रा य जसा महान काय बना म य क सहायता क चलाना कस सभव ह प ट ह क ाचीन भारत म म mdashमडल रा यmdash यव था का अ व छ य अग समझा जाता था और उस समय अ धकतर रा य म यह स था अि त वमान भी थी िजसका रा य कायभार पर ाय अ छा असर पड़ता था और राजा नय त हो सकता था

10325 स ता का वक करण

ाचीन भारतीय वचारक न जनता क हत क र ाथ शासन काय म अ धका धक वक करण करन क भी यव था क थी ाम नगर और ाद शक पचायत और सभाओ तथा णी एव नगम को शासन क यापक अ धकार और व वध काय स पकर इस यव था का तपादन कया था इन स थाओ म जनता क सहभा गता होती थी और इनक मा यम स ह रा य जा क स पक म आता था राजा चाह कतन ह कर लगा द पर ाय वसल कवल उ ह क हो सकती थी िजस ामmdashसभा वसल करन को तयार होती थी इन थानीय स थाओ को याय क भी पया त अ धकार थानीय स थाओ को अपनी सीमा म उगाह (वसल) जान वाल भ मकर तथा अ य कर क पया त अश पर भी अ धकार रहता था इनका उपयोग जनता क इ छानसार सावज नक हत क काय म कया जाता था अत जसा क डॉ अ तकर न माना ह क राजा क शि त पर सबस बड़ी रोक ाचीन भारत म च लत यापक वक करण क यव था थी

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10326 जनमत का भय

ाचीन भारतीय रा य यव था म जनमत का भी मह वपण थान था इसक वारा राजा को व छाचा रता सी मत रहती थी य द राजा को उ चत श ा न मल अथवा सम चत स कार और स श ा भी उसक द क त को नय त न कर सक य द वह धम थ वारा न द ट क त य क अवहलना कर या ग जन और म य क स परामश का भी अनादर कर तथा आ याि मक अनशाि तया भी उस नय त करन म असफल रह तो ऐसी ि थ त म जनमत का भय ह उसक व छाचार को सी मत कर सकता था जसा क चचा क जा चक ह ाचीन काल म राजा क नवाचन अथवा नयि त म जनmdashसहम त या स म त वाछनीय थी व दक सा ह य म जा वारा अथवा राजकत (रि नन) कहलान वाल अ धका रय वारा राजा को राजपद पर ति ठत कय जान पद यत करन अथवा नवा सत राजा को पन बलाय जान क पया त सकत मलत ह रामायण म भी उि ल खत ह क यवराज राम क रा या भषक क पि ट राजक तार (राजा बनान वाल) लोग न क महाभारत क यया तmdashसवाद स आभा सत होता ह क ा मण और म गण न मल कर राजा वारा कय जान वाल अ भषक को रोक दया था और यह प ट करण मागा क य ठा धकार क स ा त का उ लघन बवजह य कया जा रहा ह इन क तपय उदाहरण स त काल न यव था म जनमत क शि त का आभास मलता ह राजा को अ धक शि त एव अ धकार दय जान क मख समथक कौ ट य न भी जा क ोध को राजा क लए बह त बड़ा सकट माना ह उनक अनसार िजस राजा को जा का अनराग ा त नह ह वह नदनीय होता ह और उस परािजत करना सगम होता ह

पौरmdashजानपदम अथात जनसाधारण क अलावा वचारशील एव ब मान यि तय तथा यागी तप वी एव वर त (जो समाज स अलग वन म रहत थ) जन का भी राजा को नय त अथवा मया दत रखन म बड़ा भाव पड़ता था य क राजा उ ह पया त स मान दत थ और उनक राजmdashकाज स ब धी स परामश को मह वपण मानत थ अतएव राजा को जनमत क स म त या वचार का पराmdashपरा यान रखना पड़ता था

104 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म राजा क दवीय व प क चचा क िजए (100 श द) 2 राज व पर स ा तक नय ण कौनmdashकौन स ह (200 श द) 3 ाचीन काल म कौनmdashकौन सी स थाऐ राजा क नरकशता पर रोक लगाती थी

(200 श द)

105 सदभ थ 1 एएस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन एन शय ट इि डया

वाराणसी 1958 2 आरएस शमा एसप स आफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इ ट यशन इन एन शय ट इि डया दहल 1968

158

3 यएन घोषाल ए ह आफ ह द पा ल टकल योर ज कलक ता 1923

4 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोइ टयर चौड़ा रा ता जयपर

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इकाई mdash 11 कौ ट य अथशा म राजनी तक वचार

इकाई क परखा 110 उ य 111 तावना 112 शासन क कार 113 स ताग रा य का स ात

1131 वामी 1132 अमा य 1133 जनपद 1134 दग 1135 कोश 1136 दड 1137 म

114 रा य उ पि त सबधी स ात 1141 राजा क श ा 1142 राजा क क त य

115 लोक क याणकार रा य का स ात 116 वणा म यव था का स थापक 117 वदशी नी त सबधी स ात (मडल षाडग य नी त) 118 धम और राजनी त का सबध 119 अ यासाथ न 1110 सदभ थ

110 उ य तत इकाई म हमारा उ य आपको कौ ट य क राजनी तक वचार स अवगत कराना

ह इस इकाई का अ ययन कर लन पर आपको न न ल खत बात का ान हो जाएगा mdash स ताग रा य क अवधारणा रा य उ पि त सबधी स ात राजा क व भ न क त य कौ ट य क वदशी नी त सबधी स ात (मडल षाडग य आ द)

कौ ट य क राजनी तक वचार क चचा करन स पव यह जानना अ य त आव यक ह क यह कौन था इसन राजनी तक वचार का तपादन कस यग म और कन प रि थ तय म कया कौ ट य न अथशा नामक थ म अपन वचार को समा व ट कया ह िजस सामा यत कौ ट य अथशा क नाम स जाना जाता ह इस थ क खोज सव थम आर

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याम शा ी न 1909 म क थी ठ क उसी समय स यह थ अपन रचना काल को लकर इ तहास वद एव भाषा वद क म य ववाद का वषय रहा ह पर परागत प स कौ ट य व णग त व चाण य को एक ह यि त माना जाता ह िजसन नद सा ा य का समलो छदन कर च ग त मौय को मगध का स ाट बनाया था और कौ ट य न च ग त मौय क शासन सचालन क लए उ त थ क रचना क थी इस ि ट स इसका रचना काल चौथी शता द ई प नि चत कया जा सकता ह इस वचार को अनक व वान यथा mdash जएस ल ट एच जकोबी जजमअर एव एफ ड य थोमस आ द न वीकार कया ह वय कौ ट य अथशा क थम अ धकरण म यह उ लख मलता ह mdash

कौ ट य न सीखन व समझन म सगम स ा त एव अनभ म म स म और स प ट अ त व तार स र हत अथात स म थ क रचना क ह

जसा क इस थ क नाम स ह प ट होता ह क यह अथशा पर लखा गया थ ह उ त थ क अ तम 15व अ धकरण म यह उ लख मलता ह क अथ मन य क

जीवन का आधार ह अथात दसर श द म इस प वी को मन य वारा आवा सत कया गया ह अथशा वह व ान ह िजसक मा यम स प वी को विजत कया जाता ह तथा प वी क सर ा क जाती ह इस थ क ार भक अ धकरण म ह यह उ लख मलता ह िजसम लखक न कहा ह क मल प स वह इस थ का नाम द डनो त ह रखना चाहता था पर त बाद म उसन इसका नामकरण अथशा करन का न चय कया ाचीन भारतीय सा ह य क अनशीलन स भी यह प ट होता ह क उस काल म द डनी त व अथशा समानाथक य त कए जात थ अमरकोष म भी द डनी त को अथशा क प म ह य त कया गया ह व ान अ तकर न भी यह मत य त कया ह क ाचीन वा गमय म अथशा को द डनी त क पयाय क प म ह य त कए जान क उ रण मलत ह इसका धान कारण सभवत यह था क ाचीन भारतीय मनीषी अथ का अथ सामा य भौ तक स पदा क तरह न लकर अथ को वग mdash धम अथ व काम म स मानव जीवन का एक मख ल य मानत थ इसी कारण कौ ट य न भी प वी पर मानव क याण क लए अथ को मह व दया तथा यह मत तपा दत कया क कवल रा य वारा ह प वी का सर ण व व तार कया जा सकता

ह तथा रा य ऐसा करक सामा य जन क याण क काय कर सकता ह इस कार स कौ ट य न अपन थ म अथ क दो मख उ य को तपा दत कया ह mdash थम क अ तगत वह यह तपा दत करन क च टा करता ह क राजा अपन रा य को कस कार सर त रख इसस

कौ ट य का ता पय पालन करन अथात रा य शासन स ह वतीय क अ तगत वह तपा दत करता ह क राजा कस अपन रा य का व तार कर इसक लए कौ ट य न लाभ

श द य त कया ह अत अथशा रा य वषयक आ त रक एव बा य दोन स ब धी वषय का वहार ह दसर श द म अथशा राजनी त एव शासन वषयक व ान ह

व वान अ तकर क वचार म अथशा शासन क मलभत स ा त और उसका दशन या राजनी तक वचार क स ाि तक प पर वादmdash ववाद हत लखा थ न होकर कसी

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शासक अथवा शासक क दन त दन क शासन सचालन एव क ठनाईय क नराकरण हत लखी गयी नयमावल ह

कौ ट य अथशा को स पण प स सामा यत तीन भाग म वभ त कया जा सकता ह mdash

(1) त mdash ार भक पाच अ याय अथवा अ धकरण इसक अ तगत रा य क आ त रक शासन सबधी ववरण

(2) अवाप mdash 6 स 13 तक क अ याय अथवा अ धकरण इसक अ तगत पड़ौसी रा य स सबध का ववरण तथा

(3) दो अ तम 14 व 15 अ याय अथवा अ धकरण इसक अ तगत व भ न वषय सबधी ववरण दया गया ह यह सभी ववरण कौ ट य न विजगीष स ाट को क य थान म रखकर लख ह

विजगीष स ता पय ऐस स ाट स ह जो समीपवत रा य का दमन कर एकछ स ाट बनन क इ छा रखता ह

उ त थ म स ाि तक ि ट स सवा धक मह वपण अ धकरण छठा ह िजसम कौ ट य वारा आदश रा य क सात त व अथवा क तय का ववरण दया गया ह य य प इस तरह क ववरण कौ ट य अथशा म सयोगवश ह ा त होत ह और उसी क आधार पर कौ ट य क राजनी तक वचार का आकलन कया जाना समीचीन होगा व वान क थ क अनसार भारतीय ाचीन सा ह य म स ाि तक राजनी त वषयक जस कसी भी थ का उदाहरण ा त नह होता ह ल कन ाचीन वा गमय म शासन क यावहा रक प म और अ तरा यीय सबध पर यापक अ ययन कया गया था अत कौ ट य अथशा म रा य क उ पि त क त व उसक काय जस स ाि तक प पर च तन य प स नह ा त होता ह

1012 शासन क कार

यहा पर यह उि ल खत कया जाना समीचीन होगा क त काल न प रि थ तय म और कौ ट य क घो षत उ य क सीमा म यह सभव भी नह था क वह राजत क अ त र त शासन क अ य कसी कार का ववरण तत कर य य प राजत क सदभ म ह कौ ट य न शासन क व भ न कार का ववरण यसन शीषक अथात राजा अथवा शासक को भा वत करन वाल वपि तयाmdashशीषक क अ तगत कया ह इसक अ तगत कौ ट य न दो कार क रा य (1) वरा य mdash इसस ता पय दो शासक क शासन स ह (2) वरा य mdash इसस ता पय ऐस वदशी शासक स ह िजसन व धस मत राजा को स ता यत कर रा य पर अ धकार कर लया हो व वान जायसवाल न वरा य शासन को राजार हत शासन प त स करन क च टा क ह य य प उनका यह वचार अ य व वान वारा वीकत नह कया गया ह इन दो शासन क कार क अ त र त कौ ट य न यारहव अ धकरण म सघ त शीषक क अ तगत सघ रा य का ववरण तत कया ह सघ रा य का ववरण तत करत ह ए कौ ट य क मलभावना यह ह थी क विजगीष स ाट कस कार स सघ शा सत को विजत कर

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अपनी स भता क अधीन कर सकता ह अथशा म व णत ववरण क आधार पर सघ रा य को म य प स दो भाग म वभािजत कया जा सकता हmdash

(1) वाताश ोपजीवन mdash यह ऐस सघ शा सत रा य थ जो शा तकाल म क ष पशपालन अथवा यापार म सल न रहत थ पर त आव यकता होन पर सगमता स श हण करन म नह हचकत थ

(2) राजश दोपजीवन mdash ऐस सघ शा सत थ जो शासन हत शासक क स म त सग ठत करत थ तथा यह सद य सामा यत राजा नाम स जान जात थ इनका मख सभवत एक ह यि त होता था तथा इसक चनाव अथवा इस पद पर पह चन

क या या थी इस वषय पर कौ ट य अथशा स कोई ववरण ा त नह होता ह इस कार स यह सघ रा य आध नक कार क कल नत ीय रा य थ

113 स ताग रा य का स ात राजनी तक च तन क ि ट स कौ ट य वारा तपा दत यह मत अ य त मह वपण

ह रा य क क तय क वषय म कौ ट य क अ त र त महाभारत म भी व तार स चचा क गयी ह और इस ि ट स कौ ट य ह नह अ पत सपण ाचीन स कत वा गमय अ यत मह वपण ह रा य क शासन का व प कसा भी हो पर त रा य क गठन व उसक अि त व क लए अधो ल खत सात त व का होना अप रहाय एव आव यक ह कौ ट य ह ऐसा थम भारतीय च तक ह जो रा य को सात अग स य त स था क प स न पत करता ह और कौ ट य का यह चतन परवत यग म स प म माल लया गया कौ ट य न अथशा (VI1) म अधो ल खत सात अगो mdash वामी अमा य जनपद दग कोश दड और म का उ लख कया ह कौ ट य का यह स ताग रा य का स ा त व णधम तर पराण और महाभारत क शा तपव क अलावा लगभग सभी राजनी तक वचार का अनशीलन करन वाल थ म समान प स वीकार कया गया ह व णधम तरपराण म जो पाचवी ईसवी

शता द क रचना ह साम और दान का उ लख कया गया ह इसी कार शा तपव म अ टा गक रा य का ववरण मलता ह पर त सपण शा तपव म आठव अग का उ लख कह भी नह मलता ह

कौ ट य वारा तपा दत स ताग स ात क अ तगत व भ न अग का ववरण अधो ल खत कार स हmdash

1131 वामी

वामी स ता पय धान या अ धप त स ह सामा य प स राजत अथवा गणत दोन क धान या अ धप त को राजा क स ा स सबो धत कया जाता था च क

इस श द का योग सव थम कौ ट य वारा ह कया गया ह अत वामी क प रभाषा क लए अथशा पर ह नभर होना उ चत होगा कौ ट य क वचार म रा य धान क आ धप य पर अ य धक जोर दया गया ह य क कौ ट य वारा व णत यव था म रा य धान को उ चतम ि थ त दान क गयी ह तथा उसक अनसार वामी को आ भजा य ा

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उ साह तथा वयि तक गण स सप न होना चा हए तथा उसका आ भजा य वश का होना ह यह तपा दत कर दता ह क कौ ट य क यव था म वामी पद पर सामा य कलो प न यि त क पह चन क कोई सभावना नह थी

1132 अमा य

कौ ट य वारा तपा दत वतीय अग अथवा क त अमा य ह इसस एक थायी सवा सवग स ता पय ह तथा इसक अ तगत धान परो हत म ी समाहता कोषपाल द वानी और फौजदार मामल क अ धकार अत पर का ब ध करन वाल अ धकार दत व भ न वभाग क अधी क आ द आत ह िजनक नयि त वतन व काय क वषय म कौ ट य न वश ववरण दया ह अमा य क साथ ह अथशा म म ी श द का योग भी कया गया ह और य द अमा य और म ी को पयाय वीकार कर लया जाए तो यह म उ प न होता ह क अमा य सभवत म ी क प म नय त कए जात थ ल कन अथशा क गहन अ ययन स यह प ट हो जाता ह क म ी अमा य स उ चतर ि थ त क अ धकार होत थ तथा म ी उन अ धका रय को नय त कया जाता था जो चार कार क पर ाओ धम पधा भयोपधा कामोपधा और अथ पधा म सफल रहत थ तथा अमा य आ शक प स सफल अ धका रय को नय त कया जाता था इसक अ त र त अमा य और म ी क म य एक यापक अतर यह था क म ी 3mdash4 ह नय त कए जात थ जब क अमा य क नयि त राजा अपनी मता व आव यकतानसार कर सकता था जो 36 तक हो सकती थी

1133 जनपद

कौ ट य वारा तपा दत रा य का तीसरा अग जनपद ह िजसक या या करत ह ए वह कहता ह क राजा को अपन वदश म अ धक जनस या वाल भmdashभाग स या परदश स लाकर लोग को जनपद म बसाना चा हए तथा राजा को क ष हत श वण क लोग को बसाना चा हए राजा का यह भी क त य ह क वह गाव म कम स कम 100 तथा अ धकतम 500 प रवार को ह आवा सत कर कौ ट य न 100 गाव क इकाई को स हण 200 गाव क इकाई को खाव टक 400 गाव क इकाई को ोणमख तथा 800 गाव क इकाई को थानीय क स ा द ह उ त ववरण स यह प ट होता ह क कौ ट य क अनसार जनस या और भ म जनपद क आव यक अग थ

1134 दग

रा य स ताग स ात क चौथ अग दग क या या करत ह ए कौ ट य न दग नवश और दग वधान शीषक क अ तगत राजधानी क योजना और व यास तथा कल क नमाण का वणन करत ह ए व भ न कार क दग mdash दवकत दग अ त वीपीय दग पवत दग म थल दग अथवा वन दग का ववरण दया ह इस ववरण स प ट होता ह क उ त दग रा य क र ाथ और आव यकतानसार न मत कए जात the

164

1135 कोश

पाचव अग क प म कौ ट य न कोश को थान दया ह तथा वह कहता ह क स नधात (कोषा य ) को कोष का नमाण करना चा हए तथा उस नक और वध उपाय स स चत कए गए कोष स सम करना चा हए तथा य क कोष स ह राजा वपि तय क समय रा य को सर त रख सकता ह तथा जापालन क क त य का उ चत नवाह भी कर सकता ह

1136 दड

अथशा म दड का ववरण रा य क छठ अग क प म कया गया ह कौ ट य क अनसार इस अग म प तनी भाड़ पर रख गए वन और नगम क स नक आत ह जो पदल रथारोह हि तस नक और अ वारोह चार भाग म बट रहत ह इस ववरण क अ तगत अथशा र चयता का मतmdash ह क य सना क लए सवा धक उपय त होत ह कत व य व श को स या बल क आधार पर ह सना म नय त कया जाना चा हए वह यह भी कहता ह क सना वशानगत और न ठावान होनी चा हए तथा यक स नक को इतनी वि त द जानी चा हए िजसस वह अपना व प रवार का भरण पोषण सतोषजनक प स कर सक

1137 म

कौ ट य वारा तपा दत अ तम अग म ह उसक अनसार म बनावट नह वशानगत होना चा हए िजसस वभद क शका ह न हो और जो वपि त म सहायताथ त पर रह

उ त सात अग क मह व पर काश डालत ह ए कौ ट य कहता ह क रा य उसक अव था म ठ क कार स काय कर सकता ह तथा अि त व म रह सकता ह जब उसक सभी अग पार प रक प स एकब होकर एक दसर क साथ सहयोग करत ह कौ ट य का रा य स ताग का स ा त ठ क उसी कार स जस स वदा स ात बौ वचारधारा क दन मानी जाती ह ा मणवाद वचारधारा क दन ह और कौ ट य इस कार स स ताग स ात का तपादन कर सम त ाचीन व व क राजनी तक च तन क म सभी वचारक जस लटो

व अर त को पीछ छोड़ जाता ह लटो क रपि लक क अ ययन स पता चलता ह क लटो न इस ओर कदा चत

यास कया ह लटो वारा तपा दत दाश नक फलोसोफ़र) क यो ा कार गर तथा ख तहर क तलना मश वामी दड तथा अ तम दो क कछ सीमा तक जनपद स क जा सकती ह इसी कार अर त क वचार म गहप त और नाग रक रा य क अग ह वह रा य क भौ तक अग क या या करत ह ए नगर का आकार और जनस या का ह उ लख करता ह इस कार स उ त दोन यनानी वचारक कौ ट य क समान रा य क प रभाषा करन म अपण स तीत होत ह

आध नक राजनी तक चतन म रा य क चार घटक mdash भस ता सरकार और जनस या ह इनक तलना कौ ट य क स ताग रा य स ात स क जा सकती ह

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य य प भस ता क अतगत वामी का योग करना सवथा उ चत तीत नह होता ह

ल कन यहा यह धात य ह क ाचीन काल म राजनी तक च तक न वामी अथवा राजा को धम वधान क अनसार ह शासन करन को कहा ह इस ि ट स वामी को भस ता क अ तगत वीकार कया जा सकता ह इसी कार स कोश व द ड भी भस ता क ह अग मान जा सकत ह य क बल योग और कराधान क अ धकार सहज ह स ता म समा हत वीकार कए जात ह आध नक काल म सरकार क सचालन हत िजस कार स एक

नौकरशाह वग होता ह उसी कार स कौ ट य न अमा य वग को रा य का एक अग वीकारा ह आध नक और जनस या को जनपद क अ तगत वीकार कया जा सकता ह इसक अ त र त म को आध नक अथ म इस तरह समझा जा सकता ह क िजस कार वतमान यग म कोई रा य जब तक अ य रा य क मा यता नह ा त कर लता ह वह व धत रा य क प म त ठा पत नह हो पाता ह आध नक रा य क इस स ा त क तलना कौ ट य क म स क जा सकती ह तथा प ाचीन काल म म का उ य अ य रा य क मा यता ा त करना नह होकर उनक म ता सपा दत करना था (शमा आर एस ाचीन भारतीय

राजनी तक वचार एव स थाए प 35mdash39) आरएस शमा न कौ ट य वारा तपा दत रा य सबधी अवधारणा क तलना एग स

क प रभाषा स क ह व अपना मत कट करत ह ए कहत ह क कौ ट य और एग स दोन ह रा य क वगमलक व प पर जोर दत ह उनक अनसार मा सवाद अवधारणा व कौ ट य क वचार प तय म इस बात पर जोर दया गया ह क स ात म यवहार को त ब बत होना चा हए (शमा आरएस ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए प 40)

अत यह कहा जा सकता ह क कौ ट य वारा तपा दत रा य स ताग स ात व व क त काल न सभी दाश नक स उ नत था पर त वह अपन यग क सीमाओ क अन प एव अनसार ह था और उस आ चयजनक प स आध नक कहना यि तय त भी नह होगा

114 रा य उ पि त सबधी स ा त कौ ट य न अथशा म रा य उ पि त वषय अवधारणाओ का प ट उ लख कह

नह कया ह जहा कह भी यह उ लख मलता ह वह परो प स कया गया ह कौ ट य न उ त थ क रचना एकत क अ तगत राजा को शासन स वधा म सचालन हत क थी अत इस थ म राजत क उ पि त क स ब ध म यदाकदा ह ऐस ववरण उपल ध होत ह िजनस उ त वषयक अवधारणाओ का पता लगाया जा सकता ह कौ ट य लखत ह जब सामा य जन म य याय (अथात वह ि थ त जब बड़ी मछल छोट मछल को खान लगती ह) स उ पी ड़त हो गई तो उ ह न मन को राजा बनाया और उ ह न यह तय कया क मन उनको

166

सर ा दान करग और व मन को इसक बदल म अपन धा य का 16 भाग तथा अपनी स पि त व स पदा का 110 भाग दान करग इस उ रण स अ य प स राजत क थापना हत कसी कार का समझौता कए जान का आभास मलता ह इस समझौत स यह

भी प रल त होता ह क राजत क थापना स पव पण अराजकता क ि थ त थी तथा सामा य जन न इस अराजकता क ि थ त को समा त करन क लए यह समझौता कया क व एक यि त क शासन क अ तगत रहग तथा इस हत व उस कर दान करग और वह उनको योग म दान करगा ल कन कौ ट य क दस ववरण क तलना हो स और सो क सामािजक समझौत क स ा त स नह क जा सकती ह

1141 राजा क श ा क आव यक त व

कौ ट य क अनसार राजा क ज म स ह श त होन क सभावना बह त कम होती ह इस लए राजा क श ण अथात वनय क अप रहायता पर बल दत ह ए कौ ट य कहत ह क राजा क लए आनवी क (दशन) यी (वद) आ थक व याओ का व ान और द डनी त (राजनी त व ान) क श ा अ य त आव यक ह कौ ट य न अथशा म अपन स पववत सभी वचारक mdash मन बह प त उशनस आ द क वचार का ख डन करत ह ए लखा ह क राजा क लए उ त सभी व याओ का ान अ नवाय ह वह कहत ह आ वी क क सरचना सा य योग एव लोकायत स होती ह तक स मत आधार पर यह खोजन क मता क व दक ान म या अ छा ह अथवा बरा ह अथ वधाओ क व ान म भौ तक लाभ व हा न का तथा राजनी त म अ छ व बर नी त का ान आ वी क वारा ह होता ह अ वी क ह सौभा य एव सख स पदा क ि थ त म तथा दख क ण म मि त क को नय त व सत लत रखती ह तथा इसक वारा ह वचार सभाषण एव कम म नपणता भी आती ह अत आ वी क ह सभी वधाओ क लए द पक क समान ह

अत म ई बकर क श द म यह कहा जा सकता ह क mdash No political philosophy can be detached from its environment in

historyrdquo

1142 राजा क क त य

कौ ट य क अनसार राजा का मख क त य जा का र ण अथवा पालन करना ह कौ ट य इस उ य को अ य धक मह व दता था इसी ि ट स उसन स पण चतथ अ धकरण म lsquoकटकशोधन शीषक क अ तगत यह म त य य त कया ह क राजा को अपनी जा क असामािजक त व जस चालाक यापा रय शि पय स चोर स डाकओ स तथा र त पशाच स एव ाक तक वपदाओ जस अि न अकाल व बाढ़ स र ा दान करनी चा हए

115 लोक क याणकार रा य का स ात कौ ट य सामा य र ण अथवा पालन स आग जाकर राजा को नदश दता ह क वह

जा क योग म क लए काय कर योग म स ता पय ह क lsquoयोग अथात राजा जा को

167

कसी उ य या व त को सफलतापवक न पा दत करन और म अथात उसका शा तपवक रजन करन म सहायक हो वा तव म कौ ट य का योग म का आदश आध नक लोक क याणकार रा य क समान ह ह इसी लए अथशा म कौ ट य कहता ह क जा क सख म ह राजा का सख ह और जो जा का हत अथवा लाभ ह उसी म ह राजा का लाभ ह

116 वणा म यव था का स थापक कौ ट य न राजा क क त य क अ तगत राजा को यह भी नदश दया ह क राजा

का यह भी कत य ह क वह यह दख क उसक जाजन अपनmdashअपन वण अथवा आ म क अन प यी धम अथात यी अथात वद व हत धम का पालन कर रह ह अथवा नह कौ ट य न विजगीष को यह भी नदश दया ह क विजगीष को चा हए क प वी को विजत कर रा य अथवा समाज म वणा म धम को स यवि थत कर य क वणा म यव था क न ट होन स समाज और उसक प रणाम व प रा य भी समा त हो जाएगा इस कार स राजा का यह कत य ह क वह यी वारा तपा दत यव था को सर त रख ल कन इसस यह नह समझना चा हए क उस समय व दक धम रा य धम था और उस समय न ह ऐसा कोई धा मक सगठन था जो रा य क काय म ह त प कर अपन धा मक हत को सर त कर रहा था सभवत कौ ट य वारा वणा म धम क थापना क पीछ मा एक उ य यह था क वणा म यव था त काल न सामािजक यव था थी और उ त यव था क अभाव म सामािजक औ च य और समाज क ग तशीलता को सर त बनाए रखना एक असा य काय था इसी लए कौ ट य न राजा को यह भी नदश दया क राजा सभी धम क वन ट होन पर वग यव था को था पत कर धम वतक बन ऐसा करना त काल न यग धम था और कौ ट य न उसका पालन करना अव यभावी बना दया

117 वदशी नी त सबधी स ात (मडल षा ग य नी त) कौ ट य न वद शक नी त सबधी स ा त क या या षा ग य शीषक क अ तगत क

ह और उ त नी त क तलना यावहा रक कटनी तक स ा त क अ तगत य द कसी भी अ य नी त स क जाए तो षा ग य स ा त ह सव प र व ठ होगा

षा ग य को समझन स पव कौ ट य वारा तपा दत lsquoम डल स ा त को समझना आव यक ह कौ ट य क अनसार म डल क अ तगत 12 राजा या रा य होत ह जो अधो ल खत हmdash िजसक विजगीष अ र व मा यम स अ धक शि त हो

उदासीन 12 1 विजगीष ( वजता)

वह राजा िजसक सीमाए विजगीष व अ र स लगती ह

मा यम 11 2 आ र mdash श ( विजगीष का पड़ौसी)

आकर द का म आकर दसार 10 3 म mdash विजगीष का म (िजसक सीमा अ र स लगती हो)

पाि ण ाह का म पाि ण ाहसार 9 4 अ र म mdash श का म

168

जो आकर द क पीछ हो ( विजगीष का श ) प ठ भाग पर रहन वाल विजगीष का म

आकर द 8 5 म ा म mdash विजगीष क म का म

6 अ र म ा म mdash श क म का म

7 पाि ण ाहmdash विजगीष क प ठ भाग पर नवा सत श

राजम डल स ा त mdash म डल स ा त क या या करत ह ए अ य व वान का मत ह क म य प स चार विजगीष अ र म व म यम रा य ह होत ह और इनम स यक का म म का म होता ह इस कार स एक बार बारह रा य का म डल न मत होता ह ल कन व वान ड य बन न म डल स ा त म तपा दत ववरण क आधार पर कल 48 रा य का होना नि चत कया ह जो सभवत ठ क तीत नह होता ह

राजम डल स ा त म तपा दत ववरण स यह तीत होता ह क यह स पण 12 रा य का म डल एक ऐसा समह ह जो म य प स दो कम या अ धक वरोध गट म वभािजत होता ह िजसम स एक गट का नत व करन वाला स पण समह पर अपना आ धप य था पत करन को त पर रहता ह

इसक प चात षा ग य स ा त का तपादन करत ह ए कौ ट य कहता ह इसक अ तगत छ गण या नी तया mdash (1) स धmdash दो रा य क म य नि चत शत पर क जाती ह तथा यह शा तकाल म कया जान वाला यवहार ह (2) व ह श ता क ि थ त म श स कया जान वाला यवहार (3) आसनmdash शात अवि थत रहन क नी त अथात राजा यह नि चत कर क वह कसी भी कार का स नक अ भयान ारभ नह करगा (4) यानmdash राजा वारा स नक अ भयान ारभ करन सबधी नी त (5) स यmdash जब राजा दसर राजा स शरण मागन क नी त का अनसरण कर (6) वधीभावmdash एक समय म एक साथ राजा एक राजा क साथ स ध और दसर स व ह क नी त का अनसरण कर

उपायmdash षा ग य नी त क प चात कौ ट य न चार उपाय mdash साम दाम भद और दड का ववचन कया ह इनक वषय म कौ ट य कहता ह थम दो सम और दड का योग राजा को कमजोर राजाओ को अधीन करन क लए तथा अ तम दो भद और दड का योग शि तशाल राजाओ को जीतन क लए कया जाना चा हए

कौ ट य न उ त राजम डल स ा त षा ग य स ा त और उपाय का योग राजा क लए अपन रा य को सर त रखन तथा उसका व तार करन क ि ट स कया ह जो सभवत त काल न सा ा यवाद समय क एक अप रहाय आव यकता थी इसम कौ ट य वारा रा य को सर त रखन एव उसका व तार करन सबधी दोन ह प पर व तत वचारmdash वमश कर राजा को समयानकल नी त क अनसरण करन का नदश दया गया ह वा तव म उस समय मगध िजन प रि थ तय म एक वशाल सा ा य बना था उसक लए उ त सावधानी का पालन करना अपनी सर ा क लए अ नवाय सा था

169

118 धम और राजनी त का सबध य य प कौ ट य अथशा म धम और राजनी त क वषय म कोई वत करण

ा त नह होता ह फर भी उ त थ म धम और राजनी त क सबध म जो य mdashत अनकानक माण मलत ह व अ यत मह वपण ह

कौ ट य न व दक ान को और धम को ाथ मकता दान करत ह ए लखा ह क सामवद ऋ वद और यजवद यह तीन वद ह तथा अथववद व इ तहास वद भी वद ह इस व दक वा मय म व णत नयम लाभदायक ह तथा इनम चार वण एव आ म क क त य का वधान नि चत कया गया ह तो इनम व णत वधान का जो पालन करता ह उस वग क एव अन त सौभा य क ाि त होती ह अत राजा का कत य ह क वह अपनी जा क क याण हत वद व हत वधान क पालना करवाए कौ ट य न एक अ य थान पर राजा को धम वतक क स ा द ह यहा धम वतक स ता पय राजा वारा अपन मनोनकल समाज यव था क था पत करन स न होकर यह ह क वणा म यव था क वन ट हो जान पर राजा वणा म यव था को पन था पत कर

इसी कार स जहा कौ ट य न आत रक नी त नधारण म धम को सव प र थान दया ह उसी कार वह वदश नी त क अ तगत भी धम को उ च थान दान करत ह ए लखता ह क राजा को विजत कए गए दश म भी वहा क धा मक र त रवाज योहार व व वास क अन प ह आचरण करना चा हए

ल कन कौ ट य अथशा म एक अ य रोचक उदाहरण भी मलता ह िजसका यहा उ लख करना समीचीन तीत होता ह कौ ट य न अ धकरण पाच म ऐस अनक नदश राजा को दए ह िजनस यह ात होता ह क वह जा क धा मक अध व वास का लाभ उठान स भी सकोच नह करता था इसक अ तगत कौ ट य न अनक उपाय का ववरण दया ह िजनक वारा राजा अपन कोष क अ भव कर सकता ह इस कार स अथशा क अ ययन स

अधो ल खत न कष पर पह चा जा सकता ह क उस समय धम और राजनी त क म य सबध म तीन म य वि तया काय कर रह थी (शमा आर एस पव त प 201)

(1) कौ ट य व णत रा य ार भक व ध थ म तपा दत ा मण वचारधारा का र क ह

(2) ल कन भारतीय जनमानस क जो एक सामा य वशषता ह उसक वपर त कौ ट य का रा य परो हत स ता का अनयायी नह ह इसका कारण यह ह क कौ ट य क लए रा य स ता ह सव प र ह और वह इसको कमजोर करन वाल कसी भी धम क उप ा ह नह करता अ पत उसका दमन भी करता ह

(3) कौ ट य रा य क हत साधना क न म तmdash वशष कर वदश नी त क सदभ मmdash जनसाधारण क अ ान और अध व वास स लाभ उठान को उ चत मानत ह ए तीत होत ह िजस कार स अर त न अपन समय क अनसार नगर रा य और दासता को वीकार

कया था ठ क उसी तरह स कौ ट य न त काल न समाज यव था को वीकारत ह ए शासन

170

त क सचालन हत उ त थ लखा ल कन कछ ि टय स कौ ट य आ वी क (तक स मत ान) को वद वाता व द डनी त क ठ स कर योग म अथात लोक क याणकार रा य

क मह ता को था पत कर तथा रा य स ताग स ा त का तपादन कर लट व अर त को काफ पीछ छोड़ दया गया था कौ ट य वारा तपा दत वचार क आधार पर यह कहा जा सकता ह क वह अपन समय का एक ा तकार यग टा था तथा उसन भारतीय राजनी तक वचार को एक व ान स मत आधार दान कया था

119 अ यासाथ न 1 कौ ट य वारा तपा दत राजनी तक वचार का आलोचना मक व लषण क िजए 2 अ वी ीत वचार क यापकता और उनक व लषण क गहनता ाचीन भारतीय राजनी त

शा को ाचीन यनानी राजनी त शा क समक बना दती ह और कौ ट य को ाचीन व व क महानतम वचारक म स एक अर त क णी म रख दती ह ब गदmdashल वन ववचना क िजए

3 कौ ट य वारा तपा दत रा य स ताग स ात पर आलोचना मक लख ल खए 4 ट पणी ल खएmdash

(अ) म डल स ा त (ब) योग म (स) धम और राजनी त (द) रा य उ पि त स ा त क कौ ट य क अवधारणा

1110 सदभ थ 1 आरपी कॉगल कौ ट य अथ शा (भागmdash 3) मोतीलाल

बनारसीदास द ल 1988 2 लॉ एनएन डवलपम ट ऑफ ह द पॉ लट ए ड पा ल टकल

थीअर ज सी ओ बक एज सी कलक ता 1938 3 शमा रामशरण ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए

मक मलन कपनी द ल 1977 4 अ तकर एएस टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया

मोतीलाल बनारसीदास बनारस 1988 5 ब योपा याय एनसी डवलपम ट ऑफ ह द पा ल ट स ए ड पॉ ल टकल

थीअर ज कलक ता 1927

171

इकाई mdash 12 ाचीन भारतीय मि प रषद

इकाई क परखा 120 उ य 121 तावना 122 मि प रषद एव स ताग रा य स ा त 123 मि प रषद क आव यकता 124 मि य क यो यता 125 मि प रषद mdash वण यव था स ब ध 126 मि य क पर ा 127 मि प रषद सद य स या एव उसका सगठन 128 मि प रषद क काय 129 मि प रषद क वभाग 1210 अ तरग प रषद 1211 मि य का वतन एव स वधाए

12111 म णा णाल 1212 म णा क गोपनीयता 1213 मि प रषद क काय णाल 1214 मि प रषद क मख अ धकार 1215 मि प रषद म अनशासन क सम या 1216 उपम ी या छोट म ी

12161 मि य क थाना तरण 1217 `ऐ तहा सक यग म मि प रषद 1218 साराश 1219 सदभ थ सची

120 उ य इस इकाई का उ य आपको ाचीन भारतीय रा य क मि प रषद स प र चत करवाना ह हम इस इकाई म अ ययन करग क रा य म मि प रषद का वकास कस कार हआ इस इकाई क अ ययन क प चात आपको न न बात का ान ा त हो जायगा क mdash 1 व दक काल म मि प रषद का ारि भक व प या था 2 मि प रषद रा य क लय य आव यक था 3 मि य क यो यता या होनी चा हय 4 मि य क नयि त कस होती थी और उनक काय या थ 5 राजा मि य स सलाह कस लता था

172

6 मि प रषद क वशषा धकार या थ और वह उनका योग कस कार करती थी

121 तावना व दक काल म आय जन था पत होन का ववरण मलता ह उस समय प रवार

समाज क सबस छोट इकाई था आय ाय सय त प रवार म रहत थ पत धान प रवार का सबस व प ष उसका म खया होता था प रवार का वक सत व प कल था उनक वश जनपद रा और रा य का ज म हआ इस कार यह वह काल था जब जन जनपद म जनपद रा य या रा म एव महाजनपद म प रव तत होन क लय सघषशील थ व दक आय अब सा ा य नमाण क भी क पना करन लग थ

व दक काल क ार भ म समान म थम क नयम क आधार पर कल और वश क धान न अपन म स कसी को नता या राजा बनाया होगा इस समय तक आय यायावर

जीवन यागकर कसी नि चत भmdashभाग पर नवास करन लग थ उनम स यता का तजी स वकास हो जान क कारण व अब सग ठत जीवन क ओर अ सर हो रह थ सग ठत जीवनयापन क साथ ह उ ह राजनी तक अनशासन क भी आव यकता अनभव ह ई राजपद क उ पि त का अ ययन इसी सदभ म करना समीचीन होगा

122 मि प रषद एव रा य का स ताग स ा त व दक काल म रि नन प रषद राजा का शास नक काय म सहयोग करती रह क त

परवत काल म उसका थान एक और भावशाल स था न ल लया िजस शा कार न मि प रषद अमा य प रषद स चव प रषद या प रषा कहकर पकारा ह इसी कार ाचीन राजनी तक वचारक mdash मन बह प त भी म और कौ ट य आ द न अपन थ म रा य क सात अग वामी या राजा अमा य या म ी पर व दग अथवा राजधानी कोश द ड बल और म या उ लख कया ह श नी तसार क अनसार रा यावय या रा याग म म ी को तो न ह म कान कोश मख बल मन हाथ और पर रा ह जो क रा य का मल आधार ह इस कार रा य क स ताग स ा तानसार म ी रा य का अ त आव यक अग ह

म ी व लोग थ िजनस राजा म णा करता या सलाह लता मि य क स थागत व प को म ी प रषद कहकर पकार गया ह

123 म ी प रषद क आव यकता ाय आध नक काल म यह वचार तत कया जाता ह क ाचीन भारत म राजा

नदयी एव नरकश होत थ क त यह मत ाि त पण ह य क उस अपन भाइय मि य और जनमत को आदर दकर समाज म च लत आचार वचार क नयम का पालन करना पड़ता था वह सभाmdashस म त जनपद कल जा त णी और यग स बनाय ह ए नयम क अवहलना नह कर सकता था इसक अलावा राजा अ भषक क समय भी मन कम और वचन स जा पालन करन और व छाचार न होन क त ा स बधा हआ था उस त दन क काय म भी म णा करनी आव यकता थी अथववद म कहा गया ह क रा क ि थरता

173

हत यह आव यक ह क शासन ानी जन क परामश या म णा स चल इस कार म ी प रषद राजा को नय ण म रखन का यास करन वाल लोग क स था थी

शा म म ी प रषद को रा य क लय आव यक बतलाया गया ह महाभारत म भी म न रा य का मल राजा क मि य वारा द गई स णा को माना ह भी म क अनसार सम त स गण स स प न कोई एक प ष हो ऐसा स भव नह इस लए राजा को अनक वषय क ात अनभवी एव सदाचरण म रत अनक प ष स शासन काय म म णा लन का वधान कर म ी प रषद क आव यकता पर बल दया ह म ी प रषद क उपयो गता क स ब ध म कौ ट य न लखा ह क यक काय का ार भ त वषयक म नणय क उपरा त होना चा हय (वाता 2अ15अ1) रा य म व वध वषयक काय होत ह और उसी कार म णा क भी व वध वषय होत ह पर त वा त वक म mdash नणय एक यि त वारा चाह वह म नणय म कतना ह कशल य न हो स भव नह इस लए म नणय म व वध वषय क ाता अनक प ष स परामश लन क आव यकता होती ह राजा क समीप कछ ऐस यो य यि त होन चा हय जो शासन स ब धी सम याओ क वा त वक मन नणय म पण सहयोग कर सक और आव यकतानसार उस समयmdashसमय पर स परामश स लाभाि वत करत रह इस हत रा य म म ी प रषद क आव यकता य त क गई ह मन म त क अनसार राजा क सम शासन काय क वशालता एव उसक ग ता तथा बह पता क कारण उसका स पादन एक दो यि तय वारा होना स भव नह ह इस काय क लय स परामश एव सहायता क ाि त क लए व भ न वषय क वशष अनक यि तय क आव यकता होती ह (मन557) अत राजा क लय यह अ नवाय हो जाता ह क वह ऐस यि तय को थायी प स समीप रख िजसस आव यकता पड़न पर उनस तर त परामश एव उ चत सहायता ा त हो सक इसी लय म ी प रषद का नमाण अ नवाय ह अ य थान पर मन कहत ह क राजा को अपन साथ म ी अव य रखन चा हय और रा य क

साधारण तथा असाधारण काय पर उ ह क साथ बठकर वचार करना चा हय सम त रा य क काम का तो या एक साधारण काम भी उस अकल नह करना चा हय महाभारत म कहा गया ह क (53738) राजा अपन मि य पर उतना ह नभर ह िजतना ा णमा पज य पर ा मण वद पर और ि या अपन प तय पर कौ ट य (131 अ याय 3) कहत ह क िजस कार एक च स रथ नह चल सकता उसी कार बना मि य क सहायता क अकल राजा रा य नह चला सकता म ी प रषद क आव यकता क चचा करत ह ए श न लखा ह (श नी त लोक 1 अ2 लोक 4 अ2) क काय छोट स छोटा य न हो पर त अकल मन य क वारा उसका स पादन नह हो सकता फर असहाय मन य वशाल रा य क सचालन म य कर सफल हो सकता ह राजा वारा म का अकल नणय करन का नषध करत ह ए श कहत ह क ऐसा करन स वह व छाचार हो जाता ह राजा क व छाचार हो जान स उस पर वपि त आती ह ऐसा राजा सकट का वय कारण होता ह इस लए रा य सचालन म सहायता सहयोग वा त वक म णा क ाि त एव राजा क व छाचार क रोकmdashथाम क लय म ी प रषद परम आव यक ह

174

124 मि य क यो यता राजा वारा नय त मि य क यो यता या हो इस स ब ध म शा कार एकमत

नह ह कछ शा यो यता को मह व दत ह तो कछ राजभि त को भार वाज का मत ह क मि य क नयि त राजा क म म स क जाए जब क अ य व वान यथा वशाला पशन और वात या ध का वचार था क वा मभ त शा ाता राजशा म श त और परख ह ए प रवार क लोग ह म ी पद पर नय त कय जान यो य होत ह

कौ ट य क अनसार आदश म ी दश का ह नवासी हो ऊच कल का ति ठत कलाकशल दरदश ा मधावी नभ क वा मी चतर ती ग त उ साह मन वी धीर श च र मद अटल वा मभ त बल परा म और वा य स म त अि थर च तता और द धस ता स म त और वष तथा श ता उ पादक दगण स र हत हो य य प इतन गण एक यि त म मलना क ठन ह फर राजा क लए आव यक था क वह मि य क चनाव क समय उपय त गण का यान अव य रख ग तकाल म तो यो य और शा मि य क ाि त क यास कय जात थ ाय मि य क नयि त म ा मण राजप रवार क लोग और यो य यो ाओ को धानता द जाती थी वा मी क रामायण म मि य क यो यता क वषय म कहा गया ह क व व वान वनयशील सकोची चतर िजति य ीस प न महा मा श व या क ाता परा मी यश वी रा य काय म सावधान राजा क आ ा क अनसार काय करन वाल तज वी मावान हसकर बात करन वाल थ व सभी यवहार कशल थ उनक सौहाद क अनक अवसर पर पर ा हो चक थी व मौका पड़न पर अपन श ओ को भी उ चत द ड दन म नह हच कचात थ सबम शौय और उ साह था अपराध न होन पर श क भी हसा नह करत थ महाभारत म वद यास कहत ह क म ी कल न धन क लोभ स न फोड़ा जा सकन वाला स बि धत ान म कशल भ व य का भ लभा त ब ध करन वाला समय क ान म नपण तथा बीती ह ई बात क लय शोक न करन वाला हो शाि तपव (11516mdash17) म म य क गण क पर सची द गई ह बह प त कहत ह क राजा मि य म मढ़ दराचार अन तक हसाल वचारह न मख तथा यवा यि तय को नय त न कर सोमदव सर न मि य क नयि त हत उनम 9 गण को आव यक बतलाया ह जो इस कार ह mdash वज वदशवासी सदाचार कल न यसन स र हत वामी स ोह न करन वाला नी त य व या वशारद और न कपट हो म ारा स क अनसार ब म ता और वीरता क बना कवल राजभि त बकार ह इसी कार राजभि त क बना ब म ता और वीरता बकार ह दसर श द म राजा को सहायता दन वाल मि य म ब म ता वीरता और राजभि त तीन ह गण आव यक ह

महाभारत क शाि त पव म ऐस यि तय क सची द गई ह िज ह म णा क अयो य समझा गया ह अथात जो म ी पद पान यो य नह होत उनम ऐस यि त सि म लत ह जो स यवाद न ह चाह उनम सभी गण ह जो रा य क श ओ स स पक रखत ह िज ह वय अपनी ग त म च न हो जो शा क ाता न ह जो अप व और

175

अम ीपण ह जो वदशी ह चाह उनम अ य सभी यो यताए व यमान ह िजनक पता को रा य स न कासन का द ड दया गया हो चाह उस बाद म रा य म फर वश क आ ा मल गई हो और िजनक स पि त साधारण अपराध क लय ज त कर ल गई हो

म ी प रषद क सद य क गण क शा कार न व तत चचा क ह क त उनक नधा रत यो यता का शासक न कई बार उ लघन कया क मीर क राजा उ मताव त न गान वाल को तो च वधन न अपनी मका क र तदार डोम को अपना म ी बना दया मौयकाल म राजा बह प त म श गवश म दवभ त रा कल गो व द चतथ न मि य क यो यता क लय नधा रत मापद ड का पालन नह कया कई बार म ी प को म ी बना दया गया

मि य क चनाव म ा मण क धानता का उ लख म त थ म मलता ह कई बार राजप रवार क लोग भी म ी प रषद म सि म लत कर लय जात थ क मीर क राजा हष न एक पव म ी क दो प को और चौहान बीसलदव न अपन प स ल णपाल को म ी प रषद म सि म लत कया च दल वश म एक ह वश क लोग को 5 पी ढ़य तक म ी पद पर नय त कया गया ग तकाल म गयी म ी शाब और प वीषण क वश म म ी पद कई पी ढ़य तक चलता रहा

125 म ी प रषद mdash वण यव था स ब ध व दक काल स ह परो हत राजा स स बि धत रहा था उस रि नन प रषद म भी

मह वपण थान ा त था मन न म ी क कल न वश को उसक आव यक यो यता म गनाया ह महाभारत म भी म न म ी प रषद क 37 सद य म स 4 ा मण 8 य 21 व य 3 श और सत वण क 1 यि त को नय त करन का सझाव दया जो यि त म ी नय त कया जाता वह अपन वण क यो यता रखता था जस ा मण सद य क लय वद का ान ग भता आचरण क प व ता एव उ च श ा आ द आव यक यो यता थी उसी कार य सद य क लय शा धारण करन क मता एव बल स प नता तथा व य क लय धन स प नता और श सद य हत क त य परायणता आव यक थी आव यक यो यता पाई जान पर ह राजा कसी यि त को म ी या अमा य पद पर नय त करता था दशरथ क म ी प रषद क ग जन म ी म ष एव वद पराग थ महाभारत स सक तत ह म ी प रषद म व य मि य क स या सवा धक होती थी जब क ा मण एव श सद य स या म बराबर थ

126 मि य क पर ा कौ ट य क अनसार राजा को यह चा हय क कसी भी यि त म अमा यो चत गण

दश काल और काय का वचार कर अमा य नय त कर उस सहसा म ी कदा प नय त न कर मि य क लय इस यो यता क अलावा सभी कार क उपधा पर ाओ म सफल होना भी आव यक था अमा य क पर ा राजा धानम ी ओर परो हत क सहायता स ग त उपाय स लता था य पर ाए चार कार क थी mdash (1) धम पधा (2) अथ पधा (3)

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कामोपधा (4) भयोपधा जब कोई यि त इन पर ाओ म सफलता ा त कर लता तो उस पहल अमा य और फर म ी नय त कया जाता था

127 म ी प रषद क सद य स या एव उसका सगठन ाचीन भारत म म ी प रषद क सद य स या को लकर शा कार म मत भद रहा

ह यह स या लगातार घटती बढ़ती रह कौ ट य न बह प त क थ का उदाहरण दया ह बह प त क अनसार म ी प रषद क सद य स या 16 होनी चा हय मानव अथशा म उनक स या 12 और उपानस न 20 नधा रत क थी महाभारत म 37 मि य क प रषद (शाि त पव 7mdash11 तक85) का उ लख मलता ह इसी थ म राजा को 8 म ी रखन क सलाह द गई ह रामायण म म ी प रषद क दो कार क सद य का उ लख मलता ह उनम स 8 ग जन थ जो म ी कहलात थ उनक नाम ह mdash सय जाबा ल क यप गौतम माक डय व श ठ और वामदव म ी प रषद क अ य सद य को वा मी क न अमा य कह कर पकारा ह िजनक नाम इस कार थ mdash धि ट जय त वजय स ाथ अथसाधक अशोक म पाल और समन रामायण म अमा य एव म ी का भद प ट कया गया ह च कट पर राम न भरत स पछा था क तम अमा य और मि य स परामश तो करत हो यहा मि य स राम का ता पय परामशदाता ग जन स थ महाभारत म मि प रषद म ा मण 4

य 8 व य 21 श 6 और सत 1 नय त करन का उ लख मलता ह क त कौ ट य न रा य क आव यकतानसार म ी प रषद क सद य नय त करन पर जोर दया अशोक क अ भलख स ात होता ह क उसक प रषद म कछ थान गौर और अमा य क लय सर त थ मन न म ी प रषद क सद य स या 7mdash8(754) तो श न 8 नि चत क शवाजी क म ी प रषद म 8 म ी अ ट धान कहलात थ श नी त म इन 8 मि य क पद नाम दय गय ह कछ अचाय क अनसार म ी प रषद क दो सद य और थ िजनक नाम ह mdash परो हत और दत (या राजनी तक वभाग का म ी) जायसवाल क अनसार त न ध स भवत और जनपद का त न ध होता था और परो हत धा मक मामल का धान

यवराज क गनती म ी प रषद म नह क गई ह पर त वह नि चत प स एक म ी था वह साधारणत राजवश का ह राजकमार होता था अ य मि य क तरह वह राजा का सहायक होता था द यावदान क अनसार अशोक क समय उसका पौ स त यवराज था अ तकर का मत ह क ाचीनकाल म 7mdash8 मि य क मि म डल क अलावा आजकल क वी कौि सल क भा त एक बड़ी परामशदा ी स था भी होती थी िजसक सद य अमा य कहलात थ य य प अ तकर क इस मत क आलोचना क जाती ह य क अमा य प रषद क सद य स या वी कौि सल क स या स बह त कम होती थी फर भी अमा य का पद म ी क समान न था महाभारत म उि ल खत 37 अमा य क प रषद इसी कार क स था थी अथशा स भी ात होता ह क अमा य वभाग क अ य जस उ च पद थ अ धकार होन पर भी मि य क पद स नीच थ इस लए स या म भी यादा थ उनका वतन भी मि य स कम था पर त ग भीर वषय उपि थत होन पर सलाह क लय उ ह भी मि य क साथ बला लया जाता था अि बका साद वाजपयी क अनसार म ी

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प रषद म रा य स ब धी सभी वषय पर वचार होता था पर त अ तरग प रषद म कछ म ी ह भाग लत थ अमा य म ी प रषद का सद य होता था पर त वह अ तरग सभा म नह जा सकता था यह कौ ट य यव था स स होता ह म ी प रषद म म ी राजकाय पर वचार करत ह ग और मि म डल म राजा मि य स म णा करता होगा

128 म ी प रषद क काय म ी प रषद का काय वशाल था उनका काय नी त नधा रत करना उस

सफलतापवक लाग करना और उसक लय उ प न क ठनाइय को दर करना था म ी प रषद राजकमार क श ा द ा का ब ध करती रा या भषक म भाग लती वदश नी त का नधारण करती और करद साम त को ि थ त पर वचार करती थी म ी प रषद रा य क आयmdash यय क ि थ त पर नजर रखती और समय समय पर उसका नर ण भी करती रहती थी म ी प रषद राजा क व छाचा रता पर नय ण रखती थी अशोक न धा मक ि ट स व छाचार क नी त अपनाई तो उसका मि पद न डट कर वरोध कया श नी त क अनसार वय राजा क हाथ म कोईmdash शि त नह थी मग थनीज क अनसार प रषद का बड़ा आदर था वह व भ न वभाग क अ धका रय का चनाव करती थी भार वाज क अनसार रा क काय क लय म णा उस म णा क फल क ाि त आयmdash यय स ब धी काय सना उसका सचालन श ओ स र ा द यसन स जनता क र ा कमार क र ा तथा पद पर उनका अ भषक सब कछ म ी प रषद क हाथ म था वय कौ ट य न लखा ह क प रषद क वचारणीय वषय हmdash 1 काय ार भ करन क उपाय 2 मन य और साम ी क यव था करना 3 समय और थान का वतरण करना 4 आपि त स बचाव करना 5 यक काय क स ब ध म सभी पहलओ पर वचार कर तक स हत साम हक नणय

करना श नी त सार क अनसार शासन म यथाथ शि त राजा क हाथ म न हत न होकर

म ी प रषद क हाथ म थी इस कार ह द रा य राजत ी न होकर म ी त ी था

129 म ी प रषद क वभाग म ी प रषद म शास नक काय को सचा प स चलान हत वभाग का भी बटवारा

कर लया जाता था ाचीन भारतीय आचाय न मि य क वभाग क वभाजन पर वचार ह नह कया श ह एक ऐस वचारक ह िज ह न मि य क वभाग का वभाजन कया उनक अनसार म ी पा रषद म 10 वभाग होत थ िजनका ब ध हर एक वभागीय म ी करता था उनका म इस कार था mdash परो हत त न ध धान स चव म ी ा ववाक पि डत सम अमा य और दत अथशा म इस कार का प ट वभाजन नह मलता

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परो हत व दक काल स ह रि नन प रषद का सद य एव राजग था वह य म भी राजा क अ न ट स सहायता करता वह राजा क हाथी घोड़ो को अ भमि त करता था वह श व शा का ाता होता था रामायण क अनसार राजकमार एव राजा क अनपि थ त म व श ठ न कछ समय तक शासन सचालन कया य द ा मण पर अ भयोग लगाया जाता तो वह उस पर राजा क ओर स वचार करता था धम और राजनी त दोन का वह ाता होता था व दक काल क उपरा त परो हत क भाव म कमी आई ग तकाल क बाद क अ भलख म उस मि य स अलग कर दया गया श वारा उस म ी प रषद म सि म लत करना ाचीन पर परा का योतक ह 200 ई क बाद परो हत म ी प रषद का सद य तो नह रहा क त राजा पर उसका भाव आग भी बना रहा

श न अपनी सची म दसरा थान त न ध को दया ह इसका काम राजा क अनपि थ त म उसक पास स शासन सचालन करना था वय क होन पर यह पद यवराज को मलता था जातक का उपराजा श क त न ध क समान था अ तकर क अनसार त न ध क गणना म ी प रषद म नह होती थी अ भलख म उसका नाम नह मलता

मन त न ध को नह अ पत धान म ी को राजा का थान हण करन क सलाह दत ह इस कार श क धान का ता पय धान म ी स रहा था श क अनसार वह

सवदश पर शासन पर आख रखन वाला होता था छठ शता द म कद ब वश क अ भलख का सव य अन ठाता गजरात क रा कट राजा दि तवमन का महामा य क णभ 11वी शता द म यादव काल का महा धान बभीयक च दल राजा क णवमन का म ी व सराज परमार अ भलख का महामा य आ द सभी धान गयी ह थ अथशा म उस म ी और पाल धम थ म अ महामा और द यावदान म अशोक क धान म ी राधाग त को अमा य कहा गया ह शलाहार वश क राजा अन त दव (1085 ई) का धान म ी धान कोषा य भी था यह रा य म राजा क बाद सबस उ च पद थ यि त था

धान क बाद य म ी आता ह रामायण क अनसार य म ी या सनाप त म ी प रषद का सद य होता था य क मदान म वह सना का सचालन भी करता था श उस स चव कहत ह मौय उस सनाप त और ग त स ाट महाबला धकत यादव राजा महा च ड द डनायक और क मीर म क पन नाम स स बो धत कया जाता था उसक गणना मि य म क जाती थी उसका य व या म पारगत होना अ नवाय था वह यथो चत सना रखता और सना क अ य अग क यव था करता ता क श उस रा य स क पायमान होत रह

य म ी क प चात वदश म ी का थान था श उस म ी कहता ह अ भलख म उस महासि धmdash व ाहक नाम स पकारा गया ह पररा म ी का काय बड़ा क ठन था मौय ग त रा कट एव गजर तहार रा य म पररा गयी क अधीन कई स चव काय करत थ पररा म ी साम दाम द ड और भद नी त को यावहा रक प स अपनात थ ता प तयार करना और भदान क यव था पररा म ी ह करता था मता रा न ाचीन शा कार का उदाहरण दत ह ए लखा ह सि ध व हकार ह दानप का लखक हो

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ा ववाक धान यायाधीश था स पण याय यव था क दखभाल क िज मवार उस पर थी वह लोक पर परा का ाता होना आव यक था वह दोन प क माण दखकर ह नणय करता था उसम सा य क परख करन क मता होनी आव यक थी अि तम नणय दन का अ धकार उसी को ा त था थम अमोघवष क सजन दानप का लखक भी कोई ा ववाक था

पि डत धम एव सदाचार वभाग का अ ध ठाता था वह रा य क धा मक नी त का नधारक था वह धमशा एव लोकाचार स पणतया प र चत होता था कोनस धा मक नयम अनपयोगी हो गय ह इसका नणय वह करता था वह राजधम का स थापक माना जाता था वह रा य को सलाह दता था क धम और स क त क अनकल च लत यव था म या प रवतन कय जाए अशोक क धम महामा य सातवाहन क मण महामा य ग त

स ाट क वनय ि थ त थापक रा कट क धमाकश च दय क धम धान आ द को इसी णी म रखा जा सकता ह स भवत मि दर मठ पाठशाला और व यालय को दान दन का

काय भी इस अ धकार क अ धकार म आता था कोषा य (समन) का पद भी अ य त मह वपण था शलाहार वशीय राजा अन तदव

क कवल तीन म ी थ फर भी उनम स एक कोषा य था गाहड़वाल अ भलख म कोषा य का नाम मलता ह महाभारत काम दकmdashनी तसार तथा नी तवाकयामत आ द

थ म कोष को रा य का आधार माना गया ह इस लए इसक र ा हत कोषा य पद पर यो य यि त क नयि त आव यक होती थी श न अि तम म ी का नाम अमा य दया ह यह मालम ी रहा होगा रा य क नगर गाव जगल स ा त आय का यौरा रखना इसका क त य था रा य क क ष यो य भ म परती भ म और खान क आय का पण यौरा रखना भी इसी गयी क काया तगत था ाचीन भारतीय राजनी त का यह दभा य ह क राजा स स ब रह स था म ी प रषद क सद य क व तत जानकार उपल ध नह ह कछ व वान न दत को कटनी त म ी माना ह इस कार श क वारा उ त मि य क सची को इस कार तत कया जा सकता ह mdash

1 परो हत mdash धम म ी 2 त न ध mdash यवराज 3 धान mdash धान म ी 4 स चव mdash य म ी 5 म ी mdash वदश म ी एव गह म ी 6 ा ववाक mdash याय म ी 7 पि डत mdash व ध म ी 8 समन mdash व त वभाग का म ी 9 अमा य mdash भ म व क ष म ी या मालम ी 10 दत कटनी त म ी

1210 अ तरगmdashप रषद ाचीन भारतीय रा य म कई बार म ी प रषद क स या अ धक होती थी इस लय

मह वपण वषय पर वचार करन क लय राजा म ी प रषद क व र ठ सद य क एक अ तरग प रषद बना लत थ भी म क अनसार परम अ तरग स म त क सद य ह राजा क वा त वक म ी होत थ इन सद य का स पक हर समय राजा स रह सकता था भी म

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का वचार था क इन सद य स परामश लय बना राजा को शासन स ब धी कोई भी नणय नह लना चा हय राजा इन मि य स सय त एव वम त दोन कार क म णा ल सकता था रा य क अ य त गोपनीय वषय इस स म त क स मख तत कय जात थ सोचmdashवचार करन क बाद मि य क यि तगत एव साम हक नणय तथा राजा क वय क वचार राजग अि तम नणय क लय म ी प रषद क लय म ी प रषद क स मख वचाराथ

तत करता था इस कार म ी प रषद क यह छोट स म त राजा को ठ म णा दकर उसका मागदशन करती थी रामायण काल म ग जन (परामशmdashदाता म ी) आव यकतानसार परामश क लय बलाय जात थ कौ ट य अथशा म अ तरग प रषद को म प रषद कहा गया ह कौ ट य न इस प रषद क स ब ध म पव आचाय क मत का उ लख कया ह भार वाज का वचार था क राजा को अकल ग त म णा करनी चा हय य क मि य क भी अपन परामशदाता होत ह वशाला क अनसार एक ह यि त वारा सोचा वचारा हआ काय स दायक नह हो सकता अत उस ब मान एव अनभवी यि तय क साथ वचार करना चा हय पाराशर का वचार था क राजा को कसी काय स स ब म ी स ह सलाह लनी चा हय आचाय कौ ट य न उपय त मत को अ वीकार करत ह ए कहा ह क मि प रषद म 3mdash4 मि य का होना आव यक ह य क एक म ी स परामश करक राजा कसी क ठन सम या का समाधान नह कर पायगा दो मि य स म णा करन पर व आपस म मलकर राजा को वश म कर सकत ह अथवा आपस म कलह कर म को धल म मला सकत ह चार स अ धक मि य स म णा करन पर नणय करना क ठन हो जाता ह साथ ह मन भी ग त नह रहता इस लय राजा 3mdash4 मि य स म णा तो कर सकता ह क त अि तम नणय एक या दो स मलकर या अकल ह ल सकता ह राजतर गणी क अनसार मि य स अ तरग म णा करन क था क मीर म भी च लत थी ऐसा तीत होता ह क म प रषद म धान म ी परो हत सनाप त और यवराज तो सद य अव य रह ह ग राजकाय स पादन म राजा क बाद इ ह का नाम आया ह कमचा रय म इ ह का वतन सवा धक था व अ य मि य तथा अमा य क उपधा पर ा म भी राजा का सहयोग करत थ इस कार अ तरग प रषद का म प रषद म ी प रषद का आ त रक गट था

1211 मि य का वतन एव स वधाए कौ ट य क अनसार राजा क सभी मि य का वतन सभी वत नक अ धका रय स

अ धक होना चा हय म ी को 48000 पण दय जाए यह वतन म ी को वा षक मलना चा हय एन एन ला और रगा वामी इस मा सक मानत ह जब क शाम शा ी न इस वा षक बताया ह सालटोर महोदय शाम शा ी क मत को तकपण मानत ह

कौ ट य का वचार था क म ी का वतन इतना हो िजसस वह अपन प रवार का अ छ तरह स भरणmdashपोषण कर सक वतन यन होन पर म ी ट तर क अपना सकता ह जायसवाल क अनसार आप त ब क मा यता थी क राजा का वतन अमा य और धा मक उपदश दन वाल ग ओ स अ धक न हो जब क कौ ट य का वचार था क समान यो यता रखन वाल अ धका रय को जो वतन मलता ह उनक अप ा राजा का वतन तगना होना चा हय धान म ी और सनाप त को राजा क समान यो यता वाला माना जा सकता ह

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आप त ब क ग का ता पय परो हत स रहा होगा व राजा सनाप त परो हत और धान म ी को समान वतन दन क समथक थ कौ ट य म ी का वतन 48000 पण मानत ह ह इस लए अ भ ष त महारानी एव राजमाता का वतन भी इतना ह रहा होगा जायसवाल वतीय णी क मि य का वतन 24000 पण और ततीय णी क मि य का 12000 पण

वा षक वीकार करत ह मि य को वतन क अलावा आवास क स वधा भी ा त थी कौ ट य क अनसार

आचाय परो हत आ द क भवन क समीप और अ तपर क पव तर भाग म मि य का नवास थान होना चा हय उनक भवन का नमाण राजकोष स करवान क भी यव था क जाती थी मि य को राजधानी स बाहर जान पर भ ता और प यवहार का सम त यय राजकोष स मलता था

12111 म णा णाल

साधारणतया म ी प रषद क बठक राजा क अ य ता म होती थी राजा मि य स यि तगत तथा साम हक तर पर म णा करता था कौ ट य न मि य क काय का उ लख करत ह ए लखा ह क व राजा क वप और परप पर वचार कर न कय ह ए काय का अन ठान कर और अनि ठत काय क प त क तयार कर जो नकट हो उनक साथ बठकर राजा काय को दख और जो दर हो उनस प यवहार कर परामश कर वह मि य एव म ी प रषद को आव यक काय बताय कौ ट य का म त य था क राजा पहल मि य स अलगmdashअलग और फर म ी प रषद म सबक साथ बठकर नी तय पर वचार कर वशाला का मत था क राजा को व भ न वषय पर यापक आधार पर परामश करना चा हय रामायण म राम न भरत को मि य स परामश करत रहन क सलाह द थी कौ ट य का मत था क राजा अ धक समय म णा न कर म णा क बाद गयी अमा य क हावmdashभाव पर नय ण रख अपमान कय ह ए यि त क साथ राजा कभी म णा न कर श का मत ह क राजा क अनपि थ त म ाय म ी स ची और कड़वी बात कहन म हचकत थ इस लए उनका मत ह क म ी अपनाmdashअपना मत लखकर राजा क पास भज द रामायण क अनसार स यक वचार क बाद म ी प रषद एक मत होकर जो शा स मत राय दती ह उस उ तम मन समझा जाता था और उसका बड़ा मह व था बह मत का नणय म यम मन कहा गया ह जब कोई न चय न हो सक तो उस अधम मन (बरा) कहा गया ह ाय राजा और मि य म सौहाद रहता था राजा उन पर पण व वास करत थ क मीर क राजा जय सह तो अपन एक म ी क बीमार हो जान पर अि तम समय तक उसक पास बठ रह

1212 म णा क गोपनीयता महाभारत म म ी प रषद क नणय क गोपनीयता पर जोर दया गया ह रामायण

म भी कहा गया ह क म ी राजक य म णा ग त रखन म समथ और स म वषय का वचार करन म कशल थ वद यास क अनसार म णा राजमहल म कसी ग त थान पर क जाए य द राजा दौर पर गय ह ए ह तो ग रmdash थ (पहाड़ को चोट पर) क खल मदान म

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कश और कास घास नकाल गय थान पर जगल म या नाव म करनी चा हय कौ ट य का वचार था क म णा ऐस थान पर क जाय जो नजन हो जो च ड़या को भी दखाई न पड़ और जो ऐसा हो क कोई आवाज बाहर न आ सक ाचीन शा कार का वचार था क म णा थल क पास बौन मख ि या अपग यि त तथा पश भी न रह कौ ट य तो तोता मना और क त को भी दर रखन का परामश दता ह य क इनक वारा म णा खल सकती ह म ी प रषद क नणय माद (लापरवाह ) मद (नशा) स त लाप (नीद म बात करना) और मि य क कामा द स खल सकत ह काम दक नी तसार म कहा गया ह क त भ एव झरोख स ह न दभ य दग महल या नजन वन म म णा करनी चा हय श

न लखा ह क गह क भीतर नजन वन म दन अथवा रात म मि य क साथ भावी काय म पर वचार करना चा हय

1213 म ी प रषद क काय णाल कौ ट य अथशा क अनसार रा य क साधारणmdash शासन स ब धी काय मि य

वारा स प न कर लय जात थ असाधारण काय हत पर म ी प रषद क बठक होती थी जो म ी इस बठक म उपि थत नह हो पात थ व अपन वचार लखकर भज दत थ अशोक क शलालख म मौ खक आदश का उ लख मलता ह िजसका ता पय यह भी ह क आदश ल खत भी होत थ श नी त सार स ात होता ह कोई मामला व भ न कायालय म

या स प न होन क बाद कस तरह राजा क पास पह चा और फर म ी म डल म वचाराथ आया

कसी भी मामल म सदव ल खत कायवाह होनी आव यक थी वचाराथ तत कसी भी मामल पर पहल गहम ी म य यायाधीश व धम ी दत (कटनी त म ी) क सहम त ा त करनी आव यक थी यह ट पणी इस कार होती mdash वा व ल य अथात यह ताव हमार तकल नह ह भ मकर और क ष म ी उस पर ट पणी लखता mdashसाध ल खतम अथात ट पणी बह त ठ क ह व तम ी लखताmdashस यग वचा रत अथात अ छ कार वचार हआ तब प रषद का धान लखता स य अथात उ चत ह उसक बाद त न ध लखता mdash अगीक त यम यो य अथात वीक त क यो य ह यवराज लखता mdash

अगीक त यम अथात वीक त होनी चा हय फर वह मामला धमम ी क पास जाता तो वह भी लखता क म इसस सहमत ह यक म ी अपनी ट पणी लखन क बाद मोहर लगाता था अ त म राजा उस मामल क प पर लखता mdash वीकत ह तब राजा क भी मोहर लगाई जाती जायसवाल क अनसार जब मामला नीच वीकत होत ह ए आता तो राजा क ह मत उस अ वीकत करन क नह थी प रषद वारा वीकत सक प पर राजा अ म था राजा क आदश स सक प रा य का सक प हो गया और सवधा नक कानन क ि ट म वह आलख राजा हो गया श नी त क अनसार राजा क ह ता र हो जान और मोहर लग जान पर आलख ह राजा हो गया वय राजा भी राजा नह रहा (2281mdash85)

श नी त म यह भी कहा गया ह उपय त व ध स जार कया गया राजा का ल खत आदश ह वय राजा नह वा तव म शासक था राजा क लख बना भ य (कमचार ) काय न

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कर ओर राजा भी ल खत आदश बना अ प अथवा अ धक क आ ा न द म प ष का धम ह इस लय लख ह परम नणयकता ह जो राजा बना लख काय क आ ा द और जो भ य बना लख आदश क काय कर व दोन ह चोर ह राजा क म ा स चि हत जो लख ह वह राजा ह म ा स हत राजा का जो लख ह वह उ तम स भी उ तम ह और जो म ी आ द का लख ह वह म यम ह परवा सय का लख अधम ह

अशोक क अ भलख स भी म ी प रषद क काय णाल क जानकार मलती ह उसक तीसर लख म कहा गया ह क म ी प रषद क न चय को लखब करक थानीय कमचा रय वारा जा को समझाया जाय छठ लख म कहा गया ह क स ाट क मौ खक आदश और आव यक वषय पर शी ता स कय गय वभागा य क नणय पर म ी प रषद पन वचार कर सकती थी म ी प रषद स ाट क आदश पर कवल वीक त क मोहर न लगाकर ाय उनम सशोधन भी कर दती थी कई बार राजा को अपन वचार बदलन क सलाह भी द जाती थी अशोक का आदश था क जब ऐसी प रि थ त उ प न हो जाए या जब प रषद म मतभद उ प न हो तो इसक सचना उस तर त द जाए य य प अि तम नणय का अ धकार स ाट क हाथ म था क त फर भी म ी प रषद क अ धकार यापक थ कई बार राजा म ी प रषद क कहन पर अपन नणय पर पन वचार करन क लय तयार हो जात थ कौ ट य का वचार था क कसी भी वषय पर म ी प रषद क परामश क बाद नणय को तर त काय प म प रव तत कर दना चा हय स भवत प रषदा य क दखरख म मि प रषद क कायवाह लखी जाती थी

1214 म ी प रषद क मख अ धकार म ी प रषद राजा क सहायक और उसक व छाचार वि त पर नय ण रखन म

मह वपण भ मका अदा करती थी मन क अनसार म ी प रषद राजा क शासन स ब धी काय क पयव ण एव उस आव यकतानसार स परामश तथा सहायता दन का अ धकार सर त रखती थी ता क शासक व छाचार न होन पाय और साथ ह रा य का शासन ब ध सचा प स चल सक कौ ट य न अथशा म मि प रषद क नणय बह मत स स प न करवान

पर जोर दया ह कई बार इस बठक म अमा य एव तीथ को भी आमि त कया जाता था रामायण क अनसार अ वमघ क समय यवराज क कायवश बाहर भजन क समय यवराज क यो य वध का चनाव करत समय सभा म कसी ताव को रखन स पव य क घोषणा स पव तथा अ य क ठन सम याओ का हल करन क लय राजा म ी प रषद स सलाह लता था रामायण स ात होता ह क म ी प रषद क बठक म ग जन तथा अमा य भी भाग लत थ राजा जब राजधानी स बाहर जाता तो म ी प रषद ह शास नक काय स प न करती थी मि य का थान मह वपण था उनक सहम त बना राजा दान नह द सकता था यादव वश क दानmdashप स ऐसा सकत मलता ह अशोक क अ भलख स ात होता ह क म ी प रषद स ाट क नणय पर पन वचार कर सकती थी और उसम सशोधन भी कर दती थी जनागढ़ अ भलख स ात होता ह क म ी प रषद न सदशन झील क मर मत क लय धन दन स मना कर दया तब दामा को अपन नजी कोष स धन यय करना पड़ा अशोक क मि य न सफलता पवक उसक अ धाध ध दान वि त का वरोध कया और उस अवसर पर

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स ाट को कवल आधा आवला मा सघ को दकर स त ट हो जाना पड़ा चीनी या ी यवान वाग क अनसार ाव ती क राजा व मा द य त दन 5 लाख म ाए दान दना चाहत थ

पर त मि य न यह कहकर इसका वरोध कया क इसस शी ह खजाना खाल हो जायगा और नय कर लगान पड़ग राजा क दान क तो सव शसा होगी पर त उ ह (मि य ) जा स दवचन सनन पड़ग पातज त जातक क अनसार मि य न पातज ल को इस लए राजा बनन स रोक दया य क वह ब ह न था क हण क अनसार राजा अजयपीड़ मि य क नणय स ह राज यत कया गया मि य न ह शर को राज सहासन पर बठाया राजा कलश अपन प हष को यवराज बनाना चाहता था पर त मि य न उस ऐसा नह करन दया राजा क न सतान मर जान पर ाय म ी ह उ तरा धकार का नणय करत थ हष को क नौज रा य मि य न ह स पा था य य प रा य म व भ न मामल म अि तम नणय राजा ह करत थ फर भी उ तरा धकार जस वषय और दान दन जस न का नणय करना मानो म ी प रषद का वशषा धकार था ऐसा तीत होता ह क म ी प रषद क उपि थ त क कारण आ थक मामल म उसक वीक त लना अ नवाय सा हो गया था य द ऐसा न होता तो अशोक जस शि तशाल स ाट को अपना बौ सघ को दान य रोकना पड़ता

1215 म ी प रषद म अनशासन क सम या राजशा क स ा त स ात य ह क राजा शासन का सव च अ धकार था

पर त य द कोई म ी राजा क काय को अन चत घो षत कर उसका वरोध करता तो यह सम या उ प न होती थी क उस पर नय ण कस कर यह उस यग क म ी भी ऐस थ िज ह पद ल सा नह थी य द राजा सह सलाह दन पर कसी म ी को पद यत कर दता तो वह (म ी) इसक परवाह भी नह करता था हमारा वचार ह क ऐस कछ अवसर अव य उपि थत होत ह ग जब राजा इ छा होत ह ए भी अपनी बात नह मनवा पाता होगा अशोक क दान वाल उदाहरण स यह प ट ह इस कार राजा क लय मि य को अनशासन म रखन क भी एक मह वपण सम या रह होगी अशोक क अ भलख स ात होता ह क कई बार राजा मौ खक आ ाए द दता था क त बाद म प रषद उसका अनमोदन नह करती तब राजा को बड़ी क ठनाई का सामना करना पड़ता था जायसवाल न इस ि थ त को राजा क अ मता कहकर पकारा ह

1216 उप म ी या छोट मची जायसवाल क अनसार ाचीन काल म ह द म ी प रषद क यक म ी क अधीन

दो छोट या उपम ी भी होत थ इन तीन म जो धान होता था उस महामा कहत थ ग तकाल म इन पदा धका रय क नाम क साथ महा और कमार आ द श द मलत ह जस द डनायक महा द डनायक और द डनायक कमारामा य महाद डनायक क अधीन दो छोट मि य म स एक द डनायक और दसरा कमारामा य द डनायक कहलाता होगा महाकमारामा य का ता पय बड़ उपम ी स लया जा सकता ह

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12161 मि य क थाना तरण

ाचीन भारत म मि य को एक वभाग स दसर वभाग म थाना त रत करन क भी पर परा थी श नी त सार क अनसार त तीसर पाचव सातव और दसव वष मि य क वभाग बदल जात थ य क कहा गया ह क एक ह यि त क हाथ म अ धक दन तक अ धकार नह रहना चा हय यो य म ी को कसी दसर बड़ वभाग म थाना त रत कर उसक जगह नय यि त को नय त करना चा हय अशोक क अ भलख म इस या क लय अनसधान और रामायण म थान श द का योग कया गया ह

1217 ऐ तहा सक यग म म ी प रषद भारत म म ी प रषद का ारि भक व प व दक सभा स म त और फर रि नन

प रषद क प म ि टगोचर होता ह ऐ तहा सक काल म हम म ी प रषद क दशन होत ह छठ शती ई प मगध क राजा अजातश न अपन दो म ी व सकार और सनीथ को ल छ वय क एकता भग करन हत भजा था इसी कार उसक समकाल न कोसल नरश सनिजत क बार म कहा जाता ह क वह अपन म ी मगधर और ीव क सलाह स ह

मह वपण काय करता था जातक थ म मि य का व भ न थल पर उ लख हआ ह सा हि यक थ ( वशष प स अथशा ) और अशोककाल न अ भलख स मौय और श ग काल म म ी प रषद व यमान होन का उ लख मलता ह जनागढ़ अ भलख स ात होता ह क पि चमी भारत क शक राजा भी एक प रषद क सहायता स शासन करत थ िजसम कम स चव और ग त स चव सद य होत थ

ग त स ाट क अ भलख म मि य का लगातार उ लख मलता ह मौख र सा ा य म म ी प रषद बड़ी भावशाल थी जब मौख र राजा हवमा क अचानक म य हो गई तो मि य न हषवधन को क नौज रा य का सहासन दान कया परमारवशीय राजा यशोवमा क एक अ भलख म उसक महा धान ( धानम ी) प षो तम का उ लख मलता ह गजरात क चाल य अ भलख म महामा य का उ लख आया ह गाहड़वाल राजा भी महामा य क नयि त करत थ नाडौल क चाहमान राजाओ क दान शासन म महामा य का उ लख रा य कमचा रय स पहल कया गया ह महौबा क च दल क अ भलख म मि य क वश का उ लख मलता ह क हण क राजतर गणी स ात होता ह क मि य का क मीर क शासन म वशष भाव था द णी भारत क रा कट चाल य और शलाहार वश क

राजाओ क अ भलख म भी कर बmdashकर ब इसी कार का ववरण मलता ह यादव वश म मि य क सहम त स दान दय जान क पर परा थी द ण क अ भलख स सक तत ह क उनक यहा मि य क ि थ त साम त स श थी व महासाम त और महाम डल वर जसी उपा धय स वभ षत कय जात थ

क य शासन म म ी प रषद क सफलता को दखत ह ए ा त म भी कछ यवराज या ा त शासक म ी प रषद का नमाण करन लग मौय काल म त शला म एक ा तीय अ धकार क म ी प रषद थी प य म श ग क यवराज और मालवा क ा ता धकार अि न म श ग क भी म ी प रषद का उ लख मलता ह ग तकाल म यवराज क मि य

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को यवराजपद य कमारामा य कहा जाता था यादव नरश रामच (1190mdash 1210 ई) क द ण दश क शासक ट कम दवरस भी म ी प रषद क सहायता स शासन का सचालन करत थ य क यवराज और ा तीय शासक अपन दश म राजा क समक होत थ इस लय शासन क ससचालन हत म ी प रषद आव यक थी ा त म कई बार यवराज का ा तीय शासक क अनपि थ त म भी म ी प रषद क बठक होती थी और उसक नणय वीक त क बाद यवराज क पास भज दय जात थ

म ी प रषद 11वी शता द तक नर तर थी मौयश ग और ग तकाल म तो यह एक स था क तरह काय करती रह द णी भारत म चोल राजाओ क मौ खक आदश पर भी म ी प रषद वचार करती थी पर त इसक सहम त क प चात ह ल खत आदश जार कय जात थ ऐ तहा सक काल म म ी प रषद क सद य ाय एक वभाग को ह स भालत थ पर त कई बार यो य मि य को एक स अ धक वभाग का काय भी सौप दया जाता था क मीर म जयपीड क रा य म स जी याय और य दोन वभाग का म ी था इसस प ट ह क म य क यो यता द शत करन पर उ ह पदो नत भी कर दया जाता था

ाचीन भारत म मि य क लय स नक यो यता आव यक नह थी क त यवहार म म ी ाय उ च को ट क स नक होत उ ह रा य म ो साहन मलता था जस सम ग त का सि ध व ा हक ह रषण महाबला धकत या महासनाप त भी था गगवशी राजा मार सह क म ी चा डराय न गोनर पर वजय क थी यादव नरश क ण का धानम ी नागरस व वान होन क साथmdashसाथ उ चको ट का यो ा भी था

1218 साराश ार भ म ाचीन भारत म राजा रा य का सव च अ धकार था ार भ म उस

शासक य काय म सहायता करन हत सहयो गय क आव यकता अनभव ह ई होगी तब व दक काल म उसन सभा स म त और रि नन प रषद स सहयोग ा त कया भारतीय म ी प रषद का ज म इ ह स थाओ स हआ उ तर व दक काल क अि तम चरण तक म ी प रषद न राजा क थायी परामशदा ी स था क प म काय करना ार भ कर दया था धीरmdashधीर मि य क यो यता नयि त पर ा कायप त म णा णाल काय वभाजन अ धकार क त य इ या द वषय पर वचार होता रहा और उनक स ब ध म नयम बनत रह िजनका रामायण महाभारत कौ ट य अथशा और काम दक नी तसार म व तत ववरण मलता ह म ी लोग ाय राजा क सहानभ त या अपन गण क कारण नय त होत थ फर भी अपनी क त य न ठ क कारण परवत यग म म ी प रषद राजा क शि त को नयि त करन वाल और रा य क वकास म सहयोग दन वाल मख स था क प म उभर कर सामन आयी सोमदव स र क अनसार िजस कार जी वत रहन क लय मन य क दय होना आव यक ह उसी कार राजा क लय म ी अ नवाय ह श न राजा क व छाचार क रोकथाम हत म ी प रषद को परम आव यक बताया कौ ट य का मत था क

रा य दो प हय वाल गाडी क समान ह इस गाड़ी क प हय राजा और उसक म ी ह अ य थल पर कौ ट य लखत ह क म ी प रषद क सद य राजा क आख क समान होत ह

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इस कार म ी प रषद ाचीन भारतीय रा य क वह मह वपण स था थी िजसक सहार राजत पी महराब जन क याण का साधन बन पाया

1219 सदभ थ सची अ तकर अस ाचीन भारतीय शासन प त घोषाल यएन ए ह ऑव इि डयन पो ल टकल आइ डयाज जयसवाल का ह द रा य त ख डmdash 2 द तार वी आर आर मौयन पो लट मजमदान र च ाचीन भारत म सग ठत जीवन म भवन वर कौटल य राजनी त ब तोपा याय पन सी डवलपम ट आव ह द पो लट ए ड पो ल टकल योर ज यास शाि तकमार नानराम रामायणकाल न समाज व यालकार स यकत ाचीन भारतीय शासन यव था ओर राजशा शरण परमा मा ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए शामशा ी कौ ट य अथशा सालटोर बी ए ए य ट इि डयन पो ल टकल थॉट ए ड इि सट यशस

भार वाज कमलश मख म तय (मन या व व य नारद बह प त राज व वधानम का यायन) म राजनी तक व काननी वचार पी एच डी थी सस जयपर

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इकाई mdash 13 ाचीन भारत म राज प षmdashत

इकाई क परखा 130 उ य 131 तावना 132 नौकरशाह का ारि भक व प 133 व दककाल म जन रा य और उनका शासन त 134 महाका य म नौकरशाह का वक सत प 135 क य शासन का स चवालय 136 जनपदmdashयगीन राजप षmdashत 137 ब काल न गणरा य का राजप षmdashत 138 मगध सा ा य एव राजप ष त का ती वकास

1381 मौय शासन त 139 श गmdashसातवाहन काल म राजप ष त का अ ययन

1391 ह दmdashयनानी राजा एव उनका शासन 1392 शकmdashप लव शासन प त 1393 कषाणmdashराज शासन 1394 सातवाहन राज प ष त क वशषताए

1310 ग त वश क नप तय का राजप षmdashत 1311 मौख रmdashवधन यग म राजप ष त 1312 राजपतकाल न राजप ष त 13121 चोल शासन 1313 साराश 1314 अ यासाथ न 1315 सदभ थसची

130 उ य इस इकाई म हमारा उ य ाचीन भारत म राजक य शासन क सचालन हत

राजप षmdashतब क यव था पर वचार करना ह इस स ब ध म अ भलख ता प और सा हि यक थ स मह वपण जानकार मलती ह इस इकाई क अ ययन क प चात आपको न न वषय क जानकार ा त हो जायगी mdash व दक सा ह य एव महाका य म राजप षmdash त का व प क य शासन का स चवालय ब काल न भारत म राजप षmdash त (राजधीन एव गणाधीन रा य क स दभ म)

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मगध सा ा य म राजप षmdash त एव कौ ट य अथशा क यव था श ग सातवाहन और वदशी जा तय का शासन त ग त स ाट का राजप षmdash त मौख रmdashवधन तथा राजपत राजाओ का राजप षmdash त ( वशष प स चोल शासन प त

का अ ययन)

131 तावना िजस कार मि त क क आदश का पालन करन हत मानव शर र क व भ न अग क

आव यकता होती ह उसी कार ाचीन भारत म राजा वारा जो आदश जार कय जात थ उ ह वा त वक प स लाग करवान हत एक वशष वग होता था इस वग को हम आध नक प रभाषा क अ तगत नौकरशाह या राजप षmdash त कहकर पकार सकत ह

ऐसा माना जाता ह क नौकरशाह या राजप षmdash त क य पि त च भाषा क यरो तथा ीक भाषा क सी श द स ह ई ह िजसका शाि दक अथ ह mdash अ धका रय का शासन कछ लोग न नौकरशाह का ता पय ड क सरकार स भी माना ह स प म नौकरशाह श द का योग उस शासन णाल क लय कया जाता ह िजसका नय ण पणत अ धका रय क हाथ म होता ह इस कार क शासन क वशषता यह होती ह उसम शास नक क न य कम (Routine) को ह धानता द जाती ह और नयम का

कठोरतापवक पालन कया जाता ह व तत आध नक नौकरशाह या राजप षmdashत क प रभाषा को ाचीन भारतीय

शास नक णाल पर लाग नह कया जा सकता आजकल स वल स वस स जड़ ह ए अ धकार कवल नाग रक शासन का ह सचालन करत ह जब क ाचीन भारत म एक अ धकार जो आज य म सना स ब धी काय कर रहा ह उस कल कसी ा त म नाग रक शासन का काय करन हत नय त कया जा सकता था इस लए ाचीन भारतीय नौकरशाह का अ ययन करन हत हम शासन क सभी अग पर वचार करना होगा तभी प ट त वीर सामन आ पायगी

च ग त मौय क रा यकाल म नवास करन वाल यनानी राजदत मग थनीज न अपन ववरण म समाज क जो सात वग गनाय थ उनम स छठा और सातवा वग हमार अ ययन क ि ट स मह वपण ह मग थनीज न भारतीय समाज क छठ वग क अ तगत नर क क चचा क ह जो रा य म घ टत होन वाल घटनाओ स राजा को अवगत करवाता था यनानी राजदत न सातव वग म काउि सलस और ए ससस या म और स चव अथवा अमा य क गणना क ह अ तकर न उपय त कमचा रय को राजा क स चवालय स स बि धत पदा धकार माना ह डायोडोरस क अनसार कमचा रय का यह वग स या म अ धक नह था पर त अपन ब बल और याय यता क लए यात था ाय ा तीय शासक उ च अ धका रय कोष और क ष वभाग क नायक को इसी वग म स चना जाता था इस कार राजप षmdashत उन लोग का समह था जो ाचीन भारत म राजा वारा म मडल क सहयोग स जो नणय कय जात थ या आदश दय जात थ उनक या या कर उ ह यावहा रक प स

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लाग करवान का काय करता था इस लए इस वग का क एव ा त म राजा क ओर स शासन पर य नय ण रहता था इस वग क कमचा रय को अपन काय क उपल य म

वतन मलता था या भ म ा त होती थी

132 नौकरशाह का ारि भक व प ाक आय काल म भारतीय स यता का वकास स ध नद क घाट म हआ इस

स यता का व तार वशष प स मोहनजोदड़ो हड़ पा च हदड़ो (प पा क तान) आलमगीरपर (मरठ उ ) लोथल रगपर (गजरातmdashका ठयावाड़) और काल बगा (राज थान) तक था स धव स यता एक नगर य स यता थी स धव क नगर क स दर यव था ब द ना लय अ नmdashभडार गह और वशाल नानागार को दखन स तीत होता ह क ईसा क ार भक शताि दय स पव ह भारत म ऐसी कोई सग ठत शास नक यव था अव य थी िजसक मा यम स नाग रक क जानmdashमाल क र ा स भव हो सक थी मोहनजोदड़ो स ा त प ष का सर कसी कल न यि त का तीत होता ह अत कहा जा सकता ह क समाज म ऐसा कोई स ा त वग व यमान था जो शास नक काय क दखभाल करता था डॉ बजनाथ पर क अनसार माण क अभाव म स धव स यता म शासन काय स प न करन वाल वग क स ब ध म कछ भी कहना क ठन ह

133 व दककाल म जन रा य और उनका शासन त ाक ब यग को सा क तक ि ट स व दक काल कहा जाता ह वद क स या चार

ह mdash ऋ वद यजवद सामवद और अथववद इनक रच यता आय ऋ ष थ ा व प भारतीय इ ह न य और अपौ षय मानत रह ह व दक काल क ारि भक घटनाओ क जानकार ऋ वद स और उ तर व दक ववरण हत अथववद तथा ा मण थ स जानकार मलती ह

ऋ वद क अनसार आय का म य ड़ा थल स त स ध दश था व दक काल म आय अनक जन और कबील म वभ त थ जन का शासन य और राज य क हाथ म था राजा जन का र क कहलाता था उसक सहायता क लए सभा स म त और वदप नाम क स थाए होती थी वद म कछ अनायजनो क भी चचा आई ह ऋ वद स ात होता ह क उस समय तक भारत म राज पद वक सत हो चका था ऋ व दक काल म जन या रा य का व तार अ धक नह था व कई बार एक थान को छोडकर दसर थल क लए पलायन भी कर जात थ राजा को जनmdashधन क र ा हत सहयो गय क आव यकता पड़ती थी क त आ ाओ का पालन करवान हत राजप ष क बह त कम आव यकता पड़ती थी राजा वारा जो आदश दय जात थ व गाव म सदशवाहक वारा घो षत कय जात थ इस लए इस काल म कोई क य कायालय जसी स था न थी जो व धवत राजा ा का सारण करती हो

ऋ व दक काल म राजा जनप त या वशप तय क मडल का मख होता था उसम सनाप त क गण होना आव यक था स भवत या यक काय भी सभाmdashस म त ह करती थी य काल म राजा को लट स जो धन ा त होता था उसका कछ भाग स नक को दान कया

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जाता था ऋ वद म सनानी ामीण और परो हत नामक तीन अ धका रय का उ लख मलता ह सनाप त य म राजा क मागदशन म काय करता था और पदाचार सपा हय क सहायता स सघष करता था ामीण गाव का म खया था क त आव यकता पड़न पर वह य म भाग ल लया करता था परो हत यह आ द स प न कर दवताओ को स न करता था ल कन राज शासन पर उसका मह वपण भाव था राजा पर सभा और स म त नय ण अव य रखती

थी कछ व वान न सभासद को अमा य स श माना ह स म त भी समाज क ति ठत लोग क स था थी िजसका शासन पर पण भाव रहता था

उ तर व दक काल म आय भारत म थायी प स बस चक थ परवत स हताओ ा मण और उप नषद स ात होता ह उ तर व दक काल म आय का पवा भमख सार हआ

सदानीरा (ग डक नद ) का उ लख कोसल और वदह क म य क सीमा क प म हआ ह थल नाम म प रच ा (पाचाल म ि थत एकच ा) आस द वन (हि तनापर) काि पल न मष

वन (आध नक नीमसारmdashन मषार य) आ द का उ लख मलता ह अथववद म मगध और अग का उ लख अवहलना क साथ हआ ह इस कार उ तर व दक काल म आय स क त का सार पि चम स पव क ओर हआ था इस कार उ तर व दक काल म जन और कबील

ल त हो गय और उनक थान पर नवीन रा य काश म आय नय दश क वजय रा य क व तार तथा राजाओ क सफल नत व क कारण राजा क स ता और उसक अ धकार म व ह ई राजा अब राजा धराज एकराट सावभौम और च वत जसी उपा धया धारण करन लग

उ तर व दक काल म नय राजा का अ भषक आव यक हो गया था सभा और स म त को अभी भी द वक स थाए माना जाता था इस यग म रा य क अ धकार वग क स या म अचानक व ह ई िजसस सभाmdashस म त का मह व कम होन लगा अब रा य क या कलाप का सचालन रि नय क स म त करन लगी िजसम राजा क र तदार दरबार और कछ उ चा धकार सद य होत थ रि नय क स म त म राजम हषी (पटरानी) परो हत का नाम मलता ह पर त यवराज का नह रि नय म सनानी सत ामीण सगह ता और भागधक व भ न वभाग क अ य थ सनानी सनाप त था सनाप त राजा क आदश स य करता था उसक अधीन सकड़ पदल सपाह होत थ सत रथ सना का नायक ामीण गाव क म खय का धान रहा होगा ामीण का स य अ धकार क प म उ लख मलता ह उस आदश दकर राजा शासन सचालन करता था भागधक कर वसल करन वाला और सगह ता कोषा य था रि नय क सची म ता अ ावाप और पालागल को अ तकर न दरबार णी का अ धकार माना ह ता राजा का प रपोशवक अ ावाप धत ड़ा म राजा का सहयोगी या जआ वभाग का अ य तथा पालागल राज म था कछ लोग न पालागल को वदषक माना शतपथ बा मण म रि नय क सची म गो वकतन का उ लख कया ह जो स भवत राजा क गौmdashधन स स बि धत वभाग का अ धकार था इसी कार रथाकार भी रथ बनान वाल वभाग स स बि धत पदा धकार था य म रथ का थान मह वपण होन क कारण यह पद मह वपण बन गया था शतपथ ा मण क अनसार उपय त रि नय का सहयोग मागन

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हत ह राजा अ भषक क अवसर पर उनक घर जाकर उ ह र न छ व दान करता था रथप त भी एक अ धकार था िजस अ तकर न ा तप त या म य यायाधीश वीकार कया ह इस कार उ तर व दक काल म रि न राजा क परामशदाता एव धान सहयोगी अ धकार थ उ ह

हम आध नक प रभाषा क अनसार नौकरशाह का म य घटक मान सकत ह सर कमार जायसवाल ( ह द राजशा ) का वचार ह क उ तर व दक काल म रि नय क अलावा अगर क धमा य व दा य दौवा रक (राजमहल का मख हर ) प रचारक अ वा य आ द पदा धकार होत थ कछ छोट पदा धकार भी थ जो सहायक क प म काय करत थ प लस अ धकार उ तथा सौ ाम का अ धकार सीमा त शासक कहलाता था यायपा लका का सव च अ धकार राजा वय था थानीय झगड़ पचायत नपटाती थी

इस यग म गणत काश म आ गय थ िजनका उ लख वरा य का प म मलता ह ऋ व दक काल क तलना म उ तर व दक काल क शास नक यव था म अनक मह वपण प रवतन आ चक थ वशाल रा य क थापना राजा क शि त राजक य पदा धका रय क स या और अ धका रय म व आ द इस यग क मह वपण वशषताए थी

134 महाका य म नौकरशाह का वक सत प भारतीय महाका य रामायण क रचना का य मह ष वा मी क को और महाभारत क

रचना का य मह ष वद यास को ह इन दोन थ का भारतीय राजशा क म व श ट थान ह इनम सगह त साम ी ाचीन भारतीय राज यव था पर यथ ट काश डालती ह

रामायण स सक तत ह क अब राजा पद लगभग वशानगत हो गया था यवराज पद का अ धकार य ठ प ह होता था रामायण म आदश राजा क गण पर काश डाला गया ह राजा का धा मक सना सचालन म कशल म णा ग त रखन वाला नरोग और नी त नपण होना आव यक था राजा शास नक काय मि य परो हत अमा य सभासद क सहयोग स करता था वह अमा य तथा दसर लोग क वचार क जानकार ग तचर क सहायता स ा त करता रहता था

रामायण क अनसार शासन त क तीन म य अग थ mdash सभा म प रषद और शासना धकार (तीथ) सभा क सद य म अमा य जन म जन और सनाप त आ द सरकार सद य होत थ शष सभी सद य गर सरकार थ सभासद को सभा म सि म लत होन क सचना दत या सदशवाहक वारा भजी जाती थी दशरथ क तरह रावण क रा य म भी परामशदा ी सभा या प रष थी िजसम स य अ धका रय और म य क अलावा बधmdashबा धव (राजकतार) का बाह य था

राजा दश का शासन चलान क लय ग जन म य और अमा य (स चव ) का सहयोग लता था म य और अमा य का अ तर राम क एक कथन स प ट हो जाता ह च कट पर उ ह न भरत स पछा थाmdash तम अपन अमा य तथा मि य स परामश तो करत हो अमा य म प रष क बठक म भी सि म लत कए जान थ रामायण म कई बार अमा य श द स वभागा य का भी बोध होता ह फथ क अनसार महाराजा दशरथ क

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तीन अमा य स य यव था दो अमा य अथ एव व त तथा दो अमा य कानन और याय वभाग सभालत थ आठवा अमा य रथ आ द वाहन क वभाग स स बि धत था जब क शाि त कमार नानराम यास क अनसार रामायण म वभाग का ऐसा बटवारा कह उि ल खत ह नह ह फथ क अनसार दशरथ क अमा य क नाम उनक यि तगत नाम नह ह अ पत उनक कायसचक ह धि ट जयत और वजय इन तीन नाम का अथ साहस इ का वजयी प तथा य म सफलता ह इस लए इन तीन को स य वभाग का स चव माना जा सकता ह स ाथ का शाि दक अथ सफल यि त ह अथ या धन स ह म सफल यि त भी उसका अथ हो सकता ह अथ साधक स ता पय अथ अथवा यवहार म नपण यि त ह इस कार स ाथ और अथ साधक व त स चव मान जा सकत ह छठ अमा य का नाम अशोक अथात शोक र हत ह इस लए स भवत वह याय वभाग का अमा य कहा होगा म पाल को धम वभाग का सचालक माना जा सकता ह सम क अधीन व वध वभाग थ सम दशरथ और राम दोन क सारथी और नजी स चव थ राम क समय यावहा रक धम और शा ीय धम क वभाग दो अमा य मश यवहार और धमपाल नी त क अधीन थ राजा और म य वारा जो नणय कय जात थ उ ह अमा य नधा रत योजना क अनसार परा करत थ अमा य या ाओ जलस अ भयान म राजा क साथ रहत थ अमा य राजधानी नह छोड़ सकत थ य क उ ह द नक शासन ब ध क दखभाल करनी पड़ती थी

रामायण म तीथ (शासना धका रय ) क अि त व का सकत च कट पर रामmdashभरत सवाद म मलता ह (210036) पर त वहा अ धका रय क नाम का उ लख नह ह क त ट काकार क अनसार य अ धकार 18 होत थ िजनक नाम इस कार ह mdash म ी परो हत यवराज सनाप त दौवा रक ( वारपाल) आतरव शक (राज साद ब धक) कारागारा धकत (जल अ धकार ) अथसचयकत काय नयोजक (म य स चव) ववाक ( यायाधीश) सनानायक नगरा य कमाि तक (खान और कारखान का अ धकार ) स य (सभा स चव) धमा य (म य यायाधीश) दडपाल (मिज ट या प लस क म नर) दगपाल ( कल का ब धक) और रा ातरपाल (सीमा त दश का रा यपाल)

ाय राजा राजधम क अनसार याय शासन करता था मामल क जाच यो य यायाधीश करत थ उ तरका ड म यायाधीश को धमपालक कहा गया ह राजा को याय

स ब धी काय म धमपारग यवहार म ी ऋ ष और अमा य उ चत सलाह दत थ राजमाग क यव था प लस कमचार करत थ िज ह दडायध धरा कहा गया ह

ऐसा अनमान ह क लाठ धार स नक माग पर प लस का काय करत थ ग तचर को चर चार ण ध चारक अथवा चारण कहा जाता था अयो या म

नय मत ग तचर वभाग था ग तचर दो कार क थ नाग रक ग तचर और स नक ग तचर श सना का बलाबल जानन क लय राजा और सनाप त उ ह पर नभर रहत थ

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सना वभाग म स नक क कई णया थी थायी स नक को म य बल कहा जाता था जो सवत नक होत थ हाथी घोड़ क दखभाल अ वबध और कजर ह करत थ सना य या सनानी राजा स आ ा लकर ह काय करता था उसक अधीन कई बला य और अप त होत थ अयो या म स नक भट या योध कहलात थ राजा सदव स नक क च ता करत रहत थ इस लए राम न भरत स पछा था क या स नक को नयत समय पर वतन भ त दय जात ह

राजा ाय य टालन क लय दत का योग करत थ दत राजभ त और चतर होत थ दत अव य माना जाता था सना क टक ड़य क अ य नायक कहलात थ सभी स नक धान सनाप त क सर ण म काय करत थ इस कार रामायण स ाचीन भारतीय नौकरशाह यव था क अ प ट सी झलक ा त होती ह

रामायण क ह तरह महाभारत भारतीय राजशा का मह वपण थ ह इसम रा य क उ पि त तथा व भ न कार क राजस ता मक और गणाधीन रा य का उ लख मलता ह उन दन अ धकाश रा य राजस ता मक क त क थ व सा ा य बनान क यास म लग रहत थ राजा का दव व प इस समय तक वक सत हो चका था शाि त पव स ाचीन भारत राजनी त क स ब ध म वशष जानकार मलती ह

महाभारत क अनसार शासन त को सचा लत करन हत म ी उसक धान साधन थ िजनक स या 8 होनी चा हय एक अ य थान पर म प रषद म 4 ा मण 8 य 21 व य 3 श तथा 1 सत होना आव यक कहा गया ह यह भी कहा गया ह क राजा क पास म य स चव सनाप त परो हत ग त दत दगा य यो तषी और व य आ द अ धकार अव य रह महाभारत म राजा क सभा क भी सदभ मलत ह जहा वह म णा करता था महाभारत म राजा क 18 अ धका रय क चचा क ह पर त उनक नाम नह गनाय ह जब क महाभारत क ट काकार न उनक नाम इस कार गनाय ह mdash म ी या म य धान परो हत यवराज सनाप त या चमप त वारपाल या तहार अ तवशक या अ तपर का अ धकार कोषा य यया धकार द टा राजधानी का अ धकार काम नयत करन वाला अ धकार धमा य सभा य अथवा याया धकार द डा य दगा य सीमा य और अर या य य सब अ धकार तीथ कहलात थ सी वी व य न महाभारत क मीमासा करत ह ए लखा ह क कसी अ य थान म चौदह अ धकार बतलाय गय ह िजनक नाम ह mdash दशा धकार दगा धकार रथा धप त गजा धप त अ वा धप त शर स नक (पदा त म य) अ त परा धप त अ ना धप त श ा धप त सनानायक आयmdash यया धप त धना धप त ग त दत और म य कायकता इसस सक तत होता ह क वतमान राज यव था म िजतन अ धकार होत ह ाय उनम स सभी अ धकार और उनक कायालय ाचीनकाल म थ य सभी अ धकार राजा का शास नक काय म सहयोग करत थ

महाभारत क वनपव क वारपाल क मह व क स ब ध म जानकार मलती ह क

राजा क सर ा करन वाल र क कहलात थ महाभारत म राजा क अ धका रय को उ चत

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स कार और वतन दन क यव था क गई ह महाभारत स ात होता ह क उन दन ग तचर का वशष मह व था अ तःपर म राि नय क सवा हत ि या रखी जाती थी

महाभारत स ात होता ह क गाव म म क काय हत एक म खया रहता था िजस ामा धप त या ा मक कहत थ इसी कार 10 गाव 20 गाव 100 गाव 1000 गाव

पर म खया नय त थ सबस छोटा ाम अ धकार अपन स बड़ म खया अ धकार को सचना दता रहता था गाव क अ धप त का वतन यह था क वह पास क जगल क पदावार स अपना नवाह कर 1000 गाव क अ धकार को एक छोटा सा नगर दया जाता था स पण रा का कामकाज कसी वत अ धकार क नर ण म होता था शाि तपव क अनसार नगर का ब ध सवाथ च तक नामक अ धकार क हाथ म था बड़mdashबड़ नगर म वत अ धप त होत थ उस समय क रा म 1500 स 2000 तक गाव रहत थ इस कार एक म या धकार क नीच दो सह ा धकार रहत थ और उसक नीच वश या धकार रहत थ दसर श द म 10 गाव का शासक द शक 20 गाव का वशा धप 100 गाव का शतपाल और 1000 का सह प त कहलाता था सभा पव म यक गाव क 5 अ धका रय क चचा आई ह िजनक नाम ट काकार न य बतलाय ह mdash शा ता (सरपच) समाहता (कर वसल करन वाला) सि नधाता लखक (पटवार या म शी) और सा ी सा ी कौन था यह प ट नह ह

राजा जा स कर हण करता था उस ब ल कहा जाता था मालगजार वसल करन वाला पदा धकार ाम भोजक कहा जाता था

महाभारत क अनसार रा य म याय का काय वय राजा ह कया करता था वह या यक काय अमा य क उपि थ त म करता था याय का आधार म तशा क नयम

थ यायालय म एक लखक रहता था जो स पण कायवाह ल पब कर लता था ऐसा तीत होता ह क महाभारत काल म याय करन वाल अमा य नय त हो चक थ

इस कार महाका य म िजन रा य अ धका रय एव कमचा रय का उ लख मलता ह उनम स कछ का पद तो व दक काल स चला आ रहा था जस परो हत या सनानी कछ अ धकार बह आयामी थ जो एक स अ धक कार क काय करत थ

महाभारत स ात होता ह क उन दन सना वभाग का वशष मह व था चतर गणी सना म पदल अ वारोह गजारोह तथा रथ होत थ व भ न दल का नत व सनाप त या क न ठ सनानी करत थ पदल स नक श स ससि जत होत थ सना म जलmdashसना यातायात तथा ग तचर होत थ दश काल और प रि थ त क अनसार राजा नी त म प रवतन करता रहता था जारजन धम अथ काम क ाि त और चतथ प षाथ का माग श त करना ह रा य का मख उ य समझा जाता था

135 क य शासन का स चवालय िजस कार जात म क य शासन का मख क धान म ी होता ह उसी

कार ाचीन काल म राजाmdashस ता का म य क होता था व दक काल म राजा शासन का काय अपन राजक य नवास स ह सचा लत करता था उ तर व दक काल म जब वशाल रा य था पत होन लग तो शास नक ग त व धय पर नय ण रखन हत स चवालय जस

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कायालय क आव यकता अनभव क गई होगी अ तकर का वचार ह क ाचीन काल म क य शासन कायालय अव य व यमान रहा होगा पर त उसक प ट माण उपल ध नह ह कौ ट य अथशा क आधार पर यह वचार तत कया जाता ह क व भ न वभाग म लखक का पद होता था िजसका तर म ी स कछ नीचा होता था और वह सवत नक होता था क य शासन कायालय क कमचार क कायपटता और क य शासन क आदश को ठ क कार लखब करन क मता पर शासन क उ तमता नभर थी इस कायालय क कमचार उ च श ा ा त और वा मभ त होत थ व पहल क और वतमान आदश क जाच करत रहत थ लख तयार हो जान पर व उस वभाग क अ य म ी और राजा क पास वीक त क लय भजत थ ह ता र क बाद राजक य महर लगाकर आदश स बि धत यि तय क पास भज दया जाता था यनानी लखक न िजस सातवी जा त का उ लख कया ह व स चवालय क ह कमचार रह ह ग इस वग क लोग सरकार पद पर रहकर सावज नक शासन म भाग लत थ सभी म ी और वभागा य क य स चवालय म य अमा य वभागा य और स चव क म य सामज य रखन वाला कायालय था क हण क राजतर गणी म क य शासनालय क कमचा रय वारा राजा ाओ को लखब कय जान का उ लख मलता ह चौहानmdashचौल य शासन म स चवालय ीकरण कहलाता था चौल रा य क अ भलख स इस स ब ध म अ धक जानकार मलती ह राजा जब कसी वषय पर आ ा दता तो स बि धत अ धकार उस समय उपि थत रहत और एक लखक मल लख क अनसार लखता और अ य दो यि त उस मल लख स मलाकर सह कर लत थ भ मदान स ब धी लख स चवालय म सर त रख जात ता क आव यकता पड़न पर उनम प रवतन कया जा सक भ मदान क लखाmdashपढ़ तो क य शासनालय म शी क जाती थी गहड़वाल तथा चाल य लख म सरकार लख क धान को अ पट लक या महा पट लक कहा गया ह अपन दौर क समय राजा मौ खक आ ा दत तो स बि धत स चव उस ल पब कर स चवालय म (राजधानी) भज दत थ

क य सरकार और शासनालय का म य काय ा त और नगर म नर क भजना होता था ता क थानीय शासन पर सरकार का नय ण बना रह श न राजा तथा उ च अ धका रय को वा षक दौरा करन क सलाह द ह क य सरकार ा त क ि थ त स अवगत रहती थी इसक लय ा तीय अ धका रय स ववरण मगाकर उन पर वचार कया जाता था क य सरकार क पास ग तचर का दल होता था वह भी रा य म घ टत होन वाल घटनाओ स क को अवगत करवाता रहता था एक ह घटना क स ब ध म जब क ह दो ग तचर क ववरण स उसक पि ट हो जाती तो फर सरकार आव यक कायवाह करती थी कनाटक क क च र रा य म नर ण करन हत पाच अ धकार नय त थ िज ह करणम कहा जाता था

थानीय कमचा रय क पास क य सरकार क आदश भजन हत शासन कायालय वारा वशष सवाददाता भज जात थ यह काय िज मवार का था इस लए पदा धका रय को

ह स पा जाता था वाकाटक अ भलख म सरकार सदश ल जान वाल को कल प कहा गया ह य ऊच घरान क लोग होत थ इस ववरण स सक तत ह क ाचीन काल म क य

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सरकार थानीय और ा तीय सरकार पर कस कार नय ण रखती थी और उसम क य शासनालय या स चवालय क या भ मका होती थी

136 जनपदmdashयगीन राज प षmdashत छठ शता द ई प स हम भारतीय रा य क मब इ तहास क जानकार मलती

ह इस काल म घ टत होन वाल घटनाओ का ववरण बौ जन और ा मण (उनक वारा र चत) थ म मलता ह अब रा य का भभाग नि चत हो चका था दो कार क रा य ब काल न भारत म ि टगोचर होत ह mdash थम राजाधीन और वतीय गणाधीन अब रा य जनपद कहलात थ सावभौम स ता का अभाव था दश म छोटmdashछोट रा य होन स वक करण क व त बल थी धीरmdashधीर सा ा यवाद व त का वकास हआ और शि तशाल रा य नबल रा य क अि त व को समा त करन हत य न करन लग उन दन सोलह महाजन पद व यमान थ जो बड़ रा य क णी म आत थ इस कार जब एक जनपद म कई छोट जन पद समा जात तो वह महाजन पद कहलाता था बौ थ अग तर नकाय क अनसार उन दन जो महाजन पद व यमान थ उनक नाम इस कार ह mdash अग मगध काशी कोसल वि ज म ल च द व स क पाचाल म ल शरसन अ मक अवि त गाधार और क बोज इन रा य म ती त वि ता थी इस कारण काला तर म कवल चार महाजनपद मगध कोसल अवि त और व स ह शष रह गणरा य म शास नक काय सघ वारा होता था

राजाधीन रा य म राजा शास नक ि ट स सव च पदा धकार था उसका पद वशानगत था और उसका य ठ प ह रा य का उ तरा धकार होता था राजा म प रष क सहायता स शास नक दा य व का पालन करता था म प रष म परो हत को सव च थान ा त था वह सकटकाल म राजा को कटनी तक परामश दता था जातक

सा ह य म परो हत क अलावा भी कछ म य क नाम मलत ह र जक नामक म ी का नाम मालगजार तथा कर वसल करन वाल वभाग क धान क प म मलता ह उसक अलावा सनाप त भा डागा रक व न चयामा य क नाम भी उ लखनीय कह जा सकत ह सनाप त का म य काय स य सचालन था क त वह एक अ य म ी क प म भी काय करता था भा डागा रक कोषा य था और राज व स ब धी मामल क भी दखभाल करता था व न चयामा य याय म ी होत थ बौ थ म ोणमापक हर यक सारथी दौवा रक आ द अ य कमचा रय का भी उ लख मलता ह य लोग रा य क व भ न वभाग का सचालन करत थ नाग रक जीवन क सर ा तथा अपराध पर नय ण सि तक (कोतवाल) क नयि त क जाती थी सना म पदा त अ वारोह रथ और हाथी स स बि धत चार वभाग होत थ

याय वभाग का म य ोत राजा था उसका नणय अि तम होता था रा य म अनक तर पर यायाधीश होत थ व न चय महामा क अदालत स लकर राजन क अदालत तक कई यायालय होत थ गाव म याय काय ाम स थाए करती थी उन दन द ड कठोर होत थ

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राजक य आय का मह वपण साधन कर होता था ब ल और श क क अलावा इस यग म भाग वय और ष भाग का उ लख मलता ह

ब काल न महाजनपद म मगध कोसल अवि त क शास नक यव था क जानकार बौ थ स मलती ह मगध स ाट बि बसार को छोटmdashबड़ कई अ धकार शास नक सहयोग करत थ इनम उपराजा माड लक सनाप त सनानायक महामा (सनाप त क नीच अ य पदा धकार ) यावहा रक महामा ( यायाधीश) और ाम भोजक (य गाव म राजकर वसल करन म सहयोग करत थ) उसक धान पदा धकार महाम त (महामा ) कहलात थ च लव ग क अनसार गलत सलाह दन वाल महाम त को पद यत कर दया जाता था व सकार अजातश का म ी और सनीथ सनाप त थ स बाथक महाम त सब कार का काय करत थ सनानायक महाम त स नक पदा धकार था बोहा रक याय वभाग स स बि धत पदा धकार रहा होगा बि बसार क समय हम राजव य क पद पर जीवक और वा तकार क पद पर महागो व द क काय करन का उ लख मलता ह बि बसार न राजप ष त को स म एव मजबत आधार दान कया था उसी क आधार पर अजातश अपन वशाल सा ा य क र ा करन म सफल हआ वनय पटक स कारावास क जानकार मलती ह इस लए इस वभाग म भी कोई पदा धकार काय कर रहा होगा

ा त म शासन क दखभाल हत राजा अपन प या स ब धी को गवनर क पद पर नय त करत थ बि बसार न अजातश को च पा नगर का वायसराय नय त कया था इसी कार सनिजत न अपन भाई को का शराज एव उदयन न अपन प बो धराजकमार को भ ग दश म वायसराय नय त कया था राजा प रवार क सवा करन वाल प रचारक कहलात थ िजसका उ लख उ तरा ययन स म मलता ह ा त गाव म बट ह ए थ बि बसार वारा एक बार 80000 गाव क सभा बलान का भी ववरण मलता ह

137 ब काल न गणरा य का राजप षmdashत भारत म गणरा य क उ पि त उ तर व दक काल म हो चक थी जायसवाल न

लखा ह क ह द गणरा य उ तर व दक काल म सामदा यक वशासन क आदत का एक दसरा उदाहरण ह गणरा य का उ लख महाभारत क सभापव एव शाि त पव म मलता ह बौ सा ह य म वशषकर जातक म गण का अथ एक ऐसी स था या स म त था िजसक सद य मलकर एक हो जात थ और इसका दसरा अथ गणरा य था सक दर क भारत पर आ मण स पहल और बाद म भारत म कई गणत व यमान थ

पा ण न न गणाधीन जन पद का उ लख कया ह गण का नता गणप त या राजा कहलाता था शा य क रा य म राजा नवा चत होता था ल छ वगण का अ य राजा क उपा ध धारण करता था सभा म वह बठक क अ य ता करता था गणरा य म हर कल स एक यि त गण या सघ म त न ध क प म लया जाता था य त न ध राजा कहलात थ बौ थ म ल छ वय क 7707 कल और 7707 राजाओ का उ लख मलता ह इस कार गण क शासन णाल एकाधीन शासन णाल स भ न थी ब काल म वशाल का वि ज रा य ति ठत जन पद था यह गगा क उ तर म और नपाल क तराई तक व तत था वि जसघ म 8 गणत सि म लत थ इनम वि ज ल छ व और वदह

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थ चौथा गणरा य ातक था शष चार कल क स ब ध म पा ल थ मौन ह राय चौधर क अनसार व स भवत उ भोग कौरव और ऐ वाक थ ब काल न भारत म कई गण जा तया थी जसmdash पावा कशीनारा क म ल क पलव त क शा य राम ाम क को लय प पल वन क मो रया इ या द य जा तया गणत शासन णाल को अपनाय ह ए थी

ब घोष क अ कथा क अनसार वि जसघ का शासन चलान हत 7707 राजा थ जो वशाल क वग णत 84000 अथात 168000 जनस या म स चन जात थ उनक साथ उतन ह उपराजा और सनाप त थ व वशाल म थायी प स नवास करत थ च ल क लग जातक तथा एकप ण जातक क अनसार उन राजाओ उपराजाओ तथा सनाप तय क साथ इतन ह भा डागा रक थ अ तकर का वचार ह क 7707 राजा वा तव म वि जसघ क य जमीदार रह ह ग जो वय वशाल म रहत थ और भा डागा रक स अपनी जमीदार का काय करवात थ उनक प उपराजा कहलात ह ग उ ह आव यकता पड़न पर रा य को स नक सहायता भी दनी पड़ती थी इस लए उनम यक क पास एक सनाप त भी होता होगा वि जसघ क सभा म य सभी सद य थ और वहा तक वतक करत रहत थ यह सघ एथ स क लए ल थ नज वारा न मत स वधान का मरण दलाता ह

ल छ व सभा का अ धवशन िजस भवन म होता था उस सथागार कहत थ यह सभा वदशी यापा रक धा मक और क ष स ब धी मामल पर वचार करती थी महाव त म एक दत का उ लख मलता ह जो सदश पह चान का काय करता था वशाल क गण स था कायका रणी भी करती थी यह स म त वद शक और आ त रक मामल क दखभाल करती थी चतक इसका अ य था

इसक अलावा अ ट कल नाम क भी एक स था होती थी जो वि जसघ क आठ जा तय का त न ध व करती थी यह उनक याय महा स म त थी अ कथा क अनसार वि जसघ का यक अ भय त पहल व न च महाम त ( व न चय महामा ) क पास लाया जाता वह उस मामल क त य एक करता दोषी पाया जान पर अ भय त को वोहा रक ( यावहा रक) क पास भजा जाता था उसक वारा भी दोषी पाया जान पर अ भय तस तधर (स धार) क पास जाता था वहा भी दोषी पाया जान पर स पण मामला अ क लक क पास जाता था य द अ भय त द डनीय स होता तो उसका मामला सनाप त उपराजा और राजा सनत थ अि तम नणय राजा वारा कया जाता था इस कार राजा सव च यायाधीश भी था

अगतर नकाय म एक थल पर ब न ल छ व यवक को स बो धत करत ह ए कछ पद गनाय ह िज ह व ा त कर सकत थ व ह mdash राि क प त णक सनाप त ाम गाम णक (गाव का म खया) तथा पग गाम णक (औ यो गक स थाओ का म खया) इनम अि तम दो का स ब ध ाम व नगर शासन स था

गणरा य अपनmdashअपन शास नक मामल स थागार क अ धवशन म करत थ जहा

नणय लोकताि क णाल क आधार पर कय जात थ नणय का आधार सवस म त था

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इस कार छोट गणरा य म शास नक त क सचालन हत कम अ धका रय क आव यकता थी और बड़ गणरा य म अ धक छोट गण म कायपा लका या मि य क सद य स या अ प रहती थी सक दरकाल न गणरा य म मि य क स या 4 स 18 तक ि टगोचर होती ह िजनक नयि त क य स म त या स थागार ह करती थी गणरा य क

पर परा महा मा ब क बाद भी जार रह िजनका उ लख ीक लखक न व तार स कया ह उनम कठ सौभ त मालव यौधय क अ ब ठ आ द गणजा तय क गण मख थ ीक लखक न इन गणरा य क पदल घड़सवार और रथ सना का उ लख कया ह उ ह कई बार सनाप त पद हत भी चनाव होता था

इस कार छठ शता द ई प तक भारत म रा य और सा ा य का भौ तक कलवर बढ़न लगा भ म का व तार और राजनी तक त वि दता म व हो जान स राज शासन त को चलान हत अ धक पदा धका रय क आव यकता पड़न लगी वशष प स यायपा लका स नक शासन और लगान एक करन वाल वभाग का काय अ य धक तजी स

बढ़न लगा िजसस राजा क ग तशीलता म अचानक व हो गई

138 मगध सा ा य एव राजप ष त का ती वकास भारतीय इ तहास म चौथी शता द ई प का वशष मह व ह इस शता द म

भारतीय इ तहास को तीन महान नरश न दशा दान क एक महाप न द िजसन उ तर भारत क लघ व दक राजवश का अ त करक तथा मगध क सा ा य को उ तर भारत क अ धकाश म एव द ण क कछ भाग तक व तत करक दश क राजनी तक मान च को सरल कया दसरा सक दर िजसन महाप क कछ ह समय बाद उ तरापथ क लघ रा य का अ त करक राजनी तक सरल करण क इस या को उस दश म स प न कया तथा तीसरा च ग त मौय िजसन चाण य क सहायता स महाप न द और सक दर क काम को परा कया और भारतीय उप महा वीप म थम बार एक अ खल भारतीय सा ा य क थापना क

पौरा णक सा य क अनसार महाप न सव ा तक एकछ और एकरा जसी उपा धया धारण क अपन सा ा य क सर ा एव व तार हत उसन राजकोष भरा और वशाल सना एक क उसक राजधानी पाट लप थी न द क शासन यव था पर ला सकल लखक न कछ काश डाला ह ए रयन क अनसार सक दर क आ मण क समय यास क पव म ि थत दश म जो अ य त उवर था िजसक नवासी यो य कषक थ आ त रक शासन क स दर यव था थी िजसम जनता पर एक कल न वग शासन करता था जो अपनी स ता का उपयोग बह त ह यायपवक एव उदारता क साथ करत थ

अपनी साम रक तथा शासक य आव यकताओ क प त हत न द राजाओ को अतल धन क आव यकता पड़ी होगी महावस क अनसार अि तम न द राजा (धनन द) न अ य व तओ क अ त र त पश चम ग द पड़ तथा पाषाण पर भी कर लगाया न द क शासन म दान वभाग क जानकार मलती ह िजसका अ य सव ठ ा मण होता था न द राजा मि य क सहायता स शासन सचालन करत थ हम उनक क पक शकटाल थलभ रा स आ द म य क नाम मलत थ

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िजस समय न द स ाट धनन द मगध म शासन कर रहा था तब सक दर न भारत पर आ मण कया उसन पौरस को बड़ी क ठनाई स हराया था जब सक दर क स नक न न द सा ा य क वशाल सना क बार म सना तो व हताश हो गय फगलस न कहा था क ग डरडाई और पारसाई (न द सा ा य) क वामी क पास 20 000 अ वारोह 2 लाख पदा त 2000 रथ तथा 3000 हाथी ( लटाक क अनसार 80000 अ वारोह 200000 पदा त 8000 रथ तथा 6000 हाथी) ह तो सक दर क स नक भयभीत हो गय इस लए सक दर न वा पस वदश लौटन का न चय कया 325 ई प सक दर न वदश क लय थान कर लया और 323 ईप ब बलोन म उसक म य हो गई

1381 मौय शासन त

सक दर क वदश लौट जान क प चात च ग त मौय न भारतीय राजनी त क रगमच पर वश कया वह 321 ईप वह मगध का स ाट बना उसन मगध म न द वश का उ मलन करक पजाब म यनानी स ता क समाि त क त प चात स यकस स सि ध करक पि चमी एव द णी भारत को अ धकत कर लया च ग त मौय का सा ा य अ खल भारतीय था इस लए उस अ धक रा य कमचा रय एव अ धका रय क आव यकता थी उसन कौ ट य क शासन को भारतीय भभाग पर लाग कया ता क शासन सगमता पवक सचा लत हो सक च ग त मौय क प चात ब दसार अशोक और उसक उ तरा धका रय न मगध पर शासन कया

मौय राज शासन त क स ब ध म कौ ट य अथशा मग थनीज़ क इि डका और अशोक क शलालख स मह वपण जानकार मलती ह क य शासन

कौ ट य अथशा क अनसार रा य क स ताग म राजा सव प र होता ह मौय काल म राजा दश का धान शासक सनाप त धान यायाधीश और द डा धकार होता था मौय शासक राजा और दवाना य उपा ध धारण करत थ कौ ट य न धम क र ा को राजा का मख कत य माना ह वह सा ा य क सव च पदा धका रय को भी वय नय त करता था

कौ ट य क अनसार राजा को पहल परो हत और मि य तदपरा त अ य मख अ धका रय क नयि त करनी चा हय मौय नरश रा य हत नी त नधा रत करत पदा धका रय को नदश दत और राजा ाए जार करत थ उनक ग तचर पर रा य क ग त व धय क सचना भजत रहत थ िजनक चचा ला सकल लखक न भी क ह कौ ट य न राजा को मि य स सलाह लन क सलाह द ह बो क अनसार जब राजा आखट क लय नकलता था तो उसक चार ओर ि य का घरा रहता था इसस प ट ह क उन दन ि या भी एक कार क सरकार कमचार होती थी

राजा का उ तरा धकार उसका यवराज प ह होता था इस लए उस अ टादश तीथ म सि म लत कया गया था

मौय स ाट क सहायता क लय म ी होत थ म य क सभा म ीmdashप रष कहलाती थी अशोक क शलालख म इस प रसा या प रष कहा गया ह कौ ट य न सलाह

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द ह क राजा सामा य वभाग म अमा य नय त कर इसक बाद म य और परो हत क सहायता स उनक पर ा ल जो अमा य धम पर ा म खर उतर उ ह धम थ (द वानी कचहर ) तथा क टक शोधन (फौजदार कचहर ) क काय म नय त कर अथ पर ा म उ तीण अमा य को समाहता (ट स कल टर) तथा सि नधाता (कोषा य ) जस पद पर और कामोपधा पर ा म उ तीण अमा य को अ तःपर म नय त कर मि प रष म एक लघ प रष होती थी िजसक सद य राजा क व वासपा होत थ राजा क लय आव यक था क वह 3mdash4 मि य स म णा कर मौय स ाट इन म य म स ह कसी को अ ामा य या धान म ी नय त करत ह ग अथशा म इस पद क चचा नह ह पर त एक अ य थल पर उ चतम अ धका रय का वतन नधा रत करत समय ऋि वक आचाय परो हत

सनाप त यवराज राजमाता और पटरानी क साथ म ी को 48000 पण दन क यव था करता ह मकज क अनसार इस थल पर म ी का ता पय धान म ी स लया जाना चा हय

कौ ट य अथशा क अनसार क म शासन सचालन हत अनक अ धकार नय त कय जान चा हय जसा क पव म अ ययन कर चक ह मग थनीज न भारतीय समाज क सातव वग क प म काउि सलर व ए ससर का उ लख कया ह यह वग सवा धक लघ पर त ब म ता क लय स था इ ह म स राजा क परामशदाता राजक य कोषागार क पदा धकार पच यायाधीश सना क सनाप त और द डा धकार चन जात थ बो क अनसार इनम स रा य क सभी पदा धकार चन जात थ व रा य क धान पद यायालय तथा सावज नक पद पर नय त कय जात थ ए रयन लखता ह इस वग स रा यपाल उप रा यपाल कोषा य सनाप त नौmdashसना य तथा क ष नर क आय त चन जात थ मग थनीज नर क क चचा करता ह य नर क़ शायद ग तचर होत ह ग

शासन क व भ न अ धकरण क स ा तीथ थी िजनक स या अ टादश बतलाई गई ह िजनक नाम ह mdash म ी परो हत सनाप त यवराज दौवा रक आ तव शक शा ता समाहता सि नधाता द टा नायक पौरmdash यावहा रक कामाि तक म प रषदा य द डपाल दगपाल अ त पाल और अट वक

इनम म ी परो हत और यवराज क बाद समाहता और सि नधाता वशष मह वपण थ उनका स ब ध रा य क अथ यव था स था सनाप त य वभाग का सव च अ धकार था द टा क टकशोधन यायालय का धान होता था याय करन क अलावा वह समाहता क सहयोग स राजप ष क काय पर नय ण रखता था नायक स य ा धकरण का धान अ धकार था वह य म आग रहता था कामाि तक रा य क तरफ स चलाय जान वाल कमा त (कारखान ) क अ धकरण का धान था यावहा रक धम थीय यायालय क धान को कहत थ मि प रष का अ य भी अ टादश तीथ म गना जाता था द डपाल

सना क आव यकताओ को परा करता था अ तपाल सीमा त और अ तवत दग क यव था करता था नागरक नामक पदा धकार बड़ नगर क शासन हत उ तरदायी अ धकार था शा ता क अ धकरण क काय राजक य आ ाओ या राजशासन को ल पब करना था उसक अधीन अ पटला य नामक अ धकार होता था जो व भ न प तक (रिज टर ) क

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स भाल करता था दौवा रक राज साद क धान अ धकार को कहत थ अ तव शक राजा क अगर क सना का धान होता था उसक स नक अ तपर क व भ न क म नय त थ आट वक नामक पदा धकार अट व सना (व य जा तय क सना) या अट व दश क दखभाल करता था इन अ टादश तीथ क पथकmdashपथक अ धकरण थ ा तीय शासन

मौयकाल म स पण सा ा य क राजधानी पाट लप थी अ धकाश सा ा य राजाओ क सीध नय ण म था सा ा य क कई गौण राजधा नया भी थी जसmdash त शला उ ज यनी सवण ग र और तोसा ल इनस छोट राजधा नय क इलाक या कहलात थ यह ात नह ह व यालकार क अनसार मौय क ा त म यदश ाची द णापथ पि चमदश

और उ तरापथ क नाम स स थ ा त क राजधा नय म राजा क त न ध क प म कमार या आयप शासन करत थ उनक सहायता हत क य मि प रष क तरह प रषद होती थी िजसक सद य को अशोक क शलालख म महामा कहा गया ह जनागढ़ लख ( दामा) म च ग त मौय क एक गवनर व य प यग त को रा य कहा गया ह मकज क अनसार कौ ट य न गवनर को रा पाल या ई वर कहकर पकारा ह अशोक क अ भलख म ा तीय राजधा नय का उ लख मलता ह अथशा म नह इ सला समापा तथा कौशा बी नगर क दखभाल राजक महामा करत और ा तीय राजधा नय क गवनर

कौ ट य न जनपद का उ लख कया ह स भवत य ाचीन जनपद क त न ध थ िज ह मगध नरश न जीतकर सा ा य म मला लया था अथशा म इनक शासक को समाहता कहा गया ह उनक ऊपर महामा य और उनक ऊपर द टा तथा कमार होत थ जनपद को था नक नामक इकाइय म बाटा गया था सबस छोट शासक य इकाई ाम थी दस ाम क समह को स हण बीस स हण क समह को खाव टक दो खाव टक क इकाई को ोणमख और ोणमख क इकाई को थानीय कहा जाता था ाम का शासक ा मक स हण का गोप और थानीय का था नक कहलाता था नगर का शासन नागरक चलात थ अशोक क शलालख म नगर यावहा रक महामा का ववरण मलता ह जो शासन और याय का काय करता था वह कसी को कारावास या शार रक यातना द सकता था वस नगर क शासन को 5mdash5 सद य क 6 स म तया सचा लत करती थी िजनका उ लख मग थनीज न कया ह नगर शासन क लय िज मदार अ धकार एि टनोमोई कहलात थ शासक य वभाग एव अ धकार

कौ ट य अथशा तथा मग थनीज क ववरण स ात होता ह क मौयकाल म उ च पद पर नय त कमचा रय का वग अि त व म आ गया था कौ ट य न इ ह अमा य कहा ह इनक तलना आध नक आईएएस और आईपीएस पदा धका रय स क जा सकती ह कौ ट य न इस णी क अ तगत दसर अ धकरण म अ पटल (एकाउ स या लखा वभाग) आकार (खान) सवण को ठागार (भ डार) प य (वा ण य) क य (वन स पदा) आयधागार पौतव (तलामान) श क (सीमाकर) सना (पशवधशाला) ग णका (व याए) नौ (नौ प रचालन) गो (पश) अ व (घोड़) हि त (हाथी) रथ पदा त (पदल सना) म ा (पासपोट) ववीत

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(चारागाह) लोह (धात) ल ण (टकसाल) कोष (खजाना) सत (जआ) दवता (धा मक स थाए) आ द वभाग क अ य का उ लख कया ह कल मलाकर वह 30 कार क अ य क चचा करता ह इन पदा धका रय क अधीन 100 स 1000 पण तक वतन पान वाल कमचार काय करत थ इन पदा धका रय म स कछ का राज व शासन कछ का नगर शासन कछ का राजधानी एव राज ासाद क शासन स कछ का क ष शासन स तथा कछ

का स नक शासन स था कौ ट य न इन अ धका रय क काय णाल स ब धी कई नयम बनाय थ

कौ ट य अथशा क अनसार यक वभागा य क सहायता क लय स यायक (गणक हसाबmdash कताब रखन वाला) लखक ( लक) पदशक (म ाओ का पारखी) नी व ाहक (कोषा य ) तथा उ तरा य ( धान अ धकार ) रहत थ उ तरा य उन लोग को नय त कया जाता था जो हाथी घोड़ और रथ क सवार करन म कशल होत थ उसक अधीन बह त स कशल कमचार भी काय करत थ जो स यायक आ द व तय का पता लगान म ग तचर करत थ पदा धका रय को लगातार कसी एक वभाग म नह रखा जाता था कौ ट य न कमचा रय क वतन क अलावा स दशवाहक क भ त प शन और पदो न त क भी नयम बनाय थ अ धका रय और कमचा रय क नयि त या तथा वतन

ाचीन भारत म अमा य को मह वपण थान ा त था साधारणतया अमा य श द का योग मि य क लय कया गया ह क त कौ ट य न अमा य और मि य म भद कया ह वह कहता ह अमा यो चत गण दश काल और काय का वचार करक ह अमा य क नयि त क जाए क त उ ह म ी कदा प न बनाया जाव इस कार ार भ म अमा य राजा क म और सहयोगी थ पर त धीरmdashधीर उ ह न कमचार का प धारण कर लया अशोक न अपन उ च अ धका रय को महामा कहकर पकारा कौ ट य का अमा य स अ भ ाय कमचा रय क एक ऐसी णी स था िजसम स म ी परो हत समाहता सि नधाता अ तपर क अ धका रय दत और अ य वभागा य क नयि त क जाती थी

अमा य क नयि त पर ा क प चात क जाती थी अमा य क आचरण क पर ा राजा ग त र त स करता था य पर ाए धम पधा अध पधा कामोपधा और भयोपधा कहलाती थी मौयकाल म अमा य ह नह मि प रषद क सद य भी सवत नक थ उ ह रा य वारा अनक स वधाए दान क जाती थी

कौ ट य क अनसार अ टादशतीथ और उनक अधीन थ कमचा रय क लए यह आव यक था क व अमा यो चत गण क साथmdashसाथ उपधा पर ा (आचरण क पर ा) म सफल ह कौ ट य क अनसार कमचार सग ठत होकर रा य काय रोक सकत ह जा क धन का भ ण कर सकत ह उसन इसक चाल स ढग बताय ह िजनक मा यम स व रा य क धन का द पयोग कर सकत ह इस लए उन पर ग तचर क मा यम स यान रखना चा हय श धार दल स होन वाल हा न क तलना म द ट कमचा रय स होन वाल हा न अ धक घातक होती ह कमचा रय का जनता क साथ स mdash यवहार करना आव यक माना जाता था

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अथशा म रा य कमचा रय क वतन क स ब ध म कहा गया ह क वह कल राज व क एक चौथाई स अ धक न हो उसन कमचा रय को स वधाए दान करन पर जोर दया क त इसक लए आव यक था क धम और अथ क माग का उ लघन न हो धान म ी परो हत सनाप त और यवराज को 4800 पण वतन ा त होता था दौवा रक अ तव शक शा ता समाहता और सि नधाता को 24000 पण मलत थ नायक यावहा रक कमाि तक मि प रषद क सद य रा पाल और अ नपाल को 12000 पण वतन दान कया जाता था इसी कार द टा को 8000 पण पदल अ व रथ तथा गजा य

और आट वक को 4000 पण तथा अ य सभी अ य को 1000 पण वतन दया जाता था स भवत मि प रषद अ य का वतन 12000 पण ह था वतन ा त करन वाल म रा पाल का नाम भी आता ह जो कौ ट य क ारि भक सची म नह ह सभव ह इसस कौ ट य का ता पय दगपाल या ा तीय शासक स हो द डपाल भी इ ह कमचा रय क णी म आता था अत यह मान लना अन चत न होगा क दगपाल और द डपाल का वतन 12000 पण ह था

वभागा य और राजकमचा रय को वतन क अलावा आवास क स वधा दान क जाती थी वभागा य का आवास राजभवन क पास होता था कमचार क म य हो जान पर उसका वतन उसक प तथा प नी को दया जाता था म य या ध और बालक क ज म पर कमचा रय को राजा क ओर स सहायता द जाती थी

मौयकाल म राजक य आ ाए कमार क माफत अमा य क पास भजी जाती थी इसी कार य द कमार अपन अधीन थ अमा य या महामा य को कोई आ ा भजता तो व उ ह

अपन नाम स न भजकर महामा यmdashस हत कमार क नाम भजता था याया धकार

राजा सव च यायाधीश था उसक नीच दो कार क यायालय होत थ mdash िजनक नाम ह धम थीय तथा क टक शोधन धम थीय द वानी यायालय थ और सभी नगर म व यमान थ इनम चार कानन जानन वाल व वान और तीन अमा य याय करत थ क टक शोधन यायालय म तीन द टा और तीन अमा य याय करत थ नगर म नगर यवहारक तथा गाव म ाम म खया झगड़ नपटा लत थ यायाधीश धम थ या यावहा रक कहलात थ स य सगठन

सना क य सरकार अथात राजा क नय ण म थी अथशा म राजा क चतर गणी सना का उ लख मलता ह जब क मग थनीज सना को तीन अग म वभािजत करता ह च ग त मौय क सना म 6 लाख पदल 30 हजार अ व 9 हजार हाथी और 8 हजार रथ होन का उ लख मग थनीज न कया ह सना क काय का सचालन 5mdash5 सद य वाल छ स म तया करती थी सभी स नक रा य शासन त क अटट अग थ सना मश रथा य प य य अ वा य और ह य य क अधीनता म काय करती थी नावा य

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जलमाग का नर ण कर नाव क यव था करता था कौ ट य न हि त म य अ वम य रथम य और र थक आ द पदा धका रय का उ लख कया ह

च ग त मौय क म य क प चात ब दसार और अशोक न शासन कया उ ह न शासन म मह वपण सधार कय अपन छठ शलालख म अशोक कहता हmdash मन यह न चय कया ह क हर थान पर चाह म भोजन कर रहा ह अ तपर म ह घड़साल म ह या आन दवा टका म तवदक जा क काय क सचना मझ द सकत ह वह चाहता था क थानीय अ धकार जा क साथ कसी कार का अ याचार न कर अशोक क शलालख म

अनक वग क राजप ष का उ लख ह य ाद शक र जक य त तवदक और प ष पद नाम वाल ह इनम य त सबस छोट और ाद शक सबस बड़ अ धकार थ ाद शक प टत दश क शासक क स ा थी र जक का काय खत क पमाइश करना होता था

उसक अ धकार म लाख लोग नवास करत थ उ ह अ भयोग लगान तथा द ड दन का अ धकार था कल मलाकर उसका काय नगर यावहा रक जसा ह था य त नामक अ धकार का स ब ध कर वभाग स था प ष कोई पदनाम न होकर राजप ष क लय य त सामा य श द था अशोक न तवदक नाम क िजन राजप ष का उ लख शलालख

म कया ह उनका काय राजा को शासन और जनता स ब धी सब बात क सचना दना था इस कार व गढ ग तचर थ एरगडी लख म करणक य म च रय तथा ह थयारोह श द मलत ह ह थयारोह हाथी क सवार करन वाल करणक और य म च रय मश लखक और रथारोह थ धम वजय नी त क सफलता हत अशोक न धममहामा श ाया य महामा अ तमहामा और जभ मक नामक राजपदा धकार नय त कय थ

इस कार ाचीन भारत म सा ा य क थापना क प चात मौय स ाट न पहल बार सश त राजप ष तब क थापना कर परवत शासक को रणा दान क य य प इस काय का अ धकतम य स राजनी त व णग त कौ ट य (चाण य) को दया जा सकता ह

139 शगmdashसातवाहन काल म राजप ष त का अ ययन अशोक क म यपरा त मौय सा ा य म वक करण क व त उ प न हो गई ह

यनानी भारत पर आ मण करन क तयार कर रह थ िजसस दश क सीमाए असर त हो गई इस लए रा mdash म स रत होकर सनानी प य म श ग न मौय स ाट ह थ का अ त कर मगध सा ा य पर (लगभग 185 ई प) अपना अ धकार कर लया प य म श ग क प रवार न 112 वष तक शासन कया था कह पर यह स या 113 या 120 वष भी मलती ह

प य म क रा य हण कर लन स मगध पर मौय का शासन समा त हो गया और पहल बार ा मण शासन था पत हआ

श ग काल म भी राजा शासन का सव च पदा धकार था वह मि म डल क सलाह

स शासन सचालन करता था यक म ी अपन वभाग का उ चतम अ धकार था श गकाल क शासन रचना क जानकार मन म त स मलती ह

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मन म त क अनसार य थल म राजा वय सना का सचालन करता था म य दश पर यवन आ मण क समय प य म श ग न वय सना का उ च अ धकार अपन हाथ म लकर श को भगाया था सभवत उसक म म डल म परो हत खान स स बि धत म ी सनाप त आ द क अलावा अ य म ी भी थ िजनक उपा धया ात नह ह माल वकाि न म म अमा य म ी और स चव श द अव य मलत ह इन श द का अथ एक ह ह पर त य व भ न पद क योतक ह मन म त क अनसार याय यव था का धान यि त राजा होना चा हय याय दान हत राजा को शा क ाता ा मण क अलावा तीन और ा मण नय त करन क सलाह मन न द ह मन हम रा य क नय मत यायालय क भी सचना दता ह

श ग क पास वशाल एव अनशा सत सना थी िजसका धान सनाप त वय राजा होता था सना म पदा त रथ घड़सवार और हाथी सना स स बि धत चार वभाग होत थ ग तचर वभाग बाहर और आ त रक सचनाए राजा क पास भजता रहता था उस समय पाच कार क ग तचर होत थ यथा कप टक उदि थ त ग थ व दजक और तपस

श ग सा ा य अनक दश म वभ त था प य म क दसर राजधानी व दशा म अि न म शासन कर रहा था ाद शक शासक क नयि त वय राजा करता था दश क शासक अपन पड़ोसी राजाओ स य और सि ध करन क लय वत थ

सा ा य क सबस छोट इकाई ाम थी यक गाव का एक अ धकार होता था यक 10 20 100 और 1000 गाव क भी अ धकार होत (मन 7115) थ इन

पदा धका रय क पद नाम ात नह ह इन पदा धका रय को राजा ा स अपन भरणmdashपोषण हत ाम स खा य पदाथ एव ईधन लन क वत ता थी मन क अनसार 10 ाम क अ धकार को 1 कल 20 ाम क अ धकार को 5 कल 100 ाम क अ धकार को 1 ाम और 1000 ाम क अ धकार को 1 नगर स साम ी ा त करनी चा हए कल का ता पय दो हल क खती स था इन सभी अ धका रय पर नय ण राजा क एक ब मान म ी क वारा होता था यक नगर एक अ धकार क अधीन होता था जो ाम क अ धका रय पर ि ट रखता था इस काय क लए वह ग तचर नय त करता था श गकाल म साम त था

का वकास हआ मथरा अयो या अ ह छ कौशा बी म थानीय शासक शासन करन लग थ पर त उनक नयि त राजा करता था

अत कहा जा सकता ह क श ग राजाओ का राजप ष त मौया क ह तरह वक सत था न सदह उ ह न मौय सा ा य क उ च मानद ड को अपनाया होगा जो पव म सफल स हो चक थ

मगध म श ग क प चात क व वश न शासन कया क त उसक प चात दश म सा ाि यक स ता का अभाव उ प न हो गया य क भारत क बह त बड़ भभाग पर शक कषाण और यवन का आ धप य था पत हो गया था अ धकाश गण जा तया पजाब एव राज थान म बसी ह ई थी यहा हम वदशी जा तय एव द ण भारतीय शि त सातवाहन क शासन त क चचा करना उ चत समझत ह

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1391 ह दmdashयनानी राजा एव उनका शासन

मौय क पतन क प चात उ तर पि चमी भारत म शासन करन वाल ह द यनानी राजाओ न शासन कया उ ह न बसी लयस तथा महान राजा (MEGAS) जसी उपा धया धारण क और भारत म सय त शासन प त का चलन कया यनानी इस पद पर यवराज को नय त करत थ क त व कई बार कसी भभाग पर लघ राजा भी नय त कर दत थ यना नय न ा त को पया कहकर पकारा इन ा त को अनक छोट भाग या ऐपा कय म बाटा जाता था और यक ऐपाक कई हाइपा कय म बट होती थी ऐपाक को क म न रय क बराबर माना जा सकता ह पी का शासक प कहलाता था सभवत म रडीज ा त स भी छोट इकाई था यनानी शास नक काय म भारतीय अ धका रय क सहायता लत थ मना डर क समय वजय म और बाजौर दश म शनकोट स ा त मजषा पर वयक म एव वजय म नाम मलत ह इसम वयक म को महाराज कहा गया ह प ट ह क राजा कछ यि तय क परामश स शासन करता था

1392 शकmdashप लव शासन प त

भारतीय यवन का अनसरण कर शकmdashप लव न उ ह क शासन प त को अपनाया उनक राजाओ न सहानसाह और साम त न शाह उपा धया धारण क उ ह न भी सय त शासन या दो यि तय वारा शासन करन क प रपाट को जार रखा उनक म ाओ क प ठ भाग पर यवराज का नाम भी उ क ण कया जाता था यना नय क तरह शकmdashप लव नरश ा त म शासक स नक कला म न णात यि तय को नय त करत थ गो दो फन ज क म ाओ पर एक स नक शासक अ व वमा का नाम मलता ह ा त क उप वभाग क शासक मर दख (Meridarch) कहलात थ वस ा तीय शासक हत च लत नाम

प था प स बड़ी उपा ध महा प थी जो ाय यवराज को दान क जाती थी कई बार प वत शासक भी होत थ और उनक नाम म ाओ पर अ कत करवाय जात थ शकmdash प भी शास नक काय म भारतीय का सहयोग लत थ महा प शोडास का कोषा य एक ा मण था इसी कार अ भसार थ क नगर म हम शव सन नामक भारतीय प का उ लख पात ह स प म कहा जा सकता ह क शकmdashप लव रा य काल म रा य क अ धका रय हत शास नक क अलावा स नक यो यता भी आव यक थी राजा अ भयान क समय वशाल सना साथ लकर जात थ

थम शती ई वी क उ तरा म ल खत प र लस क भौगो लक ववरण स पि चमी भारत म शासन करन वाल शक क च टन और कादमक राजवश क जानकार मलती ह नहपान क शासन क बार म उसक दामाद उषवदॉन क ना सक गहा लख स ववरण मलता ह ववरण क अनसार रा य म एक लखा वभाग होता था िजसक सभा भवन म दान दन क घोषणा क जाती थी इसस प ट ह क उन दन नगम सभा या नगरपा लका का शासन म वशष मह व था शासक महा प या राजन उपा ध धारण करत थ कादमक वश का स थापक च टन वय ारभ म प और फर महा प पद पर रहा महा प दामा क स ब ध म जनागढ़ लख स ात होता ह क वह यो य म य क सलाह स शासन करता था

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िज ह म तmdashस चव और कम स चव कहा जाता था कम स चव काय प दन वाल और म त स चव सलाह दन वाल म ी थ दामा न आदश द रखा था क जनता स यायो चत कर ह लया जाय शक म सह शासन णाल जार रह दामा च टन क साथ सहशासक क प म काय कर चका था इस कार शक क शासन पर भी भारतीय यवन का भाव बना रहा

1393 कषाणराज शासन त

प लव क प चात कषाण का वदशी सा ा य उ तर mdashपि चमी भारत म था पत हआ यह सा ा य ह दmdashयनानी शक और प लव सा ा य क अप ा अ धक व तत था यह भारत स दर म य ए शया म काफ दर फला हआ था इस राजवश म कजल कड फ सज (10mdash15 ई) वम कड फ सज (64mdash78 ई) क न क (78 mdash101 ई) वा स क और ह व क जस यो ा शासक ह ए ग त सा ा य क थापना होन तक भारत पर कषाण का भाव बना रहा

कषाण शासक ार भ म यवग और बाद म महाराज और राजा धराज जसी उपा धया धारण करन लग थ म ालख तथा व भ न थ म उनक शाओ नानोशाओ (षाहानषा ह) सवलोव वर दवप और मह वर आ द उपा धया मलती ह

कषाण क राजप ष त क स ब ध म अ धक जानकार ा त नह ह थम क न क क शासन काल क तीसर वष (81 ई) क सारनाथ बौ तमा लख म

वन पर और खरप लान नामक दो प क नाम मलत ह जो क न क क सा ा य क पव ा त अथात बनारस क आसmdashपास क म शासन करत थ इसस कषाण सा ा य क ा त म वभािजत होन क जानकार मलती ह आरएस शमा लखत ह क कषाण न

सभवत एक ह ा त म दो शासक रखन क था को चलाया था ता क दोन प एक दसर पर नय ण रख सक वन पर क लए प और खरप लन क लय एक अ य अ भलख म महा प उपा ध मलती ह इसस प ट ह इन दोन म स एक अ धप त और दसरा अधीन शासक था सा ा य पाच या सात ा त म बटा हआ था कई बार वजता सनाप त ह कसी ा त का प नय त कर दया जाता था प का पद राज प रवार क लोग को दान कया जाता था प मारक का नमाण करवात और दान भी दत थ सभवत प गाव स राजकर भी वसल करता था वह ाम धान और राजा क म य मह वपण कड़ी था क त वह अपन म वत स ता का उपभोग करता था

कषाण राज शासन त म द डनायक का उ लख अ भलख म मलता ह यह कोई स नक अ धकार था सना का चतर गणी व प इस काल म भी बना रहा होगा उसम घड़सवार अ धक होत थ कषाण स नक क स या ात नह ह

प अपनी स ता का उपयोग द डनायक या महा द डनायक जस अधmdashस नक अ धका रय क मा यम स करत थ कषाण शासन म द डनायक तथा महा द डनायक मह वपण अ धकार थ व अनदान अधी क का काय भी करत थ कषाण अ भलख म द डनायक व लन महाद डनायक ह ि मयक च य क का नाम मलता ह य अ धकार कभीmdashकभी विजत म अस नक काय भी स भालत थ क त नय विजत दश म उनक

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स नक कत य मह वपण थ द डनायक क साम त स तलना करना उ चत नह ह हा व वान इस पद क साथ स नक द डा धका रक तथा या यक क त य का दा य व जोड़त ह जो अन चत नह लगता परवत काल म द डा धकार का काय कवल याय करना ह रह गया इस कार कषाण काल म अ धकार सभी तरह क काम कर लत थ उनम व र ठ और क न ठ अ धका रय क दो णी होती थी अ धका रय को नकद वतन दया जाता था य क कमचा रय क स या बह त अ धक नह थी

सभवत कषाण सा ा य रा य वषय तथा भि त म वभ त था क त इस स ब ध म नि चत प स कहना क ठन ह वषय का उ लख तीसर सद क एक महायान

थ म मलता ह भीटा स ा त चार महर पर नगम का उ लख आया ह सा ा य क सबस छोट इकाई गाव था मथरा स ा त जन तमा लख म गाव क शासक ा मक का उ लख मलता ह यह ा मक मौय काल न ाम भोजक या

ा मक क तरह क क त य नभाता था वह गाव म राज व वसल करता था ा मक क नयि त वय राजा करता था ा मक गाव क सर ा यव था का भी िज मवार

था सर ा काय ाम या ग म म नय त स नक द ता करता था ा मक को वतन क प म भ म का कोई टकड़ा द दया जाता था प पाल गाव म साम हक परती जमीन का धान अ धकार था इस काल म भ म क थायी दान अ यmdashनी व भी दय जात थ इस कार कषाण शासन म राजप ष तब नि चत यव था पर आधा रत था उनक णीब

साम तीय था को तो ग त स ाट न भी अपनाया था

1394 सातवाहन राजप ष त क वशषताए

मौय तर यग म जो राजनी तक शि तया भारत म बल ह उनम सातवाहन वारा था पत सा ा य कई कारण स अ धक मह वपण ह इसका कारण यह ह क यह सा ा य

द ण म पहला ऐसा सा ा य था िजसन मौय सा ा य क पर परा को सर त रखा और कर ब 460 वष क सद घ काल तक व यमान रहा यह सा ा य क णा गोदावर क नचल घा टय और महारा म प ल वत हआ समक इस राजवश का थम और गौतमीmdashप सातक ण तापी नरश था

सातवाहन शासक न राजा राजराज और वामी आ द उपा धया धारण क रा नया दवी कहकर पकार जाती थी सातवाहन शासक न महामा क थान पर अमा य क सहायता स शासन का सचालन कया अमा य सरकार अ धकार क सामा य पद का सचक था अमा य क उ च णी राजामा य कहलाती थी व राजा क साथ रहकर उसक सवा करत एव उस सलाह दत थ अमा य को शासन वषयक आ थक तथा िजल का ब ध स पा जाता था सातवाहन अ भलख स सनागोप (सनाप त) अ ववारक (अ व सनाप त) और महा सनाप त जस स नक नाम मलत ह यह पद कल न यि तय को दया जाता था इस समय िजल को आहार कहा जाता था िजनक यव था अमा य करत थ यक आहार म कम स कम एक नगम (क य नगर) और कई गाव होत थ भा डागा रक भ डार का अधी क होता था कोषा य क स ा हर णक थी रा य क स चव का काम लखन था वह राजा क ओर स

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जार होन वाल द तावज क मस वद तयार करता था इनक रिज नब धकार क यहा पर होती थी सातवाहन रा य म भी प लस व त याय सना रसद क ष और उ योग वभाग रह ह ग पर त उनका व तत ववरण नह मलता ह गाव म पर परागत शासन म खया वारा कया जाता था पर त सरकार अ धकार तो ा मक ह रहा होगा सातवाहन सा ा य

म उ च स ता और अ धकार रखन वाल साम त भी होत थ िज ह महारठ और महाभोज कहा जाता था य पद कल नता क सचक थ

सातवाहन क प चात द ण भारत म इ वाक वश क राजाओ न शासन कया उ ह न सातवाहन क महासनाप त और महाद डनायक जस पद बनाय रख और महातलवर नामक एक नया पद सिजत कया िजसका ता पय धान यायाधीश होता था स पण रा य रा कहलान वाल िजल म बटा हआ था वहत फलायन वश क राजा जयवमा न अमा य क थान पर यापत श द का योग कया

1310 ग त वश क नप तय का राजप षmdashत कषाण सा ा य क पतन क प चात सा ाि यक स ता वल त हो जान क

प रणाम व प दश म कई नवीन राजनी तक शि तय का उदय हआ मालवा और गजरात म प शासन कर रह थ उ तर भारत म कषाण क छोटmdashछोट रा य था पत हो गय थ

उ तर भारत क ह अ य भाग म मालव यौधय आजनायन श व क ण द कलत और औद बर जस गणरा य मख थ मथरा काि तपर और व दशा म प ावती क नाग क रा य था पत हो चक थ द ण म वाकाटक शि तशाल रो रह थ इन प रि थ तय म

सा ाि यक ग तवश का रा य पव उ तरmdash दश क पव भाग म था पत हआ ीग त इस राजवश का स थापक था थम च ग त सम ग त व मा द य च ग त कमारग त और क दग त जस तापी स ाट ग तवश म ह ए

ग तकाल म स ाट याय सना तथा द वानीmdash वभाग का अ य था सनाप त क प म वह अ भयान क समय सना का नत व करता था स ाट दव अ च यप ष महाराजा धराज परम वर और च वत उपा धया धारण करता था

स ाट क सहायता क लय म मडल होता था इसक सद य अमा य स चव या म ी कहलात थ ग तmdashअ भलख क अनसार ह रषण सि ध व हक म ी था इसक अ त र त वह कमारामा य तथा महाद डनायक भी था इसी कार शखर वामी च ग त वतीय का म ी तथा कमारामा य था िजसका ववरण करमद डा लख म आया ह

प थवीषण का नाम करमद डा लख म कमारग त क म ी और कमारामा य क प म मलता ह उदय ग र लख क अनसार स चव का पद पर परागत था ह रषण वभ त का प था जो पहल महाद डनायक तथा अमा य रह चका था स भवत सनानायक (महाद डनायक) ह स ाट का पररा म ी (सि धmdash व हक) होता था म ी पद पर यो य यि त ह नय त होता था च ग त का सि धmdash व हक अमा य वीरसन क व याकरण याय और राजनी त का पि डत था

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स ाट और म ी कछ मख कमचा रय क सहायता स शासन करत थ अ तकर न इस स ब ध म सवा य तीहार या महा तीहार और कमारामा य का नाम गनाया ह सवा य एक मख अ धकार और सभी क य वभाग का पयव ण करता था तीहार स ाट स मलन वाल लोग को आ ाप दता था और कमारामा य राजप रवार का सद य होता था वह या तो स ाट का त न ध (वाइसराय) अथवा यवराज हआ करता था उदय नारायण राय इस मत स सहमत नह ह उनका वचार ह क कमारामा य तो ग त अ भलख म उ च पद थ कमचा रय क श दावल तीत होता ह सनानायक ह रषण तथा प थवीषण कमारामा य थ अ तकर न ग तकाल म आध नक आईएएस क भा त पदा धका रय क वग क क पना क ह ऐस कमचार उ च पद पर नय त कय जात थ

ग तकाल म सना वभाग रा य का सबस मह वपण वभाग था उसका धान वय स ाट होता था य द स ाट व हो जाता तो यवराज सना क अ य ता करता उसक नीच धान सनाप त हआ करता जो महाmdashद डनायक कहलाता था धान सनाप त क नीच कई

उपसनाप त होत थ गजसना धान महापीलप त होता था उसक नीच भी कई अ धकार काय करत थ िज ह पीलप त कहा जाता था अ वसना का अ य महा वप त कहा जाता उसक नीच कई अ वप त काय करत थ व भ न अ य क नीच स नक काय करत थ

प लस वभाग का धान कमचार द डपा शक कहलाता था उसका उ लख बसाढ क म ा म मलता ह अ तकर न उस प लस सप र ट डट क समक माना ह प लसmdash वभाग क कमचार चाटmdashभाट कह जात थ अ भ ानशाक तलम म उ ह र न कहा गया ह

सा ा य ा त म बटा हआ था ा त भ क या दश कहलात जस तीरभि त प वधनभि त आ द भि त क रा यपाल को उप रक या उप रक महाराजा कहा जाता भि त आध नक क म नर क समक होती थी रा यपाल क नयि त वय स ाट करता था रा यपाल ाय राजकमार अथवा सयो य राजकमचार होत थ गो व दग त (तीरभि त) घटो कचग त (पव मालवा) और पणद त (सौरा ) ग तकाल म स रा यपाल ह ए थ

िजला वषय कहा जाता था िजल का धान अ धकार वषयप त कहलाता था और उसक नयि त उप रक महाराज करता था वषयप त शासक य सचालन म नगर ठ साथवाह थम क लक और थम काय थ (लखक) क सहायता स करता था िजला म यालय त ठान कहलाता था

नगर का शासन रा य क ओर स नय त पदा धका रय थानीय सभा स म तय और समदाय वारा कया जाता था पदा धका रय म नगर मख उ लखनीय ह मौयकाल म उस नागरक कहकर पकारा जाता रहा था च पा लत ग तकाल का स अ धकार था

गाव का शासक ा मक होता था वह ाम मह तर ( ति ठत) क सहायता स भ म का लखा तयार करवाता और नमाण काय क भी दखभाल करता था

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सरकार जनता स उ कर भत याय तथा नशील व तओ पर कर लती थी नगर म आन वाल सामान पर च गी लन का काय श का य क अधीन था उसक सहयोगी कमचार घमmdashघम कर श क वसल का काय करत थ

नगर म याय का काय सरकार यायालय करत थ म छक टक म अ धकरण म डप ( यायालय) और अ धकर णक ( यायाधीश) का उ लख मलता ह अ धकर णक को म णा दान करन वाल म राजकमार दत ग तचर तथा मह रर मख यि त थ

ग तकाल न राजप ष त व वध म अ य त वक सत था का लदास न अ भ ानशाक तलम म ग त स ाट क स ब ध म ठ क ह कहा था mdash व तापी राजा इतन अ छ ढग स रा य चलात थ क पवत पर सम क पार पाताल लोक म नाग क दश म सब दशाओ म और पत भ व य एव वतमान mdash तीन काल म सब कह तो उ ह का यश फला हआ था

1311 मौख रmdashवधनयग म राजप ष त (606 mdash 647 इ) ग त सा ा य क पतन क प चात परवत ग त मौख र और म क राजवश क स ता

था पत ह ई य तीन राजवश ग त स ाट क साम त थ और लगभग 550ई म इ ह न अपन वत रा य था पत कर लय थ इन तीन रा य म उ तर भारत म अपनी स ता थापना क लए कई बार य ह ए इस सघष म मौख र राजवश सफल हआ बाद म मौख र

नरश हवमा का ववाह थान वर क महाराजा धराज भाकरवधन क प ी स रा य ी हआ क त हवमा क म य क प चात उसक प ह न होन क कारण मौख र रा य वधन रा य का अग बन गया वधन वश का सबस स नरश हषवधन था ता प हषच रत तथा चीनी या ी यवान वाग क या ाmdash ववरण स स ाट हष क राजप ष त क परखा खीची जा सकती ह

हषवधन च वत परमभ ारक महाराजा धराज और परम वर उपा धया धारण करता था स ाट कायपा लका यायपा लका और सना का धान अ धकार था यवान वाग क अनसार हष म य क सहायता स शासन करता था पोनी क नत व म म य न हष स क नौज का रा यभार सभालन क ाथना क थी सनाप त सहनाद और क दग त क सलाह को हष ाय मान लया करता था हषच रत स सि धmdash व हक अवि त क भी जानकार मलती ह

मौख रवधन रा य तथा राज दरबार क दखरख कई क य कमचार करत थ पा रया जस तहार क म खया वनयासर नामक साधारण तकार ( वारपाल) कचक अथवा व ी mdashचामर धारण करन वाल सवक मीमासक परो हत चामर ा हणी ता बलकरक वा हनी और राजा क अगर क क गनती क जा सकती ह मखलक कलक और सवादक जस धावक (तजी स सदश ल जान वाल) का उ लख बाण र चत हषच रत म मलता ह हषच रत म लखहारक का भी नाम मलता ह बाण न हष क साम त क भी चचा क ह बास खड़ा और मधबन ता प म महासाम त क दग त और साम त महाराज ई वरग त का नाम मलता ह

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हषकाल न नौकरशाह स स बि धत मख अ धका रय एव उनक वभाग का ववरण इस कार ह mdash 1 महास ध व हक mdash यह य और सि ध क काय म राजा को सहयोग करता था

सभवत वह मि प रषद का भी सद य था राजक य आलख और घोषणाओ का लखन उसका मख काय था अवि त इस पद पर काय कर रहा था

2 महाबला धकत mdash यह पदा त सना का सव च सनाप त था सहनाद इस पद पर ति ठत था

3 वहद ववार mdash यह अ व सना का नायक होता था क तल इस पद पर नय त था 4 कटक mdash यह गज सना का सनाप त था क दग त इस पद पर कायशील था थायी सना म 5000 हाथी 2000 घड़सवार 50000 पदा त थ बाद म उनक स या

60000 हा थय तथा 1 लाख पदा तय तक पह च गई 5 मीमासक mdash यह याय वभाग का यायाधीश था 6 महा तहार mdash यह (कचक ) राज साद का र क था 7 दतक महा मातार महा साम त mdash यह दान गह ता को भ म ह तात रत करन वाला

राजा का व वासपा सदशवाहक (दतक) था ल ट क अनसार वह राजा क आ ा अ धका रय तक पह चान वाला व र ठ कमचार था

8 महा मातार mdash भ म क नाप करन वाला अ धकार था जो दतक महा मातार क अधीन काय करता था

9 महा पटला धकरणा धकत mdash सरकार द तावज का सबस बड़ा अ धकार था भान और ई वरग त न इस पद पर काय कया था उ ह महासाम त और महाराज क उपा धया द गई महापटला धकार राज व और भ मrsquo का यौरा रखन वाला अ धकार था उसक अधीन कई लखक काय करत थ

10 दौ साध नक mdash इस अ धकार का ववरण ा त नह ह सभवत यह क ठन काय म हष को सहयोग करन वाला राजप ष था

11 कमारामा य mdash स भवत यह वह अ धकार था िजस दान सबधी भ म क सचना द जाती थी असभव नह ह क यह ा त म शासन करन वाला साम तत य क त व तत अ धकार स प न कोई अ धकार रहा हो या यह म ी का पद था इसक सबध म कछ भी कहना क ठन ह

12 चाट भाट सवक mdash य स नक अधस नक व प वाल शाि त थापन म य त राजप ष थ सवक अ धका रय क सवा करन वाल मामल नौकर थ याम च ट रा म पहरा दन वाल ि या थी बाण न उनका उ लख कया ह इन सभी अ धका रय को भरण पोषण हत रा य क ओर स भ म दान क जाती थी ाय नकद वतन कम ह दया जाता था क क अ य पदा धकार परो हत रण भा डागारा धकत पाट प त ( नर क) भोगप त (कर लन वाला) द वर (लखक) और तवतन (चारण) थ

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सा ा य भि त या रा या दश म बटा हआ था उप रक महाराजा उनका शासन

सचालन करत थ हष क समय ldquoराज थानीयrdquo पद नाम मलता ह जो शायद उप रक महाराज का ह दसरा नाम ह अ भलख म भौ गक नामक पदा धकार का नाम मलता ह िजस ल ट न भि त का धान माना ह ा तप त का कायालय अ धकरण होता था भि तया वषय म बट ह ई थी िजसक शासक वषयप त और उसका धान कायालय वषया धकरण कहलात थ ा त म द डपा शक चोरो र णक दाि डक (य सभी प लस कमचार ) नगर ि ठ थमक लक थम काय थ काय थ और साथवाह मलकर शासन काय म सहयोग करत थ

पाठक यक वषय म कई पाठक होत थ जो तहसील क समान थ

ाम रा य क सबस छोट इकाई ाम था ाम शासन का म खया ( ा मक) और धान

मह तर कहलात थ ामा पट लक नामक कमचार ा मक क सहायता करत थ ामा पट लक गाव क भ म का पण यौरा रखता था शासन क ऊपर इकाइय म

अ पट लक क धान अ धकार होत थ जो महा पटला धकत कहलात थ चीनी या ी यवान वाग क ववरण स सक तत ह क राजक य आय शासन सचालन तथा सरकार नौकर को

वतन दन और धा मक काय पर यय क जाती थी इसस प ट ह क हषवधन क समय सरकार कमचा रय को काय क बदल नकद वतन और कभीmdashकभी भ म दान क जाती थी

1312 राजपतकाल न राजप षmdashत (700 mdash 1200ई) हषवधन क म य क प चात उ तर भारत म राजनी तक एकता समा त हो गई और

उसक वशाल सा ा य क थान पर अनक छोटmdashछोट राजपत रा य था पत हो गय य रा य तहार परमार चौल य चदल और गाहडवाल राजवश न था पत कए थ द णी भारत म रा कट चोल और चाल य राजवश अ य त शि तशाल हो गय थ बगाल म पाल राजा अपन सा ा य का व तार करन क लए तयार थ

राजपत नरश न शास नक म लगभग ाचीन प रपाट का ह पालन कया इस काल तक राजनी तक पद ाय वशानगत हो चक थ अब राजा परो हत धानम ी क पद ाय वशानगत हो गय थ अ धका रय को वतन क बदल भख ड दय जात थ फर भी

राजा कायपा लका यायपा लका तथा कानन नमाण यव था का म य ोत था राजा महाराजा धराज परम वर महासाम ता धप त ठ कर महामा ड लक जसी उपा धया धारण करत थ एक 84 गाव का साम त भी अपना दरबार रखता और वदश म ी भी राजा अपना उ तरा धकार िजस यवराज कहत थ वय क जीवनकाल म ह मनोनीत कर दता था श नी तसार स ात होता ह क राजा शासन चलान हत परो हत धान स चव म ी ा ववाक पि डत सम त अमा य और दत क सहायता लता था

शासनालय (स ट रयट) क काय प त यथापव चलती थी राजप ष त क अ तगत कई कमचार सि म लत थ यथाmdashमहास ध व हक (पररा म ी) महाधमा य ( याय वभाग

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का अ य ) शौि कक (च गी वभाग का अ य ) तहार वारपाल अ तप रक काय थ लखक द डपा शक (प लस वभाग का अ धकार ) नय तक भी सभवत कसी वभाग का अ य था तहार लख म राज कमचा रय को राजप ष कहा गया ह प लस का सपाह तलार और सरकार वक ल साध नक कहलाता था तलार सलहय और बला धप नामक अ धकार कर वसल का काय करत थ हर य समदा यक नया अ धकार इस काल म दखलाई पड़ता ह

राजा क पास वशाल सना होती थी स नक टक डय को ग म कहत थ टकड़ी का नायक गण थ कहलाता था स पण सना का धान सनाप त होता था उसक अधीन अ वप त (अ वसना य ) ह य य (हा थय क सना का धान) और प का धप त (पदल सना का धान) होत थ भा डागा रक सना हत रसद क यव था करता था चदल रा य म दगपाल या कोटपाल नामक अ धकार का उ लख मलता ह जो कल का र क या नर क होता था कसी कसी रा य म नौ सना या जहाजी बड़ा भी रहता था इस काल म राजा कई बार य क दौरान या अ यास क समय श वर म रहता था वय राजा अ धका रय साम त और स नक अ धका रय क पि नया भी श वर म उनक साथ रहती थी सभवत ऊट पर लड़न वाल स नक क टकड़ी अलग स होती थी

ाय उ च राजकमचा रय और अ धका रय को नकद वतन क बदल भ म द द जाती थी िज ह भौ गक या भोगपीतक कहा जाता था रा य पर साम त का वशष भाव था साम त कसान स सीधा भ मकर वसल करत थ िजसका कछ भाग राजा क पास भजा जाता था साम त को महासाम त महाम डल वर राणक और ठाकर कहा जाता था

सा ा य भि तय म बटा हआ था उसक नीच म डल वषय और पाठक थ एक पाठक म 12 गाव होत थ भि त का शासक भोगप त उप रक राज थानीय या कमारामा य कहलात थ गाव का शासक ा मक था जो मह तर क सहायता स सावज नक काय करवाता था

13121 चोल शासन राजपत काल म द ण भारत म चाल य और चौल वश का शासन बना रहा इनम

चोल वश का शासन अ धक स ह चोल वश का उ लख महाभारत तथा अशोक क अ भलख म भी मलता ह इस

राजवश स राज चोल राजराजा थम वीर राज और व मmdashचोल जस महान राजा ह ए चोल वश क शासक अपनी साम रक उपलि धय क अलावा शास नक यव था क

लय स ह चोल शासन म राजा स ता का म य क था वह यक वभाग क वय दखभाल करता था राजा धा मक काय क बार म राजग स सलाह लता था अ तकर का मत ह क चोल शासन म एक क य स चवालय होता था उ च अ धकार उसस जड़ ह ए होत थ राजा क आ ाओ को स चव लखकर उस थानीय तथा क य अ धका रय क पास भजत थ नो म दर ओलवी का काय म म डल क नणय लखना था करनन नामक अ धकार दोर पर जाकर शासन काय पर नगरानी रखत थ शासनालय का एक अ य वभाग

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अधीन अ धकार जो पछताछ करत थ उसका जवाब दता था य य प चोल क म प रषद का प ट उदाहरण नह मलता ल कन इस तरह क कोई स था व यमान अव य थी अ भलख

स हम क सरकार क कायालय का उ लख मलता ह जो िजल म राजा का त न ध व करत थ उनक नाम ह mdash महामा शद व हम नाडवग ना क क डका टय आ द उड़न क म उ च अ धका रय का समह था अ धका रय और कमचा रय का बह त बड़ा वग राजा क शास नक काय म सहायता करता था

अ धका रय क भत क समय उनक वश पर वशष यान दया जाता था काय कशलता क आधार पर उनक पदो न त क जाती थी अ धका रय को ाय पा र मक क बदल म भ म दान क जाती थी क मगल और प णम कल क पद अ धकार और सवक क समान थ ता प म ा मण स चव न का नाम मलता ह आणि त नामक अ धकार भी सरकार आदश थानीय अ धका रय क पास भजन वाला म य कमचार था वह जा व राजा क बीच कड़ी का काम करता था राजा वारा दय ह ए दान का यौरा लखा जाता था इस सदभ म क म तथा नाड व क नामक अ धका रय क नाम मलत ह ओल राजा क नकट रहन वाला अ धकार था पर वव र तणकmdashकल प ोल क ल मगव पर वव र तणकmdashकल तकmdash कका ण ओलनायगम व रपो तगम मकवि त म दर ओल आ द अ धका रय क नाम अ भलख म मलत ह जो व भ न काय हत नय त थ अ धका रय को मा रयन अरयन और पररयन नामक उपा धया स नक एव अस नक काय क लय दान क जाती थी

चोल सा ा य 9 म डल म वभािजत था यक म डल म 2mdash3 िजल होत थ म डल क म नर क बराबर थ म डल वलनाडओ म और वलनाड नाडओ म वभािजत थ नाड ाम को कहत थ मला ाम म 50 गाव तक सि म लत होत थ थल नामक वभाग म 11 स 64 तक गाव होन का उ लख मलता ह

अ भलख म हम म डला धप त का उ लख मलता ह जो कभी राजकमार थ तो कभी उ च अ धकार यक म डल म राजा का त न ध रहता था म डला धप सना भी रखत थ व बाद म वशानगत होत थ साम त पर नय ण रखन हत उनक राजधानी म एक सरकार त न ध रखा जाता था चोल शासन म अ भजात वग का भाव ि टगोचर होता ह आ दगा रगल भोज क वशज थ व म ी स न न पद वीकार नह करत थ

चोल शासन म स नक सगठन यवि थत था राजा जल और थल सना का धान होता था अ भलख म सना क रिजम ट तथा उसक वारा कए गए काय का ववरण मलता ह सना म पदल घड़सवार और हा थय क कई डवीजन होत थ सना ग म तथा छाव नय म रहती थी सना म कई ा मण सनाप तय क नाम मलत ह

चोल शासक अपनी याय णाल क लय स थ मणनी तकड चोल तो राज महल क वार पर एक याय का घटा रखता था राजा का यायालय धमासन कहलाता था जहा व भ न मामल सन जात थ यक करम (गाव) और उ तर म र (नगर) म नाग रक क सभाए होती थी जौ शास नक क अलावा या यक काय भी करती थी इस कार गाव म क य सरकार का बह त कम ह त प था

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रा य म कर एक करन वाला राज व वभाग होता था मगव तथा प ोल इस वभाग क छोट और व र पोतगम तथा व र यल ड बड़ अ धकार थ राज व वभाग क अ धका रय क अ धकार मिज ट क समान थ

1313 साराश राजप ष त या नौकरशाह शासन को चलान वाला व श ट वग ह इस वग का

वकास ाचीन भारत म ह हो चका था व दक काल स लकर राजपत काल तक नौकरशाह वग क उपि थ त क माण वद बौ जन थ और अ भलख म मलत ह इस वग क अ तगत म ी स चव यायाधीश लखक अ धकार सनानी रा यपाल और ामणी तक भी सि म लत थ िजनका काय राजा क आदश का राजधानी नगर ा त और गाव म पालन करवाना था यह वग कभी भ म स ब धी तो कभी सना स ब धी काय का भी सचालन करता था एक अ धकार जो कसी ा त म शाि त थापना हत नय त ह उस बाद म य भ म म भी भजा जा सकता था इस लए आध नक नौकरशाह क तरह ाचीन भारतीय अ धकार वग कसी नि चत काय स बधा हआ नह था राजmdashप ष का काय रा य क आव यकता क आधार पर नधा रत होता था राजप ष त का व ा नक वग करण कौ ट य न अपन अथशा म कया और इसका वहत तर पर योग चोल शासन म ि टगोचर होता ह क त कछ प रवतन क साथ ग त स ाट mdash हषवधन और राजपत शासक न अपन शास नक म कौ ट य वारा नयत अ धकार वग को ह कछ नाम प रवतन क साथ

जार रखा य क सभी काल म राजप ष त का काय रा य एव उसक जनता का क याण करना था जो क राजक य आदश को कठोरतापवक लाग करन पर ह स भव हो सकता था इस कार ाचीन भारत म राजप ष तब सरकार आदश का यावहा रक प स लाग करन वाला रा य का अ त मह वपण अग बन गया था

1314 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म राजप ष त क वकास का सव ण क िजए 2 मौयकाल न राजप ष त का व तत ववरण द िजए 3 700mdash1200ई तक राजप ष त क व प का ववरण द िजए

1315 सदभ थसची 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 गोयल ीराम ाचीन भारत का इ तहास ख डmdash थम 3 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य 4 चटज गौर शकर हषवधन 5 जायसवाल सर कमार ह द राजशा 6 परमा माशरण ाचीन भारत म राजनी तक वचार एव स थाए 7 पाठक वश ान द उ तर भारत का राजनी तक इ तहास 8 पर बजनाथ ह ऑफ इि डयन एड म न शन ख ड mdash

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थम 9 भ डारकर डी आर अशोक 10 मजमदार र च द ला सकल एकाउ स ऑफ इि डया 11 मकज आर क च ग त मौय और उसका काल 12 याजदानी जी (स) दकन का ाचीन इ तहास 13 यास शा तकमार नानराम रामायणकाल न समाज 14 वदालकार ह रद त ाचीन भारत का राजनी तक एव सा क तक

इ तहास 15 व यालकार स यकत ाचीन भारत क शासन स थाए और राजनी तक

वचार 16 व य च ताम ण वनायक महाभारत मीमासा 17 शमा दशरथ राज थान द एजज

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इकाई mdash 14 ाचीन भारत म अ तर रा य स ब ध

इकाई क परखा 140 उ य 141 तावना 142 ार भक वकास 143 म डल स ात और उसका वकास 144 ऐ तहा सक प र य 145 य नी त 146 अ यासाथ न 147 सदभ थ

140 उ य तत इकाई म हमारा उ य आपको ाचीन भारत म अ तर रा य स ब ध क बार

म बताना ह इस इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत क जानकार पा सकग mdash ाचीन भारत म अ तरा यीय स ब ध का वकास कस हआ मडल स ा त व उसका ऐ तहा सक प र य य नी त का व प व उसक स ा त

141 तावना ाचीन भारत म अ तरmdashरा य स ब ध क स ा त और यवहार क एक ल बी

पर परा धीरmdashधीर ह वक सत ह ई दश क इ तहास क अ य त ारि भक यग म इस वषय का न तो कोई स ा त ह प ट प स वक सत हआ था और न इन स ब ध क व वध यौर क ह त यगीन पर mdashपर जानकार ा त होती ह पवव दक यग म रा य नामक स था ह अपन अ य त छोट और अ वक सत प म थी और इस बात क आशा करना यथ ह होगा क उस समय इन स ब ध का कोई वकास हआ था क त य mdash य समय बीतता गया और भारतीय समाज उ तर व दक यग म व ट हआ य mdash य रा य का व प भी प ट हआ और उसका ीय आयात भी बढ़न लगा रा य अब रा कहा जान लगा और उसक व भ न कार होन लग ऐतरय ा मण नामक उ तर व दक थ इस बात क सचना दता ह क दश क व भ न दशाओ म वरा य एकरा य वरा य वरा य अराजक अ धरा य और सम तपयायी जस व भ न स ाओ और व प वाल रा य क शासन था पत थ इसी यग म सा ा य (सम तपयायी) क क पना न भी म त प धारण कया िजसक मल म रा य क ीय और शि तमलक व तार का व प अ त न हत था

142 ार भक वकास

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भारतीय इ तहास क ग तच म सा ा यवाद पर पराओ और वा त वकताओ का ार भ ईसा पव क छठ शता द स हआ जब कौसल जस कछ रा य न अपन पड़ौसी गणत

को आ मसात करन क वि त दखायी आग उसी वि त क पनरावि त करत ह ए मगध क उद यमान सा ा य न अपन पा ववत नपत और गणत दोन को ह अपनी स नक शि त स अ भभत करक अपन भौगो लक आय त क भीतर समा हत कर लना ार भ कर दया मगध क इस सा ा यवाद वि त क उदय और व तार क पव ीय व तार का यह व प बड़ा ह नग य तीत होता ह अ य त ार भ म रा य क प कबील जस थ जब एक कबीला दसर कबील स स नक मठभड़ म सल न रहत ह ए अपनmdashअपन वच व को था पत करन म सल न था व दक सा ह य इ ह जन क स ा दना ह और पाच जन (पचजना) क म य प स गनती करता ह इनम स यक जन अथवा कबीला कभीmdashकभी अपनी सर ा क लए एक दसर स स नक शि त क आजमाइश भी कया करता था उपय त पचजन आय कल क थ क त उस समय अनक अनायजन भी व यमान थ आय और अनाय कबील क य आपसी सघष तो होत हो रहत थ आय कबील अथवा जन भी आपसी लड़ाइय म अनाय कबील का योग कया करत थ और उनको साथ लकर श ओ स भड़त रहत थ

जसा पीछ कहा जा चका ह भारतवष म सव थम ई प सातवीmdashछठ शताि दय स व भ न रा य क आपसी स ब ध का व प कछmdash कछ प ट होन लगता ह क त य सभी रा य उस समय अभी उ तर भारत मा म व यमान थ और द ण भारतवष का राजनी तक व प उस समय तक बह त वक सत अथवा प ट नह हआ था उ तर भारतवष म यह यग 16 महाजनपद का यग था िजनम अवि त और अ मक जस महाजनपद द णmdashपि चम और द णायथ म द ण भारतवष क सीमाओ को छत थ इन सोलह महाजनपद म भी कवल चार या पाच ह म य थ जो काशी कोसल व स अवि त और मगध क नाम स व यात थ इस यग क एक अ य राजनी तक वशषता यह थी क इन नपत क साथ ह साथ पव तर भारतवष म ऐस अनक गणत भी थ जो इन नपत स श ता और सघष मोल लत ह ए भी अपनी वत ता को बनाय रखन क जी तोड़ को शश म लग ह ए थ वह रा य त का यह उ य था क जब भी सभव हो इन गणत म या तो पार प रक फट डालकर या उनक व सीधी स नक कायवाह करक उनक भौगो लक और ाशास नक वाय तता को समा त कर अपनmdashअपन रा य को लघ सा ा य क व प दान कर इस कार इस यग क अ तररा यीय वि तय और स ब ध क दो व प थ एक तो अ तरmdashनपत ीय व प और दसरा नपत और जात (गण या सघ ) क बीच का व प उदाहरण व प जहा एक ओर काशी और कोसल क महाजनपद न कई स दय तक अपनीmdashअपनी भता और वच व क लए बड़mdashबड़ और द घका लक य लड़ वह व स और अवि त भी पार प रक स नक तयो गताओ म काफ काल तक उलझ रह पा ल बौ सा ह य वशषत जातक म इन

य क फटकल चचाए अनक थान पर ा त होती ह अ तरा यीय स ब ध का इस कार का एक अ छा उदाहरण काशी और कोसल महाजनपद क इ तहास स ा त होता ह इन दोन क बीच य क दौर स भवत डढ़mdashद स दय तक चल ारि भक दौर म कदा चत काशी ह

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कोसल क मकाबल बीस पड़ता रहा क त कोसल क राजा महाकोसल क रा यकाल म काशी उसक वारा विजत कया जा चका था और वह कोसल सा ा य का एक ा त बना लया गया था उधर कोसल और मगध क भी सघष ार भ हो चक थ और कोसल क शासक महाकोसल तथा मगधराज बि बसार क बीच एक स नक सघष क प रणाम व प स ध म कोसलराज न काशी का एक गाव अपनी ब हन महाकोसला को बि बसार स याहत ह ए दहज क प म मगधराज को स प दया था आग अजातश न जब अपन पता बि बसार को मारकर मगध क राजग ी ह थया ल तो महाकोसल क प सनिजत न उस गाव को वापस ल लन हत मगध पर चढ़ाई कर द क त उस य म दो बार म ह क खानी पड़ी और अ त म तीसर बार जब उस वजय ी हाथ भी लगी तब भी उस अपनी प ी वािजरा का ववाह अजातश स करक पन उस गाव को दहज क प म अजातश को स पना पड़ा बौ सा ह य क इस ऐ तहा सक पर परा स ाचीन भारतीय वा त वक अ तरा यीय स ब ध क वकास म म सा ा यवाद क वकास का एक नि चत म दखायी पड़ता ह वह म यह था क थमत छोटmdashछोट नपत आपस म लड़त ह ए या तो एक दसर पर स नक अ भयान वारा अपना भ व था पत करना चाहत थ औरअथवा अवसर आन पर कछ श पर अपना शास नक भ व भी था पत कर लत थ वतीयत इन छोटmdashछोट रा य म जो कछ

अप ाकत अ धक बड़ अथवा शि तशाल भी थ व भी मगध जस और भी अ धक शि तशाल और व तत रा य वारा अ भभत कय जान लग धीरmdashधीर मगध रा य क एक छोट सी राजनी तक इकाई बढ़कर एक सा ा य क प म वक सत होती गयी मौय का यग आतmdashआत मगध रा य एक अ खल भारतीय सा ा य क प म प रव तत हो गया मगध सा ा य क ग ि ट एक ओर काशी और कोसल क ओर पि चमी दशा म व तत होन क ओर लगी ह ई थी वह दसर ओर उ तर और उ तरmdashपव म वदह क ल छ व गणत तथा पावा और क सनारा क म ल गणत को भी या तो स नक अ भयान वारा अथवा उनम कटनी तक मतभद को उ प न करत ह ए उ ह आपस म ह लड़ाकर कमजोर करत ह ए वह अपनी स नक और ीय व तार क ओर तजी स अ सर हो रहा था मगध क इस व तारवाद वि त स अपन को बचान क लए ल छ व गणत न म ल गणत स मलकर एक स नक सयोगत या सघ था पत कया था जन सा ह य म नव ल छबई और नवम लई अथात ल छ वओ क नौ गणत और म ल क नौ गणत क स नक सघ का उ लख ा त होता ह बौ सा ह य यह प ट प स बताता ह क ल छ वओ म जब तक आपसी एकता बनी रह तब तक मगध क बढ़ती ह ई स नक शि त स भी उनक कोई हा न नह ह ई पर त य ह उनक यह एकता समा त हो गयी और व आपस म ह लड़न लग य ह मगध को उ ह आ मसात करन म सफलता ा त हो गयी और उनक राजनी तक वत ता जाती रह बौ

थ द घ नकाय क महाप र न बानस त क अनसार अजातश का सनीध नामक म ी ब क पास उस राजा क दत क प म उपि थत होकर पछता ह क ल छ व गणत पर मगध क वजय कस सभव हो सकगी भगवान ब न मगधराज क उस म ी क न का सीधा उ तर न दकर अपन स श य आन द स ल छ वओ क बार म नौ न पछ िजन सबक उ ह अपन श य स सकारा मक उ तर ा त ह ए व सभी न गणत म एकता क व ध उपाय

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स स ब थ पन उ ह न अ य प स सनीध क न का उ तर दत ह ए कहा mdash ह आन द जब तक ल छ व इन थाओ का पालन करत रहग उनक व ह जानो हा न नह अजातश क उस ब मान म ी न जब उन बात को उसस नव दत कया तो उसन तर त यह समझ लया क ल छ वय का नाश स नक बल स नह अ पत उनक बीच आपसी भद और फट क नी त अपनान स ह सभव होगा फलत उसन अपन सनीध और वषकार नामक दो म य स एक नकल झगड़ा (कतककलह) कया और उसका खब चार करत ह ए उ ह ल छ वगण क नौ सद य रा य तथा उसक सभी सद य म फट डालन क बीजारोपण हत भज दया ल छ व इस जाल म फस गय और आपस म ह लड़न लग फल व प मगध को उनक वत ता समा त करक उनक को अपन सा ा य म आ मसात कर लन म कोई क ठनाई नह ह ई

ईसा पव क छठ mdashपाचवी शताि दय म उ तर भारत म घटन वाल इन राजनी तक घटनाओ का यह समाहार दन का उ य इस लख म मा इतना ह क यह दखा जाय क इन वा त वकताओ क पीछ अ तररा यीय स ब ध क कौनmdashकौन स आयाम अथवा स ा त धीरmdashधीर वक सत और भारतीय राजनी तक च तन म ब मल हो रह थ वा त वकता क आधार पर सव थम स ा त तो यह तपा दत हआ क जब भी कोई राजा या शासक अपनी स नक और राजनी तक शि त इतनी बढ़ ह ई और सम दख क वह आसानी स पा वव त या दरवत रा य को आ मसात कर सक या उनक राजाओ स अपनी अ धस ता ववशत वीकत करा सक तो उस नसकोच उन पर आ मण कर दना चा हए इस स ा त को मन म त जसा धमशा ीय थ भी वीक त दता ह आग लखी जान वाल सभी म तया कौ ट यीय अथशा अथवा महाभारत जस सभी स ब थ भी इस मा यता स सहम त कट करत ह क त कछ आध नक इ तहासव ता अथवा राजनी तशा व ता इस तक स इस मा यता क आलोचना करत ह क यह एक ऐस नग आ ामकवाद को ज म दता ह िजस पण समथन नह दया जा सकता क त यह तक एकदम थोथा और वा त वकता स पर ह भला कब कस दश म कस समाज म व भ न दश क कस काल क इ तहास म ऐसा नह हआ ह वा व वक प म यह मा यता या स ा त उस धरातल राजनी त मा का प रचायक ह िजस अ जी अथवा रोमक भाषाओ म र यलपॉ ल टक कहा जाता ह इसक आलोचना वाल उपय त तक का सपोषण करन वाल पि चमी व ान यरोप म य ए शया अथवा पव ए शया क उस स पण वहमान इ तहास को भल जात ह िजसम व भ न दश क शासक न अपनmdashअपन दश क भीतर ह नह अ पत बाहर दश पर भी अकारण और वय आ मत न होत ह ए भी अपनी शि त क मद स मदा धहोकर अपन सा ा य व तार हत बारबार आ मण कया पछा जा सकता ह क भला सक दर न फारस और भारत पर य आ मण कया महमद गजनवी और मह मद गौर बारmdashबार भारतवष पर य टटत रह अलाउ ीन खलजी न द ण भारतीय ह द रा य को य र दा और उनक राजाओ क साथ अमान षक यवहार य कया मगल स ाट न द ण भारत क मसलमानी रयासत पर य अपन आ ामक ज म

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ढाय अ ज न 1802 ई म मराठ क व य य कया अथवा नपो लयन न योरोप क अ धकाश रा य को बार mdashबार स य व त कया

पीछ मगध और वि जसघ क आपसी श ताओ और अ तत वि जसघ क मगध वारा नाश का जो उ लख हआ ह उसम उपय त स ा त क अ त र त ाचीन भारतीय अ तररा यीय स ब ध का जो दसरा स ा त वक सत हआ वह यह था क जब भी विजगीष रा य सीधी स नक कायवाह स पड़ोसी (छोट) रा य को हड़प सकन म अपन को असमथ पाता हो तो उस भदनी त का सहारा लत ह ए उसम फट क बीज बोकर उस आ मसात करन का य न करना चा हए इसी म म चार नी तय क एक सम चय का वकास ाचीन भारतीय

राजनी तशा म हआ जो चतन त क नाम स जाना जाता ह इस चतन त क चार तभ ह mdash (1) साम (नी त और यक कार क पटता का योग) (2) दान अथात घस अथवा भट उपहार आ द दना (3) द ड अथात स नक शि त का योग और (4) भद अथात श अथवा पड़ोसी दश म यथा थान और यथावसर फट क बीज बोकर अपना मतलब स करना इन सभी साधन क वाहक होत थ वशष राजदत साधारण दत अथवा ग तचर

धरातल राजनी त क एक अ य शा वत मा यता यह रह ह क व भ न रा य क अपसी स ब ध म न तो कसी क त कोई थायी म ता होती ह और न कोई थायी श ता आज का म कल श और आज का श पन कभी म हो सकता ह यह ि थ तभद अथवा भावभद व भ न रा य mdashराजाओ क बढ़त ह ए या घटत ह ए राजन तक और स नक शि तसतलन पर पर तरह नभर करता ह च क ाचीन भारत म ाय रा य नपत ा मक हआ करत थ और उनक शि तम ता अथवा शि तह नता ाय उनक अलगmdashअलग समय क नायक अथवा ग ीधारक राजाओ क वभाव च र और यो यताओ पर नभर करती थी व भ न रा य क बीच पर पर म ता और श ता क दोलक भी बड़ी ज द mdashज द इधरmdashउधर घमत रहत थ सव ह और सदा ह अ तररा यीय स बध क मल म था व भ न रा य वारा पार प रक शि तmdashसतलन (बल स ऑफ पावर) बनाय रखना इस शा वत आव यकता क इदmdash गद ह आपसी स ब ध क तोलक भी नीच ऊपर होत रहत थ

143 म डल स ात और उसका वकास ाचीन भारतीय राजनी तक वचार क ग त म अ तररा यीय स ब ध को नय मत

करन वाला जो सवम य स ा त वक सत हआ उस म डल स ा त क स ा द गयी ह मन म त महाभारत अथशा और श नी त जस थ इस स ा त का तपादन करत ह और व भ न रा य क आपसी स ब ध को इसी स नय मत होना वीकार करत ह यह तो ात करन का कोई नि चत साधन ा त नह ह क इस स ा त क स थापक आचाय कौन

थ क त यह नि चत सा जान पड़ता ह क इसक वशद ववचना और सभवत काय प म प रण त कौ ट यकत अथशा क ह दन ह वहा इस स ा त का व धवत उ घाटन करत ह ए सभवत यह इ गत कया गया ह क इसक स थापक या णता आचाय उशनस ऋ ष अथात श ाचाय थ पर त यह अनमान मा हो सकता ह नि चत इतना ह तीत होता ह क कौ ट य ह व सव थम राजनी तक वचारक थ िज ह न इसका यौरवार और पण वकास

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कया त नसार सवम य राजक य उ य यह होता ह क दश म एक सावभौम च वत रा य क थापना क जाय मौय सा ा य ह इस कार का पहला च वत सा ा य था व वान क ाय यह मा यता ह क अथशा म ववत राजनी त क वचा रक प ठभ म और शास नक यव था उस सा ा य को ह मन म बठाकर तपा दत क गयी थी त नसार

क म चत दक वजय क इ छा स रत वह शासक होता ह जो विजगीष कहलाता ह और उसका उ य होता ह आसत हमालय पि चम पयो ध स लकर पवप यो य तक सह योजन भारतीय भ म पर अपन लए एक च वत क थापना यह माना गया ह क इस विजगीष अथवा अ य सभी रा य mdashराजाओ क अ य रा य mdashराजाओ स स ब ध या तो श ता क ह ग या म ता क ह ग या म यमभाव (न श और न म ) क ह ग अथवा एकदम उदासीनता (अ य त दर थ होन क कारण) क ह ग इन चार कार क व त म क क चार और क अ य सभी रा य क भी अ य छोटmdashबड़ रा य स इसी कार क स ब ध ह ग मलत इसी अवधारणा को क म रखकर वादशराजम डल क स ा त क सार प रक पना ह ई इस वादशराजमडल म बारह रा य होत ह जो एक च म न नवत ि थत मान जात ह (1) विजगीष (2) अ र (3) म (4) अ र म (5) म म (6) अ र म म (7) पाि ण ाह (पीछ का म ) (8) आ द (पीछ का श ) (9) पाि ण ाहसार (पीछ क श का म ) (10) आ दसार (पीछ क म का म ) (11) म यम (12) उदासीन मा यता यह ह क कसी भी पड़ोसी रा य क ि थ त हमशा श क होगी और उसी कार उसका पड़ोसी रा य उसका श होगा अत यह वाभा वक होगा क श का श अपना म होगा और इसी कार यह च अथवा म डल आग बढ़ता जायगा इस स ा त म तो सवदा ह बल रहा ह क पड़ोसी रा य क स ब ध या तो सीमायी ववाद क कारण या एक दसर क व तारवाद वि त क कारण आपस म एक दसर क त शका और ववाद क प म रहग इनम स यक रा य क पास तीन त व ऐस होत थ जो िजस मा ा या अश म िजसक पास अ धक

ह ग वह दसर क मकाबल उतना ह अ धक शि तशाल या सफल होगा य तीन त व ह म (म णा क स पि त) भ (स य शि त) और उ साह अथात अपन पर आ म व वास इन सभी रा य क बीच िजन बात स आपसी स ब ध का नधारण होता ह व छह व भ न कार स नय मत होती ह इ ह ह षा ग य कहत ह इन छह गण क ोत ह स य क तया और बारह राजाओ क म डलछह गण (ि थ तय ) म स ध व ह आसन यान स य और वधीभाव क गनती क गयी ह यहा स ध स ता पय ह उस दशा का जब दो प म

स धगत ि थ त हो व ह का ता पय य स ह आसन स ता पय यह ह क श का कोई थान ह थयाकर बठ गया हो यान आ मण क लय तयार रहना ह स य का मतलब म ता

ह और वधीभाव स ता पय दोन प का अलगmdashअलग रहना ह पीछ चतन त शि त क तीन त व और षा ग य क जो उ लख कय गय ह उनस

यह प ट न कष नकलता ह क य य प य और आ मण वदशी नी त क आव यक त व थ और उनका यथाव यक और यथावसर उपयोग कदा प विजत नह था तथा प इस बात क य न हमशा ह कय जात थ क आपसी स ब ध म भरसक शाि त क नी त क ह योग

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कय जाय कटनी त क इसी स ा त को कौ ट य भी य कर मानता ह ऋ वद म वादशरा य क स ब ध म राजा सदास को म डल का नत व करत ह ए बताया गया ह और

यह असभव नह ह क वादशराजम डल क स ा त क पीछ का बीज उस समय भी वतमान रहा हो क त इस स ा त क यापकता क बावजद भी कौ ट य जसा अ य त यथाथवाद राजनी तक वचारक विजगीष को यह सलाह दता ह क वह नी त अथात कटनी त क योग वारा ह अपन रा य व तार अथवा शि त व तार जस उ य क प त का य न कर

कटनी त या ह इसका एक बह त ब ढ़या समाहार महाभारत क आ दपव क कछ लोक स ा त होता ह धतरा का क णक नामक ा मण म ी उसस कहता ह क राजा को सवदा कायरत रहना चा हए तथा उस कछए क तरह अपनी कमजो रय को छपात ह ए श क कमजो रय पर हावी होन का य न करना चा हए एक बार जो अ भयान श कर दया जाय उस उसक पणता तक पह चाना चा हए कमजोर श क भी उप ा नह करनी चा हए य क एक भी चनगार सार वन को खाक कर सकती ह अपन उ य क प त क लए

अ धपन और बहरपन क नकल भी करनी चा हए य द श शरणागत भी हो जाय तो उसका व वास नह करना चा हए ग तचर क मा यम स श का व वास इस हत ा त करन का य न करना चा हए क उस भ ड़ए वारा अपन शकार क तरह समा त कर दया जाय श

क नाश क लए साम दाम भद और अ त म द ड का योग करना चा हए क णक क मत म श नाश क लए धोखा वष भलावा और घस जस उपाय भी काम म लाय जान चा हए म mdashत का उपयोग भी उ चत ह य द श क कसी काय स ोध भी जाग तब भी ऊपर स शा त रहत ह ए य ह अवसर ा त हो उस पर नमम होकर टट पड़ना चा हए उस गराकर सहानभ त क श द और दख क आस भी गरान चा हए य द श फर भी अपन परान रा त पर ह रह तो उसक स लो छद स वरत नह होना चा हए वह मख होता ह जो श स कोई स ध करक उस पर व वास करन लगता ह mdash य क अवसर आत ह श पन वरोध म उठ खड़ा हो सकता ह य द श स य लड़ना आव यक हो जाय तो भ व य भत ओर वतमान क सार प रि थ तय पर पर तरह वचार करना चा हए

कौ ट य न भी ऐसी अनक बात कटनी त क या णाल क स ब ध म अथशा म द ह क त उन दोन (क णक और कौ ट य) का एक दसर स वचार म कोई आदानmdash दान का स ब ध था यह कह सकना बड़ा क ठन ह य य प कौ ट य क तलना बह त स योरोपीय व ान न मि यावल स क ह क त ऐसा नह कहा जा सकता क मि यावल क अ य त ह ष य वाद कटनी तक स ा त क कौ ट य भी पोषक थ कौ ट य क स ा त म न तकता का पर तरह अभाव ह ऐसा नह कहा जा सकता वा तव म कौ ट य का राजनी तक दशन काफ ऊच कार का था और उसक वचा रक तलना महाभारत म एक थल पर आन वाल नारद ऋ ष क वचन स क जा सकती ह दोन क एकसमान वचारधारा का क य त व यह था क वजय कोई अपन म ह बड़ा ल य नह ह वजय का सतलन बढ़ ह ए उ तरदा य व स होता ह उन वजय क र ा वय म ह एक बह त बड़ा दा य व हrdquo

कौ ट य बड़ी ब मानीपवक कहता ह क य द कोई रा य अपन स अ धक शि तशाल हो अथवा बराबर का हो तो उसस म ता क स ध कर लना ह य कर ह क त य द वह

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कमजोर अथवा ह नशि त ह तो उस पर आ मण क नी त अपनायी जा सकती ह ऐसी स धय को राजनी त क भाषा म समसि ध वषमस ध अथवा ह नस ध कहा जाता था य द कोई कमजोर रा य म ता का हाथ बढ़ाव तो उस थामकर उसक सहायता करनी चा हए दसर प स स ध का ताव आन पर उस प क सह म त य और उ य को समझ कर ह उस वीकत अथवा अ वीकत करना चा हए कसी भी स ध का यह उ य होता ह क उसक

प रणाम व प सोना भ म अथवा एक थायी म क ाि त हो य द अपन ह रा य क लोग वद शय स मल जाय तो उ ह स ती स दबाना चा हए तथा साम और दाम को योग करना चा हए य द बाहर त व अपन रा य क सीमावत त व को उकसाव तो द ड और भद का योग करना चा हए क त य द कोई भीतर खतरा अपन आप उ प न हो गया हो तो सबस पहल उस ह दबाना चा हए

कटनी तक आचरण क इन उपाय का एकमा ता पय अथवा उ य यह था क जहा तक सभव हो य स बचा जाय वा तव म य ज नत वजय बह त अ छ नह ह और य वय म एक बह त बर बात ह इसका प ट उ लख मन म त काम दकनी त और महाभारत म हआ ह मन का कथन ह क साम दाम भद और समर (य ) क अलगmdashअलग उपाय वारा अथवा उन सभी का एक साथ उपयोग करक वजय का य न करना चा हए क त य मा का अकल कभी भी उपयोग नह करना चा हए काम दकनी त का कथन ह क कभीmdashकभी य स दोन ह प का नाश हो जाता ह महाभारत तो य ज य वजय ो जघ य कहत ह ए ब मान राजा को य नपवक उस यागन का उपदश दता ह कौरव और पा डव क बीच महाभारत य क पहल होन वाल ल बी और द घका लक समझौता वाताए इस बात क योतक ह क ाचीन भारत म य घोषणाए बह त शी ता स अथवा बना पर तरह सोचmdash वचार अथवा अ य सभी उपाय क असफल होन क पव नह क जाती थी

उपय त त य और ववचन इस बात को प ट करत ह क भरसक य टाल जात थ और अ य त आव यक होन पर ह उनक सहार लय जात थ तथा प य ाय होत ह रहत थ िजनक बह वध कारण थ उन कारण को स पत न नवत गनाया जा सकता ह mdash (1) च वि त व ा त करन क अ भलाषा (2) आ मर ा क ववशता (3) अ धका धक भ म और भट ाि त क कामना (4) शि त सतलन क पन थापना क आव यकता (5) बाहर श ओ क स नक दाव क तकार क आव यकता और (6) अ याचार स पी ड़त जनता का उ ार य द स म ि ट स दखा जाय तो यह तीत होगा क य क य कारण ाय सभी यग म और सभी दश म समान प स लाग रह ह

144 ऐ तहा सक प र य य क प रहार क आव यकता पर ाचीन भारतीय वचारक क ि ट दखत ह ए

ाचीन भारतीय इ तहास पर एक ि ट डालना इस हत आव यक ह क यह दखा जाय क य आदश वा तव म कहा तक अपनाय जात थ व भ न स धय और व ह क आपसी अनपात को दखन का य न यह साथक होगा जसा हम पीछ उ लख कर चक ह ाचीन भारतीय रा य क आदश म य प स य थ क व अपनी शि त भस ता mdash व तार और भावmdash

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व तार इतना बढ़ा सक क अ धरा य सा ा य च वि त व और सावभौमता ा त कर पर दश म सरमौर राजनी तक स ता बन जाय ऐस सा ा य क कछ तीक य भी नि चत थ िज ह अ वमध और राजसय जस नाम स अ भ हत कया गया यापक वजय को दि वजय क स ा द गयी इन सभी या क वधान क एक नि चत मा यता यह थी क उ ह रा य अथवा राजाओ क व बल योग या स य योग कया जाता था जो व छया अ वमध का घोड़ा छोड़न वाल दि वजयी राजा क अ धस ता वीकार करन को तयार नह थ शष रा य जो वसा कर लत थ बना कसी ह त प क अपन म वत छोड़ दय जात थ और अ धक स अ धक उनका क त य इतना मा होता था क व अ धरा दि वजयी या राजसयक ता को कछ भट और उपहार दकर उसक अधीनता वीकार ल विजत रा य भी ाय उस अ धस ता को वीकार लत थ और उ ह भी कोई बह त बड़ी क मत नह चकानी पड़ती

थी यह व दक य mdashप रपाट और दि वजय क तीका मकता भारतीय इ तहास क म ययग तक चलती रह तहार राजवश क समय (9वी शती) भारत वष क या ा करन वाल सलमान सौदागर नामक अरब या ी को यहा यह दखकर बड़ा आ चय हआ था क वजयी रा य कभी भी विजत रा य क भौ तक दश को अपन शा सत म सि म लत नह करत थ अ पत अ धक स अ धक एक राजा को हराकर या मारकर ाय उसी क वश क दसर यि त को राजा बना दत थ और उसस कर भट अथवा उपहार वसलत ह ए उस पर अपनी अ धस ता मा लादत ह ए अपन मल म लौट जात थ वह कहता ह क विजत रा य क जाए इस था क अ त र त कोई दसरा वक प वीकारन को तयार नह थी

वा तव म ाचीन भारतवष म इसक वशाल भौगो लक आय त क कारण बह स यक रा य का होना ह वाभा वक था और मौय अथवा ग त जस वशाल सा ा य क व प कभीmdashकभी ह नखर पाय हषवधन गजर तीहार रा कट चाल य और चोल जस सा ा य तो उपय त दोन सा ा य क तलना म बह त अ धक छोट थ मौय सा ा य जस एक वशाल और ाय स पण भारतीय वाल सा ा य क भीतर भी जगह जगह अनक छोटmdashछोट वत प स अपनmdashअपन म वाय तशासी थ और व सभवत मौय सा ा य क कवल अ धस तामा मानकर बच जात थ िजन अनक गणत पर आग चलकर सम ग त क वजय क चचा उसक याग तभ अ भलख म मलती ह व कदा चत सभी क सभी मौय क समय भी व यमान थ उ ह कल कलसघ अथवा गण और सघ क स ाए दत ह ए अथशा यह कहता ह क उनक सनाए बड़ी ह य कशल थी सा य क ाय पर अभाव म हम यह बता सकन क ि थ त म नह ह क मौय सा ा य क समय स पण भारतीय क भीतर क रा य स उस सा ा य क अ तररा य स ब ध या थ क त सौभा य स यनानी इ तहासकार और अशोक क अ भलख स ऐसी चर सचनाए ा त होती ह क वदश क ाय सभी यनानी रा य स उनक जीव त स ब ध था पत थ च ग त मौय क पर जब सक दर क सनाप त स यकस न आ मण करन क भल क तो उस लनी क दनी पड़ी यह नह क वह बर तरह हारा अ पत उस ए रया अराको शया ज ो शया और परोप नसडइ नामक अपन चार ा त को भारतीय स ाट क हाथ एक स ध क शत म

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सम पत करना पड़ा अपनी म ता को प का करन क लए उस अपनी प ी का ववाह भी च ग त क साथ करना पड़ा और उसका मग थनीज नामक एक राजदत पाट लप क दरबार म नवास करन लगा भारत का कोई राजदत च ग त वारा सी रयाई दरबार म भजा गया था या नह इसक सचना यनानी इ तहासकार नह दत भारतवष क वदशी स ब ध क यह श आत थी और य वजय mdash व तार ववाहम ी एव दौ य स ब ध थापन जसी अ तररा यीय या वद शक स ब ध क सभी मलभत वशषताए यहा एक साथ दखायी दती ह मौय और यनानी रा य क दौ य स ब ध आग भी बरकरार रह डायो न सयस नामक सी रयाई (यनानी) राजदत ब दसार और अशोक क दरबार म रहता था और उसी क मा यम स ब दसार न अरब क अजीर परानी शराब और एक सफ (सॉ फ ट) दाश नक भजन क माग सी रयाई शासक स क थी अशोक क अ भलख म एक स अ धक थान पर यह उ लख ह क उसन सी रया साइरस मकद नया और म क शासक क राजदरबार म अपन धम चारक दत को भजा था म क शासक टॉ लमी फलाड फस का एक दत अशोक क दरबार म भी रहता था इस काल का भारत और यनान क वद शक स ब ध का वणयग कहा जा सकता ह

मौय तर यग भारतीय इ तहास म व खलन का काल था जब सारा भारतवष छोटmdashछोट रा य म वभ त हो गया उ तर पि चमी भारत क कछ पर तो भारतीयmdashयना नय का भी अ धकार हो गया प य म श ग क वजय और उसका अ वमधय कवल तीका मक था त प चात द णmdashपि चम और द णापथ पर शक और सातवाहन का रा य हो गया जो आपस म ाय लड़त रह शक शासक दामन और नहपान क ववा हक स ब ध आ शासक पलमायी और शातक ण स होत ह ए भी उनक आपसी य जार रह कषाण शासक कड फसस और थम क न क न सव थम रज तरजस (राजा धराज) महारजस (महाराज) जसी सा ा यसचक उपा धय का चलन कया क न क का सा ा य अ य त वशाल था और उसका व प अ तररा य कहा जा सकता ह उसन व भ न ात म अपनी ओर स शासन करन हत गवनर क नयि त क थी क त उसक बाद भारतवष पन एक बार व भ न राजनी तक ख ड म वभ त हो गया तथा शकम ड कषाण नाग भार शव वाकाटक प लव पा य आ द अनक राजवश उ तर स द ण तक दश क राजनी तक अ ाश और दशा तर को काटन लग एक कार स इस राजनी तक अ धकार क का लमा तभी धल सक जब थम च ग त सम ग त और वतीय व मा द य जस ग त महाराजाओ न अपनी स य और राजनी तक शि त का काश भारतवष क सभी दशाओ म अपनी वजय वारा बखरा पन एक बार ऐसा राजनी तक आदश उपि थत हआ िजसम वजय दि वजय अ वमध एकछ व और सवराजो छ तापन जस श द राजनी तक और सा हि यक श दावल म सि म लत होकर स कत का य और अ भलख म य त होन लग क त अब भी आदश दि वजय अथवा धम वजय का ह था असर वजय तो अ य त छोट क ह क गयी सम ग त क याग शि त इन व भ न राजनी तक आदश तथा अ तररा यीय स ब ध क ऐसी सची दती

ह जो त स ब धी स ा त और योग क कजी कह जा सकती ह उसन आयाव त क नौ

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राजाओ क क वजय करक उ ह स पण प म अपन सा ा य म बलपवक मला ( सभो रण) लया यह असर वजय थी िजसम विजत रा य पणत समा त कर दय गय बह त दन स वत प म चल आ रह गणत और सीमाव त रा य को अपन को स ाट क दरबार म णामपवक उपि थत होन अपनी क याओ का ग त राजाओ तथा राजकमार स ववाह करन अपन म शासन चलान क लए स ाट स ग ड़ स अ कत राजा ा (ग मदक) ा त करन तथा उपहार क साथ स ाट क स मख उपि थत होन क लए ववश होना पड़ा द णापथ और द ण क बारह रा य को सम ग त क सनाओ न जीतत ह ए भी उनक राजाओ को अपनी आ धस ता मकता क वीक त मा क क मत उनस लकर वापस लौटा दया यह उसक धम वजय थी िजसम विजत राजा क रा य ी मा का हरण कया गया उसक भ म को नह छ ना गया ( ह त तम त य स धम वजयी नप) बड़ा प ट ह क दि वजयी सा ा य और विजत रा य क बीच आपसी स ब ध क व वध कार और व वध आयाम ग तयग म प टत दखायी दत ह धीरmdashधीर एक राजनी तक वशषता यह वक सत ह ई दखायी दती ह क बड़mdashबड़ सा ा य क शासक भी राजनी तक और कटनी तक आव यकताओ क वशीभत होकर छोटmdashछोट रा य स ववा हक स ब ध वारा म ता था पत करन हत आग बढ़न लग थम च ग त का ल छ व राजकमार कमारदवी स ववाह वतीय च ग त का नाग राजकमार कवरनागा स ववाह तथा एक अ य कद बराजकमार स

ववाह और उसक प ी भावतीग ता का वाकाटक शासक वरसन स ववाह तथा इन सभी रा य क पण वत ता क ग त क ओर स गारट इस त य क सचक ह क रा य चाह िजतन भी छोट ह उनक वत ता का कटनी तक और राजनी तक मह व था और ऐस रा य पर कभी भी य थोप नह जात थ य ह आग चलकर मा ड लक रा य ह ए जो राजा धराज़ एकरा और परमभ टारक जसी उपा धय स वभ षत स ाट क राजदरबार म व भ न प म उपि थत होत थ

यह या आग भी पर तरह चाल रह स लो तरापथनाथ हष न वलभी क राजा वभ पर वजय ा त करक भी उसन अपनी प ी का ववाह कर दया इसी तरह अवती

और लाट क छोटmdashछोट शासक भी उसक म थ उस ऐसा करना इस कारण आव यक हआ क द णापथ म उसका च ड श वतीय पलक शन उसक व बढ़न क लए पर तरह स न था और हष को उसन एक य म करार मात द थी क त कवल उ तरापथनाथ का एकरा अथवा राजा धराज या परमभ ारक रहत ह ए भी वदश म हष क अ छ या त थी और चीन क राजाओ क यहा स कम स कम तीन दतम डल उसक राजदरबार म आय थ उसक शि त स अ भभत होकर ह असम क शासक भा करवमा न उसक स मख अपनी म ता का हाथ बढ़ाया था और क मीर क शासक दलभवधन उसस सभवत एक ह नस ध म आब हआ था अज ताmdashइलौरा क गहाओ क भि त च म एक ऐसा दलभ च ह जो फारस क राजा खस क यहा स आन वाल एक दतम डल को वतीय पलक शन क राजदरबार म अपन को उपि थत करता हआ दखाता ह इस दतम डल का नता अ दलर जाक था आग चलकर क य स ता एक नाममा क चीज रह गयी और क नौज क इदmdash गद समटती सी

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गयी क त क नौजनगर पीछ क यग म पाट लप क तरह अब भस ता राजनी तक वच व और सभी कार क गौरव का तीक बन गया और पालmdash तीहारmdashरा कट शासक न उस ह क म रखकर लगभग डढ़mdashदो शताि दय तक आपस म कईmdashकई भयकर य लड़ अि तम सफलता गजरmdash तहार को ह मल और अपनी पदवी ( तहार) क अन प उ ह पि चम म अरब क बढ़ती ह ई शि त स हमशा सघषरत रहना पड़ा द ण म रा कटmdashचाल य चोलmdashप लव और पा य क खीचतान चलती रह और कटनी तक स ब ध क जो वतान ऊपर खीच गय ह उन सबका यावहा रक आ छादन इन सभी रा य पर बना रहा

145 य नी त पीछ हम दख चक ह क य अ य त आव यक होन पर ह लड़ जात थ ऐसा

करना तभी अनश सत था जब साम दाम भद और द ड क सभी नी तया असफल स हो जाती ह अथवा यक कार क स धवाताए टट जाती ह य अथवा व ह का उ य अथवा ल य सवदा अ धक भ म धन अथवा लट क धन क ाि त हो रह हो ऐसा भी नह ह ाय व ल य थ वदश और वा भमान क र ा अथवा द ट श का नदलन क त एक

बार य छड़ जान पर उसस परागमख होना अधम और अनी त थी ाचीन भारत म य ाय य का ह काय माना गया और उसम मर जाना वग का सीधा वारा समझा जाता

था कहा तो यहा तक गया ह क य थल पर मरन स कह भी अ य मरना य क लए अ धक य कर नह ह घर क भीतर बठmdashबठ मर जानातो उसक लए न य था महाभारत क य क पव अपन सग mdash स बि धय स य न करन क बात करन वाल अजन को क ण न उसक लए रत करत ह ए कहा था क य द य म मर जात हो तो सीध वग को जाओग और य द जीतत हो तो प वी का भोग करोग

य म वय हत हो जाना या कसी दसर को मार दना पापकम नह माना जाता था नी त यह थी क कमजोर क साथ य करना उ चत नह ह बराबर क शि त वाल को ह आपस म य करना उ चत ह धोख स कसी पर चढ़ाई कर दना अन चत था अत वीर य क अपन श और कवच धारण करक वसी ह ि थ त म आन और य करन क चनौती अपन श को दता था यम म त उस स नक क न दा करती ह जो य भ म स भाग जाता था त मल सा ह य क अनक का य ऐस अनक पद स भर पड़ ह जहा वीर माताए और वीर बह ए य म मरन वाल अपन प और प तओ क म य का सदश सनन पर गौरवपण स नताए य त करती ह ऐस उदाहरण भारतीय सा ह य म कतन ह इनक गनती

असभव ह न कष यह ह क य म म य उ य वीरता का दशन था य क दौरान छप ह ए अ वषय त अ और अि नवमक अ क योग

अन तक मान जात थ ऐस अ mdashश स श ओ को मारना पापकम था पन कसी रथ पर बठ ह ए यो ा का पदल सपाह को मारना घड़सवार का कसी घड़सवार क अ त र त अ य को मारना अथवा हि त स नक का हि तmdashस नक क अ त र त लोग स भड़ना भी य नी त क वपर त समझा जाता था इसी कार कसी हजड़ को शरणागत को सोय ह ए यि त को

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नशा यि त को कसी आग तक को दसर क साथ लड़ रह यि त को भ नश यो ा को भयकर प स आहत श को अपन ाण क लए भयभीत यि त को तथा य क मदान स भाग रह यि त को य mdashभ म म मारना जघ य पाप समझा जाता था बौधायन धमस का कथन ह क य को न न ल खत नौ यि तय स कभी भी लड़ना नह चा हए पागल लापरवाह य क लए तयार न रहन वाल ी बालmdashब च व ा मण भी और नश म धत यि तगौतम तथा दवल क अनसार इन नव क अ त र त गाय और िजसन म ह म तण धारण कर लया हो (अथात आ मसमपण करन वाल) भी अय य और अब य ह इसस प ट ह क िजन लोग का सीधmdashसीध य स कोई स ब ध नह होता था उ ह कसी कार क हा न नह पह चायी जाती थी mdash अथात नद ष यि त कदा प नह मार जात थ

समाज का स य और सस कत वग तो कसी भी म य पर नह छआ जाता था धमय क नयम म यह भी सि म लत था क खड़ी फसल को अथवा अ य कार क सभी खतीबार को कोई भी त नह पह चायी जाती थी न कषत य य द छड़ जाय तो कसी भी म य पर उस लड़ा जाता था क त उसक लए कोई भी (ग हत) उपाय धारण कया जा सकता था ऐसा कदा प नह था

हार ह ए श क साथ कोई अपमानजनक न दा और ग हत यवहार करना अन चत था मन म त का कथन ह क य म जीती ह ई स पि तmdashचत वध सना राजछ धन अ न भ डार पश और ि याmdash वजता क स पि त हो जाती ह जो उ ह अपन वफादार वीर और य क म बाट दता ह पर त यह बटवारा सना म व भ न ओहद क धारक क अन प ह होना चा हए यह नह वजयी राजा को वजयोपरा त दवपजा और ा मण पजा क साथ सभी क र ा का आ वासन भी दना चा हए धमय का नयम यह था क हार ह ए रा य क राज ी और स पि त का तो हरण कया जाय क त उसक प वी अथात रा य का नह ाय उसी क वश क दसर यि त को उसक थान पर अपनी आ धस ता वीकत कराकर बठा दना चा हए क त स कत सा ह य क य नी त स ब धी इन अनशसाओ क वपर त त मल सा ह य क अनक उ हरण हार ह ए श क त इस कार क उदारता बरतन क हमायत नह करत वहा ल त ह क ाय हारा हआ शासक मार डाला जाता था उसक राजधानी म आग लगा द जाती थी और उसक सार स पि त वसा करन स पव लट ल जाती थी वजयी स नक विजत नगर क सड़क और ग लय को खोदकर बरबाद कर दत थ स प म वहा एक जगल का य उपि थत कर दया जाता था क त त मल सा ह य क य उ लख अपवाद क प म ह वीकार कय जान चा हए

न यह उठता ह क य नी त स ब धी य उपदश अनशसाए अथवा कथन यावहा रक प म कतन वा त वक होत थ साधारणतया उनक वा त वकता म कोई शका नह क जा सकती पीछ हम अरबी या ी सलमान सौदागार क वह उि त दख चक ह जहा वह इस बात पर आ चय कट करता ह क भारतवष म वजयी राजा विजत क रा य को हड़पकर अपन रा य का अग नह बनाता था अ पत उसी क कसी स ब धी को अपनी अ धस ता वीकत कराकर उसक राजग ी पर आसीन कर दता था इसक अ त र त

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मगा थनीज नामक यनानी इ तहासकार (राजदत) एक ऐसा अ य अभारतीय पयव क ह जोmdash ऊपर व णत भारतीय य नी त क वा त वक यावहा रकता का य उदाहरण दता ह वह कहता ह mdash जहा अ य दश म यह साधारण प रपाट ह क य म सार भ म न ट कर द जाती ह उस एकदम बकार और फसलह न बना दया जाता ह वह भारत म कषक को एक वशष वग क प म माना जाता ह और य काल म भी उनक भ म और फसल प व और कसी भी कार क हा न न करन लायक समझी जाती ह जब एक ओर भयकर स भयकर य लड़ जात ह उस समय भी कषक अपन खत को नि चतभाव स जोतत ह और बोत ह और उ ह कसी कार क हा न न पह चाना या भय न दना ह स नक अपना परम क त य मानत ह यह नह भारतीय सनाए य म श दश क क षmdashभ म को भी कोई हा न नह पह चाती और न तो वहा आग लगाती ह और न उसक पड़ को ह काट कर न ट करती ह

ाचीन भारतीय य नी त क आदश व प क साधारण पा यता क स यता क सदभ म उपय त दो वदशी लखक क माण काफ ह यह स य ाय न ववाद हो सकता ह क क त जब भी दो भारतीय राजप अथवा य प क बीच य ह ए साधारणतया इस य नी त क पालन क ि थ त बनी रह क त जब भारतीय रा य और राजाओ को पवम यकाल न अरब तक और अफगान आ ा ताओ (मसलमान ) का सामना करना पड़ा तो इस य नी त क पालन स उ ह बड़ीmdashबड़ी हा नया ह ई और उनक पराजय म यह त व भी एक म य कारण बना वद शय म साधारण नरसहार ीmdashअपहरण र नवास क बइ जती मि दर mdashमठ और कसान क लट हार ह ए राजा क त अ य त अमान षक अ याचार भागन वाल श का भी पीछा करना और हार ह ए श का सब कछ हड़प लना अ य त साधारण और मा य आचरण थ कई बार उ ह न ह द सनाओ स अपनी आसन हार को बचान हत अपन सामन गाय को खड़ा कर दया और ह द सनाए उ ह दखकर आ मण स वरत हो गयी स ध क अरब न जहा सभी मि दर को न ट कर दया वह उ ह न मल थानपर (म तान) क सय मि दर को तीहार क आ मण क व अपन बचाव हत ढाल क प म य त कया मह मदगोर

को छह बार हराकर तराइन क पहल लड़ाई म भाग जान क कारण छोड़ दन वाल और उसका पीछा कर उस पर तरह न ट न कर दन वाल प वीराज चौहान को ह द य नी त क इस पालन क क मत चकानी पड़ी और वह वय जब हारा तो उसक साथ मसलमान न अ य त नमम यवहार कर उस मार डाला अलाउ ीन खलजी न दव ग र क यादवराजा रामदव को हराकर उसका धन तो लट ह लया उसन उसक जी वत खाल उतरवाकर उसम भसा भरकर अपन अहकार क प त क क त ऐसा ह न य यवहार एक ह द राजा न भी अपन श क साथ कया था क याणी क चाल य शासक वतीय तलप न मालवा क परमार शासक म ज को हराकर कद कर लया उसक भाग जान क य न को जानकर उसन उस अपन नगर म सीकच क भीतर ब दर क तरह डालकर घमाया और अ त म उसका बधकर उसक सर को रोजmdashरोज म म भगोकर बारmdashबार अपमा नत करता रहा इसक वपर त अशोक न क लग य क वभी षका दखकर भ व य म कभीmdashभी य न करन क जो त ा कर ल और मर घोष क थान पर िजस धमघोष का नाद कया वह सार व व क इ तहास म ब मसाल ह

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ऐसा लगता ह क जब दो प म एक प अ धक शि तशाल होता था तो वह परािजत प क त उदारता बरतन म कोई कमी नह करता था क त बराबर क ि थ त म कसी भी क मत पर वजय ा त कर ल जाय यह भाव जागत रहता था और य नी त क उ लघन होत थ कौ ट य का त स ब धी मत एक सामा य स य तीत होता ह वह कहता ह य द कोई रा य अपन श क ऊपर अ य त शि तशाल तीत होता हो तब तो उस वीर य क नी त (धमय ) अपनानी चा हए महाभारत क एक थान पर भी म का भी मत इसी कार का द शत कया गया ह वय महाभारत य म आदश य नी त क उ लघन क अनक उदाहरण ा त होत ह

146 अ यासाथ न 1 म डल स ात या ह इसका वकास कस हआ (500 श द) 2 ाचीन भारत म य नी त पर एक नबध ल खए (500 श द)

147 सदभ थ 1 ह रालाल चटज इ टर टट रलश स इन ऐ शय ट इ डया 2 अस अ तकर टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया 3 वीआरआर द तार ह द ऐड म न टव इ ट यश स 4 भा कर आन द सलटोर ड लोम टक रलश स इन ऐ शय ट इ डया mdash

2 भाग म 5 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोई टयर

चौड़ा रा ता जयपर 1999

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इकाई 15 रा य एव उसक ससाधन

सरचना 150 उ य 151 तावना 152 अ ययन क ोत 153 ाचीन भारत म रा य नमाण

1531 प ठभ म 1532 जनपद य रा य का वकास 1533 रा यmdashउ पि त सबधी स ात

154 ाचीन भारत म रा य सबधी मह वपण ात य बात 1541 ाचीन भारत म रा य क अवधारणा 1542 स ताग रा य का स ात 1543 रा य म सावभौम स ता का न

155 ाचीन भारत म रा य क क त य और उ य 156 ाचीन भारत म रा य क ससाधन

1561 रा य क आय क ोत 1562 ाचीन भारत म करारोपण का स ात

150 उ य तत इकाई म हमारा उ य ाचीन भारत म रा य को प रभा षत करना तथा इसक

सचा सचालन हत आव यक ससाधन को स नि चत करना ह इस इकाई क अ ययन क उपरात हम न न ल खत बात क जानकार ा त हो सकगी mdash

(क) ाचीन भारत म रा य क अ ययन क ोत (ख) ाचीन भारत म रा य नमाण क मह वपण चरण (ग) ाचीन भारत म रा य सबधी मह वपण ात य बात mdash

(1) ाचीन भारत म राना क अवधारणा (2) स ताग रा य का स ात (3) रा य म सावभौम स ता का न

(घ) ाचीन भारत म रा य क क त य और उ य (ङ) रा य क ससाधन

151 तावना ई प छठ सद को ाचीन भारत क इ तहास म एक मह वपण सद माना जाता ह

इसक पव क सद राजनी तक अ त वरोध का यग रह थी िजसम जनजातीय स क त या

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सगठन टट कर जनपद य रा य क लए अपना थान र त करता जा रहा था छठ सद ई प म अनक कारण िजनका आग (153) व तत ववचना कया जायगा स ार भक व दक जन या कबील न जनपद क अव था ा त कर ल काला तर म य जनपद स ढ़ ह ए और नाना प रि थ तय क प रणाम व प राजत अथवा गणत रा य क प म वक सत ह ए

जनपद रा य का वकास मल प स आ थक दशा म ह ए मह वपण प रवतन स जड़ा था ई प 600 म क ष क अ त र त यापार वा ण य एव उ योगmdashधध जस धन ा त करन क अनक साधन थ िजसस रा य स था क सचा सचालन हत ससाधन उपल ध हो पाया

152 अ ययन क ोत ाचीन भारत म रा य सब धत वषय क अ ययन क ोत व वध ह सा हि यक

ोत म ा मण सा ह य हमार लए वशष मह व क ह इसक अतगत व दक सा ह य क अलावा हम रामायण महाभारत धमस और पराण को ल सकत ह ार भक पा ल धम थ वशषकर द य नकाय और महाव त म भी रा य सब धत कछ वचार दखन को मलत ह धा मक पर परा स अलग थ म कौ ट य का अथशा सवा धक मह वपण ह अथशा म समाज क आ थक वि तय पर राजक य नय ण का व तत उ लख ह यहा पर यह प ट करना उ चत होगा क सा हि यक ोत क योग म अनक क ठनाइया ह इसस ा त साम ी क काल और व प पर व वान म काफ मतभद ह फर भी कल मलाकर इनक रा य सब धत स ा तक प क हम काफ जानकार मल जाती ह

पछल दोmdashतीन दशक म ाचीन भारतीय रा य यव था क अ ययन म पराताि वक ोत का मह व बढ़ा ह य ोत सा ह यक ोत क क ठनाइय स अप ाकत म त ह

इन ोत क अतगत स क मदभाड स क तय और अ भलख का वशष मह व ह आहत स क जो ईसा पव छठ शता द को बताई जाती ह जनपद य रा य यव था

क अ ययन म उपयोगी ह इसी कार रा य नमाण या क भौ तक आधार को समझन म मतभाड स क तय न हमार काफ मदद क ह पजाब ह रयाणा राज थान एव पि चमी उ तर दश स ा त होन वाल च त धसर मदभाड (Northern Black Polished Waremdash NBPW) क पराताि वक स क तय न जनपद रा य क वकास क म को समझन म मह वपण भ मका नभाई ह

हाल क वष म अ भलख वशषकर भ म अनदान प क योग न रा य क राज व शासन क अ ययन म वशष मदद क ह भ म mdashअनदान प क जार करन का म सबस

पहल सातवाहन न आरभ कया और यह सल सला काफ यापक पमान पर ग त काल और इसस भी आग 13वीmdash 14वी शता द तक चलता रहा वस य अनदान अ धकाश प स धा मक योजन स दय गय ह फर भी इनम रा य क ससाधन वशषकर राज व क ोत का वणन ह

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153 ाचीन भारत म रा य नमाण mdash 1331 प ठभ म

ाचीन भारत म रा य नमाण क प ठभ म व दक गण क राजनी तक सगठन म दखी जा सकती ह वा त वकता म व दक गण क राजनी तक सगठन का वणन एक ज टल काय ह इसका कारण कवल यह नह ह क व वान क पास दन को अ धक भाव नह ह बि क यह भी ह क ऋ व दक काल क गण और उ तरव दककाल न गण म अपनmdashअपन राजनी तक सगठन क व प म और अपन वारा समच तौर पर ा त ऐ तहा सक वकास क तर म काफ अतर था फर भी ऋ वद क सरसर तौर पर अ ययन करन स ऋ व दक राजनी तक सगठन सभा स म त एव वदप जसी स थाओ क काय णाल स प ट हो जाता ह व वान म इस पर कोई सहम त नह ह क इन स थाओ का व प या था य क इनक बार म ोत साम ी अ सर अ य धक अ त वरोधी ह सभवत वपद सबस परानी स था था िजसम

गण ठ वारा सव प र प म राजनी तक मामल पर वचार होता था सभा का व प म यत पतत ा मक और अ भजातीय था िजसम ि या भी सि म लत हआ करती थी सभा क तलना म स म त अ धक यापक व प क सभा तीत होती ह 1 इन स थाओ का काय वा तव म या था कहना क ठन ह हम यह अनमान लगा सकत ह क इन स थान म स पण कबील क राजनी तक सामािजक आ थक एव धा मक मामल पर चचा होती थी ऋगव दक समाज म आत रक एव अ तजातीय य आ मण एव जनसहार क अनक उदाहरण हम मलत ह और ऐसी प रि थ त म सभा और स म त जसी स थाओ क भ मका अव य मह वपण रह होगी

उ तर व दक काल (ईसा पव 1000mdash 500) म ह ए आ थक प रवतन वशषकर लौह तकनीक का आ वभाव तथा क ष क म ह ए मह वपण वकास न ऋगव दक जनजातीय स क त म वघटन क या को ारभ कया ऐसा अनमान कया गया ह क लौह तकनीक का योग आरभ म य ा क लए और फर धीरmdashधीर क ष एव अ य आ थक ग त व धय म होन लगा धीरmdashधीर सपि त तथा सामािजक ि थ त पर आधा रत असमानता क जड़ जमान क साथmdashसाथ गण समह त रत हो गय और गण शासन क नकाय रा यस ता क नकाय म प रणत हो गय जनजातीय सगठन म दरार का एक माण तो इस बात स मलता ह क ऋगवदकाल न अनक छोट कबील एकmdashदसर म वल न होकर बड़ गत जनपद को ज म द रह थ उदाहरणाथ प एव भरत मलकर क तथा तवश एव व मलकर पचाल कहलाए जनपद क वकास क इस या क पि ट च त धसर (PGW) एव उ तर काल पॉ लश मदभाडीय (NBP) पराताि वक स क तया जो जीवन म था य व दशाती ह स भी होती ह उ खनन थल स ा त लोह क अ स यह सकत मलता ह क इन जनपद क स य शि त बल थी अभी तक ा त लौह अ क सवा धक स या अतरज खड़ा (क mdashपचाल दश) स ा त ह ई ह

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प ट ह क छठ शता द ई प तक आतmdashआत छोटmdashछोट जनपद आ थक सम (अ धशष उ पादन) और स य शि त (लौहmdashअ ) का लाभ उठाकर रा य का प धारण करत जा रह थ ऐसी ि थ त म पतक राजत और रा क अवधारणा क प ट उ लख भी हम ा त होन लगत ह अथववद (VI882) म कहा गया ह ldquoरा राजा क हाथ म हो तथा

राजा व त वह प तदव इ एव अि न उस ढ़ बनाए ति तर य स हता (1131) तथा शतपथ ा मण (IX411) म मश कहा गया ह क कमकाड को पण पण स प न कर राजा रा ा त करता ह तथा राजा रा भत अथात सा ा य का पोषक ह

1532 जनपद य रा य का वकास

ब क काल तक आतmdashआत िजन जनपद का उ लख मलता ह उनक वकास म तीन प दखाई दत हmdash

(1) कछ जन या कबील न अकल ह जनपद क अव था ा त कर ल जस म य च द कोसल आ द

(2) कछ जन म पहल सयोग हआ और उसक प चात उसका जनपद क प म वकास हआ जस पाचाल िजसम पाच जन का सयोग था

(3) अनक जन अ धक शि तशाल जन क वारा विजत होन क बाद उ ह म मला लए गय जस अग का मगध जनपद म तथा काशी का कोसल जनपद म इन जनपद क वकास क अ ययन स यह प ट हो जाता ह क छोटmdashछोट कबील रा य बनत जा रह थ और सा ा य का ल य कछ दर नह था

1533 रा य उ पि त सबधी स ात

रा य नमाण क या का ववरण समकाल न सा हि यक ोत म हआ ह यह सह ह क य ववरण एक दसर स भ न ह फर भी इसस उन प रि थ तय का अव य अनमान हो जाता ह िजनक कारण रा य क उ पि त ह ई इस सदभ म हम न न ल खत ोत का नाम ल सकत ह िजनक ववरण हमार लए मह वपण ह ऐतरय ा मण (114

VIII12) महाभारत (शा तपव अ याय 59 एव 67) द घ नकाय (III89mdash93) अथशा (113) मन म त (VII3mdash4) आ द इन ववरण क आधार पर ह द रा यशा क आध नक व वान न रा य उ पि त सब धत दवी एव अनबध स वात को तपा दत कया ह (इन स वात क व तत अ ययन क लए दख इकाई स या 9 अ याय VIa)

154 ाचीन भारत म रा य सबधी मह वपण ात य बात 1541 ाचीन भारत म रा य क अवधारणा

ाचीन भारतीय वचारक न रा य को एक मह वपण स था क प म वीकार कया और रा यशा को एक यावहा रक व या क प म मा यता दान क यह सह ह क पा चा य वचारक लटो और अर त क तरह ाचीन भारतीय वचारक क राजनी तक सोच म दशन का अभाव ह फर भी उ ह न रा य क सगठना मक एव याशील व प को समझा और

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उस यवहार म लान का हर सभव यास कया ारभ म रा य सबधी उनक अवधारणा एक ऐसी स था क प म थी जो उस म बसन वाल सभी वग और समदाय क सर ा दान करन म स म थी यह सह ह उ चवग य लोग क प रवार एव स पि तय क र ा रा य क लए अ धक मह वपण थ परत आग चलकर इस ि थ त म प रवतन हआ और रा य को श त स यव था क थापना और सर ा दान करन क अलावा जनता का सवागीण न तक सा क तक और भौ तक वकास भी माना जान लगा व तत ब क काल तक आतmdashआत कोसल और काल जस महाजनपद म रा य क वो सार अग (स ताग) प रल त होन लगत ह जो आध नक रा य क त व (Elements) समझ जात ह मौय काल तक आतmdashआत तो रा य का व प और काय इतना यापक हो जाता ह क उसम कसी एक वग या समदाय क त वशष यव था ढढना यथ होगा ाचीन म तकार वारा राजा को बार बार वणा म क तपालक कहन स यह भा त अव य होती ह क रा य का उ य सामािजक वषमताओ को यथावत कायम रखना था परत स चाई इसस पर ह य क ाचीन भारतीय वधा नक थ म रा य क नवा सय म वशषा धकार और सामा य नाग रक क अ धकार म कोई भदभाव नह कया गया ह रा य क प रवतनशील व प को दखत ह ए ाचीन भारतीय वचारक न रा य को एक जी वत स था माना और उसक सावयव प (Organic Nature) क क पना क इसक अ तगत रा य क अग क तलना शार र क अग स क गई ह कौ ट य (VI1) और मन (VIII 284mdashmdash8) दोन का मत ह क रा य एक सजीव एका मक शासन स था ह मनमानी चाल चलन वाला अपना ह भला दखन वाल व भ न कण का ढ लाmdashढ ला जोड़ नह ह यह सह ह क कौ ट य म यह स ात बह त प ट प स नह दखाई पड़ता व भ न अग क अ भ न मानmdashजान का एकमा सकत उसक इस वचार स मलता ह क एक अग को भा वत करन वाला कोई गभीर सकट शष अग को भी हा न पह चा सकता ह इस सदभ म

वह व भ न अग क पार प रक मह व क भी चचा करता ह (AS IV31mdash34) मन िजसक रचना म सभवत अग श द का सव थम योग हआ ह (IV 294) रा य क सावयव व प पर प ट वचार कट करता ह (IX 297) उसक अनसार रा य क अग म स कसी एक को अ य अग क अप ा प ट श द म मह वपण बताना असभव ह इसक वपर त उसका वचार ह क अलगmdashअलग समय पर अलगmdashअलग अग अ य अग क अप ा अ धक मह वपण हो जात ह महाभारत का शा तपव मन क कथन क पि ट करता ह कामदक का भी यह मत ह इस वषय पर उसक वचार अप ाकत अ धक स प ट ह उसक अनसार य द एक अग म दोष आया तो पर रा य का सामा य काय यापार खतर म पड़ जायगा और इस लए त त अग को सधार दना चा हए (IV2) रा य क शर र स ात का सबस प ट तपादन श म पाया जाता ह जो रा य क व भ न अग क तलना मानव शर र क अग स

करता ह (1mdash62) क त यह रचना बह त परव त काल क ह इस लए हम लोग क अ ययन काल क सदभ म इसका उपयोग उ चत नह होगा रा य क शर र स ात का अप ाकत प ट तपादन कौ ट य क समकाल न यनानी वचारक लटो और अर त न भी कया ह

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1542 स ताग रा य का स ात

व दक सा ह य और न ार भक व ध थ अथात धमस म ह रा य क कोई प रभाषा मलती ह ार भक धमस म रा य क कछ अग जस राजा अमा य वषय आ द का उ लख अव य मलता ह परत ब क यग म कोसल और मगध जस ससग ठत रा य क उ थान क बाद ह सबस पहल कौ ट य क अथशा म रा य को सात अग स य त स था बतलाया गया ईसा क सोलहवी शता द म सर वती वलास नामक थ क रचनाकार न गौतम धमस को उ त करत ह ए इस स ात क तपादन का य गौतम को दया ह परत इस थ क ववरण पण प स व वसनीय नह ह और सभवत इ ह कारण स कौ ट य वारा तपा दत स ताग रा य क प रभाषा ह बाद क थ क लए स प बनी कौ ट य

न िजन सात अग का उ लख कया ह व ह वामी अमा य जनपद दग कोश दड और म (VI1) रा य यव था स बधी अ धकाश थ जस मन (IXmdash294) शा त पव (6962mdash63) या व य म त (1mdash353) व णधम तर पराण (IIImdash33) और श नी तसार (1mdash61) म इन सात अग का उ लख मलता ह य य प कछक म कछ अग क पयाय का योग हआ ह व णधम तर पराण म वामी और अमा य क बदल मश साम (शा त थापना) और दान नामक दो नय अग का उ लख मलता ह शा तपव क एक स करण म अ टा गक रा य श द का योग मलता ह ल कन आठव अग का उ लख कह नह ह अथशा म भी जहा पर सभी अग का ववचन कया गया ह वहा दो अग अमा य और दग क प रभाषा नह द गयी ह इन दो का ववचन पथक प स कया गया ह क त कल मलाकर इसम स ताग का ववचन सागोपाग और मब ह जो अ य दलभ ह वामी mdash

वामी का अथ ह धान या अ धप त इसका उ लख सभी ोत थ जस अथशा (IVmdash1) मन (IXmdash294) व ण (IIImdash33) शाि तपव (6962mdash63) या व य (Imdash353) आ द म इस प म हआ ह ो रामशरण शमा का वचार ह mdash सभवत रा यत और गणत क धान को राजा क स ा द गई ह य क कौ ट य रा य पर आनवाल वपि तय पर वचार करत समय इन दोन का उ लख करता ह (अशाVIII2) जहा तक अ भलख का

न ह वामी श द का योग सव थम शक अ भलख म हआ ह यान दन क बात ह क स ताग स ात क तपादन क प रवश म रा य क धान क लए कसी भी थ म राजा श द का योग नह हआ उसक बजाय वामी श द का योग कया गया ह िजसका अथ ह अ धप त च क इस श द का योग सव थम कौ ट य न कया ह इस लए इसका सह अथ अथशा क सदभ म समझा जा सकता ह अथशा म वामी को कछ नि चत गण स सपन होना चा हए (अशा VI1) इसस यह अनमान लगाया जा सकता ह क सामा य कल म उ प न यि त को वामी पद ा त करना क ठन था य क कौ ट य क अनसार वामी को अ भजा य वग का होना चा हए

अमा य mdash

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अमा य का उ लख सभी थ म इसी प म हआ ह य द अमा य को म ी श द क पयाय क प म योग कर तो इसस यह म पदा होता ह क अमा य म ी क प म काम करन क लए रख जात थ परत व भ न थ म आय ववरण स अमा य और म ी म भद तीत होता ह म य क स या कम होती थी जब क अमा य क स या नि चत प स

अ धक थी शा तपव जस परवत रचनाओ म भी अमा य को म ी स अलग बताया ह इसम म य क स या 8 ह और अमा य क स या 37 (शाप85 7mdash11) कौ ट य भी इस अतर को यान म रखता ह वह म य क स या तीन या चार बताता ह जब क अमा य क सबध म उसका कहना ह इसक स या नयि त करन वाल क मता क अनसार होनी चा हए (अशाI 9mdash1016) ऐसा तीत होता ह क अथशा म अमा य एक थायी सवा समवग था िजसम धान परो हत म ी समाहता आ द सि म लत थ

कौ ट य अमा य क लए अप त यो यता का भी वणन करता ह उसका कहना ह दश काल और काय क आव यकता को दखकर ह कसी को भी अमा य नय त कया जा सकता ह (अशा I9mdash1016) यह बात म ी क साथ नह क जा सकती ह

च क यह अथशा म ह अ य थ म अमा य क यो यता और काया धकार पर व तत चचा नह मलती अत इसक लए हम मल प स बौ थ पर आधा रत होना पड़ता ह बौ थ म अम च श द का योग ह जो अमा य का पयाय ह जातक स पता चलता ह क अमा य सकड़ क स या म नय त कए जात थ और ामीण व य काय क पयव क यायाधीश ससा रक और अ टा गक वषय क मागदशन सव ण क प म काय करत थ कौ ट य क वचार भी जातक स मलतmdashजलत ह (जातक II 218 III 105 4228) कौ ट य न अमा य को खतीmdashबाड़ी क नगरानी दग नमाण क दखरख जनपद क याण वपि तय का नवारण अपराधी को द ड दन जस काय स प ह (अशा VIII1) अमा य क यि तगत गण क सबध म कौ ट य आनव शकता और अ भजात गण को यादा उपय त मानता ह काम दक म भी अमा य और म ी म भद मलता ह म य को वह प ट प स रा य को सलाह दन वाला बताता ह (कामदक नी तसार VI25mdash2734) जो

भी हो अमा य श द का योग स पण शास नक समवग क सदभ म ह कया जाता था हाला क कभीmdashकभी कछ भद भी दखन को मलता ह जस आय तर काल म अमा य को स चव भी कहा गया ह दामन क अ भलख म म ी स चव और काय स चव जस श द का योग हआ ह जनपद mdash

स ताग रा य का तीसरा अग जनपद ह इसका शाि दक अथ जनजातीय ब ती ह आय तर थ मन (IXmdash294) और व ण (IIImdash33) म इसका उ लख रा क प म हआ ह तथा ार भक ग तकाल न व ध थ या व य (Imdash353) म मा जन क प म इसका योग हआ ह रा श द नि चत प स भभाग का बोधक ह जन श द म न सदह जनस या का बोध होता ह सभवत अथशा म व णत जनपद श द म भभाग और जनस या दोन का समावश ह उसम कहा गया ह क भmdashभाग म अ छ जलवाय पशओ क लए चारागाह और

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कम महनत स उपज दनवाल भ म होनी चा हए तथा इसम पा र मक क ष ब मान मा लक और न न वग क बह लता होनी चा हए जा को कर का बोझ सहन करन वाला वामीभ त एव न ठावान होना चा हए (अशा VII) काम दक कौ ट य क कथन को और भी व तार दता ह और यह उ लख करता ह क भmdashभाग म श कार गर यापा रय तथा प र मी तथा उ यमी कषक का नवास होना चा हए (कानीसा IVmdash54) ग तकाल न पराण जस म ल पराण और व ण धम तर पराण म इसी कार क उ लख मलत ह इसक अनसार राजा को ऐस दश म रहना चा हए िजसम यादातर व य और श थोड़ स ा मण और अ धक स या म भाड़ क मक हो यहा पर यह प ट कर दना उ चत होगा क कौ ट य क अथशा और कोई अ य थ भmdashभाग का आकार और जनस या को नधा रत नह करत हाला क एक अ य थान पर अथशा (111) कहता ह क ाम म एक सौ स पाच सौ तक प रवार होना चा हए और एक था नक जो जनपद क सबस बड़ी इकाई ह उसम 800 ाम होना चा हए दग mdash

कौ ट य वारा उि ल खत चौथा अग दग ह िजस मन (IX 294) न पर कह कर तीसरा थान दया ह दग स कल का बोध होता ह ल कन पर क याय क प म दग को कलाबद राजधानी का बोधक मानना चा हए कौ ट य क अथशा म दग वधान (113) और दग नवश (114) म आय वणन स भी राजधानी का ह बोध होता ह दग वधान म कल क नमाण का वणन कया गया ह तथा दग नवश म राजधानी क योजना और व यास का ववरण ह महाभारत क शा तपव म जनपद और पर का भद कया हआ मालम होता ह जनपद स दहात और पर स राजधानी का बोध होता ह (शाप69 63) दग पर अपना वचार कट करत ह ए कौ ट य कहता ह क राजधानी क य थान पर बनाई जानी चा हए तथा

इसक योजना बनान म व भ न वग क लोग कार गर और दवताओ क लए अलगmdashअलग छोड़ जान चा हए यहा पर यह यान दन यो य बात ह क कौ ट य इस सबध म अनक कार क शि पय तथा बास चमड़ ऊन आ द क काम करन वाल कार गर का उ लख करता

ह कौ ट य न चार कार क दग का उ लख कया ह mdash (1) औदक दग जल स सर त अथात िजनक चारो और पानी हो (2) पावत दग (पहाड़ी स सर त) (3) धा वन दग (म थल अथवा अ य बजर भ म पर बनाया गया दग) (4) वनदग (जगल स आ छा दत या सर त दग) राजगह को ग रदग स सर त माना जाता था आग चलकर पाट लप मगध क राजधानी ह ई िजसका मह व जलदग क कारण बढ़ गया था प ट ह क पाट लप तीन तरफ स न दय स धरा हआ था इसी कार त काल न थ म वनदग क भी जानकार मलती ह कोष mdash

कोष या खजाना कौ ट य क थ या अ य ोत म भी पाचव अग क प म व णत ह कौ ट य क अनसार (VI1) राजा को नक और वध उपाय स स चत कोष रखना चा हए या उस इ ह उपाय स सव करना चा हए उसक वचार स सोन चाद और र न आ द स भरmdashपर कोष का ऐसा सव होना चा हए क अकाल आ द वपि तय क समय खच का भार

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वह वहन कर सक इसी करण म कौ ट य आग कहता ह क कोष क अभाव म सना रखना और उसक न ठा का भी पा बन सभव नह इस वणन को हम रा य क दो अग कोष और सना क पार प रक सबध को प ट वीक त मान सकत ह कौ ट य क अथशा म हम इसम भी यापक कथन दखन को मलता ह जब यह कौ ट य सम त परवत को व त पर ह आ त मानता ह (अशा VIII1) कोष का मह व ाचीन रा यmdash यव था म अ य धक था इसका अनमान हम त काल न थ म आय करारोपण स ात और आयmdash यय पर व तत ववरण म भी दख सकत ह द ड mdash

द ड अथात म यत सना क प म सलभ बल क योग क शि त का उ लख अथशा म छठ अग क प म हआ ह कभीmdashकभी द ड और कोष को समक माना गया ह (अशा VIII1) कौ ट य क अनसार हम अग म प तनी भाड़ पर रख गए वन और नगम क स नक आत ह स नक को वह चार भाग म बाटता ह mdash पदा त रथारोह हि त स नक और अ वारोह शा तपव म अथशा स कछ अलग ववरण मलता ह इसम सना म हाथी घोड़ रथ पदल नाव बगार और भाड़ क स नक होत थ इस लए इस अ टाग बल कहा गया ह (शाप12143) कौ ट य न अनक थान पर द ड क वशषता का उ लख कया ह

य को सना क लए सबस उपय त माना ह ा मणवाद और बौ थ भी इस न पर एक मत ह सकटकाल न परि थ तय म मन न ा मण और व य को श धारण करन क अनम त द ह ल कन श को नह (मन VIII 348) कत कौ ट य व य और श का स या बल को यान म रखत ह ए उ ह भी सना म भत करन क सफा रश करना ह (अशा IXmdash2) सना क गण का वणन करत ह ए कौ ट य उस य क समय सभी आव यक उपादान स ससि जत रहन क सलाह दता ह सना को वह अपराजय धयशाल कायकशल हारmdashजीत क त तट थ और राजा क इ छानसार काय करन क सलाह दता ह म mdash

कौ ट य वारा उि ल खत सातवा और अ तम अग म ह जो अ य थ म स द क प म व णत कया गया ह कौ ट य क अनसार म बनावट नह वशानगत होना चा हए

िजसस आपस म भद क गजाईश नह हो और जो अवसर आन पर सहायता करन को तयार हो (अशा VI1) इसक वपर त श को लोभी अ यायी व छाचार और द ट यि त क प म व णत करता ह कौ ट य वारा व णत स ात म म क भ मका प ट ह इसक

अनसार च वत राजा को विज गष कहा गया ह म क सहायता स अपन सा ा य क सीमा का व तार करन क सा यता द हो (अशा VI1) शा तपव म चार कार क म का वणन ह mdash (1) सामा य यय वाल शरण एव सर ा चाहन वाल वभाव म ह जो स ढ़ हो और चौथा क म म जो बलपवक या कसी प रि थ तवश बनाय जात ह काम दक (474) न भी चार कार क म का ववरण दया ह mdash (1) औरस (ज मजात) (2) कत सबध वारा ( ववाह सबध स उ प न) (3) वशान मात (4) र त ( वपि त म िजसन सर ा द ह)

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राजनी तक स ात क सदभ म कौ ट य न रा य क जसी प रभाषा तत क ह उसस अ धक पण प रभाषा दना ाचीन काल म सभव नह था लटो न अपन रपि लक (Republic) म इस दशा म थोड़ा यास कया ह उसन दाश नक क तलना वामी स यो ा क द ड स तथा कार गर और ख तहर क कछ हद तक जनपद स तलना क ह अर त न भी रा य पर चचा करत ह ए गहप त और नाग रक को रा य क घटक क प म व णत कया ह अपन आदश रा य क भौ तक अग को प ट करन क उ य स अर त न नगर का आकार और जनस या क सीमा भी बताई ह ल कन लटो और अर त वारा द गई रा य क प रभाषा को कसी भी प म कौ ट य वारा व णत स ताग रा य क तरह स पण नह माना जा सकता आध नक काल म रा य क जो चार त व भस ता सरकार और जनस या मान गय ह व रा य क स ताग स ातmdash क मश चार अग वामी अमा य और जनपद क अ तगत आ जात ह भस ता का वामी म सरकार का अमा य म तथा और जनस या का जनपद म समावश हो जाता ह कछ वचारक न यह मत कट कया ह क च क जनस या रा य का इतना य अग था अत स ताग म इसका अलग स उ लख करन क कोई आव यकता नह थी जो भी हो जहा तक रा य का यावहा रक और वा त वक व प का न ह स ताग काफ हद तक एक पण प रभाषा माना जा सकता ह

1543 रा य म सावभौम स ता का न

ाचीन भारत म सावभौम स ता का थान कहा था इस न को लकर व वान म काफ मतभद ह आध नक ि टकोण स इस न का अ ययन उपि थत करना भी एक क ठन काय ह व तत आजकल िजस हम सव च शासनस ता (Sovereignty) कहत ह उसक ठ क क पना ाचीनकाल म करना उ चत नह होगा व दक यग म अ तम शासना धकार राजा व स म त म रहत थ इस लए शासना धकार क व अि तम अ ध ठान मान जा सकत ह गणत म अि तम अ धकार क य स म त म कि त थ इस लए उसका शासन का सव च अ घ ठान कहना उ चत होगा जब स म तय व गणत का अ त हआ तब राजा सवस ताधार बन गया

मौयकाल म जब रा य का व प अ य धक यापक हो जाता ह तब अथशा म स त क तय को सावभौम स ता क त व क प म वीकार कया गया वा तव म अथशा (VImdash1) और आग चलकर मन (IXmdash294) व ण (111mdash33) शाि तपव (69 62mdash63) तथा या व य (1mdash 353) म इस वषय म वा म श द का योग दखन को मलता ह शाि तपव म भी म और य घि ठर क बीच जो सवाद ह उसम ाचीन भारतीय सम भता mdash क उ पि त का ान होता ह इसक अनसार (शाप 58 67) अराजकता क ि थ त स छटकारा पान क लए स भता क थापना क गयी रा य म सम भता क न पर वचार करन क म म धम और दड को यान म रखना आव यक ह स ात क ि ट स यह माना गया था क धम राजा स पर ह वह उसका अनादर नह कर सकता (शतपथ ा मण 1 414) इस वचार स राजा धम क अधीन ह तथा धम को एक ि ट स शासन स ता का सव च अ ध ठान मान सकत ह ाचीन भारतीय वचारक न धम को ठकरान वाल राजा को कस

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कार दि डत या नय त कया जाय पर कोई प ट उ लख नह कया ह अत धम को शासनmdashस ता का अि तम अ ध ठान समझना उ चत नह होगा वा तव म हम यह उ लख मलता ह क य द राजा धम क अनसार बताव न करगा तब भी उस द ड नह मलना चा हए च क वह द ड स पर ह (शतपथ ा मण 5 47) जहा तक राजा को द ड दन का न ह इसका उ लख अव य मलता ह (मन VIIImdash336) मगर यह द ड कौन दगा इस सबध म कोई सकत नह मलता ह मन का ट काकार कहता ह क राजा वय ह अपन को दि डत कर व जम क रकम ा मण को द या पानी म फक द च क वहा द डक ता व ण रहता ह (6 33652) य म इस कार क यवहार को कायाि वत करना क ठन था फर भी हम राजा क ज म क खलाफ बगावत करन तथा उस मार डालन क सचना कह mdashकह मलती ह (अनशासन पव 61 32mdash33)

155 ाचीन भारत म रा य क क त य और उ य वद म य पण रा य क उ य या ल य पर वचार नह कया गया ह पर फट

उ लख स पता चलता ह क शा त स यव था सर ा और याय ह रा य क मल उ य समझ जात थ शतपथ ा मण (V 3 3 6) क अनसार दवलोक क राजा व ण क भा त दवलोक का राजा धमप त था वह धम और नी त का र क था और जा को धम प पर चलान म य नशील था व दक काल और मौय यग क बीच म रा य क काय म अभतपव व तार हआ त नसार रा य क क त य और उ य म भी प रवतन हआ रा य का ल य अब सर ा और शा त यव था क अलावा धम अथ और काम का सव न था

रा य का उ य धम सवधन होन स उसक व प क बार म कछ गलतफह मया उ प न हो गई ह म तकार वारा राजा को बार बार वणा म का तपालक कहा जान का अथ सामािजक वग भद को वधा नक मा यता दना माना गया ह परत इस भा त को ऐ तहा सक सदभ म समझना आव यक होगा जो भी हो धमmdashसवधन का अथ समाज म सदाचार और सनी त क ो साहन स जनता म स ची धा मक भावना और सदाचारण क वि त का सचार करना ह इस ल य को सा य करन क लए रा य वारा धम और मत को सहायता दना और जन हतकार काय करना आव यक माना जाता ह इस ल य का सवा धक उपय त उदाहरण अशोक क काल म दखा जा सकता ह अथmdashसवधन का म य उ य वा ता अथात पशपालन क ष वा ण यmdash यापार और उ योग को सम करना था कामmdashसवधन क अ तगत रा य का यास नाग रक क द नक जीवन को स नि चत करना तथा सा क तक ग त व धय को ो सा हत करना था यहा पर यह प ट कर दना उ चत होगा क ऊपर व णत सभी काय मौय और ग त रा य जस ससग ठत तथा पया त ससाधन स स प न रा य क वारा ह सभव था

156 ाचीन भारत म रा य क ससाधन रा य स था क सचा सचालन क लए ससाधन का होना आव यक ह व भ न

कार क ससाधन को सम और एक करन का यास न कवल रा य क वकास क या

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स जड़ा ह वरन रा य क वकास क दशा को भी नधा रत करता ह ाचीन भारतीय वचारक न भी व भ न कार क ससाधन क मह व को अ छ तरह समझा और उस सम करन का यास कया यह कारण ह क अथववद म भ म को मन य क माता कहा गया ह (12 1 12) और राजा को क ष म व हत वशष यास करत ह ए दखलाया गया ह (3 12 4) ससाधन क अ भव हतmdash वा ता िजसम क ष पशपालन और वा ण य सि म लत ह को क याणकार माना गया य क इन ससाधन क सहायता स कोष तथा सना वारा राजा अपनी ह जा को नह बि क अ य क जा को भी वश म करता ह (अथशा 14) महाभारत म भी यह उि ल खत ह क वा ता स ससार का पोषण होता था इस लए वह लोक का मल था (वनपव 67 35) मन न भी वा ता क मह व को वीकार ह तथा यावहा रक ान क लए उस अ नवाय माना ह (मन VII 43) कोशकार अमर सह न वा ता को

जी वका का पयायवाची माना ह (291) रामायण म तो इस लोक म सख ाि त का साधन वीकार कया गया ह (अयो याकाड 10047)

च क रा य न अपना वा त वक व प ब क यग म वशषत म य गगा घाट क मदान म ा त कया अत यह आव यक हो जाता ह क हम उन भौ तक प रि थ तय का पर ण कर िजनम इस म ससाधन को सम और एक (कर) करन क यास कए गय रा य क ीय प का वकास ससाधन को वक सत करन का ार भक और मह वपण त व माना जा सकता ह का वा त वक मह व तब उभरकर सामन आता ह जब लोग इसम नय मत प स भोजन उ पादन क सभावनाओ को पहचान लत ह और उसम थायी बि तया बसात ह पजाब तथा ऊपर गगा क मदान म वहत तर पर बि तय क थापना उ तर व दक काल तक आतmdashआत प ट हो जाती ह क त म य गगा क म बड़ रा य उस भौ तक स क त क कारण कायम ह ए िजसका स बध उ तर काला पा लशदार मदभाड (NBPW) वाल चरण (700BC mdash 400BC) स था अब तक उ तर भारत म य भारत तथा द कन म लगभग 570 थल पर इस कार क बरतन मल ह क त उनम स अ धकाश पव उ तर दश एव बहार म ि थत ह य थल प ट करत ह क ईसा पव छठ शती क लगभग वहत तर पर दमट म ीवाल भ म म ऐसी बि तया ारभ हो चक थी जो क ष पशपालन और छोटmdashमोट श प पर आधा रत थी यह मह व का वषय ह क लगभग 500 ई प धान क रोपाई का जो काम म य गगा क उपजाऊ भ म म ारभ हआ उसम नयी लौह तकनीक न अभतपव ग त दान क कषक अब अपन प रवार तथा आ त का भरणmdashपोषण करन क बाद अनाज क प म कर दान सकता था तथा रा य सचालन हत आव यक ससाधन जटा सकता था हाला क करारोपण नय मत ढग स कब और कस ारभ हआ इस पता लगाना क ठन ह

व दक काल म राजा या सरदार को मलनवाला वि छक भट उपहार ब क यग तक आतmdashआत अ नवाय कर म बदल गया यह बात पा ल और स कत सा ह य म य त कर स बधी श द स प ट ह आरभ म ब ल (ऋ वद I 7091 110) इस कार क भट थी िजस लोग व छा स धम तथा अपनी सर ा क बदल राजा अथवा सरदार को दत थ

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ब ल का धा मक व प व दको तर काल म भी बना रहा पर पहल जो कल या कबील क म खया को व छा स दया जाता था वह ब क काल म राजा को दया जाना अ नवाय बन गया भाग श द दशाता ह क राजा अपन अश का अ धकार था अथववद म गाव और घोडो क भाग का उ लख ह (4 222) अथववद म शतक का भी उ लख ह (3 29) जातक म भी ब ल श द का योग बह धा हआ ह (111 378) क त गौतम (8 11) कर श द का तथा पा ण न अ धक नि चत श द कार का योग करता ह ऐसा तीत होता ह क ारभ म द जानवाल भट न ह आग चलकर कर का प धारण कर लया बाद म भाग एव कर दोन श द का योग च लत हआ कालातर म भाग को रा याश का म य प माना जान लगा तथा राजा को ष भा गन कहा जान लगा प रणाम व प कौ ट य क अथशा म ब ल का कर क प म वह थान नह ह जो जातक म मलता ह अब वह भ म स सब अनक कर म स एक का थान लता ह (अशा 11 15)

1561 आय क ोत

ाचीन भारत म रा य न अपना वा त वक व प ब क यग म वशषकर गगा घाट क मदान म ा त कया मौयmdashपव काल म कर (आय) क आरभ तथा रा य क वकास क बीच नकट का स बध अव य दखाई पड़ता ह क त मौयmdashपव यग म कर क स था कम थी तथा उनका व प भी सरल था ऐसी ि थ त म मौय काल म आन क बाद ह कौ ट य क अथशा क दसर अ धकरण क छठ अ याय म हम पहल बार रा य क आय क ोत पर एक व तत चचा ा त होती ह इस अ याय म उसन रा य क आय क साधन को सात भाग म बाटा ह mdash दग रा ख न सत वन ज और व णक पथ

दग क अ तगत पर या नगर स होन वाल आय सि म लत थी जस श क (च गी) पौतव (नापmdashतौल को मा णत करत समय लया गया कर) द ड (अपरा धय स लया गया जमाना) नागरक (नगर अ य वारा वसल कर) ल णा य (म ा य ) स ा त आय सरा कर (शराब क ठक स होनवाल आय) िज स पर ा त आय जस तलकर घतकर नमककर व याओ क श प स था दव म दर आ द स ा त आय सि म लत कए गए ह रा क अ तगत जनपद स होन वाल आय सि म लत थी इसम सीता (राजक य भ म स होन वाल आय भाग) कसान स लया जान वाला उपज का एक भाग) ब ल (दवम दरो) और तीथ थान स होनवाल आय) कर ( वशष कर) वा णक ( यापा रय स लया जानवाला ब कर)

नद पाल तर (न दय क पल पर लया जानवाला कर) नाव (नौका वारा नद पार करन पर लया जानवाला कर) प तन (क ब स वसल होन वाला कर) ववीतम (चारागाह स ा त होन वाला कर) व तनी (सड़को क योग क लए दय कर) र ज (स भवत र जक नामक अ धका रय वारा सगह त कर) तथा चोरर ज (चोर क पकड़न पर गाव स लया जान वाला कर) आ द सि म लत थ

ख न क अ तगत राजक य खान स होन वाल आय होती थी सत शाक स जी फल मलवाप (ऐसी फसल िजनम जड़ बोयी जाए) आ द स ा त आय थी हि तवन पशवन

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मगवन (जहा स पशचम मलता था) तथा यवन (इमारती और ईधन क लकड़ी क वन) स होन वाल आय को वन कहत थ गाय भस बकर भड़ गध ऊट घोड़ आ द ज कहलात थ और इनस होनवाल आय का भी यह नाम था

उपय त सभी कार क कर को कौ ट य न रा य का आय शर र कहा ह (अशा 11 6) ग तकाल क लखक म कामदक रा य क आय क आठ ोत का वणन करता ह क ष व णकmdashपथ दग सत कजर ब धन खान इमारती लकड़ी तथा श य थान का

उप नवशन (कामदक V 78mdash79) दग और हा थय का इस सची म प रगणन सभवत इस लए हआ ह य क इनक कारण यापा रय म व वास पदा होता था िजसस व अ धका धक यापार कर रा य को सम बनात थ

1562 ाचीन भारत म करारोपण का स ात

हम इस बात का कोई अनमान नह ह क व दक काल म चल आनवल ब ल क दर पर परा या थी इतना नि चत ह क जसmdashजस शासक वग क आव यकताए बढ़ती गई तथा कषक क उ पादन मता वक सत ह ई वसmdashवस कर द दर म आव यकतानसार प रवतन ह ए ारि भक धमस जस बौधायन (1 10 18) आप त ब (1 10 26mdash29) गौतम (10 27) आ द म आय का छठा भाग कर क प म लए जान का उ लख ह गौतम भmdashराज व क तीन दर अथात अ न का 16 भाग 18 भाग तथा 110 भाग द ह (गौधस 10mdash24) इसक ट काकार हरद त न लखा ह क य तीन दर खत क म ी क क म पर नभर थी कौ ट य न लखा ह क राजा को उपज का छठा भाग कर क प म लना चा हए (अशा I 13 2 19) गौतम क भा त वह भी भ म को तीन णी थल ऊची भ म नीची भ म (कदार) और अ य भ म म वग कत कर अलगmdashअलग कर नधा रत करन का सझाव दता ह (अशा V 2) वस खत जो वषा क पानी पर नभर न हो स कौ ट य फसल का 13 या 14 भाग लन क सलाह दता ह इस स बध म मग थनीज का कथन ह क राजा म क उपज का चौथा भाग क ष स ा त करता था ( बो 15140) महाभारत म राजा को अ न का 110 भाग कर क प म लन क अनम त द ह (शाि त पव 6723) मन म त म भ म क उपज क अनसार 16 18 एव 112 भाग कर क प म उि ल खत ह (VII 128 130) नारद और व ण क अनसार राजा उपज का 16 भाग ा त करन का अ धकार ह (नारद 1848 व ण 322) पर त बह प त राजा को परती भ म स 110 वषा क जल स सीची जान वाल भ म स 18 भाग और जो फसल बस त त म काट जाती ह उनस 16 भाग कर क प म लन क सलाह दता ह प ट ह क भ म कर जो राजक य आय का सव मख साधन था म प रि थ त क अन प 110 भाग स 13 भाग तक कर लन क ाचीन भारत म यव था थी

ाचीन भारत म साधारणतया राजा को धम क अन प उ चत कर लगान क सलाह द गयी ह ार भक धमस म प ट उ लख ह क राजा जा स कवल वध कर वसल कर सकता ह तथा वह यय क लए वध कर क अ त र त स पि त नह ल सकता ह (व श ठ

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धमस 19 14) जातक म भी धम क अन प कर लगान क बात क गयी ह (जातक II 240 iv 224 V 98) कौ ट य न भी यह वचार कट कया ह क राजा को जा स उतना ह कर लना चा हए िजतना क सरलता स द सक (अशा V 2) महाभारत (शाि तपव 87 17) और मन म त (VII 128mdash29) म भी राजा को उतना ह कर लन का वधान कया गया ह िजसस क उ पादक को उ पादन क लए पया त धन बचा रह कामदक का यह मानना ह क राजा को कर वसल करत समय वाल क नी त अपनानी चा हए जो पहल गाय क सवा करता ह और फर दध नकालता ह (का नी तसार VI 84) का लदास क अनसार भी कर जनता क हत क लए लगाए जात ह और राजा का क त य ह क कर क प म वसल धन का योग इस कार कर िजस कार सय प वी स पानी सोख कर उस फर कई गना करक बरसा दता ह (रघवश 1 18)

यवहार म इन स ात का योग कह तक सभव था कहना क ठन ह च क रा यmdash स था का वकास व भ न कर क बढ़त ह ए सभरण स जड़ा हआ था अत अ त र त और वशष प रि थ तय म अन चत कर क होन का भी उ लख हम ा त ह जातक म अनक दमनकार कर क उदाहरण मलत ह इनस सकत मलता ह क राजा अपन कोषागार भरन क लए जा को पी ड़त कर कर को बढ़ा भी सकता था (जातक ii 240 IV 224 V 98) अथशा राजक य आय पर वचार करत समय कौ ट य ब ल भाग और कर क अलावा कई अ त र त कर का भी उ लख करता ह (II6) कौ ट य क यह प ट मा यता ह क धा मक औपचा रकताए धनाजन म बाधा नह होनी चा हए धन इक ा करन क लए जा क अध व वास और धा मक भावनाओ का लाभ उठान हत अथशा क कोषा भभरण करण म कई यि तया बताई गयी ह (अशा V 2) उदाहरण क लए वह कहता ह क राजा कसीmdashकसी रात को कसी दवता या च य क त ठापना कर या कसी अपशकन क सचना द और तब या तो दवता क पजा करन या अ न ट नवारण क लए समाज और या ा क आयोजन क नाम पर स ह त धन हड़प ल यह सह ह क इन यि तय को अथशा म आपातकाल न कर णय क अ तगत रखा गया ह फर भी इनका उपयोग रा य क लए ससाधन क आव यकता को प ट कर दता ह

मौय तर काल म शक राजा दामन क जनागढ़ शलालख म भाग ब ल और श क को नय मत कर कहा गया ह और कर णय और वि ट को आपातकाल न कर कहा गया ह वि ट एक कार बलपवक लया गया म था जो कर क बदल लया जाता था अथशा क ट काकरण भ ा वामी क अनसार ऐसी बगार कर क बदल ल जाती थी और इस कार ल गई बगार का हसाब रा य क एक अ धकार रखत थ कर णय और वि ट क साथmdashसाथ ग त काल म हम कछ अ य मह वपण कर का उ लख मलता ह जस उप रकर (एक कार का अ त र त कर) हर य ( य प म अदा कया गया कर) उ ग (प लस या जलकर) आ द

करारोपण क अ ययन क म म यह प ट करना उ चत होगा क आरभ म ब ल नकद पस क प म एक त नह क जाती थी ार भक पा ल थ म नकद क प

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रा याश चकाए जान क बात नह ह य य प म य गागय म अनक थान पर ईसा पव लगभग पाच सौ वष पव क चाद क आहत स क मलत ह म ा यव था इतनी वक सत नह थी क िज स क थान पर नकद कर लया जा सक एक जातक कथा म ब ल तथा काषापण का एक थान पर अलगmdashअलग कर क प म उ लख हआ ह काषापण का अथ चाद या ताब का स का होता ह िजसस प ट ह क ब ल नगद प म नह वसल क जाती थी इस सदभ म हम हर य कर का भी उ लख कर सकत ह जो य क प म अदा कया जाता था

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इकाई स 16 ाचीन भारत म व ध व प एव स हताकरण

इकाई क प रखा 160 उ य 161 तावना 162 व ध का व प 163 व ध क ोत एव स हता करण

1631 त 1632 म त (धमशा ) 1623 स काल 1634 म त यगीन व ध यव था 1635 सदाचार 1636 राजशासन

164 अ यासाथ न 165 ास गक पठनीय थ

160 उ य mdash तत इकाई क बाद आप न न ल खत स प र चत हो सकग

ाचीन काल म व ध का या व प था ाचीन भारत म व ध क मख ोत कौनmdashकौन स थ म त काल म व ध का स हताकरण कस हआ व ध को कतन भाग म वग कत दया गया

ाचीन भारत म व ध व प एव स हताकरण

161 तावना mdash य य प आध नक व धशाि य म कानन क अ भ ाय व व प क स ब ध म

वचारmdashव भ य पाया जाता ह क त सामा यत व ध (लॉ) स ता पय नयम (आदश ) क एक ऐस नकाय स लया जाता ह िजनका स ब ध मन य क बा य आचरण स होता ह और जो एक नि चत तथा स भ मानवी अथात राजनी तक स ता वारा व तत एव व नयोिजत होत ह आध नक व ध क इस अथ म ाचीन भारतीय व ध को सम त हण करना क ठन ह ाचीन भारतीय व ध क वकास का पयव ण करन स प ट होता ह क हमार च तनmdash

पर परा म व ध वषयक अवधारणा एव व प कछ भ न प म य त ह ए ह यह व ध जो क धम का अ वभा य अग रह हmdash वय सव प र थी य क उसक धान ोत धमशा थ िजनका णयन अ त मानवी अथवा ठ मानव शि तय वारा कया गया माना जाता रहा ह इस कार क व ध क वतन म रा या ा का कोई उ लखनीय योग नह था व तत

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पा चा य व धशा ी ऑि टन क यह उि त क व ध सव च ा धकार अथवा रा य स भ क आदश ह ाचीन भारतीय व ध क म कोई वशष मह व नह रखती

162 व ध का व प mdash ाचीन भारत म धमशा ीय व ध का उ य जा क आचरण को अनशा सत करन क

साथmdashसाथ राजा क मागmdashदशन क लए नयम का वधान करना भी था साथ ह धमशा म तपा दत व ध नयम स राजा एव जा दोन आब थ िजस कार धमशा म उि ल खत व धmdash वधान का अनपालन जा क लए बा यकार होता था उसी कार राजा भी उनका पालन करन क लए बा य समझा जाता था च क ाचीन भारतीय सा ह य म धम श द का अथ पया त यापक प म मलता ह और समाज म यव थाmdash थापन क लए धम क मह वपण भ मका बतलायी गयी ह अतएव व ध को धम का एक मह वपण एव अ वभा य अग कहा गया और धम को प टत राजा क आदश क अ तगत उ प न नह माना जा सकता धमशा ीय व ध क अ त र त ाचीन भारत म व ध का एक बड़ा भाग मा य र तmdash रवाज अथवा चरका लक थाओ आ द पर भी आधा रत था िज ह आध नक न चया मक अथवा वा त वक कानन (पॉिज टव लॉ) स सब धत अवधारणा क अनसार सभवत व ध नह माना जाता अतएव ाचीन भारतीय व ध क क त आध नक व ध वषयक अवधारणा स भ न होन एव उसको ठ क स नह समझ पान क अभाव म क तपय पा चा य व धशाि य न यह आरोप लगाया ह क वा तव म ाचीन भारत म व ध का अि त व ह नह था उनक ऐसी धारणा का धान कारण यह तीत होता ह क व आध नक अथ म य त व ध (लॉ) क अि त व को ाचीन भारत म भी खोज रह थ दरअसल हमार

धमशा ीय थ म य त व ध श द और आध नक प रभा षक अथ म य त व ध श द म मलभत अ तर यह ि टगत होता ह क थम म व ध (धमशा ीय आदश या वधान) क पालन का उ य इहलौ कक स यव था कई थापना क साथ प य अथात पारलौ कक क याण क ाि त भी मह वपण ह जब क दसर म व ध (लॉ) क पालन का एकमा उ य इहलौ कक स यव था क थापना ह ह य क पा चा य व ध व तत रा क स भ क आ ा थी जब क ह द व ध व व क स भ क दसर श द म पि चमी वचारक क ि ट म कानन मानवीय हrdquo तथा ldquoसव च ा धकार अथवा रा य स भ क आदश ह जब क ाचीन भारतीय व ध यव था म राजशासन (रा या ा) का मह व अ धक नह था एक अ य कारण यह भी बतलाया गया ह क आध नक याय वद वारा वा त वक कानन अथवा न चया मक कानन एव न तक कानन क बीच कया गया वभाजन ाचीन भारतीय व धशा म प टतया उपल ध नह होता और ाय धमशा म धम नी त और व ध आ द वषय क चचा एक साथ पायी जाती ह

तथा प ाचीन भारतीय व ध क व प क स यक या या यह प ट करती ह क पा चा य याय वद वारा क गयी उपय त आलोचना अन चत ह तथा ाचीन भारतीय व ध आध नक व ध स बह त अ धक भ न नह ह ाचीन व ध क उ व क पीछ राजनी तक स ता नह होन क बावजद धम शा ीय व ध रा य क मागmdashदशनाथ अथवा रा य वारा

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वीकाय होती थी और राजा ऐसी व ध को लाग करन एव उस व ध क वरोध म आचरण करन वाल यि तय को द डत करन का काय करन म स म था ऐस भी सकत ह क आव यक होन पर राजाओ वारा भी रा या ा चा रत क जाती थी जो क कानन क ि थ त रखती थी तब ध कवल यह था क व धम क व न हो स कत यव थाकार न उस ाचीन व धmdash यव था का एक मह वपण उपादान वीकार कया ह यह भी एक मह वपण त य ह क नाग रक क बा य जीवन का य त नयमन करन क उ य स न मत ाचीन व ध धम का एक मह वपण अश थी क त उसका पयाय नह मानी गयी थी य य प इस व ध क मख ोत धमशा म धम नी त और व ध स सब धत नयम क चचा एक साथ मलती ह क त िजस वा त वक अथ म व ध क यहा चचा क जा रह ह अथात यवहार व ध (पॉिज टव लॉ) उसका उ लख शा म धानत यवहार ( यायत ) क अ तगत हआ ह िजसका याmdash वल य आ द क म तय म आचार एव ldquo ायि चत आ द स प टतया पथक प म वणन कया गया ह और उसका स ब ध सीध रा य शि त स द शत

ह दसर श द म यवहार व ध का नवहन या पालन कराना रा य का कत य होता था अत यवहार घ न ठ पण ldquoराजधम स सब धत था यवहारmdash व ध क अ तगत ह राजा एव रा य म अवि थत व भ न यायालय यायदान अथवा व भ न वषय स सब धत ववाद क नणय का काय करत थ इसी कार इन काय क स पादन म राजा एव यायदान क यव था करन वाल व वध या यक स थाए लोग क कल जा त णी जनपद आ द क धम अथात उनक पर परागत थाओ एव मा य र त रवाज को भी पया त मह व दत थ पर परागत आचार यवहार आ द शा वारा सम थत एव रा य वारा मा यता ा त होत थ अतएव उ ह कानन क ि थ त ा त थी उ लखनीय ह क आध नक व ध म भी पर परागत थाए तथा था पत रवाज अथवा मा य यवहार (यसज) रा य वारा व धपरक वीक त ा त

कर लन पर कानन का प धारण कर लत ह व तत गटल क श द म व सभी नयम कानन ह िज ह क रा य तपा दत करता ह अथवा िज ह क वह वीकत एव कायाि वत करता ह इस कार ाचीन भारतीय व ध कानन क आध नक या या क पया त नकट पह च जाती ह

163 व ध क ोत एव स हताकरण अब हम उन ोत क समी ा करग िजनस ाचीन भारत म व ध का स हताकरण

हआ ाचीन काल म व ध क अवधारणा भ न होन क कारण िजन ोत स क नयम

ादभत ह ए व आज क व धक ोत स भ न थ च क उस समय व ध यापक अथ म धम था और धम स ता पय कसी स दाय वशष का योतक नह होकर यवि थत सामािजक जीवन का एक ढग या आचरणmdashस हता था अतएव ाचीन भारत म धम क ोत ह व ध क भी ोत वीकत कय गय थ हमार ाचीन ोत म व ध अथवा धम क मख ोत त म त (धम शा ) और सदाचार बतलाय गय ह तथा इन पर परागत एव ढ ोत क

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अ त र त यदाmdashकदा राजशासन (राजा ा) व व वत प रषद क नणय को भी व ध क ोत म सि म लत कया गया ह

1631 त mdash

व ध अथवा धम क ोत म त अथात वद का थान सव थम ह य ाचीन व ध क मल और सव प र ोत बतलाय गय ह तथा अपौ षय कह जान क कारण वत माण (Self Valid) ह अथात ामा णकता क ि ट स सवा धक मह वपण थान त

अथवा वद का ह वद क वरोध म आन वाल अ य कसी माण को नह वीकार कया जा सकता था

य य प धमशा कार वारा वद को ाचीन व ध (धम) क धान ोत क प म वीकार कया गया ह क त वद म व ध स ब धी साम ी क उपल धता अ पमा ह ह

व तत वद म प ट प स धम वषयक व धयॉ नह ा त ह ती क त उनम ास गक नदश अव य पाय जात ह और काला तर क धमशा स ब धी करण क ओर सकत भी मलता ह वद म अनक ऐस थल ह जहा ववाह ववाहmdash कार प mdash कार mdash र थ लाभ स पि तmdashबटवारा ा ीधन जस व धmdash नयम क स ब ध म सकत उपल ध होत ह इसी कार ऋ वद म औरस प क मह ता क चचा आयी ह और धमस म व णत ज प का

उ लख भी व दक सा ह य म मलता ह अतएव प ट ह क काला तर म धमस एव म तय म जो व धया बतलायी गयी उनका मल व दक सा ह य म अ ण प म पाया

जाता ह क त यह भी स य ह क वद व धmdashस हता क थ नह ह वहा तो व ध स ब धी बात सग वश य mdashत आती गयी ह

1632 म त (धमशा ) mdash

ाचीन भारतीय व ध क ोत म त क बाद म तय का थान आता ह इ ह भी व ध एव शासन का मख ोत वीकार कया गया ह

पी वी काण न मन और या व य क उ रण स म तय को वद क साथ ाचीन व ध क धान ोत क प म वीकार कया ह

म त धमशा कहलाती ह और य श द दो प म य त होत रह ह अपन सक ण या सामा य अथ म म त एव धमशा का अथ एक ह ह जसा क मन का मानना ह अपन यापक अथ म धमशा वद वागमय स इतर ग थ यथाmdashपा णनी क याकरण ौत ग य एव धमस अथशा महाभारत तथा इ तहासmdashपराण क धमशा ीय करण तथा

मन या व य आ द क म तय एव अ या य ग थ स स बि धत ह जसा क आध नक धमmdashशा ी काण न माना ह व तत आजकल म त अथवा धमशा (Law Books) ाय एक पा रभा षक श द बन गया ह िजसम धमस म तया एव त स ब धी ट काओ आ द का समावश होता ह ऐसी ि थ त म मन आ द ाचीन धमशाि य वारा नद शत व ध (धम)

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क ोत म त को वतमान सदभ म धमशा क प म व ता रत एव पा त रत मान कर अ ययन कया जाना चा हए

1633 स काल mdash

धमशा सा ह य म त थ म क ि ट स धमस म तय स पहल लख गय य य प क तपय व वान व दक सा ह य स स ब होन एव व दक पर परा क अ तगत रच जान क कारण स सा ह य को व दक सा ह य का ह एक भाग मानकर चलत ह क त धमस को धमशा भी कहा जाता ह और धमशा क स ा म तय और व ध थ पर सभी कार क ट काओ व नब ध ग थ को भी द जाती ह अतएव हम जसा क ऊपर प ट कया गया ह धमस को धमशा अथवा म त सा ह य क अ तगत ह मानकर अ ययन करग धमस ाचीनतम व ध ग थ ह य लगभग 600mdash300 ई प क दौरान रच गय म य धमस कार गौतम बौधायन आप त ब व श ठ आ द ह धमस स शल म र चत ह स प त वद क अ यापन क लए आ व कत क गयी थी और इसका योजन पाठ को मरण रखन म सरलता क लए था जब अन ठान तथा न य क जीवन वषयक बात तक

को स म रखा गया तो व ध क नयम का स म तत कया जाना वाभा वक ह था इस कार स शल म तत कय गय व ध क नयम धमस कहलाय

च क धमस का स ब ध आय जा त क सद य क आचारmdash नयम स था अत आचार व धmdash नयम एव याmdashस कार क व धवत चचा करना उनका म य यय बना तथा प ऐसा तीत होता ह क इस समय कोई व ध स हता व यमान न थी धम अथात व ध क तीन ोत बतलाय गय हmdash वद वद ाताओ क म त और आचारराजा क याय करन क अ धकार को lsquo यवहार कहा गया ह और इसका धा मक क य क नयम स कोई स ब ध म था गौतम धमस क बारहव अ याय म यवहार का ववचन मलता ह इसम दसर पर आ मण उसक मानहा न और सामािजक नयम का उ लघन आ द mdash वषय का ववचन ह धमस म ववाह ववाहmdash कार प कार व या थय क क त य ऋण वामी और श य क स ब ध आ द क स ब ध म नयम उपल ध होत ह इनम दायभाग क स ब ध म भी थम बार प ट नयम बनाय गय ह

फौजदार ववाद क अ तगत इ ह ग थ म वशष प स अ य यि त पर आ मण चोर और य भचार का उ लख मलता ह दड क स ा त का इस काल म पण प स तपादन हो गया था दड राजा वारा अपराधी को दड दन क अ धकार का तीक

समझा जाता था िजस वह अपन ा मण व धव ताओ क सहायता स नधा रत करता था धमस क अ ययन स यह भी प ट होता ह क कई वषय म सब धम स कार

एकमत नह ह उनम आपस म कई बात पर मत व भ य पाया जाता ह जस गौतम बौधायन और व स ठ नयोग को वीक त दान करत ह ल कन आप त ब न उस अन चत माना ह आप त ब क अनसार पतक स पि त का उ तरा धकार य ठ प होता ह जब क बौधायन का वचार इसस भ न ह आप त ब न कसी रथवान को उपनयन स कार करन क छट नह द ह ल कन बौधायन न ऐसी अनम त द ह गौतम न ा मण को कसी अ य

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यि त वारा ऋण दर याज लन क अनम त द ह क त आपmdash त ब न इसक भ सना क ह ऐसा तीत होता ह क यह मतmdashभद पण ि थ त व ध यव था क आर भक वकास क योतक ह तथा प धमस को ाचीन व ध क आर भक ोत क प म वीकार कया जा

सकता ह य क उनम व ध क ाचीनतम व प क झलक मलती ह स काल म नि चत प स द वानी और फौजदार कानन का ारभ ि टगत होता ह तथा समाज और राजनी त स

स बि धत अनक वषय म ा मणवाद यव था का व धवत तवादन भी सवmdash थम धम स ह म हआ ह

1634 म त यगीन व ध यव था mdash

मन य क यि तगत पा रवा रक तथा सामािजक आचरण काय कलाप वचार तथा नयम आ द का तपादन करन वाल धम ग थ म म तया धान ह इनम व ध का ववचन स यवि थत प स कया गया ह धमस ग य म लख गय थ काला तर म व प यब म तय क प म वक सत ह ए इनक भाषा लौ कक ह तथा वषय व त क ि ट स म तया स स अ धक यवि थत व सग ठत ह इनम व ध क नयम अ धक कमmdashब ता तथा व तार क साथ दय गय ह

या व य म त म 20 मख म तकार का उ लख हआ ह इनम मन का थान सव प र ह बह प त कहत ह क म तकार म मन का थान पहला ह य क उ ह न अपनी म त म वद क सम भाव को अ भ य त कया ह और जो म त उनक वरोध म आती ह वह ामा णक अथवा श त नह ह मन म त को व व क ाचीन व ध स हताओ म गना जाता ह इसका रचनाकाल सामा यत 200 ई प स 200 ई क बीच माना गया ह मन क अनसार धम अथवा यवहार क चार ोत वद म त श ट प ष क आचार और आ मति ट ( यि त क सहज वि त) ह मन थम यव थाकार एव व ध थ िज ह न पहल बार व ध का ववचन 18 शीषक म कया ह य हmdash(1) ऋणादान (2) न प (अमानत या धरोहर) (3) अ वा म व म (4) स भय सम थान (साझदार एव त स ब धी ववाद) (5) द त यानपाकम (दान क स पि त वापस ल लना) (6) वतनादान (वतन या मजदर न दना) (7) स वद यि त म (स वदा क अवमानना) (8) यmdash व य ववाद (9) वामी सवक ववाद (10) सीमा ववाद (11) द ड पा य (मारपीट) (12) वा पा य

( म यादोष या मानहा न) (13) तय (चोर ) (14) साहस (डकती व लट) (15) ीस हण ( य भचार) (16) प तmdashप नी धम (17) दाय भाग (पतक स पि त का उ तरा धकार व वभाजन और (18) यतसमा वय जआखोर व दाव लगाना इस कार मन न ववाद को 18 वग म समट कर यवहार प त को नई दशा द ह इसस ववाद का वग करण करत ह ए यवहार व ध या न तक व ध ( स वल लॉ) तथा अपराध (फौजदार ) व ध को भी प टत वभािजत कया जा सका मन क बाद क म तकार तथा अथशा म कौ ट य न भी ववाद (अपराध) का वग करण इसी आधार पर कया ह य य प उनम अनक थल पर भ नता दखायी दती ह तो भी परखा मानद ड एव यवहार णाल मन क अन प ह ह

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क तपय यवहार शीषक म प रवतन एव कछ भ नता तथा अपराध क य ठता व ग ता म प रवतन शीलता ह भी तो उसक लए दश काल और प रि थ तया ह उ तरदायी मानी जा सकती ह मन न दड यव था क अ तगत चतावनी दना कठोर भ सना अथ दड शार रक दड दश नवासन और ाण दड का वधान कया ह उसन वणभद क आधार पर अपराध को कम या अ धक दड दन का भी वधान कया ह

यायाव य म त को अ य त मह वपण व ध थ माना जाता ह यह लगभग 100 ई स 300 ई क म य रची गयी मन म त क बाद ाचीन भारतीय व ध का यवि थत प स ववरण तत करन वाल म त या व य म त ह इसम मन क साम ी को स त और मब प म तत कया गया ह तथा प कई सग म यह मन म त स अ धक ग तशील तीत होती ह मन स भ न यह म त आचारा याय यवहारा याय और ायि च ता याय नामक तीन भाग म यवि थत ह िजनम स वतीय भाग ( यवहारा याय) पणतया ाचीन भारतीय व ध क ावधान स स ब ध रखत ह ववाद का वग करण अपराध व द ड व ध याय व ध सा य व ध आ द का समायोजन इसम व यमान ह या व य न मन वारा न द ठ ववाद क 18 कार म अ यप याश षा (सवक वारा सवा काय क अवहलना) एव क णक नाम स दो अ त र त ववाद का उ लख कया ह

या व य न यवहार को प रभा षत करत ह ए लखा ह क य द कोई यि त कानन और था क व कसी यि त को हा न पह चाए और वह राजा स उसक व शकायत कर तो

वह यवहार का वषय हो जाता ह दाय भाग व ध क स ब ध म भी या व य क कई यव थाय नवीन एव यि त सगत मानी गयी जस उसन मन क य ठ प को वशषा धकार क थान पर सभी प म सम वभाग को उ चत माना इसी कार वह थम यव थाकार था िजसन प ी को पता क स पि त का दाया धकार घो षत कया व तत या व य मौ लक वचारक एव व धव ता थ उनक म त और उस पर व ान वर वारा र चत मता रा ट का दोन मलकर ाचीन स वल (द वानी) व ध क आधारmdashभत साम ी तत करती ह

व ध क ि ट स व ण म त भी उ लखनीय ह उतरा धकार सम या क ववचन म यह थ काननी च तन क वक सत अव था का प रचय दता ह ह द व ध क दाय भाग शाखा म व ण म त का ाचीन भारतीय व ध का अ य त ह मह वपण ोत माना गया ह य mdash क जीमतवाहन न अपन दायभाग म इस म त को आधार मानकर क तपय थल पर मता रा स मतभद उपि थत करन का यास कया ह ो काण न इसका रचना काल भी 100 mdash 300 ई क म य नधा रत कया ह पराशर म त को भी ाचीन भारतीय व ध क लए उपयोगी माना गया ह व ान वर म त चि का अपराक आ द न पराशर म त को उ घत ह डॉ य सी सरकार न इस म त को या व य म त क बाद माना ह

परवत म तय म नारद बह प त एव का यायन आ द क म तया मह वपण ह इ ह पणतया वधा नक म तया कहा गया ह मन और या व य क म तय म ायि चत और आचार क यव था अ धक ह इन यव थाओ को आध नक ि ट स व ध नह कहा जा सकता य सी सरकार न सामा यतया नारद बह प त और का यायन का समय 400 ई

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स 700 ई क म य का माना ह इसस प ट ह क डॉ सरकार नारद म त को 400 ई स पव क रचना मानन क प म नह ह जब क ो काण न इस 100 mdash 400 ई क बीच र चत माना ह डॉ जॉल क अनसार नारद म त क रचना 400 ई और 500 ई क म य क ह धमशा ी काण क मत म बह प त म त 400 mdash 600 ई क लगभग रची गयी नारद म त अपन स पण प म उपल ध ह न चय ह उनक यह रचना व ध क म मह वपण थान रखती ह इसम वशषत यवहार स ब धी बात का ह ववचन कया गया ह याय स ब धी व ध ( यवहार मातका) और याय स ब धी सभा (प रष ) पर व तत वणन ह तथा मन का अनसरण करत ह ए व ध क 18 करण ( ववाद ) का भी उ लख हआ ह नारद न ऋण स ब धी कानन का व तार स उ लख कया ह नारद क नयम पहल क धमशा कार क अप ा अ धक स यवि थत ह

य य प यवहार आ द पर बह प त म त क मल त अभी तक अनपल ध ह तथा प व भ न करण स स बि धत इसक उ रण मता रा दायभाग म त च का आ द व वध थ म ा त होत ह िज ह सक लत एव स पा दत करन का मह वपण काय क वी रगा वामी आयगर न कया ह बह प त क यह रचना व ध क इ तहास म एक नय यग क प रचालक ह इसम उ ह न मन क अन प 18 ख ड या शीषक क अ तगत व ध का स व तार ववचन कया ह िजनम स धन स ब धी ( स वल) ववाद को 14 शीषक म तथा हसा मक यवहार (अपराध व ध) को चार पद म वभािजत कया ह इसका अथ ह क बह प त न द वानी कानन को फौजदार कानन स पहल बार अलग कया धमशा काण क अनसार भी यह म त एक अनोखी म त ह इसम यवहार स ब धी स ा त एव प रभाषाय बड़ ह स दर ढग स लखी ह ई ह बह प त न यवहार क सभी व धय क व धवत यव था क ह और इस कार व आध नक याय णाल क बह त समीप आ जात ह अ त बह प त म त ह द व ध का स यवि थत व वक सत व प तत करन क कारण ाचीन भारतीय व ध क म अ य त ह मह वपण ह

बह प त म त क बाद का यायन म त का काल आता ह यह म त भी अभी तक मल प म अ ा य ह कवल इसक उ रण ह परवत म तय ट काओ एव नब धmdash

थ म ा त होत ह िज ह का यायन म त सारो ार नाम स सक लत व स पा दत करन का पनीत काय आध नक धमशा ी महामहोपा याय काण न कया ह का यायन एक ऐस म तकार ह िजनक उ रण को ाय अनक या याकार न न ववाद प स उ त कया ह

का यायन म त क यवहार ख ड स ब धी उ रण को दखन स ऐसा कट होता ह क वह वश प स स वल व ध का थ ह यायmdash या का ववचन भी इसम हआ ह का यायन न ीधन पर जो कछ लखा ह वह उनक यवहारmdashस ब धी कशलता का प रचय दता ह और वभाग (बटवारा) क वषय म तो का यायन क वचन अस द ध प स सभी को मा य ह नसदह ाचीन भारतीय व ध क ोत क प म का यायन म त का अपना व श ट थान ह

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इन उपय त मख म तय क अ त र त और भी म तया ह जो ाचीन व ध क वषय स स बि धत होन क कारण ाचीन भारतीय व ध क वकास म उपयोगी कह जा सकती ह क त इन म तय म ाचीन भारतीय व ध क म कोई व श ट एव मह वपण साम ी नह ा त होती अत इ ह ाचीन भारतीय व ध क ोत क प म वह थान नह दया जा सकता जो पव त म तय को ा त ह य वस म तय क कल स या 72 कह गयी ह और माना गया ह क इनका रचना काय लगभग 1000 ई तक होता रहा

इस कार प ट ह क म तया ाचीन भारतीय व ध क आधार ह व न कवल अप ाकत एक वक सत समाज क आव यकताओ क अन प व ध दान करती ह वरन आध नक ह द व धशा क मल त य क भी परखा तयार करती ह आध नक व ध शा ी डा एफ गना न म त को ाचीन व ध क धान ोत क प म वीकार कया ह अतएव कहा जा सकता ह क ाचीन भारतीय व ध क स हताकरण क ि ट स म त काल व णम यग था

1635 सदाचार ( श ट जन क आचरण एव पर पराय)

सदाचार को भी ाचीन काल म व ध क एक ोत क प म मा यता द गयी थी हार त न सदाचार क प रभाषा इस कार क हmdash सत का अथ ह साध (अ छा) और साध लोग व ह जो ीणmdashदोष (अन तक कम र हत ह ऐस लोग क आचरण सदाचार कह जात ह जहा पर वद या म त स ाचीन भारतीय व ध क कसी वषय पर ान नह हो पाता वहा वद म पारगत साध प ष क आधार स नदशन ा त कया जाना चा हए व श ठ धमस क अनसार भी त और म त क अ ाि त क ि थ त म श टजन क आचार को ाचीन भारतीय व ध म माण माना गया ह आध नक व वान डॉ गगानाथ झा और पीवी काण न सदाचार को ह दश जा त और कल क च र अथात मा य नयम एव पर पराय तथा श ट क आचरण माना ह य द व तmdash म त क व न हो मन म त क अनसार भी पर परा स चल आ रह व वध कार क आचार को सदाचार क स ा द गयी ह और पर परागत थाओ क अनकरण को य कर बतलाया ह मन म त क अनसार ह धम राजा को चा हए क वह कल जा तय जनपद णय आ द क धम अथात पर पराओ या र तय या नयम क जानकार सावधानी स कर और उ ह उ चत स मान व थान दान कर परवत म तकार का यायन क अनसार भी राजा को उन सभी थाओ (सदाचार) को जो वद और म तय क व न ह लखवाकर अपनी महर लगा दनी चा हए डॉ यसी सरकार क अनसार भी ाचीन भारतीय व ध का आधार यहा क लोग क पर पराय एव थाय रह ह िजनको मा यता दय जान स व ध और यवहार का पया त वकास हआ और उनको अ धक प ट तथा व तत कया जा सका

1636 राजशासन

ाचीन भारतीय व ध क म राजशासन क मह व को यथो चत थान नह दया गया ह जब क शासक वारा जार कय गय आदश व शासन भी ाचीन काल म व ध क

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मह वपण ोत थ हमार धम थ वशषतया ार भक धमशा म राजशासन (रा या ा) व ध क ोत क प म व णत नह ह सभवत इस लए क राजशि त पया त सग ठत एव वक सत होकर भल भा त था पत नह हो पायी थी ल कन य mdash य एकरा अथात एक छ सा ा य क अवधारणा क अन प राजशि त का वकास हआ तो रा या ा भी व ध का एक मह वपण ोत मानी जान लगा कौ ट य न पहल बार राजशासन को व ध का मह वपण

ोत बताया अथशा म बह त स ऐस व धmdash नयम दय गय ह जो प ट प स शासन ह स ाट अशोक स भी अपन शलालख वारा अनक राजक य आ ाय चा रत कया जाना ात होता ह आग चलकर परवत म तकार यथा नारद बह प त का यायन आ द न भी

को ट य क मा यता को वीकारत ह ए व ध क म राजशासन क मह ता को था पत कया ह सारत कहा जा सकता ह क ाचीन भारत म व ध का वकास कसी एक ोत स नह हआ उसम अनक ोत का योगदान रहा िजनम त को ाचीनता एव ठ मान जान क पर परा क कारण सव प र थान दया गया य य प वद व ध ग थ नह ह ाचीन व ध क वकास एव स हताकरण क ि ट स धमस एव म तया (धमशा साम य) सवा धक मह वपण तीत होती ह व ध नमाण म राजशासन का अप त योगदान नह रहा ाचीन यव थाकार न ल ब समय तक उस कानन का ोत नह माना कौ ट य ह थम यव थाकार था िजसन यवहार एव राजा ा को भी कानन को ोत क प म मा यता द व ध क ोत क प म राजशासन क महती भ मका नह होन क कारण ह ाचीन भारत म रा य वारा कोई व ध स हता काश म नह लायी जा सक यह काय हमार यहा व ध व ता एव धमशा यव थाकार वारा कया गया

164 अ यासाथ न 1 ाचीन भारतीय व ध क व प का वणन क िजए (150 श द) 2 व ध क मख ोत कौनmdashकौन स ह (250 श द) 3 म तकाल म व ध का पण वकास हआ व उस स हता ब कया गया ववचना

क िजए (500 श द)

165 ास गक पठनीय थ mdash 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 घोषाल य एन ए ह आव पो ल टकल आइ डयाज 3 मजमदार र च ाचीन भारत म सग ठत जीवन 4 शमा आर एस ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए 5 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोइ टयर जयपर

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इकाई स 17 धमशा म राजनी तक वचार

इकाई क परखा 170 उ य 171 तावना 172 धमशा एव उनका व य वषय 173 धमशा ीय राजनी तक चतन

1731 राजपद क उ पि त 1732 राजा क गण दा य व आ द 1733 रा य क सात अग 1734 म प रषद 1735 अ य कमचार गण 1736 रा (जन एव जनपद) 1737 दग 1738 स य यव था 1739 यायदान 17310 आयmdash यय क साधन 17311 पररा नी त

174 उपसहार 175 अ यासाथ न 176 ास गक पठनीय थ

170 उ य तत इकाई क बाद आप न न ल खत स प र चत हो सकगmdash

धमशा या ह व उनका व य वषय या ह धमशा क राजनी तक वचार या ह धमशा का यायदान कस कार का था

धमशा म राजनी तक वचार 171 तावना

धमशा व ग थ ह जो वद क आधार पर धम क या या करत ह और ामा णकता म वद (व त) क प चात थान पात ह सामा यत इन ग थ को म त नाम स जाना जाता ह क त यवहारत अथवा अपन यापक अथ म यह धमस म त उनक ट काओ तथा इनको आधार बनाकर लख गय नब ध ग थ का प रचायक ह धमशा ीय थ उन

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ऋ षmdashम नय या धम यव थाकार वारा स चत मान जात ह जो वद क मम थ भारतीय पर परा म वद ( त) को शा वत अथवा अपौ षय माना गया ह अत व वत माण ह और म त आ द क माणता वदमलक होन स ह ह इस लए इ ह वद क बाद

धमmdash माण माना गया ह

172 धमशा एव उनका व य वषय mdash धमmdashशा का तपा य वषय धम ह धम स व म तय म वण आ म

प रि थ त काल एव यग क अनसार मन य धम क व तत या या क गई ह व तत हमार ाचीन स कत सा ह य म धम श द का योग करण व सगानसार कई अथ म हआ ह वहा धम श द ध धात स बना ह िजसका अथ ह धारण करना आल बन दना व दक सा ह य म धम श द कह धा मक या स कार क प म य त हआ ह तो कह नि चत यव था का आचारणmdash नयम क अथ म धम क धारणा म समयानसा प रवतन होता रहा ह धमशा म मात धम धम क ववचना मलती ह मात धम म उन वषय का समावश था जो वणा म स स बि धत ह और िजनका म तय म वशष प स वणन हआ ह व आचार यवहार एव ायि चत शीषका तगत वषयmdash ववचन करती ह मन म त क ट काकार मधा त थ क अनसार म तय म धम क पाच व प बताय हmdash 1 वण धम 2 आ म धम 3 वणा म धम 4 न मि तक धम (यथा ायि चत) 5 गण धम (आर िजक राजा क सर ण स ब धी कत य) अ य व ( मता रा म) धम क 6 भद इस कार बतलाय गय हmdashवण धम आ म धम वणा म धम गण धम (यथा राजा को जा क र ा करनी चा हए) न मि तक धम (यथाmdash न ष काय करन पर ायि चत करना) साधारण धम (जो सबक लए समान प स लाग ह जस अ हसा एव अ य सदाचरण क बात) इस कार धम शा म िजस धम का ववचन मलता ह वह कोई सक ण धारणा न होकर एक यापक वचार ह जो मन य क सम त जीवन को पश करता ह आध नक धमशा डॉ काण क अनसार धमशा म धम श द मानव क वशषा धकार क त य ब धन का योतक आय जा त क सद य क आचारmdash व ध का प रचायक एव वणा म धम का घोतक हो गया वहा धम कसी स दाय वशष या मत का योतक नह वरन वह सम त जीवन क आचरणmdashस हता ह इसको आध नक काल क धम तथा कसी वदशी भाषा यथा अ जी क र लजन क साथ समीकत कया जाना सह नह ह य क आध नक धम या र लजन कसी मानव क मा यताओ और पजा आराधना क ढग का नाम ह इनस धम का उपय त यापक अथ प ट नह होता धमशा क व यmdash वषय का स त उ लख इस कार कया जा सकता

हmdash वण उनक क त य उ तरदा य व एव वशषा धकार चार आ म क ववचना सभी स कार (गभाधान स अ यि ट तक शौचmdashअशौच भ याभ य दान ा राज धम करारोपण वा म व यवहार यवहार क 18 करण (पद) दायभाग प कार ीधम नयोग ायि चत आ द

1 त त वद वझयो धमशा य त व म त (मन 21)

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धमशा सा ह य पया त व तत ह िजसम म यत धम स म तय उन पर लख गय भा य और धमशा ीय नब धmdash ग थ का समावश होता ह म य धमmdashस कार गौतम बौधायन आप त ब व श ठ आ द ह धमस स शल म र चत ह और सामा यत इनका रचना काल 600 ई प स 200 ई प क बीच माना जाता ह म तय म मख हmdash मन म त या व य म त व ण म त अ म त ह रत म त यास म त पाराशर म त नारद म त बह प त म त का यायन म त शख म त ल खत म त द म त

आ द इनम भी सवा धक मा णक एव ाचीन मन म त ह िजसका रचना काल 200 ई प स 200 ई क बीच माना गया ह या व वय म त इसक बाद क ह य कल म तय क स या बह त अ धक ह और माना गया ह क इनका रचना काय लगभग 1000 ई तक होता रहा भा यकार एव नब धकार म उ लखनीय हmdash मन म त क ट काकार म घा त थ एव क लक भ या व य म त क ट काकार व व प अपराक एव व ान वर नारद म त क ट काकार असहाय गौतम आप त ब आ द क भा यकार हरद त पाराशर म त क ट काकार मा वाचाय तथा दाय भाग नामक नब ध थ क लखक जीमतवाहन म त चि का क लखक दवण भ आ द य सभी पव म यकाल म ह ए मान जात ह

जसा क प ट कया जा चका ह हमार ाचीन धम ग थ म धम श द व भ न सग व करणानसार अनक अथ म य त हआ ह उसका व प यापक था िजसम जा त

दश काल एव प रि थ तय क अनसार प रवतन दखायी पड़ता ह धमशा म त पा दत धम म यत दो मख को टय म वभािजत कया जा सकता ह (अ) सामा य अथवा साधारण धम एव (ब) वशष धम सामा य धम सभी वग एव आ म क लोग क लए समान प स न द ट ह िजसक अ तगत सदाचार एव न तकता क मख गण यथाmdashस य अ हसा बड क सवा व स मान अ त थ सवा मा दान एव शौच आ द का समावश कया गया ह वशष धम क अ तगत व भ न वण आ म दश काल प रि थ तय आ द क लए व श ट आचार तथा न तक दा य व नधा रत कय गय ह अतएव इसम वण धम गणधम न मि तक धम यग धम आ म धम आपद धम आ द को गनाया जा सकता ह हमारा ववव वषय राजधम (राजा क लए नधा रत धम) इस कारण धमशा म च चत हआ ह

173 धमशा ीय राजनी तक च तन mdash धमशा ीय सा ह य म धमस क अ तगत राजनी तक वचार इधरmdashउधर छटmdashपट

प म बखर ह ए उपल ध होत ह जब क म तय म इनका उ लख अ धक व तार स द डनी त या राजधम करण अथवा यवहारmdash ववचन क अ तगत मलता ह वहा धम क धारणा क लए समाज मख होन क नात राजा अ य त मह वपण यि त माना गया ह मन न राजा को धम का तपालक और रक कहा ह वह जा को धम म ि थर रखकर जा का क याण करता ह मरणीय ह क यहा धमपद सक चत अथ म य त नह हआ ह यह एक यापक अथ म ह इसम ससार का यथाथ स य राज नयम का पालन न तकता क र ा लोक याण क भावना आ द सभी त व का समावश ह धम क पालनहार क ि ट स

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राजा का मह व अ यत साधारण ह और इस ि ट स ह धमशा क थो म राजधम का ववरण आता ह 1

1731 राजपद क उ पि त mdash

धमशा ीय थो वशषत म तय म स था एव राजा क दवी उ पि त क स ा त को मा यता द गयी ह जब राजा अथवा शासन क अभाव म मानव एकmdashदसर क कारण स त होन लग तब भय व त जन समाज क र ा क लए ई वर न राजा क सि ट क 2 राजा को सहा य दन क लए द ड क उ पि त ह ई द ड ई वर का प ह यह सब ा णय का र ण करन वाला और मतज स य त रहता ह 3 या व य क मतानसार मा न द ड क प म धम का ह नमाण कया ह 4 गौतम न द ड श द क य पि त दम

धात स क ह द डी दमना द याह तनादा तान दमयत उसक मत स द ड अदा त जो उ त होत ह ऐस लोग का दमन करन वाला होता ह अराजकता क ि थ त म दश यापी आमल चल अ यव था का वणन करत ह ए मन न लखा ह क य द राजा अथवा त णीत द ड न हो तो सभी मयादाय छ नmdash भ न हो जाए वण यव था द षत हो जाय और फल व प समाज उ छखल हो जाए य क मानवmdash क त जो समाजmdash क त क एक इकाई ह वभावत न नगा मनी ह 5 अराजकताmdashअथवा मा य याय क ि थ त स उ प न नकट सामािजक अ यव था क नवारणाथ द ड एव द ड घर आव यक ह य क द ड जा पर शासन करता ह वह जाजन क र ा करता ह सबक सोन पर द ड ह जागता रहता ह

अत व वान लोग द ड को ह धम कहत ह 6 पर त द ड क यव था स यक होनी चा हए दोषी यि त को दश काल शि त और व या का वचार करक द ड दना चा हए

1732 राजा क गण दा य व आ द mdash धम स एव म तकार न राजा क गण क त य और दनचया का वशष वणन

कया ह धमस म राजा को आकषक चहर पर म कान एव नभयी होना आव यक माना ह म तय म राजा को दवी गण स य त होना अप त था धम शा mdash व हत चातव य यव था क अनसार रा क र ा का दा य व य को सोपा गया था अत एव राजा को मख य होना आव यक था मन न राजा क लए वनीत होना ज र मानत ह ए कहा ह क वनीता मा राजा का कसी समय नाश नह होता 1 वनय क श ा क साथ राजा क लए

1 तलनीय याझव य म तmdashआचार अ याय 13 राजधम करणम 2 ट यmdashमन म त 73 3 मन म त 3 717 4 या य म त 2354 5 मन म त 721 mdash 24 6 वह 718

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उपयोगीमाना गया था राजा क लए इि यजयी होना भी आव यक बतलाया गया था ता क वह काम ोध मद लोभ आ द दगण एव उनस उ प न यसन स र हत हो सक या व य क अनसार राजा को उ साह कत वनयी सवाभावी स यवाद म तवान धा मक अ यसनी आ म व या एव राज व या म नपण तथा लाभ क उपाय का ाता आ द होना चा हए 2 म तय क अनसार यसनी मढम त ल ध वषयास त और अस कत राजा द ड का उ चत उपयोग जानन म असमथ होता ह इस कार क राजा न य द द ड का उपयोग कया तो वह रा य स हत वनाश को ा त होता ह

धमशा म राजा को तजोद त यि त होना बतलाया गया ह य क इ यम सय अि न व ण वाय च मा और कबरmdashइन सभी दव क तज क मा ाओ स राजा क उ पि त ह ई इन तज प ज दवताओ क अश स न मत होन क कारण राजा को तजो टया सवभता भ भावी माना गया ह 3 राजा को उ त आठ दवताओ क अश स व न मत मानन क पीछ सभवत यह भावना काम करती रह ह क राजा म इन दवताओ क आठ धान गण क अन प गण होन चा हए राजा म उपय त ठ एव दवी गण स य त होन क पीछ शायद एक अ य कारण यह भी ि टगत होता ह क लोग राजा को ठ समझत ह ए उसक आ ापालन को सव प र मान दसर श द म राजा क दवी उ प त अथवा अलौ कक गण स य त होन क स ा त क तपादन क वारा म तकार न इस बात पर बल दया ह क राजा का चाह वह बालक ह य न हो अवमानना या तर कार नह कया जाना चा हय

मन म त म राजा क य त दनचया का व तार स वणन उपल ध होता ह या वल य भी राजा क दनचया का उ लख करत ह क त उ ह न ाय मन का अनसरण कया ह धमशा म कहा गया ह क राजा को अपनी ओर जा क र ा म सतत जाग क रहना चा हए उसको दग म वशष प स पवतीय दग म नवास करना चा हए शभ ल ण वाल सजातीय क या स ववाह करना चा हए वणा म यव था का पालन तथा र ण करना

य राजा का सव ठ धम एव जा क धम अथ और काम प वग क अ भव उसका मख आदश बतलाया गया ह धमशा म राजा क लए व हत अ ट वध कम भी न द ट

ह उशनस क मतानसार आदान वसग ष नषध अथवचन यवहार ण द ड और श य राजा क अ ट वध कम होत ह मन वारा न द ट अ ट वध कम क या या क लक भ न इस कार क हmdash कर हण करना पर कार और दान दना म य एव रा य कमचा रय को आ ा दना अन चत काय का नषध करना स द ध वषय म नणय दना यवहारmdash नणय उ चत द ड क यव था करना तथा ायि चत करना

1 वह 739 2 याव य म त आचार अ याय 30 mdash 9 ndash 11 3 तलनीय मन म त 7mdash4mdash5 एव ट य 596 भी

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1733 रा य क सात अग mdash

राजस था क आधारभत त व यथा शासक शा सत शासनmdashसाधन और शासन सहायक mdashको म तकार न रा य क सात अग क प म न पत कया ह इन सात अग का उ लख मन म त म इस कार हmdash वामी अमा य पर रा कोश दड एव सह ( म ) राजगण इन सात अग का उ लख मन म त क अलावा या व य म त व ण म त आ द म भी मलता ह इन अग म राजा क लए य त वामी श द रा य क सदभ म उसक वा म व क त य पर बल दता ह िजसस सक तत ह क रा य पर राजा का पण व व होता था और रा य को म यत राजा स अ भ न समझा जाता था

1734 म प रषद

रा य का दसरा अग अमा य बतलाया गया ह जो म ी प रष का सचक ह अमा य अथवा म य क प रष ाचीन काल म एक भावशाल राजनी तक स था थी िजसका राजा क नी तय व काय पर तथा रा य क शासन पर पया त नय ण होता था धमशा क अनसार च क राजा अकला शासन क भार को नह सभाल सकता अत वह सहायक क नयि त करता ह मन न इनको स चव कहा ह और या व य न म ी मन न इनक गण क चचा करत ह ए कहा ह क व कल मागत होन चा हए मख अमा य का पद अ य म य क तलना म ऊचा और अ धक मह व का था य क वह राजा क बह त नकट रहन वाला खता था अमा य म अमा स ता पय समीप होन वाल स ह

राजा क स ब ध म कहा गया ह क वह सभी मह वपण वषय पर म य स म णा कर म य क लए व भ न वभाग क अ य ता क आदश म तकार न दय ह जसmdashय आ त रक सर ा व शा त कर हण दान खान सावज नक नमाण पररा स ब ध आ द रा और कोष को राजा सीध अपन अधीन रख

1735 अ य कमचार गण mdash

शासनmdashसचालन हत मन क व भ न अ धका रय व कमचा रय क नयि त का परामश दया ह य कमचार ईमानदार उपधा वश च र वान ब मान यवहार म नपण और अपन काय म कशल होन चा हए सरकार कमचा रय को य त और वभागा य का महामा कहा गया ह ग तचर क नयि त करना भी राजा का आव यक काय बतलाया गया ह िजसस उनक उपयो गता का अनमान कया जा सकता ह य ा ण ध या ग तचर पाच कार कmdashकाप टक उदाि थत गहप त तापस एव वद हक बताय गय ह इन ग तचर क

सहायता स ह राजा दश क कोनmdashकोन म ि ट रखन म समथ होता ह अत वह द घ च ष कहा जाता ह इस पा जवगक ण धजन क सहायता स राजा तप ीय राजा क और अपन अमा य आ द म जन क नह ोध वषा द भावनाओ को जानन म समथ होता ह

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1736 रा (जन एव जनपद) mdash

रा य क तीसर अग रा को म तय म दश क प म व णत कया ह रा अथवा दश स मन का अ भ ाय प टत जन और जनपद दोन स था उसक मतानसार रा को जा गल (समतल और उपजाऊ) स य स प न और आयजन स या त मा ल य र हत र य वनत साम त जन (अधीन थ मा ड लक गण) स य त और जी वका क सचा साधन स समि वत होना चा हए कौ ट य वारा न द ट जनपदmdashसप अथवा जनपद क आव यक गण इसस तलनीय ह ाम शासन ब ध क वषय म व ण म त म भी अ छा ववरण उपल ध होता ह आप त ब धमस म कहा गया ह क ाम एव नगर मख को कल न स य न ठ एव व छ (श ) होना चा हए

शासन यव था क ि ट स रा (रा य) क अनक म वभाजन क भी यव था दखायी पड़ती ह रा क पर और ाम य दो म य वभाग थ पर क नवासी पौर और ाम क नवासी जानपद कह गय मन म त म एक ाम दस ाम बीस ाम सौ ाम

एक हजार ाम इस कार स सगठन क यव था उपल ध होती ह इनक अ य मश ा मक दश ा मक वशती शती और सह ा धप कह गय ह पर या नगर क अ धकार को

सवाथ च तक कहा गया ह

1737 दग mdash

चतथ रा याग को मन न पर अथवा दग कहा ह सभवत नगर (पर) क थापना दग क प म होती थी वशषत रा क राजधानी वाला नगर दग अथवा कल क प म न मत होता था एव सर ा क सम त साधन स स प न भी य य प पर रा का ह भाग था तथा प रा य क राजनी तक एव सा क तक जीवन म अपन व श ट थान (यथा राजधानी आ द) क कारण इस पथक सम लख ा त हआ ह मन न दग नमाण क सग म 6 कार क दगmdashध व दग (रतीला दश म ि थत) मह दग जल दग वा दग (व स घरा हआ) नदग ग रदग आ द का उ लख कया ह उसन उनम स ग रदग को सव ठ बतलाया ह दग क सि नवश एव उस साम ीmdashस प न करन क स ब ध म मन न लखा ह क उस आयध स भरपर धनmdash धा य वाहन य यवस जल आ द स स प न तथा ा मण स और शि पय स आवा सत होना चा हए राजा का अपना भवन ( साद) दग क बीच mdashबीच सर त थान पर होना चा हए ऐसा मानना था क दग का आ य लन स एक धनधार 100

आ मणका रय स और 10 धनधार 1000 आ मणका रय क साथ सफलता स य कर सकत ह एव उनको रोक सकत ह

1738 स य यव था mdash

रा याग म उि ल खत दड का स ब ध धमशा क अ य स सना एव याय दोन स हो सकता ह म तय म स यबल क स ब ध म कम तथा याय यव था क वषय

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म अ धक चचा उपल ध होती ह द ड अथवा बल अथात सना क स ब ध म मन का नदश ह क राजा को अपनी सना सदा तयार रखनी चा हए और उस अपना शि तmdash दशन करत रहना चा हए राजा को विजगीष ( वजयका इ छक) बन रहन का नदश म तय म दया गया ह और यह भी कहा गया ह क राज य पर य व का घोतक ह अत राजा को व वध आयध क योग म कशल एव सना क सचालन म नपण होना आव यक था धमशा म सना को चार अग mdashरथ अ व गज और पदा त म बाटा गया ह मन म त म ष वध बल का उ लख भी मलता ह क त इसक वषय म व तार स नह बताया गया ह

1739 यायदान

म तय म याय करना राजा का परम धम बतलाया गया ह द ड का यायपण योग कर राजा क त को ा त करता ह द ड क अभाव म मयादाय छ नmdash भ न हो जाती

ह और जा म असतोष उ प न होता ह या व य म त म द ड पाच कार क बतलाय गय ह यथाmdash ध द ड वा द ड धनद ड नवासन और ाण द ड अपराध क अनसार सोच समझकर द ड दना चा हए धमशा म याय क यव था को यवहार कहा गया ह मन न मख ववाद का ववचन 18 शीषक क अ तगत कया ह तथा (1) ऋणदान (2) न प (धरोहर को न लोटाना) (3) अ वा म व म ( कसी अ य क व त को बच लना) (4) सभय सम थान (साम हक प स मल कर मारपीट करना) (5) द त य अनपकम (दान म द गयी व त को वा पस लना) (6) वतन य अदानम (वतन न दना या नधा रत वतन स कम दना) (7) य व यानशय खर द बच क झगड़ (8) स व यि त म (समझौता या त ा का पालन न करना) (9) वा मपाल ववाद (पश वा मय एव पशपालक क झगड़) (10) सीमा ववाद (11) वा या य (गाल mdashगलौच करना) (12) द डपा य (मारपीट करना) (13) तय (चोर ) (14) साहस (डाका डालना) (15) ी स हण (पर ी का अपहरण या य भचार) (16)

ीपधम ( ीmdashप ष या प तmdashप नी स बि धत ववाद) (17) वभाग (पतक स प त का बटवारा) (18) यतसमा य (जए स ब धी झगड़)

म तय म कहा गया ह क याय करन क लए राजा वशष याया धकार नय त करता ह जो धम एव व ध क अनसार याय करत ह अ भयोग क स क लए सा य तीन कार क बताय गय हmdash मौ खक ल खत एव दवी भि त एक मह वपण माना गया ह य द कोई यि त 10 वष तक कसी व त का भोग करता ह तो म य म कसी क आपि त न होन पर वह उसका वामी माना जाता ह या व य म त म चार कार क यायालय का वणन मलता हmdash (1) याय सभा या धमसभा इसम राजा या उसक वारा नय त यायाधीश ववाद का नणय करत ह (2) पग (3) णी (4) कल य तीन कार क यायालय एक कार क याय पचायत थी जो अपनmdashअपन म चरका लक थाओ व

लोक पर पराओ क अनसार याय करती थी मन म त म भी कल धम णीधाम गणधम जा त धम दशधम आ द को यवहार क नणय म मा यता द ह तथा राजा को इनका र क माना ह

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याय क यव था म म तकार न ा मण क त प पात कया ह ा मण को वशष अ धकार ा त ह व बड़ अपराध करन पर भी द ड स बाहर मान गय ह जब क श को छोट अपराध करन पर भी कठोर द ड का भागी माना गया ह तथा प मन क अप ा या व य न श क त उदार ि टकोण अपनाया ह धमशा म व ध एव याय यव था क स ब ध म व तत ववचन मलता ह व तत व हमार ाचीन व ध थ ह

17310 आयmdash यय क साधन mdash

धमशा म च चत रा य क स ताग म स कोश का स ब ध रा य क राज व यव था स था रा य क काय धन क बना पर नह होत अत धमशा न भी कर क वारा राजक य आय क स ा त का तपादन कया था गौतम धमस क अनसार जा क

उपज का छठा भाग राजा उनक सर ा क बदल म ा त करता ह पशपालक याज पर धन उधार दन वाल आ द क लए यह दर पाचवा भाग वा षक तथा यापा रक व तओ स दसवा भाग कर क प म लए जान का उ लख धम स म मलता ह म तय म भी राजा वारा लय जान करो क व भ न दर का उ लख मलता ह क ष क उपज स यापा रक व तओ स व य व तओ स ख नज व तओ क उ पादन स लए जान वाल कर क दर अलगmdashअलग नधा रत क गयी ह इसक अलावा राजक य आय क अ य साधन भी थmdash ब ल श क अथद ड आ द वशष अवसर पर राजकोष क लए ा त कया जान वाला और भट म ा त धन ब ल था यापा रय स ा त लाभाश श क था तथा अपरा धय स ा त अथ द ड भी राजकोष म जमा होत थ धमस एव म तय क अनसार ा मण व याथ असमथ यि त आ द कर म त होत थ धमशा म करारोपण स ब धी नयम भी उपल ध होत ह उदाहरणाथ मन का कथन ह क राजा को जा स थोड़ाmdash थोड़ा करक वा षक कर लना चा हए अ धक कर लन स जा का नाश होता ह और न लन स राजा का वनाश होता ह

17311 पररा नी त mdash

रा य का अि तम अग म (स त) पररा नी त का प रचायक ह वदश नी त क अ तगत म रा य का व श ट मह व वीकारत ह ए मन न लखा ह क धन और धरती क व स राजा उतना सम नह होता िजतना वह ि थरम त और व वासपा म राजा को चाह वह दबल ह य न हो पाकर सम होता ह ाचीन काल म अपन पड़ौसी राजाओ स राजन यक स ब ध थापना क ि ट स मन न भी अथशा पर परा क अन प राजा क लए राजम डल अथवा वादशम डल क म णा का ान आव यक माना ह धमशा क अनसार रा य क वदशनी त का म य आधार षा ग य तथा नी त क चार उपाय का उ चत योग भी थ षा ग य य नी त क 6 गण या वषय का समह था िजसका ान एव

अवसरानकल उ चत योग राजा क लए मह वपण था य 6 गण इस कार थmdash (1) स ध (2) व ह (य ) (3) यान (चढाई) (4) आसन ( न च ट ि थ त) स य

( कसी म रा य म आ म लना) एव (6) वधीभाव (एक ह समय म एक रा य क साथ स ध एव दसर क साथ व ह क नी त) इन 6 गण स नकटत स बि धत कटनी तक माग

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को राजनी त क चार उपाय साम दान भद और द ड क प म तत कया गया ह बा मय और आ त रक श ओ क लए इनका अवसरानकल उपयोग आव यक माना गया था

वदश स स ब ध था पत करन म म य मा यम दत स था थी अत दत क नयि त करना राजा का मह वपण काम बताया गया ह दत सवशा म वशारद राज न ठ द दशmdashकाल का यथो चत जानकार नभय और सदश कहन म चतर होना चा हए वह द ड़ताकार च ट इ गत अथात बोलन क समय वर म होन वाल प रवतन (जो मन क भावनाओ को स चत करत ह) आकार अथात मख पर स नता ववणता आ द जो प रवतन होत ह और च टा अथात कोप आ द नदशक हाथmdashपर क याय आ द का दत को जानकार होना चा हए मन क अनसार इस ान स वह तप ीय राजा क मन क भाव जानन म समथ होता ह स ध या व ह दत पर आ त रहता ह

धमशा म य वषयक पया त ववरण मलता ह य राजा का धम माना गया ह य क ि थ त आपातकाल ह इस समय वह वशष कर ल सकता ह य क घोषणा जलmdashवाय और समय को दखकर करनी चा हए स य सचालन क लए व वध यह द ड यह शकट यह मकर यह सची यह प यह आ द का नदश मन न कया ह श को नबल बनान क लए कषण और उ पीड़न को धमशा न उ चत बताया ह विजत श का धन लटन परािजत राजा क त सदाशय होन एव य म नशसता स बचन आ द क बार म भी इन थ म उ लख उपल ध होत ह

174 उपसहार mdash अत म कहा जा सकता ह क धमशा म व णत राजनी तक वचार ाचीन भारतीय

रा य यव था क व प को समझन म अप त साम ी तत करत ह य य प उनम द गयी जानकार आदशा मक या उपदशा मक अ धक तीत होती ह दसरा धमशा ीय सा ह य म अथशा पर परा क थ क तलना म राजनी त का व तत एव सागोपाग ववचन नह कया गया ह सभवतः इस लए क यह उनका मख तपा य वषय नह ह धमशा म वशषत मन म त व या व य म त म ह राजधम स ब धी व तत एव यवि थत ववरण उपल ध होता ह अतएव मन वारा कय गय ववचन को बह त अ धक मह व दया गया ह व तत मन क ववचन को धमशा क ि ट स त न धmdash व प ववचन कहा जाय तो भी अन चत नह होगा राजनी तक वचार क ि ट स या व य म त अथशा ीय पर परा क अ धक नकट ह तीसरा धमशा थ म ाचीन राजनी त क सदभ म ा ममण को बह त ह मह व दया गया ह चतथ ाचीन भारतीय धम क क पना म जीवन क सब अग का अ तभाव था धम क क पना अ य च पद पर वराजमान होन स राजा भी धम क तलना म गौण था य य प त काल न धम क तपादक धमशा ीय थ राजा क दवी उ पि त क पोषक थ क त इसक पीछ उनका यय राजा क त आ ाका रता क भावना उ प न करना था न क उस नरकश बनाना राजा को धम क आधीन रखकर धमशा न उसक व छा चा रता पर रोक लगायी थी

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175 अ यासाथ न mdash 1 धमशा या ह उनका व य वषय या ह (150 श द) 2 धमशा स ाचीन याय यव था पर कस कार काश पड़ता ह (150 श द) 3 धमशा ीय राजनी तक चतन पर एक लख ल खए (500 श द)

176 ास गक पा नीय थmdash 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 घोषाल य एन ए ह आव पो ल टकल आइ डयाज 3 मजमदार र च ाचीन भारत म सग ठत जीवन 4 शमा आर एस ाचीन भारतीय राजनी तक वचार एव स थाए 5 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य पोइ टयर जयपर

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इकाई mdash 18 ाचीन भारत म या यक शासन

इकाई क सरचना 180 उ य 181 तावना 182 या यक शासन का वकास 183 यायालय व यायाधीश 184 सगठन व व प 185 धम थीय व क टक शोधन 186 स य 187 सा य और सा ी 188 अ यासाथ न 189 ास गक पठनीय थ

180 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत न क उ तर द सकग mdash

ाचीन भारत म या यक प त का वकास कस हआ ाचीन भारतीय यायालय का व प कसा था धम थीय व क टकशोधन यायालय या थ सा य का या व प था सा ी क लए कौनmdashसा यि त चना जाता था

181 तावना ाचीन भारतीय रा य क उ पि त क बाद य mdash य उसका वकास और व तार होता

गया य mdash य शासन क आव यकताए भी बढ़ती गयी और उसक क आयत भी बढ़त गय अ य त ार भक (पव व दक) यग म रा य न तो बह त बड़ थ और न उनक नौकरशाह ह बह त व तत थी जन अथवा कबील म रहन वाल लोग आपसी झगड़ का नपटारा अपन छोट स प रवार अथवा ा जन (कल) म ह कर लया करत थ और या यक शासन क

याए अभी वक सत नह ह ई थी दो कबील या जन या गण क यि तय क बीच य द कोई आपरा धक मामला हआ तो वह बदल अथवा तशोध क मा यम स नपटाया जाता था िजस वरदय क स ा द गयी आख क बदल आख और दात क बदल दात वाल ि थ त का चलन था क त उ तर व दक यग क आतmdashजात रा य बड़mdashबड़ भौगो लक व प धारण

करन लग और उनक शास नक आव यकताए अब बह त ह बढ़ गयी व ध या यक या और या यक शासन भी इन याmdashकलाप म सि म लत थ रा य का प रा का हो

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गया िजसक व तार म एक व तत नौकरशाह क भी आव यकता ह ई धमस क यग क ार भ क साथ अपराध वयि तक न रहकर सामािजक दोष (अपराध) क प म हण कय

जान लग िजनका प रहार अथवा अफवारण सार समाज क ि ट म आव यक हो गया यह माना जान लगा क कोई भी दोषी या अपराधी यि त कवल उसक त ह दोषी नह ह जो उसक अपराध का शकार होता ह अ पत सार समाज क त दोषी ह और समाज क लए आव यक ह क वह उस द ड द रा य इसी समाज क त न ध क प म सामन आया और उसक सार या यक कत य समाज वारा ह रत थ

182 या यक शासन का वकास ाचीन भारतीय रा य क उ पि त क स ब ध म िजतन भी उ लख ह उनम

अ धकाशत इस बात क ओर इ गत करत ह क अ य त ार भ म न तो रा य था न राजा न तो द ड था और न दाि डका उस समय ऋत अथवा धम मा था और सभी लोग एक समान यायभाव स उस धम वारा ह एक दसर क र ा करत थ क त काला तर म मन य क ऋज और साि वक वि तया ख म हो गयी उसक च र का पतन होता गया और जब जब शि तशाल हआ तो नबल को सतान लगा और मा य याय (जस बड़ी मछल पानी म छोट मछल को खा जाती ह) क भाव स वह द ट क त होकर कमजोर को सतान लगा ऐसी ह ि थ त म मन क राजा क प म उ पि त ह ई और सताय जान वाल या पी ड़त लोग न उनस अपनी र ा क बदल अपनी उपज का 16 भाग भट अथवा कर क प म दन क त ा क मन (कह mdashकह पथ का भी नाम आता ह) न सार प थवी क प र मा क और द ट का दमन कर शाि त क थापना क यह स रा य और रा य क तीक द ड क उ पि त ह ई और धीरmdashधीर राजा सार या यक या का तीक हो गया मश उसक काय म याय का वतरण एक मख काय हो गया

क त यह वकास बाद का ह था यह अनमान बह त सह नह तीत होता क व दक यग म कसी कार क याय शासन का वतन था त काल न वरदय अथात ह या आ द क बदल ह यार या उसक प रजन स यि तगत बदला लना अथवा हत यि त क प रजन वारा उसक बदल धन क ाि त वारा अपराधी को छोड़ दन क था धमस म यापक प स उि ल खत ह य थ व दक यग और सा ह य क अि तम कड़ी ह इस ि थ त क म त मन म त जस बह त बाद म लख जान वाल धमशा ीय थ म भी ा त होती ह व दक यग म जो भी याय शासन था वह त काल न स था सभा क मा यम स ह होता था सभा क स ब ध म अनक उ रण ऐस आत ह िजनस यह प ट होता ह क उसम मकदम का न तारण होता था क त यह सभा न तो राजसभा ह थी और न राजा उसका अ य ह होता था वह एक सामािजक गो ठ थी िजसम कल अथवा वश क नता (कलया और वशप त) कौटि बक और जातीय झगड़ का न तारण करत थ इस सभा क सभासद जन त न ध ह थ साथ ह वहा एक श द और आता ह mdash म यम स जो वचवई या म य थता करन वाल यि त क लए य त हआ ह सभा क अ य को सभाप त कहा जाता था इस सभा म जो अपना वाद या मकदमा ल जाता था उस ि नन और िजस उसका

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तवाद करना होता था उस त ि नन कहा जाता था य दोन ह श द बाद म वाद और तवाद क लए य त कय जान लग

धमस कौ टल य अथशा और पहल mdashदसर शता द ईप म न मत होन वाल मन म त क बाद लखी जान वाल अनकानक म तय म हम ाचीन भारतीय याय णाल और या यक शासन का एक अ य त ह वक सत व प दखायी दता ह राजा इस याय शासन का धान होता था और उस न य त अपनी राजसभा म बठकर उपि थत कय गय

वाद का न तारण करना पड़ता था य द वह इस क त य म माद करता था तो उस नरक म जान का भय द शत था अथशा का अनदश ह क राजा कम स कम दो घट त दन मकदम क फसल म ज र लगाव स ा त यह था क राजा याय का ोत ह नह सबस बड़ा यायाधीश भी ह जो सभी मकदम को दखन का अ धकार ह क त वा तव म राजा क पास याय वतरण क अलावा शासन क अनकानक और भी काम होत थ और उसक लए यह ब कल ह असभव था क वह यक या यक मामल का नणय वय ह कर अत वह अपनी ओर स अनक यायाधीश क व वध कार क यायालय म नयि त करता था जो उसक ओर स मकदम को दखत थ यह अव य था क य द वाद अथक तवाद म कोई भी प नीच क अदालत क नणय स असत ट हो तो ऊपर क अदालत म मश अपील करत ह ए अ त म वय राजा क अदालत म जा सकता था साथ ह यह भी था क आव यक होन पर अथवा मामल क बह त ह मह वपण होन पर राजा सीध भी क ह mdash क ह मकदम को दखता था नारद म त म कहा गया ह क मकदम ाम ( ामसभा) म दख जा चक होत थ आव यक होन पर उनक अपील नगर क अदालत म और पन वहा दख ह ए मकदम क अपील राजा क अदालत म क जा सकती थी राजा उनका न तारण चाह ठ क प म कर अथवा खराब प म उसक बाद उनक सनवाई का कोई अ य वार नह था

इस कार प ट ह क य य प राजा सव च यायाधीश क प म काम करता था उसक अधीन भी अनक सामदा यक सामािजक और थानीय अदालत हआ करती थी राजा अथवा कोई भी अधीन थ यायाधीश वाद का न तारण मनमानी ढग स नह कर सकता था ाचीन भारत म व ध का वह ोत और नमाता नह था अ पत वय भी उसक अधीन था व ध का मल त म त श ट क आचार सामदा यक थानीय और जातीय नयम आ द म न हत था न क कसी व ध नमात सभा या यि त म अत वहदार यक उप नषद का कथन ह क ldquo व ध राजा क भी राजा हrdquo और उसक ऊपर कोई नह इसी कार मन म त का कथन ह क जहा एक ाकत जनrdquo अथात साधारण यि त को कसी अपराध क लए एक काषापण का द ड दया जाता ह वह उसी अपराध क लए राजा को 1000 काषापण का जमाना लगना चा हए प ट ह राजा व ध क अधीन था उसक पर नह और वह यायालय म बठकर समाज वारा मा य व धय वारा ह नणय कर सकता था

183 यायालय व यायाधीश य य प राजा सव च यायाधीश और उसक राजसभा सव च यायालय होता था तथा

वह कसी भी मकदम को सीध भी दख सकता था यह असभव था क उसक पास रा य क

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अ या य काय क होत ह ए याय वतरण हत परा अवसर मल अथवा वह सभी मकदम का न तारण वय कर सक अत उस अपन अधीन अनक यायाधीश और अदालत क नयि त करनी पड़ती थी धीरmdashधीर इन अदालत म भी द वानी और फौजदार क दो भद हो गय और उनक लए अलगmdashअलग यायाधीश क नयि त क जान लगी य य प यह नह कहा जा सकता क व दक यग म य भद बह त प ट हो पाय थ क त कौ ट य न अपन अथशा म तो उनका भद बह त ह प ट कया ह और उनक यायाधीश क अलगmdashअलग नामकरण और उन यायालय म सन जान वाल मकदम क अलगmdashअलग स चया द ह तथा प व दक यग म भी उवर पि त और आ द स स ब भ म और खती क मकदम द वानी क णी म समा हत कय जान लग थ दाय क अधीन गहस पि त क वभाजन और उ तरा धकार स ब धी वाद आत थ और पशओ क ह ता तरण वाल मकदम दान और य क सीमा म थ ऋण वग म सद पर पया उधार द ना और त स ब धी करार का न तारण होता था पीछ हम दख चक ह क व दक सा ह य क ि नन (वाद ) त ि नन ( तवाद ) और म यम स ( बचवई या म य थ) जस श द याय या क बीज प को प टत रखा कत करत ह अथशा द वानी (धम थीय) मकदम क यायाधीश को धम थ और क टकशोधन (फौजदार ) क यायाधीश को द टा क स ा दता ह च क बाद म मकदम को यवहार कहा जान लगा यायाधीश क स ा यवहा रन अथक धमा धकार हो गयी कह mdashकह यायाधीश को पि डत

भी कहा गया ह राजा क ओर स काम करन वाल थम अदालत (सभा) का म य यायाधीश पा ववा य कहलाता था

मन म त म क थत ह क जो ववाद म उपि थत वषय को स य (जर ) क साथ पर तरह वचारता ह वह ा ववाक कहलाता ह राजनी तर नाकर नामक थ म ा ववाक क प रभाषा दत ह ए उसक वशषताओ का वणन कया गया ह तदनसार वह प ववाक इस कारण कहा जाता ह क ववाद (मकदम ) म वह न पछता ह पन त न पछता ह और जो भी कहता ह वह य या मधर वाणी क साथ कहता ह या व य और का यायन र चत म तय का नदश ह क य द राजा अ य काय क कारण वय वाद का न तारण न कर

सक तो स य (या सभासद = जर ) क साथ धम ( व ध = कानन) जानन वाल ा मण को अपनी जगह पर याय वतरण हत नय त कर धीरmdashधीर यायालय क यायाधीश ाय ा मण लोग ह होन लग इसका कारण कदा चत यह था क उस पद क लए धमशा वारा जो यो यताए नधा रत क गयी व अ धकाशत ा मण लोग म ह मलती थी

या व य म त उनक लए तय (वद ) क अ ययन म न णातता धम (काननव ता) स यवाद तथा शा पारग होना आ द यो यताए नि चत करती ह श ककत (म छक टक नाटक म यायाधीश क गण का एक बड़ा अ छा समाहार ा त होता ह) तदनसार उस व वान ब मान ब ढ़या व ता भावावश स ह न और नष होत ह ए याय का वतरण पर तरह वचार और जाच पड़ताल करन क बाद ह करना चा हए उस कमजोर का र क द ट क लए आतक लालच स र हत ववक भाव स प रपण तथा स य न ठ होना चा हए साथ ह

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उस ऐसा कोई भी काय नह करना चा हए िजसस उस राजा का कोपभाजन बनना पड़ यायाधीश क एक स ा धमा य भी थी और िजस आसान पर वह बठता था उस धमासन

कहत थ ाचीन भारतीय यायालय म आजकल क भा त ह जर क था व यमान थी

च क यायालय राजसभा या सभा श द स अ भ हत होता था उसम बठन वाल जर को स य कहा जाता था मन म त म ा ववाक को स य क साथ य नपवक याय वतरण करन वाला कहा गया ह श नी त म यह क थत ह क यक ा ववाक ( धान यायाधीश) क साथ कम स कम 3 5 या 7 स य अव य होन चा हए मन म त कहती ह क िजस दश ( याय ) म वद जानन वाल तीन व (स य) रहत ह और राजा वारा अ धकत एक ा मण ( यायाधीश) रहता हो उसक ह सभा को वा त वक सभा कहा जाता ह धमशा म ायसव ह इन स य क यो यताओ क ववरण ा त होत ह जो ाय यायाधीश क

यो यताओ क समान ह व णत ह उनस यह न कष नकलता ह क यायाधीश क तरह स यगण भी ाय ा मण वण क लोग ह होत थ

184 सगठन व व प यायालय क सगठन क अ छ ववरण ा त होत ह वहा वाद और तवाद क

कथनोपकथन को पर तरह लख लन क लए लखक क नयि त होती थी एक थान पर कहा गया ह क य द लखक कह ह ई बात न लख न कह ह ई बात लख कटवचन को भी लख सि तय को लख अपन मन स कह ह ई बात क अथ पि त कर ल और पहल स ह कछ लख लना नि चत कर लए हो तो उस साहसद ड दया जाना चा हए बड़ा प ट ह क उसक काय क प ट नधारण कय गय थ िज ह न करन पर वह भी अपरा धय क भा त ह दि डत होता था एक दसर कायवाह को सा यसाधक कहा जाता था िजसका सभवत यह कत य था क स ब मामल को उनक अि तम न कष तक पह चाव यह कदा चत यायालय का अदल था जो ाय सवदा ह श वण का होता था कह mdashकह इस ह करक भी

कहा गया ह यायालय स स ब ब धनागार और ब धनागारा य हआ करन थ जो आज क जल और जलर क तरह थ और ाय इ ह क जस उनक काय भी थ

बौ सा ह य म स धर और व न चयमहाम च ( व न चयमहामा य) क उ लख मलत ह जो यायाधीश क बोधक ह नपत क राजा क सभा क तरह सभवत गणत म उनक क य सभाए (स थागार) ह सव च अदालत हआ करती थी उनक अधीन भी वोहा रक अथवा यावहा रक होत थ तथा प ऐसा तीत होता ह क ाचीन भारत म याय या क काया वयन हत नीच स ऊपर तक सीढ़ mdashदरmdashसीढ़ यायालय का वकास सा ा य क उदय क साथ ह हआ अथशा स यह ात होता ह क मौय सा ा य म सबस थम ( नचल ) अदालत गाव क होती थी िजस ामसघ कहा जाता था इसम ामसाम त और ाम बठत थ और गाव क मकदम का नणय करत थ उ ह यह अ धकार ा त था क चोर करन वाल अ भय त को गाव स नवा सत कर द इनक मदद क लए स य अथवा जर हआ करत थ दस गाव को मलाकर स हण क अदालत बनती थी जो ाम यायालय क अपील सनती

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थी 400 गाव वाल अदालत को ोणमख 800 गाव क ऊपर थानीय तथा उन सबक ऊपर क अदालत क य (जनपद) होती थी िजन सब म मश नीच क अपील सनी जाती थी कौ ट य का कथन ह क इन सभी अदालत म तीनmdashतीन धम थ और तीनmdashतीन अमा य क नयि त मकदम को नपटान क लए क जानी चा हए ववादय त भ म या खत स स ब मकदम का न तारण म य थ क सहायता स कया जाता था य द यायाधीश म मतव भ न हो तो अ नतम नणय बह मत स कय जात थ

अदालत क इस भौगो लक बटवार क अ त र त उनका वगगत अथवा समहगत एक अ य बटवारा भी था िजसम थान वशष वग वशष काय वशष अथवा नयम वशष को यान म रखा गया था कल (मलत एक जा त वण अथवा वग) क सबस नचल अदालत

होती थी िजसम कल क र त और पर पराओ क अनसार कल क सद य स स ब झगड़ (वाद अथवा न) नपटाय जात थ इसी तरह व भ न यवसाय म लग ह ए आ थक सगठन क भी अपनmdashअपन आ थकmdash यावसा यकmdash यापा रक अथवा पशवार आचार और नयम हआ करत थ िजनका उनक सद य वारा पालन आव यक था अत उनक सद य स स ब मकदम का नधारण उनक भीतर ह होता था ऐस यायालय णय गण नगम और पग क हआ करत थ रा य क ओर स इनम च लत व धय अथवा नयम को पर मा यता ा त थी और य द इनस स ब मकदम क अपील राजक य अथवा क य अदालत म भी जाती थी तो भी उनका न तारण उनम च लत व धय क आधार पर ह होता था मन म त या व य म त और नारद म त आ द सभी म त थ राजा को यह नदश दत ह क वह इन सभी स थाओ क नयम को यान म रखत ह ए ह अपन नयम का नधारण कर और वाद का नणय द वह प त और हार त जस म तकार स नक जागल लोग अथवा बाहर जाकर यापार करन वाल लोग क लए भी अलगmdashअलग यायालय क यव था दत ह

अथशा म धम थ और क टकशोधन नामक अदालत म तीनmdashतीन यायाधीश धम थ और अमा य ( द टा) क नयि तय क वधान ह जो नीच क अदालत म भी च लत थ यायालय म धमा य पि डत यावह रक या ा ववाक कतन ह यह म तय स एक प म ात नह होता मन म त क अनसार उनक स या तीन और वह प त क अनसार 3 5 या 7 होनी चा हए क त धमसभा म कतन स य अथवा जर लोग ह इसक उ लख ा त होत ह व स ठस हता क अनसार व दस होन चा हए िजनम चार वद म न णात चार यि त एक वदाग का जानकार एक मीमासा का जानकार और एक म तय का जानकार होना चा हए य सभी ा मण य और व य वण क अगआ लोग होन चा हए स य क प म श क नयि त नह क जाती थी

इस कार हम दखत ह क ाचीन भारत म यायपा लका का एक फला हआ वतान था जो ाम स ार भ करक क और उसक राजधानी तक फला हआ था अथशा कार और धमशा कार दोन ह इनको व धक मा यता दत ह मा यता यह थी क कल गाव या णी क लोग क बार म िजतना वहा क लोग को और उनक धान अथवा अ य को मालम

था उतना दर थ ा तीय या क य लोग को मालम होना असभव था अत वहा स

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स ब सभी मकदम का नपटारा वहा पर जानकार पवक थानीय प रि थ तय थाओ और पर पराओ क प र य म अ धक आसानी और सह प म अ धक सभव था उनक बजाय ऊपर क अदालत म कसी भी अ भय त क लए अपना दोष छपान हत सफद झठ बोलकर नकल जाना अ धक सभव था इन था नक और सामािजक या सामदा यक यायालय क व धक मा यता क पीछ ामीण पचायती और थानीय शासन क त ाचीन भारत म एक सबल और ब मल भावना थी िजसका त काल न शासन म एक मह वपण थान था फल व प इन अदालत म द वानी क ाय सभी कार क मकदम लाय जा सकत थ क त व छोट mdashमोट चोर या मारपीट क मकदम को छोड़कर फौजदार क बड़ मकदम का न तारण नह कर सकत थ

185 धम थीय व क टकशोधन ाचीन भारतीय या यक शासन क चचा करत समय यह दखना आव यक होगा क

द वानी और फौजदार क अदालत म मकदम का बटवारा कस होता था इस वषय क एक प ट सची अथशा म ा त होती ह धम थीय अदालत म न न ल खत कार क मकदम

दख जात थ 1 यवहार थापन mdash सभी कार क समझौत 2 सम यानयाकम mdash सवा स ब धी समझौत 3 वा या धकार mdash काम करान वाल मा लक क अ धकार 4 भतका धकार mdash काम म लग ह ए भतक अथात नौकर क अ धकार 5 दासक प mdash दास स स ब मामल 6 ऋणदान mdash ऋण का लनmdashदन 7 औप न धक mdash जमाधनmdashस पि त क मकदम 8 व त तानशय mdash बची ह ई चीज को न दन स ब धी बात 9 द त यानयाकम mdash दानmdashभट आ द क बात 10 साहस mdash चोर डाक तथा ह या स ब धी अपराध 11 द डपा य mdash मारपीट और हसा 12 वा यपा य mdash गाल mdashगलौज अपमान न दा आ द 13 यतसमाह य mdash जआ 14 अ वा म व य mdash बना मा लक होत ह ए भी कोई स पि त बचना 15 व वा भस ब ध mdash स पि त का अ धकार 16 सीमा ववादया यादा थापन mdash सीमा स ब धी झगड़ 17 वा तक mdash घर वार सहन स ब धी मकदम 18 ववीत पथ हसा mdash चरागाह खत सड़क माग आ द का अवरोध और अवध

क जा 19 ववाहधमmdash ीधन क प mdash ववाह और ीधन स स ब मकदम

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20 सभयसम थान mdash सामदा यक सघ क मामल 21 दाय वभागmdashदाय म mdash उ तरा धकार और दायाद क न 22 ववादपद नब ध mdash या यक कायवाह क मामल

इसी कार क टकशोधन अदालत क अ तगत भी आन वाल वाद क सची वहा तत क गयी ह वा तव म क टकशोधन कवल यायालय ह नह अ पत प लस या आर ी वभाग का धान कायालय भी था तथा उसक धान अथवा ( द टा) क क त य दो कार क थ वह यायाधीश क साथ ह साथ प लस वभाग का धान भी था सभवत इसी कारण

क टकशोधन क अधीन आन वाल वाद क व प भी दो तरह क ह िज ह हम उस सची को द चकन क बाद दखग वह न नवत हmdash 1 का कवदहर ण mdash शि पओ और यापा रय क र ा 2 गढ़ाजी वना र ा mdash अवा छत त व को दबाना 3 मानव काशनम mdash ग तचर वारा अपरा धय क खोज 4 शका पकमा भ ह mdash असल या स दहा पद अपरा धय क धरपकड़ 5 आशमतकपर ा mdash शव का अ पर ण 6 सवा धकरणर ण mdash रा य क व भ न वभाग म अनशासन था पत करना 7 एकागबध न य mdash अग छद को दि डत करना 8 श रच क प mdash यातनास हत या यातनार हत म यद ड 9 क या कम mdash नाबा लक लड़ कय क साथ बला कार 10 वा यकमानयोग mdash पछताछ और तदनसार काय 11 अ तचार द ड mdash फटकल अपराध

उपय त कार क काय का य द मह न ववचन कया जाय तो यह लगगा क थम छ तो कवल आर ीदल क या कलाप म आत ह उनका स ब ध अपराध का पता

लगान अपरा धय को पकड़न नाग रक क द ट स र ा करन और उस स ब ध म दो षय को दोष स वरत करन क कायवा हय स था वा तव म व प लस मिज ट क कायसीमा क भीतर ह थ अि तम पाच को दखत ह ए यह कहा जा सकता ह क फौजदार याय प लस काय क साथ एक ह म सना हआ था इन सभी को य द एक साथ वचार कर दखा जाय तो यह न कष नकलता ह क क टकशोधन यायालय क काय म यत तीन वग म बट ह ए थ थमत तो रा य का उ य था क यापा रय और व भ न पश म लग ह ए लोग का कोई

भी कसी कार शोषण न कर सक इस हत रा य क ओर स वशद नयमmdash नदश बन थ िजनका कसी भी वारा कोई उ लघन द डनीय अपराध था सवसाधारण लोग क द ट स र ा करना दसर वग म रखा जा सकता ह तीसर िज मदार यह थी क राजक य नौकरशाह कसी को भी कसी कार सतान न पाय

क टकशोधन क इस व प म अ त न हत भाव क य द स म पर ा क जाय तो यह तीत होगा क रा य साधारण मन य क च र गत और वभावगत सभी कमजो रय को पर कार समझत ह ए यह आव यक मानता था क शाि त अमन और चन बनाय रखन हत

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एक शि तशाल और यापक आर ीबल क आव यकता अप रहाय थी सभी कार क दो षय को दि डत करन हत प ट और यापक नयम क वधान थ िजनका कड़ाई स पालन कराया जाता था रा य क त व ोह क भावना रखन वाल का पता लगान हत ऐस ग तचार और उकसान वाल लोग नय त रहत थ जो बाजार म चौपाल पर सड़क पर या मल म राजा क व अपनी उ तजक बात वारा उपय त लोग पर नजर गड़ा लत थ और उ ह पकड़वान तथा दि डत करान क यव था करत थ अपराधी वि त क लोग क खोजबीन और धरपकड़ क लए घस क भी सहार लय जात थ कौ ट य वय अथशा म बर और द ट लोग क शार रक ल ण का उ लख करता ह िजनक सहार स व पकड़ जा सकत थ अपरा धय क अपराध क खोजबीन म प लस को तलाशी लन का परा अ धकार था य उपाय साधारण अपरा धय क स ब ध म तो अपनाय ह जात थ रा य क ट और स दहा पद अ धका रय और नौकर पर भी ग तचर वारा ि ट रखी जाती थी और स दह होन पर उ ह भी लालच और घस वारा रग हाथ (सल न) पकड़कर द ड दय जात थ उस समय शव क अ यपर ण क जो था च लत थी उसस यह प ट सकत मलता ह क ह या स ब धी अपराध क बड़ी बार क स खोजबीन क जाती थी यह स क त क वकास क एक अ य त ह उ च शखर क ओर नदश करता ह

य य प म तय म द वानी और फौजदार वाल वाद क बह त प ट बटवार नह दखायी दत वाद क जो स चयॉ उनम ा त होती ह उनका व तार बह त अ धक ह मन म त म उ ह 18 भाग म बाटा गया ह िज ह अ टादशपाद क स ा द गयी ह या व कय म त उ ह और भी व तत करक लगभग 25 भाग म बाटती ह ाय दोन क ह श दाव लया एक ह यहा उ ह हम स त स म इ गत कर दना मा पया त समझत ह वाद साधारणतया ऋण याज जमारा श धरोहर रहन स पि त क खर द और उसक बची उसम खर दन वाल का स पि त का अ धकार होना अथवा न होना दान भट तय मजदर को दना या न दना वामी और सवक क आपसी स ब ध पशमा लक और पशपाल (चरवाह ) क आपसी स ब ध समझौत क उ लघन णय स स ब मकदम यापारmdashवा ण य और पश स स ब मकदम गावmdashघर और खत तथा बगीच क सीमाओ स स ब बात चोर डकती और ह या गाल mdashगलौज अपमान न दा आ द क मकदम का यक हसा

ीप ष क पर पर अ धकार और क त य स ब धी मकदम ि य mdashप ष क य भचार उ तरा धकार तथा वसीयत और दायाद तथा यत और व यावि त आ द स स ब मामल गनाय गय ह

पीछ यह दखा जा चका ह क कस कार राजा को य द वय याय वतरण का पराmdashपरा अवसर नह मलता था तो वह अपनी ओर स यो य यायाधीश क नयि त करता था इनक मख यो यताओ क ओर भी नदश कया जा चका ह क त उस स ब ध क थोड़ी और चचा करना आव यक ह धान यायाधीश ा ववाक पि डत अथवा धमा य कहलाता था ा ववाक क जो प रभाषाए द गयी ह उनस उसक च र गत वभावगत और यो यतागत व प का सहज ह अनमान लगता ह मन म त क अनसार उपि थत ववाद को

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पवापर प म स य क साथ वह य नपवक (सरसर तौर स नह ) वचारता ह और उस कारण ह वह ा ववाक कहलाता ह यहा इस बात पर जोर दया गया ह क यायधीश पर ब और मन लगाकर अपन यायालय म नय त स य क साथ परा परामश करक वाद का न तारण कर राजनी तर नाकर क प रभाषा ह क ा ववाक क स ा इस कारण ह ई क वह वाद mdash तवाद स पहल न पछता ह पन त न पछता ह और इन सबक पहल य श द म बोलता ह उस त म त मीमासा आ द व ध क सभी ोत का मम होना चा हए तथा उसक लए लालच घस चापलसी या सबक पह च क ऊपर होना भी आव यक था उस हर दशा म पर तरह नष रहना था और मकदम क दौरान कसी भी प स साधारण बातचीत स भी उस दर रहना होता था ाचीन भारतीय याय व ध का यह तकाजा था क वाद का न तारण भर सभा या यायालय म ह हो तथा जब तक कोई बह त ह तजी का कारण न हो मकदम मश ह नपटाए जाए यायाधीश क इन आचारmdashस हताओ का य द कसी भी कार कोई यायधीश उ लघन करता तो वह वय भी द ड का भागी होता था इन आचारmdashस हताओ म य बात सि म लत थी क वह कसी भी प को उ पी ड़त न कर सभी क बात यानपवक और यायपवक सन था पत व धक मा यताओ का अ रत पालन कर यथाव यक अपन ववक का योग कर तथा कसी भी लालच बहकाव फसलाव और धमक म न आव यायाधीश म यह बह त बड़ा दोष माना जाता था क वह मकदम क उभय प या गवाह स जो पछना चा हए व न पछ जो नह पछा जाना चा हए वह पछ और कछ पछकर उस बीच म ह अन त रत रहन पर भी या पर बात को जानन का य न न करत ह ए बीच म ह छोड़ द य द वह कसी भी कार कसी प को तग करता तो उस वय भी उसको सजा भोगनी होती थी य द वह एक बार दोषी स हो जान पर दबारा भी कोई दोष करता तो दोष क वह पनरावि त इस बात क लए काफ थी क उस उसक पद स सवदा क लए हटा दया जाय अथशा का अनदश ह क य द कसी यायाधीश क त धन या अ य लालच क वशीभत होकर मकदम क न तारण क शकायत हो तो ग तचर वारा उस पर नजर रखी जाय और रग हाथ उस पकड़कर उसक पदमि त कर द जाय नकाल जान क पव उस घसखोर हत द ड भी दया जाता था

186 स य पीछ हम इस बात का उ लख कर चक ह क यायालय म जर क था थी िज ह

स य कहा गया ह यह भी दखा जा चका ह क उनक स याए तीन पाच या सात हआ करती थी इन असम स याओ का कारण यह था क य द आव यक हआ तो मत वभाजन वारा बह मत क आधार पर मकदम का न तारण कया जाय म तय म क थत ह क

स य क नयि त ा मणवण लोग स ह क जाय इसक पीछ कदा चत यह कारण था क धमशा क व धक प क जानकार सवा धक उ ह को होती थी और वाद क या यक न चय म वह ान अ य त आव यक था क त इस बात क सहज ह क पना क जा सकती ह क यायालय म य द वाद या तवाद म एक या दोन ह प ा मण क अ त र त हआ तो उसम च लत नयम या पर पराओ क जानकार भी इन स य क लए

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आव यक होती होगी अत अ ा मण स य भी नय त कय जात रह ह ग वा तव म या व य म त इस बात का प ट नदश करती ह क िजस जा त या वण स स ब मकदम ह उसी जा त या वण क स य भी होन चा हए य क उनक ह कल य जातीय या वण य नयम स उनक मकदम का न तारण होना था यायाधीश क ह तरह इन स य क लए भी न प ता त म त मीमासा आ द क ान और घस आ द क फसलाव म न आन वाल च र क आव यकता थी राजा या म य यायाधीश ( ा ववाक) इन स य क सहम त स ह अपन नणय दता था और ाय उनस बधा होता था उस अपन ववक का योग करन क कवल उस समय वत ता थी जब स य क म त म बह त मतभद हो और व वय कसी एक नणय पर पह चन म असमथ ह उनका यह क त य था क व पर तरह नष होकर य द आव यक हो तो राजा क म त क वपर त भी अपनी म त द य द व जानबझकर कसी मामल म चप रह और बोल नह तो इस चालाक क लए भी व दि डत कय जा सकत थ बड़ा प ट ह क ाचीन भारतीय यायपा लका क सगठन म स य क एक ऐसी स था थी जो राजक य नरकशता या मनमानीपन को उस म पर तरह रोकती और नय मत करती थी

187 सा य और सा ी ाचीन भारतीय यायालय म मकदम क सनवाई क समय सा य और सा य का

बड़ा मह व था म तया म यत चार या पाच कार क सा य का उ लख करती ह व ह mdash (1) माण mdash कसी भी बात घटना या न क स ब ध म कोई ऐसा अका य माण जो ववाद क स म सव प र माना जाय (2) ल खत mdash कोई लखा हआ द तावज या आल य िजसस सार बात अपन आप प ट और मा णत हो जाती ह (3) मि त mdash वाद त व त स पि त या भ म का कसी क भोग अथवा अ धकार म होना (4) सा ी mdash घटनाओ को वय दखन और जानन वाला कोई यि त (5) इन सबक अभाव म द यद ड वारा स या स य क पर ा क जाती थी इन सब म यहा कवल चौथ अथात सा ी का ह वशष उ लख कया जायगा य क इसक स ब ध म अथशा अथवा म तय क उ लख बह त ह यापक ह गवाह को कसा होना चा हए उ ह या करना और या नह करना चा हए कौन लोग गवाह हो सकत ह और कौन लोग नह हो सकत और य द व जानबझकर झठ बोल तो उ ह कौन स द ड दय जान चा हए इन सभी बात क वशद जानकार या व य म त स ा त होती ह रा य क ओर स यह यव था थी क च मद द गवाह क गवाह क बाद राजक य ग तचर वारा भी वा त वकताओ क जानकार छप ह ए प म ा त क जाती थी और उन दोन को मलाकर दखा जाता था उसक बाद ह अ भय त को द ड दया जाता था य द कसी दन गवाह क गवाह नि चत हो और वह उपि थत न हो सक तो कवल उस कारण स वाद नर त नह कया जा सकता था साधारणतया तीन सा य का होना अ नवाय था और कवल एक सा ी मा क होन पर वाद का नणय नह कया जा सकता था कभीmdashकभी यायालय वय भी ऐस लोग को समन भजकर बलाती थी जो अ यथा अदालत म उपि थत नह होत थ यक सा ी को अपनी गवाह दन क पव शपथ लनी

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पड़ती थी और य द कोई सा ी शपथ क बावजद भी झठ गवाह दता था तो उस दि डत कया जाता था कौ ट य न इस द ड क प म मन (मानवधमशा ) श (उशना) और वह प त क मत का उ रण अथशा म दया ह

समाज म ऐस अनक लोग थ जो यायालय म सा ी क प म उपि थत नह हो सकत थ उनका प रगणन न नवत ह mdash

वाद या तवाद का साला साथी कद सजाया ता यि त ऋणदाता या कजखोर श अधीन थ यि त वय राजा ो य ा मण गाव का सवक क टरोगी जा तव ह कत यि त चा डाल वय दि डत यि त ह न यि त ी राजक य नौकर साधmdashस यासी डाक ध त और धोखबाज हाथ दखन वाल लोग सठ लोग तथा व य आ द इस सची स प ट ह क सह mdashसह सा य ा त करन क मामल म ऐस लोग का व वास नह कया जा

सकता था य क उन सबम कोई न कोई ऐसा त व था जो यायालय को वीकाय नह हो सकता था इनक वपर त सा ी होन लायक व यि त मान जात थ जो ववा दत प क अपनी जा त क ह और उनक नजद क रहत ह इस अनशसा क पीछ मा यता यह थी क ऐस लोग मामल क सह mdashसह और ठ कmdashठ क जानकार रखत ह ग और उनक बात व वासयो य हो सकती थी क त सा य क नय यताओ अथवा यो यताओ क स ब ध क यह सची एक साधारण दशाmdash नदश मा करती ह तथा इसक मा यता अथवा अमा यता अप रहाय नह थी वा तव म वाद का व प कसा ह और उसक प mdash वप या ह इस बात पर सा य का चनाव बह त ह अ धक नभर करता था

सा ी कौन ह सकता था और कौन नह इस स ब ध म ऊपर क प रगणन कवल उनक सामा य अहताओ मा का प रचय दत ह उनक वशष अहताए य थी क व शपथ लत समय अपनी ईमानदार क शपथ ल व स यवाद होन क लए स ह व सभी वण क आ तप ष अथात वशष गण वाल यि त ह स प न ह सभा यत ामश ह वाद स स ब थान क गह ह प पौ य त ह मख यि त ह तथा य व य या श ह मन म त क अनसार कसी साझmdashसमझौत करार या सहभा गता स स ब मामल म वाद mdashतवाद क जा त क लोग का ह सा य अ धक उ तम माना जाता था कौ ट य का कथन

ह क सा ी श च अथात प व यि त होना चा हए अ छ आचरण वाला होना चा हए वाद स स ब या नवासभ म का होना चा हए तथा उसक सा ी प म खड़ होन क सचना अदालत को पहल स ह द जानी चा हए उस समय एक था यह भी थी क गवाह को आनmdashजान ठहरन का खच ाय मकदम म हारन वाल प को वहन करना पड़ता था

सा य क तरह वक ल क भी अदालत म उपि थ त का ान ा त होता ह श नी त क अनसार य वक ल कवल द वानी क मकदम मा म उपि थत हो सकत थ फौजदार क मामल म नह फौजदार क बाद कवल स य क सामन सन और नपटाए जात थ तथा प ऐसा तीत होता ह क ाचीन भारतीय यायालय म वक ल त व का उतना चलन नह था िजतना सा य का यायाधीश का अथवा स य का इन वक ल क फ स

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मकदम स स ब धन स पि त तथा उसक ग ता अथवा लघता क आधार पर उभय प क बीच तय क जाती थी

यायालय म वाद कस उपि थत कय जाय इसक भी वधान ात होत ह कौ ट य तथा सभी म तया यह नदश दती ह क वाद को तवाद क व घटना या अपराध का समय उसक व प उसक थान आ द स हत अपना और अपर प का परा पता आ द दना आव यक होगा फौजदार क मामल म तवाद य द चाह तो अपनी जबावदह दा खल कर सकता था क त यह स वधा द वानी क मकदम म उपल ध नह थी मकदम क सनवाई अदालत म कस म स हो इसम एक पता नह थी जब तक कोई वशष कारण न हो उनका न तारण उनक पजीयन (दा खल) क म स ह कया जाता था क त मन म त का यह भी नदश ह क उनक न तारण वण म (पहल ा मण पन य आ द क म स) कय जान चा हए इसक अ त र त धम और अधम अथ और अनथ को भी यान म रखत ह ए उनक न तारण म का न चय कया जाता था एक ह घटना या वाद क स ब ध म दो अलगmdashअलग मकदम नह कय जा सकत थ हा य द एक मकदमा न ता रत हो चका हो तो दसर को सना जा सकता था अथवा उसक अपील क भी सनवाई क जा सकती थी

अदालत म सनवाई क समय वाद या तवाद क कछ आचरण अपराध प म मान जात थ िज ह स ब थ म परो तदोष कहा गया ह य थ mdash

न का सीधा उ तर न दना अपन व त य म एक पता का अभाव अवा छत लोग स राय लना न का लगातार उ तर न दना अपन ह सा य और सा य का ख डन अदालत क अनम त क बना चपक स सा ी स सलाहmdashमश वरा करना र ाप क तक का उ तर उसी दन दन का य न करना िजस दन व उपि थत कय गय हो नधा रत समय क भीतर अपन प (वाद) को मा णत न कर पाना अस ब बात करना और यथ क उि तया इन सभी परो त दोष क लए उ तरदायी यि त को दि डत कया जाता था य द स ब वाद अथस ब धी हआ तो यह द ड स ब ध धन क पाच गना या दस गना तक हो सकता था ऐस अनक दोष क प रगणन तथा उनम द ड क यव थाए म तय म व तारपवक द गयी ह इन परो तदोषो और उनक द ड क यव थाओ क आधार पर यह न कष आसानी स नकाला जा सकता ह क उनक कारण अदालत म यथ क बात मकदम क सनवाई म दर यथ क वादmdash ववाद अस य और म या भाषण तथा धोखmdash धड़ी क य न स प घबरात ह ग और उसी अनपात म याय ाि त सलभ सहज और व रत रह

होगी

188 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म यायmdash णाल क वकास पर काश डा लए (150 श द) 2 ाचीन भारत म यायालय क व प व यायाधीश क वशषता बताइए (200 श द) 3 धम थीय व क टकशोधन यायालय क बार म आप या जानत ह (250 श द)

285

189 ास गक पठनीय थ 1 रामच द तार

ह द ऐड म न टव इ ट यश स म ास

व व व यालय 2 अन त सदा शव अ तकर

मोतीलाल बनारसीदास टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया

वाराणसी 3 अन त सदा शव अ तकर ाचीन भारतीय शासन प त ह द सा ह य

स मलन याग 4 मोतीलाल बनारसीदास सम आ प स ऑफ ऐ शय ट ह द पा लट

वाराणसी 5 मथनाथ बनज (व दोपा याय) ह द पि लक लाइफ कलक ता व वmdash

व यालय 6 एच एन स हा मोतीलाल

बनारसीदास डवलपम ट ऑफ ह द पा लट वाराणसी

7 काशी साद जायसवाल ह द पॉ लट 8 अन रामच वमा ह द राजत नागर चा रणी सभा

वाराणसी 9 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य जयपर

1999 10 भार वाज कमलश मख म तय (मनmdashया व य नारद

बह प त का यायन) म राजनी तक व व धक वचार शोध बध राज थान व व व यालय जयपर

286

इकाई mdash 19 ाचीन भारत म अपराध और द ड

इकाई क सरचना 190 उ य 191 तावना 192 व ध का वकास 193 ववाद क कार 194 यायालय 195 द ड 196 अ यासाथ न 197 ास गक पठनीय थ

190 उ य तत इकाई क अ ययनोपरात आप न न ल खत न क उ तर द सकग mdash

ाचीन भारत म व ध का वकास कस हआ ाचीन भारत म अपराध या ववाद क कतन कार थ ाचीन भारतीय यायालय व द ड का या व प था

191 तावना अपराध और द ड स ब धी ाचीन भारतीय अवधारणाओ का वकास एकाएक नह

अ पत मश कई शताि दय क वचा रक और यावहा रक ग त क प र य म हआ व दक समाज म व ध याय अथवा यायपा लका का व प अपन मल प मा म ह व यमान था व ध क लए उस समय कत अथवा धम श द का योग होता था आग चलकर धम श द को म तय और अ य कार क धमशा न भी अपना लया अपराध और द ड क पीछ व ध अथवा कानन क ि थ त सवदा ह अ त न हत होती ह आजकल कानन श द स रा य वारा बनाय गय कानन अथवा व ध नमात स थाओ वारा न मत उन स हताब नयम का बोध होता ह जो आव यकतानसार समयmdashसमय पर वि तत कय जात ह क त ाचीन भारत म व ध का नमाण राजा अथवा रा य अथवा कसी व ध नमात सभा वारा नह होता था त काल न व ध समाज और उसक अनक स थाओ म च लत और

मा य उन अनकानक मा यताओ को कहा जाता था जो काल मानसार उनम वक सत होती थी और िजनका कसी भी यि त वारा कोई उ लघन अपराध माना जाता था राजा और रा य का क त य इतना मा था क वह इन उ लघन को रोक और सामािजक स थाओ वारा उनक त नि चत द ड स स ब अपरा धय को दि डत कर वह धम व तक अथात व ध णता या कानन नमाता नह था अ पत धम स थापक अथात व ध क समाज म थापना

( चलन) मा का उ तरदायी था

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ाचीन भारत म सार धम ( व धय ) का ोत अथवा मल वद ह वीकार कया जाता

था क त य mdash य समाज उसक और अ या य व भ नताए बढ़ती गयी व ध क और ोत भी बढ़त गय म तशा कार न त म त सदाचार यवहार याय श टाचार व भ न प क बीच होन वाल समय (समझौत ) दशधम कालधम जा तधम णीधम कलधम वणधम आ मधम गणधम न म तधम और साधारणधम और यहा तक क आपदधम को भी व ध क ोत म थान दया और व सभी क सभी अपनीmdashअपनी जगह मख वीकार कय गय कौ ट य जस अथशा कार न राजशासन अथात राजक य आ ाओ

अथवा नयम को भी उनम जोड़ा और उसक मतानसार य द व ध क व भ न ोत स ा त नदश म कह आपसी ववाद हो तो वहा राजशासन क ह मखता होती ह और अदालत म मकदम का नणय उसी क अनसार होना चा हए क त म तय म राजशासन क इस मह व को अ वीकार करत ह ए त न व ध को ह अि तम नणायक माना गया ह उदाहरण व प या व य म त का कथन ह क जहा यवहार और याय म अ तर हो वहा याय क मखता होगी और जब अथशा (राजक य शासना द) और धमशा ( म त

स तत व ध) म अ तर हो वहा धमशा ीय नयम का ह व तन मा य ह वा तव म व ध का व प कसी वधा नक ा प म नह अ पत सामािजक स थाओ

क मा यताओ म आब होता ह सामािजक सगठन यथाmdash ववाह उ तरा धकार स पि त समाज का नमाण करन वाल व भ न घटक क नजी और पार प रक काय और कत य आ दmdash व ध क वकास को नय त और नय मत करत ह उनम उ प न होन वाल प रवतन क साथ व धक मा यताओ एव आपरा धक और द डा मक नयम म अ तर होता ह ह कालधम दशधम जा तधम जानपदधम आ द व भ न कार क धम को भारतीय धमशा कार न जो मा यता द उसक पीछ व भ न सामािजक भद प रवतन और कालगत वकास को ह कारक वीकार कया जाना चा हए इस कार क प रवतन म आ थक कारण का भी मह वपण थान होता ह अत व ध क वकास म आ थक और सामािजक प रवतन क प ठभ म मख प स सामन आती ह म तय म ऋणादान अथात ऋण स ब धी मकदम को ह थम थान दया गया ह य ऋण कवल अथ मा स स ब न होकर सामािजक व प वाल (दवऋण ऋ षऋण और पतऋण आ द) भी थ तथा प कसी स लए ह ए धन उस पर दय जान वाल याज समय स उसक अदायगी वसा न होन पर द ड ऋण न चकान पर लगन वाल पाप व भ न वण स वसल कय जान वाल याज क अ तर आ द जसी बात क स ब ध म भारतीय व ध क वकास और प रवतन का अ ययन अपन म भी बड़ा ह मह वपण ह कौ ट य का समय आतmdashआत ाचीन भारतीय आ थक यव था बह त ह अ धक वक सत हो चक थी रा य अब एक सा ा य क प म प रव तत हो चका था और लोह क अनकानक प म यव त हो जान स खती का बह वध वकास हो चका था जनस या क व और नजन एव जगल थान पर नयी बि तय क बसान क आव यकताए महसस क जान लगी थी फलत अथशा म बाजारmdash नय ण म यmdash नय ण तौल बाटmdash

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माप आ द एव भ म और कर स ब धी अनक पचीद और रा यानशा सत यव थाओ ( व धय ) क दशन ा त होन लगत ह सब मलकर रा य का व प जनक याणी हो गया और कोई भी व ध अथवा रा यशासन रा य क इस जनक याणी व प क वपर त नह हो सकता था

192 व ध का वकास ाचीन भारतीय व ध क इस प रव तत और वक सत होत ह ए व प तथा उसक

अ या य ोत क उपय त भ मका क अन तर अब हम उस समय क अपराध स ब धी अवधारणाओ का वचार करना चा हए च क मानव जीवन पण नह ह मन य अपराधो मख हो ह जाता ह अ य त ार भक यग म दोषगण को पाप और प य मानकर पाप क लए ायि चत क वधान कय गय क त पाप क नवारण म ायि च त क भ मका पापकता वारा वत कय गय श काय मा तक सी मत थी और उसम रा य और समाज क

भ मका बह त अ धक नह थी क त आग चलकर व पन सामािजक त व और स थाओ क वकास क साथ पाप और ायि च त क थान पर अपराध और द ड क अवधारणाए प ट होन लगी ववक और ब वाद का ाधा य बढ़न क साथ परलोक क थान पर इहलोक और समाज क स ता बढ़न लगी फलत लोक शि त और रा यशि त क आय त का भी व तार हो गया और लौ कक सगठन मख होन लग

ऋत और धम पाप और प य क जो अ य त ार भक भाव थ उसम मन य वत ह दसर क त कोई दोष करन स वरत रहता था अन चत और उ चत क फल का स ब ध ई वर और सदाचार स जोड़ा गया धीरmdashधीर सदाचार क अवहलना ह अपराध माना गया और उसका उ लघन यि त समदाय या समाज क त अपराध वीकत हआ भारतीय इ तहास क प र य म अपराध स ब धी इन अवधारणाओ का वकास हम व दक यग स ह दखायी दन लगता ह तथा प यह कहना समीचीन नह होगा क उस यग म यवहार व ध ( स वल लॉ) न तक व ध (मॉरल लॉ) और व धक अपराध (ल गल ग ट) क क अलगmdashअलग प ट वभाजन हो चक थ क त स का यग आतmdashआत इन अवधारणाओ का वकास कछ प ट सा दखायी दन लगता ह अपराध को ोह क स ा द गयी और धमस म चोर क

अपरा धय को राजा क सामन उपि थत कय जान क सदभ ा त होत ह म तय स हत अ या य धमशा क यग का ारभ होतmdashहोत लौ कक वषय स स ब अनक कार क मानवmdashक त य और उन क त य क य तरक क यौरवार उ लख ा त होन लगत ह िजनस यह प ट ह क अब लौ कक व ध (सकलर लॉ) एक अ य त वक सत प म व यमान हो चक थी अब यवहार व ध ( स वल लॉ) और द डापराध व ध ( मनल लॉ) क अलगmdashअलग ाय नि चत कय जा चक थ मन म त वह थम धमशा ीय रचना ह िजसम यह भद प ट प स दखायी दता ह मन न 18 अलगmdashअलग शीषक म व भ न कार क अपराध को बाटा और उनक लए प ट द ड क यव थाए द आग क म तय न भी ाय उ ह क आधार पर अपनी अपराध स चया बनायी क त या व य म त म इनक

स याए और भी अ धक बढ़ जाती ह जो कालगत वकास म अप रहाय था बह प त म त (ग तयग) क अनसार कछ अपराध अनादयवाद क सची म आत ह िजनम राजक य यायालय

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म वचार नह कया जा सकता था ऐस ववाद या अपराध व थ िजनका व प कौटि बक अथवा वयि तक था अथवा व थ जो ग mdash श य प तmdashप नी पताmdashप अथवा वामीmdashसवक क आपसी यवहार स स ब ध रखत थ उनक नणय या तो कल क अदालत म होत थ अथवा पर परा मा य वधान वारा ऐस आपसी मामल वत ह सलझाय जात थ

म तय म अपराध क वभाव और ाय पण प स ि थर हो गय स दखायी दत ह उनक वग करण पर वण यव था क प ट भाव का दशन होता ह और उस कारण दि डत असमानताए प ट प स प रल त होती ह अपराध क एक स ा थी पातक और व भ न कार क पातक क प रगणन म तय क मख वषय बन गय व ण म त म अ तपातक महापातक अनपातक तथा उपपातक जस अलगmdashअलग कार क पातक क गनती क गयी ह व पातक यौन स ब धी प रवार स ब धी धमस ब धी अथवा व हत आचरण स ब धी य तरक अथवा दोष क लए वग कत कय गय और साथ ह उनक लए द ड क भी यव थाए द गयी

अपराध क वग करण म कह mdashकह वयि तक और कह mdashकह सामािजक भाव अथवा प ठभ म क दशन होत ह वद का व मरण ग क साथ धोखा माताmdash पताmdashप और अि नहो का याग कर दना न ष पय और खा यmdashपदाथ को हण करना अन चत सवा और पशा करना य व य श और गाय क ह या करना न ष व तओ को बचना जठ भाई क अ ववा हत रहत ह ए छोट भाई का ववाह करना आ द ऐस अपराध मान गय जो वयि तक म आत थ और उनक द ड अथवा ायि च त भी यि तगत आधार पर ह तय कय गय क त वणा म धम वारा मा य क त याक त य स स ब अपराध क पीछ सामािजक भाव प टत दखायी दत ह अनक कार क अपराध ऐस थ िजनम जा तब ह कार द ड प म व हत था क त धीरmdashधीर जब सामािजक उदारताए बढ़ती गयी तो जा तब ह कत यि त भी कछ कार क ायि च त को कर चकन क बाद पन जा त म सि म लत कर लया जाता था ईरानी यनानी शक यवन और ह ण आ द वदशी जा तय क भारत पर आ मण क फल व प अनक सामािजक प रवतन ह ए और सामािजक ग तशीलताए भी आयी वणा मधम क हमायती म तया जहा एक ओर उन स पक स समाज क र ा क लए चि तत दखायी दती ह वह उन स पक क भाव को वीकार कर नयी प रि थ तय क साथ मल बठान का य न करती ह ई भी दखायी दती ह उदाहरण क लए सामािजक यव था म वणसकट क स ा त का वग करण और वदशी जा तय क भारतीय ससग स उ प न नयी जा तय क उदय को धीरmdashधीर प टत वीक त द द गयी

अपराध व ध (लॉ ऑफ ाइम) का धीरmdashधीर बाद म ह वकास हआ मल व दक पर परा म वरदय अथात तप त वीकत थी य द कसी यि त क ह या कर द गयी तो उसक स बि धय को कछ धन द दन स उसक भरपाई हो जाती थी यह ि थ त धमस क समय तक बनी रह उनम व भ न वण क यि तय क ह या क लए अलगmdashअलग मा ाओ म गाय क म य प म (उनक स या पर आधा रत) तप त क यव थाए ा त होती ह mdashयथा य क ह या म 1000 गाय व य क ह या म 100 गाय और श क

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ह या म 10 गाय क दन क वधान ह इस कार क तप त म रा य स था क कोई य भ मका तो नह होती थी क त वह इन पव नधा रत नयम क पालन करान म कारक प म अव य व यमान रहता था क त ह याओ चोर और ीस हणा द जस अपराध को छपाना पी ड़त प अथवा अ य वारा उनक सचना रा य को न दना आ द भी अपराध मान जात थ और रा य इनक छानबीन करक स ब यि तय को द ड दता था बड़ा प ट ह क वरदय क साथ ह साथ द डस हता का वकास भी अव नह था कछ उप नषद और महाभारत म ऐस रा य को ह उ तम कहा गया ह जहा चोर न होती हो जहा कोई कायर और म यप न रहता हो और जहा कोई वर ( य भचार ) और व रणी ( य भचा रणी ी) नवास न करती हो

धमस का काल आतmdashआत (ईसा पव छठ mdashपाचवी शती स चौथीmdashतीसर शती क बीच) व भ न कार क सामािजक और यि तगत अपराध क प ट स चया तयार होन लगी थी इन स चय क नमाण पर राजा वद और वण क भाव प ट प स दखायी दत ह आग चलकर म तयग म अपराध क वशष या याए क जान लगी और दोष क हसाब स उनक वग करण कय गय उन दोष अथवा अपराध क व प और द यता म दश काल और प रि थ तय क भद क कारण स म अ तर कय जान लग रचनाकाल क ि ट स सव थम म त (मन म त ) म जन और बौ धम जसी अव दक धमपर पराओ क त वणा म और जा त क प र य म एक त या सी दखायी दती ह क त य mdash य वणा म और य वरोधी इन वि तय म श थलता आती गयी य mdash य मन क अनया यओ क कठोर वणधम ि ट म भी कमी आती गयी कौ टल य अथशा और या व य म त म इन वद वरोधी धम क त त या मक व प का अप ाकत बह त ह कम दशन होता ह

उपय त थ म अपराध को अलगmdashअलग शीषक अथवा वग म बाटा जान लगा अथशा वह पहला थ ह िजसम उ ह द वानी और फौजदार जस आध नक वध म वभािजत कया गया ह द वानी अपराध धम थीय नामक यायालय म दख जात थ और फौजदार क अपराध क टकशोधन नामक यायालय म दख जात थ इन दोन अदालत क धान यायाधीश को मश धम थ (अथवा यावहा रक) तथा द टा कहा गया ह द टा

और उसक अदालत कवल उपि थत वाद क मा स स ब न होकर प लस वभाग क काय क स पादन स भी स ब थी उन काय दो षय या अपरा धय का पता लगाना तथा उ ह अदालत म ल जाना सि म लत था

193 ववाद क कार मन म त म ववाद क 18 पाद क एक सची मलती ह क त वह मल mdashजल ह

ह आग या व य म त क यवहारा याय म अनक कार क मकदम का मश प चीस करण म एक व तत ववरण उपि थत ह जहा अपराध क वग करण उनक अनकानक भद

उन भद क हसाब स उनक द डभद आ द स वचा रत और भी अ धक व तत प म ा त होत ह उन सबको अलगmdashअलग व भ न भद क साथ द पाना यहा सभव नह ह अत उपय त सभी ोत क आधार पर ाचीन भारत क अपराध वषयक द वानी एव फौजदार क

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मामल क वग करण को एक समाहार क प म न नवत उपि थत कया जा रहा ह थमत धम थीय अदालत म आन वाल मकदम क सची उपि थत ह mdash 1 यवहार थापन सभी कार क स वद अथवा समझौत 2 सम यानयाकम सवा स ब धी करार (समय) 3 वा या धकार काम करान वाल मा लक क अ धकार 4 भतका धकार भतक (सवक ) क अ धकार और क त य 5 दासक प दास स स ब मकदम 6 ऋणादान कज क अदायगी क मकदम 7 औप न धक जमारा श या स पि त स ब धी मकदम 8 व त तानशय खर दmdashफरो त क मकदम 9 द त यानपाकम उपहार और दान आ द क मकदम 10 साहस चोर mdashडकती और ह या वाल मकदम 11 द डपा य कसी पर कय गय हमल स स ब मकदम 12 वा यपा य कसी क श द वारा बदनामी अपमान या गाल mdash

गलौज मकदम 13 धतसमा य जआ क खल स स ब मकदम 14 अ वा म व य िजस स पि त पर अ धकार न हो उस भी बच दन

स स ब मकदम 15 सीमा ववाद घर गाव खत भ म आ द क सीमाओ वाल वाद 16 वा तक घरmdashसहन आ द क वाद 17 व वा मस ब ध वा म व स स ब मकदम 18 ववीत पथ हसा फसल चरागाह सड़क आ द को नकसानmdashस ब धी

मकदम 19 ववाहधमmdash ीधन क प ववाह दहज ीधन आ द स स ब मकदम 20 सभयसम थान सहकार याmdashकलाप स स ब मकदम 21 दाय वभागmdashदाय म उ तरा धकार स ब धी मकदम 22 ववादपद नब ध व भ न कार क मकदम क कायवाह और

नयम क नधारण आ द क बात ाचीन भारतीय व धय mdash अपराध अदालत यायाधीश स य सा य सा य

मकदम क सनवाई द ड द ड कार द ड भद द ड क उ य द ड स वमि तओ आ द क स ब ध म सबस अ धक व तत यापक और वशष ववरण हम या व य म त म ह ा त होत ह उसका यवहारा याय नामक एक ख ड अपन लगभग प चीस करण म इन वषय का उ लख करता ह उन करण क शीषक अ धकाशत ऊपर दय गय शीषक जस ह ह क त उसक ववचन इतन यापक यौरवार व भ न प क िज मदा रय को बतात

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ह ए अपराध और द ड क ऐसी पणता स य त ह जो अ य कह भी कसी म त म नह ा त होत आग चलकर 11 वीmdash 12वी शता द म व ान वर न उस म त पर मता रा

नामक एक ट का लखी जो काला तर म ह द व ध क या या हत उस म त जसी ह मा य और ामा णक हो गयी त नसार यक यवहार अथात वाद या मकदम क चार पाद कह गय ह + पहला पाद ( म) वह ह िजसम वाद अपन वाद को यायालय म उपि थत करता ह वतीय पाद म तवाद उसका उ तर दता ह ततीय पाद म वाद अपनी ओर स उस उ तर का य तर दता ह अि तम (चतथ) पाद म सा य स अथात यायालय वारा नणय लया जाता ह एक जीतता ह और दसरा हारता ह वाद म तभ अथात जमानतदार और सा ी (गवाह) क प ट और यौरवार या याए हो गयी ह और उनक यो यताओ एव नय यताओ क ववरण ह क थत ह क साहस ( वष और श आ द स ह या) चोर कठोर भाषण दध दन वाल गौ क त महापातक ाण और धन क नाश तथा ीहरण या पर ी सग आ द क मकदम म तवाद को तर त उ तर दना आव यक ह क त अ य कार क मकदम म उस य तर क लए समय दया जा सकता ह तदन तर व भ न कार क अपराध का प रगणन ह जो द य बताय गय ह सभी कार क अपराध क

अलगmdashअलग द ड बताय गय ह सवा धक मह वपण एक उि त यह ह क य द वाद का न तारण करत समय व ध क म तसलभ व भ न ोत म आपसी ववाद और व भ नता हो तो यवहार ( व ध) क मकाबल याय ( ववकपरक ि ट) बलवान अथात नणयकार होता ह और भी क थत ह क य द धमशा और अथशा क नदश म अ तर हो तो धमशा ीय वचन ह माण वीकार कय जायग मकदम क न तारण म प ट माण ल खत द तावज वाद स स ब व त या स पि त का भोग और सा य क गवाह मश नणयकार होत ह य द इनम स कोई भी सा य उपल ध न हो तो द यद ड क सहार लय जा सकत ह मकदम को दखन क लय पग (सामदा यक स थाओ) णय और कल क अदालत क मा यता रा य अथवा राजा वारा वीकत थी और उ ह मक वर यताए द जाती थी अ य कहा गया ह क वाद सबस पहल गाव ( ामीण पचायत ) म सन जात थ आव यकता होन पर उनक सनवाई पर (अथात नगर य mdash कई सौ या हजार ाम क ऊपर) क अदालत म होता था वहा भी य द कसी प को याय न मल पान का स दह रह गया हो तो अ तत मकदम राजा क सव च अदालत म जात थ राजा चाह उ चत नणय द अथवा अन चत नणय द उसक ऊपर कोई सनवाई नह थी इन सार बात क वचार को या व य म त म साधारण यवहारमातका करण ( याय स स बि धत साधारण बात) क स ा द गयी ह

या व य म त वाद क व भ न पाद (वग करण ) म ऋणादान को थम थान दत ह ए ऋण पर याज क व भ न दर को माहवार और वा षक तौर पर नि चत करती ह जो मश वण मानसार घटती जाती थी समाज क व भ न काय mdash यवसायmdash यापार वदशी यापार सहकार उ यम आ द म जीवन क ाय सभी म धन क जो आव यकता होती थी उनक कज और सद पर उगाह स ब धी सामािजक आव यकता का उसम पर कार

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आकलन कया गया और उसक सद समत या कछ छट स हत ऋण ा तकता अथवा उसक प नी अथवा प mdashपौ वारा चकाय जान क ववशता द शत ह इसक अभाव म ऋणदाता अदालत क शरण लता था और ऋण लन वाला द ड का भागी होता था इसी कार आ ध (रहन) और उप न ध (धरोहर) स ब धी वषय स उ प न प रि थ तय (वाद ) क व तत ववचन ह िजनम बचौ लय या जमानतदार ( तभ) क उ तरदा य व क चचाए भी आती ह फौजदार (क टकशोधन) क काय क चचा व तत प म या व य म त म ा त होती ह क त उसका समाहार भी यहा द पाना असभव ह दाय वभाग करण वहा का एक वशष व य वषय ह िजसम या व य उ तरा धकार स ब धी अनक नय नयम का वतन करत दखायी दत ह उनक मा यता द वानी अदालत क लए अप रहाय थी गाव घर सहन खत आ द क सीमाओ स स ब तथा पशओ क वामी स पशपालन (चरवाह ) क स ब ध उनक पार प रक शत तथा उनका पालन न होन पर त ज य अपराध और द ड क ववचन भी वहा क वशषताए ह क टकशोधन नामक अदालत क अ धकार म न न वषय स स ब वाद आत थ ndash 1 का कवदहर ण mdash शि पओ और यापा रय क र ा स ब धी बात 2 गढ़ाजी वना र ा mdash अन तक काय म लग ह ए लोग का दमन 3 मानव काशनम mdash ग तचर वारा अपरा धय का पता लगाना 4 शका पकमा भ ह mdash वा त वक और स दहा पद अपरा धय क धरपकड़ 5 आशमतकपर ा mdash शव का अ य पर ण 6 सवा धकरणर ण mdash रा य क व भ न काय वभाग म अनशासन थापन 7 एकागवध न य mdash मन याग वशश को काटन वाल को द ड 8 श च द डक प mdash यातनास हत या यातनार हत म यद ड 9 क या कम mdash नाबा लक लड़ कय क साथ बला कार 10 वा यकमानयोग mdash श द वारा अथवा शार रक यातना वारा पछताछ 11 अ तचारद ड mdash फटकल अपराध का न तारण

क टकशोधन अदालत क अ तगत आन वाल वाद को य द समाहार अथवा समह प म उपि थत कया जाय तो उ ह न न ल खत णय म बाटा जा सकता ह थम छ कार क काय बह त कद आर ीबल अथवा प लस काय क णी म आत ह और व द टा क अधीन काम करन वाल प लसजन क अपराध स ब धी खोजबीन धरपकड़ और अदालत क स मख अपरा धय क उपि थ त स स ब थ अपराध कम हो और नाग रक सखपवक रह वा तव म यह उनका उ य था उपय त वभाजन क अि तम पाच काय ह वा तव म क टकशोधन यायालय क या यक याओ या याmdashकलाप म आत थ क त मलत व भी प लस

काय क भीतर ह समा हत थ इस कार इस अदालत क काय mdashसीमा बड़ी व तत तीत होती ह स पत उसक काय इन ल य क ओर उ ट थ क यापार और अ य यवहारगत लोग क समह साधारण जनता का शोषण न कर सक द ट स साधारण लोग क

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र ा हो सक और राजक य नौकर क यादती स भी सामा य लोग क र ा क जाय इन काय क उ चत स पादन हत रा य को एक मजबत नौकरशाह रखना एव एक अ य त ह ससग ठत ग तचर वभाग क आव यकता थी शव क अ यपर ण स ब धी चलन स भी यह स होता ह क उन दन स क त क एक उ नत शखर पर भारतीय समाज आ ढ़ हो चका था

194 यायालय क टकशोधन यायालय म तीन कार क द ड दय जात थ व थ अथद ड कायद ड

और ब धनद ड राजक य स पि त चरान वाल क सजाए (अथद ड) अ य त ह कठोर होती थी इन जमान क रकम का व प और उनक मा ा चोर क गयी व त या स पि त क मा ा क अनपात म घटतीmdashबढ़ती रहती थी अदालती या अ य अपलख म धोखाधड़ी और जालसाजी क लय द ड बड़ कठोर थ उनक द ड व प शार रक अग का व छद अथशा क रचना क बह त पव स ह ाचीन भारत म अनशा सत था क त कौ ट य क ि ट इस स ब ध म बह त ह उदार दखायी दती ह तथा प वह कहता ह क रा य ोह र नवास म अन धकत प म घसन जगल जा तय और श ओ को राजा क व भड़कान तथा दग रा और सना म अस तोष फलान वाल को अि न स जला दना चा हए अपन श ि च क प नामक करण म वह वधद ड अथात फासी क सजा का उ लख करता ह क त इस द ड क पीछ भी दो कार क भद कय जात थ य द दोषी क दोष म नदयता अथवा रता भी सि म लत रह तो उस वधद ड दत समय यातनाए द जाती थी क त ऐसा न होन पर फासी यातनार हत होती थी य द कसी मारपीट अथवा सघष म एक प का कोई यि त घटना क 15 दन क बाद मरता था तो उस दशा म उस म य क कारक अपराधी को वधद ड न दकर कवल अथद ड मा स म त कर दया जाता था कसी यि त क शर र पर चोट वारा घाव कर दन अथवा कसी गभपात का कारण बन जान वाल अपराधी को भी कवल अथद ड मा दना होता था कसी अ य को वष दन वाल प ष को डबाकर मारा जाता था और ी अपरा धय को यातना स हत म यद ड दया जाता था नाजायज यौन स ब ध या बला कार क दोष भी क टकशोधन म ह नपटाय जात थ इस स ब ध क कछ दोष ववाह स ब ध स भी उ त होत थ ाचीन भारत म जहा तक अपरा धय को यातना दन का न ह भारतीय और योरोपीय व वान म इस वषय पर बह त ह अ धक मतभद ह ऐसा लगता ह क यातनाए कवल उन अपरा धय को द जाती थी िजनक दोष अ यत मा णत हो चक होत थ यातना अ भय त स जबरद ती अपराध कबल करान का कोई घ णत उपाय नह थी

व भ न कार क द ड म एक कार था द य द ड का िजसक अनकानक तर क धमशा म बौ थ म तथा यवान वा ग क या ाव ता त म हम ा त होत ह क त म तय क अनसार कसी मामल म जब कोई प ट माण ल खत (आल य) मि त (व त

या स पि त क भोगा धकार) एव घटना का च मद द गवाह नह होता था तभी द य द ड क सहार इस बात का पता लगाया जाता था क अ भय त सचमच दोषी ह या नह द यद ड क व भ न कार पर शर र क अथवा उसक अग वशष क प थर आग अथाह जल गम

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तल जलत ह ए तव आ द वारा दबाय जान डबाय जान अथवा डाल जान जसी ऐसी यातनाए थी जो वा त वक प म बबरता क सीमा तक पह च जाती थी क त सभी ाचीन समाज म सव ह ाय ऐसी मा यताए व यमान थी क य द अ भय त वा तव म दोषी नह होगा तो ई वर उसक साथ रहगा और वह इन यातनाओ स भी बना कसी घाव हा न या म य स ब कल ह अछता नकल जायगा कौ ट य न इस उपाय को बह त उ चत नह माना और ऐसा तीत होता ह क य अ य त आ दम समाज क या यक थाए थी जो मश समा त हो

गयी अथशा क अनशसा ह क रा य क ग तचर वय राजा या यायाधीश को ग तवश म अथवा अ य ग त कार वारा वा त वकता का पता लगाना चा हए और यातनाओ का योग नह करना चा हए यह न कष नकाला जा सकता ह क द यद डद ड क व भ न कार म एक कार क यातनामय द ड ह थ न क अ भय त क दोषी अथवा नद ष होन

को जानन वाल उपाय कायद ड अथात शार रक द ड क अनक कार थ यथाmdashकोड़ लगाना र सी स लटका

दना बत लगाना अग लय क जोड़ को जलाना दागना अथवा पानी म डबाना आ द इ ह यावहा रककम क स ा द जाती थी रा य ोह अथवा ष य जस अपराध म तो य यातनाए बारmdashबार न य त ह द जाती थी इनका उ य कवल यह तीत होता ह क व अपराधो मख लोग को अपराध याओ स वरत करन म कठोर उदाहरण का काम कर और दखन वाल लोग इतन भयभीत हो जाए क उनम स कोई जघ य अपराध कर ह नह

क त य द ड एकाि तक अथवा स ब दोष म सभी अ भय त क लए अप रहाय नह थ उदाहरण क लए नाबा लग लोग और ि य को व हत कायद ड क अप ा उनक आध द डमा स छोड़ दया जाता था जो ी गभवती हो अथवा स य सता हो उस तो कायद ड अथवा शार रक यातनाए द ह नह जाती थी छोटmdashछोट अपराध (म दापराध) भी का यक यातनाओ वाल द ड स ब कल ह म त थ ठ क इसी कार जो अ भय त व बालक ण म त नशाय त भख यास या थक होन क अव था म कोई अपराध कर दत थ अथवा वसा कर चकन पर उस न सकोच वीकार कर लत थ उ ह का यक द ड स वम त कर दया जाता था साधारणतया ा मणवण अपराधी घोर अपराध क बावजद भी म यद ड स बर रख जात थ और उसक बदल उनको दश नकाल का द ड दया जाता था

यायालय म नणय सरसर तौर स नह अ पत पर जाच पड़ताल क बाद ह कय जात थ यायाधीश अथवा राजा वारा वय भी अ भयोग म माण क पर छानबीन तो क ह जाती थी ग त प स वष बदलकर अथवा ग तचर वारा भी अस लयत का पता लगाया जाता था दोष हर कार स पर तरह मा णत हो जान पर ह द ड दय जात थ द ड क स ब ध म कछ प ट प स नि चत कय ह ए स ा त थ जसा पीछ हम दख चक ह उनम एक यह था क जब तक अपराध पर तरह मा णत न हो चका हो द ड नह दया जाता था वतीयत यह यव था थी क अपराध क तलना (मा ा) (अपराधान पम) म ह द ड दय जाय ध नक क लए ायः धनद ड क यव थाए थी और श ट कार क दो षय को शाि दक ताड़ना अथवा ध द ड मा ( ध कारन) क थाए थी दो षय क

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दोषान प और उनक सामािजक ि थ त क आधार पर ह द ड दन क अनशसाए म तय म ा त होती ह क थत ह क राजा को छोट कार क दो षय अथवा बड़ कार क दो षय म

अ तर करत ह ए पहल तो वाणी स ताड़ना (वा द ड) करनी चा हए पनः ध कारना ( ध द ड) चा हए तदन तर धनद ड अथात जमान करन चा हए तथा अ त म बह त वशषापराध क ि थ त म फॉसी क सजा सनानी चा हए य द ड तथा कभीmdashकभी बत मारन या दागन आ द क द ड कवल इस लए दय जात थ क व अपराधी म शम और प चाताप का भाव उ दत कर और वह वय ह अपन दोष क लए अपन को लि जत महसस कर

ाचीन भारत क या यक या म एक कमी यह बतायी जाती ह क उस समय अ भय त क वण म क वचार स ह द ड दय जात थ और इस कार व ध और याय क ि ट म सभी यि त बराबर नह थ उदाहरण क लए ह या क मामल म भी ा मण फासी

पर न लटकाय जाकर कवल दश नकाल क द डमा स दि डत कय जात थ इसक अ त र त अ य मकदम म भी एक ह कार क अपराध क लए ा मण को िजतना द ड दया जाता था उसस दगना य को चौगना व य को और आठ गना द ड श को दया जाता था म तय क अ या य लखक न तो इस यव था को तपा दत कया हो कौ ट य जसा श भौ तकवाद क अथशा म ा मण को वधद ड स वमि त दता ह यवानmdashवा middotग क उि तय स यह प ट ह क यह कवल कोरा स ा त मा नह था अ पत यवहार म भी हष जस व य राजा वारा भी मा य कया गया था उदाहरण हत कनौज क स धमसभा क पा डाल म आग लगाकर जब ा मण न यवान वा middotग को मार डालना

चाहा (उसी क या ाव त क अनसार) और हष का भी वध कर दन क योजना बना डाल तो भी उनका (500 ा मण का) दश नकाला ह हआ उ ह फासी नह द गयी अ य वदशी या ी भी ा मण को वधद ड न दय जान वाल इस स ा त क पि ट करत ह क त यह नयम एकाि तक था ऐसा तीत नह होता डाmdash अन त सदा शव अ तकर न ऐस उदाहरण और धमशा ीय वा य का सा य दया ह जहा यह क थत ह क कई कार क जघ य अपराध म ा मण को भी शार रक द ड अथवा फासी द जाती थी

195 द ड या ाचीन भारत म द ड स ा त द ड क व प द डभद दाि डक क उ तरदा य व तथा

दाि डक वमि तय आ द क अवधारणाओ का वकास मश ह हआ जसा क हम पीछ दख चक ह अ य त ार भक अव था म सामािजक याय क स ा त का न तो वकास हआ था और न दोष अथवा अपराध कसी यि त वशष क त न होकर समाज क त वीकार ह कया जाता था अ य त ारभ म कसी क त कोई अन चत यवहार (गाल ह या हसा आ द) कवल वयि तक वीकार कया जाता था और क ट पाय ह ए अथवा उसक प रजन वारा क ट दन वाल क त कछ तशोधा मक अथवा बदल का काय दोष का अि तम प रहार वीकार कर लया जाता था इस ह व दक थ म वरदय कहा गया ह भारतीय सा ह य

क यह भी मा यता ह क मलत यि त साि वक था और ऋत अथवा धम (सामािजक याय) क भावना क साथ सारा समाज चलता था धम ह उस समय द ड था उस समय

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न तो राजा था और न रा य न द ड था और न दाि डक सभी लोग धम वारा पर पर एक दसर क र ा करत थrdquo क त काला तर म तमस और र स क वकास क साथ मा य याय क ि थ त उ प न हो गयी और जस तालाब म बड़ी मछल छोट मछल को खा जाती ह वस ह सबल लोग नबल को खान अथात सतान लग अत इस ि थ त क अ त क लए राजा रा य और द ड क उ पि त ह ई यह माना गया क द ड ह वह राजशि त ह िजसस भयभीत होकर लोग अ याचार अपराध और दोष स वरत रहत ह यह द ड का ह भय था क लोग एक दसर क त धमाचरण करन को ववश ह ए जब सार द नया सोती थी तो यह द ड जगा रहता था और इसक कारण ह द ड को धम कहा गयाrdquo द ड म दम (दमन) क शि त का ायोजन हआ और राजा इस दम (दमन) शि त का तीक हो गया क त इसका यह मतलब नह क राजा द ड क योग म व छाचार अथवा नरकश हो गया अ पत उसक ऊपर भी व ध का नय ण था पत कया गया तथा प द ड का उ य समाज म यथाि थ त बनाय रखना मा था इसम प रवतन अथवा वकास का कोई थान नह था समाज जसा था उसक जो भी मा यताए और स ाए थी व वास और पर पराए थी द ड उ ह वसा ह बनाय रखन मा का उ तरदायी था वह प रवतन का कारक न होकर सामािजक ि थ त क यथा व का स थापक मा था वह वग (धम अथ और काम) का र क और पोषक था मन म त का समय आतmdashआत द ड और व ध क एका मकता था पत हो गयी उसका कथन ह क प व यि त दलभ ह घणा वष ई या आ द वि तय स मन य म वाथ और सघष क उ पि त ह ई और मा म याय क कारण धम क मयादा न ट होन लगी ऐसी ह ि थ त म धमस थापना और ा णमा क क याण क लय मा न मतजोमय द ड क उ पि त क राजा उसी द ड का तीक था क त वह भी धम ( था पत नयम ) और द ड क ऊपर नह था य द वह द ड का योग धमपवक नह करता ह तो वह भी वय द ड का भागी होता ह क थत ह क महातज वी दधर द ड स राजधम यत राजा सकट ब न ट हो जाता ह इस कार मन क अनसार द ड क शि त यि त समाज और राजा सभी स ऊपर ह अत यव था यह थी क राजा वारा दय जान वाल द ड अपराध क अन प (यथापराधद ड) ह और उनम म यम माग का ह अवल बन कया जाय द ड न तो बह त मद ह और बह त ती ण या कठोर ह ह कौ ट य न प पातपण वाथ क वशीभत होकर शि तसचय क लोभ स अथवा कसी भी कार क लालच स रत होकर दय जान वाल द ड को द णीतद ड कहा ह

ाचीन भारतीय द ड स ा त क एक अ य वशषता यह भी थी क उसम अपराध अपराधी प रि थ त वण जा त समाज आय यि त व दश काल आ द क प रि थ तय को वीकार कया जाता था उस आधार पर द ड दन वाल राजा या यायाधीश को अपन ववक क योग हत बह त बड़ा अवसर ा त हो जाता था इस आधार पर वह अनक दो षय को उनक अपराध स वम त भी कर सकता था अथवा अनश सत द ड क मा ा को घटा सकता था इस कार क दाि डक वमि तया सधारा मक द ड स ा त का अग बन गयी उदाहरण क लए 80 वष स अ धक क व ी रोगी तथ 16 वष स कम आय वाल बालक

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क लए व हत द ड को आधा कर दन का वधान और योग था 21 वष स कम अव था का ग कल म रहन वाला बालक राजा क स मख या अदालत म द ड दन हत नह ल जाया जा सकता था उस ग वारा नि चत ायि च त मा स अपन अपराध क द ड स मि त मल जाती थी ह या चोर डाका वा पा य आ द अपराध म वण मानसार द ड मश आध होत जात थ तथा प ऐसा नह कहा जा सकता जसा क कछ म तय क वचन ह क ा मण म यद ड स सवदा ह म त थ गभपात करान वाल और ा मणी को श वारा

मारन जस अनक अपराध ऐस थ िजनम ा मण अपराधी को भी वधद ड दया जाता था यह यव था या व कय म त पर लखी ह ई व व प क ट का स प टत ात होती ह

द ड क उ य क अनसार उनक कई कार हआ करत थ ारभ म द ड का व प तीकारा मक (बदला) था जो बह त कछ यि तगत तशोध का तीक था क त समाज क वकासो मख अव थाओ क साथ जब अपराध कवल एक यि त क त कया गया दोष न माना जाकर समाज क त दोष माना जान लगा तो धीरmdashधीर द ड क इस तीकारा मक व प का हास होता गया मश उसक नरोधक व प का वकास होन लगा और द ड का

उ य यह हो गया क उनक मा यम स समाज म अपराध क स या को बढ़न स रोका जाय इस प ठभ म म द ड का व प नरोधक हो जाता ह और दमन भी सधारमलक हो जात ह उ चत द ड सधारा मक ह होता ह िजसम उ पी ड़त और उ पीड़क दोन क ह अ धकार पर उ चत मा ा म यान दया जाता ह अपराधी को सामािजक क याण क ि ट स और उसम यि तगत सधार लान क उ य स द ड या धीरmdashधीर सरल मद और सधारा मक हो जाती ह द ड का उ य कवल इतना मा होता ह क उसस अपराधी क मन म वत प चाताप और ल जा क भावना उठ और वह पन अपराध माग पर व त न हो

अपरा धय म सधार लान हत ब धनागार अथवा जल म उन पर जल अ धका रय वारा वशष यान दए जात थ इस ब धनागार क उ लख मन म त अथशा और

श नी त जस सभी थ म ा त होत ह प ष और ि य क लए अलगmdashअलग जल क यव थाए तो नह थी क त एक ह जल म व अलगmdashअलग अव य रख जात थ वहा अनशासन इतना कठोर था क य द कोई प ष अपराधी कसी ी अपरा धनी का शीलभग करता था तो उस म य क सजा द द जाती थी अथशा म जहा जल म ब द अपरा धय क यवहार और काय स ब धी नयम दय गय ह वह जल क अ धका रय (ब धनागारा य ) क भी उ तरदा य व और काय क ववरण ह य द जल स कोई भाग जान क को शश करता था तो उस म य क सजा होती थी और उस काय म य द जल का अ धकार उसक मदद करता था तो उसक सार स पि त रा य छ न लता था और वह अपनी नौकर स बाहर कर दया जाता था बि दय क लए सम चत भोजन और पानी क ब ध कय जात थ और इनक आप त म य द कह य तरक यवधान या लापरवाह होती थी तो ब धनागारा य दि डत होता था यक ब द एक ह थान पर रोज रखा जाता था और ब धनागारा य क अनम त क बना उसम कोई प रवतन नह हो सकता था

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जल म अपराधी को कसी भी कार तग करन वाल या क ट दन वाल यि त को सम चत द ड दया जाता था अपरा धय क कछ नि चत क त य काय और यवहार नि चत थ व बीमार और वकलाग स कोई भी काम नह लया जाता था क तजो अपराधी व थ और जवान थ उनस अनक कार क काम लय जात थ ी अपराधी नओ स सत कातन का काम लया जाता था स प म व आलस और म खीमार म अपना समय नह बता सकत थ साधारणत य अपराधी अपनी सजा का भोग कर चकन पर तो छोड़ ह जात थ कभीmdashकभी उसक पव भी छोड़ दय जान थ क दय को छोड़ जान क ऐस अवसर थ राजा का रा या भषक राजा वारा कसी नय दश क वजय यौवरा या भषक राजा का ज म दन अथवा आकाश म कसी शभ ह क दशन का दन इनक अ त र त जो बह त ह बढ़ रहत थ बीमार पड़ जात थ बालक थ अनाथ हो जात थ अथवा जल म बह त ह अ छा यवहार करत थ व सभी अपना द डकाल परा करन क पव ह छोड़ दय जात थ अशोक न अपन अ भलख म कई बार क दय क छोड़ जान का उ लख कया ह आय त और राजको को उसन जल का सवदा नर ण करन और अपन ववकानसार क दय को समय स पव ह छोड़ दन क आ ाए द रखी थी

ाचीन भारतीय द ड या क एक वशषता यह भी थी क राजा अथवा उसक ओर स नय त यायाधीश को मनमानी ढग स या सरसर तौर पर द ड दन का कोई अ धकार नह था म तय का तो यहा तक कहना ह क य द राजा वय कोई गलती कर तो साधारण अपराधी क तलना म उस एक हजार गना अ धक जमाना दना होगा यवहार प म यह कतना च लत था इसक कोई प ट जानकार तो नह ह क त इसस इतना तो प ट ह ह क राजा भी व ध स पर नह था वह कानन का वय नमाता नह था उस धमशा अथशा लौ कक नयम जातीय नयम एव सामदा यक (कल णी सघ पग आ द) नयम क आधार पर ह वाद का नणय करना पड़ता था और उनम च लत द ड वधानो क मता बक ह अपरा धय को द ड दना होता था कौ ट य न अथशा म यायाधीश क यवहार और आचरण स ब धी अनक न तक सीमाओ का उ लख कया ह त नसार उ ह सभी क त समानता और बराबर क यवहार वाला वनयम स प न और आदरय त तथा धोखाधड़ी स ब कल ह श य होना चा हए जो यायाधीश वय वा यपा य (गाल अपमानजनक श द न दा अपमानजनक याओ) आ द का दोषी पाया जाता था उस वसा ह दोष करन वाल अ य अपरा धओ क मकाबल दगना द ड दया जाता था जो अ भय त को डाट अपमा नत कर अथवा वाद mdash तवाद [ और गवाह को अदालत स नकाल द उसक लए साहसद ड क यव था थी यह द ड उसक लए उस समय भी था जब वह जो पछना चा हए उस न पछ जो नह पछना चा हए वह पछ कछ पछकर उस पन अन त रत होत ह ए भी छोड़ द वाद mdash तवाद mdashसा ी को अपनी ओर स कछ सखावmdashबताव अथवा उ ह पछल बात का मरण कराव स प म वादका रओ आ द को कसी भी कार तग करन पर यायाधीश दि डत होता था अथशा क अनसार य द कोई यायाधीश उपय त दोष का दबारा दोषी

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पाया जाता था तो उस अपन पद स हटा दया जाता था घस लन का स दह होन पर भी उ ह ग तचर क मा यम स पकड़न क को शश क जाती थी और व नकाल दय जात थ

यायाधीश क लए इन यव थाओ क कारण यायmdash वतरण म कह भी कोई गलती या अ तचार नह होता होगा इसक क पना सहज ह क जा सकती ह ऊपर क ववचन स यह भी प ट ह क ाचीन भारतीय यायपा लका कायपा लका (राजा और राजशासन) स बलकल ह वत थी और उस पर धम अथवा व ध क अ त र त अ य कोई भी दबाव नह था राजा वय व ध क अधीन था व ध क पर नह अदालत म शि तशाल और कमजोर दशवासी या वदशी वादकता और तवाद सबको एक समान सर ण और यवहार ा त था याय क मामल म दास और उनक वा मय क बीच भी कोई अ तर नह कया जाता था

तथा प ाचीन भारतीय याय व ध का एक दोष यह दखायी दता ह क व ध क स मख सबक पर बराबर नह थी और वण म क आधार पर कभीmdashकभी एक ह दोष क लए ा मण को कम द ड मलता था और अ य वण को अ धक तथा श को तो सवा धक द ड दया जाता था

196 अ यासाथ न 1 ाचीन भारत म व ध क वकास क ववचना क िजए (150 श द) 2 ाचीन भारत म ववाद क कतन कार थ (200 श द) 3 ाचीन भारत म द ड क व प पर ट पणी ल खए (200 श द)

197 सदभ और पठनीय थ 1 डी ह रहरनाथ पाठ ाचीन भारत म अपराध और द ड 2 रामच द तार

म ास व व व यालय ह द एड़ म न टव इ ट यश स

3 अन त सदा शव अ तकर वाराणसी

टट ए ड गवनम ट इन ऐ शय ट इ डया

4 अन त सदा शव अ तकर इलाहाबाद

ाचीन भारतीय शासन प त

5 वरदराजाचार लखनऊ व व व यालय

ह द य रस ड स

6 या व य म त और ट का

मल भाषा मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

7 डा कमलश भार वाज ाचीन भारत म रा य एव व ध पाइटर जयपर 1999

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इकाई mdash 20 ाचीन भारत म स नक सगठन ( ार भ स 1200 ई∙)

इकाई क परखा 200 उ य 201 तावना 202 ाग तहा सक एव व दक काल म स नक सगठन 203 महाका य स ात स नक सगठन 2031 रामायण 2032 महाभारत 204 महाजनपद का यग 205 मौय स नक सगठन 2051 मग थनीज व णत स य यव था 2052 अथशा व णत स य यव था 206 श गकाल न स य सगठन 207 सातवाहन स नक सगठन 208 शकmdashकषाण स य सगठन 209 ग तmdashस ाट का स नक सगठन 2010 वधन का स नक सगठन 2011 चोलmdashस नक सगठन 2012 चाल यmdashस नक सगठन 2013 राजपतकाल न स य यव था 2014 साराश 2015 अ यासाथ न 2016 सदभ थसची

200 उ य इस इकाई म हम ाचीन भारत क स य सगठन का अ ययन करग इस इकाई क

अ ययन क प चात आपको न न त य क जानकार ा त हो जायगी mdash भारतवासी अपनी सर ा क त कब जाग क ह ए ाचीन काल म सना क अग कौनmdashकौन स थ या उ सना का अग थ व भ न काल म कौनmdashकौन स श काम म लाय जात थ यह रचना एव ग तचर क सबध म स त जानकार

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201 तावना ाचीन काल म भारतीय समाज कलmdashकबील म बटा हआ था व दक काल क

अि तम चरण तक रा य का पण प स वकास हो चका था ऐतरय और ति तर य ा मण तक आतmdashआत रा क क पना भी हो चक थी दश म भोज वरा य और सा ा य आ द व भ न कार क रा य थ

ाचीन भारत म रा य क सावयव स ा त क क पना क गई ह य क लोग रा य को एक सजीव सह त मानत थ रा य एक सजीव एका मक स था क प म वीकत था और स त क तय स य त था स ताग रा य क क पना ाचीन भारतीय च तक क अनसार एक जी वत शर र क क पना ह िजसक सात अग होत ह इसी लए भी म न रा य को स ता मक शीषक स पकारा ह इस कार रा य एक ऐसा अवयवी ह िजसक सात अवयवmdashअग होत ह सभी रा य शा ी रा य क सात अग क नाम इस कार गनात ह mdash वामी अमा य जनपद दग कोश द ड और म इनम सभी अग एक दसर स अ धक

मह वपण ह रा य क र ा हत दग और द ड (सना) अ त आव यक होत थ द ड या बल याmdash सना पर दश क र ा का भार रहता ह सना को श स सि जत होना अ नवाय था राजा क लय आव यक था क वह उसका उ चत सगठन कर उसक श ण एव साजmdashसामान क यव था कर

अब हम व भ न काल म भारतीय स नक सगठन एव उसक य प त पर वचार करत ह

202 ाग तहा सक एव व दक काल म स नक सगठन (3000 ईपवmdash6000 ईmiddotपव)

(अ) ाग तहा सक काल मन य क पश धरातल स उठन क प चात उस स य होन म सह वष लग इस

यास का ल खत इ तहास उपल ध नह ह स य होन क इस द घ काल को आ दम पाषाण कालmdashपव पाषाण काल उ तर पाषाण काल और धात काल जस शीषक म बाटा जाता ह आ दम पाषाण काल म उसक सर ा उपकरण व एव उनक डा लय थी वह प थर क बड़ ख ड बचाव क लए काम म लता था कर ब 6 लाख वष पव क पव पाषाण और फर पाषाण काल म उस भोजन एव सर ा क च ता ह ई इस लए उसन बड़ प थर तोड़कर कछ पन ह थयार बनाय जो वाटज प थर क ह होत थ क त अब उनम व वधता कशलता और सौ दय ि टगोचर होन लगा धात यग म मानव न शकार हत श का योग श कया इस काल क ह थयार कड़ ती ा और थायी होत थ

मानव स यता क ठोस माण स धघाट क स यता म पाय जात ह इस काल को ता mdashपाषाण कहकर पकारा जाता ह इस स यता क ारभ म अवशष मोहनजोदड़ो ( स ध क लरकाना िजल म) हड़ पा (पजाब क मो टmdashगोमर िजल म) च ह दड़ो और नाल ( बलो च तान) स ा त ह ए थ इ ह ढढ नकालन का य राखालदास बनज और दयाराम

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साहनी को ह बाद म गजरात राज थान पव पजाब स भी स धव स यता क व तार क जानकार मल ह

हड़ पा तथा मोहनजोदड़ो म उ खनन क दौरान गढ़ मल ह जो उनक सर ा यव था का ह अग रह होगी यहा मोट द वार सर ा हत ह बनाई जाती थी हड़ पा म सर ा द वार आधार पर 1219 मीटर चौड़ी और 1065 ऊची थी इसका नमाण म ी स होता था फर उस पर प क ट लगा द जाती थी ारि भक अव था म ट क द वार क पीठ सीधी बनाई जाती थी क त बाद म असर ा क आशका स उस तयक बना दया गया सर ा ाचीर क अ दर 6 मीटर स 76 मीटर ऊचा चबतरा बनाया जाता था गढ़ (दग) क द वार

पर कछ दर पर बज बन थ जो द वार स अ धक ऊच थ ह लर न गढ़ क थाप य पर वशष काश डाला ह इस कार स धव क स नक सगठन क तो नह अ पत उनक सर ा यव था का कछ सकत उ खनन स अव य मलता ह माशल न इस काल म परश प रघ कटार धनष बाण गदा ढकवास व वसकार यम का उ लख आयध क प म कया ह चम वम एग ल ाण क बनावट श प म व णत ह तलवार का उ लख नह मलता (ब) व दक काल

व दक काल म रा य पी स था का वकास हो चका था व दक सा ह य क आधार पर आय क स नक याकलाप पर भी वचार कया जा सकता ह जनप त राजा कहलाता था और बाद म उसका पद वशानगत हो गया था ऋ व दक काल म स य यव था क छटmdashपट सदभ ह मलत ह जस य काल म राजा को लट स जो धन ा त होता था उसम स कछ स नक को भी दया जाता था ऋ वद म सनानी का उ लख मलता ह वह राजा क आ ानसार य म काय करता और सना का लड़ाई म मागदशन करता था य क लए श ाय बाण नषग तलवार और भाल होन का उ लख अस अ तकर न कया ह राजा और उसक स नक सरदार चलखत (वग या कवच) पहनत थ और घोड़ पर सवार होकर य करत थ सामा य सपाह पदचार होत थ

ऋ वद म य व या स ब धी कई म मलत ह शासक अपन व वासपा यि तय वारा श क शि त क जानकार ा त कर लता था श स र ा हत दग बनाय जात थ द य राजा पवतीय म दग बनवात थ वप ी य म ि य को आग कर दत थ ि या भी य म भाग लती थी माया य का भी चलन था य पव स नक को महो सव आयोिजत कर उ ह अि तम दम तक लड़न क श ा द जाती थी दव सना क सदभ म वमान अ व रथ क सना का उ लख मलता ह य म जीतन पर वजयो सव मनाया जाता था ऋ व दक काल म दाशरा अथात दश राजाओ न सघ बनाकर भारत क राजा सदास स य कया इस य म आय राजाओ क अलावा अनाय शासक न भी भाग लया यह य ऋ व दक आय क स नक वकास का उदाहरण ह व वा म दाशरा सगठन क नता थ और तप म सदास क नता व श ठ थ

ऋ वद म कहा गया ह क दग लोह (आयसी) प थर क ल बmdashचौड़ और गऊओ स भर ह ए होत थ इ को पर दर कहा गया ह अनक म म सनाप त श बर क पर और दग क वस का उ लख मलता ह इस काल म च क सक जो य म सहायक होत थ व

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वय भी शरवीर और य स नक होत थ यो ा क अ यि ट या स मानपवक होती थी ऋ व दक काल म पदल रथ घोड़ और हाथी क चतर गनी सना होन का उ लख रामद न पा डय न कया ह कहा जाता ह क ऋ व दक काल म गध भी रथ म जोत जात थ (ऋ वद mdash 1349) स भवत सना म सवहन आयात क लय रथ नाव घोड़ हाथी और ऊट काम म लाय जात थ एक सदभ म ववरण आया ह क मन साठ हजार और अयत (दश हजार) अ व बीस सौ ऊट दस सौ घो ड़य और दस सह गाय को ा त कया ह (ऋ वद mdash 98637)

उ तर व दक काल म वशाल रा य का नमाण ार भ हो गया था इस काल म य क लए सना को बज तथा बाण उपल ध करवान का उ लख अथववद म आया ह सना क यक अवयव सग ठत थ अथववद म कहा गया ह mdash ह इ हमार लय स ाम म श को तथा उसक पतना (सना) को मार य म द या का योग जार था स नक शर ाण शरोव टन व ा कवच शर र वसन स प र चत थ आयध म परश क हाड़ी बछा बलम म गर और धनषmdashबाण व य त होत थ इस काल म व या ाि त हत वषय क सची म व या या स नक व या को भी सि म लत कया जाता था इस काल म रि न क प म सनानी का उ लख मलता ह इस कार उ तर व दक काल म चतर गणी स नक यव था जार थी

रि नय क सची म सनानी क अलावा सत का नाम भी मलता ह अ तकर क अनसार वह रथ सना का नायक था और स मान क लय राजा क सारथी का पद हण करता था रि नmdashप रष म रथकार भी मह वपण सद य था आर एस शमा न रथकार और सत को एक ह यि त माना ह सना म रथ और अ व पर अ धक यान दया जाता था य य प य य म पदा त स नक ह अ धक मार जात थ क त सना का सव च सनाप त राजा ह होता था स य क सफल एव यश वी सचालन क कारण ह इ दवताओ का राजा बना इसका उ लख ऐतरय ा मण म मलता ह वस इस काल म ामीण क हाथ म भी कछ स नक अ धकार थ अथववद म वीर क तलना गण स क गई ह जो य म सहायता क लय बलाय जात थ गण तगामी अ व और अ mdashश स सि जत तीत होत ह उ तर व दक काल म भी धनषmdashबाण मख आयध थ राजा क अ भषक

स कार म भी उस धनषmdashबाण दन क बाद उसका प रचय दया जाता था उपय त ववरण क आधार पर कहा जा सकता ह क उ तर व दक काल तक आय न अपनी स नक यव था को एक नि चत व प दान कर दया था ता क व उ तर भारत म अपना रा य आसानी स व तत कर सक

203 महाका य स ात स नक सगठन 2031 रामायण

वा मी क रामायण भारतीय रा य शा का म य थ ह उसस ाचीन भारतीय स नक सगठन स य सचालन य णाल और स नक श टाचार क जानकार मलती ह

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कौसल रा य म स य वभाग का नदशन वय राजा अपन अमा य क सहायता स करता था य घोषणा या सि ध का अ धकार राजा को ह था लकाप त रावण क य प रषद म स य वभाग क मनी क बार म कहा गया ह क उस श क बल क पण जानकार होनी चा हए उन दन नगर दग प म बनाकर उनम श का भ डारण कया जाता था इन दग म तहखान भी बन होत थ सर ा हत नादय पावत व य और क म कार क दग बनाय जात थ

सना म चार भाग होत थ mdash पदल (पदा त) घड़सवार रथी और गजारोह इस लए उस चतरग बल कहा जाता था स नक क भी चार णया थी mdash म बल आट व बल भ य बल (वत नक) और वष बल (श को छोडकर आय ह ए) पदल सना दो भाग म वभ त थी mdash तलवार भाल स लड़न वाल और धनषmdashबाण स लड़न वाल स नक स नक क हाथी घोड़ क दखभाल हत अ वब ध और कजर ह नय त कय जात थ लका य म रा स क साड पर बठकर य करन का ववरण मलता ह प रसारक सना क आग जाकर आवागमन का माग बतात तब लगात और पल बनात थ खा य साम ी तथा अ य आव यक सामान ल जान वाला दल अलग होता था सना क पीछ यापार स नक क ि या तथा दास वग रहता था

सना य को सनाप त या सनानी कहा जाता था उसक अधीन कई बला य mdash अप त होत थ राजा और सनाप त य प रषद क सलाह स काय करत थ स यmdashअ धका रय का चयन उनक यो यता क आधार पर कया जाता था सना का सबस व वसनीय अग वह था िजसम कलmdashप होत थ दशरथ तथा रावण क सना म कई कल प उ च स य पद पर नय त थ

अयो या म स नक का अपना अलग वग था व य कहलात थ जब क लका और कि क धा म यक प ष स नक था

स नक को साम दाम द ड तथा भदनी त का ान रखना पड़ता था लका क स नक ाय ववा हत होत थ ता क सना म ि थरता बनी रह सक स नक को समयmdashसमय पर

वतन एव पर कार दय जात थ राम न भरत स पछा था mdash क स नक को दन क लए नयत कया हआ सम चत वतन और भ ता तम समय पर द दत हो दन म वल ब तो नह करत य समाि त पर स नक को उपहार दय जात थ लका य क बाद राम न वानर को र न दन का आदश वभीषण को दया

स नक भड़क ल व प हनत सरापान करत और अपन साथ पालत पश भी रखत थ अयो या क स नक वलासी थ उनक सवा करन क लए दा सया नय त थी य समा त होन पर दोन प क स नक वर भाव भलाकर मलत थ

सना म अनशासन कठोर था समय पर उपि थत न होन पर स नक को कठोर द ड दया जाता था पीठ दखान वाल स नक को मार डाला जाता था राम वय कठोर अनशासन वाल थ सभी वानर उनक अनशासन स डरत थ

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य म अपन वामी क लए ाण यौछावर करना प य का काय माना जाता था ि य य म भाग न लन वाल शरणागत को मारना पाप था नश म चर ि य स घर श पर आ मण नह कया जाता था ाय श क कमजोर का लाभ उठाकर उस पर आ मण कया जाता था श वारा नि चत माग न मानन पर ह सना आ मण करती थी य अि तम उपाय था इस लए सभी उपाय वफल होन पर ह आ मण कया जाता य टालन हत राजदत यास करत थ ग तचर सना का आव यक अग थ वषा काल म साम रक तयार थ गत रहती थी क त य काल म सना एक कर उसस तयार करवायी जाती थी सना याण करत समय माग म श वर लगाती थी

सना का अ भाग मधन कहलाता था जब क दायmdashबाय भाग पा व और म य भाग क या उरस कहलात थ याण म यान रखा जाता था क शासक राजा सर त रह

सना क पड़ाव क समय छावनी क नगरानी क यव था क जाती थी सना यह रचना पर आ मण करती थी यन सची वज शकट मकर द ड प आ द म य यह थ राम को ग ड़ यह अ धक पस द था ाय बाह मि ट व व और गदा य कय जात थ य म कलाबाजी पर ह हारmdashजीत नि चत होती थी य म तलवार (अ स ख ग ऋि ट कार क ) धनष बाण म गर पर वध परश च बछा शल क अलावा शत नी श का योग कया जाता था स नक कवच धारण करन व वध कार क बाण का योग कर अ भ ष त बाण क सहायता स य करत थ राम को अपनी इसी स नक यव था क आधार पर रा सराज रावण को परािजत करन म सफलता ा त ह ई

2032 महाभारत

महाभारत म भी म न स ताग रा य का एक अग द ड माना ह व द ड क दो व प मानत ह mdash काशद ड और अ काश द ड काश द ड सना अथवा बल ह िजसक

भी म न आठ अग मान ह सना क आठ अग इस कार ह mdash रथारोह गजारोह अ वारोह नौकारोह पदल और वि ट भारवाहक) चर और उपदशक अ काश द ड क अ तगत भी म का ता पय उन उपाय एव साधन क योग स ह िजनक वारा ग त व ध स श का अ त कया जाता ह अ काश द ड क अनक भद ह जस mdash जगम और अजगम चण योग व और भोजन म वष मलाकर श का ाणा त करना महाभारत म सना क सगठन उसक श ण य कौशल सना क अ धका रय और कमचार गण पर कछ काश डाला ह इस

काल म गज का मह व कछ कम हो रहा था उन दन ध व दग यह दग ग र दग मन य दग म तका दग और वन दग

बनाकर रा य र ा का ब ध कया जाता था िजसम सना क मह वपण भ मका होती थी रा य र ा अ नवाय ह क त भी म य को उ चत नह मानत थ व उस ववशता का साधन मानत थ व तो कहत ह क राजा को बना य कय ह ए ह वजय ा त करनी चा हय य द लोकर ा काय म बाधा उपि थत हो तो य ार भ करना चा हय राजा को व ध अनसार न द ट थान एव समय पर य श करना चा हय रा य ल सा वर शोधन

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न म त य कर ाणी वध करना गलत ह य म तण हण कर शरण आन वाल ी बालक व घायल सवक पर हार नह करना चा हय

जो यि त स नक बनना चाहता था उस वष तक य श ा लनी पड़ती थी स नक को वतन कछ नकद तथा कछ अनाज क प म दया जाता था नारद न स नक को समय पर वतन दन क बात य धि ठर को कह थी

सना म यक अग म 10 मन य पर 100 पर और 1000 पर एक अ धकार नय त होता था महाभारत य म 18 अ ौ हणी सना न भाग लया था

महाभारत स ात होता ह क प तक ग मप त गणप त वा हनीप त पतनाप त अनी कनीप त और अ ौ हणी प त mdash य आठ सना धकत क पद थ (आ दपव) एक हजार यो ाओ का अ धकार आध नक कनल क समान था सना क सभी अग क अलगmdashअलग अ य पर सनाप त होता था वह यह तथा आयध का ाता होता था य क दौरान ग ड़ यह च यह अधच यह और ौच यह का योग कया जाता था सना म नौका जासस और वि ट (मालवाहक) भी मख अग थ सना क साथ बाण तथा आयध को गा ड़या पर कर ल जाया जाता था द शक अ गामी द त क सद य होत थ पदल सना क ह थयार ढाल और तलवार थ कछ अ य ह थयार क नाम भी महाभारत म मलत ह mdash ास (भाला) परश (क हाड़ी) भ द पाल तोमर ऋि ट और श ल आ द ख ग एक छोट तलवार थी गदा का उपयोग व व य म कया जाता था हि तय म भी गदा काम म आती थी घड़सवार तलवार एव भाल रखत थ घड़सवार कई बार नीच उतरकर बाह य भी ार भ कर दत थ पदा त कवच धारण करत थ रथी और हाथी क यो ा कवच प हनत थ

य हत अ व फारस तथा अफगा न तान स और हाथी व याचल स मगाय जात थ हाथी को स ड तक ब तर पहनाया जाता था स नक धनषmdashबाण का उपयोग करत थ कई बार बाण म का योग करक चलाय जात थ जो अि न वषा तथा व यत उ प न करत थ रथ क वजा पर कछ वशष च न बन होत थ रथ 2 4 8 प हय वाल होत थ अजन क रथ पर वानर का च अ कत था रथ का थान प रवतन बाण क वग को रोकन क लए कया जाता था धम य क नयम दोन प पर लाग होत थ कट य भी महाय का आव यक अग था महाभारत म वमान वारा आ मण क भी क पना मलती ह उन दन अ ौ हणी सना म कतन स नक होत इस स ब ध म सी बी व य लखत ह mdash एक गज एक रथ तीन घोड़ पाच पदल स एक पि त होती ह 3 पि तय का एक सना मख 3 मख का 1 ग म 3 ग म का 1 गण 3 गण क एक वा हनी 3 वा हनी क एक पतना 3 पतना क 1 चम 3 चम क 1 अनी कनी और 10 अनी कनी स 1 अ ौ हणी सना बनती थी इसका हसाब करन पर अ ौ हणी म 21870 रथ उतन ह हाथी 65610 घोड़ और 109350 पदल होत थ क त यह ववरण उ चत तीत नह होता

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204 महाजनपद का यग (600 ई पव स 325 ई पव) छठ शती ई पव स जब भारत म ब और महावीर जस महाप ष का आ वभाव हआ

भारतीय इ तहास का ऐ तहा सक यग ार भ होता ह इस शता द म जनपद महाजनपद म प रव तत हो चक थ िजनका उ लख पा ण न क अ टा यायी भगवतीस पद और अगतर नकाय म मलता ह अगतर नकाय क अनसार भगवान ब क समय जो महाजनपद व यमान थ उनक नाम इस कार ह mdash अग मगध कासी कोसल वि ज म ल च तय (च द) व स क पाचाल म य सरसन अ मक अवि त ग धार और कबोज इनम स चार कोसल व स अवि त और मगध शि तशाल महाजनपद थ उन दन वि ज म ल और शा य मख गण या सघ थ पा ण न न इ ह वाता श ोपजीवी तथा राजश दोपजीवी कहकर पकारा ह

अवि त ब काल का सवा धक मह वपण जनपद था यहा का राजा च ड योत था च ड तथा महासन उसक उपा ध थी वह एक महान सना का अ धप त था मि झम नकाय क अनसार बि बसार (मगध) प अजातश न उसक डर स अपनी राजधानी राजगह क ाचीर को सर त करवाया था उसन ग धार नरश प कसा त पर आ मण कया क त असफल रहा अवि त क तरह कोसल नरश सनिजत भी महान यो ा था िजस अजातश (मगध नरश) स दो बार य करना पड़ा सनिजत क समय रा य म एक मख पद महासनाप त का होता था ब थल म ल इस पद पर नय त था बाद म द घकारायण को इस पद पर नय त कया ब क सम जान हत सनिजत न अपन राज च न छ ख ग मकट आ द द घकारायण को स प थ द घकारायण उ ह तथा सना को लकर ाव ती चला गया और व डभ को राजा घो षत कर दया व स जनपद क शासक उदयन क स ब ध म ात होता ह क उसक पास हा थय क सना थी उसक श च ड योत वारा लकड़ी क

अ व म 60 स नक छपाकर रखन का उ लख मलता ह हष क यद शका म उदयन क क लग वजय का ववरण आया ह इसी कार वि जसघ और अजातश क सघष का भी उ लख मलता ह

ब बसार वय यो य सनाप त था उसन सना क सहायता स ह अग जनपद पर वजय ा त क थी उस समय सना धकार सनानायक कहलाता था

अजातश का वि जय स ल ब समय तक सघष हआ उसन सर ा क ि ट स गगा क कनार दग नमाण करवाया और पाट लप को अपनी राजधानी बनाया ध मपद अ कथा क अनसार परािजत अजातश को वजयी कोसल नरश सनिजत न वत करक सना रा य और विजरा नामक प ी ववाह म द अजातश न वशाल पर आ मण सयणक नामक हाथी क लय कया राजा य म वजय हत छल का सहारा भी लत थ जब अजातश को वि ज सघ पर वजय नह मल तो उसन छल बल का योग करत ह ए अपन मनी व सकार को भजकर उनम फट डलवा द उधर पाट लप दग का नमाण होत ह ल छ वय पर आ मण कर परािजत कर दया बौ थ महाप र न बानस त म इस यह रचना का ववरण मलता ह जन थ क अनसार इस य म अजातश न महा शलाकटक (िजसस बड़mdashबड़ प थर श

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पर फक जा सकत थ) और रथमसल ( वचा लत यम य त रथ) यम (जो श ओ पर मसल क वषा करता था) का उपयोग कया गया

अजातश क प चात मगध स ाट महाप क सना का ववरण मलता ह व णपराण क ट काकार उसक नाम का अथ अस य सना का वामी या अप र मत धनरा श का वामी माना ह क टयस क अनसार उसक सना म 20000 घड़सवार 200000 पदल 2000 चार घोड़ वाल रथ और 3000 हाथी थ अि तम न द स ाट धनन द न भी स नक स ता को बनाय रखा उसक स नक शि त क चचा सक दर तक पह ची थी च ग त मौय को न द को परािजत करन हत कड़ा सघष करना पड़ा था इस कार जनपद यग म चतर गणी स नक यव था कड़ा पालन कया जा रहा था पा ण न न सना क अग क सनाग क प म या या क ह

सना म रथ का योग इस काल म जार था पदल अ व और गज सना का अपना वशष मह व था अ व स नक तलवार तथा ढाल स लड़त थ स नक तथा अ व कवच धारण करत थ जो लोह न मत होता था पा ण न क ववरण स सक तत ह क ऊट सामानmdashलान ल जान क काम आत थ ाय पदा त स नक य होत थ पदा त स नक िजस श स लड़त थ उसी क नाम स जान जात थ अ सक शतानीक धान क आ द पदा तय क नाम थ पा ण न न अ तथा श का व तत ववचन कया ह जो श पर फक जात थ व अ और जो हाथ म लकर लड़ जात थ श कहलात थ उन दन तलवार क हाड़ी धनष भाला और बछ मख श थ

जनपद यग म राजत रा य क अलावा कई गणरा य भी थ य गणरा य हम ब काल न भारत सक दर क आ मण क समय और फर सम ग त क समय ि टगोचर होत ह य गणरा य कभी जा तय और कभी सघ क प म मलत ह व वान न गणरा य क इ तहास को दो ख ड म बाटा ह थम mdash मौयकाल स पव लगभग 325 ईmiddot पव तक वतीय mdash मौय तर काल न लगभग 175 ई पव स 325 ई तक बीक सरकार उ ह तीन

ख ड म बाटत ह पहला mdash600 ई पव स 450 ईmiddot पव दसरा ndash 350 ई पव स 300 ई पव और तीसरा mdash 150 ईmiddot पव स 350 ईmiddot तक पहल कालख ड म यारह गण या सघ रा य थ यथा क पलव त क शा य म थला क वदह वशाल क ल छवी दसर काल ख ड म प तल मालवmdash क अ ब टई आगल सोई और नसाइ थ तीसर कालख ड म मालव यौधय क न द और वि ण सघ थ जो गणरा य आयधजीवी थ उनका यवसाय श चलाना था राजश दोपजीवीन सघ म शासक राजा क उपा ध धारण करत थ श ोपजीवी सघ शा कला को भारत म जी वत रख ह ए थ मालव और क समदाय स य कौशल क लय व यात थ सक दर को भारत क कई गण जा तय स सघष करना पड़ा था िजनम कठ जा त उ लखनीय ह सक दर का सामना मालव और क जा तय क सघ न भी कया िजसक पास 90000 पदल 10000 अ वारोह और 900 रथ थ अ ब ट समदाय क पास 60000 पदल 6000 अ वारोह और 500 रथ होन का उ लख यनानी लखक न कया ह ब क समय क पलव त का शा य गण और वि ज सघ उ लखनीय थ वशाल वि ज सघ क राजधानी थी इसम

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ल छ व वदह ा क आ द जा तया सद य थी य गण रा य सभागार क सहायता स शासन चलात थ गणरा य म राजन क नीच उपराजन सनाप त और भा डा रक होत थ गण य या सि ध स ब धी काय एक मन स नि चत होकर ह करत थ उनका राजधानी क र ा हत खाइया बनवान दग और बज बनवान का उ लख मलता ह ग तचर श क ग त व धय क सचना एक त करत रहत थ ाय पता अपनी क या का ववाह उस यि त स नह करत थ जो श प और य व या म नपण न ह सक दर न क क तर त ब (SharpmdashWitted) क शसा क ह गणरा य क अ धक जा स नक थी व लोग अ त समय तक वीरतापवक लड़त रहत थ दभा य स गणरा य क स नक सगठन क स ब ध म व तत जानकार का अभाव ह

205 मौय स नक सगठन (321 ईपव स 181mdash180 ईपव) न द वश क पतन क प चात भारत म मौय वश का अ धकार था पत (321 ई पव)

हआ च ग त मौय को पाट लप पर (मगध) अ धकार करन हत न दवशीय स ाट धनन द स य करना पड़ा था िजसम उसक सना न अपना य कौशल द शत कया िजसका उ लख म ल दप हो म मलता ह ि लनी क अनसार च ग त क सना म रथ क अ त र त 6 लाख पदा त 30000 अ वारोह और 9 हजार हाथी थ य य प ि लनी न च ग त मौय क रथ क स ब ध म कछ नह लखा ह क त डायोडोरस और क टयस क अनसार उनक स या 2000 लटाक क अनसार 5000 थी कौ ट य अथशा स अनक कार क रथ का उ लख मलता ह त मल का य स मौय क सा ा मक रथ क जानकार मलती ह

सना म स ाट ह धान सनाप त होता था उसक सना थायी थी और स नक को नकद वतन दया जाता था कौ ट य न अथशा म कोष और द ड या बल को वशष मह व दया ह कोष स ह सना या बल खड़ा कया जा सकता ह इस लए कोष और बल को व व त यि त क अधीन रखना चा हए ि लनी तथा ए रयन न रथ क अलावा पोत एव नौ सना का भी उ लख नह कया ह जो मौय सना क दो भावशाल अग थ

2051 मग थनीज व णत स य यव था

मग थनीज क अनसार मौय सना क 6 अग थ िजनका ब ध 30 सद य क एक महास म त करती थी जो द 5mdash5 सद य क 6 उपस म तय म वभािजत थी सना का काय पथकmdashपथक स म तय वारा सचा लत होता था थम स म त नौmdashसना का ब ध करती थी वतीय स म त सना क आव यक साम ी रसद पशओ क लय चारा का ब ध करती थी इसम रणभर और वा य बजान वाल तथा घोड़ क सईस एव श पी आ द सि म लत होत थ तीसर स म त पदल सना क लय थी चौथी स म त अ वसना क लय थी पाचवी स म त रथ सना क लय थी छठ स म त हि त सना का ब ध करती थी

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2052 अथशा व णत स य यव था

कौ ट य अथशा स मग थनीज क ववरण क पि ट होती ह कौ ट य क अनसार सना क यक वभाग का पथक अ य होता था जस mdash प या य (पदल सना य ) अ वा य (अ वसना य ) रथा य (रथ सना का अ य ) ह या य (हि त सना य ) और नवा य (नौ सना धाना य ) सना को सामान पह चान वाला वभाग वि ट कम वभाग कहलाता था इस वभाग म श पी मजदर भ य आ द श वर माग सत कप का ब ध करत न दय का नर ण करत स नक य आयध अ mdashश और खा य साम ी

सना को पह चात थ कौ ट य क अनसार आध नक रड ास क तरह मौय सना म भी एक वभाग च क सा स वधा दान करता था च क सक सना क साथ आव यक दवाइय स हत उपि थत रहत थ इसम ी प रचा रकाए प ष को लड़न क लए उ सा हत करती रहती थी पदल सना क वग

कौ ट य क अनसार पदल सना क 6 वग थ िजनक नाम ह mdash मौल (राजा क नजी पतक सना) मतक ( कराय क स नक) णी (य व श स आजी वका चलान वाल स नक) म बल ( म रा य क सना) अ म बल (श रा य म भत क गई सना) अटवी बल (अटवी दश म रहन वाल जगल जा त क लोग क सना) कौ ट य इनम राजा क पास रहन वाल मौल सना को सव ठ बतलाता ह य क वह राजा क व म व और उसक य म अपना य समझती थी उनmdashम य चर स या म होत थ सना और वण

सना म ा मण य व य और श वग क लोग भत कय जात थ कौ ट य य को ह ठ स नक मानता ह वह ा मण सना को अ छ नह मानता श उन पर

वजय करक काब पा सकता ह सना क अ धकार

दस रथ और दस हाथी क अ धकार प दक कहलात थ आर क मकज का मत ह क एक प दक क नीच 10 हाथी 10 रथ 50 अ वारोह और 200 पदा त रहत थ इस गणना म यक 10 प दक अथात 100 हाथी 2000 पदा त 500 अ वारोह और 100 रथ पर एक स नक अ धकार नय त होता था िजस सनाप त कहत थ दस सनाप तय क ऊपर एक नायक नय त होता था महासनाप त का पद परो हत यवराज क समक होता था उस 48000 पण वतन मलता था नायक को 12000 पण हाथी घोड़ और रथ क अ य को 8000 पण मा सक वतन मलता था म य क बाद सना क व भ न अग क अ य को 4000 पण रथ हि त और अ व श क को 2000 मा सक वतन दया जाता था महासनाप त

सनाप त वह हो सकता था जो सब कार क आयध का योग और चतरग बल (हाथी घोड़ा रथ और पदल) को ठ क ढग स सचा लत करन म स म हो उस यह ात रखना ज र था क अ भयान क लय कौनmdashसा समय उपय त होगा दग पर कस सफलता

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ा त क जाए श दल क एकता कस भग हो सकती ह वह पताका क नाम पर सना क यह का नाम रखता और सना क य ा यास क यव था करता था नायक

वह महासनाप त क बाद दसरा अ धकार था उसक नीच 10 सनाप त होत थ वह अपनी सना का म खया था अ भयान क समय माग म सना क लय उपय त क धावार बनान क काय क दखभाल करता था नायक क बाद पदल घोड़ हाथी और रथ सना क म य और उसक बाद चतरग सनाओ क अ य होत थ आर क मकज का वचार ह क सना क म य और अ य शायद रण क अ धकार न होकर कवल कायवाहक अ धकार थ क त कौ ट य अथशा म घोड़ रथ हाथी और पदल सना क अ य का जो ववरण दया ह उसस सक तत ह क उ ह सना क श ण का परा ान था इस लए उ ह कायवाहक अ धकार नह माना जा सकता रथ हाथी और घोड़

मग थनीज क अनसार य म जात समय रथ को बल खीचत और घोड़ र सी पकड़कर ल जाय जात थ रथ क साथ पा व म दो यो ा बठत थ य म हाथी पर चार सवार बठत थ तीन धनधर स नक और एक महावत धनधर म दो पा व स और एक प ठ भाग स तीर चलाता था हाथी घोड़ क लय राजक य शालाए और श क लय आयधागार बन ह ए थ यक स नक को अ mdashश श ागार को और हाथीmdashघोड़ राजक य शालाओ को लौटान पड़त थ कौ ट य का मत ह क य म राजा क वजय म यत हा थय पर नभर ह फर भी घोड़ सना क आव यक अग थ हा थय को उप थान सवतन सयान वधावध हि तय स ाम और नारायण (दग तोड़न) क श ा द जाती थी ह या य हा थय हत सब कार क यव था करता था हाथी क लग दशारण अपरा त सौरा पचनद तथा क स दश स मगाय जात थ हाथी क तरह घोड़ को भी नय मत श ा द जाती थी घोड़ को व ताकार चलन धीर चलन लाघन चौकड़ी भरन 1 सकत समझन क श ा द जाती थी उसका पण ववरण भी रखा जाता था घोड़ का बोज स ध पजाब अरब बाह लक सौवीर स मगाय जात थ इसी कार पदा त स नक को भी नय मत अ यास करवाया जाता था अ तmdashश

यनानी लखक तथा कौ ट य अथशा स मौय सना क अ mdashश क जानकार मलती ह यनानी लखक क अनसार धनषmdashबाण कडप शल सौ नया और ास म य श थ भारतीय धनधर क नशान को ढाल स रोकना क ठन था अथशा म सना क श का उ लख मलता ह उनक नाम ह mdash सवतोभ जा (प थर फकन वाला) बह मख (चार ओर मख वाला) सघा ट (आग लगान वाला ड डा) यानक (च पर रखा द ड फकन का य ) पज यक (पानी का य ) दवद ड (क ल का द ड) पाञचा लक (ती ण फलक) मसल यि ट (लकड़ी क शल) हि तवारक (हाथी हटान वाला) गदा शत नी (क ल वाला थल त भ) शि त (लोह का आयध) शल (तज मखद ड) कपण (बाण) तोमर (शर क आक त वाला चारmdashपाच हाथ ल बा ह थयार) इस हथगोला भी कह सकत ह चार कार क धनष सना काम

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म लाती थी िजनक नाम ह mdash कामक कोद ड ण और धनष धनष क डोर मवा सन बास क बनती थी बाण का शर लोहा तथा बास का बनाया जाता था

स नक तलवार परश कठार कदाल आ नया और लौह कवच का योग करत थ हाथी अकश स नय ण म रख जात थ सि नधाता आयध रखन क लय आयधागार बनवाता था आयध बनवान का काय आयधागारा य करता था वह श क रखmdashरखाव क भी यव था करता था दग का ान

मौयकाल म शासक को दग थाप य का पण ान था व कलब द करत और स ढ़ दग का नमाण करवात थ दग क आसmdashपास जलmdash ला वत सरग खाइय और चल दग वारा वशष प स बनाय जात थ य क समय दग क माग काट स ढक दय जात थ श परािजत करन क उपाय

खल य स पव ( काश य ) श को पड़ौसी राजाओ स मलकर दबान का यास कया जाता (मन य और कट य ) कई बार श को बहका कर उसक स पि त न ट कर द जाती ग तचर जा को उकसान का काय करत थ व श राजा क रा य म आ मण क अफवाह भी फला दत कई बार राजा श क रा य क दग म रा म या क धावार म ग तचर भजकर उस वष श अि न तथा घात स न ट कर दता था सघभद डालन हत ग तचर नतक व या गा यका वधवा को काम म लया जाता था सब य न असफल हो जान पर स मख य या काश य छड़ा जाता था सना का अ भयान

श रा य क स पण सचना एक करक ह उसक व याण कया जाता अ भयान म सबस आग नायक म य म रा नया राजा पा व म अ व राजा क अगर क अ त म हि त सना तथा साम ी ल जान वाल दल होत थ अ भयान क बाद सना जहा पड़ाव डालती उस क धावार कहत थ श वर म शराब और जआ नषध था राजा काश य स पव सना को य करन क लए उकसाता था श राजा का वध करन पर स नक को ो साहन रा श भी द जाती थी य हत कई कार स यह रचना क जाती थी वजय क

बाद राजा श क लट गई स पि त को सना तथा म राजाओ म बाट दता और वय यनाश हण करता वजता राजा श दश क जा को कर म त कर दता मि दर म पजा

करता और वहा क व वान का आदर करता था

206 श गकालन स य सगठन (181mdash75 ईmiddot पव) मौय क पतन क प चात श ग का मगध पर अ धकार था पत हआ उनक

रा यकाल म ाय मौयकाल न स नक यव था जार रह मन म त स श ग क राजनी तक आदश क जानकार मलती ह श ग स ाट प य म अि न म और वस म उ च को ट क सनानी थ अपन स नक बल क आधार पर ह उ ह न यवन को परािजत कर व दक धम को पनज वन दान कया था

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श गकाल न भारत म स य वभाग क य शासन का मह वपण अग था यवन क अनवरत आ मण न श ग को एक ससग ठत और अनशा सत वशाल सना रखन क लय बा य कर दया था स ाट सना का सव च अ धकार होता था तथा प सनाप त सना पर पण नय ण रखता और उस य ा यास करवाता था य घो षत करन का अ धकार स ाट को ह था सनाप त को नह सनाप त को स ाट क आ ा का पालन करना पड़ता था

य सदव य त प स करना अ छा समझा जाता था राजा को स मा नत यो ा क क त य का पालन कर नपसक न श तट थ भ ना तmdash व त लोग पर घात करन स बचन क सलाह मन न द ह वह वष शला ग त अ आ नय श क य म योग क सलाह नह दता सि चदान द पाठ (शोधाथ ) क अनसार श गकाल न सना चतर गणी थी क त मन म त इस मत स असहमत ह

मन न द ड क बा य प को सना अथवा बल माना ह उसन सना क 5 अग बतलाय ह जो इस कार ह mdash रथसना अ वसना नौmdashसना हि तसना और पदलसना सना का छठा अग भारवाहका द होत थ इस कार श गकाल म सना क 6 अग होत थ मन का मत ह क समरभ म म रथ और अ वसना को य करना चा हय पानी क थान म हि त औन नौ सना को व mdashलताओ स घर थान म धनष स और क टका द र हत भ म म ख ग चमा द आयध स (पदल सना) वारा य करना चा हए मन का वचार था क भारत म जलवाय एव भ म क उपज यान म रखकर य घोषणा का नणय करना चा हय राजा को अपनी वजय स नि चत करक ह य ार भ करना चा हय सना क गमन क स ब ध म यह यव था थी क अपन मल (पर और रा ) क स यक र ा क यव था कर और य या ा क सम त साम ी का सम चत ब ध कर ग तचर को माग म नय त कर तीन कार क माग (सम वषम जल य) और षडगी बल क साथ शा व ध स धीरmdashधीर श क पर क ओर गमन करना चा हय मन न राजा को सना टो लय म वभ त कर द ड यह सकट यह वराह यह मकर यह सची यह ग ड़ यह म स कसी एक यह का चयन कर य करन क सलाह दत ह उन दन श को कमजोर करन क लए उसक रा को घर कर उस उ पीड़न करन का यास कया जाता था श को रा क समय वशष ा सत कया जाता था लट का म य माल वजता राजा तथा सामा य माल स नक को ा त होता था

207 सातवाहन स नक सगठन (30 ईmiddotmdashपव mdash 190 ई) क व वश का शासन सशमा क प चात मगध पर समा त हआ इसक प चात लगभग

28 ई पव म समक (आ ) का शासन ार भ हआ ना सक क एक लख क अनसार आ (सातवाहन) का महारा पर अ धकार था उसका रा य पव और पि चम सम क म य पर फला हआ था सातवाहन वश म गौतमी प सवा धक स शासक हआ सातवाहन क शासन यव था क स ब ध म आर एस शमा का मत ह क िजस शासन प त का उ ह न वकास कया उसक क त वदशी थी जब तक उनक स नक यव था का न ह राजा तो उसका सवसवा था ह महा सनाप त भी एक मख अ धकार था िजस हम शासन प लखन का काय करत ह ए पात ह स भवत अ य कमचा रय क तरह स नक को नकद

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वतन दया जाता था स नक को कसी थान पर ठहरान पर उनका खचा कसान स वसल कया जा सकता था मज क बात यह ह क सातवाहन अ धका रय क पि नया भी महासनाप ल और महातलवार जसी उपा धया धारण करती थी महासनाप त और महातलवार व द शायद स नक याण म यो यता दखलान वाल साम त धारण करत थ ततीय शती ई वी क एक अ भलख स सक तत होता ह क गौि मक कमारद त सातवाह णकार क शासक महासनाप त क दनाग का अधीन थ था सातवाहनकाल न अ भलख क आधार पर च भान पा डय न मत य त कया ह क उनक शासन प त म स भवत सना गोप (सना य ) तथा अ वावारक का भी मह वपण पद रहा हो गौि मक ग म धान होता था और ई वी सर क ारि भक शताि दय क अनसार ग म म नौ पि तया अथात कल मलाकर नौ रथ 27 घोड़ और 45 पदल स नक होत थ प ट ह क इस काल तक रथ का उपयोग समा त हो गया था मन क अनसार दो तीन पाच या सौ ाम क बीच एक ग म रखा जाना चा हए डल स और सना क मलmdashजल प वाला यह द ता प ट ह ा य क नकट रहता होगा वहा वह राजशि त का म य तीक था ामीण म ग म नय त करन क माण उस म मलत ह जहा ततीय शती ई वी म सातवाहन का शासन था

महासनाप त स नक क साथ कछ अस नक काय म भी हाथ बटात थ सकथकर का मत ह क सातवाहन काल म स नक अ धकार भ साम त होत थ इनक अधीन थ इ ह जागीर क प म मल ह ए थ आर एस शमा का वचार ह क यह अनमान सह हो या गलत ल कन य शासक क प म स नक अ धका रय क नयि त क था अशोक क जनपद शासन स ब कल भ न ह ामीण म सना क उपि थ त स ऐसा लगता ह क व स नक अ धकार जा स मनमाना यवहार करत ह ग स नक चाट कहकर पकार जात थ क त स नक दान दय गय गाव तथा खत म वश पान स व चत थ

सातवाहन अ भलख म स नक श वर क पयाय कटक और क धावार जस श द मलत ह स भवत यक आहार (जनपद) का अपना कटक होता थ गोवधन आहार म बनाकटक इसका उदाहरण ह धनका कटक भी कसी आहार स जड़ा कटक था वजय क धावार स शासन प जार करन क पर परा का वकास सातवाहन काल म ार भ हो

गया था

208 शकmdashकषाण स य सगठन (5 ईmiddot पव स 390 ईmiddot) मौय सा ा य क पतन क प चात भारतीय राजनी त म यवन का ादभाव हआ

यवन क शि त कमजोर होन पर उसका लाभ शक न उठाया और लगभग 71 ईmiddot पव उ ह न भारत म वश कया उनक भारत म वश करन का ववरण कालकाचाय कथानक म व तार स मलता ह शक न भारत म अवि त सरा पजाब स ध लाट मथरा और महारा पर अ धकार था पत कया

शक न धान प स यनानी शासन प त को अपनाया था उ ह न भी सय त शासन प त को जार रखा शक क ा तीय शासक य कला म न णात होत थ उनक स नक प त क स ब ध म वशष जानकार नह मलती गाग स हता क अनसार उनका स नक शासन ार भ स ह व वस करन वाला था शक यो ाओ क या त द ण म

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ीपवत तथा आ दश तक पह ची थी गाग स हता म कहा गया ह शक लोग एक चौथाई जनता को तलवार क घाट उतार दग इसस लगता ह क व उ चको ट क लड़ाक स नक थ

शक क तरह कषाण न थम शती ईmiddot पव म भारत म वश कया क न क इस वश का स शासक हआ कषाण क स नक यव था क जानकार म तय एव अ भलख स ा त होती ह कषाण शासन साम त था पर आधा रत था अ भलख स उनक स नक शासन क प ट जानकार नह मलती स ाट सना का सव च पदा धकार होता था

कषाण न भारतीय चतर गणी स नक यव था म या प रवतन कय यह ात नह ह क त उनक रा य म स नक त व का वशष मह व था सना म कशल घड़ सवार रह ह ग व रकाब का उपयोग करत थ इ ह सी थयन न ार भ कया व लोह या धात क न होकर र सी क बन होत थ मथरा स ा त क न क क म त स प ट ह क स नक घड़सवार क लए पतलन और बट प हनना अ नवाय था व अ छ धनधर भी होत थ कषाण शासन म द डनायक या महाद डनायक नामक पदा धकार का उ लख मलता ह जो अधस नक अ धकार होत थ क न क क समय लल द डनायक था जो पmdashव य स अनदान अधी क क प म काय करता था यह स नक अ धकार शासक प रवार का सद य था मथरा क एक लख म भी महाद डनायक का उ लख मलता ह मथरा स ा त ततीय लख म महाद डनायक ह ि मयक च य क का नाम मलता ह जो अस नक काय भी करता था विजत दश म उसक स नक क त य मह वपण होत थ आर एस शमा इस मत स सहमत नह ह उनका वचार ह क द डनायक साम त सरदार होता था इस कार द डनायक स नक अ धकार ह था जो कसी दश म अ धकार करत समय स नक तथा बाद म शास नक एव या यक काय करता था स भवतः उ ह नकद वतन दया जाता था स ाट क न क क पास एक वशाल सना होन का उदाहरण मलता ह िजसको उसन सनाप त सी क नत व म चीन पर आ मण करन क लय भजा था

209 ग त स ाट का स नक सगठन (240 ई mdash 550 ई) सम ग त क दि वजय तथा च ग त वतीय और क दग त वारा कय गय

अनक य क बावजद ग त क स नक यव था क बार म हमार जानकार व प ह उ क ण लख म ग त स ाट क दग और क धावार अ श ागार और चतर गणी सना क कछ सदभ मलत ह इसी सना क सहायता स उ ह न वशाल सा ा य क थापना क थी सना वभाग क म य अ धकार को सि धmdash व हक कहत थ िजस सि ध और व ह (य ) करन का अ धकार था सम ग त क ह रषण नामक अमा य को हम इस उपा ध स वभ षत पात ह ल कन सवनाथ क छोट स साम ती रा य म भी ऐस एक अ धकार का उ लख महा स धmdash व हक क प म हआ ह आर एस शमा का मत ह क इन अ धका रय म कोई तर का अ तर नह था ग तकाल म हम उस ा मण क नाम शासन प जार करत ह ए

भी पात ह अ तकर क अनसार वदश वभाग को दाताओ क वशावल का वशद ान था इस लए शासन प का ा प तयार करन का काय स ध व हक को सौपा गया ल कन इस अ धकार का म य काय साम त स नबटना था िजनक नाम शायद शासन प भी जार कय

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गय ह ग इसी लए धा मक गह ताओ क नाम शासन प जार करन का काम भी उसी क सपद कर दया गया हो

सना का कायालय बला धकरण कहलाता था वस स ाट सना का सव च अ धकार था उसक प चात साि धन व हक और उसक अधीन महासनाप त अथवा महाद ड नायक ( धान सनाप त) बला धकत (स नक क नयि त करन वाला अ धकार रण भा डागा रक) स नक साम ी का अ धकार (महा वप त भटा वप त) पदल और घड़सवार का अ य आ द अ धकार होत थ वशाल (बसाढ़ मज फरपर बहार) म ा त म ा अ भलख स इन स नक अ धका रय का उ लख मलता ह

अ भलख तथा म ाओ म ग तचर को म यत यो ा और सनाप त च त कया गया ह उ ह शकार और य य थ अ तकर का मत ह क ग तकाल म महासनाप त सा ा य क व भ न भाग म रहकर स य सचालन म राजा क सहायता करत थ व महाद डनायक को उसक अधीन मानत ह जो स भवत आध नक लि टन ट जनरल क बराबर रहा होगा सना म पादचार दल भी होत थ छठ शती क बगाल अ भलख म हि तदल क अ य को पीलप त तथा महापीलप त कहा गया अ भलख म च क सापथक का उ लख नह मलता मगर वह स य म अव य व यमान रहता होगा ग तकाल न सना का सगठन थलत मौयकाल न सना वभाग क समान ह था ग त स ाट को उ क ट और अ वतीय रथी कहा गया ह ल कन उनक म ाओ पर ाय घड़सवार क ह आक तया मलती ह िजसस सना म अ व का मह व कट होता ह स नक को ाय नकद वतन दया जाता था

महा तीहार तथा गौि मक नामक स नक अ धका रय क नाम ा ग त अ भलख म भी मलता ह

आरएस शमा क अनसार अमा य कमारामा य आ द अ स नक अ धकार थ उनक पदो न त कर उ ह स नक पद पर नय त कया जाता था पाट लप नवासी एक मनी वतीय च ग त क पि चमी भारत क स नक अ भयान म साथ गया था इस कार कछ

स नक अ धकार भी अस नक काय करत ह ग हम वशाल तथा इसी कार क मह वपण नगर म थायी प स सना रख जान क

बार म जानकार मलती ह वशाल क महर म ीरणभा डागारा धकरण श द मलता ह इसस सक तत ह क वहा पर कोई स नक भ डार रहा होगा जो वहा रह रह स नक क लय आव यक था हम य अ धकरण क भी जानकार मलती ह िजसका स ब ध यवराज स रहा था इसक लय यवराज भ ारकपाद यmdashबला धकरण य वा याश मलता ह वशाल म राज ासाद र क का धान भी रहता था ा गक को फौजी चौ कय का धान माना जाता था

जहा तक गौि मक नामक अ धकार का न ह वह कोई छोटा स नक अ धकार था उसक अधीन सना क कोई लघ टकड़ी रहती थी वह कसान तथा असामािजक त व वारा कसी कार का उप व करन पर स भवत अस नक अ धकार क सहायता करता था ग तकाल न अ भलख म तीन खा गय (ख गधा रय ) का उ लख मलता ह िजसम कछ का

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स ब ध एक एक गाव स था एसआर शमा का मत ह क जो गाव इनक अ धकार म थ व उ ह कसी स नक सवा क त दान व प मल ह ग स भवत सना क अ धका रय को वतन क बदल गाव दन क भी पर परा चल पड़ी हो य य प इसका ठोस परालखीय सा य उपल ध नह ह

2010 वधन का स नक सगठन (525 ई mdash 650 ई) वधन का शासन स नक सगठन पर आधा रत था हष क पता भाकर वधन अपव

यो ा रह थ हष क लय द ण क अ भलख म सकलो तरापथ वर उपा ध का आधार भी उसक स नक उपलि धया रह ह गी प ट ह क हषवधन क पास एक वशाल सना थी अपनी स नक शि त क बल पर ह उसन घोषणा क क या तो व (राजा) कर दन क लय अपन हाथ को त पर कर या श हण करन क लय या तो व दशा हण कर या व अपन म तक झकाय या धनष या व अपन कान को मर आशाओ स अलकत कर या शर ाण स

यवान वाग क अनसार हष क शाि तकाल न सना म 60 हजार हाथी तथा एक लाख घड़सवार थ चीनी या ी न पदा त स नक क स या का उ लख नह कया ह न चय ह पदल स नक क स या अ य धक वशाल रह होगी यवान चाग वारा ल खत हा थय क स या क आ शक पि ट बाण क ववरण स होती ह क एम पि नकर का मत ह क हष क सना म 5 हजार हाथी 20000 घड़सवार तथा 50000 पदल स नक थ व इस सना क तलना मौय तथा वजयनगर क सना स करत ह ए उसक छोट सना वारा एक वशाल सा ा य क नमाण का य उस दत ह क त हष क पास इतनी छोट सना थी और वह वशाल सा ा य का भी वामी था यह वचार तकसगत तीत नह होता यह स भव ह क पि णकर न हष क सना क जो स या वीकार क ह वह उसक वजय स पव क हो सकती ह वस यवान चाग न जो सना का ववरण दवा ह उसम हष क साम त क सना और जोड़ द जाय तो उस दशा म उसक सायाि यक सना का कलवर बह त बढ़ जाता ह

सना म स ाट सव च अ धकार होता था सना का सगठन एव अनशासन का उ तरदा य व उसी पर होता था क त वा त वक प स स नक काय क दखभाल अ धकार वग करता था अ धकार वग क नयि त वय स ाट ह करता था शासक य म सना का सव च अ धकार महासि धmdash व हा धकत होता था और महाबला धकत सम त सना का स य सचालन क समय उ तरदायी होता था महासि धmdash व हा धकत क य मनी क प म काय करता था और य तथा सि ध करन का अ धकार उसी क हाथ म था अवि त हष का महासि ध व हा धकत था महाबला धकत क सहायता करन क लय सनाप त बला धकत वहद कार भटा वप त कटक पाट प त आ द मख अ धकार होत थ बाण न सहनाद को सनाप त कहकर पकारा ह बाण न उस सम त मयादाओ का पालन करन वाला कहा ह वह य म अ सर रहन वाला य क मम को समझन वाला था बाण न क दग त को गजसाधना धकत कहा ह इस कार वह गजसना का अ धकार था इसी कार सनाप त को सना क वशष अग का अ धकार न मानकर सम त सनाओ क अ धकार

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महाबला धकत क पद का प रचायक मानना चा हय स भवत वह पदा त सना क कायालय का धान था पा ट प त स भवत श वर क यव था करन वाला पदा धकार होता था भटा वप त अ वारो हय का धान था बहद वार भी अ वसना का अ धकार था क तल बहद वार क पद पर नय त था स भवत बहद वार उपा ध थी जो कशल घड़सवार को द जाती थी क तल रा यवधन क अ वसना का धान था बाण क ववरण क अनसार कटक गज सगा का धान अ धकार था वह नषाद नामक अ धका रय स व र ठ होता था यदन दन कपर का मत ह क कटक हा थय क प रचया करन वाल नषा दय क काय क दखभाल क लय नय त प रचायक अ धकार थ उ ह हा थय का अ धकार मानना व उ चत नह समझत गजसना

हष क सना गजसना पर आधा रत थी भारत म सक दर क आ मण क बाद गजसना का मह व कम हो गया हष क समय इस पर परा म पन प रवतन आया वासदवशरण अ वाल का मत ह क हष क साधन ा या सना वषयक आ था हा थय म अ धक थी इसका कारण यह था क इस समय तक भारत म साम तवाद का वकास हो चका था साम त एव मा ड लक क गढ़ क अ व स जीतना या न ट करना क ठन था इस लए हष न हा थय को मह व दान कया इसक अलावा अ वारो हय क पि त को हाथी ह तोड़ सकत थ और व बाण क तीख हार सहन क भी मता रखत थ सना म हाथी होन पर भी अ व का मह व अभी भी था हष प रि थ त क अनसार हाथी या घोड़ उपयोग म लता था गजसना शाि तकाल म सा ा य क अलगmdashअलग थान पर रखी जाती थी हाथी व यचल क वन स भट स कर प म शबर बि तय क अ य स एव बलपवक ा त कय जात थ हा थय को य क श ा द जाती थी हा थय क लय च क सक पीलवान महावत घ सयार (कपट ) नय त कय जात थ बाण इनका व तत ववचन करता ह बाण न लखा ह क िजस हाथी क नख चकन मख भार सर कोमल ीवा मल छोटा हो सीखी ह ई बात पर ढ़ रह और रोय कड़ ह वह ठ होता ह हष क सना म 60000 हाथी थ अ वारोह सना

बाण न क धावार क उ लख क दौरान अ वारोह सना का उ लख कया ह हष क सना क अ व वजी र तान (पनाय) पजाब म य ए शया म व नद क पामीर दश (का बोज) उ तर गढ़वाल स द तथा ईरान स मगाय जात थ बाण न शोण याम वत पजर ह रत त तर क माष वग म बाट कर फर शभ ल ण य त अ व का वणन कया ह बाण क अनसार िजस अ व का मख ल बा और पतला कान छोट गदन ऊपर उठ ह ई क ध क जोड़ मास स फल ह ए टाग पतल और सीधी प चौड़ और मासल ह वह शभ होता ह हष क अ वारोह सना शि तशाल थी बाण न अ व क साज तथा उनक प रचारक का उ लख ब लभपाल साद व त प त प रव क घा सक च ड च डाल नाम स कया ह वासदव शरण अ वाल क अनसार हष क सना क एक वशष तीर टकड़ी ख सर

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य क थी जो वीर लड़ाक थ स भवत अ वारोह सना म पारसीक वीर भी भत कय जात थ अ वारोह अग र क को साध स बोधन स पकारा जाता था पदा त सना

यवान याग क अनसार हष क पदा त सना म 50000 पदा त स नक थ बाण क अनसार इस सना म यवा प ष ह थ उ ह सदव यायाम करना पड़ता था व मगर तथा तलवार धारण करत थ उस समय स नक एक समान पोषाक प हनन लग थ उनक सर पर उ तर य क छोट पगड़ी तथा कमर पर दोहरा व बाधकर उसम छर खोस दत थ स नक कपाण म तक क लगाकर अ भवादन करत थ अ भाग क पदा त स नक क टकड़ी को चाट भट कहा जाता था कह mdashकह पर उ ह चार भट भी कहा गया ह व हाथ म चमड़ क बनी ह ई ढाल रखत थ कभीmdashकभी सना गाव स गजरत समय लोग को तग भी करती थी क त व उक ट को ट क यो ा होत थ सना क श

धनषmdashबाण तरकस तलवार ढाल भाला ह तपशाकि ट (पाश) बागरा शर ा ण कवच सना क मख अ mdashश थ सना क अ य उपयोगी कमचार

यवहा रणी (झाड दन वाला) याम चट (रात म पहरा दन वाल दा सया) गह च तक चटक (सवक) भा डागा रणी (भोजन क यव था करन वाल) वाजवाह ( वज लकर चलन वाल द तया mdashच द ) आ द भी सना क आव यक एव उपयोगी कमचार थ उ सना का उ लख

कावल तथा थॉमस और रमाशकर पाठ क अनसार हष क सना म उ सना क टकड़ी भी रह होगी स भवत उनका उपयोग गध तथा बल क तरह ह होता रहा होगा

यवान चाग न हष क सना म रथ होन क चचा जीवनी म क ह पर त बाण इसका उ लख नह करता ऐसा तीत होता ह क इस समय तक सना म रथ का मह व कम हो गया था

डा डी दवह त न बासखड़ा तथा मधबन ता प क आधार पर हष क सना म नाव होन का उ लख कया

उपय त ववरण क अनसार वधन काल म सना शि तशाल एव अनशा सत होती थी य स पव यह रचना का दशन भी कया जाता था सना का याण स ाट क नर ण क बाद ार भ होता था सना म अ त पर क ि या भी साथ रहती थी फर भी यह मानन म कोई आपि त नह ह क वधन काल म ससग ठत सना रखन क पर परा जार थी

2011 चोल स नक सगठन (850 mdash 1300 ई) दकन क इ तहास म चोल वश का वशष मह व ह चोल शासन म राजा थल एव

जल सना का धान होता था अ भलख स सना क व भ न रिजम ट क नाम मलत ह यक रिजमट का जीवन साम हक होता था रिजमट या स नक दान दन एव मि दर नमाण

करवान क लए वत थ राजराज और उसक बाद क अ भलख स 70 रिजम ट क नाम

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मलत ह िजनम रिजम ट क थापना का समय दया गया ह सना क कई अग थ mdash 1 हा थय का दल 2 घड़सवार 3 पदल सना

पदल सना कई डवीजन म बट ह ई थी एक रिजम ट का नाम क कोलार था इनक अलावा धनधर क पथक रिजम ट होती थी द ण बाह और वाम बाह भी अ य स नक रिजमट थ स भवत यह वशष अवसर पर बलाया जान वाल द त थ वल कारर राजा क व वसनीय स नक होत थ तनवल िजल क अ बास सम म स ा त एक अ भलख स हम म कmdashमहासन (तीन बाह ओ क महासना) का इ तहास मलता ह

सना सार रा य म ग म तथा छाव नय (कडगम) म रहती थी कलो त ग थम न द ण अ भयान म को ा म अपनी एक सना रख द थी हम अ भलख स धनधर नगर सना क क तान और वशष का स नक जस नाम मलत ह सना म सनाप त बहत स ा मण थ स होन पर उ ह मा धराज उपा ध दान क जाती थी वलम म ज म

बालक ाय सना म भत होत थ कडगम क ववरण स प ट ह क सना को समयmdashसमय पर य ा यास कराया जाता था सना क अनशासन का परा यान रखा जाता चोल सरकार का सना वभाग इस काय क यव था करता था सना मि दर क स पि त क भी र ा करती थी वह मि दर क अ धका रय पर जमाना भी लगा दती थी रिजम ट मि दर क अ य न ध का भी ब ध करती थी कलोल ग थम क समय यह यव था जार थी ाचीन

थ म हम चोल रा य म आनव शक स नक का भी उ लख मलता ह क कोलर नय मत स नक थ नाटट पड णी या जनपद क सना होती थी

1178 ई म एक चीनी या ी न चोल दश क हि त सना mdash का ववरण इस कार लखा ह mdash इस दश का एक पि चमी दश क साथ य चल रहा ह सरकार क पास 60 हजार य क हाथी ह इनम स हर एक हाथी सात या आठ फट ऊचा ह य क समय य हाथी अपनी पीठ पर मकान को ढो ल जात ह इन मकान म स नक होत ह जो ल बी दर तक बाण स वार कर सकत ह य नजद क स भाल स लड़त ह वजय ा त होन पर हा थय को स मान सचक नाम दय जात ह कछ राजा तो उन पर कसीददार मकान सजात ह

चोल शासक राज क अस य जहाज न सम पार कर ी वजय और उसक अधीन रा य को जीता था इसस प ट ह क उनस पव चाल य बह त पहल स नौ सना रखन लग थ चोल न सम शि त क उ नयन म ाचीन पर परा का पालन कया इसी क सहायता स व लका तथा मालद व म अपन रा य था पत कर सक थ चोल न चोलो क सम बड़ को कडलर शाल म न ट कर दया था उ ह न द णी भारत म सम पर अपनी नौ शि त थापना कर ल थी उनक जहाज क बनावट क माण उपल ध नह ह चोल क

ससग ठत नौ सना म कई कार क नौकाए और जहाज रह ह ग मालद व म बनन वाल मजबत जहाज क लोभ स ह चोल न उस पर वजय क थी व त त सलकर जहाज बनात थ क ल स जोड़कर नह नीलकठ शा ी लखत ह क स भवत चोल क पास जहाज नमाण स स बि धत कोई थ रहा होगा

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2012 चाल यmdashस नक सगठन (535 ई mdash 753 ई) चाल य शासन प त धमशा म व हत एकत प त थी चाल य राजा स या य

ीव लभ क उपा ध धारण करत थ पलक शन वतीय न परम वर उपा ध धारण क व मा द य थम क रा य म महाराजा धराज तथा भ ारक उपा ध लोक य थी पलक शन वतीय क पास वशाल सना थी िजसक सहायता स उसन हष क सना को नमदा क पर

अपना सा ा य व तार करन स रोक दया था उनक सना न अनक य म या त अिजत क थी बाद म भी रा कट न इस बात पर गव कट कया क दि त दग न (चाल य क ) कणाटक सना को हराया िजसन अनक य जीत थ

यवान चाग क जीवनी म ह ईmdashल न लखा ह क इस दश म पदल और घड़सवार सना सावधानी स सजात ह य क नयम को पर तरह समझत ह उनका पालन करत ह जब भी कसी सनाप त को अ भयान पर भजत ह तो चाह उसक पराजय हो जाए और उसक सना न ट हो जाए क त उस कसी कार का शार रक द ड नह दत पराजय क हालत म सफ उसक कपड़ उतार कर उस जनान कपड़ पहना दत ह इस लए इस कार क अ याचार स बचन क लए अ सर सनाप त वय आ मह या कर लत थ

रवती वीप और पर क ऊपर चाल य क आ मण स अनमान लगाया जाता ह क उनक पास अपनी छोट mdashमोट नौ सना भी रह होगी सना क सगठन क बार म यादा ववरण नह मलता ह रा कट क स नक यव था (769 ई mdash 1000 ई)

चाल य क प चात रा कट आत ह उनक रा य णाल को नाग रक शासन णाल कहा जाता ह इसक शीष पर राजा होता था शासन म कई बार कछ लोग स नक गण क कारण मनी चन जात थ व मनी क साथmdashसाथ स नक अ धकार भी होत थ कछ क पास जागीर भी होती थी रा ( शासन क इकाई) का धान शासक रा प त अपन अधीन पया त स नक रखता था ता क जागीरदार क व ोह को रोक सक रा कट स नक तन शि तशाल एव कशल था उनक पास वशाल सना रहती थी िजसका एक बह त बड़ा भाग राजधानी म रहता था क त एक सना द ण क भी थी जो बनवासी क उपराजा क अधीन रहती थी उ तर क सना राजा क प क अधीन रहती थी सना रा य क बाहर आ मण स र ा करती थी दसर रा य पर आ मण क य सरकार क नणय क बाद कया जाता था रा कट क पदल सना बड़ी स थी उनक घड़सवार सना भी बड़ी कशल थी कछ ग म स नक जा तय क होत थ इसक स हरावल सना जसी थी कछ स नक ग म ा तीय शासक क भी होत थ जो मह वपण अ भयान क समय बला लय जात थ स नक

जा तय का श ण उनक गाव म ह होता था फर व सना म भत हो जात थ दसर स नक श ा द ा मतक स नक क होती थी िजनक नता उ ह कराय पर लात थ इसक रकम व क सरकार स लत थ ि ठय क मदद स सना हत रसद क यव था होती थी सना म सभी जा तय क लोग होत थ ा मण और जन स नक भी सना म थ रा कट क सना म स सनाप त बकय ी वजय और नार सह आ द जन थ

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2013 राजपत काल न स यmdash यव था (700 mdash 12 00 ई) हषवधन क म य क प चात भारतीय इ तहास का राजपत काल ार भ होता ह

राजपत काल म भी राजा सना का सव च अ धप त होता था वह स नक अ धका रय क सहयोग स य करता और उसम वजय ा त करता था तहार अ भलख स कछ मह वपण उपा धय क जानकार मलती ह िजनका स ब ध स य यव थाओ स था जो इस कार ह mdash महाद डनायक द डनायक बला धकत महाय प त पीलप त अ वप त पाइ यmdash धप त को पाल और मयादा धम आ द म य ह इनम महाद डनायक को िजसक नाम और पद क महाद डा धप त वा हनीप त द डा धप त सनानायक सना धप त स यप त द डनायक और द डप त नाम भी मलत ह तलकमजर म वा हनी प त महाद डा धप त भी द डा धप त क नाम बताय गय ह द डनायक सनाप त को ह उपा ध थी जो शासन क शाि तकाल म भी सहायता करता था भोज क सागरतल लख म वा हनीप त का उ लख आया ह ऐसा तीत होता ह क सना म एक स अ धक वा हनीप त होत थ दशरथ शमा उनक तलना स तनत काल क इ तदार स करत ह जो सना का नर ण करन क साथmdashसाथ रयासत क यव था म भी सहयोग करत थ बजनाथ पर क अनसार द डनायक स नक अ धकार होत ह ए भी उसस भ न और त ठा वाला अ धकार माना ह ल ट न उस सना का मख माना ह पर क अनसार कई बार द डनायक पद साम त क मख का भी होता जो वशानगत प स चलता रहता था तहार शासक मह पाल थम क तापगढ़ लख म माधव को एक बार महासाम त और फर उस ह तन पाल महासाम त महाद डनायक भी कहा गया ह

बला धकत कत को सना म उ चको ट का अ धकार माना गया ह हषच रत म बला धप त को म यम णी का अ धकार माना गया ह चोरो वर णक क ऊपर और सनाप त क म य का अ धकार बला धकत ह रहा होगा उप म त भव पचकथा म उस मह य क सम माना गया ह चौहान अ भलख म बला धकत कह स नक अ धकार तो कह म ड पका अ धकार क प म मलता ह लखा प त म एक ह थल पर चार बला धपो का उ लख मलता ह

भा डारगार का मख महाय प त कहलाता था पीलप त हि तसना का मख होता था और अ वप त घड़सना का य दोन सनाए मह वपण थी इसक प चात पदा त सना का थान था तहारकाल म पदल सना धान पाइ का धप त कहलाता थ रथ सना क

उपादयता इस काल म समा त हो चक थी फर भी रथ क दखभाल करन हत य दनप त का नाम मलता ह समराइ चकहा म रथ सना का धान भी महाय प त को ह माना गया ह सना म नाव और उनक यव था हत शायद नौका य का भी पद हो पाल स तहार क सघष को दखत ह ए इसक आव यकता तीत होती ह हम कनौज क नौ साधनय त क धावार का उ लख मलता ह इस लए स भव ह क सना नगर म भी व यमान रहती हो

दग क यव था को पाल ह करता था हम इस काल म अ ल और चि डयन नामक को पाल का नाम मलता ह राजा जब राजधानी स बाहर जाता कोट पाल को राजधानी क सर ा स पकर जाता था तहार राम भ क वा लयर लख म मयादाधय नाम क अ धकार

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का उ लख मलता ह दशरथ शमा न उस मौयकाल न सना क अ तपाल नामक अ धकार क सम माना ह जो सा ा य क सीमा का र ा काय स भालत थ

पदल सना का अ धप त पाइ का धप त था सना क वशभषा का उ लख कथाकोष (िजन वर) तथा सोमदव क यशि तलक च प म मलता ह स नक अधोव क प म धोती पहनत थ कमर म भस क सीग क बन ह थ वाल कटार बाधत थ उनका शर र बाल स ढका रहता था मान यह उनका कवच हो सर क बाल स दाढ़ तथा म छ स परा म ह ढका रहता था उनक क ध स पीछ क ओर ऊचmdashऊच दो तरकश टग रहत थ स नक धन व या म कशल होत थ इस काल म म डोर जालौर वा लयर क दग अपन स ढ़ थाप य क लए स थ

सना जब याण करती थी तब स नक चमक ल व पहनत थ उनक साथ यापार होत जो रसद क यव था करत थ सना िजधर स गजरती खत न ट हो जात थ घोड़ हत सना को म त म चारा दना आव यक था माध क व न शशपालवध म सना क क धावार ( श वर) क चचा करत ह ए लखा ह क उसम राजा का अपना श वर क म होता था उस पर राजक य वज लहराता था श वर म सनानायक तथा साम त का मन बहलान हत नत कया व याए ि या और वलास क हर साम ी उपल ध होती थी

उ तर भारत क अ धकाश राजा स नक आप त हत अपन साम त पर नभर थ तहार नागभ वतीय क समय उसक रा कट तथा पाल स ह ए सघष म म डोर क तहार तथा चा स क ग हल साम त न न कवल य म वय भाग लकर अ पत अपनी सना वारा भी उसक सहायता क थी समराइ चकहा म इसी कार क उदाहरण मलत ह

चौहान क समय तक पह चतmdashपह चत साम त सना म बह त अ धक व हो गई िजसक लाभ कम और नकसान अ धक थ सना म मौल नामक स नक व होत थ िज ह राजकमार साम त न भजा था और जो व वसनीय थ कछ भाड़ क स नक भी होत थ िज ह नकद वतन दया जाता था कथाकोष क अनसार राजा पर श का आ मण होन पर याण क समय उसक साथ साम त क सना आकर मल जाती थी इस लय य ार भ करन वाल राजा को श क यि तगत और साम तीय सना को यान म रखकर यह रचना करनी पड़ती थी जस कथाकोष म आया ह क च डसर क सना म 20000 पदल 5000 अ वारोह तथा 50 हाथी थ इसम साम तीय सना मलान पर वह दगनी हो जाती थी उ तर भारत वशष प स राज थान एव गजरात म अ भलख स अवलग या ओलगा श द मलता ह िजसका तालय राजा क परम व व त स नक क लय काम म लाया जाता था तहार क तरह चौहान शासक भी साम त क सना पर नभर थ

लखा प त स ात होता ह क चौहान क समय साम त या जागीरदार को ठाकर चणक या भो ता कहत थ उ ह अपन क य शासक को अ नवाय प स पदल सपाह और अ व दन पड़त थ असफल रहन पर उ ह वा षक प स राजा वारा नि चत कया गया आ थक द ड चकाना पड़ता था कई बार द ड प म साम त क रयासत वा पस ल ल जाती थी फ र ता क अनसार प वीराज ततीय चाहमान क सना म 1०० स अ धक राजा सि म लत थ वह लखता ह क उसक सना म 3000000 घड़सवार और 3000 हाथी थ व हराज

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चतथ क सना म 1000 हाथी 1 लाख घड़सवार और 10 लाख पदल स नक होन का ववरण मलता ह चौहान सना म हि त सना को कछ वशष मह व दया जाता था क त अ वसना पर यान सबस यादा रखा जाता था उ सना का अपना अलग मह व था इसका उपयोग साम रक कम क त रसद पह चान क लए कया जाता था प वीराज चाहमान क समय हासी तबर ह द समाना नागौर म डोर सवाना जालौर अजमर द ल और नाडौल क स दग थ प वीराज ततीय क तराइन क वतीय य म पराजय क बाद य दग तक क हाथ म चल गय य म य चा लत श ओ कmdash योग का उ लख का हडद ब ध म मलता ह य म स नक श ओ पर गम तल छोड़त या धनधर उनक श वर

अि नबाण स जला दत थ इस काल म राजपत म जौहर था का भी वकास हो गया था राजपत स नक वय को सम पत न कर जौहर त म भाग लना गौरवपण मानत थ

2014 साराश सना का रा य क र ा हत वशष मह व ह भारतीय मानव अपनी सर ा क त

ाग तहा सक म ह जाग क हो गया था व दक काल तक पह चतmdashपह चत रा य और बल (सना) का वकास हो गया व दक काल म य य तथा अ य (म स) प स लड़ जात थ सना म हाथी घोड़ रथ नाव और रथ आव यक अग थ सनानी का पद भी वक सत हो गया था जनपदकाल तक तो कई कार क श का योग ार भ हो गया चतर गणी स नक यव था ाय लोक य थी श को परािजत करन हत यह रचना काम म ल जाती थी मौय काल तक पह चत ह हम सना क व धवत सगठन एव अग क जानकार पात ह रथ का योग अब कछ कम हो रहा था अब य क नयम भी बनाय जा रह थ ग तकाल तक पह चन पर हम साम त सनाप तय का ववरण मलता ह स नक कई कार क कवच धारण करन लग थ वव च काल म हा थय का वशष मह व था चोल राजाओ न ना वक दल क वशष प स यव था क थी राजपत काल म राजा यि तगत सना तो रखता ह था वह अब साम त पर पणतया आ त हो गया था प वीराज ततीय क पराजय का स भवत यह मह वपण कारण रहा था

2015 अ यासाथ न 1 महाका य काल न स य सगठन का या व प था (500 श द) 2 मौयकाल न स य यव था पर काश डा लए (500 श द) 3 वधन क स य सगठन पर एक टपणी ल खए (250 श द)

2016 सदभ थ 1 अ तकर अ स ाचीन भारतीय शासन प त 2 जायसवाल काशी साद ह द पो लट 3 थप याल करण कमार एव श ल

सकटा साद स द स यता

4 पा डय रामद न ाचीन भारत म सा ा मकता

326

5 पर बी एन ह ऑफ ऐड म न शनख डmdash 1 6 भ जगद शच रामायणकाल न समाज एव स क त 7 याजदानी जी दकन का ाचीन इ तहास 8 यास शाि तकमार नानराम रामायणकाल न समाज 9 व वाच प त आचाय य त ाचीन भारत म तर ा यव था 10 व य सी बी महाभारत मीमासा 11 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज एव रा य

327

इकाई ndash 21 थानीय वशासन

इकाई क परखा 210 उ य 211 तावना 212 थानीय वशासन का अथ एव उ य 213 व दक काल म वशासन सभा एव स म त 214 रामायण और महाभारत काल 215 बौ यगीन वशासन का व प 216 `मौय शासन म वशासन

2161 नगर शासन 2162 ाम शासन 2163 यवसा यय क णया

217 मौय तर यग क वशासन स थाए 2171 ग तकाल म थानीय वशासन 2172 ग तकाल क प चात थानीय वशासन 2173 द ण भारत म थानीय वशासन

218 साराश 219 अ यासाथ न 2110 स दभmdash थ क सची

210 उ य इस इकाई क अ तगत हम आपको ाचीन भारत म था पत शासन यव था और

राजशा म थानीय वशासन (Local Self Government) क वषय म जानकार इस इकाई म आप अ ययन करग mdash थानीय वशासन का अथ एव उ श व दक काल म राजा क सहायता क लए सभा और स म त नामक स थाए एव उनक

काय व ध रामायण और महाभारत क अनशीलन स थानीय वशासन क वषय म क तपय नदश

ा त होता ह बौ यग क मख गणरा य एव उनक शासनmdash यव था शि पय तथा यापा रय क

सगठन मौयकाल म नगरmdashशासन यव था जनपद और ाम शासन यव था

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मौय तर यग क गणरा य एव उनक शासन यव था पोरmdashजानपद ग तmdashसा ा य म थानीय वशासन आ द

211 तावना थानीय वशासन क मह व को ाचीनकाल स ह वीकार कया जाता रहा ह और

लगभग यक शि तशाल सा ा य न अपन शासन म सदव यह आव यकता तीत क ह क थानीय वशासन क इकाइया था पत क जाए य द हम राजनी तक तथा शास नक इ तहास पर ि ट डाल तो ात होगा क शि त को एक थान पर कि त करन क उपरा त भी थानीय वशासन कसी न कसी प म अव य सग ठत कया जाता था य mdash य दश म लोकताि क वचार का वकास होता गया यह वचार भी जड़ जमाता गया क थानीय वशासन को थानीय यि तय वारा ह सचा लत कया जाना चा हए इस कार शन शन

थानीय वशासन का वचार वक सत होता गया और आज तो लगभग सभी लोकताि क दश क शासनmdash ब ध म थानीय वषय और थानीय सम याओ क हल क लए थानीय वशासन का मह वपण थान ह

ाचीन भारत म थानीय वशासन स थाए अ य धक उ मत तथा मह वपण थी ाम तथा शहर क लए दो कार क स थाए थी नगर म व छता रोशनी सड़क तथा

गहmdash नमाण क समय व वध स वधाओ का यान वहा पर था पत थानीय सभा रखती थी ाम भी शासन क धर मान जात थ व दकयग म जब नगर का थान नग य था तो ामmdash शासन का मह व अ धक था यक ाम एक छोट स जात क समान था ाम

म ामmdashपचायत ामवा सय वारा सग ठत होती थी तथा शासक य और या यक काय का स पादन करती थी मनmdashस हता म राजा और ाम क बीच य स ब ध क चचा मलती ह और कौ ट य क अथशा स ात होता ह क रा य ामीण जीवन म बह त कम ह त प करता था

मौयmdash शासन म थानीय वशासन अ य धक वक सत अव था म था मग थनीज न पाट लप नगरmdash ब ध क लए िजस शासनmdash यव था का ववरण दया ह वह वा तव म पाट लप नगरपा लका का ववरण ह कौ ट य क अथशा म भी त काल न नगरmdash शासन और ा य समाज क सगठन तथा काय का व तार क साथ वणन कया गया ह कौ ट य क अनसार त काल न थानीय स थाए वा य सफाई आ द पर वशष यान दती थी नाग रक अथवा नगरा य नगर क शासक क प म था िजसक अधीन अ य पदा धकार होत थ ाम शासन क सबस छोट इकाई थी िजसका शासक ा मक कहलाता था पाच अथवा दस ाम का शासक गोप कहलाता था और उसक ऊपर था नक नामक पदा धकार होता था

ग तmdash शासन स ाट म कि त था ग त स ाट न अपन यि तगत शि त साहस और ताप स एक वशाल सा ा य क थापना क थी िजसका शासन व वय एकराटf क प म करत थ स ाट को शासनmdashकाय म सहायता दन क लए अनक मनी या स चव होत

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थ िजनक कोई स या नह थी थानीय वशासन क अ तगत वषय (िजल) क शासक वषयप त को अपन काय म परामश दन क लए एक सभा होती थी िजसक सभासद वषयmdashमह तर (िजल क बड लोग) होत थ वषय क अ तगत अनक ाम होत थ ाम क शासन म पचायत का बड़ा हाथ था इस इकाई क अ तगत हम आपको ाचीन भारत म थानीय वशासन एव उसस स बि धत स पण प का आलोचना मक व तत प रचय दग

212 थानीय वशासन का अथ एव उ य थानीय वशासन स अ भ ाय उस शासनmdash ब ध स ह िजसम थानीय मामल का

ब ध थानीय यि त वय अपन त न धय वारा कर थानीय वशासन उन थानीय स थाओ वारा सचा लत होता ह जो जनता वारा चनी जाती ह और जो रा य अथवा रा य सरकार क नय ण म रहत ह ए थानीय शासन म अ धकार तथा दा य व ा त होत ह थानीय वशासन अपन सी मत म द त अ धकार का उपयोग करता ह क त अपन

म स भ नह होता इन स थाओ क सद य थानीय जनता वारा चन जात ह इस कार थानीय वशासन एक ऐसी शासक य इकाई ह िजसम नगर या ाम जस एक क

जनता वारा चन ह ए त न ध सि म लत होत ह और जो अपन अ धकारmdash क सीमाओ क भीतर द त अ धकार का योग लोकmdashक याण क लए करत ह ाचीन भारत म रा य क व तार क साथmdashसाथ इनक काय का भी व तार होता गया िजसस क य तर पर शासन क काय को स पन करन म क ठनाई होन लगी इसी स शासन म थानीय वशासन क मह व को वीकार कया गया थानीय वशासन क अ तगत थान वशष क सम याओ का सम चत प स समाधान करन का यास कया गया तो दसर तरफ इन सम याओ क मा यम स सावज नक मह व क अनक काय को भी स प न कया गया

213 व दक काल म वशासन सभा एव स म त व दक यग क रा का राजा अकला शासन नह करता था अ पत उसक सहायता क

लए सभा और स म त नामक दो स थाओ क स ता थी स म त स पण वश क स था थी िजसम स पण वश (या उसक वय क नाग रक) एक होत थ यह भी स भव ह क अनक रा क स म तय म सब वय क नाग रक सि म लत न होकर उनका एक व श ट वग िजस व दक सा ह य म राजान राजकत कहा गया ह ह उसम सि म लत होता हो

डॉ जायसवाल का कथन ह क उस काल म रा य जीवन और ग त व धय को लोक य सभाओ व स थाओ वारा अ भ य त कया जाता था स म त स पण जा क रा य सभा थी जो राजा का चनाव करती थी और रा य क सभी मह वपण मामल पर वचार करती थी स म त वक सत समाज क स था थी दसर स था सभा थी िजस न र टा भी कहत थ स भवतया यह चय नत यि तय क (स म त क सला क अ तगत काम करन वाल ) एक थायी स म त थी स म त और सभा को जाप त क दो प या कहा गया ह सभा का एक काय याय दान करना था

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ाय सभी लखक न वीकार कया ह क तत राजा का वरण पद य त पनवरण आ द स म त करती थी रा यmdashस ब धी सभी मह वपण न पर वचार करना उन पर नणय करना और रा य क नी त को ि थर करना स म त क ह काय थ स म त राजनी त क अ त र त सामािजक और अ य सामदा यक वषय का भी ववचन करती थी स म त म वादmdash ववाद बड़ी शाि त क साथ होता था और सद य वत तापवक अपना मत कट करत थ व ता अपनी वा पटता स सद य को अपनी ओर मलान क पर च टा करत थ स म त का एक प त (ईशान) होता थाmdashऔर राजा भी स म त म जाता था स म त म ामणी सत (सारथी) रथकार और कमकार अव य रहत थ राजा क स म त म यmdashपा होन और स म त म उसक उपि थत होन क कत य का भी उ लख मलता ह ऋ वद क एक मन म वणन आता ह क राजा अपन अ भभावी तज स स म त म जाता ह और वहा अ य सद य क च त और वत को अपन अनकल करता ह अ य कहा गया ह क राजा और स म त म रा क अ भव क लए समानता का होना आव यक ह इस मन म ाथना क गई ह क राजा और स म त दोन क मन मन च त य न और दय समान ह

यजवद (128०) क एक मन स नदश मलता ह क स म त म राजान एक होत थ य राजान वह ह िज ह वद म अ य राजान राजकत कहा गया ह अथात व राजा या राज य जो राजा को बनात ह अथववद (7163) क एक मन स ात होता ह क सभा और स म त नामक स थाए जाप त क द हताए ह उ ह राजा न नह बनाया अ पत व ई वर य वधान का प रणाम ह व राजा क र ा करती ह और उस सम चत परामश दन का काय करती ह उसम पतर (व ) एक होत ह जो वहा सम चत प स भाषण दन का काय करत ह ाचीन जनपद म व वध कल क जो नता शासनmdashकाय म हाथ बटाया करत थ उ ह को कलव कहा जाता था इसी कार ाम क नताओ को ामव क स ा द गई ह

सभा और स म त नामक स थाओ का उ लख व दक सा ह य म अ य भी आया ह अथववद (19द56) क एक मन म कहा गया ह क सभा मर र ा कर उसक जो स य सभास ह व मर र ा कर अ य (अथववद1द92) सभा स म त और सना का एक ह मन म उ लख कया गया ह एक अ य मन (अथववद 71 2) म ाथना क गई ह क सभा क सभास सवाचस ह उनक वाणी एक ह व पर पर वरोधी बात न करक सनाचस होकर काय कर

अथववद (8101) क एक स त म सभा और स म त नामक स थाओ क व प पर बह त अ छा काश पड़ता ह इसम कहा गया ह क पहल वराट या अराजक दशा थी िजसस सब लोग भयभीत व आश कत हो गए इस दशा म उ काि त होकर सबस पहल गाहप य दशा आई लोग प रवार क प म सग ठत ह ए मानवmdashसमाज का सबस पहला सगठन प रवार ह था िजसम प त प नी व स तान एक सग ठत व मया दत जीवन यतीत करत थ गाहप य व पा रवा रक सगठन म उ का नत होकर आहवनीय दशा आई आहवनीय श द का ता पय एक ऐस सगठन स ह िजसम बलाया जाय आ वान कया जाए स भवत यह ाम

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क सगठन को स चत करता ह िजसम व वध कल क कलम य को आ वान वारा एक त कया जाता था आहवनीय स था क बाद द णाि न स था का वकास हआ द ण का अथ चतर ह तथा अि न का अ णी इस स था म ाम क चतर अ णी एक होत थ यह ाम क अप ा बड़ सगठन को स चत करता ह जो स भवत जनपद या रा का ऐसा सगठन

था िजसम ाम क यो य नता ( ामणी) एक होत थ इसक बाद सभा और स म त नामक स थाओ का वकास हआ जो रा या जनपद क स थाए थी रा का भी एक बड़ा सगठन था िजस आम ण कहत थ आम ण श द ह इस बात को स चत करता ह क इसम सि म लत होन क लए बड़ी स या म लोग को नमि त कया जाता था

यह स भवत ाचीनतम स दभ ह िजसम रा यसभा क उ प त और वकास को दखाया गया ह आध नक व वान भी मानवmdashसमाज और रा य क ादभाव तथा वकास का यह कम मानत ह िजसम सव थम प रवार सग ठत ह ए फर ाम जन और जनपद का सगठन हआ

ऋगवद म अनक थान पर स म त का उ लख ह एक मन (ऋ 9926) म राजा क स म त म शा मल होन क लए जान का नदश कया गया ह

डॉ मकज क मतानसार ऋ वद क कई थल पर सभा का उ लख ह क त उनस उसक व प तथा काय पर नि चत काश नह पड़ता उसका अथ ससद भी ह और सामािजक सि मलन तथा सावज नक वषय पर वचार करन क लए सभाmdash थान भी ऋ वद क एक मन (6286) म कहा गया ह क तम अपन घर को भ बनाओ त हार वाणी भ हो और तम चरकाल तक सभा म रहो एक अ य मन (849) म आया ह वह सभा म जात ह एक अ य मन (1 2423) म सभय व का उ लख ह िजसस ात होता ह क सभा क सद य को सभय कहा जाता था जहा मन य एक ह ऐस समह को सभा नह कहत थ वह एक ससग ठत स था थी िजसक सद य सभय कहलात थ पर कभीmdashकभी सभा म आमोदmdash मोद भी होता था और लोग वहा जाकर जआ आ द भी खलत थ ऋ वद क एक मन (10346) म कहा गया ह क जआ खलन वाल सभा म जात ह और यह समझत ह ए क हम वजयी ह ग वहा उनक पास बखर रहत थ इस कार प ट ह क ऋ वद क समय सभा नामक स था भल भा त वक सत हो चक थी

सभा और स म त म या भद था वह व दक सा ह य स प ट नह होता ल कन व दक म का अनशीलन करक व वान इस न कष पर पह च ह क स म त सभा क तलना म एक बड़ी स था थी जो स पण वश या जा का त न ध व करती थी स भवत रा क अ तगत सब ाम क ामणी उसम सि म लत होत थ और साथ ह वश क क तपय मख यि त सत रथकार व अ य श पी आ द भी उसम उपि थत होत थ राजा भी

स म त म उपि थत होता था स म त क प त (अ य ) को ईशान कहत थ सभा स म त क अप ा छोट स था थी और इसम क तपय व श ट यि त ह सि म लत होत थ रा क धान यायालय का काय भी सभा वारा कया जाता था

332

यह आव यक था क सभा और स म त क सद य पर पर सहयोग स काम कर उनक मन एक ह उनक वाणी एक हो उनका वचारmdash वमश एक समान हो और व एक ह मन (नी त) का नधारण कर ऋ वद क अि तम स त क य मन (101912mdash4) स भवत सभा और स म त क सद य क लए ह थ

सभा नामक स था म यायmdashस ब धी काय वशष प स होत थ इस स ब ध म भी क तपय व दक मन उ लखनीय ह अथववद म (6122) सभा को न र ट कहा गया ह सायणाचाय न इसक या या करत ह ए कहा ह क जहा बह त स एक होकर एक बात कह उसका उ लघन दसर को नह करना चा हए य क यह अन तल य होती ह इसी कारण इस न र ट कहत ह सभा क न र ट वशषण स प ट ह क इसक नणय का अ त मण कr सकना कदा प स भव नह था ऋ वद म सभा एक वशषण कि वषmdashसत दया गया ह िजसका अथ ह पाप या अपराध का प रमाजन करन वाल सभा म याय करत समय उसक सभासद वारा कदा चत अ याय या पाप हो जान क स भावना भी बनी रहती थी इसी लए यजवद म (2017) मन वारा सभा म कए गए पाप स मि त क ाथना भी क गई ह

इस कार व दक यग म सभा और स म त नामक स थाओ क सला थी िजनका श य क शासन म मह वपण भाग होता था स म त समवण वश क स था थी जो राजा का वरण करती थी िजसम राजक य वषय पर जनता क स म त कट क जाती थी सभा म जहा याय काय होता था वहा साथ ह उसम पतर या कलम य राजा को मह वपण वषय पर

परामश दन का काय भी कया करत थ सभा और स म त क अ त र त दो स थाए और थी तीसर स था का नाम अ वदथ

था इसका म य काय य और य ा दmdash वषयक श धा मक क य करना था चौथी स था सना थी िजसका म य काय दश (रा ) क र ा करना था ऐसा तीत होता ह क सना एक कार क नाग रक सना होती थी अथात रा क सभी स नक सवा यो य यि त उसक सद य होत थ डा रामशरण शमा का कथन ह क वाजसनयी स हता ा मण और ति तर य आर यक म अनक थान पर वदध का उ लख ह जब क सभा और स म त का उ लख बह त कम मलता ह इसस प ट ह क ऋ वद काल म वदथ अ धक मह वपण थी और सभा और स म त न स हताओ क काल म मह वपण थान पाया उनक अनसार भारत क आय क ाचीनतम जनmdashसभा वदथ ह थी इसक रचना क एक अ य वशषता यह ह क इसस बह धा ि य का स ब ध रहता था इसक काय म ि य क आवाज प ष क बराबर थी अथववद स ात होता ह क बाद क काल म इसका मख काय ध मक क य का स पादन था ाम शासन

व दक काल म शासन क सबस छोट इकाई ाम था ाम क शासन का म य अ धकार ामणी था आप त ब धमस स प ट होता ह क उस समय तक थानीय शासन क नय मत प त का वकास हो चका था इसम ाम तथा नगर क अ धका रय का उ लख ह नगरmdashअ धकार का अ धकारmdash एक योजन (8 मील क लगभग) अ यास तक

333

फला होता था और गाव क अ धकार का एक कोस (लगभग 2 मील) अपनmdashअपन म य अ धकार यव था और सर ा क लए िज मदार रहत थ अ धकार तीन ह वण म स नय त कए जात थ द क सरकार क अनसार स वधान म जनmdashत व उतना ह पराना ह िजतना क वद ह शताि दय तक व दक भारत म अनक वराज अथवा वशा सत दश रह अत अनक कार क सभाऐ स म तया और ससद आ द रहती थी ामणी क हाथ म फौजदार तथा द वानी दोन ह कार क अ धकार थ ामणी वारा दए गए आदश वारा ह ामmdash शासन चलता था उस काल म ल खत आदश क उ पि त नह हो पायी थी अत इस काय क लए दत का योग कया जाता था

214 रामायण और महाभारत काल रामायण काल म शासन का व प राजत ा मक था शासन का बह त अ धक

व तत तो नह रहा होगा क त शासन अ य धक वक सत और यवि थत था इ वाक वश का शासन कोशल जनपद म था िजसक राजधानी अयो या थी उसका एक नगरmdashरा य या जनपद का ह था शासन का अ य वय राजा था और उस ाय सभी कार क अ धकार ा त थ क त राजा नरकश नह होता था रामायण स ात होता ह क राजा का परामश तथा राजकाय क सचालन म सहायता दन क लए मनी परो हत तथा सभासद थ उस समय राजत सी मत तथा सवधा नक था एक ओर तो वह धमशा स सी मत था और दसर तरफ मि म डल व सभा क शि तय स

वा मी क न रामायण म प रष स म त और ससद तीन श द का योग कया ह प रष का अयो याका ड व य का ड म और स म त तथा ससद का य का ड म प रष क सद य ति ठत और व वान होत थ िज ह राजधानी तथा अ य नगर क नवा सय म स चना जाता था उनम नगर क णय अथात यापा रक समह (Guilds) और पौरmdashजानपद (परवा सय और जानपदmdashरा क अ य सद य ) क त न ध सि म लत होत थ सभा को अ धक मह वपण अवसर पर ह म णा हत आमि त कया जाता था यथाmdashयवराज का वरण य और शाि त का नणय राजा क उतरा धकार का नवाचन जब क कोई यवराज न हो सद य वत तापवक बोलत थ और नभ क होकर अपना मत दत थ राजा सभा का धान था उसक अनपि थ त म परो हत धान बनता था रामायण क अनसार कलशीलव

म यmdashम य (अमा य ) क अ त र त राजकताओ म पौरmdashजानपद (परवासी और जनपदवासी) और कतय ( जाजन) क त न ध णी म य एव नगमपथव लभ ( यवसायी और लोक य लोग ) क अ त र त ा मण य व य और श वण क त न ध लोग सभा क सद य होत थ यह सभा राजाओ का नवाचन करती थी तथा राजक य सम याओ को सलझान म अपनी स म त दती थी य य प रा या भषक क अवसर पर पौरmdashजानपद और नगम सभी उपि थत होत थ क त राजकताओ (राजक तार ) म वजातीय ा मण का म यतया उ लख हआ ह यवराज क नयि त क स ब ध म राजा दशरथ न उ तम गण स य त मि य स परामश करक राम का यवराज पद पर आ ढ़ करान क अवसर पर प रषद

334

(सभा) का अ धवशन बलाया जब राजा दशरथ प रष भवन म अपन आसन पर बठ गए तो लोकस मत राजाओ न प रष क भवन म वश कया और अपनmdashअपन आसन को हण कया (अयो याका ड 146mdash47) वा मीक य रामायण म प रष क सद य को लोकस मता राजान कहा गया ह प रष क सद य जहा वय राजा या नप कहलात थ वहा साथ ह लोकस मत ( वश वारा अ भमत) भी होत थ पारष क य सद य कौनmdashकौन थ इस स ब ध म भी रामायण (अयो याका ड 219mdash20) म प ट वणन मलता ह वहा लखा ह धम और अथ को भल भा त समझन वाल राजा क अ भ ाय को भल भा त जानकर ा मण बलम य (सना क सना नय ) और पौरmdashजनपद न वचार करना ार भ कया और

भल भा त वचारmdash वमश करक व राजा दशरथ स इस कार कहा इस स दभ स प ट ह क िजस प रष क स मख दशरथ न राम को यवराज बनान का ताव कया था उसक सद य थ mdash ा मण मख सनाप त और पौर तथा जानपद यह उ लखनीय ह क यवराज व राजा बनन क लए लोक स मत राजाओ वारा वरण तथा वीकत कया जाना रामायण काल म भी आव यक था दशरथ क ताव स प रष क सभी सद य न सहम त कट क और घोष वारा उसका अनमोदन कया (अयो याका ड सगmdash2) प रष क सद य न राजा दशरथ क ताव पर अपनी सहम त कट क ह पा थव आप अब व हो गए ह अब आप पाथव राम को यवराज पद पर अ भ ष त क िजए हम चाहत ह क महाबल महाबाह रघवीर को राज छ वारा सर को ढाप ह ए व महान गज पर सवार होकर नकलत ह ए दख (अयो याका ड 221mdash22) प रष क इस वचन को सनकर राजा न न कया ह राजाओ (राजान) आपन जो मर बात सनकर राम को प त ( वामी) बनान क इ छा कट क ह उसक स बऋ म मझ सशय ह क जब म धमपवक प वी का शासन कर रहा ह तो आप कस लए राम को यवराज पद पर दखना चाहत ह (अयो याका ड 224mdash25) इस पर पौरmdashजानपद स हत प रष क महा माओ ( मख यि तय ) न राम क गण का व तार स वणन कया और बताया क रा और पर (राजधानी) क सब जन राम क बल आरो य और आय क कामना करत ह राजधानी म नवास करन वाल आ य तर पौर और बाहर रहन वाल जानपद जन सबक यह इ छा ह (अयो याका ड 25mdash51) प रष क सद य न अपन हाथ क अज ल फलाकर अपन मत को कट कया और उ ह दखकर राजा दशरथ न कहा जो आप मर य ठ प को यवराज बनाना चाहत ह इसस म अ य त स न ह (अयो याका ड 32) इसक बाद दशरथ न एक शभ दन राम को यवराज क प म अ भ ष त करन क लए ताव रखा िजसका प रष क सद य न जयघोष क साथ अनमोदन कया

वा मी क रामायण क इस ववरण स कौशल रा य क शासन क स ब ध म न न ल खत बात स चत होती ह mdash

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(i) य य प कोशल म ए वाक वश का वश मानगत शासन व यमान था पर कसी यि त क यवराज व राजा क पद पर नय त होन स पव प रष म एक ह ए लोकस मत राजाओ स इसक लए अनम त व वीक त लनी आव यक थी

(ii) कोशल मmdash एक प रषद क स ता थी िजसम पौर जनपद सनानी और ा मण एक होत थ य रा य क मख यि त थ और जनता का त न ध व भी करत थ इसी कारण इ ह लोक स मत भी कहा जाता था प रष क इन सद य क नयि त चनाव वारा होती थी यह कह सकना क ठन ह स भवत जनपद क अ तगत व वध ाम क ामणी और पर सभा क सद य (िज ह मश जानपद और पौर कहा जाता था) मख ा मण और सनानायक क साथ मलकर रा य क प रष का नमाण करत थ ककयी क ष य स जब राम वनवास क लए चल गए और प mdashशोक म राजा

दशरथ क म य हो गयी तो कौशल जनपद क स मख यह न उपि थत हआ क अब राजा पद पर कस नय त कया जाए रामायण (अयो याका ड 432) म लखा ह क रात बीत जान पर जब सय का उदय हआ तो सभी राजकतार सभा भवन म एक ह ए िजसम राजपरो हत व श ठ भी थ उ ह स बो धत कर राजकताओ न कहा महाराज दशरथ अब वग म ह और राम जगल म नवास करन चल गए ह ल मण भी राम क साथ वन म चल

गए ह भरत और श न अपन नाना क घर ह हम आज ह इस इ याक रा य म कसी को राजा क पद पर नय त कर दना चा हए य क अराजक रा का वनाश नि चत ह राजा स वह न (अराजक) रा म न तो प पता क वश म रहता ह और न पल प त क ऐस रा म धन भी नह रह पाता और न प तmdashपल स ब ध ि थर रह सकता ह ऐस अराजक जनपद म न सभाए होती ह न धनवान क पास धन रहता ह और न क ष गोmdashर ा व वा ण य स भव ह अराजक जनपद म कोई कसी का नह रह पाता िजस कार मछल mdashमछल को खा जाती ह वस ह मन य मन य को खान लगत ह राजा क बना हमारा रा जगल क समान हो रहा ह अत आप ऐसी यव था क िजए िजसस क इ याक वश का कोई कमार या कोई अ य यि त राजा क पद पर अ भ ष त हो जाए रामायण क इस वणन म अराजक दशा का वणन ह वहा साथ ह ात होता ह क रामायण क यग म सभा म एक ह ए राजकतार को ह यह अ धकार था क व राजवश क या कसी अ य यि त को राजा क पद पर नय त कर सक राजपरो हत व श ठ क अनसार भरत को ककय दश स वा पस बलान क लए दत भजन का न चय कोशल क सभा वारा कया गया था सभा क ि थ त क स ब ध म रामायण क य नदश मह वपण ह िजनस ात होता ह क व दक और उ तर व दकयगीन पर पराए रामायण काल म भी व यमान थी rdquo

रामायण स ात होता ह क शासन अनक वभाग म वभािजत था िजनक अ य तीथ कहलात थ िजनक स या 18 थी अ धका रय म यायाधीश का थान ऊचा था अ य अ धका रय म थानीय शासन क अ धकार अव य रह ह ग क त उनक नाम का उ लख नह मलता

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महाभारत यग म क पाचाल मगध च द आ द बह त स रा य म राजत ा मक शासन व यमान थ िजनक शासनmdashप त क स ब ध म महाभारत म अनक मह वपण नदश मलत ह महाभारत क शाि तपव म द डनी त (राजशा ) राजधम (राजाओ क कत य) शासन प त म ी और कर यव था सभापव म सभा क रचना आपातकाल न नी त और आ दपव म राजनी तक स ा त का ववचन मलता ह

व दककाल म राजाओ को परामश दन तथा राजmdashस ब धी अ य बात पर वचारmdash करन क लए सभा और स म त नामक दो स थाए थी महाका यकाल म व ाय ल त हो गयी थी सभा राजदरबार म प रव तत हो गयी थी फर भी यह कहना सवथा स य नह होगा क जा क शासनmdashकाय म कोई आवाज न थी आ त रक शासन का भार म यत 11020100 ओर 1000 गाव क वा मय पर था व अव य ह साधारण यि त होत थ और राजा वारा नय त होन पर भी जा का ह त न ध व करत ह ग नवीन राजा क नयि त अथवा चनाव पर जा क भी कसी अथ म वीक त ल जाती थी राजा अपनी सहायता और परामश क लए क तपय अमा य क नयि त करता था शाि तपव (857mdash10) क अनसार चार ा मण नयत कए जाए जो च क सा म नपण ह नातक ह व वान और सदाचार ह 18 ऐस य नयत कए जाए जो शि तmdashस प न और श धारण करन वाल ह 21 ऐस व य नयत कए जाए जो व त स स प न हो तीन ऐस श नयत कए जाए जो वनीत ओर स कम करन वाल ह साथ ह पौरा णक अन त क ाता एक ऐस सत को भी लया जाए िजसक आय 50 वष स ऊपर हो चक हो और साथ ह जो न दा न करन वाला व वान र समदश और मतmdash म त का ाता हो यह पर भी म न एक ऐसी सभा का वणन कया ह िजसक सद य क स या 47 थी इसम जनता क चार वण को त न ध व ा त था िजसम श तक को थान ा त था जनता म व य कम (क ष पशपालन एव वा ण य) सबस अ धक होता था अत उसक त न धय क स या अ धक थी स भवत यह एक ऐसी स था थी जो सभी मह वपण राजक य वषय पर वचारmdash वमश करती थी इसम जो नणय कए जात थ उ ह रा क स मख पश कया जाता था और इस योजन स उ ह रा य क पास भज दया जाता था यहा रा और रा य का या

अ भ ाय ह यह प ट नह ह महाभारत यग म पौरmdashजानपद क स ता का नदश मलता ह

सभा या जन ससद क स ब ध म शाि तपव (1141) स मह वपण नदश मलता ह य धि ठर न करता ह क ससद म जब व वान र छ और ग प यि त मद और ती ा भाषण वारा अपना आ ोश कट कर रह ह तो या करना चा हए इस न क उ तर म भी म न कहा जनmdashससद म जो कोई आ ोश वारा दोषारोपण करता ह राजा उसक सकत वय ा त कर लता ह कवल उसक द कत ह उसक पास बच रहत ह ऐस यि तय क

ग हत बात क उसी ढग स उप ा क जाए जस रोगपी डत यि तय क वचन क क जाती ह ऐस यि त क त जनता म व वष उ प न हो जाता ह और उसका भाषण नकल हो

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जाता ह उसक पापmdashकम सव व दत हो जात ह और वह लि जत होकर मत क समान होकर रह जाता ह व प ब वाल जो कछ कह उस सहन करना चा हए ऐस यि तय क शसा और न दा स कसी का या बनताmdash बगड़ता ह जस जगल म कौआ बकार बकवास

करता ह ऐस ह ससद म अ पब क यि त क भाषण को समझना चा हए िजस मन य क लए कछ भी अवा य नह ह और कछ भी अकाय नह ह उसक कथन क परवाह करन क या आव यकता ह जो मन य सामन तो गण का बखान करता ह पर पीठ पीछ न दा करता

ह वह कल क समान ह महाभारत क इस स दभ स जहा राजत रा य म जनससद क स ता स चत होती

ह वहा यह भी ात होता ह क इस ससद म मद और ती ण दोन कार क भाषण हआ करत थ ससद क सद य न दा कट आलोचना और ोधपण भाषण भी दत थ भी म न इनक स ब ध म राजा को परामश दया ह क वह इनक उप ा कर इसस ात होता ह क महाभारतmdashयग म राजत रा य म जन ससद का वशष मह व नह रहा था स म त या ससद अब भी व यमान थी पर राजा लोग उसक भाषण को कोई मह व दना नह चाहत थ स म त क समान सभा क भी इस यग क रा य म स ा थी सभास कस होन चा हए इस स ब ध म शाि तपव (832) म उ लख ह क जो लोग ल जाशील िजति य स प और सरलता स य त तथा यmdashअ य वचन को पर तरह स कहन म समथ ह वस ह प ष को सभास बनाना चा हए व दक यग क सभा क समान इस काल म भी सभा का म य काय याय करना था

उपय त ववरण स प ट ह क महाभारत काल म सभा कोई मनना मक नकाय नह था जस क व दक काल म सभा और स म त थ यहा पर सभा श द राजदरबार और सभाmdashभवन क अथ म य त हआ ह इस वषय म डॉ बनी साद का मत स य ह महाका य म ाचीन लोक य सभा पणतया ल त हो गयी सभा क थान पर दरबार का वकास हो गया िजसम राजा क स ब धी स मान ा त कल न यि त साम त पजार अ धकार और राजधानी क म य यि त सि म लत रहत थ

जहा तक ामmdashशासन का स ब ध ह शाि तपव (872mdash8) म लखा ह यक ाम का एक अ धप त नयत कया जाए फर मश दस बीस सौ और एक हजार ाम क शासक नयत कए जाए ाम क शासक को ा मक कहत थ दस ाम क शासक को वशा धप बीस ाम क शासक को वशा धप सौ ाम क शासक को शतपाल और हजार ाम क शासक को सहसप त क स ा थी जनपद या रा क अ तगत जो नगर ह उनक लए एक mdashएक सवाथ च तक शासक क नयि त क जाती थी य सभी राज पदा धकार राजा क सभा म सभासद क प म सि म लत होत थ ा मक का काय ामmdashस ब धी सभी काय को स प न करना और ाम क दोष का नवारण करना माना जाता था ा मक का काय ामmdash वषयक सभी मामल क सचना द शक क पास भजता था और द शक

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शा धक को वशा धक शतपाल को शतपाल सह प त को और सह प त रा क राजा क पास सचनाए भजत थ rdquo

महाभारत स ात होता ह क महाभारत यग म कवल राजत रा य क ह स ता नह थी अ पत ऐस भी रा य थ िजनका शासन गणत था महाभारत म िजन गणरा य का उ लख ह उनम यौधय मालव श व औद बर अ धकmdashवि ण गत मा यमकय अ ब ठ वातधान यादव ककर भोज आ द मख ह स भवत महाभारत क समय यादव ककर भोज अ धक और वि ण गण न मलकर एक सघ (League]) बनाया हआ था िजसक अ यतम मसघम यम_ क ण थ महाभारत क अनशीलन स इस सघ क स ब ध म बह तmdashसी मह वपण बात वात होती ह इन गणरा य न अपनी राजनी तक वत ता और पथक सला को कायम रखत ह ए अपन को एक सघ म सग ठत कया हआ था

महाभारत क कण वजय पव म भ रो हतक आ य और मालव जनपद का ldquoगण क प म उ लख ह इनक ि थ त इ थ क पि चम म थी सभापव म औद बर श व गत यौधय अ ब ठ क मालव ओर वशा त आ द जनपद का उ लख ह िजनक लए

मौलय सजातय णम त और श धा रण आ द व लषण दए गए ह इनम क तपय कल का शासन था और य अपनी जा त का अ भयान वशष प स अनभव करत थ इनक शासनmdashस थाओ का प रचय बाद क सा ह य म मलता ह

महाभारत स स चत होता ह क गण क आसन म क तपय कल का मह व होता था जो उ योग ब प व धन म समान न होत ह ए भी जा त क ि ट स अपन को एक समान समझत थ और शासन म भी उनक ि थ त एक समान थी इस कार व दककाल न शासन म जहा आ थक धा मक और ीय स थाओ का त न ध व होता था पर त महाभारत काल म ऐसा तीत नह होता इन स थाओ का त न ध व न रहन क कारण जनत शासन म वशान मक त न ध व हो जाना स भव हो गया इस लए शासन म स थाओ क त न ध व का लोप जनत ीय शासन क लए घातक स हआ

215 बौ यगीन वशासन का व प महाभारत क समय भारत म बह तmdashस जनपद क स ता थी शासन प त क ि ट

स य जनपद दो कार क थ mdash राजत और गणत मगध क समान अ य अनक जनपद पड़ोस क अ य जनपद को जीतकर अपनी शि त क व तार म त पर थ इसी लए इनक ि थ त जनपद क थान पर महाजन पद क हो गयी थी बौ mdashसा ह य म थानmdash थान पर सोलह महाजनmdashपद का उ लख आता ह िजनम भ नmdash भ न राजत mdashरा य म राजा क ि थ त भ नmdash भ न कार क थी बौ काल म राजत रा य म राजा ाय वश मानगत होत थ ल कन सहासन पर बठन क पव उ ह यह स करना आव यक होता था क व राजकाय का सचालन करन क लए उपय त यो यता रखत ह सामा यतया राजत रा य म राजा का बड़ा प क ग ी पर बठता था पर त उसक अयो य होन पर अमा य उस पद यत कर कसी अ य यि त को राजग ी पर बठा सकत थ राजत करा य म अमा य का शासन

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म अ य धक मह वपण थान होता था अमा य क लए सभी व याओ व श प म न णात होना आव यक माना जाता था

बौ काल क जनपद पर और जनपद mdash इन दो वभाग म वभ त थ पर राजधानी को कहत थ और राजधानी क अ त र त शष स पण रा य को जनपद कहा जाता था जनपद म व यमान व वध ाम का शासन कस कार का होता था इस स ब ध म कोई मह वपण नदश जातकmdashसा ह य म उपल ध नह होता ाम क शासक को ामभोजक कहत थ ामभोजक बह त मह वपण पद समझा जाता था इसी लए इसक साथ अमा य वशषण भी आता ह ामभोजक ामmdashस ब धी सभी वषय का सचालन करता था उस यायmdashस ब धी अ धकार भी ा त थ शराबखोर को नयि त करना शराब क दकान को लाइस स दना द भ पड़न पर गर ब जनता क सहायता करना ामभोजक का ह काय था एक थान पर यह भी वणन आता ह क ामभोजक न पश हसा तथा शराब का सवथा नषध कर दया था ामभोजक क ि थ त राजा क अधीन होती थी उसक शासन क व राजा क पास अपील

क जा सकती थी और राजा उस पद णत कर कसी अ य यि त को उसक थान पर नय त कर सकता था जातक सा ह य म कथा आती ह क काशी रा य क दो ाम भोजको न अपनmdashअपन ाम म पशmdash हसा तथा शराब पीन का सवथा नषध कर दया था इस पर उस ाम क नवा सय न राजा स ाथना क क हमार ाम म यह था दर स चल आ रह ह

और इस इस कार न ष नह करना चा हए राजा न ामवा सय क ाथना को वीकत कर लया और ाम भोजको क व आ ाए र कर द इस कार प ट ह क ामभोजक क शासन पर राजा का पण नय ण था

बौ काल न गणत रा य म कोई वश मानगत राजा नह होता था जनता वय ह अपना शासन करती थी बौ सा ह य म हम िजन गणत का उ लख मलता ह व न न ल खत ह mdash क पलव त क शा य राम ाम क को लय म थला क वदह कशीनगर क म ल पावा क म ल प प लवन क मो रय अ लकय क ब ल ससमार ग र क भगा कसपल क कालाम और वशाल क ल छवी इन गणरा य क शासनmdash यव था क स ब ध म अनक मह वपण नदश हम बौ mdashसा ह य म उपल ध होत ह

ाचीन भारत क गणरा य भारत क व भ न दश म थ और उनक वकास का काल भी काफ द घ रहा अत यह वाभा वक ह क व भ न गणरा य क स वधान भ नmdash भ न ह य क यक का स वधान उनक आव यकताओ और प रि थ तय क अनकल था कछ का स वधान अ धक जात ा मक था जस अ ब ट म नवा चत व का वतीय आगार था उनक सनाप त भी नवा चत होत थ और यक यि त को शासन म भाग लन का अ धकार था पर त अ धकाश गणरा य क शासनmdashप त ध नकवग य (Oligarchical) थी ल छवीmdashसघ कई वाय तता ा त जन का सघ था कछ रा य म अ य राजा या म य थ और कछ म अ य का समह होता था जसा क को और मालव म िज ह न सक दर स सि धmdashवाता क लए 1०० या 15० त न ध भज थ कठ म रा य का अ य एक नवा चत राजा होता था शा य म भी एक नवा चत राजा होता था जो रा य का धान था

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ल छ व सघ म भी रा य का एक नवा चत अ य (म य) होता था जो सघmdashसभा क बठक म सभाप त रहता था और राजा क उपा ध धारण करता था डॉ जायसवाल क अनसार जहा तक कायपा लका शि त का स ब ध ह कछ स वधान म इस व क आगार (House of elders) को दया हआ था जब क दसर स वधान म यह साधारण गण क हाथ म थी ीक लखक क अनसार प तल तथा अ ब ठ म व mdashप रष क हाथ म सव च स ता थी और व अपन व क परामश को सनत थ

अ तकर का मत ह क रा य क आकार और पर परा क अनसार मि य क स या म अ तर रहता था म ल रा य म चार ल छ व रा य म नौ और ल छ वmdash वदह रा यmdashसघ क म नmdashप रष म अ ारह सद य थ यौधय मालव और क आ द रा य म कतन मनी थ यह मालम नह सक दर स सि धmdashवाता क लए क न 150 त न ध भज थ जो उनक मि म डल क सद य थ ल छ व और यौधय आ द कछ गणरा य म तो म न प रष क सद य को राजा क उपा ध द जाती थी

जातक म ल छ वय क सघmdashसभा म 7707 बताए गए ह मखज का कथन ह भीतर शासन क लए सघ क सभा म 7707 राजन थ जो सघ क सद य होन क कारण तकmdash वतक म रत रहत थ ल छ व गण क बह स यक राजाओ का उ लख करत ह ए ल लत व तर म कहा गया ह क ल छ व पर पर एकmdashदसर को छोटाmdashबड़ा नह मानत थ और सब म राजा ह म राजा ह ऐसा समझत थ ल छ व सघ क सभा एक मनना मक नकाय थी िजनम राजmdashस ब धी सभी मामल पर वादmdash ववाद एव वचार करक नणय कया जाता था सभा एक सावज नक भवन स धागार म एक त होती थी शा य और म ल क सभा क भी बड़ सभाmdashभवन थ जायसवाल का मत ह क कछ गणरा य म व क प रष थी अ तकर न उनक इस मत क आलोचना करत ह ए कहा ह क य वयोव तथा अनभवी लोग थ सभी गणरा य म व धmdash नमाण रा य क नी त और रा य क मह वपण मामल पर वचार तथा न चय करन क लए एक सभा अव य रह होगी कछ गणरा य म गणत ा मक प त इतनी वक सत थी क उनम व भ न दल का भी अि त व था

अ धकतर रा य म कलmdash यायालय थ कलmdash यायालय क नणय क अपील गणmdashयायालय म होती थी कछ गणरा य म औ यो गक सगठनmdash णी भी थ इन णय

अथवा तो को कछ या यक शि तया ा त थी िजनक नणय क व कल तथा गण यायालयो म अपील हो सकती थी बौ ध स ात होता ह क कसी भी मकदम क सनवाई एक क बाद दसर तीसर अ भकरण वारा क जाती थी इनम थम व न चय महामा होत थ उनक ऊपर वोहा रक और स धार थ और उनक ऊपर सनाप त व उपराज होत थ आठ सद य का एक यायालय और था जो अ टmdashकलक कहलाता था इनम स कोई भी यायालय अ भय त को नद ष मानकर म त कर सकता था पर त सभी यायालय कसी

अ भय त को अपराधी मानत थ तो उस मामल पर कायपा लका (मि म डल) म ह वचार कया जा सकता था

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ल छ वmdashसघ म वद शक काय क दखभाल क लए नौ सद य क सभा थी बौ काल न गणरा य म अ धकार वग अ धक सग ठत हो गया था कछ गणरा य म राजा क नीच उपराजा सनाप त व भा डा रक थ जातक स ात होता ह क ल छ वmdashसघ म 7707 राजा थ जो सघ क राजधानी वशाल म रहत थ उनक बट ल छ वmdashकमार अथवा लच वmdashराजप कहलात थ िजनका अ भषक होता था वशाल म एक वशष तालाब था िजसका योग उनक अ भषक क लए होता था एन एन लॉ क मतानसार वि जय का गणरा य आठ कल (जन ) का सघटन (Confederation) था िजनम सबस अ धक मह वपण ल छ व और वदह थ िजनक राजधा नया मश वशाल और म थला थी सभी वि जय क शासनmdashप त गणत ा मक थी सघ म सि म लत छोट रा य का शासन ल छ व राजा वय करत थ िजनक यक क अपन उपmdashराजा सनाप त व अ य अ धकार होत थ इस कार ल छ व स वधान ध नकत ी(Oligarchical) था अथात ऐसी शासनmdashप त थी िजसम

राजनी तक स ता एक वशषा धकार ा त वग अथवा समदाय म न हत थी पर त कछ व वान क मतानसार ल छ व स वधान जातना मक था िजसम राजनी तक शि त उपभोग सभी वग व जा तय क यि त करत थ

एन एन लॉ का कथन ह क बड़ गणरा य क राजधा नय म स धागार क अ त र त अ य मह वपण थान क ब तथा गाव म भी सावज नक भवन होत थ जहा पर थानीय जन शास नक काय करत थ स धागार आरामघर जलाशय आ द का नमाण माग क मर मत उ यान बनवाना और सावज नक उपभोग क अ य काय को कराना आ द म ामवासी सहयोग दत थ इस कार गाव तथा क ब क मामल क सचालन म साधारण जन अपनी ब लगात थ िज ह राजनी तक श ण ा त था यौधय और क गणरा य म नगर क अपनी वाय तताmdashप रषदय होती थी गणरा य क अ तगत ाम म भी पचायत अव य रह ह गी

डॉ वी पी वमा क मतानसार राजनी तक काय वशषकर कल न व ध नक तनी गणरा य म भाग लन का अ धकार ज म पर आधा रत था पर त डॉ क पी जायसवाल का कथन ह क कठ और सौभत क गणरा य म मन य वा तव म एक राजनी तक ाणी था और वह रा य क लए रहता था कल न गणरा य म मता धकार का आधार प रवार था ह द गणरा य म ज म (जा त) तथा प रवार क समता पर ह सवधा नक मता आधा रत थी कलmdashप रा य क सभी नवा चत पद क यो य थ कल न तन तथा जात म राजनी तक अ धकार का आधार कल था शा य क प रष म यवक और व सभी भाग लत थ वि णmdashसघ म पता प और छोट भाई को मता धकार ा त था रा य क त नाग रक न ठा रखत थ

ाय सभी लखक का मत ह क ाचीन भारतीय गणरा य क काय णाल का कोई य ववरण ा त नह ह डॉ जायसवाल और डॉ मकज न उनक काय णाल का आधार

बौ सघ क काय णाल को माना ह डॉ अलकर न भी उनक इस मत का समथन कया ह इन बौ सघ क अ धवशन स धागार या उ यान म होत थ आसन पचापक स क वशष

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अ धकार जो दस वष का अनभवी भ होता था य ठानपव म स आसन लगाता था अ धवशन क लए उपि थ त क कम स कम स या का भी वचार था व भ न थ म भ नmdash भ न काय क लए सघ क नयत उपि थ त क स या अलगmdashअलग बतायी गयी ह सघ का अ य वनयधर कहलाता था परकmdashस या म उसक गनती नह होती थी सघप त क स या क अभाव म भ mdashसघ का नणय अ नय मत माना जाता था

अ धवशन अथवा कायmdashसचालन क लए सघ उपय त नयम बनाता था बठक म ताव क बना कोई भी वषय तत नह कया जा सकता था ताव ( ाि त) को

औपचा रक प स उपि थत ( थापन) करना आव यक था उसक बाद उसक नय मत प स अन सावन (आवि त) होती थी िजसस क सभी सन ल इस कार सघ क सामन वादmdash ववाद कवल उसी ताव तक सी मत रहता था िजस ताव पर कोई मतभद न हो वह एक बार पढ़ा जाता था मतभद होन पर उसका तीन बार पढ़ना आव यक था ाि त ( ताव) पर कसी सद य का मौन रहना उसक सहम त माना जाता था जो सद य प म होत थ उ ह मौन रहन को कहा जाता था और जो कोई व होता था वह अपना मत य त करता था सघ क वारा वीकत ताव सघmdashकम कहलात थ सघ क वारा वीकत ताव को कमवाचा कहा जाता था

सघ क सद य सदव मौन ह नह रहत थ बि क उस पर वादmdash ववाद भी होता था यह यास कया जाता था क सभी सद य का एकमत ा त कया जाए इसक लए यि तया खोजी जाती थी इसम एक यि त को तनव थारक (अथात तण स ढकना) कहत थ इस उपाय को झगड़ कलह और वादmdash ववाद वाल थान पर काम म लाया जाता था सद य कसी नि चत थान पर एक त होकर अपन दल क नता स कहत थ क व वाद क वषय को सामन रखकर नपटा ल इन बठक म जो भी नणय होता था उस स पण सघ मान लता था य द कभी कोई कसी न को आपस म तय न कर पात तो ऐसी दशा म व दसर सघ को उस न क नणय क ाथना करत थ समझौत क लए तीसरा उपाय था एक उपmdashस म त नय त करना उस उ बा हक सभा कहत थ जो शा त तथा एका त म सम या पर वचार करती थी इस स म त क नयि त म त न ध व का स ा त छपा हआ था जब एक मत होन क सभी यि तया तथा माग ब द हो जात थ या उबा हक सभा कसी न चय पर पह चन म असमथ रहती थी तो समण सघ मामल पर वचार करता था और बह मत वारा उस पर नणय करता था जो सद य प पात दोष मोह और भय र हत होता था सघ क वशष ताव वारा शलाकाmdash ाहक (मतदान अ धकार ) नय त कया जाता था उनक मतदान स ह क कई व धया थी mdash (i) छप ढग स (ii) कान क पास चपक स कहकर (iii) खल प म (iv) सबक सामन बह मत कवल अि तम अव था म ह लया जाता था ऐसा कहा गया ह क इस व ध को वह लाग नह करना चा हए जहा बात त छ हो न द ट प त स वचार न कया गया हो ववाद त वषय सद य को प ट न हो इस प ट ह क

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मतदानmdashअ धकार को बड़ अ धकार ा त थ िजनस वह मतदान क प रणाम को थ गत अथवा उसका न ह भी कर सकता था

216 मौय शासन म थानीय वशासन 2161 नगर शासन

मौय काल म नगर क थानीय वशासन क या ि थ त थी इसका सबस अ छा प रचय मग थनीज क या ाmdash ववरण स मलता ह मग थनीज न पाट लप नगरmdash शासन का व तार स वणन कया ह उसक अनसार पाट लप क नगर सभा छ उप स म तय म वभ त थी और यक उप स म त क पॉचmdashपाच सद य होत थ इन उप स म तय क काय न न ल खत थ mdash पहल उप स म त का काय औ यो गक तथा श पmdash स ब धी काय का नर ण करना था मजदर क दर नि चत करना तथा इस बात पर वशष यान दना क श पी लोग श तथा प का माल ह काम म लात ह और मजदर क काय का समय तय करना उस पर स म त का काय था च ग त मौय क समय म श पी लोग का समाज म बड़ा आदर था यक श पी रा mdash क सवा म नय त माना जाता था यह कारण ह क य द कोई मन य कसी श पी क ऐस अग को वकल कर द िजसस क उसक ह तकौशल म यनता आ जाए तो उसक लए म यद ड क यव था थी दसर उप स म त का काय वद शय का स कार करना था जो वदशी पाट लप म आय उन पर उप स म त नगाह रखती थी साथ ह वद शय क नवास सर ा और समयmdashसमय पर औषधोपचार का काय भी इस उप स म त क सपद था य द कसी वदशी क पाट लप म म य हो जाय तो उसक दश क रवाज क अनसार उस दफनान का ब ध भी इसी क ओर स कया जाता था मत वदशी क जायदाद व स पि त का ब ध भी यह उप स म त करती थी तीसर उपस म त का काय मदमशमार करना था म य और ज म क सची रखना इसी उप स म त का काय था कर लगान क लए यह सची बड़ी उपयोगी होती थी चौथी उप स म त यmdash व य क नयम का नधारण करती थी भार और माप क प रणाम को नि चत करना यापार लोग उनका श ता क साथ और सह mdashसह उपयोग करत ह इसका नर ण करना इस उप स म त का काय था यापार लोग जब कसी वशष व त को बचन क अनम त ा त करना चाहत थ तो इस उप स म त क पास आवदनmdashप भजत थ ऐसी अनम त दत समय यह उप स म त अ त र त कर भी वसल करती थी पाचवी उप स म त यापा रय पर इस बात क लए कठोर नय ण रखती थी क व लोग नई और परानी व तओ को मलाकर तो नह बचत नई तथा परानी व तओ को मलाकर बचना नयम व था इसको भग करन पर सजा द जाती थी छठ उप स म त का काय यmdash व य पर ट स वसल करना होता था उस समय यह नयम था क जो कोई व त िजस क मत पर बची जाए उसका दसवा भाग कर प म नगर सभा को दया जाए इस कर को न दन पर कड़ द ड क यव था थी

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इस कार मग थनीज न छ उपस म तय क पथकmdashपथक काय का उ लख करक लखा ह क य काय ह जो उपस म तया पथक प स करती ह पर पथक प म जहा उप स म तय को अपनmdashअपन वशष काय का यान रखना होता ह जहा व साम हक प स जन साधारण हत क काय पर भी यान दती ह यथाmdash सावज नक इमारत को सर त रखना उनक मर मत करना क मत को नय मत करना बाजार ब दरगाह तथा मि दर पर यान दना rdquo

मग थनीज क इस ववरण स प ट ह क च ग त मौय क शासन म पाट लप का शासन तीस नाग रक क एक सभा क हाथ म था स भवत यह ाचीन पौर सभा थी इस कार क पौरmdashसभाए त शला उ जनी` आ द नगर म भी व यमान थी जब उ तरापथ क व ोह को शा त करन क लए कणाल त शला गया था तो वहा क पौर न उनका वागत कया था अशोक क शलालख स भी ात होता ह क उस समय बड़ नगर म पौर सभाए व यमान थी इस कार नगर क नवासी अपन नगर क वशासन म पया त अ धकार रखत थ

मग थनीज का यह ववरण उस वाय त शासन को स चत करता ह जो उनम पर परागत प स व यमान था वशाल मौय सा ा य क लए यह आव यक था क स ाट क ओर स नगरmdash शासन को स यवि थत कया जाए कौ ट य अथशा क अनसार नगर क शासक को नागरक कहत थ शासन स वधा क ि ट स नगर भी अनक उप वभाग म वभ त या िजनक शासक मश था नक और गोप कहलात थ जो अपनmdashअपन क सशासन क लए उ तरदायी थ स भवत मग थनीज वारा व णत नगरmdashसभा नागरक क कमचा रय स वत होकर अपन काय को स पा दत करती थी

व भ न जनपद क अपनी सभाए होती थी िज ह पौरmdashजानपद कहत थ जनपद क राजधानी या पर क सभा को पौर और शष दश क सभा को जानपद कहा जाता था

यक जनपद क अपन धम यवहार और च र भी होत थ सभी जनपद क साथ एकmdashसा यवहार नह कया जाता था जनपद पर शासन करन क लए स ाट क ओर स समाह ता नामक राजप ष क नयि त क जाती थी ल कन वह जनपद क आ त रक शासन म ह त प नह करता था वशासन क ि ट स सभी जनपद क ि थ त एक समान नह थी

2162 ाम शासन

जनपद म बह तmdashस ाम सि म लत होत थ और यक ाम शासन क ि ट स अपनी पथक व वत स ता रखता था कौ ट य अथशा स हम इन ामmdashस थाओ क स ब ध म बह तmdashसी बात ात होती ह शासन क सबस छोट इकाई ाम थी दस ाम क समह को स हण कहत थ बीस स हण (या 200 ाम ) स एक खाव टक बनता था दो खाव टक (या 400 ाम ) स एक ोणमख और दो ोणमख (800 ाम ) स एक थानीय बनता था थानीय म लगभग 800 ाम थ पर कछ थानीय आकार म छोट थ या कछ

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दश म आबाद धनी न होन क कारण थानीय म गाव क स या कम रहती थी ऐस थानीय को ोणमख या खाव टक कहा जाता था

यक ाम का शासक पथकmdashपथक होता था िजस ा मक कहत थ ा मक ाम क अ य नवा सय क साथ मलकर अपरा धय को द ड दता था और कसी यि त को ाम स ब ह कत भी कर सकता था ाम क अपनी सावज नक न ध भी होती थी जो जमान ा मक वारा वसल कए जात थ व इसी न ध म जमा होत थ ाम क तरफ स

सावज नक हत क अनक काय क यव था क जाती थी लोग क मनोरजन क लए व वध ाओ (तमाश ) क यव था क जाती थी िजसम सब ामवा सय को ह सा बटाना होता था

जो लोग अपन सावज नक क त य क उप ा करत थ उन पर जमाना कया जाता था इसस स चत होता ह क ामmdash शासन का अपना एक पथक सगठन भी उस यग म व यमान था यह ामmdashस था याय का काय भी करती थी ाम सभाओ म बनाए गए नयम सा ा य क यायालय म मा य होत थ अ पटला य क काय म एक यह भी था क वह ाम सघ क धम यवहार च र स थान आ द को नब धप तक थ (रिज टड) कर

कौ ट य अथशा स ान होता ह क मौय सा ा य क ाम म वाय त स थाओ क स ता थी इस स था को ामसघ कहत थ इस ामसघ क सद य को ामव कहा जाता था स भवत ाम म नवास करन वाल सभी कल या प रवार क म खयाओ (व ) वारा ामसघ का नमाण होता था य ामव जहा अपरा धय को द ड दत थ उनस जमान वसल करत थ ामmdash वषयक सावज नक हत क काय का स पादन करत थ और लोग क मनोरजन क यव था करत थ वहा ाम क शोभा को कायम रखना और नाबा लग क स पि त का ब ध करन का भी काय करत थ ाम म ि थत मि दर तथा अ य दव थान क स पि त का ब ध भी इ ह क हाथ म था य अपन म सड़क और पल आ द बनवान का काय भी करत थ

इस ामसघ या ामस था का म खया जहा ा मक कहलाता था वहा क य सरकार क ओर स भी ामmdash शासन क लए एक कमचार नय त कया जाता था िजस गोप कहत थ क य सरकार क ओर स गोप क म य काय थ mdash ाम क सीमाओ का नधारण करना जनगणना करना और भ म का वभाग करना क य सरकार वारा नय त गोप क स ता रहत ह ए भी ा मक और ामसघ का ामmdash शासन म बह त मह व था इस कार ाम क लोग अपन सख व हत क अपन सघ म वय यव था करत थ इस ि थ त

म सा ा य क अ धप त क नरकशता या एकस ता का उन पर वशष असर नह होता था

2163 यवसा यय क णया

मौयकाल क यवसायी और श पी णय (Guilds) म सग ठत थ कौ ट य न इस श द का योग आ थक सघ या सगठन क लए कया ह वशष प स यापा रय द तकार आ द क सघ क लए य णया अपन नयम वय बनाती थी और अपन सघ म सि म लत शि पय क जीवन और काय पर परा नय ण रखती थी इनक नयम यवहार और च र

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आ द को भी राजा वारा वीकत कया जाता था अथशा म णीmdash नकाय और साथmdashसमवाय क स ब ध म जो क तपय नदश व यमान ह उनक अनशीलन स इस बात म कोई स दह नह रह जाता क मौययग म य ससग ठत स थाए थी

217 मौय तर यग क वशासन स थाए मौयवश क पतन और शकmdashयवन आ द वद शय क आ मण क समय भारत म जो

अनक वत रा य था पत ह ए उनम गणरा य का थान म य ह य गणरा य ह mdash मालव यौधय म क न द आजनायन श व ल छ व औद बर वि ण राज य महाराज आ य आ द

मौयवश क बाद भी थानीय वशासन का व प ाय वह रहा जो मौय क समय म था श गmdashसा ा य म बह त स ाचीन जनपद थ िजनका शासन ाचीन पर परा क अनसार होता था ामसघ और जनपदसघ इस यग म भी व यमान थ अनक जनपद क अपन पथक राजा थ िजनक ि थ त श ग स ाट क अधीन थ राजाओ क थी ाम और जनपद का पर परागत च र व कानन इस यग म भी पण सर त था शक प दामा क गरनार शलालख स ात होता ह क जनपद क पौरmdashजानपद सभाए इस यग म भी व यमान थी

2171 ग तकाल म थानीय वशासन

ग तकाल न अ भलख स ात होता ह क ग त स ाट न पहल बार यवि थत प स थानीय वशासन क थापना क िजसका उ य करmdashसचय करना शाि त और यव था बनाए रखना तथा जन हत काय को स पा दत करना था याग शि त म सभा श द का योग हआ ह जो स भवत लोकसभा थी िजनम जनता क त न ध उपि थत होत थ ग त

शासन यव था म ाम स ार भ कर यक कदम पर लोकmdash त न धय क प रष दखन म आती ह िजसस ात होता ह क सव च तर पर भी लोकmdash त न धय क सभा रह होगी यह सभा शासन क उ तरा धकार क मनोनयन पर अपनी वीक त दान करती थी यह अनमान च ग त थम वारा सभा क बीच अपन उ तरा धकार क घोषणा स होता ह

भि त अथवा म डल क अ तगत एक छोट शास नक इकाई वषय थी वषय का उ लख हम सम ग त क समय स मलता ह उनक नाल दा ता शासन म मल वषय तथा गया तायशासन म गया वषय का उ लख ह कमारग त थम क म दसौर अ भलख स लाट वषय तथा क दग त क इ दौर ता लख म अ तवद वषय का उ लख ह कमारग त थम क दामोदरपर शासन म को टवष का उ लख ह तोरमाण क एरण वराह अ भलख स ात होता ह क ए र कण एक वषय था इस कार वषय क अ तगत अनक ाम थ वषय का शासक वषयप त कहलाता था जो वषयmdashप रष क सहयोग स शासन

करता था िजसम नगर ि ठ साथवाह थम क लक और थम काय थ होत थ नगर ि ठ यापा रय का मख एव नगरसभा का अ य साथवाह यापा रक णय का धान थम क लक कार गर का त न ध और थम काय थ धान लखक था इस कार वषयmdashप रष

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म सभी वग का त न ध व था वषयmdashप रष को शासन म अनक व तत अ धकार मल ह ए थ

ाम शासन क सबस छोट इकाई थी ाम का उ लख अनक ग त अ भलख म हआ ह सम ग त क नाल दा ता शासन म भदप करक ाम तथा गया ता शासन म रव तक ाम का क दग त क कहाव त भ लख म ककभ ाम का उ लख ह ाम का म य ध धा क ष था क त उनम जलाहा क भकार बढ़ई तल सनार आ द कार गर भी रहत थ यक ाम का अव थानकल होता था ामmdashशासन क शासक को ा मक ामयक अथवा ामा य कहत थ वह थानीय प रष क सहायता स काय करता था

िजसको म य दश म पचम डल और पव भाग वशषत बहार म ाम जनपद अथवा प रष कहत थ उनक अपनी महर होती थी िजनको व माणीकरण क लए अ कत करत थ उसक सद य मह तर कहलात थ जो ाय बा मणतर वण क होत थ ऐसा त काल न भmdashशासन स ात होता ह उनम ा मण और मह तर का उ लख अलग हआ ह

ामmdashप रष शासन स ब धी सभी काय करती थी यथाmdash ाम क सर ा गाव क झगड़ नपटाना लोक हत काय को करना सरकार राज व को कोष म जमा कराना आ द उसका अ धकार अपनी ाम सीमा क अ तगत सभी घर ग लय हाट कओ तालाब ऊसर और ख तहर भ म जगल मि दर मशान आ द पर था बना मह तर क अनम त स कोई भी भ म चाह धमmdashकाय क लए ह य न हो नह बची जा सकती थी ामmdashप रष को ाम स ा त राज व को ाम हत म यय करन का अ धकार था ामmdashप रष क मह तर नवा चत अथवा मनोनीत होत थ यह नि चत प स नह कहा जा mdashसकता मह तर श द स ात होता ह क ाम क अ तगत रहन वाल व भ न वग क वयोव लोग िजनको आय

अनभव च र आ द क कारण मखता ा त होती थी व ह ामmdashप रष क सद य होत थ अ भलख स ात होता ह क ा मक और ामmdashप रष क अधीन शासनmdash यव था क

न म त अनक कमचार थ उनम स कछ न न ल खत थ mdash अ टकला धकरण mdash यह एक मह वपण पद था और ाम क भ म क यmdash व य और ब ध म मह वपण हाथ था अ पट लक mdash यह भ म स ब धी अ धकार प और ाम स स बि धत राजक य आलख को सर त रखता था वल कौशन mdash यह भकर अ धकार था और उसका म य काय आयmdashसचय करना तथा ाम को उपल ध स वधाओ क दखभाल करना था

ग तो तर अ भलख म कछ अ य ामmdashअ धका रय क उ लख मलता ह इनम तलवाटक ( ामmdashर क) सीमकमकार ( ाम क सीमा का अकन करन वाला) मात (मापक) यायmdashक णक (खत क सीमा स ब धी ववाद नपटान वाला अ धकार ) क णक (आलख

अ धकार ) और ह क (हाटmdashअ धकार अथवा हाट स कर वसलन वाला अ धकार ) मख थ वषय और ाम क समान पर म भी शासनmdashस म त होती थी जो नाग रक स वधाओ

पर यान दती थी व ववमन क गगधार अ भलख स इस बात क जानकार मलती ह क सरकार अ धकार तथा जा दोन ह यथासा य जन हत का काय कया करत थ गरनार क

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शासक न व त सदशन झील क मर मत करायी थी यह स म त स भवत लोक उ यान तथा मि दर क दखmdashरख और पानी क यव था भी करती थी

नगरmdash शासन म नाग रक लोग सरकार क साथ सहयोग करत थ महर तथा अ भलख स ात होता ह क ग तकाल क कार गर और यवसा यय क अपन नगम थ वशाल स ा त 274 महर म ि ठ mdash साथवाहmdashक लक नगम का उ लख ह कछ महर स ात होता ह क क लक और ि ठय क अपन वत नगम भी थ दशपर म रशम क

तनवाय क णी और इ पर म एक त लक णी थी ऐसा तीत होता ह क यक यवसाय क मख पतक आधार पर अथवा नवाचन वारा उसक सद य होत थ स भवत य नगम साह कार यापा रय और कार गर क त न ध होन क कारण उनक नाग रक हत क दखmdashभाल करत थ नगम वय अपन नयम नधा रत करत थ जो समयrdquo कहा जाता था और शासक उनम च लत पर पराओ को वीकार करन को बा य था

2172 ग तकाल क प चात थानीय वशासन

ग तकाल क प चात थानीय वशासन म ाम स थाओ न मह वपण काय कया इस यग म बह तmdashस ऐस शलालख और ता प मल ह िजनस ाम स थाओ क वषय म उपयोगी बात ात होती ह

यक ाम क एक सभा या महासभा होती थी जो अपन म शासन का काय सभालती थी थान और काल क भद स ाम सभाओ क सगठन भी भ नmdash भ न कार क थ कछ ाम क ामmdashसभाओ म वहा क सभी वय क प ष सद य प स सि म लत होत थ कछ ाम ऐस भी थ िजनम सब वय क प ष को ाम सभा क सद यता का अ धकार नह था द णी भारत क एक उ क ण लख क अनसार एक ाम क वय क प ष क स या 400 थी पर उसक सभा क सद य कवल 300 प ष थ एक अ य ामसभा क सद य क स या 512 लखी गई ह एक अ य लख म एक ऐस ाम का उ लख ह िजसक सभा क सद य स या 1000 थी ामसभा का अ धवशन या तो मि दर म होता था या कसी व क छाया म क तपय ाम ऐस भी थ िजनम सभा क लए पथक भवन भी व यमान थ

ामmdash शासन का सब अ धकार ामसभा क हाथ म था िजसक अ धवशन क अ य ता अ ामणी नामक अ धकार करता था शासनकाय म स वधा क लए अनक स म तय का भी नमाण कया जाता था िज ह अनक कार क काय सप थ य स म तया न न ल खत थी mdash (i) वष भर क लए नय त स म त या वष भर तक शासनmdashकाय का नय ण व नर ण करन वाल स म त (ii) दान क यव था करन वाल स म त (iii) जलाशय क यव था करन वाल स म त (iv) उ यान का ब धन करन वाल स म त (v) याय क यव था करन वाल स म त (vi) सवण व कोश क यव था पका स म त (vii) ाम क व वध वभाग का नर ण करन वाल स म त (viii) खत और मदान क यव था

व नर ण करन वाल स म त (ix) मि दर का ब ध करन वाल स म त (x) साध और

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वर त लोग क यव था करन वाल स म त इन दस स म तय क काय इनक नाम स प ट ह

इन व वध स म तय क नयि त कस कार होती थी इस वषय पर द णी भारत स ा त लख स मह वपण जानकार मलती ह इस लख म एक ाम क स ब ध म लखा ह क ाम तीस भाग म वभ त था यक भाग क वय क प ष एक होकर स म तय क सद य बनन यो य यि तय क सची तयार करत थ स म त क सद यता क लए यनतम आय 35 वष और अ धकतम आय 70 वष आव यक थी जो यि त श त ईमानदार और कछ भी स पि त रखत ह व ह स म तय क सद यता क अ धकार होत थ ऐसा यि त िजसन स म त क सद य क प म खच कए गए धन का हसाब न दया हो अपराधी हो वह स म त क सद यता का अ धकार नह समझा जाता था सची तयार होन पर लॉटर डालकर एक प ष का नाम नकाला जाता था इस कार ाम क तीस भाग स तीस नाम नकलत थ िज ह व वध स म तय का सद य नय त कया जाता था यो यता और अनभव क आधार पर उ ह काय सौपा जाता था ाम क सभी यो य वय क प ष को स म तय क सद यता का अवसर मल सक इसक लए यह नयम था क कवल उ ह यि तय को सची म शा मल कया जाए जो पछल तीन वष स कसी भी स म त क सद य न रह ह

ामmdashस थाओ का व प छोटmdashछोट रा य क समान था इसी लए व उन सभी काय को करत थ जो रा य करत थ व वध कार क झगड़ व अ भयोग का फसला करना म डी व बाजार का ब ध करना कर वसल करना ाम क लाभ क लए नए कर लगाना ामवा सय स ाम हत क लए काय लना जलाशय उ यान खत चरागाह व मदान क

दखmdashरख करना तथा माग को ठ क रखना आ द काय ाम स थाओ क सपद थ यि तय क धन को तथा दानmdashप य क रकम भी ाम स थाओ क पास जमा क जाती थी द भ आ द ाक तक वपि तय क समय ाम सभाओ का उ तरदा य व बढ़ जाता था क लोग भख न मर श ा आ द क लए धन खच करना श ओ तथा डाकओ स ाम क र ा करना भी ाम सभा क काय थ जो ामवासी उ ठ काय क लए अपन ाण क आह त दत थ

उनक प रवार को ामसभा क तरफ स भ म द जाती थी िजस पर कोई लगान भी नह लया जाता था य द कोई मन य ाम क व आचरण करता तो उस ाम ोह का द ड दया जाता था ामसभा क अ धका रय का क त य था क व राजक य कर को वसल कर उसका हसाब रख और एक धन को राजकोष म पह चा द

2173 द ण भारत म थानीय वशासन

चोल म डल स बह तmdashस ऐस शलालख और ता प उपल ध ह ए ह िजनस इस यग क शासनmdash यव था पर काश पड़ता ह उ क ण लख क आधार पर चोलmdashरा य म शासन क इकाई ाम होत थ जो छोटmdashछोट रा य क समान थ और जो अपना शासन वय करत थ क तपय ाम मलकर एक समह का नमाण करत थ िज ह करमrdquo कहा जाता था करम का समह नाड और नाडओ क समह को को म या वलनाड कहत थ कोट म को

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िजला नाड को तहसील और करम को परगना कहा जा सकता ह क तपय को म या वलनाड मलकर म डलम का नमाण करत थ चोलmdashम डलम इसी कार का एक म डल था चोलmdashसा ा य म चोलmdashम डलम क अ त र त अ य दो कार क दश भी थ mdash विजत और साम तवग य वजय कए ह ए दश क ि थ त साम त राजाओ क समान थी पा डय करल आ द क य साम तmdashरा य भी चोल म डलम क समान कोट म नाड आ द म वभ त थ और इनका शासनmdash ब ध चोलम डलम क समान था चोल राजाओ न समीपवत अनक दश को जीतकर अपन सा ा य का व तार कया था य दश चोल क विजत थ और इ ह भी पथक म डल म वभ त कर दया गया था उनक शासन म भी थानीय सभाओ और ाम स थाओ क सका थी

ामmdashशासन क लए िजस कार ामmdashसभाए थी वस ह सभाओ क स ता करम नाड आ द म भी थी नाड क सभा को ना र कहत थ द णी भारतीय उ क ण लख म नाड क सभाओ का उ लख ह एक लख क अनसार एक नाड क ना रसभा न दो मन य क नयि त इस योजन स क क व नाड म व याथ आन वाल पान क प त पर दलाल वसल कर और इस कार क आमदनी स नाड क मि दर क लए काम म आन वाल पान दान कया कर इस काय का उ तरदा य व नाड क पाच सौ नद ष प ष पर रखा गया य पाच सौ प ष स भवत नाड क अ तगत व वध करम और ाम क त न ध थ और इनक सभा को अपन क शासन म अनक कार क उ तरदा य व और अ धकार ा त थ कछ उ क ण लख स ात होता ह क नाड और अ य वभाग क सभाओ को यायmdashस ब धी अ धकार भी ा त थ और य सभाए अपन म सावज नक हत क काय को स पा दत करती थी यथाmdash बाध नमाण सड़क नमाण आ द नाड क सभा को अपन क अ तगत

यक गाव स ऐस काय क लए कर वसल करन का भी अ धकार था ाम नाड आ द क थानीय सभाओ क कारण सवसाधारण जनता अपनी यव था

वय करती थी इन सभाओ क स ता क कारण जनता क वत ता बह त अश तक बनी ह ई थी

218 साराश इस कार ाचीन भारतीय शासन म थानीय वशासन कसी न कसी प म अव य

सग ठत था व दक काल म सभा और स म त दो स थाओ क स ता थी स म त स पण वश क स था थी जो रा य क सभी मह वपण न पर वचार तथा उन पर नणय करती थी इसी कार व दक सा ह य म सभा का भी उ लख मलता ह स म त सभा क तलना म एक बड़ी स था थी जो स पण वश या जा का त न ध व करती थी व दक काल म सभा और स म त का शासन म मह वपण थान था इन दो स थाओ क अ त र त वदध और सना नामक दो अ य स थाओ का उ लख व दक सा ह य म मलता ह

रामायण म प रष स म त और ससद तीन श द का उ लख मलता ह िजनका शासन म मह वपण थान था महाभारत यग म आ त रक शासन का भार ामmdash वा मय

पर था शाि तपव म भीम न एक ऐसी सभा का उ लख कया ह िजसम चार वण क

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त न ध सि म लत थ ाम क शासक को ा मक कहत थ जो ाम स स बि धत सभी काय को स प न करता था बौ काल म ाम क शासक को ामभोजक कहत थ जो एक मह वपण पद था वह ाम स स बि धत सभी वषय का सचालन करता था जातकmdashसा ह य स बौ यगीन गणरा य म भी थानीय वशासन का उ लख मलता ह

मौयकाल थानीय वशासन का प रचय मग थनीज क ववरण स ा त होता ह मग थनीज न पाट लप नगरmdash शासन क अ तगत उसन छ स म तय एव उनक काय का व तार स ववचन कया ह ाम क शासक को ा मक कहत थ मौयकाल म यवसायी और णीसघ भी व यमान थ िजनक नयम यवहार तथा च र को राजा वीकार करता था

यागmdash शि त म सभा का उ लख ह िजसम जनता क त न ध सि म लत होत थ ाम शासन क सबस छोट इकाई थी ामmdashप रष ाम क शासन स ब धी सभी काय को

करती थी ग तकाल क प चात भी थानीय वशासन म ाम स थाओ न मह वपण भाग लया इसका अ य ामणी कहलाता था

द ण भारत म चोलmdashम डल स ा त शलालख एव ता प क आधार पर थानीय वशासन पर काश पड़ता ह इनम ाम करम नाड एव को म का उ लख ह जो मलकर

म डलम का नमाण करत थ ाम शासन क लए ामmdashसभाए थी िजनका ब ध साधारण जनता वय करती थी

219 अ यासाथ न 1 थानीय वशासन का अथ एव उ य प ट क िजए 2 व दक काल म सभा एव स म त क व प का ववचना क िजए 3 महाका यmdashकाल म थानीय वशासन का वणन क िजए 4 बौ काल mdash म थानीय वशासन क समी ा क िजए 5 मौयकाल न थानीय वशासन का म याकन क िजए 6 ग तकाल एव उसक प चात थानीय वशासन का व लषण क िजए

2110 सदभ थ क सची 1 का श साद जायसवाल ह द राजत भाग 1 एव 2 2 आरएसशमा आ प स ऑफ पा ल टकल आइ डयाज ए ड

इि ट यस स इन एि शए ट इि डया 3 एएसअलकर ाचीन भारतीय शासन प त 4 रमशच मजमदार ाचीन भारत म सघ टत जीवन 5 स यकत व यालकार ाचीन भारतीय शासन यव था और राजशा 6 भार वाज कमलश ाचीन भारत म समाज और रा य

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