uttar kand - ramcharitramanas

341
 

Upload: gita-pressgitaprakashangitavatika-books

Post on 03-Apr-2018

488 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 1/340

 

Page 2: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 2/340

 

ागणशय नमः ाजनकवलभो ऽवजयत 

शारमचरतमनस 

 सम सोपन   ईरकड  

ोक  

 कककठभनाल स रवरऽवलसऽपदजऽचन 

शोभय पातव सरऽसजनयन सव द स सम।  पणौ नऱचचप कऽपऽनकरय त बध न स मन 

 नौमा जनकश रघ वरमऽनश प पकढऱमम ।।1।। 

 मोर क कठ क अभ क समन (हरतभ) नालवण, द वत 

 म   , ण (भ ग जा) क चरणकमल क ऽचन स सशोऽभत ,

शोभ स पी  ण, पातबरधरा , कमलन  , सद परम स , हथ 

 म बण और धन ष धरण कय  ए वनरसमी  ह स य  भइ 

 लमणजा स स ऽवत त ऽत कय जन योय , ाजनकजा क

Page 3: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 3/340

 

 पऽत रघ कल   प पक - ऽवमन पर सवर ाऱमचजा को   म 

 ऽनरतर नमकर करत ।।1।। 

 कोसल पदकजमज लौ कोमलवजमहशवऽदतौ। 

 जनककरसरोजलऽलतौ ऽचतकय मनभ  गस गनौ।।2।। 

 कोसलप रा क वमा ाऱमचजा क स दर और कोमल दोन 

 चरणकमल   जा और ऽशवजा क ऱ वऽदत ह ,

ाजनकजा क करकमल स  द लऱय ए ह और ऽचतन करन  वल मनपा भर क ऽनय स गा ह ऄथ त ऽचतन करन वल 

 क मनपा मर सद ईन चरणकमल म बस रहत   ह।।2।। 

 क दआद रगौरस दर ऄऽबकपऽतमभाऽसऽदम। 

 कणाककलकजलोचन नौऽम श करमन गमोचनम।।3।। 

 क द क फील , चम और श ख क समन स दर गौरवण,

 जगनना  ापव ताजा क पऽत , व ऽित फलक द न वल,

[ द ऽखयपर सद] दय   करन वल, स दर कमलक समन न वल,

 कमद व स िन वल, [ कयणकरा] ाशकरजाको म 

 नमकर करत ।।3।। 

Page 4: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 4/340

 

 दो.- रह एक दन ऄवऽध कर ऄऽत अरत प र लोग।  जह तह सोचह नर नर कस तन ऱम ऽबयोग।।  

[ाऱमजाक लौटन क] ऄवऽधक एक हा दन बक रह गय ,

ऄतएव नगरक लोग   बत अत र (ऄधार) हो रह ह। ऱम क ऽवयोग म द बल ए ा - प ष   जह- तह सोच (ऽवचर) कर रह 

 ह [क य बत ह, ाऱमजा य नह  अय]। 

 सग न होह स  दर सकल मन स सब कर।  भ अगवन जनव जन नगर रय च फर।। 

 आतन म हा सब स दर शकन होन लग और सबक मन स हो 

 गय। नगर भा   चरो ओर स रमणाक हो गय। मनो य सब - क-

 सब ऽचन भ क [शभ] अगमन को   जन रह ह। 

 कौसयद मत सब मन ऄन द ऄस होआ। अयई भ ा ऄन ज ज त कहन चहत ऄब कोइ।। 

 कौसय अद सब मत क मन म ऐस अनद   हो रह ह  ज स ऄभा कोइ कहन हा चहत ह क सातजा और  लमणजासऽहत भ ाऱमचजा अ गय ।। 

Page 5: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 5/340

 

भरत नयन भ ज दऽिछन फरकत बरह बर।  जऽन सग न मन हरष ऄऽत लग करन ऽबचर।। 

भरतजा क दऽहना अ ख और दऽहना भ ज बर - बर   फक  रहा ह। आस शभ शकन   जनकर ईनक मनम ऄयत हष अ और व ऽवचर करन लग- 

 चौ.-

 रह ई एक दन ऄवऽध ऄधऱ। सम झत मन द ख भयई ऄपऱ।।  

 करन कवन नथ नह अयई। जऽन क टल कध मोऽह 

 ऽबसऱयई।। 1।। 

 ण क अधरप ऄवऽध क एक दन श ष रह गय! यह  सोचत हा भरत जा क  मनम ऄपर दःख अ। य करण अ 

 क नथ नह अय ? भ न कटल   जनकर म झ कह भ ल तो 

 नह दय ?।।1।। 

ऄहह धय लऽिमन बभगा। ऱम पदरबद ऄन ऱगा।।  

 कपटा क टल मोऽह भ चाह। तत नथ स ग नह लाह।।2।। 

ऄह ! लमण ब धय एव बभगा ह; जो ाऱमचजा क

 चरणरऽवद क  मा ह (ऄथ त ईनस ऄलग नह   ए)। म झ तो 

Page 6: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 6/340

 

 भ न कपटा और कटल पहचन ऽलय , आसा स नथ न म झ 

 सथ   नह ऽलय!।।2।। 

 ज करना सम झ भ मोरा। नह ऽनतर कलप सत कोरा।। 

 जन ऄवग न भ मन न कउ। दान बध ऄऽत म द ल सभउ।।3।। 

[ बत भा ठाक हा ह, यक] यद भ म रा   करना पर यन द  तो सौ करो (ऄस य) कपतक भा म ऱ ऽनतर (िटकऱ)

 नह हो सकत। [परत अश   आतना हा ह क] भ स वक क ऄवग ण कभा नह मनत। व दानबध ह और  ऄयत हा कोमल 

 वभव क ह।।3।। 

 मोर ऽजय भरोस द  सोइ। ऽमऽलहह ऱम सग न सभ होइ।। 

 बात ऄवऽध रहह ज न। ऄधम कवन जग मोऽह समन।।4।। 

ऄतएव म र दय म ऐस प भरोस ह क  ाऱमजा ऄवय  ऽमल ग [यक] म झ शकन ब शभ हो रह ह। कत ऄवऽध बात  जन पर यद   म र ण रह गय तो जगत म म र समन नाच कौन 

 होग ?।।4।। 

Page 7: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 7/340

 

 दो.- ऱम ऽबरह सगर मह भरत मगन मन होत। 

 ऽब प धर पवनस त अआ गयई जन पोत।।1 क।। 

ाऱमजा क ऽवरह - सम  म भरत जा क मन डीब   रह थ , ईसा 

 समय पवन प    हन मन जा ण क प धरकर आस कर 

अ गय, मनो [ईह डीबन स  बचन क ऽलय] नव अ गया 

 हो।।1( क)।। 

 ब ठ द ऽख कससन जट म क ट कस गत। 

 ऱम ऱम रघ  पऽत जपत वत नयन जलपत।।1 ख।। 

 हन मन जा न द ब ल शरार भरतजा को जट क   म क ट बनय,

 ऱम ! ऱम !   रघ पऽत ! जपत और कमल क समन न  स 

[ मक] जल बहत क श क असन पर ब ठ द ख।।1( ख)।। 

 चौ.- द खत हनी  मन ऄऽत हरष ई। प लक गत लोचन जल बरष ई।।  मन मह बत भ ऽत स ख मना। बोल ई वन सध सम  बना।।1।। 

 ईह द खत हा हन मन जा ऄयत हषत   ए। ईनक शरार 

 प लकत हो गय , न स [ मक] जल बरसन लग। मन म 

Page 8: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 8/340

 

 बत कर स स ख मनकर   व कन क ऽलय ऄम तक समन 

 वणा बोल-।।1।। 

 जस ऽबरह सोच दन ऱता। रट ऽनरतर ग न गन प ता।।  रघ कल ऽतलक स जन स खदत। अयई कसल द व म ऽन 

 त।।2।। 

 ऽजनक ऽवरह म अप दन - ऱत सोच करत (घ लत)  रहत ह और  ऽजनक  ग ण - समी  हक प ऽयको अप ऽनरतर रटत रहत ह, व 

 हा रघ कल क ऽतलक , सन को स ख द न वल और द वत 

 तथ म ऽनय क रक ाऱमजा सकशल  अ गय।।2।। 

 रप रन जाऽत स जस स र गवत। सात सऽहत ऄन ज भ अवत।। 

 स नत बचन ऽबसर सब दी  ख। त षव त ऽजऽम पआ ऽपयी  ष।।3।। 

श को रण म जातकर सातजा और   लमणजासऽहत भ अ  रह ह; द वत ईनक   स दर यश गन कर रह ह। य वचन स नत 

 हा [भरतजाको] सर दःख भी  ल गय।  ज स यस अदमा ऄम त 

 पकर यसक दःख को भी  ल जय।।3।। 

Page 9: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 9/340

 

 को त ह तत कह त अए। मोऽह परम ऽय बचन स नए।। 

 मत स त म कऽप हनी  मन। नम मोर स न कपऽनधन।।4। 

[भरतजान पी ि  -] ह तत ! त म कौन हो ? और   कह स अय हो 

? [ जो] त मन  म झको [य] परम ऽय (ऄयत अनद द न वल 

 वचन स नय [हन मन जा न  कह -] ह कपऽनधन ! स ऽनय; म 

 पवन क प  और जऽत क वनर ; म ऱ   नम हन मन ह।।4।। 

 दानबध रघ पऽत कर ककर। स नत भरत भ टई ईठ सदर।।  ऽमलत  म नह दय समत। नयन वत जल प लकत 

 गत।।5।। 

 म दान क बध ारघ नथजा क दस ।  यह स नत हा भरत  जा ईठकर  अदरपी  व क हनमन जा स गल लगकर ऽमल। ऽमलत  समय  म दय म नह   समत। न  स [अनद और  मक

अ सक] जल बहन लग और शरार प लकत   हो गय।।5।। 

 कऽप तव दरस सकल द ख बात। ऽमल अज मोऽह ऱम ऽपरात ।। 

 बर बर बी  झा कसलत। तो क द ई कह स न त।।6।। 

Page 10: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 10/340

 

[भरतजान कह -] ह हन मन ! त हर दश न   स म र समत दःख 

 सम हो   गय (दःख क ऄत हो गय)। [त हर पम] अज 

 म झ यर ऱम जा ऽमल   गय। भरतजा न बर बर कशल पी ि ा [और कह -] ह भइ ! स नो ; [ आस शभ स वद क बदल म] त ह 

य दी    ?।।6।। 

 एऽह स द स सरस जग मह। कर ऽबचर द ख ई िक नह।। 

 नऽहन तत ईरन म तोहा। ऄब भ चरत स नव मोहा।।7।। 

 आस सदश क समन (आसक बदल म द न लयक   पदथ) जगत म 

 कि भा नह   ह, म न यह ऽवचर कर द ख ऽलय ह। [आसऽलय] ह 

 तत ! म त मस कसा   कर भा ईऊण नह हो सकत। ऄब म झ  भ क चर (हल) स नओ।।7।। 

 तब हन म त नआ पद मथ। कह सकल रघ पऽत ग न गथ।।  क कऽप कब कपल गोस। स ऽमरह मोऽह दस क 

 न।।8।। 

 तब हन मन जा न भरत जा क चरण म मतक   नवकर ारघ नथजा क सरा   ग णगथ कहा। [भरतजान पी ि  -] ह 

 हन मन ! कहो , कपल वमा  ाऱमचजा कभा म झ ऄपन 

 दस क तरह यद भा करत ह ?।।8।। 

Page 11: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 11/340

 

ि .- ऽनज दस य रघ ब सभी  षन कब मम स ऽमरन कय। 

 स ऽन भरत बचन ऽबनात ऄऽत कऽप प लक तन चरनऽह पय।।  रघ बार ऽनज म ख जस ग न गन कहत ऄग जग नथ जो।  कह न होआ ऽबनात परम प नात सदग न सध सो।। 

 रघ वश क भी  षण ाऱमजा य कभा ऄपन   दसक भ ऽत म ऱ 

 मरण करत रह  ह ? भरतजा क ऄयत न वचन स नकर  हन मन जा प लकत शरार होकर ईनक  चरणपर ऽगर प [और  मन म ऽवचरन लग क] जो चऱचर क वमा ह व ारघ वार 

ऄपन ाम ख स ऽजनक ग णसमी  ह क वण न करत ह, व भरतजा  

 ऐस ऽवन , परम पऽव और सग ण क सम  य न ह ?

 दो.- ऱम न ऽय नथ त ह सय बचन मम तत। 

 प ऽन प ऽन ऽमलत भरत स ऽन हरष न दय समत।।2 क।। 

[ हन मन जा न कह -

] ह नथ ! अप ाऱमजा को   ण क समन ऽय ह, ह तत ! म ऱ वचन सय ह । यह सनकर भरत जा 

 बर - बर ऽमलत ह, दय   हष समत नह ह।।2( क)।। 

 सो.- भरत चरन ऽस नआ त रत गयई कऽप ऱम पह।  

 कहा कसल सब जआ हरऽष चल ई भ जन च।।2 ख।। 

Page 12: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 12/340

 

 फर भरत जा क चरण म ऽसर नवकर हन मन  जा त रत हा 

ाऱमजा क पस  [ लौट] गय और जकर ईहन सब कशल  कहा। तब भ हषत होकर ऽवमन पर   चकर चल।।2( ख)।। 

 चौ.- हरऽष भरत कोसलप र अए। समचर सब ग रऽह स नए।। 

 प ऽन म दर मह बत जनइ। अवत नगर कसल रघ ऱइ।। 1।। 

 आधर भरतजा हषत होकर ऄयोयप रा अय और   ईहन ग   जा को सब समचर   स नय ! फर ऱजमहल म खबर जनया 

 क ारघ नथजा कशलपी  व क नगरको अ   रह ह।।1।। 

 स नत सकल जनन ईठ ध। कऽह भ कसल भरत सम झ।। 

 समचर प रबऽसह पए। नर ऄ नर हरऽष सब धए।।2।। 

 खबर स नत हा सब मतए ईठ दौ। भरत जान  भ क कशल 

 कहकर सबको   समझय। नगरवऽसय न यह समचर पय ,

 तो ा - प ष सभा हषत होकर   दौ।।2।। 

 दऽध द ब रोचन फल फील। नव त लसा दल म गल मी  ल।। 

भर भर ह म थर भऽमना। गवत चऽल सध रगऽमऽन।।3।।

 

Page 13: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 13/340

 

[ारघ नथजा क वगत क ऽलय] दहा , दी  ब , गोरोचन , फल , फील 

और म गल क  मी  ल नवान त लसादल अद वत ए सोन क थलम भर -भरकर हऽथनाक - सा चलवला   सौभयवता ऽय] ईह 

 ल कर] गता इ चल।।3।। 

 ज ज स ह त स ह ईठ धवह। बल ब  कह स ग न लवह।। 

 एक एकह कह बीझह भइ। त ह द ख दयल रघ ऱइ।। 4।। 

 जो ज स ह (जह ऽजस दशम ह)। व व स  हा (वह ईसा दशम) ईठ   दौत ह। [द र हो जन क डर स] सबलक और बी   को  कोइ सथ नह   लत। एक दी  सर स पी ि त ह-भइ ! तमन दयल 

ारघ नथजाको द ख ह?।।4।। 

ऄवधप रा भ अवत जना। भइ सकल शोभ क खना।। 

 बहआ स हवन ऽऽबध समाऱ। भआ सरजी  ऄऽत ऽनम ल नाऱ।। 5।। 

 भ को अत जनकर ऄवधप रा सपी  ण शोभक   खन हो गया। तान करक   स दर वय बहन लगा। सरयी  जा ऄऽत जलवला 

 हो गय (ऄथ त सरयी  जाक जल  ऄयत ऽनम ल हो गय)।।5।। 

Page 14: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 14/340

 

 दो.- हरऽषत ग र परजन ऄन ज भी  स र ब  द सम त। 

 चल भरत मन  म ऄऽत सम ख कपऽनकत।।3 क।। 

 ग  वऽसजा , क टबा ,ि ोट भइ श    तथ ण क समी  हक

 सथ   हषत होकर भरतजा ऄयत    मपी  ण मन स कपधम 

ाऱमजाक समन (ऄथ त ऄगवनाक ऽलय) चल।।3( क)।। 

 बतक चा ऄटरह ऽनरखह गगन ऽबमन। 

 द ऽख मध र स र हरऽषत करह स म गल गन।।3 ख।। 

 बत - सा ऽय ऄटरय पर चा अकशम  ऽवमन द ख रहा ह 

और ईस  द खकर हषत होकर माठ वर स स दर म गलगात ग  रहा ह।।3( ख)।। 

 ऱक सऽस रघ पऽत प र सध द ख हरषन। 

 बयो कोलहल करत जन नर तरग समन।।3 ग।। 

ारघ नथजा पी  णम क चम ह, तथ  ऄवधप र सम  ह, जो 

 ईस   पी  ण चको द खकर हषत हो रह ह और शोक करत अ 

 ब रह ह [ आधर - ईधर दौता इ] ऽय ईसा तरगक समन 

 लगता ह।।3(

 ग)।। 

Page 15: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 15/340

 

 चौ.- आह भन कल कमल दवकर। कऽपह द खवत नगर 

 मनोहर।।  स न कपास ऄ गद ल कस। पवन प रा ऽचर यह द स।।1।। 

 यह (ऽवमन पर स) सी  य कलपा कमल क  फ ऽलत करन वल  सी  य ाऱमजा वनरको मनोहर नगर दखल रह ह। [व कहत 

 ह-] ह स ाव !  ह ऄ गद ! ह ल कपऽत ऽवभाषण ! स नो। यह प रा  पऽव ह और यह दश स दर   ह।।1।। 

 जऽप सब ब क  ठ बखन। ब द प ऱन ऽबदतजग जन।। 

ऄवधप रा सम ऽय नह सोउ। यह स ग जनआ कोई कोउ।।2।। 

 यऽप सबन व क ठक बइ क ह- यह व द   प ऱणम ऽस ह 

और जगत  जनत ह, परत ऄवधप राक समन म झ वह भा ऽय 

 नह ह। यह बत (भ द)  कोइ - कोइ (ऽवरल हा) जनत ह।।2।। 

 जमभी  ऽम मम प रा स हवना। ईर दऽस बह सरजी पवऽन।। 

 ज मन त ऽबनह यस। मम समाप नर पवह बस।।3।। 

 यह स हवना प रा म रा जमभी  ऽम ह। ईसक   ईर दशम 

[जावको] पऽव   करन वला सरयी नदा बहता ह, ऽजसम न 

Page 16: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 16/340

 

 करन स मन य ऽबन हा परम   म र समाप ऽनवस (समाय 

 म ऽ) प जत ह।।3।। 

ऄऽत ऽय मोऽह आह क बसा। मम धमद प रा स ख ऱसा।।  

 हरष सब कऽप स ऽन भ बना। धय ऄवध जो ऱम बखना।। 4।। 

 यह क ऽनवसा म झ बत हा ऽय ह। यह   प रा सख क ऱऽश और म र  परमधमको द न वला ह। भ क वणा स नकर सब  वनर हषत ए [और कहन  लग क] ऽजस ऄवध क वय 

ाऱमजान बइ क , वह [ऄवय हा] धय   ह।।4।। 

 दो.-अवत द ऽख लोग सब कपसध भगवन। 

 नगर ऽनकट भ  रई भी  ऽम ऽबमन।।4 क।। 

 कपसगर भगवन ाऱमचजान सब लोग   को अत द ख ,

 तो भ न ऽवमनको नगरक समाप ईतरन क  रण क। तब वह  

 पवा पर ईतऱ।। 4( क)।। 

 ईतर कह ई भ प पकऽह त ह क ब र पह ज। 

  रत ऱम चल ई सो हरष ऽबर ऄऽत त।।4 ख।। 

Page 17: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 17/340

 

 ऽवमन स ईतरकर भ न प पकऽवमनस कह क   त म ऄब कब र 

 क पस जओ। ाऱमजाक  रण स वहक चल। ईस, [ऄपन 

 वमाक पस जन क] हष  ह और भ ाऱमचजास ऄलग  होन क ऄयत दःख भा।।4( ख)।। 

 चौ.-अए भरत स ग सब लोग। कस तन ारघ बार ऽबयोग।। 

 बमद व बऽस म ऽननयक। द ख भ मऽह धर धन सयक।।1।। 

भरतजाक सथ सब लोग अय। ारघ वारक  ऽवयोगस सबक

शरार द बल हो रह  ह। भ न वमद व , वऽस अद म ऽन को 

 द ख , तो ईहन धन ष - बण पवापर रखकर -।।1।। 

धआ धर ग र चरन सरोह। ऄन ज सऽहत ऄऽत प लक तनोह।। 

भ ट कसल बी  झा म ऽनऱय। हमर कसल त हरह दय।।2।। 

ि ोट भइ लमणजा सऽहत दौकर ग  जा क  चरणकमल पक 

 ऽलय; ईनक  रोम - रोम ऄयत प लकत हो गय ह। मऽनऱज  वऽसजा न [ईठकर] ईह  गल लगकर कशल पी ि ा। [भ न 

 कह -] अपहाक दयम हमरा कशल ह।।2।। 

Page 18: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 18/340

 

 सकल ऽजह ऽमऽल नयई मथ। धम ध रधर रघ कलनथ।।  गह भरत प ऽन भ पद प कज। नमत ऽजहऽह स र म ऽन स कर 

ऄज।।3।। 

धम क ध रा धरण करन वल रघ कलक वमा  ाऱमजान सब  ण स  ऽमलकर ईह मतक नवय। फर भरतजान भ क

 चरणकमल पक ऽजह  द वत , म ऽन , श करजा और जा 

[भा] नमकर करत ह।।3।। 

 पर भी  ऽम नह ईठत ईठए। बर कर कपसध ईर लए।। 

 यमल गत रोम भए ठ। नव ऱजाव नयन जल ब ।।4।। 

भरतजा पवा पर प ह, ईठय ईठत नह।  तब कपसध 

ाऱमजान   ईह जबद ता ईठकर दय स लग ऽलय। [ईनक] स वल शरार पर रोए  ख हो गय। नवान कमलक समन 

 न म [ मक] जलक ब अ   गया।।4।। 

ि .- ऱजाव लोचन वत जल तन लऽलत प लकवऽल बना। ऄऽत  म दय लगआ ऄन जऽह ऽमल भ ऽभऄन धना।।  भ ऽमलत ऄन जऽह सोह मो पह जऽत नह ईपम कहा। 

 जन  म ऄ सगर तन धर ऽमल बर स षम लहा।।1।। 

Page 19: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 19/340

 

 कमलक समन न  स जल बह रह ह। स दर  शरार स  प लकवला [ऄयत] शोभ द रहा ह। ऽलोक क वमा भ 

ाऱमजा िोट भइ भरत जा को  ऄयत  मस दय स  लगकर ऽमल। भइ स ऽमलत समय भ ज स शोऽभत   हो रह ह  ईसक ईपम म झस कह नह जता। मनो  म और   गर 

शरार  धरण करक ऽमल और    शोभको ए।।1।। 

 बी  झत कपऽनऽध कसल भरतऽह बचन ब ऽग न अवइ।  स न ऽसव सो स ख बचन मन त ऽभ जन जो पवइ।। ऄब कसल कौसलनथ अरत   जऽन जन दरसन दयो। 

 बी  त ऽबरह बरास कपऽनधन मोऽह कर गऽह ऽलयो।।2।। 

 कपऽनधन ाऱमजा भरतजा स कशल पी ि त  ह; परत अनदवश भरतजाक   म खस वचन शा नह ऽनकलत।

[ऽशवजान कह -] ह पव ता ! स नो , वह स ख ( जो ईस समय 

भरतजाको ऽमल रह थ) वचन और मन स पर ह; ईस वहा 

 जनत ह  जो ईस पत ह। [भरतजान कह -] ह कोसलनथ !

अपन अत (द खा) जनकर   दसको दश न दय ह, आसस ऄब  कशल ह। ऽवरहसम म डीबत ए म झको   कपऽनधन हथ 

 पककर बच ऽलय !।।2।। 

Page 20: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 20/340

 

 दो.- प ऽन भ हरऽष स हन भ ट दय लगआ।। 

 लऽिमन भरत ऽमल तब परम  म दोई भआ।।5।। 

 फर भ हषत होकर श जाको दय स  लगकर ईनस ऽमल।

 तब   लमणजा और भरतजा दोन भइ परम  म स ऽमल।।5।। 

 चौ.-भरतन ज लऽिमन प ऽन भ ट। द सह ऽबरह सभव द ख म ट।। 

 सात चरन भरत ऽस नव। ऄन ज सम त परम स ख पव।।1।। 

 फर लमणजा श  जा स गल लगकर ऽमल औऱ आस कर  ऽवरहस ईप   दःखक नश कय। फर भइ श जासऽहत भरतजान सातजाक चरणम ऽसर   नवय और परम स ख  

 कय।।1।। 

 भ ऽबलोक हरष प रबसा। जऽनत ऽबयोगऽबपऽत सब नसा।। 

  मत र सब लोग ऽनहरा। कौत क कह कपल खऱरा।। 2।। 

 भ को द खकर ऄयोयवसा सब हषत ए।  ऽवयोगस ईप  सब दःख न   हो गय। सब लोग को  मऽवलय [और ऽमलन क ऽलय ऄयत अत र] द खकर   खरक श कपल ाऱमजान एक 

 चमकर   कय।।2।। 

Page 21: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 21/340

 

ऄऽमत प गट त ऽह कल। जथजोग ऽमल सबऽह कपल।। 

 कपद ऽ रघ बार ऽबलोक। कए सकल नर नर ऽबसोक।।3।। 

 ईसा समय कपल ाऱमजा ऄस य प म  कट हो गय और  सबस [एक हा सथ] यथयोय ऽमल। ारघ वारन कपक   द ऽस 

 द खकर सब नर - नरय को  शोकस रऽहत कर दय।।3।। 

ि न मह सबह ऽमल भगवन। ईम मरम यह क न जन।।  एऽह ऽबऽध सबऽह स खा कर ऱम। अग चल साल ग न 

धम।।4।। 

भगवन ण म म सबस ऽमल ऽलय। ह ईम! यह रहय कसा  न नह   जन। आस कर शाल और ग ण क धम ाऱमजा 

 सबको स खा करक अग  ब।।4।। 

 कौसयद मत सब धइ। ऽनरऽख बिछ जन ध न लवइ।।5।। 

 कौसय अद मतए ऐस दौ मनो नया   यया इ गौए 

ऄपन िब को द खकर दा ह।।5।। 

ि .- जन ध न बलक बिछ तऽज ग ह चरन बन परबस ग। 

 दन ऄ त प र ख वत थन  कर कर धवत भ।। 

Page 22: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 22/340

 

ऄऽत  म भ सब मत भ ट बचन म द बऽबऽध कह।  गआ ऽबषम ऽबपऽत ऽबयोगभव ऽतह हरष स ख ऄगऽनत लह।। 

 मनो नया यया इ गौए ऄपन िोट िब   को घर पर िो  परवश होकर वनम  चरन गया ह और दन क ऄत होन पर [िबस ऽमलन क ऽलय]  कर   करक थन स दी ध ऽगऱता इ  नगर क ओर दौ ह। भ न ऄयत    मस सब मतस  ऽमलकर ईनस बत कर क कोलल वचन कह। ऽवयोगस  ईप भयनक ऽवपऽ दी  र हो गया और सबन [भगवन स ऽमलकर और ईनक वचन   स नकर] ऄगऽणत स ख और हष कय। 

 दो.-भ टई तनय स ऽम ऱम चरन रऽत जऽन।  

 ऱमऽह ऽमलत ककइ दय बत सकचऽन।। 6 क।। 

 स ऽमजा ऄपन प  लमणजाक  ाऱमजाक चरण म ाऽत  जनकर   ईनस ऽमल। ाऱमजास ऽमलत समय ककयाजा दय 

 म बत   सकचय।।6( क)।। 

 लऽिमन सब मतह ऽमऽल हरष अऽसष पआ। 

 ककआ कह प ऽन पऽन ऽमल मन कर िोभ न जआ।।6 ख।। 

Page 23: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 23/340

 

 लमणजा भा सब मतस ऽमलकर और अशाव द   पकर 

 हषत ए। व ककया   जा स बर - बर ऽमल, परत ईनक मनक 

ोभ (रोष) नह जत।।6( ख)।। 

 चौ.- सस ह सबऽन ऽमला ब द हा। चरनऽह लऽग हरष ऄऽत  त हा।। 

 द ह ऄसास बी  ऽझ कसलत। होआ ऄचल त हर ऄऽहवत।।1।। 

 जनकजा सब सस स ऽमल और ईनक चरण   लगकर ईह ऄयत हष अ।  सस ए कशल पी ि कर अऽशष द रहा ह क 

 त हऱ स हग ऄचल हो।।1।। 

 सब रघ पऽत म ख कमल ऽबलोकह। म गल जऽन नयन जल  रोकह।। 

 कनक थर अरता ईतरह। बर बर भ गत ऽनहरह।।2।। 

 सब मतए ारघ नथजाक कमल -

 स म ख द ख   रहा ह।[न स  मक अ सी ईम अत ह; परत] म गलक समय जनकर 

 व अ सक जलको   न म हा रोक रखता ह। सोनक थल स अरता ईतरता ह और बर - बर   भ क ा ऄ गोक ओर द खता 

 ह।।2।। 

Page 24: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 24/340

 

 नन भ ऽत ऽिनवर करह। परमन द हरष ईर भरह।।  कौसय प ऽन प ऽन रघ बारऽह। ऽचतवऽत कपसध 

 रनधारऽह।।3।। 

ऄन क कर क ऽिनवर करता ह और   दय म परमनद तथ  हष भर रहा   ह। कौसयजा बर - बर कपक सम  और रणधार 

ारघ वार को द ख रहा   ह।।3।। 

 दय ऽबचरऽत बरह बऱ। कवन भ ऽत ल कपऽत मऱ।।  

ऄऽत स कमर ज गल म र बर। ऽनऽसचर सभट महबल भर।।4।। 

 व बर - बर दय म ऽवचरता ह क आहन  ल क पऽत ऱवणको 

 कस मऱ  ? म र य दोन ब ब हा स कमर ह और ऱस तो 

 ब भरा यो  और महन बला थ।।4।। 

 दो.- लऽिमन ऄ सात सऽहत भ ऽह ऽबलोकत मत। 

 परमन द मगन मन प ऽन प ऽन प लकत गत।।7।। 

 लमणजा और सातजासऽहत भ ाऱमचजाको मत द ख  रहा ह। ईनक   मन परमनद म म ह और शरार बर बर 

 प लकत हो रह ह।।7।। 

Page 25: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 25/340

 

 चौ.- ल कपऽत कपास नल नाल। जमव त ऄ गद सभसाल।। 

 हन मदद सब बनर बाऱ। धर मनोहर मन ज सराऱ।। 1।। 

 ल कपऽत ऽवभाषण , वनरऱज स ाव , नल , नाल , जबवन 

और ऄ गद तथ हन मन  जा अद सभा ईम वभव वल वार 

 वनरन मन यक मनोहर शरार धरण कर   ऽलय।।1।। 

भरत सन ह साल त न म। सदर सब बरनह ऄऽत  म।। 

 द ऽख नगरबऽसह क राता। सकल सऱहह भ पद ाऽत।।2।। 

 व सब भरत जा क  म , स दर वभव , [ यगक] त और 

 ऽनयम क  ऄयत  मस अदरपी  व क बइ कर रह ह। और  नगरऽनवऽसय क [ म , शाल और ऽवनयस पी  ण] राऽत द खकर 

 व सब भ क चरणम ईनक  मक   सऱहन कर रह ह।।2।। 

 प ऽन रघ पऽत सब सख बोलए। म ऽन पद लग सकल ऽसखए।। 

 ग र बऽस कलपी  य हमर। आह क कप दन ज रन मर।।3।। 

 फर ारघ नथजान सब सखको ब लय और   सबको  ऽसखय क म ऽन क चरण म  लगो। य ग  वऽसजा हमर

Page 26: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 26/340

 

 कलभर क पी  य ह। आह क कप स रणम  ऱस मर गय  

 ह।।3।। 

 ए सब सख स न म ऽन म र। भए समर सगर कह ब र।।  मम ऽहत लऽग जम आह हर। भरत त मोऽह ऄऽधक 

 ऽपअर।।4।। 

[ फर ग जास कह -] ह म ऽन ! स ऽनय। य सब   म र सख ह। य 

 स मपा सम  म म र ऽलय ब  (जहज) क समन ए। म र ऽहत क  ऽलय आहन ऄपन जमतक हर दय। (ऄपन णतक 

 को होम दय)। य  म झ भरतस भा ऄऽधक ऽय ह।।4।। 

 स ऽन भ बचन मगन सब भए। ऽनऽम। ऽनऽमष ईपजत स ख 

 नए।।5।। 

 भ क वचन स नकर सब  म और अनद म  म हो गय। आस 

 कर पल - पल   म ईह नय- नय स ख ईप हो रह ह।।5।। 

 दो.- कौसय क चरनऽह प ऽन ऽतह नयई मथ। 

अऽसष दाह हरऽष त ह ऽय मम ऽजऽम रघ नथ ।।8 क।। 

Page 27: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 27/340

 

 फर ईन लोग न कौसय जा क चरणम  मतक नवय। कौसयजान हषत   होकर अऽशष द [और कह -] त म म झ 

 रघ नथ क समन यर हो।।8( क)।। 

 स मन ब ऽ नभ स कल भवन चल स खकद। 

 चा ऄटरह द खह नगर नर नर ब  द।।8 ख।। 

अनदकद ाऱमजा ऄपन महल को चल, अकश   फील क 

 ब ऽ स ि गय।  नगरक ा - प ष क समी  ह ऄटरय पर 

 चकर ईनक दश न कर रह  ह।।8( ख)।। 

 चौ.-

 कचन कलस ऽबऽच स वर। सबह धर सऽज ऽनज ऽनज  र।। 

 ब दनवर पतक कती । सबऽह बनए म गल ह ती ।।1।। 

 सोन क कलश को ऽवऽच राऽतस [ मऽण - रदस] ऄल कत कर 

और सजकर सब   लोगन ऄपन-ऄपन दरवज पर रख ऽलय। सब लोग न म गलक ऽलय ब दनवर , वज और पतकए 

 लगय।।1।। 

Page 28: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 28/340

 

 बाथ सकल स गध सचइ। गजमऽन रऽच ब चौक प ऱ।।  

 नन भ ऽत स म गल सज। हरऽष नगर ऽनसन ब बज।।2।। 

 सरा गऽलय स गऽधत वस सचया गय।  गजम स  रचकर बत - सा   चौक प ऱया गय ऄन क करक क स दर  म गल - सज सजय गय औऱ   हष पी  व क नगरम बत - स ड क बजन 

 लग।।2।। 

 जह तह नर ऽिनवर करह। द ह ऄसास हरष ईर भरह।। 

 कचन थर अरत नन। ज बत सज करह सभ गन।।3।। 

 ऽय जह-

 तह ऽिनवर कर रहा ह,

और   दय म हषत होकर अशाव द   द ता ह। बत - सा य वता [सौभयवता] ऽय सोन क

थलम ऄन क   करक अरता सजकर म गलगन कर रहा 

 ह।।3।। 

 करह अरता अरऽतहर क । रघ कल कमल ऽबऽपन दनकर क ।।  प र शोभ स पऽत कयन। ऽनगम स ष सरद बखन।।4।। 

 व अतहर (दःखको हरन वल) और   सी  य कलपा कमलवनक फ ऽलत   करन वल सी  य ाऱमजाक अरता कर रहा ह ।

Page 29: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 29/340

 

 नगरक शोभ , सपऽ और   कयणक व द श षजा और 

 सरवता वण न करत ह-।।4।। 

 त ई यह चरत द ऽख ठऽग रहह। ईम तस ग न नर कऽम 

 कहह।।5।। 

 परत व भा यह चर द खकर ठग-

 स रह जत  ह (तऽभत हो  रहत ह)। [ ऽशवजा कहत ह-] ह ईम ! तब भल मन य   ईनक

 ग णको कस कह सकत ह।।5।। 

 दो.- नर कम दन ऄवध सर रघ पऽत ऽबरह दन स। 

ऄत भए ऽबगसत भ ऽनरऽख ऱम ऱकस।। 9 क।। 

 ऽय कम दन ह, ऄयोय सरोवर ह और  ारघ नथजाक 

 ऽवरह सी  य  ह [आस ऽवरह सी  य क तप स व म रझ गया थ]। ऄब  ईस ऽवरह पा सी  य क ऄत होन पर ाऱमपा पी  ण चको 

 ऽनरखकर व ऽखल ईठ।।9( क)।। 

 होह सग न सभ ऽबऽबऽध ऽबऽध बजह गगन ऽनसन। 

 प र नर नर सनथ कर भवन चल भगवन।।9 ख।। 

Page 30: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 30/340

 

ऄन क कर क शभ शकन हो रह ह, अकशम  नग बज रह ह।

 नगर क  प ष और ऽय को सनथ (दश नऱ कतथ ) करक

भगवन ाऱमचजा महल को चल ।।9( ख)।। 

 चौ.- भ जना ककइ लजना। थम तस ग ह गए भवना।।  तऽह बोऽध बत स ख दाह। प ऽन ऽनज भवन गवन हर 

 कह।।1।। 

[ ऽशवजा कहत ह-] ह भवना ! भ न जन   ऽलय क मत 

 ककया लऽत हो   गया ह। [आसऽलय] व पहल ईह क महल को  गय और ईह समझ - ब झकर   बत स ख दय। फर ाहरन 

ऄपन महलको गमन कय।।1

।। 

 कपसध जब म दर गए। प र नर नर स खा सब भए।। 

 ग र बऽस ऽज ऽलए ब लइ। अज स घरा स दन सम दइ।।2।। 

 कपक सम  ाऱमजा जब ऄपन महल को गय, तब नगरक ा - प ष सब   स खा ए। ग  वऽस जान ण को ब ल 

 ऽलय [और कह -] अज शभ   घा , स दर दन अद सभा शभ 

 योग ह।।2।। 

Page 31: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 31/340

 

 सब ऽज द  हरऽष ऄन ससन। ऱमच  ब ठह सघसन।। 

 म ऽन बऽस क बचन स हए। स नत सकल ऽबह ऄऽत भए।।3।। 

अप सब ण हषत होकर अ दाऽजय, ऽजसम 

ाऱमचजा   सहसनपर ऽवऱजमन ह। वऽस म ऽनक

 स हवन वचन स नत हा सब   णको बत हा ऄिछ लग।।3।। 

 कहह बचन म द ऽब ऄन क। जग ऄऽभऱम ऱम ऄऽभष  क।। 

ऄब म ऽनबर ऽबल ब नह कज। महऱज कह ऽतलक कराज।।4।। 

 व सब ऄन क ण कोमल वचन कहन लग क  ाऱमजाक 

 ऱयऽभष क सपी  ण जगत को अनद द न वल ह। ह  म ऽन  !ऄब ऽवलब न कऽजय और महऱजक ऽतलक शा 

 कऽजय।।4।। 

 दो.- तब म ऽन कह ई स म  सन स नत चल ई हरषआ। 

 रथ ऄन क ब बऽज गज त रत स वर जआ।।10 क।। 

 तब म ऽनन स म जा स कह , व स नत हा   हषत हो चल।

 ईहन  त रत हा जकर ऄन क रथ , घो औऱ हथा सजय;

।।10(

 क)।। 

Page 32: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 32/340

 

 जह तह धवन पठआ प ऽन म गल य मगआ। 

 हरष सम त बऽस पद प ऽन ऽस नयई अआ।।10 ख।। 

और तह- तह [सी  चन द न वल] दी  त को  भ जकर म गऽलक  वत ए म गकर फर   हष क सथ अकर वऽस जा क चरण म 

 ऽसर नवय।।10( ख)।। 

नवहपरयण, अठव ऽवशम 

 चौ.-ऄवधप रा ऄऽत ऽचर बनइ। द वह स मन ब ऽ झर लइ।।  ऱम कह स वकह ब लइ। थम सखह ऄहवव जइ।।1।। 

ऄवधप रा बत हा स दर सजया गया द वतन  प प क वष  क झा लग   दा। ाऱमजान स वकको ब लकर कह क 

 त मलोग जकर पहल म र  सखको न कऱओ।। 1।। 

 स नत बचन जह तह जन धए। स ावद त रत ऄहवए।। 

 प ऽन कनऽनऽध भरत ह कर। ऽनज कर ऱम जट ऽनअर।। 2।। 

Page 33: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 33/340

 

भगवन क वचन स नत हा स वक जह- तह और   त रत हा ईहन  स ावद   को न कऱय। फर कणऽनधन ाऱमजान  

भरतजा को ब लय और ईनक   जटको ऄपन हथस  स लझय।।2।। 

ऄहवए भ ताऽनई भइ। भगत िबल कपल रघ ऱइ।।  

भरत भय भ कोमलतइ। स ष कोट सत सकह न गइ।।3।। 

 तदनतर भवसल कपल भ ारघ नथजान तान भआय  को न   कऱय। भरत जा क भय कोमलतक वण न ऄरब 

श षजा भा नह कर सकत।।3।। 

 प ऽन ऽनज जट ऱम ऽबबऱए। ग  र ऄन ससन मऽग नहए।। 

 कर मन भ भी  षण सज। ऄ ग ऄन ग द ऽख सत लज।।4।। 

 फर ाऱमजान ऄपना जटए खोल और   ग जाक अ  म गकर न कय।  न करक भ न अभी  षण धरण कय। ईनक [सशोऽभत] ऄ गको द खकर   स क (ऄस य) कमद व लज 

 गय।।4।। 

 दो.- सस ह सदर जनकऽह मन त रत कऱआ।।  

 दय बसन बर भी  षन ऄ ग ऄ ग सज बनआ।।11 क।। 

Page 34: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 34/340

 

[ आधर] ससन जनकजा को अदरक सथ त रत   हा न 

 कऱक ईनक  ऄ ग -ऄ गम द व और   अभी  षण भलाभऽत  सज दय (पहन   दय)।।11( क)।। 

 ऱम बम दऽस सोभऽत रम प ग न खऽन। 

 द ऽख मत सब हरष जम स फल ऽनज जऽन।।11 ख।। 

ाऱमजाक बय ओर प और ग णक खन रम  

(ाजनकजा) शोऽभत हो रहा   ह। ईह द खकर सब मतए 

ऄपन जम (जावन) सफल समझकर हषत   ।।11( ख)।। 

 स न खग स त ऽह ऄवसर ऽसव म ऽन ब  द। 

 च ऽबमन अए सब स र द खन स खकद।।11 ग।। 

[ ककभश ऽडजा कहत ह-] ह पऽऱज   गजा ! स ऽनय; ईस 

 समय   जा , ऽशवजा और म ऽनय क समी  ह तथ ऽवमनपर 

 चकर सब द वत  अनदकद भगवन क दश न करन क ऽलय 

अय।।11( ग)।। 

Page 35: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 35/340

 

 चौ.- भ ऽबलोक म ऽन मन ऄन ऱग। त रत दय सघसन  मग।। 

 रऽब सम त ज सो बरऽन न जइ। ब ठ ऱम ऽजह ऽस नइ।। 1।। 

 भ को द खकर मऽन वऽस जा क मन म   म भर अय। ईहन 

 त रत हा   द सहसन म गवय , ऽजसक त ज सी  य क समन थ।

 ईसक सौदय वण न   नह कय ज सकत। ण को ऽसर 

 नवकर ाऱमचजा ईसपर ऽवऱज    गय।।1।। 

 जनकस त सम त रघ ऱइ। प ऽख हरष म ऽन सम दइ।। 

 ब द म  तब ऽजह ईचर। नभ स र म ऽन जय जयऽत प कर।।2।। 

ाजनकजाक सऽहत ारघ नथजाको द खकर   म ऽनय क  सम दय ऄयत हा   हषत अ। तब ण न व दमक 

 ईरण कय। अकशम द वत  और म ऽन जय हो , जय हो ऐसा 

 प कर करन लग।।2।। 

 थम ऽतलक बऽस म ऽन कह। प ऽन सब ऽबह अयस  दाह।। 

 स त ऽबलोक हरष महतरा। बर बर अरता ईतरा।।3।। 

Page 36: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 36/340

 

[ सबस] पहल म ऽन वऽसजान ऽतलक कय। फर   ईहन सब 

 ण को [ ऽतलक करन क] अ दा। प को ऱजसहसनपर 

 द खकर मतए हषत   और ईहन बर - बर अरता  ईतरा।।3।। 

 ऽबह दन ऽबऽबऽध ऽबऽध दाह। जचक सकल ऄजचक  कह।। 

 सघसन पर ऽभ वन स। द ऽख स रह द  दभ बज।।4।। 

 ईहन ण को ऄन क करक दन   दय और सपी  ण  यचक को ऄयचक बन दय (मलमल कर दय)। ऽभ वन  

 क वमा ाऱमचजाको [ऄयोय क ] सहसन पर [ऽवऱऽजत] द खकर द वतन नग बजय।।4।। 

ि .- नभ द  दभ बजह ऽबप ल गधब कनर गवह।  नचह ऄिपऱ ब  द परमन द स र म ऽन पवह।। 

भरतद ऄन ज ऽबभाषन गद हन मदद सम त त।  गह ि चमर यजन धन ऄऽस चम सऽ ऽबऱजत ।।1।। 

अकशम बत - स नग बज रह ह गधव और कर ग रह ह। ऄसऱक झ  ड - क- झ  ड नच रह ह। द वत और म ऽन परमनद 

  कर   रह ह। भरत , लमण और श जा , ऽवभाषण , ऄ गद ,

Page 37: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 37/340

 

 हन मन और स ाव  अदसऽहत मशः ि , च वर , प ख , धन ष ,

 तलवर , ढल और सऽ ऽलय ए   सशोऽभत ह।।1।। 

ा सऽहत दनकर ब स भी  षन कम ब िऽब सोहइ।  नव ऄ बधर बर गत ऄ बर पात स र मन मोहइ।।  म क ट गदद ऽबऽच भी  षन ऄ ग ऄ गऽह ऽत सज। 

ऄभोज नयन ऽबसल ईर भ ज धय नर ऽनरख ऽत ज।।2।। 

ासातजा सऽहत सी  य वश क ऽवभी  षण  ाऱमजाक शरार म  ऄन क कमद व  ि ऽव शोभ द रहा ह। नवान जलय  म घक समन स दर यम शरारपर   पातबर द वतक क मन को  मोऽहत कर रह ह म क ट बजी  ब द अद ऽबऽच  अभी  षण ऄ ग ऄ ग 

 म सज ए ह। कमल क समन न  ह, चौा िता ह और   ल बा 

भ जए ह; जो ईनक दश न करत ह, व मन य धय ह।।2।। 

 दो.- वह सोभ समज स ख कहत न बनआ खग स। 

 बरनह सरद स ष  ऽत सो रस जन मह स।।12 क।। 

 ह पऽऱज गजा ! वह शोभ , वह समज और   वह स ख म झस 

 कहत नह बनत।  सरवताजा , श षजा और व द ऽनरतर ईसक 

Page 38: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 38/340

 

 वण न करत ह, और ईसक रस (अनद)  महद वजा हा जनत 

 ह।।2( क)।। 

 ऽभ ऽभ ऄत ऽत कर गए स र ऽनज ऽनज धम। 

 ब दा ब ष ब द तब अए जह ाऱम।। 12 ख।। 

 सब द वत ऄलग -ऄलग त ऽत करक ऄपन – ऄपन लोक को चल  गय। तब  भट क प धरण करक चर व द पह अय जह 

ाऱमजा थ ।।12( ख)।। 

 भ सब य कह ऄऽत अदर कपऽनधन। 

 लख ई न क मरम िक लग करन ग न गन।।12 ग।। 

 कपऽनधन सव  भ न [ईह पहचनकर]  ईनक बत हा अदर  कय। आसक  भ द कसा न कि भा नह जन। व द ग णवन 

 करन लग।।12( ग)।। 

ि .- जय सग न ऽनग   न प प ऄनी  प भी  प ऽसरोमन।  दसकधऱद च ड ऽनऽसचर बल खल भ ज बल हन।। ऄवतर नर स सर भर ऽबभ ऽज दन द ख दह।। 

 जय नतपल दयल भ स य  सऽ नममह।।1।। 

Page 39: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 39/340

 

 ह सग ण और ऽनग   णप ! ह ऄन पम   प - लवयय  ! ह 

 ऱज क ऽशरोमऽण! अपक जय हो। अपन ऱवण अद  चड , बल और द  ऽनशचरको ऄपना  भ जक बल स 

 मर डल। अपन मन य -ऄवतर लकर स सरक भरको न  करक ऄयत कठोर दःख को भम कर दय। ह दयल ! ह शरणगतक र   करन वल भो ! अपक जय हो। म शऽ 

(सातजा) सऽहत शऽमन अपको   नमकर करत ।।1।। 

 तव ऽबष मय बस स ऱस र नग नर ऄग जग हर। भव पथ मत ऄऽमत दवस ऽनऽस कल कम ग नऽन भर।।  ज नथ कर कन ऽबलोक ऽऽबऽध द ख त ऽनब ह। 

भव ख द िदन दिछ हम क रिछ ऱम नममह ।।2।। 

 ह हर ! अपक द तर मयक वशाभी  त होन क  करण द वत ,

 ऱस , नग , मन य और चर ऄचर सभा कल , कम और ग ण स 

भर ए (ईनक वशाभी  त ए)  दन - ऱत ऄनत भव (अवगमन) क मग म भटक रह ह। ह नथ ! आनम स  ऽजनको अपन कप 

 करक (कपद ऽस) द ख ऽलय , व [मय - जऽनत] तान   करक

 दःखस िीट गय। ह जम मरणक मको कटन म कशल  ाऱमजा ! हमरा र कऽजय । हम अपको नमकर करत 

 ह।।2।। 

Page 40: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 40/340

 

 ज यन मन ऽबम तव भव हरऽन भऽ न अदरा। 

 त पआ स र द लभ पददऽप परम हम द खत हरा।।  ऽबवस कर सब अस परहर दस तव ज होआ रह। 

 जऽप नम तव ऽबन म तरह भव नथ सो समऱमह ।।3।। 

 ऽजहन ऽमय न क ऄऽभमन म  ऽवश षपस मतवल होकर 

 जम - म य [ क भय] को हरन वला अपक भऽ क अदर नह  कय , ह हर ! ईह  द व - द लभ (द वतको भा बा कठनत स 

  होन वल,   अदक) पदको पकर भा हम ईस पद स 

 नाच ऽगरत द खत ह। [परत] जो सब  अश को िोकर 

अपपर ऽवस करक अपक दस हो रहत ह, व कवल अपक 

 

 नम हा जपकर ऽबन हा परम भवसगरस तर जत ह। ह 

 नथ ! ऐस हम अपक   मरण करत ह।।3।। 

 ज चरन ऽसव ऄज पी  य रज सभ परऽस म ऽनपऽतना तरा। 

 नख ऽनग त म ऽन ब दत ऽलोक पवऽन स रसरा।। वज क ऽलस ऄ कस कज ज त बन फरत कटक कन लह। 

 पद कज  द म क  द ऱम रम स ऽनय भजमह।।4।। 

 जो चरण ऽशवजा और जा क ऱ पी  य   ह, तथ ऽजन 

 चरणक   कयणमया रज क पश पकर [ऽशव बना इ]

Page 41: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 41/340

 

 गौतमऊऽष क पा ऄहय तर   गया ; ऽजन चरण क नखस 

 म ऽनय ऱ वऽदत ,  लोयको पऽव   करन वला द वनदा 

 ग गजा ऽनकल और वज , व ऄक श और कमल , आन ऽचनस 

 य  ऽजन चरणम वनम फरत समय क ट चभ जन स घट प 

 गय ह; ह म क द ! ह ऱम ! ह रमपऽत ! हम अपक ईह दोन 

 चरणकमलको ऽनय  भजत रहत ह।।4।। 

ऄयमी  लमनद त वच चर ऽनगमगम भन।  षट कध सख प च बास ऄन क पन स मन घन।।  फल ज गल ऽबऽध कट मध र ब ऽल ऄकऽल ज ऽह अऽत रह। 

 पलवत फीलत नवल ऽनत स सर ऽबटप नममह।।5।। 

 व द शन कह ह क ऽजसक मी  ल ऄ ( कऽत) ह; जो  

[ वहपस] ऄनद ह; ऽजसक चर वचए िः तन, पचास 

शखए और ऄन क   प और बत स फील ह; ऽजसम कव और 

 माठ दो कर क फल लग ह; ऽजस पर एक हा ब ल ह, जो 

 ईसाक अऽत रहता ह; ऽजसम ऽनय नय प और   फील ऽनकलत 

 रहत ह; ऐस स सरववप (ऽवपम कट) अपको हम  

 नमकर करत ह।।5।। 

Page 42: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 42/340

 

 ज ऄजम तमनभवगय मनपर यवह।।  त कह जन नथ हम तव सग न जस ऽनत गवह।। 

 कनयतन भ सदग नकर द व यह बर मगह।  मन बचन कम ऽबकर तऽज तव चरन हम ऄन ऱगह।। 6।। 

  ऄजम ह, ऄ त ह कवल ऄनभवस हा   जन जन जत ह 

और मन स पर ह- जो [आस कर कहकर ईस] क  यन 

 करत ह, व ऐस कह कर और जन कर, कत ह नथ ! हम तो  ऽनय अपक सग ण यश हा गत ह। ह  कण क धम भो ! ह 

 सग णक खन ! ह द व ! हम यह बर म गत ह  क मन , वचन 

और कम स ऽवकर को यगकर अपक चरणम हा  म  

 कर।।6।। 

 दो.- सब क द खत ब दह ऽबनता कऽह ईदर। 

ऄ तध न भए प ऽन गए अगर।।13 क।। 

 व दन सबक द खत यह   ऽवनता क। फर   व ऄतध न हो गय और   लोक को चल गय।।13( क)।। 

 ब नत य स न सभ तब अए जह रघ बार। 

 ऽबनय करत गदगद ऽगऱ पी  रत पलक सरार।।13 ख।। 

Page 43: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 43/340

 

[ ककभश ऽडजा कहत ह-] ह गजा !  स ऽनय, तब ऽशवजा वह 

अय जह ारघ वार जा थ और गद वणास त ऽत करन लग।

 ईनक शरार प लकवला स  पी  ण हो गय -।।13( ख)।। 

ि .- जय ऱम रमरमन समन। भवतप भयकल पह जन।। 

ऄवध स स रस रम स ऽबभो। सरनगत मगत पऽह भो।।1।। 

 ह ऱम ! ह रमरणय (लमाकत) ! ह  जम - मरणक स तपक 

 नश करन वल! अपक जय हो ; अवगमनक भयस कल आस  

 स वक क र कऽजय। ह ऄवऽधपऽत! ह द वत क वमा ! ह  रमपऽत ! ह  ऽवभो ! म शरणगत अपस यहा   म गत क ह 

 भो ! म रा र कऽजय।।1।।

 

 दससास ऽबनसन बास भ ज। कत दी  र मह मऽह भी  र ज।। 

 रजनाचर ब  द पत ग रह। सर पवक त ज च ड दह।।2।। 

 ह दस ऽसर और बास भ जवल ऱवणक ऽवनश   करक पवाक सब महन रोग (क) को दी  र करन वल ाऱमजा !  

 ऱस समी  ह पा जो पत ग थ, व  सब अपको बणपा ऄऽ क

 चड त जस भम हो गय।।2।। 

Page 44: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 44/340

 

 मऽह म डल म डन चतर। ध त सयक चप ऽनष ग बर।। 

 मद मोह मह ममत रजना। तम प  ज दवकर त ज ऄना।।3।। 

अप पवा मडल क ऄयत अभी  षण ह; अप    बण , धनश 

और तरकस धरण   कय ए ह। महन मद मोह और ममतपा  ऱऽक ऄधकर समी  हक नश   करन क ऽलय अप सी  य त जोमय 

 करणसमी  ह ह।।3।। 

 मनजत कऱत ऽनपतकए। म ग लोक कभोग सरन ऽहए।। 

 हऽत नथ ऄनथऽन पऽह हर। ऽबषय बन पव र भी  ऽल पर।।4।। 

 कमद वपा भालन मन यपा ऽहरन क दय   म कभोग पा  ब ण मरकर ईह ऽगऱ दय ह । ह नथ ! ह [पप - तपक   हरण  करन वल] हर ! ईस  मरकर ऽवषयपा वनम भी  ल प ए आन 

 पमर ऄनथ जावक र   कऽजय।।4।। 

 बरोग ऽबयोगऽह लोग हए। भवद ऽ ऽनऱदर क फल ए।।  भव सध ऄगध पर नर त। पद प कज  म न ज करत।।5।। 

 लोग बत - स रोग और ऽवयोग (दःख) स  मर ए ह। य सब अपक चरण   क ऽनऱदर क फल ह । जो मन य अपक

Page 45: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 45/340

 

 चरणकमलम  म नह करत, व ऄथह भव सगर म प रहत 

 ह।।5।। 

ऄऽत दान मलान द खा ऽनतह। ऽजह क पद प कज ाऽत नह।। 

ऄवल ब भव त कथ ऽजह क । ऽय स त ऄन त सद ऽतह क ।।6।। 

 ऽजह अपक चरणकमलम ाऽत नह ह, व  ऽनय हा ऄयत  दान , मलान ( ईदस) और द खा रहत ह। और ऽजह अपक 

 लाल कथ क अधर ह, ईनको स त  और भगवन सद ऽय 

 लगन लगत ह।।6।। 

 नह ऱग न लोभ न मन मद। ऽतह क सम ब भव व ऽबषद।। 

 एऽह त तव स वक होत म द। म ऽन यगत जोग भरोस सद।।7।। 

 ईनम न ऱग (असऽ) ह , न लोभ ; न मन ह, न   मद। ईनको 

 सपऽ (स ख) और   ऽवपऽ (दःख) समन ह। आसास म ऽन लोग  योग (सधन) क भरोस सद क ऽलय  यग द त ह और 

 सतक सथ अपक स वक बन जत ह।।7।। 

 कर  म ऽनरतर न म ऽलए। पद प कज स वत स  ऽहए।। 

 सम मऽन ऽनऱदर अदरहा। सब स त स खा ऽबचरऽत महा।।8।। 

Page 46: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 46/340

 

 व  म पी  व क ऽनयम ल कर ऽनरतर श    दय स अपक

 चरणकमलक स व   करत रहत ह। और ऽनऱदर और अदरको  समन मनकर व सब स त स खा होकर   पवापर ऽवचरत ह।।8।। 

 म ऽन मनस प कज भ  ग भज। रघ बार मह रनधार ऄज।। 

 तव नम जपऽम नमऽम हरा। भव रोग महगद मन ऄरा।।9।। 

 ह म ऽनय क मनपा कमलक मर ! ह  रघ बार महन रणधार  एव ऄज य  ारघ वार ! म अपको भजत (अपक शरण हण  करत )। ह हर ! अपक   नम जपत और अपको नमकर  करत । अप जम - मरणपा रोग क महन औषध  और 

ऄऽभमन क श ह।।9।। 

 ग न साल कप परमयतन। नमऽम ऽनरतर ारमन।। 

 रघ न द ऽनकदय  धन। मऽहपल ऽबलोकय दान जन।।10।। 

अप ग ण , शाल और कप क परम थन ह। अप   लमापऽत ह,

 म अपको   ऽनरतर णम करत । ह रघ नदन ! [अप जम - मरण स ख - दःख   ऱग -  षद] समी  हक नश कऽजय। ह  पवाक पलन करन वल  ऱजन ! आस दान जनक ओर भा द ऽ 

 डऽलय।।10।। 

Page 47: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 47/340

 

 दो.- बर बर बर मगई हरऽष द  ारग। 

 पद सरोज ऄनपयना भगऽत सद सतस ग।।14 क। 

 म अपस बर - बर यहा वरदन म गत क   म झ अपक चरणकमलक ऄचलभऽ  और अपक भक सस ग सद त  हो। ह लमापत ! हषत होकर म झ  यहा दाऽजय। 

 बरऽन ईमपऽत ऱम ग न हरऽष गए कलस। 

 तब भ कऽपह दवए सब ऽबऽध स खद बस।।14 ख।। 

ाऱमचजाक ग ण क वण न करक  ईमपऽत महद वजा 

 हषत होकर   कलसको चल गय, तब भ न वनरको सब कश 

 स स ख द न वल ड र  दलवय।।14( ख)।। 

 चौ.- स न खगपऽत यह कथ पवना। ऽऽबध तप भव दवना।। 

 महऱज कर स ख ऄऽभष क। स नत लहह नर ऽबरऽत  ऽबब क।।1।। 

 ह गजा ! स ऽनय, यह कथ [सबको] पऽव   करन वला ह,

[ द ऽहक , द ऽवक , भौऽतक] तान करक तपक और जम -

 म य क भयक नश करन वला ह।  महऱज ाऱमचजाक

Page 48: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 48/340

 

 कयणमय ऱयऽभष कक चर [ऽनकमभवस]  स नकर 

 मन य व ऱय और न करत ह।।1।। 

 ज सकम नर स नह ज गवह। सख स पऽत नन ऽबऽध पवह।। 

 स र द लभ स ख कर जग मह। ऄ तकल रघ पऽत प र जह।।2।। 

और जो मन य सकम भव स स नत और गत ह, व ऄन क 

 कर क स ख और   सपऽ पत ह। व जगत म द व द लभ  स खको भोगकर ऄतकल म ारघ नथजाक परमधम को 

 जत ह।।2।। 

 स नह ऽबम  ऽबरत ऄ ऽबषइ। लहह भगऽत गऽत स पऽत नइ।।  खगपऽत ऱम कथ म बरना। वमऽत ऽबलस स द ख 

 हरना।।3।। 

 आस जो जावम  ऽवर और ऽवषया स नत  ह, व [मशः]

भऽ , म ऽ  और नवान सपऽ (ऽनय नय भोग) पत ह। ह  पऽऱज गजा ! म  ऄपना ब ऽक प चक ऄन सर ऱमकथ 

 वण न क ह, जो [जम - मरणक] भय और   दःखको हरन वला 

 ह।।3।। 

Page 49: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 49/340

 

 ऽबरऽत ऽबब क भगऽत द  करना। मोह नदा कह स  दर तरना।। 

 ऽनत नव म गल कौसलप रा। हरऽषत रहह लोग सब क रा।।4।। 

 यह व ऱय , ऽवव क और भऽ को द  करन वला   ह तथ 

 मोहपा नदा क [पर   करन क] ऽलय स दर नव ह। ऄवधप राम  ऽनत - नय म गलोसव होत ह। सभा   वगक लोग हषत रहत 

 ह।।4।। 

 ऽनत नआ ाऽत ऱम पद प कज। सब क ऽजहऽह नमत ऽसव म ऽन ऄज।। 

 म गन ब कर पऽहऱए। ऽजह दन नन ऽबऽध पए।। 5।। 

ाऱमजाक चरणकमलम - ऽजह ाऽशवजा , म ऽनगण और  

 जा भा   नमकर करत ह- सबक ऽनय नवान ाऽत ह। ऽभको बत करक   वभी  ण पहनय गय और ण न 

 नन कर क दन पय।।5।। 

 दो.- न द मगन कऽप सब क भ पद ाऽत।। 

 जत न जन दवस ऽतह गए मस षट बाऽत।।15।। 

Page 50: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 50/340

 

 वनर सब नद म मगन ह। भ क  चरण म सबक  म ह !  ईहन दन जत जन हा नह और [बत - क - बतम] िः महान 

 बात   गय।।15।। 

 चौ.- ऽबसर ग ह सपन  स ऽध नह। ऽजऽम परोह स त मन  मह।।  तब रघ पऽत सब सख बोलए। अआ सबऽह सदर ऽस 

 नए।।1।। 

 ईन लोग को ऄपन घर भी  ल हा गय।] जगत क तो   बत हा य]

 ईह व   म भा घरक सध (यद) नह अता , ज स स तक मनम 

 दी  सर स ोह   करन क बत कभा नह अता। तब ारघ नथजान 

 सब सखको ब लय। सबन अकर  अदर सऽहत ऽसर  नवय।।1।। 

 परम ाऽत समाप ब ठर। भगत स खद म द बचन ईचर।।  त ह ऄऽत कऽह मोर स वकइ। म ख पर कह ऽबऽध कर 

 बइ।।2।। 

 ब हा  म स ाऱमजान ईनको पस   ब ठय और भ को  स ख द न वल  कोमल बचन कह- त मलोगन म रा बा स व क 

 ह। म   हपर कस कर   त हरा बइ क ?।।2।। 

Page 51: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 51/340

 

 तत मोऽह त ह ऄऽत ऽय लग। मम ऽहत लऽग भवन स ख 

 यग।। ऄन ज ऱज स पऽत ब द हा। द ह ग ह परवर सन हा।।3।। 

 म र ऽहत क ऽलय त म लोग न घर को तथ   सब करक स ख  को यग   दय। आसस त म म झ ऄयत हा ऽय लग रह हो। िोट

भइ , ऱय , सपऽ , जनक , ऄपन शरार , घर , क टब और  ऽम -।।3।। 

 सब मम ऽय नह त हऽह समन। म ष न कहई मोर यह  बन।। 

 सब क ऽय स वक यह नाता। मोर ऄऽधक दस पर ाता।।4।। 

 य सभा म झ ऽय ह, परत त हर समन   नह। म झी  ठ नह 

 कहत , यह   म ऱ वभव ह । स वक सभाको यर लगत ह, यह 

 नाऽत (ऽनयम) ह। [पर]  म ऱ तो दसपर [वभऽवक हा] ऽवश ष   म ह।।4।। 

 दो.-ऄब ग ह ज सख सब भज  मोऽह द  न म। 

 सद सब गत सब ऽहत जऽन कर ऄऽत  म।।16।। 

Page 52: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 52/340

 

 ह सखगण ! ऄब सब लोग घर जओ ; वह द  ऽनयम   स म झ 

भजत रहन म झ सद   सव पक और सबक ऽहत करन वल  जनकर ऄयत  म करन ह।।16।। 

 चौ.- स ऽन भ बचन मगन सब भए। को हम कह ऽबसर तन  गए।।  एकटक रह जोर कर अग। सकह न िक कऽह ऄऽत ऄन ऱग ।।1।। 

 भ क वचन स नकर सब - क- सब  मम हो   गय। हम कौन ह और 

 कह ह ?

 यह   द ह क सध भा भी  ल गया। व भ क समन हथ  जोकर टकटक लगय द खत  हा रह गय। ऄयत  मक करण 

 कि कह नह सकत।।1।। 

 परम  म ऽतह कर भ द ख। कह ऽबऽबऽध ऽबऽध यन 

 ऽबस ष।।  भ सम ख िक कहन न परह। प ऽन प ऽन चरन सरोज 

 ऽनहरह।।2।। 

Page 53: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 53/340

 

 भ न ईनक ऄयत  म द ख , [ तब]  ईह ऄन क करस ऽवश ष  

 न क ईपदश दय। भ क सम ख व कि नह कह सकत।

 बर - बर   भ क चरणकमलको द खत ह।।2।। 

 तब भ भी  षन बसन मगए। नन रग ऄनी  प स हए।। 

 स ावऽह थमह पऽहऱए। बसन भरत ऽनज हथ बनए।। 3।। 

 तब भ न ऄन क रग क ऄन पम और स दर   गहन- कप  म गवय। सबस पहल भरतजा न ऄपन हथ स स वरकर 

 स ावको वभी  षण पहनय।।3।। 

 भ  रत लऽिमन पऽहऱए। ल कपऽत रघ पऽत मन भए।। ऄ गद ब ठ रह नह डोल। ाऽत द ऽख भ तऽह न बोल।।4।। 

 फर भ क  रण स लमणजान  ऽवभाषणको गहन- कप 

 पहनय, जो  ारघ नथजा क मनको बत हा ऄिछ लग। ऄ गद 

 ब ठ हा रह, व ऄपना जगह   स ऽहल तक नह। ईनक ईकट  म  द खकर भ न ईनको नह ब लय।।4।। 

 दो.- जमव त नालद सब पऽहऱए रघ नथ। 

 ऽहय धर ऱम प सब चल नआ पद मथ।।17

 क।। 

Page 54: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 54/340

 

 जबवन और नाल अद सबको ारघ नथजान  वय भी  षण -

 व पहनय। व  सब ऄपन दय म ाऱमचजाक पको धरण करक ईनक चरणम  मतक नवकर चल।।17( क)।। 

 तब ऄ गद ईठ नआ ऽस सजल नयन कर जोर। 

ऄऽत ऽबनात बोल ई बचन मन  म रस बोर।।17 ख।। 

 तब ऄ गद ईठकर ऽसर नवकर , न म जल भरकर  और हथ 

 जोकर ऄयत ऽवन   तथ मनो  मक रसम डबोय ए 

(मध र) वचन बोल।।17( ख)।। 

 चौ.- स न सब य कप स ख सधो। दान दयकर अरत बधो। 

 मरता ब र नथ मोऽह बला। गयई त हरऽह िको घला।।1।। 

 ह सव  ! ह कप और स ख क सम  ! ह  दान पर दय करन वल 

! ह अतक बध ! स ऽनय। ह नथ ! मरत समय म ऱ ऽपत बऽल  म झ अपक हा   गोदम डल गय थ !।।1।। 

ऄसरन सरन ऽबरद सभरा।  मोऽह जऽन तज भगत ऽहतकरा।।  मोर त ह भ ग र ऽपत मत। जई कह तऽज पद 

 जलजत।।2।। 

Page 55: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 55/340

 

ऄतः ह भ क ऽहतकरा ! ऄपन ऄशरण -शरण   ऽवरद (बन)

 यद करक म झ  यऽगय नह। म र तो वमा , ग  , मत सब  कि अप हा ह अपक  चरणकमलको िोकर म कह जउ

?।।2।। 

 त हऽह ऽबचर कह नरनह। भ तऽज भवन कज मम  कह।। 

 बलक यन ब ऽ बल हान। ऱख सरन नथ जन दान।। 3।। 

 ह महऱज ! अप हा ऽवचर कर कऽहय , भ (अप) को िोकर 

 घर म म ऱ य   कम ह ? ह नथ ! आस न , ब ऽ और बल स  हान बलक तथ दान स वकको  शरणम रऽखय।।3।। 

 नाऽच टहल ग ह क सब करहई। पद प कज ऽबलोक भव  तरहई।। 

ऄस कऽह चरन परई भ पह। ऄब जऽन नथ कह ग ह  जहा।।4।। 

 म घर क सब नाचा - स- नाचा स व कग और  अपक चरणकमलको द ख - द खकर  भवसगरस तर जउग। ऐस 

 कहकर व ाऱमजाक चरणम ऽगर प [और   बोल-] ह भो !

Page 56: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 56/340

 

 म रा र कऽजय ! ह नथ ! ऄब यह न कऽहय क ती घर  

 ज।।4।। 

 दो.-ऄ गद बचन ऽबनात स ऽन रघ पऽत कन सव।। 

 भ ईठआ ईर लयई सजल नयन ऱजाव।। 18 क।। 

ऄ गद क ऽवन वचन स नकर कणक साम भ ारघ नथजान ईनको ईठकर   दय स लग ऽलय। भ क न कमलम [ मक] जल भर  अय।।18( क)।। 

 ऽनज ईर मल बसन मऽन बऽलतनय पऽहऱआ।।  

 ऽबद कऽह भगवन तब ब कर सम झआ।।18

 ख।। 

 तब भगवन न ऄपन दय क मल , व और   मऽण (र क

अभी  षण)  बऽल - प  ऄ गद को पहनकर और बत कर स 

 समझकर ईनक ऽबदइ क।।18( ख)।। 

 चौ.-भरत ऄन ज सौऽमऽ सम त। पठवन चल भगत कत च त।। ऄ गद दय  म नह थोऱ। फर फर ऽचतव ऱम क 

ओऱ।। 1।। 

Page 57: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 57/340

 

भ क करना को यद करक भरतजा िोट भइ  श जा और  लमणजा सऽहत   ईनको प चन चल। ऄ गदक दय म थो 

  म नह ह (ऄथ त बत  ऄऽधक  म ह)। व फर -

 फर कर ाऱमजा क ओर द खत ह।।1।। 

 बर बर कर द ड नम। मन ऄस रहन कहह मोऽह ऱम।।  

 ऱम ऽबलोकऽन बोलऽन चलना। स ऽमर स ऽमर सोचत ह ऽस 

 ऽमलना।।2।। 

और बर - बर दडवत णम करत ह। मन म  ऐस अत ह क 

ाऱमजा म झ  रहन को कह द। व ाऱमजा क द खन क , बोलन 

 क , चलन क तथ ह सकर ऽमलन  क राऽत को यद कर - करक

 सोचत ह (द खा होत ह)।।2।। 

 भ ख द ऽख ऽबनय ब भषा। चल ई दय पद प कज ऱखा।।  

ऄऽत अदर सब कऽप प चए। भआह सऽहत भरत प ऽन 

अए।।3।। 

 कत भ क ख द खकर , बत - स ऽवनय - वचन   कहकर तथ 

 दय म चरण - कमल   को रखकर व चल। ऄयत अदर क सथ 

 सब वनर को प चकर भआयसऽहत  भरतजा लौट अय।।3।। 

Page 58: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 58/340

 

 तब स ाव चरन गऽह नन। भ ऽत ऽबनय कह हन मन।।  दन दस कर रघ पऽत पद स व। पऽन तव चरन द ऽखहई

 द व।।4।। 

 तब हन मन जा न स ाव क चरण पककर ऄन क   कर स  ऽवनता क और कह - ह द व ! दस (कि) दन ारघ नथजाक  चरणस व करक फर म अकर अपक चरण क   दश न 

 कग।।4।। 

 प य प  ज त ह पवनकमऱ। स व जआ कप अगऱ।।  

ऄस कऽह कऽपसब चल त रत। ऄ गद कहआ स न हन म त।।5।। 

[ स ाव न कह -] ह पवनकमर ! त म प य क   ऱऽश हो [जो 

भगवन न त मको  ऄपना स व म रख ऽलय]। जकर कपधम ाऱमजा क स व करो ! सब वनर   ऐस कहकर त रत चल प।

ऄ गद न कह - ह हन मन ! स नो -।।5।। 

 दो.- कह  द डवत भ स त हऽह कहई कर जोर। 

 बर बर रघ नयकऽह स रऽत कऱए मोर।। 19 क।। 

 म त मस हथ जोकर कहत , भ म रा   दडवत कहन और  

ारघ नथजा को बर - बर म रा यद कऱत रहन।।19( क)।। 

Page 59: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 59/340

 

ऄस कऽह चल ई बऽलस त फर अयई हन म त। 

 तस ाऽत भ सन कहा मगन भए भगव त।।19 ख।। 

 ऐस कहकर बऽल प  ऄ गद चल, तब हन मन जा   लौट अय 

और अकर भ स ईनक    म वण न कय। ईस स नकर भगवन 

  मम हो गय।।19( ख)।। 

 क ऽलस चऽह कठोर ऄऽत कोमल कस म चऽह। 

 ऽच खग स ऱम कर सम ऽझ परआ क कऽह।।19 ग।। 

[ ककभश ऽडजा कहत ह-] ह गजा ! ाऱमजाक ऽच व  स भा  ऄयत कठोर और फील स भा ऄयत कोमल ह। तब 

 कऽहय, वह कसक समझ म अ   सकत ह ?।।19( ग)।। 

 चौ.- प ऽन कपल ऽलयो बोऽल ऽनषद। दाह भी  षन बसन  सद।। 

 ज भवन मम स ऽमरन कर। मन म बचन धम ऄन सर।।1।। 

 फर कपल ाऱमजान ऽनषदऱजको ब ल ऽलय  और ईस 

भी  षण , व 

  सदम दय। [फर कह 

-

] ऄब त म भा घर जओ ,

Page 60: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 60/340

 

 वह म ऱ मरण करत रहन  और मन , वचन तथ धम क

ऄन सर चलन।।1। 

 त ह मम सख भरत सम त। सद रह  प र अवत जत।।  बचन स नत ईपज स ख भरा। परई चरन भर लोचन 

 बरा।।2।। 

 त म म र ऽम हो और भरत क समन भइ हो। ऄयोय म सद अत- जत रहन।  यह वचन स नत हा ईसको भरा स ख ईप  अ। न म [अनद और  मक अ सक] जल भरकर वह 

 चरण म ऽगर प।।2।। 

 चरन नऽलन ईर धर ग ह अव। भ सभई परजनऽह  स नव।।  रघ पऽत चरत द ऽख प रबसा। प ऽन प ऽन कहह धय 

 स खऱसा।। 3।। 

 फर भगवन क चरणकमल को दय म रखकर वह   घर अय और अकर ऄपन  क टऽबय को ईसन भ क वभव स नय।ारघ नथजा क यह चर   द खकर ऄवध - प रवसा बर - बर 

 कहत ह क स ख क ऱऽश ाऱमचजा धय    ह।।3।। 

Page 61: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 61/340

 

 ऱम ऱज ब  ठ  लोक। हरऽषत भए गए सब सोक।। 

 बय न कर क सन कोइ। ऱम तप ऽबषमत सोइ।। 4।। 

ाऱमचजाक ऱय पर ऽतऽत होन  पर तान लोक हषत 

 हो गय, ईनक सर शोक जत रह। कोइ कसास व र नह करत।

ाऱमचजाक   तपस सबक ऽबषमत (अतरक भ दभव)

 ऽमट गया।।4।। 

 दो.- बरनम ऽनज ऽनज धरम ऽनरत ब द पथ लोग। 

 चलह सद पवह स खऽह नह भय सोक न रोग।।20।। 

 सब लोग ऄपन-

ऄपन वण और अम क ऄन कील  धम म तपर  ए सद   व द - मग पर चलत ह और स ख पत ह। ईह न कसा 

 बत क भय ह, न शोक   ह और न कोइ रोग हा सतत ह।।20।। 

 चौ.- द ऽहक द ऽवक भौऽतक तप। ऱम ऱज नह कऽह यप।।  

 सब नर करह परपर ाऽत। चलह वधम ऽनरत  ऽत  नाऽत।।1।। 

 ऱम - ऱय म द ऽहक , द ऽवक और भौऽतक तप   कसा को नह 

 पत। सब मन य परपर  म करत ह और ह म बतया   इ 

Page 62: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 62/340

 

 नाऽत ( मय द) म तपर रहकर ऄपन-ऄपन धम क पलन करत 

 ह।।1।। 

 चरई चरन धम जग मह। पी  र रह सपन  ऄघ नह।।  ऱम भगऽत रत नर ऄ नरा। सकल परम गऽत क

ऄऽधकरा।।2।। 

धम ऄपन चर चरण (सय शौच दय और दन)  स जगत म 

 परपी  ण हो रह ह; वम भा कह पप नह ह। प ष  और ा 

 सभा ऱमभऽ क   पऱयण ह और सभा परमगऽत (मो) क

ऄऽधकरा ह।।2।। 

ऄपम य नह कवऽनई पाऱ। सब स  दर सब ऽबज सराऱ।।  

 नह दर कोई द खा न दान। नह कोई ऄबध न 

 लिछनहान।।3।। 

ि ोटा ऄवथ म म य नह होता , न कसा को   कोइ पा होता  ह। सभा क शरार स दर और नारोग ह। न कोइ दर ह, न   द खा 

 ह न और न दान हा ह। न कोइ   मी  ख ह और न शभ लणस हान 

 हा ह।।3।। 

Page 63: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 63/340

 

 सब ऽनदभ धम रत प ना। नर ऄ नर चत र सब ग ना।।  सब ग नय प ऽडत सब यना। सब कतय नह कपट 

 सयना।।4।। 

 सभा दभरऽहत ह, धम पऱयण ह और   प यम ह। प ष और 

 ा सभा   चत र और ग णवन ह। सभा ग ण क अदर करन वल और पऽडत ह तथ सभा   ना ह। सभा कत (दी  सरक कय ए 

 ईपकर को मनन वल) ह, कपट - चत ऱइ (धी  त त) कसाम नह  ह।।4।। 

 दो.- ऱम ऱज नभग  स स न सचऱचर जग मह।  

 कल कम सभव ग न कत द ख कऽह नह।।21

।। 

[ ककभश ऽडजा कहत ह-] ह पऽऱज   गजा ! स ऽनय !

ारमजा क  ऱय म ज , च तन सर जगत म कल , कम,

 वभव और ग ण स ईप   ए दःख कसा को भा नह होत 

(ऄथ त आनक बधन म कोइ नह   ह)।।21।। 

 चौ.-भी  ऽम स सगर म खल। एक भी  प रघ पऽत कोसल।। 

भ वन ऄन क रोम ऽत जसी । यह भ त िक बत न तसी ।।1।। 

Page 64: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 64/340

 

ऄयोय म ारघ नथजा सत सम  क   म खल (करधना) वला पवाक  एकम ऱज ह । ऽजनक एक - एक रोम म ऄन क 

 ड ह, ईनक ऽलय  सत ाप क यह भ त कि ऄऽधक  नह ह।।1।। 

 सो मऽहम सम झत भ करा। यह बरनत हानत घन रा।।  सोई मऽहम खग स ऽजह जना। फर एह चरत ऽतह रऽत 

 मना।।2।। 

 बऽक भ क ईस मऽहमको समझ ल न पर तो यह   कहन म [क  व सत सम    स ऽघरा इ सापमया पवाक एकिछ सट  ह] ईनक बा हानत   होता ह। परत ह गजा ! ऽजहन वह 

 मऽहम जन भा ला ह, व भा फर   आस लालम ब  म मनत 

 ह।।2।। 

 सोई जन कर फल यह लाल। कहह मह म ऽनबर दमसाल।। 

 ऱम ऱज कर स  ख स पद। बरऽन न सकआ फनास सरद।।3।। 

यक ईस मऽहम को जनन क फल यह लाल (आस   लाल क 

ऄनभव) हा ह, आऽय क दमन करन वल   महम ऽन ऐस 

 कहत ह। ऱमऱयक    स खसपऽ क वण न श षजा और 

 सरवता जा भा नह कर सकत।।3।। 

Page 65: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 65/340

 

 सब ईदर सब पर ईपकरा। ऽब चरन स वक नर नरा।। 

 एकनर त रत सब झरा। त मन बच म पऽत ऽहतकरा।।4।। 

 सभा नर - नरा ईदर ह, सभा परोपकरा ह और   सभा ण 

 क चरण क स वक   ह। सभा प षम एकपाता ह। आसा 

 कर ऽय भा मन , वचन  और कम स पऽत क ऽहत करन वला 

 ह।।4।। 

 दो.- द ड जऽतह कर भ द जह नत क न य समज। 

 जात मनऽह स ऽनऄ ऄस ऱमच  क ऱज।। 22।। 

ाऱमचजा क ऱय म दड कवल   स यऽसय क हथ म ह और भ द   नचन वल क न यसमज म ह और जातो शद कवल   मनक जातन क ऽलय हा स नया पत ह (ऄथ त ऱजनाऽत म  श को   जातन तथ चोर - डक अद को दमन करन क ऽलय 

 सम , दन , दड और भ द - य  चर ईपय कय जत ह। ऱमऱय  म कोइ श ह हा नह आसऽलय  जातो शद कवल मनक जातन 

 क ऽलय कह जत ह।  कोइ ऄपऱध करत हा नह , आसऽलय 

 दड कसाको नह होत ; दड शद कवल स यऽसय क हथम 

 रहन वल  दडक ऽलय हा रह गय ह तथ सभा ऄनकील होन क

Page 66: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 66/340

 

 करण भ दनाऽत क अवयकत   हा नह रह गया ; भ द शद 

 कवल स र - तलक भ द क  ऽलय हा कम म अत ह।)।।22।। 

 चौ.- फीलह फरह सद त करन। रहह एक स ग गज प चनन।। 

 खग म ग सहज बय ऽबसऱइ। सबऽह परपर ाऽत बइ।। 1।। 

 वन म व सद फीलत और फलत ह। हथा  और सह [व र भी  लकर] एक सथ   रहत ह। पा और पश सभान वभऽवक व र 

भ लकर अपसम  म ब ऽलय   ह।।1।। 

 कीजह खग म ग नन ब  द। ऄभय चरह बन करह ऄन द। 

 सातल स रऽभ पवन बह म द। ग  जत ऄऽल ल चऽल मकरद।।2।। 

 पा कीजत (माठा बोला बोलत) ह, भ ऽत -भ ऽतक पशक

 समी  ह वनम  ऽनभ य ऽवचरत और अनद करत ह। शातल , मद ,

 स गऽधत पवन चलत रहत ह। भर प पक रस ल कर चलत 

 ए ग  जर करत जत ह।।2।। 

 लत ऽबटप मग मध चवह। मनभवतो ध न पय वह।। 

 सऽस स प सद रह धरना।  त भआ कतज ग क करना।।3।। 

Page 67: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 67/340

 

 ब ल और व म गन स हा मध (मकरद)  टपक द त ह। गौए  मनचह दी ध   द ता ह। धरता सद ख ता स भरा रहता ह।  त म 

 सयय गक करना ( ऽथऽत) हो गया।।3।। 

 गटा ऽगरह ऽबऽबऽध मऽन खना। जगदतम भी  प जग जना।।  सरत सकल बहह बर बरा। सातल ऄमल वद 

 स खकरा।।4।। 

 समत जगत क अम भगवन को जगत क ऱज   जनकर  पव त न ऄन क   कर क मऽणय क खन कट कर द। सब 

 नदय   , शातल , ऽनम ल  और स खद वद जल बहन 

 लग।।4।। 

 सगर ऽनज मरजद रहह। डरह र तटऽह नर लहह।।  सरऽसज स कल सकल तग। ऄऽत स दस दस 

 ऽबभग।।5।। 

 सम  ऄपना मय द म रहत ह। व लहर   क ऱ कनर पर 

 र   डल द त ह, ऽजह मन य प जत ह। सब तलब कमल स 

 परपी  ण  ह। दस दश क ऽवभग (ऄथ त सभा दश) ऄयत 

 स ह।।5।। 

Page 68: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 68/340

 

 दो.- ऽबध मऽह पी  र मयी  खऽह रऽब तप ज तन ऽह कज। 

 मग बरद द ह जल ऱमच  क ऱज।। 23।। 

ाऱमचजाक ऱयम चम ऄपना [ऄम तमया] करणस 

 पवाको   पी  ण कर द त ह। सी  य ईतन हा तपत ह ऽजतन क अवयकत होता ह और   म घ म गन स [जब जह ऽजतन 

 चऽहय ईतन हा] जल द त ह।।23।। 

 चौ.- कोटह बऽजमध भ कह। दन ऄन क ऽजह कह  दाह।। 

 ऽत पथ पलक धम ध रधर। ग नतात ऄ भोग प रदर।।1।। 

 भ ाऱमजा न करो ऄमध य कय और ण को 

ऄन क दन   दय। ाऱमचजा व दमग क पलन वल, धम क 

ध राको धरण   करन वल, [ कऽतजय सव रज और तम] तान 

 ग ण स ऄतात और भोग ( ऐय) म आ क समन ह।।1।। 

 पऽत ऄन कील सद रह सात। सोभ खऽन स साल ऽबनात।। 

 जनऽत कपसध भ तइ। स वऽत चरन कमल मन लइ।।2।। 

Page 69: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 69/340

 

शोभ क खन , सशाल और ऽवन सातजा सद पऽत   क

ऄन कील रहता ह। व  कपसगर ाऱमजाक भ त (मऽहम) को 

 जनता ह और मन लगकर ईनक   चरणकमल क स व करता  ह।।2।। 

 जऽप ग ह स वक स वकना। ऽबप ल सद स व ऽबऽध ग ना।। 

 ऽनज कर ग ह परचरज करइ। ऱमच  अयस ऄन सरइ।।3।। 

 यऽप घर म बत - स (ऄपर) दस और दऽसय  ह और व सभा 

 स व क   ऽवऽधम कशल ह, तथऽप [वमाक स व क महव 

 जनन वला] ासातजा   घरक सब स व ऄपन हा हथ स 

 करता ह और ाऱमचजाक अक  ऄन सरण करता ह।।

3।।

 

 ज ऽह ऽबऽध कपसध स ख मनआ। सोआ कर ा स व ऽबऽध  जनआ।। 

 कौसयद सस ग ह मह। स वआ सबऽह मन मद नह।।4।। 

 कपसगर ाऱमचजा ऽजस करस स ख   मनत ह, ाजा 

 वहा करता ह; यक व स व क ऽवऽध को जनन वला   ह। घर 

 म कौसय अद सभा   सस क सातजा स व करता ह, ईह 

 कसा बत क ऄऽभमन और मद नह   ह।।

4।।

 

Page 70: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 70/340

 

 ईम रम द ब दत। जगद ब स ततनदत।।5।। 

[ ऽशवजा कहत ह-] ह ईम ! जगनना रम ( सातजा)  

अद द वत स  वऽदत और सद ऄऽनऽदत (सव ग णसप 

 ह।।5।। 

 दो.- जस कप कटिछ स र चहत ऽचतव न सोइ। 

 ऱम पदरबद रऽत करऽत स भवऽह खोइ।।24।। 

 द वत ऽजनक कप कट चहत ह, परत व  ईनक ओर द खता 

भा नह , व  हा लमाजा जनकजा ऄपन [महमऽहम]

 वभवको िोकर ाऱमचजा क   चरणरऽवदम ाऽत 

 करता ह।।24।। 

 चौ.-

 स वह सन कील सब भइ। ऱम चरन रऽत ऄऽत ऄऽधकइ।।   भ म ख कमल ऽबलोकत रहह। कब कपल हमऽह िक

 कहह।।1।। 

 सब भइ ऄन कील रहकर ईनक स व करत ह। ाऱमचजाक

 चरण म ईनक  ऄयत ऄऽधक ाऽत ह। व सद भ क 

Page 71: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 71/340

 

 म खरऽवद हा द खत रहत ह क   कपल ाऱमजा कभा हम कि 

 स व करन को कह।।1।। 

 ऱम करह तह पर ाता। नन भ ऽत ऽसखवह नाता।। 

 हरऽषत रहह नगर क लोग। करह सकल स र द लभ भोग।।2।। 

ाऱमचजा भा भआय पर  म करत ह और ईह नन  करक   नाऽतय ऽसखलत ह। नगर क लोग हषत होत रहत ह और सब करक   द वद लभ (द वतको भा कठनतस होन 

 योय) भोग भोगत ह।।2।। 

ऄहऽनऽस ऽबऽधऽह मनवत रहह। ारघ बार चरन रऽत चहह।। 

 द आ स त स  दर सात जए। लव कस ब द प ऱह गए।। 3।। 

 व दन ऱत जा को मनत रहत ह और [ ईनस] ारघ वारक

 चरणम  ाऽत चहत ह। सातजा क लव और कश - य दो प  

 ईप ए , ऽजनक व द   प ऱण न वण न कय ह।।3।। 

 दोई ऽबजइ ऽबनइ ग न म दर। हर ऽतबब मन ऄऽत स  दर।। 

 द आ द आ स त सब तह कर। भए प ग न साल घन र।।4।। 

Page 72: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 72/340

 

 व दोन हा ऽवजया (ऽवयत यो), न और   ग णक धम ह 

और ऄयत   स दर ह, मनो ा हर क ऽतऽबब हा ह। दो - दो 

 प  सभा  भआय क ए , जो ब हा स दर , ग णवन और सशाल 

थ।।4।। 

 दो.- यन ऽगऱ गोतात ऄज मय मन ग न पर। 

 सोआ सऽदन द घन कर नर चरत ईदर।।25।। 

 जो [बौऽक] न , वणा और आऽदय स पर और ऄजम ह 

 तथ मय , मन  और ग णक पर ह, वहा सऽददघन भगवन 

  नर - लाल करत  ह।।25।। 

 चौ.- तकल सरजी कर मन। ब ठह सभ स ग ऽज सन।। 

 ब द प ऱन बऽस बखनह। स नह ऱम जऽप जब जनह।। 1।। 

 तः कल सरयी म न करक ण  और सनक सथ  सभ म ब ठत  ह। वऽसजा व द और प ऱण क कथए वण न 

 करत ह और ाऱमजा स नत  ह, यऽप व सब जनत ह।।1।। 

ऄन जह स ज त भोजन करह। द ऽख सकल जनन स ख भरह।। 

भरत स हन दोनई भइ। सऽहत पवनस त ईपबन जइ।।2।। 

Page 73: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 73/340

 

 व भआय को सथ ल कर भोजन करत ह। ईह  द खकर सभा 

 मतए अनद स भर   जता ह। भरतजा और श जा दोन  सऽहत हन मन जा सऽहत ईपवन म  जकर।।2।। 

 बी  झह ब ठ ऱम ग न गह। कह हन मन स मऽत ऄवगह।।  स नत ऽबमल ग न ऄऽत स ख पवह। बर बर कर ऽबनय 

 कहवह।।3।। 

 वह ब ठकर ाऱमजा क ग णक कथए पी ि त  ह औऱ हन मन  जा ऄपना   स दर ब ऽस ईन ग णम गोत लगकर ईनक वण न  करत ह। ाऱमचजा क ऽनम ल ग णकोस नकर दोन भइ 

ऄयत स ख पत ह और ऽवनय करक बर - बर कहलवत  ह।।3।। 

 सब क ग ह ग ह होह प ऱन। ऱम चरत पवन ऽबऽध नन।।  

 नर ऄ नर ऱम ग न गनह। करह दवस ऽनऽस जत न 

 जनह।।4।। 

 सबक यह घर - म प ऱण और ऄन क कर क  पऽव ऱमचर  क कथ होता ह। प ष और ा सभा  ाऱमचजा क  ग णगन करत ह और आस  अनदम दन - ऱतक बातन भा नह 

 जन पत।।4।। 

Page 74: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 74/340

 

 दो.-ऄवधप रा बऽसह कर स ख स पद समज। 

 सहस स ष नह कऽह सकह जह न प ऱम ऽबऱज।। 26।। 

 जह भगवन ाऱमचजा वय ऱज होकर   ऽवऱजमन ह ,

 ईस ऄवधप रा क ऽनवऽसय क स ख - सपऽ क स म दयक   वण न 

 हजर श षजा भा नह कर सकत।।26।। 

 चौ.- नरदद सनकद म नास। दरसन लऽग कोसलधास।।  दन ऽत सकल ऄजोय अवह। द ऽख नग ऽबऱग  

 ऽबसऱवह।। 1।। 

 नरद अद और सनक अद म नार सब कोसलऱज  ाऱमजाक दश नक ऽलय  ऽतदन ऄयोय अत ह और ईस 

[द] नगरको द खकर व ऱय भ ल द त  ह।।1।। 

 जतप मऽन रऽचत ऄटर। नन रग ऽचर गच ढर।।  प र च पस कोट ऄऽत स  दर। रच कगी  ऱ रग रग बर।। 2।। 

[ द] वण और र स भरा इ  ऄटरय ह। [मऽण - रक]

ऄन क   रगक स दर ढला इ फश ह। नगर क चर ओर ऄयत 

Page 75: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 75/340

 

 स दर परकोट   बन ह, ऽजसपर स दर रग - ऽबरग कगी  र बन 

 ह।।2।। 

 नव ह ऽनकर ऄनाक बनइ। जन घ रा ऄमऱवऽत अइ।।  

 मऽह ब रग रऽचत गच क च। जो ऽबलोक म ऽनबर मन 

 नच।।3।। 

 मनो नवह न बा भरा स न बनकर  ऄमऱवता को अकर 

 घ र ऽलय हो। पवा ( सक) पर ऄन क रग क (द) क च 

(र) क गच बनया (ढला)  गया ह, ऽजस द खकर   

 म ऽनयक भा मन नच ईठत ह।।3।। 

धवल धम उपर नभ च  बत। कलस मन रऽब सऽस द ऽत नदत।।  ब मऽन रऽचत झरोख जह। ग ह ग ह ऽत मऽन दाप 

 ऽबऱजह।। 4।। 

 ईवल महल उपर अकशको ची  म (िी) रह ह।  महल पर क कलश [ऄपन द   कशस] मनो सी  य, चमक कशक भा 

 ऽनद (ऽतरकर) करत  ह। [महलम] बत - सा मऽणयस रच  ए झऱोख सशोऽभत ह और घर - घरम  मऽणयक दापक शोभ प 

 रह ह।।4।। 

Page 76: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 76/340

 

ि .- मऽन दाप ऱजह भवन जह द हर ऽब म रचा। 

 मऽन खभ भाऽत ऽबरऽच ऽबरचा कनक मऽन मरकत खचा।।  स  दर मनोहर म दऱयत ऄऽजर ऽचर फटक रच ।  ऽत र र कपट प रट बनआ ब बऽह खच।। 

 घर म मऽणय क दापक शोभ द रह ह।  मी    ग क बना इ 

 द हऽलय चमक   रहा ह। मऽणय (र) क खभ ह। मरकतमऽणय (प) स जा इ   सोन क दावर ऐसा स दर ह 

 मनो न खस तौर स बनया ह। महल   स दर , मनोहर 

और ऽवशल ह। ईनम स दर फटक क अ गन बन ह।  य क  र पर बत - स खऱद ए हार स ज ए सोन क कव   ह।। 

 दो.- च ऽचसल ग ह ग ह ऽत ऽलख बनआ। 

 ऱम चरत ज ऽनरख म ऽन त मन ल ह चोऱआ।। 27।। 

 घर - घर म स दर ऽचशलए ह, ऽजनम ाऱमजा क चर 

 बा   स दरत क सथ स वर - कर ऄ कत कय ए ह। ऽजह म ऽन  द खत ह, तो   व ईनक भा ऽच को च ऱ ल त ह।।27।। 

 चौ.- स मन बटक सबह लग। ऽबऽबध भ ऽत कर जतन  बन।। 

 लत लऽलत ब जऽत स ह। फीलह सद बस त क न।।1।। 

Page 77: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 77/340

 

 सभा लोग न ऽभ - ऽभ कर क प पक   वटकए य 

 करक लग   रखा ह, ऽजनम बत जऽतय क स दर और लऽलत  लतए सद वस तक तरह   फीलता रहता ह।।1।। 

 ग  जत मध कर म खर मनोहर। मत ऽऽबऽध सद बह स  दर।। 

 नन खग बलकऽह ऽजअए। बोलत मध र ईत स हए।।2।। 

भौर मनोहर वर स ग  जर करत ह। सद   तान कर क स दर 

 वय बहता   रहता ह। बलक न बत - स पा पल रख ह, जो 

 मध र बोला बोलत ह और ईन म स दर लगत ह।।2।। 

 मोर ह स सरस पऱवत। भवनऽन पर शोभ ऄऽत पवत।।  

 जह तह द खह ऽनज पिरह। ब ऽबऽध कीजह न य 

 कऱह।। 3।। 

 मोर , ह स , सरस और कबी  तर घरक उपर बा हा  शोभ पत 

 ह। व पा [ मऽणयक दावरम और ितम] जह- तह ऄपना 

 पिरइ द खकर [वह दी  सर  पा समझकर] बत करस मध र 

 बोला बोलत और न य करत ह।।3।। 

Page 78: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 78/340

 

 स क सरक पवह बलक। कह ऱम रघ पऽत जनपलक।। 

 ऱज द अर सकल ऽबऽध च। बाथ चौहट ऽचर बज।।4।। 

 बलक तोत - म न को पत ह क कहो - ऱम   रघ पऽत जनपलक।

 ऱजर सब करस स दर ह। गऽलय, चौऱह और बजर  

 सभा स दर ह।।4।। 

ि .- बजर ऽचर न बनआ बरनत बत ऽबन गथ पआए।  जह भी  प रमऽनवस तह क स पद कऽम गआए।।  ब ठ बजज सऱफ बऽनक ऄन क मन कब र त।  सब स खा सब सरत स  दर नर नर ऽसस जरठ ज।। 

 स दर बजर ह, जो वण न नह करत बनत ; वह वत ए ऽबन 

 हा मी  य   ऽमलता ह। जह वय लमापऽत ऱज ह , वह क 

 सपऽ क वण न   कस कय जय ? बजज (कप क पर 

 करन वल), सऱफ (पय - प स क   ल न - द न करन वल) अद 

 वऽणक (परा) ब ठ ए ऐस जन पत ह मनो  ऄन क कब र  ह। ा , प ष , ब और बी   जो भा ह, सभा स खा , सदचरा 

और स दर ह। 

 दो.- ईर दऽस सरजी बह ऽनम ल जल गभार। 

 बध घट मनोहर वप प क नह तार।।28।। 

Page 79: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 79/340

 

 नगर क ईर दश म सरयी  जा बह रहा ह, ऽजनक जल ऽनम ल 

और गहऱ ह ।  मनोहर घ ट बध ए ह, कनर पर जऱ भा 

 कच नह ह।।28।। 

 चौ.- दी  र फऱक ऽचर सो घट। जह जल ऽपऄह बऽज गज 

 ठट।।  पऽनघट परम मनोहर नन। तह न प ष करह ऄन।1।। 

ऄलग कि दी  रा पर वह स दर घट ह, जह  घो और हऽथय 

 क  ठ - क- ठ जल ऽपय करत ह। पना भरन क ऽलय बत - स 

[जनन] घट   ह, जो ब हा मनोहर ह; वह प ष न नह  करत।।1।। 

 ऱजघट सब ऽबऽध स  दर बर। मह तह बरन चरई नर।। 

 तार तार द वह क म दर। च दऽस ऽतह क ईपवन स  दर।।2।। 

 ऱजघट सब करस स दर और   ह, जह चर वणक प ष  

 न करत ह। सरयी  जाक कनर- कनर द वतक मऽदर ह,

 ऽजनक  चर ओर स दर ईपवन (बगाच) ह।।2।। 

Page 80: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 80/340

 

 क क सरत तार ईदसा। बसह यन रत म ऽन सयसा।। 

 तार तार त लऽसक स हइ। ब  द ब  द ब म ऽनह लगइ।।3।। 

 नदा क कनर कह कह ऽवर और नपऱयण   म ऽन और  स यसा ऽनवस करत  ह। सरयी  जाक कनर- कनर स  दर त लसा 

 क झ  ड - क- झ  ड बत स प    म ऽनय न लग रख ह।।3।। 

 प र सोभ िक बरऽन न जइ। बह र नगर परम ऽचऱइ।।  

 द खत प रा ऄऽखल ऄघ भग। बन ईपबन बऽपक तग।।4।। 

 नगर क शोभ तो कि कहा नह जता। नगर क बहर  भा परम  स दरत ह। ाऄयोयप रा क दशन करत हा सपी  ण पप भग  जत ह। [वह] वन   ईपवन बवऽलय और तलब सशोऽभत 

 ह।।4।। 

ि .-

 बप तग ऄनी  प कीप मनोहऱयत सोहह।   सोपन स  दर नार ऽनम ल द ऽख स र म ऽन मोहह।।  ब रग कज ऄन क खग कीजह मध प ग  जरह।। अऱम रय ऽपकद खग रव जन पऽथक ह करह।। 

Page 81: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 81/340

 

ऄन पम बवऽलय, तलब और मनोहर तथ ऽवशल   कए शोभ 

 द रह ह, ऽजनक   स दर [रक] साय और ऽनम ल जल 

 द खकर द वत और म ऽनतक मोऽहत हो   जत ह। [तलबम]ऄन क रगक कमल ऽखल रह ह, ऄन क पा पी  ज   रह ह और भर

 ग  जर कर रह ह। [परम] रमणाय बगाच कोयल अद   पऽयक [स दर बोला स] मनो ऱह चलन वल को ब ल रह ह।। 

 दो.- रमनथ जह ऱज सो प र बरऽन क जआ। 

ऄऽनमदक स ख स पद रह ऄवध सब िआ।।29।। 

 वय लमापऽत भगवन जह ऱज ह , ईस   नगर क कह वण न 

 कय ज   सकत ह ? ऄऽणम अद अठ ऽसऽय और समत  स ख - सपऽय ऄयोयम ि  रहा ह।।29।। 

 चौ.- जह तह नर रघ पऽत ग न गवह। ब ठ परपर आहआ  ऽसखवह।। 

भज नत ऽतपलक ऱमऽह। सोभ साल प ग न धमऽह।।1।। 

 लोग जह- तह ारघ नथजा क ग ण गत ह और ब ठकर एक  दी  सर को यहा साख   द त ह क शरणगतक पलन करन वल 

Page 82: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 82/340

 

ाऱमजा को भजो ; शोभ , शाल , प और   ग णक धम 

ारघ नथजा को भजो।।1।। 

 जलज ऽबलोचन यमल गतऽह। पलक नयन आव स वक  तऽह।। 

ध त सर ऽचर चप ती  नारऽह। स त कज बन रऽब रनधारऽह।।2।। 

 कमलनयन और स वल शरारवल को भजो। पलक ऽजस   कर 

 न  क र करत  ह, ईसा कर ऄपन स वक क र 

 करन वल को भजो। स दर बण , धन ष और   तरकस धरण 

 करन वल को भजो। स तपा कमलवनक [ऽखलन क] ऽलय 

 सी  य प   रणधार ाऱमजा को भजो।। 2।। 

 कल कऱल यल खगऱजऽह। नमत ऱम ऄकम ममत जऽह।।  

 लोभ मोह म गजी थ कऱतऽह। मनऽसज कर हर जन 

 स खदतऽह।।3।। 

 कलपा भयनक सप क भण करन वल ाऱमप गजाको भजो।  ऽनकमभवस णम करत हा ममतक नश करन वल ाऱमप कऱतको भजो।   कमद वपा हथा क ऽलय सहप 

 तथ स वकको सख द न वल ाऱमजाको  भजो।।3।। 

Page 83: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 83/340

 

 स सय सोक ऽनऽब तम भन ऽह। दन ज गहन घन दहन  कसन ऽह।। 

 जनकस त सम त रघ बारऽह। कस न भज भ जन भव भारऽह।।4।। 

 सशय और शोकपा घन ऄककर क नश करन वल ाऱमप  सी  य को भजो।  ऱसपा घन वनको जलन वल ाऱमप 

ऄऽ को भजो। जम -

 म य क भय को नश करन वल ाजनकजासम त ारघ वार को य नह भजत ?।।4।। 

 ब बसन मसक ऽहम ऱऽसऽह। सद एकरस ऄजद ऄऽबनऽसऽह।। 

 म ऽन रजन भ जन मऽह भरऽह। त लऽसदस क भ ऽह  ईदरऽह।।5।। 

 बत - सा वसन पा मिछरको नश करन वल ाऱमप 

 ऽहमऱऽश (बफ क   ढ र) को भजो। ऽनय एकरस , ऄजम और 

ऄऽवनशा ारघ नथजाको भजो।  म ऽनयको अनद द न वल,

 पवा क भर ईतरन वल और त लसादस क ईदर ( दयल)

 वमा ाऱमजाको भजो।। 5।। 

Page 84: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 84/340

 

 दो.- एऽह ऽबऽध नगर नर नर करह ऱम ग न गन। 

 सन कील सबह पर रहह स तत कपऽनधन।।30।। 

 आस कर नगर क ा - प ष ाऱमजा क   ग ण - गन करत ह और कपऽनधन  ाऱमजा सद सबपर ऄयत स रहत  

 ह।।30।। 

 चौ.- जब त ऱम तप खग स। ईदत भयई ऄऽत बल दन स।।  पी  र कस रह ई ऽत लोक। बत ह स ख बतन मन 

 सोक।।1।। 

[ ककभश ऽडजा कहत ह

-

] ह पऽऱज   गजा ! जबस  ऱमतपपा  ऄयत चड सी  य ईदत अ , तब स तान 

 लोक म पी  ण कश भर   गय ह। आसस बत को स ख और 

 बतक मनम शोक अ।।1।। 

 ऽजहऽह सोक त कहई बखना। थम ऄऽब ऽनस नसना।। ऄघ ईली  क जह तह ल कन। कम ोध करव सकचन।।2।। 

 ऽजन - ऽजनक शोक अ , ईह म बखनकर कहत    [सव  

 कश ि जन  स] पहल तो ऄऽवपा ऱऽ न हो गया।

Page 85: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 85/340

 

 पपपा ईली जह- तह ऽिप   गय और कम - ोधपा कम द 

 म   द गय।।2।। 

 ऽबऽबध कम ग न कल सभउ। ए चकोर स ख लहह न कउ।। 

 मसर मन मोह मद चोऱ। आह कर नर न कवऽन ओऱ।। 3।। 

भ ऽत -भ ऽत क [बधनकरक] कम, ग ण , कल और   वभव - य 

 चकोर ह, जो [ ऱमतपपा सी  य क कशम] कभा स ख नह 

 पत। मसर (डह) मन , मोह और मदपा जो चोर ह, ईनक 

 नर (कल) भा कसा ओर नह चल पत।।3।। 

धरम तग यन ऽबयन। ए प कज ऽबकस ऽबऽध नन।। 

 स ख स तोष ऽबऱग ऽबब क। ऽबगत सोक ए कोक ऄन क।।4।। 

धम पा तलब म न , ऽवन - य ऄन क कर क कमल 

 ऽखल   ईठ। स ख , स तोष , व ऱय और ऽवव क - य ऄन क चकव शोकरऽहत हो गय।।4।। 

 दो.- यह तप रऽब जक ईर जब करआ कस। 

 पऽिल बह थम ज कह त पवह नस।।31।। 

Page 86: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 86/340

 

 यह ाऱमतपपा सी  य ऽजसक दय म  जब कश करत ह,

 तब ऽजनक   वण न िपा स कय गय ह, व (धम, न , ऽवन ,

 स ख , स तोष , व ऱय और ऽवव क) ब जत ह और ऽजनक वण न 

 पहल कय गय ह, व (ऄऽव , पप , कम , ोध , कम, कल ,

 ग ण , वभव अद) नश को    होत (न हो जत) ह।।31।। 

 चौ.-तह सऽहत ऱम एक बऱ। स ग परम ऽय पवनकमऱ।।  

 स  दर ईपबन द खन गए। सब त कस ऽमत पलव नए।।1।। 

 एक बर भआयसऽहत ाऱमचजा परम ऽय   हन मन जा को 

 सथ ल कर   स दर ईपवन द खन गय। वह क सब व फील ए और नय पस य   थ।।1।। 

 जऽन समय सनकदक अए। त ज प  ज ग न साल स हए।। 

 न द सद लयलान। द खत बलक बकलान।।2।। 

 सऄवसर जनकर सनकद म ऽन अय, जो त जक प  ज   स दर ग ण 

और शालस य    तथ सद नद म लवलान रहत ह। द खन 

 म तो व बलक लगत ह; परत ह बत समय क ।।2।। 

Page 87: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 87/340

 

 प धर जन चरई ब द। समदरसा म ऽन ऽबगत ऽबभ द।। अस बसन यसन यह ऽतहह। रघ पऽत चरत होआ तह 

 स नह।।3।। 

 मनो चर व द हा बलकप धरण कय ह। व  म ऽन समदश और भ दरऽहत   ह। दशए हा ईनक व ह। ईनक एक हा सन  ह क जह ारघ नथजा क चर - कथ होता ह वह जकर व 

 ईस ऄवय स नत ह।।3।। 

 तह रह सनकद भवना। जह घटसभव म ऽनबर यना।।  ऱम कथ म ऽनबर ब बरना। यन जोऽन पवक ऽजऽम 

ऄरना।।4।। 

[ ऽशवजा कहत ह-] ह भवना ! सनकद म ऽन   वह गय थ (वह 

 स चल अ रह थ) जह ना म ऽन  ाऄगय जा रहत थ।

  म ऽन न ाऱमजा क बत - सा कथए वण न क थ , जो 

 न ईप करन म ईसा   कर समथ ह, ज स ऄरऽण लका स ऄऽ ईप होता ह।।4।। 

 दो.- द ऽख ऱम म ऽन अवत हरऽष द वत कह। 

 वगत पी    ऽि पात पट भ ब ठन कह दाह।।32।। 

Page 88: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 88/340

 

 सनकद म ऽनयको अत द खकर  ाऱमचजा न हषत होकर  दडवत क और   वगत (कशल) पी ि कर भ न [ईनक] ब ठन क

 ऽलय ऄपन पातबर ऽिब दय   ह।।32।। 

 चौ.- कह द डवत ताऽनई भइ। सऽहत पवनस त स ख ऄऽधकइ।।  म ऽन रघ पऽत िऽब ऄत ल ऽबलोक। भए मगन मन सक न 

 रोक।।1।। 

 फर हन मन जा सऽहत तान भआय न दडवत  क , सबको 

 ब स ख अ। म ऽन  ारघ नथजा क ऄत लनाय िऽव द खकर 

 ईसाम म हो गय। व मन को रोक न   सक।।1।। 

 यमल गत सरोह लोचन। स  दरत म दर भव मोचन।। 

 एकटक रह ऽनम ष न लवह। भ कर जोर सास नववह।।2।। 

 व जम - म य [क च] स िन वल, यमशरार , कमलनयन ,

 स दरत क धम ाऱमजा को टकटक लगय द खत हा रह गय,

 पलक नह मरत। और भ  हथ जो ऽसर नव रह ह।।2।। 

 ऽतह क दस द ऽख रघ बाऱ। वत नयन जल प लक सराऱ।।  

 कर गऽह भ म ऽनबर ब ठर। परम मनोहर बचन ईचर।।3।।

 

Page 89: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 89/340

 

 ईनक [ मऽवलल] दश द खकर [ईह क  भ ऽत] ारघ नथजा 

 क न  स भा [मक] जल बहन लग और शरार प लकत  हो गय। तदनतर भ न  हथ पककर   म ऽनय को ब ठय 

और परम मनोहर वचन कह-।।3। 

अज धय म स न म नास। त हर दरस जह ऄघ खास।। 

 ब भग पआब सतस ग। ऽबनह यस होह भव भ ग।।4।। 

 ह म नार ! स ऽनय, अज म धय । अपक दश न हा स [सर]

 पप   न हो जत ह। ब हा भय स सस ग क ऽ होता ह,

 ऽजसस ऽबन   हा परम जम -

 म य क च न हो जत  ह।।4।। 

 दो.- स त स ग ऄपबग कर कमा भव कर पथ। 

 कहह स त कऽब कोऽबद  ऽ प ऱन पद थ।।33।। 

 स तक स ग मो (भव - बधनस िीटन) क और   कमाक स ग 

 जम - म य क  बधनम पन क मग ह। स त , कऽव और पऽडत 

 तथ व द - प ऱण [अद] सभा   सथ ऐस कहत ह।।33।। 

Page 90: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 90/340

 

 चौ.- स ऽन भ बचन हरऽष म ऽन चरा। प लकत तन ऄत ऽत ऄन सरा।। 

 जय भगव त ऄन त ऄनमय। ऄनघ ऄन क एक कनमय।।1।। 

 भ क वचन स नकर चर म ऽन हषत होकर , प लकत शरार स 

 त ऽत करन  लग- ह भगवन अपक जय हो। अप ऄतरऽहत ,

 पपरऽहत ऄन क (सब पम  कट), एक (ऄऽताय) और 

 कणमय ह।।1। 

 जय ऽनग   न जय जय ग न सगर। स ख म दर स  दर ऄऽत नगर।। 

 जय आदऱ रमन जय भी धर। ऄन पम ऄज ऄनद सोभकर।।2।। 

 ह ऽनग   ण ! अपक जय हो। ह ग ण क सम ! अपक जय हो ,

 जय हो। अप स ख   क धम [ऄयत] स दर और ऄऽत चत र ह। ह  लमापऽत ! अपक जय हो। ह  पवा क धरण करन वल !अपक जय हो। अप ईपमरऽहत ऄजम ऄनद और  शोभक 

 खन ह।।2।। 

 यन ऽनधन ऄमन मनद। पवन स जस प ऱन ब द बद।। 

 तय कतय ऄयत भ जन। नम ऄन क ऄनम ऽनरजन।।3।। 

Page 91: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 91/340

 

अप न क भडर , [ वय] मनरऽहत और [ दी  सर को] मन 

 द न वल ह।  व द और प ऱण अपक पवन स दर यश गत ह।

अप तव क जनन वल, क   इ स व को मनन वल और ऄन क नश करन वल ह। ह ऽनरजन ( मयरऽहत) ! अपक

ऄन क (ऄनत) नम ह और कोइ नम नह ह (ऄथ त अप   सब 

 नम क पर ह)।।3।। 

 सब सब गत सब ईऱलय। बसऽस सद हम क परपलय।।   द ऽबपऽत भव फद ऽबभ जय। द बऽस ऱम कम मद 

 ग जय।।4।। 

अप सव प ह, सबम ह और सब क   दयपा घरम सद  ऽनवस करत ह; [ऄतः] अप हमऱ परपलन कऽजय । [ ऱग -

  ष ,ऄन कीलत - ऽतकीलत , जम - म य अद]  , ऽवपऽ और  

 जम - म य क जल को कट दाऽजय। ह ऱमजा ! अप हमर

 दय म बसकर कम  और मद क नश कर दाऽजय।।4।। 

 दो.- परमन द कपयतन मन परपी  रन कम। 

  म भगऽत ऄनपयना द  हमऽह ाऱम।। 34।। 

Page 92: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 92/340

 

अप परमनदवप कपक धम और मनक   कमनको  परपी  ण करन वल ह।  ह ाऱमजा ! हमको ऄपना ऄऽवचल  म 

भऽ दाऽजय।।34।। 

 चौ.- द  भगऽत रघ पऽत ऄऽत पवऽन। ऽऽबऽध तप भव दप  नसवऽन। 

 नत कम स रध न कलपत। होआ स दाज भ यह ब।।1।। 

 ह रघ नथजा ! अप हम ऄपना ऄयत पऽव   करन वला और  तान कर क  तप और जम - मरणक लश क नश  करन वला भऽ दाऽजय। ह शरणगतक   कमन पी  ण करन क ऽलय कमध न और कपव प भो ! स होकर   हम यहा 

 वर दाऽजय।।1।। 

भव बरऽध क  भज रघ नयक। स वत स लभ सकल स ख दयक।। 

 मन सभव दन द ख दरय। दानबध समत ऽबतरय।।2।। 

 ह रघ नथजा ! अप जम - म य प सम  को   सोखन क ऽलय ऄगय म ऽनक  समन ह। अप स व करन म स लभ ह तथ सब  स ख क द न वल ह ह  दानबध ! मन स ईपय दण दःखक 

 नश कऽजय और [हमम]  समद ऽ क ऽवतर कऽजय।।2।। 

Page 93: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 93/340

 

अस स आरषद ऽनवरक। ऽबनय ऽबब क ऽबरऽत ऽबतरक।। 

भी  प मौऽल मऽन म डन धरना। द ऽह भगऽत स स ऽत सर तरना।।3।। 

अप ]ऽवषयक] अश , भय और इय अद क   ऽनवरण 

 करन वल ह तथ ऽवनय , ऽवव क और व ऱय ऽवतर करन वल 

 ह। ह ऱज क ऽशरोमऽण एव पवा   क भी  षण ाऱमजा ! स स ऽत (जम - म य क वह) पा नदाक ऽलय  नौकप ऄपना 

भऽ दन कऽजय।।3।। 

 म ऽन मन मनस ह स ऽनरतर। चरन कमल ब दत स कर।।  रघ कल कत स त  ऽत रिछक। कल करम सभई ग न 

भिछक।।4।।

 

 ह म ऽनय क मन पा मनसरोवर म ऽनरतर   ऽनवस करन वल  ह स ! अपक  चरणकमल जा और ऽशवजा ऱ वऽदत ह ।

अप रघ कलक कत, व दमय द क ऱक और कल कम वभव 

 तथ ग ण [प बधन] क भक ( नशक) ह।।4।। 

 तरन तरन हरन सब दी  षन। त लऽसदस भ ऽभ वन भी  षन।।5।। 

Page 94: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 94/340

 

अप तरन - तरन (वय तर ए और दी  सरको   तरन वल) तथ ऄपन सब दोषको   हरन वल ह। तान लोकक ऽवभी  षण अप हा 

 त लसादस क वमा ह।।5।। 

 दो.- बर बर ऄत ऽत कर  म सऽहत ऽस नआ। 

  भवन सनकदक ग ऄऽत ऄभा बर पआ।।35।। 

  मसऽहत बर - बर त ऽत करक और ऽसर नवकर   तथ ऄपन ऄयत मनचह वर   पकर सनकद म ऽन लोकको 

 गय।।35।। 

 चौ.- सनकदक ऽबऽध लोक ऽसधए। तह ऱम चरन ऽस  नए।।  पी ि त भ ऽह सकल सकचह। ऽचतवह सब मतस त 

 पह।।1।। 

 सनकद म ऽन लोकको चल गय। तब  भआयन ाऱमजाक चरणम ऽसर   नवय। सब भइ भ स पी ि त सकचत ह।

[आसऽलय] सब हन मन जा क ओर   द ख रह ह।।1।। 

 स ना चहह भ म ख क बना। जो स ऽन होइ सकल म हना।। 

ऄ तरजमा भ सभ जन। बी  झत कह कह हन मन।।2।। 

Page 95: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 95/340

 

 व भ क ाम ख क वणा स नन चहत ह, ऽजस स नकर सर

म क   नश हो जत ह। ऄतय मा भ सब जन गय और  पी ि न लग- कहो , हन मन ! य बत ह ?।।2।। 

 जोर पऽन कह तब हन म त। स न दानदयल भगव त।। 

 नथ भरत िक पी  ि न चहह। करत मन सकचत ऄहह।।3।। 

 तब हन मन जा हथ जोकर बोल- ह दानदयल भगवन !

 स ऽनय। ह नथ ! भरतजा कि पी ि न चहत ह, पर करत 

 मनम सकच रह ह।।3।। 

 त ह जन कऽप मोर सभउ। भरतऽह मोऽह िक ऄ तर कउ।।  स ऽन भ बचन भरत गह चरन। स न नथ नतरऽत 

 हरन।।4।। 

[भगवन न कह -] हन मन ! त म तो म ऱ   वभव जनत हा हो।

भरत क और   म र बाचम कभा भा कोइ ऄतर (भ द) ह ? भ क

 वचन स नकर भरतजान ईनक  चरण पक ऽलय [और कह -] ह 

 नथ ! ह शरणगतक दःखको हरन वल !  स ऽनय।।4।। 

Page 96: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 96/340

 

 दो.- नथ न मोऽह स द ह िक सपन  सोक न मोह। 

 कवल कप त हरऽह कपन द स दोह।।36।। 

 ह नथ ! न तो कि सद ह ह और न वम भा शोक और मोह  ह। ह कप और  अनदक समी  ह ! यह कवल अपक हा कपक 

 फल ह।।36।। 

 चौ.- करई कपऽनऽध एक ढठइ। म स वक त ह जन स खदइ।। 

 स तह क मऽहम रघ ऱइ। ब ऽबऽध ब द प ऱनह गइ।। 1।। 

 तथऽप ह कपऽनधन ! म अपस एक ध त   करत । म स वक   और अप   स वक को स ख द न वल ह [आसस म रा ध तको म  कऽजय और म र   क ईर द कर स ख दाऽजय]। ह रघ नथजा 

! व द प ऱण न स त क   मऽहम बत कर स गया ह।।1।। 

ाम ख त ह प ऽन कऽह बइ। ऽतह पर भ ऽह ाऽत ऄऽधकइ।।  स न चहई भ ऽतह कर लिछन। कपसध ग न यन 

 ऽबचिछन।।2।। 

अपन भा ऄपन ाम खस ईनक बइ क ह और   ईनपर भ (अप) क  म भा   बत ह। ह भो ! म ईनक लण स नन 

Page 97: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 97/340

 

 चहत । अप कपक सम    ह और ग ण तथ नम ऄयत 

 ऽनप ण ह।।2।। 

 स त ऄस त भ द ऽबलगइ। नतपल मोऽह कह ब झइ।। 

 स तह क लिछन स न त। ऄगऽनत  ऽत प ऱन ऽबयत।। 3।। 

 ह शरणगत क पलन करन वल ! स त और ऄस त क भ द ऄलग -ऄलग करक म झको समझकर   कऽहय। [ाऱमजान कह -] ह भइ ! स त क लण (ग ण) ऄस य ह, जो   व द और प ऱण म  

 ऽस ह।।3।। 

 स त ऄस तऽह क ऄऽस करना। ऽजऽम क ठर च दन अचरना।।  कटआ परस मलय स न भइ। ऽनज ग न द इ स गध बसइ।।4।। 

 स त और ऄस त क करना ऐसा ह ज स कहा  और चदन क 

अचरण होत ह।  ह भइ ! स नो , क हा चदन को कटता ह 

[यक ईसक वभव य कम   हा वको कटन ह]; कत  चदन [ऄपन  वभववश] ऄपन ग ण द कर ईस ( कटन वला 

 क हाको) स गध स स वऽसत कर द त ह।।4।। 

Page 98: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 98/340

 

 दो.- तत स र सासह चत जग बलभ ाख ड। 

ऄनल दऽह पाटत घनह परस बदन यह द ड।।37।। 

 आसा ग णक करण चदन द वत क ऽसर पर   चत ह और  जगत क ऽय हो रह ह और क हा क म खको यह दड  ऽमलत   ह क ईसको अग म जलकर फर   घन स पाटत 

 ह।।37।। 

 चौ.- ऽबषय ऄल पट साल ग नकर। पर द ख द ख स ख स ख द ख  पर।। 

 सम ऄभी  तरप ऽबमद ऽबऱगा। लोभमरष हरष भय यगा।। 1। 

 स त ऽवषय म ल पट (ऽल) नह होत, शाल  और सग णक 

 खन होत ह।  ईह पऱय द ःख द खकर दःख और स ख द खकर 

 स ख होत ह। व [सबम, सव  , सब समय] समत रखत ह, ईनक

 मन कोइ ईनक श नह ह, व मदस  रऽहत और व ऱयवन होत 

 ह तथ लोभ , ोध हष और भयक यग कय ए   रहत ह।।1।। 

 कोमलऽचत दानह पर दय। मन बच म मम भगऽत ऄयम।। 

 सबऽह मनद अप ऄमना। भरत न सम मम त ना।।2।। 

Page 99: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 99/340

 

 ईनक ऽच ब कोमल होत ह। व दानपर   दय करत ह तथ 

 मन , वचन और   कम स म रा ऽनकपट (ऽवश ) भऽ करत ह।

 सबको समन द त ह, पर   वय मनरऽहत होत ह। ह भरत ! व  णा (स तजन) म र णक समन   ह।।2।। 

 ऽबगत कम मम नम पऱयन। स ऽत ऽबरऽत ऽबनता म दतयन।। 

 सातलत सरलत मया। ऽज पद ाऽत धम जनया।।3।। 

 ईनको कोइ कमन नह होता। व म र नम क  पऱयण होत ह।

शऽत , व ऱय , ऽवनय और सतक घर होत ह। ईनम 

शातलत , सरलत , सबक  ऽत ऽमभव और णक चरणम 

 ाऽत होता ह, जो धम को   ईप करन वला ह।।3।। 

 ए सब लिछन बसह जस ईर। जन  तत स त स तत फ र।।  सम दम ऽनयम नाऽत नह डोलह। पष बचन कब नह 

 बोलह।।4।। 

 ह तत ! य सब लण ऽजसक दय म बसत  ह , ईसको सद 

 स स त जनन।  जो शम (मनक ऽनह), दम , ( आऽय क

 ऽनह), ऽनयम और नाऽत स कभा   ऽवचऽलत नह होत और म ख 

 स कभा कठोर वचन नह बोलत;।।4।। 

Page 100: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 100/340

 

 दो.- नद ऄत ऽत ईभय सम ममत मम पद कज। 

 त सन मम नऽय ग न म दर स ख प  ज।।38।। 

 ऽजह ऽनद और त ऽत (बइ) दोन समन   ह और म र

 चरणकमल म ऽजनक ममत ह, व ग ण क धम और स ख क 

 ऱऽश   स तजन म झ ण क समन   ऽय ह।।38।। 

 चौ.- स न ऄस तह कर सभउ। भी  ल  स गऽत करऄ न कउ।। 

 तह कर स ग सद द खदइ। ऽजऽम कऽपलऽह धलआ हरहइ।।1।। 

ऄब ऄस त (द ) क वभव स नो ; कभा  भी  लकर भा ईनक  स गऽत नह करना   चऽहय। ईनक स ग सद दःख द न वल होत  ह। ज स हरहइ (ब रा जऽतक)  गय कऽपल (साधा और दधर)

 गयको ऄपन स ग स न कर डलता ह।।1। 

 खलह दय ऄऽत तप ऽबस षा। जरह सद पर स पऽत द खा।। 

 जह क नद स नह पऱइ। हरषह मन परा ऽनऽध पइ।।2।। 

 द  क दय म बत ऄऽधक स तप रहत ह।  व पऱइ सपऽ (स ख)  द खकर सद जलत रहत ह। व जह कह दी  सर क ऽनद 

Page 101: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 101/340

 

 स न पत ह, वह ऐस हषत होत ह मनो ऱत म पा ऽनऽध 

(खजन) प ला हो।।2।। 

 कम ोध मद लोभ पऱयन। ऽनद य कपटा क टल मलयन।। 

 बय ऄकरन सब क स। जो कर ऽहत ऄनऽहत त स।।3।। 

 व कम ोध , मद और लोभ क पऱयण तथ   ऽनद या , कपटा , क टल और पप क घर   होत ह। व ऽबन हा करण सब कसा स  व र कय करत ह। जो भलइ करत ह  ईसक सथ भा ब ऱइ 

 करत ह।।3।। 

 झी  ठआ ल न झी  ठआ द न। झी  ठआ भोजन झी  ठ चब न।।  बोलह मध र बचन ऽजऽम मोऱ। खआ मह ऄऽह दय 

 कठोऱ।। 4।। 

 ईनक झी  ठ हा ल न और झी  ठ हा द न होत ह।  झी  ठ हा भोजन 

 होत ह और झी  ठ   हा चब न होत ह। (ऄथ त व ल न- द न क वहरम झी  ठक अय ल कर   दी  सरो क हक मर लत ह ऄथ 

 झी  ठा डग ह क करत ह क हमन लख   पय ल ऽलय, करो 

 क दन कर दय। आसा कर खत ह चन क रोटा और   कहत ह  क अज खी  ब मल खकर अय। ऄथव चब न चबकर रह जत 

 ह और कहत  ह हम बय भोजन स व ऱय ह , आयद। मतलब 

Page 102: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 102/340

 

 यह क व सभा बत म  झी  ठ हा बोल करत ह)। ज स मोर [बत 

 माठ बोलत ह, परत ईस] क   दय ऐस कठोर होत ह क 

 वह महन ऽवष ल स पको भा ख जत ह। व स  हा व भा उपर  स माठ वचन बोलत ह [परत दय क ब हा ऽनद या होत 

 ह।।4।। 

 दो.- पर ोहा पर दर रत पर धन पर ऄपबद। 

 त नर प वर पपमय द ह धर मन जद।।39।। 

 व दी  सर स ोह करत ह और पऱया ा   पऱय धन तथ पऱया   ऽनद म अस रहत ह। व पमर और पपमय मन य नर -

शरार धरण कय ए   ऱस हा ह ।।39।। 

 चौ.- लोभआ ओन लोभआ डसन। ऽसोदर पर जमप र स न।। 

 क क ज स नह बइ। वस ल ह जन जी  ा अइ।।1।। 

 लोभ हा ईनक ओन और लोभ हा ऽिबौन होत ह (ऄथ त  लोभहा स सद ऽघर ए रहत ह)। व पश क समन अहर 

और   मथ नक हा पऱयण होत ह, ईह यम प र क भय नह 

 लगत। यद कसाक बइ स न पत ह, तो व ऐसा [ दःखभरा]

 स स ल त ह, मनो जी  ा अ गया हो।।1।। 

Page 103: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 103/340

 

 जब क क द खह ऽबपता। स खा भए मन जग न पता।। 

 वरथ रत परवर ऽबरोधा। ल पट कम लोभ ऄऽत ोधा।।2।। 

और जब कसाक ऽवपऽ द खत ह, तब ऐस स खा   होत ह मनो 

 जगत भर क ऱज हो गय ह। व वथ पऱयण , परवखलक 

 ऽवरोधा कम और लोभक करण   ल पट और ऄयत ोधा होत  ह।।2।। 

 मत ऽपत ग र ऽब मनह। अप गए ऄ धलह अनह।। 

 करह मोह बस ोह पऱव। स त स ग हर कथ न भव।।3।। 

 व मत , ऽपत , ग  और ण कसा को   नह मनत। अप तो 

 न ए हा   रहत ह, [ सथ हा ऄपन स गस] दी  सरको भा न 

 करत ह। मोहवश दी  सरस  ोह करत ह। ईह स तक स ग ऄिछ 

 लगत ह, न भगवन क कथ हा   स हता ह।।3।। 

ऄवग न सध म दमऽत कमा। ब द ऽबदी  षक परधन वमा।। 

 ऽब ोह पर ोह ऽबस ष। दभ कपट ऽजय धर स ब ष।।4।। 

Page 104: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 104/340

 

 व ऄवग ण क सम  , मदब ऽ , कमा ( ऱगय ), व दक ऽनदक 

और   जबद ता पऱय धनक वमा (ली  टन वल) होत ह। व दी  सर 

 स ोह तो   करत हा ह; परत ण - ोह ऽवश षतस करत ह। ईनक दय म  दभ और कपट भऱ रहत ह , परत व [उपरस]

 स दर व ष धरण कय रहत  ह।।4।। 

 दो.-

 ऐस ऄधम मन ज खल कतज ग  त नह।  पर िकक ब  द ब होआहह कऽलज ग मह।।40।। 

 ऐस नाच और द  मन य सयय ग और    त म नह होत पर 

 म थो- स होग और कऽलय गम तो आनक झ  ड - क- झ  ड हग।।40।। 

 चौ.- पर ऽहत सरस धम नह भइ। पर पा सम नह ऄधमइ।। 

 ऽनन य सकल प ऱन ब द कर। कह ई तत जनह कोऽबद नर।।1।। 

 ह भइ ! दी  सर क भलइ क समन कोइ धम  नह ह और दी  सर  को दःख   प चन क समन कोइ नाचत (पप) नह ह। ह तत ! समत प ऱण और   व दक यह ऽनण य (ऽनऽत ऽस त) म न 

 त मस कह ह, आस बतको   पऽडत लोग जनत ह।।1।। 

Page 105: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 105/340

 

 नर सरार धर ज पर पाऱ। करह त सह मह भव भाऱ।।  

 करह मोह बस नर ऄघ नन। वरथ रत परलोक नसन।।2।। 

 मन य क शरार धरण करक जो लोग दी  सरको   दःख प चत ह,

 ईनको   जम - म य क महन स कट सहन पत ह। मन य मोहवश 

 वथ पऱयण   होकर ऄन क पप करत ह, आसा स ईनक परलोक 

 न अ रहत ह।।2।। 

 कलप ऽतह कह म त। सभ ऄ ऄसभ कम फल दत।। 

ऄस ऽबचर ज परम सयन। भजह मोऽह स स त द ख जन।।3।। 

 ह भइ ! म ईनक ऽलय कलप (भय कर)  और ईनक ऄिछऔर ब र कम   क [यथयोय] फल द न वल ! ऐस ऽवचर कर 

 जो लोग परम चत र ह, व  स सर [क वह] को दःखप जनकर 

 म झ हा भजत ह।।3।। 

 यगह कम सभसभ दयक। भजह मोऽह स र नर म ऽन  नयकी।। 

 स त ऄस तह क ग न भष। त न परह भव ऽजह लऽख ऱख ।।4।। 

Page 106: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 106/340

 

 आसा स व शभ और ऄशभ फल द न वल कम को   यग कर 

 द वत , मन य और   म ऽनय क नयक म झको भजत ह। [आस 

 कर] म न स त और ऄस तक ग ण   कह। ऽजन लोग न आन  ग णको समझ रख ह, व जम - मरण क चर म नह   पत 

।।4।। 

 दो.- स न तत मय कत ग न ऄ दोष ऄन क।। 

 ग न यह ईभय न द ऽखऄह द ऽखऄ सो ऄऽबब क।।41।। 

 ह तत ! स नो , मय स हा रच ए ऄन क (सब)  ग ण और दोष ह 

(आनक कोइ   वतऽवक स नह ह)। ग ण (ऽवव क) आसा म ह 

 क दोन हा न द ख  जय, आह द खन यहा ऄऽवव क ह।।41।। 

 चौ.-ाम ख बचन स नत सब भइ। हरष  म न दय समइ।। 

 करह ऽबनय ऄऽत बरह बऱ। हनी  मन ऽहय हरष ऄपऱ।। 1।। 

भगवन क ाम ख स य वचन स नकर सब भइ   हषत हो गय।  म ईनक  दय म समत नह। व बर - बर ऽवनता करत ह।

 ऽवश षकर हन मन जा क  दय म ऄपर हष ह।।1।। 

Page 107: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 107/340

 

 प ऽन रघ पऽत ऽनज म दर गए। एऽह ऽबऽध चरत करत ऽनत नए।। 

 बर बर नरद म ऽन अवह। चरत प नात ऱम क गवह।। 2।। 

 तदनतर ाऱमचजा ऄपन महलको गय। आस   कर व ऽनय  नया लाल   करत ह। नरद म ऽन ऄयोय म बर - बर अत ह 

और अकर ाऱमजा क   पऽव चर गत ह।।2।। 

 ऽनत नव चरत द ऽख म ऽन जह। लोक सब कथ कहह।।  स ऽन ऽबरऽच ऄऽतसय स ख मनह। प ऽन प ऽन तत कर ग न 

 गनह।।3।। 

 म ऽन यह स ऽनय नय- नय चर द खकर   जत ह और लोक  म जकर   सब कथ कहत ह। जा स नकर ऄयत स ख मनत  ह [और कहत ह-]  ह तत ! बर - बर ाऱमजाक ग णक गन 

 करो।।3।। 

 सनकदक नरदऽह सऱहह। जऽप ऽनरत म ऽन अहह।।  स ऽन ग न गन समऽध ऽबसरा। सदर स नह परम 

ऄऽधकरा।।4।। 

 सनकद म ऽन नरद जा सऱहन करत ह। यऽप   व (सनकद)

 म ऽन   ऽन ह, परत ाऱमजाक ग णगन स नकर व भा 

Page 108: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 108/340

 

ऄपना   समऽधको भी  ल जत ह और अदरपी  व क ईस स नत ह।

 व [ऱमकथ   स नन क]   ऄऽधकरा ह।।4।। 

 दो.- जावनम  पर चरत स नह तऽज यन।। 

 ज हर कथ न करह रऽत ऽतह क ऽहय पषन।।42।। 

 सनकद म ऽन - ज स जावम  और ऽन   प ष भा यन (समऽध) ि ोकर ाऱमजाक चर स नत ह। यह जनकर  कर भा जो ाहर क कथ   स  म नह करत, ईनक दय 

[सचम च हा] पथर [क समन] ह।।42।। 

 चौ.-

 एक बर रघ नथ बोलए। ग र ऽज प रबसा सब अए।।  ब ठ ग र म ऽन ऄ ऽज सन। बोल बचन भगत भव भ जन।।1।। 

 एक बर ारघ नथजाक ब लय ए ग    वऽसजा , ण और 

ऄय सब   नगरऽनवसा सभम अय। जब ग  , म ऽन , ण तथ 

ऄय सब सन यथ   योय ब ठ गय, तब भक जम - मरणको 

 ऽमटन वल ाऱमजा वचन   बोल-।।1।। 

Page 109: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 109/340

 

 स न सकल प रजन मम बना। कहई न कि ममत ईर अना।।  नह ऄनाऽत नह िक भ तइ। स न कर जो त हऽह 

 सोहइ।।2।। 

 ह समत नगर ऽनवऽसय ! म रा बत स ऽनय।  यह बत म दय  म कि ममत   लकर नह कहत । न ऄनाऽत क बत हा  करत और न आसस कि भ त हा   ह आसऽलय [स कोच और 

भय िोकर यन द कर] म रा बत को स न लो और [फर]  यद  त ह ऄिछा लग, तो ईनक ऄन सर करो !।।2।। 

 सोआ स वक ऽयतम मम सोइ। मम ऄन ससन मन जोइ।। 

 ज ऄनाऽत िक भष भइ। तौ मोऽह बरज भय ऽबसऱइ।। 3।। 

 वहा म ऱ स वक ह और वहा ऽयतम ह, जो म रा  अ मन। ह 

भइ ! यद   म कि ऄनाऽत क बत क तो भय भ लकर 

(ब खटक) म झ रोक द न।।3।। 

 ब भग मन ष तन पव। स र द लभ सब थऽह गव।। 

 सधन धम मोिछ कर ऱ। पआ न ज ह परलोक स वऱ।। 4।। 

 ब भय स यह मन य -शरार ऽमल ह। सब   थ न यहा कह 

 ह क यह  शरार द वत को भा द लभ ह (कठनतस ऽमलत 

Page 110: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 110/340

 

 ह)। यह सधन क धम और   मो क दरवज ह। आस पकर भा 

 ऽजसन परलोक न बन ऽलय ,।।4।। 

 दो.- सो पर द ख पवआ ऽसर ध ऽन ध ऽन पऽितआ। 

 कलऽह कम ऽह इवरऽह ऽमय दोस लगआ।।43।। 

 वह परलोक म दःख पत ह, ऽसर पाट - पाटकर   िपतत ह तथ 

[ऄपन दोष न   समझकर] कल पर , कम पर और इरपर 

 ऽमय दोष लगत ह।।43।। 

 चौ.- एऽह तन कर फल ऽबषय न भइ। वग ई वप ऄ त 

 द खदइ।।  नर तन पआ ऽबषय मन द ह। पलट सध त सठ ऽबष ल ह।।1। 

 ह भइ ! आस शरार को होन क फल   ऽवषयभोग नह ह।[आस जगत क भोग क तो बत हा य] वग क भोग भा बत 

थो ह और ऄत म  दःख द न वल ह। ऄतः जो लोग मन य शरार पकर ऽवषय म मन लग द त  ह, व मी  ख ऄम त को 

 बदलकर ऽवष ल ल त ह।।1।। 

Page 111: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 111/340

 

 तऽह कब भल कहआ न कोइ। ग  ज हआ परस मऽन खोइ।। अकर चर लिछ चौऱसा। जोऽन मत यह ऽजव 

ऄऽबनसा।।2।। 

 जो परसमऽण को खोकर बदल म घ   घचा ल ल त   ह, ईसको कभा 

 कोइ भल ( ब ऽमन) नह कहत। यह ऄऽवनशा जाव [ऄडज ,

 व दज , जऱय ज और   ईऽ] चर खन और चौऱसा लख 

 योऽनय म चर लगत रहत ह।।2।। 

 फरत सद मय कर  ऱ। कल कम सभव ग न घ ऱ।।  

 कब क कर कन नर द हा। द त इस ऽबन ह त सनहा।।3।। 

 मय क  रण स कल , कम, वभव और ग ण   स ऽघऱ अ 

(आनक वशम अ)  यह सद भटकत रहत ह। ऽबन हा करण   ह करन वल इर कभा ऽवरल हा   दय करक आस मन यक 

शरार द त ह।।3।। 

 नर तन भव बरऽध क ब रो। सम ख मत ऄन ह म रो।। 

 करनधर सग र द  नव। द लभ सज स लभ कर पव।।4।। 

Page 112: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 112/340

 

 यह मन य क शरार भवसगर [स तरन] क ऽलय ( जहज) ह।

 म रा कप हा  ऄन कील वय ह। सग  आस मजबी  त जहज क

 कणधर (ख न वल) ह। आस   कर द लभ (कठनतस ऽमलन वल) सधन स लभ होकर (भगवकपस सहज हा)  ईस हो गय 

 ह,।।4।। 

 दो.- जो न तर भव सगर नर समज ऄस पआ। 

 सो कत नदक म दमऽत अमहन गऽत जआ।।44।। 

 जो मन य ऐस सधन पकर भा भवसगर स न तर, वह कत 

और मद - ब ऽ ह और अमहय करन वल क गऽत को  

 होत ह।।44

।। 

 चौ.- ज परलोक आह स ख चह। स ऽन मम बचन दय द   गह।। 

 स लभ स खद मरग यह भइ। भगऽत मोर प ऱन  ऽत गइ।।1।। 

 यद परलोक म और [यह दोन] स ख जगह चहत  हो , तो म र

 वचन स नकर   ईह दय म द तस पक रखो। ह भइ ! यह 

 म रा भऽ क मग  स लभ और स खदयक ह, प ऱण और वदन  

 आस गय ह।।1।। 

Page 113: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 113/340

 

 यन ऄगम यी  ह ऄन क। सधन कठन न मन क टक।। 

 करत क ब पवआ कोउ। भऽ हान मोऽह ऽय नह सोउ।।2।। 

 न ऄगम (द ग म) ह, [और] ईसक ऽ   म ऄन क ऽव ह।

 ईसक   सधन कठन ह और ईसम मनक ऽलय कोइ अधर नह 

 ह। बत क करन पर कोइ   ईस प भा ल त ह, तो वह भा 

भऽरऽहत होन स म झको ऽय नह होत।।2।। 

भऽ स त  सकल स ख खना। ऽबन सतस ग न पवह ना।। 

 प य प  ज ऽबन ऽमलह स त। सतस गऽत स स ऽत कर ऄ त।।3।। 

भऽ वत  ह और सब स ख क खन ह।  परत सस ग (स तोक स ग) क  ऽबन णा आस नह प सकत। और प यसमी  हक ऽबन  स त नह ऽमलत।  सस गऽत हा स स ऽत (जम - मरणक च) क 

ऄत करता ह।।3।। 

 प य एक जग म नह दी  ज। मन म बचन ऽब पद पी  ज।। 

 सन कील त ऽह पर म ऽन द व। जो तऽज कपट करआ ऽज स व।।4।। 

Page 114: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 114/340

 

 जगत म प य एक हा ह, [ ईसक समन] दी  सऱ   नह। वह ह- मन ,

 कम और वचन   स ण क चरणक पी  ज करन। जो कपटक 

 यग करक ण क   स व करत ह ईस पर म ऽन और द वत  स रहत ह।।4।। 

 दो.-औरई एक ग प त मत सबऽह कहई कर जोर। 

 स कर भजन ऽबन नर भगऽत न पवआ मोर।।45।। 

और भा एक ग  मत ह, म सबस हथ जोकर   कहत क 

श करजा क भजन ऽबन   मन य म रा भऽ नह पत।।45।। 

 चौ.- कह भगऽत पथ कवन यस। जोग न मख जप तप  ईपवस।। 

 सरल सभव न मन क टलइ। जथ लभ स तोष सदइ।।1।। 

 कहो तो , भऽमग म कौन - स परम ह ? आसम न योगक 

अवयकत ह, न   य जप तप और ईपवस क ! [यह आतन हा 

अवयक ह क] सरल वभव हो , मनम क टलत न हो जो कि 

 ऽमल ईसाम सद सतोष रख।।1।। 

Page 115: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 115/340

 

 मोर दस कहआ नर अस। करआ तौ कह कह ऽबवस।। 

 बत कहई क कथ बइ। एऽह अचरन बय म भइ।।2।। 

 म ऱ दस कहलकर यद कोइ मन य क अश करत   ह, तो 

 त ह कहो , ईसक  य ऽवस ह ? (ऄथ त ईसक म झपर 

अथ बत हा ऽनब ल ह)। बत   बत बकर य क ?

भआय ! म तो आसा अचरण क वश म ।।2।। 

 ब र न ऽबह अस न स। स खमय तऽह सद सब अस।। 

ऄनरभ ऄऽनकत ऄमना।। ऄनघ ऄरोष दिछ ऽबयना।।3।। 

 न कसा स व र कर, न लइ - झग कर, न अश   रख, न भय 

 हा कर। ईसक  ऽलय सभा दशए सद स खमया ह। जो कोइ भा 

अरभ (फलक आिछस कम)  नह करत , ऽजसक कोइ ऄपन 

 घर नह ह (ऽजसक घरम ममत नह ह); जो   मनहान पपहान 

और ोधहान ह, जो [भऽ करन म] ऽनप ण और ऽवनवन  ह।।3।। 

 ाऽत सद सन स सग। त न सम ऽबषय वग ऄपबग।। 

भगऽत पिछ हठ नह सठतइ। द  तक सब दी  र बहइ।।4।। 

Page 116: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 116/340

 

 स तजनो क स सग (सस ग) स ऽजस सद  म   ह, ऽजसक मन म 

 सब ऽवषय   यह तक क वग और म ऽतक [भऽक समन] त णक समन ह, जो भऽक  पम हठ करत ह, पर [दी  सरक

 मतक खडन करन क] मी  ख त नह करत   तथ ऽजसन सब 

 कतक को दी  र बह दय ह।।4।। 

 दो.- मम ग न म नम रत गत ममत मद मोह। 

 त कर स ख सोआ जनआ परमन द स दोह।।46।। 

 जो म र ग णसमी  ह क और म र नम   क पऱयण   ह, एव ममत ,

 मद और मोहस  रऽहत ह, ईसक स ख वहा जनत ह, जो [परममप परमनदऱऽशको    ह।।46।। 

 चौ.- स नत सधसम बचन ऱम क। गह सबऽन पद कपधम क।। 

 जनऽन जनक ग र बध हमर। कप ऽनधन न त यर।।1।। 

ाऱमचजाक ऄम त क समन वचन स नकर   सबन कपधमक

 चरण पक ऽलय। [और कह -] ह कपऽनधन ! अप हमर

 मत , ऽपत , ग  , भइ सब कि ह और   णस भा ऄऽधक ऽय 

 ह।।1।। 

Page 117: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 117/340

 

 तन धन धम ऱम ऽहतकरा। सब ऽबऽध त ह नतरऽत हरा। 

ऄऽस ऽसख त ह ऽबन द आ न कोउ। मत ऽपत वरथ रत ओउ।।2।। 

और ह शरणगत क दःख हरन वल ऱमजा ! अप   हा हमर

शरार , धन , घर - र  और सभा कर क ऽहत करन वल ह। ऐसा 

 ऽश अपक ऄऽतर कोइ नह द  सकत। मत - ऽपत [ऽहत षा  ह औऱ ऽश नह द त] ।।2।। 

 ह त रऽहत जग ज ग ईपकरा। त ह त हर स वक ऄस ऱरा।।  

 वरथ मात सकल जग मह। सपन  भ परमरथ नह।।3।।

 

 ह ऄस र क श ! जगत म ऽबन ह त क ( ऽनःवथ) ईपकर 

 करन वल  तो दो हा ह- एक अप , दी  सर अपक स वक। जगत म 

[श ष] सभा वथ ऽम   ह। ह भो ! ईनम व म भा परमथ 

 क भव नह ह।।3।। 

 सब क बचन  म रस सन। स ऽन रघ नथ दय हरषन।।  ऽनजद ऽनज ग ह गए अयस पइ। बरनत भ बतकहा 

 स हइ।।4।। 

Page 118: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 118/340

 

 सबक  मरस म सन ए वचन स नकर  ारघ नथजा दय म 

 हषत ए।  फर अ पकर सब भ क स दर बतचात क  वण न करत ए ऄपन-ऄपन घर   गय।।4।। 

 दो.- ईम ऄवधबसा नर नर कतरथ प।। 

  सऽदन द घन रघ नयक जह भी  प।।47।। 

[ ऽशव जा कहत ह-] ह ईम ! ऄयोयम  रहन वल प ष और ा 

 सभा   कतथ व प ह; जह वय सऽदनदघन  

ारघ नथजा ऱज   ह।।47।। 

 चौ.- एक बर बऽस म ऽन अए। जह ऱम स खधम स हए।। 

ऄऽत अदर रघ नयक कह। पद पखर पदोदक लाह।।1।। 

 एक बर म ऽन वऽसजा वह अय जह स दर   स खक धम ाऱमजा थ । ारघ नथजा न ईनक बत हा अदर - सकर  कय और ईनक चरण धोकर चरणमम त   ऽलय।।1।। 

 ऱम स न म ऽन कह कर जोरा। कपसध ऽबनता िक मोरा।। 

 द ऽख द ऽख अचरन त हऱ। होत मोह मम ऽहदय ऄपऱ।।2

।। 

Page 119: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 119/340

 

 म ऽनन हथ जोकर कह - ह कपसगर ाऱमजा! म रा ऽवनता 

 स ऽनय ! अपक अचरण (म न योऽचत चर) को द ख - द खकर   म र दय म ऄपर मोह (म) होत ह।।2।। 

 मऽहम ऄऽमऽत ब द नह जन। म कऽह भ ऽत कहई भगवन।। 

 ईपरोऽहय कम ऄऽत म द। ब द प ऱन स म ऽत कर नद।।3।। 

 ह भगवन ! अपक मऽहम क साम नह ह, ईस  व द भा नह 

 जनत। फर म कस कर कह सकत  ? प रोऽहऽत क कम 

( पश) बत हा नाच ह। व द , प ऱण और म ऽत सभा आसक 

 ऽनद करत ह।।3।। 

 जब न ल ई म तब ऽबऽध मोहा। कह लभ अग स त तोहा।। 

 परमतम नर प। होआऽह रघ कल भी  षन भी  प।।4।। 

 जब म ईस (सी  य वश क प रोऽहताक कम)  नह ल त थ , तब 

 जान  म झ कह थ - ह प  ! आसस त मको अग चलकर बत  लभ होग। वय    परमम मन य प धरण कर रघ कलक

भी  षण ऱज हग ।।4।। 

Page 120: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 120/340

 

 दो.- तब म दय ऽबचऱ जोग जय त दन।  

 ज क करऄ सो प हई धम न एऽह सम अन।।48।। 

 तब म न दय म ऽवचर कय क ऽजसक ऽलय  योग , य , त 

और दन कय  जत ह ईस म आसा कम स प जउग ; तब तो 

 आसक समन दी  सऱ कोइ धम हा   नह ह।।48।। 

 चौ.- जप तप ऽनयम जोग ऽनज धम।  ऽत सभव नन सभ  कम।।  यन दय दम तारथ मन। जह लऽग धम कहत  ऽत 

 सन।।1।। 

 जप , तप , ऽनयम , योग , ऄपन-ऄपन [वणमक] धम  ऽतयस 

 ईप ( व दऽवऽहत) बत - स शभ कम, न , दय , दम 

(आऽयऽनह), ताथ न अद जह तक व द और स तजन न धम 

 कह ह [ईनक करन क]-।।1।। 

अगम ऽनगम प ऱन ऄन क। प स न कर फल भ एक।। 

 तव पद प कज ाऽत ऽनरतर। सब सधन कर यह फल स  दर।।2।। 

Page 121: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 121/340

 

[ तथ] ह भो ! ऄन क , त व द और   प ऱणक पन और स नन 

 क सवतम   फल एक हा ह और सब सधन क भा यहा एक 

 स दर फल ह क अपक चरणकमल म  सद - सव द  म हो।।2।। 

ि ीटआ मल क मलऽह क धोए। घ त क पव कोआ बर ऽबलोए।। 

  म भगऽत जल ऽबन रघ ऱइ। ऄऽभऄ तर मल कब न जइ।।3।। 

 म लस धोन स य म ल िीटत ह ? जल क मथन  य य कोइ घा 

 प सकत ह ? [ ईसा कर] ह रघ नथजा !  म -भऽपा 

[ऽनम ल] जलक ऽबन  ऄतःकरण क मल कभा नह जत।।3।। 

 सोआ सब य तय सोइ प ऽडत। सोआ ग न ग ह ऽबयन ऄख ऽडत।। 

 दिछ सकल लिछन ज त सोइ। जक पद सरोज रऽत होइ।।4।। 

 वहा सव  ह, वहा तव और पऽडत ह, वहा ग णक घर और 

ऄखड   ऽवनवन ह; वहा चत र और सब स लणस य  ह, ऽजसक अपक  चरणकमल म  म ह।।4।। 

 दो.- नथ एक बर मगई ऱम कप कर द । 

 जम जम भ पद कमल कब घट जऽन न ।।49।। 

Page 122: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 122/340

 

 ह नथ ! ह ाऱमजा ! म अपस एक वर   म गत , कप करक

 दाऽजय।  भ (अप) क चऱणकमल म म ऱ  म जम - जमतर  म भा कभा न   घट।।49।। 

 चौ.-ऄस कऽह म ऽन बऽस ग ह अए। कपसध क मन ऄऽत भए।। 

 हनी  मन भरतदक त। स ग ऽलए स वक स खदत।।1।। 

 ऐस कहकर म ऽन वऽस जा घर अय। व कपसगर  ाऱमजा  क मन को बत हा ऄिछ लग। तदनतर स वक स ख द न वल ाऱमजा न हन मन जा तथ भरतजा  भआय को सथ 

 ऽलय।।1।। 

 प ऽन कपल प र बह र गए। गज रथ त रग मगवत भए।।  द ऽख कप कर सकल सऱह । दए ईऽचत ऽजह ऽतह त आ 

 चह।।2।। 

और फर कपल ाऱमजा नगर क बहर गय और   वह ईहन 

 हथा , रथ और   घो  म गवय। ईह द खकर , कप करक भ न 

 सबक सऱहन क और ईनको   ऽजस - ऽजसन चह , ईस - ईसको 

 ईऽचत जनकर दय।।2।। 

Page 123: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 123/340

 

 हरन सकल म भ म पइ। गए जह सातल ऄव ऱइ।।  

भरत दाह ऽनज बसन डसइ। ब ठ भ स वह सब भइ।।3।। 

 स सर क सभा म को हरन वल भ न [ हथा , घो अद 

 ब टन म] मक ऄनभव कय और [म ऽमटन को] वह गय  जह शातल ऄमऱइ (अमक   बगाच) था। वह भरत जा न ऄपन व ऽिब दय। भ ईसपर ब ठ गय और   सब भइ 

 ईनक स व करन लग।।3।। 

 मतस त तब मत करइ। प लक बप ष लोचन जल भरइ।। 

 हनी  मन सम नह बभगा। नह कोउ ऱम चरन ऄन ऱगा।। 4।। 

 ऽगरज जस ाऽत स वकइ। बर बर भ ऽनज म ख गइ।।5।।

 

 ईस समय पवन प  हन मन जा पवन (प ख) करन  लग। ईनक शरार प लकत हो   गय और न म [ मक] जल भर अय। [ऽशवजा कहन लग-] ह  ऽगरज ! हन मन जा क समन न  तो कोइ बभगा ह और न कोइ ाऱमजा क   चरण क  मा 

 हा ह, ऽजनक  म और स व क [वय] भ न ऄपन ाम ख स 

 बर - बर बइ क ह।।4-5।। 

 दो.- त ह ऄवसर म ऽन नरद अए करतल बान। 

 गवन लग ऱम कल करऽत सद नबान।। 50।। 

Page 124: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 124/340

 

 ईसा ऄवसर पर नरद मऽन हथ म वाण ऽलय ए  अय। व 

ाऱमजा क स दर  और ऽनय नवान रहन वला कत गन  लग।।50।। 

 चौ.- ममवलोकय प कज लोचन। कप ऽबलोकऽन सोच  ऽबमोचन।। 

 नाल तमरस यम कम ऄर। दय कज मकरद मध प  हर।।1।। 

 कपपी  व क द ख ल न म स शोक क ि न वल ह कमलनयन !

 म रा ओर द ऽखय ( म झपर भा कपद ऽ कऽजय) ह हर ! अप 

 नालकमल क समन यमवण और   कमद वक श महद वजाक

 दयकमल क मकरद ( म - रस) क पन करन वल मर ह।।1।। 

 जतधन बथ बल भ जन। म ऽन सन रजन ऄघ ग जन।। 

भी  स र सऽस नव ब  द बलहक। ऄसरन सरन दान जन गहक।।2।। 

अप ऱस क स न क बल को तोन वल ह।  म ऽनय और  स तजन को अनद द न वल और पप क नश करन वल ह।  णपा ख ता क ऽलय अप नय  म घसमी  ह ह और शरणहान 

Page 125: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 125/340

 

 को शरण द न वल तथ दान जन को ऄपन अय म हण  

 करन वल ह।।2।। 

भ ज बल ऽबप ल भर मऽह ख ऽडत। खर दी  षन ऽबऱध बध प ऽडत।। 

 ऱवनर स खप भी  पबर। जय दसरथ कल कम द सधकर।।3।। 

ऄपन बबल स पवा क ब भरा बोझ को   न करन वल,

 खर - दी  षन और ऽवऱधक वध करन म कशल , ऱवण क श ,

अनदवप , ऱज म    और दशरथजा क कलपा 

 कम दना क चम ाऱमजा ! अपक जय हो।। 3।। 

 स जस प ऱन ऽबदत ऽनगमगम। गवत स र म ऽन स त समगम।।  कनाक यलाक मद ख डन। सब ऽबऽध कसल कोसल 

 म डन।।4।। 

अपक स दर यश प ऱण , व द म और   तद श म कट 

 ह !  द वत , म ऽन और स त क सम दय ईस गत ह। अप कण 

 करन वल और झी  ठ  मद क नश करन वल, सब कर स कशल 

(ऽनप ण) और ाऄयोयजा क भी  षण हा   ह।।4।। 

Page 126: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 126/340

 

 कऽल मल मथन नम ममतहन। त लऽसदस भ पऽह नत 

 जन।।5।। 

अपक नम कऽलय ग क पप को मथ डलन वल और   ममत  को मरन वल ह। ह  त लसादसक भ ! शरणगतक र 

 कऽजय।।5।। 

 दो.-  म सऽहत म ऽन नरद बरऽन ऱम ग न म। 

 सोभसध दय धर गए जह ऽबऽध धम।।51।। 

ाऱमचजा ग णसमी  ह क  मपी  व क   वण न करक म ऽन नरदजा 

शोभरक  सम  भ को दय म धरकर जह लोक ह

, वह  चल गय।51।। 

 चौ.- ऽगरज स न ऽबसद यह कथ। म सब कहा मोर मऽत  जथ।। 

 ऱम चरत सत कोट ऄपऱ।  ऽत सरद न बरन पऱ।। 1।। 

[ ऽशवजा कहत ह-] ह ऽगरज ! स नो , म न  यह ईवल कथ ज सा 

 म रा   ब ऽ था , व सा पी  रा कह डला। ाऱमजा क चर सौ 

Page 127: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 127/340

 

 करो [ऄथव] ऄपर   ह।  ऽत और शरद भा ईनक वण न नह 

 कर सकत।।1।। 

 ऱम ऄन त ऄन त ग नना। जम कम ऄन त नमना।।  जल साकर मऽह रज गऽन जह। रघ पऽत चरत न बरऽन 

 ऽसऱह।। 2।। 

भगवन ाऱम ऄनत ह ; ईनक ग ण ऄनत   ह; जम कम और 

 नम भा ऄनत   ह। जलक बी    द और पवाक रज - कण चह ऽगन 

 ज सकत ह , पर  ारघ नथजा क चर वण न करन स नह 

 च कत।।2।। 

 ऽबमल कथ हर पद दयना। भगऽत होइ स ऽन ऄनपयना।। 

 ईम कऽहई सब कथ स हइ। जो भ स  ऽड खगपऽतऽह स नइ।।3।। 

 यह पऽव कथ भगवन क परमपद को द न वला   ह। आसक

 स नन स ऄऽवचल भऽ    होता ह। ह ईम ! म न वह सब  स दर कथ कहा जो ककभश ऽडजान  गजा को स नया 

था।।3।। 

 िकक ऱम ग न कह ई बखना। ऄब क कह सो कह भवना।। 

 स ऽन सभ कथ ईम हरषना। बोला ऄऽत ऽबनात म द बना।।4।। 

Page 128: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 128/340

 

 म न ाऱमजा क कि थो - स ग ण बखनकर   कह ह। ह भवना !

 सो कहो , ऄब और य क ? ाऱमजा क म गलमया कथ  स नकर पव ताजा हषत   और ऄयत ऽवन तथ कोमल 

 वणा बोल।।4।। 

धय धय म धय प ऱरा। स न ई ऱम ग न भव भय हरा।।5।। 

 ह ऽप ऱर ! म धय , धय -धय , जो म न जम - म य क

 हरण   करन वल ाऱमजा क ग ण (चर) स न।।5।। 

 दो.- त हरा कप कपयतन ऄब कतकय न मोह। 

 जन ई ऱम तप भ ऽचदन द स दोह।।52 क।। 

 ह कपधम ! ऄब अपक कप स म कतकय हो   गया। ऄब म झ  मोह नह रह गय। ह भ ! म सऽदनदघन भ ारमजा क

 तप को जन   गया।।52( क)।। 

 नथ तवनन सऽस वत कथ सध रघ बार। 

वन प टऽह मन पन कर नह ऄघत मऽतधार।।52 ख।। 

Page 129: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 129/340

 

 ह नथ ! अपक म खपा चम ारघ वारक   कथपा ऄम त  बरसत ह। ह मऽतधार ! म ऱ मन कण प टस ईस पाकर त   

 नह होत।।52( ख)।। 

 चौ.- ऱम चरत ज स नत ऄघह। रस ऽबस ष जन ऽतह नह।। 

 जावनम  महम ऽन ज उ। हर ग न स नह ऽनरतर त उ।।1।। 

ाऱमजा क चर स नत- स नत जो त  हो   जत ह (बस कर द त  ह), ईहन तो ईसक ऽवश ष रस जन हा नह। जो   जावम  

 महम ऽन ह, व भा भगवन क ग ण ऽनरतर स नत रहत ह।।1।। 

भव सगर चह पर जो पव। ऱम कथ त कह द  नव।।  ऽबषआह कह प ऽन हर ग न म। वन स खद ऄ मन 

ऄऽभऱम।। 2।। 

 जो स सरपा सगर क पर पन चहत ह, ईसक  ऽलय तो 

ाऱमजा क कथ द  नौक क समन ह। ाहर क ग णसमी  ह  तो ऽवषया   लोग क ऽलय भा कन को   स ख द न वल और मनको 

अनद द न वल ह।।2।। 

Page 130: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 130/340

 

वनव त ऄस को जग मह। जऽह न रघ पऽत चरत सोहह।।  त ज जाव ऽनजमक घता। ऽजहऽह न रघ पऽत कथ 

 सोहता।।3।। 

 जगत म कन वल ऐस कौन ह ऽजस ारघ नथजा क चर न 

 स हत ह।  ऽजह ारघ नथजा क कथ नह स हता , व मी  ख 

 जाव तो ऄपना अम क   हय करन वल ह।।3।। 

 हरचर मनस त ह गव। स ऽन म नथ ऄऽमऽत स ख पव।। 

 त ह जो कहा यह कथ स हइ। कगभ स  ऽड ग ऽत गइ।।4।। 

 ह नथ ! अपन ाऱमचरतमनस क गन कय , ईस स नकर  म न ऄपर स ख   पय। अपन जो यह कह क यह सदर कथ 

 ककभश ऽडजा न गजा स कह  था -।।4।। 

 दो.- ऽबरऽत यन ऽबयन द  ऱम चरन ऄऽत न ह। 

 बयस तन रघ पऽत भगऽत मोऽह परम स द ह।।53।। 

 सौ कौए क शरार पकर भा ककभश ऽड व ऱय , न और 

 ऽवन म द  ह, ईनक ाऱमजाक चरणम ऄयत  म   ह और 

Page 131: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 131/340

 

 ईह ारघ नथजा क भऽ भा ह, आस बत क म झ परम 

 सद ह हो रह   ह।।53।। 

 चौ.- नर सह मह स न प ऱरा। कोई एक होआ धम तधरा।। 

धम साल कोटक मह कोइ। ऽबषय ऽबम ख ऽबऱग रत होइ।। 1।। 

 ह ऽप ऱर ! स ऽनय, हजर मन यम  कोइ एक धम क त क धरण   करन वल होत ह और करो धम म म कोइ एक 

 ऽवषय स ऽवम ख ( ऽवषयक यगा) और व ऱयपऱयण होत 

 ह।।1।। 

 कोट ऽबर मय  ऽत कहइ। सयक यन सकत कोई लहइ।। 

 यनव त कोटक मह कोउ। जावम  सकत जग सोउ।।2।। 

 ऽत कहता ह क करो ऽवर म कोइ एक हा सयक(यथथ)  न को करत ह और करो ऽनय म कोइ एक  हा जावम    होत ह। जगत म कोइ ऽवरल हा ऐस (जावम ) होग।।2।। 

 ऽतह सह म सब स ख खना। द लभ लान ऽबयना।। 

धमशाल ऽबर ऄ यना। जावनम  पर ना।।3

।। 

Page 132: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 132/340

 

 हजर जावम  म भा सब स ख क खन ,  म लान 

 ऽवनवन  प ष और भा द लभ ह। धम म , व ऱयवन , ना ,

 जावम  और   लान।।3।। 

 सब त सो द लभ स रऱय। ऱम भगऽत रत गत मद मय।।  

 सो हरभगऽत कग कऽम पइ। ऽबवनथ मोऽह कह  ब झइ।।4।। 

 आन सबम भा ह द वऽधद व महद वजा ! वह   णा ऄयत द लभ  ह जो मद  और मयस रऽहत होकर ाऱमजा क भऽक

 पऱयण हो। ऽवनथ ! ऐसा द लभ   हरभ को कौअ कस प  गय , म झ समझकर कऽहय।।4।। 

 दो.- ऱम पऱयन यन रत ग  नगर मऽत धार। 

 नथ कह कऽह करन पयई कक सरार।।54।। 

 ह नथ ! कऽहय, [ ऐस] ाऱमपऱयण  , नरऽहत , ग णधम और 

धारब ऽ  भश ऽडजा न कौए क शरार कस करण पय 

?।।54।। 

Page 133: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 133/340

 

 चौ.- यह भ चरत पऽव स हव। कह कपल कग कह  पव।। 

 त ह कऽह भ ऽत स न मदनरा। कह मोऽह ऄऽत कौत क भरा।।1।। 

 ह कपल ! बतआय, ईस कौएन भ क यह   पऽव और स दर 

 चर कह  पय ! और ह कमद व क श ! यह भा बतआय,

अपन आस कस कर ? म झ  ब भरा कौती  हल हो रह 

 ह।।1।। 

 ग महयना ग न ऱसा। हर स वक ऄऽत ऽनकट ऽनवसा। 

 त ह कऽह ह त कग सन जइ। स ना कथ म ऽन ऽनकर ऽबहइ।।2।। 

 गजा तो महनना , सग णक ऱऽश  ाहरक स वक और 

 ईनक ऄयत   ऽनकट रहन वल (ईनक वहन हा) ह। ईहन 

 म ऽनय क समी  ह को िोकर , कौए स जकर हरकथ कस 

 करण स ना ?।।2।। 

 कह कवन ऽबऽध भ स बद। दोई हरभगत कग ईरगद।। 

 गौर ऽगऱ स ऽन सरल स हइ। बोल ऽसव सदर स ख पइ।।3।। 

Page 134: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 134/340

 

 कऽहय, ककभश ऽड और ग आन दोन   हरभ क बतचात 

 कस कर इ ? पव ताजा क सरल , स दर वणा स नकर 

 ऽशवजा स ख पकर अदरक सथ   बोल-।।3।। 

धय सता पवन मऽत तोरा। रघ पऽत चरन ाऽत नह थोरा।।  स न परम प नात आऽतहस। जो स ऽन सकल लोक म 

 नस।।4।। 

 ह सता ! त म धय हो ; त हरा ब ऽ  ऄयत पऽव ह।

ारघ नथजा क चरण म त हऱ कम  म नह ह (ऄयऽधक 

  म ह)। ऄब वह परम   पऽव आऽतहस स नो , ऽजस स नन स सर

 लोक क म क नश हो जत ह।।4।। 

 ईपजआ ऱम चरन ऽबवस। भव ऽनऽध तर नर ऽबनह 

 यस।।5।। 

 तथ ाऱमजाक चरणम ऽवस ईप   होत ह और मन य 

 ऽबन हा   परम स सरपा सम  स तर जत ह।।5।। 

 दो.- एऽसऄ ऽबह गपऽत कऽह कग सन जआ। 

 सो सब सदर कऽहहई स न ईम मन लआ।।55।। 

Page 135: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 135/340

 

 पऽऱज गजान भा जकर ककभश ऽडजास  यः ऐस हा 

  कय थ। ह ईम ! म वह सब अदरसऽहत क ग , त म मन  लगकर स नो।।55।। 

 चौ.- म ऽजऽम कथ स ना भव मोचऽन। सो स ग स न स म ऽख  स लोचऽन।। 

 थम दिछ ग ह तव ऄवतऱ। सता नम तब रह त हऱ।। 1।। 

 म न ऽजस कर वह भव (जम - म य) स ि न वला कथ स ना ,

 ह स म खा! ह स लोचना ! वह स ग स नो। पहल त हऱ ऄवतर 

 द क घर अ थ।  तब त हऱ नम सता थ।। 1।। 

 दिछ जय तव भ ऄपमन। त ह ऄऽत ोध तज तब न।।  मम ऄन चरह कह मख भ ग। जन त ह सो सकल 

 स ग।।2।। 

 द क य म त हऱ ऄपमन अ। तब   त मन ऄयत ोध  करक ण   यग दय थ और फर म र स वक न य ऽवव स कर 

 दय थ। वह सऱ   स ग त म जनता हा हो।।2।। 

Page 136: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 136/340

Page 137: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 137/340

 

 दो.- सातल ऄमल मध र जल जलज ऽबप ल बरग।। 

 कीजत कल रव ह स गन ग  जत म ज ल भ  ग।।56।। 

 ईसक जल शातल , ऽनम ल और माठ ह; ईसम  रग - ऽबरग बत -

 स कमल ऽखल ए   ह। ह सगण मध र वर स बोल रह ह और भर

 स दर ग  जर कर रह रह  ह।।56।। 

 चौ.- त ह ऽगर ऽचर बसआ खग सोइ। तस नस कप त न  होइ।। 

 मय कत ग न दोष ऄन क। मोह मनोज अद ऄऽबब क।।1।। 

 ईस स दर पव त पर वहा पा (ककभश ऽड)  बसत ह। ईसक  नश कप क ऄत म भा नह होत। मयरऽचत ऄन क ग ण -

 दोष , मोह , कम अद  ऄऽवव क।।1।। 

 रह यऽप समत जग मह। त ऽह ऽगर ऽनकट कब नह 

 जह।।  तह बऽस हरऽह भजआ ऽजऽम कग। सो स न ईम सऽहत 

ऄन ऱग।। 2।। 

Page 138: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 138/340

 

 जो सर जगत म ि रह ह, ईस पव त क  पस भा कभा नह 

 फटकत। वह  बसकर ऽजस कर वह कक हर को भजत ह, ह 

 ईम ! ईस  मसऽहत स नो।।2।। 

 पापर त तर यन सो धरइ। जप जय पकर तर करइ।। 

अ ब ि ह कर मनस पी  ज। तऽज हर भजन कज नह दी  ज।।3।। 

 वह पापल क व क नाच यन धरत ह।  पकर क नाच जपय  करत ह। अम क िय म मनऽसक पी  ज करत ह। ाहर क

भजन को िोकर ईस दी  सऱ कोइ   कम नह ह।।3।। 

 बर तर कह हर कथ स ग। अवह स नऽह ऄन क ऽबह ग।।  ऱम चरत ऽबऽच ऽबऽध नन।  म सऽहत कर सदर 

 गन।।4।। 

 बरगद क नाच वह ा हर क कथ क स ग   कहत ह। वह 

ऄन क पा  अत और कथ स नत ह। वह ऽवऽच ऱमचर को ऄन क कर स  मसऽहत  अदरपी  व क गन करत ह।।4।। 

 स नह सकल मऽत ऽबमल मऱल। बसह ऽनरतर ज त ह तल।। 

 जब म जआ सो कौत क द ख। ईर ईपज अन द ऽबस ष।।5।। 

Page 139: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 139/340

 

 सब ऽनम ल ब ऽवल ह स , जो सद ईस तलब   पर बसत ह, ईस 

 स नत ह।  जब म न वह जकर यह कौत क (दय) द ख , तब म र

 दय म ऽवश ष अनद   ईप अ।।5।। 

 दो.- तब िक कल मऱल तन धर तह कह ऽनवस। 

 सदर स ऽन रघ पऽत ग न प ऽन अयई कलस।।57।। 

 तब म न ह स क शरार धरण कर कि समय वह  ऽनवस कय और ारघ नथजा क  ग ण को अदरसऽहत स नकर फर कलस 

 को लौट अय।।57।। 

 चौ.- ऽगरज कह ई सो सब आऽतहस। म ज ऽह समय गयई खग  पस।। 

ऄस सो कथ स न ज ऽह ह ती । गयई कग पह खग कल कती ।।1।। 

 ह ऽगरज ! म न वह सब आऽतहस कह क ऽजस   समय म  ककभश ऽड क पस गय  थ। ऄब वह कथ स नो ऽजस करण स 

 पऽकलक वज गजा ईस कक क पस   गय थ।।1।। 

Page 140: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 140/340

 

 जब रघ नथ कऽह रन । सम झत चरत होऽत मोऽह  ा।। 

 आजात कर अप बधयो। तब नरद म ऽन ग पठयो।।2।। 

 जब ारघ नथजा न ऐसा रणलाल क ऽजस लाल क   मरण  करन स म झ ल होता   ह- म घनद क हथ ऄपन को बध 

 ऽलय - तब नरद म ऽन न ग को भ ज।।2।। 

 बधन कट गयो ईरगद। ईपज दय च ड ऽबषद।। 

 भ बधन सम झत ब भ ता। करत ऽबचर ईरग अऱता।। 3।। 

 सप क भक गजा बधन कटकर गय, तब 

  ईनक दय म  ब भरा   ऽवषद ईप अ। भ क बधन को मरण करक

 सप क शभ गजा बत   कर स ऽवचर करन लग-।।3।। 

 यपक ऽबरज बगास। मय मोह पर परमास।। 

 सो ऄवतर स न ई जग मह। द ख ई सो भव िक नह।।4।। 

 जो पक , ऽवकररऽहत , वणा क पऽत और   मय - मोहस पर

  परमर ह, म न स न थ क जगत म ईह क ऄवतर ह।

 पर म न ईस (ऄवतर) क   भव कि भा नह द ख।।

5।।

 

Page 141: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 141/340

 

 दो.-भव बधन त िीटह नर जऽप ज कर नम। 

 खब ऽनसचर बध ई नगपस सोइ ऱम।। 58।। 

 ऽजनक नम जयकर मन य स सर क बधन स िीट   जत ह ईह 

 ऱम को एक   त िछ ऱस न नगपश स बध ऽलय।।58।। 

 चौ.- नन भ ऽत मनऽह सम झव। गट न यन दय म ि व।। 

 ख द ऽख मन तक बइ। भयई मोहबस त हरह नइ।।1।। 

 गजा न ऄन क कर स ऄपन मन को समझय।  पर ईह  न नह अ , दय म म और भा ऄऽधक ि गय।

[सद हजऽनत] दःखस द खा होकर , मनम  क तक बकर व

 त हरा हा भ ऽत मोहवश हो गय।।1।। 

 यकल गयई द वरऽष पह। कह ऽस जो स सय ऽनज मन मह।।  स ऽन नरदऽह लऽग ऄऽत दय। स न खग बल ऱम क

 मय।।2।। 

Page 142: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 142/340

 

 कल होकर व द वष नरदजाक पस गय और   मनम जो 

 सद ह थ , वह ईनस  कह। ईस स नकर नरदको ऄयत दय 

अया। [ईहन कह -] ह ग !  स ऽनय ! ाऱमजा क मय  बा हा बलवता ह।।2।। 

 जो यऽनह कर ऽचत ऄपहरइ। बरअ ऽबमोह मन करइ।। 

 ज ह ब बर नचव मोहा। सोआ यपा ऽबह गपऽत तोहा।।3।। 

 जो ऽनय क ऽच को भा भलाभ ऽत हरण कर   ल ता ह और  ईनक मन म  जबद ता ब भरा मोह ईप कर द ता ह तथ 

 ऽजसन म झको भा बत बर   नचय ह, ह पऽऱज ! वहा मय 

अपको भा प गया ह।।3।।

 

 महमोह ईपज ईर तोर। ऽमटऽह न ब ऽग कह खग मोर।। 

 चत ऱनन पह ज खग स। सोआ कर ज ऽह होआ ऽनद स।।4।। 

 ह ग ! अपक दय म ब भरा मोह   ईप हो गय ह। यह  म र  समझन स त रत नह ऽमटग ऄतः ह पऽऱज ! अप 

 जाक पस जआय और वह ऽजस कम क ऽलय अदश ऽमल,

 वहा कऽजय ग।।4।। 

Page 143: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 143/340

 

 दो.-ऄस कऽह चल द वरऽष करत ऱम ग न गन। 

 हर मय बल बरनत प ऽन प ऽन परम स जन।।59।। 

 ऐस कहकर परम स जन द वष नरदजा  ाऱमजाक ग णगन  करत ए और   बरबर ाहर क मयक बल वण न करत ए 

 चल।।59।। 

 चौ.- तब खगपऽत ऽबरऽच पह गयउ। ऽनज स द ह स नवत भयउ।।  स ऽन ऽबरऽच ऱमऽह ऽस नव। सम ऽझ तप  म ऄऽत 

ि व।।1।। 

 तब पऽऱज ग जाक पस गय और  ऄपन सद ह ईह  कह स नय।  ईस स नकर जा न ाऱमचजा को ऽसर  नवय और ईनक तप को   समझकर ईनक ऄयत  म ि 

 गय।।1।। 

 मन म करआ ऽबचर ऽबधत। मय बस कऽब कोऽबद यत।।  हर मय कर ऄऽमऽत भव। ऽबप ल बर ज ह मोऽह 

 नचव।।2।। 

Page 144: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 144/340

 

 जा मन म ऽवचर करन लग क कऽव , कोऽवद और ना 

 सभा मयक वश   ह। भगवन क मय क भव ऄसाम ह,

 ऽजसन म झतक को ऄन क बर नचय   ह।।2।। 

ऄग जगमय जग मम ईपऱज। नह अचरज मोह खगऱज।  

 तब बोल ऽबऽध ऽगऱ स हइ। जन मह स ऱम भ तइ।।3।। 

 यह सर चऱचर जगत तो म ऱ रच अ ह । जब   म हा मयवश 

 नचन लगत , तब पऽऱज गको मोह होन कोइ अय  

[क बत] नह ह। तदनतर   जा स दर वणा बोल-

ाऱमजाक मऽहमको महद वजा जनत ह।।3।। 

 ब नत य स कर पह ज। तत ऄनत पी ि  जऽन क।। 

 तह होआऽह तव स सय हना। चल ई ऽबह ग स नत ऽबऽध बना।।4।। 

 ह ग ! त म श करजाक पस जओ। ह तत ! और कह कसा स  न पी ि न।  त हर सद हक नश वह होग। जाक वचन  स नत हा ग चल   दय।।4।। 

 दो.- परमत र ऽबह गपऽत अयई तब मो पस। 

 जत रह ई कब र ग ह रऽह ईम कलस।।60

।। 

Page 145: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 145/340

 

 तब बा अत रत (ईतवला) स पऽऱज ग   म र पय अय। ह 

 ईम ! ईस समय   म कब र क घर ज रह थ और त म कलसपर थ।।60।। 

 चौ.- त ह मम पद सदर ऽस नव। प ऽन अपन स द ह स नव।। 

 स ऽन त कर ऽबनता मद बना।  म सऽहत म कह ई भवना।।1।। 

 गजा न अदरपी  व क म र चरण म ऽसर नवय  और फर  म झको ऄपन सद ह   स नय। ह भवना ! ईनक ऽवनता और 

 कोमल वणा स नकर म न  मसऽहत ईनस  कह -।।1।। 

 ऽमल  ग मरग मह मोहा। कवन भ ऽत सम झव तोहा।। 

 तबह होआ सब स सय भ ग। जब ब कल करऄ सतस ग।।2।। 

 ह ग ! त म म झ ऱत म ऽमल हो। ऱह   चलत म त ह कस 

 कर   समझउ ? सब सद ह क तो तभा नश हो जब दाघ  कलतक सस ग कय   जय।।2।। 

 स ऽनऄ तह हरकथ स हइ। नन भ ऽत म ऽनह जो गइ।।  ज ह म अद मय ऄवसन। भ ऽतप ऱम 

भगवन।।3।। 

Page 146: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 146/340

 

और वह (सस ग म) स दर हर कथ स ना   जय , ऽजस म ऽनयन 

ऄन क   करस गय ह और ऽजसक अद , मय और ऄत म 

भगवन ाऱमचजा   हा ऽतप भ ह।।3।। 

 ऽनत हर कथ होत जह भइ। पठवई तह स न त ह जइ।। 

 जआऽह स नत सकल स द ह। ऱम चरन होआऽह ऄऽत न ह।।4।। 

 ह भइ ! जह ऽतदन हरकथ होता ह, त मको म वह भ जत 

 , त म   जकर ईस स नो। ईस स नत हा त हऱ सब सद ह दी  र हो 

 जयग और त ह ाऱमजाक चरणम ऄयत  म होग।।4।। 

 दो.- ऽबन सतस ग न हर कथ त ऽह ऽबन मोह न भग। 

 मोह गए ऽबन ऱम पद होआ न द  ऄन ऱग।। 61।। 

 सस गक ऽबन हर क कथ स नन को नह ऽमलता , ईसक ऽबन  मोह नह भगत और   मोह क गय ऽबन ाऱमचजा क

 चरणम द  (ऄचल)  म नह   होत।।61।। 

Page 147: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 147/340

 

 चौ.- ऽमलह न रघ पऽत ऽबन ऄन ऱग। कए जोग तप यन  ऽबऱग।।  

 ईर दऽस स  दर ऽगर नाल। तह रह ककभ स  ऽड ससाल।।1।। 

 ऽबन  म क कवल योग , तप , न और   व ऱयदक करन स 

ारध नथजा   नह ऽमलत। [ऄतएव त म सस ग क ऽलय वह  जओ जह] ईर दश म एक   स दर नाल पव त ह। वह परम 

 सशाल ककभश ऽडजा रहत ह।।1।। 

 ऱम भगऽत पथ परम बान। यना ग न ग ह ब कलान।। 

 ऱम कथ सो कहआ ऽनरतर। सदर स नह ऽबऽबध ऽबह गबर।।2।। 

 व ऱमभऽ क मग म परम वाण ह, ना ह, ग ण क धम ह,

और बत कलक ह। व ऽनरतर ाऱमचजा क कथ कहत  

 रहत ह, ऽजस भ ऽत -भ ऽत क   पा अदरसऽहत स नत ह।।2।। 

 जआ स न तह हर ग न भी  रा। होआऽह मोह जऽनत द ख दी  रा।।  म जब त ऽह सब कह ब झइ। चल ई हरऽष मम पद ऽस 

 नइ।।3।। 

 वह जकर ाहर क ग ण समी  ह को स नो।  ईनक स नन स मोह 

 स ईप   त हऱ द ःख दी  र हो जयग। म न ईस जब सब 

Page 148: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 148/340

Page 149: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 149/340

 

 जो नायम और भम ऽशरोमऽण ह  एव ऽभ वनपऽत 

भगवन क वहन   ह, ईन ग को भा मय न मोह ऽलय। फर भा नाच मन य मी  ख तवश घम ड   कय करत ह।।62( क)।। 

मसपरयण, ऄटइसव ऽवशम 

 ऽसव ऽबरऽच क मोहआ को ह बप ऱ अन।  

ऄस ऽजय जऽन भजह म ऽन मय पऽत भगवन।।62 ख।। 

 यह मय जब ऽशव जा और जा को भा मोह   ल ता ह, तब  दी  सऱ ब चऱ य   चाज ह ? जा म ऐस जनकर हा म ऽनलोग 

 ईस मय क वमा भगवन क भजन करत ह।।62( ख)।। 

 चौ.-

 गयई ग जह बसआ भ स  ड। मऽत ऄक  ठ हर भगऽत ऄख ड।। 

 द ऽख स ल स मन भयउ। मय मोह सोच सब गयउ।।1।। 

 गजा वह गय जह ऽनबध ब ऽ और   पी  ण भऽवल 

 ककभश ऽड बसत थ। ईस पव त को द खकर ईनक मन स   हो 

Page 150: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 150/340

 

 गय और [ईसक दश नस हा]  सबस मय , मोह तथ सोच जत 

 रह।।1।। 

 कर तग मन जलपन। बट तर गयई दय हरषन।। 

 ब  ब  ऽबह ग तह अए। स न ऱम क चरत स हए।।2।। 

 तलब म न और जलपन करक व  सऽच स वटव क नाच गय।  वह ाऱमजा क स दर चर स नन क ऽलय बी  - बी   

 पा अय ए  थ।।2।। 

 कथ ऄरभ कर सोआ चह। त हा समय गयई खगनह।। 

अवत द ऽख सकल खगऱज। हरष ई बयस सऽहत समज।।3।। 

भश ऽडजा कथ अरभ करन हा चहत थ क ईस   समय  पऽऱज गजा वह   ज प च। पऽय क ऱज गजा को अत द खकर ककभश ऽडजासऽहत सऱ   पऽसमज हषत 

 अ।।3।। 

ऄऽत अदर खगपऽत कर कह। वगत पी  ऽि सअसन दाह।। 

 कर पी  ज सम त ऄन ऱग। मध र बचन तब बोल ई कग।।4।।। 

Page 151: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 151/340

 

 ईहन पऽऱज गजा क बत हा  अदर - सकर कय और  वगत (कशल)  पी ि कर ब ठन क ऽलय स दर असन दय फर 

  मसऽहत पी  ज करक  ककभश ऽडजा मध र वचन बोल-।।4।। 

 दो.- नथ कतरथ भयई म तव दरसन खगऱज।  

अयस द  सो कर ऄब भ अय कह कज।।63 क।। 

 ह नथ ! ह पऽऱज ! अपक दश न स म  कतथ हो गय। अप  जो अ   द, म ऄब वहा क। ह भो ! अप कस कय क ऽलय

अय ह?।।63( क)।। 

 सद कतरथ प त ह कह म द बचन खग स।  ज ऽह क ऄत ऽत सदर ऽनज म ख कऽह मह स।।63 ख।। 

 पऽऱज गजान कोमल वचन कह-अप तो सद   हा 

 कतथ प ह, ऽजनक बइ वय महद वजा न अदरपी  व क 

ऄपन ाम ख स क ह।।63( ख)।। 

 चौ.- स न तत ज ऽह करन अयई। सो सब भयई दरस तव  पयई।। 

 द ऽख परम पवन तव अम। गयई मोह स सय नन म।।1।। 

Page 152: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 152/340

 

 ह तत ! स ऽनय, म ऽजस करणस अय थ , वह   सब कय तो 

 यह अत हा पी  ऱ   हो गय। फर अपक दश न भा हो गय।अपक परम पऽव अम द खकर   हा म ऱ मोह , सद ह और 

ऄन क करक म सब जत रह।।1।। 

ऄब ाऱम कथ ऄऽत पवऽन। सद स खद द ख प  ज नसवऽन।।  सदर तत स नव मोहा। बर बर ऽबनयई भ तोहा।।2।। 

ऄब ह तत ! अप म झ ाऱमजाक ऄयत   पऽव करन वला ,

 सद स ख   द न वला और दःखसमी  ह क नश करनवला कथ 

अदरसऽहत स नआय। ह भो ! म  बर - बर अपस यहा ऽवनता  करत ।।2।। 

 स नत ग क ऽगऱ ऽबनात। सरल स  म स खद स प नात।। 

भयई तस मन परम िईह। लग कह रघ पऽत ग न गह।।3।। 

 गजा क ऽवन , सरल , स दर ,  मय  , स ख , द और 

ऄयत   पऽववणा स नत हा भश ऽडजा क मनम परम ईसह 

 अ और व ारघ नथजा क ग ण क कथ कहन लग।।3।। 

Page 153: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 153/340

 

 थमह ऄऽत ऄन ऱग भवना। ऱमचरत सर कह  ऽस बखना।। 

 प ऽन नरद कर मोह ऄपऱ। कह ऽस बर ऱवन ऄवतऱ।। 4।। 

 ह भवना ! पहल तो ईहन ब हा  म स  ऱमचरतमनस  सरोवर क पक   समझकर कह। फर नरद जा क ऄपर मोह 

और फर ऱवण क ऄवतर कह।। 4।। 

 भ ऄवतर कथ प ऽन गइ। तब ऽसस चरत कह ऽस मन  लइ।।5।। 

 फर भ क ऄवतरक कथ वण न क। तदनतर   मन लगकर 

ाऱमजाक   बललालए कह।।

5।।

 

 दो.- बलचरत कऽह ऽबऽबऽध ऽबऽध मन मह परम िईह।। 

 रऽष अवगन कह ऽस प ऽन ारघ बार ऽबबह।।64।। 

 मनम परम ईसह भरकर ऄन क करक   बललालए कहकर , फर ऊऽष ऽवऽमजा क ऄयोय अन और ारघ वारक  

 ऽववह वण न कय।।64।। 

Page 154: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 154/340

 

 चौ.- बर ऱम ऄऽभष क स ग। प ऽन न प बचन ऱज रस भ ग।।  प रबऽसह कर ऽबरह ऽबषद। कह ऽस ऱम लऽिमन 

 स बद।।1।। 

 फर ाऱमजाक ऱयऽभष  क क स ग , फर   ऱज दशरथजा 

 क वचन स ऱजरस  ( ऱयऽभष कक अनद) म भ ग पन , फर 

 नगर ऽनवऽसय क ऽवरह , ऽवषद  और ाऱम - लमण क 

 स वद (बतचात) कह।।1।। 

 ऽबऽपन गवन कवट ऄन ऱग। स रसर ईतर ऽनवस यग।। 

 बलमाक भ ऽमलन बखन। ऽचकीट ऽजऽम बस भगवन।।2।। 

ाऱम क वनगमन , कवट क  म , ग गजा स पर   ईतरकर 

 यग म ऽनवस , वमाकजा और भ ाऱमजाक ऽमलन 

और ज स भगवन ऽचकीटम बस, वह   सब कह।।2।। 

 सऽचवगवन नगर न प मरन। भरतगवन  म ब बरन।। 

 कर न प य स ग प रबसा। भरत गए जह भ स ख ऱसा।। 3।। 

Page 155: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 155/340

 

 फर मा स मजा क नगर म लौटन , ऱज   दशरथजा क 

 मरण , भरतजा क [ नऽनहलस] ऄयोय म अन और ईनक  म 

 क बत वण न कय। ऱजक  ऄय ऽ य करक नगरवऽसय को सथ ल कर भरतजा वह गय, जह  स ख क 

 ऱऽश भ ाऱमचजा थ ।।3।। 

 प ऽन रघ पऽत ब ऽबऽध सम झए। ल पद क ऄवधप र अए।। भरत रहऽन स रपऽत स त करना। भ ऄ ऄऽ भ ट बरना।।4।। 

 फर ारघ नथजा न ईनको बत कर स  समझय ; ऽजसस व 

 खउ ल कर  ऄयोयप रा लौट अय, यह सब कथ कहा।

भरतजा क नऽदम म रहन क राऽत , आप  जयत क नाच 

 करना और फर भ ाऱमचजा और अऽजा क   ऽमलप 

 वण न कय।।4।। 

 दो.-

 कऽह ऽबऱध बध ज ऽह ऽबऽध द ह तजा सरभ ग।।  बरऽन स ितान ाऽत प ऽन भ ऄगऽत सस ग।।65।। 

 ऽजस कर ऽवऱध क वध अ और शरभ गजान शरार यग 

 कय , वह स ग   कह - कर , फर स ताणजा क  म वण न करक

 भ और ऄगयजाक सस ग   व त कह।।65।। 

Page 156: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 156/340

 

 चौ.- कऽह द डक बन पवनतइ। गाध मआा प ऽन त ह गइ।। 

 प ऽन भ प चबट कत बस। भ जा सकल म ऽनह क स।।1।। 

 दडकवन क पऽव करन कहकर फर भश ऽडजा न  गऱज  क सथ ऽमत क   वण न कय। फर ऽजस कर भ न प चवटा 

 म ऽनवस कय और सब म ऽनय क भय क नश कय।।1।। 

 प ऽन लऽिमन ईपद स ऄनी  प। सी  पनख ऽजऽम कऽह कप।।  खर दी  षन बध बर बखन। ऽजऽम सब मरम दसनन 

 जन।।2।। 

और फर ज स लमणजाको ऄन पम ईपदश दय और  शी  प णख 

 को कप कय , वह   सब वण न कय। फर खर - दी  षण - वध और 

 ऽजस कर ऱवण न सब समचर जन , वह   बखनकर 

 कह।।2।। 

 दसकधर मराच बतकहा। ज ऽह ऽबऽध भइ सो सब त ह कहा।। 

 प ऽन मय सात कर हरन। ारघ बार ऽबरह िक बरन।।3।। 

Page 157: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 157/340

 

 तथ ऽजस कर ऱवण और मराच क बतचात इ , वह सब 

 ईहन कहा। फर   मयसात क हरण और ारघ वार क ऽवरह 

 क कि वण न कय।।3।। 

 प ऽन भ गाध य ऽजऽम कहा। बऽध कबध सबरऽह गऽत  दाहा।। 

 बर ऽबरह बरनत रघ बाऱ। ज ऽह ऽबऽध गए सरोबर ताऱ।। 4।। 

 फर भ न ऽग जटय क ऽजस कर य   क , कबध क बध 

 करक शबरा को   परमगऽत दा और फर ऽजस कर ऽवरह - वण न 

 करत ए ारघ वारजा प पसर क  तारपर गय, वह सब 

 कह।।4।। 

 दो.- भ नरद स बद कऽह मऽत ऽमलन स ग। 

 प ऽन स ाव ऽमतइ बऽल न कर भ ग।।66 क।। 

 भ और नरद जा क स वद और मऽतक  ऽमलन क स ग  कहकर फर स ावस  ऽमत और बऽल क णनश क वण न 

 कय।।66( क)।। 

Page 158: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 158/340

 

 कऽपऽह ऽतलक कर भ कत स ल बरषन बस। 

 बरनन बष सरद ऄ ऱम रोष कऽप स।। 66 ख।। 

 स ाव क ऱज ऽतलक करक भ न वष ण   पव तपर ऽनवस 

 कय , तथ वष और शरद क वण न , ाऱमजाक स ावपर 

 रोष और स ाव क भय अद सग   कह।।66( ख)।। 

 चौ.- ज ऽह ऽबऽध कऽपपऽत कस पठए। सात खोज सकल दऽस धए।।  ऽबबर ब स कह ज ऽह भ ता। कऽपह बहोर ऽमल 

 स पता।।1।। 

 ऽजस कर वनर ऱज स ाव न वनर को  भ ज और व सात 

 जा क खोज म  ऽजस कर सब दश म गय, ऽजस कर 

 ईहन ऽबल म वश कय और   फर ज स वनर को सपता 

 ऽमल , वह कथ कहा।।1।। 

 स ऽन सब कथ समारकमऱ। नघत भयई पयोऽध ऄपऱ।।  

 ल क कऽप ब स ऽजऽम कह। प ऽन सातऽह धारज ऽजऽम 

 दाह।।2।। 

Page 159: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 159/340

Page 160: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 160/340

Page 161: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 161/340

 

 सात रघ पऽत ऽमलन बहोरा। स रह कऽह ऄत ऽत कर जोरा।।  प ऽन प पक च कऽपह सम त। ऄवध चल भ कप 

 ऽनकत।।2।। 

 फर सातजा और ारघ नथजाक ऽमलप कह। ऽजस   कर  द वतन हथ जोकर   त ऽत क और फर ज स वनरसम त 

 प पकऽवमनपर चकर कपधम भ ऄवधप रा को चल, वह 

 कह।।2।। 

 ज ऽह ऽबऽध ऱम नगर ऽनज अए। बयस ऽबसद चरत सब गए।।  

 कह ऽस बहोर ऱम ऄऽभष क। प र बरनत न पनाऽत ऄन क।।3।। 

 ऽजस कर ाऱमचजा ऄपन नगर (ऄयोय) म अय, व सब 

 ईवल   चर ककभश ऽडजान ऽवतरपी  व क वण न कय। फर  ईहन ाऱमजाक ऱयऽभष  क कह। [ऽशवजा कहत ह-]ऄयोयप राक और ऄन क   करक ऱजनाऽतक वण न करत 

 ए -

।।3।। 

 कथ समत भ स  ड बखना। जो म त ह सन कहा भवना।।  स ऽन सब ऱम कथ खगनह। कहत बचन मन परम 

 िईह।।4।। 

Page 162: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 162/340

 

भश ऽडजान वह सब कथ कहा जो ह भवना !  म न त मस कहा ! सरा ऱमकथ   स नकर पऽऱज गजा मनम बत ईसऽहत 

(अनऽदत) होकर वचन कहन  लग।।4।। 

 सो.- गयई मोर स द ह स न ई सकल रघ पऽत   चरत।। 

भयई ऱम पद न ह तव सद बयस ऽतलक।।68 क।। 

ारघ नथजाक सब चर म न स न, ऽजसस  म ऱ सद ह जत 

 रह। ह  ककऽशरोमऽण ! अपक ऄन ह स ाऱमजाक चरणम  

 म ऱ  म हो   गय।।68( क)।। 

 मोऽह भयई ऄऽत मोह भ बधन रन म ऽनरऽख।  ऽचदन द स दोह ऱम ऽबकल करन कवन।। 68 ख।। 

 य म भ क नगपशस बधन द खकर म झ ऄयत मोह हो 

 गय थ क  ाऱमजा तो सऽदनदघन ह , व कस करण 

 कल ह।।68( ख)।। 

 चौ.- द ऽख चरत ऄऽत नर ऄन सरा। भयई दय मम स सय भरा।।  सोआ म ऄब ऽहत कर म मन। कह ऄन ह 

 कपऽनधन।।1।। 

Page 163: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 163/340

Page 164: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 164/340

 

 स त ऽबस  ऽमलह पर त हा। ऽचतवह ऱम कप कर ज हा।। 

 ऱम कप तव दरसन भयउ। तव सद सब स सय गयउ।।4।। 

श  (स) स त ईसा को ऽमलत ह, ऽजस ाऱमजा कप करक

 द खत ह। ाऱमजाक कपस म झ अपक दश न ए और अपक 

 कपस म ऱ सद ह चल   गय।।4।। 

 दो.- स ऽन ऽबह गपऽत बना सऽहत ऽबनय ऄन ऱग।  

 प लक गत लोचन सजल मन हरष ई ऄऽत कग।।69 क।। 

 पऽऱज गजा क ऽवनय और  म य    वणा स नकर  ककभश ऽडजाक शरार   प लकत हो गय , ईनक न म जल भर 

अय और व मन म ऄयत हषत   ए।।69( क)।। 

ोत स मऽत स साल स ऽच कथ रऽसक हर दस। 

 पआ ईम पऽत गोयमऽप सन करह कस।।69 ख।। 

 ह ईम ! स दर ब ऽवल, सशाल , पऽव   कथ क  मा और हर 

 क स वक  ोत को पकर सन ऄयत गोपनाय (सबक समन 

 कट न करन योय)  रहय को कट कर द त ह।।69( ख)।। 

Page 165: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 165/340

 

 चौ.- बोल ई ककभ स ड बहोरा। नभग नथ पर ाऽत न थोरा।। 

 सब ऽबऽध नथ पी  य त ह म र। कपप रघ नयक कर।।1।। 

 ककभश ऽडजान कह - पऽऱजपर ईनक  म   कम न थ (ऄथ त बत थ)- ह  नथ ! अप सब कर स म र पी  य ह और 

ारघ नथजाक कपप   ह।।1।। 

 त हऽह न स सय मोह न मय। मो पर नथ कऽह त ह दय।। 

 पठआ मोह ऽमस खगपऽत तोहा। रघ पऽत दाऽह बइ मोहा।।2।। 

अपको न सद ह ह और न मोह ऄथव मय हा ह।  ह नथ !अपन तो म झपर दय   क ह। पऽऱज ! मोह क बहन  

ारघ नथजान अपको यह भ जकर म झ बइ   दा ह।।2।। 

 त ह ऽनज मोह कहा खग स। सो नह िक अचरज गोस।। 

 नरद भव ऽबरऽच सनकदा। ज म ऽननयक अमतबदा।।3।। 

 ह पऽय क वमा ! अपन ऄपन मोह कह , सो ह गोस !

 यह कि  अय नह ह। नरदजा , ऽशवजा , बजा और 

Page 166: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 166/340

 

 सनकद जो अमतवक  मम  और ईसक ईपदश करन वल 

  म ऽन ह।।3।। 

 मोह न ऄध कह कऽह कहा। को जग कम नचव न ज हा।। 

 त  कऽह न कह बौऱह। कऽह कर दय ोध नह दह।। 4।। 

 ईनम स भा कस - कसको मोह न ऄध ( ऽवव कशी  य) नह कय 

? जगत म ऐस   कौन ह ऽजस कम न न नचय हो ? त ण न 

 कसको मतवल नह बनय ? ोध न कसक दय न 

 जलय ?।।4।। 

 दो.- यना तपस सी  र कऽब कोऽबद ग न अगर। 

 कऽह क लोभ ऽबड बन कऽह न एह स सर।।70 क।। 

 आस स सर म ऐस कौन स ना , तपवा , शी  रवार , कऽप ,

 ऽवन और ग ण क  धम ह, ऽजसक लोभन ऽबडबन (ऽमा  पलाद) न क हो।।70( क)।। 

ा मद ब न कह कऽह भ त बऽधर न कऽह। 

 म गलोचऽन क न न सर को ऄस लग न जऽह।।70 ख।। 

Page 167: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 167/340

 

 लमा क मदन कसको ट और भ तन  कसको बहऱ नह 

 कर दय ? ऐस   कौन ह, ऽजस म गनयना (य वता ा) क न  - बण न लग ह।।70( ख)।। 

 चौ.- ग न कत सयपत नह कहा। कोई न मन मद तज ई  ऽनब हा।।  जोबन वर कऽह नह बलकव। ममत कऽह कर जस न  नसव।।1।। 

[ रज , तम अद] ग ण क कय अ सऽपत   कस नह अ ?

 ऐस कोइ नह ह  ऽजस मन और मद न िऄीत िो हो। यौवन  क वर न कस अप स बहर नह   कय ? ममत न कसक यश 

 क नश नह कय ?।।1।। 

 मिछर कऽह कल क न लव। कऽह न सोक समार डोलव।। 

 चत स ऽपऽन को नह खय। को जग जऽह न यपा  मय।।2।। 

Page 168: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 168/340

Page 169: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 169/340

 

 दो.- यऽप रह ई स सर म मय कटक च ड। 

 स नपऽत कमद भट दभ कपट पष ड।।71 क।। 

 मयक चड स न स सरभर म िया हइ ह।  कमद (कम ,

 ोध और लोभ) ईसक स न पऽत ह और दभ , कपट  और 

 पखड यो ह।।71( क)।। 

 सो दसा रघ बार क सम झ ऽमय सोऽप।। 

ि ीट न ऱम कप ऽबन नथ कहई पद रोऽप।।71 ख।। 

 वह मय ारघ वार क दसा ह। यऽप समझ   ल न पर वह 

 ऽमय हा ह, कत वह ाऱमजाक कपक ऽबना िीटता नह। ह नथ ! यह म ऽत   करक कहत ।।71( ख)।। 

 चौ.- जो मय सब जगऽह नचव। जस चरत लऽख क न  पव।।  सोआ भ ी ऽबलस खगऱज। नच नटा आव सऽहत 

 समज।।1।। 

 जो मय सर जगत को नचता ह और ऽजसक   चर (करना)

 कसा न नह लख   पय , ह खगऱज गजा ! वहा मय भ  

Page 170: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 170/340

 

ाऱमचजा क क टाक   आशरपर ऄपन समज (परवर)

 सऽहत नटा क तरह नचता ह।।1।। 

 सोआ सऽदन द घन ऱम। ऄज ऽबयन प बल धम।।  

 यपक यप ऄख ड ऄन त। ऄऽखल ऄमोघसऽ भगव त।।2।। 

ाऱमजा वहा सऽदनदघन ह जो ऄजम , ऽवनवप ,

 प और बलक धम , सव पक एव य (सव प) ऄखड ,

ऄनत , सपी  ण ऄमोघशऽ ( ऽजसक शऽ कभा थ नह 

 होता) और िः ऐशय स य  भगवन  ह।।2।। 

ऄग न ऄद ऽगऱ गोतात। सबदरसा ऄनव ऄजात।।  

 ऽनम म ऽनऱकर ऽनरमोह। ऽनय ऽनरजन स ख स दोह।।3।। 

 व ऽनग   ण (मय क गण स रऽहत), महन  वणा और आऽदयस 

 पर सब कि   द खन वल, ऽनदष , ऄज य , ममतरऽहत , ऽनऱकर (मऽयक अकरस रऽहत), मोहरऽहत , ऽनय , मयरऽहत , स ख 

 क ऱऽश ,।।3।। 

Page 171: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 171/340

Page 172: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 172/340

 

भव दखलत ह; पर वय वह ईनम स  कोइ हो नह 

 जत।।72( ख)।। 

 चौ.-ऄऽस रघ पऽत लाल ईरगरा। दन ज ऽबमोहऽन जन  स खकरा।।  ज मऽत मऽलन ऽबषय बस कमा। भ पर मोह धरह आऽम 

 वमा।।1।। 

 ह गजा ! ऐसा हा ारघ नथजा क यह लाल   ह, जो ऱस 

 को ऽवश ष   मोऽहत करन वला और भ को स ख द न वला ह। ह 

 वमा ! जो   मन य मऽलन ब ऽ , ऽवषय क वश और कमा ह, व 

 हा भ पर आस कर मोह   क अरोप करत ह।।1।। 

 नयन दोष ज कह जब होइ। पात बरन सऽस क कह सोइ।।  जब ज ऽह दऽस म होआ खग स। सो कह पऽिछम ईयई 

 दन स।।2।। 

 जब ऽजसको [कवल अद] न  दोष होत ह, तब   वह चम को 

 पाल रग क   कहत ह। ह पऽऱज ! जब ऽजस दशम होत 

 ह, तब वह कहत ह क सी  य  पऽम म ईदय अ ह।।2।। 

Page 173: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 173/340

 

 नौक चलत जग द ख। ऄचल मोह बस अप ऽह ल ख।। 

 बलक मह न मह ग हदा। कहह परपर ऽमयबदा।।3।। 

 नौक पर च अ मन य जगत को चलत अ   द खत ह और 

 मोह वश ऄपन को ऄचल   समझत ह।।3।। 

 हर ऽबषआक ऄस मोह ऽबह ग। सपन  नह ऄयन स ग।। 

 मयबस मऽतम द ऄभगा। दय जमऽनक बऽबऽध लगा।।4।। 

 ह गजा ! ाहरक ऽबषय म मोह क   कपन भा ऐसा हा ह,

भगवन म  तो वम भा ऄनक स ग (ऄवसर) नह ह।

 कत जो मय क वश , मदब ऽ और भयहान ह और ऽजनक दय पर ऄन क करक परद प  ह।।4।। 

 त सठ हठ बस स सय करह। ऽनज ऄयन ऱम पर धरह।। 5।। 

 व मी  ख हठ क वश होकर सद ह करत ह और ऄपन ऄन 

ाऱमजा पर  अरोऽपत करत ह।।5।। 

 दो.- कम ोध मद लोभ रत ग हस द खप। 

 त कऽम जनह रघ पऽतऽह मी   पर तम कीप।।73 क।। 

Page 174: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 174/340

 

 जो कम , ोध , मद और लोभ म रत ह और   दःखप घरम 

अस ह, व ारघ नथजा को कस जन सकत ह ? व मी  ख तो 

ऄधकर पा कए म  प ए ह।।73( क)।। 

 ऽनग   न प स लभ ऄऽत सग न जन नह कोइ। 

 स गम ऄगम नन चरत स ऽन म ऽन मन म होआ।।73 ख।। 

 ऽनग   ण प ऄयत स लभ (सहज हा समझ म अ   जन वल) ह,

 परत [ ग णतात द] सग ण पको कोइ नह जनत। आसऽलय 

 ईन सग ण भगवन को  ऄन क कर क स गम और ऄगम 

 चरको स नकर म ऽनय क भा मन को म हो   जत  ह।।73( ख)।। 

 चौ.- स न खग स रघ पऽत भ तइ। कहई जथमऽत कथ स हइ।  ज ऽह ऽबऽध मोह भयई भ मोहा। सोई सब कथ स नवई

 तोहा।।1।। 

 ह पाऱज गजा ! ारघ नथजा क   भ त स ऽनय। म ऄपना  ब ऽ   क ऄन सर वह स हवना कथ कहत । ह भो ! म झ ऽजस 

 कर मोह अ   ह

, वह सब कथ भा अपको स नत ।।

1।।

 

Page 175: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 175/340

 

 ऱम कप भजन त ह तत। हर ग न ाऽत मोऽह स खदत।। 

 तत नह िक त हह द ऱवई। परम रहय मनोहर गवई।। 2।। 

 ह तत ! अप ाऱमजाक कप प ह । ाहरक ग ण म 

अपक ाऽत   ह, आसाऽलय अप म झ स ख द न वल ह। आसा स म 

अपस कि भा नह   ऽिपत और ऄयत रहय क बत अपको 

 गकर स नत ।।2।। 

 स न ऱम कर सहज स भउ। जन ऄऽभमन न ऱखह कउ।।  

 स स त मी  ल सी  लद नन। सकल सोक दयक ऄऽभमन।।3।। 

ाऱमचजाक सहज वभव स ऽनय; व भ म ऄऽभमन 

 कभा नह रहन  द त। यक ऄऽभमन जम - मरणप स सरक  मी  ल ह और ऄन क कर क लश तथ समत शोक को 

 द न वल ह।।3।। 

 तत करह कपऽनऽध दी  रा। स वक पर ममत ऄऽत भी  र।।  ऽजऽम ऽसस तन न होआ गोस। मत ऽचऱव कठन क 

 न।।4।। 

Page 176: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 176/340

Page 177: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 177/340

 

 चौ.- ऱम कप अपऽन जतइ। कहई खग स स न मन लइ।। 

 जब जब ऱम मन ज तन धरह। भ ह त लाल ब करह।।1।। 

 ह पऽऱज गजा ! ाऱमजाक कप और   ऄपना जत 

(मी  ख त) क बत   कहत , मन लगकर स ऽनय। जब - जब 

ाऱमचजा मन य शरार धरण करत  ह और भ क ऽलय 

 बत - सा लालए करत ह,।।1।। 

 तब तब ऄवधप रा म जउ। बलचरत ऽबलोक हरषउ। 

 जम महोसव द खई जइ। बरष प च तह रहई लोभइ।।2।। 

 तब -

 तब म ऄयोयप रा जत और ईनक बल   लाल द खकर  हषत होत ।  वह जकर म जम महोव द खत और [भगवन क ऽशश लालम] लभकर   प च वष तक वह रहत 

 ।।2।। 

 आद व मम बलक ऱम। सोभ बप ष कोट सत कम।।  ऽनज भ बदन ऽनहर ऽनहरा। लोचन स फल करई

 ईरगरा।।3।। 

Page 178: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 178/340

Page 179: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 179/340

Page 180: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 180/340

 

 मरकत मऽण क समन हरतभ यम और कोमल शरार   ह।

ऄ ग -ऄ ग म बत स कम द व क शोभ िया इ ह। नवान [लल] कमलक   समन लल - लल कोमल चरण ह।  स दर ऄ ग ऽलय ह और नख ऄपना योऽत स चम क कऽत को 

 हरन  वल ह।।3।। 

 लऽलत ऄ क क ऽलसदक चरा। नीप र च मध र रवकरा।।  च प रट मऽन रऽचत बनइ। कट ककन कल म खर 

 स हइ।।4।। 

[ तलव म] वद (व , ऄ कश , वज और   कमल) क चर स दर 

 ऽचन ह। चरण म मध र शद करन वल स दर न पी  र   ह। मऽणय (र) स जा   इ सोन क बना इ स दर करधनाक शद 

 स हवन लग रह ह।।4।। 

 दो.- रख य स  दर ईदर नभा ऽचर गभार।। 

 ईर अयत जत ऽबऽबऽध बल ऽबभी  षन चार।।76।। 

 ईदरपर स दर तान रखए (ऽवला) ह, नऽभ   स दर और गहरा 

 ह। ऽवशल वःथल पर ऄन क कर क ब क अभी  षण  और 

 व सभोऽभत   ह।।76।। 

Page 181: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 181/340

 

 चौ.-ऄन पऽन नख करज मनोहर। ब ऽबसल ऽबभी  षन 

 स  दर।।  कध बल कहर दर ाव। च ऽचब क अनन िऽब सव।।1।। 

 लल - लल हथ ऽलय, नख और ऄ ग ऽलय मनको हरन  वल ह 

और ऽवशल भ ज पर   स दर अभी  षण ह। बलसह (सहक ब) क- स कध और श ख क समन (तान   रख स य ) गल  ह। स दर ठा ह और म ख तो िऽव क साम ह।।1।। 

 कलबल बचन ऄधर ऄनर। द आ द इ दसन ऽबसद बर बर।।  लऽलत कपोल मनोहर नस। सकल स खद सऽस कर सम 

 हस।।2।। 

 कलबल (तोतल) वचन ह, लल - लल ठ ह।  ईवल , स दर 

और िोटा -ि ोटा [ उपर और नाच] दो दो द त ऽलय ह, स दर 

 गल , मनोहर नऽसक  और सब स ख को द न वला चम क [ऄथव स ख द न वला समत कल स  पी  ण चम क]

 करण क समन मध र म सकन ह।।2।। 

Page 182: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 182/340

 

 नाल कज लोचन भव मोचन। जत भल ऽतलक गोरोचन।।  ऽबकट भ क ट सम वन स हए। क  ऽचत कच म चक िऽब 

ि ए।।3।। 

 नाल कमलक समन न  जम - म य [क  बधन] स िन वल ह। ललटपर   गोरोचनक ऽतलक सशोऽभत ह। भह टा ह। कन  सम और स दर ह। कल और घ   घऱल कशक िऽव ि रहा 

 ह।।3।। 

 पात झाऽन झग ला तन सोहा। कलकऽन ऽचतवऽन भवऽत  मोहा।।  प ऱऽस न प ऄऽजर ऽबहरा। नचह ऽनज ऽत बब 

 ऽनहरा।।4।। 

 पाला और महान झ   गला शरार पर शोभ द रहा ह।  ईनक  कलकरा और ऽचतवन म झ  बत हा ऽय लगता ह। ऱज  दशरथजा क अ गन म ऽवहर करन वला प क ऱऽश  

ाऱमचजा ऄपना पिरह द खकर नचत ह।।4।। 

 मोऽह सन करह ऽबऽबऽध ऽबऽध । बरनत मोऽह होऽत ऄऽत  ा।।  कलकत मोऽह धरन जब धवह। चलई भऽग तब पी  प 

 द खवह।।5।। 

Page 183: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 183/340

 

और म झस बत कर क ख ल करत ह, ऽजन   चर क वण न 

 करत म झ  ला अता ह। कलकरा मरत ए जब व म झ  पकन दौत और म भग   चलत तब म झ पअ दखलत 

थ।।5।। 

 दो.-अवत ऽनकट ह सह भ भजत दन कऱह।।  

 जई समाप गहन पद फर फर ऽचतआ पऱह।। 77 क।। 

 म र ऽनकट अन पर भ ह सत ह और भग   जन पर रोत ह। और 

 जब म  ईनक चरण पश करन क ऽलय पस जत , तब व 

 िपा फर - फरकर म रा ओर   द खत ह ए भग जत ह।।77( क)।। 

 कत ऽसस आव लाल द ऽख भयई मोऽह मोह। 

 कवन चर करत भ ऽचदन द स दोह।।77 ख।। 

 सधरण ब ज सा लाल द खकर म झ (श क)  अ क  सऽदनदघन भ यह   कौन [महव क] चर (लाल) कर रह 

 ह।।77( ख)।। 

Page 184: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 184/340

Page 185: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 185/340

Page 186: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 186/340

 

 सभा तऱगण क सथ सोलह कल स पी  ण  चम ईदय हो 

और ऽजतन पव त   ह, ईन सबम दवऽ लग दा जय , तो भा 

 सी  य क ईदय ए ऽबन ऱऽ   नह ज सकता।।78( ख)।। 

 चौ.- ऐस ह हर ऽबन भजन खग स। ऽमटआ न जावह कर  कल स।।  हर स वकऽह न यप ऄऽब। भ  रत यपआ त ऽह 

 ऽब।।1।। 

 ह पऽऱज ! आसा कर ा हर क भजन   ऽबन जावक लश  नह ऽमटत। ाहर क स वक को ऄऽव नह पता। भ क 

  रण स ईस ऽव   पता ह।।1।। 

 तत नस न होआ दस कर। भ द भगऽत बआ ऽबह गबर।। म त चकत ऱम मोऽह द ख। ऽबह स सो स न चरत 

 ऽबस ष।।2।। 

 ह पऽऱज ! आसा स दस क नष नह होत  और भ द -भऽ 

 बता ह। ाऱमजान म झ जब म स चकत द ख , तब व ह स।

 वह ऽवश ष चर   स ऽनय।।2।। 

Page 187: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 187/340

 

 त ऽह कौत क कर मरम न क। जन ऄन ज न मत ऽपत।।  जन पऽन धए मोऽह धरन। यमल गत ऄन कर 

 चरन।।3।। 

 ईस ख ल क मम कसा न नह जन , न िोट भआय न और न 

 मत ऽपत न  हा। व यम शरार और लल - लल हथ ला और  चरणतल वल बलप ाऱमजा घ टन और हथ क बल म झ 

 पकन को दौ।।3।। 

 तब म भऽग चल ई ईरगरा। ऱम गहन कह भ ज पसरा।।  ऽजऽम ऽजऽम दी  र ईई ऄकस। तह भ ज हर द खई ऽनज 

 पस।।4।। 

 ह सप क श गजा ! तब म भग   चल। ाऱमजा न म झ 

 पकन क  ऽलय भ ज फलया। म ज स- ज स अकशम दी  र ईत ,

 व स- व स हा वह ाहर क भ ज को ऄपन पस द खत थ।।4।। 

 दो.- लोक लऽग गयई म ऽचतयई िप ईत। 

 ज ग ऄ ग ल कर बाच सब ऱम भ जऽह मोऽह तत।।79 क।। 

Page 188: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 188/340

 

 म लोक तक गय और जब ईत ए म न  िपा क ओर द ख ,

 तो ह तत ! ाऱमजा क भ ज म और म झम कवल दो ऄ ग ल 

 क बाच थ।।79( क)।। 

 सबरन भ द कर जह लग गऽत मोर। 

 गयई तह भ भ ज ऽनरऽख यकल भयई बहोर।।79 ख।। 

 सत अवरण को भ दकर जह तक म रा गऽत था   वह तक म  गय। पर वह भा   भ क भ ज को [ऄपन िपा] द खकर कल 

 हो गय।।79( ख)।। 

 चौ.-

 मी  द ई नयन ऽसत जब भयउ। प ऽन ऽचतवत कोसलप र  गयउ।।  मोऽह ऽबलोक ऱम म स कह। ऽबह सत त रत गयई म ख 

 मह।।1।। 

 जब म भयभात हो गय , तब म न अ ख मी    द   ल। फर अ ख  खोलकर द खत हा  ऄवधप रा म प च गय। म झ द खकर ाऱमजा म सकन लग। ईनक ह सत हा   म त रत ईनक म ख म 

 चल गय।।1।। 

Page 189: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 189/340

 

 ईदर मझ स न ऄ डज ऱय। द ख ई ब  ड ऽनकय।। 

ऄऽत ऽबऽच तह लोक ऄन क। रचन ऄऽधक एक त एक।।2।। 

 ह पऽऱज ! स ऽनय, म न ईनक प ट म  बत स डक समी  ह  

 द ख। वह ईन (ड म) ऄन क ऽवऽच लोक थ, ऽजनक 

 रचन एक - स- एक बकर था।।2।। 

 कोटह चत ऱनन गौरास। ऄगऽनत ईडगन रऽब रजनास।।  

ऄगऽनत लोकपल मन कल। ऄगऽनत भी धर भी  ऽम ऽबसल।।3।। 

 करो जा और ऽशवजा , ऄनऽगनत तऱगण , सी  य और 

 चम , ऄनऽगनत   लोकपल , यम और कल , ऄनऽगनत ऽवशल 

 पव त और भी  ऽम।।3।। 

 सगर सर सर ऽबऽपन ऄपऱ। नन भ ऽत स ऽ ऽबतऱ।।  

 स र म ऽन ऽस नग नर कनर। चर कर जाव सचऱचर।। 4।। 

ऄस य सम स नदास तलब और वन तथ और भा   नन 

 कर क स ऽ क   ऽवतर द ख। द वत , म ऽन , ऽस , नग ,

Page 190: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 190/340

 

 मन य , कर , तथ चर   कर क ज और च तन जाव 

 द ख।।4।। 

 दो.- जो नह द ख नह स न जो मन न समआ। 

 सो सब ऄभ त द ख ई बरऽन कवऽन ऽबऽध जआ।।80 क।। 

 जो कभा न द ख थ , न स न थ और जो मन म भा   नह सम  सकत थ (ऄथ त  ऽजसक कपन भा नह क ज सकता था),

 वहा सभा ऄभ त स ऽ म न द खा।  तब ईनक कस कर वण न 

 कय जय !।।80( क)।। 

 एक एक  ड म रहई बरष सत एक। 

 एऽह ऽबऽध द खत फरई म ऄ ड कटह ऄन क।।80 ख।। 

 म एक - एक ड म एक - एक सौ वष तक   रहत। आस कर म 

ऄन क   ड द खत फऱ।। 80( ख)।। 

 चौ.- लोक लोक ऽत ऽभ ऽबधत। ऽभ ऽबन ऽसव मन  दऽसत।। 

 नर गधब भी  त ब तल। कनर ऽनऽसचर पस खग यल।।1।। 

Page 191: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 191/340

 

 य क लोक म ऽभ - ऽभ  , ऽभ - ऽभ ऽबण, ऽशव , मन,

 दपल , मन य गधव, भी  त , व तल , कर , ऱस , पश, पा ,

 सप।।1।। 

 द व दन ज गन नन जता। सकल जाव तह अनऽह भ ता।। 

 मऽह सर सगर सर ऽगर नन। सब प च तह अनआ अन।।2।। 

 तथ नन जऽत क द वत एव द यगण थ। सभा   जाव वह दी  सर

 हा कर क थ। ऄन क पवा , नदा , सम  , तलब , पव त तथ 

 सब स ऽ वह  दी  सरा - हा - दी  सरा कर क था।।2।। 

ऄ डकोस ऽत ऽत ऽनज प। द ख ई ऽजनस ऄन क ऄनी  प।। 

ऄवधप रा ऽत भ वन ऽननरा। सरजी ऽभ ऽभ नर नरा।।3।। 

 य क ड - ड म म न ऄपन प द ख तथ ऄन क 

ऄन पम   वत ए द ख। य क भ वन म यरा हा ऄवधप रा , ऽभ 

 हा सरयी  जा और   ऽभ कर क नर - नरा थ।।3।। 

 दसरथ कौसय स न तत। ऽबऽबध प भरतदक त।। 

 ऽत  ड ऱम ऄवतऱ। द  खई बलऽबनोद ऄपऱ।। 4।। 

Page 192: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 192/340

Page 193: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 193/340

Page 194: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 194/340

 

 करई ऽबचर बहोर बहोरा। मोह कऽलल यऽपत मऽत मोरा।। 

 ईभय घरा मह म सब द ख। भयई ऽमत मन मोह ऽबस ष।।4।। 

 म बर - बर ऽवचर करत थ। म रा ब ऽ मोह   पा कच स   था। यह   सब म न दो हा घाम द ख। मनम ऽवश ष मोह 

 होन स म ऽमत हो गय  थ।।4।। 

 दो.- द ऽख कपल ऽबकल मोऽह ऽबह स तब रघ बार। 

 ऽबह सतह म ख बह र अयई स न मऽतधार।।82 क।। 

 म झ कल द खकर तब कपल ारघ वार ह स   दय। ह धारब ऽ 

 गजा! स ऽनय, ईनक ह सत हा म म   हस बहर अ  गय।।82( क)।। 

 सोआ लरकइ मो सन करन लग प ऽन ऱम।।  

 कोट भ ऽत सम झवई मन न लहआ ऽबम।।82 ख।। 

ाऱमचजा म र सथ फर वहा लकपन   करन लग। म 

 करो (ऄस य)  करस मन को समझत थ , पर वह शऽत 

 नह पत थ।।82( ख)।। 

Page 195: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 195/340

Page 196: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 196/340

Page 197: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 197/340

Page 198: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 198/340

 

भगऽत हान ग न सब स ख ऐस। लवन ऽबन ब बजन ज स।। 

भजन हान स ख कवन कज। ऄस ऽबचर बोल ई खगऱज।। 3।। 

भऽस रऽहत सब ग ण और सब स ख व स हा ( फक) ह, ज स 

 नमकक ऽबन बत   करक भोजन क पदथ ! भजन स रऽहत 

 स ख कस कम क ? ह पऽऱज !   ऐस ऽवचरकर म बोल -

।।3।। 

 ज भ होआ स बर द । मो पर कर कप ऄ न ।। 

 मन भवत बर मगई वमा। त ह ईदर ईर ऄ तरजमा।।4।। 

 ह भो ! यद अप स होकर मझ वर द त  ह और म झपर कप और  ह   करत ह, तो ह वमा ! म ऄपन मन -भय वर म गत 

 । अप ईदर ह और   दय क भातरक जनन वल ह।।4।। 

 दो.-ऄऽबरल भगऽत ऽबस  तव  ऽत प ऱन जो गव।  

 ज ऽह खोजत जोगास म ऽन भ सद कोई पव।।84 क।। 

अपक ऽजस ऄऽवरल (ग) एव ऽवश  (ऄनय   ऽनकम)

भऽको  ऽत और   प ऱण गत ह, ऽजस योगार म ऽन खोत ह 

और भ क कप स कोइ   ऽवरल हा ऽजस पत ह।।84( क)।। 

Page 199: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 199/340

 

भगत कपत नत ऽहत कप सध स ख धम। 

 सोआ ऽनज भगऽत मोऽह भ द  दय कर ऱम।। 84 ख।। 

 ह भक [मन - आऽिछत फल द न वल]  कपव ! ह शरणगतक ऽहतकरा !  ह कप सगर। ह स खधम ाऱमजा ! दय करक

 म झ ऄपना वहा भऽ दाऽजय ।।84( ख)।। 

 चौ.- एवमत कऽह रघ कलनयक। बोल बचन परम स खदयक।। 

 स न बयस त सहज सयन। कह न मगऽस ऄस बरदन।।1।। 

‘ एवमत’ ( ऐस हा हो)  कहकर रघ कल क वमा परम स ख   द न वल वचन बोल- ह कक ! स न , ती वभव स हा ब ऽमन ह।

 ऐस   वरदन कस न म गत ?।।1।। 

 सब स ख खऽन भगऽत त मगा। नह जग कोई तोऽह सम  बभगा।।  जो म ऽन कोट जतन नह लहह। ज जप जोग ऄनल तन 

 दहह।।2।। 

Page 200: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 200/340

 

 ती  न सब स ख क खन भऽ म ग ला , जगत  म त र समन 

 बभगा कोइ नह   ह। व म ऽन जो जप और योगक ऄऽस शरार 

 जलत रहत ह, करो य   करक भा ऽजसको (ऽजस भऽको  नह) पत।।2।। 

 राझ ई द ऽख तोर चत ऱइ। मग  भगऽत मोऽह ऄऽत भइ।।  स न ऽबह ग सद ऄब मोर।। सब सभ ग न बऽसहह ईर 

 तोर।।3।। 

 वहा भऽ ती  न म गा। त रा चत रत द खकर म  राझ गय। यह 

 चत रत म झ  बत ऄिछा लगा। ह पा ! स न , म रा कपस ऄब 

 समत शभ ग ण त र दय   म बस ग।।3।। 

भगऽत यन ऽबयन ऽबऱग। जोग चर रहय ऽबभग।।  

 जनब त सबहा कर भ द। मम सद नह सधन ख द।।4।। 

भऽ , न , ऽवन , व ऱय , योग , म रा   लालए और ईसक

 रहय तथ   ऽवभग - आन सबक भ दको ती म रा कपस हा जन 

 जयग। त झ सधन क क नह   होग।।4।। 

Page 201: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 201/340

 

 दो.- मय सभव म सब ऄब न यऽपहह तोऽह।। 

 जन स ऄनद ऄज ऄग न ग नकर मोऽह।।85 क।। 

 मय स ईप सब म ऄब त झको नह   प ग। म झ ऄनद ,

ऄजम , ऄग ण , ( कऽतक ग णस रऽहत) और [ग णतात द]

 ग ण क खन    जनन।।85( क)।। 

 मोऽह भगऽत ऽय स तत ऄस ऽबचर स न कग। 

 कय बचन मन मम पद करस ऄचल ऄन ऱग।। 85 ख।। 

 ह कक ! स न , म झ भऽ ऽनरतर ऽय ह, ऐस ऽवचरकर शरार ,

 वचन और   मन स म र चरण म ऄटल  म करन।।85( ख)।। 

 चौ.-ऄब स न परम ऽबमल मम बना। सय स गम ऽनगमद  बखना।।  ऽनज ऽस त स नवई तोहा। स न मन ध सब तऽज भज 

 मोहा।।1।। 

ऄब म रा सय , स गम , व दद क ऱ वणत   परम ऽनम ल वणा 

 स न। म  त झको यह ‘ ऽनज ऽसत ’ स नत । स नकर मन म 

धरण कर और सब तजकर म ऱ भजन कर।। 1।। 

Page 202: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 202/340

 

 मम मय सभव स सऱ। जाव चऱचर ऽबऽबऽध कऱ।।  

 सब मम ऽय सब मम ईपजए। सब त ऄऽधक मन ज मोऽह भए।।2।। 

 यह सऱ स सर म रा मय स ईप ह। [ आसम] ऄन क कर क

 चऱचर   जाव ह। व सभा म झ ऽय ह; य क सभा म र ईप 

 कय ए ह। [ कत] मन य म झको सबस ऄऽधक ऄिछ लगत 

 ह।।2।। 

 ऽतह मह ऽज ऽज मह  ऽतधरा। ऽतह म ऽनगम धरम 

ऄन सरा।।  ऽतह मह ऽय ऽबर प ऽन यना। यऽन त ऄऽत ऽय 

 ऽबयना।।3।। 

 ईन मन य म भा ऽज , ऽज म भा   व द को [कठम] धरण 

 करन  वल, ईनम भा व दत धम पर चलन वल, ईनम भा 

 ऽवर (व ऱयवन )  म झ ऽय ह। व ऱयवनम फर ना और 

 ऽनय स भा ऄयत   ऽय ऽवना ह।।3।। 

Page 203: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 203/340

 

 ऽतह त प ऽन मोऽह ऽय ऽनज दस। ज ऽह गऽत मोर न दी  सर अस।। 

 प ऽन प ऽन सय कहई तोऽह पह। मोऽह स वक सम ऽय कोई  नह।।4।। 

 ऽवऽनय स भा ऽय म झ ऄपन दस ह, ऽजस म रा हा गऽत 

(अय) ह, कोइ दी  सरा अश नह ह। म त मस बर - बर सय 

(‘ ऽनज   ऽसत ’) कहत क म झ ऄपन स वकक समन ऽय 

 कोइ नह   ह।।4।। 

भगऽत हान ऽबरऽच कन होइ। सब जाव सम ऽय मोऽह सोइ।। 

भगऽतव त ऄऽत नाचई ना। मोऽह नऽय ऄऽस मम  बना।।5।। 

भऽहान ब हा य न हो , वह म झ सब   जाव क समन हा 

 ऽय ह।  परत भऽ मन ऄयत नाच भा णा म झ णक

 समन ऽय ह, यह म रा घोषण ह।।5।। 

 दो.- स ऽच स साल स वक स मऽत ऽय क कऽह न लग। 

 ऽत प ऱन कह नाऽत ऄऽस सवधन स न कग।।86।। 

Page 204: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 204/340

 

 पऽव , सशाल और स दर ब ऽवल स वक , बत कसको यऱ 

 नह लगत ? व द और प ऱण ऐसा हा नाऽत कहत ह। ह कक !

 सवधन होकर स न।।86।। 

 चौ.- एक ऽपत क ऽबप ल कमऱ। होह प थक ग न साल ऄचऱ।।  

 कोई प ऽडत कोई तपस यत। कोई धनव त सी  र कोई 

 दत।।1।। 

 एक ऽपत क बत - स प  पथक- पथक ग ण , वभव और अचरण 

 वल होत ह।  कोइ पऽडत होत ह, कोइ तपवा , कोइ ना ,

 कोइ धना , कोइ शी  रवार , कोइ   दना।।1।। 

 कोई सब य धम रत कोइ। सब पर ऽपतऽह ाऽत सम होइ।। 

 कोई ऽपत भगत बचन मन कम। सपन  जन न दी  सर धम।।2।। 

 कोइ सव  और कोइ धम पऱयण होत ह ।  ऽपतक  म आन सभा  पर समन होत   ह। परत आनम स यद कोइ मन , वचन और कम 

 स ऽपत क हा भ होत ह, व म भा दी  सऱ धम नह 

 जनत।।2।। 

Page 205: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 205/340

Page 206: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 206/340

 

 वह प ष नप स क हो , ा हो ऄथव चर -ऄचर   कोइ भा जाव हो ,

 कपट िोकर जो  भा सवभव स म झ भजत ह वह म झ परम 

 ऽय ह।।87( क)।। 

 सौ.- सय कहई खग तोऽह स ऽच स वक मम नऽय।। 

ऄस ऽबचर भज मोऽह परहर अस भरोस सब।।87 ख।। 

 ह पा ! म त झस सय कहत , पऽव (ऄनय एव ऽनकम)

 स वक   म झ ण क समन यऱ ह । ऐस ऽवचर कर सब 

अश -भरोस िोकर म झाको  भज।।87( ख)।। 

 चौ.- कब कल न यऽपऽह तोहा। स ऽमरस भज स ऽनरतर  मोहा।।  भ बचनम त स ऽन न ऄघउ। तन प लकत मन ऄऽत 

 हरषउ।।1।। 

 त झ कल भा नह प ग। ऽनरतर म ऱ   मरण और भजन  करत रहन। भ क  वचनम त स नकर म त  नह होत थ। म ऱ 

शरार प लकत थ और मनम म ऄयत , हषत हो रह थ।।1।। 

Page 207: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 207/340

 

 सो स ख जनआ मन ऄ कन। नह रसन पह जआ बखन।।  भ सोभ स ख जनह नयन। कऽह कऽम सकह ऽतहह नह 

 बयन।।2।। 

 वह स ख मन और कन हा जनत ह। जाभ स ईसक   बखन नह  कय ज सकत।  भ क शोभ क वह स ख न  हा जनत ह।

 पर व कह कस सकत ह ? ईनक वणा तो हा नह ह।।2। 

 ब ऽबऽध मोऽह बोऽध स ख द इ। लग करन ऽसस कौत क त इ।।  सजल नयन िक म ख कर ख। ऽचतआ मत लगा ऄऽत 

भी  ख।।3। 

 म झ बत कर स भला भ ऽत समझकर और स ख   द कर भ  फर वहा बलक क  ख ल करन लग। न  म जल भरकर और  म ख को कि ख [- स] बनकर   ईहन मतक ओर द ख - [और म खकऽत तथ ऽचतवनस मतको समझ दय क]  बत 

भी  ख लगा ह।।3।। 

 द ऽख मत अत र ईठ धइ। कऽह म द बचन ऽलए ईर लइ।।  गोद ऱऽख कऱव पय पन। रघ  पऽत चरत लऽलत कर 

 गन।।4।। 

Page 208: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 208/340

 

 यह द खकर मत त रत ईठ दौा और कोमल वचन   कहकर  ईहन ाऱमजाको िता   स लग ऽलय। व गोद म ल कर ईह 

 दी ध ऽपलन लग और ारघ नथजा ( ईह) क लऽलत लालए  गन लग।।4।। 

 सो.- ज ऽह स ख लऽग प ऱर ऄस भ ब ष कत ऽसव स खद। 

ऄवधप रा नर नर त ऽह स ख म स तत मगन।।88 क।। 

 ऽजस स ख क ऽलय [सबको] स ख द नवल  कयणप ऽप ऱर 

 ऽशवजा न ऄशभ   व ष धरण कय , ईस स ख म ऄवधप रा क नर -

 नरा ऽनरतर ऽनम रहत  ह।।88( क)।। 

 सोइ स ख लवल स ऽजह बरक सपन  लह ई। 

 त नह गनह खग स स खऽह सन स मऽत।।88 ख।। 

 ईस स ख क लवलशम ऽजहन एक बर   वम भा कर 

 ऽलय , ह  पऽऱज ! व स दर ब ऽ वल सन प ष ईसक समन स खको भा   कि नह ऽगनत।।88( ख)।। 

Page 209: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 209/340

 

 चौ.- म प ऽन ऄवध रह ई िक कल। द ख ई बलऽबनोद रसल।।  ऱम सद भगऽत बर पयई। भ पद ब द ऽनजम 

अयई।।1।। 

 म और कि समय तक ऄवधप रा म रह और म न ाऱमजा क  रसाला बललालए  द ख। ाऱमजा क कप स म न भऽ क  वरदन पय। तदनतर भ क  चरण क वदन करक म ऄपन 

अमपर लौट गय।।1।। 

 तब त मोऽह न यपा मय। जब त रघ नयक ऄपनय।।  यब सब ग  चरत म गव। हर मय ऽजऽम मोऽह 

 नचव।।2।। 

 आस कर जब स ारघ नथजा न म झको  ऄपनय , तबस म झ 

 मय कभा नह   पा। ाहर क मय न म झ ज स नचय ,

 वह सब ग  चर म न  कह।।2।। 

 ऽनज ऄनभव ऄब कहई खग स। ऽबन हर भजन न जह  कल स।। 

 ऱम कप ऽबन स न खगऱइ। जऽन न जआ ऱम भ  तइ।।3।। 

Page 210: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 210/340

 

 ह पऽऱज ग ! ऄब म अपस ऄपन ऽनज  ऄनभव कहत ।[वह यह ह क] भगवन क भजन क ऽबन लश दी  र नह होत। ह 

 पऽऱज ! स ऽनय, ाऱमजा क कप ऽबन ाऱमजा क  भ त नह जना जता।।3।। 

 जन ऽबन न होआ परताता। ऽबन परताऽत होआ नह ाऽत।।  ाऽत ऽबन नह भगऽत दइ। ऽजऽम खगपऽत जल क

 ऽचकनइ।।4।। 

 भ त जन ऽबन ईनपर ऽवस नह जमत , ऽवस क ऽबन 

 ाऽत नह   होता और ाऽत ऽबन भऽ व स हा द  नह होता 

 ज स ह पऽऱज !  जलक ऽचकनइ ठहरता नह।।

4।।

 

 सो.- ऽबन ग र होआ क यन यन क होआ ऽबऱग ऽबन ।। 

 हवह ब द प ऱन स ख क लऽहऄ हर भगऽत ऽबन।।89 क।। 

 ग  क ऽबन कह न हो सकत ह ? ऄथव   व ऱय क ऽबन  कह न हो   सकत ह ? आसा तरह व द और प ऱण कहत ह क 

ाहरक भऽक ऽबन य   स ख ऽमल सकत ह ?।।89( क)।। 

Page 211: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 211/340

 

 कोई ऽबम क पव तत सहज स तोष ऽबन। 

 चल क जल ऽबन नव कोट जतन पऽच पऽच मरऄ।।89 ख।। 

 ह तत ! वभऽवक सतोष क ऽबन य कोइ  शऽत प 

 सकत ह ? [ चह]  करो ईपय करक पच - पच मरय; [ फर 

भा] य कभा जलक ऽबन नव चल सकता   ह ?।।89( ख)।। 

 चौ.- ऽबन स तोष न कम नसह। कम िऄत स ख सपन  नह।।  ऱम भजन ऽबन ऽमटह क कम। थल ऽबहान त कब क 

 जम।।1।। 

 सतोष क ऽबन कमन क नश नह होत और   कमन क रहत व म भा   स ख नह हो सकत। और ाऱम क भजन 

 ऽबन कमनए कह ऽमट सकता ह ? ऽबन धरता क भा कह 

 प  ईग सकत ह ?।।1।। 

 ऽबन ऽबयन क समत अवआ। कोई ऄवकस क नभ ऽबन  पवआ।। 

ऽबन धम नह होइ। ऽबन मऽह गध क पवआ कोइ।।2।। 

Page 212: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 212/340

 

 ऽवन (तवन) क ऽबन य समभव अ   सकत ह ?

अकश क ऽबन य   कोइ ऄवकश (पोल) प सकत ह ?  

 क ऽबन धम [क अचरण] नह होत। य पवातव क ऽबन  कोइ गध प सकत ह ?।।2।। 

 ऽबन तप त ज क कर ऽबतऱ। जल ऽबन रस क होआ स सऱ।।  

 साल क ऽमल ऽबन बध स वकइ। ऽजऽम ऽबन त ज न प 

 गोस ।।3।। 

 तप क ऽबन य त ज फल सकत ह ? जल - तवक ऽबन 

 स सरम य रस हो   सकत ह ? पऽडतजनक स व ऽबन य 

शाल (सदचर) हो सकत ह ? ह गोस ! जस ऽबन त ज (ऄऽ - तव) क प नह ऽमलत।।3।। 

 ऽनज स ख ऽबन मन होआ क थाऱ। परस क होआ ऽबहान  समाऱ।।  

 कवऽनई ऽसऽ क ऽबन ऽबवस। ऽबन हर भजन न भव भय  नस।।4।। 

 ऽनज - स ख (अमनद) क ऽबन य मन ऽथर   हो सकत ह?

 वय- तवक  ऽबन य पश हो सकत ह ? य ऽवस क

Page 213: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 213/340

 

 ऽवन कोइ भा ऽसऽ हो   सकता ह ? आसा कर ाहर क भजन 

 ऽबन जम - म य क भय क नश नह   होत।।4।। 

 दो.- ऽबन ऽबवस भगऽत नह त ऽह ऽबन वह न ऱम । 

 ऱम कप ऽबन सपन  जाव न लह ऽबम।।90 क।। 

 ऽबन ऽवस क भऽ नह होता , भऽक  ऽबन ाऱमजा  ऽपघलत (ढरत)  नह और ाऱमजा क कप क ऽबन जाव व 

 म भा शऽत नह   पत।।90( क)।। 

 सो.-ऄस ऽबचर मऽतधार तऽज कतक स सय सकल। 

भज ऱम रघ बार कनकर स  दर स खद।।90 ख।। 

 ह धारब ऽ ! ऐस ऽवचर कर सपी  ण  क तक और सद ह को ि ोकर   कण क खन स दर और स ख द न वल ारघ वार क 

भजन कऽजय।।90( ख)।। 

 चौ.- ऽनज मऽत सरस नथ म गइ। भ तप मऽहम खगऱइ।।  

 कहई न िक कर ज ग ऽत ऽबस षा। यह सब म ऽनज नयनऽह 

 द खा।।1।। 

Page 214: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 214/340

Page 215: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 215/340

 

 ऱम कम सत कोट सभग तन। द ग कोट ऄऽमत ऄर मद न।।  स कोट सत सरस ऽबलस। नभ सत कोट ऄऽमत 

ऄवकस।।4।। 

ाऱमजाक ऄरब कमद वक समन स दर  शरार ह। व ऄनत  कोट   द गक समन श नशक ह। ऄरब आ क समन ईनक 

 ऽवलस ( ऐय) ह। ऄरब अकशक समन ईनम ऄनत 

ऄवकश (थन) ह।।4।। 

 दो.- मत कोट सत ऽबप ल बल रऽब सत कोट कस। 

 सऽस सत कोट स सातल समन सकल भव स।।91 क।। 

ऄरब पवन क समन ईनम महन बल ह और  ऄरब सी  य क समन कश ह। ऄरब चम क समन व शातल और 

 स सरक समत भय क नश करन वल  ह।।91( क)।। 

 कल कोट सत सरस ऄऽत द तर द ग द रत। धी  मकत सत कोट सम द ऱधरष भगव त।।91 ख।। 

ऄरब कल क समन व ऄयत द तर , द ग म और द रत ह। व 

भगवन ऄरब धी  मकत (प िछल तर) क समन ऄयत बल 

 ह।।91( ख)।। 

Page 216: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 216/340

 

 चौ.- भ ऄगध सत कोट पतल। समन कोट सत सरस 

 कऱल।।   तारथ ऄऽमत कोट सम पवन। नम ऄऽखल ऄघ पी  ग 

 नसवन।।1।। 

ऄरब पतल क समन भ ऄथह ह। ऄरब   यमऱजक समन 

भयनक ह। ऄनतकोट ताथ क समन व पऽव करन वल ह। ईनक नम सपी  ण  पपसमी  ह क नश करन वल ह।।1।। 

 ऽहमऽगर कोट ऄचल रघ बाऱ। सध कोट सत सम गभाऱ।।  

 कमध न सत कोट समन। सकल कम दयक भगवन।।2। 

ारघ वार करो ऽहमलयक समन ऄचल ( ऽथर) ह और 

ऄरब सम  क  समन गहर ह। भगवन ऄरब कमध न क

 समन सब कमन (आऽिछ   पदथ) क द न वल ह।।2।। 

 सरद कोट ऄऽमत चत ऱइ। ऽबऽध सत कोट स ऽ ऽनप नइ।। 

 ऽबन कोट सम पलन कत। कोट सत सम स हत।।3।। 

 ईनम ऄनतकोट सरवऽतयक समन चत रत   ह। ऄरब 

  क समन   स ऽरचनक ऽनप णत ह। व करो ऽवण 

Page 217: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 217/340

Page 218: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 218/340

 

 करन वल और ऄयत कपल ह। व ईस वण नको  मसऽहत  स नकर स ख   मनत ह। 

 दो.- ऱम ऄऽमत ग न सगर थह क पवआ कोआ। 

 स तह सन जस िक सन ई त हऽह स नयई सोआ।।92 क।। 

ाऱमजा ऄपर ग णक सम  ह, य   ईनक कोइ थह प 

 सकत ह ? स त स म न ज स कि स न थ , वहा अपको 

 स नय।।92( क)।। 

 सो.-भव बय भगवन स ख ऽनधन कन भवन। 

 तऽज ममत मद मन भऽजऄ सद सात रवन।।92 ख।। 

 स ख क भडर , कणधम भगवन ( म) क  वश ह। [ऄतएव]

 ममत , मद और   मनको िोकर सद ाजनकनथजा क हा 

भजन करन चऽहय।।92( ख)।। 

 चौ.- स ऽन भ स  ऽड क बचन स हए। हरऽषत खगपऽत प ख फ लए।। 

 नयन नार मन ऄता हरषन। ारघ पऽत तप ईर अन।।1।। 

Page 219: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 219/340

 

भश ऽडजाक स दर वचन स नकर पऽऱजन   हषत होकर ऄपन  प ख फ ल   ऽलय। ईनक न म [ मनद क अ स क] जल अ 

 गय और मन ऄयत   हषत हो गय। ईहन ारघ नथजा क  तप दय म धरण कय।।1।। 

 पऽिल मोह सम ऽझ पऽितन। ऄनद मन ज कर मन।। 

 प ऽन प ऽन कग चस ऽस नव। जऽन ऱम सम  म बव।।2।। 

 व ऄपन ऽिपल मोहको समझकर (यद करक) िपतन  लग क  म न अनद को   मन य करक मन। गजा बर बर  ककभश ऽडजा क चरण पर ऽसर नवय और   ईहन 

ाऱमजा क हा समन जनकर  म बय।।2।। 

 ग र ऽबन भव ऽनऽध तरआ न कोइ। ज ऽबरऽच स कर सम होइ।। 

 स सय सप स ई मोऽह तत। द खद लहर कतक ब त।।3।। 

 ग  क ऽबन कोइ भवसगर नह तर सकत , चह  वह जा और श करजाक  समन हा य न हो। [गजान कह -] ह तत ! म झ सद हपा सप न डस   ऽलय थ और [स पक डसन पर ज स  ऽवष चन स लहर अता ह व स हा]  बत - सा कतकपा दःख द न 

 वला लहर अ रहा थ।।3।। 

Page 220: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 220/340

 

 तव सप गऽ रघ नयक। मोऽह ऽजअयई जन स खदयक।। 

 तव सद मम मोह नसन। ऱम रहय ऄनी  पम जन।।4।। 

अपक वप पा गा (स पक ऽवष   ईतरन वल) क ऱ भको स ख   द न वल ारघ नथजान म झ ऽजल ऽलय। अपक  कप स म ऱ मोह नश हो   गय और म न ाऱमजा क ऄन पम 

 रहय जन।।4।। 

 दो.- तऽह स ऽस ऽबऽबऽध ऽबऽध सास नआ कर जोर।। 

 बचन ऽबनात स म म द बोल ई ग बहोर।।93 क।। 

 ईनक (भश ऽडजाक) बत कर स श स   करक

, ऽसर  नवकर और हथ   जोकर फर गजा  मपी  व क ऽवन और 

 कोमल वचन बोल-।।93( क)।। 

 भ ऄपन ऄऽबब क त बी  झई वमा तोऽह। 

 कपसध सदर कह जऽन दस ऽनज मोऽह।।93 ख।। 

 ह भो ! ह वमा ! म ऄपन ऄऽवव कक  करण अपस पी ि त ।

 ह कपक  सम  ! म झ ऄपन ‘ ऽनज दस ’ जनकर अदरपी  व क  

( ऽवचरपी  व क) म र क ईर कऽहय।।93( ख)।। 

Page 221: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 221/340

 

 चौ.- त ह सब य तय तम पऱ। स मऽत स साल सरल अचऱ।।  

 यन ऽबरऽत ऽबयन ऽनवस। रघ नयकक त ह ऽय  दस।।1।। 

अप सब कि जनन वल ह, तवक त   ह, ऄधकर (मय)

 स पर, ईम ब ऽ स य ऽ , सशाल , सरल , अचरणवल, न ,

 व ऱय और ऽवन   करक धम और ारघ नथाजा क ऽय दस 

 ह।।1।। 

 करन कवन द ह यह पइ। तत सकल मोऽह कह ब झइ। 

 ऱम चरत सर स  दर वमा। पय कह कह नभगमा।।2।। 

अपन यह कक शरार कस करण स पय ? ह तत ! सब 

 समझकर म झस कऽहय। ह  वमा ! ह अकशगमा ! यह स दर 

 ऱमचरत मनस अपन कह पय , सो   कऽहय।।2।। 

 नथ स न म ऄस ऽसव पह। मह लय नस तव नह।। 

 मध बचन नह इर कहइ। सोई मोर मन स सय ऄहइ।।3।। 

Page 222: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 222/340

 

 ह नथ ! म न ऽशवजास ऐस स न ह क   महलयम अपक  नश नह होत और   इर (ऽशवजा) कभा ऽमय वचन कहत 

 नह। वह भा म र मन म स द ह   ह।।3।। 

ऄग जग जाव नग नर द व। नथ सकल जग कल कल व।। 

ऄ ड कटह ऄऽमत लय करा। कल सद द रऽतम भरा।।4।। 

[यक] ह नथ ! नग , मन य , द वत अद   चर -ऄचर जाव 

 तथ यह सऱ जगत   कलक कल व ह। ऄस य डक 

 नश करन वल कल सद ब हा  ऄऽनवय ह।।4।। 

 सो.-

 त हऽह न यपत कल ऄऽत कऱल करन कवन।   मोऽह सो कह कपल यन भव क जोग बल।।94 क।। 

[ ऐस वह] ऄयत भय कर कल अपको नह   पत (अपपर 

 भव नह   दखलत)- आसक करण य ह ? ह कपल ! म झ 

 कऽहय, यह न क   भव ह य योग क बल ह ?।।94( क)।। 

 दो.- भ तव अम अए मोर मोह म भग।। 

 करन कवन सो नथ सब कह सऽहत ऄन ऱग।। 94 ख।। 

Page 223: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 223/340

 

 ह भो ! अपक अमम अत हा म ऱ मोह और  म भग गय।

 आसक य   करण ह ? ह नथ ! यह सब  मसऽहत 

 कऽहय।।94( ख)।। 

 चौ.- ग ऽगऱ स ऽन हरष ई कग। बोल ई ईम परम ऄन ऱग।।  

धय धय तव मऽत ईरगरा। त हर मोऽह ऄऽत 

 यरा।।1।। 

 ह ईम ! गजा क वणा स नकर   ककभश ऽडजा हषत ए और परम  म स  बोल- ह सप क श ! अपक ब ऽ धय ह !

धय ह ! अपक    म झ बत हा यर लग।।1।। 

 स ऽन तव स म स हइ। बत जनम क स ऽध मोऽह अइ।। 

 सब ऽनज कथ कहई म गइ। तत स न सदर मन लइ।।2।। 

अपक  म य  स दर स नकर म झ ऄपन बत जमक यद अ गया।  म ऄपना सब कथ ऽवतर स कहत । ह तत !

अदरसऽहत मन लगकर   स ऽनय।।2।। 

Page 224: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 224/340

 

 जप तप मख सम दम त दन। ऽबरऽत ऽबब क जोग ऽबयन।।  सब कर फल रघ पऽत पद  म। त ऽह ऽबन कोई न पवआ 

ि म।।3।। 

ऄन क जप , तप , य , शम (मनको रोकन), दम ( आऽय क

 रोकन), त , दन , व ऱय , ऽवव क , योग , ऽवन अद सबक 

 फल ारघ नथजा क चरणम   म होन ह। आसक ऽबन कोइ 

 कयण नह प सकत।।3।। 

 एह तन ऱम भगऽत म पइ। तत मोऽह ममत ऄऽधकइ।।  ज ऽह त िक ऽनज वरथ होइ। त ऽह पर ममत कर सब 

 कोइ।।4।।

 

 म न आसा शरार स ाऱमजा क भऽ    क ह। आसा स 

 आसपर म रा   ममत ऄऽधक ह। ऽजसस ऄपन कि वथ होत ह,

 ईस पर सभा कोइ  म करत  ह।।4।। 

 सौ.- पगर ऄऽस नाऽत  ऽत स मत सन कहह।। 

ऄऽत नाच सन ाऽत करऄ जऽन ऽनज परम ऽहत।।95 क।। 

Page 225: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 225/340

 

 ह गजा ! व द म मना इ ऐसा नाऽत ह और सन भा कहत  ह क  ऄपन परम ऽहत जनकर ऄयत नाच स भा  म करन 

 चऽहय।।95( क)।। 

 पट कट त होआ त ऽह त पटबर ऽचर। 

 कऽम पलआ सब कोआ परम ऄपवन न सम।।95 ख।। 

 रशम क स होत ह, ईसस स दर रशमा   व बनत ह। आसा स 

 ईस परम  ऄपऽव क को भा सब कोइ ण क समन पलत 

 ह।।95( ख)।। 

 चौ.-

 वरथ स च जाव क एह। मन म बचन ऱम पद न ह।।  सोआ पवन सोआ सभग सराऱ। जो तन पआ भऽजऄ 

 रघ बाऱ।। 1।। 

 जाव क ऽलय स वथ यहा ह क मन , वचन  और कम स 

ारमजा क  चरणम  म हो। वहा शरार पऽव और स दर ह  ऽजस शरार को पकर  ारघ वार क भजन कय जय।।1।। 

 ऱम ऽबम ख लऽह ऽबऽध सम द हा। कऽब कोऽबद न स सह त हा।।  ऱम भगऽत एह तन ईर जमा। तत मोऽह परम ऽय 

 वमा।।2।। 

Page 226: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 226/340

 

 जो ाऱमजाक ऽवम ख ह वह यद जा क   समन शरार प 

 जय तो भा कऽव  और पऽडत ईसक श स नह करत । आसा शरार स म र दय म ऱमभऽ   ईप इ। आसा स ह वमा !

 यह म झ परम ऽय ह।।2।। 

 तजई न तन ऽनज आिछ मरन। तन ऽबन ब द भजन नह बरन।। 

 थम मोह मोऽह बत ऽबगोव। ऱम ऽबम ख स ख कब न  सोव।।3।। 

 म ऱ मरण ऄपना आिछ पर ह , परत फर भा   म यह शरार नह 

ि ोत ;यक व दन वण न कय ह क शरारक ऽबन भजन  नह होत। पहल मोहन  म रा बा द दश क। ाऱमजाक

 ऽवम ख होकर म कभा स ख स नह   सोय।।3।। 

 नन जनम कम प ऽन नन। कए जोग जप तप मख दन।। 

 कवन जोऽन जनम ई जह नह। म खग स ऽम ऽम जग  मह।।4।। 

ऄन क जम म म न ऄन क कर क  योग जप तप य और दन 

अद कम  कय। ह गजा ! जगत म ऐसा कौन योऽन ह, ऽजसम 

 म न [बर - बर ]  घी  म फरकर जम न ऽलय हो।।4।। 

Page 227: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 227/340

 

 द खई कर सब करम गोस। स खा न भयई ऄबह क न।। 

 स ऽध मोऽह नथ जनम ब करा। ऽसव सद   मऽत मोह न  घ रा।।5।। 

 ह गोस ! म न सब कम करक द ख ऽलय, पर  ऄब (आस जम) क 

 तरह म कभा   स खा नह अ। ह नथ ! म झ बत - स जम क  यद ह। [यक] ाऽशवजा क कप स म रा ब ऽ मोहन नह  घ ऱ।। 5।। 

 दो.- थम जम क चरत ऄब कहई स न ऽबहग स। 

 स ऽन भ पद रऽत ईपजआ जत ऽमटह कल स।।96

 क।। 

 ह पऽऱज ! स ऽनय, ऄब म ऄपन थम   जम क चर कहत 

 , ऽजह स नकर भ क चरण म ाऽत ईप होता ह, ऽजसस 

 सब लश   ऽमट जत ह।।96( क)।। 

 पी  ब कप एक भ ज ग कऽलय ग मल मी  ल। 

 नर ऄ नर ऄधम रत सकल ऽनगम ऽतकील।।96 ख।। 

Page 228: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 228/340

 

 ह भो ! पी  व क एक कप म पपक मी  ल   य ग कऽलय ग थ ,

 ऽजसम प ष  और ा सभा ऄधम पऱयण और व द क ऽवरोधा 

थ।।96( ख)।। 

 चौ.- त ह कऽलज ग कोलसप र जइ। जमत भयई सी   तन पइ।। 

 ऽसव स वक मन म ऄ बना। अन द व ऽनद क ऄऽभमना।।1।। 

 ईस कऽलय ग म म ऄयोय प रा म जकर  शी   क शरार पकर  जम। म  मन वचन और कम स ऽशवजाक स वक और दी  सर

 द वतक ऽनद करन वल  ऄऽभमना थ।।1।। 

धन मद म परम बचल। ईब ऽ ईर दभ ऽबसल।।  जदऽप रह ई रघ पऽत रजधना। तदऽप न िक मऽहम तब 

 जना।।2।। 

 म धन क मदस मतवल बत हा बकवदा और   ईब ऽवल 

थ ; म र  दय म ब भरा दभ थ। यऽप म ारघ नथजा क  ऱजधनाम रहत  थ , तथऽप म न ईस समय ईसक मऽहम कि 

भा नह जना।।2।। 

Page 229: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 229/340

 

ऄब जन म ऄवध भव। ऽनगमगम प ऱन ऄस गव।।  

 कवन  जम ऄवध बस जोइ। ऱम पऱयन सो पर होइ।। 3।। 

ऄब म न ऄवध क भव जन। व द श और   प ऱण न ऐस  गय ह क   कसा भा जम म जो कोइ भा ऄयोय म बस जत 

 ह, वह ऄवय हा  ाऱमजा क पऱयण हो जयग।। 3।। 

ऄवध भव जन तब ना। जब ईर बसह ऱम धन पना।। 

 सो कऽलकल कठन ईरगरा। पप पऱयन सब नर नरा।। 4।। 

ऄवधक भव जाव तभा जनत ह, जब हथ म धन ष धरण 

 करन वल ाऱमजा   ईसक दय म ऽनवस करत ह। ह गजा ! वह कऽलकल ब कठन थ।  ईसम सभा नर - नरा पपपऱयण 

(पपम ऽल) थ।।4।। 

 दो.- कऽलमल स धम सब ल  भए सदथ।। 

 द ऽभह ऽनज गऽत कऽप कर गट कए ब पथ।।97 क।। 

 कऽलय ग क पप न सब धम को स ऽलय , सथ ल  हो गय। 

 दऽभय न ऄपना ब ऽ स कपन कर - करक बत - स पथ कट 

 कर   दय।।97( क)।। 

Page 230: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 230/340

 

भए लोग सब मोहबस लोभ स सभ कम।। 

 स न हरजन यन ऽनऽध कहई िकक कऽलधम।।97 ख।। 

 सभा लोग मोह क वश हो गय, शभकम को लोभ   न हप ऽलय।

 ह न क  भडर ! ह ाहरक वहन ! स ऽनय, ऄब म कऽल क

 कि धम कहत   ।।97( ख)।। 

 चौ.- बरन धम नह अम चरा।  ऽत ऽबरोध रत सब नर  नरा।।  ऽज  ऽत ब चक भी  पजलन कोई नह मन ऽनगम 

ऄन ससन।।1।। 

 कऽलय ग म न वण धम रहत ह, न चर  अम रहत ह। सब ा 

 प ष   व द क ऽवरोध म लग रहत ह। ण व द क ब चन वल और ऱज   ज को ख डलन वल होत ह। व द क अ कोइ 

 नह मनत।।1।। 

 मरग सोआ ज क जोआ भव। प ऽडत सोआ जो गल बजव।। 

 ऽमयरभ दभ रत जोइ। त क स त कहआ सब कोइ।।2।। 

Page 231: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 231/340

 

 ऽजसको जो ऄिछ लग जय , वहा मग ह। जो   डग मरत ह,

 वहा पऽडत ह।  जो ऽमय अरभ करत (अडबर रचत) ह 

और जो दभम रत ह, ईसाको सब   कोइ स त कहत ह।।2।। 

 सोआ सयन जो परधन हरा। जो कर दभ सो ब अचरा।। 

 जो कह झी    ठ मसखरा जन। कऽलय ज सोइ ग नव त बखन।।3।। 

 जो [ऽजस कसा कर स] दी  सर क धन हरण   करल, वहा 

 ब ऽमन ह। जो   दभ करत ह, वहा ब अचरा ह। जो झी  ठ 

 बोलत ह और ह सा - दलगा करन   जनत ह, कऽलय ग म वहा 

 ग णवन कह जत ह।।3।। 

 ऽनऱचर जो  ऽत पथ यगा। कऽलज ग सोआ यना सो  ऽबऱगा।।  

 जक नख ऄ जट ऽबसल। सोआ तपस ऽस 

 कऽलकल।।4।। 

 जो अचरहान ह और व दमग क िो ए ह, कऽलय ग म वहा 

 ना और वहा   व ऱयवन ह। ऽजसक ब- ब नख और लबा -

 लबा जटए ह, वहा   कऽलय ग म ऽस तपवा ह।।4।। 

Page 232: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 232/340

Page 233: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 233/340

Page 234: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 234/340

Page 235: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 235/340

 

 जो पऱया ा म अस , कपट करन म  चत र और मोह , ोह 

और ममत म  ऽलपट ए ह, व हा मन य ऄभ द वदा ( और 

 जावको एक बतन वल)  ना ह। म न ईस कऽलय ग क यह 

 चर द ख।।1।। 

अप गए ऄ ऽतह घलह। ज क सत मरग ऽतपलह।।  कप कप भर एक एक नरक। परह ज दी  षह  ऽत कर 

 तरक।।2।। 

 व वय तो न ए हा रहत ह; जो कह   समग क ऽतपलन 

 करत  ह, ईनको भा व न कर द त ह। जो तक करक व द भा  ऽनद करत ह, व लोग कप - कपभर एक - एक नरक म प रहत 

 ह।।2।। 

 ज बरनधम त ऽल क हऱ। वपच कऱत कोल कलवऱ।।   नर म इ ग ह स पऽत नसा। मी   म आ होह स यसा।।3।। 

Page 236: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 236/340

Page 237: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 237/340

 

 दो.-भए बरन स कर कऽल ऽभस त सब लोग।। 

 करह पप पवह द ख भय ज सोक ऽबयोग।।100 क।। 

 कऽलय ग म सब लोग वण स कर और मय द स  छय त हो गय। व 

 पप करत ह और [ईनक फलवप] दःख , भय , रोग , शोक और 

[ऽय वत क] ऽवयोग पत  ह।।100( क)।। 

 ऽत स मत हर भऽ पथ स ज त ऽबरऽत ऽबब क। 

 त ह न चलह नर मोह बस कपह पथ ऄन क।।100 ख।। 

 व द तथ समत व ऱय और न स य  जो   हरभऽ क मग 

 ह, मोहवश   मन य ईसपर नह चलत और ऄन क नय- नय  पथक कपन करत  ह।।100( ख)।। 

ि .- ब दम स वरह धम जता। ऽबषय हर लाऽह न रऽह  ऽबरता।। 

 तपसा धनव त दर ग हा। कऽल कौत क तत न जत कहा।।1।। 

 स यसा बत धन लगकर घर सजत ह। ईनम  व ऱय नह 

 रह , ईस  ऽवषय न हर ऽलय। तपवा धनवन हो गय और 

Page 238: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 238/340

Page 239: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 239/340

Page 240: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 240/340

 

 ोध और लोभ) और मद   डभरम हो गय (ि 

 गय)।।101( क)।। 

 तमस धम करह नर जप तप त मख दन। 

 द व न बरषह धरन बए न जमह धन।।101 ख।। 

 मन य जप , तप , य , त और दन अद मम  तमसा भव स 

 करन लग। द वत ( आ) पवा पर जल नह बरसत और बोय 

 अ ऄ ईगत नह।।101( ख)।। 

ि .-ऄबल कच भी  षन भी  र िध। धनहान द खा ममत बध।। 

 स ख चहह मी   न धम रत। मऽत थोर कठोर न कोमलत।1।। 

 ऽय क बल हा भी  षण ह (ईनक शरारपर   कोइ अभी  षण नह  रह गय) और ईनको  भी  ख बत लगता ह (ऄथ त व सद ऄत   हा रहता ह)। व धनहान और बत   कर क ममत होन क

 करण द खा रहता ह। व मी  ख स ख चहता ह, पर  धम म ईनक   म नह ह। ब ऽ थोा ह और कठोर ह; ईनम कोमलत   नह 

 ह।।1।। 

Page 241: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 241/340

 

 नर पाऽत रोग न भोग कह। ऄऽभमन ऽबरोध ऄकरनह।। 

 लघ जावन स बत प च दस। कलप त न नस ग मन ऄस।।2।। 

 मन य रोग स पाऽत ह, भोग (स ख) कह   नह ह। ऽबन हा 

 करण ऄऽभमन  और ऽवरोध करत ह। दस - प च वष क थो - स 

 जावन ह; परत घम ड ऐस ह  मनो कपत (लय) होन पर भा 

 ईनक नश नह होग।।2।। 

 कऽलकल ऽबहल कए मन ज। नह मनत ौ ऄन ज तन ज।।  नह तोष ऽबचर न सातलत। सब जऽत कजऽत भए 

 मगत।।3।। 

 कऽलकलन मन य को ब हल (ऄत - त) कर   डल । कोइ 

 बऽहन - ब टा क भा   ऽवचर नह करत। [लोगम] न सतोष ह, न 

 ऽवव क ह और न शातलत ह।  जऽत , कजऽत सभा लोग भाख 

 म गन वल हो गय।।3।। 

 आरष पषिछर लोल पत। भर पी  र रहा समत ऽबगत।। 

 सब लोग ऽबयोग ऽबसोक हए। बरनम धम ऄचर गए।।4।। 

Page 242: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 242/340

 

 इय (डह) कव वचन और ललच भरपी  र हो   रह ह, समत 

 चला गया। सब लोग   ऽवयोग और ऽवश ष शोक स मर प ह।

 वणम -धम क अचरण न हो   गय।।4।। 

 दम दन दय नह जनपना। जत परब चनतऽत घना।। 

 तन पोषक नर नऱ सगर। परनदक ज जग मो बगर।।5।। 

 आऽय क दमन , दन , दय और समझदरा   कसा म नह रहा। 

‘ मी  ख त और दी  सर को ठगन यह बत ऄऽधक ब गय। ा -

 प ष   सभा शरार क हा पलन - पोषण म लग रहत ह। जो पऱया 

 ऽनद करन वल  ह, जगत म व हा फल ह।।5।। 

 दो.- स न यलर कल कऽल मल ऄवग न अगर। 

 ग नई बत कऽलज ग कर ऽबन यस ऽनतर।।102 क।। 

 ह सपक श गजा ! स ऽनय, कऽलकल   पप और ऄवग ण क 

 घर ह।  कत कऽलय ग म एक ग ण भा ब ह क ईसम ऽबन हा 

 परम भवबधनस ि टकऱ ऽमल जत ह ।।102( क)।। 

 कतज ग  त पर पी  ज मख ऄ जोग। 

 जो गऽत होआ सो कऽल हर नम त पवह लोग।।102 ख।। 

Page 243: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 243/340

 

 सतय ग ,  त और परम जो गऽत पी  ज , य और योग स  

 होता ह, वहा गऽत कऽलय ग म लोग कवल भगवन क नम स प 

 जत ह।।102( ख)।। 

 चौ.- कतज ग सब जोगा ऽबयना। कर हर यन तरह भव 

 ना।।   त ऽबऽबध जय नर करह। भह समप कम भव तरह।।1।। 

 सतय गम सब योगा और ऽवना होत ह। हर   क यन करक सब णा भवसगर स तर जत ह।  त म मन य ऄन क   कर 

 क य करत ह और   सब कम को भ क समप ण करक भवसगर  स पर हो जत ह।।1।। 

 पर कर रघ पऽत पद पी  ज। नर भव तरह ईपय न दी  ज।। 

 कऽलज ग कवल हर ग न गह। गवत नर पवह भव थह।।2।। 

 पर म ारघ नथजा क चरण क पी  ज   करक मन य स सर स 

 तर जत ह, दी  सऱ कोइ ईपय नह ह और कऽलय ग म  तो कवल 

ाहर क ग णगथ क   गन करन स हा मन य भवसगर क 

थह प जत ह।।2।। 

Page 244: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 244/340

Page 245: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 245/340

Page 246: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 246/340

 

 सव बत रज िक रऽत कम। सब ऽबऽध स ख  त कर धम।।  ब रज वप सव िक तमस। पर धम हरष भय 

 मनस।।2।। 

 सवग ण ऄऽधक हो , कि रजो ग ण हो , कम   म ाऽत हो , सब 

 कर स  स ख हो , यह  त क धम ह। रजोग ण बत हो ,

 सवग ण बत हा थो   हो , कि तम ग ण हो , मनम हष और 

भय ह , यह पर क धम ह।।2।। 

 तमस बत रजोग न थोऱ। कऽल भव ऽबरोध च ओऱ।।  

 बध ज ग धम जऽन मन मह। तऽज ऄधम रऽत धम कऱह।। 3।। 

 तमोग ण बत हो , रजोग ण थो हो , चर ओर   व र ऽवरोध हो ,

 यह कऽलय ग क   भव ह। पऽडत लोग य ग क धम को मन म 

 जन (पऽहचन) कर , ऄधम ि ोकर धम स ाऽत करत ह।।3।। 

 कल धम नह पह तहा। रघ पऽत चरन ाऽत ऄऽत जहा।।  नट कत ऽबकट कपट खगऱय। नट स वकऽह न यपआ 

 मय।।4।। 

Page 247: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 247/340

 

 ऽजसक ारघ नथजा क चरण म ऄयत    म ह, ईसको 

 कलधम ( य गधम) नह पत। ह पऽऱज ! नट (बजागर) क 

 कय अ कपट   चर (आजल) द खन वल ह क ऽलय ब  ऽवकट (द ग म) होत ह, पर नट क स वक (जभी  र) को ईसक मय 

 नह पता ह।।4।। 

 दो.-

 हर मय कत दोष ग न ऽबन हर भजन न जह। भऽजऄ ऱम तऽज कम सब ऄस ऽबचर मन मह।। 104 क।। 

ाहर क मय ऱ रच ए दोष और ग ण  ाहर क भजन क

 ऽबन नह   जत। मन म ऐस ऽवचरकर , सब कमन को 

ि ोकर (ऽनकमभवस) ाहर क  भजन करन  चऽहय।।104( क)।। 

 त ह कऽलकल बरस ब बस ई ऄवध ऽबहग स। 

 परई द कल ऽबपऽत बस तब म गयई ऽबद स।।104 ख।। 

 ह पऽऱज ! ईस कऽलकल म म बत   वषतक ऄयोय म रह।

 एक बर   वह ऄकल प , तब म ऽबपऽ क मऱ ऽवद श चल 

 गय।।104( ख)।। 

Page 248: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 248/340

 

 चौ.- गयई ईज ना स न ईरगरा। दान मलान दर द खरा।। 

 गए कल िक स पऽत पइ। तह प ऽन करई सभ स वकइ।।1।। 

 ह सप क श गजा ! स ऽनय, म  दान , मऽलन (ईदस), दर 

और   द खा होकर ई न गय। कि कल बातन पर कि सपऽ 

 पकर फर म वह  भगवन श कर क अऱधन करन लग।।1।। 

 ऽब एक ब दक ऽसव पी  ज। करआ सद त ह कज न दी  ज।। 

 परम सध परमरथ बदक। सभ ईपसक नह हर नदक।।2।। 

 एक ण द वऽवऽधस सद ऽशवजाक पी  ज   करत, ईह दी  सऱ 

 कोइ कम न थ।  व परम सध और परमथ क त थ। व शभ क ईपसक थ, पर ाहरक   ऽनद करन वल न थ।।2।। 

 त ऽह स वई म कपट सम त। ऽज दयल ऄऽत नाऽत ऽनकत।। 

 बऽहज न द ऽख मोऽह स। ऽब पव प  क न।।3।। 

 म कपटपी  व क ईनक स व करत। ण ब  हा दयल और  नाऽत क घर थ।  ह वमा ! बहर स न द खकर ण म झ प  

 क भ ऽत मनकर   पत थ।।3। 

Page 249: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 249/340

 

 सभ म  मोऽह ऽजबर दाह। सभ ईपद स ऽबऽबध ऽबऽध  कह।। 

 जपई म  ऽसव म दर जइ। दय दभ ऄहऽमऽत ऄऽधकइ।।4।। 

 ईन ण  न म झको ऽशवजा क म   दय और ऄन क  कर क शभ ईपदश कय। म ऽशवजा क मऽदर म जकर म 

 जपत। म र दय म  दभ और ऄह कर ब गय।।4।। 

 दो.- म खल मल स कल मऽत नाच जऽत बस मोह। 

 हर जन ऽज द ख जरई करई ऽबन कर ोह।।105 क।। 

 म द  , नाच जऽत और पपमया मऽलन 

  ब ऽवल मोहवश ाहरक भ और   ऽज को द खत हा जल ईठत और 

 ऽवणभगवन स ोह करत थ।।105( क)।। 

 सो.- ग र ऽनत मोऽह बोध द ऽखत द ऽख अचरन मम।। 

 मोऽह ईपजआ ऄऽत ोध द ऽभऽह नाऽत क भवइ।।105 ख।। 

 ग जा म र अचरण द खकर द ऽखत थ। व म झ  ऽनय हा 

भलाभ ऽत समझत, पर [ म कि भा नह समझत] ईलट म झ 

ऄयत ोध ईप होत। दभाको   कभा नाऽत ऄिछा लगता ह 

?।।105( ख)।। 

Page 250: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 250/340

 

 चौ.- एक बर ग र लाह बोलइ। मोऽह नाऽत ब भ ऽत ऽसखइ।। 

 ऽसव स व कर फल स त सोइ। ऄऽबरल भगऽत ऱम पद होइ।। 1।। 

 एक बर ग  जा न म झ ब ल ऽलय और बत   कर स [परमथ] नाऽतक   ऽश दा क ह प  ! ऽशवजाक स व क फल 

 यहा ह क ाऱमजाक चरण   म ग भऽ हो।।1।। 

 ऱमऽह भजह तत ऽसव धत। नर पव र क कऽतक बत।।  जस चरन ऄज ऽसव ऄन ऱगा। तस ोह स ख चहऽस 

ऄभगा।।2।। 

 ह तत ! ऽशवजा और जा भा ाऱमजा को  भजत ह, [ फर]

 नाच मन य   क तो बत हा कतना ह ? जा और ऽशव जा 

 ऽजनक चरण क  मा ह, ऄर ऄभग ! ईनस ोह करक ती स ख 

 चहत ह ?।।2।। 

 हर क हर स वक ग र कह उ। स ऽन खगनथ दय मम दह उ।। 

ऄधम जऽत म ऽब पए। भयई जथ ऄऽह दी ध ऽपअए।।3।। 

Page 251: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 251/340

Page 252: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 252/340

 

 रज मग परा ऽनऱदर रहइ। सब कर पद हर ऽनत सहइ।।  

 मत ईव थम त ऽह भरइ। प ऽन न प नयन कराटऽह 

 परइ।।6।। 

धी  ल ऱत म ऽनऱदर स पा रहता ह और   सद सब [ऱह चलन   वल] क लत क मर सहता ह पर जब पवन ईस ईत  

( उच ईठत) ह, तो सबस पहल  वह ईसा (पवन) को भर द ता 

 ह और फर ऱज क न  और कराट ( म क ट) पर पता  ह।।6।। 

 स न खगपऽत ऄस सम ऽझ स ग। बध नह करहऄधम कर  स ग।।  कऽब कोऽबद गवह ऄऽस नाऽत। खल सन कलह न भल नह 

 ाता।।7।। 

 ह पऽऱज गजा ! स ऽनय, बत समझकर   ब ऽमन लोग 

ऄधम (नाच) क स ग नह करत। कऽव और पऽडत ऐसा नाऽत  कहत  ह क द  स न कलह हा ऄिछ   ह, न  म हा।।7।। 

 ईदसान ऽनत रऽहऄ गोस। खल परहरऄ वन क न।।  म खल दय कपट कटलइ। ग र ऽहत कहआ न मोऽह 

 सोहइ।।8।। 

Page 253: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 253/340

 

 ह गोस ! ईसस तो सद ईदसान हा रहन   चऽहय। द  को 

 क क तरह   दी  रस हा यग द न चऽहय। म द  थ , दय म  कपट और क टलत भरा  था। [आसऽलय यऽप] ग  जा ऽहत क 

 बत कहत थ, पर म झ वह स हता न  था।।8।। 

 दो.- एक बर हर म दर जपत रह ई ऽसव नम। 

 ग र अयई ऄऽभमन त ईठ नह कह नम।।106 क।। 

 एक दन म ऽशव जा क मऽदर म ऽशवनम जप   कर रह थ।

 ईसा समय ग जा   वह अय, पर ऄऽभमनक मर म न ईठकर 

 ईनको णम नह कय।।106( क)।। 

 सो दयल नह कह ई िक ईर न रोष लवल स।। 

ऄऽत ऄघ ग र ऄपमनत सऽह नह सक मह स।।106 ख।। 

 ग जा दयल थ, [ म ऱ दोष द खकर भा]  ईहन कि नह कह ;

 ईनक  दय म लश म भा ोध नह अ। पर ग  क ऄपमन 

 बत ब पप   ह; ऄतः महद वजा ईस नह सह सक

।।106( ख)।। 

Page 254: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 254/340

Page 255: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 255/340

 

अद)  योऽनय म शरार धरण करत ह और दस हजर जम 

 तक दःख पत रहत  ह।।3।। 

 ब ठ रह ऽस ऄजगर आव पपा। सप होऽह खल मल मऽत यपा।।  मह ऽबटप कोटर म जइ। र ऄधमधम ऄधगऽत पइ।।4।। 

ऄर पपा ! ती ग  क समन ऄजगर क भऽत   ब ठ रह ! र द  !

 त रा   ब ऽ पप स ढक गया ह, [ऄतः] ती सप हो ज। और , ऄर

ऄधम स भा ऄधम !  आस ऄोगऽत (सप क नाचा योऽन) को  पकर कस ब भरा प  क खोखल  म जकर रह।।4।। 

 दो.- हहकर कह ग र दन स ऽन ऽसव सप। 

 कऽपत मोऽह ऽबलोक ऄऽत ईर ईपज परतप।।107

 क।। 

 ऽशवजा क भयनक शप स नकर ग जान हहकर   कय। म झ  क पत अ द खकर   ईनक दय म ब स तप ईप 

 अ।।107( क)।। 

 कर द डवत स म ऽज ऽसव सम ख कर जोर।। 

 ऽबनय करत गदगद वर सम ऽझ घोर गऽत मोर।।107 ख।। 

Page 256: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 256/340

 

  म सऽहत दडवत करक व ण  ाऽशवजा क समन हथ  जोकर म रा  भय कर गऽत (दड) क ऽवचर कर गद वणा स 

 ऽवनता करन लग।।107( ख)।। 

ि .- नममाशमाशन ऽनव णप। ऽवभ  पक व दवप।।  ऽनज ऽनग   ण ऽनवकप ऽनराह। ऽचदकशमकशवस 

भजऻह।।1।। 

 ह मोवप , ऽवभ, पक ,  और   व दवप , इशन दशक

 इर तथ सबक वमा ाऽशवजा ! म अपको   नमकर करत  । ऽनजवप म  ऽथत (ऄथ त मयदरऽहत) [मऽयक] ग णस 

 रऽहत , भ दरऽहत , आिछरऽहत , च तन , अकशप एव अकशको 

 हा वपम धरण करन वल दबर [ऄथव  अकशको भा 

अिछदत करन वल] अपको म भजत ।।1।। 

 ऽनऱकरमकरमी  ल त राय। ऽगऱ यन गोतातमाश ऽगराश।। 

 कऱल महकल कल कपल। ग णगर स सरपर नतोऻह।।2।। 

 ऽनऱकर , कर क मी  ल , त राय (तान ग ण   स ऄतात), वणा ,

 न और   आऽय स पर, कलसपऽत , ऽवकऱल , महकल क भा 

Page 257: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 257/340

 

 कल , कपल, ग ण क धम , स सर स पर अप परमर को म 

 नमकर करत ।।2।। 

 त षऱ स कश गौर गमार। मनोभी  त कोट भ ा शरार।।  फ रमौऽल कलोऽलना च ग ग। तसलबल द कठ

भ ज ग।।3।। 

 जो ऽहमलय क समन गौर वण तथ गभार ह, ऽजसक शरार म 

 करो   कमद व क योऽत एव शोभ ह, ऽजनक ऽसर पर स दर 

 नदा ग गजा ऽवऱजमन   ह, ऽजनक ललट पर ऽताय क 

 चम और गल म सप सशोऽभत ह।।3।। 

 चलक  ल ी स न  ऽवशल। सन नालकठ दयल।। 

 म गधाशचरमबर म डमल। ऽय श कर सव नथ भजऽम।।4।। 

 ऽजनक कन क क डल ऽहल रह ह, स दर  भ क टा और ऽवशल  न  ह; जो   सम ख , नालकठ और दयल ह; सहचम क व 

धरण कय और   म डमल पहन ह; ईन सबक यर और सबक

 नथ [कयण करन वल] ाश करजा को म भजत ।।4।। 

Page 258: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 258/340

 

 च ड क गभ परश। ऄख ड ऄज भन कोटकश।। 

 यः शी  ल ऽनमी    लन शी  लषण। भजऻह भवनापत भवगय।।5।। 

 चड (प),   , त जवा , परमर , ऄखड , ऄजम ,

 करो   सी  य क समन कशवल, तान कर क शी  ल (दःख)

 को ऽनमी    ल   करन वल, हथम ऽशी  ल धरण कय, भव ( म) क

 ऱ    होन वल भवना क पऽत ाश करजा को म भजत  ।।5।। 

 कलतात कयण कपतकरा। सद सननददत प ऱरा।।  

 ऽचदन द स दोह मोहपहरा। साद पसाद भो ममथरा।।6।। 

 कल स पर, कयण , वप , कप क ऄत ( लय) करन 

 वल, सन को   सद अनद द न वल, ऽप र क श,

 सऽदनदघन , मोह को हरन वल, मनको मथ डलन वल 

 कमद व क श ह भो ! स ऽजय स   ऽजय।।6।। 

 न यवद ईमनथ पदरऽवद। भज ताह लोक पर व नऱण ।।  न तवस ख शऽत सतपनश। साद भो 

 सवभी  तऽधवस।।7।। 

Page 259: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 259/340

 

 जबतक पव ता क पऽत अपक चरणकमल स मन य   नह भजत,

 तबतक ईह न तो   आहलोक और परलोक म स ख -शऽत ऽमलता 

 ह और न ईनक तप क नश होत ह। ऄतः ह समत जाव कऄ दर (दय म) ऽनवस करन वल भो ! स   ऽजय।।7।। 

 न जनऽम योग जप न व पी  ज। नतोऻह सद सव द शभ तय।।  जऱ जम द ःखौघ ततयमन। भो पऽह अपममाश 

शभो।।8।। 

 म न तो योग जनत , न जप और न पी  ज हा।  ह शभो ! म तो 

 सद - सव द  अपको हा नमकर करत । ह भो ! ब ढ प तथ  जम [म य] क दःख   समी  ह स जलत ए म झ दःखाको दःखस 

 र करय। ह इर ! ह शभो ! म नमकर करत ।।8।। 

ोक - कऽमद ो ऽव ण हरतोषय।। 

 य पठऽत नऱ भय त ष शभः सादऽत।।9।। 

भगवन क त ऽत क यह ऄक ईन श कर   जा क त ऽ (सत) क  ऽलय णऱ कह गय। जो मन य आस भऽ 

 पी  व क पत ह, ईनपर  भगवन शभ स हो जत ह।।9।। 

Page 260: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 260/340

 

 दो.- स ऽन ऽबनता सब य ऽसव द ऽख ऽब ऄन ऱग । 

 प ऽन म दर नभबना भआ ऽजबर बर मग।।108 क।। 

 सव  ऽशवजान ऽवनता स ना और ण क    म द ख। तब  मऽदर म अकशवणा इ क ह ऽज  ! वर 

 म गो।।108( क)।। 

 ज स भ मो पर नथ दान पर न । 

 ऽनज पद भगऽत द आ भ प ऽन दी  सर बर द ।।108 ख।। 

[ णन कह -] ह भो ! यद अप म झपर   स ह और ह नथ 

! यद   आस दानपर अपक  ह ह, तो पहल ऄपन चरण क भऽ द कर फर दी  सऱ वर   दाऽजय।।108( ख)।। 

 तव मय बस जाव ज स तत फरआ भ लन।। 

 त ऽह पर ोध न करऄ भ कप सध भगवन।।108 ग।। 

 ह भ !यह ऄना जाव अपक मय क वश   होकर ऽनरतर भी  ल फरत ह।  ह कप क सम  भगवन ! ईसपर ोध न 

 कऽजय।।108( ग)।। 

Page 261: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 261/340

 

 स कर दानदयल ऄब एऽह पर हो कपल। 

 सप ऄन ह होआ ज ह नथ थोरह कल।।108 घ।। 

 ह दान पर दय करन वल (कयणकरा) श कर ! ऄब आसपर 

 कपल होआय ( कप कऽजय), ऽजसस ह नथ ! थो हा समय म 

 आसपर शपक बद ऄन ह (शप स म ऽ) हो जय।।108( घ)।। 

 चौ.- एऽह कर होआ परम कयन। सोआ कर ऄब कपऽनधन।।  ऽबऽगऱ स ऽन परऽहत सना। एवमत आऽत भआ नभबना।। 

 ह कप क ऽनधन ! ऄब वहा कऽजय, ऽजसस  आसक परम 

 कयण हो। दी  सरक  ऽहतस सना इ णक वणा स नकर  फर अकश वणा   इ - एवमत (ऐस हा हो)।।1।। 

 जदऽप कह एह दन पप। म प ऽन दाऽह कोप कर सप।। 

 तदऽप त हर सध त द खा। करहई एऽह पर कप ऽबस षा।।2।। 

 यऽप आसन भयनक पप कय ह और म न भा   आस ोध करक

शप दय ह, तो भा त हरा सधत द खकर म आसपर ऽवश ष 

 कप कग।।2।। 

Page 262: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 262/340

 

ि मसाल ज पर ईपकरा। त ऽज मोऽह ऽय जथ खऱरा।।  

 मोर प ऽज यथ न जआऽह। जम सहस ऄवय यह 

 पआऽह।।3।। 

 ह ऽज ! जो मशाल एव परोपकरा होत  ह, व म झ व स हा 

 ऽय ह  ज स खऱर ाऱमचजा । ह ऽज ! म ऱ शप थ  

 नह जयग यह   हजर जम ऄवय पव ग।।3।। 

 जनमत मरत द सह द ख होइ। एऽह वपई नह यऽपऽह सोइ।।  कवन ई जम ऽमटऽह नह यन। स नऽह सी   मम बचन 

 वन।।4।। 

 परत जमन म और मरन म जो दःसह दःख   होत ह, आसको वह 

 दःख जऱ  भा न प ग और कसा भा जम म आसक न नह 

 ऽमटग। ह शी   !  म ऱ मऽणक (सय) बचन स न ।।4।। 

 रघ पऽत प रा जम तव भयउ। प ऽन त मम स व मन दयउ।।  प रा भव ऄन ह मोर। ऱम भगऽत ईपऽजऽह ईर तोर।। 5।। 

Page 263: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 263/340

 

[ थम जो] त ऱ जम ारघ नथजा क प रा   म  अ। फर ती  न 

 म रा स व   म मन लगय। प रा क भव और म रा कपस त र

 दय म ऱमभऽ   होगा।।5।। 

 स न मम बचन सय ऄब भइ। हरतोषन त ऽज स वकइ।। 

ऄब जऽन करऽह ऽब ऄपमन। जन स स त ऄन त समन।।6।। 

 ह भइ ! ऄब म ऱ सय वचन स न। ऽजक   स व हा भगवन को  स करन  वल त ह। ऄब कभा ण क ऄपमन न 

 करन। स त को ऄनत  ाभगवन हा क समन जनन।।6।। 

 आ क ऽलस मम सी  ल ऽबसल। कलद ड हर च कऱल।।   जो आह कर मऱ नह मरइ। ऽबोह पवक सो जरइ।। 7।। 

 आ क व , म ऱ ऽवशल ऽशी  ल , कलक  दड और ाहरक

 ऽवकऱल   चक मर भा जो नह मरत , वह भा ऽवोहापा 

ऄऽ स भम हो   जत ह।।7।। 

ऄस ऽबब क ऱख  मन मह। त ह कह जग द लभ िक नह।। 

औरई एक अऽसष मोरा। ऄऽतहत गऽत होआऽह तोरा।।8।। 

Page 264: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 264/340

 

 ऐस ऽवव क मन म रखन। फर त हर ऽलय  जगत म कि भा  द लभ न होग।  म ऱ एक और भा अशाव द ह क त हरा सव  

ऄबध गऽत होगा (ऄथ त  त म जह जन चहोग, वह ऽबन  रोक - टोक क ज सकोग।।8।। 

 दो.- स ऽन ऽसव बचन हरऽष ग र एवमत आऽत भऽष ।। 

 मोऽह बोऽध गयई ग ह सभ चरन ईर ऱऽख।। 109 क।। 

[अकशवणाक ऱ] ऽशवजा क वचन ग जा   स नकर हषत 

 होकर ऐस हा हो यह कहकर म झ बत समझकर और ऽशवजा 

 क  चरणोको दय म रखकर ऄपन घर गय।।109( क)।। 

  रत कल बऽध ऽगर जआ भयई म यल। 

 प ऽन यस ऽबन सो तन तज ई गए िक कल।।109 ख।। 

 कल क  रणस म ऽवयचलम जकर   सप अ। फर कि 

 कल बातन पर   ऽबन हा परम (क) क म न वह शरार यग  दय।।109( ख)।। 

 जोआ तन धरई तजई प ऽन ऄनयस हरजन।। 

 ऽजऽम नी  तन पट पऽहरआ नर परहरआ प ऱन।। 109 ग।। 

Page 265: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 265/340

 

 ह हरवहन ! म जो भा शरार धरण करत , ईस  ऽबन हा 

 परम व स हा   स खपी  व क यग द त थ ज स मन य प ऱन व  यग द त ह और नय   पऽहन ल त ह।।109( ग)। 

 ऽसव ऱखा  ऽत नाऽत ऄ म नह पव ल स। 

 एऽह ऽबऽध धरई ऽबऽबऽध तन यन न गयई खग स।।109 घ।। 

 ऽशवजान व दक मय द क र क और म न लश भा नह 

 पय। आस   कर ह पऽऱज ! मन बत - स शरार धरण कय,

 पर म ऱ न नह   गय।।109( घ)।। 

 चौ.- ऽजग द व नर जोआ तन धरउ। तह तह ऱम भजन ऄन सरउ।। 

 एक सी  ल मोऽह ऽबसर न कउ। ग र कर कोमल साल सभउ।।1।। 

 ऽतय क योऽन (पश- पा) द वत य मन य   क , जो भा शरार 

धरण करत , वह- वह (ईस - ईस शरारम) म ाऱमजा क 

भदजन जरा रखत। [आस कर   म स खा हो गय ] परत एक 

शी  ल म झ बन रह। ग जा क कोमल , सशाल   वभव म झ कभा 

Page 266: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 266/340

 

 नह भी  लत (ऄथ त म न ऐस कोमल वभव दयल ग क  

ऄपमन कय , यह दःख म झ सद बन रह)।1।। 

 चरम द ह ऽज क म पइ। स र द लभ प ऱन  ऽत गइ।। 

 ख लई त बलकह माल। करई सकल रघ नयक लाल।।2।। 

 म न ऄऽतम शरार ण क पय , ऽजस  प ऱण और व द 

 द वत को भा   द लभ बतत ह। म वह (ण -शरारम) भा  बलकम ऽमलकर ख लत   तो ारघ नथजाक हा सब लालए 

 कय करत।।2।। 

 ौ भए मोऽह ऽपत पव। समझई स नई ग नई नह भव।।  मन त सकल बसन भगा। कवल ऱम चरन लय लगा।। 3।। 

 सयन होन पर ऽपत जा म झ पन लग। म  समझत , स नत 

और ऽवचरत , पर   म झ पन ऄिछ नह लगत थ। म र मन स 

 सरा वसनए भग गय। कवल  ाऱमजा क चरण म लव लग  गया।।3।। 

 क खग स ऄस कवन ऄभगा। खरा स व स रध न ऽह यगा।। 

  म मगन मोऽह िक न सोहइ। हरई ऽपत पआ पइ।।4।।

 

Page 267: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 267/340

 

 ह गजा ! कऽहय, ऐस कौन ऄभग होग जो   कमध न को 

ि ोकर गदहाक स व   करग ?  मम म रहन क करण म झ 

 कि भा नह स हत। ऽपतजा   प - पकर हर गय।।4।। 

भए कलबस जब ऽपत मत। म बन गयई भजन जनत।। 

 जह तह ऽबऽपन म नावर पवई। अम जआ जआ ऽस  नवई।।5।। 

 जब ऽपत - मत कलवश हो गय (मर गय), तब म भ क 

 र करन वल ाऱमजाक भजन करन क ऽलय वन म चलत 

 गय। वन म जह- जह  म नार क अम पत वह- वह ज - जकर ईह ऽसर नवत।।5।। 

 बी  झई ऽतहऽह ऱम ग न गह। कहह स नई हरऽषत खगनह।। 

 स नत फरई हर ग न ऄन बद। ऄयहत गऽत सभ सद।।6।। 

 ईनस म ाऱमजाक ग ण क कथए पी ि त।  व कहत और म  हषत होकर   स नत। आस कर म सद - सव द ाहर क ग णन वद स नत फरत। ऽशवजा   क कपस म रा सव  ऄबऽधत गऽत था (ऄथ त म जह चहत वह ज   सकत 

थ)।।6।। 

Page 268: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 268/340

 

ि ीटा ऽऽबऽध इषन गा। एक ललस ईर ऄऽत बा। 

 ऱम चरन बरज जब द ख। तब ऽनज जम सफल कर  ल ख।।7।। 

 म रा तान कर क (प क , धनक और   मनक) गहरा बल 

 वसनए िीट   गय। और दय म एक हा ललस ऄयत ब  गया क जब ाऱमजाक   चरणकमल क दश न क तब ऄपन  जम सफल अ समझी   ।।7।। 

 ज ऽह पी   ि ई सोआ म ऽन ऄस कहइ। इवर सब भी  तमय ऄहइ।। 

 ऽनग   न मत नह मोऽह सोहइ। सग न रऽत ईर ऄऽधकइ।।8।।

 

 ऽजनस म पी ि त , व हा म ऽन ऐस कहत क   इर सवभी  तमय ह।

 यह ऽनग   ण   मत म झ नह स हत थ। दय म सग ण पर 

 ाऽत ब रहा था।।8।। 

 दो.- ग र क बचन स रऽत कर ऱम चरन मन लग। 

 रघ पऽत जस गवत फरई िन िन नव ऄन ऱग।। 110 क।। 

Page 269: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 269/340

 

 ग जाक वचन क मरण करक म ऱ मन  ाऱमजाक चरण म   लग गय। म ण -ण नय - नय  म करत अ 

ारघ नथजाक यश गत फरत  थ।।110( क)।। 

 म  ऽसखर बट िय म ऽन लोमस असान। 

 द ऽख चरन ऽस नयई बचन कह ई ऄऽत दान।।110 ख।। 

 स म पव तक ऽशखरपर बा िय म लोमश   म ऽन ब ठ थ। ईह  द खकर   म न ईनक चरण म ऽसर नवय और ऄयत दान वचन 

 कह।।110( ख)।। 

 स ऽन मम बचन ऽबनात म द म ऽन कपल खगऱज।  

 मोऽह सदर पी   ि त भए ऽज अय कऽह कज।।110 ग।। 

 ह पऽऱज ! म र ऄयत न और कोमल वचन   स नकर कपल  म ऽन म झस अदरक सथ पी ि न लग- ह ण ! अप कस कय

 स यह अय  ह।।110( ग)।। 

 तब म कह कपऽनऽध त ह सब य स जन।। 

 सग न ऄवऱधन मोऽह कह भगवन।। 11 घ।। 

Page 270: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 270/340

 

 तब म न कह ह कपऽनऽध ! अप सव  ह और स जन ह। ह भगवन ! म झ  सग ण क अऱधन [क य]

 कऽहय।110( घ)।। 

 चौ.- तब म नास रघ पऽत ग न गथ। कह िकक सदर खगनथ।। 

 यन रत म ऽन ऽबयना। मोऽह परम ऄऽधकरा जना।।1।। 

 तब ह पऽऱज ! म नार न ारघ नथजा   क ग ण क कि  कथए अदर   सऽहत कह। फर व नपऱयण ऽवनवन  

 म ऽन म झ परम ऄऽधकरा   जनकर -।।1।। 

 लग करन ईपद स। ऄज ऄ त ऄग न दय स।। 

ऄकल ऄनाह ऄनम ऄप। ऄनभव गय ऄख ड ऄनी  प।।2।। 

 क ईपदश करन लग क वह ऄजम ह, ऄ त ह, ऽनग   ण ह 

और दय   क वमा (ऄतय मा) ह। ईस कोइ ब ऽ क ऱ 

 मप नह सकत , वह   आिछरऽहत , नमरऽहत , परऽहत ,ऄनभवस जनन योय , ऄखड और ईपमरऽहत   ह,।।2।। 

 मन गोतात ऄमल ऄऽबनसा। ऽनबकर ऽनरवऽध स ख ऱसा।।  

 सो त तऽह तोऽह नह भ द। बर बाऽच आव गवह ब द।।3।। 

Page 271: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 271/340

 

 वह मन और आऽय स पर, ऽनम ल , ऽवनशरऽहत , ऽनवकर ,

 सामरऽहत और   स ख क ऱऽश ह । व द ऐस गत ह क वहा ती ह (तवमऽस), जल और जल क   लहर क भ ऽत ईसम और त झम 

 कोइ भ द नह ह।।3।। 

 ऽबऽबऽध भ ऽत मोऽह म ऽन सम झव। ऽनग   न मत मम दय न अव।। 

 प ऽन म कह ई नआ पद सास। सग न ईपसन कह म नास।।4।। 

 म ऽनन म झ ऄन क कर स समझय , पर   ऽनग   ण मत म र दय 

 म नह   ब ठ। म न फर म ऽन क चरण म ऽसर नवकर कह - ह  म नार ! म झ सग ण    क ईपसन कऽहय।।4।। 

 ऱम भगऽत जन मम मन मान। कऽम ऽबलगआ म नास बान।। 

 सोआ ईपद स कह कर दय। ऽनज नयनऽह द ख रघ ऱय।। 5।। 

 म ऱ मन ऱम भऽपा जलम िमला हो रह ह [ ईसाम रम 

 रह ह]। ह चत र   म नार ! ऐसा दश म वह ईसस ऄलग कस हो 

 सकत ह ? अप दय करक म झ  वहा ईपदश (ईपय) कऽहय 

 ऽजसस म ारघ नथजाको ऄपना अ खस द ख   सकी    ।।5।। 

Page 272: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 272/340

 

भर लोचन ऽबलोक ऄवध स। तब स ऽनहई ऽनग   न ईपद स।। 

 म ऽन प ऽन कऽह हरकथ ऄनी  प। ख ऽड सग न मत ऄग न  ऽनप।।6।। 

[ पहल] न  भरकर ाऄयोयनथ को द खकर , तब ऽनग   णक 

 ईपदश स नी    ग।  म ऽनन फर ऄन पम हरकथ कहकर , सग ण 

 मतक खडन करक ऽनग   ण क ऽनपण   कय।।6।। 

 तब म ऽनग   न मत कर दी  रा। सग न ऽनपई कर हठ भी  रा।। 

 ईर ऽतईर म कह। म ऽन तन भए ोध क चाह।।7।। 

 तब म ऽनग   ण मत को हटकर (कटकर) बत हठ   करक सग णक 

 ऽनपण करन लग।  म न ईर - य र कय , आसस म ऽनक

शरारम ोध क ऽचन ईप   हो गय।।7।। 

 स न भ बत ऄवय कए। ईपज ोध यऽनह क ऽहए।। 

ऄऽत स घरषन ज कर कोइ। ऄनल गट च दन त होइ।।8।। 

Page 273: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 273/340

 

 ह भो ! स ऽनय, बत ऄपमन करन पर   ना क भा दय म 

 ोध   ईप हो जत ह यद कोइ चदन क लका को बत 

ऄऽधक रग, तो ईसस भा ऄऽ कट हो जयगा।।8।। 

 दो.- बरबर सकोप म ऽन करआ ऽनपन यन। 

 म ऄपन मन ब ठ तब करई ऽबऽबऽध ऄन मन।।111 क।। 

 म ऽन बर - बर ोध सऽहत नक ऽनपण करन  लग। तब म  ब ठ - ब ठ ऄपन  मनम ऄन क करक ऄन मन करन 

 लग।।111( क)।। 

 ोध क  तब ऽ ऽबन  त क ऽबन ऄयन।  मयबस परऽि ज जाव क इस समन।।111 ख।। 

 ऽबन  तब ऽक ोध कस और ऽबन  ऄनक य  तब ऽ हो 

 सकता   ह ? मय क वश रहन वल परऽिछ ज जाव य 

 इर क समन हो सकत   ह ?।।111( ख)।। 

 चौ.- कब क द ख सब कर ऽहत तक । त ऽह क दर परस मऽन  जक ।। 

 परोहा क होह ऽनस क। कमा प ऽन क रहह ऄकल क।।1।। 

Page 274: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 274/340

 

 सबक ऽहत चहन स य कभा दःख हो सकत ह ? ऽजसक पस 

 परसमऽण ह, ईसक  पस य दरत रह सकता ह ? दी  सर स 

 ोह करन वल य ऽनभ य हो   सकत ह ? और कमा य 

 कल करऽहत (ब दग) रह सकत ह ?।।1।। 

 ब स क रह ऽज ऄनऽहत कह। कम क होह वपह चाह।।  क स मऽत क खल स ग जमा। सभ गऽत पव क परऽय 

 गमा।।2।। 

 ण क ब ऱ करन स य वश रह सकत   ह ? वपक 

 पऽहचन (अमन) होन पर य [असऽपी  व क] कम हो सकत 

 ह ? द क  स गस य कसाक स ब ऽ ईप इ ह ?

 परागमा य ईम गऽत   प सकत ह ?।।2।। 

भव क परह परमम बदक। स खा क होह कब  हरनदक।।  ऱज क रहआ नाऽत ऽबन जन। ऄघ क रहह हरचरत 

 बखन।।3।। 

Page 275: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 275/340

 

 परमम को जनन वल कह जम - मरण [क  चर] म प 

 सकत ह ? भगवन क ऽनद करन वल कभा स खा हो सकत ह 

? नाऽत ऽबन जन य   ऱय रह सकत ह  ? ाहरक चर  वण न करन पर य पप रह सकत ह ?।।3।। 

 पवन जस क प य होइ। ऽबन ऄघ ऄजस क पवआ कोइ।।  लभ क िक हर भगऽत समन। ज ऽह गवह  ऽत स त 

 प ऱन।। 4।। 

 ऽबन प य क य पऽव यश [] हो   सकत ह ? ऽबन पपक

भा य   कोइ ऄपयश प सकत ह ? ऽजसक मऽहम व द स त 

और प ऱण गत ह ईस   हर -भऽ क समन य कोइ दी  सऱ भा  ह ?।।4।। 

 हऽन क जग एऽह सम िक भइ। भऽजऄ न ऱमऽह नर तन   पइ।। 

ऄघ क ऽपस नत सम िक अन। धम क दय सरस  हरजन।।5।। 

 ह भइ ! जगत म य आसक समन दी  सरा भा   कोइ हऽन ह क 

 मन य क शरार   पकर भा ाऱमजाक भजन न कय जय  ?

Page 276: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 276/340

 

 च गलखोरा क समन य कोइ दी  सऱ   पप ह ? और ह गजा !

 दय क समन य कोइ दी  सऱ धम ह ?।।5।। 

 एऽह ऽबऽध ऄऽमऽत ज ग ऽत मन ग नउ। म ऽन ईपद स न सदर  स नउ।।  प ऽन प ऽन सग न पिछ म रोप। तब म ऽन बोल ई बचन 

 सकोप।।6।। 

 आस कर म ऄनऽगनत य ऽय मन म  ऽवचरत थ और अदर  क सथ म ऽनक   ईपदश नह स नत थ। जब म न बर - बर सग ण 

 क प थऽपत कय , तब   म ऽन ोधय  वचन बोल-।।6।। 

 मी   परम ऽसख द ई न मनऽस। ईर ऽतईर ब अनऽस।। 

 सय बचन ऽबवस न करहा। बयस आव सबहा त डरहा।।7।। 

ऄर मी   ! म त झ सवम ऽश द त   , ती भा तो ईस ह 

 मनत  और बत - स ईर य र (दलाल) लकर रखत ह। म र सय वचन पर   ऽववस नह करत ! कौए क भ ऽत सभा स 

 डरत ह।।7।। 

 सठ वपिछ तव दय ऽबसल। सपद होऽह पिछा च डल।। 

 लाह प म सास चइ। नह िक भय न दानत अइ।।8।। 

Page 277: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 277/340

 

ऄर मी  ख ! त र दय म ऄपन प क ब  भरा हठ ह ऄतः ती  

शा   चडल पा (कौअ) हो ज। म न अनद क सथ म ऽन कप को ऽसर पर   च ऽलय। ईसस म झ न कि भय अ , न 

 दानत हा अया।।8।। 

 दो.- त रत भयई म कग तब प ऽन म ऽन पद ऽस नआ।। 

 स ऽमर ऱम रघ ब स मऽन हरऽषत चल ई ईआ।।112 क।। 

 तब म त रत हा कौअ हो गय। फर म ऽन क  चरण म ऽसर  नवकर और   रघ कलऽशरोमऽण ाऱमजाक मरण करक म  

 हषत होकर ई चल।।112(

 क)।। 

 ईम ज ऱम चरन रत ऽबगत कम मद ोध।  

 ऽनज भ मय द खह जगत कऽह सन करह ऽबरोध।।112 ख।। 

[ ऽशव जा कहत ह-] ह ईम ! जो ाहरक  चरण क  मा ह, और  कम , ऄऽभमन तथ ोध स रऽहत ह, व जगत को ऄपन भ स 

भऱ अ द खत  ह, फर व कसस व र कर।।112( ख)।। 

Page 278: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 278/340

 

 चौ.- स न खग स नह िक रऽष दी  षन। ईर  रक रघ ब स ऽबभी  षन।। 

 कपसध म ऽन मऽत कर भोरा। लाहा  म परिछ मोरा।।1।। 

[ ककभश ऽडजान कह -] ह पऽऱज गजा  ! स ऽनय, आसम 

 ऊऽषक कि भा   दोष नह थ। रघ वशक ऽवभी  षण ाऱमजा हा  सबक दय म  रण   करन वल ह। कपसगर भ न म ऽनक 

 ब ऽको भोला करक (भ लव द कर)  म र  म क परा ला।।1।। 

 मन बच म मोऽह जन जन। म ऽन मऽत प ऽन फरा भगवन।। 

 रऽष मम महत सालत द खा। ऱम चरन ऽबवस ऽबस षा।।2।। 

 मन , वचन और कम स जब भ न म झ ऄपन   दस जन ऽलय  तब भगवन न म ऽन   क ब ऽ फर स पलट दा। ऊऽषन म ऱ 

 महन प षको - स वभव (ध य, ऄोध ऽवनय अद) और 

ाऱमजाक चरणम ऽवश ष ऽवस द ख।।2।। 

ऄऽत ऽबसमय प ऽन प ऽन पऽितइ। सदर म ऽन मोऽह लाह  बोलइ।।  मम परतोष ऽबऽबऽध ऽबऽध कह। हरऽषत ऱमम  तब 

 दाह।।3।। 

Page 279: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 279/340

 

 तब म ऽन न बत दःख क सथ बर - बर िपतकर   म झ अदरपी  व क ब ल ऽलय।  ईहन ऄन क कर स मऱ सतोष 

 कय और तब हषत होकर म झ  ऱमम दय।। 3।। 

 बलकप ऱम कर यन। कह ई मोऽह म ऽन कपऽनधन।।  स  दर स खद मोऽह ऄऽत भव। सो थमह म त हऽह 

 स नव।।4।। 

 कपऽनधन म ऽन न म झ बलकप ाऱमजाक  यन (यन  क ऽवऽध)  बतलय। स दर और स ख द न वल यह यन म झ  बत हा ऄिछ लग। वह  यन म अपको पहल हा स न च क 

 ।।4।। 

 म ऽन मोऽह िकक कल तह ऱख। ऱमचरतमनस तब भष।।  

 सदर मोऽह यह कथ स नइ। प ऽन बोल म ऽन ऽगऱ स हइ।।5।। 

 म ऽन न कि समय तक म झको वह (ऄपन पस)  रख। तब  ईहन ऱमचरत   मनस वण न कय। अदरपी  व क म झ यह कथ 

 स नकर फर म ऽन म झस स दर   वणा बोल।।5।। 

 ऱमचरत सर ग  स हव। सभ सद तत म पव।। 

 तोऽह ऽनज भगत ऱम कर जना। तत म सब कह ई बखना।।6।। 

Page 280: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 280/340

 

 ह तत ! यह स दर और ग  ऱमचरतमनस   म न ऽशवजा क 

 कप स पय थ।  त ह ाऱमजा क  ‘ ऽनज भ ’ जन , आसास  म न  त मस सब चर ऽवतर क सथ कह।।6।। 

 ऱम भगऽत ऽजह क ईर नह। कब न तत कऽहऄ ऽतह  पह।।  म ऽन मोऽह ऽबऽबऽध भ ऽत सम झव। म स म म ऽन पद ऽस  नव।।7।। 

 ह तत ! ऽजनक दय म ाऱमजा क भऽ   नह ह, ईनक

 समन आस कभा   नह कहन चऽहय। म ऽन न म झ बत कर स  समझय। तब म न  म क  सथ म ऽन क चरण म ऽसर 

 नवय।।7।। 

 ऽनज कर कमल परऽस मम सास। हऽषत अऽसष दाह म नास।। 

 ऱम भगऽत ऄऽबरल ईर तोर। बऽसऽह सद सद ऄब मोर।। 8।। 

 म नार न ऄपन कर - कमलस म ऱ ऽसर पश   करक हषत  होकर अशाव द   दय क ऄब म रा कपस त र दय म सद 

 ग ऱम -भऽ बस गा।।8।। 

Page 281: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 281/340

 

 दो.- सद ऱम ऽय हो त ह सभ ग न भवन ऄमन। 

 कमप आिछमरन यन ऽबऱग ऽनधन।। 113 क।। 

 त म सद ाऱमजाको ऽय होओ और कयण प   ग णक धम ,

 मनरऽहत   आिछन सर प धरण करन म समथ, आिछम य 

(ऽजसक शरार िोन क   आिछ करन पर हा म य हो , ऽबन 

 आिछक म य न हो), एव न और   व ऱय क भडर  होओ।।113( क)।। 

 ज ह अम त ह बसब प ऽन स ऽमरत ाभगव त। 

 यऽपऽह तह न ऄऽब जोजन एक ज त।।113 ख।। 

 आतन हा नह , ाभगवन को मरण करत ए   त म ऽजस अम 

 म ऽनवस   करोग वह एक योजन (चर कोस) तक ऄऽव 

(मय - मोह) नह   प गा।।113( ख)।। 

 चौ.- कल कम ग न दोष सभउ। िक द ख त हऽह न यऽपऽहस  कउ।। 

 ऱम रहय लऽलत ऽबऽध नन। ग  गट आऽतहस प ऱन।। 1।। 

Page 282: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 282/340

 

 कल , कम, ग ण दोष और वभव स ईप कि  भा दःख त मको 

 कभा नह   प ग। ऄन क कर स स दर ाऱमजाक रहय 

(ग  मम क  चर और ग ण) जो आऽतहस और प ऱणम ग  और कट ह (वणत और   लऽत ह)।।1।। 

 ऽबन म त ह जनब सब सोउ। ऽनत नव न ह ऱम पद होउ।।  

 जो आिछ करह मन मह। हर सद िक द लभ नह।।2।। 

 त म ईन सबको भा ऽबनहा परम जन जओग। ाऱमजाक चरणम त हऱ   ऽनय नय  म हो। ऄपन मनम त म जो कि 

 आिछ करोग, ाहरक कप   स ईसक पी  त कि भा द लभ नह 

 होगा।।2।।

 

 स ऽन म ऽन अऽसष स न मऽतधाऱ। ऽगऱ भआ गगन ग भाऱ।।  

 एवमत तव बच म ऽन यना। यह मम भगत कम मन 

 बना।।3।। 

 ह धारब ऽ गजा ! स ऽनय, म ऽनक  अशाव द स नकर 

अकशम गभार   वणा इ क ह ना म ऽन त हऱ वचन 

 ऐस हा (सय) हो। यह   कम, मन और वचन स म ऱ भ ह ।।3।। 

Page 283: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 283/340

 

 स ऽन नभऽगऱ हरष मोऽह भयउ।  म मगन सब स सय गयउ।।  कर ऽबनता म ऽन अयस पइ। पद सरोज प ऽन प ऽन ऽस 

 नइ।।4।। 

अकशवणा स नकर म झ ब हष अ। म   म म म हो गय 

और म ऱ सब   सद ह जत रह। तदनतर म ऽनक ऽवनता करक,

अ पकर और ईनक चरणकमल   म बर - बर ऽसर नवकर -

।।4।। 

 हरष सऽहत एह अम अयई। भ सद द लभ बर पयई।। 

 आह बसत मोऽह स न खग इस। बात कलप सत ऄ बास।।5।। 

 म हषसऽहत आस अमम अय। भ ाऱमजाक कपस म न  द लभ वर   प ऽलय। ह पऽऱज ! म झ यह ऽनवस करत 

 सइस कप बात गय।।5।। 

 करई सद रघ पऽत ग न गन। सदर स नह ऽबह ग स जन।।  जब जब ऄवधप रा रघ बाऱ। धरह भगत ऽहत मन ज 

 सराऱ।। 6।। 

 म यह सद ारघ नथजाक ग णक गन   कय करत और 

 चत र पा ईस अदरपी  व क स नत ह। ऄयोयप राम जब - जब 

Page 284: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 284/340

 

ारघ वार भ क [ऽहतक]  ऽलय मन यशरार धरण करत 

 ह,।।6।। 

 तब तब जआ ऱम प र रहई। ऽसस लाल ऽबलोक स ख लहउ।। 

 प ऽन ईर ऱऽख ऱम ऽसस  प। ऽनज अम अवई खगभी  प।।7।। 

 तब - तब म जकर ाऱमजा क नगरा म रहत    और भ क  ऽशश लाल   द खकर स ख करत । फर ह पऽऱज !ाऱमजाक ऽशश पको   दय म रखकर म ऄपन अमम अ 

 जत ।।7।। 

 कथ सकल म त हऽह स नइ। कग द ह ज ह करन पइ।।  कऽहई तत सब त हरा। ऱम भगऽत मऽहम ऄऽत 

भरा।।8।। 

 ऽजस करण स म न कौए क द ह पया , वह सरा   कथ अपको 

 स न दा। ह तत !  म न अपक सब क ईर कह। ऄह ! ऱभऽक बा भरा मऽहम   ह।।8।। 

 दो.- तत यह न मोऽह ऽय भयई ऱम पद न ह। 

 ऽनज भ दरसन पयई गए सकल स द ह।।114 क।। 

Page 285: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 285/340

 

 म झ ऄपन यह कक शरार आऽसऽलय ऽय ह क   आसम म झ ाऱमजाक   चरणक  म अ। आसा शरार स म न ऄपन 

 भ क दश न पय और म र सब सद ह जत रह (दी  र ए)।।114( क)।। 

मसपरयण, ईतासव ऽवशम 

भगऽत पिछ हठ कर रह ई दाऽह महरऽष सप। 

 म ऽन द लभ बर पयई द ख भजन तप।।114 ख।। 

 म हठ करक भऽप पर ऄ रह , ऽजसस  मऽहष लोमश न म झ शप दय।  परत ईसक फल यह अ क जो म ऽनय को भा 

 द लभ ह, वह वरदन म न  पय। भजनक तप तो द ऽखय 

!।।114( ख)।। 

 चौ.- ज ऄऽस भगऽत जऽन परहरह। कवल यन ह त म  करह।। 

 त ज कमध न ग ह यगा। खोजत अक फरह पय लगा।।1।। 

 जो भऽ क ऐसा मऽहम जनकर भा ईस िो   द त ह और 

 कवल न क ऽलय म (सधन) करत ह, व मी  ख घर पर पा 

Page 286: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 286/340

 

 इ कमध न को िोकर दी ध क  ऽलय मदर क प  को खोजत 

 फरत ह।।1। 

 स न खग स हर भगऽत ऽबहइ। ज स ख चहह अन ईपइ।। 

 त सठ महसध ऽबन तरना। प र पर चहह ज करना।।2।। 

 ह पऽऱज ! स ऽनय, जो लोग ा हरक  भऽ िोकर दी  सर

 ईपय स  स ख चहत ह, व मी  ख और ज करनावल (ऄभग)

 ऽबन हा जहजक त रकर   महसम  क पर जन चहत ह।।2।। 

 स ऽन भस  ऽड क बचन भवना। बोल ई ग हरऽष म द बना।। 

 तव सद भ मम ईर मह। स सय सोक मोह म नह।।3।। 

[ ऽशव जा कहत ह] ह भवना ! भशऽडक वचन   स नकर गजा 

 हषत होकर   कोमल वणास बोल- ह भो ! अपक सदस म र

 दय म ऄब सद ह , शोक , मोह और म कि भा नह रह 

 गय।।3।। 

 स न ई प नात ऱम ग न म। त हरा कप लह ई ऽबम।। 

 एक बत भ पी   ि ई तोहा। कह ब झआ कपऽनऽध मोहा।।4।। 

Page 287: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 287/340

 

 म न अपक कप स ाऱमचजाक पऽव   ग ण समी  ह को स न और  शऽत क। ह भो ! ऄब म अपस एक बत और 

 पी ि त , ह  कपसगर ! म झ समझकर कऽहय।।4।। 

 कहह स त म ऽन ब द प ऱन। नह िक द लभ यन समन।।  सोआ म ऽन त ह सन कह ई गोस। नह अदर भगऽत क 

 न।।5।। 

 स त म ऽन व द और प ऱण यह कहत ह क न   क समन द लभ 

 कि भा नह   ह। ह गोस ! वहा न म ऽनन अपस कह ; परत 

अपन भऽक समन ईसक  अदर नह कय।।5।। 

 यनऽह भगऽतऽह ऄ तर कत। सकल कह भ कप ऽनकत।। 

 स ऽन ईरगर बचन स ख मन। सदर बोल ई कग स जन।।6।। 

 ह कप धम ! ह भो ! न और भऽम  कतन ऄतर ह ? यह 

 सब म झस  कऽहय। गजा क वचन स नकर स जन  ककभश ऽडजान स ख मन और अदरक सथ   कह -।।6।। 

भगऽतऽह यनह नह िक भ द। ईभय हरह भव सभव ख द।। 

 नथ म नास कहह िक ऄ तर। सवधन सोई स न ऽबह गब।।7।। 

Page 288: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 288/340

 

भऽ और न म कि भा भ द नह ह।  दोन हा स सर स ईप  

लश को हर ल त ह। ह नथ ! म नार आसम कि ऄ तर  बतलत ह। ह  पऽ  ! ईस सवधन होकर स ऽनय।।7।। 

 यन ऽबऱग जोग ऽबयन। ए सब प ष स न हरजन।।  प ष तप बल सब भ ता। ऄबल ऄबल सहज ज 

 जता।।8।। 

 ह हरवहन ! स ऽनय ; न , व ऱय , योग , ऽवन - य सब प ष 

 ह; प षक तप सब कर स बल होत ह। ऄबल (मय)

 वभऽवक हा   ऽनब ल और जऽत (जम) स हा ज (मी  ख) होता  ह।।8।। 

 दो.- प ष यऽग सक नरऽह जो ऽबर मऽत धार।। 

 न त कमा ऽबषयबस ऽबम ख जो पद रघ बार।।1115 क।। 

 परत जो व ऱयवन और धारब ऽ प ष ह  वहा ा को यग 

 सकत  ह, न क व कमा प ष जो ऽवषय क वश म ह। (ईनक

 ग लम ह) और  ारघ वारक चरण स ऽवम ख ह।।115( क)।। 

Page 289: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 289/340

 

 सो.- सोई म ऽन यनऽनधन म गनयना ऽबध म ख ऽनरऽख। 

 ऽबबस होआ हरजन नर ऽबन मय गट।।115 ख।। 

 व न क भडर म ऽन भा म गनयना (य वता   ा) क चम खको  द खकर   ऽववश (ईसक ऄधान) हो जत ह। ह गजा ! सत 

भगवन ऽवण क क   मय हा ाप स कट ह।।115( ख)।। 

 चौ.- आह न पिछपत िक ऱखई। ब द प ऱन स त मत भषई।। 

 मोह न नर नर क प। पगर यह राऽत ऄनी  प।।1।। 

 यह म कि पपत नह रखत। व द , प ऱण  और स त क मत 

(ऽस त) हा   कहत । ह गजा ! यह ऄन पम (ऽवलण) राऽत  ह क एक ा क प   पर दी  सरा ा मोऽहत नह होता।।1।। 

 मय भगऽत स न त ह दोउ। नर बग जनआ सब कोउ।। 

 प ऽन रघ बारऽह भगऽत ऽपअरा। मय खल नत क ऽबचरा।।2।। 

अप स ऽनय, मय और भऽ - य दन हा   ावग ह; यह सब 

 कोइ जनत  ह। फर ारघ नथजा को भऽ यरा ह। मय 

 ब चरा तो ऽनय हा नचन  वला (नटनाम) ह।।2।। 

Page 290: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 290/340

 

भगतऽह सन कील रघ ऱय। तत त ऽह डरपऽत ऄऽत मय।  ऱम भगऽत ऽनपम ऽनपधा। बसआ जस ईर सद 

ऄबधा।।3।। 

ारघ नथजा भऽक ऽवश ष ऄन कील रहत ह।  आसा स मय  ईसस ऄयत   डरता रहता ह। ऽजसक दय म ईपम रऽहत और  ईपऽधरऽहत (ऽवश ) ऱमभऽ   सद ऽबन कसा बध (रोक -

 टोक) क बसता ह;।।3।। 

 त ऽह ऽबलोक मय सकचइ। कर न सकआ िक ऽनज भ तइ।। ऄस ऽबचर ज म ऽन ऽबयना। जचह भगऽत सकल स ख 

 खना।।4।। 

 ईस द खकर मय सकच जता ह। ईस पर वह ऄपना   भ त 

 कि भा नह कर ( चल) सकता। ऐस ऽवचर कर हा जो 

 ऽवना म ऽन ह, व सभा स ख क खऽन  भऽ क हा यचन 

 करत ह।।4।। 

 दो.- यह रहय रघ नथ कर ब ऽग न जनआ कोआ।। 

 जो जनआ रघ पऽत कप सपन  मोह न होआ।।116 क।। 

Page 291: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 291/340

 

ारघ नथजा क यह रहय (ग  मम) जदा   कोइ भा नह जन 

 पत। ारघ नथजा क कप स जो आस जन जत ह, ईस व 

 म भा मोह नह   होत।।116( क)।। 

औरई यन भगऽत कर भ द स न स बान। 

 जो स ऽन होआ ऱम पद ाऽत सद ऄऽिबान।। 116 ख।। 

 ह स चत र गजा ! न और भऽ क और भा  भ द स ऽनय,

 ऽजसक स नन स ाऱमजा क चरण म सद ऄऽवऽिछ 

(एकतर)  म हो जत   ह।।116( ख)।। 

 चौ.- स न तत यह ऄकथ कहना। सम झत बनआ न जआ  बखना।। 

 इवर ऄ स जाव ऄऽबनसा। च तन ऄमल सहज स ख ऱसा।। 1।। 

 ह तत ! यह ऄकथनाय कहना (वत) स ऽनय।  यह समझत हा 

 बनता ह, कहा नह   ज सकता। जाव इर क ऄश ह। [ऄतएव] वह ऄऽवनशा , च तन , ऽनम ल और   वभव स हा स ख क ऱऽश 

 ह।।1।। 

Page 292: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 292/340

 

 सो मयवश भयई गोस। बयो कर मरकट क न।। 

 ज च तनऽह  ऽथ पर गइ। जदऽप म ष िीटत कठनइ।।2।। 

 ह गोस ! वह मय क वशा भी  त होकर तोत और   वन क भ ऽत ऄपन-अप हा   बध गय। आस कर ज और च तन म 

 ऽथ (ग ठ) प गया। यऽप वह   ऽथ ऽमय हा ह, तथऽप 

 ईसक िीटन म कठनत ह।।2।। 

 तब त जाव भयई स सरा। िीट न  ऽथ न होआ स खरा।। 

 ऽत प ऱन ब कह ई ईपइ। िीट न ऄऽधक ऄऽधक ऄझइ।।3।। 

 तभा स जाव स सरा (जमन-

 मरन वल) हो गय। ऄब न तो  ग ठ िीटता ह और न   वह स खा होत ह। व द और प ऱण न  

 बत - स ईपय बतलय ह, पर वह (  ऽथ) िीटता नह वर

ऄऽधकऽधक ईलझता हा जता ह।।3।। 

 जाव दय तम मोह ऽबस षा।  ऽथ िीट कऽम परआ न द खा।। ऄस स जोग इस जब करइ। तब कदऽचत सो ऽनऄरइ।।4।। 

 जाव क दय म ऄन प ऄधकर ऽवश ष   प स ि रह ह,

 आसस ग ठ   द ख हा नह पता 

,ि ीट तो कस 

? जब कभा इर 

Page 293: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 293/340

 

 ऐस स योग (ज स अग कह   जत ह) ईपऽथत कर द त ह तब 

भा वह कदऽचत हा वह (ऽथ) िीट पता   ह।।4।। 

 सऽवक ध न स हइ। ज हर कप दय बस अइ।।  जप तप त जम ऽनयम ऄपऱ। ज  ऽत कह सभ धम 

ऄचऱ।। 5।। 

ाहर क कप स यद सऽवक  पा स दर गौ दयपा  घरम अकर बस जय ; ऄस य जप , तप , त , यम और 

 ऽनयमद शभ धम और अचर (अचरण), जो  ऽतय न कह 

 ह,।।5।। 

 त आ त न हरत चर जब गइ। भव बिछ ऽसस पआ प हइ।। 

 नोआ ऽनब ऽ प ऽबवस। ऽनम ल मन ऄहार ऽनज दस।।6।। 

 ईह [धम चरपा] हर त ण (घस) को जब   वह गौ चर और 

अऽतक भवपा  ि ोट िब को पकर वह प हव। ऽनव ऽ (स सरक ऽबषयस और प च   स हटन) नोइ (गौक द तह समय 

 ऽिपल प र बधन क रसा) ह, ऽवस [ दी ध दी  हन क[] बरतन 

 ह, ऽनम ल (ऽनपप) मन जो वय ऄपन दस ह। (ऄपन  वशम 

 ह), द हन वल ऄहार ह।।6।। 

Page 294: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 294/340

 

 परम धम मय पय द ऽह भइ। ऄवट ऄनल ऄकम बनइ।। 

 तोष मत तब िम ज व। ध ऽत सम जवन द आ जमव।।7।। 

 ह भइ ! आस कर (धम चरम व    सऽवक पा गौस 

भव , ऽनव ऽ और वश म कय ए ऽनम ल मन क यहयत स)

 परम धम मय दी ध   द हकर ईस ऽनकम भवपा ऄऽ पर भलाभ ऽत औटव। फर म और स तोष   पा हव स ईस ठढ  कर औऱ ध य तथ शम (मनक ऽनह) पा जमन द कर   ईस 

 जमव।।7।। 

 म दत मथ ऽबचर मथना। दम ऄधर रज सय स बना।।  तब मऽथ क ल आ नवनात। ऽबमल ऽबऱग स भग 

 स प नात।।8।। 

 तब म दत (सत) पा कमोरा म  तवऽवचरपा मथनास 

 दम ( आऽय -

 दमन) क अधर पर (दमपा खभ अद क सहर) सय और स दर   वणापा रसा लगकर ईस मथ और मथकर 

 तब ईसम स ऽनम ल , स दर और  ऄयत पऽव ब ऱयपा 

 मखन ऽनकल ल।।8।। 

Page 295: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 295/340

 

 दो.- जोग ऄऽगऽन कर गट तब कम सभसभ लआ। 

 ब ऽ ऽसऱव यन घ त ममत मल जर जआ।।117 क।। 

 तब योग पा ऄऽ कट करक ईसम समत  शभशभ कम पा 

 धन लग द ( सब कमको योगपा ऄऽम भम कर द)। जब 

[व ऱयपा मखन क]   ममत पा मल जल जय , तब [बच 

 ए] नपा घा को ऽनऽयऽमक]  ब ऽ ठड कर।।117( क)।। 

 तब ऽबयनऽपना ब ऽ ऽबसद घ त पआ।। 

 ऽच दय भर धर द  समत दऄट बनआ।।117 ख।। 

 तब ऽवनऽपणा ब ऽ ईस [नपा]  ऽनम ल घा को पकर  ऽचपा   दय को भरकर , समत क दावट बनकर ईसपर ईस 

 द तपी  व क (जमकर)  रख।।117( ख)।। 

 ताऽन ऄवथ ताऽन ग न त ऽह कपस त क। 

 ती  ल त राय स वर प ऽन बता कर स ग।।117 ग।। 

[ जत व और स ष ऽ] तान ऄवथए और [सव , रज और 

 तम] तान   ग णपा कपसस त रायवथपा इको 

Page 296: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 296/340

 

 ऽनकलकर और फर ईस स वरकर ईसक   स दर का बा 

 बनव।।117( ग)।। 

 सो.- एऽह ऽबऽध ल स दाप त ज ऱऽस ऽबयनमय।  

 जतह जस समाप जरह मददक सलभ सब।।117 घ।। 

 आस कर त ज क ऱऽश ऽवनमय दापक को   जलव, ऽजसक

 समाप जत हा मद  अद सब पत ग जल जय।।117( घ)।। 

 चौ.- सोहमऽम आऽत ब ऽ ऄख ड। दाप ऽसख सोआ परम च ड।। 

अतम ऄनभव स ख स कस। तब भव मी  ल भ द म नस।।1।। 

 सोऻहममम (वह म ) यह तो ऄखड ( त लधऱवत कभा 

 न टीटन वला) व ऽत ह, वहा [ईस नदापकक] परम चड  

 दापऽशख (लौ) ह। [आस कर] जब अमनभवक स खक स दर 

 कश फलत   ह, तब स सर क मी  ल भ द पा मक नश हो 

 जत ह।।1।। 

 बल ऄऽब कर परवऱ। मोह अद तग ऽमटआ ऄपऱ।।  

 तब सोआ ब ऽ पआ ईऽजअऱ। ईर ग   ह ब ठ  ऽथ ऽनअऱ।। 2।। 

Page 297: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 297/340

 

और महन बलवता ऄऽव क परवर मोह अद क  ऄपर ऄधकर ऽमट जत ह। तब   वहा (ऽवनऽपणा) ब ऽ 

[अमनभवप] कश को पकर दयपा घरम  ब ठकर ईस  ज - च तन क ग ठ को खोलता ह।2।। 

ि ोरन  ऽथ पव ज सोइ। तब यह जाव कतरथ होइ।। 

ि ोरत  ऽथ जऽन खगऱय। ऽब ऄन क करआ तब मय।।3।। 

 यद वह ऽवनऽपणा ब ऽ) ईस ग ठको   खोलन पव, तब यह 

 जाव कतथ  हो। परत ह पऽऱज गजा ! ग ठ खोलत ए 

 जनकर मय फर ऄन क   ऽव करता ह।।3।। 

 रऽ ऽसऽ  रआ ब भइ। ब ऽऽह लोभ दखवह अइ।।  कल बल िल कर जह समाप। ऄ चल बत ब झवह 

 दाप।।4।। 

 ह भइ ! वह बत - सा ऊऽ - ऽसऽय को  भ जता ह, जो अकर  ब ऽ को लोभ   दखता ह। और व ऊऽ - ऽसऽय कल (कल),

 बल और िल करक समाप जता और  अ चल क वय स ईस 

 नपा दापकको ब झ द ता ह।।4।। 

Page 298: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 298/340

 

 होआ ब ऽ ज परम सयना। ऽतह तन ऽचतव न ऄनऽहत जना।।  ज त ऽह ऽब ब ऽ नह बधा। तौ बहोर स र करह 

 ईपधा।।5।। 

 यद ब ऽ बत हा सयना इ तो वह ईन ( ऊऽ - ऽसऽय) को 

ऄऽहतकर ( हऽनकर) समझकर ईनक और तकता नह। आस 

 कर यद मय क ऽव स  ब ऽ को बध न इ , तो फर 

 द वत ईपऽध (ऽव) करत ह।।5।। 

 आा र झरोख नन। तह तह स र ब ठ कर थन।। 

अवत द खह ऽबषय बयरा। त हठ द ह कपट ईघरा।।6।। 

 आऽय क ऱ दय पा घरक ऄन क   झरोख ह वह- वह 

( य क झरोख पर) द वत थन कय (ऄ जमकर) ब ठ ह। य 

 हा व  ऽवषयपा हवको द खत ह, य हा हठपी  व क कव खोल 

 द त ह।।6।। 

 जब सो भ जन ईर ग ह जइ। तबह दाप ऽबयन ब झइ।।   ऽथ न िीट ऽमट सो कस। ब ऽ ऽबकल भआ ऽबषय 

 बतस।।7।। 

Page 299: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 299/340

 

 य हा वह त ज हव दयपा घरम जता   ह, य हा वह 

 ऽवनपा   दापक ब झ जत ह। ग ठ भा नह िीटा और वह 

(अमनभवप) कश भा ऽमट   गय। ऽवषयपा हवस ब ऽ  कल हो गया (सऱ कय - कऱय चौपट हो   गय)।।7।। 

 आह स रह न यन सोहइ। ऽबषय भोग पर ाऽत सदइ।।  ऽवषय समार ब ऽ कत भोरा। त ऽह ऽबऽध दाप को बर 

 बहोरा।।8।। 

 आऽय और ईनक द वतको न [ वभऽवक हा] नह 

 स हत ; यक   ईनक ऽवषय -भोगम सद हा ाऽत रहता ह।

और ब ऽको भा ऽवषयपा हवन  बवला बन दय। तब फर (द बऱ) ईस नदापकको ईसा कर स कौन जलव ?।।8।। 

 दो.- तब फर जाव ऽबऽबऽध ऽबऽध पवआ स स ऽत ल स। 

 हर मय ऄऽत द तर तर न जआ ऽबहग स।।118 क।। 

[ आस कर नदापक क ब झ जन पर] तब फर   जाव ऄन क 

 कर स स स ऽत ( जम - मरणद) क लश पत ह। ह पऽऱज !

 हरक मय ऄयत द तर   ह, वह सहज हा म तरा नह ज 

 सकता।।118( क)।। 

Page 300: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 300/340

 

 कहत कठन सम झत कठन सधत कठन ऽबब क। 

 होआ घ निछर यय ज प ऽन यीह ऄन क।।118 ख।। 

 न कहन (समझन) म कठन , समझन म कठन  और सधन म 

भा कठन ह। यद   घ णरययस (स योगवश) कदऽचत यह 

 न हो भा जय , तो फर [ईस बचय  रखन म] ऄन क ऽव 

 ह।।118( ख)।। 

 चौ.- यन पथ कपन क धऱ। परत खग स होआ नह बऱ।।  

 जो ऽनब पथ ऽनब हइ। सो कवय परम पद लहइ।।1।। 

 न क मग कपण (दधरा तलवर) क  धरक समन ह। ह  पऽऱज ! आस   मग स ऽगरत द र नह लगता। जो आस मग को 

 ऽनव ऽनबह ल जत ह, वहा कवय (मो) प परमपदको 

  करत ह।।1।। 

ऄऽत द लभ कवय परम पद। स त प ऱन ऽनगम अगम बद।।  

 ऱम भगत सोआ म क ऽत गोस। ऄनआऽिछत अवआ बरअ।।2।। 

Page 301: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 301/340

 

 स त , प ऱण , व द और [त अद] श [ सब] यह कहत ह क 

 कवयप   परमपद ऄयत द लभ ह; कत गोस ! वहा 

[ऄयत द लभ] म ऽ  ाऱमजा को भजन स ऽबन आिछ कय भा जबरदता अ जता ह।।2।। 

 ऽजऽम थल ऽबन जल रऽह न सकइ। कोट भ ऽत कोई कर ईपइ।। 

 तथ मोिछ स ख स न खगऱइ। रऽह न सकआ भगऽत ऽबहइ।। 3।। 

 ज स थल क ऽबन जल नह रह सकत , चह कोइ   करो  

 करक ईपय  य न कर। व स हा , ह पऽऱज ! स ऽनय,

 मोस ख भा ाहरक  भऽको िोकर नह रह सकत।।3।। 

ऄस ऽबचर हर भगत सयन। म ऽ ऽनऱदर भगऽत ल भन।। 

भगऽत करत ऽबन जतन यस। स स ऽत मी  ल ऄऽब नस।।4।। 

 ऐस ऽवचरकर ब ऽमन हरभ भऽपर   लभय रहकर  म ऽक ऽतरकर कर   द त ह। भऽ करन स स स ऽत (जम - म य प स सर) क ज ऄऽव   ऽबन हा य और परम क

(ऄपन-अप) व स हा न हो जता ह,।।4।। 

Page 302: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 302/340

 

भोजन करऄ त ऽपऽत ऽहत लगा। ऽजऽम सो ऄसन पचव  जठऱगा।।  

ऄऽस हर भगऽत स गम स खदइ। को ऄस मी   न जऽह  सोहइ।।5।। 

 ज स भोजन कय तो जत ह त ऽक ऽलय और   ईस भोजनको 

 जठऱऽ ऄपन -अप ( ऽबन हमरा च क ) पच डलता ह,

 ऐसा स गम और परम स ख द न वला   हरभऽ ऽजस न स हव,

 ऐस मी   कौन होग ?।।5।। 

 दो.- स वक स य भव ऽबन भव न तरऄ ईरगर। 

भज ऱम पद प कज ऄस ऽस त ऽबचर।।119

 क।। 

 ह सप शभ गजा ! म स वक और  भगवन म र स  

(वमा) ह, आस भवक ऽबन स सरपा सम स तरन नह हो 

 सकत। ऐस ऽसत ऽवचरकर  ाऱमचजा क

 चरणकमलक भजन कऽजय।।119( क)।। 

 जो च तन कह ज करआ जऽह करआ च तय। 

ऄस समथ रघ नयकऽह भजह जाव त धय।।119 ख।। 

Page 303: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 303/340

 

 जो च तन को ज कर द त ह और ज को च तन कर   द त ह, ऐस 

 समथ ारघ नथजाको जो जाव भजत ह, व धय ह।।119( ख)।। 

 चौ.- कह ई यन ऽसत ब झइ। स न भगऽत मऽन क भ तइ।। 

 ऱम भगऽत चतमऽन स  दर। बसआ ग जक ईर ऄ तर।।1।। 

 म न नक ऽसत समझकर कह। ऄब  भऽपा भ त (मऽहम)  स ऽनय। ाऱमजाक भऽ स दर ऽचतमऽण ह। ह 

 गजा ! यह कसक  दयक ऄ दर बसता ह।।1।। 

 परम कस प दन ऱता। नह िक चऽहऄ दअ घ त बता।। 

 मोह दर ऽनकट नह अव। लोभ बत नह तऽह ब झव।।2।। 

 वह दन - ऱत [ऄपन -अप हा] परम कशप रहत   ह। ईसको 

 दापक , घा और बा   कि भा नह चऽहय। [आस कर मऽणक 

 एक तो वभऽवक कर रहत ह]  फर मोहपा दरत 

 समाप नह अता ह [यक मऽण वय धनप ह]; और [ तासर] लोभपा हव ईस मऽणमय दापको ब झ नह सकता [यक 

 मऽण वय  कशप ह, वह कसा दी  सर क सहयत स नह 

 कश करता]।।2।। 

Page 304: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 304/340

 

 बल ऄऽब तम ऽमट जइ। हरह सकल सलभ सम दइ।। 

 खल कमद ऽनकट नह जह। बसआ भगऽत जक ईर मह।।3।। 

[ ईसक कशस] ऄऽव क बल ऄधकर   ऽनज जत ह।

 मदद पत गक   सऱ समी  ह हर जत ह। ऽजसक दयम भऽ 

 बसता ह, कम , ोध और लोभ  अद द  तो पस भा नह अत 

 जत।।3।। 

 गरल सधसम ऄर ऽहत होइ। त ऽह मऽन ऽबन स ख पव न कोइ।। 

 यपह मनस रोग न भरा। ऽजह क बस जाव द खरा।।4।। 

 ईसक ऽलय ऽवष ऄम तक समन और श ऽम क   समन हो  जत ह। ईस मऽण क   ऽबन कोइ स ख नह पत। ब- ब 

 मनस - रोग , ऽजसक वश होकर सब जाव द खा   हो रह ह, ईसको 

 नह पत।।4।। 

 ऱम भगऽत मऽन ईर बस जक । द ख लवल स न सपन  तक।।  चत र ऽसरमऽन त आ जग मह। ज मऽन लऽग स जतन 

 कऱह।। 5।। 

Page 305: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 305/340

 

ाऱमभऽपा मऽण ऽजसक रदयम बसता   ह, ईस वम भा 

 लशम   दःख नह होत। जगत म व हा मन य चत रक

 ऽशरोमऽण ह जो ईस  भऽपा मऽण क ऽलय भलाभ ऽत य  करत ह।।5।। 

 सो मऽन जदऽप गच जग ऄहइ। ऱम कप ऽबन नह कोई  लहइ।। 

 स गम ईपय पआब कर। नर हतभय द ह भटभ र।।6।। 

 यऽप वह मऽण जगत म कट (य)  ह, पर ऽबन 

ाऱमजाक कपक   ईस कोइ प नह सकत। ईनक पन ईपय 

भा स गम हा ह, पर ऄभग मन य 

  ईह ठकऱ द त ह।।

6।।

 

 पवन पब त ब द प ऱन। ऱम कथ ऽचऱकर नन।।  

 मम सन स मऽत क दरा। यन ऽबऱग नयन ईरगरा।। 7।। 

 व द - प ऱण पऽव पव त ह। ाऱमजाक   नन करक कथए  ईन पव त   म स दर खन ह। स त प ष [ईनक आन खनक रहयको जनन वल]  मम ह और स दर ब ऽ [खोदन वला]

 क दल ह। ह गजा ! न और   व ऱय - य दो ईनक न  ह।।7।। 

Page 306: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 306/340

 

भव सऽहत खोजआ जो ना। पव भगऽत मन सब स ख खना।। 

 मोर मन भ ऄस ऽबवस। ऱम त ऄऽधक ऱम कर दस।। 8।। 

 जो णा ईस  म क सथ खोजत ह, वह सब   स ख क खन आस 

भऽपा   मऽणको प जत ह। ह भो ! मर मन म तो ऐस 

 ऽवस ह क  ाऱमजा क दस ाऱमजास भा बकर ह।।8।। 

 ऱम सध घन सन धाऱ। च दन त हर स त समाऱ।।  

 सब कर फलर हरस भगऽत स हइ। सो ऽबन स त न क 

 पइ।।9।। 

ाऱमचजा सम  ह तो धार स त प ष   म घ ह। ाहर  चदनक  व ह तो स त पवन ह। सब सधन क फल स दर हर 

भऽ हा ह। ईस  स तक ऽबन कसा न नह पय।।9।। 

ऄस ऽबचर जोआ कर सतस ग। ऱम भगऽत त ह स लभ 

 ऽबह ग।।10।। 

 ऐस ऽवचर कर जो भा स त क स ग करत ह, ह  गजा !

 ईसक ऽलय ाऱमजाक भऽ स लभ हो जता ह।।10।। 

Page 307: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 307/340

 

 दो.-  पयोऽनऽध म दर यन स त स र अह।। 

 कथ सध मऽथ कह भगऽत मध रत जह।।120 क।। 

  (व द) सम  ह, न मदऱचल ह  और स त दवत ह। जो 

 ईस   सम को मथकर ऄम त ऽनकलत ह, ऽजसम भऽ पा 

 मध रत बसा रहता   ह।।120( क)।। 

 ऽबरऽत चम ऄऽस यन मद लोभ मोह रप मर।। 

 जय पआऄ सो हर भगऽत द ख खग स ऽबचर।।120 ख।। 

 व ऱयपा ढल स ऄपन को बचत ए और   न पा तलवर 

 स मद , लोभ और   मोहपा व रयको मरकर जो ऽवजय -   करता ह, वह हरभऽ हा ह; ह  पऽऱज ! आस ऽवचर कर 

 द ऽखय।।120( ख)।। 

 चौ.-

 प ऽन स म बोल ई खगऱउ। ज कपल मोऽह उपर भउ।।   नथ मोऽह ऽनज स वक जना। स मम कह ऽबचरा।।2।। 

 पऽऱज गजा फर  मसऽहत बोल- ह  कपल ! यद म झपर 

अपक  म   ह, तो ह नथ ! म झ ऄपन स वक जनकर म र सत 

  क ईर बखनकर   कऽहय।।1।। 

Page 308: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 308/340

 

 थमह कह नथ मऽतधऱ। सब त द लभ कवन सराऱ।।  

 ब द ख कवन स ख भरा। सोई सिपह कह ऽबचरा।।2।। 

 ह नथ ! ह धारब ऽ ! पहल तो यह बतआय  क सबस द लभ 

 कौन - स शरार ह ? फर सबस ब दःख कौन ह और सबस 

 ब स ख कौन ह, यह भा ऽवचर कर   स प म हा कऽहय।।2।। 

 स त ऄस त मरम त ह जन। ऽतह कर सहज सभव बखन।।  कवन प य  ऽत ऽबदत ऽबसल। कह कवन ऄघ परम 

 कऱल।। 3।। 

 स त और ऄस त क मम (भ द) अप जनत ह, ईनक सहज वभव 

 क वण न   कऽजय। फर कऽहय क  ऽतयम ऽस सबस महन 

 प य कौन - स ह और   सबस महन भय कर पप कौन ह।।3।। 

 मनस रोग कह सम झइ। त ह सब य कप ऄऽधकइ।। 

 तत स न सदर ऄऽत ाता। म सि प कहई यह नाता।।4।। 

 फर मनस रोग को समझकर कऽहय। अप सव    ह और  म झपर अपक कप भा   बत ह [ककभश ऽडजान कह -] ह 

Page 309: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 309/340

 

 तत ! ऄयत अदर और  मक सथ   स ऽनय। म यह नाऽत स प 

 म कहत ।।4।। 

 नर तन सम नह कवऽनई द हा। जाव चऱचर जचत त हा। 

 नरक वग ऄपबग ऽनस ना। यन ऽबऱग भगऽत स भ द ना।।5।। 

 मन य शरार क समन कोइ शरार नह ह।  चर -ऄचर सभा जाव 

 ईसक यचन करत  ह। यह मन य -शरार नरक , वग और मो 

 क साा ह तथ कयणकरा   न , व ऱय और भऽ को 

 द न वल ह।।5।। 

 सो तन धर हर भजह न ज नर। होह ऽबषय रत म द म द तर।।  क च करच बदल त ल ह। कर त डर परस मऽन द ह।।6।। 

 ऐस मन य -शरारको धरण () करक जो   लोग ा हर क 

भजन नह करत और नाच स भा नाच ऽवषयम ऄन र रहत ह,

 व परसमऽण को हथ स फ क   द त ह और बदल म क चक टक ल  ल त ह।।6।। 

 नह दर सम द ख जग मह। स त ऽमलन सम स ख जग नह।। 

 पर ईपकर बचन मन कय। स त सहज सभई खगऱय।।7

।। 

Page 310: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 310/340

 

 जगत म दरत क समन दःख नह ह तथ   स तक ऽमलन क

 समन जगत  म स ख नह ह। और ह पऽऱज ! मन , वचन और शरार स परोपकर करन यह   स तक सहज वभव ह।।7।। 

 स त सहह द ख पर ऽहत लगा। पर द ख ह त ऄस त ऄभगा।। भी  ज त सम स त कपल। पर ऽहत ऽनऽत सह ऽबपऽत 

 ऽबसल।।8।। 

 स त दी  सरक भलइक ऽलय दःख सहत ह और  ऄभग ऄस त  दी  सर को दःख   प चन क ऽलय। कपल स त भोजक वक समन दी  सर क ऽहत क ऽलय भरा ऽवपऽ सहत ह (ऄपना 

 खलतक ईधव ल त ह)।।8।। 

 सन आव खल पर बधन करइ। खल कआ ऽबपऽत सऽह मरइ।।  खल ऽबन वरथ पर ऄपकरा। ऄऽह मी  षक आव स न 

 ईरगरा।।9।। 

 कत द  लोग सनक भ ऽत दी  सर को बधत  ह और [ईह  बधन क  ऽलय] ऄपना खल खचवकर ऽवपऽ सहकर मर जत 

 ह। ह सपक श  गजा ! स ऽनय; द  ऽबन कसा वथ क स प 

और ची  ह क समन ऄकरण   हा दी  सर क ऄपकर करत ह।।9।। 

Page 311: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 311/340

Page 312: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 312/340

 

श करजा और ग क नद करन वल मन य [ऄगल जमम]

 म ढक होत ह और   वह हजर जमतक वहा म ढक क शरार 

 पत ह। ण क ऽनद करनवल   ऽ बत - स नरक भोगकर फर जगत म कौए क शरार धरण करक जम ल त  

 ह।।12।। 

 स र  ऽत नदक ज ऄऽभमना। रौरव नरक परह त ना।। 

 होह ईली  क स त नद रत। मोह ऽनस ऽय यन भन  गत।।13।। 

 जो ऄऽभमना जाव द वत और व द क ऽनद   करत ह, व 

 रौरव नरक म  पत ह। स तक ऽनद म लग ए लोग ईली  

 होत ह, ऽजह  मोहपा ऱऽ ऽय होता ह और नपा सी  य 

 ऽजनक ऽलय बात गय (ऄत हो गय) रहत ह।।13।। 

 सब क नद ज ज करह। त चमगद र होआ ऄवतरह।। 

 स न तत ऄब मनस रोग। ऽजह त द ख पवह सब  लोग।।14।। 

Page 313: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 313/340

 

 जो मी  ख मन य सबक ऽनद करत ह, व  चमगाद होकर जम 

 ल त ह। ह  तत ! ऄब मनस - रोग स ऽनय, ऽजनस सब लोग दःख 

 पय करत ह।।14।। 

 मोह सकल यऽधह कर मी  ल। ऽतह त प ऽन ईपजह ब सी  ल।। 

 कम बत कफ लोभ ऄपऱ। ोध ऽप ऽनत िता जऱ।। 15।। 

 सब रोग क ज मोह (ऄन) ह। ईन   ऽधय स फर और 

 बत - स शी  ल   ईप होत ह। कम वद ह, लोभ ऄपर (ब 

 अ) कफ ह और ोध ऽप   ह जो सद िता जलत रहत 

 ह।।15।। 

 ाऽत करह ज तानई भइ। ईपजइ सयपत द खदइ।। 

 ऽबषय मनोरथ द ग म नन। त सब सी  ल नम को जन।।16।। 

 ाऽत कह य तान भइ (वत , ऽप और कफ)  ाऽत कर ल 

(ऽमल जय)  दःखदयक सऽपत रोग ईपय होत ह।

 कठनत स (पी  ण)  होन वल जो ऽवषयक मनोरथ ह, व हा 

 सब शी  ल (कदयक रोग) ह; ईनक  नम कौन जनत ह (ऄथ त 

 व ऄपर ह)।।16।। 

Page 314: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 314/340

 

 ममत दद कड आरषइ। हरष ऽबषद गरह बतइ।। 

 पर स ख द ऽख जरऽन सोआ िइ। क द त मन क टलइ।।17।। 

 ममत दद , और इय (डह) ख जला ह, हष- ऽवषद गल क 

 रोग क ऄऽधकत   ह (गलग ड , कटमल य घ घ अद रोग 

 ह), पऱय स खको द खकर जो जलन होता   ह, वहा या ह ।

 द त और मनक क टलत हा को ह।।17।। 

ऄह कर ऄऽत द खद डमअ। दभ कपट मद मन न हअ।। 

 त ण ईदरब ऽ ऄऽत भरा। ऽऽबऽध इषन तन ऽतजरा।18।। 

ऄह कर ऄयत दःख द न वल डम (ग ठक)  रोग ह। दभ ,

 कपट मद , और मन   नहअ (नसक) रोग ह। त ण ब भरा 

 ईदरव ऽ (जलोदर) रोग ह। तान   कर (प  , धन और मन) क 

 बल आिछए बल ऽतजोरा ह।।18।। 

 ज ग ऽबऽध वर मसर ऄऽबब क। कह लऽग कह करोग 

ऄन क।।19।। 

Page 315: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 315/340

 

 मसर और ऄऽवव क दो कर क वर ह। आस   कर ऄन क ब र

 रोग ह, ऽजह कह तक क।।19।। 

 दो.- एक यऽध बस नर मरह ए सऽध ब यऽध। 

 पाह स तत जाव क सो कऽम लह समऽध।।121 क।। 

 एक हा रोग क वश होकर मन य मर जत ह, फर य तो बत - स 

ऄसय रोग   ह य जाव को ऽनरतर क द त रहत ह, ऐसा दश म 

 वह समऽध (शऽत)  को कस कर ?।।121( क)।। 

 न म धम अचर तप यन जय जप दन।। 

भ षज प ऽन कोटह नह रोग जह हरजन।।121 ख।। 

 ऽनमय , धम, अचर (ईम अचरण), तप , न , य , जप , दन 

 तथ और भा   करो ओषऽधय ह, परत ह गजा ! ईनस य 

 रोग नह जत।।121( ख)।। 

 चौ.- एऽह ऽबऽध सकल जाव जग रोगा। सोक हरष भय ाऽत  ऽबयोगा।। 

 मनस रोग िकक म गए। हह सब क लऽख ऽबरल ह पए।।1।। 

Page 316: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 316/340

 

 आस कर जगत म समत जाव रोगा ह, जो  शोक , हष, भय ,

 ाऽत और   ऽवयोगक दःखस और भा द खा हो रह ह। म न य थो-

 स मनस रोग कह  ह। य ह तो सबको , परत आह जन पय ह  कोइ ऽवरल हा।।1।। 

 जन त िाजह िक पपा। नस न पवह जन परतपा।। 

 ऽवषय कपय पआ ऄ क र। म ऽन दय क नर बप र।।2।। 

 ऽणय को जलन वल य पपा (रोग) जन   ऽलय जन स कि 

ाण ऄवय   हो जत ह; परत नश को नह होत।

 ऽवषयप कपय पकर य  म ऽनय क दय म भा ऄ क रत हो 

 ईठत ह, तब ब चर सधरण मन य   तो य चाज ह।।2।। 

 ऱम कप नसह सब रोग। ज एऽह भ ऽत बन स जोग।। 

 सदग र ब द बचन ऽबवस। स जम यह न ऽबषय क अस।।3।। 

 यद ाऱमजाक कप स आस कर क स योग   बन जय तो य  सब रोग न हो   जय।सग पा व  क वचनम ऽवस हो।

 ऽवषय क अश न कर, यहा   स यम (परह ज) हो।।3।। 

Page 317: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 317/340

 

 रघ पऽत भगऽत सजावन मी  रा। ऄनी  पन मऽत पी  रा।।  एऽह ऽबऽध भल ह सो रोग नसह। नह त जतन कोट नह 

 जह।।4।। 

ारघ नथजा क भऽ स जावना जा ह।  स पी  ण ब ऽ हा  ऄन पन (दवक सथ ऽलय जन वल मध अद) ह। आस कर 

 क स योग हो तो   व रोग भल हा न हो जय, नह तो करो 

 य स भा नह   जत।।4।। 

 जऽनऄ तब मन ऽबज गोस इ। जब ईर बत ऽबऱग ऄऽधकइ।।  

 स मऽत िध बआ ऽनत नइ। ऽबषय अस द ब लत गइ।।5।। 

 ह गोस ! मनको ऽनरोग अ तब जनन चऽहय, जब दय म 

 व ऱय क बल   ब जय , ईम ब ऽपा भी  ख ऽनत नया बता 

 रह और ऽवषय क अशपा   द ब लत ऽमट जय।।5।। 

 ऽबल यन जल जब सो नहइ। तब रह ऱम भगऽत ईर िइ।।  

 ऽसव ऄज स क सनकदक नरद। ज म ऽन ऽबचर 

 ऽबसरद।।6।। 

Page 318: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 318/340

 

[ आस कर सब रोग स िीटकर] जब मन य   ऽनम ल नपा 

 जलम न कर   ल त ह, तब ईसक दय म ऱम भऽ ि रहता 

 ह। ऽशवजा ,  , जा  श कद वजा , सनकद और नरद अद 

 ऽवचरम परम ऽनप ण जो म ऽन ह।।6।। 

 सब कर मत खगनयक एह। करऄ ऱम पद प कज न ह।। 

 ऽत प ऱन सब थ कहह। रघ पऽत भगऽत ऽबन स ख  नह।।7।। 

 ह पऽऱज ! ईन सब क मत यहा ह क  ाऱमजा क चरणकमल म  म   करन चऽहय।  ऽत प ऱण और सभा थ 

 कहत ह क ारघ नथजाक  भऽ क स ख नह ह।।7।। 

 कमठ पाठ जमह ब बऱ। ब य स त ब कऽह मऱ।।  

 फीलह नभ ब बऽबऽध फील। जाव न लह स ख हर 

 ऽतकील।।8।। 

 िकए क पाठपर भल हा बल ईग अव, ब झ क   प  भल हा 

 कसा को मर डल, अकशम भल हा ऄन क फील ऽखल ईठ;

 परत ाहर स ऽवम ख होकर जाव स ख   नह कर 

 सकत।।8

।। 

Page 319: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 319/340

 

 त ष जआ ब म गजल पन। ब जमह सस सास ऽबषन।। 

ऄधक ब रऽबऽह नसव। ऱम ऽबम ख न जाव स ख पव।।9।। 

 म गत णक जलको पान स हा यस ब झ जय , खरगोशक भल 

 हा सग ऽनकल  अव, ऄधकर भल हा सी  य क नश कर द;

 परत ाऱम स ऽवम ख होकर   जाव स ख नह प सकत।।9।। 

 ऽहम त ऄनल गट ब होइ। ऽबम ख ऱम स ख पव न 

 कोइ।।10।। 

 बफ स भल हा ऄऽ कट हो जय (य सब  ऄनहोना बत चह 

 हो जय), परत ाऱमस ऽवम ख होकर कोइ भा स ख नह प  सकत।।10।। 

 दो.- बर मथ घ त ब ऽसकत त ब त ल। 

 ऽबन हर भजन न भव तरऄ यह ऽस त ऄप ल।।122 क।। 

 जलको मथन स भल हा घा ईप हो जय और   बली [को प रन]

 स भल हा त ल   ऽनकल अव; परत ाहर क भजन ऽबन 

 स सरपा सम  स नह तऱ ज   सकत यह ऽसत ऄटल 

 ह।।122( क)।। 

Page 320: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 320/340

 

 मसकऽह करआ ऽबरऽच भ ऄजऽह मसक त हान। 

ऄस ऽबचर तऽज स सय ऱमऽह भजह बान।। 122 ख।। 

 भ मिछर को कर सकत ह और    को मिछर स भा  त िछ बन   सकत ह। ऐस ऽवचरकर च तर प ष सब सद ह 

 यगकर ाऱमजाको हा भजत   ह।।122( ख)।। 

ोक - ऽवऽनऽत वदऽम त न ऄयथ वच ऽस म। 

 हर नऱ भजऽत य ऻऽतद तर तरऽत त।।122 ग।। 

 म अपस भलाभ ऽत ऽनऽत कय अ   ऽसत कहत -

 म र वचन ऄयथ ( ऽमय) नह ह क जो मन य ाहरक भजन 

 करत ह, व ऄयत द तर   स सरसगरको [सहज हा] पर कर 

 जत ह।।122( ग)। 

 चौ.- कह ई नथ हर चरत ऄनी  प। यस समस वमऽत ऄन प।। 

 ऽत ऽस त आहआ ईरगरा। ऱम भऽजऄ सब कज ऽबसरा।। 1।। 

 ह नथ ! म न ाहर क चर ऄपना   ब ऽक ऄन सर कह  ऽवतरस और   कह स पस कह। ह सपक श गजा !

Page 321: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 321/340

 

 ऽतयक यहा   स त ह क सब कम भ लकर (िोकर)

ाऱमजाक भजन करन चऽहय ।।1।। 

 भ रघ पऽत तऽज स आऄ कहा। मोऽह स सठ पर ममत जहा।।  त ह ऽबयनप नह मोह। नथ कऽह मो पर ऄऽत 

ि ोह।।2।। 

 भ ारघ नथजाको िोकर और कसक स वन (भजन) कय 

 जय , ऽजनक म झ - ज स मी  ख पर भा ममव ( ह) ह। ह नथ !

अप   ऽवनप ह, अपको   मोह नह ह। अपन तो म झपर बा 

 कप क ह।।2।। 

 पी    ऽि ऱम कथ ऄऽत पवऽन। स क सनकद सभ मन भवऽन।। 

 सत स गऽत द लभ स सऱ। ऽनऽमष द ड भर एकई बऱ।। 3।। 

 जो अपन म झ स श कद वजा , सनकद और ऽशवजाक  मनको 

 ऽय लगन वला ऄऽत पऽव ऱमकथ पी ि ा। स सरम घाभरक 

ऄथव   पलभरक एक - बरक भा सस ग   द लभ ह।।3।। 

Page 322: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 322/340

 

 द ख ग ऽनज दय ऽबचरा। म रघ बार भजन ऄऽधकरा।।  सकनधम सब भ ऽत ऄपवन। भ मोऽह कह ऽबदत जग 

 पवन।।4।। 

 ह गजा ! ऄपन दय म ऽवचर कर द ऽखय, य म भा 

ारमजा क भजनक ऄऽधकरा  ? पऽयम सबस नाच और 

 सब कर स ऄपऽव ।  परत ऐस होन पर भा भ न म झको  सर जगत को पऽव करन वल ऽस   कर दय। [ऄथव भ न  म झको जगऽस पवन कर दय]।।4।। 

 दो.-अज धय म धय ऄऽत जऽप सब ऽबऽध हान। 

 ऽनज जन जऽन ऱम मोऽह स त समगम दान।।123

 क।। 

 यऽप म सब कर स हान (नाच) , तो भा म अज धय ,

ऄयत  धय , जो ाऱमजान म झ ऄपन ऽनज जन जनकर  

 स त - समगम दय (अपस म रा भ ट कऱया)।। 123( क)।। 

 नथ जथमऽत भष ई ऱख ई नह िक गोआ। 

 चरत सध रघ नयक थह क पवआ कोआ।।123 ख।। 

Page 323: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 323/340

 

 ह नथ ! म न ऄपना ब ऽ क ऄन सर कह , कि भा ऽिप नह 

 रख। [फर  भा] ारघ वारक चर सम क समन ह; य 

 ईनक कोइ थह प सकत ह ?।।123( ख) 

 चौ.- स ऽमर ऱम क ग न गन नन। प ऽन प ऽन हरष भ स  ऽड  स जन।। 

 मऽहम ऽनगम न ऽत कर गइ। ऄत ऽलत बल तप भ तइ।।1।। 

ाऱमचजाक बत स ग णसमी  हक मरण   कर - करक स जन भश ऽडजा   बर - बर हषत हो रह ह। ऽजनक मऽहम व द न 

 न ऽत - न ऽत कहकर गया ह; ऽजनक बल , तप और   भ व 

(समय) ऄत लनाय ह;।।1।। 

 ऽसव ऄज पी  य चरन रघ ऱइ। मो पर कप परम मद लइ।। ऄस सभई क स नई न द खई। कऽह खग स रघ पऽत सम 

 ल खई।।2।। 

 ऽजन ारघ नथजा क चरण ऽशवजा औऱ जा   ऱ पी  य ह,

 ईनक म झपर   कप होना ईनक परम कोमलत ह। कसाक 

 ऐस वभव कह न स नत , न   द खत । ऄतः ह पऽऱज 

 गजा ! म ारघ नथजाक समन कस ऽगनी   ( समझी   )

?।।

2।।

 

Page 324: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 324/340

 

 सधक ऽस ऽबम  ईदसा। कऽब कोऽबद कतय सयसा।। 

 जोगा सी  र स तपस यना। धम ऽनरत प ऽडत ऽबयना।।3।। 

 सधक , ऽस , जावम  , ईदसान (ऽवर), कऽव , ऽवन, कम 

[रहय]  क त , स यसा , योगा , शी  रवार , ब तपवा , ना ,

धम पऱयण , पऽडत और ऽवना -।।3।। 

 तरऽह न ऽबन स ए मम वमा। ऱम नमऽम नमऽम नममा।।  

 सरन गए मो स ऄघ ऱसा। होह स  नमऽम ऄऽबनसा।।4।। 

 य कोइ भा म र वमा ाऱमजाक स वन (भजन) कय ऽबन 

 नह तर सकत।  म ईह ाऱमजाको बर - बर नमकर करत  । ऽजनक शरण जन पर   म झ- ज स पपऱऽश भा श  

(पपरऽहत) हो जत ह, ईन ऄऽवनशा  ाऱमजा को म  

 नमकर करत ।।4।। 

 दो.- जस नम भव भ षज हरन घोर य सी  ल। 

 सो कपल मोऽह तो पर सद रहई ऄन कील।।124 क।। 

Page 325: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 325/340

 

 ऽजनक नम जम मरण पा रोग क [ऄथ] औषध और तान 

भय कर पा (अऽधद ऽवक , अऽधभौऽतक और अयऽमक 

 दःख) को हरन वल ह, व कपल ाऱमजा म झपर और अपपर सद स रह।।124( क)।। 

 स ऽन भ स  ऽड क बचन सभ द ऽख ऱम पद न ह। 

 बोल ई  म सऽहत ऽगऱ ग ऽबगत स द ह।।124 ख।। 

भश ऽडजाक म गलमय वचन स नकर और  ाऱमजाक चरण म   ईनक ऄऽतशय  म   द खकर सद हस भलाभ ऽत िीट ए गजा 

  मसऽहत वचन बोल।।124( ख)।। 

 चौ.- म कतकय भयई तव बना। स ऽन रघ बार भगऽत रस  सना।। 

 ऱम चरन नी  तन रऽत भइ। मय जऽनत ऽबपऽत सब गइ।।1।। 

ारघ वार क भऽ - रस म सना इ अपक   वणा स नकर म  कतकय हो गय। ाऱमजाक चरणम म रा नवान ाऽत हो 

 गया और मयस ईप सरा   ऽवपऽ चला गया।।1।। 

 मोह जलऽध बोऽहत त ह भए। मो कह नथ ऽबऽबध स ख दए।। 

 मो पह होआ न ऽत ईपकऱ। ब दई तव पद बरह बऱ।। 2।। 

Page 326: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 326/340

 

 मोहपा सम  म डीबत ए म र ऽलय अप   जहज ए। ह नथ !

अपन म झ  बत कर क स ख दय (परम स खा कर दय)। म झस आसक य पकर ( ईपकर क बदल म ईपकर) नह हो 

 सकत। म तो अपक चरणक बर - बर   वदन हा करत 

 ।।2।। 

 पी  रन कम ऱम ऄन ऱगा। त ह सम तत न कोई बभगा।।  स त ऽबटप सरत ऽगर धरना। पर ऽहत ह त सबह क

 करना।।3।। 

अप पी  ण कम ह और ाऱमजाक  मा ह।  ह तत ! अपक समन 

 कोइ   बभगा नह ह। स त , व , नदा , पव त और पवा - आन 

 सबक य पऱय   ऽहतक ऽलय हा होता ह।।3।। 

 स त दय नवनात समन। कह कऽबह पर कह न जन।। 

 ऽनज परतप वआ नवनात। पर दथख वह स त  स प नात।।4।। 

 स तक दय मखन क समन होत ह, ऐस   कऽवयन कह ह;

 परत  ईहन [ऄसला] बत कहन नह जन ; यक मखन तो 

Page 327: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 327/340

 

ऄपन को तप ऽमलन स  ऽपघलत ह और परम पऽव स त दी  सरक

 दःखस ऽपघल जत ह।।4।। 

 जावन जम स फल मम भयउ। तव सद स सय सब गयउ।।  जन  सद मोऽह ऽनज ककर। प ऽन प ऽन ईम कहआ 

 ऽबह गबर।।5।। 

 म ऱ जावन और जम सफल हो गय। अपक कपस   सब सद ह  चल गय। म झ सद  ऄपन दस हा जऽनय ग। [ऽशवजा कहत 

 ह-] ह ईम ! पऽ  गजा   बर - बर ऐस कह रह ह।।5।। 

 दो.- तस चरन ऽस नआ कर  म सऽहत मऽतधार। 

 गयई ग ब क  ठ तब दय ऱऽख रघ बार।।125 क।। 

 ईन (भश ऽडजा) क चरण म  मसऽहत ऽसर   नवकर और दय  म ारघ वारको धरण करक धारब ऽ गजा तब व क डको 

 चल गय।।125( क)।। 

 ऽगरज स त समगम सम न लभ िक अन।। 

 ऽबन हर कप न होआ सो गवह ब द प ऱन।। 125 ख।। 

Page 328: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 328/340

 

 ह ऽगरज ! स त - समगम क समन दी  सऱ कोइ लभ   नह ह। पर 

 वह (स त - समगम) ाहरक कपक ऽबन नह हो सकत , ऐस 

 व द और प ऱण गत ह।।125( ख)।। 

 चौ.- कह ई परम प नात आऽतहस। स नत वन िीटह भव पस।। 

 नत कपत कन प  ज। ईपजआ ाऽत ऱम पद कज।। 1।। 

 म न यह परम पऽव आऽतहस कह , ऽजस कन   स स नत हा 

भवपश (स सरक  बधन) िीट जत ह और शरणगत को [ईनक आिछन सर फल द न वल]  कपव तथ दय क समी  ह 

ाऱमजाक चरणकमलम  म ईप होत   ह।।1।। 

 मन म बचन जऽनत ऄघ जइ। स नह ज कथ वन मन लइ।। 

 ताथ टन सधन सम दइ। जोग ऽबऱग यन ऽनप नइ।।2।। 

 जो कन और मन लगकर आस कथ को स नत ह, ईनक मन ,

 वचन और कम (शरार) स  ईप सब पप न हो जत ह। ताथ य अद बत - स सधन , योग , व ऱय और नम  

 ऽनप णत ,-।।2।। 

Page 329: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 329/340

 

 नन कम धम त दन। स जम दम जप तप मख नन।। 

भी  त दय ऽज ग र स वकइ। ऽब ऽबनय ऽबऽबक बइ।।3।। 

ऄन क कर क कम, धम, त और दन , ऄन क स यम , दम ,

 जप , तप और   य ऽणयपर दय , बण और ग  क स व ;

 ऽव , ऽवनय और ऽवव कक   बइ [अद]-।।3।। 

 जह लऽग सधन ब द बखना। सब कर फल हर भगऽत भवना।। 

 सो रघ नथ भगऽत  ऽत गइ। ऱम कप क एक पइ।।4।। 

 जह तक व दन सधन बतलय ह, ह भवना !  ईन सबक फल 

ाहरक भऽ   हा ह। कत  ऽतयम गया इ वह ारघ नथजाक भऽ ाऱमजाक   कपस कसा एक (ऽवरल)

 न हा पया ह।।4।। 

 दो.- म ऽन द लभ हर भगऽत नर पवह ऽबनह यस। 

 ज यह कथ ऽनरतर स नह मऽन ऽबवस।।126।। 

 कत जो मन य ऽवस मनकर यह कथ   ऽनरतर स नत ह, व 

 ऽबन हा   परम ईस म ऽनद लभ हरभऽ को कर ल त 

 ह।।126।। 

Page 330: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 330/340

 

 चौ.- सोआ सब य ग ना सोआ यत। सोआ मऽह म ऽडत प ऽडत 

 दत।। धम पऱयन सोआ कल त। ऱम चरन ज कर मन ऱत।। 1।। 

 ऽजसक मन ाऱमजाक चरणम ऄन र ह, वहा सव  (सब 

 कि   जनन वल) ह, वहा ग णा ह, वहा ना ह। वहा पवाक 

भी  षण , पऽडत और   दना ह। वहा धम पऱयण ह और वहा 

 कलक रक ह।।1।। 

 नाऽत ऽनप न सोआ परम सयन।  ऽत ऽस त नाक त ह जन।। 

 सोआ कऽब कोऽबद सोआ रनधाऱ। जो िल िऽ भजआ  रघ बाऱ।। 2।। 

 जो िल िोकर ारघ वारक भजन करत ह, वहा   नाऽत म 

 ऽनप ण ह, वहा परम   ब ऽमन ह। ईसान व द क ऽसतको 

भलाभ ऽत जन ह। वहा कऽव , वहा ऽवन तथ वहा रणधार 

 ह।।2।। 

Page 331: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 331/340

 

धय द स सो जह स रसरा। धय नर पऽतत ऄन सरा।। धय सो भी  प नाऽत जो करआ। धय सो ऽज ऽनज धम न 

 टरइ।।3।। 

 वह दश धय ह जह ा ग गजा ह, वह   ा धय ह जो  

 पऽतत -धमक पलन करता ह। वह ऱज धय ह जो यय 

 करत ह और   ण धय ह जो ऄपन धम स नह ऽडगत।।3।। 

 सो धन धय थम गऽत जक। धय प य रत मऽत सोआ पक।। धय घरा सोआ जब सतस ग। धय जम ऽज भगऽत 

ऄभ ग।।4।। 

 वह धन धय ह ऽजसक पहला गऽत होता ह (जो   दन द न म य  होत ह।) वहा   ब ऽ धय और परपय ह जो प य म लगा इ  ह। वहा घा धय ह जब   सस ग हो और वहा जम धय ह 

 ऽजसम णक ऄखड भऽ हो।।4।। [धनक तान गऽतय 

 होता ह-

 दन भोग और नश। दन ईम ह, भोग मयम ह और   नश नाच गऽत ह जो प ष न द त ह, न भोगत ह, ईसक धन 

 को तासरा गऽत   होता ह।] 

 दो.- सो कल धय ईम स न जगत पी  य स प नात। 

ारघ बार पऱयन ज ह नर ईपज ऽबनात।।127।। 

Page 332: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 332/340

 

 ह ईम ! स नो। वह कल धय ह, स सरभरक  ऽलय पी  य ह और 

 परम पऽव   ह, ऽजसम ारघ वारपऱयण (ऄनय ऱमभ)

 ऽवन प ष ईप   हो।।127।। 

 चौ.- मऽत ऄन प कथ म भषा। जऽप थम ग  कर ऱखा।।  

 तव मन ाऽत द ऽख ऄऽधकइ। तब म रघ पऽत कथ स नइ।।1।। 

 म न ऄपना ब ऽ क ऄन सर यह कथ कहा , यऽप पहल आसको 

 ऽिपकर रख  थ। जब त हर मनम  मक ऄऽधकत द खा तब 

 म न ारघ नथजाक यह   कथ त मको स नया।।1।। 

 यह न कऽहऄ सठहा हठसालऽह। जो मन लआ न स न हर  लालऽह।।  कऽहऄ न लोऽभऽह ोऽधऽह कऽमऽह। जो न भजआ सचऱचर 

 वऽमऽह।।2।। 

 यह कथ ईनस न कहना चऽहय जो शठ (धी  त)  ह , हठा 

 वभवक ह और  ाहरक लालको मन लगकर न स नत ह।

 लोभा , ोधा और कमाको , जो   चऱचरक वमा ाऱमजाको 

 नह भजत, यह कथ नह कहना चऽहय।।2।। 

Page 333: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 333/340

 

 ऽज ोऽहऽह न स नआऄ कब। स रपऽत सरस होआ न प जब।। 

 ऱम कथ क त आ ऄऽधकरा ऽजह क सत स गऽत ऄऽत यरा।।3।। 

 ण क ोहा को , यद व द वऱज  ( आ) क समन ऐय वन 

 ऱज भा हो , तब भा यह कथ कभा नह स नना चऽहय।

ाऱमजाक कथक  ऄऽधकरा व हा ह ऽजनको सस गऽत ऄयत ऽय ह।।3।। 

 ग र पद ाऽत नाऽत रत ज इ। ऽज स वक ऄऽधकरा त इ।। 

 त कह यह ऽबसष स खदइ। जऽह नऽय ारघ ऱइ।। 4।। 

 ऽजनक ग क चरण म ाऽत ह, जो नाऽत   पऱयण और ण 

 क स वक   ह, व हा आसक ऄऽधकरा ह। और ईसको तो यह कथ 

 बत हा स ख द न वला ह, ऽजनको ारघ नथजा णक समन 

 यर ह।।4।। 

 दो.- ऱम चरन रऽत जो चऽह ऄथव पद ऽनब न। 

भव सऽहत सो यह कथ करई वन प ट पन।।128।। 

Page 334: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 334/340

 

 जो ाऱमजाक चरणम  म चहत हो य   मो पद चहत हो ,

 वह आस कथ   पा ऄम तको  मपी  व क ऄपन कनपा दोन स 

 ऽपय।।128।। 

 चौ.- ऱम कथ ऽगरज म बरना। कऽल मल समऽन मनोमल  हरना।। 

 स स ऽत रोग सजावन मी  रा। ऱम कथ गवह  ऽत सी  रा।।1।। 

 ह ऽगरज ! म न कऽलय गक पप क नश   करन वला और मनक मलको दी  र   करन वला ऱमकथक वण न कय। यह ऱमकथ 

 स स ऽत (जम - मरण) पा रोगक [ नशक] ऽलय स जावना जा ह,

 व द और ऽवन प ष ऐस कहत ह।।1

।। 

 एऽह मह ऽचर स सोपन। रघ पऽत भगऽत कर पथन।। 

ऄऽत हर कप जऽह पर होइ। पई द आ एह मरग सोइ।।2।। 

 आसम सत स दर साय ह, जो  ारघ नथजाक भऽ को   करन क मग ह। ऽजसपर ाहर क  ऄयत कप होता ह, वहा 

 आस मग पर   प र रखत ह।।2।। 

Page 335: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 335/340

 

 मन कमन ऽसऽ नर पव। ज यह कथ कपट तऽज गव।।  कहह स नह ऄन मोदन करह। त गोपद आव भवऽनऽध 

 तरह।।3।। 

 जो कपट िोकर यह कथ गत ह, व मन य  ऄपना 

 मनःकमनक ऽसऽ प ल त  ह। जो आस कहत- स नत और 

ऄन मोदन (श स) करत ह, व स सरपा   सम  को गौक

 ख रस बन अ ग क भ ऽत पर कर जत ह।।3।। 

 स ऽन सब कथ दय ऄऽत भइ। ऽगरज बोला ऽगऱ स हइ।। 

 नथ कप मम गत स द ह। ऱम चरन ईपज ई नव न ह।।4।। 

[ यवयजा कहत ह-] सब कथ स नकर  ापव ताजाक दय 

 को बत हा   ऽय लगा और व स दर वणा बोल - वमाक कप  स म ऱ सद ह जतस   रह और ाऱमजा क चरण म नवान 

  म ईप हो गय।।4।। 

 दो.- म कतकय भआई ऄब तव सद ऽबव स। 

 ईपजा ऱम भगऽत द  बात सकल कल स।।129।। 

Page 336: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 336/340

 

 ह ऽवनथ ! अपक कपस ऄब म कतथ हो   गया। म झम द   ऱमभऽ   ईप हो गया और म र सपी  ण लश बात गय (न 

 हो गय)।।129।। 

 चौ.- यह सभ सभ ईम स बद। स ख स पदन समन ऽबषद।। 

भव भ जन ग जन स द ह। जन रजन सन ऽय एह।।1।। 

शभ- ईमक यह कयणकरा स वद स ख ईप   करन वल और शोक क नश   करन वल ह। जम - मरणक ऄत करन 

 वल , सदह क नश करन वल , भको अनद द न वल 

और स त प षको ऽय ह।।1।। 

 ऱम ईपसक ज जग मह। एऽह सम ऽय ऽतह क िक नह।। 

 रघ पऽत कप जथमऽत ऱव। म यह पवन चरत स हव।।2।। 

 जगत म जो (ऽजतन भा) ऱमोपसक ह , ईनको   तो आस ऱम कथ 

 क समन कि भा   ऽय नह ह। ारघ नथजाक कपस म न यह  स दर और पऽव करन वल   चर ऄपना ब ऽ क ऄन सर 

 गय ह।।2।। 

Page 337: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 337/340

 

 एह कऽलकल न सधन दी  ज। जोग जय जप तप त पी  ज।।  ऱमऽह स ऽमरऄ गआऄ ऱमऽह। स तत स ऽनऄ ऱम ग न 

 मऽह।।3।। 

[ त लसादसजा कहत ह-] आस कऽलकल म योग , य , जप , तप ,

 त और पी  जन  अद कोइ दी  सऱ सध नह ह । बस , ाऱमजाक 

 हा मरण करन , ाऱमजा क   हा ग ण गन और ऽनरतर 

ाऱमजाक हा ग णसमी  हको स नन चऽहय।।3।। 

 जस पऽतत पवन ब बन। गवह कऽब  ऽत स त प ऱन।।  

 तऽह भजऽह मन तऽज क टलइ। ऱम भज गऽत कह नह 

 पइ।।4।। 

 पऽततको पऽव करन ऽजनक महन (ऽस)  बन ह- ऐस 

 कऽव , व द , स त  और प ऱण गत ह- र मन ! क टलत यग कर 

 ईहको भज। ाऱमजाको  भजन स कसन परम गऽत नह 

 पया ?।।4।। 

ि .- पइ न कह गऽत पऽतत पवन ऱम भऽज स न सठ मन।  गऽनक ऄजऽमल यध गाध गजदखल तर घन।। अभार जमन कऱत खस वपचद ऄऽत ऄघप ज । 

 कऽह नम बरक त ऽप पवन होह ऱम नमऽम त ।।1।। 

Page 338: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 338/340

 

ऄर मी  ख मन ! स न , पऽततको भा पवन   करन वल ाऱमजाको 

भजकर कसन  परमगऽत नह पया ? गऽणक , ऄजऽमल ,

 ध , गाध , गज अद बत - स द  को   ईहन तर दय।

ऄभार , यवन , कऱत , खस , रच (चडल) अद जो ऄयत  

 पपप हा ह, व भा कवल एक बर ऽजनक नम ल कर पऽव 

 हो जत ह, ईन  ाऱमजाको म नमकर करत ।।1।। 

 रघ ब स भी  षन चरत यह नर कहह स नह ज गवह।।  कऽल मल मनोमल धोआ ऽबन म ऱम धम ऽसधवह।।  

 सत प च चौप मनोहर जऽन जो नर ईर धर। 

 दन ऄऽब प च जऽनत ऽबकर ा रघ बर हर।।2।। 

 जो मन य रघ वश क भी  षण ाऱमजाक यह   चर कहत ह,

 स नत ह और   गत ह, व कऽलय गक पप और मन क मलको 

धोकर ऽबन हा परम  ाऱमजाक परम धमको चल जत ह।[ऄऽधक य] जो मन य प च - सत   चौपइय को भा मनोहर  जनकर [ऄथव ऱमयण क चौपआय को प च  

( कत कत क स ऽनण यक) जनकर ईनको] दय म 

धरण कर ल त   ह, ईसक भा प च कर क ऄऽव स 

 ईप ऽवकर को ाऱमजा   हरण कर ल त ह, (ऄथ त सर

Page 339: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 339/340

 

 ऱमचर क तो बत हा य ह , जो   प च - सत चौपआयको 

भा समझकर ईनक ऄथ दय म धरण कर ल त ह, ईनक भा 

ऄऽवजऽनत सर लश ाऱमचजा हर ल त ह)।।2।। 

 स  दर स जन कप ऽनधन ऄनथ पर कर ाऽत जो।  सो एक ऱम ऄकम ऽहत ऽनब नद सम अन को।।  जक कप लवल स त मऽतम द त लसादस। 

 पयो परम ऽबम ऱम समन भ नह क।।3।। 

[ परम] स दर , स जन और कपऽनधन तथ जो  ऄनथ पर  म 

 करत ह, ऐस  एक ाऱमचजा हा ह । आनक समन ऽनकम 

(ऽनःवथ) ऽहत करन वल ( स द) और मो द न वल दी  सऱ  कौन ह ? ऽजनक लशम कपस  मदब ऽ त लसादसन भा 

 परम शऽत कर ला , ईन ाऱमजाक समन   भ कह भा 

 नह ह।।3।। 

 दो.- मो सम दान न दान ऽहत त ह समन रघ बार।। 

ऄस ऽबचर रघ ब स मऽन हर ऽबषम भव भार।।130 क।। 

 ह ारघ वार ! म र समन कोइ दान नह ह और अपक समन 

 कोइ दान क ऽहत   करन वल नह ह। ऐस ऽवचर कर ह 

Page 340: Uttar Kand - RamcharitraManas

7/29/2019 Uttar Kand - RamcharitraManas

http://slidepdf.com/reader/full/uttar-kand-ramcharitramanas 340/340

 

 रघ वशमऽण ! म र जम - मरणक भयनक   दःखक हरण कर 

 लाऽजय ।।130( क)।। 

 कऽमऽह नर ऽपअर ऽजऽम लोऽभऽह ऽय ऽजऽम दम।। 

 ऽतऽम रघ नथ ऽनरतर ऽय लग मोऽह ऱम।। 130 ख।। 

 ज स कमाको ा ऽय लगता ह और लोभा को   ज स धन यऱ 

 लगत ह, व स हा ह रघ नथजा ! ह ऱम जा ! अप ऽनरतर   म झ 

 ऽय लऽगय।।130( ख)।। 

ोक - यपी  व भ ण कत सकऽवन ाशभ न द ग म 

ाममपदजभऽमऽनश य त ऱमयणम ।  मव तघ नथनमऽनरत वतत मःशतय 

भषबऽमद चकर त लसादसतथ मनसम।।1।। 

  कऽव भगवन श करजान पहल ऽजस द ग म   मनस -

 ऱमयणक , ाऱमजाक चरणकमलक ऽनय - ऽनरतर [ऄनय]भऽ    होन क ऽलय रचन क था , ईस मनस - ऱमयणको 

ारघ नथजाक नमम ऽनरत मनकर ऄपन ऄतः करणक  ऄधकरको ऽमटन क ऽलय त लसादसन आस मनसक पम 

भषब कय।।1।।