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॥ शन ैरक ृत ं ी निरस हंोम ् ॥
सु लभो भЗΨयु Ψानां द ु दЈशो द ु ˆटचे तसाम् ।अनżयगЗतकानाŷच Ήभःु भΨै कवŹसलः ।
शनै ǿचरˇत΄ नृ Зसं हदेवˇतु Зतं चकारामलЗचΰवृ Зΰः ।
Ήणƒयसाˆटाङ्गमशे षलोक ЗकरीटनीराЗजतपादपζम् ॥ १ ॥Αी शЗनµवाच
यŹपादपङ्कजरजः परमादरेण - सं से Зवतं सकलकǼमशराЗशनाशम् । कǼयाणकारकमशे षЗनजानु गानम् स Źवं नृ Зसं ह मЗय देЗह कृ पावलोकम् ॥ २ ॥
सवЈ ΄चŷचलतया िˇथतया Зह लςƒया ΌοाЗदवżηपदया िˇथरयाżयसे वी ।
पादारЗवżदयु गळं परमादरेण स Źवं नृ Зसं ह मЗय देЗह कृ पावलोकम् ॥ ३ ॥
यΆ ू पमागमЗशरः ΉЗतपाηमाη - माŻियाŹमकाЗदपЖरतापहरं ЗवЗचżŹयम् । योगीξरैरपतगताЗखलदोषसङ्घःै स Źवं न ृ Зसं ह मЗय देЗह क ृ पावलोकम् ॥ ४ ॥
Ή¯लाद भΨवचसा हЖरराЗवरास ˇतƒभे ЗहरŸयकЗशपु ं य उदारभावः । उवПЗनधाय तद ु दरं नखरैदЈधार स Źवं न ृ Зसं ह मЗय देЗह क ृ पावलोकम् ॥ ५ ॥
यो नै जभΨमनलाƒबु Зध भू धरोऽ˚ - शृ ङ्गΉपात Зवषिदżतसरीसृ पेयः । सवाЈ Źमकः परमकाµЗणको ररΩ स Źवं नृ Зसं ह मЗय देЗह कृ पावलोकम् ॥ ६ ॥
यЗλЗवЈ कारपरνपЗवЗचżतने न
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योगीξरा Зवषयवीतसमˇतरागाः ।
ЗवΑिाżतमापु रЗवनाशवतИ पराűयाम् स Źवं नृ Зसं ह मЗय देЗह कृ पावलोकम् ॥ ७ ॥
यΆ ू पमु ˚ पЖरमदЈन भावशाली िसŷचżतने न सकलाघЗवनाशकारी ।भू तŵवर˚हसमु εव भीЗतनाशम्
स Źवं नृ Зसं ह मЗय देЗह कृ पावलोकम् ॥ ८ ॥
यˇयोΰमं यश उमापЗत पζजżम श˘ाЗददैवत सभासु समˇतगीतम् । शŰŹयै व सवЈ शमल Ήशमै कदΩ स Źवं न ृ Зसं ह मЗय देЗह क ृ पावलोकम् ॥ ९ ॥
इŹथं ΑुŹवा ˇतु Зतं देवः शЗनना िकǼपतं हЖरः । उवाच Όοवृ żदˇथं शЗनं तं भΨवŹसलः ॥ १० ॥
Αी न ृ Зसं ह उवाच
Ήसλोऽहं शने तुयं वरं वरय शोभनम् । यं वाŷछЗस तमे व Źवं सवЈ लोकЗहतावहम् ॥ ११ ॥
Αी शЗनµवाच
नृ Зसं ह Źवं मЗय कृ पां कु µ देवदयाЗनधे । मθासरˇतवΉीЗतकरः ˇयाβेवतापते ॥ १२ ॥
मŹकृ तं ŹवŹपरं ˇतो΄ं शृ Ÿिवżत च पिठżत च । सवाЈ न् कामन् पू रयथेाः त ेषां Źवं लोकभावन ॥ १३ ॥
Αी न ृ Зसं ह उवाच
तथै वाˇतु शनऽेहं वै रΩोभ ुवनसंि ˇथतः ।
भΨकामान् पू रЗयˆये Źवं ममै कं वचः शृ णु । ŹवŹक ृ तं मŹपरं ˇतो΄ं यः पठेत् श ृ णु याŴच यः । θादशाˆटमजżमˇथा Źवεयं माऽˇतु तˇय वै ॥ १४ ॥
शЗननЈ रहЖरं देवं तथे Зत ΉŹयु वाच ह । ततः परमसżतु ˆटाः जये Зत मु नयोऽवदन् ॥ १५ ॥
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Αी कृ ˆण उवाच (धमЈ राजं ΉЗत)
इŹथं शनै ǿचरˇयाथ नृ Зसं हदेव । सं वादमे तत् ˇतवनŷच मानवः । शृ णोЗत यः Αावयते च भŰŹया । सवाЈ ŸयभीˆटाЗन च Зवżदते ·ु वम् ॥ १६ ॥
िइत ौी भवंयोरप ु राण े रोभ ु वनमाहाम े
शन ैरकृत ौी निृ स हःतोऽ सपण म ्
॥ भारतीरमणम ु यूाणातग त ौीकृंणाप णमःतु ॥
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