shakti aur chhama-शक्ति और क्षमा
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A great poem by great poet Ramdhari Singh Dinkar.TRANSCRIPT
शक्ति� और क्षमा� / र�माधा�र सिं� ह "दि�नकर"क्षमा�, �या�, तप, त्या�ग, मान�बल
�बक� क्तिलया� �ह�र� पर नर व्या�घ्र ��या�धान त�मा��
कह�, कह�� कब ह�र� ?
क्षमा�शल ह� रिरप�-�माक्ष त�मा हुया� वि#नत जि%तन� ह दुष्ट क(र#) न� त�माक�
क�यार �माझा� उतन� ह।
अत्या�चा�र �हन करन� क� क� फल याह ह�त� ह0 प(रुष क� आत4क मान�% क�माल ह�कर खो�त� ह0।
क्षमा� श�भत उ� भ�%4ग क� जि%�क� प�� गरल ह� उ�क� क्या� %� �4तहन
वि#षरविहत, वि#नत, �रल ह� ।
तन दि�#� तक प4थ मा�4गत� रघु�पवित क्ति�न्धु� विकन�र�,
ब0ठे� पढ़त� रह� छन्� अन�नया क� प्या�र�- प्या�र� ।
उत्तर माA %ब एक न�� भ उठे� नहC ��गर �� उठेD अधार धाधाक प(रुष कE आग र�मा क� शर �� ।
क्ति�न्धु� ��ह धार त्रा�विह-त्रा�विह करत� आ विगर� शरण माA चारण पH% ���त� ग्रहण कE
ब�धा� माHढ़ बन्धुन माA।
�चा पHछ� , त� शर माA ह ब�त ह0 �Jप्तिप्त वि#नया कE
�न्धिन्धु- #चान �4पHज्या उ� क� जि%�माA शक्ति� वि#%या कE ।
�हनशलत�, क्षमा�, �या� क� तभ पH%त� %ग ह0
बल क� �पN चामाकत� उ�क� पछ� %ब %गमाग ह0।