sample copy. not for distribution.अज हम दख त « व Ò र पथय क वलए प...

22
Sample Copy. Not for Distribution.

Upload: others

Post on 29-Jul-2020

0 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • Sample Copy. Not for Distribution.

  • i

    अदर्श विद्याथी कैसे बनें

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • ii

    Publishing-in-support-of,

    EDUCREATION PUBLISHING

    RZ 94, Sector - 6, Dwarka, New Delhi - 110075 Shubham Vihar, Mangla, Bilaspur, Chhattisgarh - 495001

    Website: www.educreation.in _________________________________________________

    _

    © Copyright, Author

    All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its writer.

    ISBN: 978-1-5457-0925-2

    Price: ` 265.00

    The opinions/ contents expressed in this book are solely of the author and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Educreation.

    Printed in India

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • iii

    अदर्श विद्याथी कैसे बनें (मोटििेर्नल पुस्तक)

    इ. वमवथलरे् प्रसाद (मोटििरे्नल वर्क्षक, लखेक एि ंकवि)

    EDUCREATION PUBLISHING (Since 2011)

    www.educreation.in

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • iv

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • v

    समपशण

    पूज्य वपताजी

    श्री प्रयाग चौहान

    वपताश्री मै हमेर्ा अपको प्रेरणा का स्रोत मानता हूँ I

    अपने हमेर्ा मुझ ेसत्य की राह पर चलना एि ंस्िावभमान

    के साथ जीना वसखाया है I

    तथा

    पूज्य माताजी

    श्रीमती सरस्िती देिी

    माताजी अपने ऄपनी ममतामयी छॉि में रखकर हमे पाला

    एिं विपरीत पटरवस्थवतयों में भी साहस के साथ जीना

    वसखाया है I

    वपताश्री एिं माताजी अपलोगों ने ही मुझे आस कावबल

    बनाए हैं कक मैं दसूरों के जीिन में भी कुछ सकारात्मक

    पटरितशन ला सकूूँ तथा स्ियं के जीिन को औरों के वलए

    समर्पपत कर सकूूँ I य ेसब अपके ही कदए संस्कारों से कर पा

    रहा हूँ I आसके वलए मैं सदा ऊणी रहूँगा I अपके चरणों में

    यह कृवत समर्पपत ह ैI

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • vi

    प्रस्तािना

    अज हम देखें तो विद्यार्पथयों के वलए प्रेरणा एिं व्यवित्ि

    वनमाशण की कइ पुस्तकें देर् में प्रकावर्त एिं प्रचवलत हैं I आस

    पुस्तक (अदर्श विद्याथी कैस ेबनें) में कइ ऐसी नइ सामग्री प्रस्तुत

    की गइ हैं वजसके कारण यह विद्यार्पथयों के वलए ज्यादा ईपयोगी

    होगी I आसमें सामाग्री का प्रस्तुतीकरण भी नए एिं वनराले ढंग से

    ककया गया है I

    आस पुस्तक के प्रथम भाग में विद्यार्पथयों के वलए ऄपनाने

    योग्य कइ नइ चीजें दी गइ हैं, जैसे लक्ष्य, योजना, ईत्साह,

    एकाग्रता, इमानदारी, पटरश्रम, अत्मविश्वास, संयम, ऄनुर्ासन,

    विनम्रता अकद ईदाहरण के साथ बहुत ही सरल ढंग से बताया

    गया है I यह ऄनुकरणीय एिं पठनीय है I आसे सरल ढंग से पढ़ा

    एिं समझा जा सकता ह ै I आसका ऄनुर्रण करके कोइ भी

    विद्याथी एक सफल एिं अदर्श विद्याथी बन सकता है I

    पुस्तक के दसूरे भाग में विद्यार्पथयों के वलए पठन-पाठन का

    समय प्रबंधन के वलए PPF Table के माध्यम से एक बेहतरीन

    तरीका बताया गया ह ैI ईपरोि विर्ेषताएूँ आस पुस्तक को खास

    बनाती है I आन दवृिकोणों को ऄपनाकर विद्याथी कुर्लतापूिशक

    समय का प्रबंधन और ऄपने पटरश्रम का पूरा-पूरा फल प्राप्त कर

    सकते हैं I

    तीसरे भाग में ईन महान विभूवतयों के जीिन का िणशन

    ककया गया ह,ै जो सफल व्यवि के कसौटियों पर खरे ईतरे हैं I

    आन्हें पढ़कर एिं ईनके गुणों का ऄनुर्रण करके कोइ भी विद्याथी

    महान बन सकता ह ैI

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • vii

    पुस्तक के चौथे भाग में विद्यार्पथयों के नकारात्मक सोच का

    बहुत ही ऄच्छे ढंग से िणशन ककया गया है I आन नकारात्मक सोच

    को त्यागकर विद्याथी सकारात्मकता की ओर ऄग्रसर हो सकते हैंI

    विद्याथी उजाशिान और नइ सोच से भरे होते हैं I आस पुस्तक को

    पढ़ने पर विद्यार्पथयों में प्रेरणादायी ईत्साहिधशन होगा I विद्याथी

    के ऄंदर जो कुछ भी सिोत्तम गुण है, ईसका विकास हम ईस े

    प्रर्ंसा और प्रोत्साहन देकर ही कर सकते हैं I एक मर्हर

    मोटििेर्नल गुरु एिं प्रिाचक इ० रमण का मानना है कक छात्र

    एिं युिापीढ़ी लक्ष्य का वनधाशरण कर लक्ष्य की ओर समय प्रबन्धन

    के साथ बढ़ें तो लक्ष्य को जरुर साध लेंगे I मेरी भी यही धारणा

    हैI

    आस पुस्तक के लेखक भी ईजाशिान और विनम्र व्यवि हैं I िे

    सकारात्मक सोच के धनी हैं I कहा भी गया है कक महानता के

    वलए विनम्रता जरूरी है और गलवतयों से सीखनेिाला ही महान

    बनता है I

    और ऄन्त में, एक बात यह कक श्रद्धा– हमें ज्ञान देती है,

    नम्रता- हमें सम्मान देती है और योग्यता- हमें स्थान देती है I

    ईत्तम भविष्य के वलए आन बातों को हमें भी अत्मसाथ करना

    चावहए I ऐसी छात्रोपयोगी पुस्तक लेखन हेतू लेखक को कोटिर्:

    धन्यिाद I

    जय भारत ! जय वहन्द !!

    डॉ. बी. एन. विश्वकमाश, M.Sc.,P.hd, L.L.B.

    मोटििेर्नल गरुु, लेखक, प्रिाचक

    एि ं

    एसोवसएि प्रोफेसर ( ऄ० प्रा० )

    रसायन र्ास्त्र विभाग, मगध विश्वविद्यालय,

    वबहार

    Mob. 7301691650/8651606680

    Email: [email protected]

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • viii

    लखेक की कलम स े

    जैसा कक आस पुस्तक का नाम ‘अदर्श

    विद्याथी कैस ेबनें’ है I हम जानते हैं कक

    विद्याथी उजाशिान और नयी सोच स े

    भरे होते हैं I विद्याथी ऐसे रत्न हैं वजनके

    हाथों में राष्ट्र और विश्व समुदाय का

    भविष्य पलता है I अजकल बहुत से

    विद्याथी वसफश कक्षा की विषयों जैसे-

    गवणत, रसायन र्ास्त्र, जीि विज्ञान, भौवतकी विज्ञान, भूगोल,

    आवतहास आत्याकद को पढ़ना, परीक्षा पास करना, ढेर सारे वडवग्रयाूँ

    एिं नौकरी पा लेना ही पयाशप्त समझते हैं I जबकक पढ़ाइ का मुख्य

    ईद्धशे्य वर्वक्षत बनना होता ह ै I वर्वक्षत का ऄथश है :- “िैसा

    व्यवि जो ईवचत-ऄनुवचत का पहचान कर सके और ईवचत मागश

    पर ही चले I”

    मुझ े विद्याथी जीिन, व्यिहाटरक जीिन एिं व्यिसावयक

    जीिन में स्ियं के ऄनुभि और दसूरों के जीिन के ऄनुभि से बहुत

    कुछ सीखने को वमला I आस दौरान मैंने ऄनुभि ककया कक

    विद्यार्पथयों को सफल और अदर्श विद्याथी बनने के वलए ईनमें

    कौन-कौन सी मखु्य विर्ेषताएूँ होनी चावहए I साधारणतः

    विद्यार्पथयों में पाए जाने िाले कुछ खावमयों को यकद दरू कर

    कदया जाए तो कोइ भी विद्याथी ऄपने जीिन में एक सफल और

    अदर्श विद्याथी बन सकता है I मैंने आस पुस्तक में ईन खावमयों

    का भी िणशन प्रयोगात्मक तरीके से करने का प्रयास ककया है वजस े

    दरू कर विद्याथी वबना विचवलत हुए ऄपने लक्ष्य को प्राप्त कर

    सकेI

    आस पुस्तक में कुल चार भाग हैं I आसके प्रथम भाग में

    बताया गया है कक ककसी भी विद्याथी को एक अदर्श विद्याथी

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • ix

    बनने के वलए ककन-ककन गुणों का होना जरुरी है I आसी के ईद्धशे्य

    से ईन गुणों जैसे- लक्ष्य, योजना, संकल्प, ईत्साह, एकाग्रता,

    पटरश्रम, अत्मविश्वास, संयम, ऄनुर्ासन अकद का विस्तृत िणशन

    विवभन्न ऄध्यायों में ककया गया है I

    दसूरे भाग में विद्यार्पथयों को ऄपने समय का सदपुयोग

    करने और ईनके कटठन पटरश्रम का पूरा-पूरा लाभ प्राप्त करने के

    वलए समय प्रबंधन का विर्ेष तरीका कदया गया ह ैI

    तीसरे भाग में कुछ महान विभूवतयों का जीिन पटरचय

    कदया गया है जो ितशमान और भविष्य दोनों के वलए ऄपना

    पदवचन्ह छोड़ गए हैं I यह एक सच्चाइ है कक महान लोगों के

    प्रेरणा से एिं ईनके अचरण को ऄपने जीिन में ईतारने से कोइ

    भी महान बन सकता ह ैI

    चौथा भाग बहाना/नकारात्मक सोच के संदभश में वलखा गया

    है I हमें पता है कक हमारे मवस्तष्क में वजतना ऄवधक

    नकारात्मकता भरेगा ईतना ही ऄवधक हम सफलताओं से दरू हो

    जाएंग े I सामान्य तौर पर विद्यार्पथयों में पाए जाने िाले

    नकारात्मकताओं/बहानों को त्यागने पर बल कदया गया है I

    विद्याथी उजाशिान एिं ईत्साही होते हैं, आन्हें भविष्य

    संभालने के वलए मोटििेर्नल पुस्तकें पढ़नी चावहए I आन पुस्तकों

    में मनुष्य की जजदगी सुधारने और बदलने की क्षमता होती है I

    मोटििेर्नल पुस्तकें , विचारों में र्ुद्धता, कायश में वनष्ठा, जीिन में

    ईत्साह और ईमंग बढ़ाने में सक्षम होते हैं I

    आस पुस्तक को वलखने की प्रेरणा जहाूँ हमें स्िामी

    वििकेानन्द के पुस्तकों को पढ़ने से वमली िहीं दसूरी ओर हमारे

    गुरु तुल्य श्री नागेशे्वर चौधरी, ऄवधििा (बेगुसराय) से भी वमली

    I आस पुस्तक को वलखने में मुझ े कइ लोगों का सहयोग वमला,

    वजसमें मरेे ऄग्रज श्री परर्ुराम चौहान, श्री वबद्यानंद चौहान,

    ऄनुज मुकेर् कुमार, बहनोइ श्री ऄर्ोक चौहान एि ंवमत्रों में श्री

    रविभूषण कुमार, नालन्दा (वबहार), श्री ऄवनल देहटरया,

    जछदिाड़ा (म०प्र०), श्री पंकज जयसिाल, बवलयां (ई०प्र०), श्री

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • x

    विनोद कुमार र्माश, संतकबीर नगर(ई०प्र०) आन सभी को हार्ददक

    धन्यबाद I विर्ेष तौर पर:- डॉ. बी. एन. विश्वकमाश, (पिना) जो

    रसायन र्ास्त्र के विश्वविद्यालीय प्राध्यापक हैं तथा मोटििेर्नल

    वर्क्षक भी हैं, ईनका कृतज्ञ हूँ तथा ईन्हें हार्ददक धन्यबाद देता हूँ I

    आन सभी के साथ मैं एजकुियरे्न पवललजर्ग को भी धन्यबाद देना

    चाहूँगा वजनके सकारात्मक प्रयास से यह पुस्तक प्रकावर्त होकर

    लोगों के बीच अना संभि हुअ I

    यकद आस पुस्तक के लेखन एिं प्रकार्न में कोइ त्रुटि हुइ हो तो

    मुझे खेद है I विद्यार्पथयों, वर्क्षकों एिं माननीय गुण संपन्न

    व्यवियों से राय-मर्विरा अमवंत्रत है वजससे कक पुस्तक के नए

    संस्करण में त्रुटियों में सुधारकर श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम पुस्तक अपके

    समक्ष ला सकूूँ I सप्रेम-सधन्यबाद I

    अपका

    इ. वमवथलरे् प्रसाद

    ( मोटििेर्नल वर्क्षक, लेखक एिं कवि )

    Email: [email protected]

    Sample Copy. Not for Distribution.

    mailto:[email protected]

  • xi

    मोटििरे्नल

    अमखु कविता

    सभंल-सभंल कर चलना होगा

    यकद सफल बनना है

    तो कीलों पर चलना होगा,

    पहाड़ भी अ जाए सामने

    तो ईससे भी अगे बढ़ना होगा,

    जजदगी एक संघषश है

    संभल-संभल कर चलना होगा I

    यकद लोहे को रूप बदलना है

    तो अग में गलना होगा,

    वजस साूँचे में ढालोग े

    ईसी साूँचे में ढलना होगा,

    जजदगी एक संघषश है

    संभल-संभल कर चलना होगा I

    कभी कािें वमलेंग े

    तो कभी पतझड़ वमलेंगे,

    हर पटरवस्थवतयों में

    खुद को संभलना होगा,

    जजदगी एक संघषश है

    संभल-संभल कर चलना होगा I

    जो लक्ष्य बनाया है अपने

    ईसी लक्ष्य पर चलना होगा,

    यकद साूँसे भी थमने लग े

    तो खुद को नहीं बदलना होगा,

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • xii

    जजदगी एक संघषश है

    संभल-संभल कर चलना होगा I

    अती हैं बाधाएं अने दो

    धरा पैर से हिता हो, हि जाने दो,

    संघषश से ही सफलता को वनकलना होगा

    तपती सूरज को भी र्ाम में ढलना होगा,

    जजदगी एक संघषश है

    संभल-संभल कर चलना होगा I

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • xiii

    ऄनिुमवणका

    ि.

    विषय

    पृष्ठ सं.

    भाग- I

    (अदर्श विद्याथी के वनमाशण के िम के

    कुछ सदंभश )

    1

    1. लक्ष्य 2

    2. योजना 7

    3. संकल्प 10

    4. ईत्साह 14

    5. एकाग्रता 17

    6. इमानदारी 19

    7. पटरश्रम 21

    8. अत्मविश्वास 23

    9. संयम 27

    10 ऄनुर्ासन 31

    11. विनम्रता 33

    12. सकारात्मक सोच 35

    13. सह-पाठ्यिम में वहस्सा लेना 37

    14. धैयश 39

    15. ऄवभभािक-विद्याथी संबंध 42

    16. वर्क्षक-विद्याथी सबंंध 44

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • xiv

    17. परोपकार 45

    भाग-II

    ( समय प्रबधंन के सदंभश में ) 47

    1. PPF िेबल ( Past Present Future

    Table ) का पटरभाषा 48

    2. PPF िेबल का महत्ि 49

    3. PPF िेबलकी प्रभािी विवध 51

    4. PPF िेबल का प्रारूप 53

    5. संदर्पभत विषय का सिे 56

    6. ‘X’ विद्याथी द्वारा PPF िेबल का

    पालन 72

    7. स्िार (*) िाले प्रश्नों का पहचान 74

    8. जटिल प्रश्नों के सामने स्िार (*) लगाना 76

    भाग-III

    ( कुछ महान विभवूतयों का जीिन

    पटरचय )

    80

    1. स्िामी वििकेानन्द 81

    2. महात्मा गाूँधी 84

    3. डॉ. ए. पी. जे. ऄलदलु कलाम (पूिश

    राष्ट्रपवत) 86

    4. डॉ. सिशपल्ली राधाकृष्णन (पूिश

    राष्ट्रपवत) 88

    5. डॉ. जाककर हुसैन(पूिश राष्ट्रपवत) 90

    6. मदर िेरेसा 92

    7. सरोजनी नायडु 94

    8. रविन्र नाथ िैगोर 95

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • xv

    9. कल्पना चािला 97

    भाग-IV

    ( नकारात्मक सोच को त्यागन ेके

    सदंभश में )

    99

    1. तनाि-ऄिसाद का नया नाम ‘फोमो

    और नोमोफोवबया’ 100

    2. सफल कुछ ही लोग, क्यों 102

    3. समझ में नहीं अने पर भी हाूँ-हाूँ करना 105

    4. तैयारी करने का समय कहाूँ वमला 107

    5. सर को तो कुछ अता ही नहीं ह ै 109

    6. सर तो हमेर्ा वसफश डांिते रहते हैं 111

    7. कक्षा में हमेर्ा पीछे की सीि पर बैठना 113

    8. अता है, वसफश एक बार देख लूूँगा तो

    बता दूूँगा 115

    9. गलवतयों से कदमाग का सीखना और

    विकवसत होना 116

    10 मेरे से ज्यादा तेज तो कोइ हो ही नहीं

    सकता 119

    11. पुराने नोट्स/ककताबों का क्या जरूरत 122

    12. मेरा तो वसलेबस ही पूरा नहीं हुअ 124

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • xvi

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • 1

    अदर्श विद्याथी कैसे बनें

    भाग-I (अदर्श विद्याथी के वनमाशण के िम के कुछ सदंभश )

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • 2

    अदर्श विद्याथी कैसे बनें

    लक्ष्य

    स्ियं को ककसी एक मागश पर समर्पपत कर देने का नाम ही लक्ष्य है I ईसमें

    हमारा मन-मवस्तष्क एिं हृदय भाि तीनों एक ही मागश पर चलने के वलए

    समर्पपत हों I ककसी भी आंसान को बड़ी सफलता हावसल करने के वलए

    जीिन का एक उूँ चा लक्ष्य ऄिश्य वनधाशटरत करना चावहए I यह सफलता

    के मागश का सबसे महत्िपूणश कदम है तथा सफलता की उूँ चाइ भी वनधाशटरत

    करता ह ैI लक्ष्य वनधाशरण अदर्श विद्याथी का वनमाशण के वलए प्रथम कदम

    है I ककसी भी सफलता को वबना लक्ष्य बनाए हावसल करना कटठन है I

    वबना लक्ष्य का सफलता की ओर कोइ कदम भी नहीं बढ़ाया जा सकता है I

    वबना लक्ष्य बनाए आंसान जीिन में आधर-ईधर भिकते एिं लड़खड़ाते रहता

    है, क्योंकक ईसे मालुम ही नहीं होता है कक ईसे जाना कहाूँ है ?

    जब हम ककसी रास्ते पर चलते हैं तो हमारा कोइ न कोइ ईदे्दश्य

    ऄिश्य होता है चाहे ईद्धेश्य छोिा ही क्यों न हो I यह ईद्धेश्य ककसी का

    घर जाना, स्कूल जाना, बाजार जाना अकद हो सकता है I यहाूँ ऄब सोचने

    िाली बात है कक जब हम कोइ छोिा भी काम करते हैं तो ईसका कुछ न

    कुछ ईदे्दश्य रहता है तो कफर हमें पूरी जज़दगी में सफल बनने के वलए एक

    बड़ा ईद्धशे्य /लक्ष्य क्यों नहीं होना चावहए ?

    एक विचार चुनें ईस विचार को ऄपना जीिन बना लें, ईसके

    बारे में सोचें, ईसके सपने देखें, ईस विचार को वजयें, ऄपने

    मवस्तष्क, मांसपेवर्यों, नसों, र्रीर के ऄन्य वहस्से को ईस

    विचार में डूब जाने दें और र्ेष सभी विचारों को ककनारे रखें

    यही सफल होने का ऄच्छा तरीका है I

    - स्िामी वििेकानन्द

    1

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • 3

    अदर्श विद्याथी कैसे बनें

    कोइ भी विद्याथी यकद सही-गलत का पहचान करने में सक्षम है, ऄथाशत

    ऄपना लक्ष्य तय करने में सक्षम हो तो ईसे ऄपने जीिन का एक बड़ा-स-े

    बड़ा लक्ष्य ऄिश्य बना लेना चावहए I यकद िह ऄपने जीिन का बड़ा लक्ष्य

    तय करने में सक्षम नहीं है, तो ईसे कम से कम ऄपने कक्षा में बहुत ऄच्छा

    प्रदर्शन करने का लक्ष्य तो होना ही चावहए I

    यकद ककसी विद्याथी से कुछ सामान्य प्रश्न पूछा जाए, तो ईत्तर क्या

    हो सकता है ? जैस-े

    (क) क्या अप सफल व्यवि बनना चाहते हैं ?

    (ख) क्या अप ईपलवलध हावसल करना चाहते हैं ?

    (ग) क्या अप प्रर्ंसा पाना चाहते हैं ?

    (घ) क्या अप बौवद्धक और अर्पथक रूप से सर्ि बनना चाहते हैं ?

    अप पायेंगे कक ईपरोि प्रत्येक प्रश्न का ईत्तर हाूँ में वमलेगा I ऄब यकद

    कोइ भी विद्याथी ईपरोि ईत्तर को ऄपने जजदगी के िास्तविक रूप में

    बदलना चाहता है तो ईसे वनवित रूप से एक बड़ा लक्ष्य तय करना होगा,

    आसमें कोइ र्क नहीं है I आसके वलए अिश्यक है कक ईसे वनरंतर कटठन

    पटरश्रम करना होगा I

    लक्ष्य वनधाशटरत करते समय हमें ऄपनी क्षमता के बारे में आस प्रकार

    का जरा भी र्क नहीं होना चावहए कक यकद हम बड़ा लक्ष्य वनधाशटरत करते

    हैं तो ईसे पूरा कर पायेंगे या नहीं I हमारी अर्पथक वस्थवत ठीक है या नहीं

    I यह एक सच्चाइ है कक आंसान ऄपने जीिन का वजतना बड़ा लक्ष्य वनधाशटरत

    करने में सक्षम होता है और ईस लक्ष्य को प्राप्त करने के वलए वजतनी

    क्षमता की अिश्यकता होती है ईससे कइ गुना ज्यादा ईस व्यवि की

    क्षमता होती है I अर्पथक वस्थवत की बात को हम आस ईदहारण से समझ

    सकते हैं I माना कक दो व्यवि हैं वजसमे एक ऄमीर है और दसूरा बहुत

    ग़रीब है I दोनों व्यवि एक ही जगह घुमने गये हैं, जहाूँ पहाड़ पर एक

    सुंदर मवन्दर वस्थत है I ईस मवन्दर तक जाने के वलए दो प्रकार के साधन हैं

    I एक साधारण मागश सीमेंि कंिीि से बना है और दसूरा साधन वलफ्ि का ह ै

    I दोनों व्यवि ईस मवन्दर तक जाना चाहते हैं, ईनमें से एक के पास तो

    ज्यादा रूपये पैसे हैं और दसूरे के पास बहुत कम रूपये पैसे I ऄब वनवित

    रूप से वजसके पास कम पैसा है िह कंिीि िाला मागश से मवन्दर तक

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • Get Complete Book At Educreation Store

    www.educreation.in

    Sample Copy. Not for Distribution.

  • Sample Copy. Not for Distribution.