philippians hindi फिलिप्पियों - मसीह का मन
TRANSCRIPT
सुसमाचार, पे्रररतों के काम Gospels, Acts
पौलुस के पत्र Paul’s Letters
शक्ततशाली पत्र Powerful Letters
प्रकाशशत वातय Revelation
पाठ 12: फिललप्पपयों - मसीह का मनLesson 12: Phillipians – The mind of Christ
रोशमयो - जीवन पररवततन यात्रा 1 कुररक्थियों - स्वर्त का सोना 2 कुररक्थियों - शमट्टी के पात्र र्लततयों - अब मैं नहीीं इफिशसयों – सीमाएीं आरे् बढ़ने फिललप्पपयों - मसीह का मन कुलुक्स्सयों - मसीह में पूर्तता 1 थिस्सलुनीफकयों - झरना आशा 2 थिस्सलुनीफकयों - ववश्वास आशा 1 तीमुथियुस - लड़ने योग्य 2 तीमुथियुस - तनडर सच्चाई तीतुस - दोहरा पकड़ फिलेमोन - अवतार
पौलुस ने फिशलक्पपयों को 62 ईसवी के बारे में जेल से शलखा िा। इसे शलखा र्या िा: फिशलक्पपयों के शलए अपना पयार कहा हुआ उनकी तनरींतर सहायता के शलए धथयवाद करें अपने बढ़तीको को प्रोत्साद्रहत फकया [1]Paul wrote Philippians about 62 A.D. as he anticipated his release from prison. It was written to:
Express his love to the Philippians.
Appreciate the Philippians for their continued help and financial support
Encourage their growth. [1]
फिशलक्पपयों 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। 6 क्जस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 7 वरनअपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और िास कास्वरूप धारर् फकया, और मनुष्य की समानता में हो र्या।5 In your relationships with one another, have the same mindset as Christ Jesus: 6 Who, in very nature God, did not consider equality with God something to be used to his own advantage;7 rather, he made himself nothing by taking the very nature of a servant, being made in human likeness.- Ch 2
फिशलक्पपयों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रर्ट होकर अपने आप को दीन फकया, और यहाां तक आज्ञाकारी रहा, फक मतृ्यु, हाां, कू्रस की मतृ्यु भी सह ली।8 And being found in appearance as a man, he humbled himself by becoming obedient to death—even death on a cross! Ch 2
फिशलक्पपयों 3:10 और मैं उस को और उसके मतृ्युींजय कीसामित को, और उसके साि दखुों में सहभार्ी हान ेके ममत को जानूूँ, और उस की मतृ्यु की समानता को प्रापत करूां । 11 ताफक मैं फकसी भी रीतत से मरे हुओीं में से जी उठने के पद तक पहुींचूीं।
फिशलक्पपयों 1:29 तयोंफकमसीह के कारर् तमु पर यह अनगु्रह हुआ फक नकेवल उस पर ववश्वासकरो पर उसके शलये िखु भी उठाओ। 29 For it has been granted to you on behalf of Christ not only to believe in him, but also to suffer for him. Ch 1
लक्ष्य की ओर दबाएीं – Press on towards goal
वचन को पकड़ो – Hold on to the word
सब वस्तुओीं की हातन उठाई – Count all as loss
इच्छाशक्तत को मजबूत करें – Work to will
फिशलक्पपयों 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीीं फक मैंपकड़ चुका हूीं: परथतु केवल यह एक काम करता हूीं, फक जोबातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आरे् की बातों की ओर बढ़ता हुआ। 14 ननशाने की ओर िौडाचला जाता हूां, ताफक वह इनाम पाऊां , क्जस के शलये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
फिशलक्पपयों 2:14 सब काम बबना कुड़कुड़ाए और बबनावववाद के फकया करो। 15 ताफक तुम तनदोष और भोले होकर टेढे़ और हठीले लोर्ों के बीच परमेश्वर के तनष्कलींक सथतान बने रहो, (क्जन के बीच में तुम जीवन का वचन ललए हुएजगत में जलते िीपकों की नाईं दिखाई िेते हो)। 16 फक मसीह के द्रदन मुझे घमण्ड करने का कारर् हो, फक न मेरा दौड़ना और न मेरा पररश्रम करना व्यित हुआ।
फिशलक्पपयों 3:8 वरन मैंअपने प्रभ ुमसीह यीशु की पद्रहचान की उत्तमता केकारर् सब बातों को हातन समझता हूीं: क्जस के कारर् मैं ने सब वस्तुओां कीहानन उठाई, और उथहेंकूड़ा समझता हूीं, क्जस से मैं मसीह को प्रापत करूीं ।
फिशलक्पपयों 2:12 सो हे मेरे पयारो, क्जस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साि रहते हुए पर ववशेष करके अब मेरेदरू रहने पर भी डरते और काांपते हुए अपने अपने उद्धार का कायय पूरा करते जाओ। 13 तयोंफक परमेश्वर ही है, क्जस न अपनी सुइच्छा तनशमत्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, िोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।
जब हम उसके ललए काम करते हैं, परमेश्वर हमें इच्छािेता है, और उसकेउद्िेश्य को पूराकरने When we work untiringly for HimGod gives us the will, and desire to fulfil his purpose
फिशलक्पपयों 1:27 केवल इतना करो फक तमु्हारा चाल-चलन मसीह के सुसमाचार केयोग्य हो फक चाहे मैंआकर तमु्हें देखूीं, चाहे न भी आऊीं , तमु्हारे ववषय में यह सुनूीं, फक तमु एक ही आत्मामें क्स्िर हो, और एक चचत्त होकर सुसमाचार के ववश्वास के ललये पररश्रम करत ेरहते हो।
फिशलक्पपयों 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भीहै: जो वस्तुएां तुम ने इपफु्रिीतुस के हाथ से भेजी थीां उन्हें पाकर मैं तपृत हो गया हूां, वह तो सुर्थध और ग्रहर् करने के योग्य बशलदान है, जो परमेश्वर को भाता है। 19 और मेरा परमेश्वर भीअपने उस धन के अनुसार जो मदहमा सदहत मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।
कद्रठनाई में तनक्श्चत Positive in adversity
सभी क्स्िततयों में तपृत Content in all situations
सहन करने की शक्तत Strength to endure
फिशलक्पपयों 1:14 और प्रभ ुमें जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैि होने के कारण, द्रहयाव बाथध कर, परमेश्वर का वचन तनधड़क सनुाने का और भी दहयाव करते हैं।
फिशलक्पपयों 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूीं और बढ़ना भी जानता हूीं: हर एक बात और सब िशाओांमें तपृत होना, भखूा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 13 जो मुझेसामथय िेता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूीं।
फिशलक्पपयों 4:12 केसींदभत के बबना और बबना फकस प्रकार 4:13 पढ़ता है?
सहन करने के शलए शक्तत बनाम जीतना के शलए शक्ततHow differently does v 13 read with and without the context of vs. 12?
फिशलक्पपयों 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु तनकट है। 6 फकसी भी बात की थचथता मत करो: परथतु हर एक बात मेंतुम्हारे तनवेदन, प्राितना और बबनती के द्वारा धथयवाद के साि परमेश्वर के सम्मुख अपक्स्ित फकए जाएीं। 7 तब परमेश्वर की शाप्न्त, जोसमझ से बबलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे ववचारों को मसीह यीशु में सुररक्षत रखेगी॥
फिशलक्पपयों 4:6 फकसी भी बात की चचन्ता मत करो: परथतु हर एक बात में तुम्हारे तनवेदन, प्राितना और बबनती के द्वारा धथयवाद के साि परमेश्वर के सम्मखु अपक्स्ित फकए जाएीं।
फिशलक्पपयों 4:6 फकसी भी बात की थचथता मत करो: परथतु हर एक बात में तुम्हारे ननवेिन, प्राथयनाऔर बबनती के द्वाराधन्यवाि के साथ परमेश्वर के सम्मुखअपप्स्थत फकए जाएां।
फिशलक्पपयों 4:8 तनदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरर्ीय हैं, और जो जो बातें उथचत हैं, और जो जो बातें पववत्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, ननिान, जो जो सिगुण और प्रशांसा कीबातें हैं, उन्हीां पर ध्यान लगाया करो। 9 जो बातें तमु ने मुझ से सीखीीं, और ग्रहर् की, और सुनी, और मुझ में देखीीं, उथहीीं का पालन फकया करो, तब परमेश्वर जोशाक्थत का सोता है तमु्हारे साि रहेर्ा॥
ववनम्र•आज्ञाकाररता•पीडड़त होने के शलए तैयार
ध्यान कें दित•लक्ष्य की ओर दबाएीं
•वचन को पकड़ो•सब वस्तुओीं की हातन उठाई
•इच्छाशक्तत कोमजबूत करें
सांगत•मन की एकता
•सुसमाचार के योग्य
•दानशील
आनांिपूणय•कद्रठनाई मेंतनक्श्चत
•सभी क्स्िततयों में तपृत
•सहन करने की शक्तत
शाांनतपूणय•कोमलता• थचींता के बबना
•प्राितनापूर्त•सुींदर ववचार
सधुार करने के शलए आपको सबसे ज्यादा तयाआवश्यकता है - नम्र, ध्यातनत, सींर्त, आनींदपूर्त, शाींततपूर्त मन? तयूीं?
अपने उदाहरर्ों को साझा करें फक आपने परमेश्वर के शलए कैसे काम फकया है और ईश्वर ने अपने उद्देश्य को पूरा करने की इच्छा बढ़ा दी है ।
आपको कैसे लर्ता है फक कोमलता और शाींतत से जडु़ ेहुए हैं? (फिशलक्पपयों 4:4-8)
सभी क्स्िततयों में खुशी और शाींतत का अनभुव करने के शलए हमें तया कदम उठाने की ज़रूरत है?