narayan kwach

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  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    Narayan Kwach

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    यासः- सवथम ीगणेश जी तथा भगान

    नारायण को नमकार करके नीच ेिख ेकार

    से यास कर  ।  अगं-यासः- 

    ॐ ॐ नमः  —  पादयोः (दाने ाथ क तजवनी

    अंग  ठुा  —  इन दोन को िमाकर दोन पैरका पशव कर  )। 

    ॐ न ंनमः  —  जान  नुोः ( दाने ाथ क

    तजवनी अंग  ठुा  —  इन दोन को िमाकर

    दोन घ  टुन का पशव कर   ) 

    ॐ म नमः  —  ऊः (दाने ाथ क तजवनी

    अंग  ठुा  —  इन दोन को िमाकर दोन पैर कजाघ का पशव कर  )। 

    ॐ ना ंनमः  —  उदरे (दान ेाथ क तजवनी

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    तथा अंग  ठुा  —  इन दोन को िमाकर पटे का

    पशव करे) 

    ॐ रा ंनमः  —  द (मयमा-अनामका-तजवनी

    से दय का पशव कर  ) 

    ॐ य ंनमः  –  उरस (मयमा- अनामका-

    तजवनी स ेछाती का पशव करे) 

    ॐ णा ंनमः  —  म  खुे (तजवनी  –   अग  ठेु केसंयोग से म  खु का पशव करे) 

    ॐ य ंनमः  —  शरस ( तजवनी -मयमा के

    सयंोग से सर का पशव करे ) 

    कर-यासः- 

    ॐ ॐ नमः  —  दणतजवयाम   ्( दाने

    अग  ठुे स ेदाने तजवनी के सरे का पशव करे) 

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    ॐ न ंनमः — -दणमयमायाम   ्(दाने अग  ठेु

    से दाने ाथ क मयमा अग  िु का ऊपर

    िाा पोर पशव करे) 

    ॐ म नमः  — दणानामकायाम   ्(दने अग  ठुे स ेदाने ाथ क अनामका का

    ऊपरिाा पोर पशव करे) 

    ॐ भं नमः  — -दणकनठकायाम   ्(दान े अग  ठुे स ेाथ क कनठका का ऊपर िाा

    पोर पशव करे) 

    ॐ ग ंनमः  — -ामकनठकायाम   ्(बाय ेअग  ठेु

    से बाये ाथ क कनठका का ऊपर िाापोर पशव करे) 

    ॐ  ंनमः  — -ामानकायाम   ्(बाय ेअग  ठुे से

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    बाये ाथ क अनामका का ऊपरिाा पोर

    पशव करे) 

    ॐ त   नमः  — -ाममयमायाम   ्( बाय ेअग  ठेु

    से बाये ाथ क मयमा का ऊपरिाा पोर

    पशव करे) 

    ॐ ा ंनमः  — ामतजवयाम   ्(बाय ेअग  ठुे स ेबाये ाथ क तजवनी का ऊपरिाा पोर पशव 

    करे) 

    ॐ स  ु  ंनमः  — -दणाङग  ुठोवपवण ( दाने

    ाथ क चार अग  ुिय स ेदाने ाथ के अग  ठुे का ऊपरिाा पोर छ  ु ए) 

    ॐ द   नमः  —– दणाङग  ुठाधः पवण (दाने

    ाथ क चार अग  ुिय स ेदाने ाथ के

     अग ठे का नीच ेिाा पोर छ ए) 

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    ॐ ा ंनमः  —– ामाङग  ुठोवपवण (बाये

    ाथ क चार अग  ुिय स ेबाय ेअग  ठेु के

    ऊपरिाा पोर छ  ु ए) 

    ॐ य ंनमः  —— ामाङग  ुठाधः पवण (बायेाथ क चार अग  ुिय स ेबाये ाथ के अग  ठेु

    का नीच ेिाा पोर छ  ु ए) 

    ण  ुषडरयासः- 

    ॐ ॐ नमः  — दये ( तजवनी  –  मयमा ए ं

     अनामका से दय का पशव करे ) 

    ॐ  ंनमः -म  ूनव ( तजवनी मयमा केसयंोग सर का पशव करे ) 

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    ॐ ष ंनमः  —   ुमवये (तजवनी-मयमा स े

    दोन भ का पशव करे) 

    ॐ ण ंनमः  — शखायाम   ्(अग  ठुे से शखा का

    पशव करे) 

    ॐ    नमः  — नेयोः (तजवनी -मयमा स ेदोन ने का पशव करे) 

    ॐ न ंनमः — सवसधष   ु( तजवनी  –  मयमा

    और अनामका स ेशरर के सभी जोड़  —  जैस े

     –  कंधा , घ  टुना , कोनी आद का पशव करे ) 

    ॐ मः अाय फ  —  ायाम   ्(प  ूव क ओर

    च  ुटक बजाए ) 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    ॐ मः अाय फ  –  आनेयाम   ्(अनकोण

    म   च  ुटक बजाय   ) 

    ॐ मः अाय फ  —  दणयाम   ्(दण

    क ओर च  टुक बजाए ) 

    ॐ मः अाय फ  —  नऋैये (नऋैय कोणम   च  ुटक बजाए) 

    ॐ मः अाय फ  —  तीयाम  (् पचम क

     ओर च  टुक बजाए ) 

    ॐ मः अाय फ  —  ायये ( ाय  कुोण म   

    च  ुटक बजाए ) 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    ॐ मः अाय फ  —  उदयाम  (् उतर क

     ओर च  टुक बजाए ) 

    ॐ मः अाय फ  —  ऐशायाम   ्(ईशानकोण

    म   च  ुटक बजाए ) 

    ॐ मः अाय फ  —  ऊावयाम   ्( ऊपर क ओर च  टुक बजाए ) 

    ॐ मः अाय फ  —   अधरायाम   ्(नीच ेक

     ओर च  टुक बजाए ) 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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     ी रः 

     अथ ीनारायणकच  

    ।।राजोाच।। यया ग  ुतः साः साान   ्रप  सुैनकान  ।् 

    डन नजवय िोया ब  भु  जु े

    यम  ।्।१ भगंतममाया मव नारायणामकम  ।् 

    यथा ssततायनः श  नू   ्येन ग  ुतो sजयम  धृे।।२ 

    राजा परत ने प  छूाः भगन   ्! देराज इं

    ने जससे स  रुत ोकर  श  ु ओ ंक

    चत  रुङगणी सनेा को िखे-खिे म   अनायास जीतकर िोक क  राज िमी का उपभोग

    कया , आप उस नारायण कच को स  नुाइये

     और य भी बिताईय ेक उने उसस ेस  रुत ोकर रणभ  ूम म   कस कार

     आमणकार श  ु ओ ंपर जय ात क ।।१-

    २ 

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    ।।ीश  ुक उाच।। 

      तृः प  रुोतोाो मेायान  पु  ृछत।े 

    नारायणाय ंमाव तदैकमनाः श  णृ  ।ु।३ 

     ीश  ुकदेजी न ेकाः परत   ्! जब देताओ ं

    ने प को प  रुोत  बना िया , तब देराजइ के न करने पर प ने नारायण

    कच का  उपदेश दया त  मु एकाचत स े

    उसका ण करो ।।३ 

    प उाचधौताङपाणराचय सप

    उदङ म  खुः। क  ृ ताङगकरयासो माया ंायतः

    श  ुचः।।४ 

    नारायणमय ंमव संनहये भय आगत।े पादयोजावन  नुोदरे यथोरस।।५ 

    म  खुे शरयान  पु  ूयावदकारादन यसेत  ।् 

    ॐ नमो नारायणायेत पयवयमथाप ा।।६ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    प न ेका  –  देराज इ ! भय का

    असर उपथत ोन ेपर नारायण  कच धारण

    करके अपने शरर क रा कर िेनी चाएउसक ध य ै क पिे ाथ-पैर धोकर

     आचमन करे, फर ाथ म   क  ु श क पी

    धारण करके उतर म  खु  करके बठै जाय इसकेबाद कच धारण पयत और क  ु छ न िबोने का

    नचय करके  पता स े“ॐ नमो

    नारायणाय ” और “ॐ नमो भगते ास  दुेाय ”इन मं के  ारा दयाद अङगयास तथा

     अङग  ुठाद करयास करे पिे “ॐ नमो  

    नारायणाय ” इस अटार म के ॐ आद आठ अर का मशः परै , घ  टुन , जाघ , पेट ,

    दय , ःिथ , म  खु और सर म   यास करे

     अथा  प  ूत म के यकार सिे ेकर ॐकार तक आठ अर का सर से आरभ कर  

    उ ंआठ अङग म   परत म से यास

    करे ।।४-६ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    करयास ंततः क  ु याव ादशारयया। 

    णादयकारतमङग  लुयङग  ुठपवस  ।ु।७ 

    तदनतर “ॐ नमो भगत ेास  दुेाय ” इस

    ादशार -म के ॐ आद बार   अर का

    दायी ंतजवनी स ेबायी ंतजवनी तक दोन ाथक आठ अग  ुिय   और दोन अग  ठु क दो-दो

    गाठ म   यास करे।।७ 

    यसे दय ओङकारं कारमन   ुम  धूवन। 

    षकारं त   ु  ुोमवये णकारं शखया दशते  ।्।८ 

    ेकारं नेयोय   ुवञयानकारं सवसधष  ।ु मकारमम  ुय मम  ूत वभवे ब  धुः।।९ 

    ससग फडत ंतत   ्सवदु नदवशते  ।् 

    ॐ ण ेनम इत ।।१० 

    फर “ॐ णे नमः” इस म के पिे के

    पिे अर ‘ॐ’ का दय म  , ‘ ’ काहमर , म   ‘ष ’ का भौ के बीच म  , ‘ण ’ का

    चोट म  , ‘’े का दोन ने और ‘न ’ का शरर

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    क सब गाठ म   यास करे तदनतर  ‘ॐ मः

     अाय फ ’ ककर दबध करे इस कर

    यास करन ेसे इस ध को  जानन ेिााप  ुष ममय ो जाता ै ।।८-१० 

    आमानं परम ंयायेद येय ंषशतभय   ुवतम  ।् यातजेतपोम  ूत वमम ंमम  दुारेत ।।११ 

    इसके बाद सम ऐयव, धमव, यश , िमी , ान और ैराय स ेपरप  णूव इटदे भगान   ्का

    यान करे और अपने को भी त प

    चतन करे तपचात   ्या , तजे , और तपःप इस कच का पाठ करे ।।११ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    ॐ रवदयामम सवरा ंयताङपः

    पतगेप  ृठे। 

    दरारचमावसगदेष  चुापाशान   ्

    दधानो sटग  णुो sटबा  ुः ।।१२ 

    भगान   ्ीर गड़जी के पीठ पर अपने

    चरणकिम रख े  ुए    , अणमा आद   आठ

    सया उनक सेा कर र     आठ ाथ म   

    शंख , च , िढा , ितार , गदा , बाण , धन  षु , और

    पाश (फंदा) धारण कए   ुए     े ओकंार

    प भ   ुसब कार से सब ओर से मेर रा

    कर  ।।१२ 

    िजेष   ुमा ंरत   ुमयम  ूत वयावदोगणेयो

    णय पाशात  ।् िथेष   ुमायाट  ुामनो sयात   ्मः खेऽत  ु 

    पः ।।१३ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    मयम  ूत व भगान   ्िज के भीतर िजजंत  ु ओ ं

    से और ण के पाश स ेमेर  रा कर   माया

    से हमचार प धारण करने िाे ामनभगान   ्िथ पर और  प ी

    मभगान   ्आकाश म   मेर रा कर   13

    द  गु  टयाजम  खुादष   ुभ  ःु

    पायान  ृसंोऽस  रुय  थुपारः। 

    म  ञुचतो यय माास ंदशोनेद  ुयवपतंच गभावः ।।१४ 

    जनके घोर अास करन ेपर सब दशाए ग  ू जउठ थी ंऔर गभवती  दैयपनय के गभव गर

    गये थ,े े दैयय  थुपतय के श   ुभगान   ्

    न  ृसं िक,े जिंग , रणभ  ूम आद कटथान म   मेर रा कर   ।।१४ 

    रसौ मान यकलपःदंयोनीतधरो राः। 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    रामोऽक  ूटेथ ास ेिसमणो sया

    भरताजो sमान   ्।।१५ 

     अपनी दाढ़ पर प  ृी को उठा िेन ेिाे

    यम  ूत व रा भगान   ्मागव म  , परश  ुराम जी

    पवत के शखर और िमणजी के सतभरत के बड़ ेभाई  भगान   ्रामचं ास के

    समय मेर रा कर   ।।१५ 

    माम  ुधमावदिखात   ्मादानारायणः पात   ु

    नरच ासात  ।् 

    दतयोगादथ योगनाथः पाया ग  णुेशःकिपः कमवबधात   ्।।१६ 

    भगान   ्नारायण मारण  –  मोन आद भयकंर अभचार और सब कार के माद  से मेर

    रा कर   ऋषेठ नर गव से, योगेर

    भगान   ्दताये  योग के न से औरग  णुाधपत भगान   ्किप कमवबधन स े

    मेर रा  कर   ।।१६ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

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    सनक  ु मारो त   ुकामदेायशीषाव मा ंपथ

    देिेनात  ।् 

    देषवयवः प  ुषाचवनातरात   ्क  ूम रमा 

    नरयादशषेात   ्।।१७ 

    परमषव सनक  ु मार कामदे से, यी भगान   ्

    मागव म   िचत ेसमय  देम  ूत वय को नमकार

     आद न करन ेके अपराध से, देषव नारद

    सेापराध  से और भगान   ्कछप सब कार

    के नरक स ेमरे रा कर   ।।१७ 

    धतरभवगान   ्पापया ा

    भयाषभो नजवतामा। 

    यच िोकादताजनाता िबो गणात   ्

    ोधशादः ।।१८ 

    भगान   ्धतर क  ु पय स,े जते भगान   ्

    ऋषभदे स  खु-द  ःुख आद  भयदायक

    स,े य भगान  ि् ोकापाद से, िबरामजी

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

    19/32

    मन  ुयक  ृ त कट  से और ीशषेजी

    ोधशनामक सप के गण से मेर रा कर   

    ।।१८ 

    पैायनो भगानबोधा ब  ुत   ुपाखडगणात   ्

    मादात  ।् कलकः िके िकािमात   ्पात   ु

    धमावनायोक  ृतातारः ।।१९ 

    भगान   ्ीक  ृ णेपायन यासजी अान स े

    तथा ब  ुदे पाखडय स े और माद से मरे

    रा कर   धमव-रा करन ेिाे मान अतारधारण करने िाे भगान   ्कलक पाप-ब  ुि

    कििका के दोष स ेमेर रा कर   ।।१९ 

    मां केशो गदया ातरया गोद

     आसङगमातेण  ुः। 

    नारायण ाहण उदातशतमवयदनेण  ुररपाणः ।।२० 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

    20/32

    ातःिका भगान   ्केश अपनी गदा िेकर ,

    क  ु छ दन चढ़ जान ेपर भगान   ्गोद अपनी

    बासं  रु िेकर , दोपर के पिे भगान   ्नारायण अपनी तीण  शत िेकर और दोपर को

    भगान   ्ण   ुचराज स  दुशवन िेकर मेर रा  

    कर   ।।२० 

    देो sपराहणे मध  ुोधा साय ंधामात   ु

    माधो माम  ।् दोष ेषीकेश उताधवरा ेनशीथ एको sत   ु

    पनाभः ।।२१ 

    तीसरे पर म   भगान   ्मध  सु  दून अपना चड

    धन  षु िेकर मरे रा कर   सायंिका म   हमा

     आद म  ूत वधार माध , स  यूावत के बादषकेश , अधवरा के प  ूव तथा अधव रा के

    समय अकेिे भगान   ्पनाभ मेर  रा कर   

    ।।२१ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

    21/32

     ीसधामापररा ईशः य  षू ईशोऽसधरो

    जनादवनः। 

    दामोदरोऽयादन  सुय ंभात ेेरोभगान   ्िकाम  ूत वः ।।२२ 

    रा के पिछे र म   ीिसाञछन ीर ,उषािका म   खगधार  भगान   ्जनादवन ,

    स  यूदय से प  ूव ीदामोदर और सप  णूव 

    सयाओ ंम   िकाम  ूत व भगान   ्ेर मरेरा कर   ।।२२ 

    चं य  गुातािनतमनेम मत   ्समताभगय  ुतम  ।् 

    ददध ददयरसैयमास   ुकं यथा

    ातसखो   ुताशः ।।२३ 

    स  दुशवन ! आपका आकार च (रथ के पये)

    क तर ै आपके कनारे का भाग  ियिकान अन के समान अयत ती ै।

     आप भगान   ्क ेरणा से सब   ओर घ  मूत े

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

    22/32

    रत े    जैसे आग ाय   ुक सायता स ेस  खूे

    घास-फ  ूस को िजा िडाती  ै, सैे आप

    मार श  सुेना को शी स ेशी िजा दजये,िजा दजय े।।२३ 

    गदेऽशनपशवनफ  ु िङग ेनपढनपयजतयास।

    क  ूमाडनैायकयरोभ  तूांच  णूवय

    च  णूवयारन   ्।।२४ 

    कौम  दु क गदा ! आपसे छ  ूटने िा

    चनगारय का पशव  के समान   असहय ै आप भगान   ्अजत क या     और म    

    उनका सेक   ू  इसिए आप  क  ूमाड ,

    नायक , य , रास , भ  तू और ेताद को अभी क  ु िच  डािये, क  ु िच डािये तथा मेरे

    श  ु ओ ंको च  रू  –  च  रू कर दजये ।।२४ 

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

    23/32

     ं

    यात  धुानमथतेमात  ृपशाचघोरटन  ।् 

    दरे ाय क  ृ णप  ूरतोभीमनोऽरेवदयान कपयन   ्।।२५ 

    शङखेठ ! आप भगान   ्ीक  ृ ण के फ  ू  कनेसे भयकंर शद करके मेरे श  ु ओ ंका िद

    दिा दजये एं यात  धुान , मथ , ेत , मात  कृा ,

    पशाच तथा  हमरास आद भयान ेाणयको या स ेत  रुत भगा दजये ।।२५ 

     ंतमधारासरारसैयमीशय  ुतो ममछध छध। 

    चमवञछतच छादय षामघोना ंर

    पापचषुाम   ्२६ 

    भगान   ्क ेठ ितार ! आपक धार ब  ुत

    तीण ै आप भगान   ्क  ेरणा स ेमेरे श  ु ओ ंको छन-भन कर दजये। भगान   ्क

    यार िढा !  आपम   सकैड़ चाकार मिड     

  • 8/18/2019 Narayan Kwach

    24/32

     आप पापट पापामा श  ु ओ ंक आख ेबद

    कर दजये और उ   सदा के िये अधा

    बना दजये ।।२६ 

    यनो भय ंेयो भ  तू   ्केत  ुयो न  ृय ए च। 

    सरस  पृेयो दंयो भ  तूेयऽोय ए ा।।२७ 

    सावयेतान भगनामपाकतवनात  ।् यात   ुसंय ंसयो ये नः ेयः तीपकाः

    ।।२८ 

    स  यूव आद  , ध  मूकेत   ु(प  ुिछ तारे ) आद

    केत  ,ु द  ुट मन  ुय , सपावद र  गन ेिाे जत  ,ु

    दाढ़िाे संक पश  ु, भ  तू-ेत आद तथा पापी  ाणय से म   जो-जो भय ो और जो मारे

    मङिग के रोधी  –  े सभी  भगाान   ्के

    नाम , प तथा आय  धु का कतवन करने से तिका नट ो जाय   ।।२७-२८ 

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    गड़ो भगान   ्तोतोभछदोमयः भ  ःु। 

    रशषेक  ृ ेयो सेनः नामभः

    ।।२९ 

    ब  ृ , रथतर आद सामेदय तो से

    जनक त  ुत क जाती ै,  ेेदम  ूत व भगान   ्गड़ और सेनजी अपने नामोचारण के

    भा स ेम   सब कार क पतय स े

    बचाय  ।।२९ 

    सावपयो रेनावमपयानाय  धुान नः। 

    ब  ुयमनः ाणान   ्पात   ुपाषवदभ  षूणाः ।।३० 

     ीर के नाम , प , ान , आय  धु और ेठ

    पाषवद मार ब  ु , इय , मन और ाणको सब कार क आपतय से बचाय   ।।३० 

    यथा भगाने त  तुः ससच यत  ।् सयनानेन नः स   यात   ुनाशम  पुााः ।।३१ 

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    जतना भी कायव अथा कारण प जगत ै,

    ात म   भगान   ् ै इस सय के

    भा स ेमारे सारे उप नट ो जाय   ।।३१ 

    यथैकायान  भुााना ंकलपरतः यम  ।् भ  षूणाय  ुिङगाया धत ेशतीः मायया

    ।।३२ 

    तनेै सयमानने सवो भगान   ्रः। 

    पात   ुसः पनैवः सदा सव सवगः ।।३३ 

    जो िोग हम और आमा क एकता का

    अन  भु कर च  केु    , उनक ट म   भगान   ्का

    प समत कलप से रत ै-भेद सेरत     फर भी े  अपनी माया शत के

    ारा भ  षूण , आय  धु और प नामक शतय

    को धारण करते     य बात नचत प से सय ै इस कारण सव , सवयापक भगान   ्

     ीर सदा  सव सब प से मार रा

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    कर   ।।३२-३३ 

    द ुदूवमधः समतादतबवभवगान   ्

    नारसंः। ापय  िलोकभय ंनेन तसमततजेाः

    ।।३४ 

    जो अपने भयकंर अास स ेसब िोग केभय को भगा देत े    और अपने तजे से सबका

    तजे स िेत े   , े भगान   ्न  ृसं दशा -

    दशा म  , नीचे -ऊपर , बार-भीतर  –  सब ओरसे मार रा कर   ।।३४ 

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    मघनदमायात ंमव नारयणामकम  ।् 

    जेययञजसा येन दंशतोऽस  रुय  थूपान   ्।।३५ 

    देराज इ ! मनैे त  ु   य नारायण कच

    स  नुा दया ै इस कच स ेत  मु   अपने को

    स  रुत कर िो बस , फर त  मु अनायास

    सब दैय  –  य  थूपतय को  जीत कर िोगे ।।३५ 

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    एत धारयमाणत   ुयं य ंपयत चुषा। 

    पदा ा संप  शृते   ्सयः सासात   ्स

    म  ुयत े।।३६ 

    इस नारायण कच को धारण करने िाा

    प  ुष जसको भी अपन ेने से देख  िेता ै अथा परै स ेछ  ू दतेा ै, तिका समत भय

    से स ेम  ुत ो जाता ै 36

    न क  ु तचत भय ंतय या ंधारयतो भेत  ।् 

    राजदय  ुादयो याादयच कवचत   ्

    ।।३७ 

    जो इस ैणी या को धारण कर िेता ै,

    उसे राजा , डाक  ू, ेत , पशाच   आद और बाघ आद संक जी स ेकभी कसी कार का

    भय न ंोता ।।३७ 

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    इमा ंया ंप  रुा कचत   ्कौशको धारयन   ्

    जः। 

    योगधारणया ाङग ंजौ स मधन ।।३८ 

    देराज! ाचीनिका क बात ै, एक कौशक

    गोी ाहमण ने इस या  को धारण करकेयोगधारणा स ेअपना शरर मभ  ूम म   याग

    दया ।।३८ 

    तयोपर मानने गधवपतरेकदा। 

    ययौ चरथः ीभव  तृो य जयः ।।३९ 

    जा उस ाहमण का शरर पड़ा था , उसके

    उपर स ेएक दन गधवराज चरथ अपनी

    य के साथ मान पर बैठ कर निके।।३९ 

    गगनायपतत   ्सयः समानो हयाक  ् शराः। 

    स िाखलयचनादथीयादाय मतः। 

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    ाय ाचीसरया ंनाा धाम

    मगात   ्।।४० 

    ा आते  े नीच ेक ओर सर कये

    मान सत आकाश से प  ृी पर गर  पड़ े

    इस घटना स ेउनके आचयव क सीमा न रजब उ   िबाखलय म  ुनय ने बिताया क

    य नारायण कच धारण करने का भा ै,

    तब उने उस ाहमण  दे क डय को िेजाकर प  ूवानी सरती नद म   ात

    कर दया   और फर नान करके  ेअपने िोक

    को िचे गये ।।४० 

    ।।ीश  ुक उाच।। 

    य इदं श  णृ  ुयात   ्िकाे यो धारयत चातः। त ंनमयत भ  तूान म  ुयत ेसवतो भयात   ्

    ।।४१ 

     ीश  ुकदेजी कत े     –  परत   ्जो प  ुष इस

    नारायण कच को समय पर  स  नुता ै और जो

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