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    MAPA -01

    वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

    लोक शासन के स ा त इकाई सं. इकाई का नाम पेज न.ं इकाई - 1 लोक शासन क एक सामािजक व ान के प म कृ त, े व

    ि थ त : अ य सामािजक व ान एव ं ब ध से स ब ध के व श ट संदभ म

    5

    इकाई - 2 लोक शासन क नवीन विृ तयाँ : नवीन लोक शासन, नवीन लोक बधं, पनुरअ भमुखीकरण सरकार और जनो मुखी सरकार

    30

    इकाई - 3 शा ीय वचारधाराएँ : े ड रक व सलो टेलर, हेनर फेयोल, लूथर एच गु लक व लडंाल एफ़. ऊ वक

    67

    इकाई - 4 मानव संबधं उपागम : हाथान योग म ए टन मेयो का योगदान 98 इकाई – 5 पो डकाब (POSD CORB) 115 इकाई - 6 स ता और उ तरदा य व, नेतृ व(नेता-एक अ धशासी के प म)

    पयवे ण, यायोजन एव ंसंचार 130

    इकाई - 7 सहयोग, सम वय तथा वके करण 154 इकाई - 8 पदसोपान तथा समादेश क एकता 165 इकाई - 9 नयं ण का े , लाइन, व टाफ अ भकरण 176 इकाई – 10 जवाबदेयता : अवधारणा, तकनीक एव ंसीमाएँ; लोक शासन

    पर ससंद य नय ण 188

    इकाई – 11 नयं ण: कृ त, कार तथा सम याएँ, लोक शासन का या यक पनुरावलोकन

    215

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    पा य म अ भक प स म त अ य ो. (डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    संयोजक / सद य

    संयोजक एवं सम वयक ो. पी.सी. माथुर

    परामशदाता (लोक शासन) वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    सद य 1. ो. अर व द शमा

    आचाय, बधं वकास सं थान गड़ुगांव

    2. ो. खा लद मजा नदेशक, लोक शासन वभाग पटना व व व यालय, पटना

    3. ो. संगीता शमा आचाय, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    4. डॉ. बजरंग सहं राठौड़ व र ठ या याता, लोक शासन वभाग डूगंर कॉलेज, बीकानेर

    5. ो. आर.पी. शमा से. न. आचाय, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    6. ो. पी.सी. माथुर परामशदाता (लोक शासन) व.म.ख.ु व., कोटा

    7. आर.पी. जोशी आचाय, राजनी त व ान वभाग मह ष दयान द सर वती व व व यालय, अजमेर

    स पादन एवं पाठ लेखन स पादक ो.(डॉ.) अनाम जैतल

    आचाय, राजनी त व ान वभाग वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    लेखक (इकाई सं.) लेखक (इकाई सं.) 1. डॉ. सु रेश गोयल

    आचाय, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    (1,10,11) 2. डॉ. एस.के. उपा याय या याता, लोक शासन वभाग ी क याण राजक य महा व यालय, सीकर

    (5)

    3. ो. र व साद वमा से. न. आचाय, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    (2) 4. डॉ. शवकुमार मीणा या याता, लोक शासन वभाग ी क याण राजक य महा व यालय, सीकर

    (6)

    5. डॉ. बजरंग सहं राठौड़ व र ठ या याता, लोक शासन वभाग डूगंर कॉलेज, बीकानेर

    (3,4) 6. डॉ. ( ीमती) कमल तवार या याता, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, डीग,िजला-भरतपरु

    (7,8,9)

    अकाद मक एवं शास नक यव था ो. .(डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    ो.(डॉ.) अनाम जेटल नदेशक(शै णक) सकंाय वभाग

    योगे गोयल भार

    पा य साम ी उ पादन एव ं वतरण वभाग

    पा य म उ पादन

    योगे गोयल सहायक उ पादन अ धकार ,

    वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    उ पादन- सत बर 2010 ISBN – 13/978-81-8496-118-8 सवा धकार सरु त : इस साम ी के कसी भी अशं क वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा क ल खत अनमु त के बना कसी भी प मे म मयो ाफ (च मु ण) वारा या अ य पनुः ततु करने क अनमु त नह ं है। नदेशक (अकाद मक) वारा वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा वारा मु त एव ं का शत।

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    इकाई- 1 लोक शासन क एक सामािजक व ान के प म कृ त, े एव ं ि थ त : अ य सामािजक व ान एव ं ब ध से

    स ब ध के व श ट संदभ म इकाई क परेखा 1.0 उ े य 1.1 तावना 1.2 शासन: अथ और प रभाषाएँ 1.3 लोक शासन. अथ और प रभाषाएँ 1.4 लोक शासन क कृ त 1.5 लोक शासन का े 1.6 लोक शासन क ि थ त 1.7 अ य सामािजक व ान एव ं ब ध के साथ लोक शासन का संबधं

    1.7.1 लोक शासन तथा राजनी तक व ान म स ब ध 1.7.2 लोक शासन तथा व ध 1.7.3 लोक शासन तथा अथशा 1.7.4 लोक शासन तथा इ तहास 1.7.5 लोक शासन तथा मनो व ान 1.7.6 लोक शासन तथा नी तशा 1.7.7 लोक शासन तथा समाजशा 1.7.8 लोक शासन तथा भूगोल 1.7.9 लोक शासन तथा ब ध म स ब ध

    1.8 साराशं 1.9 श दावल 1.10 अ यास न 1.11 संदभ सचूी

    1.0 उ े य इस इकाई का अ ययन करने के प चात ्आप -

    शासन का अथ एव ंप रभाषा जान सकगे, लोक शासन के अथ एव ंप रभाषा क ववेचना कर सकगे, लोक शासन का े प ट कर सकगे, लोक शासन क कृ त का वणन कर सकगे,

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    लोक शासन क ि थ त नधा रत कर सकगे, लोक शासन का अ य सामािजक व ान के साथ स ब ध का ववेचन कर सकगे, लोक शासन का ब ध के साथ संबधं था पत कर सकगे।

    1.1 तावना लोक शासन, शासन का ह एक यापक पहल ूहै जो अपनी कृ त, े , प रि थ त

    क ि ट से वहृ तर रखता ह। इसके अथ एव ंप रभाषाओं को लेकर दो ि टकोण रहे है अथात ्संकु चत ि टकोण तथा यापक ि टकोण। संकु चत ि टकोण के समथक इसे केवल कायपा लका के काय तक ह सी मत रखत ेह वह यापक ि टकोण के समथक इसे व ततृ प र े य म देखत ेहु ए चपरासी से लेकर ब धक तक के सभी काय को समायोिजत करत ेह। इसी तरह लोक शासन के े क ि ट से भी कई ि टकोण ह। इसक कृ त के अनसुार इसे कई व वान कला मानत े है तो कई अ य व वान व ान मानत े है जब क एक अ य ि टकोण से इसे कला एव ं व ान दोन माना जाता है। इसक ि थ त इसके उ व से अब

    तक एक सी न होकर बदलती रह है। वतमान म यह उदार करण, नजीकरण, भूम डल करण के साथ मलकर चलने को तैयार एव ंमजबरू है।

    इसका अ य सामािजक व ान के साथ भी संबधं है। राजनी त व ान के साथ इसका घ न ठ स ब ध रहा है और रहेगा । इसके साथ ह यह व ध, अथशा , मनो व ान, इ तहास, नी तशा , समाजशा , भूगोल इ या द मानवीय वषय के साथ भी स ब ध रखता है। ब ध के साथ इसके स ब ध बढ़त ेजा रहे ह तथा कई जगह दोन का अलग-बदल कर भी योग कया जाता है। अ तत: अनशुासना मक अ ययन ने इस स ब ध को और मजबतू कया है।

    1.2 शासन : अथ तथा प रभाषाएँ लोक शासन श द को समझने से पहले शासन श द को समझना होगा, य क

    'लोक शासन' शासन क अ धक यापक अवधारणा का ह एक पहल ू है। अं ेजी श द 'administer' ( शासन करना) दो लै टन श द Ad एव ं36 के मेल से नकलता है िजनका अथ है 'सेवा करना' या ' बि धत करना'। ' शासन' का शाि दक अथ है सावज नक मामल का ब धन।

    शासन क अवधारणा को व भ न व वान ने तरह-तरह से प रभा षत कया है, िजनम मुख ह

    फे ल स ए. न ो के अनसुार, “ कसी ल य ाि त के लए लोग और साम य के संगठन और उपयोग को ' शासन' कहत ेहै।''

    ई.एन. लैडेन ने कहा है, “ शासन एक ल बा और थोड़ा आड बरपणू श द है, ले कन इसका सीधा- सादा अथ है-मामल का ब ध करना, लोग क देखभाल करना या उनका यान रखना। यह एक नधा रत उ े य को परूा करने के लए कया गया सु नि चत काय है।''

    फफनर के अनसुार, “ शासन वां छत ल य को हा सल करने के लए कया जाने वाला मानव और भौ तक संसाधन का संगठन तथा नदशन है।''

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    एल.डी. हाईट कहत े है, “ शासन क कला कसी ल य या उ े य को हा सल करने के लए अनेक यि तय के काय का नदशन, सम वय और नय ण है।''

    लूथर गू लक, “ शासन का सरोकार नधा रत उ े य क पू त के साथ काम को कराने से है।''

    हरबट ए-साइमन, ''अपने यापकतम अथ म ' शासन' को समान ल य को ा त करने के लए आपसी सहयोग से काय करत ेसमूह क ग त व धय के प म प रभा षत कया जा सकता है।''

    जॉन ए-वीग, '' शासन एक नधा रत उ े य को परूा करने के लए कया जाने वाला सु नि चत काय है। यह उन घटनाओं के घ टत होने क ि थ तया ँपदैा करने, िज ह हम घ टत होने देना चाहत ेह और उन घटनाओं को रोकने, जो हमार आकां ाओं के वपर त ह, के ल य को यान म रखत े हु ए मामल क योजनाब यव था और संसाधन का नयोिजत उपयोग है। यह ऊजा, समय और धन के मामले म यनूतम लागत पर वां छत उ े य ा त करने के लए उपल ध म और साम य क यव था है।''

    उपरो त प रभाषाएँ प ट करती है क शासन का अथ है-एक समान ल य ाि त के लए लोग के एक समूह का सामू हक यास।

    शासन एक सावभौ मक या है जो व वधतापणू सं थागत यव थापन म काम करता है। अपने सं थागत यव थापन के आधार पर शासन को लोक शासन और यि तक शासन म बाँटा जाता है। लोक शासन सरकार यव थापन शासन है, जब क वयैि तक शासन गरै सरकार यव थापना यापा रक या यापा रक उ यम है।

    1.3 लोक शासन : अथ ओर प रभाषाएँ लोक शासन' शासन के अ धक यापक े का एक पहल ूहै। यह राजनी तक नणय

    नमाताओं वारा नधा रत ल य और उ े य क पू त के लए एक राजनी तक यव था म मौजूद होता है। इसे सरकार शासन के नाम से भी जाना जाता है, य क 'लोक शासन' म लगे व लेषण 'लोक' का अथ सरकार या सावज नक अथवा सार जनता से संबं धत सरकार शासन से होता है। व तुत: ' शासन' से पवू 'लोक' श द का योग इस वषय के े को

    सरकार या गवनमट के शास नक याकलाप तक सी मत कर देता है। इस कार लोक शासन का यान लोक नौकरशाह पर, यानी सरकार के नौकरशाह संगठन (या शास नक संगठन) पर केि त होता है।

    लोक शासन को न न प म प रभा षत कया गया है - वडुरो व सन, “लोक शासन का काम काननू को स व तार प से लाग ूकरना है।

    काननू लाग ूकरने क येक कायवाह शासन क ह एक ग त व ध है।'' एल.डी. हाइट , ' 'लोक शासन म वे सभी ग त व धया ँशा मल है िजनका उ े य लोक

    नी त क पू त करना या उसे लाग ूकरना है।'' साइमन ''आमतौर पर लोक शासन का अथ है रा य, ा तीय और थानीय सरकार

    क कायकार शाखाओं क ग त व धयाँ।''

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    लूथर गु लक ' 'लोक शासन, शासन के व ान का वह ह सा है िजसका सरोकार सरकार और इस तरह कायकार शाखा से होता है, जहा ँसरकार के काम होत ेह, हालां क य त: व धक और या यक शाखाओं के साथ इसके स ब ध म सम याएँ ह।''

    ई एन. लडैन, “लोक शासन का सरोकार सरकार के शासन से है।'' एच. वाकर '' कसी काननू को भावी बनाने के लए सरकार जो भी काम करती है, उसे

    लोक शासन कहत ेहै।'' फफनर “लोक शासन का अथ है सरकार काम करना चाहे वह कसी वा य

    योगशाला म एक ए स-रे मशीन चलाना हो या एक टकसाल म स के ढालना। इस कार नधा रत ल य को ा त करने के लए तालमेल के साथ काम करके सरकार के काम को अंजाम देना है।''

    वलोबी “राजनी त व ान म शासन श द का दो अथ म योग कया जा सकता है। अपने यापकतम अथ म इसका ता पय सरकार मामल के नधारण म शा मल काय से होता है, चाहे वह सरकार क कोई भी शाखा हो। अपने संक णतम ्अथ म, इसका ता पय केवल शास नक शाखा के काय से होता है। लोक शासन के व या थय के प म हमारा सरोकार इस

    श द के संक णतम अथ से ह है।'' डी वा डो “ ब धन क कला और व ान के रा य के मामल म िजस प म लाग ू

    कया जाता है उसे लोक शासन कहत ेह।“ एम ई डमॉक “ शासन सरकार के ' या' और 'कैसे' से जुड़ा होता है। ' या' वषय व त ु

    और उस े क तकनीक जानकार देता है जो शासक को उसक िज मेदा रया ँ नभाने म स म बनाता है। 'कैसे' ब धन क तकनीक और उन स ा त को कहत े ह िजनके अनसुार सहकार काय म को सफल बनाया जाता है। दोन ह अप रहाय है साथ मलकर वे उस संगठन क रचना करत ेह िजसे शासन कहा जाता है।

    ''जॉन ए वीग “ शासन से ता पय उस संगठन, कमचार -वग, यवहार और उन याओं से होता है

    जो सरकार क कायकार शाखा को स पे गए नाग रक काय को भावी ढंग से परूा करने के लए अ नवाय होते।“

    कॉसन और है रस, “लोक शासन सरकार का वह यावहा रक ह सा है िजससे सरकार के उ े य और ल य को काय प दया जाता है।''

    मसन, “ शासन काय को परूा कराता है िजस तरह राजनी त का व ान उन सव े ठ उपाय क एक परख ह िजससे जनता क इ छा को नी त- नधारण के लए संग ठत कया जाता है, ठ क उसी तरह लोक शासन का व ान इस बात क जाँच है क राजनी त को काय प देने का सव े ठ तर का या है?''

    पी. मैक वीन, “लोक शासन के य और थानीय सरकार के काय से संबं धत शासन है।''

    एफ.ए. न ो, ' 'लोक शासन (i) कसी सावज नक प रवेश म एक सहकार यास है, (ii) सभी तीन शाखाओं कायकार , व धक, या यक और उनके अ तस ब ध को शा मल करता है (iii) लोक नी त के नधारण म अहम भू मका नभाता है और इस तरह राजनी तक या का

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    एक ह सा है, (iv) वयैि तक शासन से मह वपणू प से अलग है और (v) समदुाय को सेवाएँ दान करने के लए तमाम नजी समूह और यि तय से नजद क से जुड़ा होता है।''

    उपरो त प रभाषाओं का व लेषण बताता है क 'लोक शासन' श द दो अथ म योग कया जाता है- व ततृ अथ और संक ण अथ। व ततृ अथ ( यापक अथ) म ' लोक शासन' म सरकार क तीन शाखाओं वधा यका, कायपा लका और यायपा लका क ग त व धया ँशा मल होती है। इस ि टकोण को वडुरो व सन, एल.डी. हाइट, माशल डमॉक, एफ.ए. न ो और फफनर ने अपनाया है। इसके वप रत संक ण अथ म 'लोक शासन' म सरकार क केवल कायकार शाखा क ग त व धया ँह शा मल होती ह। इस ि टकोण को साइमन, गु लक, ऑडवे ट ड, फेयोल और वलोबी ने अपनाया है।

    1.4 लोक शासन क कृ त लोक शासन क कृ त एव ं व प के स ब ध म व वान म मतभेद ह। यह मु य

    प से इस न पर आधा रत है क लोक शासन कला है या व ान है, अथवा दोन है। कुछ लोग ने इसे केवल कला माना है, कुछ इसे कला और व ान दोन मानत े ह, क त ुअ य व वान के मतानसुार यह व ान नह ंहो सकता है। इस ववाद को समझने के लए पहले कला और व ान का अथ जान लेना आव यक है।

    कला का अथ - कला का सामा य अथ कसी काय के बारे म आव यक ान ा त करके उसे कुशलतापवूक करना है। इसम ान प क उतनी मह ता और धानता नह ं है, िजतनी या प क अथवा उसे करने क कुशलता क है। कला का अि त व इसी वचार म न हत है क वह जीवन के कतना नकट है अथवा जीवन के लए कतना अ धक उपयोगी है। कला ने हमेशा जीवन के उ चतर आदश को अनु े रत कया है। लैडन ने लखा है, “कला म ान क आव यकता होती है, क त ुयह स ा त क अपे ा अ यास पर वशेष बल देती है,

    अत: कलाकार के लए उस शा का व वान होने क अपे ा उस काय को करने म कुशल होना चा हए।'' ह रवशंराय ब चन के श द म, “व तुत: आज हम कला का योग िजस अथ म करत ेह, वह कसी भी काम को सफाई से, सल के से, अ छे ढंग से, भावकार व ध से स पा दत करना ह है। बात तो सभी करत ेह, पर कसी- कसी के बात करने के ढंग को देखकर हम कहत ेह क उसे बात करने क कला आती है। हमारा आशय होता है क उसके बात करने के ढंग म कुछ ऐसी चीज होती है जो मन को अ छ लगती है, छूती है या उसे भा वत करती है।'' इसी कार जब कोई कलाकार साधारण सी या को अपने अ यास और तभा के पश से ऐसा

    मोहक बना दे क दल क कल खल उठे तो उसे कला कहा जाएगा। अ त,ु कला म उपलि धय से अ धक मताओं पर वशेष बल दया जाता है इस लए कला म मानव क यो यताओं को वशेष थान ा त है। या लोक शासन कला है?

    लोक शासन को अनेक व वान ने कला माना है। टश वचारक इसी मत के समथक ह। लडैन के अनसुार, “ शासन एक ऐसी व श ट या है िजसम वशेष ान और तकनीक क आव यकता होती है।'' हाइट के श द म, “ कसी योजन अथवा ल य क ाि त के लए अनेक यि तय को नदश देना, उनके काय का सम वय और नय ण करना शासन क

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    कला है।'' इसम इंजी नयर , काननू, च क सा, अ यापन आ द येक पेशे क वीणता अपे त है।

    लोक शासन को कला मानने का मुख कारण इसम अ यास क आव यकता है। िजस कार संगीत नृ य, खेल आ द कलाओं म वीणता ा त करने के लए एक वशेष श ण और नर तर अ यास क आव यकता होती है, उसी कार कुशल शासक बनने और उसक द ता पाने के लए समु चत श ण एव ंद घकाल न अ यास क ज रत होती ह। इसी लए वतमान समय म कुशल शासक तैयार करने के लए सभी सरकार शासक के श ण के लए वशेष यव था करती ह। वतीय, शासन के कला होने के स ा त को ाचीन समय से वीकार कया जाता रहा है। सुकरात और लेटो ने इसका समथन कया था। सुकरात शासन को कला मानत े हु ए उसके लए एक वशेष कार का श ण आव यक मानता था। लेटो ने अपने दाश नक शासक को शासन क कला सखाने के लए 35 वष क आय ुतक वशेष श ण क यव था क है। इससे प ट है क लोक शासन एक वशेष कार क कला है।

    व ान या है? - वतमान यगु वै ा नक यगु है िजसम व ान क धानता है। राजनी त शा , इ तहास आ द क भाँ त शासन को भी भौ तक , रसायन, ग णत आ द क भाँ त व ान मानने का स ा त तपा दत कया गया है। इस ेणी म अ धकांश वचारक अमे रका के ह। वहा ँ ब धशा के वै ा नक अ ययन के साथ-साथ शासन को भी व ान बनाया गया है तथा शासन के नयम क खोज करके इसे वै ा नक आधार पर ति ठत करने का यास कया गया है। इसे समझने के लए पहले व ान के अथ को जानना आव यक है।

    व ान का अथ व श ट, यवि थत अथवा मब ान है। गानर ने व ान क प रभाषा करत े हु ए कहा है क '' व ान से हमारा ता पय कसी वशेष वषय के उस एक कृत ान भ डार से है, िजसे व धवत ् नर ण, अनभुव अथवा अ ययन के वारा ा त कया गया

    हो तथा िजसके त य को समि वत करके उनका मब वग करण कर दया गया हो।'' वेनबग तथा शेबत के अनसुार, '' व ान संसार क ओर देखने क एक नि चत प त है। '' हाइट के अनसुार,'' व ान म वै ानीकरण क भावना है।'' इस कार के मब ान को व ान कहत ेह। इस कार यह प ट है क व ान क मुख वशेषताएँ ह -उसक नर ण और पर ण क प त, इनके आधार पर नकाले जाने वाले सु नि चत और सावभौम नयम, इन नयम क अप रवतनशीलता और सावभौ मकता, इन नयम के आधार पर भ व यवाणी कर सकने क मता, वषय का वग करण और यवि थत ान। इन वषय के होने पर ह कसी वषय को व ान कहा जा सकता है। या लोक शासन व ान है?

    लोक शासन को व ान मानने के संब ध म तीन प ह। थम प फाइनर, मो रस कोहन जैसे वचारक का है जो इसे व ान नह ंमानत ेह। दसूरा प वडुरो व सन, वलोबी, चा स बीयड जैसे व वान का है जो इसे पणू से तो नह ,ं क त ुआ शक प से व ान समझत ेह। तीसरा प इसे पणू प से व ान मानता थम मत यह है क य य प इस समय लोक शासन का जो वकास हुआ है, उसे देखते हु ए इसे व ान का नाम भले ह न दया जा सके, क त ुशी ह भ व य म यह एक व ान का प धारण कर लेगा। इस समय हम लोक शासन के कुछ ऐसे मौ लक नयम का पता लग चुका है, िजनके आधार पर अ धक अ ययन,

  • (11)

    अनसुंधान, नर ण और ा त साम ी का व लेषण लोक शासन को भ व य म अ य सामािजक व ान क भाँ त व ान का प दान करेगा। उ वक ने शासन के वा त वक व ान बनने क संभावना को वीकार कया है। इसी कार अमर का म वै ा नक ब ध आ दोलन के ज मदाता टेलर ने भी यह व वास कट कया है क नवीन ब ध-प त का थम काय शासन के व ान का वकास करना है। इस कार शासन व ान बनने क मता रखता है।

    दसूरे मत के अनसुार लोक शासन इस अथ म व ान है क इसम व ान क वशेषताएँ आ शक प से पायी जाती ह। अ य व ान क भाँ त इसका एक े नि चत हो चुका है, वै ा नक अ वेषण क प तय का अनसुरण करत े हु ए बहु त बड़ी मा ा म आव यक साम ी का संकलन कया जा चुका है, अत: इसे व ान कहा जाना चा हए। इस मत के संब ध म मरसोन ने लखा है क व ान अ वेषण और पयवे ण क ऐसी प त है िजसम त य का संकलन, वग करण और सम वय कया जाता है। भौ तक व ान क साम ी को नापा जा सकता है और इनम ऐसे त य मलत ेह, िज ह पथृक करके परखा जा सकता है और िजनम एक पता पायी जाती है। ाय: यह आपि त क जाती है क ऐसी प रि थ तया ँलोक शासन के व ान म नह ं ह, क त ु वै ा नक ह सले ने बताया है क सामािजक व ान एव ं तथाक थत वशु व ान का अ तर व ान के कसी मौ लक भेद पर आधा रत नह ंहै, बि क उनक साम ी पर आधा रत है । लोक शासन म पयवे ण करना क ठन है, फर भी पछले 50 वष म पयवे ण और अनभुव से ऐसे नि चत त य क साम ी मल चुक है िजनके आधार पर वै ा नक अपना काय कर सकत ेह और कुछ सामा य नयम बना सकत ेह।

    तीसरा मत - उन व वान का है जो लोक शासन को व ान मानत ेह। इस प म थम तक यह तुत कया जाता है क लोक शासन एक सु यवि थत ान है। पछले 50 वष

    म व भ न व वान ने लोक शासन के व भ न अंग से स ब ान को मब एवं सु यवि थत कया है। चा स बीयड के श द म, “लोक शासन ने ऐसे नयम और स ा त का समूह वक सत कर लया है, िजसके बारे म अनभुव ने इस बात को भल - भाँ त मा णत कया है क इन नयम को ठोस यावहा रक प दया जा सकता है और इनके आधार पर काफ हद तक भ व यवाणी क जा सकती है।''

    व ान होने के प म वतीय तक यह तुत कया जाता है क व ान के अ ययन म अनसुंधान, पयवे ण, पर ण, लोक शासन के अ ययन म अपनायी जाती है। त य का सं ह, संकलन तथा व लेषण करके उनम पार प रक स बधं और सम वय था पत करत े हु ए कुछ प रणाम, नयम और स ा त नकाले जात ेह। लोक शासन के अ ययन का आधार ऐसी अ ययन- व धया ँ ह िजनका आधार वै ा नक मा यताएँ ह। इसम नगमना मक और आगमना मक अ ययन-प त का योग कया जाता है। इसके साथ-साथ लोक शासन म वधैा नक, तुलना मक, पयवे णा मक तथा सम या मक अ ययन-प त के वारा अ ययन कया जाता है। इस आधार पर इसे वाभा वक प से व ान क ेणी म रखा जा सकता है। चा स वथ के श द म, ''लोक शासन इस लए व ान है य क इसम नगमना मक व लेषण है, यवि थत संगठन है, नयोिजत नयोजन है तथा इसके न कष म एक नि चत प त का योग कया जाता है।''

  • (12)

    तीसरा तक - लोक शासन म नि चत स ा त का पाया जाना है। आज लोक शासन म कुछ स ा त का वकास हुआ है जो शा वत तथा नि चत ह, जैसे-आदेश क एकता, पदसोपान, नय ण का े , आ त रक नर ण क यव था आ द। ो. साइमन ने अनेक शासक य नयम और स ा त का उ लेख कया है िजनके आधार पर प रणाम क पवू-क पना

    सरलता से क जा सकती है, क त ुइसम कोई संदेह नह ंहै क ये स ा त भौ तक व ान के नयम जैसे सु नि चत, ि थर, अटल, सावभौम और एक प नह ं ह और इस लए इसम भौ तकशा जैसी भ व यवा णया ँनह ंक जा सकती ह। इस स ब ध म यह मरणीय है क भौ तक व ान के स ा त म भी प रवतन होते रहत ेह। उदाहरणाथ, यटून वारा तपा दत गु वाकषण के स ा त म आइ सट न के सापे ता के स ा त के आधार पर संशोधन कया है। इसी कार व ान के नयम मे संशोधन और प रवतन होते रहत ेह। अत: दोन म अ तर केवल मा ा का है। भौ तक व ान म तुलना मक ि ट से ऐसे प रवतन कम होत ेह। अत: वै ा नक प तय तथा व धय का अनसुरण करने के कारण लोक शासन को व ान क ेणी म रखा जा सकता है।

    उपयु त वणन से प ट है क लोक शासन ने भले ह ऐसे वै ा नक स ा त का वकास कर लया है िजनके आधार पर इसे व ान क ेणी म रखा जा सकता है, फर भी स य यह है क लोक शासन भौ तक व ान क तरह वा त वक व ान नह ंहै। यह केवल सामािजक शा क तरह एक व ान है। यह न केवल त य का ववेचन करने वाला है, सकारा मक है, अ पत ुआदशमलूक व ान है।

    1.5 लोक शासन का े “लोक शासन का े तथा पहचान एक शै क अ ययन शा एव ं याशील सरकार

    दोन ह प म, सदैव से सतत ्स वाद एव ववाद के वषय रहे ह।'' वा डो ने एफ.एम. मा स क आशंकाओं के वषय म कहा है क लोक शासन इतना यापक हो गया है और सीमा त सम याओं म अपने को इतना उलझा चुका है क “एक अ ययन के मा य के के प म इसके पणूत: वलु त हो जाने का संकट आ खड़ा हुआ है।''

    प रवतन के इस यगु म लोक शासन जैसे ग तशील वषय का े नि चत करना बहु त क ठन है। लोक शासन के अ ययन- े के बारे म वचारक म बड़ा मतभेद है। मूलत: मतभेद इन न को लेकर है क या लोक शासन शासक य कामकाज का केवल ब धकार अंश है अथवा सरकार के सम त अंग का सम अ ययन? या लोक शासन सरकार नी तय का

    या वयन है अथवा यह नी त- नधारण म भी भावी भू मका अदा करता है? लोक शासन के े के स ब ध म मोटे तौर पर चार ि टकोण च लत है - (1) यापक ि टकोण (2) संकु चत ि टकोण (3) पो डकोब ि टकोण तथा (4) लोकक याणकार ि टकोण (1) यापक ि टकोण - इस ि टकोण के वचारक यह मानत ेह क लोक शासन के े

    के अ तगत सरकार के तीन अंग - यव था पका, कायपा लका तथा यायपा लका वारा

  • (13)

    स पा दत काय का अ ययन कया जाता है। इसके अनसुार लोक शासन के े म वे सभी याकलाप आत ेह िजनका योजन लोक-नी त को परूा करना या उसे लाग ूकरना होता है। इस ि टकोण के अनसुार डाक-तार वभाग म प को छाँटने और बाँटने के काम से लेकर वभाग क नी त और ब ध के उ चतम सभी काय शासन म आ जाते ह। वलोबी, मा स, हाइट इस वचार के समथक ह।

    (2) संकु चत ि टकोण - संकु चत ि टकोण को मानने वाले वचारक के अनसुार लोक शासन का स ब ध शासन क केवल कायपा लका शाखा से ह। इस ि टकोण के

    समथक शासन म संगठन के सभी काय को सि म लत नह ंकरत े ह, केवल उ ह ंकाय को सि म लत करत े ह िजनका स ब ध ब ध क व धय , तकनीक तथा प तय से होता है, और जो सभी संगठन म सामा य प से पाये जात ेहै। साइमन ने कहा है क लोक शासन से अ भ ाय उन याओं से है जो के , रा य तथा थानीय सरकार क कायपा लका शाखा वारा स पा दत क जाती ह। इस ि टकोण म न न ल खत का अ ययन होता है - (i) कायरत कायपा लका का अ ययन, (ii) सामा य शासन का अ ययन, (iii) संगठन स ब धी सम याओं का अ ययन, (iv) सेवीवग क सम याओं का अ ययन, (v) साम ी दाय स ब धी सम याओं का अ ययन, (vi) व त स ब धी सम याओं का अ ययन तथा (vii) शासक य उ तरदा य व का अ ययन।

    (3) पो डकोब ि टकोण - या लोक शासन का स ब ध मा सरकार क 'कैसे' से ह है? 'कैसे' का अथ है या या याएँ। लोक शासन ' शासन' क याओं का अ ययन कहा जाता है। लथूर गु लक से पहले उ वक, हेनर फेयोल इ या द व वान ने भी 'पो डकोब' ि टकोण अपनाया था, पर त ुइन वचार को सु यवि थत ढंग से तुत करने का ेय गु लक को ह जाता है। 'पो डकोब' श द अं ेजी के सात श द के थम अ र को मलाकर बनाया गया है। वे श द इस कार है: -

    P – Planning = योजना बनाना O – Organizing = संगठन बनाना S – Staffing = कमचा रय क यव था करना D – Directing = नदशन करना CO – Co-ordination = सम वय करना R- Reporting = तवेदन करना B- Budgeting = बजट तैयार करना

    उ त श द से न न याओं का बोध होता है - पी - योजना बनाना : ला नगं अथात ् नयोजन/ काय क परेखा तैयार करना और नि चत येय क ाि त के लए र तय का नधारण करना।

    ओ - संगठन बनाना : इसका उ े य शासक य ढांचे को इस कार संग ठत करना है ता क शासक य काय का वभाजन उ चत ढंग से कया जा सके और वभाग म सम वय कया जा

    सके।

  • (14)

    एस - कमचा रय क यव था करना : टॉफ अथात ् स पणू कमचार वग क नयिु त, श ण और उनके लए काय करने क अनकूुल दशाओं का नमाण करना।

    डी - नदशन करना : इसके अ तगत वे नणय आते ह जो नणायक वारा कमचा रय के काय के स ब ध म लये जात ेह। ये नणय सामा य आदेश के प म सि न हत करके शासक य कमचा रय तक पहु ँचाये जात ेह। को - सम वय करना : काय के व भ न भाग को पर पर स बि धत करना अथवा उनम सम वय था पत करना। आर - तवेदन करना : इसका उ े य व र ठ तथा न न कमचा रय के काय के स ब ध म नर ण अ धका रय को सू चत रखना है। इसका उ े य नर ण के लए अ भलेख तैयार करना भी है। बी - बजट तैयार करना : इसके अ तगत हम व त यव था का सं त अ ययन करत ेह। इस कार लोक शासन म 'पो डकोब' वचार को सामा यतया वीकार कया जाता है। पो डकोब वचार क आलोचना - पो डकोब क उपयु त याएँ लोक शासन के सभी संगठन म पायी जाती ह । शासन के कसी भी े म ये शास नक याएँ समान प से काम म आती है। पो डकोब को लोक शासन क मह वाकां ाओं का एक भाग मानना चा हए, पणू लोक शासन नह ं। यह ि टकोण संकु चत है तथा शासन के लए कुछ मह वपणू आव यक बात

    क उपे ा करता ह। पो डकोब ि टकोण क आलोचना दो आधार पर क जाती है। थम आधार पर ले वस मे रयम क आलोचना है। उनके अनसुार, ' 'यह स ा त अ य त वे छाचार , का प नक एव ंसंकु चत है िजसम शासन के वा त वक त व को कोई थान नह ं दया गया है। इस सू म पा य- वषय के ान के त व को गौण माना गया है। ''अ धक प ट करत ेहु ए उ ह ने लखा है, “कची के दो फलक के समान लोक शासन दो फलक वाला औजार है। उस औजार का एक फलक है पो डकोब के अ तगत आने वाले े का ान िजसम ये तकनीक लाग ूक जाती ह। उस औजार को भावी बनाने के लए यह आव यक है क उसके दोन ह फलक ठ क ह ।'' गु लक का यह वचार वय ंको तकनीक तक सी मत कर और वषय- ान क उपे ा कर अपने को अधरूा बना देता है। कसी भी अ भकरण के भावपणू शासन के लए वषय-व त ुका ान ा त करना आव यक है।

    पो डकोब वचार पर दसूरा आ ेप यह है क इसम मानवीय त व क उपे ा क गई है। लोक शासन के अ तगत कायरत यि तय क मनोदशाओं, आदत , च र , वा य, उनके पार प रक स ब ध तथा मह वाकां ाओं आ द का भी भाव संगठन पर पड़ता है, जब क इस वचारधारा म मानवीय स ब ध को कोई थान नह ं दया गया है। हॉथोन योग के वारा यह स कया गया है क मानवीय स ब ध और उ पादनकताओं के काय करने क ि थ तय पर भी उ पादन नभर करता है। अत: लोक शासन के स ब ध म वह वचार अ धक उपयु त माना जाएगा िजसम शास नक स ा त यावहा रक शासन और मानवीय स ब ध, तीन को उ चत अनपुात म सि म लत कया गया हो।

  • (15)

    (4) लोकक याणकार ि टकोण - लोक शासन के े से स बि धत एक अ य ि टकोण लोकक याणकार ि टकोण है। इसे आदशवाद ि टकोण भी कहा जाता है। इस ि टकोण के समथक रा य और लोक शासन म अ धक अ तर नह ंमानत।े उनके मतानसुार वतमान समय म रा य लोकक याणकार है अत: लोक शासन भी लोकक याणकार है। दोन का ल य एक ह है-जन हत अथवा जनता को हर कार से सुखी बनाना।'' शासन का मतलब जनता क सेवा करना है और इस बु नयाद आव यकता से अ धक मह व और कसी बात को नह ं मलने देना चा हए।'' इस ि टकोण के समथक कहत ेह क आज लोक शासन स य जीवन का र क मा ह नह ,ं वह सामािजक याय तथा सामािजक प रवतन का भी महान साधन है।'' इससे प ट होता है क लोक शासन का े जनता के हत म कये जाने वाले सभी काय तक फैला हुआ है। एल.डी. हाइट लोक शासन को अ छ िज दगी' के ल य क ाि त का साधन मानत ेह।

    संयु त व व व यालय अ ययन और लोक शासन प रष का ववरण - ‘संयु त व व व यालय अ ययन और लोक शासन प रष क लोक शासन स म त'

    ने लोक शासन के अ ययन- े का वणन इस कार कया है - (1) लोक शासन म लोकत ा मक शासन यव था के भीतर शास नक या का अ ययन होता

    है। (2) इसम शासन के ऊपर व वध कार के नय ण का अ ययन होता है। (3) लोक सेवा, थानीय शासन सेवा तथा ऐसी ह अ य कमचा रय से संबं धत का मक सम याओं

    का अ ययन होता है। (4) नयोजन, अनसुधंान, सूचना तथा सावज नक स पक एव ं शासक य व ववेक के योग से

    स बि धत सम याओं का अ ययन होता है। आज आमतौर पर यह वीकार कया जाता है क लोक शासन अ य सामािजक व ान क ह भाँ त एक पणू वषय है, इसके अ तगत अ ययन के पाँच मुख वशेष े ह -

    (1) शास नक अथवा संगठना मक स ा त का अ ययन (2) सावज नक का मक शासन का अ ययन (3) सावज नक व तीय शासन का अ ययन (4) तुलना मक लोक शासन का अ ययन (5) सावज नक नी त का अ ययन

    हेनर फेयोल ने लोक शासन के े म न न ल खत त व को सि म लत कया है -तकनीक यावसा यक, व तीय, सुर ा, लेखा और शासक य। क त ुयह वणन भी स पणू नह ं तीत होता है।

    उपयु त अ ययन से यह प ट होता है क जैसे-जैसे रा य के काय े बढ़त ेजात ेह, वसेै-वसेै लोक शासन का े भी बढ़ता जाता है। जन- हत म कया गया येक काय लोक-शासन का े है। सं ेप म लोक शासन के अ ययन- े म न न ल खत वषय आते ह-

    सामा य शासन, संगठन, सेवीवग, बजट तथा व त, प त तथा या, साधन-साम ी और पू त, शासक य उ तरदा य व, मानवीय त व, उ े य नी त, नयोजन, नणय, सम वय,

  • (16)

    पयवे ण, नय ण, गहृ-नी त, वदेै शक नी त, सामािजक सुर ा, क याणकार योजनाएँ एव उनका या वयन आ द। फर भी लोक शासन जैसे ग तशील एव वकासशील वषय को कसी सीमा म बाँधा नह ंजा सकता है। आज इसके यापक ि टकोण को अपनाना समय क माँग है।

    1.6 लोक शासन क ि थ त लोक शासन क ि थ त को समझने के लए इसक अब तक वकास या ा पर यान

    देना होगा। यह न सफ एक याकलाप बि क एक बौ क वषय भी है। एक याकलाप के संदभ म यह सामािजक जीवन के ारि भक काल से ह अि त व म है, जब क अ ययन के वषय के प म इसका आर भ 18 वीं सद के अि तम चरण म हुआ है, इस समय अले जे डर है म टन ने लोक शासन के अ भ ाय और े क सु प ट या या क ।I

    सामािजक व ान म लोक शासन अभी नया ह है। इसने अभी तक अपने लगभग 120 वष ह परेू कये ह। एक यवुा सामािजक व ान होने के बावजूद इसम उतार-चढ़ाव आये ह। इसम उथल-पथुल रह है। इसके इ तहास को हम पाँच चरण म बाँट सकत ेहै, जो इस कार है -

    थम चरण - 1887 - 1926 वतीय चरण - 1927 - 1937

    ततृीय चरण - 1938 - 1947 चतथु चरण - 1948 – 1970 पचंम चरण - 1971 से वतमान थम चरण – 1887 - 1926

    थम चरण – 1887-1926 एक वषय के प म लोक शासन का ज म संयु त रा य अमे रका म हुआ तथा

    इसक ज म त थ 1887 है। इस शा का जनक वडुरो व सन को माना जाता था, सन ्1887 म उनके लेखे ' शासन का अ ययन' म उ ह ने राजनी त और शासन को अलग- अलग बताया तथा कहा, '' एक सं वधान क रचना सरल है पर इसको चलाना बड़ा क ठन है।'' उ ह ने इसे ' चलाने' के े के अ ययन पर बल दया। आज व सन क या त दो कारण से है। एक तो वे लोक शासन शा के जनक माने जात े है, दसूरे वे राजनी त और शासन के पथृ करण म व वास रखत ेह।

    व सन के अ त र त फक गडुनाउ ने सन ् 1900 म अपनी पु तक 'राजनी त तथा शासन' लखी। इसम उ ह ने तक दया क राजनी त रा य-इ छा को तपा दत करती है जब क शासन इस इ छा या नी तय के या वयन से स बि धत है।

    सन ्1926 म लोक शासन क थम पा यपु तक का शत हु ई, यह थी एल.डी. हाइट क 'लोक शासन के अ ययन क भू मका'। यह पु तक राजनी त और शासन के पथृ करण म आ था रखती है। वतीय चरण - 1927 - 1937

    यह चरण लोक शासन म स ा त का वण यगु रहा है। इस चरण म लोक शासन के व या थय का काम कुछ ' स ा त ' का पता लगाना और इनके या वयन को ो साहन करना है। इस चरण क थम पु तक थी ड य.ू एफ. वलोबी क 'लोक शासन के स ा त'।

  • (17)

    इसके बाद अनेक व वान ने पु तक लखी िजनम मुख नाम ह-मेर पाकर फॉलेट, हेनर फेयोल, ले, रैले आ द। 1937 म लूथर गु लक तथा उ वक ने मलकर एक थ स पा दत कया िजसका नाम है ' शासन व ान पर लेख'।

    इन व वान का दावा था क शासन म स ा त होने के कारण यह एक व ान ह य क शासन एक व ान है, इसके आगे ' लोक' श द लगाना यथ है। स ा त तो सभी जगह

    कायाि वत होत ेह, चाहे वह े 'लोक' हो या ' नजी' हो। गु लक और उ वक ने इन स ा त को पो डकोब (POSDCoRB) म लपेटा, िजसका येक अ र एक काय को बताता है। ततृीय चरण - 1938 - 1947

    शासन म स ा त को शी ह चुनौती मलने लगी और सन ् 1938 से 1947 का चरण लोक शासन के े म वसंकार रहा। सन ्1938 म बनाड क ' कायपा लका के काय ' का शत हु ई िजसम कसी स ा त का वणन नह ं कया। 1947 म साइमन ने एक लेख का शत कया िजसम उ ह ने तथाक थत स ा त का उपहास कया और उनको कंवदि तय क

    सं ा द । एक साल बाद ह उ ह ने अपनी पु तक ' शासक य यवहार' लखी िजसम उ ह ने यह भल -भां त स कया क शासन म स ा त नाम क कोई चीज नह ंहै। 1947 म रॉबट डाहल ने अपनी एक लेख म यह स कया क लोक शासन व ान नह ंहै। उ ह ने यह भी बताया क लोक शासन को स ा त क खोज म तीन बाधाओं का सामना करना पड़ता है। थम बाधा-व ान मू य शू य होता है जब क शासन म मू य का बाहु य ह। वतीय बाधा-मनु य के यि त व अलग- अलग होते ह, िजससे शासन के काय म भ नता आ जाती है। लोक शासन के व ान होने के माग म तीसर बाधा है सामािजक ढाँचा, िजसके अ तगत लोक शासन काय करता है।

    इस कार हम देखत ेह क लोक शासन का तीसरा चरण चुनौ तय तथा आलोचनाओं से भरा हुआ रहा। चतथु चरण - 1948 - 1970

    लोक शासन म यह चरण सकट का काल रहा है। इसक जो भी उपलि धया ँथी वे नाकाम स कर द गई। स ा तवाद ' वचारधारा साइमन क आलोचना के फल व प अ व वसनीय तीत होने लगी। इसके व ान होने का दावा भी चुनौ तय व आलोचनाओं का सामना कर रहा था। लोक शासन का या व प है- यह अब संदेह का वषय बन गया और इसी पर वाद- ववाद होने लगा। इसे ' व प क संकटाव था' कहा गया है।

    इस चरण म लोक शासन ने दो रा त े अपनाये। कुछ व वान राजनी तशा के अ तगत आ गये। आ खर, लोक शासन राजनी त से नकला है और उसका अंग भी है। ले कन उ ह राजनी त वै ा नक वारा समथन नह ं मला।

    कुछ अ य व वान शास नक व ान क ओर बढ़े। उ ह ने एक वक प क खोज क , यह वक प था शास नक व ान। लोक शासन, यापार ब ध आ द शा मलकर शास नक व ान क नींव डाल रहे थे। इसका वचार था क शासन तो शासन ह है, चाहे मल म हो या सरकार द तर म। 1956 म 'एड म न े टव साइ स वाटरल ' नामक प का का काशन हुआ। इस वक प म भी लोक शासन को अपने नजी व प को यागना पड़ा। बहुत को यह अखरता था।

  • (18)

    पचंम चरण - 1971 से वतमान चतथु चरण ने लोक शासन को हला दया था। यह एक वरदान ह स हुआ।

    चुनौ तय से मनु य महान होता है, शा भी ऊँचे उठत ेह। यह लोक शासन म हुआ। इसक सवागीण उ न त हु ई। अनेक शा के व ान लोक शासन के े म आये तथा इसक सेवा करने लगे। अथशा , मनो व ान, समाजशा , ए ोपोलोजी आ द शा के व वान इस वषय म च लेने लगे। राजनी तशा के व याथ तो सदैव से ह इसम च लेते रहे ह। इन सबके य न के फल व प लोक शासन अ त वषयी' बन गया। समाजशा म य द कोई सबसे

    अ धक “अ त वषयी” है तो वह लोक शासन ह है। तुलना मक लोक शासन तथा वकास शासन का ादभुाव भी न भुलायी जाने वाल

    घटनाएँ ह। अभी तक लोक शासन म पि चमी देश का ह अ ययन होता रहा है। यह सं कृ तब तो है ह ।

    अत: यह आव यक है क लोक शासन म शोध-काय अ का तथा ए शया के देश म हो, जहा ँक सं कृ त दसूर व भ न है। लोक शासन एक सं कृ त के घेरे से नकलकर अ य सं कृ तय क ओर चला भी आया है। अत: यह वषय और भी अलंकृत हो रहा है।

    इस चरण म लोक शासन म लोक नी त के व लेषण पर जोर दया जा रहा है। 1968 के बाद लोक शासन के अ ययन को 'नवीन लोक शासन' के अ यदुय ने समृ कया है, िजसके लए न न ल खत घटनाएँ उ लेखनीय ह - (i) संयु त रा य अमर का म लोक सेवा के लए उ चतर श ा पर हनी तवेदन (1967), (ii) अमर का म आयोिजत लोक शासन के स ा त और यवहार पर फलाडेि फया स मेलन (1967), (iii) म नो कु स मेलन (1968), (iv) े क मेर नी वारा स पा दत थ ''टूवाडस ए य ूपि लक एड म न ेशन द म नो कु पसपेि टव” (1971) (v) वा डो वारा स पा दत थ ''पि लक एड म न ेशन इन द टाइम ऑफ टरबलेु स” (1971)।

    1960-70 के दशक म होने वाले सम त प रवतन का नवीन लोक शासन त न ध व करता है। इसके मुख अ ययन ब द ु ह-सामािजक समता, सहभा गता, वके करण, ासं गकता, मू य एव ंमानवता के त अगाध ेम।

    1980-90 के दशक म लोक शासन के पार प रक तमान क क मय के कारण नवीन लोक ब धक य ि टकोण का उदय हुआ। इस ब धक य ि टकोण को ब धवाद, नवीन लोक ब ध प र े य, बाजार उ मखुी लोक शासन आ द नाम से पकुारा जाने लगा। इस नवीन लोक ब ध प र े य का जोर तीन Es को ा त करना है – Efficiency Economy Effectiveness

    (द ता, मत य यता एव भावशीलता)। नवीन लोक ब ध, लोक चयन वचारधारा एव ब धवाद पर नभर है। इसका मुख जोर बाजार एव नजी े ब ध के मह व पर है। सन ्1991 म 'नवीन लोक ब ध' श द टोफर हु ड ने गढ़ा था और बाद म इस दशा म योगदान करने वाले व वान म गेरा ड केडन, पी. हैगेट, सी. पौ लट, आर. रो स, एल. टेर इ या द मुख ह।

    य द भारतीय एव अमर क व व व यालय के पा य म का तुलना मक सव ण कया जाए तो तीत होता है क अमेर क व व व यालय म इसके यावसा यक प पर अ धक जोर दया जाता है, जब क भारतीय व व व यालय म इसका प शै णक वषय का है।

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    अब लोक शासन एक पथृक और वाय त वषय के प म अवत रत हुआ है। उसे एक अनशुासन' के प म अ धकाशं समाज वै ा नक एव व वान वारा वीकार कया जाता है। अत: यह सम या उ प न होती है क उसके अ ययन का पा य म या हो? इस े म लोक शासन क व भ न देश म ि थ त यह है- टश व व व यालय म लोक शासन के

    पा य म म शासन, संवधैा नक इ तहास, आ थक व औ यो गक वकास, राजनी त, सांि यक , लोक व त आ द को सि म लत कया जाता है। अमर कन व व व यालय म इसके पा य म म संगठन, ब ध, का मक शासन, व तीय शासन, लेखा पर ण, सांि यक , लेखा व ध आ द वषय सि म लत कए जात ेह।

    वतमान म लोक शासन नजी े म तयोगी बनता जा रहा है। यह अपनी ि थ त म वतमान म उदार करण, नजीकरण, वै वीकरण के दौर म बाजार करण से तालमेल बठैाकर चलने को त पर है। यह पारदश , जवाबदेह , उ तरदायी, तयोगी बनता जा रहा है।

    1.7 अ य सामािजक व ान एव ब ध के साथ लोक शासन का स ब ध मनु य का जीवन सामािजक है और उसके इस सामािजक जीवन के व वध प ह -

    शास नक, राजनी तक, आ थक, नै तक, ऐ तहा सक, मनोवै ा नक आ द। सामािजक जीवन के इन व वध प का अ ययन व भ न समाज व ान वारा कया जाता है। राजनी त व ान मानव जीवन के राजनी तक प का अ ययन करता है तो लोक शासन सावज नक शासन प का। इसी कार अ य सामािजक व ान भी अपने- अपने े से स बि धत मानव के सामािजक प का अ ययन करत ेह, ले कन मानव जीवन एक पणू इकाई होने के कारण, जीवन के इन व वध प को एक-दसूरे से अलग करके इनका पणू अ ययन नह ं कया जा सकता है। वा तव म सभी समाज व ान एक ह वृ क व भ न शाखाओं क भाँ त ह िजनक जड़ एक ह है -मनु य का सामािजक जीवन/ समाज व ान इतने घलेु- मले है क नरपे प से कसी समाज व ान का अ ययन नह ं कया जा सकता। गानर के श द म, ''हम दसूरे सहायक व ान का यथाथ ान ा त कए बना लोक शासन एव रा य का पवू ान ठ क उसी कार ा त नह ंकर सकत,े िजस कार ग णत के बना य व ान और रसायनशा के बना जीव व ान का यथावत ् ान ा त नह ंहो सकता।''

    वतमान समय म लोक शासन के अ तगत 'अ तर- अनशुासना मक ि टकोण' पर बहु त अ धक बल दया जाता है और इसके प रणाम व प ान क िजन नवीन शाखाओं का उदय हुआ है, उनम कुछ मुख ह- व तीय शासन, आ थक शासन, शास नक काननू आ द। आज अ तरा य े म था पत 'समाज व ान शोध प रष ' सभी समाज व ान का एक ह इकाई के प म अ ययन कर रह है। इस कार अ ययन क इन नवीन विृ तय ने लोक शासन क अ य समाज व ान से घ न ठता को और बहु त अ धक बढ़ा दया है।

    लोक शासन क अ तर वषयी कृ त के बारे म ो. नरूजहां बीवी ने भी लखा है,

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    ''यह एक वशाल सामािजक व ान है अथात ् 'सामािजक व ान का व ान' जो क इ तहास, भूगोल, राजनी त व ान, काननू, समाजशा , अथशा , मनो व ान, मानवशा , अंकग णत, ब ध आ द को जोड़ता है।''

    इस कार लोक शासन का स ब ध अ य सामािजक व ान एव ं ब ध के साथ न न ल खत कार से है जो अ ल खत प म उ ले खत है -

    1.7.1 लोक शासन और राजनी तक व ान म स ब ध

    ाचीनकाल से ह राजनी त और शासन का चोल -दामन का घ न ठ संबधं रहा है य क राजनी त का स ब ध कसी देश के शासन से होता है तो शासन का या मक और यावहा रक प शासन म ि टगोचर होता है। व तुत: शासन राजनी त क छाया है और ये दोन आपस म गहरा स ब ध रखत ेह। फैरेल हैडी के श द म, “लोक शासन शास नक व ान का वह ह सा है िजसे राजनी त के त भ पर खड़ा हुआ पाते ह।'' आधु नक यगु म व सन ने राजनी त- शासन वभाजन पर सबसे शि तशाल व त य दया है।

    राजनी त और शासन म इतना नकट स ब ध ह क शासन के उ च तर पर इ ह अलग-अलग रखना स भव भी नह ंह शासन के उ च तर पर राजनी त और शासक एक-दसूरे से घलु- मल जात ेह। आम तौर पर यह कहा जाता है क लोक- शासन राजनी त क एक व श ट शाखा है, ठ क इसी कार कसी समय सीले तथा अ य व वान राजनी त को इ तहास क शाखा बताते थे।

    दोन के संबधं को लेकर दो ि टकोण ह, थम पर परागत ि टकोण या राजनी त- शासन ैतभाव तथा वतीय समकाल न ि टकोण

    राजनी त- शासन स ब ध : पर परागत ि टकोण अथवा

    राजनी त- शासन ैतभाव लोक शासन के अ ययन का ारि भक चरण राजनी त- शासन म ैतभाव का रहा है,

    िजसम दोन को पथृक और वत माना गया। वडुरो व सन ने अपने लेख ' टडी ऑफ एड म न ेशन' म लखा है, “ शासन राजनी त के वषय े के बाहर है। शास नक सम याएँ राजनी तक सम याएँ नह ंहोती। य य प राजनी त शासन के काय का व प नधा रत करती है, तथा प उसको यह अ धकार नह ं दया जाना चा हए क वह शास नक प के बारे म हेर-फेर कर सक।'' व सन का समथन करने वाल म मुख ह -एलबट ि टफन, क जे. गडुनाउ, ड य.ूएफ. वलोबी, जॉन एफ. फफनर तथा क तपय अंश म एल. डी. हाइट इ या द। सन ्1900 म एक अमर क व वान क जे, गडुनाउ ने 'पॉ ल ट स ए ड एड म न ेशन' नामक पु तक का शत क । इसम उसने यह तपा दत कया क राजनी त और शासन दोन के े ब कुल अलग और वत रखे जाने चा हए। वलोबी ने शासन को पथृक तर दान करके वधा यका, कायपा लका, यायपा लका के साथ इसको सरकार के चतथु अंग के प म खड़ा करने का यास कया। उ ह ने ' शासन' श द का योग केवल शास नक शाखा के काय तक सी मत रखा। लेपा क के श द म, “ वलोबी वारा शासन को सरकार क चतथु शाखा के प म

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    मा यता देना बहु त उ है क त ुयह राजनी त और शासन के बीच भेद, जो व सन ने शु कया था, का संभवत: सवा धक तकसंगत प रणाम है।''

    व तुत: पर परागत ि टकोण संक णतावाद है िजसम राजनी त का सं था नक थान वधानम डल , राजनी तक दल तथा दबाव समूह को माना जाता है, जब क शासन को सरकार के औपचा रक प से ग ठत कायपा लका शाखा म देखा जा सकता है। यवसाय क ि ट से राजनी त वह है जो राजनी त करत ेह और शासन वह है जो शासक करता है।

    फफनर ने राजनी त और शासक के बीच अ तर इस कार बताया है - राजनी त शासक

    (1) अ वशेष - चुनाव का आधार जन यता वशेष नयिु त का आधार व श ट ान (2) अतकनीक तकनीक (3) दलगत भावना से काम करत ेह दलगत भावना से परे रहत ेह (4) अ थायी थायी (5) जनता से अ धक स पक जनता से कम स पक (6) काननू बनवाने म अ धक साझेदार काननू को याि वत करने म अ धक

    योगदान (7) अ धकतर नी त नधारण का काम नी तय को कायाि वत करने का काम (8) अ धकतर नणय करत ेह अ धकतर परामश करत ेह (9) सम वय बनाये रखने का काम करत ेह वा त वक काय करत ेह (10) लोकमत से भा वत होते ह अ ययन एव ंअनसु धान वारा ा त

    तकनीक आकड़ से भा वत होत ेहै जनत ा मक शासन यव था म अि तम नणय करने का अ धकार म ी (राजनी त )

    को ह ा त है पर त ुउसका यह अ धकार शासक य या के नयम से अनशुा सत होता है। राजनी त और शासन म एक भेद यह भी है क राजनी त म राजनी त का मुख

    उ े य शि त को पाना और उसका उपयोग करना होता है, जब क शासक केवल ऐसी स ता और शि त का योग करता है जो उसे अपने पद के अनसुार काय करने के लए द जाती है।

    राजनी त का मुख काय नी तय का नमाण करना होता है जब क लोक शासन का मुख दा य व नी तय के या वयन से होता है। इस कार लोक शासन या मक शासन है।

    व सन ने राजनी त और शासन म जो भेद कया उसको आम तौर पर नी त और शासन के भेद के प म देखा जाने लगा।

    राजनी त शासन स ब ध : समकाल न ि टकोण वतीय व व यु क समाि त के समय से राजनी त और शासन का पर परागत

    ि टकोण अ यावहा रक माना जाता है। लथूर गु लक, ई.पी. ह रग, माशल ई. डमोक, काल जे. े ड रक, चा स मे रयम तथा हरबट साइमन जैसे व वान ने शासन को राजनी त के े से

    बाहर ले जाने क ता ककता का वरोध कया। 1940 के लगभग काल जे. े ड रक ने घोषणा क क राजनी त- शासन वभाजन एक गमुराह करने वाला भेद है। माि टन मा स ने अपनी पु तक 'ए लम स ऑफ पि लक एड म न ेशन' म यह स कया क राजनी त और शासन एक-दसूरे म अ त�