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#GrowWithGreen Grade X Hindi B (Mock Test)

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Page 1: Hindi B (Mock Test) Grade X...सभ ख ड क प रश क ल क ध अन वधय । यथध स भव सभ प रश कध उत त क रमध सध द कध

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Grade XHindi B(Mock Test)

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ह िंदी – ब निर्धारित प्रश्ि सिंख्यध – 16

निर्धारित अिंक – 80 निर्धारित समय – 3 घिंटे

इस प्रश्ि पत्र में चधि खिंड ैं – क, ख, ग, घ। सभी खिंडों के प्रश्िों को ल कििध अनिवधया ै। यथध सिंभव सभी प्रश्िों कध उत्ति क्रमधिुसधि देिे कध प्रयत्ि कीजिए।

खिंड – क प्रश्न – 1 नीच ेदिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुननए – कुछ ियख िर्षों की बयत है, जब मनुष्् जांगिी थय; बनमयनुर्ष जैसय। उसे नयखनू की जरूरत थी। उसकी जीिन रक्षय के लिए नयखून बहुत जरूरी थे। असि में िही उसके अस्त्र थे। ियाँत भी थे, पर नयखनू के बयि ही उसकय स्त्थयन थय। उन दिनों उसे जूझनय पड़तय थय, प्रनतदिांदवि्ों को पछयड़नय पड़तय थय, नयखनू उसके लिए आिश््क अांग थय। फिर िह अपने अांग से बयहर की िस्त्तुओां कय सहयरय िेने िगय। पत्थर के ढेिे और पेड़ की डयिें कयम में ियने िगय (रयमचन्द्रजी की ियनरी सेनय के पयस ऐसे ही अस्त्र थे)। उसने हड्डड्ों के भी हथथ्यर बनय्े। इन हड्डी के हथथ्यरों में सबसे मजबूत और सब से ऐनतहयलसक थय िेितयओां के रयजय कय िज्र, जो िधीथच मुनन की हड्डड्ों से बनय थय। मनुष्् और आगे बढ़य। उसने धयतु के हथथ्यर बनय्े। जजनके पयस िोहे के शस्त्र और अस्त्र थे, िे विज्ी हुए। िेितयओां के रयजय तक को मनुष््ों के रयजय से इसलिए सहय्तय िेनी पड़ती थी फक मनुष््ों के रयजय के पयस िोहे के अस्त्र थे। (क) अांग से बयहर की िस्त्तुओां कय सहयरय िेने कय क््य तयत्प्य है? नयखनू की आिश््कतय मनुष्् को क््ों पड़ी? (2) (ख) िेितयओां के रयजय से िेखक कय क््य अलभप्रय् है? िह ऐसय लिखकर क््य कहनय चयहतय है? (2) (ग) मनुष्् ने सियप्रथम फकस प्रकयर के हथथ्यरों कय ननमययण फक्य? (1) (घ) इांर कय िज्र फकससे बनय थय? िधीथच कौन थे? (2) (ङ) इसकय उथचत शीर्षयक सोचकर लिखखए। (1)

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प्रश्न – 2 नीच ेदिए गए कयव्यांश को ध््यनपूियक पदढ़ए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजजए – विजन-िन-िल्िरी पर सोती थी सुहयगभरी- स्त्नेह-स्त्िप्न-मग्न-अमि-कोमि-तनु तरुणी दृग बन्द्ि फक्े, लशथथि, परयांक में। जूही की किी, ियसन्द्ती ननशय थी; विरह-विधरु वप्र्य-सांग छोड़ फकसी िरू-िेश में थय पिन जजसे कहते हैं मि्यननि। (क) कवितय में वप्र्तम फकसे और क््ों कहय ग्य है? (1) (ख) तनु तरुणी फकसके विरह में व्यकुि थी? (1) (ग) तनु तरुणी फकसके लिए और क््ों प्र्ोग फक्य ग्य है? विजन-िन-िल्िरी कय क््य अलभप्रय् है? (2)

खिंड – ख

प्रश्न – 3 (क) शब्ि फकसे कहते हैं और पि फकसे कहते उियहरणों के मयध््म से स्त्पष्ट कीजजए ? (2) (ख) ननिेशयनुसयर ियक््ों को रचनय के आधयर पर ियक्् भेि में बिलिए – (3) (i) िह घर के कयम के अियिय बच्चों को पढ़यती भी है। (सां्ुक्त ियक््) (ii) सच बोिने ियिों को सभी प््यर करते हैं। (लमश्र ियक््) (iii) हम सब लमिे और फिर खेिने चिे गए। (सरि ियक््)

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प्रश्न – 4 (क) दिए गए शब्िों कय विग्रह करके समयस कय नयम बतयइए – (2) (i) घनश््यम, (ii) रेिगयड़ी (ख) दिए गए शब्िों कय समस्त्त पि बनयएाँ तथय फिर समयस कय नयम भी बतयइए – (2) (i) जन्द्म से िेकर, (ii) भूख से मरय हुआ

प्रश्न – 5 (क) नीच ेदिए गए ियक््ों को शुद्ध कीजजए – (4) (i) तुमको घर पर बुियए हैं। (ii) लशशु के कल््यण नहीां होगी। (iii) आप कब आ्य हो? (iv) मैं इसकय उत्तर आप लिखूाँगय। (ख) (i) ररक्त स्त्थयन की पूनत य सही मुहयिरे दियरय कीजजए – (1) एक ठग ियिय जी को ........................ उनके सयरे गहने िे भयगय। (ii) रयई कय पियत बनयनय मुहयिरे कय अथय बतयकर उस मुहयिरे कय ियक्् में प्र्ोग कीजजए। (1)

खिंड – ग

प्रश्न – 6 ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर िीजजए – (क) पयठ में बतय्य ग्य है फक िजीर अिी अांगे्रजों से नफ़रत करतय थय। पयठ के आधयर पर बतयइए इसके पीछे क््य कयरण हो सकते हैं? (2) (ख) शुद्ध आिशय की तुिनय सोने से और व्यिहयररकतय की तुिनय तयाँबे स ेक््ों की गई है? (2) (ग) अब कहयाँ िसूरे के िखु से िखुी होने ियिे पयठ कय प्रनतपयद् लिखखए। (1)

प्रश्न – 7 बड़ ेभयई सयहब' पयठ के आधयर पर छोटे भयई कय चररर-थचरण लिखखए। (5) अथिय 'टी-सेरेमनी' में फकतने आिलम्ों को प्रिेश दि्य जयतय थय और क््ों?।

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प्रश्न – 8 नीच ेदिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजजए – (क) कर चिे हम फििय गीत में कवि ने सयथथ्ों शब्ि कय प्र्ोग फक्य है। ्ह शब्ि फकसके लिए और क््ों प्र्ोग फक्य ग्य है? (2) (ख) आत्मरयण कवितय के आधयर पर उसके कवि की विशरे्षतय बतयइए? (2) (ग) 'कर चिे हम फफ़िय' कवितय में कवि ने 'सयथथ्ों' सांबोधन कय प्र्ोग फकसके लिए फक्य है? (1)

प्रश्न – 9 ननम्नलिखखत गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर िीजजए –

अमेररकय से हम प्रनतस्त्पधयय करने िगे। एक महीने में पूरय होने ियिय कयम एक दिन में ही पूरय करने की कोलशश करने िगे। िैसे भी दिमयग की रफ़्तयर हमेशय तेज ही रहती है। उसे 'स्त्पीड' कय इांजन िगयने पर िह हजयर गनुय अथधक रफ़्तयर से िौड़ने िगतय है। फिर एक क्षण ऐसय आतय है जब दिमयग कय तनयि बढ़ जयतय है और पूरय इांजन टूट जयतय है।...... ्ही कयरण है जजससे मयनलसक रोग ्हयाँ बढ़ रहे हैं। (क) मयनलसक रोग फकसकय पररणयम हैं? (1) (ख) क्षमतय से अथधक कय्य करने से क््य जस्त्थनत पैिय हो जयती है? (1) (ग) आपके अनुसयर क््य प्रनतस्त्पधयय करनय उथचत है? (1)

प्रश्न – 10 कां पनी बयग में रखी तोप क््य सीख िेती है? (5) अथिय 'आत्मरयण' कवितय हमें क््य सांिेश िेती है?

प्रश्न – 11 इफ़्फ़न के वपतय को िेखक ने पहिय दहांिसु्त्तयनी बच्चय क््ों कहय है? (5)

अथिय

मयस्त्टर प्रीतमचांि के लिए अनुशयसन बहुत महत्िपूणय थय। िह स्त्ि्ां अनुशयसन में रहते थे और बच्चों में अनुशयसन बनयए रखनय चयहते थे। उनके इस गुण के कयरण भी िह पूरी कहयनी में अपने लिए सहयनुभूनत नहीां बटोर पयए? इसके पीछे व्यप्त कयरणों में प्रकयश डयलिए।

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खिंड – घ

प्रश्न – 12 नीच ेकुछ सांकेत बबन्द्ि ुदिए गए हैं। इन्द्हें आधयर बनयकर 80-100 शब्िों में अनुच्छेि लिखखए – (5) (क) िहेजः एक सयमयजजक अपरयध • िहेज के पीछे नछपी िषु्प्रिजृत्त के कयरण • इसे हटयने के लिए उपय् (ख) लमरतय: जीिन कय एक आधयर • लमरतय के ियभ • लमर के कतयव् • बुरे लमरों की पहचयन (ग) बयढ़ एक रयसिी • बयढ़ के कयरण • बयढ़ से होने ियिी रयसिी

प्रश्न – 13 अपनी रेि-्यरय के िौरयन सयमयन चोरी हो जयने पर उसकी ररपोटय लिखियने हेतु पुलिस अथधकयरी को पर। (5)

अथिय

विद्यि् में दहन्द्िी पर-पबरकयओां के अभयि को िशययने हेतु प्रधयनयचय्य जी को पर लिखखए।

प्रश्न – 14 विद्यि् में पुस्त्तक मेिे के आ्ोजन में विद्यथथय् ों से सहय्तय मयांगने हेतु 20-25 शब्िों में सूचनय लिखें। (5)

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प्रश्न – 15 िो लमरों के मध्् खेिने को िेकर सांियि पचयस शब्िों में लिखखए। (5)

प्रश्न – 16 फकरयए पर एक मांजजिय आफिस िेने हेतु 20-50 शब्िों विज्ञयपन तै्यर कीजजए। (5)

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उत्ति पत्र खिंड – क

उत्तर – 1

(क) अांग से बयहर की िस्त्तुओां कय सहयरय िेने कय क््य तयत्प्य है फक पत्थर, ढेिे तथय पेड़ की डयि इत््यदि की सहय्तय िेनय। अपनी आत्मरक्षय के लिए मनुष्् को नयखनू की आिश््कतय पड़ी। पहिे उसने हथथ्यर कय इस्त्तेमयि नहीां फक्य थय। अतः नयखनू ही उसकी रक्षय कय सयधन थे। (ख) िेितयओां के रयजय से तयत्प्य इांर से है। सभी िेितयओां कय रयजय इांर कहियतय है। अतः िेखक ्ह लिखकर उनकी और सांकेत कर रहय है। (ग) मनुष्् ने सबसे पहिे हड्डड्ों से बने हथथ्यरों कय प्र्ोग फक्य। क््ोंफक ्ह उसे सरितय से प्रयप्त हो जयते थे और इनके सयथ अथधक मेहनत करने की आिश््कतय नहीां थी। (घ) इांर कय िज्र हड्डड्ों से बनय थय। िथधथच एक ऋवर्ष थे। जजन्द्होंने इांर को िज्र के लिए अपनी हड्डड्ों कय ियन दि्य थय। (ङ) नयखनू

उत्तर – 2

(क) कवितय में पिन को वप्र्तम कहय ग्य है। पिन पेड़-पौधों, पत्तों-िुिों को छू सकतय है इसलिए उसे वप्र्तम कहय है। (ख) तनु तरुणी पिन के विरह में व्यकुि थी। हिय नहीां चि रही थी। इसलिए कहय ग्य है फक उसकय वप्र्तम कही चिय ग्य थय। (ग) जूही की किी को तनु तरुणी कहय ग्य है। क््ोंफक िह अभी खखिी है इसलिए उसे तनु तरुणी कहय ग्य है। विजन-िन-िल्िरी से अलभप्रय् है िन के एकयांत स्त्थयन पर जस्त्थत बेि।

खिंड – ख

उत्तर – 3

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(क) सयथयक िणों के समूह को शब्ि कहते हैं। उियहरण के लिए - रयम जब ियक्् में इस शब्ि कय प्र्ोग होतय है, तो िह पि बन जयतय है। उियहरण के लिए - रयम सोने िगय है। इस ियक्् में रयम और अन्द्् शब्ि व्यकरखणक नन्मों से बांधने के कयरण पि बन गए हैं। (ख) (i) िह घर के कयम करती है और बच्चों को पढ़यती भी है। (ii) जो सच बोिते हैं, उन्द्हें सभी प््यर करते हैं। (iii) हम सब लमिकर खेिने चिे गए।

उत्तर – 4

(क) (i) घन के समयन श््यम (कमयधयर् समयस), (ii) रेि की गयड़ी (तत्पुरुर्ष समयस) (ख) (i) आजन्द्म (अव््ीभयि समयस), (ii) भुखमरय (तत्पुरुर्ष समयस)

उत्तर – 5

(क) (i) तुम्हें घर पर बुिय्य है। (ii) लशशु कय कल््यण नहीां होगय। (iii) आप कब आए? (iv) मैं इसकय उत्तर अपने आप लिखूाँगय। (ख) (i) एक ठग ियिय जी को उल्लू बिधकि उनके सयरे गहने िे भयगय। (ii) छोटी बयत को बड़य कर िेनय।/मोहन तो हर बयत कय रयई कय पियत बनय िेतय है।

खिंड – ग

उत्तर – 6

(क) िजीर अिी अांगे्रजों के कुचक्रों से भिी प्रकयर पररथचत थय। िह जयनतय थय फक अांगे्रज भयरत की सभी रर्यसतों तथय रयज््ों को धोखे से हथथ्य रहे हैं और उन्द्हें गुियम बनय रहे हैं। िह स्त्ि्ां इसकय

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लशकयर हो चकुय थय। अपने अधीन रयजयओां तथय जनतय के सयथ अांगे्रज अभर व्िहयर करते थे। भयरती् जनतय तथय रयजय-महयरयजों के मयन-सम्मयन को चोट पहुाँचयनय, उनके लिए आम बयत थी। अतः िजीर अिी अगे्रजों से नफ़रत करतय थय। ्ही कयरण थय फक अांगे्रजी सरकयर के िकीि दियरय अभर दटप्पणी फकए जयने पर उसने उसकय िध कर दि्य। (ख) शुद्ध सोने में फकसी प्रकयर की लमियिट नहीां की जय सकती। तयाँबय लमियने से सोनय मजबूत हो जयतय है परन्द्तु शुद्धतय समयप्त हो जयती है। इसी प्रकयर व्िहयररकतय में शुद्ध आिशय समयप्त हो जयते हैं। सही भयग में व्िहयररकतय को लमिय्य जयतय है तो ठीक रहतय है। (ग) इस पयठ में िेखक ने आज के मनुष्् कय स्त्ियथी रूप थचबरत फक्य है। मनुष्् स्त्ियथय में इतनय अांधय हो ग्य है फक मयनितय को भी तयक में रखने से बयज नहीां आ रहय है। ्ह स्त्िरूप उसे विनयश की ओर िे जय रहय है।

उत्तर – 7

'बड़ ेभयई सयहब' पयठ के अनुसयर छोटे भयई कय चररर थचरण इस प्रकयर है - (क) चांचि - छोटय भयई चांचि स्त्िभयि कय थय। एक कय्य में उसकय मन नहीां िगतय थय। उसे फकसी कयम से बयाँधय नहीां जय सकतय थय। (ख) तीव्र बुवद्ध - छोटय भयई तीव्र बुवद्ध थय। पढ़यई में तो उसे अन्द्् बच्चों के समयन िगयतयर पढ़ने की आिश््कतय नहीां रहती थी। थोड़य पढ़नय ही उसके लिए कयिी थय। (ग) वििेकशीि - िह वििेकशीि थय। बड़ ेभयई की बयत को वििेक के सयथ सुनतय और मयनतय थय। (घ) बड़ों कय आिर करने ियिय - अपने बड़ ेभयई कय आिर करने ियिय थय। कभी उनके सयथ बुरय व्िहयर नहीां करतय थय। उनकय व्िहयर फकतनय भी खरयब क््ों न हो, चपुचयप सब सुनतय थय। (ङ) गिती को मयनने ियिय - अपनी तुरांत मयन िेतय थय। िह कभी बहस नहीां करतय थय। अथिय भयग-िौड़ की जजिांगी से िरू भूत-भविष्् की थचांतय छोड़कर शयांनतम् ियतयिरण में कुछ सम् बबतयनय इस जगह कय उदे्दश्् होतय है। इसलिए इसमें केिि तीन आिलम्ों को प्रिेश दि्य जयतय थय। उत्तर – 8

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(क) कर चिे हम फििय गीत में कवि ने सयथथ्ों शब्ि िेशियलस्ों के लिए प्र्ोग फक्य है। कवि के अनुसयर सैननक सीमय पर रहते हुए अपने प्रयणों की आहुनत िेकर िेश की रक्षय करतय है। िह सुरक्षक्षत िेश को अपने िेश के नयगररकों के हयथों में सौंप िेनय चयहतय है। अतः सयथथ्ों शब्ि कहकर िह अपने अन्द्् भयइ्ों से उम्मीि करतय है फक जैसे उसने िेश की रक्षय की है, अब िे भी इसी तरह स ेिेश की रक्षय करेंगे। सयथथ्ों शब्ि भयईचयरे शब्ि कय द्ोतक है। अतः िेशियलस्ों को सयथथ्ों कहय ग्य है। (ख) कवि की विशरे्षतय इस प्रकयर हैं- • कवि आजस्त्तक है, उसे ईश्िर की सत्तय पर दृढ़ विश्ियस है। • आजस्त्तक होते हुए भी िह आांडबर रदहत है। • िह िखुों से घबरयतय नहीां है बजल्क उनसे िड़नय चयहतय है और उससे िड़ने की प्रयथयनय करतय है। इससे ज्ञयत होतय है फक िह ननडर है। बस उसे ननडरतय को बनयए रखन ेकी शजक्त चयहतय है। • उसे स्त्ि्ां पर विश्ियस है। • जीिन के हर रूप से पररथचत होते हुए भी हतयश और ननरयशय नहीां है। पररजस्त्थनत्ों से भयगतय नहीां है बजल्क उनकय सयमनय करनय चयहतय है। जो उसके सयहस और प्रबि आत्मबि को िशययतय है। (ग) कवि ने 'सयथथ्ों' शब्ि कय प्र्ोग सैननक सयथथ्ों ि िेशियलस्ों के लिए फक्य है। सैननकों कय मयननय है फक इस िेश की रक्षय हेतु हम बलिियन की रयह पर बढ़ रहे हैं। हमयरे बयि ्ह रयह सूनी न हो जयए। सभी सैननकों ि िेशियलस्ों को इससे सतकय रहनय होगय। उत्तर – 9 (क) मयनलसक रोग प्रनतस्त्पधयय कय पररणयम हैं। (ख) िेखक के अनुसयर जयपयन के िोग एक महीने कय कयम एक दिन में करनय चयहते हैं। जजसके कयरण दिमयग क्षमतय से अथधक कय्य करने िगतय है। इस कयरण दिमयग पर बोझ बढ़तय है और तनयि की जस्त्थनत पैिय हो जयती है। धीरे-धीरे ्ह तनयि मयनलसक रोगों को जन्द्म िेतय है। (ग) हमयरे अनुसयर प्रनतस्त्पधयय करनय उथचत नहीां है। हर मनुष्् िसूरे से आगे बढ़नय चयहतय है। परन्द्तु जब प्रनतस्त्पधयय िसूरे को थगरयने के उदे्दश्् फक जयए, तब ्ह हयननकयरक हो जयती है। जैसे जयपयनी िोग अमेररकय से प्रनतस्त्पधयय करते हैं। परन्द्तु ऐसी प्रनतस्त्पधयय कय क््य ियभ जजसमें िे स्त्ि्ां को नष्ट कर रहे हैं। उत्तर – 10

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कां पनी बयग में रखी तोप ्ह लशक्षय िेती है फक अत््यचयर कय अांत होतय है। मयनि विरोध के सयमन ेउसे हयर मयननी पड़ती है। फकस प्रकयर अांगे्रजों ने अत््यचयर फकए पर अांत में भयरत को छोड़नय ही पड़य। तोप की तरह चपु होनय ही पड़य।

अथिय

'आत्मरयण' कवितय मनुष्् को कदठनयइ्ों के सम् पर, जजम्मेियरर्याँ उठयने की जस्त्थनत में, सांश् के सम् में, धोखय खयने पर, िखु इत््यदि की जस्त्थनत पर स्त्ि्ां को दहम्मत कर खड़ े होने तथय ईश्िर पर अटि विश्ियस रखने के लिए प्रेररत करती है। कवि ईश्िर कय सयथ चयहतय है परन्द्त ुउनस ेफकसी प्रकयर की सहय्तय उसे स्त्िीकय्य नहीां है। िह स्त्ि्ां को हर जस्त्थनत के लिए सक्षम पयतय है। िह ईश्िर की सत्तय पर अटि विश्ियस करतय है और चयहतय है फक हर जस्त्थनत पर उसकय विश्ियस अडडग रहे। ्ह कवितय हमें जीिन में विर्षम पररजस्त्थनत्ों में स्त्ि्ां पर और ईश्िर पर विश्ियस बनयए रखने कय सांिेश िेती है। उत्तर – 11

इफ़्फ़न के वपतय से पहिे उनके ियिय-परियिय रहे तो दहांिसु्त्तयन पर परांतु िह इस िेश को दिि से अपनय नहीां पयए। उनकय मन अपने पुरयने स्त्थयन में रह ग्य थय। िह दहस्त्सय अब भयरत कय भयग नहीां थय। अब िह स्त्ि्ां एक स्त्ितांर िेश बन चकुय थय। अतः अपनी िसी्त में उन्द्होंने ्ह लिखय फक मरने के बयि उन्द्हें करबिय िफ़नय्य जयए। इफ़्फ़न के वपतय उनके खयनियन में पहिे ऐसे व्जक्त थे, जजन्द्होंने दहांिसु्त्तयन को दिि से अपनय लि्य थय। अतः उन्द्होंने इस प्रकयर की िसी्त नहीां की। िह भयरत में ही पैिय हुए और मरने के बयि भयरत के कबिस्त्तयन में िफ़नयए गए। ्ही कयरण है फक उन्द्हें पहिय दहांिसु्त्तयनी बच्चय कहय ग्य है।

अथिय

मयस्त्टर प्रीतमचांि बच्चों में अनुशयसन बनयए रखनय चयहते थे। ्ह बबिकुि सही है फक अनुशयसन बच्चों के विकयस को महत्िपूणय दिशय िे सकतय है। परन्द्तु ्ह भी तभी सांभि है, जब अनुशयसन कय पयिन करियने के लिए अमयनिी् तरीके न अपनयए जयएाँ। प्रीतमचांि के अमयनिी् तरीकों ने बच्चों के मन में पढ़यई, विद्यि् तथय अध््यपकों को िेकर भ् तथय घणृय कय भयि पैिय कर दि्य थय। इस तरह से िे पढ़यई तथय विद्यि् से िरू भयग रहे थे। ्ह कैसय अनुशयसन है, जो बच्चों के

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कोमि मन तथय भयिनयओां को कुचि डयिे। अतः पूरी कहयनी में उनके लिए सहयनुभूनत कय भयि पैिय नहीां हो पयतय है।

खिंड – घ उत्तर – 12 (क) िहेज मयाँगने के पीछे मनुष्् की िोभ की िषु्प्रिजृत्त विद्मयन है। िोग बबनय फकसी पररश्रम के धन चयहते हैं। पुर कय विियह करके उन्द्हें बबनय फकसी प्र्यस के धन लमि जयतय है। इस प्रथय कय स्त्री पर बहुत िषु्प्रभयि पड़तय है। उसे शयरीररक तथय मयनलसक कष्ट झिेनय पड़तय है। उसके पररियरजनों को आथथयक हयनी झिेनी पड़ती है। इस प्रथय को ्ुियिगय ही तोड़ने में समथय हो सकतय है। िे इस कुप्रथय कय एक बयर नतरस्त्कयर कर िें, तो सयरय कयम आसयनी से बन सकतय है। इसके अनतररक्त िड़फक्ों को लशक्षक्षत होने और अपने परैों पर खड़ ेहोने की आिश््कतय है। सरकयर को इसके लिए तुरांत कयनून बनयने चयदहए और िहेज के िोलभ्ों को कड़ी से कड़ी सजय लमिनी चयदहए। (ख) लमरतय एक अनमोि धन है। ्ह ऐसी धरोहर है, जजसकय मूल्् िगय पयनय सम्भि नहीां है। इस धन कय मुख्् भयग हमयरय 'लमर' है। जीिन के सांघर्षयपूणय मयगय में लमर ही कन्द्धे-से-कन्द्धय लमियकर चितय है। फकसी विशरे्ष गूढ़ बयत पर लमर ही सही सियह िेकर मयगयिशयन करतय है। लमर ही सही अथों में सच्चय शुभथचांतक, मयगयिशयक, शुभ इच्छय रखने ियिय होतय है। सच्ची लमरतय में प्रेम ि त््यग कय भयि होतय है। लमर की भियई िसूरे लमर कय कत्तयव् होतय है। कपटी लमर अपने स्त्ियथय के लिए अपने लमर को पतन के रयस्त्ते पर भी पहुाँचय सकतय है। जो आपके मुाँह पर आपके सगे बने और पीठ पीछे आपकी बुरयई करे ऐसी लमरतय को नमस्त्कयर कहने में ही भियई है। (ग) भयरत में विलभन्द्न नदि्याँ विद्मयन हैं। ्ही कयरण है फक ्हयाँ बयढ़ फक जस्त्थनत आए दिन बनी रहती है। अत््थधक िर्षयय के कयरण जब निी कय पयनी अपनी त् सीमय से बयहर ननकिकर अन्द्् क्षेरों में िैिने िगतय है, तो उसे बयढ़ कहते है। बयढ़ से हर सयि ियखों-करोड़ों कय नुकसयन होतय है। बबहयर, उड़ीसय, उत्तर प्रिेश, उत्तरयखांड इत््यदि ऐसे स्त्थयन हैं, जहयाँ बयढ़ अपनय आांतक िैिय िेती है। ्ह ऐसी आपिय है, जजस पर मनुष्् कय बस नहीां चितय है। बयढ़ के कयरण शहर के शहर पयनी में डूब जयते हैं। घर ढह जयते हैं। िसिें तथय जन-जीिन तबयह हो जयतय है। बयढ़ के बयि हैजय, मेिरर्य, डय्रर्य जैसी बीमयरर्याँ आ घेरती हैं। 2013 में उत्तरयखांड इस रयसिी से परेशयन थय। 2014 में कश्मीर की एक निी झिेम में आ्ी बयढ़ ने पूरे कश्मीर को अपनी चपेट में लि्य। इससे पूरय कश्मीर तबयह हो ग्य है। अभी भयरत उत्तरयखांड की रयसिी से बयहर भी नहीां आ्य थय फक

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कश्मीर की तबयही ने भयरत को गहरय जख्म िे दि्य है। बयढ से होने ियिी तबयही कय अांियजय िगय पयनय बहुत कदठन होतय है। ियखों िोग कयि के ग्रयस में समय जयते हैं और ियखों बेघर हो जयते हैं। उत्तर – 13 पतय- ........................... दिनयांक- ....................... सेिय में, प्रधयन पुलिस अथधकयरी, जबिपुर पुलिस स्त्टेशन, जबिपुर विर्ष् – टे्रन में चोरी हुए सयमयन की ररपोटय लिखने हेतु लशकय्ती पर। श्रीमयनजी, मेरय नयम रयकेश मोहन है। मैं अपने पररियर के सयथ मुम्बई रेििे-स्त्टेशन से जबिपुर जय रहय थय। मेरे पयस एक अटैची और िो छोटे बैग थे। मेरी अटैची में १० हजयर रुपए और कपड़ ेरखे हुए थे। एक बैग में खयने कय सयमयन तथय िसूरे बैग में आिश््क कयगजयत रखे हुए थे। मुम्बई से मैं और मेरय पररियर टे्रन में अपनी बथय में आकर बैठ गए। सफ़र में हमयरे सयथ िो ्ुिक भी थे। िोनों सांभ्रयन्द्त पररियर के िग रहे थे। उन्द्होंने हमें बतय्य फक िे िोनों भयई हैं। टे्रन में िे हमयरे सयथ पूरी तरह से घुिलमि गए। चूांफक िे िेखने में अच्छे घर के िग रहे थे। अतः हमें उन पर शक नहीां हुआ। जबिपुर आने पर हम िोग सयमयन समेटने िगे। चूांफक मेरे सयथ पूरय पररियर थय, तो मैं बच्चों को टे्रन से उतयरने िगय। उन िोनों ने हमयरय सयमयन हमयरी सहय्तय हेतु पकड़ लि्य परन्द्तु जब िे टे्रन से उतरे ही नहीां, तो मुझ ेथचांतय हुई। पूरी टे्रन और प्िेटियमय हमने िेखय परन्द्तु उन िोनों कय कुछ पतय नहीां चिय। िे हमयरय सयमयन िेकर भयग गए। अतः आपसे ननिेिन है फक उन िोनों चोरों को शीघ्र पकड़।े उसमें मेरे महत्िपूणय कयगजयत हैं। िे मेरे लिए बहुत आिश््क हैं। हम सिैि आपके आभयरी रहेंगे। सधन्द््ियि

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भििी् रयकेश मोहन अथिय दिनयांक: ........... सेिय में, प्रधयनयचय्य जी, रयजकी् उच्चतम मयध््लमक बयि विद्यि्, डडिें स कयिोनी, नई दिल्िी। विर्ष्: विद्यि् के पुस्त्तकयि् में दहांिी पर-पबरकयओां कय अभयि िशययने हेतु लशकय्ती पर। महोि्, मैं िसिीां कक्षय कय छयर हूाँ। मेरय नयम विन् है। हमयरे विद्यि् के पुस्त्तकयि् में दहांिी पर-पबरकयओां कय सियथय अभयि रहतय है। जजसके कयरणिश हमें अध्््न के लिए प्ययप्त पर-पबरकयएाँ नहीां लमि पयती हैं। ्दि हमें दहन्द्िी के फकसी कवि ्य िेखक के विर्ष् पर पुस्त्तकें चयदहए होती हैं, तो पुस्त्तकयि् की ओर से सिैि ननरयशय ही हयथ िगती है। हमयरी कक्षय में मेरे जैसे बहुत से ऐसे विद्यथी हैं, जो अध्््न हेतु पर-पबरकयएाँ नहीां खरीि पयते हैं। हमें इन पुस्त्तकों के अभयि के कयरण खयसी परेशयनन्ों कय सयमनय करनय पड़तय है। इन्द्हीां पुस्त्तकों के सहयरे हम अपनी परीक्षय सांबांधी तै्यरर्याँ करते हैं। हमने कई बयर इस विर्ष् में ियइिेरर्न को बतयनय चयहय परन्द्तु उन्द्होंने इसमें अपनी असमथयतय ही दिखयई। अतः मेरय आपसे अनुरोध है फक हमयरे लिए दहांिी की नई पर-पबरकयएाँ माँगियई जयएाँ। इसके लिए हम आपके सिय आभयरी रहेंगे। सधन्द््ियि, आपकय आज्ञयकयरी लशष््, विन् कुमयर

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कक्षय: .............. उत्तर – 14 सूचनय दिनयांकः 12, अगस्त्त पुस्त्तक मेिे कय आ्ोजन हेतु आिश््क सूचनय हम विद्यि् में आगयमी सप्तयह में पुस्त्तक मेिे कय आ्ोजन करनय चयहते है। अतः जो विद्यथी इस आ्ोजन में सहय्तय करने कय इच्छुक है, िह आज िोपहर में कमरय नम्बर िो में शमयय जी से सांपकय करें। नीि लसांह हस्त्तयक्षरः ................... रयमगोपयि स्त्कूि उत्तर – 15 रयम- सोहन! इतने परेशयन क््ों हो? सोहन- क््य करूाँ समझ नहीां आ रहय है? मैडम न ेिनुन्य भर कय कयम दि्य है। िहीां कर रहय हूाँ। तुमने नहीां फक्य अपनय कयम? रयम- कर लि्य है। मैं आज िोपहर में सो्य नहीां। मैंने बैठकर सयरय कयम कर लि्य है। उसके बयि सोचय तुम्हयरे पयस आ जयऊाँ । सोहन- मयाँ कहती है फक बच्चों कय सोनय आिश््क होतय है और थोड़य खेिने से मन अच्छय रहतय है। पढ़यई में मन िगय रहतय है। पर इन सब में रोज कयम रह जयतय है।

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रयम- थचांतय मत करो िोनों लमिकर कयम पूरय करते हैं और फिर खेिने चिेंगे। इस तरह मैं भी खेि िूाँगय। तुम्हयरे बबनय तो खेिने में मजय नहीां आतय। सोहन- सही कहय। उत्तर – 16

एक मिंजिलध आफिस… फकिधए पि खिुय तथय हियियर, मुख्् सड़क पर जस्त्थत, बस स्त्टैंड 1 फकिोमीटर के अांिर। मयर तीस हजयर महीनय फकरयए पर। इच्छुक व्जक्त इस नांबर में सांपकय करें......................