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हनुमान चालीसा ही तरह 'हनुमान साठका' भी अयंत चमकारी और ामाणक तो हैयह अयंत शशाली और भावी है अत: इसके पाठ शुता का यान रखना अनवाय हैहनुमान साठका ।।चौपाइयां।। जय जय जय हनुमान अडंगीमहावीर वम बजरंगी।। जय कपीश जय पवन कु माराजय जगबदन सील अगारा।। जय आदय अमर अबकारीअर मरदन जय-जय गरधारी।। अंजन उदर जम तुम लीहाजय-जयकार देवतन कहा।। बाजे गगन गीरासुर मन हष असुर मन पीरा।। कप के डर गढ़ लंक सकानीछू टे बंध देवतन जानी।। ऋष समूह नकट चल आयेपवन तनय के पद सर नाये।। बार-बार अतुत कर नानानमल नाम धरा हनुमाना।। सकल ऋषन मल अस मत ठानादह बताय लाल फल खाना।। सुनत बचन कप मन हषानारव रथ उदय लाल फल जाना।। रथ समेत कप कह अहारासूय बना भए अत अंधयारा।। वनय तुहार करै अकु लानातब कपीस अतुत ठाना।। सकल लोक वृतात सुनावाचतुरानन तब रव उगलावा।। कहा बहोर सुन बलसीलारामच करह लीला।। तब तुम उहकर करे सहाईअबह बस कानन जाई।। असकह वध नजलोक सधारामले सखा संग पवन कु मारा।। खेल खेल महा तोर ढे र कर पवत फोर।। जेह गर चरण देह कप धाईगर समेत पातालह जाई।। कप सुीव बाल ासानरखत रहे राम मगु आसा।। मले राम तहं पवन कु माराअत आनद सेम लारा।। Hanuman Sathika

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