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  • स्नातकपाठ्यक्रम

    DISCIPLINE SPECIFIC CORE COURSE

    भारतीय शासन एवं राजनीतत

    अध् ययन सामग्री : इकाई 1-8

    पषृ्ठ सं. इकाई 1 : भारतीय राजनीतत की प्रकृतत के अध् ययन के उपागम: लेखक : जीनत आरा 1-11

    उदारवादी, मार्क्सवादी और गाांधीवादी अनुवादक : रामतकशोर

    इकाई 2 : पाठ 1 : भारतीय सांतवधान के आधारभूत तत्त्व लेखक : दुयोधन नाहक 12-18 अनुवादक : आरती कुमारी

    पाठ 2 : मौतलक अतधकार और राज् य के नीतत-तनदेशक तत्त्वोां लेखक : दुयोधन नाहक 19-28

    के मध् य एक तवचार-तवमशस अनुवादक : आरती कुमारी

    इकाई 3: पाठ 1 : प्रधानमांत्री लेखक : तवशाल कुमार गुप् ता 29-39

    पाठ 2 : सांसद लेखक : मनीष कुमार 40-53

    पाठ 3 : न् यायपातलका लेखक : मनीष कुमार 54-66

    इकाई 4 : पाठ 1 : भारत में शक्ति-सांरचना : जातत के सांदभस में लेखक : तवशाल कुमार गुप् ता 67-80

    पाठ 2 : भारत में शक्ति-सांरचना : वगस लेखक : राहुल तमश्रा 81-92

    अनुवादक : रामतकशोर

    पाठ 3 : तपतृसत्तात्मकता लेखक : अांजू 93-105

    अनुवादक : रजनी

    इकाई 5 : पाठ 1 : सेक् युलरवाद पर तवचार-तवमशस लेखक : कुां वर प्राांजल तसांह 106-113

    पाठ 2 : साांप्रदातयकता पर तवचार-तवमशस लेखक : कुां वर प्राांजल तसांह 114-121

    इकाई 6 : भारत में पार्टी और पार्टी तसस्टम लेखक : मधूसुदन 122-132

    अनुवादक : अांजू

    इकाई 7 : स्वतांत्रता के बाद से भारत में तवकास की रणनीतत: लेखक : तप्रयांका बैरवा 133-145

    तनयोतजत अर्सव्यवस्र्ा और नव-उदारवाद अनुवादक : काजल

    इकाई 8 : सामातजक आांदोलन लेखक : कमलकाांता राउल 146-159

    अनुवादक : पारूल अरोड़ा

    सम् पादक :

    डॉ. तपन तिस् वाल

    मुक् त तशक्षा तवद्यालय तदल् ली तवश् वतवद्यालय

    5 कैवेलरी लेन, तदल् ली-110007

  • 1

    इकाई-1

    भारतीय राजनीतत की प्रकृतत के अध् ययन के उपागम: उदारवादी, मार्क्सवादी्एवं्गााँधीवादी

    जीनत्आरा

    भारतीय राजनीतत के अध् ययन के दृष्टिकोण दृष्टिकोण्का्अर्स् है्ककी्ष्थर्तत्या्मथया्े्तनपिना।्इका्अर्स् है्एक्ष्थर्तत्को्एक्पररप्रेक्ष्य्

    े्मझना।्दृष्टिकोण्ककी्एक्ववषय्का्ववश्लेषण्करने्का्एक्तरीका्है।्भारतीय्राजनीतत्को्मझने्और्उका्अध्ययन्करने्के ल्लए्अलग-अलग्तरीके्हैं, चीजें्वैी्नहीं्हैं्जैी्वे् ददखती्हैं। क्की्भी्व्यवथर्ा्एवं्प्रणाली्को्अंदर्जानने्के्ललए्एक्थपटि्मझ्की्आवश्यकता्होती्है।्वाथतव्में्एक्दृष्टिकोण्का्अनुप्रयोग्ववश्लेषण्के्महत्त्व्और्ववश्वनीयता्के्ार्-ार््अनुशान्को्भी्बढ़ाता्है।

    राजनीतत् एक्अपररहायस् प्रकिया् एवं् एक्चल् रही् गततववधध् है।् राजनीतत्में् देखने्और्मझने्का्दृष्टिकोण्प्रततबंधधत्नहीं्है।्यह्अरथतू्(पुथतक-1) की्राजनीतत्के्रूप्में्पुराना्है, जहााँ्यह्कहा्जाता्है्कक्मानव्एक्राजनीततक्जीवजन्तु्अर्वा्राजनीततक्व्यष्र्कत्है।्बौद्धधक्जााँच्के्बे्प्राचीन्क्षेत्रों्में्े्एक, राजनीतत्को्मूल्रूप्े्दशसन, इततहा्और्कानून्की्एक्भुजा्के्रूप्में्देखा्गया्र्ा।्इका्कें द्रीय्उद्देश्य्उन्लद्धांतों्को्उजागर्करना्र्ा्ष्जन्पर्मानव्माज्आधाररत्होना्चादहए।्उन्नीवीं्शताब्दी्के्उत्तराधस्े, हालांकक, राजनीतत्को् वैज्ञातनक्अनुशान्में् बदलने् के् प्रया्े् इ् दाशसतनक्अवधारणा्को्धीरे-धीरे्ववथर्ावपत्ककया्गया।

    चूाँकक्ग्रीक्राजनीततक्ववचारक्ववद्वानों, राजनीततक्वैज्ञातनकों्और्दाशसतनकों्ने्अपने्थवयं्के्दृष्टिकोण्के्दृष्टिकोण्े् ववलभन्न्प्रकार्के्राजनीततक्मुद्दों्और्घिनाओं्का् ववश्लेषण्ककया् है, और्अध्ययन्के्आधार्पर्वे्इ्तनटकषस् और्तनधासररत्अनुशंा्पर्पहुाँचे्हैं।्अतनवायस् रूप्े् यहााँ्राजनीतत्के्अध्ययन्के्ललए्कई्दृष्टिकोणों्का्उदय्हुआ्है।

    भारतीय्राजनीतत्के्अध्ययन्के्दृष्टिकोणों्को्मोिे्तौर्पर्तीन्शे्रणणयों्में्वगीकृत्ककया्जा्कता्है-्पारंपररक, आधुतनक्और्मकालीन।्राजनीतत्को्मझने्के्ललए्लभन्न-लभन्न्ववधध्और्पद्धतत्अपनाई्गई्हैं।्पारंपररक्दृष्टिकोण्को्‘वैल्यू्लैडेन’्कहा्जाता्है, आधुतनक्को्‘वैल्यू्फ्री’्होने्के्ललए्जाना्जाता्है।्यह्एक्प्रामाणणक्और्नैततक्मूल्यांकन्की व्वशेषता्है।्पारंपररक्दृष्टिकोणों्में्ऐततहालक्दाशसतनक्वणसनात्मक्और्अलभभाषक् चररत्र् होते् हैं् जबकक्आधुतनक् दृष्टिकोण् प्रकृतत् में् अनुभवजन्य् होते् हैं, ष्जे् दाशसतनक, ऐततहालक, ंथर्ागत् और् कानूनी् दृष्टिकोण् पारंपररक् दृष्टिकोण् की् शे्रणी् में् हैं।् आधुतनक् दृष्टिकोण् हैं-्माजशाथत्रीय्दृष्टिकोण, मनोवैज्ञातनक्दृष्टिकोण, आधर्सक्दृष्टिकोण, मात्रात्मक्दृष्टिकोण।्हालााँकक्मकालीन्दृष्टिकोण् हैं-् शष्र्कत् दृष्टिकोण, व्यवहार् दृष्टिकोण, उत्तर-व्यवहार् दृष्टिकोण, प्रणाली् दृष्टिकोण, ंरचनात्मक-कायासत्मक्दृष्टिकोण, ंचार्दृष्टिकोण, तनणसय्दृष्टिकोण।

  • 2

    राजनीतत्थपटि्रूप्े् ककी्माज्की्दीघसकाललक्ंरचनात्मक्ववशेषताओं्द्वारा्आकाररत्होती् है।्इकी्एक्लंबी्ऐततहालक्परंपरा् है।्ामाष्जक्पदानुिम, आधर्सक्ंभावनाएाँ्और्ऐततहालक्ववरातें्एक्राजनीततक्माज्की्प्रकृतत्और्चररत्र्को्प्रभाववत्करती्हैं।्भारत्इका्अपवाद्नहीं्है।्थवतंत्र्भारत्में्राजनीतत्का्अध्ययन्कदिन्पररष्थर्ततयों्में्शुरू्हुआ, जदिल्ववरात्के्ार््एक्लंबे्ंघषस् के्बाद्ष्जने्कई्तरीकों्े्थवतंत्रता्के्बाद्के्अपने्पाठ्यिम्को्प्रभाववत्ककया।्बे्महत्त्वपूणस् ब्रिदिश्शान्की्लंबी्अवधध्और्ववलभन्न्ंथर्ानों्के्ववचार्और्उनके्द्वारा्पेश्ककए्गए्अभ्या्हैं।्कुछ्उल्लेख्करने्के्ललए्ामाष्जक्ंरचना्और्ामाष्जक्ंघषस् हैं, ष्जन्होंने्राजनीततक्आंदोलनों्और्ववचारों्को्प्रभाववत्ककया्और्बे्महत्त्वपूणस् रूप्े्भारत्रकार्ने्1935्में्कायस् ककया।्ववभाजन्की्चुनौती्ने्ंववधान्भा्के्ललए्एक्मथया्ललखी्जो्एक्ंववधान्को्कारात्मक्और्भी्के्द्वारा्थवीकार्ककया्गया।्एक्ंववधान्के्लेखन्ने्राजनीततक्वैज्ञातनकों्को्राज्य्गिन्के्वालों्को्ंबोधधत्करने्के्ललए्न्केवल्एक्ंघ्रकार्की्ंरचना्और्शष्र्कतयााँ, बष्ल्क्एक्ंघीय्प्रणाली्में्राज्यों्और्थर्ानीय्रकारों्की्ंरचना्और्शष्र्कतयााँ, एक्वोच्च्न्यायालय्एक्थवतंत्र्न्यायपाललका, नागररकों्के्अधधकार्और्शान्के्ववलभन्न्अन्य्मुद्दे।्यद्यवप्भारतीय् राजनीतत्प्रकृतत्में्आलोचनात्मक्और् तनणासयक् है, ार््ही्ार्् ववलभन्न्दृष्टिकोणों्का्उपयोग्करके्अध्ययन्करना्भी्बहुत्ददलचथप्है्र्कयोंकक्यह्मय-मय्पर्बदलता्रहा्है।्हालांकक्अलग-अलग्ववद्वानों्ने्एक्ही्मय्में्अलग-अलग्दृष्टिकोण्लागू्ककए्हैं।

    ऐततहासिक दृष्टिकोण राजनीतत्के्अध्ययन्के ल्लए्ऐततहालक्दृष्टिकोण्पारंपररक्दृष्टिकोणों्में्े् एक्है।्इततहा्का्अलभप्राय्

    पूवस् घिनाओं्और्तथ्यों्के्अलभलेख्े्है।्ये्ववलभन्न्अवधधयों्में्हुए, इका्मतलब्यह्भी्है्कक्लोगों्ने्र्कया्ोचा्है्या्कल्पना्की्है।्‘‘एक्अलभलेख्के्रूप्में्इततहा्में्वतृ्तधचत्र्और्अन्य्प्रार्लमक्बूत्शालमल्हैं’’्जो्अतीत्में् हुए् रे्।् इततहा् केवल्अतीत्की् घिनाओं्और् उपलष्ब्धयों्का्अलभलेख्नहीं् है, बष्ल्क्इततहाकारों्द्वारा्की्गई्व्याख्याओं, दिप्पणणयों्और्थपटिीकरणों्का्है।्वे्कालिम्े्घिनाओं्की्व्यवथर्ा्भी्करते्हैं।्इन्भी्को्राजनीततक्वैज्ञातनकों्के्ललए्उपयुर्कत्ामग्री्माना्जाता्है।्मूल्रूप्े्इ्पद्धतत्की्वकालत्अरथतू, मोंिेथर्कयू, मार्क्स् और्दहगेल्ने्की्र्ी।्भारतीय्ववद्वानों्द्वारा्ललणखत्पुथत्क्राजनीततक्ादहत्य्का्एक्ववशाल्तनकाय्है।्जैे्आर.ी.्मजूमदार्(प्राचीन्भारत), जवाहरलाल्नेहरू्(डडथकवरी्ऑफ्इंडडया),्रोलमला्र्ापर्(भारत्का्इततहा)।्हालांकक, वाथतववक्घिना्की्व्याख्या्नहीं्करने्के्ललए्इनकी्आलोचना्की्जा्कती्है्और्केवल्एक्ववशेष्थंर्ान्के्ऐततहालक्ववका्पर्जोर्ददया्जाता्है्जो्इे्एक्तही्दृष्टिकोण्बनाता्है।

    दार्शतनक दृष्टिकोण दाशसतनक्दृष्टिकोण्राजनीतत्का्अध्ययन्करने्का्एक्और्पारंपररक्तरीका्है।्दशसनशाथत्र्‘‘भी्ज्ञान्

    और्अष्थतत्व्में्तनदहत्लद्धांतों्का्अध्ययन्है।’’्इका्अर्स् है्कक्दशसन्या्दाशसतनक्दृष्टिकोण्राजनीततक्घिनाओं्या्घिनाओं्की्च्चाई्का्पता्लगाने्का्प्रया्करता् है।्यह्राजनीततक्लेखन्के्उद्देश्य्या्राजनीततक्लेखक्के्उद्देश्य्की्पड़ताल्करता्है।

    दाशसतनक्दृष्टिकोण्का्उद्देश्य्ताककस क्और्वैज्ञातनक्तरीके्े्घिनाओं्के्पररणामों्का्ववश्लेषण्करना्है।्वान्डाइक्के्अनुार्‘‘दशसन्ववचार्के्बारे्में्ववचार्को्दशासता्है।्मोिे्तौर्पर्यह्मुख्य्रूप्े्लरों्

  • 3

    और्ाधनों, उद्देश्यों्और्ववधधयों्की्ामान्य्अवधारणाओं्को्दशासता्है।’’्दाशसतनक्दृष्टिकोण्का्उद्देश्य्राजनीततक्दाशसतनकों्द्वारा्उपयोग्ककए्जाने्वाले् शब्दों्एवं्शब्दों्को्थपटि्करना्है।्दाशसतनक्दृष्टिकोण्े्शुरू्की्गई्जााँच्मान्यताओं्के्बारे्में्भ्रम्को्दरू्करती्है।्इ्दृष्टिकोण्के्मर्सक्प्लेिो, रूो्लमल्एवं्िैडली्लडगववक्कांत्आदद्हैं।

    भारत्की् राजनीतत्में् इ्दृष्टिकोण्का्एक्प्रततब्रबबं् है्जो् प्राचीन्काल् के्कौदिल्य् के्अर्सशाथत्र, मनुथमतृत, महाभारत्के्महाकाव्यों्पर्वाप्जाता् है।्भारतीय्राजनीतत्में् राजा्राम्मोहन्राय्े्लेकर्महात्मा्गााँधी्तक्की्बौद्धधक्यात्रा्उनके्दाशसतनक्मन्की्गवाही्के्रूप्में् हुई।्भारतीय्पुनजासगरण्के्नेताओं्ने्राजनीतत्में्नैततक्मूल्यों्के्महत्त्व्पर्जोर्ददया।्उन्होंने्पष्श्चम्में्नकल्करने्के्ललए्भारत्में्आधुतनकीकरण्के्उद्देश्य्को्कभी्थवीकार्नहीं् ककया।्उन्होंने्मनुटय् के्आंतररक् ववका्की्कीमत्पर्ववज्ञान्की्वदृ्धध्के्णखलाफ्ववरोध्ककया्जो्कक्अंत्में्अर्स् का्अनुवाद्करता्है।्उन्होंने्तकस ्ददया्कक्आध्याष्त्मक्प्रगतत्के्ब्रबना्वैज्ञातनक्प्रगतत्मानव्आत्मा्के्ललए्बाध्यकारी्र्ी।्श्री्अरब्रबदंो्और्कई्अन्य्लोगों्ने्भी्भारत्के्आध्याष्त्मक्लमशन्के्बारे्में्बात्की्र्ी, जो्आधुतनक्पष्श्चम्के्ववश्वव्यापी्उद्देश्य्के्णखलाफ्है।्वववेकानंद्राटरवाद्के्धालमसक्लद्धांत्के्परैोकार्रे््र्कयोंकक्उन्होंने्कहा्र्ा्कक्धमस् को्राटरीय्जीवन्की्रीढ़्बनाना्होगा।्अरब्रबदंो्और्गााँधी्ने्भी्इी्तरह्े्बह्की।्गोखले्जैे्गााँधी्राजनीतत्का्आधुतनकीकरण्चाहते्रे्।्गााँधी्ने्जोर्देकर्कहा्कक्केवल्अदहंा्ही्च्चे्लोकतंत्र्का्कारण्बन्कती्है।्गााँधीवादी्दशसन्में्ाधन्और्अंत्पररवतसनीय्शब्द्हैं।्दो्अववभाज्य्हैं्और्मान्रूप्े्शुद्ध्होना्चादहए।्इ्प्रकार, वववेकानंद, अरब्रबदंो, गोखले, गााँधी्और्यहााँ्तक्कक्नेहरू्का्आध्याष्त्मक्दृष्टिकोण्राजनीतत्े्र्ा।्राजनीतत्और्राजनीततक्मथयाओं्के्ललए्उनका्दृष्टिकोण्नैततक्मूल्यों्में्तनदहत्र्ा, इललए्भारत्में्प्राचीन्काल्े् लेकर्आधुतनक्काल्तक्राजनीतत्में्दाशसतनक्दृष्टिकोण्की्एक्तनरंतर्परंपरा्रही्है।्हालााँकक्दाशसतनक्दृष्टिकोण्हमें्मकालीन्इततहा्और्दाशसतनकों्द्वारा्ुझाई्गई्राजनीतत्की्प्रकृतत्को्मझने्में्मदद्करता्है, लेककन्यह्अमूतस् एवं्ववचारणीय्भी्है।

    मनोवैज्ञातनक दृष्टिकोण राजनीतत्और्मनोववज्ञान्का्घतनटि्ंबंध्है।्मनोवैज्ञातनक्आमतौर्पर्व्यष्र्कतयों्के्राजनीततक्व्यवहार्

    और्ऐे्व्यवहार्के्ललए्अग्रणी्कारकों्का्अध्ययन्करते्हैं।्वे्यह्भी्अध्ययन्करते्हैं्कक्कुछ्व्यष्र्कत्एक्तनष्श्चत्तरीके्े्व्यवहार्र्कयों्करते्हैं।्यह्मतदाता्के्व्यवहार, दृष्टिकोण्आदद्का्अध्ययन्करता्है्और व्वलभन्न्पहलुओं्का्अध्ययन्करने्के्बाद्शोधकतास्ऐे त्नटकषस् तनकालते्हैं्जो्अर्कर्राजनीततक्नेताओं्के्उद्देश्य्की्पूततस् करते्हैं।्यह्कहना्अततश्योष्र्कत्नहीं्होगी क्क्व्यवहारवाद्की्नींव्व्यष्र्कतयों्का्मनोववज्ञान्है।्आज्की्दतुनया्के्राजनीततक्वैज्ञातनक्यह्जानने्के्ललए्बेहद्उत्ुक्हैं्कक्राजनीततक्गततववधध्के्क्षेत्र्में्उद्देटय्और्भावनाएाँ्कैे्काम्करती्हैं।्कभी-कभी्मनोवैज्ञातनक्मूह्के्व्यवहार्पर्अपना्ध्यान्कें दद्रत्करते्हैं।

    िंस्थागत दृष्टिकोण राजनीतत्के्अध्ययन्के्ललए्ंथर्ागत्दृष्टिकोण्बहुत्ही्ामान्य्और्महत्वपूणस् है।्पािकों, ववद्वानों,

    शोधकतासओं्और्यहााँ्तक्कक्ामान्य्लोग्ंथर्ानों्के्कायसकाल्में्राजनीतत्देखने्के्आदी्हैं।्ंथर्ागत्दृष्टिकोण्को्ंरचनात्मक्दृष्टिकोण्भी्कहा्जाता्है।्मैकलेवर्के्अनुार्ंथर्ाएाँ्प्रकिया्के्रूप्थर्ावपत्हैं।्

  • 4

    ंथर्ान्उ्ंरचना्और्मशीनरी्े्ंबंधधत्है्ष्जके्माध्यम्े्मानव्माज्मानव्आवश्यकताओं्को्पूरा्करने्के्ललए्आवश्यक्ववववध्गततववधधयों्को्व्यवष्थर्त, तनदेलशत्और्तनटपाददत्करता्है।्इ्पररभाषा्के्अनुार, पररवार, रकार्और्राज्य्और्भी्प्रकार्के्ंगिन्वे्ंथर्ान्हैं्जो्राज्यों्के्भीतर्ववकलत्हुए्हैं।्इललए, मानव्आवश्यकताओं्को्पूरा्करने्के्ललए्ंथर्ान्बनाए्गए्हैं।्राजनीततक्दल, दबाव्और्दहत्मूह्एवं्ववधातयका्भी्ंथर्ाएाँ्हैं।

    पारंपररक्राजनीततक्ववचारक्मुख्य्रूप्े्ववलभन्न्प्रकार्के्ंथर्ानों्की्गततववधधयों्और्भूलमका्े्धचतंतत्रे््और्उन्होंने्ंथर्ानों्के्ंदभस् में्राजनीतत्को्देखा।्ंथर्ागत्या्ंरचनात्मक्दृष्टिकोण्की्प्रमुखता्यह्है्कक्ंथर्ाएाँ्अपने्तनयमों्और्प्रकियाओं्को्राजनीततक्घिनाओं्के्ववश्लेषण्के्ललए्महत्वपूणस् हैं्न्कक्ंथर्ानों्का्गिन्करने्वाले्व्यष्र्कतयों्के्ललए।्ंथर्ागत्दृष्टिकोण्के्पैरोकार्भी्व्यष्र्कतयों्पर्ंथर्ानों्या्तनयमों्के्प्रभाव्पर्ववचार्नहीं्करते्हैं।्उनका्कहना्है्कक्राजनीततक्ववश्लेषण्में्ंथर्ानों्का्प्रमुख्महत्त्व्है।

    ंथर्ागत्या्ंरचनात्मक्दृष्टिकोण्की्कल्पना्एन्डी्पाल्मर्(भारतीय्राजनीततक्प्रणाली), अशोक्चंदा्(भारतीय्प्रशान), ए.बी.्लाल (्भारतीय्ंद), जे.आर. ल्वाच (्भारतीय्राटरपतत), बी.बी.्जेना (्भारत्में्ंदीय्लमतत), आदद्ववषयों्में्भारतीय्राजनीतत्की्ंवैधातनक्रूपरेखा, ंद्एवं् कायसपाललका्के्कायस् में्अधधकांश्पहलुओं्की्तुलना्में्अधधक्पयासप्त्उपचार्हुआ्है।

    प्रणाली दृष्टिकोण प्रणाली् ववश्लेषण्को्राजनीततक्ववश्लेषण्का्अग्रणी्मॉडल्माना्जाता् है।् डेववड्ईथिन्राजनीतत्के्

    अध्ययन्के्ललए्प्रणाली्ववश्लेषण्दृष्टिकोण्के्आधार्पर्एक्व्यवष्थर्त्रूपरेखा्ववकलत्करने्वाले् पहले्प्रमुख्राजनीततक्वैज्ञातनक्रे्।्प्रणाली्ववश्लेषण्राजनीतत्प्रणाली्के्ंदभस् में्राजनीतत्की्कल्पना्करता्है।्ईथिन्ने्राजनीततक्प्रणाली्को्ववश्लेषण्की्मूल्इकाई्के्रूप्में्चुना्है्और्ववलभन्न्प्रणाललयों्के्अंतर-प्रणाली्व्यवहार्पर्कें दद्रत्है।्उनका्कहना्है्कक्राजनीततक्प्रणाली्के्बाहर, अन्य्प्रणाललयााँ्हैं-्उदाहरण्के्ललए्शारीररक, जैववक्ामाष्जक्और्मनोवैज्ञातनक।्राजनीततक्प्रणाली्को्अन्य्प्रणाललयों्े्अलग्ककया्जाता्है्जो्कक्पूवस् द्वारा्बनाए्गए्मूल्यों्के्आधधकाररक्आवंिन्द्वारा्व्यापक्रूप्े्राजनीततक्प्रकिया्का्गिन्करता्है।

    ईथिन्का्मानना्है्कक्भी्राजनीततक्प्रणाललयााँ्खुली्और्अनुकूली्हैं।्उन्होंने्राजनीततक्प्रणाली्और्उके्वातावरण्के्बीच्होने्वाले्आदान-प्रदान्और्लेनदेन्की्प्रकृतत्के्अध्ययन्पर्ध्यान्कें दद्रत्ककया।्इ्प्रकार, ‘‘मूल्यों्का्आधधकाररक्आवंिन’’्एक्र्कलोज्ककस ि्में्नहीं्होता्है, बष्ल्क्‘माज’्या्‘पयासवरण’्की्‘मांगों’्के्कारण्बनाया्जाता्है।्पयासवरण्े ‘्मर्सन’्के्कारण, वे ’्आधधकाररक’्हो्जाते्हैं।्राजनीततक्प्रणाली, ईथिन्के्अनुार, ‘मांगों’्और्‘मर्सन’्के्रूप्में्पयासवरण्े्तनवेश्प्राप्त्करती्है।्यह्नीततयों्और्तनणसय्के्रूप्में्उत्पादन्करता्है।्तनगसत्प्रततपुष्टि्तंत्र्के्माध्यम्े्पयासवरण्में्वाप्आते्हैं, ष्जे्नई्मांगें्बढ़ती्हैं।

    आमंण्ड् ने् प्रणाललयों्की् तीन् ववशेषताओं्को् ूचीबद्ध् ककया।् ये् (अ)् बोधगम्यता् (ब)् अन्योन्याश्रय ()्ीमाओं्का्अष्थतत्व्है।्प्रणाली्व्यापक्है्र्कयोंकक्इमें्भी्परथपर्किया्अर्ासत्आगत्और्तनगसत्

  • 5

    ष्म्मललत्हैं।्प्रणाली्की्एक्अन्य्ववशेषता्अन्योन्याधश्रतता्है्ष्जका्अर्स् है्कक्प्रणाली्के्ववलभन्न्उप-मूह्एक्दूरे्े्तनकिता्े्ंबंधधत्हैं।्यदद्एक्उप-मूह्में्एक्पररवतसन्होता्है, तो्इका्अर्स् है्कक्यह्भी्उप-मूह्में्ददखाई्देता्है।्अंत्में, ीमा्प्रणाली्के्शुरू्और्अंत्का्एक्ब्रबदंु् है।्मायरोन्वैनर्ने्(भारत्में्राज्य्की्राजनीतत)्प्रत्येक्राज्य्को्एक्बड़ी्प्रणाली्के्भीतर्एक्घिक्इकाई्के्रूप्में्माना्है।

    व्यवहारवादी दृष्टिकोण व्यवहारवाद्की्जड़ें्1920्में्एक्जीवववज्ञानी्लुडववग्वॉन्बिासलेंिी्द्वारा्प्रततपाददत्ामान्य्प्रणाली्

    लद्धांत्की्ओर्देखी्जा्कती्हैं।्इ्लद्धांत्ने्ववज्ञान्के्एकीकरण्पर्जोर्ददया, पहली्बार ‘्व्यवहारवाद’्ने्राजनीततक्को्एकीकृत्करने्के्ललए्एक्व्यवष्थर्त्प्रया्को्धचष्ननत्ककया।

    राजनीतत्ववज्ञान्के्क्षेत्र्में, इ्दृष्टिकोण्की्उत्पवत्त्को्ग्राहम्वाले्और्आर्सर्बेंिले्के्लेखन्े्पता्लगाया्जा्कता्है।्20्वीं् शताब्दी्की्शुरुआत्में्इन्दोनों्लेखकों्ने्राजनीतत्की्अनौपचाररक्प्रकियाओं्पर्जोर्ददया, राजनीततक्ंथर्ानों्को्अलगाव्में्कम्महत्त्व्ददया।्चाल्स् ई्मेररयम्और्जी.ई.जी.्1920्में्कैिललन्और्1930्के्दशक्में्हेरोल्ड्डी्लैथवेल्ने्इ्दृष्टिकोण्पर्जोर्ददया।्लेककन्इे्द्ववतीय्ववश्व्युद्ध्के्बाद्अमेररका्के्राजनीततक्वैज्ञातनकों्के्काम्े्लोकवप्रयता्लमली।

    डेववड्ईथिन्ने्कुछ्मान्यताओं्और्उद्देश्यों्के्ार््व्यवहार्आंदोलन्की्नींव्रखी।्उन्होंने्व्यवहारवाद्के् ललए् बौद्धधक् आधारलशला् के् रूप् में् आि् ब्रबदंओंु् पर् ववचार् ककयााः् (1) तनयलमतीकरण् (2) त्यापन, (3) तकनीक, (4) पररमाणन्(5) मूल्य, (6) व्यवष्थर्तकरण्(7) शुद्ध्ववज्ञान्एवं्(8) एकीकरण

    व्यवहारवादी् दृष्टिकोण् राजनीततक् व्यवहार् पर् कें दद्रत् है।् यह् राजनीततक् ंदभस् में् मनुटय् के् कृत्यों, दृष्टिकोणों, वरीयताओं्और्अपेक्षाओं्के्अध्ययन्का्आनवान्करता्है।्व्यवहारवादी्दृष्टिकोण्ामाष्जक्और्राजनीततक्अष्थतत्व्के्रूप्में्मनुटय्के्ंग्रह्व्यवहार्पर्जोर्देता्है।्इ्प्रकार व्यवहारवादी,्राजनीततवाद, कानूनी्और्दाशसतनक्थकूलों्की्औपचाररकता्े्राजनीतत्के्व्यवहार्के्ललए्अपना्ध्यान्कें दद्रत्करता्है।

    भारतीय्राजनीतत्के्अध्ययन्के ल्लए व्वलभन्न्दृष्टिकोणों्पर्चचास्की्गई्है।्इन्दृष्टिकोणों्को्पारंपररक्और्आधुतनक्दो्प्रकारों्में्वगीकृत्ककया्गया्है।्पूवस् को्थवच्छंदतावाद्े्भरा्गया्है्और्बाद्में्भारतीय्राजनीततक्प्रणाली्की्राजनीततक्वाथतववकता्को्मझने्और्मझाने्के्ललए्अनुभववाद्के्ार्।्दोनों्दृष्टिकोण्में्मय्ीमा्के्अनुार्प्रांधगकता्कम्या्ज्यादा्होती्है, इललए्दृष्टिकोण्की्आवश्य्कता्लेना्आवश्यक्है।

    इ्प्रकार, यह्बात्मानी्जाती्है्कक्राजनीततक्घिना्के्अध्ययन्में्पारंपररक्और्आधुतनक्दृष्टिकोणों्की्अपनी्प्रांधगकता्है।्इका्उद्देश्य्राजनीततक्वाथतववकता्को्मझना्और्उकी्व्याख्या्करना्है, जैे्कक, इे्इ्तरह्े्प्राप्त्करने्की्कोलशश्नहीं्की्जानी्चादहए्कक्तनटकषस् पूरी्तरह्े् अमूतस् हो्जाए्या्बहुत्अधधक्यंत्रवत्हो, जो्एक्जीववत्और्गततशील्लोगों्के्जीवन्पर्लागू्नहीं्होता्है।्

    जैा्कक्हम्देखेंगे, शे्रणी्अनुभववादी्द्वारा्की्गई्बड़ी्गलती्यह्है्कक्उन्होंने्राजनीतत्ववज्ञान्के्अनुशान्े्नवीनता्छीन्ली्है, ष्जमें्जीवन्का्कोई्उच्च्उद्देश्य्नहीं्है।

  • 6

    ‘ववज्ञानवाद’्अच्छा्है, लेककन्डेववड्ईथिन्द्वारा्की्गई्लाह्के्अनुार्‘पागल्नक’्बुरी् है, ष्जे्िाला्जाना्चादहए।

    आइये्हम्भूल्जाते्हैं्जी.जी.्कैिललन्का्कोई्भी्राजनीततक्लद्धांत्‘कारसवाई्के्अतं्और्मूल्यों्की्चचास’्के्ववचार्के्ब्रबना्पूरा्नहीं्हो्कता्है्और्इललए्कक्एच.्आर.्ग्रीव््कहते्हैं्कक्कोई्भी्राजनीततक्लद्धांत्कारसवाई्के्अंत्और्मूल्यों्की्चचास्के्ववचार्के्ब्रबना्पूरा्नहीं्हो्कता्है।्इललए्‘‘एक्मूल्य्मुर्कत्ववश्लेषण्राजनीततक्लद्धांत्के्ललए्ववनाशकारी्ाब्रबत्होगा’’।

    भारत में राज्य की प्रकृततिः उदारवादी, मार्क िशवादी और गााँधीवादी

    ‘राज्य’ र्ाजनीतत्में्बे्अधधक इ्थतेमाल क्कया्जाने्वाला्शब्द है्।्बीवीं्दी्के्पूवासद्सध्तक, राजनीततक्ववज्ञान्अपने्ववलभन्न्पहलुओं्और्ंबंधों्में्राज्य्की्घिना्के्अध्ययन्े्धचतंतत्र्ा, जैा्कक्पररवार, जनजातत्और्राटर्और्भी्तनजी्ंघों्और्मूहों्े्अलग्है।्जैा्कक्गानसर्ने्कहा, राजनीततक्ववज्ञान्राज्य्के्ार््शुरू्और्माप्त्होता्है।्गेिेल, धगलकिथि्आदद्राजनीततक व्वचार्के्ऐे व्वद्यालय्के्प्रतततनधध्भी्रहे्हैं।

    राजनीततक्रूप्े, ककी्रकार्के्कानूनों्और्तनयमों्को्लागू्करने्के्ललए्और्राजनीततक्तनणसयों्के ल्लए्मशीनरी्का्आयोजन क्कया्जाता्है।्गानसर्के्अनुार, ‘राज्य, राजनीततक व्वज्ञान्और्ावसजतनक्कानून्की्अवधारणा्के्रूप्में, कम्या्ज्यादा्व्यष्र्कतयों्का्एक्मुदाय्है, जो्थर्ायी्रूप्े्क्षेत्र्तनयंत्रण्के्एक्तनष्श्चत्भाग्पर्अधधपत्य्कर्रहा्है्और्एक्ंगदित्रकार्के्पा्है।्इ्पररभाषा्के्अनुार, जनंख्या, तनष्श्चत्क्षेत्र, रकार्और्ंप्रभुता्राज्य्के्आवश्यक्तत्व्हैं।्माज, रकार, ंघ्और्राटरों्े् अलग, राज्य्को्एक्अलग्ंथर्ान्माना्जाता्है।

    राज्य्ववका्के्आधुतनक्नािक्में्एक्कें द्रीय्णखलाड़ी्है, और्कहीं्भी्यह्तीरी्दतुनया्के्ववका्े्ज्यादा्महत्वपूणस् नहीं्है।्इकी्फलताएाँ, इकी्अफलताएाँ्और्इकी्ववकृततयााँ्राज्य्गिन्के्अनुमानों्की्मुधचत्मझ्के्ब्रबना्पूरी्तरह्े् राही्नहीं्जा्कतीं।्यह्मझने्के्ललए्कक्राज्य्कैे् आगे्हैं्और्वे्कैे्आए्हैं, हम्ऐततहालक्रूप्े्उनके्बारे्में्ोचते्हैं, और्औपचाररक्ंरचनाओं्े्परे्उनके्ामाष्जक्और्राजनीततक्ववतनदेशों्को्देखना्चादहए।

    आधुतनक्राज्य्को्दो्व्यापक्रूपों्में्वगीकृत्ककया्जा्कता्है-्उदार्लोकतांब्रत्रक्और्अधधनायकवादी,्जबकक्पूवस् लोकतंत्र्के्आधार्पर्लोगों्के्हार्ों्में्त्ता्के्तनवा्और्उनके्चुने्हुए्प्रतततनधधयों्द्वारा्इके्उपयोग्को्दशासता्है; उत्तराद्सध्पूवस् का्ववरोधी्है्जहां्राजनीततक्त्ता्भूखे्राजनेता्या्ैन्य्कुलीन्वगों्के्एक्मूह्के्हार्ों्में्है, जो्बल्और्धोखाधड़ी्के्द्वारा्अपने्शान्की्गंभीर्वैधता्का्प्रया्करते्हैं।्‘कल्याणकारी्राज्य’्के्नाम्े्लोकवप्रय्एक्और्ककथम्ामने्आई्है।्अधधनायकवादी्राज्य्की्चुनौती्को्पूरा्करने्के्ललए्कल्याणकारी्राज्य्की्अवधारणा्को्तैयार्ककया्गया्है।

    भारत्की्राजनीतत्को्मझने्के्ललए्कई्प्रया्ककए्गए्हैं।्यद्यवप्राज्य्के्गिन्पर्कोई्तकस ंगत्दृष्टिकोण्नहीं्है, लेककन्मुख्य्रूप्े्दो्दृष्टिकोण्भारतीय्राज्यों्की्प्रकृतत्की्व्याख्या्करते्हैं।्ये्उदारवादी्और्मार्क्सवादी्हैं।

  • 7

    उदारवादी दृष्टिकोण उदार्दृष्टिकोण्ने्ंथर्ान्और्प्रकियाओं्को्राज्य्और्राजनीततक्शष्र्कत्को्मझने्की्कंुजी्के्रूप्

    में्बल्ददया।्यह्ववका्और्ामाष्जक्पररवतसन्की्आवश्यकता्को्पहचानता्है।्ककी्ववशेष्राज्य्की्प्रकृतत्का्अध्ययन्करने्के्ललए, राज्य, शष्र्कत्और्ामाष्जक्वगों्और्राज्य्के्उद्देश्य्के्बीच्ंबंध्का्ववश्लेषण्करना्आवश्यक्है। उ्दार्लोकतांब्रत्रक थ्वरूप्लोकतंत्र्की्नींव्पर्खड़ा है्।्यह र्ाज्य्को्एक्लोकतांब्रत्रक्राज्य्के्रूप्में्देखता्है्जहााँ्लोगों्के्शान्को्भाषण्और्अलभव्यष्र्कत्की्थवतंत्रता, थवतंत्र्और्आवधधक्चुनाव, एक्ष्जम्मेदार्और्जवाबदेह्रकार, थवतंत्र्न्यायपाललका, कानून्के्शान्आदद्के्ार््लागू् ककया्जाता्है।्कानून्के्शान्के्माध्यम्े्यह्अराजकता्को्रोकता्है।्उ्माज्में्जो्पूणस् थवतंत्रता्को्प्रततबंधधत्करता्है, लेककन्भी्नागररकों्के्ललए्कानून्के्अन्तगसत्थवतंत्रता्उत्पन्न्करता्है।्इ्दृष्टिकोण्ने्राजनीततक्प्रकियाओं्की्प्रधानता्और्थवतंत्रता्पर्बल्ददया।्यह्रजनी्कोिारी, ए.्रूडोल्फ्एवं्एफ.्फ्रें कल्के्लेखन्े्थपटि्है।्उदारवादी्ववद्वानों्ने्राज्य्की्कें द्रीयता्को्एक्थवायत्त्अलभनेता्या्ापेक्षक्षक्थवायत्तता् के्रूप्में्थवीकार्करने्की्आवश्यकता्पर्बल् ददया् है, जहााँ् राज्य्को्एक्उच्च्हथतक्षेपवादी्ववकावादी्भूलमका्तनभानी्है।्अर्ासत्लगभग्चार्दशकों्तक्कांग्रे्दल्के्प्रभुत्व्ने्एक्मजबूत्राज्य्के्उदय् के् ललए् राजनीततक्आधार् को् मजबूत् करने् में् हायता् की।् यह् भारतीय् राटरीय् कांग्रे् के् तहत्औपतनवेलशक्शान्े्थवतंत्र्रूप्में्उभरा्ष्जने्थवयं्को्एक्त्तारूढ़्दल्में्पररवततसत्कर्ददया्और्एक्मायोष्जत्दल्की्ववशेषता्प्राप्त्कर्ली।

    रजनी्कोिारी, नॉमसन्पामर्और्मॉरर्जोन््जैे् राजनीततक्वैज्ञातनकों् ने्उदारवादी्आधुतनकतावादी्दृष्टिकोण्की्दथयता्ली्है।्रजनी्कोिारी्ने्भारतीय्प्रततरूप्पर्’प्रमुख्राजनीततक्कें द्र’्के्माज्के्रूप्में् दिप्पणी्की, जो्बहुवचन्पहचान्की् ववशेषता् है।्उन्होंने्भारत्में्लोकतंत्र्की्फल्थर्ापना् के् ललए्महत्त्वपूणस् कारकों्के्रूप्में्बहुलता्दहटणुता्और्एकीकरण्के्ललए्एक्प्रततभा्के्अष्थतत्व्पर्ववचार्ककया।्मॉरर्जोन््का्ध्यान्भारत्में्राज्य्की्प्रकृतत्को्मझने्के्ललए्राजनीततक्ंथर्ानों्और्प्रकियाओं्के्कायस् पर्र्ा।्उन्होंने्ववलभन्न्थतरों्पर्पररवतसन्लाने्के्ललए्लोकतांब्रत्रक्ंथर्ानों्को्महत्त्व्ददया।्उन्होंने्‘‘आधर्सक्और्ामाष्जक्पररवतसन्लाने्में्राजनीततक्ंथर्ानों्की्क्षमता’’्पर्बल्ददया।्(1) यह्माना्गया्कक्‘‘एक्उदार्लोकतांब्रत्रक्ंवैधातनक्प्रणाली्और्ावसभौलमक्मताधधकार्के्ार्, भारतीय्राजनीततक्प्रणाली्धीरे-धीरे्लोकतांब्रत्रक त्नणसय्की्अपनी्प्रकियाओं्का व्वका्करेगी-्तकस ंगत प््रशान, और्आधुतनक्नागररकता”।्(2) “लोकतांब्रत्रक व्वचारधारा, आधर्सक व्वका, ववतरणात्मक्न्याय्के्इ्ंयोजन्ने्एक्पारंपररक्रूप्े्उदाीन्माज्को् बदलने्का् एक्अनूिा्अवर्प्रदान् ककया् ष्जमें् राज्य्कें द्रीय्ाधन्बन्गया्और् राजनीतत्पररवतसन्का्प्रमुख्प्रतततनधध्बन्गया।्(3) यह्राजनीततक्ंथर्ानों्और्लोकतांब्रत्रक्प्रकियाओं्की्आशावादी्धचत्रण्को्दशासता्है।्भारतीय्राज्य्के्उदारवादी्आलोचकों्को्रजनी्कोिारी, अतुल्कोहली, द्रूडोल््, गुन्नार्मायडसल्के्लेखन्में्पढ़ा्जा्कता्है।्गुन्नार्मायडसल्ने्गरीबी्उन्मूलन्या्कानूनों्को्लागू्करने्के्ललए्ावसजतनक्नीततयों्को्लागू्करने्और्भारतीय्राज्य्के्ंथर्ागत्प्रततरूप्को्‘‘नरम्राज्य’’्के्रूप्में्करार्देने्की्राज्य्की्अक्षमता्की्आलोचना्की।्मायडसल्के्अनुार, भारतीय्राज्य्नरम्र्ा्र्कयोंकक्इमें्ुधार्और्ववका्के्राथते्में्खड़े्ंथर्ानों्को्ुधारने्की्कोई्शष्र्कत्नहीं्र्ी।्पररणामथवरूप, यह्जातत्की्ंथर्ा्े्प्रत्यक्ष्रूप्े्नहीं्तनपि्कता्र्ा, प्रभावी्भूलम्ुधार्के्उपायों्को्ले् कता्र्ा, भ्रटिाचार्को्लमिा्कता्

  • 8

    र्ा्या्लोगों्के्माध्यम्े्प्रभावी्ढंग्े्ववका्के्ववचारों्को्लागू्कर्कता्र्ा।्इ्नरमी्का्एक्पररणाम्वामपंर्ी्उग्रवाद्का्बढ़ना्है, ष्जे्मनमोहन्लहं्ने्देश्की्ुरक्षा्के्ललए ‘्‘बे्गंभीर्आंतररक्खतरा’’्कहा।्मायडसल्का्‘किोर्राज्य’्नर्कलवाद्े्तनपिने्में्क्षम्रहा, ष्जने्देश्को्गंभीर्रूप्े् प्रभाववत्ककया्है।्उदार्दृष्टिकोण्भारत्में्राज्य्और्राजनीततक्शष्र्कत्को्मझने्के्ललए्ंथर्ानों्और्प्रकियाओं्पर्कें दद्रत्है।् राज्य्को्ामाष्जक्प्रगतत्का्कें द्रीय्ाधन्और्पररवतसन्का्प्रमुख्एजेंि्माना्जाता् है।्रूडोल्फ्के्अनुार, भारतीय्राज्य्में्दो्मूह्हैं, ष्जनमें्े्एक्‘उत्पादन्का्माललक’् है्और्दूरा् ‘मजदरू’्मूह् है।्उन्होंने्इन्दो्परथपर्ववरोधी्मूहों्के्बीच्मध्यथर््के्रूप्में्राज्य्का्ववश्लेषण्ककया, और्ऐा्करने्के्ललए, राज्य्की्ंरचनात्मक्एकता्को्बनाए्रखने्के्ललए्थवायत्त्होना्चादहए।्इललए्राज्य्की्भूलमका्‘‘तीरे्अलभनेता’’्की्होगी।्रूडोल्फ्भारतीय्राज्य्को्एक्कमजोर्राज्य्के्रूप्में्मानते्हैं।्यह्बड़े्बुतनयादी्उद्योगों, धमसतनरपेक्षता्की्ववचारधारा्के्कारण्मजबूत्है।्लोकतंत्र, माजवाद्और्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्ष्जने्ंघषों्को्कम्कर्ददया्है।्यह्जाततगत्ंघषस, धालमसक्कट्िरवाद्और्ांप्रदातयकता, राजनीततक्लामबंदी्के्बढ़ते्थतर्आदद्के्कारण्कमजोर्है।

    मार्क िशवादी दृष्टिकोण मार्क्सवादी् दृष्टिकोण् है् जहााँ् राजनीततक् अर्सव्यवथर्ा् महत्वपूणस् कारक् है।्आधर्सक् ववका् का् बे्

    महत्त्वपूणस् वाहन्है।्यह्शाक्वगस् और्शालतों्के्बीच्चल्रहे्वगस् ंघषस् में्राज्य्की्पक्षपातपूणस् भूलमका्को्बताता्है।्मार्क्सवादी्दृष्टिकोण्ने्भारतीय्राज्य्को्एक्ामाष्जक्व्यवथर्ा्बनाने्के ल्लए्उत्तरदायी्बताया्होगा्जो्श्रम्पर्पूाँजी्का्आधधपत्य्बनाए्रखता्है्और्अपने्ंबंधों्को्कफर्े् शुरू्करने्की्कोलशश्करता्है।्यह्प्लेिो्और्अरथतू्के्ार््शुरू्होने्वाले्पष्श्चमी्राजनीततक्ववचार्का्मुख्य्बौद्धधक्प्रततरूप्र्ा।्इने्राज्य्को्आदेश्और्भ्यता्के्रखरखाव्के्ललए्आवश्यक्माना।्मार्क्सवादी्दृष्टिकोण्ने्तकस ्ददया्कक्राज्य्ऐततहालक्रूप्े्माज् के् ववभाजन् के्ार्-ार््एक्शाक्वगस् में् उभरा्जो्अवकाश्और्ववशेषाधधकार्का्आनंद्लेता्र्ा।्जबकक, लोगों्का्एक्बड़ा्वगस् बहुत्बुरा्जीवनयापन्कर्रहा्र्ा्और्प्राचीन्काल्े् लेकर्आधुतनक्काल्तक्माज्के्मग्र्ववका्में्दा्और्वसहारा्वगस् के्रूप्में्शोवषत्र्ा।्बाद्में्मार्क्स् को्ववश्वा्हो्गया्कक्वसहारा्वगस् के्ंघषस् को्जीतने्के्ललए्राज्य्को्माप्त्ककया्जा्कता्है, ऐा्कुछ्ष्जे्वह्अपररहायस् मानते्रे्।

    भारतीय्ाम्यवादी्दल्भारत्को्एक्राटरीय्बुजुसआ्राज्य्के्रूप्में्वणणसत्करता्है्ष्जमें्ववका्के्गैर-पूाँजीवादी्राथते्का्अनुरण्करके्माजवाद्की्ओर्शांतत्े्अग्रर्होने्की्ंभावना्है।्भारतीय्पूाँजीपतत्वगस् थवतंत्रता्के्पााँच्दशकों्े्अधधक्मय्के्बाद्आज्एक्ऐा्वगस् है्ष्जने्कुछ्महत्त्वपूणस् पररवतसनों्का्ववथतार्ककया्है।्थवतंत्रता्के्मय्में, एक्बड़ा्पूाँजीपतत्वगस् र्ा, जो्इ्वगस् पर्में्हावी्र्ा।्लेककन्इ्बड़े्पूाँजीपतत्वगस् के्दृष्टिकोण्में्एक्महत्त्वपूणस् बदलाव्आया्है।्यह्बड़ा्पूाँजीपतत्वगस् र्ा्ष्जने्1950्के्दशक्में्भारत्में्ककए्गए्पूाँजीवादी्ववका्के्प्रकार्का्पता्लगाया्र्ा।

    (क) एक्वगस् जो्अंतरासटरीय्ष्थर्तत्और्भारतीय्माज्में्अपने्थवयं्के्आधार्को्मझता्र्ा।्पूाँजी्को्जमा्करने्और्पूाँजीवाद्को्ववकलत्करने्के्ललए्भारतीय्राज्य्की्आवश्यकता्र्ी।्राज्य्के्पूाँजीवाद, ष्जे्भारतीय्शाक्वगों्ने्प्रायोष्जत क्कया, ने्दोहरी्भूलमका त्नभाई।्इने व्ववश्ढााँचे्के्भीतर्पूाँजीवाद्के् ववका्को्क्षम् ककया।् एक्ंपूणस् कृवष्िांतत् के् ब्रबना्पूाँजीवादी् ववका्का्एक्प्रततरूप, ष्जे्

  • 9

    जमींदारों्के्ार््मझौता्करने्और्जमींदारों्और्अमीर्ककानों्पर्तनभसर्रहने्े्कृवष्पूाँजीवाद्के्ववका्की्आवश्यकता्र्ी।्

    (ख) भारतीय्पूाँजीपततयों्की्अधीनथर््ष्थर्तत्में्एक्ववश्व्पूाँजीवाद्की्दृष्टि्े्ववदेशी्ववत्त्पूाँजी्के्ार््जैववक्ंबंध्की्आवश्यकता्र्ी्और्पूाँजीवादी्ववका्के्मागस् को्आगे्बढ़ाने्के्ललए्इ्ाम्राज्यवादी्पूाँजी्पर्तनभसरता्र्ी।्

    (ग) ऐे्पूाँजीवादी्ववका्में्ऐी्ष्थर्तत्में्थवायत्तता्की्ापेक्ष्मात्रा्हो्कती्है्जहााँ्ोववयत्ंघ्का्अष्थतत्व्र्ा्और्माजवादी्गुि्र्ा; भारत्में्बुजुसआ-जमींदार्वगस् दो्दोषों्और्युद्धाभ्या्के्बीच्के्िकराव्का्उपयोग्कर्कते्हैं्ताकक्एक्ीलमत्ीमा्तक्अपनी्ष्थर्तत्को्मजबूत्ककया्जा्के।

    अकादलमक्मार्क्सवादी्जैे् ए.आर.्देाई्ने्भारत्को्एक्पूाँजीवादी्राज्य्कहा।्एक्‘‘बुजुसआ्ंववधान’’्के्रूप्में्उन्होंने्भारतीय्ंववधान्का्नाम्ददया्एवं्तकस ्ददया्कक्शुरू्में्ंववधान्में्ंपवत्त्के्अधधकार्को्शालमल्करने्का्अधधकार्थवालमत्व्के्माध्यम्े्आय्का्अधधकार्देना्र्ा, ष्जके्पररणामथवरूप्ामाष्जक्अमानताएाँ्र्ीं।्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्पर्आधाररत्आगे्की्भारतीय्योजना्ने्आधर्सक्ववका्के्आधार्के्रूप्में्तनजी्थवालमत्व्पर्आधाररत्एक्वगस् ंरचना्को्थवीकार्ककया।्उन्होंने्कहा्कक्लमधश्रत्अर्सव्यवथर्ा्का्झुकाव्तनजी्क्षेत्र्की्ओर्है।्उी्तजस् पर्ी.पी.्भांबरी्ने्शाक्वगों्के्भीतर्ंघषस् और्राज्य्के्अपेक्षाकृत्कमजोर्होने्पर्प्रकाश्डाला्है।्हमजा्अल्वी्ने्तकस ्ददया्है्कक्औपतनवेलशक्राज्य्के्रूप्में्भारत्में्शाक्वगों् के्प्रततथपधी् दहतों्की्मध्यथर्ता्में्ापके्ष्अर्सव्यवथर्ा्र्ी।् कुछ् ववलशटि् ष्थर्ततयााँ्उपष्थर्त्हैं्ष्जन्होंने्राज्य्को्औपतनवेलशक्राज्यों्के्बाद्एक्थवायत्त्भूलमका्तनभाने्में्मदद्की।्वह्कहते्हैं्कक्भारत्में्कोई्वगस् आधाररत्राजनीतत्नहीं्है्और्कांग्रे्जैे्बहु-वगीय्दल्हैं। थवदेशी्उधचत्वगस् की्कमजोरी्भारतीय्राज्य्को्ापेक्ष्थवायत्तता्के्एक्महान्उपाय्की्अनुमतत्देती्है।

    इी्तजस् पर्एक्अन्य्ववद्वान्पार्स् चिजी्कहते्हैं्कक्आजादी्के्बाद्े्ही्प्रमुख्वगों्का्गिबंधन्रहा्है।्राज्य्पर्तनयंत्रण्पाने्के्ललए्भूलमधारी्कुलीनों्के्ार््शष्र्कत्ाझा्की्गई्र्ी।

    भारतीय्राज्य्की्एक्मार्क्सवादी्मझ्राज्य्के्वगस् चररत्र्को्दशासती्है, प्रमुख्वगों्की्ेवा्करना्और्जरूरत्पड़ने्पर्उनकी्ामाष्जक-आधर्सक्ंरचना्को्रुक्षक्षत्करने् के् ललए्जबरदथत्ाधनों्का्उपयोग्करना।

    गााँधीवादी दृष्टिकोण राज्य्की्प्रकृतत्का्अध्ययन्करने्के्ललए्गााँधीवादी्दृष्टिकोण्थवराज्की्अवधारणा्पर्आधाररत्है।्

    इका्अर्स् है्कक्ववदेशी्शान्का्अभाव्और्थव-रकार्की्थर्ापना।्उन्होंने्राज्य्को्एक्आवश्यक्बुराई्माना्और्र्ोरो्के्हुर्कम्का्मर्सन्ककया्कक्‘‘वह्रकार्बे्अच्छी्है्जो्बे् कम्शान्करती्है’’।्इमें्कहा्गया्है्कक्लोगों्की्थवतंत्रता्और्अधधकारों्के्ार््हथतक्षेप्न्यूनतम्होने्पर्रकार्वसशे्रटि्है।

    गााँधी्के्आकलन्में, राज्य (्पष्श्चमी्प्रकार)्कें दद्रत्रूप्में द्हंा्का्प्रतीक्र्ा।्नागररकों्े त्नटिा्ुतनष्श्चत्करने्के्ललए्राज्य्(ष्जका्अर्स् है्कक्उका्अधधकार्है)्तनदसयतापूवसक्या्दहंक्उपायों्को्लागू्करता्है।

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    उन्होंने्दक्षक्षण्अफ्रीका्में्अनुभव्ंगहृीत्ककया्कक्राज्य्की्अधधक्े्अधधक्शष्र्कत्का्मतलब्अधधक्े्अधधक्दहंा्या्अधधक्मात्रा्में्जबरदथती्करना्र्ा।्कानून्और्व्यवथर्ा्के्रखरखाव्के्नाम्पर्दक्षक्षण्अफ्रीका्की्श्वेत्रकार्ने्बहुत्बड़ी्शष्र्कत्हालल्कर्ली्और्इे्तनदसयी्प्रशान, व्यष्र्कतयों्की्थवतंत्रता्का्शोषण्का्पदासफाश्हुआ। उन्होंने्एक्बार्कहा्र्ा्कक्दहंा्पर्आधाररत्एक्राजनीततक्ंगिन्को्उनकी्थवीकृतत्कभी्नहीं्लमलेगी।्बष्ल्क्ऐे्ंगिन्े्वह्हमेशा्डरता्है।्उन्होंने्पष्श्चमी्राज्य्प्रणाली्के्बारे्में्जो्महू्ककया, वह्एक्दिप्पणी्में्थपटि्है, ‘‘मै्ं राज्य्की्शष्र्कत्में्वदृ्धध्को्बे् बड़े्भय्के्ार््देखता्हूाँ, हालांकक्थपटि्रूप्े्यह्शोषण्को्कम्करके्अच्छ्ा्कर्रहा्है्परन्तु््व्य्ष्र्कतवाद्को्नटि्करके्बुरा्कर्रहा्है, जो्कक्मानव्जातत्की्प्रगतत्के्मूल्में्है”।

    उपरोर्कत्ववश्लेषण्े्यह्ब्रबल्कुल्थपटि्है्कक्गााँधी्ने्पष्श्चमी्प्रततरूप्के्राज्य्को्इ्आधार्पर्खाररज्कर्ददया्कक्यह्दहंा्या्जबरदथती्का्प्रतततनधधत्व्करता्है।्अब्प्रश्न््यह्है्कक्गााँधी्ने्दहंा्का्इतना्ववरोध्र्कयों्ककया? गााँधी्के्अनुार, आधुतनक्राज्य, व्यष्र्कतगतता्को्नटि्करने्वाला्र्ा-्व्यष्र्कतगत्थवतंत्रता्और्काम्के्ललए्हज्आग्रह।

    दूरे, व्यष्र्कतवाद्प्रगतत्का्मूल्कारण्है।्गााँधी्मानते्रे््कक्जबरदथती्करने्े्कुछ्नहीं्हो्कता।्कफर, व्यष्र्कत्को्उकी्इच्छा्या्हज्इच्छा्के्ववरुद्ध्कोई्काम्करने्के्ललए्मजबूर्नहीं्ककया्जा्कता्है।्इे्दूरे्शब्दों्में्कहें्तो्गााँधी्के्अनुार्माज्की्प्रगतत्उन्कायों्के्माध्यम्े्की्जा्कती्है, जो्व्यष्र्कत्थवेच्छा्े्करते्हैं।

    लेककन्गााँधी्हमें्अधधक्आिामक्लगते्हैं्र्कयोंकक्ककी्भी्पररष्थर्तत्में्व्यष्र्कत्की्थवतंत्रता्का्त्याग्नहीं्ककया्जा्कता्है।्व्यष्र्कतगत्थवतंत्रता्के्ललए्गााँधी्का्प्रेम्उन्हें्महान्अराजकतावादी्दाशसतनकों्के्ार््रखता् है।्कें द्रीय् ववचार्यह् है् कक् दहंा् के्ार्् तनकि्ंबंध् के्कारण्गााँधी् राज्य्एक्अवांछनीय्राजनीततक्ंगिन्है।

    गााँधी्के्थवराज्का्अर्स् लोगों्की्हमतत्और्भागीदारी्वाली्रकार्है।्उके्ललए्भारत्जैे्बड़े्देश्में् प्रत्यक्ष्लोकतंत्र्अंभव् है।् थवतंत्रता् के् बाद्भारत् के्ंववधान् तनमासताओं् ने् गााँधीवादी् राज्य्की् कुछ्ववशेषताओं्को्अपनाया।्इनमें्े्कुछ्मतावादी्माज, अथपशृ्यता्और्माज्के्कमजोर्वगों्के्प्रतत्ववशेष्देखभाल्पर्बल्देते्हैं।्वाथतव्में्वे्पूरे्भारत्में्पंचायत्राज्प्रणाली्के्माध्यम्े्त्ता्का्ववकें द्रीकरण्करना्चाहते्रे्।्इके्अलावा्वह्अपने्द्वारा्ककए्गए्कायों्के्ंदभस् में्राज्य्के्अष्थतत्व्को्उधचत्िहराता्है, इललए्जब्तक्राज्य्उन्कायों्को्करता्है्जो्भी्मनुटयों्के्अच्छे, कल्याण्और्उत्र्ान्का्नेततृ्व्करते्हैं।

    ंदभस

    1. Norman P. Berry, An Introduction to Modern Political Theory London: Macmillan, 1989

    2. Zoya Hasan, (eds.) Politics and the State in India, Delhi: Sage Publications, 2002.

    3. C.P. Bhambhari, Politics in India (1947-87) New Delhi: Vikas Publications,1988

    4. Rajni Kothari, Politics in India, Delhi: Orient Longman, 1970

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    5. Partha Chatterjee (ed.) State and Politics in India, Delhi: OUP, 1997

    कुछ्उपयोगी्पुथत्कें

    1. Zoya Hasan(eds.) (2002), Politics and the state in India, New Delhi: Sage Publications,

    p.12

    2. Partha Chatterjee, ‘The State’ in Gopal Jayal Niraja, (eds.) (2010), The Oxford Companion

    to Politics in India, 1st ed., p.4

    3. Hasan., op. cit., p 12

    A.R. Desai, India’s Path of Development—A Marxist approach, Delhi: Popular Prakashan,

    1984

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    इकाई-2 पाि्1

    भारतीय िंववधान में आधारभूत तत्त्व दयुोधन्नाहक

    प्रस्तावना

    भारतीय्ंववधान्एक्वैधातनक्दथतावेज्है्जो क्क्देश्की्शान्व्यवथर्ा्में ल्लए त्नयमों्का्मुच्चय्प्रदान् करता् है।् राजनैततक् दथतावेज् होने् के् अलावा् वंवधातनक् रकार् एवं् नागररकों् को् गररमापूणस् व्म्मानजनक्जीवन्प्रदान्करने्के्ललए्उनमें्ामाष्जक्आधर्सक्थतर्में्ुधार्करती्है।्एक्दिप्पणीभार्ने्त्य्ही्कहा्है्कक्‘‘ंववधान्एक्जीवंत्दथतावेज्है्जो्माज्की्बदलती्आवश्यकताओं्एवं्पररष्थर्ततयों्के्ार््अपने्में्पररवतसन्जारी्रखता्है।्ंववधान्राटर्के्लोगों्की्राजनैततक्आकांक्षाओं्का्एक्प्रततब्रबबं्है।्उन्आवश्यकताओं्एवं्उद्देश्यों्ष्जनको्पूरा्करने्की्राटर्को्लंबे् मय्े्अलभलाषा्र्ी्इन्भी्को्ंववधान्अपने्में्मादहत्करता्है।्वपछले् 70 वषों्के्दौरान्यह्देखने्को्लमलता्है्कक्ंववधान्में्100 े्भी्अधधक्बार्ंशोधन्ककए्जा्चुके्हैं।्जैाकक्ंववधान्भारतीय्शान्व्यवथर्ा्को्ंचाललत्करने्वाले्मुख्य्या्मूल्तत्त्वों्को्कायसपाललका, ववधातयका, न्यायपाललका्को्भी्तनदेलशत्करता्है।्भारतीय्ंववधान्की्एक्मूल्ववशेषता्ंप्रभुता्है्ष्जमें्कक्खेल्ंगिन्े्लेकर्ककान्आंदोलन, व्यापार्ंगिन्भी्ंववधान्के्अनुरूप्ही्कायस्करते्हैं।्मुख्य्त:्ंववधान्की्मााँग्तीन्पररष्थर्ततयों्में्उत्प्न्न््होती्है्पहला्ैतनक्ववद्रोह्एवं्नागररक्युद्ध्में्कारण, दूरा्ववदेशी्दात्व््के्कारण, तीरा्ामाष्जक्िांतत्में्ब्रबखर्जाने्के्कारण।्तनथ्ंदेह्यह्माना�