char panhkti

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CHAR PANHKTI हहहह हहह हहहहहहहहह हहहह हहह हहह हहहहह हह हहह हहह हहहह हहह हहहह हहह हहहह-हहह हह हहहहहहह हहह हहहह हह हह हहहहह हह हह हह हहहह हहहह हहहहह हहह हहह हह हहह हह हहहहह हह हहहह हहहहह हह हहहहहह हह हह हहहहह हह हहहह हहहहह हह हह हहहहहह हहह हहहह हह हह हह हहह हहह हहहह हहह हह हहहह हहह हहहह हह हह हह हह हह हह हहहह हहहह हह हहहहहह हह हह हहहह

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Page 1: CHAR PANHKTI

CHAR PANHKTI

हमने चार पंख्ति� याँ क्या लि�ख दीं

�ोगों ने कवि� बना दिदया

भरे बजार में हा�े-दिद� का म्माशा बना दिदया

घर से विनक�े ो थे विक ुझे भु�ा देंगे

लि�ख लि�ख कर दिद� से यादों को मिमटा देंगे

पर आलिशकों के इस बाजार ने

ेरी यादॊं को विह बाजारू बना दिदया

बस अब ो यही दुआ कर े हैं विक

ेरा नाम �बों पर ना आए

और हम भी कहीं इश्क के सौदागर ना बन जाएं