char panhkti
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CHAR PANHKTI
हमने चार पंख्ति� याँ क्या लि�ख दीं
�ोगों ने कवि� बना दिदया
भरे बजार में हा�े-दिद� का म्माशा बना दिदया
घर से विनक�े ो थे विक ुझे भु�ा देंगे
लि�ख लि�ख कर दिद� से यादों को मिमटा देंगे
पर आलिशकों के इस बाजार ने
ेरी यादॊं को विह बाजारू बना दिदया
बस अब ो यही दुआ कर े हैं विक
ेरा नाम �बों पर ना आए
और हम भी कहीं इश्क के सौदागर ना बन जाएं