अनुवाद और वाक्य...

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1 अन वाद और वाय संरचना - दयाशंकर पाडेय (पूवव सहायक ननदेशक) भारतीय मनीषा म वाकतव का सूम ववेचन ककया गया है। वैदिक काल से ही यह मीमािसक, नैयायक और वैयाकरण के अययन और वलेषण का महवपूणण ववषय रहा है। ऋवेि के एक महवपूणण सूत म वैदिक ऋवष ने वाकतव के वषय म बह त ही गिभीर और ववचारपूणण वववेचन ककया है, जो भाषा ववान की टि से अयित महवपूणण है। वाकतव ने अपने वऱप को उम पुऱष म आम वववेचन के ऱप म तुत कया है। एक मि म वाकतव का कथन है :- अहं रारी संगमनी वसूनां चचककतुषी थमा यियानाम ् I तां मा देवा यदधु : पुरा भू रथाां भूयवेशयतीम ् II - म राटर यनमाणी शत ह ि , म वसु तव का सिगम अथाणत् सियोग एवि समवय करता ह ि , म वानमय ह ि , म यय (पावन तव, उपाय तव) म सवणथम ह ि । िेव (भाषाव, शि शाी) मुझको नाना ऱप िेकर नाना कार से ततु करके ववभभन थान म अनेक कार से शत समवत करते ए यतटठावपत करते ह। मानव का संपूव कायव यापार भाषा पर आधारत है। भाषा मानव की महवपूव उपलधध है। उसके मायम से जो भी अभयत होती है, उसका महवपूव उपादान वाय है। मनुय़ का सोचना, बोलना अथवा ककसी भाव या वचार का ह करना वाय म होता है। इस कार यह संेष तथा भावह-भाषा के इन दोन काय को संपन करने म सहायक होता है। अतः भाषा विान के अंतगवत वाय के अययन और वलेष के भलए वाय विान जैसी एक संपूव शाखा की नतठा की गई है। एक भाषा म कही गई बात को िूसरी भाषा म कहना अनुवाि है। यह बात वाय के ही मायम से की जाती है। अतः अनुवाि के सिभण म भी वाय का अययन अयनवायण हो जाता है। अनुवाि और वाय वान का सिबिध अयित घयनटठ है। जब हम एक भाषा के सिेश को िूसरी भाषा म अितररत करते ह, तब वातव म हम इस किया म एक भाषा की वाय सिरचना को िूसरी भाषा म उसकी क यत के अनुऱप यतथावपत करते ह। इस कार अनु वाि म वाय सिरचना का महव वयिभसध है। ोत भाषा म कही ह ई बात को लय भाषा म यनकितम, सहज, समतुय अभभयत वारा यत करने का यास अनुवाि है। इस यनकितम, सहज, समतुय पयाणय की खोज की किया म अनुवािक सबसे पहले मूल पाठ का सावधानीपूवणक पठन करता है और वषय और भाषा िन ही टिय से उसका ववलेषण करता है। इस वलेषण के मायम से वह मूल पाठ म अितयनणदहत अथण (सिेश) को हण करता है। अनुवाि किया का यही सवाणधधक महवपूणण चरण है। जब तक अथण की

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    अनुवाद और वाक्य संरचना

    - दयाशकंर पाण्डये (पवूव सहायक ननदेशक)

    भारतीय मनीषा में वाकतत्व का सकू्ष्म वववेचन ककया गया है। वदैिक काल से ही यह मीमाांसकों, नयैाययकों और वयैाकरणों के अध्ययन और ववश्लेषण का महत्वपणूण ववषय रहा है। ऋग्वेि के एक महत्वपणूण सकू्त में वदैिक ऋवष ने वाकतत्व के ववषय में बहुत ही गांभीर और ववचारपणूण वववेचन ककया है, जो भाषा ववज्ञान की दृष्टि से अत्यांत महत्वपणूण है। वाकतत्व ने अपने स्वरूप को उत्तम परुूष में आत्म वववेचन के रूप में प्रस्ततु ककया है। एक मांत्र में वाकतत्व का कथन है:-

    अहं राष्ट्री सगंमनी वसनूां चचककतषुी प्रथमा यज्ञियानाम ् I तां मा देवा व्यदधु : परुुत्रा भरूरस्थात्रां भयूववेशयन्तीम ् II

    - “मैं राटर यनमाणत्री शष्क्त हूां, मैं वस ुतत्वों का सांगम अथाणत ्सांयोग एवां समन्वय करता हूां, मैं ववज्ञानमय हूां, मैं यज्ञज्ञयों (पावन तत्व, उपास्य तत्व) में सवणप्रथम हूां। िेव (भाषाववद्, शब्ि शास्त्री) मझुको नाना रूप िेकर नाना प्रकार से प्रस्तत ुकरके ववभभन्न स्थानों में अनेक प्रकार से शष्क्त समष्न्वत करत ेहुए प्रयतटठावपत करत ेहैं।

    मानव का सपंरू्व कायव व्यापार भाषा पर आधाररत है। भाषा मानव की महत्वपरू्व उपलब्धध है। उसके माध्यम से जो भी अभभव्यब्क्त होती है, उसका महत्वपरू्व उपादान वाक्य है। मनषु्ट्य़ का सोचना, बोलना अथवा ककसी भाव या ववचार का ग्रहर् करना वाक्य में होता है। इस प्रकार यह सपं्रेषर् तथा भावग्रहर्-भाषा के इन दोनों प्रकायों को सपंन्न करने में सहायक होता है। अतः भाषा वविान के अतंगवत वाक्य के अध्ययन और ववश्लेषर् के भलए वाक्य वविान जैसी एक सपंरू्व शाखा की प्रनतष्ट्ठा की गई है।

    एक भाषा में कही गई बात को िसूरी भाषा में कहना अनवुाि है। यह बात वाक्यों के ही माध्यम से की जाती है। अतः अनवुाि के सांिभण में भी वाक्यों का अध्ययन अयनवायण हो जाता है। अनवुाि और वाक्य ववज्ञान का सांबांध अत्यांत घयनटठ है। जब हम एक भाषा के सांिेश को िसूरी भाषा में अांतररत करत ेहैं, तब वास्तव में हम इस प्रकिया में एक भाषा की वाक्य सांरचना को िसूरी भाषा में उसकी प्रकृयत के अनरुूप प्रयतस्थावपत करत ेहैं। इस प्रकार अनवुाि में वाक्य सांरचना का महत्व स्वयांभसद्ध है।

    स्रोत भाषा में कही हुई बात को लक्ष्य भाषा में यनकितम, सहज, समतलु्य अभभव्यष्क्त द्वारा व्यक्त करने का प्रयास अनवुाि है। इस यनकितम, सहज, समतलु्य पयाणय की खोज की प्रकिया में अनवुािक सबसे पहले मलू पाठ का सावधानीपवूणक पठन करता है और ववषय और भाषा – िोनों ही दृष्टियों से उसका ववश्लेषण करता है। इस ववश्लेषण के माध्यम से वह मलू पाठ में अांतयनणदहत अथण (सांिेश) को ग्रहण करता है। अनवुाि प्रकिया का यही सवाणधधक महत्वपणूण चरण है। जब तक अथण की

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    प्रतीयत नहीां हो जाती, तब तक अनवुािक का कायण आगे नहीां बढ़ता। अथण की प्रतीयत के भलए अनवुािक वाक्य के ववभभन्न घिकों (पिों, पिबांधों तथा उपवाक्यों) और वाक्य के ववभभन्न अांगों (कताण, किया, कमण, ववशषेण, किया ववशषेण आदि) के परस्पर सांबांधों का ववश्लेषण करता है और अथणग्रहण करता है। इसी प्रकार अथण की प्रतीयत हो जाने के बाि, लक्ष्य भाषा में उस अथण का अांतरण करने के बाि जब वह पनुरणचना करने के भलए बढ़ता है, तब एक बार किर वाक्य सांरचना प्रासांधगक हो जाती है। ककन्त ुयहाां उसका सरोकार लक्ष्य भाषा की वाक्य सरांचना स े होता है। वह स्रोत भाषा के सांिेश की समतलु्य अभभव्यष्क्त प्रिान करने के भलए लक्ष्य भाषा की प्रकृयत के अनरुूप वाक्य की रचना करता है।

    उपयुणक्त वववेचन से यह स्पटि है कक यहाां अथण ग्रहण करने के भलए स्रोतभाषा की वाक्य सांरचना का समधुचत ज्ञान आवश्यक है, वहीां िसूरी ओर ज्ञात अथण को लक्ष्य भाषा में सहज अभभव्यष्क्त प्रिान करने के भलए लक्ष्य भाषा की वाक्य सांरचना का समधुचत ज्ञान भी आवश्यक है।

    भाषा सरंचना में वाक्यः- व्याकरणणक सांरचना की दृष्टि से वाक्य भाषा की सबस ेबडी इकाई मानी जाती है। इसभलए भाषा की सांपणूण सांरचना में वाक्य की भभूमका कें द्रीय होती है।

    सांिेश सांप्रेषण की दृष्टि स ेप्रोष्क्त (discourse) भाषा की सबसे बडी इकाई है। प्रोष्क्त वक्ता के पणूण ज्ञातव्य या ववचार-बब ांि ुका प्रयतयनधधत्व करती है और उसे सांिभण या प्रकरण स ेजोडती है। प्रोष्क्त एक अल्पाांग वाक्य (minor sentence) भी हो सकती है जैसे – हााँ/ बदैठए, एक पणूाांक वाक्य भी हो सकती है (जैसे - बठैक में सभी सिस्य आ गए हैं) और एक से अधधक वाक्यों का समहू भी (जैसे – जो पसु्तकें आप को पसांि हो, ले जाइए। बाकी अलमारी में रख िीष्जए)। स्मरण रहे कक अथण के स्तर पर अनवुाि की सबसे छोिी इकाई प्रोष्क्त होती है, साधारण वाक्य नहीां। वाक्य से छोिा घिक उपवाक्य (clause) है। उपवाक्य स ेछोिा घिक पिबांध (phrase) कहलाता है। उपवाक्य पिबांधों से ही भमलकर बनता है। पिबांध से छोिा घिक है शब्ि (word)। शब्िों से भमलकर पिबांध बनता है, जैसे ववत्त अनभुाग का प्रभारी अधधकारी।

    शब्ि से छोिा घिक रूवपम (morpheme) है। ध्वयनयों का ऐसा अनिुम जो अथणवान हो और जो अधधक अथणवान खांडों में ववभक्त न हो सकता हो रूवपम कहलाता है। यह भाषा की लघतुम अथणवान इकाई होता है। रूवपम शब्ि के रूप में भी हो सकता है, शब्ि से छोिी इकाई के रूप में भी । उिाहरण के भलए – सहनशीलता एक शब्ि है, लेककन इसके तीन रूवपम हैं: सहन+शील+ता, लेककन ष्जस शब्ि में केवल एक ही रूवपम होता है, उसके शब्ि और रूवपम में कोई भिे नहीां होता, जैसे कागज, णखडकी, मकान, मेहमान आदि शब्ि भी हैं और रूवपम भी।

    रूवपम स ेछोिा घिक स्वयनम (phoneme) है। स्वयनम ककसी भाषा में प्रकृत ध्वयनयों का एक ऐसा समहू है ष्जसके सिस्य परस्पर पयाणप्त समानता रखत ेहैं, लेककन कोई भी सिस्य िसूरे के स्थान पर प्रयकु्त नहीां हो सकता। मोिे रूप से ककसी भाषा में प्रयकु्त ध्वयनयों को, ष्जनसे भमलकर उस भाषा के

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    शब्ि बनत ेहैं, स्वयनम कहा जा सकता है। जैसे दहांिी में प,् ि्, स,् ट् आदि। स्वयनमों से भमलकर रूवपम बनता है, जैसे- प+उ+स+्त+्क्। इन पााँच स्वयनमों से भमलकर एक रुवपम या शब्ि बनता है – पसु्तक। अतः स्वयनम भाषा की सबसे छोिी इकाई है।

    इस प्रकार हम िेखत ेहैं कक भाषा एक बहुस्तरीय (Multi-layered) सांरचना है। इसका हर स्तर एक-िसूरे से अधधिभमक सांबांधों के आधार पर जुडा है।

    प्रोष्क्त

    वाक्य

    उपवाक्य

    पिबांध

    शब्ि

    रुवपम

    स्वयनम

    प्रोष्क्त – सपे्रषण के स्तर पर भाषा की मलू इकाई है।

    वाक्य – व्याकरणणक सांरचना के स्तर पर भाषा की सबसे बडी इकाई। भावाभभव्यष्क्त की लघतुम इकाई।

    रुवपम – भाषा की लघतुम अथणवान इकाई ।

    स्वयनम – भाषा की लघतुम सांरचनात्मक इकाई।

    वाक्य- सामान्यतः साथणक और सवु्यष्स्थत पि – समहू को वाक्य कहत े हैं। प्रख्यात दहांिी वयैाकरण कामता प्रसाि गरुू ने दहांिी व्याकरण में वाक्य की पररभाषा इस प्रकार िी है ––– “एक पणूण ववचार व्यक्त करने वाला शब्ि-समहू वाक्य कहलाता है।” लगभग यही बात आचाणय ववश्वनाथ द्वारा सादहत्य िपणण में िी गई यनम्नभलणखत पररभाषा से भी ध्वयनत होती है ––

    “वाक्य स्यात ्योग्यताकांक्षा आसवियकु्तः पदोच्चः I” अथाणत ्योग्यता, आकाांक्षा और आसष्क्त (वाक्य में पास-पास रहने वाले शब्िों का परस्पर सांबांध)

    उपयुणक्त िोनों पररभाषाओां में वाक्य की िो अयनवायण शतों का उल्लेख ककया गया है – (क) वाक्य शब्िों का समहू होता है, (ख) उससे पणूण ववचार की अभभव्यष्क्त या आकाांक्षा (ष्जज्ञासा) की सांतषु्टि होती है। ववचार की अभभव्यष्क्त के भलए वाक्य में प्रयकु्त पिों को साथणक और योग्य होना चादहए तथा उन

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    पिों में परस्पर साष्न्नध्य होना चादहए। वाक्य कभी तो पिों का समहू हो सकता है और कभी नहीां भी हो सकता है। सांिभण के अनसुार कभी-कभी एक ही पि से पणूण सांिेश का बोध हो जाता है। जैसे –– हाां, नहीां, आओ, जाओ, लो, िो आदि । ष्जसमें वाक्य के सारे घिक उपष्स्थत हों उसे पणूाांग वाक्य कहत ेहैं और ष्जसमें सभी घिक उपष्स्थत न हों उसे अल्पाांग वाक्य कहत ेहैं। फ्राइज अपनी पसु्तक “ि स्रक्चर ऑि इांगभलश” में पाश्चात्य वयैाकरणों द्वारा िी गई पररभाषा उद्धतृ करत ेहुए भलखत ेहैं कक “पणूण ववचारों के धोतक पि-समहू को वाक्य कहत ेहैं।” ‘ववचार की पणूणता’ का अभभप्राय मात्र व्याकरणणक पणूणता से है। ववचार या बात एक अववष्छछन्न धारा प्रवाह है, उसमें कोई वाक्य वचैाररक दृष्टि से कैसे पणूण हो सकता है।

    वाक्य का स्वरूपः- भारत की प्राचीन परांपरा के प्रयतयनधध और सांसार के महानतम वयैाकरण पाणणयन ने वाक्य की पररभाषा ‘एक यतङ्’ सतू्र से की है ष्जसका अथण है – “किया पि ही वाक्य है।” आचायण ककशोरी िास वाजपेयी अपनी पसु्तक ‘दहांिी शब्िानशुासन’ में भलखत े हैं, वाक्य में कम से कम एक किया आवश्यक होती है। उसके बबना वाक्य नहीां बन सकता।

    वाक्य (sentence) एक बहुआयामी (multidimensional) सांरचना है। इसे हम व्याकरणणक इकाई के रूप में भी िेख सकत ेहैं, अथण की एक इकाई के रूप में भी िेख सकत ेहैं और सांरचना की एक इकाई के रूप में भी। अथण की एक इकाई के रूप में वाक्य एक अपेक्षाकृत पणूण और स्वतांत्र मानक उष्क्त (utterance) है, ष्जसकी पणूणता और स्वतांत्रता इस बात में है कक यह अकेले प्रयकु्त होता है या हो सकता है। इस दृष्टि से वाक्य एक स्वतांत्र अथणपणूण उष्क्त (Independent meaningful utterance) है।

    सांरचनात्मक इकाई के रूप में वाक्य एक ऐसी सांरचना है जो कुछ घिकों (शब्िों, पिबांधों) से भमलकर बना है। ब्लमू िील्ड के अनसुार, वाक्य एक ऐसी सांरचना है जो ककसी उष्क्त ववशषे में अपने से बडी ककसी सांरचना का अांग नहीां बन सकती। इस दृष्टि से वाक्य भाषा की सबस ेबडी इकाई है।

    व्याकरणणक इकाई के रूप में वाक्य ऐसी रचना है ष्जसमें कम से कम िो अवयवों (Constituents) का होना जरूरी है – 1. उद्िेश्य (Subject) और 2. ववधेय (predicate) । उद्िेश्य वाक्य का वह अांश है ष्जसके बारे में कुछ कहा जाए। उद्िेश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए वह ववधेय कहलाता है। जैसे –

    उद्देश्य (Subject) ववधेय (predicate)

    सभी कमणचारी कायाणलय में काम कर रहे हैं। सभी िाइलें अधधकारी के पास भेज िी गई हैं।

    उद्िेश्य हमेशा सांज्ञा पिबांि के रूप में होता है, ष्जसमें सांज्ञा या सांज्ञा का ववस्तार िोनों शाभमल है। ववधेय हमेशा किया के रूप में उद्िेश्य के बाि प्रयकु्त होता है ष्जसमें मोिे रूप से किया, कमण, परूक किया, ववशषेण आदि शाभमल होत ेहैं।

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    वाक्य के आवश्यक तत्व

    अांग्रेजी भाषा के व्याकरण में Syntax के अन्तगणत वाक्य रचना के बारे में ववचार ककया जाता है। ‘syntax’ शब्ि ग्रीक भाषा के िो शब्िों Syn+taxes के योग से बना है। Syn का अथण है together (साथ-साथ)+ और Taxes का अथण है Ordering (िम में रखना)। अतः Syntax का अथण हुआ – The ordering or arrangement of orders अथाणत ्वाक्य में शब्िों को उधचत और सही िम में रखकर सही अांगे्रजी भलखना Syntax कहलाता है।

    Syntax को प्रायः तीन भागों में बाांिा जाता है।

    1. Order or position of a word in a sentence. 2. Government of power which a word possesses over other. 3. Concordance or agreement of words in number, person, gender and case in a sentence.

    भारतीय वयैाकरणों न ेवाक्य के छः आवश्यक तत्व बताएां हैं – 1. साथणकता 2. योग्यता 3. आकाांक्षा की सांतषु्टि 4. सष्न्नधध 5. अष्न्वयत 6. पििम

    1. साथवकता – साथणक शब्िों स ेही वाक्य की रचना हो सकती है, यनरथणक शब्िों स ेनहीां।

    2. योग्यता – वाक्य में प्रयकु्त शब्िों में सांिेश को अभभव्यक्त करने की योग्यता होनी चादहए। चूांकक ववभभन्न शब्िों के समन्वय से ही एक पणूण वाक्य की रचना होती है ष्जससे एक परूा सांिेश भमलता है, इसभलए यह आवश्यक है कक वाक्य में प्रयकु्त हर शब्ि में वाांयछत अथण वहन करने की योग्यता हो। “पौधे को आग से सीांचो” जैसे ककसी वाक्य की रचना नहीां हो सकती; क्योंकक इसमें “आग” अयोग्य शब्ि है, ष्जसमें सीांचने की योग्यता नहीां है।

    3. आकांक्षा की सतंबु्ष्ट्ि – आकाांक्षा की सांतषु्टि अथाणत ्ष्जससे एक परूी बात की जानकारी भमल जाए। वसैे तो ववचारों के यनरांतर प्रवाह में बात भी अधूरी ही रहती है, तो किर बात का अवयव कैसे परूा हो सकता है ? यह पणूणता मात्र व्याकरण की दृष्टि से है। इसी सीभमत सांिभण में वाक्य को पणूण लघतुम इकाई कहा गया है। डॉ. भोलानाथ यतवारी ने वाक्य के सांिभण में चचाण करत ेहुए कहा है –––– ‘वाक्य परूी बात की तलुना में अपणूण होत ेहुए भी अपने आप में पणूण लघतुम स्वतांत्र भावषक इकाई है।’ बात परूी होने के भलए व्याकरणणक दृष्टि से वाक्य में एक पणूण किया (समावपका किया) का होना आवश्यक होता है। सामान्यतः जब तक किया का प्रयोग नहीां होता तब तक आकाांक्षा सांतटुि नहीां होती। जैसे “राम” मात्र कहने से यह जानने की आकाांक्षा बनी रहती है कक “राम” कौन है, राम के बारे में क्या कहना है, आदि। “राम , घर” कहने से भी आकाांक्षा सांतटुि नहीां होती। जब हम यह सनुत ेहैं कक “राम घर जाता है” तब

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    हमें परूा सांिेश प्राप्त हो जाता है। ककन्त ुकभी-कभी यह किया अनपुष्स्थत रहती है, तो भी पवूण सांिभण से हम परूी बात समझ लेत ेहैं। जैसे आप खाना खात ेसमय “रोिी”, “पानी” या ऐसे ही और ककसी शब्ि के माध्यम से कोई चीज माांगत ेहैं तब सनुने वाला परूी बात उस किया ववहीन वाक्याांश के माध्यम से भी समझ लेता है। उस दिशा में वह एक शब्ि ही परेू वाक्य “मझुे रोिी िो” का अथण िेता है।

    अतः अथण की पणूणता ही वाक्य की कसीिी है। इसभलए यदि ककसी प्रकार अथण की पणूणता हो जाती है तो एक पि भी वाक्य हो सकता है। इसी कारण से लम्बे पिों का समिुाय भी वाक्य नहीां बन पाता यदि उसका अथण अपणूण हो। यदि ककसी पि-समहू को ककसी िसूरे पि या पिों की अपनी अथण की पयूत ण के भलए आकाांक्षा बनी रहती है तो उसे वाक्य नहीां कह सकत।े सांरचना की दृष्टि से प्रधान उपवाक्य से जुड ेमध्यवती उपवाक्यों के बारे में भी यही बात है।

    अथण की पणूणता को ही ध्यान में रखत े हुए वयैाकरणों ने महावाक्य की कल्पना की है। यह महावाक्य कई उपवाक्यों के योग से बना एक वाक्य भी हो सकता है और कई वाक्यों के योग से बना अनछुछेि या अध्याय हो सकता है या परूी रचना भी हो सकती है। आधुयनक भाषा वजै्ञायनकों ने महावाक्य के समानान्तर “प्रोष्क्त” की सांकल्पना की है, जो वाक्योपरर सांरचना है। अनवुाि के सांिभण में यह और भी प्रासांधगक है। ककसी पि का अथण पणूण वाक्य के सांिभण से यनष्श्चत ककया जाता है और वाक्य का अथण अनछुछेि के सांिभण में, अनछुछेि का अध्याय के और अध्याय का सम्पणूण रचना के सांिभण में अथण यनष्श्चत ककया जाता है। इसीभलए ककसी जदिल वाक्य को ववभाष्जत कर उसके सम्पणूण सांिेश को छोिे-छोिे कई वाक्यों में अभभव्यक्त ककया जा सकता है। ककन्त ुसावधानी इस बात की बरतनी होती है कक अलग-अलग बनाए गए इन वाक्यों में एकवाक्यता हो तभी तो एक परूी बात को वे अभभव्यक्त कर सकें गे और आकाांक्षा सांतटुि हो सकेगी।

    4. सब्न्नचध – सष्न्नधध का अथण है यनकिता। भलणखत रूप में वाक्य में प्रयकु्त शब्िों में परस्पर यनकिता होनी चादहए। ये शब्ि एक के बाि एक के िम में पास-पास भलखे होने चादहए। इसी प्रकार बोलत ेवक्त भी शब्ि एक के बाि एक के िम में तरुांत उछचाररत होने चादहए। वाक्य के पिों के बीच िेश-काल का अांतराल नहीां होना चादहए। तभी इन शब्िों का परस्पर सांबांध स्थावपत करके अथण ग्रहण ककया जा सकता है।

    एक बात यहाां ससु्पटि कर िेना आवश्यक है कक शब्ि वाक्य में प्रयकु्त होत े ही पि का रूप धारण कर लेत ेहैं। वे वाक्य में आत ेही सांबांध तत्व और ववभभन्न व्याकरणणक कोदियों से यनयांबत्रत हो जात े हैं। पाणणयन ने पि की पररभाषा ‘रउम ् यतङन्तां पि’ के रूप में िी है। अथाणत ् काल तथा किया ववभष्क्तयों के योग को पि कहत े हैं। वाक्य से अलग रहकर इन शब्िों से कोई यनष्श्चत सांिेश नहीां भमलता। जैस े: आप, राम, आम, खाना जैस ेअलग-अलग शब्िों से कोई सांिेश ग्रहण नहीां कर पात ेककन्त ु

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    जब इन तीनों शब्िों को कत्ताण, कमण और कियापि बना कर वाक्य में प्रयकु्त करत ेहैं, तब “राम आम खाता है” वाक्य की रचना हो जाती है और तीनों पिों के योग से एक यनष्श्चत सांिेश प्राप्त हो जाता है।

    वाक्य में प्रयकु्त पिों या खांडों को वाक्य का अवयव कहत ेहैं। ककसी वाक्य का ठीक अथण जानने के भलए यह जानना आवश्यक है कक वाक्य के ककस अवयव का यनकितम अवयव कौन-सा है। इसी आधार पर अथण की इकाइयाां बनती हैं। उिाहरण के भलए यनम्नभलणखत वाक्य को िेखें:-

    राम का भमत्र मोहन श्याम के घर जा रहा है । 1 2 3

    उपयुणक्त वाक्य में कुल 10 अवयव हैं ष्जन्हें यनकिता के आधार पर तीन खांडों में ववभाष्जत ककया गया है। वाक्य में ‘मोहन’ और ‘श्याम’ पास-पास होत ेहुए भी एक िसूरे के यनकितम अवयव नहीां हैं। ‘मोहन’ ‘राम का भमत्र’ पिबांध का यनकितम अवयव है, जबकक ‘श्याम’ ‘घर’ का यनकितम अवयव है। ‘राम का भमत्र मोहन’ वाक्य का उद्िेश्य होने के कारण अन्य िो खांडों से अलग है। ‘श्याम के घर’ और ‘जा रहा है’ ––– िोनों ही ववधेय के अांश होने के कारण एक िसूरे के यनकितम अवयव हैं।

    इसी प्रकार अांग्रेजी की एक सांकल्पना िेखें:-

    Memorandum and Articles of Association.

    इसके अवयवों के आधार पर िो प्रकार से खांड ककए जा सकत ेहैं:- 1. Memorandum and Articles of Association. 2. Memorandum of Association and Articles of Association.

    सांिभण के अनसुार िम सांख्या िो पर उष्ल्लणखत खांड सही है। इसके अनसुार दहांिी में इसके भलए पयाणय यनधाणररत ककया गया है-

    सांगम ज्ञापन और सांगम अनछुछेि। ऐसा इसभलए हुआ कक Memorandum और Articles िोनों ही Association के यनकितम अवयव है। जब िो सांज्ञाएां and सांयोजक के जुडी हों और उनसे पहले कोई ववशषेण हो तो यह ववचार कर लेना चादहए कक वह ववशषेण िोनों सांज्ञाओां का यनकिस्थ है या केवल पहली का। यदि िोनों का यनकिस्थ हो तो उसका दहांिी में अनवुाि करत ेसमय ऐसे पयाणय का प्रयोग करना चादहए जो िोनों के भलए उपयकु्त हो। यदि िोनों के भल ांग भभन्न हों, तो तिनसुार पयाणय यनधाणररत करने चादहए, जैसे –

    Learned men and women ववद्वान परुूष और वविषुी मदहलाएां। यदि Learned केवल men का यनकितम अवयव हो तो इसका अनवुाि भभन्न प्रकार से होगा – ववद्वान परुूष और मदहलाएां ।

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    He fell in love with her में यनकितम अवयव का न ध्यान रखें तो इसका अनवुाि होगा – “वह उसके साथ प्रेम में धगरा” जो हास्यास्पि है। ककां त ुयदि यनकितम अवयव की दृष्टि से ववचार करें, तो आप पाएांगे कक to fall in love with एकआथी इकाई है, ष्जसका अथण है “प्यार करना”। तिनसुार इसका अनवुाि होगा – वह उससे प्यार करने लगा। महुावरों और लोकोष्क्तयों के शब्ि, वाक्य के अन्य शब्िों स ेअलग होत ेहैं। ये आपस में यनकितम होत ेहैं, इसभलए उनका हमेशा एकआथी इकाई के रूप में अलग अनवुाि होना चादहए। हर शब्ि का अलग-अलग अथण करने से अनथण हो जाता है।

    5. अब्न्वनत (Concordance) – वाक्य के पिों के बीच व्याकरणणक अनरुूपता को अष्न्वयत कहत ेहैं। वाक्य के ववभभन्न पिों में समधुचत अन्वय होना चादहए। अन्वय का अथण है – सांगयत तथा सांबांध। भल ांग, वचन, परुूष, ववभष्क्त आदि की दृष्टि से प्रयकु्त पिों में सांगयत होनी चादहए। कहने का अभभप्राय यह है कक वाक्य रचना व्याकरणणक दृष्टि से शदु्ध होनी चादहए।

    दहांिी भाषा के वाक्य रचना में अष्न्वयत के मखु्य यनयम यनम्नभलणखत हैं:-

    1. कताण + किया में वचन और भलांग की अष्न्वयत लडका जाता है। लडके जात ेहैं। लडकी जाती है। लडककयााँ जाती हैं।

    अांग्रेजी भाषा में भी वाक्य-रचना में केवल कताण+किया की अष्न्वयत होती है, भल ांग की नहीां:- The boy reads, The Boys Read. The girl reads, The Girls read.

    2. कमण+किया – वचन और भलांग की अष्न्वयत यदि परसगण (ने) यकु्त कताण के साथ परसगण (को) रदहत कमण हो तो किया का वचन कमण के साथ होता है, कताण के साथ नहीां –

    राम ने रोिी खाई। राम ने चावल खाए। सीता ने पत्र पढ़ा। सीता ने धचट्ठी पढ़ी।

    परांत ुपरसगण (न)े यकु्त कताण के साथ परसगण (को) यकु्त कमण हो तो किया का अन्वय कमण साथ नहीां होता। किया पषु्ल्लांग+एक वचन में होती है –

    राम ने लडकी को िेखा। राम ने लडककयों को िेखा। सीता ने लडकी को िेखा। सीता ने लडककयों को िेखा।

    3. एक से अधधक कताण+किया की अष्न्वयत (i) यदि ककसी वाक्य में अनेक कताण हों परांत ुउनका भल ांग समान हो तो उनके साथ किया बहुवचन में आती है- राम, भरत और लक्ष्मण गए। राधा, सीता और साववत्री गईं। (ii) यदि कताण पिों के भल ांग में भभन्नता हो तो किया पषु्ल्लांग बहुवचन में होती है – राम, सीता और लक्ष्मण गए। राम, श्याम और राधा गए।

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    भलगं – प्राकृयतक भलांग और व्याकरणणक भलांग सवणिा समान नहीां होत।े ससं्कृत में “दारा” (स्त्री) पबु््लगं है, तो “कलत्र” (स्त्री) नपसुकं भलगं। इसभलए ऐसी भाषाओ ंमें ब्जनमें व्याकरणर्क भलगं है, अनवुाद करत ेसमय भलगं ववधान को ध्यान में रखना आवश्यक हो जाता है। उदाहरर् के भलए अगं्रेजी का यह वाक्य लें - - The moon has hid her face behind clouds आप जानत े हैं कक हहदंी में moon का पयावय ‘चांद’ पबु््लगं है, ककन्त ु अगें्रजी में moon स्त्रीभलगं। इसभलए अनवुाद करत े समय हहदंी में चांद के भलए पबु््लगं का ही प्रयोग ककया जाएगा। इसी प्रकार “Death lays his icy hands even on kings” का यहद हहदंी में अनवुाद करना हो तो death के पयावय ‘मतृ्य’ु के भलए स्त्रीभलगं की किया का प्रयोग ककया जाएगा। इसी प्रकार अगं्रेजी में ship, spring, autumn स्त्रीभलगं है, जबकक हहदंी में इसके समानाथी जहाज, वसन्त और पतझड़ पबु््लगं हैं। अगं्रेजी में Winter पबु््लगं है, ककन्त ु हहदंी में ‘जाड़ा’ स्त्रीभलगं है। अतः अनवुादक को स्रोत तथा लक्ष्य भाषा के व्याकरणर्क भलगं से सम्बद्ध प्रयोग सबंधंी ननयमों एव ंववशषेताओ ं से पररचचत होना चाहहए तथा अनवुाद करत ेसमय लक्ष्य भाषा के व्याकरणर्क ववधान के अनरुूप रचना करनी चाहहए।

    वचन – वचन सम्बन्धी यनयम भी हर भाषा के अपने होत ेहैं। अनवुािक को इस सांबांध में सतकण रहना चादहए। उिाहरण के भलए दहांिी में िशणन, प्राण, हस्ताक्षर का प्रयोग पभुल ांग बहुवचन में ककया जाता है। जैसे – 1. बहुत दिनों बाि आपके िशणन हुए। 2. उसके प्राण यनकल गए। 3. ये उनके हस्ताक्षर हैं।

    अांग्रेजी में sheep, deer, cod आदि कुछ शब्ि ऐसे हैं, ष्जनके एक वचन और बहुवचन के रूप समान होत े हैं। कुछ सांज्ञाओां का अांगे्रजी में प्रयोग हमेशा बहुवचन में ही होता है, जैसे – spectacles, scissors, pants, trousers, billiards, measles, mumps और annals आदि। दहांिी में इनका पयाणय रखत ेसमय इनके वचन का यनधाणरण दहांिी के व्याकरणणक ववधान के अनसुार होना चादहए। दहांिी में कुछ शब्ि बहुवचन में होने पर भी एकवचन रूप में वाक्य में आत ेहैं –––– वह िस दिन तक नहीां आएगा, उसके वपता एक सौ वषण तक जीववत रहे। दहांिी में एकवचन के स्थान पर आिर के भलए बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे अांग्रेजी वाक्य Nehru was a very good speaker का दहांिी अनवुाि “नेहरू बड ेअछछे वक्ता थे” होगा। दहांिी में यह बात सवणनाम, ववशषेण, किया और किया ववशषेण पर भी समान रूप से लाग ूहोती है, जैसे – साधारर् आदरसचूक वह वे

    आ रहा है आ रहे हैं लम्बा लम्ब ेिौडता आया िौडत ेआए

    अतः अनवुािक को लक्ष्य भाषा के यनयमों के अनसुार ऐसी ष्स्थयतयों में स्रोत भाषा के वचन में

    आवश्यकतानसुार पररवतणन कर लेना चादहए। इसी प्रकार परुुष, कारक धचह्नों और कियाओां के काल, ववृत्त और पक्ष आदि की दृष्टि से भी

    अष्न्वयत का ध्यान रखना चादहए।

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    पदिम – हर भाषा में वाक्य में पिों का ववशषे िम होता है। दहांिी भाषा में कताण+कमण+किया (S.O.V) की व्यवस्था है, जबकक अांग्रेजी में कताण+किया+कमण (S.V.O) की व्यवस्था है। राम ककताब पढ़ता है S O V Ram reads a book. अनवुाि करत ेसमय यह ध्यान रखना चादहए कक स्रोत भाषा के पििम की छाया S V O

    भाषा में ककए गए अनवुाि पर न पड।े अांगे्रजी में यदि तीनों परुूष साथ आएां तो पहले मध्यम परुूष का िम रखा जाता है किर अन्य परुूष और सबसे अन्त में उत्तम परुूष का िम रखा जाता है (you, he and I)। इसके ववपरीत दहांिी में ऐसा कोई यनष्श्चत ववधान नहीां है।

    A white flower garland का दहांिी पयाणय “एक सिेि िूलों की माला” न होकर “सिेि िूलों की (एक) माला” होगा। इसी प्रकार a white cloth bag के भलए दहांिी में “एक सिेि कपड ेका थैला” न कहकर “ सिेि कपड े का (एक) थैला” कहना चादहए। प्रायः िेखा जाता है कक अखबारों के शीषणकों में असावधानीवश पििम की गलती के कारण हास्यास्पि रचना हो जाती है, जसैे – सिन में ववधायक द्वारा अिीम की तस्करी के बारे में चचाण। स्पटि है कक पििम की गलती से वाांयछत सन्िेश ववकृत हो गया है। ववधायक द्वारा सिन में चचाण की गई है न कक अिीम की तस्करी। अतः इसका सही पििम होना चादहए – अिीम की तस्करी के बारे में ववधायक द्वारा सिन में चचाण। कभी-कभी कुछ ववशषे प्रभाव उत्पन्न करने के भलए वाक्य के पिों का िम पररवयत णत कर दिया जाता है – तो मैं जाता हूां। तो जाता हूां मैं। (कताण) (किया) (किया) (कताण)

    दहांिी में सवणनाम का प्रयोग सांज्ञा के बाि ही ककया जाता है। ककन्त ुअांगे्रजी में सवणनाम का प्रयोग कभी-कभी सांज्ञा से पहले भी करने का ररवाज़ है। अतः ऐसे वाक्यों का अांगे्रजी से दहांिी में अनवुाि करत ेसमय सांज्ञा को पहले रखना चादहए, किर उसके बाि सवणनाम। उिाहरणस्वरूप यनम्नभलणखत वाक्य िेखें – As he was a realist, fielding depicted a true picture of his contemporary society.

    इसका दहांिी में अनवुाि यनम्न प्रकार से ककया जाएगा –

    “चूांकक िीष्ल्डांग यथाथणवािी सादहत्यकार थे, इसभलए उन्होंने समसामययक समाज का यथातण धचत्र प्रस्ततु ककया।”

    ऐसा करना इसभलए आवश्यक होता है कक एक बार सांज्ञा का उल्लेख हो जाने के बाि ही यह पता चलता है कक सवणनाम उसी सांज्ञा का यनिेश कर रहा है। सांज्ञा से पहले सवणनाम का प्रयोग करने से ऐसा प्रतीत होता है कक वह सवणनाम सांबांधधत सांज्ञा से भभन्न ककसी सांज्ञा का यनिेश कर रहा है।

    अतः अनवुािक को वाक्य रचना करत ेसमय पििम का समधुचत रूप से ध्यान रखना चादहए। ष्जससे कक उस रचना से वही अथण ध्वयनत हो जो अथण वह अभभव्यक्त करना चाहता है।

    पदबधं (Phrase) - पिबांध में एक से अधधक पि होत ेहैं। जब वाक्य में एक से अधधक पि भमलकर एक ही व्याकरणणक इकाई की रचना करें, तो इन पिों के योग को पिबांध कहत ेहैं। पिबांध के यनम्नभलणखत भेि हैं:-

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    1. सिंा पदबधं (Noun phrase) – सांज्ञा का काम करने वाले पिबांध को सांज्ञा पिबांध कहा जाता है। जैसे – कडी मेहनत करने वाला सिल होगा।

    इस वाक्य में रेखाांककत अांश पिों का समहू है। सभी पि भमलकर पिबांध के रूप में सांज्ञा का कायण कर रहे हैं। 2. ववशषेर् पदबधं (Adjective phrase) – ववशषेण का काम करने वाले पिबांध को ववशषेण पिबांध कहत ेहैं। जैसे – कडी मेहनत करने वाला लडका सिल होगा।

    रेखाांककत अांश सामदूहक रूप से सांज्ञा पि लडका की ववशषेता बता रहा है।

    3. किया ववशषेर् पदबधं (Adverb phrase) – किया ववशषेण का काम करने वाले पिबांध को किया ववशषेण पिबांध कहा जाता है। जैसे – कडी मेहनत करने वाला लडका कभी-न-कभी अवश्य सिल होगा। इस वाक्य में रेखाांककत पि समहू किया की ववशषेता बता रहा है। इस कारण यह पि समहू किया ववशषेण पिबांध है।

    4. किया पदबधं (Verb phrase) – किया का कायण करने वाले पिबांध को किया पिबांध कहा जाता है। जैसे – कडी मेहनत करने वाला लडका कभी न कभी अवश्य सिल हो कर रहेगा। रेखाांककत पि समहू किया का कायण कर रहा है।

    बाह्य सरंचना और आन्तररक सरंचना

    प्रभसद्ध भाषावजै्ञायनक चामस्की ने वाक्य-सांरचना के िो भेि दिए हैं - बाह्य सरचना (surface structure) और आन्तररक सांरचना (Deep Structure)। भाषाओां में वाक्यों के सामान्यतः एक ही अथण होत ेहैं। ककन्त ु कुछ वाक्य ऐसे भी होत े हैं, ष्जनके एकाधधक अथण होत े हैं। उिाहरण के भलए यनम्नभलणखत वाक्य िेखें – शीला गाने वाली है। इस वाक्य के िो अथण हैं – (1) शीला अब गाएगी, (2) शीला गाने का काम करती है। इसी प्रकार ‘वह डॉक्िर होगा’ वाक्य के िो अथण हैं (1) वह (बडा होकर) डॉक्िर होगा (2) (शायि) वह डॉक्िर होगा।

    बाह्य सांरचना में एक ही वाक्य होत ेहुए भी आन्तररक सांरचना में यहााँ िो वाक्य हैं। ऐसे अनवुाि करत ेसमय अनवुािक को यह ववचार कर लेना चादहए कक वाक्य कहीां एक स ेअधधक अथों वाला तो नहीां है, और यदि है तो आन्तररक सांरचना के आधार पर उस प्रसांग में उसका कौन-सा अथण ग्राह्य है। यह यनष्श्चत कर लेना चादहए और अभीटि अथण का ही अनवुाि करना चादहए। अनेकाथी वाक्यों में एक अथण के स्थान पर िसूरे को लेकर अनवुाि करने की गलती हो सकती है। अतः अनवुािक को इसके बारे में सतकण रहना चादहए। उिाहरण के भलए अांग्रेजी के यनम्नभलणखत वाक्य िेखें –

    Flying airoplane is dangerous

    इसके िो अनवुाि हो सकत ेहैं – 1. उडता हुआ जहाज खतरनाक है। 2. जहाज उडाना खतरनाक है।

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    इसी प्रकार Shooting of the hunter के आन्तररक सांरचना के आधार पर िो अनवुाि हो सकत ेहैं – 1. भशकारी का मारना 2. भशकारी को मारना

    वाक्य सरंचना के आधार पर वाक्य के ववभभन्न प्रकार और उनका अनवुाद वाक्य सांरचना की दृष्टि स ेवाक्य तीन प्रकार के होत ेहैं:- 1. सरल वाक्य (simple sentence) – मैंने िवा खाई । 2. सांयकु्त वाक्य (compound sentence) – मैंने खाना खाया और िवा पी। 3. भमश्र वाक्य (complex sentence) – मैंने वह िवा खाई जो तमु लाए थे।

    1. सरल वाक्य – सरल वाक्य के अांतगणत वे सभी वाक्य आत ेहैं ष्जनमें कोई िसूरा वाक्य न जुडा हो। वाक्य का आांतररक ववश्लेषण सरल वाक्य के ही आधार पर ककया जाता है। ककसी भी भाषा में वाक्य-साांचों (sentence pattern) का यनधाणरण भी सरल वाक्यों के आधार पर ही होता है।

    2. सयंकु्त वाक्य – जब ककसी वाक्य के िो या अधधक उपवाक्य समानाधधकरण समछुचय बोधक शब्िों (coordination conjunctions) जैसे - और, लेककन, या, and, but, or आदि के माध्यम से एक-िसूरे से जुड ेहोत ेहैं तो वह वाक्य सांयकु्त वाक्य कहलाता है। जैसे – वपताजी िकुान में हैं और माताजी खाना बना रही हैं। It was raining outside but we were safe in the car.

    (सांयकु्त वाक्य के उपवाक्यों में समस्तरीय (Coordinating) सांबांध होता है, अथाणत ्वे एक-िसूरे पर आधश्रत नहीां होत,े जैसा कक भमश्र वाक्य में होता है।)

    3. भमश्र वाक्य – भमश्र वाक्य में कम स ेकम िो उपवाक्य होत ेहैं, ष्जनमें से एक मखु्य या स्वतांत्र (Main/principal) उपवाक्य होता और िसूरा गौण या आधश्रत (Subordinate) उपवाक्य होता है। इनके बीच आश्रय और आधश्रत का सांबांध होता है। आधश्रत उपवाक्य कुछ समछुचय बोधक शब्िों (conjunctions) जो, जहाां, कक, ताकक, Who, that, where, which, so that आदि द्वारा मखु्य उपवाक्य से जुड ेहोत ेहैं, जैसेः- मैंने कल एक आिमी िेखा जो बबल्कुल आप की तरह था। (who)

    उसने कहा कक मैं कल यहाां आऊाँ गा। (that) अब हम वहीां भमलेंगे जहााँ पर अगली बठैक होगी। (where)

    आधश्रत उपवाक्य तीन प्रकार के होत ेहैः- सज्ञा उपवाक्य, ववशषेण उपवाक्य और किया ववशषेण उपवाक्य।

    सरल वाक्य की ही तरह सांयकु्त वाक्य के भी अनवुाि में कोई कदठनाई नहीां होती है। सांयकु्त वाक्य में समानपिीय उपवाक्य, सांयोजकों (Conjunctions) से जुड ेहोत ेहैं इसभलए उनके अनवुाि में कोई

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    खास कदठनाई नहीां होती। ववशषे कदठनाई भमश्र वाक्यों के अनवुाि में होती है, जहाां प्रधान उपवाक्य के अयतररक्त कई-कई उपवाक्य भरे होत ेहैं। दहन्िी में सरल या सांयकु्त वाक्य भलखने या बोलने की परम्परा अधधक है, जबकक अांग्रेजी में भमश्र वाक्यों की परम्परा अधधक है। अांग्रेजी और दहन्िी की भमश्र वाक्य की सांरचनाओां में एक प्रमखु अन्तर यह भी है कक अांगे्रजी के उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के कताण और किया के बीच अन्तववणटि होत ेहैं, जबकक दहन्िी में एक परूा उपवाक्य अपने सभी पिों, कताण, किया, कमण के साथ पथृक् होता है। अतः अनवुाि करत ेसमय यह बात ध्यान में रखनी चादहए कक अनदूित वाक्य की सांरचना दहन्िी की प्रकृयत के अनरुूप हो। जैसे – The man who fell from the tree yesterday has died in the hospital today. इसका अनवुाि कुछ लोग दहन्िी में अांगे्रजी की तज़ण पर इस प्रकार करत ेहैं – वह आिमी जो कल पेड से धगरा था आज अस्पताल में मर गया। दहांिी भाषा की प्रकृयत के अनसुार इसका ठीक अनवुाि इस प्रकार ककया जाना चादहए – जो आदमी कल पेड़ स ेचगरा था, आज अस्पताल में उसकी मतृ्य ुहो गयी अथवा आज अस्पताल में उस व्यब्क्त की मतृ्य ुहो गयी, जो कल पेड़ से चगरा था। इसी प्रकार एक अन्य वाक्य िेखें –

    The application of Shri Ramesh Chandra, an L.D.C. from your office who is under training in this

    institute, is being forwarded herewith for further necessary action.

    इस वाक्य का अनवुाि अांगे्रजी के वाक्य के समानान्तर प्रायः यनम्न प्रकार से दिया जाता है – आपके कायाणलय के अवर शे्रणी भलवपक श्री रमेश चन्द्र जो इस समय इस सांस्थान में प्रभशक्षण प्राप्त कर रहे हैं, का आवेिन आवश्यक कारणवाई के भलए अग्रेवषत ककया जाता है। इस वाक्य में रमेश चन्द्र और उनका आवेिन िोनों ही एक िसूरे से अलग हो गए हैं। कताण किया से कािी िरू हो गया है, ष्जससे पढ़ने में यह वाक्य अिपिा लग रहा है। यह ष्स्थयत तब और भी अधधक अिपिी हो जाती है, जब भमश्र वाक्य में कई-कई उपवाक्य होत ेहैं। अनवुाि करत ेसमय प्रयास यह होना चादहए कक हर उपवाक्य अपने कताण, किया, कमण आदि घिकों के साथ ससु्पटि रूप से अलग-अलग हों, ककन्त ुउन्हें उपयकु्त सांयोजक शब्िों के माध्यम से इस प्रकार से जोडा गया हो कक उनसे ससु्पटि अथण ध्वयनत होता हो। िरुूहता शब्ि के कारण नहीां होती, बष्ल्क वाक्य के अिपिेपन के कारण होती है। उपयुणक्त वाक्य का अनवुाि िो सरल, वाक्यों में इस प्रकार ककया जा सकता है –

    आपके कायावलय के अवर शे्रर्ी भलवपक श्री रमेश चन्र इस समय इस ससं्थान में प्रभशक्षर् प्राप्त कर रहे हैं। उनका आवेदन आवश्यक कारववाई के भलए अग्रेवषत ककया जा रहा है।

    अांगे्रजी के उपयुणक्त भमश्र वाक्य को दहन्िी में सरल वाक्य में इस प्रकार से भी अनदूित ककया जा सकता है –

    आपके कायावलय से इस ससं्थान में प्रभशक्षर् पर आए श्री रमेश चन्र, अवर शे्रर्ी भलवपक का आवेदन आवश्यक कारववाई के भलए अग्रवेषत ककया जा रहा है।

    कभी-कभी स्रोत सामग्री के उपवाक्य के भलए लक्ष्य भाषा में उपवाक्य का प्रयोग न करके पिबन्ध का भी प्रयोग करत ेहैं। जैस े– I heard what he said – मैंने उसकी बात सनुी।

    I have faith in what you say – मझुे आपकी बात पर ववश्वास है।

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    भाव या अथव के आधार पर वाक्यों के ववभभन्न प्रकार और उनका अनवुाद भाव या अथण के आधार पर वाक्यों के स्वीकारात्मक, प्रश्नवाचक, यनषधेात्मक, आज्ञासचूक, इछछासचूक, आश्चयणसचूक, सांकेतसचूक आदि भेि ककए गए हैं। इन वाक्यों का अांगे्रजी से दहन्िी में अनवुाि करत ेसमय अनवुािक को उपयकु्त शब्िों का प्रयोग करत ेहुए आज्ञा, इछछा, प्रश्न, यनषधे और आश्चयण आदि का भाव मलू पाठ के अनसुार सरुज्ञक्षत रखना चादहए। 1. स्वीकारात्मक या ववधान सचूक वाक्य (assertive sentence) – इस वाक्य से ककसी कायण के होने की सचूना भमलती है। जैसे – सीता पसु्तक पढ़ती है। 2. ननषधेसचूक वाक्य – इस वाक्य में ककसी कायण के न होने की सचूना भमलती है। जैसे – सीता पसु्तक नहीां पढ़ती है। स्वीकारात्मक, ववधान सचूक और यनषधेात्मक वाक्यों के अनवुाि में कोई कदठनाई नहीां है। ककां त ुप्रश्नवाचक, आज्ञा सचूक, इछछा सचूक और आश्चयण सचूक, सांकेत सचूक वाक्यों के अनवुाि में कुछ ववशषे प्रकार की कदठनाइयाां आती हैं। आइए इन वाक्यों के बारे में कुछ चचाण करें और इनके अनवुाि के कुछ उिाहरण िेखें – 3. प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative sentence) – अांग्रेजी के प्रश्नवाचक वाक्य िो प्रकार के होत ेहैं –

    1. वे वाक्य जो प्रश्नवाचक शब्ि Which, what, who, whom, when, where आदि से शरुू होत ेहैं। इनका दहांिी में अनवुाि करत ेसमय कौन, क्या, ककसे, कब, कहाां आदि शब्िों का प्रयोग करत ेहैं और ये शब्ि वाक्य के बीच में किया से पवूण रखत ेहैं, जैसे ––

    What are you doing ?

    तमु क्या कर रहे हो ? When will you go ?

    तमु कब जाओगे ? Where do you live ?

    तमु कहाां रहत ेहो ?

    2. वे वाक्य जो do, does, did, has, have, had, is, are, am, was, were, will, shall आदि से शरुू होत ेहैं। परोक्ष कथन में अांग्रेजी में उपवाक्य if या whether से शरुू होत ेहैं। इनका अनवुाि करत ेसमय दहांिी के आरांभ में ‘क्या’ का प्रयोग करत ेहैं, जैसे ––

    Do you go ?

    क्या तमु जात ेहो ? Have you read this book ?

    क्या तमुने यह पसु्तक पढ़ी है ? Will he go ?

    क्या वह जाएगा ? He asked me whether if I was going to Varanasi ?

    उसने मझुसे पछूा कक क्या में वाराणसी जा रहा हूाँ ?

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    4. आिासचूक वाक्य (Imperative sentence) – आज्ञा सचूक वाक्यों में ककसी कमण के भलए आज्ञा, अनमुयत िी जाती है अथवा अनरुोध, मनाही का प्रस्ताव ककया जाता है। अांगे्रजी में ये वाक्य किया से ही शरुू होत ेहैं। कभी-कभी इनमें ‘Please’ या ‘Kindly’ का भी प्रयोग ककया जाता है। मनाही वाले वाक्यों में प्रारांभ में ‘do not’ का प्रयोग होता है। प्रस्ताव सचूक वाक्यों में प्रारांभ में ही ‘Let’ का प्रयोग ककया जाता है। दहन्िी में ‘Please’ और ‘Kindly’ के भलए ‘कृपया’ तथा ‘do not’ के भलए ‘न’ अथवा ‘मत’ तथा let के भलए आओ, आइए, चलो, चलें आदि का प्रयोग करत ेहैं। उिाहरण स्वरूप कुछ वाक्यों के अनवुाि िेखें –– Please, get out of the room. कृपया कमरे से बाहर चले जाएां। Wrap these things in paper.

    इन चीजों को कागज़ में लपेि लो। Do not go to Lucknow.

    लखनऊ मत जाओ। . Let us play in the sun. आओ (चलें) घपू में खेलें। 5. इच्छा सचूक वाक्य (Optative sentence) – इछछा सचूक वाक्य वे होत ेहैं ष्जनमें आशीवाणि दिया जाता है या इछछा प्रकि की जाती है। आशीवाणि सचूक वाक्य may से शरुू होत ेहैं, जबकक इछछा सचूक वाक्य would से शरुू होत ेहैं। जैसेः- 1. May you live long. 2. Would that I were a king.

    आशीवाणि जैसे वाक्यों का दहन्िी में अनवुािक करत ेसमय ‘ईश्वर करे’, ‘भगवान करें’ आदि स ेप्रारांभ कर आशीवाणि की बात कहनी चादहए। वाक्य सांख्या 1 का अनवुाि इस प्रकार कर सकत ेहैं – ईश्वर करे आप िीघाणय ुहों।

    या ईश्वर आप को िीघाणय ुकरे। इछछा सचूक वाक्यों का दहन्िी में अनवुाि अछछा होता है, ‘काश’ आदि शब्िों स ेआरांभ करत ेहैं। िम सां. 2 पर उष्ल्लणखत वाक्य का अनवुाि इस प्रकार ककया जा सकता है – काश, मैं राजा होता।

    या क्या ही अछछा होता, मैं राजा होता।

    6. आश्चयव सचूक वाक्य (Exclamatory sentence) – प्रसन्नता, हषण, खेि, ववस्मय आदि प्रकि करने वाले वाक्यों को आश्चयण सचूक वाक्य कहत ेहैं। वाक्य what, how, alas, hurrah आदि से शरुू होत ेहैं और इनमें ववस्मयादिबोधक धचन्ह (!) का प्रयोग होता है, जैसे -

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    1. How pleasant the weather is! 2. What a piece of work is man! 3. Alas! He is dead.

    4. Hurrah! The last bell has gone. ऐसे वाक्यों का दहांिी अनवुाि करत ेसमय आकाांक्षा सचूक शब्िों के भलए ‘ककतना’, ‘कैसा’, ‘कैसी’ आह! अिसोस! अहा! आदि का प्रयोग करत ेहैं। उपयुणक्त चारों वाक्यों का अनवुाि इस प्रकार ककया जा सकता है –––– 1. मौसम ककतना अछछा है! 2. मनटुय (भसरजनहार की) कैसी अद्भतु रचना है! 3. अिसोस! वह मर गया है। 4. अहा, छुट्िी का घांिा बज गया है!

    7. पे्ररर्ाथी कियाओ ंसे मकु्त वाक्य – जब हम कोई कायण स्वयां न करके िसूरे से करात ेहैं, तब अांग्रेजी में have, get, make या cause का प्रयोग करत ेहैं। इसमें कताण स्वयां कायण न करके किया का प्रेरक होता है अथवा उसका कारण बनता है। ऐसे वाक्यों का अनवुाि करत ेसमय मलू रचना के पे्ररणात्मक स्वरूप को बनाए रखने के भलए सावधानी बरतनी चादहए, जैसे – 1. The illiterate man has got a letter written - यनरक्षर व्यष्क्त ने पत्र भलखवाया है। 2. Get this application signed by your class leader – इस प्राथणना पत्र पर अपने वगण अध्यापक के

    हस्ताक्षर कराओ। 3. I made the horse run fast - मैंने घोड ेको तजे िौडाया। 4. He had the dishes laid on the table – उसने मेज पर थाभलयाां लगवा िीां। 5. He caused me weep – उसने मझुे रुला दिया।

    8. सकेंत सचूक (शतवयकु्त) वाक्य (conditional sentence) – शतणयकु्त वाक्यों में प्रायः एक प्रधान उपवाक्य तथा िसूरा आधश्रत उपवाक्य होता है, ष्जनको if से जोडा गया होता है। इस प्रकार के वाक्य तीन तरह के होत ेहैं – (क) ऐसे वाक्य जबकक शतण पणूण भी हो सकती है और नहीां भी, जैस े– 1. If you work hard, you will win a scholarship.

    2. If he comes, I shall to.

    अांग्रेजी में if से जुडा हुआ उपवाक्य हमेश present indefinite tense में होता है, जबकक प्रधान उपवाक्य Future Indefinite tense में होता है। दहन्िी में अनवुाि करत े समय ऐसे स्थलों पर िोनों उपवाक्यों की कियाएां भववटयकाल में रखी जाती हैं, जसेै उपयुणक्त वाक्यों का अनवुाि इस प्रकार होगा – 1. यदि तमु पररश्रण करोगे तो छात्रववृत्त प्राप्त कर लोगे। 2. यदि वह आएगा तो मैं जाऊाँ गा।

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    (ख) ऐसे वाक्य ष्जनमें शतण पणूण होने की सांभावना नहीां होती, केवल शतण पणूण होने की कल्पना होती है, जैसे – if I would go college I should see the principal. यदि मैं कॉलेज जाता तो प्रधानाचायण स ेभमलता। (ग) ऐसे वाक्यों का प्रयोग तब होता है जब भतूकाल में शतण पणूण न हुई हो, जैसे – If you had come in time, I would have helped you. यदि आप समय पर आत ेतो मैं आपकी सहायता करता। इस वाक्य को अांग्रजेी में कभी-कभी इस प्रकार भी भलखा जाता है – Had you come in time I would have helped you.

    कुछ वाक्यों में Should का प्रयोग वाक्य के प्रारांभ में करके शतण का यनिेश ककया जाता है, जैसे Should an employee exercise an option for fixation of his pay under FR 22(1)(i). इस वाक्य का अनवुाि इस प्रकार होगा – यदि कोई कमणचारी मलू यनयम 22(1)(i) के अांतगणत अपने वेतन के यनधाणरण के भलए ववकल्प िे तो .....। उपयुणक्त वववेचन से यह स्पटि है कक वाक्य भाषा की अत्यांत महत्वपणूण इकाई है। अनवुाि के भलए दहन्िी-अांग्रेजी वाक्य-सांरचना और इससे जुडी सभी व्याकरणणक कडडयों का समधुचत अध्ययन अपेज्ञक्षत है।