$ेमचंद · भी है और खशी क ' नमक 'नी भी।...

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Premchand (6) Created on 19-Feb-04 3:47:00 PM Page 1 of 36 Ĥेमचंद Print to PDF without this message by purchasing novaPDF (http://www.novapdf.com/)

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Premchand (6) Created on 19-Feb-04 34700 PM Page 1 of 36

मचद

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कथा- म

अमत 3

अपनी करनी 12

गरत क कटार 22

घमड का पतला 29

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अमत

र उठती जवानी थी जब मरा दल दद क मज स प र चत हआ कछ दन तक शायर का अ यास करता रहा और धीर-धीर इस

शौक न त ल नता का प ल लया सासा रक सबधो स मह मोड़कर अपनी शायर क द नया म आ बठा और तीन ह साल क म क़ न मर क पना क जौहर खोल दय कभी-कभी मर शायर उ ताद क मशहर कलाम स ट कर खा जाती थी मर क़लम न कसी उ ताद क सामन सर नह झकाया मर क पना एक अपन-आप बढ़न वाल पौध क तरह छद और पगल क क़दो स आजाद बढ़ती रह और ऐस कलाम का ढग नराला था मन अपनी शायर को फारस स बाहर नकाल कर योरोप तक पहचा दया यह मरा अपना रग था इस मदान म न मरा कोई त व वी था न बराबर करन वाला बावजद इस शायर जसी त ल नता क मझ मशायर क वाह-वाह और सभानअ लाह स नफ़रत थी हा का य-र सक स बना अपना नाम बताय हए अ सर अपनी शायर क अ छाइय और बराइय पर बहस कया करता तो मझ शायर का दावा न था मगर धीर -धीर मर शोहरत होन लगी और जब मर मसनवी lsquoद नयाए ह न rsquo का शत हई तो सा ह य क द नया म हल -चल-सी मच गयी परान शायर न का य -मम क शसा-कपणता म पोथ क पोथ रग दय ह मगर मरा अनभव इसक बलकल वपर त था मझ कभी -कभी यह ख़याल सताया करता क मर क दान क यह उदारता दसर क वय क लखनी क द र ता का माण ह यह ख़याल हौसला तोउन वाला था बहरहाल जो कछ हआ lsquoद नयाए ह न rsquo न मझ शायर का बादशाह बना दया मरा नाम हरक ज़बान पर था मर चचा हर एक अखबार म थी शोहरत अपन साथ दौलत भी लायी मझ दन-रात शरो-शायर क अलावा और कोई काम न था अ सर बठ-बठ रात गज़र जाती और जब कोई चभता हआ शर कलम स नकल जाता तो म खशी क मार उछल पड़ता म अब तक शाद - याह क कद स आजा था या य क हए क म उसक उन मज स अप र चत था िजनम रज क त खी भी ह और खशी क नमक नी भी अ सर पि चमी सा ह यकार क तरह मरा भी याल था क सा ह य क उ माद और सौ दय क उ माद म पराना बर ह मझ अपनी जबान स कहत हए श म दा होना पड़ता ह क मझ

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अपनी त बयत पर भरोसा न था जब कभी मर आख म कोई मो हनी सरत घम जाती तो मर दल - दमाग पर एक पागलपन-सा छा जाता ह त तक अपन को भला हआ -सा रहता लखन क तरफ त बयत कसी तरह न झकती ऐस कमजोर दल म सफ एक इ क क जगह थी इसी डर स म अपनी रगीन त तबयत क खलाफ आचरण श रखन पर मजबर था कमल क एक पखड़ी यामा क एक गीत लहलहात हए एक मदान म मर लए जाद का -सा आकषण था मगर कसी औरत क दलफ़रब ह न को म च कार या म तकार क बलौस ऑख स नह दख सकता था सदर ी मर लए एक रगीन क़ा तल ना गन थी िजस दखकर ऑख खश होती ह मगर दल डर स समट जाता ह खर lsquoद नयाए ह न rsquo को का शत हए दो साल गजर चक थ मर या त बरसात क उमड़ी हई नद क तरह बढ़ती चल जाती थी ऐसा

मालम होता था जस मन सा ह य क द नया पर कोई वशीकरण कर दया ह इसी दौरान मन फटकर शर तो बहत कह मगर दावत और अ भनदनप क भीड़ न मा मक भाव को उभरन न दया दशन और या त एक राजनी त क लए कोड़ का काम द सकत ह मगर शायर क

त बयत अकल शा त स एक कोन क बठकर ह अपना जौहर दखालाती ह चनाच म इन रोज -ब-रोज बढ़ती हई बहदा बात स गला छड़ा कर भागा और पहाड़ क एक कोन म जा छपा lsquoनरगrsquo न वह ज म लया २

रगrsquo क श करत हए ह मझ एक आ चयजनक और दल तोड़न वाला अनभव हआ ई वर जान य मर अ ल और मर चतन पर

पदा पड़ गया घट त बयत पर जोर डालता मगर एक शर भी ऐसा न नकलता क दल फड़क उठ सझत भी तो द र पट हए वषय िजनस मर आ मा भागती थी म अ सर झझलाकर उठ बठता कागज फाड़ डालता और बड़ी ब दल क हालत म सोचन लगता क या मर का यशि त का अत हो गया या मन वह खजाना जो क त न मझ सार उ क लए दया था इतनी ज द मटा दया कहा वह हालत थी क वषय क बहतायत और नाजक खयाल क रवानी क़लम को दम नह लन दती थी क पना का पछ उड़ता तो आसमान का तारा बन जाता था और कहा अब यह प ती यह क ण द र ता मगर इसका कारण या ह यह

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कस क़सर क सज़ा ह कारण औ र काय का दसरा नाम द नया ह जब तक हमको य का जवाब न मल दल को कसी तरह स नह होता यहा तक क मौत को भी इस य का जवाब दना पड़ता ह आ खर मन एक डा टर स सलाह ल उसन आम डा टर क तरह आब-हवा बदलन क सलाह द मर अ ल म भी यह बात आयी क मम कन ह ननीताल क ठडी आब-हवा स शायर क आग ठडी पड़ गई हो छ मह न तक लगातार घमता - फरता रहा अनक आकषक य दख मगर उनस आ मा पर वह शायराना क फयत न छाती थी क याला छलक पड़ और खामोश क पना खद ब खद चहकन लग मझ अपना खोया हआ लाल न मला अब म िजदगी स तग था िजदगी अब मझ सख र ग तान जसी मालम होती जहा कोई जान नह ताज़गी नह दलच पी नह हरदम दल पर एक मायसी -सी छायी रहती और दल खोया-खोया रहता दल म यह सवाल पदा होता क या वह चार दन क चादनी ख म हो गयी और अधरा पाख आ गया आदमी क सगत स बजार हमिजस क सरत स नफरत म एक गमनाम कोन म पड़ा हआ िजदगी क दन पर कर रहा था पड़ क चो टय पर बठन वाल मीठ राग गान वाल च ड़या या पजर म िज़दा रह सकती ह मम कन ह क वह दाना खाय पानी पय मगर उसक इस िजदगी और मौत म कोई फक नह ह आ खर जब मझ अपनी शायर क लौटन क कोई उ मीद नह रह तो मर दल म यह इरादा प का हो गया क अब मर लए शायर क द नया स म र जाना ह बहतर होगा मदा तो ह ह इस हालत म अपन को िजदा समझना बवकफ ह आ खर मन एक रोज कछ द नक प का अपन मरन क खबर द द उसक छपत ह म क म कोहराम मच गया एक तहलका पड़ गया उस व त मझ अपनी लोक यता का कछ अदाजा हआ यह आम पकार थी क शायर क द नया क क ती मझधार म डब गयी शायर क मह फल उखड़ गयी प -प काओ म मर जीवन-च र का शत हए िजनको पढ़ कर मझ उनक एडीटर क आ व कार -ब का क़ायल होना पड़ा न तो म कसी रईस का बटा था और न मन रईसी क मसनद छोड़कर फक र अि तयार क थी उनक क पना वा त वकता पर छा गयी थी मर म म एक साहब न िज ह मझस आ मीयता का दावा था मझ पीन- पलान का मी बना दया था वह जब कभी मझस मलत उ ह मर

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आख नश स लाल नजर आती अगरच इसी लख म आग चलकर उ होन मर इस बर आदत क बहत दयता स सफाई द थी य क खा -सखा आदमी ऐसी म ती क शर नह कह सकता था ताहम हरत ह क उ ह यह सर हन गलत बात कहन क ह मत कस हई

खर इन गलत-बया नय क तो मझ परवाह न थी अलब ता यह बड़ी फ थी फ नह एक बल िज ासा थी क मर शायर पर लोग क जबान स या फतवा नकलता ह हमार िजदगी क कारनाम क स ची दाद मरन क बाद ह मलती ह य क उस व त वह खशामद और बराइय स पाक-साफ होती ह मरन वाल क खशी या रज क कौन परवाह करता ह इसी लए मर क वता पर िजतनी आलोचनाऍ नकल ह उसको मन बहत ह ठड दल स पढ़ना श कया मगर क वता को समझन वाल ि ट क यापकता और उसक मम को समझन वाल च का चार तरफ अकाल-सा मालम होता था अ धकाश जौह रय न एक -एक शर को लकर उनस बहस क थी और इसम शक नह क व पाठक क ह सयत स उस शर क पहलओ को खब समझत थ मगर आलोचक का कह पता न था नजर क गहराई गायब थी सम क वता पर नगाह डालन वाला क व गहर भाव तक पहचन वाला कोई आलोचक दखाई न दया

क रोज़ म त क द नया स नकलकर घ मता हआ अजमर क पि लक लाइ र म जा पहचा दोपहर का व त था मन मज पर

झककर दखा क कोई नयी रचना हाथ आ जाय तो दल बहलाऊ यकायक मर नगाह एक सदर प क तरफ गयी िजसका नाम था lsquoकलाम अ तरrsquo जस भोला ब चा खलौन क तरफ लपकता ह उसी तरह झपटकर मन उस कताब को उठा लया उसक ल खका मस आयशा आ रफ़ थी दलच पी और भी यादा हई म इ मीनान स बठकर उस कताब को पढ़न लगा एक ह प ना पढ़न क बाद दलच पी न बताबी क सरत अि तयार क फर तो म बसधी क द नया म पहच गया मर सामन गोया स म अथ क एक नद लहर मार रह थी क पना क उठान च क व छता भाषा क नम का य- ि ट ऐसी थी क दय ध य-ध य हो उठता था म एक परा ाफ पढ़ता फर वचार क ताज़गी स भा वत होकर एक लबी सॉस लता और तब सोचन लगता इस कताब को सरसर तौर पर पढ़ना

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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14

उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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2

कथा- म

अमत 3

अपनी करनी 12

गरत क कटार 22

घमड का पतला 29

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3

अमत

र उठती जवानी थी जब मरा दल दद क मज स प र चत हआ कछ दन तक शायर का अ यास करता रहा और धीर-धीर इस

शौक न त ल नता का प ल लया सासा रक सबधो स मह मोड़कर अपनी शायर क द नया म आ बठा और तीन ह साल क म क़ न मर क पना क जौहर खोल दय कभी-कभी मर शायर उ ताद क मशहर कलाम स ट कर खा जाती थी मर क़लम न कसी उ ताद क सामन सर नह झकाया मर क पना एक अपन-आप बढ़न वाल पौध क तरह छद और पगल क क़दो स आजाद बढ़ती रह और ऐस कलाम का ढग नराला था मन अपनी शायर को फारस स बाहर नकाल कर योरोप तक पहचा दया यह मरा अपना रग था इस मदान म न मरा कोई त व वी था न बराबर करन वाला बावजद इस शायर जसी त ल नता क मझ मशायर क वाह-वाह और सभानअ लाह स नफ़रत थी हा का य-र सक स बना अपना नाम बताय हए अ सर अपनी शायर क अ छाइय और बराइय पर बहस कया करता तो मझ शायर का दावा न था मगर धीर -धीर मर शोहरत होन लगी और जब मर मसनवी lsquoद नयाए ह न rsquo का शत हई तो सा ह य क द नया म हल -चल-सी मच गयी परान शायर न का य -मम क शसा-कपणता म पोथ क पोथ रग दय ह मगर मरा अनभव इसक बलकल वपर त था मझ कभी -कभी यह ख़याल सताया करता क मर क दान क यह उदारता दसर क वय क लखनी क द र ता का माण ह यह ख़याल हौसला तोउन वाला था बहरहाल जो कछ हआ lsquoद नयाए ह न rsquo न मझ शायर का बादशाह बना दया मरा नाम हरक ज़बान पर था मर चचा हर एक अखबार म थी शोहरत अपन साथ दौलत भी लायी मझ दन-रात शरो-शायर क अलावा और कोई काम न था अ सर बठ-बठ रात गज़र जाती और जब कोई चभता हआ शर कलम स नकल जाता तो म खशी क मार उछल पड़ता म अब तक शाद - याह क कद स आजा था या य क हए क म उसक उन मज स अप र चत था िजनम रज क त खी भी ह और खशी क नमक नी भी अ सर पि चमी सा ह यकार क तरह मरा भी याल था क सा ह य क उ माद और सौ दय क उ माद म पराना बर ह मझ अपनी जबान स कहत हए श म दा होना पड़ता ह क मझ

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अपनी त बयत पर भरोसा न था जब कभी मर आख म कोई मो हनी सरत घम जाती तो मर दल - दमाग पर एक पागलपन-सा छा जाता ह त तक अपन को भला हआ -सा रहता लखन क तरफ त बयत कसी तरह न झकती ऐस कमजोर दल म सफ एक इ क क जगह थी इसी डर स म अपनी रगीन त तबयत क खलाफ आचरण श रखन पर मजबर था कमल क एक पखड़ी यामा क एक गीत लहलहात हए एक मदान म मर लए जाद का -सा आकषण था मगर कसी औरत क दलफ़रब ह न को म च कार या म तकार क बलौस ऑख स नह दख सकता था सदर ी मर लए एक रगीन क़ा तल ना गन थी िजस दखकर ऑख खश होती ह मगर दल डर स समट जाता ह खर lsquoद नयाए ह न rsquo को का शत हए दो साल गजर चक थ मर या त बरसात क उमड़ी हई नद क तरह बढ़ती चल जाती थी ऐसा

मालम होता था जस मन सा ह य क द नया पर कोई वशीकरण कर दया ह इसी दौरान मन फटकर शर तो बहत कह मगर दावत और अ भनदनप क भीड़ न मा मक भाव को उभरन न दया दशन और या त एक राजनी त क लए कोड़ का काम द सकत ह मगर शायर क

त बयत अकल शा त स एक कोन क बठकर ह अपना जौहर दखालाती ह चनाच म इन रोज -ब-रोज बढ़ती हई बहदा बात स गला छड़ा कर भागा और पहाड़ क एक कोन म जा छपा lsquoनरगrsquo न वह ज म लया २

रगrsquo क श करत हए ह मझ एक आ चयजनक और दल तोड़न वाला अनभव हआ ई वर जान य मर अ ल और मर चतन पर

पदा पड़ गया घट त बयत पर जोर डालता मगर एक शर भी ऐसा न नकलता क दल फड़क उठ सझत भी तो द र पट हए वषय िजनस मर आ मा भागती थी म अ सर झझलाकर उठ बठता कागज फाड़ डालता और बड़ी ब दल क हालत म सोचन लगता क या मर का यशि त का अत हो गया या मन वह खजाना जो क त न मझ सार उ क लए दया था इतनी ज द मटा दया कहा वह हालत थी क वषय क बहतायत और नाजक खयाल क रवानी क़लम को दम नह लन दती थी क पना का पछ उड़ता तो आसमान का तारा बन जाता था और कहा अब यह प ती यह क ण द र ता मगर इसका कारण या ह यह

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कस क़सर क सज़ा ह कारण औ र काय का दसरा नाम द नया ह जब तक हमको य का जवाब न मल दल को कसी तरह स नह होता यहा तक क मौत को भी इस य का जवाब दना पड़ता ह आ खर मन एक डा टर स सलाह ल उसन आम डा टर क तरह आब-हवा बदलन क सलाह द मर अ ल म भी यह बात आयी क मम कन ह ननीताल क ठडी आब-हवा स शायर क आग ठडी पड़ गई हो छ मह न तक लगातार घमता - फरता रहा अनक आकषक य दख मगर उनस आ मा पर वह शायराना क फयत न छाती थी क याला छलक पड़ और खामोश क पना खद ब खद चहकन लग मझ अपना खोया हआ लाल न मला अब म िजदगी स तग था िजदगी अब मझ सख र ग तान जसी मालम होती जहा कोई जान नह ताज़गी नह दलच पी नह हरदम दल पर एक मायसी -सी छायी रहती और दल खोया-खोया रहता दल म यह सवाल पदा होता क या वह चार दन क चादनी ख म हो गयी और अधरा पाख आ गया आदमी क सगत स बजार हमिजस क सरत स नफरत म एक गमनाम कोन म पड़ा हआ िजदगी क दन पर कर रहा था पड़ क चो टय पर बठन वाल मीठ राग गान वाल च ड़या या पजर म िज़दा रह सकती ह मम कन ह क वह दाना खाय पानी पय मगर उसक इस िजदगी और मौत म कोई फक नह ह आ खर जब मझ अपनी शायर क लौटन क कोई उ मीद नह रह तो मर दल म यह इरादा प का हो गया क अब मर लए शायर क द नया स म र जाना ह बहतर होगा मदा तो ह ह इस हालत म अपन को िजदा समझना बवकफ ह आ खर मन एक रोज कछ द नक प का अपन मरन क खबर द द उसक छपत ह म क म कोहराम मच गया एक तहलका पड़ गया उस व त मझ अपनी लोक यता का कछ अदाजा हआ यह आम पकार थी क शायर क द नया क क ती मझधार म डब गयी शायर क मह फल उखड़ गयी प -प काओ म मर जीवन-च र का शत हए िजनको पढ़ कर मझ उनक एडीटर क आ व कार -ब का क़ायल होना पड़ा न तो म कसी रईस का बटा था और न मन रईसी क मसनद छोड़कर फक र अि तयार क थी उनक क पना वा त वकता पर छा गयी थी मर म म एक साहब न िज ह मझस आ मीयता का दावा था मझ पीन- पलान का मी बना दया था वह जब कभी मझस मलत उ ह मर

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आख नश स लाल नजर आती अगरच इसी लख म आग चलकर उ होन मर इस बर आदत क बहत दयता स सफाई द थी य क खा -सखा आदमी ऐसी म ती क शर नह कह सकता था ताहम हरत ह क उ ह यह सर हन गलत बात कहन क ह मत कस हई

खर इन गलत-बया नय क तो मझ परवाह न थी अलब ता यह बड़ी फ थी फ नह एक बल िज ासा थी क मर शायर पर लोग क जबान स या फतवा नकलता ह हमार िजदगी क कारनाम क स ची दाद मरन क बाद ह मलती ह य क उस व त वह खशामद और बराइय स पाक-साफ होती ह मरन वाल क खशी या रज क कौन परवाह करता ह इसी लए मर क वता पर िजतनी आलोचनाऍ नकल ह उसको मन बहत ह ठड दल स पढ़ना श कया मगर क वता को समझन वाल ि ट क यापकता और उसक मम को समझन वाल च का चार तरफ अकाल-सा मालम होता था अ धकाश जौह रय न एक -एक शर को लकर उनस बहस क थी और इसम शक नह क व पाठक क ह सयत स उस शर क पहलओ को खब समझत थ मगर आलोचक का कह पता न था नजर क गहराई गायब थी सम क वता पर नगाह डालन वाला क व गहर भाव तक पहचन वाला कोई आलोचक दखाई न दया

क रोज़ म त क द नया स नकलकर घ मता हआ अजमर क पि लक लाइ र म जा पहचा दोपहर का व त था मन मज पर

झककर दखा क कोई नयी रचना हाथ आ जाय तो दल बहलाऊ यकायक मर नगाह एक सदर प क तरफ गयी िजसका नाम था lsquoकलाम अ तरrsquo जस भोला ब चा खलौन क तरफ लपकता ह उसी तरह झपटकर मन उस कताब को उठा लया उसक ल खका मस आयशा आ रफ़ थी दलच पी और भी यादा हई म इ मीनान स बठकर उस कताब को पढ़न लगा एक ह प ना पढ़न क बाद दलच पी न बताबी क सरत अि तयार क फर तो म बसधी क द नया म पहच गया मर सामन गोया स म अथ क एक नद लहर मार रह थी क पना क उठान च क व छता भाषा क नम का य- ि ट ऐसी थी क दय ध य-ध य हो उठता था म एक परा ाफ पढ़ता फर वचार क ताज़गी स भा वत होकर एक लबी सॉस लता और तब सोचन लगता इस कताब को सरसर तौर पर पढ़ना

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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अमत

र उठती जवानी थी जब मरा दल दद क मज स प र चत हआ कछ दन तक शायर का अ यास करता रहा और धीर-धीर इस

शौक न त ल नता का प ल लया सासा रक सबधो स मह मोड़कर अपनी शायर क द नया म आ बठा और तीन ह साल क म क़ न मर क पना क जौहर खोल दय कभी-कभी मर शायर उ ताद क मशहर कलाम स ट कर खा जाती थी मर क़लम न कसी उ ताद क सामन सर नह झकाया मर क पना एक अपन-आप बढ़न वाल पौध क तरह छद और पगल क क़दो स आजाद बढ़ती रह और ऐस कलाम का ढग नराला था मन अपनी शायर को फारस स बाहर नकाल कर योरोप तक पहचा दया यह मरा अपना रग था इस मदान म न मरा कोई त व वी था न बराबर करन वाला बावजद इस शायर जसी त ल नता क मझ मशायर क वाह-वाह और सभानअ लाह स नफ़रत थी हा का य-र सक स बना अपना नाम बताय हए अ सर अपनी शायर क अ छाइय और बराइय पर बहस कया करता तो मझ शायर का दावा न था मगर धीर -धीर मर शोहरत होन लगी और जब मर मसनवी lsquoद नयाए ह न rsquo का शत हई तो सा ह य क द नया म हल -चल-सी मच गयी परान शायर न का य -मम क शसा-कपणता म पोथ क पोथ रग दय ह मगर मरा अनभव इसक बलकल वपर त था मझ कभी -कभी यह ख़याल सताया करता क मर क दान क यह उदारता दसर क वय क लखनी क द र ता का माण ह यह ख़याल हौसला तोउन वाला था बहरहाल जो कछ हआ lsquoद नयाए ह न rsquo न मझ शायर का बादशाह बना दया मरा नाम हरक ज़बान पर था मर चचा हर एक अखबार म थी शोहरत अपन साथ दौलत भी लायी मझ दन-रात शरो-शायर क अलावा और कोई काम न था अ सर बठ-बठ रात गज़र जाती और जब कोई चभता हआ शर कलम स नकल जाता तो म खशी क मार उछल पड़ता म अब तक शाद - याह क कद स आजा था या य क हए क म उसक उन मज स अप र चत था िजनम रज क त खी भी ह और खशी क नमक नी भी अ सर पि चमी सा ह यकार क तरह मरा भी याल था क सा ह य क उ माद और सौ दय क उ माद म पराना बर ह मझ अपनी जबान स कहत हए श म दा होना पड़ता ह क मझ

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अपनी त बयत पर भरोसा न था जब कभी मर आख म कोई मो हनी सरत घम जाती तो मर दल - दमाग पर एक पागलपन-सा छा जाता ह त तक अपन को भला हआ -सा रहता लखन क तरफ त बयत कसी तरह न झकती ऐस कमजोर दल म सफ एक इ क क जगह थी इसी डर स म अपनी रगीन त तबयत क खलाफ आचरण श रखन पर मजबर था कमल क एक पखड़ी यामा क एक गीत लहलहात हए एक मदान म मर लए जाद का -सा आकषण था मगर कसी औरत क दलफ़रब ह न को म च कार या म तकार क बलौस ऑख स नह दख सकता था सदर ी मर लए एक रगीन क़ा तल ना गन थी िजस दखकर ऑख खश होती ह मगर दल डर स समट जाता ह खर lsquoद नयाए ह न rsquo को का शत हए दो साल गजर चक थ मर या त बरसात क उमड़ी हई नद क तरह बढ़ती चल जाती थी ऐसा

मालम होता था जस मन सा ह य क द नया पर कोई वशीकरण कर दया ह इसी दौरान मन फटकर शर तो बहत कह मगर दावत और अ भनदनप क भीड़ न मा मक भाव को उभरन न दया दशन और या त एक राजनी त क लए कोड़ का काम द सकत ह मगर शायर क

त बयत अकल शा त स एक कोन क बठकर ह अपना जौहर दखालाती ह चनाच म इन रोज -ब-रोज बढ़ती हई बहदा बात स गला छड़ा कर भागा और पहाड़ क एक कोन म जा छपा lsquoनरगrsquo न वह ज म लया २

रगrsquo क श करत हए ह मझ एक आ चयजनक और दल तोड़न वाला अनभव हआ ई वर जान य मर अ ल और मर चतन पर

पदा पड़ गया घट त बयत पर जोर डालता मगर एक शर भी ऐसा न नकलता क दल फड़क उठ सझत भी तो द र पट हए वषय िजनस मर आ मा भागती थी म अ सर झझलाकर उठ बठता कागज फाड़ डालता और बड़ी ब दल क हालत म सोचन लगता क या मर का यशि त का अत हो गया या मन वह खजाना जो क त न मझ सार उ क लए दया था इतनी ज द मटा दया कहा वह हालत थी क वषय क बहतायत और नाजक खयाल क रवानी क़लम को दम नह लन दती थी क पना का पछ उड़ता तो आसमान का तारा बन जाता था और कहा अब यह प ती यह क ण द र ता मगर इसका कारण या ह यह

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कस क़सर क सज़ा ह कारण औ र काय का दसरा नाम द नया ह जब तक हमको य का जवाब न मल दल को कसी तरह स नह होता यहा तक क मौत को भी इस य का जवाब दना पड़ता ह आ खर मन एक डा टर स सलाह ल उसन आम डा टर क तरह आब-हवा बदलन क सलाह द मर अ ल म भी यह बात आयी क मम कन ह ननीताल क ठडी आब-हवा स शायर क आग ठडी पड़ गई हो छ मह न तक लगातार घमता - फरता रहा अनक आकषक य दख मगर उनस आ मा पर वह शायराना क फयत न छाती थी क याला छलक पड़ और खामोश क पना खद ब खद चहकन लग मझ अपना खोया हआ लाल न मला अब म िजदगी स तग था िजदगी अब मझ सख र ग तान जसी मालम होती जहा कोई जान नह ताज़गी नह दलच पी नह हरदम दल पर एक मायसी -सी छायी रहती और दल खोया-खोया रहता दल म यह सवाल पदा होता क या वह चार दन क चादनी ख म हो गयी और अधरा पाख आ गया आदमी क सगत स बजार हमिजस क सरत स नफरत म एक गमनाम कोन म पड़ा हआ िजदगी क दन पर कर रहा था पड़ क चो टय पर बठन वाल मीठ राग गान वाल च ड़या या पजर म िज़दा रह सकती ह मम कन ह क वह दाना खाय पानी पय मगर उसक इस िजदगी और मौत म कोई फक नह ह आ खर जब मझ अपनी शायर क लौटन क कोई उ मीद नह रह तो मर दल म यह इरादा प का हो गया क अब मर लए शायर क द नया स म र जाना ह बहतर होगा मदा तो ह ह इस हालत म अपन को िजदा समझना बवकफ ह आ खर मन एक रोज कछ द नक प का अपन मरन क खबर द द उसक छपत ह म क म कोहराम मच गया एक तहलका पड़ गया उस व त मझ अपनी लोक यता का कछ अदाजा हआ यह आम पकार थी क शायर क द नया क क ती मझधार म डब गयी शायर क मह फल उखड़ गयी प -प काओ म मर जीवन-च र का शत हए िजनको पढ़ कर मझ उनक एडीटर क आ व कार -ब का क़ायल होना पड़ा न तो म कसी रईस का बटा था और न मन रईसी क मसनद छोड़कर फक र अि तयार क थी उनक क पना वा त वकता पर छा गयी थी मर म म एक साहब न िज ह मझस आ मीयता का दावा था मझ पीन- पलान का मी बना दया था वह जब कभी मझस मलत उ ह मर

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आख नश स लाल नजर आती अगरच इसी लख म आग चलकर उ होन मर इस बर आदत क बहत दयता स सफाई द थी य क खा -सखा आदमी ऐसी म ती क शर नह कह सकता था ताहम हरत ह क उ ह यह सर हन गलत बात कहन क ह मत कस हई

खर इन गलत-बया नय क तो मझ परवाह न थी अलब ता यह बड़ी फ थी फ नह एक बल िज ासा थी क मर शायर पर लोग क जबान स या फतवा नकलता ह हमार िजदगी क कारनाम क स ची दाद मरन क बाद ह मलती ह य क उस व त वह खशामद और बराइय स पाक-साफ होती ह मरन वाल क खशी या रज क कौन परवाह करता ह इसी लए मर क वता पर िजतनी आलोचनाऍ नकल ह उसको मन बहत ह ठड दल स पढ़ना श कया मगर क वता को समझन वाल ि ट क यापकता और उसक मम को समझन वाल च का चार तरफ अकाल-सा मालम होता था अ धकाश जौह रय न एक -एक शर को लकर उनस बहस क थी और इसम शक नह क व पाठक क ह सयत स उस शर क पहलओ को खब समझत थ मगर आलोचक का कह पता न था नजर क गहराई गायब थी सम क वता पर नगाह डालन वाला क व गहर भाव तक पहचन वाला कोई आलोचक दखाई न दया

क रोज़ म त क द नया स नकलकर घ मता हआ अजमर क पि लक लाइ र म जा पहचा दोपहर का व त था मन मज पर

झककर दखा क कोई नयी रचना हाथ आ जाय तो दल बहलाऊ यकायक मर नगाह एक सदर प क तरफ गयी िजसका नाम था lsquoकलाम अ तरrsquo जस भोला ब चा खलौन क तरफ लपकता ह उसी तरह झपटकर मन उस कताब को उठा लया उसक ल खका मस आयशा आ रफ़ थी दलच पी और भी यादा हई म इ मीनान स बठकर उस कताब को पढ़न लगा एक ह प ना पढ़न क बाद दलच पी न बताबी क सरत अि तयार क फर तो म बसधी क द नया म पहच गया मर सामन गोया स म अथ क एक नद लहर मार रह थी क पना क उठान च क व छता भाषा क नम का य- ि ट ऐसी थी क दय ध य-ध य हो उठता था म एक परा ाफ पढ़ता फर वचार क ताज़गी स भा वत होकर एक लबी सॉस लता और तब सोचन लगता इस कताब को सरसर तौर पर पढ़ना

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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अपनी त बयत पर भरोसा न था जब कभी मर आख म कोई मो हनी सरत घम जाती तो मर दल - दमाग पर एक पागलपन-सा छा जाता ह त तक अपन को भला हआ -सा रहता लखन क तरफ त बयत कसी तरह न झकती ऐस कमजोर दल म सफ एक इ क क जगह थी इसी डर स म अपनी रगीन त तबयत क खलाफ आचरण श रखन पर मजबर था कमल क एक पखड़ी यामा क एक गीत लहलहात हए एक मदान म मर लए जाद का -सा आकषण था मगर कसी औरत क दलफ़रब ह न को म च कार या म तकार क बलौस ऑख स नह दख सकता था सदर ी मर लए एक रगीन क़ा तल ना गन थी िजस दखकर ऑख खश होती ह मगर दल डर स समट जाता ह खर lsquoद नयाए ह न rsquo को का शत हए दो साल गजर चक थ मर या त बरसात क उमड़ी हई नद क तरह बढ़ती चल जाती थी ऐसा

मालम होता था जस मन सा ह य क द नया पर कोई वशीकरण कर दया ह इसी दौरान मन फटकर शर तो बहत कह मगर दावत और अ भनदनप क भीड़ न मा मक भाव को उभरन न दया दशन और या त एक राजनी त क लए कोड़ का काम द सकत ह मगर शायर क

त बयत अकल शा त स एक कोन क बठकर ह अपना जौहर दखालाती ह चनाच म इन रोज -ब-रोज बढ़ती हई बहदा बात स गला छड़ा कर भागा और पहाड़ क एक कोन म जा छपा lsquoनरगrsquo न वह ज म लया २

रगrsquo क श करत हए ह मझ एक आ चयजनक और दल तोड़न वाला अनभव हआ ई वर जान य मर अ ल और मर चतन पर

पदा पड़ गया घट त बयत पर जोर डालता मगर एक शर भी ऐसा न नकलता क दल फड़क उठ सझत भी तो द र पट हए वषय िजनस मर आ मा भागती थी म अ सर झझलाकर उठ बठता कागज फाड़ डालता और बड़ी ब दल क हालत म सोचन लगता क या मर का यशि त का अत हो गया या मन वह खजाना जो क त न मझ सार उ क लए दया था इतनी ज द मटा दया कहा वह हालत थी क वषय क बहतायत और नाजक खयाल क रवानी क़लम को दम नह लन दती थी क पना का पछ उड़ता तो आसमान का तारा बन जाता था और कहा अब यह प ती यह क ण द र ता मगर इसका कारण या ह यह

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कस क़सर क सज़ा ह कारण औ र काय का दसरा नाम द नया ह जब तक हमको य का जवाब न मल दल को कसी तरह स नह होता यहा तक क मौत को भी इस य का जवाब दना पड़ता ह आ खर मन एक डा टर स सलाह ल उसन आम डा टर क तरह आब-हवा बदलन क सलाह द मर अ ल म भी यह बात आयी क मम कन ह ननीताल क ठडी आब-हवा स शायर क आग ठडी पड़ गई हो छ मह न तक लगातार घमता - फरता रहा अनक आकषक य दख मगर उनस आ मा पर वह शायराना क फयत न छाती थी क याला छलक पड़ और खामोश क पना खद ब खद चहकन लग मझ अपना खोया हआ लाल न मला अब म िजदगी स तग था िजदगी अब मझ सख र ग तान जसी मालम होती जहा कोई जान नह ताज़गी नह दलच पी नह हरदम दल पर एक मायसी -सी छायी रहती और दल खोया-खोया रहता दल म यह सवाल पदा होता क या वह चार दन क चादनी ख म हो गयी और अधरा पाख आ गया आदमी क सगत स बजार हमिजस क सरत स नफरत म एक गमनाम कोन म पड़ा हआ िजदगी क दन पर कर रहा था पड़ क चो टय पर बठन वाल मीठ राग गान वाल च ड़या या पजर म िज़दा रह सकती ह मम कन ह क वह दाना खाय पानी पय मगर उसक इस िजदगी और मौत म कोई फक नह ह आ खर जब मझ अपनी शायर क लौटन क कोई उ मीद नह रह तो मर दल म यह इरादा प का हो गया क अब मर लए शायर क द नया स म र जाना ह बहतर होगा मदा तो ह ह इस हालत म अपन को िजदा समझना बवकफ ह आ खर मन एक रोज कछ द नक प का अपन मरन क खबर द द उसक छपत ह म क म कोहराम मच गया एक तहलका पड़ गया उस व त मझ अपनी लोक यता का कछ अदाजा हआ यह आम पकार थी क शायर क द नया क क ती मझधार म डब गयी शायर क मह फल उखड़ गयी प -प काओ म मर जीवन-च र का शत हए िजनको पढ़ कर मझ उनक एडीटर क आ व कार -ब का क़ायल होना पड़ा न तो म कसी रईस का बटा था और न मन रईसी क मसनद छोड़कर फक र अि तयार क थी उनक क पना वा त वकता पर छा गयी थी मर म म एक साहब न िज ह मझस आ मीयता का दावा था मझ पीन- पलान का मी बना दया था वह जब कभी मझस मलत उ ह मर

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आख नश स लाल नजर आती अगरच इसी लख म आग चलकर उ होन मर इस बर आदत क बहत दयता स सफाई द थी य क खा -सखा आदमी ऐसी म ती क शर नह कह सकता था ताहम हरत ह क उ ह यह सर हन गलत बात कहन क ह मत कस हई

खर इन गलत-बया नय क तो मझ परवाह न थी अलब ता यह बड़ी फ थी फ नह एक बल िज ासा थी क मर शायर पर लोग क जबान स या फतवा नकलता ह हमार िजदगी क कारनाम क स ची दाद मरन क बाद ह मलती ह य क उस व त वह खशामद और बराइय स पाक-साफ होती ह मरन वाल क खशी या रज क कौन परवाह करता ह इसी लए मर क वता पर िजतनी आलोचनाऍ नकल ह उसको मन बहत ह ठड दल स पढ़ना श कया मगर क वता को समझन वाल ि ट क यापकता और उसक मम को समझन वाल च का चार तरफ अकाल-सा मालम होता था अ धकाश जौह रय न एक -एक शर को लकर उनस बहस क थी और इसम शक नह क व पाठक क ह सयत स उस शर क पहलओ को खब समझत थ मगर आलोचक का कह पता न था नजर क गहराई गायब थी सम क वता पर नगाह डालन वाला क व गहर भाव तक पहचन वाला कोई आलोचक दखाई न दया

क रोज़ म त क द नया स नकलकर घ मता हआ अजमर क पि लक लाइ र म जा पहचा दोपहर का व त था मन मज पर

झककर दखा क कोई नयी रचना हाथ आ जाय तो दल बहलाऊ यकायक मर नगाह एक सदर प क तरफ गयी िजसका नाम था lsquoकलाम अ तरrsquo जस भोला ब चा खलौन क तरफ लपकता ह उसी तरह झपटकर मन उस कताब को उठा लया उसक ल खका मस आयशा आ रफ़ थी दलच पी और भी यादा हई म इ मीनान स बठकर उस कताब को पढ़न लगा एक ह प ना पढ़न क बाद दलच पी न बताबी क सरत अि तयार क फर तो म बसधी क द नया म पहच गया मर सामन गोया स म अथ क एक नद लहर मार रह थी क पना क उठान च क व छता भाषा क नम का य- ि ट ऐसी थी क दय ध य-ध य हो उठता था म एक परा ाफ पढ़ता फर वचार क ताज़गी स भा वत होकर एक लबी सॉस लता और तब सोचन लगता इस कताब को सरसर तौर पर पढ़ना

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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कस क़सर क सज़ा ह कारण औ र काय का दसरा नाम द नया ह जब तक हमको य का जवाब न मल दल को कसी तरह स नह होता यहा तक क मौत को भी इस य का जवाब दना पड़ता ह आ खर मन एक डा टर स सलाह ल उसन आम डा टर क तरह आब-हवा बदलन क सलाह द मर अ ल म भी यह बात आयी क मम कन ह ननीताल क ठडी आब-हवा स शायर क आग ठडी पड़ गई हो छ मह न तक लगातार घमता - फरता रहा अनक आकषक य दख मगर उनस आ मा पर वह शायराना क फयत न छाती थी क याला छलक पड़ और खामोश क पना खद ब खद चहकन लग मझ अपना खोया हआ लाल न मला अब म िजदगी स तग था िजदगी अब मझ सख र ग तान जसी मालम होती जहा कोई जान नह ताज़गी नह दलच पी नह हरदम दल पर एक मायसी -सी छायी रहती और दल खोया-खोया रहता दल म यह सवाल पदा होता क या वह चार दन क चादनी ख म हो गयी और अधरा पाख आ गया आदमी क सगत स बजार हमिजस क सरत स नफरत म एक गमनाम कोन म पड़ा हआ िजदगी क दन पर कर रहा था पड़ क चो टय पर बठन वाल मीठ राग गान वाल च ड़या या पजर म िज़दा रह सकती ह मम कन ह क वह दाना खाय पानी पय मगर उसक इस िजदगी और मौत म कोई फक नह ह आ खर जब मझ अपनी शायर क लौटन क कोई उ मीद नह रह तो मर दल म यह इरादा प का हो गया क अब मर लए शायर क द नया स म र जाना ह बहतर होगा मदा तो ह ह इस हालत म अपन को िजदा समझना बवकफ ह आ खर मन एक रोज कछ द नक प का अपन मरन क खबर द द उसक छपत ह म क म कोहराम मच गया एक तहलका पड़ गया उस व त मझ अपनी लोक यता का कछ अदाजा हआ यह आम पकार थी क शायर क द नया क क ती मझधार म डब गयी शायर क मह फल उखड़ गयी प -प काओ म मर जीवन-च र का शत हए िजनको पढ़ कर मझ उनक एडीटर क आ व कार -ब का क़ायल होना पड़ा न तो म कसी रईस का बटा था और न मन रईसी क मसनद छोड़कर फक र अि तयार क थी उनक क पना वा त वकता पर छा गयी थी मर म म एक साहब न िज ह मझस आ मीयता का दावा था मझ पीन- पलान का मी बना दया था वह जब कभी मझस मलत उ ह मर

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आख नश स लाल नजर आती अगरच इसी लख म आग चलकर उ होन मर इस बर आदत क बहत दयता स सफाई द थी य क खा -सखा आदमी ऐसी म ती क शर नह कह सकता था ताहम हरत ह क उ ह यह सर हन गलत बात कहन क ह मत कस हई

खर इन गलत-बया नय क तो मझ परवाह न थी अलब ता यह बड़ी फ थी फ नह एक बल िज ासा थी क मर शायर पर लोग क जबान स या फतवा नकलता ह हमार िजदगी क कारनाम क स ची दाद मरन क बाद ह मलती ह य क उस व त वह खशामद और बराइय स पाक-साफ होती ह मरन वाल क खशी या रज क कौन परवाह करता ह इसी लए मर क वता पर िजतनी आलोचनाऍ नकल ह उसको मन बहत ह ठड दल स पढ़ना श कया मगर क वता को समझन वाल ि ट क यापकता और उसक मम को समझन वाल च का चार तरफ अकाल-सा मालम होता था अ धकाश जौह रय न एक -एक शर को लकर उनस बहस क थी और इसम शक नह क व पाठक क ह सयत स उस शर क पहलओ को खब समझत थ मगर आलोचक का कह पता न था नजर क गहराई गायब थी सम क वता पर नगाह डालन वाला क व गहर भाव तक पहचन वाला कोई आलोचक दखाई न दया

क रोज़ म त क द नया स नकलकर घ मता हआ अजमर क पि लक लाइ र म जा पहचा दोपहर का व त था मन मज पर

झककर दखा क कोई नयी रचना हाथ आ जाय तो दल बहलाऊ यकायक मर नगाह एक सदर प क तरफ गयी िजसका नाम था lsquoकलाम अ तरrsquo जस भोला ब चा खलौन क तरफ लपकता ह उसी तरह झपटकर मन उस कताब को उठा लया उसक ल खका मस आयशा आ रफ़ थी दलच पी और भी यादा हई म इ मीनान स बठकर उस कताब को पढ़न लगा एक ह प ना पढ़न क बाद दलच पी न बताबी क सरत अि तयार क फर तो म बसधी क द नया म पहच गया मर सामन गोया स म अथ क एक नद लहर मार रह थी क पना क उठान च क व छता भाषा क नम का य- ि ट ऐसी थी क दय ध य-ध य हो उठता था म एक परा ाफ पढ़ता फर वचार क ताज़गी स भा वत होकर एक लबी सॉस लता और तब सोचन लगता इस कताब को सरसर तौर पर पढ़ना

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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आख नश स लाल नजर आती अगरच इसी लख म आग चलकर उ होन मर इस बर आदत क बहत दयता स सफाई द थी य क खा -सखा आदमी ऐसी म ती क शर नह कह सकता था ताहम हरत ह क उ ह यह सर हन गलत बात कहन क ह मत कस हई

खर इन गलत-बया नय क तो मझ परवाह न थी अलब ता यह बड़ी फ थी फ नह एक बल िज ासा थी क मर शायर पर लोग क जबान स या फतवा नकलता ह हमार िजदगी क कारनाम क स ची दाद मरन क बाद ह मलती ह य क उस व त वह खशामद और बराइय स पाक-साफ होती ह मरन वाल क खशी या रज क कौन परवाह करता ह इसी लए मर क वता पर िजतनी आलोचनाऍ नकल ह उसको मन बहत ह ठड दल स पढ़ना श कया मगर क वता को समझन वाल ि ट क यापकता और उसक मम को समझन वाल च का चार तरफ अकाल-सा मालम होता था अ धकाश जौह रय न एक -एक शर को लकर उनस बहस क थी और इसम शक नह क व पाठक क ह सयत स उस शर क पहलओ को खब समझत थ मगर आलोचक का कह पता न था नजर क गहराई गायब थी सम क वता पर नगाह डालन वाला क व गहर भाव तक पहचन वाला कोई आलोचक दखाई न दया

क रोज़ म त क द नया स नकलकर घ मता हआ अजमर क पि लक लाइ र म जा पहचा दोपहर का व त था मन मज पर

झककर दखा क कोई नयी रचना हाथ आ जाय तो दल बहलाऊ यकायक मर नगाह एक सदर प क तरफ गयी िजसका नाम था lsquoकलाम अ तरrsquo जस भोला ब चा खलौन क तरफ लपकता ह उसी तरह झपटकर मन उस कताब को उठा लया उसक ल खका मस आयशा आ रफ़ थी दलच पी और भी यादा हई म इ मीनान स बठकर उस कताब को पढ़न लगा एक ह प ना पढ़न क बाद दलच पी न बताबी क सरत अि तयार क फर तो म बसधी क द नया म पहच गया मर सामन गोया स म अथ क एक नद लहर मार रह थी क पना क उठान च क व छता भाषा क नम का य- ि ट ऐसी थी क दय ध य-ध य हो उठता था म एक परा ाफ पढ़ता फर वचार क ताज़गी स भा वत होकर एक लबी सॉस लता और तब सोचन लगता इस कताब को सरसर तौर पर पढ़ना

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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अस भव था यह औरत थी या स च क दवी उसक इशार स मरा कलाम बहत कम बचा था मगर जहा उसन मझ दाद द थी वहा स चाई क मोती बरसा दय थ उसक एतराज म हमदद और शसा म भि त था शायर क कलाम को दोष क ि टय स नह दखना चा हय उसन या नह कया यह ठ क कसौट नह बस यह जी चाहता था क ल खका क हाथ और कलम चम ल lsquoसफ़ रrsquo भोपाल क द तर स एक प का का शत हई थी मरा प का इरादा हो गया तीसर दन शाम क व त म मस आयशा क खबसरत बगल क सामन हर -हर घास पर टहल रहा था म नौकरानी क साथ एक कमर म दा खल हआ उसक सजावट बहत साद थी पहल चीज़ पर नगाह पड़ी वह मर त वीर थी जो द वार पर लटक रह थी सामन एक आइना रखा हआ था मन खदा जान य उसम अपनी सरत दखी मरा चहरा पीला और क हलाया हआ था बाल उलझ हए कपड़ पर गद क एक मोट तह जमी हई परशानी क िजदा त वीर थी उस व त मझ अपनी बर श ल पर स त श मदगी हई म सदर न सह मगर इस व त तो सचमच चहर पर फटकार बरस रह थी अपन लबास क ठ क होन का यक न हम खशी दता ह अपन फ हड़पन का िज म पर इतना असर नह होता िजतना दल पर हम बज दल और बहौसला हो जात ह मझ मि कल स पाच मनट गजर ह ग क मस आयशा तशर फ़ लायी सावला रग था चहरा एक गभीर घलावट स चमक रहा था बड़ी -बड़ी नर गसी आख स सदाचार क स क त क रो शनी झलकती थी क़द मझोल स कछ कम अग - यग छरहर सथर ऐस ह क -फ क क जस क त न उस इस भौ तक ससार क लए नह कसी का प नक ससार क लए सरजा ह कोई च कार कला क उसस अ छ त वीर नह खीच सकता था

मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखा मगर दखत-दखत उसक गदन झक गयी और उसक गाल पर लाज क एक ह क -परछा नाचती हई मालम हई जमीन स उठकर उसक ऑख मर त वीर क तरफ गयी और फर सामन पद क तरफ जा पहची शायद उसक आड़ म छपना चाहती थी

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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मस आयशा न मर तरफ दबी नगाह स दखकर पछा mdashआप वग य अ तर क दो त म स ह

मन सर नीचा कय हए जवाब दया --म ह बदनसीब अ तर ह

आयशा एक बखद क आलम म कस पर स खड़ी हई और मर तरफ हरत स दखकर बोल mdashlsquoद नयाए ह न rsquo क लखन वाल

अध व वास क सवा और कसन इस द नया स चल जानवाल को दखा ह आयशा न मर तरफ कई बार शक स भर नगाह स दखा उनम अब शम और हया क जगह क बजाय हरत समायी हई थी मर क स नकलकर भागन का तो उस यक न आ ह नह सकता था शायद वह मझ द वाना समझ रह थी उसन दल म फसला कया क इस आदमी मरहम शायर का कोई क़र बी अजीज ह शकल िजस तरह मल रह थी वह दोन क एक खानदान क होन का सबत थी मम कन ह क भाई हो वह अचानक सदम स पागल हो गया ह शायद उसन मर कताब दखी होगी ओर हाल पछन क लए चला आया अ चानक उस ख़याल गजरा क कसी न अखबार को मर मरन क झठ खबर द द हो और मझ उस खबर को काटन का मौका न मला हो इस ख़याल स उसक उलझन दर हई बोल mdash

अखबार म आपक बार म एक नहायत मनहस खबर छप गयी थी मन जवाब दयाmdashवह खबर सह थी अगर पहल आयशा को मर दवानपन म कछ था तो वह दर हो गया आ खर मन थोड़ ल जो म अपनी दा तान सनायी और जब उसको यक न हो गया क lsquoद नयाए ह न rsquo का लखनवाला अ तर अपन इ सानी चोल म ह तो उसक चहर पर खशी क एक ह क सख दखायी द और यह ह का रग बहत ज द खददार और प -गव क शोख रग स मलकर कछ का कछ हो गया ग़ा लबन वह श मदा थी क य उसन अपनी क़ दानी को हद स बाहर जान दया कछ दर क शम ल खामोशी क बाद उसन कहा mdash

मझ अफसोस ह क आपको ऐसी मनहस खबर नकालन क ज रत हई

मन जोश म भरकर जवाब दयाmdashआपक क़लम क जबान स दाद पान क कोई सरत न थी इस तनक़ द क लए म ऐसी -ऐसी कई मौत मर सकता था मर इस बधड़क अदाज न आयशा क जबान को भी श टाचार और सकोच क क़द स आज़ाद कया म कराकर बोल mdashमझ बनावट पसद नह

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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ह डा टर न कछ बतलाया नह उसक इस म कराहट न मझ द लगी करन पर आमादा कया बोलाmdashअब मसीहा क सवा इस मज का इलाज और कसी क हाथ नह हो सकता आयशा इशारा समझ गई हसकर बोल mdashमसीहा चौथ आसमान पर रहत ह मर ह मत न अब और कदम बढ़ाय--- ह क द न या स चौथा आसमान बहत दर नह ह

आयशा क खल हए चहर स सजीदगी और अजन बयत का ह का रग उड़ गया ताहम मर इन बधड़क इशार को हद स बढ़त दखकर उस मर जबान पर रोक लगान क लए कसी क़दर खददार बरतनी पड़ी जब म कोई घट-भर क बाद उस कमर स नकला तो बजाय इसक क वह मर तरफ अपनी अ जी तहज़ीब क मता बक हाथ बढ़ाय उसन चोर -चोर मर तरफ दखा फला हआ पानी जब समटकर कसी जगह स नकलता ह तो उसका बहाव तज़ और ताक़त कई गना यादा हो जाती ह आयशा क उन नगाह म अ मत क तासीर थी उनम दल म कराता था और ज बा नाजता था आह उनम मर लए दावत का एक परजोर पग़ाम भरा हआ था जब म मि लम होटल म पहचकर इन वाक़यात पर गौर करन लगा तो म इस नतीज पर पहचा क गो म ऊपर स दखन पर यहा अब तक अप र चत था ल कन भीतर तौर पर शायद म उसक दल क कोन तक पहच चका था

ब म खाना खाकर पलग पर लटा तो बावजद दो दन रात -रात-भर जागन क नीद आख स कोस दर थी ज बात क कशमकश म नीद

कहॉ आयशा क सरत उसक खा तरदा रयॉ और उसक वह छपी- छपी नगाह दल म एकसास का तफान -सा बरपा रह थी उस आ खर नगाह न दल म तम नाओ क म-धम मचा द वह आरजए जो बहत अरसा हआ मर मट थी फर जाग उठ और आरजओ क साथ क पना न भी मद हई आख खोल द दल म ज ात और क फ़यात का एक बचन करनवाला जोश महसस हआ यह आरजए यह बच नया और यह को शश क पना क द पक क लए तल ह ज बात क हरारत न क पना को गरमाया म क़लम लकर

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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बठ गया और एक ऐसी नज़म लखी िजस म अपनी सबस शानदार दौलत समझता ह

म एक होटल म रह रहा था मगर कसी-न- कसी ह ल स दन म कम-स-कम एक बार ज र उसक दशन का आनद उठाता गो आयशा न कभी मर यहॉ तक आन क तकल फ नह क तो भी मझ यह यक न करन क लए शहादत क ज रत न थी क वहॉ कस क़दर सरगम स मरा इतजार कया जाता था मर क़दमो क पहचानी हई आहट पात ह उसका चहरा कस कमल क तरह खल जाता था और आख स कामना क करण नकलन लगती थी यहा छ मह न गजर गय इस जमान को मर िजदगी क बहार समझना चा हय मझ वह दन भी याद ह जब म आरजओ और हसरत क ग़म स आजाद था मगर द रया क शा तपण रवानी म थरकती हई लहर क बहार कहा अब अगर मह बत का दद था तो उसका ाणदायी मज़ा भी था अगर आरजओ क घलावट थी तो उनक उमग भी थी आह मर यह यासी आख उस प क ोत स कसी तरह त त न ह ती जब म अपनी नश म डबी हई आखो स उस दखता तो मझ एक आि मक तरावट -सी महसस होती म उ सक द दार क नश स बसध -सा हो जाता और मर रचना-शि त का तो कछ हद - हसाब न था ऐसा मालम होता था क जस दल म मीठ भाव का सोता खल गया था अपनी क व व शि त पर खद अच भा होता था क़लम हाथ म ल और रचना का सोता-सा बह नकला lsquoनरगrsquo म ऊची क पनाऍ न हो बड़ी गढ़ बात न ह मगर उसका एक-एक शर वाह और रस गम और घलावट क दाद द रहा ह यह उस द पक का वरदान ह जो अब मर दल म जल गया था और रोशनी द रहा था यह उस फल क महक थी जो मर दल म खला हआ था मह बत ह क खराक ह यह अमत क बद ह जो मर हए भाव को िजदा कर दती ह मह बत आि मक वरदान ह यह िजदगी क सबस पाक सबस ऊची मबारक बरक़त ह यह अ सीर थी िजसक अनजान ह मझ तलाश थी वह रात कभी नह भलगी जब आयशा द हन बनी हई मर घर म आयी lsquoनरगrsquo उसक मबारक िजदगी क यादगार ह lsquoद नयाए ह न rsquo एक कल थी lsquoनरगrsquo खला हआ फल ह और उस कल को खलान वाल कौन -सी चीज ह वह िजसक मझ अनजान ह तलाश थी और िजस म अब पा गया था

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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उद lsquo म पचीसीrsquo स

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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अपनी करनी

ह अभागा म मर कम क फल न आज यह दन दखाय क अपमान भी मर ऊपर हसता ह और यह सब मन अपन हाथ

कया शतान क सर इलजाम य द क मत को खर -खोट य सनाऊ होनी का य रोऊ ज कछ कया मन जानत और बझत हए कया अभी एक साल गजरा जब म भा यशाल था ति ठत था और सम मर चर थी द नया क नमत मर सामन हाथ बाध खड़ी थी ल कन आज बदनामी और कगाल और श मदगी मर ददशा पर आस बहाती ह म ऊच खानदान का बहत पढ़ा - लखा आदमी था फारसी का म ला स कत का पि डत अगजी का जएट अपन मह मया म य बन ल कन प भी मझको मला था इतना क दसर मझस ई या कर सकत थ ग़रज एक इसान को खशी क साथ िजदगी बसर करन क लए िजतनी अ छ चीज क ज रत हो सकती ह वह सब मझ हा सल थी सहत का यह हाल क मझ कभी सरदद क भी शकायत नह हई फ़टन क सर द रया क दलफ़र बया पहाड़ क सदर य ndashउन ख शय का िज ह तकल फ़दह ह या मज क िजदगी थी आह यहॉ तक तो अपना दद दल सना सकता ह ल कन इसक आग फर ह ठ पर खामोशी क महर लगी हई ह एक सती -सा वी त ाणा ी और दो गलाब क फल -स ब च इसान क लए िजन ख शय आरजओ

हौसल और दलफ़र बय का खजाना हो सकत ह वह सब मझ ा त था म इस यो य नह क उस प त ी का नाम जबान पर लाऊ म इस यो य नह क अपन को उन लड़क का बाप कह सक मगर नसीब का कछ ऐसा खल था क मन उन ब ह ती नमत क क न क िजस औरत न मर ह म और अपनी इ छा म कभी कोई भद नह कया जो मर सार बराइय क बावजद कभी शकायत का एक हफ़ ज़बान पर नह लायी िजसका ग सा कभी आखो स आग नह बढ़न पाया-ग सा या था कआर क बरखा थी दो-चार हलक -हलक बद पड़ी और फर आसमान साफ़ हो गया mdashअपनी द वानगी क नश म मन उस दवी क क न क मन उस जलाया लाया तड़पाया मन उसक साथ दग़ा क आह जब म दो-दो बज रात को घर

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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लौटता था तो मझ कस -कस बहान सझत थ नत नय ह ल गढ़ता था शायद व याथ जीवन म जब ब ड क मज स मदरस जान क इजाज़त न दत थ उस व त भी ब इतनी खर न थी और या उस मा क दवी को मर बात पर यक़ न आता था वह भोल थी मगर ऐसी नादान न थी मर खमार -भर आख और मर उथल भाव और मर झठ म- दशन का रह य या उसस छपा रह सकता था ल कन उसक रग-रग म शराफत भर हई थी कोई कमीना ख़याल उसक जबान पर नह आ सकता था वह उन बात का िज करक या अपन सदह को खल आम दखलाकर हमार प व सबध म खचाव या बदमज़गी पदा करना बहत अन च त समझती थी मझ उसक वचार उसक माथ पर लख मालम होत थ उन बदमज़ गय क मकाबल म उस जलना और रोना यादा पसद था शायद वह समझती थी क मरा नशा खद -ब-खद उतर जाएगा काश इस शराफत क बदल उसक वभाव म कछ ओछापन और अनदारता भी होती काश वह अपन

अ धकार को अपन हाथ म रखना जानती काश वह इतनी सीधी न होती काश अव अपन मन क भाव को छपान म इतनी कशल न होती काश वह इतनी म कार न होती ल कन मर म कार और उसक म कार म कतना अतर था मर म कार हरामकार थी उसक म कार आ मब लदानी एक रोज म अपन काम स फसरत पाकर शाम क व मनोरजन क लए आनदवा टका म पहचा और सगमरमर क हौज पर बठकर मछ लय का तमाशा दखन लगा एकाएक नगाह ऊपर उठ तो मन एक औरत का बल क झा ड़य म फल चनत दखा उसक कपड़ मल थ और जवानी क ताजगी और गव को छोड़कर उसक चहर म कोई ऐसी खास बात न थी उसन मर तरफ आख उठायी और फर फल चनन म लग गयी गोया उसन कछ दखा ह नह उसक इस अदाज न चाह वह उसक सरलता ह य न रह हो मर वासना को और भी उ ी त कर दया मर लए यह एक नयी बात थी क कोई औरत इस तरह दख क जस उसन नह दखा म उठा और धीर-धीर कभी जमीन और कभी आसमान क तरफ ताकत हए बल क झा ड़य क पास जाकर खद भी फल चनन लगा इस ढठाई का नतीजा यह हआ क वह मा लन क लड़क वहा स तजी क साथ बाग क दसर ह स म चल गयी

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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उस दन स मालम नह वह कौन -सा आकषण था जो मझ रोज शाम क व त आनदवा टका क तरफ खीच ल जाता उस मह बत हर गज नह कह सकत अगर मझ उस व त भगवान न कर उस लड़क क बार म कोई शोक-समाचार मलता तो शायद मर आख स आस भी न नकल जो गया धारण करन क तो चचा ह यथ ह म रोज जाता और नय-नय प धरकर जाता ल कन िजस क त न मझ अ छा प -रग दया था उसी

न मझ वाचालता स व चत भी कर रखा था म रोज जाता और रोज लौट जाता म क मिजल म एक क़दम भी आग न बढ़ पाता था हा इतना अलब ता हो गया क उस वह पहल -सी झझक न रह आ खर इस शा तपण नी त को सफल बनान न होत दख मन एक नयी यि त सोची एक रोज म अपन साथ अपन शतान बलडाग टामी को भी लता गया जब शाम हो गयी और वह मर धय का नाश करन वाल फल स आचल भरकर अपन घर क ओर चल तो मन अपन बलडाग को धीर स इशारा कर दया बलडाग उसक तरफ़ बाज क तरफ झपटा फलमती न एक चीख मार दो-चार कदम दौड़ी और जमीन पर गर पड़ी अब म छड़ी हलाता बलडाग क तरफ ग स -भर आख स दखता और हाय-हाय च लाता हआ दौड़ा और उस जो र स दो-तीन डड लगाय फर मन बखर हए फल को समटा सहमी हई औरत का हाथ पकड़कर बठा दया और बहत लि जत और दखी भाव स बोला mdashयह कतना बड़ा बदमाश ह अब इस अपन साथ कभी नह लाऊगा त ह इसन काट तो नह लया

फलमती न चादर स सर को ढ़ाकत हए कहा mdashतम न आ जात तो वह मझ नोच डालता मर तो जस मन -मन-भर म पर हो गय थ मरा कलजा तो अभी तक धड़क रहा ह यह तीर ल य पर बठा खामोशी क महर टट गयी बातचीत का सल सला क़ायम हआ बाध म एक दरार हो जान क दर थी फर तो मन क उमगो न खद -ब-खद काम करना श कया मन जस -जस जाल फलाय जस-जस वाग रच वह रगीन त बयत क लोग खब जानत ह और यह सब य मह बत स नह सफ जरा दर दल को खश करन क लए सफ उसक भर-पर शर र और भोलपन पर र झकर य म बहत नीच क त का आदमी नह ह प -रग म फलमती का इद स मकाबला न था वह सदरता क साच म ढल हई थी क वय न स दय क जो कसौ टया बनायी

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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ह वह सब वहा दखायी दती थी ल कन पता नह य मन फलमती क धसी हई आख और फल हए गाल और मोट -मोट होठ क तरफ अपन दल का यादा खचाव दखा आना-जाना बढ़ा और मह ना-भर भी गजरन न पाया क म उसक मह बत क जाल म पर तरह फस गया मझ अब घर क सादा िजदगी म कोई आनद न आता था ल कन दल य - य घर स उचटता जाता था य - य म प नी क त म का दशन और भी अ धक करता था म उसक फ़रमाइश का इतजार करता रहता और कभी उसका दल दखानवाल कोई बात मर जबान पर न आती शायद म अपनी आत रक उदासीनता को श टाचार क पद क पीछ छपाना चाहता था धीर-धीर दल क यह क फ़यत भी बदल गयी और बीवी क तरफ स उदासीनता दखायी दन लगी घर म कपड़ नह ह ल कन मझस इतना न होता क पछ ल सच यह ह क मझ अब उसक खा तरदार करत हए एक डर-सा मालम होता था क कह उसक खामोशी क द वार टट न जाय और उसक मन क भाव जबान पर न आ जाय यहा तक क मन गर ती क ज रत क तरफ स भी आख बद कर ल अब मरा दल और जान और पया-पसा सब फलमती क लए था म खद कभी सनार क दकान पर न

गया था ल कन आजकल कोई मझ रात गए एक मशहर सनार क मकान पर बठा हआ दख सकता था बजाज क दकान म भी मझ च हो ग यी २

क रोज शाम क व त रोज क तरह म आनदवा टका म सर कर रहा था और फलमती सोहल सगार कए मर सनहर - पहल भटो स

लद हई एक रशमी साड़ी पहन बाग क या रय म फल तोड़ रह थी बि क य कहो क अपनी चट कयो म मर दल को मसल रह थी उसक छोट -छोट आख उस व त नश क ह न म फल गयी थी और उनम शोखी और म कराहट क झलक नज़र आती थी

अचानक महाराजा साहब भी अपन कछ दो त क साथ मोटर पर सवार आ पहच म उ ह दखत ह अगवानी क लए दौड़ा और आदाब बजा लाया बचार फलमती महाराजा साहब को पहचानती थी ल कन उस एक घन कज क अलावा और कोई छपन क जगह न मल सक महाराजा साहब चल तो हौज क तरफ़ ल कन मरा दभा य उ ह यार पर ल चला िजधर फलमती छपी हई थर -थर काप रह थी

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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महाराजा साहब न उसक तरफ़ आ चय स दखा और बोलmdashयह कौन औरत ह सब लोग मर ओर न-भर आख स दखन लग और मझ भी उस व त यह ठ क मालम हआ क इसका जवाब म ह द वना फलमती न जान या आफत ढ़ा द लापरवाह क अदाज स बोलाmdashइसी बाग क माल क लड़क ह यहा फल तोड़न आयी होगी फलमती ल जा और भय क मार जमीन म धसी जाती थी महाराजा साहब न उस सर स पाव तक गौर स दखा और तब सदहशील भाव स मर तरफ दखकर बोलmdashयह माल क लड़क ह

म इसका या जवाब दता इसी बीच क ब त दज़न माल भी अपनी फट हई पाग सभालता हाथ म कदाल लए हए दौड़ता हआ आया और सर को घटन स मलाकर महाराज को णाम कया महाराजा न जरा तज लहज म पछा mdashयह तर लड़क ह

माल क होश उड़ गए कापता हआ बोला --हजर

महाराजmdashतर तन वाह या ह

दजन mdashहजर पाच पय महाराजmdashयह लड़क कवार ह या याह

दजन mdashहजर अभी कवार ह

महाराज न ग स म कहा mdashया तो त चोर करता ह या डाका मारता ह वना यह कभी नह हो सकता क तर लड़क अमीरजाद बनकर रह सक मझ इसी व त इसका जवाब दना होगा वना म तझ प लस क सपद कर दगा ऐस चाल -चलन क आदमी को म अपन यहा नह रख सकता माल क तो घ घी बध गयी और मर यह हालत थी क काटो तो बदन म लह नह द नया अधर मालम होती थी म समझ गया क आज मर शामत सर पर सवार ह वह मझ जड़ स उखाड़कर दम लगी महा राजा साहब न माल को जोर स डाटकर पछा mdashत खामोश य ह बोलता य नह

दजन फट -फटकर रोन लगा जब ज़रा आवाज सधर तो बोला mdashहजर बाप-दाद स सरकार का नमक खाता ह अब मर बढ़ाप पर दया क िजए यह सब मर फट नसीब का फर ह धमावतार इस छोकर न मर नाक कटा द कल का नाम मटा दया अब म कह मह दखान लायक नह ह इसको सब तरह स समझा-बझाकर हार गए हजर ल कन मर बात सनती ह नह

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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तो या क हजर माई -बाप ह आपस या पदा क उस अब अमीर क साथ रहना अ छा लगता ह और आजकल क रईस और अमीर को या कह द नबध सब जानत ह

महाराजा साहब न जरा दर गौर करक पछा mdash या उसका कसी सरकार नौकर स सबध ह

दजन न सर झकाकर कहा mdashहजर

महाराज साहबmdashवह कौन आदमी ह त ह उस बतलाना होगा

दजन mdashमहाराज जब पछग बता दगा साच को आच या मन तो समझा था क इसी व त सारा पदाफास हआ जाता ह ल कन महाराजा साहब न अपन दरबार क कसी मलािजम क इ जत को इस तरह म ी म मलाना ठ क नह समझा व वहा स टहलत हए मोटर पर बठकर महल क तरफ चल ३

स मनहस वाक़य क एक ह त बाद एक रोज म दरबार स लौटा तो मझ अपन घर म स एक बढ़ औरत बाहर नकलती हई दखाई द उस

दखकर म ठठका उस चहर पर बनावट भोलापन था जो कट नय क चहर क खास बात ह मन उस डाटकर पछा -त कौन ह यहा य आयी ह

ब ढ़या न दोन हाथ उठाकर मर बलाय ल और बोल mdashबटा नाराज न हो गर ब भखार ह मा ल कन का सहाग भरपर रह उस जसा सनती थी वसा ह पाया यह कह कर उसन ज द स क़दम उठाए और बाहर चल गई मर ग स का पारा चढ़ा मन घर जाक र पछा mdashयह कौन औरत थी

मर बीवी न सर झकाय धीर स जवाब दया mdash या जान कोई भख रन थी मन कहा भखा रन क सरत ऐसी नह हआ करती यह तो मझ कटनी -सी नजर आती ह साफ़-साफ़ बताओ उसक यहा आन का या मतलब था

ल कन बजाय क इन सदह-भर बात को सनकर मर बीवी गव स सर उठाय और मर तरफ़ उप ा-भर आख स दखकर अपनी साफ़ दल का सबत द उसन सर झकाए हए जवाब दया mdashम उसक पट म थोड़ ह बठ थी भीख मागन आयी थी भीख द द कसी क दल का हाल कोई या जान

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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उसक लहज और अदाज स पता चलता था क वह िजतना जबान स कहती ह उसस यादा उसक दल म ह झठा आरोप लगान क कला म वह अभी बलकल क ची थी वना त रया च र तर क थाह कस मलती ह म दख रहा था क उसक हाथ-पाव थरथरा रह ह मन झपटकर उसका हाथ पकड़ा और उसक सर को ऊपर उठाकर बड़ गभीर ोध स बोलाmdashइद तम जानती हो क मझ त हारा कतना एतबार ह ल कन अगर तमन इसी व सार घटना सच-सच न बता द तो म नह कह सकता क इसका नतीजा या होगा त हारा ढग बतलाता ह क कछ -न-कछ दाल म काला ज र ह

यह खब समझ र खो क म अपनी इ जत को त हार और अपनी जान स यादा अज़ीज़ समझता ह मर लए यह डब मरन क जगह ह क म

अपनी बीवी स इस तरह क बात क उसक ओर स मर दल म सदह पदा हो मझ अब यादा स क गजाइश नह ह बोलो या बात ह

इदमती मर परो पर गर पड़ी और रोकर बोल mdashमरा कसर माफ कर दो मन गरजकर कहाmdashवह कौन सा कसर ह

इदम त न सभलकर जवाब दया mdashतम अपन दल म इस व त जो याल कर रह हो उस एक पल क लए भी वहा न रहन दो वना समझ

लो क आज ह इस िजदगी का खा मा ह मझ नह मालम था क तम मर ऊपर जो ज म कए ह उ ह मन कस तरह झला ह और अब भी सब -कछ झलन क लए तयार ह मरा सर त हार परो पर ह िजस तरह रखोग रहगी ल कन आज मझ मालम हआ क तम खद हो वसा ह दसर को समझत हो मझस भल अव य हई ह ल कन उस भल क यह सजा नह क तम मझ पर ऐस सदह न करो मन उस औरत क बात म आकर अपन सार घर का च ा बयान कर दया म समझती थी क मझ ऐसा नह करना चा हय ल कन कछ तो उस औरत क हमदद और कछ मर अदर सलगती हई आग न मझस यह भल कर वाई और इसक लए तम जो सजा दो वह मर सर-आख पर मरा ग सा जरा धीमा हआ बोला -तमन उसस या कहा

इदम त न दया mdashघर का जो कछ हाल ह त हार बवफाई त हार लापरवाह त हारा घर क ज रत क क न रखना अपनी बवकफ का या कह मन उस यहा तक कह दया क इधर तीन मह न स उ ह न घर

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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क लए कछ खच भी नह दया और इसक चोट मर गहनो पर पड़ी त ह शायद मालम नह क इन तीन मह न म मर साढ़ चार सौ पय क जवर बक गय न मालम य म उसस यह सब कछ कह गयी जब इसान का दल जलता ह तो जबान तक उसी आच आ ह जाती ह मगर मझस जो कछ खता हई उसस कई गनी स त सजा तमन मझ द ह मरा बयान लन का भी स न हआ खर त हार दल क क फयत मझ मालम हो गई त हारा दल मर तरफ़ स साफ़ नह ह त ह मझपर व वास नह रहा वना एक भखा रन औरत क घर स नकलन पर त ह ऐस शबह य होत

म सर पर हाथ रखकर बठ गया मालम हो गया क तबाह क सामान पर हए जात ह

सर दन म य ह द तर म पहचा चोबदार न आकर कहा -महाराज साहब न आपको याद कया ह

म तो अपनी क मत का फसला पहल स ह कय बठा था म खब समझ गया था क वह ब ढ़या ख फ़या प लस क कोई मख़ बर ह जो मर घरल मामल क जाच क लए तनात हई होगी कल उसक रप ट आयी होगी और आज मर तलबी ह खौफ़ स सहमा हआ ल कन दल को कसी तरह सभाल हए क जो क छ सर पर पड़गी दखा जाएगा अभी स य जान द म महाराजा क खदमत म पहचा वह इस व त अपन पजा क कमर म अकल बठ हए थ क़ागज का एक ढर इधर-उधर फला हआ था ओर वह खद कसी याल म डब हए थ मझ दखत ह वह मर तरफ मखा तब हए उनक चहर पर नाराज़गी क ल ण दखाई दय बोल कअर याम सह मझ बहत अफसोस ह क त हार बावत मझ जो बात मालम ह वह मझ इस बात क लए मजबर करती ह क त हार साथ स ती का बताव कया जाए तम मर परान वसीक़ादार हो और त ह यह गौरव कई पी ढ़ य स ा त ह त हार बजग न हमार खानदान क जान लगाकार सवाए क ह और उ ह क सल म यह वसीक़ा दया गया था ल कन तमन अपनी हरकत स अपन को इस कपा क यो य नह र खा त ह इस लए वसीक़ा मलता था क तम अपन खानदान क परव रश कर अपन लड़क को इस यो य बनाओ क वह रा य क कछ खदमत कर सक उ ह शार रक और न तक श ा दो ता क त हार जात स रयासत क भलाई हो न क इस लए क तम

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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इस पय को बहदा ऐशप ती और हरामकार म खच करो मझ इस बात स बहत तकल फ़ होती ह क तमन अब अपन बाल-ब च क परव रश क िज मदार स भी अपन को म त समझ लया ह अगर त हारा यह ढग रहा तो यक नन वसीक़ादार का एक पराना खानदान मट जाएगा इस लए हाज स हमन त हारा नाम वसीक़ादार क फ़ह र त स खा रज कर दया और त हार जगह त हार बीवी का नाम दज कया गया वह अपन लड़क को पालन-पोसन क िज मदार ह त हारा नाम रयासत क मा लय क फ़ह र त म लया जाएगा तमन अपन को इसी क यो य स कया ह और मझ उ मीद ह क यह तबादला त ह नागवार न होगा बस जाओ और मम कन हो तो अपन कय पर पछताओ

झ कछ कहन का साहस न हआ मन बहत धयपवक अपन क़ मत का यह फ़सला सना और घर क तरफ़ चला ल कन दो ह चार क़दम

चला था क अचानक ख़चाल आया कसक घर जा रह हो त हारा घर अब कहा ह म उलट क़दम लौटा िजस घर का म राजा था वहा दसर का आ त बनकर मझस नह रहा जाएगा और रहा भी जाय तो मझ रहना चा हए मरा आचरण न चय ह अन चत था ल कन मर न तक सवदना अभी इतनी थोथी न हई थी मन प का इरादा कर लया क इसी व त इस शहर स भाग जाना मना सब ह वना बात फलत ह हमदद और बरा चतनवाल का एक जमघट हालचाल पछन क लए आ जाएगा दसर क सखी हमद दया सननी पडगी िजनक पद म खशी झलकती होगी एक बारख सफ एक बार मझ फलमती का खयाल आया उसक कारण यह सब दगत हो रह ह उसस तो मल ह ल मगर दल न रोका या एक वभवशाल आदमी क जो इ जत होती थी वह अब मझ हा सल हो सकती ह हर गज़ नह प क म डी म वफ़ा और मह बत क मक़ा बल म पया -पसा यादा क़ मती चीज ह मम कन ह इस व त मझ पर तरस खाकर या णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन या

णक आवश म आकर फलमती मर साथ चलन पर आमादा हो जाय ल कन उस लकर कहा जाऊगा पाव म ब ड़या डालकर चलना तो ओर भी मि कल ह इस तरह सोच - वचार कर मन ब बई क राह ल और अब दो साल स एक मल म नौकर ह तन वाह सफ़ इतनी ह क य - य

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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िज दगी का सल सला चलता रह ल कन ई चर को ध यवाद दता ह और इसी को यथ ट समझता ह म एक बार ग त प स अपन घर गया था फलमती न एक दसर रईस स प का सौदा कर लया ह ल कन मर प नी न अपन ब ध-कौशल स घर क हालत खब सभाल ल ह मन अपन मकान को रात क समय लालसा-भर आख स दखा-दरवाज़ पर पर दो लालटन जल रह थी और ब च इधर-उधर खल रह थ हर सफ़ाई और सथरापन दखायी दता था मझ कछ अखबार क दखन स मालम हआ क मह न तक मर पत- नशान क बार म अखबर म इ तहार छपत रह ल कन अब यह सरत लकर म वहा या जाऊगा ओर यह का लख -लगा मह कसको दखाऊगा अब तो मझ इसी गर -पड़ी हालत म िज दगी क दन काटन ह चाह रोकर काट या हसकर म अपनी हरकत पर अब बहत श मदा ह अफसोस मन उन नमत क क न क उ ह लात स ठोकर मार यह उसी क सजा ह क आज मझ यह दन दखना पड़ रहा ह म वह परवाना ह म वह परवाना ह िजसक खाक भी हवा क झ क स नह बची

-lsquoजमानाrsquo सतबर-अ तबर १९९४

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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गौरत क कटार

तनी अफ़सोसनाक कतनी ददभर बात ह क वह औरत जो कभी हमार पहल म बसती थी उसी क पहल म चभन क लए हमारा

तज खजर बचन हो रहा ह िजसक आख हमार लए अमत क छलकत हए याल थी वह आख हमार दल म आग और तफान पदा कर प उसी व त तक राहत और खशी दता ह जब तक उसक भीतर एक हानी नमत होती ह और जब तक उसक अ दर औरत क वफ़ा क हहरकत कर रह हो वना वह एक तकल फ़ दन चाल चीज़ ह ज़हर और बदब स भर हई इसी क़ा बल क वह हमार नगाह स दर रह और पज और नाखन का शकार बन एक जमाना वह था क नईमा हदर क आरजओ क दवी थी यह समझना मि कल था क कौन तलबगार ह और कौन उस तलब को परा करन वाला एक तरफ पर -पर दलजोई थी दसर तरफ पर -पर रजा तब तक़द र न पासा पलटा गलो -बलबल म सबह क हवा क शरारत श ह शाम का व त था आसमान पर लाल छायी हई थी नईमा उमग और ताजगी और शौक स उमड़ी हई कोठ पर आयी शफ़क़ क तरह उसका चहरा भी उस व त खला हआ था ऐन उसी व त वहा का सबदार ना सर अपन हवा क तरह तज घोड़ पर सवार उधर स नकला ऊपर नगाह उठ तो ह न का क र मा नजर आया क जस चाद शफ़क़ क हौज म नहाकर नकला ह तज़ नगाह िजगर क पार हई कलजा थामकर रह गया अपन महल को लौटा अधमरा टटा हआ मसाहब न हक म क तलाश क और तब राह-रा म पदा हई फर इ क क द वार मिज़ल तय ह वफ़ा ओर हया न बहत ब खी दखायी मगर मह बत क शकव और इ क़ क क तोड़नवाल धम कया आ खर जीती अ मत का खलाना लट गया उसक बाद वह हआ जो हो सकता था एक तरफ स बदगमानी दसर तरफ स बनावट और म कार मनमटाव क नौबत आयी फर एक-दसर क दल को चोट पहचाना श हआ यहा तक क दल म मल पड़ गयी एक -दसर क खन क यास हो गय नईमा न ना सर क मह बत क गोद म पनाह ल और आज एक मह न क बचन इ तजार क बाद हदर अपन ज बात क साथ नगी तलवार पहल म छपाय अपन िजगर क भड़कत हए शोल को नईमा क खन स बझान क लए आया हआ ह

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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धी रात का व त था और अधर रात थी िजस तरह आसमान क हरमसरा म हसन क सतार जगमगा रह थ उसी तरह ना सर का

हरम भी ह न क द प स रोशन था ना सर एक ह त स कसी मोच पर गया हआ ह इस लए दरबान गा फ़ल ह उ ह न हदर को दखा मगर उनक मह सोन -चाद स ब द थ वाजासराओ क नगाह पड़ी ल कन वह पहल ह एहसान क बोझ स दब चक थ खवास और कनीज न भी मतलब -भर नगाह स उसका वागत कया और हदर बदला लन क नश म गनहगार नईमा क सोन क कमर म जा पहचा जहा क हवा सदल और गलाब स बसी हई थी

कमर म एक मोमी चराग़ जल रहा था और उसी क भद-भर रोशनी म आराम और तक लफ़ क सजावट नज़र आती थी जो सती व जसी अनमोल चीज़ क बदल म खर द गयी थी वह वभव और ऐ वय क गोद म लट हई नईमा सो रह थी

हदर न एक बार नईया को ऑख भर दखा वह मो हनी सरत थी वह आकषक जाव य और वह इ छाओ को जगानवाल ताजगी वह यवती िजस एक बार दखकर भलना अस भव था

हॉ वह नईमा थी वह गोर बॉह जो कभी उसक गल का हार बनती थी वह क तर म बस हए बाल जो कभी क ध पर लहरात थ वह फल जस गाल जो उसक म-भर आख क सामन लाल हो जात थ इ ह गोर -गोर कलाइय म उसन अभी-अभी खल हई क लय क कगन पहनाय थ और िज ह वह वफा क कगन समझ था इसक गल म उसन फल क हार सजाय थ और उ ह म का हार खयाल कया था ल कन उस या मालम था क फल क हार और क लय क कगन क साथ वफा क कगन और म क हार भी मरझा जायग

हा यह वह गलाब क -स ह ठ ह जो कभी उसक मह बत म फल क तरह खल जात थ िजनस मह बत क सहानी महक उड़ती थी और यह वह सीना ह िजसम कभी उसक मह बत और वफ़ा का जलवा था जो कभी उसक मह बत का घर था

मगर िजस फल म दल क महक थी उसम दग़ा क काट ह

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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दर न तज कटार पहल स नकाल और दब पाव नईमा क तरफ़ आया ल कन उसक हाथ न उठ सक िजसक साथ उ -भर िज दगी क सर

क उसक गदन पर छर चलात हए उसका दय वत हो गया उसक आख भीग गयी दल म हसरत-भर यादगार का एक तफान -सा तक़द र क या खबी ह क िजस म का आर भ ऐसा खशी स भरपर हो उसका अ त

इतना पीड़ाजनक हो उसक पर थरथरान लग ल कन वा भमान न ललकारा द वार पर लटक हई त वीर उसक इस कमज़ोर पर म करायी

मगर कमजोर इरादा हमशा सवाल और अल ल क आड़ लया करता ह हदर क दल म खयाल पदा हआ या इस मह बत क बा को उजाड़न का अ ज़ाम मर ऊपर नह ह िजस व त बदगमा नय क अखए नकल अगर मन तान और ध कार क बजाय मह बत स काम लया होता तो आज यह दन न आता मर ज म न मह बत और वफ़ा क जड़ काट औरत कमजोर होती ह कसी सहार क बग़र नह रह सकती िजस औरत न मह बत क मज़ उठाय ह और उ फ़ात क नाजबरदा रया दखी ह वह तान और िज लत क आच या सह सकती ह ल कन फर ग़रत न उकसाया क जस वह धधला चराग़ भी उसक कमजो रय पर हसन लगा

वा भमान और तक म सवाल-जवाब हो रहा था क अचानक नईमा न करवट बदल ओर अगड़ाई ल हदर न फौरन तलवार उठायी जान क खतर म आगा-पीछा कहा दल न फसला कर लया तलवार अपना काम करनवाल ह थी क नईमा न आख खोल द मौत क कटार सर पर नजर आयी वह घबराकर उठ बठ हदर को दखा प रि थ त समझ म आ गयी बोल -हदर

दर न अपनी झप को ग स क पद म छपाकर कहा - हा म ह हदर

नईमा सर झकाकर हसरत -भर ढग स बोल mdashत हार हाथ म यह चमकती हई तलवार दखकर मरा कलजा थरथरा रहा ह त ह न मझ नाज़बरदा रय का आद बना दया ह ज़रा दर क लए इस कटार को मर ऑख स छपा लो म जानती ह क तम मर खन क यास हो ल कन मझ

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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न मालम था क तम इतन बरहम और सग दल हो मन तमस दग़ा क ह त हार खतावार ह ल कन हदर यक़ न मानो अगर मझ च द आ खर बात कहन का मौक़ा न मलता तो शायद मर ह को दोज़ख म भी यह आरज रहती मौत क सज़ा स पहल आपन घरवाल स आ खर मलाक़ात क इजाज़त होती ह या तम मर लए इतनी रयायत क भी रवादा र न थ माना क अब तम मर लए कोई नह हो मगर कसी व त थ और तम चाह अपन दल म समझत हो क म सब कछ भल गयी ल कन म मह बत को इतनी ज द भल जान वाल नह ह अपन ह दल स फसला करो तम मर बवफ़ाइया चाह भन जाओ ल कन मर मह बत क द ल तोड़नवाल यादगार नह मटा सकत मर आ खर बात सन लो और इस नापाक िज दगी का ह सा पाक करो म साफ़-साफ़ कहती ह इस आ खर व त म य ड मर कछ दगत हई ह उसक िज मदार तम हो नाराज न होना

अगर त हारा य़ाल ह क म यहा फल क सज पर सोती ह तो वह ग़लत ह मन औरत क शम खोकर उसक क़ जानी ह म हसीन ह नाजक ह द नया क नमत मर लए हािज़र ह ना सर मर इ छा का गलाम ह ल कन मर दल स यह खयाल कभी दर नह होता क वह सफ़ मर ह न और अदा का ब दा ह मर इ जत उसक दल म कभी हो भी नह सकती या तम जानत हो क यहा खवास और दसर बी वय क मतलब -भर इशार मर खन और िजगर को नह लजात ओफ मन अ मत खोकर अ मत क क़ जानी ह ल कन म कह चक ह और फर कहती ह क इसक तम िज मदार हो

हदर न पहल बदलकर पछा mdash य कर

नईमा न उसी अ दाज स जवाब दया-तमन बीवी बनाकर नह माशक बनाकर र खा तमन मझ नाजबरदा रय का आद बनाया ल कन फ़ज का सबक नह पढ़ाया तमन कभी न अपनी बात स न काम स मझ यह खयाल करन का मौक़ा दया क इस मह बत क ब नयाद फ़ज पर ह तमन मझ हमशा हसन और मि त य क त ल म म फसाए र खा और मझ वा हश का गलाम बना दया कसी क ती पर अगर फ़ज का म लाह न हो तो फर उस द रया म डब जान क सवा और कोई चारा नह ल कन अब बात स या हा सल अब तो त हार गरत क कटार मर

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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खन क यासी ह ओर यह लो मरा सर उसक सामन झका हआ ह हॉ मर एक आ खर तम ना ह अगर त हार इजाजत पाऊ तो कह

यह कहत-कहत नईमा क आख म आसओ क बाढ़ आ गई और हदर क ग़रत उसक सामन ठहर न सक उदास वर म बोलाmdash या कहती हो

नईमा न कहा-अ छा इजाज़त द ह तो इनकार न करना मझ एक बार फर उन अ छ दन क याद ताज़ा कर लन दो जब मौत क कटार नह मह बत क तीर िजगर को छदा करत थ एक बार फर मझ अपनी मह बत क बाह म ल लो मर आ ख़र बनती ह एक बार फ़र अपन हाथ को मर गदन का हार बना दो भल जाओ क मन त हार साथ दगा क ह भल जाओ क यह िज म ग दा और नापाक ह मझ मह बत स गल लगा लो और यह मझ द दो त हार हाथ म यह अ छ नह मालम होती त हार हाथ मर ऊपर न उठग द खो क एक कमजोर औरत कस तरह ग़रत क कटार को अपन िजगर म रख लती ह यह कहकर नईमा न हदर क कमजोर हाथ स वह चमकती हई तलवार छ न ल और उसक सीन स लपट गयी हदर झझका ल कन वह सफ़ ऊपर झझक थी अ भमान और तशोध-भावना क द वार टट गयी दोन आ लगन पाश म बध गए और दोन क आख उमड़ आयी

नईमा क चहर पर एक सहानी ाणदा यनी म कराहट दखायी द और मतवाल आख म खशी क लाल झलकन लगी बोल -आज कसा मबारक दन ह क दल क सब आरजए पर द होती ह ल कन यह क ब त आरजए कभी पर नह होती इस सीन स लपटकर मह बत क शराब क बगर नह रहा जाता तमन मझ कतनी बार म क याल ह उस सराह और उस याल क याद नह भलती आज एक बार फर उ फत क शराब क दौर चलन दो मौत क शराब स पहल उ फ़त क शराब पला दो एक बार फर मर हाथ स याला ल लो मर तरफ़ उ ह यार क नगाह स दखकर जो कभी आख स न उतरती थी पी जाओ मरती ह तो खशी स म नईमा न अगर सती व खोकर सती व का म य जाना था तो हदर न भी म खोकर म का म य जाना था उस पर इस समय एक मदहोशी छायी हई थी ल जा और याचना और झका हआ सर यह ग स और

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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तशोध क जानी द मन ह और एक गौरत क नाजक हाथ म तो उनक काट तज तलवार को मात कर दती ह अगर शराब क दौर चल और हदर न म त होकर याल पर याल खाल करन श कय उसक जी म बार -बार आता था क नईमा क पर पर सर रख द और उस उजड़ हए आ शयान को आदाब कर द फर म ती क क यत पदा हई और अपनी बात पर और अपन काम पर उस अि य़यार न रहा वह रोया गड़ गड़ाया म नत क यहा तक क उन दग़ा क याल न उसका सर झका दया ३

दर कई घ ट तक बसध पड़ा रहा वह च का तो रात बहत कम बाक़ रह गयी थी उसन उठना चाहा ल कन उसक हाथ-पर रशम क डो रय

स मजबत बध हए थ उसन भौचक होकर इधर -उधर दखा नईमा उसक सामन वह तज़ कटार लय खड़ी थी उसक चहर पर एक क़ा तल जसी मसकराह ट क लाल थी फ़ज माशक क खनीपन और खजरबाजी क तरान वह बहत बार गा चका था मगर इस व त उस इस न जार स शायराना ल फ़ उठान का जीवट न था जान का खतरा नश क लए तश स यादा क़ा तल ह घबराकर बोला-नईम

नईमा न लहज म कहा-हा म ह नईमा

हदर ग स स बोला - या फर दग़ा का वार कया

नईमा न जवाब दया-जब वह मद िजस खदा न बहादर और क़वत का हौसला दया ह दग़ा का वार करता ह तो उस मझस यह सवाल करन का कोई हक़ नह दग़ा और फ़रब औरत क ह थयार ह य क औरत कमजोर होती ह ल कन तमको मालम हो गया क औरत क नाजक हाथ म य ह थयार कसी काट करत ह यह दखो-यह आबदार शमशीर ह िजस तम ग़रत क कटार कहत थ अब वह ग़रत क कटार मर िजगर म नह त हार िजगर म चभगी हदर इ सान थोड़ा खोकर बहत कछ सीखता ह तमन इ जत औ र आब सब कछ खोकर भी कछ न सीखा तम मद थ ना सर स त हार होड़ थी त ह उसक मक़ा बल म अपनी तलवार क जौहर दखाना था ल कन तमन नराला ढग अि तयार कया और एक बकस और पर दग़ा का वार करना चाहा और अब तम उसी औरत क समान बना हाथ-पर क पड़ हए हो त हार जान बलकल मर म ी म ह म एक लहम

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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म उस मसल सकती ह और अगर म ऐसा क तो त ह मरा श गज़ार होना चा हय य क एक मद क लए ग़रत क मौत बग़रती क िज दगी स अ छ ह ल कन म त हार ऊपर रहम क गी म त हार साथ फ़याजी का बताव क गी य क तम ग़रत क मौत पान क हक़दार नह हो जो ग़रत च द मीठ बात और एक याला शराब क हाथ बक जाय वह असल ग़रत नह ह हदर तम कतन बवकफ़ हो या तम इतना भी नह समझत क िजस औरत न अपनी अ मत जसी अनमोल चीज दकर यह ऐश ओर तक लफ़ पाया वह िज दा रहकर इन नमत का सख जटना चाहती ह जब तम सब कछ खोकर िज दगी स तग नह हो तो म कछ पाकर य मौत क वा हश क अब रात बहत कम रह गयी ह यहा स जान लकर भागो वना मर सफ़ा रश भी त ह ना सर क ग स क आग स रन बचा सकगी त हार यह ग़रत क कटार मर क़ ज म रहगी और त ह याद दलाती रहगी क तमन इ जत क साथ ग़रत भी खो द

-lsquoजमानाrsquo जलाई १९९५

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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घम ड का पतला

म हो गयी थी म सरय नद क कनार अपन क प म बठा हआ नद क मज ल रहा था क मर फटबाल न दब पाव पास आकर

मझ सलाम कया क जस वह मझस कछ कहना चाहता ह

फटबाल क नाम स िजस ाणी का िज कया गया वह मरा अदल था उस सफ एक नजर दखन स यक़ न हो जाता था क यह नाम उसक लए पर तरह उ चत ह वह सर स पर तक आदमी क शकल म एक गद था ल बाई-चौड़ाई बराबर उसका भार -भरकम पट िजसन उस दायर क बनान म खास ह सा लया था एक ल ब कमरब द म लपटा रहता था शायद इस लए क वह इ तहा स आग न बढ़ जाए िजस व त वह तजी स चलता था बि क य क हए जढ़कता था तो साफ़ मालम होता था क कोई फटबाल ठोकर खाकर लढ़कता चला आता ह मन उसक तरफ दखकर पछ - या कहत हो

इस पर फटबाल न ऐसी रोनी सरत बनायी क जस कह स पटकर आया ह और बोला-हजर अभी तक यहा रसद का कोई इ तजाम नह हआ जमीदार साहब कहत ह क म कसी का नौकर नह ह

मन इस नगाह स दखा क जस म और यादा नह सनना चाहता यह अस भव था क म ल ट क शान म जमीदार स ऐसी ग ताखी होती यह मर हा कमाना ग स को भड़कान क एक बदतमीज़ को शश थी मन पछा ज़मीदार कौन ह

फटबाल क बॉछ ख ल गयी बोला- या कह कअर स जन सह हजर बड़ा ढ ठ आदमी ह रात आयी ह और अभी तक हजर क सलाम को भी नह आया घोड़ क सामन न घास ह न दाना ल कर क सब आदमी भख बठ हए ह म ी का एक बतन भी नह भजा

मझ जमीदार स रात - दन साबक़ा रहता था मगर यह शकायत कभी सनन म नह आयी थी इसक वपर त वह मर ख़ा तर -तवाज म ऐसी जॉ फ़शानी स काम लत थ जो उनक वा भमान क लए ठ क न थी उसम दल खोलकर आ त य-स कार करन का भाव त नक भी न होता था न उसम श टाचार था न वभव का दशन जो ऐब ह इसक बजाय वहॉ बजा रसख क फ़ और वाथ क हवस साफ़ दखायी दती भी और इस रसख

शा

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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बनान क क मत का यो चत अ तशयोि त क साथ गर ब स वसल क जाती थी िजनका बकसी क सवा और कोई हाथ पकड़न वाला नह उनक बात करन क ढग म वह मला मयत और आिजजी बर ती जाती थी िजसका वा भमान स बर ह और अ सर ऐस मौक आत थ जब इन खा तरदा रय

स तग होकर दल चाहता था क काश इन खशामद आद मय क सरत न दखनी पड़ती मगर आज फटबाल क ज़बान स यह क फयत सनकर मर जो हालत हई उसन सा बत कर दया क रोज -रोज क खा तरदा रय और मीठ -मीठ बात न मझ पर असर कय बना नह छोड़ा था म यह ह म दनवाला ह था क कअर स जन सह को हािजर करो क एकाएक मझ खयाल आया क इन म तखोर चपरा सय क कहन पर एक ति ठत आदमी को अपमा नत करना याय नह ह मन अदल स कहा-ब नय क पास जाओ नक़द दाम दकर चीज लाओ और याद रखो क मर पास कोई शकायत न आय

अदल दल म मझ कोसता हआ चला गया

मगर मर आ चय क कोई सीमा न रह जब वहा एक ह त तक रहन पर भी कअर साहब स मर भट न हई अपन आद मय और ल करवाल क ज़बान स कअर साहब क ढठाई घम ड और हकड़ी क कहा नयॉ रोल सना करता और मर द नया दख हए पशकार न ऐस अ त थ-स कार-श य गाव म पड़ाव डालन क लए मझ कई बार इशार स समझान-बझान क को शश क ग़ा लबन म पहला आदमी था िजसस यह भल हई थी और अगर मन िजल क न श क बदल ल करवाल स अपन दौर का ो ाम बनान म मदद ल होती तो शायद इस अ य अनभव क नौबत न आती ल कन कछ अजब बात थी क कअर साहब को बरा -भला कहना मझ पर उ टा असर डालता था यहॉ तक क मझ उस अदमी स मलामात करन क इ छा प दा हई जो सवशि तमान आफ़सर स इतना यादा अलग-थलग रह सकता ह

बह का व त था म गढ़ म गढ़ म गया नीच सरय नद लहर मार रह थी उस पार साख का जगल था मील तक बादामी रत उस पर

खरबज़ और तरबज़ क या रयॉ थी पील -पील फल -स लहराती हई बगल और मगा बय क गोल -क-गोल बठ हए थ सय दवता न जगल स सर

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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33

सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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34

और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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35

म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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36

जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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नकाला लहर जगमगायी पानी म तार नकल बड़ा सहाना आि मक उ लास दनवाला य था मन खबर करवायी और कअर साहब क द वानखान म दा खल हआ ल बा-चौड़ा कमरा था फश बछा हआ था सामन मसनद पर एक बहत ल बा-तड़गा आदमी बठा था सर क बाल मड़ हए गल म ा क माला लाल-लाल ऊचा माथा-प षो चत अ भमान क इसस अ छ त वीर नह हो सकती चहर स रोबदाब बरसता था कअर साहब न मर सलाम को इस अ दाज स लया क जस वह इसक आद ह मसनद स उठकर उ ह न बहत बड़ पन क ढग स मर अगवानी क ख रयत पछ और इस तकल फ़ क लए मरा श या अदा रन क बाद इतर और पान स मर तवाजो क तब वह मझ अपनी उस गढ़ क सर करान चल िजसन कसी ज़मान म ज़ रर आसफ ौ ला को िज़च कया होगा मगर इस व त बहत टट -फ ट हालत म थी यहा क एक-एक रोड़ पर कअर साहब को नाज़ था उनक खानदानी बड़ पन ओर रोबदाब का िज उनक ज़बान स सनकर व वास न करना अस भव था बयान करन का ढग यक़ न को मजबर करता था और व उन कहा नय क सफ पासबान ह न थ बि क वह उनक ईमान का ह सा थी और जहा तक उनक शि त म था उ ह न अपनी आन नभान म कभी कसर नह क कअर स जन सह खानदानी रईस थ उनक वश -परपरा यहा-वहा टटती हई अ त म कसी महा मा ऋ ष स जाकर मल जाती थी उ ह तप या और भि त और योग का कोई दावा न था ल कन इसका गव उ ह अव य था क व एक ऋ ष क स तान ह परख क जगल कारनाम भी उनक लए गव का कछ कम कारण न थ इ तहास म उनका कह िज न हो मगकर खानदानी भाट न उ ह अमर बनान म कोई कसर न रखी थी और अगर श द म कछ ताकत ह तो यह गढ़ रोहतास या का लजर क कल स आग बढ़ हई थी कम -स-कम ाचीनता और बबाद क बा म ल ण म तो उसक मसाल मि कल स मल सकती थी य क परान जमान म चाह उसन महासर और सरग को हच समझा हो ल कन व त वह ची टय और द मक क हमल का भी सामना न कर सकती थी कअर स जन सह स मर भट बहत स त थी ल कन इस दलच प आदमी न मझ हमशा क लए अपना भ त बना लया बड़ा समझदार

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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33

सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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मामल को समझनवाला दरदश आदमी था आ खर मझ उसका बन पस का गलाम बनना था

रसात म सरय नद इस जोर -शोर स चढ़ क हज़ार गाव बरबाद हो गए बड़-बड़ तनावर दर तनक क तरह बहत चल जात थ

चारपाइय पर सोत हए ब च -औरत खट पर बध हए गाय और बल उसक गरजती हई लहर म समा गए खत म नाच चलती थी शहर म उड़ती हई खबर पहची सहायता क ताव पास हए सकड़ न सहानभ त और शौक क अरज ट तार िजल क बड़ साहब क सवा म भज टाउनहाल म क़ौमी हमदद क परशोर सदाए उठ और उस हगाम म बाढ़-पी ड़त क ददभर पकार दब गयी सरकार क कान म फ रयाद पहची एक जाच कमीशन तयार कया गया जमीदार को ह म हआ क व कमीशन क सामन अपन नकसान को व तार स बताय और उसक सबत द शवरामपर क महाराजा साहब को इस कमीशन का सभाप त बनाया गया जमीदार म रल-पल श हई नसीब जाग नकसान क तखमीन का फलला करन म का य -ब स काम लना पड़ा सबह स शाम तक कमीशन क सामन एक जमघट रहता आनरबल महाराजा सहब को सास लन क फरसत न थी दल ल और शाहदत का काम बात बनान और खशामद स लया जाता था मह न यह क फ़यत रह नद कनार क सभी जमीदार अपन नकसान क फ रयाद पश कर गए अगर कमीशन स कसी को कोई फायदा नह पहचा तो वह कअर स जन सह थ उनक सार मौज सरय क कनार पर थ और सब तबाह हो गए थ गढ़ क द वार भी उसक हमल स न बच सक थी मगर उनक जबान न खशामद करना सीखा ह न था और यहा उसक बगर रसाई मि कल थी चनाच वह कमीशन क सामन न आ सक मयाद खतम होन पर कमीशन न रपोट पश क बाढ़ म डब हए इलाक म लगान क आम माफ हो गयी रपोट क मता बक सफ स जन सह वह भा यशाल जमीदार थ िजनका कोई नकसान नह हआ था कअर साहब न रपोट सनी मगर माथ पर बल न आया उनक आसामी गढ़ क सहन म जमा थ यह ह म सना तो रोन -धोन लग तब कअर साहब उठ और बल द आवाज म बोल -मर इलाक म भी माफ ह एक कौड़ी लगान न लया जाए मन यह वाकया

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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34

और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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35

म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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36

जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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सना और खद ब खद मर आख स आस टपक पड़ बशक यह वह आदमी ह जो हकमत और अि तयार क तफान म जड़ स उखड़ जाय मगर झकगा नह ४

ह दन भी याद रहगा जब अयो या म हमार जाद-सा करनवाल क व शकर को रा क ओर स बधाई दन क लए शानदार जलसा हआ

हमारा गौरव हमारा जोशीला शकर योरोप और अमर का पर अपन का य का जाद करक वापस आया था अपन कमाल पर घम ड करनवाल योरोप न उसक पजा क थी उसक भावनाओ न ाउ नग और शल क मय को भी अपनी वफ़ा का पाब द न रहन दया उसक जीवन-सधा स योरोप क यास जी उठ सार स य ससार न उसक क पना क उड़ान क आग सर झका दय उसन भारत को योरोप क नगाह म अगर यादा नह तो यनान और रोम क पहल म बठा दया था

जब तक वह योरोप म रहा द नक अखबार क प उसक चचा स भर रहत थ य नव स ट य और व वान क सभाओ न उस पर उपा धय क मसलाधार वषा कर द स मान का वह पदक जो योरोपवाल का यारा सपना और िज दा आरज ह वह पदक हमार िज दा दल शकर क सीन पर शोभा द रहा था और उसक वापसी क बाद उ ह रा य भावनाओ क त

ा कट करन क लए ह दो तान क दल और दमाग आयो या म जमा थ

इसी अयो या क गोद म ी रामच खलत थ और यह उ ह न वा मी क क जाद-भर लखनी क शसा क थी उसी अयो या म हम अपन मीठ क व शकर पर अपनी मह बत क फल चढ़ान आय थ

इस रा य कत य म सरकार ह काम भी बड़ी उदारतापवक हमार साथ सि म लत थ शकर न शमला और दािज लग क फ र त को भी अयो या म खीच लया था अयो या को बहत अ तजार क बाद यह दन दखना नसीब हआ

िजस व त शकर न उस वराट प डाल म पर रखा हमार दय रा य गौरव और नश स मतवाल हो गय ऐसा महसस होता था क हम उस व त कसी अ धक प व अ धक काशवान द नया क बसनवाल ह एक ण क लए-अफसोस ह क सफ एक ण क लए-अपनी गरावट

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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और बबाद का खयाल हमार दल स दर हो गया जय -जय क आवाज न हम इस तरह म त कर दया जस महअर नाग को म त कर दता ह

ए स पढ़न का गौरव मझको ा त हआ था सार प डाल म खामोशी छायी हई थी िजस व त मर जबान स यह श द नकल -ऐ रा क नता ऐ हमार आि मक ग हम स ची मह बत स त ह बधाई दत ह और स ची

ा स त हार पर पर सर झकात ह यकायक मर नगाह उठ और मन एक ट-प ट हकल आदमी को ता लकदार क कतार स उठकर बाहर जात दखा यह कअर स जन सह थ

मझ कअर साहब क यह बमौक़ा हरकत िजस अ श टता समझन म कोई बाधा नह ह बर मालम हई हजार आख उनक तरफ हरत स उठ

जलस क ख म होत ह मन पहला काम जो कया वह कअर साहब स इस चीज क बार म जवाब तलब करना था मन पछा - य साहब आपक पास इस बमौका हरकत का या जवाब ह

स जन सह न ग भीरता स जवाब दया-आप सनना चाह तो जवाब ह

lsquolsquoशौक स फरमाइयrsquorsquo lsquolsquoअ छा तो स नय म शकर क क वता का मी ह शकर क इ जत करता ह शकर पर गव करता ह शकर को अपन और अपनी कौम क ऊपर एहसान करनवाला समझता ह मगर उसक साथ ह उ ह अपना आ याि मक ग मानन या उनक चरण म सर झकान क लए तयार नह ह rsquorsquo

म आ चय स उसका मह ताकता रह गया यह आदमी नह घम ड का पतला ह दख यह सर कभी झकता या नह

रनमासी का परा चाद सरय क सनहर फश पर नाचता था और लहर खशी स गल मल - मलकर गाती थी फागन का मह ना था पड़ म

कोपल नकल थी और कोयल ककन लगी थी

म अपना दौरा करक सदर लौटता था रा त म कअर स जन सह स मलन का चाव मझ उनक घर तक ल गया जहा अब म बड़ी बतक लफ स जाता-आता था

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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म शाम क व त नद क सर को चला वह ाणदा यनी हवा वह उड़ती हई लहर वह गहर न तबधता-सारा य एक आकषक सहाना सपना था चाद क चमकत हए गीत स िजस तरह लहर झम रह थी उसी तरह मीठ च ताओ स दल उमड़ा आता था मझ ऊच कगार पर एक पड़ क नीच कछ रोशनी दखायी द म ऊपर चढ़ा वहा बरगद क घनी छाया म धनी जल रह थी उसक सामन एक साध पर फलाय बरगद क एक मोट जटा क सहार लट हए थ उनका चमकता हआ चहरा आग क चमक को लजाता था नील तालाब म कमल खला हआ था

उनक पर क पास एक दसरा आदमी बठा हआ था उसक पीठ मर तरफ थी वह उस साध क पर पर अपना सर रख हए था पर को चमता था और आख स लगता था साध अपन दोन हाथ उसक सर पर रख हए थ क जस वासना धय और सतोष क आचल म आ य ढढ़ रह हो भोला लड़का मा-बाप क गोद म आ बठा था एकाएक वह झका हआ सर उठा और मर नगाह उसक चहर पर पड़ी मझ सकता -सा हो गया यह कअर स जन सह थ वह सर जो झकना न जानता था इस व त जमीन छ रहा था

वह माथा जो एक ऊच मसबदार क सामन न झका जो एक तानी वभवशाल महाराज क सामन न झका जो एक बड़ दश मी क व और दाश नक क सामन न झका इस व त एक साध क क़दम पर गरा हआ था घम ड वरा य क सामन सर झकाय खड़ा था

मर दल म इस य स भि त का एक आवग पदा हआ आख क सामन स एक परदा-सा हटा और कअर स जन सह का आि मक तर दखायी दया म कअर साहब क तरफ स लपट गया और बोला -मर दो त म आज तक त हार आ मा क बड़ पन स ब कल बखबर था आज तमन मर हदय पर उसको अ कत कर दया क वभव और ताप कमाल और शोहरत यह सब घ टया चीज ह भौ तक चीज ह वासनाओ म लपट हए लोग इस यो य न ह क हम उनक सामन भि त स सर झकाय वरा य और परमा मा स दल लगाना ह व महान गण ह िजनक यौढ़ पर बड़-बड़ वभवशाल और तापी लोग क सर भी झक जात ह यह वह ताक़त ह जो वभव और ताप को घम ड क शराब क मतवाल को और

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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जड़ाऊ मकट को अपन पर पर गरा सकती ह ऐ तप या क एका त म बठनवाल आ माओ तम ध य हो क घम ड क पतल भी पर क धल को माथ पर चढ़ात ह कअर स जन सह न मझ छाती स लगाकर कहा - म टर वागल आज आपन मझ स च गव का प दखा दया और म कह सकता ह क स चा गव स ची ाथना स कम नह व वास मा नय मझ इस व त ऐसा मालम होता ह क गव म भी आि मकता को पाया जा सकता ह आज मर सर म गव का जो नशा ह वह कभी नह था

-lsquoज़मानाrsquo अग त १९९६

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