अपनी बात - e-library wcl€¦ · बायत क कपय थवच्छ...

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अपनी बात िम मभ, गत भाह भ 15 से 29 मसतफय तक आमोजजत "याजबाषा ऩखावाड़ा-2016" आऩ सबी के सहमोग से क शरताऩ वक सऩन . इस के मरए भ आऩ सबी का आबाय मत कयता ह . आऩ सबी ने फढ़-चढ़कय आमोजजत ितमोगगताओॊ भ बाग मरमा मे सफ श ब सॊकेत ह . ितमोगगताओॊ भ आऩका उसाह देखते ही फनता था. 15 मसतफय को उघाटन स भ आऩके उसाह का भ साी आऩका याजबाषा (हॊदी) के ितत िेभ देखकय भ अमबब त ह आ था. इस अवसय ऩय हभायी कऩनी के भ खमा अम-सह-िफॊध तनदेशक ी याजीव यॊजन मभ, तनदेशकगण सववी डॉ. सॊजम क भाय, एस. एभ. चौधयी, टी. एन झा औय अम वरयठ अगधकायीगण वशेष ऱऩ से उऩजथथत थे . भ सबी भहान बाव का लदम से आबाय मत कयता , मधऩ भने याजबाषा ऩखवाड़ा के भम भ ही याजबाषा िभ ख का ऩदबाय हण कमा औय भ याजबाषा के ितत अऩनी अगधकारयम औय कभवचारयम के थनेह का िमदशी यहा. "याजबाषा ववधा" के इस अॊक भ हभ आऩके मरए ऩखवाड़ा के दौयान आमोजजत श बायब औय सभाऩन स का ववयण रे कय हाजजय ह ए है . तो आऩ सबी उसके साी यहे ही ह , कपय बी जो मभ अऩने कामावरमीन काभकाज औय अम कायण के चरते उन मादगाय ऩर का हथसा नहीॊ फन ऩामे उनके मरए बी मह अॊक राबकायी औय जानकायी से बयऩ साबफत होगा. वैसे बी मरखखत दथतावेज का अऩना ही भहव होता है . याजबाषा ऩखवाड़ा- 2016 का शेष ववयण हभ अगरे अॊक भ दगे . सागथम, मसतफय भाह भ ही वेकोमर के याजबाषा वबाग औय नगय याजबाषा कामाववमन समभत-का-2 (नयाकास-2) के सॊम त तवावधान भ 19

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  • अपनी बात प्रिम मभत्रों,

    गत भाह भें 15 से 29 मसतम्फय तक आमोजजत "याजबाषा ऩखावाड़ा-2016" आऩ सबी के सहमोग से कुशरताऩूववक सम्ऩन्न हुआ. इस के मरए भैं आऩ सबी का आबाय व्मक्त कयता हूॉ. आऩ सबी ने फढ़-चढ़कय आमोजजत िततमोगगताओॊ भें बाग मरमा मे सफ शुब सॊकेत हैं. िततमोगगताओॊ भें आऩका उत्साह देखते ही फनता था. 15 मसतम्फय को उद्घाटन सत्र भें आऩके उत्साह का भैं साऺी हूॉ आऩका याजबाषा (हहॊदी) के ितत िेभ देखकय भैं अमबबूत हुआ था. इस अवसय ऩय हभायी कम्ऩनी के भुखखमा अध्मऺ-सह-िफॊध तनदेशक श्री याजीव यॊजन मभश्र, तनदेशकगण सववश्री डॉ. सॊजम कुभाय, एस. एभ. चौधयी, टी. एन झा औय अन्म वरयष्ठ अगधकायीगण प्रवशषे रूऩ से उऩजथथत थे. भैं सबी भहानुबावों का रृदम से आबाय व्मक्त कयता हूॉ, मद्धप्रऩ भैंने याजबाषा ऩखवाड़ा के भध्म भें ही याजबाषा िभुख का ऩदबाय ग्रहण

    ककमा औय भैं याजबाषा के ितत अऩनी अगधकारयमों औय कभवचारयमों के थनेह का ित्मऺदशी यहा.

    "याजबाषा प्रवप्रवधा" के इस अॊक भें हभ आऩके मरए ऩखवाड़ा के दौयान आमोजजत शुबायम्ब औय सभाऩन सत्र का प्रववयण रे कय हाजजय हुए है. मूॉ तो आऩ सबी उसके साऺी यहे ही हैं, कपय बी जो मभत्र अऩने कामावरमीन काभकाज औय अन्म कायणों के चरते उन मादगाय ऩरों का हहथसा नहीॊ फन ऩामे उनके मरए बी मह अॊक राबकायी औय जानकायी से बयऩूय साबफत होगा. वैसे बी मरखखत दथतावेजों का अऩना ही भहत्त्व होता है. याजबाषा ऩखवाड़ा-2016 का शषे प्रववयण हभ अगरे अॊक भें देंगे.

    सागथमों, मसतम्फय भाह भें ही वेकोमर के याजबाषा प्रवबाग औय नगय याजबाषा कामावन्वमन समभतत-का-2 (नयाकास-2) के सॊमुक्त तत्वावधान भें

    19

  • "तात्कामरक हहॊदी कप्रवता रेखन िततमोगगता" आमोजजत की गई थी. जजसका थीभ "थवच्छता" था. अक्टूफय भाह की 2 तायीख मातन "गाॉधी जमॊती" को बायत के प्रवशार अमबमान "थवच्छ बायत अमबमान" को दो वषव हो गए हैं औय देश भें मह अमबमान एक "थवच्छ क्ाॊतत" का रूऩ धायण कयता जा यहा है. इस अॊक भें आऩ िततमोगगता के कुछ िततबागगमों के कप्रवताओॊ औय उनके थवयगचत तात्कामरक प्रवचायों एवॊ बावों से बी अवगत हो सकें गे.

    सागथमों, याजबाषा हहॊदी की भहत्ता केवर कामावरमीन काभकाज तक ही सीमभत नहीॊ है. हभाये देश भें हहॊदी साहहत्म का सभदृ्ध बॊडाय है. जजसका कुछ अॊश हभायी कॊ ऩनी के "हदनकय हहॊदी ऩुथतकारम" भें बी यखा हुआ है. इस ऩखवाड़ा के शुबायम्ब के अवसय ऩय याजबाषा अगधकायी डॉ. भनोज कुभाय ने ऩॉवय ऩॉइॊट िजेंटेशन के भाध्म से हभाया ध्मान उस औय आकप्रषवत ककमा. जजसके परथवरूऩ कुछ नए ऩुथतकारम के काडव फनने के मरए आमे. हभायी एक अऩीर ऩय आऩकी इस ऩहर के मरए हभ हदर से आबायी हैं. हभ इस भॊच से उन सबी कमभवमों से ऩुन् अऩीर कयते हैं कक, अऩने ऻान सागय को सभद्वध कयने के मरए िततहदन कभ से कभ एक घॊटा ऩढ़ने की

    आदत अवश्म डारें. अच्छा, एक घॊटा नहीॊ तनकर सकते तो आधा धॊटा भात्र तीस मभनट का सभम तो अवश्म ही तनकार जा सकता है. इन तीस मभनटों का िमोग कय आऩ एक हदन देखेंगे की हदन-फ-हदन आऩके ऻान भें श्रीवदृ्गध हो यही है. आऩ थवमॊ भें नई ऊजाव औय िेयणा का सॊचाय भहसूस कयेंगे. आऩ देखेंगे कक, आऩभें नए-नए प्रवचायों का जन्भ हो यहा है. तो, आओ सागथमों, अऩने बीतय नई ऊजाव का सॊचाय कयें औय नवीन ऩरयवतवन को भहसूस कयें.

    आशा कयता हूॉ कक, याजबाषा हहॊदी के ितत आऩका िेभ तनफावध फना यहेगा औय आऩ सबी याजबाषा हहॊदी के सॊवधवन भें अऩनी सकायात्भक बूमभका अदा कयते यहेंगे. अॊत भें सबी को प्रवजम दसवीॊ औय दीऩावरी की हाहदवक शुबकाभनाएॊ. आऩ सबी का जीवन खमुशमों से बया यहे औय सुख-सभदृ्गध का वास हो. इन्हीॊ शुबेच्छाओॊ के साथ......

    आऩका इकफार मसॊह

    भहािफॊधक (कामभवक) एवॊ याजबाषा िभुख **********************************

  • अमतृा प्रीतम एक अनोखा व्यक्ततत्व प्रिम ऩाठकों, "याजबाषा प्रवप्रवधा" के इस अॊक भें हभ हहॊदी की िततजष्ठत रेखखका औय कवतमत्री अभतृा िीतभ से आऩका ऩरयचम कयवाने जा यहे हैं. िीतभ जी का जनभ 31 अगथत, 1919 भें गुजयाॊवारा (ऩॊजाफ) भें हुआ था. उन्होंने साहहत्म की प्रवमबन्न प्रवधाओॊ कप्रवता, उऩन्मास औय कहानी ऩय सागधकाय मरखा था. वे एक अनोखे व्मजक्तत्व की धनी थी. उनका यचना सॊसाय उनकी फहुआमाभी िततबा का िततबफम्फ है.

    उपन्यास :

    डॉक्टय देव, प्रऩॊजय, आह्रणा, आश,ू इक मसनोही, फुरावा, फॊद दयवाजा , यॊग दा ऩत्ता , इक सी

    अनीता, चक्क नम्फय छत्ती , धयती सागय ते सीप्रऩमाॉ, हदल्री हदमाॉ गमरमाॉ, एकते एरयमर, जरावतन, मात्री, जेफकतये, अग दा फूटा, ऩक्की हवेरी, अग दी रकीय, कच्ची सड़क, कोई नहीॊ जानदाॉ, उनहाॉ दी कहानी , इह सच है , दसूयी भॊजजर, तेहयवाॉ सूयज , उनीॊजा हदन , कोये कागज, हयदत्त दा जजॊदगीनाभा आत्मकथा : यसीदी हटकट कहानी संग्रह : हीये दी कनी , राततमाॉ दी छोकयी, ऩॊज वया रॊफी सड़क , इक शहय दी भौत, तीसयी औयत कववता संग्रह : रोक ऩीड़, भैं जभा त,ू रामभमाॉ वतन, कथतूयी, सुनहुड़,े कागज ते कैनवस गद्य कृततयााँ : ककयमभची रकीयें , कारा गुराफ, अग हदमाॉ रकीयाॉ, इकी ऩप्रत्तमाॉ दा गुराफ, सफ़यनाभा, औयत : इक दृजष्टकोण , इक उदास ककताफ, अऩने-अऩने चाय वये, केड़ी जजॊदगी केड़ा साहहत्म , कच्च ेअखय , इक हथ भेहन्दी इक हथ छल्रा , भुहब्फतनाभा, भेये कार भुकट सभकारी, शौ़ सुयेही, कड़ी धपु्ऩ दा सफ़य, अज्ज दे काकफ़य.

    अभतृा िीतभ जी को 1981 भें कागज ते कैनवस कप्रवता सॊग्रह के मरए ऻानऩीठ ऩुयथकाय से सम्भातनत ककमा गमा. 31 अक्तूफय 2005, नई हदल्री भें आऩका तनधन हो गमा. इस अॊक भें िथतुत है उनकी िमसद्ध कप्रवता "सार भुफायक"

  • सार भुफायक जैसे सोच की कॊ घी भें से एक दॊदा टूट गमा जैसे सभझ के कुते का एक चीथड़ा उड़ गमा जैसे आथथा की आॉखों भें एक ततनका चबु गमा नीॊद ने जैसे अऩने हाथों भें सऩने का जरता कोमरा ऩकड़ मरमा नमा सार कुछ ऐसे आमा...

    जैसे हदर के कपकये से एक अऺय फुझ गमा जैसे प्रवश्वास के कागज ऩय मसमाही गगय गमी जैसे सभम के होंठों से एक गहयी साॉस तनकर गमी औय आदभजात की आॉखों भें जैसे एक आॉसू बय आमा नमा सार कुछ ऐसे आमा..

    िथतुतत : डॉ. भनोज कुभाय सहामक िफॊधक (याजाबाषा)

    **********************************

    एक कववता : तनदा फ़ाजऱी

    कववता

    भुॉह की फात सुने हय कोई हदर के ददव को जाने कौन आवाजों के फाजायों भें ऽाभोशी ऩहचाने कौन ।

    सहदमों-सहदमों वही तभाशा यथता-यथता रम्फी खोज रेककन जफ हभ मभर जाते हैं खो जाता है जाने कौन ।

    जाने क्मा-क्मा फोर यहा था सयहद, प्माय, ककताफें, ऽनू कर भेयी नीॊदों भें छुऩकय जाग यहा था जाने कौन ।

    भैं उसकी ऩयछाई हूॉ मा वो भेया आईना है भेये ही घय भें यहता है भेये जैसा जाने कौन ।

  • ककयन-ककयन अरसाता सूयज ऩरक-ऩरक खरुती नीॊदें धीभ-ेधीभे बफखय यहा है जयाव-जयाव जाने कौन ।

    तनदा फ़ाजरी िमसद्ध गजरकाय औय गीतकाय

    ********************************** प्रस्तुत हैं "स्वच्छता" ववषय पर आयोक्जत

    नराकास प्रततयोगगता की 6 रचनाएाँ

    स्वच्छता-1 थवच्छता को फना रो अऩनी िवपृ्रत्त तबी िसन्न यहेगी िकृतत औय िकृतत खुश यहेगी तो खुशहार होगी हभायी सॊततत चाहे ओढे हभ कीभती आवयण िाकृततक ऩरयधान तो है ऩमाववयण असॊतमुरत ऩमाववयण अफ फनी चेतावनी है सभझे इस,े क्मोंकक हभ सभझदाय औय गणुी हैं ग्रोफर वामभिंग अफ 'ग्रोफर वातनिंग ' है पैशन फन कय यह गमा हभाया वॉक भातनिंग है भॉतनिंग को गडु फनाने हेत ुथवच्छता जरूयी है वतवभान भें मह हभायी जरूयत औय भजफयूी है हय फारयश भें भहानगयों भें रगता है जाभ जर जभाव की सभथमा अफ हो गमी है आभ तबी भमु्फई की भीठी नदी कडवी हो जाती है क्मोंकक नहदमों भें प्राजथटक औय कचयों की थाती है

    थवच्छता के मरए फड ेनाभ औय ऩयुथकाय की दयकाय नहीॊ सनुो, हय फाय मह काभ कयेगी सयकाय नहीॊ थवच्छता भें ही रक्ष्भी सयथवती का वास होगा साप सपाई भें ही सॊऩन्नता का सवुास होगा आओ, थवच्छता भहुहभ को फढामे चायों ओय मसपव शोय नहीॊ, हय कभव फाॊधे थवच्छता की डोय सोचो, इसके मरए फने दॊड औय काननू क्मों आज दाॊव ऩय है भोती, भानषु चून क्मों हहन्दथुतान की हय फात तनयारी होगी थवच्छ ऩरयवेश के मरए खूफ िशॊसा औय तारी होगी नहदमों भें थवच्छ जर , पूर-पूर से बयी डारी होगी सभाज भें सखु, देश भें दधू बयी छारी होगी

    सतने्र प्रसाद ससहं

    सहामक िफॊधक (जनसॊऩकव ) वेकोमर

    ********************************************

    स्वच्छता-2 कई प्रवषम ऐसे होत ेहैं, सववकामरक जो होत े। अऩने अमबनव भलू्मों से, वे बतूऩवूव नहीॊ होत े॥ बायत की आत्भा शगुचता है, मगुो मगुों से जायी । थवच्छता थवाबाप्रवक हभभें, इसभें क्मों दशु्वायी ॥ िकृतत के साये थतॊबो को,

  • ऩजूजत हभने भाना । वृऺ ों, नहदमों, वाम,ु अजग्न को, देवतलु्म है जाना ॥ कारान्तय भें ऐसा क्मा हुआ, हभने क्मा कय डारा । श्रध्दा के इन अवममों को, दपू्रषत है कय डारा ॥ गहृ को तो हभ थवच्छ फनात,े फाय फाय कभों से ऩय फाहय को बरू ही जात,े कैसा मह िचरन है ॥ जर जीवन है ऐसा नाया हभने है थवीकाया । गॊगा सदृश्म सायी नहदमों को, क्मों दपू्रषत कय डारा ? जजस जर का हभ सेवन कयत,े पर धान्म उगात।े तनथवाथव सबी को सेवा देता, जजस ऩय हभ इतयात े॥ उसी जर के थत्रोतो भें हभने, क्मा क्मा नहीॊ डारा ऩानी सदृश्म अभतृ को, क्मा हभने कय डारा। वाम ुजो है िाणदातमनी, सफभें उजाव बयती। िाणीभात्र की जी मशखा को, मह आरोककत कयती ।। मह बी तो दपू्रषत हो गई, हभ सफके कभों से । क्मा मह नहीॊ थऩॊहदत कयती, भानव के भभों को । थवच्छता प्रवषम तनयारा, कापी व्माऩकता है । सभमफध्द ऩय इसको यखना, सफकी प्रववशता है ॥

    आमे, हभ प्रवचाय कय डार,े थवच्छता को आगे फढामे आज के अऩने ऩऺ िश्न को, कैसे हभ सरुझामे ॥ कोई बी कामव अनठूा, शरुू हभ ही कयना । अऩने घय के साथ साथ फाहय ना कूडा कयना ॥ कूड ेका उत्तभ सॊमोजन, कई राब ऩहुॊचाना । थवच्छता के साथ साथ, उजाव बी फनवाता ॥ नहदमों सॊग सबी जरथत्रोतों को, अऩनी तनगध हभ जाने । इनकी शगुचता भें हभ अऩनी सॊथकृतत को ऩहचाने ॥ प्राजथटक, गॊदे वथत्र, पुर को, जर भें ना हभ डारे । देवों का अमबषके जो कयें, उस जर को अऩना रे । िकृतत से अऩनाऩन जफ होगा, मभटेगा बेद हभाया । अऩने को गॊदा कयने को, कैसे भन कये गॊवाया ॥ अनशुासन का ऩारन कयना, बायत भें आज जरूयी ॥ थवच्छता को राग ूकयने भें अफ रगता मही जरूयी ॥ रेककन अफ बायत जागा है । थवच्छता चतहुदश जागेगी । शगुचता के उॊचे ऩयचभ को प्रवश्व भें पहया देगी ॥

  • चन्रशखेर ततवारी खतनज अथवशाथत्री

    बायतीम खान ब्मयूो, नागऩयु ************************************************

    स्वच्छता-3 बायत को कपय थवच्छ फनाने अवताय हभें अफ फनना है थवच्छता भें वास िब ुका मह चरयताथव ऩनु: हभें कयना है गाॊधी के देखे सऩने को साकाय हभें अफ कयना है थवच्छ हो बायत थवथथ हो बायत मह अरख हभें जगाना है तन की थवच्छता का ऻान है सफको भन की थवच्छता का बान नहीॊ हय जन जन के भन भें मह अहसास हभें हदराना है दीऩावरी सी थवच्छता हो हय हदन रक्ष्भी का सदा वास यहे धयती भाॉ के अन्तथतर भें वो दीऩ हभें जराना है साववजतनक थथर हो मा ऩमटवन थथर थवच्छता ितत जागरूक यहें देश के हय गमरमाये भें अमबमान मही चराना है हय घय भें हो तनत्मकभव की सपु्रवधा हय एक भन भें मह भान यहे थवच्छता से थवथथ यहेगी ऩीढी

    मह थभयण सबी को कयाना है बायत था जो सोने की गचडडमा इततहास वही दोहयाना है थवच्छ थवखणवभ बायत की थथाऩना का ध्वज ऩनु: रहयाना है

    श्रीमती ददव्या शमाा वरयष्ठ अनवुादक

    वेकोमर भखु्मारम, नागऩयु ************************************************

    स्वच्छता-4 मसपव सपाई कभी का काभ नहीॊ है औय इसके मरए कोई सफुह शाभ नहीॊ है। ऩहरे तो खुद गॊदगी न पैरामे मा जो है उसे छोडकय न जामे। गॊदगी को न सहना, हभय भानषु की आदत हो थवच्छ शहय औय गाॊव यहे , थवच्छ सभचूा बायत हो। थवच्छता का सॊफॊध जीवन से , औय सभचूे याष्र से है। थवच्छ यहने की आदत से , जीवन थतय उऩय उठता है। कौन है ऐसा , जजसका दभ, गॊदगी से नहीॊ घटुता है। महद हभ अऩनी ऩीढी को यहना साप मसखामेंगे। तबी फीभायी के चॊगरु से, भजुक्त उन्हें दे ऩामेंगे। िण कय रो की कबी गॊदगी , कही नहीॊ पैराना है। साप सथुया बायत साया , मभरकय हभें फनाना है।

  • ददनेश कुमार रेकभेन्टनय

    एसईसीआय येरवे, याजनाॊदगाॊव ********************************************

    स्वच्छता-5 थवच्छता प्रवषम रगता है फडा साभान्म ऩयन्त ुखेद है आज तक नहीॊ हदमा ककसी ने इसकी तयप ध्मान भाननीम िधानभॊत्रीजी ने हदमा जफ थवच्छता अमबमान का नाया इसे सपर फनाने जूट गमा देश साया भन के थवच्छ रोगों को मह प्रवचाय आमा यास उन्होंने शरुू ककमा थवच्छ बायत के मरए मथासॊबव िमास कुछ रोगों को हदखी इसभें बी याजनीतत उन्होंने इस प्रवषम को आरोचना की अऩनाई नीती रेककन नहीॊ है मह प्रवषम आरोचना मा उऩहास का फजल्क है मह गचॊतन औय कृतत का थवच्छता अमबमान भें हय देशवामसमों को जुडना होगा भन से इसमरए कयनी होगी ठोस कृतत जन-जन भें इसके ितत रानी होगी जागतृत थवच्छता का भॊत्र जऩने का हय नागरयक को रेना होगा ध्मान तबी िदषूण दयू होगा व ऩमाववयण का प्रवकास थवच्छता अमबमान भें हदर से शामभर होना हय नागरयक का है कतवव्म तबी कय ऩाओगे सच्चे बायतीम होने का गवव सफको कयनी है इस प्रवषम भें भनसे ऩहर तबी मह अमबमान होगा सपर

    उज्वऱा फाटक आशुमरप्रऩक, गे्रड-॥

    ऩयभाणु खतनज अन्वेषण एवॊ अनुसॊधान तनदेशारम

    ********************************** स्वच्छता-6 थवच्छता ही है भेयी शान, तनभवरता भेयी ऩहचान साप यहोग,े शधु्द खाओगे, हो जाओगे फरवान ॥ गॊदा ऩानी, दपू्रषत हवा, कयती है सफको ऩयेशान ककतना बी तभु कय रो जतन , नहीॊ ऩाओगे सम्भान ॥ हभ ऩहरे बी थे ककतने थवाथी , औय अफ बी है ककतने भतरफी अऩने घय का कचया पें कते , दजूे घय के आॊगन भें । ऩय कागज उडकय आता है, तो आॉखे तयेयत ेशधु्द यहो, साप यहो, भत कयो गॊदगी । महद कयना बी ऩड ेतो , साप कयो बफन शभींहदगी। देश अफ जाग यहा है, सपाई को सभझ यहा है । सबी को ऩढा यहा है, मह सपरता का ऩगैाभ ॥ न कयो याभ, न कयो यहीभ, फस कयो तो काभ महद भॊजजरें ऩाना ही है तो चरो वहीॊ चरे जहाॊ ऩय आयोग्म हो, सबी थवथथ हो, हो न कोई भतरफी । अफ हय कोई झाडू रेता , फस रग जाता तनष्काभ। महद आज बी न जागे तो, हो जाओगे फदनाभ। तफ ककतना बी तभु कय रो जतन , नहीॊ ऩाओगे सम्भान। अफ सोच फदरी , िणारी फदरी , कय रो सफको िणाभ। आऩ न सही , हभ न सही , ऩीढी तो कय ऩामेगी आयाभ।

  • अफ सभम है सफ मभर कयें , आसऩास की सपाई। न हो कहीॊ गॊदी गॊगा, न हो कोई रडाई ॥ नहदमाॊ कर कर फहती है, शधु्दता को कहती है। इसभें ऩावन अभतृ है, सफको जीवन देती है।

    डॉ. सुशीर कुभाय जैन

    वैऻातनक अगधकायी ऩयभाणु खतनज अन्वेषण एवॊ अनुसॊधान तनदेशारम,

    मसप्रवर राईन्स, नागऩुय *************************************

    तन को छुए बबना, कोई छू ऱे मेरे मन को

    खुमशमाॊ भनाओ जफ ऩतु्र नहीॊ , ऩतु्री का जन्भ होता है, कन्मा भजफतू धागा है , जो सबी भोती प्रऩयोता है, त्माग धागे का चभकीरा भोती क्मा सभझे , फयफस ही अऩनी चभक ऩय ईतयाता यहता है। जजस धागे को तछऩा कय , फनत ेहो तभु भारा , फना सकती हूॊ जो भारा, उसे भैं तोड सकती हूॊ, मह बरू भत कयना, कक हभाया जीवन तभुसे है, हरयषचॊद के िाण की यऺक, बी केवर भहहरा है, सॊबर जाओ ओ जग वारो , भैं केवर हदखती कोभर हूॊ, ना आक्ोश हदराओ भझुको , भैं ही दगुाव औय कारी हूॊ, क्मा सभाज को हभभे अऩनी फेटी नजय नहीॊ आती.... कपय भेया अॊतभवन कहता है----

    कन्मा वयदान मा अमबशाऩ है , मे ऩरुूष िधान दतुनमा, तनहामती खयाफ है, कोई प्माय से फोर,े तो बी भन डयता है, कैसी है फेटी फोर ऩीठ ऩय , उम्र दयाज बी हाथ धयता है, बीड वारी जगह भें , जानफझूकय टकया कय चरता है, हय आदभी भें एक शतैान होता है , कबी सोमा तो कबी जागा हुआ होता है, इॊसान की खार भें बेडडमे महाॊ फसत ेहैं , भौकाऩयथत रोगा महाॊ, साॊऩ बाॊतत डसत ेहैं, भझुे सभझ नहीॊ आता मह कैसे होता है , इॊसा अऩना आऩा कैसे खोता है, क्मोंकय वह अभानवीम फीज फोता है , औय कमरमों को यौंध कय, फहुत खुश होता है, ऩरुूष चाहे तो, इॊसातनमत का ऩाठ ऩढ सकता है, वह भझुे अऩनेऩन का अहसास कया सकता है,

    प्रकाशचन्र आर भट़्ट

    कामावरम अधीऺक बमूभ/याजथव प्रवबाग, भखु्मारम

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  • बदऱे की आग

    कर यात वो हुआ, जजसका था हय बायतीम को इॊतजाय, जफ फदरा रेने को सेना ने, एर ओ सी को ककमा ऩाय। तभु ने उयी भें आ के, जो ऩीछे से वाय ककमा। सोत ेहुए रोगों ऩय हभरा कय के, इतना बायी नयसॊहाय ककमा, तभुने क्मा सोचा था ? चैन से सो जाओगे तभु कोई फचाने वारा ना आएगा, जो हभने फोडवय ऩाय ककमा । कुछ सभझ ना आएगा, इतना कय देंगे तभुको फेफस औय राचाय, कर यात को वो हुआ जजसका था, हय बायतीम को इॊतजाय, जफ फदरा रेने को सेना ने, एर ओ सी को है ऩाय ककमा।

    फहुत हो गई फदावथत की इॊतहान, अफ ना ककसी का भयना गवाया होगा,

    फस हदन औय सभम तम कयने की देयी है , कपय देखना तयेे इराके भें बी, धभाका हभाया होगा। खोर हदमे है जो हाथ सयकाय ने हभाये, कुछ इस कदय, अफ चरने वारी हय गोरी ऩे, फस नाभ तमु्हाया होगा। हभ जो टीभ के भेम्फय को थराइक नहीॊ देत,े उनसे तभु कश्भीय रेने की फात कयत ेहो, औयतों औय फच्चों के ऩीछे से रडने वारों, क्मा आभने-साभने के मधु्द से डयत ेहो ? बायत को मभटाने की फात कयने वारे, कान खोर के सनु रे ऐ ऩाककथतान, अभय था, अभय है औय अभय यहेगा, हभाया प्माया हहन्दथुतान। हभाया प्माया हहन्दथुतान। बायतीम सेना को नभन, जम हहन्द, जम बायत

    रणदीप

    िफॊधन िमशऺु (प्रवत्त) ऩेंच ऺेत्र, वेकोमर

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  • राजभाषा समाचार राजभाषा पखवाडा 2016

    मातभृाषा में काया करने से होगा भाषा का सम्मान – श्री समश्र

    साववजतनक ऺेत्र की मभनीयत्न कम्ऩनी वेथटनव कोरपील््स मरमभटेड (वेकोमर) भें 15 मसतम्फय, 2016 को याजबाषा ऩखवाडा का शुबायम्ब सयथवती के गचत्र ऩय भाल्माऩवण व दीऩ िज्ज्वरन कय ककमा गमा। कामवक्भ के भुख्म अततगथ, नागऩुय के सुिमसध्द न्मूयो सजवन एवॊ हहन्दी िेभी डॉ. रोकेन्र मसॊह प्रवशेष वक्ता के रूऩ भें उऩजथथत थे। कामवक्भ की अध्मऺता वेकोमर के अध्मऺ -सह-िफॊध तनदेशक श्री याजीव यॊजन मभश्र ने की। इस अवसय ऩय अऩने वक्तव्म भें वेकोमर कमभवमों से डॉ. रोकेन्र मसॊह ने खुरे हदर से हहॊदी का िमोग कयने का सन्देश हदमा औय थवयगचत काव्म ऩाठ कय वेकोमर कमभवमों का भन भोह मरमा।

    अध्मऺीम सॊफोधन भें कॊ ऩनी के अध्मऺ-सह-िफॊध तनदेशक श्री याजीव यॊजन मभश्र ने कहा कक हभें अऩनी भातबृाषा भें कामव कयने की कोमशश कयनी चाहहए। भातबृाषा भें कामव कयने से भातबृाषा का

  • सम्भान होगा। हभें दैनॊहदन कामावरमीन कामव भें हहॊदी के शब्दों का सभावेश कयना चाहहए।

    इस अवसय ऩय भाननीम कोमरा भॊत्री श्री ऩीमूष गोमर के सॊदेश का वाचन वेकोमर के तनदेशक (कामभवक) डॉ. सॊजम कुभाय ने ककमा। तत्ऩश्चात अऩने सॊफोधन भें डॉ . कुभाय ने कहा कक हहॊदी हभायी सॊथकृतत का हहथसा है। हहॊदी भें ऩढ़ना, फोरना औय सोचना जरूयी है। उन्होंने औऩचारयता को छोड़कय फ्मूजन नोहटॊग (जजसभे एक से अगधक बाषाओॊ का सभावेश हो) कयने से हहन्दी की शुरुआत कयने की सराह दी। वेकोमर के तनदेशक (तकनीकी) श्री टी. एन. झा ने बी इस अवसय ऩय अऩने प्रवचाय िथतुत ककमे ।

    कामवक्भ भें तनदेशक (प्रवत्त) श्री एस. एभ. चौधयी, कम्ऩनी के वरयष्ठ अगधकायी एवॊ कभावचायीगणिभुखता से उऩजथथत थे।

    याजबाषा ऩखवाडा के दौयान वेकोमर भुख्मारम एवॊ उसके सबी अगधकाय ऺेत्रों भें तनफॊध, वाद-प्रववाद, साभान्म ऻान, थव-यगचत काव्म थऩधाव, थरोगन, िश्न भॊच, अॊताऺयी, थकूरी फच्चों के मरए िततमोगगता एवॊ याजबाषा कामवशारा का आमोजन ककमा जाएगा।

    थवागत बाषण वेकोमर के तात्कामरक याजबाषा िभुख श्री ए. के. मसॊह तथा धन्मवाद ऻाऩन एभ. डी आई. (वेकोमर) के िाचामव श्री वी. के. झा ने ककमा। कामवक्भ का सॊचारन सहामक िफॊधक (जनसॊऩकव ) श्री एस. ऩी. मसॊह ने ककमा।

  • वेकोसऱ में पाररतोवषक ववतरण एवं राजभाषा पखवाड़ा समापन समारोह आयोक्जत

    पाथाखेड़ा और वणी ऺेत्र को राजभाषा शील्ड

    वेथटनव कोर पील््स मरमभटेड (वेकोमर) भुख्मारम भें 29 मसतम्फय, 2016 को याजबाषा ऩखवाड़ा-2016 का ऩारयतोप्रषक प्रवतयण औय सभाऩन सभायोह का कामवक्भ आमोजजत ककमा गमा . कामवक्भ भें कम्ऩनी के तनदेशक (प्रवत्त) श्री एस. एभ. चौधयी , तनदेशक (तकनीकी) श्री टी. एन. झा , भहािफन्धक कामभवक एवॊ याजबाषा िभुख श्री इ़फार मसॊह िभुख रूऩ से उऩजथथत थे.

    अध्मऺीम सम्फोधन भें श्री एस. एभ. चौधयी ने कहा कक, तकनीकी प्रवबागों के कभी बी हहॊदी भें कुशरताऩूववक कामव कय सकत ेहैं . श्री टी. एन. झा ने कहा कक, सॊचाय साधनों के भाध्मभ से हहॊदी को फढ़ावा मभरता है . थवागत बाषण श्री इ़फार मसॊह ने ककमा.

  • इस कम्ऩनी थतयीम सभायोह भें , प्रवत्तीम वषव 2015-16 के दौयान हहॊदी भें सवावगधक कामव कयने ऩय,`क` ऺेत्र भें ऩाथाखेड़ा औय `ख` ऺेत्र भें वणी ऺेत्र को याजबाषा शील्ड से िदान की गई.

    हहॊदी ऩत्राचाय की प्रवमबन्न शे्रखणमों भें भुख्मारम के मोजना/ऩरयमोजना, खानफचाव, जनसम्ऩकव , एस.टी.आई.

    तछॊदवाडा, भानव सॊसाधन प्रवबाग तथा गचककत्सा प्रवबाग को क्भश् िथभ एवॊ द्प्रवतीम ऩुयथकाय से सम्भातनत ककमा गमा . हहॊदी ऩत्राचाय हेतु डॉ. फेरा बट्टाचामाव गचककत्सा सेवा िभुख , श्री आशीष तामर उऩ िफन्धक (जनसम्ऩकव ) को क्भश् िथभ एवॊ द्प्रवतीम थथान मभरा.

  • याजबाषा ऩखवाड़ा के दौयान आमोजजत तात्कामरक बाषण िततमोगगता भें सववश्री एस. ऩी. मसॊह एवॊ वी. के. झा , तनफन्ध िततमोगगता भें सुयेन्र खये तथा याजकुभाय वभाव, साभान्म ऻान िततमोगगता भें आरोक कुभाय औय सगचन गगव, थवयगचत काव्म थऩधाव (भुख्मारम थतयीम) भें वी. के. झा हहॊदी हटप्ऩण आरेखन भें के के तन्ना औय अन्न्म्भा चाको , थवयगचत काव्म िततमोगगता (कॊ ऩनी थतयीम) भें श्री गजेन्र तॊवय एवॊ िवीण ठाकुय औय थरोगन िततमोगगता भें श्रीभती हदव्मा शभाव एवॊ सगचन गगव औय अन्ताक्ष्रयी िततमोगगता भें श्रीभती वीणा भेगुयवाय एवॊ भेघा

    ऩुजायी तथा श्री के.के.तन्ना एवॊ िदीऩ अदरुकय को क्भश: ऩहरा औय दसूया ऩुयथकाय िदान ककमा गमा.

    सभायोह का सॊचारन श्रीभती हदव्मा शभाव एवॊ धन्मवाद ऻाऩन श्री एस ऩी मसॊह ने ककमा . सहामक िफॊधक (याजबाषा) डॉ. भनोज कुभाय ने याजबाषा ऩखवाड़ा की रयऩोटव िथतुत की . इस अवसय ऩय अगधकायी, कभवचायी फड़ी सॊख्मा भें उऩजथथत थे.

    िथततु हैं कामवक्भ की कुछ झरककमाॉ ........