maa durga siddh mantra -3

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॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ १३ “॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰” (॰॰ ११ , ॰ ३८) ॰॰॰॰ :- ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰! ॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ १४ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰ ॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰:॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ :- ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰, ॰॰ ॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰, ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰-॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ १५ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ :- ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰, ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ १६ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ :- ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰ , ॰॰॰ ॰॰, ॰॰ ॰॰, ॰॰ ॰॰ ॰॰ ॰॰॰-॰॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰ १७ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰ :- ॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰, ॰॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰- ॰॰ ॰॰॰॰॰ ॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰! ॰॰॰॰॰॰॰ ॰॰॰॰ ॰॰॰

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Page 1: Maa Durga Siddh Mantra -3

१३॰ बा�धा� शा�न्ति� के लि�ये “सर्वा��बा�धा�प्रशामनं� त्रै���क्येस्ये�खि�� श्वरि!। एर्वाम र्वा त्र्वाये� के�ये�मस्मद्वै�रि!विर्वानं�शानंम'॥” (अ॰११, श्लो�॰३८)

अर्थ� :- सर्वा-श्वरि!! �.म इस0 प्रके�! �0नं1 ��के1 के2 समस्� बा�धा�ओं के� शा�� के!� औ! हम�! शात्रै.ओं के� नं�शा के!�0 !ह�।

१४॰ सर्वा�विर्वाधा अभ्ये.दये के लि�ये � सम्म�� जनंपद षु. धानं�विनं � षु�� � षु�� येशा��लिस नं च स0दवि� धाम�र्वार्ग�:।धाये�स्� एर्वा विनंभृ@��त्मजभृ@त्येद�!� ये षु�� सद�भ्ये.दयेद� भृर्वा�0 प्रसन्ना�॥

अर्थ� :- सद� अभ्ये.दये प्रद�नं के!नं र्वा��0 आप जिजनं प! प्रसन्ना !ह�0 हD, र्वा ह0 द शा मE सम्म�विनं� हD, उहG के� धानं औ! येशा के2 प्र�न्तिH� ह��0 ह�, उहG के� धाम� केभृ0 लिशालिर्थ� नंहG ह��� �र्थ� र्वा ह0 अपनं हृष्ट-प.ष्ट स्त्रै0, प.त्रै औ! भृ@त्ये1 के स�र्थ धाये म�नं ज�� हD।

१५॰ स.�क्षणा� पत् नं0 के2 प्र�न्तिH� के लि�ये पत् नंG मनं�!म�� द विह मनं�र्वा@त्ता�नं.स�रि!णा0म'। ��रि!णाG दुर्ग�स�स�!स�र्ग!स्ये के. ��द्भर्वा�म'॥

अर्थ� :- मनं के2 इच्छा� के अनं.स�! च�नं र्वा��0 मनं�ह! पत् नं0 प्रद�नं के!�, ज� दुर्ग�म स�स�!स�र्ग! स ��!नं र्वा��0 �र्थ� उत्ताम के. � मE उत्पन्ना हुई ह�।

१६॰ आ!�ग्ये औ! सVभृ�ग्ये के2 प्र�न्तिH� के लि�ये द विह सVभृ�ग्येम�!�ग्ये� द विह म प!म� स.�म'। रूप� द विह जये� द विह येशा� द विह विद्वैषु� जविह॥

अर्थ� :- म.झे सVभृ�ग्ये औ! आ!�ग्ये द�। प!म स.� द�, रूप द�, जये द�, येशा द� औ! के�म-क्रो�धा आदिद शात्रै.ओं के� नं�शा के!�।

१७॰ मह�म�!0 नं�शा के लि�ये जये�0 मङ्ग�� के��0 भृद्रके��0 केप�लि�नं0। दुर्ग�� क्षम� लिशार्वा� धा�त्रै0 स्र्वा�ह� स्र्वाधा� नंम�ऽस्�. � ॥

अर्थ� :- जये�0, मङ्ग��, के��0, भृद्रके��0, केप�लि�नं0, दुर्ग��, क्षम�, लिशार्वा�, धा�त्रै0, स्र्वा�ह� औ! स्र्वाधा�- इनं नं�म1 स प्रलिसद्ध जर्गदम्बिम्बाके ! �.म्हE म !� नंमस्के�! ह�।