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अरमोझा बोरा भहतो ने ऩहरी ी के भय जाने फाद द सयी सगाई की, तो उसके रके यघू के लरए फुये ददन आ गए। यघू की उ उस सभम के वर दस वष की थी। चैने से गॉँव भं गुरी-डॊडा खेरता दपयता था। भॉँ के आते ही चकी भं जुतना ऩा। ऩना ऩवती ी थी औय ऩ औय गवष भं चोरी-दाभन का नाता है। वह अऩने हाथ से कोई काभ न कयती। गोफय यघू लनकारता, फैर को सानी यघू देता। यघू ही जूठे फयतन भॉँजता। बोरा की ऑॊखं कु छ ऐसदपयीॊ दक उसे यघू भं सफ फुयाइमॉँ-ही-फुयाइमॉँ नजय आतीॊ। ऩना की फात को वह ाचीन भमाषदानुसाय ऑॊखं फॊद कयके भान रेता था। यघू की लिकामत की जया ऩयवाह न कयता। नतीजा मह ह आ दक यघू ने लिकामत कयना ही छो ददमा। दकसके साभने योए? फाऩ ही नहीॊ , साया गॉँव उसका द भन था। फा जजदी रका है , ऩना को तो कुद सभझता ही नहीॊ: फेचायी उसका द राय कयती है , जखराती- पऩराती हं मह उसी का पर है। द सयी औयत होत, तो लनफाह न होता। वह तो कहा, ऩना इतनी सीधी-सादहै दक लनफाह होता जाता है। सफर की लिकामतं सफ सुनते हं , लनफषर की परयमाद बी कोई नहीॊ सुनता! यघू का दम

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Premchand Ki Kahani

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Page 1: Hindi Kahani -Algaojha

अरग्मोझा

बोरा भहतो ने ऩहरी स्त्री के भय जाने फाद दसूयी सगाई की, तो उसके रड़के यग्घ ूके लरए फुये ददन आ गए। यग्घू की उम्र उस सभम केवर दस वर्ष की थी। चैने से गॉँव भं

गुल्री-डॊडा खेरता दपयता था। भॉ ँके आते ही चक्की भं जुतना ऩड़ा। ऩन्ना रुऩवती स्त्री थी औय रुऩ औय गवष भं चोरी-दाभन का नाता है। वह अऩने हाथं से कोई काभ न

कयती। गोफय यग्घू लनकारता, फैरं को सानी यग्घू देता। यग्घू ही जूठे फयतन भॉँजता। बोरा की ऑॊखं कुछ ऐसी दपयीॊ दक उसे यग्घू भं सफ फुयाइमॉँ-ही-फुयाइमॉ ँनजय आतीॊ। ऩन्ना की फातं को वह प्राचीन भमाषदानुसाय ऑॊखं फॊद कयके भान रेता था। यग्घू की लिकामतं की जया ऩयवाह न कयता। नतीजा मह हुआ दक यग्घ ूने लिकामत कयना ही छोड़ ददमा। दकसके साभने योए? फाऩ ही नहीॊ, साया गॉँव उसका दशु्भन था। फड़ा जजद्दी रड़का है, ऩन्ना को तो कुद सभझता ही नहीॊ: फेचायी उसका दरुाय कयती है, जखराती-पऩराती हं मह उसी का पर है। दसूयी औयत होती, तो लनफाह न होता। वह तो कहा, ऩन्ना इतनी सीधी-सादी है दक लनफाह होता जाता है। सफर की लिकामतं सफ सुनते हं, लनफषर की परयमाद बी कोई नहीॊ सुनता! यग्घू का हृदम

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भॉँ की ओय से ददन-ददन पटता जाता था। महाॊ तक दक आठ साठ गुजय गए औय एक ददन बोरा के नाभ बी भतृ्म ुका सन्देि आ ऩहुॉचा। ऩन्ना के चाय फच्चे थे-तीन फेटे औय एक फेटी। इतना फड़ खचष औय कभानेवारा कोई नहीॊ। यग्घू अफ क्मं फात ऩूछने रगा? मह भानी हुई फात थी। अऩनी स्त्री राएगा औय अरग यहेगा। स्त्री आकय औय बी आग रगाएगी। ऩन्ना को चायं ओय अॊधेया ही ददखाई देता था: ऩय कुछ बी हो, वह यग्घू की आसयैत फनकय घय भं यहेगी। जजस घय भं उसने याज दकमा, उसभं अफ रंडी न फनेगी। जजस रंडे को अऩना गुराभ सभझा, उसका भुॊह न ताकेगी। वह सुन्दय थीॊ, अवस्था अबी कुछ ऐसी ज्मादा न थी। जवानी अऩनी ऩूयी फहाय ऩय थी। क्मा वह कोई दसूया घय नहीॊ कय सकती?

महीॊ न होगा, रोग हॉसंगे। फरा से! उसकी पफयादयी भं क्मा ऐसा होता नहीॊ? ब्राह्मण, ठाकुय थोड़ी ही थी दक नाक कट जामगी। मह तो उन्ही ऊॉ ची जातं भं होता है दक घय भं चाहे जो कुछ कयो, फाहय ऩयदा ढका यहे। वह तो सॊसाय को ददखाकय दसूया घय कय सकती है, दपय वह यग्घू दक दफैर फनकय क्मं यहे?

बोरा को भये एक भहीना गुजय चुका था। सॊध्मा हो गई थी। ऩन्ना इसी लचन्ता भं ऩड़ हुई थी दक सहसा उसे ख्मार

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आमा, रड़के घय भं नहीॊ हं। मह फैरं के रौटने की फेरा है, कहीॊ कोई रड़का उनके नीचे न आ जाए। अफ द्वाय ऩय कौन है, जो उनकी देखबार कयेगा? यग्घू को भेये रड़के पूटी ऑॊखं नहीॊ बाते। कबी हॉसकय नहीॊ फोरता। घय से फाहय लनकरी, तो देखा, यग्घू साभने झोऩडे़ भं फैठा ऊख की गॉडेरयमा फना यहा है, रड़के उसे घेये खडे़ हं औय छोटी रड़की उसकी गदषन भं हाथ डारे उसकी ऩीठ ऩय सवाय होने की चेष्टा कय यही है। ऩन्ना को अऩनी ऑॊखं ऩय पवश्वास न आमा। आज तो मह नई फात है। िामद दलुनमा को ददखाता है दक भ ंअऩने बाइमं को दकतना चाहता हूॉ औय भन भं छुयी यखी हुई है। घात लभरे तो जान ही रे रे! कारा सॉँऩ है, कारा सॉँऩ! कठोय स्वय भं फोरी-तुभ सफके सफ वहॉ ँक्मा कयते हो? घय भं आओ, सॉँझ की फेरा है, गोरु आते हंगे। यग्घू ने पवनीत नेत्रों से देखकय कहा—भं तो हूॊ ही काकी, डय दकस फात का है?

फड़ा रड़का केदाय फोरा-काकी, यग्घू दादा ने हभाये लरए दो गादड़माॉ फना दी हं। मह देख, एक ऩय हभ औय खुन्नू फैठंगे, दसूयी ऩय रछभन औय झलुनमॉँ। दादा दोनं गादड़मॉ ँखीॊचंगे। मह कहकय वह एक कोने से दो छोटी-छोटी गादड़मॉ ँलनकार

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रामा। चाय-चाय ऩदहए रगे थे। फठैने के लरए तख्ते औय योक के लरए दोनं तयप फाजू थे। ऩन्ना ने आश्चमष से ऩूछा-मे गादड़मॉँ दकसने फनाई?

केदाय ने लचढ़कय कहा-यग्घू दादा ने फनाई हं, औय दकसने! बगत के घय से फसूरा औय रुखानी भॉँग राए औय चटऩट फना दीॊ। खूफ दौड़ती हं काकी! फठै खुन्न ूभं खीॊचूॉ। खुन्नू गाड़ी भं फैठ गमा। केदाय खीॊचने रगा। चय-चय िोय हुआ भानो गाड़ी बी इस खेर भं रड़कं के साथ ियीक है। रछभन ने दसूयी गाड़ी भं फैठकय कहा-दादा, खीॊचो। यग्घू ने झलुनमॉ ँको बी गाड़ी भं पफठा ददमा औय गाड़ी खीॊचता हुआ दौड़ा। तीनं रड़के तालरमॉँ फजाने रगे। ऩन्ना चदकत नेत्रों से मह दृश्म देख यही थी औय सोच यही थी दक म वही यग्घू है मा कोई औय। थोड़ी देय के फाद दोनं गादड़मॉ ँरौटीॊ: रड़के घय भं जाकय इस मानमात्रोा के अनबुव फमान कयने रगे। दकतने खिु थे सफ, भानं हवाई जहाज ऩय फैठ आमे हं। खुन्नू ने कहा-काकी सफ ऩेड़ दौड़ यहे थे। रछभन-औय फलछमॉँ कैसी बागीॊ, सफकी सफ दौड़ीॊ! केदाय-काकी, यग्घू दादा दोनं गादड़मॉँ एक साथ खीॊच रे जाते हं। झलुनमॉँ सफसे छोटी थी। उसकी व्मॊजना-िपि उछर-कूद

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औय नेत्रों तक ऩरयलभत थी-तालरमॉँ फजा-फजाकय नाच यही थी। खुन्न-ूअफ हभाये घय गाम बी आ जाएगी काकी! यग्घ ूदादा ने लगयधायी से कहा है दक हभं एक गाम रा दो। लगयधायी फोरा, कर राऊॉ गा। केदाय-तीन सेय दधू देती है काकी! खूफ दधू ऩीऍ ॊगे। इतने भं यग्घू बी अॊदय आ गमा। ऩन्ना ने अवहेरना की दृपष्ट से देखकय ऩूछा-क्मं यग्घ ूतभुने लगयधायी से कोई गाम भॉँगी है?

यग्घू ने ऺभा-प्राथषना के बाव से कहा-हॉँ, भॉँगी तो है, कर राएगा। ऩन्ना-रुऩमे दकसके घय से आऍॊगे, मह बी सोचा है?

यग्घू-सफ सोच लरमा है काकी! भेयी मह भुहय नहीॊ है। इसके ऩच्चीस रुऩमे लभर यहे हं, ऩॉँच रुऩमे फलछमा के भुजा दे दूॉगा! फस, गाम अऩनी हो जाएगी। ऩन्ना सन्नाटे भं आ गई। अफ उसका अपवश्वासी भन बी यग्घू के पे्रभ औय सज्जनता को अस्वीकाय न कय सका। फोरी-भुहय को क्मं फेचे देते हो? गाम की अबी कौन जल्दी है? हाथ भं ऩसेै हो जाऍ ॊ, तो रे रेना। सूना-सूना गरा अच्छा न रगेगा। इतने ददनं गाम नहीॊ यही, तो क्मा रड़के नहीॊ जजए?

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यग्घू दािषलनक बाव से फोरा-फच्चं के खाने-ऩीने के मही ददन हं काकी! इस उम्र भं न खामा, तो दपय क्मा खाऍ ॊगे। भुहय ऩहनना भुझे अच्छा बी नही भारभू होता। रोग सभझते हंगे दक फाऩ तो गमा। इसे भुहय ऩहनने की सूझी है। बोरा भहतो गाम की लचॊता ही भं चर फसे। न रुऩमे आए औय न गाम लभरी। भजफूय थे। यग्घू ने मह सभस्मा दकतनी सुगभता से हर कय दी। आज जीवन भं ऩहरी फाय ऩन्ना को यग्घ ूऩय पवश्वास आमा, फोरी-जफ गहना ही फेचना है, तो अऩनी भुहय क्मं फेचोगे? भेयी हॉसुरी रे रेना। यग्घू-नहीॊ काकी! वह तुम्हाये गरे भं फहुत अच्छी रगती है। भदो को क्मा, भुहय ऩहनं मा न ऩहनं। ऩन्ना-चर, भं फूढ़ी हुई। अफ हॉसरुी ऩहनकय क्मा कयना है। तू अबी रड़का है, तेया गरा अच्छा न रगेगा?

यग्घू भुस्कयाकय फोरा—तुभ अबी से कैसे फूढ़ी हो गई? गॉँव भं है कौन तुम्हाये फयाफय?

यग्घू की सयर आरोचना ने ऩन्ना को रजज्जत कय ददमा। उसके रुखे-भुयछाए भखु ऩय प्रसन्नता की रारी दौड़ गई। 2

ऩाॉच सार गुजय गए। यग्घू का-सा भेहनती, ईभानदाय, फात

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का धनी दसूया दकसान गॉँव भं न था। ऩन्ना की इच्छा के पफना कोई काभ न कयता। उसकी उम्र अफ 23 सार की हो गई थी। ऩन्ना फाय-फाय कहती, बइमा, फहू को पफदा कया राओ। कफ तक नैह भं ऩड़ी यहेगी? सफ रोग भुझी को फदनाभ कयते हं दक मही फहू को नहीॊ आने देती: भगय यग्घू टार देता था। कहता दक अबी जल्दी क्मा है? उसे अऩनी स्त्री के यॊग-ढॊग का कुछ ऩरयचम दसूयं से लभर चकुा था। ऐसी औयत को घय भं राकय वह अऩनी िॉँलत भं फाधा नहीॊ डारना चाहता था। आजखय एक ददन ऩन्ना ने जजद कयके कहा-तो तुभ न राओगे?

‘कह ददमा दक अबी कोई जल्दी नहीॊ।’ ‘तुम्हाये लरए जल्दी न होगी, भेये लरए तो जल्दी है। भं आज आदभी बेजती हूॉ।’ ‘ऩछताओगी काकी, उसका लभजाज अच्छा नहीॊ है।’ ‘तुम्हायी फरा से। जफ भ ंउससे फोरूॉगी ही नहीॊ, तो क्मा हवा से रडे़गी? योदटमॉँ तो फना रेगी। भुझसे बीतय-फाहय का साया काभ नहीॊ होता, भं आज फरुाए रेती हूॉ।’ ‘फुराना चाहती हो, फुरा रो: भगय दपय मह न कहना दक मह भेहरयमा को ठीक नहीॊ कयता, उसका गुराभ हो गमा।’ ‘न कहूॉगी, जाकय दो सादड़माॉ औय लभठाई रे आ।’

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तीसये ददन भुलरमा भैके से आ गई। दयवाजे ऩय नगाडे़ फजे,

िहनाइमं की भधुय ध्वलन आकाि भं गूॉजने रगी। भुॉह-ददखावे की यस्भ अदा हुई। वह इस भरुबूलभ भं लनभषर जरधाया थी। गेहुऑॊ यॊग था, फड़ी-फड़ी नोकीरी ऩरकं,

कऩोरं ऩय हल्की सुखी, ऑॊखं भं प्रफर आकर्षण। यग्घू उसे देखते ही भॊत्रोभुग्ध हो गमा। प्रात:कार ऩानी का घड़ा रेकय चरती, तफ उसका गेहुऑॊ यॊग प्रबात की सुनहयी दकयणं से कुन्दन हो जाता, भानं उर्ा अऩनी सायी सुगॊध, साया पवकास औय उन्भाद लरमे भुस्कयाती चरी जाती हो। 3

भुलरमा भकेै से ही जरी-बुनी आमी थी। भेया िौहय छाती पाड़कय काभ कये, औय ऩन्ना यानी फनी फैठी यहे, उसके रडे़ यईसजादे फने घूभं। भुलरमा से मह फयदाश्त न होगा। वह दकसी की गुराभी न कयेगी। अऩने रड़के तो अऩने होते ही नहीॊ, बाई दकसके होते हं? जफ तक ऩय नहीॊ लनकते हं, यग्घू को घेये हुए हं। ज्मं ही जया समाने हुए, ऩय झाड़कय लनकर जाऍ ॊगे, फात बी न ऩूछंगे। एक ददन उसने यग्घू से कहा—तुम्हं इस तयह गुराभी कयनी हो, तो कयो, भुझसे न होगी।

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यग्घू—तो दपय क्मा करुॉ , तू ही फता? रड़के तो अबी घय का काभ कयने रामक बी नहीॊ हं। भुलरमा—रड़के यावत के हं, कुछ तुम्हाये नहीॊ हं। मही ऩन्ना है, जो तुम्हं दाने-दाने को तयसाती थी। सफ सनु चकुी हूॊ। भं रंडी फनकय न यहूॉगी। रुऩमे-ऩैसे का भुझे दहसाफ नहीॊ लभरता। न जाने तुभ क्मा राते हो औय वह क्मा कयती है। तुभ सभझते हो, रुऩमे घय ही भं तो हं: भगय देख रेना, तुम्हं जो एक पूटी कौड़ी बी लभरे। यग्घू—रुऩमे-ऩैसे तेये हाथ भं देने रगूॉ तो दलुनमा कमा कहेगी, मह तो सोच। भुलरमा—दलुनमा जो चाहे, कहे। दलुनमा के हाथं पफकी नहीॊ हूॉ। देख रेना, बॉँड रीऩकय हाथ कारा ही यहेगा। दपय तभु अऩने बाइमं के लरए भयो, भै। क्मं भरुॉ?

यग्घू—ने कुछ जवाफ न ददमा। उसे जजस फात का बम था, वह इतनी जल्द लसय आ ऩड़ी। अफ अगय उसने फहुत तत्थो-थॊबो दकमा, तो सार-छ:भहीने औय काभ चरेगा। फस, आगे मह डंगा चरता नजय नहीॊ आता। फकये की भॉँ कफ तक खैय भनाएगी?

एक ददन ऩन्ना ने भहुए का सखुावन डारा। फयसार िुरु हो गई थी। फखाय भं अनाज गीरा हो यहा था। भुलरमा से

फोरी-फहू, जया देखती यहना, भं ताराफ से नहा आऊॉ ?

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भुलरमा ने राऩयवाही से कहा-भुझे नीॊद आ यही है, तुभ फैठकय देखो। एक ददन न नहाओगी तो क्मा होगा?

ऩन्ना ने साड़ी उतायकय यख दी, नहाने न गमी। भुलरमा का वाय खारी गमा। कई ददन के फाद एक िाभ को ऩन्ना धान योऩकय रौटी, अॉधेया हो गमा था। ददन-बय की बूखी थी। आिा थी, फहू ने योटी फना यखी होगी: भगय देखा तो महॉँ चूल्हा ठॊडा ऩड़ा हुआ था, औय फच्चे भाये बखू के तड़ऩ यहे थे। भुलरमा से आदहस्ता से ऩूछा-आज अबी चूल्हा नहीॊ जरा?

केदाय ने कहा—आज दोऩहय को बी चूल्हा नहीॊ जरा काकी! बाबी ने कुछ फनामा ही नहीॊ। ऩन्ना—तो तुभ रोगं ने खामा क्मा?

केदाय—कुछ नहीॊ, यात की योदटमॉ ँथीॊ, खुन्नू औय रछभन ने खामीॊ। भंने सत्तू खा लरमा। ऩन्ना—औय फहू?

केदाय—वह ऩड़ी सो यह है, कुछ नहीॊ खामा। ऩन्ना ने उसी वि चूल्हा जरामा औय खाना फनाने फैठ गई। आटा गूॉधती थी औय योती थी। क्मा नसीफ है? ददन-बय खेत भं जरी, घय आई तो चलू्हे के साभने जरना ऩड़ा। केदाय का चौदहवॉ ँसार था। बाबी के यॊग-ढॊग देखकय सायी जस्थत सभझ ्यहा था। फोरा—काकी, बाबी अफ तुम्हाये साथ

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यहना नहीॊ चाहती। ऩन्ना ने चंककय ऩछूा—क्मा कुछ कहती थी?

केदाय—कहती कुछ नहीॊ थी: भगय है उसके भन भं मही फात। दपय तुभ क्मं नहीॊ उसे छोड़ देतीॊ? जैसे चाहे यहे, हभाया बी बगवान ्है?

ऩन्ना ने दॉँतं से जीब दफाकय कहा—चुऩ, भये साभने ऐसी फात बरूकय बी न कहना। यग्घ ूतुम्हाया बाई नहीॊ, तुम्हाया फाऩ है। भुलरमा से कबी फोरोगे तो सभझ रेना, जहय खा रूॉगी। 4

दिहये का त्मौहाय आमा। इस गॉवँ से कोस-बय एक ऩुयवे भं भेरा रगता था। गॉँव के सफ रड़के भेरा देखने चरे। ऩन्ना बी रड़कं के साथ चरने को तमैाय हुई: भगय ऩैसे कहॉँ से आऍॊ? कुॊ जी तो भुलरमा के ऩास थी। यग्घू ने आकय भुलरमा से कहा—रड़के भेरे जा यहे हं, सफं को दो-दो ऩैसे दे दो। भुलरमा ने त्मोरयमॉ ँचढ़ाकय कहा—ऩैसे घय भं नहीॊ हं। यग्घू—अबी तो तेरहन पफका था, क्मा इतनी जल्दी रुऩमे उठ गए?

भुलरमा—हॉँ, उठ गए?

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यग्घू—कहॉँ उठ गए? जया सुनूॉ, आज त्मोहाय के ददन रड़के भेरा देखने न जाऍ ॊगे?

भुलरमा—अऩनी काकी से कहो, ऩैसे लनकारं, गाड़कय क्मा कयंगी?

खूॉटी ऩय कुॊ जी हाथ ऩकड़ लरमा औय फोरी—कुॊ जी भुझे दे दो, नहीॊ तो ठीक न होगा। खाने-ऩहने को बी चादहए,

कागज-दकताफ को बी चादहए, उस ऩय भेरा देखने को बी चादहए। हभायी कभाई इसलरए नहीॊ है दक दसूये खाऍ ॊ औय भूॉछं ऩय ताव दं। ऩन्ना ने यग्घू से कहा—बइमा, ऩैसे क्मा हंगे! रड़के भेरा देखने न जाऍ ॊगे। यग्घू ने जझड़ककय कहा—भेरा देखने क्मं न जाऍ ॊगे? साया गॉँव जा यहा है। हभाये ही रड़के न जाऍ ॊगे?

मह कहकय यग्घू ने अऩना हाथ छुड़ा लरमा औय ऩैसे लनकारकय रड़कं को दे ददमे: भगय कुॊ जी जफ भुलरमा को देने रगा, तफ उसने उसे आॊगन भं पंक ददमा औय भुॉह रऩेटकय रेट गई! रड़के भेरा देखने न गए। इसके फाद दो ददन गुजय गए। भुलरमा ने कुछ नहीॊ खामा औय ऩन्ना बी बखूी यही यग्घ ूकबी इसे भनाता, कबी उसे:ऩय न मह उठती, न वह। आजखय यग्घू ने हैयान होकय भुलरमा से ऩूछा—कुछ भुॉह से तो कह, चाहती क्मा है?

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भुलरमा ने धयती को सम्फोलधत कयके कहा—भं कुछ नहीॊ चाहती, भुझे भेये घय ऩहुॉचा दो। यग्घू—अच्छा उठ, फना-खा। ऩहुॉचा दूॉगा। भुलरमा ने यग्घू की ओय ऑॊखं उठाई। यग्घू उसकी सूयत देखकय डय गमा। वह भाधुमष, वह भोहकता, वह रावण्म गामफ हो गमा था। दॉँत लनकर आए थे, ऑॊखं पट गई थीॊ औय नथुने पड़क यहे थे। अॊगाये की-सी रार ऑॊखं से देखकय फोरी—अच्छा, तो काकी ने मह सराह दी है, मह भॊत्रो ऩढ़ामा है? तो महॉँ ऐसी कच्चे नहीॊ हूॉ। तुभ दोनं की छाती ऩय भूॉग दरूॉगी। हो दकस पेय भं?

यग्घू—अच्छा, तो भूॉग ही दर रेना। कुछ खा-ऩी रेगी, तबी तो भूॉग दर सकेगी। भुलरमा—अफ तो तबी भुॉह भं ऩानी डारूॉगी, जफ घय अरग हो जाएगा। फहुत झेर चुकी, अफ नहीॊ झेरा जाता। यग्घू सन्नाटे भं आ गमा। एक ददन तक उसके भुॉह से आवाज ही न लनकरी। अरग होने की उसने स्वप्न भं बी कल्ऩना न की थी। उसने गॉँव भं दो-चाय ऩरयवायं को अरग होते देखा था। वह खूफ जानता था, योटी के साथ रोगं के हृदम बी अरग हो जाते हं। अऩने हभेिा के लरए गैय हो जाते हं। दपय उनभं वही नाता यह जाता है, जो गॉँव के आदलभमं भं। यग्घू ने भन भं ठान लरमा था दक इस

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पवऩपत्त को घय भं न आने दूॉगा: भगय होनहाय के साभने उसकी एक न चरी। आह! भेये भुॉह भं कालरख रगेगी, दलुनमा मही कहेगी दक फाऩ के भय जाने ऩय दस सार बी एक भं लनफाह न हो सका। दपय दकससे अरग हो जाऊॉ ?

जजनको गोद भं जखरामा, जजनको फच्चं की तयह ऩारा, जजनके लरए तयह-तयह के कष्ठ झेरे, उन्हीॊ से अरग हो जाऊॉ ? अऩने प्मायं को घय से लनकार फाहय करुॉ? उसका गरा पॉ स गमा। कॉँऩते हुए स्वय भं फोरा—तू क्मा चाहती है दक भ ंअऩने बाइमं से अरग हो जाऊॉ ? बरा सोच तो, कहीॊ भुॉह ददखाने रामक यहूॉगा?

भुलरमा—तो भेया इन रोगं के साथ लनफाह न होगा। यग्घू—तो त ूअरग हो जा। भुझे अऩने साथ क्मं घसीटती है?

भुलरमा—तो भुझे क्मा तुम्हाये घय भं लभठाई लभरती है? भेये लरए क्मा सॊसाय भं जगह नहीॊ है?

यग्घू—तेयी जैसी भजी, जहॉँ चाहे यह। भं अऩने घय वारं से

अरग नहीॊ हो सकता। जजस ददन इस घय भं दो चूल्हं जरंगे, उस ददन भेये करेजे के दो टुकडे़ हो जाऍ ॊगे। भ ंमह चोट नहीॊ सह सकता। तुझे जो तकरीप हो, वह भं दयू कय सकता हूॉ। भार-असफाफ की भारदकन त ूहै ही: अनाज-ऩानी तेये ही हाथ है, अफ यह क्मा गमा है? अगय कुछ काभ-धॊधा

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कयना नहीॊ चाहती, भत कय। बगवान ने भुझे सभाई दी होती, तो भं तुझे लतनका तक उठाने न देता। तेये मह सुकुभाय हाथ-ऩाॊव भेहनत-भजदयूी कयने के लरए फनाए ही नहीॊ गए हं: भगय क्मा करुॉ अऩना कुछ फस ही नहीॊ है। दपय बी तेया जी कोई काभ कयने को न चाहे, भत कय: भगय भुझसे अरग होने को न कह, तेये ऩैयं ऩड़ता हूॉ। भुलरमा ने लसय से अॊचर जखसकामा औय जया सभीऩ आकय फोरी—भं काभ कयने से नहीॊ डयती, न फैठे-फैठे खाना चाहती हूॉ: भगय भुझ से दकसी की धंस नहीॊ सही जाती। तुम्हायी ही काकी घय का काभ-काज कयती हं, तो अऩने लरए कयती हं, अऩने फार-फच्चं के लरए कयती हं। भुझ ऩय कुछ एहसान नहीॊ कयतीॊ, दपय भुझ ऩय धंस क्मं जभाती हं? उन्हं अऩने फच्चे प्माये हंगे, भुझे तो तुम्हाया आसया है। भं अऩनी ऑॊखं से मह नहीॊ देख सकती दक साया घय तो चैन कये, जया-जया-से फच्चे तो दधू ऩीऍ ॊ, औय जजसके फर-फूते ऩय गहृस्थी फनी हुई है, वह भट्ठे को तयसे। कोई उसका ऩूछनेवारा न हो। जया अऩना भुॊह तो देखो, कैसी सूयत लनकर आई है। औयं के तो चाय फयस भं अऩने ऩट्ठे तैमाय हो जाऍ ॊगे। तुभ तो दस सार भं खाट ऩय ऩड़ जाओगे। फैठ जाओ, खडे़ क्मं हो? क्मा भायकय बागोगे? भं तुम्हं जफयदस्ती न फॉँध रूॉगी, मा भारदकन का हुक्भ नहीॊ

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है? सच कहूॉ, तुभ फडे़ कठ-करेजी हो। भं जानती, ऐसे लनभोदहए से ऩारा ऩडे़गा, तो इस घय भं बरू से न आती। आती बी तो भन न रगाती, भगय अफ तो भन तुभसे रग गमा। घय बी जाऊॉ , तो भन महॉ ँही यहेगा औय तुभ जो हो, भेयी फात नहीॊ ऩछूते। भुलरमा की मे यसीरी फातं यग्घू ऩय कोई असय न डार

सकीॊ। वह उसी रुखाई से फोरा—भुलरमा, भुझसे मह न होगा। अरग होने का ध्मान कयते ही भेया भन न जाने कैसा हो जाता है। मह चोट भुझ से न सही जाएगी। भुलरमा ने ऩरयहास कयके कहा—तो चूदड़मॉ ँऩहनकय अन्दय फैठो न! राओ भ ंभूॉछं रगा रूॊ। भं तो सभझती थी दक तुभभं बी कुछ कर-फर है। अफ देखती हूॉ, तो लनये लभट्टी के रंदे हो। ऩन्ना दारान भं खड़ी दोनं की फातचीत सुन नहीॊ थी। अफ उससे न यहा गमा। साभने आकय यग्घू से फोरी—जफ वह अरग होने ऩय तरुी हुई है, दपय तुभ क्मं उसे जफयदस्ती लभराए यखना चाहते हो? तुभ उसे रेकय यहो, हभाये बगवान ्ने लनफाह ददमा, तो अफ क्मा डय? अफ तो बगवान ्की दमा से तीनं रड़के समाने हो गए हं, अफ कोई लचन्ता नहीॊ। यग्घू ने ऑॊस-ूबयी ऑॊखं से ऩन्ना को देखकय कहा—काकी, तू बी ऩागर हो गई है क्मा? जानती नहीॊ, दो योदटमॉ ँहोते

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ही दो भन हो जाते हं। ऩन्ना—जफ वह भानती ही नहीॊ, तफ तुभ क्मा कयोगे?

बगवान ्की भयजी होगी, तो कोई क्मा कयेगा? ऩयारब्ध भं जजतने ददन एक साथ यहना लरखा था, उतने ददन यहे। अफ उसकी मही भयजी है, तो मही सही। तुभने भेये फार-फच्चं के लरए जो कुछ दकमा, वह बूर नहीॊ सकती। तुभने इनके लसय हाथ न यखा होता, तो आज इनकी न जाने क्मा गलत होती: न जाने दकसके द्वाय ऩय ठोकयं खातं होते, न जाने कहॉ-ँकहॉ ँबीख भॉँगते दपयते। तुम्हाया जस भयते दभ तक गाऊॉ गी। अगय भेयी खार तुम्हाये जूते फनाने के काभ आते,

तो खुिी से दे दूॉ। चाहे तभुसे अरग हो जाऊॉ , ऩय जजस घड़ी ऩुकायोगे, कुते्त की तयह दौड़ी आऊॉ गी। मह बूरकय बी न सोचना दक तुभसे अरग होकय भं तुम्हाया फुया चेतूॉगी। जजस ददन तुम्हाया अनबर भेये भन भं आएगा, उसी ददन पवर् खाकय भय जाऊॉ गी। बगवान ्कये, तुभ दधूं नहाओॊ, ऩूतं परं! भयते दभ तक मही असीस भेये योऍ ॊ-योऍ ॊ से लनकरती यहेगी औय अगय रड़के बी अऩने फाऩ के हं। तो भयते दभ तक तुम्हाया ऩोस भानंगे। मह कहकय ऩन्ना योती हुई वहॉँ से चरी गई। यग्घू वहीॊ भूलतष की तयह फैठा यहा। आसभान की ओय टकटकी रगी थी औय ऑॊखं से ऑॊसू फह यहे थे।

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ऩन्ना की फातं सुनकय भुलरमा सभझ गई दक अऩने ऩौफायह हं। चटऩट उठी, घय भं झाडू़ रगाई, चूल्हा जरामा औय कुऍ ॊ से ऩानी राने चरी। उसकी टेक ऩूयी हो गई थी। गॉँव भं जस्त्रमं के दो दर होते हं—एक फहुओॊ का, दसूया सासं का! फहुऍ ॊ सराह औय सहानबुूलत के लरए अऩने दर भं जाती हं, सासं अऩने भं। दोनं की ऩॊचामतं अरग होती हं। भुलरमा को कुऍ ॊ ऩय दो-तीन फहुऍ ॊ लभर गई। एक से ऩूछा—आज तो तुम्हायी फुदढ़मा फहुत यो-धो यही थी। भुलरमा ने पवजम के गवष से कहा—इतने ददनं से घय की भारदकन फनी हुई है, याज-ऩाट छोड़ते दकसे अच्छा रगता है? फहन, भं उनका फुया नहीॊ चाहती: रेदकन एक आदभी की कभाई भं कहॉ ँतक फयकत होगी। भेये बी तो मही खाने-ऩीने, ऩहनने-ओढ़ने के ददन हं। अबी उनके ऩीछे भयो, दपय फार-फच्चे हो जाऍ ॊ, उनके ऩीछे भयो। सायी जजन्दगी योते ही कट जाएगी। एक फहू-फुदढ़मा मही चाहती है दक मह सफ जन्भ-बय रंडी फनी यहं। भोटा-झोटा खाएॊ औय ऩड़ी यहं। दसूयी फहू—दकस बयोसे ऩय कोई भये—अऩने रड़के तो फात

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नहीॊ ऩूछं ऩयाए रड़कं का क्मा बयोसा? कर इनके हाथ-ऩैय हो जामंगे, दपय कौन ऩूछता है! अऩनी-अऩनी भेहरयमं का भुॊह देखंगे। ऩहरे ही से पटकाय देना अच्छा है, दपय तो कोई करक न होगा। भुलरमा ऩानी रेकय गमी, खाना फनामा औय यग्घ ूसे फोरी—जाओॊ, नहा आओ, योटी तैमाय है। यग्घू ने भानं सुना ही नहीॊ। लसय ऩय हाथ यखकय द्वाय की तयप ताकता यहा। भुलरमा—क्मा कहती हूॉ, कुछ सुनाई देता है, योटी तैमाय है, जाओॊ नहा आओ। यग्घू—सुन तो यहा हूॉ, क्मा फहया हूॉ? योटी तैमाय है तो जाकय खा रे। भुझे बूख नहीॊ है। भुलरमा ने दपय नहीॊ कहा। जाकय चूल्हा फुझा ददमा, योदटमॉँ उठाकय छीॊके ऩय यख दीॊ औय भुॉह ढॉँककय रेट यही। जया देय भं ऩन्ना आकय फोरी—खाना तैमाय है, नहा-धोकय खा रो! फहू बी बूखी होगी। यग्घू ने झुॉझराकय कहा—काकी त ूघय भं यहने देगी दक भुॉह भं कालरख रगाकय कहीॊ लनकर जाऊॉ ? खाना तो खाना ही है, आज न खाऊॉ गा, कर खाऊॉ गा, रेदकन अबी भुझसे न खामा जाएगा। केदाय क्मा अबी भदयसे से नहीॊ आमा?

ऩन्ना—अबी तो नीॊ आमा, आता ही होगा।

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ऩन्ना सभझ गई दक जफ तक वह खाना फनाकय रड़कं को न जखराएगी औय खुद न खाएगी यग्घू न खाएगा। इतना ही नहीॊ, उसे यग्घू से रड़ाई कयनी ऩडे़गी, उसे जरी-कटी सुनानी ऩडे़गी। उसे मह ददखाना ऩडे़गा दक भ ंही उससे अरग होना चाहती हूॉ नहीॊ तो वह इसी लचन्ता भं घुर-घुरकय प्राण दे देगा। मह सोचकय उसने अरग चूल्हा जरामा औय खाना फनाने रगी। इतने भं केदाय औय खुन्न ूभदयसे से आ गए। ऩन्ना ने कहा—आओ फेटा, खा रो, योटी तैमाय है। केदाय ने ऩूछा—बइमा को बी फरुा रूॉ न?

ऩन्ना—तुभ आकय खा रो। उसकी योटी फहू ने अरग फनाई है। खुन्न—ूजाकय बइमा से ऩूछ न आऊॉ ?

ऩन्ना—जफ उनका जी चाहेगा, खाऍ ॊगे। तू फैठकय खा: तुझे इन फातं से क्मा भतरफ? जजसका जी चाहेगा खाएगा, जजसका जी न चाहेगा, न खाएगा। जफ वह औय उसकी फीवी अरग यहने ऩय तुरे हं, तो कौन भनाए?

केदाय—तो क्मं अम्भाजी, क्मा हभ अरग घय भं यहंगे?

ऩन्ना—उनका जी चाहे, एक घय भं यहं, जी चाहे ऑॊगन भं दीवाय डार रं। खुन्नू ने दयवाजे ऩय आकय झॉँका, साभने पूस की झंऩड़ी

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थी, वहीॊ खाट ऩय ऩड़ा यग्घू नारयमर ऩी यहा था। खुन्न—ू बइमा तो अबी नारयमर लरमे फैठे हं। ऩन्ना—जफ जी चाहेगा, खाऍ ॊगे। केदाय—बइमा ने बाबी को डॉँटा नहीॊ?

भुलरमा अऩनी कोठयी भं ऩड़ी सुन यही थी। फाहय आकय फोरी—बइमा ने तो नहीॊ डॉँटा अफ तुभ आकय डॉँटं। केदाय के चेहये ऩय यॊग उड़ गमा। दपय जफान न खोरी। तीनं रड़कं ने खाना खामा औय फाहय लनकरे। रू चरने रगी थी। आभ के फाग भं गॉँव के रड़के-रड़दकमॉँ हवा से लगये हुए आभ चनु यहे थे। केदाय ने कहा—आज हभ बी आभ चुनने चरं, खूफ आभ लगय यहे हं। खुन्न—ूदादा जो फैठे हं?

रछभन—भं न जाऊॉ गा, दादा घुड़कंगे। केदाय—वह तो अफ अरग हो गए। रऺभन—तो अफ हभको कोई भायेगा, तफ बी दादा न फोरंगे?

केदाय—वाह, तफ क्मं न फोरंगे?

यग्घू ने तीनं रड़कं को दयवाजे ऩय खडे़ देखा: ऩय कुछ फोरा नहीॊ। ऩहरे तो वह घय के फाहय लनकरते ही उन्हं डॉँट फैठता था: ऩय आज वह भूलतष के सभान लनश्चर फैठा यहा। अफ रड़कं को कुछ साहस हुआ। कुछ दयू औय आगे फढे़।

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यग्घू अफ बी न फोरा, कैसे फोरे? वह सोच यहा था, काकी ने रड़कं को जखरा-पऩरा ददमा, भुझसे ऩूछा तक नहीॊ। क्मा उसकी ऑॊखं ऩय बी ऩयदा ऩड़ गमा है: अगय भंने रड़कं को ऩकुाया औय वह न आमं तो? भं उनकं भाय-ऩीट तो न सकूॉ गा। र ूभं सफ भाये-भाये दपयंगे। कहीॊ फीभाय न ऩड़ जाऍ ॊ। उसका ददर भसोसकय यह जाता था, रेदकन भुॉह से कुछ कह न सकता था। रड़कं ने देखा दक मह पफरकुर नहीॊ फोरते, तो लनबषम होकय चर ऩडे़। सहसा भुलरमा ने आकय कहा—अफ तो उठोगे दक अफ बी नहीॊ? जजनके नाभ ऩय पाका कय यहे हो, उन्हंने भजे से रड़कं को जखरामा औय आऩ खामा, अफ आयाभ से सो यही है। ‘भोय पऩमा फात न ऩूछं, भोय सुहालगन नॉँव।’ एक फाय बी तो भुॉह से न पूटा दक चरो बइमा, खा रो। यग्घू को इस सभम भभाषन्तक ऩीड़ा हो यह थी। भुलरमा के इन कठोय िब्दं ने घाव ऩय नभक लछड़क ददमा। द:ुजखत नेत्रों से देखकय फोरा—तेयी जो भजी थी, वही तो हुआ। अफ

जा, ढोर फजा! भुलरमा—नहीॊ, तुम्हाये लरए थारी ऩयोसे फैठी है। यग्घू—भुझे लचढ़ा भत। तेये ऩीछे भं बी फदनाभ हो यहा हूॉ। जफ त ूदकसी की होकय नहीॊ यहना चाहती, तो दसूये को क्मा गयज है, जो भेयी खुिाभद कये? जाकय काकी से ऩछू,

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रड़के आभ चुनने गए हं, उन्हं ऩकड़ राऊॉ ?

भुलरमा अॉगूठा ददखाकय फोरी—मह जाता है। तुम्हं सौ फाय गयज हो, जाकय ऩूछो। इतने भं ऩन्ना बी बीतय से लनकर आमी। यग्घू ने ऩूछा—रड़के फगीचे भं चरे गए काकी, रू चर यही है। ऩन्ना—अफ उनका कौन ऩछुत्तय है? फगीचे भं जाऍ ॊ, ऩेड़ ऩय चढं़, ऩानी भं डूफं। भ ंअकेरी क्मा-क्मा करुॉ?

यग्घू—जाकय ऩकड़ राऊॉ ?

ऩन्ना—जफ तुम्हं अऩने भन से नहीॊ जाना है, तो दपय भं जाने को क्मं कहूॉ? तुम्हं योकना होता , तो योक न देते?

तुम्हाये साभने ही तो गए हंगे?

ऩन्ना की फात ऩूयी बी न हुई थी दक यग्घू ने नारयमर कोने भं यख ददमा औय फाग की तयप चरा। 6

यग्घू रड़कं को रेकय फाग से रौटा, तो देखा भुलरमा अबी तक झंऩडे़ भं खड़ी है। फोरा—तू जाकय खा क्मं नहीॊ रेती? भुझे तो इस फेरा बखू नहीॊ है। भुलरमा ऐॊठकय फोरी—हॉँ, बूख क्मं रगेगी! बाइमं ने खामा, वह तुम्हाये ऩेट भं ऩहुॉच ही गमा होगा। यग्घू ने दॉतँ ऩीसकय कहा—भुझे जरा भत भुलरमा, नहीॊ

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अच्छा न होगा। खाना कहीॊ बागा नहीॊ जाता। एक फेरा न खाऊॉ गा, तो भय न जाउॉगा! क्मा तू सभझती हं, घय भं आज कोई फात हो गई हं? तूने घय भं चूल्हा नहीॊ जरामा, भेये करेजे भं आग रगाई है। भुझे घभॊड था दक औय चाहे कुछ हो जाए, ऩय भेये घय भं पूट का योग न आने ऩाएगा, ऩय तूने घभॊड चूय कय ददमा। ऩयारब्ध की फात है। भुलरमा लतनककय फोरी—साया भोह-छोह तुम्हीॊ को है दक औय दकसी को है? भं तो दकसी को तुम्हायी तयह पफसूयते नहीॊ देखती। यग्घू ने ठॊडी सॉँस खीॊचकय कहा—भुलरमा, घाव ऩय नोन न लछड़क। तेये ही कायन भेयी ऩीठ भं धूर रग यही है। भुझे इस गहृस्थी का भोह न होगा, तो दकसे होगा? भंने ही तो इसे भय-भय जोड़ा। जजनको गोद भं खेरामा, वहीॊ अफ भेये ऩट्टीदाय हंगे। जजन फच्चं को भ ंडॉँटता था, उन्हं आज कड़ी ऑॊखं से बी नहीॊ देख सकता। भं उनके बरे के लरए बी कोई फात करुॉ , तो दलुनमा मही कहेगी दक मह अऩने बाइमं को रूटे रेता है। जा भुझे छोड़ दे, अबी भुझसे कुछ न खामा जाएगा। भुलरमा—भं कसभ यखा दूॉगी, नहीॊ चुऩके से चरे चरो। यग्घू—देख, अफ बी कुछ नहीॊ पफगड़ा है। अऩना हठ छोड़ दे। भुलरमा—हभाया ही रहू पऩए, जो खाने न उठे।

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यग्घू ने कानं ऩय हाथ यखकय कहा—मह तूने क्मा दकमा भुलरमा? भं तो उठ ही यहा था। चर खा रूॉ। नहाने-धोने

कौन जाए, रेदकन इतनी कहे देता हूॉ दक चाहे चाय की जगह छ: योदटमॉ ँखा जाऊॉ , चाहे तू भुझे घी के भटके ही भं डुफा दे: ऩय मह दाग भेये ददर से न लभटेगा। भुलरमा—दाग-साग सफ लभट जाएगा। ऩहरे सफको ऐसा ही रगता है। देखते नहीॊ हो, उधय कैसी चनै की वॊिी फज यही है, वह तो भना ही यही थीॊ दक दकसी तयह मह सफ अरग हो जाऍ ॊ। अफ वह ऩहरे की-सी चॉदँी तो नहीॊ है दक जो कुछ घय भं आवे, सफ गामफ! अफ क्मं हभाये साथ यहने रगीॊ?

यग्घू ने आहत स्वय भं कहा—इसी फात का तो भुझे गभ है। काकी ने भुझे ऐसी आिा न थी। यग्घू खाने फैठा, तो कौय पवर् के घूॉट-सा रगता था। जान

ऩड़ता था, योदटमॉँ बूसी की हं। दार ऩानी-सी रगती। ऩानी कॊ ठ के नीचे न उतयता था, दधू की तयप देखा तक नहीॊ। दो-चाय ग्रास खाकय उठ आमा, जैसे दकसी पप्रमजन के श्राद्ध

का बोजन हो। यात का बोजन बी उसने इसी तयह दकमा। बोजन क्मा दकमा, कसभ ऩूयी की। यात-बय उसका लचत्त उदद्वग्न यहा। एक अऻात िॊका उसके भन ऩय छाई हुई थी, जेसे बोरा

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भहतो द्वाय ऩय फैठा यो यहा हो। वह कई फाय चंककय उठा। ऐसा जान ऩड़ा, बोरा उसकी ओय लतयस्काय की आॉखं से देख यहा है। वह दोनं जून बोजन कयता था: ऩय जैसे ित्रोु के घय। बोरा की िोकभग्न भूलतष ऑॊखं से न उतयती थी। यात को उसे नीॊद न आती। वह गॉँव भं लनकरता, तो इस तयह भुॉह चुयाए, लसय झकुाए भानो गो-हत्मा की हो। 7

ऩाॉच सार गुजय गए। यग्घू अफ दो रड़कं का फाऩ था। आॉगन भं दीवाय जखॊच गई थी, खेतं भं भेडं़ डार दी गई थीॊ औय फैर-फलछए फॉँध लरमे गए थे। केदाय की उम्र अफ उन्नीस की हो गई थी। उसने ऩढ़ना छोड़ ददमा था औय खेती का काभ कयता था। खुन्न ूगाम चयाता था। केवर रछभन अफ तक भदयसे जाता था। ऩन्ना औय भुलरमा दोनं एक-दसूये की सूयत से जरती थीॊ। भुलरमा के दोनं रड़के फहुधा ऩन्ना ही के ऩास यहते। वहीॊ उन्हं उफटन भरती, वही काजर रगाती, वही गोद भं लरमे दपयती: भगय भुलरमा के भुॊह से अनुग्रह का एक िब्द बी न लनकरता। न ऩन्ना ही इसकी इच्छुक थी। वह जो कुछ

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कयती लनव्माषज बाव से कयती थी। उसके दो-दो रड़के अफ कभाऊ हो गए थे। रड़की खाना ऩका रेती थी। वह खुद ऊऩय का काभ-काज कय रेती। इसके पवरुद्ध यग्घ ूअऩने घय का अकेरा था, वह बी दफुषर, अिि औय जवानी भं फूढ़ा। अबी आम ुतीस वर्ष से अलधक न थी, रेदकन फार जखचड़ी हो गए थे। कभय बी झकु चरी थी। खॉँसी ने जीणष कय यखा था। देखकय दमा आती थी। औय खेती ऩसीने की वस्त ुहै। खेती की जसैी सेवा होनी चादहए, वह उससे न हो ऩाती। दपय अच्छी पसर कहॉँ से आती? कुछ ऋण बी हो गमा था। वह लचॊता औय बी भाये डारती थी। चादहए तो मह था दक अफ उसे कुछ आयाभ लभरता। इतने ददनं के लनयन्तय ऩरयश्रभ के फाद लसय का फोझ कुछ हल्का होता, रेदकन भुलरमा की स्वाथषऩयता औय अदयूदलिषता ने रहयाती हुई खेती उजाड़ दी। अगय सफ एक साथ यहते, तो वह अफ तक ऩेन्िन ऩा जाता, भजे भं द्वाय ऩय फैठा हुआ नारयमर ऩीता। बाई काभ कयते, वह सराह देता। भहतो फना दपयता। कहीॊ दकसी के झगडे़ चुकाता, कहीॊ साध-ुसॊतं की सेवा कयता: वह अवसय हाथ से लनकर गमा। अफ तो लचॊता-बाय ददन-ददन फढ़ता जाता था। आजखय उसे धीभा-धीभा ज्वय यहने रगा। हृदम-िूर, लचॊता, कड़ा ऩरयश्रभ औय अबाव का मही ऩुयस्काय है। ऩहरे कुछ

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ऩयवाह न की। सभझा आऩ ही आऩ अच्छा हो जाएगा: भगय कभजोयी फढ़ने रगी, तो दवा की दपक्र हुई। जजसने जो फता ददमा, खा लरमा, डाक्टयं औय वैद्यों के ऩास जाने की साभर्थमष कहॉ?ँ औय साभर्थमष बी होती, तो रुऩमे खचष कय देने के लसवा औय नतीजा ही क्मा था? जीणष ज्वय की और्लध आयाभ औय ऩुपष्टकायक बोजन है। न वह फसॊत-भारती का सेवन कय सकता था औय न आयाभ से फैठकय फरफधषक बोजन कय सकता था। कभजोयी फढ़ती ही गई। ऩन्ना को अवसय लभरता, तो वह आकय उसे तसल्री देती: रेदकन उसके रड़के अफ यग्घू से फात बी न कयते थे। दवा-दारु तो क्मा कयतं, उसका औय भजाक उड़ाते। बैमा सभझते थे दक हभ रोगं से अरग होकय सोने औय ईट यख रंगे। बाबी बी सभझती थीॊ, सोने से रद जाऊॉ गी। अफ देखं कौन ऩूछता है? लससक-लससककय न भयं तो कह देना। फहुत ‘हाम! हाम!’ बी अच्छी नहीॊ होती। आदभी उतना काभ कये, जजतना हो सके। मह नहीॊ दक रुऩमे के लरए जान दे दे। ऩन्ना कहती—यग्घू फेचाये का कौन दोर् है?

केदाय कहता—चर, भं खूफ सभझता हूॉ। बमैा की जगह भं होता, तो डॊडे से फात कयता। भजाक थी दक औयत मं जजद कयती। मह सफ बैमा की चार थी। सफ सधी-फधी फात थी। आजखय एक ददन यग्घू का दटभदटभाता हुआ जीवन-दीऩक

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फुझ गमा। भौत ने सायी लचन्ताओॊ का अॊत कय ददमा। अॊत सभम उसने केदाय को फरुामा था: ऩय केदाय को ऊख भं ऩानी देना था। डया, कहीॊ दवा के लरए न बेज दं। फहाना फना ददमा। 8

भुलरमा का जीवन अॊधकायभम हो गमा। जजस बूलभ ऩय उसने भनसूफं की दीवाय खड़ी की थी, वह नीचे से जखसक गई थी। जजस खूॉटं के फर ऩय वह उछर यही थी, वह उखड़ गमा था। गॉँववारं ने कहना िुरु दकमा, ईश्वय ने कैसा तत्कार दॊड ददमा। फेचायी भाये राज के अऩने दोनं फच्चं को लरमे योमा कयती। गॉँव भं दकसी को भुॉह ददखाने का साहस न होता। प्रत्मेक प्राणी उससे मह कहता हुआ भारभू होता था—‘भाये घभण्ड के धयती ऩय ऩॉँव न यखती थी: आजखय सजा लभर गई दक नहीॊ !’ अफ इस घय भं कैसे

लनवाषह होगा? वह दकसके सहाये यहेगी? दकसके फर ऩय खेती होगी? फेचाया यग्घू फीभाय था। दफुषर था, ऩय जफ तक जीता यहा, अऩना काभ कयता यहा। भाये कभजोयी के कबी-कबी लसय ऩकड़कय फैठ जाता औय जया दभ रेकय दपय हाथ चराने रगता था। सायी खेती तहस-नहस हो यही थी, उसे कौन सॊबारेगा? अनाज की डॉँठं खलरहान भं ऩड़ी थीॊ, ऊख

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अरग सूख यही थी। वह अकेरी क्मा-क्मा कयेगी? दपय लसॊचाई अकेरे आदभी का तो काभ नहीॊ। तीन-तीन भजदयूं को कहॉ ँसे राए! गॉँव भं भजदयू थे ही दकतने। आदलभमं के लरए खीॊचा-तानी हो यही थी। क्मा कयं, क्मा न कये। इस तयह तेयह ददन फीत गए। दक्रमा-कभष से छुट्टी लभरी। दसूये ही ददन सवेये भुलरमा ने दोनं फारकं को गोद भं उठामा औय अनाज भॉँड़ने चरी। खलरहान भं ऩहुॊचकय उसने एक को तो ऩेड़ के नीचे घास के नभष पफस्तय ऩय सुरा ददमा औय दसूये को वहीॊ फैठाकय अनाज भॉँड़ने रगी। फैरं को हॉँकती थी औय योती थी। क्मा इसीलरए बगवान ्ने उसको जन्भ ददमा था? देखते-देखते क्मा वे क्मा हो गमा?

इन्हीॊ ददनं पऩछरे सार बी अनाज भॉँड़ा गमा था। वह यग्घू के लरए रोटे भं ियफत औय भटय की घुॉघी रेकय आई थी। आज कोई उसके आगे है, न ऩीछे: रेदकन दकसी की रंडी तो नहीॊ हूॉ! उसे अरग होने का अफ बी ऩछतावा न था। एकाएक छोटे फच्चे का योना सुनकय उसने उधय ताका, तो फड़ा रड़का उसे चभुकायकय कह यहा था—फैमा तुऩ यहो, तुऩ यहो। धीये-धीये उसके भुॊह ऩय हाथ पेयता था औय चुऩ कयाने के लरए पवकर था। जफ फच्चा दकसी तयह न चुऩ न हुआ

तो वह खुद उसके ऩास रेट गमा औय उसे छाती से रगाकय प्माय कयने रगा: भगय जफ मह प्रमत्न बी सपर

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न हुआ, तो वह योने रगा। उसी सभम ऩन्ना दौड़ी आमी औय छोटे फारक को गोद भं उठाकय प्माय कयती हुई फोरी—रड़कं को भुझे क्मं न दे आमी फहू? हाम! हाम! फेचाया धयती ऩय ऩड़ा रोट यहा है। जफ भ ंभय जाऊॉ तो जो चाहे कयना, अबी तो जीती हूॉ, अरग हो जाने से फच्चे तो नहीॊ अरग हो गए। भुलरमा ने कहा—तुम्हं बी तो छुट्टी नहीॊ थी अम्भॉ,ँ क्मा कयती?

ऩन्ना—तो तुझे महॉ ँआने की ऐसी क्मा जल्दी थी? डॉँठ

भॉँड़ न जाती। तीन-तीन रड़के तो हं, औय दकसी ददन काभ आऍॊगे? केदाय तो कर ही भॉँड़ने को कह यहा था: ऩय भंने कहा, ऩहरे ऊख भं ऩानी दे रो, दपय आज भॉड़ना, भॉड़ाई तो दस ददन फाद ब हो सकती है, ऊख की लसॊचाई न हुई तो सखू जाएगी। कर से ऩानी चढ़ा हुआ है, ऩयसं तक खेत ऩुय जाएगा। तफ भॉड़ाई हो जाएगी। तुझे पवश्वास न आएगा, जफ से बैमा भये हं, केदाय को फड़ी लचॊता हो गई है। ददन भं सौ-सौ फाय ऩूछता है, बाबी फहुत योती तो नहीॊ हं? देख,

रड़के बखेू तो नहीॊ हं। कोई रड़का योता है, तो दौड़ा आता है, देख अम्भॉ,ँ क्मा हुआ, फच्चा क्मं योता है? कर योकय फोरा—अम्भॉ,ँ भ ंजानता दक बैमा इतनी जल्दी चरे जाऍ ॊगे,

तो उनकी कुछ सेवा कय रेता। कहॉँ जगाए-जगाए उठता

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था, अफ देखती हो, ऩहय यात से उठकय काभ भं रग जाता है। खुन्नू कर जया-सा फोरा, ऩहरे हभ अऩनी ऊख भं ऩानी दे रंगे, तफ बैमा की ऊख भं दंगे। इस ऩय केदाय ने ऐसा डॉँटा दक खुन्नू के भुॉह से दपय फात न लनकरी। फोरा, कैसी तुम्हायी औय कैसी हभायी ऊख? बैमा ने जजरा न लरमा होता, तो आज मा तो भय गए होते मा कहीॊ बीख भॉँगते होते। आज तुभ फडे़ ऊखवारे फने हो! मह उन्हीॊ का ऩुन-ऩयताऩ है दक आज बरे आदभी फने फैठे हो। ऩयसं योटी खाने को फुराने गई, तो भॉडै़मा भं फैठा यो यहा था। ऩूछा, क्मं योता है? तो फोरा, अम्भॉ,ँ बैमा इसी ‘अरग्मोझ’

के दखु से भय गए, नहीॊ अबी उनकी उलभय ही क्मा थी! मह उस वि न सूझा, नहीॊ उनसे क्मं पफगाड़ कयते?

मह कहकय ऩन्ना ने भुलरमा की ओय सॊकेतऩूणष दृपष्ट से देखकय कहा—तुम्हं वह अरग न यहने देगा फहू, कहता है, बैमा हभाये लरए भय गए तो हभ बी उनके फार-फच्चं के लरए भय जाऍ ॊगे। भुलरमा की आॊखं से ऑॊसू जायी थे। ऩन्ना की फातं भं आज सच्ची वेदना, सच्ची सान्त्वना, सच्ची लचन्ता बयी हुई थी। भुलरमा का भन कबी उसकी ओय इतना आकपर्षत न हुआ था। जजनसे उसे व्मॊग्म औय प्रलतकाय का बम था, वे इतने दमार,ु इतने िुबेच्छु हो गए थे।

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आज ऩहरी फाय उसे अऩनी स्वाथषऩयता ऩय रज्जा आई। ऩहरी फाय आत्भा ने अरग्मोझे ऩय लधक्काया। 9

इस घटना को हुए ऩॉँच सार गुजय गए। ऩन्ना आज फूढ़ी हो गई है। केदाय घय का भालरक है। भुलरमा घय की भारदकन है। खुन्न ूऔय रछभन के पववाह हो चकेु हं: भगय केदाय अबी तक क्वॉँया है। कहता हं— भं पववाह न करुॉ गा। कई जगहं से फातचीत हुई, कई सगाइमॉँ आमीॊ: ऩय उसे हाभी न बयी। ऩन्ना ने कम्ऩे रगाए, जार पैराए, ऩय व न पॉ सा। कहता—औयतं से कौन सखु? भेहरयमा घय भं आमी औय आदभी का लभजाज फदरा। दपय जो कुछ है, वह भेहरयमा है। भॉ-ँफाऩ, बाई-फन्धु सफ ऩयाए हं। जफ बैमा जैसे आदभी का लभजाज फदर गमा, तो दपय दसूयं की क्मा लगनती? दो रड़के बगवान ्के ददमे हं औय क्मा चादहए। पफना ब्माह दकए दो फेटे लभर गए, इससे फढ़कय औय क्मा होगा? जजसे अऩना सभझो, व अऩना है: जजसे गैय सभझो, वह गैय है। एक ददन ऩन्ना ने कहा—तेया वॊि कैसे चरेगा?

केदाय—भेया वॊि तो चर यहा है। दोनं रड़कं को अऩना ही सभझता हूॊ।

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ऩन्ना—सभझने ही ऩय है, तो त ूभुलरमा को बी अऩनी भेहरयमा सभझता होगा?

केदाय ने झंऩते हुए कहा—तुभ तो गारी देती हो अम्भॉँ! ऩन्ना—गारी कैसी, तेयी बाबी ही तो है! केदाय—भेये जेसे रट्ठ-गॉवाय को वह क्मं ऩूछने रगी! ऩन्ना—तू कयने को कह, तो भ ंउससे ऩूछूॉ?

केदाय—नहीॊ भेयी अम्भॉ,ँ कहीॊ योने-गाने न रगे। ऩन्ना—तेया भन हो, तो भ ंफातं-फातं भं उसके भन की थाह रूॉ?

केदाय—भं नहीॊ जानता, जो चाहे कय। ऩन्ना केदाय के भन की फात सभझ गई। रड़के का ददर भुलरमा ऩय आमा हुआ है: ऩय सॊकोच औय बम के भाये कुछ नहीॊ कहता। उसी ददन उसने भुलरमा से कहा—क्मा करुॉ फहू, भन की रारसा भन भं ही यह जाती है। केदाय का घय बी फस जाता, तो भ ंलनजश्चन्त हो जाती। भुलरमा—वह तो कयने को ही नहीॊ कहते। ऩन्ना—कहता है, ऐसी औयत लभरे, जो घय भं भेर से यहे, तो कय रूॉ। भुलरमा—ऐसी औयत कहॉ ँलभरेगी? कहीॊ ढूॉढ़ो। ऩन्ना—भंने तो ढूॉढ़ लरमा है।

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भुलरमा—सच, दकस गॉँव की है?

ऩन्ना—अबी न फताऊॉ गी, भुदा मह जानती हूॉ दक उससे केदाय की सगाई हो जाए, तो घय फन जाए औय केदाय की जजन्दगी बी सुपर हो जाए। न जाने रड़की भानेगी दक नहीॊ। भुलरमा—भानेगी क्मं नहीॊ अम्भॉँ, ऐसा सुन्दय कभाऊ,

सुिीर वय औय कहॉँ लभरा जाता है? उस जनभ का कोई साध-ुभहात्भा है, नहीॊ तो रड़ाई-झगडे़ के डय से कौन पफन ब्माहा यहता है। कहॉँ यहती है, भं जाकय उसे भना राऊॉ गी। ऩन्ना—तू चाहे, तो उसे भना रे। तेये ही ऊऩय है। भुलरमा—भं आज ही चरी जाऊॉ गी, अम्भा, उसके ऩैयं ऩड़कय भना राऊॉ गी। ऩन्ना—फता दूॉ, वह तू ही है! भुलरमा रजाकय फोरी—तुभ तो अम्भॉँजी, गारी देती हो। ऩन्ना—गारी कैसी, देवय ही तो है! भुलरमा—भुझ जैसी फुदढ़मा को वह क्मं ऩूछंगे?

ऩन्ना—वह तुझी ऩय दॉँत रगाए फैठा है। तेये लसवा कोई औय उसे बाती ही नहीॊ। डय के भाये कहता नहीॊ: ऩय उसके भन की फात भं जानती हूॉ। वैधव्म के िौक से भुयझामा हुआ भुलरमा का ऩीत वदन

कभर की बॉँलत अरुण हो उठा। दस वर्ो भं जो कुछ खोमा

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था, वह इसी एक ऺण भं भानं ब्माज के साथ लभर गमा। वही रवण्म, वही पवकास, वहीॊ आकर्षण, वहीॊ रोच।